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Aisi Vani Boliye The Art of Talking So People Will Listen Hindi Paul Swets
Aisi Vani Boliye The Art of Talking So People Will Listen Hindi Paul Swets
वाणी
बोिलए
First published in India by
ISBN 978-81-8322-053-8
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मेरी बेहतरीन संवाद साथी -
मेरी प ी जेिनस को
िवषय-सूची
ा थन
तावना
आभार
1
जीतने के िलए खेिलए बातचीत का खेल
िवजय का आनंद
पराजय क पीड़ा
तुरंत दोबारा खेलना
खेल के िस ांत
सीखने यो य कौशल
िवजय पाने क दशा म काययोजना
2
अपनी सव े अिभ ि दशाएँ
लोग ारा सुना जाने वाला ि
चचा म कावट के कारण
असफलता को सफलता म बदलना
िवजय पाने क दशा म काययोजना
3
चचा क नकारा मक आदत को दूर कर
अपने श द चुन
अपने ल य िनधा रत कर
अपनी रणनीित बनाएँ
अपनी ितब ता पर काम कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना
4
सुनने क कला सीख
पहला क़दम : सुनने का चयन कर
दूसरा क़दम : स यता से सुन
तीसरा क़दम : िवचार और भाव के िलए सुन
चौथा क़दम : दल से सुन
पाँचवाँ क़दम : ख़द को सुन
छठवाँ क़दम : कब चुप रहना है, यह जान
िवजय पाने क दशा म काययोजना
5
पता लगाएं क बातचीत कै से असर डालती है
घटक िव ेषण
पार प रक िव ेषण
जीवन-ि थित िव ेषण
सार सं ेप
िवजय पाने क दशा म काययोजना
6
लोग का यान जीत
बातचीत का दम तोड़ने वाली चीज़ो से बच
िचकर िवषय पर अपने िवचार िवकिसत कर
पूछना सीख
बातचीत शु करने लायक़ बंद ु को याद कर ल
नाम याद रख
ब ढ़या बातचीत के कौशल का अ यास कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना
7
ना कहने का साहस जुटाएं
ना कहना इतना मुि कल य है?
आंत रक ं के प रणाम
सुिनि तता बोध : आपके वा तिवक व प का िनमाता
संयत बताव के िलए उपाय
ना कहना ही पया नह है
अपने जीवन को हाँ कह
िवजय पाने क दशा म काययोजना
8
ब से बात करते समय आदर का भाव रख
अपना बचपन याद कर
आ म-गौरव को ो सािहत कर
िववाद या टकराव को पैर पसारने से पूव रोक
अपने िलए चाहा गया वहार ख़द भी अमल म लाएँ
अपने ब े का ''संसार'' रोशन कर
ेम का सार कर
मह वपुण मू य का संचार कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना
9
उन ि य से िनकटता बढ़ाएं िजनक आपको परवाह है
अंतरं गता आज इतनी मह वपूण य है?
अंतरं गता क खोज इतनी मुि कल य है?
गहरी िम ता के िलए दस ितब ताएँ
अंतरं ग संवाद थािपत करने के िलए अ यास
िवजय पाने क दशा म काययोजना
10
झगड़ िमटाएं
लोग के झगड़ने के कारण
बोलचाल फर से कै से शु क जाए
वातालाप के ज़ रये वैवािहक सम या से बाहर आना
पा रवा रक तनाव पर िनयं ण
नौकरी म िववाद का बंधन
िवजय पाने क दशा म काययोजना
11
लोग को अपने साथ सहयोग के िलए मनाएं
यान जीत
िवषय िववेचना क समझ बढ़ाएं
िव ास पैदा कर
सं हण याददा त बढ़ाएं
या क मांग कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना
12
सफलता का लु फ़ उठाएं
शीष संवाद अनुभव
सकारा मक आदत क लत
वतमान प रि थित
िवजय पाने क दशा म काययोजना
लेखक प रचय
ा थन
काश, म इस कताब को अपने जवानी के दन म पढ़ पाता। तब संवाद अदायगी क मेरी यो यता और बढ़ गई
होती। द आट ऑफ़ टाँ कं ग सो दैट पीपल िवल िलसन म पॉल ड यू. वे स ने लोग के आपसी संबंध म
भावशाली ढंग से बातचीत करने के मह वपूण कौशल को बताया है। वा तव म मेरी जानकारी म इस िवषय पर
यह कताब अपने आप म संपूण है।
एक व ा के िलए या ऐसे कसी भी ि के िलए जो बेहतर बोलना चाहता है, यह कताब बेहद
उपयोगी है, य क कोई भी ि बातचीत म श द , चेहरे क ित या , शारी रक भाव-भंिगमा के
अलावा अपने ि व का उपयोग भी करता है। इसके अलावा व ा या तो अपने ोता को आक षत करे गा
या उनसे एक हद तक सू म ले कन वा तिवक भावना मक संबंध थािपत कर लेगा।
कई साल पहले हॉलीवुड के एक महान अिभनेता को असफलता के बाद सफलता तब िमली जब उ ह ने
''अपने सुनने वाल से यार करना शु कया।'' उ ह ने मुझसे कहा क जब उ ह ने गंभीरतापूवक ेम को
कया तब वे संबंध क अनुभूित को समझ सके ।
वे संवाद के मनोवै ािनक िस ांत का उपयोग कर रहे थे, िजसम वे लोग को अपने दल म जगह देकर
दमाग़ी तौर पर उन तक बेहतर तरीक़े से प च ँ रहे थे। जब आप कसी ि से ेम द शत करते ह और जैसे ही
आपक भावनाएँ उस तक प च ँ ती ह तो ऐसा तीत होता है क आपसी तालमेल बन गया है। इसिलए िवचार
का आदान- दान यथाथ का एक बड़ा सोपान दलाता है। िवचार अपनी इ छानुसार ेिषत हो जाते ह और
िवकृ ित से बच जाते ह, य क मि त क पूण प से शांत हो जाता है।
इस कार का उ ेणी का संवाद दरअसल एक वै ािनक या है, इसिलए यह काय णाली अथवा सू
का िवषय है। कहने का आशय है क संवाद के कु छ िनि त िनयम और तरीक़े ह, िज ह अव य ही सीखना
चािहए।
और िनि त प से न िसफ़ ोता बि क आपसी बातचीत म भी भावशाली ढंग से अपनी बात रख
पाना हम ज़ंदगी म सफलता के क़रीब प च ँ ाता है। इसिलए, संवाद या पर कए गए डॉ. वेट्स के अ ययन
को संपूणता से बताने वाली यह कताब अमू य है। म ऐसी कसी भी कताब के बारे म नह जानता, जो संवाद
िवषय पर इससे बेहतर काश डालती हो। इस कताब म लेखक ने प और बेहतर तरीक़े से अपनी बात कही
है।
डॉ. वेट्स संवाद के बारे म न के वल प ता से िलखते ह, बि क वे बातचीत भी प तौर पर करते ह। वे
जानते ह क कै से िलखा जाए, िजसे लोग समझ और वाणी कै सी बोली जाए।
आपके अ ययन के िलए इस पु तक क शंसा करते ए मुझे ख़शी है। मुझे िव ास है क इससे आप
लाभाि वत ह गे, जैसे म आ।
नॉमन िव से ट पील
तावना
बातचीत का व प सरल होना चािहए। हम ज म से ही इसका अ यास करते आए ह और अ यास से ही द ता
आती है। ठीक? ...जी नह , ग़लत।
हमने श द को िमला-िमलाकर उपयोग करना सीखा, ता क उनका कोई साथक अथ िनकले। हम कई
श द के अथ जानते ह, फर अचानक ही पता चलता है क हमारे कहने का आशय हर कोई नह समझ पाता।
व तुत: कभी-कभी हमारे श द लोग को हमसे दूर करने लगते ह, जब क हमारी कोिशश श द के मा यम से उ ह
क़रीब लाने क होती है।
अपने वैवािहक जीवन के इ स साल गुज़ारने के बाद डेवी मेरे कायालय म परामश के िलए आई, य क
उसे लगता था क उसके िबखरते जा रहे दांप य जीवन का आिख़री पड़ाव तलाक़ है। उसने बताया क उसक
सम या पित के साथ बातचीत म पूरी तरह नाक़ाम रहना थी। डेवी क सम या असामा य नह है। अनिगनत
शा दयाँ, प रवार और वसाय इसीिलए िबखरते ह य क लोग आपसी समझबूझ और जोड़ने के भाव पैदा
करने के बजाय ऐसी बातचीत का उपयोग करते ह, जो उ ह एक-दूसरे से दूर ले जाती है।
हमम से यादातर के िलए लोग से बात करना एक सम या है य क वाक़ई हम कभी बातचीत क कला
िसखाई ही नह गई। श दावली और ाकरण संबंधी िश ण से हम िसफ़ कलाकार के रं ग और कै नवास क
ाि होती है। इन दोन क मदद से अपनी मनचाही त वीर लोग के सामने पेश करने का यह िश ण पूरी
तरह अपया है। सबको ोता बनाने वाले वातालाप क कला हमारी तालीम क इस कमी को पूरा करती है।
आप और म इस कार बात कर सकते ह क लोग उसे समझ, साथ ही हम सुनने क ऐसी कला का िवकास
कर सकते ह क लोग को हमसे चचा करते ए खुशी महसूस हो। इस रह य क कुं जी, पहले यह जानना है क
हम बातचीत म दरअसल करना या चाहते ह और जो चाहते ह उसे कै से संभव बनाया जाए।
बातचीत का प ल य तय करना हमारे बोलने और सुनने के बीच छोटा, कं तु मह वपूण तालमेल बनाने
म मददगार होता है। सही समय पर सही सामंज य थािपत करना एक कला है, पर एक बार म एक क़दम उठाते
ए कोई भी इस कला म महारत हािसल कर सकता है। इस पु तक का येक अ याय एक प ल य को तुत
कर आपका मागदशन करता है। आ म-मू यांकन, ावहा रक रणनीितय और काययोजना ारा यह सुिनि त
हो जाता है क आप अपने ल य को जान और उस दशा म अ सर ह ।
बातचीत के येक ल य क ाि के साथ आप पाएँगे :
- बातचीत क या म मुि कल पर िनयं ण।
- अपने ख़ास र त म आ मीयभाव जगाने क समझ।
- लोग के बीच संवाद संबंधी कावट के बनने के कारण और उ ह दूर करने के तरीक़ क जानकारी।
- ावसाियक सहयोिगय और िम का सहयोग तथा यान जीतना।
- सामािजक ि थितय म प एवं भावशाली अिभ ि क मता।
- ावसाियक तथा ि गत जीवन म ल य ाि क सफलता का अनुभव।
इस पु तक म मने बातचीत और ि से ि के संबंध का एक िविश प तुत कया है। मेरा मानना है
क डपटने और ितकड़मबाजी से लोग के साथ साथक संबंध नह बनाए जा सकते। ऐसे उपाय से ा ताक़त
अथवा िनयं ण आिख़र म प और ईमानदार बातचीत के आगे हार जाते ह। एक असली जीत के एहसास के
िलए हम अपने आस-पास क त वृि य को छोड़कर बातचीत म दूसर के ित समझबूझ और सहयोग के
तरीक़े क तरफ बढ़ना होगा।
मेरा दृि कोण मनोिव ान, नीितशा और ता ककता म मेरे िश ण क पृ भूिम से उपजा है। यधिप
अपने िनजी अनुभव म भी मने इसे उपयोगी और परी ा क कसौटी पर खरा पाया है। म दूसर से बातचीत क
कोिशश और उसम असफलता क पीड़ा से वा क़फ़ ।ँ मुझे दल से दल के बीच होने वाले वातालाप और न िसफ़
समझे जाने, बि क दूसर को समझने से िमली ख़शी का अंदाज़ा है।
अपने पु के साथ एक ऐसी ही मम पश चचा के दौरान मने पूछा ''तु ह लगता है क हम इस पु तक क
ज़ोरदार िब के िलए ाथना करनी चािहए?'' उसने जवाब दया ''नह डैड, हम ाथना करनी चािहए क यह
लोग के िलए मददगार सािबत हो।'' िलहाज़ा ऐसा ही हो।
आभार
हमारे समय क एक महानतम खोज यह है क ि अपने सोचने के तरीक़े से अपनी कथनी और करनी को
िनयंि त कर सकता है। दुभा यवश कई लोग यह मानते ह क ख़द को अिभ करने के तरीक़े पर उनका
िनयं ण नह है। दन-पर- दन वे वातालाप संबंधी ग़लितयाँ दोहराते चले जाते ह। वा तिवकता यह है क कोई
भी ि सफल बातचीत क '' कावट '' को पार कर जीत सकता है। यह मानते ए क आपम जीतने क चाह
है, डॉ. पील ारा िस ांत आप पर भी लागू होता हे : ''अगर आप सोचते ह क आप कर सकते ह, तो आप
ज़ र कर सकते ह।''
भावी बातचीत क ऊँचाई तक प च ँ ने के िलए आपको कु छ प ल य का िनधारण करना होगा क
आप या पाना चाहते ह? तब आपका मि त क एक ''वाहन चालक'' क भाँित ज़ री फे रबदल के ित सजग
रहते ए मंिज़ल तक प च ँ ने के िलए आपका मागदशन करता है। जब नासा ने अपोलो 17 और इसके सद य को
च मा पर भेजा, तो ेपण यान को सही प रपथ म रखने और ल य तक प च ँ ने के िलए उसम कु छ मामूली
फे रबदल करने पड़े। अगर यह फे रबदल सही समय पर नह कए जाते, तो यान अपने ल य से लाख मील दूर
चला जाता। िवजयी वातालाप भी ल य ाि के िलए आपके कथन और उसके व प म छोटे, कं तु मह वपूण
बदलाव करने का नतीजा है।
िवजय का आनंद
दूसर से सकारा मक ित या दलाने वाली बातचीत आपके जीवन को नई राह दखा सकती है। आपके जीवन
के कसी भी े म सफलता के िलए साथक चचा से बढ़कर कु छ भी मह वपूण नह है। यार ज़ािहर कर पाने,
पूरी तरह सुने और समझे जाने, दूसर के दमाग़ से वा कफ़ होने अथवा अपने िवचार को एका िचत होकर
सुनते ोता तक प च ँ ने से िमलने वाला आनंद अतुलनीय है। इससे हमारे िवचार का दायरा बढ़ता है, झान
का िव तार होता है, िव ास गहरे होते ह, नज़ रया प होता है, आशाएँ फर से जागने लगती ह, हताशा
िमटने लगती है, मन के घाव भरने लगते ह। एल हाव इसे ही ''संवाद का चम कार'' कहते ह। थैरेिप ट अ सर
अपने परामश के दौरान कई चम कार घटते देख चुके ह। शायद आपने भी ऐसे चम कार घटते देखे ह , जब कभी
आपक अपनी चचा सफल रही हो। जब आप चचा के खेल को जीतने के िलए खेलते ह, तो सबसे ब ढ़या नतीजा
यह िमलता है क आपके सहयोगी क भी जीत होती है!
पराजय क पीड़ा
हमारी चचा हमेशा सफल नह होती। कहा जाता है क जब पोप जॉनपॉल ि तीय 1959 म अमे रका प च ँ ,े तो
एक प कार ने उनसे यूयॉक क गो-गो ग स (खेल म हौसला बढ़ाने वाली लड़ कय ) के बारे म राय लेनी चाही।
अपने सहयोगी ारा दी गई चेतावनी को याद कर क प कार बात का बतंगड़ बना सकते ह, पोप ने िझझकते
ए जवाब दया - '' या यूयॉक म गो-गो ग स ह?'' अगले दन सुबह के अख़बार म पहले पृ पर समाचार छपा
''पोप ने आते ही पहला पूछा ' या यूयॉक म गो-गो ग स ह?' ''
यह वाक़या सचमुच आ या नह , यह तो नह मालूम, पर इससे साफ़ है क कसी को भी ग़लत समझा
जा सकता है - यहाँ तक क पोप को भी। चचा म असावधानी क वजह से रा के बीच जंग िछड़ गई, ापारी
दवािलया हो गए, प रवार िबखर गए। य िप चचा क तकनीक ने आज बाहरी देश तक प च ँ कर दुिनया को
िव ाम बना दया है, पर हम मानव मि त क और मन के भीतर प च ँ ने म अब तक असफल ही रहे ह।
कभी-कभी हमारे श द अपने मूल आशय के बजाय ठीक उसका िवपरीत भाव पैदा कर समझबूझ और
अंतरं गता क संभावना को ही ख़ म कर देते ह। हमारे श द से दूसर क भावना को ठे स प च ँ ती है, आ ोश
उपजता है और दल म दूरी उ प होती है, जब क वा तव म हम आपसी समझ, आ मीयता और दो ती बढ़ाना
चाहते ह। वाभािवक प से हम इस दुःखद ि थित से बचने क कोिशश करते ह। हम नाकाम चचा के दोहराव से
बचने के िलए बातचीत को ''टालने'' लगते ह। चचा के िवषय सीिमत हो जाते ह। यादा आकषक दखने क
कोिशश म हम अपनी भावना को दबाने लगते ह। मगर जब वा तिवक भावना क अिभ ि नह होती,
तो हमारे संबंध क गमाहट ख़ म होने लगती है। धीरे -धीरे संवाद क मा ा भी घटने लगती है और कु छ मामल
म यह ठं डी खामोशी के दद म त दील हो जाती है।
हम कसी भी तरह इस दु च से बच िनकलना है। हम अपनी ग़लितय का व तुपरक, समुिचत िव ेषण
कर उनसे सीखने क आव यकता है।
खेल के िस ांत
या हम िवचार क वतं एवं सफल अिभ ि के अवसर क सं या बढ़ा सकते ह? या हम बातचीत को
आगे बढ़ाने और रोकने के मौक के बीच फ़क कर सकते ह? या हम अपने नज़ रये, श द के चुनाव और अपने
आपको बदलने म स म ह? िबलकु ल। भावी चचा को ज़ारी रख पाना संभव है।
इस पु तक म शािमल तीन मुख िस ांत आपको बताते ह क यह कस कार संभव है। पहला - चचा एक
सीखा आ वहार है। य द आपने चाहे अनचाहे बातचीत के नकारा मक तरीक़े को अपनाया है, तो आप
सकारा मक तरीक़े को भी अपना सकते ह, बशत आप जान क सकारा मक चचा या है और इसे कै से िवकिसत
कया जाए। दूसरा -आप. लोग से बातचीत क गुणव ा म उ लेखनीय सुधार कर सकते ह। य िप दूसरे ि
के बातचीत के तरीक़े पर आपका िनयं ण नह होता, फर भी उस ि के कथन पर अपनी ित या कर
आप वातालाप का प रणाम भािवत कर सकते ह। तीसरा - जब आप नई अंतदृि का योग करते ह तो आपक
समझ िवकिसत होती है। समझ का यह िस ांत आज भी ासंिगक है -
सीखने यो य कौशल
य द हम बात समझने या समझाने म द क़त पेश आ रही है, तो हम बातचीत क या का कोई प ज़ र
नज़रअंदाज़ कर रहे ह। अब यह हम पर िनभर करता है क कस कार सम या को पहचान और इसका िनदान
कर। यह करना आसान नह है।
िन िलिखत आ म-मू यांकन आपक ज़ रत के ख़ास दायर और िचय को पहचानने तथा गित के
आकलन म मददगार हो सकता है। अपने अनुभव के आधार पर येक बंद ु क आवृि को सवािधक भावी ढंग
से करने वाले अंक के आस-पास घेरा बनाएँ। (1 - ब त कम, 2- कभी कभी, 3-. अ सर और 4- सामा यत:)
आ म-मू याकं न
1 2 3 4 6. चचा के दौरान मेरी आवाज़ और श द का व प ठीक वैसा होता है, जैसा सामने वाले के ित म
महसूस करता ।ँ
1 2 3 4 10. मै अपने साथ बात करने वाले ि क भावना और िवचार का भलीभाँित िव ेषण कर
सकता ।ँ
1 2 3 4 14. म ज़ोर देकर अपनी बात रखता ँ य क मुझे अपने और दूसर के नज़ रये का आदर करना
आता है।
1 2 3 4 18. अपने नज़दीक िम को यह बताने क मता मुझम है क म सचमुच उनक परवाह करता ।ँ
1 2 3 4 22. जब म लोग को कारण बताकर अपना चाहा आ काम करने को कहता ,ँ तो वे उसे करते ह।
1 2 3 4 23. प रवार, िम और ावसाियक सहयोिगय के साथ चचा का सव तर मुझे रास आता है।
1 2 3 4 24. सफल बातचीत के मू य से प रिचत होने के नाते, म चचा का कौशल िवकिसत करने के िलए
त पर रहता ।ँ
यहाँ एक िनधा रत अंक मागदशन है, िजससे आपको आ म-मू यांकन म मदद िमलेगी। ऊपर घेरा बनाए गए
अंक को जोड़कर िन िलिखत तािलका से अपने पूणाक का िमलान कर :
78-91 े आप सही राह पर ह। आप उन े पर यान दे, जहाँ आपको अपने कौशल म सुधार क ज़ रत
महसूस होती है।
50-77 साधारण बेहतर संवाद के ज़ रये ा होने वाले संतोष से आप काफ हद तक दूर ह। इस पु तक म
बताए गए चचा के ल य पर के त होकर अमल करने से आप अपने प रवार, िम तथा
ावसाियक सहयोिगय से बेहतर संबंध िवकिसत कर पाएँगे।
24-49 ख़राब चंितत न ह । शायद आप अपने िलए अपे ा से अिधक ऊँचे मानक िनधा रत कर रहे ह और
चीज़ को वा तिवकता से यादा बुरे व प म देखने के आदी ह। इस पु तक म बताए गए
ल य और रणनीितय के ित ख़द को संकि पत कर आप अपनी बातचीत के कौशल म धीरे -
धीरे सुधार कर पाएँगे। आप िशखर क और अ सर ह। आप यह कर सकते ह।
बातचीत म कु शल लोग अ छे एथलीट क तरह होते ह : वे इसका अ यास कर द ता ा करते ह। एक मानक
का िनधारण होता है, मूलभूत िनयम सीखे जाते ह, िस ांत का अ यास कया जाता है, कौशल िवकिसत होता
है। पेशेवर िखलाड़ी जानते ह क मह व इस बात का नह है क उनम कतनी ितभा है, वे अपने कौशल का
िवकास कर सकते ह... य द यास कर। मगर यही बात आपके सम खड़ा करती है : या आपके यास के
अनु प आपक बातचीत सफल है?
बातचीत क सम या सुलझाना ही चािहए य क चचा जीवन क हर गितिविध का मा यम है। चाहे वह
िववाह हो, कामकाज ब का पालन-पोषण, शासन, कू टनीित या कु छ और - हमारे जीवन क गुणव ा और
संभवत: भावी अि त व भी बातचीत के कमाल पर िनभर करता है।
जब मेरे एक िम को पता चला क म भावी संवाद पर पु तक िलख रहा ,ँ तो उसने कहा - ''मुझे दस
वष पहले इसक ज़ रत थी। ''हम अतीत को िमटा नह सकते, पर दूसर को समझकर और अपनी बात
समझाकर हम अपने वतमान पल का बेहतर इ तेमाल कर सकते ह।
इस पु तक का अिभ ाय आपको बातचीत के खेल म िशि त करना... और जीतने म मदद करना है।
अपनी सव े
अिभ ि दशाएँ
हमारे पीछे जो मौजूद है और हमारे सामने जो मौजूद है, वह उसक तुलना म कु छ भी नह , जो हमारे भीतर
मौजूद है।1
रा फ वॉ डो इमसन
अपनी अिभ ि को सुधारने क कोिशश आपको असहज कर सकती है। अपनी बातचीत के े पल क
तुलना बुरे ण से करते ए आप ख़द को बेहतर न कर पाने के िलए कोस सकते ह। मगर वयं को (या कसी
अ य ि को) दोषी ठहराना पीछे हटने वाली सोच है। अपने आप को (और इसी तरह अपनी बातचीत क
मता को) सुधारने के तरीक़़ क खोज उस राह पर चलने के समान है, जो संतुि भरे संबंध क तरफ ले जाए।
अपनी पु तक आय एम ओके - यू आर ओके म थॉमस है रस िलखते ह:
कहा जाता है क अपने वभाव क ख़ािमय को कोसने से आपक ख़ािमय का वभाव नह बदल सकता।
िलहाज़ा ''म ऐसा ही 'ँ ' से कु छ भी बदलाव नह हो सकता। ''म बदल सकता 'ँ ' यह भाव सबकु छ बदल
सकता है।3
य द हम ''म बदल सकता 'ँ ' वाला दृि कोण अपनाएँ, तो अपनी बातचीत संबंधी सम या को सुलझाने क
बेहतर ि थित म ह गे।
F – फयर डर
A – एज़ पश स मा यताएँ
I – इं ससे टिवटी संवेदनहीनता
L – लेब लंग वग करण क पहचान
U – अनसटिनटी अिनि तता
R – रज़टमट नाराजगी
E – इगो ट म अहंकार
1.डर - माक वेन अपने अलावा अ य लोग को भी इस कथन के ज रये काफ कु छ बताना चाहते थे - ''म
े म िव ास नह रखता, पर मुझे उनसे भय लगता है।''4 कई बार यह जानते ए भी क हमारा डर वा तिवक
त
नह है, हम उसे अ य ि य से कट कर रहने का ज़ रया बनने देते ह।
व तुत: कु छ डर हमारे अि त व क ख़ाितर ज़ री ह, जैसे असुरि त र तार से वाहन चलाने का डर।
कं तु यहाँ हम उन डर क चचा करगे, जो हम अपने व प क सव े अिभ ि और अ य ि य से
वाभािवक संबंध बनाए रखने म बाधक बनते ह। यहाँ कु छ ऐसे ही थायी डर व णत ह, जो कई ि य को घेरे
रहते ह। मसलन :
ि य , भीड़, नई ि थितय का डर
ग़लत समझे जाने, कसी अ प मानक पर खरे न उतर पाने या कसी ि क उ मीद पर ख़रा न
उतरने का डर
हकलाने, ग़लत श द या उ ारण का डर
असल भावना के जािहर होने पर िख ली उड़ने का डर
कसी को न समझ पाने पर उसक नजर म मूख सािबत होने का डर
भावना क अिभ ि या उन पर िनयं ण न कर पाने का डर
कसी दूसरे ि क राय के िवपरीत राय रखने का डर
यह सभी डर कहाँ से उपजते ह? मनोवै ािनक के अनुसार ब ा िसफ दो कार के डर के साथ ज म लेता है।
वहार िव ान के जनक जॉन बी. वॉटसन के अनुसार ''िसफ़ दो चीज़ डर पैदा करती ह, तेज़ विन और सहारे
का अभाव।''5 अ य सभी डर सीखे जाते ह, उनक जड हमारे मूलभूत व प म नह रहत । वे हमारी इ छा के
बग़ैर हमारे साथ हमेशा के िलए नह रह सकते। हािनकारक डर को यागा जा सकता है।
जब हम भयभीत होते ह, तो हमारा संवाद गड़बड़ा जाता है और ग़लत समझे जाने के डर से हम बोलना
ही बंद कर देते ह। भावना पर िनयं ण न रख पाने के डर से हम उ ह दबाने लगते ह। नापसंद दृि कोण क
आलोचना से बचने के िलए हम ऐसी बात ढू ँढ़ते ह, जो दूसरे सुनना चाह। अपने आप को नकारने क कोिशश म
दुिनया के बारे म हमारा नज़ रया िविवधता से समृ नह होता, बि क संकुिचत होने लगता है और हम अपने
सीिमत दायरे म क़ै द होते चले जाते ह।
4. वग करण - हमारा मि त क एक व तु को दूसरी से अलग करके देखने का आदी है। बाइबल क रचना
क कथा म आदम का पहला काम पशु का वग करण था। मा यता क तरह वग करण भी मि त क ारा
अिनयोिजत से िनयोिजत ढू ँढ िनकालने का ज रया है। हम इसके िवशेष बन जाते ह।
मगर दूसरे ि को वग कृ त करना बाधक हो सकता है। यह कहावत क ''छड़ी और प थर मेरी हड् िडयाँ
तोड़ सकते ह, कं तु पहचान नह '' सच नह है। कू ली िव ाथ एक-दूसरे को ग़लत तरीक़े से वग कृ त करते ह।
कु छ प रवार , द तर और कायशाला म एक-दूसरे को नीचा दखाने वाले नामकरण करने क वृि होती है।
कई लोग इसे गंभीरता से नह लेत,े पर कु छ क ि गत छिव इससे बुरी तरह भािवत होती है। कु छ ि
सामा य नामकरण जैसे “ल लू ब ा'', ''सरपट घोड़ा'' या ''सु त कछु आ'' से भी िनजात पाने के िलए काफ़ व
बबाद कर देते ह।
वाक़ई, श द हमेशा अपने ारा व तु से मेल नह खाते। सूज़न नाम का मतलब सूज़न ि नह है,
पर कई बार हमारा मि त क यह फ़क नह कर पाता और हम बे ख़ी दशाते ए उन ि य से बुरा बताव करने
लगते ह, िजनके साथ नकारा मक िवशेषण लगा हो। य द कोई िपता अपने ब े को अ सर ''मूख'' कहकर
पुकारता है, तो धीरे -धीरे वह उसे वाकई मंदबुि मानने लगेगा। इससे भी बुरी बात यह है क ब ा भी अपने
बारे म ऐसा ही सोच सकता है।
5. अिनि तता – अरे , आह, ठीक है, शायद, मुझे पता नह , मेरे याल से - यह भाव कसी भी वातालाप
म सामा य ह, पर हमेशा नह ! यह सच है क िनि तता हमेशा ख़ूबी नह होती। कसी अवा तिवक या िजसके
िवषय म जानकारी न हो, उसके बारे म सबकु छ जानने का दावा करना बेवक़ू फ़ है, मगर अिनि तता आदत बन
सकती है जब आप कोई िन या मक ख़ रखने के बजाय ग़लत िनणय लेने से बचने के बहाने के तौर पर इसे एक
''सुरि त'' उपाय क तरह योग करते ह।
उस ि से कोई भी बात करना पसंद नह करता जो हमेशा ख़द के बारे म ही बात करता हो, भले ही
उसक बात काफ़ दलच प हो। उसके श द दूसरे ि य से संपक बनाने के सू नह , बि क ि गत ित बंब
ही होते ह। वह संबंध बनाने के बजाय आईने से ही मुख़ाितब रहता है।
लोग म यह जानने क अद्भुत मता होती है क आप उनके बारे म या सोच रहे ह। वे िसफ़ आपके श द
ही नह , बि क चेहरे के हाव-भाव, आवाज़ क शैली से भी संकेत हण करते ह। यह संभव है क आ ोश और
वाणी क कड़वाहट के बीच भी आप अपनी वा तिवक भावना को छु पा ल, िजससे लोग आपको ग़लत समझगे
और आपके ित नकारा मक नज़ रया रखगे। म एक ऐसे बुज़ग को जानता ,ँ जो वाक़ई ब के ित ेमभाव
रखते ह, पर उनके चेहरे पर मौज़ूद थायी आ ोश और उदासी के भाव ब को भयभीत कर देते ह। एक ऐसे
ि को भी मने देखा, जो लोग म अपने ित दलच पी तो जगाना चाहता था, पर बे दे ठहाके लगाकर उ ह
दूर कर देता था।
4. भावना पर िनयं ण - कु छ लोग सोचते ह क उनका अपनी भावना पर उतना िनयं ण नह है,
िजतना एक क यूटर पर उसके ो ामर का होता है। वे मानकर चलते ह क उनके भाव जैसे आ ोश, झ लाहट,
अवसाद, ई या, नाराज़गी तथा ष े उनके मि त क म प चँ कर िवचार को िनधा रत करते ए बातचीत पर
भाव डालते ह। उनका रवैया भावना के आगे हार मानकर चलने वाला होता है। वे अपने आपको ऐसी बात
कहते ए पाते ह, जो वे अपनी सही मनोदशा म कभी क पना म भी नह कहते। वे संबंध को िबगड़ते देखते रहते
ह, वे ख़द ही अपने िशकार बन जाते ह।
शायद आपका दायरा सीिमत है। ग़ सा एक आदत बन सकता है, तनाव से मुि पाने क एक राह हो
सकता है। पर या आप जानते ह क ग़ सा कभी भी कोई सकारा मक ल य या दीघकािलक लाभ नह देता?
