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श्रीः

श्रीमते रामानुजाय नमः


श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

कृ यजुवदीय

Á Á तै र योप नषत् Á Á
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Sunder Kidāmbi

with the blessings of

श्री र रामानुज महादे शकन्


His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam
वषयसूची

1 शीक्षाव प्रथमा ........................... . . . . . . . . . . . . . . . 2

2 ब्र ान व तीया ........................ . . . . . . . . . . . . . 16

3 भृगुव तृतीया ............................ . . . . . . . . . . . . . . . 29


श्रीः

ām om
kid t c i
श्रीमते रामानुजाय नमः

er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á शीक्षाव प्रथमा Á Á
हर अाे(४)म् Á Á


शं नाे॑ म॒श्शं वरु॑ णः Á

i
शं नाे॑ भवत्वयर्॒मा Á

b
su att ki
शं न॒ इन्ाे॒ बृहस्॒ पित॑ः Á
शं नाे॒ वष्णु॑रुरु॒ मः Á
नमाे॒ म॑णे Á
ap der

नम॑स्ते वायाे Á
त्वमे॒व ॒त्यक्षं॒ मा॑स Á
i
त्वामे॒व ॒त्यक्षं॒ म॑ वदष्याम Á
pr sun

ऋ॒ तं व॑दष्याम Á
स॒त्यं व॑दष्याम Á
तन्ाम॑वत Á
तद्व॒तार॑ मवत Á
nd

अव॑त ॒ माम् Á
अव॑त व॒तार᳚ म् Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á 1 Á Á
शीक्षाव प्रथमा

स॒त्यं व॑दष्याम॒ पच॑ च ÁÁ 1 ÁÁ

ām om
kid t c i
शीक्षां व्या᳚ख्यास्या॒मः Á

er do mb
वणर्॒स्स्वरः Á
माा॒ बलम् Á
साम॑ सन्ता॒नः Á


इत्युतश्शी᳚क्षाध्या॒यः Á Á 2 Á Á

b i
शीक्षां पच॑ ÁÁ 2 ÁÁ
su att ki
स॒ह नाै॒ यशः Á
स॒ह नाै ॑मव॒चर्सम् Á
ap der

अथातस्सग्ंहताया उपिनषदं व्या᳚ख्यास्या॒मः Á


पचस्वधक॑रणे॒षु Á
i
अधलाेकमधज्याैितषमधवद्यमध ज॑मध्या॒त्म् Á
pr sun

ता महासग्ंहता इ॑ त्याच॒क्षते Á
अथा॑धलाे॒कम् Á
पृथवी पू᳚वर्रू॒पम् Á
द्याैरुत॑ररू॒ पम् Á
nd

अाका॑शस्स॒न्धः Á Á 3 Á Á

वायु॑स्सन्धा॒नम् Á
इत्य॑धलाे॒कम् Á

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शीक्षाव प्रथमा

अथा॑धज्याै॒ितषम् Á

ām om
kid t c i
अनः पू᳚वर्रू॒पम् Á

er do mb
अादत्य उत॑ररू॒ पम् Á
अा॑पस्स॒न्धः Á
वैद्युत॑स्सन्धा॒नम् Á


इत्य॑धज्याै॒ितषम् Á

i
अथा॑धव॒द्यम् Á

b
su att ki
अाचायर्ः पू᳚वर्रू॒पम् Á Á 4 Á Á

अन्तेवास्युत॑ररू॒ पम् Á
ap der

व॑द्या स॒न्धः Á
वचनग्॑ं सन्धा॒नम् Á
i
इत्य॑धव॒द्यम् Á
pr sun

अथाध॒जम् Á
माता पू᳚वर्रू॒पम् Á
पताेत॑ररू॒ पम् Á
॑जा स॒न्धः Á
nd

जननग्ं॑ सन्धा॒नम् Á
इत्यध॒जम् Á Á 5 Á Á

अथाध्या॒त्म् Á
अधराहनुः पू᳚वर्रू॒पम् Á

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शीक्षाव प्रथमा

उतराहनुरुत॑ररू॒ पम् Á

ām om
kid t c i
वाक्स॒न्धः Á

er do mb
जा॑ सन्धा॒नम् Á
इत्यध्या॒त्म् Á
इतीमा म॑हास॒ग्ं॒हताः Á


य एवमेता महासग्ंहता व्याख्या॑ता वे॒द Á

i
सन्धीयते ज॑या प॒शभः Á

b
su att ki
मवचर्सेनानाद्येन सवग्येर्ण॑ लाेके॒न Á Á 6 Á Á

स॒न्धराचायर्ः पू᳚वर्रू॒पमत्यध॒जं लाे॑के॒न ÁÁ 3 ÁÁ


ap der

यश्छन्द॑सामृष॒भाे व॒वरू॑पः Á
छन्दाे॒भ्याेऽध्य॒मृता᳚थ्संब॒भूव॑ Á
i
स मेन्ाे॑ मे॒धया᳚ स्पृणाेत Á
pr sun

अ॒मृत॑स्य देव॒धार॑ णाे भूयासम् Á


शर॑रं मे॒ वच॑षर्णम् Á
ज॒ा मे॒ मधु॑मतमा Á
कणार्᳚भ्यां॒ भूर॒वु॑वम् Á
nd

म॑णः काे॒शाे॑ऽस मे॒धयाप॑हतः Á


॒ ं मे॑ गाेपाय Á
ुत
अा॒वह॑न्ती वतन्वा॒ना Á Á 7 Á Á

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शीक्षाव प्रथमा

कु॒वार्॒णा चीर॑ मा॒त्न॑ः Á

ām om
kid t c i
वासाग्ं॑स॒ मम॒ गाव॑च Á

er do mb
अ॒न॒पा॒ने च॑ सवर्॒दा Á
तताे॑ मे॒ य॒माव॑ह Á
लाे॒म॒शां प॒शभ॑स्स॒ह स्वाहा᳚ Á


