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TARGET BOARD – Special for Board Exam

TARGET BOARD : मैिटि क परीक्षा की तैयारी अब Online माध्यम से घर बैठे कीरये Prince Sir के साथ (अब ट्यूशन जाने की जरुरत नही ) 1
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पूरा व्याकरण – Class 10 th

गद्य खण्ड
CHAPTER – 1 वणण एवं उच्चारण स्थान Page 1 - 9
CHAPTER – 2 शब्द-िवचार एवं वाक्य-िवचार
CHAPTER – 3 सं ज्ञा

िवषय – सूची
CHAPTER – 4 सवणनाम
CHPATER – 5 िवशेषण
CHPATER – 6 कारक
CHAPTER – 7 ुलं ग-िनणणय
CHAPTER – 8 काल
CHAPTER – 9 सं ुध-िवच्छे द
CHAPTER – 10 समास
CHAPTER – 11 उपसगण
CHAPTER – 12 पयाणयवाची शब्द
CHAPTER – 13 िवपरीताथणक शब्द
CHAPTER – 14 मुहावरे और लोकोिियााँ
CHAPTER – 15 अनेक शब्दों के ुलए एक शब्द
CHAPTER – 16 शब्दों की अशुिियााँ
CHAPTER – 17 वाक्यों की अशुिियााँ

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CHAPTER – 1 // वणण-िवचार
 वणण की पीरभाषा - ( i ) मूल स्वर के भेद
➨ वणण उस मूल ध्विन को कहते हैं , ुजसके खं ड या  मूल स्वर के तीन भेद होते है।
टु कडे नहीं िकये जा सकते। ( i ) ह्रस्व स्वर ( ii ) दीघण स्वर ( iii ) प्लुत स्वर
दूसरे शब्दों में, (i) ह्रस्व स्वर ➨ ुजन स्वरों के उच्चारण में कम समय
भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्विन है। और इस ध्विन को लगता है उन्हें ह्रस्व स्वर कहते है।
वणण कहते है। जैस-े अ , ई , व , च , क , ख इत्यािद। ह्रस्व स्वर चार होते है – अ, आ, उ, ऋ।
उदाहरण  ऋ ' की मात्रा (ृ ) के रूप में लगाई जाती है तथा
' राम ' और ' गया ' में चार - चार मूल ध्विनयााँ हैं, उच्चारण ' ीर ' की तरह होता है।
ुजनके खं ड नहीं िकये जा सकते (ii) दीघण स्वर ( Long Vowels ) ➨ वे स्वर ुजनके
➨ र + आ + म + अ = राम, उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है , वे दीघण
➨ ग + अ + य + आ = गया। स्वर कहलाते हैं।
िहन्दी में 52 वणण हैं। दीघण स्वर सात होते है - आ, ई , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ
वणणमाला ( Alphabet ) - वणों के क्रमबि समूह को दीघण स्वर दो शब्दों के योग से बनते है।
वणणमाला कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी वणणमाला जैस-े आ = ( अ + अ )
होती है। ई = (इ+इ)
िहंदी - अ , आ , क , ख , ग ..... ऊ = (उ+उ)
अंग्रेजी - A , B , C , D , E .... ए = (अ+इ)
 वणण के भेद ऐ = (अ+ए)
िहंदी भाषा में वणण दो प्रकार के होते है – ओ = (अ+उ)
( 1 ) स्वर ( vowel ) औ = (अ+ओ)
( 2 ) व्यं जन ( Consonant )
(iii) प्लुत स्वर ➨ वे स्वर ुजनके उच्चारण में दीघण स्वर
– स्वर ( vowel ) –
से भी अुधक समय यानी तीन मात्राओं का समय लगता
➨ वे वणण ुजनके उच्चारण में िकसी अन्य वणण की
है , प्लुत स्वर कहलाते हैं।
सहायता की आवश्यकता नहीं होती , स्वर कहलाता है।
सरल शब्दों में कहे तो ुजस स्वर के
स्वर वणण के उच्चारण में कं ठ , तालु का उपयोग होता है
उच्चारण में ितगुना समय लगे, उसे ' प्लुत स्वर ' कहते
जीभ , होठ का नहीं।
हैं। इसका ुचह्न ( ऽ ) है।
िहंदी वणणमाला में 11 स्वर है।
इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय िकया जाता है।
जैस-े अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
जैस-े सुनोऽऽ , राऽऽम , ओऽऽम्। िहन्दी में साधारणतः
स्वर के दो भेद होते है –
प्लुत का प्रयोग नहीं होता। वैिदक भाषा में प्लुत स्वर का
( i ) मूल स्वर ➨ अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ओ
प्रयोग अुधक हुआ है। इसे ' ित्रमाित्रक ' स्वर भी कहते
( ii ) सं युि स्वर ➨ ऐ ( अ + ए )
हैं।
औ(अ+ओ)

