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PARENTS SIGNATURE

NAME: ________________________________________ MAX MARKS: 80 Marks


GRADE: 10 SECTION: _____ TIME: 3 Hours
DATE: TEACHER SIGNATURE: _____________
SCORE:
सामान्य निर्दे श-
1. इस प्रश्नपत्र में र्दो खंड हैं - खंड 'अ' और 'ब' ।

2. खंड 'अ' में उपप्रश्नों सनहत 45 वस्तुपरक प्रश्न पू छे गए हैं । नर्दए गए निर्दे शों का पालि करते हुए कुल 40 प्रश्नों के
उत्तर र्दीनिए।

3. खंड 'ब' में वर्णिात्मक प्रश्न पूछे गए हैं , आं तररक नवकल्प भी नर्दए गए हैं ।
4. निर्दे शों को बहुत सावधािी से पऩिए और उिका पालि कीनिए ।

5. र्दोिों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं । र्दोिों खंडों के प्रश्नों के उत्तर र्दे िा अनिवार्ण है ।
6. र्थासंभव र्दोिों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः नलखखए ।

खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)


1. निम्ननिखखत गद्यंश को ध्ययिपूववक पढ़कर इसके आधयर पर सवयवनधक उपयुक्त उत्तर वयिे नवकल्प चुिकर

निखखए - (5x1= 5 Marks)


सज्ज्ि और र्दु िणि र्दोिों प्रकार के िीव संसार में हैं । र्दु िणि र्दूसरों के राई के समाि मामूली र्दोषों को पहाड के समाि

बडा बिाकर र्दे खता है और अपिे पहाड के समाि बडे पापों को र्दे खते हुए भी िहीं र्दे खता । सज्जि र्ा महात्मा ठीक
इससे नवपरीत होते हैं । उिका ध्याि र्दूसरों की बिार् केवल अपिे र्दोषों पर िाता है । अनधकां श व्यखिर्ों में कोई-

ि-कोई बुराई अवश्य होती है । कोई भी बुराई ि होिे पर व्यखि र्दे वता की कोनि में आ िाता है । मिुष्य को अपिी
बुराइर्ों को र्दूर करिे का प्रर्त्न करिा चानहए, ि नक र्दूसरों की कनमर्ों को लेकर छींिाकशी करिे र्ा िीका-निप्पर्ी

करिे का। अपिे मि की परख मि को पनवत्र करिे का सबसे उत्तम साधि है । आत्मनिरीक्षर् आत्मा की उन्ननत का
सवणश्रेष्ठ मागण है । महात्मा कबीर िे कई बार स्पष्ट रूप से कहा था नक मैंिे िीवि में नहमालर् िैसी बडी भूल की है ।

अपिी भूलों को ध्याि र्दे िा था उन्हें स्वीकार करिा आत्मबल का नचह्न है । िो लोग र्दूसरों के सामिे अपिी भूल िहीं
मािते और ि ही अपिे को र्दोषी स्वीकार करते हैं , वे सबसे बडे कार्र हैं , निसका अंतः करर् शीशे के समाि उिला

है , उसे झि अपिी भूल महसूस हो िाती है । मि तो र्दपणर् है । मि में पाप है तो िग में पाप नर्दखाई र्दे ता है । पनवत्र

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आचरर् वाले मि को र्दे खते हैं तो उन्हें लगता है नक अभी इसमें कोई कमी रह गई है । इसनलए वे अपिे को बुरा कहते
है । र्ही उिकी िम्रता व साधिा है

(1) गद्ां श के अिुसार, सज्जि के चररत्र की क्या नवशेषता है ?


(क) वह र्दूसरों के र्दोष र्दे खता है

(ख) वह अपिे र्दोषों पर ध्याि र्दे ता है


(ग) वह र्दूसरों को सुधारिा चाहता है

(घ) वह केवल अपिा भला चाहता है ।

(2) कोई भी बुराई ि होिे पर मिुष्य नकस श्रेर्ी में आ िाता है ?

(क) कार्र की
(ख) राक्षस की

(ग) र्दे वता की


(घ) र्दु िणि की

(3) आत्मा की उन्ननत का सवणश्रेष्ठ मागण क्या है ?

(क) आत्मनिरीक्षर् (ख) परनछद्रान्वेषर्


(ग) भिि-पूिि (घ) र्दाि-र्दनक्षर्ा

(4) गद्ां श के अिुसार सबसे बडा कार्र कौि है ?

(क) िो र्ुद्ध से भाग िाता है (ख) िो अपिी भूल स्वीकार करता है ।


(ग) िो अपिी भूल स्वीकार िहीं करता है । (घ) निसका मि कलुनषत होता है

(5) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पऩिए । उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक

सही नवकल्प चुिकर नलखखए |


कथि (A) : र्दु िणि लोग अपिे र्दोषों को सावणिनिक कर र्दे ते हैं ।

कारर् (R) : सज्जि लोगों का ध्याि र्दूसरों की बिार् अपिे र्दोषों पर िाता है ।
(क) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों गलत हैं ।
(ख) कथि (A) गलत है लेनकि कारर् (R) सही है ।

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(ग) कथि (A) सही है लेनकि कारर् (R) कथि (A) की गलत व्याख्या करता है
(घ) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों सही हैं तथा कारर् (R) कथि (A) की सही व्याख्या करता है ।

2. निम्ननिखखत गद्यंश को ध्ययिपूववक पढ़कर इसके आधयर पर सवयवनधक उपयुक्त उत्तर वयिे नवकल्प चुिकर

निखखए - (5x1= 5 Marks)


प्रेमचंर्द कहते हैं नक िािवरों में गधा सबसे बुखद्धहीि समझा िाता है । हम िब नकसी आर्दमी को पहले र्दिे का

बेवकूफ कहिा चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं । गधा सचमुच बेवकूफ है र्ा उसके सीधेपि, उसकी निरापर्द सनहष्णुता
िे उसे र्ह पर्दवी र्दे र्दी है , इसका निश्चर् िहीं नकर्ा िा सकता। गार्ें सींग मारती हैं , ब्याई हुई गार् तो अिार्ास ही

नसंहिी का रूप धारर् कर लेती है । कुत्ता भी बहुत गरीब िािवर है , लेनकि कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही िाता है ,

