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कै स स्टडी-8

वस्त्र उद्योग के संबंध में कुछ राजनेता तथा प्रशासननक अनधकारी समानवष्ट हैं। इस घोटाले में ननजी कं पनी को महत्त्वपूर्ण भूनम की
कनथत नबक्री अस्थायी कीमतों में की गई। इस घोटाले ननम्ननलनित प्रदनशण त नवषय स्पष्ट हुए
 सरकारी संपनि की नबक्री ननजी कं पनी को कम कीमत पर की गई।
 भूनम का हस्तांतरर् चाल में अननु चत तरीके से पनु ः नवकास के नलये हुआ ।
 अनधकाररयों ने पद का दरुु पयोग करते हुए भूनम का मूलयांकन उनचत कीमत पर नहीं नकया।
 सभी पर आय से अनधक संपनि का आरोप लगाया गया।
उक्त प्रकरर् के संबंध में ननम्ननलनित प्रश्नों के उिर दीनजये
(a) भारत में इस तरह के घोटालों के क्या कारर् हैं?
(b) सरकारी तंत्र इन्हें ननयंनत्रत करने में असमथण क्यों है?
(c) इस तरह के घोटालों के ननयंत्रर् में जनता की क्या हो सकती है?
(d) इस तरह के नक ु सान को कौन भरेगा
(e) इसके ननयंत्रर् में प्रसार माध्यम की क्या भूनमका हो सकती है?
(a) भारत में इस तरह के पोटाले नकसी एक कारर् नहीं बनलक एकानधक कारर्ों के समच्ु चय का पररर्ाम होते हैं। इस रूप
में इन घोटालों के कारर् ननम्ननलनित होते हैं
 पारदर्शिता का अभाव: भारत में होने वाले घोटालों के प्रमुि कारर् में से एक पारदनशण ता का अभाव होता है। अपारदशी
एवं गोपनीय प्रनक्रयाओं के कारर् घोटालों की संभावनाएँ कई गनु ा बढ़ जाती हैं।
 गोपनीय प्रर्ियाएँः घोटालों की बडी वजह गोपनीय कायण प्रनक्रयाएँ होना है। जनटल एवं गोपनीय कायण प्रनक्रयाओं के कारर्
ननर्ण य कुछ लोगों तक सीनमत हो जाते हैं नजससे नजम्मेदार व्यनक्त मनमाने ढंग से ननर्ण य करके भ्रष्टाचार करते हैं। सरलीकृत
प्रनक्रयाओं एवं िल ु ेपन में घोटाले होना संभव नहीं है।
 भ्रष्टाचार: भारत में घोटाले भ्रष्टाचार के कारर् होते हैं। नेता-अनधकारी आनथण क लाभ के नलये भ्रष्टाचार करते हैं। घोटाले
दरअसल छोटे-छोटे भ्रष्टाचार का संयक्त ु एवं बडा रूप है।
 भाई-भतीजावाद एवं लालफीताशाही: भ्रष्टाचार एवं घोटालों का बडा कारर् अपने ररश्तेदारों को लाभ पहुंचाना और
सरकारी कायों में अनावश्यक देरी करना है। घोटालों के मूल कारर्ों में भाई-भतीजावाद एवं लालफीताशाही प्रमि ु हैं।
 नैर्तकता का पतन: वतण मान समय में नैनतकता का पतन एवं मानवीय मूलयों में नगरावट के कारर् घोटालों का जन्म हो
रहा है। लोग भ्रष्टाचार को दैननक जीवन का नहस्सा मानने लगे हैं, इसनलये घोटाले उन्हें ज्यादा प्रभानवत नहीं करते हैं।
 प्रभावी कानूनों की कमीँः घोटालों का एक प्रमि ु कारर् यह भी है नक भ्रष्टाचार के नवरुद्ध प्रभावी कानूनों की कमी है। जो
कानून उपलब्ध हैं उनका नक्रयान्वयन भी उनचत ढंग से नहीं हो पाता है।
 सरकारी मशीनरी में इतनी िानमयाँ होती हैं नक इन िानमयों के चलते अपराधी/भ्रष्टाचारी को दंड नदलाना अत्यंत कनिन
हो जाता है।
 जनजागरूकता में कमी: सामान्य रूप से जनता को प्रशासननक प्रनक्रयाओं में समझ और उनमें जागरूकता की कमी
