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॥ शश्री हरर:॥

शश्री र रामचररतमरानस-सम्पपूर र्ण (हहन्दश्री अरर्ण सहहत ),गश्री त रापप्रेस गगोरखपपुर , टश्री क राकरार – शश्री हनपुम रान पसराद जश्री पगोदरार-भराईजश्री
शश्रीररामचररतमरानस
बरालकराण्ड
परम सगोपरान-ममंगलराचरर
श्लगोक :
* वररार्णनरामरर्णसमंघरानरामं रसरानरामं छन्दसरामहप।
ममंगलरानरामं च कररार्णररौ वन्दप्रे वरारश्रीहवनरायकरौ॥1॥
भरावरारर्ण:-अक्षरर, अरर्ण समपूहर, रसर, छन्दर और ममंगलर कगो करनप्रे वरालश्री सरस्वतश्रीजश्री और
गरप्रेशजश्री ककी ममैं वमंदनरा करतरा हह॥हूँ 1॥
* भवरानश्रीशमंकररौ वन्दप्रे शदराहवश्वरासरूहपररौ।
यराभ्यरामं हवनरा न पश्यहन्त हसदराद्धाः स्वरान्तद्धाःस्रमश्रीश्वरमम॥2॥
भरावरारर्ण:-शदरा और हवश्वरास कप्रे स्वरूप शश्री परावर्णतश्रीजश्री और शश्री शमंकरजश्री ककी ममैं वमंदनरा करतरा हह हूँ,
हजनकप्रे हबनरा हसदजन अपनप्रे अन्तद्धाःकरर ममें हस्रत ईश्वर कगो नहहीं दप्रेख सकतप्रे॥ 2॥
* वन्दप्रे बगोधमयमं हनत्यमं गपुरमं शमंकररूहपरमम।
यमराहशतगो हह वकगोऽहप चन्दद्धाः सवर्णत्र वन्द्यतप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-जरानमय, हनत्य, शमंकर रूपश्री गपुर ककी ममैं वन्दनरा करतरा हह,हूँ हजनकप्रे आहशत हगोनप्रे सप्रे हश्री
टप्रेढरा चन्दमरा भश्री सवर्णत्र वहन्दत हगोतरा हहै॥3॥
* सश्रीतराररामगपुरगरामपपुण्यरारण्यहवहराररररौ।
वन्दप्रे हवशपुदहवजरानरौ कवश्रीश्वरकपश्रीश्वररौ॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे गपुरसमपूह रूपश्री पहवत्र वन ममें हवहरार करनप्रे वरालप्रे, हवशपुद हवजरान
सम्पन्न कवश्रीश्वर शश्री वराल्मश्रीहकजश्री और कपश्रीश्वर शश्री हनपुमरानजश्री ककी ममैं वन्दनरा करतरा हह हूँ॥4॥
* उद्भवहस्रहतसमंहरारकरारररहीं कप्रे शहरारररश्रीमम।
सवर्णशप्रेयस्करहीं सश्रीतरामं नतगोऽहमं ररामवल्लभरामम॥5॥
भरावरारर्ण:-उत्पहर, हस्रहत (परालन) और समंहरार करनप्रे वरालश्री, कप्रे शर कगो हरनप्रे वरालश्री तररा सम्पपूरर्ण
कल्यरारर कगो करनप्रे वरालश्री शश्री ररामचन्दजश्री ककी हपयतमरा शश्री सश्रीतराजश्री कगो ममैं नमस्करार करतरा हह॥हूँ 5॥
* यन्मरायरावशवहतर्ण हवश्वमहखलमं ब्रहराहददप्रेवरासपुररा
यत्सत्त्वरादममृषहैव भराहत सकलमं रजरौ यरराहप्रेरर्णमद्धाः।
यत्परादप्लवमप्रेकमप्रेव हह भवराम्भगोधप्रेहस्ततश्रीषरार्णवतरामं
वन्दप्रेऽहमं तमशप्रेषकराररपरमं ररामराख्यमश्रीशमं हररमम॥6॥
भरावरारर्ण:-हजनककी मरायरा कप्रे वशश्रीभपूत सम्पपूरर्ण हवश्व, ब्रहराहद दप्रेवतरा और असपुर हमैं, हजनककी सररा सप्रे
रस्सश्री ममें सपर्ण कप्रे रम ककी भराहूँहत यह सराररा दृश्य जगतम सत्य हश्री पतश्रीत हगोतरा हहै और हजनकप्रे कप्रे वल
चरर हश्री भवसरागर सप्रे तरनप्रे ककी इच्छरा वरालर कप्रे हलए एकमरात्र नरौकरा हमैं, उन समस्त कराररर सप्रे पर
(सब कराररर कप्रे करारर और सबसप्रे शप्रेष) रराम कहलरानप्रे वरालप्रे भगवरान हरर ककी ममैं वमंदनरा करतरा हह॥हूँ
6॥
* नरानरापपुररारहनगमरागमसम्मतमं यदम
ररामरायरप्रे हनगहदतमं क्वहचदन्यतगोऽहप।
स्वरान्तद्धाःसपुखराय तपुलसश्री रघपुनरारगराररा
भराषराहनबन्धमहतममंजपुलमरातनगोहत॥7॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक पपुररार, वप्रेद और (तमंत्र) शरास्त्र सप्रे सम्मत तररा जगो ररामरायर ममें वहरर्णत हहै और कपु छ
अन्यत्र सप्रे भश्री उपलब्ध शश्री रघपुनरारजश्री ककी कररा कगो तपुलसश्रीदरास अपनप्रे अन्तद्धाःकरर कप्रे सपुख कप्रे हलए
अत्यन्त मनगोहर भराषरा रचनरा ममें हवस्तमृत करतरा हहै॥7॥
सगोरठरा :
* जगो सपुहमरत हसहध हगोइ गन नरायक कररबर बदन।
करउ अनपुगह सगोइ बपुहद रराहस सपुभ गपुन सदन॥1॥
भरावरारर्ण:-हजन्हमें स्मरर करनप्रे सप्रे सब करायर्ण हसद हगोतप्रे हमैं, जगो गरर कप्रे स्वरामश्री और सपुमंदर हरारश्री कप्रे
मपुख वरालप्रे हमैं, वप्रे हश्री बपुहद कप्रे रराहश और शपुभ गपुरर कप्रे धराम (शश्री गरप्रेशजश्री) मपुझ पर कमृ परा करमें॥1॥
* मपूक हगोइ बराचराल पमंगपु चढइ हगररबर गहन।
जरासपु कमृ पराहूँ सगो दयराल दवउ सकल कहलमल दहन॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनककी कमृ परा सप्रे गपूहूँगरा बहह त सपुदमं र बगोलनप्रे वरालरा हगो जरातरा हहै और लहूँगडरा-लपूलरा दगपु र्णम पहराड
पर चढ जरातरा हहै, वप्रे कहलयगपु कप्रे सब परापर कगो जलरा डरालनप्रे वरालप्रे दयरालपु (भगवरान) मपुझ पर दहवत
हर (दयरा करमें)॥2॥
* नश्रील सरगोरह स्यराम तरन अरन बराररज नयन।
करउ सगो मम उर धराम सदरा छश्रीरसरागर सयन॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो नश्रीलकमल कप्रे समरान श्यरामवरर्ण हमैं, पपूरर्ण हखलप्रे हहए लराल कमल कप्रे समरान हजनकप्रे नप्रेत्र
हमैं और जगो सदरा क्षश्रीरसरागर पर शयन करतप्रे हमैं, वप्रे भगवरानम (नराररायर) मप्रेरप्रे हृदय ममें हनवरास करमें॥
3॥
* कपुमं द इमंदपु सम दप्रेह उमरा रमन करनरा अयन।
जराहह दश्रीन पर नप्रेह करउ कमृ परा मदर्णन मयन॥4॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा कपुमं द कप्रे पपुष्प और चन्दमरा कप्रे समरान (गरौर) शरश्रीर हहै, जगो परावर्णतश्रीजश्री कप्रे हपयतम
और दयरा कप्रे धराम हमैं और हजनकरा दश्रीनर पर स्नप्रेह हहै, वप्रे करामदप्रेव करा मदर्णन करनप्रे वरालप्रे (शमंकरजश्री)
मपुझ पर कमृ परा करमें॥4॥
गपुर वमंदनरा
* बमंदउहूँ गपुर पद कमंज कमृ परा हसमंधपु नररूप हरर।
महरामगोह तम पपुमंज जरासपु बचन रहब कर हनकर॥5॥
भरावरारर्ण:-ममैं उन गपुर महरारराज कप्रे चररकमल ककी वमंदनरा करतरा हह हूँ, जगो कमृ परा कप्रे समपुद और नर रूप
ममें शश्री हरर हश्री हमैं और हजनकप्रे वचन महरामगोह रूपश्री घनप्रे अन्धकरार करा नराश करनप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण
हकररर कप्रे समपूह हमैं॥5॥
चरौपराई :
* बमंदऊहूँ गपुर पद पदमपु पररागरा। सपुरहच सपुबरास सरस अनपुररागरा॥
अहमअ मपूररमय चपूरन चरारू। समन सकल भव रज पररवरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-ममैं गपुर महरारराज कप्रे चरर कमलर ककी रज ककी वन्दनरा करतरा हह,हूँ जगो सपुरहच (सपुदमं र
स्वराद), सपुगमंध तररा अनपुरराग रूपश्री रस सप्रे पपूरर्ण हहै। वह अमर मपूल (समंजश्रीवनश्री जडश्री) करा सपुदमं र चपूरर्ण
हहै, जगो सम्पपूरर्ण भव रगोगर कप्रे पररवरार कगो नराश करनप्रे वरालरा हहै॥1॥
* सपुकमृहत समंभपु तन हबमल हबभपूतश्री। ममंजपुल ममंगल मगोद पसपूतश्री॥
जन मन ममंजपु मपुकपुर मल हरनश्री। हकएहूँ हतलक गपुन गन बस करनश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-वह रज सपुकमृहत (पपुण्यवरानम पपुरष) रूपश्री हशवजश्री कप्रे शरश्रीर पर सपुशगोहभत हनमर्णल हवभपूहत हहै
और सपुदमं र कल्यरार और आनन्द ककी जननश्री हहै, भक्त कप्रे मन रूपश्री सपुदमं र दपर्णर कप्रे महैल कगो दरपू
करनप्रे वरालश्री और हतलक करनप्रे सप्रे गपुरर कप्रे समपूह कगो वश ममें करनप्रे वरालश्री हहै॥2॥
* शश्री गपुर पद नख महन गन जगोतश्री। सपुहमरत हदब्य दृहष्टि हहयहूँ हगोतश्री॥
दलन मगोह तम सगो सपकरासपू। बडप्रे भराग उर आवइ जरासपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री गपुर महरारराज कप्रे चरर-नखर ककी ज्यगोहत महरयर कप्रे पकराश कप्रे समरान हहै, हजसकप्रे
स्मरर करतप्रे हश्री हृदय ममें हदव्य दृहष्टि उत्पन्न हगो जरातश्री हहै। वह पकराश अजरान रूपश्री अन्धकरार करा
नराश करनप्रे वरालरा हहै, वह हजसकप्रे हृदय ममें आ जरातरा हहै, उसकप्रे बडप्रे भराग्य हमैं॥3॥
* उघरहहमं हबमल हबलगोचन हश्री कप्रे । हमटहहमं दगोष दख पु भव रजनश्री कप्रे ॥
सपूझहहमं रराम चररत महन मराहनक। गपुपपुत पगट जहहूँ जगो जप्रेहह खराहनक॥4॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे हृदय ममें आतप्रे हश्री हृदय कप्रे हनमर्णल नप्रेत्र खपुल जरातप्रे हमैं और समंसरार रूपश्री रराहत्र कप्रे
दगोष-दद्धाःपु ख हमट जरातप्रे हमैं एवमं शश्री ररामचररत्र रूपश्री महर और मराहरक्य, गपुप्त और पकट जहराहूँ जगो हजस
खरान ममें हहै, सब हदखराई पडनप्रे लगतप्रे हमैं-॥4॥
दगोहरा :
* जररा सपुअमंजन अमंहज दृग सराधक हसद सपुजरान।
करौतपुक दप्रेखत सहैल बन भपूतल भपूरर हनधरान॥1॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हसदरामंजन कगो नप्रेत्रर ममें लगराकर सराधक, हसद और सपुजरान पवर्णतर, वनर और पमृथ्वश्री
कप्रे अमंदर करौतपुक सप्रे हश्री बहह त सश्री खरानमें दप्रेखतप्रे हमैं॥1॥
चरौपराई :
* गपुर पद रज ममृद पु ममंजपुल अमंजन। नयन अहमअ दृग दगोष हबभमंजन॥
तप्रेहहमं करर हबमल हबबप्रेक हबलगोचन। बरनउहूँ रराम चररत भव मगोचन॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री गपुर महरारराज कप्रे चररर ककी रज कगोमल और सपुदमं र नयनराममृत अमंजन हहै, जगो नप्रेत्रर कप्रे
दगोषर करा नराश करनप्रे वरालरा हहै। उस अमंजन सप्रे हववप्रेक रूपश्री नप्रेत्रर कगो हनमर्णल करकप्रे ममैं समंसराररूपश्री
बमंधन सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररत्र करा वरर्णन करतरा हह॥हूँ 1॥
ब्रराहर-समंत वमंदनरा
* बमंदउहूँ परम महश्रीसपुर चरनरा। मगोह जहनत समंसय सब हरनरा॥
सपुजन समराज सकल गपुन खरानश्री। करउहूँ पनराम सपप्रेम सपुबरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे पमृथ्वश्री कप्रे दप्रेवतरा ब्रराहरर कप्रे चररर ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ, जगो अजरान सप्रे उत्पन्न सब
समंदहप्रे र कगो हरनप्रे वरालप्रे हमैं। हफिर सब गपुरर ककी खरान समंत समराज कगो पप्रेम सहहत सपुदमं र वरारश्री सप्रे परराम
करतरा हह हूँ॥2॥
* सराधपु चररत सपुभ चररत कपरासपू। हनरस हबसद गपुनमय फिल जरासपू॥
जगो सहह दख पु परहछद दरपु रावरा। बमंदनश्रीय जप्रेहहमं जग जस परावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-समंतर करा चररत्र कपरास कप्रे चररत्र (जश्रीवन) कप्रे समरान शपुभ हहै, हजसकरा फिल नश्रीरस,
हवशद और गपुरमय हगोतरा हहै। (कपरास ककी डगोडश्री नश्रीरस हगोतश्री हहै, समंत चररत्र ममें भश्री हवषयरासहक्त नहहीं
हहै, इससप्रे वह भश्री नश्रीरस हहै, कपरास उज्ज्वल हगोतरा हहै, समंत करा हृदय भश्री अजरान और पराप रूपश्री
अन्धकरार सप्रे रहहत हगोतरा हहै, इसहलए वह हवशद हहै और कपरास ममें गपुर (तमंतपु) हगोतप्रे हमैं, इसश्री पकरार
समंत करा चररत्र भश्री सदरपु र करा भमंडरार हगोतरा हहै, इसहलए वह गपुरमय हहै।) (जहैसप्रे कपरास करा धरागरा
सपुई कप्रे हकए हह ए छप्रेद कगो अपनरा तन दप्रेकर ढहूँक दप्रेतरा हहै, अरवरा कपरास जहैसप्रे लगोढप्रे जरानप्रे, करातप्रे
जरानप्रे और बपुनप्रे जरानप्रे करा कष्टि सहकर भश्री वस्त्र कप्रे रूप ममें परररत हगोकर दस पू रर कप्रे गगोपनश्रीय स्ररानर
कगो ढहूँकतरा हहै, उसश्री पकरार) समंत स्वयमं दद्धाःपु ख सहकर दस पू रर कप्रे हछदर (दगोषर) कगो ढहूँकतरा हहै,
हजसकप्रे करारर उसनप्रे जगत ममें वमंदनश्रीय यश पराप्त हकयरा हहै॥3॥
* मपुद ममंगलमय समंत समराजपू। जगो जग जमंगम तश्रीरररराजपू॥
रराम भहक्त जहहूँ सपुरसरर धराररा। सरसइ ब्रह हबचरार पचराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-समंतर करा समराज आनमंद और कल्यरारमय हहै, जगो जगत ममें चलतरा-हफिरतरा तश्रीरर्णरराज
(पयराग) हहै। जहराहूँ (उस समंत समराज रूपश्री पयरागरराज ममें) रराम भहक्त रूपश्री गमंगराजश्री ककी धराररा हहै और
ब्रहहवचरार करा पचरार सरस्वतश्रीजश्री हमैं॥4॥
* हबहध हनषप्रेधमय कहलमल हरनश्री। करम कररा रहबनमंदहन बरनश्री॥
हरर हर कररा हबरराजहत बप्रेनश्री। सपुनत सकल मपुद ममंगल दप्रेनश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-हवहध और हनषप्रेध (यह करगो और यह न करगो) रूपश्री कमर्मों ककी कररा कहलयगपु कप्रे परापर
कगो हरनप्रे वरालश्री सपूयर्णतनयरा यमपुनराजश्री हमैं और भगवरान हवष्रपु और शमंकरजश्री ककी करराएहूँ हत्रवप्रेरश्री रूप सप्रे
सपुशगोहभत हमैं, जगो सपुनतप्रे हश्री सब आनमंद और कल्यरारर कगो दप्रेनप्रे वरालश्री हमैं॥5॥
* बटपु हबस्वरास अचल हनज धरमरा। तश्रीरररराज समराज सपुकरमरा॥
सबहह सपुलभ सब हदन सब दप्रेसरा। सप्रेवत सरादर समन कलप्रेसरा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-(उस समंत समराज रूपश्री पयराग ममें) अपनप्रे धमर्ण ममें जगो अटल हवश्वरास हहै, वह अक्षयवट हहै
और शपुभ कमर्ण हश्री उस तश्रीरर्णरराज करा समराज (पररकर) हहै। वह (समंत समराज रूपश्री पयरागरराज) सब
दप्रेशर ममें, सब समय सभश्री कगो सहज हश्री ममें पराप्त हगो सकतरा हहै और आदरपपूवर्णक सप्रेवन करनप्रे सप्रे कप्रे शर
कगो नष्टि करनप्रे वरालरा हहै॥6॥
* अकर अलरौहकक तश्रीरररराऊ। दप्रेह सद्य फिल पगट पभराऊ॥7॥
भरावरारर्ण:-वह तश्रीरर्णरराज अलरौहकक और अकरनश्रीय हहै एवमं तत्कराल फिल दप्रेनप्रे वरालरा हहै, उसकरा
पभराव पत्यक्ष हहै॥7॥
दगोहरा :
* सपुहन समपुझहहमं जन मपुहदत मन मजहहमं अहत अनपुरराग।
लहहहमं चरारर फिल अछत तनपु सराधपु समराज पयराग॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य इस समंत समराज रूपश्री तश्रीरर्णरराज करा पभराव पसन्न मन सप्रे सपुनतप्रे और समझतप्रे हमैं
और हफिर अत्यन्त पप्रेमपपूवर्णक इसममें गगोतप्रे लगरातप्रे हमैं, वप्रे इस शरश्रीर कप्रे रहतप्रे हश्री धमर्ण, अरर्ण, कराम,
मगोक्ष- चरारर फिल परा जरातप्रे हमैं॥2॥
चरौपराई :
* मजन फिल पप्रेहखअ ततकरालरा। कराक हगोहहमं हपक बकउ मररालरा॥
सपुहन आचरज करहै जहन कगोई। सतसमंगहत महहमरा नहहमं गगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-इस तश्रीरर्णरराज ममें स्नरान करा फिल तत्कराल ऐसरा दप्रेखनप्रे ममें आतरा हहै हक करौए कगोयल बन
जरातप्रे हमैं और बगपुलप्रे हमंस। यह सपुनकर कगोई आश्चयर्ण न करप्रे , क्यरहक सत्समंग ककी महहमरा हछपश्री नहहीं
हहै॥1॥
* बरालमश्रीक नरारद घटजगोनश्री। हनज हनज मपुखहन कहश्री हनज हगोनश्री॥
जलचर रलचर नभचर नरानरा। जप्रे जड चप्रेतन जश्रीव जहरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-वराल्मश्रीहकजश्री, नरारदजश्री और अगस्त्यजश्री नप्रे अपनप्रे-अपनप्रे मपुखर सप्रे अपनश्री हगोनश्री (जश्रीवन
करा वमृररामंत) कहश्री हहै। जल ममें रहनप्रे वरालप्रे, जमश्रीन पर चलनप्रे वरालप्रे और आकराश ममें हवचरनप्रे वरालप्रे
नरानरा पकरार कप्रे जड-चप्रेतन हजतनप्रे जश्रीव इस जगत ममें हमैं॥2॥
* महत ककीरहत गहत भपूहत भलराई। जब जप्रेहहमं जतन जहराहूँ जप्रेहहमं पराई॥
सगो जरानब सतसमंग पभराऊ। लगोकहह हूँ बप्रेद न आन उपराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-उनममें सप्रे हजसनप्रे हजस समय जहराहूँ कहहीं भश्री हजस हकसश्री यत्न सप्रे बपुहद, ककीहतर्ण, सदहत,
हवभपूहत (ऐश्वयर्ण) और भलराई पराई हहै, सगो सब सत्समंग करा हश्री पभराव समझनरा चराहहए। वप्रेदर ममें और
लगोक ममें इनककी पराहप्त करा दस पू ररा कगोई उपराय नहहीं हहै॥3॥
* हबनपु सतसमंग हबबप्रेक न हगोई। रराम कमृ परा हबनपु सपुलभ न सगोई॥
सतसमंगत मपुद ममंगल मपूलरा। सगोई फिल हसहध सब सराधन फिपू लरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सत्समंग कप्रे हबनरा हववप्रेक नहहीं हगोतरा और शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा कप्रे हबनरा वह सत्समंग सहज ममें
हमलतरा नहहीं। सत्समंगहत आनमंद और कल्यरार ककी जड हहै। सत्समंग ककी हसहद (पराहप्त) हश्री फिल हहै
और सब सराधन तगो फिपूल हहै॥4॥
* सठ सपुधरहहमं सतसमंगहत पराई। परारस परस कपु धरात सपुहराई॥
हबहध बस सपुजन कपु समंगत परहहीं। फिहन महन सम हनज गपुन अनपुसरहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-दष्टिपु भश्री सत्समंगहत पराकर सपुधर जरातप्रे हमैं, जहैसप्रे परारस कप्रे स्पशर्ण सप्रे लगोहरा सपुहरावनरा हगो जरातरा
हहै (सपुमंदर सगोनरा बन जरातरा हहै), हकन्तपु दहैवयगोग सप्रे यहद कभश्री सजन कपु समंगहत ममें पड जरातप्रे हमैं, तगो वप्रे
वहराहूँ भश्री सराहूँप ककी महर कप्रे समरान अपनप्रे गपुरर करा हश्री अनपुसरर करतप्रे हमैं। (अररार्णतम हजस पकरार सरापहूँ
करा समंसगर्ण पराकर भश्री महर उसकप्रे हवष कगो गहर नहहीं करतश्री तररा अपनप्रे सहज गपुर पकराश कगो नहहीं
छगोडतश्री, उसश्री पकरार सराधपु पपुरष दष्टिपु र कप्रे समंग ममें रहकर भश्री दस पू रर कगो पकराश हश्री दप्रेतप्रे हमैं, दष्टिपु र करा
उन पर कगोई पभराव नहहीं पडतरा।)॥5॥
* हबहध हरर हर कहब कगोहबद बरानश्री। कहत सराधपु महहमरा सकपु चरानश्री॥
सगो मगो सन कहह जरात न कहै समें। सराक बहनक महन गपुन गन जहैसमें॥6॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा, हवष्रपु, हशव, कहव और पहण्डतर ककी वरारश्री भश्री समंत महहमरा करा वरर्णन करनप्रे ममें
सकपु चरातश्री हहै, वह मपुझसप्रे हकस पकरार नहहीं कहश्री जरातश्री, जहैसप्रे सराग-तरकरारश्री बप्रेचनप्रे वरालप्रे सप्रे महरयर
कप्रे गपुर समपूह नहहीं कहप्रे जरा सकतप्रे॥6॥
दगोहरा :
* बमंदउहूँ समंत समरान हचत हहत अनहहत नहहमं कगोइ।
अमंजहल गत सपुभ सपुमन हजहम सम सपुगमंध कर दगोइ॥3 (क)॥
भरावरारर्ण:-ममैं समंतर कगो परराम करतरा हह,हूँ हजनकप्रे हचर ममें समतरा हहै, हजनकरा न कगोई हमत्र हहै और न
शत्रपु! जहैसप्रे अमंजहल ममें रखप्रे हहए सपुदमं र फिपूल (हजस हरार नप्रे फिपूलर कगो तगोडरा और हजसनप्रे उनकगो रखरा
उन) दगोनर हश्री हरारर कगो समरान रूप सप्रे सपुगमंहधत करतप्रे हमैं (वहैसप्रे हश्री समंत शत्रपु और हमत्र दगोनर करा हश्री
समरान रूप सप्रे कल्यरार करतप्रे हमैं।)॥3 (क)॥
* समंत सरल हचत जगत हहत जराहन सपुभराउ सनप्रेहह।
बरालहबनय सपुहन करर कमृ परा रराम चरन रहत दप्रेहह॥ 3 (ख)
भरावरारर्ण:-समंत सरल हृदय और जगत कप्रे हहतकरारश्री हगोतप्रे हमैं, उनकप्रे ऐसप्रे स्वभराव और स्नप्रेह कगो
जरानकर ममैं हवनय करतरा हह हूँ, मप्रेरश्री इस बराल-हवनय कगो सपुनकर कमृ परा करकप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें
मपुझप्रे पश्रीहत दमें॥ 3 (ख)॥
खल वमंदनरा
चरौपराई :
* बहह रर बमंहद खल गन सहतभराएहूँ। जप्रे हबनपु कराज दराहहनप्रेहह बराएहूँ॥
पर हहत हराहन लराभ हजन्ह कप्रे रमें। उजरमें हरष हबषराद बसप्रेरमें॥1॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं सचप्रे भराव सप्रे दष्टिपु र कगो परराम करतरा हह हूँ, जगो हबनरा हश्री पयगोजन, अपनरा हहत करनप्रे
वरालप्रे कप्रे भश्री पहतकपू ल आचरर करतप्रे हमैं। दस पू रर कप्रे हहत ककी हराहन हश्री हजनककी दृहष्टि ममें लराभ हहै,
हजनकगो दस पू रर कप्रे उजडनप्रे ममें हषर्ण और बसनप्रे ममें हवषराद हगोतरा हहै॥1॥
* हरर हर जस रराकप्रेस रराहह सप्रे। पर अकराज भट सहसबराहह सप्रे॥
जप्रे पर दगोष लखहहमं सहसराखश्री। पर हहत घमृत हजन्ह कप्रे मन मराखश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो हरर और हर कप्रे यश रूपश्री पपूहरर्णमरा कप्रे चन्दमरा कप्रे हलए रराहह कप्रे समरान हमैं (अररार्णत जहराहूँ
कहहीं भगवरान हवष्रपु यरा शमंकर कप्रे यश करा वरर्णन हगोतरा हहै, उसश्री ममें वप्रे बराधरा दप्रेतप्रे हमैं) और दस पू रर ककी
बपुरराई करनप्रे ममें सहस्रबराहह कप्रे समरान वश्रीर हमैं। जगो दस पू रर कप्रे दगोषर कगो हजरार आहूँखर सप्रे दप्रेखतप्रे हमैं और
दस पू रर कप्रे हहत रूपश्री घश्री कप्रे हलए हजनकरा मन मक्खश्री कप्रे समरान हहै (अररार्णतम हजस पकरार मक्खश्री घश्री
ममें हगरकर उसप्रे खरराब कर दप्रेतश्री हहै और स्वयमं भश्री मर जरातश्री हहै , उसश्री पकरार दष्टिपु लगोग दस पू रर कप्रे बनप्रे-
बनराए कराम कगो अपनश्री हराहन करकप्रे भश्री हबगराड दप्रेतप्रे हमैं)॥2॥
*तप्रेज कमृ सरानपु रगोष महहषप्रेसरा। अघ अवगपुन धन धनश्री धनप्रेसरा॥
उदय कप्रे त सम हहत सबहश्री कप्रे । कपुमं भकरन सम सगोवत नश्रीकप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो तप्रेज (दस पू रर कगो जलरानप्रे वरालप्रे तराप) ममें अहग्नि और कगोध ममें यमरराज कप्रे समरान हमैं, पराप
और अवगपुर रूपश्री धन ममें कपु बप्रेर कप्रे समरान धनश्री हमैं, हजनककी बढतश्री सभश्री कप्रे हहत करा नराश करनप्रे कप्रे
हलए कप्रे तपु (पपुच्छल तरारप्रे) कप्रे समरान हहै और हजनकप्रे कपु म्भकरर्ण ककी तरह सगोतप्रे रहनप्रे ममें हश्री भलराई हहै॥
3॥
* पर अकराजपु लहग तनपु पररहरहहीं। हजहम हहम उपल कमृ षश्री दहल गरहहीं॥
बमंदउहूँ खल जस सप्रेष सरगोषरा। सहस बदन बरनइ पर दगोषरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे ओलप्रे खप्रेतश्री करा नराश करकप्रे आप भश्री गल जरातप्रे हमैं, वहैसप्रे हश्री वप्रे दस
पू रर करा कराम
हबगराडनप्रे कप्रे हलए अपनरा शरश्रीर तक छगोड दप्रेतप्रे हमैं। ममैं दष्टिपु र कगो (हजरार मपुख वरालप्रे) शप्रेषजश्री कप्रे समरान
समझकर परराम करतरा हह,हूँ जगो परराए दगोषर करा हजरार मपुखर सप्रे बडप्रे रगोष कप्रे सरार वरर्णन करतप्रे हमैं॥
4॥
* पपुहन पनवउहूँ पमृरपुरराज समरानरा। पर अघ सपुनइ सहस दस करानरा॥
बहह रर सक सम हबनवउहूँ तप्रेहश्री। समंतत सपुररानश्रीक हहत जप्रेहश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-पपुनद्धाः उनकगो रराजरा पमृरपु (हजन्हरनप्रे भगवरान करा यश सपुननप्रे कप्रे हलए दस हजरार करान मराहूँगप्रे
रप्रे) कप्रे समरान जरानकर परराम करतरा हह हूँ, जगो दस हजरार करानर सप्रे दस पू रर कप्रे परापर कगो सपुनतप्रे हमैं।
हफिर इन्द कप्रे समरान मरानकर उनककी हवनय करतरा हह,हूँ हजनकगो सपुररा (महदररा) नश्रीककी और हहतकरारश्री
मरालपूम दप्रेतश्री हहै (इन्द कप्रे हलए भश्री सपुररानश्रीक अररार्णतम दप्रेवतराओमं ककी सप्रेनरा हहतकरारश्री हहै )॥5॥
* बचन बज्र जप्रेहह सदरा हपआररा। सहस नयन पर दगोष हनहराररा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-हजनकगो कठगोर वचन रूपश्री वज्र सदरा प्यराररा लगतरा हहै और जगो हजरार आहूँखर सप्रे द स पू रर कप्रे
दगोषर कगो दप्रेखतप्रे हमैं॥6॥
दगोहरा :
* उदरासश्रीन अरर मश्रीत हहत सपुनत जरहहमं खल रश्रीहत।
जराहन पराहन जपुग जगोरर जन हबनतश्री करइ सपश्रीहत॥4॥
भरावरारर्ण:-दष्टिपु र ककी यह रश्रीहत हहै हक वप्रे उदरासश्रीन, शत्रपु अरवरा हमत्र, हकसश्री करा भश्री हहत सपुनकर
जलतप्रे हमैं। यह जरानकर दगोनर हरार जगोडकर यह जन पप्रेमपपूवर्णक उनसप्रे हवनय करतरा हहै॥ 4॥
चरौपराई :
* ममैं अपनश्री हदहस ककीन्ह हनहगोररा। हतन्ह हनज ओर न लराउब भगोररा॥
बरायस पहलअहहमं अहत अनपुररागरा। हगोहहमं हनरराहमष कबहह हूँ हक करागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे अपनश्री ओर सप्रे हवनतश्री ककी हहै, परन्तपु वप्रे अपनश्री ओर सप्रे कभश्री नहहीं चपूकमेंगप्रे। करौओमं कगो
बडप्रे पप्रेम सप्रे पराहलए, परन्तपु वप्रे क्यरा कभश्री मरामंस कप्रे त्यरागश्री हगो सकतप्रे हमैं?॥1॥
समंत-असमंत वमंदनरा
* बमंदउहूँ समंत असजन चरनरा। दद्धाःपु खपद उभय बश्रीच कछपु बरनरा॥
हबछपु रत एक परान हरर लप्रेहहीं। हमलत एक दख पु दरारन दप्रेहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं समंत और असमंत दगोनर कप्रे चररर ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ, दगोनर हश्री दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालप्रे
हमैं, परन्तपु उनममें कपु छ अन्तर कहरा गयरा हहै। वह अमंतर यह हहै हक एक (समंत) तगो हबछपु डतप्रे समय
परार हर लप्रेतप्रे हमैं और दस पू रप्रे (असमंत) हमलतप्रे हमैं, तब दरारर दद्धाःपु ख दप्रेतप्रे हमैं। (अररार्णतम समंतर करा
हबछपु डनरा मरनप्रे कप्रे समरान दद्धाःपु खदरायश्री हगोतरा हहै और असमंतर करा हमलनरा।)॥2॥
* उपजहहमं एक समंग जग मराहहीं। जलज जरक हजहम गपुन हबलगराहहीं॥
सपुधरा सपुररा सम सराधपु असराधपू। जनक एक जग जलहध अगराधपू॥3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर (समंत और असमंत) जगत ममें एक सरार पहैदरा हगोतप्रे हमैं, पर (एक सरार पहैदरा हगोनप्रे
वरालप्रे) कमल और जरक ककी तरह उनकप्रे गपुर अलग-अलग हगोतप्रे हमैं। (कमल दशर्णन और स्पशर्ण सप्रे
सपुख दप्रेतरा हहै, हकन्तपु जरक शरश्रीर करा स्पशर्ण परातप्रे हश्री रक्त चपूसनप्रे लगतश्री हहै। ) सराधपु अममृत कप्रे समरान
(ममृत्यपु रूपश्री समंसरार सप्रे उबरारनप्रे वरालरा) और असराधपु महदररा कप्रे समरान (मगोह, पमराद और जडतरा
उत्पन्न करनप्रे वरालरा) हहै, दगोनर कगो उत्पन्न करनप्रे वरालरा जगत रूपश्री अगराध समपुद एक हश्री हहै। (शरास्त्रर
ममें समपुदमन्रन सप्रे हश्री अममृत और महदररा दगोनर ककी उत्पहर बतराई गई हहै। )॥3॥
*भल अनभल हनज हनज करतपूतश्री। लहत सपुजस अपलगोक हबभपूतश्री॥
सपुधरा सपुधराकर सपुरसरर सराधपू। गरल अनल कहलमल सरर ब्यराधपू॥ 4॥
गपुन अवगपुन जरानत सब कगोई। जगो जप्रेहह भराव नश्रीक तप्रेहह सगोई॥5॥
भरावरारर्ण:-भलप्रे और बपुरप्रे अपनश्री-अपनश्री करनश्री कप्रे अनपुसरार सपुदमं र यश और अपयश ककी सम्पहर परातप्रे
हमैं। अममृत, चन्दमरा, गमंगराजश्री और सराधपु एवमं हवष, अहग्नि, कहलयगपु कप्रे परापर ककी नदश्री अररार्णतम
कमर्णनराशरा और हहमंसरा करनप्रे वरालरा व्यराध, इनकप्रे गपुर-अवगपुर सब कगोई जरानतप्रे हमैं, हकन्तपु हजसप्रे जगो
भरातरा हहै, उसप्रे वहश्री अच्छरा लगतरा हहै॥4-5॥
दगोहरा :
* भलगो भलराइहह पहै लहइ लहइ हनचराइहह नश्रीचपु।
सपुधरा सरराहहअ अमरतराहूँ गरल सरराहहअ मश्रीचपु॥5॥
भरावरारर्ण:-भलरा भलराई हश्री गहर करतरा हहै और नश्रीच नश्रीचतरा कगो हश्री गहर हकए रहतरा हहै। अममृत ककी
सरराहनरा अमर करनप्रे ममें हगोतश्री हहै और हवष ककी मरारनप्रे ममें॥5॥
चरौपराई :
* खल अघ अगपुन सराधपु गपुन गराहरा। उभय अपरार उदहध अवगराहरा॥
तप्रेहह तमें कछपु गपुन दगोष बखरानप्रे। समंगह त्यराग न हबनपु पहहचरानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-दष्टिपु र कप्रे परापर और अवगपुरर ककी और सराधपुओमं कप्रे गपुरर ककी करराएहूँ- दगोनर हश्री अपरार और
अरराह समपुद हमैं। इसश्री सप्रे कपु छ गपुर और दगोषर करा वरर्णन हकयरा गयरा हहै, क्यरहक हबनरा पहचरानप्रे
उनकरा गहर यरा त्यराग नहहीं हगो सकतरा॥1॥
* भलप्रेउ पगोच सब हबहध उपजराए। गहन गपुन दगोष बप्रेद हबलगराए॥
कहहहमं बप्रेद इहतहरास पपुररानरा। हबहध पपमंचपु गपुन अवगपुन सरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भलप्रे-बपुरप्रे सभश्री ब्रहरा कप्रे पहैदरा हकए हह ए हमैं, पर गपुर और दगोषर कगो हवचरार कर वप्रेदर नप्रे
उनकगो अलग-अलग कर हदयरा हहै। वप्रेद, इहतहरास और पपुररार कहतप्रे हमैं हक ब्रहरा ककी यह समृहष्टि गपुर-
अवगपुरर सप्रे सनश्री हहई हहै॥2॥
* दख पु सपुख पराप पपुन्य हदन ररातश्री। सराधपु असराधपु सपुजराहत कपु जरातश्री॥
दरानव दप्रेव ऊहूँच अर नश्रीचपू। अहमअ सपुजश्रीवनपु मराहहर मश्रीचपू॥3॥
मरायरा ब्रह जश्रीव जगदश्रीसरा। लहच्छ अलहच्छ रमंक अवनश्रीसरा॥
करासश्री मग सपुरसरर कमनरासरा। मर मरारव महहदप्रेव गवरासरा॥ 4॥
सरग नरक अनपुरराग हबररागरा। हनगमरागम गपुन दगोष हबभरागरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-दद्धाःपु ख-सपुख, पराप-पपुण्य, हदन-ररात, सराधपु-असराधपु, सपुजराहत-कपु जराहत, दरानव-दप्रेवतरा,
ऊहूँच-नश्रीच, अममृत-हवष, सपुजश्रीवन (सपुमंदर जश्रीवन)-ममृत्य,पु मरायरा-ब्रह, जश्रीव-ईश्वर, सम्पहर-
दररदतरा, रमंक-रराजरा, कराशश्री-मगध, गमंगरा-कमर्णनराशरा, मरारवराड-मरालवरा, ब्रराहर-कसराई, स्वगर्ण-
नरक, अनपुरराग-वहैरराग्य (यप्रे सभश्री पदरारर्ण ब्रहरा ककी समृहष्टि ममें हमैं।) वप्रेद-शरास्त्रर नप्रे उनकप्रे गपुर-दगोषर करा
हवभराग कर हदयरा हहै॥3-5॥
दगोहरा :
* जड चप्रेतन गपुन दगोषमय हबस्व ककीन्ह करतरार।
समंत हमंस गपुन गहहहमं पय पररहरर बरारर हबकरार॥6॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे इस जड-चप्रेतन हवश्व कगो गपुर-दगोषमय रचरा हहै, हकन्तपु समंत रूपश्री हमंस दगोष
रूपश्री जल कगो छगोडकर गपुर रूपश्री दधपू कगो हश्री गहर करतप्रे हमैं॥6॥
चरौपराई :
* अस हबबप्रेक जब दप्रेइ हबधरातरा। तब तहज दगोष गपुनहहमं मनपु ररातरा॥
कराल सपुभराउ करम बररआई।मं भलप्रेउ पकमृ हत बस चपुकइ भलराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा जब इस पकरार करा (हमंस करा सरा) हववप्रेक दप्रेतप्रे हमैं, तब दगोषर कगो छगोडकर मन
गपुरर ममें अनपुरक्त हगोतरा हहै। कराल स्वभराव और कमर्ण ककी पबलतरा सप्रे भलप्रे लगोग (सराधपु) भश्री मरायरा कप्रे
वश ममें हगोकर कभश्री-कभश्री भलराई सप्रे चपूक जरातप्रे हमैं॥1॥
* सगो सपुधरारर हररजन हजहम लप्रेहहीं। दहल दख पु दगोष हबमल जसपु दप्रेहहीं॥
खलउ करहहमं भल पराइ सपुसमंगपू। हमटइ न महलन सपुभराउ अभमंगपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भगवरान कप्रे भक्त जहैसप्रे उस चपूक कगो सपुधरार लप्रेतप्रे हमैं और दद्धाःपु ख-दगोषर कगो हमटराकर हनमर्णल
यश दप्रेतप्रे हमैं, वहैसप्रे हश्री दष्टिपु भश्री कभश्री-कभश्री उरम समंग पराकर भलराई करतप्रे हमैं, परन्तपु उनकरा कभश्री भमंग
न हगोनप्रे वरालरा महलन स्वभराव नहहीं हमटतरा॥2॥
* लहख सपुबप्रेष जग बमंचक जप्रेऊ। बप्रेष पतराप पपूहजअहहमं तप्रेऊ॥
उघरहहमं अमंत न हगोइ हनबराहह। करालनप्रेहम हजहम ररावन रराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो (वप्रेषधरारश्री) ठग हमैं, उन्हमें भश्री अच्छरा (सराधपु करा सरा) वप्रेष बनराए दप्रेखकर वप्रेष कप्रे पतराप
सप्रे जगत पपूजतरा हहै, परन्तपु एक न एक हदन वप्रे चरौडप्रे आ हश्री जरातप्रे हमैं, अमंत तक उनकरा कपट नहहीं
हनभतरा, जहैसप्रे करालनप्रेहम, ररावर और रराहह करा हराल हहआ ॥3॥
* हकएहह हूँ कपु बप्रेषपु सराधपु सनमरानपू। हजहम जग जरामवमंत हनपुमरानपू॥
हराहन कपु समंग सपुसमंगहत लराहह। लगोकहह हूँ बप्रेद हबहदत सब कराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-बपुररा वप्रेष बनरा लप्रेनप्रे पर भश्री सराधपु करा सम्मरान हश्री हगोतरा हहै , जहैसप्रे जगत ममें जराम्बवरानम और
हनपुमरानमजश्री करा हह आ। बपुरप्रे समंग सप्रे हराहन और अच्छप्रे समंग सप्रे लराभ हगोतरा हहै , यह बरात लगोक और वप्रेद ममें
हहै और सभश्री लगोग इसकगो जरानतप्रे हमैं॥4॥
* गगन चढइ रज पवन पसमंगरा। ककीचहहमं हमलइ नश्रीच जल समंगरा॥
सराधपु असराधपु सदन सपुक सरारहीं। सपुहमरहहमं रराम दप्रेहहमं गहन गरारहीं॥ 5॥
भरावरारर्ण:-पवन कप्रे समंग सप्रे धपूल आकराश पर चढ जरातश्री हहै और वहश्री नश्रीच (नश्रीचप्रे ककी ओर बहनप्रे
वरालप्रे) जल कप्रे समंग सप्रे ककीचड ममें हमल जरातश्री हहै। सराधपु कप्रे घर कप्रे तगोतरा-महैनरा रराम-रराम सपुहमरतप्रे हमैं
और असराधपु कप्रे घर कप्रे तगोतरा-महैनरा हगन-हगनकर गराहलयराहूँ दप्रेतप्रे हमैं॥5॥
* धपूम कपु समंगहत कराररख हगोई। हलहखअ पपुररान ममंजपु महस सगोई॥
सगोइ जल अनल अहनल समंघरातरा। हगोइ जलद जग जश्रीवन दरातरा॥6॥
भरावरारर्ण:-कपु समंग कप्रे करारर धपुआहूँ कराहलख कहलरातरा हहै, वहश्री धपुआहूँ (सपुसमंग सप्रे) सपुदमं र स्यराहश्री हगोकर
पपुररार हलखनप्रे कप्रे कराम ममें आतरा हहै और वहश्री धपुआहूँ जल, अहग्नि और पवन कप्रे समंग सप्रे बरादल हगोकर
जगत कगो जश्रीवन दप्रेनप्रे वरालरा बन जरातरा हहै॥6॥
दगोहरा :
* गह भप्रेजष जल पवन पट पराइ कपु जगोग सपुजगोग।
हगोहहमं कपु बस्तपु सपुबस्तपु जग लखहहमं सपुलच्छन लगोग॥7 (क)॥
भरावरारर्ण:-गह, औषहध, जल, वरायपु और वस्त्र- यप्रे सब भश्री कपु समंग और सपुसमंग पराकर समंसरार ममें बपुरप्रे
और भलप्रे पदरारर्ण हगो जरातप्रे हमैं। चतपुर एवमं हवचरारशश्रील पपुरष हश्री इस बरात कगो जरान परातप्रे हमैं॥ 7 (क)॥
* सम पकरास तम पराख दहपु ह हूँ नराम भप्रेद हबहध ककीन्ह।
सहस सगोषक पगोषक समपुहझ जग जस अपजस दश्रीन्ह॥7 (ख)॥
भरावरारर्ण:-महश्रीनप्रे कप्रे दगोनर पखवराडर ममें उहजयरालरा और अहूँधप्रेररा समरान हश्री रहतरा हहै, परन्तपु हवधरातरा नप्रे
इनकप्रे नराम ममें भप्रेद कर हदयरा हहै (एक करा नराम शपुक और दस पू रप्रे करा नराम कमृ ष्र रख हदयरा)। एक कगो
चन्दमरा करा बढरानप्रे वरालरा और दस पू रप्रे कगो उसकरा घटरानप्रे वरालरा समझकर जगत नप्रे एक कगो सपुयश और
दस पू रप्रे कगो अपयश दप्रे हदयरा॥7 (ख)॥
ररामरूप सप्रे जश्रीवमरात्र ककी वमंदनरा :
* जड चप्रेतन जग जश्रीव जत सकल रराममय जराहन।
बमंदउहूँ सब कप्रे पद कमल सदरा जगोरर जपुग पराहन॥7(ग)॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें हजतनप्रे जड और चप्रेतन जश्रीव हमैं, सबकगो रराममय जरानकर ममैं उन सबकप्रे
चररकमलर ककी सदरा दगोनर हरार जगोडकर वन्दनरा करतरा हह हूँ॥7 (ग)॥
* दप्रेव दनपुज नर नराग खग पप्रेत हपतर गमंधबर्ण।
बमंदउहूँ हकमंनर रजहनचर कमृ परा करहह अब सबर्ण॥7 (घ)
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, दहैत्य, मनपुष्य, नराग, पक्षश्री, पप्रेत, हपतर, गमंधवर्ण, हकन्नर और हनशराचर सबकगो ममैं
परराम करतरा हह हूँ। अब सब मपुझ पर कमृ परा ककीहजए॥7 (घ)॥
चरौपराई :
* आकर चरारर लराख चरौररासश्री। जराहत जश्रीव जल रल नभ बरासश्री॥
सश्रीय रराममय सब जग जरानश्री। करउहूँ पनराम जगोरर जपुग परानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-चरौररासश्री लराख यगोहनयर ममें चरार पकरार कप्रे (स्वप्रेदज, अण्डज, उहद्भज, जररायज पु ) जश्रीव
जल, पमृथ्वश्री और आकराश ममें रहतप्रे हमैं, उन सबसप्रे भरप्रे हह ए इस सरारप्रे जगत कगो शश्री सश्रीतरारराममय
जरानकर ममैं दगोनर हरार जगोडकर परराम करतरा हह॥हूँ 1॥

तपुलसश्रीदरासजश्री ककी दश्रीनतरा और रराम भहक्तमयश्री कहवतरा ककी महहमरा


* जराहन कमृ पराकर हकमंकर मगोहह। सब हमहल करहह छराहड छल छगोहह॥
हनज बपुहध बल भरगोस मगोहह नराहहीं। तरातमें हबनय करउहूँ सब पराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपुझकगो अपनरा दरास जरानकर कमृ परा ककी खरान आप सब लगोग हमलकर छल छगोडकर कमृ परा
ककीहजए। मपुझप्रे अपनप्रे बपुहद-बल करा भरगोसरा नहहीं हहै, इसश्रीहलए ममैं सबसप्रे हवनतश्री करतरा हह हूँ॥2॥
* करन चहउहूँ रघपुपहत गपुन गराहरा। लघपु महत मगोरर चररत अवगराहरा॥
सपूझ न एकउ अमंग उपराऊ। मन महत रमंक मनगोरर रराउ॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे गपुरर करा वरर्णन करनरा चराहतरा हह,हूँ परन्तपु मप्रेरश्री बपुहद छगोटश्री हहै और शश्री
ररामजश्री करा चररत्र अरराह हहै। इसकप्रे हलए मपुझप्रे उपराय करा एक भश्री अमंग अररार्णतम कपु छ (लप्रेशमरात्र) भश्री
उपराय नहहीं सपूझतरा। मप्रेरप्रे मन और बपुहद कमंगराल हमैं, हकन्तपु मनगोरर रराजरा हहै॥3॥
* महत अहत नश्रीच ऊहूँहच रहच आछश्री। चहहअ अहमअ जग जपुरइ न छराछश्री॥
छहमहहहमं सजन मगोरर हढठराई। सपुहनहहहमं बरालबचन मन लराई॥4॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री बपुहद तगो अत्यन्त नश्रीचश्री हहै और चराह बडश्री ऊहूँचश्री हहै, चराह तगो अममृत परानप्रे ककी हहै, पर
जगत ममें जपुडतश्री छराछ भश्री नहहीं। सजन मप्रेरश्री हढठराई कगो क्षमरा करमेंगप्रे और मप्रेरप्रे बराल वचनर कगो मन
लगराकर (पप्रेमपपूवर्णक) सपुनमेंगप्रे॥4॥
* जजौं बरालक कह तगोतरर बरातरा। सपुनहहमं मपुहदत मन हपतपु अर मरातरा॥
हहूँहसहहहमं कपू र कपु हटल कपु हबचरारश्री। जप्रे पर दषपू न भपूषनधरारश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे बरालक जब तगोतलप्रे वचन बगोलतरा हहै, तगो उसकप्रे मरातरा-हपतरा उन्हमें पसन्न मन सप्रे
सपुनतप्रे हमैं, हकन्तपु कपू र, कपु हटल और बपुरप्रे हवचरार वरालप्रे लगोग जगो दस पू रर कप्रे दगोषर कगो हश्री भपूषर रूप सप्रे
धरारर हकए रहतप्रे हमैं (अररार्णतम हजन्हमें परराए दगोष हश्री प्यरारप्रे लगतप्रे हमैं), हहूँसमेंगप्रे॥5॥
* हनज कहबर कप्रे हह लराग न नश्रीकरा। सरस हगोउ अरवरा अहत फिकीकरा॥
जप्रे पर भहनहत सपुनत हरषराहहीं। तप्रे बर पपुरष बहह त जग नराहहीं॥6॥
भरावरारर्ण:-रसश्रीलश्री हगो यरा अत्यन्त फिकीककी, अपनश्री कहवतरा हकसप्रे अच्छश्री नहहीं लगतश्री? हकन्तपु जगो
दस पू रप्रे ककी रचनरा कगो सपुनकर हहषर्णत हगोतप्रे हमैं, ऐसप्रे उरम पपुरष जगत ममें बहह त नहहीं हमैं॥6॥
* जग बहह नर सर सरर सम भराई। जप्रे हनज बराहढ बढहह जल पराई॥
सजन सकमृ त हसमंधपु सम कगोई। दप्रेहख पपूर हबधपु बराढइ जगोई॥7॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! जगत ममें तरालराबर और नहदयर कप्रे समरान मनपुष्य हश्री अहधक हमैं, जगो जल पराकर
अपनश्री हश्री बराढ सप्रे बढतप्रे हमैं (अररार्णतम अपनश्री हश्री उन्नहत सप्रे पसन्न हगोतप्रे हमैं)। समपुद सरा तगो कगोई एक
हबरलरा हश्री सजन हगोतरा हहै, जगो चन्दमरा कगो पपूरर्ण दप्रेखकर (दस पू रर करा उत्कषर्ण दप्रेखकर) उमड पडतरा
हहै॥7॥
दगोहरा :
* भराग छगोट अहभलराषपु बड करउहूँ एक हबस्वरास।
पहैहहहमं सपुख सपुहन सपुजन सब खल कररहहहमं उपहरास॥8॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा भराग्य छगोटरा हहै और इच्छरा बहह त बडश्री हहै, परन्तपु मपुझप्रे एक हवश्वरास हहै हक इसप्रे सपुनकर
सजन सभश्री सपुख परावमेंगप्रे और दष्टिपु हहूँसश्री उडरावमेंगप्रे॥8॥
चरौपराई :
* खल पररहरास हगोइ हहत मगोररा। कराक कहहहमं कलकमंठ कठगोररा॥
हमंसहह बक दरादरपु चरातकहश्री। हहूँसहहमं महलन खल हबमल बतकहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु दष्टिपु र कप्रे हहूँसनप्रे सप्रे मप्रेररा हहत हश्री हगोगरा। मधपुर कण्ठ वरालश्री कगोयल कगो करौए तगो कठगोर
हश्री कहरा करतप्रे हमैं। जहैसप्रे बगपुलप्रे हमंस कगो और ममेंढक पपश्रीहप्रे कगो हहूँसतप्रे हमैं , वहैसप्रे हश्री महलन मन वरालप्रे दष्टिपु
हनमर्णल वरारश्री कगो हहूँसतप्रे हमैं॥1॥
* कहबत रहसक न रराम पद नप्रेहह। हतन्ह कहहूँ सपुखद हरास रस एहह ॥
भराषरा भहनहत भगोरर महत मगोरश्री। हहूँहसबप्रे जगो हहूँसमें नहहमं खगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो न तगो कहवतरा कप्रे रहसक हमैं और न हजनकरा शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हहै, उनकप्रे
हलए भश्री यह कहवतरा सपुखद हरास्यरस करा कराम दप्रेगश्री। परम तगो यह भराषरा ककी रचनरा हहै , दस पू रप्रे मप्रेरश्री
बपुहद भगोलश्री हहै, इससप्रे यह हहूँसनप्रे कप्रे यगोग्य हश्री हहै, हहूँसनप्रे ममें उन्हमें कगोई दगोष नहहीं॥2॥
* पभपु पद पश्रीहत न सरामपुहझ नश्रीककी। हतन्हहह कररा सपुहन लराहगहह फिकीककी॥
हरर हर पद रहत महत न कपु तर ककी। हतन्ह कहहूँ मधपुर कररा रघपुबर ककी॥3॥
भरावरारर्ण:-हजन्हमें न तगो पभपु कप्रे चररर ममें पप्रेम हहै और न अच्छश्री समझ हश्री हहै, उनकगो यह कररा सपुननप्रे
ममें फिकीककी लगप्रेगश्री। हजनककी शश्री हरर (भगवरान हवष्रपु) और शश्री हर (भगवरान हशव) कप्रे चररर ममें पश्रीहत
हहै और हजनककी बपुहद कपु तकर्ण करनप्रे वरालश्री नहहीं हहै (जगो शश्री हरर-हर ममें भप्रेद ककी यरा ऊहूँच-नश्रीच ककी
