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ऐसी

वाणी
बोिलए
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Manjul Publishing House


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Hindi translation of The Art of Talking So That Pople Will Listen- Getting
Through to Family, Friends & Business Associates by Dr. Paul Swets

This edition first published in 2007


Sixth impression 2015

Copyright © 1983 by Paul W. Swets

ISBN 978-81-8322-053-8

Translation by Rahul Brijmohan

All rights reserved. No part of this publication may bereproduced, stored in or introduced into a
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मेरी बेहतरीन संवाद साथी -
मेरी प ी जेिनस को
िवषय-सूची

ा थन
तावना
आभार
1
जीतने के िलए खेिलए बातचीत का खेल
िवजय का आनंद
पराजय क पीड़ा
तुरंत दोबारा खेलना
खेल के िस ांत
सीखने यो य कौशल
िवजय पाने क दशा म काययोजना

2
अपनी सव े अिभ ि दशाएँ
लोग ारा सुना जाने वाला ि
चचा म कावट के कारण
असफलता को सफलता म बदलना
िवजय पाने क दशा म काययोजना

3
चचा क नकारा मक आदत को दूर कर
अपने श द चुन
अपने ल य िनधा रत कर
अपनी रणनीित बनाएँ
अपनी ितब ता पर काम कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना

4
सुनने क कला सीख
पहला क़दम : सुनने का चयन कर
दूसरा क़दम : स यता से सुन
तीसरा क़दम : िवचार और भाव के िलए सुन
चौथा क़दम : दल से सुन
पाँचवाँ क़दम : ख़द को सुन
छठवाँ क़दम : कब चुप रहना है, यह जान
िवजय पाने क दशा म काययोजना

5
पता लगाएं क बातचीत कै से असर डालती है
घटक िव ेषण
पार प रक िव ेषण
जीवन-ि थित िव ेषण
सार सं ेप
िवजय पाने क दशा म काययोजना

6
लोग का यान जीत
बातचीत का दम तोड़ने वाली चीज़ो से बच
िचकर िवषय पर अपने िवचार िवकिसत कर
पूछना सीख
बातचीत शु करने लायक़ बंद ु को याद कर ल
नाम याद रख
ब ढ़या बातचीत के कौशल का अ यास कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना

7
ना कहने का साहस जुटाएं
ना कहना इतना मुि कल य है?
आंत रक ं के प रणाम
सुिनि तता बोध : आपके वा तिवक व प का िनमाता
संयत बताव के िलए उपाय
ना कहना ही पया नह है
अपने जीवन को हाँ कह
िवजय पाने क दशा म काययोजना

8
ब से बात करते समय आदर का भाव रख
अपना बचपन याद कर
आ म-गौरव को ो सािहत कर
िववाद या टकराव को पैर पसारने से पूव रोक
अपने िलए चाहा गया वहार ख़द भी अमल म लाएँ
अपने ब े का ''संसार'' रोशन कर
ेम का सार कर
मह वपुण मू य का संचार कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना

9
उन ि य से िनकटता बढ़ाएं िजनक आपको परवाह है
अंतरं गता आज इतनी मह वपूण य है?
अंतरं गता क खोज इतनी मुि कल य है?
गहरी िम ता के िलए दस ितब ताएँ
अंतरं ग संवाद थािपत करने के िलए अ यास
िवजय पाने क दशा म काययोजना

10
झगड़ िमटाएं
लोग के झगड़ने के कारण
बोलचाल फर से कै से शु क जाए
वातालाप के ज़ रये वैवािहक सम या से बाहर आना
पा रवा रक तनाव पर िनयं ण
नौकरी म िववाद का बंधन
िवजय पाने क दशा म काययोजना

11
लोग को अपने साथ सहयोग के िलए मनाएं
यान जीत
िवषय िववेचना क समझ बढ़ाएं
िव ास पैदा कर
सं हण याददा त बढ़ाएं
या क मांग कर
िवजय पाने क दशा म काययोजना

12
सफलता का लु फ़ उठाएं
शीष संवाद अनुभव
सकारा मक आदत क लत
वतमान प रि थित
िवजय पाने क दशा म काययोजना
लेखक प रचय
ा थन
काश, म इस कताब को अपने जवानी के दन म पढ़ पाता। तब संवाद अदायगी क मेरी यो यता और बढ़ गई
होती। द आट ऑफ़ टाँ कं ग सो दैट पीपल िवल िलसन म पॉल ड यू. वे स ने लोग के आपसी संबंध म
भावशाली ढंग से बातचीत करने के मह वपूण कौशल को बताया है। वा तव म मेरी जानकारी म इस िवषय पर
यह कताब अपने आप म संपूण है।
एक व ा के िलए या ऐसे कसी भी ि के िलए जो बेहतर बोलना चाहता है, यह कताब बेहद
उपयोगी है, य क कोई भी ि बातचीत म श द , चेहरे क ित या , शारी रक भाव-भंिगमा के
अलावा अपने ि व का उपयोग भी करता है। इसके अलावा व ा या तो अपने ोता को आक षत करे गा
या उनसे एक हद तक सू म ले कन वा तिवक भावना मक संबंध थािपत कर लेगा।
कई साल पहले हॉलीवुड के एक महान अिभनेता को असफलता के बाद सफलता तब िमली जब उ ह ने
''अपने सुनने वाल से यार करना शु कया।'' उ ह ने मुझसे कहा क जब उ ह ने गंभीरतापूवक ेम को
कया तब वे संबंध क अनुभूित को समझ सके ।
वे संवाद के मनोवै ािनक िस ांत का उपयोग कर रहे थे, िजसम वे लोग को अपने दल म जगह देकर
दमाग़ी तौर पर उन तक बेहतर तरीक़े से प च ँ रहे थे। जब आप कसी ि से ेम द शत करते ह और जैसे ही
आपक भावनाएँ उस तक प च ँ ती ह तो ऐसा तीत होता है क आपसी तालमेल बन गया है। इसिलए िवचार
का आदान- दान यथाथ का एक बड़ा सोपान दलाता है। िवचार अपनी इ छानुसार ेिषत हो जाते ह और
िवकृ ित से बच जाते ह, य क मि त क पूण प से शांत हो जाता है।
इस कार का उ ेणी का संवाद दरअसल एक वै ािनक या है, इसिलए यह काय णाली अथवा सू
का िवषय है। कहने का आशय है क संवाद के कु छ िनि त िनयम और तरीक़े ह, िज ह अव य ही सीखना
चािहए।
और िनि त प से न िसफ़ ोता बि क आपसी बातचीत म भी भावशाली ढंग से अपनी बात रख
पाना हम ज़ंदगी म सफलता के क़रीब प च ँ ाता है। इसिलए, संवाद या पर कए गए डॉ. वेट्स के अ ययन
को संपूणता से बताने वाली यह कताब अमू य है। म ऐसी कसी भी कताब के बारे म नह जानता, जो संवाद
िवषय पर इससे बेहतर काश डालती हो। इस कताब म लेखक ने प और बेहतर तरीक़े से अपनी बात कही
है।
डॉ. वेट्स संवाद के बारे म न के वल प ता से िलखते ह, बि क वे बातचीत भी प तौर पर करते ह। वे
जानते ह क कै से िलखा जाए, िजसे लोग समझ और वाणी कै सी बोली जाए।
आपके अ ययन के िलए इस पु तक क शंसा करते ए मुझे ख़शी है। मुझे िव ास है क इससे आप
लाभाि वत ह गे, जैसे म आ।
नॉमन िव से ट पील
तावना
बातचीत का व प सरल होना चािहए। हम ज म से ही इसका अ यास करते आए ह और अ यास से ही द ता
आती है। ठीक? ...जी नह , ग़लत।
हमने श द को िमला-िमलाकर उपयोग करना सीखा, ता क उनका कोई साथक अथ िनकले। हम कई
श द के अथ जानते ह, फर अचानक ही पता चलता है क हमारे कहने का आशय हर कोई नह समझ पाता।
व तुत: कभी-कभी हमारे श द लोग को हमसे दूर करने लगते ह, जब क हमारी कोिशश श द के मा यम से उ ह
क़रीब लाने क होती है।
अपने वैवािहक जीवन के इ स साल गुज़ारने के बाद डेवी मेरे कायालय म परामश के िलए आई, य क
उसे लगता था क उसके िबखरते जा रहे दांप य जीवन का आिख़री पड़ाव तलाक़ है। उसने बताया क उसक
सम या पित के साथ बातचीत म पूरी तरह नाक़ाम रहना थी। डेवी क सम या असामा य नह है। अनिगनत
शा दयाँ, प रवार और वसाय इसीिलए िबखरते ह य क लोग आपसी समझबूझ और जोड़ने के भाव पैदा
करने के बजाय ऐसी बातचीत का उपयोग करते ह, जो उ ह एक-दूसरे से दूर ले जाती है।
हमम से यादातर के िलए लोग से बात करना एक सम या है य क वाक़ई हम कभी बातचीत क कला
िसखाई ही नह गई। श दावली और ाकरण संबंधी िश ण से हम िसफ़ कलाकार के रं ग और कै नवास क
ाि होती है। इन दोन क मदद से अपनी मनचाही त वीर लोग के सामने पेश करने का यह िश ण पूरी
तरह अपया है। सबको ोता बनाने वाले वातालाप क कला हमारी तालीम क इस कमी को पूरा करती है।
आप और म इस कार बात कर सकते ह क लोग उसे समझ, साथ ही हम सुनने क ऐसी कला का िवकास
कर सकते ह क लोग को हमसे चचा करते ए खुशी महसूस हो। इस रह य क कुं जी, पहले यह जानना है क
हम बातचीत म दरअसल करना या चाहते ह और जो चाहते ह उसे कै से संभव बनाया जाए।
बातचीत का प ल य तय करना हमारे बोलने और सुनने के बीच छोटा, कं तु मह वपूण तालमेल बनाने
म मददगार होता है। सही समय पर सही सामंज य थािपत करना एक कला है, पर एक बार म एक क़दम उठाते
ए कोई भी इस कला म महारत हािसल कर सकता है। इस पु तक का येक अ याय एक प ल य को तुत
कर आपका मागदशन करता है। आ म-मू यांकन, ावहा रक रणनीितय और काययोजना ारा यह सुिनि त
हो जाता है क आप अपने ल य को जान और उस दशा म अ सर ह ।
बातचीत के येक ल य क ाि के साथ आप पाएँगे :
- बातचीत क या म मुि कल पर िनयं ण।
- अपने ख़ास र त म आ मीयभाव जगाने क समझ।
- लोग के बीच संवाद संबंधी कावट के बनने के कारण और उ ह दूर करने के तरीक़ क जानकारी।
- ावसाियक सहयोिगय और िम का सहयोग तथा यान जीतना।
- सामािजक ि थितय म प एवं भावशाली अिभ ि क मता।
- ावसाियक तथा ि गत जीवन म ल य ाि क सफलता का अनुभव।
इस पु तक म मने बातचीत और ि से ि के संबंध का एक िविश प तुत कया है। मेरा मानना है
क डपटने और ितकड़मबाजी से लोग के साथ साथक संबंध नह बनाए जा सकते। ऐसे उपाय से ा ताक़त
अथवा िनयं ण आिख़र म प और ईमानदार बातचीत के आगे हार जाते ह। एक असली जीत के एहसास के
िलए हम अपने आस-पास क त वृि य को छोड़कर बातचीत म दूसर के ित समझबूझ और सहयोग के
तरीक़े क तरफ बढ़ना होगा।
मेरा दृि कोण मनोिव ान, नीितशा और ता ककता म मेरे िश ण क पृ भूिम से उपजा है। यधिप
अपने िनजी अनुभव म भी मने इसे उपयोगी और परी ा क कसौटी पर खरा पाया है। म दूसर से बातचीत क
कोिशश और उसम असफलता क पीड़ा से वा क़फ़ ।ँ मुझे दल से दल के बीच होने वाले वातालाप और न िसफ़
समझे जाने, बि क दूसर को समझने से िमली ख़शी का अंदाज़ा है।
अपने पु के साथ एक ऐसी ही मम पश चचा के दौरान मने पूछा ''तु ह लगता है क हम इस पु तक क
ज़ोरदार िब के िलए ाथना करनी चािहए?'' उसने जवाब दया ''नह डैड, हम ाथना करनी चािहए क यह
लोग के िलए मददगार सािबत हो।'' िलहाज़ा ऐसा ही हो।
आभार

म इन लोग का िवशेष प से आभारी ँ :


- रचड यंग िमिशगन यूिनव सटी के मेरे ोफ़े सर, िज ह ने मुझे भावशाली संवाद के बारे म ब त कु छ
िसखाया;
- रॉबट डीहान और रॉबट ाउन, होप कॉलेज म मनोिव ान के ोफ़े सर, िज ह ने आपसी बातचीत और
ब के मनोवै ािनक िवकास जैसे िवषय म मेरी िच जागृत क ;
- डेिवड मायस, होप कॉलेज म मनोिव ान के ोफ़े सर, िज ह ने िव ास पर आधा रत अ याय के िलए
बेहतरीन सुझाव दए;
- टॉड बोसट, मनोिच क सक, िज ह ने िववाद हल करने पर आधा रत 10व अ याय म मेरी मदद क ;
- वॉ टन डंकन 111, पाम बीच जूिनयर कॉलेज म क युिनके शन िडपाटमट के चेयरमैन, िज ह ने मुझे इस
िवषय के िलए े रत कया;
- जॉज ोहिलच, िज ह ने पूरी पु तक को कई बार पढ़ा और उसम सुधार कया और पूरी या म मुझे
सहयोग दया;
- लेज़ िलवाय, के ट सै सन और वैिनला फ़ोन वूथूयज़ेन, िज ह ने कई उपयोगी सुझाव दए;
- बेक रॉबटसन, ए ा कू पमै स और मैरी वडर कै प, िज ह ने उ साहपूवक अनेक पृ को टाइप कया;
- मैरी के नन और अ बटा बॉडी, टस-हॉल के मेरे संपादक, िज ह ने अपने िव ास से मेरे संक प को दृढ़
कया;
- जैनीस, जड और जेिसका, िज ह ने मेरे रचना मक लेखन के िलए हद से यादा यार दया; और
- नॉमन िव से ट पील, िज ह ने मुझे िव ास, सकारा मक दृि कोण क शि और काय करने क आ था से
ज़ंदगी को बदल देनेवाली ताक़त के बारे म बताया।
1

जीतने के िलए खेिलए


बातचीत का खेल

अगर आप सोचते ह क आप कर सकते ह, तो आप ज़ र कर सकते ह। 'नॉमन िव से ट पील

हमारे समय क एक महानतम खोज यह है क ि अपने सोचने के तरीक़े से अपनी कथनी और करनी को
िनयंि त कर सकता है। दुभा यवश कई लोग यह मानते ह क ख़द को अिभ करने के तरीक़े पर उनका
िनयं ण नह है। दन-पर- दन वे वातालाप संबंधी ग़लितयाँ दोहराते चले जाते ह। वा तिवकता यह है क कोई
भी ि सफल बातचीत क '' कावट '' को पार कर जीत सकता है। यह मानते ए क आपम जीतने क चाह
है, डॉ. पील ारा िस ांत आप पर भी लागू होता हे : ''अगर आप सोचते ह क आप कर सकते ह, तो आप
ज़ र कर सकते ह।''
भावी बातचीत क ऊँचाई तक प च ँ ने के िलए आपको कु छ प ल य का िनधारण करना होगा क
आप या पाना चाहते ह? तब आपका मि त क एक ''वाहन चालक'' क भाँित ज़ री फे रबदल के ित सजग
रहते ए मंिज़ल तक प च ँ ने के िलए आपका मागदशन करता है। जब नासा ने अपोलो 17 और इसके सद य को
च मा पर भेजा, तो ेपण यान को सही प रपथ म रखने और ल य तक प च ँ ने के िलए उसम कु छ मामूली
फे रबदल करने पड़े। अगर यह फे रबदल सही समय पर नह कए जाते, तो यान अपने ल य से लाख मील दूर
चला जाता। िवजयी वातालाप भी ल य ाि के िलए आपके कथन और उसके व प म छोटे, कं तु मह वपूण
बदलाव करने का नतीजा है।

िवजय का आनंद
दूसर से सकारा मक ित या दलाने वाली बातचीत आपके जीवन को नई राह दखा सकती है। आपके जीवन
के कसी भी े म सफलता के िलए साथक चचा से बढ़कर कु छ भी मह वपूण नह है। यार ज़ािहर कर पाने,
पूरी तरह सुने और समझे जाने, दूसर के दमाग़ से वा कफ़ होने अथवा अपने िवचार को एका िचत होकर
सुनते ोता तक प च ँ ने से िमलने वाला आनंद अतुलनीय है। इससे हमारे िवचार का दायरा बढ़ता है, झान
का िव तार होता है, िव ास गहरे होते ह, नज़ रया प होता है, आशाएँ फर से जागने लगती ह, हताशा
िमटने लगती है, मन के घाव भरने लगते ह। एल हाव इसे ही ''संवाद का चम कार'' कहते ह। थैरेिप ट अ सर
अपने परामश के दौरान कई चम कार घटते देख चुके ह। शायद आपने भी ऐसे चम कार घटते देखे ह , जब कभी
आपक अपनी चचा सफल रही हो। जब आप चचा के खेल को जीतने के िलए खेलते ह, तो सबसे ब ढ़या नतीजा
यह िमलता है क आपके सहयोगी क भी जीत होती है!

पराजय क पीड़ा
हमारी चचा हमेशा सफल नह होती। कहा जाता है क जब पोप जॉनपॉल ि तीय 1959 म अमे रका प च ँ ,े तो
एक प कार ने उनसे यूयॉक क गो-गो ग स (खेल म हौसला बढ़ाने वाली लड़ कय ) के बारे म राय लेनी चाही।
अपने सहयोगी ारा दी गई चेतावनी को याद कर क प कार बात का बतंगड़ बना सकते ह, पोप ने िझझकते
ए जवाब दया - '' या यूयॉक म गो-गो ग स ह?'' अगले दन सुबह के अख़बार म पहले पृ पर समाचार छपा
''पोप ने आते ही पहला पूछा ' या यूयॉक म गो-गो ग स ह?' ''
यह वाक़या सचमुच आ या नह , यह तो नह मालूम, पर इससे साफ़ है क कसी को भी ग़लत समझा
जा सकता है - यहाँ तक क पोप को भी। चचा म असावधानी क वजह से रा के बीच जंग िछड़ गई, ापारी
दवािलया हो गए, प रवार िबखर गए। य िप चचा क तकनीक ने आज बाहरी देश तक प च ँ कर दुिनया को
िव ाम बना दया है, पर हम मानव मि त क और मन के भीतर प च ँ ने म अब तक असफल ही रहे ह।
कभी-कभी हमारे श द अपने मूल आशय के बजाय ठीक उसका िवपरीत भाव पैदा कर समझबूझ और
अंतरं गता क संभावना को ही ख़ म कर देते ह। हमारे श द से दूसर क भावना को ठे स प च ँ ती है, आ ोश
उपजता है और दल म दूरी उ प होती है, जब क वा तव म हम आपसी समझ, आ मीयता और दो ती बढ़ाना
चाहते ह। वाभािवक प से हम इस दुःखद ि थित से बचने क कोिशश करते ह। हम नाकाम चचा के दोहराव से
बचने के िलए बातचीत को ''टालने'' लगते ह। चचा के िवषय सीिमत हो जाते ह। यादा आकषक दखने क
कोिशश म हम अपनी भावना को दबाने लगते ह। मगर जब वा तिवक भावना क अिभ ि नह होती,
तो हमारे संबंध क गमाहट ख़ म होने लगती है। धीरे -धीरे संवाद क मा ा भी घटने लगती है और कु छ मामल
म यह ठं डी खामोशी के दद म त दील हो जाती है।
हम कसी भी तरह इस दु च से बच िनकलना है। हम अपनी ग़लितय का व तुपरक, समुिचत िव ेषण
कर उनसे सीखने क आव यकता है।

तुरंत दोबारा खेलना


खेल जगत म िखलाड़ी और िश क अपनी कमज़ो रय को दूर करने और खूिबय का लाभ उठाने के िलए खेल
क रकॉ डग को बार-बार देखते ह। इस पु तक क कायप ित भी खेल िच या तुरंत दोबारा खेलने क तरह है।
यह आपको अपने वातालाप क बंदव ु ार पड़ताल करने म मदद कर सकती है और आप इस बारे म दोबारा सोच
सकते ह क या कारगर रहा या या नह रहा। अनुभव के परी ण के ज़ रये आप बातचीत का खेल खेलने और
जीतने के िलए आव यक फे रबदल कर सकगे।

खेल के िस ांत
या हम िवचार क वतं एवं सफल अिभ ि के अवसर क सं या बढ़ा सकते ह? या हम बातचीत को
आगे बढ़ाने और रोकने के मौक के बीच फ़क कर सकते ह? या हम अपने नज़ रये, श द के चुनाव और अपने
आपको बदलने म स म ह? िबलकु ल। भावी चचा को ज़ारी रख पाना संभव है।
इस पु तक म शािमल तीन मुख िस ांत आपको बताते ह क यह कस कार संभव है। पहला - चचा एक
सीखा आ वहार है। य द आपने चाहे अनचाहे बातचीत के नकारा मक तरीक़े को अपनाया है, तो आप
सकारा मक तरीक़े को भी अपना सकते ह, बशत आप जान क सकारा मक चचा या है और इसे कै से िवकिसत
कया जाए। दूसरा -आप. लोग से बातचीत क गुणव ा म उ लेखनीय सुधार कर सकते ह। य िप दूसरे ि
के बातचीत के तरीक़े पर आपका िनयं ण नह होता, फर भी उस ि के कथन पर अपनी ित या कर
आप वातालाप का प रणाम भािवत कर सकते ह। तीसरा - जब आप नई अंतदृि का योग करते ह तो आपक
समझ िवकिसत होती है। समझ का यह िस ांत आज भी ासंिगक है -

मने सुना - म भूल गया।

मने देखा - म याद रख पाया।


मने कया - म समझ गया।

आपके ान को स य बनाने के िलए येक अ याय म रणनीितयाँ दी गई है।


एक चेतावनी : बातचीत म तुरंत सफलता जैसी कोई चीज़ नह होती है, कं तु य द आप इस पु तक म
बताए गए िस ांत पर अिडग रहते ह, तो आपको सकारा मक प रणाम िमलगे। आपको शु करना होगा :
कमज़ो रय और ख़ूिबय को यान म रखते ए अपने बातचीत संबंधी
अनुभव का बंदव ु ार परी ण।
समझबूझ के साथ सुनना।
डर, ग़ सा, आहत भावना से के बग़ैर चचा क सम या सुलझाने वाले कौशल का िवकास।
आ मिव ास के साथ अपने िवचार क अिभ ि और भावना का आदान- दान करते ए ख़द को
दृढ़ता से तुत करना।
इं कार के समय इं कार और वीकृ ित के समय वीकृ ित करने क कला।
ब से चचा के दौरान पर पर आदर का भाव।
प रवार तथा िम के साथ आ मीयभाव।
सामािजक मेल-िमलाप म साथक बातचीत क पहल।
लोग को अपने साथ सहयोग हेतु े रत करना।
य द इस पु तक को पढ़ते व त आपको कह -कह दोहराव का अनुभव हो, तो यह अ छा संकेत है क आप
िवचार को ठीक कार से हण कर रहे ह। इस पु तक क संरचना म ही दोहराव का योग कया गया है। शोध
से पता चलता है क िवचार जब बार-बार तुत कए जाते ह, तो उ ह हण करने म उ लेखनीय प से
बढ़ोतरी होती है। '' िमक दोहराव'' के ज़ रये माग़ को कसी िवचार या रणनीित को बेहतर तरीक़े से काम म
लाने तथा यादा से यादा ि थितय म इ तेमाल करने म मदद िमलती है।

सीखने यो य कौशल
य द हम बात समझने या समझाने म द क़त पेश आ रही है, तो हम बातचीत क या का कोई प ज़ र
नज़रअंदाज़ कर रहे ह। अब यह हम पर िनभर करता है क कस कार सम या को पहचान और इसका िनदान
कर। यह करना आसान नह है।
िन िलिखत आ म-मू यांकन आपक ज़ रत के ख़ास दायर और िचय को पहचानने तथा गित के
आकलन म मददगार हो सकता है। अपने अनुभव के आधार पर येक बंद ु क आवृि को सवािधक भावी ढंग
से करने वाले अंक के आस-पास घेरा बनाएँ। (1 - ब त कम, 2- कभी कभी, 3-. अ सर और 4- सामा यत:)
आ म-मू याकं न

1 2 3 4 1. लोग मेरी भावना और िवचार को समझते ह।

1 2 3 4 2. जब बातचीत म सम या आती है म उसे सुलझाने का िन य करता ।ँ

1 2 3 4 3. मुझे बातचीत म कावट के मुख. कारण क जानकारी है।

1 2 3 4 4. म अपने ि व के उन गुण को द शत करता ,ँ जो दूसर को आक षत करते ह।

1 2 3 4 5. म मुि कल प रि थितय म सोच-समझकर ख़द को अिभ करना पसंद करता ।ँ

1 2 3 4 6. चचा के दौरान मेरी आवाज़ और श द का व प ठीक वैसा होता है, जैसा सामने वाले के ित म
महसूस करता ।ँ

1 2 3 4 7. जीवनसाथी और िम ारा क गई भावना को गंभीरतापूवक सुनने क मता मुझम है।

1 2 3 4 8. मेरे िम कहते ह क म अ छा ोता ।ँ


1 2 3 4 9. म बता सकता ँ क चचा म सम या मूलत: ि के कथन से उपजी है, संदश
े से पैदा ई अथवा
ोता ारा संदश
े ग़लत समझे जाने से सामने आई है।

1 2 3 4 10. मै अपने साथ बात करने वाले ि क भावना और िवचार का भलीभाँित िव ेषण कर
सकता ।ँ

1 2 3 4 11. जब म बोलता ,ँ लोग मुझे सुनते ह।

1 2 3 4 12. लोग के अनुसार म अ छी बातचीत कर लेता ।ँ

1 2 3 4 13. मुझे जब इं कार करना हो, म ना कहने क मता रखता ।ँ

1 2 3 4 14. म ज़ोर देकर अपनी बात रखता ँ य क मुझे अपने और दूसर के नज़ रये का आदर करना
आता है।

1 2 3 4 15. ब के साथ परे शानी हल करना मुझे आता है।

1 2 3 4 16. म ब से उसी शैली म बात करता ,ँ जैसी म उनसे अपे ा रखता ।ँ

1 2 3 4 17. म आ मीयजन को अपने वा तिवक व प को जानने का मौका देता ।ँ

1 2 3 4 18. अपने नज़दीक िम को यह बताने क मता मुझम है क म सचमुच उनक परवाह करता ।ँ

1 2 3 4 19. कसी ि के साथ सम या पैदा होने पर म जानता ँ क उसे कै से हल कया जाए।

1 2 3 4 20. तनाव के ण म या कहना है, यह मुझे आता है।

1 2 3 4 21. दूसर से सहयोग लेने क कला मुझम है।

1 2 3 4 22. जब म लोग को कारण बताकर अपना चाहा आ काम करने को कहता ,ँ तो वे उसे करते ह।

1 2 3 4 23. प रवार, िम और ावसाियक सहयोिगय के साथ चचा का सव तर मुझे रास आता है।

1 2 3 4 24. सफल बातचीत के मू य से प रिचत होने के नाते, म चचा का कौशल िवकिसत करने के िलए
त पर रहता ।ँ
यहाँ एक िनधा रत अंक मागदशन है, िजससे आपको आ म-मू यांकन म मदद िमलेगी। ऊपर घेरा बनाए गए
अंक को जोड़कर िन िलिखत तािलका से अपने पूणाक का िमलान कर :

92-96 सव े आप वाकई ''सव कृ '' बातचीत करने वाले ह। यह पु तक कसी िम को भट कर द।

78-91 े आप सही राह पर ह। आप उन े पर यान दे, जहाँ आपको अपने कौशल म सुधार क ज़ रत
महसूस होती है।

50-77 साधारण बेहतर संवाद के ज़ रये ा होने वाले संतोष से आप काफ हद तक दूर ह। इस पु तक म
बताए गए चचा के ल य पर के त होकर अमल करने से आप अपने प रवार, िम तथा
ावसाियक सहयोिगय से बेहतर संबंध िवकिसत कर पाएँगे।

24-49 ख़राब चंितत न ह । शायद आप अपने िलए अपे ा से अिधक ऊँचे मानक िनधा रत कर रहे ह और
चीज़ को वा तिवकता से यादा बुरे व प म देखने के आदी ह। इस पु तक म बताए गए
ल य और रणनीितय के ित ख़द को संकि पत कर आप अपनी बातचीत के कौशल म धीरे -
धीरे सुधार कर पाएँगे। आप िशखर क और अ सर ह। आप यह कर सकते ह।
बातचीत म कु शल लोग अ छे एथलीट क तरह होते ह : वे इसका अ यास कर द ता ा करते ह। एक मानक
का िनधारण होता है, मूलभूत िनयम सीखे जाते ह, िस ांत का अ यास कया जाता है, कौशल िवकिसत होता
है। पेशेवर िखलाड़ी जानते ह क मह व इस बात का नह है क उनम कतनी ितभा है, वे अपने कौशल का
िवकास कर सकते ह... य द यास कर। मगर यही बात आपके सम खड़ा करती है : या आपके यास के
अनु प आपक बातचीत सफल है?
बातचीत क सम या सुलझाना ही चािहए य क चचा जीवन क हर गितिविध का मा यम है। चाहे वह
िववाह हो, कामकाज ब का पालन-पोषण, शासन, कू टनीित या कु छ और - हमारे जीवन क गुणव ा और
संभवत: भावी अि त व भी बातचीत के कमाल पर िनभर करता है।
जब मेरे एक िम को पता चला क म भावी संवाद पर पु तक िलख रहा ,ँ तो उसने कहा - ''मुझे दस
वष पहले इसक ज़ रत थी। ''हम अतीत को िमटा नह सकते, पर दूसर को समझकर और अपनी बात
समझाकर हम अपने वतमान पल का बेहतर इ तेमाल कर सकते ह।
इस पु तक का अिभ ाय आपको बातचीत के खेल म िशि त करना... और जीतने म मदद करना है।

िवजय पाने क दशा म


काययोजना
येक अ याय के अंत म काय चरण बताए गए ह, जो आपको चचा के ''खेल '' म जीतने और अ यास करने के
िलए अ याय म व णत रणनीितय और िस ांत को सार प म याद दलाएँग।े इस पु तक से सवािधक लाभ
पाने के िलए काग़ज़-क़लम तैयार रख, ता क चचा के ल य क तरफ आप तेजी से बढ़ सक।
1. मह वपूण ि य (प रवार, िम एवं ावसाियक सहयोिगय ) क सूची बनाएँ, िजनके साथ आपको
बातचीत बेहतर बनाना है।
2. सूची म शािमल कसी एक या अिधक ि से संबिधत चचा के ल य को िलखे । शु आत ऐसे कर :
________________, के साथ बातचीत म सुधार के िलए म िन काय क ँ गा : (उन ख़ास क़दम क सूची
बनाएँ, िज ह उठाना आप आव यक मानते हो।)
3. चुने ए ि से चचा म सुधार के फल व प िमलने वाले फ़ायद के बारे म सोच। िजतने लाभ संभव
ह , सभी िलख। ये आपको चचा के ''खेल'' म िवजय तक प च
ँ ने के िलए े रत करगे। “अगर आप सोचते ह क
आप कर सकते ह, तो आप ज़ र कर सकते ह”।
2

अपनी सव े
अिभ ि दशाएँ
हमारे पीछे जो मौजूद है और हमारे सामने जो मौजूद है, वह उसक तुलना म कु छ भी नह , जो हमारे भीतर
मौजूद है।1
रा फ वॉ डो इमसन

आप एक िविश ि ह। यह सच है क हर कसी म ख़ािमय होती ह। कं तु जब आप अपने सव े व प को


अिभ करने का चुनाव करते ह - वह व प, जो सबसे खुलकर िमलता है, जो दलच प है, जो दूसरे ि य
म िच रखता है, िजसे िवचार और भावना के आदान- दान म द त नह होती, जो सीखना चाहता है, जो
गहराई से सुनने क मता रखता है - जब ऐसा ि बात करता है, तो लोग उसे सुनते ह।

लोग ारा सुना जाने वाला ि


ऐसे ण, जब आप अपने सव े व प को करते ह, उनसे मािणत होता है क आप ऐसी वाणी बोल
सकते ह िजसे लोग सुन। और ये ण यह भी बताते ह क य द आप अपने संवाद क मता बढ़ाना चाहते ह, तो
आपको ख़द से शु आत करनी होगी। आप कौन ह, राह इससे भी सुिनि त होता है क आप दूसरे ि य से
कस तरह पेश आते ह। इमसन ने कहा था, ''तु हारा आ म- व प तु हारे ऊपर मँडराता है... और गरजता है,
इसीिलए इसके िवपरीत तुम या कह रहे हो, म सुन नह पाता।''2 आप जो ह, वह आपके श द से यादा
मज़बूती से होता है।

अपनी अिभ ि को सुधारने क कोिशश आपको असहज कर सकती है। अपनी बातचीत के े पल क
तुलना बुरे ण से करते ए आप ख़द को बेहतर न कर पाने के िलए कोस सकते ह। मगर वयं को (या कसी
अ य ि को) दोषी ठहराना पीछे हटने वाली सोच है। अपने आप को (और इसी तरह अपनी बातचीत क
मता को) सुधारने के तरीक़़ क खोज उस राह पर चलने के समान है, जो संतुि भरे संबंध क तरफ ले जाए।
अपनी पु तक आय एम ओके - यू आर ओके म थॉमस है रस िलखते ह:

कहा जाता है क अपने वभाव क ख़ािमय को कोसने से आपक ख़ािमय का वभाव नह बदल सकता।
िलहाज़ा ''म ऐसा ही 'ँ ' से कु छ भी बदलाव नह हो सकता। ''म बदल सकता 'ँ ' यह भाव सबकु छ बदल
सकता है।3
य द हम ''म बदल सकता 'ँ ' वाला दृि कोण अपनाएँ, तो अपनी बातचीत संबंधी सम या को सुलझाने क
बेहतर ि थित म ह गे।

चचा म कावट के कारण


चचा संबंधी हमारी मुि कल सम याएँ ि गत होती ह; इनक उ पि हमारे भीतर होती है। समझ संबंधी
बाहरी कावट (जैसे अ य ि , समय का दबाव, तनाव भरी ि थितयाँ) क चचा आसान है, पर लाभदायक
नह । जब हम बातचीत क कावट के भीतरी कारण को नज़रअंदाज़ करते चले जाते ह, तो लगातार
असफलता ज म लेती है- ऐसी असफलता, जो हमारी मता के िशखर तक प च ँ ने म बाधक हो, जो हमारे संबंध
के बारे म सुखद अनुभूित न होने दे, हमारे व अ य ि य के बीच मनोवै ािनक दूरी कम न कर पाए। अपने
व प क सव े अिभ ि के िलए हम संतोषजनक चचा के दु मन को पहचान कर उ ह ख़ म करना होगा।
हमारे मु य श ु इस कार बताए जा सकते ह: -

F – फयर डर
A – एज़ पश स मा यताएँ
I – इं ससे टिवटी संवेदनहीनता
L – लेब लंग वग करण क पहचान
U – अनसटिनटी अिनि तता
R – रज़टमट नाराजगी
E – इगो ट म अहंकार

1.डर - माक वेन अपने अलावा अ य लोग को भी इस कथन के ज रये काफ कु छ बताना चाहते थे - ''म
े म िव ास नह रखता, पर मुझे उनसे भय लगता है।''4 कई बार यह जानते ए भी क हमारा डर वा तिवक

नह है, हम उसे अ य ि य से कट कर रहने का ज़ रया बनने देते ह।
व तुत: कु छ डर हमारे अि त व क ख़ाितर ज़ री ह, जैसे असुरि त र तार से वाहन चलाने का डर।
कं तु यहाँ हम उन डर क चचा करगे, जो हम अपने व प क सव े अिभ ि और अ य ि य से
वाभािवक संबंध बनाए रखने म बाधक बनते ह। यहाँ कु छ ऐसे ही थायी डर व णत ह, जो कई ि य को घेरे
रहते ह। मसलन :

ि य , भीड़, नई ि थितय का डर
ग़लत समझे जाने, कसी अ प मानक पर खरे न उतर पाने या कसी ि क उ मीद पर ख़रा न
उतरने का डर
हकलाने, ग़लत श द या उ ारण का डर
असल भावना के जािहर होने पर िख ली उड़ने का डर
कसी को न समझ पाने पर उसक नजर म मूख सािबत होने का डर
भावना क अिभ ि या उन पर िनयं ण न कर पाने का डर
कसी दूसरे ि क राय के िवपरीत राय रखने का डर
यह सभी डर कहाँ से उपजते ह? मनोवै ािनक के अनुसार ब ा िसफ दो कार के डर के साथ ज म लेता है।
वहार िव ान के जनक जॉन बी. वॉटसन के अनुसार ''िसफ़ दो चीज़ डर पैदा करती ह, तेज़ विन और सहारे
का अभाव।''5 अ य सभी डर सीखे जाते ह, उनक जड हमारे मूलभूत व प म नह रहत । वे हमारी इ छा के
बग़ैर हमारे साथ हमेशा के िलए नह रह सकते। हािनकारक डर को यागा जा सकता है।

जब हम भयभीत होते ह, तो हमारा संवाद गड़बड़ा जाता है और ग़लत समझे जाने के डर से हम बोलना
ही बंद कर देते ह। भावना पर िनयं ण न रख पाने के डर से हम उ ह दबाने लगते ह। नापसंद दृि कोण क
आलोचना से बचने के िलए हम ऐसी बात ढू ँढ़ते ह, जो दूसरे सुनना चाह। अपने आप को नकारने क कोिशश म
दुिनया के बारे म हमारा नज़ रया िविवधता से समृ नह होता, बि क संकुिचत होने लगता है और हम अपने
सीिमत दायरे म क़ै द होते चले जाते ह।

2. मा यताएँ - सुनने और देखने से मतलब िनकालने म मा यताएँ हमारे मि त क क मदद करती


ह। अ सर वे सही होती ह, पर कभी-कभी उनसे चचा म कावट पैदा होती है, जब हम बग़ैर सोचे उनपर
िव ास करने लगते ह।
अपनी मा यता क स ाई को परखने के िलए िन ां कत िच का अथ खोजने क कोिशश कर :
िच 1.1

इस िच को अ य नज़ रये से देख। या आपको तीन अ र का कोई श द नज़र आता है? या आप काले


और सफे द अ र देखते ह? य द आपको तुरंत कोई श द नह नज़र आता, तो समिझए आप ग़लत ता पय
िनकाल रहे ह।* (ज़वाब के िलए पृ के नीचे ही गई ट पणी देख।)
जब हम कसी ि को बोलते ए सुनते ह, तब हमारा मि त क उसके सैकड़ तरह के मतलब
िनकालता है। येक श द, चेहरे के भाव, आवाज़ के उतार-चढ़ाव क ा या क जाती है, पर यह ज़ री
नह क वह व ा के वा तिवक अथ से मेल खाए। हम अ सर नह जानते क हजार संभावना म से
कोई एक मतलब िनकलता है। व ा भी यादातर चीज को सहज मानकर चलते ह। वडेल जॉ सन के
अनुसार, ''उ ह लगता है क वे सुने और समझे जा रहे ह, जब क ऐसा नह होता और फर भी लोग चचा
संबंधी असफलता और खािमय को दूर नह करते। अ प चचा, ग़लत मतलब वाले कथन को लेकर वे
मासूिमयत के साथ अनजान बने रहते ह।''6
हम अ सर श द के अथ को लेकर अनाव यक धारणाएँ बना लेते ह। अं ेजी श दावली के 500 सवािधक
चिलत श द के अ ययन से पता चला क इनक 14,070 ा याएँ श दकोश म िमलती ह। अथात् ितश द
28 से भी यादा। उदाहरण के िलए श द 'रन’ को ल।

ही िवल िगव यू अ रन फॉर योर मनी


(वह आपके पैसे का पूरा ितशत देगा)
इ वे टमट् स आर बे ट इन द लॉग रन
(दीघकािलक िनवेश फ़ायदेमंद है।)
माईक इज़ अ मैन ऑन द रन
(माईक हड़बड़ी म िघरा ि है।)
रन अलांग नाऊ
(अभी शु आत कर)
शीला हैज़ अ रन इन हर टॉ कं ग
(शीला काफ़ कु छ छु पाती है।)
द ए सपोज़ ज ट गॉट अ रन
(यह ख़लासा अब शबाब पर है)
डू यू हैव अ रन-डाउन फ़ लंग?
( या आप िनराश ह?)

*यहाँ श द FLY सफे द अ र म िचि त है, न क काले म।


इतना काफ़ है। हम 'रन' श द के भावाथ क लंबी सूची बना सकते ह, मग़र बात साफ़ है - श द के भावाथ
अनेक कार से संभव ह। एक श दकोश रन श द के 87 अलग-अलग उपयोग बताता है।

इसम कोई आ य नह क जब हम कसी वा य म मौजूद कई श द और फर कई वा य सुनते ह, तो व ा


ारा कहे गए कु छ श द का ग़लत मतलब िनकाल लेते ह। य द ोता माने क उसके ारा सुने गए श द का वही
अथ है, जो उसने ढू ँढा और व ा भी यह मानकर चले क उसके ारा कहे गए श द का वही मतलब िनकाला जा
रहा है, जो वह चाहता है, तो ग़लतफ़हमी ज़ र पैदा होगी।

3. संवेदनहीनता - कई बार दूसर क भावना को समझने म नाकामी क वजह उनक फ़ न करने क


वृि होती है। कभी-कभी यह दूसरी ''दुिनया'' म मानिसक प से मौजूद होने के कारण भी होता है। एक
संगीतकार अपने संगीत म इतना खो सकता है क उसे कसी के साथ क ज़ रत महसूस नह होती। एक माँ
खाना बनाने म इस क़दर त हो सकती है क वह अपने ब े के इस का मह व नह समझती ''मुझे कोई भी
य नह चाहता?'' एक पित अपनी प ी क हताशा और आ ोश से बेख़बर टी.वी पर आ रहे फु टबॉल मैच म
खोया रह सकता है। कं पनी का ेसीडट नई माक टंग नीित से इतना उ सािहत हो सकता है क उसे अपनी कं पनी
क उ पादन मता से संबंिधत गंभीर सम या का आभास भी नह रहता। येक मामले म संवदेनहीनता का
प रणाम संवादहीनता ही होता है।

कोई भी अितसंवेदनशील नह होना चाहता। हम दैिनक जीवन क ज़ रत और आ मण से मुक़ाबले के


िलए कु छ हद तक भावना मक आवरण और सुर ाकवच चाहते ह। फ़ु टबॉल के एक िखलाड़ी क तरह हम भी
सुर ाकवच चािहए, ले कन यह इतना अिधक भी न हो क हम अपनी मता का पूरी तरह इ तेमाल ही न कर
पाएँ। संवेदनहीनता ज़बद त क़लेबंदी है। यह नए यलो टोन रा ीय उ ान के स दय के सामने आँख बंद कर लेने
जैसा है। संगीत क कसी जादुई धुन के सामने कान ढँक लेने जैसा है। कसी अंतरं ग ि के आगे दल के दरवाज़े
बंद कर लेने जैसा है।

4. वग करण - हमारा मि त क एक व तु को दूसरी से अलग करके देखने का आदी है। बाइबल क रचना
क कथा म आदम का पहला काम पशु का वग करण था। मा यता क तरह वग करण भी मि त क ारा
अिनयोिजत से िनयोिजत ढू ँढ िनकालने का ज रया है। हम इसके िवशेष बन जाते ह।

मगर दूसरे ि को वग कृ त करना बाधक हो सकता है। यह कहावत क ''छड़ी और प थर मेरी हड् िडयाँ
तोड़ सकते ह, कं तु पहचान नह '' सच नह है। कू ली िव ाथ एक-दूसरे को ग़लत तरीक़े से वग कृ त करते ह।
कु छ प रवार , द तर और कायशाला म एक-दूसरे को नीचा दखाने वाले नामकरण करने क वृि होती है।
कई लोग इसे गंभीरता से नह लेत,े पर कु छ क ि गत छिव इससे बुरी तरह भािवत होती है। कु छ ि
सामा य नामकरण जैसे “ल लू ब ा'', ''सरपट घोड़ा'' या ''सु त कछु आ'' से भी िनजात पाने के िलए काफ़ व
बबाद कर देते ह।

वाक़ई, श द हमेशा अपने ारा व तु से मेल नह खाते। सूज़न नाम का मतलब सूज़न ि नह है,
पर कई बार हमारा मि त क यह फ़क नह कर पाता और हम बे ख़ी दशाते ए उन ि य से बुरा बताव करने
लगते ह, िजनके साथ नकारा मक िवशेषण लगा हो। य द कोई िपता अपने ब े को अ सर ''मूख'' कहकर
पुकारता है, तो धीरे -धीरे वह उसे वाकई मंदबुि मानने लगेगा। इससे भी बुरी बात यह है क ब ा भी अपने
बारे म ऐसा ही सोच सकता है।

5. अिनि तता – अरे , आह, ठीक है, शायद, मुझे पता नह , मेरे याल से - यह भाव कसी भी वातालाप
म सामा य ह, पर हमेशा नह ! यह सच है क िनि तता हमेशा ख़ूबी नह होती। कसी अवा तिवक या िजसके
िवषय म जानकारी न हो, उसके बारे म सबकु छ जानने का दावा करना बेवक़ू फ़ है, मगर अिनि तता आदत बन
सकती है जब आप कोई िन या मक ख़ रखने के बजाय ग़लत िनणय लेने से बचने के बहाने के तौर पर इसे एक
''सुरि त'' उपाय क तरह योग करते ह।

अिनि त चचा क आदत अ सर भय, मानिसक थकान या इस दोष क वजह से उपजती है क आप


अपना नज़ रया ठीक तरह से नह रख पाएँगे। य द कोई अिभभावक या िश क ब े क राय को लगातार ग़लत
ठहराए, तो ब ा भयभीत और यादा सतक रहने लगता है। कई वय क ि इसिलए कोई िनणय नह ले पाते
ह य क उनके साथ बचपन से ग़लत िनणय लेने का भय जुड़ा होता है। अ य क चचा संबंधी अिनि तता इस
वजह से ज म लेती है य क उ ह अपनी वैचा रक मता और नज़ रये को लेकर ो सािहत नह कया गया।

सामािजक और अंतरं ग वातालाप के ण म भी एक अिनि त ि अ सर ख़ामोश, तनाव त और


भयभीत रहता है। इन ि थितय म भावी बातचीत या सुनना संभव नह होता।

6. नाराज़गी - नाराज़गी आपके मन क कड़वाहट है, जो अपने आप पलती है। यह हमेशा ि और


ि थितय म बुरा खोजने क कोिशश करती है... और ाय: खोज भी लेती है। म ऐसे लोग को जानता ,ँ और
शायद आप भी जानते ह गे, िज ह ने अपनी पूरी ज़ंदगी कसी ि से िभड़ने, कभी-कभी कसी से भी झगड़ने,
जीवन क छोटी-मोटी परे शानी या कभी कही गई बात का बदला लेने म खपा दी। ऐसे ि एकाक और दुखद
जीवन तीत करते ह, य क वे अपने और बाक दुिनया के बीच दीवार खड़ी कर लेते ह। झ लाहट से भरे
ि से कोई भी बात नह करना चाहता, य क या पता यह लावा कब उस पर उबल पड़े।

7. अहंकार - अहंकारी वभाव अ य ि के ित आदर या उसक बात सुनने म दलच पी नह रखता।


अहंकार लोग के दरिमयान गंभीर कावट खड़ी करता है य क इसका दायरा हमेशा संकुिचत होता है, दूसर
तक प चँ ने क कोिशश नह करता। ोता को लगता है क उसका िसफ़ इ तेमाल हो रहा है और व ा के श द
महज़ एक सतही वाथपूण उ े य क पू त करते ह।

ऐसे ि का सरसरी तौर पर िव ेषण करने पर लगता है क वह आ ममु धता क अिधकता से त


होगा, कं तु यह भाव आि मक घृणा या दूसर ारा पहचाने जाने क ती आकां ा से भी उपज सकता है। कभी-
कभी कोई ि अहंकारी भाषा का योग दूसर का यान आक षत करने के िलए भी करता है।

उस ि से कोई भी बात करना पसंद नह करता जो हमेशा ख़द के बारे म ही बात करता हो, भले ही
उसक बात काफ़ दलच प हो। उसके श द दूसरे ि य से संपक बनाने के सू नह , बि क ि गत ित बंब
ही होते ह। वह संबंध बनाने के बजाय आईने से ही मुख़ाितब रहता है।

