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365 खुश कैसे रहे
365 खुश कैसे रहे
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अपनी बात
दो तो! इस पु तक को िलखने से पहले म िविभ उ , यवसाय, े तथा िविभ रा य क हजार लोग से
िमला और उनसे बातचीत क । उनक खुश रहने क कारण क बार म जानकारी मालूम क ।
लोग क खुश रहने क अपने-अपने तरीक ह—
कोई कहता ह, ‘जब म दो बालटी गरम पानी से नहा लेता तो मुझे खुशी िमलती ह।’
‘जब मुझे अपने दो त क मेसेज िमलते ह, मुझे अपार खुशी िमलती ह।’
जब कोई कहती ह, ‘म काफ सुंदर लग रही , यह सुनकर मुझे खुशी होती ह।’
‘जब मेर पापा मुझे अपनी बाइक चलाने क िलए कहते ह तो म खुशी से उछल पड़ता ।’
‘जब टीचर कहते ह िक कल ास नह ह, उस िदन मेरी खुशी का िठकाना ही नह रहता ह।’
मने लोग को उन बात क सूची बनाने क िलए कहा, िजस चीज को ा करने क बाद उ ह सबसे अिधक
खुशी िमलती ह। सबसे अिधक आ य तो तब आ, जब लोग खुशी क सूची बनाते ए परशान िदखे। उनक
खुशी क सूची एक-दो बात से लंबी नह रही थी। इसका मतलब यह िनकलता ह िक लोग खुशी क तलाश नह
करते ह, इसिलए उ ह यह पता ही नह ह िक िकस बात म यादा खुशी िमलती ह। खुशी क बजाय उ ह दुःख देने
या परशान करनेवाली बात क सूची बनाने क िलए कहा तो उ ह ने दुःखी करनेवाली बात क लंबी सूची तैयार
करक दे दी।
लोग क खुशी क सूची को पढ़कर आपको उसम खुश रहने क ेरणा नह िमलेगी; ब क आप उन बात को
सुनकर आ य म पड़ सकते ह िक या लोग को ऐसी बात म भी खुशी िमल सकती ह! मुंबई क गोरगाँव म
रहनेवाले, ि ंिटग ेस का कारोबार देखनेवाले एक महाशय ने खुशी क सूची म िलखा—‘मेरा क ा जब मेर सामने
दुम िहलाता ह तो मेरा िदल खुिशय से झूम उठता ह।’ िद ी क रहनेवाले एक यवसायी का कहना था, ‘लोग क
फट जूते देखकर उ ह खुशी िमलती ह।’
इलाहाबाद क एक युवक ने कहा, ‘आसमान म छाए बादल क समूह को देखकर मुझे अपार स ता होती ह।’
पटना क रहनेवाले तथा नागपुर म पढ़ाई करनेवाले एक छा ने सूची म िलखा—‘िब डग क िल ट म चढ़ने-
उतरने म बड़ी खुशी िमलती ह।’
स ाह यानी सात िदन हर िकसी क िलए अलग-अलग तरह क खुिशयाँ लाते ह। अनेक छा क िलए रिववार
बड़ी खुशी का िदन होता ह। वह अनेक छा इसे सबसे बो रयत भरा िदन मानते ह। कछ लोग रटायरमट को
खुिशय से भरा मानते ह, कछ रटायरमट को दुःख क गठरी िमलना बताते ह।
कानपुर म रहनेवाली सुरखा कहती ह, ‘म जब आईने क सामने खड़ी होती तो अपने आपसे बात कर मुझे
अपार खुशी होती ह।’ िद ी क मंजू कहती ह, ‘मुझे जब कोई अ छा सा कमट देता ह, मुझे खुशी िमलती ह।’
पटना क रहनेवाली लेिखका पूजा का कहना ह, ‘जब मेरी रचनाएँ कह छपती ह या वीकित-प िमलता ह, तब
मुझे खुशी िमलती ह।’ नागपुर क 22 वष या सा रका िफ म क शौक न ह। उनका कहना ह, ‘जब म फ ट शो
िफ म देखती , तब मुझे खुशी िमलती ह।’ ऐसी अनेक बात ह, िजसे पाकर लोग खुश रहते ह।
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भरपूर खुशी िमलने पर लोग सुध-बुध खो देते ह। उ ह इस बार म कछ पता ही नह होता ह िक वे िकस हालत म
ह। आकिमडीज का िस ांत खोजनेवाले वै ािनक आकिमडीज अपने सार कपड़ उतारकर एक िदन बॉथ टब म
नहा रह थे। जैसे ही वे टब म घुसे, उसम से कछ पानी छलककर बाहर आ गया। उ ह ने अपने िस ांत को पकड़
िलया। टब से िनकलकर वे तुरत अपनी योगशाला क ओर भागने लगे। उस व उनक शरीर पर एक भी कपड़ा
नह था। वे िच ाते जा रह थे—‘यूरका, यूरका!’—यानी िमल गया, िमल गया।
ि कट मैच क दौरान मंिदरा बेदी इतनी उ साह म थ िक उ ह अपने कपड़ का होश ही नह रहा। इसका सीधा
सारण टी.वी. क मा यम से पूरी दुिनया म होता रहा। इससे मंिदरा को कोई फक नह पड़ा। वह अपनी खुशी को
लेकर ही य त थ ।
िजन लोग को खुश रहने क आदत होती ह, वे हर हाल म खुश रहते ह। इसीिलए तो लोग जहाँ कह भी रहते ह
—िहमालय क बफवाली पहाड़ी पर या समु क िकनार, सुदूर जंगल म या रिग तान म—उ ह वहाँ रहने क
मजबूरी ह, यह बात नह । वे वहाँ खुश ह, इसिलए वहाँ रहते ह।
ओशो क अनुसार, ‘स ी खुशी वह नह ह, जो हम चाहते ह। एक पल क खुशी दूसर पल दुःख क सौगात
भी बन सकती ह। जब हम खुश होते ह, तब हमार मन क िकसी कोने म उसक ख म होने का डर भी होता ह।’
पया, पैसा, िस भी ब त यादा खुिशयाँ दे द, ऐसा नह होता। एक लॉटरी पानेवाला िजंदगी भर खुश नह
रह सकता। कछ ही साल म उसे खुिशय क तलाश करनी ही पड़ती ह, य िक खुिशयाँ उसक जीवन से गायब हो
चुक होती ह। िसफ पैस क वजह से लोग खुश हो जाएँ, ऐसा नह ह। उनका जीवन भी तनाव से भरा होता ह।
सबकछ होने क बाद भी वे आ मह या करने जैसे खतरनाक कदम उठा लेते ह।
जो हमेशा हसता ह, वह दुिनया का सबसे खुश य हो, ऐसा नह कह सकते। एक हरान-परशान य एक
मनोिचिक सक क पास गया। उसने अपनी ढर सारी परशािनयाँ डॉ टर को बताई और खुश रहने क उपाय क िलए
सलाह माँगी।
डॉ टर ने मरीज क पूरी बात सुनकर कहा, ‘‘सामने िखड़क से बाहर शहर का नजारा देख रह हो?’’
मरीज ने कहा, ‘‘देख रहा ।’’
‘‘इसम कोई खास बात नजर आ रही ह?’’
‘‘नह , ऐसी कोई खास बात नजर नह आ रही ह।’’
‘‘ या आपको पता ह, इन िदन शहर म सकस आया आ ह? सकस ने शहर क लोग क मन म खुिशयाँ भर
दी ह।’’
मरीज ने आ य से पूछा, ‘‘वह कसे?’’
‘‘लगता ह, तुमने अभी तक सकस नह देखा ह। एक काम करो, आज शाम तुम सकस देखने क िलए जाओ।
उस सकस म एक दुबला-पतला, म रयल सा जोकर ह, जो अपने कारनाम से लोग को हसा-हसाकर लोट-पोट
कर देता ह। जब तुम उसे देखोगे तो तु ह उससे खुश रहने क ेरणा िमलेगी।’’
‘‘डॉ टर, ऐसा नह हो सकता।’’
‘‘ य ?’’ डॉ टर ने आ य से पूछा।
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खुशी आती कहाँ से ह और जाती कहाँ से ह, इस बार म अनेक मनोवै ािनकव समाज-शा य ने लंबा शोध
िकया ह। वे इस िन कष पर प चे ह िक खुशी जहाँ से आती ह, वह से चली भी जाती ह।
िफ , उलझन, परशािनयाँ—इन सब बात से हमारा मूड खराब हो जाता ह। खुिशयाँ गायब हो जाती ह। पर
यह नह कहा जा सकता ह िक मूड िकस वजह से कब खराब हो जाए और खुिशयाँ गायब हो जाएँ।
जब कभी िकसी बात को लेकर हमारा मूड ऑफ हो जाता ह, उस व म त क क यूरो ांसमीटर म
जबरद त प रवतन होता ह। खुशी का अहसास करानेवाले यूरो ांसमीटर सेरोटोिनन क तर म िगरावट आ जाती
ह; डोपामाइन, नॉरपाइनि न और ए नैिफन क रसाव म कमी आ जाती ह। ाकितक तौर पर मूड बेहतर
बनानेवाले किमक स एस.ए.एम.ई. का उ पादन िगर जाता ह। र म लूकोज का तर कम हो जाता ह।
मनोवै ािनक कॉिलंग पॉवेल का कहना ह, ‘खुिशय का संबंध हमारी भावना से भी ह। हमारी भावनाएँ हर
पल बदलती रहती ह। उसी क अनुसार खुशी का तर भी घटता-बढ़ता रहता ह। कोई भी य पूर स ाह म
समान प से खुशी नह पा सकता ह। िकसी िदन खुशी का तर 20 ितशत या िकसी िदन 80 ितशत हो सकता
ह।
इ टी यूट ऑफ ऑ टम यू ीिशन, यू.क. क मुख डॉ. पैि क हॉलफोट का कहना ह िक बेहतर मूड का
सीधा संबंध मूड से ह। अफसोस क बात यह ह िक अिधकतर लोग ने अपने आपको िनराशा म बाँधकर रखा ह।
इससे यादातर लोग ने िनराशा म ही जीने का अंदाज बना िलया ह।
वै ािनक क अनुसार, यूरो ांसमीटर डोपामाइन िदमाग क मेजोिलंिबक पाथ-वे और यू यस ए यूबस क
िह से म काम करता ह। यह इनसान म खुशी क उ पादन का कारक होता ह। जब म त क म डोपामाइन का
रसाव तेजी से होता ह, तब सारा शरीर एनज से ओत- ोत हो जाता ह। इससे न कवल खुिशयाँ बढ़ती ह, ब क
सोचने, समझने और याद रखने क मता भी बढ़ती ह। यह से स लाइफ को भी खुशगवार बनाती ह।
हमारा शरीर एिमनो एिसड डी.एल. िफनलालैिनन क ज रए डोपामाइन क िनमाण क शु आत करता ह। यह
एक दूसर एिमनो एिसड एल-टाइरोिसन म बदलता ह, बाद म एल डोपा म त दील होता ह और अंत म डोपामाइन
बनता ह। इन सभी ि या को अंजाम देने क िलए शरीर को फोिलक एिसड, मै नीिशयम, िजंक और कॉपर क
खास ज रत होती ह।
डोपामाइन बाद म यूरोकिमकल नॉरपाइनि न और एटरनैिलन म बदलता ह। यह उ ेजक यूरोकिमकल
सजगता और सतकता का काम करता ह, िवचार को पॉजीिटव बनाता ह तथा सोचने-समझने क श को बढ़ाता
ह। वै ािनक का कहना ह िक यिद डोपामाइन क तर को सही-सही मापा जाए तो य क खुश रहने क तर
को भी मापा जा सकता ह।
शरीर क येक कोिशका म मेिथलेशन नामक एक ि या होती ह। इस ि या म मेिथल ुप का एक परमाणु
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दूसर म ांसफर होता ह। मनोवै ािनक का मानना ह िक मेिथलेशन क ि या लोग म आनुवंिशकता पर आधा रत
होती ह। शरीर म िवटािमन-बी क कमी से मेिथलेशन क ि या धीमी हो जाती ह।
मेिथलेशन क ि या सही ढग से हो रही ह या नह , इसे जानने क िलए शरीर म होमोिस टीन क ि या होती
ह। होमोिस टीन र म पाया जानेवाला एिमनो एिसड ह, जो एस.एम.ई. क िनमाण म मह वपूण भूिमका िनभाता
ह।
सेरोटोिनन खुशी बढ़ानेवाला एक खास त व ह। हमारी जीवन-शैली गड़बड़ होने से सेरोटोिनन क उ पादन म
कमी आ रही ह। सेरोटोिनन डोपामाइन जैसे यूरो ांसमीटस क उ पाद को बढ़ावा देता ह। मूड को खुश रखनेवाले
हारमोन सेरोटोिनन क िनमाण म सूय क मह वपूण भूिमका होती ह। जो लोग धूप म कम िनकलते ह या िबलकल
भी नह िनकलते ह, वे काफ िचड़िचड़, उदास एवं परशान होते ह।
म त क म डी.एम.ए.ई. (डाइमेिथलामाइ-नोथैनाल), एिसिटलकोलाइन, फॉ टफिटिड से रन, डी.टी.एच.,
ई.पी.ए., पायरो लूटामेट, लूटामाइन जैसे त व मन को खुश रखने म मदद करते ह।
वै ािनक ने िस िकया ह िक म त क क ट कोट स क बाएँ भाग म यादा सि यता होने पर वह
खुशिमजाज और बिहमुखी होता ह। इस भाग का संबंध भावना क अिभ य और िनयं ण से होता ह।
किमकल मेसजर कह जानेवाले ये रसायन आनंद और क अनुभव करने क मता को भािवत करते ह। इस
संबंध म इजराइल म िकए गए एक शोध म पता चला ह िक डोपामाइन रसे टर जीन (D4DR) का अ छा तर
रखनेवाले िशशु म 2 साल क उ से ही उ सुकता और बो डनेस क ल ण िदखाई देने लगते ह।
वै ािनक ने एक अ ययन म पाया िक ब क खुशिमजाज होने का असर उनक माता-िपता क ारा पड़ता
ह। ब े खुशिमजाज होने क साथ-साथ अ छ तालमेल क मता रखनेवाले होते ह। इसक िवपरीत पा रवा रक
माहौल म पढ़नेवाले ब े उदास, िचड़िचड़, सनक या शंकालु िक म क होते ह। ब क चेहर पर िदखाई
देनेवाली उदासी और चेहर पर झलकनेवाली परशानी खराब पा रवा रक माहौल का संकत देती ह।
मनोिचिक सक डॉ. जोसेफ नोिवं क का कहना ह िक माता-िपता ारा ब े क सही तरीक से परव रश न
करने, सही तरीक से बातचीत न करने और बात-बात पर मजाक उड़ाने का नतीजा होता ह िक ब े िचंता,
असुर ा, तनाव एवं कठा से त हो जाते ह। वह यिद माता-िपता सकारा मक माहौल, यार, अपनापन, हसी-
खुशीवाला माहौल द, उसक साथ सीधा-सरल व बि़ढया यवहार कर तो आगे चलकर ब ा उ साह, उमंग, खुशी
और आ मिव ास से भरा आ होता ह।
मनु य का मूड हर पल बदलता रहता ह। मूड क अिधक तेजी से बदलने को मूड िडसऑडर कहा जाता ह।
मूड िडसऑडर उ प होने क कई कारण ह। मूड िडसऑडर से पीिड़त लोग अिधक िचंितत और असुरि त
महसूस करते ह। इसिलए अनेक बात क वजह से उनका मूड बदल जाता ह।
साइिकय ी रसच म छपी नए अ ययन क रपोट क अनुसार, यिद आपक आस-पास नकारा मक िवचार
रखनेवाल क भीड़ ह तो उ ह दूर भगा दे, वरना वे आपको भी अपनी तरह बना लगे। मनोिचिक सक डॉ.
रजवान वाही क अनुसार, ‘हमार ेन म िमरर यूटांस ह, जो हम दूसर क भावना का अहसास कराने म मदद
करते ह।’
लंदन यूिनविसटी क शोधकता क अनुसार, सकारा मक मानिसकता को यूरोएनडो ाइन और इ लेमे ी घट
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जाने क िजद करते ह। सकारा मक भावनाएँ आपक इ यूिनरी िस टम को बढ़ाती ह, जबिक नकारा मक भावनाएँ
न िसफ बीमार कर सकती ह, ब क िजंदगी को भी कम कर सकती ह।
वै ािनक क अनुसार, ‘वे टॉ सन इमोशंस वाले (िवषैले वभाव) होते ह, िजनक अंदर िनगेिटव िथंिकग
अिधक होती ह। अपने टॉ सन इमोशंस क वजह से लोग दुःख क सैलाब म डबे रहते ह। उनक िजंदगी म
दुःख-ही-दुःख होता ह। सुख नाम क चीज ही नह रहती ह।’
आधे भर िगलास को आधा खाली देखनेवाले हमेशा िनगेिटव सोचते ह। घर म िकसी से गलती हो जाने पर
िकसी गुनाह से कम नह मानते ह। ऐसे लोग को समझा पाना ब त मु कल होता ह। यूँ समझ लीिजए, इनका
दुःख से हमेशा पाला पड़ता ह। सुख इनक जीवन म होता ही नह ह। कछ लोग का मूड िदन भर ऑफ होता ह।
उ ह उठते-बैठते, चलते-िफरते चीखने व िच ाने क आदत होती ह। िकस बात पर उनका मूड बदल जाए, कहा
नह जा सकता।
कछ वै ािनक खुशी को मानिसक असंतुलन क एक दशा ‘मेजर इफ टव िडसऑडर’ (मैड) लेजट टॉप क
ेणी म मानते ह। उनका मानना ह िक खुशी को अनचाह नह पाया जा सकता। खुशी कोई सामा य अव था नह
ह। िकसी य म खुशी क ल ण िजस कार से कट होते ह, वे मनोवै ािनक और यावहा रक असंतुलन क
ल ण होते ह।
वै ािनक क अनुसार, खुशी पाने क और खुशी य करने क —दोन ही थितयाँ म त क क असंतुिलत
मनोदशा ह, जो पागलपन क करीब क दशा होती ह। किलफोिनया यूिनविसटी क मनोिवभाग क मुख डॉ.
डगलस कन का कहना ह िक इनसान िकतना खुश रहता ह और िकतना दुःखी, इसक िलए वह खुद िज मेदार ह;
य िक खुश रहने क िलए वयं खुश रहने क आव यकता होती ह।
वै ािनक का मानना ह िक मुसकराहट और हसी आपक मूड को सुधार सकती ह। किलफोिनया यूिनविसटी क
मनोवै ािनक डॉ. क सर लसी का कहना ह िक मुसकराने और हसने से हम नाक से यादा साँस लेते ह और
अपने चेहर क र वािहिनय को िनयंि त कर लेते ह। इससे हाइपोथैलेमस े पर भाव पड़ता ह। यह वह
भाग ह, जहाँ से संवेदना का िनयं ण होता ह।
स ाह क िदन और मूड क बीच भी संबंध होता ह। इस बार म लो रडा यूिनविसटी क मनोवै ािनक डॉ.
