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अंक योजना

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2023-24


तिषय - त ं दी (आधार)

तिषय कोड - 302)

कक्षा - बार िी ं
तनधाशररि समय: 03 घंटे अतधकिम अंक : 80 अंक

सामान्य तनदे र् :-
• अंक योजना का उद्दे श्य मूल्ांकन को अतधकातधक िस्तुतनष्ठ बनाना ै।

• खंड- अ में दिए गए वस्तुपरक प्रश्नं के उत्तरनं का मूल्ांकन दनदिि ष्ट अंक यनजना के आधार पर ही

दकया जाए।

• खंड -ब में िर्शनात्मक प्रश्नों के अंक योजना में तदए गए उत्तर तबंदु अंतिम न ी ं ैं। ये सुझािात्मक
एिं सांकेतिक ैं।

• यतद परीक्षार्थी इन सांकेतिक तबंदुओं से तिन्न, तकन्तु उपयुक्त उत्तर दे िो उसे अंक तदए जाएँ ।

• मूल्ांकन कायश तनजी व्याख्या के अनुसार न ी ं, बल्कि अंक-योजना में तनतदश ष्ट तनदे र्ानुसार ी

तकया जाए।

खंड --अ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम उत्तर अंक विभाजन
संख्या

प्रश्न 1. अपतिि बोध – गद्ांश पर आधाररत प्रश् 10x01=10

1. b. नया विचार 1

2. d. पीड़ा पूर्ण 1

3. a. केिल कथन I सही है। 1

4. c. मज़दू री को कम महत्त्व का आं कना 1


5. a. मानि श्रम से ज्यादा मशीनों को महत्त्व वमलने के कारर् 1

6. b. मशीनों द्वारा जन साधारर् में बे रोज़गारी बढ़ाने के कारर् 1

7. a. आवथणक संपदा का अनु वचत वितरर् 1

8. b. मानिीय संिेदनाओं एिं गुर्ों को महत्त्व वदया था 1

9. d. मानिीय दक्षताओं को महत्त्व वमलने से 1

10. a. मशीनों पर अत्यवधक आवश्रत हो जाना 1

प्रश्न 2. अपतिि बोध – पद्ांश पर आधाररत प्रश् 05x01=05

1. b. महत्त्व 1

2. d. जब वसमरू द्वारा ढ़ोल बजाया जाता है 1

3. c. माटी की गोद में अच्छे -बु रे सभी पलते हैं 1

4. b. केिल कथन (IV) सही है। 1

5. b. 1-(i), 2-(iii), 3-(ii) 1

प्रश्न 3. अतिव्यल्कक्त और माध्यम पर आधाररत प्रश् 05x01=05

1. a. ब्रेवकंग न्यूज़ 1

2. b. फीचर लेखन 1

3. d. संिाददाता 1

4. c. विशेषीकृत ररपोवटिं ग 1

5. d. विषय विशेषज्ञ 1

प्रश्न 4. काव्ांश - पाठ्यपुस्तक आरनह भाग 2 पर आधाररत प्रश् 05x01=05

1. b. आदशण 1
2. b. कविता में अवि पररितणन की इच्छा का प्रतीक है। 1

3. a. हृदय 1

4. b. कथन (A) सही नहीं है, कारर् (R) सही है। 1

5. a. सांसाररक सुख रूपी लहरें 1

प्रश्न 5. गद्ांश - पाठ्यपुस्तक आरनह भाग 2 पर आधाररत प्रश् 05x01=05

1. b. अथाह 1

2. d. मनु ष्य पर बाज़ार के जादू का असर 1

3. b. जब मनुष्य तुलना करने लगता है तब असंतोष, तृ ष्णा और ईष्याण के 1


भाि मनुष्य में उभरते हैं।

4. a. 1-(iii), 2-(i), 3-(ii) 1

5. d. बाज़ार आकवषणत करना चाह रहा है 1

प्रश्न 6. पूरक पाठ्यपुस्तक दवतान भाग 2 पर आधाररत प्रश् 10x01=10

1. a. पत्नी और बच्ों से हर छोटी - बड़ी बात पर मतभेद होने के कारर् 1

2. c. हड़प्पा तथा मुअनजो-दड़ो 1

3. a. नगर वनयोजन 1

4. d. कथन (A) तथा कारर् (R) दोनों सही हैं, कारर् (R) कथन (A) की 1
सही व्याख्या करता है।

