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ह�र�ार का इितहास : दे वभूिम उ�राखंड https://www.xn--i1bn3b5bmal0djx3c4gi4bye5e.com/2021/03/blog-post.

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रा��ीय और अंतरा���ीय कर� ट अफेयस�


लेखक दे वभूिम उ�राखंड जुलाई

उ�राखंड कर� ट अफेयस� (जून 2023) रा��ीय और अंतररा��ीय कर� ट अफेयस�


Uttrakhand current affairs in Hindi (1) वष� 2023-24 (जुलाई से जून) के िलए

बाजरा का �ूनतम समथ�न मू� के� सरकार �ारा िकतना िकया गया है (a) ₹2500 (b)

₹2183 (c) ₹3180 (d) ₹2090 Answer - (a) (2) सूरीनाम के सव�� नाग�रक अवाॅ ड� से …

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ह�र�ार का इितहास दे वभूिम उ�राखंड

लेखक दे वभूिम उ�राखंड माच�

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ह�र�ार का इितहास : दे वभूिम उ�राखंड https://www.xn--i1bn3b5bmal0djx3c4gi4bye5e.com/2021/03/blog-post.html

ह�र�ार का इितहास

दे वभूिम उ�राखंड

�ाकृितक सौंदय� और सं�ृित का धरोहर जो उ�राखंड म� अपनी एक िवशेष पहचान बनाए �ए ह�

"ह�र�ार"" - िजसे "गेटवे ऑफ़ गोड् स" भी कहा जाता है । ह�र�ार का कुल �े�फल 2360

िकलोमीटर है । िजसम� लगभग 2192890 (जनसं�ा 2021 की अनुमािनत जनसं�ा) िनवास


करती है । जनसं�ा की �ि� से ह�र�ार उ�राखंड का सबसे बड़ा िजला है । इसकी �थापना
28 िदसंबर 1988 को �ई थी । ह�र�ार सिदयों से दे वताओं का �मुख �थल रहा है । इसका उ�ेख
पुराणों और �ंथों म� िमलता है । इसका एक िव�ृत इितहास है । ह�र�ार भारत के उ�र म� िशवािलक
�ेणी के िव� व नील पव�तों के बीच गंगा नदी के तट पर बसा �आ है । आिथ�क, सामािजक व
सां �ृितक �ि� से उ�राखंड का मह�पूण� िजला है ।

ह�र�ार का इितहास

पौरािणक इितहास

ह�र�ार का इितहास बरसों पुराना नहीं है ब�� युगों-युगों पुराना है । यहां ऋिष-मुिनयों ने हजारों वष�
तप�ा की है । और इस धाम को पिव� �थल के �प म� िनमा� ण िकया है । यहां गंगो�ी िहमनद से

िनकलकर पिव� नदी गंगा बहती है िजसका उ�म �थल गोमुख है । पौरािणक काल म� ह�र�ार को

अनेक नामों से जाना जाता था। जैसे- गंगा �ार , �ग� �ार , हर�ार, ह�र�ार और मायापुरी (माया)।

िव�ुपुराण म� ह�र�ार को 'मायापुरी'' कहा गया है । उ�राखंड म� आज भी ह�र�ार के एक भाग को


मायापुरी के नाम से जाना जाता है ।

भागवत पुराण म� बताया गया है िक राजा सगर के वंशज राजा भागीरथ अपने पुरखों के

उ�ार के िलए किठन तप�ा की तथा मां गंगा को धरती पर लाए। �ग� से उतरकर मां गंगा भगवान
िशव की जटाओं से होते �ए राजा भगीरथ के पीछे चल िदए। जब राजा भगीरथ गंगा नदी को लेकर

ह�र�ार प�ं चे तो सगर के पौ�ों को जो किपल ऋिष के �ाप से भ� होकर अवशेषों म� प�रवित�त हो
गए थे। उ�� गंगा के �श� मा� से ही उ�� मो� की �ा�� हो गयी। तब से ह�र�ार म� अ��थ िवसज�न

