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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र, 2022-23

विषय- ह द
िं ी 'अ' (कोड-002)

कक्षा-10, अिंक-योजना

तनर्ाशरिि समय : 3 घिंटे पर्


ू ाांक : 80

सामान्य तनदे र् :

(1) इस अंक योजना का उद्दे श्य मूलयांकन को अधिकाधिक वस्तनु नष्ठ बनाना है । इस प्रश्नपत्र में वस्तुपरक एवं

वर्णनात्मक प्रश्न हैं। अत: अंक योजना में ददए गए वर्णनात्मक प्रश्नों के उत्तर-बबंद ु अंनतम नह ं हैं। ये सझ
ु ावात्मक

एवं सांकेनतक हैं।

(2) यदद पर क्षार्थी इन सांकेनतक बबंदओ


ु ं से भिन्न, ककं तु उपयुक्त उत्तर दें , तो उन्हें अंक ददए जाएँ।

(3) समान त्रुदियों के भिए स्र्थान-स्र्थान पर अंक न कािे जाएँ।

(4) गुर्वत्तापूर्,ण सि क उत्तर पर शत प्रनतशत अंक दे ने में ककसी प्रकार का संकोच न ककया जाए।

(5) मल
ू यांकन में 0 से 100 प्रनतशत अंकों का पैमाना स्वीकायण है ।

(6) मूलयांकन कायण ननजी व्याख्या के अनुसार नह ं, बल्लक अंक योजना में ददए गए ननदे शानुसार ह ककया जाए।

खिंड-क (िस्िुपिक/ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयक्


ु ि उत्ति)

प्र.क्रम. सिं. उत्ति अिंक विभाजन

प्रश्न 1. अपहिि गदयािंर् पि आर्ारिि ब ु विकल्पी प्रश्न 1×5=5

(1) (क) कर्थन i सह है। 1 अंक


(2) (घ) बनावि व सजावि से 1 अंक
(3) (क) ननजी जीवन व एकांनतकता में 1 अंक
(4) (ख) आिार 1 अंक
(5) (ग) कर्थन (A) सह है और कारर् (R) कर्थन (A) की सह व्याख्या करता है । 1 अंक

प्रश्न 2. अपहिि पदयािंर् पि आर्ारिि ब ु विकल्पी प्रश्न 1×5=5

(1) (ग) कर्थन i, iii व iv सह हैं। 1 अंक

(2) (घ) जीवन व जीवन के बाद िी आदशण रूप में स्मरर् ककया जाना। 1 अंक

(3) (ग) जझ
ु ारू बनकर स्वयं ह जीवन के दख
ु दरू ककए जा सकते हैं। 1 अंक

(4) (घ) अपनी दब


ु ि
ण ताओं की अनदे खी न करके उन्हें दृढ़ता से दरू करना। 1 अंक

(5) (ख) कर्थन i व iv सह हैं। 1 अंक

1|Page
अथिा

(1) (ग) कर्थन ii व iv सह हैं। 1 अंक

(2) (ख) अनत आवश्यक कायण एवं मन के िावात्मक सपने 1 अंक

(3) (ग) फ़सि की कुशिता हे तु मन ह मन ईश्वर से प्रार्थणना करना 1 अंक

(4) (ख) ईश्वर पर ववश्वास, ककं तु फ़सि की कुशिता को िेकर मन आशंककत रहना 1 अंक

(5) (घ) कर्थन (A) सह है , ककं तु कारर् (R) कर्थन (A) की सह व्याख्या नह ं है । 1 अंक

प्रश्न 3. 'िचना के आर्ाि पि िाक्य भेद' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि 1×4=4
प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि

(1) (क) तुम और मैं दोनों ह वहाँ नह ं जा सके। 1 अंक

(2) (ख) सूयोदय होता है और प्रकृनत का सौंदयण खखि उठता है । 1 अंक

(3) (ख) आप आवाज़ उठाएँगे, तो सिी आपके सार्थ खडे हो जाएँगे। 1 अंक

(4) (घ) कर्थन i, ii, iii व iv सह हैं। 1 अंक

(5) (ख) 1-ii, 2-iii, 3-i 1 अंक

प्रश्न 4. 'िाच्य' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि 1×4=4

(1) (क) 1-ii, 2-i, 3-iii 1 अंक

(2) (ख) रवीना से ग़ज़ि नह ं गाई जाती है । 1 अंक

(3) (क) चिो, अब घर चिें। 1 अंक

(4) (ग) दाद जी से पढ़ा नह ं जा सकता। 1 अंक

(5) (ख) बबना सहारे बढ़


ू माँ अब चि नह ं पाती हैं। 1 अंक

प्रश्न 5. 'पद परिचय' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति 1×4=4
अपेक्षक्षि

