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नी त ोक व ा

उ मेण ह स त काया ण ना मनोरथै।

न ह सु त य सघ य वश त मुखे मृगाः।।

सुखाथ यजेत व ाम् व ाथ यजेत सुखम्।

सुखा थना: कुतो व ा कुतो व ा थना: सुखम्।।

काक चे ा, बको यानं, ान न ा तथैव च

अ पाहारी, सदाचारी एतद व ा थन पंच ल णं।


करत-करत अ यास के जड़म त होतं सुजान।

रस र आवत जात ते सल पर परत नशान।।

थमे ना जता व ा तीये ना जतं धनम्।

तृतीये ना जतं पु यं चतुथ क क र यते॥

अन यासेन व ानाम् असंसगण धीमताम्।

अ न हेण चा ाणां जायते सनं नृणाम…॥

धन-हीनो न हीनश् च ध नकः स सु न यः।

व ा-र नेन हीनो यः स हीनः सव-व तुषु।।

व ा ददा त वनयम्, वनया ा त पा ताम्।

पा वा नमा ो त, धना म ततः सुखम्॥


व ा नाम नर य पम धकम्, छ गु तं धनम्।

व ा भोगकरी, यशःसुखकरी, व ा गु णां गु ः॥

व ा ब धुजनो वदे शगमने, व ा परा दे वता।

व ा राजसु पू यते, न ह धनम्, व ा वहीनः पशुः ॥

न चोरहाय, न राजहाय, न ातृभा यं न च भारकारी।

ये कृते वधत एव न यं, व ाधनं सवधन धानम्॥

न ह ानेन स शं प व ं इह व ते।

तत् वयं योगसं स ः कालेना म न व द त॥


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Last edited 3 years ago by Sanjeev b…

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

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