Professional Documents
Culture Documents
Bhavaani - Kavach - 2019-10-25-To Share
Bhavaani - Kavach - 2019-10-25-To Share
Date:25-10-2019.
श्री गणेशाय नमः।
and
|| shrI bhavAnI-kavacham ||
॥ श्री भवानीकवचम , त्रैलोक्यमोहनकवचं ॥
Standard Format for PRINT.
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1
Page 2 of 6
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1
Page 3 of 6
॥ फलश्रतु ी ॥
य इदं कवचं देव्या जानाहत सच मन्तत्रहवत ॥९॥
राजद्वारे श्मशाने च भूतप्रेतोपचाहरके * । *भूत-प्रेत-उपचाहरके
ु मागमे* ॥१०॥
बन्धने च महादःखे पठे च्छत्रस * पठे त-शत्र-ु समागमे
स्मरणात-कवचस्य-अस्य हनभवयो जायते नरः ।
प्रयोगमपु चारस्य* भवान्ाः कतहवु मच्छहत ॥११॥
वु -इच्छहत ॥११॥
* प्रयोगम-उपचार-अस्य भवान्ाः कतम
ु ।
कवचं प्रपठे दादौ* ततः हसहिम-व-आप्नयात *प्रपठे द-आदौ
भूजपव त्रे हलहखत्वा त ु कवचं यस्त-ु धारयेत ॥१२॥
देहे च यत्र कुत्राहप सवव हसहि-भववने -नरः।
शस्त्रास्त्रस्य* भयं न ैव भूताहद* भयनाशनम ॥१३॥ *शस्त्र-अस्त्रस्य , *भूत-आहद
गरुु भहक्ततं समासाद्य भवान्ा-स्तवनं कुरु ।
सहस्र नाम पठने कवचं प्रथमं गरुु ॥१४॥
नहन्दने कहथतं देहव तवाग्रे* च प्रकाहशतम । *तव-अग्रे
सागन्ता जायते देहव नान्था हगहर-नहन्दहन ॥१५॥
इदं कवचमज्ञात्वा* भवानीं स्तौहतयो नरः । *कवचम-अज्ञात्वा
कल्प कोहट शतेनाहप नभवेहिहिदाहयनी* ॥१६॥ *न-भवेत-हसहि-दाहयनी
व ॥
॥ इहत श्री भवानी त्रैलोक्य-मोहन-कवचं सम्पूणम
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1
Page 4 of 6
|| shrI bhavAnI-kavacham ||
॥ श्री भवानीकवचम , त्रैलोक्यमोहनकवचं ॥
श्रीगणेशाय नमः।
ु
श्री पाववत्यवाच ।
भगवन सववमाख्यातं मन्तत्रं यन्तत्रं शभु प्रदम ।
भवान्ाः कवचं ब्रूहह यद्यहं वल्लभा तव ॥१॥
ईश्वर उवाच ।
ु गह्यतरं
गह्याद् ु गोप्यं भवान्ाः सववकामदम ।
ु त्या प्रकाहशतम ॥२॥
कवचं मोहनं देहव गरुभक्त
राज्यं देय ं च सववस्व ं कवचं न प्रकाशयेत ।
गरुु भक्तताय दातव्यमन्था हसहिदं नहह ॥३॥
॥ हवहनयोगः॥
ॐ अस्य श्रीभवानी कवचस्य सदाहशव ऋह रनष्टु पु छन्दः,
मम सववकामना हसियथे श्रीभवानी त्रैलोक्यमोहनकवच
पाठे हवहनयोगः|
॥ कवच मूल पाठ ॥
पद्मबीजाहशरः पात ु ललाटे पञ्चमीपरा ।
नेत्र े काम प्रदा पात ु मख
ु ं भवन
ु सन्दरी
ु ॥४॥
ु ी तथा ।
नाहसकां नारससही च हजह्ां ज्वालामख
श्रोत्रे च जगतां धात्री करौ सा हवन्ध्यवाहसनी ॥५॥
स्तनौ च कामकामा च पात ु देवी सदाशहु चः ।
उदरं मोहदमनी कण्डली नाभमण्डलम ॥६॥
ु
पाश्वं पृष्ठकटी गह्यस्थानहनवाहसनी ।
ऊरू मे हहङ्गल ु कमठा तथा ॥७॥
ु ा च ैव जाननी
पादौ हवघ्नहवनाशा च अङ्गल
ु ीः पृहथवी तथा ।
रक्ष-रक्ष महामाये पद्मे पद्मालये हशवे ॥८॥
वाहितं पूरहयत्वा त ु भवानी पात ु सववदा ।
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1
Page 5 of 6
॥ फलश्रतु ी ॥
य इदं कवचं देव्या जानाहत सच मन्तत्रहवत ॥९॥
राजद्वारे श्मशाने च भूतप्रेतोपचाहरके ।
ु मागमे ॥१०॥
बन्धने च महादःखे पठे च्छत्रस
स्मरणात्कवचस्यास्य हनभवयो जायते नरः ।
प्रयोगमपु चारस्य भवान्ाः कतहवु मच्छहत ॥११॥
ु ।
कवचं प्रपठे दादौ ततः हसहिमवाप्नयात
भूजपव त्रे हलहखत्वा त ु कवचं यस्तधु ारयेत ॥१२॥
देहे च यत्र कुत्राहप सवव हसहिभववन्न
े रः ।
शस्त्रास्त्रस्य भयं न ैव भूताहद भयनाशनम ॥१३॥
गरुु भहक्ततं समासाद्य भवान्ास्तवनं कुरु ।
सहस्र नाम पठने कवचं प्रथमं गरुु ॥१४॥
नहन्दने कहथतं देहव तवाग्रे च प्रकाहशतम ।
सागन्ता जायते देहव नान्था हगहरनहन्दहन ॥१५॥
इदं कवचमज्ञात्वा* भवानीं स्तौहतयो नरः । *कवचम-अज्ञात्वा
कल्प कोहट शतेनाहप नभवेहिहिदाहयनी ॥१६॥
व ॥
॥ इहत श्रीभवानी त्रैलोक्यमोहनकवचं सम्पूणम ॥ॐ॥
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1
Page 6 of 6
|| General Information ||
विशेष –
To repeat kavach 3/11/21/51/101 - repeat only Main Part .
श्री श्री भवानी "माता" का एक बहुत ही सौम्य और उग्र दोनो रूप हैं,
नोट-
कुछ कवठन शब्द * को वचवन्त्हत करके , उसे "-" से सरल वकया है,
और मल ू शब्द के साथ नजदीक ही रखा गया है,
साधक लोग दोनो शब्दों को एक ही जगह पर देख कर तल ु नात्मक पाठ कर सकें ।
कुछ ही शब्दों का सही तरह से संवध-विच्छे द, करने का का प्रयास वकया गया है ।
अगर कुछ गलती/रवु ट हो तो, िमा प्राथी हूँ ।
(धन्त्यिाद) < Share if you like >
Bhavani-Trailokya-Mohan-v.1