Professional Documents
Culture Documents
Yog Naye Aayam06
Yog Naye Aayam06
एक िमऽ ने पूछा है क कुछ साधक कुंडिलनी साधना का पूव से ह ूयोग कर रहे ह। उनको इस ूयोग
से बहत
ु गित िमल रह है । तो वे इसको आगे जार रख या न रख? उ ह कोई हािन तो नह ं होगी?
हािन का कोई सवाल नह ं है । य द पहले से कुछ जार रखा है और इससे गित िमल रह है , तो तीो गित
से जार रख। लाभ ह होगा। परमा मा के माग पर ऐसे भी हािन नह ं है ।
दसरे
ू िमऽ ने पूछा है --और और भी दो ीन िमऽ ने वह बात पूछ है -- क यह रोना, िच लाना, हं सना,
नाचना कब तक जार रहे गा?
दसरे
ू दो ीन िमऽ ने पूछा है क यह रोना-िच लाना बड़ क ठनाई दे गा घर के लोग को, पड़ोिसय को।
शु -शु म दे गा, एक दन दे गा, दो दन दे गा। आप खुद ह जाकर उनसे पहले ह ूाथना कर आएं क
घंटे भर म ऐसा क ं गा, आप घंटे भर के िलए मा कर द। पहले ह कह आएं, इसके पहले क वे
आपसे पूछ क या कर रहे ह।
और चूं क यह ूयोग एकदम नया है , इसिलए थोड़ा समय लगेगा। अभी कोई बगल म भजन करने लगता
है जोर से, तो कसी को तकलीफ नह ं होती। कोई जोर से राम-राम जपने लगता है , तो आप समझते ह
यान कर रहा है । एक-दो वष के भीतर मु क म लाख लोग इसे करगे और लोग समझ लगे क यान
कर रहे ह। अभी शु म जो लोग करगे, उ ह थोड़ अड़चन है । शु म कुछ भी करने म थोड़ अड़चन
होती है । पर वह एक-दो दन क बात है । अभी भी मु क म हजार लोग ने करना शु कया है । एक-दो
दन आस-पास के लोग उ सुक होते ह, फर भूल जाते ह।
और आपके य व म जो अंतर पड़ने शु हो जाएंगे तीन स ाह के भीतर ह वे भी उनको दखाई
पड़गे; आपका रोना-िच लाना ह दखाई नह ं पड़े गा। और अगर आपने ूयोग ईमानदार से कया है , तो
आपके पड़ोसी बहत ु यादा दन तक ूयोग से बच न सकगे। वह ूयोग उ ह पकड़ना शु हो जाएगा।
इसिलए आपके रोने-िच लाने को आप बहत ु परे शानी से न ल। ब क वह भी हतकर होगा। पास के लोग
आकर पूछगे तो पूरा यान उनको समझा द। और उनको कह क आप भी कल साथ बैठ जाएं।
यान का यह ूयोग, संक प का, वल पावर का ूयोग है । आप कतने संक प से लगते ह इसम,
उतना ह प रणाम होगा। अगर इं च भर भी आपने अपने को बचाया, तो प रणाम नह ं होगा। इसम पूरा
ह कूदना पड़े गा। इसम बचाव से नह ं चल सकता है । और ू बया ऐसी है क आप पूरे कूद सकते ह,
क ठनाई नह ं है ।
उसके तीन चरण ह।
पहले चरण म आपको तीो ास दस िमनट तक लेनी है । इसे बढ़ाते जाना है , तेज करते जाना है । इस
भांित ास लेनी है क आपको दसरा ू कुछ ःमरण ह न रह जाए। बस, ास ह रह जाए। सारा ूयोग--
दस िमनट आप भूल जाएं सार दिनया ु को। और जो जोर से ास लेगा वह भूल जाएगा। बस, ास क
बया ह उसके बोध म रह जाएगी। भीतर-बाहर ास ह ास म सार श लगा दे नी है ।
दसरे
ू दस िमनट कैथािसस के ह, रे चन के ह। दसरे ू दस िमनट म नाचना, कूदना, िच लाना, रोना,
हं सना, जो भी आपको आने लगे, उसे पूर ताकत से करना है । दस-पांच िमऽ को, ज ह न आए अपने