(1) (क) िाववाचक संज्ञा, स्त्रीभिंग, एकवचन, कताण कारक। 1 अंक

(2) (क) र नतवाचक कियाववशेषर्, ववशेष्य किया-मारे । 1 अंक

(3) (ख) सावणनाभमक ववशेषर्, ववशेष्य- पस्


ु तक। 1 अंक

(4) (ख) सकमणक किया, कमण-पान, सामान्य िूतकाि, कतव


ण ृ ाच्य। 1 अंक

(5) (ग) पहिा कुछ- अननल्श्चत संख्यावाचक ववशेषर्, दस


ू रा कुछ-अननश्चयवाचक सवणनाम। 1 अंक

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प्रश्न 6. 'अलिंकाि' पि आर्ारिि पााँच ब ु विकल्पी प्रश्नों में से ककन् ीिं चाि प्रश्नों के उत्ति अपेक्षक्षि 1×4=4

(1) (क) श्िेष 1 अंक

(2) (ख) उत्प्रेक्षा 1 अंक

(3) (घ) अनतशयोल्क्त 1 अंक

(4) (ग) मानवीकरर् 1 अंक

(5) (ख) उत्प्रेक्षा 1 अंक

प्रश्न 7. पहिि गदयािंर् पि आर्ारिि ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयुक्ि विकल्प अपेक्षक्षि 1×5=5

(1) (ख) दे शिक्तों का मज़ाक उडाने वाि बबकाऊ कौम को दे खकर 1 अंक

(2) (ग) मनू तणकार मास्िर की िि


ू और कैप्िन की मत्ृ यु के कारर् 1 अंक

(3) (ग) चौराहे पर आते ह स्विावतः मूनतण की ओर उठ गईं 1 अंक

(4) (ख) नेता जी की मूनतण पर सरकंडे का चश्मा िगा दे खकर 1 अंक

(5) (ग) दे शिक्तों के प्रनत श्रद्िा व सम्मान का 1 अंक

प्रश्न 8. गदय पािों पि आर्ारिि दो ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयक्


ु ि विकल्प अपेक्षक्षि 1×2=2

(1) (ग) साल्त्वक गह


ृ स्र्थ जीवन, सत्यवाददता, शुद्ि व्यवहार, कबीर दशणन से सल्जजत आत्मा 1 अंक

(2) (घ) यह ववद्वानों, किा-ममणज्ञों, किाकारों, स्नेह व सद्िावना की पावन स्र्थि है 1 अंक

प्रश्न 9. पहिि पदयािंर् पि आर्ारिि ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयक्


ु ि विकल्प अपेक्षक्षि 1×5=5

(1) (ख) प्रिान गायक के भिए 1 अंक

(2) (घ) गायक का कंठ कमज़ोर होने तर्था प्रेरर्ा व उत्साह में धगरावि आने पर 1 अंक

(3) (ग) ककसी की सफिता में ननस्स्वार्थण सहयोग करने की िावना का 1 अंक

(4) (ख) उसे यह संदेश दे ने के भिए कक वह स्वयं को अकेिा न समझे 1 अंक

(5) (ग) स्वयं को ववभशष्ि न बनाकर प्रिान गायक की ववभशष्िता बढ़ाने से 1 अंक

प्रश्न 10. पदय पािों पि आर्ारिि दो ब ु विकल्पी प्रश्नों के सिाशधर्क उपयक्


ु ि विकल्प अपेक्षक्षि 1×2=2

(1) (ग) कृवष संस्कृनत से ननकिता, प्रकृनत एवं मनष्ु य के सहयोग से सज


ृ न 1 अंक

(2) (घ) गोवपयों का ज्ञान मागण के स्र्थान पर प्रेम मागण को पसंद करना 1 अंक

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खिंड-ख (िर्शनात्मक प्रश्नों के सिंभाविि सिंकेि एििं िचनात्मक लेखन पि आर्ारिि प्रश्नों के
मूल्यािंकन बबिंद)ु

प्रश्न 11. गदय पािों पि आर्ारिि चाि प्रश्नों में से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्ति लगभग (2x3=6)
25-30 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप दो या िीन बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)
(क) ∙सकारात्मक सनक का अर्थण है - ककसी कायण की िुन का पक्का होना और िगन, मेहनत 2 अंक
तर्था ईमानदार से उसे परू ा करने के भिए परू तरह जि
ु कर प्रयास करना। जैस-े
वैज्ञाननक, महापरु
ु ष, आज़ाद के मतवािे िांनतकार , सामाल्जक बुराइयों को समि
ू नष्ि
करने की ठानने वािे समाज सुिारक।
∙ पहाड कािकर रास्ता बनाने वािे दशरर्थ माँझी जैसे सकारात्मक सनक वािे व्यल्क्तयों
के उदाहरर्…

