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जीवन म मनोकामना पूित क िलए तप, साधना, याग, मं जप, अनु ठान करने होते ह तब ही हम मन चाहा फल ा त
होता है, यह सब तभी स भव है, जब हम ान का वण कर, उस उ ान को अपने अ दर आ मसात करे उस ान को अपने
अ दर पनपने दे, िजस कार कित जलधारा से, निदय से, वषा से इस धरती का, माँ का अिभषेक करती है, जो इस धरा को और
सु दर हरा-भरा बना देता है, िजसका लाभ सभी जीव-जंतु लेते ह। उसी कार एक यो य साधक भी अपने गु क ान को वण
कर अपने जीवन क िवष को समा त करते ह, व गु क उस ान का अिभषेक करते है, िजससे साधक अपने पापो को धोकर
अपने जीवन को पावन व पाप रिहत बना सक।
सभी क जीवन म सुख, द र ता, िवष पूण थितयां आती है पर तु सही समय पर उनका उपचार व नाश न िकया जाय तो
स पूण जीवन नारकीय हो जाता है। इसी िलए ान का अिभषेक मन पर हो जो मन को शांत करे, दद को, सम या को, दूर कर।
हम एक यो य गु क िश य है हम अपनी सम या की समा त क िलए अिभषेक अपने आसु से नह अिपतु अपने गु क
ान से, मं जप से, तप से करना है। जो हम पूण बनाता है।
इस वष का सावन मास भी 59 िदन का होगा, जो एक वरदान व प है, जो हम अधनारी वर व प माँ पावती और
महादेव का यु म व प म अराधना करने का अवसर देता है। माँ ल मी का व प है वृि का व प है व महादेव ान का, तप
का व प है और दोन क योग से ही हमारा जीवन समृ व सुचा प से चल सकता है। जीवन की िवषमता को दूर करने व
अपने जीवन को िवष रिहत बनाने हेतु व अपनी मनोकामना की पूित का यह िविश ट अवसर हम नह खोना है, गु देव क
ान व तप ऊजा से प रपूण अधनारी वर व प पारद िशविलंग की थापना हर घर म हो व स भव हो तो सामुिहक अ यथा
येक साधक इस िविश ट िशविलंग पर अव य ही अिभषेक करे। साथ ही 17 से 20 जुलाई को कलाश िस ा म, जोधपुर म
गु सािन य म व अपने पूरे प रवार क साथ अिभषेक स प करे। पूण आ मीय भाव से िकया गया यह अिभषेक आपक जीवन
की िवषमता को समा त कर पूणता की ओर अ सर करेगा।
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ENGLISH CORNER
b Rituals & Articles a
Purushottam Kalpa Diksha 49
Shravan Month Sadhanas 52
For a Happy Married Life 54
23
For a Unending Wealth 56
For Removing Untimely Death 58 oj y{eh lk/uk
For Rise of Fortune 60
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जीवन या है? इस जीवन का रह य या है? मनु य य ज म लेता है? मृ यु क बाद वह कहा जाता है? ये कोई
मामूली नह है। िजस य त क जीवन म जागृित आ जाती है, जब उसम यथाथ का बोध होना आर भ हो जाता है, तब उसक
मानस म सव थम यही उठते ह। पर तु या वह इन क उ र खोज लेता है?
शायद नह । हां! इतना अव य है, िक वह िविभ धम गु क वचन से, महापु ष क संदेश से और वयं क थोड़-
बहुत अनुभव से वह मा अनुमान लगा लेता है, िक यह जीवन या हो सकता है। िज ह ने भी इन क उ र जानने-समझने
की कोिशश की, वे अपने आप म ही डबते चले गये और अपनी ही गहराइय म उ ह ने अन त को खोजा, अनेक स भावना को
ज म िदया। पर तु अ ततः वे भी इस बात को ठीक से प रभािषत नह कर सक, िक यह जीवन वा तव म है या?
मनु य की आ त रक खोज और बा खोज अथा आधुिनक िव ान की खोज, दोन से यह तो िस हो ही चुका है, िक
मृ यु क प चा भी मनु य का अ त व होता है और यिद मृ यु क बाद उसका अ त व है, तो ज म से पूव भी उसका अ त व
होना ही चािहये।
इस बात क सैकड़ माण िमलते भी है, िक अमुक ी या पु ष का पुनज म हुआ है या अमुक थान पर ज मा बालक
अपने पूव ज म की जानकारी दे रहा है। अनेक उदाहरण ऐसे भी ा त होते ह, िक िकसी ी या पु ष की मृ यु हो गई और मृ यु क
कछ समय बाद वह पुनज िवत हो उठा।
इन सब बात से यह तो प ट है, िक ज म और मृ यु से जीवन का ार भ और अ त नह है। इससे जीवन की अनेक
स भावना क ार खुलते ह और य त अपने म ही खो कर पूण आ या मक लाभ ा त करता है। य तो इस पृ वी पर सभी
जीव ज म लेते ह और मृ यु को ा त होते ह। यह म तो अन त से चल रहा है और चलता ही रहेगा। आज िजसने ज म िलया है,
वह कल समा त हो जायेगा। इस ज म लेने और समा त हो जाने क बीच क अ तराल म जीव िमत रहता है, वह सम त समा त
हो जाने वाली व तु पर अपना अिधकार समझ कर उनम अपने आपको उलझा देता है। पर तु जो इस न वरता को समझ लेता
है, वह िफर अिमट की खोज म चल देता है, वह अमृ यु की ओर कदम बढ़ा देता है।
यह जीवन की बदली धारणा ही उसका अन त से प रचय करा कर उसे से जोड़ देती है, वह जो न कभी समा त हुआ है
और न ही कभी समा त होगा, जो िचर शा वत है, िजसने सम त चराचर को अपना अ त व दान िकया है।
सामा यतः य त सांसा रक िवषय म ही फस कर रह जाता है, इसे तो जीवन का दुभा य ही समझना चािहये या िजस
काल तक मनु य ऐसी न द म रहता है, वह दुभा य काल है। दुभा य काल इसिलये, िक उस समय वह अपनी सम त चेतना खो कर
न वर व तु क ित आस त होता है और उ ह ही ा त करने क िलये सचे ट रहता है।
मूल त व नह है, काश की उ पि का भी कोई ोत होगा, ऐसा मान कर जीवन म अपने आपको यव थत करना चािहये। मानव
जीवन म िद य व एवं ई वर व को उतार कर ही अमृ यु क पथ पर अ सर होना स भव है। लेिकन इसक िलये आव यक है, िक
देह बोध से परे हट कर अ दर झांकने की कोिशश की जाये। शरीर से परे हटने क उपरा त ही उस परम चेतना क अ त व का
बोध होना स भव है, उसकी िनकटता का एहसास होना संभव है, उससे एकाकार होना संभव है, नर से नारायण बनने की ि या
स भव है।
जो एकमा परमा मा को ही अपना सहारा मान कर उसक सहारे अपने को छोड़ देता है, सम त िसि यां भी उसकी
चाकरी करने क िलये य शील होती ह और वह वयं िद यता क पथ पर अ सर होने लगता है।
अतः य त को इस न वर संसार से परे हो कर ई वर को अपना एकमा सहारा मान कर वयं की अतल गहराईय म उतरने
का यास करना चािहये, तभी जीवन क वा तिवक रह य का ान हो सकगा, तभी जीवन म सुवास का अनुभव ा त हो सकगा,
तभी जीवन अमृतमय बन कर अमृ यु की ओर अ सर हो सकगा।
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धन, यश एवं कीित का आगमन
जीवन शैशव से िनकल कर और यौवन की वह न तो आव यक होता है न सहज। बचपन, बचपन क
अठखेिलय से गुजर कर बहुत शी उस थान पर आ जाता बाद िकशोराव था, िकशोराव था क बाद यौवन और इसी
है जहां से िफर कत य और जीवनयापन की सम या सामने यौवन की थम सीढ़ी पर पांव रखते ही कत य का संसार भी
आकर खड़ी हो जाती है। यिद इस थित क िलये य त पहले ारंभ हो ही जाता है। वयं खुद क भरण-पोषण क साथ-साथ
से सतक न हो या कोई बंध न िकया हो, तो उसका सारा माता-िपता का दािय व, छोट भाई-बिहन का परो अथवा
जीवन अ त- य त हो कर रह जाता है। अपरो प से दािय व एवं वयं अपने प रवार की