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 अयोगवाह :- ( 2 ) चवगण ➨ च, छ, ज, झ, ञ - ये तालु का स्पशण


िहंदी वणणमाला में ऐसे वणण ुजनकी गणना न तो स्वरों में करते है।
और न ही व्यं जनों में की जाती हैं। उन्हें अयोगवाह कहते ( 3 ) टवगण ➨ ट, ठ, ड, ढ, ण, ( ड , ढ़ ) - ये मूधाण
हैं। अं, अः अयोगवाह कहलाते हैं। का स्पशण करते है।
अं को अनुस्वार तथा अः को िवसगण कहा जाता है। ( 4 ) तवगण ➨ त, थ, द, ध, न - ये दााँ तो का स्पशण
अयोगवाह चार प्रकार के होते हैं करते है।
( 1 ) अनुनाुसक ( ृाँ ) ( 5 ) पवगण ➨ प, फ, ब, भ, म - ये होठों का स्पशण
( 2 ) अनुस्वार ( ृं ) करते है।
( 3 ) िवसगण (ृः )
2. अन्तः स्थ व्यं जन -
( 4 ) िनरनुनाुसक
अन्तः का अथण होता है- ' भीतर '। उच्चारण के समय
व्यं जन ( Consonant ) जो व्यं जन मुाँ ह के भीतर ही रहे उन्हें अन्तः स्थ व्यं जन
➨ ुजन वणो को बोलने के ुलए स्वर वणो की सहायता कहते है। उच्चारण के समय ुजह्वा मुख के िकसी भाग
लेनी पडती है उन्हें व्यं जन कहते है। को स्पशण नहीं करती।
जैस-े क , ख , ग , च , छ , त , थ , द , भ , म ये व्यं जन चार होते है - य , र , ल , व - इनका
इत्यािद। उच्चारण जीभ , तालु , दााँ त और ओठों के परस्पर सटने
 ' क ' से िवसगण ( :) तक सभी वणण व्यं जन हैं। से होता है , िकन्तु कहीं भी पूणण स्पशण नहीं होता। अतः
प्रत्येक व्यं जन के उच्चारण में ' अ ' की ध्विन ुछपी रहती ये चारों अन्तः स्थ व्यं जन अिण स्वर ' कहलाते हैं।
है। 3. उष्म व्यं जन -
 'अ' के िबना व्यं जन का उच्चारण सम्भव नहीं है। पीरभाषा :- वो सभी वणण ुजनके उच्चारण करते वक़्त,
जैस-े ख् + अ = ख , प् + अ = प हमारे मुाँ ह से ऊष्म अथाणत गमण वायु बाहर की ओर
 क से ह तक िहन्दी वणणमाला में कु ल 33 व्यं जन हैं। िनकलता है, उन सभी वणों को उष्म व्यं जन कहा जाता
हैं।
 व्यं जन के प्रकार - िहंदी वणणमाला में कु ल 4 वणों - स ,श ,ष और ह - को
व्यं जन तीन प्रकार के होते है – ऊष्म व्यं जन के रूप में माना जाता है। इन सभी चारों
( 1 ) स्पशण व्यं जन वणों के उच्चारण करते वक़्त मुाँ ह से गमण हवा बाहर की
( 2 ) अन्तः स्थ व्यं जन ओर िनकालता है।
( 3 ) उष्म या सं घषी व्यं जन Note :- ऊष्म व्यं जन को सं घषी व्यं जन भी बोला जाता
हैं।
1. स्पशण व्यं जन ➨ स्पशण का अथण होता है - छू ना। यानी
ुजन व्यं जनों का उच्चारण करते समय जीभ मुाँ ह के िकसी श्वास ( प्राण वायु ) की मात्रा के आधार पर वणण के भेद –
भाग जैसे कण्ठ, तालु , मूधाण , दााँ त , अथवा होठ को व्यं जनों का उच्चारण करते समय बाहर आने वाली श्वास -
स्पशण करती है , उन्हें स्पशण व्यं जन कहते है। वायु की मात्रा के आधार पर व्यं जनों के दो भेद हैं-
स्पशण व्यं जन 25 होते है ( 1 ) अल्पप्राण ( 2 ) महाप्राण
( 1 ) कवगण ➨ क, ख, ग, घ, ङ - ये कण्ठ का स्पशण
करते है।
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( 1 ) अल्पप्राण व्यं जन ➨ ुजन व्यं जनों के उच्चारण से दूसरे शब्दों में -