की परं परा चली आ रही है ।


उ�राखंड को ह�र�ार का ऐितहािसक �िस� कंु भ का मेला िव� म� िवशेष पहचान

िदलाता है । यहां ��ेक 12 वष� बाद लाखों सैलानी भ� भगवान के �ित अटू ट ��ा हे तु कुंभ मेला
के दौरान गंगा नदी म� �ान करने आते ह� । कुंभ मेले का �ारं भ हष�वध�न के शासनकाल से �आ है

ह�र�ार म� कुंभ मेला मकर स�ां ित पव� से लेकर गंगा दशहरा तक लगता है । चारों �थानों म� से केवल

ह�र�ार व �याग म� ही अ�� कुंभ लगता है । वष� 2016 म� ह�र�ार म� अ�� कुंभ को लगा था। कहा जाता

है िक समुं� मंथन के बाद धनवंतरी अमृत कलश लेकर �कट �ए अमृत पाने के िलए दे वताओं और

दै �ों के बीच 12 िदनों तक यु� चला। इसी बीच अमृत कलश से कुछ बूंदे छलक गई और वह पृ�ी
के 4 �थानों पर पड़ी उनम� से एक �थान ह�र�ार था । दे वताओं का 1 िदन 1 वष� का होता है । इसिलए

��ेक 12 वष� बाद ह�र�ार म� 1 बार कुंभ का मेला आयोिजत िकया जाता है । िजस �थान पर अमृत की

बूंदे िगरी वह �थान ��कंु ड के नाम से जाना गया। इसी �थान पर स�ाट िव�मािद� ने भाई

भतृ�हरी की याद म� हर की पौड़ी घाट का िनमा� ण कराया।

माना जाता है िक हर की पौड़ी म� �ान करने से ज� ज� के पाप धुल जाते ह� इसीिलए तो

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िवदे शी भी पाप की मु�� के िलए यहां आते ह� । ह�र�ार की सबसे अनोखी चीज है शाम को होने वाली
गंगा जी की महाआरती और गंगा नदी म� बहते �ए सुनहरे दीपों का सौंदय� बेहद आकष�क और सुंदर
लगता है । मानो जैसे पानी म� तारे िटमिटमा रहे हो। ह�र�ार के अित�र� नािसक, उ�ैन और

�यागराज म� अमृत कलश से बूंदे िगरी।

चार धाम की या�ा शु� करने हे तु सव��थम ह�र�ार म� ही �वेश िकया जाता है इसिलए ह�र
का �ार अथा� त हर�ार अथवा ह�र�ार कहा जाता है । किपलमुिन ॠिष ने लंबे समय तक ह�र�ार म�
तप�ा की थी िजस कारण इसे किपला �थान भी कहा जाता है । महाभारत म� ह�र�ार को "गंगा�ार""

कहा गया है । और जहां पां डव अपने अ�ातवास के दौरान ह�र�ार के वन �े� म� आ�य िलया उसे

�ाचीन इितहासकारों ने "खांडव वन" कहा है । इसी वन म� धृतरा��, गां धारी तथा िवदु र ने अपना शरीर
�ागा था और पहली बार िवदु र ने मै�य ऋिष को महाभारत कथा की कथा सुनाई थी।

ऐितहािसक इितहास

600 ईसा पूव� जब महाजनपदों का उदय हो रहा था तब ह�र�ार का �े� कु� महाजनपद का एक

भाग था। धीरे -धीरे मगध महाजनपद सा�ा� ने िव�ार िकया। और कौशल, कौशां बी कु�, पां चाल

आिद सभी महाजनपदों पर मौय� वंश का अिधकार हो गया। मौय� वंश के बाद �मशः शुंग, कुषाण,

गु� वंश और हष�वध�न ने राज िकया। राजा हष�वध�न के शासनकाल म� चीनी या�ी �े नसां ग 634

ईसवी म� आया था उसने अपनी या�ा वृतां त म� ह�र�ार का उ�ेख िकया। उसने इस नगर को "मो--
यू-लो"" ( मयूरपुर ) कहा। म�कालीन समय म� अबुल फजल �ारा रिचत आईने-अकबरी म�

मायापुरी का वण�न िमलता है । अबुल फजल स�ाट अकबर के नवर�ों म� से एक थे । मुगल बादशाह

अकबर ने गंगा के पानी को अमृत के समान जीवन दे ने वाला कहा और गंगा के पानी का मह�ता को

