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Taittiri Iyopanishat
Taittiri Iyopanishat
कृ यजुवदीय
Á Á तै र योप नषत् Á Á
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Sunder Kidāmbi
ām om
kid t c i
श्रीमते रामानुजाय नमः
er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
Á Á शीक्षाव प्रथमा Á Á
हर अाे(४)म् Á Á
dā
शं नाे॑ म॒श्शं वरु॑ णः Á
i
शं नाे॑ भवत्वयर्॒मा Á
b
su att ki
शं न॒ इन्ाे॒ बृहस्॒ पित॑ः Á
शं नाे॒ वष्णु॑रुरु॒ मः Á
नमाे॒ म॑णे Á
ap der
नम॑स्ते वायाे Á
त्वमे॒व ॒त्यक्षं॒ मा॑स Á
i
त्वामे॒व ॒त्यक्षं॒ म॑ वदष्याम Á
pr sun
ऋ॒ तं व॑दष्याम Á
स॒त्यं व॑दष्याम Á
तन्ाम॑वत Á
तद्व॒तार॑ मवत Á
nd
अव॑त ॒ माम् Á
अव॑त व॒तार᳚ म् Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á 1 Á Á
शीक्षाव प्रथमा
ām om
kid t c i
शीक्षां व्या᳚ख्यास्या॒मः Á
er do mb
वणर्॒स्स्वरः Á
माा॒ बलम् Á
साम॑ सन्ता॒नः Á
dā
इत्युतश्शी᳚क्षाध्या॒यः Á Á 2 Á Á
b i
शीक्षां पच॑ ÁÁ 2 ÁÁ
su att ki
स॒ह नाै॒ यशः Á
स॒ह नाै ॑मव॒चर्सम् Á
ap der
ता महासग्ंहता इ॑ त्याच॒क्षते Á
अथा॑धलाे॒कम् Á
पृथवी पू᳚वर्रू॒पम् Á
द्याैरुत॑ररू॒ पम् Á
nd
अाका॑शस्स॒न्धः Á Á 3 Á Á
वायु॑स्सन्धा॒नम् Á
इत्य॑धलाे॒कम् Á
अथा॑धज्याै॒ितषम् Á
ām om
kid t c i
अनः पू᳚वर्रू॒पम् Á
er do mb
अादत्य उत॑ररू॒ पम् Á
अा॑पस्स॒न्धः Á
वैद्युत॑स्सन्धा॒नम् Á
dā
इत्य॑धज्याै॒ितषम् Á
i
अथा॑धव॒द्यम् Á
b
su att ki
अाचायर्ः पू᳚वर्रू॒पम् Á Á 4 Á Á
अन्तेवास्युत॑ररू॒ पम् Á
ap der
व॑द्या स॒न्धः Á
वचनग्॑ं सन्धा॒नम् Á
i
इत्य॑धव॒द्यम् Á
pr sun
अथाध॒जम् Á
माता पू᳚वर्रू॒पम् Á
पताेत॑ररू॒ पम् Á
॑जा स॒न्धः Á
nd
जननग्ं॑ सन्धा॒नम् Á
इत्यध॒जम् Á Á 5 Á Á
अथाध्या॒त्म् Á
अधराहनुः पू᳚वर्रू॒पम् Á
उतराहनुरुत॑ररू॒ पम् Á
ām om
kid t c i
वाक्स॒न्धः Á
er do mb
जा॑ सन्धा॒नम् Á
इत्यध्या॒त्म् Á
इतीमा म॑हास॒ग्ं॒हताः Á
dā
य एवमेता महासग्ंहता व्याख्या॑ता वे॒द Á
i
सन्धीयते ज॑या प॒शभः Á
b
su att ki
मवचर्सेनानाद्येन सवग्येर्ण॑ लाेके॒न Á Á 6 Á Á
यश्छन्द॑सामृष॒भाे व॒वरू॑पः Á
छन्दाे॒भ्याेऽध्य॒मृता᳚थ्संब॒भूव॑ Á
i
स मेन्ाे॑ मे॒धया᳚ स्पृणाेत Á
pr sun
ām om
kid t c i
वासाग्ं॑स॒ मम॒ गाव॑च Á
er do mb
अ॒न॒पा॒ने च॑ सवर्॒दा Á
तताे॑ मे॒ य॒माव॑ह Á
लाे॒म॒शां प॒शभ॑स्स॒ह स्वाहा᳚ Á
dā
अामा॑यन्त मचा॒रण॒स्स्वाहा᳚ Á Á 8 Á Á
b i
यशाे॒ जने॑ऽसािन॒ स्वाहा᳚ Á
su att ki
ेया॒न् ॒ वस्य॑साेऽसािन॒ स्वाहा᳚ Á
तं त्वा॑ भग॒ व॑शािन॒ स्वाहा᳚ Á
ap der
यथाऽऽप॒ः व॑ता॒ऽऽयन्त॑ Á
यथा॒ मासा॑ अहजर्॒रम् Á
ए॒वं मां ॑मचा॒रण॑ः Á
धात॒राय॑न्त स॒वर्त॒स्स्वाहा᳚ Á
nd
ām om
kid t c i
तासा॑मुहस्ै॒तां च॑तथ
॒ ीर्म् Á
er do mb
माहा॑चमस्य॒ः वे॑दयते Á
मह॒ इित॑ Á
तत् म॑ Á
स अा॒त्ा Á
dā
i
अङ्ा᳚न्य॒न्या दे॒वता᳚ः Á
b
su att ki
भूरित॒ वा अ॒यं लाे॒कः Á
भुव॒ इत्य॒न्तर॑ क्षम् Á
सव॒रत्य॒साै लाे॒कः Á Á 10 Á Á
ap der
मह॒ इत्या॑द॒त्यः Á
i
अा॒द॒त्येन॒ वाव सवेर्॑ लाे॒का मही॑यन्ते Á