कल्पनरा नहहीं करतप्रे), उन्हमें शश्री रघपुनरारजश्री ककी यह कररा मश्रीठश्री लगप्रेगश्री॥3॥
* रराम भगहत भपूहषत हजयहूँ जरानश्री। सपुहनहहहमं सपुजन सरराहह सपुबरानश्री॥
कहब न हगोउहूँ नहहमं बचन पबश्रीनपू। सकल कलरा सब हबद्यरा हश्रीनपू॥4॥
भरावरारर्ण:-सजनगर इस कररा कगो अपनप्रे जश्री ममें शश्री ररामजश्री ककी भहक्त सप्रे भपूहषत जरानकर सपुमंदर वरारश्री
सप्रे सरराहनरा करतप्रे हह ए सपुनमेंगप्रे। ममैं न तगो कहव हह हूँ, न वराक्य रचनरा ममें हश्री कपु शल हह,हूँ ममैं तगो सब कलराओमं
तररा सब हवद्यराओमं सप्रे रहहत हह॥हूँ 4॥
* आखर अरर अलमंकमृहत नरानरा। छमंद पबमंध अनप्रेक हबधरानरा॥
भराव भप्रेद रस भप्रेद अपराररा। कहबत दगोष गपुन हबहबध पकराररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-नरानरा पकरार कप्रे अक्षर, अरर्ण और अलमंकरार, अनप्रेक पकरार ककी छमंद रचनरा, भरावर और
रसर कप्रे अपरार भप्रेद और कहवतरा कप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे गपुर-दगोष हगोतप्रे हमैं॥5॥
* कहबत हबबप्रेक एक नहहमं मगोरमें। सत्य कहउहूँ हलहख करागद कगोरमें॥ 6॥
भरावरारर्ण:-इनममें सप्रे कराव्य सम्बन्धश्री एक भश्री बरात करा जरान मपुझममें नहहीं हहै, यह ममैं कगोरप्रे करागज पर
हलखकर (शपरपपूवर्णक) सत्य-सत्य कहतरा हह॥हूँ 6॥
दगोहरा :
* भहनहत मगोरर सब गपुन रहहत हबस्व हबहदत गपुन एक।
सगो हबचरारर सपुहनहहहमं सपुमहत हजन्ह कमें हबमल हबबप्रेक॥9॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री रचनरा सब गपुरर सप्रे रहहत हहै, इसममें बस, जगत्पहसद एक गपुर हहै। उसप्रे हवचरारकर
अच्छश्री बपुहदवरालप्रे पपुरष, हजनकप्रे हनमर्णल जरान हहै, इसकगो सपुनमेंगप्रे॥9॥
चरौपराई :
* एहह महहूँ रघपुपहत नराम उदराररा। अहत परावन पपुररान शपुहत सराररा॥
ममंगल भवन अममंगल हरारश्री। उमरा सहहत जप्रेहह जपत पपुररारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-इसममें शश्री रघपुनरारजश्री करा उदरार नराम हहै, जगो अत्यन्त पहवत्र हहै, वप्रेद-पपुररारर करा सरार हहै,
कल्यरार करा भवन हहै और अममंगलर कगो हरनप्रे वरालरा हहै, हजसप्रे परावर्णतश्रीजश्री सहहत भगवरान हशवजश्री
सदरा जपरा करतप्रे हमैं॥1॥
* भहनहत हबहचत्र सपुकहब कमृ त जगोऊ। रराम नराम हबनपु सगोह न सगोउ॥
हबधपुबदनश्री सब भराहूँहत सहूँवरारश्री। सगोह न बसन हबनरा बर नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो अच्छप्रे कहव कप्रे दराररा रचश्री हहई बडश्री अनपूठश्री कहवतरा हहै, वह भश्री रराम नराम कप्रे हबनरा शगोभरा
नहहीं परातश्री। जहैसप्रे चन्दमरा कप्रे समरान मपुख वरालश्री सपुदमं र स्त्रश्री सब पकरार सप्रे सपुसहजत हगोनप्रे पर भश्री वस्त्र
कप्रे हबनरा शगोभरा नहहीं दप्रेतश्री॥2॥
*सब गपुन रहहत कपु कहब कमृ त बरानश्री। रराम नराम जस अमंहकत जरानश्री॥
सरादर कहहहमं सपुनहहमं बपुध तराहश्री। मधपुकर सररस समंत गपुनगराहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इसकप्रे हवपरश्रीत, कपु कहव ककी रचश्री हहई सब गपुरर सप्रे रहहत कहवतरा कगो भश्री, रराम कप्रे नराम एवमं
यश सप्रे अमंहकत जरानकर, बपुहदमरान लगोग आदरपपूवर्णक कहतप्रे और सपुनतप्रे हमैं, क्यरहक समंतजन भजौंरप्रे
ककी भराहूँहत गपुर हश्री कगो गहर करनप्रे वरालप्रे हगोतप्रे हमैं॥3॥
*जदहप कहबत रस एकउ नराहहीं। रराम पतराप पगट एहह मराहहीं॥
सगोइ भरगोस मगोरमें मन आवरा। कप्रे हहमं न सपुसमंग बडप्पनपु परावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप मप्रेरश्री इस रचनरा ममें कहवतरा करा एक भश्री रस नहहीं हहै, तरराहप इसममें शश्री ररामजश्री करा
पतराप पकट हहै। मप्रेरप्रे मन ममें यहश्री एक भरगोसरा हहै। भलप्रे समंग सप्रे भलरा, हकसनप्रे बडप्पन नहहीं परायरा?॥
4॥
*धपूमउ तजइ सहज करआई। अगर पसमंग सपुगमंध बसराई॥
भहनहत भदप्रेस बस्तपु भहल बरनश्री। रराम कररा जग ममंगल करनश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-धपुआहूँ भश्री अगर कप्रे समंग सप्रे सपुगमंहधत हगोकर अपनप्रे स्वराभराहवक कडपुवप्रेपन कगो छगोड दप्रेतरा हहै।
मप्रेरश्री कहवतरा अवश्य भदश्री हहै, परन्तपु इसममें जगत करा कल्यरार करनप्रे वरालश्री ररामकररा रूपश्री उरम
वस्तपु करा वरर्णन हकयरा गयरा हहै। (इससप्रे यह भश्री अच्छश्री हश्री समझश्री जराएगश्री।)॥5॥
छमंद :
*ममंगल करहन कहलमल हरहन तपुलसश्री कररा रघपुनरार ककी।
गहत कपू र कहबतरा सररत ककी ज्यर सररत परावन परार ककी॥
पभपु सपुजस समंगहत भहनहत भहल हगोइहह सपुजन मन भरावनश्री
भव अमंग भपूहत मसरान ककी सपुहमरत सपुहरावहन परावनश्री॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक शश्री रघपुनरारजश्री ककी कररा कल्यरार करनप्रे वरालश्री और कहलय गपु
कप्रे परापर कगो हरनप्रे वरालश्री हहै। मप्रेरश्री इस भदश्री कहवतरा रूपश्री नदश्री ककी चराल पहवत्र जल वरालश्री नदश्री
(गमंगराजश्री) ककी चराल ककी भराहूँहत टप्रेढश्री हहै। पभपु शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे सपुमंदर यश कप्रे समंग सप्रे यह कहवतरा
सपुमंदर तररा सजनर कप्रे मन कगो भरानप्रे वरालश्री हगो जराएगश्री। श्मशरान ककी अपहवत्र रराख भश्री शश्री महरादप्रेवजश्री
कप्रे अमंग कप्रे समंग सप्रे सपुहरावनश्री लगतश्री हहै और स्मरर करतप्रे हश्री पहवत्र करनप्रे वरालश्री हगोतश्री हहै।
दगोहराद्धाः
*हपय लराहगहह अहत सबहह मम भहनहत रराम जस समंग।
दरार हबचरार हक करइ कगोउ बमंहदअ मलय पसमंग॥10 क॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे यश कप्रे समंग सप्रे मप्रेरश्री कहवतरा सभश्री कगो अत्यन्त हपय लगप्रेगश्री। जहैसप्रे मलय
पवर्णत कप्रे समंग सप्रे कराषमरात्र (चमंदन बनकर) वमंदनश्रीय हगो जरातरा हहै, हफिर क्यरा कगोई कराठ (ककी
तपुच्छतरा) करा हवचरार करतरा हहै?॥10 (क)॥
*स्यराम सपुरहभ पय हबसद अहत गपुनद करहहमं सब परान।
हगररा गराम्य हसय रराम जस गरावहहमं सपुनहहमं सपुजरान ॥10 ख॥
भरावरारर्ण:-श्यरामरा गगो करालश्री हगोनप्रे पर भश्री उसकरा दधपू उज्ज्वल और बहह त गपुरकरारश्री हगोतरा हहै। यहश्री
समझकर सब लगोग उसप्रे पश्रीतप्रे हमैं। इसश्री तरह गहूँवरारू भराषरा ममें हगोनप्रे पर भश्री शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे यश कगो
बपुहदमरान लगोग बडप्रे चराव सप्रे गरातप्रे और सपुनतप्रे हमैं॥10 (ख)॥
चरौपराई :
*महन मराहनक मपुकपुतरा छहब जहैसश्री। अहह हगरर गज हसर सगोह न तहैसश्री॥
नमृप हकरश्रीट तरनश्री तनपु पराई। लहहहमं सकल सगोभरा अहधकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-महर, मराहरक और मगोतश्री ककी जहैसश्री सपुदमं र छहब हहै, वह सराहूँप, पवर्णत और हरारश्री कप्रे
मस्तक पर वहैसश्री शगोभरा नहहीं परातश्री। रराजरा कप्रे मपुकपुट और नवयवपु तश्री स्त्रश्री कप्रे शरश्रीर कगो पराकर हश्री यप्रे
सब अहधक शगोभरा कगो पराप्त हगोतप्रे हमैं॥1॥
*तहैसप्रेहहमं सपुकहब कहबत बपुध कहहहीं। उपजहहमं अनत अनत छहब लहहहीं॥
भगहत हप्रेतपु हबहध भवन हबहराई। सपुहमरत सरारद आवहत धराई॥2॥
भरावरारर्ण:-इसश्री तरह, बपुहदमरान लगोग कहतप्रे हमैं हक सपुकहव ककी कहवतरा भश्री उत्पन्न और कहहीं हगोतश्री हहै
और शगोभरा अन्यत्र कहहीं परातश्री हहै (अररार्णत कहव ककी वरारश्री सप्रे उत्पन्न हहई कहवतरा वहराहूँ शगोभरा परातश्री
हहै, जहराहूँ उसकरा हवचरार, पचरार तररा उसममें कहरत आदशर्ण करा गहर और अनपुसरर हगोतरा हहै )।
कहव कप्रे स्मरर करतप्रे हश्री उसककी भहक्त कप्रे करारर सरस्वतश्रीजश्री ब्रहलगोक कगो छगोडकर दरौडश्री आतश्री
हमैं॥2॥
*रराम चररत सर हबनपु अन्हवराएहूँ। सगो शम जराइ न कगोहट उपराएहूँ॥
कहब कगोहबद अस हृदयहूँ हबचरारश्री। गरावहहमं हरर जस कहल मल हरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सरस्वतश्रीजश्री ककी दरौडश्री आनप्रे ककी वह रकरावट ररामचररत रूपश्री सरगोवर ममें उन्हमें नहलराए
हबनरा दस पू रप्रे करगोडर उपरायर सप्रे भश्री दरपू नहहीं हगोतश्री। कहव और पहण्डत अपनप्रे हृदय ममें ऐसरा हवचरारकर
कहलयगपु कप्रे परापर कगो हरनप्रे वरालप्रे शश्री हरर कप्रे यश करा हश्री गरान करतप्रे हमैं॥3॥
*ककीन्हमें पराकमृत जन गपुन गरानरा। हसर धपुहन हगररा लगत पहछतरानरा॥
हृदय हसमंधपु महत सश्रीप समरानरा। स्वराहत सरारदरा कहहहमं सपुजरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-समंसरारश्री मनपुष्यर करा गपुरगरान करनप्रे सप्रे सरस्वतश्रीजश्री हसर धपुनकर पछतरानप्रे लगतश्री हमैं (हक ममैं
क्यर इसकप्रे बपुलरानप्रे पर आई)। बपुहदमरान लगोग हृदय कगो समपुद, बपुहद कगो सश्रीप और सरस्वतश्री कगो
स्वराहत नक्षत्र कप्रे समरान कहतप्रे हमैं॥4॥
*जजौं बरषइ बर बरारर हबचरारू। हगो हहमं कहबत मपुकपुतरामहन चरारू॥5॥
भरावरारर्ण:-इसममें यहद शप्रेष हवचरार रूपश्री जल बरसतरा हहै तगो मपुक्तरा महर कप्रे समरान सपुदमं र कहवतरा हगोतश्री
हहै॥5॥
दगोहरा :
*जपुगपुहत बप्रेहध पपुहन पगोहहअहहमं ररामचररत बर तराग।
पहहरहहमं सजन हबमल उर सगोभरा अहत अनपुरराग॥11॥
भरावरारर्ण:-उन कहवतरा रूपश्री मपुक्तरामहरयर कगो यहपु क्त सप्रे बप्रेधकर हफिर ररामचररत्र रूपश्री सपुदमं र तरागप्रे ममें
हपरगोकर सजन लगोग अपनप्रे हनमर्णल हृदय ममें धरारर करतप्रे हमैं, हजससप्रे अत्यन्त अनपुरराग रूपश्री शगोभरा
हगोतश्री हहै (वप्रे आत्यहन्तक पप्रेम कगो पराप्त हगोतप्रे हमैं)॥11॥
चरौपराई :
*जप्रे जनमप्रे कहलकराल कररालरा। करतब बरायस बप्रेष मररालरा॥
चलत कपु पमंर बप्रेद मग छराडहूँ प्रे। कपट कलप्रेवर कहल मल भराहूँडप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो करराल कहलयगपु ममें जन्मप्रे हमैं, हजनककी करनश्री करौए कप्रे समरान हहै और वप्रेष हमंस करा सरा
हहै, जगो वप्रेदमरागर्ण कगो छगोडकर कपु मरागर्ण पर चलतप्रे हमैं, जगो कपट ककी मपूहतर्ण और कहलयगपु कप्रे परापर कप्रे
भराहूँडमें हमैं॥1॥
*बमंचक भगत कहराइ रराम कप्रे । हकमंकर कमंचन कगोह कराम कप्रे ॥
हतन्ह महहूँ परम रप्रेख जग मगोरश्री। धहींग धरम ध्वज धमंधक धगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो शश्री ररामजश्री कप्रे भक्त कहलराकर लगोगर कगो ठगतप्रे हमैं, जगो धन (लगोभ), कगोध और कराम
कप्रे गपुलराम हमैं और जगो धहींगराधहींगश्री करनप्रे वरालप्रे, धमर्णध्वजश्री (धमर्ण ककी झपूठश्री ध्वजरा फिहररानप्रे वरालप्रे दम्भश्री)
और कपट कप्रे धन्धर करा बगोझ ढगोनप्रे वरालप्रे हमैं, समंसरार कप्रे ऐसप्रे लगोगर ममें सबसप्रे पहलप्रे मप्रेरश्री हगनतश्री हहै॥
2॥
*जजौं अपनप्रे अवगपुन सब कहऊहूँ। बराढइ कररा परार नहहमं लहऊहूँ ॥
तरातप्रे ममैं अहत अलप बखरानप्रे। रगोरप्रे महह हूँ जराहनहहहमं सयरानप्रे ॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद ममैं अपनप्रे सब अवगपुरर कगो कहनप्रे लगपूहूँ तगो कररा बहह त बढ जराएगश्री और ममैं परार नहहीं
पराऊहूँगरा। इससप्रे ममैंनप्रे बहह त कम अवगपुरर करा वरर्णन हकयरा हहै। बपुहदमरान लगोग रगोडप्रे हश्री ममें समझ लमेंगप्रे॥
3॥
*समपुहझ हबहबहध हबहध हबनतश्री मगोरश्री। कगोउ न कररा सपुहन दप्रेइहह खगोरश्री॥
एतप्रेहह पर कररहहहमं जप्रे असमंकरा। मगोहह तप्रे अहधक तप्रे जड महत रमंकरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री अनप्रेकर पकरार ककी हवनतश्री कगो समझकर, कगोई भश्री इस कररा कगो सपुनकर दगोष नहहीं
दप्रेगरा। इतनप्रे पर भश्री जगो शमंकरा करमेंगप्रे, वप्रे तगो मपुझसप्रे भश्री अहधक मपूखर्ण और बपुहद कप्रे कमंगराल हमैं॥4॥
*कहब न हगोउहूँ नहहमं चतपुर कहरावउहूँ। महत अनपुरूप रराम गपुन गरावउहूँ॥
कहहूँ रघपुपहत कप्रे चररत अपराररा। कहहूँ महत मगोरर हनरत समंसराररा॥5॥
भरावरारर्ण:-ममैं न तगो कहव हह,हूँ न चतपुर कहलरातरा हह हूँ, अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर गरातरा
हह हूँ। कहराहूँ तगो शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे अपरार चररत्र, कहराहूँ समंसरार ममें आसक्त मप्रेरश्री बपुहद !॥5॥।
*जप्रेहहमं मरारत हगरर मप्रेर उडराहहीं। कहहह तपूल कप्रे हह लप्रेखप्रे मराहहीं॥
समपुझत अहमत रराम पभपुतराई। करत कररा मन अहत कदरराई॥6॥
भरावरारर्ण:-हजस हवरा सप्रे सपुमप्रेर जहैसप्रे पहराड उड जरातप्रे हमैं, कहहए तगो, उसकप्रे सरामनप्रे रूई हकस हगनतश्री
ममें हहै। शश्री ररामजश्री ककी असश्रीम पभपुतरा कगो समझकर कररा रचनप्रे ममें मप्रेररा मन बहह त हहचकतरा हहै-॥6॥
दगोहरा :
*सरारद सप्रेस महप्रेस हबहध आगम हनगम पपुररान।
नप्रेहत नप्रेहत कहह जरासपु गपुन करहहमं हनरमंतर गरान॥12॥
भरावरारर्ण:-सरस्वतश्रीजश्री, शप्रेषजश्री, हशवजश्री, ब्रहराजश्री, शरास्त्र, वप्रेद और पपुररार- यप्रे सब 'नप्रेहत-नप्रेहत'
कहकर (परार नहहीं पराकर 'ऐसरा नहहीं', ऐसरा नहहीं कहतप्रे हह ए) सदरा हजनकरा गपुरगरान हकयरा करतप्रे
हमैं॥12॥
चरौपराई :
*सब जरानत पभपु पभपुतरा सगोई। तदहप कहमें हबनपु रहरा न कगोई॥
तहराहूँ बप्रेद अस करारन रराखरा। भजन पभराउ भराहूँहत बहह भराषरा॥1॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ककी पभपुतरा कगो सब ऐसश्री (अकरनश्रीय) हश्री जरानतप्रे हमैं, तरराहप
कहप्रे हबनरा कगोई नहहीं रहरा। इसममें वप्रेद नप्रे ऐसरा करारर बतरायरा हहै हक भजन करा पभराव बहह त तरह सप्रे
कहरा गयरा हहै। (अररार्णत भगवरान ककी महहमरा करा पपूररा वरर्णन तगो कगोई कर नहहीं सकतरा, परन्तपु हजससप्रे
हजतनरा बन पडप्रे उतनरा भगवरान करा गपुरगरान करनरा चराहहए, क्यरहक भगवरान कप्रे गपुरगरान रूपश्री भजन
करा पभराव बहह त हश्री अनगोखरा हहै, उसकरा नरानरा पकरार सप्रे शरास्त्रर ममें वरर्णन हहै। रगोडरा सरा भश्री भगवरान
करा भजन मनपुष्य कगो सहज हश्री भवसरागर सप्रे तरार दप्रेतरा हहै)॥1॥
*एक अनश्रीह अरूप अनरामरा। अज सहचदरानमंद पर धरामरा॥
ब्यरापक हबस्वरूप भगवरानरा। तप्रेहहमं धरर दप्रेह चररत कमृ त नरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो परमप्रेश्वर एक हहै, हजनकप्रे कगोई इच्छरा नहहीं हहै, हजनकरा कगोई रूप और नराम नहहीं हहै,
जगो अजन्मरा, सहचदरानन्द और परमधराम हहै और जगो सबममें व्यरापक एवमं हवश्व रूप हमैं , उन्हहीं
भगवरान नप्रे हदव्य शरश्रीर धरारर करकप्रे नरानरा पकरार ककी लश्रीलरा ककी हहै॥2॥
*सगो कप्रे वल भगतन हहत लरागश्री। परम कमृ पराल पनत अनपुररागश्री॥
जप्रेहह जन पर ममतरा अहत छगोहह। जप्रेहहमं करनरा करर ककीन्ह न कगोहह॥3॥
भरावरारर्ण:-वह लश्रीलरा कप्रे वल भक्तर कप्रे हहत कप्रे हलए हश्री हहै, क्यरहक भगवरान परम कमृ परालपु हमैं और
शरररागत कप्रे बडप्रे पप्रेमश्री हमैं। हजनककी भक्तर पर बडश्री ममतरा और कमृ परा हहै, हजन्हरनप्रे एक बरार हजस पर
कमृ परा कर दश्री, उस पर हफिर कभश्री कगोध नहहीं हकयरा॥3॥
*गई बहगोर गरश्रीब नप्रेवराजपू। सरल सबल सराहहब रघपुरराजपू॥
बपुध बरनहहमं हरर जस अस जरानश्री। करहहमं पपुनश्रीत सपुफिल हनज बरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे पभपु शश्री रघपुनरारजश्री गई हहई वस्तपु कगो हफिर पराप्त कररानप्रे वरालप्रे, गरश्रीब नवराज
(दश्रीनबन्धपु), सरल स्वभराव, सवर्णशहक्तमरान और सबकप्रे स्वरामश्री हमैं। यहश्री समझकर बपुहदमरान लगोग
उन शश्री हरर करा यश वरर्णन करकप्रे अपनश्री वरारश्री कगो पहवत्र और उरम फिल (मगोक्ष और दल पु र्णभ
भगवत्पप्रेम) दप्रेनप्रे वरालश्री बनरातप्रे हमैं॥4॥
*तप्रेहहमं बल ममैं रघपुपहत गपुन गराररा। कहहहउहूँ नराइ रराम पद मराररा॥
मपुहनन्ह परम हरर ककीरहत गराई। तप्रेहहमं मग चलत सपुगम मगोहह भराई॥5॥
भरावरारर्ण:-उसश्री बल सप्रे (महहमरा करा यररारर्ण वरर्णन नहहीं, परन्तपु महरान फिल दप्रेनप्रे वरालरा भजन
समझकर भगवत्कमृ परा कप्रे बल पर हश्री) ममैं शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर शश्री रघपुनरारजश्री
कप्रे गपुरर ककी कररा कहह हूँगरा। इसश्री हवचरार सप्रे (वराल्मश्रीहक, व्यरास आहद) मपुहनयर नप्रे पहलप्रे हरर ककी
ककीहतर्ण गराई हहै। भराई! उसश्री मरागर्ण पर चलनरा मप्रेरप्रे हलए सपुगम हगोगरा॥5॥
दगोहरा :
*अहत अपरार जप्रे सररत बर जजौं नमृप सप्रेतपु करराहहमं।
चहढ हपपश्रीहलकउ परम लघपु हबनपु शम परारहह जराहहमं॥13॥
भरावरारर्ण:-जगो अत्यन्त बडश्री शप्रेष नहदयराहूँ हमैं, यहद रराजरा उन पर पपुल बहूँधरा दप्रेतरा हहै, तगो अत्यन्त
छगोटश्री चहींहटयराहूँ भश्री उन पर चढकर हबनरा हश्री पररशम कप्रे परार चलश्री जरातश्री हमैं। (इसश्री पकरार मपुहनयर कप्रे
वरर्णन कप्रे सहरारप्रे ममैं भश्री शश्री ररामचररत्र करा वरर्णन सहज हश्री कर सकपूहूँ गरा)॥13॥
चरौपराई :
*एहह पकरार बल मनहह दप्रेखराई। कररहउहूँ रघपुपहत कररा सपुहराई॥
ब्यरास आहद कहब पपुमंगव नरानरा। हजन्ह सरादर हरर सपुजस बखरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार मन कगो बल हदखलराकर ममैं शश्री रघपुनरारजश्री ककी सपुहरावनश्री कररा ककी रचनरा
करूहूँगरा। व्यरास आहद जगो अनप्रेकर शप्रेष कहव हगो गए हमैं, हजन्हरनप्रे बडप्रे आदर सप्रे शश्री हरर करा सपुयश
वरर्णन हकयरा हहै॥1॥
कहव वमंदनरा
* चरन कमल बमंदउहूँ हतन्ह कप्रे रप्रे। पपुरवहह हूँ सकल मनगोरर मप्रेरप्रे॥
कहल कप्रे कहबन्ह करउहूँ परनरामरा। हजन्ह बरनप्रे रघपुपहत गपुन गरामरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ममैं उन सब (शप्रेष कहवयर) कप्रे चररकमलर ममें परराम करतरा हह,हूँ वप्रे मप्रेरप्रे सब मनगोररर कगो
पपूररा करमें। कहलयगपु कप्रे भश्री उन कहवयर कगो ममैं परराम करतरा हह हूँ, हजन्हरनप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे गपुर
समपूहर करा वरर्णन हकयरा हहै॥2॥
* जप्रे पराकमृत कहब परम सयरानप्रे। भराषराहूँ हजन्ह हरर चररत बखरानप्रे॥
भए जप्रे अहहहमं जप्रे हगोइहहहमं आगमें। पनवउहूँ सबहह कपट सब त्यरागमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगो बडप्रे बपुहदमरान पराकमृत कहव हमैं, हजन्हरनप्रे भराषरा ममें हरर चररत्रर करा वरर्णन हकयरा हहै, जगो
ऐसप्रे कहव पहलप्रे हगो चपुकप्रे हमैं, जगो इस समय वतर्णमरान हमैं और जगो आगप्रे हरगप्रे, उन सबकगो ममैं सराररा
कपट त्यरागकर परराम करतरा हह॥हूँ 3॥
* हगोहह पसन्न दप्रेहह बरदरानपू। सराधपु समराज भहनहत सनमरानपू॥
जगो पबमंध बपुध नहहमं आदरहहीं। सगो शम बराहद बराल कहब करहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-आप सब पसन्न हगोकर यह वरदरान दश्रीहजए हक सराधपु समराज ममें मप्रेरश्री कहवतरा करा सम्मरान
हगो, क्यरहक बपुहदमरान लगोग हजस कहवतरा करा आदर नहहीं करतप्रे, मपूखर्ण कहव हश्री उसककी रचनरा करा
व्यरर्ण पररशम करतप्रे हमैं॥4॥
* ककीरहत भहनहत भपूहत भहल सगोई। सपुरसरर सम सब कहहूँ हहत हगोई॥
रराम सपुककीरहत भहनहत भदप्रेसरा। असममंजस अस मगोहह अहूँदप्रेसरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-ककीहतर्ण, कहवतरा और सम्पहर वहश्री उरम हहै, जगो गमंगराजश्री ककी तरह सबकरा हहत करनप्रे
वरालश्री हगो। शश्री ररामचन्दजश्री ककी ककीहतर्ण तगो बडश्री सपुदमं र (सबकरा अनन्त कल्यरार करनप्रे वरालश्री हश्री) हहै,
परन्तपु मप्रेरश्री कहवतरा भदश्री हहै। यह असराममंजस्य हहै (अररार्णत इन दगोनर करा मप्रेल नहहीं हमलतरा), इसश्री
ककी मपुझप्रे हचन्तरा हहै॥5॥
* तपुम्हरश्री कमृ पराहूँ सपुलभ सगोउ मगोरप्रे। हसअहन सपुहरावहन टराट पटगोरप्रे॥6॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु हप्रे कहवयर! आपककी कमृ परा सप्रे यह बरात भश्री मप्रेरप्रे हलए सपुलभ हगो सकतश्री हहै। रप्रेशम ककी
हसलराई टराट पर भश्री सपुहरावनश्री लगतश्री हहै॥6॥
दगोहरा :
* सरल कहबत ककीरहत हबमल सगोइ आदरहहमं सपुजरान।
सहज बयर हबसरराइ ररपपु जगो सपुहन करहहमं बखरान॥14 क॥
भरावरारर्ण:-चतपुर पपुरष उसश्री कहवतरा करा आदर करतप्रे हमैं, जगो सरल हगो और हजसममें हनमर्णल चररत्र करा
वरर्णन हगो तररा हजसप्रे सपुनकर शत्रपु भश्री स्वराभराहवक बहैर कगो भपूलकर सरराहनरा करनप्रे लगमें॥ 14 (क)॥
सगो न हगोई हबनपु हबमल महत मगोहह महत बल अहत रगोर।
करहह कमृ परा हरर जस कहउहूँ पपुहन पपुहन करउहूँ हनहगोर॥14 ख॥
भरावरारर्ण:-ऐसश्री कहवतरा हबनरा हनमर्णल बपुहद कप्रे हगोतश्री नहहीं और मप्रेरश्री बपुहद करा बल बहह त हश्री रगोडरा हहै,
इसहलए बरार-बरार हनहगोररा करतरा हह हूँ हक हप्रे कहवयर! आप कमृ परा करमें, हजससप्रे ममैं हरर यश करा वरर्णन
कर सकपूहूँ ॥14 (ख)॥
* कहब कगोहबद रघपुबर चररत मरानस ममंजपु मरराल।
बरालहबनय सपुहन सपुरहच लहख मगो पर हगोहह कमृ पराल॥14 ग॥
भरावरारर्ण:-कहव और पहण्डतगर! आप जगो ररामचररत्र रूपश्री मरानसरगोवर कप्रे सपुदमं र हमंस हमैं, मपुझ
बरालक ककी हवनतश्री सपुनकर और सपुदमं र रहच दप्रेखकर मपुझ पर कमृ परा करमें॥14 (ग)॥
वराल्मश्रीहक, वप्रेद, ब्रहरा, दप्रेवतरा, हशव, परावर्णतश्री आहद ककी वमंदनरा
सगोरठरा :
* बमंदउहूँ मपुहन पद कमंजपु ररामरायन जप्रेहहमं हनरमयउ।
सखर सपुकगोमल ममंजपु दगोष रहहत दषपू न सहहत॥14 घ॥
भरावरारर्ण:-ममैं उन वराल्मश्रीहक मपुहन कप्रे चरर कमलर ककी वमंदनरा करतरा हह हूँ, हजन्हरनप्रे ररामरायर ककी रचनरा
ककी हहै, जगो खर (रराक्षस) सहहत हगोनप्रे पर भश्री (खर (कठगोर) सप्रे हवपरश्रीत) बडश्री कगोमल और सपुदमं र
हहै तररा जगो दषपू र (रराक्षस) सहहत हगोनप्रे पर भश्री दषपू र अररार्णतम दगोष सप्रे रहहत हहै॥14 (घ)॥
* बमंदउहूँ चराररउ बप्रेद भव बराररहध बगोहहत सररस।
हजन्हहह न सपनप्रेहहहूँ खप्रेद बरनत रघपुबर हबसद जसपु॥14 ङ॥
भरावरारर्ण:-ममैं चरारर वप्रेदर ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ, जगो समंसरार समपुद कप्रे परार हगोनप्रे कप्रे हलए जहराज कप्रे
समरान हमैं तररा हजन्हमें शश्री रघपुनरारजश्री करा हनमर्णल यश वरर्णन करतप्रे स्वप्न ममें भश्री खप्रेद (रकरावट) नहहीं
हगोतरा॥14 (ङ)॥
* बमंदउहूँ हबहध पद रप्रेनपु भव सरागर जप्रेहहमं ककीन्ह जहहूँ।
समंत सपुधरा सहस धप्रेनपु पगटप्रे खल हबष बरारनश्री॥14 च॥
भरावरारर्ण:-ममैं ब्रहराजश्री कप्रे चरर रज ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ, हजन्हरनप्रे भवसरागर बनरायरा हहै, जहराहूँ सप्रे एक
ओर समंतरूपश्री अममृत, चन्दमरा और करामधप्रेनपु हनकलप्रे और दस पू रश्री ओर दष्टिपु मनपुष्य रूपश्री हवष और
महदररा उत्पन्न हहए॥14 (च)॥
दगोहरा :
* हबबपुध हबप बपुध गह चरन बमंहद कहउहूँ कर जगोरर।
हगोइ पसन्न पपुरवहह सकल ममंजपु मनगोरर मगोरर॥14 छ॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, ब्रराहर, पमंहडत, गह- इन सबकप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे हरार जगोडकर कहतरा हह हूँ
हक आप पसन्न हगोकर मप्रेरप्रे सरारप्रे सपुदमं र मनगोररर कगो पपूररा करमें॥ 14 (छ)॥
चरौपराई :
* पपुहन बमंदउहूँ सरारद सपुरसररतरा। जपुगल पपुनश्रीत मनगोहर चररतरा॥
मजन परान पराप हर एकरा। कहत सपुनत एक हर अहबबप्रेकरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर ममैं सरस्वतश्री और दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री ककी वमंदनरा करतरा हह हूँ। दगोनर पहवत्र और मनगोहर
चररत्र वरालश्री हमैं। एक (गमंगराजश्री) स्नरान करनप्रे और जल पश्रीनप्रे सप्रे परापर कगो हरतश्री हहै और द स पू रश्री
(सरस्वतश्रीजश्री) गपुर और यश कहनप्रे और सपुननप्रे सप्रे अजरान करा नराश कर दप्रेतश्री हहै॥ 1॥
* गपुर हपतपु मरातपु महप्रेस भवरानश्री। पनवउहूँ दश्रीनबमंधपु हदन दरानश्री॥
सप्रेवक स्वराहम सखरा हसय पश्री कप्रे । हहत हनरपहध सब हबहध तपुलसश्री कप्रे ॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री महप्रेश और परावर्णतश्री कगो ममैं परराम करतरा हह हूँ, जगो मप्रेरप्रे गपुर और मरातरा-हपतरा हमैं, जगो
दश्रीनबन्धपु और हनत्य दरान करनप्रे वरालप्रे हमैं, जगो सश्रीतरापहत शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सप्रेवक, स्वरामश्री और
सखरा हमैं तररा मपुझ तपुलसश्रीदरास करा सब पकरार सप्रे कपटरहहत (सचरा) हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं॥2॥
* कहल हबलगोहक जग हहत हर हगररजरा। सराबर ममंत्र जराल हजन्ह हसररजरा॥
अनहमल आखर अरर न जरापपू। पगट पभराउ महप्रेस पतरापपू॥3॥
भरावरारर्ण:-हजन हशव-परावर्णतश्री नप्रे कहलयगपु कगो दप्रेखकर, जगत कप्रे हहत कप्रे हलए, शराबर मन्त्र समपूह
ककी रचनरा ककी, हजन ममंत्रर कप्रे अक्षर बप्रेमप्रेल हमैं, हजनकरा न कगोई ठश्रीक अरर्ण हगोतरा हहै और न जप हश्री
हगोतरा हहै, तरराहप शश्री हशवजश्री कप्रे पतराप सप्रे हजनकरा पभराव पत्यक्ष हहै॥3॥
* सगो उमप्रेस मगोहह पर अनपुकपूलरा। कररहहमं कररा मपुद ममंगल मपूलरा॥
सपुहमरर हसवरा हसव पराइ पसराऊ। बस्नउहूँ ररामचररत हचत चराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे उमरापहत हशवजश्री मपुझ पर पसन्न हगोकर (शश्री ररामजश्री ककी) इस कररा कगो आनन्द और
ममंगल ककी मपूल (उत्पन्न करनप्रे वरालश्री) बनराएहूँगप्रे। इस पकरार परावर्णतश्रीजश्री और हशवजश्री दगोनर करा स्मरर
करकप्रे और उनकरा पसराद पराकर ममैं चराव भरप्रे हचर सप्रे शश्री ररामचररत्र करा वरर्णन करतरा हह हूँ॥4॥
* भहनहत मगोरर हसव कमृ पराहूँ हबभरातश्री। सहस समराज हमहल मनहह हूँ सपुररातश्री॥
जप्रे एहह करहह सनप्रेह समप्रेतरा। कहहहहहमं सपुहनहहहमं समपुहझ सचप्रेतरा॥ 5॥
हगोइहहहमं रराम चरन अनपुररागश्री। कहल मल रहहत सपुममंगल भरागश्री॥ 6॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री कहवतरा शश्री हशवजश्री ककी कमृ परा सप्रे ऐसश्री सपुशगोहभत हगोगश्री, जहैसश्री तराररागरर कप्रे सहहत
चन्दमरा कप्रे सरार रराहत्र शगोहभत हगोतश्री हहै, जगो इस कररा कगो पप्रेम सहहत एवमं सरावधरानश्री कप्रे सरार
समझ-बपूझकर कहमें-सपुनमेंगप्रे, वप्रे कहलयगपु कप्रे परापर सप्रे रहहत और सपुदमं र कल्यरार कप्रे भरागश्री हगोकर शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे चररर कप्रे पप्रेमश्री बन जराएहूँगप्रे॥5-6॥
दगोहरा :
* सपनप्रेहहहूँ सराचप्रेहहहूँ मगोहह पर जजौं हर गरौरर पसराउ।
तरौ फिपु र हगोउ जगो कहप्रेउहूँ सब भराषरा भहनहत पभराउ॥15॥
भरावरारर्ण:-यहद मपुमझ पर शश्री हशवजश्री और परावर्णतश्रीजश्री ककी स्वप्न ममें भश्री सचमपुच पसन्नतरा हगो, तगो ममैंनप्रे
इस भराषरा कहवतरा करा जगो पभराव कहरा हहै, वह सब सच हगो॥15॥
शश्री सश्रीतरारराम-धराम-पररकर वमंदनरा
चरौपराई :
* बमंदउहूँ अवध पपुरश्री अहत परावहन। सरजपू सरर कहल कलपुष नसरावहन॥
पनवउहूँ पपुर नर नरारर बहगोरश्री। ममतरा हजन्ह पर पभपुहह न रगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं अहत पहवत्र शश्री अयगोध्यरापपुरश्री और कहलयगपु कप्रे परापर करा नराश करनप्रे वरालश्री शश्री सरयपू
नदश्री ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ। हफिर अवधपपुरश्री कप्रे उन नर-नराररयर कगो परराम करतरा हह हूँ, हजन पर पभपु
शश्री ररामचन्दजश्री ककी ममतरा रगोडश्री नहहीं हहै (अररार्णतम बहह त हहै)॥1॥
* हसय हनमंदक अघ ओघ नसराए। लगोक हबसगोक बनराइ बसराए॥
बमंदउहूँ करौसल्यरा हदहस पराचश्री। ककीरहत जरासपु सकल जग मराचश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे (अपनश्री पपुरश्री ममें रहनप्रे वरालप्रे) सश्रीतराजश्री ककी हनमंदरा करनप्रे वरालप्रे (धगोबश्री और उसकप्रे
समरर्णक पपुर-नर-नराररयर) कप्रे पराप समपूह कगो नराश कर उनकगो शगोकरहहत बनराकर अपनप्रे लगोक
(धराम) ममें बसरा हदयरा। ममैं करौशल्यरा रूपश्री पपूवर्ण हदशरा ककी वन्दनरा करतरा हह,हूँ हजसककी ककीहतर्ण समस्त
समंसरार ममें फिहैल रहश्री हहै॥2॥
* पगटप्रेउ जहहूँ रघपुपहत सहस चरारू। हबस्व सपुखद खल कमल तपुसरारू॥
दसरर रराउ सहहत सब ररानश्री। सपुकमृत सपुममंगल मपूरहत मरानश्री॥3॥
करउहूँ पनराम करम मन बरानश्री। करहह कमृ परा सपुत सप्रेवक जरानश्री॥
हजन्हहह हबरहच बड भयउ हबधरातरा। महहमरा अवहध रराम हपतपु मरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ (करौशल्यरा रूपश्री पपूवर्ण हदशरा) सप्रे हवश्व कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे और दष्टिपु रूपश्री कमलर कप्रे
हलए परालप्रे कप्रे समरान शश्री ररामचन्दजश्री रूपश्री सपुदमं र चमंदमरा पकट हह ए। सब रराहनयर सहहत रराजरा
दशररजश्री कगो पपुण्य और सपुमंदर कल्यरार ककी मपूहतर्ण मरानकर ममैं मन, वचन और कमर्ण सप्रे परराम करतरा
हह हूँ। अपनप्रे पपुत्र करा सप्रेवक जरानकर वप्रे मपुझ पर कमृ परा करमें, हजनकगो रचकर ब्रहराजश्री नप्रे भश्री बडराई पराई
तररा जगो शश्री ररामजश्री कप्रे मरातरा और हपतरा हगोनप्रे कप्रे करारर महहमरा ककी सश्रीमरा हमैं॥3-4॥
सगोरठरा :
* बमंदउहूँ अवध भपुआल सत्य पप्रेम जप्रेहह रराम पद।
हबछपु रत दश्रीनदयराल हपय तनपु तमृन इव पररहरप्रेउ॥16॥
भरावरारर्ण:-ममैं अवध कप्रे रराजरा शश्री दशररजश्री ककी वन्दनरा करतरा हह हूँ, हजनकरा शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें
सचरा पप्रेम ररा, हजन्हरनप्रे दश्रीनदयरालपु पभपु कप्रे हबछपु डतप्रे हश्री अपनप्रे प्यरारप्रे शरश्रीर कगो मरामपूलश्री हतनकप्रे ककी
तरह त्यराग हदयरा॥16॥
चरौपराई :
* पनवउहूँ पररजन सहहत हबदप्रेहह। जराहह रराम पद गपूढ सनप्रेहह॥
जगोग भगोग महहूँ रराखप्रेउ गगोई। रराम हबलगोकत पगटप्रेउ सगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-ममैं पररवरार सहहत रराजरा जनकजश्री कगो परराम करतरा हह,हूँ हजनकरा शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें
गपूढ पप्रेम ररा, हजसकगो उन्हरनप्रे यगोग और भगोग ममें हछपरा रखरा ररा, परन्तपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखतप्रे
हश्री वह पकट हगो गयरा॥1॥
* पनवउहूँ परम भरत कप्रे चरनरा। जरासपु नप्रेम ब्रत जराइ न बरनरा॥
रराम चरन पमंकज मन जरासपू। लपुबपुध मधपुप इव तजइ न परासपू॥2॥
भरावरारर्ण:-(भराइयर ममें) सबसप्रे पहलप्रे ममैं शश्री भरतजश्री कप्रे चररर कगो परराम करतरा हह,हूँ हजनकरा हनयम
और व्रत वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा तररा हजनकरा मन शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमलर ममें भजौंरप्रे ककी
तरह लपुभरायरा हहआ हहै, कभश्री उनकरा परास नहहीं छगोडतरा॥2॥
* बमंदउहूँ लहछमन पद जल जरातरा। सश्रीतल सपुभग भगत सपुख दरातरा॥
रघपुपहत ककीरहत हबमल पतराकरा। दमंड समरान भयउ जस जराकरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ममैं शश्री लक्ष्मरजश्री कप्रे चरर कमलर कगो परराम करतरा हह हूँ, जगो शश्रीतल सपुदमं र और भक्तर कगो
सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। शश्री रघपुनरारजश्री ककी ककीहतर्ण रूपश्री हवमल पतराकरा ममें हजनकरा (लक्ष्मरजश्री करा) यश
(पतराकरा कगो ऊहूँचरा करकप्रे फिहररानप्रे वरालप्रे) दमंड कप्रे समरान हह आ॥3॥
* सप्रेष सहस्रसश्रीस जग करारन। जगो अवतरप्रेउ भपूहम भय टरारन॥
सदरा सगो सरानपुकपूल रह मगो पर। कमृ पराहसन्धपु सरौहमहत्र गपुनराकर॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो हजरार हसर वरालप्रे और जगत कप्रे करारर (हजरार हसरर पर जगत कगो धरारर कर रखनप्रे
वरालप्रे) शप्रेषजश्री हमैं, हजन्हरनप्रे पमृथ्वश्री करा भय दरपू करनप्रे कप्रे हलए अवतरार हलयरा, वप्रे गपुरर ककी खरान
कमृ पराहसन्धपु सपुहमत्ररानमंदन शश्री लक्ष्मरजश्री मपुझ पर सदरा पसन्न रहमें॥ 4॥
* ररपपुसपूदन पद कमल नमरामश्री। सपूर सपुसश्रील भरत अनपुगरामश्री॥
महराबश्रीर हबनवउहूँ हनपुमरानरा। रराम जरासपु जस आप बखरानरा॥5॥
भरावरारर्ण:-ममैं शश्री शत्रपुघ्नजश्री कप्रे चररकमलर कगो परराम करतरा हह हूँ, जगो बडप्रे वश्रीर, सपुशश्रील और शश्री
भरतजश्री कप्रे पश्रीछप्रे चलनप्रे वरालप्रे हमैं। ममैं महरावश्रीर शश्री हनपुमरानजश्री ककी हवनतश्री करतरा हह हूँ, हजनकप्रे यश करा
शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे स्वयमं (अपनप्रे शश्रीमपुख सप्रे) वरर्णन हकयरा हहै॥5॥
सगोरठरा :
* पनवउहूँ पवनकपु मरार खल बन परावक ग्यरान घन।
जरासपु हृदय आगरार बसहहमं रराम सर चराप धर॥17॥
भरावरारर्ण:-ममैं पवनकपु मरार शश्री हनपुमरानमजश्री कगो परराम करतरा हह,हूँ जगो दष्टिपु रूपश्री वन कगो भस्म करनप्रे कप्रे
हलए अहग्निरूप हमैं, जगो जरान ककी घनमपूहतर्ण हमैं और हजनकप्रे हृदय रूपश्री भवन ममें धनपुष-बरार धरारर हकए
शश्री ररामजश्री हनवरास करतप्रे हमैं॥17॥
चरौपराई :
* कहपपहत रश्रीछ हनसराचर रराजरा। अमंगदराहद जप्रे ककीस समराजरा॥
बमंदउहूँ सब कप्रे चरन सपुहराए। अधम सरश्रीर रराम हजन्ह पराए॥1॥
भरावरारर्ण:-वरानरर कप्रे रराजरा सपुगश्रीवजश्री, रश्रीछर कप्रे रराजरा जराम्बवरानजश्री, रराक्षसर कप्रे रराजरा हवभश्रीषरजश्री
और अमंगदजश्री आहद हजतनरा वरानरर करा समराज हहै, सबकप्रे सपुमंदर चररर ककी ममैं वदनरा करतरा हह,हूँ
हजन्हरनप्रे अधम (पशपु और रराक्षस आहद) शरश्रीर ममें भश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो पराप्त कर हलयरा॥ 1॥
* रघपुपहत चरन उपरासक जप्रेतप्रे। खग ममृग सपुर नर असपुर समप्रेतप्रे॥
बमंदउहूँ पद सरगोज सब कप्रे रप्रे। जप्रे हबनपु कराम रराम कप्रे चप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-पशपु, पक्षश्री, दप्रेवतरा, मनपुष्य, असपुर समप्रेत हजतनप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चररर कप्रे उपरासक हमैं, ममैं
उन सबकप्रे चररकमलर ककी वमंदनरा करतरा हह हूँ, जगो शश्री ररामजश्री कप्रे हनष्कराम सप्रेवक हमैं॥2॥
* सपुक सनकराहद भगत मपुहन नरारद। जप्रे मपुहनबर हबग्यरान हबसरारद॥
पनवउहूँ सबहह धरहन धरर सश्रीसरा। करहह कमृ परा जन जराहन मपुनश्रीसरा॥3॥
भरावरारर्ण:-शपुकदप्रेवजश्री, सनकराहद, नरारदमपुहन आहद हजतनप्रे भक्त और परम जरानश्री शप्रेष मपुहन हमैं, ममैं
धरतश्री पर हसर टप्रेककर उन सबकगो परराम करतरा हह,हूँ हप्रे मपुनश्रीश्वरर! आप सब मपुझकगो अपनरा दरास
जरानकर कमृ परा ककीहजए॥3॥
* जनकसपुतरा जग जनहन जरानककी। अहतसय हपय करनराहनधरान ककी॥
तराकप्रे जपुग पद कमल मनरावउहूँ। जरासपु कमृ पराहूँ हनरमल महत परावउहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा जनक ककी पपुत्रश्री, जगत ककी मरातरा और करररा हनधरान शश्री ररामचन्दजश्री ककी हपयतमरा
शश्री जरानककीजश्री कप्रे दगोनर चरर कमलर कगो ममैं मनरातरा हह हूँ, हजनककी कमृ परा सप्रे हनमर्णल बपुहद पराऊहूँ॥4॥
* पपुहन मन बचन कमर्ण रघपुनरायक। चरन कमल बमंदउहूँ सब लरायक॥
रराजश्रीवनयन धरमें धनपु सरायक। भगत हबपहत भमंजन सपुखदरायक॥5॥
भरावरारर्ण:-हफिर ममैं मन, वचन और कमर्ण सप्रे कमलनयन, धनपुष-बरारधरारश्री, भक्तर ककी हवपहर करा
नराश करनप्रे और उन्हमें सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे भगवरानम शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे सवर्ण समरर्ण चरर कमलर ककी वन्दनरा
करतरा हह हूँ॥5॥
दगोहरा :
* हगररा अरर जल बश्रीहच सम कहहअत हभन्न न हभन्न।
बमंदउहूँ सश्रीतरा रराम पद हजन्हहह परम हपय हखन्न॥18॥
भरावरारर्ण:-जगो वरारश्री और उसकप्रे अरर्ण तररा जल और जल ककी लहर कप्रे समरान कहनप्रे ममें अलग-
अलग हमैं, परन्तपु वरास्तव ममें अहभन्न (एक) हमैं, उन शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे चररर ककी ममैं वमंदनरा करतरा
हह हूँ, हजन्हमें दश्रीन-दद्धाःपु खश्री बहह त हश्री हपय हमैं॥18॥
शश्री नराम वमंदनरा और नराम महहमरा
चरौपराई :
* बमंदउहूँ नराम रराम रघपुबर कगो। हप्रेतपु कमृ सरानपु भरानपु हहमकर कगो॥
हबहध हरर हरमय बप्रेद परान सगो। अगपुन अनपूपम गपुन हनधरान सगो॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे नराम 'रराम' ककी वमंदनरा करतरा हह,हूँ जगो कमृ शरानपु (अहग्नि), भरानपु (सपूयर्ण)
और हहमकर (चन्दमरा) करा हप्रेतपु अररार्णतम 'र' 'आ' और 'म' रूप सप्रे बश्रीज हहै। वह 'रराम' नराम
ब्रहरा, हवष्रपु और हशवरूप हहै। वह वप्रेदर करा परार हहै, हनगपुर्णर, उपमरारहहत और गपुरर करा भमंडरार हहै॥
1॥
*महराममंत्र जगोइ जपत महप्रेसपू। करासहीं मपुकपुहत हप्रेतपु उपदप्रेसपू॥
महहमरा जरासपु जरान गनरराऊ। परम पपूहजअत नराम पभराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो महराममंत्र हहै, हजसप्रे महप्रेश्वर शश्री हशवजश्री जपतप्रे हमैं और उनकप्रे दराररा हजसकरा उपदप्रेश
कराशश्री ममें मपुहक्त करा करारर हहै तररा हजसककी महहमरा कगो गरप्रेशजश्री जरानतप्रे हमैं , जगो इस 'रराम' नराम कप्रे
पभराव सप्रे हश्री सबसप्रे पहलप्रे पपूजप्रे जरातप्रे हमैं॥2॥
* जरान आहदकहब नराम पतरापपू। भयउ सपुद करर उलटरा जरापपू॥
सहस नराम सम सपुहन हसव बरानश्री। जहप जप्रेई मं हपय समंग भवरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-आहदकहव शश्री वराल्मश्रीहकजश्री ररामनराम कप्रे पतराप कगो जरानतप्रे हमैं, जगो उल्टरा नराम ('मररा',
'मररा') जपकर पहवत्र हगो गए। शश्री हशवजश्री कप्रे इस वचन कगो सपुनकर हक एक रराम-नराम सहस्र नराम
कप्रे समरान हहै, परावर्णतश्रीजश्री सदरा अपनप्रे पहत (शश्री हशवजश्री) कप्रे सरार रराम-नराम करा जप करतश्री रहतश्री
हमैं॥3॥
* हरषप्रे हप्रेतपु हप्रेरर हर हश्री कगो। हकय भपूषन हतय भपूषन तश्री कगो॥
नराम पभराउ जरान हसव नश्रीकगो। करालकपू ट फिलपु दश्रीन्ह अमश्री कगो॥4॥
भरावरारर्ण:-नराम कप्रे पहत परावर्णतश्रीजश्री कप्रे हृदय ककी ऐसश्री पश्रीहत दप्रेखकर शश्री हशवजश्री हहषर्णत हगो गए और
उन्हरनप्रे हस्त्रयर ममें भपूषर रूप (पहतव्रतराओमं ममें हशरगोमहर) परावर्णतश्रीजश्री कगो अपनरा भपूषर बनरा हलयरा।
(अररार्णतम उन्हमें अपनप्रे अमंग ममें धरारर करकप्रे अधरार्धांहगनश्री बनरा हलयरा)। नराम कप्रे पभराव कगो शश्री हशवजश्री
भलश्रीभराहूँहत जरानतप्रे हमैं, हजस (पभराव) कप्रे करारर करालकपू ट जहर नप्रे उनकगो अममृत करा फिल हदयरा॥
4॥
दगोहरा :
* बरषरा ररतपु रघपुपहत भगहत तपुलसश्री सराहल सपुदरास।
रराम नराम बर बरन जपुग सरावन भरादव मरास॥19॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी भहक्त वषरार्ण ऋतपु हहै, तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक उरम सप्रेवकगर धरान
हमैं और 'रराम' नराम कप्रे दगो सपुदमं र अक्षर सरावन-भरादगो कप्रे महश्रीनप्रे हमैं॥19॥
चरौपराई :
* आखर मधपुर मनगोहर दगोऊ। बरन हबलगोचन जन हजय जगोऊ॥
ससपुहमरत सपुलभ सपुखद सब कराहह। लगोक लराहह परलगोक हनबराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-दगोनर अक्षर मधपुर और मनगोहर हमैं, जगो वरर्णमरालरा रूपश्री शरश्रीर कप्रे नप्रेत्र हमैं, भक्तर कप्रे जश्रीवन हमैं
तररा स्मरर करनप्रे ममें सबकप्रे हलए सपुलभ और सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं और जगो इस लगोक ममें लराभ और