जीवन म कत य आव यक हो सकते ह लेिकन िज मेदारी यही लगभग पहच र ितशत य तय क जीवन
िजस कार से कत य आकर जीवन को िसत कर लेते ह की कथा है। शेष प ीस ितशत म हो सकता है िक उ ह
पु षोतम ावण म स प कर िव णु श त
वर ल मी साधना
कद पुराण म एक िवशेष िववरण आया ह,ै िजसम इससे यह प ट होता है िक जगत म मनु य क पंच त व,
वर ल मी की िवशेष साधना क स ब ध म भगवान आशुतोष पंच इ यां बा प से और आंत रक प से ल मी की
ने िवशेष उपदेश िदया है। भगवान िशव कहते ह िक जो कपा से ही ि याशील रहती है और ल मी क कारण से ही
य त ावण मास म ित सोमवार को पूजन करने क उसक जीवन म मधुरता आती है।
अलावा ावण मास म पूिणमा से पहले पड़ने वाले शु वार सामा य प से यह माना जाता है िक ल मी की
को वर ल मी की साधना करता है तो ल मी अ य त स आव यकता कवल गृह थ य तय को ही पड़ती है,
होकर भगवान िव णु क साथ भ त को अभी ट आशीवाद सं यासीय को ल मी की आव यकता नह है। वा तव म तो
दान करती ह। स यासीय को गृह थ य तय से अिधक ल मी की
जगत क पालन क ा भगवान िव णु ह और िव णु आव यकता पड़ती है। गृह थ य त ल मी क मा यम से
शु त व यु त िनराकार- साकार व प है और भगवती अपने घर-प रवार का पोषण करता है और व उ ित की
ल मी उनका माया व प ह,ै कित व प है। यह ल मी ओर अ सर होता है, जबिक े ठ योगी, सं यासी पूरे
ही है जो िक अपनी श त कित ारा संसार को इ छा समाज म चेतना देने का काय करते है। उ ह महा काय
मोहमाया भौितकता दान करती है। योिगय क िलये यह िव ा करने पड़ते ह और अपने काय का िव तार कवल एक थान
ल मी है जो उनम क डली जागरण की ि या दान करती पर नह अिपतु हजार थान पर करना होता है इसिलये
है। वह संसा रक य तय क िलये यह सौ दय, भा य, योिगय क िलय,े सं यासीय क िलये सर वती एवं ल मी दोन
े ठ दृ य, कित, माधुय, ेम, उ ित, संगीत, पंचत व की िवशेष आव यकता रहती है।
और उनका समायोजन, मन, ाण चेतना का व प है।
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जग गु शंकराचाय ने तो अपने जीवन म अ प क कठ म वर-ल मी र ासू मा य पहना द, कलश क चार
आयु म ही पूण सफलता ा त करने हेतु तथा सनातन धम तरफ चार िब दी लगा द तथा षोडशोपचार पूजन से अथवा
की थापना क िलये देवी ि पुर सु दरी, ल मी और दैिनक साधना म दी गई िविध अनुसार कलश एवं यं का
सर वती की ही साधना पूरे जीवन स प की और उ ह पूजन कर। यं एवं कलश क सामने लाल-पीले पु प समिपत
की कपा से वे छोटी सी आयु म इतने महा काय स प कर कर तथा वर-ल मी का िन मं से िविनयोग कर। िविनयोग
सक। हेतु दािहने हाथ म जल लेकर संक प कर तथा िन मं का
ावण और पु षोतम मास म वर-ल मी उ ारण कर-
क द पुराण म विणत िववरण क अनुसार गृह थ ऊ अ य ीवरल मीम य िहर यगभ ऋिषः
पु ष- ी को यह साधना स प करनी चािहय।े ावण अनु ट छनदः ीवरल मीमहासर व यो देवताः
शु वार क िदन ही यह साधना स प की जाती है। इस बार बीजं, श तः, ल कीलक मम
दो ावण होने क कारण येक पूिणमा से पहले पड़ने वाले सव लेशषपीडाप रहाराथ सवदुःखदा र यनाशानाथ
शु वार को िवशेष मुहूत बन रहे ह। ये ितिथयां ह- 28 सवकायिस यथ च ीवर-ल मी-म जपे िविनयोगः।
जुलाई या 25 अग त। िविनयोग क प चा बाये हाथ म जल लेकर दािहने हाथ से
वर ल मी का ता पय है जो अपने भ त को वर जल को अपने म तक, ने , कठ, भुजा , व ः थल पर
दान कर। य क िलये वर ल मी का ता पय है उनका पश कराय तथा वर-ल मी की ाथना करते हुये िन
सौभा य अ ु ण रह,े पु ष क िलये वर-ल मी का ता पय है ल मी गाय ी मं का उ ारण ‘वर-ल मी र ासू मा य’ से
वे जो भी काय कर उसम िवशेष सफलता ा त हो और कर।
ल मी वर मु ा म उनक घर म सदैव थािपत रहे। मं
ल मी का ता पय कवल धन और सांसा रक स पि नह है। ।। ऊ महादे यै च िव हे िव णुप यै च
वर-ल मी धन क साथ-साथ मनु य को शु ान बुि , धीमिह त ल मी चोदया ।।
आ मक चेतना दान करती है। िव ा ल मी क प म वह
जग िपता िव णु से मनु य को जोड़ती है िजस कारण मनु य Om Mahadevayae Cha Vidmahe
Vishnupatnayae
अपने जीवन म पूणता ा त करता हुआ पु ष से पु षो म
Cha Dhimahi Tannaom Lakshmi
बनने की ि या करता है, धम क साथ काम और अथ को Prachodayat
भोगता हुआ मो ा त करता है। इस शुभ मुहूत 28 जुलाई या 25 अग त को इस
साधना िवधान मं की एक माला जप तो अिनवाय है अथात 108 बार तो मं
इस साधना म मूल प से एक ता कलश, ‘वर जप करना ही है इससे अिधक सं या म मं जप कर तो और
ल मी यं ’, ‘र ा सू मा य’ की आव यकता रहती है। यह अिधक े ठ है लेिकन मं जप एक माला, तीन माला, पांच
र ासू मा य अ य त मह वपूण है और कलश क चार ओर माला, सात माला, अथवा यारह माला होना चािहय।े
इसे लपेट कर रखने से घर म सदैव ल मी की र ा होती है मं जप क प चा ल मी की आरती स प कर
तथा यथ की धन हािन नह होती। तथा वर-ल मी को समिपत साद वयं हण कर तथा
ावण पूिणमा से पहले पड़ने वाले शु वार अथा 28 जुलाई प रवार क सद य म बांट द।
या 25 अग त सुबह ातः ज दी उठकर ान कर शु यह स पूण साम ी ावण पूिणमा क िदन पिव
व धारण कर। पु ष क िलये आव यक है िक वे वेत सरोवर जल म वयं िवसिजत करनी है और िवसजन करते
व धारण कर तथा यां पीला, कसरीया अथवा लाल समय यह ाथना करनी है िक हे वर-ल मी िजस कार आप
व धारण कर। अपने सामने एक बाजोट पर अ त से नौ जल म िव णु क साथ सदैव िवराजमान रही है उसी कार
खाने बना कर नव ह म डल बना द तथा उसक बीच -बीच मेरे घर म सदैव िवराजमान होकर मुझे अपनी कपा का वर
चावल से भर कर यह कलश थािपत कर द। कलश म ही दान करती रह।
चार प े रख कर उस पर ना रयल थािपत कर द। इस साम ी यौ 850/-व दी ा यौ 2100/-
कलश क सामने वर-ल मी यं थािपत कर द तथा कलश
PMY V 24 info@pmyv.net tqykbZ 2023
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तं क संबंध म इतनी अिधक ांितया है िक सामा य य त तो तं क नाम से ही घबराता है वा तव म तं तो जीवन
सु यव थत करने की ि या है, जीवन म जो कमी है, उसे पूरा करने की ि या है। यही तं िव ान सारगिभत प से तुत है,
स गु की अमर ओज वी वाणी म-
दीघ वता पूण मदैव पं
तां ो त पं मपरं-च दैवं,
ा ड मेव विदतं सिहतं सदैव,
ानं वैदव विदतं सिहतं च तु यं
‘तं महाणव ंथ’ क इस लोक म तं की पूण या या की गई है। म तो एक लोक लेता हूं और उस एक लोक की
या या करता हूं। पूरे ंथ म तो सैकड़ , हजार लोक होते है और एक-एक लोक की या या अपने आप म एक स पूण अथ
होती है, एक-एक, दो-दो घंट का वचन िलये होती है।
तं महाणव अपने आप म एक अि तीय ंथ है। तं का अथ है िक िकसी भी काय को अ यंत यव थत तरीक से करने
की ि या, तं का मतलब इतना ही है। हम जातं म जीवत है, स 1947 से हम तं मय है। तो या हम कह खराब हो गये? पहले
राजतं चलता था, अब हम वतं है। तं कहा ख म हुआ?
