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RASA SHASTA -AYURVEDIC

PHARMACEUTICALS

“उपरस प्रकरण’’

Dr.Praveen Raghuwanshi, M.D. (Ayu.)


Pt.Khushilal Sharma Government
Ayurved College, Bhopal
12 September 2020 Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI
उपरस के नाम
• “गंधाश्वगैररकासीसकांक्षीतालशिलाअन्जनम
कंकुष्ठम च इततउपरसिचlस्टओ पारदकममणण”
( र. र. स. 03 )

12 September 2020 Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI


क्र. उपरस नाम पर्ाार् ENGLISH
NAME
01 गंधक बलि, बलिवसा, पूतिगंध, अतिगंध, पामारर, Sulphur/ S
कुष्ठlरर, शुल्वारर, नवनीि, क्रूरगंध, सुगंध
02 गैररक गैरेर्, गगररम्रतिका, रक्िधािू, िौह्धािु Ochre

03 कासीस खग, पुष्पकासीस, पान्शुक, Ferrous Sulphate


/ FeSO4 5 H2O
04 कांक्षी फिटकरी, स्िटटका, िब ु री, शुभ्रा, रं गदा, द्ढरं गदा, Alum/
रं गद्ढl, सौराष्री, सौराष्रमतृ िका K2SO4Al2(SO4)3
24 H2O
05 हरिाि िाि, िािक, नटभूषण, ववडािक, वपंजर, Orpiment /
वन्शपत्रक, पीिनक, वंगारर, पीिनक, Yellow Arsenic/
As2S3

06 मन:लशिा लशिा, कुनटी, कुिटी, नागमािा, Realgar/Red


नागजजलभका,मनोज्ञा, मनोगुपिा, नैपलिका Arsenic/ As2S2
07 अंजन मे चक, िोचक, Collyrium

08 कंकुष्ठ रे चक, िािकंकुष्ठ, हे मविी, Ruhbarb/


12 September 2020 Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI Garcina morella
क्र उपरस शोधन द्रव्र् एवं ववगध मारण / भस्मीकरण द्रव्र्
. एवं ववगध
01 गंधक गोघि
ृ में भजान उसके बाद गोदग्ु ध ने मारण नहीं होिा हे
वविर्न 3 से 7 बार

02 गैररक गोघिृ में भजान / मारण नहीं होिा हे


गोदग्ु ध की भावना

03 कासीस भंग
ृ राज स्वरस/ तनम्बू स्वरस/ स्त्री रज की शुद्ध कासीस में कांजी की 7
भावना भावना+पटु = भस्म

04 कांक्षी कांक्षी र्ा फिटकरी को आजग्न पर िुिाना र्ा मारण नहीं होिा हे
तनजािीकरण से शोधन हो जािा हे

05 हरिाि कुष्मांड स्वरस/ कांजी/ चूणोंदक/ त्रत्रििा शुद्ध हरिाि + पिाश मूि
क्वाथ के साथ दोिा र्ंत्र में स्वेदन क्वाथ की 3 भावना =12 पटु

06 मन:लशिा अगस्ि पत्र स्वरस/ आद्रक स्वरस/ जर्ंिी मारण नहीं होिा हे
पत्र स्वरस साथ दोिा र्ंत्र में स्वेदन

07 अंजन भंग
ृ राज स्वरस की भावना मारण नहीं होिा हे

08 कंकुष्ठ
12 September 2020
शुंठी क्वाथ की भावना
Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI
मारण नहीं होिा हे
क्र. उपरस भे द

01 गंधक 1 आमिासार – श्रे ष्ठ, आभ्र्ंिर प्रर्ोग 2 खटटका – बाह्र् प्रर्ोग

02 गैररक 1 स्वणा गैररक - श्रे ष्ठ 2 पाषण गैररक

03 कासीस 1 पुष्प कासीस - श्रे ष्ठ 2 बािुका कासीस

04 कांक्षी 1 िटकी - श्रे ष्ठ 2 िुजल्िका

05 हरिाि 1 पत्रिाि - श्रे ष्ठ 2 वपण्डिाि – स्त्रीपुष्पहर

06 मन:लशिा 1 श्र्ामांगी 2 कणवीरका 3 खण्डlख्र्ा ( सवाश्रेष्ठ )

07 अंजन 1 सौवीरांजन 2 स्रोिोंजन 3 नीिांजन 4 पुष्पांजन 5 रसांजन

08 कंकुष्ठ 1 नलिका - श्रे ष्ठ 2 रे णुक

12 September 2020 Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI


क्र. उपरस र्ोग प्रार्ोगगक मात्रा

01 गंधक गंधक रसार्न, रस लसन्दरू , आरोग्र्वगधानी वटी, 1- 8 रत्ती


रस पपाटी, समीरपन्नग रस, श्वासकुठार रस

02 गैररक िघुसूिशेखर रस, कामदध


ु ा रस, पस्
ु र्ानुग चण
ू ा 2 –4 रत्ती

03 कासीस कासीस भस्म, रज:प्रवतिानी वटी, रसपष्ु प, 1/2 – 2 रत्ती


कलससादी िेि, खगेश्वर रस

04 कांक्षी शंखद्राव, एिादी मंथ, स्िटटका भस्म 2 –4 रत्ती

05 हरिाि समीरपन्नग रस, िािलसन्दरू , वािगजान्कुश रस, 1/2 – 1/4 रत्ती


तनत्र्ानंद रस, िािकेश्वर रस

06 मन:लशिा श्वासकुठार रस, समीरपन्नग रस, चन्द्रोदर् विी 1/24 – 1/16 रत्ती

07 अंजन पस्
ु र्ानग
ु चण
ू ा, पत्रांगासव, चंदानादी चूण,ा वािारर रस ---

08 कंकुष्ठ धन्वन्िरी घि
ृ , धन्वन्िरी रस, मृिसंजीववनी रस 1 र्व – ½ माशा
12 September 2020 Dr.PRAVEEN RAGHUWANSHI

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