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GRADE 10 PRE-BOARD QUESTION PAPER (2023-24) ANSWER KEY - Manisha
GRADE 10 PRE-BOARD QUESTION PAPER (2023-24) ANSWER KEY - Manisha
2. खंड 'अ' में उपप्रश्नों सनहत 45 वस्तुपरक प्रश्न पू छे गए हैं । नर्दए गए निर्दे शों का पालि करते हुए कुल 40 प्रश्नों के
उत्तर र्दीनिए।
3. खंड 'ब' में वर्णिात्मक प्रश्न पूछे गए हैं , आं तररक नवकल्प भी नर्दए गए हैं ।
4. निर्दे शों को बहुत सावधािी से पऩिए और उिका पालि कीनिए ।
5. र्दोिों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं । र्दोिों खंडों के प्रश्नों के उत्तर र्दे िा अनिवार्ण है ।
6. र्थासंभव र्दोिों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः नलखखए ।
बडा बिाकर र्दे खता है और अपिे पहाड के समाि बडे पापों को र्दे खते हुए भी िहीं र्दे खता । सज्जि र्ा महात्मा ठीक
इससे नवपरीत होते हैं । उिका ध्याि र्दूसरों की बिार् केवल अपिे र्दोषों पर िाता है । अनधकां श व्यखिर्ों में कोई-
ि-कोई बुराई अवश्य होती है । कोई भी बुराई ि होिे पर व्यखि र्दे वता की कोनि में आ िाता है । मिुष्य को अपिी
बुराइर्ों को र्दूर करिे का प्रर्त्न करिा चानहए, ि नक र्दूसरों की कनमर्ों को लेकर छींिाकशी करिे र्ा िीका-निप्पर्ी
करिे का। अपिे मि की परख मि को पनवत्र करिे का सबसे उत्तम साधि है । आत्मनिरीक्षर् आत्मा की उन्ननत का
सवणश्रेष्ठ मागण है । महात्मा कबीर िे कई बार स्पष्ट रूप से कहा था नक मैंिे िीवि में नहमालर् िैसी बडी भूल की है ।
अपिी भूलों को ध्याि र्दे िा था उन्हें स्वीकार करिा आत्मबल का नचह्न है । िो लोग र्दूसरों के सामिे अपिी भूल िहीं
मािते और ि ही अपिे को र्दोषी स्वीकार करते हैं , वे सबसे बडे कार्र हैं , निसका अंतः करर् शीशे के समाि उिला
है , उसे झि अपिी भूल महसूस हो िाती है । मि तो र्दपणर् है । मि में पाप है तो िग में पाप नर्दखाई र्दे ता है । पनवत्र
(क) कार्र की
(ख) राक्षस की
(5) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पऩिए । उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक
कारर् (R) : सज्जि लोगों का ध्याि र्दूसरों की बिार् अपिे र्दोषों पर िाता है ।
(क) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों गलत हैं ।
(ख) कथि (A) गलत है लेनकि कारर् (R) सही है ।
2. निम्ननिखखत गद्यंश को ध्ययिपूववक पढ़कर इसके आधयर पर सवयवनधक उपयुक्त उत्तर वयिे नवकल्प चुिकर
बेवकूफ कहिा चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं । गधा सचमुच बेवकूफ है र्ा उसके सीधेपि, उसकी निरापर्द सनहष्णुता
िे उसे र्ह पर्दवी र्दे र्दी है , इसका निश्चर् िहीं नकर्ा िा सकता। गार्ें सींग मारती हैं , ब्याई हुई गार् तो अिार्ास ही
नसंहिी का रूप धारर् कर लेती है । कुत्ता भी बहुत गरीब िािवर है , लेनकि कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही िाता है ,
लेनकि गधे को कभी क्रोध करते िहीं सुिा, ि र्दे खा । नितिा चाहे उसे मारो, चाहे िैसी खराब सडी हुई घास सामिे