pr sun
भूरित॒ वा अ॒नः Á
भुव॒ इित॑ वा॒युः Á
सव॒रत्या॑द॒त्यः Á
मह॒ इित॑ च॒न्मा᳚ः Á
nd
ām om
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म॑णा॒ वाव सवे॑र् वे॒दा मही॑यन्ते Á
er do mb
भूरित॒ वै ा॒णः Á
भुव॒ इत्य॑पा॒नः Á
सव॒रित॑ व्या॒नः Á
dā
मह॒ इत्यन᳚म् Á
i
अने॑न॒ वाव सवेर्᳚ ा॒णा मही॑यन्ते Á
b
su att ki
ता वा ए॒ताचत॑चतध
॒ ार् Á
चत॑चताे॒ व्याहृ॑तयः Á
ता याे वेद॑ Á
ap der
स वे॑द॒ म॑ Á
सवेर्᳚ऽस्ै दे॒वा ब॒लमाव॑हन्त Á Á 12 Á Á
i
pr sun
व्य॒पाेय॑ शीषर्कपा॒ले Á
ām om
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भूरत्य॒नाै ित॑ितष्ठित Á
er do mb
भुव॒ इित॑ वा॒याै Á Á 13 Á Á
सव॒रत्या॑द॒त्ये Á
dā
मह॒ इित॒ म॑ण Á
अा॒नाेित॒ स्वारा᳚ज्यम् Á
b i
अा॒नाेित॒ मन॑स॒स्पित᳚म् Á
su att ki
वाक्प॑ित॒चक्ष॑ष्पितः Á
ाे॑पितवर्॒ज्ञान॑पितः Á
ap der
ए॒ततताे॑ भवित Á
अा॒का॒श श॑ररं ॒ म॑ Á
i
स॒त्यात्॑ ा॒णारा॑मं॒ मन॑ अानन्दम् Á
pr sun
शान्त॑समृद्धम॒मृत᳚म् Á
इित॑ ाचीनयाे॒ग्याेपा᳚स्व Á Á 14 Á Á
वा॒याव॒मृत॒मेक॑ं च ÁÁ 6 ÁÁ
अ॒नवार्॒युरा॑द॒त्यच॒न्मा॒ नक्ष॑ाण Á
अाप॒ अाेष॑धयाे॒ वन॒स्पत॑य अाका॒श अा॒त्ा Á
इत्य॑धभूतम्
॒ Á
अथाध्या॒त्म् Á
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शीक्षाव प्रथमा
ām om
kid t c i
चक्षश्॒ ाें॒ मनाे॒ वाक् Á
er do mb
त्वक् चमर्॑ मा॒ग्ं॒सग्ग् नावाऽस्थ॑ म॒जा Á
ए॒तद॑धव॒धाय॒ ऋष॒रवाे॑चत् Á
पाङ्ं॒ वा इ॒ दग्ं सवर्᳚म् Á
dā
पाङ्॑े नै॒व पाङ्ग्ग्॑ स्पृणाे॒तीित॑ Á Á 15 Á Á
b i
सवर्॒मेक॑ं च॑ ÁÁ 7 ÁÁ
su att ki
अाेमित॒ म॑ Á
अाेमती॒दग्ं सवर्᳚म् Á
ap der
मै॒वाेपा᳚नाेित Á Á 16 Á Á
अाें दश॑ ÁÁ 8 ÁÁ
ऋतं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
ām om
kid t c i
सत्यं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
er do mb
तपच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
दमच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
शमच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
dā
अनयच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
i
अनहाें च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
b
su att ki
अितथयच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
मानुषं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
जा च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
ap der
जनच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
जाितच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
i
सत्यमित सत्यवचा॑ राथी॒तरः Á
pr sun
अ॒हं वृक्ष
॒ स्य॒ रे र॑ वा Á
क॒ितर्ः पृष्ठ
॒ ं ग॒रेर॑ व Á
ऊ॒ ध्वर्प॑वाे वा॒जनी॑व स्व॒मृत॑मस् Á
व॑ण॒ग्ं॒ सव॑चर्सम् Á
ām om
kid t c i
समेधा अ॑मृताे॒क्षतः Á
er do mb
इित िशङ्ाेवेर्दा॑नुव॒चनम् Á Á 18 Á Á
अ॒हग्ं षट् Á Á 10 Á Á
dā
वेदमनूच्याचायाेर्ऽन्तेवासनम॑नुशा॒स्त Á
i
सत्यं॒ वद Á
b
su att ki
धमं॒ चर Á
स्वाध्याया᳚न्ा ॒मदः Á
अाचायार्य यं धनमाहृत्य जातन्तं मा व्य॑वच्छे ॒ थ्सीः Á