या तो आप गुलाम रिहये या वतं बिनये और जहां तं है और वतं है तो इसका अथ है अपने आपको पूणता क साथ समझने की
ि या-पूणता क साथ, इसिलये वतं श द बना। एक काम यव थत तरीक से भी कर रहा हूं और यह भी हो सकता है िक आप
िशिवर म आये तो कोई लेटा हुआ है, कोई खड़ा है, म वचन कर रहा हूं और आप बोल रहे है, बात कर रहे है, कोई मूंगफली चबा
रहा है। पर तु, यिद आप पूण एका िचत होकर बैठ तो यह तं का तरीका है।
इसिलये तु हारे मानस म अगर यह है िक तं म तो अघोरी होते है, लाल आंखे होती है, शराब होती है, शराब पीते है और
पंचमकार होते है तो आपका यह िचंतन बेसलैस, िनराधार है। पूरे तांि क ंथ म कही पर भी इन सब चीज का उ लेख नह है और
शायद िजतना मने तं का अ ययन िकया है, उतना पृ वी पर िकसी ने तं का अ ययन िकया ही नह ।
यह तो गोरखनाथ क बाद म कछ म कार, ढ गी और पाखंडी लोग ने िजनको ान तो था नह , उ ह ने ये तं क िवषय म
ांितयां समाज म फला दी। वे कवल लोग को डरा धमका कर पैसा लूटना चाहते थे। जब सीधे सादे तरीक से हाथ जोड़कर कछ नह
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िमला और जब उनम ान नह रहा तो उन ढ गी साधु ने डराना शु कर िदया। सुलफा पीना शु कर िदया, आदत पड़ गई। अब
सुलफा पीने से अगर कोई महा बनता है तो सुलफा पीने वाले और बीड़ी, िसगरेट पीने वाले तो हजार है। इसका मतलब तो उ
कोिट क तांि क है जो चैन मोकर है। िफर तो एक शराबी अपने आप म सबसे बड़ा तांि क हो जायेगा। उन ढ िगय ने एक फज
लोक बना िदया-
म ं मांसं तथा मत यं मु ा मैथुन मेव च मकारं एंचवम यात स तांि क मच उ ते।
तांि क वही हो सकता है जो इनका योग करे। उ ह ने एक झूठा लोक बना िदया, एक प रपाटी बनाई। उ ह ने कहा
तांि क होने क िलये ज री है िक शराब पीय,े मांस खाय,े मत य-मछली खाय,े मु ा-पैसा एकि त करे और मौज करे, पर ी गमन
करे।
जो पांच मकार की साधना कर लेता है, वह तांि क है। उ ह ने यह झूठी प रपाटी बनाई और वे सुलफा पीते थे। सुलफा
पीने से आंखे लाल तो ह गी ही। लाल आंख होगी, शराब पीयगे तो गािलया िनकलगी ही मुंह से, उ ह ने गािलया िनकाली और आपने
हाथ जोड़ना शु कर िदये िक यह बहुत पहुँचे हुये साधु है। िजनक मुंह से गािलयां िनकलती है वह बहुत उ कोिट का साधु हो जाता
है।
वे िच लाते, गािलयां देते और आप हाथ जोड़ कर सामने खड़ हो जाते। वह कहता-जा यह ला मेरे िलय,े एक धोती ला और
आप सोचते िक यह तांि क कोई ाप दे देगा, मेरे बेट को मार देगा, चलो एक धोती दे दो।
और िफर वह कहता-चल अब पांच सौ पये लाकर दे। वरना नाश कर दगे तु हारा।
जो धोती मांग कर पहनता है वह या तांि क बनेगा, दूसर का या क याण करेगा? िजसम एक धोती कमाने की
मता नह है वह या तु हारा क याण करेगा? िजसम पांच सौ पये कमाने की मता नह है, जो भीख मांग रहा है तुमसे, वह
तु हारा गु या बन सकगा? कहां से तांि क बन सकगा? कौन सा ान दे सकगा? उससे कहां घबराने की ज रत है?
कोई तांि क आपक सामने आंख िनकाल कर खड़ा हो तो तुम खुद आंख िनकाल कर सामने खड़ हो जा । एक सैक ड
म उसकी आंख नीची हो जायेगी। तु हारी आंख से आंख िमलाने की िह मत ऐसे तांि क म हो ही नह सकती य िक तुम मेरे िश य हो,
मेरा िश य अपने आप म अि तीय है।
इन पाख डय से घबराने की ज रत नह है। वे तु हारा कछ अिहत नह कर सकते, अिहत करने की मता है ही नह ,
वरदान देने की मता भी उनम नह है।
तं क िवषय म आपको ान देने से पूव म आपको यह एक बात समझा रहा था। यह अलग बात है िक उसकी प ित
अलग है। प ित तो येक सं दाय की अलग-अलग है। शैव प ित अलग है, वै णव प ित अलग है, शा त प ित अलग है,
भैरव साधना प ित अलग है। प ित का कवल प िभ है, मूल म तो तं का वह ान एक ही है।
एक ही बेसन से प ीस तरह की िमठाईयां बनती है, इतनी अलग-अलग िमठाईयां है। मगर मूल म तो वही बेसन है। चीज
अव य प ीस अलग िदखाई देती है। मूल प से एक ही चीज है। आप िकसी भी प ित का चाहे आसरा ले, चाहे शा त प ित का
आसरा ले, चाहे वै णव प ित का आसरा ले। गृह थ भी तं प ित का आसरा लेता है तो कह दोष है ही नह , कोई नुकसान नह
PMY V 26 GurudevKailash tqykbZ 2023
हो सकता।
तु हारे मन म कई बार आते है और िफर प आते है िक गु जी म ऐसा
कर रहा हूं और तांि क प ित से कर रहा हूं कही कछ िवपरीत हो गया तो या होगा?
िवपरीत हो ही नह सकता।
यह हो सकता है िक तुम सही नह करो तो फल नह िमल पायेगा। म िकसी
देवता को आवाज दूं, तो यह हो सकता है िक वह आये नह मगर ऐसा तो नह हो सकता
िक वह आये और मेरा गला काट दे।
तं अपने आप म आ म बल जा त करने और वतं होने की प ित है।
वतं होने का अथ है िक यिद य त को कहा है तो म हूं
िफर यह म िस करक िदखाऊ।
कवल कहने से िक म बहादुर हूँ, आप बहादुर बन नह
सकते। कवल बात करने से तु हारी बहादूरी नह िदखाई दे सकती।
मता, संक प श त, दृढ़ता, चेहरे पर एक ओज तु हारा
पौ ष, तु हारा व थल अपने आप इस बात को बता देगा िक तुम
मद आदमी हो। तु हारी आवाज इस बात की चेतना दे देगी िक
तुमम मता है-बोलने की भी, करने की भी और संक प श त
की भी।
तं अपने आप म पूण िन ठा क साथ, ताकत क
साथ, बलपूवक कोई काय करने की एक ि या है। जब म
बलपूवक श द योग कर रहा हूं तो मने कहा िक जीवन म भा य िलिप बदलने क िलये, अपनी भी तथा दूसर की भी, एक मता
चािहये। आप खुद जब मजबूत बनगे, िह मतवान बनगे तो ही ऐसा कर पायगे। मगर िह मतवान बने साधना मक प ित से ..........