यह सभी सात सम याएँ वभावत: ि गत ह। मग़र अपने वातालाप क असफलता के इन कारक त व


क पहचान ही समझ के पुल का िनमाण करती है और अपनी बातचीत क असफलता को सफलता क ओर मोड़ने
क दशा म पहला क़दम है।

असफलता को सफलता म बदलना


असफलता से य द हम सीख ल, तो यह सफलता क सीढ़ी सािबत हो सकती है; यह हम सतक कर सकती है क
कससे बचना चािहए और बता सकती है क कस दशा म आगे बढ़ना चािहए। हमारे वातालाप के संदभ म भी
यह बात िवशेष प से सही है य क चचा क असफलता को सफलता म बदलने के गुण हमारे भीतर ही छु पे
ए ह। िनि त तौर पर बातचीत म हमारा साथी सफल वातालाप का मह वपूण अंग है, मग़र अर तू ने काफ
पहले यह जान िलया था क वातालाप के दौरान व ा के ि व से अिधक भावी कोई चीज़ नह होती। चचा
क असफलता को सफलता म बदलने के िलए हम अपने भीतर सफलता के इन िनजी गुण को िवकिसत करना
चािहए :
S - से फ़ अवेयरनेस (आ म-जाग कता)
U – अंडर टै डंग (समझबूझ)
C - के यर फ़ॉर अदस (दूसर का यान रखना)
C - कं ोल ऑफ़ इमोशंस (भावना पर िनयं ण)
E - ए टीम ऑफ़ व स से फ़ (आ म-गौरव)
S - से फ़ कॉि फ़डस (आ मिव ास)
S - शेय रं ग ऑफ़ व स से फ़ (अपने आप को दूसर के साथ बाँटना)
1. आ म-जाग कता - डे फ़ के भिव यव ा ने दो श द म बड़ी बुि मानी भरी बात कही - ''अपने
आपको जानो।'' अफ़सोस क उसने यह नह बताया क जाना कस तरह जाए। स दय से लोग ख़द को बाहरी
ोत से जानने क कोिशश करते रहे ह। कभी ह तरे खा िवशेष , तो कभी मनोिवशेष से। इस मामले म व ा
ारा बताए गए िवचार के ित बंब आईने या विनय क तरह मददग़ार सािबत ए ह। अ छे िम भी ऐसे ही
होते ह। कसी ने कहा है ''िम वह है, िजसके सम म - म रह पाऊँ।''
ित बंब का दूसरा आईना आपके भीतर है। आप अपनी आ म-जाग कता िवकिसत कर सकते ह - ख़द से
यह बार-बार पूछकर क कसी मु े पर आप या सोचते ह और आपका यह दृि कोण य है। अ यास क
सहायता से आप अपने नज़ रये के ित सहज महसूस कर सकते ह। इससे नई जानकारी के ित खुला नज़ रया
िवकिसत होगा और उनका सं ह तथा ज़ रत पड़ने पर उ लेख करने म मदद िमलेगी। आप महसूस करगे: ''म
यह ।ँ म यह सोचता ।ँ ये मेरे िव ास और मू य ह। चूँ क म इ ह जान चुका ,ँ इसिलए मुझे इनका मह व पता
है और म इनसे सहमत ।ँ मुझे पता है क म सबकु छ नह जानता और लोग मेरी हर बात से सहमत नह ह गे।
मगर म हर दन कु छ नया सीख रहा ँ और मेरे पास दूसर के साथ बाँटे जा सकने वाले अनुभव, िवचार और
िव ास ह।''

2. समझबूझ - मेरी एक ि य कहानी उन ा याता के बारे म है, िज ह ने अपने िव ा थय को शराब


पीने के घातक भाव का संदश े देने क कोिशश क । अपने संदश
े को ायोिगक व नाटक य व प देने के िलए
उ ह ने पानी से भरे िगलास म एक क ड़े को डाला और दूसरे क ड़े को िजन (शराब) से भरे िगलास म। क ा म
उ ह ने दखाया क पानी का क ड़े पर कोई दु भाव नह आ, पर शराब के िगलास वाला क ड़ा तुरंत मर गया।
उ ह ने पूछा ''इसका या मतलब िनकला'' क ा म पीछे से आवाज आई ''य द आप शराब िपयगे, तो क ड़ से
बचे रहगे।''

वाक़ई कई लोग जान-बूझकर आपक बात का ग़लत अथ िनकालते ह, पर जब वा तिवक समझबूझ क


ज़ रत हो, वहाँ ित या ज़ री है। अपने िवचार को दोहराकर और प ीकरण माँगकर हम अपनी ग़लती या
अनुिचत मा यता को सुधार सकते ह। फ डबैक लेने का कौशल पैदाकर हम सैकड़ - शायद हज़ार बेकार तक ,
भावना मक उबाल, चचा के गितरोध इ या द से बच सकते ह।

3. दूसर का यान रखना - जब ोता को लगता है क व ा को उनक परवाह नह है, तो वे उसे


सुनना बंद कर देते ह। मग़र य द उ ह लगे क व ा उ ह नकार नह रहा है, तो भले ही वह अ भावी वातालाप
कर रहा हो - उसक बात सुनी जाती है। ि से ि संवाद पर भी यह बात लागू होती है।

लोग म यह जानने क अद्भुत मता होती है क आप उनके बारे म या सोच रहे ह। वे िसफ़ आपके श द
ही नह , बि क चेहरे के हाव-भाव, आवाज़ क शैली से भी संकेत हण करते ह। यह संभव है क आ ोश और
वाणी क कड़वाहट के बीच भी आप अपनी वा तिवक भावना को छु पा ल, िजससे लोग आपको ग़लत समझगे
और आपके ित नकारा मक नज़ रया रखगे। म एक ऐसे बुज़ग को जानता ,ँ जो वाक़ई ब के ित ेमभाव
रखते ह, पर उनके चेहरे पर मौज़ूद थायी आ ोश और उदासी के भाव ब को भयभीत कर देते ह। एक ऐसे
ि को भी मने देखा, जो लोग म अपने ित दलच पी तो जगाना चाहता था, पर बे दे ठहाके लगाकर उ ह
दूर कर देता था।

कभी-कभार आईने म ख़द को देखकर यह जानने क कोिशश कर क आप अपनी सही अिभ ि दे पा रहे


ह या नह । अपने बोलने क आवाज़ को सुन। कसी ऐसे ि के बारे म सोच, िजसके बताव को लेकर आपको
खीझ होती हो। अपनी इस नाराज़गी को दूर कर क पना कर क वह ि मृ युशैया पर है और आप उसके ित
सद्भाव रखते ह। इस भाव को फै लने द - जीवन को फू ल क सौगात द।

4. भावना पर िनयं ण - कु छ लोग सोचते ह क उनका अपनी भावना पर उतना िनयं ण नह है,
िजतना एक क यूटर पर उसके ो ामर का होता है। वे मानकर चलते ह क उनके भाव जैसे आ ोश, झ लाहट,
अवसाद, ई या, नाराज़गी तथा ष े उनके मि त क म प चँ कर िवचार को िनधा रत करते ए बातचीत पर
भाव डालते ह। उनका रवैया भावना के आगे हार मानकर चलने वाला होता है। वे अपने आपको ऐसी बात
कहते ए पाते ह, जो वे अपनी सही मनोदशा म कभी क पना म भी नह कहते। वे संबंध को िबगड़ते देखते रहते
ह, वे ख़द ही अपने िशकार बन जाते ह।

शायद आपका दायरा सीिमत है। ग़ सा एक आदत बन सकता है, तनाव से मुि पाने क एक राह हो
सकता है। पर या आप जानते ह क ग़ सा कभी भी कोई सकारा मक ल य या दीघकािलक लाभ नह देता?
ग़ सा ऐसी चीज़ नह है जो बस आपके साथ हो जाए, जैसे यह कोई बाहरी व तु हो, िजस पर आपका िनयं ण
नह हो। यह भले ही आदत हो, पर यह आपका चयन भी है। इसिलए आ ोश और अ य भावना पर िनयं ण
कया जा सकता है। अपने आप म बदलाव लाने के िलए े रत होने से पहले इस बात पर यक न कर ल।

5. आ म-गौरव - आ म-गौरव का अथ अहंकार नह , बि क अहंशि है। ऐसी शि वाला ि ख़द को


भूलकर दूसर पर यान क त करता है। लोग आ म-गौरवशाली ि से बात करना पसंद करते ह य क ऐसा
ि अिड़यल, खीझा आ और ज दी भयभीत होने वाला नह होता।

आ म-गौरव क कमी अ सर ि गत मू य को कसी दूसरे ि के मानक पर आँकने से ज म लेती है।


उनके मानक सतही होते ह जैसे सुंदरता, पैसा, लोकि यता, शारी रक कौशल आ द, पर आप अपने िलए सही
मानक का चुनाव कर सकते ह। उदाहरण के िलए आप ख़द को िविश ि मान सकते ह। आप सृि कता ारा
ख़द को दी गई मानवीय ग रमा वीकार कर अपने नज़दीक िम से शीष गौरव ा कर सकते ह।

अिभभावक क सबसे मह वपूण िज़ मेदा रय म से एक है क वे अपने ब े म व थ आ म-गौरव क


भावना भर। इसके िलए ब े के ित ऐसे वीकाय भाव का िवकास ज़ री है, जो उसके ारा कए गए काय के
बजाय इस पर िनभर हो क वह या है। दि ण कै िलफ़ो नया िव िव ालय म फ़ु टबॉल के िश क जॉन मै े ने
अपने बेटे जॉन जूिनयर के शानदार दशन पर ऐसी ही ट पणी क थी। जब उनसे पूछा गया क या वे अपने
बेटे क उपलि धय पर गव करते ह, कोच मै े ने जवाब दया :

हाँ, म ख़श ँ क जॉन का िपछला स अ छा रहा। वह अ छा खेला और म गौरवाि वत ।ँ पर म तब भी


गौरव का अनुभव करता, य द मेरे ब े ने कभी फ़ु टबॉल खेली ही नह होती।7
6. आ मिव ास - आ म-गौरव क चट् टान पर आ मिव ास क भ संरचना खड़ी होती है, िजसका अथ
है कसी भी प रि थित म अपने आंत रक संसाधन पर पूण िव ास और िनभरता। आ मिव ास ख़तरे उठाने क
इ छा को दशाता है य क ि जानता है क असफलता पर भी वह िबना िहचक के , अपने आपसे आँखे िमला
सकता है। िव ास अप रिचत ि य से चचा और नई ि थितय से मुक़ाबले का साहस है य क वह ि के
भीतर कभी नाक़ाम न होने वाले तं का सृजन करता है।

वातालाप के दौरान आ मिव ास ि को अपनी बात कहने और दूसरे क बात सुनने म मदद करता है।
अनुिचत माँग, तीखी ि थितयाँ, फ़तवेनुमा सुझाव - ये सभी आ मिव ास के उसी कार िवरोधी ह जैसे रात और
दन। कसी झूठी छिव को संरि त करने या चा रत करने क ज़ रत के बग़ैर एक आ मिव ासी ि अपने से
िभ दूसर के नज़ रये को ख़ले दमाग़ से लेता है और ईमानदारी से अपनी बात रखता है।

आ म-गौरव क तरह आ मिव ास भी एक दन म पैदा नह होता। इस या क शु आत आप या ह?


या होना चाहते ह? कै से लोग से पेश आना चाहते ह? के ा प क रचना से होती है। एक बार म एक ही चरण
तय कर, फर आ मिव ास क रचना आसान हो जाएगी। िवकास के िलए िनधा रत प काययोजना पर अमल
कर कोई भी आ मिव ास क ाि कर सकता है।

7. अपने आपको दूसर के साथ बाँटना - कई लोग अपने बारे म बात करते ह, पर ब त कम अपने वा तिवक
व प को दूसर के साथ बाँटते ह। कु छ लोग को ''गोपनीय ि '' कहलाने म गौरव क अनुभूित होती है। अ य
ि बचपन से जुड़े मूक वभाव और भय तले दबकर रहना पसंद करते ह। दूसर के साथ अपने अित र
व प क साझेदारी से बचने के कई कारण ह। चा स शु ज़ ने ऐसे ही एक कारण को बताया है। देख िच 2-1
(अगले पृ पर)
लूसी बता रही है क य दूसर के साथ अपनी भीतरी बात बाँटना बेवकू फ़ है, पर अगर हम तुरंत मान ल क
दूसर पर भरोसा नह कया जा सकता, तो हम संवाद के ज़ रये ख़द को पाने के लाभ खो दगे। ि वस
मनोिच क सक पॉल ताँ नएर के श द म -
''कोई भी अपनी ही खोज के ज़ रये ख़द को जानने का दावा नह कर सकता... यह िसफ चचा से ही संभव
है। इसके िलए दूसर के साथ वातालाप आव यक है। दूसर के सामने अपने िवचार अिभ करके ही
वह इनके ित सचेत रह पाता है। अपने बारे म प दृि रखने वाले को एक वतं , वैचा रक सुझाव
वाले िव ासपा ि का चयन करना चािहए, जो इस िव ास के क़ािबल हो। यह कोई िम , जीवन
साथी अथवा िच क सक भी हो सकता है।”8
चचा संबंधी असफलता को सफलता म बदलने के िलए बड़बोलेपन या बुि म ा से कह यादा ज़ री ि व
संबंधी ये गुण ह। कोई भी इ ह िनजी ल य बनाकर हािसल कर सकता है। इसके िलए ज़ री है क ये ल य
िनरं तर दमाग़ म रखे जाएँ और दृढ़ता पूवक इनका अनुसरण कया जाए।
िवजय पाने क दशा म
काय योजना
1. सम या सुलझाने वाले जानते ह क य द वे सम या को भली भाँित जान ल, तो यह उसके समाधान क
ओर बड़ा क़दम माना जाता है। इस अ याय के ि तीय ख ड ''चचा म कावट के कारण'' क समी ा करने के
प ात अपनी संवाद संबंधी क ठन सम या क सूची बनाएँ। अब उन सम या पर काम कर, िज ह आज ही
सुलझाया जा सकता है।

2. कभी-कभी हम बातचीत के नकारा मक तरीक़े अपना लेते ह िजनके बारे म हम ख़द भी पता नह होता
(जैसे यादा बोलना या िनणायक क तरह वहार करना) इसे जानने के िलए स ाह भर तक अपने वातालाप
को रकॉड कर या काग़ज़ पर िलख। अपने िन कष का यौरा रख।

3. आपसी समझबूझ के िलए ित या ज़ री है, अपने कसी भरोसेमंद दो त से इसके िलए मदद ल।
उदाहरण के िलए उससे पूछ: ''मेरे बातचीत के तरीक़े म तु हारे िलहाज़ से या किमयाँ और ख़ूिबयाँ ह?'' उसका
ज़वाब यानपूवक सुन। सुर ा मक होने क कोिशश न कर। याद रिखए, नकारा मक तरीक़े के ित सजग होना
ही उसे दूर करने का थम चरण है।
3

चचा क नकारा मक
आदत को दूर कर

मानव जाित अपने आप म अनूठी है य क िसफ़ उसके पास ही िवक प रचने, पहचानने और इ तेमाल करने
क मता है...। यह मानवीय िविश ता का अंग है क हम चयन क दी ा िमली ई है।1
नॉमन किज़ स

हमारे वातालाप म, िजतना हम समझते ह उससे कह यादा आदत का भाव होता है। टेलीफ़ोन पर बात करते
ए, ब े को अनुशािसत करते ए, कसी सम या पर ित या दशाते ए या भावना क अिभ ि के समय
हम अवचेतन म कई तरीक़े िवकिसत कर लेते ह। ऐसे कई सामा य घटना म से हमारी आदत बनती ह।
जब आदत संवाद क या म सम या बनने लग, तो इसका कारण अ य ि ारा हम कस तरह
िलया जा रहा है, इसके ित हमारा अनज़ान रहना होता है। य द एक पु अपने िपता से कसी ि गत
सम या, कसी सपने या महज़ दनचया को लेकर बात करने क कोिशश करता है और िपता अख़बार म खोए ए
उदासीनता पूवक ज़वाब देते ह, तो वे पु के साथ अपने संबंध को आदत के ज़ रये ख़राब कर रहे ह। एक प ी
अगर अपने पित से भी उसी तरह बात करे , जैसे वह अपने ब े से करती है, तो इस आदत क वजह से वह उस
अंतरं गता को न कर देगी, िजसक उसे तलाश है। कसी सं था का अ य अपने कमचा रय से आदर क अपे ा
रखने के बावज़ूद अिड़यल ख़ या दृि कोण रखने क आदत से इस संभावना को ख़ म कर देगा।
या हम बदल सकते ह? या हम अपने श द और बोलने के अंदाज़ का चयन कर सकते ह? कई ि यह
दोन नह कर पाते। अपनी चचा म कावट का कारण न समझ पाने क वजह से वे तनाव, एकाक पन और सबसे
ख़तरनाक िनराशा का अनुभव करते ह, कं तु जैसे-जैसे हम यास करते ह और अपने कहे श द तथा कहने क
शैली के चयन को व त देते ह, हमारी चचा क नकारा मक आदत बदलने लगती ह।
क यूटर ो ामर एक संकेत ''जी.आई.जी.ओ.'' का योग “गाबज इन, गाबज आउट'' क अिभ ि के
िलए करते ह। अथात् जो आप क यूटर म ो ाम करगे, वही बाहर आएगा। अगर बातचीत आपक इ छानुसार
नह है, तो अपने मि त क को िड ो ाम कर ऐसा काय म तय कर सकते ह, जो आपको िवजयी प रणाम दे।
बातचीत म िजताने वाली '' ो ा मंग'' इसिलए संभव है य क आप अपनी बातचीत को भािवत करने वाले
इन चार मुख कारक पर िनयं ण कर सकते ह:
आपके श द
आपका ल य
आपक रणनीित
आपक ितब ता

अपने श द चुन
सबसे पहली बात, आप अपने िलए श द सुन सकते ह। सैकड़ िवचार सू और अनुभव से जुड़े भाव म से आप
एक िवचार और फर उसक अिभ ि के िलए श द का चुनाव करते ह। यह चयन आदत अथवा अवचेतन पर
आधा रत हो सकता है। इसे चेतन व प म लाने के िलए आपको िसफ़ उन पर क त होना है।
श द चयन बातचीत को कै से भािवत कर सकता है, इसका एक उदाहरण यहाँ दया गया है -
टे लीफ़ोन पर बातचीत
िडक: हेलो ज़ेन, मने एक घंटे पहले भी तुमसे संपक
करना चाहा पर कोई ज़वाब नह िमला।

पहला िवक प सीधा-सादा है, िजसम दूसरे ि से बातचीत म पूवा ह रखे बग़ैर ज़वाब दया गया है। दूसरे
िवक प म आ ोश और िन कषवादी मानिसकता दशाई गई है। कं तु इन दोन मामल म कहे गए श द का अपने
सहयोगी पर असर साफ़ नज़र आता है।

अपने ल य िनधा रत कर
दूसरा क़दम यह क आप अपनी चचा को दशा और साथकता दान करने के िलए ल य िनधा रत कर सकते ह।
ल य के बग़ैर आपके िवचार, बोलने का तरीक़ा, विन क र तार और शारी रक भाषा िसफ़ समय पर क त
एक आदत बनकर रह जाएँग,े कं तु सु प ल य के साथ आपक अिभ ि मंिज़ल से नह भटकने पाएगी।
ल य िनधा रत करना बातचीत क कला के िवकास म आपके िलए मह वपूण सहायक त व हो सकता है -
कं तु य द आपके ल य अ प और अयथाथवादी ह , तो इससे झ लाहट भी हो सकती है। पीपुल इन ा ीस के
लेखक वडेल जॉ सन ने इसे आई.एफ.डी. बीमारी नाम दया। आई. अथात् आइिडयलाइज़ेशन या
आदशवादीकरण, एफ़ यानी ेशन या खीझ, डी का मतलब िडमॉरे लाइज़ेशन या हताशा है। जॉ सन के
अनुसार जब आप प च ँ ने क राह बनाए बग़ैर अित आदशवादी ल य िनधा रत करते ह, तो आपको खीझ और
हताशा हाथ लगती है और अंतत: आप हार मान लेते ह।
आई.एफ.डी. बीमारी का इलाज करने और अपने अंतवयि क संबंध म एक गहरी उपलि ध का एहसास
पाने के िलए आपको अपनी चचा के ल य माट रखने ह गे। माट (SMART) यहाँ दए गए ल य का आधार
श द है :
पेिस फ़क (िविश ) - आपका ल य दूसरे काय से अलग काय करने वाला होना चािहए। उदाहरण के
िलए ''म लोग से चचा के दौरान यादा सुनना चाहती ,ँ '' कहने के बजाय आप कह सकती ह - ''म अपने पित से
चचा के दौरान उ ह पूरा मह व देना चाहती ।ँ ''
मेज़रे बल (मापने यो य) - आपका ल य आपके काय या बताव क प रमाप दशाने वाला होना चािहए।
यह कहने क अपे ा क ''म अपने पित क बात और यादा सुनना चाहती 'ँ ' आप कह सकती ह, ''म अपने पित
को कम से कम पं ह िमनट तक ित दन पूरे यान से सुनना चाहती 'ँ '
अफ़म टव (िन या मक) : आपके ल य से सकारा मक या नज़र आनी चािहए, जो आपको बेकार के
काम के बजाय सीधे ल यक ओर ले जाए। जैसे यह कहने के बजाय क ''जब पित मेरे आस-पास रहते ह तो म
परे शानी महसूस करना नह चाहती।'' आप अपने िविश और मापने यो य ल य म जोड़ सकती ह ''म अपने पित
को बताऊँगी क म उनक परवाह करती ँ और उनके साथ रहना मुझे अ छा लगता है।''
रयिलि टक (यथाथपरक) : अपने ल य को ा करने यो य बनाए रखने के िलए उसे फ़ौरन काम म आने
लायक़ बनाएँ। ऐसा ल य वा तिवक नह होता, जहाँ प च ँ ना आपके िनयं ण से बाहर हो। िलहाज़ा य द आप
अपने पित से सवाल के ज़ रये वातालाप शु करना चाहती ह, तो इसे तुरंत कर डाल, आपका ल य पूरा हो
जाएगा, फर भले ही पितदेव आपके का कै सा भी ज़वाब द। एक यथाथपरक ल य आपको नई चुनौितय के
साथ यह िव ास भी देता है क आप उस तक प च ँ सकते ह।
टाइम-कांि टेड (समय क त) : आपका ल य आपके काय क समय सीमा िनधा रत करने वाला होना
चािहए। यह कहने के बजाय क ''म इस ल य पर िनकट भिव य म काम शु करना चा गँ ी'' यह कह क ''म इस
ल य को आज रात ही िडनर पर अपनाऊँगी।''

इन सभी को एक साथ रख, आप अपने माट ल य को इस कार िलख सकते ह -

म अपने पित पर कम से कम पं ह िमनट ित दन पूरा यान दूग


ँ ी। म उ ह बताऊँगी क मुझे उनके साथ
रहना अ छा लगता है और म उनक परवाह करती ।ँ म आज िडनर पर अपने से उनके साथ
वातालाप शु क ँ गी।

माट ल य के उपयोग का एक सरल और उपयोगी तरीक़ा यह है क आप अपना एक ल य चुन और


ह तेभर उस पर काय कर। जब इसम द ता हािसल हो जाए, तब दूसरा ल य ल। शु आत म एक ऐसे
ल य को चुन, जो पूरा कए जाने यो य हो, उसक पू त पर अपने आप को ख़ास तरीक़े से इनाम द। अपने
ल य क ओर या ा और उसक उपलि ध म ख़द आनंद महसूस कर। बातचीत म जीत क ाि क ओर
बढ़ने म गौरव का अनुभव कर।

अपनी रणनीित बनाएँ


सै य श दावली म रणनीित का अथ श ु को परािजत करने वाली मुठभेड़ क योजना बनाने के िव ान या कला
से होता है। चचा म नकारा मक आदत ही हमारी श ु ह। इस श ु पर िवजय के िलए सुिनि त योजना या
रणनीित ज़ री है। आपका ल य जीत को पाना है। आपक रणनीित बताती है, इसे कै से हािसल कया जाए।
वहार िव ान के िवशेष बताते ह क िन रणनीितयाँ हमेशा भावी सािबत ई ह। इ ह कस कार
अपने ल य पर लागू कया जाए, यह बताने के िलए हम यह का पिनक ि थित िनधा रत करते ह। आप और
आपका जीवनसाथी ठीक कार से बात नह करते। छोटे मनमुटाव बड़ी बाधा क श ल ले लेते ह। ददनाक
ख़ामोशी तोड़ने के िलए आप बोलते ह पर साथी क िशकायत है क आप सुनने को तैयार नह होते। िलहाज़ा
आप यह ल य िनधा रत करते ह :

आज रात सोने से पहले म अपने साथी से पूछूँगा और कम से कम पं ह िमनट तक उसक बात


शांितपूवक सुनूँगा।

फर आप िन रणनीित पर काम करते ह :


अपनी बाधा को प कर - जब तक आप अपनी बाधा को पहचान नह लेते, आप जान नह पाएँगे
क उनको कै से दूर कया जाए। काग़ज़ पर तमाम बाधा को िलखकर समान बाधा के समूह बनाइए। फर
येक समूह को ाथिमकता या मह व के आधार पर नंबर देकर तय कर क कस समूह से पहले पार पाना है।
उपरो ल य से संबंिधत कु छ संभािवत बाधाएँ इस कार ह। समान नंबर से समान बाधा वाले समूह
रे खां कत कए गए ह ओर 1 से 5 तक के पैमाने पर उनका उ लेख है िज ह पहले दूर कया जाना है।
2. हमारी दनचया म पया समय नह है।
1 . म अपने साथी के पसंदीदा वातालाप - उनके काय के तकनीक िववरण म िच नह रखती।
2. जब आिख़रकार हमारे पास समय होता है, हम दोन ही प प से सोचने के िलए थक चुके होते ह।
4. मेरे बोलने का तरीक़ा जीवनसाथी को दूर कर देता है।
3. बोलते व त म बचाव करने लगती ।ँ
3. पित के िवचार मह वपूण लगते ह, मेरे इतने नह ।
1. बोलते व त म गंभीरता से यही सोचती रहती ँ क आगे या कहना है, पर व त आने पर कु छ
सूझता ही नह ।
1. कभी-कभी मुझे लगता है क मेरे पास बोलने के िलए ज़ रत से यादा चीज ह।
5. मुझे सचमुच पता नह , मेरा साथी मुझसे बात य नह करना चाहता।
समाधान िवकिसत कर - अब आसान चरण सामने ह। एक बार जब आप अपनी सम या प प से
िनधा रत कर लेते ह समाधान अपने आप सामने आने लगता है। यहाँ येक बाधा का समाधान है
1. म या कहने जा रही ,ँ इसक चंता नह क ँ गी। िसफ यानपूवक बात सुनकर पूछूँगी। म
जानना चा गँ ी क मेरे साथी को उसके काय म या उ सािहत करता है।
2. हमारे पास एक-दूसरे के िलए समय है। म पित को पं ह िमनट तक बग़ैर यान खोए, िनि त प से
सुन सकती ।ँ य द ज़ री आ, तो म बात करने से पहले आराम कर सकती ,ँ ता क उनक बात
पर पूरा यान दे सकूँ । य द एक-दूसरे के िलए व त िनकालने क ज़ रत पर पित से बात क ँ , तो
मुझे पूरी उ मीद है क हम इसका समाधान ढू ँढ सकते ह।
3. इस बाधा का समाधान मूलत: एक झान है। म यह ख़ रखूँगी क पित से पधा करने क
आव यकता नह है। एक ि के बतौर मेरी ख़द क पहचान है। मुझे इसे सािबत करने क ज़ रत
नह है। म अपने पित के िवचार का लु फ़ उठाऊंगी।
4. मेरे बोलने का नकारा मक तरीक़ा संभवत: मेरे सुर ा मक रवैये और इस एहसास क वजह से है क
म या बोलूंगी। इसका मुक़ाबला अपनी शि के बल पर करते ए अपने पित क भूिमका म ख़द को
रखकर सुनूंगी क म या कह रही ।ँ म अपने पित को रोजाना सराहने का अ यास क ँ गी।
5. उपरो उपाय के बाद भी य द बाधा . 5 बाक़ रहती है, तो म पित से चचा क ँ गी क अपनी
बातचीत क सम या को दूर कर वातालाप को एक-दूसरे के पसंद आने लायक कै से बनाया जाए।
वाक़ई, आपक बाधा के े समाधान आपके भीतर ही ह। व तुत: आप यह जानकर हैरत म पड़ जाएँगे क
आपक सम या दूर करने क मता आपके सम समझबूझ के नए ार खोलती है। कु छ समय म आपको सम या
दूर करने क या आनंददायक लगने लगेगी। तब समझ क आप गित पर ह।
अनुकरणीय वहार को आदश बनाएँ - य द आपसे कहा जाए क अपने आदश व ा को चुन, तो आप
कसे चुनगे? वह आदश व ा य है? ख़ासतौर पर वह सुनता कस कार है? उसक बॉडी ल वेज या कहती
है? अपनी आँख से वह या संकेत देता है? वह कस कार के पूछता है? अपने ोता को वह कस कार
सहज रखता है? कसी दूसरे ि क ख़ूिबय का अनुसरण कर उसे अपने िलए आदश वहार क श ल म
ढालना आसान है, य क एक बार ऐसा वहार देख लेने के बाद उसे दोहराना आसान हो जाता है।
सफलता क क पना कर - आपका मि त क एक शि शाली सहयोगी है। अपने ल य से िमलने वाले लाभ
को िलख डाल। अपने सव े आ म- व प क अिभ ि क क पना कर। उस आनंद क क पना कर, जो आपके
साथी को आपक कही बात सुनने - समझने से ा होता है।
सकारा मक वीकृ ित िलख - नकारा मक आदत को दूर करना और नई को अपनाना मुि कल होता है। कई
लोग कोिशश करते ह, असफल होते ह, फर मैदान छोड़ देते है। कं तु य द वे कोिशश और असफलता के बाद
अपने आपको समायोिजत कर और फर सु प ल य के िलए यास कर, तो सफलता क संभावना काफ़ बढ़
जाती है।
सकारा मक वीकृ ित से मि त क को '' फर यास करने'' के िलए ो साहन िमलता है। वह आपको
मनचाही दशा म आगे बढ़ने के िलए ो सािहत करती है। वह संकेत प क तरह है, जो आपको सही रा ते पर
क़ायम रखे। यहाँ मेरी कु छ पसंद उ लेिखत ह -

म कसी से नह ड ँ गा।
म लोग से बात करना पसंद करता ।ँ
म एक कु शल ोता ।ँ
म अपने िवचार और भावनाएँ िव ासपूवक बाँटता ।ँ
म जब बोलता ,ँ लोग सुनते ह।
म असफल होने पर ख़द को समायोिजत कर फर यास करता ँ और सफल होता ।ँ

वीकृ ित को लेकर एक सकारा मक बात यह है क उसका आपके अनुभव म मौज़ूद होना कोई ज़ री नह । इसके
बावज़ूद वह आपक गित के तर म शि शाली उपकरण सािबत होती है। उन पर कामकर और उ ह दोहराकर
वा तिवक बनाया जा सकता है।
ख़द को इनाम द - अपनी अ छी आदत को नज़रअंदाज़ कर नकारा मक आदत के िलए ख़द को सज़ा देना
ख़द को सुधारने का ठीक तरीक़ा नह है। यह दु प रणाम दे सकता है। वहार िव ानी तीन 'आर' क चचा करते
ह: रीइनफ़ो ड र पॉ सेज़ र योर अथात् मज़बूत ित या ख़द को दोहराती है। दूसरे श द म य द आप नए
कौशल को लागू करते ए अपने आप को पुर कृ त करते ह और नकारा मक आदत दूर रखते ह, तो दरअसल आप
अपनी सकारा मक आदत को मजबूत करते ए उस कौशल के बार-बार इ तेमाल क संभावना बढ़ा रहे ह।
िलहाजा कसी कार से ख़द को पुर कृ त करने क कोिशश कर। यह पुर कार कु छ भी हो सकता है - सुबह-सुबह
िप ज़ा का ऑडर जैसी द लगी या फर वह सबकु छ जो आपको अपने ल य तक प च ँ ने म िमली सफलता के
अनुभव का फ़ायदा प च ँ ाए।

अपनी ितब ताआ पर काम कर


यूयॉक लॉटरी 'इं टट िमिलयनेयस' पर एक सव ण कया गया। कमोबेश सभी मामल म जहाँ लाभाथ अपने
जीवन म मह वपूण गित नह कर पाया था उनको िमला पैसा शी ही ख़ म हो गया। यहाँ कमज़ोर कड़ी या
थी? ितब ता - िनजी ल य के िलए आव यक अनुसरण क ख़ूबी।
संवाद म भी नकारा मक आदत को दूर करने के िलए ितब ता ज़ री है। मज़बूत ितब ता के अभाव
म बचाव क आदत मह वपूण िन कष को छु पा देगी। चचा क रणनीित पर काम करते ए छोटी परे शािनयाँ
अंतत: बड़ी बाधा क श ल ले लेती ह। यहाँ चार ितब ताएँ ह जो आपको िपछली बाधा से उबरकर
सकारा मक आ म-अिभ ि म मददग़ार होगी:
1. म अपनी संवाद सम या का ईमानदारी से सामना क ँ गा, ता क उनका समाधान करना शु कर
सकूँ ।
2. चचा के दौरान अपने सव े आ म- व प क अिभ ि का पूरा यास क ँ गा।
3. प रवतन क ताक़त का प रचय देकर लोग से संबंध के तरीक़े िवकिसत क ँ गा।
4. ज़ रत के मुतािबक़ क़दम पर अमल कर लोग से वैसे संबंध िवकिसत क ँ गा, जैसे अपने िलए
अपे ा करता ।ँ
ऐसी ितब ता करने के य प से कई बेहतर कारण ह। आप तभी सीखते ह, जब सीखने को ितब ह ।
जब आप इन ितब ता पर िनयिमत प से काम करना शु करते ह, तो सकारा मक प रवतन के
श ु जैसे वाथ पन सुर ा मकता, परािजत सोच और अपनी िनरथकता के एहसास पर िवजय पाएँगे। जब
आप नकारा मक आदत को दूर कर उ े यपूण, सकारा मक आ म अिभ ि को सामने लाते ह, तो आपका
मि त क रचना मक, सम या दूर करने वाली ऊजा वािहत करना शु कर देगा। आप देखगे क आप कै से अपनी
ज़ंदगी म मह वपूण ि य से तालमेल और साथकता के नए तर ा कर सकते ह। आपक बातचीत का नया
अंदाज़ चु त पोशाक क तरह आप पर जँचने लगता है। सफल बातचीत एक ''आदत'' बन जाएगी।

िवजय पाने क दशा म


काययोजना
1. अपनी नकारा मक संवाद आदत क सूची बनाएँ। य द तुरंत याद न आए, तो िम या प रवारजन से
पूछ। वे जो भी कह, उनसे तक न कर। बस मु कराएँ और िलख। मु कराएँ इसिलए य क आप जानते ह क आप
इन नकारा मक आदत को दूर कर सकते ह। और अपने ल य के पहले क़दम के प म उ ह िलख ल।
2. अपने मह वपूण ि के साथ संवाद हेतु माट ल य िलखने क शु आत इस कार कर:__________
से संवाद सुधार के िलए म िन काय क ँ गा: [उन ख़ास क़दम क सूची बनाएँ, िजनपर काम करने क ज़ रत
आपको महसूस होती हो]।
3. य द उस ि से संवाद का अनुभव संतोषजनक न रहे, तो अपने ल य रणनीित व ितब ता का
िव ेषण कर। ''नकारा मक आदत'' शीषक के अंतगत आपने जो कहा, आपके ल य या थे इ या द िलख।
''सकारा मक आदत'' म उन प रवतन का उ लेख कर जो आप बातचीत म सुधार के िलए करगे।

4. िवजय क दशा म बढ़ते चरण को 3x5 आकार के काड पर िलखकर वहाँ रख, जहाँ आपक नज़र बार-
बार पड़ती हो। उदाहरण के िलए ''म?__________ से बात करना और उनक बात सुनना पसंद करता/करती ँ
।'' ''म ऐसा ि बन रहा ,ँ िजससे बात करने म लोग को अ छा लगता है। ''यह सोच क आप अपने चचा के
ल य क ओर बढ़ रहे ह। उस पर काम कर, तो सचमुच उस ल य तक प च ँ गे।
4

सुनने क कला सीख

िसफ़ एक दन... एक घंटे... एक पल के िलए मेरी बात सुनो। इसके पहले क म अपने भयावह उजाड़ म, अपने
सूने अके लेपन म मर जाऊँ। हे ई र, या यहाँ मुझे सुनने वाला कोई नह है?'
सेनेसा, ई.पू.4

बाइबल के अनुसार सैमसन ने एक गधे के जबड़े क ह ी से दस हजार फ़िल तीिनय को मार डाला था। मुझे
यक़ न है क इसी उपकरण से रोज़ाना इससे कह यादा संवाद क मौत होती है।
आदश प म वातालाप आपसी आदान- दान अथात् बोलने और सुनने पर िनभर होता है। दुभा यवश
बोलने वाले तो ब त िमलते ह, पर सुनने वाले कम। आप याद कर, िपछली बार जब आप कसी से बात कर रहे थे
और ोता कसी सोच-िवचार म डू बा आ था। तब आपने पाया होगा क वह आपको सुनने के बजाय ये सोच
रहा था क आपक बात ख़ म होते ही उसे या बोलना है।
या आप ऐसे दस नाम बताएँग,े जो आपक बात सोच समझकर सुनाते हो... ऐसे लोग, जो आपक बात
पर सुनने के बाद िवचार करते ह , आपक तरह सोचते ह और आपके कहने से पहले मन क बात समझ जाते
ह ? कु छ लोग िसफ़ पाँच नाम ही िगना सकगे। यादातर लोग को ऐसे ि य क तलाश रहती है, िजनसे वे
अपने मन क बात कह सक और जो उनक बात सुने।
आिख़र सुनने के िलए इतने कम लोग तैयार य होते ह? सुनने का गहरा, काला राज़ या है, जो लोग
को इस कला म महारत पाने से रोकता है? ऐसा कोई राज़ नह है। अलब ा कु छ सरल उपाय ह, जो अ छा ोता
बनने के िलए ज़ र अपनाए जाने चािहए। ये मुि कल नह ह। कोई भी इनका अ यास कर अ छा ोता बन
सकता है।
इन चरण क चचा से पहले जानना ज़ री है क बेहतर ढंग से सुनना य मह वपूण है। पेरी
कॉरपोरे शन ने पाया क सुनने क कला म िश ण के बग़ैर हम अपने सुने ए का िसफ़ 25 ितशत ही समझ
पाते ह। और ावसाियक व िनजी दोन ही संबंध म बात पूरी तरह न सुनने क महँगी क़ मत चुकानी पड़ती है।
सुनने क साधारण ग़लितय से वसाय जगत को हर साल करोड़ डॉलर क हािन होती है। िनजी र त म
सुनने क सामा य ग़लितय के फल व प बातचीत म कावट उपजने से लोग क आपसी समझबूझ िबगड़
जाती है। यहाँ इसे प करने के िलए घर से भागे एक कशोर का प है -
ि य अिभभावक,
हर चीज के िलए आपका शु या, मगर म नए िसरे से ज़ंदगी क शु आत के िलए िशकागो जा रहा ।ँ
आपने पूछा था क मने इतनी तक़लीफ़ य दी और वह बात य क । मेरे िलए इसका ज़वाब आसान है,
पर म नह जानता, आप मेरा प ीकरण समझ पाएँग।े
याद है, जब म छह या सात साल का था और म के वल ये चाहता था क आप मेरी बात सुन? मुझे याद है,
वे सारी चीज़ जो आपने समस और मेरे ज म दन पर मुझे दी थ और उ ह पाकर म वाक़ई ख़श आ
था... ह ते भर के िलए... मगर वष के शेष समय म म उपहार नह , िसफ़ इतना चाहता था क आप मुझे
यह महसूस कर सुने क म भी भावनाएँ रखता ,ँ म भी कु छ ।ँ बचपन म कई चीज़ मुझे महसूस होती थ ,
पर आपका कहना था क आप त ह।
माँ, आप शानदार खाना पकाती ह, आपक हर चीज साफ़-सुथरी रहती थी, पर इन सब काम म आप
इतनी यादा त रहती थी क आप थक जाती थ ; पर माँ या आप जानती ह? - म के वल िब कू ट और
म खन खाकर भी खुश रहता य द आप कु छ देर के िलए दन म मेरे पास बैठत और मुझसे पूछती : ''मुझे
सबकु छ बताओ ता क म तु हारी मदद कर सकूँ !''
डोना के जब कभी ब े ह , तो उसे बताना क वह उस ब े पर यान दे, जो मु कराता नह है, य क
भीतर से उसे रोना आ रहा होगा। छह दज़न िबि कट पकाने म त होने से पहले उसे यह जाँच लेना
चािहए क कह उसके ब े के पास उसे सुनाने के िलए कोई सपना, कोई उ मीद या ऐसी ही कोई चीज़ तो
नह , है य क छोटे ब के िलए भी िवचार मह वपूण होते ह, भले ही अपनी बात कहने के िलए उनके
पास यादा श द न हो।
मेरे याल से हर ब ा अपने वय क को त देखते ए उस ि क तलाश करता है, जो उसक बात
सुने, उससे नम से पेश आए। आपने य द कभी मुझे टोकते ए ख़ेद कया होता तो म ख़शी से िबछ
जाता ।
अगर कोई पूछे क म कहाँ ,ँ तो कहना, म ऐसे लोग क तलाश म िनकला ,ँ िजनके पास समय हो
य क मेरे पास कई ऐसी बात ह, िजनके बारे म म चचा करना चाहता ।ँ
यार सिहत,
आपका पु '
एक के बाद एक धीरे -धीरे , मश: अिड़यल होकर क गई ग़लितयाँ लोग के बीच दीवार खड़ी कर देती ह।
सुनने के मामले म ग़लती नह होनी चािहए; और सुनने का सकारा मक कौशल सीखा जा सकता है। सुनने
के शोध और िश ण पर 50 से 60 लाख डॉलर ितवष खच करने वाले पेरी कॉरपोरे शन के अनुसार िव ालय
म जहाँ सुनने क तक़नीक िसखाई जाती है, सुनने क समझ महज़ कु छ महीन म दो गुनी हो जाती है। बेहतर
सुनने क दशा म िन छह क़दम उठाकर आप भी अपने सुनने के कौशल को िवकिसत कर सकते ह।

पहला क़दम:
सुनने का चयन कर
जब तक हम यह पहला क़दम नह उठाएँगे, हमारे बेहतर सुनने के यास क दशा म बाधाएँ आती रहगी।
भावी वण म तीन सामा य कावट ख़ासतौर पर चंताजनक ह, िजनम पहला है तनाव। शोध के अनुसार
दय रोग कसर, दुघटना, दयाघात, सन रोग और कई अ य बीमा रय से तनाव का कसी न कसी कार का
संबंध है। र त पर भी इसका भाव पड़ता है। थोड़ी सी शांित क तलाश म मि त क एक साथ कई िवपरीत
दशा म भागने लगता है... नतीज़तन कोई साथक गित नह होती। ऐसी ि थित दूसरे ि क बात पर
पया यान देने म बाधक बनती है, जब तक क सामने वाला ि सुनने को लेकर अित र प से एका ता
न दशाए।
सुनने क राह म दूसरा अवरोध ''म'' ंिथ है। कु छ सामािजक िव ेषक के अनुसार आजकल एक ''नई
आ ममु धता'' िव म पैर पसार रही है िजसका एकमा ल य ि गत अि त व और आनंद है। इससे इं कार
करना मुि कल है क आज हजार अमरी कय का नज़ रया ि गत चंता तक सीिमत है। इसी आ मक त
झान क वजह से कु छ िव ेषक ने 1970 के दशक को ''म'' दशक का नाम दया है।
जब कोई ि ''म'' ंिथ से िघरता है, तो वह दूसर क परवाह नह करता। वह अपने िसवाय कसी
अ य के नज़ रये को जायज़ नह मानता। वह अपने ि व को लाभ प च ँ ाने वाली बात ही सुनता है। वह वही
सुनता है, जो उसे पसंद हो। वह कतना ही चाहे, उसके आ मीय संबंध िवकिसत नह हो पाते य क उसक
सारी चंता अपने िवचार सामने रखने, अपने आपको सही ठहराने एवं दूसर क क़ मत पर अपने उ थान तक ही
सीिमत रहती है।
बेहतर सुनने का तीसरा अवरोध मि त क क र तार है। ि य के बोलने क औसत दर 200 श द ित
िमनट होती है, जब क हमम से कई इससे चार गुना तेज़ी से सोच सकते ह। इस अित र समय म अ भावी
ोता अनाव यक दशा म दमाग़ ख़च करता है। उसका मि त क गुज़रे कल क बात के बारे म िवचारने, आने
वाले कल क योजना बनाने या ावसाियक परे शानी सुलझाने... अथवा ''सोने'' म त रहता है।
सचेत रहकर सुनने क कला सीखने से ये तीन अवरोध दूर कए जा सकते ह। उदाहरण के िलए, जब एक
ोता सुनने क दृढ़ ित ा करता है, तो वह अपने साथी क बात सुनने से पूव कु छ समय तक ख़द को आराम क
ि थित म ले आए। उसका सुनने का चयन मि त क को तनावरिहत अव था म ले आएगा। उसका यह चयन उसे
आ मक त करने म भी मदद करे गा और वह सामने वाले क बात पर यान दे पाएगा। इससे बढ़कर उसका
मि त क इसे चुनौती क तरह लेकर उस अित र वणकाल का उपयोग व ा क बात के समुिचत िव ेषण म
करे गा। अ छा ोता गहराई से बात सुनकर बोले गए श द और मौन संकेत के ज़ रये व ा के वा तिवक
अिभ ाय को समझने क कोिशश करता है।

