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12ब के बच्चों के आशीर्वचन हे तु

1. दिव्य भानु ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।

ज्यचदत पोंज का ह प्रकाश पलकचों पर दिखरे आशा।।

सकल सृदि की सकल भूदि की धन सों पिा तम्हारी,

दसिरन कर
ों ते री ऐ िाता कृपा कर दिपरारी,

सख की रादश दमले सि जन क है अरिास हमारी,

जन्नत के इरि सी महके जीवन िदिया प्यारी,

र्र्ाव स्नेहाशीष सभी पर रहे न क ई प्यासा।

दिव्य भान ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।

ज्य दत पोंज का ह प्रकाश पलक ों पर दिखरे आशा।।

2. सरुदच सय ग्य िन तम सि जन िन राष्ट्र दनमाा ता,

दर्प्लर् ह उन्माि तम्हारा, कमाशील प्रज्ञाता,

ह दर्नीत व्यवहार तम्हारे वाणी परम सहाता,

अोंशुमान के अदिदत रश्मीिण तम सा कौन सजाता,

अनु भर् कभी न िुः ख का ह वे िम न रहे ज़रा सा

दिव्य भान ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।

ज्य दत पोंज का ह प्रकाश पलक ों पर दिखरे आशा।।

3. मन की ईशा, िे दव तदनशा सिा कृपा िरसाएँ

दिया ररया सी सम्म हन की आभा नयी जिाएँ ,

यश की वषाा िे दव यादशका तमपे सिा लटाएँ ,

उर के वश ह िे दव उर्वशी पायल धन छनकाएँ ,

तन्वी तनु आर ग्य यक्त ह ओजपूणा ह भाषा

दिव्य भान ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।

ज्य दत पोंज का ह प्रकाश पलक ों पर दिखरे आशा।।

4. सू योिय की अरुदणम लाली ज्य ों िाची आकाश,


मख का आभा मण्डल िमके दवकीररत पूणा प्रकाश,
पीर नजूमी सा सुिान ह कर सम्पूणा प्रयास,
सहज सफलता सनि िनेिी रख अटू ट दवश्वास,
जीवन की हर सिह सनहरी ना ह कही ों कहासा ।
दिव्य भान ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।
ज्य दत पोंज का ह प्रकाश पलक ों पर दिखरे आशा।।
5 िन सों िदित मट्ठी की शक्तक्त क ल पहचान,
रहे तजानी या अनादिका सि हैं एक समान,
छ टा िड़ा क ई ना जि में सिका कर सम्मान,
सकल धरा ह एक कटों ि, ह एक प्रेम की भाषा ।
दिव्य भान ह ों उदित भाग्य के ये मेरी अदभलाषा।
ज्य दत पोंज का ह प्रकाश पलक ों पर दिखरे आशा।।

(इरम=जन्नत का ििीचा, समान=व्रत रखने वाला, तदनशा=इच्छाओों की िे वी)

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