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Dasmahavidya Mantra Jaap


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षष्टम् ज्योित भैरवी प्रगटी |
Shiv Mahapurana (भैरवी)
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ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन नेत्र तारा ित्रकुटी, गले में माला मुण्डन की | अभय मुद्रा
Mukhi Rudraksha पीये रुिधर नाशवन्ती ! काला खप्पर हाथ खन्जर, कालापीर धमर् धूप खेवन्ते वासना गई सातवे पाताल, सातवे
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Select Your Rudraksha पाताल मध्ये परमतत्व परमतत्व में जोत, जोत में परम जोत, परम जोत में भई उत्पन्न काल भैरवी, ित्रपुर
AboutRudraksha भैरवी, समपत प्रदा भैरवी, कैलेश भैरवी, िसद्धा भैरवी, िवध्वंिसिन भैरवी, चैतन्य भैरवी, कामेश्वरी भैरवी,
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FAQ's षटकुटा भैरवी, िनत्या भैरवी | जपा अजपा गोरक्ष जपन्ती यही मंत्र मत्स्येन्द्रनाथ जी को सदा िशव ने कहायी
| ऋद्ध फूरो िसद्ध फूरो सत श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ जी अनन्त कोिट िसद्धा ले उतरेगी काल के पार,
COMPANY INFO
भैरवी भैरवी खड़ी िजन शीश पर, दू र हाटे काल जन्जाल भैरवी अमंत्र बैकुण्ठ वासा | अमर लोक में हुवा
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Privacy Policy "ॐ हस्त्रो हस्कलरो हस्त्रो:" |
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सप्तम ज्योित धूमावती प्रगटी |
Newsletter (धूमावती)
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ॐ पाताल िनरन्जन िनराकार, आकाश मण्डल धुन्धुकार, आकाश िदशा से कौन आई, कौन रथ कौन असवार,
Disclaimer
Our Links आकाश िदशा से धूमावंती आई, काक ध्वजा का रथ अस्वार थरै धरत्री थरै
आकाश, िवधवा रुप लम्बे हाथ,
Team Rudraksham
Our Showroom लम्बी नाक कुिटल नेत्र दुष्टा स्वभाव, डमरु बाजे भद्रकाली, क्लेश कलह कालराित्र | डंका डंकनी काल िकट
TRADEMARK िकटा हास्य करी | जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते जाया जीया आकाश तेरा होये | धूमावन्तीपुरी में वास, न होती
CERTIFICATE
देवी न देव तहाँ
न होती पूजा न पाती तहाँ न होती जात न जाती तब आये श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ आप
Accept All: भयी अतीत |
ॐ धूं: धूं: धूमावती फट् स्वाह: |

अष्ठम ज्योित बगलामुखी प्रगटी |


(बगलामुखी)
ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा िसं
हासन पीला | िसं हासन पीले ऊपर कौन बैसे िसं हासन पीला
ऊपर बगलामुखी बैसे, बगलामुखी के कौन संगी कौन साथी | कच्ची बच्ची काक - कुतीया - स्वान िचिड़या,
ॐ बगला बाला हाथ मुग्दर मार, शत्रु ह्रदय पर स्वार ितसकी िजव्हा िखच्चै बाला | बगलामुखी मरणी करणी
उच्चाटन धरणी, अनन्त कोिट िसद्धों ने मानी ॐ बगलामुखी रमे ब्रह्माण्डी मण्डे चन्द्र्सूर िफरे खण्डे खण्डे |
बाला बगलामुखी नमो नमस्कार |
ॐ हृलीं ब्रह्मास्त्रायैं िवदमहे स्तम्भनबाणायै
धीमिह तन्नो बगला प्रचोदयात्

