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प्रलय पयोधि-जले िृतवान् अधि वेदम् धवधित वधित्र-चरित्रम् अखेदम्

के शव िृत-मीन-शिीि, जय जगदीश ििे ||1||

धिधति् इि धवपुलतिे धतष्ठधत तव पृष्ठे ििधि- िािि-ककि चक्र-गरिष्ठे


के शव िृत-कू मम-शिीि जय जगदीश ििे ||2||

विधत दशन धशखिे िििी तव लग्ना शधशधन कलंक कलेव धनमग्ना


के शव िृत शूकि रूप जय जगदीश ििे ||3||

तव कि-कमल-विे नखम् अद्भुत शृंगम् दधलत-धििण्यकधशपु-तनु-भृंगम्


के शव िृत-नििरि रूप जय जगदीश ििे ||4||

छलयधि धवक्रमिे बधलम् अद्भुत-वामन पद-नख-नीि-जधनत-जन-पावन


के शव िृत-वामन रूप जय जगदीश ििे ||5||

िधत्रय-रुधिि-मये जगद् -अपगत-पापम् स्नपयधि पयधि शधमत-भव-तापम्


के शव िृत-भृगुपधत रूप जय जगदीश ििे ||6||

धवतिधि कदिु ििे कदक् -पधत-कमनीयम् दश-मुख-मौधल-बधलम् िमिीयम्


के शव िृत-िाम-शिीि जय जगदीश ििे ||7||

विधि वपुधश धविदे विनम् जलदाभम् िल-िधत-भीधत-धमधलत-यमुनाभम्


के शव िृत-िलिि रूप जय जगदीश ििे ||8||

नंदधि यज्ञ- धविेि् अिः श्रुधत जातम् िदय-हृदय-दर्शमत-पशु-घातम्


के शव िृत-बुद्ध-शिीि जय जगदीश ििे ||9||

म्लेच्छ-धनवि-धनिने कलयधि किवालम् िूमके तुम् इव ककम् अधप किालम्


के शव िृत-कधकक-शिीि जय जगदीश ििे ||10||

श्री-जयदेव-कवेि् इदम् उकदतम् उदािम् शृिु िुख-दम् शुभ-दम् भव-िािम्


के शव िृत-दश-धवि-रूप जय जगदीश ििे ||

वेदान् उद्धिते जगंधत विते भू-गोलम् उधिभ्रते


दैत्यम् दाियते बधलम् छलयते ित्र-ियम् कु वमते
पौलस्तत्यम् जयते िलम् कलयते कारुण्यम् आतन्वते
म्लेच्छान् मूछमयते दशाकृ धत-कृ ते कृ ष्िाय तुभ्यम् नमः

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