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CBSE

अतिरिक्त अभ्यास पत्र – अंक योजना


तिषय : त ंदी (कोड-002)
कक्षा : X | सत्र : 2023-24

खं ड ‘अ’ िस्िपु िक प्रश्न


प्र.सं . उत्ति अ ंक
1.1 (d) दृढ़ इच्छाशतक्त के 1
1.2 (c) सफलिा 1
1.3 (d) म लक्ष्य को लेकि कोतशश कििे ि ेंगे 1
1.4 (b) कथन (क) स ी औि कथन (ख) गलि ै। 1
1.5 (b) भाग्यिाद छोडें औि कममिाद अपनाएँ 1
2.1 (b) बारिश 1
2.2 (d) कथन (A) स ी ै औि कािण (R) उसकी गलि व्याख्या ै। 1
2.3 (b) तबजली की पििों की 1
2.4 (d) बादलों के आगमन से प्रकृ ति के उत्सा 1
2.5 (d) मानिीकिण 1
3.1 (c) के िल (क) औि (ख) 1
3.2 (c) (क)-(iii), (ख)-(i), (ग)-(ii) 1
3.3 (d) कथन (क) सिल औि कथन (ख) तमश्र िाक्य ै। 1
3.4 (a) (क) औि, (ख) ज्यों, त्यों 1
3.5 (d) लेतकन 1
4.1 (a) कमम की प्रधानिा, किाम अनुपतस्थि 1
4.2 (d) किाम के साथ 'से', 'के द्वािा' पिसगों का प्रयोग ोिा ै। 1
4.3 (b) (क) किृमिाच्य का उदा िण ै। (ख) उसका कममिाच्य में रूपािं िण ै। 1
4.4 (a) (क) किृमिाच्य, (ख) कममिाच्य 1
4.5 (a) के िल (क) औि (ख) स ी ै। 1
5.1 (b) झटपट 1
5.2 (b) अकममक तिया, स्त्रीतलगं , एकिचन, भिू काल 1
5.3 (a) अतनतिि परिमाणिाचक, तमठाई, स्त्रीतलंग 1
5.4 (a) मध्यम परुु षिाचक सिमनाम, पतु ्लंग, ब ुिचन, कमम कािक 1
5.5 (d) ब ुि 1
6.1 (d) कथन (A) औि कािण (R) दोनों स ी ैं। 1
6.2 (d) (क)-(iii), (ख)-(i), (ग)-(ii) 1
6.3 (d) अतिशयोतक्त 1
6.4 (d) जड पदाथों पि मानिीय तियाएँ किने का आिोप लगाने पि मानिीकिण अलंकाि ोिा ै। 1
6.5 (b) (क) औि (ख) में उत्प्रेक्षा औि (ग) में मानिीकिण अलंकाि ै। 1
7.1 (d) उन् ें चश्मे के फ्रेम बदलने का कािण जानने की तजज्ञासा थी। 1
7.2 (d) उनके तलए तजज्ञासा पि तनयंत्रण किना कतठन ो गया था 1
7.3 (a) शािीरिक गठन, भाि-भंतगमाओ ं 1
7.4 (b) पानिाला आधा-अधिू ा उत्ति दे ि ा था 1
7.5 (c) कथन (क), (ख) स ी ैं तकंिु (ग) गलि ै। 1
8.1 (c) खानदानी िईसों का ढगं 1
8.2 (c) कथन (क) स ी ै औि कथन (ख) उसकी स ी व्याख्या ै। 1
9.1 (d) क्षतत्रयों का सं ाि किने िाले 1
9.2 (d) लक्ष्मण को बालक समझने 1
9.3 (c) कथन (क) गलि औि कथन (ख) स ी ै। 1
9.4 (c) धनुष ाथ लगािे ी टूट गया था 1
9.5 (d) लक्ष्मण को डिाने के तलए 1
10.1 (c) के िल कथन (क) औि (ग) स ी ै। 1
10.2 (c) मुख्य गायक 1

िणाम त् मक प्रश्न
ि.सं. प्रश्न अ ंक
11.1 (1) तनयतमि रूप से कबीि मठ जाना 2.0
(2) कबीि के पदों को मेशा गािे ि ना
(3) कथनी औि किनी में अिं ि न ीं किना
(4) सादा औि सिल जीिन जीना
(5) पत्रु की मौि पि भी तिचतलि न ीं ोना
(6) कममकाडं को न मानना
(7) पिो ू को दसू िी शादी कि घि बसाने के तलए क ना
(8) मेशा सच बोलना औि दसू िों से बतढ़या व्यि ाि किना

