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द बै पटिस्ट कान्वें ट सीनियर से केंडरी स्कू ल

कक्षा -7
पाठ -13 स्वाध्याय का महत्व

प्रश्न - निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-

प्रश्न 1. - स्वाध्याय का अर्थ क्या है ?


उत्तर - स्वाध्याय का सामान्य अर्थ - स्वत: पु स्तकों का अध्ययन करते हुए अपने ज्ञान को बढ़ाना तथा ज्ञान के
आधार पर विचारों का विश्ले षण करना |

प्रश्न 2. - आत्मशां ति की प्राप्ति कैसे हो सकती है ?


उत्तर- जिज्ञासापूर्वक, अध्यव्यवसायपूर्वक स्वाध्याय करें जिससे ज्ञान एवं आत्मशां ति की प्राप्ति हो |

प्रश्न 3. - हम अपने अं तर्मन को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं ?


उत्तर - अपने अं तर्मन को जिज्ञासापूर्वक , अध्यवसायपूर्वक स्वाध्याय करें , जिससे ज्ञान एवं आत्मशां ति की
प्राप्ति हो, तो हम स्वस्थ रह सकते हैं |

प्रश्न 4.- स्थूल शरीर को कोमलता प्रदान करने का मु ख्य साधन क्या है ?
उत्तर - स्थूल शरीर को स्वाध्याय द्वारा तथा श्रेष्ठ चिं तन-सामग्री द्वारा पोषित किया जा सकता है अन्यथा
मन उल्टी-सीधे , अधकचरे विचारों में उलझा रहता है |

प्रश्न 5. -स्वाध्याय किस प्रकार करना चाहिए ?


उत्तर - स्वाध्याय करने की महत्वपूर्ण बातें
1. तल्लीनता पु रुष अध्याय करना चाहिए |
2. पहले ध्यान से एक बार पढ़ें फिर दसू री बार महत्वपूर्ण शब्दों व वाक्यों को रे खां कित करें , इसका मनन
चिं तन करें और उन सूतर् ों को जीवन में उतारने की योजना बनाएं | एक ही पृ ष्ठ को बारं बार पढ़ें |

प्रश्न 6.- ज्ञान के अभाव में व्यक्ति की स्थिति किस प्रकार हो जाती है ?
उत्तर - ज्ञान के अभाव में व्यक्ति की स्थिति ने तर् हीन जै सी होती है |

प्रश्न 7.- स्वाध्याय के मु ख्य लक्षण लिखिए |


उत्तर – स्वाध्याय के मु ख्य लक्षण हैं -
I. दृढ़ सं कल्प की आवश्यकता
II. चिं तन शक्ति की आवश्यकता
III. तल्लीनता
IV. जीवन व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता

प्रश्न 8. - स्वाध्याय करने के लाभ लिखिए |


उत्तर – स्वाध्याय करने के लाभ-
I. प्रेरक साहित्य द्वारा व्यक्तित्व , चरित्र , मनोबल आत्म निर्माण में सहायक होता है |
II. व्यक्तित्व चिता के बं धनों को तोड़कर महानता वरण करने में समर्थ होता है |
III. स्वाध्याय दै निक नित्य कर्मों में सर्वोपरि रखा जाना चाहिए |
IV. स्वाध्याय से इष्ट की प्राप्ति सं भव है |
V. स्वाध्याय लोक व्यवहार सिखाता है |
VI. स्वाध्याय मस्तिष्क की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है |
VII. अज्ञानता मनु ष्य का शत्रु है | इस अज्ञानता के कारण मनु ष्य दुष्कर्म करता है | अत: इसको दरू करने
के लिए स्वाध्याय आवश्यक है |

प्रश्न -रिक्त स्थान भरो -


1. तल्लीनता पूर्वक स्वाध्याय करना चाहिए |
2. स्वाध्याय द्वारा जीवन की विसं गतियों और समस्याओं को दरू करने की क्षमता पै दा होती है |
3. दिनचर्या में कम से कम आधा घं टा नियमित स्वाध्याय की प्रक्रिया को दृढ़ सं कल्प पूर्वक आरं भ करें |
4. भौतिक जीवन की पूर्णता के लिए सबसे प्रथम सोपान स्वाध्याय है |
5. स्वाध्याय जीवन व्यवहार सिखाता है अहं कार से बचाता है |
6. स्वाध्याय से इष्ट की प्राप्ति सं भव है |
7. स्वाध्याय मस्तिष्क की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है |
8. अज्ञानता मनु ष्य का शत्रु है | इस अज्ञानता के कारण ही मनु ष्य दुष्कर्म करता है |
9. सत्साहित्य ने अनगणित व्यक्तियों को ऊंचे उठने और आत्मबल सं पन्न हो सकने का अवसर दिया है |

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