मुख से कम हवा िनकलती है और हकार जैसी ध्विन ुजन वणों के उच्चारण में गले में कम्पन नहीं होता , उन्हें
बहुत ही कम होती है। वे अल्पप्राण कहलाते हैं। सरल अघोष कहते हैं । जैसे- क , ख , च , छ , ट , ठ , त ,
शब्दों में वे अल्प प्राण कहलाते हैं प्रत्येक वगण का थ , प , फ ( वगों के पहले दो वणण ) तथा श , ष , स
पहला, तीसरा और पााँ चवााँ वणण अल्पप्राण व्यं जन हैं। अघोष हैं। अघोष वगों के उच्चारण में स्वर- तं ित्रयााँ
जैस-े क , ग , ङ , ज , ञ , ट , ड , ण ; त , द , न , परस्पर नहीं िमलतीं। फलतः , वायु , आसानी से िनकल
प , ब , म। जाती है।
अन्तः स्थ ( य , र , ल , व ) भी अल्पप्राण ही हैं।
( 2 ) महाप्राण व्यं जन ➨ ुजन व्यं जनों के उच्चारण में उच्चारण स्थान
श्वास - वायु अल्पप्राण की तुलना में कु छ अुधक
 उच्चारण स्थान ➨ वणों को बोलने में मुाँ ह के ुजन
िनकलती है और ' ह ' जैसी ध्विन होती है , उन्हें
भागों की सहायता ली जाती है वे उच्चारण स्थान
महाप्राण कहते हैं।
कहलाते है।
सरल शब्दों में ुजन व्यं जनों के उच्चारण में अुधक वायु
जैसे :- 1. कं ठ (गला)
मुख से िनकलती है , वे महाप्राण कहलाते हैं । प्रत्येक
2. तालु (मुाँ ह के अंदर ऊपर का भाग)
वगण का दूसरा और चौथा वणण तथा समस्त ऊष्म वणण
3. मूधाण (तालू के बीच ऊाँचा भाग)
महाप्राण हैं। जैस-े ख , घ , छ , झ , ठ , ठ , थ , ध ,
4. दं त (दााँ त)
फ , भ और श , ष , स , ह । सं क्षेप में अल्पप्राण वगों
5. ओष्ठ
की अपेक्षा महाप्राणों में प्राणवायु का उपयोग अुधक
6. ुजह्वा (जीभ)
श्रमपूवणक करना पडता हैं।
घोष और अघोष व्यं जन उच्चारण – स्थान और वणों का वगीकरण
घोष का अथण है नाद या गूाँ ज। वणों के उच्चारण में होने 1. कं ठ से बोले जाने वाले ➨ कं ठ्य
वाली ध्विन की गूं ज के आधार पर वणों के दो भेद हैं - 2. तालु की सहायता से बोले जाने वाले ➨ तालव्य
घोष और अघोष। 3. मूधाण की सहायता से बोले जाने वाले ➨ मूधणन्य
( 1 ) घोष या सघोष व्यं जन : - नाद की दृिि से ुजन 4. दााँ तों की सहायता से बोले जाने वाले ➨ दं त्य
व्यं जनवणों के उच्चारण में स्वर - तुियााँ झं कत होती हैं , 5. ओष्ठ की सहायता से बोले जाने वाले ➨ ओष्ठ्य
वे घोष कहलाते हैं । दूसरे शब्दों में ुजन वणों के 6. कं ठ और तालु दोनों की सहायता से बोले जाने वाले
उच्चारण में गले के कम्पन से गूं ज - सी होती है , उन्हें ➨ कं ठतालव्य
घोष या सघोष कहते हैं। जैसे- ग , घ , ड , ज , झ , 7. कं ठ और ओष्ठ दोनों की सहायता से बोले जाने वाले
ञ,ड,ढ,ण,द,ध,न,ब,भ,म,य,र, ➨ कं ठोष्ठ्य
ल , व ( वगों के अंितम तीन वणण और अंतस्थ व्यं जन ) 8. दााँ तों और ओष्ठ की सहायता से बोले जाने वाले ➨
तथा सभी स्वर घोष हैं। दं तोष्ठ्य
9. नाुसका से बोले जाने वाले ➨ नाुसक्य
( 2 ) अघोष व्यं जन ➨ नाद की दृिि से ुजन व्यं जन
वगों के उच्चारण में स्वर- तुियााँ झं कत नहीं होती हैं , वे
अघोष कहलाते हैं।