तकन् ीं दो तबदं ओ
ु ं के तलखने पि 2 अकं दें।
11.2 (क) व्यतक्त का नाम, जैसे- मेिी नानी 2.0
(ख) कािण-
1. िे कभी तकसी पि गुस्सा न ीं कििी ैं।
2. कतठन परितस्थतियों में भी डटी ि िी ैं।
3. िे ब ुि सेिाभाि से काम कििी ैं।

नाम तलखने पि 1 अकं औि दो कािण तलखने पि प्रत्येक कािण के तलए 0.5 अकं दें।
11.3 (1) मानि जीिन का तचंिन औि कलात्मक सृजन ी संस्कृ ति ै। 2.0
(2) ि सामर्थयम, प्रिृतत्त औि प्रेिणा जो म अपने पिु खों से अकस्माि प्राप्त कििे ैं, उसे सास्ं कृ तिक तििासि क िे ैं।

प्रत्येक स ी तबदं ु के तलए 1 अकं दें।

11.4 (1) पाँच िक्त नमाज़ पढ़ना औि सच्चा सुि पाने की प्राथमना किना 2.0
(2) त िन की िि अपनी खूबी से अनजान ोना/तिनम्र ोना/ खुद को म ान न समझना

इस प्रकाि का उत्ति तलखने पि 2 अकं दें।


12.1 (1) छल औि कपटपणू म व्यि ाि 2.0
(2) श्रीकृ ष्ण स्ियं न ीं आकि ब्रज की यिु तियों को उद्धि के माध्यम से योग-साधना का सदं शे तभजिा ि े ैं।
12.2 (1) मुख्य गायक - मुख्य गायक की चट्टान जैसी भािी गंभीि आिाज़ का ोना/बलु ंद आिाज़ ोना/आिाज़ में 1.0
आत्मतिश्वास ोना

इनमें से कोई भी एक स ी तिशेषिा तलखने पि 1 अकं दें।

(2) संगिकाि - संगिकाि की मधुि तकंिु काँपिी ुई आिाज़ का ोना/आिाज़ में आत्मतिश्वास की कमी ोना/आिाज़
1.0
में मधुििा ोना

इनमें से कोई भी एक स ी तिशेषिा तलखने पि 1 अकं दें।


12.3 (क) ाँ- तशशु से सभी का प्रेम ोना/उनकी भाि-भतं गमाओ ं का स्िाभातिक रूप से सदुं ि िणमन किना 2.0
(ख) ना- अपरितचि के पास आने से अनथम की आशंका/अनािश्यक प्रशंसा से अतनष्ट का संद े /अपरितचि की मंशा पि
अतिश्वास/ििममान प्रतिकूल परितस्थतियाँ

इस प्रकाि ' ाँ' या 'ना' का िकम सत ि कािण तलखने पि 2 अकं दें।


12.4 (1) िसंि ऋिु पि 2.0
(2) िे -भिे पेड, फूल औि रियाली के कािण सब कुछ िंगीन औि आकषमक लगना

प्रत्येक स ी तबदं ु के तलए 1 अकं दें।


13.1 (1) ईश्वि भक्त - भतक्त-भािना से ओि-प्रोि ोना 4.0
(2) सेिा भाि - मूक प्रातणयों की सेिा किना
(3) कायम के प्रति तनष्ठा - कायों को तनष्ठा के साथ किना, जैसे- कागज़ के 500 टुकडे बनाना, िाम नाम तलखना, मछतलयों
को तखलाना आतद।
(4) स्ने ी तपिा - अतधकिि समय भोलानाथ के साथ व्यिीि किना

प्रत्येक स ी तबदं ु के तलए 1 अकं दें। अन्य स ी उत्ति पि भी तिचाि किें ।


13.2 (क) स ी तमलान- (क)-(iii), (ख)-(i), (ग)-(ii) 1.0

स ी तमलान किने पि 1 अकं दें।


िाक्य
(क) धििी पि इिना सुंदि नज़ािा देखना तक मानो िािों से भिा आकाश धििी पि आ गया ो औि िािे तटमतटमा ि े ों। 3.0
(ख) प्रेयि व् ील के बािे में लोगों की मान्यिाओ ं को सुनकि तिज्ञान की प्रगति से ििममान अधं तिश्वासों को जोडना।
(ग) आकाश में अचानक छाने िाले बादलों के कािण सभी नज़ािों का बादलमय ोकि गायब ो जाना