दूसरा क़दम:
स यता से सुन
िनि य वण म मि त क बातचीत क या म आिशक प से ही भाग लेता है। स य वण म उसक पूण
भागीदारी होती है। जब आप स यतापूवक सुनते ह, तो आप कही जा रही बात पर यान क त करते ह और
आप उस पर साथक ित या दशाते ह। इससे आपसे चचा करने वाला ि अपनी बात गहराई से ज़ारी रखने
के िलए ो सािहत होता है। आप तब वीकृ ित क भाषा संचा रत करते ह -अथात् एक ऐसा अचूक संकेत, जो
व ा के कथन से सहमित के बग़ैर भी उसे अपनी मह ा का आभास दलाता है। उसके िवचार को अहिमयत देता
है।
सतही तर पर कु छ साधारण ित याएँ स य बातचीत ज़ारी रखने के ार खोलती ह। '' ार खोलने
वाली'' ऐसी ही कु छ ट पिणयाँ इस कार ह-
दलच प।
मुझे इसके बारे म बताएँ ।
मुझे और जानकारी द।
या आप इस पर चचा करना पसंद करगे?
चलो इस पर चचा कर।
आपके दमाग़ म कु छ ज़ र है।
आपके िवचार मेरे िलए मह वपूण ह।
खुले ार से वेश और गहराई से बात समझने के िलए आपको चचा म शािमल साथी से अपनी ित या
(फ डबैक) करनी ही चािहए। प ीकरण के िलए कह या अपने श द म वह बात दोहराएँ, जो साथी ने
कही हो, ता क प हो सके क उसक बात का वही संदश े जा रहा है, जो वह चाहता है। इस कार बात को
दोहराया जाना बातचीत के ित आपका मू यांकन या राय ज़ािहर नह करता, पर अद्भुत तरीक़े से यह आपके
साथी को अपनी चचा जारी रखने, उसके अनुभव के मूल तक जाने और पर पर समझबूझ के िवकास म मदद
करता है।
सामने वाले के आशय के बारे म क पना कर लेने क हमारी सामा य वृि फ डबैक से सुधरती है।
उदाहरण के िलए य द कोई ब ा कहे ''म कू ल नह जाना चाहता। “अिभभावक ये मान सकते ह क ब ा आलसी
है या वह सीखना नह चाहता। कई बार अिभभावक इसे अपनी स ा पर आघात मानकर कहते ह - ''तुम पागल
हो या? तुम चाहो न चाहो तु ह कू ल जाना ही है! “प रणाम? अ सर यह इ छा का संधष, कड़े श द का
योग चीख-िच लाहट, गु से, रोने-पीटने या नाख़शी म बदल जाता है। पर या यह टकराव ज़ री था?
िन संवाद पर यह जानने के िलए नज़र डाल क कस कार अिभभावक स य वण के ज रये ब े क
ज़ रत को समझकर अनाव यक िववाद से बच सकते ह ।
ब ा : म कू ल नह जाना चाहता।
अिभभावक : तुम कू ल नह जाना चाहते ।
ब ा : म कू ल से नफरत करता ।ँ
अिभभावक : तुम कू ल का होमवक नह करना चाहते?
ब ा : नह होमवक नह , म दूसरे ब से परे शान ।ँ
अिभभावक : दूसरे ब ?े
ब ा : हाँ... ख़ासकर रक, टॉम और टीव।
अिभभावक : तुम रक, टीम और टीव को पसंद नह करते?
ब ा : वे मुझे नह चाहते।
अिभभावक : ठीक है।
ब ा : वे मेरा मज़ाक उड़ाते ह और मुझे ''टेढ़ा टट् टू '' कहते ह।
अिभभावक : टेढ़ा टट् टू ?
ब ा : उ ह लगता है म अजीब तरीक़े से दौड़ता ।ँ
अिभभावक : तु ह पता है एक िस फ़ु टबाल िखलाडी को भी लोग इसी नाम से पुकारते थे।
ब ा : नह ... सचमुच?
अिभभावक : हाँ। वह दूसर से अलग तरीक़े से दौड़ता था। फर भी कोई उसका पीछा नही कर पाता था।
ब ा : मै ब त तेज़ दौड सकता ।ँ
अिभभावक : हाँ, मै जनता ,ँ तुम तेज़ दौड सकते हो। अब कू ल का व त हो रहा है। ज दी से तैयार हो जाओ।
ब ा : ठीक है।
य िप यह वातालाप संि है, पर इसक भावशीलता देिखए। अिभभावक ने या कया? ब े क आ मछिव
कस कार प रव तत ई? स य वण म र ा मक ख़ दूर करने, चो टल भावना क मरहमपट् टी और
आ म-गौरव का भाव बढ़ाने क मता है। शु आती तौर पर यह तकनीक यथाथ से दूर और अटपटी लग सकती
है, पर ये वाक़ई काम करती है। इसे सतत एक ह ते तक अपनाएँ। आपका या जाएगा? इससे बढ़कर आप ब त
कु छ पाएँगे।
ग़लतफ़हमी के मामले ब त ज टल होते ह य क हम पता ही नह रहता क हम सामने वाले ि क सही
बात को ग़लत समझ रहे ह। हम मानकर चलते ह क हमारे िन कष सही ह। सम या तब और बड़ा प ले लेती
है, जब कोई ि िसफ़ दूसरे क ही नह , ख़द अपनी भावना का भी ग़लत मतलब िनकाल लेता है। ब े ने
शु म सोचा क उसक परे शानी क जड़ कू ल और फर तीन दो त ह। वा तव म उसक सम या ख़द के ित
तीन सहपा ठय के नज़ रये को लेकर थी। जब उसने अपनी छिव को बदला (सुधारा), तो कू ल के ित उसका
नज़ रया बदल गया। अिभभावक क स य सहभािगता के बग़ैर ब ेका अपनी वा तिवक भावना को
समझकर अपनी छिव को सँवारना नामुम कन था।
स य वण के िलए इन बात का यान रख :

1. गहरे भाव वाले कथन, िजनका कोई अथ न िनकलता हो, िवषय िवशेष से जो संबंिधत न ह , अटपटे,
उबाऊ या आलोचना मक लगते ह - ऐसे वातालाप को यानपूवक सुने।

2. कसी व के एक से अिधक अथ िनकलने पर या जब आपको उसका िव ेषण सही न लगता हो, उसे
यान से सुने।

3. स य वण का इ तेमाल टोका-टाक म न कर।

4. श द या त य को रटते न चले जाएँ, बि क एक कथन म मूलभाव को उजागर करने क कोिशश कर।

5. समय का याल रख। जब पित थका-हारा घर आया हो, तो प ी उससे स य वण क अपे ा नह करे ।
स य वण कसी ि के वा तिवक भावाथ को समझकर ग़लतफ़हमी और अनाव यक िववाद से बचने का
े उपाय है।

तीसरा कदम :
िवचार और भाव के िलए सुन
आच बंकर के अनुसार एिडथ को उसके तर पर सुनकर समझने म सम या है। ''तुम मेरी बात नह समझ पा रहे
एिडथ, य क म अं ेजी म बात कर रहा ँ और तुम कसी दूसरी भाषा म उसे समझ रहे हो!” हम सभी यही
करते ह। जब हम िसफ़ श द के िघसे-िपटे प और त य सुनते ह, तो उनके वा तिवक भाव या िवचार नह
समझ पाते।
सभी वण एक कार या एक तर का नह होता। इसे होना भी नह चािहए। हम टी.वी. िव ापन को
उतनी गंभीरता से नह सुनते िजतना कसी के ारा कहा गया वा य ''म तुमसे यार करता ।ँ '' वण के िभ
तर समझकर हम अपना तर जान सकते ह और मू यांकन कर सकते ह क यह पया है अथवा नह ।
वण के पाँच तर इस कार रे खां कत कए जा सकते ह :

िच – 4.1
िघसे-िपटे श द वह कार ह, िजनका ख़ास मतलब नह होता जैसे - ''हाय... कै से हो?... ब ढ़या तुम?...
दन शानदार है...ही, मौसम ख़शगवार है... और नया या है?'' शायद आपने देखा होगा ऐसे बो रयत भरे जाने-
पहचाने सवाल का मज़ा लेने के िलए लोग उ टा-सीधा ज़वाब भी देते ह जैसे ''कै से हो?'' पूछे जाने पर वे ज़वाब
दे सकते ह - ''म मरने जा रहा ।ँ '' ोता ने बग़ैर सोचे-समझे रटा-रटाया वा य बोल दया- ''वाह। फर तु हारा
दन शानदार रहे। ''सामा यत: ये रटे-रटाए वा य यूनतम शालीनता के ितिनिध क तरह काम करते ह। पर
कभी-कभी ये दरवाज़ा खोलने क कुं जी क तरह काय कर वातालाप को गहरे तर तक भी ले जाते ह। ''कै से हो?''
पूछते व त आप पूरे ज़वाब म गहरी दलच पी भी दशा सकते ह।
त य सामा यत: बाहरी घटना से संबंिधत होते ह। ''वै ािनक ाज भी िवचार-िवमश कर रहे ह क
वाइ कं ग यान ने मंगल पर जीवन क ख़ोज क थी या नह ।'' “जूडसन ने अपनी वतनी म ए अ र का योग
कया है।'' इस तर पर गहरा सोच-िवचार होता है।
िवचार कसी घटना या त य क ा या का ितिनिध व करते ह। जैसे ''म सोचता ँ क हमारी टै स
या म यम आय वाल के िलए अनुिचत है।'' ''मेरे िवचार से अथ व था गित पर है।'' ''हम इस मकान को
ख़रीदने म घाटा नह उठाएँगे।'' एक िवचार हम बताता है क कस कार कोई ि वा तिवकता को ढू ँढ
िनकालता है। कई बार हम यह जानने के िलए िवचार को सुनते ह क व ा क बात पर हमारी सहमित है या
नह ।
भाव को दो ेिणय म बांटा जा सकता है: बाहरी घटना से उपजे भाव और अपने बारे म ि गत
भाव। दोन कार के भाव ब त गहरे हो सकते ह। उदाहरण के िलए एक ि यह कहते ए ज़ोर देकर गु सा
ज़ािहर कर सकता है : ''मेरे िवचार से गभपात ह या के समान है।'' ''मुझे लगता है क ि य के साथ अभी भी
भेदभाव कया जाता है।'' ि गत भाव एक क़दम और गहरे उतरकर भय, लािन या आघात के प म दखाई
देते ह : ''मुझे अब लगता है क जो गभपात मने करवाया, वह ह या से कम नह था।'' ''म सोचती ँ मेरे साथ
भेदभाव कया जा रहा है।'' अपनी गहनता के कारण भाव का सुनना कई बार ख़तरनाक और मुि कल होता है।
हम ठगे रह जाते ह। हम जानते ह क य द हम कसी ि के भाव क ग़लत ा या करते ह, तो या तो हम
ज़वाबी हमले के िलए तैयार रहना होगा या फर हम कसी असहाय को और चोट प च ँ ा दगे। अंतत: दोन तरफ
हार क ि थित से बचने के िलए हम क ी काटने लगते ह और व ा क मूल भावना को सुनने-समझने क चे ा
ही नह करते। सम या यह है क इस ि थित का दोहरा भाव पड़ता है। िजस तर पर हम कसी क बात को
गहराई से सुनना बंद करते ह, उसी तर से हमारी बात भी दूसर ारा नह सुनी जाती।
अ छा ोता िवचार और भाव को सुनने म कभी नह घबराता। (असल द त तब आती है जब हम यान
से नह सुनते ह।) नकारा मक िवचार और भाव नकारा मक ित या ही उ प करते ह- ख़ासकर जब वह
आपके िव ह । आप िन बात पर ग़ौर कर अपनी वण मता को िव तृत कर सकते ह :
1. एक ोता के बतौर आप व ा को ऑकने या िव ेिषत करने से इं कार कर सकते ह। आप िसफ़ यानपूवक
सुन सकते ह।

2. य द आप महसूस कर क आपको जॉचा-परखा जा रहा है, तो आप चचा कर रहे सहयोगी से कह सकते ह


क ''म आपको परखना नह चाहता ँ न ख़द जाँचा जाना पसंद करता ।ँ य द हमारी चचा इस आधार
पर आगे बढ़ सकती है, तो म यानपूवक सुनूँगा।

3. समझबूझ और सहयोग क तलाश कर, न क ितकड़मबाजी और िनयं ण क । य द आपका सहयोगी


अनिभ हो, तो अपना अिभ ाय खुलकर कह ।

4. गहरे भाव से भयभीत न ह । ऐसी ित या न दशाएँ, जैसे वह कभी न बदलने वाली स ाई हो। भाव
बदलते ह, कभी-कभी एक पल म ही। गु से या खीझ म कहा गया कोई श द कसी ि क वा तिवक
शि सयत और िन ा से सवथा िवपरीत होता है। अिधकतर मामल म गहरे भाव उपचार क तरह होते ह
और ि इसे करने के प ात अपनी असली छिव म लौट आता है।

5. जब भाव भावी वण क दृि से काफ़ बल हो जाएँ, तो अपने साथी से कह क आपको थोड़े आराम
क ज़ रत है और फर से बातचीत शु करने के िलए दोन क सुिवधा से कोई समय तय कर।

चौथा कदम :
दल से सुन
सुनना और वण ( यान से सुनना) दो अलग चीज़ ह, य िप हम दोन श द का एक ही अथ म योग करते ह।
सुनना एक शारी रक या है, िजसके तहत कान ारा संकेत हण कर मि त क तक भेजे जाते ह।
एक पल के िलए सोच क सुनना कतनी अद्भुत या है। बा कान, जो तुरही के आकार का होता है,
विन तरं ग को हण कर विन निलका तक िनदिशत करता है। इस निलका के आिख़री िसरे पर विनतरं ग
क पन उ प करती ह, िजससे म यकण क तीन हड् िडयाँ गितशील होती ह और आंत रक हड् डी अंदर-बाहर
िहलती है। फर एक व विन तरं ग को तंि का पंदन म बदलकर मि त क के वण क तक संकेत प च ँ ाता है।
अद्भुत! वै ािनक को भी नह मालूम क यह विन या िभ आवृि य वाली विन म फ़क कै से करती है!
वण इससे भी बढ् कर है। वण तंि का संवेग क ा या और समझ के आधार पर िन कष देने वाली
एक ज टल मनोवै ािनक या है। एक ब े का रोना, समु क गड़गड़ाहट, ेरणादायक भाषण मधुर संगीत -
ये विनयाँ हमारे भीतर िवचार, भाव और या क सृि करती ह, िजनसे हमारा जीवन समृ हो सकता है।
अं ेजी श द िलसन का मूल अथ है िल ट अथात् एक तरफ़ झुकना। वा तिवक प से समझ क दरकार
रखने वाला एक ि व ा क बात का अिभ ाय समझने के िलए उसक ओर मानिसक तथा शारी रक प से
झान रखकर सुनने क या को अंज़ाम देता है। िलसन का िवपरीत श द है िल टलेस अथात् बेपरवाह, जो
समझ के ित झान न रखे। अपने वातालाप म हम कभी सुनने कभी लापरवाह रहने और कभी इनके बीच क
ि थित म होते ह।
दल से सुनने क ि थित म आगे जाने के िलए ि व के दो कारक का िवकास ज़ री है। पहला समान
अनुभूित- अथात् दूसरे ि को बेहतर समझने के िलए अपने ि व को उस ि के ि व म ढालना।
उदाहरण के िलए, ोता अपने आपसे यह पूछ सकता है क, ''म उस ि क ि थित म कै सा महसूस क ँ गा?
य द मुझे उसके घर म रहना पड़े, उसके बॉस के साथ काम करना पड़े, उसके समान वेतन िमले, उसके बीवी-ब
क परवाह करनी पड़े, उसक सम या से जूझना पड़े ... या तब मेरी भी वैसी ही भावनाएँ ह गी, जैसी वह
अभी मेरे ित दशा रहा है?'' समान अनुभूित का अथ है दूसरे ि के जूते पहनकर चलना; उसक आँख से
दुिनया देखने का यास - अपना नज़ रया बदलने के उद्दे य से नह , हालाँ क ऐसा हो सकता है, कं तु दूसरे को
पूरी तरह समझने के िलए िजतना संभव हो यह कोिशश क जानी चािहए।
दल से सुनने के िलए दूसरा आव यक गुण है चचा म आपका साथी जैसा है उसे वैसा ही वीकार करना।
कु छ मामल म यह ब त मुिशकल होता है य क हम साथी ारा कही बात पसंद नह करते। हम उसे बदलना
चाहते ह, उसे अपने अनु प ढालना चाहते ह। फर भी ि को वीकार करना सामा यतया उसे बदले जाने के
िलए भी अपेि त है। य द हम ि और उसके काय के बीच के भेद को मानिसक प से वीकार करते चल तो
उस ि को वीकारना आसान हो जाता है। वा तव म एक ि के काय असफल होना औरएक ि का ही
असफल हो जाना, इन दोन बात म ब त बड़ा अंतर है। य द हम उस ि के काय को नापसंद करते ए भी
उसके ित वीकारबोध रख पाएँ, तो हम मनोवै ािनक प से वण के िलए अिधक तैयार ह गे।

पाँचवाँ क़दम :
ख़द को सुन

िविलयम शे सिपयर ने िलखा है ''अपने दल पर द तक दो और पूछो, वह: या जानता है?’’4 हम अपने ब ,


जीवनसाथी, भाषण, टेलीिवजन रे िडयो, िम और हजार अ य आवाज़ को सुनते ह, पर अपनी भीतरी आवाज़
को नज़रअंदाज़ करते ह। य द ि अपने दलो दमाग़ को जानने के िलए समय नह िनकालेगा, अपनी भीतरी
भावना को नह खोजेगा, िवषय िवशेष पर अपनी राय नह बनाएगा, अपने सपन और आकाँ ाओ को
नकारे गा तो वह कसी दूसरे क बात भी नह समझेगा।
अपने आप को सुनने क मता उस ि गत एक करण और मनोवै ािनक तैयारी को आकार देती है, जो
दूसरे ि के नज़ रये के ित खुलने और उसे हण करने के िलए ज़ री है । योर मो ट एनचांटेड िलसनर म
वडेल जॉ सन इस बंद ु पर काश डालते ह :

एक ि तब सबसे शांतिच होता है, जब वह अपने आप को सुनता है, ख़द को आ म- ताड़ना के भय


से परे बोलने क आज़ादी देता है । ऐसा नह क शमनाक कहने से ख़द को रोकते व त वह अ व थ है,
कं तु अपने तर पर भीतरी आवाज़ को रोक कर हम आंत रक शांित ा नह कर पाते, बि क हमारे
भीतर बेचैन करने वाली एक अ व थ चेतना क अशांित हावी हो जाती है । '

जब आप ख़द को यानपूवक सुनते ह, तभी आपको पता चलता है क आपका रवैया दूसर के ित कै सा है ।


आपने कभी अनौपचा रक चचा क रका डग कर फर से सुनने क कोिशश क , और तब कसी ने ट पणी दी हो
- ''मुझे पता नह था म ऐसे बात करता ँ । कह इस रकॉडर म तो कोई ख़राबी नह ? '' मुझे यक न है क
यादातर अिभभावक ने अपनी रकॉड क ई आवाज़ कभी नह सुनी होगी, जब वे अपने ब से बात करते ह
। वे अपने श द पर ग़ौर नह करते ह । वे क पना भी नह कर सकते क य उनके ''सीधे-सादे'' कथन कसी को
इतना िवचिलत कर देते ह ।
अपने आप को सुनना परे शानी भरा भी हो सकता है य क यह हमारे ि व के उन े को उजागर
करता है, िजनम सुधार क ज़ रत है । कसी के दल म झाँककर हम हैरान रह जाएँगे क वहाँ कतनी कु पता
छु पी है । मग़र खोज ही सकारा मक प रवतन क ओर ले जा सकती है । य द कोई अपनी ग़लितय , ख़ािमय को
सकारा मक ितब ता एवं याकलाप से प रव तत करना पसंद करता है, तो वह सम ि बनने क
दशा म अ सर है । पॉप मनोिव ान जो िसफ़ ि क मनपसंद चचा कर उसे बताता है क वह कतना अ छा
है, दरअसल आ मा पर पट् टी बाँधने जैसा है । जब क सही उपचार के िलए हम श य िच क सा क ज़ रत होती
है।
जब आप ख़द को सुनते ह, आपको पता चलता है क आप या बदलाव चाहते ह? आप आगे या िवकास
चाहते ह?

छठ ाँ कदम :
कब चुप रहना है, यह जान
ख़ामोशी बात करती है, पर संदश े अलग-अलग होते ह। पीछे हटने वाली ख़ामोशी खीजने वाला नज़ रया है, जो
कहता है, ''म आपसे बात करना ज़ री नह समझता। म अपनी ही बात सोचूँगा और ख़द को आपसे अलग कर
लूंगा।'' आ ोश क ख़ामोशी अपने िवचार दबाकर दूसरे का साथ देने से इं कार करने का यास है। फर अटपटेपन
क ख़ामोशी लगभग चीखती है ''बचाओ। मुझे इस ि थित से िनकालो। मुझे नह पता या कहना है! कोई दूसरा
इस पर कु छ कहे।'' सहयोग क ख़ामोशी समय को छोटे वातालाप से भरने के बजाय जताती है ''म तु ह िबना
टोके तु हारी बात सुनने के िलए समय िनकालना चाहता ।ँ म जानना चाहता ँ क तुम अपने बारे म, अपनी
सफलता, असफलता और भिव य क योजना के बारे म या सोचते हो।'' इस कार क ख़ामोशी के दूसरी
तरफ होने का अनुभव अद्भुत है।
आपक सहयोगा मक ख़ामोशी कसी िम को संकट से उबारने म मददग़ार हो सकती है। गंभीर
मनोवै ािनक सम या वाले ि य को य िप िच क सक क ज़ रत होती है, पर कोई भी भावी ढंग से बात
सुनकर अपने िम क संकट म सहायता कर सकता है। सहायक क सबसे साधारण (और गंभीर) ग़लती यहाँ
िम क सम या के समाधान करने क कोिशश होती है। भटका आ सहायक तुरत-फु रत िम का भार कम करने
के िलए सलाह, िनदश, तक, दशादशन इ या द देने लगता है। जब वह कारगर नह होता, तो ''सहायक'' सम या
क गंभीरता को न समझ िख ली उड़ाने और ं या मक टीका- ट पणी पर उतर आता है। कं तु सहयोगा मक
ख़ामोशी म सहायता करने और उपचार करने क शि होती है।
अपने परामश के दौरान म सहयोगा मक ख़ामोशी के उपचार भाव से हैरान रह गया। इस उपचार से फायदा
पाने वाली एक ी ने कहा -''मदद के िलए शु या। म अब बेहतर महसूस कर रही ।ँ '' मने या कया? एक
अवसाद त, चंितत ि को दोबारा आ मिव ास से प रपूण और शांत बनाने म मने कस िववेक का
इ तेमाल कया? म ब त कम बोला। मने िसफ कु शलतापूवक उसे सुना।
बेिलस के तीन ब े कु छ साल के अंतराल म मर गए थे। जोए बेली ने अपनी पु तक द ला ट थंग वी टॉक
अबाउट म अपनी भावनाएँ क ह, जब उसके एक ब े क मृ यु पर दो तरह के िम ने मदद करने क
कोिशश क थी :

म उदास बैठी थी। एक ि आया, उसने ई र क लीला क चचा क , ऐसा य आ यह बताया, दुख
से परे आशा क बात क , वह बोलता ही गया। उसने वे बात क , जो म जानती थी क सच ह।

मुझ पर कोई असर नह आ। म चाहती थी, वह चला जाए, वह चला गया। दूसरा ि मेरे समीप
आकर बैठा, वह कु छ नह बोला, उसने मुझसे इधर-उधर के सवाल नह पूछे। एक घंटे से यादा समय तक
वह चुपचाप बैठा रहा, मने जो कहा, उसे सुना। संि ज़वाब दए। सरलतापूवक ाथना क और चला
गया।

म भाविव ल थी। मुझे राहत का अनुभव आ। मुझे उसका जाना अ छा नह लगा।6

िवजय पाने क दशा म


काययोजना
1. उन लोग क सूची बनाएँ, जो आपको गंभीरता से सुनते ह ।
2. उन कारण क सूची बनाएँ, िजनक वजह से कु छ लोग आपको नह सुनते। (जैसे ''म एक बार म एक
िमनट से यादा बोलता ।ँ '' ''म दूसर के नज़ रये को यादा मह व नह देता।'') आप इन कारण को दूर करने के
िलए या कर सकते ह?
3. इस अ याय म व णत वण के पाँच तर म से आप कस तर का वण पसंद करते ह? आप िजस
कार के संबंध का अनुभव करना चाहते ह, उस पर या यह तर पया है?
4. अपने भीतरी िवचार, व , आकाँ ा के ज़ रये अपने आप को सुन। अपने उ र एक ''िवचार सं ह'' म
िलख।
5. िम या प रवार के सद य को गहनता से सुनने के िलए समय िनधा रत कर। दोन को िमलने वाले
फ़ायदे िलख ल।
6.1 (ख़राब) से 100 ( े ) के पैमाने पर आप ख़द को बतौर ोता कतने अंक दगे? ..................
7. िन ि आपको कै से आँकते ह?
माँ ..................
िपता ..................
प ी ..................
ब े ..................
िनयो ा ..................
कमचारी ..................
िम ..................
8. वण मता बढ़ाने के िलए आपके ारा उठाए जाने वाले तीनया अिधक क़दम क सूची बनाएँ। उन
पर आज से ही काम शु कर।
5

पता लगाएँ क बातचीत


कै से असर डालती है

म जानता हँ क तुम इस पर िव ास करते हो क तुम उस बात को समझ गए हो, जो तुम सोचते हो क मने कही,
मगर मुझे नह लगता तु ह इसका एहसास है क तुमने जो सुना, मेरा वह अिभ ाय नह था।
अ ात

चचा म गितरोध क मर मत मुि कल है य क उनके होने के कई कारण ह। जब हम सम या क सही जानकारी


नह होती और उपयु जानकारी जुटाने म मि त क क मदद करने का कोई उपाय नह होता, तो यह कु छ वैसा
ही है, जैसे हम कसी अप रिचत इलाके म बग़ैर न शे के खो जाएँ।
बातचीत क या का मॉडल नली क तरह है। एक न शा कसी िवशाल भू-भाग को उजागर करता है,
ता क हम उसका अ ययन कर बाहर िनकलने का ज़ रया ढू ँढ पाएँ। इसी तरह बातचीत या का मॉडल एक
बेहद ज टल या को उस सीमा तक प करता है, जहाँ तक हम इसे परख सक, गितरोध पैदा करने वाली
चचा से बचने का रा ता तलाश सक और उस राह पर आगे बड़े, जो समझबूझ तक ले जाती हो। न शे क तरह
मॉडल भी हम यह नह बताते क या करना है, ले कन वे ल य तक प च ँ ने के िलए आव यक राह पर लौटने म
हमारी मदद करते ह।
िजस कार एक शहर का न शा हम देश क सैर नह करा सकता, उसी कार चचा म भी एक मॉडल से
हम पूरी त वीर नह िमल सकती। इस अ याय म हम संवाद सम या से बचने और उनके समाधान के िलए
तीन परी ण मॉडल का उपयोग करगे। हम िव ेषण करगे :
1. संवाद या के मह वपूण घटक:
2. पार प रक िव ेषण के ज़ रये हमारी चचा के व प का आकलन, और
3. जीवन क ि थितय का िव तृत इितहास कस कार हमारे संवाद पर भाव डालता है।
येक मॉडल म सामा य के ज़ रये सम या के िनधारण और समझ बढ़ाने क कोिशश क जाएगी।

घटक िव ेषण
पहला मॉडल बातचीत क या के मुख घटक पर काश डालता है (1) व ा, (2) बातचीत और (3) ोता।
य िप यहाँ येक घटक दूसरे को भािवत करता है, हम उनके सरलतम संबंध को इस कार दशाएँगे :
िच - 5.1

इन तीन घटक म अलग-अलग या इ ह िमलाकर कोई भी संवाद गितरोध उपज सकता है।
जब हम येक घटक को अलग-अलग देखते ह, तो अपनी भूिमका को येक घटक से जोड़कर देख।
उदाहरण के िलए अपने आपसे ये पूछे :
1. एक व ा के बतौर म संवाद सम या म कस कार योगदान देता ?ँ
2. मेरे कथन और कथन के तरीक़े से मेरा संदश
े कस कार भािवत होता है?
3. एक ोता के बतौर म संवाद सम या म कै से योगदान देता ?ँ
1. व ा क सम याएँ : संवाद को भािवत करने म संभवत: व ा के ि व से बढ़कर कोई चीज नह
होती अथात् वह ि गत प से कै सा है और ोता से उसका संबंध कै सा है। उदाहरण के िलए,य द व ा
ईमानदार, िन ावान और सबका चहेता है, तो उसका संदश े भली कार से हण कया जाएगा। य द उसे
िव ास यो य नह माना जाता, तो उसका संदश े प तक या बोली कौशल के बावज़ूद नकार दया जाएगा ।
दूसरे अ याय म हमने ि व के उन कारक क समी ा क , िजनक वज़ह से संवाद असफल होता है।
यहाँ हम उस मुख सम या क चचा करगे, जो सभी सम या का मेल है अथात् संकोच या शम लापन। पु तक
शायनेस के रचियता और टेनफोड शायनेस ि लिनक के िनदेशक फिलप िज बाड के अनुसार अमे रका म
84,000,000 लोग ऐसे ह जो ख़द को शम ला मानते ह - ये जनसं या का 40 ितशत है! अ सर शम ला वभाव
हीनभावना और ख़तरा उठाने से डरने के कारण लोग से कम मेल-जोल रखने के प म उभरता है। शम लापन
वह अलगाव त व है, जो ि को अ य लोग के साथ संबंध बनाने क अपनी पूरी मता पर िव ास करने से
रोकता है और उसे अपनी ही सोच क दुिनया तक सीिमत कर देता है। शम ले ि अपना दशन ठीक कार से
नह करते और िन आ म - गौरव के फल व प लोग को अपने नकारा मक आकलन का मौका देते ह। िवडंबना
यह है क नकारा मक आकलन से ही वे बचना चाहते ह। कं तु नकारे जाने के भय से दूसरे ि य से कटने क
वृि उनम जागती है और अ सर यही क़दम उनके नकारे जाने का कारण बनता है।
य द शम लापन आपक सम या है, अथवा ि व का कोई अ य कारक आपके आड़े आ रहा है, तो आप
िन रणनीित पर काय कर व ा के बतौर अपनी भावशीलता को बढ़ा सकते ह।
• ख़द को ऐसे ि के प म वीकार, िजसके पास काफ़ कु छ कहने यो य है। तनकर खडे ह , सामने
वाले ि क आँख म देख और दशाएँ क आप भयभीत नह ह।
• ख़द को दूसरे ि क तरह सुन। ख़द से पूछे क या आप अहंकारी, शम ले या र ा मक तीत होते
ह।
• दूसरे ि को आँकने क कोिशश न कर। बि क, टकराव क ि थित म अिधक जानकारी पाने क
कोिशश कर। याद रख लोग ज टल होते ह - हम उनके बताव के कारण नह देख पाते ह। सहनशीलता का
िवकास कर।
• अपने वहार पर यान दे क वह कस कार ोता पर असर डालता है। िसर खुजाने, ोता को न
देखने, घूरने, िख ली उड़ाने जैसी आदत काफ़ िचढ़ पैदा कर सकती ह।
• अपने भाव पर िनयं ण रखने क कोिशश कर। ख़द को ऐसे ि के प म देख, जो लंबे समय तक
खंचने वाले मॉडल को भी बदलने क मता रखता है। अपने दमाग़ को इन कारण से भर क प रवतन
य उपयोगी होगा। अतीत क असफलता या अपनी ग़लती पर अपराधबोध से बच। ऐसी ि थित क
क पना कर, जहाँ आपके भाव पर आपका िनयं ण है और इस िनयं ण से िमलने वाले लाभ िविश ह।
उ ेजक ि थितय म सकारा मक ित या के िलए ख़द को मानिसक और भावना मक प से तैयार कर।
• िजसे आप बदल सकते ह, उसे बदलने क शु आत कर। लाभ न देने वाले तरीक़ को पहचानकर उ ह
अपनी ज़ंदगी से दूर कर। दूसरे ि य को भी यह बताने का साहस रख क आप बदल रहे ह।
• सकारा मक प रवतन क उ मीद रख, भले ही यह धीरे -धीरे हो रहा हो। अपने आपको सफलता पूवक
बातचीत करते देख। उस ल य क ओर आगे बढ़।
2. संदेश क सम याएँ: संदश े के मामले म हमारी एक सामा य सम या श द चयन क होती है। कु छ वष
पूव एक श द के ग़लत उपयोग क वजह से म य-पूव म यु क नौबत आ गई थी। ग़लत श दचयन से घर म
लड़ाई-झगड़ क ि थित िन मत हो जाती है। माक वेन ने ठीक कहा था - ''सही श द और कमोबेश सही श द के
बीच उतना ही फ़क़ है, िजतना िबजली और चमकते क ड़े म।''
सही श द के चयन क सम या से परे हम एक वा य या िवचार का संबंध अगले से जोड़ने म परे शानी
महसूस करते ह। हमारे मि त क म अ ब स क तरह िवचार का वाह इतना प होता है क हम भावशीलता
के यास म 'व' को छोड़ आगे िनकल जाते ह। कं तु हो सकता है क यही िवचार वाह ोता के िलए प न हो।
जब इस वाह का 'ब' िह सा छू ट जाता है, तो ग़लतफ़हमी क संभावना भी बढ़ जाती है। अ प संवाद अ सर
अ प सोच को द शत करता है। अगर हम बग़ैर सोचे बोलते ह, तो हम सटीक बात नह कर सकते।
ऐसे संदशे जो “कबाड़ भरे '' (अवरोध िशकायत, तानेबाजी, नंदा, तू तू-म म) ह , संवाद को ख़राब करते
ह। त य को प होना चािहए, कं तु सामा य अनुभव बताते ह क अिधकतर लोग जानबूझकर प रवार, िम ,
ावसाियक सहयोगी पर ऐसे भ े श द का योग करते ह, और फर जब वही श द वापस आते ह तो उ ह
आ य होता है। उ ह अंदाज़ा नह होता क ''मूख!'' जैसा अपश द ब े या वैवािहक साथी पर कतना बुरा असर
डाल सकता है। वह ब पर ''मुँह बंद रखो!'' जैसी बात के असर को भी नह भाँपते। उ ह याद नह रहता क
कसी दूसरे का आकलन करते व त उ ह भी परखा जा रहा होता है।
कभी-कभी लोग सकारा मक िन कष क तलाश म भ े श द या नकारा मक रा त का योग करते ह।
एक िपता अपने ब े को ''मूख''या ''आलसी'' इसिलए नह कहता क वह उसक भावना को आहत करना चाहता
है, बि क इसिलए क वह वा तव म उसे सफलता के िलए े रत करना चाहता है। एक प ी ख़द को बोझ बताने
के िलए बो रयत का आवरण नह ओढ़ती, बि क इस बहाने से यानाकषण क माँग करती है। एक पु ी अपनी
माँ के ित नफ़रत दशाते ए ख़द क बौख़लाहट या असंतोष कर रही होती है। अ सर लोग इन संदश े क
िवनाश मता से प रिचत नह होते।
जब हमारे श द और िवचार सृजना मक होते ह, तब भी हम संदश े मा यम पर िनयं ण अथवा उसक
अिभ ि म द त होती है। शोध के अनुसार आमने-सामने के वातालाप म 7 ितशत संदश े श द पर, 23
ितशत आवाज़ क शैली और 70 ितशत बॉडी ल वेज पर िनभर होता है। जॉन गॉटमेन ने अपनी पु तक अ
कप स गाइड क युिनके शन2 म मुखमु ा, आवाज़, शारी रक हाव-भाव, अंग संचालन के सकारा मक और
नकारा मक व प क सूची दी है, ता क हम संदश े क अिभ ि म मदद िमल सक।
इन सू श द को दोबारा पढ़ और उन सकारा मक ल ण पर िनशान लगाएँ, िज ह आप िवकिसत करना चाहते
ह।
िन रणनीितयाँ आपको अपने कथन और कथन क शैली पर बेहतर िनयं ण पाने म मदद करगी:
•यह सुिनि त कर क ोता आपको समझ रहा है। पूछने के िलए उसे ो सािहत कर। ''बेवकू फ़'' जैसे
श द का योग कर ोता को दबाने क कोिशश कभी न कर। उससे पूछ '' या मेरी बात प हो रही है?''
''तुम समझ रहे हो, जो म कह रहा ?ँ ''
•बोलने से पहले सोच। अनाव यक बात से बच। ख़द से पूछ क आपके कथन म प और साथक संबंध है
या नह ।
•वही कह, जो आप कहना चाहते ह। अपने ोता से कसी गु संदश
े को समझने क उ मीद न रख। य द
गु संदश
े वाक़ई काम का हो, तो प प से कहने क िह मत रख।
•दोहराव से बच। अपनी बात संि रख और एक बार म एक िमनट से यादा बोलने से बच।
•ख़द से पूछे - ''म दूसरे ि को कै सा महसूस करवा रहा ?ँ म ख़द उस ि थित म कै सा महसूस क ँ गा?
म इस बात को कै से बेहतर कर सकता था?'' याद रिखए बुराई जैसी कावट वाले संदशे संवाद ही नह
आ म-गौरव को भी न करते ह।
•अपनी आवाज़ क शैली पर यान द। य द यह खी, ककश या खीझ पैदा करने वाली हो, तो अपनी
आवाज़ को मधुर बनाएँ। आव यक न हो, तो ज़ोर से न बोल।
•अपने शारी रक हाव-भाव पर िनयं ण रख। य द संभव हो, तो दपण म देख। ख़द से पूछ ''म जो कह रहा
,ँ वह कै सा लग रहा है? या म तनाव त ?ँ या म चंितत, अिनि त या गु सैल दखता ?ँ ''
3. ौता संबंधी सम याएं : ोता क बे ख़ी कई वज़ह से हो सकती है िजनम उसक थकान कसी चीज
म उलझे होना या संदश े से असहमित शािमल ह। ोता को दुःख प चँ ाने वाली तीन सबसे बड़ी सम याएँ ह -
िनणायक ित या संदभ क अलग ि थितयाँ और व ा के साथ अनसुलझे िववाद।
ोता क िनणायक ित याएँ संवाद के वाह म गंभीर अवरोध पैदा करती ह। संवाद संबंधी एक
ा यान म मनोिव ानी काल रोजस ने कहा- '' ि य के बीच आपसी बातचीत म बड़ा अवरोध फ़ै सला करने,
आकलन करने, दूसरे ि या समूह को वीकृ त या अ वीकृ त करने क नैस गक वृि है।“3 काल रोजस क
ट पणी है : हम अपने दृि कोण, अपने संदभ बंद ु से आकलन करते ह। हम लगता है क ि थित िवशेषपर हमारी
ही पकड़ सही और वा तिवक है। नतीज़तन हम समझ के साथ सुन नह पाते। रोजस के अनुसार वा तिवक संवाद
का अथ है
दूसरे ि ारा िवचार और दृि कोण का अवलोकन, उसके अनुभव का आभास, उसके ारा कही
जा रही बात के संदभ बंद ु क ाि । कसी के बारे म जानने के बजाय उस ि को समझना ही ऐसा
भावशाली तरीक़ा है, िजससे ि व म मह वपूण प रवतन लाया जा सकता है।4
जब ोता के पास व ा से िभ सदंभ तर हो, तब भी संवाद टू ट जाता है। संदभ तर वह मानक समूह है,
िजसके आधार पर श द, िवचार अथवा वहार को उिचत या अनुिचत माना जाता है। उदाहरण के िलए
“पी ढ़य का अंतर'' िभ संदभ तर से तय होता है। माक वेन क लघुकथा ''बक फ़ै नशाज़ यूनरल'' म इस
सम या का अितशयोि पूण और रोचक उदाहरण िचि त कया गया है। कॉटी एक िम के िलए शवया ा क
तैयारी म है, कं तु कॉटी और मं ी महोदय दोन ही एक-दूसरे के संदभ तर से अनिभ ता दशाते ह।
'' या तुम वही हो, जो पास ही म उपदेश वाली जगह आता-जाता है? ''म या - माफ़ करो - म कु छ समझा
नह ।''
आह और िससक भरते ए कॉटी ने फर कहा :
'' य , आप देख सकते ह हम मुि कल म ह और हमने सोचा य द आपको मना ल तो आप हम िल ट दे दगे।
अगर मेरे बस म होता तो म आपको उस जगह का हेड लक बना देता।''
''म वहाँ का धमगु ,ँ जो यहाँ से पास ही म ह।''
'' कसका?''
''म उन ालु का आ याि मक सलाहकार ,ँ िजनका पिव थान यहाँ से नज़दीक ही है।''
'' कॉटी ने िसर खुजाया, एक पल को सोचा और फर कहा:
''साथी, आप मुझे धमका रहे ह, पर म अपनी िज़ मेदा रय से मुँह नह मोड़ सकता।''
''कै से? मुझे माफ़ करो, मने तु ह या समझाया?''
''ख़ैर, आप मुझ पर भारी पड़ रहे ह या शायद हम दोन एक-दूसरे पर। आपक बात मेरी समझ से परे ह
और म आपको समझा नह पा रहा। देिखए, हमम से एक लड़के का िनधन हो गया है और हम उसे िवदाई
देना चाहते ह, और इसिलए म चाहता ँ क मधुर वाँ स संगीत बजाते ए उसे ख़ूबसूरत िवदाई द।''
''मेरे दो त, मेरा िसर चकरा रहा है। तु हारी बात मेरी समझ से परे ह। या तुम उ ह कसी तरह सरल
प म नह बता सकते? शु आत म मुझे लगा क म तु ह समझ गया, पर अब फर वही ढाक के तीन पात।
अगर तुम अपनी बात को प और अिभ ंजना तक सीिमत रखोगे, तो या इससे बात और नह
उलझेगी?''
िभ संदभ तर से तब कोई नासमझी पैदा नह होती, जब आप दूसरे ि के संदभ तर को समझने क
कोिशश करते ह। आप हर ि क िविश ता से ान और शंसा भाव के नए ार खोल सकते ह। हमम से हर
कोई एक ही नज़ रये से दुिनया को नह देखता। यही संवाद को ज़ री... और िचकर बनाता है।
तीसरी वण सम या तब उपजती है, जब ोता व ा के साथ अनसुलझा िववाद पाता है। इस ं क
वज़ह से ऐसी मनोवै ािनक दूरी पैदा होती है क कोई भी प एक-दूसरे को सुन नह पाता। िलओनफे टंगर के
ककशता बोध संबंधी योग से प आ क य िप एक संदश े व ा के िवचार को सकारा मक प से
करता है, कं तु य द ोता और व ा के बीच नकारा मक संबंध है तो वह नकारा मक तरीके से िलया जाएगा।
इसे हम इस तरह िचि त कर सकते ह:
िच - 5.2

दूसरे श द म, य द एक िव ालयीन िश क कसी शासक को नापसंद करता है, तो वह शासक के संदश े म


काफ कु छ गलितयाँ िनकालेगा। य द पित-प ी के बीच िववाद हो, तो एक प जो भी कहेगा, दूसरे के ारा
उसक ग़लत ा या ही क जाएगी।
एक ोता के बतौर आप िन रणनीित से अपने संवाद क भावशीलता बढ़ा सकते ह।
• य द कसी कारणवश आप ठीक कार से सुनने म असमथ ह तो व ा से कह, '' फलहाल म आपक बात
सुनने क ि थित म नह ।ँ हम इस पर बाद म चचा करगे।''
• व ा के संदश
े को पु तक के एक पृ क तरह देख। जब तक आप इसे पलटगे नह , आपको िसफ़ एक ही
प नज़र आएगा। यह वीकार कर क संदश े तब तक अपया रहेगा, जब तक आप अपने अलावा व ा के
नज़ रये से भी इसे नह देख लेते।
• जब तक बात समझ म न आए, प ीकरण माँगते रह।
• व ा के साथ िववाद दूर करने पर काम कर। य द यह तुरंत संभव न हो, तो कु छ समय बाद इसका
िनराकरण कर। मरहम के िलए कु छ समय दीिजए। जब समय िमले, तो िववाद के बारे म खुलकर चचा
कर। य द अनबन दूर न हो, तो पेशेवर क सलाह ल।
घटक का यह िव ेषण संवाद या के बड़े िह स को िच म देखने जैसा है। इससे सम या के िभ े क
समी ा म मदद िमलती है। इसके अलावा हमारी बातचीत म वाह के साथ िविवधता भी होती है। इस
िविवधता को समझने के िलए हम पार प रक िव ेषण के मॉडल का उपयोग कर सकते ह।

पार प रक िव ेषण
ांसे शनल एनािलिसस या पार प रक िव ेषण (TA) संवाद के अंद नी व प को समझने का उपयोगी
तरीक़ा है। थॉमस है रस ने अपनी कताब ''आई एम ओके - यू आर ओके '' म इसे लोकि यता दान क । टी.ए.
हम बताता है क य ि व क चंचलता के त व हमारे संवाद को ख़राब करते ह और इनसे िनपटने के िलए
या कया जाए।
टी.ए. िस ांत म लोग को तीन कार क बातचीत म, उ के अंतर से अलग रहते ए अिभभावक (पेरट),
वय क (एड ट) और ब े (चाइ ड) (P,A,C) म बाँटा गया है। यह वग करण बातचीत के कु छ िवशेष कार या
''अहं तर'' को प रभािषत करता है। य द हम अपने संवाद के कार को िच के मा यम से टी.ए. मॉडल म
कर, तो वह इस कार होगा:

िच - 5.3

यान द क िजस कार व ा अपने ि व क अिभ ि (P,A, या C) करता है, उसी तर पर ोता
ित या दशाता है। उदाहरण के िलए, य द व ा अिभभावक क तरह बोलता है, तो ोता संवाद से भािवत
होकर ब े क तरह ित या करता है।
टी. ए. िस ांत म वय क अिभ ि ईमानदार और बचाव से दूर होती है, जो ोता को आदर और समझ
के तर पर रखकर उसक े व प रप खूिबय को उजागर करती है। एक वय क से वय क क बातचीत का
तरीक़ा उभरता है, जब:
एक माँ ब े से कसी िम क तरह बात करती है और वीकृ ित तथा भरोसा दशाती है।
एक पित अपनी प ी से ावसाियक सहयोगी क तरह कसी िनणय पर उसके दृि कोण क माँग करता
है।
एक त ण अपने िपता के साथ बैठकर ''बड़ जैसी'' बात करता है।
ऐसे वातालाप म गंभीर मतिभ ता के बावज़ूद समझ के तर पर कावट पैदा नह होती। वय क से वय क
संवाद के ल ण आपसी आदर और खुलापन ह। जब ऐसी अिभ ि होती है, तो यह संतुि दायक अनुभव होता
है।
बातचीत के अिधकतर तरीक़े अिभभावक-बालक अथवा बालक-अिभभावक तर पर काम करते ह। (याद
रिखए, टी.ए. िस ांत म यह वग करण उ नह , बि क ि य के ''पार प रक संबंध'' पर िनभर करता है।)
बातचीत म अिभभावक-बालक का आपसी तर आ ामक, थरा देने वाली आवाज़ और व ा के ग रमा तर को
बढ़ाने वाले अिधकार भाव तथा ोता के तर को तु छ दशाने वाले भाव पर आधा रत होता है। एक िपता घर
लौटकर प ी को साफ-सफाई के िलए कहता है, अपने बेटे को लाँन साफ न रखने के िलए ''गंदा'' क़रार देता है
और बेटी को कोई बात भूल जाने पर फ़टकारता है। एक प ी घरे लू काम के िलए पित पर िबगड़ती है और ब
पर चीखती-िच लाती है। एक छह वष य ब ा इस चीख क नक़ल करके अपने हम-उ (कभी-कभी बड़ पर) या
छोटे भाई-बहन पर रौब झाड़ता है। यहाँ बातचीत का ल ण, बात से यादा मह वपूण है। ज़ािहर है कोई भी
फटकार या तु छ दशाया जाना पसंद नह करता। यहाँ तक क जो ि अिभभावक क तरह वातालाप कर
रहा है, उसे भी यह बात पसंद नह होती।
हम सभी कभी-कभार बचपना दशाते ह। य िप टी. ए. िस ांत म ब ा कभी-कभी तेजी, ज़ंदा दली,
िवनोद और रचना मकता दशाता है, ब े क सामा य अवरोध ित याएँ गु सा, बौखलाहट, रोना होती ह। ब े
के प म हम पुचकारा जाना, सेवा ा करना और बग़ैर कसी िज़ मेदारी के आकषण का क बने रहना चाहते
ह। कभी-कभी हम या करना है या या सुनना है इसके िनदश क भी ज़ रत होती है। हम ख़द को िनभरता और
आ म-पराजय क ि थित म डाल देते ह। एक महािव ालयीन छा अंितम समय तक अ ययन से जी चुराता है,
फर कसी स परी ा म कम अंक आने पर िशकायत करता है। एक युवती अपने पु ष िम को देर से आने के
िलए लताड़ती है और उसे भूलने नह देती। एक वाहन चालक आगे धीमे चल रही गाड़ी पर खीझ उतारने के िलए
अगले आधे घंटे तक दोगुनी र तार से वाहन चलाता है। पित-प ी कसी िववाद के बाद तुरत-फु रत कोप भवन म
चले जाते ह।
आ ोश, िचढ़ आहत भाव, र ा मकता कम सहनशि तर - ये सब बातचीत को अव कर सकते ह। ये
भाव वय क से वय क तर पर बातचीत म भी मह वपूण ह। ऐसी समझबूझ और साझेदारी के प रणाम व प
सुलह सफ़ाई और मरहमपट् टी आसानी से हो जाती है।
यहाँ इस कार के िव ेषण का एक बंद ु दया गया है : यह हम संवाद असफलता के े क बेहतर
पहचान म मदद कर सकता है। उदाहरण के िलए मेरा वहार जो दूसर के वहार से बल प से भािवत
होता है - वह दूसर के अपने ित नज़ रये पर भी असर डालेगा। य द म ऐसी बात क कृ ित के ित सतक न
र ,ँ तो बातचीत के दुखद तरीक़े म फँ सकर बाहर आने क युि नह ढू ँढ पाऊंगा। कं तु य द म नकारा मक
बातचीत म अपने िह से का िव ेषण कर सकूँ , तो म समझ जाऊँगा क संवाद क गुणव ा म कै से सुधार कया
जाना है।
अपनी बातचीत के िव ेषण म िन का उपयोग कर :
1. म कन प रि थितय म अिभभावक, वय क या बालक क तरह चचा करता ?ँ उदाहरण के िलए,
समय संवाद साथी और बातचीत के थान पर यान द।
2. मेरे संवाद का तरीका़ ोता क ित या पर या भाव डालता है?
3. दूसरे ि के संवाद व प का मेरी ित या पर या भाव होता है?
इस िव ेषण से त य एक कर उसे उन तरीक पर यु कर जो दूसर के साथ आपके संपक क गुणव ा बढ़ाने
म सहायक ह। इस ल य क तरफ बढ़ने म िन रणनीितय कारगर िस ह गी :
• अ भावी वातालाप म ख़द से पुछ: ''म अिभभावक, बालक या वय क म से कसक तरह बताव कर रहा
?ँ म कसक तरह पेश आना चाहता ?ँ ''
• इस त य को वीकार क आपके वतमान अहं तर और आपक मृित म मँडराते िपछले भावना मक
अनुभव के बीच संबंध हो सकता है। ''म ठीक नह 'ँ ' का भाव वतमान के बजाय अतीत क वजह से
उपजा हो सकता है। अतीत क कावट डालने वाली छाया के वजाय वतमान म काय करने का िनणय ले।
• कसी दूसरे क ट पणी पर अपनी ित या का िव ेषण कर। उदाहरण के िलए, य द कोई आपक
शंसा करता है, तो आप कै सा बताव करते ह? या आप यादा बोलने लगते ह? उसे नज़रअंदाज़ कर देते
ह? हकलाने लगते ह? िवषय को बदल देते ह? ख़द से पूछ ''म इस तरह ित या य देता ?ँ या म
वाक़ई अतीत क जकड़न से आज़ाद होने क कोिशश करते ए वतमान के आ म दशा िनधारण पर काम
करना चाहता ?ँ
• वय क तर को ख़द पर हावी होने द। अिभभावक क श दावली जैसे : कहना चािहए, नह कहना
चािहए, हमेशा कभी नह , बेवक़ू फ़ या ब के भाव जैसे ''मुझे चािहए'', ''मुझे ज़ रत है'', ''मेरी इ छा
है'', ''म नह क ँ गा'', ''मुझे दो'' आ द के बजाय वय क भाव जैसे ख़लापन, लचीलापन सकारा मक
अिधकारभाव दूसर के नज़ रये के ित संवेदनशीलता को कर।
• िजस ि के साथ आप बातचीत कर रहे ह, उसक ख़ूिबय को बाहर लाएं। ख़द के वय क अहं तर को
क़ायम रखते ए ोता को अिभभावक या बालक के तर से िनकालने पर यान के ि त कर, भले ही वह
सज़ा क दरकार कर रहा हो या वातालाप पर हावी होने क कोिशश। याद रख क वातालाप एक
पार प रक या है, आप जो दगे, वही आपको ा होगा।
क पना क िजए एक दंपती राि भोज के व त एक-दूसरे से झगड़ बैठते ह। य द हम उनके बीच ''आपसी
बातचीत'' का िव ेषण करगे, तो हम िववाद का कारण तो पता चल सकता है, कं तु पूरी कहानी का पता नह
चल सकता। पूरी समझ के िलए हम िववाद से पहले दोन प के अनुभव क जानकारी ा करने क ज़ रत
होगी। यही चीज़ हमारी बातचीत पर भी लागू होती है। यह जानने के िलए क कस कार संदभ और प रि थित
हमारे संवाद को भािवत करते ह, हम जीवन- ि थितिव ेषण क शरण लेनी पड़ेगी।