ग़ सा ऐसी चीज़ नह है जो बस आपके साथ हो जाए, जैसे यह कोई बाहरी व तु हो, िजस पर आपका िनयं ण
नह हो। यह भले ही आदत हो, पर यह आपका चयन भी है। इसिलए आ ोश और अ य भावना पर िनयं ण
कया जा सकता है। अपने आप म बदलाव लाने के िलए े रत होने से पहले इस बात पर यक न कर ल।
वातालाप के दौरान आ मिव ास ि को अपनी बात कहने और दूसरे क बात सुनने म मदद करता है।
अनुिचत माँग, तीखी ि थितयाँ, फ़तवेनुमा सुझाव - ये सभी आ मिव ास के उसी कार िवरोधी ह जैसे रात और
दन। कसी झूठी छिव को संरि त करने या चा रत करने क ज़ रत के बग़ैर एक आ मिव ासी ि अपने से
िभ दूसर के नज़ रये को ख़ले दमाग़ से लेता है और ईमानदारी से अपनी बात रखता है।
7. अपने आपको दूसर के साथ बाँटना - कई लोग अपने बारे म बात करते ह, पर ब त कम अपने वा तिवक
व प को दूसर के साथ बाँटते ह। कु छ लोग को ''गोपनीय ि '' कहलाने म गौरव क अनुभूित होती है। अ य
ि बचपन से जुड़े मूक वभाव और भय तले दबकर रहना पसंद करते ह। दूसर के साथ अपने अित र
व प क साझेदारी से बचने के कई कारण ह। चा स शु ज़ ने ऐसे ही एक कारण को बताया है। देख िच 2-1
(अगले पृ पर)
लूसी बता रही है क य दूसर के साथ अपनी भीतरी बात बाँटना बेवकू फ़ है, पर अगर हम तुरंत मान ल क
दूसर पर भरोसा नह कया जा सकता, तो हम संवाद के ज़ रये ख़द को पाने के लाभ खो दगे। ि वस
मनोिच क सक पॉल ताँ नएर के श द म -
''कोई भी अपनी ही खोज के ज़ रये ख़द को जानने का दावा नह कर सकता... यह िसफ चचा से ही संभव
है। इसके िलए दूसर के साथ वातालाप आव यक है। दूसर के सामने अपने िवचार अिभ करके ही
वह इनके ित सचेत रह पाता है। अपने बारे म प दृि रखने वाले को एक वतं , वैचा रक सुझाव
वाले िव ासपा ि का चयन करना चािहए, जो इस िव ास के क़ािबल हो। यह कोई िम , जीवन
साथी अथवा िच क सक भी हो सकता है।”8
चचा संबंधी असफलता को सफलता म बदलने के िलए बड़बोलेपन या बुि म ा से कह यादा ज़ री ि व
संबंधी ये गुण ह। कोई भी इ ह िनजी ल य बनाकर हािसल कर सकता है। इसके िलए ज़ री है क ये ल य
िनरं तर दमाग़ म रखे जाएँ और दृढ़ता पूवक इनका अनुसरण कया जाए।
िवजय पाने क दशा म
काय योजना
1. सम या सुलझाने वाले जानते ह क य द वे सम या को भली भाँित जान ल, तो यह उसके समाधान क
ओर बड़ा क़दम माना जाता है। इस अ याय के ि तीय ख ड ''चचा म कावट के कारण'' क समी ा करने के
प ात अपनी संवाद संबंधी क ठन सम या क सूची बनाएँ। अब उन सम या पर काम कर, िज ह आज ही
सुलझाया जा सकता है।
2. कभी-कभी हम बातचीत के नकारा मक तरीक़े अपना लेते ह िजनके बारे म हम ख़द भी पता नह होता
(जैसे यादा बोलना या िनणायक क तरह वहार करना) इसे जानने के िलए स ाह भर तक अपने वातालाप
को रकॉड कर या काग़ज़ पर िलख। अपने िन कष का यौरा रख।
3. आपसी समझबूझ के िलए ित या ज़ री है, अपने कसी भरोसेमंद दो त से इसके िलए मदद ल।
उदाहरण के िलए उससे पूछ: ''मेरे बातचीत के तरीक़े म तु हारे िलहाज़ से या किमयाँ और ख़ूिबयाँ ह?'' उसका
ज़वाब यानपूवक सुन। सुर ा मक होने क कोिशश न कर। याद रिखए, नकारा मक तरीक़े के ित सजग होना
ही उसे दूर करने का थम चरण है।
3
चचा क नकारा मक
आदत को दूर कर
मानव जाित अपने आप म अनूठी है य क िसफ़ उसके पास ही िवक प रचने, पहचानने और इ तेमाल करने
क मता है...। यह मानवीय िविश ता का अंग है क हम चयन क दी ा िमली ई है।1
नॉमन किज़ स
हमारे वातालाप म, िजतना हम समझते ह उससे कह यादा आदत का भाव होता है। टेलीफ़ोन पर बात करते
ए, ब े को अनुशािसत करते ए, कसी सम या पर ित या दशाते ए या भावना क अिभ ि के समय
हम अवचेतन म कई तरीक़े िवकिसत कर लेते ह। ऐसे कई सामा य घटना म से हमारी आदत बनती ह।
जब आदत संवाद क या म सम या बनने लग, तो इसका कारण अ य ि ारा हम कस तरह
िलया जा रहा है, इसके ित हमारा अनज़ान रहना होता है। य द एक पु अपने िपता से कसी ि गत
सम या, कसी सपने या महज़ दनचया को लेकर बात करने क कोिशश करता है और िपता अख़बार म खोए ए
उदासीनता पूवक ज़वाब देते ह, तो वे पु के साथ अपने संबंध को आदत के ज़ रये ख़राब कर रहे ह। एक प ी
अगर अपने पित से भी उसी तरह बात करे , जैसे वह अपने ब े से करती है, तो इस आदत क वजह से वह उस
अंतरं गता को न कर देगी, िजसक उसे तलाश है। कसी सं था का अ य अपने कमचा रय से आदर क अपे ा
रखने के बावज़ूद अिड़यल ख़ या दृि कोण रखने क आदत से इस संभावना को ख़ म कर देगा।
या हम बदल सकते ह? या हम अपने श द और बोलने के अंदाज़ का चयन कर सकते ह? कई ि यह
दोन नह कर पाते। अपनी चचा म कावट का कारण न समझ पाने क वजह से वे तनाव, एकाक पन और सबसे
ख़तरनाक िनराशा का अनुभव करते ह, कं तु जैसे-जैसे हम यास करते ह और अपने कहे श द तथा कहने क
शैली के चयन को व त देते ह, हमारी चचा क नकारा मक आदत बदलने लगती ह।
क यूटर ो ामर एक संकेत ''जी.आई.जी.ओ.'' का योग “गाबज इन, गाबज आउट'' क अिभ ि के
िलए करते ह। अथात् जो आप क यूटर म ो ाम करगे, वही बाहर आएगा। अगर बातचीत आपक इ छानुसार
नह है, तो अपने मि त क को िड ो ाम कर ऐसा काय म तय कर सकते ह, जो आपको िवजयी प रणाम दे।
बातचीत म िजताने वाली '' ो ा मंग'' इसिलए संभव है य क आप अपनी बातचीत को भािवत करने वाले
इन चार मुख कारक पर िनयं ण कर सकते ह:
आपके श द
आपका ल य
आपक रणनीित
आपक ितब ता
अपने श द चुन
सबसे पहली बात, आप अपने िलए श द सुन सकते ह। सैकड़ िवचार सू और अनुभव से जुड़े भाव म से आप
एक िवचार और फर उसक अिभ ि के िलए श द का चुनाव करते ह। यह चयन आदत अथवा अवचेतन पर
आधा रत हो सकता है। इसे चेतन व प म लाने के िलए आपको िसफ़ उन पर क त होना है।
श द चयन बातचीत को कै से भािवत कर सकता है, इसका एक उदाहरण यहाँ दया गया है -
टे लीफ़ोन पर बातचीत
िडक: हेलो ज़ेन, मने एक घंटे पहले भी तुमसे संपक
करना चाहा पर कोई ज़वाब नह िमला।
पहला िवक प सीधा-सादा है, िजसम दूसरे ि से बातचीत म पूवा ह रखे बग़ैर ज़वाब दया गया है। दूसरे
िवक प म आ ोश और िन कषवादी मानिसकता दशाई गई है। कं तु इन दोन मामल म कहे गए श द का अपने
सहयोगी पर असर साफ़ नज़र आता है।
अपने ल य िनधा रत कर
दूसरा क़दम यह क आप अपनी चचा को दशा और साथकता दान करने के िलए ल य िनधा रत कर सकते ह।
ल य के बग़ैर आपके िवचार, बोलने का तरीक़ा, विन क र तार और शारी रक भाषा िसफ़ समय पर क त
एक आदत बनकर रह जाएँग,े कं तु सु प ल य के साथ आपक अिभ ि मंिज़ल से नह भटकने पाएगी।
ल य िनधा रत करना बातचीत क कला के िवकास म आपके िलए मह वपूण सहायक त व हो सकता है -
कं तु य द आपके ल य अ प और अयथाथवादी ह , तो इससे झ लाहट भी हो सकती है। पीपुल इन ा ीस के
लेखक वडेल जॉ सन ने इसे आई.एफ.डी. बीमारी नाम दया। आई. अथात् आइिडयलाइज़ेशन या
आदशवादीकरण, एफ़ यानी ेशन या खीझ, डी का मतलब िडमॉरे लाइज़ेशन या हताशा है। जॉ सन के
अनुसार जब आप प च ँ ने क राह बनाए बग़ैर अित आदशवादी ल य िनधा रत करते ह, तो आपको खीझ और
हताशा हाथ लगती है और अंतत: आप हार मान लेते ह।
आई.एफ.डी. बीमारी का इलाज करने और अपने अंतवयि क संबंध म एक गहरी उपलि ध का एहसास
पाने के िलए आपको अपनी चचा के ल य माट रखने ह गे। माट (SMART) यहाँ दए गए ल य का आधार
श द है :
पेिस फ़क (िविश ) - आपका ल य दूसरे काय से अलग काय करने वाला होना चािहए। उदाहरण के
िलए ''म लोग से चचा के दौरान यादा सुनना चाहती ,ँ '' कहने के बजाय आप कह सकती ह - ''म अपने पित से
चचा के दौरान उ ह पूरा मह व देना चाहती ।ँ ''
मेज़रे बल (मापने यो य) - आपका ल य आपके काय या बताव क प रमाप दशाने वाला होना चािहए।
यह कहने क अपे ा क ''म अपने पित क बात और यादा सुनना चाहती 'ँ ' आप कह सकती ह, ''म अपने पित
को कम से कम पं ह िमनट तक ित दन पूरे यान से सुनना चाहती 'ँ '
अफ़म टव (िन या मक) : आपके ल य से सकारा मक या नज़र आनी चािहए, जो आपको बेकार के
काम के बजाय सीधे ल यक ओर ले जाए। जैसे यह कहने के बजाय क ''जब पित मेरे आस-पास रहते ह तो म
परे शानी महसूस करना नह चाहती।'' आप अपने िविश और मापने यो य ल य म जोड़ सकती ह ''म अपने पित
को बताऊँगी क म उनक परवाह करती ँ और उनके साथ रहना मुझे अ छा लगता है।''
रयिलि टक (यथाथपरक) : अपने ल य को ा करने यो य बनाए रखने के िलए उसे फ़ौरन काम म आने
लायक़ बनाएँ। ऐसा ल य वा तिवक नह होता, जहाँ प च ँ ना आपके िनयं ण से बाहर हो। िलहाज़ा य द आप
अपने पित से सवाल के ज़ रये वातालाप शु करना चाहती ह, तो इसे तुरंत कर डाल, आपका ल य पूरा हो
जाएगा, फर भले ही पितदेव आपके का कै सा भी ज़वाब द। एक यथाथपरक ल य आपको नई चुनौितय के
साथ यह िव ास भी देता है क आप उस तक प च ँ सकते ह।
टाइम-कांि टेड (समय क त) : आपका ल य आपके काय क समय सीमा िनधा रत करने वाला होना
चािहए। यह कहने के बजाय क ''म इस ल य पर िनकट भिव य म काम शु करना चा गँ ी'' यह कह क ''म इस
ल य को आज रात ही िडनर पर अपनाऊँगी।''
म कसी से नह ड ँ गा।
म लोग से बात करना पसंद करता ।ँ
म एक कु शल ोता ।ँ
म अपने िवचार और भावनाएँ िव ासपूवक बाँटता ।ँ
म जब बोलता ,ँ लोग सुनते ह।
म असफल होने पर ख़द को समायोिजत कर फर यास करता ँ और सफल होता ।ँ
वीकृ ित को लेकर एक सकारा मक बात यह है क उसका आपके अनुभव म मौज़ूद होना कोई ज़ री नह । इसके
बावज़ूद वह आपक गित के तर म शि शाली उपकरण सािबत होती है। उन पर कामकर और उ ह दोहराकर
वा तिवक बनाया जा सकता है।
ख़द को इनाम द - अपनी अ छी आदत को नज़रअंदाज़ कर नकारा मक आदत के िलए ख़द को सज़ा देना
ख़द को सुधारने का ठीक तरीक़ा नह है। यह दु प रणाम दे सकता है। वहार िव ानी तीन 'आर' क चचा करते
ह: रीइनफ़ो ड र पॉ सेज़ र योर अथात् मज़बूत ित या ख़द को दोहराती है। दूसरे श द म य द आप नए
कौशल को लागू करते ए अपने आप को पुर कृ त करते ह और नकारा मक आदत दूर रखते ह, तो दरअसल आप
अपनी सकारा मक आदत को मजबूत करते ए उस कौशल के बार-बार इ तेमाल क संभावना बढ़ा रहे ह।
िलहाजा कसी कार से ख़द को पुर कृ त करने क कोिशश कर। यह पुर कार कु छ भी हो सकता है - सुबह-सुबह
िप ज़ा का ऑडर जैसी द लगी या फर वह सबकु छ जो आपको अपने ल य तक प च ँ ने म िमली सफलता के
अनुभव का फ़ायदा प च ँ ाए।
4. िवजय क दशा म बढ़ते चरण को 3x5 आकार के काड पर िलखकर वहाँ रख, जहाँ आपक नज़र बार-
बार पड़ती हो। उदाहरण के िलए ''म?__________ से बात करना और उनक बात सुनना पसंद करता/करती ँ
।'' ''म ऐसा ि बन रहा ,ँ िजससे बात करने म लोग को अ छा लगता है। ''यह सोच क आप अपने चचा के
ल य क ओर बढ़ रहे ह। उस पर काम कर, तो सचमुच उस ल य तक प च ँ गे।
4
िसफ़ एक दन... एक घंटे... एक पल के िलए मेरी बात सुनो। इसके पहले क म अपने भयावह उजाड़ म, अपने
सूने अके लेपन म मर जाऊँ। हे ई र, या यहाँ मुझे सुनने वाला कोई नह है?'
सेनेसा, ई.पू.4
बाइबल के अनुसार सैमसन ने एक गधे के जबड़े क ह ी से दस हजार फ़िल तीिनय को मार डाला था। मुझे
यक़ न है क इसी उपकरण से रोज़ाना इससे कह यादा संवाद क मौत होती है।
आदश प म वातालाप आपसी आदान- दान अथात् बोलने और सुनने पर िनभर होता है। दुभा यवश
बोलने वाले तो ब त िमलते ह, पर सुनने वाले कम। आप याद कर, िपछली बार जब आप कसी से बात कर रहे थे
और ोता कसी सोच-िवचार म डू बा आ था। तब आपने पाया होगा क वह आपको सुनने के बजाय ये सोच
रहा था क आपक बात ख़ म होते ही उसे या बोलना है।
या आप ऐसे दस नाम बताएँग,े जो आपक बात सोच समझकर सुनाते हो... ऐसे लोग, जो आपक बात
पर सुनने के बाद िवचार करते ह , आपक तरह सोचते ह और आपके कहने से पहले मन क बात समझ जाते
ह ? कु छ लोग िसफ़ पाँच नाम ही िगना सकगे। यादातर लोग को ऐसे ि य क तलाश रहती है, िजनसे वे
अपने मन क बात कह सक और जो उनक बात सुने।
आिख़र सुनने के िलए इतने कम लोग तैयार य होते ह? सुनने का गहरा, काला राज़ या है, जो लोग
को इस कला म महारत पाने से रोकता है? ऐसा कोई राज़ नह है। अलब ा कु छ सरल उपाय ह, जो अ छा ोता
बनने के िलए ज़ र अपनाए जाने चािहए। ये मुि कल नह ह। कोई भी इनका अ यास कर अ छा ोता बन
सकता है।
इन चरण क चचा से पहले जानना ज़ री है क बेहतर ढंग से सुनना य मह वपूण है। पेरी
कॉरपोरे शन ने पाया क सुनने क कला म िश ण के बग़ैर हम अपने सुने ए का िसफ़ 25 ितशत ही समझ
पाते ह। और ावसाियक व िनजी दोन ही संबंध म बात पूरी तरह न सुनने क महँगी क़ मत चुकानी पड़ती है।
सुनने क साधारण ग़लितय से वसाय जगत को हर साल करोड़ डॉलर क हािन होती है। िनजी र त म
सुनने क सामा य ग़लितय के फल व प बातचीत म कावट उपजने से लोग क आपसी समझबूझ िबगड़
जाती है। यहाँ इसे प करने के िलए घर से भागे एक कशोर का प है -
ि य अिभभावक,
हर चीज के िलए आपका शु या, मगर म नए िसरे से ज़ंदगी क शु आत के िलए िशकागो जा रहा ।ँ
आपने पूछा था क मने इतनी तक़लीफ़ य दी और वह बात य क । मेरे िलए इसका ज़वाब आसान है,
पर म नह जानता, आप मेरा प ीकरण समझ पाएँग।े
याद है, जब म छह या सात साल का था और म के वल ये चाहता था क आप मेरी बात सुन? मुझे याद है,
वे सारी चीज़ जो आपने समस और मेरे ज म दन पर मुझे दी थ और उ ह पाकर म वाक़ई ख़श आ
था... ह ते भर के िलए... मगर वष के शेष समय म म उपहार नह , िसफ़ इतना चाहता था क आप मुझे
यह महसूस कर सुने क म भी भावनाएँ रखता ,ँ म भी कु छ ।ँ बचपन म कई चीज़ मुझे महसूस होती थ ,
पर आपका कहना था क आप त ह।
माँ, आप शानदार खाना पकाती ह, आपक हर चीज साफ़-सुथरी रहती थी, पर इन सब काम म आप
इतनी यादा त रहती थी क आप थक जाती थ ; पर माँ या आप जानती ह? - म के वल िब कू ट और
म खन खाकर भी खुश रहता य द आप कु छ देर के िलए दन म मेरे पास बैठत और मुझसे पूछती : ''मुझे
सबकु छ बताओ ता क म तु हारी मदद कर सकूँ !''
डोना के जब कभी ब े ह , तो उसे बताना क वह उस ब े पर यान दे, जो मु कराता नह है, य क
भीतर से उसे रोना आ रहा होगा। छह दज़न िबि कट पकाने म त होने से पहले उसे यह जाँच लेना
चािहए क कह उसके ब े के पास उसे सुनाने के िलए कोई सपना, कोई उ मीद या ऐसी ही कोई चीज़ तो
नह , है य क छोटे ब के िलए भी िवचार मह वपूण होते ह, भले ही अपनी बात कहने के िलए उनके
पास यादा श द न हो।
मेरे याल से हर ब ा अपने वय क को त देखते ए उस ि क तलाश करता है, जो उसक बात
सुने, उससे नम से पेश आए। आपने य द कभी मुझे टोकते ए ख़ेद कया होता तो म ख़शी से िबछ
जाता ।
अगर कोई पूछे क म कहाँ ,ँ तो कहना, म ऐसे लोग क तलाश म िनकला ,ँ िजनके पास समय हो
य क मेरे पास कई ऐसी बात ह, िजनके बारे म म चचा करना चाहता ।ँ
यार सिहत,
आपका पु '
एक के बाद एक धीरे -धीरे , मश: अिड़यल होकर क गई ग़लितयाँ लोग के बीच दीवार खड़ी कर देती ह।
सुनने के मामले म ग़लती नह होनी चािहए; और सुनने का सकारा मक कौशल सीखा जा सकता है। सुनने
के शोध और िश ण पर 50 से 60 लाख डॉलर ितवष खच करने वाले पेरी कॉरपोरे शन के अनुसार िव ालय
म जहाँ सुनने क तक़नीक िसखाई जाती है, सुनने क समझ महज़ कु छ महीन म दो गुनी हो जाती है। बेहतर
सुनने क दशा म िन छह क़दम उठाकर आप भी अपने सुनने के कौशल को िवकिसत कर सकते ह।
पहला क़दम:
सुनने का चयन कर
जब तक हम यह पहला क़दम नह उठाएँगे, हमारे बेहतर सुनने के यास क दशा म बाधाएँ आती रहगी।
भावी वण म तीन सामा य कावट ख़ासतौर पर चंताजनक ह, िजनम पहला है तनाव। शोध के अनुसार
दय रोग कसर, दुघटना, दयाघात, सन रोग और कई अ य बीमा रय से तनाव का कसी न कसी कार का
संबंध है। र त पर भी इसका भाव पड़ता है। थोड़ी सी शांित क तलाश म मि त क एक साथ कई िवपरीत
दशा म भागने लगता है... नतीज़तन कोई साथक गित नह होती। ऐसी ि थित दूसरे ि क बात पर
पया यान देने म बाधक बनती है, जब तक क सामने वाला ि सुनने को लेकर अित र प से एका ता
न दशाए।
सुनने क राह म दूसरा अवरोध ''म'' ंिथ है। कु छ सामािजक िव ेषक के अनुसार आजकल एक ''नई
आ ममु धता'' िव म पैर पसार रही है िजसका एकमा ल य ि गत अि त व और आनंद है। इससे इं कार
करना मुि कल है क आज हजार अमरी कय का नज़ रया ि गत चंता तक सीिमत है। इसी आ मक त
झान क वजह से कु छ िव ेषक ने 1970 के दशक को ''म'' दशक का नाम दया है।
जब कोई ि ''म'' ंिथ से िघरता है, तो वह दूसर क परवाह नह करता। वह अपने िसवाय कसी
अ य के नज़ रये को जायज़ नह मानता। वह अपने ि व को लाभ प च ँ ाने वाली बात ही सुनता है। वह वही
सुनता है, जो उसे पसंद हो। वह कतना ही चाहे, उसके आ मीय संबंध िवकिसत नह हो पाते य क उसक
सारी चंता अपने िवचार सामने रखने, अपने आपको सही ठहराने एवं दूसर क क़ मत पर अपने उ थान तक ही
सीिमत रहती है।
बेहतर सुनने का तीसरा अवरोध मि त क क र तार है। ि य के बोलने क औसत दर 200 श द ित
िमनट होती है, जब क हमम से कई इससे चार गुना तेज़ी से सोच सकते ह। इस अित र समय म अ भावी
ोता अनाव यक दशा म दमाग़ ख़च करता है। उसका मि त क गुज़रे कल क बात के बारे म िवचारने, आने
वाले कल क योजना बनाने या ावसाियक परे शानी सुलझाने... अथवा ''सोने'' म त रहता है।
सचेत रहकर सुनने क कला सीखने से ये तीन अवरोध दूर कए जा सकते ह। उदाहरण के िलए, जब एक
ोता सुनने क दृढ़ ित ा करता है, तो वह अपने साथी क बात सुनने से पूव कु छ समय तक ख़द को आराम क
ि थित म ले आए। उसका सुनने का चयन मि त क को तनावरिहत अव था म ले आएगा। उसका यह चयन उसे
आ मक त करने म भी मदद करे गा और वह सामने वाले क बात पर यान दे पाएगा। इससे बढ़कर उसका
मि त क इसे चुनौती क तरह लेकर उस अित र वणकाल का उपयोग व ा क बात के समुिचत िव ेषण म
करे गा। अ छा ोता गहराई से बात सुनकर बोले गए श द और मौन संकेत के ज़ रये व ा के वा तिवक
अिभ ाय को समझने क कोिशश करता है।
दूसरा क़दम:
स यता से सुन
िनि य वण म मि त क बातचीत क या म आिशक प से ही भाग लेता है। स य वण म उसक पूण
भागीदारी होती है। जब आप स यतापूवक सुनते ह, तो आप कही जा रही बात पर यान क त करते ह और
आप उस पर साथक ित या दशाते ह। इससे आपसे चचा करने वाला ि अपनी बात गहराई से ज़ारी रखने
के िलए ो सािहत होता है। आप तब वीकृ ित क भाषा संचा रत करते ह -अथात् एक ऐसा अचूक संकेत, जो
व ा के कथन से सहमित के बग़ैर भी उसे अपनी मह ा का आभास दलाता है। उसके िवचार को अहिमयत देता
है।
सतही तर पर कु छ साधारण ित याएँ स य बातचीत ज़ारी रखने के ार खोलती ह। '' ार खोलने
वाली'' ऐसी ही कु छ ट पिणयाँ इस कार ह-
दलच प।
मुझे इसके बारे म बताएँ ।
मुझे और जानकारी द।
या आप इस पर चचा करना पसंद करगे?