िव टन डक ने एक शोध िकया। उ ह ने पाया िक लोग गु वार, शु वार और शिनवार क िदन अिधक खुश रहते
ह। रिववार, सोमवार और मंगलवार क िदन कछ कम खुश रहते ह। बुधवार का िदन सामा य िदन होता ह।
इस बार म उ ह ने शोध क िलए अलग-अलग काय करनेवाले लोग को शािमल िकया। उ ह ने पाया िक भले
ही काम का भाव मूड पर असर डालता हो, पर सा ािहक कलडर भी उनक मूड को सही और गड़बड़ रखता
ह। जो लोग स ाहांत क िदन छ य क िलए रखते ह, वे छ य क तैयारी क च र म तनाव क थित म
आ जाते ह।
मजेदार बात यह ह िक छ ी से लौटने क बाद खुश होने क बजाय उनका मूड थोड़ा गड़बड़ लगने लगता ह।
डॉ. डक कहते ह, ‘ऐसी थित शरीर क थकान या हारमोनल गड़बड़ी क वजह से हो सकती ह।’
पहले यह माना जाता था िक शादी तनाव पैदा करती ह; पर ऑ टरिलया म िकए गए एक शोध क अनुसार,
शादी से शरीर म हारमोनल प रवतन होता ह, जो जीवन म खुिशयाँ पैदा करता ह।
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खुिशयाँ पाने क िलए शादी एक अ छा उपाय बताया गया ह। मनोवै ािनक का कहना ह िक जो लोग िनराशा
म डबे होते ह, िजनक अंदर उ साह ख म हो गया ह, उ ह शादी कर लेनी चािहए। शादी क बाद िमलनेवाली
खुशी को लेकर िकतने लोग िकतने िदन तक अिधक खुश रह सकते ह, इस बार म वै ािनक ने शोध िकया।
अमे रका क िमिशगन यूिनविसटी क मनोवै ािनक टीम ने िविभ आयु क 5,000 जोड़ पर अपना शोध
िकया। उस शोध म पाया गया िक यादातर लोग अपनी शादी क पहले साल म सबसे अिधक खुश रहते ह। शादी
क चौथे और पाँचव साल म उनक खुशी म िगरावट आती जाती ह।
छठ और आठव साल म कछ सुधार आता ह। धीर-धीर यह पहलेवाली थित म आ जाता ह। शादी क 25व
वषगाँठ मनाते-मनाते दोन नविववािहत जोड़ क तरह खुश रहने लगते ह। यह िसलिसला जीवन क अंितम समय
तक चलता रहता ह।
जो लोग शादी क पहले साल म खुश नह रहते ह, उनका दांप य जीवन आगे चलकर भी खुशनुमा नह रहता
ह। उनका आपसी बंधन ज दी ही टट जाता ह। कछ लोग भले ही इसे घसीट-घसीटकर कछ साल तक ले जाएँ,
पर इसे सँभालना उनक िलए मु कल हो जाता ह।
कानगी मैलन यूिनविसटी ारा िकए गए एक शोध क अनुसार, जो लोग अिधक खुश रहते ह, उनम रोग
ितरोधक मता अिधक रहती ह। इसिलए वे बीमार कम पड़ते ह। वै ािनक डॉ. कोहन का कहना ह िक
ऊजावा व खुशिमजाज य क शरीर म रोग से लड़ने क हारमोन तेजी से तैयार होते ह, िजससे उसक बीमार
होने क आशंका कम हो जाती ह। उनका शरीर सं मण रोग क चपेट म भी कम आता ह। खुश रहनेवाले
य य म आ मिव ास भी अिधक होता ह। उनका आ मिव ास उ ह कछ भी करने क िलए तैयार रखता ह।
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‘‘फॉमूला होता तो खुशी रिफल पैक म िमलती। लैक माकिटयर उसक टॉक क िचंता म दुःखी िमलते।’’
—अहा! िजंदगी (पि का)
खुशी का कोई पैमाना नह होता। खुशी का कोई फॉमूला नह होता। इसकबावजूद खुशी क पैमाने और खुशी का
फॉमूला ढढ़ने म वै ािनक लगे ए ह। वै ािनक ारा खुशी पर िकए गए शोध म पता चला ह िक हर य को
अलग-अलग बात से खुशी िमलती ह। िकसी को नौकरी िमल जाने पर खुशी िमलती ह, िकसी को ब े क
एडिमशन िमल जाने पर खुशी िमलती ह, िकसी को टशन पर लेट प चने पर पता चलता ह िक गाड़ी दो घंट लेट
ह, तब वह खुश होकर उछलने लगता ह।
खुशी एक भाव ह। उसक कई प ह—भौितक खुशी, िवलािसतापूण खुशी, घटना आधा रत खुशी, अहकार
आधा रत खुशी, भिव य आधा रत खुशी, मूलभूत आव यकता क पूित होने पर खुशी, आंत रक खुशी और
आ या मक खुशी। खुशी क ऐसे और भी भाव हो सकते ह।
खुशी क भावनाएँ हर पल बदलती रहती ह। कोई िकसी बात म ण भर क खुशी पाता ह, कोई उसी बात पर
अपार खुशी पाता ह। वै ािनक ारा ऐसे िकसी यं का िनमाण नह िकया जा सका ह, िजसक ारा यह मापा
जा सक िक कौन िकतना खुश ह। वै ािनक क अनुसार, म त क म थत यूरो यर ए यूबस क िह से म
कायशील ह। वे खुशी क उ पादन का काम करते ह। उसम िकसी कार क गड़बड़ी आ जाने पर खुशी क ा
म गड़बड़ी आ जाती ह। वै ािनक मानते ह िक म त क म ‘डोपामाइन’ क तर म बढ़ोतरी हो जाने पर य
अिधक खुश रहता ह। इसक बढ़ोतरी उस चीज से होती ह, जो उसे अ छी लगती ह। अ छी लगनेवाली चीज कोई
भी हो सकती ह।
मनोिचिक सक का कहना ह िक कोई भी य हमेशा खुश रह, ऐसा नह हो सकता; य िक मूड हमेशा
बदलता रहता ह। हाँ, इससे िकसी-िकसी य का मूड काफ तेजी से बदलता ह। ऐसे म वह ज दी तनाव म आ
जाता ह या ज दी खुश हो जाता ह।
मासूम ब ा सबसे अिधक खुश रहता ह, य िक उसे िकसी बात क िफ नह होती। िकसी भी बात से
अनजान और बेखबर होने से वह खुश रहता ह। ब क खुशी को देखकर लाख लोग खुश होते ह।
शादी कर लेने क बाद अनेक लोग काफ खुश होते ह। वह शादी क बाद दुःखी हो जानेवाल क सं या भी
कम नह ह। कवार खुश रहते ह , ऐसा भी नह ह। अनेक कवार ऐसे भी ह, जो अपने आपको कोसते रहते ह िक
उ ह ने िकस न म कवार रहने का त िलया था।
िविभ देश म िकए गए सव ण से पता चला ह िक अमीर देश हो या गरीब, दोन ही देश क लोग बराबर
दुःखी रहते ह। एक सव म यूजीलड क लोग को अिधक िजंदािदल पाया गया। ठड देश क लोग म अिधक खुश
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खुश रहने क िलए लोग शॉटकट रा ता अपनाते ह। वे शराब, धू पान, मादक य का सेवन करने लगते ह। ये
सब चीज थोड़ी देर क िलए म त क को खुशी तो देती ह, लेिकन बाद म तनाव पैदा कर खुिशय को ख म कर
देती ह।
यूिनविसटी ऑफ किलफोिनया, लॉस एंजे स क शोधकता ारा हाल ही म िकए गए एक अ ययन म पता
चला ह िक खुश रहनेवाले लोग म रोग ितरोधक मता अिधक रहती ह। उ ह तनाव जैसी सम या का सामना
नह करना पड़ता ह।
डॉ. मागरट क मेनी का कहना ह, ‘िदखावा-पसंद लोग अिधक परशान होते ह, जबिक सीधी-सादी िजंदगी
जीनेवाले लोग अिधक खुशिमजाज होते ह।’
डॉ. रवी ने अपने एक अ ययन क ारा पाया िक लोग अपने जीवन क 10 मूलभूत चीज को पाकर अिधक
खुश होते ह। उ ह ने उन 10 चीज क िहसाब से लोग क खुिशय का ाफ तैयार िकया और उ ह अंक िदए। उन
10 चीज क नाम इस कार थे— यार, शादी, ब ा, नौकरी, घर, कार, छ ी, मनपसंद खाना, न द, फोन करना।
डॉ. रवी ने इसम से यार को सबसे यादा अंक िदए। उनका कहना था िक यार करनेवाले अिधक खुश रहते
ह। डॉ. रवी इस बात से इनकार भी नह करते ह िक यार म असफल होने पर लोग सबसे अिधक दुःखी होते ह।
ह या या आ मह या जैसे कदम तक उठा लेते ह।
साइस और अ ययन क फॉमूले जो भी रह, पर ये फॉमूले हर िकसी पर िफट नह हो सकते। इस बार म टोिकयो
क मनोिचिक सक ो. नहाव का कहना ह िक आपक िजंदगी यिद उलझी ई ह तो आप कभी खुश नह रह
सकते। चाह इसक िलए िकसी से यार कर या शादी कर ल। असली खुशी आपको तब िमलेगी, जब आप अपने
जीवन से बेकार और फालतू बात को िनकालकर एक यव थत जीवन जीना शु कर दगे। यह कोई मेहनत का
नह , समझदारी का काम ह। इसे हर कोई करक खुश रह सकता ह।
जमनी क एक युवा दाशिनक बेका रयो पॉल का कहना ह िक इतना फा ट न हो जाएँ िक िजंदगी का मजा ही न
ले सक। इतना लो भी न हो जाएँ िक िजंदगी बोझ बन जाए। सैकड़ साल से टलीफोन, मोबाइल, एमपी-3,
क यूटर, इटरनेट, कार, मोटरसाइिकल, महगी ैलरी, लैट, फशनेबल कपड़ जैसी चीज तैयार करक भी इनसान
खुश नह ह। आज भी वह नई-नई चीज तैयार करने म लगा आ ह, िजससे उसे खुशी िमल सक।
खुशी क तलाश बाहर नह , अपने भीतर कर। इजराइल क डॉ. िजरान जीसोन का कहना ह िक लोग को सुख
क तलाश म यहाँ-वहाँ भटकते देख मुझे घोर आ य होता ह। िकतने पागल हो गए ह लोग। खुिशयाँ उनक ही
पास ह और वे बाहर भटक रह ह।
‘पो स ऑफ गीफ’ क लेिखका िमस ली का कहना ह िक िजंदगी म सबकछ इतना उलझा आ ह िक आप
बस इतना ही कर सकते ह िक अपने मू य क िहसाब से एक अ छी िजंदगी िजएँ। सुनने म ये िघसी-िपटी बात तो
लगती ह, लेिकन ‘ऐसा होना ही ह’, वाली सोच पर मत चिलए। छ ी मनाने जाने का इतजार भी मत क िजए।
छ ी का लान बनाने का भी मजा लीिजए। िजंदगी को अपना सबकछ दे डािलए।
पेनिस वेिनया यूिनविसटी म दशनशा क ोफसर मािटन सेिलगमैन ने अपनी पु तक ‘ऑथिटक ह पीनेस’ म
िलखा ह िक यिद आप खुश होना चाहते ह तो लॉटरी जीतना, अ छी नौकरी पाना और तन वाह म बढ़ोतरी—सब
भूल जाएँ। भीतर रहनेवाली श और िवशेषता (उदारता, हा य, वा तिवकता, सकारा मक सोच) क पूँजी को
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हर कोई खुशनुमा िजंदगी जीना चाहता ह। इसक िलए वह हर संभव कोिशश भी करता ह। इसक बावजूद कह -
न-कह कोई कमी रह जाती ह। इस पर उसका यान नह जाता ह। यिद उन बात पर यान िदया जाए और खुश
रहने क उपाय िकए जाएँ तो कोई भी य हर िदन पूरी तरह से खुश रह सकता ह।
बेकार न रह
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जीवन म समय का बड़ा मह वपूण थान ह, इसिलए समय को िकसी भी हालत म न न होने द। अनेक लोग
खाली बैठ रहते ह। कहते ह, हमार पास काम नह ह। उनक खुिशयाँ भी गायब हो जाती ह। बेकार बैठ-बैठ
पॉजीिटव एनज ख म हो जाती ह, िजससे खुिशयाँ उड़न-छ हो जाती ह। खाली बैठ रहने क बजाय कोई-न-कोई
काम करते रहना चािहए।
काम नह ह, यह सोचकर बैठ नह रहना चािहए। काम होता नह , काम पैदा करने क ज रत होती ह। काम
ढढ़ने क ज रत होती ह। काम आपक पास नह आएगा, काम क पास आपको जाना पड़गा। जब आप खुद काम
नह करगे तो आपक पास काम कसे रहगा।
दूसरी बात, िकसी फालतू काम म अपना समय बरबाद न कर। फालतू काम से मतलब ह—िजन काम से कोई
िन कष नह िनकलता ह। िजससे कोई लाभ न िमलता हो, उसे फालतू काम म िगन सकते ह। जैसे कछ लोग चाय
क दुकान पर बैठकर अपना समय न िकया करते ह। ग प लड़ाते ह, दूसर क बुराई करते ह, मीन-मेख
िनकालते रहते ह। उ ह ऐसा करने म ब त अ छा लगता ह। सोचते ह िक वे अ छा काम कर रह ह।
असल म, वे अपना समय न कर रह होते ह। इन सब बात से िनगेिटव एनज पैदा होती ह, जो मन क
खुिशय को सोख लेती ह। अपनी एनज को अ छ काम म लगाएँ। जब आप कोई अ छा काम करते ह तो शरीर म
पॉजीिटव एनज पैदा होती ह, जो आपको खुिशय से भर देती ह। फालतू काम करने क बजाय हमेशा सही व
ज रतवाले काम ही कर।
खुलकर िजएँ
जब आप खुलकर जीने क सोचते ह, तब अिधक खुशी महसूस करते ह। याद कर उन पुराने िदन को, जब
आप टशन थे। कॉलेज क िदन म आप खुलकर िजया करते थे। हमेशा हसा करते थे। जब आप जीवन क
िज मेदा रय म डब जाते ह, तब आपक िजंदगी से खुिशयाँ दूर होने लगती ह। िन यानबे का च र, िकचन चलाने
क िचंता, कल या होगा—ऐसी िचंता ने िजंदगी से खुिशय को िनकालकर दूर कर िदया ह। ऐसे म ‘खुिशयाँ’
नाम क चीज नह रह जाती ह।
आप अपनी खुिशय को दो बार पा सकते ह। इसक िलए आपको खुलकर जीना होगा। जमन यूिनविसटी क एक
शोध क अनुसार, जब आप खुलकर जीने क कोिशश करते ह, तब खुिशयाँ अपने आप आपक नजदीक आनी शु
हो जाती ह। आप एक बार िफर से खुशिमजाज बनकर, खुलकर जीने लगते ह। िजतना खुलकर आप जीने क
कोिशश करते ह, आपक िजंदगी उतनी ही खुशनुमा होती जाती ह।
बदलाव से न डर
अिधकतर लोग बदलाव से काफ डर ए होते ह, िजसक वजह से उनक खुिशयाँ गायब हो जाती ह। यह
बदलाव िकसी भी कार का हो सकता ह। पुराना लैट खाली कर नए लैट म िश ट करने का डर, ांसफर होने
पर दूसर शहर सामान ले जाने का डर, एक नौकरी को छोड़कर दूसरी नौकरी ॉइन करने का डर, बढ़ती उ म
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होनेवाले शारी रक प रवतन का डर जैसी अनेक बात लोग क िदल म डर पैदा करती ह, िजसक वजह से वे खुश
नह रह पाते ह।
इन सब बात से घबराकर अपनी खुिशय को नह खोना चािहए। जीवन म आनेवाले िकसी भी बदलाव को
पॉजीिटव नज रए से देखना चािहए। हर बदलाव म एक तर छपी होती ह। तर का रा ता खुलता ह तो िफर
डरकर और घबराकर अपनी खुिशय को य गायब करते ह? बदलाव को खुशी-खुशी वीकार कर।
िदल खोलकर हस
हसी एक ऐसा टॉिनक ह, जो आपक अंदर खुिशय क ताकत देता ह। जब भी आप िकसी कार क तनाव म
ह , अपने िदमाग क िकसी कोने म पड़ ऐसे चुटकले ढढ़कर याद कर िक आप हस-हसकर लोटपोट हो जाएँ। बस,
आपका तनाव उड़न-छ होने म अिधक समय नह लगेगा।
आप जब खुलकर हसते ह, उस व शरीर म ऑ सीजन क मा ा बढ़ जाती ह। शरीर क सार अंग म इसका
वाह तेजी से होने लगता ह। फफड़ , दय तथा शरीर क सार मह वपूण अंग को ऑ सीजन िमलने लगती ह।
सार अंग को अ छी तरह से ऑ सीजन िमलने पर पूर शरीर म फित आ जाती ह। मन खुिशय से झूमने लगता ह।
हसने से शरीर म रोग ितरोधक मता बढ़ती ह। दद व तनाव दूर होता ह। मांसपेिशय को आराम िमलता ह। डर
और बेचैनी दूर होती ह। उ ास और ेम का संचार होता ह।
अमे रका क टनफोट यूिनविसटी क शोधकता डॉ. पोिलंग वेल का कहना ह िक हसी बोिझल िदमाग क िलए
टॉिनक का काम करती ह। हसने से म त क म अनेक कार क किमक स का रसाव होता ह, जो खुशी,
एका ता, जाग कता, मरण-श आिद बढ़ाती ह। इससे शरीर क सार पुरज म हलचल हो जाती ह, िजससे पूर
शरीर म तेजी से र -संचार होने लगता ह, जो फित पैदा करती ह।
श का सही इ तेमाल कर
यिद आप भरपूर खुिशयाँ पाना चाहते ह तो अपनी श य का सही इ तेमाल कर। गलत काम म खच क गई
श से तनाव, िहसा, उलझन तथा परशानी उ प होती ह। जैसे कल म पढ़नेवाला छा यिद अपनी ऊजा को
दो त क साथ गपशप करने म खच कर देता ह तो उसे खुिशय से वंिचत होना पड़गा; य िक आनेवाले िदन म
उसका परी ा-प रणाम अ छा नह होगा। जब प रणाम अ छा नह होगा तो उसे दुःख और परशानी ही हाथ लगेगी।
इसिलए हर िकसी को चािहए िक वह अपनी ऊजा को सही ढग से सही जगह पर खच कर, िजससे उसे लाभ हो।
इससे जीवन म खुिशय क बहार बनी रहगी।
िदमाग को भी छ ी मनाने द
दय क तरह म त क भी—थोड़ समय क िलए भी—शांत नह रहता ह। वह अपना काम िनरतर करता रहता
ह। जब हम सोते ह, उस व भी वह कछ-न-कछ सोचता रहता ह। जब हम तनाव क थित म रहते ह, उस
व िदमाग काफ परशानी क थित म रहता ह। वह अिधक तेजी से अ छी व बुरी दोन तरह क बात सोचता
ह।
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जब हम काम करते ह, उस व िदमाग उसी काम क बार म सोचता ह। बेमन से काम करने पर उस काम से
यान हटाकर दूसरी बात पर यान देने लगता ह। म त क को भी आराम देने क आव यकता होती ह। जब आप
म त क को आराम देते ह तो वह काफ सुकन और राहत महसूस करता ह। आराम क बाद म त क तेजी से
काम करने लगता ह, रचना मक और अ छी सोचवाली बात सोचने लगता ह।
िदमाग को राहत देने क िलए सरल उपाय ह िक आप अपने काम से कछ अलग हटकर, काम क िचंता
छोड़कर, आँख बंद कर, काम क बात को भूलकर िकसी दूसरी बात म अपना यान लगाएँ। ऐसे म आप ई र
का भी यान लगा सकते ह या आँख बंद कर नीले आकाश, हरी-भरी जगह, बहते झरने, नाचते ए मोर आिद क
क पना भी कर सकते ह। कछ देर बाद जब आप आँख खोलते ह तो अपने आपको शांत और तरोताजा पाएँगे। यह
उपाय आप कभी भी आजमा सकते ह। इससे हर बार शांित और खुशी क ा होगी।
चु त रह
आप चु त नह ह तो यह समझ ल िक आपक साथ काम करनेवाले भी चु त नह रहगे। हमेशा चु त-दु त
रहने क कोिशश कर। जब आप खुद िफट और चु त रहगे तो दूसर को भी उतने ही जोश क साथ िफट रहने और
काम करने क िलए कह सकगे।
यिद आप खुद चु त नह ह तो आप दूसर को चु त रहने क िलए भी नह कह सकते। यिद िकसी तरह से आपने
उसे चु त और िफट रहने क िलए कह भी िदया तो वह आपक हालत देखकर खुद को बदलने क कोिशश भी
नह करगा। यिद आप िफट ह तो सामनेवाल को िफट रहने क िलए कहने क ज रत नह पड़गी। वे खुद ही
अपने आपको बदल लगे।
चु त य हमेशा खुश रहता ह, िजसे देखकर दूसर भी खुश रहते ह। अमे रका क रा पित ओबामा कहते ह
—‘िफट य खुश रहता ह, इसिलए वह एक कदम आगे रहता ह।’
ब त यत
आजकल िजसे भी सुनो, वही कहता िमल जाएगा—ब त य त । अित य तता क वजह से लोग क िजंदगी
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से खुिशयाँ गधे क िसर से स ग क तरह गायब हो रही ह। िजनक पास काम ह, वे य त ह और िजनक पास काम
नह ह, वे भी य त ह। ऐसा य ? इसक वजह ह िक लोग िबना मतलब क काम क िलए भागे जा रह ह। काम
को ठीक तरीक से न करने क वजह से समय क कमी होती जाती ह। काम को सही तरीक व सही योजना क
तहत िकया जाए तो य तता दूर हो जाती ह। काम को पूरा करना ह, इसिलए कोई डड लाइन डालकर अपनी
खुिशय को गायब न कर। काम पूरा कर, पर टाइम िलिमट न बाँध, न ही ज दबाजी म उस काम को कर।
ज दबाजी म िकया गया काम सही तरीक से नह होता ह। बाद म परशानी होती ह।
आप खुद इस बार म पता कर िक आप य त य ह? आपका समय कहाँ ख म हो रहा ह? कह आप फालतू
काम म य त होकर अपना समय तो न नह कर रह ह! इससे बचने क कोिशश कर, वरना आपक खुिशयाँ
गायब हो जाएँगी।
िनकाला गया िक मिहलाएँ अपनी बॉडी इमेज को लेकर काफ तनाव म रहती ह, िजसक वजह से वह खुशी से दूर
हो जाती ह।
लोग अपने चेहर, आँख, नाक, पेट, जाँघ और िह स क आकार को लेकर परशान होते ह। लंदन कल ऑफ
इकोनॉिम स एंड पॉिलिटकल साइस क मनोवै ािनक संतोषी कजावा का कहना ह, ‘वा तव म लोग क य व
का आकलन उनक ‘लुक’ से ही लगाया जाता ह, िजसक वजह से लोग म हीन भावना उ प हो जाती ह। उसी
तरह से साँवले लोग को उतना पसंद नह िकया जाता, िजतना िक गोर लोग को पसंद िकया जाता ह।’ बॉडी इमेज
िवशेष मनोवै ािनक डॉ. कयन कक का कहना ह िक शारी रक गठन कदरत क देन ह। इसको लेकर दुःखी नह
होना चािहए। वयं क बार म अ छा सोचकर अपने अंदर कॉ फडस पैदा करना चािहए। जो कमी लगती ह, उसे
दूर करक भी खुश रहा जा सकता ह। आजकल शारी रक सम या को दूर करने क िलए कॉ मेिट स सजरी काफ
िवकिसत हो गई ह, िजसका लाभ उठाया जा सकता ह।
एक बात हमेशा यान रख, दुिनया म कोई भी परफ ट नह होता। अिधकतर लोग खुद को अनाकषक और
सामनेवाले को आकषक मान लेते ह तथा तनाव म आ जाते ह। मान लीिजए, आप शाह ख क बॉडी देखकर
काफ खुश ह, पर आपको पता नह ह िक शाह ख हकलाते भी ह। इसी तरह ऋितक रोशन का उदाहरण ल। वे
बचपन म इतना हकलाते थे िक िकसी से बात करने म परशान हो जाते थे। वे हीन भावना का भी िशकार हो गए
थे। मनोिचिक सक ारा िदए गए िट स क वजह से वे खुद को सँभाल पाए।
िकसी क बॉडी को खूबसूरत मानने सेपहले उसक कमजोरी पर भी यान द। इससे आप अपनी बॉडी को लेकर
दुःखी नह ह गे। कक कहती ह, ‘खुद को बदसूरत मानकर अपनी खुिशय क आ ित देना अ छी बात नह ह।
अपना िव ास हािसल कर। खुद क बार म अ छ िवचार रख। आपक खुिशयाँ आपसे कभी दूर नह ह गी।’
धकल देती ह। बुरा सुननेवाला, बुरा देखनेवाला, बुरा कहनेवाला खुद काफ बुरा हो जाता ह।
बुरा य कभी भी खुश नह रह सकता ह, य िक उसक पास ब त सारी परशािनयाँ व सम याएँ होती ह,
िजनका समाधान ढढ़ते-ढढ़ते वह तनाव व दुःख क समु म डबा रहता ह।
समी ा कर
जब सभी सम या को एक कर लेते ह, तब वह बड़ी सम या लगने लगती ह। छोटी सम या का हल भी
ज दी िनकल आता ह। परशान होने क आव यकता नह होती। सम या क िखचड़ी न बनाएँ, नह तो खुिशय
का िनवाला आपक गले नह उतरगा। आपक परशानी हमेशा बनी रहगी। खुिशयाँ आपक पास नह फटकगी।
लोग या सोचगे
अनेक लोग इस बात से परशान रहते ह िक फलाँ काम करने पर पता नह लोग मेर बार म या सोचगे। इस बात
को सोच-सोचकर वे हरान-परशान रहते ह; जबिक सच बात तो यह ह िक िकसी को इतनी फरसत ही नह ह िक
िकसी क बार म सोचते रह।
ऐसी बात जीवन से खुिशय को छीनकर गोद म तनाव दे देती ह। यिद आप जीवन म कछ करना चाहते ह; जो
सोच रह ह, उसे पाना चाहते ह तो ‘लोग या सोचगे’, इस बात पर यान िदए िबना अपने काम म लगे रह। अपना
काम मु तैदी क साथ कर।
आप कदम-दर-कदम आगे बढ़ते चले जाएँग।े ‘लोग या सोचगे’, इन बात को सोचने से तनाव पैदा होता ह।
तनाव खुिशय पर डाका डालकर उसे लूट लेता ह।
खुद क समी ा कर
अिधकतर लोग ऐसे होते ह, जो अपनी तारीफ सुनना पसंद करते ह। वे अपनी तारीफ सुनकर ब त खुश होते ह।
यिद िकसी ने उनक जरा सी भी आलोचना कर दी िक बस, वे उसे अपना सबसे प ा दु मन मान लेते ह और
आलोचक को नीचा िदखाने क कोिशश म लग जाते ह।
अपनी आलोचना सुनकर तनाव म नह आना चािहए। ठड िदमाग से सोचना चािहए िक आपक आलोचना य
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ई ह। खुद क समी ा क िजए। कहनेवाले से अपनी तुलना कर। ‘हपीनेस नाउ’ क लेखक रॉबट हॉ डन का
कहना ह, ‘कोई अपनी समी ा िकतनी कड़ाई से करता ह, इस बात पर यान देने क आव यकता नह ह; ब क
यह ज री ह िक आप खुद क समी ा िकतनी गंभीरता से करते ह। अपनी समी ा िजतनी कठोरता और ईमानदारी
से करते ह, आप वयं को खुिशय से उतना ही भरपूर पाएँगे।’
वायर कॉ ट ट क बजाय आई कॉ ट ट म रह
नई तकनीक से एक ओर जहाँ जीवन आसान हो गया ह। वह अनेक कार क सम याएँ भी उ प हो रही ह।
आपसी र त म भी दू रयाँ उ प हो रही ह, िजसक वजह से लोग क खुिशय म कमी आती जा रही ह।
टलीफोन, मोबाइल, इटरनेट आज लोग क जीवन-शैली क मह वपूण अंग बन चुक ह। जब मन होता ह, लोग
अपने प रवार, र तेदार , िम से टलीफोन, मोबाइल, इटरनेट पर संपक कर लेते ह। इन मा यम से बातचीत हो
जाने क वजह से आपस म िमलना-जुलना ब त हद तक बंद हो गया ह। लोग वष तक एक-दूसर का मुँह नह
देख पाते ह।
दूरसंचार मा यम से लोग आपस म बात तो कर लेते ह, पर एक-दूसर से िमल न पाने क वजह से दुःखी भी
रहते ह। दूरसंचार सेवा क बजाय कछ-कछ समय बाद खुद उनसे िमलकर आ जाएँ। यह एक-दूसर क अंदर खुशी
का संचार करगा। आप पहले से अिधक खुश रहगे।
दूरसंचार मा यम से वा तिवक कॉ ट ट बनना संभव नह होता ह। यिद आप चलकर उनक पास जाएँ और
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उनका हालचाल पूछ तो दोन क िलए अ छा होता ह। इससे दोन को अपार खुशी िमलती ह। वायर कॉ ट ट क
बजाय आई कॉ ट ट कर। यह आपक जीवन म अपनापन बढ़ाएगा और खुिशयाँ भी दुगुनी करगा।
खुद से सवाल कर
यिद आपक जीवन म खुिशयाँ नह ह तो खुद से सवाल कर िक आपक जीवन म खुशी य नह ह। एकदम
रलै स मूड म इन सवाल पर िवचार करगे तो आपक अ स रहने क कारण क बार म पता चल जाएगा। जब
आपको कारण क बार म पता चल जाएगा, तब आप उसका उपाय अपने आप ढढ़ लगे।
मान लीिजए, कोई कहता ह िक उसक खुश न रहने का कारण यह ह िक उसक माता-िपता इस दुिनया म नह
ह। इसम उसे परशान होने या दुःखी होने क ज रत नह । दुिनया म लाख -करोड़ लोग क माता-िपता इस दुिनया
म नह ह। िजनक माता-िपता आज इस दुिनया म ह, उ ह भी एक-न-एक िदन इस दुिनया से जाना ह। दुिनया क
यही रीत ह। जो इस दुिनया म आया ह, उसे एक िदन लौटकर जाना ह। इसम दुःखी होने क या बात ह!