कोई दंड पेलने से नह बन सकते। कोई बहुत यादा पहलवानी करने से महान नह बन सकते। गामा पहलवान पूरे
भारत म मशहूर था, उसने सैकड़ लड़ाईयां लड़ी, मगर बुढ़ापे म उसकी हालत यह थी िक खड़ा नह हो पा रहा था। उसको कोई रोग
नह था, बीमारी नह थी। बस शरीर म ताकत नह थी और वह एक नाली म िगरकर समा त हो गया य िक संक प श त थी नह ।
जब तक उसकी दंड बैठक चलती रही तब तक शरीर साथ रहा। जब संक प श त ख म हो गई उसक बाद पाव भर दूध पचाने की
िह मत नह रही। नाली म िगरा तो बाहर िनकलने िक िह मत नह थी और वह वह समा त हो गया।
इसिलये िबना दैवीय सहायता क मनु य अपनी भा य िलिप और दूसर की भा य िलिप को नह बदल सकता। और यह
दैवीय सहायता, देवता की सहायता चाहे जगदंबा हो, चाहे भैरव हो, चाहे भवानी हो, चाहे षोडशी हो, चाहे ि पुर सुंदरी हो- ा त
करने की प ित तं ा मक भी है और मं ा मक भी है। पर तं क मा यम से काम होता ही होता है, वह िफर क नह सकता, संभव
नह है। परंतु उसक िलये आपको मतावान होना पड़गा, ताकतवान होना पड़गा। कमजोर और कायर क साथ तं नह चल
सकता और कमजोर और कायर की प रभाषा मने तु ह गामा का उदाहरण देकर समझाई है िक बहुत मोटा ताजा होने से ही कोई
बहुत ताकतवान नह होता।
गांधी जी तो बहुत दुबले पतले थे, बयािलस िकलो क आदमी थे और उ ह ने, करोड़ो लोग को पीछ खड़ा कर िदया। अं ेज
से लोहा िलया और अं ेज को हरा िदया। कोई वजन ह नह था शरीर म। एक हि य का ढ़ांचा था, िबना लाठी क चल नह पा रहे थे,
पर सक प श त दृढ़ थी, आ थावान थे, एक चेतनावान थे।
हम चाहे तं साधना करे, या मं साधना कर- या तो हम िगड़िगड़ाते करे, हाथ जोड़ते हुये कर, जैसा आज तक करते आये
है या िफर दृढ़ता और संक प श त क साथ कर।
आपने शायद युजवद क मं को पढ़ा नह । पढ़ा तो अथ समझा नह । यजुवद म कोई बहुत महान घटनाय िछपी नह है।
कोई ऐसा अजूबा नह है यजुवद, अथववेद और ऋ वेद। उसम कहा है- हे इं ! तु मेरे खेत म वषा कर तो मेरे धान बहुत पैदा हो।
उ ह ने देवता से एक याचना की। हे अि देव! तू मेरा ऐसा काय कर, हे पवन!तू मेरी ऐसी सहायता कर। हे यम! तू
मुझे मृ यु से बचा। उन आय ने भी उन देवता की सहायता ली। िजन श द से उनका सहयोग िलया उनको मं कहा गया।
आपकी जेब म अगर पांच हजार पये है और जब पांच हजार पये है पांच पये की आपक िलये कोई वै यू नह है।
पांच पये तो आपक िलये बहुत छोटी सी चीज है और िभखारी िगड़िगड़ाता हुआ आया है, हाथ जोड़ता है िक आप बहुत दयालु है,
दानी है, कण है म तीन िदन से भूखा हूं मेरा ब ा बीमार है, आप मुझे पांच पये दे दीिजये।
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अब कोई ठका थोड़ ही है िक आप पांच पये दे ही दगे। उसक िलये पांच पये बहुत ज री है य िक ज रत है उसको
य िक उसे रोटी खानी है। उसक जीवन का यह अभाव है। हो सकता है िक िगड़िगड़ाने पर आप उसे पांच पये न द, मगर वह
अगर आपका गला पकड़ ले, तो आप कहगे-यह ले पांच पये और जान छोड़ मेरी।
यह दूसरा जो तरीका है, वह तं है। तं का अथ है देवता को बा य कर देना, िववश कर देना िक वे आपकी इ छा पूण
करे, जो आप मांगे वह द। मगर गलत चीज क िलये आप देवता को बा य नह कर सकते और गलत उ े य क िलये तं का
योग भी नह कर सकते। करगे तो कोई रज ट आपको नह िमलेगा। मगर सह उ े य क िलये तं का योग करते है तो
िन चय ही भाव पड़ता है- इसम दो राय नह ।
और आज क जीवन म तं ज री भी नह । य ज री है? य िक आज क आपाधापी क युग म साधक दस घंट रोज
बैठकर मं जप और साधना नह कर सकता। जीवन म भाग दौड़ है िजनक कारण य त सब कछ छोड़ कर लंबी साधनाय नह
कर सकता मगर िफर या कोई ऐसे उपाय है तं म, िजनक मा यम से वह अपने पूरे जीवन को आनंदायक बना सकता है।
और इसक िलये तं महाणव म बताया है िक पांच ऐसे योग है िजनक मा यम से जीवन म पूणता ा त की जा सकती है।
पहला है स मोहन योग-स मोहन का अथ है, हम िकसी को भी अपने अनुकल बना सक। ऑिफसर हो, लाल आंखे िकये हो और
यिद आप म स मोहन का ान है तो वह आप से आंख से आंख िमलाकर आपक सामने खड़ा नह हो सकता, यह संभव नह है।
स मोहन का ता पय है िकसी को अपने अनुकल बना लेना। िकसी को अपने अनुकल बना लेने की ि या को
स मोहन कहते ह।
और वशीकरण है िकसी को भी अपने वश म कर लेने की ि या। जहां िकसी को भी श द का योग िकया है वहा अथ है
िक हर िकसी को वशीकरण िकया जा सकता है, चाहे कोई देवता भी है या जगदंबा है। हम उसे भी अपने वश म करने की ि या
करनी है। हम उसे भी अपने अनुकल बनाना है। अगर हमम संक प श त है तो उसे हमारे सामने खड़ा होना पड़गा। वह देवता है,
कोई अजूबा नह है। अगर वे देवता है तो हम मनु य है। बात इतनी सी है।
यह बात है िक उनक पास हजार पये है और
हमारी जेब म पांच पये भी नह है। हजार
पये म से पांच पये देने से उनको कोई
फक पड़गा नह । हम उन पांच पय की
ज रत है। तो देवता का भी वशीकरण
करक बहुत कछ ा त िकया जा सकता है
तो श ु का भी िकया जा सकता है, िकसी
जज का िकया जा सकता है, वकील का
िकया जा सकता, ेमी का िकया जा सकता
है, ेिमका का िकया जा सकता है और
गु का भी िकया जा सकता है।
वशीकरण का ता पय है िक हम
ितकल प र थितय को अपने वश म
कर सक। जीवन म तो ितकल
प र थितयां आयेगी ही, आती ही है।
इसिलये तांि को ने एक योग रखा
वशीकरण िक हम प र थित को ही
अपने वश म कर ल। परंतु िकसी को
यथ तंग करने या िफर िकसी वशीकरण
को हािन पहुंचाने क िलये आप इसका
योग नह कर सकते। संभव ही नह है।
अपने िहत क िलये तो कर सकते है, मगर
उस आपक िहत से यिद िकसी का
नुकसान होता है तो यह योग फलदायी
नह होगा।
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भगवान िव णु ने ेता युग म देवता को दै य क आ मण से व वगलोक की र ा क िलये वामन क प म अवतार
िलया था। भा पद मास क शु ल प की ादशी ितिथ को वामन जयंती क प म मनाया जाता है। इस िदन भगवान वामन का
ापूवक पूजन कर यान करने से जीवन क दुःख एवं क ट दूर होते ह, आ मिव वास म बढ़ोतरी होती है।
भगव पुराण क अनुसार दै यराज बिल ने इ देव को परािजत कर वग पर अपना आिधप य थािपत कर िलया था।
राजा बिल दानवीर व वचनब था पर तु वह अिभमानी भी था, वह अपनी श त का
दु पयोग कर देवता एवं ा ण को डराता, धमकाता था।
वह अ य त परा मी और अजेय था, िजसक
कारण उसने तीन लोक का वािम व
हािसल कर िलया था और सभी
लोक म जीना दु कर कर िदया
था। इससे िच तत होकर इ
देव अ य सभी देवता क
साथ भगवान िव णु क पास
पहुँचे व अपनी पीड़ा बताते
हुये, सहायता करने की
ाथना की। भगवान िव णु ने
उ ह इस सम या का अ त
करने हेतु आ व त िकया
और तब माता अिदित एवं
ऋिष क यप क यहाँ वामन
पी अवतार िलया। वामन
अवतार भगवान िव णु का
छोट कद क चारी
ा ण का प है। उनक
मुख पर सदा तेज रहता है और
वे अपनी मु कान से सभी का
मन मोह लेते थे।
महिष क यप उनका ऋिषय
क साथ उपनयन सं कार करते
ह। वामन बटक को महिष पुलह
य ोपवीत, अग य मृगचम,
मरीिच पलाश का दंड, आंिगरस
व व सूय छ , भृगु
खड़ाऊ,बृह पित जनेऊ तथा
कमंडल, माता अिदित कोपीन,
सर वती ा की माला तथा
कबेर िभ ा पा दान करते
ह। सभी से कछ न कछ लेकर
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भगवान वामन एक बौने ा ण क वेश म िपता से आ ा लेते पूरा होते ही वामन भगवान का आकार बढने लगा और वे
