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HindiCourseA MS
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विषय- ह द
िं ी 'अ' (कोड-002)
कक्षा-10, अिंक-योजना
सामान्य तनदे र् :
(1) इस अंक योजना का उद्दे श्य मूलयांकन को अधिकाधिक वस्तनु नष्ठ बनाना है । इस प्रश्नपत्र में वस्तुपरक एवं
वर्णनात्मक प्रश्न हैं। अत: अंक योजना में ददए गए वर्णनात्मक प्रश्नों के उत्तर-बबंद ु अंनतम नह ं हैं। ये सझ
ु ावात्मक
(4) गुर्वत्तापूर्,ण सि क उत्तर पर शत प्रनतशत अंक दे ने में ककसी प्रकार का संकोच न ककया जाए।
(5) मल
ू यांकन में 0 से 100 प्रनतशत अंकों का पैमाना स्वीकायण है ।
(6) मूलयांकन कायण ननजी व्याख्या के अनुसार नह ं, बल्लक अंक योजना में ददए गए ननदे शानुसार ह ककया जाए।
(2) (घ) जीवन व जीवन के बाद िी आदशण रूप में स्मरर् ककया जाना। 1 अंक
(3) (ग) जझ
ु ारू बनकर स्वयं ह जीवन के दख
ु दरू ककए जा सकते हैं। 1 अंक
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अथिा
(4) (ख) ईश्वर पर ववश्वास, ककं तु फ़सि की कुशिता को िेकर मन आशंककत रहना 1 अंक
(5) (घ) कर्थन (A) सह है , ककं तु कारर् (R) कर्थन (A) की सह व्याख्या नह ं है । 1 अंक
प्रश्न 3. 'िचना के आर्ाि पि िाक्य भेद' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि 1×4=4
प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि
(3) (ख) आप आवाज़ उठाएँगे, तो सिी आपके सार्थ खडे हो जाएँगे। 1 अंक
प्रश्न 4. 'िाच्य' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि 1×4=4
प्रश्न 5. 'पद परिचय' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति 1×4=4
अपेक्षक्षि
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प्रश्न 6. 'अलिंकाि' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि 1×4=4
प्रश्न 7. पहिि गदयािंर् पि आर्ारिि ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयुक्ि विकल्प अपेक्षक्षि 1×5=5
(1) (ख) दे शिक्तों का मज़ाक उडाने वाि बबकाऊ कौम को दे खकर 1 अंक
(2) (घ) यह ववद्वानों, किा-ममणज्ञों, किाकारों, स्नेह व सद्िावना की पावन स्र्थि है 1 अंक
(2) (घ) गायक का कंठ कमज़ोर होने तर्था प्रेरर्ा व उत्साह में धगरावि आने पर 1 अंक
(3) (ग) ककसी की सफिता में ननस्स्वार्थण सहयोग करने की िावना का 1 अंक
(5) (ग) स्वयं को ववभशष्ि न बनाकर प्रिान गायक की ववभशष्िता बढ़ाने से 1 अंक
(2) (घ) गोवपयों का ज्ञान मागण के स्र्थान पर प्रेम मागण को पसंद करना 1 अंक
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खिंड-ख (िर्शनात्मक प्रश्नों के सिंभाविि सिंकेि एििं िचनात्मक लेखन पि आर्ारिि प्रश्नों के
मूल्यािंकन बबिंद)ु
प्रश्न 11. गदय पािों पि आर्ारिि चाि प्रश्नों में से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्ति लगभग (2x3=6)
25-30 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप दो या िीन बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)
(क) ∙सकारात्मक सनक का अर्थण है - ककसी कायण की िुन का पक्का होना और िगन, मेहनत 2 अंक
तर्था ईमानदार से उसे परू ा करने के भिए परू तरह जि
ु कर प्रयास करना। जैस-े
वैज्ञाननक, महापरु
ु ष, आज़ाद के मतवािे िांनतकार , सामाल्जक बुराइयों को समि
ू नष्ि
करने की ठानने वािे समाज सुिारक।
∙ पहाड कािकर रास्ता बनाने वािे दशरर्थ माँझी जैसे सकारात्मक सनक वािे व्यल्क्तयों
के उदाहरर्…
(ख) महानगरों की ‘फ़्िैि–कलचर’में जीवन केवि अपने तक सीभमत हो गया है, यहाँ 2 अंक
एकाकीपन वप्रय होता जा रहा है , ककसी को ककसी से कोई मतिब नह ं है , ऐसा जीवन
असहाय और असुरक्षक्षत होता है । इसके ववपर त परं परागत ‘पडोस कलचर’ में घर की
द वारें पडोस तक फैि हुई र्थीं अर्थाणत जीवन केवि अपने तक भसमिा हुआ नह ं र्था।
