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लेकिन इसे छोटी उम्र में कोई तलवारों को अपना दोस्त बना लें और घोड़ों को
अपना साथी तो आप क्या कहेंगे? देश की आजादी के सपने देखने लगे और
महाराज शिवाजी के रास्ते पर चलने की बातें करें तो आप उसे क्या कहेंगे? एक
सच्चा देश प्रेमी।
पर अगर मैं कहूँ की ऐसा सोचने और ऐसा सपने देखने वाली एक लड़की थी,
1012 साल की लड़की छोटी सी लड़की जो आगे चलकर देश की ऐसी पहली
शासिका बनी जिसने ब्रिटिश हुकू मत को चुनौती दी।
कु छ सालों बाद विनायक दामोदर सावरकर ने इन्हीं शब्दों में रानी का गुणगान
किया था।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली राजनीति 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने
आजाद हिंद फौज की एक रेजिमेंट का नाम झांसी की रानी रेजिमेंट रखा था।
नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में लिखा था, 1857 की लड़ाई में सबसे
ज्यादा नाम कमाया था रानी लक्ष्मी बाई।
काशी में जन्मी और बचपन में नाम रखा गया मणिकर्णिका, लेकिन आगे चलकर
रानी लक्ष्मीबाई कै से बनी, बचपन कै से गुजरा और क्या क्या शौक रहे देखिये
मणिकर्णिका जैसा आपने बताया इनका नाम था और इनके पिता होते थे मोरोपंत।
बहुत कम उम्र में इनकी माता का देहांत हो गया और 1849 में इनकी शादी हुई
है व झांसी के राजा के साथ गंगाधर राव के साथ शादी हुई है।
और दिलचस्प बात।
आपको ये बताए कि जब भी शादी हुई तो इनके जो पिता हैं इनके साथ आए और
इनके जो इनकी जो पहली पत्नी थी।
गंगाधर राव की 1842 में उनका निधन हो गया था और उनकी कोई संतान नहीं
थी और इनकी बड़ी अजीब सी आदत थी इनको।
महिलाओं की तरह बिहेव करना था, होता था, अक्सर घर की छत पर चले जाते
थे और वहाँ पर पुरुषों के कपड़े उतारकर औरतों के कपड़े पहन लेते थे, चूड़ियां
पहन लेते थे, बल्कि पास एक भी पहन लेते थे तो ये इनके जब कोई संतान नहीं
पैदा हुई और यह भी बीमार हो गए।
तो उन्होंने एक पुत्र।
कानून है।
इस कानून में क्या था? देखिये दल हो जी सबसे यंगेस्ट गवर्नर जनरल थी भारत
के और उस जमाने में ये प्रथा थी कि जब किसी राजा के कोई संतान नहीं होती
थी तो वो किसी को अडॉप्ट कर लेता था तो इसको टैकल करने के लिए इन्होंने
डॉक्टर इन ऑफ बनाया।
उन्होंने कहा कि आप अडॉप्ट नहीं कर सकते किसी को और इसी के सहारे कई
राज्यों को ब्रिटिश राज्य में मिलाया गया।
उसमें लोअर बर्मा शामिल था, अवध शामिल था, पंजाब शामिल था, उदयपुर
शामिल था तो इस तरह और यही सिद्धांत इन्होंने झांसी पर भी कहा और रानी ने
अपील की इसके लिए कि भाई लेकिन उस अपील को ठु करा दिया गया और जॉन
लॉन्ग होते थे।
पर्दे में बात हो रही थी पर्दे को उस तरफ रानी बैठी थीं, इधर ये बैठे थे अचानक
उनके बेटे ने।
उन्होंने साड़ी पहन रखी थी और सिर्फ कान में एक बंदा था या बाली, उसे आप
पहले वो था और इन दोनों के बीच बहुत लंबी मंत्रणा हुई।
शांत 6:00 बजे बैठे और सुबह 2:00 बजे तक ये लोग बातें करते रहे और
फिर उन्होंने अपील की रानी के बिहाफ पर और उसमें हवाला दिया गया है।
अंग्रेजों के साथ जो संधि हुई थी 1812 में 1824 में आठ और 1842 में एक
किसान इनको राज़ करने का अधिकार होगा।
इनके वारिसों को भी लेकिन हुआ नहीं।
उन्होंने वहाँ जो चीन थी वहाँ पर पहले हमला किया और जेल में जीतने भी कै दी
थे।
बच्चे भी थे और अंग्रेजों ने बाद में आरोप लगाया कि इसमें रानी का हाथ था,
जबकि बाद में इस तरह के सबूत मिले कि रानी कै से कोई लेना देना नहीं था और