देिी जाती है. नजसका फायदा भ्रष्टाचारी नेता एवं अनधकारी उिाते हैं।
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 उपरोक्त कारर्ों का समच्ु चय ही बडे-बडे घोटालों का कारर् हैं। भारत में इन घोटालों के कारर् लोकतंत्र पर भी नकारात्मक
प्रभाव पडा है।
: (b) सरकारी तंत्र इन घोटालों को ननयंनत्रत करने में इसनलये असमथण है क्योंनक अनधकांश मामलों में प्रशासननक अनधकाररयों
एवं नेताओं की साँिगाँि देिने को नमलती है। प्रशासन में ननम्न से उच्च स्तर के अनधकारी एवं उिरदायी राजनीनतक नेतत्ृ व भी
इन घोटालों में सनम्मनलत रहते हैं नजसके कारर् ननयंत्रर् की कोई भी व्यवस्था नहीं होती।
 यनद प्रशासननक अनधकारी भ्रष्टाचार करते हैं तो राजनीनतक नेतत्ृ व उन पर ननयंत्रर् करते हैं। िीक वैसे ही जब राजनीनतक
पदानधकारी/मंत्री भ्रष्टाचार करते हैं तो प्रशासननक अनधकारी उन पर ननयंत्रर् करते हैं।
 परंतु यनद राजनीनतक नेतत्ृ व /मंत्री एवं प्रशासननक अनधकारी दोनों ही एक साथ भ्रष्टाचार में संलग्न होते हैं तो ननयंत्रर्
व्यवस्था का भय समाप्त हो जाता है। भारत में अब तक नजतने भी घोटाले देिने में आए हैं उनमें अनधकारी मंत्री की साँि-
गाँि स्पष्ट रूप से सामने आई हैं।
 भ्रष्टाचार एवं घोटालों से ननपटने के नलये किोर प्रभावी कानून की अनपु नस्थनत के कारर् सरकारी तंत्र घोटालों को रोकने
में नाकाम रहा है। प्रशासन में पारदनशण ता का अभाव एवं गोपनीयता के कारर् भी घोटाले नहीं रुक पाए हैं। कानूनों के प्रनत
जनजागरूकता का अभाव एवं नजम्मेदार मीनडया की कमी भी सरकारी तंत्र को असहयोग करती है। सरकारी तंत्र की
पदसोपानीय व्यवस्था के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार की मूक सहमनत के कारर् घोटाले रुक नहीं पाते हैं।
(c) इन घोटालों को रोकने में जनता की भूनमका बहुत महत्त्वपूर्ण हो सकती है। प्रशासन में सामान्य जनता की भागीदारी
सनु ननित कर इन घोटालों को काफी हद तक रोका जा सकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के नलये जनजागरूकता बढ़ाया जाना बहुत
अनधक आवश्यक है। देश में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आते हैं, सभी को मद्दु ा बनाने में जनता का प्रनतरोध महत्त्वपूर्ण भूनमका
ननभाता है।
 लोकतांनत्रक देश में जनता की आवाज़ समथण न एवं प्रनतरोध की महिा बहुत अनधक है। जनभागीदारी द्वारा इन घोटालों
को रोका जा सकता है। यनद आम जनता पारदशी प्रनक्रया की मांग करे, प्रनक्रयाओं के संदभण में प्रश्न करे तथा कानून का
सहयोग ले तो प्रशासननक एवं राजनीनतक नेतत्ृ व पर दबाव बनता है तथा घोटाले की संभावना नगण्य हो जाती है।
 उपरोक्त प्रकरर् में सरकारी संपनि का हस्तांतरर् ननजी व्यनक्तयों को नकया गया। यनद स्थानीय जनता अपने अनधकारों
एवं किण व्यों के प्रनत जागरूक होती तो ननजी हाथों में ज़मीन का हस्तांतरर् होने पर नवरोध करती। आय से अनधक संपनि