जीवन-ि थित िव ेषण


हम सभी कसी िविश जीवनकाल प रि थित म रहते ह। मेरी जीवन-ि थित आपसे अलग है और आपक
कसी अ य से िभ है। हमारा संदभिव के ित हमारी दृि पर आधा रत है। हम दुिनया के िह से ह और
दुिनया हमारा िह सा है।
हम कसी ि के बारे म तब तक अ छी तरह नह जानते क वह कहाँ से आया है वह या करना
चाहता है, जब तक क हम उसके जीवन प रवेश के बारे म न जान ल। मनोवै ािनक कु त लेिवन के अनुसार कसी
ि को तब तक भली भाँित समझा नह जाता जब तक क प रवेश के साथ हम उसके संबंध को समझ न ल।
िनयो ा अपने कमचारी के ि व ही नह उसके शै िणक और ावसाियक पृ भूिम के बारे म भी जानना
चाहते ह। रा पित पद के िलए कसी उ मीदवार को िवषय िवशेष पर उसक पकड़ या उसे सुलझाने क मता
से ही नह , वरन् उसके मतदान संबंधी वहार और अतीत से जुड़ी हर ासंिगक बात के आधार पर परखा जाता
है। हमारा संदभ लोग को इस चीज़ क जानकारी देता है क हम कौन ह और हम या कहना चाहते है।
कसी ि क जीवन-ि थित का िव ेषण करने के िलए एक साधारण मॉडल उसक पहचान और उसे
भािवत करने वाले उसके जीवन के छह मुख े पर नज़र डालना है :

िच - 5.4

ये े अथवा ेिणयाँ याद रखने के िलए ब त छोटी और हमारी ज़ रत के मुतािबक िव तृत िववरण
उपल ध कराने के िहसाब से काफ़ बड़ी ह। येक कारक एक दूसरे से गुँथी ई व था का अंग है। एक े क
सम या दूसरे े को भािवत करती है। उदाहरण के िलए, कायालयीन चचा क कोई सम या िव ीय दबाव,
थकान कशोरवय पु ी क चंता, शम लेपन या मौत के ज़बद त डर आ द कारण से उपज सकती है।
कसी ि क जीवन संबंधी प रि थितय के सीिमत ान के फल व प उसके व उसके संदश े के ग़लत
आकलन क संभावना काफ़ बढ़ जाती है। य द कसी बंधक को लगे क कसी कमचारी का गु सा ि गत
प से उसके िख़लाफ है, तो वह उसे नौकरी तक से िनकाल सकता है। जीवन प रवेश िव ेषण से पता चल
सकता है क वह कमचारी बक से ा पाँच ओवर ा ट आदेश अथवा कसी अ य सहकम क ग़लती के कारण
अपने दशन पर पड़ रहे नकारा मक भाव के चलते आ ोश क अव था म था।
जब हम ख़द से जीवन प रवेश संबंधी िन पूछते ह, तो हम ऐसी मह वपूण बात सीख सकते ह जो
हम बातचीत क सम या दूर करने म मदद करे गी :
1. मुझसे चचारत् ि को समझने म उसके जीवन प रवेश अथवा संदभ िवशेष को लेकर कौन सी बात
सबसे यादा ासंिगक है? म उसके जीवन के बारे म पहले से या जानता ?ँ उदाहरण के िलए, या
उसने हाल ही म नौकरी खोई है, पदो ित पाई है अथवा उसका िववाह आ है? वह अपने बारे म कौन से
पसंद करे गा? (कई ि अपने जीवन को लेकर के संबंध म हमारे अनुमान से कह यादा खुले
और होते ह।)
2. इस ि क जीवन संबंधी ि थितयाँ कतनी तेज़ी से बदल रही ह और उनका हमारे संवाद पर या
असर होगा?
3. य द कसी िवषय पर इस ि से मेरी राय िभ है, तो वह मेरे मू य तथा समय के िवशाल संदभ म
कतनी मह वपूण है? या हमारी बातचीत से दूसरे क सोच क संपूण त वीर प ई है अथवा दूसरी के
िवचार और भावना क हमने चचा तो नह क ले कन आपसी तालमेल के िलए वह आव यक है।
जीवन-ि थित िव ेषण हम िसफ़ चचा कर रहे साथी को समझने म ही नह , बि क हमारे आ ोश, तनाव या
चंता को समझने म भी सहायक हो सकता है। जब हम अपने और अ य ि के जीवन प रवेश संबंधी
आकलन म द ता और तेज़ी दशाते ह, तो हम अपनी संवाद या के व प क िव तृत जानकारी िमलती है
और हम उसे अिधक बेहतर बना सकते ह। हम चचा के िवषय पर अपनी राय मज़बूती से रखते ए आगे कहे जाने
वाले व क परे खा बना सकते ह। उन छह दृि हीन ि य क कथा याद कर, िज ह ने यह जानने का
यास कया क एक हाथी कै सा होता है? एक ने हाथी के पैर को छु आ और कहा क हाथी पेड़ के तने जैसा है।
दूसरे ने पूँछ छू कर उसे र सी क तरह बताया। य द ये अंधे ि अपना नज़ रया बदलकर हाथी के एक से दूसरे
अंग क पूरी जानकारी इकट् ठी करते, तो वे एक-दूसरे क समझ िवकिसत कर सकते थे।

सार सं ेप
इस अ याय म हमने संवाद सम या के िव ेषण और समाधान के तीन मॉडल-घटक, पार प रक और जीवन-
ि थित के िव ेषण पर यान क त कया। घटक िव ेषण म व ा, संदश े ोता के अ ययन के िलए टु कड़ म
िच देखने क शैली का योग कया जाता है। पार प रक िव ेषण संवाद म सहयोिगय (वय क, अिभभावक,
बालक) के आपसी संबंध के सजीव िच बताकर ा या क जाती है। जीवन-ि थित प ित ि के बातचीत के
तरीक़े को भािवत करने वाले प रवेश क िव तृतदृि पर िनभर होती है। येक मॉडल उपयोगी, कं तु आंिशक
जानकारी दान करता है, पर जब हम इन मॉडल का सम अ ययन करते हतो हम संवाद सम या और उसके
िनराकरण क संपूण समझ ा होती है। ये समझ बातचीत म आई कावट को दूर करने म हमारी मदद करती
ह और फर एक नई, यादा बेहतर बातचीत क रणनीित बनाने का आधार देती ह।
इन तीन मॉडल म कु छ मूलभूत का समूह सम या दूर करने पता लगाएँ क बातचीत कै से असर
डालती है से संबंिधत ासंिगक जानकारी दान करता है। इन का पुनरावलोकन येक मॉडल पर खास
यान देने के काम आता है।

घटक िवशलेषण
1. एक व ा के बतौर म संवाद सम या म कस कार योगदान देता ?ँ
2. मेरे संदश
े म कथन और कथन क शैली का या भाव होता है?
3. ोता के बतौर म संवाद सम या म कस कार शािमल रहता ?ँ

पार प रक िव ेषण
1. कन प रि थितय म मेरा संवाद वय क, अिभभावक या बालक क तरह समझा जा सकता है?
2. मेरे संवाद का व प ोता क मेरे ित ित या पर कस कार असर डालता है?
3. अ य ि के संवाद का व प उसके ित मेरी ित या को कस कार भािवत करता है?

जीवन-ि थित िव ेषण


1. मुझसे चचा कर रहे ि को समझने म कौन सा िवशेष संदभ या जीवन प रवेश आयाम सवािधक
ासंिगक है?
2. इस ि के जीवन क प रि थितयाँ कस कार प रव तत हो रही ह और उनका हमारे संवाद पर कस
कार भाव पड़ेगा?
3. य द हमारे बीच वैचा रक मतभेद ह, तो समय के िव तृत संदभ और मेरे मू य तं म यह कतना मह वपूण
है?
इन मॉडल का लगातार योग िवक प को बढ़ाकर हमारे कथन और कथन क शैली के बीच बेहतर चयन को
े रत करे गा। दूसरे श द म हम अपने संक ण नज़ रये को छोड़कर न िसफ वृ , बि क पूरे जंगल और उसके
बदलते रं ग को भी देख पाएँगे। ऐसे सकारा मक रवैये से संचािलत संवाद कावट , अनचाहे िववाद और
मनौवै ािनक अलगाव से बचा रह पाएगा। यह उन ख़ूिबय को िवकिसत करे गा, िज ह हम आपस म बाँटना,
िवचार म गहराई लाना और िशखर पर प च ँ ने के एहसास के प म करना चाहते ह।

िवजय पाने क दशा म काययोजना


1. इस अ याय के सार सं ेप खंड म बताए गए घटक िव ेषण से संबंिधत को देखकर ख़द से तीन
पूछ। इन म बताई गई कसी ताज़ा िविश संवाद सम या पर यान द। िव ेषण को भारी-
भरकम न होने द। दमाग़ म आने वाले पहले िवचार को िलख (उदाहरणाथ : ''म मानता ँ क मेरा संदश

प और सीधा नह था।'') आपका िव ेषण एक न शे क तरह है : यह दशाता है क आप कहाँ खो गए ह
और कस तरह आपको मंिज़ल तक ले जाने वाली राह क तरफ़ लौटना है।
2. सार सं ेप म व णत पार प रक िव ेषण के का योग यह जानने के िलए कर क आप कस
कार एक संवाद तरीक़े से दूसरा अपनाते ह? (उदाहरणाथ : वय क, अिभभावक, बालक)। संवाद
गितरोध क ि थित म जाँचने के िलए ख़द से ये पूछ क आप कस संवाद तरीक़े म ह और उसे बदलने
क ज़ रत है या नह ।
3. जब आप घटक से पार प रक िव ेषण के उपयु तर पर ह , तब जीवन-ि थित संबंधी का
िव ेषण कर। शहर या रा य के न शे के बजाय यह िव ेषण पूरे देश के न शे क तरह है। इसे उस ि
के पूरे िच क तरह इ तेमाल कर, िजसे आप समझना चाहते ह। इसका योग िवशेषकर तब कर, जब
बातचीत म साथी क बात वीकारने म आपको परे शानी पेश आ रही हो।
6

लोग का यान जीत

मानव होने के िलए ख़राब ही सही, पर बोलना ज़ री है और े मानव होने के िलए े तापूवक बोलना ज़ री
है।1
वडेल जॉ सन

य द आप इस भाव के साथ चचा म शािमल होते ह क ''म इस कार बोलूँगा क अ य ि को मुझे सुनने म
ख़शी होगी'' तो आप यान भी जीतगे। आपक सकारा मक मानिसकता आपको इस कार बोलने के िलए े रत
करे गी क लोग का यान आकृ हो। आप ख़द को यह कहते ए नह पाएँगे -
''मेरे पित मेरी बात कभी नह सुनते।''
''म अपने बेटे से थक जाने तक बोलती ,ँ पर इससे कोई फ़ायदा नह होता।''
''मने एक बार नह , हज़ार बार तुमसे कहा...''
''कोई नह पूछता क म या सोचता ।ँ ''
हालां क आप पाएँगे क ब त अ छा बोलने के बावजूद कभी-कभी आप लोग का यान खो देते ह। लोग क
अपनी सम याएँ इतनी ह क वे आपक बात पर हमेशा यान नह दे पाते। य द आप इस अ याय म व णत िन
िस ांत पर अमल करते ह, तो आपक चचा को कम-से-कम नीरस और दूसर के साथ यादा संतोषजनक
बनाया जा सकता है।
1. बातचीत का दम तोड़ने वाली चीज़ से बच।
2. िचकर िवषय पर अपने िवचार िवकिसत कर।
3. पूछना सीख।
4. बातचीत शु करने लायक़ बंद ु को याद कर ल।
5. नाम याद रख।
6. ब ढ़या बातचीत के कौशल का अ यास कर।

बातचीत का दम तोड़ने वाली चीज़ से बच


एक ख़शगवार चचा िवरोधाभास, अिड़यल कथन और सतही सरलीकरण जैसे अवरोधक के कारण अचानक
ख़ म हो सकती है, जैसे:
मज़ाक का पा मत बनो!
म अ छी तरह जानता ,ँ तुम या सोच रहे हो!
यह कभी कारगर नह होगा।
तु हारा दमाग़ ख़राब है?
जब म तु हारी उ का था, म हमेशा...
हर कसी को चािहए...
तु ह उस तरह से नह सोचना चािहए।
मने तुमसे कतनी बार कहा है...?
एक पल के िलए अपने अनुभव म आए उन ि य के बारे म सोच, जो संवाद को मुि कल बना देते ह। वे ऐसा
या कहते या करते ह, िजससे परे शानी पैदा होती है? या सम या क वजह लगातार वातालाप है? या यह
उनका श द चयन, बोलने का तरीक़ा, आवाज़ क शैली या रवैया है, िजसे आप नापसंद करते ह? संवाद के िलए
नुक़सानदेह कथन या ि थितय क सूची बनाना आपके िलए लाभ द है, फर आप इन बंद ु से अपनी चचा
का बचाव कर सकते ह।
बातचीत को अचानक ख़ म करने वाली चीज़ को पहचानने क या म िन मददगार ह गे।
येक को परख और उन े पर िवशेष यान द, जहाँ सुधार क ज़ रत हो।

या म ज़ोर से बोलता और चीखता ?ँ

हाँ नह

या म िशकायती रवैया रखता ?ँ

हाँ नह

या म लोग क आलोचना करता ?ँ

हाँ नह

या मेरी आवाज़ क शैली नफ़रत दशाती है?

हाँ नह

या म असुर ाभाव से त विन म बोलता ?ँ

हाँ नह

या म दूसर को मौक़ा दए बग़ैर एक िमनट से यादा समय तक लगातार बोलता ?ँ

हाँ नह

या म अपने या अपनी ही िचय के बारे म ब त यादा चचा करता ?ँ

हाँ नह
या म अिड़यल, संकुिचत बहसबाज़, अहंक त तरीक़े से बात करता ?ँ

हाँ नह

या म फु सफु साकर बात करता ?ँ

हाँ नह

या मेरे पास बातचीत का एक ही िवषय है?

हाँ नह

या म फ़ौज के साजट क तरह लोग को आदेश देता ?ँ

हाँ नह

या म ग़लत समय और ग़लत मौक पर बात कर लोग को बोर करता ?ँ

हाँ नह

अपने आपसे ऐसे पूछकर आप गंभीर ग़लितय से बचते ए अपने बातचीत के तरीक़े म सफल वातालाप के
िलए ज़ री फे रबदल कर सकते ह।

िचकर िवषय पर अपने िबचार िवकिसत कर


िचकर संवाद के िलए लगभग हर िवषय उपयु होता है। आपका संवाद आकषक हो सकता है चाहे वह
बा के टबॉल, मण, संगीत, राजनीित पर हो या घर-घर जाकर िव य और शेयर बाजार के बारे म। कसी भी
िवषय पर आपके िवचार मह वपूण ह, य क वे आपका ितिनिध व करते ह। कं तु य द यह सच है, तो कई
संवाद बो रयत भरे य होते ह? वे शायद दलच प चचा (TALK) के 4 मूलभूत त व से रिहत होते ह। आपके
संवाद के उबाऊ होने का पहला कारण यह हो सकता है क आप बोलने से पहले सोचते (Think) नह ह; हम
दूसर क दलच पी का याल नह रहता। दूसरा - हम भावी (Assert) तरीके से अपनी बात नह रखते और
अपने गंभीर िवचार या भाव आगे नह लाते, खासकर जब हम मौजूदा राय के िव जाने का भय हो। तीसरा -
हम दूसर क बात यान से नह सुनते (Listen); हम उन गहरे भाव को नज़रअंदाज कर जाते ह, जो संवाद को
गमजोशी, िवनोद या म ती से भर सकते ह । चौथा - हम नह जानते (Know) क या बोलना है; हम अपनी
जगत दृि अथवा ांड के रह य के ित शंसाभाव को िवकिसत करने वाले ानवधक सू पर यान नह
देते।
उबाऊ संवाद और एकरसतापूण वातालाप को िचकर चचा म बदलने वाले कु छ उपाय इस कार ह:
• पु तक पढ़ते, टी.वी. पर फ़ म देखते ए उन जानका रय क तलाश कर, जो आपके जीवन संबंधी
दशन को समृ बनाने के अलावा लोग के ित संवेदनशीलता और ांडीय चेतना को भी िवकिसत कर।
• ऐसे त य को दूसर के साथ बाँटने के भाव से याद कर या िलख ल।
• शु आत म छोटी जानका रयाँ याद रख। अख़बार, पु तक या पि का म व णत एकमा वा य अथवा
िवचार का िनयिमत सं ह भी आपको शानदार चचा करने वाला बना सकता है।
• िवचार को संभािवत िम क तरह देख। उनसे भयभीत होने के बजाय मह वपूण नजर आने वाली राय
सामने रख।
• सोच क वृि िवकिसत कर। िवचार िवशेष को भुलाने क ओर ध े ने क बजाय अपने मि त क म उ ह
घेर ल। कसी िवचार को एक से अिधक दृि कोण से देखने का अ यास कर। अपने अलावा दूसर के
नज रये से भी उस पर ग़ौर कर। कसी िवचार के अंशकािलक व दीघकािलक भाव क क पना कर।
जो चीज़ आपका यान ख चेगी, ज़ री नह क वह सबको आक षत करे , कं तु अपने मि त क म छु पे संगीत,
सुंदरता, तनाव एवं नाटक यता जैसे िवचार को दुिनया के सम रखने का अवसर भी छु पा है। उदाहरण के िलए,
वै ािनक क संगो ी म एक समाचार आलेख के ित मेरे मन म उपजे िवचार यहाँ व णत ह :
वै ािनक अरब वष पूव सृि के ज म के थम तीन सेकंड म घटी घटना क खोज म लगे ह।
वे जानना चाहते ह क अगले 20 से 30 अरब साल बाद ांड म या घ टत होगा।
वह ांड और अदृ य लधु अणु क ा या करने वाले िनयम के समूह का पता लगाने क कोिशश
कर रहे ह।
संगो ी के ितभािगय ने उन लैक हो स क चचा क , जो कई िस ांत के अनुसार काश को भी अपनी
गु वाकषण शि से बाहर िनकलने नह देते।
वै ािनक के अनुसार लैक होल का एक च मच वजनी अंश भी कई टन के बराबर हो सकता है।2
जब आप अपनी सोच को भािवत करने वाले दलच प िवचार या त य क खोज करगे, तो वे आपको ज़ र
िमलगे। आपको इ ह दूसर से बाँटने म भी परे शानी नह होगी, य क आपके साथ चचा कर रहे ि क
दलच पी भी आपका उ साह देखकर बढ़ेगी।

पूछना सीख
ि गत संबंध म िजस कौशल क सबसे यादा उपे ा क जाती है, वह है अ छे पूछना। कु छ लोग समझते
ह क पूछना एक कार से दूसर के कायकलाप म ह त ेप या एक तरह से कमज़ोरी क िनशानी है। कु छ
अ य ि अपनी ही बात पर इस कदर क त होते ह क पूछना उनके दमाग़ म उभरता ही नह । मगर
पूछने क कला का अ यास करने वाले तीन फायद का उ लेख करते ह -
1. सुने जाने के अिधकार क ाि ।
2. दूसरे ि य ारा यानाकषण के भाव का अनुभव और इस कार उनसे संबंध बल कर उ ह िम
बनाना।
3. कु छ नया सीखना।
कु छ ि य का मानना है क पूछना चुटकु ले सुनाने जैसा है; या तो आप इसम द होते ह या नह होते।
एक कथा के अनुसार रा य बंदीगृह म एक नया कै दी पहली बार भोजन कर रहा था, तभी कोई िच लाया, ''36!''
सभी िखलिखलाकर हँस पड़े। फर कसी ने ज़ोर से कहा ''79!'' और फर सभी अपराधी हँसी के मारे दोहरे हो
गए। नए क़ै दी ने अपने साथी से जानना चाहा क आिख़र यह माजरा या है? उसने कहा - ''यह अंक कसी
चुटकु ले से जुड़े ह। हम यहाँ साथ रहते ए इतना व त हो गया है क अंक सुनकर चुटकु ला समझ जाते ह। ''नए
क़ै दी ने भी इस मंडली म धुल-िमल जाने के िलए कु छ दन बाद साहस कर अपना पसंदीदा अंक िच लाकर बोला
- मगर इस बार कोई नह हँसा। कु छ बैचेन होकर उसने साथी से इसक वजह जाननी चाही, तो उसका जबाव
था, ''भाई कु छ के पास चुटकु ला कहने क कला होती है, कु छ के पास नह !''
कु छ लोग पूछ पाते ह, कु छ नह । ग़लत! कोई भी भावी ढंग से पूछना सीख सकता है। आपके
ारा पूछे गए तभी भावी लगगे, जब वह िवषय म आपक गहरी दलच पी दशाएँ और ि थित के अनुकूल
ह । मनचाहा फल पाने के िलए सही तकनीक का इ तेमाल अ सर मुि कल भरा होता है।
यहाँ कु छ उपयोगी तकनीक व णत ह :
• याद रख क येक वातालाप म कभी-कभी कु छ ख़तरनाक भावनाएँ भी छु पी होती ह। य द आप इन
भावना के ित संवेदनशील रह और खुलेपन तथा वीकायता के भाव ज़ािहर कर ख़तरे को कम कर
सक, तो आपके सवािधक सराहे जाएँग।े
• अपना उ े य प कर। जाने-माने मतदान िवशेष जॉज गैलप के अनुसार जब आप पूछना शु
करते ह, तो दूसरा ि आ य दशाता है क ''हम उसके बारे म य जानना चाहते ह?'' जब आप उसे
उ े य बताते ह तो आप संवाद के गितरोध को हटाते ह, भले ही वह उ े य महज ''जानकारी ा करना''
ही य न हो। उदाहरण के िलए, आप कह सकते ह - ''म अपने ारा िलए जाने वाले िनणय पर आपक
राय जानना चाहता ।ँ आपके पास चचा के िलए समय कब होगा।'' या ''म जानना चाहता ँ क कै सी
कार ख़रीदी जाए। आपक अपनी कार के बारे म या राय है?'' या ''ि य, हमारी बचत कम है, या तुम
फर भी यह गाड़ी ख़रीदना चाहोगी?''
• अपने संवाद क शु आत उन से कर, िजनके उ र आसानी से दए जा सकते ह। इसके प ात खुले
पूछकर दूसरे ि के िवचार सामने लाएँ और फर उसे बातचीत क दशा चुनने का मौका द। य द
आप दूसरे ि के िवचार और भावनाएँ जानना चाहते ह तो "हाँ'' या ''नह '' के जवाब वाले से
बच। उदाहरण के िलए; यह पूछने के बजाय क ''तु ह अपना वसाय पसंद है?'' यह पूछ क ''तु ह अपने
वसाय म या अ छा या बुरा लगता है?''
• अपने के जवाब यानपूवक सुन। आवाज़ क शैली, बोलने क र तार, उ रदाता के कथन व उसके
अिभ ाय पर यान द। इस जानकारी से आपको यह पता लगाने म मदद िमलेगी क वह ि आपके
को कस कार हण कर रहा है। कम बातचीत कसी िवषय पर चचा से बे खी दशाती है, पर कभी-
कभी आपका साथी यह जानने के िलए भी ख़ामोशी अपनाता है क आपक दलच पी वातालाप म है
अथवा नह ? य द संवाद सहयोगी पहले ही उसके िवचार और भावना क हँसी उड़ाने वाल से त
बैठा है, तो धैय के साथ पहले उसम िव ास क भावना जागृत कर।
• ऐसे से बच, जो उ रदाता को मुि कल म डाल द, झ लाए ए उ र देने पर मजबूर कर या जो
आपके दमाग़ म यकायक आए ह । याद रख क यादातर लोग अपनी तरफ ऐसे यानाकषण क उ मीद
रखते ह, जो उनके िवचार तथा भाव क खोज कर उनक दलच पी जानने क कोिशश करे , उनक
उपलि धय या पृ भूिम को उजागर करे ।

बातचीत शु करने लायक बंद ु को याद कर ल


बग़ैर कसी अपवाद के लगभग हर ि अपने या कसी अ य िवषय के बारे म बात करना चाहता है, य द उसे
पता हो क ोता क इसम दलच पी है। दुभा यवश कु छ महानुभाव तो यानाकषण के इतने भूखे होते ह क
य द आप उ ह बोलने के िलए दो िमनट देते ह, तो वे घंटे भर तक बोलते ही रहते ह। फर भी पूछने के लाभ
ख़तरे क आशंका के सा वजूद उठाए जाने चािहए। आप सुने जाने का अिधकार ा कर पर पर िव ास और
तालमेल के िलए अनुकूल वातावरण का िनमाण करते ह।
यहाँ याद रखने यो य दजन भर उ ेरक वा य दए गए ह। ये कसी भी पाट क नीरसता को तोड़,
उबाऊ ''छोटी चचा'' को संतुि दायक वातालाप म बदलकर गमजोशी क शु आत कर सकते ह :
1. य द आपको कोई दस लाख डॉलर दे, तो आप उनका या करगे?
2. य द आपको अपना मनपसंद काम करने क छू ट दी जाए, तो आप या करना चाहगे?
3. य द आपको इितहास के कसी भी ि , िजसे आप जानते ह या िजसके बारे म आपने पढ़ा हो, क
शि सयत म जीने का अवसर िमलेतो वह ि कौन होगा?
4. य द आपक समािध पर कोई लेख िलखना चाहे, तो वह या होगा? आप कस कार याद कए जाना
चाहगे? (इस को संवाद क शु आत म न पूछ!)
5. अगले पाँच वष म आप या हािसल करना चाहगे?
6. आप कसक शंसा सबसे यादा करते ह?
7. य द आपको या ा का मु त टकट दया जाए, तो आप कहाँ जाना पसंद करगे?
8. अपने ब से आपको कस उपलि ध क उ मीद है?
9. आप इस वसाय म य ह? कौन सी चीज़ आपको इससे जोड़े ए है?
10. आपके वसाय क सबसे दलच प बात आपको या लगती है?
11. जंदगी म कौन सी चीज़ आपके िलए वाकई मह वपूण है?
12. जीवन संबंधी आपका दशन या है?
इन को भावशाली बनाने के िलए इ ह िनणायक नज़ रये से बचकर पूछ या सामने वाले को ऐसा नह
लगना चािहए क उनसे ा सूचना का आप दु पयोग कर सकते ह। सही श द चयन और अपने उपयु बोध का
योग कर। इस सूची म आप अपनी िच या काय से संबंिधत अ य को भी शािमल कर ल। ा उ र के
ित असहमित या िवरोध द शत न कर। आप वै ािनक त य नह , बि क दूसरे ि क छिव से संबंिधत
पूछ रहे ह। आप कसी ि क छिव के ित िजतनी यादा िच और दलच पी जािहर करगे, उतना ही आप
उस ि के रोमांचक रह य को समझने के नजदीक जा सकगे।

नाम याद रख
यूपोट के सागर तट पर िजतने रे त के कण ह, उससे कह यादा सं या म संवाद लोग के नाम न याद रखने के
कारण टू टते ह (खैर ... हो सकता है)। कसी ि का नाम उसका सांकेितक ितिनिध व करता है। य द आप
कसी ि का नाम भूल जाते ह, तो यह दशाता है क आपक नज़र म वह ि मह वपूण नह है। य द आप
चाहते ह ककोई आपक बात सुने तो आपको कम से कम उस ि के िलए मह वपूण श द उसका नाम याद
रखने क िश ता दशानी चािहए!
अ सर लोग बहाना बनाते ए कहते ह : ''मुझे चेहरे तो याद रहते ह, ले कन नाम नह ।'' इस ट पणी का
िवरोधाभास प है : य द आप चेहरे याद रख सकते ह, तो आप नाम भी याद रख सकते ह। आपको िसफ चेहरे
के साथ नाम को जोड़ने क कला आनी चािहए। यहाँ कु छ सुझाव पेश ह :

1. जब पहली बार नाम बताया जाए, तो उसे यान से सुन। यह सुिनि त कर क आपने इसे सही सुन िलया
है।

2. इस नाम को अपने दमाग़ म कई बार दोहराएँ।

3. इसके बाद वातालाप म यह नाम िजतना संभव हो, उतनी बार बोल।

4. याद रखने के भाव से चेहरे के साथ नाम को जोड़। इस ि के चेहरे क ख़ास बात का याल रख। इसके
बाद अपनी क पना शि का योग कर इन िविश ता क प छिव (िवनोदी हो तो बेहतर) बनाएँ।
अंितम बंद ु क ा या ज़ री है। मूल सू यह है क अमूत नाम (आसानी से भुलाए जाने वाले) को कसी छिव
(जो याद रखी जा सके ) म बदला जाए, जो आपके दमाग म आसानी से रे खां कत हो। आपका मि त क इस छिव
को और उससे जुड़े नाम को याद रखेगा। यह काफ़ हद तक ि के चेहरे पर िलखे नाम जैसा होगा।
हेरी लॉरे न और मेरी लुकास क पु तक द मेमोरी बुक म बताया गया है क कस कार आप अपने मृित
तं को कारगर बना सकते ह। यहाँ उनके ारा व णत नाम को याद रखने के संब ता िस ांत का एक उदाहरण
तुत है :
सोिचए क आप हाल ही म िम. े न से िमले ह। आपके दमाग़ म भवन िनमाण मज़दूर ारा यु कए
जाने वाले उपकरण े न का याल आएगा या फर लंबी गदन वाले प ी का। आपने इस ि का चेहरा
देखा और पाया क उसका चौड़ा माथा कु छ अलग है। आप उस माथे को देखते ह, और क पना करते ह क
लंबी गदन वाले कई सारस उसम से उड़कर बाहर आ रहे ह; या आप उन पि य को उस चौड़े माथे पर
हमला करते ए भी देख सकते ह! अथवा पूरा माथा ही िवशाल सारस प ी क तरह नज़र आए। संब ता
िस ांत म आपके पास क पना हेतु कई िवक प ह। आपको कोिशश कर वह छिव देखने क आदत डालनी
होगी। अगली बार िम. े न से िमलते व त उनका नाम आपको याद रहेगा!3
यह बेवक़ू फ़ भरा लग सकता है, पर कोई भी इसके बारे म नह जान पाएगा। अ यास से यह आपको भावी और
िचकर लगने लगेगा।
नाम याद रखना लाभदायक भी हो सकता है। मान ल क अपने वसाय म आप ित दन 5 से 10
संभािवत ाहक से िमलते ह। आप इनके नाम िलख, यहाँ व णत मृित तं का योग कर उनसे जुड़ी बात और
नाम क समी ा कर, तथा कु छ समय प ात वह कागज अलग रख द। आप नाम नह भूलगे। जब आपको ाहक
का नाम याद होगा तो ाहक गौर वाि वत महसूस करगे, ठीक वैस,े जैसे कसी के ारा नामयाद रखे जाने पर
आप खुश होते ह। सफलतम िव य ितिनिध नामयाद रखने क कला म पारं गत होते ह।

ब ढ़या बातचीत के कौशल का अ यास कर


हमारा मि त क िनरं तर नए िवचार को ज म देता या हण करता रहता है। िवचार ही श द क श ल लेते ह
और हम ित दन औसतन 6 हजार श द क अिभ ि करते ह। आिख़र इतने ज़बद त अ यास व श द योग
के बावजूद हम अपनी चचा के िवशेष य नह हो जाते? अ यास से ही तो द ता आती है... है ना? यह ज़ री
नह है।
य द बा के टबॉल िखलाड़ी बा के ट क तरफ़ अपना ल य नह रखेगा, तो उसका अ यास थ जाएगा।
िपयानोवादक का अ यास उसके िलए घातक हो सकता है, य द वह सही तकनीक का योग न करे । जब तक हम
सही तरीके से संवाद कला का अ यास नह करते, हमारी ग़लितय क आशंका बढ़ती जाएगी। यहाँ अ छे
वातालाप म िवशेष बनने के िलए अ यास करने यो य आठ िस ांत दए गए ह :
•अपने रवैये पर यान द - आप दूसरे ि के ित िम वत् ख़शिमज़ाज, िवन , युि पूण, सौहा पूण ह
अथवा नह ? इनम से कोईसा भी गुण िवकिसत करना मुि कल नह है, फर भी भावी वातालापके िलए
यह पहला क़दम है।
•सहज रह - अपनी ग़लितय के ित अित चंितत और घबराहट भरा रवैया वातावरण को तनाव से भर
देता है। जब लोग आपके तनावका कारण समझ नह पाते तो वे "जड़वत" होकर ग़लत कथन से बचने के
िलए भयभीत हो जाते ह।
•संवाद साथी के ित उ कृ ता का भाव रख - आपके घिन िम म भी ख़ािमयाँ ह गी, पर उनके पास
अनुकरणीय ख़ूिबय का भी भंडार होगा। आप इन खूिबय पर यान द। आप िजससे बात कर उसक
े तम बात को बाहर लाने क चे ा कर। यह वृि दूसर म बुराई खोजने वाली ''सामा य वृि '' क
तरह ही जोड़ने वाली हो सकती है। लोग म सामा य प से अपने बारे म दूसरे क भावनाएँ परखने क
अद्भुत मता होती है। य द आप उनक खूिबय पर यान दगे, तो वे यादा सहज रहगे और आपके साथ
अपनी भावनाएँ बाँटते ए आपको सुनने म यादा दलच पी दशाएँग।े
•अपने ित उ कृ ता का भाव रख - ऐसा करने का अथ अ व थ अहंकार भाव या धोखेबाजी नह है,
बि क इससे आपको अपने ित िन ंत होकर दूसर के ित अिधक सचेत रहने म मदद िमलेगी। य द
लोग को आपक खुद के बारे म सकारा मक राय नज़र आएगीतो वे भी आपके िवषय म ऐसा ही सोचगे।
•अ य संवाद सािथय के मौिखक या अ य सके त के ितसचेत रह - ख़द से पूछे: '' या मुझे सुना व
समझा जा रहा है?'' '' या मेरा संवाद पर एकािधकार है?'' '' या इस िवषय पर दूसरे कु छ कहना चाहते
ह?'' जब दूसरे ि को आभास होता है क आप उसके संकेत के ित सचेत नह ह, तो संवाद क जाता
है। सव े चचा का अथ जानका रय , अिभ िचय का आदान- दान और िभ ोत से िवचार क
अिभ ि है।
•अपने संवाद का दीघकािलक ल य सकारा मक रख - जब कसी सामािजक, ावसाियक या ि गत
सम या पर चचा हो रही हो, तो सम या से संबंिधत कसी एक समाधान पर सहमित का यास कर।
(दरअसल कई लोग नह जानते क वे कस िवषय पर बहस कर रहे ह!) जब आपको पता हो क सम या
या है, तो आप संभािवत समाधान सुझाकर संवाद को तनातनी म बदलने से रोक सकते ह। य िप लोग
िशकायत करना पसंद करते ह, पर िशकायत करने वाल से वे घृणा करते ह।
•बोलने से पहले सोच - संवाद क यादातर सम याएँ िवचार शु यतासे उपजती ह। कु छ लोग के अनुसार
यादा बोलने वाल के साथ सम यायह है क वे बगैर सोचे-समझे बात करते ह!
•अपने संभाषण का िव ेषण कर - या आपके संवाद म“ म ... आह ... तु ह पता है? ''जैसे श द शािमल
होते ह? या आपक आवाज दूसर को मधुर लगती है? आपक आवाज के उतार-चढ़ाव आ मिव ास और
ामािणकता दशाते ह या भी ता और अिन य? ऐसे नकारा मक वातालाप के तरीके से बचने के
िलए आव यकचेतना पैदा करते ह। चूँ क ऐसे तरीके यादातर आदतन ज म लेते ह, िलहाजा उ ह दूर
करने के िलए दृढ़ िन य और अनुशासन क ज़ रत होती है। कसी के संवाद के तरीके को बेहतर बनाने
क या म कोई संवाद िश क या िम काफ़ उपयोगी सािबत हो सकता है।
इन िस ांत के कारगर नतीजे पाने के िलए आपके पास एकमा उपाय इनका अ यास करना है। अनजान लोग
के साथ अ यास कर। ावसाियक सहयोिगय के साथ अ यास कर। अपने िनकट थ लोग के साथ अ यास कर।
य द आप इन िस ांत को येक वातालाप म लागू करते ह, तो आप ब ढ़या बातचीत का कौशल िवकिसत करने
म कभी असफल नह हो सकते।

िवजय पाने क दशा म काययोजना


1. अखबार या पि का से ऐसे िवचार िलख डाल, िजनम आपक दलच पी हो। उ ह याद कर और फर
अपने संवाद म अनुकूल ि थित के अनुसार इ तेमाल कर।
2. उन कई क सूची बनाएँ, जो आप चाहते ह क लोग आपसे पूछ। फर यही दूसरे लोग से पूछ।
वे भी आपको उपयु उ र दगे।
3. इस अ याय म व णत लोग के नाम याद रखने क प ित का इ तेमाल एक ह ते के दौरान िमलने या
पहली बार प रिचत होने वाल पर कर।
4. दो सूिचयाँ बनाएँ : संवाद आदत िज ह आप अपनाना चाहते ह और कौशल, िज ह आप िवकिसत
करना चाहते ह। अपने कौशल परएक स ाह तक अ यास कर और फर अपनी गित का मू यांकन कर।
या आपने कु छ पुरानी आदत छोड़ी? या आपने कु छ नए कौशल कािवकास कया? इसे जारी रख। आप
ये कर सकते ह!
7

ना कहने का साहस जुटाएँ

(ब े) आज भी इस िवचार से जुड़े रहना चाहते ह क एकमा अ छा उ र हाँ म जवाब देना है। िनि त प से
यह उनक ग़लत िश ा का प रणाम है, िजसके अनुसार ''सही उ र'' िसफ़ वही है, जो फ़ायदा प चँ ाए।1
जॉन हॉ ट (हाऊ िच न फ़े ल)

एक ऑटोमोबाइल डीलर खरीदार को एक ऐसी कार बेच डालता है, िजसे वह ख़रीदना नह चाहता
था।
एक माँ अपनी चालीस वष या पु ी को उसके पु क तालीम के िलए कोसती है, जब तक क वह
उसक इ छा के अनु प नह चलने लगती।
एक कशोर अपने अिभभावक के घरे लू िनयम क िख ली उड़ाता है, जब तक क वे उसे उसक
मनमज के मुतािबक़ छोड़ नह देते।
कोई पु ष िनयो ा एक आकषक युवती को शारी रक संपक के बदले म पदो ित का ताव देता है।
युवती यह सोचकर राज़ी हो जाती है क उसके पास कोई अ य िवक प नह है।

ये सब ितकड़मबाज़ कौन ह? ये ऐसे साधारण लोग ह, जो िच लाकर, मुँह फु लाकर, िख ली उड़ाकर या डराकर
अपने िशकार को मजबूर करना सीख चुके ह। सभी िशकारी म एक बात समान है : वे ना कहना नह जानते!
आजकल वै ािनक मि त क के िव ुतीय संवेदन और पांतरण, अवचेतन क त लोभन, आनुवंिशक
जोड़-तोड़ और वभावगत बंधन के च काने वाले आयाम क पड़ताल कर रहे ह। िजस कार जॉज ऑरवेल के
उप यास 1984 म िनयं ण तकनीकिवद् आधुिनक मानव के लचीलेपन का फ़ायदा उठाकर उसका बा
पांतरण कर देते ह। एक काशक ने अपनी आगामी पु तक क सूची जारी करते ए बड़ी बेशम से यह दावा
कया है क उनक नई पु तक यह बताती है क कोई कस कार दूसर के जीवन को पूणत: िनयंि त और यहाँ
तक क उ ह रोबोट क तरह संचािलत कर सकता है! जब तक हम अपनी सुर ा नह करते और पलटवार का
उपाय नह जानते, तो हम लगभग मशीन जैसी ि थित म प च ँ जाने के ख़तरे म रहगे।
यह अ याय बताता है क कस कार अपने आंत रक दशा-िनदश को संरि त रखते ए बा दबाव का
मुक़ाबला कया जाए। अपने जीवन पर िनयं ण करने के िलए आपको जानना होगा :

ना कहना इतना मुि कल य है?


जब आप ना कहना चाहते ह उस ि थित म हाँ कहने के प रणाम। अपने वा तिवक व प को कस
कार ज़ािहर कया जाए।
शांितपूण तरीक़े से ना कहने क कु छ साधारण रणनीितयाँ।
अपनी िनजी ज़ंदगी म हाँ कै से कह।

भावी तरीक़े से ना कहने का आ यजनक लाभ स मान का बढ़ जाना है - अपने आपसे और दूसर से भी।

ना कहना इतना मुि कल य है?


