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सुनार

सुनार जा त का सव णम इ तहास तथा मा यताएँ।

कटक के सुनार (सन १८७३)

सुनार (वैक पक सोनार या वणकार) भारत और


नेपाल के वणकार समाज से स ब धत जा त है
जनका मु य वसाय वण धातु से भाँ त-भाँ त के
कला मक आभूषण बनाना, खेती करना तथा सात
कार के शु ापार करना है। य प यह समाज
मु य प से ह को मानने वाला है ले कन इस जा त
का एक वशेष कुलपूजा थान है। सुनार अपने पूवज
के धा मक थान क कुलपूजा करते है। यह जा त
ह तान क मूल नवासी जा त है। मूलत: ये सभी
य वण म आते ह इस लये ये य सुनार भी
कहलाते ह। आज भी यह समाज इस जा त को य
सुनार कहने म गव महसूस करता ह।[1]

श दक ुप
सुनार श द मूलत: सं कृत भाषा के वणकार का
अप ंश है जसका अथ है वण अथवा सोने क धातु
या सोने जैसी फसल का उ पादन करने वाला। यह
य जा त है जो अ याय तथा अ याचार के व
लड़ती है। इस जा त म अनेक महापु ष ने ज म लया
है। यह इ तहास क वीर तथा महान् जा त है।[2] ार भ
म न त ही इस कार क नमाण कला के कुछ
जानकार रहे ह गे ज ह वै दक काल म वणकार कहा
जाता होगा। बाद म पु त-दर-पु त यह काम करते ए
उनक एक जा त ही बन गयी जो आम बोलचाल क
भाषा म सुनार कहलायी। जैस-े जैसे युग बदला इस जा त
के वसाय को अ य वण के लोग ने भी अपना लया
और वे भी वणकार हो गये। सुनार
शाकाहारी,सुँदर,च र वान,साहसी तथा पूरक श से
स होता है। जब क वणकार भा यवश कसी अ य
जा त का भी हो सकता है। अ य जा त का सुनार
जा त म उसी कार पहचाना जाएगा जैसे हँसो म अ य
प ी पहचाना जाता है। गुणो से ही जा त क पहचान
होती है। जा त से ही गुणो का प रचय मलता है।
इ तहास
लोकमानस म च लत जन ु त के अनुसार सुनार जा त
के बारे म एक पौरा णक कथा च लत है क ेता युग म
परशुराम ने जब एक-एक करके य का वनाश
करना ार भ कर दया तो दो राजपूत भाइय को एक
सार वत ा ण ने बचा लया और कुछ समय के लए
दोन को मैढ़ बता दया जनम से एक ने वण धातु से
आभूषण बनाने का काम सीख लया और सुनार बन
गया और सरा भाई खतरे को भाँप कर ख ी बन गया
और आपस म रोट बेट का स ब ध भी न रखा ता क
कसी को यह बात कान -कान पता लग सके क दोन
ही य ह।आज इ ह मैढ़ राजपूत के नाम से भी जाना
जाता है य क ये वही राजपूत है ज ह ने वण
आभूषण का काय अपने पु तैनी धंधे के प म चुना है।
ले कन आगे चलकर गाँव म रहने वाले कुछ सुनार ने भी
आभूषण बनाने का पु तैनी ध धा छोड़ दया और वे
खेती करने लगे।[under warg-bhed 1]

सां यक य आँकड़े
जते वमा नामक लेखक के अनुसार सन् 2011 म
ह तान के येक ा त म सुनार क जनसं या
17करोड़ थी। और अकेले ह रयाणा म 74लाख सुनार
रहते थे। स प सुनार क आबाद गाँव के बजाय
शहर म अ धक थी। यह जा त भारत के सभी थान पर
नवास करती है। [under warg-bhed 1]

वग-भेद
अय ह जा तय क तरह सुनार म भी वग-भेद पाया
जाता है। इनम अ ल का रवाज़ इतना ाचीन है क
जसक कोई थाह नह ।ये न न 3 वग म वभा जत
है,जैसे 4,13,और सवा लाख म इनक मुख अ ल के
नाम भी व च ह जैसे ,परसेटहा (Basically belong
form Rewa and Sidhi Distr. Madhya
Pradesh),
वारे,भटे ल,मदब रया,म हलबार,नागवंशी, छबहा,
नरब रया,अ खलहा,ज डया, स ड़या, धेबला पत रया,
बंगरमौआ, प लया, झंकखर, भड़ेल,े कद मी, नेगपु रया,
स तानपु रया, दे खाल तया, मु डहा, भुइगइयाँ,
समु हया, च लया, कटा रया, नौब तवाल, व
शाहपु रया.सुरजनवार ,
खजवा णया.डसा णया,मायछ.लावट
.कड़ैल.दै वाल.ढ ला.कुकरा.डांवर.मौसूण.जौड़ा .
जवडा. माहर. रोडा. बुटण. त वा र.भद लया. भोमा.
अ ोयाआ द-आ द। अ ल का अथ नकास या जस
थान से इनके पुरखे नकल कर आये और सरी जगह
जाकर बस गये थे आज तक ऐसा माना जाता है।
[under warg-bhed 1]

स दभ
1. R.V. Russell
2. R.V. Russell (October 1995). The Tribes
and Castes of the Central Provinces of
India . IV. Published Under the Orders of the
Central Provinces Administration,
Macmillan and Co., Limited St. Martin's
Street, London. 1916. पृ॰ 517. अ भगमन त थ
6 जुलाई 2011.

स दभ ु ट: "under warg-bhed" नामक स दभ-


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title=सुनार&oldid=4018656" से लया गया

Last edited 5 months ago by संजीव …

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

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