लेनकि गधे को कभी क्रोध करते िहीं सुिा, ि र्दे खा । नितिा चाहे उसे मारो, चाहे िैसी खराब सडी हुई घास सामिे
डाल र्दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छार्ा भी ि नर्दखाई र्दे गी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो;

पर हमिे तो उसे कभी खुश होते िहीं र्दे खा। उसके चेहरे पर एक स्थार्ी नवषार्द छार्ा रहता है । सुख-र्दु ख, हानि-लाभ
नकसी र्दशा में भी उसे बर्दलते िहीं र्दे खा । ऋनष-मुनिर्ों के नितिे गुर् हैं , वह सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुुँ च गए हैं ,

पर आर्दमी उसे बेवकूफ कहता है । सर्द्गुर्ों का इतिा अिार्दर कहीं िहीं र्दे खा। कर्दानचत सीधापि संसार के नलए
उपर्ुि िहीं है । र्दे खखए ि, भारतवानसर्ों की अफ्रीका में क्यों अमरीका में उन्हें घु सिे िहीं नर्दर्ा िाता? बेचारे शराब

िहीं पीते, चार पैसे कुसमर् के नलए बचाकर रखते हैं , िी तोडकर काम करते हैं , नकसी से लडाई-झगडा िहीं करते,
चार बातें सुिकर गम खा िाते हैं नफर भी बर्दिाम हैं । कहा िाता है , वे िीवि के आर्दशण को िीचा करते हैं । अगर वे

ईंि का िवाब पत्थर से र्दे िा सीख िाते तो शार्र्द सभ्य कहलािे लगते ।
(1) लेखक र्ह निश्चर् क्यों िहीं कर पाता नक गधा बेवकूफ है र्ा सीधा ?

(क) गधा अपिे -परार्े की भाविा से परे है


(ख) गधा क्रोध व कुलेल िहीं करता

(ग) गधा सीधा व सनहष्णु होता है ।


(घ) गधे के चेहरे पर हषण व नवषार्द होता है

(2) गधे में ऋनष-मुनिर्ों का कौि-सा गुर् र्दे खिे को नमलता है ?

(क) िप-तप करिा


(ख) समािता का भाव
(ग) असंतोष की भाविा

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(घ) कुलेल करिा

(3) उसके चेहरे पर एक स्थार्ी नवषार्द छार्ा रहता है का आशर् है -


(क) गधा सर्दै व चुप रहता है , उसे खुश होते हुए कभी िहीं र्दे खा गर्ा

(ख) गधे को बहुत बोझ ढोिा पडता है , इसी कारर् वह थक िाता है


(ग) आर्दमी द्वारा र्दु व्यणवहार करिे व बेवकूफ कहिे के कारर् गधा र्दु ः खी है

(घ) गधे के प्रसन्न मुख पर सर्दा खस्थर संतोष छार्ा रहता है

(4) गद्ां श के अिुसार, भारतवासी कब सभ्य कहलािे लगेंगे?

(क) िब वे चुपचाप सबकुछ सहि करें गे


(ख) िब वे ईंि का िवाब पत्थर से र्दें गे

(ग) िब वे अपिे र्दे श वापस लौि आएुँ गे


(घ) िब वे गधे का लालि-पालि ठीक से करें गे

(5) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पऩिए । उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक

सही नवकल्प चुिकर नलखखए।


कथि (A) सीधापि संसार के नलए उपर्ुि िहीं है ।

कारर् (R) इस संसार में सर्द्गुर्ों को र्थोनचत सम्माि िहीं नमलता ।


(क) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों गलत हैं

(ख) कथि (A) गलत है लेनकि कारर् (R) सही है ।


(ग) कथि (A) सही है लेनकि कारर् (R) कथि (A) की गलत व्याख्या करता है

(घ) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों सही हैं तथा कारर् (R) कथि (A) की सही व्याख्या करता है ।

3. निर्दे शयिुसयर ‘पर्दबंध’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए-
(4x1= 4 Marks)

(1) तताुँ रा एक िेक और ईमािर्दार व्यखि था। इस वाक्य में रे खां नकत पर्दबंध है - 9
(क) संज्ञा पर्दबंध (ख) सवणिाम पर्दबंध
(ग) नवशेषर् पर्दबंध (घ) नक्रर्ा नवशेषर् पर्दबंध

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(2) 'सर्दै व सबका साथ र्दे िे वाले तुम आि स्वर्ं अकेले पड गए हो।‘ इस वाक्य में रे खां नकत पर्दबंध है -9

(क) संज्ञा पर्दबंध (ख) सवणिाम पर्दबंध


(ग) नवशेषर् पर्दबंध (घ) नक्रर्ा पर्दबंध

(3) नक्रर्ा पर्दबंध का उर्दाहरर् छानिएुँ - 8

(क) वामीरो फिती हुई धरती के नकिारे चीखती हुई र्दौड रही थी।
(ख) पास में एक सुंर्दर और शखिशाली र्ुवक रहा करता था ।

(ग) िापाि में चार् पीिे की नवनध को चा-िो- र्ू कहते हैं ।

(घ) बार्दशाह सु लेमाि मािव िानत के साथ-साथ पशु पनक्षर्ों के भी रािा हैं ।

(4) बडे भाई साहब उपर्दे श र्दे िे की कला में निपुर् थे। इस वाक्य में संज्ञा पर्दबंध है - 8
(क) बडे भाई साहब (ख) उपर्दे श र्दे िे की कला

(ग) निपुर् थे (घ) कला में निपुर् थे

(5) 'उसिे तताुँ रा को तरह-तरह से अपमानित नकर्ा। इस वाक्य में रे खां नकत पर्दबंध है - 8
(क) नवशेषर् पर्दबंध (ख) संज्ञा पर्दबंध

(ग) सवणिाम पर्दबंध (घ) नक्रर्ा नवशेषर् पर्दबंध

4. निर्दे शयिुसयर ‘ रचिय के आधयर पर वयक्य भेर्द’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों
के उत्तर र्दीनिए – (4x1= 4 Marks)

(1) आि प़ििे की इच्छा िहीं है , क्योंनक आि गमी बहुत है ।' इस वाक्य का सरल वाक्य होगा-

