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क्या ननराश हुआ जाए - हजारी प्रसाद निवे दी

प्रश्न 1: लेखक के अनु सार आज के समाज में कौन-कौन-सी बु राइयााँ नदखाई दे ती हैं ?

उत्तर : ले खक के अनुसार आज के समाज में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार जै सी बु राइयााँ ददखाई दे ती हैं।

प्रश्न 2 : क्या कारण है नक आज हर आदमी में दोष अनधक और गु ण कम नदखाई दे रहे हैं ?

उत्तर : आज हर आदमी के गुणोों को भु लाकर उसके दोषोों को बढा-चढाकर पेश दकया जा रहा है । इस प्रवृदि के
कारण आज हर आदमी में दोष अदधक और गुण कम ददखाई दे रहे हैं ।

प्रश्न 3 : लेखक दोषोों का पदााफ़ाश करते समय नकस बात से बचने के नलए कहता है ?

उत्तर : ले खक दकसी व्यक्ति के दोषोों का पदाा णाश करते समय उसमें रस अथाा त मजा ले ने की प्रवृदि से बचने के
दलए कहता है ।

प्रश्न 4 : जीवन के महान मूल्ोों के प्रनत हमारी आस्था क्योों नहलने लगी है ?
उत्तर : इन ददनोों कुछ ऐसा माहौल बना है दक ईमानदारी से मे हनत करके जीदवका चलाने वाले भोले -भाले श्रमजीवी
दपस रहे हैं और झूठ तथा णरे ब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं । ईमानदारी को मू खाता का पयाा य समझा
जाने लगा है , सच्चाई केवल धमा -भीरु और बेबस लोगोों के दहस्से पडी है । ऐसी क्तथथदत में जीवन के महान मू ल्ोों के
प्रदत हमारी आथथा क्ोों दहलने लगी है।

प्रश्न 5 : भ्रष्टाचार आनद के नवरुद्ध आक्रोश प्रकट करना नकस बात को प्रमानणत करता है ?

उत्तर : भ्रष्टाचार आदद के दवरुद्ध आक्रोश प्रकट करना इस बात को प्रमादणत करता है दक हम ऐसी चीजोों को गलत
समझते हैं और समाज में उन तत्त्ोों की प्रदतष्ठा कम करना चाहते हैं , जो गलत तरीके से धन या मान सोंग्रह करते हैं ।

प्रश्न 6 : ‘वतामान पररस्स्थनतयोों में हताश हो जाना ठीक नही’ों , इस कथन की पु नष्ट में लेखक ने क्या उदाहरण
नदए हैं ?

उत्तर : उपयुाि कथन की पुदष्ट में ले खक ने दनम्नदलक्तखत उदाहरण ददए हैं -

1. दटकट बाबू द्वारा ले खक को दवनम्रता पूवाक नब्बे रुपए लौटाते हुए यह कहना दक गलती हो गई थी, आपने
भी नहीों दे खा और मैं ने भी नहीों दे खा।

2. बस कोंडक्टर द्वारा यादियोों के दलए बस-अड्डे से दू सरी बस लाना और ले खक के भू खे-प्यासे बच्चोों के दलए
दू ध और पानी लाना आदद ऐसी घटनाएाँ हैं , दजनसे पता चलता है दक समाज में मानवता, प्रेम, और आपसी
सहयोग समाप्त नहीों हो सकते।

प्रश्न 7 : रवी ोंद्रनाथ ठाकुर ने भगवान से क्या प्राथाना की और क्योों ?

उत्तर : रवीोंद्रनाथ ठाकुर ने अपने प्राथा ना-गीत में भगवान से यह प्राथा ना की थी दक यदद सोंसार में उन्हें केवल
नु कसान ही उठाना पडे , लोगोों से धोखा ही खाना पडे तो ऐसे अवसरोों पर भी हे प्रभु ! मु झे ऐसी शक्ति दे ना दक मैं
तुम्हारे ऊपर कभी सोंदेह न कर ाँ ।

उन्होोंने यह प्राथा ना इसदलए की क्ोोंदक वे प्रभु के प्रदत आथथावान हैं । वे चाहते हैं दक कदठन पररक्तथथदत में भी उनका
दवश्वास प्रभु पर बना रहे और वे जीवन में कभी दनराश न होों।

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