5. d. कथन (II) तथा (III) सही हैं। 1

6. b. यशोधर बाबू 1

7. b. रोज़गार के वलए 1
8. a. दादा का कामचोर स्वभाि 1

9. d. आधु निक जीवि शैली की ओर रुझाि

10. c. संघषण 1

खंड – ब िर्शनात्मक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम उत्तर अंक विभाजन
संख्या

जनसंचार और सृजनात्मक लेखन पर आधाररत प्रश्

प्रश्न 7. वदए गए तीन विषयों में से वकसी एक विषय पर लगभग 120 शब्ों में 06x01=06
रचनात्मक लेख :-
आरं भ —1 अं क

नवषयवस्तु --3 अं क

प्रस्तुनि -- 1 अं क

भाषा -- 1 अंक

प्रश्न 8. प्रश्न - लगभग 40 शब्ों में उत्तर :- 02x02=04

(i) (क) 02x01=02


• कहािी का िाट्य रूपां िरण करिे हुए दृश्य नलखिे के बाद
कथावस्तु के अिुसार ही संवाद नलखे जािे चानहए
• ये संवाद संनिप्त, पात्रािुकूल, प्रसंगािुकूल और सामान्य बोलचाल
की भाषा में ही नलखे जािे चानहए
• इसके नलए हम मूल कहािी के संवादों को थोडा छोटा कर सकिे
हैं और आवश्यकिािुसार िए संवाद भी गढ़ सकिे हैं
• संवाद कथािक को गनि प्रदाि करिे हैं
• चररत्र - नचत्रण को पररमानजिि नकया जा सकिा है
• दृश्य के रूप में ि ढलिे वाली घटिाओं व प्रनिनियाओं का उल्लेख
करिे हैं
• पात्रों के सामानजक, आनथिक स्तर की जािकारी दे िे में सहायक
अर्थिा
(ख)
• िए िथा अप्रत्यानशि नवषयों के लेखि में आत्मपरक 'मैं' शैली का
प्रयोग नकया जा सकिा है
• यद्यनप निबंधों और अन्य आलेखों में 'मैं' शैली का प्रयोग लगभग
वनजिि होिा है नकंिु िए नवषय और अप्रत्यानशि नवषयों पर लेखि
में 'मैं' शैली के प्रयोग से लेखक के नवचारों और उसके व्यक्तित्व
को झलक प्राप्त होिी है
(ii) (क) 02x01=02
• िए और अप्रत्यानशि नवषयों के लेखि के संदभि में कहा जा सकिा
है नक नलखिे का कोई फ़ॉमूिला आज िक दु निया में िहीं बिा है
• नजस िरह के नवषय नदए जा सकिे हैं, वे हो सकिे हैं :- आपके
सामिे की दीवार, उस दीवार पर टं गी घडी, उस दीवार में बाहर
की ओर खुलिा झरोखा आनद -इत्यानद
• अथािि लेखि के नलए लेखक के पास नवषय, नसद्ांि आनद की कोई
सीमा िहीं होिी है
• लेखक की कल्पिा, यथाथि, आदशि पर कोई बंधि िहीं होिा है
अर्थिा
(ख)
रे नियो माध्यम की सीमाएँ :-
• रे नियो माध्यम में सनचत्र प्रसारण की सुनवधा िहीं है जबनक टी.वी.
में यह सुनवधाजिक
• टी.वी. माध्यम की िुलिा में रे नियो माध्यम में प्रसारणकिाि के नलए
श्रोिाओं को बाँधकर रखिा कनिि कायि