ap der
सत्यान म॑दत॒व्यम् Á
धमार्न म॑दत॒व्यम् Á
i
कुशलान म॑दत॒व्यम् Á
pr sun
भूत्यै न म॑दत॒व्यम् Á
स्वाध्यायवचनाभ्यां न म॑दत॒व्यम् Á Á 19 Á Á
देवपतृकायार्भ्यां न म॑दत॒व्यम् Á
nd
मातृ॑देवाे॒ भव Á
पतृ॑देवाे॒ भव Á
अाचायर्॑देवाे॒ भव Á
अितथ॑देवाे॒ भव Á
यान्यनवद्यािन॑ कमार्॒ण Á
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शीक्षाव प्रथमा
तािन सेव॑तव्या॒िन Á
ām om
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नाे इ॑ तरा॒ण Á
er do mb
यान्यस्ाकग्ं सच॑रता॒िन Á
तािन त्वयाे॑पास्या॒िन Á Á 20 Á Á
dā
नाे इ॑ तरा॒ण Á
ये के चास्च्र्ेयाग्॑स
ं ाे ा॒मणाः Á
b i
तेषां त्वयाऽऽसनेन व॑सत॒व्यम् Á
su att ki
द्ध॑या दे॒यम् Á
अद्ध॑याऽदे॒यम् Á
ap der
॑या दे॒यम् Á
ि॑या दे॒यम् Á
i
भ॑या दे॒यम् Á
pr sun
संव॑दा दे॒यम् Á
अथ यद ते कमर्वचकथ्सा वा वृतवचक॑थ्सा वा॒ स्यात् Á Á 21 Á Á
ये त ामणा᳚स्संम॒र्शनः
॒ Á
युता॑ अायुत
॒ ाः Á
nd
ये त ामणा᳚स्संम॒र्शनः
॒ Á
ām om
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युता॑ अायुत
॒ ाः Á
er do mb
अलू क्षा॑ धमर्॑कामा॒स्स्युः Á
यथा ते॑ तेषु॑ वतेर्॒रन् Á Á 22 Á Á
dā
तथा तेषु॑ वतेर्॒थाः Á
एष॑ अादे॒शः Á
b i
एष उ॑ पदे॒शः Á
su att ki
एषा वे॑दाेप॒िनषत् Á
एतद॑नुशा॒सनम् Á
ap der
एवमुपा॑सत॒व्यम् Á
एवमुचैत॑दप
ु ा॒स्यम् Á Á 23 Á Á
i
स्वाध्यायवचनाभ्यां न म॑दत॒व्यं तािन
pr sun
शं न॒ इन्ाे॒ बृह॒स्पित॑ः Á
शं नाे॒ वष्णु॑रुरु॒ मः Á
नमाे॒ म॑णे Á
नम॑स्ते वायाे Á
ām om
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त्वामे॒व ॒त्यक्षं॒ मावा॑दषम् Á
er do mb
ऋ॒ तम॑वादषम् Á
स॒त्यम॑वादषम् Á
तन्ामा॑वीत् Á
dā
तद्व॒तार॑ मावीत् Á
i
अावी॒न्ाम् Á
b
su att ki
अावी᳚द्व॒तार᳚ म् Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á 24 Á Á
ap der
स॒त्यम॑वादषं॒ पच॑ च Á Á 12 Á Á
ÁÁ इ त शीक्षाव समा ा ÁÁ
i
pr sun
nd
ām om
kid t c i
श्रीमते रामानुजाय नमः
er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
Á Á ब्र ान व तीया Á Á
हरः अाे(४)म् Á
स॒ह ना॑ववत Á
dā
i
स॒ह नाै॑ भुनतु Á
b
su att ki
स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á
ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á
ap der
स॒ह पच॑ ÁÁ 1 ÁÁ
i
॒म॒वदा᳚नाेित॒ पर᳚ म् Á
pr sun
तदे॒षाभ्यु॑ता Á
स॒त्यं ज्ञा॒नम॑न॒न्तं म॑ Á
याे वेद॒ िनह॑तं॒ गुहा॑यां पर॒मे व्याे॑मन् Á
साेऽ᳚ नते॒ सवार्॒न् कामा᳚न्थ्स॒ह Á
nd
म॑णा वप॒चतेित॑ Á
तस्ा॒द्वा ए॒तस्ा॑दा॒त्न॑ अाका॒शस्संभू॑तः Á
अा॒का॒शाद्वा॒युः Á
वा॒याेर॒ नः Á
ब्र ान व तीया
अ॒नेराप॑ः Á
ām om
kid t c i
अ॒द्भ्यः पृ॑थ॒वी Á
er do mb
पृ॒ थ॒व्या अाेष॑धयः Á
अाेष॑धी॒भ्याेन᳚म् Á
अना॒त् पुरु॑षः Á
dā
स वा एष पुरुषाेऽन॑रस॒मयः Á
i
तस्येद॑मेव॒ शरः Á
b
su att ki
अयं दक्ष॑णः प॒क्षः Á
अयमुत॑रः प॒क्षः Á
अयमात्ा᳚ Á
ap der
अन॒ग्ं॒ ह भूताना
॒ ं॒ ज्येष्ठ᳚म् Á
तस्ा᳚थ्सवाैर्ष॒धमु॑च्यते Á
सवं॒ वै तेऽन॑मानवन्त Á