अामा॑यन्त मचा॒रण॒स्स्वाहा᳚ Á Á 8 Á Á

b i
यशाे॒ जने॑ऽसािन॒ स्वाहा᳚ Á
su att ki
ेया॒न् ॒ वस्य॑साेऽसािन॒ स्वाहा᳚ Á
तं त्वा॑ भग॒ व॑शािन॒ स्वाहा᳚ Á
ap der

स मा॑ भग॒ व॑श॒ स्वाहा᳚ Á


तस्᳚न्थ्स॒ह॑शाखे Á
i
िनभ॑गा॒हं त्वय॑ मृजे॒ स्वाहा᳚ Á
pr sun

यथाऽऽप॒ः व॑ता॒ऽऽयन्त॑ Á
यथा॒ मासा॑ अहजर्॒रम् Á
ए॒वं मां ॑मचा॒रण॑ः Á
धात॒राय॑न्त स॒वर्त॒स्स्वाहा᳚ Á
nd

॒ित॒वे॒शाे॑ऽस॒ मा॑भाह॒ मा॑पद्यस्व Á Á 9 Á Á

व॒त॒न्वा॒ना वश॒स्वाहा॒ सत॑ च ÁÁ 4 ÁÁ


व॒त॒न्वा॒ना शमा॑यन्त मचा॒रण॒स्स्वाहा॒ धात॒राय॑न्त स॒वर्त॒स्स्वाहैक॑ं च ÁÁ 4 ÁÁ

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शीक्षाव प्रथमा

भूभुर्व॒स्सव॒रित॒ वा ए॒तास्त॒ाे व्याहृ॑तयः Á

ām om
kid t c i
तासा॑मुहस्ै॒तां च॑तथ
 ॒ ीर्म् Á

er do mb
माहा॑चमस्य॒ः वे॑दयते Á
मह॒ इित॑ Á
तत् म॑ Á
स अा॒त्ा Á

i
अङ्ा᳚न्य॒न्या दे॒वता᳚ः Á

b
su att ki
भूरित॒ वा अ॒यं लाे॒कः Á
भुव॒ इत्य॒न्तर॑ क्षम् Á
सव॒रत्य॒साै लाे॒कः Á Á 10 Á Á
ap der

मह॒ इत्या॑द॒त्यः Á
i
अा॒द॒त्येन॒ वाव सवेर्॑ लाे॒का मही॑यन्ते Á
pr sun

भूरित॒ वा अ॒नः Á
भुव॒ इित॑ वा॒युः Á
सव॒रत्या॑द॒त्यः Á
मह॒ इित॑ च॒न्मा᳚ः Á
nd

च॒न्म॑सा॒ वाव सवार्॑ण॒ ज्याेतीग्ं॑ष॒ मही॑यन्ते Á


भूरित॒ वा ऋच॑ः Á
भुव॒ इित॒ सामा॑िन Á
सव॒रित॒ यजूग्ं॑ष Á Á 11 Á Á

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शीक्षाव प्रथमा

मह॒ इित॒ म॑ Á

ām om
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म॑णा॒ वाव सवे॑र् वे॒दा मही॑यन्ते Á

er do mb
भूरित॒ वै ा॒णः Á
भुव॒ इत्य॑पा॒नः Á
सव॒रित॑ व्या॒नः Á


मह॒ इत्यन᳚म् Á

i
अने॑न॒ वाव सवेर्᳚ ा॒णा मही॑यन्ते Á

b
su att ki
ता वा ए॒ताचत॑चतध
॒ ार् Á
चत॑चताे॒ व्याहृ॑तयः Á
ता याे वेद॑ Á
ap der

स वे॑द॒ म॑ Á
सवेर्᳚ऽस्ै दे॒वा ब॒लमाव॑हन्त Á Á 12 Á Á
i
pr sun

अ॒साै लाे॒काे यजूग्ं॑ष॒ वेद॒ द्वे च॑ ÁÁ 5 ÁÁ

स य ए॒षाेऽ᳚ न्तहृर्॑दय अाका॒शः Á


तस्॑न॒यं पुरु॑षाे मनाे॒मय॑ः Á
अमृ॑ताे हर॒ण्मय॑ः Á
nd

अन्त॑ रेण॒ ताल॑ के Á


य ए॒षस्तन॑ इवाव॒लंब॑ते Á
सेन्᳚ याे॒िनः Á
या॒साै क॑े शा॒न्ताे व॒वतर्॑ते Á

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शीक्षाव प्रथमा

व्य॒पाेय॑ शीषर्कपा॒ले Á

ām om
kid t c i
भूरत्य॒नाै ित॑ितष्ठित Á

er do mb
भुव॒ इित॑ वा॒याै Á Á 13 Á Á

सव॒रत्या॑द॒त्ये Á


मह॒ इित॒ म॑ण Á
अा॒नाेित॒ स्वारा᳚ज्यम् Á

b i
अा॒नाेित॒ मन॑स॒स्पित᳚म् Á
su att ki
वाक्प॑ित॒चक्ष॑ष्पितः Á
ाे॑पितवर्॒ज्ञान॑पितः Á
ap der

ए॒ततताे॑ भवित Á
अा॒का॒श श॑ररं ॒ म॑ Á
i
स॒त्यात्॑ ा॒णारा॑मं॒ मन॑ अानन्दम् Á
pr sun

