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श्रीमते रामानुजाय नमः
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श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
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वैकु े रमया साकं कदा चज्जगतीप तः Á
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संसारसागरे म ान् जनान् ृ ा च यत् Á Á 1 ÁÁ
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अहो मोहवशादेते सागरा नर्मिज्जताः Á
यया कयाऽ प वधया ु िर ा म तान् ध्रुवम् Á Á 2 ÁÁ
एवं स भगवान् वै वाग्रेसरान् बहून् Á
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पूवर्मेतत् समालो कतु का ायनीव्रतम् Á Á 9 ÁÁ
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ऐह ह ता गो ः सा ं त्रंश नैः शुभम् Á
प्राथर्य े तं कृ ं व्रतोपकरणं प्र त Á Á 10 Á Á
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कृ ः कमलपत्राक्षो भ ानामभयप्रदः Á Á 11 Á Á
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तत ाः स ताः ासु नयमं पयर्क यन् Á
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या पूव प्रातरु ेत् प्रबोधयतु सापराः Á Á 12 ÁÁ
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इ ं वधाय नयमं तथैव प्रातरु ताः Á
यमुनायां सुखं ा ा च क्ररे व्रतमु मम् Á Á 13 ÁÁ
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कृ ः प ायताक्षो दश त च करणा द थर्ता न Á Á 1 ÁÁ
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हे भूलोकमवा नः शृणुत स ो ो लस ो भृशं
वा ं म लदायकं व्रतपरं तत्रोपयु ान् वधीन् Á
ना ा भ वर्मुखी भर थर् नवहे भा ं प्रसूना ने
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धाय नैव कुपु का दपठनं ा ं कृ ं तथा Á Á 2 ÁÁ
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पादाक्रा सम लोक वभवं ु ा प्रभुं श्रीधरं
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ानं चेत् क्रयते व्रताय सकलो लोको वबाधो भृशम् Á
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गावोऽभी पयः प्रदाः कल मही स ैः समृ ा भवेत्
देवो वषर् त मा स मा स च जनाः न श्रयं प्रा ुयुः Á Á 3 Á Á
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गो ः सु रकेशपाशभिरता मा मालावृताः Á
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य दधीह तेन ज नतान् श ां य े शवं
ब्रूम वती न कं नशमय ु बाले शुभे Á Á 7 ÁÁ
दृ ा प्रा ां प्रकाशं तदनु यदुवरै मुर् माना म ह ः
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धाव ेकत्र तु ाः तृणचरण धया नैव वत महेऽत्र Á
इ ेवं ब कोपाः लदनलसमाः ाप य ैव गोपीः
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प्रा ाः ां ह नेतुं बकमुखशमनं कृ मु ैः ुव ः ÁÁ 8 ÁÁ
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पयर् े बहुर दीपभिरते धूपै था ापृते
नद्रा स बले कवाटयुगलं ं क्षप्रमुद्घाटय Á
मूका कं ब धरालसा तव सुता ापा भचारं गता
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गाय ः प्र तपे दरे व्रतभुवं सव गोपा नाः Á
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शुक्रः प्रादुरभूद् बृह तरगाद ं जा ो ताः
बाले ीदृशकाल एव श यता ानं कृ ा शुभे Á Á 13 ÁÁ
गेहारामगवा पकाजलगतं र ो लं पु तं
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भ्रा े स ु चताऽभव ु मु दनी ाय श ं जनाः Á
ः प्रातः प्रथमो ता ननु सखीरु ोध य ेऽह म -
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ु ः कं तव नैव लज्जय त त ो ाय कृ ं भज Á Á 14 ÁÁ
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अ ाप पषीह बालशु कस प्रबु ा हं
जानेऽहं तव वा कौशलमहं यूयं तथा द्र थ Á
कं सव ः समुपागमन् ननु तथा सङ् ाय जानी ह तत्
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ं तं मा यनमुग्रशत्रुशमनं कृ ं सखायं र Á Á 15 Á Á
व ो ं बलभद्र कृ स हत ो कृ प्रय Á Á 17 ÁÁ
नीले वा सतचारुकेश नचये हे न गोप ुषे
कूज त्र च कु ु टा अ प कुहूक ा लताम पे Á
अ तर्तकृ नाम वभवं भ ा यं शृ ती
भूषा श तमञ्जुपा णकमले नोद्घाटय ागर्लम् Á Á 18 ÁÁ
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तरु ावैप ानां सं ृ त ोकाः
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व ा भुजा राल भगवन् वाचं न द े ह नः Á
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दे व ं न कले स शयना ा ं कदा ु तं
ं चे क्षण वप्रयोगसहना त ं न त ो दया Á Á 19 Á Á
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कािर ा श्रतव लािरशमनो यं नमर्ल Á
नीले वद्रम ु र वणर्वदने कु न ं ह नः
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कृ ं चा दपे क्षतं च करणं द ा व्रतं कारय Á Á 20 ÁÁ
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आपूयर् प्रसृतान् घटान् बहुपयोधारा ब हमुर् तः
ामी धेनुगण योऽ तमहतो गोप त ा जÁ
दीना पराक्रमािरसदृशाः ादप ा कं
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त ैवं परना शनो रचयत् कंसोऽ प्रयं ते बहु Á
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त व य न ल मगमत् त न् भव थर्तां
प्रा ाः ः पटहा दकं बहु वधं द ा व्रतं कारय Á Á 25 ÁÁ
श ान् शु तमान् ननादभिरतान् दीपान् बहून् सु रान्
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क ा ु नादवा दपटहान् वेदप्रव ॄ न् जनान् Á
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अ ु जमा वतानम खलं चा रे श्रीपते
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दे ह ं वटपत्रत जलद ाम प्रभो सादरम् Á Á 26 Á Á
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हे शत्रु य गोपते प्रय वभो ु ा वयं ां मुहुः
प्रा ेमान् पटहान् बहून् बहुम तं ल ामहे चो माम् Á
व ा दकणर्पत्रकटकान् धृ ा ततः स ताः
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गो समानचारुवदनाः सं ु दामोदरं
प्रा ा य टहा दकं कृ त ममां गोदा दे ा कृताम् Á
त्रंशद् द्रा वडप गु नमयीं ये वा पठ ादरात्
प ाका दयामवा भु व ते न ं सुखं प्रा ुयुः Á Á 30 ÁÁ
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तरु ावैप ानां सं ृ त ोकाः
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व श भाव व ज्ञानहेतुिरयं कृ तः Á Á
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श्रीवीरराघवाय णां उ मूचर्क्रव तर्नाम् Á
सवर्शा प्रवीणानाम ेवासी यं जनः ÁÁ
वरदायर्गुरोः सूनुः वा ः श्रीरामदे शकः Á
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तानीत् ोकरूपेण गोदादे ाः कृ तं शुभाम् ÁÁ
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श्री तरु ावैप ानां सं ृ त ोकाः समा ाः
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