येऽनं॒ माे॒पास॑ते Á
अन॒ग्ं॒ ह भूताना
॒ ं॒ ज्येष्ठ᳚म् Á
ām om
kid t c i
तस्ा᳚थ्सवाैर्ष॒धमु॑च्यते Á
er do mb
अना᳚द्भतािन॒
ू॒ जाय॑न्ते Á
जाता॒न्यने॑न वधर्न्ते Á
अद्यतेऽत च॑ भूता॒िन Á
dā
तस्ादनं तदुच्य॑त इ॒ ित Á
i
तस्ाद्वा एतस्ादन॑रस॒मयात् Á
b
su att ki
अन्याेऽन्तर अात्ा᳚ ाण॒मयः Á
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
ap der
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
i
तस्य ाण॑ एव॒ शरः Á
pr sun
ा॒णाे ह भूताना॒
॒ मायु॑ः Á
ām om
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तस्ा᳚थ्सवार्यष
ु ॒ मु॑च्यते Á
er do mb
सवर्॑मे॒व त॒ अायु॑यर्न्त Á
ये ा॒णं माे॒पास॑ते Á
ाणाे ह भूता॑नामा॒युः Á
dā
तस्ाथ्सवार्युषमुच्य॑त इ॒ ित Á
i
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á
b
su att ki
य॑ः पूवर्॒स्य Á
तस्ाद्वा एतस्ा᳚त् ाण॒मयात् Á
अन्याेऽन्तर अात्ा॑ मनाे॒मयः Á
ap der
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
i
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
pr sun
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
तस्य यजु॑ रेव॒ शरः Á
ऋग्दक्ष॑णः प॒क्षः Á
सामाेत॑रः प॒क्षः Á
nd
अादे॑श अा॒त्ा Á
अथवार्ङ्रसः पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 3 Á Á
ām om
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अा᳚प्य॒ मन॑सा स॒ह Á
er do mb
अानन्दं म॑णाे व॒द्वान् Á
न बभेित कदा॑चने॒ित Á
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á
dā
य॑ः पूवर्॒स्य Á
i
तस्ाद्वा एतस्ा᳚न्नाे॒मयात् Á
b
su att ki
अन्याेऽन्तर अात्ा व॑ज्ञान॒मयः Á
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
ap der
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
i
तस्य ॑द्धैव॒ शरः Á
pr sun
व॒ज्ञान॑ं दे॒वास्सवे᳚र् Á
ām om
kid t c i
er do mb
म॒ ज्येष्ठ॒मुपा॑सते Á
व॒ज्ञानं॒ म॒ चेद्वेद॑ Á
तस्ा॒चेन ॒माद्य॑ित Á
श॒ररे॑ पाप्॑नाे ह॒त्वा Á
dā
सवार्न् कामान्थ्समन॑त इ॒ ित Á
i
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á
b
su att ki
य॑ः पूवर्॒स्य Á
तस्ाद्वा एतस्ाद्व॑ज्ञान॒मयात् Á
अन्याेऽन्तर अात्ा॑ऽऽनन्द॒मयः Á
ap der
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
i
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
pr sun
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
तस्य य॑मेव॒ शरः Á
माेदाे दक्ष॑णः प॒क्षः Á
nd
अस॑ने॒व स॑ भवित Á
ām om
kid t c i
अस॒द्मेित॒ वेद॒ चेत् Á
er do mb
अस्त मेित॑ चेद्वे॒द Á
सन्तमेनं तताे व॑दु र॒ित Á
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á
dā
य॑ः पूवर्॒स्य Á
i
अथाताे॑ऽनु ॒नाः Á
b
su att ki
उ॒ताव॒द्वान॒मुं लाे॒कं ेत्य॑ Á
कच॒न ग॑च्छ॒ ती(३) Á
अाहाे॑ व॒द्वान॒मुं लाे॒कं ेत्य॑ Á
ap der
कच॒त्सम॑नत
॒ ा(३) उ॒ Á
साे॑ऽकामयत Á
i
ब॒हुस्यां॒ जा॑ये॒येित॑ Á
pr sun
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á
