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श्रीः

श्रीमते रामानुजाय नमः


श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

चोल संहपुरं दो याचायर् कृता

Á Á कूरनाथप ाशत् Á Á
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श्री र रामानुज महादे शकन्


His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam
श्रीः

ām om
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श्रीमते रामानुजाय नमः

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श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á कूरनाथप ाशत् Á Á
श्रीशैलल णमुने रणा यु ं


श्रेय रं तनुभृताम खलाघह ृ Á
न ा करो म वबुधाव लतु येऽहं

i
कूरा धप ु त ममां कुशलप्रदात्रीम् ÁÁ

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su att ki
जय जय य तराजश्रीपदा ोजयु -
प्रसृमर मकर ा ादलु ा र Á
जय जय कुमतेभव्रातहयर्क्ष व -
ap der

णवर नगमा ाक कूरा धनाथ Á Á 1 ÁÁ


जय त जग त नैजो ेलमेधा वशेषात्
i
अ धगततमबोधावासवृ थर्जालः Á
ज नतय तवरे ा न ीममोदः
pr sun

श्रतजनपिररक्षादी क्षतः कूरनाथः Á Á 2 ÁÁ


जय त हिरपर ापनो ेलमोदात्
उप नषदुपगूढान् ायतोऽथ न् ववृ न् Á
अधिरत शवपार ा थर्चोला धराजः
nd

श मत वमतवादः शा मान् कूरनाथः Á Á 3 ÁÁ


भवजल ध नम ो ारणे ब दीक्षः
कमु भुवमवतीणर्ः श्रीप तः क ु सै ेट् Á
उत शठिरपुिर ु मानो मह ः
जय त गुरुवरे ः कूरनाथो महा ा Á Á 4 Á Á
कूरनाथप ाशत्

नरव धकदया न यमा वभर्वे ेत्

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इह भु व वमला ा कूरनाथो महीयान् Á

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व वध वषयनक्रग्रामजु ं कथं वा
भवजल न धपूरं न रे युजर्नौघाः Á Á 5 Á Á

सुचिरतपिरपाकोऽ ादृशां क ु प ा -
क मतुर खलनेतुः प्रेमसारः कृता ा Á


वलस त भु व कूरे शा नोदीयर्माणः

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जय त वबुधवयः कूरनाथः कृपालुः Á Á 6 ÁÁ

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अपहृतभवतापैः पावनैः प्रेमसा ःै
अमृतरस नदानैः आ भाजां कटाक्षैः Á
अनुकलमुपकुवर्न् शेमुषी शेषतायाः
ap der

जल धदु हतृजानेः भ्राजते कूरनाथः Á Á 7 ÁÁ


कृतकुवलयमोदः कोशभूतः कलानां
i
जप तर खलाशाः शोभयन् नैजधा ा Á
प्रश मतपिरतापः प्रा व ोः पदं तत्
pr sun

वलस त वबुधे ः कूरनाथौषधीशः Á Á 8 ÁÁ


सुजनहृदयप ो ासमारा त न्
कुजनकुवलयानां मीलनं चा प कुवर्न् Á
उदयम धगतोऽसौ कूरनाथांशुमाल
nd

दुिरत त मरजालं देहभाजां हन ÁÁ 9 ÁÁ


अमृतजननभू मः सं श्रतान दायी
सकलसुगुणर ावासभूः पूणर्स ः Á
वमतकथकवयन वकैर ल ः
ु र त भु व गभीरः कूरनाथामृता ः Á Á 10 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

सदा भवृ मा श्रतोऽक्षयोऽजडाशयोदयो

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ऽकल भावभासुरो नराकृतोग्रस मः Á

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वराजमान वग्रहो दवाऽ प मत्रस धौ
वनाकृता संश्रयो वभा त कूररा धुः Á Á 11 ÁÁ
प्रसादमे यवान् सदा प्रकामवी वग्रहः