परलगोक ममें हनवरार्णह करतप्रे हमैं (अररार्णतम भगवरान कप्रे हदव्य धराम ममें हदव्य दप्रेह सप्रे सदरा भगवत्सप्रेवरा ममें
हनयक्त पु रखतप्रे हमैं।)॥1॥
* कहत सपुनत सपुहमरत सपुहठ नश्रीकप्रे। रराम लखन सम हपय तपुलसश्री कप्रे ॥
बरनत बरन पश्रीहत हबलगरातश्री। ब्रह जश्रीव सम सहज सहूँघरातश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यप्रे कहनप्रे, सपुननप्रे और स्मरर करनप्रे ममें बहह त हश्री अच्छप्रे (सपुदमं र और मधपुर) हमैं, तपुलसश्रीदरास
कगो तगो शश्री रराम-लक्ष्मर कप्रे समरान प्यरारप्रे हमैं। इनकरा ('र' और 'म' करा) अलग-अलग वरर्णन करनप्रे
ममें पश्रीहत हबलगरातश्री हहै (अररार्णत बश्रीज ममंत्र ककी दृहष्टि सप्रे इनकप्रे उचरारर, अरर्ण और फिल ममें हभन्नतरा हदख
पडतश्री हहै), परन्तपु हमैं यप्रे जश्रीव और ब्रह कप्रे समरान स्वभराव सप्रे हश्री सरार रहनप्रे वरालप्रे (सदरा एक रूप
और एक रस),॥2॥
* नर नराररायन सररस सपुररातरा। जग परालक हबसप्रेहष जन त्ररातरा॥
भगहत सपुहतय कल करन हबभपूषन। जग हहत हप्रेतपु हबमल हबधपु पपूषन॥3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे दगोनर अक्षर नर-नराररायर कप्रे समरान सपुदमं र भराई हमैं, यप्रे जगत करा परालन और हवशप्रेष रूप
सप्रे भक्तर ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे हमैं। यप्रे भहक्त रूहपरश्री सपुदमं र स्त्रश्री कप्रे करानर कप्रे सपुदमं र आभपूषर (करर्णफिपूल)
हमैं और जगत कप्रे हहत कप्रे हलए हनमर्णल चन्दमरा और सपूयर्ण हमैं॥3॥
* स्वराद तगोष सम सपुगहत सपुधरा कप्रे । कमठ सप्रेष सम धर बसपुधरा कप्रे ॥
जन मन ममंजपु कमंज मधपुकर सप्रे। जश्रीह जसगोमहत हरर हलधर सप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-यप्रे सपुदमं र गहत (मगोक्ष) रूपश्री अममृत कप्रे स्वराद और तमृहप्त कप्रे समरान हमैं, कच्छप और शप्रेषजश्री
कप्रे समरान पमृथ्वश्री कप्रे धरारर करनप्रे वरालप्रे हमैं, भक्तर कप्रे मन रूपश्री सपुदमं र कमल ममें हवहरार करनप्रे वरालप्रे भजौंरप्रे
कप्रे समरान हमैं और जश्रीभ रूपश्री यशगोदराजश्री कप्रे हलए शश्री कमृ ष्र और बलररामजश्री कप्रे समरान (आनमंद दप्रेनप्रे
वरालप्रे) हमैं॥4॥
दगोहरा :
* एकपु छत्रपु एकपु मपुकपुटमहन सब बरनहन पर जगोउ।
तपुलसश्री रघपुबर नराम कप्रे बरन हबरराजत दगोउ॥20॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे नराम कप्रे दगोनर अक्षर बडश्री शगोभरा दप्रेतप्रे हमैं,
हजनममें सप्रे एक (रकरार) छत्ररूप (रप्रेफि रम) सप्रे और दस पू ररा (मकरार) मपुकपुटमहर (अनपुस्वरार) रूप सप्रे
सब अक्षरर कप्रे ऊपर हहै॥20॥
चरौपराई :
* समपुझत सररस नराम अर नरामश्री। पश्रीहत परसपर पभपु अनपुगरामश्री॥
नराम रूप दइपु ईस उपराधश्री। अकर अनराहद सपुसरामपुहझ सराधश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-समझनप्रे ममें नराम और नरामश्री दगोनर एक सप्रे हमैं, हकन्तपु दगोनर ममें परस्पर स्वरामश्री और सप्रेवक कप्रे
समरान पश्रीहत हहै (अररार्णतम नराम और नरामश्री ममें पपूरर्ण एकतरा हगोनप्रे पर भश्री जहैसप्रे स्वरामश्री कप्रे पश्रीछप्रे सप्रेवक
चलतरा हहै, उसश्री पकरार नराम कप्रे पश्रीछप्रे नरामश्री चलतप्रे हमैं। पभपु शश्री ररामजश्री अपनप्रे 'रराम' नराम करा हश्री
अनपुगमन करतप्रे हमैं (नराम लप्रेतप्रे हश्री वहराहूँ आ जरातप्रे हमैं)। नराम और रूप दगोनर ईश्वर ककी उपराहध हमैं, यप्रे
(भगवरान कप्रे नराम और रूप) दगोनर अहनवर्णचनश्रीय हमैं, अनराहद हमैं और सपुदमं र (शपुद भहक्तयक्त पु ) बपुहद
सप्रे हश्री इनकरा (हदव्य अहवनराशश्री) स्वरूप जराननप्रे ममें आतरा हहै॥1॥
* कगो बड छगोट कहत अपरराधपू। सपुहन गपुन भप्रेद पु समपुहझहहहमं सराधपू॥
दप्रेहखअहहमं रूप नराम आधश्रीनरा। रूप ग्यरान नहहमं नराम हबहश्रीनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इन (नराम और रूप) ममें करौन बडरा हहै, करौन छगोटरा, यह कहनरा तगो अपरराध हहै। इनकप्रे
गपुरर करा तरारतम्य (कमश्री-बप्रेशश्री) सपुनकर सराधपु पपुरष स्वयमं हश्री समझ लमेंगप्रे। रूप नराम कप्रे अधश्रीन दप्रेखप्रे
जरातप्रे हमैं, नराम कप्रे हबनरा रूप करा जरान नहहीं हगो सकतरा॥2॥
* रूप हबसप्रेष नराम हबनपु जरानमें। करतल गत न परहहमं पहहचरानमें॥
सपुहमररअ नराम रूप हबनपु दप्रेख।में आवत हृदयहूँ सनप्रेह हबसप्रेषमें॥3॥
भरावरारर्ण:-कगोई सरा हवशप्रेष रूप हबनरा उसकरा नराम जरानप्रे हरप्रेलश्री पर रखरा हह आ भश्री पहचरानरा नहहीं जरा
सकतरा और रूप कप्रे हबनरा दप्रेखप्रे भश्री नराम करा स्मरर हकयरा जराए तगो हवशप्रेष पप्रेम कप्रे सरार वह रूप
हृदय ममें आ जरातरा हहै॥3॥
* नराम रूप गहत अकर कहरानश्री। समपुझत सपुखद न परहत बखरानश्री॥
अगपुन सगपुन हबच नराम सपुसराखश्री। उभय पबगोधक चतपुर दभपु राषश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नराम और रूप ककी गहत ककी कहरानश्री (हवशप्रेषतरा ककी कररा) अकरनश्रीय हहै। वह समझनप्रे ममें
सपुखदरायक हहै, परन्तपु उसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। हनगपुर्णर और सगपुर कप्रे बश्रीच ममें नराम सपुदमं र
सराक्षश्री हहै और दगोनर करा यररारर्ण जरान कररानप्रे वरालरा चतपुर द भपु राहषयरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* रराम नराम महनदश्रीप धर जश्रीह दप्रेहरहीं दरार।
तपुलसश्री भश्रीतर बराहप्रेरहह हूँ जजौं चराहहस उहजआर॥21॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं, यहद तपू भश्रीतर और बराहर दगोनर ओर उजरालरा चराहतरा हहै, तगो
मपुख रूपश्री दरार ककी जश्रीभ रूपश्री दप्रेहलश्री पर ररामनराम रूपश्री महर-दश्रीपक कगो रख॥21॥
चरौपराई :
* नराम जश्रीहहूँ जहप जरागहहमं जगोगश्री। हबरहत हबरमंहच पपमंच हबयगोगश्री॥
ब्रहसपुखहह अनपुभवहहमं अनपूपरा। अकर अनरामय नराम न रूपरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा कप्रे बनराए हह ए इस पपमंच (दृश्य जगत) सप्रे भलश्रीभराहूँहत छपूटप्रे हह ए वहैरराग्यवरानम मपुक्त यगोगश्री
पपुरष इस नराम कगो हश्री जश्रीभ सप्रे जपतप्रे हह ए (तत्व जरान रूपश्री हदन ममें) जरागतप्रे हमैं और नराम तररा रूप
सप्रे रहहत अनपुपम, अहनवर्णचनश्रीय, अनरामय ब्रहसपुख करा अनपुभव करतप्रे हमैं॥1॥
* जरानरा चहहहमं गपूढ गहत जप्रेऊ। नराम जश्रीहहूँ जहप जरानहहमं तप्रेऊ॥
सराधक नराम जपहहमं लय लराएहूँ। हगोहहमं हसद अहनमराहदक पराएहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो परमरात्मरा कप्रे गपूढ रहस्य कगो (यररारर्ण महहमरा कगो) जराननरा चराहतप्रे हमैं, वप्रे (हजजरासपु)
भश्री नराम कगो जश्रीभ सप्रे जपकर उसप्रे जरान लप्रेतप्रे हमैं। (लरौहकक हसहदयर कप्रे चराहनप्रे वरालप्रे अररार्णरर)
सराधक लरौ लगराकर नराम करा जप करतप्रे हमैं और अहरमराहद (आठर) हसहदयर कगो पराकर हसद हगो
जरातप्रे हमैं॥2॥
* जपहहमं नरामपु जन आरत भरारश्री। हमटहहमं कपु समंकट हगोहहमं सपुखरारश्री॥
रराम भगत जग चरारर पकराररा। सपुकमृतश्री चराररउ अनघ उदराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-(समंकट सप्रे घबडराए हह ए) आतर्ण भक्त नराम जप करतप्रे हमैं, तगो उनकप्रे बडप्रे भरारश्री बपुरप्रे-बपुरप्रे
समंकट हमट जरातप्रे हमैं और वप्रे सपुखश्री हगो जरातप्रे हमैं। जगत ममें चरार पकरार कप्रे (1- अररार्णरर-धनराहद ककी
चराह सप्रे भजनप्रे वरालप्रे, 2-आतर्ण समंकट ककी हनवमृहर कप्रे हलए भजनप्रे वरालप्रे, 3-हजजरासपु-भगवरान कगो
जराननप्रे ककी इच्छरा सप्रे भजनप्रे वरालप्रे, 4-जरानश्री-भगवरान कगो तत्व सप्रे जरानकर स्वराभराहवक हश्री पप्रेम सप्रे
भजनप्रे वरालप्रे) ररामभक्त हमैं और चरारर हश्री पपुण्यरात्मरा, परापरहहत और उदरार हमैं॥3॥
* चहह चतपुर कहह हूँ नराम अधराररा। ग्यरानश्री पभपुहह हबसप्रेहष हपआररा॥
चहह हूँ जपुग चहह हूँ शपुहत नराम पभराऊ। कहल हबसप्रेहष नहहमं आन उपराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-चरारर हश्री चतपुर भक्तर कगो नराम करा हश्री आधरार हहै, इनममें जरानश्री भक्त पभपु कगो हवशप्रेष रूप सप्रे
हपय हमैं। यर तगो चरारर यगपु र ममें और चरारर हश्री वप्रेदर ममें नराम करा पभराव हहै, परन्तपु कहलयगपु ममें हवशप्रेष रूप
सप्रे हहै। इसममें तगो (नराम कगो छगोडकर) दस पू ररा कगोई उपराय हश्री नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* सकल करामनरा हश्रीन जप्रे रराम भगहत रस लश्रीन।
नराम सपुपप्रेम हपयपूष ह्रद हतन्हहह हूँ हकए मन मश्रीन॥22॥
भरावरारर्ण:-जगो सब पकरार ककी (भगोग और मगोक्ष ककी भश्री) करामनराओमं सप्रे रहहत और शश्री ररामभहक्त कप्रे
रस ममें लश्रीन हमैं, उन्हरनप्रे भश्री नराम कप्रे सपुदमं र पप्रेम रूपश्री अममृत कप्रे सरगोवर ममें अपनप्रे मन कगो मछलश्री बनरा
रखरा हहै (अररार्णतम वप्रे नराम रूपश्री सपुधरा करा हनरमंतर आस्वरादन करतप्रे रहतप्रे हमैं, क्षरभर भश्री उससप्रे अलग
हगोनरा नहहीं चराहतप्रे)॥22॥
चरौपराई :
* अगपुन सगपुन दइपु ब्रह सरूपरा। अकर अगराध अनराहद अनपूपरा॥
मगोरमें मत बड नरामपु दहपु ह तमें। हकए जप्रेहहमं जपुग ह‍नज बस हनज बपूतमें॥1॥
भरावरारर्ण:-हनगपुर्णर और सगपुर ब्रह कप्रे दगो स्वरूप हमैं। यप्रे दगोनर हश्री अकरनश्रीय, अरराह, अनराहद और
अनपुपम हमैं। मप्रेरश्री सम्महत ममें नराम इन दगोनर सप्रे बडरा हहै, हजसनप्रे अपनप्रे बल सप्रे दगोनर कगो अपनप्रे वश ममें
कर रखरा हहै॥1॥
* परौहढ सपुजन जहन जरानहहमं जन ककी। कहउहूँ पतश्रीहत पश्रीहत रहच मन ककी॥
एकपु दरारगत दप्रेहखअ एकपू । परावक सम जपुग ब्रह हबबप्रेकपू॥2॥
उभय अगम जपुग सपुगम नराम तमें। कहप्रेउहूँ नरामपु बड ब्रह रराम तमें॥
ब्यरापकपु एकपु ब्रह अहबनरासश्री। सत चप्रेतन घन आनहूँद ररासश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सजनगर इस बरात कगो मपुझ दरास ककी हढठराई यरा कप्रे वल कराव्यगोहक्त न समझमें। ममैं अपनप्रे मन
कप्रे हवश्वरास, पप्रेम और रहच ककी बरात कहतरा हह हूँ। (ह‍नगपुर्णर और सगपुर) दगोनर पकरार कप्रे ब्रह करा
जरान अहग्नि कप्रे समरान हहै। हनगपुर्णर उस अपकट अहग्नि कप्रे समरान हहै, जगो कराठ कप्रे अमंदर हहै, परन्तपु
हदखतश्री नहहीं और सगपुर उस पकट अहग्नि कप्रे समरान हहै, जगो पत्यक्ष हदखतश्री हहै।
(तत्त्वतद्धाः दगोनर एक हश्री हमैं, कप्रे वल पकट-अपकट कप्रे भप्रेद सप्रे हभन्न मरालपूम हगोतश्री हमैं। इसश्री पकरार
हनगपुर्णर और सगपुर तत्त्वतद्धाः एक हश्री हमैं। इतनरा हगोनप्रे पर भश्री) दगोनर हश्री जराननप्रे ममें बडप्रे कहठन हमैं, परन्तपु
नराम सप्रे दगोनर सपुगम हगो जरातप्रे हमैं। इसश्री सप्रे ममैंनप्रे नराम कगो (हनगपुर्णर) ब्रह सप्रे और (सगपुर) रराम सप्रे बडरा
कहरा हहै, ब्रह व्यरापक हहै, एक हहै, अहवनराशश्री हहै, सररा, चहैतन्य और आनन्द ककी घन रराहश हहै॥2-
3॥
* अस पभपु हृदयहूँ अछत अहबकरारश्री। सकल जश्रीव जग दश्रीन दख पु रारश्री॥
नराम हनरूपन नराम जतन तमें। सगोउ पगटत हजहम मगोल रतन तमें॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे हवकराररहहत पभपु कप्रे हृदय ममें रहतप्रे भश्री जगत कप्रे सब जश्रीव दश्रीन और दद्धाःपु खश्री हमैं। नराम
करा हनरूपर करकप्रे (नराम कप्रे यररारर्ण स्वरूप, महहमरा, रहस्य और पभराव कगो जरानकर) नराम करा
जतन करनप्रे सप्रे (शदरापपूवर्णक नराम जप रूपश्री सराधन करनप्रे सप्रे) वहश्री ब्रह ऐसप्रे पकट हगो जरातरा हहै,
जहैसप्रे रत्न कप्रे जराननप्रे सप्रे उसकरा मपूल्य॥4॥
दगोहरा :
* हनरगपुन तमें एहह भराहूँहत बड नराम पभराउ अपरार।
कहउहूँ नरामपु बड रराम तमें हनज हबचरार अनपुसरार॥23॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार हनगपुर्णर सप्रे नराम करा पभराव अत्यमंत बडरा हहै। अब अपनप्रे हवचरार कप्रे अनपुसरार
कहतरा हह हूँ, हक नराम (सगपुर) रराम सप्रे भश्री बडरा हहै॥23॥
चरौपराई :
* रराम भगत हहत नर तनपु धरारश्री। सहह समंकट हकए सराधपु सपुखरारश्री॥
नरामपु सपप्रेम जपत अनयरासरा। भगत हगोहहमं मपुद ममंगल बरासरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे भक्तर कप्रे हहत कप्रे हलए मनपुष्य शरश्रीर धरारर करकप्रे स्वयमं कष्टि सहकर
सराधओ पु मं कगो सपुखश्री हकयरा, परन्तपु भक्तगर पप्रेम कप्रे सरार नराम करा जप करतप्रे हह ए सहज हश्री ममें आनन्द
और कल्यरार कप्रे घर हगो जरातप्रे हमैं॥1॥।
* रराम एक तरापस हतय तरारश्री। नराम कगोहट खल कपु महत सपुधरारश्री॥
ररहष हहत रराम सपुकप्रेतपुसपुतरा ककी। सहहत सप्रेन सपुत ककीहन्ह हबबराककी॥2॥
सहहत दगोष दख पु दरास दरपु रासरा। दलइ नरामपु हजहम रहब हनहस नरासरा॥
भमंजप्रेउ रराम आपपु भव चरापपू। भव भय भमंजन नराम पतरापपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे एक तपस्वश्री ककी स्त्रश्री (अहहल्यरा) कगो हश्री तराररा, परन्तपु नराम नप्रे करगोडर दष्टिपु र
ककी हबगडश्री बपुहद कगो सपुधरार हदयरा। शश्री ररामजश्री नप्रे ऋहष हवश्वराहमश कप्रे हहत कप्रे हलए एक सपुकप्रेतपु यक्ष
ककी कन्यरा तराडकरा ककी सप्रेनरा और पपुत्र (सपुबराहह) सहहत समराहप्त ककी, परन्तपु नराम अपनप्रे भक्तर कप्रे
दगोष, दद्धाःपु ख और दरपु राशराओमं करा इस तरह नराश कर दप्रेतरा हहै जहैसप्रे सपूयर्ण रराहत्र करा। शश्री ररामजश्री नप्रे तगो
स्वयमं हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो तगोडरा, परन्तपु नराम करा पतराप हश्री समंसरार कप्रे सब भयर करा नराश करनप्रे
वरालरा हहै॥2-3॥
* दमंडक बन पभपु ककीन्ह सपुहरावन। जन मन अहमत नराम हकए परावन॥
हनहसचर हनकर दलप्रे रघपुनमंदन। नरामपु सकल कहल कलपुष हनकमंदन॥4॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे (भयरानक) दण्डक वन कगो सपुहरावनरा बनरायरा, परन्तपु नराम नप्रे असमंख्य
मनपुष्यर कप्रे मनर कगो पहवत्र कर हदयरा। शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे रराक्षसर कप्रे समपूह कगो मराररा, परन्तपु नराम तगो
कहलयगपु कप्रे सरारप्रे परापर ककी जड उखराडनप्रे वरालरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सबरश्री गश्रीध सपुसवप्रे कहन सपुगहत दश्रीहन्ह रघपुनरार।
नराम उधरारप्रे अहमत खल बप्रेद हबहदत गपुन गरार॥24॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे तगो शबरश्री, जटरायपु आहद उरम सप्रेवकर कगो हश्री मपुहक्त दश्री, परन्तपु नराम नप्रे
अगहनत दष्टिपु र करा उदरार हकयरा। नराम कप्रे गपुरर ककी कररा वप्रेदर ममें पहसद हहै॥24॥
चरौपराई :
* रराम सपुकमंठ हबभश्रीषन दगोऊ। रराखप्रे सरन जरान सबपु कगोऊ ॥
नराम गरश्रीब अनप्रेक नप्रेवराजप्रे। लगोक बप्रेद बर हबररद हबरराजप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे सपुगश्रीव और हवभश्रीषर दगोनर कगो हश्री अपनश्री शरर ममें रखरा, यह सब कगोई
जरानतप्रे हमैं, परन्तपु नराम नप्रे अनप्रेक गरश्रीबर पर कमृ परा ककी हहै। नराम करा यह सपुदमं र हवरद लगोक और वप्रेद ममें
हवशप्रेष रूप सप्रे पकराहशत हहै॥1॥
* रराम भरालपु कहप कटपु क बटगोररा। सप्रेतपु हप्रेतपु शमपु ककीन्ह न रगोररा॥
नरामपु लप्रेत भवहसन्धपु सपुखराहहीं। करहह हबचरार सपुजन मन मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे तगो भरालपू और बमंदरर ककी सप्रेनरा बटगोरश्री और समपुद पर पपुल बराहूँधनप्रे कप्रे हलए
रगोडरा पररशम नहहीं हकयरा, परन्तपु नराम लप्रेतप्रे हश्री समंसरार समपुद सपूख जरातरा हहै। सजनगर! मन ममें
हवचरार ककीहजए (हक दगोनर ममें करौन बडरा हहै)॥2॥
* रराम सकपु ल रन ररावनपु मराररा। सश्रीय सहहत हनज पपुर पगपु धराररा॥
रराजरा ररामपु अवध रजधरानश्री। गरावत गपुन सपुर मपुहन बर बरानश्री॥3॥
सप्रेवक सपुहमरत नरामपु सपश्रीतश्री। हबनपु शम पबल मगोह दलपु जश्रीतश्री॥
हफिरत सनप्रेहहूँ मगन सपुख अपनमें। नराम पसराद सगोच नहहमं सपनमें॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कपु टपु म्ब सहहत ररावर कगो यद पु ममें मराररा, तब सश्रीतरा सहहत उन्हरनप्रे अपनप्रे
नगर (अयगोध्यरा) ममें पवप्रेश हकयरा। रराम रराजरा हहए, अवध उनककी रराजधरानश्री हह ई, दप्रेवतरा और मपुहन
सपुमंदर वरारश्री सप्रे हजनकप्रे गपुर गरातप्रे हमैं, परन्तपु सप्रेवक (भक्त) पप्रेमपपूवर्णक नराम कप्रे स्मरर मरात्र सप्रे हबनरा
पररशम मगोह ककी पबल सप्रेनरा कगो जश्रीतकर पप्रेम ममें मग्नि हहए अपनप्रे हश्री सपुख ममें हवचरतप्रे हमैं, नराम कप्रे
पसराद सप्रे उन्हमें सपनप्रे ममें भश्री कगोई हचन्तरा नहहीं सतरातश्री॥ 3-4॥
दगोहरा :
* ब्रह रराम तमें नरामपु बड बर दरायक बर दराहन।
ररामचररत सत कगोहट महहूँ हलय महप्रेस हजयहूँ जराहन॥25॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार नराम (हनगपुर्णर) ब्रह और (सगपुर) रराम दगोनर सप्रे बडरा हहै। यह वरदरान दप्रेनप्रे
वरालर कगो भश्री वर दप्रेनप्रे वरालरा हहै। शश्री हशवजश्री नप्रे अपनप्रे हृदय ममें यह जरानकर हश्री सरौ करगोड रराम चररत्र
ममें सप्रे इस 'रराम' नराम कगो (सराररूप सप्रे चपुनकर) गहर हकयरा हहै॥25॥
मरासपराररायर, पहलरा हवशराम
चरौपराई :
* नराम पसराद समंभपु अहबनरासश्री। सराजपु अममंगल ममंगल ररासश्री॥
सपुक सनकराहद हसद मपुहन जगोगश्री। नराम पसराद ब्रहसपुख भगोगश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-नराम हश्री कप्रे पसराद सप्रे हशवजश्री अहवनराशश्री हमैं और अममंगल वप्रेष वरालप्रे हगोनप्रे पर भश्री ममंगल ककी
रराहश हमैं। शपुकदप्रेवजश्री और सनकराहद हसद, मपुहन, यगोगश्री गर नराम कप्रे हश्री पसराद सप्रे ब्रहरानन्द कगो
भगोगतप्रे हमैं॥1॥
*नरारद जरानप्रेउ नराम पतरापपू। जग हपय हरर हरर हर हपय आपपू॥
नरामपु जपत पभपु ककीन्ह पसराद।पू भगत हसरगोमहन भप्रे पहलराद॥पू 2॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री नप्रे नराम कप्रे पतराप कगो जरानरा हहै। हरर सरारप्रे समंसरार कगो प्यरारप्रे हमैं , (हरर कगो हर प्यरारप्रे
हमैं) और आप (शश्री नरारदजश्री) हरर और हर दगोनर कगो हपय हमैं। नराम कप्रे जपनप्रे सप्रे पभपु नप्रे कमृ परा ककी,
हजससप्रे पहराद, भक्त हशरगोमहर हगो गए॥2॥
* धपुवहूँ सगलराहन जपप्रेउ हरर नराऊहूँ। परायउ अचल अनपूपम ठराऊहूँ॥
सपुहमरर पवनसपुत परावन नरामपू। अपनप्रे बस करर रराखप्रे ररामपू॥3॥
भरावरारर्ण:-धपुवजश्री नप्रे ग्लराहन सप्रे (हवमरातरा कप्रे वचनर सप्रे दद्धाःपु खश्री हगोकर सकराम भराव सप्रे) हरर नराम कगो
जपरा और उसकप्रे पतराप सप्रे अचल अनपुपम स्ररान (धपुवलगोक) पराप्त हकयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे पहवत्र नराम
करा स्मरर करकप्रे शश्री ररामजश्री कगो अपनप्रे वश ममें कर रखरा हहै॥3॥
* अपतपु अजराहमलपु गजपु गहनकराऊ। भए मपुकपुत हरर नराम पभराऊ॥
कहजौं कहराहूँ लहग नराम बडराई। ररामपु न सकहहमं नराम गपुन गराई॥4॥
भरावरारर्ण:-नश्रीच अजराहमल, गज और गहरकरा (वप्रेश्यरा) भश्री शश्री हरर कप्रे नराम कप्रे पभराव सप्रे मपुक्त हगो
गए। ममैं नराम ककी बडराई कहराहूँ तक कहह हूँ, रराम भश्री नराम कप्रे गपुरर कगो नहहीं गरा सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* नरामपु रराम कगो कलपतर कहल कल्यरान हनवरासपु।
जगो सपुहमरत भयगो भराहूँग तमें तपुलसश्री तपुलसश्रीदरासपु॥26॥
भरावरारर्ण:-कहलयगपु ममें रराम करा नराम कल्पतर (मन चराहरा पदरारर्ण दप्रेनप्रे वरालरा) और कल्यरार करा
हनवरास (मपुहक्त करा घर) हहै, हजसकगो स्मरर करनप्रे सप्रे भराहूँग सरा (हनकमृ ष्टि) तपुलसश्रीदरास तपुलसश्री कप्रे
समरान (पहवत्र) हगो गयरा॥26॥
चरौपराई :
* चहह हूँ जपुग तश्रीहन कराल हतहह हूँ लगोकरा। भए नराम जहप जश्रीव हबसगोकरा॥
बप्रेद पपुररान समंत मत एहह । सकल सपुकमृत फिल रराम सनप्रेहह॥1॥
भरावरारर्ण:-(कप्रे वल कहलयगपु ककी हश्री बरात नहहीं हहै,) चरारर यगपु र ममें, तश्रीनर कराल ममें और तश्रीनर लगोकर ममें
नराम कगो जपकर जश्रीव शगोकरहहत हह ए हमैं। वप्रेद, पपुररार और समंतर करा मत यहश्री हहै हक समस्त पपुण्यर
करा फिल शश्री ररामजश्री ममें (यरा रराम नराम ममें) पप्रेम हगोनरा हहै॥1॥
* ध्यरानपु परम जपुग मख हबहध दज पू में। दरापर पररतगोषत पभपु पपूजमें॥
कहल कप्रे वल मल मपूल मलश्रीनरा। पराप पयगोहनहध जन मन मश्रीनरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे (सत्य) यगपु ममें ध्यरान सप्रे, दस पू रप्रे (त्रप्रेतरा) यगपु ममें यज सप्रे और दरापर ममें पपूजन सप्रे
भगवरान पसन्न हगोतप्रे हमैं, परन्तपु कहलयगपु कप्रे वल पराप ककी जड और महलन हहै, इसममें मनपुष्यर करा मन
पराप रूपश्री समपुद ममें मछलश्री बनरा हहआ हहै (अररार्णत पराप सप्रे कभश्री अलग हगोनरा हश्री नहहीं चराहतरा, इससप्रे
ध्यरान, यज और पपूजन नहहीं बन सकतप्रे)॥2॥
* नराम करामतर कराल कररालरा। सपुहमरत समन सकल जग जरालरा॥
रराम नराम कहल अहभमत दरातरा। हहत परलगोक लगोक हपतपु मरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे करराल (कहलयगपु कप्रे ) कराल ममें तगो नराम हश्री कल्पवमृक्ष हहै, जगो स्मरर करतप्रे हश्री समंसरार
कप्रे सब जमंजरालर कगो नराश कर दप्रेनप्रे वरालरा हहै। कहलयगपु ममें यह रराम नराम मनगोवरामंहछत फिल दप्रेनप्रे वरालरा
हहै, परलगोक करा परम हहतहैषश्री और इस लगोक करा मरातरा-हपतरा हहै (अररार्णत परलगोक ममें भगवरान करा
परमधराम दप्रेतरा हहै और इस लगोक ममें मरातरा-हपतरा कप्रे समरान सब पकरार सप्रे परालन और रक्षर करतरा
हहै।)॥3॥
* नहहमं कहल करम न भगहत हबबप्रेकपू। रराम नराम अवलमंबन एकपू ॥
करालनप्रेहम कहल कपट हनधरानपू। नराम सपुमहत समरर हनपुमरानपू॥4॥
भरावरारर्ण:-कहलयगपु ममें न कमर्ण हहै, न भहक्त हहै और न जरान हश्री हहै, रराम नराम हश्री एक आधरार हहै। कपट
ककी खरान कहलयगपु रूपश्री करालनप्रेहम कप्रे (मरारनप्रे कप्रे ) हलए रराम नराम हश्री बपुहदमरान और समरर्ण शश्री
हनपुमरानमजश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* रराम नराम नरकप्रे सरश्री कनककहसपपु कहलकराल।
जरापक जन पहलराद हजहम पराहलहह दहल सपुरसराल॥27॥
भरावरारर्ण:-रराम नराम शश्री नमृहसमंह भगवरान हहै, कहलयगपु हहरण्यकहशपपु हहै और जप करनप्रे वरालप्रे जन
पहराद कप्रे समरान हमैं, यह रराम नराम दप्रेवतराओमं कप्रे शत्रपु (कहलयगपु रूपश्री दहैत्य) कगो मरारकर जप करनप्रे
वरालर ककी रक्षरा करप्रेगरा॥27॥
चरौपराई :
* भरायहूँ कपु भरायहूँ अनख आलस हह।हूँ नराम जपत ममंगल हदहस दसहह हूँ॥
सपुहमरर सगो नराम रराम गपुन गराररा। करउहूँ नराइ रघपुनरारहह मराररा॥ 1॥॥
भरावरारर्ण:-अच्छप्रे भराव (पप्रेम) सप्रे, बपुरप्रे भराव (बहैर) सप्रे, कगोध सप्रे यरा आलस्य सप्रे, हकसश्री तरह सप्रे भश्री
नराम जपनप्रे सप्रे दसर हदशराओमं ममें कल्यरार हगोतरा हहै। उसश्री (परम कल्यरारकरारश्री) रराम नराम करा स्मरर
करकप्रे और शश्री रघपुनरारजश्री कगो मस्तक नवराकर ममैं ररामजश्री कप्रे गपुरर करा वरर्णन करतरा हह॥हूँ 1॥
शश्री ररामगपुर और शश्री ररामचररतम ककी महहमरा
* मगोरर सपुधराररहह सगो सब भराहूँतश्री। जरासपु कमृ परा नहहमं कमृ पराहूँ अघरातश्री॥
रराम सपुस्वराहम कपु सप्रेवकपु मगोसगो। हनज हदहस दप्रेहख दयराहनहध पगोसगो॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे (शश्री ररामजश्री) मप्रेरश्री (हबगडश्री) सब तरह सप्रे सपुधरार लमेंगप्रे, हजनककी कमृ परा कमृ परा करनप्रे सप्रे
नहहीं अघरातश्री। रराम सप्रे उरम स्वरामश्री और मपुझ सरश्रीखरा बपुररा सप्रेवक! इतनप्रे पर भश्री उन दयराहनहध नप्रे
अपनश्री ओर दप्रेखकर मप्रेररा परालन हकयरा हहै॥2॥
* लगोकहह हूँ बप्रेद सपुसराहहब रश्रीतश्री। हबनय सपुनत पहहचरानत पश्रीतश्री॥
गनश्री गरश्रीब गराम नर नरागर। पमंहडत मपूढ मलश्रीन उजरागर॥3॥
भरावरारर्ण:-लगोक और वप्रेद ममें भश्री अच्छप्रे स्वरामश्री ककी यहश्री रश्रीहत पहसद हहै हक वह हवनय सपुनतप्रे हश्री पप्रेम
कगो पहचरान लप्रेतरा हहै। अमश्रीर-गरश्रीब, गहूँवरार-नगर हनवरासश्री, पहण्डत-मपूखर्ण, बदनराम-यशस्वश्री॥3॥
* सपुकहब कपु कहब हनज महत अनपुहरारश्री। नमृपहह सरराहत सब नर नरारश्री॥
सराधपु सपुजरान सपुसश्रील नमृपरालरा। ईस अमंस भव परम कमृ परालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुकहव-कपु कहव, सभश्री नर-नरारश्री अपनश्री-अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार रराजरा ककी सरराहनरा करतप्रे
हमैं और सराधपु, बपुहदमरान, सपुशश्रील, ईश्वर कप्रे अमंश सप्रे उत्पन्न कमृ परालपु रराजरा-॥4॥
* सपुहन सनमरानहहमं सबहह सपुबरानश्री। भहनहत भगहत नहत गहत पहहचरानश्री॥
यह पराकमृत महहपराल सपुभराऊ। जरान हसरगोमहन कगोसलरराऊ॥5॥
भरावरारर्ण:-सबककी सपुनकर और उनककी वरारश्री, भहक्त, हवनय और चराल कगो पहचरानकर सपुदमं र
(मश्रीठश्री) वरारश्री सप्रे सबकरा यररायगोग्य सम्मरान करतप्रे हमैं। यह स्वभराव तगो समंसरारश्री रराजराओमं करा हहै ,
कगोसलनरार शश्री ररामचन्दजश्री तगो चतपुरहशरगोमहर हमैं॥5॥
* रश्रीझत रराम सनप्रेह हनसगोतमें। कगो जग ममंद महलनमहत मगोतमें॥ 6॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री तगो हवशपुद पप्रेम सप्रे हश्री रश्रीझतप्रे हमैं, पर जगत ममें मपुझसप्रे बढकर मपूखर्ण और महलन
बपुहद और करौन हगोगरा?॥6॥
दगोहरा :
* सठ सप्रेवक ककी पश्रीहत रहच रहखहहहमं रराम कमृ परालपु।
उपल हकए जलजरान जप्रेहहमं सहचव सपुमहत कहप भरालपु॥28 क॥
भरावरारर्ण:-तरराहप कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री मपुझ दष्टिपु सप्रेवक ककी पश्रीहत और रहच कगो अवश्य रखमेंगप्रे,
हजन्हरनप्रे पत्ररर कगो जहराज और बमंदर-भरालपुओमं कगो बपुहदमरान ममंत्रश्री बनरा हलयरा॥28 (क)॥
* हजौंहह कहरावत सबपु कहत रराम सहत उपहरास।
सराहहब सश्रीतरानरार सगो सप्रेवक तपुलसश्रीदरास॥28 ख॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग मपुझप्रे शश्री ररामजश्री करा सप्रेवक कहतप्रे हमैं और ममैं भश्री (हबनरा लजरा-समंकगोच कप्रे )
कहलरातरा हह हूँ (कहनप्रे वरालर करा हवरगोध नहहीं करतरा), कमृ परालपु शश्री ररामजश्री इस हनन्दरा कगो सहतप्रे हमैं हक
शश्री सश्रीतरानरारजश्री, जहैसप्रे स्वरामश्री करा तपुलसश्रीदरास सरा सप्रेवक हहै॥28 (ख)॥
चरौपराई :
* अहत बहड मगोरर हढठराई खगोरश्री। सपुहन अघ नरकहह हूँ नराक सकगोरश्री॥
समपुहझ सहम मगोहह अपडर अपनमें। सगो सपुहध रराम ककीहन्ह नहहमं सपनमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह मप्रेरश्री बहह त बडश्री हढठराई और दगोष हहै, मप्रेरप्रे पराप कगो सपुनकर नरक नप्रे भश्री नराक हसकगोड
लश्री हहै (अररार्णत नरक ममें भश्री मप्रेरप्रे हलए ठरौर नहहीं हहै)। यह समझकर मपुझप्रे अपनप्रे हश्री कहल्पत डर सप्रे डर
हगो रहरा हहै, हकन्तपु भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे तगो स्वप्न ममें भश्री इस पर (मप्रेरश्री इस हढठराई और दगोष
पर) ध्यरान नहहीं हदयरा॥1॥
* सपुहन अवलगोहक सपुहचत चख चराहश्री। भगहत मगोरर महत स्वराहम सरराहश्री॥
कहत नसराइ हगोइ हहयहूँ नश्रीककी। रश्रीझत रराम जराहन जन जश्री ककी॥2॥
भरावरारर्ण:-वरन मप्रेरप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे तगो इस बरात कगो सपुनकर, दप्रेखकर और अपनप्रे सपुहचर
रूपश्री चक्षपु सप्रे हनरश्रीक्षर कर मप्रेरश्री भहक्त और बपुहद ककी (उलटप्रे) सरराहनरा ककी, क्यरहक कहनप्रे ममें चराहप्रे
हबगड जराए (अररार्णतम ममैं चराहप्रे अपनप्रे कगो भगवरान करा सप्रेवक कहतरा-कहलरातरा रहह हूँ), परन्तपु हृदय ममें
अच्छरापन हगोनरा चराहहए। (हृदय ममें तगो अपनप्रे कगो उनकरा सप्रेवक बननप्रे यगोग्य नहहीं मरानकर परापश्री और
दश्रीन हश्री मरानतरा हह हूँ, यह अच्छरापन हहै।) शश्री ररामचन्दजश्री भश्री दरास कप्रे हृदय ककी (अच्छश्री) हस्रहत
जरानकर रश्रीझ जरातप्रे हमैं॥2॥
* रहहत न पभपु हचत चपूक हकए ककी। करत सपुरहत सय बरार हहए ककी॥
जप्रेहहमं अघ बधप्रेउ ब्यराध हजहम बरालश्री। हफिरर सपुकमंठ सगोइ ककीहन्ह कपु चरालश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे हचर ममें अपनप्रे भक्तर ककी हह ई भपूल-चपूक यराद नहहीं रहतश्री (वप्रे उसप्रे भपूल जरातप्रे हमैं)
और उनकप्रे हृदय (ककी अच्छराई-नप्रेककी) कगो सरौ-सरौ बरार यराद करतप्रे रहतप्रे हमैं। हजस पराप कप्रे करारर
उन्हरनप्रे बराहल कगो व्यराध ककी तरह मराररा ररा, वहैसश्री हश्री कपु चराल हफिर सपुगश्रीव नप्रे चलश्री॥3॥
* सगोइ करतपूहत हबभश्रीषन कप्रे रश्री। सपनप्रेहहहूँ सगो न रराम हहयहूँ हप्रेरश्री॥
तप्रे भरतहह भमेंटत सनमरानप्रे। रराजसभराहूँ रघपुबश्रीर बखरानप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-वहश्री करनश्री हवभश्रीषर ककी रश्री, परन्तपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे स्वप्न ममें भश्री उसकरा मन ममें हवचरार
नहहीं हकयरा। उलटप्रे भरतजश्री सप्रे हमलनप्रे कप्रे समय शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उनकरा सम्मरान हकयरा और
रराजसभरा ममें भश्री उनकप्रे गपुरर करा बखरान हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* पभपु तर तर कहप डरार पर तप्रे हकए आपपु समरान।
तपुलसश्री कहह हूँ न रराम सप्रे सराहहब सश्रील हनधरान॥29 क॥
भरावरारर्ण:-पभपु (शश्री ररामचन्दजश्री) तगो वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे और बमंदर डरालश्री पर (अररार्णत कहराहूँ मयरार्णदरा
पपुरषगोरम सहचदरानन्दघन परमरात्मरा शश्री ररामजश्री और कहराहूँ पप्रेडर ककी शराखराओमं पर कपू दनप्रे वरालप्रे
बमंदर), परन्तपु ऐसप्रे बमंदरर कगो भश्री उन्हरनप्रे अपनप्रे समरान बनरा हलयरा। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक शश्री
ररामचन्दजश्री सरश्रीखप्रे शश्रीलहनधरान स्वरामश्री कहहीं भश्री नहहीं हमैं॥29 (क)॥
* रराम हनकराई मं ररावरश्री हहै सबहश्री कगो नश्रीक।
जजौं यह सराचहूँ श्री हहै सदरा तरौ नश्रीकगो तपुलसश्रीक॥29 ख॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शश्री ररामजश्री! आपककी अच्छराई सप्रे सभश्री करा भलरा हहै (अररार्णत आपकरा कल्यरारमय
स्वभराव सभश्री करा कल्यरार करनप्रे वरालरा हहै) यहद यह बरात सच हहै तगो तपुलसश्रीदरास करा भश्री सदरा
कल्यरार हश्री हगोगरा॥29 (ख)॥
* एहह हबहध हनज गपुन दगोष कहह सबहह बहह रर हसर नराइ।
बरनउहूँ रघपुबर हबसद जसपु सपुहन कहल कलपुष नसराइ॥29 ग॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार अपनप्रे गपुर-दगोषर कगो कहकर और सबकगो हफिर हसर नवराकर ममैं शश्री रघपुनरारजश्री
करा हनमर्णल यश वरर्णन करतरा हह,हूँ हजसकप्रे सपुननप्रे सप्रे कहलयगपु कप्रे पराप नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥29 (ग)॥
चरौपराई :
* जरागबहलक जगो कररा सपुहराई। भरदराज मपुहनबरहह सपुनराई॥
कहहहउहूँ सगोइ समंबराद बखरानश्री। सपुनहह हूँ सकल सजन सपुखपु मरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन यराजवल्क्यजश्री नप्रे जगो सपुहरावनश्री कररा मपुहनशप्रेष भरदराजजश्री कगो सपुनराई रश्री , उसश्री
समंवराद कगो ममैं बखरानकर कहह हूँगरा, सब सजन सपुख करा अनपुभव करतप्रे हह ए उसप्रे सपुनमें॥1॥
* समंभपु ककीन्ह यह चररत सपुहरावरा। बहह रर कमृ परा करर उमहह सपुनरावरा॥
सगोइ हसव करागभपुसपुमंहडहह दश्रीन्हरा। रराम भगत अहधकरारश्री चश्रीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे पहलप्रे इस सपुहरावनप्रे चररत्र कगो रचरा, हफिर कमृ परा करकप्रे परावर्णतश्रीजश्री कगो सपुनरायरा।
वहश्री चररत्र हशवजश्री नप्रे कराकभपुशपुहण्डजश्री कगो ररामभक्त और अहधकरारश्री पहचरानकर हदयरा॥ 2॥
* तप्रेहह सन जरागबहलक पपुहन परावरा। हतन्ह पपुहन भरदराज पहत गरावरा॥
तप्रे शगोतरा बकतरा समसश्रीलरा। सवहूँदरसश्री जरानहहमं हररलश्रीलरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उन कराकभपुशपुहण्डजश्री सप्रे हफिर यराजवल्क्यजश्री नप्रे परायरा और उन्हरनप्रे हफिर उसप्रे भरदराजजश्री
कगो गराकर सपुनरायरा। वप्रे दगोनर वक्तरा और शगोतरा (यराजवल्क्य और भरदराज) समरान शश्रील वरालप्रे और
समदशर हमैं और शश्री हरर ककी लश्रीलरा कगो जरानतप्रे हमैं॥3॥
* जरानहहमं तश्रीहन कराल हनज ग्यरानरा। करतल गत आमलक समरानरा॥
औरउ जप्रे हररभगत सपुजरानरा। कहहहमं सपुनहहमं समपुझहहमं हबहध नरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे अपनप्रे जरान सप्रे तश्रीनर करालर ककी बरातर कगो हरप्रेलश्री पर रखप्रे हहए आहूँवलप्रे कप्रे समरान
(पत्यक्ष) जरानतप्रे हमैं। और भश्री जगो सपुजरान (भगवरान ककी लश्रीलराओमं करा रहस्य जराननप्रे वरालप्रे) हरर भक्त
हमैं, वप्रे इस चररत्र कगो नरानरा पकरार सप्रे कहतप्रे, सपुनतप्रे और समझतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* ममैं पपुहन हनज गपुर सन सपुनश्री कररा सगो सपूकरखप्रेत।
समपुझश्री नहहमं तहस बरालपन तब अहत रहप्रेउहूँ अचप्रेत॥30 क॥
भरावरारर्ण:-हफिर वहश्री कररा ममैंनप्रे वरारराह क्षप्रेत्र ममें अपनप्रे गपुरजश्री सप्रे सपुनश्री , परन्तपु उस समय ममैं लडकपन
कप्रे करारर बहह त बप्रेसमझ ररा, इससप्रे उसकगो उस पकरार (अच्छश्री तरह) समझरा नहहीं॥30 (क)॥
* शगोतरा बकतरा ग्यरानहनहध कररा रराम कहै गपूढ।
हकहम समपुझजौं ममैं जश्रीव जड कहल मल गहसत हबमपूढ॥30 ख॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी गपूढ कररा कप्रे वक्तरा (कहनप्रे वरालप्रे) और शगोतरा (सपुननप्रे वरालप्रे) दगोनर जरान कप्रे
खजरानप्रे (पपूरप्रे जरानश्री) हगोतप्रे हमैं। ममैं कहलयगपु कप्रे परापर सप्रे गसरा हहआ महरामपूढ जड जश्रीव भलरा उसकगो
कहै सप्रे समझ सकतरा ररा?॥30 ख॥
चरौपराई :
* तदहप कहश्री गपुर बरारहहमं बराररा। समपुहझ परश्री कछपु महत अनपुसराररा॥
भराषराबद करहब ममैं सगोई। मगोरमें मन पबगोध जप्रेहहमं हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-तगो भश्री गपुरजश्री नप्रे जब बरार-बरार कररा कहश्री, तब बपुहद कप्रे अनपुसरार कपु छ समझ ममें आई।
वहश्री अब मप्रेरप्रे दराररा भराषरा ममें रचश्री जराएगश्री, हजससप्रे मप्रेरप्रे मन कगो समंतगोष हगो॥1॥
* जस कछपु बपुहध हबबप्रेक बल मप्रेरमें। तस कहहहउहूँ हहयहूँ हरर कप्रे पप्रेरमें॥
हनज समंदप्रेह मगोह रम हरनश्री। करउहूँ कररा भव सररतरा तरनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जहैसरा कपु छ मपुझममें बपुहद और हववप्रेक करा बल हहै, ममैं हृदय ममें हरर ककी पप्रेरररा सप्रे उसश्री कप्रे
अनपुसरार कहह हूँगरा। ममैं अपनप्रे समंदहप्रे , अजरान और रम कगो हरनप्रे वरालश्री कररा रचतरा हह हूँ, जगो समंसरार रूपश्री
नदश्री कप्रे परार करनप्रे कप्रे हलए नराव हहै॥2॥
* बपुध हबशराम सकल जन रमंजहन। ररामकररा कहल कलपुष हबभमंजहन॥
ररामकररा कहल पमंनग भरनश्री। पपुहन हबबप्रेक परावक कहह हूँ अरनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-ररामकररा पहण्डतर कगो हवशराम दप्रेनप्रे वरालश्री, सब मनपुष्यर कगो पसन्न करनप्रे वरालश्री और
कहलयगपु कप्रे परापर करा नराश करनप्रे वरालश्री हहै। ररामकररा कहलय गपु रूपश्री सरापहूँ कप्रे हलए मगोरनश्री हहै और
हववप्रेक रूपश्री अहग्नि कप्रे पकट करनप्रे कप्रे हलए अरहर (ममंरन ककी जरानप्रे वरालश्री लकडश्री) हहै, (अररार्णत इस
कररा सप्रे जरान ककी पराहप्त हगोतश्री हहै)॥3॥
* ररामकररा कहल करामद गराई। सपुजन सजश्रीवहन मपूरर सपुहराई॥
सगोइ बसपुधरातल सपुधरा तरमंहगहन। भय भमंजहन रम भप्रेक भपुअमंहगहन॥4॥
भरावरारर्ण:-ररामकररा कहलयगपु ममें सब मनगोररर कगो पपूरर्ण करनप्रे वरालश्री करामधप्रेनपु गरौ हहै और सजनर कप्रे
हलए सपुमंदर समंजश्रीवनश्री जडश्री हहै। पमृथ्वश्री पर यहश्री अममृत ककी नदश्री हहै, जन्म-मरर रूपश्री भय करा नराश
करनप्रे वरालश्री और रम रूपश्री ममेंढकर कगो खरानप्रे कप्रे हलए सहपर्णरश्री हहै॥4॥
* असपुर सप्रेन सम नरक हनकमंहदहन। सराधपु हबबपुध कपु ल हहत हगररनमंहदहन॥
समंत समराज पयगोहध रमरा सश्री। हबस्व भरार भर अचल छमरा सश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-यह ररामकररा असपुरर ककी सप्रेनरा कप्रे समरान नरकर करा नराश करनप्रे वरालश्री और सराधपु रूप
दप्रेवतराओमं कप्रे कपु ल करा हहत करनप्रे वरालश्री परावर्णतश्री (दगपु रार्ण) हहै। यह समंत-समराज रूपश्री क्षश्रीर समपुद कप्रे हलए
लक्ष्मश्रीजश्री कप्रे समरान हहै और सम्पपूरर्ण हवश्व करा भरार उठरानप्रे ममें अचल पमृथ्वश्री कप्रे समरान हहै॥5॥
* जम गन मपुहहूँ महस जग जमपुनरा सश्री। जश्रीवन मपुकपुहत हप्रेतपु जनपु करासश्री॥
ररामहह हपय परावहन तपुलसश्री सश्री। तपुलहसदरास हहत हहयहूँ हहलसश्री सश्री॥6॥
भरावरारर्ण:-यमदतपू र कप्रे मपुख पर कराहलख लगरानप्रे कप्रे हलए यह जगत ममें यमपुनराजश्री कप्रे समरान हहै और
जश्रीवर कगो मपुहक्त दप्रेनप्रे कप्रे हलए मरानगो कराशश्री हश्री हहै। यह शश्री ररामजश्री कगो पहवत्र तपुलसश्री कप्रे समरान हपय हहै
और तपुलसश्रीदरास कप्रे हलए हह लसश्री (तपुलसश्रीदरासजश्री ककी मरातरा) कप्रे समरान हृदय सप्रे हहत करनप्रे वरालश्री
हहै॥6॥
* हसवहपय मप्रेकल सहैल सपुतरा सश्री। सकल हसहद सपुख समंपहत ररासश्री॥
सदगपुन सपुरगन अमंब अहदहत सश्री। रघपुबर भगहत पप्रेम परहमहत सश्री॥ 7॥
भरावरारर्ण:-यह ररामकररा हशवजश्री कगो नमर्णदराजश्री कप्रे समरान प्यरारश्री हहै, यह सब हसहदयर ककी तररा सपुख-
सम्पहर ककी रराहश हहै। सदरपु रूपश्री दप्रेवतराओमं कप्रे उत्पन्न और परालन-पगोषर करनप्रे कप्रे हलए मरातरा
अहदहत कप्रे समरान हहै। शश्री रघपुनरारजश्री ककी भहक्त और पप्रेम ककी परम सश्रीमरा सश्री हहै॥ 7॥
दगोहरा :
* ररामकररा ममंदराहकनश्री हचत्रकपू ट हचत चरार।
तपुलसश्री सपुभग सनप्रेह बन हसय रघपुबश्रीर हबहरार॥31॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक ररामकररा ममंदराहकनश्री नदश्री हहै, सपुदमं र (हनमर्णल) हचर हचत्रकपू ट हहै
और सपुदमं र स्नप्रेह हश्री वन हहै, हजसममें शश्री सश्रीतराररामजश्री हवहरार करतप्रे हमैं॥31॥
चरौपराई :
* ररामचररत हचमंतरामहत चरारू। समंत सपुमहत हतय सपुभग हसमंगरारू॥
जग ममंगल गपुनगराम रराम कप्रे । दराहन मपुकपुहत धन धरम धराम कप्रे ॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा चररत्र सपुदमं र हचन्तरामहर हहै और समंतर ककी सपुबपुहद रूपश्री स्त्रश्री करा सपुदमं र
शमंगरार हहै। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुर-समपूह जगतम करा कल्यरार करनप्रे वरालप्रे और मपुहक्त, धन, धमर्ण और
परमधराम कप्रे दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं॥1॥
* सदगपुर ग्यरान हबरराग जगोग कप्रे । हबबपुध बहैद भव भश्रीम रगोग कप्रे ॥
जनहन जनक हसय रराम पप्रेम कप्रे । बश्रीज सकल ब्रत धरम नप्रेम कप्रे ॥2॥
भरावरारर्ण:-जरान, वहैरराग्य और यगोग कप्रे हलए सदरपु हमैं और समंसरार रूपश्री भयमंकर रगोग करा नराश करनप्रे कप्रे