इ॒ दग्ं सवर्॑मसृजत Á
यद॒दं कं च॑ Á
nd
तथ्सृ्
॒ ा Á
तदे॒वानु
॒ ाव॑शत् Á
तद॑नु॒वश्य॑ Á
सच॒त्यचा॑भवत् Á
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ब्र ान व तीया
िन॒रुतं ॒ चािन॑रुतं च Á
ām om
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िन॒लय॑नं॒ चािन॑लयनं च Á
er do mb
व॒ज्ञानं॒ चाव॑ज्ञानं च Á
सत्यं चानृतं च स॑त्यम॒भवत् Á
यद॑दं िकं॒ च Á
dā
तथ्सत्यम॑त्याच॒क्षते Á
i
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 6 Á Á
b
su att ki
अस॒द्वा इ॒ दम॑ अासीत् Á
तताे॒ वै सद॑जायत Á
ap der
तदात्ानग्ग् स्वय॑मकु॒रुत Á
तस्ात् तत्सकृतमुच्य॑त इ॒ ित Á
i
यद्वै॑ तथ्सक
॒ ृ तम् Á
pr sun
र॑ साे वै॒ सः Á
रसग्ग् येवायं लब्ध्वाऽऽन॑न्द भ॒वित Á
काे येवान्या᳚त् कः ा॒ण्यात् Á
यदेष अाकाश अान॑न्दाे न॒ स्यात् Á
nd
एष येवान॑न्दया॒ित Á
य॒दा ये॑वैष॒ एतस्नदृश्येऽनात्म्ये -
िनरुतेिनलयनेभयं ित॑ष्ठां व॒न्दते Á
अथ साेऽभयं ग॑ताे भ॒वित Á
ām om
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अथ तस्य भ॑यं भ॒वित Á
er do mb
तत्वेव भयं वदुषाेऽम॑न्वान॒स्य Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 7 Á Á
dā
भी॒षाऽस्ा॒द्वात॑ः पवते Á
भी॒षाेद॑ेित॒ सूयर्॑ः Á
b i
भीषाऽस्ादन॑चेन्॒च Á
su att ki
मृत्युधार्वित पच॑म इ॒ ित Á
सैषाऽऽनन्दस्य मीमाग्ं॑सा भ॒वित Á
ap der
स एकाे मनुष्यगन्धवार्णा॑मान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं मनुष्यगन्धवार्णा॑मान॒न्दाः Á
स एकाे देवगन्धवार्णा॑मान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ām om
kid t c i
ते ये शतं देवगन्धवार्णा॑मान॒न्दाः Á
er do mb
स एकः पतृणां चरलाेकलाेकाना॑मान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं पतृणां चरलाेकलाेकाना॑मान॒न्दाः Á
dā
स एक अाजानजानां देवाना॑मान॒न्दः Á
i
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
b
su att ki
ते ये शतमाजानजानां देवाना॑मान॒न्दाः Á
स एकः कमर्देवानां देवाना॑मान॒न्दः Á
ये कमर्णा देवान॑पय॒न्त Á
ap der
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं कमर्देवानां देवाना॑मान॒न्दाः Á
i
स एकाे देवाना॑मान॒न्दः Á
pr sun
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं देवाना॑मान॒न्दाः Á
स एक इन्॑स्यान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
nd
ते ये शतमन्॑स्यान॒न्दाः Á
स एकाे बृहस्पते॑रान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं बृहस्पते॑रान॒न्दाः Á
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ब्र ान व तीया
स एकः जापते॑रान॒न्दः Á
ām om
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ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
er do mb
ते ये शतं जापते॑रान॒न्दाः Á
स एकाे मण॑ अान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
dā
स यचा॑यं पुरु
॒ षे Á
i
यचासा॑वाद॒त्ये Á
b
su att ki
स एक॑ ः Á
स य॑ एवं॒वत् Á
अस्ााे॑कात् े॒त्य Á