डाल र्दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छार्ा भी ि नर्दखाई र्दे गी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो;
पर हमिे तो उसे कभी खुश होते िहीं र्दे खा। उसके चेहरे पर एक स्थार्ी नवषार्द छार्ा रहता है । सुख-र्दु ख, हानि-लाभ
नकसी र्दशा में भी उसे बर्दलते िहीं र्दे खा । ऋनष-मुनिर्ों के नितिे गुर् हैं , वह सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुुँ च गए हैं ,
पर आर्दमी उसे बेवकूफ कहता है । सर्द्गुर्ों का इतिा अिार्दर कहीं िहीं र्दे खा। कर्दानचत सीधापि संसार के नलए
उपर्ुि िहीं है । र्दे खखए ि, भारतवानसर्ों की अफ्रीका में क्यों अमरीका में उन्हें घु सिे िहीं नर्दर्ा िाता? बेचारे शराब
िहीं पीते, चार पैसे कुसमर् के नलए बचाकर रखते हैं , िी तोडकर काम करते हैं , नकसी से लडाई-झगडा िहीं करते,
चार बातें सुिकर गम खा िाते हैं नफर भी बर्दिाम हैं । कहा िाता है , वे िीवि के आर्दशण को िीचा करते हैं । अगर वे
ईंि का िवाब पत्थर से र्दे िा सीख िाते तो शार्र्द सभ्य कहलािे लगते ।
(1) लेखक र्ह निश्चर् क्यों िहीं कर पाता नक गधा बेवकूफ है र्ा सीधा ?
(5) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पऩिए । उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक
(घ) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों सही हैं तथा कारर् (R) कथि (A) की सही व्याख्या करता है ।
3. निर्दे शयिुसयर ‘पर्दबंध’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए-
(4x1= 4 Marks)
(1) तताुँ रा एक िेक और ईमािर्दार व्यखि था। इस वाक्य में रे खां नकत पर्दबंध है - 9
(क) संज्ञा पर्दबंध (ख) सवणिाम पर्दबंध
(ग) नवशेषर् पर्दबंध (घ) नक्रर्ा नवशेषर् पर्दबंध
(क) वामीरो फिती हुई धरती के नकिारे चीखती हुई र्दौड रही थी।
(ख) पास में एक सुंर्दर और शखिशाली र्ुवक रहा करता था ।
(ग) िापाि में चार् पीिे की नवनध को चा-िो- र्ू कहते हैं ।
(घ) बार्दशाह सु लेमाि मािव िानत के साथ-साथ पशु पनक्षर्ों के भी रािा हैं ।
(4) बडे भाई साहब उपर्दे श र्दे िे की कला में निपुर् थे। इस वाक्य में संज्ञा पर्दबंध है - 8
(क) बडे भाई साहब (ख) उपर्दे श र्दे िे की कला
(5) 'उसिे तताुँ रा को तरह-तरह से अपमानित नकर्ा। इस वाक्य में रे खां नकत पर्दबंध है - 8
(क) नवशेषर् पर्दबंध (ख) संज्ञा पर्दबंध
4. निर्दे शयिुसयर ‘ रचिय के आधयर पर वयक्य भेर्द’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों
के उत्तर र्दीनिए – (4x1= 4 Marks)
(1) आि प़ििे की इच्छा िहीं है , क्योंनक आि गमी बहुत है ।' इस वाक्य का सरल वाक्य होगा-
(3) तुम मुझे अपिे िन्म का समर् और स्थाि बताओ।' इस वाक्य का नमश्र वाक्य होगा-
(क) मुझे बताओ नक तुम्हारा िन्म कब और कहाुँ हुआ था
(5) र्ह सब तब हुआ िब मैं अिुपखस्थत था।' रचिा के आधार पर इस वाक्य का भेर्द होगा-
5. निर्दे शयिुसयर ‘ समयस’ पर आधयररत पयाँच बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए –
(4x1= 4 Marks)
(1) 'निशाचर' शब्द में कौि-सा समास है ?