समझा । �जा को आदे श िदया िक गंगा नदी के पानी को सील बंद करके या�ा के ��ेक �थान तक
उपल� कराया जाए। अकबर के सेनापित मानिसंह ने ह�र�ार म� ��थत हर की पौड़ी का

जीण��ार कराया और �ाचीन नगर के खंडों पर आधुिनक ह�र�ार की नींव रखी । िद�ी

स�नत के शासनकाल के दौरान ह�र�ार का �े� सहारनपुर का िह�ा था। इसके अिधकां श
भूभाग पर मुगल बादशाह का ��� िनयं�ण था। ह�र�ार गंगा नदी के उ�री मैदान म� ��थत होने से

आिथ�क �प से मह�पूण� था।


1815 म� गोरखा शासन समा� के बाद उ�राखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल पर अं�ेजों

का आिधप� हो गया था। िसवाय गढ़वाल के पि�मी भाग को छोड़कर यहां िटहरी गढ़वाल के शासक
सुदश�न शाह का शासन था। ह�र�ार की मह�ता को समझते �ए अं�ेजों ने धीरे -धीरे िवकास �ारं भ

िकया। सव��थम अं�ेजों ने सन् 1842 म� �ड़की नगर का िवकास करने के िलए ऊपरी गंगा
नहर का िनमा�ण िकया। इस नहर की प�रक�ना त�ालीन गवन�र थॉमसन के �ारा की गई थी

और कन�ल पी.. बी काट� ल के �ारा इसका िनमा� ण कराया गया। साथ ही 1847 म� �ड़की म� भारत

के �थम इं जीिनय�रं ग कॉलेज का िनमा� ण �आ। �ड़की कॉलेज के ही नजदीक सव��थम

भारत म� मालगाड़ी 22 िदसंबर 1851 को �ड़की से िपरान किलयर के बीच रे ल इं जन के �ारा

दो मालवाहक िड�ों के साथ चलाई गई। इस मालगाड़ी का उ�े � गंगा नहर के िनमा� ण के िलए
िम�ी उपल� कराना था। 1884 म� �ड़की को नगर पािलका म� त�ील कर िदया गया। जबिक

1860 व 1863 म� मंगलौर और म� नगरपािलका की �थापना हो चुकी थी । सन् 1888 म� ह�र�ार की

या�ा को सुगम बनाने के िलए रे ल चलायी गयी। वैिदक परं पराओं और ॠिष मुिनयों के �ारा गु� िश�

की आ�म �व�था का अ��� बचाए रखने के िलए सन् 1902 म� गु�कुल कांगड़ी की �थापना
की गई। आज भी यहां गु�कुलीय आ�म �व�था है । सव��थम गु�कुल कां गड़ी िव�िव�ालय की

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�थापना 1900 म� �ई थी। 2 माच� 1902 को गु�कुल कां गड़ी िव�िव�ालय को ह�र�ार म� �थानां त�रत
कर िदया। गु�कुल कांगड़ी िव�िव�ालय के सं�थापक �ामी ��ानंद थे।

अनत:: 28 िदसंबर 1988 को ह�र�ार को सहारनपुर से अलग कर िदया गया और


ह�र�ार िजले के �थापना �ई । 9 नवंबर 2000 को नए रा� उ�रां चल की �थापना �ई।

ह�र�ार के �मुख �थल

हर की पौड़ी

हर की पौड़ी घाट ह�र�ार का सवा� िधक �मुख �थल है इसे ��कंु ड के नाम से जाना जाता है । इस

घाट का िनमा� ण 56 ईसा पूव� िव�मािद� ने भाई भतृ�ह�र की याद म� करवाया था। हर की पौड़ी म�
�ान करने से ज� ज� के पाप धुल जाते ह� इसीिलए तो िवदे शी भी पाप की मु�� के िलए यहां आते

ह� । ह�र�ार की सबसे अनोखी चीज है शाम को होने वाली गंगा जी की महाआरती और गंगा नदी म�
बहते �ए सुनहरे दीपों का सौंदय� बेहद आकष�क और सुंदर लगता है । मानो जैसे पानी म� तारे
िटमिटमा रहे हो ।