जैसे ही ये सब हुआ रानी।
हथियार बनने लगे, वापस अपने महल में चली गई और उनका पूरा जो जो
अपीयरेंस था वो पूरी तरह से चेंज हो गया।
पहले जैसे वो साड़ी पहनती थी तो फिर अब वो।
तलवार रचने लगी, पिस्टल रखने लगी और पुरुषों के बेस में एक तरह से आ
गई।
पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और फिर जनरल ह्यूज रॉस होते थे बल्कि ह्यूज
रोज़ उनका नाम था।
उनको जिम्मेदारी दी गई कि रानी को टैकल करने के लिए झांसी को घेर लिया
गया और उन्होंने £18 की तोप के गोलों का इस्तेमाल किया।
कहते है की रानी अपने घोड़े पर सवार होकर पूरा इन्सपेक्शन पर निकलती थी।
किले पर लोगों का मनोबल बढ़ाती थी, उनको देखा जाता था नेतृत्व करते हुए
और दो ब्रिटिश सैनिक थे 3 अप्रैल।
क्या बताते हैं कि इतनी गर्मी थी कि हाथी जो इस्तेमाल हो रही थी, लड़ाई में
हाथियों के आंसू निकल रहे थे।
गर्मी की वजह से और फिर रानी और उनके सैनिक किसी तरह काल्पी पहुंचे
और कालपी में वहाँ पर मौजूद थे और राहुल साहब।
लेकिन कालपी में ये जो कं बाइन होर्स इस थे इनको हार का सामना करना पड़ा
और विष्णु भट्ट गोडसे एक ऑथर हुए हैं।
फू लबाग एक जगह थी और फिर इसके बाद फिर रॉस को दोबारा भेजा गया।
क्रोस।
आए।
हूँ।
इनटू की एक टुकड़ी के साथ उसमें प्रवेश करते हैं और उन ऑटो को रिज़र्व में
रखा गया था।
ऊं ट पहले लड़ाई में शामिल नहीं थे और रानी के जो सिपाही थे वो भाग नहीं रहे
थे लेकिन धीरे धीरे उनकी संख्या कम हो रही थी।
उन्होंने पूरा वर्णन किया है कि रानी चिल्लाई है, पूरी ताकत से कि मेरे पीछे आओ
और 15 घुड़सवार उनके पीछे दौड़ कर गए हैं और फिर ये जो ब्रिक्स है इन्होंने
उनको पहचानना है और कहा कि वो रहीं रानी, वो है झांसी की रानी और सब
लोग।
उनके पीछे दौड़ के कोटे सराय जो जगह है वहाँ पर ये लड़ाई हुई है और
अचानक रानी को लगा कि उनकी चेस्ट में दर्द हो रहा है।
एक सिपाही ने बिल्कु ल बगल में उनके पीछे से आकर उनकी पीठ में संगीन भोंक
की थी और रानी को जैसे ही पता चला वो पलट के उन्होंने तलवार से वार किया
और उस सैनिक को वही खत्म कर दिया और फिर वो आगे बढ़ीं।
चोट इतनी ज्यादा नहीं थी लेकिन खून बहुत बह रहा था उस चोट से और फिर
घोड़े पर सवार थी सामने एक छोटा सा एक पानी की जगह आई और रानी ने
सोचा कि वह घोड़ा उसको पार कर दिया जाएगा लेकिन घोड़ा आगे टस से मस
ही नहीं हुआ।
क्यों? बिल्कु ल।
घोड़े की गर्दन पर आ गई ऑलमोस्ट और तभी उनको किसी ने उनको भाई
तरफ उनके कमर के पानी तरफ उनको चोट लगी।
और।
एक अंग्रेज सिपाही का बिल्कु ल उनके बगल में पहुँचकर उनके सिर पर वार किया
है।
लेकिन रानी के एक सैनिक ने उनको गोदी में उठाया और वहाँ नज़दीक में।
बाद में ये काउंट आया है कि उन्होंने अपना मोती का हार जो होने दिया गया था
वो निकालने की कोशिश की देने की की भाई इससे इस पैसे से दामोदर ख्याल
रखा जाए तो फिर आपकी शब्द थे कि मेरा शव अंग्रेजों के हाथ में नहीं पड़ना
चाहिए और वहीं पर उसी समय उनके उन्होंने आखिरी सांस ली तो वहाँ जीतने
भी लोग मौजूद थे।
शव उदास संस्कार तू तो नहीं कहा जा सकता मतलब बहुत जल्दबाजी में लकड़ी
जमा करके शव।
और फिर।
इस तरह से रानी का अंत हुआ और बहुत बाद में उनके बेटे बच गए।
दामोदर जिन को बचाने की बात थी 19, 1860 में जाकर उन्होंने आत्मसमर्पण
किया।
33 साल सिर्फ 33 साल थी उनकी और उसके बाद टोपे जो उनके साथी थे,
उनको भी गिरफ्तार कर लिया गया और शिवपुरी के पास उनको फांसी पर लटका
दिया।