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जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

श्री बजरं ग बाण


विधि सहित

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

|| श्री बजरं ग बाण ||

जय श्री राम
जय श्री राम

|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीनत ते, नििय करैं सिमाि।

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जय श्री राम
तेनि के कारज सकल शुभ, ससद्ध करैं ििुमाि
जय श्री राम

.i|| चौपाई ||
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जय ििुमंत सं त नितकारी । सुि लीजै प्रभु अरज िमारी
जि के काज निलम्ब ि कीजै । आतुर दौरर मिा सुख दीजै

जय श्री राम
जय श्री राम

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जैसे कू नद ससन्धु िनि पारा । सुरसा िद पैनि निस्तारा


आगे जाई लं नकिी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका
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जाय निभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरसख परम पद लीन्हा िाग उजारी
ं ु मिं िोरा । अनत आतुर यम कातर
ससध तोरा
जय श्री राम
जय श्री राम

अक्षय कु मार मारर सं िारा । लूम लपेट लं क को जारा


लाि समाि लं क जरर गई । जय जय धुनि सुर पुर मिं भई

जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम


जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

अि निलम्ब के नि कारण स्वामी । कृ पा करहु उर अन्तयाामी


जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर िोय दुख िरहु निपाता

जय श्री राम
जय श्री राम

जै नगररधर जै जै सुखसागर । सुर समूि समरथ भटिागर


ॐ ििु ििु ििु ििु ििुमन्त ििीले। िैररनिं मारू िज्र की कीले

गदा िज्र लै िैररनिं मारो । मिाराज प्रभु दास उिारो


ॐ कार हुंकार मिाप्रभु धािो । िज्र गदा ििु निलम्ब ि लािो

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जय श्री राम
ॐ ह्ीं ह्ीं ह्ीं ििुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं ििु अरर उर शीशा
जय श्री राम

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सत्य िोहु िरर शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु धाय के

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जय जय जय ििुमंत अगाधा । दु:ख पाित जि के नि अपराधा
पूजा जप तप िेम अचारा। िनिं जाित कछु दास तुम्हारा
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िि उपिि, मग नगरर गृि मािीं । तुम्हरे िल िम डरपत िािीं
पांय परों कर जोरर मिािौं । यनि अिसर अि के नि गोिरािौं

जय श्री राम
जय श्री राम

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जय अंजनि कु मार िलिन्ता । शं कर सुिि िीर ििुमंता


िदि कराल काल कु ल घालक । राम सिाय सदा प्रनत पालक
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भूत प्रेत नपशाच निशाचर । अनि िेताल काल मारी मर


इन्हें मारु तोनिं शपथ राम की । राखु िाथ मरजाद िाम की

जिकसुता िरर दास किािौ । ताकी शपथ निलम्ब ि लािो


जय श्री राम
जय श्री राम

जय जय जय धुनि िोत अकाशा । सुनमरत िोत दुसि दुुः ख िाशा

चरण शरण कर जोरर मिािौ । यनि अिसर अि के नि गौिरािौं


उिु उिु चलु तोनिं राम दुिाई । पांय परौं कर जोरर मिाई

जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम


जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

ॐ चं चं चं चं चपल चलं ता । ॐ ििु ििु ििु ििु ििुमंता


ॐ िं िं िांक देत कनप चं चल । ॐ सं सं सिनम परािे खल दल

जय श्री राम
जय श्री राम

अपिे जि को तुरत उिारो । सुनमरत िोय आिन्द िमारो


यि िजरंग िाण जेनि मारै । तानि किो निर कौि उिारै

पाि करै िजरंग िाण की । ििुमत रक्षा करैं प्राण की


यि िजरंग िाण जो जापै । तेनि ते भूत प्रेत सि कांपे
धूप देय अरु जपै िमेशा । ताके ति िनिं रिै कलेशा

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जय श्री राम
जय श्री राम

.i || दोहा ||
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प्रेम प्रतीतनि कनप भजै, सदा धरैं उर ध्याि।
तेनि के कारज सकल शुभ, ससद्घ करैं ििुमाि।।

जय श्री राम
जय श्री राम

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जय श्री राम
जय श्री राम

जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम


जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

बजरं ग बाण पाठ की विधि

जय श्री राम
जय श्री राम

भगवान हनुमान प्रभु श्री राम के परम् भक्त हैं, इसलिए बजरं ग बाण में मुख्य रूप से भगवान् राम की भी
सौगंध के लिए कुछ पंक्तक्तयां दी गयी है। ऐसा माना जाता है कक जब भी आप श्री राम का सौगंध िेंगें, तो

जय श्री राम
हनुमान जी आपकी मदद अवश्य करें गे। इसलिए पाठ में इन पक्तक्तयों के अवश्य पढ़ना चाहहए। इस प्रकार हैं
जय श्री राम

प्रभु श्रीराम की सौंगध की पंक्तक्तयां

भूत प्रेत कपशाच ननसाचर। अक्तगन बेताि काि मारी मर


इन्हें मारु, तोहहं सपथ राम की। राखु नाथ मयाद नाम की।

जय श्री राम
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जय श्री राम

जनक सुता हरर दास कहावौ। ताकी सपथ नविम्ब न िावौ।


उठु उठु चिु तोहहं राम दोहाई। पाँय परौं कर जोरर मनाई।।
बजरं ग बाण पाठ मंगिवार से आरं भ करना चाहहए।
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 मंगिवार के हदन सूयोदय से पूवव उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।

जय श्री राम
जय श्री राम

 पूजा स्थान पर भगवान हनुमान जी की मूनतव स्थाकपत करें ।


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 भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए बजरं ग बाण का आरं भ करते समय सववप्रथम
गणेश जी की आराधना करें ।
 इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें ।

जय श्री राम
 उसके बाद हमुमान जी को प्रणाम करके बजरं ग बाण के पाठ का संकल्प िें।
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जय श्री राम

 हनुमान जी को फूि अकपवत करें और उनके समक्ष धूप, दीप जिाएं ।कुश से बना आसन नबछाएं और
उसपर बैठकर बजरं ग बाण का पाठ आरं भ करें ।
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 पाठ पूणव हो जाने के बाद भगवान राम का स्मरण और कीतवन करें ।


 हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, िड्डू और अन्य मौसमी फि आहद अकपवत कर सकते हैं।
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