ap der
एतमनमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
i
एतं ाणमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
एतं मनाेमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
pr sun
ām om
kid t c i
कमहग्ं साधु॑ नाक॒ रवम् Á
er do mb
कमहं पापमकर॑ वम॒ित Á
स य एवं वद्वानेते अात्ा॑नग्ग् स्पृण
॒ ुते Á
उ॒भे ये॑वैष॒ एते अात्ा॑नग्ग् स्पृण
॒ ुते Á
य ए॒वं वेद॑ Á
dā
i
इत्यु॑प॒िनष॑त् Á Á 9 Á Á
b
su att ki
स॒ह ना॑ववत Á
स॒ह नाै॑ भुनतु Á
ap der
॒म॒वददमयम॒दमेक॑वग्ंश॒ितः Á
अना॒दन॑रस॒मयात्ाणाे॒ व्यानाेऽपान अाका॑श॒ः पृथवी पुच्छ॒ ग्ं षड्ग॑श
्ं ितः Á
ा॒णं ा॑ण॒मयात्॑नाे॒ यजुर॒ ् ऋक्सामादे
॒ ॒शाेऽथवार्ङ्रसः पुच्छं ॒ द्वावग्॑श
ं ितः Á
यत॑श्॒द्धतर्ग्ं सत्यं याे॑गाे॒ महाे॑ऽष्टाद॑श Á
nd
ām om
kid t c i
देवाना॒मन्॑स्य॒ बृहस्पते॒ः जापते॒र्मण॒स्स यच॑
er do mb
सङ् ा॒मत्येक॑पचाशत् Á
यत॒ः कुत॑च॒नैतमेका॑दश॒ नव॑ ÁÁ 2 ÁÁ
ÁÁ इ त ब्र ान व समा ा ÁÁ
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su att ki
ap der
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ām om
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श्रीमते रामानुजाय नमः
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श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
Á Á भृगुव तृतीया Á Á
हरः अाे(४)म् Á
स॒ह ना॑ववत Á
dā
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स॒ह नाै॑ भुनतु Á
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su att ki
स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á
ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á
ap der
भृगव
ु ॒ ैर् वा॑रु॒णः Á
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वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
pr sun
तद्मेित॑ Á
ām om
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स तपाे॑ऽतप्यत Á
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स तप॑स्त॒वा Á Á 1 Á Á
dā
अ॒नाध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
अने॑न॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
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अनं॒ य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
su att ki
तद्व॒ज्ञाय॑ Á
पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
ap der
तपाे॒ मेित॑ Á
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 2 Á Á
पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
ām om
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अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
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तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
तपाे॒ मेित॑ Á
dā
स तपाे॑ऽतप्यत Á
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स तप॑स्त॒वा Á Á 3 Á Á