प्रबोधमावहन् नृणां प्रणाशयं म तम् Á
सदो रायणा तो वमु तामसग्रहः

i
त्रयीमयोऽत्र कूररा वाकरो वराजते Á Á 12 ÁÁ

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क यहृ ह
ु ाशयालु सारसाक्षकेसर
पर तवा र भरो वर मु संश्रयः Á
वशेषशा यु भः व चत्रधातु भयुर्तः
ap der

वभा त कूररा हीधरः पुमथर् स ये Á Á 13 ÁÁ


यतीशवा ुधाझर सदानुभू तम धीः
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त्रयी शरोऽथर्पु ताः सुयु सायकावल ः Á
सृजन् कुवा द व षः प्रकालयन् गुरोः पदे -
pr sun

ऽ भ ष एष कूरराट् प्रशा वै वीं श्रयम् Á Á 14 ÁÁ


कथाहवो ुखान् बहून् कप दर्दुमर्ताश्रयान्
मुधाकृतागमश्रमान् वधाय वा दनः परान् Á
बुधाधर कृ तक्षमैः वा र भरै रसौ
nd

बुधावल समी डत का कूरभूप तः Á Á 15 ÁÁ


वभू तमै हक जन् वमोहदा यनीं भृशं
वधातृमु से वतां अह याऽ तदू षताम् Á
श्रुती डताम न तां रूपशेमुषीमतां
श्रयं समाश्रय सौ वभा त कूरभूप तः Á Á 16 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

मृषामतं वधाय त ृषा यु भजर्ग -

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ृषा बाधकप्रमाप्रका शका भरा नाम् Á

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अनेकतामशेषतां प्रकाशयन् पोहयन्
प्रमातृशेखर ुतः प्रकाशतेऽत्र कूरराट् Á Á 17 ÁÁ
श्रु तं दृढप्रमाणयन् जग धातर रे


परो मानुमा नके र म धो नयन् Á
अणोजर्ग दानतामपोहयन् वराजते

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सू भः यु भः सुधीवरोऽत्रकूरराट् Á Á 18 ÁÁ

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शवा रं नही त वै लखे त चोलभूपतेः
वचः श्रुतेरन रं तदु रं वचो लखन् Á
अपाहस हीसुरै यर् ई डतो महीप तं
ap der

वभा त कूररा रुु सवर्शा पारगः Á Á 19 ÁÁ


यती रग्रहागतान् भटान् वलो भूपतेः
i
यं त्रद तां भजन् तदीयरक्षणे या Á
शल मुखा क टयोनर्यं सदायर् श योः
pr sun

प्रदशर्यन् चयर्या चका कूरभूप तः Á Á 20 ÁÁ


नराकतु मोहं न खलजन च ाश्रयमसौ
दया स ुः सा ात् नरव धक वज्ञान वभवात् Á
महीभागे मासे मकरम हता े समज न
nd

प्रश े ह क्ष शुभगुण न धः कूरनृप तः Á Á 21 Á Á

अनाधृ ां ब्र ा द भर प सुरैरा कृ त भः


सदाऽ ेकाकाराम् अन धगतवृ क्षयकथाम् Á
अह ामज्ञानां प्रकृ तमनुरूपां ममकृतेः
पराकुवर्न् कूरप्रभुर खलनॄणां वजयते Á Á 22 Á Á

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कूरनाथप ाशत्

अमोघैरु ू लै रनुप ध समु ैरनुपमैः

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कटाक्षैः प्रेमाद्रः क लमलमशेषं पनयन् Á

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जनानामान ं नरव धकम ा प जनयन्
जय ेष श्रीमान् मम कुलगुरुः कूरनृप तः Á Á 23 ÁÁ
अ व ामाहा ाद व दत नजाकार वभवान्


अशेषानु तु भवजल धम ान् ज नभृतः Á
असौ कूराधीशः यमवतरन् भूिरकृपया

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नयन् नावं व ुं वगततरप ां वजयते Á Á 24 ÁÁ