(क) अनधक गमी के कारर् आि प़ििे की इच्छा िहीं है


(ख) आि प़ििे की इच्छा इसनलए िहीं है क्योंनक गमी बहुत है

(ग) गमी बहुत है इसनलए प़ििे की इच्छा िहीं है


(घ) उपर्ुणि सभी

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(2) मिर्दूर मेहित करता है नकन्तु उसके लाभ से वंनचत रहता है ।' रचिा के आधार पर वाक्य भेर्द है -
(क) सरल वाक्य

(ख) संर्ुि वाक्य


(ग) नमश्र वाक्य

(घ) इिमें से कोई िहीं

(3) तुम मुझे अपिे िन्म का समर् और स्थाि बताओ।' इस वाक्य का नमश्र वाक्य होगा-
(क) मुझे बताओ नक तुम्हारा िन्म कब और कहाुँ हुआ था

(ख) तुम मुझे अपिे िन्म स्थाि को बताओ

(ग) तुम मुझे अपिे िन्म के बारे में बताओ


(घ) तुम मुझे अपिे िन्म और स्थाि के नवषर् में बताओं

(4) निम्ननलखखत वाक्यों में से सरल वाक्य है -

(क) मैं र्दवा खार्ा और र्दु ख र्दूर हो गर्ा


(ख) राम िे कहा नक बाहर धूप है

(ग) िौकर िे समर् पर काम पूरा कर नलर्ा


(घ) मैं खािा खा चुका, तब वह आर्ा

(5) र्ह सब तब हुआ िब मैं अिुपखस्थत था।' रचिा के आधार पर इस वाक्य का भेर्द होगा-

(क) समूह वाक्य


(ख) सरल वाक्य

(ग) संर्ुि वाक्य


(घ) नमश्र वाक्य

5. निर्दे शयिुसयर ‘ समयस’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए –

(4x1= 4 Marks)
(1) 'निशाचर' शब्द में कौि-सा समास है ?
(क) बहुव्रीनह समास

6 | Page SUBJECT: HINDI GRADE: 10 PERIODIC TEST 3


(ख) द्वं द्व समास

(ग) कमणधारर् समास


(घ) अव्यर्ीभाव समास

(2) 'िलधारा' शब्द के सही समास नवग्रह और समास का चर्ि कीनिए

(क) िल में धारा - तत्पुरुष समास


(ख) िल की धारा - तत्पुरुष समास

(ग) धारा है िो िल में - कमणधारर् समास

(घ) िल और धारा - द्वं द्व समास

(3) ‘चरर्कमल' समस्त पर्द का नवग्रह होगा


(क) कमलर्ुि चरर्

(ख) चरर् में कमल है निसके


(ग) कमल के समाि चरर्

(घ) चरर् और कमल

(4) 'िवरत्न' शब्द के सही समास नवग्रह और समास का चर्ि कीनिए


(क) िौ रत्नों को धारर् करिे वाला है िो - बहुव्रीनह समास

(ख) िौ रत्न है निसके पास - बहुव्रीनह समास


(ग) िौ रत्नों का समूह — नद्वगु समास

(घ ) िर्ा है िो रत्न - कमणधारर् समास

(5) निम्ननलखखत र्ुग्ों पर नवचार कीनिए


समस्तपर्द समास

१ गुर्हीि १ कमणधारर् समास


२ वीर्ापानर् २ बहुव्रीनह समास
३ र्थासमर् ३ अवर्र्ीभाव समास

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४ सतमंनिल ४ द्वं द्व समास

(क) (i) और (ii)


(ख) (ii) और (iii)

(ग) (i) और (iv)


(घ) (iii) और (iv)

6. निर्दे शयिुसयर ‘ मुहयवरे ’ पर आधयररत छह बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए –

(4x1= 4 Marks)

(1) आिकल पाखंडी बाबा लोगों का काम सीधे-सार्दे लोगों को __________ है । ररि स्थाि की पूनतण सिीक
मुहावरे से कीनिए

(क) नचत्त पर च़िािा


(ख) घडों पािी भरािा

(ग) चंगुल में फुँसािा


(घ) गाल फुलािा

(2) मुहावरे और अथण के उनचत मेल वाले नवकल्प का चर्ि कीनिए

(क) तीि तेरह होिा - बोलते रहिा


(ख) र्दं ग रह िािा - संर्देह होिा

(ग) पाुँ व तले िमीि खखसकिा - होश-हवास उडिा


(घ) अंगूठा नर्दखािा - घबरा िािा

(3) 'स्वाथण नसद्ध करिा' अथण के नलए सही मुहावरा है

(क) अपिे मुुँह नमर्ाुँ नमि् िु बििा -


(ख) अपिा उल्लू सीधा करिा

(ग) खखचडी पकािा


(घ) गागर में सागर भरिा

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(4) 'आमर्दिी से अनधक खचण करिा’ अथण के नलए उपर्ु ि मुहावरा है ।
(क) िोड-तोड करिा -

(ख) नतल का ताड बिािा


(ग) नर्दि-रात एक करिा

(घ) चार्दर से बाहर पाुँ व पसारिा

(5) चीि अब भारत की सीमाओं पर __________ है । उपर्ुि मुहावरे से ररि स्थाि की पूनतण कीनिए
(क) आुँ ख लगाए हुए

(ख) मुुँह लगाए हुए

(ग) काि लगाए हुए


(घ) काि लगाए हुए

(6) आि के र्ु ग में निद्दी लोग पीछे रह िाते हैं । अथण के नलए उपर्ुि मुहावरा है ।

(क) कुत्ते की र्दु म


(ख) िे ़िी खीर

(ग) अनडर्ल िि् िू


(घ) अरण्य रोर्दि

7. निम्ननिखखत पद्यंश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के निए सही नवकल्प कय चयि कीनिए

(5x1= 5 Marks)
रहो ि भूल के कभी मर्दां ध तुच्छ नवत्त में,

सिाथ िाि आपको करो ि गवण नचत्त में


अिाथ कौि है र्हाुँ , नत्रलोकिाथ साथ है ,

र्दर्ालु र्दीिबंधु के बडे नवशाल हाथ हैं ।


अतीव भाग्यहीि हैं अधीर भाव िो करे ,

वही मिुष्य है नक िो मिुष्य के नलए मरे ।


(1) पद्ां श में कनव िे धि को कैसा बतार्ा है ?
(क) महत्वपूर्ण (ग) आवश्यक

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(ख) अिावश्यक (घ) तुच्छ

(2) संसार में कोई भी अिाथ िहीं है ; क्योंनक-


(क) सबके माता - नपता हैं

(ख) सबके पास धि है


(ग) सबके साथ नत्रलोकिाथ हैं

(घ) सब स्वतं त्र हैं

(3) पद्ां श के अिुसार अतीव भाग्यहीि कौि है ?