प्रत्येक तबदं ु के तलए स ी िाक्य तलखने पि 1 अकं दें। अन्य स ी उत्ति पि भी तिचाि किें ।
13.3 (क) कृ ति का अथम- िटस्थ ोकि तलखने का भीििी आनंद/लेखन के बाद प्राप्त ोने िाला आत्म संिोष 1.0

स ी उत्ति तलखने पि 1 अकं दें।

(क) संपादक के क ने पि अपनी लेखनी चलाने िाले लेखक 3.0


(ख) प्रकाशकों की माँग के आधाि पि उनकी सामग्री के तबिी के उद्देश्य की पतू िम ेिु तलखने िाले लेखक
(ग) अपनी आय के साधन के रूप में तकसी के अधीन कायमिि लेखक

प्रत्येक स ी तबदं ु के तलए 1 अकं दें।


14 तिषयिस्िु 3.0
(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-संबद्ध िणमन -तििेचन) [1]
(2) मौतलकिा (सृजनात्मकिा के साथ प्रभािपणू म भाषा िथा लेखन-शैली का स्िाभातिक रूप से प्रयोग किना) [1]
(3) सीतमि शब्दों में तिषय के सभी पक्षों को संयोतजि किना [0.5]
(4) शब्द-सीमा का पालन [0.5]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

प्रस्िुति 2.0
(1) िमबद्धिा (तिचािों को िमबद्ध एि ं िकम संगि तितध से प्रकट किना) [1]
(2) भूतमका िथा तनष्कषम का ोना [1]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

भाषाई शुद्धिा 1.0


(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (शब्दों की शुद्ध ििमनी का प्रयोग) [0.5]

पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।
15.1 प्रारूप 2.0
औपचारिक पत्र के सभी अगं सुतनतिि किना
• तदनाकं एि ं तिषय-सक ं े ि [0.25]
• प्रेषक का पिा [0.25]
• प्राप्तकिाम का पिा [0.25]
• संबोधन [0.25]
• भतू मका िथा तनष्कषम का ोना [0.1]
ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं ।

तिषयिस्िु 2.0
• तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-सबं द्ध िणमन-तििेचन) [0.5]
• सभी अगं ों का स ी िम सुतनतिि किना [0.25]
• भूतमका िथा समापन का ोना [0.25]
• िमबद्धिा (तिचािों को िमबद्ध एि ं िकम संगि तितध से प्रकट किना) [0.5]
• तिचािों को औपचारिक शब्दों में प्रस्ििु किना [0.25]
• शब्द-सीमा का पालन [0.25]
ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं ।

भाषाई शुद्धिा 1.0

• व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
• ििमनी (शब्दों की शुद्ध ििमनी का प्रयोग) [0.5]
पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

15.2 प्रारूप 1.0


(1) अनौपचारिक पत्र के सभी अगं सुतनतिि किना [1]
• तदनाकं [0.25]
• प्रेषक का नाम औि पिा [0.25]
• प्राप्तकिाम का नाम औि पिा [0.25]
• संबोधन एि ं अतभिादन [0.25]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

तिषयिस्िु 3.0
(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-संबद्ध िणमन -तििेचन) [1]
(2) सभी अगं ों का स ी िम सुतनतिि किना [0.5]
(3) िमबद्धिा (तिचािों को िमबद्ध एि ं िकम सगं ि तितध से प्रकट किना) [1]
(4) शब्द-सीमा का पालन [0.5]
ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

भाषाई शुद्धिा 1.0


(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (परितचि औि अपरितचि शब्दों की शुद्ध ििमनी का उतचि प्रयोग) [0.5]

पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

16.1 प्रारूप 1.0


(1) प्रेषक औि प्राप्तकिाम का पिा [0.25]
(2) तदनाकं एि ं तिषय-सक ं े ि [0.25]
(3) तितिध सूचनाओ ं का िमबद्ध प्रिा [0.25]
(4) संबोधन एि ं औपचारिक समापन [0.25]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