(क) बहुव्रीनह समास
6. निर्दे शयिुसयर ‘ मुहयवरे ’ पर आधयररत छह बहुनवकल्पीय प्रश्नों में से नकन्ी ं चयर प्रश्नों के उत्तर र्दीनिए –
(4x1= 4 Marks)
(1) आिकल पाखंडी बाबा लोगों का काम सीधे-सार्दे लोगों को __________ है । ररि स्थाि की पूनतण सिीक
मुहावरे से कीनिए
(5) चीि अब भारत की सीमाओं पर __________ है । उपर्ुि मुहावरे से ररि स्थाि की पूनतण कीनिए
(क) आुँ ख लगाए हुए
(6) आि के र्ु ग में निद्दी लोग पीछे रह िाते हैं । अथण के नलए उपर्ुि मुहावरा है ।
7. निम्ननिखखत पद्यंश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के निए सही नवकल्प कय चयि कीनिए
(5x1= 5 Marks)
रहो ि भूल के कभी मर्दां ध तुच्छ नवत्त में,
(क) िो धिहीि है ।
(ख) िो निडर रहता है
(क) रािा के
(ख) ईश्वर के
(ग) राक्षसों के
(घ) र्दे वताओं के
(5) निम्ननलखखत वाक्यों को ध्यािपूवणक पऩिए- पद्ां श से मेल खाते वाक्यों के नलए उनचत नवकल्प चुनिए-
8. निम्ननिखखत प्रश्नों के उत्तर र्दे िे के निए उनचत नवकल्प कय चयि कीनिए - (2x1= 2 Marks)
(1) 'पवणत प्रर्दे श में पावस कनवता में झरिे क्या कर रहे हैं ?
(2) र्दे श पर बनलर्दाि होता सैनिक र्दे श को नकसके हवाले करिे की बात करता है ?
(क) राििेताओं के
(ख) शत्रु सैनिकों के
9. निम्ननिखखत गद्यंश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के निए सही नवकल्प कय चयि कीनिए -
(5x1= 5 Marks)
वामरो घर पहुुँ चकर भीतर ही भीतर कुछ बेचैिी महसू स करिे लगी। उसके भीतर तताुँ रा से मुि होिे की एक झूठी
छिपिाहि थी। एक झल्लाहि में उसिे र्दरवािा बंर्द नकर्ा और मि को नकसी और नर्दशा में ले िािे का प्रर्ास नकर्ा।
बार-बार तताुँ रा का र्ाचिा भरा चेहरा उसकी आुँ खों में तैर िाता। उसिे तताुँ रा के बारे में कई कहानिर्ाुँ सुि रखी थीं
उसकी कल्पिा में वह एक अर्द्भुत साहसी र्ुवक था। नकंतु वही तताुँ रा उसके सम्मुख एक अलग रूप में आर्ा ।
सुंर्दर, बनलष्ठ नकंतु बेहर्द शां त, सभ्य और भोला । उसका व्यखित्व कर्दानचत वैसा ही था िैसा वह अपिे िीवि साथी
के बारे में सोचती रही थी नकंतु एक र्दूसरे गाुँ व के र्ुवक के साथ र्ह संबंध परं परा के नवरुद्ध था । अतएव उसिे उसे
भूल िािा ही श्रे र्स्कर समझा। नकंतु र्ह असंभव िाि पडा। तताुँ रा बार-बार उसकी आुँ खों के सामिे था । निनिणमेष
र्ाचक की तरह प्रतीक्षा में डूबा हुआ ।
(1) वामीरो के नलए तताुँ रा को भूलिा आवश्यक था, क्योंनक
(क) आह्लानर्दत
(ख) संर्त
(ग) संकुनचत
(घ ) बेचैि
(3) निम्ननलखखत कथि (A) तथा कारर् (R) को ध्यािपूवणक पढ उसके बार्द नर्दए गए नवकल्पों में से कोई एक
सही नवकल्प चुिकर नलखखए।
कथि (A) : वामीरो घर पहुुँ चकर एक अिीब सी खुशी महसूस कर रही थी।
कारर् (R) : वामीरो तताुँ रा के व्यखित्व से अत्यनधक प्रभानवत िहीं थी ।
(ग) कथि (A) सही है लेनकि कारर् (R) कथि (A) की गलत व्याख्या करता है
(घ) कथि (A) तथा कारर् (R) र्दोिों सही हैं तथा कारर् (1 कथि (A) की सही व्याख्या करता है ।
