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॥ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ॥

॥ श्रीगणेशायनम: ॥

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टे ः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठे त ्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नय


ु ात ्॥४॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम ्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ्॥५॥

स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नभि


ृ ः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित ्॥६॥

अंगारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमण


ृ माशु विनाशय॥७॥

ऋणरोगादिदारिघ्र्यं ये चान्ये ह्यपमत्ृ यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥

अतिवक्त्र दरु ारार्ध्य भोगमक्


ु त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्क्षणात ्॥९॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥१०॥

पुत्रान्दे हि धनं दे हि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदःु खेन शत्रूणां च भयात्ततः॥११॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम ्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥१२॥

इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं ऋणमोचक मंगलस्तोत्रम ् सम्पूर्णम ्


जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं उन्हें प्रतिदिन "ऋणमोचक मंगल स्तोत्र" का पाठ करना चाहिए।
ु ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिए। यदि प्रतिदिन किसी कारण से पाठ न कर सकें,
यह पाठ शक्
तो प्रत्येक मंगलवार को पाठ अवश्य करना चाहिए

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निश्चित ही धीरे धीरे आपका ऋण उतर जाता है ।
हनुमानजी सर्वबाधामुक्ति प्रदाता हैं। यह श्लोक हनुमान जी की ही आराधना के रूप में प्रतिष्ठित है । इस पाठ
को प्रारम्भ करने के लिए सर्वप्रथम आपको किसी शुभ तिथि का चयन भारतीय पञ्चाङ्गानुसार कर लेना
चाहिए। यह पाठ मंगलवार को ही शुरू करें । पाठ करने से पूर्व लाल वस्त्र बिछाकर मंगल यन्त्र व महावीर
हनुमान जी को स्थापित करें । सिंदरू व चमेली के तेल का चोला अर्पित कर बायें हाथ की तरफ दे शी घी का व
दाहिने हाथ की तरफ तिल के तेल का दीपक स्थापित करें । इसके बाद हनुमान जी को गुड़, चने व बेसन का
भोग लगावें। मंगल दे व (मंगल यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित कर) व हनम
ु ान जी के सामने ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
का पाठ, लाल वस्त्र धारण कर के हीआरम्भ करना चाहिए। यह पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 1, 3, 5, 9 , अथवा 11
पाठ 43 दिन तक नित्य करना चाहिए | इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निश्चित ही कर्ज, ऋण व आर्थिक
बाधा से मुक्ति मिलती है |

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