बचपन से ही कई लोग हाँ कहने के आदी होते ह। उ ह लगता है क ''हाँ'' कहना वीकृ ित ा करने क
एक शत है। य द वे एक बार ना कहने क कोिशश करने पर नकार दए जाते ह, तो उनक हाँ कहने क वृि
और भी मज़बूत तथा अप रवतनीय हो जाती है।
अपनी आतं कत करने वाली पु तक ओिबिडएंस टू अथॉ रटी म डॉ. टेनले िमल ाम ने येल िव िव ालय
के एक मनोवै ािनक योग का उ लेख कया, जो बताता है क कस कार कई लोग दूसरे ि को शारी रक
नुक़सान प च ँ ने क हद तक कसी ऊँचे पद वाले ि क हाँ म हाँ िमलाने के आदी होते ह। इस योग के िलए
िश क , इं जीिनयर , से समैन और मज़दूर का अ ययन कया गया। येक योग म तीन ि और एक ''शॉक
मशीन'' को शािमल कया गया। इनम एक ि योगकता या उ पद थ अिधकारी, दूसरा '' िश 'ु ' तथा
तीसरा ि ''िश क'' के प म शािमल आ, जो योग का मुख क था। शॉक मशीन पर 15 से 450 वो ट
तक के अनेक ि वच थे। इ ह ''ह के झटके ,'' ''शि शाली झटके '' से ''ख़तरा : ती झटके '' तक क ेिणय म
वग कृ त कया गया।
येक ितभागी को बताया गया क यह योग सीखने क या का एक अ ययन है। येक ि
(िश क) को श द-यु म जैसे नीला-ब सा, शुभ- दवस, जंगली-ब ख क सूची पढ़ने और फर पुन:सूची के आरं भ
क तरफ लौटकर ''नीला-आसमान, याही, ब सा या िचराग़'' कहने का िनदश दया गया। िश ु को सही उ र
देना था। उसके ग़लत उ र देने पर, जैसा क योग के दौरान अ सर आ, िश क को उसे ''शॉक'' देने को कहा
गया। येक ग़लत उ र के िलए यही व था थी। य िप िश ु को कोई वा तिवक शॉक (झटका) नह दया
गया। पर िश क को यही लगता था क उसके िश ु को शॉक दया जाएगा।
जब िश क ने शॉक क ती ता बढ़ाने म आनाकानी दशायी, तो अिधकृ त योगकता ने उसे शॉक जारी
रखने का िनदश दया। िश क फर अचकचाया तो योगकता ने कहा- '' योग के िलए आप अपना काम जारी
रख।'' तीसरी आपि पर िनदश आया- ''यह अ याव यक है आप इसे जारी रख। ''चौथी आपि पर, ''आपके पास
कोई िवक प नह है; आपको काम जारी रखना होगा।'' य द पाँचव बार फर आपि क गई, तो उसका अपने
ितभागी के साथ योग रोक दया गया।
इसके प रणाम या थे? दो ितहाई ितभािगय ने अपनी जानकारी म 450 वो ट तर तक शॉक देने म
तब भी िहच कचाहट नह दखाई, जब क उनके िशकार िश ु कराहे, िच लाए, सीने म दद क िशकायत करने
के अलावा अचेत होते भी नजर आए। फर मानवीय ग रमा के िवपरीत इतनी ू रता का वहार य कया
गया? इस योग के आधार पर एक उ र यह है क दो ितहाई ि ना कहने से डरते ह।
हम ज मजात प से सामािजक ाणी ह। दूसर ारा वीकारे जाने क वाभािवक आव यकता हम
सामािजक गो ी म जाने, िम ता और िववाह आ द के िलए े रत करती है। कोई भी नकारा नह जाना चाहता,
िलहाज़ा हम अपनी इ छा के िवपरीत भी दूसर क मज के मुतािबक़ चलने को राज़ी हो जाते ह। इस वृि का
एक सकारा मक प बड़े ल य क ाि म हमारा समझौतावादी ख़ और दूसर के ित सहयोगा मक तथा
संवेदी दृि कोण का िवकास है। कं तु जब यह वीकृ ित आलोचना या नकारे जाने के भय क नज़र से उपजकर
इतनी हावी हो जाती है क हम अपने मू य और खुद को भी इस या म नज़रअंदाज़ कर देते ह, तो यह दूसर
क ग़लामी करने जैसी अव था बनजाती है।
ना कहने का भय हम दूसर के िनयं ण का िशकार बना देता है। इसके साथ ही हम एक ि गत ं के
िशकार भी हो जाते ह, जो हमारे ''आ म'' को दो िवपरीत धारा म ख चता है।

आंत रक ं के प रणाम
कई लोग एक ब े से इसिलए यार नह करते क वह या कहता या करता है, बि क इसिलए क उसके
'' ि व'' म कु छ ख़ूिबयाँ होती ह। ब े के जीवन म कोई आयाम, भावना मक लुका-िछपी, धोखाधड़ी का भाव
नह होता। वह अपने तरीके से रोते ए और िच लाकर वह दशाता है, जो उसके दल म होता है। वह अपने
वातावरण के ित सहज और अनुकूल होता है। वह सबकु छ सीखना चाहता है। वह सीखने के ित उ सुक होता है
और सबकु छ जान लेना चाहता है। वह ईमानदार और अपना वा तिवक व प िलए होता है। उसे ि व या
पहचान का ं नह सताता।
बचपन म ना कहना हमारे ि व िनमाण का मह वपूण अंग होता है। जैस-े जैसे हम अपने और दूसर के
बीच भेद करना सीखते ह, तो हमारी पहचान ज म लेती है। उदाहरण के िलए, हमारे ारा िवकिसतसीखने क
या इस कार रहती आई है :

नह - म दपण म नज़र आने वाली छिव नह ।ँ


नह - म अपने भाई या बहन जैसा नही ।ँ
नह - म वह भोजन नह पसंद करता।
नह - म कसी दूसरे ब े क तरह नह दखता ।ँ
नह - म कसी अ य ि क तरह िवचार या श द का इ तेमाल नह करता।
नह - मेरी भावनाएँ मेरे माता-िपता क तरह नह ह।
नह - म उस ि जैसा नह , बि क म, म ।ँ

हमारे ि व म बचपन से एक ि या इ छा आरोिपत कर दी जाती है क हम दूसर से अलग कोई


ि ह। दुभा यवश समाज से ही हम खुद को वीकारे जाने क दशा म ख चने वाली िवरोधी शि भी ा
होती है। यह िवरोधी शि कु छ अिलिखत सामािजक िनयम क श ल म इस कार काम करती है :
1. लोग अपने से िभ ि य पर हँसते ह- उ ह अपने ऊपर हँसने का अवसर मत दो।
2. यह सुिनि त करो क तु हारा िम समूह या मुख संदभ समूह तु हारे कथन और कम को वीकृ ित दे।
3. लोग तु हारे इं कार से आहत हो सकते ह या तु ह नकार सकते ह, िलहाजा हमेशा सहमित दशाओ।
4. सुर ा कई तरह से पाई जाती है - खुद को अलग मत दखाओ।
ये िनयम मुि कल हताशा के बावजूद अ सर अपनाए जाते ह। लोग जानते ह क भीड़ के हाथ िबक जाना अपने
आ म- व प से तनाव मोल लेना है, फर भी वे सामािजक वीकृ ित को अि त व के िलए आव यक मानते ह।
कशोर यौन चेतना पर एक ताज़ा शोध के तहत कशोर से पूछा गया क या वे कभी अपनी इ छा के
िवपरीत अपनी डेट से यौन संबंध बनाने पर मजबूर ए? 15-16 वष के आयुवग वाले कु ल 47 ितशत लड़क
और 65 ितशत लड़ कय ने हाँ म जवाब दया। इन लड़ कय ने अपने मू य और भावना के िवपरीत आचरण
के जो कारण दए, वे इस कार थे :

म लड़के क भावना को आहत नह करना चाहती थी।


म नह चाहती थी क लड़का मुझे अिड़यल समझे।
मुझे ना कहना नह आता।
मुझे भय था क वह मुझे पसंद करना बंद कर देगा।
म ज़/शराब के नशे म थी।
मुझ पर कत का भाव हावी था।

लड़क ने िन कारण दए :

म उस लड़क क भावना को चोट नह प च ँ ाना चाहता था।


मुझे डर था, वह समझेगी क म उसे नह चाहता।
मुझे भय था क वह मुझे नामद समझेगी।
मने ऐसा कया य क वह ऐसा चाहती थी।
मुझ पर दबाव था य क मेरे सभी िम यही कर रहे थे।
म ज़/शराब के नशे म था।2
हम रोज़ाना ऐसे सैकड़ सां कृ ितक संदश
े क बौछार का सामना करते ह जो हम वीकृ ित और परं परा के
स यापन के िलए उकसाते ह और ऐसे संदश े लगातार हमारी जंदगी म उतरते ह। जब हम इन संदश
े का पालन
करते ह, तो हम दूसरे ि य के शि दशन के िशकार होकर अपनी वा तिवक पहचान क आज़ादी और जोश
खो देते ह। और हमारी खुशी कम होती जात है।
हमारे सम इस अंधकार का या कारण है? या यह हमारे ारा खुद पर अपना िनयं ण छोड़ देने का
वभावगत ढरा नह है? उदाहरणके िलए :

दूसर के आहत होने के भय से उ ह खुश रखना।


अपने ारा नापसंद क जाने वाली ि थितय के संचालन क अनुमित दूसर को देना।
ब क माँग के आगे हमेशा घुटने टेकना।
उ ािधकारी या वैवािहक साथी क अनुिचत आलोचना को भी भी ता से वीकारना।
अपनी मानिसक या भावना मक ''माँग'' जैसे आहार का याग, िज़ मेदारी से बचते ए समपण करना।
लंबे अरसे तक कमज़ोरी क ि थित म काय करते ए अपनी वा तिवक भावना को दबाने के
फल व प यकायक आ ामकता और श ुता भाव का िव फोट।

ऐसे वहार के कई दुःखद प रणाम होते ह। वे ऐसी गितिविधयाँ करनेपर मजबूर करते ह, जो ि क
वा तिवक छिव को नह दशाती। वे ि को अपने ल य से िवचिलत करते ह। वे लोग से भी शमाकर दूर जाने
और कु ढ़ने का भाव पैदा करते ह। वे साथक संवाद क संभावना को कम करते ह।
जब आप ना कहने क इ छा को दबाकर िनरं तर हाँ कहते ह, तो खुद से पूछना आव यक हो जाता है क
या “हाँ'' कहने का तरीक़ा आपके िलए लगातार पहचान के ं और नाखुशी के एहसास क वजह बनता जा रहा
है। खुद से पूछ क बेहतर तरीक़े से कया गया एक इं कार या आपको बेहतर महसूस करने और अपने आपसी
संबंध के िवकास म मददगार नह होगा।

सुिनि तता बोध : आपके वा तिवक व प का िनमाता


अपनी बात को िनि ततापूवक कहना आपके वा तिवक व प का स यापन, आपके गहनतम मू य का संर ण
और अ य ि य के िनदश का गुलाम बनने से इं कार कर अपने अंद नी भय पर िवजय को सुिनि त करता
है। दृढ़तापूवक कहने का मतलब आ ामक होना नह है। इसका ता पय दूसर से खुद को बेहतर मािणत करने
का िनरथक खेल खेलना नह है। इसका अथ दूसर पर िनयं ण भी नह है। सुिनि तता बोध आ म-मू यांकन,
आ मिव ास और अिधकारपूवक अपनी बात कहना है।
वयं का स मान कर : वयं का स मान करने का अथ खुद के साथ वैसा वहार करना है, जैसे वहार
क अपे ा आप दूसरे लोग से अपने िलए रखते ह। उस ि का आदर करना जो आप ह औरजो आप बनना
चाहते ह। कं तु मान लीिजए क आप ये महसूस कर क आपके साथ इतनी ''ग़लत'' बात ह क खुद का स मान हो
ही नह सकता। यह संभव है क आपने िसफ उ ह जानका रय म खुद को कै द कर िलया हो, जो आपक नजर म
नकारा मक ह। उदाहरण के िलए कु छ लोग अपना मू यांकन इस आधार पर करते ह :

अिभभावक के कटु वचन


कु े का उन पर भ कना
एक झुरी
नए फ़ै शन के अनु प कपड़े न होना
दूसर क आलोचना
धनाभाव
बुि म ा या इसका अभाव
ऊँचाई, वजन या अ य शारी रक ल ण
वचा का रं ग
ऐनक क ज़ रत
आयु
अतीत क ग़लितयाँ
सही उ ारण या अ छा बोलने म अयो यता
रा ीयता

जब ऐसी आकि मक चीज़ हम गहराई से भािवत करती ह, तो हम वीकार करना चािहए क हम ऐसी चीज
को मह व दे रहे ह, िजनके बारे म आ म-मह ा को अपनाने वाले कई ि दोबारा कभी नह सोचते।
सूचना या पर ए अ ययन का एक च काने वाला त य है क हमारी आाँख ित सेकंड 50 लाख अंश
देखने क मता रखती ह। कं तु हमारा मि त क ित सेकंड ''िसफ़'' 500 जानका रय के अंश का अथ ढू ँढ पाता
है। हमारे मि त क का अ यास चु नंदा चीज देखने का है।
संभवत: पूव म आपने िन आ म-मह ा मू यांकन को चुना और फल व प दूसर के हाथ का िखलौना
बन गए, पर अब आप इस ा प को बदलना चाहते ह। आप ऐसा प रवतन कै से करगे? चु नंदा चीज देखने से।
यहाँ सकारा मक प रवतन को िवकिसत करने वाले संवेदन क तकनीक दशाई गई ह।

• यह मान क अतीत अब बीत चुका है और जब तक क आप ऐसा न चाह यह आपक मानिसकता


तथा आचरण को भािवत नह कर सकता। दमाग़ म बैठा ल क आपक आ मछिव फर सुधारी जा
सकती है।
• भिव य को िव तार म देख- वहाँ अभी कु छ नह घटा है। चाहे अतीत म आपसे कतनी ही ग़लितयाँ
ई हो, ज़ री नह क वे भिव य म भी जारी रह।
• अपने आपको ऐसे वहार और चचा क राह पर अ सर कर, जो आपक िविश मता , मू य
और िव ास को सुिनि त करता हो। आपको डराने, दबाने या िनयंि त करने वाले कसी भी
ितकड़मी यास को ना कह द। अपनी उिचत वतं ता के ित वीकृ ित भाव रख। अपने मानक के
अनु प अपने सुधार क इ छा को हाँ कह।

िव ासपूवक काम कर : अं ेज़ी श द कॉि फडस लै टन भाषा से आया है, िजसका अथ होता है, ''भरोसा''।
िव ासपूवक काय करने का अथ आपके ारा अपने िलए थािपत मू य पर भरोसा करना है। यह इस भय से
मु होकर बोलना है क दूसरे या सोचगे। यह तब ना कहने क कला है, जब आप अपने वा तिवक अिभ ाय के
िवपरीत ही कहने पर मजदूर नज़र आ रहे ह।
जब तक आप िव ास का अनुभव नह करगे, तब तक उसे ा कै से करगे? िव ास के साथ काय कर। इस
बारे म चंितत न ह क आपक भावनाएँ आपके काय का साथ देती ह या नह । आप कै से दखते ह, या खाते ह,
अपने शरीर क कसावट इ या द म अिधक िच लेना शु कर। इस बात का िनधारण कर क आप सांसा रक
प रि थितय के बारे म या सोचते ह। अपने ि व के सवािधक भावी ल ण और िवचार को खोजकर
उ ह ो सािहत कर। अपनी ताक़त पर यान क त कर। छोटे ल य क ाि पर भी ख़द को पुर कृ त कर। िव
म अपनी िविश ता क क पना कर। आप िविश ह।
भय के दु च को तोड़ने म िव ासपूवक काय मददगार हो सकता है। उदाहरण के िलए, मान. लीिजए
आपके पास द तर म काग़ज़ी कायवाही को सीिमत करने का अिधक कारगर सुझाव है, परं तु आप इस भय से इसे
सामने नह रख पा रहे क आपके बॉस को लोग से िनदश ा करना पसंद नह है। इस भयावह दु च को इस
कार िचि त कया जा सकता है:
िच - 7.1

िव ासपूण कायशैली एकदम अलग दृ यिच (देख िच 7 .2) को ज म देती है। िव ासपूण कायशैली का
अथ यह नह है क आप िन ाहीन या अनुशासनहीन ह। इसका मतलब है क आप अपने भयक भावना पर क़ाबू
पाकर अपनी इ छा और अिभ ाय के अनु प वहार क िनरं तरता दशा रहे ह।
िच - 7.2

सुिनि तता के साथ ब ले : ड् यूक िव िव ालय के मानविव ानशा ी िविलयम ओ'बार के ताज़ा अ ययन के
अनुसार अटक-अटककर बोलने वाल पर यायाधीश कम भरोसा करते ह। बातचीत का अिव सनीय तरीका इस
कार है :

आपको पता है...


कु छ-कु छ ऐसा...
हो सकता है...
इस तरह से...
मुझे लगता है...
शायद...
ख़ैर...
म नह जानता...
म सोचता .ँ ..
मेरी इ छा है...
अर, अह...
जी हाँ...
या म...?
तु ह नह लगता...?

कु छ प रि थितय म अिन या मक भाषा उपयु हो सकती है। कई बार सीधी-सपाट सव े ित या यह


होती है क “म नह जानता।” बहरहाल, य द आप अपने वातालाप म नकारा मक, अिनि तताबोधक तरीक़
क पहचान कर िन यपूवक बोलना चाहते ह, तो अपने दमाग़म ख़द को िन या मक शैली म बोलते देखने क
छिव बनाइए। अपने आपको लोग से िव ासपूवक संपक करते देख। हाल ही के कसी संवाद को याद कर, जब
आपने अिन या मक भाषा का योग कया हो या आप अपने प से पीछे हट गए ह । य द आप अपने वा तिवक
व प के ित ईमानदार होते, तो या कहते? आप इसे कै से कहते?
य द िव ासपूवक बातचीत पहली नज़र म “सही” नह लगती, तो दोबारा यास कर। र ा मक तरीक़
को तोड़ना आसान नह है। तब तक इसका अ यास करते रह, जब तक क आप अपनी इ छानु प कथन और
उसक शैली म द नह हो जाते।

संयत बताव के िलए उपाय


जब कोई आपसे हाँ सुनना चाहता हो तब य द आप ना कहते ह, तो टकराव हो सकता है, पर इस टकराव को ं
टालने वाले िन उपाय अपनाकर कम कया जा सकता है :
• “नो सडिवच” तकनीक अथात् दो लचीले व के बीच मौजूद नकारा मक ित या का इ तेमाल कर।
चूं क इं कार को लोग कभी-कभी ि गत अ वीकृ ित के साथ जोड़कर देखते ह, िलहाज़ा “नो सडिवच” के
ज़ रये लोग यूनतम नकारा मक भाव के साथ आपक बात “पचा” सकते ह। यह या तीन तर या
व से पूरी होती है। पहले तर का व दूसर ारा आपसे अपेि त काय को वीकृ ित देता है। यह दूसरे
ि को दशाता है क आपने उसक बात सुनी और समझी। दूसरा तर अथवा सडिवच क “मह वपूण
साम ी” आपका इं कार है, िजसके ज़ रये आप कारण सिहत अ य ि क बात से असहमित प करते ह।
तीसरी पत आपके ारा अपने इं कार क धार घटाकर आंिशक वीकृ ित दशाती है। यहाँ कु छ उदाहरण दए गए
ह:

1. म समझता ँ क आप मेरी कार उधार लेना चाहते ह, य क आपक कार टाट नह हो रही।
2. कं तु म दूसर को अपनी कार चलाने नह देता।
3. मेरे पास कु छ ख़ाली समय है और मुझे आपको छोड़ने म खुशी होगी। अगर आप कह तो म आपको
आपक मनचाही जगह तक ले जा सकता ।ँ

1. म समझता ँ क आप मेरी सहमित चाहते ह।


2. कं तु म इस मसले को िभ दृि कोण से देखता ।ँ
3. मुझे उ मीद है क हम असहमत होकर भी िम बने रह सकते ह।

1. म जानता ,ँ आप आपके ब े के साथ गृहकाय पूरा करने म मुझसे यादा समय क अपे ा करते ह।
2. कं तु मेरे पास इतना ही समय हे और म यादा समय नह दे सकता।
3. शायद हम ट् यूशन क संभावना टटोलनी चािहए। म एक अ छे ट् यूटर को जानता ,ँ जो आपके ब े
क मदद कर सकता है।
• याद रख क शांितपूण अं ाज ब त मह वपूण है। ोध से ोध उपजता है, कं तु संयत ित या ोध को
रफ़ू च र कर देती है। य द आप अपनी भावना पर िनयं ण खो देते ह, तो यह इस बात का प संकेत है क
दूसरा ि आप पर िनयं ण पा चुका है। उ ेजक भाव के साथ नह , बि क शांितपूण दृढ़ता के साथ ना कह।
• य द कोई ि आप पर िनयं ण करने क फ़राक म है, तो “ ोकन रकॉड” तकनीक का योग कर। कु छ
पल के िलए सहज होकर अपना इं कार शांत कं तु दृढ़ रवैये के साथ दोहराते रह, जब तक क आपका संदश

हण नह कर िलया जाता।
• याद रख क आप कसी के ग़लाम नह ह। इस स ाई को आपको दमाग़ म ठूँ सकर बैठाना होगा, ता क आप
शांित और दृढ़तापूवक अमल कर सक। साथ ही आप उन लोग क संगित से इं कार कर सकते ह, जो आपको
भयभीत करते ह । आप अपनी आंत रक वतं ता को बनाए रखने का चुनाव कर सकते ह।

ना करना ही पया नह है
बग़ैर सोचे-िवचारे ना करना आदत म शुमार हो सकता है, कमोबेश हर चीज़ से इं कार करना आपके ि व क
पहचान बन सकता है, जो क एक नकारा मक दृि कोण है। यह आपके नौकरी खोने या कभी भी बेहतर नौकरी न
पाने का कारण बन सकता है। घर म इसक वजह से आपके ित िनरादर और तनाव क ि थित उपज सकती है।
जीवन के सम त रं ग को िनचोड़कर यह िनराशा क कािलख मल सकता है।
“इं कार” के सकारा मक और िव वंसक भाव को कस कार िवभािजत कया जाए? हम कै से जान सकते
ह क कब ना कहना उिचत है? इन का जवाब आसान नह है। इं कार क येक अिभ ि इस ि गत
िनणय पर िनभर करती है क आप कौन ह और जीवन म कन मू य पर यक़ न करते ह। इसिलए मू यतं के
िबना संवाद हमेशा असफल ही होगा। मू य के बग़ैर यह जानने का कोई िनि त तरीक़ा नह है क कब ही
कहना है और कब ना या फर या कु छ कहने-सुनने लायक़ है। इससे बढ़कर ऐसा कोई पहचानने यो य आधार
नह है, िजस पर अ य ि से संवाद सेतु बनाया जाए। मनोवै ािनक अ ाहम मे लोव कहते ह :
''मानव मा को जीिवत रहने और समझे जाने के िलए मू य , जीवन दशन, धमतं क उसी कार
ज़ रत है, िजस कार सूरज के काश, कै ि शयम या ेम क ।“
अपने वा तिवक जीवनमू य के िनधारण के िलए यह सोच क य द आपके पास जीने के िलए िसफ़ तीन महीने
ह , तो इस समय का उपयोग आप कस कार करगे। आप कससे िमलगे? आप कस बारे म बात करगे? अपने
प रवार िम मंडली ावसाियक सहयोिगय के साथ संबंध म आप या बदलाव लाना चाहगे? कौन से मसले
आपके िलए मह वपूण ह गे? वे कौन से मू य ह, जो आज आपके िलए अहम् ह। अगर जीवन के अंितम िमनट म
आपको जीने के िलए दस-बीस साल और दे दए जाएँ, तो आप इनका इ तेमाल कस कार करगे?

अपने जीवन को हां कह


एक ि जीवन से क ा माल एक कर मज़बूत, सुंदर और सूरज के काश वाली िवशाल संरचना का िनमाण
करे गा। दूसरा ि इसी क े माल से एक खोखली इमारत बनाएगा। सं ेप म, आपके पास अपनी इ छा के
अनु प अि त व के ित सकारा मक अथवा नकारा मक नज़ रया अपनाने का िवक प है। बा दबाव से
िनयंि त होने से इं कार कर देना अपने जीवन के ित वीकृ ित का एक शि शाली उपाय है।
िनजी वीकृ ित अपने जीवन को हां कहने का औज़ार बन सकती है। तीसरे अ याय म हमने जाना क कस
कार वतमान काल म सकारा मक प से दशाया गया िन ंतता का भाव मि त क को मनचाही दशा म जाने
के िलए तैयार करता है - भले ही यह वीकारभाव फ़लहाल आपके अनुभव म ''वा तिवक'' नज़र नह आ रहा
हो। यहॅा मेरी िज़ दगी को आकार देने वाले कु छ िन ंतता के भाव का उ लेख है :

म ऐसे ि य को ना कहने क मता रखता ,ँ जो मेरी इ छा के िव कसी ख़ास दशा म जाने


के िलए मुझे बा य करते ह।
म भय, दबाव, िनरथकताबोध क अपनी िनजी भावना ारा िनयंि त होने से इं कार करता ।ँ
म उस जीवन शैली या मू यतं से इं कार करता ,ँ जो चाहे लोकि य और लुभावनी लग, कं तु मेरे
नज़ रये से सही तीत न ह ।
म ऐसे यास या दयाभाव को वीकृ ित देता ,ँ जो अपने या कसी अ य ि के मू य को ऊँचाई पर
ले जाते ह ।
िपछली ग़लितय या वतमान अवरोध से परे म अवसर तथा चुनौितय के नूतन दवस का वागत
करता ।ँ
म लेज़ पा कल क इस उि को यान म रखकर ई र के ित वीकृ ितभाव दशाता ँ क ''खुशी
हमारे भीतर भी नह है और हमारे बगैर भी नह । यह ई र है, जो हमारे भीतर भी है और हमारे बगैर
भी।

िवजय पाने क दशा म काययोजना

1. उन ि य (पित-प ी, अिभभावक, ब े आ द) क सूची बनाएँ, िजनके साथ ना कहना आपको


मुि कल लगता हो।
2. कसी ख़ास प रि थित म उपरो ि य को ना कहने के फ़ायदे और नुक़सान या ह?
3. अिधक िन या मक होने क दशा म उठाए गए कदम आपके िलए कस कार लाभ द हो सकते
ह? कन प रि थितय (प रवार, सामािजक, ावसाियक) म आप इ ह लागू करगे?
4. यह मानते ए क आप ना कहना चाहते ह, िन ि य के संबंध म अपनी ित या िलख :
8

ब से बात करते समय


आदर का भाव रख

ब के साथ बातचीत करना एक िविश कला है, िजसके अपने िनयमऔर मायने ह।1
हैम िगनोट

आइए, इसका सामना कर। ब े कई बार आपक अपे ा से कह यादा शोरबाज़, भुल ड़, ढीठ, सु त, िश ु
और कभी-कभी खासे चालाक होते ह। फर भी जहाँ ब े ह, वहाँ िखल िखलाहट है, तालीम है, उ ितहै, िसतार
क तरफ़ छलांग है, िगरना और संभलना है - दूसरे श द म, वहाँ ज़ंदगी है। जब एक िव ाथ अपने िश क से
कहता है क ''मने सचमुच आज कु छ सीखा'' या फर जब एक ब ी अपनी माँ को यह कहते ए मुि कल ण म
ढाढ़स बँधाती है क “माँ, म तुमसे यार करती 'ँ ' या एक बेटा अपना वातालाप इन श द के साथ ख़ म करताहै
- ''पापा, आप मेरे सबसे अ छे दो त ह।'' तो ऐसे संवाद आनं दत कर देते है।
एक ब े को िशि त करने से यादा मुि कल ज़ं मेदारी दूसरी नह है। अ सर हम इसम असफल रहते
ह। हमम से कोई भी ब के शारी रक, मानिसक, भावना मक, सामािजक या आ याि मक िवकास संबंधी
प रि थितय क ज टलता को पूरी तरह नह समझता। य िप हम ब के संबंध म पूणत: द नह हो सकते,
कं तु पया द ता ज़ र पा सकते ह।
भरे -पूरे संबंध के िलए पर पर आदर भाव मु य आधार है। जब आदर प हो, तो ब के साथ
वातालाप क गुणव ा और खुशी क बुिनयाद तैयार हो जाती है। इस अ याय म पार प रक
आदरभाव(RESPECT) के िवकास और उसे जािहर करने के 7 िस ांत बताएगए ह :
R – Remember your childhood (अपना बचपन याद कर)
E – Encourage self-esteem (आ म-गौरव को ो सािहत कर)
S – Stop hassles before they start (िववाद या टकराव को पैरपसारने से पूव रोक)
P – Practice behavior you expect (अपने िलए चाहा गया वहार खुद भी अमल म लाएँ)
E – Elicit your child’s “world” (ब े का ''संसार'' रोशन कर)
C – Communicate love ( ेम का सार कर)
T – Transfer significant values (मह वपूण मू य का संचार कर)

अपना बचपन याद कर


बचपन म आप कै से थे? आपको कस बात से खुशी िमलती थी? आप य नाराज़ होते थे? कस ि का आप
सवािधक स मान करते थेया कसके साथ आपको आनंद िमलता था? उस ि के साथ रहना आपको अ छा
य लगता था? अपने ब क नजर म आप कै से उस ि क तरह बन सकते ह?
य द ब के साथ आपका संवाद खुशी भरा नह है, तो इसकामतलब आपने इन पर यान नह
दया। यह हम सभी के साथहोता है। शायद इसीिलए ड यू, िल वंग टोन लानड का आलेख ''फ़ादरफॉरगेट्स''
कई वष पूव अमे रका म च चत आ और दुिनया म इसक िगनती प का रता क े तम रचना के प म क
गई :
सुनो, बेटे : म जब यह कह रहा ,ँ तुम न द म हो, तु हारा न हा हाथ गाल के नीचे है और सुनहरे बाल
भीगे माथे पर गीले हो रहे ह। म चुपचाप तु हारे कमरे म अके ला आया। कु छ िमनट पहले जब म
पु तकालय म अपना प पढ रहा था, प ाताप क एक लहर मुझ पर सवार ई और म अपराध बोध
से िसत होकर तु हारे िब तर के समीप चला आया।
म इन बात पर िवचार कर रहा था, बेटा : म तुमसे बुरी तरह पेश आया। मने तु ह डाँटा, जब तुम
कू ल के िलए तैयार हो रहे थे औरतुमने अपना चेहरा तौिलए से ठीक तरह साफ नह कया। मने जूते
साफ न करने के िलए भी तु हारी खबर ली। म तब भी नाराज आ,जब तुमने फ़श पर अपना कु छ
सामान फका ।
ना ते के समय भी मने ग़लितयाँ िनकाल । तुमने कु छ चीज़ िबखेर दी थ । तुमने अपना भोजन ज दी-
ज दी िनगला, अपनी कोहिनयाँ मेज पर टकाई, डबलरोटी पर ढेर सारा म खन लगा िलया। जब तुम
खेलनेजा रहे थे और म अपने काम पर तुमने हाथ िहलाकर कहा ''गुडबायडेडी!'', तो मने यौ रयाँ
चढ़ाकर कहा ''अपने कं धे मत उचकाओ।
''तु ह याद है, कु छ समय बाद जब म पु तकालय म पड़ रहा था तुम कसतरह अपनी आँख म आहत
भाव िलए डरते ए अंदर आए? जब मनेइस कावट से िचढ़कर पूछा ''तु ह या चािहए?'' तो तुम
दरवाजे पर ठठक गए।
तुमने कु छ नह कहा और कु लांचे भरते ए मेरे समीप आकर मेरे गलेम अपनी बाँह डाल द और मुझे
चूम िलया। तु हारी न ह बाँह म इतनी गमजोशी थी, जैसे ई र तुमम समा गया हो और बे ख़ी भी
िजसे मुझान पाए। फर तुम धड़धड़ाते ए सी ढ़य क तरफ़ बढ़ गए।
बेटे, इसके कु छ समय बाद मेरे हाथ से कागज फ़सल गए और एकभयानक भाव मुझ पर हावी हो गया
- ''आिख़र मेरी आदत मुझसे या करवा रही ह?'' हर बात पर खामी िनकालने क आदत, डाँटना-
फटकारना- तु हारे बालपन को मने यही पुर कार दया। ऐसानह है क म तुमसे यार नह करता;
बि क मेरी अपे ाएँ कशोरपनसे काफ़ यादा हो गई थ । म अपने पैमाने से तु ह परखने लगा था।
यह एक कमज़ोर प ीकरण है : म जानता ,ँ यह बात अगर मने तु हारे जागते समय तुमसे कही
होत , तो तुम नह समझ पाते । मगर कल म एक स ा िपता बन जाऊँगा।2
हम अपने बचपन के अनुभव से िन मत ान सं ह के आधार पर उस छिव को पुन: जीिवत कर सकते ह क ब ा
होने का अथ या है, वह कस तरह सोचता और बताव करता है। जब हमारे दमाग़ म यह प छिव होगी, तो
हम ब को समझने का आधार िन मत कर सकते ह। यधिप आज व त बदल चुका है। कु छ रीित- रवाज बदल
गए और कु छ नयो ने उनक जगह ले ली है। कं तु इन सारे बदलाव से परे , ब क कु छ ऐसी मूलभूत ज़ रत ह,
जो कभी नह बदलगी। य द हम अपने बचपन से जुडे रह, तो इन आव यकता क पू त भी कर पाएँगे। यह
ब से बातचीत करने के आनंददायी अनुभव क ओर हमारा बड़ा क़दम होगा।

आ म-गौरव को ो सािहत कर
जब ब ा अपने बारे म अ छा महसूस नह करता है, तो उसे लोग ारा अपने िलए कही जाने वाली बात भी
अ छी नह लगगी। वह साधारण ट पिणय को भी सज़ा या धमक के प म देख सकता है। वह पलटकर खीझ
और ग़ से म जवाब दे सकता है, य क उसक मूलभूत मानवीयज़ रत अथात् ि गत ग रमा को नजर अंदाज
कया गया। हम चाहे इस आव यकता को आ म तुित, आ म ेम, आ म-उ लास, आ म-गौरवया कोई अ य नाम
द, एक बात प है क यह ब े के ि व और अिभ ि के िवकास पर गंभीर भाव डालता है। ब के पास
वह मनोवै ािनक र ा णाली या सुधार तं नह होता, िजसके ज़ रये वय क अपने आहत आ म- गौरव क
मरहम पट् टी कर लेते ह।
ब म आ म-गौरव आसानी से िवकिसत नह होता, िवशेषकर बुि म ा, स दय और कौशल के घमंड से
चूर इस समाज म। सामािजक प रवेश का अ य , कं तु मजबूत संदशे है क य द आप बेिमसाल नह ह, तो
आपक ख़ास क मत भी नह है। दुभा यवश कई बार वय क खुदयह संदश े अपने ब को देते ह। वे ब े के
अि त व के बजाय उनके दशन के आधार पर उ ह वीकृ ित देते ह। ब े के दशन और बताव म प रवतन के
िलए वय क कई बार उनसे कहते ह :
तुम कसी काम के नह हो!
तुम कोई काम ठीक से नह कर सकते!
तु ह बनाते व त भगवान तु ह दमाग़ देना चूक गए थे!
ऐसी ख़राब ेणी के साथ तुम गधे सािबत होगे!
फ़ु टबॉल के बारे म भूल जाओ, वह तु हारे बस का खेल नह !
तु हारा कु ा तुमसे यादा समझदार है!
तुम ब त शैतान हो!
पाँचव क ा के एक ितभाशाली छा ने मुझसे कहा क वह िव ालय म कु छ नह कर पाता। कारण पूछने पर
उसने बताया ''मेरी माँ हमेशाकहती है क म कोई काम सही तरीके से नह कर सकता।'' वह ब ा अपनी माँ के
इस कथन को सच मानने लगा था।
सामा यत: ब के साथ संवाद सम या ेम क कमी से नह ,बि क संवेदनशीलता और तालीम के अभाव
म उपजती है। यह सच है क अिभभावक िशि त कए जाने के बजाय अ सर दोषी ठहराए जातेह, कं तु कई
लोग सीिमत ान के बावजूद समझदारी से काम लेते ह।पहचान बनाने के मामले म येक अिभभावक और
िश क को एक बल मनोवै ािनक स य याद रखना चािहए। एस .आई. हयाकावा इसेइस कार प रभािषत
करते ह - ''आप ब े को जैसा कहगे, वह वैसा हो जाएगा।''3 दूसरे श द म, ब ा वही हो जाता है जैसा उसे
दशायाजाता है, भले ही वह नकारा मक छिव हो! पहचान या कसी भी पहचानक मनोवै ािनक ज़ रत ब े
ारा ा जानकारी के आकलन से यादा मजबूत होती है। अथात् य द ब े से कहा जाए क वह “रोतला ''या
''बुरा ब ा'' है, तो वह इस पर िव ास करके वैसा ही करनेलगेगा। इसके ' िवपरीत, य द उसे कहा जाए क वह
तेज दमाग औरसम या सुलझाने क मता रखता है, तो वह खुद को सम या सुलझानेवाला मानकर अपने
मि त क का रचना मक उपयोग करने लगेगा।
हमम से यादातर लोग अपने ब को अपनी मता के बारे म सकारा मक, यथाथवादी सोच के साथ
खुश देखना चाहते ह। हमपता भी होता है क यह ख़ूिबयाँ कै से िवकिसत क जाएँ। मगर हमहमेशा अपने े तम
ान का उपयोग नह करते। हम उस पल क बौखलाहट के िशकार हो जाते ह। हम अनायास ही अपने ब के
ितसंजोई गई उ मीद और अपने गहन मू य से िवपरीत बातचीत का तरीक़ा बना लेते ह।
या आप अपने ब म आ म -गौरव का भाव ो सािहत करते ह,यह जानने के िलए अपने आपसे ये चार
बुिनयादी सवाल पूिछए:
1. या म अपने ब क बात यानपूवक सुनता ?ँ ब म आ म - गौरव तब पैदा होता है, जब हम
गंभीरतापूवक उनक बात सुनतेह। फर भी दन भर काम के बोझ से त अिभभावक धैय और समझ क इ छा
खो बैठते ह। अिभभावक को अख़बार या टीवी के साथ राहतपाने का हक है। उ ह भी तरोताजा होने के िलए
शांित के ण क ज़ रत होती है। परं तु कभी-कभी यह ''शांित के ण'' लगातार जारीरहते ह और ब े क
वातालाप संबंधी इ छा िझड़क दी जाती है।
कसी शाम एक ब ा अपने िपता को अँगुली म लगी चोट दखाना चाहता था। िपता ने उसके बार-बार के
आ ह से खीझकर अख़बार पटकते ए कहा, ''म इस बारे म या कर सकता ?ँ कु छ भी नह !'' ब ा अपने आँसू
रोकता आ बोला, “डैडी, आप इधर देखकर इतनाबोल सकते थे, 'ओह
शायद हम ज़ रत से यादा त ह। कॉनल िव िव ालय क मनोिव ानी यूरी ोफे न ेनर के अनुसार
सामा यत: िपता अपने ब के साथ साथक चचा के िलए ित दन मा 37.7 सेकडं का समय देते ह।य द हम
आज सुनने का समय नह रखगे, तो एक दन जब हम सुननाचाहगे, तो शायद हमारे ब के पास हमसे बात
करने का व नह होगा।
2. या म ब के ित आदरभाव रखता ?ँ ब के साथ अपने रवैये का आकलन कर। या आप इस ाचीन
उि म यक न करते ह क ''ब को सुना नह , बि क िनहारा जाना चािहए'' अथवा या उनक भावनाएँ और
िवचार आपके िलए मायने रखते ह? या आपमानते ह क ब े आपके ि गत िवकास म बाधक ह अथवा आप
को लगता है क वे आपक शानदार िज़ मेदारी के साथ ि गत िवकासक चुनौती का कारण ह?
कु छ अिभभावक इन के ित ि प ीय रवैया रखते ह। कु छ जो महसूस करते ह, उसके िवपरीत झान
दशाते ह। इस दोहरे रवैये को प करने के िलए खुद से यह पूछ : ''अपने ब के ितम कै सा रवैया चाहता
?ँ मेरा बताव उस रवैये क तरह है अथवा उससे िभ है? या मेरे ब े जानते ह क म उनका आदर करता ?ँ
द आट ऑफ लिवगं पु तक म मनोिव ानी ए रक ॉम आदर को ेम का मह वपूण घटक दशाते ए िलखते
ह:

आदर का अथ भय या आतंक नह ; बि क अं ज़
े ी श द Respect अपनेमूल श द Respicere अथात् देखना
को अिभ करता है। एक ि क िविश ता को समझकर उसे वैसे देखना जैसा क वह है।4

आदर का मतलब दूसरे ि के साम य म यक़ न करना भी है । अपने जीवन म उस शि शाली ेरणा के बारे म
सोच, जो ब े के प म आपके िलए कसी मह वपूण वय क ि ारा दशाए गए आदरभावसे उपजी हो।
3. या म अपने ब े म सकारा मक मानिसक दृि कोण का िवकास करता ?ँ ''मनु य जैसा सोचता है, वैसा हो
जाता है'' यह उि ब पर भी लागू होती है। ब े िजस चीज के बारे म सवािधक सोचते ह, उस जैसे हो जाते ह।
हीनभावना से त ब े नकारा मक ल ण के बारे म सोचकर मनमानी भाषा से अपनी सम या बढ़ा लेते ह।
उदाहरण के िलए, एक ब त मोटा ब ा अपने आपसे कह सकता है
म हमेशा भूखा रहता ।ँ
बेसबॉल खेलने के िलहाज से म काफ़ थुलथुल ।ँ
म खाना नह छोड़ सकता।
मुझे कोई अपनी टीम म नह चुनेगा।
आ म नंदा ब म नकारा मक आदत बन सकती है। इससे अवसाद और िन तरीय अि त व अथात् कभी
कोिशश न करना, ख़तरा नउठाना, कभी न जीतना जैसे ल ण क ओर झुकने के िसवाय कु छ नह िमलता।
अपने समय क सबसे मह वपूण खोज यह है क ि आ म अनुकूलन से खुद को बदल सकता है । ब े
िजस कार चंता से रोगी हो सकते ह, उसी कार अपनी ख़ूिबय पर एका होने से व थ भी,परं तु इसके िलए
उ ह सकारा मक मागदशन चािहए।
आप अपने ब को खुद म अथवा दूसर म नकारा मक ल ण पर जोर न देने और सकारा मक भाव को
ो सािहत करने क नीितिसखा सकते ह। कै िलफ़ो नया क एक पाँचव क ा क अ यािपकािनरं तर अ छे
प रणाम देने के िलए च चत थ , भले ही उ ह खरिव ाथ दए जाएँ या मंदबुि । उ ह अनुशासन संबंधी
सम या ब त कमरही और उनक क ा के िव ाथ े तम नैितक तर दशाते रहे। धानाचाय ने जब इस बारे म
जानना चाहा, तो िशि का का जवाब था क वह िनयिमत प से इस बात का लेखा-जोखा रखती थ क उ ह ने
कस छा क कतनी बार सराहना क । उ ह ने कभी भी येक िव ाथ को सराहे बग़ैर अपनी क ा ख़ म नह
क।
4. या म अपने ब के कौशल और ितभा के िवकास को ो सािहतकरता ?ँ कु छ अिभभावक ो साहन के
भाव क ग़लत ा या करते ह। एक माँ समझती है क वह अपने कशोर ब े के सारे िबल चुकाकर उसे
ो सािहत कर रही है। एक अ य माँ अपने ब े से पूछेगए हर सवाल का जवाब वयं देकर यह ग़लतफ़हमी
पालती है। ो साहन का अथ ब े को जीवन क ज़ रत से बचाकर रखना नह है। ये क़दम ब े म प रि थितय
से िनपटने के ित अिव ास पैदा करउसे हतो सािहत करते ह।
ो साहन का अथ साहस का संचार है। ो साहन आपके ब े कोयह कहना है क:
सम या हल करने का तु हारा तरीका मुझे अ छा लगा।
तुम अपने गु से पर काबू पाना सीख रहे हो।
बा के टबॉल म ित पध को चकमा देना तुमने सीख िलया है।
यह गिणत मुि कल था। मुझे खुशी है क तुमने कई सवाल सही हल कए।
इसके अलावा अितशयोि से भी बच। य द कसी ब े ारा आधा होमवक करने पर ही माँ कहे - ''तुम बुि मान
हो'' तो ब ा सोचेगा -''य द यह बुि म ा का पैमाना है, तो म इससे काफ कम मेहनत करके भी काम चला
सकता ।ँ ''
छोटी कं तु पूण उपलि धय को भी अपनी ईमानदारीपूवक ट पणी से ो सािहत क िजए। ब े ारा नई
चुनौितय का सामना करते समय उसके ित समथन और िव ास दशाएँ। यह ो साहन उस ि थित म भीहो,
जब ब ा असफल हो जाए य क आपक नजर म उसका मू यऔर मह व उसका दशन नह , बि क उसका
अि त व है।
एक िस िपयानो वादक लंदन के संगीत सभागृह म अपनी तुित देने वाला था। उसके काय म क
शु आत से आधा घंटा पूव सारासभागार औपचा रक वेशभूषा पहने मुख हि तय से भर गया। मंच परएक बड़े
से िपयानो क ओर काश क त था। एक संगीत रिसक माँअपने सात वष य पु के साथ वहाँ आई थी, ता क
महान िपयानोवादकको सुनकर ब ा यादा उ साह से अ यास करे ।
इस बीच शोरगुल म ब ा अपनी कु स से ग़ायब हो गया। माँ पूरे सभागार म बदहवासी के साथ उसे ढू ँढने
लगी। तभी भीड़ भरे . वातावरणम उसे कोई जानी-पहचानी आवाज सुनाई दी। उसक आँख म चमक आगई जब
उसने िपयानोवादक के िलए िनयत कु स पर अपने बेटे को बैठेदख े ा। वह मजे से िपयानो पर अंगुिलयाँ नचा रहा
था।
तभी भीड़ म से कोई ग़ से के साथ िच लाया, ''अरे , कोई उस ब ेको मंच से उतारो। वह चॉपि टक
(अंगुिलय से ठपकारने वाला संगीत)बजा रहा है!'' लि त माँ ध ा-मु म यह नह देख पाई क
महानिपयानोवादक उससे पहले मंच पर उस ब े के समीप बैठ चुका है।
पूरे सभागार म “चॉपि टक'' का शोर था। मगर िस िपयानोवादकइस अटपटी धुन को अपने कौशल से
यादगार संगीत रचना म बदलने मसफल हो गया। जब हडू बड़ाई माँ मंच के समीप प च ँ ी, तो उसने
महानसंगीतकार को अपने ब े से कहते सुना, ''शाबाश ब ,े अभी मत को।म 'तु हारी मदद क ँ गा। तु हारे पास
कािबिलयत है, इसे जारी रखो!''

िववाद या टकराव को पैर पसारने से पूव रोक


वे टर क यू व ड िड शनरी के अनुसार हैसल (टकराव) श द का ज म अमे रका म आ। शायद अमे रक हैगल
एंड टसल (लड़ना-झगड़ना) के बीच कोई ि थित प रभािषत करना चाहते थे। बहरहाल, येक वय कऔर ब ा
जानता है क ये टकराव या ह और उनसे कै सी अनुभूितहोती है। इनम िवशेषकर खाने-पीने, सोने, टीवी देखने,
नाच-गाना, गृहकाय, पहले कौन, कस चीज पर कसका हक़ है, जैसे मु पर होनेवाले िववाद या टकराव
शािमल ह। यह इतनी सामा य बात है क हमइसे गंभीरता से नह लेते। मगर लगातार टकराव अथवा िववाद
संवादके आनंद को धुन लगी लकड़ी क तरह बबाद कर देता है।
या टकराव से बचा जा सकता है। हाँ! य क िववाद म हमेशादो या अिधक ितभागी शािमल होते ह,
आप इस या का िह सा बनने से इं कार कर सकते ह। इसके बजाय आप असहमित दूर करनेवाले बुिनयादी
िनयम अपनाएँ। उदाहरण के िलए:

जॉनी, म तुमसे बहस नह क ँ गा। म तुम पर नह िच लाऊँगा और यहभी नह चा ग ँ ा क तुम मुझ पर


िच लाओ। म तु ह सुनने-समझने क कोिशश क ँ गा और म चा गँ ा क तुम भी मुझे समझने क
कोिशशकरो।

वय क ि ने या कया? उसने चचा के प िनयम दशाते एब े को बता दया क वह समझबूझ चाहता है।
िनि त प से यहरवैया कु छ सम या के िनराकरण क शु आत भर है, मगर इससेवातालाप के वाद-िववाद म
उलझने क संभावना कम हो जाती है।
िववाद दूर करने क कु छ नीितयाँ आदेशा मक होती ह - अथा ाकत के ज रये पूण िनयं ण पर जोर देना।
कं तु ताकत एक कमजोर ेरक है, इससे थायी समाधान नह िमलते। इसके अलावा बल योग कानतीजा
मौिखक या शारी रक ं हो सकता है। दूसरी तरफ वीकृ ित धान रवैया है - ब े को वह करने या कहने द, जैसा
वह चाहता है।मगर ब े इस वीकृ ित क सीमा ख चकर बड़ो से अशालीनता क हदतक ले जाते ह। यह दोन
रवैये टकराव को टालते नह , बि क उसे ज म देते ह।
मेरे िवचार से अिधकारवादी रवैया अपनाना उिचत है, िजसमसकारा मक ो साहन और उ िनयं ण का
समावेश हो। इससे लचीलेऔर अिड़यल दोन रवैय के ख़तर से बचते ए टकराव टालने म मदद िमलती है।
यहाँ ब े के साथ टकराव रिहत संवाद के अिधकारवादी रवैयेके पाँच तरीके दशाए गए ह-
A – Analyze problem behavior (सम याजनक बताव का िव ेषणकर)
B – Be clear about your expectations (अपनी अपे ाएँ प कर)
C – Catch them doing good (ब के अ छे काम पर नज़र रख)
D – Discpline in love ( यार से अनुशासन िसखाएँ)
E – Exert your authority firmly, but calmly (अपनी शि दृढ़तापूवक, कं तु शांित के साथ दशाएँ)
सम याजनक बताव का िव ेषण कर: ब े ारा टकराव संबंधी बताव के कई कारण हो सकते ह, जैसे
बौखलाहट, िनराशा, नकारे जानेका भय वा स य के अभाव क अनुभूित अथवा एक अिड़यल वभाव। उसके
वहार का मूल कारण खोजना ज़ री है, अ यथा सम या के ग़लत समाधान सुझाए जाएँगे और सम या जारी
रहेगी।
मान लीिजए क आपका ब ा लगातार देर से कू ल जाता है। हरसुबह यही कहानी होती है। वाद-िववाद
और ख चातानी का प रणाम आपके तथा ब े क अ स ता के प म झलकता है। अंतत: जबब ा कू ल जाने क
ि थित म आता है तो उसका दमाग़ झ लाया होताहै और वह कु छ सीखने के मूड म नह रहता है। िन
वातालाप म देिखए क कस कार अिभभावक सम या (जैसे आलसीपन) को झूठ-मूठ म समझने का दखावा
करने के बजाय स यतापूवक ब े क बात सुनकर सम या का वा तिवक कारण ढू ँढने का यास करता है
अिभभावक : बेटा, तुम लगातार देर से कू ल जा रहे हो, आिख़र परे शानी या है?
पु : म कू ल पसंद नह करता।
अिभभावक : तु ह कू ल पसंद नह ?
पु : वहाँ बो रयत होती है
अिभभावक : तु ह लगता है, जो िश क पढ़ा रहे ह, उसे तुम पहले से जानतेहो?
पु : नह , पर मुझे यह मह वपूण नह लगता।
अिभभावक : तु हारा मतलब उसका तुमसे संबंध नह है?
पु : हाँ, आिखर अंक के जोड़-घटाव का मुझसे या लेना-देना?मुझे यह सब य सीखना पड़ता है?
अिभभावक : तु ह यह मुि कल लगता है और तुम जानना चाहते हो कइसक ज़ रत या है?
पु : इसे सीखना क ठन है। कई ब को इसम परे शानी होती है।अिभभावक : तु ह बुरा लगता है, जब तुम कु छ
समझ नह पाते।पु : हाँ! म खुद को मूख महसूस करता !ँ (रोना शु )
अिभभावक : अब समझा। (खामोशी, ब े को बाह म भरना...)
ब से सफल संवाद रखने वाले अिभभावक और िश क कसी भी सम या को अपने साथ ब े के नज़ रये से भी
समझने क कोिशशकरते ह। इसका अथ वीकृ ित नह है, परं तु इससे बड़ को ब े क सम या समझने व उसके
िनराकरण का उपाय ढू ँढने क आव यकजानकारी ा हो जाती है।
सम याजनक बताव का कारण जानने के िलए बड़ को िन दमाग म रखना चािहए :

वा तिवक सम या या है?
या मने अपनी कसी ट पणी या बोलने क शैली से सम या को ज म दया?
या मेरा ब ा जानता है क म उससे या चाहता ?ँ
मने इस ि थित का सामना पूव म कस कार कया था?
या वह कारगर था?
म अब इस ि थित को कस कार बेहतर ढंग से संभाल सकता ?ँ
अपनी अपे ाएँ प कर: ब े अपने ित अिभभावक क अपे ा का अनुमान लगाते ह। कई बार ये
अनुमान िवकृ त या ग़लत भी होते ह। िन ां कत वातालाप से पता चलेगा क सम या कै से सुलझाई जा सकती है
-

अिभभावक : ऐसी ि थित म तु हारे िलए कू ल जाना मुि कल होगा।

पु : (खामोशी)

अिभभावक : हम इस बारे म या कर सकते ह?