आप, उ ह अपनी ओर से जो भी सूझे वह शु कर दे ना है --नाचना लगे नाचना, िच लाना लगे
िच लाना। और ूयास मत कर, बस शु कर द।
कल दो ीन िमऽ आए। उ ह ने कहा, हम ूयास करते ह, ले कन होता नह ं।
ूयास क ज रत नह ं है । उछलने के िलए कोई ूयास करना पड़े गा? शु कर द। ूयास क कोई फब न
कर। जैसे ह आप शु करगे, धारा टट ू जाएगी और सहज हो जाएगा। और एक-दो दन म आप पाएंगे
क वह अपने आप आने लगा। हमारे मन म बहत ु से दमन इक ठे ह, बहत ु से वेग इक ठे ह, वे िगर
जाने चा हए।
भीतर श का ज म होगा, पूरा शर र इले शफाइड हो जाएगा, कं पत होने लगेगा। यह श जगाने के
िलए ह दस िमनट गहर ास क चोट कर रहे ह, उससे कुंडिलनी जागेगी।
फर दसरेू दस िमनट म मन के वकार को िगराने के िलए ूयोग कर रहे ह, ता क कुंडिलनी के माग म
कोई बाधा न रह जाएं, सब बाधाएं अलग हो जाए। और कुंडिलनी क याऽा सीधी ऊपर जा सके, िच के
सारे रोग अलग हो जाएं। अ यथा कुंडिलनी से जगी हए ु श को िच के रोग ए जाब कर लेते ह, वह
िच के रोग म ू व हो जाती है । इसिलए रे चन ज र है , सब कचरा बाहर फक दे ना ज र है ।
फर तीसरे चरण म जो शु श बचेगी कुंडिलनी क , उसको ज ासा म पांत रत करना है , उसको
इं वायर बनाना है । इसिलए तीसरे चरण म दस िमनट तक "म कौन हंू ?' पूछना है ।
आज तो आ खर दन है , इसिलए मन म मत पूछ। पूरे दस िमनट पूर श लगा कर जोर से िच ला
कर पूछ। इतने जोर से पूछ क आपको और दसर ू बात खयाल म ह आने क सु वधा न रह जाए क
कुछ और वचार, कोई और जगत भी है । बस, "म कौन हंू ?' म कौन हंू इसम डब ू जाएं। क ह ं को
अगर हं द क जगह मराठ म पूछना सु वधाजनक पड़ता हो तो वे मराठ म पूछ सकते ह। यह सवाल
नह ं है । अगर उनको मराठ सु वधाजनक पड़ती है तो वे उसम ह पूछ। जस भाषा म आपके दय क
गहराई है , उसी भाषा म पूछ। दस िमनट पूर श लगा कर पूछना है । इन तीस िमनट म अपने को
बलकुल थका डालना है । जरा भी बचाना नह ं है , रोकना नह ं है ।
और आ खर दस िमनट म मौन ूती ा करनी है । वह साइलट अवे टं ग के व , वह दस िमनट असली
ह। ये तीस िमनट तैयार है , वे दस िमनट असली ह। उन दस िमनट म गहर शांित, आनंद, गहरे
ूकाश, और-और बहत ु तरह के अनुभव होने शु ह गे।
इस ूयोग को चाह तो दस-दस, पांच-पांच िमऽ के मुप बना ल और कह ं एक जगह इक ठे होकर कर,
तो एक-एक य को जो अड़चन होती है वह नह ं होगी। जो भी दस-पांच िमऽ कसी एक घर म इक ठे
हो जाएं, वहां ूयोग कर। इ क स दन साथ कर ल। फर बैठ कर अकेले म घर करने लग।
यह िच लाना, रोना धीरे -धीरे कम हो जाएगा और शांित बढ़ती जाएगी। और एक तीन मह ने म आपके
भीतर सतत धारा बहने लगेगी शांित क , आनंद क । और चार ओर परमा मा ू य होने लगेगा। ऐसा
नह ं क कह ं खड़ा हआ ु िमल जाएगा। नह ं, जो भी दखाई पड़े गा वह परमा मा का प ह मालूम होने
लगेगा।
अब हम ूयोग के िलए खड़े हो जाएं। जन िमऽ को बैठ कर करना हो, वे मेरे पीछे आ जाएंगे।