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Á Á कूरनाथप ाशत् Á Á
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Sunder Kidāmbi
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श्रीमते रामानुजाय नमः
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श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
Á Á कूरनाथप ाशत् Á Á
श्रीशैलल णमुने रणा यु ं
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श्रेय रं तनुभृताम खलाघह ृ Á
न ा करो म वबुधाव लतु येऽहं
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कूरा धप ु त ममां कुशलप्रदात्रीम् ÁÁ
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जय जय य तराजश्रीपदा ोजयु -
प्रसृमर मकर ा ादलु ा र Á
जय जय कुमतेभव्रातहयर्क्ष व -
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इह भु व वमला ा कूरनाथो महीयान् Á
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व वध वषयनक्रग्रामजु ं कथं वा
भवजल न धपूरं न रे युजर्नौघाः Á Á 5 Á Á
सुचिरतपिरपाकोऽ ादृशां क ु प ा -
क मतुर खलनेतुः प्रेमसारः कृता ा Á
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वलस त भु व कूरे शा नोदीयर्माणः
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जय त वबुधवयः कूरनाथः कृपालुः Á Á 6 ÁÁ
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अपहृतभवतापैः पावनैः प्रेमसा ःै
अमृतरस नदानैः आ भाजां कटाक्षैः Á
अनुकलमुपकुवर्न् शेमुषी शेषतायाः
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ऽकल भावभासुरो नराकृतोग्रस मः Á
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वराजमान वग्रहो दवाऽ प मत्रस धौ
वनाकृता संश्रयो वभा त कूररा धुः Á Á 11 ÁÁ
प्रसादमे यवान् सदा प्रकामवी वग्रहः
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प्रबोधमावहन् नृणां प्रणाशयं म तम् Á
सदो रायणा तो वमु तामसग्रहः
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त्रयीमयोऽत्र कूररा वाकरो वराजते Á Á 12 ÁÁ
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क यहृ ह
ु ाशयालु सारसाक्षकेसर
पर तवा र भरो वर मु संश्रयः Á
वशेषशा यु भः व चत्रधातु भयुर्तः
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ृषा बाधकप्रमाप्रका शका भरा नाम् Á
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अनेकतामशेषतां प्रकाशयन् पोहयन्
प्रमातृशेखर ुतः प्रकाशतेऽत्र कूरराट् Á Á 17 ÁÁ
श्रु तं दृढप्रमाणयन् जग धातर रे
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परो मानुमा नके र म धो नयन् Á
अणोजर्ग दानतामपोहयन् वराजते
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सू भः यु भः सुधीवरोऽत्रकूरराट् Á Á 18 ÁÁ
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शवा रं नही त वै लखे त चोलभूपतेः
वचः श्रुतेरन रं तदु रं वचो लखन् Á
अपाहस हीसुरै यर् ई डतो महीप तं
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कटाक्षैः प्रेमाद्रः क लमलमशेषं पनयन् Á
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जनानामान ं नरव धकम ा प जनयन्
जय ेष श्रीमान् मम कुलगुरुः कूरनृप तः Á Á 23 ÁÁ
अ व ामाहा ाद व दत नजाकार वभवान्
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अशेषानु तु भवजल धम ान् ज नभृतः Á
असौ कूराधीशः यमवतरन् भूिरकृपया
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नयन् नावं व ुं वगततरप ां वजयते Á Á 24 ÁÁ
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पलाय ं वेगात् चन कथकाः काननतले
नल ना भूया प्र तकथकम ेभमृगराट् Á
जयी नानात प्रवचनचणैः प्रौढवचनैः
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परं प ाभतुर्ः प ततजन चूडाम णर प Á
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यदीया श्रीसू ः न खल नगमा ाथर् ववृ तः
स जीयात् कूरे शः सकलशुभस ानसर णः Á Á 29 ÁÁ
वशु ज्ञाना ः वगतममकारः परयोः
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वनेता सवषाम त वमलबोध वदुषाम् Á
वहत श्रीर प्रयतमयतीशानपदयोः
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प्रहत ऽसौ ानां भव त भ वनां कूरनृप तः Á Á 30 ÁÁ
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पुराणानां पुंसां सर णमनुयन् त ववृतौ
प्रकृ ा ेशानां परमतमपा नृतताम् Á
पराकुवर्न् त प्र मतपदयोः जीवतमसोः
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तथागतमतानुगान् त दतरान् ष ा दनः Á
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मुधाकृतपिरश्रमान् मुकु लता वा ृ णान्
वधाय वबुध ुतो जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 35 ÁÁ
नराकृतदुर हतैः नगमसारस शर् भः
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नर दुिरता ल भः न खलसंशय े द भः Á
नता मधुरै ुभैः न खलसौ स ादकैः
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नजैवर्चनगु नैः जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 36 ÁÁ
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क लहर्तभवोऽभवत् कलुषजातमु ू लतं
तम रजसा समं वलयमाप स ं पुनः Á
समे ुप च तं नृणामुदयमे त धीव र
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जनान् हिरकथामृतैः मधुरशीतलै ज वयन् Á
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तदीयपदशेषता धयमपारमु ादयन्
वभा त भु व कूरराट् वबुधस संसे वतः Á Á 41 ÁÁ
अस रनुपद्रत
ु ाम् अ नदमा दवाणी सतीम्
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अन पदसं श्रतां हिरपदानुष ां परम् Á
जनादर्नपर धीज नतभावब ाशयैः
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वचो भरुपलालयन् जय त कूरनाथो गुरुः Á Á 42 ÁÁ
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अन गुणमौ कैः अ खलचेतनामोदकैः
अन नयसागरात् यमुपाहृतै ोभनैः Á
अन पदसं श्रतान भ वभूषयन् शोभते
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महाघर्मकुटोज् लः ु रदुदारहाराव लः
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वलोलम णकु लो सतपीनग लः Á
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व चत्रकुसुमावल क लत द मा ा तः
वभातमधुराकृ तः जय त कूररा े शकः Á Á 47 ÁÁ
उपारूढे भानावुदयम धरु ानु दवसं
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व चत्रामा ोल व वधम ण भः का नमयीम् Á
अल ु वर्न् वीथीः अनुपदकृताक सुभगाः
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सम े कूरे शो मकरमहकाले ऽ तरु चरः Á Á 48 ÁÁ
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समा ाय श्रीमान् न श न श भुजाभो मतुलं
महायानं ब्र प्रभम खलभूषा ततनुः Á
त्रयीगाथास ै नर् बडस वधो वै ववरै ः
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