के मामले सनहत संनदग्ध गनतनवनधयों पर शासन, पनु लस एवं मीनडया को सूनचत करने का काम भी आम जनता कर सकती
है। लोकतंत्र में लोक की शनक्त घोटालों के ननयंत्रर् के नलये अत्यंत आवश्यक है।
(d) इस तरह के घोटालों में हुई नक
ु सान की भरपाई करने के संबंध में कानूनों का अभाव है। भारत में घोटालों से हुए नक ु सान
की भरपाई के नलये कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। न्यानयक कारण वाई में ननर्ण य के उपरांत अपरानधयों पर जमु ाण ना लगाया जाता है, नजसे
न्यानयक शलु क का भाग माना जाता है। जमु ाण ने लगाने के अनतररक्त आय से अनधक संपनि के मामलों में जब्ती, संपनि कुकण करना,
संपनि की नीलामी आनद से एकत्र रानश को भी सरकारी कोष में जमा कराया जाता है। भ्रष्टाचार के मामलों में संनलप्तता होने पर
प्रशासननक अनधकाररयों की पेंशन पर रोक, फं ड पर रोक आनद भी दंड स्वरूप लगाई जाती है।
 घोटाले करने पर हुई हानन की भरपाई नहीं नकये जाने की स्पष्ट व्यवस्था के अभाव के चलते भी भ्रष्टाचारी इस तरह की
गनतनवनधयों में ननःसंकोच संनलप्त रहते हैं। प्रस्ततु प्रकरर् में राजनेता एवं प्रशासननक अनधकाररयों की घोटाले में संनलप्तता
है तथा उन पर आय से अनधक संपनि का आरोप है। इस प्रकरर् में आय से अनधक संपनि के मामले में अवश्य संपनि
की जब्ती की जा सकती है।
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(e) घोटालों के ननयंत्रर् में मीनडया की भूनमका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। मीनडया लोकतंत्र का चतथु ण स्तंभ कहलाता है। जनसंचार
का सशक्त माध्यम होने के कारर् मीनडया िोजी पत्रकाररता, नस्टंग ऑपरेशन साक्ष्य एकत्रर् द्वारा मीनडया में ररपोटण प्रसाररत करके
व्यापक रूप से जन प्रनतरोध एवं सरकार पर दबाव बना सकता है। घोटालों के अनधकतर मामलों में मीनडया की ररपोटटण स को भी
साक्ष्य एवं संज्ञान का आधार बनाया जाता है। घोटाले में संनलप्त प्रशासननक अनधकाररयों एवं राजनेताओं के नवरुद्ध जनमत बनाने
तथा सरकार को कारण वाई करने पर बाध्य करने में मीनडया की भूनमका बहुत अनधक महत्त्वपूर्ण है। मीनडया की इसी शनक्त के कारर्
घोटालों पर ननयंत्रर् करना आसान हो जाता है। वतण मान में नप्रंट, इलेक्रॉननक एवं सोशल मीनडया ने भी घोटालों को सामने लाने
एवं कारण वाई करने का दबाव बनाने में प्रमि ु भूनमका ननभाई है।
 घोटालों पर ननयंत्रर् हेतु मीनडया अपने प्रचार माध्यमों एवं नवज्ञापन द्वारा जनजागरूकता बढ़ाने एवं भ्रष्टाचार को रोकने के
नलये प्रेररत कर सकता है। मीनडया लोकतंत्र की मज़बूती के नलये जनमत को सकारात्मक रूप से प्रभानवत कर सकता है।
नवनभन्न टी.वी. नडबेटटस में जनता की ओर से जाँच की माँग की जा सकती है। नसनवल सोसायटी, यूथ क्लब सनहत
एन.जी.ओ. को भी इस प्रयास में शानमल नकया जा सकता है।
कै स स्टडी-10

2G स्पेक्रम घोटाला दूरसंचार का (Telecommunications) घोटाला है। यह राजकीय घोटाला है नजसमें अनेक राजनेता और