हलए दप्रेवतराओमं कप्रे वहैद्य (अहश्वनश्रीकपुमरार) कप्रे समरान हमैं। यप्रे शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे पप्रेम कप्रे उत्पन्न करनप्रे
कप्रे हलए मरातरा-हपतरा हमैं और सम्पपूरर्ण व्रत, धमर्ण और हनयमर कप्रे बश्रीज हमैं॥2॥
* समन पराप समंतराप सगोक कप्रे । हपय परालक परलगोक लगोक कप्रे ॥
सहचव सपुभट भपूपहत हबचरार कप्रे । कपुमं भज लगोभ उदहध अपरार कप्रे ॥3॥
भरावरारर्ण:-पराप, समंतराप और शगोक करा नराश करनप्रे वरालप्रे तररा इस लगोक और परलगोक कप्रे हपय
परालन करनप्रे वरालप्रे हमैं। हवचरार (जरान) रूपश्री रराजरा कप्रे शपूरवश्रीर ममंत्रश्री और लगोभ रूपश्री अपरार समपुद कप्रे
सगोखनप्रे कप्रे हलए अगस्त्य मपुहन हमैं॥3॥
* कराम कगोह कहलमल कररगन कप्रे । कप्रे हरर सरावक जन मन बन कप्रे ॥
अहतहर पपूज्य हपयतम पपुररारर कप्रे । करामद घन दराररद दवरारर कप्रे ॥4॥
भरावरारर्ण:-भक्तर कप्रे मन रूपश्री वन ममें बसनप्रे वरालप्रे कराम, कगोध और कहलयगपु कप्रे पराप रूपश्री हराहरयर कगो
मरारनप्रे कप्रे हलए हसमंह कप्रे बचप्रे हमैं। हशवजश्री कप्रे पपूज्य और हपयतम अहतहर हमैं और दररदतरा रूपश्री
दरावरानल कप्रे बपुझरानप्रे कप्रे हलए करामनरा पपूरर्ण करनप्रे वरालप्रे मप्रेघ हमैं॥4॥
* ममंत्र महरामहन हबषय ब्यराल कप्रे । मप्रेटत कहठन कपु अमंक भराल कप्रे ॥
हरन मगोह तम हदनकर कर सप्रे। सप्रेवक सराहल पराल जलधर सप्रे॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हवषय रूपश्री सरापहूँ करा जहर उतरारनप्रे कप्रे हलए मन्त्र और महरामहर हमैं। यप्रे ललराट पर हलखप्रे
हह ए कहठनतरा सप्रे हमटनप्रे वरालप्रे बपुरप्रे लप्रेखर (ममंद परारब्ध) कगो हमटरा दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। अजरान रूपश्री अन्धकरार
कगो हरर करनप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण हकररर कप्रे समरान और सप्रेवक रूपश्री धरान कप्रे परालन करनप्रे ममें मप्रेघ कप्रे
समरान हमैं॥5॥
* अहभमत दराहन दप्रेवतर बर सप्रे। सप्रेवत सपुलभ सपुखद हरर हर सप्रे॥
सपुकहब सरद नभ मन उडगन सप्रे। ररामभगत जन जश्रीवन धन सप्रे॥ 6॥
भरावरारर्ण:-मनगोवरामंहछत वस्तपु दप्रेनप्रे ममें शप्रेष कल्पवमृक्ष कप्रे समरान हमैं और सप्रेवरा करनप्रे ममें हरर-हर कप्रे समरान
सपुलभ और सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। सपुकहव रूपश्री शरद म ऋतपु कप्रे मन रूपश्री आकराश कगो सपुशगोहभत करनप्रे कप्रे
हलए तराररागर कप्रे समरान और शश्री ररामजश्री कप्रे भक्तर कप्रे तगो जश्रीवन धन हश्री हमैं॥6॥
* सकल सपुकमृत फिल भपूरर भगोग सप्रे। जग हहत हनरपहध सराधपु लगोग सप्रे॥
सप्रेवक मन मरानस मरराल सप्रे। परावन गमंग तरमंग मराल सप्रे॥7॥
भरावरारर्ण:-सम्पपूरर्ण पपुण्यर कप्रे फिल महरान भगोगर कप्रे समरान हमैं। जगत करा छलरहहत (यररारर्ण) हहत
करनप्रे ममें सराधपु-समंतर कप्रे समरान हमैं। सप्रेवकर कप्रे मन रूपश्री मरानसरगोवर कप्रे हलए हमंस कप्रे समरान और
पहवत्र करनप्रे ममें गमंगराजश्री ककी तरमंगमरालराओमं कप्रे समरान हमैं॥7॥
दगोहरा :
* कपु पर कपु तरक कपु चराहल कहल कपट दमंभ पराषमंड।
दहन रराम गपुन गराम हजहम इमंधन अनल पचमंड॥32 क॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे गपुरर कप्रे समपूह कपु मरागर्ण, कपु तकर्ण, कपु चराल और कहलयगपु कप्रे कपट, दम्भ और
पराखण्ड कगो जलरानप्रे कप्रे हलए वहैसप्रे हश्री हमैं, जहैसप्रे ईधमं न कप्रे हलए पचण्ड अहग्नि॥32 (क)॥
* ररामचररत रराकप्रेस कर सररस सपुखद सब कराहह।
सजन कपु मपुद चकगोर हचत हहत हबसप्रेहष बड लराहह॥32 ख॥
भरावरारर्ण:-ररामचररत्र पपूहरर्णमरा कप्रे चन्दमरा ककी हकररर कप्रे समरान सभश्री कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, परन्तपु
सजन रूपश्री कपु मपुहदनश्री और चकगोर कप्रे हचर कप्रे हलए तगो हवशप्रेष हहतकरारश्री और महरान लराभदरायक हमैं॥
32 (ख)॥
चरौपराई :
* ककीहन्ह पस्न जप्रेहह भराहूँहत भवरानश्री। जप्रेहह हबहध समंकर कहरा बखरानश्री॥
सगो सब हप्रेतपु कहब ममैं गराई। कररा पबमंध हबहचत्र बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हजस पकरार शश्री परावर्णतश्रीजश्री नप्रे शश्री हशवजश्री सप्रे पश्न हकयरा और हजस पकरार सप्रे शश्री हशवजश्री
नप्रे हवस्तरार सप्रे उसकरा उरर कहरा, वह सब करारर ममैं हवहचत्र कररा ककी रचनरा करकप्रे गराकर कहह हूँगरा॥
1॥
* जप्रेहहमं यह कररा सपुनश्री नहहमं हगोई। जहन आचरजपु करहै सपुहन सगोई॥
कररा अलरौहकक सपुनहहमं जप्रे ग्यरानश्री। नहहमं आचरजपु करहहमं अस जरानश्री॥ 2॥
ररामकररा कहै हमहत जग नराहहीं। अहस पतश्रीहत हतन्ह कप्रे मन मराहहीं॥
नरानरा भराहूँहत रराम अवतराररा। ररामरायन सत कगोहट अपराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-हजसनप्रे यह कररा पहलप्रे न सपुनश्री हगो, वह इसप्रे सपुनकर आश्चयर्ण न करप्रे। जगो जरानश्री इस
हवहचत्र कररा कगो सपुनतप्रे हमैं, वप्रे यह जरानकर आश्चयर्ण नहहीं करतप्रे हक समंसरार ममें ररामकररा ककी कगोई
सश्रीमरा नहहीं हहै (ररामकररा अनमंत हहै)। उनकप्रे मन ममें ऐसरा हवश्वरास रहतरा हहै। नरानरा पकरार सप्रे शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे अवतरार हहए हमैं और सरौ करगोड तररा अपरार ररामरायर हमैं॥2-3॥
* कलपभप्रेद हररचररत सपुहराए। भराहूँहत अनप्रेक मपुनश्रीसन्ह गराए॥
कररअ न समंसय अस उर आनश्री। सपुहनअ कररा सरादर रहत मरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कल्पभप्रेद कप्रे अनपुसरार शश्री हरर कप्रे सपुदमं र चररत्रर कगो मपुनश्रीश्वरर नप्रे अनप्रेकर पकरार सप्रे गयरा हहै।
हृदय ममें ऐसरा हवचरार कर समंदप्रेह न ककीहजए और आदर सहहत पप्रेम सप्रे इस कररा कगो सपुहनए॥4॥
दगोहरा :
* रराम अनमंत अनमंत गपुन अहमत कररा हबस्तरार।
सपुहन आचरजपु न मराहनहहहमं हजन्ह कमें हबमल हबचरार॥33॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री अनन्त हमैं, उनकप्रे गपुर भश्री अनन्त हमैं और उनककी करराओमं करा हवस्तरार भश्री
असश्रीम हहै। अतएव हजनकप्रे हवचरार हनमर्णल हमैं, वप्रे इस कररा कगो सपुनकर आश्चयर्ण नहहीं मरानमेंगप्रे॥ 3॥
चरौपराई :
* एहह हबहध सब समंसय करर दरपू श्री। हसर धरर गपुर पद पमंकज धपूरश्री॥
पपुहन सबहश्री हबनवउहूँ कर जगोरश्री। करत कररा जप्रेहहमं लराग न खगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब समंदप्रेहर कगो दरपू करकप्रे और शश्री गपुरजश्री कप्रे चररकमलर ककी रज कगो हसर पर
धरारर करकप्रे ममैं पपुनद्धाः हरार जगोडकर सबककी हवनतश्री करतरा हह हूँ, हजससप्रे कररा ककी रचनरा ममें कगोई दगोष
स्पशर्ण न करनप्रे परावप्रे॥1॥

मरानस हनमरार्णर ककी हतहर


* सरादर हसवहह नराइ अब मराररा। बरनउहूँ हबसद रराम गपुन गराररा॥
समंबत सगोरह सहै एकतश्रीसरा। करउहूँ कररा हरर पद धरर सश्रीसरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं आदरपपूवर्णक शश्री हशवजश्री कगो हसर नवराकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर ककी हनमर्णल कररा
कहतरा हह हूँ। शश्री हरर कप्रे चररर पर हसर रखकर समंवतम 1631 ममें इस कररा करा आरमंभ करतरा हह॥हूँ
2॥
* नरौमश्री भरौम बरार मधपुमरासरा। अवधपपुरहीं यह चररत पकरासरा॥
जप्रेहह हदन रराम जनम शपुहत गरावहहमं। तश्रीरर सकल जहराहूँ चहल आवहहमं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-चहैत्र मरास ककी नवमश्री हतहर ममंगलवरार कगो शश्री अयगोध्यराजश्री ममें यह चररत्र पकराहशत हहआ।
हजस हदन शश्री ररामजश्री करा जन्म हगोतरा हहै, वप्रेद कहतप्रे हमैं हक उस हदन सरारप्रे तश्रीरर्ण वहराहूँ (शश्री
अयगोध्यराजश्री ममें) चलप्रे आतप्रे हमैं॥3॥
* असपुर नराग खग नर मपुहन दप्रेवरा। आइ करहहमं रघपुनरायक सप्रेवरा॥
जन्म महगोत्सव रचहहमं सपुजरानरा। करहहमं रराम कल ककीरहत गरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-असपुर-नराग, पक्षश्री, मनपुष्य, मपुहन और दप्रेवतरा सब अयगोध्यराजश्री ममें आकर शश्री रघपुनरारजश्री
ककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं। बपुहदमरान लगोग जन्म करा महगोत्सव मनरातप्रे हमैं और शश्री ररामजश्री ककी सपुदमं र ककीहतर्ण करा
गरान करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* मजहहमं सजन बमृदमं बहह परावन सरजपू नश्रीर।
जपहहमं रराम धरर ध्यरान उर सपुमंदर स्यराम सरश्रीर॥34॥
भरावरारर्ण:-सजनर कप्रे बहह त सप्रे समपूह उस हदन शश्री सरयपूजश्री कप्रे पहवत्र जल ममें स्नरान करतप्रे हमैं और
हृदय ममें सपुदमं र श्यराम शरश्रीर शश्री रघपुनरारजश्री करा ध्यरान करकप्रे उनकप्रे नराम करा जप करतप्रे हमैं॥34॥
चरौपराई :
* दरस परस मजन अर परानरा। हरइ पराप कह बप्रेद पपुररानरा॥
नदश्री पपुनश्रीत अहमत महहमरा अहत। कहह न सकइ सरारदरा हबमल महत॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद-पपुररार कहतप्रे हमैं हक शश्री सरयपूजश्री करा दशर्णन, स्पशर्ण, स्नरान और जलपरान परापर कगो
हरतरा हहै। यह नदश्री बडश्री हश्री पहवत्र हहै, इसककी महहमरा अनन्त हहै, हजसप्रे हवमल बपुहद वरालश्री
सरस्वतश्रीजश्री भश्री नहहीं कह सकतहीं॥1॥
* रराम धरामदरा पपुरश्री सपुहरावहन। लगोक समस्त हबहदत अहत परावहन॥
चरारर खराहन जग जश्रीव अपराररा। अवध तजमें तनपु नहहमं समंसराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-यह शगोभरायमरान अयगोध्यरापपुरश्री शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे परमधराम ककी दप्रेनप्रे वरालश्री हहै, सब लगोकर
ममें पहसद हहै और अत्यन्त पहवत्र हहै। जगत ममें (अण्डज, स्वप्रेदज, उहद्भज और जररायज पु ) चरार
खराहन (पकरार) कप्रे अनन्त जश्रीव हमैं, इनममें सप्रे जगो कगोई भश्री अयगोध्यराजश्री ममें शरश्रीर छगोडतप्रे हमैं, वप्रे हफिर
समंसरार ममें नहहीं आतप्रे (जन्म-ममृत्यपु कप्रे चक्कर सप्रे छपूटकर भगवरान कप्रे परमधराम ममें हनवरास करतप्रे हमैं)॥
2॥
* सब हबहध पपुरश्री मनगोहर जरानश्री। सकल हसहदपद ममंगल खरानश्री॥
हबमल कररा कर ककीन्ह अरमंभरा। सपुनत नसराहहमं कराम मद दमंभरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस अयगोध्यरापपुरश्री कगो सब पकरार सप्रे मनगोहर, सब हसहदयर ककी दप्रेनप्रे वरालश्री और कल्यरार
ककी खरान समझकर ममैंनप्रे इस हनमर्णल कररा करा आरमंभ हकयरा, हजसकप्रे सपुननप्रे सप्रे कराम, मद और
दम्भ नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* ररामचररतमरानस एहह नरामरा। सपुनत शवन पराइअ हबशरामरा॥
मन करर हबषय अनल बन जरई। हगोई सपुखश्री जजौं एहहमं सर परई॥4॥
भरावरारर्ण:-इसकरा नराम ररामचररत मरानस हहै, हजसकप्रे करानर सप्रे सपुनतप्रे हश्री शरामंहत हमलतश्री हहै। मन रूपश्री
हरारश्री हवषय रूपश्री दरावरानल ममें जल रहरा हहै, वह यहद इस ररामचररत मरानस रूपश्री सरगोवर ममें आ पडप्रे
तगो सपुखश्री हगो जराए॥4॥
* ररामचररतमरानस मपुहन भरावन। हबरचप्रेउ समंभपु सपुहरावन परावन॥
हत्रहबध दगोष दख पु दराररद दरावन। कहल कपु चराहल कपु हल कलपुष नसरावन॥5॥
भरावरारर्ण:-यह ररामचररत मरानस मपुहनयर करा हपय हहै, इस सपुहरावनप्रे और पहवत्र मरानस ककी हशवजश्री नप्रे
रचनरा ककी। यह तश्रीनर पकरार कप्रे दगोषर, दद्धाःपु खर और दररदतरा कगो तररा कहलयगपु ककी कपु चरालर और सब
परापर करा नराश करनप्रे वरालरा हहै॥5॥
* रहच महप्रेस हनज मरानस रराखरा। पराइ सपुसमउ हसवरा सन भराषरा॥
तरातमें ररामचररतमरानस बर। धरप्रेउ नराम हहयहूँ हप्रेरर हरहष हर॥6॥
भरावरारर्ण:-शश्री महरादप्रेवजश्री नप्रे इसकगो रचकर अपनप्रे मन ममें रखरा ररा और सपुअवसर पराकर परावर्णतश्रीजश्री सप्रे
कहरा। इसश्री सप्रे हशवजश्री नप्रे इसकगो अपनप्रे हृदय ममें दप्रेखकर और पसन्न हगोकर इसकरा सपुदमं र 'ररामचररत
मरानस' नराम रखरा॥6॥
* कहउहूँ कररा सगोइ सपुखद सपुहराई। सरादर सपुनहह सपुजन मन लराई॥7॥
भरावरारर्ण:-ममैं उसश्री सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री सपुहरावनश्री ररामकररा कगो कहतरा हह हूँ, हप्रे सजनर! आदरपपूवर्णक मन
लगराकर इसप्रे सपुहनए॥7॥
मरानस करा रूप और मराहरात्म्य
दगोहरा :
* जस मरानस जप्रेहह हबहध भयउ जग पचरार जप्रेहह हप्रेतपु।
अब सगोइ कहउहूँ पसमंग सब सपुहमरर उमरा बमृषकप्रे तपु॥35॥
भरावरारर्ण:-यह ररामचररत मरानस जहैसरा हहै, हजस पकरार बनरा हहै और हजस हप्रेतपु सप्रे जगत ममें इसकरा
पचरार हह आ, अब वहश्री सब कररा ममैं शश्री उमरा-महप्रेश्वर करा स्मरर करकप्रे कहतरा हह हूँ॥35॥
चरौपराई :
* समंभपु पसराद सपुमहत हहयहूँ हह लसश्री। ररामचररतमरानस कहब तपुलसश्री॥
करइ मनगोहर महत अनपुहरारश्री। सपुजन सपुहचत सपुहन लप्रेहह सपुधरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री हशवजश्री ककी कमृ परा सप्रे उसकप्रे हृदय ममें सपुमंदर बपुहद करा हवकरास हह आ, हजससप्रे यह
तपुलसश्रीदरास शश्री ररामचररत मरानस करा कहव हह आ। अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार तगो वह इसप्रे मनगोहर हश्री
बनरातरा हहै, हकन्तपु हफिर भश्री हप्रे सजनगो! सपुदमं र हचर सप्रे सपुनकर इसप्रे आप सपुधरार लश्रीहजए॥1॥
* सपुमहत भपूहम रल हृदय अगराधपू। बप्रेद पपुररान उदहध घन सराधपू॥
बरषहहमं रराम सपुजस बर बरारश्री। मधपुर मनगोहर ममंगलकरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर (सरात्त्वककी) बपुहद भपूहम हहै, हृदय हश्री उसममें गहररा स्ररान हहै, वप्रेद-पपुररार समपुद हमैं
और सराधपु-समंत मप्रेघ हमैं। वप्रे (सराधपु रूपश्री मप्रेघ) शश्री ररामजश्री कप्रे सपुयश रूपश्री सपुदमं र, मधपुर, मनगोहर और
ममंगलकरारश्री जल ककी वषरार्ण करतप्रे हमैं॥2॥
* लश्रीलरा सगपुन जगो कहहहमं बखरानश्री। सगोइ स्वच्छतरा करइ मल हरानश्री॥
पप्रेम भगहत जगो बरहन न जराई। सगोइ मधपुरतरा सपुसश्रीतलतराई॥3॥
भरावरारर्ण:-सगपुर लश्रीलरा करा जगो हवस्तरार सप्रे वरर्णन करतप्रे हमैं, वहश्री रराम सपुयश रूपश्री जल ककी हनमर्णलतरा
हहै, जगो मल करा नराश करतश्री हहै और हजस पप्रेमराभहक्त करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा, वहश्री इस
जल ककी मधपुरतरा और सपुदमं र शश्रीतलतरा हहै॥3॥
* सगो जल सपुकमृत सराहल हहत हगोई। रराम भगत जन जश्रीवन सगोई॥
मप्रेधरा महह गत सगो जल परावन। सहकहल शवन मग चलप्रेउ सपुहरावन॥4॥
भरप्रेउ सपुमरानस सपुरल हरररानरा। सपुखद सश्रीत रहच चरार हचररानरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-वह (रराम सपुयश रूपश्री) जल सत्कमर्ण रूपश्री धरान कप्रे हलए हहतकर हहै और शश्री ररामजश्री कप्रे
भक्तर करा तगो जश्रीवन हश्री हहै। वह पहवत्र जल बपुहद रूपश्री पमृथ्वश्री पर हगररा और हसमटकर सपुहरावनप्रे करान
रूपश्री मरागर्ण सप्रे चलरा और मरानस (हृदय) रूपश्री शप्रेष स्ररान ममें भरकर वहहीं हस्रर हगो गयरा। वहश्री पपुररानरा
हगोकर सपुदमं र, रहचकर, शश्रीतल और सपुखदराई हगो गयरा॥4-5॥
दगोहरा :
* सपुहठ सपुदमं र समंबराद बर हबरचप्रे बपुहद हबचरारर।
तप्रेइ एहह परावन सपुभग सर घराट मनगोहर चरारर॥36॥
भरावरारर्ण:-इस कररा ममें बपुहद सप्रे हवचरारकर जगो चरार अत्यन्त सपुदमं र और उरम समंवराद (भपुशपुहण्ड-
गरड, हशव-परावर्णतश्री, यराजवल्क्य-भरदराज और तपुलसश्रीदरास और समंत) रचप्रे हमैं, वहश्री इस पहवत्र
और सपुदमं र सरगोवर कप्रे चरार मनगोहर घराट हमैं॥36॥
चरौपराई :
* सप्त पबमंध सपुभग सगोपरानरा। ग्यरान नयन हनरखत मन मरानरा॥
रघपुपहत महहमरा अगपुन अबराधरा। बरनब सगोइ बर बरारर अगराधरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सरात कराण्ड हश्री इस मरानस सरगोवर ककी सपुदमं र सरात सश्रीहढयराहूँ हमैं , हजनकगो जरान रूपश्री नप्रेत्रर
सप्रे दप्रेखतप्रे हश्री मन पसन्न हगो जरातरा हहै। शश्री रघपुनरारजश्री ककी हनगपुर्णर (पराकमृहतक गपुरर सप्रे अतश्रीत) और
हनबरार्णध (एकरस) महहमरा करा जगो वरर्णन हकयरा जराएगरा, वहश्री इस सपुदमं र जल ककी अरराह गहरराई हहै॥
1॥
* रराम सश्रीय जस सहलल सपुधरासम। उपमरा बश्रीहच हबलरास मनगोरम॥
पपुरइहन सघन चरार चरौपराई। जपुगपुहत ममंजपु महन सश्रीप सपुहराई॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री और सश्रीतराजश्री करा यश अममृत कप्रे समरान जल हहै। इसममें जगो उपमराएहूँ दश्री गई
हमैं, वहश्री तरमंगर करा मनगोहर हवलरास हहै। सपुदमं र चरौपराइयराहूँ हश्री इसममें घनश्री फिहै लश्री हहई पपुरइन (कमहलनश्री)
हमैं और कहवतरा ककी यहपु क्तयराहूँ सपुमंदर महर (मगोतश्री) उत्पन्न करनप्रे वरालश्री सपुहरावनश्री सश्रीहपयराहूँ हमैं॥2॥
* छमंद सगोरठरा सपुदमं र दगोहरा। सगोइ बहह रमंग कमल कपु ल सगोहरा॥
अरर अनपूप सपुभराव सपुभरासरा। सगोइ परराग मकरमंद सपुबरासरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगो सपुमंदर छन्द, सगोरठप्रे और दगोहप्रे हमैं, वहश्री इसममें बहहरमंगप्रे कमलर कप्रे समपूह सपुशगोहभत हमैं।
अनपुपम अरर्ण, ऊहूँचप्रे भराव और सपुमंदर भराषरा हश्री परराग (पपुष्परज), मकरमंद (पपुष्परस) और सपुगमंध हमैं॥
3॥
* सपुकमृत पपुज मं ममंजपुल अहल मरालरा। ग्यरान हबरराग हबचरार मररालरा॥
धपुहन अवरप्रेब कहबत गपुन जरातश्री। मश्रीन मनगोहर तप्रे बहह भराहूँतश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-सत्कमर्मों (पपुण्यर) कप्रे पपुज
मं भजौंरर ककी सपुमंदर पमंहक्तयराहूँ हमैं, जरान, वहैरराग्य और हवचरार हमंस हमैं।
कहवतरा ककी ध्वहन वकगोहक्त, गपुर और जराहत हश्री अनप्रेकर पकरार ककी मनगोहर मछहलयराहूँ हमैं॥4॥
* अरर धरम करामराहदक चरारश्री। कहब ग्यरान हबग्यरान हबचरारश्री॥
नव रस जप तप जगोग हबररागरा। तप्रे सब जलचर चरार तडरागरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-अरर्ण, धमर्ण, कराम, मगोक्ष- यप्रे चरारर, जरान-हवजरान करा हवचरार कप्रे कहनरा, कराव्य कप्रे नरौ
रस, जप, तप, यगोग और वहैरराग्य कप्रे पसमंग- यप्रे सब इस सरगोवर कप्रे सपुदमं र जलचर जश्रीव हमैं॥5॥
* सपुकमृतश्री सराधपु नराम गपुन गरानरा। तप्रे हबहचत्र जलहबहग समरानरा॥
समंतसभरा चहह हूँ हदहस अवहूँरराई। शदरा ररतपु बसमंत सम गराई॥6॥
भरावरारर्ण:-सपुकमृतश्री (पपुण्यरात्मरा) जनर कप्रे , सराधओपु मं कप्रे और शश्री ररामनराम कप्रे गपुरर करा गरान हश्री हवहचत्र
जल पहक्षयर कप्रे समरान हहै। समंतर ककी सभरा हश्री इस सरगोवर कप्रे चरारर ओर ककी अमरराई (आम ककी
बगश्रीहचयराहूँ) हमैं और शदरा वसन्त ऋतपु कप्रे समरान कहश्री गई हहै॥6॥
* भगहत हनरूपन हबहबध हबधरानरा। छमरा दयरा दम लतरा हबतरानरा॥
सम जम हनयम फिपूल फिल ग्यरानरा। हरर पद रहत रस बप्रेद बखरानरा॥7॥
भरावरारर्ण:-नरानरा पकरार सप्रे भहक्त करा हनरूपर और क्षमरा, दयरा तररा दम (इहन्दय हनगह) लतराओमं
कप्रे मण्डप हमैं। मन करा हनगह, यम (अहहमंसरा, सत्य, अस्तप्रेय, ब्रहचयर्ण और अपररगह), हनयम
(शरौच, समंतगोष, तप, स्वराध्यराय और ईश्वर पहरधरान) हश्री उनकप्रे फिपूल हमैं, जरान फिल हहै और शश्री
हरर कप्रे चररर ममें पप्रेम हश्री इस जरान रूपश्री फिल करा रस हहै। ऐसरा वप्रेदर नप्रे कहरा हहै॥ 7॥
* औरउ कररा अनप्रेक पसमंगरा। तप्रेइ सपुक हपक बहह बरन हबहमंगरा॥8॥
भरावरारर्ण:-इस (ररामचररत मरानस) ममें और भश्री जगो अनप्रेक पसमंगर ककी करराएहूँ हमैं, वप्रे हश्री इसममें तगोतप्रे,
कगोयल आहद रमंग-हबरमंगप्रे पक्षश्री हमैं॥8॥
दगोहरा :
* पपुलक बराहटकरा बराग बन सपुख सपुहबहमंग हबहरार।
मरालश्री सपुमन सनप्रेह जल सहींचत लगोचन चरार॥37॥
भरावरारर्ण:-कररा ममें जगो रगोमरामंच हगोतरा हहै, वहश्री वराहटकरा, बराग और वन हहै और जगो सपुख हगोतरा हहै, वहश्री
सपुमंदर पहक्षयर करा हवहरार हहै। हनमर्णल मन हश्री मरालश्री हहै, जगो पप्रेमरूपश्री जल सप्रे सपुदमं र नप्रेत्रर दराररा उनकगो
सहींचतरा हहै॥37॥
चरौपराई :
* जप्रे गरावहहमं यह चररत सहूँभरारप्रे। तप्रेइ एहह तराल चतपुर रखवरारप्रे॥
सदरा सपुनहहमं सरादर नर नरारश्री। तप्रेइ सपुरबर मरानस अहधकरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग इस चररत्र कगो सरावधरानश्री सप्रे गरातप्रे हमैं, वप्रे हश्री इस तरालराब कप्रे चतपुर रखवरालप्रे हमैं और
जगो स्त्रश्री-पपुरष सदरा आदरपपूवर्णक इसप्रे सपुनतप्रे हमैं, वप्रे हश्री इस सपुमंदर मरानस कप्रे अहधकरारश्री उरम दप्रेवतरा
हमैं॥1॥
* अहत खल जप्रे हबषई बग करागरा। एहह सर हनकट न जराहहमं अभरागरा॥
समंबपुक भप्रेक सप्रेवरार समरानरा। इहराहूँ न हबषय कररा रस नरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो अहत दष्टिपु और हवषयश्री हमैं, वप्रे अभरागप्रे बगपुलप्रे और करौए हमैं, जगो इस सरगोवर कप्रे समश्रीप
नहहीं जरातप्रे, क्यरहक यहराहूँ (इस मरानस सरगोवर ममें) घरघप्रे, ममेंढक और सप्रेवरार कप्रे समरान हवषय रस
ककी नरानरा करराएहूँ नहहीं हमैं॥2॥
* तप्रेहह करारन आवत हहयहूँ हरारप्रे। करामश्री कराक बलराक हबचरारप्रे॥
आवत ऐहहमं सर अहत कहठनराई। रराम कमृ परा हबनपु आइ न जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-इसश्री करारर बप्रेचरारप्रे करौवप्रे और बगपुलप्रे रूपश्री हवषयश्री लगोग यहराहूँ आतप्रे हह ए हृदय ममें हरार मरान
जरातप्रे हमैं, क्यरहक इस सरगोवर तक आनप्रे ममें कहठनराइयराहूँ बहह त हमैं। शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा हबनरा यहराहूँ
नहहीं आयरा जरातरा॥3॥
* कहठन कपु समंग कपु पमंर कररालरा। हतन्ह कप्रे बचन बराघ हरर ब्यरालरा॥
गमृह करारज नरानरा जमंजरालरा। तप्रे अहत दगपु र्णम सहैल हबसरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-घगोर कपु समंग हश्री भयरानक बपुररा ररास्तरा हहै, उन कपु समंहगयर कप्रे वचन हश्री बराघ, हसमंह और सराहूँप
हमैं। घर कप्रे करामकराज और गमृहस्रश्री कप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे जमंजराल हश्री अत्यमंत दगपु र्णम बडप्रे-बडप्रे पहराड हमैं॥
4॥
* बन बहह हबषम मगोह मद मरानरा। नदहीं कपु तकर्ण भयमंकर नरानरा॥5॥
भरावरारर्ण:-मगोह, मद और मरान हश्री बहह त सप्रे बश्रीहड वन हमैं और नरानरा पकरार कप्रे कपु तकर्ण हश्री भयरानक
नहदयराहूँ हमैं॥5॥
दगोहरा :
* जप्रे शदरा समंबल रहहत नहहमं समंतन्ह कर सरार।
हतन्ह कहह हूँ मरानस अगम अहत हजन्हहह न हपय रघपुनरार॥38॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे परास शदरा रूपश्री रराह खचर्ण नहहीं हहै और समंतर करा सरार नहहीं हहै और हजनकगो शश्री
रघपुनरारजश्री हपय हमैं, उनकप्रे हलए यह मरानस अत्यमंत हश्री अगम हहै। (अररार्णतम शदरा, सत्समंग और
भगवत्पप्रेम कप्रे हबनरा कगोई इसकगो नहहीं परा सकतरा)॥38॥
चरौपराई :
* जजौं करर कष्टि जराइ पपुहन कगोई। जरातहहमं नश्रीद जपुडराई हगोई॥
जडतरा जराड हबषम उर लरागरा। गएहह हूँ न मजन पराव अभरागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-यहद कगोई मनपुष्य कष्टि उठराकर वहराहूँ तक पहह हूँच भश्री जराए, तगो वहराहूँ जरातप्रे हश्री उसप्रे नहींद रूपश्री
जपूडश्री आ जरातश्री हहै। हृदय ममें मपूखर्णतरा रूपश्री बडरा कडरा जराडरा लगनप्रे लगतरा हहै, हजससप्रे वहराहूँ जराकर भश्री
वह अभरागरा स्नरान नहहीं कर परातरा॥1॥
* करर न जराइ सर मजन परानरा। हफिरर आवइ समप्रेत अहभमरानरा।
जजौं बहगोरर कगोउ पपूछन आवरा। सर हनमंदरा करर तराहह बपुझरावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उससप्रे उस सरगोवर ममें स्नरान और उसकरा जलपरान तगो हकयरा नहहीं जरातरा, वह अहभमरान
सहहत लरौट आतरा हहै। हफिर यहद कगोई उससप्रे (वहराहूँ करा हराल) पपूछनप्रे आतरा हहै, तगो वह (अपनप्रे
अभराग्य ककी बरात न कहकर) सरगोवर ककी हनमंदरा करकप्रे उसप्रे समझरातरा हहै॥2॥
* सकल हबघ्न ब्यरापहहमं नहहमं तप्रेहश्री। रराम सपुकमृपराहूँ हबलगोकहहमं जप्रेहश्री॥
सगोइ सरादर सर मजनपु करई। महरा घगोर त्रयतराप न जरई॥3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे सरारप्रे हवघ्न उसकगो नहहीं व्यरापतप्रे (बराधरा नहहीं दप्रेतप्रे) हजसप्रे शश्री ररामचमंदजश्री सपुमंदर कमृ परा ककी
दृहष्टि सप्रे दप्रेखतप्रे हमैं। वहश्री आदरपपूवर्णक इस सरगोवर ममें स्नरान करतरा हहै और महरानम भयरानक हत्रतराप सप्रे
(आध्यराहत्मक, आहधदहैहवक, आहधभरौहतक तरापर सप्रे) नहहीं जलतरा॥3॥
* तप्रे नर यह सर तजहहमं न कराऊ। हजन्ह कमें रराम चरन भल भराऊ॥
जगो नहराइ चह एहहमं सर भराई। सगो सतसमंग करउ मन लराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे मन ममें शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे चररर ममें सपुदमं र पप्रेम हहै, वप्रे इस सरगोवर कगो कभश्री नहहीं
छगोडतप्रे। हप्रे भराई! जगो इस सरगोवर ममें स्नरान करनरा चराहप्रे, वह मन लगराकर सत्समंग करप्रे॥4॥
* अस मरानस मरानस चख चराहश्री। भइ कहब बपुहद हबमल अवगराहश्री॥
भयउ हृदयहूँ आनमंद उछराहह। उमगप्रेउ पप्रेम पमगोद पबराहह॥5॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे मरानस सरगोवर कगो हृदय कप्रे नप्रेत्रर सप्रे दप्रेखकर और उसममें गगोतरा लगराकर कहव ककी बपुहद
हनमर्णल हगो गई, हृदय ममें आनमंद और उत्सराह भर गयरा और पप्रेम तररा आनमंद करा पवराह उमड
आयरा॥5॥
*चलश्री सपुभग कहबतरा सररतरा सगो। रराम हबमल जस जल भररत सगो।
सरजपू नराम सपुममंगल मपूलरा। लगोक बप्रेद मत ममंजपुल कपू लरा॥6॥
भरावरारर्ण:-उससप्रे वह सपुदमं र कहवतरा रूपश्री नदश्री बह हनकलश्री, हजसममें शश्री ररामजश्री करा हनमर्णल यश रूपश्री
जल भररा हहै। इस (कहवतरारूहपरश्री नदश्री) करा नराम सरयपू हहै, जगो समंपपूरर्ण सपुदमं र ममंगलर ककी जड हहै।
लगोकमत और वप्रेदमत इसकप्रे दगो सपुदमं र हकनरारप्रे हमैं॥6॥
* नदश्री पपुनश्रीत सपुमरानस नमंहदहन। कहलमल तमृन तर मपूल हनकमंहदहन॥7॥
भरावरारर्ण:-यह सपुमंदर मरानस सरगोवर ककी कन्यरा सरयपू नदश्री बडश्री पहवत्र हहै और कहलयगपु कप्रे (छगोटप्रे-
बडप्रे) पराप रूपश्री हतनकर और वमृक्षर कगो जड सप्रे उखराड फिमें कनप्रे वरालश्री हहै॥7॥
दगोहरा :
* शगोतरा हत्रहबध समराज पपुर गराम नगर दहपु ह हूँ कपू ल।
समंतसभरा अनपुपम अवध सकल सपुममंगल मपूल॥39॥
भरावरारर्ण:-तश्रीनर पकरार कप्रे शगोतराओमं करा समराज हश्री इस नदश्री कप्रे दगोनर हकनरारर पर बसप्रे हहए पपुरवप्रे, गराहूँव
और नगर ममें हहै और समंतर ककी सभरा हश्री सब सपुदमं र ममंगलर ककी जड अनपुपम अयगोध्यराजश्री हमैं॥ 39॥
चरौपराई :
* ररामभगहत सपुरसररतहह जराई। हमलश्री सपुककीरहत सरजपु सपुहराई॥
सरानपुज रराम समर जसपु परावन। हमलप्रेउ महरानद पु सगोन सपुहरावन॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर ककीहतर्ण रूपश्री सपुहरावनश्री सरयपूजश्री ररामभहक्त रूपश्री गमंगराजश्री ममें जरा हमलहीं। छगोटप्रे भराई
लक्ष्मर सहहत शश्री ररामजश्री कप्रे यद पु करा पहवत्र यश रूपश्री सपुहरावनरा महरानद सगोन उसममें आ हमलरा॥ 1॥
* जपुग हबच भगहत दप्रेवधपुहन धराररा। सगोहहत सहहत सपुहबरहत हबचराररा॥
हत्रहबध तराप त्ररासक हतमपुहरानश्री। रराम सरूप हसमंधपु समपुहरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर कप्रे बश्रीच ममें भहक्त रूपश्री गमंगराजश्री ककी धराररा जरान और वहैरराग्य कप्रे सहहत शगोहभत हगो रहश्री
हहै। ऐसश्री तश्रीनर तरापर कगो डररानप्रे वरालश्री यह हतमपुहरानश्री नदश्री ररामस्वरूप रूपश्री समपुद ककी ओर जरा रहश्री
हहै॥2॥
*मरानस मपूल हमलश्री सपुरसररहश्री। सपुनत सपुजन मन परावन कररहश्री॥
हबच हबच कररा हबहचत्र हबभरागरा। जनपु सरर तश्रीर तश्रीर बन बरागरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस (ककीहतर्ण रूपश्री सरयपू) करा मपूल मरानस (शश्री ररामचररत) हहै और यह (ररामभहक्त रूपश्री)
गमंगराजश्री ममें हमलश्री हहै, इसहलए यह सपुननप्रे वरालप्रे सजनर कप्रे मन कगो पहवत्र कर दप्रेगश्री। इसकप्रे बश्रीच-बश्रीच
ममें जगो हभन्न-हभन्न पकरार ककी हवहचत्र करराएहूँ हमैं, वप्रे हश्री मरानगो नदश्री तट कप्रे आस-परास कप्रे वन और
बराग हमैं॥3॥
* उमरा महप्रेस हबबराह बररातश्री। तप्रे जलचर अगहनत बहह भराहूँतश्री॥
रघपुबर जनम अनमंद बधराई। भवहूँर तरमंग मनगोहरतराई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री परावर्णतश्रीजश्री और हशवजश्री कप्रे हववराह कप्रे बराररातश्री इस नदश्री ममें बहह त पकरार कप्रे असमंख्य
जलचर जश्रीव हमैं। शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे जन्म ककी आनमंद-बधराइयराहूँ हश्री इस नदश्री कप्रे भहूँवर और तरमंगर ककी
मनगोहरतरा हहै॥4॥
दगोहराद्धाः
* बरालचररत चहह बमंधपु कप्रे बनज हबपपुल बहह रमंग।
नमृप ररानश्री पररजन सपुकमृत मधपुकर बरारर हबहमंग॥40॥
भरावरारर्ण:-चरारर भराइयर कप्रे जगो बरालचररत हमैं, वप्रे हश्री इसममें हखलप्रे हहए रमंग-हबरमंगप्रे बहह त सप्रे कमल हमैं।
महरारराज शश्री दशररजश्री तररा उनककी रराहनयर और कपु टपु हम्बयर कप्रे सत्कमर्ण (पपुण्य) हश्री रमर और जल
पक्षश्री हमैं॥40॥
चरौपराई :
* सश्रीय स्वयमंबर कररा सपुहराई। सररत सपुहरावहन सगो छहब छराई॥
नदश्री नराव पटपु पस्न अनप्रेकरा। कप्रे वट कपु सल उतर सहबबप्रेकरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे स्वयमंवर ककी जगो सपुन्दर कररा हहै, वह इस नदश्री ममें सपुहरावनश्री छहब छरा रहश्री
हहै। अनप्रेकर सपुदमं र हवचरारपपूरर्ण पश्न हश्री इस नदश्री ककी नरावमें हमैं और उनकप्रे हववप्रेकयक्त
पु उरर हश्री चतपुर
कप्रे वट हमैं॥1॥
* सपुहन अनपुकरन परस्पर हगोई। पहरक समराज सगोह सरर सगोई॥
घगोर धरार भमृगपुनरार ररसरानश्री। घराट सपुबद रराम बर बरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस कररा कगो सपुनकर पश्रीछप्रे जगो आपस ममें चचरार्ण हगोतश्री हहै, वहश्री इस नदश्री कप्रे सहरारप्रे-सहरारप्रे
चलनप्रे वरालप्रे यराहत्रयर करा समराज शगोभरा परा रहरा हहै। परशपुररामजश्री करा कगोध इस नदश्री ककी भयरानक धराररा
हहै और शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे शप्रेष वचन हश्री सपुदमं र बहूँधप्रे हह ए घराट हमैं॥2॥
* सरानपुज रराम हबबराह उछराहह। सगो सपुभ उमग सपुखद सब कराहह॥
कहत सपुनत हरषहहमं पपुलकराहहीं। तप्रे सपुकमृतश्री मन मपुहदत नहराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-भराइयर सहहत शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हववराह करा उत्सराह हश्री इस कररा नदश्री ककी
कल्यरारकरारररश्री बराढ हहै, जगो सभश्री कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। इसकप्रे कहनप्रे-सपुननप्रे ममें जगो हहषर्णत और
पपुलहकत हगोतप्रे हमैं, वप्रे हश्री पपुण्यरात्मरा पपुरष हमैं, जगो पसन्न मन सप्रे इस नदश्री ममें नहरातप्रे हमैं॥3॥
* रराम हतलक हहत ममंगल सराजरा। परब जगोग जनपु जपुरप्रे समराजरा।
कराई कपु महत कप्रे कई कप्रे रश्री। परश्री जरासपु फिल हबपहत घनप्रेरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे रराजहतलक कप्रे हलए जगो ममंगल सराज सजरायरा गयरा, वहश्री मरानगो पवर्ण कप्रे
समय इस नदश्री पर यराहत्रयर कप्रे समपूह इकटप्रे हहए हमैं। कहै कप्रे यश्री ककी कपु बपुहद हश्री इस नदश्री ममें कराई हहै,
हजसकप्रे फिलस्वरूप बडश्री भरारश्री हवपहर आ पडश्री॥4॥
दगोहरा :
* समन अहमत उतपरात सब भरत चररत जपजराग।
कहल अघ खल अवगपुन करन तप्रे जलमल बग कराग॥41॥
भरावरारर्ण:-समंपपूरर्ण अनहगनत उत्परातर कगो शरामंत करनप्रे वरालरा भरतजश्री करा चररत्र नदश्री तट पर हकयरा
जरानप्रे वरालरा जपयज हहै। कहलयगपु कप्रे परापर और दष्टिपु र कप्रे अवगपुरर कप्रे जगो वरर्णन हमैं, वप्रे हश्री इस नदश्री कप्रे
जल करा ककीचड और बगपुलप्रे-करौए हमैं॥41॥
चरौपराई :
* ककीरहत सररत छहह हूँ ररतपु रूरश्री। समय सपुहरावहन परावहन भपूरश्री॥
हहम हहमसहैलसपुतरा हसव ब्यराहह। हसहसर सपुखद पभपु जनम उछराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-यह ककीहतर्णरूहपरश्री नदश्री छहर ऋतपुओमं ममें सपुमंदर हहै। सभश्री समय यह परम सपुहरावनश्री और
अत्यमंत पहवत्र हहै। इसममें हशव-परावर्णतश्री करा हववराह हप्रेममंत ऋतपु हहै। शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे जन्म करा उत्सव
सपुखदरायश्री हशहशर ऋतपु हहै॥1॥
* बरनब रराम हबबराह समराजपू। सगो मपुद ममंगलमय ररतपुरराजपू॥
गश्रीषम दसपु ह रराम बनगवनपू। पमंरकररा खर आतप पवनपू॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हववराह समराज करा वरर्णन हश्री आनमंद-ममंगलमय ऋतपुरराज वसमंत हहै। शश्री
ररामजश्री करा वनगमन दद्धाःपु सह गश्रीष्म ऋतपु हहै और मरागर्ण ककी कररा हश्री कडश्री धपूप और लपू हहै॥ 2॥
* बरषरा घगोर हनसराचर ररारश्री। सपुरकपु ल सराहल सपुममंगलकरारश्री॥
रराम रराज सपुख हबनय बडराई। हबसद सपुखद सगोइ सरद सपुहराई॥3॥
भरावरारर्ण:-रराक्षसर कप्रे सरार घगोर यद पु हश्री वषरार्ण ऋतपु हहै, जगो दप्रेवकपु ल रूपश्री धरान कप्रे हलए सपुदमं र कल्यरार
करनप्रे वरालश्री हहै। ररामचमंदजश्री कप्रे रराज्यकराल करा जगो सपुख, हवनम्रतरा और बडराई हहै, वहश्री हनमर्णल सपुख
दप्रेनप्रे वरालश्री सपुहरावनश्री शरदम ऋतपु हहै॥3॥
* सतश्री हसरगोमहन हसय गपुन गराररा। सगोइ गपुन अमल अनपूपम पराररा॥
भरत सपुभराउ सपुसश्रीतलतराई। सदरा एकरस बरहन न जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सतश्री-हशरगोमहर शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे गपुरर ककी जगो कररा हहै, वहश्री इस जल करा हनमर्णल और
अनपुपम गपुर हहै। शश्री भरतजश्री करा स्वभराव इस नदश्री ककी सपुदमं र शश्रीतलतरा हहै , जगो सदरा एक सश्री रहतश्री हहै
और हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥4॥
दगोहरा :
* अवलगोकहन बगोलहन हमलहन पश्रीहत परसपर हरास।
भरायप भहल चहह बमंधपु ककी जल मराधपुरश्री सपुबरास॥42॥
भरावरारर्ण:-चरारर भराइयर करा परस्पर दप्रेखनरा, बगोलनरा, हमलनरा, एक-दस पू रप्रे सप्रे पप्रेम करनरा, हहूँसनरा
और सपुदमं र भराईपनरा इस जल ककी मधपुरतरा और सपुगमंध हहै॥ 42॥
चरौपराई :
* आरहत हबनय दश्रीनतरा मगोरश्री। लघपुतरा लहलत सपुबरारर न रगोरश्री॥
अदभपुत सहलल सपुनत गपुनकरारश्री। आस हपआस मनगोमल हरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा आतर्णभराव, हवनय और दश्रीनतरा इस सपुमंदर और हनमर्णल जल करा कम हलकरापन नहहीं हहै
(अररार्णतम अत्यमंत हलकरापन हहै)। यह जल बडरा हश्री अनगोखरा हहै, जगो सपुननप्रे सप्रे हश्री गपुर करतरा हहै और
आशरा रूपश्री प्यरास कगो और मन कप्रे महैल कगो दरपू कर दप्रेतरा हहै॥1॥
* रराम सपुपप्रेमहह पगोषत परानश्री। हरत सकल कहल कलपुष गलरानश्री॥
भव शम सगोषक तगोषक तगोषरा। समन दरपु रत दख पु दराररद दगोषरा॥2॥
भरावरारर्ण:-यह जल शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे सपुदमं र पप्रेम कगो पपुष्टि करतरा हहै, कहलयगपु कप्रे समस्त परापर और
उनसप्रे हगोनप्रे वरालश्री ग्लराहन कगो हर लप्रेतरा हहै। (समंसरार कप्रे जन्म-ममृत्यपु रूप) शम कगो सगोख लप्रेतरा हहै,
समंतगोष कगो भश्री समंतपुष्टि करतरा हहै और पराप, दररदतरा और दगोषर कगो नष्टि कर दप्रेतरा हहै॥2॥
* कराम कगोह मद मगोह नसरावन। हबमल हबबप्रेक हबरराग बढरावन॥
सरादर मजन परान हकए तमें। हमटहहमं पराप पररतराप हहए तमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यह जल कराम, कगोध, मद और मगोह करा नराश करनप्रे वरालरा और हनमर्णल जरान और वहैरराग्य
कगो बढरानप्रे वरालरा हहै। इसममें आदरपपूवर्णक स्नरान करनप्रे सप्रे और इसप्रे पश्रीनप्रे सप्रे हृदय ममें रहनप्रे वरालप्रे सब
पराप-तराप हमट जरातप्रे हमैं॥3॥
* हजन्ह एहहमं बरारर न मरानस धगोए। तप्रे करायर कहलकराल हबगगोए॥
तमृहषत हनरहख रहब कर भव बरारश्री। हफिररहहहमं ममृग हजहम जश्रीव द ख पु रारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे इस (रराम सपुयश रूपश्री) जल सप्रे अपनप्रे हृदय कगो नहहीं धगोयरा, वप्रे करायर
कहलकराल कप्रे दराररा ठगप्रे गए। जहैसप्रे प्यरासरा हहरन सपूयर्ण ककी हकररर कप्रे रप्रेत पर पडनप्रे सप्रे उत्पन्न हह ए जल
कप्रे रम कगो वरास्तहवक जल समझकर पश्रीनप्रे कगो दरौडतरा हहै और जल न पराकर द द्धाःपु खश्री हगोतरा हहै, वहैसप्रे
हश्री वप्रे (कहलयगपु सप्रे ठगप्रे हह ए) जश्रीव भश्री (हवषयर कप्रे पश्रीछप्रे भटककर) दद्धाःपु खश्री हरगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* महत अनपुहरारर सपुबरारर गपुन गन गहन मन अन्हवराइ।
सपुहमरर भवरानश्री समंकरहह कह कहब कररा सपुहराइ॥43 क॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार इस सपुमंदर जल कप्रे गपुरर कगो हवचरार कर, उसममें अपनप्रे मन कगो
स्नरान करराकर और शश्री भवरानश्री-शमंकर कगो स्मरर करकप्रे कहव (तपुलसश्रीदरास) सपुमंदर कररा कहतरा हहै॥
43 (क)॥

यराजवल्क्य-भरदराज समंवराद तररा पयराग मराहरात्म्य


* अब रघपुपहत पद पमंकरह हहयहूँ धरर पराइ पसराद।
कहउहूँ जपुगल मपुहनबयर्ण कर हमलन सपुभग समंबराद ॥43 ख॥
भरावरारर्ण:-ममैं अब शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चरर कमलर कगो हृदय ममें धरारर कर और उनकरा पसराद पराकर
दगोनर शप्रेष मपुहनयर कप्रे हमलन करा सपुदमं र समंवराद वरर्णन करतरा हह हूँ॥43 (ख)॥
चरौपराई :
* भरदराज मपुहन बसहहमं पयरागरा। हतन्हहह रराम पद अहत अनपुररागरा॥
तरापस सम दम दयरा हनधरानरा। परमरारर पर परम सपुजरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरदराज मपुहन पयराग ममें बसतप्रे हमैं, उनकरा शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें अत्यमंत पप्रेम हहै। वप्रे
तपस्वश्री, हनगमृहश्रीत हचर, हजतप्रेहन्दय, दयरा कप्रे हनधरान और परमरारर्ण कप्रे मरागर्ण ममें बडप्रे हश्री चतपुर हमैं॥1॥
* मराघ मकरगत रहब जब हगोई। तश्रीररपहतहहमं आव सब कगोई॥
दप्रेव दनपुज हकमंनर नर शप्रेनहीं। सरादर मजहहमं सकल हत्रबप्रेनहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-मराघ ममें जब सपूयर्ण मकर रराहश पर जरातप्रे हमैं, तब सब लगोग तश्रीरर्णरराज पयराग कगो आतप्रे हमैं।
दप्रेवतरा, दहैत्य, हकन्नर और मनपुष्यर कप्रे समपूह सब आदरपपूवर्णक हत्रवप्रेरश्री ममें स्नरान करतप्रे हमैं॥।2॥
* पपूजहहमं मराधव पद जलजरातरा। परहस अखय बटपु हरषहहमं गरातरा॥
भरदराज आशम अहत परावन। परम रम्य मपुहनबर मन भरावन॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री वप्रेरश्रीमराधवजश्री कप्रे चररकमलर कगो पपूजतप्रे हमैं और अक्षयवट करा स्पशर्ण कर उनकप्रे शरश्रीर
पपुलहकत हगोतप्रे हमैं। भरदराजजश्री करा आशम बहह त हश्री पहवत्र, परम रमरश्रीय और शप्रेष मपुहनयर कप्रे मन कगो
भरानप्रे वरालरा हहै॥3॥
* तहराहूँ हगोइ मपुहन ररषय समराजरा। जराहहमं जप्रे मजन तश्रीरररराजरा॥
