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ળીૂલ ષલઅ઼ૉષગ ઼અચ

઼અદ ળ્ઽની઼ ફઙળ


ઙીઅપૂફઙળ સઽૉ ળ ુષદીળ

સીઘી બૃુદગી
ભૉ ૃઈળૂ, રીજ" – ૪૨૪૬
બ્હ, રઽી, ભીઙથ – લૃઙી)ન ૭૩૪૫

ગીલ"ગદી"ફૃઅ ફીર : .......................................................


નીુલ/ષ : ...............................................................
સીઘી : .................................................................
-૩-
-૪-
:: ઙૂદ – ૩ ::

आ रहा शताद वष है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

हमको गाँव गाँव म जाना है


दे शभि!त भाव को जगाना है .... (२)
शाखा से ह दे श का उ(कष है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

)यि!त *नमाण ह रा,- *नमाण है


संकार का सजृ न संकृ*त का /ाण है ....(२)
भारत का यग ु  से यह ं आदश है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

मन म दे श भि!त है संगठन क2 शि!त है


राम जी क2 सेना हम जो कभी न थकती है ....(२)
मात ृ भू 6हताथ ये संघष है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

मन म समरसता, स8ाव हो
9वक:सत अपना हर गाँव हो....(२)
हर वग को करना पश है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

व=न केशव का साकार हो


माधव सा अपना 9वचार हो....(२)
चाह रहा यह ं भारतवष है ,
वयंसेवक के मन म हष है ।

-૫-
:: ઙૂદ – ૪ ::
यग
ु ो यग
ु ो से द*ु नया चलती, िजसके 6द)य Aकाश म
परु ख क2 वह पौCष गाथा, अजर अमर इ*तहास म
भारत के इ*तहास म , भारत के इ*तहास म ||ध|ु |

अपना बल ह अपना वैभव कुCGे/ मैदान म


9वजय :लखी थी खड़ग नोकसे ,शक हुणी तूफान म
हार नह ं जय 9वजय पराJम, पुरख के पुCषाथ म ||१||

राLय सैकड़ रहा 9वदे शी पर अखंड यह पNरपाट |


:मटा :मटाने वाला इसको तेजोमय इसक2 माट |
अमर अ:मट 6हंद ू संकृ*त है जल थल म आकाश म ||२||

भौ*तकता से /त 9वPव क2, एकमा/ भारत आशा |


परमानंद शां*त क2 जननी ,पूण करे गी अ:भलाषा |
र(न संघ6ठत बने मील के, प(थर 9वPव 9वकास म ||३||

)यि,ट समि,ट सिृ ,ट जीवन म ,कलमल आहट मयादा |


6हंद ू संकृ*त संकार म , दरू करे गी हर बाधा |
प*तत पावनी संकृ*त गंगा ,जनमन Sदयाकाश म ||४||

-૬-
:: ઙૂદ - ૫ (ુષ2ીધ4) ::

धरती क2 शान तू है , Aभु क2 संतान,


तेर मु6Uय मे बंद तूफान है रे ,
मनु,य तू बडा महान है ,
भूल मत, मनु,य, तू बडा ़ महान है ||ध|ु |

तू जो चाहे पवत पहाडो को फोड दे ,


तू जो चाहे न6दय के मुख को भी मोड दे ,
तू जो चाहे माट से अमत ृ *नचोड़ दे ,
तू जो चाहे धरती को अंबर से जोड दे ,
अमर तेरे Aाण (२) :मला तझ ु को वरदान (२)
तेर आ(मा मे वयं भगवान है रे , मनु,य तू ... ||१||

नैनो मे Lवाल तेर गत मे भुचाल,


तेर छाती मे छुपा महाकाल है ,
पY
ृ वी के लाल तेर 6हमZगNर सा भाग,
तेर [कुट मे तांडव का ताल है ,
*नज को तू जान (२) जरा शि!त पहचान (२)
तेर वाणी म यग
ु का अहवान है रे , मन,ु य तू ... ||२||

धरती सा धीर, तू है अि\न सा वीर,


तू जो चाहे काल को भी थाम ले रे ,
पापो का Aलय ]के पशत ु ाका :शश झकु े,
तज
ू ो अगर 6ह^मतसे काम ले रे ,
ग]ु सा मतीमान (२) पवन सा तू गतीमान (२)
तेर नब से भी ऊंची उडान है रे , मन,ु य तू ... ||३||

-૭-
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-૱-
-૯-
- ૩૨ -
મૐુપગ

- ૩૩ -
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- ૩૬ -
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- ૩૮ -
જજી" (ભૉ ૃઈળૂ)

- ૩૯ -
- ૩૱ -
જજી" (રીજ")

- ૩૯ -
- ૪૨ -
:: રળથૂલ નષ઼્ ::
- ભૉ ૃઈળૂ-

- ૪૩ -
:: રળથૂલ નષ઼્ ::
- રીજ"-

- ૪૪ -
રીપષળીષ ઼નીુસષળીષ ઙ્વષીવગળ
૩૯ ભૉ ૃઈળૂ ૩૯૨૮ – ૭ ઞૄ ફ ૩૯૯૫

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