आपको खुश होना चािहए िक आपने अपने माता-िपता का चेहरा देखा ह। दुिनया म ऐसे अनेक लोग ह, िज ह ने
अपने माता-िपता का चेहरा भी नह देखा होगा। खुद से सवाल कर िक दुःखी रहकर जीवन काटना अ छा ह या
खुश रहकर। दुःख क गठरी को लेकर चलगे तो वह आपको और भी अिधक दुःख देती रहगी। खुश रहकर जीवन
काट, तभी आपका जीवन साथक होगा।
अपने आपसे बात करना खुद को खुश रखने का सबसे अ छा तरीका ह। कने हीटर क मनोिव ेषक डॉ. पॉल
हॉट न ने 200 से अिधक कामयाब लोग से पूछताछ कर यह िन कष िनकाला िक लोग खुद से बातचीत कर तनाव
को दूर कर लेते ह। खुिशयाँ उनक पास रहती ह। खुद से बातचीत करने से भी अनेक सम या का हल िमल
जाता ह। डॉ. पॉल क अनुसार, खुद से बातचीत करना खुश रहने का एक बेहतरीन तरीका ह। इससे सम या दूर
होती ह और खुश रहने क मता भी बढ़ती ह।
यिद आप छोटी-छोटी बात पर नाराज हो जाते ह, िकसी भी बात पर िचढ़ जाते ह, झुँझलाहट, गु सा या आवेश
म आ जाते ह, थोड़ा सा काम करने क बाद थकावट या िड ेशन म आ जाते ह, िलखते व बार-बार गलितयाँ
करते ह, ा ट बनाते, प िलखते, आवेदन िलखते व आपको श द नह िमलते ह तो समझ ल िक आप िदमागी
तौर पर िफट नह ह। जब आप िदमागी तौर पर िफट नह रहते ह, तो वाभािवक ह िक आप खुश भी नह रहते ह।
इन सब बात से बचने क िलए ज री ह िक िदमागी िफटनेस पर यान द। अपनी उ ेजना को क ोल करना
सीख। छोटी-छोटी बात पर नाराज होने से पहले उन बात को शांत िदमाग से सुन। िदमाग को थर रखकर उसका
जवाब द। िदमाग को िजतना शांत रखा जाए, उसका िफटनेस भी उतना ही अ छा होता ह।
ह पी कपनी चुन
आपका जॉब आपक खुिशय को छीन रहा ह तो आप ज दी से कपनी बदल ल। यिद आप िकसी ऐसी कपनी
म ह, जहाँ आप खुलकर कोई काम नह कर सकते ह, कपनी का ोथ नह ह या कह सकते ह िक आपको लगता
ह िक भिव य म आप वह -क-वह रह जाएँगे तो आप ज दी से उस कपनी को छोड़ द। ऐसी कपनी म रहने से
आप आनेवाले िदन म और अिधक परशान होने वाले ह। आपक खुिशयाँ आपसे दूर होने वाली ह। खुिशय को
अपने पास बचाकर रखने क िलए आप ऐसी कपनी का चुनाव कर, जो आपक वभाव, तर तथा सोच क
मुतािबक हो।
ि टन साइकोलॉिजकल सोसाइटी क एक रपोट क अनुसार, आपक आस-पास िजतने अिधक स िच लोग
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रहगे, आप उतने अिधक खुश रहगे। िनगेिटव सोचवाले लोग, तनाववाले लोग, उलझे ए लोग, अपने आप म
परशान लोग क बीच आप रहगे तो वे आपक खुिशय को सोखकर आपक अंदर दुःख भर दगे। िजस कपनी से
आप जुड़, वहाँ अ छ, सरल, शांत और खुश लोग का जमावड़ा हो, िजससे आप भी वहाँ खुश रह सक।
मन क मुतािबक काम कर
‘गुडनेस ऑफ िफट— ीिनकल ए लीमशन ॉम इनफसी ू एड ट लाइफ’ क लेखक थॉमस चेक का कहना
ह, ‘यिद आप नौकरी से संतु नह ह तो ज दी से नौकरी छोड़ द और नई नौकरी तलाशना शु कर द।’ थॉमस
कहते ह, ‘मन मुतािबक काम न करने पर खुिशयाँ आपक पास नह रहती ह।’
अमे रका क िशकागो यूिनविसटी क मनोिचिक सक डॉ. डिवड कोले का कहना ह, ‘मन क मुतािबक काम न
िमलने से मन िख , उदास, तनाव त और िचड़िचड़ा रहता ह। लंबे समय तक ऐसी थित म रहने पर यह
अव था मानिसक रोग म बदल सकती ह। नौकरी अपने मन क अनुकल न होने पर उसे बदल लेना ही अ छा होता
ह, वरना मानिसक रोग क िशकार होने म देर नह लगती ह।
अ छ दो त बनाएँ
कौन अ छा होगा, कौन बुरा होगा—यह कह पाना मु कल ह; पर इस बात पर यान देने क आव यकता ह
िक ऐसे दो त को कभी अपनी िजंदगी म थान न द, जो आपक िलए हमेशा सम या पैदा कर। नकारा मक
सोचवाले, काम म हमेशा अड़गा लगानेवाले, गलत सलाह देनेवाले दो त से भी दूर रह। वे आपक काम का ही
कबाड़ा नह करते, ब क आपक खुिशय का भी कबाड़ा कर देते ह।
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काम क ाथिमकता तय कर
िजंदगी म कभी-कभी ऐसी थित आ जाती ह, जब मनपसंद काम न िमलने पर भी उसे करना पड़ता ह। इससे
मन खुश नह रहता ह। खुिशय म कमी आ जाती ह। ऐसी थित म काम को लेकर तनाव पालने क बजाय काम
को एं ॉय कर। उन काम को अपने मनपसंद काम म जोड़कर सोच। काम म आपका मन लगने लगेगा। काम
पसंद न आने क एक वजह यह भी हो सकती ह िक आपको काम आता न हो, िजसक वजह से तनाव बढ़ जाता
ह। ऐसे म काम को सीखकर, उस काम को मन लगाकर कर। खुशी दुगुनी हो जाएगी।
यिद एक समय म कई काम करने ह तो तनाव पालने क बजाय काम क ाथिमकताएँ तय कर। काम क सूची
बना ल और एक-एक काम को पूरा करते जाएँ। उन पर िनशान लगाएँ। जैसे-जैसे िनशान लगाते जाएँग,े आपका
तनाव कम होता जाएगा।
इधर भी यान द
काम क य तता क वजह से आप कई बार अनेक बात पर यान नह देते ह। वही बात आगे चलकर आपक
खुिशय को गायब कर देती ह। इस ओर भी यान रख—
• एक साथ कई काम िनपटाने क च र म कध और कान क बीच टलीफोन या मोबाइल रखकर बात न कर।
इससे आपक गरदन म तकलीफ हो सकती ह।
• पेपर, िकताब , फाइल या िफर क यूटर न पर लंबे समय तक टकटक लगाए या झुककर न देख। इससे
तनाव बढ़ता ह। िसर, आँख तथा पीठ आिद दद क िशकायत होती ह।
• आप िजस करसी पर बैठते ह, उसक ऊचाई इतनी हो िक आपक पैर आसानी से फश को छ सक। अिधक
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ऊची करसी होने पर आपक पैर, कमर, पीठ व गरदन पर जोर पड़गा और आपको तकलीफ होगी।
• लगातार लंबे समय तक बैठकर काम न कर। इससे आँख , िसर, गरदन व पीठ का दद होगा। कमर म एक
जगह पर काम करने से शु हवा नह िमल पाती ह। इसक िलए कछ घंट काम करने क बाद कमर से
िनकलकर खुली हवा म घूम।
छ य का मजा ल
लगातार काम करते ए यिद आप तनाव महसूस कर रह ह, आप खुशी कम और थकान यादा महसूस कर
रह ह तो आपको छ ी लेने क आव यकता ह। कछ िदन क छ ी आपक िलए अ छी रहगी। स ाहांत क
छ ी एक िदन क होती ह। उसमे आप उतना आराम नह पा सकते ह।
सभी काम को छोड़कर एक लंबी छ ी ल और चले जाएँ अपने घर से दूर, जहाँ एक-दो स ाह अ छ से
िबता सक। वहाँ काम क बात न सोच और न ही कोई काम ले जाएँ। मन-म त क को सुकन द, अ छा खाएँ,
घूम-िफर, मौज-म ती कर और भरपूर न द ल।
यिद आप प रवारवाले ह तो पूर प रवार को साथ ले जा सकते ह। यह आपक िलए अ छा रहगा। पूर प रवार क
साथ मौज-म ती करने से आपक साथ प रवार को भी खुिशयाँ िमलगी।
शे यूल बदल
िम टर ‘ए स’ िपछले 20 साल से एक ही शे यूल म चल रह ह। सुबह उठना, तैयार होना, समय पर द तर
जाना, 5 बजे शाम को लौटना, समाचार देखना, खाना खाना, सो जाना, सुबह उठना, िफर अगले िदन वही
शे यूल।
इस बीच उनक शे यूल म कोई प रवतन नह आ। इतना शे यूल म चलने क बावजूद वे घोर िनराशा म डबे
ए ह। उनक पास खुशी नाम क चीज नह ह। इस बात का पता तब चला, जब तबीयत खराब होने पर वे डॉ टर
क पास गए। उ ह ने डॉ टर क सामने कबूल िकया िक उनक िजंदगी म दुःख क अलावा कछ नह ह। अभी तक
उ ह नह पता ह िक सुख िकसे कहते ह। डॉ टर ने उ ह मनोिचिक सक को िदखाने क िलए कहा।
मनोिचिक सक ने उ ह शे यूल बदल-बदलकर काम करने क िलए कहा। उ ह ने आगे कहा, शे यूल बदलने
क िलए कोई भी काम छ ी देखकर न कर। उस िदन उलट-पलटकर काम कर। पहले तो िम टर ए स को यह
सब करने म परशानी ई; लेिकन कब उ ह ने शे यूल बदलकर काम करना शु िकया, उ ह पता ही नह चला।
उनक खुिशयाँ तो बात क पाबंद होने क वजह से िनगली चली जा रही थ । वै ािनक का कहना ह, ‘शे यूल
बदलने से खुिशयाँ अपने आप आ जाती ह।’
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आ मिव ास क कमी से दुःख, परशानी, असफलता जैसी बात चार ओर से घेर लेती ह। ऐसे म आप खुद को
दूसर से कम आँकने लगते ह। आ मिव ास क बेहद कमी होने पर पग-पग पर पोजीशन डगमगाने लगती ह।
दूसर पर िव ास िकए िबना तो चल सकते ह, पर आ मिव ास क िबना काम चलना मु कल ह। ‘िडसआिमग
योर इनर ि िटक’ क लेखक जे स इिलयट कहते ह, ‘आ मिव ास से भरपूर य जीवन म सबसे यादा खुश
रहते ह। िजनम आ मिव ास क कमी होती ह, वे छोटी-छोटी बात पर दुःखी होते ह। आ मिव ास को जगाकर
भरपूर खुश रहा जा सकता ह।’
अंदर क श ु को ख म कर
आपक खुशी का सबसे बड़ा श ु आपक अंदर बैठा होता ह, जो आपक आ मिव ास को कम करक आपको
दुःखी रहने क िलए मजबूर करता ह। छोटी-छोटी असफलता क िलए वह श ु आपको कोसता ह, आपको
नाकािबल कहता ह, आपक उ साह को दुःख म बदल देता ह।
ऐसे श ु बचपन से ही उन लोग क अंदर जाकर बैठ जाते ह, िज ह प रवार व आस-पास क माहौल का सहयोग
नह िमलता ह। िकसी खेल म हार जाने या िकसी ट ट म असफल होने पर यह श ु आपक अंदर अपना भाव
जमाने लगता ह, जो आप म नकारा मक सोच को बढ़ाकर आपक खुिशय को िनगल लेता ह।
िकसी छोटी नाकामी पर परशान होने क बजाय अपने अंदर क श ु को िझड़क द। आपको ‘मूख’ बतानेवाले
श ु को जवाब द। उससे कह, िजंदगी म छोटी-मोटी असफलता तो िमलती रहती ह। अब म काफ अ छी तरह से
ै टस कर रहा । अगली बार इस ितयोिगता को जीतकर र गा। जब आप उसे जमकर डाँट लगाते ह तो वह
शांत हो जाता ह। वह आपको परशान करना बंद कर देगा। तब आप काफ खुशी और राहत महसूस करगे।
आनेवाला िदन आपक िलए खुिशय से भरा होगा।
आईना देख
यिद आपक अंदर आ मिव ास क कमी ह तो आपक जीवन म खुिशय क कमी हो जाएगी। आ मिव ास
बढ़ाने क िलए आप रोजाना आईना देख। आदमकद आईने क सामने खड़ होकर अपने आपसे बात कर। म
सबकछ कर सकता ।
मुझे िकसी भी काम को करने म कोई परशानी नह होती। मुझे िकसी भी बात का डर नह लगता। आईने क
सामने खड़ होकर अपने ितिबंब से संक प ल िक म ब त अ छा करक िदखाऊगा, कछ बनकर िदखाऊगा। जब
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खुद पर गव कर
जो खुद पर गव करते ह, उनक अंदर गजब का आ मिव ास होता ह। टा रयो यूिनविसटी क साइकि ट क
ोफसर मधुिमता गु ा का कहना ह, ‘आ मिव ास का इस बात से गहरा ता ुक ह िक आप खुद पर िकतना गव
करते ह। खुद को िमसिफट समझनेवाले हीन भावना का िशकार हो जाते ह, िजसक चलते उनका खुद पर से
िव ास उठने लगता ह। वे मानिसक प से काफ परशान व दुःखी रहने लगते ह। खुशी उनक िजंदगी से दूर
होती जाती ह।
इस िवषय पर लगातार िकए गए रसच क बाद पता चला ह िक खुद क बार म िजतना अिधक बुरा सोचते ह, वे
उतना ही बुरा महसूस करने लगते ह। अपने आप पर गव न करनेवाले लोग तनाव क अिधकता म मानिसक
सम या का भी िशकार हो जाते ह। आप कसे ह, यह न सोच। आप अ छ ह, ब त अ छ ह, इस बार म सोच।
यह सोच आपक अंदर गजब का सकारा मक बदलाव लाएगा। आपक िजंदगी उमंग से भर जाएगी।
श द पर यान द
कह गए श द क चयन म गड़बड़ी होने से भी खुिशयाँ दूर होती ह, तनाव पैदा होता ह; जैसे एक श द ह
—‘सम या’। इसका इ तेमाल हर कोई करता ह। ‘सम या’ श द सुनकर ही सम या नजर आने लगती ह। इसक
बजाय ‘चुनौती’ श द का इ तेमाल कर।
‘यह मुझे बरदा त नह ’, जब आप यह वा य कहते ह तो लगता ह, आप काफ तनाव म ह। उसे बदलकर ‘यह
मुझे पसंद नह ’ कहने पर कल लगने लगता ह। ऐसे अनेक श द ह, जो तनाव पैदा करते ह। उनसे बचने क
कोिशश कर। हमेशा हलक व कल लगनेवाले श द का ही इ तेमाल कर, जो आपको तनाव से दूर रख। जब खुशी
दूर हो जाती ह, तब जीवन म दुःख का अंबार लग जाता ह। ऐसे म लोग ‘दुःख कसे दूर हो’, यह सोचने लगते ह;
जबिक उ ह यह सोचना चािहए िक ‘खुशी कसे िमले’, यह बात आपको खुिशय से भर देगी।
यिद आपक जीवन से खुिशयाँ दूर हो चुक ह तो आप ऐसे श द पर यान कि त कर, जो आप म उ साह का
संचार कर। हारवड मेिडकल सटर क शोधकता डॉ. हटर हॉफमैन का कहना ह िक िसफ श द ारा खुिशय को
लौटाया जा सकता ह। सकारा मक श द जैसे सफल, आनंद, उ साह, उमंग, कामयाबी, स सेस, हसी, खुशी,
मुसकान जैसे श द क सूची बनाकर उसक अथ को जान। इन श द क अथ जब आप मालूम कर लेते ह तब वे
आपक मन-म त क पर अिधक भाव डालने लगते ह। जब भी वे श द पढ़ने या सुनने म आते ह, आपक अंदर
अपने आप खुशी उ प होने लगती ह।
डर को दूर भगाएँ
मनोवै ािनक का कहना ह, ‘भीतर का डर खुिशय को पास आने नह देता ह।’ यह डर िकसी भी बात को
लेकर हो सकता ह। सफल न होने का डर, नौकरी न िमलने का डर, मंच पर भाषण देने का डर, पहली मुलाकात
का डर आिद। ऐसे अनेक डर ह, जो य म तनाव पैदा कर उसक खुिशय को छीन लेते ह।
ओिहयो यूिनविसटी क मनोिचिक सक डॉ. ि ंस वैली का कहना ह िक डर आपको उतना डराते ह, िजतना आप
डरते ह। डर से बचने का सबसे अ छा उपाय ह डर को आप डराएँ। जब आप उसे डराएँगे, वह आपसे दूर भागने
लगेगा। इसक बाद कोई भी काम पूर जोश और खुशी क साथ कर सकते ह। इसक िलए आप ‘अिभमंथन गित’
का सहारा ल। ‘अिभमंथन गित’ क ारा नकारा मक िवचार को सकारा मक िवचार म बदलना होता ह।
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मान लीिजए, आपको कह भाषण देना ह। इसे लेकर आपक मन म तरह-तरह क नकारा मक िवचार आ रह ह
तो क पना म ोता को भाषण द। इस तरह से देख िक आप भाषण दे रह ह और ोता बड़ यान से आपक
बात को सुन रह ह। जब आप कोई नया त य उनक सामने रखते ह तो वे तािलयाँ बजाकर आपक बात का
समथन कर रह ह। आपक बात क समथन म लोग िसर भी िहला रह ह।
क पना म भाषण का कई बार रहसल कर। जब आप भाषण देने मंच पर जाएँ तो उस य को आँख से
ओझल न होने द। ऐसे म आप बड़ी आसानी से अपना भाषण पूरा कर दगे; य िक आप अपने म त क म
सकारा मक सोच रह होते ह। इसका प रणाम आपको सकारा मक ही िमलता ह।
ह।
िजतनी गमजोशी से सफलता को लेते ह, उतनी ही गमजोशी से असफलता को भी लेना चािहए। एिडसन ने ब ब
क आिव कार क व 2,000 से अिधक योग िकए। इसक बाद जाकर उ ह सफलता िमली। उ ह ने अपनी हर
असफलता का गमजोशी से वागत िकया। तभी तो वे अपने आिव कार म जुट रह। आिखर म जाकर उ ह सफलता
िमली।
‘ए सेस ॉम सेटबै स’ क लेिखका गायेन िलंडनफ ड का कहना ह िक जब भी हमारा कोई यास असफल
हो जाता ह तो हमारा उ साह टट जाता ह और काम क ित हमारी कोई िदलच पी नह रह जाती ह। ऐसे व पर
हम समझदारी से काम लेना चािहए।
कह से हम ेरणा न िमले तो हम खुद क िलए ेरणा- ोत बन जाना चािहए। अपनी असफलता को गमजोशी
क साथ लेना चािहए और अगली तैयारी शु कर देनी चािहए। इससे तनाव उ प नह होता ह। खुिशयाँं आपक
पास ही रहती ह।
परफ शिन ट बन
हर काम को यव थत ढग से करनेवाला परफ शिन ट कहलाता ह। ‘ टरस सवाइवल’ क लेिखका एिल स
ि टा का कहना ह, ‘परफ शिन ट य खुशिमजाज, भरोसेमंद और प र थितय से सामना करनेवाले होते ह।
वे किठन-से-किठन प र थितय म िवचिलत नह होते ह। उनम इतनी फित होती ह िक तनाव उनक पास भी नह
फटक पाता ह।’
िकसी बात क तह तक प च
िकसी बात क बार म पूरी जानकारी न होने पर उस िवषय म बात करने, उस िवषय पर बोलने म परशानी होती
ह। ऐसे म मन बेचैन और दुःखी हो जाता ह। पर कोई परशानीवाली बात नह ह। यिद िकसी िवषय म बात करना
या उस िवषय पर भाषण देना ह तो उस बार म जानकारी हािसल कर ल। तब आपको कोई परशानी नह होगी;
य िक िकसी बात क तह तक जानकारी हो जाने पर मन से डर दूर हो जाता ह। आजकल इटरनेट एक ऐसा साधन
ह, िजसक ारा आप दुिनया क िकसी भी चीज क बार म जानकारी हािसल कर सकते ह।
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मुकाबला कर
िकसी भी तरह का डर, सम या, परशानी का मुकाबला करना सीख। आप इनसे मुकाबला नह कर पाते ह, तब
आप अिधक दुःखी हो जाते ह।
इलाहाबाद क दूर-दराज क गाँव म रहनेवाले जीतू को मुंबई आना था। बचपन से गाँव म रहनेवाले जीतू को मुंबई
का नाम सुनकर पसीना आ रहा था। उसक घरवाले, यार-दो त और गाँववाले सभी उसे डरा रह थे।
सबका कहना था, वहाँ क भीड़-भाड़ म तुम कहाँ गुम हो जाओगे, तु हारा पता ही नह चलेगा। सबक बात
सुन-सुनकर जीतू काफ परशान हो गया था। आिखर म उसने िह मत से काम िलया। मन म आ मिव ास पैदा
करते ए सोचा, उसे मुंबई जाना ह। इसक िलए चाह जो हो जाए।
वह एक िदन मुंबई क िलए अपने गाँव से रवाना हो गया। मुंबई क भीड़-भाड़ देखकर एक बार तो उसक मन म
थोड़ा सा डर जागा; लेिकन उसने मुकाबला करने क सोच ली। िह मत को बनाए रखा। िपछले दस साल से वह
मुंबई म रह रहा ह। उसे कोई परशानी नह ई। िकसी भी बात से डरने क बजाय उससे मुकाबला कर। जब आप
उससे मुकाबला करने लगते ह, आपका दुःख और परशानी दूर होने लगती ह।
सहयोग ल
दुःख व परशानी क ण म अपने िम , प रजन तथा सािथय से सहयोग ले सकते ह। यह सहयोग डर क
भावना से उबरने म मह वपूण भूिमका िनभाता ह। आपक दो त, प रजन तथा सािथय ारा क गई हौसला-
अफजाई आपक दुःख व परशानी को मन से िनकाल देती ह।
दो त का सहयोग आप म आ मिव ास पैदा करता ह। खुश और उ सािहत रहने म मदद करता ह। जब कभी
कमी महसूस कर, िन संकोच अपने दो त , प रजन और सािथय से मदद माँग, उनका सहयोग ल।
आ मिव ास म चाम का रक श
आ मिव ास म जबरद त चाम का रक श होती ह। जरा सोिचए, िकसी क हाथ कट ह तो या वह दूसर
क जैसा काम कर सकता ह?
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झूठ वादे न कर
लोग से िकए गए झूठ वादे आपक खुिशय को छीन सकते ह। िकसी से झूठ न बोल, न ही झूठ वादे कर। भूल
हो जाने पर िकसी बात को छपाने क बजाय उसे साफ-साफ बता द। एक झूठ को छपाने क िलए सौ झूठ और
तैयार करने पड़ते ह।
िजस काम को आप पूरा कर सकते ह, उस काम क िलए वादा कर। बड़-बड़ वादे जो आप पूर नह कर सकते
ह, उसक च र म आप अपनी िजंदगी को तनाव तबना लगे। सभी काम छोड़कर आपको उस काम को पूरा
करने क िलए समय देना होगा, वरना आपक िजंदगी अ त- य त हो जाएगी।
अनेक लोग को देखा गया ह, वे झूठ वादे करने क आदी होते ह। इसक बाद अपनी िजंदगी को उसी च र म
उलझाकर रख देते ह। खुद परशान रहते ह, दूसर को भी परशान करते ह।
झूठ वादे करना एक गलत आदत ह। इस आदत से हमेशा बचने क कोिशश कर। झूठ वाद क च र म
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िमथक को तोड़
हर िकसी क जीवन म कई ऐसे िमथक होते ह, जो जीवन म खुशी और संतुि क राह म बाधा बन जाते ह।
उनम सबसे बड़ा िमथक ह, ‘म खुश नह रह सकता।’ यह िमथक जीवन से खुिशय को छीनकर उदासी का अंबार
लगा देता ह।
कई लोग दूसर को थोड़ा सा भी खुश देखकर खुद नाखुश हो जाते ह। भले ही उनक खुशी िदखावेवाली हो।
दूसर खुश ह तो इसम परशान न ह , खुद म खुशी तलाश। आपक अंदर भी अनेक कार क खुिशयाँ भरी ई ह।
उ ह सोचकर आप खुश हो जाएँ।
इस िमथक को तोड़ द िक ‘म खुश नह रह सकता।’ जब आप इसे अपने मन म सोच लगे, आपको सबकछ
अ छा लगने लगेगा। आपक अंदर उ साह क मा ा बढ़ जाएगी।
म ब त खुश
आ मिव ास का सबसे पहला िनयम ह—म सबकछ कर सकता । जब सबकछ कर सकता , तो खुश भी
रह सकता । खुशी कह बँटनेवाली चीज तो ह नह िक वहाँ जाकर उसे लाया जा सक।
खुश रहना ह तो खुद को खुश रहने क िलए सोचना होगा। अपने जीवन क श दकोश म खुश क इतने
पयायवाची भर द िक जीवन का श दकोश खुिशय से भरा हो।
जब आप बड़ जोश क साथ खुश रहने क बार म सोचते ह तो सीधा तनकर खड़ हो जाते ह। आपक चेहर पर
खुिशय क लाली छा जाती ह और आप बेहतर तरीक से खुश रहते ह।
कर सकते ह। समाज-सेवा का काम शु कर। इससे आपक मुलाकात काफ लोग से होगी। लोग से संपक का
दायरा बढ़गा।
दु िवचार को िनकाल
दु िवचार मन म आने पर मन िवचिलत होने लगता ह। इ ह ज दी-से-ज दी न िनकाला गया तो ये खुिशय पर
धावा बोल देते ह। आप हरान-परशान रहने लगते ह।
दु िवचार को िनकालकर भावना मक ितर ा णाली को मजबूत करने क िलए साइकोथेरिप ट मासला
बाकर ने क पना पर आधा रत एक ए सरसाइज सुझाई ह।
आराम से बैठ जाएँ...आँख बंद कर...गहरी साँस ल...अब अपने दु िवचार पर यान कि त कर...उ ह अपने
मन से िनकाल फक। एक-दो िमनट इसी तरह क पना म डबे रह। दु िवचार और अनुभव को िदमाग से िमटाने
क िलए िदन म तीन बार यह ि या कर। यह थेरपी दु िवचार को मन से दूर कर देगी। दु िवचार मन से िनकल
जाने पर आप हलका महसूस करगे। खुिशयाँ आपक पास आ जाएँगी।
पश
शारी रक व मानिसक तनाव क वजह से खुिशयाँ जब दूर हो जाती ह, तब पश या टिचंग चम कार िदखाता ह।
आप मािलश, पश, आिलंगन, र ले सोलॉजी तथा ए यू ेशर ारा यह चम कार कर सकते ह।
पश से शरीर म एंडोिफन नामक हारमोन का रसाव तेजी से होता ह, साथ ही शरीर म र -संचार भी तेजी से
होता ह। म त क व सार शरीर को शु र िमलने लगता ह, िजससे शरीर व मन म फित बढ़ जाती ह। पश
क ज रए दूसर श स को राहत िदला रहा श स भी सुकन का अहसास करता ह।
मूवमट
नाचना, दौड़ना, कदना, टहलना, तैरना तथा योग करना—यानी इस तरह क काम करना, िजससे शरीर को थोड़ी
सी मेहनत करनी पड़—यह िदल और िदमाग को सुकन देता ह।
मानिसक तनाव क दौरान म त क क नस और ायु म अकड़न आ जाती ह। ऐसे म हरकत करनेवाली
ि याएँ क जाएँ तो शरीर म एक कार क ऊजा पैदा होती ह, जो तनाव से मु िदलाकर खुिशयाँ लाती ह।
एरोिबक करने या नाचने जैसी ि या से शरीर म एंडोिफन का तर बढ़ जाता ह, जो िनराशा और दुःख को दूर
करता ह। ये ि याएँ िदन म एक-दो बार क जा सकती ह।
सन ि या
ास लेने क ि या िदल और िदमाग को काफ राहत प चाती ह। इसक ारा तनाव को ज दी दूर कर खुशी
पाई जा सकती ह।
धीमे-धीमे एक लय म फफड़ पर जोर िदए िबना लंबी और गहरी साँस लेना तनाव से छटकारा पाने क एक
अ छी तरक ब ह। इसे आप िनयिमत प से कभी भी कर सकते ह।
ओ शांित ओ
िकसी कार क िचंता आपको सुख को दूर कर दुःख से भर देती ह। िचंता को दूर करने का सबसे अ छा
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पानी
पानी क कल-कल या बहाव क आवाज िदल को सुकन देती ह। नदी व समु क िकनार घूम, तालाब, नदी,
वीिमंग पूल म नहाएँ, बा रश म भीग या बाथ म म शॉवर ल। यह सार शरीर म अजीब सी लहर पैदा कर देता ह।
इससे शरीर म र का संचार बढ़ जाता ह, जो िदल व िदमाग को काफ राहत देता ह। रात क व नाव म घूमना,
टीमर म सैर करना, नदी िकनार बैठना या झरने क शोर को सुनना भी काफ सुकन देता ह।
टाइम पास
यह बात गंभीर िक म क लोग को भले ही सही न लगे, पर िदल और िदमाग को राहत देने क िलए टाइम पास
करना एक अ छा उपाय ह। यह िदमाग को काफ राहत देता ह। यह तनाव को दूर कर जीवन म खुिशय को लाने
म खास भूिमका अदा करता ह।
ि टन क मनोवै ािनक ो. टोनी टीम ने टाइम पास करनेवाले लोग पर एक अ ययन िकया तो पाया िक जो लोग
बेिफ होकर टाइम पास करते ह, तनाव उनक िजंदगी म वेश नह कर पाता ह। वे अिधक खुश और उ सािहत
रहते ह। बेखयाली म हाथ म प थर उठाकर खेलना, घास उखाड़ना, कागज पर आड़ी-ितरछी रखाएँ ख चना,
गुनगुनाना, सीटी बजाना, उछलना आिद क ारा टाइम पास करना िदमाग को सुकन देता ह। ऐसा करते व लोग
अपनी परशािनय को भूल जाते ह और अंदर-ही-अंदर काफ उ सािहत होते ह।
अपना िलया। तब म अपनी िजंदगी से छटकारा पाना चाहता था। अपने एक दो त क सलाह पर म िमलर से िमला।
‘िमलर ने मेरी िजंदगी ही बदल दी। आज म पहले से अिधक खुश । समु क लहर ने मेर अंदर जीने क नई
उमंग जगा दी। म अब जीना चाहता । यह िजंदगी ब त यारी ह। इसे म अब खोना नह चाहता। म भरपूर जीना
चाहता , खुलकर जीना चाहता ।’
िमलर कहते ह, ‘समु जैसा िवशाल दयवाला इस दुिनया म कोई नह ह। आपक पास िजतना भी दुःख ह,
समु क पास लाकर उसका िवसजन कर द। बदले म उससे सुख ले जाएँ। ह न हरानीवाली बात! आप लहर का
संगीत रकॉड करक घर म बजाते ह, तब आपको घर म भी खुशी व आनंद क अनुभूित होती होगी। यह खुशी क
एक दवा ह, िजसका सेवन आप कान से करते ह।
बायोएनजिट स
हसना, ठहाक लगाना, िकलकारी मारना, िकसी मुलायम चीज पर मु मारना, झूमना तथा इसी तरह क दूसरी
गितिविधयाँ करने से मन म बैठी भावना मक एनज बाहर िनकल आती ह, िजससे िदल को सुकन िमलता ह। इस
ि या को बायोएनजिट स कहते ह। इन ि या को आप िकसी भी व कर सकते ह। ऐसे आजकल बड़ शहर
म कछ सं था ारा इन ि या को िसखाया जाता ह, िज ह सीखकर आप खुद को खुश रख सकते ह।
सुखद बात
िदल और िदमाग क सुकन क िलए वचन, सुख क बात, आ या मक बात तथा पे्ररक कथाएँ आिद सुनने से
मन को काफ शांित िमलती ह। इन बात को सुनते व उसक श द क गहराई तक उतरकर उन बात को जब
आप मन क गहराई तक ले जाते ह, तब मन को एक अजीब सी शांित िमलती ह।
कहा जाता ह, जब संयु प रवार आ करते थे, तब बड़-बुजुग प रवार क लोग को अनेक सुखद और यारी
बात सुनाते थे, जो िनजी अनुभव, िकसी घटना तथा देवी-देवता से जुड़ी कहािनयाँ आिद होती थ । उनक बात
को सुनकर प रवार क सभी लोग को शांित िमलती थी।
आज एकल प रवार म िकसी क पास समय न होने क वजह से ऐसी बात सुनने को नह िमलत , इसिलए
अिधकतर लोग तनाव म आ जाते ह। उनक खुिशयाँ बाहर और तनाव अंदर होता ह।
समय िनकालकर यिद अ छी बात को सुना जाए तो आप खुिशय को िफर से पा सकते ह। इसक िलए टी.वी.