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su att ki
मनाे॒ मेित॒ व्य॑जानात् Á
मन॑साे॒ ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
ap der
पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
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तपाे॒ मेित॑ Á
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 4 Á Á
ām om
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व॒ज्ञाना॒ध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
er do mb
व॒ज्ञाने॑न॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
व॒ज्ञानं॒ य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
तद्व॒ज्ञाय॑ Á
पुन॑ रेव
dā
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
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अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
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su att ki
तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
तपाे॒ मेित॑ Á
ap der
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 5 Á Á
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सैषा भा᳚गर्॒वीवा॑रु॒णीव॒द्या Á
॒ े व्याे॑म॒न् ित॑ष्ठता Á
प॒रम
य ए॒वं वेद॒ ित॑ितष्ठित Á
अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á
ām om
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म॒हान् क॒त्यार् Á Á 6 Á Á
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अनं॒ न िन॑न्ात् Á
तद् ॒तम् Á
dā
ा॒णाे वा अन᳚म् Á
शर॑रमना॒दम् Á
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ा॒णे शर॑रं ॒ ित॑ष्ठतम् Á
su att ki
शर॑ रे ा॒णः ित॑ष्ठतः Á
तदे॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतम् Á
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म॒हान् क॒त्यार् Á Á 7 Á Á
ज्याेित॑रना॒दम् Á
अ॒प्स ज्याेित॒ः ित॑ष्ठतम् Á
ज्याेित॒ष्याप॒ः ित॑ष्ठताः Á
तदे॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतम् Á
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अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á
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म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á
म॒हान् क॒त्यार् Á Á 8 Á Á
dā
अन॑ं ब॒हुकु॑वीर्त Á
तद् ॒तम् Á
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पृ॒ थ॒वी वा अन᳚म् Á
su att ki
अा॒का॒शाेऽ᳚ ना॒दः Á
पृ॒ थ॒व्यामा॑का॒शः ित॑ष्ठतः Á
ap der
अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á
म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á
म॒हान् क॒त्यार् Á Á 9 Á Á
तद् ॒तम् Á
तस्ाद्यया कया च वधया ब॑नं ा॒नयात् Á
अराध्यस्ा अनम॑त्याच॒क्षते Á
एतद्वै मुखताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á
ām om