10. निम्ननिखखत प्रश्नों के उत्तर र्दे िे के निए उनचत नवकल्प कय चयि कीनिए (2x1= 2 Marks)
(1) निम्ननलखखत में से कौि-से वाक्य नगन्नी का सोिा' पाठ से प्राप्त प्रेरर्ा को र्दशाण ते हैं -
(i) र्दूसरों के सुख - र्दु ः ख से सरोकार रखिा चानहए।
11. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए - (3x2= 6 Marks)
(1) छोिे भाई के मि में बडे भाई के प्रनत श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई? (बडे भाई साहब पाठ के आधार पर बताइए)
उत्तर :
छोिा भाई खेलकूर्द में बहुत रुनच रखता था क्लास में अव्वल आिे पर वह र्ह सोचिे लगा था नक वह प़िे
र्ा ि प़िे वह अच्छे अंको से पास हो ही िाएगा। इस कारर् वह पूरा नर्दि खेलता रहता उसके अंर्दर से बडे
भाई का डर भी िाता रहा। उसके बडे भाई िे उसे पतं ग उडाते समर् पकड नलर्ा उसे समझार्ा नक आगे
उसे आभास हो गर्ा नक उसकी सफलता के पीछे उसके बडे भाई की प्रेरर्ा है ,और उसके मि में उिके
प्रनत श्रद्धा भाव िागृत हुआ।
(2) िब से कािूि भंग का काम शुरू हुआ है तब से आि तक इतिी बडी सभा ऐसे मैर्दाि में िहीं की गई थी
और र्ह सभा तो कहिा चानहए नक ओपि लडाई थी।’ र्हाुँ पर कौि से और नकसके द्वारा लागू नकए गए
कािूि को भंग करिे की बात कही गई है ? क्या कािूि भंग करिा उनचत था?( डार्री का एक पन्ना) पाठ
के संर्दभण में अपिे नवचार प्रकि कीनिए।
उत्तर :
िब पुनलस कनमश्नर का िोनिस निकला नक अमुक-अमुक धारा के अिुसार कोई सभा िहीं हो सकती और
सभा में भाग लेिे वालों को र्दोषी समझा िाएगा, तो कौंनसल की तरफ़ से भी िोनिस निकाला गर्ा नक
मोिुमेंि के िीचे ठीक चार बिकर चौबीस नमिि पर झंडा फहरार्ा िाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रनतज्ञा प़िी
िाएगी। इस तरह से पुनलस कनमश्नर द्वारा सभा स्थनगत करिे िैसे लागू कािूि को कौंनसल की तरफ़ से
भंग नकर्ा गर्ा था; िोनक उनचत था, क्योंनक इसके नबिा आजार्दी की आग प्रज्वनलत ि होती।
(3) लेखक िे ऐसा क्यों नलखा है नक तीसरी कसम िे सानहत्य-रचिा के साथ शत-प्रनतशत न्यार् नकर्ा है ?
उत्तर:
फर्ीश्वर िाथ रे र्ु की पुस्तक मारे गए गुलफाम पर ' तीसरी कसम नफल्म' आधाररत है । शैलेंद्र का उद्दे श्य
पैसे कमािा िहीं था बखि एक अर्द्भुत कृनत की रचिा करिा था। उिके इस र्ोगर्दाि के कारर् एक सुंर्दर
नफल्म 'तीसरी कसम' के रूप में हमारे सामिे प्रस्तुत हुई है । उिके द्वारा पूरी कहािी को र्था रूप में
प्रर्दनशणत नकर्ा गर्ा।शै लेंद्र िे घििाओं, प्रसंग और पात्रों के व्यखित्व में कुछ भी बर्दलाव िहीं नकर्ा है ।
कहािी में र्दी गई बारीनकर्ाुँ और छोिी-मोिी बातों को नफ़ल्म के माध्यम से पू र्ण रूप से सामिे लार्ा गर्ा
है । लेखक िे इसनलए कहा है नक तीसरी कसम िे सानहत्य-रचिा के साथ शत प्रनतशत का न्यार् नकर्ा है ।
12. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए - (3x2= 6 Marks)
(1) कवनर्त्री मीराबाई िे नगरधर नकसे और क्यों कहा है ?