(क) िो धिहीि है ।
(ख) िो निडर रहता है

(ग) िो अधीरता का भाव धारर् करता है ।


(घ) िो धैर्णवाि है

(4) नवशाल हाथ नकसके हैं ?

(क) रािा के
(ख) ईश्वर के

(ग) राक्षसों के
(घ) र्दे वताओं के

(5) निम्ननलखखत वाक्यों को ध्यािपूवणक पऩिए- पद्ां श से मेल खाते वाक्यों के नलए उनचत नवकल्प चुनिए-

(1) धि की उपलखि बहुत तु च्छ है


(2) मिुष्य को भूलकर भी धि का घमंड िहीं करिा चानहए

(3) शखि पाकर मिुष्य नवधाता बि सकता है ।


(4) ईश्वर के होते कोई अिाथ िहीं हो सकता

(5) मिुष्य को स्वर्ं के नलए िीिा चानहए


(क) (i), (ii) और (iv) (ख (ii), (iii) और (v)
)

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(ग) (i), (iii) और (iv) (iii), (iv) और (v)
(घ)

8. निम्ननिखखत प्रश्नों के उत्तर र्दे िे के निए उनचत नवकल्प कय चयि कीनिए - (2x1= 2 Marks)

(1) 'पवणत प्रर्दे श में पावस कनवता में झरिे क्या कर रहे हैं ?

(क) पवणत की निंर्दा (ख बह रहे हैं


)

(ग) पवणत का गौरवगाि (घ) झाग उत्पन्न कर रहे हैं

(2) र्दे श पर बनलर्दाि होता सैनिक र्दे श को नकसके हवाले करिे की बात करता है ?

(क) राििेताओं के
(ख) शत्रु सैनिकों के

(ग) साथी सैनिकों और र्दे शवानसर्ों के


(घ) नकसािों के

9. निम्ननिखखत गद्यंश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के निए सही नवकल्प कय चयि कीनिए -
(5x1= 5 Marks)

वामरो घर पहुुँ चकर भीतर ही भीतर कुछ बेचैिी महसू स करिे लगी। उसके भीतर तताुँ रा से मुि होिे की एक झूठी
छिपिाहि थी। एक झल्लाहि में उसिे र्दरवािा बंर्द नकर्ा और मि को नकसी और नर्दशा में ले िािे का प्रर्ास नकर्ा।

बार-बार तताुँ रा का र्ाचिा भरा चेहरा उसकी आुँ खों में तैर िाता। उसिे तताुँ रा के बारे में कई कहानिर्ाुँ सुि रखी थीं
उसकी कल्पिा में वह एक अर्द्भुत साहसी र्ुवक था। नकंतु वही तताुँ रा उसके सम्मुख एक अलग रूप में आर्ा ।

सुंर्दर, बनलष्ठ नकंतु बेहर्द शां त, सभ्य और भोला । उसका व्यखित्व कर्दानचत वैसा ही था िैसा वह अपिे िीवि साथी
के बारे में सोचती रही थी नकंतु एक र्दूसरे गाुँ व के र्ुवक के साथ र्ह संबंध परं परा के नवरुद्ध था । अतएव उसिे उसे

भूल िािा ही श्रे र्स्कर समझा। नकंतु र्ह असंभव िाि पडा। तताुँ रा बार-बार उसकी आुँ खों के सामिे था । निनिणमेष
र्ाचक की तरह प्रतीक्षा में डूबा हुआ ।
(1) वामीरो के नलए तताुँ रा को भूलिा आवश्यक था, क्योंनक

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(क) तताुँ रा से नमलकर उसका मि बेचैि हो गर्ा था
(ख) तताुँ रा िे उसे गीत गािे को नववश नकर्ा था

(ग) वह उसके िीवि साथी की कल्पिा पर खरा िहीं था


(घ) र्दूसरे गाुँ व के र्ुवक से संबंध परं परा के नवरुद्ध था

(2) वामीरो घर पहुुँ चकर कैसा महसूस कर रही थी ?

(क) आह्लानर्दत
(ख) संर्त

(ग) संकुनचत

(घ ) बेचैि

(3) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पढ उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक
सही नवकल्प चुिकर नलखखए।

कथि (A) : वामीरो घर पहुुँ चकर एक अिीब सी खुशी महसूस कर रही थी।
कारर् (R) : वामीरो तताुँ रा के व्यखित्व से अत्यनधक प्रभानवत िहीं थी ।

(क) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों गलत हैं ।


(ख) कथि (A) गलत है लेनकि कारर् (R) सही है

(ग) कथि (A) सही है लेनकि कारर् (R) कथि (A) की गलत व्याख्या करता है
(घ) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों सही हैं तथा कारर् (1 कथि (A) की सही व्याख्या करता है ।

(4) गाुँ व की क्या परं परा थी?

(क) अपिे गाुँ व के र्ुवक से संबंध - निषेध की


(ख) र्दूसरे गाुँ व के र्ुवक से संबंध - निषेध की

(ग) तताुँ रा िैसे र्ुवक के साथ संबंध - निषेध की


(घ) र्ाचक िैसे र्ुवक के साथ संबंध - निषेध की

(5) वामीरो की कल्पिा वाला तताुँ रा कैसा था ?


(क) अर्द्भुत - साहसी (ख) सभ्य - भोला

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(ग) भोला - शां त (घ) सुंर्दर - सभ्य

10. निम्ननिखखत प्रश्नों के उत्तर र्दे िे के निए उनचत नवकल्प कय चयि कीनिए (2x1= 2 Marks)

(1) निम्ननलखखत में से कौि-से वाक्य नगन्नी का सोिा' पाठ से प्राप्त प्रेरर्ा को र्दशाण ते हैं -
(i) र्दूसरों के सुख - र्दु ः ख से सरोकार रखिा चानहए।

(ii) व्यवहार और आर्दशण र्दोिों का संतुलि व्यखित्व के नलए आवश्यक है ।


(iii) सत्य केवल वतण माि है , उसी में िीिा चानहए ।

(iv) सत्य और अनहं सा के नबिा राष्टर का कल्यार् िहीं हो सकता ।

(क) केवल (i)


(ख) (i) और (ii)

(ग) केवल (iii)


(घ) (ii) और (iv)

(2) किणल कानलंि का खेमा िं गल में क्यों लगा हुआ था ?

