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देवभूमि उत्तराखंड
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बाजरा का �ूनतम समथ�न मू� के� सरकार �ारा िकतना िकया गया है (a) ₹2500 (b)
₹2183 (c) ₹3180 (d) ₹2090 Answer - (a) (2) सूरीनाम के सव�� नाग�रक अवाॅ ड� से …
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ह�र�ार का इितहास : दे वभूिम उ�राखंड https://www.xn--i1bn3b5bmal0djx3c4gi4bye5e.com/2021/03/blog-post.html
ह�र�ार का इितहास
दे वभूिम उ�राखंड
"ह�र�ार"" - िजसे "गेटवे ऑफ़ गोड् स" भी कहा जाता है । ह�र�ार का कुल �े�फल 2360
ह�र�ार का इितहास
पौरािणक इितहास
ह�र�ार का इितहास बरसों पुराना नहीं है ब�� युगों-युगों पुराना है । यहां ऋिष-मुिनयों ने हजारों वष�
तप�ा की है । और इस धाम को पिव� �थल के �प म� िनमा� ण िकया है । यहां गंगो�ी िहमनद से
िनकलकर पिव� नदी गंगा बहती है िजसका उ�म �थल गोमुख है । पौरािणक काल म� ह�र�ार को
अनेक नामों से जाना जाता था। जैसे- गंगा �ार , �ग� �ार , हर�ार, ह�र�ार और मायापुरी (माया)।
भागवत पुराण म� बताया गया है िक राजा सगर के वंशज राजा भागीरथ अपने पुरखों के
उ�ार के िलए किठन तप�ा की तथा मां गंगा को धरती पर लाए। �ग� से उतरकर मां गंगा भगवान
िशव की जटाओं से होते �ए राजा भगीरथ के पीछे चल िदए। जब राजा भगीरथ गंगा नदी को लेकर
ह�र�ार प�ं चे तो सगर के पौ�ों को जो किपल ऋिष के �ाप से भ� होकर अवशेषों म� प�रवित�त हो
गए थे। उ�� गंगा के �श� मा� से ही उ�� मो� की �ा�� हो गयी। तब से ह�र�ार म� अ��थ िवसज�न
िदलाता है । यहां ��ेक 12 वष� बाद लाखों सैलानी भ� भगवान के �ित अटू ट ��ा हे तु कुंभ मेला
के दौरान गंगा नदी म� �ान करने आते ह� । कुंभ मेले का �ारं भ हष�वध�न के शासनकाल से �आ है
ह�र�ार म� कुंभ मेला मकर स�ां ित पव� से लेकर गंगा दशहरा तक लगता है । चारों �थानों म� से केवल
ह�र�ार व �याग म� ही अ�� कुंभ लगता है । वष� 2016 म� ह�र�ार म� अ�� कुंभ को लगा था। कहा जाता
है िक समुं� मंथन के बाद धनवंतरी अमृत कलश लेकर �कट �ए अमृत पाने के िलए दे वताओं और
दै �ों के बीच 12 िदनों तक यु� चला। इसी बीच अमृत कलश से कुछ बूंदे छलक गई और वह पृ�ी
के 4 �थानों पर पड़ी उनम� से एक �थान ह�र�ार था । दे वताओं का 1 िदन 1 वष� का होता है । इसिलए
��ेक 12 वष� बाद ह�र�ार म� 1 बार कुंभ का मेला आयोिजत िकया जाता है । िजस �थान पर अमृत की
बूंदे िगरी वह �थान ��कंु ड के नाम से जाना गया। इसी �थान पर स�ाट िव�मािद� ने भाई
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िवदे शी भी पाप की मु�� के िलए यहां आते ह� । ह�र�ार की सबसे अनोखी चीज है शाम को होने वाली
गंगा जी की महाआरती और गंगा नदी म� बहते �ए सुनहरे दीपों का सौंदय� बेहद आकष�क और सुंदर
लगता है । मानो जैसे पानी म� तारे िटमिटमा रहे हो। ह�र�ार के अित�र� नािसक, उ�ैन और
चार धाम की या�ा शु� करने हे तु सव��थम ह�र�ार म� ही �वेश िकया जाता है इसिलए ह�र
का �ार अथा� त हर�ार अथवा ह�र�ार कहा जाता है । किपलमुिन ॠिष ने लंबे समय तक ह�र�ार म�
तप�ा की थी िजस कारण इसे किपला �थान भी कहा जाता है । महाभारत म� ह�र�ार को "गंगा�ार""
कहा गया है । और जहां पां डव अपने अ�ातवास के दौरान ह�र�ार के वन �े� म� आ�य िलया उसे