शान्त॑समृद्धम॒मृत᳚म् Á
इित॑ ाचीनयाे॒ग्याेपा᳚स्व Á Á 14 Á Á

वा॒याव॒मृत॒मेक॑ं च ÁÁ 6 ÁÁ

पृ॒ थ॒व्य॑न्तर॑ क्षं॒ द्याैदर्शाे॑ऽवान्तरद॒शाः Á


nd

अ॒नवार्॒युरा॑द॒त्यच॒न्मा॒ नक्ष॑ाण Á
अाप॒ अाेष॑धयाे॒ वन॒स्पत॑य अाका॒श अा॒त्ा Á
इत्य॑धभूतम्
॒ Á
अथाध्या॒त्म् Á
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शीक्षाव प्रथमा

ा॒णाे व्या॒नाे॑ऽपा॒न उ॑ दा॒नस्स॑मा॒नः Á

ām om
kid t c i
चक्षश्॒ ाें॒ मनाे॒ वाक् Á

er do mb
त्वक् चमर्॑ मा॒ग्ं॒सग्ग् नावाऽस्थ॑ म॒जा Á
ए॒तद॑धव॒धाय॒ ऋष॒रवाे॑चत् Á
पाङ्ं॒ वा इ॒ दग्ं सवर्᳚म् Á


पाङ्॑े नै॒व पाङ्ग्ग्॑ स्पृणाे॒तीित॑ Á Á 15 Á Á

b i
सवर्॒मेक॑ं च॑ ÁÁ 7 ÁÁ
su att ki
अाेमित॒ म॑ Á
अाेमती॒दग्ं सवर्᳚म् Á
ap der

अाेमत्ये॒तद॑नुकृित हस्॒ वा अ॒प्याेा॑व॒येत्याा॑वयन्त Á


अाेमित॒ सामा॑िन गायन्त Á
i
अाेग्ं शाेमित॑ श॒ाण॑ शग्ंसन्त Á
pr sun

अाेमत्य॑ध्व॒युर्ः ॑ितग॒रं ित॑गृणाित Á


अाेमित॒ मा॒ साै॑ित Á
अाेमत्य॑नहाे॒मनु॑जानाित Á
अाेमित॑ ाम॒णः ॑व॒्यना॑ह॒ माेपा᳚नवा॒नीित॑ Á
nd

मै॒वाेपा᳚नाेित Á Á 16 Á Á

अाें दश॑ ÁÁ 8 ÁÁ

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शीक्षाव प्रथमा

ऋतं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á

ām om
kid t c i
सत्यं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á

er do mb
तपच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
दमच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
शमच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á


अनयच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á

i
अनहाें च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á

b
su att ki
अितथयच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
मानुषं च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
जा च स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
ap der

जनच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
जाितच स्वाध्यायव॑चने॒ च Á
i
सत्यमित सत्यवचा॑ राथी॒तरः Á
pr sun

तप इित तपाेिनत्यः पाै॑रुश॒ष्टः Á


स्वाध्यायवचने एवेित नाकाे॑ माैद्ग॒ल्यः Á
तद्ध तप॑स्तद्ध॒ तपः Á Á 17 Á Á
nd

जा च स्वाध्यायव॑चने॒ च षट्॑ Á Á 9 ÁÁ

अ॒हं वृक्ष
॒ स्य॒ रे र॑ वा Á
क॒ितर्ः पृष्ठ
॒ ं ग॒रेर॑ व Á
ऊ॒ ध्वर्प॑वाे वा॒जनी॑व स्व॒मृत॑मस् Á

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शीक्षाव प्रथमा

व॑ण॒ग्ं॒ सव॑चर्सम् Á

ām om
kid t c i
समेधा अ॑मृताे॒क्षतः Á

er do mb
इित िशङ्ाेवेर्दा॑नुव॒चनम् Á Á 18 Á Á

अ॒हग्ं षट् Á Á 10 Á Á


वेदमनूच्याचायाेर्ऽन्तेवासनम॑नुशा॒स्त Á

i
सत्यं॒ वद Á

b
su att ki
धमं॒ चर Á
स्वाध्याया᳚न्ा ॒मदः Á
अाचायार्य यं धनमाहृत्य जातन्तं मा व्य॑वच्छे ॒ थ्सीः Á
ap der

सत्यान म॑दत॒व्यम् Á
धमार्न म॑दत॒व्यम् Á
i
कुशलान म॑दत॒व्यम् Á
pr sun

भूत्यै न म॑दत॒व्यम् Á
स्वाध्यायवचनाभ्यां न म॑दत॒व्यम् Á Á 19 Á Á

देवपतृकायार्भ्यां न म॑दत॒व्यम् Á
nd

मातृ॑देवाे॒ भव Á
पतृ॑देवाे॒ भव Á
अाचायर्॑देवाे॒ भव Á
अितथ॑देवाे॒ भव Á
यान्यनवद्यािन॑ कमार्॒ण Á
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शीक्षाव प्रथमा

तािन सेव॑तव्या॒िन Á

ām om
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नाे इ॑ तरा॒ण Á

er do mb
यान्यस्ाकग्ं सच॑रता॒िन Á
तािन त्वयाे॑पास्या॒िन Á Á 20 Á Á


नाे इ॑ तरा॒ण Á
ये के चास्च्र्ेयाग्॑स
ं ाे ा॒मणाः Á

b i
तेषां त्वयाऽऽसनेन व॑सत॒व्यम् Á
su att ki
द्ध॑या दे॒यम् Á
अद्ध॑याऽदे॒यम् Á
ap der

