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1. इस प्रश्न पत्र में प ाँ च खण्ड हैं - खण्ड क, खण्ड ख, खण्ड ग, खण्ड घ एवं खण्ड ङ। इसमें कुल 34 प्रश्न हैं । सभी प्रश्न
अनिव र्य हैं ।
6. खण्ड ‘ङ’- प्रश्न संख्य 34 एक म िनचत्र आि ररत प्रश्न है जद 5 अंकदं क है नजसमें महत्वपूर्य परीक्षर् मददं कद
पहच िि एवं स्थ ि अंनकत करि श नमल है । म िनचत्र कद प्रश्न पत्र से स वि िी पू वयक अलग करके उत्तर-पुस्तिक
के स थ ित्थी कीनजए।
7. कदई समग्र नवकल्प िहीं है , तथ नप कुछ प्रश्नदं में आतंररक नवकल्प नदए गए हैं । इिमें से नकसी एक नवकल्प क उत्तर
दीनजए।
8. इसके अनतररक्त आवश्यकत अिुस र प्रत्येक खण्ड और प्रश्न के स थ र्थदनचत निदे श नदए गए हैं ।
खण्ड-क 21×1=21
प्रश्न सीं . बहुतवकल्प य प्रश्न अींक
1. तिम्नतिखखि में से खखिाफि आीं दोिि क मुख्य मााँग क्या थ ? 1
(क) भ रत के नलए डदनमनिर्ि स्टे टस की म ाँ ग
(ख) भ रत के नलए स्वश सि की म ाँ ग
(ग) तु की के खलीफ़ की पु िस्थ य पि
(घ) इस्ल म के रुनिव दी सं स्कृनत क पु िरुत्थ ि
2. तिम्नतिखखि में से तकस मुद्दे िे 1857 के तवद्रोह के प्रसार में मदद िह ीं क ? 1
(क) क रतू स के मुद्दे िे
(ख) भ रतीर्दं के ईस ई िमय में पररवतय ि िे
(ग) आटे में हड्डी क चू र नमल ि
(क) एक स तव हि श सक की मृर्मूनतय
(ख) कनलंग र्ु द्ध करत हुआ अशदक
(ग) मह भ रत के एक दृश्य कद दश य ती हुई मृर्मूनतय
(घ) अजुय ि कद ज्ञ ि दे ते हुए कृष्ण की एक मूनतय
िोट: तिम्नतिखखि प्रश्न केवि दृतिबातिि पर क्षातथशयोीं के तिए प्रश्न सींख्या 4 के स्थाि पर
द गई है ।
महाभारि के उपदे र्ात्मक (सूििात्मक) खींर् 200-400 ई. के मध्य िोड़े गए। ये पाठ
मुख्यिः तकससे तमििे-िुििे हैं?
(क) सु त्त नपटक
(ख) मिु स्मृनत
(ग) ऋग्वे द
(घ) उपनिषद
5. तदए गए तवकल्पोीं में से सह तवकल्प िुिकर ररक्त स्थाि क पूतिश क तिए। 1
अशदक िे अपिी र् त्र की र् द में ................................ में एक िंभ क निम य र् करव र् ।
(क) स रि थ
(ख) स ाँ ची
(ग) बदि गर्
(घ) लुंनबिी
तवकल्प:
(क) सं कल्पि (A) एवं क रर् (R) ददिदं सहीं हैं एवं क रर् (R), सं कल्पि (A) की सही व्य ख्य
है ।
(ख) सं कल्पि (A) एवं क रर् (R) ददिदं सहीं हैं परन्तु क रर् (R), सं कल्पि (A) की सही
व्य ख्य िहीं है ।
(ग) सं कल्पि (A) सही है परन्तु क रर् (R) गलत है ।
(घ) सं कल्पि (A) गलत है परन्तु क रर् (R) सही है ।
8. द गई िािकाररयोीं के आिार पर तर्ल्प केंद्र क पहिाि क तिए। 1
अ आ इ ई
(क) II I IV III
(ख) I III II IV
(ग) III IV I II
(घ) III II I IV
14. तबहार में अींग्रेिोीं के तवरुद्ध 1857 के तवद्रोह का िेिृत्व तिम्नतिखखि में से तकसिे तकया 1
था?
(क) ि ि स हे ब
(ख) मौलवी अहमदु ल्ल ह
में व्याख्या क तिए तक ग्रींथोीं का तवश्लेिर् करिे समय इतिहासकार तकि ित्वोीं पर तविार
करिे हैं?