तिषयिस्िु 3.0
(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-संबद्ध िणमन -तििेचन) [0.5]
(2) तिज्ञापन के आधाि पि तिज्ञातपि पद के तलए स्ियं को योग्य तसद्ध किने का सामर्थयम [0.5]
(3) ईमानदाि, स्पष्ट औि व्यितस्थि तिििण (व्यतक्तगि परिचय, पिा, संपकम सूत्र, टेलीफोन, मोबाइल, ई-मेल, शैक्षतणक
ि व्यािसाितयक योग्यिाओ ं का तिििण, अन्य संबतं धि योग्यिाओ,ं तिशेष उपलतब्धयों का तिििण, उद्घोषणा) [0.5]
(4) उम्मीदिाि पद औि संस्थान के प्रति गंभीििा औि अतभरुतच [0.5]
(5) तिचािों को औपचारिक शब्दों में प्रस्िुि किना [0.5]
(6) शब्द-सीमा का पालन [0.5]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

भाषाई शुद्धिा 1.0


(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (शब्दों की शुद्ध ििमनी का प्रयोग) [0.5]

पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

16.2 प्रारूप 2.0


औपचारिक ई-मेल के सभी अगं सतु नतिि किना

(1) प्रेषक का ई-मेल पिा [0.25]


(2) प्राप्तकिाम का ई-मेल पिा [0.25]
(3) सीसी या बीसीसी पिा [0.25]
(4) तिषय-संकेि [0.05]
(5) संबोधन [0.25]
(6) समापन औि स्िाक्षि [0.25]
(7) अटैचमेंट/सल ं ग्न [0.25]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।
2.0
तिषयिस्िु

(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-सम्बद्ध िणमन -तििेचन) [0.5]
(2) सभी अगं ों का स ी िम सुतनतिि किना [0.25]
(3) भूतमका िथा समापन का ोना [0.25]
(4) िमबद्धिा (तिचािों को िमबद्ध एि ं िकम संगि तितध से प्रकट किना) [0.5]
(5) तिचािों को औपचारिक शब्दों में प्रस्ििु किना [0.25]
(6) शब्द-सीमा का पालन [0.25]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं। 1.0

भाषाई शुद्धिा

(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (शब्दों की शुद्ध ििमनी का प्रयोग) [0.5]
पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

17.1 तिषयिस्िु 1.5


(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-संबद्ध िणमन -तििेचन) [0.5]
(2) पणू िम ा (सीतमि शब्दों में तिज्ञापन के सभी पक्षों को संयोतजि किना- क्या/कौन/कब/क्यों आतद।) [0.5]
(3) लुभािनी, आकषमक ि प्रेिक भाषा का प्रयोग [0.25]
(4) शब्द-सीमा का पालन [0.25]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

प्रस्िु त ि 1.5
(1) तिज्ञातपि िस्िु का नाम [0.25]
(2) तिज्ञातपि िस्िु के गुण [0.5]
(3) संपकम ेिु सूचना (फ़ोन नंबि आतद) [0.25]
(4) सृजनात्मकिा [0.5]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

भाषाई शुद्धिा 1.0


(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (शब्दों की शुद्ध ििमनी का प्रयोग) [0.5]

पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

17.2 तिषयिस्िु 1.0


(1) तिषय कें द्रीयिा (अनािश्यक बािें न किके के िल तिषय-संबद्ध िणमन -तििेचन) [1]
• सिल भाषा का प्रयोग एि ं सािगतभमिा [0.5]
• शब्द-सीमा का पालन [0.5]
ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

प्रस्िुति 2.0
(1) संदशे को आकषमक ढंग से प्रस्िुि किना िथा सभी अगं ों का उतचि जग ोना [1]
• तितथ एि ं समय [0.25]
• संदशे लेखक का नाम ि पद [0.25]
• तिषय-संकेि [0.25]
• अतभिादन [0.25]
(2) सृजनात्मकिा एि ं मौतलकिा [0.5]
(3) तिषयानुकूल दो े, िुकािं पदों, श्लोक, िचनात्मक पतं क्तयों का प्रयोग [0.5]
ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ पिू ी ोिी ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद दी गई अपेक्षाओ ं में सुधाि की आिश्यकिा ै।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद दी गई अपेक्षाएँ तबलकुल पिू ी न ीं ोिी ैं।

भाषाई शुद्धिा 1.0


(1) व्याकिण (व्याकिण सम्मि भाषा िथा तििाम तचह्नों का उतचि प्रयोग) [0.5]
(2) ििमनी (शब्दों की शद्ध
ु ििमनी का प्रयोग) [0.5]

ि मापदडं के तलए पिू े अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि के िल 1-2 त्रुतटयाँ ैं।
ि मापदडं के तलए आधे अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 3-5 त्रुतटयाँ ैं।
ि मापदडं के तलए शून्य अकं दें यतद व्याकिण औि ििमनी को तमलाकि 5 से अतधक त्रुतटयाँ ैं।

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