मजहहमं परात समप्रेत उछराहरा। कहहहमं परसपर हरर गपुन गराहरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तश्रीरर्णरराज पयराग ममें जगो स्नरान करनप्रे जरातप्रे हमैं, उन ऋहष-मपुहनयर करा समराज वहराहूँ (भरदराज
कप्रे आशम ममें) जपुटतरा हहै। परातद्धाःकराल सब उत्सराहपपूवर्णक स्नरान करतप्रे हमैं और हफिर परस्पर भगवरानम
कप्रे गपुरर ककी करराएहूँ कहतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* ब्रह हनरूपन धरम हबहध बरनहहमं तत्त्व हबभराग।
ककहहमं भगहत भगवमंत कहै समंजपुत ग्यरान हबरराग॥44॥
भरावरारर्ण:-ब्रह करा हनरूपर, धमर्ण करा हवधरान और तत्त्वर कप्रे हवभराग करा वरर्णन करतप्रे हमैं तररा जरान-
पु भगवरानम ककी भहक्त करा करन करतप्रे हमैं॥44॥
वहैरराग्य सप्रे यक्त
चरौपराई :
* एहह पकरार भरर मराघ नहराहहीं। पपुहन सब हनज हनज आशम जराहहीं॥
पहत समंबत अहत हगोइ अनमंदरा। मकर महज गवनहहमं मपुहनबमृमंदरा॥1॥
भरावरारर्ण:-इसश्री पकरार मराघ कप्रे महश्रीनप्रेभर स्नरान करतप्रे हमैं और हफिर सब अपनप्रे-अपनप्रे आशमर कगो
चलप्रे जरातप्रे हमैं। हर सराल वहराहूँ इसश्री तरह बडरा आनमंद हगोतरा हहै। मकर ममें स्नरान करकप्रे मपुहनगर चलप्रे
जरातप्रे हमैं॥1॥
* एक बरार भरर मकर नहराए। सब मपुनश्रीस आशमन्ह हसधराए॥
जरागबहलक मपुहन परम हबबप्रेककी। भरदराज रराखप्रे पद टप्रेककी॥2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार पपूरप्रे मकरभर स्नरान करकप्रे सब मपुनश्रीश्वर अपनप्रे-अपनप्रे आशमर कगो लरौट गए। परम
जरानश्री यराजवल्क्य मपुहन कगो चरर पकडकर भरदराजजश्री नप्रे रख हलयरा॥ 2॥
* सरादर चरन सरगोज पखरारप्रे। अहत पपुनश्रीत आसन बहैठरारप्रे॥
करर पपूजरा मपुहन सपुजसपु बखरानश्री। बगोलप्रे अहत पपुनश्रीत ममृद पु बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-आदरपपूवर्णक उनकप्रे चरर कमल धगोए और बडप्रे हश्री पहवत्र आसन पर उन्हमें बहैठरायरा। पपूजरा
करकप्रे मपुहन यराजवल्क्यजश्री कप्रे सपुयश करा वरर्णन हकयरा और हफिर अत्यमंत पहवत्र और कगोमल वरारश्री सप्रे
बगोलप्रे-॥3॥
* नरार एक समंसउ बड मगोरमें। करगत बप्रेदतत्त्व सबपु तगोरमें॥
कहत सगो मगोहह लरागत भय लराजरा। जजौं न कहउहूँ बड हगोइ अकराजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! मप्रेरप्रे मन ममें एक बडरा समंदप्रेह हहै, वप्रेदर करा तत्त्व सब आपककी मपुटश्री ममें हहै (अररार्णतम
आप हश्री वप्रेद करा तत्त्व जराननप्रे वरालप्रे हगोनप्रे कप्रे करारर मप्रेररा समंदप्रेह हनवरारर कर सकतप्रे हमैं) पर उस समंदप्रेह
कगो कहतप्रे मपुझप्रे भय और लराज आतश्री हहै (भय इसहलए हक कहहीं आप यह न समझमें हक मप्रेरश्री परश्रीक्षरा
लप्रे रहरा हहै, लराज इसहलए हक इतनश्री आयपु बश्रीत गई, अब तक जरान न हहआ) और यहद नहहीं
कहतरा तगो बडश्री हराहन हगोतश्री हहै (क्यरहक अजरानश्री बनरा रहतरा हह हूँ)॥4॥
दगोहरा :
* समंत कहहहमं अहस नश्रीहत पभपु शपुहत पपुररान मपुहन गराव।
हगोइ न हबमल हबबप्रेक उर गपुर सन हकएहूँ दरपु राव॥45॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! समंत लगोग ऐसश्री नश्रीहत कहतप्रे हमैं और वप्रेद, पपुररार तररा मपुहनजन भश्री यहश्री बतलरातप्रे
हमैं हक गपुर कप्रे सरार हछपराव करनप्रे सप्रे हृदय ममें हनमर्णल जरान नहहीं हगोतरा॥45॥
चरौपराई :
* अस हबचरारर पगटउहूँ हनज मगोहह। हरहह नरार करर जन पर छगोहह॥
रराम नराम कर अहमत पभरावरा। समंत पपुररान उपहनषद गरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यहश्री सगोचकर ममैं अपनरा अजरान पकट करतरा हह।हूँ हप्रे नरार! सप्रेवक पर कमृ परा करकप्रे इस
अजरान करा नराश ककीहजए। समंतर, पपुररारर और उपहनषदर नप्रे रराम नराम कप्रे असश्रीम पभराव करा गरान
हकयरा हहै॥1॥
* समंतत जपत समंभपु अहबनरासश्री। हसव भगवरान ग्यरान गपुन ररासश्री॥
आकर चरारर जश्रीव जग अहहहीं। करासहीं मरत परम पद लहहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कल्यरार स्वरूप, जरान और गपुरर ककी रराहश, अहवनराशश्री भगवरानम शम्भपु हनरमंतर रराम नराम
करा जप करतप्रे रहतप्रे हमैं। समंसरार ममें चरार जराहत कप्रे जश्रीव हमैं, कराशश्री ममें मरनप्रे सप्रे सभश्री परम पद कगो पराप्त
करतप्रे हमैं॥2॥
*सगोहप रराम महहमरा मपुहनररायरा। हसव उपदप्रेसपु करत करर दरायरा॥
ररामपु कवन पभपु पपूछउहूँ तगोहश्री। कहहअ बपुझराइ कमृ पराहनहध मगोहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहनरराज! वह भश्री रराम (नराम) ककी हश्री महहमरा हहै, क्यरहक हशवजश्री महरारराज दयरा करकप्रे
(कराशश्री ममें मरनप्रे वरालप्रे जश्रीव कगो) रराम नराम करा हश्री उपदप्रेश करतप्रे हमैं (इसश्री सप्रे उनकगो परम पद
हमलतरा हहै)। हप्रे पभगो! ममैं आपसप्रे पपूछतरा हह हूँ हक वप्रे रराम करौन हमैं? हप्रे कमृ पराहनधरान! मपुझप्रे समझराकर
कहहए॥3॥
* एक रराम अवधप्रेस कपु मराररा। हतन्ह कर चररत हबहदत समंसराररा॥
नरारर हबरहहूँ दख पु पु लहप्रेउ अपराररा। भयउ रगोषपु रन ररावनपु मराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-एक रराम तगो अवध नरप्रेश दशररजश्री कप्रे कपु मरार हमैं, उनकरा चररत्र सराररा समंसरार जरानतरा हहै।
उन्हरनप्रे स्त्रश्री कप्रे हवरह ममें अपरार दद्धाःपु ख उठरायरा और कगोध आनप्रे पर यद पु ममें ररावर कगो मरार डरालरा॥4॥
दगोहरा :
* पभपु सगोइ रराम हक अपर कगोउ जराहह जपत हत्रपपुररारर।
सत्यधराम सबर्णग्य तपुम्ह कहहह हबबप्रेकपु हबचरारर॥46॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! वहश्री रराम हमैं यरा और कगोई दस पू रप्रे हमैं, हजनकगो हशवजश्री जपतप्रे हमैं? आप सत्य कप्रे
धराम हमैं और सब कपु छ जरानतप्रे हमैं, जरान हवचरार कर कहहए॥46॥
* जहैसमें हमटहै मगोर रम भरारश्री। कहहह सगो कररा नरार हबस्तरारश्री॥
जरागबहलक बगोलप्रे मपुसपुकराई। तपुम्हहह हबहदत रघपुपहत पभपुतराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हजस पकरार सप्रे मप्रेररा यह भरारश्री रम हमट जराए , आप वहश्री कररा हवस्तरारपपूवर्णक
कहहए। इस पर यराजवल्क्यजश्री मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे, शश्री रघपुनरारजश्री ककी पभपुतरा कगो तपुम जरानतप्रे हगो॥1॥
* ररामभगत तपुम्ह मन कम बरानश्री। चतपुरराई तपुम्हरारर ममैं जरानश्री॥
चराहहह सपुनहै रराम गपुन गपूढरा ककीहन्हहह पस्न मनहह हूँ अहत मपूढरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम मन, वचन और कमर्ण सप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे भक्त हगो। तपुम्हरारश्री चतपुरराई कगो ममैं जरान गयरा।
तपुम शश्री ररामजश्री कप्रे रहस्यमय गपुरर कगो सपुननरा चराहतप्रे हगो, इसश्री सप्रे तपुमनप्रे ऐसरा पश्न हकयरा हहै मरानगो
बडप्रे हश्री मपूढ हगो॥2॥
* तरात सपुनहह सरादर मनपु लराई। कहउहूँ रराम कहै कररा सपुहराई॥
महरामगोहह महहषप्रेसपु हबसरालरा। ररामकररा कराहलकरा कररालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम आदरपपूवर्णक मन लगराकर सपुनगो, ममैं शश्री ररामजश्री ककी सपुदमं र कररा कहतरा हह हूँ।
बडरा भरारश्री अजरान हवशराल महहषरासपुर हहै और शश्री ररामजश्री ककी कररा (उसप्रे नष्टि कर दप्रेनप्रे वरालश्री)
भयमंकर करालश्रीजश्री हमैं॥3॥
सतश्री करा रम, शश्री ररामजश्री करा ऐश्वयर्ण और सतश्री करा खप्रेद
* ररामकररा सहस हकरन समरानरा। समंत चकगोर करहहमं जप्रेहह परानरा॥
ऐसप्रेइ समंसय ककीन्ह भवरानश्री। महरादवप्रे तब कहरा बखरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी कररा चमंदमरा ककी हकररर कप्रे समरान हहै, हजसप्रे समंत रूपश्री चकगोर सदरा परान
करतप्रे हमैं। ऐसरा हश्री समंदप्रेह परावर्णतश्रीजश्री नप्रे हकयरा ररा, तब महरादप्रेवजश्री नप्रे हवस्तरार सप्रे उसकरा उरर हदयरा
ररा॥4॥
दगोहरा :
* कहउहूँ सगो महत अनपुहरारर अब उमरा समंभपु समंबराद।
भयउ समय जप्रेहह हप्रेतपु जप्रेहह सपुनपु मपुहन हमहटहह हबषराद॥47॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार वहश्री उमरा और हशवजश्री करा समंवराद कहतरा हह।हूँ वह हजस
समय और हजस हप्रेतपु सप्रे हह आ, उसप्रे हप्रे मपुहन! तपुम सपुनगो, तपुम्हराररा हवषराद हमट जराएगरा॥47॥
चरौपराई :
* एक बरार त्रप्रेतरा जपुग मराहहीं। समंभपु गए कपुमं भज ररहष पराहहीं॥
समंग सतश्री जगजनहन भवरानश्री। पपूजप्रे ररहष अहखलप्रेस्वर जरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-एक बरार त्रप्रेतरा यगपु ममें हशवजश्री अगस्त्य ऋहष कप्रे परास गए। उनकप्रे सरार जगजननश्री भवरानश्री
सतश्रीजश्री भश्री रहीं। ऋहष नप्रे समंपपूरर्ण जगतम कप्रे ईश्वर जरानकर उनकरा पपूजन हकयरा॥1॥
* ररामकररा मपुहनबजर्ण बखरानश्री। सपुनश्री महप्रेस परम सपुखपु मरानश्री॥
ररहष पपूछश्री हररभगहत सपुहराई। कहश्री समंभपु अहधकरारश्री पराई॥2॥
भरावरारर्ण:-मपुहनवर अगस्त्यजश्री नप्रे ररामकररा हवस्तरार सप्रे कहश्री, हजसकगो महप्रेश्वर नप्रे परम सपुख मरानकर
सपुनरा। हफिर ऋहष नप्रे हशवजश्री सप्रे सपुमंदर हररभहक्त पपूछश्री और हशवजश्री नप्रे उनकगो अहधकरारश्री पराकर
(रहस्य सहहत) भहक्त करा हनरूपर हकयरा॥2॥
* कहत सपुनत रघपुपहत गपुन गराररा। कछपु हदन तहराहूँ रहप्रे हगररनराररा॥
मपुहन सन हबदरा मराहग हत्रपपुररारश्री। चलप्रे भवन सहूँग दच्छकपु मरारश्री।।3।।
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे गपुरर ककी करराएहूँ कहतप्रे-सपुनतप्रे कपु छ हदनर तक हशवजश्री वहराहूँ रहप्रे। हफिर
मपुहन सप्रे हवदरा मराहूँगकर हशवजश्री दक्षकपु मरारश्री सतश्रीजश्री कप्रे सरार घर (कहै लरास) कगो चलप्रे॥3॥
* तप्रेहह अवसर भमंजन महहभराररा। हरर रघपुबमंस लश्रीन्ह अवतराररा॥
हपतरा बचन तहज रराजपु उदरासश्री। दमंडक बन हबचरत अहबनरासश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हहीं हदनर पमृथ्वश्री करा भरार उतरारनप्रे कप्रे हलए शश्री हरर नप्रे रघपुवमंश ममें अवतरार हलयरा ररा। वप्रे
अहवनराशश्री भगवरानम उस समय हपतरा कप्रे वचन सप्रे रराज्य करा त्यराग करकप्रे तपस्वश्री यरा सराधपु वप्रेश ममें
दण्डकवन ममें हवचर रहप्रे रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हृदयहूँ हबचरारत जरात हर कप्रे हह हबहध दरसनपु हगोइ।
गपुप्त रूप अवतरप्रेउ पभपु गएहूँ जरान सबपु कगोइ॥48 क॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री हृदय ममें हवचरारतप्रे जरा रहप्रे रप्रे हक भगवरानम कप्रे दशर्णन मपुझप्रे हकस पकरार हर। पभपु नप्रे गपुप्त
रूप सप्रे अवतरार हलयरा हहै, मप्रेरप्रे जरानप्रे सप्रे सब लगोग जरान जराएहूँगप्रे॥ 48 (क)॥
सगोरठरा :
* समंकर उर अहत छगोभपु सतश्री न जरानहहमं मरमपु सगोइ।
तपुलसश्री दरसन लगोभपु मन डर लगोचन लरालचश्री॥48 ख॥
भरावरारर्ण:-शश्री शमंकरजश्री कप्रे हृदय ममें इस बरात कगो लप्रेकर बडश्री खलबलश्री उत्पन्न हगो गई, परन्तपु
सतश्रीजश्री इस भप्रेद कगो नहहीं जरानतश्री रहीं। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक हशवजश्री कप्रे मन ममें (भप्रेद खपुलनप्रे
करा) डर ररा, परन्तपु दशर्णन कप्रे लगोभ सप्रे उनकप्रे नप्रेत्र ललचरा रहप्रे रप्रे॥48 (ख)॥
चरौपराई :
* ररावन मरन मनपुज कर जराचरा। पभपु हबहध बचनपु ककीन्ह चह सराचरा॥
जजौं नहहमं जराउहूँ रहइ पहछतरावरा। करत हबचरार न बनत बनरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ररावर नप्रे (ब्रहराजश्री सप्रे) अपनश्री ममृत्यपु मनपुष्य कप्रे हरार सप्रे मराहूँगश्री रश्री। ब्रहराजश्री कप्रे वचनर कगो
पभपु सत्य करनरा चराहतप्रे हमैं। ममैं जगो परास नहहीं जरातरा हह हूँ तगो बडरा पछतरावरा रह जराएगरा। इस पकरार
हशवजश्री हवचरार करतप्रे रप्रे, परन्तपु कगोई भश्री यहपु क्त ठश्रीक नहहीं बहैठतश्री रश्री॥1॥
* ऐहह हबहध भए सगोचबस ईसरा। तप्रेहश्री समय जराइ दससश्रीसरा॥
लश्रीन्ह नश्रीच मरारश्रीचहह समंगरा। भयउ तपुरउ सगोइ कपट कपु रमंगरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार महरादप्रेवजश्री हचन्तरा कप्रे वश हगो गए। उसश्री समय नश्रीच ररावर नप्रे जराकर मरारश्रीच कगो
सरार हलयरा और वह (मरारश्रीच) तपुरमंत कपट ममृग बन गयरा॥2॥
* करर छलपु मपूढ हरश्री बहैदप्रेहश्री। पभपु पभराउ तस हबहदत न तप्रेहश्री॥
ममृग बहध बमंधपु सहहत हरर आए। आशमपु दप्रेहख नयन जल छराए॥3॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण (ररावर) नप्रे छल करकप्रे सश्रीतराजश्री कगो हर हलयरा। उसप्रे शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे वरास्तहवक
पभराव करा कपु छ भश्री पतरा न ररा। ममृग कगो मरारकर भराई लक्ष्मर सहहत शश्री हरर आशम ममें आए और
उसप्रे खरालश्री दप्रेखकर (अररार्णतम वहराहूँ सश्रीतराजश्री कगो न पराकर) उनकप्रे नप्रेत्रर ममें आहूँसपू भर आए॥3॥
* हबरह हबकल नर इव रघपुरराई। खगोजत हबहपन हफिरत दगोउ भराई॥
कबहह हूँ जगोग हबयगोग न जराकमें। दप्रेखरा पगट हबरह दख पु पु तराकमें॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री मनपुष्यर ककी भराहूँहत हवरह सप्रे व्यराकपुल हमैं और दगोनर भराई वन ममें सश्रीतरा कगो
खगोजतप्रे हहए हफिर रहप्रे हमैं। हजनकप्रे कभश्री कगोई समंयगोग-हवयगोग नहहीं हहै, उनममें पत्यक्ष हवरह करा दद्धाःपु ख
दप्रेखरा गयरा॥4॥
दगोहरा :
* अहत हबहचत्र रघपुपहत चररत जरानहहमं परम सपुजरान।
जप्रे महतममंद हबमगोह बस हृदयहूँ धरहहमं कछपु आन॥49॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री करा चररत्र बडरा हश्री हवहचत्र हहै, उसकगो पहह हूँचप्रे हह ए जरानश्रीजन हश्री जरानतप्रे हमैं। जगो
ममंदबपुहद हमैं, वप्रे तगो हवशप्रेष रूप सप्रे मगोह कप्रे वश हगोकर हृदय ममें कपु छ दस पू रश्री हश्री बरात समझ बहैठतप्रे हमैं॥
49॥
चरौपराई :
* समंभपु समय तप्रेहह ररामहह दप्रेखरा। उपजरा हहयहूँ अहत हरषपु हबसप्रेषरा ॥
भरर लगोचन छहबहसमंधपु हनहरारश्री। कपु समय जराहन न ककीहन्ह हचन्हरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री हशवजश्री नप्रे उसश्री अवसर पर शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखरा और उनकप्रे हृदय ममें बहह त भरारश्री
आनमंद उत्पन्न हहआ। उन शगोभरा कप्रे समपुद (शश्री ररामचमंदजश्री) कगो हशवजश्री नप्रे नप्रेत्र भरकर दप्रेखरा, परन्तपु
अवसर ठश्रीक न जरानकर पररचय नहहीं हकयरा॥1॥
* जय सहचदरानमंद जग परावन। अस कहह चलप्रेउ मनगोज नसरावन॥
चलप्रे जरात हसव सतश्री समप्रेतरा। पपुहन पपुहन पपुलकत कमृ पराहनकप्रे तरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जगतम कगो पहवत्र करनप्रे वरालप्रे सहचदरानमंद ककी जय हगो, इस पकरार कहकर करामदप्रेव करा नराश
करनप्रे वरालप्रे शश्री हशवजश्री चल पडप्रे। कमृ पराहनधरान हशवजश्री बरार-बरार आनमंद सप्रे पपुलहकत हगोतप्रे हह ए सतश्रीजश्री
कप्रे सरार चलप्रे जरा रहप्रे रप्रे॥2॥
* सतहीं सगो दसरा समंभपु कहै दप्रेखश्री। उर उपजरा समंदप्रेहह हबसप्रेषश्री॥
समंकर जगतबमंद्य जगदश्रीसरा। सपुर नर मपुहन सब नरावत सश्रीसरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे शमंकरजश्री ककी वह दशरा दप्रेखश्री तगो उनकप्रे मन ममें बडरा समंदप्रेह उत्पन्न हगो गयरा। (वप्रे
मन हश्री मन कहनप्रे लगहीं हक) शमंकरजश्री ककी सराररा जगतम वमंदनरा करतरा हहै, वप्रे जगतम कप्रे ईश्वर हमैं,
दप्रेवतरा, मनपुष्य, मपुहन सब उनकप्रे पहत हसर नवरातप्रे हमैं॥3॥
* हतन्ह नमृपसपुतहह ककीन्ह परनरामरा। कहह सहचदरानमंद परधरामरा॥
भए मगन छहब तरासपु हबलगोककी। अजहह हूँ पश्रीहत उर रहहत न रगोककी॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे एक रराजपपुत्र कगो सहचदरानमंद परधराम कहकर परराम हकयरा और उसककी शगोभरा
दप्रेखकर वप्रे इतनप्रे पप्रेममग्नि हगो गए हक अब तक उनकप्रे हृदय ममें पश्रीहत रगोकनप्रे सप्रे भश्री नहहीं रकतश्री॥4॥
दगोहरा :
* ब्रह जगो ब्यरापक हबरज अज अकल अनश्रीह अभप्रेद।
सगो हक दप्रेह धरर हगोइ नर जराहह न जरानत बप्रेद॥50॥
भरावरारर्ण:-जगो ब्रह सवर्णव्यरापक, मरायरारहहत, अजन्मरा, अगगोचर, इच्छरारहहत और भप्रेदरहहत हहै और
हजसप्रे वप्रेद भश्री नहहीं जरानतप्रे, क्यरा वह दप्रेह धरारर करकप्रे मनपुष्य हगो सकतरा हहै?॥50॥
चरौपराई :
* हबष्नपु जगो सपुर हहत नरतनपु धरारश्री। सगोउ सबर्णग्य जररा हत्रपपुररारश्री॥
खगोजइ सगो हक अग्य इव नरारश्री। ग्यरानधराम शश्रीपहत असपुररारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कप्रे हहत कप्रे हलए मनपुष्य शरश्रीर धरारर करनप्रे वरालप्रे जगो हवष्रपु भगवरानम हमैं, वप्रे भश्री
हशवजश्री ककी हश्री भराहूँहत सवर्णज हमैं। वप्रे जरान कप्रे भमंडरार, लक्ष्मश्रीपहत और असपुरर कप्रे शत्रपु भगवरानम हवष्रपु
क्यरा अजरानश्री ककी तरह स्त्रश्री कगो खगोजमेंगप्रे?॥1॥
* समंभपुहगररा पपुहन ममृषरा न हगोई। हसव सबर्णग्य जरान सबपु कगोई॥
अस समंसय मन भयउ अपराररा। हगोइ न हृदयहूँ पबगोध पचराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर हशवजश्री कप्रे वचन भश्री झपूठप्रे नहहीं हगो सकतप्रे। सब कगोई जरानतप्रे हमैं हक हशवजश्री सवर्णज हमैं।
सतश्री कप्रे मन ममें इस पकरार करा अपरार समंदप्रेह उठ खडरा हहआ, हकसश्री तरह भश्री उनकप्रे हृदय ममें जरान
करा परादभपु रार्णव नहहीं हगोतरा ररा॥2॥
* जद्यहप पगट न कहप्रेउ भवरानश्री। हर अमंतरजरामश्री सब जरानश्री॥
सपुनहह सतश्री तव नरारर सपुभराऊ। समंसय अस न धररअ उर कराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप भवरानश्रीजश्री नप्रे पकट कपु छ नहहीं कहरा, पर अन्तयरार्णमश्री हशवजश्री सब जरान गए। वप्रे
बगोलप्रे- हप्रे सतश्री! सपुनगो, तपुम्हराररा स्त्रश्री स्वभराव हहै। ऐसरा समंदप्रेह मन ममें कभश्री न रखनरा चराहहए॥3॥
* जरासपु कररा कपुमं भज ररहष गराई। भगहत जरासपु ममैं मपुहनहह सपुनराई॥
सगोइ मम इष्टिदप्रेव रघपुबश्रीररा। सप्रेवत जराहह सदरा मपुहन धश्रीररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजनककी कररा करा अगस्त्य ऋहष नप्रे गरान हकयरा और हजनककी भहक्त ममैंनप्रे मपुहन कगो सपुनराई ,
यप्रे वहश्री मप्रेरप्रे इष्टिदप्रेव शश्री रघपुवश्रीरजश्री हमैं, हजनककी सप्रेवरा जरानश्री मपुहन सदरा हकयरा करतप्रे हमैं॥4॥
छमंद :
* मपुहन धश्रीर जगोगश्री हसद समंतत हबमल मन जप्रेहह ध्यरावहहीं।
कहह नप्रेहत हनगम पपुररान आगम जरासपु ककीरहत गरावहहीं॥
सगोइ ररामपु ब्यरापक ब्रह भपुवन हनकराय पहत मरायरा धनश्री।
अवतरप्रेउ अपनप्रे भगत हहत हनजतमंत्र हनत रघपुकपुलमनश्री॥
भरावरारर्ण:-जरानश्री मपुहन, यगोगश्री और हसद हनरमंतर हनमर्णल हचर सप्रे हजनकरा ध्यरान करतप्रे हमैं तररा वप्रेद ,
पपुररार और शरास्त्र 'नप्रेहत-नप्रेहत' कहकर हजनककी ककीहतर्ण गरातप्रे हमैं, उन्हहीं सवर्णव्यरापक, समस्त ब्रहरामंडर
कप्रे स्वरामश्री, मरायरापहत, हनत्य परम स्वतमंत्र, ब्रहरा रूप भगवरानम शश्री ररामजश्री नप्रे अपनप्रे भक्तर कप्रे हहत कप्रे
हलए (अपनश्री इच्छरा सप्रे) रघपुकपुल कप्रे महररूप ममें अवतरार हलयरा हहै।
सगोरठरा :
* लराग न उर उपदप्रेसपु जदहप कहप्रेउ हसवहूँ बरार बहह ।
बगोलप्रे हबहहस महप्रेसपु हररमरायरा बलपु जराहन हजयहूँ॥51॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप हशवजश्री नप्रे बहह त बरार समझरायरा, हफिर भश्री सतश्रीजश्री कप्रे हृदय ममें उनकरा उपदप्रेश नहहीं
बहैठरा। तब महरादप्रेवजश्री मन ममें भगवरानम ककी मरायरा करा बल जरानकर मपुस्कपु ररातप्रे हहए बगोलप्रे-॥51॥
चरौपराई :
* जजौं तपुम्हरमें मन अहत समंदप्रेहह। तरौ हकन जराइ परश्रीछरा लप्रेहह॥
तब लहग बहैठ अहउहूँ बटछराहहीं। जब लहग तपुम्ह ऐहहह मगोहह पराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो तपुम्हरारप्रे मन ममें बहह त समंदप्रेह हहै तगो तपुम जराकर परश्रीक्षरा क्यर नहहीं लप्रेतश्री ? जब तक तपुम
मप्रेरप्रे परास लरौट आओगश्री तब तक ममैं इसश्री बड ककी छराहूँह ममें बहैठरा हह॥हूँ 1॥
* जहैसमें जराइ मगोह रम भरारश्री। करप्रेहह सगो जतनपु हबबप्रेक हबचरारश्री॥
चलहीं सतश्री हसव आयसपु पराई। करहहमं बप्रेचरार करजौं करा भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हजस पकरार तपुम्हराररा यह अजरानजहनत भरारश्री रम दरपू हगो, (भलश्री-भराहूँहत) हववप्रेक कप्रे दराररा
सगोच-समझकर तपुम वहश्री करनरा। हशवजश्री ककी आजरा पराकर सतश्री चलहीं और मन ममें सगोचनप्रे लगहीं हक
भराई! क्यरा करूहूँ (कहै सप्रे परश्रीक्षरा लपूहूँ)?॥2॥
* इहराहूँ समंभपु अस मन अनपुमरानरा। दच्छसपुतरा कहह हूँ नहहमं कल्यरानरा॥
मगोरप्रेहह कहमें न समंसय जराहहीं। हबहध हबपरश्रीत भलराई नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-इधर हशवजश्री नप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक दक्षकन्यरा सतश्री करा कल्यरार नहहीं हहै। जब
मप्रेरप्रे समझरानप्रे सप्रे भश्री समंदप्रेह दरपू नहहीं हगोतरा तब (मरालपूम हगोतरा हहै) हवधरातरा हश्री उलटप्रे हमैं, अब सतश्री करा
कपु शल नहहीं हहै॥3॥
* हगोइहह सगोइ जगो रराम रहच रराखरा। कगो करर तकर्ण बढरावहै सराखरा॥
अस कहह लगप्रे जपन हररनरामरा। गई मं सतश्री जहहूँ पभपु सपुखधरामरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो कपु छ रराम नप्रे रच रखरा हहै, वहश्री हगोगरा। तकर्ण करकप्रे करौन शराखरा (हवस्तरार) बढरावप्रे। (मन
ममें) ऐसरा कहकर हशवजश्री भगवरानम शश्री हरर करा नराम जपनप्रे लगप्रे और सतश्रीजश्री वहराहूँ गई ,मं जहराहूँ सपुख कप्रे
धराम पभपु शश्री ररामचमंदजश्री रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* पपुहन पपुहन हृदयहूँ हबचरार करर धरर सश्रीतरा कर रूप।
आगमें हगोइ चहल पमंर तप्रेहहमं जप्रेहहमं आवत नरभपूप॥52॥
भरावरारर्ण:-सतश्री बरार-बरार मन ममें हवचरार कर सश्रीतराजश्री करा रूप धरारर करकप्रे उस मरागर्ण ककी ओर आगप्रे
हगोकर चलहीं, हजससप्रे (सतश्रीजश्री कप्रे हवचराररानपुसरार) मनपुष्यर कप्रे रराजरा ररामचमंदजश्री आ रहप्रे रप्रे॥52॥
चरौपराई :
* लहछमन दश्रीख उमराकमृत बप्रेषरा। चहकत भए रम हृदयहूँ हबसप्रेषरा॥
कहह न सकत कछपु अहत गमंभश्रीररा। पभपु पभराउ जरानत महतधश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री कप्रे बनरावटश्री वप्रेष कगो दप्रेखकर लक्ष्मरजश्री चहकत हगो गए और उनकप्रे हृदय ममें बडरा
रम हगो गयरा। वप्रे बहह त गमंभश्रीर हगो गए, कपु छ कह नहहीं सकप्रे । धश्रीर बपुहद लक्ष्मर पभपु रघपुनरारजश्री कप्रे
पभराव कगो जरानतप्रे रप्रे॥1॥
* सतश्री कपटपु जरानप्रेउ सपुरस्वरामश्री। सबदरसश्री सब अमंतरजरामश्री॥
सपुहमरत जराहह हमटइ अग्यरानरा। सगोइ सरबग्य ररामपु भगवरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब कपु छ दप्रेखनप्रे वरालप्रे और सबकप्रे हृदय ककी जराननप्रे वरालप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री शश्री
ररामचमंदजश्री सतश्री कप्रे कपट कगो जरान गए, हजनकप्रे स्मरर मरात्र सप्रे अजरान करा नराश हगो जरातरा हहै, वहश्री
सवर्णज भगवरानम शश्री ररामचमंदजश्री हमैं॥2॥
* सतश्री ककीन्ह चह तहहूँहहहूँ दरपु राऊ। दप्रेखहह नरारर सपुभराव पभराऊ॥
हनज मरायरा बलपु हृदयहूँ बखरानश्री। बगोलप्रे हबहहस ररामपु ममृद पु बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-स्त्रश्री स्वभराव करा असर तगो दप्रेखगो हक वहराहूँ (उन सवर्णज भगवरानम कप्रे सरामनप्रे) भश्री सतश्रीजश्री
हछपराव करनरा चराहतश्री हमैं। अपनश्री मरायरा कप्रे बल कगो हृदय ममें बखरानकर, शश्री ररामचमंदजश्री हहूँसकर
कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलप्रे॥3॥
* जगोरर पराहन पभपु ककीन्ह पनरामपू। हपतरा समप्रेत लश्रीन्ह हनज नरामपू॥
कहप्रेउ बहगोरर कहराहूँ बमृषकप्रे तपू। हबहपन अकप्रे हल हफिरहह कप्रे हह हप्रेतपू॥4॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे पभपु नप्रे हरार जगोडकर सतश्री कगो परराम हकयरा और हपतरा सहहत अपनरा नराम बतरायरा।
हफिर कहरा हक वमृषकप्रे तपु हशवजश्री कहराहूँ हमैं? आप यहराहूँ वन ममें अकप्रे लश्री हकसहलए हफिर रहश्री हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* रराम बचन ममृदपु गपूढ सपुहन उपजरा अहत समंकगोचपु।
सतश्री सभश्रीत महप्रेस पहहमं चलहीं हृदयहूँ बड सगोचपु॥53॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे कगोमल और रहस्य भरप्रे वचन सपुनकर सतश्रीजश्री कगो बडरा समंकगोच हहआ।
वप्रे डरतश्री हह ई (चपुपचराप) हशवजश्री कप्रे परास चलहीं, उनकप्रे हृदय ममें बडश्री हचन्तरा हगो गई॥53॥
चरौपराई :
* ममैं समंकर कर कहरा न मरानरा। हनज अग्यरानपु रराम पर आनरा॥
जराइ उतर अब दप्रेहउहूँ कराहरा। उर उपजरा अहत दरारन दराहरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हक ममैंनप्रे शमंकरजश्री करा कहनरा न मरानरा और अपनप्रे अजरान करा शश्री ररामचन्दजश्री पर आरगोप
हकयरा। अब जराकर ममैं हशवजश्री कगो क्यरा उरर दहूँगपू श्री? (यर सगोचतप्रे-सगोचतप्रे) सतश्रीजश्री कप्रे हृदय ममें
अत्यन्त भयरानक जलन पहैदरा हगो गई॥1॥
* जरानरा रराम सतहीं दख पु पु परावरा। हनज पभराउ कछपु पगहट जनरावरा॥
सतहीं दश्रीख करौतपुकपु मग जरातरा। आगमें ररामपु सहहत शश्री ररातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे जरान हलयरा हक सतश्रीजश्री कगो दद्धाःपु ख हहआ, तब उन्हरनप्रे अपनरा कपु छ
पभराव पकट करकप्रे उन्हमें हदखलरायरा। सतश्रीजश्री नप्रे मरागर्ण ममें जरातप्रे हह ए यह करौतपुक दप्रेखरा हक शश्री
ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत आगप्रे चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। (इस अवसर पर सश्रीतराजश्री कगो
इसहलए हदखरायरा हक सतश्रीजश्री शश्री रराम कप्रे सहचदरानदमं मय रूप कगो दप्रेख,में हवयगोग और दद्धाःपु ख ककी
कल्पनरा जगो उन्हमें हहई रश्री, वह दरपू हगो जराए तररा वप्रे पकमृ हतस्र हर।)॥2॥
* हफिरर हचतवरा पराछमें पभपु दप्रेखरा। सहहत बमंधपु हसय सपुदमं र बप्रेषरा॥
जहहूँ हचतवहहमं तहहूँ पभपु आसश्रीनरा। सप्रेवहहमं हसद मपुनश्रीस पबश्रीनरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(तब उन्हरनप्रे) पश्रीछप्रे ककी ओर हफिरकर दप्रेखरा, तगो वहराहूँ भश्री भराई लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री
कप्रे सरार शश्री ररामचन्दजश्री सपुदमं र वप्रेष ममें हदखराई हदए। वप्रे हजधर दप्रेखतश्री हमैं , उधर हश्री पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री हवरराजमरान हमैं और सपुचतपुर हसद मपुनश्रीश्वर उनककी सप्रेवरा कर रहप्रे हमैं॥ 3॥
* दप्रेखप्रे हसव हबहध हबष्नपु अनप्रेकरा। अहमत पभराउ एक तमें एकरा॥
बमंदत चरन करत पभपु सप्रेवरा। हबहबध बप्रेष दप्रेखप्रे सब दप्रेवरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे अनप्रेक हशव, ब्रहरा और हवष्रपु दप्रेखप्रे, जगो एक सप्रे एक बढकर असश्रीम पभराव
वरालप्रे रप्रे। (उन्हरनप्रे दप्रेखरा हक) भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे वप्रेष धरारर हकए सभश्री दप्रेवतरा शश्री ररामचन्दजश्री ककी
चररवन्दनरा और सप्रेवरा कर रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सतश्री हबधरात्रश्री इमंहदररा दप्रेखहीं अहमत अनपूप।
जप्रेहहमं जप्रेहहमं बप्रेष अजराहद सपुर तप्रेहह तप्रेहह तन अनपुरूप॥54॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे अनहगनत अनपुपम सतश्री, ब्रहरारश्री और लक्ष्मश्री दप्रेखहीं। हजस-हजस रूप ममें ब्रहरा
आहद दप्रेवतरा रप्रे, उसश्री कप्रे अनपुकपूल रूप ममें (उनककी) यप्रे सब (शहक्तयराहूँ) भश्री रहीं॥54॥
चरौपराई :
* दप्रेखप्रे जहहूँ जहहूँ रघपुपहत जप्रेतप्रे। सहक्तन्ह सहहत सकल सपुर तप्रेतप्रे॥
जश्रीव चरराचर जगो समंसराररा। दप्रेखप्रे सकल अनप्रेक पकराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे जहराहूँ-जहराहूँ हजतनप्रे रघपुनरारजश्री दप्रेखप्रे, शहक्तयर सहहत वहराहूँ उतनप्रे हश्री सरारप्रे
दप्रेवतराओमं कगो भश्री दप्रेखरा। समंसरार ममें जगो चरराचर जश्रीव हमैं, वप्रे भश्री अनप्रेक पकरार कप्रे सब दप्रेखप्रे॥1॥
* पपूजहहमं पभपुहह दप्रेव बहह बप्रेषरा। रराम रूप दस पू र नहहमं दप्रेखरा॥
अवलगोकप्रे रघपुपहत बहह तप्रेरप्रे। सश्रीतरा सहहत न बप्रेष घनप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे दप्रेखरा हक) अनप्रेकर वप्रेष धरारर करकप्रे दप्रेवतरा पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ककी पपूजरा कर
रहप्रे हमैं, परन्तपु शश्री ररामचन्दजश्री करा दस पू ररा रूप कहहीं नहहीं दप्रेखरा। सश्रीतरा सहहत शश्री रघपुनरारजश्री बहह त सप्रे
दप्रेखप्रे, परन्तपु उनकप्रे वप्रेष अनप्रेक नहहीं रप्रे॥2॥
* सगोइ रघपुबर सगोइ लहछमनपु सश्रीतरा। दप्रेहख सतश्री अहत भई मं सभश्रीतरा॥
हृदय कमंप तन सपुहध कछपु नराहहीं। नयन मपूहद बहैठहीं मग मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-(सब जगह) वहश्री रघपुनरारजश्री, वहश्री लक्ष्मर और वहश्री सश्रीतराजश्री- सतश्री ऐसरा दप्रेखकर
बहह त हश्री डर गई।मं उनकरा हृदय कराहूँपनप्रे लगरा और दप्रेह ककी सरारश्री सपुध-बपुध जरातश्री रहश्री। वप्रे आहूँख मपूहूँदकर
मरागर्ण ममें बहैठ गई॥मं 3॥
* बहह रर हबलगोकप्रेउ नयन उघरारश्री। कछपु न दश्रीख तहहूँ दच्छकपु मरारश्री॥
पपुहन पपुहन नराइ रराम पद सश्रीसरा। चलहीं तहराहूँ जहहूँ रहप्रे हगरश्रीसरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर आहूँख खगोलकर दप्रेखरा, तगो वहराहूँ दक्षकपु मरारश्री (सतश्रीजश्री) कगो कपु छ भश्री न हदख पडरा।
तब वप्रे बरार-बरार शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर वहराहूँ चलहीं, जहराहूँ शश्री हशवजश्री रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* गई मं समश्रीप महप्रेस तब हहूँहस पपूछश्री कपु सलरात।
लश्रीहन्ह परश्रीछरा कवन हबहध कहहह सत्य सब बरात॥55॥
भरावरारर्ण:-जब परास पहह हूँचहीं, तब शश्री हशवजश्री नप्रे हहूँसकर कपु शल पश्न करकप्रे कहरा हक तपुमनप्रे ररामजश्री
ककी हकस पकरार परश्रीक्षरा लश्री, सरारश्री बरात सच-सच कहगो॥55॥
मरास पराररायर, दस पू ररा हवशराम
चरौपराई :
* सतहीं समपुहझ रघपुबश्रीर पभराऊ। भय बस हसव सन ककीन्ह दरपु राऊ॥
कछपु न परश्रीछरा लश्रीहन्ह गगोसराई।मं ककीन्ह पनरामपु तपुम्हराररहह नराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे पभराव कगो समझकर डर कप्रे मरारप्रे हशवजश्री सप्रे हछपराव हकयरा
और कहरा- हप्रे स्वराहमनम! ममैंनप्रे कपु छ भश्री परश्रीक्षरा नहहीं लश्री, (वहराहूँ जराकर) आपककी हश्री तरह परराम
हकयरा॥1॥
* जगो तपुम्ह कहरा सगो ममृषरा न हगोई। मगोरमें मन पतश्रीहत अहत सगोई॥
तब समंकर दप्रेखप्रेउ धरर ध्यरानरा। सतहीं जगो ककीन्ह चररत सबपु जरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आपनप्रे जगो कहरा वह झपूठ नहहीं हगो सकतरा, मप्रेरप्रे मन ममें यह बडरा (पपूररा) हवश्वरास हहै। तब
हशवजश्री नप्रे ध्यरान करकप्रे दप्रेखरा और सतश्रीजश्री नप्रे जगो चररत्र हकयरा ररा, सब जरान हलयरा॥2॥
* बहह रर रराममरायहह हसर नरावरा। पप्रेरर सहतहह जप्रेहहमं झपूठहूँ कहरावरा॥
हरर इच्छरा भरावश्री बलवरानरा। हृदयहूँ हबचरारत समंभपु सपुजरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरायरा कगो हसर नवरायरा, हजसनप्रे पप्रेरररा करकप्रे सतश्री कप्रे मपुहूँह सप्रे भश्री
झपूठ कहलरा हदयरा। सपुजरान हशवजश्री नप्रे मन ममें हवचरार हकयरा हक हरर ककी इच्छरा रूपश्री भरावश्री पबल हहै॥
3॥
* सतहीं ककीन्ह सश्रीतरा कर बप्रेषरा। हसव उर भयउ हबषराद हबसप्रेषरा॥
जजौं अब करउहूँ सतश्री सन पश्रीतश्री। हमटइ भगहत परपु हगोइ अनश्रीतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे सश्रीतराजश्री करा वप्रेष धरारर हकयरा, यह जरानकर हशवजश्री कप्रे हृदय ममें बडरा हवषराद
हह आ। उन्हरनप्रे सगोचरा हक यहद ममैं अब सतश्री सप्रे पश्रीहत करतरा हह हूँ तगो भहक्तमरागर्ण लपुप्त हगो जरातरा हहै और
बडरा अन्यराय हगोतरा हहै॥4॥
हशवजश्री दराररा सतश्री करा त्यराग, हशवजश्री ककी समराहध
दगोहरा :
* परम पपुनश्रीत न जराइ तहज हकएहूँ पप्रेम बड परापपु।
पगहट न कहत महप्रेसपु कछपु हृदयहूँ अहधक समंतरापपु॥56॥
भरावरारर्ण:-सतश्री परम पहवत्र हमैं, इसहलए इन्हमें छगोडतप्रे भश्री नहहीं बनतरा और पप्रेम करनप्रे ममें बडरा पराप हहै।
पकट करकप्रे महरादप्रेवजश्री कपु छ भश्री नहहीं कहतप्रे, परन्तपु उनकप्रे हृदय ममें बडरा समंतराप हहै॥56॥
चरौपराई :
*तब समंकर पभपु पद हसर नरावरा। सपुहमरत ररामपु हृदयहूँ अस आवरा॥
एहहमं तन सहतहह भमेंट मगोहह नराहहीं। हसव समंकल्पपु ककीन्ह मन मराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब हशवजश्री नप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवरायरा और शश्री ररामजश्री करा
स्मरर करतप्रे हश्री उनकप्रे मन ममें यह आयरा हक सतश्री कप्रे इस शरश्रीर सप्रे मप्रेरश्री (पहत-पत्नश्री रूप ममें) भमेंट
नहहीं हगो सकतश्री और हशवजश्री नप्रे अपनप्रे मन ममें यह समंकल्प कर हलयरा॥ 1॥
* अस हबचरारर समंकर महतधश्रीररा। चलप्रे भवन सपुहमरत रघपुबश्रीररा॥
चलत गगन भहै हगररा सपुहराई। जय महप्रेस भहल भगहत दृढराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हस्रर बपुहद शमंकरजश्री ऐसरा हवचरार कर शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर करतप्रे हह ए अपनप्रे घर
(कहै लरास) कगो चलप्रे। चलतप्रे समय सपुदमं र आकराशवरारश्री हह ई हक हप्रे महप्रेश ! आपककी जय हगो। आपनप्रे
भहक्त ककी अच्छश्री दृढतरा ककी॥2॥
* अस पन तपुम्ह हबनपु करइ कगो आनरा। ररामभगत समरर भगवरानरा॥
सपुहन नभहगररा सतश्री उर सगोचरा। पपूछरा हसवहह समप्रेत सकगोचरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आपकगो छगोडकर दस पू ररा करौन ऐसश्री पहतजरा कर सकतरा हहै। आप शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे भक्त
हमैं, समरर्ण हमैं और भगवरानम हमैं। इस आकराशवरारश्री कगो सपुनकर सतश्रीजश्री कप्रे मन ममें हचन्तरा हह ई और
उन्हरनप्रे सकपु चरातप्रे हहए हशवजश्री सप्रे पपूछरा-॥3॥
*ककीन्ह कवन पन कहहह कमृ परालरा। सत्यधराम पभपु दश्रीनदयरालरा॥
जदहप सतहीं पपूछरा बहह भराहूँतश्री। तदहप न कहप्रेउ हत्रपपुर आररातश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ परालपु! कहहए, आपनप्रे करौन सश्री पहतजरा ककी हहै? हप्रे पभगो! आप सत्य कप्रे धराम और
दश्रीनदयरालपु हमैं। यद्यहप सतश्रीजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे पपूछरा, परन्तपु हत्रपपुररारर हशवजश्री नप्रे कपु छ न कहरा॥4॥
दगोहरा :
* सतहीं हृदयहूँ अनपुमरान हकय सबपु जरानप्रेउ सबर्णग्य।
ककीन्ह कपटपु ममैं समंभपु सन नरारर सहज जड अग्य॥57 क॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे हृदय ममें अनपुमरान हकयरा हक सवर्णज हशवजश्री सब जरान गए। ममैंनप्रे हशवजश्री सप्रे कपट
हकयरा, स्त्रश्री स्वभराव सप्रे हश्री मपूखर्ण और बप्रेसमझ हगोतश्री हहै॥57 (क)॥
सगोरठरा :
* जलपु पय सररस हबकराइ दप्रेखहह पश्रीहत हक रश्रीहत भहल।
हबलग हगोइ रसपु जराइ कपट खटराई परत पपुहन॥57 ख॥
भरावरारर्ण:-पश्रीहत ककी सपुदमं र रश्रीहत दप्रेहखए हक जल भश्री (दधपू कप्रे सरार हमलकर) दधपू कप्रे समरान भराव
हबकतरा हहै, परन्तपु हफिर कपट रूपश्री खटराई पडतप्रे हश्री परानश्री अलग हगो जरातरा हहै (दधपू फिट जरातरा हहै)
और स्वराद (पप्रेम) जरातरा रहतरा हहै॥57 (ख)॥
चरौ.
* हृदयहूँ सगोचपु समपुझत हनज करनश्री। हचमंतरा अहमत जराइ नहहमं बरनश्री॥
कमृ पराहसमंधपु हसव परम अगराधरा। पगट न कहप्रेउ मगोर अपरराधरा॥1॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री करनश्री कगो यराद करकप्रे सतश्रीजश्री कप्रे हृदय ममें इतनरा सगोच हहै और इतनश्री अपरार हचन्तरा
हहै हक हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। (उन्हरनप्रे समझ हलयरा हक) हशवजश्री कमृ परा कप्रे परम
अरराह सरागर हमैं। इससप्रे पकट ममें उन्हरनप्रे मप्रेररा अपरराध नहहीं कहरा॥ 1॥
* समंकर रख अवलगोहक भवरानश्री। पभपु मगोहह तजप्रेउ हृदयहूँ अकपु लरानश्री॥
हनज अघ समपुहझ न कछपु कहह जराई। तपइ अवराहूँ इव उर अहधकराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री करा रख दप्रेखकर सतश्रीजश्री नप्रे जरान हलयरा हक स्वरामश्री नप्रे मप्रेररा त्यराग कर हदयरा और
वप्रे हृदय ममें व्यराकपुल हगो उठहीं। अपनरा पराप समझकर कपु छ कहतप्रे नहहीं बनतरा, परन्तपु हृदय (भश्रीतर हश्री
भश्रीतर) कपु म्हरार कप्रे आहूँवप्रे कप्रे समरान अत्यन्त जलनप्रे लगरा॥2॥
* सहतहह ससगोच जराहन बमृषकप्रे तपू। कहहीं कररा सपुदमं र सपुख हप्रेतपू॥
बरनत पमंर हबहबध इहतहरासरा। हबस्वनरार पहह हूँचप्रे कहै लरासरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वमृषकप्रे तपु हशवजश्री नप्रे सतश्री कगो हचन्तरायक्त
पु जरानकर उन्हमें सपुख दप्रेनप्रे कप्रे हलए सपुदमं र करराएहूँ
कहहीं। इस पकरार मरागर्ण ममें हवहवध पकरार कप्रे इहतहरासर कगो कहतप्रे हह ए हवश्वनरार कहै लरास जरा पहह हूँचप्रे॥3॥
* तहहूँ पपुहन समंभपु समपुहझ पन आपन। बहैठप्रे बट तर करर कमलरासन॥
समंकर सहज सरूपपु सम्हराररा। लराहग समराहध अखमंड अपराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ हफिर हशवजश्री अपनश्री पहतजरा कगो यराद करकप्रे बड कप्रे पप्रेड कप्रे नश्रीचप्रे पदरासन लगराकर
बहैठ गए। हशवजश्री नप्रे अपनरा स्वराभराहवक रूप समंभरालरा। उनककी अखण्ड और अपरार समराहध लग गई॥
4॥
दगोहरा :
*सतश्री बसहहमं कहै लरास तब अहधक सगोचपु मन मराहहमं।
मरमपु न कगोऊ जरान कछपु जपुग सम हदवस हसरराहहमं॥58॥
भरावरारर्ण:-तब सतश्रीजश्री कहै लरास पर रहनप्रे लगहीं। उनकप्रे मन ममें बडरा दद्धाःपु ख ररा। इस रहस्य कगो कगोई
कपु छ भश्री नहहीं जरानतरा ररा। उनकरा एक-एक हदन यगपु कप्रे समरान बश्रीत रहरा ररा॥58॥
चरौपराई :
* हनत नव सगोचपु सतश्री उर भराररा। कब जहैहउहूँ दख पु सरागर पराररा॥
ममैं जगो ककीन्ह रघपुपहत अपमरानरा। पपुहन पहतबचनपु ममृषरा करर जरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री कप्रे हृदय ममें हनत्य नयरा और भरारश्री सगोच हगो रहरा ररा हक ममैं इस द द्धाःपु ख समपुद कप्रे परार
कब जराऊहूँगश्री। ममैंनप्रे जगो शश्री रघपुनरारजश्री करा अपमरान हकयरा और हफिर पहत कप्रे वचनर कगो झपूठ जरानरा-॥
1॥
* सगो फिलपु मगोहह हबधरातराहूँ दश्रीन्हरा। जगो कछपु उहचत रहरा सगोइ ककीन्हरा॥
अब हबहध अस बपूहझअ नहहमं तगोहश्री। समंकर हबमपुख हजआवहस मगोहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उसकरा फिल हवधरातरा नप्रे मपुझकगो हदयरा, जगो उहचत ररा वहश्री हकयरा, परन्तपु हप्रे हवधरातरा!