पु : आप यह अपे ा न कर क म सूजन क तरह हमेशा उ ेणीम पास होऊँ।

अिभभावक : या म ऐसी माँग करता ?ँ

पु : आप अ सर कहते ह क वह गिणत म कतनी तेज है।

अिभभावक : देखो बेटा, म तुमसे यह नह चाहता क तुम कसी ख़ास िवषय म कोई खास ेणी अ जत करो। म
िसफ इतना चाहता ँ क तुम अपनी ओर से बेहतर दशन के िलए पूरा यास करो।

पु : (खामोशी)
अिभभावक : तुम कु छ जानना चाहते हो?
पु : या?
अिभभावक : म जब तु हारी उ का था, मुझे भी गिणत म अ छे अंक नह िमलते थे
पु : सचमुच?
अिभभावक : हाँ! आओ अब हम िमलकर गिणत सीखने क कोिशश करते ह।
पु : ठीक है।
इस उदाहरण म ब ा अपना काय करने के िलए े रत आ, य क उसके ऊपर खुद को सूजन से तुलना कए
जाने (और लगातार हारने का) बोझ हट गया और अिभभावक क अपे ाएँ प हो गई। याद रख क बड़ो क
अपे ाएँ ब े के सम तब तक साफ़ नह होत , जब तक वह खुद उ ह समझने और अपने श द म दोहराने क
ि थित म न आ जाए। िलहाजा ब े से पूछ ''म तुमसे या अपे ा रखता ?ँ ''
अपने ब े से अपेि त काय को लेकर सकारा मक रवैया रख। रोजाना क अपे ा को िलखकर ब े को
समझाएँ, जब तक क वह संतोषजनक प से यह दोहराने क ि थित म न आ जाए क उससे या माँग क जा
रही है। इससे वह नौबत नह आएगी क ब ा कहे ''मुझे मालुम नह था, आप मुझसे यह चाहते थे।''
ब के अ छे काम पर नज़र रख : बेहतर तरीके से काम संप करने पर ब े क सराहना कर।
मनोवै ािनक अ ययन से पता चलता है क आलोचना के बजाय सकारा मक ो साहन वहार के िवकास म
यादा भावी होता है। हावड िव िव ालय म मनोिव ान के ा यापक डेिवड रोजे धॉल के एक अ ययन म
पूछा गया: ''य द समान मानिसक यो यता वाले ब के एक समूह को उनके िश क यह बताएँ क वे महज 'देर से
सीखने वाले िव ाथ ' ह और आने वाले वष म उनक बौि क मता काफ़ तेज़ी से िवकिसत होगी, तो या
होगा? '' योग के प रणाम से पता चला क इस ेणी म रखे गए ब ने अ य ब क तुलना म यादा बौि क
गित क । रोजे यॉल ने इन प रणाम से िन कष िनकाला क ब से सकारा मक अपे ा का उनके आचरण पर
सकारा मक भाव पड़ता है।
अपने ब े पर नजर रख रहे माता-िपता दन भर म िन ट पिणय के अवसर ढू ँढ़ लगे, जैसे:
मुझे अ छा लगा, तुम बुलाए जाने पर िजस तरह िडनर के िलए आए। खेल के िलए जाने क ज पी
के बावजूद तु हारा सलीके से कपड़े टाँगना मुझे अ छा लगा।
जो भी आ, उसके बारे म मुझे सब सच बताने के िलए शु या।

यान रहे क य द सराहना ईमानदारी से नह क जाएगी तो ब ा इसे िनरथक समझेगा। अ यिधक शंसा भी
अपना भाव खो देती है, कं तु वा तिवक तारीफ सकारा मक प रवतन को े रत कर िववाद को टालती है।
यार से अनुशासन िसखाएँ : अनुशासन श द का योग िपटाई से लोभन तक हर ि थित के िलए कया
जाता है। वय क लोग अनुशासन कब रखना है, य रखना है, कै से रखना है, का िवचार कए बगैर अपने ब
को अनुशािसत करने के अ प तरीके अपनाते ह। प रणाम व प उनका तथाकिथत अनुशासन अ भावी रहता
है।
दीधकािलक, सकारा मक प रणाम देने वाला अनुशासन ेमपूवक िसखाया जाता है। इसम िनदशा मक
पाबं दयाँ, बंधन और िपटाई शािमल ह कं तु इनका इ तेमाल ेम क भावना के साथ कया जाता है। दृढ़ता का
भाव िलए ए ऐसा अनुशासन, जो आचरण क सीमाएँ िनधा रत करे - इससे ेम बना रहता है।
अनुशासन क नई नीित और पुराने दंडा मक व प के बीच उपयोगी भेद कया जा सकता है। अपनी
पु तक हे प, आय एम अ पेरट म मनोिव ानी ूस नेरैमोर इसे तािलका म प करते ह:'

इस कार के अनुशासन का अ यास टकराव को कम करे गा। िन उदाहरण म देख क इसम नाराजगी तथा िचढ़
के बजाय भिव य के िलए अनुशासन का भाव है -
अिभभावक: बेटा, तु ह इस व या करना चािहए था?
पु : कु े को खाना िखलाना चािहए था।
अिभभावक : तुम या कर रहे हो?
पु : कु छ नह
अिभभावक : तु ह व त पर काय न करने का प रणाम पता है, िजस पर हमारी सहमित ई थी?
पु : जी िपताजी, म आज रात टीवी नह देख पाऊँगा।
अिभभावक : उस बधंन का उदे य तु हे यह याद दलाना है क तु हे िनयम के अनुसार चलना चािहए और आगे
इसका यान रखोगे।
ब े से ेम करने वाला वय क उसे अनुशासन भी िसखा देगा। उसके याकलाप से ब े को एहसास होगा क वह
नकारा मक भाव के िव िनयं ण क लड़ाई म अके ला नह है। इसका ता पय है क वह आचरण के सीमा
िनधारण म अपने तथा ब े के ित सचेत है और दोन के दीधकािलक िहत के िलए इन िनयम को लागू करने
का समय तथा इ छाशि रखता है।
अपनी शि दृढ़तापूवक, कं तु शांित के साथ दशाएँ: कु छ लोग को लगता है क आवाज क तेजी के साथ
उनक शि भी बढ़ती है। मने एक िशि का के बारे म सुना है, िजसे अपनी क ा को िनयंि त करने म काफ
परे शानी पेश आती थी। वह गु सा होने पर अपनी मेज़ पर चढ़कर ब के आगे जोर से सीटी बजाने लगती थी।
ब को इस तमाशे म मजा आता और वे भोजन अवकाश के दौरान इसी करतब को फर देखने के िलए धमाल
क ितकड़म म जुट जाते।
इसके िवपरीत मेरे पु क पाँचव क ा के िश क का अनुशासना मक स ा दशाने का तरीका बेहद
सश और संयत रहा। वे ग़लती करने वाले छा को के वल घूरकर देखते थे। य द यह कारगर न हो, तो वे ब े को
कोई काम स प देते, जैसे पचास ''िनयम'' िलखना। येक छा को पता था क िनयम िलखना ग़लत बताव का
ता कक प रणाम है। िश क को अपनी आवाज ऊँची करने क कभी ज़ रत नह पड़ी। उनक स ा पूरी क ा
ारा स मािनत तथा शंिसत ई।
ऐसा समय भी आता है जब वातालाप के बजाय काय से आपको स ा दशानी पड़ती है। बहरहाल यह
स यता ग़ सैल न हो, तभी ब े म अपेि त वहार को े रत कर सकती है। य द आप नाराज होने तक
स यता दशाने क ती ा कर रहे ह तो आपक यह ती ा काफ़ लंबी है। आप बग़ैर नाराज ए याशीलता
दशा सकते ह। जब आप भावना पर िनयं ण खोने से पूव याशीलता दशाते ह, तब आापक स ा अनाव यक
तनाव से बचते ए अिधक मजबूती से सािबत होती है। अपनी स ा को सश कं तु संयत तरीके से दशाने का
सू यही है क आप भावना के बस म अपनी अिधकार मता और िववेकपूण आचरण खोने से पूव याशील
हो जाएँ।
टकराव रिहत संवाद के मूलभूत त व मुि कल नह ह। कं तु य द आप फलहाल उनका योग नह कर रहे
ह तो आपको एक नई शैली म महारत हािसल करनी होगी। स ा संघष को जहाँ तक संभव हो टालना चािहए।
कं तु जहाँ यह ब े के अिडयल रवैये के फल व प ज़ री हो जाए, वहाँ अिभभावक को िनणया मक जीत अ जत
करनी चािहए। य द संवाद और अनुशासन क या म अिभभावक संयम बरतता है, तो वह गु से के दूरी पैदा
करने वाले भाव से बचते ए ब े का आदर जीत सकता है ।

अपने िलए चाहा गया वहार ख़द भी अमल म लाएं


इस के बारे म एक ण सोच : या आपका बातचीत का ढंग वैसा ही है जैसा आप ब े से अपने ित चाहते
ह? म यक न से कह सकता ँ क यादातर अिभभावक और िश क ब े से े क अपे ा रखते ह। चचा के
असफल रहने का कारण अ छी सोच का अभाव नह , वरना अपने आचरण म अपेि त त व का अभाव होता है।
अपने िलए बातचीत क एक आचरण सिहता का िनधारण आपके कथन और मू य के बीच संबंध बनाने
का एक ब ढ़या तरीका है। यहआपको सही राह पर रखता है। यह आपको ब े से संवाद करने के िलए आव यक
मह वपूण बंद ु के अनु प आचरण म मदद करता है। अपने िलए आचरण सिहता के िनधारण के व िन दो
अहम् ज़ र पूछ :
1. ब े से संवाद के ज रये म या हािसल करना चाटता ?ँ
2. इस ल य क ओर बढ़ने के िलए सव म माग कौन सा है?
कु छ मू यवान ल य इस कार ह :
पर पर आदरभाव िवकिसत करना।
अपने अलावा ब क दृि से भी मु हे का आकलन।
ब े क अनुभूित के तर पर सम या का अनुभव।
माफ़ करना िसखाना।
यार बांटना।
आ म-गौरव का िवकास।
व थ िवनोदवृि का िवकास।
आत रक अनुशासन को ो सािहत करना।
सहयोग क दशा म काय करना।
समझबूझ क ाि ।
एक बार ल य िनधा रत करने के बाद आपको उन तक प च ँ ने क भावी नीित िवकिसत करने क आव यकता
होगी। धोखा खाने से सतक रह। प रणाम देने वाले उपाय कई बार दीघाविध म िवपरीत नतीजे भी दे सकते ह।
जैसे िन अ यास दूरी और र ा मकता को ज म दगे :
चीखना, िच लाना, धमकाना, र त देना, नाम घसीटना, रोना, याचना, िवनय, ताना देना, िचढ़ाना,
हँसी उड़ाना, अपमान करना, ह त ेप करना आ द।
यि प यह यास अ थायी प से लाभ द दखाई दे सकते ह, कं तु इनसे आदरभाव क ाि नह होती।
य द ब े को अपमान का बोध हो, तो वह वय क क तरह खीझ, कड़वाहट और ितशोध क भावना दशाएगा।
ब े अपने अिभभावक और िश क क नीित का अनुसरण करते ह। य द िपता चीखता है, तो ब ा भी चीखना
सीख जाएगा। य द माँ िच लाएगी, तो ब ा भी यही करे गा। य द कोई िश क ताना कसेगा, तो ब े को भी यही
िश ा िमलेगी। यह ा प तदनु पता के िनयम पर आधा रत है : आप वही सुनते ह, जो आप कहते ह।

अपने ब े का “संसार” रोशन कर


आपके ब े का ''संसार '' कै सा है? वह या सोचता है, या महसूस करता है अथवा या क पनाएँ करता है? कौन
सी चीज़ उसे हंसाती है और कौन सी हैरत म डालती है?
छोटे ब े वय क क अपे ा िभ तरीके से दुिनया देखते ह। उनक िन छल दुिनया गु वाकषण कारण-
भाव, थान और समय जैसे िनयम से बंधी नह होती। वे िसतार तक उड़ान भर सकते ह, ह पर क़दम रख
सकते ह, दानवी शि य से लोहा ले सकते ह। उनक क पनाशि का सही िवकास होने पर उनके संवाद म
रचना मकता, नाटक यता भावना मकता, िव ास और िज ासा का समावेश होता है। ब के साथ अपने गहन
अनुभव के आधार पर डॉ. बजािमन पॉक दावा करते ह:

ब का सवािधकआनंददायी पहलु उनके ारा कही गई बात क मौिलकता है। िवशेषकर कू ल जाने से
पहले के वष म। उनक ट पणी चीजो़ं क ा या का उनका तरीका महान दाशिनक और लेखक क
अपे ा अिधक ताज़गी भरा और प होता है। फर भी यादातर अिभभावक िववेक के इन र क तरफ
यान नह देते।6

कु छ अिभभावक क िशकायत होती है क ''मेरा ब ा मेरे िलए अजनबी है। वह मुझे नह बताता क वह या
सोच रहा है'' या ''मुझे कभी पता नह चलता क मेरी बेटी के दमाग़ म या चल रहा है। मेरे पूछने पर वह कं धे
उचकाकर जवाब देती है क वह नह जानती? '' ब े अपने ''संसार'' को िछपाकर य रखते ह? इसका एक
सामा य कारण (अ याय 2 म व णत) ब ारा अपने नकारा मक आकलन या ग़लत समझे जाने का भय है।
अिभभावक अपने पैमाने से ब े के कथन क िववेचना करते ह, बजाय ब े के पैमाने से। उदाहरण के िलए, य द
कोई ब ा यह कहे क उसने कल रात एक बडे दानव को मार डाला, तो अिभभावक के पास ित या के दो
िवक प ह - या तो वह कह क ''दानव होते ही नह '' अथवा ''वाह! इसके िलए तो तुमने काफ़ िह मत दखाई
होगी।''
ब े एक-दूसरे के व भी खंिडत कर सकते ह। जब लूसी, चाल ाउन से अपना व सुनाने क माँग कर
उसके '' लैश '' पुकारे जाने के आ ह का उपहास उड़ाती है, तो यह मान लेना उिचत होगा क चाल फर कभी
इतनी आसानी से अपने व क चचा नह करे गा। व तुत: ासदी यह है क ब ा तब िसफ़ अपने व क चचा
करना ही नह , बि क व देखना भी बंद कर देता है अथवा अपने व ''जगत '' को दूसर क तरह दशाने
लगता है। ब े के जीिवत रहते ए उसके भीतर जो मरता है, वही ासदी है।
वय क इस वृि को उलटकर ब े म एक-दूसरे के ''संसार '' के ित शंसाभाव को जागृत कर सकते ह।
वे ब े से संयमपूवक ो र के ज रये उसके ''संसार '' क टोह ले सकते ह। वे ब े के तर पर साथ खोज करने
का भाव जागृत कर सकते ह। उनके पास िवक प है क वे ब े पर अपने िनदश जैसे ''यह संभव नह '' या ''तुम
स ाई का सामना कब करोगे? '' न लाद।
जब म कॉलेज म था, मने बाल जगत को मह व नह दया। म यह सुनकर दंग रह गया जब बाल
मनोिव ान क क ा म मेरे ा यापक ने यह कहा क वह ित दन आधा घंटा पूरी तरह ब के तर पर उनके
''संसार '' का अनुभव करते ह। य द ब े ''बंदर'' या ''कं गा '' का खेल खेलना चाह, तो वह उसी जानवर का
अिभनय करते। डॉ. ाउन के अनुसार इस खेल का असली लु फ़ ब को खुश देखने म िमलता था। खेल के पूरा
होने पर वह कसी भी बारे म बात करने को तैयार होते। ब े जानते ह क उनके िपता उनक यािहश को
समझते ह, उ ह ने यह सािबत भी कया।
ब े बड़ी बेचैनी के साथ चाहते ह क उ ह समझा जाए। उ ह समझने के िलए ढेर सारे पूछकर उनके
िवचार और भाव जान। परं तु ऐसे न पूछे, जो उ ह िवचिलत कर या र ा मक बना द। पर पर लाभ या आनंद
के िलए ज़ री क सूची बनाएँ। खुले िवक प वाले पूछ, जो ''ही'' या ''नह '' तक सीिमत जवाब के
बजाय ब क राय जािहर कर। इस सूची क शु आत के िलए कु छ उपयोगी यहाँ दए गए ह -
तु ह कै से सपने देखना पसंद है?
तु हारी नज़र म हमारे ारा पढ़ी जा रही पु तक म कौन सी बात दलच प है?
( दल बहलाने के िलए) बताओ क तु हारे िवचार से पृ वी यहाँ कै से आई?
तु ह वह िव ान कथा फ म य अ छी लगी?
अगर तु ह अपने कपड़े गीले होने का भय न हो, तो बरसात म घूमते ए तु ह कै सा लगेगा? वषा
का अनुभव कै सा है?
अपने प रवार से बाहर तु ह कौन सा ि सवािधक पसंद है और य ?
बड़े होकर तुम या बनना चाहोगे? तु ह कौन सा काय सबसे िचकर लगेगा?
तु ह कब हँसने या रोने क इ छा होती है?
कू ल म पाँचव क ा का छा होना कै सा लगता है?

ए रक ोम अपनी पु तक द आट ऑफ ल वंग म बताते ह क ब को अपने अिभभावक से ''दूध'' और '' शहद''


क ज़ रत होती है। ''दूध'' ब े क शारी रक ज़ रत है, ले कन साथ म '' शहद'' िमलकर उसका वाद और बढ़ा
देता है। यहाँ शहद से ता पय िविश यानाकषण और जीवन म मधुरता जगाने वाले अनुभव के आदान- दान
से है। अपने ब े के साथ अ छी पु तक पढ़ने का अनुभव शहद जैसा है। जीवन के रोमांचक अनुभव बाँटने के िलए
पु तक म व णत च र क सफलता-असफलता से संबंिधत पूछकर उनसे सीख लेनी चािहए। पु तक ब
क िज ासा को जगाकर उसे जीवन को अपनी सम ता और े ता म देखने क उ कृ अिभलाषा म बदल सकती
है। वह ब े को आ मावलोकन से अपना जगत बाहर लाने म मदद कर सकती ह। वह आपके और ब े के
क पनालोक म समान धरातल क तलाश करने म मददगार हो सकती ह।

ेम का सार कर
कु छ लोग को लगता है क य द वे एक ब े से ेम करगे, तो उसे ेमानुभूित होगी। यह ज़ री नह है। डी.
एिलस िगनोट कहते ह-

यह हमारे ारा ेम। क के , म असमथता है न क ेम का अभाव, जो ब को नाराज करता है। हम वह


भाषा िवकिसत नह कर पाते, जो हमारे यार को अिभ करे , िजसम हमारी खुशी झलके , िजससे ब े
को सराहे जाने स मान पाने और यार कए जाने क अनुभूित हो।7

ब े दो मूलभूत के ित सशं कत रहते ह : '' या मुझे यार कया जा रहा है'' और ''मेरा काम कतने से चल
सकता है? '' कभी-कभी अिभभावक यह म पाल लेते ह क वहार िनयं ण कायम रखने के िलए उ ह पहले
के मामले म ब े को संशय म रखना चािहए। य द अिभभावक ब े को अनुशािसत करने के िलए अभ अथवा
अपमानजनक भाषा का योग कर रहा है, तो इसका मतलब ेम क बजाय उसने अ वीकृ ित क ज़बान अपना
ली है।
अ वीकृ ित क भाषा िववेचना, िनणय, आलोचना और नैितकता क दृि से ज टल होती है। मान लीिजए
क ब ा रे त म घर बना रहा है, तो अ वीकृ ित क भाषा इस कार होगी -
रे त के घर ऐसे नह होते!
डैडी तु ह इसे ठीक करके बताते ह!
मूख, इस पर पैर मत रखो!
तुम इससे बेहतर कर सकते हो!
वहाँ ऐसे य बैठे हो? मने सोचा क तुम रे त का घर बनाना चाहते हो।

यह एक ग़लत धारणा है क ब े के ित वीकृ ित दशाने वाली भाषा उसके ारा अपने नकारा मक बताव क
वीकृ ित के बतौर देखी जाएगी। यह ग़लतफ़हमी भी नह होनी चािहए क डाँट-फटकार से कोई सकारा मक
प रणाम िमलगे। िच क सक य परामश का एक मुख िस ांत हम िसखाता है क जब कोई ि महसूस करता
है क उसे वैसे ही वीकारा जा रहा है, जैसा वह है, तो उसे अपने ि गत िवकास क दशा म आगे बढ़ने क
ेरणा िमलती है। वह अपनी मता के अनु प अपने आप म बदलाव लाने के िलए े रत होता है।
ेम संवाद ब े के ित वीकार भाव दशाता है। इसम ड़ता और सीमांकन ज़ र होगा, पर साथ ही ब े
के िलए यह अचूक संदश े भी ह गे :
तु ह यार कया जा रहा है।
तुम िबलकु ल दु त हो।
तु ह वीकृ ित िमल रही है।
तु ह मादान िमलेगा।
तुम फर कोिशश कर सकते हो।
े संवाद का अथ ब े को ''िवजेता'', ''दो त'' या ''शहजादी'' कहनाभर नह है, बि क वह आपके संवाद के पूरे

तं और गुणव ा का िह सा मा है।
िवशेषकर ब के िलए मूक संवाद श द क अपे ा ेम क बेहतर भाषा होती है। संभवत: अपनी सीिमत
श दावली के चलते ब े बोलने के तरीक़े , मुखमु ा, हमारे बताव से द शत रवैये के ित अिधक संवेदनशील होते
ह।
पश ेम क भाषा है। ब और नवजात िशशु पर ए अनेक शोध के अनुसार पश से मह वपूण कोई
अ य चीज़ उनके शारा रक तथा मानिसक िवकास म सहायक नह होती। शारी रक पश से वंिचत िशशु उन
ब क तुलना म िश ण संबंधी तथा भावना मक तालमेल म परे शानी झेलते ह, िज ह पया पश िमला हो।
इसके चुर माण ह। पश का संदश े है, देखभाल। यहाँ तक क हौले से पीठ थपथपाना भी अहम् होता है।
चूमना, गले लगाना, बाँह पर थपक देना, हाथ पकड़ना, ज़ रत के समय मदद करना - ये सभी ब े ारा समझी
जाने वाली सव े या मक भाषा के अंग ह।
पचपन मुख अमे रक ि य क माँ पर कए गए शोध के मुतािबक ब के ित ेम और सहयोग
का भाव उनक परव रश का मह वपूण िह सा था। यधिप सहयोग और ब त ज़यादा बचाव के बीच, ब े के ित
िच दशाने और उनके जीवन पर हावी होने के बीच मामूली अंतर है। इन माँ को यह अंतर प प से पता
था। ब पर ेम लुटाते ए उ ह ने उनसे यथासंभव अपने काम खुद करने क अपे ा भी रखी।
ेम संवाद आसान नह है, िवशेषकर य द अिभभावक को उनके ब के बताव से का जा रहा हो।
अिभभावक कई बार सोचते ह ''माइक को ऐसे बताव करते देख सैली औटी मेरे बारे म या सोचगी? '' या यह
ठीक है? या हम अपने और ब े के बीच कसी अ य ि को लाना चािहए? दुभा यवश ब े इन सामािजक
ज टलता को नह समझ पाते। वे िसफ़ इतना पूछते ह : '' या मुझे यार िमल रहा है?

मह वपूण मू य का संचार कर
अिभभावक पूछते ह - ''म ब को कस कार अपने मू य िसखा सकता ?ँ म टीवी, फ म, संगीत, पि का
आ द से ब े को दए जा रहे मू य के साथ कै से मुक़ाबला कर सकता ?ँ ''
हम मूलभूत त य क तरफ लौटना होगा। आप अपने िलए सबसे ज़यादा मह वपूण मू य का िनधारण यह
जानकर कर सकते ह क कौन से मू य सबसे थायी ह? इन मू य क सूची बनाकर पता लगाएँ क कौन से मू य
आपके ब े क वतमान शारी रक, मानिसक, सामािजक या आ याि मक आव यकता से मेल खाते ह । फर अपने
मू य को बेिहचक कर। बाहरी भाव से पधा आसान नह होगी, कं तु य द आप अपने ब े से मु , प
संवाद कायम करते ह, य द ब ा आपके ारा द शत मू य को आचरण म अपनाए जाता देख उन परयक न
करता है, य द उसे लगता है क आप वाकई उसका याल रकते ह, तो आपके पास इस जंग को जीतने क
संभावना है।
अपने मू य म ाकृ ितक और उपयु तरीक़े से अवसर क तलाश कर, पर साथ ही इन अवसर का पूरा
लाभ भी ल। कशोर ब ने मुझे बताया क उ ह पता नह चलता क उनके माता-िपता क िववाह पूव से स
और ज इ या द पर या राय है। उ ह मालुम नह होता क उनके तथा अिभभावक के जीवन म या
मह वपूण है। उनके माता-िपता इस बारे म उनसे कभी चचा भी नह करते।
मह वपूण मू य को लेकर यह ान का ख़ालीपन ख़तरनाक है।यह बाहरी ोत से मू य क घुसपैठ के
ार खोल देता है। करीब 2400 वष पूव लेटो ने दृढ़तापूवक पूछा - '' या हम ब को लापरवाहीपूवक अधकचरे
लोग से अधकचरी बात सुनने के िलए छोड़ देना चािहए, िजससे उनका मि त क ऐसे िवचार हण करने पर
मजबूर हो, िजनके भाव म हम उ ह बड़ा होने पर नह देखना चाहगे?''
अमे रक तथा सोिवयत ब के म य तुलना मक अ ययन म यूरी ोनफे न े र ने अमे रक ब म टीवी
दशन के त य तुत कए –

एक औसत ब ा 16 वष क आयु म प च ँ ने तक 12,000 से 15,000 घंट तक टीवी देख चुका होता है।
दूसरे श द म वह चौबीस घंटे 15-20 माह तक टेलीिवजन के पद के सामने जमा रहता है...। हमारे ब
के दैिनक जीवन पर पड रहे इस बल आ मण के भाव के बारे म कोई सवाल कए बगैर इसे
नजरअंदाज करना भारी भूल होगी।9
हम अपने ब का नैितक िवकास उन ोत के हाथ नह छोड़ना चािहए, जो हमारे मू यतं को व त करते हो।
हम िहचक या समयाभाव क वजह से ब के साथ अपने नैितक िव ास बाँटने म कोताही नह बरतनी चािहए।
जब मेरा बेटा दस वष क आयु तक प च
ँ ा, तो मने उससे यह कहा :

जूड, तुम कु छ ही समय प ात् कशोराव था के अनजाने जगत म क़दम रखोगे। यह अस य और ांितपूण
काल भी हो सकता है और उ ित का रोमांचक दौर भी। मूल सू है - तैयारी। इसक शु आत म तुम
वीकएंड पर घूमने के िलए िसफ मेरे साथ जाना पसंद करोगे? हम इसे तु हारा '' कशोराव था पूव दौरा''
कहगे। जब जेिसका तु हारी उ म प च ँ ेगी, वह अपनी माँ के साथ ऐसे ही कशोराव था पूव दौरे पर जा
सके गी। हम और तुम तय कर सकते ह क हम कहाँ जाना है। जब हम मण पर जाएँगे, तुम मुझसे कोई
भी सवाल कर सकोगे और म उनके जवाब देने का यास क ँ गा। म इस लंबी जीवनया ा म अ जत
अनुभव तु हारे साथ बोलूंगा, जो तु हारी कशोराव था को रोमांचक बनाने म मददगार ह गे।

हमने िवचार-िवमश के िलए डी. जे स डॉ सन ारा िवकिसत कै सेटकाय म '' ि पेअ रग फॉर एडोलसे ' का
योग कया। इस बात पर चचा क गई क हीनताबोध क गत से बचते ए कस कार कशोराव था म आने
वाले शारी रक प रवतन व मानिसक दबाव के िलए तैयार रहा जाए। इस या म मने अपने सामथ के
अनुसार उन नैितक मू य क चचा क , जो मेरी नजर म जीवन को समृ बनाने और थायी उ लास के िलए
ज़ री ह।
यह जानकर च कत न हो क अ य अिभभावक या ब े आपके ारा िनधा रत मू य के मानदंड नह
अपनाते। मतभेद को र ा मकता के िबना वीकार। समय-समय पर अपने मू य क िववेचना कर उनम
आव कतानुसार बदलाव लाएं, कं तु ऐसा िसफ इसिलए न कर य क कोई शि शाली ि या समूह िभ
मू यतं को अपनाता है। यह जान क आपके मू य ब के संपक म आने वाले मू य से कतने िभ या समान ह।
अपने मू य के ित िव ास जगाएँ और िवचार कर क उनम आपका यक न य है? इसके प ात उन कारण
को साहस व उ साह के साथ बाँट।
ब े बेचैनी से जानना चाहते ह क उनक नैितक सीमाएँ या ह और वे िस ांत कौन से ह, जो आपको
जीवन म उ लास और संतुि का भाव द। ऐसी जानकारी उ ह साहस तथा सुर ाभाव के साथ अपनी पहचान
गढ़ने म मदद करे गी। वे खुद के बारे म िवल णतापूवक जानगे क वे कौन ह, य क आपने उ ह भलीभांित
बताया है क आप कौन ह।
हमारे मू य जब बौि क व भावना मक तर पर अपना िलए जाएँ, तो वह मन के भीतर भी जड़ जमा लेते
ह। य द ब , िवशेषकर कशोर म अपने मू य जमाना ह, तो उ ह अपने पर फै लाने ग़लितयाँ करने, मा पाने,
फर शु आत करने क वतं ता िमलनी चािहए। ब े के बड़े होने के साथ उसे अपने काय का उ रदािय व
संभालने का मौका दया जाना चािहए। यधिप मू य का ह तांतरण कभी सरल और आसान नह होता। कं तु
जब छोटे क़दम भी उठाए जाएँ, तो अिभभावक को इसम अपनी महानतम उपलि ध - अथात् ब को प रप ,
याशील मू य े रत वय क क श ल म ढलते देख खुश होना चािहए।
महोदया जेसी जै सन अ ेत कशोर से कहती ह ''तुम रात को बीज बोकर सुबह फल क ाि नह कर
सकते!”10 ब से ब ढ़या बातचीत भी रातोरात थािपत नह क जा सकती। पहले आप अपने यार क पोषक
जमीन म संवाद जाग कता के उपजाऊ बीज बोएँ। फर अपनी संवाद मता क सूप तले उ ह तरोताजा रवैये के
पानी से स च। इसके बाद ती ा क ज़ रत होगी - गलत आदत के खरपतवार के िवनाश और उ ित के िलए
समय क ती ा। कु छ समय प ात आप और आपका ब ा दोन फल का लु क उठाएँग।े

िवजय पाने क दशा म


काययोजन
1. िन के आधार पर अपना मू यांकन आप कस कार करगे। अपने अनुभव के आधार पर येक
बंद ु के सामने द शत अंक िनशान बनाएँ (जैसे 1 = िन , = उ )

1234 म अपने ब क बात यानपूवक सुनता ।ँ


1234 मब के ित आदर दशाता ।ँ

1234 मब म सकारा मक मानिसक झान जगाता ।ँ

1234 मब को उनके कौशल तथा ितभा के िवकास के िलए े रत करता ।ँ

1234 म सम याजनक बताव का िव ेषण करता ।ँ

1234 म अपनी अपे ाएँ प करता ।ँ

1234 मब को अ छा काम करने पर सराहता ।ँ

1234 म यार के साथ अनुशासन िसखाता ।ँ

1234 म अपनी स ा दृढ़तापूवक, कं तु संयम के साथ जािहर करता ।ँ

1234 ब म नैितक मू य का िवकास करने के िलए मेरे दीघकािलक ल य ह।

1234 इन ल य क ओर अपनी गित से म संतु ।ँ

1234 मब के ित अपने ल य क ाि के िलए रणनीित का इ तेमाल करता ।ँ

1234 अपने वातालाप से म ब के ''संसार'' म वेश करने क कोिशश करता ।ँ

1234 म अपने ब के साथ अपने मू य के आदान- दान के अवसर तलाशता ।ँ

या आपका मू यांकन उन े को प करता है, जहाँ सुधार क ज़ रत है?


2. इस अ याय म मने ब तथा वय क के बीच पर पर स मान क थापना के िलए सात मूलभूत
िस ांत क चचा क । आपक प रि थित म कौन से दो या तीन िस ांत सवािधकमह वपूण ह?
3. इन चुने ए िस ांत पर यान देते ए आप कन िविश कदम को उठाया जाना ज़ री समझते ह?
(उदाहरण के िलए : ''म अपने वातालाप का वर कठोर या िनणया मक रखने के बजाय वीकृ ित दशाने वाला
रखेगा।'')
9

उन ि य से िनकटता
बढ़ाएँ, िजनक
आपको परवाह है

''हम एक-दूसरे से अपना अतीत छु पाना चाहते ह... य क हमारे पास खुद को स पने का साहस नह है।''1
डैग हैम कजो ड

अ पताल के अहाते म एक युवक िससक रहा था। उसके िपता क मृ यु के बाद माँ ने बताया क िपता उसे कतना
यार करते थे। यधिप उसे इस ेह क आिशक जानकारी ही थी, परं तु यह एहसास उसे आहत कर रहा था क
अपने िपता के जीिवत रहते ए, वह उ ह इतनी अ छी तरह नह जान पाया। उनके जीवनकाल म मनमुटाव और
दू रयाँ काफ यादा थी।
अंतरं गता का मतलब है, ''भीतर ि थत।'' यह एक ऐसे र ते को प रभािषत करती है, जो अ य ि को
अपना संकोच छोड आपके उस भीतरी जगत म वेश करने का अवसर देती है, जहाँ हम अपने वा तिवक व प
म होते ह। य िप हमम से यादातर लोग तापूवक अंतरं गता चाहते ह, मगर साथ ही डरते भी ह।
अंतरं ग वातालाप के साथ यह खुतरा जुड़ा है क अपने गाहन भाव उजागर करने के बाद शायद अ य
ि हम न अपनाएँ। मगर इसका घातक िवक प एकाक पन है - दूसरे के यार आदर भाव क मौजूदगी के
बावजूद उसे जान न पाना।
अंतरं गता क कुं जी है बातचीत। भावना क अिभ ि व आदान- दान के ज रये ही आपसी समझबूझ
और मनोवै ािनक िनकटता पाई जा सकती है। िनि त प से, बौटे गए मनोभाव िविश कार के होते ह।
अंतरं ग वातालाप तब होता है, जब आप अपना आवरण याग कर पर पर समझबूझ के ताजगी भरे एहसास के
िलए े रत होते ह। उस एहसास म आप सकारा मक िवकास के िलए अिधक वतं , अिघक ेमपूण और जीवंत
होते ह।
अंतरं गता हमेशा यौन क त नह होती। व तुत: यौन संबंध अंतरं ग कतई नह बि क िवशु शारी रक
सतह पर होते ह। अंतरं गता माता-िपता और ब ,े पित-प ी, भाई-बहन के बीच हो सकती है। इसका अनुभव
िम , र तेदार, वसाय सहयोिगय के साथ कया जा सकता है। अंतरं गता िवकिसत होने पर हम संब ता,
वीकृ ित तथा आ मीयबोध का अनुभव करते ह, जो अ यिधक संतुि दायक है।

अंतरं गता आज इतनी मह वपूण य है?


अिभभावक, प रवार, िम के बगैर हमारे र ते या ह गे? एक-दूसरे के साथ सहयोग, जीवन के सुख-
दुख बाँटते व पर पर' आनंद का अनुभव, मु कान, फोनकॉल चुंबन और ''आई लव यू'' जैसे बेशक मती श द
हमारे िलए कतने ज़ री ह।
अंतरं ग संबंध हमारे िवकास तथा आ मक त एकाक पन और कु पता के कारागार से बाहर आने का
ज रया ह। जब हम कसी ि य ि क मृ युशैया के पास होते ह, तब हम खुद ही पता चलता है क चीज़ नह ,
वरन् ि मह वपूण होते ह। हम पता चलता है क यधिप सफलता, मह वाकां ा, े ता क दौड़ आ द क
ऊँची मत है, पर ेम से बड़ा कोई मू य नह है। ेम अ य ि य के साथ खुद को भी बेहतर बना देता है।
इ ह कारण से लोग ेम के भूखे होते ह।
जब हम शारी रक भूख का अनुभव होता है, हम उसे शांत करने के उपाय करते ह। '' दय क तृ णा'' को
शांत करना यादा मुि कल है। हम इस ज़ रत क मू त के बगैर भी जी सकते ह, पर हम जानते ह क ेम क
भूख क संतुि ही हम मानवीय उ लास क गहराई दे सकती है।

अंतरं गता क खोज इतनी मुि कल य है?


एक दंपित क कथा पर यान द :
माइक : म सूजन से घबराता ।ँ वह बेहद छु यसूरत है और उसे पाकर मुझे सौभा य क अनुभूित होती है।
कं तु मुझे नह पता, उससे कै से बात क ँ । म उससे यार करता ँ और उसे कई तरीक से
जािहर भी करता ।ँ अब म गैराज म काम करता ँ या घर क चीज सुधारता ,ँ तो इसिलए
य क म उससे यार करता ।ँ मने यह घर बनाया, य क मुझे उससे यार है। म
उससेब त यार करता ।ँ म उसे मेरे ित गौरवभाव दलाने के िलएकु छ भी क ँ गा।
वा तिवक ह क - '' या वह मुझे यार करती है? '' '' या वह हमारी शादी को फर पटरी
पर लाने क कोिशश करे गी। ''
सुज़न : हमारे बीच िपछले दस साल से अ छी बातचीत नह ई है। िसफ एक यही नह , और भी कई
चीज ह। हमने धीरे -धीरे अपने बीच एक-एक ईट रखकर यह दीवार खड़ी क है। इसी वजह से
म रोजर से िमलने लगी। वह मेरी भावना को समझता है। म उसे कु छ भी क ,ँ वह समझता
है। माइक क कभी कोई बहन नह रही। वह नह जानता क मिहलाएँ या महसूस करती ह
और या चाहती ह। वह मुझे यार जताते ए नह छू ता, न मुझे समझने क कोिशश करता
है। ऐसा लगता है जैसे उसने अपने काम से शादी रचाई हो। हालाँ क वह से स चाहता है, पर
हमारे यौन जीवन को सुखद नह कहा जा सकता। हमारा दृि कोण समान नह है। हम एकता
का अनुभव नह करते।
अगर हमारी अंतरं गता क चाह ेम करने और ेम पाने के भाव से है, तो फर इसक ाि इतनी मुि कल य
है? लोग दल के मूलभूत संकेत य नह समझ पाते? हमारे वा तिवक आशय अ सर िवकृ त या गु य रहते
ह?
सूज़न ने बताया क कस तरह उसके और माइक के बीच एक-एक ईट के साथ दीवार खड़ी होती गई, य द
हम अंतरं गता का अनुभव करना चाहते ह, तो हम उन '' ट '' पर यान देना होगा, जो अंतत: अवरोध पैदा करती
ह। हम समझना होगा क आिखर यह अवरोध कस तरह और य बनते ह, ता क हम इ ह व त करने और
मह वहीन बनाने क आत रक शि और साहस जुटा सक।
पहली ईट है भय। माइक सूज़न को कभी नह बता पाया क वह उसके बारे म या सोचता है, य क उसे
सूजन क ित या को लेकर भय था। उसे अपनी कमजो रय और गलितय के कट हो जाने का डर था। इस
कार का भय अंतरं गता और ेम का श ु है। अपने र ा कवच खोने के भय से हम अपनी वा तिवक भावना
को हजार गोलमोल त य के आवरण म छु पाकर सतही तर पर वातालाप करते ह। बेपदा होने के डर से हम
खुद को पद म फै द कर लेते ह। दरअसल ऐसी ित या हम एकाक पन के माग पर ले जाती है।
पहली ईट से जुड़ी दूसरी ईट हमारा असुर ाबोध है। चूं क सूज़न माइक को अपने ेम के ित आ त नह
कर सक , इसिलए माइक ने अपने ेमभाव पर भी संदह े करना शु कर दया। असुर ा और ता के बीच
उसने आ म र ा मक खेल िवकिसत कर िलया, िजसे मनोिव ेषक हैरी टेक सुलीवन ने ''र ा काय म'' क सं ा
दी। उसने अपने काम से ही ''शादी'' कर ली। उसके र ते और ेम पाने क चाह अ यिधक आवरण तले दब गए।
उसक वैचा रक ऊजा अपने णभंगुर अहंकार क सुर ा म लग गई, नतीजन वह ईमानदार संबंध और
वा तिवक संपक के अभाव म िशिथल होता गया।
दंपितय के म य दीवार खड़ी करने वाली तीसरी ईट अनुराग दशन और ाि के भाव पर अ यिधक
जोर देना है। चूं क सूजन ेम पाने को लेकर इतनी चंितत थी क माइक ारा द शत सैकड़ अ य ेमभाव क
ओर उसका यान नह गया। उसने माइक को मु होकर पर पर वीकाय तरीके से यार जताने का मौका ही
नह दया। उसने एक कडु वाहट भरा रवैया अपना िलया।
चौथी ईट है िखलवाड़ करना। पार प रक संबंध म अंतरं गता क जगह खेल ले लेते ह। इसम ु इरादे
और ितकड़म शािमल ह। सूजन और रोजर का ेम संग ''तुमने मेरा दल दुखाया, म तु हारा दुखाऊँगी, ''जैसे
खेल का उदाहरण है। कु छ खेल तनाव, आ ामकता, िनकटता क चाह आ द से िनपटने के िलए पर पर सहमित
से खेले जाते ह। मगर भीतर ही भीतर दोन ितभािगय को पता होता है क यह खेल वा तिवक नह ह।
ितकड़म, दुराव-छु पाव और भावना मक अलगाव साथ चलते ह। इन खेल को पर पर पारद शता और वा तिवक
अंतरं गता के भय से जारी रखा जाता है।
पाँचव ईट दिमत भावनाएँ ह। दमन वह या है, िजसके तहत हम दूसर से ही नह , बि क खुद से भी
अपनी भावनाएँ िछपाते ह। हम अपने भाव इसिलए छु पाते ह क वह अित शि शाली, अ सर ग़लतफहमी के
िशकार और ता ककता क कसौटी पर अि थर दखाई देते ह।
िहमख ड का 90 ितशत भाग डू बा रहता है। भावना पर भी यही अनुमान लागू होता है। हमारे ारा
भाव वा तिवक भावना का िसफ़ छोटा सा िह सा होते ह। अपनी गु भावना से हम अनजान रहते ह
और उजागर होने पर उनक ती ता हम हैरत म डाल देती है।
एक परामश स म माइक ने बताया क वह पहली बार भावना का अनुभव कर रहा था, पर उसे नह
पता था क इ ह कै से जािहर कया जाए, य क लंबे समय तक उसने इनका दमन कया था।
मेरी एक िनकट संबंधी मिहला ने अपने कु छ िम पर िव ास कर उनके सम भीतरी भावनाएँ उजागर
कर द , पर इसने एक ऐसे घटनाच को ज म दया िजसक प रणित आहत अनुभव और आरोप- यारोप म
ई। मिहला का िन कष था- ''अब म कभी अपनी गहन भावनाएँ अिभ नह क ँ गी।''
पर दमन इसका उ र नह है। यह हमारे आ म- व प का सबसे गहन, सश और इं धनुषी िह सा है -
भावना क खरी अिभ ि अपनी और अपन से जुड़े लोग क उ ित म सहायक हो सकती है। भाव का
दमन संबंध म उदासीनता या टू टन ला सकता है।
छठी ईट है िशिथलता! माइक ने कभी सूजन को अपने े तम आ म- व प का पता नह चलने दया।
सुबह वह द तर जाने क हड़बड़ी म रहता। शाम को घर पर भी काम करता। अंतत: सोने के िलए जाते व त
उसक सारी ऊजा ख म हो चुक होती। सूजन के श द म माइक काम के ित दीवाना था।
जब ि थकान का अनुभव करता है, तो उसके दमाग और शरीर आ मसंर ण या बची-खुची ऊजा के
संर ण पर क त होते ह। वह सुनने-समझने या भावना मक आदान- दान क मता नह रखता।
सातव ईट समय का दबाव है। अ सर हम सुनते ह '' फलहाल मेरे पास इस बारे म चचा करने का व
नह है।'' सैकड़ चीज क योजना के दबाव म हम अंतरं गता क खुशी खो देते ह। हम अंतरं गता आराम क चीज
नजर आने लगती है। अथात् ऐसी चीज जो तब सुहाती है, जब हमारे पास ''फ़ालतू व त'' हो। व तुत: हमारे पास
तब तक समय नह होगा, जब तक हम उन संबंध क रचना के िलए समय नह िनकालगे, िज ह हम पर पर
फलते-फू लते देखना चाहते ह।

