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श्री अग मु न भरनुगृहीतं
Á Á आ द हृदयम् Á Á
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Sunder Kidāmbi
Á Á आ द हृदयम् Á Á
ततो यु पिरश्रा ं समरे च या तम् Á
रावणं चाग्रतो दृ ा यु ाय समुप तम् Á Á 1 ÁÁ
दैवतै समाग द्र ु म ागतो रणम् Á
उपाग ाब्रवीद्रामं अग ो भगवानृ षः Á Á 2 ÁÁ
राम राम महाबाहो शृणु गु ं सनातनम् Á
येन सव नर न् व समरे वज य स Á Á 3 ÁÁ
आ द हृदयं पु ं सवर्शत्रु वनाशनम् Á
जयावहं जपे ं अक्ष ं परमं शवम् Á Á 4 ÁÁ
सवर्म ळमा ं सवर्पापप्रणाशनम् Á
च ाशोक प्रशमनं आयुवर्धर्नमु मम् Á Á 5 ÁÁ
र म ं समु ं देवासुर नम ृ तम् Á
पूजय वव ं भा रं भुवने रम् Á Á 6 ÁÁ
े ा को ेषः तेज ी र भावनः Á
सवर्दव
एष देवासुरगणान् लोकान् पा त गभ भः Á Á 7 ÁÁ
एष ब्र ा च व ु शवः ः प्रजाप तः Á
महे ो धनदः कालो यमः सोमो पां प तः Á Á 8 ÁÁ
पतरो वसवः सा ा नौ मरुतो मनुः Á
वायुवर् ः प्रजाप्राणः ऋतुकत प्रभाकरः Á Á 9 ÁÁ
आद हृदयम्
त चामीकराभाय व ये व कमर्णे Á
नम मोऽ भ न ाय रवये लोकसा क्षणे Á Á 21 ÁÁ
नाशय ेष वै भूतं तथैव सृज त प्रभुः Á
पाय ेष तप ेष वषर् ेष गभ भः Á Á 22 ÁÁ
एष सु ेषु जाग तर् भूतेषु पिर न तः Á
एष एवा होत्रं च फलं चैवा हो त्रणाम् Á Á 23 ÁÁ
वेदा क्रतव ैव क्रतूनां फलमेव च Á
या न कृ ा न लोकेषु सवर् एष र वः प्रभुः Á Á 24 ÁÁ
फलश्रुितः
एनमाप ु कृ ्र े षु का ारे षु भयेषु च Á
क तर्यन् पुरुषः क न् नावसीद त राघव Á Á 25 ÁÁ
पूजय ैनमेकाग्रो देवदेवं जग तम् Á
एतत् त्रगु णतं ज ा यु ेषु वज य स Á Á 26 ÁÁ
अ न् क्षणे महाबाहो रावणं ं व ध स Á
एवमु ा तदाऽग ो जगाम च यथागतम् Á Á 27 ÁÁ
एत ा महातेजा न शोकोऽभव दा Á
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयता वान् Á Á 28 ÁÁ
आ द ं प्रे ज ा तु परं हषर्मवा वान् Á
त्रराच शु चभूर् ा धनुरादाय वीयर्वान् Á Á 29 ÁÁ
रावणं प्रे हृ ा ा यु ाय समुपागमत् Á
सवर्य ेन महता वधे त धृतोऽभवत् Á Á 30 ÁÁ
अथ र वरवद र रामं
मु दतमनाः परमं प्रहृ माणः Á
न शचरप तसंक्षयं व द ा
सुरगणम गतो वच रे त Á Á 31 ÁÁ