पर आयोिजत धािमक बात सुन, अ छ व ा क सी.डी. लाकर उ ह सुन; भजन-क तन, वचन, अ या म क
बात आिद सुन, बड़-बुजुग से उनक जीवन क घटना क बार म सुन। इससे िदल व िदमाग को भरपूर शांित
िमलेगी और दूसर क य व को अ छी तरह से समझने तथा अ छी बातचीत करने क आदत भी बनेगी।
झपक का जादू
िजस तरह से न द लेने से म त क को सुकन िमलता ह, उसी तरह झपक लेने से तनाव से मु िमलती ह।
एथस यूिनविसटी म िकए गए एक अ ययन क अनुसार, िदन म कछ समय क िलए यिद झपक ले ली जाए तो
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पर वयं क ोल कर सकते ह। इससे आप अपने फसले लेने म स म हो जाते ह। जो करना चाहते ह, िबना िकसी
िझझक क कर सकते ह। इसे िकसी मनोिचिक सक क देखरख म सीखने क आव यकता होती ह। बाद म इस
तकनीक पर अमल करना ब त आसान हो जाता ह।
फोटो ािफक मेमोरी ि स
जब याददा त म कमी आ जाती ह, तब खुिशय म भी कमी आने लगती ह। उसक वजह ह। चीज भूल जाने से
िदमाग पर जोर देना पड़ता ह, िजससे तनाव बढ़ता ह और खुिशयाँ गायब हो जाती ह। इस बार म िवशेष का
कहना ह िक यिद आप खुिशय को अपने से दूर नह होने देना चाहते ह तो अपनी याददा त को बनाए रख।
अमे रका क मनोिचिक सक डॉ. डोवा मा स ने एक कार क फोटो ािफक मेमोरी ि स क बार म बताया, जो
याददा त को बनाए रखने म काफ मदद करता ह। इस ि क ारा आप अपनी याददा त को अ छा बनाए रख
सकते ह।
अकसर ऐसा होता ह, जब आप घर से बाहर िनकलते ह तो आपक प नी आपको दरवाजे तक छोड़ने आती ह।
उस व उसने कौन से रग क साड़ी पहन रखी ह? आपने उसे देखा था, पर आपको याद नह । इसक वजह थी
—आपने िसफ आँख से देखा था, िदमाग से नह ।
डॉ. डोवा का कहना ह, ‘िकसी भी चीज को याद रखने क िलए िसफ आँख से देखना ज री नह होता, उसे
िदमाग से भी देखने क आव यकता होती ह। िसफ देख नह , उसे महसूस भी कर, सुन, वाद ल, सुगंध ल। जब
आप इनका इ तेमाल करते ह, तब वे बात लंबे समय तक िदमाग म बनी रहती ह। इसे ‘फोटो ािफक मेमोरी
ि स’ कहा जाता ह।
आँख से देखने क साथ-साथ जब आप िदमाग से देखने लगगे, आपक मरण-श बढ़ने लगेगी। तनाव नह
बढ़गा और खुिशयाँ आपक पास रहगी।
िगनती िगनना
न द न आने पर, गु से म रहने पर तथा तनाव होने पर आँख बंद कर िगनती िगन या उलटी िगनती िगन। िगनती
िगनते ए लंबी साँस ल और धीमी साँस छोड़। एक-एक िगनती िगनने म अिधक-से-अिधक व ल। इस ि या से
आप अपना सारा तनाव भूल जाएँग।े आपका शरीर और िदमाग हलका महसूस करने लगेगा। आपको कब न द आ
जाएगी, पता ही नह चलेगा। इससे आपका गु सा और तनाव काफर हो जाएगा।
ताली बजाएँ
दोन हाथ से ताली बजाएँ। यह एक ाकितक तरीका ह, िजसे आप अपनी िदनचया म शािमल करक खुद को
खुश रख सकते ह। इसक बार म भारतीय लोग म काफ िव ास ह। भजन-क तन करते व या उसे सुनते व
वे अपने दोन हाथ से ताली बजाकर आनंिदत होते ह।
ताली िचिक सा एक पुरानी िचिक सा-प ित ह, िजसक ारा शरीर म नकारा मक ऊजा को दूर कर
सकारा मक ऊजा पैदा क जाती ह। हाल ही म जमनी म ैिपंग थेरपी पर वै ािनक ने शोध शु िकया, िजसम
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बताया गया ह िक दाएँ हाथ क उगिलय से बाएँ हाथ क हथेली पर मारकर ताली बजाई जाए तो म त क म तेजी
से र का संचार होने लगता ह। म त क म कई कार क ि याएँ शु होती ह, जो खुश रखने का काम करती
ह। यह ि या सुबह-शाम 15-15 िमनट करने से चाम का रक लाभ िदखाई देता ह।
ब े बन जाएँ
ब को िकसी कार का तनाव नह होता ह। िदल और िदमाग को सुकन िदलाना ह तो ब े बन जाएँ। उनक
जैसे मुँह म उगली डाल, हस, िखलिखलाएँ, घुटने क बल चल, पंज क बल उछल या तोतली भाषा म बात कर।
ब क कई सार ऐसे खेल ह, िज ह खेलकर मन को शांित दी जा सकती ह। गद को ऊपर उछाल, पकड़ और
िफर उछाल। गद को दीवार पर फक व पकड़। गद को दूर फक द और दौड़कर पकड़। फटबॉल को उगली पर
घुमाएँ, घड़ी पर संतुिलत कर।
अकले लुका-िछपी का खेल खेल, खुद छप जाएँ और खुद को ही ढढ़। का पिनक खेल खेल। ि कट खेल।
आपक पास ब ा, गद, िवकट, िखलाड़ी कछ नह ह। का पिनक ब ा और गद लेकर ि कट खेल, जैसे आप
मैदान म खेल रह ह । इस तरह क सि यता आप िकसी भी उ म रख सकते ह। इससे यह फायदा होता ह िक
आपक सारी िचंताएँ, दुःख और परशािनयाँ गायब हो जाती ह। आप वयं को पूरी तरह से तरोताजा महसूस करने
लगते ह।
मनपसंद खुशबू
खुशबू का संबंध हमार मन-म त क से ह, जो हम भरपूर खुशी देते ह। येल यूिनविसटी क शोधकता का
कहना ह िक मनपसंद खुशबू से शरीर को एक अजीब कार क ऊजा िमलती ह, जो सार तनाव को दूर कर मन
को शांित देती ह। लंबे समय तक िकए गए इस अ ययन म पता चला ह िक खुशबू म त क को खुश रहने का
संदेश देती ह। शोधकता कली का कहना ह िक मन यिद काफ तनाव, दुःख व परशानी म ह तो अपनी मनपसंद
खुशबू का इ तेमाल कर। यह आपको भरपूर सुकन देगी।
खुशबु से आनंद लेने क िलए कई कार क खुशबु को रखकर अपनी मनपसंद खुशबू क खोज कर।
इससे आपको आ यजनक लाभ िमलेगा। आप अपनी खुशबू को तलाश कर खुिशय से झूम उठगे। मनपसंद
खुशबूवाले साबुन से नहाएँ, पानी म अपनी पसंद क खुशबू डाल, नहाने क बाद मनपसंद िडयो लगाएँ। पाट म
जाते व मनपसंद पर यूम िछड़क, कमर म मनपसंद म शनर लगाएँ, मनपसंद अगरब ी जलाएँ। मनपसंद
खुशबू का इ तेमाल कर आप मन-मािफक खुशी पा सकते ह।
िशकागो क ‘ मेल एंड ट ट ीटमट एंड रसच फाउडशन’ क यूरोलॉिजक स डायर टर एलन िहश का कहना
ह िक खुशबू म त क को उ ेिजत कर मन म खुिशयाँ भर देती ह। खुशबू का इ तेमाल आप िकसी भी तरह से कर
सकते ह और खुिशयाँ पा सकते ह।
मस स रले सेशन
मांसपेिशय म तनाव व थकान होने पर मन खुश नह रहता ह। इसक िलए मसल रले सेशन करना चािहए।
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मसल रले सेशन करना काफ आसान ह। इसे कह भी िबना उपकरण क सहायता से िकया जा सकता ह।
इसक िलए बैठकर या लेटकर अपनी आँख को बंद कर ल और अपना यान पैर क मस स पर लगाएँ। पैर
क पेिशय को मजबूती से भ च ल। िफर 5 सेकड तक इसी पोजीशन म रहने द। धीर-धीर साँस छोड़ते ए इ ह
ढीला छोड़ द। इसी तरह से शरीर क दूसरी मांसपेिशय पर यान कि त करते ए इसी ि या को दोहराएँ। इससे
मांसपेिशय क थकान व तनाव दूर हो जाते ह। दरअसल, जब आप अपना यान शरीर क िकसी खास अंग पर
कि त करते ह, उस व आपका यान दूसरी सारी बात से हट जाता ह। इन दूसरी बात म मानिसक तनाव भी
शािमल ह। इससे धीर-धीर शरीर व म त क को आराम िमल जाता ह।
बायो फ डबैक
बायो फ डबैक म इले ॉिनक उपकरण क ज रए म त क क तरग , मांसपेिशय क तनाव, वचा क
संवेदनशीलता और तापमान, साँस लेने क दर और लड ेशर को मापा जाता ह। इससे फौरन पता चल जाता ह
िक आप पर तनाव और थकान िकस हद तक हावी ह या आप िकस हद तक रले ड ह और आपको रले ड
होने क िलए या करने क ज रत ह। इससे आपको लाइट, साउड आिद क ज रए शरीर को पूरा ‘फ डबैक’ िमल
जाता ह। यह तकनीक वै ािनक प ित पर आधा रत ह।
िवजुलाइजेशन
आरामदायक थित म बैठ या लेट जाएँ। आँख बंद कर लेटकर अपने आपसे कह, मेरा जीवन खुिशय से भरा
आ ह। मेर जीवन म भरपूर शांित ह। आज का िदन मेर िलए उ साहपूण और खुिशय से भरा ह।
ऐसा करने से संपूण शरीर म उ साह, उमंग और साहस भर जाता ह, िजससे िदल व िदमाग को शांित और ऊजा
िमलती ह। इसका इ तेमाल काफ तनाव क थित म होने पर भी कर सकते ह।
ऑरज अपील
ऑरज अपील एक तरह क तकनीक ह, िजसक ारा आप तनाव व िचंता को दूर कर खुिशय को पा सकते
ह। िह नोथेरपी क एडवाइजर डबोर माशल वॉरन ने इस तकनीक का ईजाद िकया था। वष पहले ईजाद क गई यह
तकनीक आज काफ लोकि य हो रही ह।
खुद को आरामदेहवाली अव था म लाएँ। कमर क छत पर एक का पिनक िच बनाकर उस पर टकटक
लगाएँ। धीर-धीर आँख बंद कर ल।
अब आप क पना कर िक आपका शरीर मानव शरीर क आकार का एक बड़ा सा जार ह, िजसम आप संतर
का रस भरने जा रह ह। धीर-धीर यह य आपक हाथ-पैर, कध , गले, िसर से होते ए सार शरीर म प च रहा ह।
जैसे-जैसे य भरता जा रहा ह, आप रले ड महसूस कर रह ह।
ऑरज िल ड जब आपक सार शरीर म प च जाता ह, तब इस िल ड क लाख छोट-छोट बुलबुले शरीर क
भीतर मौजूद नकारा मक िवचार , नई-पुरानी िचंता , संदेह , भय, मानिसक तनाव आिद क सफाई कर देते ह।
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यान
यान यानी मेिडटशन क ि या िदल और िदमाग को सुकन देने क िलए एक बेहतर ि या मानी जाती ह। आप
इसे कभी भी इ तेमाल म ला सकते ह। इसे करते व इस बात का यान रखना ज री ह िक इसे पूरी ईमानदारी से
कर। तभी आपको इसका लाभ िमलता ह।
यान करने क िलए आरामदायक मु ा म बैठ जाएँ। शरीर को ढीला छोड़ द और यान क अव था म जाने क
िलए तैयार हो जाएँ।
• कोई तसवीर, ॉस, जलती मोमब ी, जलता दीया, काश का गोला—जो भी आप चाह, उस पर यान
कि त कर।
• यान क मु ा म बैठने क बाद अपने िवचार को धीर-धीर म त क से बाहर िनकाल। व तु पर यान कि त
कर। कोई मनपसंद आवाज, मंिदर क घंटी क आवाज या पि य क चहक सुन।
• वयं आवाज न िनकाल। आवाज महसूस कर। ऐसा करने से मन म आनेवाले बुर िवचार पर रोक लगती ह।
• अपने आपसे बातचीत कर।
• िदल-िदमाग पर छानेवाली नकारा मक बात को दूर करने का यास कर।
• य त समय म भी रोज िसफ पाँच िमनट का समय देकर अपने अंदर क नकारा मक बात को िनकाला जा
सकता ह।
कलर थेरपी
‘ि एिटव िवजुअलाइजेशन िवद कलर’ क लेखक ंडा मेलोन का कहना ह िक तनाव क थित म कछ रग
को देखने से तनाव कम हो जाता ह। रग म नीला रग देखने से तनाव कम हो जाता ह। अ य रग म बगनी, जामुनी
आिद पे टल शे स तनाव से मु िदलाने म फायदेमंद होते ह।
टराकोटा (पकाई ई िम ी जैसा रग) रग भी शांित दान करता ह तथा शरीर को व थ रखने क ि या म
गित दान करता ह। जो लोग अकसर तनाव म रहते ह, उ ह अपने कमर म या जहाँ वे काम करते ह, वहाँ अपने
सामने नीले रग का बड़ा सा िच —जैसे समु या आकाश आिद का—लगाना चािहए। ऑरज कवर का िच भी
उनक िलए लाभदायक होता ह। इससे उनका मूड तरोताजा और फितवाला बना रहता ह।
मॉडन ट स
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आपक जीवन से खुिशयाँ पूरी तरह से दूर हो गई ह। तनाव, परशानी, उदासी, हताशा का जमाव हो गया ह तो
इसे ज दी ही दूर करने क आव यकता ह। यिद इसे शी दूर न िकया गया तो आप मानिसक रोग से पीि़डत हो
सकते ह। मनोिचिक सक क अनुसार आधुिनक िचिक सा म ऐसे अनेक उपाय ढढ़ िलये गए ह, िजनक ारा
तनाव पर शी काबू पाया जा सकता ह, खुिशयाँ िफर से हािसल क जा सकती ह।
िकसी सुकनवाली जगह, जैसे समु -तट, पहाड़, नदी, जंगल आिद जगह पर प चकर अिधक सुकन पा सकते ह।’
िह नोिसस क समय धीमी-धीमी साँस लेकर आप वयं को अिधक बेिफ महसूस कर सकते ह। िह नोिसस क
बार म कहा जा सकता ह िक इसका ज दी और गहरा असर होता ह। िह नोिसस करते व िजस व बि़ढया
सुकन िमलता ह, उस व आँख एकदम बोिझल हो जाती ह। आँख खोलने का िदल ही नह करता ह।
िह नोिट म इससे कछ अलग होता ह। इसम थेरिप ट स मोहन ारा य से खुिशयाँ दूर होने क कारण का
पता लगता ह और स मोहन िचिक सा ारा ही ‘सजेशन’ देकर उसक िचिक सा करता ह। कछक सेश स क बाद
यह सम या दूर हो जाती ह। तनाव, परशानी, उदासी दूर करने क िलए िह नोथेरपी एक अ छा उपाय ह। िबना
समय गँवाए इसे अपना सकते ह। दोन ही थेरपी दुःख को दूर करने और खुशी को वापस लाने क िलए अ छी
थेरपी ह। इसम से िह नोिसस अिधक अ छी मानी जाती ह। यिद आप वयं िह नोिसस नह हो पा रह ह तो इसे
सीखने क िलए िह नोथेरिप ट का सहारा िलया जा सकता ह।
मं का जाप कर
यिद आप हमेशा खुश रहना चाहते ह तो उसक िलए सबसे अ छा उपाय ह िक आप मं का जाप कर। मं
का जाप करने से मन म िव ास, ा, ेरणा क वृ होती ह। इससे मन को शांित िमलती ह।
मनोिचिक सक का कहना ह िक मन को शांत और खुश रखने क िलए मं क बड़ी भूिमका होती ह। पुरातन
काल म लोग खुश रहने क िलए इनका उपयोग करते थे।
यह मं कोई भी हो सकता ह, जैसे ओ , राम, सीताराम, हर क ण, हर राम, राधे याम, बोलो ह र-बोलो ह र
आिद। िहदू धम क अलावा अ य धम म भी ऐसे लघु मं ह, िजनका जाप कर मन को शांत िकया जा सकता ह।
धारा क साथ बह
धारा क िव कोई काय करने पर परशानी का सामना करना पड़ता ह, िजससे तनाव उ प होता ह और
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डायरी का सहारा ल
तनाव को दूर करने क िलए डायरी का सहारा ले सकते ह। ि टन क डॉ. िफिल स बन का कहना ह िक डायरी
म अपने मन क बात को िलख देने से सारा तनाव दूर हो जाता ह। जो िनयिमत प से डायरी िलखते ह, वे तनाव
क थित म न क बराबर रहते ह।
तनाव को दूर कर मन को शांत रखना ह तो आप भी डायरी िलखना शु कर द। रात को सोने क पहले डायरी
क प पर अपने िदल क बात को िलख द। ऐसा करने से मन का तनाव अ छी तरह से िनकल जाता ह और
भरपूर खुशी िमलती ह।
सहयोग ल
दुःख और परशानी क ण म अपने दो त , पड़ोिसय तथा र तेदार का सहयोग िलया जा सकता ह। इस बात
का यान रखने क ज रत ह िक जो आपक परशानी क समय आपको नैितक समथन देने क िलए तैयार न रह,
ऐसे लोग से अपने दुःख व परशानी क बात न कर; जो आपक हौसले को िगराने क कोिशश करते ह , वैसे लोग
से अपने मन क बात न कह। दो त ारा िह मत िमलने पर मन का दुःख-दद दूर हो जाता ह, िजससे मन म
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साइिकल थेरपी
खुिशय को अपने पास रखना चाहते ह तो साइिकल चलाएँ। साइिकल चलाने से म त क शांत होता ह, िड ेशन
दूर होता ह। जमनी म ए एक अ ययन क अनुसार, यिद आप िदन भर म एक घंटा साइिकल चलाते ह तो आपक
जीवन म 60 ितशत तनाव कम हो जाता ह। इसका अिधकतम लाभ पाने क िलए साइिकल को म यम गित से
चलाएँ। साइिकल चलाने से इ यून िस टम मजबूत होता ह।
अमे रक जनल ऑफ इिपडिमयोलॉजी क भारी ारा तुत एक रपोट क अनुसार, साइिकल चलाने से
ए सरसाइज क तरह लाभ िमलता ह। यिद आपक पास ए सरसाइज करने का समय नह ह तो आप आधा घंटा
साइिकल चलाकर इसक पूित कर सकते ह। इस बीच साइिकल क गित तेज न रख। तेज गित से साइिकल चलाने
से शरीर म थकान आ जाती ह। थकान आपक खुिशय को गायब कर देती ह। साइिकल हमेशा म यम गित और
सुरि त तरीक से ही चलाएँ।
ाथना कर
आप िकसी भी धम क ह, ाथना अव य कर। ाथना मन म शांित का संचार करती ह। कहा जाता ह, िनयिमत
प से क गई ाथना आपक मनोकामना को पूरा करती ह। उसक साथ ही मन को शांित दान करती ह।
ाथना से शारी रक व मानिसक प से एक कार क ऊजा िमलती ह, जो मन-म त क को शांत रखने क िलए
आगे बढ़ने म मदद करती ह।
‘हीिलंग व स द पावर ऑफ ेयर एंड ै टस ऑफ मेिडिसन’ क लेखक लैरी डोसा का कहना ह, ‘िदल से
ाथना करने पर अ छा महसूस करने म मदद िमलती ह। ई र को ाथना क मा यम से याद करने पर िदल को
सुकन िमलता ह।’
हावड यूिनविसटी क ो. हरबट बसन ने अपनी पु तक ‘टाइमलेस हीिलंग’ म िलखा ह, ‘ ाथना करने से तनाव
दूर होता ह, लड ेशर कम होता ह तथा मन को भरपूर शांित िमलती ह।’
ाथना करने से आपका यान अपनी सम या से हटकर ई र को याद करने म चला जाता ह, िजससे तनाव
क सम या दूर हो जाती ह। ाथना करने से आपक अंदर एक अहसास जागता ह िक मु कल क व आप
अकले नह ह। आपक साथ भी कोई ह। ाथना से िदल और िदमाग को आप सुकन दे सकते ह। इससे अिधक
कछ नह । कछ लोग ाथना को टबलेट-क सूल बना लेते ह। िसर दद, पेट दद, बुखार आिद को दूर करने क िलए
दवा क बजाय ाथना करना शु कर देते ह। इससे बीमारी दूर नह होती ह, उलट समय से इलाज न होने पर
सम याएँ बढ़ जाती ह। ाथना क भी बदनामी होती ह, सो अलग।
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भरपूर न द ल
न द से जागने क बाद शरीर म फित आ जाती ह। सोने क श बढ़ती ह। म त क को खुश रहने क ती
श िमलती ह। हावड यूिनविसटी क वै ािनक मै यू वॉकर का कहना ह िक न द क समय म त क क मर मत
का काम होता ह। यिद ठीक तरह से न द ली जाए तो म त क क मर मत अ छ से हो जाती ह।
जब हम न द म होते ह, उस व म त क म इले क स िति या होती रहती ह। उस व क शयम िदमाग
क कोिशका म वेश करता ह। क शयम यूरॉ स को आपस म जोड़ने और बेहतर कने शन थािपत करने का
काम करता ह। न द म से उठने क बाद म त क ती व श शाली और स महसूस करता ह। अ छी न द
आने क िलए सोने से पहले न टी.वी. देख, न ही ऑिफस का अधूरा काम कर; य िक इन सब काम से म त क
क निलय म उ ेजना भर जाती ह, िजससे न द आने म परशानी होती ह।
प रवतन को वीकार
थोड़ा सा भी प रवतन होने पर अनेक लोग तनाव म आ जाते ह, अपनी खुिशय क ितलांजिल दे देते ह। संसार
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बोर होने से बच
रोजमरा क िजंदगी म जब आप बोर होते ह तो आपक खुशी तनाव म बदल जाती ह। इस बात का पता लगाएँ
िक आप बोर य हो रह ह? देखा गया ह िक अनुशािसत जीवन जीनेवाले ज दी बोर हो जाते ह। जीवन म
अनुशासन ज री ह, पर उसे यिद आप कठोरता से लागू करते ह तो वह आपक िलए सजा क तरह हो जाता ह।
जीवन म अनुशासन और िनयिमतता बेकार क चीज नह ह; लेिकन जब इनका भाव जीवन म हद से यादा
बढ़ जाता ह, तब जीवन म एकरसता उ प कर देता ह।
इससे बचने क िलए कछ बदलाव लाएँ। कभी-कभी अनुशासन और िनयिमतता को तोड़कर भी कछ कर। आप
रोज पट पहनते ह। एक अ छी सी ज स खरीदकर लाएँ और उसे पहन। िफर देख, आपक बो रयत कसे दूर हो
जाती ह। हमेशा सी रयस रहने पर दो त क बीच एक-दो चुटकले सुनाकर उ ह च का द।
सही-गलत का िनणय
दूसर क ारा िकए जानेवाले काय क सही-गलत का िनणय वयं न कर। इससे आप तनाव म आ सकते ह।
दुिनया म जो भी हो रहा ह, वह आपक िच ाने से बदल नह जाएगा; ब क आप इसक िलए हरान-परशान रहगे।
जो चीज आपको अ छी लगती ह, वे शायद दूसर को अ छी न लगती ह । िकसी भी घटना को अपने म त क
म सही-गलत तौलने का िनणय लेकर खुद तनाव म न आएँ।
इस बात का यान रख, दूसर क काय क बार म सही-गलत िनणय लेने क बजाय वयं क काय क समी ा
कर। यह आपको अिधक आनंददायक बनाएगा, य िक अपने काय क समी ा कर आप खुद को बदल सकते
ह। अपनी गलितय को सुधारकर आप वयं को खुश रख सकते ह।
पशु-प ी पाल
खुिशय को बनाए रखने का एक अ छा तरीका ह—क ा पालना। यिद आप दुःखी ह, तनाव से जूझ रह ह तो
क ा पाल ल—आपक िजंदगी खुशनुमा हो जाएगी। िसडनी यूिनविसटी क मनोिचिक सक डॉ. िवं लेन का कहना
