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अब रिक्शे भी होंगे हाईटेक

रिक्शा का इतिहास १९४० में शुरू हुए रिक्शे भी हाईटेक बयार से अछू ते नहीं रहे। प्रदूषण
रहित वाहन और हाथ से खींचे जाने वाले ठेलों का भी वैज्ञानिक
प्रबंधन किए जाने की पेशकश की गई है ताकि अत्यंत निर्धन तबके को
सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके और यात्रियों को भी कु छ सुविधाएँ
मिल सकें मसलन रिक्शे में बैठकर 'सुहाना सफर और मौसम हसीन'
या 'मुसाफिर हूँ यारों' जैसे गानों से लेकर हिमेश रेशमिया की धुनों का
लुत्फ भी उठाया जा सकता है।
रिक्शा का विकास
एक तरफ जहाँ न्यायालय के आदेश पर दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके में रिक्शों को प्रतिबंधित कर दिया गया है वहीं दूसरी ओर रिक्शाचालकों को
कु छ राहत दिए जाने के बारे में भी सोचा जा रहा है। नगरीय विकास मंत्रालय में अनु. सचिव डॉ. सुनील कु मार ने सभी नगर आयुक्तों को इस बाबत
पत्र भेजा और रिक्शा तथा हाथठेलों का वैज्ञानिक प्रबंधन किए जाने के बारे में १० दिन के अंदर अपनी राय भेजने को कहा है। दरअसल दिल्ली की
कं पनी इंडीवलप ने नगर विकास मंत्रालय को अपना प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत ईको फ्रें डली वाहन रिक्शों में कु छ आधुनिक परिवर्तन
किया जाना सुझाया है।
बनाए गए उपकरण और रिक्शा के कं पनी ने दो मॉडल तैयार किए हैं, पहले तो सभी रिक्शाचालकों का
रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, ताकि टैक्स कलेक्शन आसानी से हो सके ।
वित्तीय पहलू इसके लिए प्रत्येक रिक्शाचालक को खास पहचान पत्र दिया जाएगा। रिक्शे
में सेंसर चिप लगाकर नगर निगम में रखे कं प्यूटर से रिक्शे के बारे में सारी
जानकारी इकट्ठी होती रहेगी। रजिस्ट्रेशन से मिली धनराशि से ५०,०००
रुपये का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा प्रत्येक रिक्शाचालक का कराया जाएगा।
इसके अलावा अन्य प्रावधान भी किए गए हैं। जिसके तहत नगर निगम
जगह-जगह रिक्शा स्टैंड बनवाकर वहाँ पेयजल आदि सुविधाएँ मुहैया
कराएगा। रिक्शों के पीछे विज्ञापन बोर्ड लगाने की भी अनुमति होगी। मॉडल
बी के अंतर्गत यात्रियों के मनोरंजन के लिए एफएम रेडियो, यात्रियों का
दुर्घटना बीमा एवं समाचार-पत्र उपलब्ध होंगे। । साथ ही यात्रियों के लिए भी
वह हाईटेक रिक्शे एक नए अनुभव होंगे।

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