॑या दे॒यम् Á
ि॑या दे॒यम् Á
i
भ॑या दे॒यम् Á
pr sun

संव॑दा दे॒यम् Á
अथ यद ते कमर्वचकथ्सा वा वृतवचक॑थ्सा वा॒ स्यात् Á Á 21 Á Á

ये त ामणा᳚स्संम॒र्शनः
॒ Á
युता॑ अायुत
॒ ाः Á
nd

अलू क्षा॑ धमर्॑कामा॒स्स्युः Á


यथा ते॑ त॑ वतेर्॒रन् Á
तथा त॑ वतेर्॒थाः Á
अथाभ्या᳚ख्याते॒षु Á

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शीक्षाव प्रथमा

ये त ामणा᳚स्संम॒र्शनः
॒ Á

ām om
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युता॑ अायुत
॒ ाः Á

er do mb
अलू क्षा॑ धमर्॑कामा॒स्स्युः Á
यथा ते॑ तेषु॑ वतेर्॒रन् Á Á 22 Á Á


तथा तेषु॑ वतेर्॒थाः Á
एष॑ अादे॒शः Á

b i
एष उ॑ पदे॒शः Á
su att ki
एषा वे॑दाेप॒िनषत् Á
एतद॑नुशा॒सनम् Á
ap der

एवमुपा॑सत॒व्यम् Á
एवमुचैत॑दप
ु ा॒स्यम् Á Á 23 Á Á
i
स्वाध्यायवचनाभ्यां न म॑दत॒व्यं तािन
pr sun

त्वयाे॑पास्या॒िन स्यातेषु॑ वतेर्॒रन्थ्स॒त च॑ Á Á 11 Á Á

शं नाे॑ म॒श्शं वरु॑ णः Á


शं नाे॑ भवत्वयर्॒मा Á
nd

शं न॒ इन्ाे॒ बृह॒स्पित॑ः Á
शं नाे॒ वष्णु॑रुरु॒ मः Á
नमाे॒ म॑णे Á
नम॑स्ते वायाे Á

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शीक्षाव प्रथमा

त्वमे॒व ॒त्यक्षं॒ मा॑स Á

ām om
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त्वामे॒व ॒त्यक्षं॒ मावा॑दषम् Á

er do mb
ऋ॒ तम॑वादषम् Á
स॒त्यम॑वादषम् Á
तन्ामा॑वीत् Á


तद्व॒तार॑ मावीत् Á

i
अावी॒न्ाम् Á

b
su att ki
अावी᳚द्व॒तार᳚ म् Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á 24 Á Á
ap der

स॒त्यम॑वादषं॒ पच॑ च Á Á 12 Á Á
ÁÁ इ त शीक्षाव समा ा ÁÁ
i
pr sun
nd

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श्रीः

ām om
kid t c i
श्रीमते रामानुजाय नमः

er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á ब्र ान व तीया Á Á
हरः अाे(४)म् Á
स॒ह ना॑ववत Á

i
स॒ह नाै॑ भुनतु Á

b
su att ki
स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á
ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á
ap der

स॒ह पच॑ ÁÁ 1 ÁÁ
i
॒म॒वदा᳚नाेित॒ पर᳚ म् Á
pr sun

तदे॒षाभ्यु॑ता Á
स॒त्यं ज्ञा॒नम॑न॒न्तं म॑ Á
याे वेद॒ िनह॑तं॒ गुहा॑यां पर॒मे व्याे॑मन् Á
साेऽ᳚ नते॒ सवार्॒न् कामा᳚न्थ्स॒ह Á
nd

म॑णा वप॒चतेित॑ Á
तस्ा॒द्वा ए॒तस्ा॑दा॒त्न॑ अाका॒शस्संभू॑तः Á
अा॒का॒शाद्वा॒युः Á
वा॒याेर॒ नः Á
ब्र ान व तीया

अ॒नेराप॑ः Á

ām om
kid t c i
अ॒द्भ्यः पृ॑थ॒वी Á

er do mb
पृ॒ थ॒व्या अाेष॑धयः Á
अाेष॑धी॒भ्याेन᳚म् Á
अना॒त् पुरु॑षः Á


स वा एष पुरुषाेऽन॑रस॒मयः Á

i
तस्येद॑मेव॒ शरः Á

b
su att ki
अयं दक्ष॑णः प॒क्षः Á
अयमुत॑रः प॒क्षः Á
अयमात्ा᳚ Á
ap der

इदं पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á


तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 1 Á Á
i
pr sun

अना॒द्वै ॒जाः ॒जाय॑न्ते Á


याः काच॑ पृथ॒वीग् ॒ताः Á
अथाे॒ अने॑नै॒व जी॑वन्त Á
अथै॑न॒दप॑यन्त्यन्त॒तः Á
nd

अन॒ग्ं॒ ह भूताना
॒ ं॒ ज्येष्ठ᳚म् Á
तस्ा᳚थ्सवाैर्ष॒धमु॑च्यते Á
सवं॒ वै तेऽन॑मानवन्त Á
येऽनं॒ माे॒पास॑ते Á

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ब्र ान व तीया

अन॒ग्ं॒ ह भूताना
॒ ं॒ ज्येष्ठ᳚म् Á

ām om
kid t c i
तस्ा᳚थ्सवाैर्ष॒धमु॑च्यते Á

er do mb
अना᳚द्भतािन॒
ू॒ जाय॑न्ते Á
जाता॒न्यने॑न वधर्न्ते Á
अद्यतेऽत च॑ भूता॒िन Á


तस्ादनं तदुच्य॑त इ॒ ित Á

i
तस्ाद्वा एतस्ादन॑रस॒मयात् Á

b
su att ki
अन्याेऽन्तर अात्ा᳚ ाण॒मयः Á
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
ap der

तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
i
तस्य ाण॑ एव॒ शरः Á
pr sun

व्यानाे दक्ष॑णः प॒क्षः Á


अपान उत॑रः प॒क्षः Á
अाका॑श अा॒त्ा Á
पृथवी पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á
nd

तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 2 Á Á

ा॒णं दे॒वा अनु


॒ ाण॑न्त Á
म॒नष्ु ॒ या᳚ः प॒शव॑च॒ ये Á

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ब्र ान व तीया

ा॒णाे ह भूताना॒
॒ मायु॑ः Á

ām om
kid t c i
तस्ा᳚थ्सवार्यष
ु ॒ मु॑च्यते Á

er do mb
सवर्॑मे॒व त॒ अायु॑यर्न्त Á
ये ा॒णं माे॒पास॑ते Á
ाणाे ह भूता॑नामा॒युः Á


तस्ाथ्सवार्युषमुच्य॑त इ॒ ित Á

i
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á

b
su att ki
य॑ः पूवर्॒स्य Á
तस्ाद्वा एतस्ा᳚त् ाण॒मयात् Á
अन्याेऽन्तर अात्ा॑ मनाे॒मयः Á
ap der

तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
i
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
pr sun

अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
तस्य यजु॑ रेव॒ शरः Á
ऋग्दक्ष॑णः प॒क्षः Á
सामाेत॑रः प॒क्षः Á
nd

अादे॑श अा॒त्ा Á
अथवार्ङ्रसः पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 3 Á Á

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ब्र ान व तीया

यताे॒ वाचाे॒ िनव॑तर्न्ते Á

ām om
kid t c i
अा᳚प्य॒ मन॑सा स॒ह Á

er do mb
अानन्दं म॑णाे व॒द्वान् Á
न बभेित कदा॑चने॒ित Á
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á


य॑ः पूवर्॒स्य Á

i
तस्ाद्वा एतस्ा᳚न्नाे॒मयात् Á

b
su att ki
अन्याेऽन्तर अात्ा व॑ज्ञान॒मयः Á
तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
ap der

तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
i
तस्य ॑द्धैव॒ शरः Á
pr sun

ऋतं दक्ष॑णः प॒क्षः Á


सत्यमुत॑रः प॒क्षः Á
याे॑ग अा॒त्ा Á
महः पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á
nd

तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 4 Á Á

व॒ज्ञान॑ं य॒ज्ञं त॑नुते Á


कमार्॑ण तनुत ॒ ेऽप॑ च Á

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ब्र ान व तीया

व॒ज्ञान॑ं दे॒वास्सवे᳚र् Á

ām om
kid t c i
er do mb
म॒ ज्येष्ठ॒मुपा॑सते Á
व॒ज्ञानं॒ म॒ चेद्वेद॑ Á
तस्ा॒चेन ॒माद्य॑ित Á
श॒ररे॑ पाप्॑नाे ह॒त्वा Á


सवार्न् कामान्थ्समन॑त इ॒ ित Á

i
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á

b
su att ki
य॑ः पूवर्॒स्य Á
तस्ाद्वा एतस्ाद्व॑ज्ञान॒मयात् Á
अन्याेऽन्तर अात्ा॑ऽऽनन्द॒मयः Á
ap der

तेनै॑ष पूणर्
॒ ःÁ
i
स वा एष पुरुषव॑ध ए॒व Á
तस्य पुरु॑षव॒धताम् Á
pr sun

अन्वय॑ं पुरुष॒वधः Á
तस्य य॑मेव॒ शरः Á
माेदाे दक्ष॑णः प॒क्षः Á
nd

माेद उत॑रः प॒क्षः Á


अान॑न्द अा॒त्ा Á
म पुच्छ॑ं ित॒ष्ठा Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 5 Á Á

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ब्र ान व तीया

अस॑ने॒व स॑ भवित Á

ām om
kid t c i
अस॒द्मेित॒ वेद॒ चेत् Á

er do mb
अस्त मेित॑ चेद्वे॒द Á
सन्तमेनं तताे व॑दु र॒ित Á
तस्यैष एव शार॑र अा॒त्ा Á


य॑ः पूवर्॒स्य Á

i
अथाताे॑ऽनु ॒नाः Á

b
su att ki
उ॒ताव॒द्वान॒मुं लाे॒कं ेत्य॑ Á
कच॒न ग॑च्छ॒ ती(३) Á
अाहाे॑ व॒द्वान॒मुं लाे॒कं ेत्य॑ Á
ap der

कच॒त्सम॑नत
॒ ा(३) उ॒ Á
साे॑ऽकामयत Á
i
ब॒हुस्यां॒ जा॑ये॒येित॑ Á
pr sun

स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á
इ॒ दग्ं सवर्॑मसृजत Á
यद॒दं कं च॑ Á
nd

तथ्सृ्
॒ ा Á
तदे॒वानु
॒ ाव॑शत् Á
तद॑नु॒वश्य॑ Á
सच॒त्यचा॑भवत् Á
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ब्र ान व तीया

िन॒रुतं ॒ चािन॑रुतं च Á

ām om
kid t c i
िन॒लय॑नं॒ चािन॑लयनं च Á

er do mb
व॒ज्ञानं॒ चाव॑ज्ञानं च Á
सत्यं चानृतं च स॑त्यम॒भवत् Á
यद॑दं िकं॒ च Á


तथ्सत्यम॑त्याच॒क्षते Á

i
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 6 Á Á

b
su att ki
अस॒द्वा इ॒ दम॑ अासीत् Á
तताे॒ वै सद॑जायत Á
ap der

तदात्ानग्ग् स्वय॑मकु॒रुत Á
तस्ात् तत्सकृतमुच्य॑त इ॒ ित Á
i
यद्वै॑ तथ्सक
॒ ृ तम् Á
pr sun

र॑ साे वै॒ सः Á
रसग्ग् येवायं लब्ध्वाऽऽन॑न्द भ॒वित Á
काे येवान्या᳚त् कः ा॒ण्यात् Á
यदेष अाकाश अान॑न्दाे न॒ स्यात् Á
nd