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पलाय ं वेगात् चन कथकाः काननतले
नल ना भूया प्र तकथकम ेभमृगराट् Á
जयी नानात प्रवचनचणैः प्रौढवचनैः
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समेतः श ौघैरट त वसुधां कूरनृप तः Á Á 25 ÁÁ


श्रु तश्रेणीचूडायसमुसलमादाय शठ जद् -
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वचःश्रेणी न ानुभव नरतो जृ तमदः Á
प्रधाव े त प्र तकथकवादाहवरु चं
pr sun

नरु न् कूरे श रदनृप तबृ हतरवैः Á Á 26 ÁÁ


असारं संसारं बहुलतरदुःखाकर ममं
वसृ श्रीम ं भजत वभुमान भिरतम् Á
उदार व ो वतर त जनाः ेन समताम्
nd

असा व त्रा ानुप दश त कूरा धपगुरुः Á Á 27 ÁÁ


वर ानाम ो वमलचिरतो वै दकवरः
वनेताऽऽचाराणां वगतमदमोहा दमगुणः Á
असूया नमुर् ः शमदममुखान सुगुणः
सदा श्रोत्रान ं कलय त परं कूरनृप तः Á Á 28 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

यदीयेक्षापात्रं भज त मनुजः प्रेमपदतां

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परं प ाभतुर्ः प ततजन चूडाम णर प Á

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यदीया श्रीसू ः न खल नगमा ाथर् ववृ तः
स जीयात् कूरे शः सकलशुभस ानसर णः Á Á 29 ÁÁ
वशु ज्ञाना ः वगतममकारः परयोः


वनेता सवषाम त वमलबोध वदुषाम् Á
वहत श्रीर प्रयतमयतीशानपदयोः

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प्रहत ऽसौ ानां भव त भ वनां कूरनृप तः Á Á 30 ÁÁ

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पुराणानां पुंसां सर णमनुयन् त ववृतौ
प्रकृ ा ेशानां परमतमपा नृतताम् Á
पराकुवर्न् त प्र मतपदयोः जीवतमसोः
ap der

स म े कूरे शः श्रु त शखरस ानशरणम् Á Á 31 ÁÁ


रूपा भ ं श्रु त शखर स ाम भदधत्
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नरू ां वृ ैवा खलतनुभृतां तां च कथयन् Á
तदीयाच सीमां यम प वत न् य तपतेः
pr sun

अशेषं कै य जय त सुम तः कूरनृप तः Á Á 32 ÁÁ


नराल ं कौत ु तमतमसारं नजवचः -
प्रप ैः वेदा प्रचुरफ णताथ ननुगतैः Á
पराकुवर्न् प्रौढप्र म तजनकैलर् णमुनेः
nd

पिर ु वर्न् भा ं प्रथय त मतं कूरनृप तः Á Á 33 ÁÁ


प्रवालरु चराधर ु िरतचारुम तः
प्रकाममधुराक्षरै र भनवैः वा ु नैः Á
सदा वहरन् कलाः स म त सा काग्रेसरान्
तनो त बहु व या तशय च त्रतान् कूरपः Á Á 34 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

कथाऽऽहवकृतो मान् क लमलानु ल ाशयान्

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तथागतमतानुगान् त दतरान् ष ा दनः Á

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मुधाकृतपिरश्रमान् मुकु लता वा ृ णान्
वधाय वबुध ुतो जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 35 ÁÁ
नराकृतदुर हतैः नगमसारस शर् भः


नर दुिरता ल भः न खलसंशय े द भः Á
नता मधुरै ुभैः न खलसौ स ादकैः

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नजैवर्चनगु नैः जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 36 ÁÁ

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क लहर्तभवोऽभवत् कलुषजातमु ू लतं
तम रजसा समं वलयमाप स ं पुनः Á
समे ुप च तं नृणामुदयमे त धीव र
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महीतलमुपागते मह त कूरनाथे गुरौ Á Á 37 ÁÁ


दया दसुगुणाव लः दनुजवैिरणा ा मना
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नय त नजाकृ तः नलयमे कूरा धपम् Á
प्र तक्षण वजृ ताकृ तरवा ल ं परं
pr sun