उत्तर:
कवनर्त्री मीराबाई िे नगरधर श्रीकृष्ण को कहा है । इस शब्द के द्वारा कृष्ण की भि-वत्सलता को बतार्ा
गर्ा है । कृष्ण िे बालपि में ही इं द्र के कोप से ब्रिवानसर्ों को बचािे के नलए गोवधणि पवणत को अपिी
को भी र्दूर करें ।
(2) र्दीपक नर्दखाई र्दे िे पर अुँनधर्ारा कैसे मि िाता है ? साखी के सन्दभण में स्पष्ट कनिए |
उत्तर:
तीसरी साखी में कबीर का र्दीपक से तात्पर्ण ईश्वर र्दशण ि से है तथा अुँनधर्ारा से तात्पर्ण अज्ञाि से है । ईश्वर
को सवोच्च ज्ञाि कहा गर्ा है अथाण त िब नकसी को सवोच्च ज्ञाि के र्दशणि हो िार्े तो उसका सारा अज्ञाि
र्दूर होिा सम्भव है ।
उत्तर :
1857 की तोप से कनव का संकेत भारतीर् स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम की ओर है िब अंग्रेिो िे भारतीर्ों पर
अत्याचार नकए थे और स्वतं त्रता सेिानिर्ों िे आिार्दी के नलए आवाि उठाई थी। अंग्रेिों िे इि वीरों पर
तोपो से वार नकए थे अिेक वीर इि तोपों की बनल च़ि गए थे। आि भी र्ह तोप हमें उि वीरों की र्ार्द
नर्दलाते हुए स्मरर् कराती है नक हमे र्दीरों के बनलर्दाि को िहीं भूलिा है । र्द्नप र्ह तोप अब बच्चों को
घुडसवारी का साधि बि गई है । पीनडर्ों की गपशप का स्थाि बि गई है परं तु र्ह अपिे अतीत की
कहािी कहती है ।
13. निम्ननिखखत में नकन्ी ं र्दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 60 शब्ों में र्दीनिए (3x2= 6 Marks)
(1) हररहर काका िे सम्पनत्त से संबंनधत क्या निर्णर् नलर्ा और क्यों?
उत्तर:
हररहर काका िे संपनत्त से संबंनधत र्ह निर्णर् नलर्ा नक िीते िी र्दे अपिी सं पनत्त नकसी के िाम िहीं करें गे।
महं त िी के र्दु व्यणवहार के कारर् अब हररहर काका एक सीधे-सार्दे और भोले नकसािे की अपेक्षा चतुर
और ज्ञािी हो चले थे। उन्हें र्ह बात समझ में आ गई थी नक उिके भाई अचािक उिको िो आर्दर सम्माि
र्दे िे लगे हैं उसकी विह उिकी िार्र्दार्द है रमेसर की नवधवा की र्दु गणनत का उर्दाहरर् भी उिके सामिे था।
इसनलए अब र्े नकसी की नचकिी-चुपडी बातों में िहीं आिा चाहते थे।
(2) पीिी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौि के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीनिए।
उत्तर:
नितिा सख्त अध्यापक ि कभी नकसी िे र्दे खा था और ि सुिा था। र्नर्द कोई लडका अपिा नसर भी इधर-
उधर नहला लेता र्ा पाुँ व से र्दूसरे पाुँ व की नपंडली खुिलािे लगता, तो वह उसकी ओर बाघ की तरह झपि
पडते और ‘खाल खींचिे ’ (कडा र्दं ड र्दे िा, बहुत अनधक मारिा-पीििा) के मुहावरे को सामिे करके नर्दखा
र्दे ते। र्ही कारर् था नक िब स्कूल में स्काउनिं ग का अभ्यास करते हुए कोई भी नवद्ाथी कोई गलती ि
करता, तो पीिी साहब अपिी चमकीली आुँ खें हलके से झपकाते और सभी को शाबाश कहते। उिकी एक