प्रशासकीय अनधकारी समानवष्ट है। यह घोटाला 2008 में शुरू हुआ। अब तक नौ दूरसंचार कं पननयों को स्के सण स्पेक्रम (Scarce
Spectrum) और लाइसेंस नदया गया है।
इस घोटाले में ननम्ननलनित प्रदनशण त नवषय सामने आए हैं
 2008 में प्राइवेट टेनलकॉम कं पननयों को बहुत ही सस्ते में 2G लाइसेंस नदये गए थे।
(a) इस घोटाले से सरकार को ₹1.76 लाि करोड का नक ु सान हुआ है।
(b) सी.बी.आई. (CBI) चाजण शीट (2 अप्रैल, 2011) के अनस ु ार सरकार को ₹309845.5 नमनलयन (US S7 billion)
का नक ु सान हुआ है।
 लाइसेंस मंजूर करते समय ननयम और पद्धनत को नज़रअंदाज नकया गया था।
 नजन कं पननयों को दूरसंचार का पूवण अनुभव ही नहीं था, उनको भी लाइसेंस नदया गया था।
 लाइसेंस देने में पक्षपात नकया गया था।
उक्त प्रकरर् के पररप्रेक्ष्य में ननम्ननलनित प्रश्नों के उिर दीनजये
(a) भारत में इस तरह के घोटालों का मूलभूत कारर् क्या हैं?
(b) क्यों सरकार इस तरह के घोटालों को ननयंनत्रत करने में असमथण है?
(c) इस तरह के प्रकरर्ों में नव्हसल ब्लोअर (Whistle blower) की क्या भूनमका है?
(d) इस तरह के नक ु सान को कौन भरेगा?
(e) इस तरह के घोटालों के ननयंत्रर् में जनता और प्रसार माध्यम की क्या भूनमका हो सकती है?
: (a) भारत में इस तरह के घोटाले नकसी एक कारर् से नहीं बनलक एकानधक कारर्ों के समच्ु चय का पररर्ाम होते हैं। इन
घोटालों के होने के मूलभूत कारर् ननम्ननलनित हैं
 पारदर्शिता का अभाव: भारत में होने वाले घोटालों के प्रमुि कारर्ों में से एक पारदनशण ता का अभाव होना है। अपारदशी
एवं गोपनीय प्रनक्रयाओं के कारर् घोटालों की संभावनाएँ अनधकतम रहती हैं।
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 प्रभावी कानूनों की कमीँः घोटालों के होने का एक प्रमि ु कारर् यह भी है नक भ्रष्टाचार के मामलों से ननपटने एवं ननयंत्रर्
के नलये प्रभावी कानूनों की कमी है। जो कानून उपलब्ध हैं उनका नक्रयान्वयन भी उनचत ढंग से नहीं हो पाता है। सरकारी
मशीनरी में इतनी िानमयाँ होती हैं नक िानमयों के लूप होलस के कारर् भ्रष्टाचाररयों को दंड नदलाना अत्यंत कनिन हो
जाता है।
 गोपनीय प्रर्ियाए: घोटालों की बडी वजह प्रशासननक प्रनक्रयाओं में गोपनीयता का ननवण हन करना भी है। जनटल एवं
गोपनीय कायण प्रनक्रयाओं के कारर् प्रशासननक ननर्ण य कुछ व्यनक्तयों तक सीनमत हो जाते हैं, नजससे नजम्मेदार व्यनक्त
मनमाने ढंग से ननर्ण य करके भ्रष्टाचार करते हैं। सरलीकृत प्रनक्रयाओं एवं पारदनशण ता बढ़ने से भ्रष्टाचार के मामलों में काफी
कमी आएगी।
 भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार नवनभन्न रूपों में नकया जाता है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार के छोटे-छोटे मामले बडे घोटालों
का रूप ले लेते हैं। नेता-अनधकारी साँि-गाँि से आनथण क लाभ के नलये बडे-बडे घोटाले करते हैं।
 भाई-भतीजावाद एवं लालफीताशाही भ्रष्टाचार एवं घोटालों का एक बडा कारर् अपने करीनबयों को लाभ पहुचँ ाने की