प्रश्न 9. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकन्ीं िन प्रश्नों के लगभग 60 शब्ों में 03x02=06
उत्तर:-
(i) दवद्ार्थी चाहें तन दप्रंट, टी.वी. अर्थवा रे दडयन में से दकसी एक अर्थवा 3
एक से अदधक माध्यमनं पर अपने तकि प्रिान कर सकते हैं। जैसे :-
• नप्रंट माध्यम में पसंद के अिुसार नकसी भी पृष्ठ को एक बार या
उससे अनधक बार पढ़ा जा सकिा है
• शब्ों में स्थानयत्व होिा है
• पढ़िे हुए उस नलखे हुए पर नवचार भी नकया जा सकिा है
o टी.वी. में समाचार अथवा निल्में हम दे ख भी सकिे हैं और सुि भी
सकिे हैं। यह माध्यम दशिकों को बांधे रखिा है
o समाचार व पात्र नदखिे में सजीव लगिे हैं िथा सनचत्र प्रसारण से
समाचार अनधक प्रामानणक बि जािे हैं
o टे लीनवजि माध्यम सािर व निरिर दोिों प्रकार के लोगों के नलए
उपयोगी है
o कम समय में हम अनधक समाचार दे ख सकिे हैं
o समाचारों को रुनचकर ढं ग से नदखाया जािा है
❖ रे नियो दे श के कोिे-कोिे िक पहुँ चिा है
❖ रे नियो सस्ता माध्यम है
❖ सािर-निरिर सभी के नलए समाि से उपयोगी
(ii) • उल्टा नपरानमि शैली का नवशेषिः प्रयोग मु निि या नप्रं ट माध्यम 3
िथा रे नियो में होिा है
• निनजटल मीनिया अनधक िीव्र एवं नवस्तृि होिे के कारण केवल
उल्टा नपरानमि शैली पर आनश्रि िहीं
• घंटे - दो घंटे में लोग स्वयं को अपिे ट रखिे लगे हैं , साथ ही
निनजटल मीनिया दृश्य और श्रव्य की सुनवधाओं से लैस
• दृश्य और श्रव्य माध्यम जैसे टी.वी., इं टरिे ट इत्यानद में समाचार,
सूचिा का एक बडा भाग दृश्य दे ख कर ही समझ आ जािा है
• अिः उल्टा नपरानमि शैली अब समाचार लेखि के अन्य िरीकों में
से एक अन्य िरीका अथवा शैली ही है
(iii) • अखबारों के नलए समाचारों के अलावा खेल, अथि-व्यापार, नसिेमा 3
या मिोरं जि आनद नवनभन्न िेत्रों और नवषयों से संबंनधि घटिाएँ ,
समस्याओं आनद से संबंनधि लेखि, नवशेष लेखि कहलािा है
• जब नकसी खास नवषय पर सामान्य लेखि से हटकर लेखि नकया
जाए िो उसे नवशेष लेखि कहिे हैं
• अिः नवशेष लेखि की भाषा और शैली समाचारों की भाषा-शैली
से अलग होिी है
• नवशेष लेखि के कई िेत्र हैं जैसे :-
• व्यापार, खेल, मिोरं जि, नवज्ञाि, प्रौद्योनगकी, कृनष इत्यानद
उिाहरण :-
• शेयर बाज़ार में भारी नगरावट :- सामान्य ररपोनटिं ग में िथ्यात्मक
बािें होंगी
• शेयर बाज़ार में भारी नगरावट - नवशेष लेखि के अंिगि ि खबर का
नवश्लेषण, नगरावट का कारण िथा निवेशकों पर इसका असर
इत्यानद पर लेखि होगा

पाठ्यपुस्तक आरो िाग 2 पर आधाररत प्रश्

प्रश्न 10. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकन्ीं िन प्रश्नों के लगभग 60 शब्ों में उत्तर:- 03x02=06

(i) • जब भादों मास के दौराि होिे वाली घिघोर बाररश समाप्त हो 3


जािी है िब शरद ऋिु का आगमि होिा है
• खरगोश की लाल- भूरी आँ खों जैसी चमकीली धूप निकल आिी है
• इसके कारण चारों ओर उज्ज्वल चमक नबखर जािी है, आकाश
साि और मुलायम हो जािा है , चारों ओर स्वच्छ वािावरण हो
जािा है
• हवाओं में मिोरम सुगंनधि महक िैल जािी है
• शरद ऋिु के आगमि से चारों ओर उत्साह एवं उमंग का वािावरण
बिाया है , पिंगबाजी का माहौल बि जािा है
• शरद ऋिु का मािवीकरण करिे हुए उसे साइनकल ले कर आिे
हुए चंचल बालक की िरह नचनत्रि नकया है
(ii) • 'अंधड' का अनभप्राय है नक जब भावों की आँ धी आिी है िो रचिा 3
शब्ों का रूप ले कर कागज़ पर जन्म लेिे लगिी है
• वास्तव में भाव ही कनविा रचिे का पहला चरण है
• 'बीज' से कनव का आशय है नक जब भाव आँ धी रूप में आिे हैं िो
कनविा रचिे की प्रनिया शुरू हो जािी है
(iii) • प्रशंसा से व्यक्ति स्वयं को सही व उच्चकोनट का माििे लगिा है 3
• वह सही-गलि का निणिय िहीं कर पािा
• उसका नववे क िीण हो जािा है
• कनविा में प्रशंसा नमलिे के कारण कनव अपिी सहज बाि को
शब्ों के जाल में उलझा दे िा है
• िलिः उसके भाव जििा िक पहुँ च िहीं पािे
• सीधी और सरल बाि को कहिे के नलए जब कनव चमत्काररक
भाषा का प्रयोग करिा है िब वह जो कहिा चाहिा है िब भाषा के
चक्कर में भावों की सुंदरिा िष्ट हो जािी है