(ख) महानगरों की ‘फ़्िैि–कलचर’में जीवन केवि अपने तक सीभमत हो गया है, यहाँ 2 अंक
एकाकीपन वप्रय होता जा रहा है , ककसी को ककसी से कोई मतिब नह ं है , ऐसा जीवन
असहाय और असुरक्षक्षत होता है । इसके ववपर त परं परागत ‘पडोस कलचर’ में घर की
द वारें पडोस तक फैि हुई र्थीं अर्थाणत जीवन केवि अपने तक भसमिा हुआ नह ं र्था।
सब अपनत्व के बंिन में बँिे र्थे, ऐसा जीवन अधिक आनंदपूर्ण व सुरक्षक्षत र्था।

(ग) मांगभिक अवसरों पर वातावरर् में पववत्रता व आनंद िरने के भिए वाद्ययंत्रों से बजाई 2 अंक

जाने वाि ध्वनन मंगिध्वनन कहिाती है । शहनाई मंगिध्वनन का प्रमुख वाद्य है ।

बबल्स्मलिा खाँ ने अपनी सािना से शहनाई को साि भिया र्था। तन्मयता के सार्थ

शहनाई बजाकर वातावरर् को मंगिपूररत करने में उन्हें महारर्थ हाभसि र्थी। इन

ववशेषताओं के कारर् उन्हें मंगिध्वनन का नायक कहा जाता है ।

(घ) ‘संस्कृत व्यल्क्त’ वह होता है , ल्जसमें अपनी बुद्धि तर्था योग्यता के बि पर कुछ नया 2 अंक

करने की क्षमता हो। उदाहरर् के भिए – न्यूिन। न्यूिन ने गुरुत्वाकषणर् के भसद्िांत का

आववष्कार ककया। इस आिार पर न्यूिन संस्कृत मानव भसद्ि होते हैं क्योंकक उन्होंने

कुछ नया सोचा और नवीन खोज कर डाि ।

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प्रश्न 12. पदय पािों पि आर्ारिि चाि प्रश्नों में से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्ति लगभग (2x3=6)
25-30 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप दो या िीन बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)

(क) िोि से बात और अधिक बबगडने की संिावना रहती है । िोिी व्यल्क्त का वार्ी पर 2 अंक

ननयंत्रर् नह ं होता। प्रत्यत्त


ु र में ववपक्षी िी किु व व्यंग्य वचन सन
ु ाता है । पाठ में िी

परशरु ाम जी के िोि करने के कारर् िक्ष्मर् जी ने िी उनकी अवस्र्था व पद का ध्यान

न रखकर उन्हें कठोर उत्तर ददए, यदद श्रीराम की ववनम्रता बीच में न होती, तो न जाने

पररर्ाम क्या हो सकता र्था?

(ख) 'उत्साह' कववता में कवव ने बादि से फुहार, ररमखझम तर्था बरसने के स्र्थान पर गरजने 2 अंक

के भिए कहा है । फुहार, ररमखझम, बरसना कोमिता व मद


ृ ि
ु सोच के प्रतीक हैं, ककं तु

जब नवीन पररवतणन िाना हो, तो ‘गजणन’ यानी ववद्रोह और िांनत की आवश्यकता होती

है । इसभिए कवव ने बादि से गरजकर नवीनता िाने के भिए ववध्वंस, ववप्िव और

िांनत के सार्थ नूतन ववद्रोह का आह्वान ककया है ।

(ग) ‘वपघिकर जि बन गया होगा कदठन पाषार्।’यह पंल्क्त 'एक दं तुररत मुसकान' कववता 2 अंक

से ि गई है । इसके माध्यम से कवव ने भशशु की िोि मुसकान के प्रिाव का वर्णन

ककया है कक उसे दे खकर पाषार् के समान ह्रदय िी स्नेदहिता का अनुिव करता है और

उसकी मुस्कान में खो जाना चाहता है ।

(घ) आत्मकर्था भिखने की भिए व्यल्क्तत्व की ववशािता के सार्थ-सार्थ सच्चाई, साहस और 2 अंक

ईमानदार की आवश्यकता होती है । िेखक के अंदर ये गर्


ु तो र्थे, ककं तु ववनम्रता व

महानता के कारर् वे स्वयं के जीवन को आत्मकर्था भिखने योग्य नह ं मानते र्थे, उन्हें