एष येवान॑न्दया॒ित Á
य॒दा ये॑वैष॒ एतस्नदृश्येऽनात्म्ये -
िनरुतेिनलयनेभयं ित॑ष्ठां व॒न्दते Á
अथ साेऽभयं ग॑ताे भ॒वित Á

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ब्र ान व तीया

य॒दा ये॑वैष॒ एतस्नदरमन्त॑रं कु॒रुते Á

ām om
kid t c i
अथ तस्य भ॑यं भ॒वित Á

er do mb
तत्वेव भयं वदुषाेऽम॑न्वान॒स्य Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 7 Á Á


भी॒षाऽस्ा॒द्वात॑ः पवते Á
भी॒षाेद॑ेित॒ सूयर्॑ः Á

b i
भीषाऽस्ादन॑चेन्॒च Á
su att ki
मृत्युधार्वित पच॑म इ॒ ित Á
सैषाऽऽनन्दस्य मीमाग्ं॑सा भ॒वित Á
ap der

युवा स्याथ्साधु यु॑वाध्या॒यकः Á


अाशष्ठाे दृढष्ठाे॑ बल॒ ष्ठः Á
i
तस्येयं पृथवी सवार् वतस्य॑ पूणार्॒स्यात् Á
pr sun

स एकाे मानुष॑ अान॒न्दः Á


ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं मानुषा॑ अान॒न्दाः Á
nd

स एकाे मनुष्यगन्धवार्णा॑मान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं मनुष्यगन्धवार्णा॑मान॒न्दाः Á
स एकाे देवगन्धवार्णा॑मान॒न्दः Á

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ब्र ान व तीया

ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á

ām om
kid t c i
ते ये शतं देवगन्धवार्णा॑मान॒न्दाः Á

er do mb
स एकः पतृणां चरलाेकलाेकाना॑मान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं पतृणां चरलाेकलाेकाना॑मान॒न्दाः Á


स एक अाजानजानां देवाना॑मान॒न्दः Á

i
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á

b
su att ki
ते ये शतमाजानजानां देवाना॑मान॒न्दाः Á
स एकः कमर्देवानां देवाना॑मान॒न्दः Á
ये कमर्णा देवान॑पय॒न्त Á
ap der

ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं कमर्देवानां देवाना॑मान॒न्दाः Á
i
स एकाे देवाना॑मान॒न्दः Á
pr sun

ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं देवाना॑मान॒न्दाः Á
स एक इन्॑स्यान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
nd

ते ये शतमन्॑स्यान॒न्दाः Á
स एकाे बृहस्पते॑रान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á
ते ये शतं बृहस्पते॑रान॒न्दाः Á
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ब्र ान व तीया

स एकः जापते॑रान॒न्दः Á

ām om
kid t c i
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á

er do mb
ते ये शतं जापते॑रान॒न्दाः Á
स एकाे मण॑ अान॒न्दः Á
ाेियस्य चाकाम॑हत॒स्य Á


स यचा॑यं पुरु
॒ षे Á

i
यचासा॑वाद॒त्ये Á

b
su att ki
स एक॑ ः Á
स य॑ एवं॒वत् Á
अस्ााे॑कात् े॒त्य Á
ap der

एतमनमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
i
एतं ाणमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
एतं मनाेमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
pr sun

एतं वज्ञानमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á


एतमानन्दमयमात्ानमुप॑सङ् ा॒मित Á
तदप्येष लाे॑काे भ॒वित Á Á 8 Á Á
nd

यताे॒ वाचाे॒ िनव॑तर्न्ते Á


अा᳚प्य॒ मन॑सा स॒ह Á
अानन्दं म॑णाे व॒द्वान् Á
न बभेित कुत॑चने॒ित Á

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ब्र ान व तीया

एतग्ं ह वाव॑ न त॒पित Á

ām om
kid t c i
कमहग्ं साधु॑ नाक॒ रवम् Á

er do mb
कमहं पापमकर॑ वम॒ित Á
स य एवं वद्वानेते अात्ा॑नग्ग् स्पृण
॒ ुते Á
उ॒भे ये॑वैष॒ एते अात्ा॑नग्ग् स्पृण
॒ ुते Á
य ए॒वं वेद॑ Á

i
इत्यु॑प॒िनष॑त् Á Á 9 Á Á

b
su att ki
स॒ह ना॑ववत Á
स॒ह नाै॑ भुनतु Á
ap der

स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á


ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á
i
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á
pr sun

॒म॒वददमयम॒दमेक॑वग्ंश॒ितः Á
अना॒दन॑रस॒मयात्ाणाे॒ व्यानाेऽपान अाका॑श॒ः पृथवी पुच्छ॒ ग्ं षड्ग॑श
्ं ितः Á
ा॒णं ा॑ण॒मयात्॑नाे॒ यजुर॒ ् ऋक्सामादे
॒ ॒शाेऽथवार्ङ्रसः पुच्छं ॒ द्वावग्॑श
ं ितः Á
यत॑श्॒द्धतर्ग्ं सत्यं याे॑गाे॒ महाे॑ऽष्टाद॑श Á
nd

व॒ज्ञानं॒ यं॒ माेदः माेद अान॑न्दाे॒ म पुच्छं ॒ द्वावग्॑श


ं ितः Á
अस॑ने॒वाथाष्टावग्॑श
ं ितः Á
अस॒थ्षाेड॑श Á
भी॒षाऽस्ा॒न्ानुषाे॒ मनुष्यगन्धवार्णां॒ देवगन्धवार्णां॒