�ाचीन इितहासकारों ने "खांडव वन" कहा है । इसी वन म� धृतरा��, गां धारी तथा िवदु र ने अपना शरीर
�ागा था और पहली बार िवदु र ने मै�य ऋिष को महाभारत कथा की कथा सुनाई थी।
ऐितहािसक इितहास
600 ईसा पूव� जब महाजनपदों का उदय हो रहा था तब ह�र�ार का �े� कु� महाजनपद का एक
भाग था। धीरे -धीरे मगध महाजनपद सा�ा� ने िव�ार िकया। और कौशल, कौशां बी कु�, पां चाल
आिद सभी महाजनपदों पर मौय� वंश का अिधकार हो गया। मौय� वंश के बाद �मशः शुंग, कुषाण,
गु� वंश और हष�वध�न ने राज िकया। राजा हष�वध�न के शासनकाल म� चीनी या�ी �े नसां ग 634
ईसवी म� आया था उसने अपनी या�ा वृतां त म� ह�र�ार का उ�ेख िकया। उसने इस नगर को "मो--
यू-लो"" ( मयूरपुर ) कहा। म�कालीन समय म� अबुल फजल �ारा रिचत आईने-अकबरी म�
मायापुरी का वण�न िमलता है । अबुल फजल स�ाट अकबर के नवर�ों म� से एक थे । मुगल बादशाह
अकबर ने गंगा के पानी को अमृत के समान जीवन दे ने वाला कहा और गंगा के पानी का मह�ता को
समझा । �जा को आदे श िदया िक गंगा नदी के पानी को सील बंद करके या�ा के ��ेक �थान तक
उपल� कराया जाए। अकबर के सेनापित मानिसंह ने ह�र�ार म� ��थत हर की पौड़ी का
जीण��ार कराया और �ाचीन नगर के खंडों पर आधुिनक ह�र�ार की नींव रखी । िद�ी
स�नत के शासनकाल के दौरान ह�र�ार का �े� सहारनपुर का िह�ा था। इसके अिधकां श
भूभाग पर मुगल बादशाह का ��� िनयं�ण था। ह�र�ार गंगा नदी के उ�री मैदान म� ��थत होने से
का आिधप� हो गया था। िसवाय गढ़वाल के पि�मी भाग को छोड़कर यहां िटहरी गढ़वाल के शासक
सुदश�न शाह का शासन था। ह�र�ार की मह�ता को समझते �ए अं�ेजों ने धीरे -धीरे िवकास �ारं भ
िकया। सव��थम अं�ेजों ने सन् 1842 म� �ड़की नगर का िवकास करने के िलए ऊपरी गंगा
नहर का िनमा�ण िकया। इस नहर की प�रक�ना त�ालीन गवन�र थॉमसन के �ारा की गई थी
और कन�ल पी.. बी काट� ल के �ारा इसका िनमा� ण कराया गया। साथ ही 1847 म� �ड़की म� भारत
दो मालवाहक िड�ों के साथ चलाई गई। इस मालगाड़ी का उ�े � गंगा नहर के िनमा� ण के िलए
िम�ी उपल� कराना था। 1884 म� �ड़की को नगर पािलका म� त�ील कर िदया गया। जबिक
या�ा को सुगम बनाने के िलए रे ल चलायी गयी। वैिदक परं पराओं और ॠिष मुिनयों के �ारा गु� िश�
की आ�म �व�था का अ��� बचाए रखने के िलए सन् 1902 म� गु�कुल कांगड़ी की �थापना
की गई। आज भी यहां गु�कुलीय आ�म �व�था है । सव��थम गु�कुल कां गड़ी िव�िव�ालय की
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�थापना 1900 म� �ई थी। 2 माच� 1902 को गु�कुल कां गड़ी िव�िव�ालय को ह�र�ार म� �थानां त�रत
कर िदया। गु�कुल कांगड़ी िव�िव�ालय के सं�थापक �ामी ��ानंद थे।
हर की पौड़ी
हर की पौड़ी घाट ह�र�ार का सवा� िधक �मुख �थल है इसे ��कंु ड के नाम से जाना जाता है । इस
घाट का िनमा� ण 56 ईसा पूव� िव�मािद� ने भाई भतृ�ह�र की याद म� करवाया था। हर की पौड़ी म�
�ान करने से ज� ज� के पाप धुल जाते ह� इसीिलए तो िवदे शी भी पाप की मु�� के िलए यहां आते
ह� । ह�र�ार की सबसे अनोखी चीज है शाम को होने वाली गंगा जी की महाआरती और गंगा नदी म�
बहते �ए सुनहरे दीपों का सौंदय� बेहद आकष�क और सुंदर लगता है । मानो जैसे पानी म� तारे
िटमिटमा रहे हो ।
मनसा दे वी का मंिदर
मनसा दे वी की या�ा बेहद आकष�क लगती है । मंिदर तक प�ं चने के िलए उड़न खटोला �योग िकया