चलो इस पर चचा कर।
आपके दमाग़ म कु छ ज़ र है।
आपके िवचार मेरे िलए मह वपूण ह।
खुले ार से वेश और गहराई से बात समझने के िलए आपको चचा म शािमल साथी से अपनी ित या
(फ डबैक) करनी ही चािहए। प ीकरण के िलए कह या अपने श द म वह बात दोहराएँ, जो साथी ने
कही हो, ता क प हो सके क उसक बात का वही संदश े जा रहा है, जो वह चाहता है। इस कार बात को
दोहराया जाना बातचीत के ित आपका मू यांकन या राय ज़ािहर नह करता, पर अद्भुत तरीक़े से यह आपके
साथी को अपनी चचा जारी रखने, उसके अनुभव के मूल तक जाने और पर पर समझबूझ के िवकास म मदद
करता है।
सामने वाले के आशय के बारे म क पना कर लेने क हमारी सामा य वृि फ डबैक से सुधरती है।
उदाहरण के िलए य द कोई ब ा कहे ''म कू ल नह जाना चाहता। “अिभभावक ये मान सकते ह क ब ा आलसी
है या वह सीखना नह चाहता। कई बार अिभभावक इसे अपनी स ा पर आघात मानकर कहते ह - ''तुम पागल
हो या? तुम चाहो न चाहो तु ह कू ल जाना ही है! “प रणाम? अ सर यह इ छा का संधष, कड़े श द का
योग चीख-िच लाहट, गु से, रोने-पीटने या नाख़शी म बदल जाता है। पर या यह टकराव ज़ री था?
िन संवाद पर यह जानने के िलए नज़र डाल क कस कार अिभभावक स य वण के ज रये ब े क
ज़ रत को समझकर अनाव यक िववाद से बच सकते ह ।
ब ा : म कू ल नह जाना चाहता।
अिभभावक : तुम कू ल नह जाना चाहते ।
ब ा : म कू ल से नफरत करता ।ँ
अिभभावक : तुम कू ल का होमवक नह करना चाहते?
ब ा : नह होमवक नह , म दूसरे ब से परे शान ।ँ
अिभभावक : दूसरे ब ?े
ब ा : हाँ... ख़ासकर रक, टॉम और टीव।
अिभभावक : तुम रक, टीम और टीव को पसंद नह करते?
ब ा : वे मुझे नह चाहते।
अिभभावक : ठीक है।
ब ा : वे मेरा मज़ाक उड़ाते ह और मुझे ''टेढ़ा टट् टू '' कहते ह।
अिभभावक : टेढ़ा टट् टू ?
ब ा : उ ह लगता है म अजीब तरीक़े से दौड़ता ।ँ
अिभभावक : तु ह पता है एक िस फ़ु टबाल िखलाडी को भी लोग इसी नाम से पुकारते थे।
ब ा : नह ... सचमुच?
अिभभावक : हाँ। वह दूसर से अलग तरीक़े से दौड़ता था। फर भी कोई उसका पीछा नही कर पाता था।
ब ा : मै ब त तेज़ दौड सकता ।ँ
अिभभावक : हाँ, मै जनता ,ँ तुम तेज़ दौड सकते हो। अब कू ल का व त हो रहा है। ज दी से तैयार हो जाओ।
ब ा : ठीक है।
य िप यह वातालाप संि है, पर इसक भावशीलता देिखए। अिभभावक ने या कया? ब े क आ मछिव
कस कार प रव तत ई? स य वण म र ा मक ख़ दूर करने, चो टल भावना क मरहमपट् टी और
आ म-गौरव का भाव बढ़ाने क मता है। शु आती तौर पर यह तकनीक यथाथ से दूर और अटपटी लग सकती
है, पर ये वाक़ई काम करती है। इसे सतत एक ह ते तक अपनाएँ। आपका या जाएगा? इससे बढ़कर आप ब त
कु छ पाएँगे।
ग़लतफ़हमी के मामले ब त ज टल होते ह य क हम पता ही नह रहता क हम सामने वाले ि क सही
बात को ग़लत समझ रहे ह। हम मानकर चलते ह क हमारे िन कष सही ह। सम या तब और बड़ा प ले लेती
है, जब कोई ि िसफ़ दूसरे क ही नह , ख़द अपनी भावना का भी ग़लत मतलब िनकाल लेता है। ब े ने
शु म सोचा क उसक परे शानी क जड़ कू ल और फर तीन दो त ह। वा तव म उसक सम या ख़द के ित
तीन सहपा ठय के नज़ रये को लेकर थी। जब उसने अपनी छिव को बदला (सुधारा), तो कू ल के ित उसका
नज़ रया बदल गया। अिभभावक क स य सहभािगता के बग़ैर ब ेका अपनी वा तिवक भावना को
समझकर अपनी छिव को सँवारना नामुम कन था।
स य वण के िलए इन बात का यान रख :
1. गहरे भाव वाले कथन, िजनका कोई अथ न िनकलता हो, िवषय िवशेष से जो संबंिधत न ह , अटपटे,
उबाऊ या आलोचना मक लगते ह - ऐसे वातालाप को यानपूवक सुने।
2. कसी व के एक से अिधक अथ िनकलने पर या जब आपको उसका िव ेषण सही न लगता हो, उसे
यान से सुने।
5. समय का याल रख। जब पित थका-हारा घर आया हो, तो प ी उससे स य वण क अपे ा नह करे ।
स य वण कसी ि के वा तिवक भावाथ को समझकर ग़लतफ़हमी और अनाव यक िववाद से बचने का
े उपाय है।
तीसरा कदम :
िवचार और भाव के िलए सुन
आच बंकर के अनुसार एिडथ को उसके तर पर सुनकर समझने म सम या है। ''तुम मेरी बात नह समझ पा रहे
एिडथ, य क म अं ेजी म बात कर रहा ँ और तुम कसी दूसरी भाषा म उसे समझ रहे हो!” हम सभी यही
करते ह। जब हम िसफ़ श द के िघसे-िपटे प और त य सुनते ह, तो उनके वा तिवक भाव या िवचार नह
समझ पाते।
सभी वण एक कार या एक तर का नह होता। इसे होना भी नह चािहए। हम टी.वी. िव ापन को
उतनी गंभीरता से नह सुनते िजतना कसी के ारा कहा गया वा य ''म तुमसे यार करता ।ँ '' वण के िभ
तर समझकर हम अपना तर जान सकते ह और मू यांकन कर सकते ह क यह पया है अथवा नह ।
वण के पाँच तर इस कार रे खां कत कए जा सकते ह :
िच – 4.1
िघसे-िपटे श द वह कार ह, िजनका ख़ास मतलब नह होता जैसे - ''हाय... कै से हो?... ब ढ़या तुम?...
दन शानदार है...ही, मौसम ख़शगवार है... और नया या है?'' शायद आपने देखा होगा ऐसे बो रयत भरे जाने-
पहचाने सवाल का मज़ा लेने के िलए लोग उ टा-सीधा ज़वाब भी देते ह जैसे ''कै से हो?'' पूछे जाने पर वे ज़वाब
दे सकते ह - ''म मरने जा रहा ।ँ '' ोता ने बग़ैर सोचे-समझे रटा-रटाया वा य बोल दया- ''वाह। फर तु हारा
दन शानदार रहे। ''सामा यत: ये रटे-रटाए वा य यूनतम शालीनता के ितिनिध क तरह काम करते ह। पर
कभी-कभी ये दरवाज़ा खोलने क कुं जी क तरह काय कर वातालाप को गहरे तर तक भी ले जाते ह। ''कै से हो?''
पूछते व त आप पूरे ज़वाब म गहरी दलच पी भी दशा सकते ह।
त य सामा यत: बाहरी घटना से संबंिधत होते ह। ''वै ािनक ाज भी िवचार-िवमश कर रहे ह क
वाइ कं ग यान ने मंगल पर जीवन क ख़ोज क थी या नह ।'' “जूडसन ने अपनी वतनी म ए अ र का योग
कया है।'' इस तर पर गहरा सोच-िवचार होता है।
िवचार कसी घटना या त य क ा या का ितिनिध व करते ह। जैसे ''म सोचता ँ क हमारी टै स
या म यम आय वाल के िलए अनुिचत है।'' ''मेरे िवचार से अथ व था गित पर है।'' ''हम इस मकान को
ख़रीदने म घाटा नह उठाएँगे।'' एक िवचार हम बताता है क कस कार कोई ि वा तिवकता को ढू ँढ
िनकालता है। कई बार हम यह जानने के िलए िवचार को सुनते ह क व ा क बात पर हमारी सहमित है या
नह ।
भाव को दो ेिणय म बांटा जा सकता है: बाहरी घटना से उपजे भाव और अपने बारे म ि गत
भाव। दोन कार के भाव ब त गहरे हो सकते ह। उदाहरण के िलए एक ि यह कहते ए ज़ोर देकर गु सा
ज़ािहर कर सकता है : ''मेरे िवचार से गभपात ह या के समान है।'' ''मुझे लगता है क ि य के साथ अभी भी
भेदभाव कया जाता है।'' ि गत भाव एक क़दम और गहरे उतरकर भय, लािन या आघात के प म दखाई
देते ह : ''मुझे अब लगता है क जो गभपात मने करवाया, वह ह या से कम नह था।'' ''म सोचती ँ मेरे साथ
भेदभाव कया जा रहा है।'' अपनी गहनता के कारण भाव का सुनना कई बार ख़तरनाक और मुि कल होता है।
हम ठगे रह जाते ह। हम जानते ह क य द हम कसी ि के भाव क ग़लत ा या करते ह, तो या तो हम
ज़वाबी हमले के िलए तैयार रहना होगा या फर हम कसी असहाय को और चोट प च ँ ा दगे। अंतत: दोन तरफ
हार क ि थित से बचने के िलए हम क ी काटने लगते ह और व ा क मूल भावना को सुनने-समझने क चे ा
ही नह करते। सम या यह है क इस ि थित का दोहरा भाव पड़ता है। िजस तर पर हम कसी क बात को
गहराई से सुनना बंद करते ह, उसी तर से हमारी बात भी दूसर ारा नह सुनी जाती।
अ छा ोता िवचार और भाव को सुनने म कभी नह घबराता। (असल द त तब आती है जब हम यान
से नह सुनते ह।) नकारा मक िवचार और भाव नकारा मक ित या ही उ प करते ह- ख़ासकर जब वह
आपके िव ह । आप िन बात पर ग़ौर कर अपनी वण मता को िव तृत कर सकते ह :
1. एक ोता के बतौर आप व ा को ऑकने या िव ेिषत करने से इं कार कर सकते ह। आप िसफ़ यानपूवक
सुन सकते ह।
4. गहरे भाव से भयभीत न ह । ऐसी ित या न दशाएँ, जैसे वह कभी न बदलने वाली स ाई हो। भाव
बदलते ह, कभी-कभी एक पल म ही। गु से या खीझ म कहा गया कोई श द कसी ि क वा तिवक
शि सयत और िन ा से सवथा िवपरीत होता है। अिधकतर मामल म गहरे भाव उपचार क तरह होते ह
और ि इसे करने के प ात अपनी असली छिव म लौट आता है।
5. जब भाव भावी वण क दृि से काफ़ बल हो जाएँ, तो अपने साथी से कह क आपको थोड़े आराम
क ज़ रत है और फर से बातचीत शु करने के िलए दोन क सुिवधा से कोई समय तय कर।
चौथा कदम :
दल से सुन
सुनना और वण ( यान से सुनना) दो अलग चीज़ ह, य िप हम दोन श द का एक ही अथ म योग करते ह।
सुनना एक शारी रक या है, िजसके तहत कान ारा संकेत हण कर मि त क तक भेजे जाते ह।
एक पल के िलए सोच क सुनना कतनी अद्भुत या है। बा कान, जो तुरही के आकार का होता है,
विन तरं ग को हण कर विन निलका तक िनदिशत करता है। इस निलका के आिख़री िसरे पर विनतरं ग
क पन उ प करती ह, िजससे म यकण क तीन हड् िडयाँ गितशील होती ह और आंत रक हड् डी अंदर-बाहर
िहलती है। फर एक व विन तरं ग को तंि का पंदन म बदलकर मि त क के वण क तक संकेत प च ँ ाता है।
अद्भुत! वै ािनक को भी नह मालूम क यह विन या िभ आवृि य वाली विन म फ़क कै से करती है!
वण इससे भी बढ् कर है। वण तंि का संवेग क ा या और समझ के आधार पर िन कष देने वाली
एक ज टल मनोवै ािनक या है। एक ब े का रोना, समु क गड़गड़ाहट, ेरणादायक भाषण मधुर संगीत -
ये विनयाँ हमारे भीतर िवचार, भाव और या क सृि करती ह, िजनसे हमारा जीवन समृ हो सकता है।
अं ेजी श द िलसन का मूल अथ है िल ट अथात् एक तरफ़ झुकना। वा तिवक प से समझ क दरकार
रखने वाला एक ि व ा क बात का अिभ ाय समझने के िलए उसक ओर मानिसक तथा शारी रक प से
झान रखकर सुनने क या को अंज़ाम देता है। िलसन का िवपरीत श द है िल टलेस अथात् बेपरवाह, जो
समझ के ित झान न रखे। अपने वातालाप म हम कभी सुनने कभी लापरवाह रहने और कभी इनके बीच क
ि थित म होते ह।
दल से सुनने क ि थित म आगे जाने के िलए ि व के दो कारक का िवकास ज़ री है। पहला समान
अनुभूित- अथात् दूसरे ि को बेहतर समझने के िलए अपने ि व को उस ि के ि व म ढालना।
उदाहरण के िलए, ोता अपने आपसे यह पूछ सकता है क, ''म उस ि क ि थित म कै सा महसूस क ँ गा?
य द मुझे उसके घर म रहना पड़े, उसके बॉस के साथ काम करना पड़े, उसके समान वेतन िमले, उसके बीवी-ब
क परवाह करनी पड़े, उसक सम या से जूझना पड़े ... या तब मेरी भी वैसी ही भावनाएँ ह गी, जैसी वह
अभी मेरे ित दशा रहा है?'' समान अनुभूित का अथ है दूसरे ि के जूते पहनकर चलना; उसक आँख से
दुिनया देखने का यास - अपना नज़ रया बदलने के उद्दे य से नह , हालाँ क ऐसा हो सकता है, कं तु दूसरे को
पूरी तरह समझने के िलए िजतना संभव हो यह कोिशश क जानी चािहए।
दल से सुनने के िलए दूसरा आव यक गुण है चचा म आपका साथी जैसा है उसे वैसा ही वीकार करना।
कु छ मामल म यह ब त मुिशकल होता है य क हम साथी ारा कही बात पसंद नह करते। हम उसे बदलना
चाहते ह, उसे अपने अनु प ढालना चाहते ह। फर भी ि को वीकार करना सामा यतया उसे बदले जाने के
िलए भी अपेि त है। य द हम ि और उसके काय के बीच के भेद को मानिसक प से वीकार करते चल तो
उस ि को वीकारना आसान हो जाता है। वा तव म एक ि के काय असफल होना औरएक ि का ही
असफल हो जाना, इन दोन बात म ब त बड़ा अंतर है। य द हम उस ि के काय को नापसंद करते ए भी
उसके ित वीकारबोध रख पाएँ, तो हम मनोवै ािनक प से वण के िलए अिधक तैयार ह गे।
पाँचवाँ क़दम :
ख़द को सुन
छठ ाँ कदम :
कब चुप रहना है, यह जान
ख़ामोशी बात करती है, पर संदश े अलग-अलग होते ह। पीछे हटने वाली ख़ामोशी खीजने वाला नज़ रया है, जो
कहता है, ''म आपसे बात करना ज़ री नह समझता। म अपनी ही बात सोचूँगा और ख़द को आपसे अलग कर
लूंगा।'' आ ोश क ख़ामोशी अपने िवचार दबाकर दूसरे का साथ देने से इं कार करने का यास है। फर अटपटेपन
क ख़ामोशी लगभग चीखती है ''बचाओ। मुझे इस ि थित से िनकालो। मुझे नह पता या कहना है! कोई दूसरा
इस पर कु छ कहे।'' सहयोग क ख़ामोशी समय को छोटे वातालाप से भरने के बजाय जताती है ''म तु ह िबना
टोके तु हारी बात सुनने के िलए समय िनकालना चाहता ।ँ म जानना चाहता ँ क तुम अपने बारे म, अपनी
सफलता, असफलता और भिव य क योजना के बारे म या सोचते हो।'' इस कार क ख़ामोशी के दूसरी
तरफ होने का अनुभव अद्भुत है।
आपक सहयोगा मक ख़ामोशी कसी िम को संकट से उबारने म मददग़ार हो सकती है। गंभीर
मनोवै ािनक सम या वाले ि य को य िप िच क सक क ज़ रत होती है, पर कोई भी भावी ढंग से बात
सुनकर अपने िम क संकट म सहायता कर सकता है। सहायक क सबसे साधारण (और गंभीर) ग़लती यहाँ
िम क सम या के समाधान करने क कोिशश होती है। भटका आ सहायक तुरत-फु रत िम का भार कम करने
के िलए सलाह, िनदश, तक, दशादशन इ या द देने लगता है। जब वह कारगर नह होता, तो ''सहायक'' सम या
क गंभीरता को न समझ िख ली उड़ाने और ं या मक टीका- ट पणी पर उतर आता है। कं तु सहयोगा मक
ख़ामोशी म सहायता करने और उपचार करने क शि होती है।
अपने परामश के दौरान म सहयोगा मक ख़ामोशी के उपचार भाव से हैरान रह गया। इस उपचार से फायदा
पाने वाली एक ी ने कहा -''मदद के िलए शु या। म अब बेहतर महसूस कर रही ।ँ '' मने या कया? एक
अवसाद त, चंितत ि को दोबारा आ मिव ास से प रपूण और शांत बनाने म मने कस िववेक का
इ तेमाल कया? म ब त कम बोला। मने िसफ कु शलतापूवक उसे सुना।
बेिलस के तीन ब े कु छ साल के अंतराल म मर गए थे। जोए बेली ने अपनी पु तक द ला ट थंग वी टॉक
अबाउट म अपनी भावनाएँ क ह, जब उसके एक ब े क मृ यु पर दो तरह के िम ने मदद करने क
कोिशश क थी :
म उदास बैठी थी। एक ि आया, उसने ई र क लीला क चचा क , ऐसा य आ यह बताया, दुख
से परे आशा क बात क , वह बोलता ही गया। उसने वे बात क , जो म जानती थी क सच ह।
मुझ पर कोई असर नह आ। म चाहती थी, वह चला जाए, वह चला गया। दूसरा ि मेरे समीप
आकर बैठा, वह कु छ नह बोला, उसने मुझसे इधर-उधर के सवाल नह पूछे। एक घंटे से यादा समय तक
वह चुपचाप बैठा रहा, मने जो कहा, उसे सुना। संि ज़वाब दए। सरलतापूवक ाथना क और चला
गया।
म जानता हँ क तुम इस पर िव ास करते हो क तुम उस बात को समझ गए हो, जो तुम सोचते हो क मने कही,
मगर मुझे नह लगता तु ह इसका एहसास है क तुमने जो सुना, मेरा वह अिभ ाय नह था।
अ ात
घटक िव ेषण
पहला मॉडल बातचीत क या के मुख घटक पर काश डालता है (1) व ा, (2) बातचीत और (3) ोता।
य िप यहाँ येक घटक दूसरे को भािवत करता है, हम उनके सरलतम संबंध को इस कार दशाएँगे :
िच - 5.1
इन तीन घटक म अलग-अलग या इ ह िमलाकर कोई भी संवाद गितरोध उपज सकता है।
जब हम येक घटक को अलग-अलग देखते ह, तो अपनी भूिमका को येक घटक से जोड़कर देख।
उदाहरण के िलए अपने आपसे ये पूछे :
1. एक व ा के बतौर म संवाद सम या म कस कार योगदान देता ?ँ
2. मेरे कथन और कथन के तरीक़े से मेरा संदश
े कस कार भािवत होता है?
3. एक ोता के बतौर म संवाद सम या म कै से योगदान देता ?ँ
1. व ा क सम याएँ : संवाद को भािवत करने म संभवत: व ा के ि व से बढ़कर कोई चीज नह
होती अथात् वह ि गत प से कै सा है और ोता से उसका संबंध कै सा है। उदाहरण के िलए,य द व ा
ईमानदार, िन ावान और सबका चहेता है, तो उसका संदश े भली कार से हण कया जाएगा। य द उसे
िव ास यो य नह माना जाता, तो उसका संदश े प तक या बोली कौशल के बावज़ूद नकार दया जाएगा ।
दूसरे अ याय म हमने ि व के उन कारक क समी ा क , िजनक वज़ह से संवाद असफल होता है।
यहाँ हम उस मुख सम या क चचा करगे, जो सभी सम या का मेल है अथात् संकोच या शम लापन। पु तक
शायनेस के रचियता और टेनफोड शायनेस ि लिनक के िनदेशक फिलप िज बाड के अनुसार अमे रका म
84,000,000 लोग ऐसे ह जो ख़द को शम ला मानते ह - ये जनसं या का 40 ितशत है! अ सर शम ला वभाव
हीनभावना और ख़तरा उठाने से डरने के कारण लोग से कम मेल-जोल रखने के प म उभरता है। शम लापन
वह अलगाव त व है, जो ि को अ य लोग के साथ संबंध बनाने क अपनी पूरी मता पर िव ास करने से
रोकता है और उसे अपनी ही सोच क दुिनया तक सीिमत कर देता है। शम ले ि अपना दशन ठीक कार से
नह करते और िन आ म - गौरव के फल व प लोग को अपने नकारा मक आकलन का मौका देते ह। िवडंबना
यह है क नकारा मक आकलन से ही वे बचना चाहते ह। कं तु नकारे जाने के भय से दूसरे ि य से कटने क
वृि उनम जागती है और अ सर यही क़दम उनके नकारे जाने का कारण बनता है।
य द शम लापन आपक सम या है, अथवा ि व का कोई अ य कारक आपके आड़े आ रहा है, तो आप
िन रणनीित पर काय कर व ा के बतौर अपनी भावशीलता को बढ़ा सकते ह।
• ख़द को ऐसे ि के प म वीकार, िजसके पास काफ़ कु छ कहने यो य है। तनकर खडे ह , सामने
वाले ि क आँख म देख और दशाएँ क आप भयभीत नह ह।
• ख़द को दूसरे ि क तरह सुन। ख़द से पूछे क या आप अहंकारी, शम ले या र ा मक तीत होते
ह।
• दूसरे ि को आँकने क कोिशश न कर। बि क, टकराव क ि थित म अिधक जानकारी पाने क
कोिशश कर। याद रख लोग ज टल होते ह - हम उनके बताव के कारण नह देख पाते ह। सहनशीलता का
िवकास कर।
• अपने वहार पर यान दे क वह कस कार ोता पर असर डालता है। िसर खुजाने, ोता को न
देखने, घूरने, िख ली उड़ाने जैसी आदत काफ़ िचढ़ पैदा कर सकती ह।
• अपने भाव पर िनयं ण रखने क कोिशश कर। ख़द को ऐसे ि के प म देख, जो लंबे समय तक
खंचने वाले मॉडल को भी बदलने क मता रखता है। अपने दमाग़ को इन कारण से भर क प रवतन
य उपयोगी होगा। अतीत क असफलता या अपनी ग़लती पर अपराधबोध से बच। ऐसी ि थित क
क पना कर, जहाँ आपके भाव पर आपका िनयं ण है और इस िनयं ण से िमलने वाले लाभ िविश ह।
उ ेजक ि थितय म सकारा मक ित या के िलए ख़द को मानिसक और भावना मक प से तैयार कर।
• िजसे आप बदल सकते ह, उसे बदलने क शु आत कर। लाभ न देने वाले तरीक़ को पहचानकर उ ह
अपनी ज़ंदगी से दूर कर। दूसरे ि य को भी यह बताने का साहस रख क आप बदल रहे ह।
• सकारा मक प रवतन क उ मीद रख, भले ही यह धीरे -धीरे हो रहा हो। अपने आपको सफलता पूवक
बातचीत करते देख। उस ल य क ओर आगे बढ़।
2. संदेश क सम याएँ: संदश े के मामले म हमारी एक सामा य सम या श द चयन क होती है। कु छ वष
पूव एक श द के ग़लत उपयोग क वजह से म य-पूव म यु क नौबत आ गई थी। ग़लत श दचयन से घर म
लड़ाई-झगड़ क ि थित िन मत हो जाती है। माक वेन ने ठीक कहा था - ''सही श द और कमोबेश सही श द के
बीच उतना ही फ़क़ है, िजतना िबजली और चमकते क ड़े म।''
सही श द के चयन क सम या से परे हम एक वा य या िवचार का संबंध अगले से जोड़ने म परे शानी
महसूस करते ह। हमारे मि त क म अ ब स क तरह िवचार का वाह इतना प होता है क हम भावशीलता
के यास म 'व' को छोड़ आगे िनकल जाते ह। कं तु हो सकता है क यही िवचार वाह ोता के िलए प न हो।
जब इस वाह का 'ब' िह सा छू ट जाता है, तो ग़लतफ़हमी क संभावना भी बढ़ जाती है। अ प संवाद अ सर
अ प सोच को द शत करता है। अगर हम बग़ैर सोचे बोलते ह, तो हम सटीक बात नह कर सकते।
ऐसे संदशे जो “कबाड़ भरे '' (अवरोध िशकायत, तानेबाजी, नंदा, तू तू-म म) ह , संवाद को ख़राब करते
ह। त य को प होना चािहए, कं तु सामा य अनुभव बताते ह क अिधकतर लोग जानबूझकर प रवार, िम ,
ावसाियक सहयोगी पर ऐसे भ े श द का योग करते ह, और फर जब वही श द वापस आते ह तो उ ह
आ य होता है। उ ह अंदाज़ा नह होता क ''मूख!'' जैसा अपश द ब े या वैवािहक साथी पर कतना बुरा असर
डाल सकता है। वह ब पर ''मुँह बंद रखो!'' जैसी बात के असर को भी नह भाँपते। उ ह याद नह रहता क
कसी दूसरे का आकलन करते व त उ ह भी परखा जा रहा होता है।
कभी-कभी लोग सकारा मक िन कष क तलाश म भ े श द या नकारा मक रा त का योग करते ह।
एक िपता अपने ब े को ''मूख''या ''आलसी'' इसिलए नह कहता क वह उसक भावना को आहत करना चाहता
है, बि क इसिलए क वह वा तव म उसे सफलता के िलए े रत करना चाहता है। एक प ी ख़द को बोझ बताने
के िलए बो रयत का आवरण नह ओढ़ती, बि क इस बहाने से यानाकषण क माँग करती है। एक पु ी अपनी
माँ के ित नफ़रत दशाते ए ख़द क बौख़लाहट या असंतोष कर रही होती है। अ सर लोग इन संदश े क
िवनाश मता से प रिचत नह होते।
जब हमारे श द और िवचार सृजना मक होते ह, तब भी हम संदश े मा यम पर िनयं ण अथवा उसक
अिभ ि म द त होती है। शोध के अनुसार आमने-सामने के वातालाप म 7 ितशत संदश े श द पर, 23
ितशत आवाज़ क शैली और 70 ितशत बॉडी ल वेज पर िनभर होता है। जॉन गॉटमेन ने अपनी पु तक अ
कप स गाइड क युिनके शन2 म मुखमु ा, आवाज़, शारी रक हाव-भाव, अंग संचालन के सकारा मक और
नकारा मक व प क सूची दी है, ता क हम संदश े क अिभ ि म मदद िमल सक।
इन सू श द को दोबारा पढ़ और उन सकारा मक ल ण पर िनशान लगाएँ, िज ह आप िवकिसत करना चाहते
ह।
िन रणनीितयाँ आपको अपने कथन और कथन क शैली पर बेहतर िनयं ण पाने म मदद करगी:
•यह सुिनि त कर क ोता आपको समझ रहा है। पूछने के िलए उसे ो सािहत कर। ''बेवकू फ़'' जैसे
श द का योग कर ोता को दबाने क कोिशश कभी न कर। उससे पूछ '' या मेरी बात प हो रही है?''