मनसा दे वी का मंिदर

मनसा दे वी की या�ा बेहद आकष�क लगती है । मंिदर तक प�ं चने के िलए उड़न खटोला �योग िकया

जाता है । जहां से ह�र�ार का सुंदर �� अद् भुत नजर आता है । हर की पौड़ी के पीछे िशवािलक �ेणी
के िव� पव�त की चोटी पर मनसा दे वी मंिदर ��थत है ।

चंडी दे वी का मंिदर

यह मंिदर क�ीर के राजा सूची िसंह �ारा 1929 म� बनवाया गया था। इितहासकारों के अनुसार चंडी

दे वी की �थापना आठवीं शता�ी म� आिद शंकराचाय� जी के �ारा की गरीब थी। यह मंिदर गंगा नदी
के दू सरी ओर नील पव�त पर ��थत है । पुराणों के अनुसार चंडी दे वी के शुंभ िनशुंभ ने सेनापित चंड

और मुंड को यहीं मारा था।

माया दे वी मंिदर

मायादे वी मंिदर को ह�र�ार की अिध�ा�ी दे वी माना जाता है । इसका िनमा� ण 11वीं शता�ी म� �आ था

स� ऋिष आ�म

कहा जाता है िक जब गंगा जी पृ�ी पर उतरी तो ह�र�ार के िनकट स�िष�यों के आ�म को दे ख कर


�क गई और यह िनण�य नहीं कर पाई िक िकस ऋिष के आ�म के सामने से �भािवत हो। तब गंगा

सात धाराओं म� िवभािजत हो गई। सात ऋिषयों के आ�म को स�ऋिष नाम से जाना गया और वह

�े� स�सरोवर कहलाया।

शा�� कंु ज

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यही �थान गाय�ी तीथ� के �प म� �िस� है । इसकी �थापना आचाय� पंिडत �ीराम शमा� के संर�ण
म� 1971 म� �ई थी। यहां �ितिदन गाय�ी की उपासना होती है और य� होता है ।

कनखल

यह ह�र�ार के दि�ण म� ��थत एक उपनगर है । कािलदास के मेघदू त म� कनखल का वण�न िमलता है


। पौरािणक कथाओं के अनुसार यह नगर िशव जी के ससुर द� �जापित की राजधानी था। इसी नगर

म� द� �ारा आयोिजत य� म� िशव जी का अपमान होने पर उनकी य� के अि�कुंड म� �ाणों की

आ�ित दे दी। यहां माता सती का सती कुंड है ।

भारत माता का मंिदर

भारत माता मंिदर का िनमा� ण 1983 म� �ामी िम� आनंद ने कराया था यह मंिदर ह�र�ार म� 180
फीट की ऊंचाई पर ��थत है इसका उद् घाटन इं िदरा गां धी ने िकया था।

िवशेष त�

• ह�र�ार का कुल �े�फल 2360 िकलोमीटर है ।

• सन् 2011 म� ह�र�ार को नगर िनगम घोिषत िकया गया था।

• 2011 की जनगणना के अनुसार ह�र�ार की कुल 18,90,422 आबादी है । इसका जनसं�ा


घन� 801 �ित वग� िकलोमीटर है ।

• ह�र�ार जनसं�ा की �ि� से सवा� िधक बड़ा िजला है ।

• ह�र�ार की सा�रता दर 73.43 �ितशत है जोिक उ�राखंड के सभी िजलों म� सबसे कम म�


दू सरे �थान पर है । जबिक �थम �थान पर उधम िसंह नगर 73.10 % के साथ है ।

• 2011 की जनगणना के अनुसार ह�र�ार का िलंगानुपात 880 था। जो सभी िजलों म� सबसे
कम है ।

• ह�र�ार को चार तहसील म� िवभािजत िकया गया है । ह�र�ार , �ड़की, भगवानपुर , ल�र।

इसके अलावा 6 िवकास खंड बनाए गए ह� ।

• ह�र�ार म� कुल 11 िवधानसभा सीट है । रा� के सभी जनपदों म� सवा� िधक ह� ।

• �े�फल की �ि� से रा� का सबसे छोटा लोकसभा संसदीय �े� ह�र�ार है ।

• ह�र�ार म� कुल 643 गां व स��िलत है ।

• ह�र�ार के िझलिमल ताल क�जव�शन ��थत है जबिक कुछ �े� म� राजाजी रा��ीय उ�ान,
मोतीचूर �रजव� है ।

