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॥ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ॥
॥ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ॥
॥ श्रीगणेशायनम: ॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम ्।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निश्चित ही धीरे धीरे आपका ऋण उतर जाता है ।
हनुमानजी सर्वबाधामुक्ति प्रदाता हैं। यह श्लोक हनुमान जी की ही आराधना के रूप में प्रतिष्ठित है । इस पाठ
को प्रारम्भ करने के लिए सर्वप्रथम आपको किसी शुभ तिथि का चयन भारतीय पञ्चाङ्गानुसार कर लेना
चाहिए। यह पाठ मंगलवार को ही शुरू करें । पाठ करने से पूर्व लाल वस्त्र बिछाकर मंगल यन्त्र व महावीर
हनुमान जी को स्थापित करें । सिंदरू व चमेली के तेल का चोला अर्पित कर बायें हाथ की तरफ दे शी घी का व
दाहिने हाथ की तरफ तिल के तेल का दीपक स्थापित करें । इसके बाद हनुमान जी को गुड़, चने व बेसन का
भोग लगावें। मंगल दे व (मंगल यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित कर) व हनम
ु ान जी के सामने ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
का पाठ, लाल वस्त्र धारण कर के हीआरम्भ करना चाहिए। यह पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 1, 3, 5, 9 , अथवा 11
पाठ 43 दिन तक नित्य करना चाहिए | इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निश्चित ही कर्ज, ऋण व आर्थिक
बाधा से मुक्ति मिलती है |