ह और िफर दै यराज बिल क समीप जाते ह। ठीक उसी समय वामन से िवराट हो गये। उ ह ने पहले ही कदम म पूरा भूलोक
राजा बिल अपने गु शु ाचाय क िदशा-िनदशानुसार नमदा यािन िक पृ वी को नाप िलया, दूसरे कदम म स पूण देव लोक
नदी पर महाय स प कर रहा था, िजससे वग पर उसका यािन िक वग लोक नाप िलया, तीसरे कदम क िलये कोई भूिम
थायी अिधकार हो सक। वामनजी जब वहां पहुंचे तो उ ह देख नह बची, पर तु राजा बिल भी अपने वचन का प का था
राजा बिल दोनो हाथ जोड़ उनक सामने खड़ हो गया। वामन इसिलये तीसरे कदम क िलये उसने अपना िसर झुका कर कहा
भगवान क तेज से स पूण य शाला कािशत हो उठी। बिल ने िक भु तीसरा कदम यहां रख। वामन भगवान दै यराज बिल
उ ह एक उ म आसन पर िबठाकर उनका स कार िकया और की वचनब ता से अित स हुये, इसिलये वामन जी ने राजा
अ त म उनसे भट मांगने क िलये कहा। इस पर वामन चुप रहे। बिल को पाताल लोक देने का िन चय िकया और तीसरा कदम
लेिकन जब बिल ारा बहुत आ ह िकया गया तो उ ह ने बिल क िसर पर रखा िजसक फल व प बिल पाताल लोक
अपने कदम क बराबर तीन पग भूिम भट म मांगी। बिल को पहुंच गया और इस कार भगवान िव णु ने इ देव को पुनः
यह बहुत कम तीत हुआ, पर तु दै य गु शु ाचाय समझ वग लोक का वािम व ा त करवाया एवं सभी देवता को
गये थे िक ये भगवान िव णु ही है जो यहां देवता की र ा हेतु भयमु त िकया और तीन लोक म पुनः शांित थािपत कर दी।
आये ह, इसिलये, उ ह ने बिल को यह अ वीकार करने को वामनावतार क प म ी िव णु ने यह िसखाया िक
कहा। लेिकन राजा बिल वचनब एवं महादानी था उसने दंभ और अहंकार से जीवन म कछ हािसल नह होता है और
उनकी नह सुनी व वामन जी से और अिधक मांगने का आ ह धन-स पदा भी णभंगुर है इसीिलये कभी भी इस बात पर
िकया, लेिकन वामन देव ने इतना ही मांगा। इस पर बिल ने हाथ घमंड नह करना चािहये।
म जल लेकर तीन पग भूिम देने का संक प ले िलया। संक प
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kajaU (KAJU)
काजू एक कार का फल होता है जो सूखे मेवे म काजू का औषधीय गुण
शािमल होता है। काजू क गुण यािन पौ टक गुण इतने है िक काजू पौ टकता से भरपूर होता है और थोड़ा कड़वा,
आयुवद म काजू को कई तरह क बीमा रय क िलये योग म गम तथा वात-िप और कफ को कम करनेवाला होता है।
लाया जाता है। काजू दांत दद से लेकर द त, कमजोरी जैसे इसक अलावा काजू पेट क रोग, बुखार, किम, घाव, सफद
अनेक रोग से राहत िदलाने म मदद करता है। क ठ, सं हणी (इ रटबल बॉवल िसं ोम), पाइ स तथा भूख
काजू को यूं ही खाने से भी न िसफ इसक न लगने जैसी बीमा रय म लाभ द होता है। इसका जड़ ती
वा यव क गुण का लाभ िमलता है ब क काजू को यंजन िवरेचक (शरीर से अवांिछत पदाथ िनकलना) तथा कमजोरी
म डालने से यंजन का जायका बदलता है। इसका उपयोग दूर करने म सहायक होता है। काजू की बीज म ा पोषक,
कह मीठ पकवान, तो कह मसालेदार यंजन का जायका मृदुकारी तथा िवष को कम करने म मदद करती है।
बढ़ाने क िलये िकया जाता है। काजू का इ तेमाल िसफ खाने भर काजू क फायदे
तक सीिमत नह है, ब क इसका योग शरीर की कई 1. दय वा य क िलये काजू
सम या से िनजात िदलाने क िलये िकया जा सकता है। इसक काजू को न स की ेणी म रखा जाता है और न स
साथ ही काजू खाने से सेहत और सौ दय म भी िनखार आता है। शरीर को कई प म फायदा पहुंचाने का काम करते ह। दय
काजू एनज से भरपूर ोटीन और फट का बेहतरीन क वा य को बरकरार रखने क िलये भी न स मह वपूण
ोत है, यह तुरंत ऊजा दान कर सकता है। इसिलये, बढ़ती माने जाते ह। इनम बायोए टव मै ो यूि एं स मौजूद होते ह,
उ क ब और िखलािड़य को इसका सेवन ज र करना जो दय को व थ रखने का काम करते ह।
चािहये। काजू को एनज का पावर हाउस भी कहते ह। काजू 2. अ छ पाचन तं क िलये फायदे
ोटीन और ऊजा का ोत होने क साथ-साथ याददा त बढ़ाने, काजू खाने से पाचन-तं मजबूत होता है, य िक
सूजन कम करने और अथराइिटस का दद कम करने म इसम फाइबर की अ छी मा ा पाई जाती है। फाइबर पाचन को
मदद करता है। यह िजतना वािद ट है, उससे कह यादा यह ठीक रखकर क ज और अ सर जैसी सम या से छटकारा
सेहत क िलये फायदेमंद माना जाता है।
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िदलाने म मदद करता है। साथ ही इस बात का भी यान रखना काजू म कई पोषक त व पाये जाते ह, जो गभाव था म
चािहये िक काजू का अिधक मा ा म सेवन क ज और गैस की आव यक होते ह। इसम पाया जाने वाला क शयम और
सम या पैदा कर सकता है। िवशेषकर, िजनकी िफिजकल मै ीिशयम गभवती मिहला क वा थ क साथ ही ूण की
ए टिवटी ना क बराबर होती है, उ ह काजू का सेवन कम ही हि य क िवकास क िलये ज री होता है । मै ीिशयम ज म
करना चािहये। क समय िशशु क वजन म कमी और गभवती क र तचाप को
3. हि य क िवकास क िलये फायदे रोकने म मह वपूण भूिमका िनभाता है।
काजू म मै ीिशयम और क शयम की अ छी मा ा होती है। 7.. व थ मसूड़ और दांत क िलये फायदे
क शयम और मै ीिशयम हि य क िवकास क साथ ही दांत क िलये क शयम सबसे मह वपूण पोषक त व माना
उ ह मजबूती दान करने म मदद करते ह। काजू म मौजूद जाता है। क शयम दांत क िवकास और उनकी मजबूती
मै ीिशयम ऑ टयोपोरोिसस (OSTEOPOROSIS) जैसी बनाये रखने का काम करता है। शरीर म इस खास त व की
बीमा रय की रोकथाम म मदद कर सकता है। इस बीमारी क कमी दांत टटने से लेकर कई अ य सम या का कारण बन
कारण हि यां कमजोर और नाजुक हो जाती ह। सकती है। य िक काजू म क शयम की मा ा पाई जाती है।
4. व थ िदमाग क िलये फायदे 8. व थ वचा क िलये फायदे
मै ीिशयम म त क क र त वाह म सहायक होता है और काजू म ोटीन और िवटािमन-ई जैसे एंटीऑ सीडट होते ह,
साथ ही म त क की चोट को दूर करने म मै ीिशयम का जो वचा क वा य व स दय को बढ़ावा देने और वचा पर
मह वपूण काय होता है। इसक अलावा, मै ीिशयम म बढ़ती उ क असर को रोकने म लाभदायक होते ह। साथ ही ये
एंटीिड ेसट गुण होते ह, जो अवसाद को दूर करने म मदद वचा को झुर य और सूय की हािनकारक िकरण क भाव
कर सकते ह। इस कार काजू म मौजूद मै ीिशयम िदमाग से बचा सकते ह।
क वा थ क िलये भी लाभदायक होता है। ाई स हे थ क िलये काफी फायदेमंद होते ह।
5. र त को व थ रखता है इसिलये आपको भी अपनी डाइट म न स यानी ाई स को
काजू आयरन और कॉपर का अ छा ोत है। आयरन व थ ज र शािमल करना चािहये। ाई स म िवटािम स और
लाल र त कोिशका को बढ़ाने म मदद करता है, जो शरीर म िमनर स काफी अिधक मा ा म पाये जाते ह। काजू का सेवन
ऑ सीजन को पहुंचाने म मदद करता है। आयरन रेड लड करना लाभकारी हो सकता है। आप िनयिमत प से खाली पेट
से स क उ पादन को बढ़ाकर एनीिमया जैसे र त िवकार को काजू का सेवन कर सकते ह। एक िदन म एक य त 4 से 5
दूर करने का काम भी करता है। काजू का सेवन कर सकता है।
6. गभाव था क िलये फायदे
अमृतपान योग
18 जुलाई, अिधक मास ार भ
मा शरीर का बा वा य ही आव यक नह है, अपितु इसक साथ ही साथ आ त रक एवं बौि क प
से व थ एवं उ ितशील होना भी आव यक है... े ठ िवचार, े ठ ि या प ित, े ठ भावनाय,े े ठ
िच तन आिद ही े ठ य त व की पहचान ह। इन गुण को जीवन म उतार कर ही े ठता क माग पर
अ सर हुआ जा सकता है। यह योग इस दृ ट से अ य त े ठ एवं अि तीय है।
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सीखे
िसिवक से स !