अब तपुझप्रे यह उहचत नहहीं हहै, जगो शमंकर सप्रे हवमपुख हगोनप्रे पर भश्री मपुझप्रे हजलरा रहरा हहै॥2॥
* कहह न जराइ कछपु हृदय गलरानश्री। मन महह हूँ ररामहह सपुहमर सयरानश्री॥
जजौं पभपु दश्रीनदयरालपु कहरावरा। आरहत हरन बप्रेद जसपु गरावरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री कप्रे हृदय ककी ग्लराहन कपु छ कहश्री नहहीं जरातश्री। बपुहदमतश्री सतश्रीजश्री नप्रे मन ममें शश्री
ररामचन्दजश्री करा स्मरर हकयरा और कहरा- हप्रे पभगो! यहद आप दश्रीनदयरालपु कहलरातप्रे हमैं और वप्रेदर नप्रे
आपकरा यह यश गरायरा हहै हक आप दद्धाःपु ख कगो हरनप्रे वरालप्रे हमैं, ॥3॥
* तरौ ममैं हबनय करउहूँ कर जगोरश्री। छपू टउ बप्रेहग दप्रेह यह मगोरश्री॥
जजौं मगोरमें हसव चरन सनप्रेहह। मन कम बचन सत्य ब्रतपु एहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-तगो ममैं हरार जगोडकर हवनतश्री करतश्री हह हूँ हक मप्रेरश्री यह दप्रेह जल्दश्री छपू ट जराए। यहद मप्रेररा हशवजश्री
कप्रे चररर ममें पप्रेम हहै और मप्रेररा यह (पप्रेम करा) व्रत मन, वचन और कमर्ण (आचरर) सप्रे सत्य हहै,॥
4॥
दगोहरा :
* तरौ सबदरसश्री सपुहनअ पभपु करउ सगो बप्रेहग उपराइ।
हगोइ मरनपु जप्रेहहमं हबनहहमं शम दसपु ह हबपहर हबहराइ॥59॥
भरावरारर्ण:-तगो हप्रे सवर्णदशर पभगो! सपुहनए और शश्रीघ्र वह उपराय ककीहजए, हजससप्रे मप्रेररा मरर हगो और
हबनरा हश्री पररशम यह (पहत-पररत्यराग रूपश्री) असह्य हवपहर दरपू हगो जराए॥59॥
चरौपराई :
* एहह हबहध दहपु खत पजप्रेसकपु मरारश्री। अकरनश्रीय दरारन दख पु पु भरारश्री॥
बश्रीतमें समंबत सहस सतरासश्री। तजश्री समराहध समंभपु अहबनरासश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दक्षसपुतरा सतश्रीजश्री इस पकरार बहह त दद्धाःपु हखत रहीं, उनकगो इतनरा दरारर दद्धाःपु ख ररा हक
हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। सररासश्री हजरार वषर्ण बश्रीत जरानप्रे पर अहवनराशश्री हशवजश्री नप्रे
समराहध खगोलश्री॥1॥
*रराम नराम हसव सपुहमरन लरागप्रे। जरानप्रेउ सतहीं जगतपहत जरागप्रे॥
जराइ समंभपु पद बमंदनपु ककीन्हरा। सनमपुख समंकर आसनपु दश्रीन्हरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री ररामनराम करा स्मरर करनप्रे लगप्रे, तब सतश्रीजश्री नप्रे जरानरा हक अब जगत कप्रे स्वरामश्री
(हशवजश्री) जरागप्रे। उन्हरनप्रे जराकर हशवजश्री कप्रे चररर ममें परराम हकयरा। हशवजश्री नप्रे उनकगो बहैठनप्रे कप्रे हलए
सरामनप्रे आसन हदयरा॥2॥
* लगप्रे कहन हरर कररा रसरालरा। दच्छ पजप्रेस भए तप्रेहह करालरा॥
दप्रेखरा हबहध हबचरारर सब लरायक। दच्छहह ककीन्ह पजरापहत नरायक॥3॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री भगवरान हरर ककी रसमयश्री करराएहूँ कहनप्रे लगप्रे। उसश्री समय दक्ष पजरापहत हहए।
ब्रहराजश्री नप्रे सब पकरार सप्रे यगोग्य दप्रेख-समझकर दक्ष कगो पजरापहतयर करा नरायक बनरा हदयरा॥3॥
* बड अहधकरार दच्छ जब परावरा। अहत अहभनरामपु हृदयहूँ तब आवरा॥
नहहमं कगोउ अस जनमरा जग मराहहीं। पभपुतरा पराइ जराहह मद नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-जब दक्ष नप्रे इतनरा बडरा अहधकरार परायरा, तब उनकप्रे हृदय ममें अत्यन्त अहभमरान आ गयरा।
जगत ममें ऐसरा कगोई नहहीं पहैदरा हहआ, हजसकगो पभपुतरा पराकर मद न हगो॥4॥
सतश्री करा दक्ष यज ममें जरानरा
दगोहरा :
* दच्छ हलए मपुहन बगोहल सब करन लगप्रे बड जराग।
नप्रेवतप्रे सरादर सकल सपुर जप्रे परावत मख भराग॥60॥
भरावरारर्ण:-दक्ष नप्रे सब मपुहनयर कगो बपुलरा हलयरा और वप्रे बडरा यज करनप्रे लगप्रे। जगो दप्रेवतरा यज करा भराग
परातप्रे हमैं, दक्ष नप्रे उन सबकगो आदर सहहत हनमहन्त्रत हकयरा॥60॥
चरौपराई :
* हकमंनर नराग हसद गमंधबरार्ण। बधपुन्ह समप्रेत चलप्रे सपुर सबरार्ण॥
हबष्नपु हबरमंहच महप्रेसपु हबहराई। चलप्रे सकल सपुर जरान बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-(दक्ष करा हनमन्त्रर पराकर) हकन्नर, नराग, हसद, गन्धवर्ण और सब दप्रेवतरा अपनश्री-अपनश्री
हस्त्रयर सहहत चलप्रे। हवष्रपु, ब्रहरा और महरादप्रेवजश्री कगो छगोडकर सभश्री दप्रेवतरा अपनरा-अपनरा हवमरान
सजराकर चलप्रे॥1॥
* सतहीं हबलगोकप्रे ब्यगोम हबमरानरा। जरात चलप्रे सपुमंदर हबहध नरानरा॥
सपुर सपुदमं रश्री करहहमं कल गरानरा। सपुनत शवन छपू टहहमं मपुहन ध्यरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे दप्रेखरा, अनप्रेकर पकरार कप्रे सपुदमं र हवमरान आकराश ममें चलप्रे जरा रहप्रे हमैं, दप्रेव-
सपुन्दररयराहूँ मधपुर गरान कर रहश्री हमैं, हजन्हमें सपुनकर मपुहनयर करा ध्यरान छपू ट जरातरा हहै॥2॥
* पपूछप्रेउ तब हसवहूँ कहप्रेउ बखरानश्री। हपतरा जग्य सपुहन कछपु हरषरानश्री॥
जजौं महप्रेसपु मगोहह आयसपु दप्रेहहीं। कछपु ह‍दन जराइ रहजौं हमस एहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे (हवमरानर ममें दप्रेवतराओमं कप्रे जरानप्रे करा करारर) पपूछरा, तब हशवजश्री नप्रे सब बरातमें
बतलराई।मं हपतरा कप्रे यज ककी बरात सपुनकर सतश्री कपु छ पसन्न हह ई मं और सगोचनप्रे लगहीं हक यहद महरादप्रेवजश्री
मपुझप्रे आजरा दमें, तगो इसश्री बहरानप्रे कपु छ हदन हपतरा कप्रे घर जराकर रहह हूँ॥3॥
* पहत पररत्यराग हृदयहूँ दख पु पु भरारश्री। कहइ न हनज अपरराध हबचरारश्री॥
बगोलश्री सतश्री मनगोहर बरानश्री। भय समंकगोच पप्रेम रस सरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक उनकप्रे हृदय ममें पहत दराररा त्यरागश्री जरानप्रे करा बडरा भरारश्री द द्धाःपु ख ररा, पर अपनरा
अपरराध समझकर वप्रे कपु छ कहतश्री न रहीं। आहखर सतश्रीजश्री भय, समंकगोच और पप्रेमरस ममें सनश्री हहई
मनगोहर वरारश्री सप्रे बगोलहीं- ॥4॥
दगोहरा :
* हपतरा भवन उत्सव परम जजौं पभपु आयसपु हगोइ।
तरौ ममैं जराउहूँ कमृ परायतन सरादर दप्रेखन सगोइ॥61॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! मप्रेरप्रे हपतरा कप्रे घर बहह त बडरा उत्सव हहै। यहद आपककी आजरा हगो तगो हप्रे कमृ पराधराम!
ममैं आदर सहहत उसप्रे दप्रेखनप्रे जराऊहूँ॥61॥
चरौपराई :
* कहप्रेहह नश्रीक मगोरप्रेहहहूँ मन भरावरा। यह अनपुहचत नहहमं नप्रेवत पठरावरा॥
दच्छ सकल हनज सपुतरा बगोलराई।मं हमरमें बयर तपुम्हउ हबसरराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे कहरा- तपुमनप्रे बरात तगो अच्छश्री कहश्री, यह मप्रेरप्रे मन कगो भश्री पसमंद आई पर उन्हरनप्रे
न्यगोतरा नहहीं भप्रेजरा, यह अनपुहचत हहै। दक्ष नप्रे अपनश्री सब लडहकयर कगो बपुलरायरा हहै, हकन्तपु हमरारप्रे बहैर
कप्रे करारर उन्हरनप्रे तपुमकगो भश्री भपुलरा हदयरा॥1॥
* ब्रहसभराहूँ हम सन दख पु पु मरानरा। तप्रेहह तमें अजहह हूँ करहहमं अपमरानरा॥
जजौं हबनपु बगोलमें जराहह भवरानश्री। रहइ न सश्रीलपु सनप्रेहह न करानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार ब्रहरा ककी सभरा ममें हम सप्रे अपसन्न हगो गए रप्रे, उसश्री सप्रे वप्रे अब भश्री हमराररा अपमरान
करतप्रे हमैं। हप्रे भवरानश्री! जगो तपुम हबनरा बपुलराए जराओगश्री तगो न शश्रील-स्नप्रेह हश्री रहप्रेगरा और न मरान-मयरार्णदरा
हश्री रहप्रेगश्री॥2॥
* जदहप हमत्र पभपु हपतपु गपुर गप्रेहरा। जराइअ हबनपु बगोलहप्रे ह हूँ न सहूँदहप्रे रा॥
तदहप हबरगोध मरान जहहूँ कगोई। तहराहूँ गएहूँ कल्यरानपु न हगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप इसममें समंदप्रेह नहहीं हक हमत्र, स्वरामश्री, हपतरा और गपुर कप्रे घर हबनरा बपुलराए भश्री जरानरा
चराहहए तगो भश्री जहराहूँ कगोई हवरगोध मरानतरा हगो, उसकप्रे घर जरानप्रे सप्रे कल्यरार नहहीं हगोतरा॥3॥
* भराहूँहत अनप्रेक समंभपु समपुझरावरा। भरावश्री बस न ग्यरानपु उर आवरा॥
कह पभपु जराहह जगो हबनहहमं बगोलराएहूँ। नहहमं भहल बरात हमरारप्रे भराएहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे समझरायरा, पर हगोनहरारवश सतश्री कप्रे हृदय ममें बगोध नहहीं हह आ।
हफिर हशवजश्री नप्रे कहरा हक यहद हबनरा बपुलराए जराओगश्री, तगो हमरारश्री समझ ममें अच्छश्री बरात न हगोगश्री॥4॥
दगोहरा :
* कहह दप्रेखरा हर जतन बहह रहइ न दच्छकपु मरारर।
हदए मपुख्य गन समंग तब हबदरा ककीन्ह हत्रपपुररारर॥62॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे कहकर दप्रेख हलयरा, हकन्तपु जब सतश्री हकसश्री पकरार भश्री नहहीं
रककीमं, तब हत्रपपुररारर महरादप्रेवजश्री नप्रे अपनप्रे मपुख्य गरर कगो सरार दप्रेकर उनकगो हबदरा कर हदयरा॥ 62॥
चरौपराई :
* हपतरा भवन जब गई मं भवरानश्री। दच्छ त्ररास कराहहहूँ न सनमरानश्री॥
सरादर भलप्रेहहमं हमलश्री एक मरातरा। भहगनहीं हमलहीं बहह त मपुसपुकरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-भवरानश्री जब हपतरा (दक्ष) कप्रे घर पहह हूँचश्री, तब दक्ष कप्रे डर कप्रे मरारप्रे हकसश्री नप्रे उनककी
आवभगत नहहीं ककी, कप्रे वल एक मरातरा भलप्रे हश्री आदर सप्रे हमलश्री। बहहनमें बहह त मपुस्कपु ररातश्री हह ई हमलहीं॥
1॥
* दच्छ न कछपु पपूछश्री कपु सलरातरा। सहतहह हबलगोककी जरप्रे सब गरातरा॥
सतहीं जराइ दप्रेखप्रेउ तब जरागरा। कतहह हूँ न दश्रीख समंभपु कर भरागरा॥2॥
भरावरारर्ण:-दक्ष नप्रे तगो उनककी कपु छ कपु शल तक नहहीं पपूछश्री, सतश्रीजश्री कगो दप्रेखकर उलटप्रे उनकप्रे सरारप्रे
अमंग जल उठप्रे। तब सतश्री नप्रे जराकर यज दप्रेखरा तगो वहराहूँ कहहीं हशवजश्री करा भराग हदखराई नहहीं हदयरा॥ 2॥
* तब हचत चढप्रेउ जगो समंकर कहप्रेऊ। पभपु अपमरानपु समपुहझ उर दहप्रेऊ॥
पराहछल दख पु पु न हृदयहूँ अस ब्यरापरा। जस यह भयउ महरा पररतरापरा॥3॥
भरावरारर्ण:-तब हशवजश्री नप्रे जगो कहरा ररा, वह उनककी समझ ममें आयरा। स्वरामश्री करा अपमरान समझकर
सतश्री करा हृदय जल उठरा। हपछलरा (पहत पररत्यराग करा) दद्धाःपु ख उनकप्रे हृदय ममें उतनरा नहहीं व्यरापरा
ररा, हजतनरा महरानम दद्धाःपु ख इस समय (पहत अपमरान कप्रे करारर) हह आ॥3॥
* जद्यहप जग दरारन दख पु नरानरा। सब तमें कहठन जराहत अवमरानरा॥
समपुहझ सगो सहतहह भयउ अहत कगोधरा। बहह हबहध जननहीं ककीन्ह पबगोधरा॥4॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप जगत ममें अनप्रेक पकरार कप्रे दरारर दद्धाःपु ख हमैं, तरराहप, जराहत अपमरान सबसप्रे बढकर
कहठन हहै। यह समझकर सतश्रीजश्री कगो बडरा कगोध हगो आयरा। मरातरा नप्रे उन्हमें बहह त पकरार सप्रे समझरायरा-
बपुझरायरा॥4॥
पहत कप्रे अपमरान सप्रे दद्धाःपु खश्री हगोकर सतश्री करा यगोगराहग्नि सप्रे जल जरानरा, दक्ष यज हवध्वमंस
दगोहरा :
* हसव अपमरानपु न जराइ सहह हृदयहूँ न हगोइ पबगोध।
सकल सभहह हहठ हटहक तब बगोलहीं बचन सकगोध॥63॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु उनसप्रे हशवजश्री करा अपमरान सहरा नहहीं गयरा, इससप्रे उनकप्रे हृदय ममें कपु छ भश्री पबगोध
नहहीं हहआ। तब वप्रे सरारश्री सभरा कगो हठपपूवर्णक डराहूँटकर कगोधभरप्रे वचन बगोलहीं -॥63॥
चरौपराई :
* सपुनहह सभरासद सकल मपुहनमंदरा। कहश्री सपुनश्री हजन्ह समंकर हनमंदरा॥
सगो फिलपु तपुरत लहब सब कराहहहूँ। भलश्री भराहूँहत पहछतराब हपतराहहहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सभरासदर और सब मपुनश्रीश्वरगो! सपुनगो। हजन लगोगर नप्रे यहराहूँ हशवजश्री ककी हनमंदरा ककी यरा सपुनश्री
हहै, उन सबकगो उसकरा फिल तपुरमंत हश्री हमलप्रेगरा और मप्रेरप्रे हपतरा दक्ष भश्री भलश्रीभराहूँहत पछतराएहूँगप्रे॥ 1॥
* समंत समंभपु शश्रीपहत अपबरादरा। सपुहनअ जहराहूँ तहहूँ अहस मरजरादरा॥
कराहटअ तरासपु जश्रीभ जगो बसराई। शवन मपूहद न त चहलअ परराई॥2॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ समंत, हशवजश्री और लक्ष्मश्रीपहत शश्री हवष्रपु भगवरान ककी हनमंदरा सपुनश्री जराए, वहराहूँ ऐसश्री
मयरार्णदरा हहै हक यहद अपनरा वश चलप्रे तगो उस (हनमंदरा करनप्रे वरालप्रे) ककी जश्रीभ कराट लमें और नहहीं तगो
करान मपूहूँदकर वहराहूँ सप्रे भराग जराएहूँ॥2॥
*जगदरातमरा महप्रेसपु पपुररारश्री। जगत जनक सब कप्रे हहतकरारश्री॥
हपतरा ममंदमहत हनमंदत तप्रेहश्री। दच्छ सपुक समंभव यह दप्रेहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हत्रपपुर दहैत्य कगो मरारनप्रे वरालप्रे भगवरान महप्रेश्वर सम्पपूरर्ण जगत ककी आत्मरा हमैं , वप्रे जगहत्पतरा
और सबकरा हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं। मप्रेररा ममंदबपुहद हपतरा उनककी हनमंदरा करतरा हहै और मप्रेररा यह शरश्रीर दक्ष
हश्री कप्रे वश्रीयर्ण सप्रे उत्पन्न हहै॥3॥
* तहजहउहूँ तपुरत दप्रेह तप्रेहह हप्रेतपू। उर धरर चमंदमरौहल बमृषकप्रे तपू॥
अस कहह जगोग अहगहन तनपु जराररा। भयउ सकल मख हराहराकराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इसहलए चन्दमरा कगो ललराट पर धरारर करनप्रे वरालप्रे वमृषकप्रे तपु हशवजश्री कगो हृदय ममें धरारर
करकप्रे ममैं इस शरश्रीर कगो तपुरमंत हश्री त्यराग दहूँगपू श्री। ऐसरा कहकर सतश्रीजश्री नप्रे यगोगराहग्नि ममें अपनरा शरश्रीर भस्म
कर डरालरा। सरारश्री यजशरालरा ममें हराहराकरार मच गयरा॥4॥
दगोहरा :
* सतश्री मरनपु सपुहन समंभपु गन लगप्रे करन मख खश्रीस।
जग्य हबधमंस हबलगोहक भमृगपु रच्छरा ककीहन्ह मपुनश्रीस॥64॥ ॥
भरावरारर्ण:-सतश्री करा मरर सपुनकर हशवजश्री कप्रे गर यज हवध्वमंस करनप्रे लगप्रे। यज हवध्वमंस हगोतप्रे दप्रेखकर
मपुनश्रीश्वर भमृगपुजश्री नप्रे उसककी रक्षरा ककी॥64॥
चरौपराई :
* समराचरार सब समंकर पराए। बश्रीरभदपु करर कगोप पठराए॥
जग्य हबधमंस जराइ हतन्ह ककीन्हरा। सकल सपुरन्ह हबहधवत फिलपु दश्रीन्हरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यप्रे सब समराचरार हशवजश्री कगो हमलप्रे, तब उन्हरनप्रे कगोध करकप्रे वश्रीरभद कगो भप्रेजरा। उन्हरनप्रे
वहराहूँ जराकर यज हवध्वमंस कर डरालरा और सब दप्रेवतराओमं कगो यरगोहचत फिल (दमंड) हदयरा॥1॥
* भहै जगहबहदत दच्छ गहत सगोई। जहस कछपु समंभपु हबमपुख कहै हगोई॥
यह इहतहरास सकल जग जरानश्री। तरातप्रे ममैं समंछप्रेप बखरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-दक्ष ककी जगत्पहसद वहश्री गहत हह ई, जगो हशवदगोहश्री ककी हहआ करतश्री हहै। यह इहतहरास सराररा
समंसरार जरानतरा हहै, इसहलए ममैंनप्रे समंक्षप्रेप ममें वरर्णन हकयरा॥2॥
परावर्णतश्री करा जन्म और तपस्यरा
*सतहीं मरत हरर सन बर मरागरा। जनम जनम हसव पद अनपुररागरा॥
तप्रेहह करारन हहमहगरर गमृह जराई। जनमहीं परारबतश्री तनपु पराई॥3॥
भरावरारर्ण:-सतश्री नप्रे मरतप्रे समय भगवरान हरर सप्रे यह वर मराहूँगरा हक मप्रेररा जन्म-जन्म ममें हशवजश्री कप्रे
चररर ममें अनपुरराग रहप्रे। इसश्री करारर उन्हरनप्रे हहमराचल कप्रे घर जराकर परावर्णतश्री कप्रे शरश्रीर सप्रे जन्म हलयरा॥
3॥
*जब तमें उमरा सहैल गमृह जराई।मं सकल हसहद समंपहत तहहूँ छराई॥मं
जहहूँ तहहूँ मपुहनन्ह सपुआशम ककीन्हप्रे। उहचत बरास हहम भपूधर दश्रीन्हप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे उमराजश्री हहमराचल कप्रे घर जन्महीं, तबसप्रे वहराहूँ सरारश्री हसहदयराहूँ और सम्पहरयराहूँ छरा
गई।मं मपुहनयर नप्रे जहराहूँ-तहराहूँ सपुदमं र आशम बनरा हलए और हहमराचल नप्रे उनकगो उहचत स्ररान हदए॥4॥
दगोहरा :
* सदरा सपुमन फिल सहहत सब दपुम नव नरानरा जराहत।
पगटहीं सपुमंदर सहैल पर महन आकर बहह भराहूँहत॥65॥
भरावरारर्ण:-उस सपुदमं र पवर्णत पर बहह त पकरार कप्रे सब नए-नए वमृक्ष सदरा पपुष्प-फिलयक्त पु हगो गए और
वहराहूँ बहह त तरह ककी महरयर ककी खरानमें पकट हगो गई॥मं 65॥
चरौपराई :
* सररतरा सब पपुनश्रीत जलपु बहहहीं। खग ममृग मधपुप सपुखश्री सब रहहहीं॥
सहज बयर सब जश्रीवन्ह त्यरागरा। हगरर पर सकल करहहमं अनपुररागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सरारश्री नहदयर ममें पहवत्र जल बहतरा हहै और पक्षश्री, पशपु, रमर सभश्री सपुखश्री रहतप्रे हमैं। सब
जश्रीवर नप्रे अपनरा स्वराभराहवक बहैर छगोड हदयरा और पवर्णत पर सभश्री परस्पर पप्रेम करतप्रे हमैं॥ 1॥
* सगोह सहैल हगररजरा गमृह आएहूँ। हजहम जनपु ररामभगहत कप्रे पराएहूँ॥
हनत नपूतन ममंगल गमृह तरासपू। ब्रहराहदक गरावहहमं जसपु जरासपू॥2॥
भरावरारर्ण:-परावर्णतश्रीजश्री कप्रे घर आ जरानप्रे सप्रे पवर्णत ऐसरा शगोभरायमरान हगो रहरा हहै जहैसरा ररामभहक्त कगो पराकर
भक्त शगोभरायमरान हगोतरा हहै। उस (पवर्णतरराज) कप्रे घर हनत्य नए-नए ममंगलगोत्सव हगोतप्रे हमैं, हजसकरा
ब्रहराहद यश गरातप्रे हमैं॥2॥
* नरारद समराचरार सब पराए। कगोतपुकहहीं हगरर गप्रेह हसधराए॥
सहैलरराज बड आदर ककीन्हरा। पद पखरारर बर आसनपु दश्रीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-जब नरारदजश्री नप्रे यप्रे सब समराचरार सपुनप्रे तगो वप्रे करौतपुक हश्री सप्रे हहमराचल कप्रे घर पधरारप्रे।
पवर्णतरराज नप्रे उनकरा बडरा आदर हकयरा और चरर धगोकर उनकगो उरम आसन हदयरा॥ 3॥
* नरारर सहहत मपुहन पद हसर नरावरा। चरन सहलल सबपु भवनपु हसमंचरावरा॥
हनज सरौभराग्य बहह त हगरर बरनरा। सपुतरा बगोहल मप्रेलश्री मपुहन चरनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर अपनश्री स्त्रश्री सहहत मपुहन कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा और उनकप्रे चररगोदक कगो सरारप्रे घर
ममें हछडकरायरा। हहमराचल नप्रे अपनप्रे सरौभराग्य करा बहह त बखरान हकयरा और पपुत्रश्री कगो बपुलराकर मपुहन कप्रे
चररर पर डराल हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* हत्रकरालग्य सबर्णग्य तपुम्ह गहत सबर्णत्र तपुम्हरारर।
कहहह सपुतरा कप्रे दगोष गपुन मपुहनबर हृदयहूँ हबचरारर॥66॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे मपुहनवर! आप हत्रकरालज और सवर्णज हमैं, आपककी सवर्णत्र पहह हूँच हहै। अतद्धाः
आप हृदय ममें हवचरार कर कन्यरा कप्रे दगोष-गपुर कहहए॥66॥
चरौपराई :
* कह मपुहन हबहहस गपूढ ममृद पु बरानश्री। सपुतरा तपुम्हरारर सकल गपुन खरानश्री॥
सपुमंदर सहज सपुसश्रील सयरानश्री। नराम उमरा अमंहबकरा भवरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-नरारद मपुहन नप्रे हहूँसकर रहस्ययक्त पु कगोमल वरारश्री सप्रे कहरा- तपुम्हरारश्री कन्यरा सब गपुरर ककी
खरान हहै। यह स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं र, सपुशश्रील और समझदरार हहै। उमरा, अहम्बकरा और भवरानश्री इसकप्रे
नराम हमैं॥1॥
* सब लच्छन समंपन्न कपु मरारश्री। हगोइहह समंतत हपयहह हपआरश्री॥
सदरा अचल एहह कर अहहवरातरा। एहह तमें जसपु पहैहहहमं हपतपु मरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कन्यरा सब सपुलक्षरर सप्रे सम्पन्न हहै, यह अपनप्रे पहत कगो सदरा प्यरारश्री हगोगश्री। इसकरा सपुहराग
सदरा अचल रहप्रेगरा और इससप्रे इसकप्रे मरातरा-हपतरा यश परावमेंगप्रे॥2॥
* हगोइहह पपूज्य सकल जग मराहहीं। एहह सप्रेवत कछपु दल पु र्णभ नराहहीं॥
एहह कर नरामपु सपुहमरर समंसराररा। हत्रय चहढहहहमं पहतब्रत अहसधराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यह सरारप्रे जगत ममें पपूज्य हगोगश्री और इसककी सप्रेवरा करनप्रे सप्रे कपु छ भश्री दलपु भर्ण न हगोगरा। समंसरार
ममें हस्त्रयराहूँ इसकरा नराम स्मरर करकप्रे पहतव्रतरा रूपश्री तलवरार ककी धरार पर चढ जराएहूँगश्री॥ 3॥
* सहैल सपुलच्छन सपुतरा तपुम्हरारश्री। सपुनहह जप्रे अब अवगपुन दइपु चरारश्री॥
अगपुन अमरान मरातपु हपतपु हश्रीनरा। उदरासश्रीन सब समंसय छश्रीनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पवर्णतरराज! तपुम्हरारश्री कन्यरा सपुलच्छनश्री हहै। अब इसममें जगो दगो-चरार अवगपुर हमैं, उन्हमें भश्री
सपुन लगो। गपुरहश्रीन, मरानहश्रीन, मरातरा-हपतराहवहश्रीन, उदरासश्रीन, समंशयहश्रीन (लरापरवराह)॥4॥
दगोहरा :
* जगोगश्री जहटल अकराम मन नगन अममंगल बप्रेष।
अस स्वरामश्री एहह कहहूँ हमहलहह परश्री हस्त अहस रप्रेख॥67॥
भरावरारर्ण:-यगोगश्री, जटराधरारश्री, हनष्कराम हृदय, नमंगरा और अममंगल वप्रेष वरालरा, ऐसरा पहत इसकगो
हमलप्रेगरा। इसकप्रे हरार ममें ऐसश्री हश्री रप्रेखरा पडश्री हहै॥67॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन हगररा सत्य हजयहूँ जरानश्री। दख पु दमंपहतहह उमरा हरषरानश्री॥
नरारदहह हूँ यह भप्रेद पु न जरानरा। दसरा एक समपुझब हबलगरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-नरारद मपुहन ककी वरारश्री सपुनकर और उसकगो हृदय ममें सत्य जरानकर पहत-पत्नश्री (हहमवरानम
और महैनरा) कगो दद्धाःपु ख हहआ और परावर्णतश्रीजश्री पसन्न हह ई।मं नरारदजश्री नप्रे भश्री इस रहस्य कगो नहहीं जरानरा,
क्यरहक सबककी बराहरश्री दशरा एक सश्री हगोनप्रे पर भश्री भश्रीतरश्री समझ हभन्न-हभन्न रश्री॥1॥
* सकल सखहीं हगररजरा हगरर महैनरा। पपुलक सरश्रीर भरप्रे जल नहैनरा॥
हगोइ न ममृषरा दप्रेवररहष भराषरा। उमरा सगो बचनपु हृदयहूँ धरर रराखरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सरारश्री सहखयराहूँ, परावर्णतश्री, पवर्णतरराज हहमवरानम और महैनरा सभश्री कप्रे शरश्रीर पपुलहकत रप्रे और
सभश्री कप्रे नप्रेत्रर ममें जल भररा ररा। दप्रेवहषर्ण कप्रे वचन असत्य नहहीं हगो सकतप्रे, (यह हवचरारकर) परावर्णतश्री नप्रे
उन वचनर कगो हृदय ममें धरारर कर हलयरा॥2॥
* उपजप्रेउ हसव पद कमल सनप्रेहह। हमलन कहठन मन भरा समंदप्रेहह॥
जराहन कपु अवसर पश्रीहत दरपु राई। सखश्री उछहूँग बहैठश्री पपुहन जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें हशवजश्री कप्रे चरर कमलर ममें स्नप्रेह उत्पन्न हगो आयरा, परन्तपु मन ममें यह समंदहप्रे हहआ हक
उनकरा हमलनरा कहठन हहै। अवसर ठश्रीक न जरानकर उमरा नप्रे अपनप्रे पप्रेम कगो हछपरा हलयरा और हफिर वप्रे
सखश्री ककी गगोद ममें जराकर बहैठ गई॥मं 3॥
* झपूहठ न हगोइ दप्रेवररहष बरानश्री। सगोचहहमं दमंपहत सखहीं सयरानश्री॥
उर धरर धश्रीर कहइ हगरररराऊ। कहहह नरार करा कररअ उपराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवहषर्ण ककी वरारश्री झपूठश्री न हगोगश्री, यह हवचरार कर हहमवरानम, महैनरा और सरारश्री चतपुर सहखयराहूँ
हचन्तरा करनप्रे लगहीं। हफिर हृदय ममें धश्रीरज धरकर पवर्णतरराज नप्रे कहरा- हप्रे नरार! कहहए, अब क्यरा
उपराय हकयरा जराए?॥4॥
दगोहरा :
* कह मपुनश्रीस हहमवमंत सपुनपु जगो हबहध हलखरा हललरार।
दप्रेव दनपुज नर नराग मपुहन कगोउ न मप्रेटहनहरार॥68॥
भरावरारर्ण:-मपुनश्रीश्वर नप्रे कहरा- हप्रे हहमवरानम! सपुनगो, हवधरातरा नप्रे ललराट पर जगो कपु छ हलख हदयरा हहै,
उसकगो दप्रेवतरा, दरानव, मनपुष्य, नराग और मपुहन कगोई भश्री नहहीं हमटरा सकतप्रे॥68॥
चरौपराई :
* तदहप एक ममैं कहउहूँ उपराई। हगोइ करहै जजौं दहैउ सहराई॥
जस बर ममैं बरनप्रेउहूँ तपुम्ह पराहहीं। हमहलहह उमहह तस समंसय नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तगो भश्री एक उपराय ममैं बतरातरा हह।हूँ यहद दहैव सहरायतरा करमें तगो वह हसद हगो सकतरा हहै। उमरा
कगो वर तगो हनद्धाःसमंदहप्रे वहैसरा हश्री हमलप्रेगरा, जहैसरा ममैंनप्रे तपुम्हरारप्रे सरामनप्रे वरर्णन हकयरा हहै॥1॥
* जप्रे जप्रे बर कप्रे दगोष बखरानप्रे। तप्रे सब हसव पहहमं ममैं अनपुमरानप्रे॥
जजौं हबबराहह समंकर सन हगोई। दगोषउ गपुन सम कह सबपु कगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु ममैंनप्रे वर कप्रे जगो-जगो दगोष बतलराए हमैं, मप्रेरप्रे अनपुमरान सप्रे वप्रे सभश्री हशवजश्री ममें हमैं। यहद
हशवजश्री कप्रे सरार हववराह हगो जराए तगो दगोषर कगो भश्री सब लगोग गपुरर कप्रे समरान हश्री कहमेंगप्रे॥2॥
* जजौं अहह सप्रेज सयन हरर करहहीं। बपुध कछपु हतन्ह कर दगोषपु न धरहहीं॥
भरानपु कमृ सरानपु सबर्ण रस खराहहीं। हतन्ह कहहूँ ममंद कहत कगोउ नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हवष्रपु भगवरान शप्रेषनराग ककी शय्यरा पर सगोतप्रे हमैं, तगो भश्री पहण्डत लगोग उनकगो कगोई दगोष
नहहीं लगरातप्रे। सपूयर्ण और अहग्निदप्रेव अच्छप्रे-बपुरप्रे सभश्री रसर करा भक्षर करतप्रे हमैं, परन्तपु उनकगो कगोई बपुररा
नहहीं कहतरा॥3॥
*सपुभ अर असपुभ सहलल सब बहई। सपुरसरर कगोउ अपपुनश्रीत न कहई॥
समरर कहह हूँ नहहमं दगोषपु गगोसराई।मं रहब परावक सपुरसरर ककी नराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-गमंगराजश्री ममें शपुभ और अशपुभ सभश्री जल बहतरा हहै, पर कगोई उन्हमें अपहवत्र नहहीं कहतरा।
सपूयर्ण, अहग्नि और गमंगराजश्री ककी भराहूँहत समरर्ण कगो कपु छ दगोष नहहीं लगतरा॥4॥
दगोहरा :
* जजौं अस हहहसषरा करहहमं नर जड हबबप्रेक अहभमरान।
परहहमं कलप भरर नरक महह हूँ जश्रीव हक ईस समरान॥69॥
भरावरारर्ण:-यहद मपूखर्ण मनपुष्य जरान कप्रे अहभमरान सप्रे इस पकरार हगोड करतप्रे हमैं, तगो वप्रे कल्पभर कप्रे हलए
नरक ममें पडतप्रे हमैं। भलरा कहहीं जश्रीव भश्री ईश्वर कप्रे समरान (सवर्णररा स्वतमंत्र) हगो सकतरा हहै?॥69॥
चरौपराई :
* सपुरसरर जल कमृ त बरारहन जरानरा। कबहह हूँ न समंत करहहमं तप्रेहह परानरा॥
सपुरसरर हमलमें सगो परावन जहैसमें। ईस अनश्रीसहह अमंतर तहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-गमंगरा जल सप्रे भश्री बनराई हह ई महदररा कगो जरानकर समंत लगोग कभश्री उसकरा परान नहहीं करतप्रे।
पर वहश्री गमंगराजश्री ममें हमल जरानप्रे पर जहैसप्रे पहवत्र हगो जरातश्री हहै, ईश्वर और जश्रीव ममें भश्री वहैसरा हश्री भप्रेद हहै॥
1॥
* समंभपु सहज समरर भगवरानरा। एहह हबबराहहूँ सब हबहध कल्यरानरा॥
दरपु रारराध्य पहै अहहहमं महप्रेसपू। आसपुतगोष पपुहन हकएहूँ कलप्रेसपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री सहज हश्री समरर्ण हमैं, क्यरहक वप्रे भगवरान हमैं, इसहलए इस हववराह ममें सब पकरार
कल्यरार हहै, परन्तपु महरादप्रेवजश्री ककी आरराधनरा बडश्री कहठन हहै, हफिर भश्री कप्रे श (तप) करनप्रे सप्रे वप्रे
बहह त जल्द समंतपुष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥2॥
* जजौं तपपु करहै कपु मरारर तपुम्हरारश्री। भराहवउ मप्रेहट सकहहमं हत्रपपुररारश्री॥
जद्यहप बर अनप्रेक जग मराहहीं। एहह कहहूँ हसव तहज दस पू र नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद तपुम्हरारश्री कन्यरा तप करप्रे, तगो हत्रपपुररारर महरादप्रेवजश्री हगोनहरार कगो हमटरा सकतप्रे हमैं। यद्यहप
समंसरार ममें वर अनप्रेक हमैं, पर इसकप्रे हलए हशवजश्री कगो छगोडकर दस पू ररा वर नहहीं हहै॥3॥
* बर दरायक पनतरारहत भमंजन। कमृ पराहसमंधपु सप्रेवक मन रमंजन॥
इहच्छत फिल हबनपु हसव अवरराधमें। लहहअ न कगोहट जगोग जप सराधमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री वर दप्रेनप्रे वरालप्रे, शरररागतर कप्रे दद्धाःपु खर करा नराश करनप्रे वरालप्रे, कमृ परा कप्रे समपुद और
सप्रेवकर कप्रे मन कगो पसन्न करनप्रे वरालप्रे हमैं। हशवजश्री ककी आरराधनरा हकए हबनरा करगोडर यगोग और जप
करनप्रे पर भश्री वराहमं छत फिल नहहीं हमलतरा॥4॥
दगोहरा :
* अस कहह नरारद सपुहमरर हरर हगररजहह दश्रीहन्ह असश्रीस।
हगोइहह यह कल्यरान अब समंसय तजहह हगरश्रीस॥70॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर भगवरान करा स्मरर करकप्रे नरारदजश्री नप्रे परावर्णतश्री कगो आशश्रीवरार्णद हदयरा। (और
कहरा हक-) हप्रे पवर्णतरराज! तपुम समंदहप्रे करा त्यराग कर दगो, अब यह कल्यरार हश्री हगोगरा॥70॥
चरौपराई :
* कहह अस ब्रहभवन मपुहन गयऊ। आहगल चररत सपुनहह जस भयऊ॥
पहतहह एकरामंत पराइ कह महैनरा। नरार न ममैं समपुझप्रे मपुहन बहैनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यर कहकर नरारद मपुहन ब्रहलगोक कगो चलप्रे गए। अब आगप्रे जगो चररत्र हह आ उसप्रे सपुनगो। पहत
कगो एकरान्त ममें पराकर महैनरा नप्रे कहरा- हप्रे नरार! ममैंनप्रे मपुहन कप्रे वचनर करा अरर्ण नहहीं समझरा॥1॥
* जजौं घर बर कपु लपु हगोइ अनपूपरा। कररअ हबबराहह सपुतरा अनपुरूपरा॥
न त कन्यरा बर रहउ कपु आरश्री। कमंत उमरा मम परानहपआरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो हमरारश्री कन्यरा कप्रे अनपुकपूल घर, वर और कपु ल उरम हगो तगो हववराह ककीहजए। नहहीं तगो
लडककी चराहप्रे कपु मरारश्री हश्री रहप्रे (ममैं अयगोग्य वर कप्रे सरार उसकरा हववराह नहहीं करनरा चराहतश्री), क्यरहक
हप्रे स्वराहमनम! परावर्णतश्री मपुझकगो परारर कप्रे समरान प्यरारश्री हहै॥2॥
* जजौं न हमहलहह बर हगररजहह जगोगपू। हगरर जड सहज कहहहह सबपु लगोगपू॥
सगोइ हबचरारर पहत करप्रेहह हबबराहह। जप्रेहहमं न बहगोरर हगोइ उर दराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद परावर्णतश्री कप्रे यगोग्य वर न हमलरा तगो सब लगोग कहमेंगप्रे हक पवर्णत स्वभराव सप्रे हश्री जड
(मपूखर्ण) हगोतप्रे हमैं। हप्रे स्वरामश्री! इस बरात कगो हवचरारकर हश्री हववराह ककीहजएगरा, हजसममें हफिर पश्रीछप्रे हृदय
ममें सन्तराप न हगो॥3॥
* अस कहह परश्री चरन धरर सश्रीसरा। बगोलप्रे सहहत सनप्रेह हगरश्रीसरा॥
बर परावक पगटहै सहस मराहहीं। नरारद बचनपु अन्यररा नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार कहकर महैनरा पहत कप्रे चररर पर मस्तक रखकर हगर पडहीं। तब हहमवरानम नप्रे पप्रेम
सप्रे कहरा- चराहप्रे चन्दमरा ममें अहग्नि पकट हगो जराए, पर नरारदजश्री कप्रे वचन झपूठप्रे नहहीं हगो सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हपयरा सगोचपु पररहरहह सबपु सपुहमरहह शश्रीभगवरान।
परारबहतहह हनरमयउ जप्रेहहमं सगोइ कररहह कल्यरान॥71॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! सब सगोच छगोडकर शश्री भगवरान करा स्मरर करगो, हजन्हरनप्रे परावर्णतश्री कगो रचरा हहै, वप्रे
हश्री कल्यरार करमेंगप्रे॥71॥
चरौपराई :
* अब जजौं तपुम्हहह सपुतरा पर नप्रेहह। तरौ अस जराइ हसखरावनपु दप्रेहह॥
करहै सगो तपपु जप्रेहहमं हमलहहमं महप्रेसपू। आन उपरायहूँ न हमहटहह कलप्रेसपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अब यहद तपुम्हमें कन्यरा पर पप्रेम हहै, तगो जराकर उसप्रे यह हशक्षरा दगो हक वह ऐसरा तप करप्रे,
हजससप्रे हशवजश्री हमल जराएहूँ। दस पू रप्रे उपराय सप्रे यह कप्रे श नहहीं हमटप्रेगरा॥1॥
* नरारद बचन सगभर्ण सहप्रेतपू। सपुदमं र सब गपुन हनहध बमृषकप्रे तपू॥
अस हबचरारर तपुम्ह तजहह असमंकरा। सबहह भराहूँहत समंकर अकलमंकरा॥2॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री कप्रे वचन रहस्य सप्रे यक्त पु और सकरारर हमैं और हशवजश्री समस्त सपुदमं र गपुरर कप्रे
भण्डरार हमैं। यह हवचरारकर तपुम (हमथ्यरा) समंदहप्रे कगो छगोड दगो। हशवजश्री सभश्री तरह सप्रे हनष्कलमंक हमैं॥
2॥
* सपुहन पहत बचन हरहष मन मराहहीं। गई तपुरत उहठ हगररजरा पराहहीं॥
उमहह हबलगोहक नयन भरप्रे बरारश्री। सहहत सनप्रेह गगोद बहैठरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पहत कप्रे वचन सपुन मन ममें पसन्न हगोकर महैनरा उठकर तपुरमंत परावर्णतश्री कप्रे परास गई।मं परावर्णतश्री कगो
दप्रेखकर उनककी आहूँखर ममें आहूँसपू भर आए। उसप्रे स्नप्रेह कप्रे सरार गगोद ममें बहैठरा हलयरा॥3॥
दगोहरा :
* बरारहहमं बरार लप्रेहत उर लराई। गदगद कमंठ न कछपु कहह जराई॥
जगत मरातपु सबर्णग्य भवरानश्री। मरातपु सपुखद बगोलहीं ममृद पु बरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर बरार-बरार उसप्रे हृदय सप्रे लगरानप्रे लगहीं। पप्रेम सप्रे महैनरा करा गलरा भर आयरा, कपु छ कहरा
नहहीं जरातरा। जगजननश्री भवरानश्रीजश्री तगो सवर्णज ठहरहीं। (मरातरा कप्रे मन ककी दशरा कगो जरानकर) वप्रे मरातरा
कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलहीं-॥4॥
दगोहरा :
* सपुनहह मरातपु ममैं दश्रीख अस सपन सपुनरावउहूँ तगोहह।
सपुमंदर गरौर सपुहबपबर अस उपदप्रेसप्रेउ मगोहह॥72॥
भरावरारर्ण:-मराहूँ! सपुन, ममैं तपुझप्रे सपुनरातश्री हह हूँ, ममैंनप्रे ऐसरा स्वप्न दप्रेखरा हहै हक मपुझप्रे एक सपुदमं र गरौरवरर्ण शप्रेष
ब्रराहर नप्रे ऐसरा उपदप्रेश हदयरा हहै-॥72॥
चरौपराई :
* करहह जराइ तपपु सहैलकपु मरारश्री। नरारद कहरा सगो सत्य हबचरारश्री॥
मरातपु हपतहह पपुहन यह मत भरावरा। तपपु सपुखपद दख पु दगोष नसरावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! नरारदजश्री नप्रे जगो कहरा हहै, उसप्रे सत्य समझकर तपू जराकर तप कर। हफिर यह
बरात तप्रेरप्रे मरातरा-हपतरा कगो भश्री अच्छश्री लगश्री हहै। तप सपुख दप्रेनप्रे वरालरा और द द्धाःपु ख-दगोष करा नराश करनप्रे
वरालरा हहै॥1॥
* तपबल रचइ पपमंचपु हबधरातरा। तपबल हबष्नपु सकल जग त्ररातरा॥
तपबल समंभपु करहहमं समंघराररा। तपबल सप्रेषपु धरइ महहभराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तप कप्रे बल सप्रे हश्री ब्रहरा समंसरार कगो रचतप्रे हमैं और तप कप्रे बल सप्रे हश्री हबष्रपु सरारप्रे जगत करा
परालन करतप्रे हमैं। तप कप्रे बल सप्रे हश्री शम्भपु (रद रूप सप्रे) जगत करा समंहरार करतप्रे हमैं और तप कप्रे बल
सप्रे हश्री शप्रेषजश्री पमृथ्वश्री करा भरार धरारर करतप्रे हमैं॥2॥
* तप अधरार सब समृहष्टि भवरानश्री। करहह जराइ तपपु अस हजयहूँ जरानश्री॥
सपुनत बचन हबसहमत महतरारश्री। सपन सपुनरायउ हगररहह हहूँकरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भवरानश्री! सरारश्री समृहष्टि तप कप्रे हश्री आधरार पर हहै। ऐसरा जश्री ममें जरानकर तपू जराकर तप कर।
यह बरात सपुनकर मरातरा कगो बडरा अचरज हह आ और उसनप्रे हहमवरानम कगो बपुलराकर वह स्वप्न सपुनरायरा॥
3॥
दगोहरा :
* मरातपु हपतहह बहह हबहध समपुझराई। चलहीं उमरा तप हहत हरषराई॥
हपय पररवरार हपतरा अर मरातरा। भए हबकल मपुख आव न बरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मरातरा-हपतरा कगो बहह त तरह सप्रे समझराकर बडप्रे हषर्ण कप्रे सरार परावर्णतश्रीजश्री तप करनप्रे कप्रे हलए
चलहीं। प्यरारप्रे कपु टपु म्बश्री, हपतरा और मरातरा सब व्यराकपुल हगो गए। हकसश्री कप्रे मपुहूँह सप्रे बरात नहहीं हनकलतश्री॥
4॥
दगोहरा :
*बप्रेदहसररा मपुहन आइ तब सबहह कहरा समपुझराइ।
परारबतश्री महहमरा सपुनत रहप्रे पबगोधहह पराइ॥73॥
भरावरारर्ण:-तब वप्रेदहशररा मपुहन नप्रे आकर सबकगो समझराकर कहरा। परावर्णतश्रीजश्री ककी महहमरा सपुनकर सबकगो
समराधरान हगो गयरा॥73॥
चरौपराई :
* उर धरर उमरा परानपहत चरनरा। जराइ हबहपन लरागहीं तपपु करनरा॥
अहत सपुकपुमरार न तनपु तप जगोगपू। पहत पद सपुहमरर तजप्रेउ सबपु भगोगपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परारपहत (हशवजश्री) कप्रे चररर कगो हृदय ममें धरारर करकप्रे परावर्णतश्रीजश्री वन ममें जराकर तप
करनप्रे लगहीं। परावर्णतश्रीजश्री करा अत्यन्त सपुकपुमरार शरश्रीर तप कप्रे यगोग्य नहहीं ररा, तगो भश्री पहत कप्रे चररर करा
स्मरर करकप्रे उन्हरनप्रे सब भगोगर कगो तज हदयरा॥1॥
* हनत नव चरन उपज अनपुररागरा। हबसरश्री दप्रेह तपहहमं मनपु लरागरा॥
समंबत सहस मपूल फिल खराए। सरागपु खराइ सत बरष गवराहूँए॥2॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री कप्रे चररर ममें हनत्य नयरा अनपुरराग उत्पन्न हगोनप्रे लगरा और तप ममें ऐसरा मन लगरा हक
शरश्रीर ककी सरारश्री सपुध हबसर गई। एक हजरार वषर्ण तक उन्हरनप्रे मपूल और फिल खराए , हफिर सरौ वषर्ण
सराग खराकर हबतराए॥2॥
* कछपु हदन भगोजनपु बरारर बतरासरा। हकए कहठन कछपु हदन उपबरासरा॥
बप्रेल परातश्री महह परइ सपुखराई। तश्रीहन सहस समंबत सगोइ खराई॥3॥
भरावरारर्ण:-कपु छ हदन जल और वरायपु करा भगोजन हकयरा और हफिर कपु छ हदन कठगोर उपवरास हकए, जगो
बप्रेल पत्र सपूखकर पमृथ्वश्री पर हगरतप्रे रप्रे, तश्रीन हजरार वषर्ण तक उन्हहीं कगो खरायरा॥3॥
* पपुहन पररहरप्रे सपुखरानप्रेउ परनरा। उमहह नरामपु तब भयउ अपरनरा॥
दप्रेहख उमहह तप खश्रीन सरश्रीररा। ब्रहहगररा भहै गगन गभश्रीररा॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर सपूखप्रे परर्ण (परप्रे) भश्री छगोड हदए, तभश्री परावर्णतश्री करा नराम 'अपररार्ण' हह आ। तप सप्रे उमरा
करा शरश्रीर क्षश्रीर दप्रेखकर आकराश सप्रे गमंभश्रीर ब्रहवरारश्री हह ई-॥4॥
दगोहरा :
* भयउ मनगोरर सपुफिल तव सपुनपु हगरररराजकपु मरारर।
पररहर दसपु ह कलप्रेस सब अब हमहलहहहमं हत्रपपुररारर॥74॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पवर्णतरराज ककी कपु मरारश्री! सपुन, तप्रेररा मनगोरर सफिल हह आ। तपू अब सरारप्रे असह्य कप्रे शर कगो
(कहठन तप कगो) त्यराग दप्रे। अब तपुझप्रे हशवजश्री हमलमेंगप्रे॥74॥
चरौपराई :
* अस तपपु कराहहहूँ न ककीन्ह भवरानश्री। भए अनप्रेक धश्रीर मपुहन ग्यरानश्री॥
अब उर धरहह ब्रह बर बरानश्री। सत्य सदरा समंतत सपुहच जरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भवरानश्री! धश्रीर, मपुहन और जरानश्री बहह त हहए हमैं, पर ऐसरा (कठगोर) तप हकसश्री नप्रे नहहीं
हकयरा। अब तपू इस शप्रेष ब्रहरा ककी वरारश्री कगो सदरा सत्य और हनरमंतर पहवत्र जरानकर अपनप्रे हृदय ममें
धरारर कर॥1॥
* आवहै हपतरा बगोलरावन जबहहीं। हठ पररहरर घर जराएहह तबहहीं॥
हमलहहमं तपुम्हहह जब सप्त ररषश्रीसरा। जरानप्रेहह तब पमरान बरागश्रीसरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जब तप्रेरप्रे हपतरा बपुलरानप्रे कगो आवमें, तब हठ छगोडकर घर चलश्री जरानरा और जब तपुम्हमें सप्तहषर्ण
हमलमें तब इस वरारश्री कगो ठश्रीक समझनरा॥2॥
* सपुनत हगररा हबहध गगन बखरानश्री। पपुलक गरात हगररजरा हरषरानश्री॥
उमरा चररत सपुमंदर ममैं गरावरा। सपुनहह समंभपु कर चररत सपुहरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार) आकराश सप्रे कहश्री हह ई ब्रहरा ककी वरारश्री कगो सपुनतप्रे हश्री परावर्णतश्रीजश्री पसन्न हगो गई मं
और (हषर्ण कप्रे मरारप्रे) उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा। (यराजवल्क्यजश्री भरदराजजश्री सप्रे बगोलप्रे हक-) ममैंनप्रे
परावर्णतश्री करा सपुमंदर चररत्र सपुनरायरा, अब हशवजश्री करा सपुहरावनरा चररत्र सपुनगो॥3॥
* जब तमें सतहीं जराइ तनपु त्यरागरा। तब तमें हसव मन भयउ हबररागरा॥
जपहहमं सदरा रघपुनरायक नरामरा। जहहूँ तहहूँ सपुनहहमं रराम गपुन गरामरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे सतश्री नप्रे जराकर शरश्रीर त्यराग हकयरा, तब सप्रे हशवजश्री कप्रे मन ममें वहैरराग्य हगो गयरा। वप्रे
सदरा शश्री रघपुनरारजश्री करा नराम जपनप्रे लगप्रे और जहराहूँ-तहराहूँ शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर ककी करराएहूँ सपुननप्रे
लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हचदरानमंद सपुखधराम हसव हबगत मगोह मद कराम।
हबचरहहमं महह धरर हृदयहूँ हरर सकल लगोक अहभरराम॥75॥
भरावरारर्ण:-हचदरानन्द, सपुख कप्रे धराम, मगोह, मद और कराम सप्रे रहहत हशवजश्री सम्पपूरर्ण लगोकर कगो
आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे भगवरान शश्री हरर (शश्री ररामचन्दजश्री) कगो हृदय ममें धरारर कर (भगवरान कप्रे ध्यरान ममें
मस्त हह ए) पमृथ्वश्री पर हवचरनप्रे लगप्रे॥75॥
चरौपराई :
* कतहह हूँ मपुहनन्ह उपदप्रेसहहमं ग्यरानरा। कतहह हूँ रराम गपुन करहहमं बखरानरा॥
जदहप अकराम तदहप भगवरानरा। भगत हबरह दख पु दहपु खत सपुजरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे कहहीं मपुहनयर कगो जरान करा उपदप्रेश करतप्रे और कहहीं शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर करा वरर्णन
करतप्रे रप्रे। यद्यहप सपुजरान हशवजश्री हनष्कराम हमैं, तगो भश्री वप्रे भगवरान अपनप्रे भक्त (सतश्री) कप्रे हवयगोग कप्रे
दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री हमैं॥1॥
* एहह हबहध गयउ करालपु बहह बश्रीतश्री। हनत नहै हगोइ रराम पद पश्रीतश्री॥
नप्रेमपु पप्रेमपु समंकर कर दप्रेखरा। अहबचल हृदयहूँ भगहत कहै रप्रेखरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार बहह त समय बश्रीत गयरा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हनत नई पश्रीहत हगो रहश्री हहै।
हशवजश्री कप्रे (कठगोर) हनयम, (अनन्य) पप्रेम और उनकप्रे हृदय ममें भहक्त ककी अटल टप्रेक कगो (जब
शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे) दप्रेखरा॥2॥
* पगटप्रे ररामपु कमृ तग्य कमृ परालरा। रूप सश्रील हनहध तप्रेज हबसरालरा॥
बहह पकरार समंकरहह सरराहरा। तपुम्ह हबनपु अस ब्रतपु कगो हनरबराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तब कमृ तज (उपकरार मराननप्रे वरालप्रे), कमृ परालपु, रूप और शश्रील कप्रे भण्डरार, महरानम तप्रेजपपुमंज
भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री पकट हह ए। उन्हरनप्रे बहह त तरह सप्रे हशवजश्री ककी सरराहनरा ककी और कहरा हक
आपकप्रे हबनरा ऐसरा (कहठन) व्रत करौन हनबराह सकतरा हहै॥3॥
* बहह हबहध रराम हसवहह समपुझरावरा। परारबतश्री कर जन्मपु सपुनरावरा॥
अहत पपुनश्रीत हगररजरा कहै करनश्री। हबस्तर सहहत कमृ पराहनहध बरनश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे हशवजश्री कगो समझरायरा और परावर्णतश्रीजश्री करा जन्म सपुनरायरा।
कमृ पराहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हवस्तरारपपूवर्णक परावर्णतश्रीजश्री ककी अत्यन्त पहवत्र करनश्री करा वरर्णन हकयरा॥
4॥
शश्री ररामजश्री करा हशवजश्री सप्रे हववराह कप्रे हलए अनपुरगोध
दगोहरा :
* अब हबनतश्री मम सपुनहह हसव जजौं मगो पर हनज नप्रेहह।
जराइ हबबराहहह सहैलजहह यह मगोहह मरागमें दप्रेहह॥76॥
भरावरारर्ण:-(हफिर उन्हरनप्रे हशवजश्री सप्रे कहरा-) हप्रे हशवजश्री! यहद मपुझ पर आपकरा स्नप्रेह हहै, तगो अब
आप मप्रेरश्री हवनतश्री सपुहनए। मपुझप्रे यह मराहूँगमें दश्रीहजए हक आप जराकर परावर्णतश्री कप्रे सरार हववराह कर लमें॥
76॥
चरौपराई :
* कह हसव जदहप उहचत अस नराहहीं। नरार बचन पपुहन मप्रेहट न जराहहीं॥
हसर धरर आयसपु कररअ तपुम्हराररा। परम धरमपु यह नरार हमराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे कहरा- यद्यहप ऐसरा उहचत नहहीं हहै, परन्तपु स्वरामश्री ककी बरात भश्री मप्रेटश्री नहहीं जरा
सकतश्री। हप्रे नरार! मप्रेररा यहश्री परम धमर्ण हहै हक ममैं आपककी आजरा कगो हसर पर रखकर उसकरा परालन
करूहूँ॥1॥
* मरातपु हपतरा गपुर पभपु कहै बरानश्री। हबनहहमं हबचरार कररअ सपुभ जरानश्री॥
तपुम्ह सब भराहूँहत परम हहतकरारश्री। अग्यरा हसर पर नरार तपुम्हरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा, हपतरा, गपुर और स्वरामश्री ककी बरात कगो हबनरा हश्री हवचरारप्रे शपुभ समझकर करनरा
(मराननरा) चराहहए। हफिर आप तगो सब पकरार सप्रे मप्रेरप्रे परम हहतकरारश्री हमैं। हप्रे नरार ! आपककी आजरा मप्रेरप्रे
हसर पर हहै॥2॥
* पभपु तगोषप्रेउ सपुहन समंकर बचनरा। भहक्त हबबप्रेक धमर्ण जपुत रचनरा॥
कह पभपु हर तपुम्हरार पन रहप्रेऊ। अब उर रराखप्रेहह जगो हम कहप्रेऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री ककी भहक्त, जरान और धमर्ण सप्रे यक्त पु वचन रचनरा सपुनकर पभपु ररामचन्दजश्री समंतपुष्टि हगो
गए। पभपु नप्रे कहरा- हप्रे हर! आपककी पहतजरा पपूरश्री हगो गई। अब हमनप्रे जगो कहरा हहै, उसप्रे हृदय ममें
रखनरा॥3॥
* अमंतरधरान भए अस भराषश्री। समंकर सगोइ मपूरहत उर रराखश्री॥
तबहहमं सप्तररहष हसव पहहमं आए। बगोलप्रे पभपु अहत बचन सपुहराए॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार कहकर शश्री ररामचन्दजश्री अन्तधरार्णन हगो गए। हशवजश्री नप्रे उनककी वह मपूहतर्ण अपनप्रे
हृदय ममें रख लश्री। उसश्री समय सप्तहषर्ण हशवजश्री कप्रे परास आए। पभपु महरादप्रेवजश्री नप्रे उनसप्रे अत्यन्त
सपुहरावनप्रे वचन कहप्रे-॥4॥
दगोहरा :
* परारबतश्री पहहमं जराइ तपुम्ह पप्रेम पररच्छरा लप्रेहह।
हगररहह पप्रेरर पठएहह भवन दरपू र करप्रेहह समंदप्रेहह॥77॥
भरावरारर्ण:-आप लगोग परावर्णतश्री कप्रे परास जराकर उनकप्रे पप्रेम ककी परश्रीक्षरा लश्रीहजए और हहमराचल कगो
कहकर (उन्हमें परावर्णतश्री कगो हलवरा लरानप्रे कप्रे हलए भप्रेहजए तररा) परावर्णतश्री कगो घर हभजवराइए और उनकप्रे
समंदहप्रे कगो दरपू ककीहजए॥77॥
करामदप्रेव करा दप्रेवकरायर्ण कप्रे हलए जरानरा और भस्म हगोनरा
दगोहरा :
* सपुरन्ह कहश्री हनज हबपहत सब सपुहन मन ककीन्ह हबचरार।
समंभपु हबरगोध न कपु सल मगोहह हबहहस कहप्रेउ अस मरार॥83॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे करामदप्रेव सप्रे अपनश्री सरारश्री हवपहर कहश्री। सपुनकर करामदप्रेव नप्रे मन ममें हवचरार
हकयरा और हहूँसकर दप्रेवतराओमं सप्रे यर कहरा हक हशवजश्री कप्रे सरार हवरगोध करनप्रे ममें मप्रेरश्री कपु शल नहहीं हहै॥
83॥
चरौपराई :
*तदहप करब ममैं कराजपु तपुम्हराररा। शपुहत कह परम धरम उपकराररा॥
पर हहत लराहग तजइ जगो दप्रेहश्री। समंतत समंत पसमंसहहमं तप्रेहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तरराहप ममैं तपुम्हराररा कराम तगो करूहूँगरा, क्यरहक वप्रेद दस पू रप्रे कप्रे उपकरार कगो परम धमर्ण कहतप्रे हमैं।
जगो दस पू रप्रे कप्रे हहत कप्रे हलए अपनरा शरश्रीर त्यराग दप्रेतरा हहै, समंत सदरा उसककी बडराई करतप्रे हमैं॥1॥
* अस कहह चलप्रेउ सबहह हसर नराई। सपुमन धनपुष कर सहहत सहराई॥
चलत मरार अस हृदयहूँ हबचराररा। हसव हबरगोध धपुब मरनपु हमराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यर कह और सबकगो हसर नवराकर करामदप्रेव अपनप्रे पपुष्प कप्रे धनपुष कगो हरार ममें लप्रेकर
(वसन्तराहद) सहरायकर कप्रे सरार चलरा। चलतप्रे समय करामदप्रेव नप्रे हृदय ममें ऐसरा हवचरार हकयरा हक
हशवजश्री कप्रे सरार हवरगोध करनप्रे सप्रे मप्रेररा मरर हनहश्चत हहै॥2॥
* तब आपन पभराउ हबस्तराररा। हनज बस ककीन्ह सकल समंसराररा॥
कगोपप्रेउ जबहहमं बराररचरकप्रे तपू। छन महह हूँ हमटप्रे सकल शपुहत सप्रेतपू॥3॥
भरावरारर्ण:-तब उसनप्रे अपनरा पभराव फिहै लरायरा और समस्त समंसरार कगो अपनप्रे वश ममें कर हलयरा। हजस
समय उस मछलश्री कप्रे हचह्न ककी ध्वजरा वरालप्रे करामदप्रेव नप्रे कगोप हकयरा, उस समय क्षरभर ममें हश्री वप्रेदर
ककी सरारश्री मयरार्णदरा हमट गई॥3॥
* ब्रहचजर्ण ब्रत समंजम नरानरा। धश्रीरज धरम ग्यरान हबग्यरानरा॥
सदराचरार जप जगोग हबररागरा। सभय हबबप्रेक कटकपु सबपु भरागरा॥4॥
भरावरारर्ण:-ब्रहचयर्ण, हनयम, नरानरा पकरार कप्रे समंयम, धश्रीरज, धमर्ण, जरान, हवजरान, सदराचरार, जप,
यगोग, वहैरराग्य आहद हववप्रेक ककी सरारश्री सप्रेनरा डरकर भराग गई॥4॥
छमंद :
* भरागप्रेउ हबबप्रेकपु सहराय सहहत सगो सपुभट समंजपुग महह मपुरप्रे।
सदगमंर पबर्णत कमंदरहन्ह महह हूँ जराइ तप्रेहह अवसर दरपु प्रे॥
हगोहनहरार करा करतरार कगो रखवरार जग खरभर पररा।
दइपु मरार कप्रे हह रहतनरार जप्रेहह कहह हूँ कगोहप कर धनपु सर धररा॥
भरावरारर्ण:-हववप्रेक अपनप्रे सहरायकर सहहत भराग गयरा, उसकप्रे यगोदरा ररभपूहम सप्रे पश्रीठ हदखरा गए। उस
समय वप्रे सब सद्गन्र रूपश्री पवर्णत ककी कन्दरराओमं ममें जरा हछपप्रे (अररार्णत जरान, वहैरराग्य, समंयम,
हनयम, सदराचरारराहद गमंरर ममें हश्री हलखप्रे रह गए, उनकरा आचरर छपूट गयरा)। सरारप्रे जगतम ममें खलबलश्री
मच गई (और सब कहनप्रे लगप्रे) हप्रे हवधरातरा! अब क्यरा हगोनप्रे वरालरा हहै? हमरारश्री रक्षरा करौन करप्रेगरा?