''तुम समझ रहे हो, जो म कह रहा ?ँ ''
•बोलने से पहले सोच। अनाव यक बात से बच। ख़द से पूछ क आपके कथन म प और साथक संबंध है
या नह ।
•वही कह, जो आप कहना चाहते ह। अपने ोता से कसी गु संदश
े को समझने क उ मीद न रख। य द
गु संदश
े वाक़ई काम का हो, तो प प से कहने क िह मत रख।
•दोहराव से बच। अपनी बात संि रख और एक बार म एक िमनट से यादा बोलने से बच।
•ख़द से पूछे - ''म दूसरे ि को कै सा महसूस करवा रहा ?ँ म ख़द उस ि थित म कै सा महसूस क ँ गा?
म इस बात को कै से बेहतर कर सकता था?'' याद रिखए बुराई जैसी कावट वाले संदशे संवाद ही नह
आ म-गौरव को भी न करते ह।
•अपनी आवाज़ क शैली पर यान द। य द यह खी, ककश या खीझ पैदा करने वाली हो, तो अपनी
आवाज़ को मधुर बनाएँ। आव यक न हो, तो ज़ोर से न बोल।
•अपने शारी रक हाव-भाव पर िनयं ण रख। य द संभव हो, तो दपण म देख। ख़द से पूछ ''म जो कह रहा
,ँ वह कै सा लग रहा है? या म तनाव त ?ँ या म चंितत, अिनि त या गु सैल दखता ?ँ ''
3. ौता संबंधी सम याएं : ोता क बे ख़ी कई वज़ह से हो सकती है िजनम उसक थकान कसी चीज
म उलझे होना या संदश े से असहमित शािमल ह। ोता को दुःख प चँ ाने वाली तीन सबसे बड़ी सम याएँ ह -
िनणायक ित या संदभ क अलग ि थितयाँ और व ा के साथ अनसुलझे िववाद।
ोता क िनणायक ित याएँ संवाद के वाह म गंभीर अवरोध पैदा करती ह। संवाद संबंधी एक
ा यान म मनोिव ानी काल रोजस ने कहा- '' ि य के बीच आपसी बातचीत म बड़ा अवरोध फ़ै सला करने,
आकलन करने, दूसरे ि या समूह को वीकृ त या अ वीकृ त करने क नैस गक वृि है।“3 काल रोजस क
ट पणी है : हम अपने दृि कोण, अपने संदभ बंद ु से आकलन करते ह। हम लगता है क ि थित िवशेषपर हमारी
ही पकड़ सही और वा तिवक है। नतीज़तन हम समझ के साथ सुन नह पाते। रोजस के अनुसार वा तिवक संवाद
का अथ है
दूसरे ि ारा िवचार और दृि कोण का अवलोकन, उसके अनुभव का आभास, उसके ारा कही
जा रही बात के संदभ बंद ु क ाि । कसी के बारे म जानने के बजाय उस ि को समझना ही ऐसा
भावशाली तरीक़ा है, िजससे ि व म मह वपूण प रवतन लाया जा सकता है।4
जब ोता के पास व ा से िभ सदंभ तर हो, तब भी संवाद टू ट जाता है। संदभ तर वह मानक समूह है,
िजसके आधार पर श द, िवचार अथवा वहार को उिचत या अनुिचत माना जाता है। उदाहरण के िलए
“पी ढ़य का अंतर'' िभ संदभ तर से तय होता है। माक वेन क लघुकथा ''बक फ़ै नशाज़ यूनरल'' म इस
सम या का अितशयोि पूण और रोचक उदाहरण िचि त कया गया है। कॉटी एक िम के िलए शवया ा क
तैयारी म है, कं तु कॉटी और मं ी महोदय दोन ही एक-दूसरे के संदभ तर से अनिभ ता दशाते ह।
'' या तुम वही हो, जो पास ही म उपदेश वाली जगह आता-जाता है? ''म या - माफ़ करो - म कु छ समझा
नह ।''
आह और िससक भरते ए कॉटी ने फर कहा :
'' य , आप देख सकते ह हम मुि कल म ह और हमने सोचा य द आपको मना ल तो आप हम िल ट दे दगे।
अगर मेरे बस म होता तो म आपको उस जगह का हेड लक बना देता।''
''म वहाँ का धमगु ,ँ जो यहाँ से पास ही म ह।''
'' कसका?''
''म उन ालु का आ याि मक सलाहकार ,ँ िजनका पिव थान यहाँ से नज़दीक ही है।''
'' कॉटी ने िसर खुजाया, एक पल को सोचा और फर कहा:
''साथी, आप मुझे धमका रहे ह, पर म अपनी िज़ मेदा रय से मुँह नह मोड़ सकता।''
''कै से? मुझे माफ़ करो, मने तु ह या समझाया?''
''ख़ैर, आप मुझ पर भारी पड़ रहे ह या शायद हम दोन एक-दूसरे पर। आपक बात मेरी समझ से परे ह
और म आपको समझा नह पा रहा। देिखए, हमम से एक लड़के का िनधन हो गया है और हम उसे िवदाई
देना चाहते ह, और इसिलए म चाहता ँ क मधुर वाँ स संगीत बजाते ए उसे ख़ूबसूरत िवदाई द।''
''मेरे दो त, मेरा िसर चकरा रहा है। तु हारी बात मेरी समझ से परे ह। या तुम उ ह कसी तरह सरल
प म नह बता सकते? शु आत म मुझे लगा क म तु ह समझ गया, पर अब फर वही ढाक के तीन पात।
अगर तुम अपनी बात को प और अिभ ंजना तक सीिमत रखोगे, तो या इससे बात और नह
उलझेगी?''
िभ संदभ तर से तब कोई नासमझी पैदा नह होती, जब आप दूसरे ि के संदभ तर को समझने क
कोिशश करते ह। आप हर ि क िविश ता से ान और शंसा भाव के नए ार खोल सकते ह। हमम से हर
कोई एक ही नज़ रये से दुिनया को नह देखता। यही संवाद को ज़ री... और िचकर बनाता है।
तीसरी वण सम या तब उपजती है, जब ोता व ा के साथ अनसुलझा िववाद पाता है। इस ं क
वज़ह से ऐसी मनोवै ािनक दूरी पैदा होती है क कोई भी प एक-दूसरे को सुन नह पाता। िलओनफे टंगर के
ककशता बोध संबंधी योग से प आ क य िप एक संदश े व ा के िवचार को सकारा मक प से
करता है, कं तु य द ोता और व ा के बीच नकारा मक संबंध है तो वह नकारा मक तरीके से िलया जाएगा।
इसे हम इस तरह िचि त कर सकते ह:
िच - 5.2
पार प रक िव ेषण
ांसे शनल एनािलिसस या पार प रक िव ेषण (TA) संवाद के अंद नी व प को समझने का उपयोगी
तरीक़ा है। थॉमस है रस ने अपनी कताब ''आई एम ओके - यू आर ओके '' म इसे लोकि यता दान क । टी.ए.
हम बताता है क य ि व क चंचलता के त व हमारे संवाद को ख़राब करते ह और इनसे िनपटने के िलए
या कया जाए।
टी.ए. िस ांत म लोग को तीन कार क बातचीत म, उ के अंतर से अलग रहते ए अिभभावक (पेरट),
वय क (एड ट) और ब े (चाइ ड) (P,A,C) म बाँटा गया है। यह वग करण बातचीत के कु छ िवशेष कार या
''अहं तर'' को प रभािषत करता है। य द हम अपने संवाद के कार को िच के मा यम से टी.ए. मॉडल म
कर, तो वह इस कार होगा:
िच - 5.3
यान द क िजस कार व ा अपने ि व क अिभ ि (P,A, या C) करता है, उसी तर पर ोता
ित या दशाता है। उदाहरण के िलए, य द व ा अिभभावक क तरह बोलता है, तो ोता संवाद से भािवत
होकर ब े क तरह ित या करता है।
टी. ए. िस ांत म वय क अिभ ि ईमानदार और बचाव से दूर होती है, जो ोता को आदर और समझ
के तर पर रखकर उसक े व प रप खूिबय को उजागर करती है। एक वय क से वय क क बातचीत का
तरीक़ा उभरता है, जब:
एक माँ ब े से कसी िम क तरह बात करती है और वीकृ ित तथा भरोसा दशाती है।
एक पित अपनी प ी से ावसाियक सहयोगी क तरह कसी िनणय पर उसके दृि कोण क माँग करता
है।
एक त ण अपने िपता के साथ बैठकर ''बड़ जैसी'' बात करता है।
ऐसे वातालाप म गंभीर मतिभ ता के बावज़ूद समझ के तर पर कावट पैदा नह होती। वय क से वय क
संवाद के ल ण आपसी आदर और खुलापन ह। जब ऐसी अिभ ि होती है, तो यह संतुि दायक अनुभव होता
है।
बातचीत के अिधकतर तरीक़े अिभभावक-बालक अथवा बालक-अिभभावक तर पर काम करते ह। (याद
रिखए, टी.ए. िस ांत म यह वग करण उ नह , बि क ि य के ''पार प रक संबंध'' पर िनभर करता है।)
बातचीत म अिभभावक-बालक का आपसी तर आ ामक, थरा देने वाली आवाज़ और व ा के ग रमा तर को
बढ़ाने वाले अिधकार भाव तथा ोता के तर को तु छ दशाने वाले भाव पर आधा रत होता है। एक िपता घर
लौटकर प ी को साफ-सफाई के िलए कहता है, अपने बेटे को लाँन साफ न रखने के िलए ''गंदा'' क़रार देता है
और बेटी को कोई बात भूल जाने पर फ़टकारता है। एक प ी घरे लू काम के िलए पित पर िबगड़ती है और ब
पर चीखती-िच लाती है। एक छह वष य ब ा इस चीख क नक़ल करके अपने हम-उ (कभी-कभी बड़ पर) या
छोटे भाई-बहन पर रौब झाड़ता है। यहाँ बातचीत का ल ण, बात से यादा मह वपूण है। ज़ािहर है कोई भी
फटकार या तु छ दशाया जाना पसंद नह करता। यहाँ तक क जो ि अिभभावक क तरह वातालाप कर
रहा है, उसे भी यह बात पसंद नह होती।
हम सभी कभी-कभार बचपना दशाते ह। य िप टी. ए. िस ांत म ब ा कभी-कभी तेजी, ज़ंदा दली,
िवनोद और रचना मकता दशाता है, ब े क सामा य अवरोध ित याएँ गु सा, बौखलाहट, रोना होती ह। ब े
के प म हम पुचकारा जाना, सेवा ा करना और बग़ैर कसी िज़ मेदारी के आकषण का क बने रहना चाहते
ह। कभी-कभी हम या करना है या या सुनना है इसके िनदश क भी ज़ रत होती है। हम ख़द को िनभरता और
आ म-पराजय क ि थित म डाल देते ह। एक महािव ालयीन छा अंितम समय तक अ ययन से जी चुराता है,
फर कसी स परी ा म कम अंक आने पर िशकायत करता है। एक युवती अपने पु ष िम को देर से आने के
िलए लताड़ती है और उसे भूलने नह देती। एक वाहन चालक आगे धीमे चल रही गाड़ी पर खीझ उतारने के िलए
अगले आधे घंटे तक दोगुनी र तार से वाहन चलाता है। पित-प ी कसी िववाद के बाद तुरत-फु रत कोप भवन म
चले जाते ह।
आ ोश, िचढ़ आहत भाव, र ा मकता कम सहनशि तर - ये सब बातचीत को अव कर सकते ह। ये
भाव वय क से वय क तर पर बातचीत म भी मह वपूण ह। ऐसी समझबूझ और साझेदारी के प रणाम व प
सुलह सफ़ाई और मरहमपट् टी आसानी से हो जाती है।
यहाँ इस कार के िव ेषण का एक बंद ु दया गया है : यह हम संवाद असफलता के े क बेहतर
पहचान म मदद कर सकता है। उदाहरण के िलए मेरा वहार जो दूसर के वहार से बल प से भािवत
होता है - वह दूसर के अपने ित नज़ रये पर भी असर डालेगा। य द म ऐसी बात क कृ ित के ित सतक न
र ,ँ तो बातचीत के दुखद तरीक़े म फँ सकर बाहर आने क युि नह ढू ँढ पाऊंगा। कं तु य द म नकारा मक
बातचीत म अपने िह से का िव ेषण कर सकूँ , तो म समझ जाऊँगा क संवाद क गुणव ा म कै से सुधार कया
जाना है।
अपनी बातचीत के िव ेषण म िन का उपयोग कर :
1. म कन प रि थितय म अिभभावक, वय क या बालक क तरह चचा करता ?ँ उदाहरण के िलए,
समय संवाद साथी और बातचीत के थान पर यान द।
2. मेरे संवाद का तरीका़ ोता क ित या पर या भाव डालता है?
3. दूसरे ि के संवाद व प का मेरी ित या पर या भाव होता है?
इस िव ेषण से त य एक कर उसे उन तरीक पर यु कर जो दूसर के साथ आपके संपक क गुणव ा बढ़ाने
म सहायक ह। इस ल य क तरफ बढ़ने म िन रणनीितय कारगर िस ह गी :
• अ भावी वातालाप म ख़द से पुछ: ''म अिभभावक, बालक या वय क म से कसक तरह बताव कर रहा
?ँ म कसक तरह पेश आना चाहता ?ँ ''
• इस त य को वीकार क आपके वतमान अहं तर और आपक मृित म मँडराते िपछले भावना मक
अनुभव के बीच संबंध हो सकता है। ''म ठीक नह 'ँ ' का भाव वतमान के बजाय अतीत क वजह से
उपजा हो सकता है। अतीत क कावट डालने वाली छाया के वजाय वतमान म काय करने का िनणय ले।
• कसी दूसरे क ट पणी पर अपनी ित या का िव ेषण कर। उदाहरण के िलए, य द कोई आपक
शंसा करता है, तो आप कै सा बताव करते ह? या आप यादा बोलने लगते ह? उसे नज़रअंदाज़ कर देते
ह? हकलाने लगते ह? िवषय को बदल देते ह? ख़द से पूछ ''म इस तरह ित या य देता ?ँ या म
वाक़ई अतीत क जकड़न से आज़ाद होने क कोिशश करते ए वतमान के आ म दशा िनधारण पर काम
करना चाहता ?ँ
• वय क तर को ख़द पर हावी होने द। अिभभावक क श दावली जैसे : कहना चािहए, नह कहना
चािहए, हमेशा कभी नह , बेवक़ू फ़ या ब के भाव जैसे ''मुझे चािहए'', ''मुझे ज़ रत है'', ''मेरी इ छा
है'', ''म नह क ँ गा'', ''मुझे दो'' आ द के बजाय वय क भाव जैसे ख़लापन, लचीलापन सकारा मक
अिधकारभाव दूसर के नज़ रये के ित संवेदनशीलता को कर।
• िजस ि के साथ आप बातचीत कर रहे ह, उसक ख़ूिबय को बाहर लाएं। ख़द के वय क अहं तर को
क़ायम रखते ए ोता को अिभभावक या बालक के तर से िनकालने पर यान के ि त कर, भले ही वह
सज़ा क दरकार कर रहा हो या वातालाप पर हावी होने क कोिशश। याद रख क वातालाप एक
पार प रक या है, आप जो दगे, वही आपको ा होगा।
क पना क िजए एक दंपती राि भोज के व त एक-दूसरे से झगड़ बैठते ह। य द हम उनके बीच ''आपसी
बातचीत'' का िव ेषण करगे, तो हम िववाद का कारण तो पता चल सकता है, कं तु पूरी कहानी का पता नह
चल सकता। पूरी समझ के िलए हम िववाद से पहले दोन प के अनुभव क जानकारी ा करने क ज़ रत
होगी। यही चीज़ हमारी बातचीत पर भी लागू होती है। यह जानने के िलए क कस कार संदभ और प रि थित
हमारे संवाद को भािवत करते ह, हम जीवन- ि थितिव ेषण क शरण लेनी पड़ेगी।
िच - 5.4
ये े अथवा ेिणयाँ याद रखने के िलए ब त छोटी और हमारी ज़ रत के मुतािबक िव तृत िववरण
उपल ध कराने के िहसाब से काफ़ बड़ी ह। येक कारक एक दूसरे से गुँथी ई व था का अंग है। एक े क
सम या दूसरे े को भािवत करती है। उदाहरण के िलए, कायालयीन चचा क कोई सम या िव ीय दबाव,
थकान कशोरवय पु ी क चंता, शम लेपन या मौत के ज़बद त डर आ द कारण से उपज सकती है।
कसी ि क जीवन संबंधी प रि थितय के सीिमत ान के फल व प उसके व उसके संदश े के ग़लत
आकलन क संभावना काफ़ बढ़ जाती है। य द कसी बंधक को लगे क कसी कमचारी का गु सा ि गत
प से उसके िख़लाफ है, तो वह उसे नौकरी तक से िनकाल सकता है। जीवन प रवेश िव ेषण से पता चल
सकता है क वह कमचारी बक से ा पाँच ओवर ा ट आदेश अथवा कसी अ य सहकम क ग़लती के कारण
अपने दशन पर पड़ रहे नकारा मक भाव के चलते आ ोश क अव था म था।
जब हम ख़द से जीवन प रवेश संबंधी िन पूछते ह, तो हम ऐसी मह वपूण बात सीख सकते ह जो
हम बातचीत क सम या दूर करने म मदद करे गी :
1. मुझसे चचारत् ि को समझने म उसके जीवन प रवेश अथवा संदभ िवशेष को लेकर कौन सी बात
सबसे यादा ासंिगक है? म उसके जीवन के बारे म पहले से या जानता ?ँ उदाहरण के िलए, या
उसने हाल ही म नौकरी खोई है, पदो ित पाई है अथवा उसका िववाह आ है? वह अपने बारे म कौन से
पसंद करे गा? (कई ि अपने जीवन को लेकर के संबंध म हमारे अनुमान से कह यादा खुले
और होते ह।)
2. इस ि क जीवन संबंधी ि थितयाँ कतनी तेज़ी से बदल रही ह और उनका हमारे संवाद पर या
असर होगा?
3. य द कसी िवषय पर इस ि से मेरी राय िभ है, तो वह मेरे मू य तथा समय के िवशाल संदभ म
कतनी मह वपूण है? या हमारी बातचीत से दूसरे क सोच क संपूण त वीर प ई है अथवा दूसरी के
िवचार और भावना क हमने चचा तो नह क ले कन आपसी तालमेल के िलए वह आव यक है।
जीवन-ि थित िव ेषण हम िसफ़ चचा कर रहे साथी को समझने म ही नह , बि क हमारे आ ोश, तनाव या
चंता को समझने म भी सहायक हो सकता है। जब हम अपने और अ य ि के जीवन प रवेश संबंधी
आकलन म द ता और तेज़ी दशाते ह, तो हम अपनी संवाद या के व प क िव तृत जानकारी िमलती है
और हम उसे अिधक बेहतर बना सकते ह। हम चचा के िवषय पर अपनी राय मज़बूती से रखते ए आगे कहे जाने
वाले व क परे खा बना सकते ह। उन छह दृि हीन ि य क कथा याद कर, िज ह ने यह जानने का
यास कया क एक हाथी कै सा होता है? एक ने हाथी के पैर को छु आ और कहा क हाथी पेड़ के तने जैसा है।
दूसरे ने पूँछ छू कर उसे र सी क तरह बताया। य द ये अंधे ि अपना नज़ रया बदलकर हाथी के एक से दूसरे
अंग क पूरी जानकारी इकट् ठी करते, तो वे एक-दूसरे क समझ िवकिसत कर सकते थे।
सार सं ेप
इस अ याय म हमने संवाद सम या के िव ेषण और समाधान के तीन मॉडल-घटक, पार प रक और जीवन-
ि थित के िव ेषण पर यान क त कया। घटक िव ेषण म व ा, संदश े ोता के अ ययन के िलए टु कड़ म
िच देखने क शैली का योग कया जाता है। पार प रक िव ेषण संवाद म सहयोिगय (वय क, अिभभावक,
बालक) के आपसी संबंध के सजीव िच बताकर ा या क जाती है। जीवन-ि थित प ित ि के बातचीत के
तरीक़े को भािवत करने वाले प रवेश क िव तृतदृि पर िनभर होती है। येक मॉडल उपयोगी, कं तु आंिशक
जानकारी दान करता है, पर जब हम इन मॉडल का सम अ ययन करते हतो हम संवाद सम या और उसके
िनराकरण क संपूण समझ ा होती है। ये समझ बातचीत म आई कावट को दूर करने म हमारी मदद करती
ह और फर एक नई, यादा बेहतर बातचीत क रणनीित बनाने का आधार देती ह।
इन तीन मॉडल म कु छ मूलभूत का समूह सम या दूर करने पता लगाएँ क बातचीत कै से असर
डालती है से संबंिधत ासंिगक जानकारी दान करता है। इन का पुनरावलोकन येक मॉडल पर खास
यान देने के काम आता है।
घटक िवशलेषण
1. एक व ा के बतौर म संवाद सम या म कस कार योगदान देता ?ँ
2. मेरे संदश
े म कथन और कथन क शैली का या भाव होता है?
3. ोता के बतौर म संवाद सम या म कस कार शािमल रहता ?ँ
पार प रक िव ेषण
1. कन प रि थितय म मेरा संवाद वय क, अिभभावक या बालक क तरह समझा जा सकता है?
2. मेरे संवाद का व प ोता क मेरे ित ित या पर कस कार असर डालता है?
3. अ य ि के संवाद का व प उसके ित मेरी ित या को कस कार भािवत करता है?
मानव होने के िलए ख़राब ही सही, पर बोलना ज़ री है और े मानव होने के िलए े तापूवक बोलना ज़ री
है।1
वडेल जॉ सन
य द आप इस भाव के साथ चचा म शािमल होते ह क ''म इस कार बोलूँगा क अ य ि को मुझे सुनने म
ख़शी होगी'' तो आप यान भी जीतगे। आपक सकारा मक मानिसकता आपको इस कार बोलने के िलए े रत
करे गी क लोग का यान आकृ हो। आप ख़द को यह कहते ए नह पाएँगे -
''मेरे पित मेरी बात कभी नह सुनते।''
''म अपने बेटे से थक जाने तक बोलती ,ँ पर इससे कोई फ़ायदा नह होता।''
''मने एक बार नह , हज़ार बार तुमसे कहा...''
''कोई नह पूछता क म या सोचता ।ँ ''
हालां क आप पाएँगे क ब त अ छा बोलने के बावजूद कभी-कभी आप लोग का यान खो देते ह। लोग क
अपनी सम याएँ इतनी ह क वे आपक बात पर हमेशा यान नह दे पाते। य द आप इस अ याय म व णत िन
िस ांत पर अमल करते ह, तो आपक चचा को कम-से-कम नीरस और दूसर के साथ यादा संतोषजनक
बनाया जा सकता है।
1. बातचीत का दम तोड़ने वाली चीज़ से बच।
2. िचकर िवषय पर अपने िवचार िवकिसत कर।
3. पूछना सीख।
4. बातचीत शु करने लायक़ बंद ु को याद कर ल।
5. नाम याद रख।
6. ब ढ़या बातचीत के कौशल का अ यास कर।
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
या म अिड़यल, संकुिचत बहसबाज़, अहंक त तरीक़े से बात करता ?ँ
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
हाँ नह
अपने आपसे ऐसे पूछकर आप गंभीर ग़लितय से बचते ए अपने बातचीत के तरीक़े म सफल वातालाप के
िलए ज़ री फे रबदल कर सकते ह।
पूछना सीख
ि गत संबंध म िजस कौशल क सबसे यादा उपे ा क जाती है, वह है अ छे पूछना। कु छ लोग समझते
ह क पूछना एक कार से दूसर के कायकलाप म ह त ेप या एक तरह से कमज़ोरी क िनशानी है। कु छ
अ य ि अपनी ही बात पर इस कदर क त होते ह क पूछना उनके दमाग़ म उभरता ही नह । मगर
पूछने क कला का अ यास करने वाले तीन फायद का उ लेख करते ह -
1. सुने जाने के अिधकार क ाि ।
2. दूसरे ि य ारा यानाकषण के भाव का अनुभव और इस कार उनसे संबंध बल कर उ ह िम
बनाना।
3. कु छ नया सीखना।
कु छ ि य का मानना है क पूछना चुटकु ले सुनाने जैसा है; या तो आप इसम द होते ह या नह होते।
एक कथा के अनुसार रा य बंदीगृह म एक नया कै दी पहली बार भोजन कर रहा था, तभी कोई िच लाया, ''36!''
सभी िखलिखलाकर हँस पड़े। फर कसी ने ज़ोर से कहा ''79!'' और फर सभी अपराधी हँसी के मारे दोहरे हो
गए। नए क़ै दी ने अपने साथी से जानना चाहा क आिख़र यह माजरा या है? उसने कहा - ''यह अंक कसी
चुटकु ले से जुड़े ह। हम यहाँ साथ रहते ए इतना व त हो गया है क अंक सुनकर चुटकु ला समझ जाते ह। ''नए
क़ै दी ने भी इस मंडली म धुल-िमल जाने के िलए कु छ दन बाद साहस कर अपना पसंदीदा अंक िच लाकर बोला
- मगर इस बार कोई नह हँसा। कु छ बैचेन होकर उसने साथी से इसक वजह जाननी चाही, तो उसका जबाव
था, ''भाई कु छ के पास चुटकु ला कहने क कला होती है, कु छ के पास नह !''