हमने हमेशा से सुना है िक हम जहाँ रहते ह या िफर जहाँ क नाग रक ह और हम िजस देश, रा य, शहर या नगर म दी
जाने वाली सुख-सुिवधा या FACILITIES एवं AMENETIES का पूरा उपयोग एवं उपभोग कर रहे ह तो हमारी भी उस देश,
रा य, शहर या नगर क ित कछ DUTIES और RESPONSIBILITIES होती है िजसे पूरा करक हम एक अ छ CITIZEN बन
सकते ह और उस थान क िवकास म अपनी भागीदारी दे सकते ह और इस अ छी आदत को सीखना ही CIVIC SENSE है।
िसिवक से स क कछ उदाहरण िज ह हम सीखकर उ ह FOLLOW कर सकते ह-
© PUBLIC PLACE पर अ छा आचरण व POLITELY BEHAVE करना।
© GOLDEN WORDS जैसे लीज, थ यु, EXCUSE ME, SORRY जैसे श द उपयोग म लेकर।
© घर क आसपास, कह घूमने जाये वहाँ, कल आिद म कचरा नह फलाकर, अपनी ओर से सफाई एवं हाईजीन
MAINTAIN रखने क यास करक।
© बड़-बुजुग को PUBLIC TRANSPORT म SEAT देकर या कोई QUEQE म पहले जाने देकर।
© ट सी, बस या अ य कोई ाईवर से िश टता से यवहार कर क।
© TEACHERS, RELATIVES को आदर देकर।
© ाईिवंग पर जाते समय हेलमेट, सीट बे ट पहनकर।
© कह प लक गाडन म जाये तो फल, पौधे-पि यां न तोड़, वहां गंदगी नह फलाय।े
© कभी न, बस, Ýलाइट म जाये तो गंदगी न फलाय।े
© म मी-पापा से झूठ कभी नह बोल ना ही कछ बात छपाय।े
© कल म MORNING PRAYER, रा गान, NATIONAL FLAG को हमेशा RESPECT द।
© घर पर छोट-मोट काम म HELP कर क।
© गरीब, अनाथ, बेसहारा, HANDICAP क ित सहानुभूित रख।
© छोटी बात पर गु सा न होकर, धैय से POSITIVE सोच रख कर।
इन सरल व छोटी-छोटी बात को यान म रखकर हम देश क अ छ व जाग क नाग रक बनकर हमारे PARENTS को गव
महसूस करा सकते ह और एक अ छा EXAMPLE सेट कर सकते ह।
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ls 05%12
fnu 06%48 ls 10%00 03%36 ls 05%12 04%30 ls 05%12 03%36 ls 06%00 04%24 ls 06%00 04%24 ls 5%12
Js"B le; 06%48 ls 07%36 07%36 ls 09%12 07%36ls 10%00 06%48 l s10%48 07%36 ls 10%00 08%24 ls 10%48 08%24 ls 10%48
08%24 ls 10%00 09%12 ls 10%00 12%24 ls 02%00 02%00
jkr 03%36 ls 06%00 01%12 ls 02%48 03%36 ls 06%00 ls 06%00 01%12 ls 02%48 01%12 ls 03%36 02%00 ls 03%36
04%24 ls 06%00 04%24 ls 06%00 04%24 ls 06%00
Purushottam
Kalpa Diksha
Ahamete Yatha Loke Prathitah Purusottamah।
Tathayamapi Lokssu Prathitah Purusōttamah।।
Just as I am known in the Vedas, world and scriptures as
Purushottam, similarly this Malmaas will also be famous by the name
Purushottam on the earth and I am now the owner of this month.
The month in which there is no The Moon takes 27.3 days to complete
Surya Sankranti is called Adhika month or an orbit around the earth. While the earth takes
Purushottam month. To understand this in 365.25 days to orbit around the Sun. Adhik
simple words, the month in which there is no Maas is an extension of the Lunar calendar, as
solstice of the Sun between one Amavasya to it differs from the Solar calendar with 32.5
another Amavasya is called Adhik Maas. months. According to Indian numerology, the
Sankranti means the entry of the Sun from one Lunar year consists of 354 days. In contrast,
zodiac to another. the solar year is 365 days as they have variations
SHRAVAN MONTH
SADHANAS
Na Janami Yogam Japam Naiva Pujam
Natoham Sada Sarvada Shamhutubhayam
Jarajanmadukhaugha Taarapyamanam
Prabho Pahi Aapannamamaisha Shambho
I don't know how to do yoga, mantra chanting or prayers. Still, I
bow continuously before you. O Shambhu, my lord, save me from
the sufferings of old age, rebirth, grief, sins, and troubles.
PMY V 52 info@pmyv.net tqykbZ 2023
Once there was a devotee of lord shiva, one hand, where everyone around us gets fed up
who was mad, but there was one good thing with the heat waves and hotness, the arrival of
about him, he used to love lord Shiva in most monsoon brings a new energy. Everything
pure manner, his dedication for lord Shiva was around us gets so lively, we can see children
very high. He used to think that lord Shiva is his dancing in the rain, we can see greenery all
son. around ourselves, we can see different birds
One day, he came back to his home with singing and dancing in the rain. It appears as if
some food collected from somewhere. He used the natured reboots itself for someone special!
to carry a Shivalinga with himself. He gave first And for whom this reboot is done. Yes,
slice of food to Shivalinga and said, “Eat it my the nature itself welcomes Lord Shiva and we
dear!”. He waited for a couple of minutes and human beings have learnt the same from nature.
when he saw nothing happened, he again gave We all know that this complete month is
order to Lord Shiva, “Eat your food”. dedicated to Lord Shiva, the Lord who
He warned Lord Shiva multiple times to continuously bestows boons upon all His
eat the food but nothing happened. He went Sadhaks and devotees.
furious and took a small stick and start beating Any Sadhana performed during
lord Shiva. Mother Parvati was seeing all this, Shraavan month provides success. Lord Shiva
she asked, “What kind of devotee he is and is the one who gets pleased even if His devotee
how you can tolerate this insult my Lord?” just piously remembers Him. If we look at the
Lord Shiva smiled and replied, “If my history, it has been Lord Shiva who has given
devotee is beating me out of love, I am ready the most numbers of boons. And what can be
to be beaten by him.” said about His devotees, the list is so huge that
This is the level of his kindness and love Gods, demons, humans, spirits or in other
towards his devotees! words, every creature of this nature gets a name
Lord Krinsha has explained about the in this list. Such is the simplicity of the great
greatness of Lord Shiva in Mahabharata. He Lord.
mentioned that learned people meditate on him It is also a fact that Kuber and Goddess
as the supreme and eternal truth. He is famous Lakshmi worshipped Lord Shiva during this
as the lord of attachment. He is supreme of the month and were able to attain such high stature.
supreme. He is the one without decay. He is the Thus, worshipping Lord Shiva during this
illustrious God who represents all that is true. month not only ensures a person gets blessed by
H e is w ith o u t b eg in n in g an d w ith o u t Lord Shiva and Goddess Parvati, but the
destruction. He is the one who knows about all person is also blessed by Goddess Lakshmi &
truth and ordinances. He is the lord who is the Lord Ganpati.
foremost Purusha. Shiv Gauri Ganapati Lakshmi Sawan
He is the one who created Brahma, the Diksha K2100/-
creator of the worlds, from his right flank. He is
the lord who created Vishnu, for the protection
of the worlds, from his left flank. When the end
of a yuga arrives, he is the lord who creates
Rudra from his limbs. Rudra destroys
everything in the universe, mobile and
immobile. He is the immensely energetic
Destroyer, the fire of destruction. This God,
Mahadeva, is the creator of everything in the
universe, mobile and immobile. At the end of a
Kalpa, it has been said that everything will be
withdrawn into him. You go everywhere. You
are the soul of all creatures. You are Bhava, the
creator who creates the creator of beings.
