२. अहक ं ारी व्यक्ति सहनशील नहीं हो सकता ३. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों को आदर नहीं दे सकता ४. अहक ं ारी व्यक्ति आभार नहीं व्यि कर सकता ५. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों की सराहना नहीं कर सकता ६. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों कीसहायता नहीं करता ७ . अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों की क्त ंता नहीं करता ८. अहक ं ारी व्यक्ति ऊं ा सगं पसदं नहीं करता ९. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों को महत्िपर्ू ण ज्ञान की क्तशक्षा नहीं देता क्तिससे िे प्रगक्तत करें १०. अहक ं ारी व्यक्ति अपनी गलती नहीं स्िीकारता ११. अहक ं ारी व्यक्ति अपना हृदय नहीं खोलता १२. अहक ं ारी व्यक्ति ईमानदार नहीं होता १३. अहक ं ारी व्यक्ति स्ियं को धोका देता है १४. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों की श्रेष्ठता नहीं स्िीकारता १५. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि ईर्षयाणलह होता है १६. अहक ं ारी व्यक्ति स्ियं को स्िामी मानता है १७. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि खदु की ड़ाई करते रिता िै। १८. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि स्ियं की बड़ाई सनह ना ाहता है १९. अहक ं ारी व्यक्ति हर कायण का श्रेय स्ियं लेना ाहता है २०. अहक ं ारी व्यक्ति भौक्ततक िस्तओ ह ं के प्रक्तत अत्यक्तधक आसि रहता है २१. अहक ं ारी व्यक्ति दीर्ण काल में नक ह सान होने िाले क्तनर्णय लेता है २२. अहक ं ार आपको भ्रम में फसाता है २३. अहक ं ार आपको अपराध में फसाता है २४. अहक ं ार आपको पथभ्रष्ट कर फसाता है २५. अहक ं ार आपको कपट में फसाता है २६. अहक ं ार आपको क्तदखािे में फसाता है २७. अहक ं ार आपको अज्ञानता में फसाता है २८. अहक ं ारी व्यक्ति क्रोध को िश में नहीं कर सकता २९. अहक ं ारी व्यक्ति काम को िश में नहीं कर सकता ३०. अहक ं ारी व्यक्ति लोभ को िश में नहीं कर सकता ३१. अहक ं ारी व्यक्ति दम्भी होता है ३२. अहक ं ारी व्यक्ति को क्तनक्तत क्तनयम अ्छे नहीं लगते 33. अहकं ारी व्यक्ति को प्रक्तशक्षर् अ्छा नहीं लगते ३४. अहक ं ारी व्यक्ति को दसू रों के द्वारा सधह ारा िाना अ्छा नहीं लगता ३५. अहक ं ारी व्यक्ति को िररष्ठ का मागणदशणन अ्छा नहीं लगता ३६. अहक ं ारी व्यक्ति सत्य से भागता है ३७. अहक ं ारी व्यक्ति स्ियं को स्िराट समझता है ३८. अहक ं ारी व्यक्ति पिू ा नहीं करना ाहता िरन पक्तू ित होना ाहता है ३९. अहक ं ारी व्यक्ति सभी को अपना गल ह ाम बनाना ाहता है ४०. अहक ं ारी व्यक्ति कभी क्षमा नहीं मांगता है और कभी क्षमा भी नहीं करता है ४१. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि कठोर ि न बोलता है ४२. अहक ं ारी व्यक्ति बाहर से क्तनडर प्रतीत होता है पर भीतर से डरपोक होता है ४३. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि दसू रों को दोष देता है ४४. अहक ं ारी व्यक्ति प्रक्ततष्ठा से आसि होता है ४५. अहक ं ारी व्यक्ति पतन की ओर प्रितण होता है ४६. अहक ं ारी व्यक्ति हर क्षर् हार िीत के बारे में सो ता रहता है कभी भी िीत - िीत के बारे में नहीं ४७. अहक ं ार सारे फसादों की िड़ है ४८. अहक ं ारी व्यक्ति कहता है या तो मेरे अनसह ार कार्य करो र्ा रास्ता मापो ४९. अहक ं ारी व्यक्ति सहयोग नहीं करता ५०. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों का शोषर् करता है ५१. अहक ं ारी व्यक्ति में ईमानदारी का आभाि रहता है ५२. अहक ं ारी व्यक्ति का हृदय अशद्ध ह रहता है ५३. अहक ं ार को स्ियं की मत्ृ यह का भय होता है ५४. अहक ं ारी व्यक्ति में क्तिनम्रता प्रदान करने िाले िास्तक्तिक का आभाि रहता है ५५. अहक ं ार संबंधों का नाश करता है ५६. अहक ं ार बक्तह द्ध का नाश करता है ५७. अहक ं ारी व्यक्ति पिू ाणग्रह से मि ह नहीं हो सकता है ५८. अहक ं ारी व्यक्ति के कायण प्रायः मखू तण ापर्ू ण होते है ५९ अहकं ारी व्यक्ति हमेशा शंक्तकत रहता है ६०. अहक ं ारी व्यक्ति सदैि दसू रों को अपनी राय से बांधते है ६१. अहकं ारी व्यक्ति को अनयह ायी अ्छे लगते है अग्रर्ी व्यक्ति नहीं ६२. अहक ं ारी व्यक्ति को शक्ति अक्तधकार दसु रो को सौंपना अ्छा नहीं लगता ६३. अहक ं ारी व्यक्ति को दोष ढूंढना अ्छा लगता है ६४. अहक ं ारी व्यक्ति को प्रिल्प अ्छा लगता है ६५. अहक ं ारी व्यक्ति को अत्याहार और प्रयास अ्छा लगता है ६६. अहक ं ारी व्यक्ति क्तनयमाग्रह में फस िाता है ६७. अहक ं ारी व्यक्ति को भौक्ततक संग अ्छा लगता है ६८. अहक ं ारी व्यक्ति अिज्ञाकारी होता है ६९. अहक ं ारी व्यक्ति हमेशा समझौता करता है ७०. अहक ं ारी व्यक्ति का उद्देश्य अशद्ध ह होता है ७१. अहक ं ारी व्यक्ति के िल प्रत्यक्ष एिं अनमह ान प्रमार् को स्िीकार करता है ७२. अहक ं ारी व्यक्ति द्वन्द में क्तलप्त रहता है ७३. अहक ं ारी व्यक्ति शरर्ागक्तत से डरता है ७४. अहक ं ारी व्यक्ति नायक (हीरो ) बनना ाहता है ७५. अहक ं ारी व्यक्ति को प्रक्ततष्ठा अ्छी लगती है ७६. अहक ं ारी व्यक्ति स्ियं को अक्तधक आंकता है ७७. अहक ं ारी व्यक्ति को िाद-क्तििाद तथा प्रक्ततस्पधाण अ्छी लगती है ७८. अहक ं ारी व्यक्ति को कभी पश्चाताप नहीं होता ७९. अहक ं ारी व्यक्ति का ह्रदय लोहे िैसा कठोर होता है ८०. अहक ं ारी व्यक्ति अपने आप को अितार बनाना ाहता ८१. अहक ं ारी व्यक्ति की प्रक्ततकूल मनोिक्तृ ि होती है ८२. अहक ं ारी व्यक्ति मन तथा इक्तन्ियों का गल ह ाम होता है ८३. अहक ं ारी व्यक्ति अहक ं ारी होने से इक ं ार करता है ८४. अहक ं ारी व्यक्ति सो ता है क्योंक्तक मेरे गरुह श्रेष्ठ है इसक्तलए मैं भी श्रेष्ठ हूँ ८५. अहक ं ारी व्यक्ति दसू रों की क्षमता को कम करता है ८६. अहक ं ारी व्यक्ति सहायता नहीं मांग सकता ८७. अहक ं ारी सम्बन्ध ज्ञान को भ्रष्ट कर देता है ८८. अहक ं ारी व्यक्ति सो ता है की िह अपररत्याज्य है ८९. अहक ं ारी व्यक्ति िररष्ठों को लाभ पाने के क्तलए पिू ता है ९०. अहक ं ारी व्यक्ति पथृ किादी होता है ९१. अहक ं ारी व्यक्ति उनसे कक्तनष्ट ियक्ति के प्रि न नहीं सनह सकते। ९२. अहक ं ारी व्यक्ति ऐसी िगह नहीं िाता िहाूँ िह नं. १ ना हो ९३. क्तमथ्या अहक ं ार आपको मन, बक्तह द्ध, तथा अहक ं ार से पह ान करिाता है ९४. क्तमथ्या अहक ं ार मन तथा बक्तह द्ध का शासन करता है ९५. क्तमथ्या अहक ं ार हमें भौक्ततक िगत से बांधता है ९६. पह ान >> इ्छाएं >> सो ना >> महससू करना >> उद्यत होना >> कायण >> गतं व्य प्रश्न १. र्ि सत्र से कै से आपकी जाग्रबत ढ़ी ? प्रश्न २. आप इसके बलए क्र्ा आवश्र्क कदम उठाएगिं े ?