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NOTEBOOK :NOTES

शब्दार्थ –
ठगी: चालबाजी
तस्करी: चोरी से सीमा पार माल ले जाने की क्रिया
भ्रष्टाचार: अनैतिक आचरण
आरोप-प्रत्यारोप: एक-दसू रे को गलत ठहराना
सदें ह: शक
दृष्टि: नज़र
दोष: बरु ाई
दोष: बरु ाई
गुणी: अच्छाई
संस्कृति: परम्परा
अतीत: बीता हुआ समय
गह्वर: गड्ढ़ा
महा-समद्र ु : महासागर
मनीषियों: ऋषि
जीविका: रोज़गार
निरीह: कमजोर
श्रमजीवी: मेहनत करने वाला
फरे ब: धोखा
भौतिक: सांसारिक
संग्रह: इकट्ठा करना
चरम: अंत
परम: प्यारा
लोभ-मोह: लालच
काम-क्रोध: गस् ु सा
स्वाभाविक: स्वतः
विद्यमान: उपस्थित
प्रधान: मख् ु य
आचरण: व्यवहार
उपेक्षा: ध्यान न दे ना
गम ु राह: रास्ता भटकना
कोटि-कोटि: अनगिनत
दरिद्रजनों: गरीब लोग
हीन: बरु ी
उन्नत: ऊँचा
धर्मभीरु: अधर्म करने से डरने वाला
त्रटि
ु यों: गलतियाँ
संकोच: हिचकिचाहट
पर्याप्त: उचित
प्रमाण: सबत ू )
आध्यात्मिकता: भगवान से सम्बन्ध रखने वाला
भ्रष्टाचार: बरु ा आचरण
आक्रोश: गुस्सा
प्रतिष्ठा: इज्ज़त
संग्रह: इकट्ठा
पर्दाफ़ाश: भेद खोलना
आचरण: व्यवहार
उद्घाटित: उजागर
दोषो द्घाटन: कमियों को दिखाना
एकमात्र: इकलौता
कर्तव्य: फ़र्ज
उजागर: प्रकट
लोक-चित्त: आम जनता को प्रसन्न करने वाला
उपस्थित: हाजिर
विनम्रता: शालीनता
विचित्र: अनोखा
संतोष: तस्सल्ली
चकित: है रान
लप्ु त: गायब
अवांछित: जिसकी इच्छा न की गई हो
घटना: हादसा
वंचना: धोखा
गतंव्य: वह स्थान जहाँ किसी को पहुंचना हो
निर्जन: सन ु सान
संदेह: शक
ठिकाना: जगह

१.एक बार एक सज्जन ने लेखक से क्या कहा ?


उत्तर- एकबार एक सज्जन ने लेखक से कहा था की इस समय सबसे सख ु ी
वही है जो कुछ नहीं करता। कोई कुछ भी करे गा लोग उसमे दोष खोजने
लगें गे। उसके सरे गुणभल
ु ा दिए जायेंगे और दोषो को बढ़ा -चढ़ाकर दिखाया
जायेगा। दोष किस्मे नहीं होते ? यही कारण है की आजकल प्रत्येक व्यक्ति
दोषी अधिक लग रहा है और गण ु ी कम या कुछ भी नहीं। यह वास्तविकता
नहीं है परन्तु अगर ऐसी स्थिति है तो निश्चय ही यह चिंता का विषय है ।

२.आजकल जीवन के महान मल् ू यों के प्रति लोगो की आस्था क्यों डोलने लगी
?
उत्तर - आजकल ईमानदारी को मर्ख
ू ता का पर्याय समझा जाने लगा है ,
सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगो के हिस्से में आ गयी है । इसलिए ऐसी
स्थिति में जीवन के महान मल्
ू यों के प्रति लोगो की आस्था क्यों डोलने लगी
है ।

३.दोषों का पर्दाफाश करना बरु ी बात नहीं ह। पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिये।
उत्तर - दोषों का पर्दाफाश करना बरु ी बात नहीं है । बरु ा तब होता है जब किसी
के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमे रस लिया जाये और
दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मन लिया जाता है । बरु ाई में रास लेना बरु ी
बात है लेकिन अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बरु ी
बात है ।

४. छात्र स्वयं करें गे।

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