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पाठ 7.

संदेह

न क-i:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
“तम
ु से अपराध होगा? यह या कह रह हो? म रोता हूँ, इसम मेर ह भल
ू है । ायि चत करने का यह ढं ग नह ं, यह म धीरे -
धीरे समझ रहा हूँ, कंतु क ँ या? यह मन नह ं मानता।”
उपयु त अवतरण के व ता तथा ोता का प रचय द।

उ तर:
उपयु त अवतरण का व ता राम नहाल है । जो क ोता यामा के यहाँ ह रहता है । यामा एक वधवा, समझदार और
च र वान म हला है ।

न क-ii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
“तमु से अपराध होगा? यह या कह रह हो? म रोता हूँ, इसम मेर ह भल
ू है । ायि चत करने का यह ढं ग नह ं, यह म धीरे -
धीरे समझ रहा हूँ, कंतु क ँ या? यह मन नह ं मानता।”
ोता के व ता के बारे म या वचार ह?

उ तर :
श ोता अथात ् राम नहाल के व ता यामा के बारे म बड़े उ च वचार है ।
राम नहाल यामा के वभाव से अ भभत ू है । वह िजस कार से अपने वैध य का जीवन जी रह है । वह राम नहाल क नज़र म
का बले तार फ़ है । वह यामा क स दयता और मानवता के कारण उसे अपना शभ ु चंतक, म और र क समझता है ।

न क-iii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
“तम
ु से अपराध होगा? यह या कह रह हो? म रोता हूँ, इसम मेर ह भल
ू है । ायि चत करने का यह ढं ग नह ं, यह म धीरे -
धीरे समझ रहा हूँ, कंतु क ँ या? यह मन नह ं मानता।”
या वाकई म व ता से कोई अपराध हो गया था?

उ तर:
नह ं, व ता से कोई अपराध नह ं हुआ था।
राम नहाल अपना सामान बांध लगातार रोये जा रहा था। अत: व ता यह जानना चाह रह थी क कह ं उससे तो कोई भल
ू नह ं
हो गई िजसके कारण राम नहाल इस तरह से रोये जा रहा था।

न क-iv:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
“तमु से अपराध होगा? यह या कह रह हो? म रोता हूँ, इसम मेर ह भल
ू है । ायि चत करने का यह ढं ग नह ं, यह म धीरे -

धीरे समझ रहा हूँ, कतु क ँ या? यह मन नह ं मानता।”
राम नहाल के रोने का कारण या है ?

उ तर:
राम नहाल को लगता है क उससे कोई बड़ी भल
ू हो गई है और िजसका उसे ायि चत करना पड़ेगा और इसी भल
ू के संदभ म
वह रो रहा है ।
न ख-i:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मेर मह वकां ा, मेरे उ न तशील वचार मझ ु े बराबर दौड़ाते रहे । म अपनी कुशलता से अपने भा य को धोखा दे ता रहा। यह
भी मेरा पेट भर दे ता था। कभी-कभी मझु े ऐसा मालम ू होता है क यह दाँव बैठा क म अपने-आप पर वजयी हुआ और म
सखु ी होकर संतु ट होकर चैन से संसार के एक कोने म बैठ जाऊँगा, कंतु वह मग ृ मर चका थी।”
यहाँ पर कसके बारे म बात क जा रह है ?

उ तर:
यहाँ पर वयं राम नहाल अपने वषय म बातचीत कर रहा है । अपने जीवन म अ त मह वाकां ी होने के कारण एक जगह
टक नह ं पाया। हर समय सामान अपनी पीठ पर लादे घम
ू ता रहा।

न ख-ii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मेर मह वकां ा, मेरे उ न तशील वचार मझ ु े बराबर दौड़ाते रहे । म अपनी कुशलता से अपने भा य को धोखा दे ता रहा। यह
भी मेरा पेट भर दे ता था। कभी-कभी मझ ु े ऐसा मालम ू होता है क यह दाँव बैठा क म अपने-आप पर वजयी हुआ और म
सखु ी होकर सं त ु ट होकर चै
न से सं स ार के एक कोने म बैठ जाऊँगा, कंतु वह मग ृ मर चका थी।”
राम नहाल क मह वकां ा उससे या करवाती रह ?

उ तर:
राम नहाल क मह वकां ा और उसके उ न तशील वचार उसे बराबर दौड़ाते रहे । वह बड़ी कुशलतापव
ू क अपने भा य को
धोखा दे ता रहा और अपना नवाह करता रहा।

न ख-iii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मेर मह वकां ा, मेरे उ न तशील वचार मझ ु े बराबर दौड़ाते रहे । म अपनी कुशलता से अपने भा य को धोखा दे ता रहा। यह
भी मेरा पेट भर दे ता था। कभी-कभी मझु े ऐसा मालम ू होता है क यह दाँव बैठा क म अपने-आप पर वजयी हुआ और म
सखु ी होकर संतु ट होकर चैन से संसार के एक कोने म बैठ जाऊँगा, कंतु वह मग ृ मर चका थी।”
तत
ु पं ि तय का या आशय है ?

उ तर:
तत
ु पंि तय का आशय मनु य क कभी भी न परू होने वाल इ छाओं से ह। मनु य हमेशा अपनी हर इ छा को अं तम
इ छा समझता है और सोचता है क बस यह परू हो जाय तो वह चैन क साँस ल। परं तु हर एक ख म होने वाल इ छा के
बाद एक नई इ छा का ज म होता है और इसके साथ ह मनु य का असंतोष भी बढ़ता जाता है ।

न ख-iv:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मेर मह वकां ा, मेरे उ न तशील वचार मझ ु े बराबर दौड़ाते रहे । म अपनी कुशलता से अपने भा य को धोखा दे ता रहा। यह
भी मेरा पेट भर दे ता था। कभी-कभी मझु े ऐसा मालम ू होता है क यह दाँव बैठा क म अपने-आप पर वजयी हुआ और म
सखु ी होकर संतु ट होकर चैन से संसार के एक कोने म बैठ जाऊँगा, कंतु वह मग ृ मर चका थी।”
तत
ु अवतरण म म ग
ृ मर चका से या ता पय है ?