गहरी िम ता के िलए दस ितबखताएं


अंतरं गता क कावट को उसी कार व त कया जा सकता है, जैसे उसे बनाया गया था, अथात् एक बार म
एक ईट हटाकर, मगर अवरोध हटाने और सेतु बनाने के िलए ितब ता ज़ री है। यही अंतरं गता के ल य से
आपको जोड़ती है। यह योजना के अनु प सोच-िवचार के िलए आपके मि त क को सचेत करती है, यह अपने तय
काय म पर िनरं तर दृढ़ रहने के िलए हम िनदिशत करती है और हमारे संवाद को पटरी पर रखती है।
ितब ता एक ि गत िवषय है। िन िलिखत ितबलता को पढ़कर तब तक कोई फ़ायदा नह
होगा, जब तक आप इ ह अपना नह लेते। अ य भावी संवाद या क तरह अंतरं गता भी दोतरफा मामला
है। य द दूसरा ि आपक परवाह नह करता, तो अंतरं गता थािपत नह होगी, कं तु परवाह का संबंध जानने
से है और जानने का बाँटने से और बाँटना ऐसी चीज है, िजसे आप कर सकते ह। य द आप िन ितब ता को
अपनी योजना म शािमल करने का चुनाव करते ह, तो आप पार प रक कौशल और िनकटता के िवकास क सही
राह पर ह :
1. म िम बनूँगा : य द आप िम बनाना चाहते ह, तो िम बन जाएँ। उन खूिबय के बारे म सोच, जो
आप अपने िम म चाहते ह। उनक सूची बनाएँ। अपने आपसे पूछे क कस क पर आपको अ यास क ज़ रत है।
फर उन ख़ूिबय के िवकास म ितब ता दशाएँ।
2. म अपने िम के िलए वही सतुि , सुर ा भाव और िवकास क रचना क ं गा, जो म अपने िलए चाहता
ँ : यह हैरी टैक सुलीवन क ेम या संबंधी शा ीय ा या का बदला आ प है। इसके भीतर अवरोध
को न करने क िव फोटक मता और सहभािगता के िनमाण क रचना मक शि है। े िम बनने क यह
े िविध है।
3. साथ के िलए म समय िनकालुँगा : एक अ ययन के अनुसार, शादीशुदा जोड़े 24 घंटे म से िसफ 27 .5
िमनट पर पर वातालाप म खच करते ह जब क टेलीिवजन देखने म 6 घंटे से भी यादा समय िबताते ह। ेम को
या मक बनाने के िलए समय चािहए। िम ता बढ़ाने के िलए भी समय ज़ री है। भावना को अिभ तथा
प करने के िलए व त क दरकार होती है। िवचार को इकट् ठा होने, जुड़ने, वि थत होने और फर दूसरे तक
प च ँ ने का समय चािहए। ि के वा तिवक अिभ ाय से जुडे भाव और िवचार क अिभ ि के िलए भी
समय आव यक है।
4. म अपने िम क िविश ता का फ़ उठाऊंगा : स ी िम ता एक-दूसरे को अपने वा तिवक व प म
लेने, वतं और िविश होने के िलए े रत करती है। र ा मक या कसी अ य कारणवश खुद का ित प अपने
िम म खोजने से बच। पर पर मतभेद को लेकर भी धैय न खोएँ। मतभेद को सहयोग ाि के िलए आपके
बातचीत के कौशल क चुनौती के बतौर देख। िनकट थ ि य म िभ ता को अपनी पहचान को खंिडत करने
के बजाय पु करने वाले पूरक भाव क तरह देखना चािहए। दूसरे ि य म उस मतिभ ता को ो सािहत
कर,जो साथक मू य का ितिनिध व करती हो, साथ ही अपने े तम गुण का भी िवकास कर।
5. म अ य ि य क आलोचना, ताड़ना और िनणया मक आकलन से बचूँगा : यह रवैया उिचत है
य क हमम से कोई भी पूण नह है। ''पर पर आदान- दान का िनयम'' प करता है क य द आप दूसर के
िलए फतवा जारी करगे, तो आपको भी इसका सामना करना पड़ेगा। ि और उसके कायकलाप म फ़क कर।
दूसरे ि के काय से सहमत न होते ए भी आप उसे सहयोग कर सकते ह। यह िविश ता आपके वर और
शारी रक भाषा से द शत होगी। िनजी सहयोग का अंदाज नकारा मक वहार को बदलने का शानदार माहौल
बनाता है। यह सकारा मक प रवतन को े रत करता है।
6. म सराहना क शु आत क ँ गा : जब दो ि य के पास क ठन ण म आ म- गौरव के सीिमत ोत
ह , तो पार प रक पलटवार च तेजी से घूमता है। पर पर आदान- दान का िस ांत यहाँ इस कार लागू होता
है : ''य द तुम मेरी भावना को आहत करोगे, तो म तु हारी क ँ गा। तुम मुझे ओछी बात कहोगे, तो म भी
क ग ँ ा।'' बचपन से हमारा अ यास इस िस ांत म द कर देता है, कं तु पर पर आदान- दान का िस ांत
सकारा मक अथ म भी ठीक वैसा ही भावी हो सकता है, जैसा पार प रक पलटवार के मामले म होता है।
व थ दांप य एवं िम ता म शंसाभाव साफ़ नज़र आता है। येक साथी एक-दूसरे म े तम क अिभ ि
करने के िलए पर पर आदान- दान के िस ांत से े रत होता है।
शंसाभाव का आदान- दान िबना यास के जारी नह रह सकता। तनाव, खीझ, अित म, समय का
दबाव, थकान और सैकड़ अ य रोज के दबाव, ये सभी सकारा मक ि थितय के वाह को रोकते ह। कसी न
कसी को शु आत कर खामोशी का गितरोध तोड़ते ए ित या के दु द को टालना चािहए।
िन ां कत शु आती व धीरे -धीरे , भावना मक दूरी घटाकर ि य के आत रक संबंध को िवकिसत
करने क शि रखते ह। जैसे :
“आपके सोचने का ढंग मुझे अ छा लगता है।''
''आपके साथ रहते ए मुझे अ छा लगता है।''
''आपने मेरा दन खुशगवार बना दया।''
''आपक िम ता मेरे िलए मू यवान है।''
''आपने मेरी जंदगी रोशन कर दी।''
7. म अपनी भावना और िवचार को सुनकर उनके अनुसार काय क ँ गा : िच क सक य अनुभव से
पता चला है क जब िनणय के बगैर भावना पर िवशेष यान दया जाता है, तो वे रोचक संवाद क सश
ेरक त व बन जाती ह। िलहाजा भावना को सुन... िसफ आघात या असफलता ही नह , बि क आशावाद और
िवजय क भावनाएँ भी। जब पित अपने बॉस को िविश रपोट स पने क चचा कर, तो प ी को यह कहने के
बजाय क '' या वह तु ह वेतन वृि दगे?'' यह कहना चािहए ''वाह! यह तो बड़ी अ छी बात है।'' भाव को
समझने के िलए श द को सुिनए। तक क कसौटी पर परखना, त य का प ीकरण, अपने िवचार पर चचा -
यह सब बाद म हो सकता है। य द आप भाव क अिभ ि के साथ उ ह नह पकडगे, तो आपका संवाद
िनरथक रहेगा। िनकट संबंध म भावना हमेशा मह वपूण होती है, बजाय उन िवचार के , जो उ ह घेरे रहते ह।
भावना पर क त ह , फर आपके िम आपको िम समझगे।
8. म समझे जाने क अपे ा समझने पर ज़ोर दूग ँ ा : अं ेजी श द understand का ता पय है उसी जमीन
पर खड़े होना, जहाँ दूसरा ि खड़ा है। यह ''दूसरे ि के जूते पहनकर चलने'' जैसा है। अथात् उसके नज रये
से वा तिवकता को अनुभव करना। हम कभी अ य ि को पूरी तरह नह समझ सकते य क स ाई हमारे
ारा उसका ता पय ढू ँढने के साँचे पर क जाती है। फर भी हम उसे पूरी तरह समझने के क़रीब आ सकते ह। कु छ
समय के िलए अपनी ा या से मि त क को पृथक कर हम कसी िवषय को दूसर के नज रये से देखने का यास
कर सकते ह।
संवाद का येक ण नया यास चाहता है। अंत के ण क समझ मददगार होती है, पर यह खुद ही
वतमान तक नह प च ँ ती। य क भावना और िवचार म िनरं तर बदलाव आता रहता है, िलहाजा येक
संवाद म सुनने-समझने पर क त होकर कए गए िन या मक यास ज़ री ह।
9. अंतरगता के िलए म सघंष क ँ गा : यादातर संघष म दो तरीके समान ह : भावना और िवचार के
दो िभ जगत टकराते ह, दु मनी भरे श द तथा याकलाप का िव फोट होता है, फर आहत भावना क
प रणित अलगाव म होती है, मगर झगड़ने का एक तरीक़ा ऐसा भी है, जो अंतत: अलगाव के बजाय अंतरं गता म
प रव तत हो सकता है, अथात् एक ऐसा द ं िजसम दोन ितभागी जीत सकते ह। इस कार के संघष के िलए
िसफ़ तीन िनयम ह :
अ. चीख़ना, िच लाना, अपमान, धोखाधड़ी, अपश द, ग़लितयाँ दशाना, यह सभी कमर के नीचे कए जाने
वाले अनुिचत वार ह और इनसे बचना चािहए।
ब. येक ितभागी को अपना नज रया रखने से पूव सरे ि क सतुि तक कसी िवषय पर उसका
ि कोण अपने मुख से दोहराना चािहए। उदाहरण के िलए एक पित कह सकता है : ''तुम इस बात पर लि त
हो क मने कल रात पाट म खुद को बेवकू फ के साथ पेश कया। ''प ी इस ा या को वीकारे या संशोिधत
करे , तब पित अपनी राय रखे।
स. ं का ल य दू रय , पधा, दूसरे क क़ मत पर िवजय के बजाय अंतरं गता, समझबूझ और िनकटता होना
चािहए।
हमारे झगड़े म यह तीन िनयम काफ़ प रवतन ला सकते ह। यधिप यहाँ आहत भावनाएँ, र ा मक झान,
असुर ा बोध, नाराजगी, वहार म बदलाव क ज़ रत सभी कु छ होगा। मगर वाकई चोट प च ँ ाने वाली
घूँसेबाज़ी नह होगी। येक ि को दूसरे क बात सुननी ही पड़ेगी। येक ि समान ल य क खाितर
समान सतह पर प च ँ ने के िलए संघषरत होगा। ऐसी जंग म कोई कै से हार सकता है?
10. म भलमनसाहत वाले सवाल पृछूँगा : पूरी तरह ईमानदारी से पूछा गया एक ऐसा है, जो संबंध
को चम का रक प से ठीक करने क मता रखता है। कु छ लोग को यह पूछने म परे शानी होती है, य क
वे इस िवचार के साथ बड़े ए ह क वे हमेशा सही ह। उनके अनुसार संभवत: कसी िवचार या नज़ रये का ही
ग़लत सािबत होना उस नज रये के बजाय वयं उनके अपने ि व को नकारा जाना है। ऐसे लोग अपनी
उपयोिगता को भली भाँित प रभािषत नह कर पाते।
कं तु जब हम इस हा या पद अवधारणा से आगे िनकलते ह, जब कोई ि मानने लगता है क ग़लती
वीकार लेने पर भी उसका ि गत मू य कम नह होगा, तब वह यह बेिझझक पूछ सकता है - '' या तुम
मेरी ग़लती या इस सम या म मेरे योगदान को माफ़ करोगे?'' कडवाहट का पवत एक ण म िपघल सकता है।
हज़ार मील क मनोवै ािनक दूरी पल भर म ख़ म हो सकती है। यक न नह आता? इन दंपितय से पूछ, िज ह ने
यह सवाल कभी अपने साथी से पूछा है। उन र त क िववेचना कर, जहाँ मा भाव अपनाया जाता है। आप
चम का रक उपचार पाएँगे।
म जब सवाल करता ,ँ तो दोषारोपण नह करता। म यह फ़ै सला नह करता क कौन ''सही'' था और
कौन ''ग़लत''। दोषारोपण एकतरफ़ा नह होता। ''उलझने के िलए दो लोग ज़ री ह।'' परं तु सौहा जनक यह
संवाद आगे भेजता है : ''सम या म अपनी भूिमका म वीकार करता ।ँ मेरी िवनती है क तुम मुझे वह यार
लौटाओ, िजससे म वंिचत महसूस करता ।ँ ''
स ी िम ता पनपने पर या होता है? येक साथी खुलकर. बात करने और यानपूवक सुनने को त पर नजर
आता है। यहाँ तक क छोटे-मोटे मह वहीन त य भी कु शलता व तापूवक हण कए जाते ह। इस या म
कु छ घ टत होता है। आदर, आ म- गौरव, सकारा मक नज रया फलता-फू लता है। टू ट रहे दांप य म भी अंतरं ग
चचा जोश, रोमांच और ेम के पुनज वन क सव े संभावना जगाती है।
अंतरं ग संवाद का अथ है - उ तम अनुभव। अंतरं ग संवाद का सि मिलत भाव हमेशा गहरा, जोशीला,
आ म-गौरव और दूसर क ज़ंदगी क उ ित म सहभागी बनने का भाव िलए होता है। शीष संवाद क या
म अवलो कत सम याएँ कम दमनकारी और समाधान अिधक आसान होते ह। इस तर के संवाद म आप अंधेरे से
बाहर जाकर रोशनी म िव होने, एकाक िवचार के ठं डप े न से दूसर के साथ सामंज य रखने वाले अंपने
िवचार क गमजोशी और खुशी का अनुभव करने के िलए े रत होते ह।

अंतरं ग संवाद थािपत करने िलए अ यास


िन िलिखत हमारे िवचार और भावना क तह तक प च ँ ते ह। य द आप ेमपूवक इन को
पूछगे और ेमपूवक जवाब सुनगे, तो अंतरं ग संवाद बढ़ेगा। समय का सही चयन मह वपूण है। जीवनसाथी, िम
अथवा पा रवा रक सद य के साथ उिचत समय का चुनाव क िजए। एक ही बार. म तमाम न पूछ डाल। उन
पर यान क त कर, जो मुि कल लगते ही अथवा अपने क सूची बनाएँ। येक संवाद को िनकटता
क थापना के अवसर क तरह देख :
कौन सी चीज़ आपको खुशी देती है?
कस बात पर आप चंितत होते ह?
आप कब सबसे यादा सुर ा भाव महसूस करते ह?
कब आपको सवािधकएकाक पन का अनुभव होता है?
हमारे संबंध म तु ह सबसे ज टल सम या या लगती है?
य द आपको असफल होने का भय न हो, तो आप कौन सा काम करनाचाहगे?
य द आपको अपना जीवन दोबारा जीने का मौका दया जाए, तो आपकौन सी चीज़ बदलना चाहगे।
एक िम म आपको कौन सी खूि याँ चािहए?
य द आपके जीवन का िसफ़ एक माह बाक हो, तो आप कस कारजीना चाहगे?
आपको कौन सी चीज़ उ मीद बँधाती है?
आप प रपूणता के भाव के िलए या बनना चाहगे?
हम अपने यथाथपरक ल य क तरफ़ कै से बढ़ सकते ह?

िवजय पाने क दशा म


काययोजना
1. दांप य साथी या िनकट िम से इस अ याय म व णत सात ''ईाट '' के बारे म चचा कर, जो लोग के
बीच अवरोध खड़े करती ह। उदाहरण के िलए, आपके र ते म कौन सी इं ट सवािधकपरे शानी का कारण ह? वे
कै से अि त व म आई? आप कै से उ ह हटा सकते ह?
2. हमेशा अपने संबंध क परे शानी का िज न कर। उन जोश भरे कारण पर भी यान द, जो आपको
एक-दूसरे के क़रीब लाते ह।
3. अपने संवाद साथी को सकारा मक, पर पर संतुि दायक संबंध के ित अपनी ितब ता के बारे म
बताएँ। अपने ल य क ओर अ सर होने के िलए अपने र त क शि और ''िनकट िम ता क दस
ितबदताओ'' का उपयोग कर। सहज आचरण म लाए जा सकने वाले ल य का चयन क िजए अथात् वे कदम,
जो िनकटता बनाने के िलए अगले 24 घंटे म उठाए जा सकते ह।
4. ''अंतरं ग संवाद के अ यास'' खंड से ऐसे तीन-चार चुन, िजन पर आप और आपका साथी यान देना
चाहते ह। एक कागज पर इनके उ र िलखे। संगोि य म भाग लेने वाले हजार वैवािहक युगल का अनुभव है
क िलिखत उ र का आदान- दान उनके संवाद म एक चम का रक आयाम जोड़ता है। आप भी यह कर सकते
ह।
10

झगड़े िमटाएँ
अनुभव ने मुझे यह िसखाया है क समूह (प रवार) म झगड़े उनके व थ होने के आकलन का पैमाना नह ह।
वा तिवक पैमाना यह है क इन झगड़ को कतनी ज दी और कस तरह दूर कया जाता है।1
थॉमस गॉडन, लीडरिशप इफे ि टवनेस ेिनग

दो मनोवै ािनक एक साथ एक िल ट म चढ़े। उनके कायालय मश: तीसरी और दसव मंिज़ल पर थे। जब
तीसरी मंिजल आई, तो पहला मनोवै ािनक दूसरे क ओर मुड़ा, उसके मुँह पर थूका और िल ट से उतर गया।
दूसरे मनोवै ािनक ने अपना आपा खोए बग़ैर माल िनकाल कर मुँह प छ िलया। हैरान िल ट चालक ने पूछा;
''उसने आपके मुँह पर य थूका?'' पहले मनोवै ािनक ने एक ण ककर सोचा और कहा ''मुझे नह मालुम। वैसे
भी यह उसक सम या है, मेरी नह ।''
पार प रक तनाव को सुलझाने का यह एक तरीक़ा है, पर इससे बेहतर तरीक़े भी हो सकते ह! यह अ याय आपके
और अ य ि य के बीच झगड़ को दूर करने पर क त है। इसके पहले क एक-दूसरे के मुँह पर थूकने क
नौबत आ जाए, इसे पढ़ डाल।
लोग के बीच कु छ झगड़े आमं ण यो य ही नह , वा यकर भी ह। झगड़े न होना एक तरह से समानता का
तीक हो सकता है, जो मानवीय असफलता का बदतर प है। मतभेद क ईमानदार अिभ ि कसी र ते को
असुर ाबोध से नई समझबूझ क ओर ले जा सकती है। यह सच है क व थ मतभेद का नतीजा हमेशा सहमित
म नह िनकलता, मगर अंतत: इनसे श ुता के िनराकरण के िलए कामचलाऊ समाधान िमल जाते ह।
इसके िवपरीत अ व थ तनाव का ल ण है िनरं तर कलह- तू-तू म-म लगातार वाद-िववाद, छोटी-मोटी बात पर
झडप, खा जाने वाली ख़ामोशी। कलह लोग को दूर करती है। यह हमारे िववेक और सोच समझ क चाह को न
कर देती है। पार प रक संबंध को अथपूण बनाने के िलए हम झगड़े सुलझाने के तरीके ढू ँढने चािहए।

लोग के झगड़ने के कारण


लोग के बीच झगड़े के या कारण ह? यह अजीब है, य क अ सर हम िजसे झगड़े का कारण समझते ह,
वह गहरे िव ेषण के बाद कसी गंभीर सम या का ल ण मा सािबत होता है, फर भी इस क उपयोिगता
है। इससे हम पता चलता है क आिख़र हम य ज़बानी वाद-िववाद म उलझते ह और सम या के ित सचेत
होकर हम या समाधान तलाशने चािहए।
िन बंद ु कलह के सामा य कारण क आकलन सूची पेश करते ह। याद रख क िनरं तर होने वाले कलह
के कई कारण हो सकते ह। अपनी प रि थित के अनु प िन बंद ु के सामने िलखे अ र पर िनशान बनाएँ, जो
आप पर असर करते ह - आप = Y (यू), जीवनसाथी = S ( पाउज़), ब े = C (िच न) और अ य ि = O
(अदर पसन) जो आपके िलए मह वपूण ह (जैसे, िम , वसाय सहयोगी, पड़ोसी) :
िनरं तर कलह का कारण बा कारक से यादा आंत रक तनाव होता है। सामा यतया आत रक तनाव से
त ि िशिथल होने लगता है य क उसक अिधकतर शि एक-दूसरे क िवपरीत इ छा के बीच
तालमेल बैठाने म ख़च हो जाती है। यह थकान िचड् िचड़ेपन म बदलकर समझबूझ के यास क इ छा को कम
करती है। आंत रक तनाव से त ि अ सर दशाने क कोिशश करते ह क वे िववाद के िलए िज मेदार नह
है। उदाहरण के िलए -

मुझ पर य अँगुली उठा रहे हो? मने या कया?


यह मेरी नह , तु हारी ग़लती है।
तुमने हम इस झंझट म य डाला?

आत रक तनाव से पीिड़त ि जब तक अपनी ि गत सम या के िनराकरण का उ रदािय व समझ न ले,


वह हर जगह िववाद का कारण होगा। उ ह पेशेवर परामश क ज़ रत हो सकती है। इसके अलावा वे ऐसे संवाद
सहयोगी से चचा कर अपने झगड़ को सुलझा सकते ह, जो फ़ै सला देने पर उता ए बगैर उसक बात सुनने को
तैयार हो।

बोलचाल फर से कै से शु क जाए
एक बार झगड़ा हो जाने पर बातचीत करना मुि कल हो जाता है। व तुत: झगड़े का कारण वातालाप भी हो
सकता है, य द वह श ुवत् और अिड़यल भाव पर क त हो। परं तु वही संवाद अगर िन चार िविश उ े य
और उनसे संबंिधत संदश
े ारा िनदीशत रहे तो वह सव े उपचार सािबत हो सकता है :

ये चार उपाय िववाद उ मूलन (कांि ल ट रसो यूशन) सी.आर. के िलए सरल कं तु सश मॉडल ह। संवाद
साथी से बोलचाल का र ता क़ायम करने के िलए सी.आर. मॉडल उपयोगी हो सकता है।
सी.आर. मॉडल का उपयोग करने के िलए सबसे पहले सम या को प रभािषत कर। या आप और आपके
साथी को पता है क सम या या है? या आप दोन इसी िवषय पर बात कर रहे ह? िवमशवे ा एस.आई.
हयाकावा ने म क उलझन से बढ़ने वाली ग़लतफ़हमी के भाव का वणन इस कार कया है :
हम सभी ने सामािजक समारोह या बैठक म अनुभव कया होगा क ीमान ' अ' ने कु छ कहा, ीमान '
ब' ने उसे कु छ अलग समझा और ीमान ' अ' के ग़लत समझे गए कथन को लेकर बहस शु कर दी। फर
ीमान ' अ' अपने बारे म ीमान 'ब', ारा क गई ट पणी (जो ीमान ' अ' ारा नह कहे गए
व के संबंध म उिचत हो सकती थी), को आधार मानकर अ य व के ज रये अपने कथन को वैध
कहने म जुट गए। इन अित र व को ीमान 'ब' ने फर ग़लत समझा, िजससे अ य ांितपूण
कथन क शु आत ई, िज ह ने ीमान ' अ' को ीमान 'ब' के बारे म ग़लत राय बनाने पर मजबूर
कया। कु छ ही िमनट म वातालाप मूल िवषय से कोस दूर भटक गया।2
ग़लतफ़हमी से उपजी मा यता को ''मने आप को कहते सुना क..." जैसे कथन से टाल। वातालाप को तब तक आगे
न बढ़ाएं, जब तक क अपने साथी क संतुि तक आपका नज रया साफ़ न हो जाए।
दूसरी बात यह क सहमित क तलाश कर। आपके साथी के दृि कोण म कोई ऐसी बात ज़ र होगी,
िजससे आप सहमत हो सक - िजसम कु छ स ाई हो। यह कह क ''म इससे सहमत 'ँ ' और फर उन िवषय पर
यान क त कर, िजस पर आप दोन ईमानदारी से राज़ी ह । जैसे :

म मानता ँ क मने कु छ कठोर बात कह ।


म मानता ँ क हम दोन थके ए ह।
म सहमत ँ क आपके भाई का आशय सही था।
म सहमत ँ क मने वही ग़लतफ़हमी दोहराई।

इस चरण म आपको स यता से सुनने क ज़ रत होगी - यही इसक शि है। इसके अलावा यह सकारा मक
भी है। आप सहमित के े क तलाश करते ह। आप जब ऐसे े पा लेते ह, िजसम आप दोन अपने नज रये
बाँट सकते ह, तो आपका संवाद आतं कत करने वाला नह होता। नतीजतन आपका साथी भी आ ामक तेवर
ढीले कर पर पर तनाव को िशिथल करने म मददगार होता है। ''म सहमत 'ँ ' का संदश
े असहमितजनक िवषय
को सीिमत रखता है। यह वातालाप क कड़वाहट घटाकर िववाद के िनदान क ओर ले जाता है।
तीसरा बंद ु है भावना को समझना। आपके साथी क भावना से मह वपूण कसी बहस म कु छ नह
होता। यह कहते ए क ''म समझता ,ँ आप या महसूस कर रहे ह, '' अपने कथन म वह श द जोड, जो आपके
अनुसार संवाद साथी क भावना है। ऐसा श द चुन, जो िवचार या वहार के बजाय भावना को करता
हो। उदाहरण के िलए आप िन िलिखत श द म से एक इ तेमाल कर सकते ह :

दूसरे क भावना के ित संवेदनशीलता दशाती है क आप उसे समझना चाहते ह। य द आप कसी भाव क


ग़लत ा या करते ह, तो साथी आपको बता देगा। जब आप सही भाव व णत करते ह, तो इससे कलह क
आशंका घटती है य क येक ि अपने तर पर भावना क िववेचना चाहता है।
चौथा बंद ु है, आप अपना दृि कोण शात होकर बताएँ। ''म सोचता .ँ .. '' या ''मेरी नजर म... '' कहते ए
अपना नज़ रया सीिमत श द म रख। जैसे:
मुझे लगता है क आपने हमारी पूव सहमित को नज़रअंदाज़ कर दया।
मेरे िवचार से आप ज़ रत से यादा शराब पी रहे ह।
म सोचता ँ क मुझे काम से घर आने पर पं ह िमनट बग़ैर रोक-टोक के आराम का मौक़ा चािहए।
मेरे िवचार से मेरे अ ययन का मह व पहले है और खेल का बाद म।
यह तय कर क या आप कलह दूर करने के ित वाक़ई गंभीर ह? य द ह, तो तू-तड़ाक, िन तरीय ट पिणय ,
िनणय क त िववेचना से बच। चीख-पुकार घटना के ित कमज़ोर और बचकानी ित या है। अपना वर धीमे
रखते ए दृढतापूवक बोलने का चुनाव कर। धमक के भाव को घटाने का यास कर, य क आतंि करने वाला
संवाद अ थायी प से ''िवजयी'' लग सकता है, क तु यह कलह े दूर नह करता।
आपसी संबंध म नाटक य प रवतन िववाद दूर कर ही लाया जा सकता है। लोग िववाद के बीच इ ज़ाम लगाते
ह, िजससे सहजता के बजाय तलखी बढ़ती है। कं तु जब सी .आर. मॉडल का योग कया जाता है, तो िववाद का
क बंद ु एक-दूसरे पर आ मण के बजाय पर पर सम या के समाधान पर क त हो जाता है। हम आगे द शत
िच से इसक ा या कर सकते ह।
िवषय का क बंद ु बदलते ही पार प रक संबंध म उसके अनुसार ही प रवतन आता है :

1. लोग आ ेप नह , संवाद करते ह।


2. लोग र ा मक होने के बजाय अिधक आज़ादी से बात करते है।
3. वे ोिधत ए बग़ैर बेहतर समझ अ जत करते ह।

इस अ याय के आगे के भाग म हम चार तरीय िववाद उ मूलन (सी .आर.) मॉडल को जीवनसाथी, अिभभावक-
ब े और ावसाियक संबंध पर लागू करगे। येक उदाहरण म िववा दत संवाद से उन संवाद क तुलना कर,
जो सीआर. मॉडल पर आधा रत होकर िववाद उ मूलन क ओर उ मुख हो :

वातालाप के ज़ रये वैवािहक


सम या से बाहर आना
िववाद का े : िव ीय सम या
पित : इस चेकबुक को देखो। तुमने इसका बैलस देखे बग़ैर यादा रािश ख़च कर दी। मुझे लगता है तुम
पाँच डॉलर का दंड भरकर ही मानोगी। तुमसे ऐसी मूखता हो कै से जाती है?

िववाद पैदा करने वाला संवाद


प ी : तुम खुद बैलस का याल नह रखते। मुझ पर य िच ला रहे हो?
पित : य क जब भी हमारे खाते से यादा रािश िनकलती है, हमेशा तुम ही इसक िज़ मेदार होती हो।
प ी : तु हे लगता है तुम सवगुण स प हो? िपछली बार जब हमने पतीस डॉलर का दंड भरा था,
य क तुम रहायशी इलाके म तेज र तार से कार चला रहे थे।
पित : और उसका या, जब तुमने गाड़ी घर क दीवार से ठ क दी थी? 385 डॉलर पानी म गए।

िववाद सुलझाने वाला संवाद


प ी : (चरण-1) मैने सुना, तुम मेरी गलती पर नाराज हो। या वाकई यही सम या है?
पित : हमने बचत क कोिशश क , पर लगता है क हम कभी पया बचत नह कर सकते।

प ी : (चरण -2) मै मानती ँ क बचत हमारे िलए मुि कल है। आिखर हर चीज इतनी महंगी है। हम
वाकई अथदंड के अित र भार से बचना चािहए।

पित : मुझे अफसोस है क अब हम उस क इं ग दौरे पर नह जा पाएँगे, िजसक हम लंबे समय से तैयारी


कर रहे थे।
प ी : (चरण-3) मै समझती ँ क तुम परे शान हो।
पित : हाँ, म वाकई परे शान ।ँ
प ी : (चरण-4) मुझे लगता है हम अब चेकबुक क बेहतर देख रे ख करनी चािहए। इससे भी बढ् कर हम
अपने खच पर नजर रखते ए मण इ या द के िलए कु छ पैसा बचाकर रखना चािहए। म तु हारे
साथ इसके िलए सहयोग करने पर राजी ।ँ
ट पणी : िववादजनक संवाद मूल िवषय से भटककर आरोप- यारोप क दशा म बढ़ रहा है। िववाद सुलझाने
वाला संवाद पित क परे शानी के मूल कारण को प करने म सफल रहा। उसक आरं िभक खोज बकसे यादा
रािश िनकालने से उपजी थी। बाद म मूल परे शानी के प होते ही पित-प ी आपसी िववाद यादा आसानी से
सुलझा सकते ह।
िच - 10.1

िववाद का े : यौन संबंधी परे शानी


प ी : तुम या समझते हो? म कोई मशीन ?ँ तु हे लगता है, बटन दबाते ही म वचािलत हो जाऊँगी?

िववाद पैदा करने वाला संवाद


पित : तुम कोई हरकत ही नह करत । तुम मशीन नह बफ का टु कड़ा हो।
प ी : तुम भी बेड म म खास जोशीले नह रहते हो। याद है िपछले ह ते या आ था?
पित : तुम मुझे दोष दे रही हो? एक बफ के टु कड़े से कौन यार करना चाहेगा?

िववाद सुलझाने वाला संवाद


पित : (चरण-1) मैन सुना क मेरे कसी कायकलाप से तु ह लगता है म कु छ खास चाहता ।ँ
प ी : हाँ, मुझे लगता है, हमारी यौन गितिविध मशीननुमा हो गई है। हम उपकरण क तरह बताव करते
ह।
पित : (चरण-2) मै सहमत ँ क यह कभी-कभी ऐसा ही तीत होता है। (चरण-3) और मुझे लगता है क
तुम खुद को व तु क तरह यु होते महसूस कर रही होगी।
प ी : हाँ, िबलकु ल।
पित : (चरण-4) मै सोचता ँ क हम एक-दूसरे से जो चाहते ह और जो महसूस करते ह, उस पर अिधक
िवचार-िवमश करना चािहए। म भी कभी-कभी अपने आपको तु हारे ारा यु होते महसूस करता ।ँ मेरे
याल से हम म से कोई भी इस कारका र ता नह चाहता है।
ट पणी : यादातर ''यौन सम याएँ'' वाक़ई यौन संबंधी होती ही नह ह, कं तु उनक शु आत दांप य संबंध क
साधारण तनातनी से होती है। िववाद क बुिनयाद िनणय धान, अपमानजनक, श ुवत् रवैये पर खड़ी होती है,
जब क िववाद उ मुलन मु , गैरर ा मक, संवेदनशील भावना पर आधा रत होता है। इस बात क पूरी
संभावना है क पित संवाद के खेल म जीतेगा य क वह प ी को भी जीतने के िलए सहयोग दे रहा है।
िववाद का े - बढ़ती उ का संकट
प ी : हमारी जंदगी ठहर गई है, रोमांच और मनोिवनोद गायब ह। हम 45 वष के हो चुके ह और हमारे
पास दखाने लायक कोई उपलि ध नह है।
िववाद पैदा करने वाला संवाद
पित : छोड़ो इसे। तु हारे पास नया बंगला है। िपछले साल मैने तु ह कार खरीद कर दी। फर कस िलए
यह बखेड़ा खड़ा कर रही हो?
प ी : योँ क सूज़न .....

पित : सूजन! तुम हमेशा सूज़न का िज करती रहती हो। तु ह लगता है उसके पास सब कु छ ठीक है?
उसके पास खुद का घर भी नह है। तु ह पता है क तु हारी द त या है? तुम कसी और पटरी
पर चल रही हो।
प ी : (मूक आ ोश क मु ा)
िववाद सुलझाने वाला संवाद
पित : (चरण-1) मैन सुना, तु ह लगताहै क हम नीरस ढर पर चल रहे ह।

प ी : हाँ, खासकर जब म सूज़न क जंदगी क तरफ़ देखती ।ँ


पित : (चरण-2) म सहमत ँ क सूज़न यादा ख़श नज़र आती है। सूजन क ज़ंदगी के बारे म ऐसा या है,
जो तुम पसंद करती हो?

प ी : वह ब त आ मिव ासी है। वह उ ित के पथ पर नजर आती है।


पित : (चरण- 3) म समझता ँ क कोई ि कसी दूसरे आ त ि से तुलना पर कस कार दु:खी
महसूस करे गा।
प ी : मुझे नह लगता क वह मुझसे यादा ितभाशाली है। म ख़दको फ़ालतू या अपूण नह मानती।
परं तु वह उसी दशा म आगे बढ रही है, िजस तरफ़ उ ित चाहती है। मुझे यह भी पता नह क
म या चाहती ।ँ
पित : (चरण-4) म समझता ँ क हम इस सम या के िनराकरण से पूव इसक पड़ताल करनी चािहए।
सूज़न और उसके पित को िडनर पर बुलाने के बारे म तु हारा या िवचार है? हम तब उनसे उनके
जीवन सू का रह य जान सकगे।
टी पणी : हमारी जंदगी म कसी कारण से तनाव होता है। वह बबादी के कगार पर प चँ ाने वाले कलह को ज म
दे सकता है; अथवा, य द कोई चाहे, तो उसे बेहतर उपयोगी वातालाप के ेरक क श ल भी दी जा सकती है।
उपरो संवाद िनणय धान, ोिधत, र ा मक वातालाप और िववाद घटाकर रचना मक समाधान क इ छा
दशाने वाले वातालाप के बीच अंतर को प करता है।
यक़ न मािनए आप वैवािहक सम या से िनजात पा सकते ह। संभवत: पहले यास म आपको अिधक
उ ित न दखे, कं तु य द आप िनरं तर सी .आर. मॉडल पर अमल करगे, तो अपने जीवनसाथी को अपने साथ
चलने के िलए े रत कर सकते ह।

पा रवा रक तनाव पर िनयं ण


िववाद का े - भाई-भाई के बीच पधा
िजम : (एक ब ा) काल (दूसरे ब े से) : तु हारी नाक बड़ी है। कान भी बेडोल ह और तुम कचरे के िड बे
क तरह बदबूदार हो।
िववाद पैदा करने वाला संवाद
अिभभावक : चुप रहो। तुम गधे हो या? तु ह अपने भाई से ऐसे बात नह करनी चािहए।
िजम : आप मुझ पर ही य िच लाते ह? आपको सुनना चािहए था क यह बड़बोला मेरे बारे म या कह
रहा था।
अिभभावक : मुझे कु छ नह सुनना है। तुम ब े मुझे पागल कर दोगे। तुम दोन अपने कमर म जाओ।
िजम और काल : मगर....
अिभभावक : चुप रहो। जाओ।

िजम : पर यह इसक ग़लती थी!

काल : मने कु छ ग़लत नह कया!


अिभभा : मुझे कतनी बार तु ह बताना होगा ?!?
िववाद सुलझाने वाला संवाद
अिभभावक : (चरण- 1) िजम, मने सुना तुम कु छ बुरी बात कह रहे थे। आिखर या सम या है?
िजम : काल ने मुझे कू ल बस म सबके सामने म रयल कहा!

अिभभावक : काल, या आ?

काल : पर इससे िखड़क भी नह खोली जाती...


िजम : वह जाम थी!
अिभभावक : िजम, तु ह जो आ, वह कै सा लगा?
िजम : म ग़ से म ।ँ याल से काल मेरा मज़ाक उड़ा रहा था।
काल : नह मेरा ऐसा कोईइरादा नह था...
अिभभावक :(चरण-2) काल, म मानता ँ क तु हारा ऐसा कोई मतलब नह रहा होगा और (चरण-३) म
समझ सकता ँ िजम क तु ह बुरा लगा होगा। (चरण-4) मै सोचता ँ तुमको माफ मांग
लेनी चािहए, काल, और तुम दोन भिव य म सतक रहो क तु हारी कसी बात पर दूसरे
कोकै सा महसूस होगा।
ट पणी: िववाद धान वातालाप म समाधान नह िमलता। भले ही ''चुप रहो और अपने कमर म जाओ।“ जैसा
आदेश तनाव घटाने वाला लगे,पर यह अ थायी भावी ही दखता है। िजम और काल के बीच नाराज़गी बनी
रहेगी। इससे भी बढ् कर अिभभावक दोन ब से ख़फा ह। तीन ि य के बीच दिमत आ ोश कभी भी उभर
सकता है।
िववाद सुलझाने वाले वातालाप म अिभभावक िजम को उसक भावनाएँ करने के िलए ेरक क
भूिमका िनभाते ए काल कोसमझौते के िलए तैयार करते ह।
िववार का े : अिड़यल वहार
ब ा : म नौ बजे सोने के िलए नह जाऊँगा । मेरा कोईभी दो त ऐसा नह करता।
िववाद पैदा करने वाला संवाद
अिभभावक : म जब तु हारी उ का था, मुझे साढ़े आठबजे सोने के िलए भेज दया जाता था।

ब ा : यह पुराने जमाने क बात है । हमारी उ का कोई ब ा साढ़ेआठ या नौ बजे नह सोता।


अिभभावक : मुझे इसक परवाहनह तुम या सोचतेहो। वही करो जो म चाहता ।ँ
िवदा. सुलझाने वाला संवाद
अिभभावक : (चरण-1) मने सुना तुमइतने बजे सोना नह चाहते, य क तु हारे िम भी इस व त नह
सोते।
ब ा : हाँ, यह सच है।
अिभभावक : (चरण-2) मै मानता ँ क तु हारे दो त तु हारी अपे ा देर से सोने जातेह। (चरण-३) और
मयह भी समझ सकता ँ क तुम हमारी िभ व था से नाराज हो। परं तु (चरण-4)
मुझेलगता है तु ह समझना चािहए क हम दूसर क देखा-देखी अपनेकाय म िनधा रत
नह करते। दस िमनट बाद नौ बज जाएँगे। म उ मीदकरता ँ क तुम तबतक सोने चले
जाओगे।
ट पणी : ब का अिड़यलपन उनके िवकास का अंग है। अिभभावक क स ा क चौखट पर द तक देने
का यह ब का अपना अंदाज है।अिभभावक को याद रखना चािहए क वे ेमपूण, कं तु
दृढ वातालाप से ब के साथ भावी आिधका रकता दशा सकते ह। िहच कचाहट
भरे वातालाप को कमजोर व अिनि त मानकर ब े अिभभावक से टकरानेक जुरत करगे।
िवनती या बहस भावी नह होती। शांत, कं तु िन या मक वातालाप और काय
भावशाली रहता है।

नौकरी म िववाद का बंधन


िववाद का े : िबरौधाभास
रोजर : तु ह नह पता, तुम या कह रहे हो।
िववाद पैदा करने वाला संवाद
पीट : देखो, मने इस सम या का अ ययन कया है। म जानता ँ क म सही ।ँ हम के वल इसी तरीके से
अपनी उ पादन सम या दूर कर सकते ह।
रोजर : नह , यह ग़लत है! मुझे कतनी बार बताना होगा क यह कारगर नह है। म यहाँ तुमसे पहले
सेकायरत ।ँ मेरा जानने का हक़ है।
िववाद सुलझाने करने वाला संवाद
पीट (चरण-1) मने सुना आपको लगता है क म गलत ।ँ (चरण-2) मै मानता ँ क म ग़लत हो सकता ।ँ

रोजर : शायद म भी ग़लत हो सकता ।ँ


पीट : (चरण-3) मै समझता ँ क आप हमारी उ पाद संबंधी सम या को लेकर चंितत ह गे।
रोजर : हाँ िबलकु ल।
पीट : (चरण-4) मुझे लगता है हम दोन ताव पर िवचार करना चािहए। साथ िमलकर ही हम यह
सम या सुलझा सकते ह।
ट पणी : य िवरोधाभास कसी भी िववाद का एक मुख कारण होता है। यह दूसरे ि को बचाव क
मु ा म डालकर उसे ''मुँह छु पाई'' के िलए मजबूर करता है। इस ''िववाद उ यूलन'' म पीट ने रोजर का ग़ सा यह
दशाकर शांत कया क वह उसक बात सुन रहा है और ग़लत कोई भी हो सकता है । यहाँ यान ''कौन सही है''
पर क त होने के बजाय सम या िनवारण पर है।
िववाद का े : टकराव
कमचारी : आप हमेशा मुझ पर नज़र रखते ह।
िववाद पैदा करने वाला संवाद
बंधक : सही है! और तु ह पता है, मने या पाया? म बताता ,ँ तुम देर तक कॉफ ेक पर जाते हो,
तु हारा रवैया ढीलाढाला है।
कमचारी : म भी आपके बारे म कु छ त य जानता ।ँ िपछले ह ते आपने दो घंटे का भोजनावकाश िलया
था। और तीन स ाह पहले आप िम. डगलस के साथ मुलाकात भूल गए थे, िजससे कं पनी को
हजार डॉलर क चपत लगी।
बधंक : तुम नौकरी से िनकाले जाते हो।

कमचारी : यह आिख़री बार नह है!


िववाद सुलझाने वाला संवाद
बंधक : (चरण-१) मने सुना, तुम नह चाहते क म तुम पर नज़र रखूँ।
कमचारी : िबलकु ल!

बधक : (चरण-2) मै सहमत ँ क तु ह मेरे ारा अपने ऊपर नजर रखना ठीक नह लगेगा। (चरण-3) म
समझ सकता ँ क असहज महसूस करते होगे।
कमचारी : म असहज महसूस करता ।ँ मुझे लगता है आप सोचते ह क म पया काम नह कर रहा।
बंधक : या सचमुच ऐसा ही है?
कमचारी : जी नह ।
बंधक : य नह ?
कमचारी : मुझे िपछले महीने से भारी िसरदद ने जकड़ रखा है।
बधंक : टॉम, म माफ़ चाहता ।ँ तुमने कसी डॉ टर को दखाया?
कमचारी : मुझे अपने डॉ टर से िमलना होगा, पर म इसे टाल रहा था।
बंधक : (चरण-4) टॉम मुझे लगता है क तुमे िजतनी ज दी हो, अपने डॉ टर से िमलना चािहए। हम
तु हारी परवाह है और हम तु हे इस ित ान म कायरत देखना चाहते ह,प र हम तुमसे अपने
समय िनयोजन और रवैये के साथकाम क गुणव ा म कु छ सुधार क भी दरकार है। या तुम
अपने डॉ टर से परामश के बाद इस दशा म कु छ यास करोगे?
कमचारी : जी, िबलकु ल।
ट पणी : िववाद पैदा करने वाले संवाद म बंधक ज़ रत से यादा स ती दशा रहा है। वह कमचारी क
वा तिवक सम या जाने बग़ैर उसे ित या के िलए उकसा रहा है। िववाद सुलझाने वाले संवाद म चरण 1,2
और 3 से बंधक कमचारी को सहजता क ओर ले जाता है। कमचारी के मु रवैये से बंधक को जानने म मदद
िमलती है क सम या क जड़ आल य नह , कु छ और है। वह सम या को प रभािषत कर ख़राब कायशैली का
मूल कारण जानता है। वह कमचारी के वा य म ि गत िच लेकर भावशाली तरीके से उसे अपने वहार
म सुधार लाने के िनदश भी दे देता है।
िववाद उ पूलक मॉडल को िभ सम या पर लागू करते व त हमने देखा क कस कार िववाद पैदा करने
वाले और िववाद सुलझाने वालेसंवाद म कु छ बात दोहराई जाती ह। िन िनदशावली से प हो जाएगा क हम
कन बात से बचना चािहए और कनका अ यास करना चािहए:
िववाद उ मुलक िनदशावली
िपछले कु छ वष म हमने पाया क ि य के समूह के साथ घर म भी िववाद तेजी से बढ़ रहे ह। िववाद ेरक
ि य म समान प से संक ण मानिसकता व वाथ पन क वृि देखी गई। अपनी अिड़यल माँग से ऐसे
ि अपने पार प रक संबंध ही नह खराब करते बि क आगे चलकर सामािजक मू य को भी भारी ित
प चँ ाते ह। यह अ याय तालमेल बैठाने के मूलभूत भाव और पर पर आदर क बात करता है। जो िसफ िववाद के
समाधान ही नह , बि क पर पर सभी के िहत के संर ण के िलए भी ज़ री है।

िवजय पाने क दशा म काययोजना


1. एक अनसुलझे िववाद को प रभािषत कर, िजसका अनुभव आपको िन े म हो रहा हो:
अ. जीवनसाथी ....................
ब. ब े .............................
स. वसाय सहयोगी .....................

2. इसी सम या को अ य ि के नज़ रये से देख:


अ. जीवनसाथी ...........................
ब. ब े ..........................
स. वसाय सहयोगी ..........................