िगता र्था कक अिी उन्होंने इतने बडे कायण नह ं ककए हैं कक उनकी आत्मकर्था में िोगों

के भिए कुछ प्रेरर्ा हो।

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प्रश्न 13. पूिक पाठ्यपस्
ु िक के पािों पि आर्ारिि िीन प्रश्नों में से ककन् ीिं दो प्रश्नों के उत्ति (4x2=8)
लगभग 50-60 र्ब्द प्रति प्रश्न अपेक्षक्षि
(हदए गए बबिंदओ
ु िं में से र्ब्द सीमा के अनुरूप चाि या पााँच बबिंदओ
ु िं का उल्लेख अपेक्षक्षि)

(क) हमार पीढ़ ने प्रकृनत का अंिािि


ुं तर के से दोहन ककया है । उसने प्रदष
ू र् व वक्ष
ृ ों के 4 अंक
किाव से पयाणवरर्ीय संति
ु न बबगाडा है । इससे प्रकृनत की िय, ताि और गनत बबगडी
है , ल्जसके ियावह पररर्ाम सामने आ रहे हैं। मनुष्य को प्रकृनत व पयाणवरर् की कराह
सन
ु कर उनके अनक
ु ू ि व्यवहार करना चादहए। पयणिन स्र्थिों पर 'प्रकृनत भमत्र' बनकर
प्िाल्स्िक, पॉि धर्थन आदद नह ं फेंकने चादहए। 'प्रकृनत व पयाणवरर् भमत्र' की िूभमका
संकल्लपत होकर ननिानी चादहए।

(ख) िीतर वववशता िेखन के भिए मजबूर करती है , जो आंतररक अनुिनू त से उत्पन्न होती 4 अंक
है । ककसी घिना ववशेष का अनुिव जब घनीिूत होता है , तब मन में संवेदनशीिता
अकुिाती है और यह अकुिाहि अभिव्यल्क्त का आिार बनती है । अनि
ु व, आंतररक
अनुिूनत, वववशता, संवेदना के बाद पष्ृ ठों पर कुछ उतरता है , बाहर दबाव की अपेक्षा
िेखन के भिए आंतररक अनुिूनत कह ं अधिक प्रिावी है । िेखक ने दहरोभशमा की
वविीवषका को पत्र्थर पर उतर मनष्ु य की छाया से महसस
ू ककया और इसी अनुिनू त के
घनीिूत होते ह दहरोभशमा पर कववता भिख द ।

(ग) बढ़ती उपिोक्तावाद सोच, एकि पररवार को प्रार्थभमकता, वैयल्क्तकता का प्रिाववत 4 अंक
होना, संवेदनशीिता में कमी आना आदद माता-वपता को दरू रखने के प्रमख
ु कारर् हैं।
ऐसे िोगों को िावात्मक रूप से समझाने की आवश्यकता है , उन्हें यह कहकर समझाया
जा सकता है कक जैसा वे अपने माता-वपता के सार्थ कर रहे हैं, वैसा कि उनके सार्थ िी
हो सकता है । वे वद्
ृ िाश्रम िेजने से पूवण माता-वपता के स्र्थान पर स्वयं को रखकर दे खें।

प्रश्न 14. ददए गए तीन अनच्


ु छे दों में से ककसी एक ववषय पर संकेत-बबंदओ
ु ं के आिार पर िगिग 6×1=6
120 शब्दों में अनुच्छे द िेखन (अनुच्छे द िेखन हे तु मूलयांकन बबंद)ु
ववषयवस्तु 4 अंक
िाषा 1 अंक
प्रस्तनु त 1 अंक

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प्रश्न 15. ददए गए दो औपचाररक व अनौपचाररक पत्रों में से ककसी एक ववषय पर 100 शब्दों में 5×1=5
पत्र िेखन (औपचाररक व अनौपचाररक पत्र हे तु मल
ू यांकन बबंद)ु
आरं ि व अंत की औपचाररकताएँ 1 अंक
ववषयवस्तु 2 अंक
िाषा 1 अंक

प्रस्तुनत 1 अंक

प्रश्न 16. ददए गए स्ववत्त


ृ (बायोडािा) व औपचाररक ई-मेि िेखन में से ककसी एक ववषय पर 80 5×1=5
शब्दों में िेखन [स्ववत्त
ृ (बायोडािा) व औपचाररक ई-मेि िेखन हे तु मूलयांकन बबंद]ु
प्रारूप 2 अंक
ववषयवस्तु 2 अंक
िाषा 1 अंक

प्रश्न 17. ददए गए ववज्ञापन िेखन व संदेश िेखन में से ककसी एक ववषय पर 60 शब्दों में िेखन 4×1=4
(ववज्ञापन िेखन व संदेश िेखन हे तु मूलयांकन बबंद)ु
ववषयवस्तु 2 अंक
िाषा 1 अंक

प्रस्तुनत 1 अंक

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