ह िक तनाव और अकलापन दूर करने का सबसे अ छा उपाय क ा पालना ह।
क ा पालकर आप अनायास दो उपहार पा जाते ह। पहला, कभी न ख म होनेवाला यार और दूसरा, सुबह क
सैर का अ छा बहाना। जमनी क डॉ. ले व क का कहना ह िक पशु-प ी पालना अ छी बात ह। इससे
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सकारा मक ऊजा बढ़ती ह। मन म खुिशय क वृ होती ह। लेिकन यान रिखए, पशु-प ी पालना किम ट क
दुकान से दवा लेने क बराबर नह ह। पशु-प ी क सही देखभाल क भी आव यकता होती ह। इनक सही
देखभाल नह होने पर तनाव बढ़ता ह। यिद आपक पास पशु-प ी क देखभाल करने का समय हो, तभी आप इ ह
पाल, वरना तनाव दूर होने क बजाय बढ़ जाएगा।
q
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व थ जीवन-शैली बनाएँ
‘‘ य को वही करना चािहए, जो वह चाहता ह। उसे सार िनणय खुद लेने चािहए, चाह वे सही ह या
गलत; य िक उसे खुशी इसी म िमलेगी।’’
—अर तू
‘‘धन-दौलत, रहन-सहन, सेहत क बजाय लोग अपने प रवार और दो त क बीच खुशी से लबरज रहते
ह।’’
— ो. लीफफोड
मानिसक वा य यानी खुशी का संबंध हमारी जीवन-शैली से ह। यिद हमारीजीवन-शैली अ यव थत, अ थर,
अ त- य त ह तो इसका सीधा भाव हमारी खुिशय पर पड़ता ह। देर रात तक जागना, शराब, धू पान, मादक
य का सेवन करना, लोग से न िमलना और र तो क मह व को न समझना आिद खराब जीवन-शैली क बात
ह। इनसे बचने क कोिशश करनी चािहए।
करसी से िचपक न रह
करसी से िचपका रहनेवाला य अपने वा य को न करता ही ह, साथ ही अपनी खुिशय को भी न
कर देता ह। अनेक लोग ऐसे ह, जो करसी से िचपक रहना पसंद करते ह। अपनी िदनचया करसी पर बैठकर शु
करते ह और रात को करसी से उठकर िब तर पर चले जाते ह। इससे उनक जीवन क खुिशयाँ तनाव म बदल
जाती ह।
िदन भर करसी पर बैठकर िबताने क बजाय अपने कदम को घर क बाहर िनकाल। सुबह क सैर पर िनकल,
जॉिगंग कर, थोड़ा तेज दौड़। इससे शरीर क जकड़न दूर होगी, र का संचार बढ़गा, शरीर को मानिसक ताजगी
िमलेगी। आप खुद को तरोताजा व खुशनुमा महसूस करगे।
यिद आप क यूटर पर लगातार टकटक लगाए काम करते रहते ह या कोई िलखने-पढ़ने का काम लगातार करते
रहते ह तो यह आपक वा य और म त क दोन क िलए नुकसानदायक होता ह। इससे पीठ, कमर, गरदन और
पूर शरीर म दद होता ह। आँख पर दबाव पड़ने से म त क पर जोर पड़ता ह। इससे थकान होती ह, खुिशयाँ दूर
होती ह।
काम क बीच थोड़ा सा समय आराम क िलए भी िनकाल। एक-दो घंट बाद करसी से उठकर इधर-उधर टहल।
इससे आप तरोताजा महसूस करगे। आँख को दोन हथेली से कछ देर क िलए बंद रख। इससे आँख क थकान
दूर होगी।
एक बार म एक ही काम कर
जब आप एक समय म कई काम करते ह तो तनाव से भर जाते ह। खुिशयाँ आपसे दूर चली जाती ह। एक बार
म एक काम करने से काम पर यान अिधक कि त रहता ह। बेहतर तरीक से काम पूरा करते ह। िमिशगन
यूिनविसटी क साइकोलॉजी क ोफसर डिवड ई. मेयर का कहना ह, ‘कई काम एक साथ करने से तनाव बढ़ता
ह, गलितयाँ अिधक होती ह, परशािनयाँ बढ़ती ह। कई काम एक साथ करने से िदमाग क कई िह स को एक साथ
सि य होना पड़ता ह। इससे िदमाग म गड़बड़ी पैदा हो जाती ह। म त क म लूकोज क कमी हो जाती ह।’
िजससे थकान, एका ता म कमी, िचड़िचड़ापन जैसी सम या उ प हो जाती ह। एक बार म एक ही काम करने
क कोिशश कर, िजससे म त क आराम से अपना काम पूरा कर सक।
कछ लोग यह सलाह देते ह िक लगातार एक काम करने क बजाय बीच-बीच म काम अदल-बदलकर करना
चािहए। इससे थकान महसूस नह होती। काम म भी मन लगा रहता ह। लेिकन यह बात सही नह ह। अमे रका क
यूिनविसटी ऑफ िमिशगन म िकए गए एक अ ययन म पता चला ह िक एक साथ कई काम करने से काय मता
या ोड टिवटी घटती ह।
अ ययन क मुतािबक, काम को अदल-बदलकर करने से एक क बाद दूसर काम पर यान कि त करना
मु कल होता ह। शोधकता डिवड मेयर का कहना ह िक एक साथ दो काम करने या एक क बाद दूसरा काम
करने से िदमाग क दो िह स पर अलग-अलग फक पड़ता ह, िजससे म त क को थर कर पाना मु कल होता
ह।
यह सब म त क क ‘ल वेज ोसेिसंग’ वाले िह से से संबंध रखता ह। इसिलए कहा जाता ह िक एक बार म
एक काम करना ठीक रहता ह। दो अलग-अलग या उससे अिधक अलग-अलग काम करने से गलितयाँ अिधक
होती ह। तनाव बढ़ता ह, खुिशय क ऊपर भाव पड़ता ह। इसिलए हमेशा एक बार म एक ही काम कर। उसे पूरा
करने क बाद दूसरा काम शु कर।
चीज यव थत रख
चीज को यव थत न रखना भी खुिशय क दूर होने का एक कारण ह। चीज यहाँ-वहाँ रख देने से उसे ढढ़ने म
व बरबाद होता ही ह, साथ ही तनाव भी बढ़ता ह। समय से वह चीज न िमलने पर उसका योग नह हो पाता
ह। वह बेमतलब क चीज हो जाती ह। चीज यव थत रखने पर िदमाग को राहत िमलती ह।
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इसका कोई वै ािनक िस ांत नह ह, पर चीज को ढढ़ने क तनाव से बच सकते ह। ‘ ीयर मोर ीयर िवद
फगशुई’ क लेखक िक सटोन कहती ह, ‘अपने बाहरी माहौल को सु यव थत रखने से आंत रक माहौल भी
सु यव थत रहता ह। इससे आप हमेशा खुश रहगे।’
अ यिधक यार से बच
जब कोई िकसी से अिधक यार करता ह तो वह तनाव क थित म आ जाता ह। अ यिधक यार से म त क व
ायु तं (नवस िस टम) भािवत होते ह। यह तं सभी अंग , जो आदेश का आदान- दान करते ह, इसक
वजह से अ य अंग भी भािवत होने लगते ह।
िजससे आप अ यिधक यार करते ह, वह आपक सामने से एक पल क िलए भी जब दूर हो जाता ह, तब आप
तनाव क थित म आ जाते ह। िदमाग म अनेक तरह क अशुभ बात आने लगती ह, जो आपक खुिशय को
िनगल लेती ह। ऐसे म दुःखी और परशान होकर आप गलत हरकत, जैसे बड़बड़ करना, िच ाना, चीखना आिद
करने लग जाते ह। न द आपसे दूर हो जाती ह।
िकसी से यार करना कोई बुरी बात नह ह। उसपर भावना मक प से िनभर हो जाना अ छी बात नह ह। इससे
बचने क कोिशश करनी चािहए। अ छी तरह जान ल, यार खुिशयाँ लाता ह, पर अ यिधक यार खुिशय को
गायब कर देता ह।
भावना मक प से जुड़
जब आप अपन से भावना मक प से जुड़ होते ह तो आपक िदल को अिधक सुकन िमलता ह। िकतने भी
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य त रहने क बाद भी उनक िलए कछ समय अव य िनकाल। अपने प रवार, र तेदार, करीबी दो त व पड़ोिसय
से िमल।
इससे आपको भावना मक ऊजा िमलेगी, जो खुिशय क तर को बढ़ाएगी। ऑ िलया क ािफक यूिनविसटी
क डॉ. रोबोटा क अनुसार, ‘जब हम िकसी से भावना मक प से जुड़ते ह तो और अिधक खुश होते ह। आप इस
तनाव म न रह िक सामनेवाला भी उतनी ही खुशी महसूस करता ह या नह । िसफ अपनी खुशी क तलाश कर।
जब आप कई बार उनसे िमलगे तो आपको वे खुद ही वीकार कर लगे। जीवन म सबकछ ऐसे ही चलता ह।’
दूसर से जुड़
प रवार क लोग, र तेदार, दो त आिद होने क बावजूद अनेक लोग खुद को अकला महसूस करते ह, िजसक
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वजह से वे िड ेशन म चले जाते ह। िमशीगन यूिनविसटी क मनोिव ान क ोफसर िविलय स रग का कहना ह,
‘आपक प रवार म िकतने सद य ह, दो त क सं या िकतनी ह या आप िकतने र तेदार से िमलते ह, िकतनी
सामािजक गितिविधय म िह सा लेते ह, यह मह वपूण नह ह। यिद आप उन लोग से िमलने क बाद अंतरगता
(घुलना-िमलना) महसूस नह करते ह तो आप अपने आपको स महसूस नह करगे।’
यिद खुिशय को महसूस करना चाहते ह तो प े पलटने क तरह दुःख और परशानी को पलट द। आप खुश
होकर आगे बढ़, उनसे िमल, उ ह खुश करने क कोिशश कर, उनसे अंतरगता से िमल। उनक खुिशय को अपने
अंदर झाँकने क कोिशश कर। अपनी खूिबय क साथ उनक खािमयाँ और बु मानी क साथ मूखता क बार म
उ ह बताएँ। दुिनया का ऐसा कोई र ता नह , जो मधुरता और आ मीयता से बदला न जा सक। खुिशय को महसूस
न िकया जा सक।
सीमाएँ तय कर
दूसर क मदद करना अ छी बात ह, पर एक िन त दायर म। कह ऐसा न हो िक उनक सम या को आप
अपनी सम याएँ बना ल। ाजील यूिनविसटी क मनोवै ािनक कािसम टटा का कहना ह िक ‘दूसर क सम याएँ
सुलझानेवाले अकसर परशािनय का िशकार हो जाते ह; य िक हर िकसी क सम या को सुलझाना असंभव नह
तो मु कल ज र होता ह। इ ह सम या म उलझकर लोग अपनी िनजी शांित को भंग कर लेते ह।’ टट कहते
ह, ‘हर र ते म यह देखना ज री ह िक आप या दे रह ह और उसक बदले म या पा रह ह। लेन-देन बराबर
होना चािहए, तभी र ते मजबूत होते ह, िचंताएँ दूर होती ह और खुिशयाँ बढ़ती ह।
माता-िपता क देखभाल कर
प मी देश क देखा-देखी भारत म भी लोग अपने माता-िपता को वृ ा म म भेजने लगे ह। माता-िपता को
वृ ा म भेजने क बाद आप खुद खुश नह रह सकते ह।
खुश रहना ह तो उ ह अपने पास रख, उनक सुख-दुःख को महसूस कर, उ ह भरपूर यार द। उनका आशीवाद
आपको अिधक खुश रखेगा। आपक ब को भी अ छी िश ा िमलेगी। इसक िलए प नी का सहयोग ल।
यिद आप अपने माता-िपता को अपने पास रखने क िलए तैयार नह ह, आप समझते ह िक इससे आपक
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ई र ह या नह
आप इस बहस म कभी न पड़ िक ई र ह या नह । ई र ह तो इसे स ाई से वीकार कर। स े मन से
ाथना कर। अपने दुःख-दद उ ह सुनाएँ। मन म हमेशा ई र को पास रख।
यिद नह ह तो इसक िलए अिधक परशान न ह । अपने आप पर िव ास रख। अपने आपसे बातचीत कर।
अपने दुःख-दद का वयं हल ढढ़। अपने िव ास को हमेशा पास रख।
इ ह छोड़ द
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लोग िसगरट, बीड़ी, ा, गुटखा, शराब, मादक य आिद का सेवन य करते ह? इ ह सेवन करनेवाल का
जवाब होगा—मूड को श करने क िलए।
लेिकन सच बात तो यह ह िक ये चीज मूड को श करने क बजाय मूड को िबगाड़ती ह। वा य को भी
खराब करती ह।
इ ह िजतनी ज दी छोड़ सक, छोड़ द। यिद आपने इ ह छोड़ने का िनणय ले िलया ह तो इसी व छोड़ द।
‘आिखरी कश’ या ‘आिखरी पैग’ करते-करते आप इसे छोड़ नह सकगे। यह हर बार आप पर हावी होते रहगे।
िह मत करक जब एक बार म इ ह छोड़ देते ह, तब जाकर आप इ ह छोड़ सकते ह।
इ ह छोड़ने क बाद आपक तन और मन म बड़ी तेजी से सुधार होने लगता ह। आप अपनी खुिशय को िफर से
पा सकते ह।
ज रत से यादा आशावादी न बन
तनाव से बचे रहने क िलए ज री ह िक आप न तो ज रत से यादा आशावादी बन और न ही ज रत से
यादा िनराशावादी। ब त यादा आशावािदय क साथ िद त यह होती ह िक वे डरना या सावधान रहना भूल
जाते ह और अकसर आँख मूँदकर दुःसाहस कर बैठते ह।
इसक ठीक िवपरीत, ब त िनराशावादी य घोर कायरता को गले से लगाए रहते ह और कभी नह समझते
िक जो िकनार बैठा रहता ह, वह कभी मोती नह पाता ह। मोती वही पाता ह, जो गहर पानी म डबक लगाने का
साहस करता॒ह।
जो आशावाद और िनराशावाद को बैलस करक चलते ह, वे हमेशा तनाव से दूर रहते ह।
कशमकश म िजंदगी
कशमकश म रहनेवाले लोग अिधक तनाव म रहते ह। यिद आपने अपनी मंिजल तय कर रखी ह, आपक जीवन
का उ े य िन त ह तो आप उसी िदशा म आगे बढ़गे और अपने रा ते से नह भटकगे। आप फौरन सही
फसला कर लगे।
जीवन का ल य सही न होने पर मन म भटकाव होता ह। भटकाव से तनाव होता ह। फसले क घड़ी म िहचक
होती ह। इन सबक बीच आप बुरी तरह से िपस जाते ह।
कशमकश म जीने क बजाय जीवन का कोई ल य तय कर। यह आपक जीवन म खुिशयाँ लाएगा।
तो अगले क मन म आपक िखलाफ गाँठ पड़ जाएगी। इस तरह वह आपको नापसंद करने लगेगा। इस तरह ऐसे
लोग क सं या बढ़ती जाएगी। यह आपक िलए नुकसानदायक होगा। बेबाक तो होना ही चािहए, नह तो आप हर
िकसी क सामने झुकते रहगे और किठत होकर अपने आप पर लानत भेजगे। दूसरी बात, आपको इस कला म
मािहर होना चािहए िक कड़वी-से-कड़वी बात भी मीठ ढग से कसे क जाए, तभी आप तनाव से दूर रहकर खुश
रह सकते ह।
समय का सदुपयोग कर
समय एक ऐसी चीज ह, जो हमेशा खच होती रहती ह। यिद आप इसे न भी खच करना चाह, िफर भी यह खच
होती रहती ह। इसीिलए कहा जाता ह, समय रत क तरह िफसलता रहता ह। यिद समय िबना खच िकए भी ख म
होता रहता ह तो इस बात का यान रखना ज री ह िक वह बेकार म न चला जाए। इसक हर पल को सही ढग से
इ तेमाल करना ज री ह। लोग समय को फालतू खच कर देते ह। जब पीछ मुड़कर देखते ह, उ ह पता चलता ह
िक िजंदगी का बड़ा िह सा चला गया। अब या कर? उसी व उनक खुिशयाँ भी िजंदगी से चली जाती ह।
‘कछ न कर पाने’ क कठा खुिशय को िनगल लेती ह। इससे बचने का एक ही उपाय ह—समय का सदुपयोग
करना सीख। उसे िकसी भी हालत म न न होने द।
समय यिद हाथ से िनकल गया तो तनाव पालकर बाक िजंदगी को न न कर। इसक िलए आगे क लािनंग
कर। मन लगाकर काम कर। इस बात क िलए दुःखी न ह िक अब उ िनकल गई ह और कछ नह िकया जा
सकता। अिधक उ म भी अनेक लोग ने अपना काम शु कर बड़ी सफलता पाई ह। आप भी ऐसा कर सकते
ह। अपनी खुिशय को दुबारा पा सकते ह।
कछ न कर पाने क िचंता
आज तक आप कछ नह कर पाए तो िचंता मत कर। अतीत क सारी भूल और बेवकिफय को मन से
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िनकालकर एक बार िफर से नए िसर से तैयारी कर। इस बार सफल होने क ठान ल।
महा -से-महा य भी भूल और बेवकिफयाँ करते ह। इस च र म वे अपनी महानता नह खोते। अतीत
क भूल और बेवकिफय से ब त कछ सीखने व समझने को िमलता ह, िजसक ारा आप अपने वतमान और
भिव य का सुंदरता से िनमाण कर सकते ह।
अतीत क बात को भूलना ही तनाव को ख म कर खुिशय म जीना होता ह। हर कोई ऐसा कर सकता ह। देर न
कर, आपक खुिशयाँ आपका इतजार कर रही ह।
सहनशील और लचीले बन
यिद आप अपने पुराने ढर क साथ िचपक ह तो दुिनया आपको पीछ छोड़कर आगे िनकल जाएगी। िज ी
य कभी भी दूसर से अिधक खुश नह रहते ह। खुिशय और सफलता को पाना ह तो सहनशील और लचीले
बन। इसक ारा आप दूसर को ब त कछ दे सकते ह और दूसर से ब त कछ पा सकते ह।
सहनशील और लचीलापन आपक लोकि यता एवं सामािजकता को बढ़ाता ह। इससे कटकर आप अकले या
अलग-थलग हो जाते ह और तनाव का िशकार हो जाते ह, जो आपक खुिशय को मिटयामेट कर देता ह।
टी.वी. से दूर रह
टी.वी. मनोरजन का एक अ छा साधन भले ही हो, पर इसने अनेक लोग क िजंदगी से खुिशयाँ छीन ली ह।
लगातार टी.वी. देखने से जहाँ सेहत को नुकसान होता ह, वह इसक ो ाम सामािजक व नैितक सम या पैदा कर
रह ह, जो लोग क खुिशय को दुःख म बदल रह ह।
अिधक देर तक टी.वी. देखने से िदल, िदमाग और आँख पर बुरा भाव पड़ता ह; म त क क ि याशीलता
कम होती ह। टी.वी. पर आनेवाले काय म से डर, घबराहट, उदासी, वैमन यता, अंधिव ास व िहसा भी बढ़ती
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ह।
जमनी म लंबे समय तक िकए गए एक अ ययन म पता चला ह िक रोजाना तीन-चार घंट तक टी.वी. देखनेवाले
प रवार क लोग आपस म ही सही तरीक से बात नह कर पाते ह। उठते-बैठते आपस म ही ताने मारते ह। लगातार
बैठ रहने क वजह से थक ए होते ह। उनका काम भी सही तरीक से और सही समय पर नह होता ह।
शोध करनेवाले डॉ. लडर लेवे क का कहना ह, ‘टी.वी. से दूर रहकर आप अपना क मती समय बचा सकते
ह, अपने वा य क र ा कर सकते ह। अपने संबंध को बनाकर रख सकते ह। ब को समय देकर भिव य म
उ ह अ छी थित म प चा सकते ह। िदन भर म एकाध ो ाम देख लेने से कछ परशानी नह होती; पर इस बात
का यान रख िक एक-दो काय म देखने क बाद मन म और काय म देखने का लालच बढ़ता जाता ह।’
दुिनया क सबसे अमीर य िबल गे स का कहना ह, ‘टी.वी. समय न करने का सबसे अ छा यं ह, जो
वा य क साथ-साथ खुिशय को भी िनगल जाता ह। म इस िड बे से हमेशा दूर रहता ।’
भय से भयभीत न ह
िकसी भी तरह का भय िजंदगी से खुिशय को गायब कर देता ह। यह भय िकसी भी कार का हो सकता ह—
समय न होने का भय, काम न कर पाने का भय, िकसी से िमलने का भय, इटर यू का भय जैसे अनेक भय, जो
रोजाना िजंदगी म आते ही रहते ह। कछ लोग इ ह सामा य प से लेते ह। कछ इसे काफ भय से लेते ह। जो भय
से लेते ह, उनक िजंदगी से खुिशयाँ गायब हो जाती ह।
भय क थित म शरीर म ए.सी.टी.एच. (ACTH) नामक हारमोन का ाव होता ह, िजससे अिधक मा ा म
ए ीनल हारमोन का रसाव होता ह, िजससे लड ेशर व दय क गित बढ़ जाती ह तथा म त क म हलचल
शु हो जाती॒ह।
भय को आ मिव ास ारा दूर कर खुिशय को पा सकते ह। आप यह सोच िक इस दुिनया म कोई भी चीज
भय उ प करनेवाली नह ह। आप वह सबकछ कर सकते ह, जो दूसर कर सकते ह। जब आप ऐसा सोचने
लगगे तो भय आपसे दूर हो जाएगा। खुिशयाँ आपक पास रहगी।
अकले न रह
यिद आप अपना अिधकतर समय अकले म िबताते ह तो इस आदत से बाहर िनकल। यह आदत आपक
खुिशय को आपसे कब छीन लेगी, आपको पता ही नह चलेगा।
इससे िनकलकर आप जब अपने लोग म उठने-बैठने लगते ह तो आपका म त क िफर से स ता महसूस
करने लगता ह। आप हताशा व िनराशा से छटकारा पा जाते ह। आप म एक बार िफर से आ मिव ास एवं
िववेकशीलता आ जाती ह।
तनहाई म रहनेवाले लोग मानिसक रोग का िशकार हो जाते ह। वे आगे चलकर बुरी हरकत करने लगते ह। इनसे
बचने का एक मा उपाय ह—लोग से िमल, उनक बीच बैठ।
घूमने जाएँ
एक जगह पर रहते-रहते, एक ही टीन म काम करते-करते बो रयत होने लगती ह। ऐसे म खुशी धीमे-धीमे
ख म होने लगती ह और उदासी छा जाती ह। यिद आप एक थान पर रहते-रहते बोर हो गए ह तो कह घूमने क
िलए जाएँ। अपने गाँव चले जाएँ, दूसर शहर म रहनेवाले दो त क पास जाएँ, िकसी िहल टशन पर जाएँ तथा
िकसी ऐसे शहर म जाएँ, जहाँ आप जाना पसंद करते ह। पुरानी ऐसी जगह पर भी जा सकते ह, जहाँ जाने से
आपको सुकन िमलता हो।
मनोिचिक सक डॉ. सुिचता बाली का कहना ह, ‘एक जगह पर रहते-रहते लोग को बो रयत होने लगती ह। एक
जगह पर काम करते-करते भी बो रयत लगने लगती ह। ऐसे म मूड श करने क िलए घूमने-िफरने का ो ाम
बनाना चािहए। जब आप नई जगह पर जाते ह तो मन म खुिशय क लहर उछाल मारने लगती ह, रोम-रोम
पुलिकत होने लगता ह। आपक बो रयत दूर हो जाती ह।’
दूसर शहर म रहनेवाले दो त या र तेदार आिद क घर पर जाकर कछ िदन िबता सकते ह। इससे दोन का ही
मनोरजन हो जाएगा। उन दो त क पास जाने से पहले उनसे यह ज र मालूम कर ल िक उनक वहाँ आने से कोई
परशानी तो नह हो रही ह। िबना पूछ आपक जाने से कह ऐसा न हो िक उ ह परशानी हो जाए और आप भी तनाव
म आ जाएँ।
इस बात का भी यान रख िक सकारा मक सोचवाले दो त क पास ही जाएँ। कह ऐसा न हो िक आप वहाँ जाएँ
और वह अपनी िजंदगी का दुखड़ा लेकर बैठ जाए। उसक सम या को सुनकर उसे सुलझाने म ही आपक खुिशय