(क) विीर अली को पकडिे के नलए


(ख) शेर को पकडिे के नलए

(ग) आिार्दी की िंग के नलए


(घ) उपर्ुणि में से कोई िहीं

खंड –‘ब’ ( वर्यवियत्मक प्रश्न )

11. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए - (3x2= 6 Marks)

(1) छोिे भाई के मि में बडे भाई के प्रनत श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई? (बडे भाई साहब पाठ के आधार पर बताइए)
उत्तर :

छोिा भाई खेलकूर्द में बहुत रुनच रखता था क्लास में अव्वल आिे पर वह र्ह सोचिे लगा था नक वह प़िे
र्ा ि प़िे वह अच्छे अंको से पास हो ही िाएगा। इस कारर् वह पूरा नर्दि खेलता रहता उसके अंर्दर से बडे
भाई का डर भी िाता रहा। उसके बडे भाई िे उसे पतं ग उडाते समर् पकड नलर्ा उसे समझार्ा नक आगे

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कक्षा में नकि-नकि कनठिाइर्ों का सामिा करिा पडे गा। उसे मि लगाकर प़ििा चानहए।उन्होंिे उसे
बतार्ा नक कैसे उसके भनवष्य के कारर् वे अपिे बचपि का गला घोि रहे हैं । अतः इस बात को सुिकर

उसे आभास हो गर्ा नक उसकी सफलता के पीछे उसके बडे भाई की प्रेरर्ा है ,और उसके मि में उिके
प्रनत श्रद्धा भाव िागृत हुआ।

(2) िब से कािूि भंग का काम शुरू हुआ है तब से आि तक इतिी बडी सभा ऐसे मैर्दाि में िहीं की गई थी
और र्ह सभा तो कहिा चानहए नक ओपि लडाई थी।’ र्हाुँ पर कौि से और नकसके द्वारा लागू नकए गए

कािूि को भंग करिे की बात कही गई है ? क्या कािूि भंग करिा उनचत था?( डार्री का एक पन्ना) पाठ
के संर्दभण में अपिे नवचार प्रकि कीनिए।

उत्तर :

िब पुनलस कनमश्नर का िोनिस निकला नक अमुक-अमुक धारा के अिुसार कोई सभा िहीं हो सकती और
सभा में भाग लेिे वालों को र्दोषी समझा िाएगा, तो कौंनसल की तरफ़ से भी िोनिस निकाला गर्ा नक

मोिुमेंि के िीचे ठीक चार बिकर चौबीस नमिि पर झंडा फहरार्ा िाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रनतज्ञा प़िी
िाएगी। इस तरह से पुनलस कनमश्नर द्वारा सभा स्थनगत करिे िैसे लागू कािूि को कौंनसल की तरफ़ से

भंग नकर्ा गर्ा था; िोनक उनचत था, क्योंनक इसके नबिा आजार्दी की आग प्रज्वनलत ि होती।
(3) लेखक िे ऐसा क्यों नलखा है नक तीसरी कसम िे सानहत्य-रचिा के साथ शत-प्रनतशत न्यार् नकर्ा है ?

उत्तर:
फर्ीश्वर िाथ रे र्ु की पुस्तक मारे गए गुलफाम पर ' तीसरी कसम नफल्म' आधाररत है । शैलेंद्र का उद्दे श्य

पैसे कमािा िहीं था बखि एक अर्द्भुत कृनत की रचिा करिा था। उिके इस र्ोगर्दाि के कारर् एक सुंर्दर
नफल्म 'तीसरी कसम' के रूप में हमारे सामिे प्रस्तुत हुई है । उिके द्वारा पूरी कहािी को र्था रूप में

प्रर्दनशणत नकर्ा गर्ा।शै लेंद्र िे घििाओं, प्रसंग और पात्रों के व्यखित्व में कुछ भी बर्दलाव िहीं नकर्ा है ।
कहािी में र्दी गई बारीनकर्ाुँ और छोिी-मोिी बातों को नफ़ल्म के माध्यम से पू र्ण रूप से सामिे लार्ा गर्ा

है । लेखक िे इसनलए कहा है नक तीसरी कसम िे सानहत्य-रचिा के साथ शत प्रनतशत का न्यार् नकर्ा है ।

12. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए - (3x2= 6 Marks)
(1) कवनर्त्री मीराबाई िे नगरधर नकसे और क्यों कहा है ?

उत्तर:
कवनर्त्री मीराबाई िे नगरधर श्रीकृष्ण को कहा है । इस शब्द के द्वारा कृष्ण की भि-वत्सलता को बतार्ा
गर्ा है । कृष्ण िे बालपि में ही इं द्र के कोप से ब्रिवानसर्ों को बचािे के नलए गोवधणि पवणत को अपिी

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उं गली पर उठा नलर्ा था, निसकी शरर् में आकर ब्रिवानसर्ों िे अपिे पशु धि के साथ अपिी रक्षा की थी।
कृष्ण के इसी िगत् उद्धारक रूप का उल्लेख करके मीराबाई उिसे नविती करती है नक वे उसके र्दु खों

को भी र्दूर करें ।
(2) र्दीपक नर्दखाई र्दे िे पर अुँनधर्ारा कैसे मि िाता है ? साखी के सन्दभण में स्पष्ट कनिए |

उत्तर:
तीसरी साखी में कबीर का र्दीपक से तात्पर्ण ईश्वर र्दशण ि से है तथा अुँनधर्ारा से तात्पर्ण अज्ञाि से है । ईश्वर

को सवोच्च ज्ञाि कहा गर्ा है अथाण त िब नकसी को सवोच्च ज्ञाि के र्दशणि हो िार्े तो उसका सारा अज्ञाि
र्दूर होिा सम्भव है ।

(3) '1857 की तोप' से कनव का संकेत नकस घििा की ओर है ?