प्रकाशम धग त प्र तहता तु ा धकः Á Á 38 ÁÁ


श्रयःप तरुदारधीः श्रु तगणैकक े डतां
वहाय परमेशतां भु व यदा नाऽऽचायर्ताम् Á
अवा ुमवतीयर् त मुपल ये श तां
nd

अवाप य तभूपतेः वजयतां स कूरा धपः Á Á 39 ÁÁ


वचो भरनृतेतरै ः अ खलजीवजीवातु भः
मुमुक्षुजनतामुदे मुरिरपोमर्हावैभवम् Á
सबा नयनं ब्रुवन् सपुलको मं सादरं
स म मधुर तो जय त कूरपृ ीप तः Á Á 40 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

भवा मरुमे दनीवलनजाततापातुरान्

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जनान् हिरकथामृतैः मधुरशीतलै ज वयन् Á

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तदीयपदशेषता धयमपारमु ादयन्
वभा त भु व कूरराट् वबुधस संसे वतः Á Á 41 ÁÁ
अस रनुपद्रत
ु ाम् अ नदमा दवाणी सतीम्


अन पदसं श्रतां हिरपदानुष ां परम् Á
जनादर्नपर धीज नतभावब ाशयैः

i
वचो भरुपलालयन् जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 42 ÁÁ

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अन गुणमौ कैः अ खलचेतनामोदकैः
अन नयसागरात् यमुपाहृतै ोभनैः Á
अन पदसं श्रतान भ वभूषयन् शोभते
ap der

न गुणशेव धजर्य त कूरनाथो गुरुः Á Á 43 ÁÁ


अवा नसगोचरामलदयागुणैका दं
i
कुला दमददू षतो रणब दीक्षः यम् Á
यती रमघापहं न खलदे हनां दशर्यन्
pr sun

वलक्षणजना श्रतो जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 44 ÁÁ


यती शतुरधीशतामसहतोऽ प र ामृतात्
कै ममुखैगुर्णैः पद श तामेयुषः Á
गुरो मुपल या न खलया प र श्रया
nd

यतीशम भन यन् जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 45 ÁÁ


अनघर् वपुलांशुकःसुलसदू र्पु ्र ा तः
सरोजतुलसीम णप्रचुरमा लकालङ्कृतः Á
कर टकटका द भ वर् वधभूषणैभूर् षतः
समावह त कूरराट् अ खललोकनेत्रो वम् Á Á 46 ÁÁ
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कूरनाथप ाशत्

महाघर्मकुटोज् लः ु रदुदारहाराव लः

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वलोलम णकु लो सतपीनग लः Á

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व चत्रकुसुमावल क लत द मा ा तः
वभातमधुराकृ तः जय त कूररा े शकः Á Á 47 ÁÁ
उपारूढे भानावुदयम धरु ानु दवसं


व चत्रामा ोल व वधम ण भः का नमयीम् Á
अल ु वर्न् वीथीः अनुपदकृताक सुभगाः

i
सम े कूरे शो मकरमहकाले ऽ तरु चरः Á Á 48 ÁÁ

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समा ाय श्रीमान् न श न श भुजाभो मतुलं
महायानं ब्र प्रभम खलभूषा ततनुः Á
त्रयीगाथास ै नर् बडस वधो वै ववरै ः
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चरन् श्रीव ा ो जय त व शखां कूरनगरे Á Á 49 ÁÁ


सता ूलैगर् ैः कुसुमस हतैभर् नवहैः
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ै ैर प नजमहा ादम हतैः Á
गुडा ा र
कृताथ नात न् न खलमनुजान् कूरनृप तः
pr sun

ज क्ष ह े मकरमहकाले वजयताम् Á Á 50 ÁÁ


श्रीमता शु स ेन दो ायण महा ना Á
प ाशत् कूरनाथ ोत्रमीिरतमु मम् Á Á 51 ÁÁ
ÁÁ ÁÁ
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इ त कूरनाथप ाशत् समा ा

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