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वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी में-1-2
वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी में-1-2
अर्ा- आचायम वात्स्यायन ने काम के इस शास्त्र में मुख्य रूप से धमम, अर्म और काम को
महत्व हदया है और इन्हे नमस्कार ककया है। भारतीय सभ्यता की आधारशशला 4 वगम होते हैं-
धमम, अर्म, काम और मोक्ष। मनुष्य की सारी इच्छाएं इन्ही चारों के अंदर मौजद होती है।
मनुष्य के शरीर में जरूरतों को चाहने वाले जो अंग हो यह चारों पदार्म उनकी पततम ककया
करते हैं।
बुद्धध के ज्ञान के कारण समवाय संबंध बना रहता है। जैसे ही ज्ञान की बढ़ोतरी होती है वैसे
ही बुद्धध का ववकास भी होता जाता है। अगर दे खा जाए तो बुद्धध और ज्ञान एक ही पदार्म
के दो हहस्से हैं।
बुद्धध का संबंध जजस तरह से धमम से है उसी तरह शरीर का अर्म से संबंध है , मन का काम
से संबंध है और आत्मा का मोक्ष का संबंध है। इन्ही अर्म, धमम, काम में मनुष्य के जीवन, रतत,