शाबाश लेखक और उसके सानथर्ों को ऐसे लगिे लगती िैसे उन्होंिे नकसी फ़ौि के सभी पर्दक र्ा मैडल
इस्तेमाल होता है नकंतु िब िोपी शुक्ला के मुख से “अम्मी” शब्द सुिा गर्ा तब घरवालों के होश उड गए।
उिकी परं पराओं की र्दीवार डोलिे लगी। उिका धमण सं कि में पड गर्ा। सभी की आुँ खें िोपी के चेहरे पर
िम गईं नक उिकी सं स्कृनत के नवपरीत र्ह शब्द घर में कैसे आ गर्ा। िब िोपी िे बतार्ा नक र्ह उसिे
अपिे र्दोस्त इफ़्फ़ि के घर से सीखा है तो उसकी माुँ व र्दार्दी िे उसकी खूब िमकर नपिाई की।
14. निमनिखखत में से नकसी एक नवषय पर संकेत -नबन्र्दु ओ ं के आधयर पर िगभग 100 शब्ों में अिुच्छेर्द
मािनसक सोच
सफलता की कुंिी
प्रभाव
बचिे के उपार्
सफलता हे तु सं घषण
सत्त प्रर्ास से ही हम कनठितम कार्ण को भी संभव कर सकते हैं अथाण त हम सफलता पा सकते हैं । चींिी
अपिे कार्ण में सफल होिे के नलए सुबह से शाम तक संघषण करती है । नचनडर्ा नतिका-नतिका िोडकर
अपिा घर बिाती है । हर एक का कोई ि कोई उद्दे श्य होता है , निसे पािे के नलए हमें कनठि प्रर्ास करिा
पडता है । हमारा र्ही संघषण हमारे नलए सफलता के द्वार खोलता है । सफलता पािे के नलए हमारा निश्चर्
दृ़ि होिा चानहए तथा निगाहें अिुणि की भाुँ नत अपिे लक्ष्य पर ही होिी चानहए । हमें र्ार्द रखिा चानहए नक
िहाुँ चाह, वहाुँ राह।' सफलता प्रबल इच्छाधारी एवं सं कल्पवाि पुरूष के कर्दम चूमती है । वरर्दराि भी
अपिी मेहित से पंनडत बि गए थे। लगि और कठोर पररश्रम ही सफलता की असल कुंिी है । िो व्यखि
सूखा एक मंर्द गनत से उत्पन्न आपर्दा है , िो हमारे आनथणक, औद्ोनगक और सामानिक क्षेत्र को कमिोर
करता है । इससे नवकास की प्रनक्रर्ा उलि िाती है । र्ह एक नविाशकारी प्राकृनतक आपर्दा है िो लगातार
पािी की कमी से उत्पन्न होती है । सूखा सामान्यतः िल असंतुलि, कृनष, पशु धि अथवा मािव
आवश्यकताओं को बुरी तरह से प्रभानवत करती है । इसके कारर्ों में मुख्य हैं - र्दनक्षर् पनश्चम मािसूि का
र्दे री से शुरू होिा, मािसूि में अंतराल र्ा समर् पू र्ण समाप्त होिा तथा इसका असमाि रूप से होिा।
मािवीर् गनतनवनधर्ाुँ भी सू खे को आमंनत्रत करती हैं िै से- वि किाई, भू -उपर्ोग में पररवतणि और
अत्यनधक घास का चरिा। ग्लोबल वानमिंग और ग्रीि हाउस प्रभाव भी सूखे पडिे के कारर्ों में सहार्क होते
है । इससे बचिे के नलए हमें िल संसाधि प्रबंधि को उन्नत करिा होगा। बाुँ ध बिािा, िल संचर्ि प्रबंधि,
वि उन्मूलि पर रोक, सूखारोधी फसलों का चर्ि करिे के साथ लोगों को नशनक्षत, प्रनशनक्षत और िागरूक
बिािा होगा तानक इसकी रोकथाम कर सकें और सूखे िैसी आपर्दाओं से मुि रहे , र्दूर रहे ।
'नशक्षा' एक नितां त व्यापक शब्द है , निसकी प्रनक्रर्ा िीविभर चलती रहती है । नशक्षा प्राप्त कर मिुष्य