उत्तर :
1857 की तोप से कनव का संकेत भारतीर् स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम की ओर है िब अंग्रेिो िे भारतीर्ों पर

अत्याचार नकए थे और स्वतं त्रता सेिानिर्ों िे आिार्दी के नलए आवाि उठाई थी। अंग्रेिों िे इि वीरों पर
तोपो से वार नकए थे अिेक वीर इि तोपों की बनल च़ि गए थे। आि भी र्ह तोप हमें उि वीरों की र्ार्द

नर्दलाते हुए स्मरर् कराती है नक हमे र्दीरों के बनलर्दाि को िहीं भूलिा है । र्द्नप र्ह तोप अब बच्चों को
घुडसवारी का साधि बि गई है । पीनडर्ों की गपशप का स्थाि बि गई है परं तु र्ह अपिे अतीत की

कहािी कहती है ।

13. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए (3x2= 6 Marks)
(1) हररहर काका िे सम्पनत्त से संबंनधत क्या निर्णर् नलर्ा और क्यों?

उत्तर:
हररहर काका िे संपनत्त से संबंनधत र्ह निर्णर् नलर्ा नक िीते िी र्दे अपिी सं पनत्त नकसी के िाम िहीं करें गे।

महं त िी के र्दु व्यणवहार के कारर् अब हररहर काका एक सीधे-सार्दे और भोले नकसािे की अपेक्षा चतुर
और ज्ञािी हो चले थे। उन्हें र्ह बात समझ में आ गई थी नक उिके भाई अचािक उिको िो आर्दर सम्माि

र्दे िे लगे हैं उसकी विह उिकी िार्र्दार्द है रमेसर की नवधवा की र्दु गणनत का उर्दाहरर् भी उिके सामिे था।
इसनलए अब र्े नकसी की नचकिी-चुपडी बातों में िहीं आिा चाहते थे।

(2) पीिी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौि के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीनिए।
उत्तर:

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मास्टर प्रीतम चंर्द िो स्कूल के ‘पीिी’ थे , वे लडकों की पंखिर्ों के पीछे खडे -खडे र्ह र्दे खते रहते थे नक
कौि सा लडका पंखि में ठीक से िहीं खडा है । सभी लडके उस ‘पीिी’ से बहुत डरते थे क्योंनक उि

नितिा सख्त अध्यापक ि कभी नकसी िे र्दे खा था और ि सुिा था। र्नर्द कोई लडका अपिा नसर भी इधर-
उधर नहला लेता र्ा पाुँ व से र्दूसरे पाुँ व की नपंडली खुिलािे लगता, तो वह उसकी ओर बाघ की तरह झपि

पडते और ‘खाल खींचिे ’ (कडा र्दं ड र्दे िा, बहुत अनधक मारिा-पीििा) के मुहावरे को सामिे करके नर्दखा
र्दे ते। र्ही कारर् था नक िब स्कूल में स्काउनिं ग का अभ्यास करते हुए कोई भी नवद्ाथी कोई गलती ि

करता, तो पीिी साहब अपिी चमकीली आुँ खें हलके से झपकाते और सभी को शाबाश कहते। उिकी एक
शाबाश लेखक और उसके सानथर्ों को ऐसे लगिे लगती िैसे उन्होंिे नकसी फ़ौि के सभी पर्दक र्ा मैडल

िीत नलए हों।

(3) ‘अम्मी’ शब्द पर िोपी के घरवालों की क्या प्रनतनक्रर्ा हुई?


उत्तर-
िोपी शुक्ला के घरवाले आधुनिक होिे के साथ-साथ कट्टर नहं र्दू भी थे। ‘अम्मी’ शब्द मुसलमािों के घर में

इस्तेमाल होता है नकंतु िब िोपी शुक्ला के मुख से “अम्मी” शब्द सुिा गर्ा तब घरवालों के होश उड गए।
उिकी परं पराओं की र्दीवार डोलिे लगी। उिका धमण सं कि में पड गर्ा। सभी की आुँ खें िोपी के चेहरे पर

िम गईं नक उिकी सं स्कृनत के नवपरीत र्ह शब्द घर में कैसे आ गर्ा। िब िोपी िे बतार्ा नक र्ह उसिे
अपिे र्दोस्त इफ़्फ़ि के घर से सीखा है तो उसकी माुँ व र्दार्दी िे उसकी खूब िमकर नपिाई की।

14. निमनिखखत में से नकसी एक नवषय पर संकेत -नबन्र्दु ओ ं के आधयर पर िगभग 100 शब्ों में अिुच्छेर्द

निखखए - (5x1= 5 Marks)

(1) सफलता हे तु सं घषण अथण


 उद्दे श्य

 मािनसक सोच
 सफलता की कुंिी

(2) भारत में सूखे की समस्या


 सूखे के कारर्

 प्रभाव
 बचिे के उपार्

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(3) नशक्षा का महत्त्व
 नशक्षा का अथण और प्रकार

 नशक्षा रनहत िीवि व्यथण नशक्षा से मािवीर् मूल्यों का नवकास


 नशक्षा : नवकास का अचूक मंत्र

सफलता हे तु सं घषण

सत्त प्रर्ास से ही हम कनठितम कार्ण को भी संभव कर सकते हैं अथाण त हम सफलता पा सकते हैं । चींिी
अपिे कार्ण में सफल होिे के नलए सुबह से शाम तक संघषण करती है । नचनडर्ा नतिका-नतिका िोडकर

अपिा घर बिाती है । हर एक का कोई ि कोई उद्दे श्य होता है , निसे पािे के नलए हमें कनठि प्रर्ास करिा

पडता है । हमारा र्ही संघषण हमारे नलए सफलता के द्वार खोलता है । सफलता पािे के नलए हमारा निश्चर्
दृ़ि होिा चानहए तथा निगाहें अिुणि की भाुँ नत अपिे लक्ष्य पर ही होिी चानहए । हमें र्ार्द रखिा चानहए नक

िहाुँ चाह, वहाुँ राह।' सफलता प्रबल इच्छाधारी एवं सं कल्पवाि पुरूष के कर्दम चूमती है । वरर्दराि भी
अपिी मेहित से पंनडत बि गए थे। लगि और कठोर पररश्रम ही सफलता की असल कुंिी है । िो व्यखि