कु छ लोग पूछ पाते ह, कु छ नह । ग़लत! कोई भी भावी ढंग से पूछना सीख सकता है। आपके
ारा पूछे गए तभी भावी लगगे, जब वह िवषय म आपक गहरी दलच पी दशाएँ और ि थित के अनुकूल
ह । मनचाहा फल पाने के िलए सही तकनीक का इ तेमाल अ सर मुि कल भरा होता है।
यहाँ कु छ उपयोगी तकनीक व णत ह :
• याद रख क येक वातालाप म कभी-कभी कु छ ख़तरनाक भावनाएँ भी छु पी होती ह। य द आप इन
भावना के ित संवेदनशील रह और खुलेपन तथा वीकायता के भाव ज़ािहर कर ख़तरे को कम कर
सक, तो आपके सवािधक सराहे जाएँग।े
• अपना उ े य प कर। जाने-माने मतदान िवशेष जॉज गैलप के अनुसार जब आप पूछना शु
करते ह, तो दूसरा ि आ य दशाता है क ''हम उसके बारे म य जानना चाहते ह?'' जब आप उसे
उ े य बताते ह तो आप संवाद के गितरोध को हटाते ह, भले ही वह उ े य महज ''जानकारी ा करना''
ही य न हो। उदाहरण के िलए, आप कह सकते ह - ''म अपने ारा िलए जाने वाले िनणय पर आपक
राय जानना चाहता ।ँ आपके पास चचा के िलए समय कब होगा।'' या ''म जानना चाहता ँ क कै सी
कार ख़रीदी जाए। आपक अपनी कार के बारे म या राय है?'' या ''ि य, हमारी बचत कम है, या तुम
फर भी यह गाड़ी ख़रीदना चाहोगी?''
• अपने संवाद क शु आत उन से कर, िजनके उ र आसानी से दए जा सकते ह। इसके प ात खुले
पूछकर दूसरे ि के िवचार सामने लाएँ और फर उसे बातचीत क दशा चुनने का मौका द। य द
आप दूसरे ि के िवचार और भावनाएँ जानना चाहते ह तो "हाँ'' या ''नह '' के जवाब वाले से
बच। उदाहरण के िलए; यह पूछने के बजाय क ''तु ह अपना वसाय पसंद है?'' यह पूछ क ''तु ह अपने
वसाय म या अ छा या बुरा लगता है?''
• अपने के जवाब यानपूवक सुन। आवाज़ क शैली, बोलने क र तार, उ रदाता के कथन व उसके
अिभ ाय पर यान द। इस जानकारी से आपको यह पता लगाने म मदद िमलेगी क वह ि आपके
को कस कार हण कर रहा है। कम बातचीत कसी िवषय पर चचा से बे खी दशाती है, पर कभी-
कभी आपका साथी यह जानने के िलए भी ख़ामोशी अपनाता है क आपक दलच पी वातालाप म है
अथवा नह ? य द संवाद सहयोगी पहले ही उसके िवचार और भावना क हँसी उड़ाने वाल से त
बैठा है, तो धैय के साथ पहले उसम िव ास क भावना जागृत कर।
• ऐसे से बच, जो उ रदाता को मुि कल म डाल द, झ लाए ए उ र देने पर मजबूर कर या जो
आपके दमाग़ म यकायक आए ह । याद रख क यादातर लोग अपनी तरफ ऐसे यानाकषण क उ मीद
रखते ह, जो उनके िवचार तथा भाव क खोज कर उनक दलच पी जानने क कोिशश करे , उनक
उपलि धय या पृ भूिम को उजागर करे ।
नाम याद रख
यूपोट के सागर तट पर िजतने रे त के कण ह, उससे कह यादा सं या म संवाद लोग के नाम न याद रखने के
कारण टू टते ह (खैर ... हो सकता है)। कसी ि का नाम उसका सांकेितक ितिनिध व करता है। य द आप
कसी ि का नाम भूल जाते ह, तो यह दशाता है क आपक नज़र म वह ि मह वपूण नह है। य द आप
चाहते ह ककोई आपक बात सुने तो आपको कम से कम उस ि के िलए मह वपूण श द उसका नाम याद
रखने क िश ता दशानी चािहए!
अ सर लोग बहाना बनाते ए कहते ह : ''मुझे चेहरे तो याद रहते ह, ले कन नाम नह ।'' इस ट पणी का
िवरोधाभास प है : य द आप चेहरे याद रख सकते ह, तो आप नाम भी याद रख सकते ह। आपको िसफ चेहरे
के साथ नाम को जोड़ने क कला आनी चािहए। यहाँ कु छ सुझाव पेश ह :
1. जब पहली बार नाम बताया जाए, तो उसे यान से सुन। यह सुिनि त कर क आपने इसे सही सुन िलया
है।
3. इसके बाद वातालाप म यह नाम िजतना संभव हो, उतनी बार बोल।
4. याद रखने के भाव से चेहरे के साथ नाम को जोड़। इस ि के चेहरे क ख़ास बात का याल रख। इसके
बाद अपनी क पना शि का योग कर इन िविश ता क प छिव (िवनोदी हो तो बेहतर) बनाएँ।
अंितम बंद ु क ा या ज़ री है। मूल सू यह है क अमूत नाम (आसानी से भुलाए जाने वाले) को कसी छिव
(जो याद रखी जा सके ) म बदला जाए, जो आपके दमाग म आसानी से रे खां कत हो। आपका मि त क इस छिव
को और उससे जुड़े नाम को याद रखेगा। यह काफ़ हद तक ि के चेहरे पर िलखे नाम जैसा होगा।
हेरी लॉरे न और मेरी लुकास क पु तक द मेमोरी बुक म बताया गया है क कस कार आप अपने मृित
तं को कारगर बना सकते ह। यहाँ उनके ारा व णत नाम को याद रखने के संब ता िस ांत का एक उदाहरण
तुत है :
सोिचए क आप हाल ही म िम. े न से िमले ह। आपके दमाग़ म भवन िनमाण मज़दूर ारा यु कए
जाने वाले उपकरण े न का याल आएगा या फर लंबी गदन वाले प ी का। आपने इस ि का चेहरा
देखा और पाया क उसका चौड़ा माथा कु छ अलग है। आप उस माथे को देखते ह, और क पना करते ह क
लंबी गदन वाले कई सारस उसम से उड़कर बाहर आ रहे ह; या आप उन पि य को उस चौड़े माथे पर
हमला करते ए भी देख सकते ह! अथवा पूरा माथा ही िवशाल सारस प ी क तरह नज़र आए। संब ता
िस ांत म आपके पास क पना हेतु कई िवक प ह। आपको कोिशश कर वह छिव देखने क आदत डालनी
होगी। अगली बार िम. े न से िमलते व त उनका नाम आपको याद रहेगा!3
यह बेवक़ू फ़ भरा लग सकता है, पर कोई भी इसके बारे म नह जान पाएगा। अ यास से यह आपको भावी और
िचकर लगने लगेगा।
नाम याद रखना लाभदायक भी हो सकता है। मान ल क अपने वसाय म आप ित दन 5 से 10
संभािवत ाहक से िमलते ह। आप इनके नाम िलख, यहाँ व णत मृित तं का योग कर उनसे जुड़ी बात और
नाम क समी ा कर, तथा कु छ समय प ात वह कागज अलग रख द। आप नाम नह भूलगे। जब आपको ाहक
का नाम याद होगा तो ाहक गौर वाि वत महसूस करगे, ठीक वैस,े जैसे कसी के ारा नामयाद रखे जाने पर
आप खुश होते ह। सफलतम िव य ितिनिध नामयाद रखने क कला म पारं गत होते ह।
(ब े) आज भी इस िवचार से जुड़े रहना चाहते ह क एकमा अ छा उ र हाँ म जवाब देना है। िनि त प से
यह उनक ग़लत िश ा का प रणाम है, िजसके अनुसार ''सही उ र'' िसफ़ वही है, जो फ़ायदा प चँ ाए।1
जॉन हॉ ट (हाऊ िच न फ़े ल)
एक ऑटोमोबाइल डीलर खरीदार को एक ऐसी कार बेच डालता है, िजसे वह ख़रीदना नह चाहता
था।
एक माँ अपनी चालीस वष या पु ी को उसके पु क तालीम के िलए कोसती है, जब तक क वह
उसक इ छा के अनु प नह चलने लगती।
एक कशोर अपने अिभभावक के घरे लू िनयम क िख ली उड़ाता है, जब तक क वे उसे उसक
मनमज के मुतािबक़ छोड़ नह देते।
कोई पु ष िनयो ा एक आकषक युवती को शारी रक संपक के बदले म पदो ित का ताव देता है।
युवती यह सोचकर राज़ी हो जाती है क उसके पास कोई अ य िवक प नह है।
ये सब ितकड़मबाज़ कौन ह? ये ऐसे साधारण लोग ह, जो िच लाकर, मुँह फु लाकर, िख ली उड़ाकर या डराकर
अपने िशकार को मजबूर करना सीख चुके ह। सभी िशकारी म एक बात समान है : वे ना कहना नह जानते!
आजकल वै ािनक मि त क के िव ुतीय संवेदन और पांतरण, अवचेतन क त लोभन, आनुवंिशक
जोड़-तोड़ और वभावगत बंधन के च काने वाले आयाम क पड़ताल कर रहे ह। िजस कार जॉज ऑरवेल के
उप यास 1984 म िनयं ण तकनीकिवद् आधुिनक मानव के लचीलेपन का फ़ायदा उठाकर उसका बा
पांतरण कर देते ह। एक काशक ने अपनी आगामी पु तक क सूची जारी करते ए बड़ी बेशम से यह दावा
कया है क उनक नई पु तक यह बताती है क कोई कस कार दूसर के जीवन को पूणत: िनयंि त और यहाँ
तक क उ ह रोबोट क तरह संचािलत कर सकता है! जब तक हम अपनी सुर ा नह करते और पलटवार का
उपाय नह जानते, तो हम लगभग मशीन जैसी ि थित म प च ँ जाने के ख़तरे म रहगे।
यह अ याय बताता है क कस कार अपने आंत रक दशा-िनदश को संरि त रखते ए बा दबाव का
मुक़ाबला कया जाए। अपने जीवन पर िनयं ण करने के िलए आपको जानना होगा :
भावी तरीक़े से ना कहने का आ यजनक लाभ स मान का बढ़ जाना है - अपने आपसे और दूसर से भी।
आंत रक ं के प रणाम
कई लोग एक ब े से इसिलए यार नह करते क वह या कहता या करता है, बि क इसिलए क उसके
'' ि व'' म कु छ ख़ूिबयाँ होती ह। ब े के जीवन म कोई आयाम, भावना मक लुका-िछपी, धोखाधड़ी का भाव
नह होता। वह अपने तरीके से रोते ए और िच लाकर वह दशाता है, जो उसके दल म होता है। वह अपने
वातावरण के ित सहज और अनुकूल होता है। वह सबकु छ सीखना चाहता है। वह सीखने के ित उ सुक होता है
और सबकु छ जान लेना चाहता है। वह ईमानदार और अपना वा तिवक व प िलए होता है। उसे ि व या
पहचान का ं नह सताता।
बचपन म ना कहना हमारे ि व िनमाण का मह वपूण अंग होता है। जैस-े जैसे हम अपने और दूसर के
बीच भेद करना सीखते ह, तो हमारी पहचान ज म लेती है। उदाहरण के िलए, हमारे ारा िवकिसतसीखने क
या इस कार रहती आई है :
लड़क ने िन कारण दए :
ऐसे वहार के कई दुःखद प रणाम होते ह। वे ऐसी गितिविधयाँ करनेपर मजबूर करते ह, जो ि क
वा तिवक छिव को नह दशाती। वे ि को अपने ल य से िवचिलत करते ह। वे लोग से भी शमाकर दूर जाने
और कु ढ़ने का भाव पैदा करते ह। वे साथक संवाद क संभावना को कम करते ह।
जब आप ना कहने क इ छा को दबाकर िनरं तर हाँ कहते ह, तो खुद से पूछना आव यक हो जाता है क
या “हाँ'' कहने का तरीक़ा आपके िलए लगातार पहचान के ं और नाखुशी के एहसास क वजह बनता जा रहा
है। खुद से पूछ क बेहतर तरीक़े से कया गया एक इं कार या आपको बेहतर महसूस करने और अपने आपसी
संबंध के िवकास म मददगार नह होगा।
जब ऐसी आकि मक चीज़ हम गहराई से भािवत करती ह, तो हम वीकार करना चािहए क हम ऐसी चीज
को मह व दे रहे ह, िजनके बारे म आ म-मह ा को अपनाने वाले कई ि दोबारा कभी नह सोचते।
सूचना या पर ए अ ययन का एक च काने वाला त य है क हमारी आाँख ित सेकंड 50 लाख अंश
देखने क मता रखती ह। कं तु हमारा मि त क ित सेकंड ''िसफ़'' 500 जानका रय के अंश का अथ ढू ँढ पाता
है। हमारे मि त क का अ यास चु नंदा चीज देखने का है।
संभवत: पूव म आपने िन आ म-मह ा मू यांकन को चुना और फल व प दूसर के हाथ का िखलौना
बन गए, पर अब आप इस ा प को बदलना चाहते ह। आप ऐसा प रवतन कै से करगे? चु नंदा चीज देखने से।
यहाँ सकारा मक प रवतन को िवकिसत करने वाले संवेदन क तकनीक दशाई गई ह।
िव ासपूवक काम कर : अं ेज़ी श द कॉि फडस लै टन भाषा से आया है, िजसका अथ होता है, ''भरोसा''।
िव ासपूवक काय करने का अथ आपके ारा अपने िलए थािपत मू य पर भरोसा करना है। यह इस भय से
मु होकर बोलना है क दूसरे या सोचगे। यह तब ना कहने क कला है, जब आप अपने वा तिवक अिभ ाय के
िवपरीत ही कहने पर मजदूर नज़र आ रहे ह।
जब तक आप िव ास का अनुभव नह करगे, तब तक उसे ा कै से करगे? िव ास के साथ काय कर। इस
बारे म चंितत न ह क आपक भावनाएँ आपके काय का साथ देती ह या नह । आप कै से दखते ह, या खाते ह,
अपने शरीर क कसावट इ या द म अिधक िच लेना शु कर। इस बात का िनधारण कर क आप सांसा रक
प रि थितय के बारे म या सोचते ह। अपने ि व के सवािधक भावी ल ण और िवचार को खोजकर
उ ह ो सािहत कर। अपनी ताक़त पर यान क त कर। छोटे ल य क ाि पर भी ख़द को पुर कृ त कर। िव
म अपनी िविश ता क क पना कर। आप िविश ह।
भय के दु च को तोड़ने म िव ासपूवक काय मददगार हो सकता है। उदाहरण के िलए, मान. लीिजए
आपके पास द तर म काग़ज़ी कायवाही को सीिमत करने का अिधक कारगर सुझाव है, परं तु आप इस भय से इसे
सामने नह रख पा रहे क आपके बॉस को लोग से िनदश ा करना पसंद नह है। इस भयावह दु च को इस
कार िचि त कया जा सकता है:
िच - 7.1
िव ासपूण कायशैली एकदम अलग दृ यिच (देख िच 7 .2) को ज म देती है। िव ासपूण कायशैली का
अथ यह नह है क आप िन ाहीन या अनुशासनहीन ह। इसका मतलब है क आप अपने भयक भावना पर क़ाबू
पाकर अपनी इ छा और अिभ ाय के अनु प वहार क िनरं तरता दशा रहे ह।
िच - 7.2
सुिनि तता के साथ ब ले : ड् यूक िव िव ालय के मानविव ानशा ी िविलयम ओ'बार के ताज़ा अ ययन के
अनुसार अटक-अटककर बोलने वाल पर यायाधीश कम भरोसा करते ह। बातचीत का अिव सनीय तरीका इस
कार है :
1. म समझता ँ क आप मेरी कार उधार लेना चाहते ह, य क आपक कार टाट नह हो रही।
2. कं तु म दूसर को अपनी कार चलाने नह देता।
3. मेरे पास कु छ ख़ाली समय है और मुझे आपको छोड़ने म खुशी होगी। अगर आप कह तो म आपको
आपक मनचाही जगह तक ले जा सकता ।ँ
1. म जानता ,ँ आप आपके ब े के साथ गृहकाय पूरा करने म मुझसे यादा समय क अपे ा करते ह।
2. कं तु मेरे पास इतना ही समय हे और म यादा समय नह दे सकता।
3. शायद हम ट् यूशन क संभावना टटोलनी चािहए। म एक अ छे ट् यूटर को जानता ,ँ जो आपके ब े
क मदद कर सकता है।
• याद रख क शांितपूण अं ाज ब त मह वपूण है। ोध से ोध उपजता है, कं तु संयत ित या ोध को
रफ़ू च र कर देती है। य द आप अपनी भावना पर िनयं ण खो देते ह, तो यह इस बात का प संकेत है क
दूसरा ि आप पर िनयं ण पा चुका है। उ ेजक भाव के साथ नह , बि क शांितपूण दृढ़ता के साथ ना कह।
• य द कोई ि आप पर िनयं ण करने क फ़राक म है, तो “ ोकन रकॉड” तकनीक का योग कर। कु छ
पल के िलए सहज होकर अपना इं कार शांत कं तु दृढ़ रवैये के साथ दोहराते रह, जब तक क आपका संदश
े
हण नह कर िलया जाता।
• याद रख क आप कसी के ग़लाम नह ह। इस स ाई को आपको दमाग़ म ठूँ सकर बैठाना होगा, ता क आप
शांित और दृढ़तापूवक अमल कर सक। साथ ही आप उन लोग क संगित से इं कार कर सकते ह, जो आपको
भयभीत करते ह । आप अपनी आंत रक वतं ता को बनाए रखने का चुनाव कर सकते ह।
ना करना ही पया नह है
बग़ैर सोचे-िवचारे ना करना आदत म शुमार हो सकता है, कमोबेश हर चीज़ से इं कार करना आपके ि व क
पहचान बन सकता है, जो क एक नकारा मक दृि कोण है। यह आपके नौकरी खोने या कभी भी बेहतर नौकरी न
पाने का कारण बन सकता है। घर म इसक वजह से आपके ित िनरादर और तनाव क ि थित उपज सकती है।
जीवन के सम त रं ग को िनचोड़कर यह िनराशा क कािलख मल सकता है।
“इं कार” के सकारा मक और िव वंसक भाव को कस कार िवभािजत कया जाए? हम कै से जान सकते
ह क कब ना कहना उिचत है? इन का जवाब आसान नह है। इं कार क येक अिभ ि इस ि गत
िनणय पर िनभर करती है क आप कौन ह और जीवन म कन मू य पर यक़ न करते ह। इसिलए मू यतं के
िबना संवाद हमेशा असफल ही होगा। मू य के बग़ैर यह जानने का कोई िनि त तरीक़ा नह है क कब ही
कहना है और कब ना या फर या कु छ कहने-सुनने लायक़ है। इससे बढ़कर ऐसा कोई पहचानने यो य आधार
नह है, िजस पर अ य ि से संवाद सेतु बनाया जाए। मनोवै ािनक अ ाहम मे लोव कहते ह :
''मानव मा को जीिवत रहने और समझे जाने के िलए मू य , जीवन दशन, धमतं क उसी कार
ज़ रत है, िजस कार सूरज के काश, कै ि शयम या ेम क ।“
अपने वा तिवक जीवनमू य के िनधारण के िलए यह सोच क य द आपके पास जीने के िलए िसफ़ तीन महीने
ह , तो इस समय का उपयोग आप कस कार करगे। आप कससे िमलगे? आप कस बारे म बात करगे? अपने
प रवार िम मंडली ावसाियक सहयोिगय के साथ संबंध म आप या बदलाव लाना चाहगे? कौन से मसले
आपके िलए मह वपूण ह गे? वे कौन से मू य ह, जो आज आपके िलए अहम् ह। अगर जीवन के अंितम िमनट म
आपको जीने के िलए दस-बीस साल और दे दए जाएँ, तो आप इनका इ तेमाल कस कार करगे?
ब के साथ बातचीत करना एक िविश कला है, िजसके अपने िनयमऔर मायने ह।1
हैम िगनोट
आइए, इसका सामना कर। ब े कई बार आपक अपे ा से कह यादा शोरबाज़, भुल ड़, ढीठ, सु त, िश ु
और कभी-कभी खासे चालाक होते ह। फर भी जहाँ ब े ह, वहाँ िखल िखलाहट है, तालीम है, उ ितहै, िसतार
क तरफ़ छलांग है, िगरना और संभलना है - दूसरे श द म, वहाँ ज़ंदगी है। जब एक िव ाथ अपने िश क से
कहता है क ''मने सचमुच आज कु छ सीखा'' या फर जब एक ब ी अपनी माँ को यह कहते ए मुि कल ण म
ढाढ़स बँधाती है क “माँ, म तुमसे यार करती 'ँ ' या एक बेटा अपना वातालाप इन श द के साथ ख़ म करताहै
- ''पापा, आप मेरे सबसे अ छे दो त ह।'' तो ऐसे संवाद आनं दत कर देते है।
एक ब े को िशि त करने से यादा मुि कल ज़ं मेदारी दूसरी नह है। अ सर हम इसम असफल रहते
ह। हमम से कोई भी ब के शारी रक, मानिसक, भावना मक, सामािजक या आ याि मक िवकास संबंधी
प रि थितय क ज टलता को पूरी तरह नह समझता। य िप हम ब के संबंध म पूणत: द नह हो सकते,
कं तु पया द ता ज़ र पा सकते ह।
भरे -पूरे संबंध के िलए पर पर आदर भाव मु य आधार है। जब आदर प हो, तो ब के साथ
वातालाप क गुणव ा और खुशी क बुिनयाद तैयार हो जाती है। इस अ याय म पार प रक
आदरभाव(RESPECT) के िवकास और उसे जािहर करने के 7 िस ांत बताएगए ह :
R – Remember your childhood (अपना बचपन याद कर)
E – Encourage self-esteem (आ म-गौरव को ो सािहत कर)
S – Stop hassles before they start (िववाद या टकराव को पैरपसारने से पूव रोक)
P – Practice behavior you expect (अपने िलए चाहा गया वहार खुद भी अमल म लाएँ)
E – Elicit your child’s “world” (ब े का ''संसार'' रोशन कर)
C – Communicate love ( ेम का सार कर)
T – Transfer significant values (मह वपूण मू य का संचार कर)
आ म-गौरव को ो सािहत कर
जब ब ा अपने बारे म अ छा महसूस नह करता है, तो उसे लोग ारा अपने िलए कही जाने वाली बात भी
अ छी नह लगगी। वह साधारण ट पिणय को भी सज़ा या धमक के प म देख सकता है। वह पलटकर खीझ
और ग़ से म जवाब दे सकता है, य क उसक मूलभूत मानवीयज़ रत अथात् ि गत ग रमा को नजर अंदाज
कया गया। हम चाहे इस आव यकता को आ म तुित, आ म ेम, आ म-उ लास, आ म-गौरवया कोई अ य नाम
द, एक बात प है क यह ब े के ि व और अिभ ि के िवकास पर गंभीर भाव डालता है। ब के पास
वह मनोवै ािनक र ा णाली या सुधार तं नह होता, िजसके ज़ रये वय क अपने आहत आ म- गौरव क
मरहम पट् टी कर लेते ह।
ब म आ म-गौरव आसानी से िवकिसत नह होता, िवशेषकर बुि म ा, स दय और कौशल के घमंड से
चूर इस समाज म। सामािजक प रवेश का अ य , कं तु मजबूत संदशे है क य द आप बेिमसाल नह ह, तो
आपक ख़ास क मत भी नह है। दुभा यवश कई बार वय क खुदयह संदश े अपने ब को देते ह। वे ब े के
अि त व के बजाय उनके दशन के आधार पर उ ह वीकृ ित देते ह। ब े के दशन और बताव म प रवतन के
िलए वय क कई बार उनसे कहते ह :
तुम कसी काम के नह हो!
तुम कोई काम ठीक से नह कर सकते!
तु ह बनाते व त भगवान तु ह दमाग़ देना चूक गए थे!
ऐसी ख़राब ेणी के साथ तुम गधे सािबत होगे!
फ़ु टबॉल के बारे म भूल जाओ, वह तु हारे बस का खेल नह !
तु हारा कु ा तुमसे यादा समझदार है!
तुम ब त शैतान हो!
पाँचव क ा के एक ितभाशाली छा ने मुझसे कहा क वह िव ालय म कु छ नह कर पाता। कारण पूछने पर
उसने बताया ''मेरी माँ हमेशाकहती है क म कोई काम सही तरीके से नह कर सकता।'' वह ब ा अपनी माँ के
इस कथन को सच मानने लगा था।
सामा यत: ब के साथ संवाद सम या ेम क कमी से नह ,बि क संवेदनशीलता और तालीम के अभाव
म उपजती है। यह सच है क अिभभावक िशि त कए जाने के बजाय अ सर दोषी ठहराए जातेह, कं तु कई
लोग सीिमत ान के बावजूद समझदारी से काम लेते ह।पहचान बनाने के मामले म येक अिभभावक और
िश क को एक बल मनोवै ािनक स य याद रखना चािहए। एस .आई. हयाकावा इसेइस कार प रभािषत
करते ह - ''आप ब े को जैसा कहगे, वह वैसा हो जाएगा।''3 दूसरे श द म, ब ा वही हो जाता है जैसा उसे
दशायाजाता है, भले ही वह नकारा मक छिव हो! पहचान या कसी भी पहचानक मनोवै ािनक ज़ रत ब े
ारा ा जानकारी के आकलन से यादा मजबूत होती है। अथात् य द ब े से कहा जाए क वह “रोतला ''या
''बुरा ब ा'' है, तो वह इस पर िव ास करके वैसा ही करनेलगेगा। इसके ' िवपरीत, य द उसे कहा जाए क वह
तेज दमाग औरसम या सुलझाने क मता रखता है, तो वह खुद को सम या सुलझानेवाला मानकर अपने
मि त क का रचना मक उपयोग करने लगेगा।
हमम से यादातर लोग अपने ब को अपनी मता के बारे म सकारा मक, यथाथवादी सोच के साथ
खुश देखना चाहते ह। हमपता भी होता है क यह ख़ूिबयाँ कै से िवकिसत क जाएँ। मगर हमहमेशा अपने े तम
ान का उपयोग नह करते। हम उस पल क बौखलाहट के िशकार हो जाते ह। हम अनायास ही अपने ब के
ितसंजोई गई उ मीद और अपने गहन मू य से िवपरीत बातचीत का तरीक़ा बना लेते ह।
या आप अपने ब म आ म -गौरव का भाव ो सािहत करते ह,यह जानने के िलए अपने आपसे ये चार
बुिनयादी सवाल पूिछए:
1. या म अपने ब क बात यानपूवक सुनता ?ँ ब म आ म - गौरव तब पैदा होता है, जब हम
गंभीरतापूवक उनक बात सुनतेह। फर भी दन भर काम के बोझ से त अिभभावक धैय और समझ क इ छा
खो बैठते ह। अिभभावक को अख़बार या टीवी के साथ राहतपाने का हक है। उ ह भी तरोताजा होने के िलए
शांित के ण क ज़ रत होती है। परं तु कभी-कभी यह ''शांित के ण'' लगातार जारीरहते ह और ब े क
वातालाप संबंधी इ छा िझड़क दी जाती है।
कसी शाम एक ब ा अपने िपता को अँगुली म लगी चोट दखाना चाहता था। िपता ने उसके बार-बार के
आ ह से खीझकर अख़बार पटकते ए कहा, ''म इस बारे म या कर सकता ?ँ कु छ भी नह !'' ब ा अपने आँसू
रोकता आ बोला, “डैडी, आप इधर देखकर इतनाबोल सकते थे, 'ओह
शायद हम ज़ रत से यादा त ह। कॉनल िव िव ालय क मनोिव ानी यूरी ोफे न ेनर के अनुसार
सामा यत: िपता अपने ब के साथ साथक चचा के िलए ित दन मा 37.7 सेकडं का समय देते ह।य द हम
आज सुनने का समय नह रखगे, तो एक दन जब हम सुननाचाहगे, तो शायद हमारे ब के पास हमसे बात
करने का व नह होगा।
2. या म ब के ित आदरभाव रखता ?ँ ब के साथ अपने रवैये का आकलन कर। या आप इस ाचीन
उि म यक न करते ह क ''ब को सुना नह , बि क िनहारा जाना चािहए'' अथवा या उनक भावनाएँ और
िवचार आपके िलए मायने रखते ह? या आपमानते ह क ब े आपके ि गत िवकास म बाधक ह अथवा आप
को लगता है क वे आपक शानदार िज़ मेदारी के साथ ि गत िवकासक चुनौती का कारण ह?