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ब्र ान व तीया

पतृणां चरलाेकलाेकाना॒माजानजानां ये कमर्णा

ām om
kid t c i
देवाना॒मन्॑स्य॒ बृहस्पते॒ः जापते॒र्मण॒स्स यच॑

er do mb
सङ् ा॒मत्येक॑पचाशत् Á
यत॒ः कुत॑च॒नैतमेका॑दश॒ नव॑ ÁÁ 2 ÁÁ
ÁÁ इ त ब्र ान व समा ा ÁÁ

b i
su att ki
ap der
i
pr sun
nd

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श्रीः

ām om
kid t c i
श्रीमते रामानुजाय नमः

er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á भृगुव तृतीया Á Á
हरः अाे(४)म् Á
स॒ह ना॑ववत Á

i
स॒ह नाै॑ भुनतु Á

b
su att ki
स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á
ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á
ap der

भृगव
ु ॒ ैर् वा॑रु॒णः Á
i
वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
pr sun

तस्ा॑ ए॒तत् ाे॑वाच Á


अन॑ं ा॒णं चक्षश्॒ ाें॒ मनाे॒ वाच॒मित॑ Á
तग्ं हाे॑वाच Á
nd

यताे॒ वा इ॒ मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á


येन॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
यत् य॑न्त्य॒भसंव॑शन्त Á
तद्वज॑ज्ञासस्व Á
भृगुव तृतीया

तद्मेित॑ Á

ām om
kid t c i
स तपाे॑ऽतप्यत Á

er do mb
स तप॑स्त॒वा Á Á 1 Á Á

अनं॒ मेित॒ व्य॑जानात् Á


अ॒नाध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
अने॑न॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á

b i
अनं॒ य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
su att ki
तद्व॒ज्ञाय॑ Á
पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
ap der

अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á


तग्ं हाे॑वाच Á
i
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
pr sun

तपाे॒ मेित॑ Á
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 2 Á Á

ा॒णाे ॒मेित॒ व्य॑जानात् Á


nd

ा॒णाध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á


ा॒णेन॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
ा॒णं य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
तद्व॒ज्ञाय॑ Á

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भृगुव तृतीया

पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á

ām om
kid t c i
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á

er do mb
तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
तपाे॒ मेित॑ Á


स तपाे॑ऽतप्यत Á

i
स तप॑स्त॒वा Á Á 3 Á Á

b
su att ki
मनाे॒ मेित॒ व्य॑जानात् Á
मन॑साे॒ ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
ap der

मन॑सा॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á


मन॒ः य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
i
तद्व॒ज्ञाय॑ Á
pr sun

पुन॑ रेव
॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á
तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
nd

तपाे॒ मेित॑ Á
स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 4 Á Á

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भृगुव तृतीया

व॒ज्ञानं॒ मेित॒ व्य॑जानात् Á

ām om
kid t c i
व॒ज्ञाना॒ध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á

er do mb
व॒ज्ञाने॑न॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
व॒ज्ञानं॒ य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
तद्व॒ज्ञाय॑ Á
पुन॑ रेव

॒ वरु॑ णं॒ पत॑रम
॒ ुप॑ससार Á

i
अधी॑ह भगवाे॒ मेित॑ Á

b
su att ki
तग्ं हाे॑वाच Á
तप॑सा॒ म॒ वज॑ज्ञासस्व Á
तपाे॒ मेित॑ Á
ap der

स तपाे॑ऽतप्यत Á
स तप॑स्त॒वा Á Á 5 Á Á
i
pr sun

अा॒न॒न्दाे ॒मेित॒ व्य॑जानात् Á


अा॒नन्दा॒ध्ये॑व खल्व॒मािन॒ भूता॑िन॒ जाय॑न्ते Á
अा॒न॒न्देन॒ जाता॑िन॒ जीव॑न्त Á
अा॒न॒न्दं य॑न्त्य॒भसंव॑श॒न्तीित॑ Á
nd

सैषा भा᳚गर्॒वीवा॑रु॒णीव॒द्या Á
॒ े व्याे॑म॒न् ित॑ष्ठता Á
प॒रम
य ए॒वं वेद॒ ित॑ितष्ठित Á
अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á

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भृगुव तृतीया

म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á

ām om
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म॒हान् क॒त्यार् Á Á 6 Á Á

er do mb
अनं॒ न िन॑न्ात् Á
तद् ॒तम् Á


ा॒णाे वा अन᳚म् Á
शर॑रमना॒दम् Á

b i
ा॒णे शर॑रं ॒ ित॑ष्ठतम् Á
su att ki
शर॑ रे ा॒णः ित॑ष्ठतः Á
तदे॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतम् Á
ap der

स य ए॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतं॒ वेद॒ ित॑ितष्ठित Á


अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á
i
म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á
pr sun

म॒हान् क॒त्यार् Á Á 7 Á Á

अनं॒ न पर॑ चक्षीत Á


तद् ॒तम् Á
अापाे॒ वा अन᳚म् Á
nd

ज्याेित॑रना॒दम् Á
अ॒प्स ज्याेित॒ः ित॑ष्ठतम् Á
ज्याेित॒ष्याप॒ः ित॑ष्ठताः Á
तदे॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतम् Á

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भृगुव तृतीया

स य ए॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतं॒ वेद॒ ित॑ितष्ठित Á

ām om
kid t c i
अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á

er do mb
म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á
म॒हान् क॒त्यार् Á Á 8 Á Á


अन॑ं ब॒हुकु॑वीर्त Á
तद् ॒तम् Á

b i
पृ॒ थ॒वी वा अन᳚म् Á
su att ki
अा॒का॒शाेऽ᳚ ना॒दः Á
पृ॒ थ॒व्यामा॑का॒शः ित॑ष्ठतः Á
ap der