मंशा होती है और इसी के चलते सरकारी कायों में अनावश्यक रूप से देरी करके अननु चत लाभ नलया जाता है।
 नैर्तकता का पतनँः वतण मान समय में नैनतकता का पतन एवं मानवीय मूलयों में नगरावट के कारर् घोटालों में ननरंतर वृनद्ध
हो रही है। भारत में भ्रष्टाचार को दैननक जीवन का नहस्सा मानने लगे हैं इसनलये भ्रष्टाचार करना तथा घोटालों के मामले
उन्हें ज्यादा प्रभानवत नहीं करते हैं।
 जनजागरूकता में कमी: सामान्य रूप से जनता की प्रशासननक प्रनक्रयाओं में समझ और जागरूकता की कमी देिी जाती
है नजसका लाभ भ्रष्टाचारी नेता एवं अनधकारी उिाते हैं।
 उपरोक्त कारर्ों का समच्ु चय ही बडे-बडे घोटालों का कारर् है। भारत में इन घोटालों के कारर् लोकतंत्र पर भी नकारात्मक
प्रभाव पडा है।
(b) सरकारी तंत्र इन घोटालों को ननयंनत्रत करने में इसनलये असमथण है क्योंनक अनधकांश मामलों में प्रशासननक अनधकाररयों
एवं नेताओं की सांि-गाँि देिने को नमलती है। प्रशासन में ननम्न से लेकर उच्च स्तर के अनधकारी एवं उिरदायी राजनीनतक नेतत्ृ व
भी इन घोटालों में सनम्मनलत रहते हैं नजसके कारर् ननयंत्रर् की व्यवस्था भी भंग हो जाती है।
 यनद प्रशासननक अनधकारी भ्रष्टाचार करते हैं तो राजनीनतक नेतत्ृ व उन पर ननयंत्रर् करता है। िीक वैसे ही जब राजनीनतक
पदानधकारी/मंत्री भ्रष्टाचार करते हैं तो प्रशासननक अनधकारी उन पर ननयंत्रर् करते हैं। परंतु यनद राजनीनतक नेतत्ृ व/मंत्री
एवं प्रशासननक अनधकारी दोनों ही एक साथ भ्रष्टाचार में संलग्न होते हैं तो ननयंत्रर् व्यवस्था एवं कानून का भय समाप्त हो
जाता है। भारत में लगभग सभी घोटालों में नेताओं एवं अनधकाररयों की साँि-गाँि स्पष्ट रूप से सामने आई है।
 भ्रष्टाचार एवं घोटालों से ननपटने के नलये किोर और प्रभावी कानूनों तथा संस्थाओं की उपनस्थनत के कारर् भी सरकारी
तंत्र घोटालों को रोकने में असमथण रहा है। प्रशासन में पारदनशण ता का अभाव एवं गोपनीयता के कारर् भी घोटाले नहीं रुक
सके हैं। कानूनों के प्रनत जनजागरूकता का अभाव एवं नज़म्मेदार मीनडया की कमी भी सरकारी तंत्र को असहयोग करती
है। सरकारी तंत्र की पदसोपानीय व्यवस्था में प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार की मूक सहमनत के कारर् घोटाले रुक नहीं रहे हैं।
: (c) इस तरह के प्रकरर्ों में नव्हसल ब्लोअर की भूनमका बहुत अनधक महत्त्वपूर्ण है। नव्हसल ब्लोअर एक्ट में सरकारी धन के
दरुु पयोग और सरकारी संस्थाओं में हो रहे घोटालों की जानकारी देने वाले व्यनक्त यानी भ्रष्टाचार के निलाफ नबगल ु बजाने वाले
को नव्हसल-ब्लोअर माना गया है। सूचना देने वाले व्यनक्त भ्रष्टाचार के मामलों को सामने लाने में एक महत्त्वपूर्ण भूनमका ननभाते हैं।
नकसी नवभाग में काम करने वाले लोक सेवक उस नवभाग से अन्य लोगों के पूवणवतृ ों और गनतनवनधयों को जानते हैं परंतु वे नकसी
भी प्रकार की हानन से बचने के नलये सूचना देने के इच्छुक नहीं होते हैं। ऐसे में नव्हसल ब्लोअरों का महत्त्व एवं भूनमका बहुत अनधक