What else can be said about the great
Lord who has been praised by Lord Krishna.
And the favorite month of this lord is none other
than Shraavan month which is special. Doesn't
Shraavan month bring a new joy in our life? On
tqykbZ 2023 www.pmyv.net PMY V 53
Third Monday 24th July 2023
For a
HAPPY MARRIED LIFE
Nama Shivaabhyam Jagadeeswarabhyam,
Jagat Pathibhyabhyam, Jaya Vigrahabhyam,
Jambhari Mukhyair Abhi Vandidabhyam,
Namo Nama Sankara Parvatheebhyam
Salutations to Lord Shiva and Goddess Parvati, who are the lord and lady of the universe,
who are always victorious, and who are worshipped by Indra and his chiefs. Salutations
again to Lord Shiva and to Goddess Parvati.
Once Lord Shiva & Goddess Parvati were to worship Shiva Linga. As Her penance grew,
sitting on the Kailash Mountain & were talking Her complexion also started to become fairer.
casually. Suddenly Lord used the word Kali Soon, all Her body parts gained fair
(which means dark) for Goddess' complexion. complexion. Then Lord Shiva reached to the
The Goddess felt very bad listening to the word worship place and brought Goddess Parvati
Kali and started to remorse on Her complexion. along with Himself. He also said that whosoever
She then left towards Prabhas area and started will perform this Sadhana will get blessed with
PMY V 54 GurudevKailash tqykbZ 2023
beauty, good physique, hypnotic power,
wealth, fame & household pleasures.
This Sadhana of Lord Shiva can
be performed by both man and woman.
On one hand where a woman gains beauty
& charm, man gains great health &
physique, hypnotic power & command
in the society. Enormous amount of wealth
comes into the life of such a person. If a
person is jobless, soon a job comes to him
or her. If a person is a businessman & there
is no expected progress in the business,
then the business starts flourishing. Even
household life of such an individual
becomes a blessing. One can even create
the same bond of love that ever existed
between the couple who now desperately
want to get a divorced.
Sadhana Procedure:
Sadhak must take a bath. Get into
a fresh yellow cloth & sit on a yellow mat
facing East. Take a wooden plank &
cover it with a yellow cloth. Now place a
picture of revered Gurudev & worship
Him with vermillion, rice grains, flower
etc. Chant one round of Guru Mantra &
seek His divine blessings for success in
sadhana. Next place Ardhnarishwar
Shivling & worship it too.
Now take a plate and make a
symbol of Om (ÅWa) on it using vermillion.
Place SadaShiva Yantra at the center of
Om & place GauriShankar Rudraksha
on the “ÅWa” symbol of Om. Worship the
yantra & the Rudraksha with vermillion,
rice grains and sindur. Now chant 5
rounds of the below mantra with
HarGauri Rosary.
Mantra
|| Hreem Om Namah Shivaaya
Hreem ||
AA âha ÅWa ue% f'kok; âha AA
Keep all the sadhana articles in your
worship place for at least one week.
Drop all the sadhana articles in a river
or pond after that.
Sadhana Articles K1100/-
Shiv Shakti Kaya Kalp Diksha K2600/-
For
UNENDING
WEALTH
Salutations to Sada Shiva Lingam, which is enveloped with eight-fold petals, which
is the cause of all creation, and which destroys eight types of poverty. I salute that
eternal Shiva Lingam which is worshiped by the preceptor of Gods and the best of
the Gods, which is always worshiped by the owers from the celestial garden,
which is superior to the best and which is the greatest. I Salute that eternal
ShivaLinga.
PMY V 56 info@pmyv.net tqykbZ 2023
Obtaining wealth is one thing & retaining it another. We can see a lot of people around us
who earns a good income, however, by the end of the month, they are as good as any poor people.
No matter how hard they try, money creeps out of their pocket by one reason or another. Many a
times even if the person curbs their wishes to spend the money, some calamity comes into the life of
such a person and the money gets drained out.
The reason behind it is the nature of Goddess Lakshmi, She can't remain bounded. One has
to perform special procedures to keep Her bounded within the house and thus to ensure whatever
we earn is spent well and only when it is required. Presented below is one such sadhana which can
bring wonders in the life of a person and can help retain the hard earned money.
One needs “Jyotirlinga” and “Vidyut
rosary” for this sadhana. This sadhana
should be performed in the
morning. Take a bath and
get into fresh white cloth
and sit on a white mat
facing north. Place a
picture of revered
SadGurudev and
worship Him with
vermillion, rice grains,
flowers etc. Light a ghee
lamp and an incense
stick. Then chant one
round of Guru Mantra
with the Vidyut rosary
and pray to Gurudev for
success in sadhana.
Next place the
Jyotirlinga in a copper
plate and worship it with
vermillion, rice grains,
flowers and offer some
sweet made of milk. Now
chant 3 rounds of the
mantra below.
Mantra
|| Om Hreem
Shankaraaya Namah ||
|| ÅWa âha 'kadjk; ue%a ||
Drop all the
sadhana articles in a river
or pond the next day. This
completes the sadhana
procedure. You will be left
astonished to see how your
useless expenses are getting
restricted and your money
has started to stay with you.
FOR REMOVING
UNTIMELY DEATH
Om. Tryambakam Yajamahe Sugandhim
PushtiVardhanam
Urvarukamiva Bandhanan Mrityor Mukshiya Mamritat
We worship the Trinetra, which is fragrant and nourishes us. Just as the fruit is liberated
from the bondage of the tree, may we also be liberated from death and impermanence.
Mrityunjay is a divine form of Lord Shiva yellow cloth. Sit on a yellow mat facing East.
whose Sadhana helps one overcome mishap Cover a wooden seat with yellow cloth. On it
and the fear of untimely death in life. This place a picture of Gurudev and pray thus
Sadhana is also tried for riddance from incurable Yogeshwar Guroswaamin
diseases. One needs a Mahamrityunjay Yantra Deshikaswaratmanaapar,
and Rudraksh rosary for this Sadhana. Traahi Traahi Kripaa Sindho,
Early morning, have a bath and wear
PMY V 58 GurudevKailash tqykbZ 2023
Naaraayan Paratpar.
Twamev Mata Cha Pita Twamev…..
AA ÅWa âkSa Tkwa l% izlUu ikfjtkrk; Lokgk AA
Worship Gurudev with vermillion, rice & pray for your good health. Now take the
grains, flower etc. Light an incense stick and a Rudraksh rosary & chant 3 rounds of below
ghee lamp. Chant one round of Guru Mantra mantra.
and seek Gurudev's divine blessing for success Mantra
in the Sadhana. || Om Hraum Joom Sah Bhoorbhuvah Swah Om
Next pray to Lord Ganpati for Trayambakam Yajaamahe Sungandhim
removing any hurdle Pushitvardhanam, Urvaarukmiv
BandhanaanMrityormuksheeya Maamritaat.
Vigharaaj Namstestu Parvati Priyanandan, Swah Bhoorbhuvah Om. Sah Joom Hraum Om ||
Grihaanaarchaamimaam Dev
Gandhpushpaakshteih Sah. ea=
Om Gam Ganaapataye Namah. AA ÅWa âkSa Tkwa l% HkwHkqZo% Lo% ÅWa «;aCkde~
Now take a steel plate and put it in front
of Gurudev's picture. Make a symbol of “Å” ¡ and ;tkegs lqxfU/ka iqf”Vo/kZue~ mokZ#d
swastika with vermillion on the plate. Place cU/kuku~ e`R;kseqZ{kh; eke`rkr~ ÅWa Lo% Hkqo% Hkq%
Mahamrityunjay Yantra over “Å”¡ & place any
Shivalinga on the swastika symbol. Take some l% Tkwa âkSa ÅWa AA
water in your right palm and pledge thus, This is a very special & powerful
Om Mam Aatmanah Shruti Smriti Puraannokt mantra & one should try this ritual on every
Phal Praapti Nimittam Amukasya (speak out your Saturday falling in the the month of Shravan.
name) Shareere Sakal Rog Nivrittim Poorvakam Whenever you face any fear or someone gets ill
Aarogya Praapti Hetu Mahaamrityunjay Mantra in your family, just chant the mantra
Jap Karishye.
|| Om Joom Sah (name of patient) Paalay
Let the water flow to the ground and then Paalay Sah Joom Om. ||
chant thus,
Mrityunjay Mahaadev AA ÅWa Tkwa l% ( jksxh dk uke ) iky; iky; l%
Sarvasaubhaagyadaayakam Traahi Maam
Jagataam Naath Jaraa Janam Layaadibhih.