कु छ अिभभावक इन के ित ि प ीय रवैया रखते ह। कु छ जो महसूस करते ह, उसके िवपरीत झान
दशाते ह। इस दोहरे रवैये को प करने के िलए खुद से यह पूछ : ''अपने ब के ितम कै सा रवैया चाहता
?ँ मेरा बताव उस रवैये क तरह है अथवा उससे िभ है? या मेरे ब े जानते ह क म उनका आदर करता ?ँ
द आट ऑफ लिवगं पु तक म मनोिव ानी ए रक ॉम आदर को ेम का मह वपूण घटक दशाते ए िलखते
ह:
आदर का अथ भय या आतंक नह ; बि क अं ज़
े ी श द Respect अपनेमूल श द Respicere अथात् देखना
को अिभ करता है। एक ि क िविश ता को समझकर उसे वैसे देखना जैसा क वह है।4
आदर का मतलब दूसरे ि के साम य म यक़ न करना भी है । अपने जीवन म उस शि शाली ेरणा के बारे म
सोच, जो ब े के प म आपके िलए कसी मह वपूण वय क ि ारा दशाए गए आदरभावसे उपजी हो।
3. या म अपने ब े म सकारा मक मानिसक दृि कोण का िवकास करता ?ँ ''मनु य जैसा सोचता है, वैसा हो
जाता है'' यह उि ब पर भी लागू होती है। ब े िजस चीज के बारे म सवािधक सोचते ह, उस जैसे हो जाते ह।
हीनभावना से त ब े नकारा मक ल ण के बारे म सोचकर मनमानी भाषा से अपनी सम या बढ़ा लेते ह।
उदाहरण के िलए, एक ब त मोटा ब ा अपने आपसे कह सकता है
म हमेशा भूखा रहता ।ँ
बेसबॉल खेलने के िलहाज से म काफ़ थुलथुल ।ँ
म खाना नह छोड़ सकता।
मुझे कोई अपनी टीम म नह चुनेगा।
आ म नंदा ब म नकारा मक आदत बन सकती है। इससे अवसाद और िन तरीय अि त व अथात् कभी
कोिशश न करना, ख़तरा नउठाना, कभी न जीतना जैसे ल ण क ओर झुकने के िसवाय कु छ नह िमलता।
अपने समय क सबसे मह वपूण खोज यह है क ि आ म अनुकूलन से खुद को बदल सकता है । ब े
िजस कार चंता से रोगी हो सकते ह, उसी कार अपनी ख़ूिबय पर एका होने से व थ भी,परं तु इसके िलए
उ ह सकारा मक मागदशन चािहए।
आप अपने ब को खुद म अथवा दूसर म नकारा मक ल ण पर जोर न देने और सकारा मक भाव को
ो सािहत करने क नीितिसखा सकते ह। कै िलफ़ो नया क एक पाँचव क ा क अ यािपकािनरं तर अ छे
प रणाम देने के िलए च चत थ , भले ही उ ह खरिव ाथ दए जाएँ या मंदबुि । उ ह अनुशासन संबंधी
सम या ब त कमरही और उनक क ा के िव ाथ े तम नैितक तर दशाते रहे। धानाचाय ने जब इस बारे म
जानना चाहा, तो िशि का का जवाब था क वह िनयिमत प से इस बात का लेखा-जोखा रखती थ क उ ह ने
कस छा क कतनी बार सराहना क । उ ह ने कभी भी येक िव ाथ को सराहे बग़ैर अपनी क ा ख़ म नह
क।
4. या म अपने ब के कौशल और ितभा के िवकास को ो सािहतकरता ?ँ कु छ अिभभावक ो साहन के
भाव क ग़लत ा या करते ह। एक माँ समझती है क वह अपने कशोर ब े के सारे िबल चुकाकर उसे
ो सािहत कर रही है। एक अ य माँ अपने ब े से पूछेगए हर सवाल का जवाब वयं देकर यह ग़लतफ़हमी
पालती है। ो साहन का अथ ब े को जीवन क ज़ रत से बचाकर रखना नह है। ये क़दम ब े म प रि थितय
से िनपटने के ित अिव ास पैदा करउसे हतो सािहत करते ह।
ो साहन का अथ साहस का संचार है। ो साहन आपके ब े कोयह कहना है क:
सम या हल करने का तु हारा तरीका मुझे अ छा लगा।
तुम अपने गु से पर काबू पाना सीख रहे हो।
बा के टबॉल म ित पध को चकमा देना तुमने सीख िलया है।
यह गिणत मुि कल था। मुझे खुशी है क तुमने कई सवाल सही हल कए।
इसके अलावा अितशयोि से भी बच। य द कसी ब े ारा आधा होमवक करने पर ही माँ कहे - ''तुम बुि मान
हो'' तो ब ा सोचेगा -''य द यह बुि म ा का पैमाना है, तो म इससे काफ कम मेहनत करके भी काम चला
सकता ।ँ ''
छोटी कं तु पूण उपलि धय को भी अपनी ईमानदारीपूवक ट पणी से ो सािहत क िजए। ब े ारा नई
चुनौितय का सामना करते समय उसके ित समथन और िव ास दशाएँ। यह ो साहन उस ि थित म भीहो,
जब ब ा असफल हो जाए य क आपक नजर म उसका मू यऔर मह व उसका दशन नह , बि क उसका
अि त व है।
एक िस िपयानो वादक लंदन के संगीत सभागृह म अपनी तुित देने वाला था। उसके काय म क
शु आत से आधा घंटा पूव सारासभागार औपचा रक वेशभूषा पहने मुख हि तय से भर गया। मंच परएक बड़े
से िपयानो क ओर काश क त था। एक संगीत रिसक माँअपने सात वष य पु के साथ वहाँ आई थी, ता क
महान िपयानोवादकको सुनकर ब ा यादा उ साह से अ यास करे ।
इस बीच शोरगुल म ब ा अपनी कु स से ग़ायब हो गया। माँ पूरे सभागार म बदहवासी के साथ उसे ढू ँढने
लगी। तभी भीड़ भरे . वातावरणम उसे कोई जानी-पहचानी आवाज सुनाई दी। उसक आँख म चमक आगई जब
उसने िपयानोवादक के िलए िनयत कु स पर अपने बेटे को बैठेदख े ा। वह मजे से िपयानो पर अंगुिलयाँ नचा रहा
था।
तभी भीड़ म से कोई ग़ से के साथ िच लाया, ''अरे , कोई उस ब ेको मंच से उतारो। वह चॉपि टक
(अंगुिलय से ठपकारने वाला संगीत)बजा रहा है!'' लि त माँ ध ा-मु म यह नह देख पाई क
महानिपयानोवादक उससे पहले मंच पर उस ब े के समीप बैठ चुका है।
पूरे सभागार म “चॉपि टक'' का शोर था। मगर िस िपयानोवादकइस अटपटी धुन को अपने कौशल से
यादगार संगीत रचना म बदलने मसफल हो गया। जब हडू बड़ाई माँ मंच के समीप प च ँ ी, तो उसने
महानसंगीतकार को अपने ब े से कहते सुना, ''शाबाश ब ,े अभी मत को।म 'तु हारी मदद क ँ गा। तु हारे पास
कािबिलयत है, इसे जारी रखो!''
वय क ि ने या कया? उसने चचा के प िनयम दशाते एब े को बता दया क वह समझबूझ चाहता है।
िनि त प से यहरवैया कु छ सम या के िनराकरण क शु आत भर है, मगर इससेवातालाप के वाद-िववाद म
उलझने क संभावना कम हो जाती है।
िववाद दूर करने क कु छ नीितयाँ आदेशा मक होती ह - अथा ाकत के ज रये पूण िनयं ण पर जोर देना।
कं तु ताकत एक कमजोर ेरक है, इससे थायी समाधान नह िमलते। इसके अलावा बल योग कानतीजा
मौिखक या शारी रक ं हो सकता है। दूसरी तरफ वीकृ ित धान रवैया है - ब े को वह करने या कहने द, जैसा
वह चाहता है।मगर ब े इस वीकृ ित क सीमा ख चकर बड़ो से अशालीनता क हदतक ले जाते ह। यह दोन
रवैये टकराव को टालते नह , बि क उसे ज म देते ह।
मेरे िवचार से अिधकारवादी रवैया अपनाना उिचत है, िजसमसकारा मक ो साहन और उ िनयं ण का
समावेश हो। इससे लचीलेऔर अिड़यल दोन रवैय के ख़तर से बचते ए टकराव टालने म मदद िमलती है।
यहाँ ब े के साथ टकराव रिहत संवाद के अिधकारवादी रवैयेके पाँच तरीके दशाए गए ह-
A – Analyze problem behavior (सम याजनक बताव का िव ेषणकर)
B – Be clear about your expectations (अपनी अपे ाएँ प कर)
C – Catch them doing good (ब के अ छे काम पर नज़र रख)
D – Discpline in love ( यार से अनुशासन िसखाएँ)
E – Exert your authority firmly, but calmly (अपनी शि दृढ़तापूवक, कं तु शांित के साथ दशाएँ)
सम याजनक बताव का िव ेषण कर: ब े ारा टकराव संबंधी बताव के कई कारण हो सकते ह, जैसे
बौखलाहट, िनराशा, नकारे जानेका भय वा स य के अभाव क अनुभूित अथवा एक अिड़यल वभाव। उसके
वहार का मूल कारण खोजना ज़ री है, अ यथा सम या के ग़लत समाधान सुझाए जाएँगे और सम या जारी
रहेगी।
मान लीिजए क आपका ब ा लगातार देर से कू ल जाता है। हरसुबह यही कहानी होती है। वाद-िववाद
और ख चातानी का प रणाम आपके तथा ब े क अ स ता के प म झलकता है। अंतत: जबब ा कू ल जाने क
ि थित म आता है तो उसका दमाग़ झ लाया होताहै और वह कु छ सीखने के मूड म नह रहता है। िन
वातालाप म देिखए क कस कार अिभभावक सम या (जैसे आलसीपन) को झूठ-मूठ म समझने का दखावा
करने के बजाय स यतापूवक ब े क बात सुनकर सम या का वा तिवक कारण ढू ँढने का यास करता है
अिभभावक : बेटा, तुम लगातार देर से कू ल जा रहे हो, आिख़र परे शानी या है?
पु : म कू ल पसंद नह करता।
अिभभावक : तु ह कू ल पसंद नह ?
पु : वहाँ बो रयत होती है
अिभभावक : तु ह लगता है, जो िश क पढ़ा रहे ह, उसे तुम पहले से जानतेहो?
पु : नह , पर मुझे यह मह वपूण नह लगता।
अिभभावक : तु हारा मतलब उसका तुमसे संबंध नह है?
पु : हाँ, आिखर अंक के जोड़-घटाव का मुझसे या लेना-देना?मुझे यह सब य सीखना पड़ता है?
अिभभावक : तु ह यह मुि कल लगता है और तुम जानना चाहते हो कइसक ज़ रत या है?
पु : इसे सीखना क ठन है। कई ब को इसम परे शानी होती है।अिभभावक : तु ह बुरा लगता है, जब तुम कु छ
समझ नह पाते।पु : हाँ! म खुद को मूख महसूस करता !ँ (रोना शु )
अिभभावक : अब समझा। (खामोशी, ब े को बाह म भरना...)
ब से सफल संवाद रखने वाले अिभभावक और िश क कसी भी सम या को अपने साथ ब े के नज़ रये से भी
समझने क कोिशशकरते ह। इसका अथ वीकृ ित नह है, परं तु इससे बड़ को ब े क सम या समझने व उसके
िनराकरण का उपाय ढू ँढने क आव यकजानकारी ा हो जाती है।
सम याजनक बताव का कारण जानने के िलए बड़ को िन दमाग म रखना चािहए :
वा तिवक सम या या है?
या मने अपनी कसी ट पणी या बोलने क शैली से सम या को ज म दया?
या मेरा ब ा जानता है क म उससे या चाहता ?ँ
मने इस ि थित का सामना पूव म कस कार कया था?
या वह कारगर था?
म अब इस ि थित को कस कार बेहतर ढंग से संभाल सकता ?ँ
अपनी अपे ाएँ प कर: ब े अपने ित अिभभावक क अपे ा का अनुमान लगाते ह। कई बार ये
अनुमान िवकृ त या ग़लत भी होते ह। िन ां कत वातालाप से पता चलेगा क सम या कै से सुलझाई जा सकती है
-
पु : (खामोशी)
अिभभावक : देखो बेटा, म तुमसे यह नह चाहता क तुम कसी ख़ास िवषय म कोई खास ेणी अ जत करो। म
िसफ इतना चाहता ँ क तुम अपनी ओर से बेहतर दशन के िलए पूरा यास करो।
पु : (खामोशी)
अिभभावक : तुम कु छ जानना चाहते हो?
पु : या?
अिभभावक : म जब तु हारी उ का था, मुझे भी गिणत म अ छे अंक नह िमलते थे
पु : सचमुच?
अिभभावक : हाँ! आओ अब हम िमलकर गिणत सीखने क कोिशश करते ह।
पु : ठीक है।
इस उदाहरण म ब ा अपना काय करने के िलए े रत आ, य क उसके ऊपर खुद को सूजन से तुलना कए
जाने (और लगातार हारने का) बोझ हट गया और अिभभावक क अपे ाएँ प हो गई। याद रख क बड़ो क
अपे ाएँ ब े के सम तब तक साफ़ नह होत , जब तक वह खुद उ ह समझने और अपने श द म दोहराने क
ि थित म न आ जाए। िलहाजा ब े से पूछ ''म तुमसे या अपे ा रखता ?ँ ''
अपने ब े से अपेि त काय को लेकर सकारा मक रवैया रख। रोजाना क अपे ा को िलखकर ब े को
समझाएँ, जब तक क वह संतोषजनक प से यह दोहराने क ि थित म न आ जाए क उससे या माँग क जा
रही है। इससे वह नौबत नह आएगी क ब ा कहे ''मुझे मालुम नह था, आप मुझसे यह चाहते थे।''
ब के अ छे काम पर नज़र रख : बेहतर तरीके से काम संप करने पर ब े क सराहना कर।
मनोवै ािनक अ ययन से पता चलता है क आलोचना के बजाय सकारा मक ो साहन वहार के िवकास म
यादा भावी होता है। हावड िव िव ालय म मनोिव ान के ा यापक डेिवड रोजे धॉल के एक अ ययन म
पूछा गया: ''य द समान मानिसक यो यता वाले ब के एक समूह को उनके िश क यह बताएँ क वे महज 'देर से
सीखने वाले िव ाथ ' ह और आने वाले वष म उनक बौि क मता काफ़ तेज़ी से िवकिसत होगी, तो या
होगा? '' योग के प रणाम से पता चला क इस ेणी म रखे गए ब ने अ य ब क तुलना म यादा बौि क
गित क । रोजे यॉल ने इन प रणाम से िन कष िनकाला क ब से सकारा मक अपे ा का उनके आचरण पर
सकारा मक भाव पड़ता है।
अपने ब े पर नजर रख रहे माता-िपता दन भर म िन ट पिणय के अवसर ढू ँढ़ लगे, जैसे:
मुझे अ छा लगा, तुम बुलाए जाने पर िजस तरह िडनर के िलए आए। खेल के िलए जाने क ज पी
के बावजूद तु हारा सलीके से कपड़े टाँगना मुझे अ छा लगा।
जो भी आ, उसके बारे म मुझे सब सच बताने के िलए शु या।
यान रहे क य द सराहना ईमानदारी से नह क जाएगी तो ब ा इसे िनरथक समझेगा। अ यिधक शंसा भी
अपना भाव खो देती है, कं तु वा तिवक तारीफ सकारा मक प रवतन को े रत कर िववाद को टालती है।
यार से अनुशासन िसखाएँ : अनुशासन श द का योग िपटाई से लोभन तक हर ि थित के िलए कया
जाता है। वय क लोग अनुशासन कब रखना है, य रखना है, कै से रखना है, का िवचार कए बगैर अपने ब
को अनुशािसत करने के अ प तरीके अपनाते ह। प रणाम व प उनका तथाकिथत अनुशासन अ भावी रहता
है।
दीधकािलक, सकारा मक प रणाम देने वाला अनुशासन ेमपूवक िसखाया जाता है। इसम िनदशा मक
पाबं दयाँ, बंधन और िपटाई शािमल ह कं तु इनका इ तेमाल ेम क भावना के साथ कया जाता है। दृढ़ता का
भाव िलए ए ऐसा अनुशासन, जो आचरण क सीमाएँ िनधा रत करे - इससे ेम बना रहता है।
अनुशासन क नई नीित और पुराने दंडा मक व प के बीच उपयोगी भेद कया जा सकता है। अपनी
पु तक हे प, आय एम अ पेरट म मनोिव ानी ूस नेरैमोर इसे तािलका म प करते ह:'
इस कार के अनुशासन का अ यास टकराव को कम करे गा। िन उदाहरण म देख क इसम नाराजगी तथा िचढ़
के बजाय भिव य के िलए अनुशासन का भाव है -
अिभभावक: बेटा, तु ह इस व या करना चािहए था?
पु : कु े को खाना िखलाना चािहए था।
अिभभावक : तुम या कर रहे हो?
पु : कु छ नह
अिभभावक : तु ह व त पर काय न करने का प रणाम पता है, िजस पर हमारी सहमित ई थी?
पु : जी िपताजी, म आज रात टीवी नह देख पाऊँगा।
अिभभावक : उस बधंन का उदे य तु हे यह याद दलाना है क तु हे िनयम के अनुसार चलना चािहए और आगे
इसका यान रखोगे।
ब े से ेम करने वाला वय क उसे अनुशासन भी िसखा देगा। उसके याकलाप से ब े को एहसास होगा क वह
नकारा मक भाव के िव िनयं ण क लड़ाई म अके ला नह है। इसका ता पय है क वह आचरण के सीमा
िनधारण म अपने तथा ब े के ित सचेत है और दोन के दीधकािलक िहत के िलए इन िनयम को लागू करने
का समय तथा इ छाशि रखता है।
अपनी शि दृढ़तापूवक, कं तु शांित के साथ दशाएँ: कु छ लोग को लगता है क आवाज क तेजी के साथ
उनक शि भी बढ़ती है। मने एक िशि का के बारे म सुना है, िजसे अपनी क ा को िनयंि त करने म काफ
परे शानी पेश आती थी। वह गु सा होने पर अपनी मेज़ पर चढ़कर ब के आगे जोर से सीटी बजाने लगती थी।
ब को इस तमाशे म मजा आता और वे भोजन अवकाश के दौरान इसी करतब को फर देखने के िलए धमाल
क ितकड़म म जुट जाते।
इसके िवपरीत मेरे पु क पाँचव क ा के िश क का अनुशासना मक स ा दशाने का तरीका बेहद
सश और संयत रहा। वे ग़लती करने वाले छा को के वल घूरकर देखते थे। य द यह कारगर न हो, तो वे ब े को
कोई काम स प देते, जैसे पचास ''िनयम'' िलखना। येक छा को पता था क िनयम िलखना ग़लत बताव का
ता कक प रणाम है। िश क को अपनी आवाज ऊँची करने क कभी ज़ रत नह पड़ी। उनक स ा पूरी क ा
ारा स मािनत तथा शंिसत ई।
ऐसा समय भी आता है जब वातालाप के बजाय काय से आपको स ा दशानी पड़ती है। बहरहाल यह
स यता ग़ सैल न हो, तभी ब े म अपेि त वहार को े रत कर सकती है। य द आप नाराज होने तक
स यता दशाने क ती ा कर रहे ह तो आपक यह ती ा काफ़ लंबी है। आप बग़ैर नाराज ए याशीलता
दशा सकते ह। जब आप भावना पर िनयं ण खोने से पूव याशीलता दशाते ह, तब आापक स ा अनाव यक
तनाव से बचते ए अिधक मजबूती से सािबत होती है। अपनी स ा को सश कं तु संयत तरीके से दशाने का
सू यही है क आप भावना के बस म अपनी अिधकार मता और िववेकपूण आचरण खोने से पूव याशील
हो जाएँ।
टकराव रिहत संवाद के मूलभूत त व मुि कल नह ह। कं तु य द आप फलहाल उनका योग नह कर रहे
ह तो आपको एक नई शैली म महारत हािसल करनी होगी। स ा संघष को जहाँ तक संभव हो टालना चािहए।
कं तु जहाँ यह ब े के अिडयल रवैये के फल व प ज़ री हो जाए, वहाँ अिभभावक को िनणया मक जीत अ जत
करनी चािहए। य द संवाद और अनुशासन क या म अिभभावक संयम बरतता है, तो वह गु से के दूरी पैदा
करने वाले भाव से बचते ए ब े का आदर जीत सकता है ।
ब का सवािधकआनंददायी पहलु उनके ारा कही गई बात क मौिलकता है। िवशेषकर कू ल जाने से
पहले के वष म। उनक ट पणी चीजो़ं क ा या का उनका तरीका महान दाशिनक और लेखक क
अपे ा अिधक ताज़गी भरा और प होता है। फर भी यादातर अिभभावक िववेक के इन र क तरफ
यान नह देते।6
कु छ अिभभावक क िशकायत होती है क ''मेरा ब ा मेरे िलए अजनबी है। वह मुझे नह बताता क वह या
सोच रहा है'' या ''मुझे कभी पता नह चलता क मेरी बेटी के दमाग़ म या चल रहा है। मेरे पूछने पर वह कं धे
उचकाकर जवाब देती है क वह नह जानती? '' ब े अपने ''संसार'' को िछपाकर य रखते ह? इसका एक
सामा य कारण (अ याय 2 म व णत) ब ारा अपने नकारा मक आकलन या ग़लत समझे जाने का भय है।
अिभभावक अपने पैमाने से ब े के कथन क िववेचना करते ह, बजाय ब े के पैमाने से। उदाहरण के िलए, य द
कोई ब ा यह कहे क उसने कल रात एक बडे दानव को मार डाला, तो अिभभावक के पास ित या के दो
िवक प ह - या तो वह कह क ''दानव होते ही नह '' अथवा ''वाह! इसके िलए तो तुमने काफ़ िह मत दखाई
होगी।''
ब े एक-दूसरे के व भी खंिडत कर सकते ह। जब लूसी, चाल ाउन से अपना व सुनाने क माँग कर
उसके '' लैश '' पुकारे जाने के आ ह का उपहास उड़ाती है, तो यह मान लेना उिचत होगा क चाल फर कभी
इतनी आसानी से अपने व क चचा नह करे गा। व तुत: ासदी यह है क ब ा तब िसफ़ अपने व क चचा
करना ही नह , बि क व देखना भी बंद कर देता है अथवा अपने व ''जगत '' को दूसर क तरह दशाने
लगता है। ब े के जीिवत रहते ए उसके भीतर जो मरता है, वही ासदी है।
वय क इस वृि को उलटकर ब े म एक-दूसरे के ''संसार '' के ित शंसाभाव को जागृत कर सकते ह।
वे ब े से संयमपूवक ो र के ज रये उसके ''संसार '' क टोह ले सकते ह। वे ब े के तर पर साथ खोज करने
का भाव जागृत कर सकते ह। उनके पास िवक प है क वे ब े पर अपने िनदश जैसे ''यह संभव नह '' या ''तुम
स ाई का सामना कब करोगे? '' न लाद।
जब म कॉलेज म था, मने बाल जगत को मह व नह दया। म यह सुनकर दंग रह गया जब बाल
मनोिव ान क क ा म मेरे ा यापक ने यह कहा क वह ित दन आधा घंटा पूरी तरह ब के तर पर उनके
''संसार '' का अनुभव करते ह। य द ब े ''बंदर'' या ''कं गा '' का खेल खेलना चाह, तो वह उसी जानवर का
अिभनय करते। डॉ. ाउन के अनुसार इस खेल का असली लु फ़ ब को खुश देखने म िमलता था। खेल के पूरा
होने पर वह कसी भी बारे म बात करने को तैयार होते। ब े जानते ह क उनके िपता उनक यािहश को
समझते ह, उ ह ने यह सािबत भी कया।
ब े बड़ी बेचैनी के साथ चाहते ह क उ ह समझा जाए। उ ह समझने के िलए ढेर सारे पूछकर उनके
िवचार और भाव जान। परं तु ऐसे न पूछे, जो उ ह िवचिलत कर या र ा मक बना द। पर पर लाभ या आनंद
के िलए ज़ री क सूची बनाएँ। खुले िवक प वाले पूछ, जो ''ही'' या ''नह '' तक सीिमत जवाब के
बजाय ब क राय जािहर कर। इस सूची क शु आत के िलए कु छ उपयोगी यहाँ दए गए ह -
तु ह कै से सपने देखना पसंद है?
तु हारी नज़र म हमारे ारा पढ़ी जा रही पु तक म कौन सी बात दलच प है?
( दल बहलाने के िलए) बताओ क तु हारे िवचार से पृ वी यहाँ कै से आई?
तु ह वह िव ान कथा फ म य अ छी लगी?
अगर तु ह अपने कपड़े गीले होने का भय न हो, तो बरसात म घूमते ए तु ह कै सा लगेगा? वषा
का अनुभव कै सा है?
अपने प रवार से बाहर तु ह कौन सा ि सवािधक पसंद है और य ?
बड़े होकर तुम या बनना चाहोगे? तु ह कौन सा काय सबसे िचकर लगेगा?
तु ह कब हँसने या रोने क इ छा होती है?
कू ल म पाँचव क ा का छा होना कै सा लगता है?
ेम का सार कर
कु छ लोग को लगता है क य द वे एक ब े से ेम करगे, तो उसे ेमानुभूित होगी। यह ज़ री नह है। डी.
एिलस िगनोट कहते ह-
ब े दो मूलभूत के ित सशं कत रहते ह : '' या मुझे यार कया जा रहा है'' और ''मेरा काम कतने से चल
सकता है? '' कभी-कभी अिभभावक यह म पाल लेते ह क वहार िनयं ण कायम रखने के िलए उ ह पहले
के मामले म ब े को संशय म रखना चािहए। य द अिभभावक ब े को अनुशािसत करने के िलए अभ अथवा
अपमानजनक भाषा का योग कर रहा है, तो इसका मतलब ेम क बजाय उसने अ वीकृ ित क ज़बान अपना
ली है।
अ वीकृ ित क भाषा िववेचना, िनणय, आलोचना और नैितकता क दृि से ज टल होती है। मान लीिजए
क ब ा रे त म घर बना रहा है, तो अ वीकृ ित क भाषा इस कार होगी -
रे त के घर ऐसे नह होते!
डैडी तु ह इसे ठीक करके बताते ह!
मूख, इस पर पैर मत रखो!
तुम इससे बेहतर कर सकते हो!