बढ़ जाती है।
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 नव्हसल ब्लोअरों के द्वारा नवनभन्न घोटाले सामने लाए गए हैं। ये न के वल घोटालों के संदभण में जानकारी देते हैं बनलक
साक्ष्य एकत्र करके जाँच एजेंनसयों को भी सहायता करते हैं। नव्हसल ब्लोअर आम जनता के नज़ररये से इस मद्दु े को मीनडया
में प्रस्तुत करते हैं, साथ ही न्यानयक प्रनक्रयाओं में गवाह के रूप में भी सनम्मनलत होते हैं।
: (d) इस तरह के घोटालों में हुई हानन की पूरी भरपाई करने के संबंध में हमारे देश में कानूनों का अभाव है। इस संदभण में ऐसा
कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं नमलता जो भरपाई करने की बाध्यता रिता हो। न्यानयक कारण वाई में ननर्ण य के उपरांत अपरानधयों पर
जमु ाण ना लगाया जाता है नजसे न्यानयक शलु क का भाग माना जाता है। जमु ाण ना लगाने के अनतररक्त आय से अनधक संपनि मामलों में
जब्ती, संपनि कुकण करना, संपनि की नीलामी आनद से एकत्र रानश को भी सरकारी कोष में जमा कराया जाता है। भ्रष्टाचार के
मामलों में संनलप्तता होने पर प्रशासननक अनधकाररयों की पेंशन पर रोक, फं ड पर रोक आनद भी दंड स्वरूप लगाई जाती है।
 घोटाले करने पर हुई हानन की भरपाई नहीं नकये जाने की स्पष्ट व्यवस्था के अभाव के चलते भी भ्रष्टाचारी इस तरह की
गनतनवनधयों में ननःसंकोच संनलप्त रहते हैं। प्रस्तुत प्रकरर् में भी घोटाले से सरकार को ₹1.76 लाि करोड का नक
ु सान
हुआ परंतु अब तक नक ु सान की भरपाई नहीं हो सकी है। राजनेता एवं प्रशासननक अनधकाररयों की घोटाले में संनलप्तता है
साथ ही आरोनपयों पर आय से अनधक संपनि का के स भी है, इस प्रकरर् में आय से अनधक संपनि के मामले में अवश्य
संपनि की जब्ती की जा सकती है।
(e) इस तरह के घोटालों के ननयंत्रर् में जनता और प्रसार माध्यम की क्या भूनमका हो सकती है। प्रशासन में सामान्य जनता
की भागीदारी सनु ननित कर इन घोटालों को काफी हद तक रोका जा सकता है। लोकतांनत्रक देश में जनता की आवाज, समथण न एवं
प्रनतरोध की महिा बहुत अनधक है। इसी प्रकार मीनडया भी लोकतंत्र के चतथु ण स्तंभ के रूप में व्यापक रूप से जननहत के मद्दु ों को
उिाते हुए घोटाले पर अप्रत्यक्षतः ननयंत्रर् लगाता है। यनद आम जनता पारदशी प्रनक्रया की मांग करे, प्रनक्रयाओं के नवषय में प्रश्न
उिाए तथा कानून का सहयोग ले तो प्रशासननक एवं राजनीनतक नेतत्ृ व पर दबाव बनता है। जनआकांक्षाओं को सरकार तक पहुचँ ाने
एवं सरकार पर दबाव बनाने तथा घोटालों को रोकने में मीनडया सनक्रय भूनमका ननभाता है।
 जनसंचार का सशक्त माध्यम होने के कारर् मीनडया िोजी पत्रकाररता, नस्टंग ऑपरेशन, साक्ष्य एकत्रर् द्वारा मीनडया में
ररपोटण प्रसाररत करके व्यापक रूप से जनप्रनतरोध एवं सरकार पर दबाव बना सकता है। घोटालों के अनधकतर मामलों में
मीनडया की ररपोटटण स को भी साक्ष्य एवं संज्ञान का आधार बनाया जाता है। घोटाले में संनलप्त प्रशासननक अनधकाररयों एवं