• ह�र�ार की �िस� मेले - कुंभ मेला और िपरान मेला है

• ब�ी िवशाल समाचार प� ह�र�ार से िनकलता है

• उ�राखंड सं�ृत िव�िव�ालय अ�ैल 2005 म� ह�र�ार म� बनाया गया।

• उ�राखंड लोक सेवा आयोग मु�ालय ह�र�ार म� ��थत है ।

• ह�र�ार म� िसडकुल की �थापना 2002 म� �ई िजसका मु�ालय दे हरादू न म� बनाया गया


उ�ोग की �ि� से सवा� िधक उ�ोग ह�र�ार म� काय�रत ह� ।

ह�र�ार महाकुंभ

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Re l at e d p o s t : -

��पुर का इितहास

काशीपुर का इितहास

अ�ोड़ा का इितहास

गढ़वाल का परमार वंश


िट�िणयाँ

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इस �ॉग से लोकि�य पो�

क�ूरी राजवंश उ�राखंड का इितहास भाग

लेखक दे वभूिम उ�राखंड फ़रवरी

क�ूरी राजवंश का इितहास भाग -1 अमोघभूित कुिणद वंश का सबसे श��शाली

शासक था। कुिणद वंश उ�राखंड म� लगभग तीसरी- चौथी शता�ी की पहली राजनीितक

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श��शाली राजवंश था। इसे काित�केयपुर वंश के नाम से भी जाना जाता है । 'क�ूरी' श�

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उ�राखंड म� भूिम बंदोब� का इितहास


लेखक दे वभूिम उ�राखंड अग�

भूिम बंदोब� �व�था उ�राखंड का इितहास भूिम बंदोब� आव�कता �ों ?


जब दे श म� उ�ोगों का िवकास नहीं �आ था तो सम� अथ��व�था कृिष पर िनभ�र थी।

उस समय राजा को सवा� िधक कर की �ा�� कृिष से होती थी। अतः भू राज� आय �ा�

करने के िलए भूिम बंदोब� �व�था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश …

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चंद राजवंश उ�राखंड का इितहास


लेखक दे वभूिम उ�राखंड फ़रवरी

चंद राजवंश का इितहास पृ�भूिम उ�राखंड म� कुिणंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे

समय तक शासन करने वाला राजवंश है । चंद वंश की �थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के

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आिद गु� शंकराचाय� का उ�राखंड म� आगमन �आ और उसके बाद क�ौज म� महमूद …

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परमार वंश उ�राखंड का इितहास भाग


लेखक दे वभूिम उ�राखंड माच�

उ�राखंड का इितहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इितहास

उ�राखंड म� सवा� िधक िववािदत और मतभेद पूण� रहा है । जो परमार वंश के इितहास को

किठन बनाता है परं तु िविभ� इितहासकारों की पु�कों का गहन िव�ेषण करके तथा
पु�क उ�राखंड का राजनैितक इितहास (अजय रावत) को मु� आधार मानकर परमार…

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उ�राखंड की जनजाितयों से संबंिधत ��


उ�राखंड ��ो�री
लेखक दे वभूिम उ�राखंड नवंबर

उ�राखंड ��ो�री -14 उ�राखंड की �मुख जनजाितयां वष� 1965 म� क�� सरकार ने

जनजाितयों की पहचान के िलए लोकर सिमित का गठन िकया। लोकर सिमित की


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राजी को एसटी (ST) का दजा� िमला । रा� की मा� 2 जनजाितयों को आिदम जनजाित …

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कर� ट अफेयस� 2023
उ�राखंड का इितहास
उ�राखंड समूह ग मॉडल पेपर 2023

मेरे बारे म�

दे वभूिम उ�राखंड
My self Sunil Rana . I am writer And
study about B.Com and MA
Economics I want to become an ias
of�cer .

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सं�िहत कर�

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दे वभूिमउ�राखंड

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