संघषण करिे से िहीं घबराता, वही सफलता का सच्चा अनधकारी होता है ।

भारत में सूखे की समस्या

सूखा एक मंर्द गनत से उत्पन्न आपर्दा है , िो हमारे आनथणक, औद्ोनगक और सामानिक क्षेत्र को कमिोर
करता है । इससे नवकास की प्रनक्रर्ा उलि िाती है । र्ह एक नविाशकारी प्राकृनतक आपर्दा है िो लगातार

पािी की कमी से उत्पन्न होती है । सूखा सामान्यतः िल असंतुलि, कृनष, पशु धि अथवा मािव
आवश्यकताओं को बुरी तरह से प्रभानवत करती है । इसके कारर्ों में मुख्य हैं - र्दनक्षर् पनश्चम मािसूि का

र्दे री से शुरू होिा, मािसूि में अंतराल र्ा समर् पू र्ण समाप्त होिा तथा इसका असमाि रूप से होिा।
मािवीर् गनतनवनधर्ाुँ भी सू खे को आमंनत्रत करती हैं िै से- वि किाई, भू -उपर्ोग में पररवतणि और

अत्यनधक घास का चरिा। ग्लोबल वानमिंग और ग्रीि हाउस प्रभाव भी सूखे पडिे के कारर्ों में सहार्क होते
है । इससे बचिे के नलए हमें िल संसाधि प्रबंधि को उन्नत करिा होगा। बाुँ ध बिािा, िल संचर्ि प्रबंधि,

वि उन्मूलि पर रोक, सूखारोधी फसलों का चर्ि करिे के साथ लोगों को नशनक्षत, प्रनशनक्षत और िागरूक
बिािा होगा तानक इसकी रोकथाम कर सकें और सूखे िैसी आपर्दाओं से मुि रहे , र्दूर रहे ।

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नशक्षा का महत्त्व

'नशक्षा' एक नितां त व्यापक शब्द है , निसकी प्रनक्रर्ा िीविभर चलती रहती है । नशक्षा प्राप्त कर मिुष्य
वास्तव में मिुष्य कहलािे का अनधकारी बिता है । नशक्षा के र्दो प्रमुख स्वरूप होते हैं - औपचाररक नशक्षा

और अिौपचाररक नशक्षा । औपचाररक नशक्षा नवद्ालर्ों में प्रर्दाि की िाती है । ऐसी नशक्षा प्राप्त कर व्यखि
अपिे कमण क्षे त्र में आगे ब़िता है । इसके कई प्रकार होते हैं , िैसे- र्ां नत्रक और तकिीकी नशक्षा, वैज्ञानिक

ज्ञाि की नशक्षा, गनर्त एवं खगोल शास्त्र की नशक्षा, धानमणक एवं सामानिक नशक्षा, सानहखत्यक नशक्षा आनर्द ।
अिौपचाररक नशक्षा घर में ही माता-नपता तथा संबंनधर्ों द्व रा प्रर्दाि की िाती है । अपिे पररवार से संस्कार

प्राप्त कर बालक नवद्ालर् की उच्च नशक्षा से पररनचत होकर समाि का उपर्ोगी िागररक बिता है ।

नशनक्षत व्यखि अपिे ज्ञाि, अिुशासि, सर्दाचार, र्दर्ा, प्रेम और सद्भाव से समाि का उत्थाि करता है ।
मािव के आखत्मक व बौखद्धक नवकास का अचूक मंत्र नशक्षा ही है ।

15. अपिे क्षेत्र में पेय िि की समस्यय कय उल्लेख करते हुए नर्दल्ली िि बोडव के प्रबंधक को िगभग 100 शब्ों

में एक पत्र निखखए। (5x1= 5 Marks)


अ. ब. स.

िई नर्दल्ली

नर्दिां क : 17 िूि, 20xx


सेवा में

संपार्दक महोर्दर्
नर्दल्ली िल बोडण

शामीमार बाग, नर्दल्ली


नवषर् : पेर्िल की समस्या के संर्दभण में |

महोर्दर्
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्याि पेर्िल की अनिर्नमत्ता की ओर नर्दलािा चाहता हुँ । नर्दल्ली में पािी का

संकि लगातार गहराता िा रहा है । लोगों में बेचैिी ब़ि रही है । एक तो गमी का मौसम है और ऊपर से पािी की
उनचत आपूनतण िहीं हो रही है । बहुत कम समर् के नलए पािी आता है और वो भी तीसरी-चौथी मंनिल तक िहीं च़ि
पाता। पािी इतिा गंर्दा होता है नक निसको पीिा तो र्दूर की बात है , अन्य कार्ों में उपर्ोग करिा भी संभव िहीं

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होता। लोग परे शाि हो चुके है । थोडा बहुत पािी भरिा भी चाहें , तो केवल कुछ ही समर् में पािी आिा समाप्त हो
िाता है पािी व्यखि की आधारभूत आवश्यकता है । इसके नबिा िीवि संभव िहीं हैं कई बार क्षेत्र के नवधार्क और

निगम पाषणर्द को नलखखत रूप में सूनचत नकर्ा िा चुका है , लेनकि कोई हल िहीं निकला। अं त में हारकर आपको
पत्र नलख रहा हुँ ।

आशा है नक आप इस समस्या की गंभीरता को समझें गे और ििता को हो रही असुनवधा को ध्याि में रखते हुए हमें
इस संकि से मुखि नर्दलाएं गे।

सधन्यवार्द ।
भवर्दीर्

क.ख.ग.