Tkwa ÅWa AA
Now take 108 Bel leaves & offer them Offer the Sadhana articles along with some
one by one on to the Yantra chanting the mantra money in Lord Shiva Temple after completing
the procedure on all the four Saturdays.
AA Om Hraum Joom Sah Prasann Sadhana Articles J780/-
Paarijaataay Swaha AA Kaal Nivaran Maha Mrituyanjay Diksha J2600/-
For
RISE OF FORTUNE
Kalatkunnddalam Bhrusunetram Vishaalam
Prasannaananam Neelakannttham Dayaalam
MrgaAdhiishaKarmaambaram Munnddamaalam
Priyam Shangkaram Sarvanaatham Bhajaami
The beloved Lord of all, with shimmering pendants hanging from his ears, beautiful eyebrows
and large eyes, full of mercy with a cheerful countenance and a blue speck on his throat. I
worship Him who is beloved of his devotees, who is Shankara, the Lord of all.
Before the battle of Mahabharat, Lord said that performing the Paashupataastrey
Krishna advised Arjun to perform Sadhana is the greatest fortune of one's life. It is
Paashupataastrey Sadhana if he wanted to the best ritual to appease Lord Shiva & gaining
defeat the huge army of Kauravas, wanted to divine powers from Him. Following are the few
win over death and wished for good fortune in benefits of performing this Sadhana:
times ahead. According to Lord Krishna, there 1) If one is unable to attain success in sadhanas
is no better Sadhana for totality and absolute due to evil planets or past bad karmas, then by
success in life than Paashupataastrey the grace of Lord Paashupataastrey, one
Sadhana. attains quick success as the Lord neutralizes
The great sage Vishwamitra too has all the negative forces.
PMY V 60 info@pmyv.net tqykbZ 2023
2) Lord Shiva is bestower of totality and by the Haram Panch Vaktram Trinetram.
virtue of this sadhana, one makes good Place a flower on your head and on
spiritual progress. before the Shivalinga. Then contemplating on
3) After trying this sadhana, one never has to the holy form of the Lord chant thus,
face failure in life. Pinnak Dhrik Ihaavah Ihaavah Ih Tishtta Ih
4) Lord Shiva rules luck and thus this sadhana is Tishtt Ih Sannidhehi Ih Sannidhehi, Ih
a boon for those who are unfortunate. Sannidhatsv, Yaavat Poojaam Karomyaham.
5) If accomplished with full devotion and faith, Sthaaneeyam Pashupataye Namah.
Lord Shiva appears before the sadhak and Now chant 21 rounds of the below
blesses him. mantra with Rudraaksha rosary.
One needs Narmadeshwar Baanlinga Mantra
and Rudraaksha rosary for this sadhana. Early || Om Har, Maheshwar, Shoolpaani, Pinaak
morning, have a bath and wear yellow cloth. Sit Dhrik, Pashupati, Shiva, Mahadev, Ishaan
on a yellow mat facing East. Cover a wooden Namah Shivaay ||
seat with yellow cloth. On it place a picture of
Gurudev and worship Him with vermillion, rice ea=
grains, flower etc. Light an incense stick and a
ghee lamp. Chant one round of Guru Mantra
AA ÅWa gj egs'oj 'kwyikf.k fiukd /k`d
and seek Gurudev's divine blessing for success
in the sadhana.
Ik'kqifr f'ko egknso bZ'kku ue% f'kok; AA
Next take a Bel leaf and put it in front of This is a mantra that brings total
Gurudev's picture. Place the Narmadeshwar success and one can even attain divine powers
Baanling over the bel leaf and pray thus through it. It is known as Ashta Shiva Mantra in
Om Dhyaayenityam Mahesham Rajat Giri the ancient texts. Perform Shiva Aarti after
Nibham Chaaru Chandraavatansam, completing the mantra chanting. After
Ratnaakalpojjawallaangam Parashu Mrig completing the Sadhana procedure, place
Varaabheeti Hastam Prasannam. Narmadeshwar Baanling & Rudraaksha
Padmaaseenam Samantaat Stutatmamar rosary at your worship place.
Ganneirvyaaghra Vrittim Vasaanam, Sadhana Articles J770/-
Vishvaaghamvishva Vandhyamnikhil Bhay Bhagyouday Shiv Pashopatastra Shakti Diksha J 2600/-
ikloku 9304317550] mek'kadj iafMr 9534760110] MkW- gfj;kyh f'ko xkSjh v[k.M lqgkx
vt; 9198603716] MkW- lat; dqekj 9199998357] jfoUæ
dq e kj 9006630176] va f dr dq e kj 6207670876]
lkSHkkX; o`f) lk/kuk egksRlo
vfu:) iafMr 9430924095] vkfnR; 6201665339] 29&30 tqykbZ
nsosUæ xqIrk 9430003264] /kuth 7503448301 Shiver Venus: Meena Tent House, Near Palace
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Line, Durga Mandap, BALANGIR, Odisha
fo".kq oSHko
'kfDr
nh{kk
सांसा रक जीवन की ि या म यकायक िवषम थितयां या दु या क फल व प जीवन नारकीय बन जाता है
और य त समझ ही नह पाता िक य अचानक उसक प रवार म आिथक तंगी म वृि हो रही है। पूव ज म क दोष ,
पाप-संताप, अना था क िचंतन व प अनगल ि या क कारण जीवन क ट द हो जाता है। जो य त को याकल,
परेशान, तनाव त बना देता है।
मनु य क अथक यास करने क बाद भी वह अपनी इ छा को ा त कर नह पाता, तब वह या कर? यिद य त
अपने मानस म अपने इ छा को लेकर चल रहा है, उसे पूणता देने क िलये िन य यासरत है और अभी तक उसे साकार
प नह दे पा रहा है, तो इसका कारण कोई भी हो सकता है - साधन का अभाव, मागदशन का अभाव, आ म िव वास की
कमी, ित त या वयं क ही पूव ज माकत दोष, हमारे पाप, काय म सैकड़ कार की बाधाये उप थत होनी वाभािवक
है। यह बात तो येक मनु य जानता है िक जीवन की जिटल, िवषम थितय की िनवृि कवल इ ट गु , देवी-देवती की
कपा व मागदशन से ही संभव है।
भगवान िव णु सकल जगत को चलाने वाले आिददेव ह। उनकी साधना, उपासना करने से साधक को हर काय म
पूण सहायता िमलती है, य िक सम त काय मा भगवान िव णु की श त से ही गितशील ह। िकसी भी मनोकामना को लेकर
स प की गई भगवान िव णु की उपासना क मा यम से साधक क संक पत काय पूण होते ही ह।
इस दी ा को ा त करने से साधक का य त व भी आकषक हो जाता है, िजसक कारण उसे अनेक लाभ ा त
होते ह। भगवान िव णु यिद स हो जाय, तो उनकी सहचरी भगवती ल मी तो वतः ही िस हो जाती ह और इस कार
साधक क जीवन म द र ता का तो समापन होता ही है। यिद यापार है तो उसम बरकत होती है, यिद नौकरी पेशा ह तो
तर की होती है। यह दी ा जहां पूण भौितक उ ित का साधन है, बेरोजगार क िलये यवसाय का उपाय है, वह इस दी ा से
जीवन की सव इ छा क पूण होने का माग भी श त होता है।
िव णु वैभव श त nh{kk U;kSNkoj J2100
nh{kk gsrq uwru iQksVks o U;kSNkoj jkf'k dSyk'k fl¼kJe tks/iqj (jkt-) 9950809666 Hkstsa
U;kSNkoj jkf'k KAILASH SHRIMALI State Bank Of India Main Branch Jodhpur
A/c No.: 10827454848 RTGS Code: SBIN0000649 Branch Code:659
ubZ fnYyh E-1077 ljLorh fogkj]ihreiqjk Mob. +91-90138-59760 / +91-87507-57042
ln~xq:nso th ds lk/ukRed dk;ZØe GurudevKailash ILASH SIDDHASH M ij ns[ksA
67