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एतद्वै मध्यताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á
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मध्यताेऽस्ा अ॑नग्ं रा॒ध्यते Á
एतद्वा अन्तताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á
अन्तताेऽस्ा अ॑नग्ं रा॒ध्यते Á
य ए॑वं वे॒द Á
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क्षेम इ॑ ित वा॒च Á
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याेगक्षेम इित ा॑णापा॒नयाेः Á
कमे॑ित
र् ह॒स्तयाेः Á
गितर॑ ित पा॒दयाेः Á
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वमुतर॑ ित पा॒याै Á
इित मानुषी᳚स्समा॒ज्ञाः Á
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अथ दै॒वीः Á
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तृितर॑ ित वृष्ट
॒ ाै Á
बलम॑ित व॒द्युित Á
यश इ॑ ित प॒शषु Á
ज्याेितरित न॑क्षे॒षु Á
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जाितरमृतमानन्द इ॑ त्युप॒स्थे Á
सवर्म॑त्याका॒शे Á
तत् ितष्ठेत्यु॑पासी॒त Á
ितष्ठा॑वान् भ॒वित Á
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भृगुव तृतीया
तन्ह इत्यु॑पासी॒त Á
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म॑हान् भ॒वित Á
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तन्न इत्यु॑पासी॒त Á
मान॑वान् भ॒वित Á
तनम इत्यु॑पासी॒त Á
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नम्यन्तेऽ᳚ स्ै का॒माः Á
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तद् मेत्यु॑पासी॒त Á
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म॑वान् भ॒वित Á
तद् मणः परमर इत्यु॑पासी॒त Á
पयेर्णं यन्ते द्वषन्त॑स्सप॒नाः Á
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स एक॑ ः Á
स य॑ एवं॒ वत् Á
अस्ााे॑कात् े॒त्य Á
एतमनमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á
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एतथ्सामगा॑यना॒स्ते Á
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हा(३) वु ॒ हा(३) वु ॒ हा(३) वु॑ Á
अ॒हमनम॒हमनम॒हमनम् Á
अ॒हमना॒दाे(२)ऽ॒हमना॒दाे(२)ऽ॒हमना॒दः Á
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अ॒हग्ग् लाेक॒ कृद॒हग्ग् लाेक॒ कृद॒हग्ग् लाेक॒कृत् Á
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अ॒हमस् थमजा ऋता(३) स्य॒ Á
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पूवं देवेभ्याे अमृतस्य ना(३) भा॒य॒ Á
याे मा ददाित स इदेव मा(३) वा॒ः Á
अ॒हमन॒मन॑म॒दन्त॒मा(३) ॒ Á
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इत्यु॑प॒िनष॑त् Á Á 10 Á Á
स॒ह ना॑ववत Á
स॒ह नाै॑ भुनतु Á
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ा॒णाे मनाे॑ व॒ज्ञान॒मित॑ व॒ज्ञाय॒ तं तप॑सा॒ द्वाद॑श
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द्वाद॑शाऽऽन॒न्द इित॒ सैषा दशाऽनं न
dā ÁÁ इ त भृगुव समा ा ÁÁ
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