प्रश्न 11. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकन्ीं िन प्रश्नों के लगभग 40 शब्ों में उत्तर:- 02x02=04

(i) • दू रदशिि वाले जाििे हैं नक समाज में कमज़ोर व अशि लोगों के 2
प्रनि करुणा का भाव होिा है
• लोग दू सरे के दु ख के बारे में जाििा चाहिे हैं
• दू रदशिि वाले इसी भाविा का फायदा उिािा चाहिे हैं
• अपिे लाभ के नलए ऐसे कायििम बिािे हैं
(ii) • 'नवप्लव-रव' से कनव का िात्पयि िां नि से है 2
• कनव के अिुसार जब िां नि होिी है, िो गरीब लोगों में या आम
जििा में जोश भर जािा है
• यह वही वगि है, जो शोषण का नशकार होिे हैं
• अिः जब समाज में िां नि होिी है , िो इसी वगि से आरं भ होिी है
(iii) • प्राि: कालीि िभ की िुलिा राख से लीपे गए गीले चौके से की गई 2
है
• इस समय आकाश िम िथा धुंधला होिा है
• इसका रं ग राख से लीपे चूल्हे जैसा मटमै ला होिा है
• नजस िरह चुल्हा-चौका सूख कर साफ हो जािा है उसी िरह कुछ
दे र बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निमिल हो जािा है
प्रश्न 12. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकन्ीं िन प्रश्नों के लगभग 60 शब्ों में उत्तर:- 03x02=06

(i) • भक्तिि अपिी गलि बाि को सही करिे के हज़ारों िकि सामिे रख 3
दे िी थी
• भक्तिि लेक्तखका की सुनवधा िहीं दे खिी थी, हर बाि को वह अपिी
सुनवधा अिुसार करिी थी
• लेक्तखका व भक्तिि के बीच बाहरी िौर पर सेवक-स्वामी का संबंध
था, परं िु व्यवहार में यह लागू िहीं होिा था
• भक्तिि िौकर कम, जीवि की धूप-छाँव अनधक थी
(ii) • झुलसा दे िे वाली लू चलिी थी 3
• ढोर-ढं गर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास बुझािे के नलए पािी िहीं
था
• जेि मास भी अपिा िाप िैलाकर जा चुका था
• आषाढ़ के भी पंिह नदि बीि चुके थे
• कूएँ सूखिे लगे थे, िलों में पािी िहीं था
• खेि की माटी सूख-सुख कर पत्थर हो गई थी
• गली-मुहल्ला, गाँ व-शहर हर जल लोग गरमी से भुि-भुि कर
त्रानहमाम कर रहे थे
(iii) • लेखक को महात्मा गां धी की याद आिी है 3
• नशरीष पे ड अवधूि की िरह, बाहय पररवििि धूप, वषाि, आँ धी, लू-
सब में शांि बिा रहिा है िथा पु क्तिि-पल्लनवि होिा रहिा है
• िीक इसी िरह से महात्मा गांधी भी मारकाट, अनिदाह, लूटपाट,
खूि खच्चर को बवंिर के बीच क्तस्थर रह सके थे
• इस समाििा के कारण लेखक को गाँधी जी की याद आ जािी है,
नजिके व्यक्तित्व िे समाज को नसखाया नक आत्मबल, शारीररक
बल से कहीं ऊपर की चीज़ है , आत्मा की शक्ति है
• जैसे नशरीष वायुमंिल से रस खींचकर इििा कोमल, इििा किोर
हो सका है, वैसे ही महात्मा गाँधी भी किोर-कोमल व्यक्तित्व वाले
थे

प्रश्न 13. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकन्ीं िन प्रश्नों के लगभग 40 शब्ों में उत्तर:- 02x02=04