अथवा
रे ि द्वयरय बुक करवय कर भेिय गयय घरे िू सयमयि आपके निवयस के निकटस्थ स्टे शि तक िही ं पहुाँचय।

इसकी नशकययत करिे हेतु रे ि प्रबंधक को िगभग 100 शब्ों में एक पत्र निखखए। (5 x 1 = 5 )

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अ. ब. स.
िई नर्दल्ली

नर्दिां क : 20 मई, 20xx

सेवा में
रे ल प्रबंधक

मुंबई रे लवे स्टे शि


मुंबई।

नवषर् : रे ल द्वारा बुक सामाि िोधपुर स्टे शि पर ि पहुुँ चिे हे तु ।

महोर्दर्
निवेर्दि र्ह है नक मैं रािस्थाि के िोधपुर क्षेत्र का निवासी हुँ नपछले माह मेरा तबार्दला मुंबई से िोधपुर हुआ है ।

मैंिे अपिा घरे लू सामाि मुंबई से िोधपुर आिे वाली एक्सप्रेस गाडी में नर्दिां क 5 मई, 20xx को बुक करवार्ा था
लेनकि आि पं द्रह नर्दि पश्चात भी मेरा अपिा सामाि अपिे घर के निकिस्थ िोधपु र स्टे शि पर िहीं पहुुँ चा ।

मेरा आपसे अिुरोध है नक आप इसकी िाुँ च करवाइए तानक मेरा सामाि मुझे नमल सके। मेरा खिप िं . 12345 है ।
र्नर्द मेरा सामाि मुझे नमल िाए तो मैं आपका आभारी रहुँ गा ।

सधन्यवार्द ।
प्राथी क ख ग

16. नवद्यिय पररसि में आपकी घडी कही ं नगर गई है। घडी खोिे से संबंनधत िगभग 80 शब्ों में एक सूचिय

निखखए। (4x1 = 4 Marks)

20 | Page SUBJECT: HINDI GRADE: 10 PERIODIC TEST 3


अथवा
आप क.ख. ग. नवद्यिय की नहंर्दी की अध्ययनपकय / अध्ययपक हैं। नवद्यिय पनत्रकय के निए छयत्रों से रचियएाँ

माँगवयिे हेतु िगभग 80 शब्ों में एक सूचिय निखखए ।

17. निम्ननिखखत में से नकसी एक नवषय पर िगभग 60 शब्ों में नवज्ञयपि तैययर कीनिए - (3x1= 3 Marks)

(1) नवद्यिय के वयनषवकोत्सव के अवसर पर नवद्यनथवयों द्वयरय निनमवत हस्तकिय की वस्तुओ ं की प्रर्दशविी
के प्रचयर हेतु िगभग 60 शब्ों में एक नवज्ञयपि निखखए ।

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अथवय

(2) शैंपू बिािे वाली कंपिी के मानलक िे नवज्ञापि बिािे को नर्दर्ा है । आकषणक नवज्ञापि लगभग 60 शब्दों में
तैर्ार कीनिए ।

18. (1) 'बुरय करिे कय फि बुरय ही होतय है ' नवषय पर िघु कथय िगभग 100 शब्ों में निखखए। (5 x 1 = 5)

बुरा करिे का फल बुरा ही होता है ।


एक बार नकसी गां व से तीि भाई धि कमािे के नलए परर्दे श रवािा हुए। रास्ते में उन्हें उन्हीं की तरह र्ात्रा पर

निकला नकसाि नमला, निसके पास कुछ धि था। सभी भाइर्ों के मि में नकसाि को ठगिे का नवचार आर्ा। उन्होंिे
उसे र्ात्रा में साथ ले नलर्ा। रात को वे एक मंनर्दर में रूके तो तीिों भाइर्ों िे नकसाि को खािा लेिे भेिा। िब वह

खािा लेकर आर्ा तो उसे नकसी काम में उलझाकर अनधकां श खािा तीिों िे खा नलर्ा। नकसाि बेचारा अधपे िा ही
रहा गर्ा। वह आगे के नलए सावधाि हो गर्ा और उसिे बर्दला लेिे का निश्चर् नकर्ा ।

22 | Page SUBJECT: HINDI GRADE: 10 PERIODIC TEST 3


परर्दे श में धि कमाकर लौििे से पहले तीिों िे नकसाि से रात को खीर बिवाई और कहा, 'निसे सबसे अच्छा
सपिा आएगा, वही इस खीर को सुबह खाएगा।' चतुर नकसाि िे उिके सोिे के बार्द सारी खीर खा ली। सुबह तीिों

भाइर्ों िे सपिे सुिािे शुरू नकए। एक िे कहा, 'मैंिे िर्पुर िरे श को सपिे में मेरा सत्कार करते र्दे खा ।' र्दूसरा
बोला, 'मैं ओरछा र्दरबार में रािा के साथ ितणनकर्ों का िृत्य र्दे ख रहा था।'

तीसरे िे कहा, 'मैं तो सपिे में मक्का पहुं च गर्ा। इसके बार्द नकसाि बोला, 'सपिे में मुझे एक बनलष्ठ आर्दमी िे खूब
मारा और सारी खीर खािे को बाध्य कर नर्दर्ा।' र्ह सु िते ही तीिों नचल्लाए, 'तूिे हमें िगार्ा क्यों िहीं? हम तुझे

बचा लेते।' नकसाि बोला, 'कैसे िगाता? तुम तीिों तो तीि अलग शहरों में थे।
अथवा

(2) नहंर्दी शैनक्षक भ्रमर् के रूप में इस बयर आपकी कक्षय नकसी गयाँव में एक सप्तयह तक प्रौढ़ नशक्षय कय

कययवक्रम करिे की इच्छय रखती है। इसके निए अिुमनत मयाँगते हुए प्रधयियचययव को ई-मेि निखखए।

To principallsss@gmail.com

From abcxyz89@gmail.com Cc Bcc

Subject शैनक्षक भ्रमर् के नलए नकसी गाुँ व में भेििे का आग्रह |

महोर्दर्,
िैसा नक आप िािते ही हैं , हमारे नवद्ालर् की ओर से प्रनतवषण शैनक्षक भ्रमर् पर ले िार्ा िाता है ।

हमारी कक्षा के सभी नवद्ाथी चाहते हैं नक इस कार्ण क्रम के तहत इस बार कािपुर र्दे हात के नकसी एक
गाुँ व में एक सप्ताह का समर् नबताएुँ । इस | र्दौराि हम र्हाुँ के निरक्षर लोगों को अक्षर ज्ञाि करवािे का

प्रर्ास करें । हमारे नलए र्ह अवसर एक पंथ र्दो काि करिे के समाि होगा। उिके बीच रहकर हम
ग्रामीर् िीवि के बारे में बहुत कुछ िाि सकेंगे और अपिी ओर से उन्हें नवद्ार्दाि र्दे सकेंगे। हम आशा

करते हैं नक आप हमारी भाविाओं को र्दे खते हुए हमें इस साल शैनक्षक भ्रमर् के नलए नकसी गाुँ व में |
िािे की अिुमनत र्दे कर कृताथण करें गे।

सधन्यवार्द
भवर्दीर् (मॉनििर)

कक्षा -10 'बी'

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