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जीवन परिचय

राजस्थान सोमेसर निवासी एवं छतीसगढ़ के जगदलपुर निवासी स्व.देवीचंद जी


दुग्गड़ एवं श्री रीमति सीता देवी दुग्गड़ के ज्येष्ठ सुपुत्र के रूप मे आपका जन्म 16
जनवरी 1967 को जगदलपुर मे हुआ था

आपके चार लघु भ्राता श्री विजय जी दुग्गड़ ,श्री राके श जी दुग्गड़ ,श्री महावीर जी दुग्गड़ ,श्री विकास दुग्गड़
सहित एक छोटी बहन सौ.ललिता सोमेश जी लोढ़ा सोमनी है

आपकी शिक्षा एम.काम एवं एम.ए.तक जगदलपुर मे ही सम्पन्न हुई।अध्यनरत रहते हुए ही
आपने पुश्तैनी व्यवसाय कपड़े के व्यापार मे संलग्न हो गये

इस दरमियान आपका विवाह गीदम निवासी री रीफूलचं


री द जी एवं सूआ दे
वी बाफना की
सुपुत्री सुमन के साथ 07/03/1992 को सम्पन्न हुआ। आपकी तीन पुत्रियां सौ.खुबू वे
दां
त जी
सेठिया,रायपुर ,सौ.मोनिका रोहित जी बैद एवं कुमारी मोक्षा दुग्गड़ है

दिनांक 04/02/2002 को स्वास्थ्य प्रतिकूलता से संघर्षरत करते हुए जब पितारी


श्री
श्री देवीचंदजी दुग्गड़ का अवसान हुआ एकाएक पूरी जिम्मेदारी आपके कं धों पर आ गई। तब से आपने पूर्ण जिम्मेदारी के
साथ अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया एवम माता श्रीरीमति सीता देवी के निर्देशन
मे समूचे परिवार को एक सूत्र मे बांधे रखा। दिनांक 09/07/2018 को माता जी के
अवसान पश्चात आपने समूची जिम्मेदारी उठा ली और कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ते चले गये

इस दौरान आपको पक्षाघात भी हुआ फिर भी दृढ़ मनोबल के साथ आपने ना के वल स्वयं को अपितु पूरे परिवार को
संभाल लिया। व्यवसाय के साथ साथ आपने समाजिक सक्रियता भी बरकरार रही। विभिन्न
संस्थाओं रॉयल क्लब ,विनय मित्र मंडल ,जैन युवा संघठन ,जैन कुशल संघठन ,जैन
श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट जैसी संस्थाओं मे सचिव पद पर रहते हुए अपने समाजिक दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया।वर्तमान
मे आप श्री री
श्वे ओ स वा ल जै नवेतांबरसमाजके
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रचनपाल केनिर् मा
ण केलिये
भीआप सक् रि ,
य भूमिका निभारहेथे

आपने देश के मुख्य जैन तीर्थ समवेत शिखर ,पालीताणा ,गिरनार जी ,कुलपाक जी ,चारोंदादाबाडी
,नाकोड़ा जी ,जीरावाला ,अष्टपद ,मांडोली ,सहित अनेकों तीर्थों मे दर्न
ला
र्शभ लिया है।
परिवार मे अनुज वधू सौ.डिंपल ,सौ.नीतू ,सौ.पायल सहित भतीजे भतीजी के प्रति
आपका वात्सल्य पितृतुल्य था

दिनांक 15 जुलाइ को प्रातः मंदिर दर्न


ए र्शवम प्रवचन श्ररवण उपरांत अचानक परिवार
के सदस्यों के समक्ष आपको हृदयाघात हुआ। इसके पूर्व की कुछ समझ आता नियति ने
अपना फै सला कर दिया और आपका इस जगत से प्रयाण हो गया। विधि के विधान के समक्ष हम सभी नतमस्तक है।
आपके लिये शाश्वत सुखों की कामना करते हुए हम शोकाकु ल परिवार को यह शोक सहने की शक्ति प्रदान हो यह कामना
करते है

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