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जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी, 1890 - 15 नवंबर, 1937)

छायावाद के प्रमख
ु संस्ाापक कववयों में जयशंकर प्रसाद जी का नाम
आता है । उनहोंने कहाननयां, उपनयास, ननबंध, गद्य-गीत आदद ववववध ववधाओं
में लिखा है और ऐनतहालसक ताा पौराणिक प्रसंगों को आधनु नक संदर्भ दे कर
अनेक रचनाएं की हैं । उनके प्रबंध काव्य ‘कामायनी’ और नाटक ’चंद्रगुप्त’ को
दहंदी सादहत्य में ववशेष स्ाान प्राप्त है । उनका जनम 30 जनवरी, 1890 और
ननधन 15 नवंबर, 1937 को हुआ ाा । उनहोंने 47 वषों के छोटे -से जीवनकाि
में कववता, नाटक, उपनयास, कहानी और आिोचनात्मक ननबंध आदद ववधाओं
में समान रूप से उच्च कोदट की रचनाएं की ।

आपकी प्रमख
ु रचनाएं हैं कामायनी (प्रबंध काव्य), कानन कुसम
ु , झरना,
िहर (कववता संग्रह), ध्रव
ु स्वालमनी, जनमेजय का नागयज्ञ (नाटक), कंकाि,
नततिी, इरावती (उपनयास), आकाशदीप (कहानी संग्रह) ।

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