वास्तव में मिुष्य कहलािे का अनधकारी बिता है । नशक्षा के र्दो प्रमुख स्वरूप होते हैं - औपचाररक नशक्षा
और अिौपचाररक नशक्षा । औपचाररक नशक्षा नवद्ालर्ों में प्रर्दाि की िाती है । ऐसी नशक्षा प्राप्त कर व्यखि
अपिे कमण क्षे त्र में आगे ब़िता है । इसके कई प्रकार होते हैं , िैसे- र्ां नत्रक और तकिीकी नशक्षा, वैज्ञानिक
ज्ञाि की नशक्षा, गनर्त एवं खगोल शास्त्र की नशक्षा, धानमणक एवं सामानिक नशक्षा, सानहखत्यक नशक्षा आनर्द ।
अिौपचाररक नशक्षा घर में ही माता-नपता तथा संबंनधर्ों द्व रा प्रर्दाि की िाती है । अपिे पररवार से संस्कार
प्राप्त कर बालक नवद्ालर् की उच्च नशक्षा से पररनचत होकर समाि का उपर्ोगी िागररक बिता है ।
नशनक्षत व्यखि अपिे ज्ञाि, अिुशासि, सर्दाचार, र्दर्ा, प्रेम और सद्भाव से समाि का उत्थाि करता है ।
मािव के आखत्मक व बौखद्धक नवकास का अचूक मंत्र नशक्षा ही है ।
15. अपिे क्षेत्र में पेय िि की समस्यय कय उल्लेख करते हुए नर्दल्ली िि बोडव के प्रबंधक को िगभग 100 शब्ों
िई नर्दल्ली
संपार्दक महोर्दर्
नर्दल्ली िल बोडण
महोर्दर्
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्याि पेर्िल की अनिर्नमत्ता की ओर नर्दलािा चाहता हुँ । नर्दल्ली में पािी का
संकि लगातार गहराता िा रहा है । लोगों में बेचैिी ब़ि रही है । एक तो गमी का मौसम है और ऊपर से पािी की
उनचत आपूनतण िहीं हो रही है । बहुत कम समर् के नलए पािी आता है और वो भी तीसरी-चौथी मंनिल तक िहीं च़ि
पाता। पािी इतिा गंर्दा होता है नक निसको पीिा तो र्दूर की बात है , अन्य कार्ों में उपर्ोग करिा भी संभव िहीं
निगम पाषणर्द को नलखखत रूप में सूनचत नकर्ा िा चुका है , लेनकि कोई हल िहीं निकला। अं त में हारकर आपको
पत्र नलख रहा हुँ ।
आशा है नक आप इस समस्या की गंभीरता को समझें गे और ििता को हो रही असुनवधा को ध्याि में रखते हुए हमें
इस संकि से मुखि नर्दलाएं गे।
सधन्यवार्द ।
भवर्दीर्
क.ख.ग.
अथवा
रे ि द्वयरय बुक करवय कर भेिय गयय घरे िू सयमयि आपके निवयस के निकटस्थ स्टे शि तक िही ं पहुाँचय।
इसकी नशकययत करिे हेतु रे ि प्रबंधक को िगभग 100 शब्ों में एक पत्र निखखए। (5 x 1 = 5 )
सेवा में
रे ल प्रबंधक
महोर्दर्
निवेर्दि र्ह है नक मैं रािस्थाि के िोधपुर क्षेत्र का निवासी हुँ नपछले माह मेरा तबार्दला मुंबई से िोधपुर हुआ है ।
मैंिे अपिा घरे लू सामाि मुंबई से िोधपुर आिे वाली एक्सप्रेस गाडी में नर्दिां क 5 मई, 20xx को बुक करवार्ा था
लेनकि आि पं द्रह नर्दि पश्चात भी मेरा अपिा सामाि अपिे घर के निकिस्थ िोधपु र स्टे शि पर िहीं पहुुँ चा ।
मेरा आपसे अिुरोध है नक आप इसकी िाुँ च करवाइए तानक मेरा सामाि मुझे नमल सके। मेरा खिप िं . 12345 है ।
र्नर्द मेरा सामाि मुझे नमल िाए तो मैं आपका आभारी रहुँ गा ।