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उच्चारण स्थान के आधार पर वणों का वगीकरण उच्चारण स्थान के आधार पर वणों का वगीकरण
नाम वणण उच्चारण स्थान नाम वणण उच्चारण स्थान
कं ठ्य क वगण, अ, आ, अ:, ह कं ठ ओष्ठ्य प वगण ,उ , ऊ ओष्ठ
तालव्य च वगण, इ, ई, य , श तालु कं ठतालव्य ए,ऐ कं ठ , तालु
मूधणन्य ट वगण , ऋ , र , ष मूधाण कं ठोष्ठ्य ओ,औ कं ठ , ओष्ठ
दं त्य त वगण , ल , स दााँ त दं तोष्ठ्य व दााँ त , ओष्ठ
नाुसक्य अं, पं चम वणण मुख नाुसका

5. ट वगण का उच्चारण स्थान है।


वणण और उच्चारण स्थान का महत्वपूणण ( A ) दन्त
( B ) मूिाण
Objective Question
( C ) ओष्ठ
1. ' क ' का उच्चारण स्थान है। ( D ) कण्ठ
( A ) कं ठ
6. ' स ' का उच्चारण स्थान है।
( B ) तालु
( A ) दं त
( C ) दं त
( B ) तालु
( D ) मूिाण
( C ) मूिाण
2. ' प ' का उच्चारण स्थान है। ( D ) कं ठ
( A ) दं त 7. ' श , ष , स , ह ' को क्या कहते हैं ?
( B ) कं ठ ( A ) अन्तस्थ व्यं जन
( C ) ओठ ( B ) उष्म व्यं जन
( D ) तालु ( C ) अयोगवाह व्यं जन
( D ) स्पशण व्यं जन
3. ' च ' का उच्चारण स्थान है।
( A ) तालु 8. ' ब ' का उच्चारण स्थान क्या है ?
( B ) मूधाण ( A ) कं ठ
( C ) कं ठ ( B ) तालु
( D ) दं त ( C ) ओष्ठ
( D ) मूधाण
4. िहन्दी में स्वर वणों की सं ख्या है।
( A ) 11 9. ' घ ' ध्विन का ध्विन स्थान क्या है ?
( B ) 25 ( A ) तालु
( C ) 36 ( B ) दं त
( D ) 33 ( C ) मूिाण
( D ) कं ठ
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10. िनम्नुलुखत में घोष वणण कौन - सा है : 16. ' ई ' वणण है।
(A)ट ( A ) ह्रस्व स्वर
(B)थ ( B ) दीघण स्वर
(C)स ( C ) अन्तस्थ व्यं जन
(D)न ( D ) ऊष्म व्यं जन

