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(POEM) खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी...


(Khoob Ladi Mardani Woh To Jhansi Wali
Rani Thi..)

(POEM)खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी


थी...झाँसी की रानी

Khoob Ladi Mardani - Jhansi Wali Raani - Subhadra…


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िसं हासन िहल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,


बूढ़े भारत में आई िफर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दू र िफरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,


लक्ष्मीबाई नाम, िपता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर िशवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
लक्ष्मी थी या दुगार् थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलिकत होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब िशकार,
सैन्य घेरना, दुगर् तोड़ना ये थे उसके िप्रय िखलवार।
महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुिशयाँ छाई झाँसी में,
िचत्रा ने अजुर्न को पाया, िशव से िमली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
उिदत हुआ सौभाग्य, मुिदत महलों में उिजयाली छाई,
िकंतु कालगित चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूिड़याँ कब भाई,
रानी िवधवा हुई, हाय! िविध को भी नहीं दया आई।
िनसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुगर् पर अपना झंडा फहराया,
लावािरस का वािरस बनकर िब्रिटश राज्य झाँसी आया।
अश्रुपूणार् रानी ने देखा झाँसी हुई िबरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
अनुनय िवनय नहीं सुनती है, िवकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठु कराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
िछनी राजधानी िदल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था िबठु र में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक की कौन िबसात?
जबिक िसं ध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-िनपात।
बंगाले, मद्रास आिद की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी रोयीं िरनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े िबकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।
यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ िबकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
कुिटयों में भी िवषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैिनकों के मन में था अपने पुरखों का अिभमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बिहन छबीली ने रण-चण्डी का कर िदया प्रकट आहवान।
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योित जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की िचनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, िदल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँितया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरिसं ह सैिनक अिभराम,
भारत के इितहास गगन में अमर रहेंगे िजनके नाम।
लेिकन आज जुमर् कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मदर् बनी मदार्नों में,
लेिफ्टनेंट वाकर आ पहुँ चा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील िनरंतर पार,
घोड़ा थक कर िगरा भूिम पर गया स्वगर् तत्काल िसधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने िफर खाई रानी से हार,
िवजयी रानी आगे चल दी, िकया ग्वािलयर पर अिधकार।
अंग्रेज़ों के िमत्र िसं िधया ने छोड़ी रजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
िवजय िमली, पर अंग्रेज़ों की िफर सेना िघर आई थी,
अबके जनरल िस्मथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सिखयाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! िघरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,


िकन्तु सामने नाला आया, था वह संकट िवषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेर,े होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर िगरी िसं हनी उसे वीर गित पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी गई िसधार िचता अब उसकी िदव्य सवारी थी,
िमला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अिधकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीिवत करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
िदखा गई पथ, िसखा गई हमको जो सीख िसखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बिलदान जगावेगा स्वतंत्रता अिवनासी,
होवे चुप इितहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती िवजय, िमटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अिमट िनशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
By: सुभद्रा कुमारी चौहान
Courtesy: Kaavyaalaya, Youtube
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Comments

Great!!!! Don't forget her sacrifice

Permalink Submitted by prahlad on Fri, 2010-02-05 17:43.

Yes, really we shouldn't forget the sacrifice of our freedom


fighter and their dream-india. Today these politician have
divided us by the name of castism, religion. etc. today we
remember more to ambedkar not because of his participation
in indian politics etc. but only because he is from backward
class--the politician like mayawati etc. are using their name to
divide us. So please please please don't go by these
castism... etc.. remember Subash chandra Bose, Bhagat
Singh, Chandrashekhar Azad we are human first then Indian.
Love your country, countryman .... forget other...

Truly patriotic She was

Permalink Submitted by mahesh on Fri, 2010-02-05 17:45.

Truly patriotic She was Great I salute her great sacrifice !!!

Just not remember thr sacrifice work for thr dream

Permalink Submitted by Sudhanshu on Sun, 2010-02-28 17:50.

It was a gr8 sacrifice, n also r gr8 fortune to b born in a lan of


such gr8 Divine Freedom Fighters. bt m sorry to say tht to r
pity,the current scenario is so sad n depressing. they fought
to unite us n for r freedom. thr efforts were to secure r future.
they fought r externalities for the betterment of the cuming
generations. bt today to thr misfortune r true enemy is not an
external source,bt the internal factors named POLITICIANS.
instead of progressive growth n develpoment in nation's
performance an strength all they r aiming is to divide the ppl
in thr poll vote banks n rule. wat is the difference in the
"DIVIDE N RULE POLICY" of britishers n these days
politicians. so friends its time for us to jus not feel sad n pity
bt to work for the nation r divine freedom lovers felt thr efforts
shud lead to. JAI HIND

It is a great

Permalink Submitted by Anurag Agrawal on Mon, 2010-05-10 18:48.

It is a great poem........ Jai Hind Anurag Agrawal

झाशीची राणी लक्ष्मीबाई पुण्यितथीिदनी त्यांना िवनम्र अिभवादन

Permalink Submitted by Tejas Adulkar on Fri, 2010-06-18 04:00.

झाशीची राणी लक्ष्मीबाई यांच्या पुण्यितथीिदनी त्यांना िवनम्र अिभवादन खूब


लड़ी मदार्नी वह तो झाँसी वाली रानी थी...झाँसी की रानी

Wat i say abt Laxmi Ma...

Permalink Submitted by Ashish Narendra... on Mon, 2010-06-21 17:23.

Bas dard itna he hai k apne jhansi k liye jo b kiya(DESH K


LIYE) usko bhulkar JHANSI me aj kya halat hai , agar ap aj
zinda hoti 2 suicide kar lete khud se... :(

laxmi bai was a great

Permalink Submitted by anushka on Sat, 2011-01-08 05:18.

laxmi bai was a great women.never forget her sacrifice.

Shameful present

Permalink Submitted by Pooja on Fri, 2011-01-14 19:14.

Its a shame. India, where we have had so many brave


freedom fighters, now has all these politicians who are
running this country down to the ground. I am sure if these
freedom fighters were to be alive today, they would have
given up without a fight.

It made me cry...

Permalink Submitted by chandrika rathee on Mon, 2011-03-07 14:37.

Every para made me cry.. so beutifully written that i feel every


trouble she must have overcome.. The great Rani of Jhansi!!
She will live forever..
Kudos to writter .. any idea in which year this was written??

bai saheb jaise aur

Permalink Submitted by pradnya on Wed, 2011-03-09 06:21.

bai saheb jaise aur krantikariyo ne is desh ke liye kya kuch


nahi kiya par aaj hum sab in sab ko bhul aapni hi duniya mei
kahi kho gaye hai we need to wake up and like them we
should fight against terror,corruption etc which is eating our
motherland like termites lets take a pledge to remove these
termites and live happy again. together lets make india and
pakistan again HINDUSTAN......

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