राजनेताओं के नवरुद्ध जनमत बनाने तथा सरकार को कारण वाई करने पर बाध्य करने में जनता एवं मीनडया की भूनमका
बहुत अनधक महत्त्वपूर्ण है। मीनडया एवं जनता को इसी शनक्त के कारर् घोटालों पर ननयंत्रर् रिना आसान हो जाता है।
वतण मान में नप्रंट, इलेक्रॉननक एवं सोशल मीनडया के माध्यम से जनता ने घोटालों को सामने लाने एवं कारण वाई करने का
दबाव बनाने में प्रमि ु भूनमका ननभाई है।

के स स्टडी-11

आप एक नमत्रकी बहन की शादी में उसके गाँव जाते हैं। नववाह समारोह में पहुचँ कर कुछ लोगों से आपको पता चलता है नक वधु को
आयु नववाह योग्य नहीं है। नमत्र की आनथण क नस्थनत बेहद िराब है इसनलये पररवार ने भनवष्य में अत्यनधक दहेज की मांगों की
संभावना से बचने के नलये अपनी बेटी का नववाह कम आयु में ही करा देना उनचत समझा। यह एक बाल नववाह है और आप इस
बात से अच्छी तरह वानकफ हैं नक भारत में बाल नववाह प्रनतबंनधत है। जब आप इस मुद्दे पर नमत्र से बात करते हैं तो वह स्वयं को
लाचार व नववश बताते हुए कहता है नक पररवार की बदहाल आनथण क नस्थनत के चलते वह कुछ नहीं कर सकता है। यनद आप पनु लस
में नशकायत करते हैं तो इससे न के वल पूरे पररवार की बदनामी होगी बनलक पूरा पररवार आपरानधक प्रनक्रया के दायरे में आ जाएगा।
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उक्त प्रकरर् के पररप्रेक्ष्य में ननम्ननलनित प्रश्नों के उिर दीनजये


(a) उक्त प्रकरर् में नकन समस्याओं के प्रनत ध्यान आकृष्ट कराया गया है?
(b) बाल नववाह से होने वाली समस्याएँ बताइये।
(c) क्यों कानून होने के बाद भी बाल नववाह पर रोक नहीं लग सकी है?
(d) इस समस्या से ननपटने के नलये अनभनव उपाय सझ ु ाइये।
: (a) उपरोक्त वनर्ण त प्रकरर् में हमारे देश की दो ऐसी कुरीनतयों पर प्रकाश डाला गया है जो भारतीय समाज को िोिला कर
रही है। बाल नववाह एवं दहेज प्रथा भारत में सवण प्रमि ु सामानजक बुराइयों के रूप में नवद्यमान हैं। यद्यनप उपरोक्त वनर्ण त प्रकरर् में
दहेज मख्ु य मुद्दा नहीं है तथानप समस्या के मूल में दहेज की प्रथा ही मख्ु य है। बेटी को पराया धन समझने वाली माननसकता के
चलते लोग कम आयु में ही उनका नववाह करवाकर अपने कतण व्य की इनतश्री कर लेते हैं। रीनत-ररवाज व परंपरा के नाम पर छोटे-
छोटे बच्चों का नववाह कर नदया जाता है।
: (b) बाल नववाह का संबंध सामान्य तौर पर भारत के कुछ समाजों में प्रचनलत सामानजक प्रनक्रयाओं से जोडा जाता है,
नजसमें वर-वधू की आयु 15 वषण से कम होती है। बाल नववाह की इस कुप्रथा के कारर् जो आयु बच्चों की िेलने-पढ़ने की होती है
उस अपररपक्व आयु में उन्हें नववाह जैसे नजम्मेदारी भरे बंधन में जकड नदया जाता है।
 जो लडनकयाँ कम उम्र में नववानहत हो जाती हैं उनमें कम आयु में ही यौन संबंध से स्वास््य एवं गभण धारर् की समस्याएँ
शरूु हो जाती हैं, जैसे- एच.आई.वी., नफस्चल ु ा, कुपोषर्, गभाण धान में समस्या आनद। कम आयु में नववाह से ही मातृ मत्ृ यु