11. यिद ' ए ' के बाद कोई भी ुभन्न स्वर आए , तो ' ए 17. ' भ ' का उच्चारण स्थान है।
' िकसमें पीरवितणत हो जाता है ? ( A ) तालु
( A ) आय् ( B ) ओठ
( B ) अय् ( C ) कण्ठ
( C ) अव् ( D ) मूधाण
( D ) आव्
18. ' त ' वणण का उच्चारण स्थान क्या है ?
12. िनम्नुलुखत में अघोष वणण कौन - सा है ? ( A ) तालु
(A)स ( B ) दं त
(B)ह ( C ) कं ठ
(C)अ ( D ) ओष्ठ
(D)ज
19. ' क्ष ' ध्विन िकसके अंतगणत आती है ?
13. वणों के समूह को कहते हैं ?
( A ) मूल स्वर
( A ) पद
( B ) घोषवणण
( B ) शब्द
( C ) सं युि वणण
( C ) वणणमाला
( D ) तालव्य
( D ) सं ुध
20. ' ख ' का उच्चारण स्थान है।
14. क्ष, त्र, ज्ञ, श्र को क्या कहते हैं ?
( A ) ओष्ठ
( A ) सं युि स्वर
( B ) दं त
( B ) सं युि व्यं जन
( C ) कं ठ
( C ) सं युि पद
( D ) तालु
( D ) इनमें से कोई नहीं

21. ' ष ' वणण का उच्चारण स्थान क्या है ?


15. श, ष, स, ह को क्या कहते हैं ?
( A ) कं ठ
( A ) अन्तस्थ व्यं जन
( B ) तालु
( B ) उष्म व्यं जन
( C ) मूधाण
( C ) अयोगवाह व्यं जन
( D ) दं त
( D ) स्पशण व्यं जन

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22. इनमें कौन दीघण स्वर है ? 28. व्यं जनों के अन्त में ( ृ् ) हलन्त लगने पर उसका
(A)अ मान होता है।
(B)ई ( A ) आधा
(C)ए ( B ) चौथाई
(D)च ( C ) ितहाई
( D ) सं पूणण
23. वणण के िकतने भेद होते है ?
( A ) एक 29. ' ग ' का उच्चारण स्थान क्या है ?
( B ) दो ( A ) तालु
( C ) तीन ( B ) मूिाण
( D ) चार ( C ) कं ठ
( D ) ओष्ठ
24. ' द ' को आप िकसके अंतगणत रखते हैं ?
( A ) सं युि स्वर
30. ' ङ ' का उच्चारण स्थान क्या है ?
( B ) अिण स्वर
( A ) मुख और नाुसक
( C ) व्यं जन
( B ) तालु
( D ) अिण व्यं जन
( C ) मूिाण
25. स्वर वणण के िकतने भेद होते है ? ( D ) दं त
( A ) एक
( B ) तीन 31. व्यं जन के िकतने प्रकार हैं ?
( C ) दो ( A ) एक
( D ) सात ( B ) दो
( C ) तीन
26. व्यं जन वणण के िकतने भेद होते है ? ( D ) चार
( A ) एक
( B ) तीन 32. ' ण ' का उच्चारण स्थान क्या है ?
( C ) पााँ च ( A ) कं ठ
( D ) सात ( B ) मूिाण
( C ) मुख और नाुसक
27. ' द ' का उच्चारण स्थान है। ( D ) दं त
( A ) कं ठ
( B ) तालु
( C ) दन्त
( D ) मूधाण

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