(i) • ि़ॉ० आं बेिकर का माििा है नक हर व्यक्ति समाि िहीं होिा 2


• जन्म, सामानजक स्तर, प्रयत्ों के कारण नभन्निा व असमाििा होिी
है
• मिुष्य जन्म से ही सामानजक स्तर के अिुरूप िथा अपिे प्रयासों
के कारण नभन्न और समाि होिा है
• अिः पूणि रूप से समिा एक काल्पनिक क्तस्थनि है
(ii) • पहलवाि की ढोलक कहािी केवल सत्ता पररवििि/ व्यवस्था 2
पररविि ि की कहािी िहीं बक्ति परं परागि व्यवस्था पर िई
व्यवस्था, भारि पर 'इं निया' के आरोनपि हो जािे की कहािी है
• इस पररवििि के िहि लुट्टि पहलवाि जैसे लोगों को लोक
कलाकारों के पद से हटाकर निरीह जीवि व्यिीि करिे को
मजबूर नकया जा रहा है
(iii) • समाज में कुछ लोग िय-शक्ति के बल से बाज़ार से वस्तुएँ खरीदिे 2
हैं
• उन्हें अपिी ज़रूरि का पिा िहीं होिा
• वे समाज में असंिोष बढ़ािे हैं
• सामान्य लोगों के सामिे अपिी िय-शक्ति का प्रदशिि करिे हैं
• वे शािो-शौकि के नलए उत्पाद खरीदिे हैं और बाज़ारूपि को
बढ़ािे हैं।
• ऐसे लोग बाज़ार से ि सच्चा लाभ उिा पािे हैं, ि उसे सच्चा लाभ
दे सकिे हैं
• वे धि के बल पर बाज़ार में कपट को बढ़ािे हैं

पूरक पाठ्यपुस्तक तििान िाग 2 पर आधाररत प्रश्

प्रश्न 14. प्रश्न - वदए गए तीन प्रश्नों में से वकसी िन प्रश्न का लगभग 60 शब्ों में उत्तर 02x02=04
:-
(i) • यशोधर बाबू के अिुसार पैसा कमािे का साधि मयािनदि है िो 2
उससे होिे वाली आय पर सभी को गवि
• उिका वे िि बहुि धीरे -धीरे बढ़िा था, उससे अनधक महँ गाई बढ़
जािी थी
• उिकी आय में हुई वृक्तद् का असर उिके जीवि-स्तर को सुधार
िहीं पािा
• यशोधर बाबू के बच्चे नकसी बडी नवज्ञापि कंपिी में िौकरी पाकर
रािोंराि मोटा वे िि कमािे लगे
• यशोधर बाबू को इििी मोटी ििख्वाह का रहस्य समझ में िहीं
आिा था
• यशोधर बाबू समझिे थे नक इििी मोटी ििख्वाह के पीछे कोई
गलि काम अवश्य नकया जा रहा है
• यशोधर बाबू िे अपिा सारा जीवि कम वे िि में जैसे-िैसे गुज़ारा
था, वे इििी शाि-शौकि को पचा िहीं पा रहे थे
(ii) • लेखक पढ़िा चाहिा था 2
• नपिा िे अपिी इच्छा को ध्याि में रखकर ही लेखक की पढ़ाई
छु डवा दी थी
• लेखक िे अपिी माँ से दत्ता जी राव सरकार के घर चलकर उिकी
मदद से अपिे नपिा को राजी करिे की बाि कही
• माँ अपिे बेटे की पढ़ाई के बारे में वह दत्ता जी राव से जाकर बाि
भी करिी है और पनि से इस बाि को नछपािे का आग्रह भी करिी
है
(iii) • मुअिजो-दडो के अजायबघर में नसंधु-सभ्यिा के पु राित्व के 2
अवशेष रखे गए हैं
• यहाँ पर काला पड गया गेहँ, िाँबे और काँसे के बििि, मुहरें , वाद्य,
चाक पर बिे नवशाल मृद्-भांि, चौपड की गोनटयाँ, नमट्टी की
बैलगाडी, पत्थर के औज़ार, नमट्टी के कंगि आनद रखे गए हैं
• यहाँ की चीजों को दे खिे से पिा चलिा है नक यहाँ औजार िो हैं,
पर हनथयार िहीं
• समूची नसंधु-सभ्यिा में हनथयार उस िरह के िहीं नमले हैं जैसे
नकसी राजिंत्र में होिे हैं
• यहाँ पर प्रभुत्व िदारद है
• इससे यह पिा चलिा है नक इस सभ्यिा में कला का महत्व अनधक
था, ि नक िाकि का
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