सधन्यवार्द ।
प्राथी क ख ग
16. नवद्यिय पररसि में आपकी घडी कही ं नगर गई है। घडी खोिे से संबंनधत िगभग 80 शब्ों में एक सूचिय
17. निम्ननिखखत में से नकसी एक नवषय पर िगभग 60 शब्ों में नवज्ञयपि तैययर कीनिए - (3x1= 3 Marks)
(1) नवद्यिय के वयनषवकोत्सव के अवसर पर नवद्यनथवयों द्वयरय निनमवत हस्तकिय की वस्तुओ ं की प्रर्दशविी
के प्रचयर हेतु िगभग 60 शब्ों में एक नवज्ञयपि निखखए ।
(2) शैंपू बिािे वाली कंपिी के मानलक िे नवज्ञापि बिािे को नर्दर्ा है । आकषणक नवज्ञापि लगभग 60 शब्दों में
तैर्ार कीनिए ।
18. (1) 'बुरय करिे कय फि बुरय ही होतय है ' नवषय पर िघु कथय िगभग 100 शब्ों में निखखए। (5 x 1 = 5)
निकला नकसाि नमला, निसके पास कुछ धि था। सभी भाइर्ों के मि में नकसाि को ठगिे का नवचार आर्ा। उन्होंिे
उसे र्ात्रा में साथ ले नलर्ा। रात को वे एक मंनर्दर में रूके तो तीिों भाइर्ों िे नकसाि को खािा लेिे भेिा। िब वह
खािा लेकर आर्ा तो उसे नकसी काम में उलझाकर अनधकां श खािा तीिों िे खा नलर्ा। नकसाि बेचारा अधपे िा ही
रहा गर्ा। वह आगे के नलए सावधाि हो गर्ा और उसिे बर्दला लेिे का निश्चर् नकर्ा ।
भाइर्ों िे सपिे सुिािे शुरू नकए। एक िे कहा, 'मैंिे िर्पुर िरे श को सपिे में मेरा सत्कार करते र्दे खा ।' र्दूसरा
बोला, 'मैं ओरछा र्दरबार में रािा के साथ ितणनकर्ों का िृत्य र्दे ख रहा था।'
तीसरे िे कहा, 'मैं तो सपिे में मक्का पहुं च गर्ा। इसके बार्द नकसाि बोला, 'सपिे में मुझे एक बनलष्ठ आर्दमी िे खूब
मारा और सारी खीर खािे को बाध्य कर नर्दर्ा।' र्ह सु िते ही तीिों नचल्लाए, 'तूिे हमें िगार्ा क्यों िहीं? हम तुझे
बचा लेते।' नकसाि बोला, 'कैसे िगाता? तुम तीिों तो तीि अलग शहरों में थे।
अथवा
(2) नहंर्दी शैनक्षक भ्रमर् के रूप में इस बयर आपकी कक्षय नकसी गयाँव में एक सप्तयह तक प्रौढ़ नशक्षय कय
कययवक्रम करिे की इच्छय रखती है। इसके निए अिुमनत मयाँगते हुए प्रधयियचययव को ई-मेि निखखए।
To principallsss@gmail.com
महोर्दर्,
िैसा नक आप िािते ही हैं , हमारे नवद्ालर् की ओर से प्रनतवषण शैनक्षक भ्रमर् पर ले िार्ा िाता है ।
हमारी कक्षा के सभी नवद्ाथी चाहते हैं नक इस कार्ण क्रम के तहत इस बार कािपुर र्दे हात के नकसी एक
गाुँ व में एक सप्ताह का समर् नबताएुँ । इस | र्दौराि हम र्हाुँ के निरक्षर लोगों को अक्षर ज्ञाि करवािे का
प्रर्ास करें । हमारे नलए र्ह अवसर एक पंथ र्दो काि करिे के समाि होगा। उिके बीच रहकर हम
ग्रामीर् िीवि के बारे में बहुत कुछ िाि सकेंगे और अपिी ओर से उन्हें नवद्ार्दाि र्दे सकेंगे। हम आशा
करते हैं नक आप हमारी भाविाओं को र्दे खते हुए हमें इस साल शैनक्षक भ्रमर् के नलए नकसी गाुँ व में |
िािे की अिुमनत र्दे कर कृताथण करें गे।
सधन्यवार्द
भवर्दीर् (मॉनििर)