अा॒का॒शे पृ॑थ॒वी ित॑ष्ठता Á


तदे॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतम् Á
i
स य ए॒तदन॒मने॒ ित॑ष्ठतं॒ वेद॒ ित॑ितष्ठित Á
pr sun

अन॑वानना॒दाे भ॑वित Á
म॒हान् भ॑वित ॒जया॑ प॒शभ॑र्मवचर्॒सेन॑ Á
म॒हान् क॒त्यार् Á Á 9 Á Á

न कचन वसताै त्या॑चक्षी॒त Á


nd

तद् ॒तम् Á
तस्ाद्यया कया च वधया ब॑नं ा॒नयात् Á
अराध्यस्ा अनम॑त्याच॒क्षते Á
एतद्वै मुखताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á

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भृगुव तृतीया

मुखताेऽस्ा अ॑नग्ं रा॒ध्यते Á

ām om
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एतद्वै मध्यताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á

er do mb
मध्यताेऽस्ा अ॑नग्ं रा॒ध्यते Á
एतद्वा अन्तताेऽ᳚ नग्ं रा॒द्धम् Á
अन्तताेऽस्ा अ॑नग्ं रा॒ध्यते Á
य ए॑वं वे॒द Á

i
क्षेम इ॑ ित वा॒च Á

b
su att ki
याेगक्षेम इित ा॑णापा॒नयाेः Á
कमे॑ित
र् ह॒स्तयाेः Á
गितर॑ ित पा॒दयाेः Á
ap der

वमुतर॑ ित पा॒याै Á
इित मानुषी᳚स्समा॒ज्ञाः Á
i
अथ दै॒वीः Á
pr sun

तृितर॑ ित वृष्ट
॒ ाै Á
बलम॑ित व॒द्युित Á
यश इ॑ ित प॒शषु Á
ज्याेितरित न॑क्षे॒षु Á
nd

जाितरमृतमानन्द इ॑ त्युप॒स्थे Á
सवर्म॑त्याका॒शे Á
तत् ितष्ठेत्यु॑पासी॒त Á
ितष्ठा॑वान् भ॒वित Á
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भृगुव तृतीया

तन्ह इत्यु॑पासी॒त Á

ām om
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म॑हान् भ॒वित Á

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तन्न इत्यु॑पासी॒त Á
मान॑वान् भ॒वित Á
तनम इत्यु॑पासी॒त Á


नम्यन्तेऽ᳚ स्ै का॒माः Á

i
तद् मेत्यु॑पासी॒त Á

b
su att ki
म॑वान् भ॒वित Á
तद् मणः परमर इत्यु॑पासी॒त Á
पयेर्णं यन्ते द्वषन्त॑स्सप॒नाः Á
ap der

परयेऽ᳚ या᳚ ातृव्॒ याः Á


स यचा॑यं पुरु
॒ षे Á
i
यचासा॑वाद॒त्ये Á
pr sun

स एक॑ ः Á
स य॑ एवं॒ वत् Á
अस्ााे॑कात् े॒त्य Á
एतमनमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á
nd

एतं ाणमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á


एतं मनाेमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á
एतं वज्ञानमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á
एतमानन्दमयमात्ानमुप॑सङ् ॒ म्य Á
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भृगुव तृतीया

इमान् लाेकान् कामानीकामरूप्य॑नुस॒चरन् Á

ām om
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एतथ्सामगा॑यना॒स्ते Á

er do mb
हा(३) वु ॒ हा(३) वु ॒ हा(३) वु॑ Á
अ॒हमनम॒हमनम॒हमनम् Á
अ॒हमना॒दाे(२)ऽ॒हमना॒दाे(२)ऽ॒हमना॒दः Á


अ॒हग्ग् लाेक॒ कृद॒हग्ग् लाेक॒ कृद॒हग्ग् लाेक॒कृत् Á

i
अ॒हमस् थमजा ऋता(३) स्य॒ Á

b
su att ki
पूवं देवेभ्याे अमृतस्य ना(३) भा॒य॒ Á
याे मा ददाित स इदेव मा(३) वा॒ः Á
अ॒हमन॒मन॑म॒दन्त॒मा(३) ॒ Á
ap der

अ॒हं ववं॒ भुव॑न॒मभ्य॑भ॒वाम् Á


सव॒नर् ज्याेती᳚ः Á
i
य ए॒वं वेद॑ Á
pr sun

इत्यु॑प॒िनष॑त् Á Á 10 Á Á

स॒ह ना॑ववत Á
स॒ह नाै॑ भुनतु Á
nd

स॒ह वी॒य॑ं करवावहै Á


ते॒ज॒स्वना॒वधी॑तमस्त ॒ मा व॑द्वषा॒वहै ᳚ Á Á
अाें शान्त॒श्शान्त॒श्शािन्त॑ः Á Á

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भृगुव तृतीया

भृगस्ु ॒ तस्ै॒ यताे॑ वशन्त॒ तद्वज॑ज्ञासस्व॒ तत्याे॑द॒शान॑ं

ām om
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ा॒णाे मनाे॑ व॒ज्ञान॒मित॑ व॒ज्ञाय॒ तं तप॑सा॒ द्वाद॑श

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द्वाद॑शाऽऽन॒न्द इित॒ सैषा दशाऽनं न

॒ नं॒ न पर॑ चक्षी॒ताऽऽपाे॒ ज्याेित॒रन॑ं


िन॑न्ात्ा॒णश्शर॑रम

ब॒हुकु॑वीर्त पृथ॒व्या॑का॒श एका॑दशैकादश॒ न कचनैक॑षष्ट॒दश॑ ÁÁ 1 ÁÁ

dā ÁÁ इ त भृगुव समा ा ÁÁ

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su att ki
ap der
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pr sun
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