का गला घुट जाए।
बन यूिनविसटी क मनोवै ािनक शांितलाल बोरचा का कहना ह, ‘जो लोग अपनी मनपसंद चीज , आदत और
अ छी बात को भूल जाते ह, उनक खुिशय का ाफ नीचे आ जाता ह। उनक िजंदगी क खुिशय का 40-50
ितशत िह सा कम हो जाता ह।’
िफ म देखना, घूमना-िफरना, जंगल क सैर करना, शतरज खेलना, घुड़सवारी करना, मोटर चलाना जैसी बात
यिद आपको अ छी लगती ह तो इ ह छोड़ना नह चािहए। समय-समय पर इन शौक को पूरा करना चािहए। इससे
जीवन म खुिशय का तर बढ़ जाता ह। मन को अ छी लगनेवाली बात हमेशा याद रखनी चािहए। जहाँ आप इसे
भूल गए, समझ, आप दुःख क कएँ म जा रह ह।
आदत का सबसे बड़ा भाव हमारी खुिशय पर पड़ता ह। गलत आदत जहाँ दुःख और परशािनयाँ देती ह, वह
अ छी आदत खुिशयाँ-ही-खुिशयाँ देती ह। देर रात तक सोना, सुबह देर से उठना, काम पर समय से न जाना, ठीक
तरह से खाना न खाना, यायाम न करना, दूसर को भला-बुरा कहना, ईमानदार न होना, प रवार को मह व न देना,
हर िकसी को बुरा कहना, संवेदन-शू य होना, अपने काम पर यान न देना, चादर से अिधक पाँव फलाना जैसी
आदत जीवन से खुिशय को छीन कर दुःख और परशािनय से भर देती ह।
बुरी आदत को छोड़कर यिद आप अ छी आदत को अपनाते ह तो इससे आपक य व क िवकास क साथ
आपक खुिशयाँ भी बढ़ती ह। इनसान अ छी आदत क िलए ही समाज म पहचाना जाता ह। अपनी आदत को
बदलकर, मतलब बुरी आदत को भूलकर अपनी िजंदगी म खुिशय क बहार लाई जा सकती ह।
िदन क सही शु आत
कछ लोग िदन क शु आत झगड़ या ‘तू-तू, म-म’ से करते ह। ऐसी शु आत आपको िदन भर क िलए
तनाव त बना देती ह। तू-तू, म-म से ई शु आत से आप न अ छा खा सकते ह और न अ छा सोच सकते ह।
सुबह क शु आत बड़ ही शांितपूण तरीक से होनी चािहए, िजससे िदन भर क िलए एक नई ताजगी िमले। सुबह
उठकर यायाम कर। अ छ से ान कर। भगवा से ाथना कर। वा यवधक व पौि क ना ता ल। सुबह का
ना ता भरपूर होना चािहए, िजससे िदन भर शरीर को ऊजा िमलती रह। ग र वसा-यु खाना खाने से िदमाग का
सारा खून पाचन-ि या म जुट जाता ह, िजससे सु ती छाने लगती ह।
हलक , वा यवधक, पौि क खा साम ी, जैसे—फल व सलाद आिद का सेवन कर, जो शरीर को अिधक
ऊजावा बनाए रखने म सहायक होते ह। जब आप सुबह से ही ऊजावा बने रहगे तो आपको िदन भर म हर काम
को करने म खुशी िमलेगी।
िबजी शे यूल
पैसे कमाने क च र म लोग खुद को न बू क तरह िनचोड़ रह ह। इससे उ ह तनाव, लड ेशर, िड ेशन,
थकान, िचड़िचड़ापन जैसी सम याएँ हो जाती॒ह।
इससे बचने क िलए थोड़ा बे्रक ल। ेक लेने से शारी रक व मानिसक थकान दूर होती ह। इस दौरान आप
गहरी साँस ल, मस स को टरच कर। रले सेशन दान करनेवाली हलक -फलक ए सरसाइज कर। मधुर संगीत
सुन। टी.वी. देख। पु तक पढ़। हसी-मजाक कर।
अपनी भी भलाई हो जाती ह, यानी जीवन म तनाव दूर होता ह और खुिशय क बहार आती ह।
अ छ बन
बुर लोग कभी भी खुश नह रह सकते; य िक बुरी बात, बुरी आदत तथा बुर कम तनाव क अलावा कछ नह
देते ह। तनाव कभी खुशी नह दे सकता ह।
शांत, सुशील, सदाचारी, नेक, मददगार, ईमानदार तथा गुणवान य काफ खुश रहते ह। ओिहया यूिनविसटी
क मनोिव ान िवभाग क डॉ. एिलस जैक का कहना ह, ‘जो लोग अंदर से अ छ होते ह, वे वाकई खुश रहते ह।
शांत और सुशील लोग क जीवन म दुःख, परशानी, हताशा नह आ सकती ह। ऐसे लोग भगवा क करीब होते
ह। कोई भी दद, परशानी और हताशा उ ह िवचिलत नह करती ह।’
वतमान म िजएँ
जो लोग अतीत को पकड़ रहते ह और भिव य म छलाँग लगाते ह, उनक अपे ा वतमान म जीनेवाले लोग
अिधक सफल और खुश होते ह। खुशी म जीना ह तो वतमान म जीना सीखो।
जो बीत गई, सो बीत गई—उसे िबसार द। अतीत को पकड़कर रखने पर तनाव और दुःख क अलावा कछ नह
िमलता ह। अतीत क उ ह बात को यान म रख, जहाँ आपसे गलितयाँ ई ह। उन गलितय को इसिलए याद
रख, तािक आप दुबारा उन गलितय को न दोहराएँ। इसक अलावा, सारी बात को अपने िदमाग से िनकाल द।
आपक िजंदगी बड़ी सुकनवाली बन जाएगी।
जो लोग वतमान को भूलकर भिव य क बार म अिधक सोचते ह, वे लंबी छलाँग लगाने म लगे रहते ह। उनका
जीवन भी तनाव त हो जाता ह। वतमान म रहकर भिव य क तैयारी कर। वतमान म रहकर भिव य क तैयारी
लाभकारी होती ह। वतमान को भूलकर भिव य क तैयारी करना िकसी का पिनक दुिनया म िवचरण करने क
बराबर ह।
भिव य क जो भी योजनाएँ बनाएँ, वे वतमान म कर रह काय को यान म रखकर बनाएँ, तभी आप खुश रह
सकते ह। वरना भिव य क योजना बनाते-बनाते वतमान को िबगाड़कर दुःख और परशािनय क साथ आपको
गुजारा करना पड़गा।
• आज को साथक बनाएँ।
• भिव य क िचंता म वतमान से पलायन न कर।
• बीती बात को सोचकर वतमान को कट न बनाएँ।
• आज क प रिध म रहकर सोच।
• ‘कल काय शु क गा’—ऐसा न सोच। आज, अभी, इसी व काय क योजना बनाएँ
और काय शु कर।
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जीवन को यव थत कर
जीवन यिद यव थत नह ह तो खुिशयाँ आपक पास नह रह सकत । जीवन को यव थत कर। अ त- य त
लोग तनाव, हड़बड़ी व परशानी म रहते ह। उनक जीवन म खुिशयाँ नाम क चीज नह होती। वे अपना सारा समय
खुद को सुलझाने म लगा देते ह।
अ त- य त काम क वजह से तनाव म िघर रहते ह, िजसक वजह से खुिशयाँ उनक पास नह रहत ।
यव थत लोग िकसी तरह भी परशानी म नह होते। उनका जीवन सुचा प से चलता ह। हर पल उनका खुिशय
से सामना होता ह और वे आनंद से सराबोर रहते ह।
प रवार को मह व द
खुश रहना ह तो अपने प रवार को मह व देना ज री ह। प रवार से दूर रहकर, उ ह समय न देकर, उ ह यार न
करक आप कभी खुश नह रह सकते ह। खुश रहने का एक मह वपूण िनयम ह िक अपने प रवार को मह व द।
अपने प रवार को जब आप मह व देते ह, तब प रवारवाले भी खुश रहते ह, वरना उनक थित भी बुरी होती ह।
समय न देने पर वे दुःखी और परशान रहते ह। उनका जीवन भी नारक य बन जाता ह। अपने प रवार को मह व
देकर खुद भी खुश रह, उ ह भी खुश रख।
अथा मेर कहने का मतलब ह िक आप दूसर क बात म आकर अपने पए और खुशी को जाने मत द।
िकसी भी य ारा कही गई बात को अ छ से समझ व जान ल; य िक लोग को मूख बनाकर ठगनेवाले
कह भी िमल सकते ह।
अपनी खुिशय को बचाए रखना चाहते ह तो लोग क बात म न आएँ। उनक बात को एक कान से सुन और
दूसर से िनकाल द।
रमोट न बन
दूसर क बात पर चलने या उनक इशार पर काम करने का मतलब ह, रमोट बन जाना। यिद आप रमोट बन
गए तो समझ ल, आप कभी खुश नह रह सकते ह। वे लोग, जो दूसर क कहने पर रहते ह, वे उनक इशार पर
हमेशा नाचते रहते ह। उनक खुिशय क नकल दूसर क हाथ म होती ह। जब खुिशय क नकल दूसर क हाथ म
होगी तो वाभािवक ह िक य अपनी खुशी को एं ॉय नह कर सकता ह।
खुश रहकर जीना ह तो रमोट न बन। अपने दम पर िजएँ, अपनी खुिशय क िलए िजएँ।
ई या न कर
िकसी से ई या करने का मतलब ह—अपनी खुिशय को खाक करना। िजस तरह िचंता िचता क समान होती ह,
उसी तरह ई या खुिशय को भ म करती ह। यिद आप िकसी से ई या करते ह, इसका मतलब आप अंदर-ही-अंदर
जलते ह। यह जलन आपको एक िदन ख म कर देगी।
ई या से हर संभव तरीक से बचने क कोिशश कर। िकसी से ई या करना अ छी आदत नह ह। अपने काम से
काम रख। अपने काम म िच रख। कौन या कर रहा ह, िकतनी तर कर रहा ह, कसे तर कर रहा ह—
इन सब बात क च र म रहकर अपनी खुिशय को खाक न कर।
ई या क आग म जलनेवाला य खुिशय को ही नह जलाता ह, ब क िजंदगी भर ई या क आग म वयं
जलता रहता ह।
सपने देख
ऐसा कहा जाता ह िक हक कत क दुिनया म जीना चािहए, सपन क दुिनया म नह । सपने आपक खुिशय को
छीन सकते ह। म कहना चा गा, हर िकसी को सपने देखने चािहए, तािक उसे पूरा करने क िलए आपक अंदर
एक उ साह, एक लगन बनी रह। जो लोग अिधक िनराश ह, खुिशयाँ उनक जीवन से कोस दूर चली गई ह—उ ह
सपने देखने चािहए। सपने आपक अंदर आ मिव ास भी पैदा करते ह। अपने सपन को पूरा करने क कोिशश
कर। उसी पर डट रह। सपने देखना एक व थ आदत ह।
ित पधा नह , ितयोिगता कर
यिद आप िकसी से ित पधा करते ह तो आपक अंदर तनाव बढ़गा। आपक खुिशयाँ आपसे दूर ह गी। इसक
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िवपरीत, िकसी ितयोिगता म शािमल होने पर आपका आ मिव ास बढ़गा, खुशी का संचार होगा।
देखा गया ह िक ित पधा से मन म ेष पैदा होता ह, जो तनाव पैदा करता ह। य को िकसी भी ित पधा
से बचना चािहए। आप ित पधा क बजाय ितयोिगता कर। यह आपको आगे बढ़ने म मदद करगा। इससे आपक
अंदर आ मिव ास बढ़गा तथा मन म खुिशय क वृ होगी।
संवेदनहीन न बन
दुिनया म संवेदनहीन लोग सबसे अिधक नाखुश रहते ह। िहटलर क बार म सब लोग जानते ह िक वह
संवेदनहीन य था। िकसी क ित उसक िदल म कोई संवेदना नह थी। वह तो लोग को ताि़डत करने म लगा
रहता था, िजसक वजह से वह हमेशा तनाव क थित म रहता था। अपने बुर वभाव क वजह से उसक सैकड़
दु मन हो गए थे। िहटलर अपने जीवनकाल म कभी खुश नह रहा। संवेदनहीन य कभी भी खुश नह रहता,
इसिलए कभी संवेदनहीन न बन।
आराम को याग द
आ य क बात यह ह िक अिधक आराम करनेवाले य अिधक नाखुश रहते ह। िचंता, तनाव और
परशािनयाँ उ ह घेर रहती ह।
खुश रहना ह तो िब तर पर पड़ रहना, बेवजह लेट रहना, हमेशा आराम करना जैसी आदत छोड़ द। ये आदत
खुिशय को ख म करक तनाव बढ़ाने का काम करती ह। आराम करने क बजाय अपने काम करते रह। काम खुशी
देता ह। काय म िमली सफलता अिधक खुशी देती ह।
शोध ारा यह बात सामने आई ह िक जो लोग अपने फसले पर अिडग रहते ह, वे अिधक खुश रहते ह। जो
अपने फसले को बदलते रहते ह, वे परशान रहते ह। इसिलए अपने ल य को न बदल। यह आप म तनाव पैदा
करगा, िजससे आप नाखुश रहगे।
तरल बन
यिद आप िकसी भी मामले म स त ह तो आपक खुिशयाँ उड़कर आपक पास से जा सकती ह; य िक आपका
स त होना आपक परशािनय को बढ़ा सकता ह।
जीवन एक नदी क समान ह, जो उ ित, नवीनता, रोचकता का सफर तय कर आगे बढ़ती रहती ह। इसक िलए
तरल बनना ज री ह, नह तो आपका जीवन प थर क समान वह -का-वह क जाएगा। इससे दुःख बढ़गा,
खुिशयाँ आपक पास से गायब होने लगगी।
अपने य व को इस कार संयोिजत कर िक समय क गित क साथ तालमेल बैठाकर आगे बढ़ सक। बात
बस इतनी ह िक य व को इतना तरल बनाएँ िक आप पूव ह , ि़ढय , उदािसय , हताशा , िनराशा आिद
बाधा को दूर कर सकारा मक सोच क साथ जीवन क सफलता क ओर आगे बढ़ सक, खुश रह सक।
िहचक को िनकाल द
आपक मन म िहचक ह तो आप खुश नह रह सकते, य िक आपका यान िहचिकचाहट को दूर करने म लग
जाएगा। िकसी भी बात क िहचक आगे बढ़ने से रोकती ह। यह आगे बढ़ने क बजाय पीछ हटने क िलए मजबूर
करती ह। पीछ हटने क थित म आपको आगे बढ़ने म परशानी होगी।
आ मिव ास क साथ आगे बढ़,ं लोग से खुलकर बात कर। िकसी भी बात पर न िहचिकचाएँ। जीवन क
छोटी-छोटी घटनाएँ हल कर जो खुशी होती ह, वह दूसर िकसी काम म नह होती।
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पैसा कमाना ही उ े य
अनेक लोग का उ े य िसफ पैसा कमाना ही रह गया ह। इसिलए वे अपने वा य का खयाल नह रख पाते
ह। प रणाम, समय से पूव बुढ़ापा एवं रोग क िशकार हो जाते ह। खुिशयाँ उनक िजंदगी से काफ दूर हो जाती ह।
नाम कमाने, कम समय म अिधक-से-अिधक पैसा कमाने और भावशाली बनने क धुन म 30 से 40 क उ क
पेशेवर लोग समय से पहले ही बुजुग िदखने लगते ह। ब रा ीय कपिनय , तथा बी.पी.ओ. से टर म काम
करनेवाले लोग, जो हमेशा ‘काम, काम’ क च र म रहते ह, काम क अ यिधक दबाव क चलते युवा उ म ही
उ दराज हो जाते ह।
16 से 20 घंट काम करक अपनी जवानी को बुढ़ापे म न झ क। काम तो कर, पर दबाव म काम न कर। पैसा
िजंदगी क िलए ज री ह, पर इसक िलए वा य व खुिशय को दाँव पर न लगाएँ। अपने जीवन और काम-काज
म तारत य बैठाएँ। खुिशय को अपने पास रख और व थ रह।
रवैया बदिलए
सम या से मुँह मोड़ने क आदत मत डािलए। यह देिखए िक आपक जीवन म या- या सकारा मक ह, य िक
यह आपक जीवन म उ मीद क िकरण जगाएगा। वैसे भी, सकारा मक सोच आपको आ मिव ास से भरती ह; पर
इसक िलए आपको हमेशा यह सोचना होगा िक आप अ छा ही सोचते ह।
िच जगाइए
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पसंदीदा बात म िच जगाइए। संगीत सुिनए, िकताब पि़ढए, बागबानी क िजए, खाना पकाइए। उन काम म
खुिशयाँ तलािशए, जो काम आपने ब त समय से नह िकए ह; जैसे—प रवार क साथ िफ म देिखए, लंच या
िडनर करने जाइए, िकसी िवषय पर बातचीत क िजए। पुरानी तसवीर इक ी क िजए और उ ह मवार एलबम म
लगाइए।
जीवन का उ े य या ह
अगर आप खुश रहना चाहते ह तो यह मह वपूण ह िक आपक िजंदगी क मायने प ह । यह जानने क िलए
िक आपक िलए या साथक ह, इन बात क जवाब तलािशए—ऐसे कौन से काम ह, जो आपको उ सािहत करते
ह। म िकसक िलए जाना जाऊगा? मेर िलए या मह वपूण ह? अगर आप अपनी इ छा को समझना चाहगे तो
आप अपने ल य तय करने म भी कामयाब ह गे।
िम से दूरी न बनाएँ
जब हम दुःख और परशानी क थित म होते ह तो वयं को दूसर से दूर रखने क कोिशश करते ह। खुशी का
माहौल या िफर स लोग क उप थित अखरने लगती ह। नतीजा यह होता ह िक अपनी परशानी व दुःख क
बार म लगातार सोचने से आ मिव ास म कमी आने लगती ह। अतः अपना मूड ठीक करने क िलए अपने दो त
से िमल। उनक बात म िच लेने क कोिशश कर। प रवेश म इस कार का अंतर मूड को ठीक करने म मदद
करता ह।
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ाथिमकताएँ तय कर
काम व िज मेदा रय का ब त अिधक दबाव भी कई बार मूड खराब होने का कारण बनते ह। ज री व गैर-
ज री काम क ित अपनी ाथिमकताएँ िन त कर ल। दूसर क मदद लेने से न िहचक। यान रख िक हमारी
संगित हमारी सोच पर गहरा भाव डालती ह। िमलनसार, स िच , अनुभवी तथा सकारा मक सोच रखनेवाले
लोग क साथ रहना वयं को खुश रखने का एक अ छा तरीका ह। मूड खराब होने क थित म ऐसे लोग से
िमल।
बहसबाजी न कर
तू-तू, म-म, लड़ाई-झगड़ा, बहसबाजी का सेहत पर बुरा भाव पड़ता ह। इससे कई तरह क परशािनयाँ जैसे—
लड ेशर, दय रोग, तनाव, मानिसक सम या आिद उ प होने का खतरा रहता ह। साथ ही खुिशयाँ भी दूर हो
जाती ह।
अमे रका क यूयॉक थत सट जॉ स यूिनविसटी क शोधकता एिलजाबेथ ांडोलो ने िनयिमत प से झगड़ा
करनेवाले 500 से अिधक पु ष व मिहला का अ ययन िकया। उ ह ने पाया िक बहसबाजी करनेवाले लोग कई
तरह क बीमा रय से पीि़डत थे। जो बेवजह झगड़ते थे, उनका जीवन अपे ाकत अिधक तनाव त था। उ ह एक
नह , कई तरह क खतरनाक बीमा रयाँ जकड़ ए थ ।
डॉ. ांडोलो ने ऑिफस, दुकान तथा रोड क िकनार आिद सभी जगह क ऐसे झगड़ पर िनगाह रखी, उनका
िनरी ण िकया। उ ह लगातार फॉलो करती रह । उनका कहना ह, बहस करने से बीमारी उ प होने क साथ-साथ
जीवन से खुिशयाँ भी ख म हो जाती ह। यिद आप बहस से बचते ह तो अपनी सेहत को बेहतर बना सकते ह।
खुिशय को भी दुबारा पा सकते ह।
अकलेपन से दूर रह
कि ज यूिनविसटी क मनोवै ािनक डॉ. िग बट यूक एक घटना का उ ेख करते ह—िकसी कबीले म एक
य को कबीले से िन कािसत कर िदया गया। वह एकदम अकला हो गया। िकसी ने उसक सुध नह ली। वह
य उदास रहने लगा। नाकारा बन गया। कछ िदन म वह बीमार पड़ गया और आिखर म उसक मृ यु हो गई।
इससे यह पता चलता ह िक मनु य क िलए अकलापन काफ खतरनाक होता ह। य अनेक कारण से
अकला हो सकता ह; जैसे तलाक, सामािजक बिह कार, लाइलाज बीमारी, अरमान पूर न होना, िजंदगी से मायूस
होना, जीवन क ित नज रया बदल जाना, यार म धोखा आिद।
अकलेपन से मनु य क शरीर म अनेक कार क सम याएँ पैदा हो जाती ह। म त क म कई कार क यूरो
किमक स तनाव, कठा, िचंता, थकान आिद पैदा करते ह। र परी ण से पता चला ह िक इस थित म शरीर म
नेचुरल िकलरसेल क सं या म कमी आ जाती ह, िजससे शरीर म ए निलन नामक हारमोन का रसाव होता ह।
इ यून िस टम कमजोर हो जाता ह, जो तनाव पैदा करता ह।
ओिहया टट यूिनविसटी क साइिकयाि स क ो. डॉ. जैिवक लैसर का कहना ह िक अपने ब े को भी लंबे
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समय तक अकला न रहने द। यह ब े क िलए तनाव पैदा करगा। थोड़ी-थोड़ी देर म उससे बात कर। उसे गोद म
लेकर यार कर। इससे उसे अकलेपन का अहसास नह होगा। आप यिद अकला रहना पसंद करते ह तो लंबे समय
तक अकला न रह। यह आपक िलए नुकसानदेह हो सकता ह।
अकलापन दूर करने क िलए संगीत, रिडयो, इटरनेट आिद का उपयोग कर सकते ह। अपने घर, बगीचे और
जानवर क देखभाल करक भी अकलापन दूर िकया जा सकता ह।
शौक पूर कर
आपका शौक आपको अिधक खुश रखता ह। यिद आप अपने शौक से दूर ह तो अपने शौक पूर करने शु कर
द। इससे आपक खुिशयाँ दुगुनी हो जाएँगी।
िकसी को किवता, कहानी तथा लेख िलखने का शौक होता ह; कोई िफ म देखना पसंद करता ह। कोई पेपर क
फोटो को काटकर रखना पसंद करता ह। जब जीवन क भाग-दौड़ म य रम जाता ह, तब वह अपने शौक को
भूल जाता ह। भाग-दौड़ से वह थकान और तनाव क थित म आ जाता ह। ऐसी थित म जीवन म खुिशय क
कमी हो जाती ह या ख म हो जाती ह। ऐसे म, यिद य अपने शौक पर यान दे तो खुिशय को लौटा सकता ह।
अपने शौक को पूरा करने क िलए िनयिमत समय िनकाल और खुश रह।
समय बंधन ज री
यिद आप अपने काम क य तता क वजह से सभी काम को ठीक तरह से मैनेज नह कर पा रह ह तो ऐसी
थित म आपक खुिशयाँ गायब हो जाना वाभािवक ह। इससे बचने क िलए आपको समय बंधन क बार म
जानना होगा, तभी आपका तनाव दूर होगा। समय का सदुपयोग कर और अपनी काय मता क अनु प ही काय
कर। काय मता से अिधक काम करने पर थकान व तनाव क सम या उ प हो जाती ह।
टाइम मैनेजमट गु अिन दोशी का कहना ह िक समय बंधन क गड़बड़ी क कारण से जीवन से खुिशयाँ
गायब हो जाना वाभािवक ह। इसे यिद आप ठीक कर लेते ह तो खुिशयाँ िफर से आपक पास आ जाती ह।
जाने भी दो
जाने भी दो—ये तीन श द यिद आप अपने यावहा रक जीवन म अपनाते ह तो आपक खुिशयाँ गायब नह
ह गी। इसे अनेक लोग टशन नह लेने क प म अपनाते ह। जीवन म अनेक तरह क सम याएँ, परशािनयाँ,
घटनाएँ, दुघटनाएँ सामने आती ह। उन पर यान देना तनाव पैदा करता ह। यिद आप उसे ‘जाने भी दो’, ‘छोड़ो इन
सब बात को’, ‘टशन नह लेने का’ जैसे वा य ारा म त क से िनकाल देते ह तो अिधक खुश रहते ह। यिद
आप अपने जीवन म ‘जाने भी दो’ क माला जपते ह तो खुिशयाँ आपको ज र िमलगी। किहए, इस तरह आप
पहले से अिधक खुश रहगे न!