सब अपनत्व के बंिन में बँिे र्थे, ऐसा जीवन अधिक आनंदपूर्ण व सुरक्षक्षत र्था।
(ग) मांगभिक अवसरों पर वातावरर् में पववत्रता व आनंद िरने के भिए वाद्ययंत्रों से बजाई 2 अंक
बबल्स्मलिा खाँ ने अपनी सािना से शहनाई को साि भिया र्था। तन्मयता के सार्थ
शहनाई बजाकर वातावरर् को मंगिपूररत करने में उन्हें महारर्थ हाभसि र्थी। इन
(घ) ‘संस्कृत व्यल्क्त’ वह होता है , ल्जसमें अपनी बुद्धि तर्था योग्यता के बि पर कुछ नया 2 अंक
आववष्कार ककया। इस आिार पर न्यूिन संस्कृत मानव भसद्ि होते हैं क्योंकक उन्होंने
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प्रश्न 12. पदय पािों पि आर्ारिि चाि प्रश्नों में से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्ति लगभग (2x3=6)
25-30 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप दो या िीन बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)
(क) िोि से बात और अधिक बबगडने की संिावना रहती है । िोिी व्यल्क्त का वार्ी पर 2 अंक
न रखकर उन्हें कठोर उत्तर ददए, यदद श्रीराम की ववनम्रता बीच में न होती, तो न जाने
(ख) 'उत्साह' कववता में कवव ने बादि से फुहार, ररमखझम तर्था बरसने के स्र्थान पर गरजने 2 अंक
जब नवीन पररवतणन िाना हो, तो ‘गजणन’ यानी ववद्रोह और िांनत की आवश्यकता होती
(ग) ‘वपघिकर जि बन गया होगा कदठन पाषार्।’यह पंल्क्त 'एक दं तुररत मुसकान' कववता 2 अंक
(घ) आत्मकर्था भिखने की भिए व्यल्क्तत्व की ववशािता के सार्थ-सार्थ सच्चाई, साहस और 2 अंक
महानता के कारर् वे स्वयं के जीवन को आत्मकर्था भिखने योग्य नह ं मानते र्थे, उन्हें
िगता र्था कक अिी उन्होंने इतने बडे कायण नह ं ककए हैं कक उनकी आत्मकर्था में िोगों
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प्रश्न 13. पूिक पाठ्यपस्
ु िक के पािों पि आर्ारिि िीन प्रश्नों में से ककन् ीिं दो प्रश्नों के उत्ति (4x2=8)
लगभग 50-60 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप चाि या पााँच बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)
(ख) िीतर वववशता िेखन के भिए मजबूर करती है , जो आंतररक अनुिनू त से उत्पन्न होती 4 अंक
है । ककसी घिना ववशेष का अनुिव जब घनीिूत होता है , तब मन में संवेदनशीिता
अकुिाती है और यह अकुिाहि अभिव्यल्क्त का आिार बनती है । अनि
ु व, आंतररक
अनुिूनत, वववशता, संवेदना के बाद पष्ृ ठों पर कुछ उतरता है , बाहर दबाव की अपेक्षा
िेखन के भिए आंतररक अनुिूनत कह ं अधिक प्रिावी है । िेखक ने दहरोभशमा की
वविीवषका को पत्र्थर पर उतर मनष्ु य की छाया से महसस
ू ककया और इसी अनुिनू त के
घनीिूत होते ह दहरोभशमा पर कववता भिख द ।
(ग) बढ़ती उपिोक्तावाद सोच, एकि पररवार को प्रार्थभमकता, वैयल्क्तकता का प्रिाववत 4 अंक
होना, संवेदनशीिता में कमी आना आदद माता-वपता को दरू रखने के प्रमख
ु कारर् हैं।
ऐसे िोगों को िावात्मक रूप से समझाने की आवश्यकता है , उन्हें यह कहकर समझाया
जा सकता है कक जैसा वे अपने माता-वपता के सार्थ कर रहे हैं, वैसा कि उनके सार्थ िी
हो सकता है । वे वद्
ृ िाश्रम िेजने से पूवण माता-वपता के स्र्थान पर स्वयं को रखकर दे खें।
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प्रश्न 15. ददए गए दो औपचाररक व अनौपचाररक पत्रों में से ककसी एक ववषय पर 100 शब्दों में 5×1=5
पत्र िेखन (औपचाररक व अनौपचाररक पत्र हे तु मल
ू यांकन बबंद)ु
आरं ि व अंत की औपचाररकताएँ 1 अंक
ववषयवस्तु 2 अंक
िाषा 1 अंक
प्रस्तुनत 1 अंक
प्रश्न 17. ददए गए ववज्ञापन िेखन व संदेश िेखन में से ककसी एक ववषय पर 60 शब्दों में िेखन 4×1=4
(ववज्ञापन िेखन व संदेश िेखन हे तु मूलयांकन बबंद)ु
ववषयवस्तु 2 अंक
िाषा 1 अंक
प्रस्तुनत 1 अंक
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