You are on page 1of 1

श्लोक (2)- शा्त्रो प्रकृतत्सवात ्।।

अर्ा- आचायम वात्स्यायन ने काम के इस शास्त्र में मुख्य रूप से धमम, अर्म और काम को
महत्व हदया है और इन्हे नमस्कार ककया है। भारतीय सभ्यता की आधारशशला 4 वगम होते हैं-
धमम, अर्म, काम और मोक्ष। मनुष्य की सारी इच्छाएं इन्ही चारों के अंदर मौजद होती है।
मनुष्य के शरीर में जरूरतों को चाहने वाले जो अंग हो यह चारों पदार्म उनकी पततम ककया
करते हैं।

इसके अंतगमत शरीर, बद्


ु धध, मन और आत्मा यह 4 अंग सारी जरूरतों और इच्छाओं के चाहने
वाले होते हैं। इनकी पततम धमम, अर्म, काम और मोक्ष द्वारा होती है। शरीर के ववकास और
पोषण के शलए अर्म की जरूरत होती है । शरीर के पोषण के बाद उसका झुकाव संभोग की
ओर होता है। बुद्धध के शलए धमम ज्ञान दे ता है । अच्छाई और बुराई का ज्ञान दे ने के सार्-सार्
उसे सही रास्ता दे ता है। सदमागम से आत्मा को शांतत शमलती है। आत्मा की शांतत से मनुष्य
मोक्ष के रास्ते की ओर बढ़ने का प्रयास करता है। यह तनयम हर काल में एक ही जैसे रहे हैं
और ऐसे ही रहें गें। आहद मानव के युग में भी शरीर के शलए अर्म का महत्व र्ा। जंगलों में
रहने वाले कंद-मल और फल-फल के रूप में भोजन और शशकार की जरूरत पडती र्ी।
संयुक्त पररवार कबीले के रूप में होने के कारण उनकी संभोग संबंधधत ववषय की पततम बहुत
ही आसानी से हो जाती र्ी। मत्ृ यु के बाद शरीर को जलाया या दफनाया इसीशलए जाता र्ा
ताकक मरे हुए मनुष्य को मुजक्त शमल सके। इस प्रकार अगर भोजन न ककया जाए तो शरीर
बेजान सा हो जाता है। काम (संभोग) के त्रबना मन कंु हठत सा हो जाता है । अगर मन में कंु ठा
होती है तो वह धमम पर असर डालती है और कंु हठत मन मोक्ष के द्वार नहीं खोल सकता।
इस प्रकार से धमम, अर्म, काम और मोक्ष एक-दसरे से परी तरह जुडे हुए हैं। त्रबना धमम के
बुद्धध खराब हो जाती है और त्रबना मोक्ष की इच्छा ककए मनुष्य पतन के रास्ते पर चल
पडता है।

बुद्धध के ज्ञान के कारण समवाय संबंध बना रहता है। जैसे ही ज्ञान की बढ़ोतरी होती है वैसे
ही बुद्धध का ववकास भी होता जाता है। अगर दे खा जाए तो बुद्धध और ज्ञान एक ही पदार्म
के दो हहस्से हैं।

जजस तरह से बुद्धध और ज्ञान एक ही है उसी तरह धमम और ज्ञान भी एक ही पदार्म के दो


भाग है क्योंकक ज्ञान के बढ़ने से धमम की बढ़ोतरी होती है। धमम के ज्ञान में जजतना भाग
शमलता है तर्ा ज्ञान के अंतगमत धमम का जजतना भाग पाया जाता है उसी के मत
ु ात्रबक बद्
ु धध
में जस्र्रता पैदा होती है।

बुद्धध का संबंध जजस तरह से धमम से है उसी तरह शरीर का अर्म से संबंध है , मन का काम
से संबंध है और आत्मा का मोक्ष का संबंध है। इन्ही अर्म, धमम, काम में मनुष्य के जीवन, रतत,

You might also like