उ सुक बन
यिद आप िकसी बात को जानने क िलए िज ासु या उ सुक नह ह तो इसका मतलब ह िक आप खुश नह ह।
खुश य हमेशा िकसी-न-िकसी बात को जानने म लगा रहता ह। उसे हर बात क उ सुकता रहती ह। वै ािनक
का मानना ह िक उ सुक होना अपने आप म खुशी पाने जैसा ही ह। आप भी िकसी चीज क बार म उ सुक या
िज ासु बन और खुश रह। जब तक आप िज ासु बने रहते ह, दुःख आपक पास नह आता ह।
सामािजक बन
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संकोच से बच
कह जाने म शरमाना, संकोच करना तथा घबराना एक तरह का िनगेिटव एिट यूड ह, िजससे तनाव बढ़ता ह,
खुिशयाँ ख म होती ह। िमलने-जुलने और बातचीत करने से िह मत बढ़ती ह, आगे बढ़ने का मौका िमलता ह।
अिधक लोग क नेटवक म रहने पर तनाव दूर होता ह और खुिशयाँ बढ़ती ह।
कछ लोग को िकसी से िमलने या कह जाने म शम महसूस होती ह। वे डरते ह। उ ह घबराहट होने लगती ह।
िकसी से न तो डर और न ही शम कर। िह मत रख। िजनसे िमलने जा रह ह, वे भी आप जैसे कोई इनसान ही ह।
यिद आप िह मत से काम लगे तो हो सकता ह, कल उस जगह पर आप ह और आपसे ढर सार लोग िमलने
आएँ।
जब आप शम को यागकर िह मत से काम लेते ह तो आपक अंदर आ मिव ास बढ़ता ह, जो जीवन म
खुिशयाँ लाता ह।
पॉजीिटव नाम रख
अटपट, मन को अ छ न लगनेवाले नाम भी जीवन म खुिशय को छीन लेते ह। अटपट नाम पढ़ने व सुनने म
अ छ नह लगते ह। भले ही नकारा मक भाव पैदा करनेवाले नाम को बड़ यार से आपक माता-िपता ने रखा हो,
िफर भी फौरन उसे बदल द।
जो नाम आपक जीवन क खुिशय को िनगल ले, उसे बदलने म कोई संकोच न कर। दुिनया क अनेक लोग ने
अपने नाम बदलकर महा उपल धयाँ हािसल क ह।
जब आप ठीक तरह से न द नह ले पाते ह तो अगले िदन आपक शरीर म फित और खुशी नह रह पाती ह।
आप हरान-परशान-से लगते ह। यह िसलिसला लगातार जारी रहता ह, तो इससे आपक जीवन म खुिशयाँ पूरी तरह
से गायब हो जाती ह। इससे बचने का सीधा सा उपाय ह िक आप िब तर पर बेिफ होकर सो जाएँ। भरपूर न द ल
और सुबह खुिशय क साथ जाग।
मूड बनानेवाले फड
हसी मनु य को कित से भट म िमली सवािधक गहरी औषिध ह।
—ओशो
िचड़िचड़ापन, तनाव और थकान दूर करने क िलए, चु त-दु त और तरोताजा रहने क िलए डॉ टर क पास
जाने क ज रत नह ह। इसक िलए आप िकचन म जाएँ। हाल ही म िकए गए एक अनुसंधान म पता चला ह िक
मूड का सीधा संबंध फड से ह।
खाने-पीने क चीज यिद सही मा ा म ली जाएँ तो वे हमार वा य क साथ-साथ मूड को भी अ छा बनाए
रखती ह। सेहत क दु मन मानी जानेवाली कई चीज भी उिचत मा ा म सेवन करने से दवा का काम करती ह। इस
अ याय म हम मूड पर भाव डालनेवाले फड क बार म बताने जा रह ह, िजनका इ तेमाल करक आप अपना मूड
अ छा बना सकते ह।
ि टन क इ टी यूट ऑफ ऑ टमम यू ीशन क मुख डॉ. पैि क हॉलफोट का कहना ह, ‘मूड को बेहतर
बनाने क िलए खान-पान म सुधार लाना ज री ह, य िक मूड का संबंध काफ हद तक आपक आहार से होता ह।
अफसोस, यादातर लोग को इसक बार म नह पता ह, िजसक वजह से वे िनराशा म ही जीने का अंदाज बना
लेते ह।’
यिद आप म त क यूरो ांसमीटस और नवस िस टम क िलए ज री खुराक नह ले रह ह तो आप खुद ही
अपनी खुिशय का गला घ ट रह ह। मूड का संबंध यूरो ांसमीटर म पाए जानेवाले डोपामाइन, सेरोटोिनन,
नोरीपाइन ाइन, नोरा नालीन, एिसटाइकोलाइन, एंडोिफस क भरपूर स लाई रहने पर य तनाव का अनुभव
नह करता ह।
डोपामाइन और नोरीपाइन ाइन क होने से हमारा म त क तेजी से काम करता ह। इससे हम ज दी से सोचते
ह, तुरत िनणय लेते ह, फरती से काम करते ह। हमेशा अलट रहते ह। सेरोटोिनन भी टशन को कम करता ह।
एंडोिफस मन म खुशी और उ साह जगाता ह। िवशेष क अनुसार, यिद आप अपने मूड को िबगाड़ना नह चाहते
ह तो अपने आहार म गड़बड़ी न कर।
मूड को क ोल करनेवाले खा पदाथ चार कार से मूड को खुशनुमा बनाते॒ह—
• सेरोटोिनन क तर को बढ़ाते ह।
• डोपामाइन और नॉरपाइनि न एडरनेिलन क रसाव को बढ़ाते ह, तािक उ साह, ेरणा और सि यता बनी रह।
• र म लूकोज क लेवल को बराबर बनाए रखते ह। लूकोज मूड को ठीक रखता ह।
• मूड को बेहतर बनानेवाला ाकितक किमकल एस.ए.एम.ई. (S.A.M.E.) का उ पादन बढ़ाते ह।
िलए खास फॉमूला खोजा। उनका दावा ह िक इसे अपनानेवाला य अपने जीवन म हमेशा खुश रह सकता ह।
फॉमूला नंबर 1
• म त क सेरोटोिनन यूरो ांसमीटर = खुशी
• म त क डोपामाइन यूरो ांसमीटर = उ साह और ेरणा
• एस.ए.एम.ई. (एस-एिडनो िस मेिथयोिनन) िवटािमन ‘बी’ = सेरोटोिनन तथा डोपामाइन का िनमाण
• ोिमयम संतुिलत लड लूकोज = बेहतर मूड
फॉमूला नंबर 2
पीट कोहन ने हजार लोग से बातचीत करने क बाद यह फॉमूला िनकाला। उनका मानना ह िक यह फॉमूला
मूड को खुश रखने क िलए काफ कारगर ह।
• खुशी आनंद
िजंदगी क ित नज रया
• सेहत
मह वाकां ा, आ मिव ास।
पाँच गुणा म तीन गुणा िमलाओ और जोड़ दो, आपको भरपूर खुशी िमल जाएगी।
सेरोटोिनन
सेरोटोिनन एक बेहतर िक म का हारमोन ह, जो िसफ म त क को ही नह , ब क संपूण शरीर को प चाता ह।
िचड़िचड़ापन, तनाव तथा थकान को दूर करता ह। अ छी न द लाता ह और मन को खुश, उ सािहत तथा तरोताजा
रखता ह।
सेरोटोिनन का िनमाण एल-ि टोफन नामक एिमनो एिसड ारा होता ह। इसक िलए अंडा, मछली और चीज
अ छ ोत ह। इनक िनयिमत सेवन से शरीर म सेरोटोिनन का पया मा ा म िनमाण होता ह। मूड को खुशनुमा
बनानेवाले सेरोटोिनन क िनमाण का संबंध सूय क िकरण से भी ह। धूप से डरनेवाले तथा धूप म कम
िनकलनेवाल म हारमोन क मा ा कम होती ह। यह हारमोन शरीर म लगातार िनिमत होता रह, इसक िलए आप
धूप म िनकलने से न डर।
डोपामाइन
िजस तरह सेरोटोिनन मन को खुश रखता ह, उसी तरह डोपामाइन खुश रहने क ेरणा देता ह। डोपामाइन क
रसाव से सोचने, समझने, याद रखने एवं फसला लेने क मता बढ़ती ह। िजन लोग म डोपामाइन का रसाव
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कम होता ह, उनम सोचने, समझने, याद रखने तथा फसला लेने क मता कम होती ह। यह हारमोन से स लाइफ
को भी खुशनुमा बनाए रखता ह। इसक बराबर रसाव से शरीर भरपूर ऊजा से ओत- ोत होता ह।
शरीर म इसका िनमाण एिमनो एिसड डी.एल. फिनलालैिनन क ारा होता ह। डी.एल.-फिनलालैिनन दूसर
एिमनो एिसड एल-टाइरोिसस म बदलता ह। बाद म एल-डोपा म और अंत म डोपामाइन म बदल जाता ह।
डोपामाइन बाद म कई तरह क किमक स—नॉरपाइनि न, एडरनेिलन म बदल जाता ह, जो सोच को सकारा मक
बनाने का काम करते ह।
शरीर म डोपामाइन का िनमाण बराबर होता रह, इसक िलए हरी प ेदार स जयाँ, िभंडी, च ब स, िगरीदार
फल तथा खड़ अनाज आिद को अपने आहार म शािमल करना चािहए। हर िक म क दाल म फिनलालैिनन और
टायरोिसन का भंडार होता ह।
होमोिस टीन
होमोिस टीन र म पाया जानेवाला एक कार का खास एिमनो एिसड ह, जो एस.ए.एम.ई. क िनमाण म खास
भूिमका िनभाता ह। यह िदमाग को चु त-दु त और उ सािहत बनाए रखने म खास काम करता ह। शरीर म
होमोिस टीन का तर बराबर बना रह, इसक िलए एक खास ि या मेिथलेशन होती ह। मेिथलेशन क ि या शरीर
म येक कोिशका म होती ह। यह ि या सुचा प से चलती रह, इसक िलए शरीर को इस बात का यान रखना
पड़ता ह िक शरीर म िवटािमन बी-12, बी-6, फोिलक एिसड और िवटािमन बी कॉ ले स क बराबर सेवन क
आव यकता होती ह।
ताजा हरी स जय , अनाज तथा हर िक म क दाल का सेवन कर सकते ह। िवटािमन बी-12, बी-6, फोिलक
एिसड का भी भरपूर सेवन करना चािहए। शाकाहारी लोग को िवशेष प से अपने खान-पान पर नजर रखनी
चािहए।
काब हाइ ट
काब हाइडरट क अिधकतावाले खा पदाथ (आलू, चावल, दलहन व अ य खड़ अनाज आिद) हमार मन-
म त क व ायु को शांत रखते ह तथा मूड को खुशगवार बनाते ह। काब हाइ ट क अिधकतावाले खा
पदाथ म ‘ि टोफन’ नामक एिमनो एिसड होता ह। म त क म सेरटोिनन किमकल का अिधक िनमाण करते ह।
इससे मूड अिधक श रहता ह।
खान-पान म काब हाइ ट क कमी से आपक खुिशयाँ दूर हो सकती ह। बजन यूिनविसटी क शोधकता क
अनुसार, िजनक खान-पान म काब हाइ ट क मा ा क कमी होती ह, वे ज दी ही िड ेशन का िशकार हो जाते ह।
इसक कमी से शरीर म होमोिस टीन नामक त व यादा हो जाता ह, िजससे तनाव बढ़ता ह। इसिलए, अपने आहार
म काब हाइ ट क कमी न होने द।
ोटीन
ोटीन क अिधकतावाले खा पदाथ (मांस, मछली, दाल, सोयाबीन आिद) से शरीर को अिधक ऊजा िमलती
ह और एका ता बढ़ती ह। ोटीन से म त क म ‘टायरोिसन’ नामक किमकल क मा ा बढ़ जाती ह। इससे
म त क म ‘डोपामाइन’ नामक किमकल का अिधक रसाव होता ह। यह मन को तरोताजा रखता ह।
फोलेट
फोलेट क कमी से खुिशयाँ दूर होना, िड ेशन, याददा त क कमी तथा िडमिशया क सम या उ प हो जाती
ह। फोलेट िवटािमन बी का ही एक िक म ह। इसक कमी से म त क क काय मता पर बुरा असर पड़ता ह।
िवटािमन डी
िवटािमन डी क कमी से उदासी बढ़ जाती ह। इसका असर म त क क ‘िह पोकपस’ पर पड़ता ह। िह पोकपस
पर असर होने से नव से स तेजी से न होने लगते ह, िजससे अनपाइमस िडजीज होने क संभावना बढ़ जाती ह।
यिद शरीर म िवटािमन डी क मा ा बढ़ा दी जाए तो म त क सामा य थित म आ जाता ह।
ओमेगा-3
मछली म पाए जानेवाले ओमेगा-3 त व िड ेशन क िशकार लोग क र म लूकोकोिटकोइ स क मा ा बढ़
जाती ह, जो मृित क को ित प चाते ह। यिद िनयिमत प से ओमेगा-3 का इ तेमाल िकया जाए तो सम या
दूर हो जाती॒ह।
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िड ेशन को लंबे समय तक अपने पास न रहने द। यह िजतना पुराना होता ह, उतना ही नुकसानदेह होता ह।
मछली म पाया जानेवाला एक कार का ओमेगा-3 िदल और िदमाग को व थ रखने म स म ह।
आयरन
जमनी क डॉ. िविलयम कन का कहना ह, ‘शरीर म आयरन क कमी से थकावट और उदासी उ प होती ह।
आयरन हमार शरीर म हीमो लोिबन का िनमाण करता ह, जो फफड़ से ा ऑ सीजन को पूर शरीर म प चाता
ह। जब शरीर म हीमो लोिबन क मा ा कम हो जाती ह तो शरीर क िट यूज को ऑ सीजन क मा ा िमलनी कम
हो जाती ह। ऐसे म उदासीनता, िचड़िचड़ापन तथा थकावट जैसी सम याएँ िदखाई देती ह। यह याददा त को बढ़ाने,
सु ती को दूर करने, सीखने, यान कि त करने तथा खुिशय क मता को बढ़ाते ह।’
अमे रका क डॉ. कोलगेन क अनुसार, ‘शरीर म 100 माइ ो ाम से कम आयरन नह होना चािहए। आयरन क
पूित क िलए अपने आहार म पालक, सोयाबीन, हरा धिनया, कला, आँवला, सेब, गुड़, साबुत दाल आिद शािमल
कर।’
मै नीिशयम
उ ेजनशीलता, अिन ा और िड ेशन क थित म अनेक डॉ टर मै नीिशयम क अित र खुराक देते ह।
मै नीिशयम शामक (शांितदायक) होता ह। शरीर म मै नीिशयम क मा ा कम होने पर मन िख होने लगता ह।
तनाव क थित उ प हो जाती ह। पास से खुिशयाँ गायब हो जाती ह। शरीर म मै नीिशयम क कमी न होने द।
मै नीिशयम क पूित क िलए सोयाबीन, दूध, मछली, हरी स जयाँ, खड़ी दाल, अंक रत खा ा , िगरीदार फल,
समु ी खा पदाथ तथा संतरा आिद अपने आहार म शािमल कर।
क शयम
क शयम ह य को मजबूत बनाने क साथ-साथ मूड को भी संतुिलत रखता ह। िड ेशन को दूर करने क
िलए डॉ टर मै नीिशयम क साथ क शयम क मा ा भी देते ह। डॉन सेनगर क अनुसार, ‘िड ेशन क थित म
ी-पु ष क शरीर म मै नीिशयम तथा क शयम क कमी हो जाती ह। दोन ही त व क शरीर म कमी नह होने
देना चािहए। इनक कमी से म त क अशांत हो जाता ह। आपक खुिशयाँ गायब हो जाती ह। मिहला म मािसक
धम क पूव आनेवाले िड ेशन क िलए भी क शयम क कमी िज मेदार ह।’
ोटीन, काबाहाइडरट, िवटािमन डी म मौजूद त व शरीर म क शयम बढ़ाने म सहायक होते ह। क शयम क
पूित क िलए हरी स जयाँ, अंडा, ना रयल, मछली, दही, दूध, पनीर, चना, गुड़, ितल, मूली, ताजे फल, न बू तथा
आँवला आिद का सेवन करना चािहए।
िवटािमन
जमनी क डॉ. हगुफाई का कहना ह, ‘यिद आपको खुश रहना ह तो अपने आहार म िवटािमन कम न होने द।
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िवटािमन याददा त बढ़ाने क साथ-साथ मन को खुशनुमा तथा फितदायक बनाए रखने का भी काम करता ह।
सामा य एमीनो एिसड को ताकतवर यूरो मैसजर म बदलने क िलए खास िवटािमन और िमनर स क आव यकता
होती ह, जो िदमाग को तेज, असरदार, फितवान और खुश बनाए रखने क िलए े रत करता ह।’
बी कॉ ले स
म त क क िलए बी कॉ ले स अहम होता ह। यह शरीर म ऊजा क उ पादन म खास भूिमका िनभाता ह।
िवटािमन सी और ई रिडक स से बचाते ह। ये याददा त बढ़ाने क साथ-साथ मन म खुशी लाने का भी काय
करते ह।
यू जस क ‘ि ंसेटॉन ेन बायो सटर’ क डॉ. ए रक ावमेन का कहना ह, ‘िज ह िनधा रत मा ा म पौि क
त व व िवटािमन बी ा नह होता ह, उनम मानिसक व ायु संबंधी गड़बि़डय क ल ण देखे जा सकते ह; जैसे
—जरा-जरा सी बात पर गु सा करना, मूड ठीक न होना, िड ेशन, थकावट, म, मनोिवकार आिद ल ण िदखाई
देते ह। उनम खुशी, उ साह, आनंद जैसी बात िदखाई नह देती ह। ऐसे मरीज को िवटािमन बी कॉ ले स देकर
व थ िकया जा सकता ह।’
िवटािमन बी-6
िड ेशन को दूर करने क िलए िवटािमन बी-6 (पाइरीडॉ सन) काफ कारगर होता ह। ि टन म िकए गए एक
अ ययन म पता चला ह िक िवटािमन बी-6 क कमी से लोग म उ साह क कमी, िड ेशन, मािसक धम क पूव
तनाव आिद क सम या देखी जाती ह। िवटािमन बी-6 क अित र खुराक देकर िडपे्रशन से छटकारा पाया जा
सकता ह।
गभवती मिहला क हारमोन म बदलाव क चलते उनम िड ेशन क सम या पैदा हो जाती ह, िजसक वजह से
उनक खुशी उनसे काफ दूर चली जाती ह। इसी तरह गभ-िनरोधक क तौर पर औषिधय का इ तेमाल करनेवाली
मिहलाएँ तथा वृ मिहलाएँ, जो रजोिनवृि क दौर से गुजर रही ह, उनक र म िवटािमन बी-6 क मा ा कम
होने से वे िड ेशन का िशकार हो जाती ह। उनक तनाव को दूर करने क िलए िवटािमन बी-6 का सेवन करना ही
काफ होता ह।
यूयॉक क नॉथ नैसेडन मटल ह थ सटर क डायर टर डॉ. चा स कज का कहना ह, ‘िवटािमन बी-6 म एक
खास बात यह होती ह िक यह शरीर म खुशी बढ़ानेवाला किमकल, सेरटोिनन क मा ा को बढ़ाता ह, िजससे मन
अपने आप खुश होने लगता ह।’
िवटािमन बी-12
िवटािमन बी-12 एक शारी रक व मानिसक श वधक त व ह। शरीर म िवटािमन बी-12 क कमी का भाव
सबसे अिधक नवस िस टम पर पड़ता ह। इसक कमी से िचड़िचड़ापन, घबराहट, पागल जैसी हरकत करना, र
क कमी हो जाना और मन का उदास रहना आिद सम याएँ उ प हो जाती ह।
शरीर को पया मा ा म िवटािमन िमलता रह, इसक िलए ज री ह िक अपने आहार म िगरीदार फल, अंडा,
चावल, अनाज, मांस, मछली, हरी प ेदार स जयाँ, अंड क जद (पीलावाला भाग) आिद का भरपूर इ तेमाल
करना चािहए। इस बात का यान रह िक ताजा स जय और फल का इ तेमाल कर। बासी स जयाँ उतनी
फायदेमंद नह होत ।
िवटािमन ई
िवटािमन ई िदमाग को शांत रखने और खुश रखने क िलए काफ कारगर पाया गया ह। इसम सबसे भावी एंटी
ऑ सीडट होता ह। मेिडकल सटर, िशकागो क वै ािनक डॉ. माथा ेट मोिसर ने तीन साल तक 3,000 से
अिधक लोग पर िवटािमन ई क भाव का अ ययन िकया।
उ ह ने पाया िक िवटािमन ई क भरपूर मा ा लेने से याददा त, एका ता और सोचने क श म बढ़ोतरी होती
ह। िवटािमन ई रिडक स को दूर कर खुिशय क अनुभूित को बढ़ा देता ह। एक य को 100 से 400
आईयू (IU) िवटािमन ई क मा ा लेनी चािहए।
डी.एम.ए.ई. (डायमेिथलामाइ-नोथेनाल)
यह हारमोन बेचैनी को दूर करता ह, म त क को शांित दान करता ह। एका ता, सीखने व समझने क मता
को बढ़ाना, मन को खुश व फ त रखना जैसे काम करता ह। डी.एम.ए.ई. म त क म प चकर एिसिटल
कोलाइन क उ पादन को बढ़ा देता ह, िजससे बेचैनी कम हो जाती ह। मन शांत और खुशनुमा हो जाता ह।
एिसिटल कोलाइन
एिसिटल कोलाइन का िनमाण कोलाइन क ारा होता ह। यह मन को खुश रखने का काम करता ह। अंड क
जद और मछली एिसिटल कोलाइन का अ छा ोत ह। इसक िलए भरपूर मा ा म िवटािमन बी-5, बी-1, बी-12
और िवटािमन सी लेने क आव यकता होती ह।
फॉ फिटिड से रन
यह म त क क एक कोिशका का दूसरी कोिशका तक संदेश प चाने और संदेश को हण करने क ि या को
पूरा करता ह।
डी.एल.ए. और ई.पी.ए.
यह त व याददा त और सूझ-बूझ को बढ़ाने का काम करता ह। यह त व मछिलय म पाया जाता ह। अपने
आहार म मछिलय को अव य शािमल करना चािहए।
पायरो लुटामूट
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लूटामाइन
यह भी एक खास िक म का ेन किमकल ह, जो याददा त बढ़ाने, खुश रखने, याददा त क बीच िलंक बैठाने
का काम करता ह। लूटामाइन हाई ोटीन फ स जैसे मांस, मछली, डयरी ोड स, हरी प ेदार स जय ,
फिलय आिद म पाया जाता ह।
िमनर स
िदमाग को पूरी तरह से तरोताजा बनाए रखने म िमनर स क खास भूिमका होती ह। मै नीिशयम िदमाग को
एनज देता ह, िजससे मूड पूरी तरह से श हो जाता ह; जबिक सोिडयम, पोटिशयम तथा क शयम तंि का तं
क आपसी संपक तथा संदेश लाने व ले जाने का काम करता ह। आयरन, फा फोरस, िजंक, बोरोन म त क को
तरोताजा रखते ह।
ये सभी कार क िमनर स फल, स जय , मांस, साबुत अनाज, अंडा, दूध, पनीर, सूखे मेवे आिद म पाए जाते
ह।
फट
फट से दूर नह भागना चािहए। यह म त क क िलए एक आव यक त व ह। म त क का 60 ितशत भाग
वसा से ही िनिमत होता ह। डाइिटग करक यिद शरीर क वसा का अिधकांश भाग जला िदया जाए तो यह सही नह
ह, य िक इससे िचड़िचड़ापन, तनाव तथा उदासी आिद छाई रहती ह। आहार म चरबी या श रवाले खा पदाथ
को भी शािमल करना चािहए। इसक सेवन से शरीर म ‘एंडॉिफन’ का िनमाण होता ह, जो तेजी से शरीर म फलता
ह। इससे शरीर का दद दूर होता ह और ताजगी िमलती ह।
वसा इ यून िस टम को मजबूत करने, र -संचार को सुचा बनाने तथा मूड को ठीक रखने म खास भूिमका
िनभाता ह। वै ािनक ारा िकए गए अनुसंधान म पता चला ह िक पॉली-अनसे युरटड फट, ओमेगा-6 व
ओमेगा-3 िदमाग क आकार और िदमाग क ायु क सं या को बढ़ा सकते ह। शरीर म वसा क मा ा को
बढ़ाने क िलए तेल या मसालेदार चीज का अिधक सेवन न कर। सॉमन, मैकरन, सािडस, टना मछिलय तथा
िगरीदार फल म पया मा ा म फट होता ह।
अिधक चरबीवाले खा पदाथ क सेवन से बचना चािहए। इसका अिधक सेवन मूड को िबगाड़ भी देता ह।
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मूड िबगड़ने पर
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जब भी मौका िमले, धूप ज र ल। सूय क काश क संपक म रहने पर मूड को खुशनुमा बनानेवाला हारमोन
(सेरोटोिनन) का िनमाण होता ह। तेज गित से सुबह क सैर करने से एंडोिफन नामक हारमोन का रसाव तेजी से
होता ह। यह हारमोन खुशी क अहसास को बढ़ाता ह।
डश डाइट
डश (DESH) यानी ‘डाइटरी ए ोचेस ट टॉिपंग हाइपरटशन’ डश डाइट क प म लो फट स जयाँ, लो
फट दूध, लो ोटीन, ेन फड लेते ह, जो वा य पर जादुई असर डालता ह। लड ेशर क ोल करने क साथ-
साथ िदल और िदमाग को पोषण देता ह। इसम एंटी ऑ सीड स, ओमेगा-3, फटी एिसड, िवटािमन सी, डी आिद
भरपूर मा ा म होते ह, जो िदमाग म खुशी क लेवल को बढ़ाते ह।
हलका भोजन ल
यिद आप शरीर और िदमाग को चु त-दु त रखना चाहते ह तो हमेशा हलका आहार ल। अिधक भारी खाना
शरीर क ए टिवटी को कम कर देता ह। ग र और बासी खाना खाने से शरीर म आल य आने लगता ह। यिद
आप बेहतर प म काम करना चाहते ह तो दोपहर का भोजन हलका और कम मा ा म करना चािहए। इस बात
का भी यान रख िक ब त कम खाना या ब त यादा खाना खाने से सु ती आ जाती ह। इसिलए िजतनी भूख हो,
उससे थोड़ा कम खाना खाएँ।
िवशेष लेसली कटन का कहना ह, ‘जब आप ठस-ठसकर खाते ह तो आपको एक अजीब तरह क कमजोरी
या थकान महसूस होने लगती ह; य िक उस व आपक सारी श उस भोजन को पचाने म जुट जाती ह।’
डायजे टव ए सपट डॉ. गुज न जॉनसन का कहना ह, ‘ज रत से यादा खाना या ज रत से कम खाना शरीर
को नुकसान प चाने क साथ-साथ खुिशय को ख म भी करता ह। यिद आप शरीर क मुतािबक आहार लेते ह तो
शरीर को व थ बनाए रखने क साथ-साथ भरपूर खुश भी रह सकते ह।’
लंच क समय ेक फा ट न कर
ब त से लोग ऐसे होते ह, जो लंच क समय ेक फा ट करते ह। ऐसा करने से मूड सही नह रहता ह। इससे
मन म तनाव रहता ह। खुिशयाँ कहाँ जाती ह, उ ह पता ही नह चलता ह। सुबह क समय ेक फा ट ज र करना
चािहए। सुबह क व खाली पेट रहने से शरीर म ऐसे अनेक कार क किमक स का िनमाण होने लगता ह, जो
मूड को िबगाड़कर रख देते ह।
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लंच क समय लंच और िडनर क समय िडनर ही लेना चािहए। लंच और िडनर क समय म भरपूर भोजन न
करने से शरीर कमजोर होता जाता ह। इसका भाव म त क पर भी पड़ता ह। इसिलए इस बात का हमेशा यान
रख िक अपने आहार म कटौती कभी भी न कर। आहार म कटौती करने का मतलब अपनी खुिशय म कटौती
करना ह।
िल ड डाइट ल
े फा ट और लंच तथा लंच और िडनर क बीच काफ लंबा समय आपको भूखा रहना पड़ता ह। इस बीच
क
डाइट लेना चािहए। इससे शरीर को सही तरीक से एनज िमलती ह। िल ड डाइट क प म ना रयल का पानी,
जूस, ाय स ले सकते ह। इसक साथ ांिटनटल और हलक-फलकआहार िलये जा सकते ह।
न बू पानी, पुदीना का शरबत, तरबूज, खरबूजा, जूस, दूध, दही, कला, संतरा तथा अनार आिद का जूस काफ
फायदेमंद होता ह। जूस का सेवन करने से म त क को भी पया मा ा म पोषण िमलने लगता ह, िजससे मन
फ त हो जाता ह। इस बात का यान रख िक यास लगने पर पानी ही िपएँ, जूस नह ।
ओह! आज िफर
यिद आप सुबह-शाम एक ही तरह का खाना खा रह ह तो आप खुश नह रह सकते। पोषक िवशेष डॉ.
