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Delhi Public School Bangalore - East Hindi Ii Language क्या निराश हुआ जाए NAME: - - - - - - - - - - - - - - - CLASS:VIII SEC: - - - - - DATE: - - - - - - - -
Delhi Public School Bangalore - East Hindi Ii Language क्या निराश हुआ जाए NAME: - - - - - - - - - - - - - - - CLASS:VIII SEC: - - - - - DATE: - - - - - - - -
HINDI II LANGUAGE
उत्तर - लेखक ने स्वीकार ककया है कक उन्हें भी धोखा दिया है , किर भी वह ननराश नह ीं है | इसका कारण यह
है कक उनके जीवन में कई ऐसे क्षण आए हैं, जब लोगों ने सच्चाई और ईमानिार का पररचय दिया है जैसे
दिकि बाबू के द्वारा रूपए लौिना, कींडक्िर के द्वारा बच्चों के ललए पानी और िध
ू लाना आदि | लेखक इन्ह ीं
अच्छे कायय करनेवालों को िे खते है, बरु े कमों की ओर नह ीं |
2. प्रश्ि - आजकल के बहुत से समाचार पत्र या न्यूज़ चैिल 'िोषों का पिाािाश ' कर रहे हैं | इस प्रकार के
समाचारों और कायाक्रमों की सार्ाकता पर तका सदहत ववचार ललखखए |
उत्तर - आजकल बहुत से समाचार-पत्र अथवा समाचार चैनल ववलभन्न लोगों के िोषों का पिायफ़ाश कर रहे हैं,
इस तरह के काययक्रमों की साथयकता तभी है जब इनको पढ़कर या िे खकर नागररक जागरूक हो जाएँ | वे
अपराधधयों या िोवषयों से बच सकें तथा अपने आस-पास ऐसे घिनाओीं को न होने िें | इन काययक्रमों की
साथयकता तभी है जब इनके पीछे सच्चाई, ईमानिार तथा जनकल्याण की भावना नछपी हो |
3. प्रश्ि - "हमारे महाि मिीवषयों के सपिों का भारत है और रहेगा |" आपके ववचार से हमारे महाि ववद्वािों
िे ककस तरह के भारत का सपिा िे खा र्ा | ललखखए |
उत्तर - हमारे महान मनीवषयों ने सींस्कृनत, सभ्यता और भारतीय आिशों की लमलन-भलू म का सपना िे खा था |
जहाँ हर भारतीय अपने महान मूल्यों के साथ अपनी-अपनी भूलमका ननभा रहा है | सिा सींयम के बींधन में
बींधकर अपने कत्तयव्यों को परू ा कर रहा है और िनु नया में आिशय भारतीय होने का डींका बजा रहा है |
मल्
ू यपरक / िैनतक प्रश्ि- आिशों की बातें करिा तो आसाि है पर उिपर चलिा बहुत कदिि है | क्या आप
इस बात से सहमत है?
उत्तर - मैं इस बात से सहमत हूँ कक आिशों की बातें करना बहुत आसान है परीं तु उन पर चलना बहुत कदिन
है | मगर इस बात से कतई इींकार नह ीं ककया जा सकता कक उन आिशों पर चलना असींभव भी नह ीं है | सत्य
परे शान हो सकता, लेककन पराजजत नह ीं | प्रेम, त्याग, सद्भाव, परोपकार, ननस्वाथय सेवा इत्यादि मानवीय मल्
ू यों
की राह में कुछ परे शाननयाँ अवश्य आ सकती है , परीं तु इनका सुख अनुपम होता है , जो ककसी भी भौनतक
साधनों से प्राप्त नह ीं हो सकता |
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