दर एवं नशशु मत्ृ यु दर बढ़ती है। कम आयु में नववाह लडनकयों को नशक्षा या अथण पूर्ण कायों से वंनचत करता है जो उनकी
ननरंतर गरीबी का बडा कारर् बनता है। घरेलू नहंसा, यौन शोषर् एवं सामानजक बनहष्कार आनद जैसी समस्याएँ प्रत्यक्ष रूप
से बाल नववाह से जडु ी हुई हैं। कम उम्र में नववाह होने से लडके -लडकी शीघ्र ही संतानोत्पनि की प्रनक्रया शुरू कर देते हैं
एवं प्रजनन काल की अवनध अनधक नमलने से ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। इससे अननयंनत्रत रूप से जनसंख्या वनृ द्ध होती
है तथा मध्यम और ननम्न वगण के जीवन स्तर में नगरावट आती है। असमय पनत की मत्ृ यु एवं कम आयु में ही नवधवा हो
जाने की घटनाओं से मनहलाओं की नस्थनत बदतर होती जाती है।
(c) बाल नववाह और दहेज के प्रनत जागरूकता फै लाने तथा सख्त कानूनी प्रावधान होने के बावजूद यह समस्या आज भी
वहृ द पैमाने पर समाज में बनी हुई है। इसके पीछे एक मूल कारर् कानूनों का कमजोर नक्रयान्वयन है। कानून के अनुसार नववाह
योग्य आयु परुु षों के नलये 21 वषण एवं मनहलाओं के नलये 18 वषण है। यनद वर-वधू में से नकसी को भी आयु ननधाण ररत कानूनी आयु
सीमा से कम है तो इस वाह को अमान्य/ननरस्त घोनषत नकया जा सकता है। बाल नववाह ननषेध अनधननयम, 2006 के द्वारा बाल
नववाह को सख्ती से प्रनतबंनधत नकया गया है। इस कानून के अंतगण त बच्चे अपनी इच्छा से वयस्क होने के 2 वषण के भीतर बाल
नववाह को अवैध घोनषत कर सकते हैं। इसके अनतररक्त नाबानलग पत्नी के साथ यौन संबंध भी भारतीय दंड संनहता की धारा 376
के अंतगण त एक अपराध है। परंतु नववाहों के पंजीकरर् प्रनक्रया अननवायण नहीं होने तथा पंजीकरर् को सामानजक स्वीकायण ता नहीं
नमलने से ऐसी शानदयाँ गैर-पंजीकृत रहती हैं। साथ ही कई बार फजी प्रमार्पत्रों की सहायता से भी बाल नववाह संपन्न कर नलये
जाते हैं। इस प्रनक्रया के नक्रयान्वयन को और अनधक मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
(d) बाल नववाह को रोकने के नलये पनु लस प्रशासन एवं सरकार सनहत पूरे समाज को सनक्रय एवं जागरूक होने की जरूरत
है। बच्चों को अपने मानवानधकारों के प्रनत जागरूक करने की आवश्यकता है, साथ ही ऐसे दबावों पर नवरोध करने की नशक्षा दी
जानी चानहये। प्रत्येक नागररक को बाल नववाह को रोकना अपना किण व्य समझना चानहये और ऐसा मामला संज्ञान में आने पर तुरतं
पनु लस को सूनचत करना चानहये। मीनडया इसे रोकने में प्रमि ु भागोदारी ननभा सकती है। जहाँ मीनडया का प्रसार ना हो वहाँ नक्ु कड
नाटक आनद के माध्यम से बाल नववाह रोकने का प्रयास नकया जाना चानहये। वतण मान नडनजटल यगु में सोशल मीनडया, जैसे-
फे सबक ु , व्हाटट सएप, टट नवटर सनहत एप बेस्ड प्रोग्राम के माध्यम से सूचना प्रर्ाली नवकनसत की जा सकती है। इस समस्या के
समाधान का उपाय सामूनहक उिरदानयत्व से ही संभव है।

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