उ तर:
ततु अवतरण म मग ृ मर चका से ता पय इंसान क कभी भी ख म होने वाल इ छाओं से है । राम नहाल हमेशा सोचता था
क एक दन वह संतु ट होकर कोने म बैठ जाएगा ले कन ऐसा कभी भी संभव नह ं हो पाया।
न ग-i:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मनोरमा घबरा उठ । उसने कहा – “चप
ु र हए, आपक तबीयत बगड़ – रह है , शांत हो जाइए!”
कौन, कसे और य शांत रहने के लए कह रहा है ?

उ तर:
यहाँ पर मनोरमा अपने प त मोहनबाबू को शांत रहने के लए कह रह है ।
नाव पर घमू ते समय बात ह बात म मोहनबाबू उ तेिजत हो जाते ह और अजनबी राम नहाल के सामने कुछ भी कहने लगते
ह इस लए उनक प नी मनोरमा चाहती है क उसके प त शांत रहे ।

न ग-ii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मनोरमा घबरा उठ । उसने कहा – “चप
ु र हए, आपक तबीयत बगड़ – रह है , शांत हो जाइए!”
मोहनबाबू कौन ह और वे य परे शान ह?

उ तर:
मोहनबाबू राम नहाल के द तर के मा लक थे।
मोहनबाबू को संदेह था क उनक प नी मनोरमा और द तर म काम करने वाले उनके नकट संबंधी बजृ कशोर मलकर उसके
खलाफ़ षडयं रच रहे और उ ह पागल सा बत करने क को शश कर रहे ह। इस लए मोहनबाबू परे शान थे।

न ग-iii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मनोरमा घबरा उठ । उसने कहा – “चप
ु र हए, आपक तबीयत बगड़ – रह है , शांत हो जाइए!”
मोहनबाबू का कससे और य मतभेद था?

उ तर:
मोहनबाबू का अपनी प नी से वैचा रक तर पर मतभेद था। मोहनबाबू कसी भी वचार को दाश नक प से कट करते थे
िजसे उनक प नी समझ नह ं पाती थी और यह उनके मतभेद का कारण था।

न ग-iv:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
मनोरमा घबरा उठ । उसने कहा – “चप
ु र हए, आपक तबीयत बगड़ – रह है , शांत हो जाइए!”
मोहनबाबू मनोरमा से माफ़ य माँगते ह?

उ तर:
नाव पर घम
ू ते समय बात ह बात म मोहनबाबू का अपनी प नी से मतभेद हो जाता है और िजसके प रणा व प वे अपनी
प नी पर संदेह करते ह ये बात अजनबी राम नहाल के सामने कट कर दे ते ह। जब मोहनबाबू थोड़ा शांत हो जाते ह तो उ ह
अपनी गलती का अहसास हो जाता है तब वे अपनी प नी से माफ़ माँगते ह।

न घ-i:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
राम नहाल हत बु अपराधी – यामा को दे खने लगा, जैसे उसे कह ं भागने क राह न हो।
राम नहाल ने यामा या बताया?

उ तर:
राम नहाल ने यामा को बताया क बज
ृ कशोर बाबू चाहते ह क अदालत मोहनबाबू को पागल करार कर दे और उ ह
मोहनबाबू का नकट संबंधी होने के कारण सार संपि त का बंधक बना दे ।

न घ-ii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
राम नहाल हत बु अपराधी – यामा को दे खने लगा, जैसे उसे कह ं भागने क राह न हो।
राम नहाल कस संदेह से सत था?

उ तर:
राम नहाल इस संदेह से सत था क मनोरमा उसे यार करती है और इस लए बार-बार उसे प लख कर बल
ु ा रह है ।

न घ-iii:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
राम नहाल हत बु अपराधी – यामा को दे खने लगा, जैसे उसे कह ं भागने क राह न हो।
राम नहाल हत बु य हो गया?

उ तर:
राम नहाल अभी तक यह संदेह कर रहा था क मनोरमा उससे यार करती है और इस लए बार-बार प लखकर उसे बलु ा रह
है पर जब यामा ने राम नहाल को बताया क वह एक द ु खया ी है जो बज
ृ कशोर जैसे कपट यि त के कारण उसक
सहायता चाहती है ।
यह सन ु कर राम नहाल हत बु हो गया।
इस तरह जब यामा ने राम नहाल के यथ के संदेह का नराकरण कर दया तो राम नहाल हत बु हो गया।

न घ-iv:
न न ल खत ग यांश को पढ़कर नीचे दए गए न के उ तर ल खए :
राम नहाल हत बु अपराधी – यामा को दे खने लगा, जैसे उसे कह ं भागने क राह न हो।
अंत म यामा ने राम नहाल को या सझ
ु ाव दया?

उ तर:
राम नहाल क सार बात सनु ने के बाद यामा यह जान गई क राम नहाल यथ के संदेह के कारण परे शान है । तब यामा ने
उसके संदेह का नराकरण कया और राम नहाल को सझ ु ाव दया क मनोरमा एक द ु खया ी है और राम नहाल को उसक
सहायता करनी चा हए।

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