वहाँ ऐसे य बैठे हो? मने सोचा क तुम रे त का घर बनाना चाहते हो।
यह एक ग़लत धारणा है क ब े के ित वीकृ ित दशाने वाली भाषा उसके ारा अपने नकारा मक बताव क
वीकृ ित के बतौर देखी जाएगी। यह ग़लतफ़हमी भी नह होनी चािहए क डाँट-फटकार से कोई सकारा मक
प रणाम िमलगे। िच क सक य परामश का एक मुख िस ांत हम िसखाता है क जब कोई ि महसूस करता
है क उसे वैसे ही वीकारा जा रहा है, जैसा वह है, तो उसे अपने ि गत िवकास क दशा म आगे बढ़ने क
ेरणा िमलती है। वह अपनी मता के अनु प अपने आप म बदलाव लाने के िलए े रत होता है।
ेम संवाद ब े के ित वीकार भाव दशाता है। इसम ड़ता और सीमांकन ज़ र होगा, पर साथ ही ब े
के िलए यह अचूक संदश े भी ह गे :
तु ह यार कया जा रहा है।
तुम िबलकु ल दु त हो।
तु ह वीकृ ित िमल रही है।
तु ह मादान िमलेगा।
तुम फर कोिशश कर सकते हो।
े संवाद का अथ ब े को ''िवजेता'', ''दो त'' या ''शहजादी'' कहनाभर नह है, बि क वह आपके संवाद के पूरे
म
तं और गुणव ा का िह सा मा है।
िवशेषकर ब के िलए मूक संवाद श द क अपे ा ेम क बेहतर भाषा होती है। संभवत: अपनी सीिमत
श दावली के चलते ब े बोलने के तरीक़े , मुखमु ा, हमारे बताव से द शत रवैये के ित अिधक संवेदनशील होते
ह।
पश ेम क भाषा है। ब और नवजात िशशु पर ए अनेक शोध के अनुसार पश से मह वपूण कोई
अ य चीज़ उनके शारा रक तथा मानिसक िवकास म सहायक नह होती। शारी रक पश से वंिचत िशशु उन
ब क तुलना म िश ण संबंधी तथा भावना मक तालमेल म परे शानी झेलते ह, िज ह पया पश िमला हो।
इसके चुर माण ह। पश का संदश े है, देखभाल। यहाँ तक क हौले से पीठ थपथपाना भी अहम् होता है।
चूमना, गले लगाना, बाँह पर थपक देना, हाथ पकड़ना, ज़ रत के समय मदद करना - ये सभी ब े ारा समझी
जाने वाली सव े या मक भाषा के अंग ह।
पचपन मुख अमे रक ि य क माँ पर कए गए शोध के मुतािबक ब के ित ेम और सहयोग
का भाव उनक परव रश का मह वपूण िह सा था। यधिप सहयोग और ब त ज़यादा बचाव के बीच, ब े के ित
िच दशाने और उनके जीवन पर हावी होने के बीच मामूली अंतर है। इन माँ को यह अंतर प प से पता
था। ब पर ेम लुटाते ए उ ह ने उनसे यथासंभव अपने काम खुद करने क अपे ा भी रखी।
ेम संवाद आसान नह है, िवशेषकर य द अिभभावक को उनके ब के बताव से का जा रहा हो।
अिभभावक कई बार सोचते ह ''माइक को ऐसे बताव करते देख सैली औटी मेरे बारे म या सोचगी? '' या यह
ठीक है? या हम अपने और ब े के बीच कसी अ य ि को लाना चािहए? दुभा यवश ब े इन सामािजक
ज टलता को नह समझ पाते। वे िसफ़ इतना पूछते ह : '' या मुझे यार िमल रहा है?
मह वपूण मू य का संचार कर
अिभभावक पूछते ह - ''म ब को कस कार अपने मू य िसखा सकता ?ँ म टीवी, फ म, संगीत, पि का
आ द से ब े को दए जा रहे मू य के साथ कै से मुक़ाबला कर सकता ?ँ ''
हम मूलभूत त य क तरफ लौटना होगा। आप अपने िलए सबसे ज़यादा मह वपूण मू य का िनधारण यह
जानकर कर सकते ह क कौन से मू य सबसे थायी ह? इन मू य क सूची बनाकर पता लगाएँ क कौन से मू य
आपके ब े क वतमान शारी रक, मानिसक, सामािजक या आ याि मक आव यकता से मेल खाते ह । फर अपने
मू य को बेिहचक कर। बाहरी भाव से पधा आसान नह होगी, कं तु य द आप अपने ब े से मु , प
संवाद कायम करते ह, य द ब ा आपके ारा द शत मू य को आचरण म अपनाए जाता देख उन परयक न
करता है, य द उसे लगता है क आप वाकई उसका याल रकते ह, तो आपके पास इस जंग को जीतने क
संभावना है।
अपने मू य म ाकृ ितक और उपयु तरीक़े से अवसर क तलाश कर, पर साथ ही इन अवसर का पूरा
लाभ भी ल। कशोर ब ने मुझे बताया क उ ह पता नह चलता क उनके माता-िपता क िववाह पूव से स
और ज इ या द पर या राय है। उ ह मालुम नह होता क उनके तथा अिभभावक के जीवन म या
मह वपूण है। उनके माता-िपता इस बारे म उनसे कभी चचा भी नह करते।
मह वपूण मू य को लेकर यह ान का ख़ालीपन ख़तरनाक है।यह बाहरी ोत से मू य क घुसपैठ के
ार खोल देता है। करीब 2400 वष पूव लेटो ने दृढ़तापूवक पूछा - '' या हम ब को लापरवाहीपूवक अधकचरे
लोग से अधकचरी बात सुनने के िलए छोड़ देना चािहए, िजससे उनका मि त क ऐसे िवचार हण करने पर
मजबूर हो, िजनके भाव म हम उ ह बड़ा होने पर नह देखना चाहगे?''
अमे रक तथा सोिवयत ब के म य तुलना मक अ ययन म यूरी ोनफे न े र ने अमे रक ब म टीवी
दशन के त य तुत कए –
एक औसत ब ा 16 वष क आयु म प च ँ ने तक 12,000 से 15,000 घंट तक टीवी देख चुका होता है।
दूसरे श द म वह चौबीस घंटे 15-20 माह तक टेलीिवजन के पद के सामने जमा रहता है...। हमारे ब
के दैिनक जीवन पर पड रहे इस बल आ मण के भाव के बारे म कोई सवाल कए बगैर इसे
नजरअंदाज करना भारी भूल होगी।9
हम अपने ब का नैितक िवकास उन ोत के हाथ नह छोड़ना चािहए, जो हमारे मू यतं को व त करते हो।
हम िहचक या समयाभाव क वजह से ब के साथ अपने नैितक िव ास बाँटने म कोताही नह बरतनी चािहए।
जब मेरा बेटा दस वष क आयु तक प च
ँ ा, तो मने उससे यह कहा :
जूड, तुम कु छ ही समय प ात् कशोराव था के अनजाने जगत म क़दम रखोगे। यह अस य और ांितपूण
काल भी हो सकता है और उ ित का रोमांचक दौर भी। मूल सू है - तैयारी। इसक शु आत म तुम
वीकएंड पर घूमने के िलए िसफ मेरे साथ जाना पसंद करोगे? हम इसे तु हारा '' कशोराव था पूव दौरा''
कहगे। जब जेिसका तु हारी उ म प च ँ ेगी, वह अपनी माँ के साथ ऐसे ही कशोराव था पूव दौरे पर जा
सके गी। हम और तुम तय कर सकते ह क हम कहाँ जाना है। जब हम मण पर जाएँगे, तुम मुझसे कोई
भी सवाल कर सकोगे और म उनके जवाब देने का यास क ँ गा। म इस लंबी जीवनया ा म अ जत
अनुभव तु हारे साथ बोलूंगा, जो तु हारी कशोराव था को रोमांचक बनाने म मददगार ह गे।
हमने िवचार-िवमश के िलए डी. जे स डॉ सन ारा िवकिसत कै सेटकाय म '' ि पेअ रग फॉर एडोलसे ' का
योग कया। इस बात पर चचा क गई क हीनताबोध क गत से बचते ए कस कार कशोराव था म आने
वाले शारी रक प रवतन व मानिसक दबाव के िलए तैयार रहा जाए। इस या म मने अपने सामथ के
अनुसार उन नैितक मू य क चचा क , जो मेरी नजर म जीवन को समृ बनाने और थायी उ लास के िलए
ज़ री ह।
यह जानकर च कत न हो क अ य अिभभावक या ब े आपके ारा िनधा रत मू य के मानदंड नह
अपनाते। मतभेद को र ा मकता के िबना वीकार। समय-समय पर अपने मू य क िववेचना कर उनम
आव कतानुसार बदलाव लाएं, कं तु ऐसा िसफ इसिलए न कर य क कोई शि शाली ि या समूह िभ
मू यतं को अपनाता है। यह जान क आपके मू य ब के संपक म आने वाले मू य से कतने िभ या समान ह।
अपने मू य के ित िव ास जगाएँ और िवचार कर क उनम आपका यक न य है? इसके प ात उन कारण
को साहस व उ साह के साथ बाँट।
ब े बेचैनी से जानना चाहते ह क उनक नैितक सीमाएँ या ह और वे िस ांत कौन से ह, जो आपको
जीवन म उ लास और संतुि का भाव द। ऐसी जानकारी उ ह साहस तथा सुर ाभाव के साथ अपनी पहचान
गढ़ने म मदद करे गी। वे खुद के बारे म िवल णतापूवक जानगे क वे कौन ह, य क आपने उ ह भलीभांित
बताया है क आप कौन ह।
हमारे मू य जब बौि क व भावना मक तर पर अपना िलए जाएँ, तो वह मन के भीतर भी जड़ जमा लेते
ह। य द ब , िवशेषकर कशोर म अपने मू य जमाना ह, तो उ ह अपने पर फै लाने ग़लितयाँ करने, मा पाने,
फर शु आत करने क वतं ता िमलनी चािहए। ब े के बड़े होने के साथ उसे अपने काय का उ रदािय व
संभालने का मौका दया जाना चािहए। यधिप मू य का ह तांतरण कभी सरल और आसान नह होता। कं तु
जब छोटे क़दम भी उठाए जाएँ, तो अिभभावक को इसम अपनी महानतम उपलि ध - अथात् ब को प रप ,
याशील मू य े रत वय क क श ल म ढलते देख खुश होना चािहए।
महोदया जेसी जै सन अ ेत कशोर से कहती ह ''तुम रात को बीज बोकर सुबह फल क ाि नह कर
सकते!”10 ब से ब ढ़या बातचीत भी रातोरात थािपत नह क जा सकती। पहले आप अपने यार क पोषक
जमीन म संवाद जाग कता के उपजाऊ बीज बोएँ। फर अपनी संवाद मता क सूप तले उ ह तरोताजा रवैये के
पानी से स च। इसके बाद ती ा क ज़ रत होगी - गलत आदत के खरपतवार के िवनाश और उ ित के िलए
समय क ती ा। कु छ समय प ात आप और आपका ब ा दोन फल का लु क उठाएँग।े
उन ि य से िनकटता
बढ़ाएँ, िजनक
आपको परवाह है
''हम एक-दूसरे से अपना अतीत छु पाना चाहते ह... य क हमारे पास खुद को स पने का साहस नह है।''1
डैग हैम कजो ड
अ पताल के अहाते म एक युवक िससक रहा था। उसके िपता क मृ यु के बाद माँ ने बताया क िपता उसे कतना
यार करते थे। यधिप उसे इस ेह क आिशक जानकारी ही थी, परं तु यह एहसास उसे आहत कर रहा था क
अपने िपता के जीिवत रहते ए, वह उ ह इतनी अ छी तरह नह जान पाया। उनके जीवनकाल म मनमुटाव और
दू रयाँ काफ यादा थी।
अंतरं गता का मतलब है, ''भीतर ि थत।'' यह एक ऐसे र ते को प रभािषत करती है, जो अ य ि को
अपना संकोच छोड आपके उस भीतरी जगत म वेश करने का अवसर देती है, जहाँ हम अपने वा तिवक व प
म होते ह। य िप हमम से यादातर लोग तापूवक अंतरं गता चाहते ह, मगर साथ ही डरते भी ह।
अंतरं ग वातालाप के साथ यह खुतरा जुड़ा है क अपने गाहन भाव उजागर करने के बाद शायद अ य
ि हम न अपनाएँ। मगर इसका घातक िवक प एकाक पन है - दूसरे के यार आदर भाव क मौजूदगी के
बावजूद उसे जान न पाना।
अंतरं गता क कुं जी है बातचीत। भावना क अिभ ि व आदान- दान के ज रये ही आपसी समझबूझ
और मनोवै ािनक िनकटता पाई जा सकती है। िनि त प से, बौटे गए मनोभाव िविश कार के होते ह।
अंतरं ग वातालाप तब होता है, जब आप अपना आवरण याग कर पर पर समझबूझ के ताजगी भरे एहसास के
िलए े रत होते ह। उस एहसास म आप सकारा मक िवकास के िलए अिधक वतं , अिघक ेमपूण और जीवंत
होते ह।
अंतरं गता हमेशा यौन क त नह होती। व तुत: यौन संबंध अंतरं ग कतई नह बि क िवशु शारी रक
सतह पर होते ह। अंतरं गता माता-िपता और ब ,े पित-प ी, भाई-बहन के बीच हो सकती है। इसका अनुभव
िम , र तेदार, वसाय सहयोिगय के साथ कया जा सकता है। अंतरं गता िवकिसत होने पर हम संब ता,
वीकृ ित तथा आ मीयबोध का अनुभव करते ह, जो अ यिधक संतुि दायक है।
झगड़े िमटाएँ
अनुभव ने मुझे यह िसखाया है क समूह (प रवार) म झगड़े उनके व थ होने के आकलन का पैमाना नह ह।
वा तिवक पैमाना यह है क इन झगड़ को कतनी ज दी और कस तरह दूर कया जाता है।1
थॉमस गॉडन, लीडरिशप इफे ि टवनेस ेिनग
दो मनोवै ािनक एक साथ एक िल ट म चढ़े। उनके कायालय मश: तीसरी और दसव मंिज़ल पर थे। जब
तीसरी मंिजल आई, तो पहला मनोवै ािनक दूसरे क ओर मुड़ा, उसके मुँह पर थूका और िल ट से उतर गया।
दूसरे मनोवै ािनक ने अपना आपा खोए बग़ैर माल िनकाल कर मुँह प छ िलया। हैरान िल ट चालक ने पूछा;
''उसने आपके मुँह पर य थूका?'' पहले मनोवै ािनक ने एक ण ककर सोचा और कहा ''मुझे नह मालुम। वैसे
भी यह उसक सम या है, मेरी नह ।''
पार प रक तनाव को सुलझाने का यह एक तरीक़ा है, पर इससे बेहतर तरीक़े भी हो सकते ह! यह अ याय आपके
और अ य ि य के बीच झगड़ को दूर करने पर क त है। इसके पहले क एक-दूसरे के मुँह पर थूकने क
नौबत आ जाए, इसे पढ़ डाल।
लोग के बीच कु छ झगड़े आमं ण यो य ही नह , वा यकर भी ह। झगड़े न होना एक तरह से समानता का
तीक हो सकता है, जो मानवीय असफलता का बदतर प है। मतभेद क ईमानदार अिभ ि कसी र ते को
असुर ाबोध से नई समझबूझ क ओर ले जा सकती है। यह सच है क व थ मतभेद का नतीजा हमेशा सहमित
म नह िनकलता, मगर अंतत: इनसे श ुता के िनराकरण के िलए कामचलाऊ समाधान िमल जाते ह।
इसके िवपरीत अ व थ तनाव का ल ण है िनरं तर कलह- तू-तू म-म लगातार वाद-िववाद, छोटी-मोटी बात पर
झडप, खा जाने वाली ख़ामोशी। कलह लोग को दूर करती है। यह हमारे िववेक और सोच समझ क चाह को न
कर देती है। पार प रक संबंध को अथपूण बनाने के िलए हम झगड़े सुलझाने के तरीके ढू ँढने चािहए।
बोलचाल फर से कै से शु क जाए
एक बार झगड़ा हो जाने पर बातचीत करना मुि कल हो जाता है। व तुत: झगड़े का कारण वातालाप भी हो
सकता है, य द वह श ुवत् और अिड़यल भाव पर क त हो। परं तु वही संवाद अगर िन चार िविश उ े य
और उनसे संबंिधत संदश
े ारा िनदीशत रहे तो वह सव े उपचार सािबत हो सकता है :
ये चार उपाय िववाद उ मूलन (कांि ल ट रसो यूशन) सी.आर. के िलए सरल कं तु सश मॉडल ह। संवाद
साथी से बोलचाल का र ता क़ायम करने के िलए सी.आर. मॉडल उपयोगी हो सकता है।
सी.आर. मॉडल का उपयोग करने के िलए सबसे पहले सम या को प रभािषत कर। या आप और आपके
साथी को पता है क सम या या है? या आप दोन इसी िवषय पर बात कर रहे ह? िवमशवे ा एस.आई.
हयाकावा ने म क उलझन से बढ़ने वाली ग़लतफ़हमी के भाव का वणन इस कार कया है :
हम सभी ने सामािजक समारोह या बैठक म अनुभव कया होगा क ीमान ' अ' ने कु छ कहा, ीमान '
ब' ने उसे कु छ अलग समझा और ीमान ' अ' के ग़लत समझे गए कथन को लेकर बहस शु कर दी। फर
ीमान ' अ' अपने बारे म ीमान 'ब', ारा क गई ट पणी (जो ीमान ' अ' ारा नह कहे गए
व के संबंध म उिचत हो सकती थी), को आधार मानकर अ य व के ज रये अपने कथन को वैध
कहने म जुट गए। इन अित र व को ीमान 'ब' ने फर ग़लत समझा, िजससे अ य ांितपूण
कथन क शु आत ई, िज ह ने ीमान ' अ' को ीमान 'ब' के बारे म ग़लत राय बनाने पर मजबूर
कया। कु छ ही िमनट म वातालाप मूल िवषय से कोस दूर भटक गया।2
ग़लतफ़हमी से उपजी मा यता को ''मने आप को कहते सुना क..." जैसे कथन से टाल। वातालाप को तब तक आगे
न बढ़ाएं, जब तक क अपने साथी क संतुि तक आपका नज रया साफ़ न हो जाए।
दूसरी बात यह क सहमित क तलाश कर। आपके साथी के दृि कोण म कोई ऐसी बात ज़ र होगी,
िजससे आप सहमत हो सक - िजसम कु छ स ाई हो। यह कह क ''म इससे सहमत 'ँ ' और फर उन िवषय पर
यान क त कर, िजस पर आप दोन ईमानदारी से राज़ी ह । जैसे :
इस चरण म आपको स यता से सुनने क ज़ रत होगी - यही इसक शि है। इसके अलावा यह सकारा मक
भी है। आप सहमित के े क तलाश करते ह। आप जब ऐसे े पा लेते ह, िजसम आप दोन अपने नज रये
बाँट सकते ह, तो आपका संवाद आतं कत करने वाला नह होता। नतीजतन आपका साथी भी आ ामक तेवर
ढीले कर पर पर तनाव को िशिथल करने म मददगार होता है। ''म सहमत 'ँ ' का संदश
े असहमितजनक िवषय
को सीिमत रखता है। यह वातालाप क कड़वाहट घटाकर िववाद के िनदान क ओर ले जाता है।
तीसरा बंद ु है भावना को समझना। आपके साथी क भावना से मह वपूण कसी बहस म कु छ नह
होता। यह कहते ए क ''म समझता ,ँ आप या महसूस कर रहे ह, '' अपने कथन म वह श द जोड, जो आपके
अनुसार संवाद साथी क भावना है। ऐसा श द चुन, जो िवचार या वहार के बजाय भावना को करता
हो। उदाहरण के िलए आप िन िलिखत श द म से एक इ तेमाल कर सकते ह :
इस अ याय के आगे के भाग म हम चार तरीय िववाद उ मूलन (सी .आर.) मॉडल को जीवनसाथी, अिभभावक-
ब े और ावसाियक संबंध पर लागू करगे। येक उदाहरण म िववा दत संवाद से उन संवाद क तुलना कर,
जो सीआर. मॉडल पर आधा रत होकर िववाद उ मूलन क ओर उ मुख हो :
प ी : (चरण -2) मै मानती ँ क बचत हमारे िलए मुि कल है। आिखर हर चीज इतनी महंगी है। हम
वाकई अथदंड के अित र भार से बचना चािहए।
पित : सूजन! तुम हमेशा सूज़न का िज करती रहती हो। तु ह लगता है उसके पास सब कु छ ठीक है?
उसके पास खुद का घर भी नह है। तु ह पता है क तु हारी द त या है? तुम कसी और पटरी
पर चल रही हो।
प ी : (मूक आ ोश क मु ा)
िववाद सुलझाने वाला संवाद
पित : (चरण-1) मैन सुना, तु ह लगताहै क हम नीरस ढर पर चल रहे ह।
अिभभावक : काल, या आ?
बधक : (चरण-2) मै सहमत ँ क तु ह मेरे ारा अपने ऊपर नजर रखना ठीक नह लगेगा। (चरण-3) म
समझ सकता ँ क असहज महसूस करते होगे।
कमचारी : म असहज महसूस करता ।ँ मुझे लगता है आप सोचते ह क म पया काम नह कर रहा।
बंधक : या सचमुच ऐसा ही है?
कमचारी : जी नह ।
बंधक : य नह ?
कमचारी : मुझे िपछले महीने से भारी िसरदद ने जकड़ रखा है।
बधंक : टॉम, म माफ़ चाहता ।ँ तुमने कसी डॉ टर को दखाया?
कमचारी : मुझे अपने डॉ टर से िमलना होगा, पर म इसे टाल रहा था।
बंधक : (चरण-4) टॉम मुझे लगता है क तुमे िजतनी ज दी हो, अपने डॉ टर से िमलना चािहए। हम
तु हारी परवाह है और हम तु हे इस ित ान म कायरत देखना चाहते ह,प र हम तुमसे अपने
समय िनयोजन और रवैये के साथकाम क गुणव ा म कु छ सुधार क भी दरकार है। या तुम
अपने डॉ टर से परामश के बाद इस दशा म कु छ यास करोगे?
कमचारी : जी, िबलकु ल।
ट पणी : िववाद पैदा करने वाले संवाद म बंधक ज़ रत से यादा स ती दशा रहा है। वह कमचारी क
वा तिवक सम या जाने बग़ैर उसे ित या के िलए उकसा रहा है। िववाद सुलझाने वाले संवाद म चरण 1,2
और 3 से बंधक कमचारी को सहजता क ओर ले जाता है। कमचारी के मु रवैये से बंधक को जानने म मदद
िमलती है क सम या क जड़ आल य नह , कु छ और है। वह सम या को प रभािषत कर ख़राब कायशैली का
मूल कारण जानता है। वह कमचारी के वा य म ि गत िच लेकर भावशाली तरीके से उसे अपने वहार
म सुधार लाने के िनदश भी दे देता है।
िववाद उ पूलक मॉडल को िभ सम या पर लागू करते व त हमने देखा क कस कार िववाद पैदा करने
वाले और िववाद सुलझाने वालेसंवाद म कु छ बात दोहराई जाती ह। िन िनदशावली से प हो जाएगा क हम
कन बात से बचना चािहए और कनका अ यास करना चािहए:
िववाद उ मुलक िनदशावली
िपछले कु छ वष म हमने पाया क ि य के समूह के साथ घर म भी िववाद तेजी से बढ़ रहे ह। िववाद ेरक
ि य म समान प से संक ण मानिसकता व वाथ पन क वृि देखी गई। अपनी अिड़यल माँग से ऐसे
ि अपने पार प रक संबंध ही नह खराब करते बि क आगे चलकर सामािजक मू य को भी भारी ित
प चँ ाते ह। यह अ याय तालमेल बैठाने के मूलभूत भाव और पर पर आदर क बात करता है। जो िसफ िववाद के
समाधान ही नह , बि क पर पर सभी के िहत के संर ण के िलए भी ज़ री है।
िजस व त म यह अ याय िलख रहा ,ँ मेरा 11 साल का बेटा जूडसन अपनी पहली परे ड के िलए एक पिहए
वाली साइकल चलाने का अ यास कर रहा है। म उसक उपलि ध पर गौरवाि वत ।ँ बाइक कोई भी चला
सकता है, पर एक पिहए वाली साइकल चलाने के िलए बल इ छाशि , कौशल और अ यास क ज़ रत होती
है। शु आत म बार-बार नाकामी और धुटने िछलवाने के बाद आिख़रकार जूड ने परे ड के िलए ज़ री कौशल जुटा
िलया है।
जब आप अपने मनचाहे कौशल का िवकास कर लेते ह, तो ऐसी ही ''परे ड'' म शािमल होने का एहसास
होता है। लोग आपक ओर यादा यान देते ह। इ छाशि और अ यास से आप सीख पाएँगे क कस कार
असाधारण तौर पर अपने मनचाहे यास को ऐसे कौशल म बदला जा सकता है, िजसे लोग सराह।
लोग को मनाना उ ह अपने साथ सहयोग के िलए राज़ी करना है। चाहे आप यूिनसेफ़ के िलए धन जुटा
रहे ह , बीमा पॉिलसी बेच रहे ह या अपने त ण पु को नैितक िश ा का पाठ दे रहे ह , मनुहार लोग को
अपनी इ छानु प काय करने पर राज़ी कर ही लेती है। व तुत: हर कोई वही नह चाहेगा, जो आप चाहते ह या
आपके पास है। कं तु जब भी सहमित संभव होगी, अनुरोध से आप सवस मित बना सकगे। आदश प से यह
आपके ोता को ऐसे िनणय पर राज़ी करती है, जो आप दोन के िलए िहतकर हो।
मान-मनुहार का अथ जोड़-तोड़ नह है। ितकड़म का ल य सहयोग नह , िनयं ण होता है। इसक
प रणित जीत और हार म होती है। यह दूसरे का िहत नह चाहती। कु छ े म दूसर को ितकड़मबाज़ी से नीचा
दखाना नर समझा जाता है। परं तु जोड़-तोड़ के िहमायती यह नह समझते क इससे लोग आहत होकर दूर
चले जाते ह। ितकड़म के िशकार लोग को आ ोश, अिव ास और घबराहट का अनुभव होता है। वे भिव य म
अपनी इ छा के िव काय करने पर राज़ी नह ह गे और ख़द को इ तेमाल कया जाते देखना नह चाहगे।
ितकड़मबाज़ के िवपरीत मनुहारकता दूसरे प के आ म-गौरव को ो सािहत करता है। प रणाम व प
लोग बेहतर ित या दशाते ह य क उ ह िज़ मेदार, विनदिशत ि क तरह अपने साथ बताव क
अनुभूित होती है। अंतत: ितकड़म क अपे ा मनुहार के अिधक भावी होने का यही कारण है। िवमशकता
एस.आई. हयाकावा िलखते ह :
य द यह सच है क येक ि अपनी आ म अवधारणा को संरि त व ो सािहत करने क
कोिशश कर रहा है, तो आपका संदश
े िसफ इस वजह से आगे नह प चँ ता क आप मुखर होकर
तकपूवक उसे तुत कर रहे ह, बि क इसिलए क उसका अिभ ाय ोता को अपने िहत अथवा
आ म अवधारणा के अनुकूल लगता है। य द आपके संदश
े म िछपा अथ ोता को उसक आ म
अवधारणा को ो सािहत करने वाला महसूस होगा, तो वह वागतयो य तथा हण करने लायक
होगा।1
आ म अवधारणा को पु करने वाले मनुहारपूण संदशे के िलए कु शलप यास क ज़ रत होती है, य क
मनुहार का आधार प रवतन है और प रवतन आसान नह होता। अिधकतर ि प रवतन के िलए तब तक
राज़ी नह होते, जब तक उ ह इसके लाभ द प रणाम न दखाई द। प रवतन क या मुि कल है। इसके िलए
योजना बनाने क आव यकता होती है।
येल िव िव ालय के मनोवै ािनक िविलयम मैक यूरे क राय म सहयोग ाि क या को जब हम
पाँच चरण म िवभ करते ह, तो वह अिधक आसानी से हमारी इ छा का बंधन करती है। ये पाँच चरण इस
कार ह - यान, समझ, िव ास, सं हण और या। मैक यूरे के अनुसार '' ोता को अिधकतम मनुहार भाव म
लाने के िलए इन सभी चरण से गुज़रना ज़ री है। हर चरण अपने अगले चरण क पूणता पर िनभर है।“2
िच 11.1 म दशाया गया है क मनुहारपूण संदश
े का िसफ़ िच जगाना पया नह , बि क उसम
स यता जगाने के िलए े रत करने वाली प ता, िव सनीयता और मरणशीलता भी होनी चािहए। मनुहार
शि का अथ अपने संवाद म इन पाँच चरण म द ता हािसल कर लोग को काय िवशेष के िलए े रत करना
है। आप यह दावे से नह कह सकते क ोता क ित या या होगी, परं तु जब आप इन चरण का उपयोग
करते ह तो आ त हो सकते ह क आपने अपनी मनुहार शि का सव म योग कया।
यान जीत
मनुहार धान या क ओर पहला क़दम ोता का यानाकषण है। इस यानाकषण के बग़ैर बोलने का अथ है
गद को ल य बनाए िबना हवा म ब ला घुमाना। इसम कोई संपक नह होता। आप पहली बुिनयाद ही नह रख
पाते। अपनी मंिज़ल तक प च
ँ ने के िलए आपका ोता क िच और बताव से संपक ज़ री है।
िच 11.1 डेिवड ज़ी मायस क पु तक सोशल साइकोलॉजी ( यूयॉक: मै ॉ िहल 1983, पृ ा 275) म येल
िव िव ालय के समािजक मनोिव ानी िविलयम मक युरे ारा सुझाए गए िनदश का डेिवड मायस ारा
पांतर।
िव ास पैदा कर
सफल मनुहार के िलए तीसरा चरण आपके संदश े म िव सनीयता जगाना है। िव ास आपके कथन क
मनोवै ािनक वीकृ ित है, िजसके बगै़र आप मनचाहा सकारा मक नतीजा नह पा सकगे।
इस ''ही'' के िलए लोग को कै से राज़ी कर? इसका उ र कई कारक पर िनभर करता है, िजसम आपके
वतमान और पूव के काय, आपका ि व, सामािजक तर, प ता, खरापन और मौन संकेत (उपि थित,
आवाज धारा वाह मता, बोलने क र तार, शारी रक हाव-भाव इ या द) शािमल ह। बहरहाल, िव ास
बनाने के िलए दो कारक मुख ह : अपने संदश े के ित उ साह और अपने नज़ रये के समथन म माण का
दशन।
िस ांत-3 : िव ास का िनमाण जोश व माण से होता है|
जोश आपके ोता को बताता है क अपने कथन पर आपका पूरा िव ास है। आपको वाचाल, चालाक, सनसनी
ि य या यात होने क आव यकता नह है; बि क आपको अपने कथन पर िव ास रखना और दशाना चािहए।
जब आप अपने संदश े के ित उ साह दशाते ह, तो आपक एक क र माई शि यत उभरती है, िजससे
ोतामंडली बच नह सकती। जोश ही िव ास को पु करता है।
जोश क रह यमय शि इसम है क यह लोग को चम कृ त कर डालता है। लोग सोचने पर मजबूर हो
जाते ह क आप अपने िवचार को लेकर इतने रोमांिचत य ह? इस रह य के ख़लासे के िलए वे संकेत ढू ँढने
लगगे। वे कसी िवशेष अिभ ाय के िलए आपक बात सुनगे, जो शायद उनसे छू ट गई हो। जब यह होता है, तो
आप अनुरोधपूण ि थित िन मत कर देते ह, य क दाशिनक लेज़ पा कल ने कहा था - ''लोग अपने ारा ढू ँढ़े
तक से यादा आ त होते ह, न क कसी अ य ि के ज़ रये खोजे गए त य से।''7 आपका जोश ोता को
आपका दृि कोण जानने क राह पर दमाग़ दौड़ाने के िलए मजबूर कर देता है।
िव ास क सृि करने म माण दूसरी कड़ी है। माण ऐसी सूचना है, जो स यािपत क जा सकती है ।
उदाहरण व प :
''य द हम अगले पाँच वष म दस ितशत वृि दर का ल य रख, तो आप देखगे क हमारे उ पाद
क माँग वतमान िनमाण मता से यादा हो जाएगी।''
''आप कहते ह क आपको पचास पृ एक बार म न थी करना है। देिखए, ये मशीन कस कार यह
काम करती है।''
''म इस िनवेश को लेकर आपक िहचक समझ सकता ।ँ जॉन कॅ पेनरो, िज ह ने मुझे आपके पास
भेजा, उ ह ने भी ऐसी शंका जताई थी । बहरहाल, इस काय म के तीन ह ते बाद ही उ ह ने मुझे
यह प िलखा, िजसे आप भी पढ़ सकते ह।''
िव सनीय होने के िलए आपका माण ासंिगक, भरोसेमंद और सुलभ होना चािहए। यह जानने के िलए क
आपका माण आपके ोता को आ त करे गा अथवा नह , ोता के नज़ रये को दमाग़ म रखते ए ख़द से िन
सवाल पूछ :
1. या यह जानकारी ोता को सम या के बारे म मेरा बताया समाधान समझने म मददगार है?