कॉलमैन का कहना ह, ‘रोजाना एक तरह का खाना मूड को िबगाड़कर रख देता ह। इससे शरीर को पूरी तरह से
िवटािमन तथा िमनरल आिद नह िमल पाते ह, साथ ही शरीर को चु त-दु त रहने क िलए ऊजा भी नह िमलती।
उनका कहना ह िक खाने से िनकलनेवाली खुशबू भी म त क पर भाव डालती ह। जब िदमाग पर एक ही तरह
क खुशबू आती ह तो इससे मूड िबगड़ जाता ह और आप कह उठते ह, ओह! आज िफर।
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अपने खान-पान म रोजाना अलग-अलग तरह क चीज का समावेश कर। स जी, फल, जूस, सूखे मेव,े
मछली, अंडा, िचकन, मटन, अंक रत खा ा , सभी तरह क दाल का समावेश कर। यिद दाल का सेवन करते ह
तो दाल को बदल-बदलकर बनाएँ। इससे भी मूड म प रवतन आ जाता ह। आहार क पौि कता क साथ-साथ
उसक िनमाण ि या को भी बदल। कभी महाराि यन, बंगाली, पंजाबी, साउथ इिडयन जैसी ि याएँ आजमाएँ।
यह मूड बदलने का एक अ छा उपाय ह।
ई.एफ.ए. का सबसे अ छा ोत ह—अंडा। इसक अलावा रो , कतला, बाँगड़ा, पॉम ट जैसी मछिलय म
चुर मा ा म ई.एफ.ए. पाया जाता ह। इसक अलावा यह हरी स जय , ब स, दाल, क ू क बीज, अलसी और
ितल म भी पाया जाता ह। इन सभी खा पदाथ को अपने आहार म शािमल करना चािहए।
तनाव म भोजन न कर
तनाव क थित म भोजन करने पर र प रसंचारण णाली म गड़बड़ी पैदा होती ह। ओिहयो टट यूिनविसटी
क मुख वै ािनक डॉ. कलरीन टोनी क एक रपोट क अनुसार, तनाव क थित म भोजन करने से र म एक
कार का वसा उ प होता ह, जो र क बहाव म कावट डालता ह। यह िदल और िदमाग क िलए अ छा नह
होता ह।
आपको मालूम ही होगा िक तनाव म शरीर क अंदर ाइ लसाराइड फट क मा ा बढ़ती ह। यिद तनाव क दशा
म भोजन करते ह तो इसक मा ा 2.8 ितशत ित िमनट क दर से बढ़ती ह। वह यिद तनाव-मु होकर भोजन
हण िकया जाए तो यह मा ा 3.8 ितशत ित िमनट क दर से घटती जाती ह। इसिलए जब भी भोजन कर,
तनाव-मु होकर कर।
मन से खाना खाएँ
बेमन से खाना खाने से शरीर को नुकसान प चता ह। इससे शरीर म कािटसोल हारमोन का तर बढ़ जाता ह,
जो शरीर म फट को इक ा करने म मु य भूिमका िनभाता ह। यह हारमोन र म फटी एिसड को रलीज करता
ह, िजससे कोले ॉल और इसुिलन का तर बढ़ जाता ह। इससे दय रोग तथा मधुमेह क सम या भी उ प हो
जाती ह। बेमन से खाना खाने से जीभ क वाद ंिथयाँ सही तरीक से काम नह करती ह। जैसे-तैसे खाकर
शारी रक भूख तो िमट जाती ह, पर मन क भूख नह िमटती। एक शोध म पता चला ह िक जब आप भोजन क हर
ास को वाद लेकर आनंद क साथ खाते ह तो यह मन म खुशी पैदा करता ह।
पसंदीदा फ स खाएँ
िजस तरह से पसंदीदा काम करने से मन को खुशी िमलती ह, उसी तरह से पसंदीदा फ स खाने से मन म
खुिशयाँ उ प होती ह।
येल कल ऑफ मेिडिसन क डाइिटिशयन लीजा सडस का कहना ह िक अपनी मनपसंद चीज खाने से शरीर म
फित, उ साह और उ ेजना बढ़ती ह। जो चीज आपको पसंद न हो, वह चीज बेमन से न खाएँ। यह म त क क
ि या क िलए अ छा नह होता ह। जब आप पसंदीदा चीज खाते ह तो शरीर म अ छ हारमोन का रसाव होता
ह। वह मूड को अ छा बनाए रखता ह।
मूड जब खराब रह, तब उ ह तुरत चॉकलेट खाना चािहए। यह उनक अंदर यार-मोह बत का ज बा उ प करता
ह।
चॉकलेट म त क म ‘िसरोटोिनन’ नामक किमकल को भी बढ़ाता ह। यह किमकल िदमाग को राहत देता ह।
मिहला को मािसक धम शु होने क पहले बेचैनी, परशानी व तनाव हो तो वे भी चॉकलेट क सेवन से इस
सम या से छटकारा पा सकती ह। अगली बार जब आपका मूड खराब हो तो चॉकलेट को आजमाकर देख सकते
ह।
बािसलोना यूिनविसटी क डॉ. कालक नेग का कहना ह, ‘आप सु त ह, तनाव महसूस कर रह ह, खुिशयाँ
आपक पास नह ह, आप तुरत ऊजा पाना चाहते ह तो देर न कर। एक कडी लेकर मुँह म डाल। इससे आपको
तुरत ऊजा िमलेगी और तनाव दूर हो जाएगा। यह भरपूर ऊजा देने क साथ-साथ िदल म खुिशयाँ भी भर देती ह।
शारी रक व मानिसक खुराक क भरपूर पूित करते ह। इसम भरपूर मा ा म मै नीिशयम, िजंक और सेलेिनयम पाया
जाता ह, जो मूड को भरपूर तरीक से खुश रखता ह।
इनम पाया जानेवाला ‘सेलेिनयम’ तनाव को दूर करने और मन म उ साह भरने का काम करता ह। उसम
ओमेगा-3 नामक त व भी िमलता ह, जो म त क को भरपूर पॉिजिटव एनज देता ह। खुद को खुश, तनाव-मु
और ऊजा से भरपूर महसूस करना ह तो एक मु ◌्ठी न स को खाकर उसक लाभ को देख सकते ह।
कठा िमटाती ह ेड
अगली बार जब आपका मूड िबगड़ा हो तो चीखने-िच ाने क बजाय एक बि़ढया सडिवच खा लीिजए। इससे
आपको शांित िमलेगी। कछ पल म ही आप शांत हो जाएँगे और आपक झ ाहट भी दूर हो जाएगी।
होल ेन ेड म ‘ि टोफन’ नामक एिमनो एिसड पया मा ा म पाया जाता ह, जो र म घुलकर तनाव,
िचड़िचड़पन और झ ाहट को दूर करता ह। यह कठा को दूर करने और मूड को श बनाने का काम करता ह।
जादुई क र मे क तरह काम करनेवाले ेड क टकड़ को आप कभी भी आजमाकर देख सकते ह। हर बार
आपको अ छा रज ट िमलेगा।
िदमाग को ठडा रखने क िलए आहार पर यान देना चािहए। हरी स जयाँ, ताजे फल, अंड, मछली, हर तरह क
अनाज तथा दूध आिद का िनयिमत सेवन करना चािहए। खासकर िजनम िनयािसन, पायरीडो सीन, राइबो लेिवन,
िथयािमन, कोबलािमन जैसे त व पया मा ा म ह । यह र और नवस िस टम को सही ढग से चलाता ह तथा
िदमाग को ठडा रखकर सोचने-समझने क श को बढ़ाता ह।
तन-मन क श को बढ़ाता ह
िचकन म चुर मा ा म ‘टायरोिसन’ नामक एिमनो एिसड होता ह, जो डोपामाइन और नोरीपाइन ाइन जैसे ेन
किमक स का तर बढ़ाता ह। यह किमकल म त क क एका ता और तनाव से लड़ने क मता को बढ़ाता ह।
इसक साथ ही ‘टायरोिसन’ तन-मन क श को बढ़ाकर शरीर व मन म फित पैदा करता ह, िजससे शरीर
चु त-दु त हो जाता ह। जब भी अिधक तनाव व थकान महसूस कर, िचकन सूप का सेवन कर। इससे तनाव व
थकान तुरत दूर हो जाएगी, तन-मन को फित िमल जाएगी और आपका अंग-अंग उ साह से भर उठगा।
व मानिसक ि याशीलता और सहजता बढ़ जाती ह। िवटािमन सी शरीर को तुरत भरपूर ऊजा भी देता ह, िजससे
शरीर को ज दी ही फित िमलती ह, जो थकान को दूर करती ह, साथ ही मन को स करती ह।
फा ट फड बनाता ह मूड को लो
फा ट फड सुनने म अ छा लगता ह, पर इसक सेवन से शारी रक व मानिसक दोन तरह क काय लो हो जाते
ह। कई देश म िकए गए अ ययन म पता चला ह िक फा ट फड का सेवन करना नुकसानदेह होता ह। इससे काम
करने क और सोचने क गित धीमी हो जाती ह। लंबे समय तक इसका सेवन करने से तनाव, थकावट, अिन ा
जैसी सम याएँ उ प हो जाती ह।
िनयिमत प से फा ट फड का सेवन काफ गंभीर होता ह। इससे पेट भले ही भर जाए, पर मानिसक ऊजा नह
िमलती, िजससे मन म खुिशयाँ उ प नह हो पाती ह।
खुशी िततली क समान होती ह, िजसे पकड़ने क कोिशश क जाए तो वह दूर हो जाती ह और जब हम शांत
होकर बैठ जाते ह, तो वह चुपचाप आकर हमार कधे पर बैठ जाती ह।
यायाम से यादा-से- यादा ऊजा, कम-से-कम तनाव और बेहतरीन मूड पा सकते ह। अमे रका क करोिलना
यूिनविसटी क िस यायाम ए सपट रसेल का कहना ह िक यिद आप अपनी िजंदगी को उ साह से भरना
चाहते ह तो ऐरोिबक या डली वॉिकग को अपनी िदनचया म शािमल कर ल।
मूड ऑफ होने पर गोली या क सूल लेने क बजाय यिद हलका-फलका यायाम िकया जाए तो ज दी ही मूड
श हो जाता ह। अ ययन से यह बात िस हो चुक ह िक रोजाना िसफ आधा घंटा यायाम करने से तन और
मन दोन म फित आ जाती ह, मूड बेहतर हो जाता ह। अंदर-ही-अंदर यादा ऊजावान महसूस करते ह।
िनयिमत यायाम करने से ‘फ लगुड’ महसूस होता ह, य िक यायाम से शरीर म ‘एंडोिफस’ नामक हारमोन
रलीज होता ह, जो खुशी का अहसास कराता ह। िवशेष क अनुसार, रोजाना 30 िमनट यायाम करना फायदेमंद
होता ह।
यायाम म आप ि क वॉिकग (तेज चलना), उछलना, कदना, दौड़ना, डांस, साइिकिलंग तथा टिनस खेलना
आिद िकसी भी शारी रक गितिविध को चुन। डनमाक क शोधकता क अनुसार, िनयिमत यायाम करने से तनाव
का तर कम होता ह। खुिशयाँ बढ़ती ह। जो लोग यायाम से दूर रहते ह, उनक जीवन म तनाव का तर 70
ितशत तक होता ह। वे अपने जीवन म अिधक उदास रहते ह। खुिशयाँ उनसे काफ दूर होती ह। डॉ. िबयायनी का
कहना ह, ‘जो लोग रोजाना 17 िमनट से 34 िमनट तक यायाम करते ह, उनक जीवन म खुशी का तर काफ
अ छा होता ह।’
वज िनया यूिनविसटी क ए सरसाइज िफिजयोलॉजी ोफसर लेन गेसर का कहना ह, ‘ यायाम हमारी
मेयबोिलक िफटनेस बेहतर बनाकर हम व थ रखता ह। मेटा बोिलक िफटनेस व थ लड िलिपड ोफाइल और
व थ लड लूकोज व इसुिलन क तर को बनाए रखती ह। इससे कॉिडयो वै कलर, दय रोग और डायिबटीज
का खतरा कम रहता ह। इसक साथ ही ये मानिसक परशािनय से भी दूर रखते ह।’
अनेक लोग ए सरसाइज इसिलए नह करना चाहते ह िक उ ह लगातार एक घंट या उससे अिधक समय तक
ए सरसाइज करना पड़गा। कोलंिबया क यूिनविसटी ऑफ िमशौरी म बायो मेिडकल साइस िडपाटमट क ोफसर
क ड यू. बूथ क अनुसार, ‘10 िमनट का यायाम भी काफ कारगर होता ह। यह मेटाबॉिल म पर सकारा मक
भाव डालता ह। ि क वॉिकग (तेज चलना) टरथ टरिनंग, िलंग जैसी ए सरसाइज शािमल कर सकते ह।’
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ि िटश वै ािनक डॉ. माशल ेन का कहना ह, ‘िनयिमत 40 िमनट ए सरसाइज करने से िदन भर क िलए आप
तनाव-मु हो जाते ह।’ यूिनविसटी ऑफ किलफोिनया क डॉ टर ारा िकए गए एक रसच क अनुसार,
‘ए सरसाइज और शारी रक मेहनत से म त क चु त-दु त रहता ह। दय को मजबूत करनेवाले कॉिडयो बू टर
यायाम से म त क का र - वाह बढ़ता ह। इससे िदमाग क ताकत को बनाए रखने म मदद िमलती ह। मन क
उदासी दूर होती ह। कोई ज री नह ह िक आप भारी-भरकम ए सरसाइज ही कर। ए सरसाइज क दौरान यह
आव यक ह िक आपक दय क धड़कन बढ़ जाए तथा आपक अित र कलोरी का उपयोग मांसपेिशय को
ऊजा देने क िलए हो रहा हो।
ी एस पर यान द
आपक िजंदगी म खुिशय क कमी ह और आप उसे बढ़ाना चाहते ह तो ी एस पर यान द। ये ी एस ह—
• टिमना (काय मता)
• टरथ (श )
• सपलनेस (लचीलापन)।
इसे पाने क िलए आपको तीन स ाह का लान बनाने क आव यकता होगी, िजसम स ाह म एक बार कम-
से-कम 20 िमनट क िलए यायाम कर, िजसम आप र सी कदना, तेज गित से चलना, एरोिबक, डांस आिद
शािमल कर सकते ह। ए सरसाइज क समय अपनी न ज पर यान रख। वय क क सवािधक न ज क गित 220
धड़कन ित िमनट (उ घटाकर) होनी चािहए।
यान रह, यिद आप डायिबटीज, दमा, जोड़ क दद, िमरगी, दय रोग या गभाव था आिद से पीि़डत ह तो तेज
गितवाली ए सरसाइज न कर। ए सरसाइज करने से पहले डॉ टर से सलाह ल।
• म त क को भरपूर ऑ सीजन द
म त क सही ढग से काम कर और मूड ठीक रह, इसक िलए पौि क त व क साथ-साथ ऑ सीजन क
आव यकता होती ह। म त क म ऑ सीजन क कमी से भी मूड खराब हो जाता ह और खुिशयाँ दूर हो जाती ह।
आव यक पौि क त व क पूित खा पदाथ से हो जाती ह, लेिकन ऑ सीजन क पूित क िलए यायाम क
आव यकता होती ह।
सा टलेक िसटी थत वेटरांस मेिडकल सटर क यूरो साइकोलॉजी रसच िनदेशक रॉबट ड टमैन का कहना ह
िक िदमाग क फ टरी क िलए पावर देने क िलए यायाम ही एकमा उपाय ह। यायाम से पूर शरीर क साथ
म त क को अ छी तरह से ऑ सीजन िमलती ह, िजससे म त क तेज गित से काम करता ह, साथ ही खुिशय क
लेवल को ठीक बनाए रखता ह।
इिलनॉयस यूिनविसटी म िकए गए एक अ ययन म पता चला ह िक िनयिमत प से यायाम करने से म त क
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जब आप यायाम कर
जब आप यायाम कर तो सबकछ भूलकर िसफ यायाम ही कर। इससे आपको यायाम से म त क को
िमलनेवाली खुराक व पावर सही मायने म िमल जाएगी। अकसर देखा गया ह िक लोग जब िजम जाते ह, उस व
अपने ढर सार तनाव भी साथ म लेकर चले जाते ह। ऐसे म, आपको यायाम का सही रज ट नह िमल पाता ह।
जब आप िजम म यायाम क िलए जाएँ, उस व अपने म त क म बक एकाउट, ब े का क रयर, फ टरी
क वकर क पेमट, असाइनमट पूरा करने क टशन को साथ न लेकर जाएँ। ये सब तनाव आपक पास रहने से
यायाम का रज ट आपको सही ढग से नह िमल पाता ह। उस व अपना यान बस अपने यायाम, अपनी
साँस पर ही लगाएँ।
पैदल चिलए
यिद आप खुश रहना चाहते ह तो िनयिमत प से एक घंटा पैदल ज र चल। इससे दय मजबूत होने क साथ-
साथ म त क म खुशी उ प करनेवाले हारमोन का भी रसाव होता ह।
बो टन (अमे रका) क हावड यूिनविसटी क अ ययनकता ारा िकए गए एक अ ययन म पता चला ह िक
ित स ाह कम-से-कम तीन घंट पैदल चलने से उ ह सामा य लोग क मुकाबले दय रोग होने का खतरा कम हो
जाता ह तथा खुिशय का भाव बढ़ जाता ह। वै ािनक ने 84 हजार लोग पर िकए गए िव तृत अ ययन क बाद
पाया िक जो स ाह म तीन से चार घंट तक पैदल चलते ह, उ ह दय रोग क संभावना नह क बराबर होती ह
और खुिशयाँ दुगुनी हो जाती ह।
डांस एक सरल व अ छा उपाय ह।’ लैसले यूिनविसटी क डांस थेरिप ट िविवन मै ो क एक रपोट क अनुसार,
‘घोर िनराशा म डबे लोग िजनक िजंदगी म उदासी, दुःख और अकलेपन क अलावा कछ न था, डांस थेरपी ने
उनक िजंदगी म खुिशय को दुबारा ला िदया।’ वे कहते ह, ‘डांस म चम कार ह। यह जीवन म से दुःख और
िनराशा को दूर कर खुिशय क भरमार कर देता ह। डांस हर िकसी को करना चािहए।’
यात को रयो ाफर यामक डावर का कहना ह, ‘नृ य से शरीर व म त क म सकारा मक ऊजा बढ़ती ह।
जीवन म खुिशयाँ बढ़ाना चाहते ह, तो िनयिमत प से नृ य कर।’
अरोमा थेरपी
तनाव को दूर करने और खुशबु को पाने क िलए अरोमा थेरपी एक अ छा उपाय ह। अरोमा थेरपी म
खुशबूदार तेल क ारा सार शरीर पर मसाज क जाती ह। खुशबूदार तेल क मसाज से मानिसक व शारी रक
तनाव दूर हो जाता ह। इसम वडए लेवडर, रोजमेरी, िपपरिमंट आिद खुशबु का योग िकया जाता ह। खुशबु
का हमार म त क पर काफ भाव पड़ता ह। मनभावन खुशबू से हमारा मूड श हो जाता ह। वह दुगध से मन
उदास व िन तेज होने लगता ह। अरोमा थेरपी यानी खुशबू िचिक सा म सुगंिधत तेल से इलाज िकया जाता ह,
िजसक ारा याददा त, उ साह व से स पर पॉजीिटव भाव पड़ता ह। अरोमा थेरपी क महक धीर-धीर हमार
म त क पर भाव डालती ह।
िमलती ह ऑ सीजन
आपने देखा होगा िक िकसी लनशील मशीन म ईधन को जलाकर उससे ऊजा िमलती ह, वैसे ही हमार शरीर
का ईधन ह ऑ सीजन। एरोिबक यायाम से र -िशराएँ बढ़ जाती ह, िजससे र म ऑ सीजन लानेवाली
कोिशका क सं या बढ़ जाती ह और मांसपेिशय क मता भी बढ़ती ह। यायाम र म ऑ सीजन अिधक
मा ा म ख चने लगता ह।
इससे पाचन सं थान भी भािवत होते ह। पाचन सं थान म काब हाइडरट, लूकोज या लूकोजेन क प म तथा
ऑ सीजन दोन जलते ह, िजससे शरीर को ऊजा िमलती ह। म त क को भी अिधक मा ा म ऑ सीजन िमलने से
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वह तरोताजा महसूस करने लगता ह। म त क म एडरनेिलन, एंडॉिफन, सेरोटिनन जैसे हारम स का रसाव होने
लगता ह, जो मन को खुश रखने म मदद करते ह।
उतावलापन दूर कर
अनेक लोग काफ उतावले होते ह, जो हमेशा हड़बड़ी म काम करते ह, िजसक वजह से वे तनाव म रहते ह।
ऐसे लोग को डॉ टर अकसर संतुिलत एरोिबक वक आउट करने क सलाह देते ह। एरोिबक सार शरीर म फित
ला देता ह। एरोिबक क साथ विमंग, जॉिगंग, साइ ंग आिद कर सकते ह।
एरोिबक, ितयोिगतावाली गितिविधयाँ और जोिखमवाले वक आउट जैसे बॉडी िब डग, रकट, पो स,
कॉ ट ट पो स आिद नह करना चािहए। इस बात का यान रखना चािहए िक ब त अिधक समय तक एरोिबक
न कर। इससे फायदे क बजाय नुकसान होता ह।
य व को आकषक बनाएँ
अपने य व को आकषक बनाकर भी तनाव को दूर िकया जा सकता ह। अनेक लोग अपने शारी रक गठन
को लेकर काफ िचंता म रहते ह, िजसक वजह से वे बॉडी िडसमािफक िडसऑडर जैसी सम या से पीि़डत हो
जाते ह। इससे उनक खुिशयाँ ख म हो जाती ह। अपने शरीर को देखकर वे हमेशा तनाव म व रहते ह।
ए सरसाइज ारा अपने शारी रक गठन म बदलाव लाकर आकषक य व बना सकते ह। इस उ े य क
पूित म थोड़ा व ज र लगेगा। िवशेष क िनदश म ऐसा यायाम कर, जो शरीर क एक-एक अंग को शेप म ला
सक। उन पर चढ़ी फालतू चरबी को दूर कर सक, जैसे बॉडी शेिपंग, अलग-अलग अंग क िलए िनधा रत
यायाम, वेट टरिनंग, सिकट टरिनंग आिद। साइ ंग, गो फ, टयर ाइिबंग, लाइट वॉिकग (धीमी गित से पैदल
चलना) आिद से परहज कर।
अपराध-बोध से त होना
अपराध-बोध महसूस करने पर य तनाव त हो जाता ह। उसक अंदर नकारा मक सोच क भावना उ प
होती ह।
अपराध-बोध क भावना से त होने पर मू व यौन अंग से संबंिधत सम याएँ उ प हो जाती ह। गभाशय,
िकडनी, पीठ का िनचला िह सा और पु ष क यौनांग इससे भािवत होते ह।
अपराध-बोध से पीि़डत होने पर य जीवन का सही आनंद नह ले पाता ह। सकारा मक सोच क श
कमजोर हो जाती ह। इसे दूर करने क िलए च पादासन, फल बटर लाई, उदर च , बैले डांिसंग आिद कर
सकते ह। िदन भर म पया मा ा म पानी पीना चािहए। शरीर म पानी क मा ा संतुिलत होनी चािहए। पानी क
मा ा कम होने पर अपराध-बोध बढ़ सकता ह।
दद से राहत
यिद आप िसर दद, बदन दद, हाथ-पैर म दद से परशान ह तो िकसी कार क एनालजे टक दवा क गोली
गटकने क बजाय, से स क ि प लगाएँ। िफर देख, आपका दद िकतनी ज दी गायब हो जाता ह।
यूयॉक क जाने-माने मनोिचिक सक डॉ. िवनय शाह का कहना ह िक जब आप से स म िल हो जाते ह, उस
व शरीर म तमाम ऐेसे यूरो ांसमीटस या हारम स उ प होने लगते ह, जो दद क िसगनल को म त क क
अनुभूित क तक प चने से रोक देता ह। चरमो कष क िशखर पर प चते-प चते सारा दद गायब हो जाता ह।
से स क बाद पूरा शरीर हलका और तरोताजा लगता ह। जो मिहलाएँ पी.एम.एस. से पीि़डत होती ह, िनयिमत
से स करती ह, उ ह इस सम या से छटकारा िमल जाता ह। डॉ. शाह का कहना ह, ‘से स से जी चुराने क बजाय
भरपूर से स कर, जो आपको खुश रखने म मदद करगा।’
यार क क ती
से स को ‘ यार क क ती’ कहा जाता ह। इसक ारा आप भरपूर आनंद ा कर सकते ह। से स थेरिप ट
और साइकोलॉिज ट वीनस सैफ का कहना ह िक यिद आपक िजंदगी से खुिशयाँ गायब हो गई ह तो इसका इलाज
आपक पास ह। से स आपको भरपूर उ ेजना और आनंद दे सकता ह।
एक जोरदार यार भरी क ती आपको ह त तक एनज से भर देती ह। आप म फित और उ ेजना आ जाती ह,
िजससे आप तरोताजा, श और खुश महसूस करने लगते ह। डॉ. सैफ 2,000 से भी अिधक लोग पर यह फॉमूला
आजमा चुक ह। उनका कहना ह, ‘लाइफ को बेहतर बनाना ह तो से स भी बेहतर होना चािहए। से स म गैप
लाइफ क खुिशय म गैप ला देता ह।’
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