जाता है । जहां से ह�र�ार का सुंदर �� अद् भुत नजर आता है । हर की पौड़ी के पीछे िशवािलक �ेणी
के िव� पव�त की चोटी पर मनसा दे वी मंिदर ��थत है ।
चंडी दे वी का मंिदर
यह मंिदर क�ीर के राजा सूची िसंह �ारा 1929 म� बनवाया गया था। इितहासकारों के अनुसार चंडी
दे वी की �थापना आठवीं शता�ी म� आिद शंकराचाय� जी के �ारा की गरीब थी। यह मंिदर गंगा नदी
के दू सरी ओर नील पव�त पर ��थत है । पुराणों के अनुसार चंडी दे वी के शुंभ िनशुंभ ने सेनापित चंड
माया दे वी मंिदर
मायादे वी मंिदर को ह�र�ार की अिध�ा�ी दे वी माना जाता है । इसका िनमा� ण 11वीं शता�ी म� �आ था
स� ऋिष आ�म
सात धाराओं म� िवभािजत हो गई। सात ऋिषयों के आ�म को स�ऋिष नाम से जाना गया और वह
शा�� कंु ज
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यही �थान गाय�ी तीथ� के �प म� �िस� है । इसकी �थापना आचाय� पंिडत �ीराम शमा� के संर�ण
म� 1971 म� �ई थी। यहां �ितिदन गाय�ी की उपासना होती है और य� होता है ।
कनखल
भारत माता मंिदर का िनमा� ण 1983 म� �ामी िम� आनंद ने कराया था यह मंिदर ह�र�ार म� 180
फीट की ऊंचाई पर ��थत है इसका उद् घाटन इं िदरा गां धी ने िकया था।
िवशेष त�
• 2011 की जनगणना के अनुसार ह�र�ार का िलंगानुपात 880 था। जो सभी िजलों म� सबसे
कम है ।
• ह�र�ार को चार तहसील म� िवभािजत िकया गया है । ह�र�ार , �ड़की, भगवानपुर , ल�र।
• ह�र�ार के िझलिमल ताल क�जव�शन ��थत है जबिक कुछ �े� म� राजाजी रा��ीय उ�ान,
मोतीचूर �रजव� है ।
ह�र�ार महाकुंभ
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यिद आपको हमारे �ारा तैयार िकए गए लेख पसंद आते ह� तो अिधक से अिधक लोगों को शेयर
और लेख से संबंिधत �� उ�र भी तैयार िकए गए ह� जो आपकी आगामी परी�ाओं के िलए मह�पूण�
Re l at e d p o s t : -
��पुर का इितहास
काशीपुर का इितहास
अ�ोड़ा का इितहास
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शासक था। कुिणद वंश उ�राखंड म� लगभग तीसरी- चौथी शता�ी की पहली राजनीितक
श�� थी । जबिक क�ूर राजवंश उ�राखंड म� शासन करने वाला पहला ऐितहािसक
श��शाली राजवंश था। इसे काित�केयपुर वंश के नाम से भी जाना जाता है । 'क�ूरी' श�
…
उस समय राजा को सवा� िधक कर की �ा�� कृिष से होती थी। अतः भू राज� आय �ा�
करने के िलए भूिम बंदोब� �व�था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश …
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चंद राजवंश का इितहास पृ�भूिम उ�राखंड म� कुिणंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे
समय तक शासन करने वाला राजवंश है । चंद वंश की �थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के
आसपास की थी। वैसे तो ितिथयां अभी तक िववािदत ह� । लेिकन क�ूरी वंश के समय
आिद गु� शंकराचाय� का उ�राखंड म� आगमन �आ और उसके बाद क�ौज म� महमूद …
उ�राखंड म� सवा� िधक िववािदत और मतभेद पूण� रहा है । जो परमार वंश के इितहास को
किठन बनाता है परं तु िविभ� इितहासकारों की पु�कों का गहन िव�ेषण करके तथा
पु�क उ�राखंड का राजनैितक इितहास (अजय रावत) को मु� आधार मानकर परमार…
उ�राखंड ��ो�री -14 उ�राखंड की �मुख जनजाितयां वष� 1965 म� क�� सरकार ने
राजी को एसटी (ST) का दजा� िमला । रा� की मा� 2 जनजाितयों को आिदम जनजाित …
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