3. ऊपर व णत एक या अिधक िववाद के िलए एक ''िववाद िनवारक ''उपाय क क पना कर जो आपके


ारा ''मने सुना...”, ''म सहमत .ँ ..'' “म आपके भाव समझ सकता .ँ .. “और ''म सोचता .ँ ..” जैसे चार चरण
वाले सी.आर. (िववाद उ यूलक मॉडल) क अिभ ि अपनाने पर कारगर होगा।

4. अब इस सी.और. मॉडल को वा तिवक प से इन ि य के साथ चचा म लागू कर। अपने रवैये म


आव यक बदलाव लाकर फर यास कर। प रणाम को नीचे िलख:
अ. जीवनसाथी .....................
ब. ब े .........................
स. वसाय सहयोगी ...............
11

लोग को अपने साथ


सहयोग के िलए मनाएँ
लोग को भािवत करना उ ह अपनी इ छा के अनु प चलने के िलए े रत करने क कला है।
अ ात

िजस व त म यह अ याय िलख रहा ,ँ मेरा 11 साल का बेटा जूडसन अपनी पहली परे ड के िलए एक पिहए
वाली साइकल चलाने का अ यास कर रहा है। म उसक उपलि ध पर गौरवाि वत ।ँ बाइक कोई भी चला
सकता है, पर एक पिहए वाली साइकल चलाने के िलए बल इ छाशि , कौशल और अ यास क ज़ रत होती
है। शु आत म बार-बार नाकामी और धुटने िछलवाने के बाद आिख़रकार जूड ने परे ड के िलए ज़ री कौशल जुटा
िलया है।
जब आप अपने मनचाहे कौशल का िवकास कर लेते ह, तो ऐसी ही ''परे ड'' म शािमल होने का एहसास
होता है। लोग आपक ओर यादा यान देते ह। इ छाशि और अ यास से आप सीख पाएँगे क कस कार
असाधारण तौर पर अपने मनचाहे यास को ऐसे कौशल म बदला जा सकता है, िजसे लोग सराह।
लोग को मनाना उ ह अपने साथ सहयोग के िलए राज़ी करना है। चाहे आप यूिनसेफ़ के िलए धन जुटा
रहे ह , बीमा पॉिलसी बेच रहे ह या अपने त ण पु को नैितक िश ा का पाठ दे रहे ह , मनुहार लोग को
अपनी इ छानु प काय करने पर राज़ी कर ही लेती है। व तुत: हर कोई वही नह चाहेगा, जो आप चाहते ह या
आपके पास है। कं तु जब भी सहमित संभव होगी, अनुरोध से आप सवस मित बना सकगे। आदश प से यह
आपके ोता को ऐसे िनणय पर राज़ी करती है, जो आप दोन के िलए िहतकर हो।
मान-मनुहार का अथ जोड़-तोड़ नह है। ितकड़म का ल य सहयोग नह , िनयं ण होता है। इसक
प रणित जीत और हार म होती है। यह दूसरे का िहत नह चाहती। कु छ े म दूसर को ितकड़मबाज़ी से नीचा
दखाना नर समझा जाता है। परं तु जोड़-तोड़ के िहमायती यह नह समझते क इससे लोग आहत होकर दूर
चले जाते ह। ितकड़म के िशकार लोग को आ ोश, अिव ास और घबराहट का अनुभव होता है। वे भिव य म
अपनी इ छा के िव काय करने पर राज़ी नह ह गे और ख़द को इ तेमाल कया जाते देखना नह चाहगे।
ितकड़मबाज़ के िवपरीत मनुहारकता दूसरे प के आ म-गौरव को ो सािहत करता है। प रणाम व प
लोग बेहतर ित या दशाते ह य क उ ह िज़ मेदार, विनदिशत ि क तरह अपने साथ बताव क
अनुभूित होती है। अंतत: ितकड़म क अपे ा मनुहार के अिधक भावी होने का यही कारण है। िवमशकता
एस.आई. हयाकावा िलखते ह :
य द यह सच है क येक ि अपनी आ म अवधारणा को संरि त व ो सािहत करने क
कोिशश कर रहा है, तो आपका संदश
े िसफ इस वजह से आगे नह प चँ ता क आप मुखर होकर
तकपूवक उसे तुत कर रहे ह, बि क इसिलए क उसका अिभ ाय ोता को अपने िहत अथवा
आ म अवधारणा के अनुकूल लगता है। य द आपके संदश
े म िछपा अथ ोता को उसक आ म
अवधारणा को ो सािहत करने वाला महसूस होगा, तो वह वागतयो य तथा हण करने लायक
होगा।1
आ म अवधारणा को पु करने वाले मनुहारपूण संदशे के िलए कु शलप यास क ज़ रत होती है, य क
मनुहार का आधार प रवतन है और प रवतन आसान नह होता। अिधकतर ि प रवतन के िलए तब तक
राज़ी नह होते, जब तक उ ह इसके लाभ द प रणाम न दखाई द। प रवतन क या मुि कल है। इसके िलए
योजना बनाने क आव यकता होती है।
येल िव िव ालय के मनोवै ािनक िविलयम मैक यूरे क राय म सहयोग ाि क या को जब हम
पाँच चरण म िवभ करते ह, तो वह अिधक आसानी से हमारी इ छा का बंधन करती है। ये पाँच चरण इस
कार ह - यान, समझ, िव ास, सं हण और या। मैक यूरे के अनुसार '' ोता को अिधकतम मनुहार भाव म
लाने के िलए इन सभी चरण से गुज़रना ज़ री है। हर चरण अपने अगले चरण क पूणता पर िनभर है।“2
िच 11.1 म दशाया गया है क मनुहारपूण संदश
े का िसफ़ िच जगाना पया नह , बि क उसम
स यता जगाने के िलए े रत करने वाली प ता, िव सनीयता और मरणशीलता भी होनी चािहए। मनुहार
शि का अथ अपने संवाद म इन पाँच चरण म द ता हािसल कर लोग को काय िवशेष के िलए े रत करना
है। आप यह दावे से नह कह सकते क ोता क ित या या होगी, परं तु जब आप इन चरण का उपयोग
करते ह तो आ त हो सकते ह क आपने अपनी मनुहार शि का सव म योग कया।
यान जीत
मनुहार धान या क ओर पहला क़दम ोता का यानाकषण है। इस यानाकषण के बग़ैर बोलने का अथ है
गद को ल य बनाए िबना हवा म ब ला घुमाना। इसम कोई संपक नह होता। आप पहली बुिनयाद ही नह रख
पाते। अपनी मंिज़ल तक प च
ँ ने के िलए आपका ोता क िच और बताव से संपक ज़ री है।

िच 11.1 डेिवड ज़ी मायस क पु तक सोशल साइकोलॉजी ( यूयॉक: मै ॉ िहल 1983, पृ ा 275) म येल
िव िव ालय के समािजक मनोिव ानी िविलयम मक युरे ारा सुझाए गए िनदश का डेिवड मायस ारा
पांतर।

िस ांत-1 : अपने संदश


े को ोता क िच और बताव के अनुकूल बनाकर ही यान जीता जा सकता है।
मगर ोता क िच और वहार क जानकारी कै से िमले? खु़द को उनक ि थित म रखकर देिखए। खु़द से
(अथवा सीधे ोता से) िन पूछकर उनका दृि कोण जान :
1. चचा म अपने साथी को अ छे से समझने के िलए मुझे कस जानकारी क ज़ रत है? ोता हमारे
संवाद िवषय को कस कार लेता है? इससे कौन सी भावनाएँ जुड़ी होती ह?
2. सामने वाले ि के दृि कोण पर उसक ज़ंदगी म आ रहे बदलाव का या भाव है?
3. य द मेरी राय अलग है, तो ोता उसे कतना मह वपूण मानता है?
4. मेरा संदश
े ोता क िच और रवैये क पूरी त वीर म कस कार सही बैठ सकता है?
5. हम दोन के बीच समान िचयाँ व मू य कौन से ह?
जब आपके पास इन सवाल के जवाब ह गे और ोता के नज़ रये से आप चीज़ को देख सकगे, तो उसे अपने
अनुसार चीज़ को देखने के िलए मनाने म सफल ह गे ।
पु तक द ल वेज एंड थॉट ऑफ़ द चाइ ड म मनोिव ानी जीन पीजेट िलखते ह क ''एक ब े का
वातालाप आ मक त तीत होता है। इसिलए नह क वह िसफ़ अपने बारे म बात करता है, बि क इस कारण
य क वह ोता के दृि कोण से ख़द को रखकर नह देखता।“3 यानाकषण के िलए इसके िवपरीत चलने क
ज़ रत होती है। सुनने का ऐसा तरीक़ा, जो आपको ोता से उपयु पूछकर उसके वैचा रक तर को समझने
म मदद करे । यह िसफ़ सहयोग ही नह , वरन् समझबूझ क ाि के िलए भी वा तिवक िच से भरे ह ।
उस पार प रक आदान- दान िस ांत का मरण कर, जो बतौर बालक आपने अनुभव कया था - ''तुम
मुझे मारोगे तो म भी तु ह पीटूँगा।'' मान-मनुहार म यह इस कार कारगर होता है - ''य द आप मेरी ि थित को
समझने म दलच पी दखाएँगे, तो म भी आपको सुनकर आपक ि थित समझने क कोिशश क ँ गा।'' िलहाजा
ोता के भाव को समझने के िलए आप अपने स य वण (देख अ याय-4) और पूछने (देख अ याय-6) के
कौशल का इ तेमाल कर। चाहे लंबी ा या अथवा अपनी बात दोहराकर प कर क आप ोता क ि थित
समझते ह । ऐसा कह :
''म समझता ँ आपका अिभ ाय है...''
''आप कहना चाहते ह...''
''य द म आपका दृि कोण मानू,ँ तो मुझे चािहए क...''
आपके ारा ोता को समझने क कोिशश कभी थ नह जाती। यह आपको ोता क आपि य के अनु प
अपना संदश े ढालने म ब मू य जानकारी उपल ध कराती है। यह आपके ोता क मानिसक व भावना मक
िचय से सीधे जुड़ने वाले संवाद म मदद करती है।
याद रख क आपके ोता का दृि कोण िसफ़ वैचा रक ही नह , भावना मक "रं गत'' िलए भी होता है ।
य द आप इस रं ग से प रिचत नह ह गे तो आपको सही त वीर नज़र नह आएगी। उदाहरण के िलए, य द आप
कसी ित ान के िनदशक को कोई बंधक य काय म बेचना चाहते ह और वह तैयार नह होता, तो इस
िहच कचाहट के पीछे मू य नह , बि क िनदशक ारा अपनी कलई खुल जाने का भय भी मुख कारण हो सकता
है। जब आप पूरी त वीर देखगे, तो अपना संदश े पार प रक मू य और अनुभव के आधार पर समायोिजत कर
पाएँगे। यह साझा समझ ोता का यान जीतने म सेतु का काय करे गी।

िवषय िववेचना क समझ बढ़ाऍ


मनुहार या का दूसरा चरण ोता को आपका संदश े गहराई से समझने म मदद करना है । आपके िलए जो
प है, ज़ री नह क ोता के िलए भी हो। उसने आपक तरह आपके िवचार को नह सोचा होगा। उसे प
भाषा, अिभ ाय और उदाहरण क ज़ रत होगी, जो उसके अनुभव से मेल खाए।
िस ांत-2 : प भाषा और ठोस उदाहरण िवषय िववेचना म मददगार होते ह।
आपने कभी अपने वातालाप को जाँचा है? हमारी भाषा यादातर ''आप जानते ह'' जैसे कामचलाऊ श द या
''काम िनकाल लेने क मता'' वाले फै ़शनेबल श द से भरी होती है । एक शासक य ाथनाप यह अथहीन
वा य पाया गया:
एक कृ त बंधक य लचीलेपन के फ़ायदे के िलए यह ज़ री है क पूरी संगठना मक मता बरकरार
रखी जाए, ता क वि थत आधारभूत वाह और संवेदी नीित िनयोजन क प रणित प रपूरक
बंधक य मता म हो।
इस श दावली का योग चाहे ख़ाली जगह भरने या आिधका रक नज़र आने के उ े य से कया गया हो, कं तु
ोता के दमाग़ म यह बैठ नह पाएँगे। हर एक श द दूसरे से कसी िविश ता, तैयारी या भाव के बगै़र जुड़ता
है। हमारा संवाद ऐसा नह होना चािहए! संवाद तभी आकषक, प और अनुरोधपूण होगा, जब हम सरल
सश और िच ा मक श द का इ तेमाल करगे।
ावहा रक मनोिव ािनय ने पाया क सरल प संवाद के अलावा ठोस उदाहरण भी िवषय िववेचना
म सहायक होते ह। लोग के अनुभव के संदभ बंद ु पर खरे न उतरने वाले संदश
े समझने म मुि कल होते ह और
उ ह शी भुला दया जाता है। जॉन े सफ़ोड व मा सया जॉ सन के योग से िलए गए िन अंश को पढ़कर
आप इस त य को परख सकते ह :
यह या काफ़ सरल है। सव थम आप चीज़ को िभ समूह म िवभ कर। एक ढेर भी पया
होगा, हालाँ क यह इस पर िनभर करता है क काम कतना है । एक बार या पूरी होने पर इ ह
व तु को पहले से अलग समूह म वि थत कया जाता है, फर उ ह सही जगह पर रखा जा
सकता है। अंतत: वह सभी व तुएँ एकािधक बार यु ह गी और यह च दोहराया जाएगा।
बहरहाल, यह जीवन का एक अंग है।4
अब इस या के ''सरल'' चरण को अपनी याददा त के आधार पर दोहराने क कोिशश कर।
आपने यह कै से कया? अिधकतर लोग नह समझ पाते, जब तक उ ह न बताया जाए क यह या कपड़े
धोने का वणन है। अब उपरो अंश फर पढ़ और याददा त के आधार पर उ ह दोहराएँ। यह आसान है? हाँ,
य क यह या जानी-पहचानी है । आपका ोता भी आपक बात पूरी तरह समझने के िलए इसी कार के
िचर-प रिचत संदभ चाहता है ।
े सफोड और जॉ सन के योग से पता चलता है क हमारी समझ कसी सामा य स य के अनदेखे दशन
क अपे ा िविश वणन से बढ़ती है। लीडर इस त य को जानते ह और इसका इ तेमाल करते ह। जब मा टन
लूथर कं ग जूिनयर को अपना हंसा का संदश
े समूचे रा को समझाने क ज़ रत पड़ी तो उ ह ने िलखा :
''हम... तनाव के रचियता नह ह। हम िसफ़ पहले से गु कं तु, जागृत तनाव को सतह पर उजागर
कर लाते ह। हम उसे सबके सामने लाते ह, जहाँ इसे देखा-परखा जा सके ।“5
कं ग का तक है क छु पे ए तनाव को उजागर कया जाना ज़ री है। मगर यह एक अमूत प रक पना है । इसे
ठोस उदाहरण के साथ जोड़ा जाना चािहए। कं ग ने यह इस कार कया :
''िजस कार एक घाव तब तक ठीक नह होता, जब तक उसे अपनी पूरी कु पता के साथ हवा और
काश के ाकृ ितक उपचार के सम खुला न छोड़ा जाए, उसी तरह अ याय को भी उजागर कर उसे
मानवीय चेतना और रा ीय राय क हवा के सम संभािवत उप व क चंता कए बगै़र लाना
ज़ री है, ता क उसका उपचार कया जा सके ।''6
आप चाहे समाज के बड़े वग या फर इ े -दु े ि से बात कर रहे ह , यह ज़ री है क येक ोता
ित या ज़ािहर करने से पहले आपके श द को पूरी तरह समझे । अपनी तुित क प ता बढ़ाने के िलए ख़द
से िन पूछे :
या मेरा ा यान प और थ श द से मु है?
या मेरा मु य संदश
े ोता के िलए अथपूण है?
या मने िवषय िववेचना म सु प भाषा और ठोस उदाहरण का योग कया है?

िव ास पैदा कर
सफल मनुहार के िलए तीसरा चरण आपके संदश े म िव सनीयता जगाना है। िव ास आपके कथन क
मनोवै ािनक वीकृ ित है, िजसके बगै़र आप मनचाहा सकारा मक नतीजा नह पा सकगे।
इस ''ही'' के िलए लोग को कै से राज़ी कर? इसका उ र कई कारक पर िनभर करता है, िजसम आपके
वतमान और पूव के काय, आपका ि व, सामािजक तर, प ता, खरापन और मौन संकेत (उपि थित,
आवाज धारा वाह मता, बोलने क र तार, शारी रक हाव-भाव इ या द) शािमल ह। बहरहाल, िव ास
बनाने के िलए दो कारक मुख ह : अपने संदश े के ित उ साह और अपने नज़ रये के समथन म माण का
दशन।
िस ांत-3 : िव ास का िनमाण जोश व माण से होता है|
जोश आपके ोता को बताता है क अपने कथन पर आपका पूरा िव ास है। आपको वाचाल, चालाक, सनसनी
ि य या यात होने क आव यकता नह है; बि क आपको अपने कथन पर िव ास रखना और दशाना चािहए।
जब आप अपने संदश े के ित उ साह दशाते ह, तो आपक एक क र माई शि यत उभरती है, िजससे
ोतामंडली बच नह सकती। जोश ही िव ास को पु करता है।
जोश क रह यमय शि इसम है क यह लोग को चम कृ त कर डालता है। लोग सोचने पर मजबूर हो
जाते ह क आप अपने िवचार को लेकर इतने रोमांिचत य ह? इस रह य के ख़लासे के िलए वे संकेत ढू ँढने
लगगे। वे कसी िवशेष अिभ ाय के िलए आपक बात सुनगे, जो शायद उनसे छू ट गई हो। जब यह होता है, तो
आप अनुरोधपूण ि थित िन मत कर देते ह, य क दाशिनक लेज़ पा कल ने कहा था - ''लोग अपने ारा ढू ँढ़े
तक से यादा आ त होते ह, न क कसी अ य ि के ज़ रये खोजे गए त य से।''7 आपका जोश ोता को
आपका दृि कोण जानने क राह पर दमाग़ दौड़ाने के िलए मजबूर कर देता है।
िव ास क सृि करने म माण दूसरी कड़ी है। माण ऐसी सूचना है, जो स यािपत क जा सकती है ।
उदाहरण व प :
''य द हम अगले पाँच वष म दस ितशत वृि दर का ल य रख, तो आप देखगे क हमारे उ पाद
क माँग वतमान िनमाण मता से यादा हो जाएगी।''
''आप कहते ह क आपको पचास पृ एक बार म न थी करना है। देिखए, ये मशीन कस कार यह
काम करती है।''
''म इस िनवेश को लेकर आपक िहचक समझ सकता ।ँ जॉन कॅ पेनरो, िज ह ने मुझे आपके पास
भेजा, उ ह ने भी ऐसी शंका जताई थी । बहरहाल, इस काय म के तीन ह ते बाद ही उ ह ने मुझे
यह प िलखा, िजसे आप भी पढ़ सकते ह।''
िव सनीय होने के िलए आपका माण ासंिगक, भरोसेमंद और सुलभ होना चािहए। यह जानने के िलए क
आपका माण आपके ोता को आ त करे गा अथवा नह , ोता के नज़ रये को दमाग़ म रखते ए ख़द से िन
सवाल पूछ :
1. या यह जानकारी ोता को सम या के बारे म मेरा बताया समाधान समझने म मददगार है?
( ासंिगकता)
2. या ोता इस जानकारी को िव सनीय मानेगा? या वह इन त य को जुटाने वाले ि या मूल
ोत पर यक न करे गा? (िव सनीयता)
3. य द ोता चाहे तो या वह मेरे त य क स यता परख सकता है? (उपल धता)
िव सनीय माण आपके ोता ारा पूछे जा सकने वाले व आपि य के उ र देता है और आप पर भरोसा
करने के िलए उसे तैयार करता है। आपका उदे य ख़द को सही सािबत करना नह , बि क ोता को यह यक़ न
दलाना है क आपके सुझाव पर अमल कर वह सही क़दम उठा रहा है।

सं हण याददा त बढ़ाएँ
मनुहार के िलए चौथा चरण आपके संदश े को यादगार बनाना है। य द ोता आपका कथन याद नह रख पाता,
तो आपके मनुहार संबंधी पहले के सारे चरण थ हो जाएँग।े स य प रणाम के िलए ज़ री है क ोता उस
दशा का मरण करने म समथ हो, िजधर चलने के िलए आपने उसे मनाया है।
अ ययन से ात होता है क जानकारी तब भली भाँित याद रखी जाती है, जब उसे उिचत अंतर से बार-
बार दोहराया जाए। ावहा रक मनोिव ानी िलन हैशर ने पाया क दोहराई गई जानकारी एक बार
जानकारी से यादा भरोसेमंद होती है। अ य योग से पता चला है क कसी संवेग क बारं बार तुित लोग
क इसके ित िच को बढ़ा देती है। जो यादा िव सनीय और पसंदीदा होगा, उसे यादा समय तक याद रखा
जा सके गा।
िस ांत-4 थोड़े-थोड़े अतंर से कया गया दोहराव याददा त को बढ़ाता है।
थोड़े-थोड़े अंतराल सिहत दोहराव क शि का लाभ उठाएँ। वयं से पूछ: ''म अपनी तुित म लोग को या
चीज़ सबसे यादा याद रखवाना चाहता ?ँ म कस कार अपने िवचार को पुन: अिभ क ँ , िजससे वे
यादगार बन जाएँ?'' कई बार आप अपना मूल िवचार कसी एक वा य या अपने संदश े म बार-बार यु श द
म समेट सकते ह। मा टन लुथर कं ग, जूिनयर ने अपने भाषण ''आय हैव अ ीम'' म इस िस ांत के चम का रक
प रणाम ा कए।
कु छ मामल म आप ोता को अपने ारा तुत त य पर यान क त करने के बजाय उन त य को
उसके ारा ित या ारा मरण करवाना चाहते ह। इसके िलए अपने भाषण म वही दोहराएँ या
फर ा यान के अंत म इसके सामने आने क भूिमका बनाएँ। 1980 म रोनॉ ड रे गन व िजमी काटर के बीच ई
रा पित चुनाव संबंधी बहस म रोनॉ ड ने अपने ारा तुत त य के बजाय इस ता कक के दोहराव से
अपने ोता के दमाग़ म अिव मरणीय भाव उ प कया: '' या आप चार वष पूव क अपे ा आज यादा
सुखी ह?'' इस ने उ ह बहस के साथ चुनाव िजताने म भी मदद क । िलहाज़ा ज़ री नह क आपका ल य
त य का दोहराव हो, बि क ोता को आपके ा यान क सकारा मक ित या का मरण कराना होना
चािहए।
य द प रि थित अनुकूल हो, तो ोता से पूछ क आपके ा यान का येक बंद ु उसके िलए या मायने
रखता है? यह आपके िवचार को उसके दमाग़ म उतारने के िलए े रत करे गा। अिभभावक अपने ब े से
सहजतापूवक यह कर अनाव यक िववाद टाल सकते ह: “ संडी, मने तुमसे या करने को कहा था?'' एक
बंधक कह सकता है: ''इस रपोट को पूरा करने के बाद म आपसे इसके िविश बंद ु के बारे म पूछूँगा, ता क
उन पर िवचार-िवमश कर हम उ ह अमल म ला सक।'' य द आपका ोता आपके िवचार अथवा उन िवचार पर
अपनी ित या दोहरा सकता है, तो वह उ ह याद भी रख सके गा।

या क माँग कर
मनुहार का पाँचवाँ और अंितम चरण लोग से या मक क़दम क माँग करना है। आप रोचक, प , िव सनीय,
अिव मरणीय िवचार तुत कर सकते ह, कं तु य द ोता उन पर अमल नह करता, तो आप अनुरोध म
असफल रहगे। या ही मनुहार का अंितम प रणाम है।
कसी से अनुरोध करते समय आपका ल य या है? ोता से आप कन क़दम क अपे ा रखते ह? शायद
आप ोता से चाहते ह क:

वह आपके ारा बेचे जा रहे उ पाद का मू य दे।


वहार म प रवतन लाए।
चै रटी (अनुदान) म योगदान दे।
आपक तन वाह म बढ़ोतरी या पदो ित दे।

यह कु छ भी हो, आप अपनी इ छा पर अमल क माँग क िजए।

िस ातं-5 या क माँग कर
जब हमारा मनुहार का यास नाकाम होता है, तो इसका कारण हमारे ारा दूसरे ि को इस पर अमल क
माँग करने म िहच कचाहट दशाना है। हम मान लेते ह क ोता ''संदश
े को हण'' कर हमारे िवचार पर वयं
अमल हेतु े रत होगा, पर सामा यत या ऐसा नह होता। हमारे ोता पर एक साथ िनरं तर कई िवचार क
बौछार होती रहती है। एक अ ययन के अनुसार सामा य ि का मि त क ित दन दस हजार िवचार से
जूझता है। इनम से कु छ ही िवचार या मक प ले पाते ह। या के िलए हम इसक माँग करनी चािहए।
या के िलए अपनी माँग प और क त रख। जैसे:
''य द आप इस ऑफ़र का लाभ उठाना चाहते ह, तो कृ पया पाँच बजे के पहले द तर म मुझे फ़ोन
कर।''
''म तु ह शु वार क शाम िडनर पर ले जाना चाहता ।ँ या म तु ह सात बजे फ़ोन क ँ ?''
''आपका अनुदान जे़िनफ़र क तरह ज़ रतमंद ब े क मदद कर सकता है। म चा ग ँ ा क आप
िवकलांग ब के कोष के िलए अपना चेक आज रात बाहर जाने से पूव ीमती जॉ सन को दे द।''
तुरंत या क माँग सामा यत: अ छी होती है। सफल से समेन अपनी बात करने के प ात ह ते-दो ह ते क
ती ा के बजाय तुरंत चेक या ह ता र क िवनती कर देते ह। िजतना यादा अंतराल होगा, आपके िवचार का
आकषण भी घटता जाएगा। िवचार जब ताज़ा हो, तभी चोट कर।
य द आप अपने िलए पया सहयोग न िमल पाने से हताश ह, तो मनुहार के इन पाँच िस ांत पर िवचार कर।
आप ज़ र कसी एक िस ांत क अवहेलना कर रहे ह। इन मूलभूत तकनीक के अनु प अपने संदश े क फर से
समी ा कर आप अपना दन बचा सकते ह। िसफ़ यह याद रख:
1. आप अपने संदश
े को ोता क िच और झान के अनु प ढाल कर उसका यान जीत सकते ह।
2. प भाषा और ठोस उदाहरण िवषय िववेचना क समझ को बेहतर बनाते ह।
3. िव ास क सृि जोश और भरोसेमंद माण से पैदा होती है।
4. बार-बार दोहराव याददा त को बढ़ाता है।
5. या पाने के िलए इसक माँग कर।
अपनी अनुरोध संबंधी मता से आरं िभक सफलता पाने के बाद इसे जारी रख। अपनी अपे ा का तर कु छ ऊँचा
उठाएँ, इन पाँच िस ांत के संदभ म अपनी तुित को संशोिधत कर फर कोिशश कर। जब आप ऐसा करगे, तो
आपके आ मिव ास म वृि होगी। आप अगली ''परे ड'' क ती ा करगे, जहाँ लोग का यान आप पर क त
हो।
अपनी पहली परे ड म यानाकषण जीतने के बाद मेरा बेटा अपने कौशल को छह फ़ ट ऊँची एक पिहए
वाली साइकल पर आज़माना चाहता है।

िवजय पाने क दशा म


काययोजना
1. कसी ऐसे ि पर यान क त कर, जो मनुहार क कला म मािहर हो और फर इन के उ र
द: ''आपको वह ि मनुहार कु शल य लगता है?'' वह मनुहार के पाँच चरण म से कतने अमल म लाता है?
वह मनुहार के हर चरण को कै से इ तेमाल करता है? (मसलन- वह आपका यान कै से जीतता है? वह बात
समझने म आपक मदद कै से करता है? वगै़रह।)
2. अब उन या के बारे म सोच, िज ह आप दूसरे ि ारा अमल म लाते देखना चाहते ह। जैसे:
आप अपने कशोरवय पु को वीकएंड म राि 11 बजे तक घर पर देखना चाहते ह या अपने बॉस से वेतनवृि
क उ मीद रखते ह। िन के उ र म अपने िवचार िलखकर सहयोग क माँग िवकिसत कर:
म अपने ोता का यान कै से जीत सकता ?ँ
म ोता से जो अपे ा रखता ,ँ उस िवषय क िववेचना क मता उसम कै से बढ़ा सकता ?ँ
म उसे कै से यक़ न दलाऊँ क वह मुझसे सहयोग कर सही िनणय लेगा?
अपने िवचार अथवा मेरे िवचार पर उसक सकारा मक ित या को यादगार कै से बना सकता ?ँ
म मनचाही या कै से ा कर सकता ?ँ
12

सफलता का लु फ़ उठाएँ
अपने होठ के ितफल से मनु य उ म चीज़ का लु फ़ उठाता है।1
कं ग सोलोमन

ि गत सफलता - आपके िलए इसके या मायने ह? आपको कस चीज़ से सवािधक ख़शी िमलती है? आपके
जवाब आपके प रवारजन या िम के बारे म अलग-अलग हो सकते ह। फर भी सफलता को आप चाहे जैसे
प रभािषत कर, आपके ारा अनुभव क गई अ छी चीजे़ं तब भरपूर होती ह, जब आप अपने उ तम तर पर
संवाद करते ह।

शीष संवाद अनुभव


इस पु तक को पढ़ते ए और अपने संवाद के ल य क ओर अ सर रहते ए, आपने अपना कौशल बढ़ा िलया
होगा और उपलि धय को नए तर पर प च ँ ा िलया होगा। आप ''शीष वाताकार'' बनने के पथ पर ह।
इस भाग को पढ़ते ए आप इस पु तक म व णत 12 मुख संवाद ल य क ओर खुद को बढ़ते देख और
अपनी क पना एक शीष वाताकार के प म कर।

1. आप जीतने के िलए अपना ल य िनधा रत करते ह: शीष वाताकार के बतौर आप जीत के िलए
संकि पत ह। आप येक संवाद म शािमल होते ए ग़लतफ़हमी, ग़लत िनणय और बेचैनी जैसी तमाम दमाग़ी
बाधा को दूर करते ह। कभी-कभी आप असफल भी होते ह। पर जब आप असफल होते ह, तो इसका कारण
जानना चाहते ह। आप प सफलता के िलए अपने ल य का पुनपरी ण कर उस दशा म आगे बढ़ने का यास
करते ह। आपको पता है क संवाद का खेल खेलने का एकमा मतलब है, इसे जीतना; इसके िलए आप खेल क
योजना बनाते ह। आप उपयोगी रणनीित बनाते ह। ल य को संशोिधत करते ह। सबसे बढ़कर ख़शी क बात यह
है क संवाद के खेल म जब आप जीत हािसल करते ह, तो आप संवाद म जीतने म अपने साथी क भी मदद करते
ह।

2. आप जो कु छ बन सकते ह, वह बनते है : एक शीष वाताकार के बतौर आप जानते ह क अपनी


कमज़ो रय का िव ेषण और ख़ूिबय का िव तार कए बग़ैर अपने साम य का उ तम उपयोग नह कया जा
सकता। िलहाज़ा आप या ह और या बनना चाहते ह इसका वा तिवक आकलन करते ह। िपछली ग़लितय को
सही ठहराने म आप समय बबाद नह करते। आप ख़द को सही बनाए रखने क कोिशश करते ह, ता क आपके
श द भी सही नज़र आएँ। यह ल य आपके संवाद म एक सकारा मक प रवतन लाता है - िजसका अथ है कम
र ा मकता, यादा खुलापन और बेहतर समझबूझ।

3. आप नकारा मक संवाद आदत को दूर करते है : शीष वाताकार के बतौर आप अपने संवाद का तर
िनधा रत करते ह। आपके श द, झान, ल य, रणनीित और ि गत ितब ता; ये सभी आपके चयन पर
िनभर रहने वाले िवषय ह। नतीजतन आप अपने संवाद को नुक़सान प च
ँ ाने वाली ग़लत आदत को भावी
तरीक़े से दूर कर सकते ह।

4. आप गंभीरतापूवक सुनते ह : शीष वाताकार के बतौर आप गंभीरता से बात सुनने को समय देते ह।
आप व ा साथी के दल और दमाग़ क गहराई तक उतरते ह। आप पूछकर उ र को गंभीरतापूवक सुनते ह
- िसफ़ श द पर ही नह , उनके पीछे िछपी भावना पर भी यान देते ह। येक उ र पर टीका- ट पणी कर
साथी को पीछे हटने पर मजबूर करने के बजाय आप उसे उसक बात कहने म मदद करते ह। कभी-कभार आप
कु छ ट पिणय को मह वहीन समझकर नज़रअंदाज़ कर देते ह, परं तु अ य साधारण नज़र आने वाली ट पिणय
पर ित या करते ह, य क वे अवचेतन म दबी कसी भावना या िवचार को करती ह। शीष वाताकार के
प म आप े तम को बाहर लाकर शेष का प र याग कर देते ह। आपका इनाम वह ख़शी है, जो मानवीय
संबंध से िमलती है।

5. आप जानते ह क संवाद कस कार काय करता है : शीष वाताकार के बतौर आप अपने श द के


भाव का अ ययन करते ह। एक द िच क सक क तरह आप कसी सम या को पहचानने व उसके समाधान के
िलए एक से अिधक औज़ार या नज़ रय का योग करते ह। फ़ डबैक आपके कथन को बेहतर तरीके से कहने म
मदद करता है और आप सुनी ई बात को यादा सही प म हण कर पाते ह। शीष वाताकार के बतौर आप
उस अ ानी इं सान से सवथा अलग नज़र आते ह, जो नह जानता क वह उबाऊ, बक-बक और मूल िवषय से पूरी
तरह हटकर बातचीत कर रहा है। संवाद या क ज़रा सी ग़लती भी आपक पकड़ म आ जाती है। आप जानते
ह क समझबूझ म आव यक समायोजन कै से कया जाए।

6. आप लोग का यान जीतते ह : शीष वाताकार के बतौर आप लोग म दलच पी लेते ह। आप अपने
संवाद साथी के रोचक ि व और च र को उजागर करने वाले पूछते ह। आप अपने साथी के ित े
धारणा रखकर उसे अपनी बात को बेहतर तरीके ़ से बोलने म मदद करते ह। नतीजतन आप जब बोलते ह, तो
ोता आपको सुनता है। शीष वाताकार के बतौर आप िविवध िवषय पर िव ास के साथ बोलते ह, य क
आपने अपनी वा तिवक भावना और िवचार को समझने के िलए व त दया है। आप अपने दृि कोण को लेकर
र ा मक या आ ामक नज़र नह आते, य क आप अपने कथन को लेकर आ त ह, भले ही वह कसी
असहमत ोता वग के सामने हो। इसके साथ ही आप अ य िवक प के ित खुला नज़ रया रखते ह और अगर
कोई नज़ रया आपके दृि कोण से बेहतर है, तो आप अपनी सोच बदलने के िलए भी तैयार रहते ह। संवाद म
आपको आनंद िमलता है। आप सुनकर ख़श होते ह।

7. आप म ना कहने का साहस है : शीष वाताकार के बतौर आपको पता होता है क कब हाँ कहना है और
कब नह । जब उिचत हो, आप ही कहते ह य क दली तौर पर आप एक सकारा मक ि ह। आपक
ित या िनधा रत करने वाला मूलभूत त य दूसर क सोच नह , बि क वह है, जो आप अपने मू य के संदभ म
सोचते ह। िलहाज़ा आपके पास हाँ या ना कहने का आत रक मानक है। जब आप ना कहते ह तो इसम दृढ़ता होती
है, पर कसी का िवरोध नह होता। यह जवाबी हमले को आमंि त नह करता, न दबाव के ार खोलता है। प
और कट होने के कारण आपके अिभ ाय पर दोबारा संशय क ज़ रत नह होती। आप ामािणक रहते ह।

8. आप ब का स मान करते ह : शीष वाताकार के बतौर आप ब का स मान करते ह। अपने बचपन


को याद कर आप उसी कार ब से वातालाप करते ह, जैसी एक ब े के प म वय क से अपने िलए अपे ा
रखते थे। ब क बात सुनने, उनके का उ र देने और उनके नज़ रये से इस रह यपूण दुिनया को देखने म
आपको आनंद िमलता है। ब े भी ित या व प आपका आदर करते ह। वे अपनी वा तिवक भावना को
आपके साथ बाँटते ह। वे अपनी बात समझे जाते देख अ छा महसूस करते ह। फर वे िनदश और मह वपूण
मू य को सीखने के िलए यादा उ सुक हो जाते ह।

9. आप अंतरं गता पाते ह : े वाताकार के बतौर आप अपने िनकटतम ि य क उतनी ही परवाह


करते ह, िजतनी ख़द क । आप जानते ह क अंतरं गता का ज म आपके ारा प रवार और िम के िहत क चंता
करने से होता है, हमदद और क णा के िवक प महज़ श द नह हो सकते। आ म अिभ ि हमेशा िववेक के
साथ संतुिलत होनी चािहए। आप िनकटता के ख़तर से भी प रिचत ह, परं तु आपको पर पर संतुि और ख़शी
क मता का भी आभास है। आप जानते ह क ितब ता और परवाह अलगाव क संभावना को दूर रखते ह।
इस कार आप अपने नज़दीक ि य के ित कभी धोखा न देने या सहमित न तोड़ने क भावना के साथ
ितब होते ह। िव ास, अपने मूल च र क वतं ता और अपनी भावना को भयभीत ए बग़ैर करने
क वे छा - ये त व आपके संवाद को आ म क खोज और आंत रक संतुि का भाव दान करते ह।

10. आप टकराव टालते ह : े वाताकार के बतौर आप िववाद से घबराते नह ह। आप तनाव को


नज़रअंदाज़ नह करते, कं तु आपको पता है क लगातार तनाव कस कार संबंध को नुक़सान प च ँ ा सकता है।
जब आपका सामना ग़लतफ़हमी और कनारे कए जाने से होता है, तो आप िन बंद ु पर अमल कर िववाद
सुलझाने क कोिशश करते ह : (1) आप सम या को प रभािषत करते ह; (2) आप सहमित के े तलाशते ह;
(3) आप भावना को समझने क चे ा करते ह; और (4) आप संयत होकर अपने िवचार रखते ह। आपका संवाद
''हम, हम, हमारा... आप या सोच रहे ह?... हमारे संवाद के बारे म आपका या िवचार है?... हम कस कार
सम या का समाधान कर सकते ह?... आइए सोच... सहयोग कर... सम या का िनराकरण कर'' जैसे सकारा मक
श द और वा य से प रपूण होता है।
11. आप सहयोग पाते ह : े वाताकार के बतौर आप लोग को अपने साथ सहयोग के िलए मनाने क
कोिशश करते ह। ितकड़म, धोखेबाज़ी, दबाव क नीित - ये सभी आपक शैली और मू य के िलए अजनबी ह।
इसके बजाय आप अ य ि य के अनु प ख़द को समायोिजत कर यान जीतते ह। आप ोता को अपनी बात
अ छी तरह समझाने के िलए ठोस और प उदाहरण का उपयोग करते ह। आप जोशीले ह, य क आपको
सहयोग के पार प रक लाभ का अंदाज़ा है। आप अपने दृि कोण के मह व का माण देते ह। प रणामत: आप
अितिव सनीय होते ह। जब आप या क माँग करते ह, तो यह आपको सामा यत: ा हो जाती है।

12. आप सफलता का लु फ़ उठाते ह : े वाताकार के बतौर आप एक सफल ज़ंदगी का लु फ़ उठाते ह।


ल य िनधारण एवं रणनीित आपके दैिनक जीवन का अंग बन चुके ह। फल व प जब आप अपने संवाद साथी से
बात करते ह, तो इसम दलो- दमाग़ शािमल होते ह। ाथिमक अनुभव के आधार पर आपको अ याय-1 म
व णत कथन के स य क जानकारी होती है क - जीवन के कसी भी े म सफलता के िलए बेहतर संवाद से
मह वपूण कु छ भी नह है। िनि त प से, जैसा क कहा जाता है, ''अपने होठ के ितफल से मनु य उ म चीज़ो
का लु फ़ उठाता है।''

सकारा मक आदत क लत
कु छ लोग ित दन तीन, पाँच या दस मील तक दौड़ने और पसीना बहाने का साहस कै से जुटा पाते ह?
मनोिव ानी िविलयम लासर के अनुसार जब एक धावक अपनी शारी रक मता के िविश तर पर प च ँ
जाता है, जब वह अपने यास के फल व प शारी रक, मानिसक, भावना मक जोश का अनुभव करता है - तो
यह एक कार क ''सकारा मक लत'' होती है। वह प र म जारी रखता है य क उसे अपने यास से िमलने
वाले फ़ायदे का आभास है।
सकारा मक लत ही आपको संवाद द ता के उ तम तर तक ले जाने के यास म सहयोगी बनेगी।
शु आती तौर पर कसी नए नवेले धावक क तरह आपको भी थकान और हताशा का अनुभव हो सकता है। कं तु
य द आप िविश ता (Specific), प रमाण आकलन (Measurable), िन या मक (Affirmative), वा तिवकता
(Realistic) व समय िनयोजन (Time-constricted) (SMART) संबंधी ल य को सामने रखकर इस तक प च ँ ने
क ावहा रक रणनीित पर अमल करगे, तो आपका संवाद अिधक आसान, कम तनावपूण, भयमु और वतं
होगा। अिधक संतुि का यह भाव आपके संवाद संबंधी यास क सकारा मक लत या आदत पैदा कर सकता है।
कभी हौसला न खोएँ। जब आप अपने शीष संवाद कौशल का सतत अ यास करते ह, तो अ य ि और
वयं के बीच समझबूझ का बंधन मज़बूत कर वैचा रक वाह को क़ायम रखते ह। आप शीष तर पर
या मकता का आनंद लेते ह। आपको उथले ि य से भी उ तम कौशल के साथ तालमेल बैठाने का अनुभव
होता है। ऐसा कौशल ख़शी से भरपूर है। जब आप इसका अनुभव कर लगे, तो आपको े तम से कम कोई चीज़
मंज़ूर नह होगी। आपको शीष संवाद क सकारा मक लत हो जाएगी।

वतमान प रि थित
जीवन के अंितम ण म आप अपने मह वपूण आ मीय संबंध का आकलन कस कार करना चाहगे? आपक
याददा त म सवािधक ख़शी देने वाले ण कौन से ह गे? आप कौन से अनुभव को बदलना चाहगे? या आपने
संतुि , घर-प रवार, िम और काय थल म संवाद कौशल के िवकास के सारे य कए ह?
दुभा यवश कई ि अपनी जंदगी के सबसे बेशक़ मती ण म अपने साथ धोखा करते ह। वे एक से
दूसरी ासदी और ग़लतफ़हमी क तरफ़ िबना यह जाने मुड़ते रहते ह क सही योजना के ज़ रये सम या का
समाधान ढू ँढा जा सकता है। वे असफलता क क़ै द म ख़द को िघरा आ महसूस करते ह, पर अतीत म जो कु छ
आ, उसे बदला नह जा सकता! जब तक यह शा त स य हमारी समझ म नह आता, हम िपछली भूल या कहे
गए श द को वापस लेने क कामना के साथ ब त अिधक शि ख़च कर डालते ह। िनि त प से िपछली
ग़लितय से सबक़ लेने क ज़ रत होती है, अ यथा हम उ ह फर दोहराएँगे। मगर हमारा मुख ल य वतमान
काय बंधन के ज रये भिव य क ओर उ सुख होना चािहए।
वतमान ण का बंधन कया जा सकता है। य द म िसफ़ एक संवाद से अपनी तमाम पूव ग़लितय को
सुधारने क बेचैनी दखाऊँ, तो म हताशा म िघर जाऊँगा। कं तु य द म वतमान क ग़लतफ़हिमय को दूर करने
क चे ा क ँ , तो वतमान और भिव य के ित आशा जागेगी।
संभवत: आप अपने प रवार, िम व ावसाियक सहयोिगय के साथ संबंध के िलहाज़ से एक दोराहे
पर खड़े ह - एक ऐसा ण, जब इनसे र त क जाँच-परख करने क ज़ रत हो। अब आप जवाबी हमले पर
आधा रत बातचीत के तरीक़े का चयन करगे या उस राह पर चलगे, जो संवाद के शीष थ अनुभव तक ले जाती है
- अथात् ''होठ से िमले ितफल'' का वाद चखगे? आपका चयन ही सारा फ़क़ तय करे गा।

सफल वाताकार का मत
मेरे िवचार से सफल संवाद क़ायम करने म प रवार, िम या वसाय सहयोगी का अपना मह व है। य िप म
अपने ित उनक ित या िनयंि त नह कर सकता, पर उनके ित अपनी ित या पर मेरा िनयं ण है। म
अपनी ग़लितयाँ वीकार कर उ ह दु त कर सकता ।ँ
म संवाद कला को समझ कर, आपसी संबंध म ल य िनधा रत करके और संवाद कौशल िवकिसत करने के ित
संकि पत होकर पुरानी आदत को भी बदल सकता ।ँ
ब े या वय क मेरी बात यानपूवक सुनते ह य क म भी उनक बात पूरे यान से सुनता ँ और उनका स मान
करता ।ँ िम मेरे साथ अपनी भावना को खुलकर बाँटते ह, य क उ ह पता है क म स ा िम बनना
जानता ।ँ
िववाद पैदा होने पर म उसके िनराकरण के िलए प योजना पर काय करता ।ँ मुझे पता है क लोग को अपने
साथ सहयोग के िलए कै से मनाया जाए। म आपसी संबंध म सफलता का लु फ़ उठाता ,ँ य क मने लोग का
यान आक षत करने वाली वाणी बोलने क कला सीख ली है।

िवजय पाने क दशा म


काय योजना
अपने संवाद कौशल के िवकास और अपनी द ता के तर को ऊँचा उठाने के िलए िन को अपने िवकास के
ेरक के बतौर यु कर। येक माह अपने उ र संशोिधत कर।
1. आपको कन प रवतन क अब भी आव यकता है? इस के उ र म अपनी मदद के िलए आप थम
अ याय म व णत आ म िववेचना पर लौटना चाहगे। उन े क पड़ताल कर, िजन पर आपको यादा काम
करने क ज़ रत लगती हो और सुधार के िलए ितब ता दशाएँ।
2. अपनी गित को आप कै से परखगे? अपनी गित का यौरा रखने के िलए एक रिज टर रख। याद म
दज कु छ मुख वातालाप म इ तेमाल कए गए श द के आधार पर अपनी ख़ूबी और कमज़ोरी क पड़ताल कर।
अपनी गित के आकलन म कसी िम क भी मदद ली जा सकती है।
3. ल य ाि का आभास आपको कस कार हो? अपने िलए िविश , प रमाण यो य, अिधका रक,
वा तिवक, समय िनयोिजत (SMART)ल य िनधा रत कर। अपेि त संवाद वहार को िनि त कर उसे पाने
क समय सीमा तय कर। उदाहरण के िलए, '' दनांक............ तक म............ काय संपा दत कर लूँगा।''
4. ल य ाि पर आप ख़द को कै से पुर कृ त करग? पुर कार का महँगा होना ज़ री नह है। सफलता के
िलए कोई भी य इनाम पया है। जैसे अपने िनकट थ िम को खाने पर ले जाएँ, फ म देखने जाएँ, पसंदीदा
गाने सुन या पाट आयोिजत कर लु फ़ उठाएँ।
5. ल य म असफलता पर आप या करगे? कभी हताश न ह । असफल होने पर आव यक सुधार कर, फर
कोिशश म जुट जाएँ।
6. संवाद ल य क ओर अ सर रहने के िलए आप ख़द को कस कार रत करगे? यह सुिनि त कर क
आपके ल य सु प ह और वे ऐसे काय से संबंिधत ह, िजन पर आपका िनयं ण संभव हो। अपने ल य पाने से
िमलने वाले फ़ायद क क पना कर। सफल वाताकार के मत संबंधी अंश को बार-बार पढ़। यह िव ास रख क
आप अपने सु प , उपयोगी, ि गत संवाद ल य को ा कर सकगे।
लेखक प रचय
वाताकार, परामशदाता पादरी और धा मक नेता डॉ. पॉल ड यू वेट्स लोग ारा एक-दूसरे को समझने
और जीवन क पूणता के अनुभव क ाि म सहायता के िलए संकि पत ह। उ ह ने िमिशगन िव िव ालय से
अं ेजी सािह य म डॉ टरे ट क उपािध ा क और भाषा के भावी लेखन और वण, भावी संवाद के
अ ययन पर अपना शोध क त कया।
पॉल वेट्स ने “द आट ऑफ़ टॉ कं ग सो दैट पीपल िवल िलसन'' और “हाऊ टु टॉक सो योर टीनेजर िवल
िलसन'' शीषक से दो कताब िलखी ह और उनके कई लेख भी कािशत ए ह। वे अपनी प ी जेिनस और दो
ब (जूडसन व जेिसका) के साथ मेि फस टेनेसी म रहते ह।
डॉ. वे स ने अिभभावक के िलए कशोर और कशोर होते ब से संबंिधत पेर टंग एजुकेशन सेिमनार
भी िलखा है। हाऊ टु टॉक सो योर टीम िवल िलसन सेिमनार के बारे म जानकारी ा करने के िलए टोल नं.
(800) 447-4३22 पर संपक कर अथवा िलख :
पसनल डेवलपमट िस ट स
1132 लाँ ीन ाइव
मेि फस, टेनेसी 38120
नो स

अ याय 1
1. नॉमन िव से ट पील, यू कै न इफ यू थंक यू कै न ( यूयॉक : फ़ॉसे े ट 1974), पृ -12 से उ धृत।
अ याय 2
1. रॉ फ़ वा डो इमसन, िमशेल जे. मैहनी क से फ़ चज : ैटेजीज़ फ़ॉर सॉ वंग पसनल ॉ ल स ( यूयॉक :
नॉटन), पृ -13 से उ धृत।
2. रॉ फ़ वा डो इमसन।
3. थॉमस ए. है रस, आय एम ओके - यू आर ओके ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1969), पृ -113 से उ धृत।
4. माक वेन, सोिसल ऑ बोन क रलीज फॉम फयर एंड एं जाइटी ( यूयॉक: िपलर, 1977), पृ -11 से
उ धृत।
5. जॉन बी. वॉटसन, िबहेिवय र म ( यूयॉक : नॉटन, 1924), पृ -8 से उ धृत।
6. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956), पृ -88 से उ धृत।
7. जॉन मै े , जे स डॉ सन क हाइड ऑर सीक (ओ ट टैपन, एन. जे. : रे वेल, 1974), पृ -7 से उ धृत।
8. पॉल ताँ नएर, टू अंडर टड ईच अदर (अटलांटा, जीए. : जॉन नॉ स ेस, 1962), पृ -30 से उ धृत।
अ याय 3
1. नॉमन क ज़ंस, ूामन ऑ शंस ( यूयॉक : नॉटन, 1981), पृ -46, 47 से उ धृत।
अ याय 4
1. सेनेसा, टेलर का डवेल क द िलसनर ( यूयॉक : बटम, 1960), पृ -6 से उ धृत। 2. पिस वेिनया लॉ
इनफोसमट जनल म मूल प से कािशत।
3. “आच बंकर,'' थॉमस बैनिवले क हाऊ टू बी हड (िशकागो : ने सन-हॉल,1978), पृ -67 से उ धृत।
4. िविलयम शे सिपयर, अल कोली क िलस नंग एज़ ए वे ऑफ िबक मंग (वैको, टे सास : रजसी, 1977),
पृ -116 से उ धृत।
5. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956) पृ -21 से उ धृत।
6. जोसेफ़ टी. बेयली, द ला ट थंग वी टॉक अबाउट (एि जन, इिलनॉइस : डी. सी. कू क, 1969), पृ -40-41 से
उ धृत।
अ याय 5
1. माक वेन, राइट बेटर, पीक बेटर ( यूयॉक : रीडस डाइजे ट एसोिसएशन, 1977), पृ -386 से उ धृत।
2. जॉन गॉटमैन, ए कप स गाइड टु क युिनके शन (कै पेन, III.: रसच ेस, 1977), पृ -19 से उ धृत।
3. काल रोजस, “क युिनके शन : इट् स लॉ कं ग एंड फे िसिलटेशन,'' इटीसी : ए र ू ऑफ जनरल िसम ट स 9,
. 2 ; इं टरनेशनल सोसायटी ऑफ जनरल िसम ट स के कॉपीराइट 1952 के तहत।
4. आईिबड।
5. माक वेन, द क पलीट शॉट टोरीज़ ऑफ़ माक वेन चा स नाइडर, ईडी. ( यूयॉक : डबलडे, 1957) के ''बक
फै नशॉज़ यूनरल'' के पृ -73 से उ धृत।
अ याय 6
1. वडेल जॉ सन, योर मो ट इनचां टड िलसनर ( यूयॉक : हापर एंड रो, 1956), पृ -193 से उ धृत।
2. पाम बीच पो ट, माच 5, 1979, पृ -सी-3 से उ धृत।
3. हैरी लॉरे न और जेरी लुकास, द मेमोरी बुक ( ायरि लफ़ मैनर, यूयॉक : टीनएंड डे, 1974), पृ -67-68 से
उ धृत।
अ याय 7
1. जॉन हॉ ट, हाऊ िच न फ़े ल ( यूयॉक : डे टा, 1964), पृ -34 से उ धृत।
2. आरन हास, टीनेज से सुअिलटी - ए सव ऑफ़ टीनेज से सुअल िबहैिवयर ( यूयॉक : मैक्िमलन, 1981) से
पाम बीच पो ट के 19 जनवरी, 1980 अंक के पृ -ए-14 से उ धृत।
3. अ ाहम मे लोब, टू वड अ सायकोलॉजी ऑफ बीइं ग ( यूयॉक : वैन/नो ड रे नहो ड, 1968), पृ -106 से
उ धृत।
4. लेज पा कल, ड यू. एफ़. ॉटर ( यूयॉक : वॉ शंगटन े यर ेस, 1965) ारा अनुवा दत पसीस : थॉ स
ऑन रलीजन एंड अदर स जे स के पृ -137 से उ धृत।
अ याय 8
1. हैम जी. िगनोट, िबटिवन पैरट एंड चाइ ड ( यूयॉक : मैक्िमलन, 1965) पृ -21 से उ धृत।
2. ड यू. िल वंग टोन लानड, डेल कानगी क हाऊ टू िवन स एंड इ लूएंस पीपल ( यूयॉक पॉके ट बु स,
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3. एस.आई. हयाकावा, िस बॉल, टेट्स एंड पसनैिलटी ( यूयॉक : हारकोट, बेस एंडव ड, 1963) पृ -47 से
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