( ासंिगकता)
2. या ोता इस जानकारी को िव सनीय मानेगा? या वह इन त य को जुटाने वाले ि या मूल
ोत पर यक न करे गा? (िव सनीयता)
3. य द ोता चाहे तो या वह मेरे त य क स यता परख सकता है? (उपल धता)
िव सनीय माण आपके ोता ारा पूछे जा सकने वाले व आपि य के उ र देता है और आप पर भरोसा
करने के िलए उसे तैयार करता है। आपका उदे य ख़द को सही सािबत करना नह , बि क ोता को यह यक़ न
दलाना है क आपके सुझाव पर अमल कर वह सही क़दम उठा रहा है।
सं हण याददा त बढ़ाएँ
मनुहार के िलए चौथा चरण आपके संदश े को यादगार बनाना है। य द ोता आपका कथन याद नह रख पाता,
तो आपके मनुहार संबंधी पहले के सारे चरण थ हो जाएँग।े स य प रणाम के िलए ज़ री है क ोता उस
दशा का मरण करने म समथ हो, िजधर चलने के िलए आपने उसे मनाया है।
अ ययन से ात होता है क जानकारी तब भली भाँित याद रखी जाती है, जब उसे उिचत अंतर से बार-
बार दोहराया जाए। ावहा रक मनोिव ानी िलन हैशर ने पाया क दोहराई गई जानकारी एक बार
जानकारी से यादा भरोसेमंद होती है। अ य योग से पता चला है क कसी संवेग क बारं बार तुित लोग
क इसके ित िच को बढ़ा देती है। जो यादा िव सनीय और पसंदीदा होगा, उसे यादा समय तक याद रखा
जा सके गा।
िस ांत-4 थोड़े-थोड़े अतंर से कया गया दोहराव याददा त को बढ़ाता है।
थोड़े-थोड़े अंतराल सिहत दोहराव क शि का लाभ उठाएँ। वयं से पूछ: ''म अपनी तुित म लोग को या
चीज़ सबसे यादा याद रखवाना चाहता ?ँ म कस कार अपने िवचार को पुन: अिभ क ँ , िजससे वे
यादगार बन जाएँ?'' कई बार आप अपना मूल िवचार कसी एक वा य या अपने संदश े म बार-बार यु श द
म समेट सकते ह। मा टन लुथर कं ग, जूिनयर ने अपने भाषण ''आय हैव अ ीम'' म इस िस ांत के चम का रक
प रणाम ा कए।
कु छ मामल म आप ोता को अपने ारा तुत त य पर यान क त करने के बजाय उन त य को
उसके ारा ित या ारा मरण करवाना चाहते ह। इसके िलए अपने भाषण म वही दोहराएँ या
फर ा यान के अंत म इसके सामने आने क भूिमका बनाएँ। 1980 म रोनॉ ड रे गन व िजमी काटर के बीच ई
रा पित चुनाव संबंधी बहस म रोनॉ ड ने अपने ारा तुत त य के बजाय इस ता कक के दोहराव से
अपने ोता के दमाग़ म अिव मरणीय भाव उ प कया: '' या आप चार वष पूव क अपे ा आज यादा
सुखी ह?'' इस ने उ ह बहस के साथ चुनाव िजताने म भी मदद क । िलहाज़ा ज़ री नह क आपका ल य
त य का दोहराव हो, बि क ोता को आपके ा यान क सकारा मक ित या का मरण कराना होना
चािहए।
य द प रि थित अनुकूल हो, तो ोता से पूछ क आपके ा यान का येक बंद ु उसके िलए या मायने
रखता है? यह आपके िवचार को उसके दमाग़ म उतारने के िलए े रत करे गा। अिभभावक अपने ब े से
सहजतापूवक यह कर अनाव यक िववाद टाल सकते ह: “ संडी, मने तुमसे या करने को कहा था?'' एक
बंधक कह सकता है: ''इस रपोट को पूरा करने के बाद म आपसे इसके िविश बंद ु के बारे म पूछूँगा, ता क
उन पर िवचार-िवमश कर हम उ ह अमल म ला सक।'' य द आपका ोता आपके िवचार अथवा उन िवचार पर
अपनी ित या दोहरा सकता है, तो वह उ ह याद भी रख सके गा।
या क माँग कर
मनुहार का पाँचवाँ और अंितम चरण लोग से या मक क़दम क माँग करना है। आप रोचक, प , िव सनीय,
अिव मरणीय िवचार तुत कर सकते ह, कं तु य द ोता उन पर अमल नह करता, तो आप अनुरोध म
असफल रहगे। या ही मनुहार का अंितम प रणाम है।
कसी से अनुरोध करते समय आपका ल य या है? ोता से आप कन क़दम क अपे ा रखते ह? शायद
आप ोता से चाहते ह क:
िस ातं-5 या क माँग कर
जब हमारा मनुहार का यास नाकाम होता है, तो इसका कारण हमारे ारा दूसरे ि को इस पर अमल क
माँग करने म िहच कचाहट दशाना है। हम मान लेते ह क ोता ''संदश
े को हण'' कर हमारे िवचार पर वयं
अमल हेतु े रत होगा, पर सामा यत या ऐसा नह होता। हमारे ोता पर एक साथ िनरं तर कई िवचार क
बौछार होती रहती है। एक अ ययन के अनुसार सामा य ि का मि त क ित दन दस हजार िवचार से
जूझता है। इनम से कु छ ही िवचार या मक प ले पाते ह। या के िलए हम इसक माँग करनी चािहए।
या के िलए अपनी माँग प और क त रख। जैसे:
''य द आप इस ऑफ़र का लाभ उठाना चाहते ह, तो कृ पया पाँच बजे के पहले द तर म मुझे फ़ोन
कर।''
''म तु ह शु वार क शाम िडनर पर ले जाना चाहता ।ँ या म तु ह सात बजे फ़ोन क ँ ?''
''आपका अनुदान जे़िनफ़र क तरह ज़ रतमंद ब े क मदद कर सकता है। म चा ग ँ ा क आप
िवकलांग ब के कोष के िलए अपना चेक आज रात बाहर जाने से पूव ीमती जॉ सन को दे द।''
तुरंत या क माँग सामा यत: अ छी होती है। सफल से समेन अपनी बात करने के प ात ह ते-दो ह ते क
ती ा के बजाय तुरंत चेक या ह ता र क िवनती कर देते ह। िजतना यादा अंतराल होगा, आपके िवचार का
आकषण भी घटता जाएगा। िवचार जब ताज़ा हो, तभी चोट कर।
य द आप अपने िलए पया सहयोग न िमल पाने से हताश ह, तो मनुहार के इन पाँच िस ांत पर िवचार कर।
आप ज़ र कसी एक िस ांत क अवहेलना कर रहे ह। इन मूलभूत तकनीक के अनु प अपने संदश े क फर से
समी ा कर आप अपना दन बचा सकते ह। िसफ़ यह याद रख:
1. आप अपने संदश
े को ोता क िच और झान के अनु प ढाल कर उसका यान जीत सकते ह।
2. प भाषा और ठोस उदाहरण िवषय िववेचना क समझ को बेहतर बनाते ह।
3. िव ास क सृि जोश और भरोसेमंद माण से पैदा होती है।
4. बार-बार दोहराव याददा त को बढ़ाता है।
5. या पाने के िलए इसक माँग कर।
अपनी अनुरोध संबंधी मता से आरं िभक सफलता पाने के बाद इसे जारी रख। अपनी अपे ा का तर कु छ ऊँचा
उठाएँ, इन पाँच िस ांत के संदभ म अपनी तुित को संशोिधत कर फर कोिशश कर। जब आप ऐसा करगे, तो
आपके आ मिव ास म वृि होगी। आप अगली ''परे ड'' क ती ा करगे, जहाँ लोग का यान आप पर क त
हो।
अपनी पहली परे ड म यानाकषण जीतने के बाद मेरा बेटा अपने कौशल को छह फ़ ट ऊँची एक पिहए
वाली साइकल पर आज़माना चाहता है।
सफलता का लु फ़ उठाएँ
अपने होठ के ितफल से मनु य उ म चीज़ का लु फ़ उठाता है।1
कं ग सोलोमन
ि गत सफलता - आपके िलए इसके या मायने ह? आपको कस चीज़ से सवािधक ख़शी िमलती है? आपके
जवाब आपके प रवारजन या िम के बारे म अलग-अलग हो सकते ह। फर भी सफलता को आप चाहे जैसे
प रभािषत कर, आपके ारा अनुभव क गई अ छी चीजे़ं तब भरपूर होती ह, जब आप अपने उ तम तर पर
संवाद करते ह।
1. आप जीतने के िलए अपना ल य िनधा रत करते ह: शीष वाताकार के बतौर आप जीत के िलए
संकि पत ह। आप येक संवाद म शािमल होते ए ग़लतफ़हमी, ग़लत िनणय और बेचैनी जैसी तमाम दमाग़ी
बाधा को दूर करते ह। कभी-कभी आप असफल भी होते ह। पर जब आप असफल होते ह, तो इसका कारण
जानना चाहते ह। आप प सफलता के िलए अपने ल य का पुनपरी ण कर उस दशा म आगे बढ़ने का यास
करते ह। आपको पता है क संवाद का खेल खेलने का एकमा मतलब है, इसे जीतना; इसके िलए आप खेल क
योजना बनाते ह। आप उपयोगी रणनीित बनाते ह। ल य को संशोिधत करते ह। सबसे बढ़कर ख़शी क बात यह
है क संवाद के खेल म जब आप जीत हािसल करते ह, तो आप संवाद म जीतने म अपने साथी क भी मदद करते
ह।
3. आप नकारा मक संवाद आदत को दूर करते है : शीष वाताकार के बतौर आप अपने संवाद का तर
िनधा रत करते ह। आपके श द, झान, ल य, रणनीित और ि गत ितब ता; ये सभी आपके चयन पर
िनभर रहने वाले िवषय ह। नतीजतन आप अपने संवाद को नुक़सान प च
ँ ाने वाली ग़लत आदत को भावी
तरीक़े से दूर कर सकते ह।
4. आप गंभीरतापूवक सुनते ह : शीष वाताकार के बतौर आप गंभीरता से बात सुनने को समय देते ह।
आप व ा साथी के दल और दमाग़ क गहराई तक उतरते ह। आप पूछकर उ र को गंभीरतापूवक सुनते ह
- िसफ़ श द पर ही नह , उनके पीछे िछपी भावना पर भी यान देते ह। येक उ र पर टीका- ट पणी कर
साथी को पीछे हटने पर मजबूर करने के बजाय आप उसे उसक बात कहने म मदद करते ह। कभी-कभार आप
कु छ ट पिणय को मह वहीन समझकर नज़रअंदाज़ कर देते ह, परं तु अ य साधारण नज़र आने वाली ट पिणय
पर ित या करते ह, य क वे अवचेतन म दबी कसी भावना या िवचार को करती ह। शीष वाताकार के
प म आप े तम को बाहर लाकर शेष का प र याग कर देते ह। आपका इनाम वह ख़शी है, जो मानवीय
संबंध से िमलती है।
6. आप लोग का यान जीतते ह : शीष वाताकार के बतौर आप लोग म दलच पी लेते ह। आप अपने
संवाद साथी के रोचक ि व और च र को उजागर करने वाले पूछते ह। आप अपने साथी के ित े
धारणा रखकर उसे अपनी बात को बेहतर तरीके ़ से बोलने म मदद करते ह। नतीजतन आप जब बोलते ह, तो
ोता आपको सुनता है। शीष वाताकार के बतौर आप िविवध िवषय पर िव ास के साथ बोलते ह, य क
आपने अपनी वा तिवक भावना और िवचार को समझने के िलए व त दया है। आप अपने दृि कोण को लेकर
र ा मक या आ ामक नज़र नह आते, य क आप अपने कथन को लेकर आ त ह, भले ही वह कसी
असहमत ोता वग के सामने हो। इसके साथ ही आप अ य िवक प के ित खुला नज़ रया रखते ह और अगर
कोई नज़ रया आपके दृि कोण से बेहतर है, तो आप अपनी सोच बदलने के िलए भी तैयार रहते ह। संवाद म
आपको आनंद िमलता है। आप सुनकर ख़श होते ह।
7. आप म ना कहने का साहस है : शीष वाताकार के बतौर आपको पता होता है क कब हाँ कहना है और
कब नह । जब उिचत हो, आप ही कहते ह य क दली तौर पर आप एक सकारा मक ि ह। आपक
ित या िनधा रत करने वाला मूलभूत त य दूसर क सोच नह , बि क वह है, जो आप अपने मू य के संदभ म
सोचते ह। िलहाज़ा आपके पास हाँ या ना कहने का आत रक मानक है। जब आप ना कहते ह तो इसम दृढ़ता होती
है, पर कसी का िवरोध नह होता। यह जवाबी हमले को आमंि त नह करता, न दबाव के ार खोलता है। प
और कट होने के कारण आपके अिभ ाय पर दोबारा संशय क ज़ रत नह होती। आप ामािणक रहते ह।
सकारा मक आदत क लत
कु छ लोग ित दन तीन, पाँच या दस मील तक दौड़ने और पसीना बहाने का साहस कै से जुटा पाते ह?
मनोिव ानी िविलयम लासर के अनुसार जब एक धावक अपनी शारी रक मता के िविश तर पर प च ँ
जाता है, जब वह अपने यास के फल व प शारी रक, मानिसक, भावना मक जोश का अनुभव करता है - तो
यह एक कार क ''सकारा मक लत'' होती है। वह प र म जारी रखता है य क उसे अपने यास से िमलने
वाले फ़ायदे का आभास है।
सकारा मक लत ही आपको संवाद द ता के उ तम तर तक ले जाने के यास म सहयोगी बनेगी।
शु आती तौर पर कसी नए नवेले धावक क तरह आपको भी थकान और हताशा का अनुभव हो सकता है। कं तु
य द आप िविश ता (Specific), प रमाण आकलन (Measurable), िन या मक (Affirmative), वा तिवकता
(Realistic) व समय िनयोजन (Time-constricted) (SMART) संबंधी ल य को सामने रखकर इस तक प च ँ ने
क ावहा रक रणनीित पर अमल करगे, तो आपका संवाद अिधक आसान, कम तनावपूण, भयमु और वतं
होगा। अिधक संतुि का यह भाव आपके संवाद संबंधी यास क सकारा मक लत या आदत पैदा कर सकता है।
कभी हौसला न खोएँ। जब आप अपने शीष संवाद कौशल का सतत अ यास करते ह, तो अ य ि और
वयं के बीच समझबूझ का बंधन मज़बूत कर वैचा रक वाह को क़ायम रखते ह। आप शीष तर पर
या मकता का आनंद लेते ह। आपको उथले ि य से भी उ तम कौशल के साथ तालमेल बैठाने का अनुभव
होता है। ऐसा कौशल ख़शी से भरपूर है। जब आप इसका अनुभव कर लगे, तो आपको े तम से कम कोई चीज़
मंज़ूर नह होगी। आपको शीष संवाद क सकारा मक लत हो जाएगी।
वतमान प रि थित
जीवन के अंितम ण म आप अपने मह वपूण आ मीय संबंध का आकलन कस कार करना चाहगे? आपक
याददा त म सवािधक ख़शी देने वाले ण कौन से ह गे? आप कौन से अनुभव को बदलना चाहगे? या आपने
संतुि , घर-प रवार, िम और काय थल म संवाद कौशल के िवकास के सारे य कए ह?
दुभा यवश कई ि अपनी जंदगी के सबसे बेशक़ मती ण म अपने साथ धोखा करते ह। वे एक से
दूसरी ासदी और ग़लतफ़हमी क तरफ़ िबना यह जाने मुड़ते रहते ह क सही योजना के ज़ रये सम या का
समाधान ढू ँढा जा सकता है। वे असफलता क क़ै द म ख़द को िघरा आ महसूस करते ह, पर अतीत म जो कु छ
आ, उसे बदला नह जा सकता! जब तक यह शा त स य हमारी समझ म नह आता, हम िपछली भूल या कहे
गए श द को वापस लेने क कामना के साथ ब त अिधक शि ख़च कर डालते ह। िनि त प से िपछली
ग़लितय से सबक़ लेने क ज़ रत होती है, अ यथा हम उ ह फर दोहराएँगे। मगर हमारा मुख ल य वतमान
काय बंधन के ज रये भिव य क ओर उ सुख होना चािहए।
वतमान ण का बंधन कया जा सकता है। य द म िसफ़ एक संवाद से अपनी तमाम पूव ग़लितय को
सुधारने क बेचैनी दखाऊँ, तो म हताशा म िघर जाऊँगा। कं तु य द म वतमान क ग़लतफ़हिमय को दूर करने
क चे ा क ँ , तो वतमान और भिव य के ित आशा जागेगी।
संभवत: आप अपने प रवार, िम व ावसाियक सहयोिगय के साथ संबंध के िलहाज़ से एक दोराहे
पर खड़े ह - एक ऐसा ण, जब इनसे र त क जाँच-परख करने क ज़ रत हो। अब आप जवाबी हमले पर
आधा रत बातचीत के तरीक़े का चयन करगे या उस राह पर चलगे, जो संवाद के शीष थ अनुभव तक ले जाती है
- अथात् ''होठ से िमले ितफल'' का वाद चखगे? आपका चयन ही सारा फ़क़ तय करे गा।
सफल वाताकार का मत
मेरे िवचार से सफल संवाद क़ायम करने म प रवार, िम या वसाय सहयोगी का अपना मह व है। य िप म
अपने ित उनक ित या िनयंि त नह कर सकता, पर उनके ित अपनी ित या पर मेरा िनयं ण है। म
अपनी ग़लितयाँ वीकार कर उ ह दु त कर सकता ।ँ
म संवाद कला को समझ कर, आपसी संबंध म ल य िनधा रत करके और संवाद कौशल िवकिसत करने के ित
संकि पत होकर पुरानी आदत को भी बदल सकता ।ँ
ब े या वय क मेरी बात यानपूवक सुनते ह य क म भी उनक बात पूरे यान से सुनता ँ और उनका स मान
करता ।ँ िम मेरे साथ अपनी भावना को खुलकर बाँटते ह, य क उ ह पता है क म स ा िम बनना
जानता ।ँ
िववाद पैदा होने पर म उसके िनराकरण के िलए प योजना पर काय करता ।ँ मुझे पता है क लोग को अपने
साथ सहयोग के िलए कै से मनाया जाए। म आपसी संबंध म सफलता का लु फ़ उठाता ,ँ य क मने लोग का
यान आक षत करने वाली वाणी बोलने क कला सीख ली है।
अ याय 1
1. नॉमन िव से ट पील, यू कै न इफ यू थंक यू कै न ( यूयॉक : फ़ॉसे े ट 1974), पृ -12 से उ धृत।
अ याय 2
1. रॉ फ़ वा डो इमसन, िमशेल जे. मैहनी क से फ़ चज : ैटेजीज़ फ़ॉर सॉ वंग पसनल ॉ ल स ( यूयॉक :
नॉटन), पृ -13 से उ धृत।
2. रॉ फ़ वा डो इमसन।
3. थॉमस ए. है रस, आय एम ओके - यू आर ओके ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1969), पृ -113 से उ धृत।
4. माक वेन, सोिसल ऑ बोन क रलीज फॉम फयर एंड एं जाइटी ( यूयॉक: िपलर, 1977), पृ -11 से
उ धृत।
5. जॉन बी. वॉटसन, िबहेिवय र म ( यूयॉक : नॉटन, 1924), पृ -8 से उ धृत।
6. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956), पृ -88 से उ धृत।
7. जॉन मै े , जे स डॉ सन क हाइड ऑर सीक (ओ ट टैपन, एन. जे. : रे वेल, 1974), पृ -7 से उ धृत।
8. पॉल ताँ नएर, टू अंडर टड ईच अदर (अटलांटा, जीए. : जॉन नॉ स ेस, 1962), पृ -30 से उ धृत।
अ याय 3
1. नॉमन क ज़ंस, ूामन ऑ शंस ( यूयॉक : नॉटन, 1981), पृ -46, 47 से उ धृत।
अ याय 4
1. सेनेसा, टेलर का डवेल क द िलसनर ( यूयॉक : बटम, 1960), पृ -6 से उ धृत। 2. पिस वेिनया लॉ
इनफोसमट जनल म मूल प से कािशत।
3. “आच बंकर,'' थॉमस बैनिवले क हाऊ टू बी हड (िशकागो : ने सन-हॉल,1978), पृ -67 से उ धृत।
4. िविलयम शे सिपयर, अल कोली क िलस नंग एज़ ए वे ऑफ िबक मंग (वैको, टे सास : रजसी, 1977),
पृ -116 से उ धृत।
5. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956) पृ -21 से उ धृत।
6. जोसेफ़ टी. बेयली, द ला ट थंग वी टॉक अबाउट (एि जन, इिलनॉइस : डी. सी. कू क, 1969), पृ -40-41 से
उ धृत।
अ याय 5
1. माक वेन, राइट बेटर, पीक बेटर ( यूयॉक : रीडस डाइजे ट एसोिसएशन, 1977), पृ -386 से उ धृत।
2. जॉन गॉटमैन, ए कप स गाइड टु क युिनके शन (कै पेन, III.: रसच ेस, 1977), पृ -19 से उ धृत।
3. काल रोजस, “क युिनके शन : इट् स लॉ कं ग एंड फे िसिलटेशन,'' इटीसी : ए र ू ऑफ जनरल िसम ट स 9,
. 2 ; इं टरनेशनल सोसायटी ऑफ जनरल िसम ट स के कॉपीराइट 1952 के तहत।
4. आईिबड।
5. माक वेन, द क पलीट शॉट टोरीज़ ऑफ़ माक वेन चा स नाइडर, ईडी. ( यूयॉक : डबलडे, 1957) के ''बक
फै नशॉज़ यूनरल'' के पृ -73 से उ धृत।
अ याय 6
1. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956), पृ -193 से उ धृत।
2. पाम बीच पो ट, माच 5, 1979, पृ -सी-3 से उ धृत।
3. हैरी लॉरे न और जेरी लुकास, द मेमोरी बुक ( ायरि लफ़ मैनर, यूयॉक : टीनएंड डे, 1974), पृ -67-68 से
उ धृत।
अ याय 7
1. जॉन हॉ ट, हाऊ िच न फ़े ल ( यूयॉक : डे टा, 1964), पृ -34 से उ धृत।
2. आरन हास, टीनेज से सुअिलटी - ए सव ऑफ़ टीनेज से सुअल िबहैिवयर ( यूयॉक : मैक्िमलन, 1981) से
पाम बीच पो ट के 19 जनवरी, 1980 अंक के पृ -ए-14 से उ धृत।
3. अ ाहम मे लोब, टू वड अ सायकोलॉजी ऑफ बीइं ग ( यूयॉक : वैन/नो ड रे नहो ड, 1968), पृ -106 से
उ धृत।
4. लेज पा कल, ड यू. एफ़. ॉटर ( यूयॉक : वॉ शंगटन े यर ेस, 1965) ारा अनुवा दत पसीस : थॉ स
ऑन रलीजन एंड अदर स जे स के पृ -137 से उ धृत।
अ याय 8
1. हैम जी. िगनोट, िबटिवन पैरट एंड चाइ ड ( यूयॉक : मैक्िमलन, 1965) पृ -21 से उ धृत।
2. ड यू. िल वंग टोन लानड, डेल कानगी क हाऊ टू िवन स एंड इ लूएंस पीपल ( यूयॉक पॉके ट बु स,
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अ याय 10
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अ याय 11
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अ याय 12
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ोव स 13:2 से उ धृत।