29. उि साक्ष्ोीं क परख क तिए तििसे पिा िििा है तक मुग़ि रािकोि य व्यवस्था के 8
तिए भू -रािस्व महत्वपूर्श था।
अथवा 8
मुग़ि कृिक समाि में िम ींदारोीं क खस्थति क व्याख्या क तिए।
30. ‘भारि िोड़ो आीं दोिि वास्तव में एक िि-आीं दोिि था’ कथि को न्यायसींगि क तिए। 8
अथवा
गााँि ज़ के रािि तिक ि वि एवीं रािर य आीं दोिि के इतिहास के पु ितिशमाशर् में तवतभन्न 8
प्रकार के स्रोिोीं क परख क तिए। CB
खण्ड- घ 3x4=
(स्रोि आिाररि प्रश्न) 12
31. तिम्नतिखखि स्रोि को ध्यािपूवशक पतिए एवीं तदए गए प्रश्नोीं के उत्तर द तिए: 4
महि के बाहर क दु तिया
जैसे बुद्ध के उपदे शदं कद उिके नशष्दं िे संकनलत नकर् वैसे ही मह वीर के नशष्दं िे नकर् ।
अक्सर र्े उपदे श कह निर्दं के रूप में प्रिुत नकए ज ते थे जद आम लदगदं कद आकनषयत करते
थे। र्ह उद हरर् उत्तर ध्यर्ि सूत्र ि मक एक ग्रंथ से नलर् गर् है । इसमें कमल वती ि मक
एक मह र िी अपिे पनत कद संन्य स लेिे के नलए समझ रही है :
अगर संपूर्य नवश्व और वह ाँ के सभी खज़ िे तुम्ह रे हद ज एाँ तब भी तुम्हें संतदष िहीं हदग , ि ही
र्ह स र कुछ तुम्हें बच प एग । हे र जि्! जब तुम्ह री मृत्यु हदगी और जब स र िि पीछे छूट
ज एग तब नसफय िमय ही, और कुछ भी िहीं, तुम्ह री रक्ष करे ग । जैसे एक नचनड़र् नपंजरे से
िफरत करती है वैसे ही मैं इस संस र से िफरत करती हाँ । मैं ब ल-बच्चे कद जन्म ि दे कर
निष्क म भ व से, नबि ल भ की क मि से और नबि द्वे ष के एक स ध्वी की तरह जीवि
नबत ऊाँगी...
नजि लदगदं िे सुख क उपभदग करके उसे त्य ग नदर् है , व र्ु की तरह भ्मर् करते हैं , जह ाँ
मि करे स्वतं त्र उड़ते हुए पनक्षर्दं की तरह ज ते हैं ...
इस नवश ल र ज्य क पररत्य ग करद... इं नद्रर् सु खदं से ि त तदड़द, निष्क म अपररग्रही बिद,
तत्पश्च त तेजमर् हद घदर तपस्य करद...
(31.1) उस व्यखक्त क पहिाि क तिए तिसिे रािा को सीं न्यास िे िे के तिए समझाया?
(1)
(31.3) ‘स्विींत्र उड़िे हुए पतक्षयोीं क िरह िािे हैं.....’ कथि तकस पररपेक्ष् में महाव र
क तर्ष्या द्वारा कह गई? (1)
32. तिम्नतिखखि स्रोि को ध्यािपूवशक पतिए एवीं तदए गए प्रश्नोीं के उत्तर द तिए: 4
र्ह उद्धरर् कर इक्क ल अम्मइर् र की कनवत से नलर् गर् है , जह ाँ वे स्वर्ं क वर्य ि कर रही
हैं :
एक राक्षस ?
र क्षसी, फूली हुई ि नड़र्दं व ली
ब हर निकली आाँ खें, सफेद द ाँ त और भीतर िाँस उदर
ल ल केश और आगे निकले द ाँ त,
लंबी नपंडली की िली जद टखिदं तक फैली हुई है ।
वि में नवचरते समर् चीखि और
क्रंदि र्ह अलंकटु क वि है ,
जद हम रे नपत (नशव) क घर है ।
वह िृत्य करते हैं ...... उिके जट जूट आठदं ओर नबखर ज ते हैं ।
उिके अंग श ं त हैं ।
(31.1) कराइक्काि अम्मइयार के द्वारा सौद
ीं यश को तकस प्रकार व्यक्त तकया गया है?
(1)
(31.2)’ फूि हुई िातड़योीं वाि , बाहर तिकि आाँ खें, सफेद दााँि और भ िर िाँसा
उदर िाि केर् और आगे तिकिे दााँि, िींब तपींर्ि क िि िो टखिोीं िक फैि हुई
है। ‘तदए गए पद्ाींर् में कतव क खस्थति का कारर् बिाइए। (2)
(31.3) ‘उिके िटािूट आठोीं ओर तबखर िािे हैं। उिके अींग र्ाींि हैं।‘ पद्ाींर् क
परख क तिए। (1)
33. तिम्नतिखखि स्रोि को ध्यािपूवशक पतिए एवीं तदए गए प्रश्नोीं के उत्तर द तिए: 4
“अींग्रेज़ िो ििे गए, मगर िािे -िािे र्रारि का ब ि बो गए”
सरद र वल्लभ भ ई पटे ल िे कह थ । र्ह ददहर िे क कदई मतलब िहीं है नक हम पृथक
निव य नचक की म ाँ ग इसनलए कर रहे हैं क्दंनक हम रे नलए र्ही अच्छ है । र्ह ब त हम बहुत
समर् से सुि रहे हैं । हम स लदं से र्ह सुि रहे हैं और इसी आं ददलि के क रर् अब हम एक
नवभ नजत र ष्टर हैं ...। क् आप मुझे एक भी स्वतं त्र दे श नदख सकते हैं जह ाँ पृ थक निव य नचक
हद? अगर आप मुझे नदख दें तद मैं आपकी ब त म ि लूाँग । लेनकि अगर इस अभ गे दे श में
नवभ जि के ब द भी पृथक निव य नचक की व्यवस्थ बि ए रखी गई तद र्ह ाँ जीिे क कदई मतलब
िहीं हदग । इसनलए मैं कहत हाँ नक र्ह नसफय मेरे भले की ब त िहीं है बस्ति आपक भल भी
इसी में है नक हम अतीत कद भूल ज एाँ । एक नदि हम एकजुट हद सकते हैं ...। अंग्रेज़ तद चले
गए, मगर ज ते -ज ते शर रत क बीज बद गए हैं । हम इस शर रत कद और बि ि िहीं च हते।
िोट: तिम्नतिखखि प्रश्न केवि दृतिबातिि पर क्षातथशयोीं के तिए प्रश्न सीं. 34 के स्थाि पर है: 5x1=5