ऐसरा दगो हसर वरालरा करौन हहै, हजसकप्रे हलए रहत कप्रे पहत करामदप्रेव नप्रे कगोप करकप्रे हरार ममें धनपुष-बरार
उठरायरा हहै?
दगोहरा :
*जप्रे सजश्रीव जग अचर चर नरारर पपुरष अस नराम।
तप्रे हनज हनज मरजराद तहज भए सकल बस कराम॥84॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें स्त्रश्री-पपुरष समंजरा वरालप्रे हजतनप्रे चर-अचर परारश्री रप्रे, वप्रे सब अपनश्री-अपनश्री मयरार्णदरा
छगोडकर कराम कप्रे वश ममें हगो गए॥84॥
चरौपराई :
* सब कप्रे हृदयहूँ मदन अहभलराषरा। लतरा हनहरारर नवहहमं तर सराखरा॥
नदहीं उमहग अमंबपुहध कहह हूँ धराई।मं समंगम करहहमं तलराव तलराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे हृदय ममें कराम ककी इच्छरा हगो गई। लतराओमं (बप्रेलर) कगो दप्रेखकर वमृक्षर ककी डराहलयराहूँ
झपुकनप्रे लगहीं। नहदयराहूँ उमड-उमडकर समपुद ककी ओर दरौडहीं और तराल-तलहैयराहूँ भश्री आपस ममें समंगम
करनप्रे (हमलनप्रे-जपुलनप्रे) लगहीं॥1॥
* जहहूँ अहस दसरा जडन्ह कहै बरनश्री। कगो कहह सकइ सचप्रेतन करनश्री॥
पसपु पच्छश्री नभ जल रल चरारश्री। भए कराम बस समय हबसरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जब जड (वमृक्ष, नदश्री आहद) ककी यह दशरा कहश्री गई, तब चप्रेतन जश्रीवर ककी करनश्री करौन
कह सकतरा हहै? आकराश, जल और पमृथ्वश्री पर हवचरनप्रे वरालप्रे सरारप्रे पशपु-पक्षश्री (अपनप्रे समंयगोग करा)
समय भपुलराकर कराम कप्रे वश ममें हगो गए॥2॥
* मदन अमंध ब्यराकपुल सब लगोकरा। हनहस हदनपु नहहमं अवलगोकहहमं कगोकरा॥
दप्रेव दनपुज नर हकमंनर ब्यरालरा। पप्रेत हपसराच भपूत बप्रेतरालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सब लगोक करामरान्ध हगोकर व्यराकपुल हगो गए। चकवरा-चकवश्री ररात-हदन नहहीं दप्रेखतप्रे। दप्रेव,
दहैत्य, मनपुष्य, हकन्नर, सपर्ण, पप्रेत, हपशराच, भपूत, बप्रेतराल-॥3॥
* इन्ह कहै दसरा न कहप्रेउहूँ बखरानश्री। सदरा कराम कप्रे चप्रेरप्रे जरानश्री॥
हसद हबरक्त महरामपुहन जगोगश्री। तप्रेहप करामबस भए हबयगोगश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यप्रे तगो सदरा हश्री कराम कप्रे गपुलराम हमैं, यह समझकर ममैंनप्रे इनककी दशरा करा वरर्णन नहहीं हकयरा।
हसद, हवरक्त, महरामपुहन और महरानम यगोगश्री भश्री कराम कप्रे वश हगोकर यगोगरहहत यरा स्त्रश्री कप्रे हवरहश्री हगो
गए॥4॥
छमंद :
* भए करामबस जगोगश्रीस तरापस परावहूँरहन्ह ककी कगो कहहै।
दप्रेखहहमं चरराचर नराररमय जप्रे ब्रहमय दप्रेखत रहप्रे॥
अबलरा हबलगोकहहमं पपुरषमय जगपु पपुरष सब अबलरामयमं।
दइपु दमंड भरर ब्रहरामंड भश्रीतर करामकमृ त करौतपुक अयमं॥
भरावरारर्ण:-जब यगोगश्रीश्वर और तपस्वश्री भश्री कराम कप्रे वश हगो गए, तब परामर मनपुष्यर ककी करौन कहप्रे?
जगो समस्त चरराचर जगत कगो ब्रहमय दप्रेखतप्रे रप्रे, वप्रे अब उसप्रे स्त्रश्रीमय दप्रेखनप्रे लगप्रे। हस्त्रयराहूँ सरारप्रे समंसरार
कगो पपुरषमय दप्रेखनप्रे लगहीं और पपुरष उसप्रे स्त्रश्रीमय दप्रेखनप्रे लगप्रे। दगो घडश्री तक सरारप्रे ब्रराहण्ड कप्रे अमंदर
करामदप्रेव करा रचरा हहआ यह करौतपुक (तमराशरा) रहरा।
सगोरठरा :
* धरश्री न कराहहहूँ धश्रीर सब कप्रे मन मनहसज हरप्रे।
जप्रे रराखप्रे रघपुबश्रीर तप्रे उबरप्रे तप्रेहह कराल महह हूँ॥85॥
भरावरारर्ण:-हकसश्री नप्रे भश्री हृदय ममें धहैयर्ण नहहीं धरारर हकयरा, करामदप्रेव नप्रे सबकप्रे मन हर हलए। शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे हजनककी रक्षरा ककी, कप्रे वल वप्रे हश्री उस समय बचप्रे रहप्रे॥85॥
चरौपराई :
*उभय घरश्री अस करौतपुक भयऊ। जरौ लहग करामपु समंभपु पहहमं गयऊ॥
हसवहह हबलगोहक ससमंकप्रेउ मरारू। भयउ जरराहरहत सबपु समंसरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-दगो घडश्री तक ऐसरा तमराशरा हह आ, जब तक करामदप्रेव हशवजश्री कप्रे परास पहहचहूँ गयरा। हशवजश्री
कगो दप्रेखकर करामदप्रेव डर गयरा, तब सराररा समंसरार हफिर जहैसरा-करा तहैसरा हस्रर हगो गयरा।
*भए तपुरत सब जश्रीव सपुखरारप्रे। हजहम मद उतरर गएहूँ मतवरारप्रे॥
रदहह दप्रेहख मदन भय मरानरा। दरपु राधरष दगपु र्णम भगवरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुरमंत हश्री सब जश्रीव वहैसप्रे हश्री सपुखश्री हगो गए, जहैसप्रे मतवरालप्रे (नशरा हपए हह ए) लगोग मद
(नशरा) उतर जरानप्रे पर सपुखश्री हगोतप्रे हमैं। दरपु राधषर्ण (हजनकगो परराहजत करनरा अत्यन्त हश्री कहठन हहै)
और दगपु र्णम (हजनकरा परार परानरा कहठन हहै) भगवरान (सम्पपूरर्ण ऐश्वयर्ण, धमर्ण, यश, शश्री, जरान और
वहैरराग्य रूप छह ईश्वरश्रीय गपुरर सप्रे यक्त पु ) रद (महराभयमंकर) हशवजश्री कगो दप्रेखकर करामदप्रेव भयभश्रीत
हगो गयरा॥2॥
* हफिरत लराज कछपु करर नहहमं जराई। मरनपु ठराहन मन रचप्रेहस उपराई॥
पगटप्रेहस तपुरत रहचर ररतपुरराजरा। कपु सपुहमत नव तर रराहज हबरराजरा॥3॥
भरावरारर्ण:-लरौट जरानप्रे ममें लजरा मरालपूम हगोतश्री हहै और करतप्रे कपु छ बनतरा नहहीं। आहखर मन ममें मरनप्रे करा
हनश्चय करकप्रे उसनप्रे उपराय रचरा। तपुरमंत हश्री सपुदमं र ऋतपुरराज वसन्त कगो पकट हकयरा। फिपू लप्रे हहए नए-
नए वमृक्षर ककी कतरारमें सपुशगोहभत हगो गई॥मं 3॥
* बन उपबन बराहपकरा तडरागरा। परम सपुभग सब हदसरा हबभरागरा॥
जहहूँ तहहूँ जनपु उमगत अनपुररागरा। दप्रेहख मपुएहह हूँ मन मनहसज जरागरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वन-उपवन, बरावलश्री-तरालराब और सब हदशराओमं कप्रे हवभराग परम सपुमंदर हगो गए। जहराहूँ-तहराहूँ
मरानगो पप्रेम उम मड रहरा हहै, हजसप्रे दप्रेखकर मरप्रे मनर ममें भश्री करामदप्रेव जराग उठरा॥4॥
छमंद :
* जरागइ मनगोभव मपुएहह हूँ मन बन सपुभगतरा न परहै कहश्री।
सश्रीतल सपुगमंध सपुममंद मरारत मदन अनल सखरा सहश्री॥
हबकसप्रे सरहन्ह बहह कमंज गपुमंजत पपुमंज ममंजपुल मधपुकररा।
कलहमंस हपक सपुक सरस रव करर गरान नराचहहमं अपछररा
भरावरारर्ण:-मरप्रे हह ए मन ममें भश्री करामदप्रेव जरागनप्रे लगरा, वन ककी सपुदमं रतरा कहश्री नहहीं जरा सकतश्री। करामरूपश्री
अहग्नि करा सचरा हमत्र शश्रीतल-मन्द-सपुगमंहधत पवन चलनप्रे लगरा। सरगोवरर ममें अनप्रेकर कमल हखल गए,
हजन पर सपुमंदर भजौंरर कप्रे समपूह गपुमंजरार करनप्रे लगप्रे। रराजहमंस, कगोयल और तगोतप्रे रसश्रीलश्री बगोलश्री बगोलनप्रे
लगप्रे और अप्सरराएहूँ गरा-गराकर नराचनप्रे लगहीं॥
दगोहरा :
* सकल कलरा करर कगोहट हबहध हरारप्रेउ सप्रेन समप्रेत।
चलश्री न अचल समराहध हसव कगोपप्रेउ हृदयहनकप्रे त॥86॥
भरावरारर्ण:-करामदप्रेव अपनश्री सप्रेनरा समप्रेत करगोडर पकरार ककी सब कलराएहूँ (उपराए) करकप्रे हरार गयरा, पर
हशवजश्री ककी अचल समराहध न हडगश्री। तब करामदप्रेव कगोहधत हगो उठरा॥ 86॥
चरौपराई :
* दप्रेहख रसराल हबटप बर सराखरा। तप्रेहह पर चढप्रेउ मदनपु मन मराखरा॥
सपुमन चराप हनज सर समंधरानप्रे। अहत ररस तराहक शवन लहग तरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-आम कप्रे वमृक्ष ककी एक सपुदमं र डरालश्री दप्रेखकर मन ममें कगोध सप्रे भररा हहआ करामदप्रेव उस पर चढ
गयरा। उसनप्रे पपुष्प धनपुष पर अपनप्रे (पराहूँचर) बरार चढराए और अत्यन्त कगोध सप्रे (लक्ष्य ककी ओर)
तराककर उन्हमें करान तक तरान हलयरा॥1॥
* छराडप्रे हबषम हबहसख उर लरागप्रे। छपू हट समराहध समंभपु तब जरागप्रे॥
भयउ ईस मन छगोभपु हबसप्रेषश्री। नयन उघरारर सकल हदहस दप्रेखश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-करामदप्रेव नप्रे तश्रीक्ष्र पराहूँच बरार छगोडप्रे, जगो हशवजश्री कप्रे हृदय ममें लगप्रे। तब उनककी समराहध टपू ट
गई और वप्रे जराग गए। ईश्वर (हशवजश्री) कप्रे मन ममें बहह त क्षगोभ हहआ। उन्हरनप्रे आहूँखमें खगोलकर सब
ओर दप्रेखरा॥2॥
* सरौरभ पल्लव मदनपु हबलगोकरा। भयउ कगोपपु कमंपप्रेउ त्रहैलगोकरा॥
तब हसवहूँ तश्रीसर नयन उघराररा। हचतवन करामपु भयउ जरर छराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जब आम कप्रे परर ममें (हछपप्रे हह ए) करामदप्रेव कगो दप्रेखरा तगो उन्हमें बडरा कगोध हहआ, हजससप्रे
तश्रीनर लगोक कराहूँप उठप्रे। तब हशवजश्री नप्रे तश्रीसररा नप्रेत्र खगोलरा, उनकगो दप्रेखतप्रे हश्री करामदप्रेव जलकर भस्म
हगो गयरा॥3॥
* हराहराकरार भयउ जग भरारश्री। डरपप्रे सपुर भए असपुर सपुखरारश्री॥
समपुहझ करामसपुख सगोचहहमं भगोगश्री। भए अकमंटक सराधक जगोगश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें बडरा हराहराकर मच गयरा। दप्रेवतरा डर गए, दहैत्य सपुखश्री हह ए। भगोगश्री लगोग करामसपुख
कगो यराद करकप्रे हचन्तरा करनप्रे लगप्रे और सराधक यगोगश्री हनष्कमंटक हगो गए॥4॥
छमंद :
* जगोगश्री अकमंटक भए पहत गहत सपुनत रहत मपुरहछत भई।
रगोदहत बदहत बहह भराहूँहत करनरा करहत समंकर पहहमं गई॥
अहत पप्रेम करर हबनतश्री हबहबध हबहध जगोरर कर सन्मपुख रहश्री।
पभपु आसपुतगोष कमृ पराल हसव अबलरा हनरहख बगोलप्रे सहश्री॥
भरावरारर्ण:-यगोगश्री हनष्कमंटक हगो गए, करामदप्रेव ककी स्त्रश्री रहत अपनप्रे पहत ककी यह दशरा सपुनतप्रे हश्री मपूहच्छर्णत
हगो गई। रगोतश्री-हचल्लरातश्री और भराहूँहत-भराहूँहत सप्रे करररा करतश्री हह ई वह हशवजश्री कप्रे परास गई। अत्यन्त
पप्रेम कप्रे सरार अनप्रेकर पकरार सप्रे हवनतश्री करकप्रे हरार जगोडकर सरामनप्रे खडश्री हगो गई। शश्रीघ्र पसन्न हगोनप्रे
वरालप्रे कमृ परालपु हशवजश्री अबलरा (असहराय स्त्रश्री) कगो दप्रेखकर सपुदमं र (उसकगो सरान्त्वनरा दप्रेनप्रे वरालप्रे)
वचन बगोलप्रे।
रहत कगो वरदरान
दगोहरा :
* अब तमें रहत तव नरार कर हगोइहह नरामपु अनमंगपु।
हबनपु बपपु ब्यराहपहह सबहह पपुहन सपुनपु हनज हमलन पसमंगपु॥ 87॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रहत! अब सप्रे तप्रेरप्रे स्वरामश्री करा नराम अनमंग हगोगरा। वह हबनरा हश्री शरश्रीर कप्रे सबकगो व्यरापप्रेगरा।
अब तपू अपनप्रे पहत सप्रे हमलनप्रे ककी बरात सपुन॥87॥
चरौपराई :
* जब जदबपु स मं कमृ ष्न अवतराररा। हगोइहह हरन महरा महहभराररा॥
कमृ ष्न तनय हगोइहह पहत तगोररा। बचनपु अन्यररा हगोइ न मगोररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब पमृथ्वश्री कप्रे बडप्रे भरारश्री भरार कगो उतरारनप्रे कप्रे हलए यदवपु मंश ममें शश्री कमृ ष्र करा अवतरार हगोगरा,
तब तप्रेररा पहत उनकप्रे पपुत्र (पद्यपुम्न) कप्रे रूप ममें उत्पन्न हगोगरा। मप्रेररा यह वचन अन्यररा नहहीं हगोगरा॥ 1॥
* रहत गवनश्री सपुहन समंकर बरानश्री। कररा अपर अब कहउहूँ बखरानश्री॥
दप्रेवन्ह समराचरार सब पराए। ब्रहराहदक बहैकमंपु ठ हसधराए॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे वचन सपुनकर रहत चलश्री गई। अब दस पू रश्री कररा बखरानकर (हवस्तरार सप्रे)
कहतरा हह हूँ। ब्रहराहद दप्रेवतराओमं नप्रे यप्रे सब समराचरार सपुनप्रे तगो वप्रे वहैकपुण्ठ कगो चलप्रे॥2॥
* सब सपुर हबष्नपु हबरमंहच समप्रेतरा। गए जहराहूँ हसव कमृ पराहनकप्रे तरा॥
पमृरक-पमृरक हतन्ह ककीहन्ह पसमंसरा। भए पसन्न चमंद अवतमंसरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर वहराहूँ सप्रे हवष्रपु और ब्रहरा सहहत सब दप्रेवतरा वहराहूँ गए, जहराहूँ कमृ परा कप्रे धराम हशवजश्री रप्रे।
उन सबनप्रे हशवजश्री ककी अलग-अलग स्तपुहत ककी, तब शहशभपूषर हशवजश्री पसन्न हगो गए॥3॥
* बगोलप्रे कमृ पराहसमंधपु बमृषकप्रे तपू। कहहह अमर आए कप्रे हह हप्रेतपू॥
कह हबहध तपुम्ह पभपु अमंतरजरामश्री। तदहप भगहत बस हबनवउहूँ स्वरामश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे समपुद हशवजश्री बगोलप्रे- हप्रे दप्रेवतराओमं! कहहए, आप हकसहलए आए हमैं? ब्रहराजश्री नप्रे
कहरा- हप्रे पभगो! आप अन्तयरार्णमश्री हमैं, तरराहप हप्रे स्वरामश्री! भहक्तवश ममैं आपसप्रे हवनतश्री करतरा हह॥हूँ 4॥
दप्रेवतराओमं करा हशवजश्री सप्रे ब्यराह कप्रे हलए परारर्णनरा करनरा, सप्तहषर्णयर करा परावर्णतश्री कप्रे परास जरानरा
दगोहरा :
*सकल सपुरन्ह कप्रे हृदयहूँ अस समंकर परम उछराहह।
हनज नयनहन्ह दप्रेखरा चहहहमं नरार तपुम्हरार हबबराहह॥88॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शमंकर! सब दप्रेवतराओमं कप्रे मन ममें ऐसरा परम उत्सराह हहै हक हप्रे नरार! वप्रे अपनश्री आहूँखर सप्रे
आपकरा हववराह दप्रेखनरा चराहतप्रे हमैं॥88॥
चरौपराई :
* यह उत्सव दप्रेहखअ भरर लगोचन। सगोइ कछपु करहह मदन मद मगोचन॥
करामपु जरारर रहत कहह हूँ बर दश्रीन्हरा। कमृ पराहसन्धपु यह अहत भल ककीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे करामदप्रेव कप्रे मद कगो चपूर करनप्रे वरालप्रे! आप ऐसरा कपु छ ककीहजए, हजससप्रे सब लगोग इस
उत्सव कगो नप्रेत्र भरकर दप्रेख।में हप्रे कमृ परा कप्रे सरागर! करामदप्रेव कगो भस्म करकप्रे आपनप्रे रहत कगो जगो
वरदरान हदयरा, सगो बहह त हश्री अच्छरा हकयरा॥1॥
* सरासहत करर पपुहन करहहमं पसराऊ। नरार पभपुन्ह कर सहज सपुभराऊ॥
परारबतहीं तपपु ककीन्ह अपराररा। करहह तरासपु अब अमंगश्रीकराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! शप्रेष स्वराहमयर करा यह सहज स्वभराव हश्री हहै हक वप्रे पहलप्रे दण्ड दप्रेकर हफिर कमृ परा
हकयरा करतप्रे हमैं। परावर्णतश्री नप्रे अपरार तप हकयरा हहै, अब उन्हमें अमंगश्रीकरार ककीहजए॥2॥
* सपुहन हबहध हबनय समपुहझ पभपु बरानश्री। ऐसप्रेइ हगोउ कहरा सपुख पु मरानश्री॥
तब दप्रेवन्ह ददमंपु भपु हीं बजराई।मं बरहष सपुमन जय जय सपुर सराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-ब्रहराजश्री ककी परारर्णनरा सपुनकर और पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे वचनर कगो यराद करकप्रे हशवजश्री नप्रे
पसन्नतरापपूवर्णक कहरा- 'ऐसरा हश्री हगो।' तब दप्रेवतराओमं नप्रे नगराडप्रे बजराए और फिपू लर ककी वषरार्ण करकप्रे 'जय
हगो! दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री जय हगो' ऐसरा कहनप्रे लगप्रे॥3॥
* अवसर जराहन सप्तररहष आए। तपुरतहहमं हबहध हगररभवन पठराए॥
परम गए जहहूँ रहहीं भवरानश्री। बगोलप्रे मधपुर बचन छल सरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उहचत अवसर जरानकर सप्तहषर्ण आए और ब्रहराजश्री नप्रे तपुरमंत हश्री उन्हमें हहमराचल कप्रे घर भप्रेज
हदयरा। वप्रे पहलप्रे वहराहूँ गए जहराहूँ परावर्णतश्रीजश्री रहीं और उनसप्रे छल सप्रे भरप्रे मश्रीठप्रे (हवनगोदयक्त
पु , आनमंद
पहह हूँचरानप्रे वरालप्रे) वचन बगोलप्रे-॥4॥
दगोहरा :
* कहरा हमरार न सपुनप्रेहह तब नरारद कमें उपदप्रेस॥
अब भरा झपूठ तपुम्हरार पन जरारप्रेउ करामपु महप्रेस॥89॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री कप्रे उपदप्रेश सप्रे तपुमनप्रे उस समय हमरारश्री बरात नहहीं सपुनश्री। अब तगो तपुम्हराररा पर झपूठरा
हगो गयरा, क्यरहक महरादवप्रे जश्री नप्रे कराम कगो हश्री भस्म कर डरालरा॥ 89॥
मरासपराररायर, तश्रीसररा हवशराम
चरौपराई :
* सपुहन बगोलहीं मपुसपुकराइ भवरानश्री। उहचत कहप्रेहह मपुहनबर हबग्यरानश्री॥
तपुम्हरमें जरान करामपु अब जराररा। अब लहग समंभपु रहप्रे सहबकराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर परावर्णतश्रीजश्री मपुस्कपु रराकर बगोलहीं- हप्रे हवजरानश्री मपुहनवरर! आपनप्रे उहचत हश्री कहरा।
आपककी समझ ममें हशवजश्री नप्रे करामदप्रेव कगो अब जलरायरा हहै, अब तक तगो वप्रे हवकरारयक्त पु (करामश्री) हश्री
रहप्रे!॥1॥
* हमरमें जरान सदराहसव जगोगश्री। अज अनवद्य अकराम अभगोगश्री॥
जजौं ममैं हसव सप्रेयप्रे अस जरानश्री। पश्रीहत समप्रेत कमर्ण मन बरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु हमरारश्री समझ सप्रे तगो हशवजश्री सदरा सप्रे हश्री यगोगश्री, अजन्मप्रे, अहनन्द्य, करामरहहत और
भगोगहश्रीन हमैं और यहद ममैंनप्रे हशवजश्री कगो ऐसरा समझकर हश्री मन, वचन और कमर्ण सप्रे पप्रेम सहहत
उनककी सप्रेवरा ककी हहै॥2॥
* तरौ हमरार पन सपुनहह मपुनश्रीसरा। कररहहहमं सत्य कमृ पराहनहध ईसरा॥
तपुम्ह जगो कहरा हर जरारप्रेउ मराररा। सगोइ अहत बड अहबबप्रेकपु तपुम्हराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-तगो हप्रे मपुनश्रीश्वरगो! सपुहनए, वप्रे कमृ पराहनधरान भगवरान मप्रेरश्री पहतजरा कगो सत्य करमेंगप्रे। आपनप्रे जगो
यह कहरा हक हशवजश्री नप्रे करामदप्रेव कगो भस्म कर हदयरा, यहश्री आपकरा बडरा भरारश्री अहववप्रेक हहै॥3॥
* तरात अनल कर सहज सपुभराऊ। हहम तप्रेहह हनकट जराइ नहहमं कराऊ॥
गएहूँ समश्रीप सगो अवहस नसराई। अहस मन्मर महप्रेस ककी नराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! अहग्नि करा तगो यह सहज स्वभराव हश्री हहै हक परालरा उसकप्रे समश्रीप कभश्री जरा हश्री नहहीं
सकतरा और जरानप्रे पर वह अवश्य नष्टि हगो जराएगरा। महरादप्रेवजश्री और करामदप्रेव कप्रे समंबधमं ममें भश्री यहश्री
न्यराय (बरात) समझनरा चराहहए॥4॥
दगोहरा :
* हहयहूँ हरषप्रे मपुहन बचन सपुहन दप्रेहख पश्रीहत हबस्वरास।
चलप्रे भवराहनहह नराइ हसर गए हहमराचल परास॥90॥
भरावरारर्ण:-परावर्णतश्री कप्रे वचन सपुनकर और उनकरा पप्रेम तररा हवश्वरास दप्रेखकर मपुहन हृदय ममें बडप्रे पसन्न
हह ए। वप्रे भवरानश्री कगो हसर नवराकर चल हदए और हहमराचल कप्रे परास पहह हूँचप्रे॥90॥
चरौपराई :
* सबपु पसमंगपु हगररपहतहह सपुनरावरा। मदन दहन सपुहन अहत दख पु पु परावरा॥
बहह रर कहप्रेउ रहत कर बरदरानरा। सपुहन हहमवमंत बहह त सपुखपु मरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे पवर्णतरराज हहमराचल कगो सब हराल सपुनरायरा। करामदप्रेव करा भस्म हगोनरा सपुनकर
हहमराचल बहह त दद्धाःपु खश्री हहए। हफिर मपुहनयर नप्रे रहत कप्रे वरदरान ककी बरात कहश्री, उसप्रे सपुनकर हहमवरानम नप्रे
बहह त सपुख मरानरा॥1॥
* हृदयहूँ हबचरारर समंभपु पभपुतराई। सरादर मपुहनबर हलए बगोलराई।
सपुहदनपु सपुनखतपु सपुघरश्री सगोचराई। बप्रेहग बप्रेदहबहध लगन धरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे पभराव कगो मन ममें हवचरार कर हहमराचल नप्रे शप्रेष मपुहनयर कगो आदरपपूवर्णक बपुलरा
हलयरा और उनसप्रे शपुभ हदन, शपुभ नक्षत्र और शपुभ घडश्री शगोधवराकर वप्रेद ककी हवहध कप्रे अनपुसरार शश्रीघ्र
हश्री लग्नि हनश्चय करराकर हलखवरा हलयरा॥2॥
* पत्रश्री सप्तररहषन्ह सगोइ दश्रीन्हश्री। गहह पद हबनय हहमराचल ककीन्हश्री॥
जराइ हबहधहह हतन्ह दश्रीहन्ह सगो परातश्री। बराचत पश्रीहत न हृदयहूँ समरातश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर हहमराचल नप्रे वह लग्निपहत्रकरा सप्तहषर्णयर कगो दप्रे दश्री और चरर पकडकर उनककी हवनतश्री
ककी। उन्हरनप्रे जराकर वह लग्नि पहत्रकरा ब्रहराजश्री कगो दश्री। उसकगो पढतप्रे समय उनकप्रे हृदय ममें पप्रेम समरातरा
न ररा॥3॥
* लगन बराहच अज सबहह सपुनराई। हरषप्रे मपुहन सब सपुर समपुदराई॥
सपुमन बमृहष्टि नभ बराजन बराजप्रे। ममंगल कलस दसहह हूँ हदहस सराजप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-ब्रहराजश्री नप्रे लग्नि पढकर सबकगो सपुनरायरा, उसप्रे सपुनकर सब मपुहन और दप्रेवतराओमं करा सराररा
समराज हहषर्णत हगो गयरा। आकराश सप्रे फिपू लर ककी वषरार्ण हगोनप्रे लगश्री, बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे और दसर हदशराओमं ममें
ममंगल कलश सजरा हदए गए॥4॥

हशवजश्री ककी हवहचत्र बराररात और हववराह ककी तहैयरारश्री


दगोहरा :
* लगप्रे सहूँवरारन सकल सपुर बराहन हबहबध हबमरान।
हगोहहमं सगपुन ममंगल सपुभद करहहमं अपछररा गरान॥91॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतरा अपनप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे वराहन और हवमरान सजरानप्रे लगप्रे, कल्यरारपद ममंगल
शकपु न हगोनप्रे लगप्रे और अप्सरराएहूँ गरानप्रे लगहीं॥91॥
चरौपराई :
* हसवहह समंभपु गन करहहमं हसमंगराररा। जटरा मपुकपुट अहह मरौर सहूँवराररा॥
कपुमं डल कमंकन पहहरप्रे ब्यरालरा। तन हबभपूहत पट कप्रे हरर छरालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे गर हशवजश्री करा शमृगमं रार करनप्रे लगप्रे। जटराओमं करा मपुकपुट बनराकर उस पर सराहूँपर
करा मरौर सजरायरा गयरा। हशवजश्री नप्रे सराहूँपर कप्रे हश्री कपुमं डल और कमंकर पहनप्रे, शरश्रीर पर हवभपूहत रमरायश्री
और वस्त्र ककी जगह बराघम्बर लपप्रेट हलयरा॥1॥
* सहस ललराट सपुदमं र हसर गमंगरा। नयन तश्रीहन उपबश्रीत भपुजमंगरा॥
गरल कमंठ उर नर हसर मरालरा। अहसव बप्रेष हसवधराम कमृ परालरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे सपुदमं र मस्तक पर चन्दमरा, हसर पर गमंगराजश्री, तश्रीन नप्रेत्र, सराहूँपर करा जनप्रेऊ,
गलप्रे ममें हवष और छरातश्री पर नरमपुण्डर ककी मरालरा रश्री। इस पकरार उनकरा वप्रेष अशपुभ हगोनप्रे पर भश्री वप्रे
कल्यरार कप्रे धराम और कमृ परालपु हमैं॥2॥
* कर हत्रसपूल अर डमर हबरराजरा। चलप्रे बसहहूँ चहढ बराजहहमं बराजरा॥
दप्रेहख हसवहह सपुरहत्रय मपुसपुकराहहीं। बर लरायक दल पु हहहन जग नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-एक हरार ममें हत्रशपूल और दस पू रप्रे ममें डमरू सपुशगोहभत हहै। हशवजश्री बहैल पर चढकर चलप्रे। बराजप्रे
बज रहप्रे हमैं। हशवजश्री कगो दप्रेखकर दप्रेवरामंगनराएहूँ मपुस्कपु ररा रहश्री हमैं (और कहतश्री हमैं हक) इस वर कप्रे यगोग्य
दल पु हहन समंसरार ममें नहहीं हमलप्रेगश्री॥3॥
* हबष्नपु हबरमंहच आहद सपुरब्ररातरा। चहढ चहढ बराहन चलप्रे बररातरा॥
सपुर समराज सब भराहूँहत अनपूपरा। नहहमं बररात दल पू ह अनपुरूपरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हवष्रपु और ब्रहरा आहद दप्रेवतराओमं कप्रे समपूह अपनप्रे-अपनप्रे वराहनर (सवराररयर) पर चढकर
बराररात ममें चलप्रे। दप्रेवतराओमं करा समराज सब पकरार सप्रे अनपुपम (परम सपुमंदर) ररा, पर दल्पू हप्रे कप्रे यगोग्य
बराररात न रश्री॥4॥
दगोहरा :
* हबष्नपु कहरा अस हबहहस तब बगोहल सकल हदहसरराज।
हबलग हबलग हगोइ चलहह सब हनज हनज सहहत समराज॥92॥
भरावरारर्ण:-तब हवष्रपु भगवरान नप्रे सब हदक्परालर कगो बपुलराकर हहूँसकर ऐसरा कहरा- सब लगोग अपनप्रे-
अपनप्रे दल समप्रेत अलग-अलग हगोकर चलगो॥92॥
चरौपराई :
* बर अनपुहरारर बररात न भराई। हहूँसश्री करहैहहह पर पपुर जराई॥
हबष्नपु बचन सपुहन सपुर मपुसपुकरानप्रे। हनज हनज सप्रेन सहहत हबलगरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! हम लगोगर ककी यह बराररात वर कप्रे यगोग्य नहहीं हहै। क्यरा परराए नगर ममें जराकर हहूँसश्री
करराओगप्रे? हवष्रपु भगवरान ककी बरात सपुनकर दप्रेवतरा मपुस्कपु रराए और वप्रे अपनश्री-अपनश्री सप्रेनरा सहहत
अलग हगो गए॥1॥
* मनहहीं मन महप्रेसपु मपुसपुकराहहीं। हरर कप्रे हबमंग्य बचन नहहमं जराहहीं॥
अहत हपय बचन सपुनत हपय कप्रे रप्रे। भमृमंहगहह पप्रेरर सकल गन टप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-महरादप्रेवजश्री (यह दप्रेखकर) मन-हश्री-मन मपुस्कपु ररातप्रे हमैं हक हवष्रपु भगवरान कप्रे व्यमंग्य-वचन
(हदल्लगश्री) नहहीं छपूटतप्रे! अपनप्रे प्यरारप्रे (हवष्रपु भगवरान) कप्रे इन अहत हपय वचनर कगो सपुनकर हशवजश्री
नप्रे भश्री भमृमंगश्री कगो भप्रेजकर अपनप्रे सब गरर कगो बपुलवरा हलयरा॥2॥
* हसव अनपुसरासन सपुहन सब आए। पभपु पद जलज सश्रीस हतन्ह नराए॥
नरानरा बराहन नरानरा बप्रेषरा। हबहसप्रे हसव समराज हनज दप्रेखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री ककी आजरा सपुनतप्रे हश्री सब चलप्रे आए और उन्हरनप्रे स्वरामश्री कप्रे चरर कमलर ममें हसर
नवरायरा। तरह-तरह ककी सवराररयर और तरह-तरह कप्रे वप्रेष वरालप्रे अपनप्रे समराज कगो दप्रेखकर हशवजश्री
हहूँसप्रे॥3॥
* कगोउ मपुख हश्रीन हबपपुल मपुख कराहह। हबनपु पद कर कगोउ बहह पद बराहह॥
हबपपुल नयन कगोउ नयन हबहश्रीनरा। ररष्टिपपुष्टि कगोउ अहत तनखश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कगोई हबनरा मपुख करा हहै, हकसश्री कप्रे बहह त सप्रे मपुख हमैं, कगोई हबनरा हरार-पहैर करा हहै तगो हकसश्री
कप्रे कई हरार-पहैर हमैं। हकसश्री कप्रे बहह त आहूँखमें हमैं तगो हकसश्री कप्रे एक भश्री आहूँख नहहीं हहै। कगोई बहह त मगोटरा-
तराजरा हहै, तगो कगोई बहह त हश्री दबपु लरा-पतलरा हहै॥4॥
छमंद :
* तन ककीन कगोउ अहत पश्रीन परावन कगोउ अपरावन गहत धरमें।
भपूषन करराल कपराल कर सब सद्य सगोहनत तन भरमें॥
खर स्वरान सपुअर समृकराल मपुख गन बप्रेष अगहनत कगो गनहै।
बहह हजनस पप्रेत हपसराच जगोहग जमरात बरनत नहहमं बनहै॥
भरावरारर्ण:-कगोई बहह त दबपु लरा, कगोई बहह त मगोटरा, कगोई पहवत्र और कगोई अपहवत्र वप्रेष धरारर हकए हह ए
हहै। भयमंकर गहनप्रे पहनप्रे हरार ममें कपराल हलए हमैं और सब कप्रे सब शरश्रीर ममें तराजरा खपून लपप्रेटप्रे हह ए हमैं।
गधप्रे, कपु रप्रे, सपूअर और हसयरार कप्रे सप्रे उनकप्रे मपुख हमैं। गरर कप्रे अनहगनत वप्रेषर कगो करौन हगनप्रे? बहह त
पकरार कप्रे पप्रेत, हपशराच और यगोहगहनयर ककी जमरातप्रे हमैं। उनकरा वरर्णन करतप्रे नहहीं बनतरा।
सगोरठरा :
* नराचह�
हशवजश्री ककी हवहचत्र बराररात और हववराह ककी तहैयरारश्री
दगोहरा :
* लगप्रे सहूँवरारन सकल सपुर बराहन हबहबध हबमरान।
हगोहहमं सगपुन ममंगल सपुभद करहहमं अपछररा गरान॥91॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतरा अपनप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे वराहन और हवमरान सजरानप्रे लगप्रे, कल्यरारपद ममंगल
शकपु न हगोनप्रे लगप्रे और अप्सरराएहूँ गरानप्रे लगहीं॥91॥
चरौपराई :
* हसवहह समंभपु गन करहहमं हसमंगराररा। जटरा मपुकपुट अहह मरौर सहूँवराररा॥
कपुमं डल कमंकन पहहरप्रे ब्यरालरा। तन हबभपूहत पट कप्रे हरर छरालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे गर हशवजश्री करा शमृगमं रार करनप्रे लगप्रे। जटराओमं करा मपुकपुट बनराकर उस पर सराहूँपर
करा मरौर सजरायरा गयरा। हशवजश्री नप्रे सराहूँपर कप्रे हश्री कपुमं डल और कमंकर पहनप्रे, शरश्रीर पर हवभपूहत रमरायश्री
और वस्त्र ककी जगह बराघम्बर लपप्रेट हलयरा॥1॥
* सहस ललराट सपुदमं र हसर गमंगरा। नयन तश्रीहन उपबश्रीत भपुजमंगरा॥
गरल कमंठ उर नर हसर मरालरा। अहसव बप्रेष हसवधराम कमृ परालरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे सपुदमं र मस्तक पर चन्दमरा, हसर पर गमंगराजश्री, तश्रीन नप्रेत्र, सराहूँपर करा जनप्रेऊ,
गलप्रे ममें हवष और छरातश्री पर नरमपुण्डर ककी मरालरा रश्री। इस पकरार उनकरा वप्रेष अशपुभ हगोनप्रे पर भश्री वप्रे
कल्यरार कप्रे धराम और कमृ परालपु हमैं॥2॥
* कर हत्रसपूल अर डमर हबरराजरा। चलप्रे बसहहूँ चहढ बराजहहमं बराजरा॥
दप्रेहख हसवहह सपुरहत्रय मपुसपुकराहहीं। बर लरायक दल पु हहहन जग नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-एक हरार ममें हत्रशपूल और दस पू रप्रे ममें डमरू सपुशगोहभत हहै। हशवजश्री बहैल पर चढकर चलप्रे। बराजप्रे
बज रहप्रे हमैं। हशवजश्री कगो दप्रेखकर दप्रेवरामंगनराएहूँ मपुस्कपु ररा रहश्री हमैं (और कहतश्री हमैं हक) इस वर कप्रे यगोग्य
दल पु हहन समंसरार ममें नहहीं हमलप्रेगश्री॥3॥
* हबष्नपु हबरमंहच आहद सपुरब्ररातरा। चहढ चहढ बराहन चलप्रे बररातरा॥
सपुर समराज सब भराहूँहत अनपूपरा। नहहमं बररात दल पू ह अनपुरूपरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हवष्रपु और ब्रहरा आहद दप्रेवतराओमं कप्रे समपूह अपनप्रे-अपनप्रे वराहनर (सवराररयर) पर चढकर
बराररात ममें चलप्रे। दप्रेवतराओमं करा समराज सब पकरार सप्रे अनपुपम (परम सपुमंदर) ररा, पर दल्पू हप्रे कप्रे यगोग्य
बराररात न रश्री॥4॥
दगोहरा :
* हबष्नपु कहरा अस हबहहस तब बगोहल सकल हदहसरराज।
हबलग हबलग हगोइ चलहह सब हनज हनज सहहत समराज॥92॥
भरावरारर्ण:-तब हवष्रपु भगवरान नप्रे सब हदक्परालर कगो बपुलराकर हहूँसकर ऐसरा कहरा- सब लगोग अपनप्रे-
अपनप्रे दल समप्रेत अलग-अलग हगोकर चलगो॥92॥
चरौपराई :
* बर अनपुहरारर बररात न भराई। हहूँसश्री करहैहहह पर पपुर जराई॥
हबष्नपु बचन सपुहन सपुर मपुसपुकरानप्रे। हनज हनज सप्रेन सहहत हबलगरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! हम लगोगर ककी यह बराररात वर कप्रे यगोग्य नहहीं हहै। क्यरा परराए नगर ममें जराकर हहूँसश्री
करराओगप्रे? हवष्रपु भगवरान ककी बरात सपुनकर दप्रेवतरा मपुस्कपु रराए और वप्रे अपनश्री-अपनश्री सप्रेनरा सहहत
अलग हगो गए॥1॥
* मनहहीं मन महप्रेसपु मपुसपुकराहहीं। हरर कप्रे हबमंग्य बचन नहहमं जराहहीं॥
अहत हपय बचन सपुनत हपय कप्रे रप्रे। भमृमंहगहह पप्रेरर सकल गन टप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-महरादप्रेवजश्री (यह दप्रेखकर) मन-हश्री-मन मपुस्कपु ररातप्रे हमैं हक हवष्रपु भगवरान कप्रे व्यमंग्य-वचन
(हदल्लगश्री) नहहीं छपूटतप्रे! अपनप्रे प्यरारप्रे (हवष्रपु भगवरान) कप्रे इन अहत हपय वचनर कगो सपुनकर हशवजश्री
नप्रे भश्री भमृमंगश्री कगो भप्रेजकर अपनप्रे सब गरर कगो बपुलवरा हलयरा॥2॥
* हसव अनपुसरासन सपुहन सब आए। पभपु पद जलज सश्रीस हतन्ह नराए॥
नरानरा बराहन नरानरा बप्रेषरा। हबहसप्रे हसव समराज हनज दप्रेखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री ककी आजरा सपुनतप्रे हश्री सब चलप्रे आए और उन्हरनप्रे स्वरामश्री कप्रे चरर कमलर ममें हसर
नवरायरा। तरह-तरह ककी सवराररयर और तरह-तरह कप्रे वप्रेष वरालप्रे अपनप्रे समराज कगो दप्रेखकर हशवजश्री
हहूँसप्रे॥3॥
* कगोउ मपुख हश्रीन हबपपुल मपुख कराहह। हबनपु पद कर कगोउ बहह पद बराहह॥
हबपपुल नयन कगोउ नयन हबहश्रीनरा। ररष्टिपपुष्टि कगोउ अहत तनखश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कगोई हबनरा मपुख करा हहै, हकसश्री कप्रे बहह त सप्रे मपुख हमैं, कगोई हबनरा हरार-पहैर करा हहै तगो हकसश्री
कप्रे कई हरार-पहैर हमैं। हकसश्री कप्रे बहह त आहूँखमें हमैं तगो हकसश्री कप्रे एक भश्री आहूँख नहहीं हहै। कगोई बहह त मगोटरा-
तराजरा हहै, तगो कगोई बहह त हश्री दबपु लरा-पतलरा हहै॥4॥
छमंद :
* तन ककीन कगोउ अहत पश्रीन परावन कगोउ अपरावन गहत धरमें।
भपूषन करराल कपराल कर सब सद्य सगोहनत तन भरमें॥
खर स्वरान सपुअर समृकराल मपुख गन बप्रेष अगहनत कगो गनहै।
बहह हजनस पप्रेत हपसराच जगोहग जमरात बरनत नहहमं बनहै॥
भरावरारर्ण:-कगोई बहह त दबपु लरा, कगोई बहह त मगोटरा, कगोई पहवत्र और कगोई अपहवत्र वप्रेष धरारर हकए हह ए
हहै। भयमंकर गहनप्रे पहनप्रे हरार ममें कपराल हलए हमैं और सब कप्रे सब शरश्रीर ममें तराजरा खपून लपप्रेटप्रे हह ए हमैं।
गधप्रे, कपु रप्रे, सपूअर और हसयरार कप्रे सप्रे उनकप्रे मपुख हमैं। गरर कप्रे अनहगनत वप्रेषर कगो करौन हगनप्रे? बहह त
पकरार कप्रे पप्रेत, हपशराच और यगोहगहनयर ककी जमरातप्रे हमैं। उनकरा वरर्णन करतप्रे नहहीं बनतरा।
सगोरठरा :
* नराचहहमं गरावहहमं गश्रीत परम तरमंगश्री भपूत सब।
दप्रेखत अहत हबपरश्रीत बगोलहहमं बचन हबहचत्र हबहध॥93॥
भरावरारर्ण:-भपूत-पप्रेत नराचतप्रे और गरातप्रे हमैं, वप्रे सब बडप्रे मरौजश्री हमैं। दप्रेखनप्रे ममें बहह त हश्री बप्रेढमंगप्रे जरान पडतप्रे हमैं
और बडप्रे हश्री हवहचत्र ढमंग सप्रे बगोलतप्रे हमैं॥93॥
चरौपराई :
* जस दल पू हह तहस बनश्री बररातरा। करौतपुक हबहबध हगोहहमं मग जरातरा॥
इहराहूँ हहमराचल रचप्रेउ हबतरानरा। अहत हबहचत्र नहहमं जराइ बखरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जहैसरा दल्पू हरा हहै, अब वहैसश्री हश्री बराररात बन गई हहै। मरागर्ण ममें चलतप्रे हह ए भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे करौतपुक
(तमराशप्रे) हगोतप्रे जरातप्रे हमैं। इधर हहमराचल नप्रे ऐसरा हवहचत्र मण्डप बनरायरा हक हजसकरा वरर्णन नहहीं हगो
सकतरा॥1॥
* सहैल सकल जहहूँ लहग जग मराहहीं। लघपु हबसराल नहहमं बरहन हसरराहहीं॥
बन सरागर सब नदश्री तलरावरा। हहमहगरर सब कहह हूँ नप्रेवत पठरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें हजतनप्रे छगोटप्रे-बडप्रे पवर्णत रप्रे, हजनकरा वरर्णन करकप्रे परार नहहीं हमलतरा तररा हजतनप्रे
वन, समपुद, नहदयराहूँ और तरालराब रप्रे, हहमराचल नप्रे सबकगो नप्रेवतरा भप्रेजरा॥2॥
* करामरूप सपुमंदर तन धरारश्री। सहहत समराज सहहत बर नरारश्री॥
गए सकल तपुहहमराचल गप्रेहरा। गरावहहमं ममंगल सहहत सनप्रेहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब अपनश्री इच्छरानपुसरार रूप धरारर करनप्रे वरालप्रे सपुदमं र शरश्रीर धरारर कर सपुदमं रश्री हस्त्रयर
और समराजर कप्रे सरार हहमराचल कप्रे घर गए। सभश्री स्नप्रेह सहहत ममंगल गश्रीत गरातप्रे हमैं॥3॥
* परमहहमं हगरर बहह गमृह सहूँवरराए। जरराजगोगपु तहहूँ तहहूँ सब छराए॥
पपुर सगोभरा अवलगोहक सपुहराई। लरागइ लघपु हबरमंहच हनपपुनराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हहमराचल नप्रे पहलप्रे हश्री सप्रे बहह त सप्रे घर सजवरा रखप्रे रप्रे। यररायगोग्य उन-उन स्ररानर ममें सब
लगोग उतर गए। नगर ककी सपुदमं र शगोभरा दप्रेखकर ब्रहरा ककी रचनरा चरातपुरश्री भश्री तपुच्छ लगतश्री रश्री॥ 4॥
छन्द :
* लघपु लराग हबहध ककी हनपपुनतरा अवलगोहक पपुर सगोभरा सहश्री।
बन बराग कपू प तडराग सररतरा सपुभग सब सक कगो कहश्री॥
ममंगल हबपपुल तगोरन पतराकरा कप्रे तपु गमृह गमृह सगोहहहीं।
बहनतरा पपुरष सपुदमं र चतपुर छहब दप्रेहख मपुहन मन मगोहहहीं॥
भरावरारर्ण:-नगर ककी शगोभरा दप्रेखकर ब्रहरा ककी हनपपुरतरा सचमपुच तपुच्छ लगतश्री हहै। वन, बराग, कपु एहूँ,
तरालराब, नहदयराहूँ सभश्री सपुदमं र हमैं, उनकरा वरर्णन करौन कर सकतरा हहै? घर-घर बहह त सप्रे ममंगल सपूचक
तगोरर और ध्वजरा-पतराकराएहूँ सपुशगोहभत हगो रहश्री हमैं। वहराहूँ कप्रे सपुमंदर और चतपुर स्त्रश्री-पपुरषर ककी छहब
दप्रेखकर मपुहनयर कप्रे भश्री मन मगोहहत हगो जरातप्रे हमैं॥
दगोहरा :
* जगदमंबरा जहहूँ अवतरश्री सगो पपुर बरहन हक जराइ।
ररहद हसहद समंपहर सपुख हनत नपूतन अहधकराइ॥94॥
भरावरारर्ण:-हजस नगर ममें स्वयमं जगदम्बरा नप्रे अवतरार हलयरा, क्यरा उसकरा वरर्णन हगो सकतरा हहै? वहराहूँ
ऋहद, हसहद, सम्पहर और सपुख हनत-नए बढतप्रे जरातप्रे हमैं॥94॥
चरौपराई :
* नगर हनकट बररात सपुहन आई। पपुर खरभर सगोभरा अहधकराई॥
करर बनराव सहज बराहन नरानरा। चलप्रे लप्रेन सरादर अगवरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-बराररात कगो नगर कप्रे हनकट आई सपुनकर नगर ममें चहल-पहल मच गई, हजससप्रे उसककी
शगोभरा बढ गई। अगवरानश्री करनप्रे वरालप्रे लगोग बनराव-शमृमंगरार करकप्रे तररा नरानरा पकरार ककी सवराररयर कगो
सजराकर आदर सहहत बराररात कगो लप्रेनप्रे चलप्रे॥1॥
* हहयहूँ हरषप्रे सपुर सप्रेन हनहरारश्री। हररहह दप्रेहख अहत भए सपुखरारश्री॥
हसव समराज जब दप्रेखन लरागप्रे। हबडरर चलप्रे बराहन सब भरागप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कप्रे समराज कगो दप्रेखकर सब मन ममें पसन्न हहए और हवष्रपु भगवरान कगो दप्रेखकर तगो
बहह त हश्री सपुखश्री हह ए, हकन्तपु जब हशवजश्री कप्रे दल कगो दप्रेखनप्रे लगप्रे तब तगो उनकप्रे सब वराहन (सवराररयर
कप्रे हरारश्री, घगोडप्रे, रर कप्रे बहैल आहद) डरकर भराग चलप्रे॥2॥
* धरर धश्रीरजपु तहहूँ रहप्रे सयरानप्रे। बरालक सब लहै जश्रीव पररानप्रे॥
गएहूँ भवन पपूछहहमं हपतपु मरातरा। कहहहमं बचन भय कमंहपत गरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-कपु छ बडश्री उम्र कप्रे समझदरार लगोग धश्रीरज धरकर वहराहूँ डटप्रे रहप्रे। लडकप्रे तगो सब अपनप्रे परार
लप्रेकर भरागप्रे। घर पहहचहूँ नप्रे पर जब मरातरा-हपतरा पपूछतप्रे हमैं, तब वप्रे भय सप्रे कराहूँपतप्रे हह ए शरश्रीर सप्रे ऐसरा
वचन कहतप्रे हमैं॥3॥
* कहहअ कराह कहह जराइ न बरातरा। जम कर धरार हकधजौं बररआतरा॥
बर बरौरराह बसहहूँ असवराररा। ब्यराल कपराल हबभपूषन छराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-क्यरा कहमें, कगोई बरात कहश्री नहहीं जरातश्री। यह बराररात हहै यरा यमरराज ककी सप्रेनरा? दल्पू हरा परागल
हहै और बहैल पर सवरार हहै। सराहूँप, कपराल और रराख हश्री उसकप्रे गहनप्रे हमैं॥4॥
छन्द :
* तन छरार ब्यराल कपराल भपूषन नगन जहटल भयमंकररा।
सहूँग भपूत पप्रेत हपसराच जगोहगहन हबकट मपुख रजनश्रीचररा॥
जगो हजअत रहहहह बररात दप्रेखत पपुन्य बड तप्रेहह कर सहश्री।
दप्रेहखहह सगो उमरा हबबराहह घर घर बरात अहस लररकन्ह कहश्री॥
भरावरारर्ण:-दल्पू हप्रे कप्रे शरश्रीर पर रराख लगश्री हहै, सराहूँप और कपराल कप्रे गहनप्रे हमैं, वह नमंगरा, जटराधरारश्री और
भयमंकर हहै। उसकप्रे सरार भयरानक मपुखवरालप्रे भपूत, पप्रेत, हपशराच, यगोहगहनयराहूँ और रराक्षस हमैं, जगो
बराररात कगो दप्रेखकर जश्रीतरा बचप्रेगरा, सचमपुच उसकप्रे बडप्रे हश्री पपुण्य हमैं और वहश्री परावर्णतश्री करा हववराह
दप्रेखप्रेगरा। लडकर नप्रे घर-घर यहश्री बरात कहश्री।
दगोहरा :
* समपुहझ महप्रेस समराज सब जनहन जनक मपुसपुकराहहमं।
बराल बपुझराए हबहबध हबहध हनडर हगोहह डर नराहहमं॥95॥
भरावरारर्ण:-महप्रेश्वर (हशवजश्री) करा समराज समझकर सब लडकर कप्रे मरातरा-हपतरा मपुस्कपु ररातप्रे हमैं।
उन्हरनप्रे बहह त तरह सप्रे लडकर कगो समझरायरा हक हनडर हगो जराओ, डर ककी कगोई बरात नहहीं हहै॥95॥
चरौपराई :
* लहै अगवरान बररातहह आए। हदए सबहह जनवरास सपुहराए॥
महैनराहूँ सपुभ आरतश्री सहूँवरारश्री। समंग सपुममंगल गरावहहमं नरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अगवरान लगोग बराररात कगो हलवरा लराए, उन्हरनप्रे सबकगो सपुदमं र जनवरासप्रे ठहरनप्रे कगो हदए। महैनरा
(परावर्णतश्रीजश्री ककी मरातरा) नप्रे शपुभ आरतश्री सजराई और उनकप्रे सरार ककी हस्त्रयराहूँ उरम ममंगलगश्रीत गरानप्रे
लगहीं॥1॥
* कमंचन ररार सगोह बर परानश्री। पररछन चलश्री हरहह हरषरानश्री॥
हबकट बप्रेष रदहह जब दप्रेखरा। अबलन्ह उर भय भयउ हबसप्रेषरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर हरारर ममें सगोनप्रे करा रराल शगोहभत हहै, इस पकरार महैनरा हषर्ण कप्रे सरार हशवजश्री करा
परछन करनप्रे चलहीं। जब महरादप्रेवजश्री कगो भयरानक वप्रेष ममें दप्रेखरा तब तगो हस्त्रयर कप्रे मन ममें बडरा भरारश्री
भय उत्पन्न हगो गयरा॥2॥
* भराहग भवन पहैठहीं अहत त्ररासरा। गए महप्रेसपु जहराहूँ जनवरासरा॥
महैनरा हृदयहूँ भयउ दख पु पु भरारश्री। लश्रीन्हश्री बगोलश्री हगरश्रीसकपु मरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-बहह त हश्री डर कप्रे मरारप्रे भरागकर वप्रे घर ममें घपुस गई मं और हशवजश्री जहराहूँ जनवरासरा ररा, वहराहूँ
चलप्रे गए। महैनरा कप्रे हृदय ममें बडरा दद्धाःपु ख हहआ, उन्हरनप्रे परावर्णतश्रीजश्री कगो अपनप्रे परास बपुलरा हलयरा॥3॥
* अहधक सनप्रेहहूँ गगोद बहैठरारश्री। स्यराम सरगोज नयन भरप्रे बरारश्री॥
जप्रेहहमं हबहध तपुम्हहह रूपपु अस दश्रीन्हरा। तप्रेहहमं जड बर बराउर कस ककीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और अत्यन्त स्नप्रेह सप्रे गगोद ममें बहैठराकर अपनप्रे नश्रीलकमल कप्रे समरान नप्रेत्रर ममें आहूँसपू भरकर
कहरा- हजस हवधरातरा नप्रे तपुमकगो ऐसरा सपुदमं र रूप हदयरा, उस मपूखर्ण नप्रे तपुम्हरारप्रे दल्पू हप्रे कगो बरावलरा कहै सप्रे
बनरायरा?॥4॥
छन्द :
* कस ककीन्ह बर बरौरराह हबहध जप्रेहहमं तपुम्हहह सपुमंदरतरा दई।
जगो फिलपु चहहअ सपुरतरहहमं सगो बरबस बबपूरहहमं लरागई॥
तपुम्ह सहहत हगरर तमें हगरजौं परावक जरजौं जलहनहध महह हूँ परजौं।
घर जराउ अपजसपु हगोउ जग जश्रीवत हबबराहह न हजौं करजौं॥
भरावरारर्ण:-हजस हवधरातरा नप्रे तपुमकगो सपुदमं रतरा दश्री, उसनप्रे तपुम्हरारप्रे हलए वर बरावलरा कहै सप्रे बनरायरा? जगो
फिल कल्पवमृक्ष ममें लगनरा चराहहए, वह जबदर्णस्तश्री बबपूल ममें लग रहरा हहै। ममैं तपुम्हमें लप्रेकर पहराड सप्रे हगर
पडपूहूँगश्री, आग ममें जल जराऊहूँगश्री यरा समपुद ममें कपू द पडपूहूँगश्री। चराहप्रे घर उजड जराए और समंसरार भर ममें
अपककीहतर्ण फिहैल जराए, पर जश्रीतप्रे जश्री ममैं इस बरावलप्रे वर सप्रे तपुम्हराररा हववराह न करूहूँगश्री।
दगोहरा :
* भई मं हबकल अबलरा सकल दहपु खत दप्रेहख हगररनरारर।
करर हबलरापपु रगोदहत बदहत सपुतरा सनप्रेहह सहूँभरारर॥96॥।
भरावरारर्ण:-हहमराचल ककी स्त्रश्री (महैनरा) कगो दद्धाःपु खश्री दप्रेखकर सरारश्री हस्त्रयराहूँ व्यराकपुल हगो गई।मं महैनरा अपनश्री
कन्यरा कप्रे स्नप्रेह कगो यराद करकप्रे हवलराप करतश्री, रगोतश्री और कहतश्री रहीं-॥96॥
चरौपराई :
* नरारद कर ममैं कराह हबगराररा। भवनपु मगोर हजन्ह बसत उजराररा॥
अस उपदप्रेसपु उमहह हजन्ह दश्रीन्हरा। बरौरप्रे बरहह लराहग तपपु ककीन्हरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे नरारद करा क्यरा हबगराडरा ररा, हजन्हरनप्रे मप्रेररा बसतरा हहआ घर उजराड हदयरा और
हजन्हरनप्रे परावर्णतश्री कगो ऐसरा उपदप्रेश हदयरा हक हजससप्रे उसनप्रे बरावलप्रे वर कप्रे हलए तप हकयरा॥1॥
* सराचहप्रे ह हूँ उन्ह कमें मगोह न मरायरा। उदरासश्रीन धनपु धरामपु न जरायरा॥
पर घर घरालक लराज न भश्रीररा। बराझ हूँ हक जरान पसव कहै पश्रीररा॥2॥
भरावरारर्ण:-सचमपुच उनकप्रे न हकसश्री करा मगोह हहै, न मरायरा, न उनकप्रे धन हहै, न घर हहै और न स्त्रश्री हश्री
हहै, वप्रे सबसप्रे उदरासश्रीन हमैं। इसश्री सप्रे वप्रे दस
पू रप्रे करा घर उजराडनप्रे वरालप्रे हमैं। उन्हमें न हकसश्री ककी लराज हहै , न
डर हहै। भलरा, बराहूँझ स्त्रश्री पसव ककी पश्रीडरा कगो क्यरा जरानप्रे॥2॥
* जनहनहह हबकल हबलगोहक भवरानश्री। बगोलश्री जपुत हबबप्रेक ममृद पु बरानश्री॥
अस हबचरारर सगोचहह महत मरातरा। सगो न टरइ जगो रचइ हबधरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मरातरा कगो हवकल दप्रेखकर परावर्णतश्रीजश्री हववप्रेकयक्त पु कगोमल वरारश्री बगोलहीं- हप्रे मरातरा! जगो
हवधरातरा रच दप्रेतप्रे हमैं, वह टलतरा नहहीं, ऐसरा हवचरार कर तपुम सगोच मत करगो!॥3॥
* करम हलखरा जजौं बराउर नराहह। तरौ कत दगोसपु लगराइअ कराहह॥
तपुम्ह सन हमटहहमं हक हबहध कप्रे अमंकरा। मरातपु ब्यरर्ण जहन लप्रेहह कलमंकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो मप्रेरप्रे भराग्य ममें बरावलरा हश्री पहत हलखरा हहै, तगो हकसश्री कगो क्यर दगोष लगरायरा जराए? हप्रे
मरातरा! क्यरा हवधरातरा कप्रे अमंक तपुमसप्रे हमट सकतप्रे हमैं? वमृररा कलमंक करा टश्रीकरा मत लगो॥4॥
छन्द :
* जहन लप्रेहह मरातपु कलमंकपु करनरा पररहरहह अवसर नहहीं।
दख पु पु सपुखपु जगो हलखरा हललरार हमरमें जराब जहहूँ पराउब तहहीं॥
सपुहन उमरा बचन हबनश्रीत कगोमल सकल अबलरा सगोचहहीं।
बहह भराहूँहत हबहधहह लगराइ दषपू न नयन बरारर हबमगोचहहीं॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! कलमंक मत लगो, रगोनरा छगोडगो, यह अवसर हवषराद करनप्रे करा नहहीं हहै। मप्रेरप्रे भराग्य
ममें जगो दद्धाःपु ख-सपुख हलखरा हहै, उसप्रे ममैं जहराहूँ जराऊहूँगश्री, वहहीं पराऊहूँगश्री! परावर्णतश्रीजश्री कप्रे ऐसप्रे हवनय भरप्रे
कगोमल वचन सपुनकर सरारश्री हस्त्रयराहूँ सगोच करनप्रे लगहीं और भराहूँहत-भराहूँहत सप्रे हवधरातरा कगो दगोष दप्रेकर
आहूँखर सप्रे आहूँसपू बहरानप्रे लगहीं।
दगोहरा :
* तप्रेहह अवसर नरारद सहहत अर ररहष सप्त समप्रेत।
समराचरार सपुहन तपुहहनहगरर गवनप्रे तपुरत हनकप्रे त॥97॥
भरावरारर्ण:-इस समराचरार कगो सपुनतप्रे हश्री हहमराचल उसश्री समय नरारदजश्री और सप्त ऋहषयर कगो सरार
लप्रेकर अपनप्रे घर गए॥97॥
चरौपराई :
* तब नरारद सबहश्री समपुझरावरा। पपूरब कररा पसमंगपु सपुनरावरा॥
मयनरा सत्य सपुनहह मम बरानश्री। जगदमंबरा तव सपुतरा भवरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-तब नरारदजश्री नप्रे पपूवर्णजन्म ककी कररा सपुनराकर सबकगो समझरायरा (और कहरा) हक हप्रे महैनरा!