नवमी ज्योित मातंगी प्रगटी |


(मातंगी)
ॐ गुरूजी शून्य शून्य महाशून्य, महाशून्य में ओंकार ॐकार में िशवम् िशवम् में शिक्त - शिक्त अपन्ते उहज
आपो आपना, सुभय में धाम कमल में िवश्राम, आसन बैठी, िसं हासन बैठी पूजा पूजो मातंगी बाला, शीश पर
शशी अिमरस प्याला हाथ खड् ग नीली काया | बल्ला पर अस्वारी उग्र उन्मत मुद्राधारी, उद गुग्गुल पाण
सुपारी, खीरे खाण्डे मद्य मांसे घृत कुण्डे सवार्ंगधारी | बुन्द मात्रेन कडवा प्याला, मातंगी माता तृप्यन्ते तृप्यन्ते
| ॐ मातंगी सुन्दरी, रुपवंती, कामदेवी, धनवंती, धनदाती, अन्नपूणीर् अन्न्दाती, मातंगी जाप मंत्र जपे काल
का तुम काल को खाये | ितसकी रक्षा शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ जी करे |
ॐ ह्री क्लीं हूँमातंग्यै फट् स्वाहा |

दसवीं ज्योित कमला प्रगटी |


(कमला)
ॐ अयोनी शंकर ॐकार रुप, कमला देवी सती पावर्ती का स्वरुप | हाथ में सोने का कलश मुख से अभय
मुद्रा | श्वेत वणर् सेवा पूजा करे, नारद इन्द्रा | देवी देवत्या ने िकया जय ओंकार | कमला देवी पूजो केशर
पान सुपारी, चकमक चीनी फतरी ितल गुग्गल सहस्त्र कमलों का िकया हवन | कहे गोरख, मंत्र जपो जाप
जपो ऋिद्ध िसिद्ध की पहचान गंगा गौरजा पावर्ती जान | िजसकी तीन लोक में भया मान | कमला देवी के
चरण कमल को आदेश |

ॐ ह्रीं क्लीं कमला देवी फट् स्वाह:


सुनो पावर्ती हम मत्स्येन्द्र पूता, आिदनाथ नाती, हम िशव स्वरुप उलटी थापना थापी योगी का योग, दस िवद्या
शिक्त जानो, िजसका भेद िशव शंकर ही पायो | िसद्ध योग मरम जो जाने िवरला ितसको प्रसन्न भयी
महाकािलका | योगी योग िनत्य करे प्रात: उसे वरद भुवनेश्वरी माता | िसद्धासन िसद्ध, भया श्मशानी ितसके
संग बैठी बगलामुखी | जोगी खड दशर्न को कर जानी, खुल गया ताला ब्रह्माण्ड भैरवी | नाभी स्थाने
उडीय्यान बांधी मनीपुर चक्र में बैठी, िछन्नमस्ता रानी | ॐकार ध्यान लाग्या ित्रकुटी, प्रगटी तारा बाला सुन्दरी
| पाताल जोगन (कुण्डिलनी) गगन को चढ़ी, जहाँपर बैठी ित्रपुर सुन्दरी | आलस मोड़े, िनन्द्रा तोड़े ितसकी
रक्षा देवी धूमावंती करें| हंसा जाये दसवें द्वारे देवी मातंगी का आवागमन खोजे | जो कमला देवी की धूनी
चेताये ितसकी ऋिद्ध िसिद्ध से भण्डार भरे | जो दशिवद्या का सुिमरण करे | पाप पुन्य से न्यारा रहे | योग
अभ्यास से भये िसद्धा आवागमन िनवराते | मन्त्र पढ़े सो नर अमर लोक में जायें | इतना दस महािवद्या मन्त्र
जाप सम्पूणर् भया | अनन्त कोट िसद्धों में, गोदावरी त्र्यम्बक क्षेत्र अनुपान िशला, अवलगढ़ पवर्त पर बैठ श्री
शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ जी ने पढ़ कथ कर सुनाया श्री नाथजी गुरूजी को आदेश | आदेश |
ॐ िशव गोरक्ष योगी

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