तपुम मप्रेरश्री सचश्री बरात सपुनगो, तपुम्हरारश्री यह लडककी सराक्षरात जगजनश्री भवरानश्री हहै॥1॥
* अजरा अनराहद सहक्त अहबनराहसहन। सदरा समंभपु अरधमंग हनवराहसहन॥
जग समंभव परालन लय कराररहन। हनज इच्छरा लश्रीलरा बपपु धराररहन॥2॥
भरावरारर्ण:-यप्रे अजन्मरा, अनराहद और अहवनराहशनश्री शहक्त हमैं। सदरा हशवजश्री कप्रे अदरार्धांग ममें रहतश्री हमैं। यप्रे
जगत ककी उत्पहर, परालन और समंहरार करनप्रे वरालश्री हमैं और अपनश्री इच्छरा सप्रे हश्री लश्रीलरा शरश्रीर धरारर
करतश्री हमैं॥2॥
* जनमहीं परम दच्छ गमृह जराई। नरामपु सतश्री सपुदमं र तनपु पराई॥
तहहूँहहहूँ सतश्री समंकरहह हबबराहहीं। कररा पहसद सकल जग मराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे यप्रे दक्ष कप्रे घर जराकर जन्मश्री रहीं, तब इनकरा सतश्री नराम ररा, बहह त सपुदमं र शरश्रीर परायरा
ररा। वहराहूँ भश्री सतश्री शमंकरजश्री सप्रे हश्री ब्यराहश्री गई रहीं। यह कररा सरारप्रे जगत ममें पहसद हहै॥ 3॥
* एक बरार आवत हसव समंगरा। दप्रेखप्रेउ रघपुकपुल कमल पतमंगरा॥
भयउ मगोहह हसव कहरा न ककीन्हरा। रम बस बप्रेषपु सश्रीय कर लश्रीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-एक बरार इन्हरनप्रे हशवजश्री कप्रे सरार आतप्रे हहए (रराह ममें) रघपुकपुल रूपश्री कमल कप्रे सपूयर्ण शश्री
ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखरा, तब इन्हमें मगोह हगो गयरा और इन्हरनप्रे हशवजश्री करा कहनरा न मरानकर रमवश
सश्रीतराजश्री करा वप्रेष धरारर कर हलयरा॥4॥
छन्द :
* हसय बप्रेषपु सतहीं जगो ककीन्ह तप्रेहहमं अपरराध समंकर पररहरहीं।
हर हबरहहूँ जराइ बहगोरर हपतपु कमें जग्य जगोगरानल जरहीं॥
अब जनहम तपुम्हरप्रे भवन हनज पहत लराहग दरारन तपपु हकयरा।
अस जराहन समंसय तजहह हगररजरा सबर्णदरा समंकरहपयरा॥
भरावरारर्ण:-सतश्रीजश्री नप्रे जगो सश्रीतरा करा वप्रेष धरारर हकयरा, उसश्री अपरराध कप्रे करारर शमंकरजश्री नप्रे उनकगो
त्यराग हदयरा। हफिर हशवजश्री कप्रे हवयगोग ममें यप्रे अपनप्रे हपतरा कप्रे यज ममें जराकर वहहीं यगोगराहग्नि सप्रे भस्म हगो
गई।मं अब इन्हरनप्रे तपुम्हरारप्रे घर जन्म लप्रेकर अपनप्रे पहत कप्रे हलए कहठन तप हकयरा हहै ऐसरा जरानकर
समंदहप्रे छगोड दगो, परावर्णतश्रीजश्री तगो सदरा हश्री हशवजश्री ककी हपयरा (अदरार्धांहगनश्री) हमैं।
दगोहरा :
* सपुहन नरारद कप्रे बचन तब सब कर हमटरा हबषराद।
छन महह हूँ ब्यरापप्रेउ सकल पपुर घर घर यह समंबराद॥98॥
भरावरारर्ण:-तब नरारद कप्रे वचन सपुनकर सबकरा हवषराद हमट गयरा और क्षरभर ममें यह समराचरार सरारप्रे
नगर ममें घर-घर फिहैल गयरा॥98॥
चरौपराई :
* तब मयनरा हहमवमंतपु अनमंदप्रे। पपुहन पपुहन परारबतश्री पद बमंदप्रे॥
नरारर पपुरष हससपु जपुबरा सयरानप्रे। नगर लगोग सब अहत हरषरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब महैनरा और हहमवरान आनमंद ममें मग्नि हगो गए और उन्हरनप्रे बरार-बरार परावर्णतश्री कप्रे चररर ककी
वमंदनरा ककी। स्त्रश्री, पपुरष, बरालक, यवपु रा और वमृद नगर कप्रे सभश्री लगोग बहह त पसन्न हहए॥1॥
* लगप्रे हगोन पपुर ममंगल गरानरा। सजप्रे सबहहमं हराटक घट नरानरा॥
भराहूँहत अनप्रेक भई जप्रेवनराररा। सपूपसरास्त्र जस कछपु ब्यवहराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-नगर ममें ममंगल गश्रीत गराए जरानप्रे लगप्रे और सबनप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे सपुवरर्ण कप्रे कलश सजराए।
पराक शरास्त्र ममें जहैसश्री रश्रीहत हहै, उसकप्रे अनपुसरार अनप्रेक भराहूँहत ककी ज्यगोनरार हह ई (रसगोई बनश्री)॥2॥
*सगो जप्रेवनरार हक जराइ बखरानश्री। बसहहमं भवन जप्रेहहमं मरातपु भवरानश्री॥
सरादर बगोलप्रे सकल बररातश्री। हबष्नपु हबरमंहच दप्रेव सब जरातश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजस घर ममें स्वयमं मरातरा भवरानश्री रहतश्री हर, वहराहूँ ककी ज्यगोनरार (भगोजन सरामगश्री) करा वरर्णन
कहै सप्रे हकयरा जरा सकतरा हहै? हहमराचल नप्रे आदरपपूवर्णक सब बरारराहतयर, हवष्रपु, ब्रहरा और सब जराहत
कप्रे दप्रेवतराओमं कगो बपुलवरायरा॥3॥
* हबहबहध पराहूँहत बहैठश्री जप्रेवनराररा। लरागप्रे परसन हनपपुन सपुआररा॥
नराररबमृमंद सपुर जप्रेवहूँत जरानश्री। लगहीं दप्रेन गरारहीं ममृद पु बरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-भगोजन (करनप्रे वरालर) ककी बहह त सश्री पमंगतमें बहैठहीं। चतपुर रसगोइए परगोसनप्रे लगप्रे। हस्त्रयर ककी
ममंडहलयराहूँ दप्रेवतराओमं कगो भगोजन करतप्रे जरानकर कगोमल वरारश्री सप्रे गराहलयराहूँ दप्रेनप्रे लगहीं॥ 4॥
छन्द :
* गरारहीं मधपुर स्वर दप्रेहहमं सपुदमं रर हबमंग्य बचन सपुनरावहहीं।
भगोजनपु करहहमं सपुर अहत हबलमंबपु हबनगोद पु सपुहन सचपु परावहहीं॥
जप्रेवहूँत जगो बढगो अनमंद पु सगो मपुख कगोहटहह हूँ न परहै कह्यगो।
अचवराहूँइ दश्रीन्हमें परान गवनप्रे बरास जहहूँ जराकगो रह्यगो॥
भरावरारर्ण:-सब सपुदमं रश्री हस्त्रयराहूँ मश्रीठप्रे स्वर ममें गराहलयराहूँ दप्रेनप्रे लगहीं और व्यमंग्य भरप्रे वचन सपुनरानप्रे लगहीं।
दप्रेवगर हवनगोद सपुनकर बहह त सपुख अनपुभव करतप्रे हमैं, इसहलए भगोजन करनप्रे ममें बडश्री दप्रेर लगरा रहप्रे हमैं।
भगोजन कप्रे समय जगो आनमंद बढरा वह करगोडर मपुहूँह सप्रे भश्री नहहीं कहरा जरा सकतरा। (भगोजन कर चपुकनप्रे
पर) सबकप्रे हरार-मपुहूँह धपुलवराकर परान हदए गए। हफिर सब लगोग, जगो जहराहूँ ठहरप्रे रप्रे, वहराहूँ चलप्रे गए।
दगोहरा :
*बहह रर मपुहनन्ह हहमवमंत कहह हूँ लगन सपुनराई आइ।
समय हबलगोहक हबबराह कर पठए दप्रेव बगोलराइ॥99॥
भरावरारर्ण:-हफिर मपुहनयर नप्रे लरौटकर हहमवरानम कगो लगन (लग्नि पहत्रकरा) सपुनराई और हववराह करा समय
दप्रेखकर दप्रेवतराओमं कगो बपुलरा भप्रेजरा॥99॥
चरौपराई :
* बगोहल सकल सपुर सरादर लश्रीन्हप्रे। सबहह जरगोहचत आसन दश्रीन्हप्रे॥
बप्रेदश्री बप्रेद हबधरान सहूँवरारश्री। सपुभग सपुममंगल गरावहहमं नरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतराओमं कगो आदर सहहत बपुलवरा हलयरा और सबकगो यररायगोग्य आसन हदए। वप्रेद ककी
रश्रीहत सप्रे वप्रेदश्री सजराई गई और हस्त्रयराहूँ सपुमंदर शप्रेष ममंगल गश्रीत गरानप्रे लगहीं॥ 1॥
* हसमंघरासनपु अहत हदब्य सपुहरावरा। जराइ न बरहन हबरमंहच बनरावरा॥
बहैठप्रे हसव हबपन्ह हसर नराई। हृदयहूँ सपुहमरर हनज पभपु रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रेहदकरा पर एक अत्यन्त सपुमंदर हदव्य हसमंहरासन ररा, हजस (ककी सपुमंदरतरा) करा वरर्णन नहहीं
हकयरा जरा सकतरा, क्यरहक वह स्वयमं ब्रहराजश्री करा बनरायरा हहआ ररा। ब्रराहरर कगो हसर नवराकर और
हृदय ममें अपनप्रे स्वरामश्री शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर करकप्रे हशवजश्री उस हसमंहरासन पर बहैठ गए॥2॥
* बहह रर मपुनश्रीसन्ह उमरा बगोलराई।मं करर हसमंगरार सखहीं लहै आई॥मं
दप्रेखत रूपपु सकल सपुर मगोहप्रे। बरनहै छहब अस जग कहब कगो हहै॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर मपुनश्रीश्वरर नप्रे परावर्णतश्रीजश्री कगो बपुलरायरा। सहखयराहूँ शमृमंगरार करकप्रे उन्हमें लप्रे आई।मं परावर्णतश्रीजश्री कप्रे
रूप कगो दप्रेखतप्रे हश्री सब दप्रेवतरा मगोहहत हगो गए। समंसरार ममें ऐसरा कहव करौन हहै , जगो उस सपुदमं रतरा करा
वरर्णन कर सकप्रे ?॥3॥
* जगदमंहबकरा जराहन भव भरामरा। सपुरन्ह मनहहमं मन ककीन्ह पनरामरा॥
सपुमंदरतरा मरजराद भवरानश्री। जराइ न कगोहटहह हूँ बदन बखरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-परावर्णतश्रीजश्री कगो जगदम्बरा और हशवजश्री ककी पत्नश्री समझकर दप्रेवतराओमं नप्रे मन हश्री मन परराम
हकयरा। भवरानश्रीजश्री सपुदमं रतरा ककी सश्रीमरा हमैं। करगोडर मपुखर सप्रे भश्री उनककी शगोभरा नहहीं कहश्री जरा सकतश्री॥
4॥
छन्द :
* कगोहटहह हूँ बदन नहहमं बनहै बरनत जग जनहन सगोभरा महरा।
सकपु चहहमं कहत शपुहत सप्रेष सरारद ममंदमहत तपुलसश्रीकहरा॥
छहबखराहन मरातपु भवराहन गवनहीं मध्य ममंडप हसव जहराहूँ।
अवलगोहक सकहहमं न सकपु च पहत पद कमल मनपु मधपुकर तहराहूँ॥
भरावरारर्ण:-जगजननश्री परावर्णतश्रीजश्री ककी महरान शगोभरा करा वरर्णन करगोडर मपुखर सप्रे भश्री करतप्रे नहहीं बनतरा।
वप्रेद, शप्रेषजश्री और सरस्वतश्रीजश्री तक उसप्रे कहतप्रे हहए सकपु चरा जरातप्रे हमैं, तब ममंदबपुहद तपुलसश्री हकस
हगनतश्री ममें हहै? सपुमंदरतरा और शगोभरा ककी खरान मरातरा भवरानश्री ममंडप कप्रे बश्रीच ममें, जहराहूँ हशवजश्री रप्रे, वहराहूँ
गई।मं वप्रे समंकगोच कप्रे मरारप्रे पहत (हशवजश्री) कप्रे चररकमलर कगो दप्रेख नहहीं सकतहीं, परन्तपु उनकरा मन
रूपश्री भजौंररा तगो वहहीं (रसपरान कर रहरा) ररा।

हशवजश्री करा हववराह


दगोहरा :
* मपुहन अनपुसरासन गनपहतहह पपूजप्रेउ समंभपु भवराहन।
कगोउ सपुहन समंसय करहै जहन सपुर अनराहद हजयहूँ जराहन॥100॥
भरावरारर्ण:-मपुहनयर ककी आजरा सप्रे हशवजश्री और परावर्णतश्रीजश्री नप्रे गरप्रेशजश्री करा पपूजन हकयरा। मन ममें
दप्रेवतराओमं कगो अनराहद समझकर कगोई इस बरात कगो सपुनकर शमंकरा न करप्रे (हक गरप्रेशजश्री तगो हशव-
परावर्णतश्री ककी समंतरान हमैं, अभश्री हववराह सप्रे पपूवर्ण हश्री वप्रे कहराहूँ सप्रे आ गए?)॥100॥
चरौपराई :
* जहस हबबराह कहै हबहध शपुहत गराई। महरामपुहनन्ह सगो सब करवराई॥
गहह हगरश्रीस कपु स कन्यरा परानश्री। भवहह समरपहीं जराहन भवरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर ममें हववराह ककी जहैसश्री रश्रीहत कहश्री गई हहै, महरामपुहनयर नप्रे वह सभश्री रश्रीहत करवराई।
पवर्णतरराज हहमराचल नप्रे हरार ममें कपु श लप्रेकर तररा कन्यरा करा हरार पकडकर उन्हमें भवरानश्री (हशवपत्नश्री)
जरानकर हशवजश्री कगो समपर्णर हकयरा॥1॥
* पराहनगहन जब ककीन्ह महप्रेसरा। हहयहूँ हरषप्रे तब सकल सपुरप्रेसरा॥
बप्रेदमन्त्र मपुहनबर उचरहहीं। जय जय जय समंकर सपुर करहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-जब महप्रेश्वर (हशवजश्री) नप्रे परावर्णतश्री करा पराहरगहर हकयरा, तब (इन्दराहद) सब दप्रेवतरा हृदय
ममें बडप्रे हश्री हहषर्णत हह ए। शप्रेष मपुहनगर वप्रेदममंत्रर करा उचरारर करनप्रे लगप्रे और दप्रेवगर हशवजश्री करा जय-
जयकरार करनप्रे लगप्रे॥2॥
* बराजहहमं बराजन हबहबध हबधरानरा। सपुमनबमृहष्टि नभ भहै हबहध नरानरा॥
हर हगररजरा कर भयउ हबबराहह। सकल भपुवन भरर रहरा उछराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेकर पकरार कप्रे बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। आकराश सप्रे नरानरा पकरार कप्रे फिपूलर ककी वषरार्ण हहई। हशव-
परावर्णतश्री करा हववराह हगो गयरा। सरारप्रे ब्रराहराण्ड ममें आनमंद भर गयरा॥ 3॥
* दरासहीं दरास तपुरग रर नरागरा। धप्रेनपु बसन महन बस्तपु हबभरागरा॥
अन्न कनकभराजन भरर जरानरा। दराइज दश्रीन्ह न जराइ बखरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-दरासश्री, दरास, रर, घगोडप्रे, हरारश्री, गरायमें, वस्त्र और महर आहद अनप्रेक पकरार ककी चश्रीजमें,
अन्न तररा सगोनप्रे कप्रे बतर्णन गराहडयर ममें लदवराकर दहप्रेज ममें हदए, हजनकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा॥4॥
छन्द :
* दराइज हदयगो बहह भराहूँहत पपुहन कर जगोरर हहमभपूधर कह्यगो।
करा दप्रेउहूँ पपूरनकराम समंकर चरन पमंकज गहह रह्यगो॥
हसवहूँ कमृ परासरागर ससपुर कर समंतगोषपु सब भराहूँहतहहमं हकयगो।
पपुहन गहप्रे पद परारगोज मयनराहूँ पप्रेम पररपपूरन हहयगो॥
भरावरारर्ण:-बहह त पकरार करा दहप्रेज दप्रेकर, हफिर हरार जगोडकर हहमराचल नप्रे कहरा- हप्रे शमंकर! आप
पपूरर्णकराम हमैं, ममैं आपकगो क्यरा दप्रे सकतरा हह हूँ? (इतनरा कहकर) वप्रे हशवजश्री कप्रे चररकमल पकडकर
रह गए। तब कमृ परा कप्रे सरागर हशवजश्री नप्रे अपनप्रे ससपुर करा सभश्री पकरार सप्रे समराधरान हकयरा। हफिर पप्रेम सप्रे
पररपपूरर्ण हृदय महैनराजश्री नप्रे हशवजश्री कप्रे चरर कमल पकडप्रे (और कहरा-)।
दगोहरा :
* नरार उमरा मम परान सम गमृहहकमंकरश्री करप्रेहह।
छमप्रेहह सकल अपरराध अब हगोइ पसन्न बर दप्रेहह॥101॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! यह उमरा मपुझप्रे मप्रेरप्रे परारर कप्रे समरान (प्यरारश्री) हहै। आप इसप्रे अपनप्रे घर ककी टहलनश्री
बनराइएगरा और इसकप्रे सब अपरराधर कगो क्षमरा करतप्रे रहहएगरा। अब पसन्न हगोकर मपुझप्रे यहश्री वर
दश्रीहजए॥101॥
चरौपराई :
* बहह हबहध समंभपु सरासपु समपुझराई। गवनश्री भवन चरन हसर नराई॥
जननहीं उमरा बगोहल तब लश्रीन्हश्री। लहै उछमंग सपुमंदर हसख दश्रीन्हश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे बहह त तरह सप्रे अपनश्री सरास कगो समझरायरा। तब वप्रे हशवजश्री कप्रे चररर ममें हसर
नवराकर घर गई।मं हफिर मरातरा नप्रे परावर्णतश्री कगो बपुलरा हलयरा और गगोद ममें हबठराकर यह सपुमंदर सश्रीख दश्री -॥
1॥
* करप्रेहह सदरा समंकर पद पपूजरा। नराररधरमपु पहत दप्रेउ न दज पू रा॥
बचन कहत भरप्रे लगोचन बरारश्री। बहह रर लराइ उर लश्रीहन्ह कपु मरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! तपू सदराहशवजश्री कप्रे चररर ककी पपूजरा करनरा, नराररयर करा यहश्री धमर्ण हहै। उनकप्रे
हलए पहत हश्री दप्रेवतरा हहै और कगोई दप्रेवतरा नहहीं हहै। इस पकरार ककी बरातमें कहतप्रे -कहतप्रे उनककी आहूँखर ममें
आहूँसपू भर आए और उन्हरनप्रे कन्यरा कगो छरातश्री सप्रे हचपटरा हलयरा॥ 2॥
* कत हबहध समृजहीं नरारर जग मराहहीं। परराधश्रीन सपनप्रेहहहूँ सपुखपु नराहहीं॥
भहै अहत पप्रेम हबकल महतरारश्री। धश्रीरजपु ककीन्ह कपु समय हबचरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(हफिर बगोलहीं हक) हवधरातरा नप्रे जगत ममें स्त्रश्री जराहत कगो क्यर पहैदरा हकयरा? परराधश्रीन कगो
सपनप्रे ममें भश्री सपुख नहहीं हमलतरा। यर कहतश्री हह ई मरातरा पप्रेम ममें अत्यन्त हवकल हगो गई,मं परन्तपु कपु समय
जरानकर (दद्धाःपु ख करनप्रे करा अवसर न जरानकर) उन्हरनप्रे धश्रीरज धररा॥3॥
* पपुहन पपुहन हमलहत परहत गहह चरनरा। परम पप्रेमपु कछपु जराइ न बरनरा॥
सब नराररन्ह हमहल भमेंहट भवरानश्री। जराइ जनहन उर पपुहन लपटरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-महैनरा बरार-बरार हमलतश्री हमैं और (परावर्णतश्री कप्रे ) चररर कगो पकडकर हगर पडतश्री हमैं। बडरा हश्री
पप्रेम हहै, कपु छ वरर्णन नहहीं हकयरा जरातरा। भवरानश्री सब हस्त्रयर सप्रे हमल-भमेंटकर हफिर अपनश्री मरातरा कप्रे
हृदय सप्रे जरा हलपटहीं॥4॥
छन्द :
* जनहनहह बहह रर हमहल चलश्री उहचत असश्रीस सब कराहहहूँ दई।मं
हफिरर हफिरर हबलगोकहत मरातपु तन तब सखहीं लहै हसव पहहमं गई॥मं
जराचक सकल समंतगोहष समंकर उमरा सहहत भवन चलप्रे।
सब अमर हरषप्रे सपुमन बरहष हनसरान नभ बराजप्रे भलप्रे॥
भरावरारर्ण:-परावर्णतश्रीजश्री मरातरा सप्रे हफिर हमलकर चलहीं, सब हकसश्री नप्रे उन्हमें यगोग्य आशश्रीवरार्णद हदए।
परावर्णतश्रीजश्री हफिर-हफिरकर मरातरा ककी ओर दप्रेखतश्री जरातश्री रहीं। तब सहखयराहूँ उन्हमें हशवजश्री कप्रे परास लप्रे
गई।मं महरादप्रेवजश्री सब यराचकर कगो समंतपुष्टि कर परावर्णतश्री कप्रे सरार घर (कहै लरास) कगो चलप्रे। सब दप्रेवतरा
पसन्न हगोकर फिपूलर ककी वषरार्ण करनप्रे लगप्रे और आकराश ममें सपुमंदर नगराडप्रे बजरानप्रे लगप्रे।
दगोहरा :
* चलप्रे समंग हहमवमंतपु तब पहहचहूँ रावन अहत हप्रेतपु।
हबहबध भराहूँहत पररतगोषपु करर हबदरा ककीन्ह बमृषकप्रे तपु॥102॥
भरावरारर्ण:-तब हहमवरानम अत्यन्त पप्रेम सप्रे हशवजश्री कगो पहह हूँचरानप्रे कप्रे हलए सरार चलप्रे। वमृषकप्रे तपु (हशवजश्री)
नप्रे बहह त तरह सप्रे उन्हमें समंतगोष करराकर हवदरा हकयरा॥102॥
चरौपराई :
* तपुरत भवन आए हगरररराई। सकल सहैल सर हलए बगोलराई॥
आदर दरान हबनय बहह मरानरा। सब कर हबदरा ककीन्ह हहमवरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-पवर्णतरराज हहमराचल तपुरमंत घर आए और उन्हरनप्रे सब पवर्णतर और सरगोवरर कगो बपुलरायरा।
हहमवरान नप्रे आदर, दरान, हवनय और बहह त सम्मरानपपूवर्णक सबककी हवदराई ककी॥1॥
* जबहहमं समंभपु कहै लरासहहमं आए। सपुर सब हनज हनज लगोक हसधराए॥
जगत मरातपु हपतपु समंभपु भवरानश्री। तप्रेहहमं हसमंगरार न कहउहूँ बखरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जब हशवजश्री कहै लरास पवर्णत पर पहह हूँच,प्रे तब सब दप्रेवतरा अपनप्रे-अपनप्रे लगोकर कगो चलप्रे गए।
(तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक) परावर्णतश्रीजश्री और हशवजश्री जगत कप्रे मरातरा-हपतरा हमैं, इसहलए ममैं उनकप्रे
शमृमंगरार करा वरर्णन नहहीं करतरा॥2॥
* करहहमं हबहबध हबहध भगोग हबलरासरा। गनन्ह समप्रेत बसहहमं कहै लरासरा॥
हर हगररजरा हबहरार हनत नयऊ। एहह हबहध हबपपुल कराल चहल गयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हशव-परावर्णतश्री हवहवध पकरार कप्रे भगोग-हवलरास करतप्रे हहए अपनप्रे गरर सहहत कहै लरास पर रहनप्रे
लगप्रे। वप्रे हनत्य नए हवहरार करतप्रे रप्रे। इस पकरार बहह त समय बश्रीत गयरा॥3॥
* जब जनमप्रेउ षटबदन कपु मराररा। तरारकपु असपुर समर जप्रेहहमं मराररा॥
आगम हनगम पहसद पपुररानरा। षन्मपुख जन्मपु सकल जग जरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-तब छ: मपुखवरालप्रे पपुत्र (स्वराहमकराहतर्णक) करा जन्म हह आ, हजन्हरनप्रे (बडप्रे हगोनप्रे पर) यद पु ममें
तरारकरासपुर कगो मराररा। वप्रेद, शरास्त्र और पपुररारर ममें स्वराहमकराहतर्णक कप्रे जन्म ककी कररा पहसद हहै और
सराररा जगत उसप्रे जरानतरा हहै॥4॥
छन्द :
* जगपु जरान षन्मपुख जन्मपु कमपुर्ण पतरापपु पपुरषराररपु महरा।
तप्रेहह हप्रेतपु ममैं बमृषकप्रे तपु सपुत कर चररत समंछप्रेपहहमं कहरा॥
यह उमरा समंभपु हबबराहह जप्रे नर नरारर कहहहमं जप्रे गरावहहीं।
कल्यरान कराज हबबराह ममंगल सबर्णदरा सपुखपु परावहहीं॥
भरावरारर्ण:-षडरानन (स्वराहमकराहतर्णक) कप्रे जन्म, कमर्ण, पतराप और महरान पपुरषरारर्ण कगो सराररा जगत
जरानतरा हहै, इसहलए ममैंनप्रे वमृषकप्रे तपु (हशवजश्री) कप्रे पपुत्र करा चररत्र समंक्षप्रेप ममें हश्री कहरा हहै। हशव-परावर्णतश्री कप्रे
हववराह ककी इस कररा कगो जगो स्त्रश्री-पपुरष कहमेंगप्रे और गराएहूँगप्रे, वप्रे कल्यरार कप्रे करायर्मों और हववराहराहद
ममंगलर ममें सदरा सपुख पराएहूँगप्रे।
दगोहरा :
* चररत हसमंधपु हगररजरा रमन बप्रेद न परावहहमं परार।
बरनहै तपुलसश्रीदरासपु हकहम अहत महतममंद गवराहूँर॥103॥
भरावरारर्ण:-हगररजरापहत महरादप्रेवजश्री करा चररत्र समपुद कप्रे समरान (अपरार) हहै, उसकरा परार वप्रेद भश्री नहहीं
परातप्रे। तब अत्यन्त मन्दबपुहद और गहूँवरार तपुलसश्रीदरास उसकरा वरर्णन कहै सप्रे कर सकतरा हहै? ॥103॥
चरौपराई :
* समंभपु चररत सपुहन सरस सपुहरावरा। भरदराज मपुहन अहत सपुखपु परावरा॥
बहह लरालसरा कररा पर बराढश्री। नयनहन्ह नश्रीर रगोमरावहल ठराढश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे रसश्रीलप्रे और सपुहरावनप्रे चररत्र कगो सपुनकर मपुहन भरदराजजश्री नप्रे बहह त हश्री सपुख
परायरा। कररा सपुननप्रे ककी उनककी लरालसरा बहह त बढ गई। नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा तररा रगोमरावलश्री खडश्री
हगो गई॥1॥
* पप्रेम हबबस मपुख आव न बरानश्री। दसरा दप्रेहख हरषप्रे मपुहन ग्यरानश्री॥
अहगो धन्य तब जन्मपु मपुनश्रीसरा। तपुम्हहह परान सम हपय गरौरश्रीसरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे पप्रेम ममें मपुग्ध हगो गए, मपुख सप्रे वरारश्री नहहीं हनकलतश्री। उनककी यह दशरा दप्रेखकर जरानश्री मपुहन
यराजवल्क्य बहह त पसन्न हहए (और बगोलप्रे-) हप्रे मपुनश्रीश! अहरा हरा! तपुम्हराररा जन्म धन्य हहै, तपुमकगो
गरौरश्रीपहत हशवजश्री परारर कप्रे समरान हपय हमैं॥2॥
* हसव पद कमल हजन्हहह रहत नराहहीं। ररामहह तप्रे सपनप्रेहहहूँ न सगोहराहहीं॥
हबनपु छल हबस्वनरार पद नप्रेहह। रराम भगत कर लच्छन एहह ॥3॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे चरर कमलर ममें हजनककी पश्रीहत नहहीं हहै, वप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो स्वप्न ममें भश्री
अच्छप्रे नहहीं लगतप्रे। हवश्वनरार शश्री हशवजश्री कप्रे चररर ममें हनष्कपट (हवशपुद) पप्रेम हगोनरा यहश्री ररामभक्त
करा लक्षर हहै॥3॥
* हसव सम कगो रघपुपहत ब्रतधरारश्री। हबनपु अघ तजश्री सतश्री अहस नरारश्री॥
पनपु करर रघपुपहत भगहत दप्रेखराई। कगो हसव सम ररामहह हपय भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे समरान रघपुनरारजश्री (ककी भहक्त) करा व्रत धरारर करनप्रे वरालरा करौन हहै? हजन्हरनप्रे
हबनरा हश्री पराप कप्रे सतश्री जहैसश्री स्त्रश्री कगो त्यराग हदयरा और पहतजरा करकप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी भहक्त कगो
हदखरा हदयरा। हप्रे भराई! शश्री ररामचन्दजश्री कगो हशवजश्री कप्रे समरान और करौन प्यराररा हहै?॥4॥
दगोहरा :
* परमहहमं ममैं कहह हसव चररत बपूझरा मरमपु तपुम्हरार।
सपुहच सप्रेवक तपुम्ह रराम कप्रे रहहत समस्त हबकरार॥104॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे पहलप्रे हश्री हशवजश्री करा चररत्र कहकर तपुम्हराररा भप्रेद समझ हलयरा। तपुम शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे
पहवत्र सप्रेवक हगो और समस्त दगोषर सप्रे रहहत हगो॥104॥
चरौपराई :
*ममैं जरानरा तपुम्हरार गपुन सश्रीलरा। कहउहूँ सपुनहह अब रघपुपहत लश्रीलरा॥
सपुनपु मपुहन आजपु समरागम तगोरमें। कहह न जराइ जस सपुखपु मन मगोरमें॥1॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे तपुम्हराररा गपुर और शश्रील जरान हलयरा। अब ममैं शश्री रघपुनरारजश्री ककी लश्रीलरा कहतरा हह,हूँ
सपुनगो। हप्रे मपुहन! सपुनगो, आज तपुम्हरारप्रे हमलनप्रे सप्रे मप्रेरप्रे मन ममें जगो आनमंद हहआ हहै, वह कहरा नहहीं जरा
सकतरा॥1॥
*रराम चररत अहत अहमत मपुनश्रीसरा। कहह न सकहहमं सत कगोहट अहश्रीसरा॥
तदहप जरराशपुत कहउहूँ बखरानश्री। सपुहमरर हगररापहत पभपु धनपुपरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुनश्रीश्वर! ररामचररत्र अत्यन्त अपरार हहै। सरौ करगोड शप्रेषजश्री भश्री उसप्रे नहहीं कह सकतप्रे।
तरराहप जहैसरा ममैंनप्रे सपुनरा हहै, वहैसरा वरारश्री कप्रे स्वरामश्री (पप्रेरक) और हरार ममें धनपुष हलए हह ए पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री करा स्मरर करकप्रे कहतरा हह॥हूँ 2॥
*सरारद दरारनरारर सम स्वरामश्री। ररामपु सपूत्रधर अमंतरजरामश्री॥
जप्रेहह पर कमृ परा करहहमं जनपु जरानश्री। कहब उर अहजर नचरावहहमं बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सरस्वतश्रीजश्री कठपपुतलश्री कप्रे समरान हमैं और अन्तयरार्णमश्री स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री (सपूत
पकडकर कठपपुतलश्री कगो नचरानप्रे वरालप्रे) सपूत्रधरार हमैं। अपनरा भक्त जरानकर हजस कहव पर वप्रे कमृ परा
करतप्रे हमैं, उसकप्रे हृदय रूपश्री आहूँगन ममें सरस्वतश्री कगो वप्रे नचरायरा करतप्रे हमैं॥3॥
* पनवउहूँ सगोइ कमृ पराल रघपुनराररा। बरनउहूँ हबसद तरासपु गपुन गराररा॥
परम रम्य हगररबर कहै लरासपू। सदरा जहराहूँ हसव उमरा हनवरासपू॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हहीं कमृ परालपु शश्री रघपुनरारजश्री कगो ममैं परराम करतरा हह हूँ और उन्हहीं कप्रे हनमर्णल गपुरर ककी कररा
कहतरा हह हूँ। कहै लरास पवर्णतर ममें शप्रेष और बहह त हश्री रमरश्रीय हहै, जहराहूँ हशव-परावर्णतश्रीजश्री सदरा हनवरास करतप्रे
हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हसद तपगोधन जगोहगजन सपुर हकमंनर मपुहनबमृमंद।
बसहहमं तहराहूँ सपुकमृतश्री सकल सप्रेवहहमं हसव सपुखकमंद॥105॥
भरावरारर्ण:-हसद, तपस्वश्री, यगोगश्रीगर, दप्रेवतरा, हकन्नर और मपुहनयर कप्रे समपूह उस पवर्णत पर रहतप्रे हमैं।
वप्रे सब बडप्रे पपुण्यरात्मरा हमैं और आनमंदकन्द शश्री महरादप्रेवजश्री ककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं॥ 105॥
चरौपराई :
* हरर हर हबमपुख धमर्ण रहत नराहहीं। तप्रे नर तहहूँ सपनप्रेहहहूँ नहहमं जराहहीं॥
तप्रेहह हगरर पर बट हबटप हबसरालरा। हनत नपूतन सपुदमं र सब करालरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जगो भगवरान हवष्रपु और महरादप्रेवजश्री सप्रे हवमपुख हमैं और हजनककी धमर्ण ममें पश्रीहत नहहीं हहै, वप्रे
लगोग स्वप्न ममें भश्री वहराहूँ नहहीं जरा सकतप्रे। उस पवर्णत पर एक हवशराल बरगद करा पप्रेड हहै , जगो हनत्य
नवश्रीन और सब कराल (छहर ऋतपुओमं) ममें सपुदमं र रहतरा हहै॥1॥
* हत्रहबध समश्रीर सपुसश्रीतहल छरायरा। हसव हबशराम हबटप शपुहत गरायरा॥
एक बरार तप्रेहह तर पभपु गयऊ। तर हबलगोहक उर अहत सपुखपु भयऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ तश्रीनर पकरार ककी (शश्रीतल, ममंद और सपुगमंध) वरायपु बहतश्री रहतश्री हहै और उसककी छरायरा
बडश्री ठमंडश्री रहतश्री हहै। वह हशवजश्री कप्रे हवशराम करनप्रे करा वमृक्ष हहै, हजसप्रे वप्रेदर नप्रे गरायरा हहै। एक बरार पभपु
शश्री हशवजश्री उस वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे गए और उसप्रे दप्रेखकर उनकप्रे हृदय ममें बहह त आनमंद हह आ॥2॥
*हनज कर डराहस नरागररपपु छरालरा। बहैठप्रे सहजहहमं समंभपु कमृ परालरा॥
कपुमं द इमंदपु दर गरौर सरश्रीररा। भपुज पलमंब पररधन मपुहनचश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे हरार सप्रे बराघम्बर हबछराकर कमृ परालपु हशवजश्री स्वभराव सप्रे हश्री (हबनरा हकसश्री खरास
पयगोजन कप्रे ) वहराहूँ बहैठ गए। कपुमं द कप्रे पपुष्प, चन्दमरा और शमंख कप्रे समरान उनकरा गरौर शरश्रीर ररा। बडश्री
लमंबश्री भपुजराएहूँ रहीं और वप्रे मपुहनयर कप्रे सप्रे (वल्कल) वस्त्र धरारर हकए हह ए रप्रे॥3॥
* तरन अरन अमंबपुज सम चरनरा। नख दहपु त भगत हृदय तम हरनरा॥
भपुजग भपूहत भपूषन हत्रपपुररारश्री। आननपु सरद चमंद छहब हरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे चरर नए (पपूरर्ण रूप सप्रे हखलप्रे हह ए) लराल कमल कप्रे समरान रप्रे, नखर ककी ज्यगोहत
भक्तर कप्रे हृदय करा अमंधकरार हरनप्रे वरालश्री रश्री। सरापहूँ और भस्म हश्री उनकप्रे भपूषर रप्रे और उन हत्रपपुररासपुर
कप्रे शत्रपु हशवजश्री करा मपुख शरद (पपूहरर्णमरा) कप्रे चन्दमरा ककी शगोभरा कगो भश्री हरनप्रे वरालरा (फिकीककी करनप्रे
वरालरा) ररा॥4॥
हशव-परावर्णतश्री समंवराद
दगोहरा :
* जटरा मपुकपुट सपुरसररत हसर लगोचन नहलन हबसराल।
नश्रीलकमंठ लरावन्यहनहध सगोह बरालहबधपु भराल॥106॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे हसर पर जटराओमं करा मपुकपुट और गमंगराजश्री (शगोभरायमरान) रहीं। कमल कप्रे समरान बडप्रे-
बडप्रे नप्रेत्र रप्रे। उनकरा नश्रील कमंठ ररा और वप्रे सपुमंदरतरा कप्रे भमंडरार रप्रे। उनकप्रे मस्तक पर हदतश्रीयरा करा
चन्दमरा शगोहभत ररा॥106॥
चरौपराई :
* बहैठप्रे सगोह करामररपपु कहै समें। धरमें सरश्रीर सरामंतरसपु जहैसमें॥
परारबतश्री भल अवसर जरानश्री। गई मं समंभपु पहहमं मरातपु भवरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-करामदप्रेव कप्रे शत्रपु हशवजश्री वहराहूँ बहैठप्रे हहए ऐसप्रे शगोहभत हगो रहप्रे रप्रे, मरानगो शरामंतरस हश्री शरश्रीर
धरारर हकए बहैठरा हगो। अच्छरा मरौकरा जरानकर हशवपत्नश्री मरातरा परावर्णतश्रीजश्री उनकप्रे परास गई।मं
* जराहन हपयरा आदर अहत ककीन्हरा। बराम भराग आसनपु हर दश्रीन्हरा॥
बहैठहीं हसव समश्रीप हरषराई। पपूरब जन्म कररा हचत आई॥2॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री प्यरारश्री पत्नश्री जरानकरार हशवजश्री नप्रे उनकरा बहह त आदर-सत्करार हकयरा और अपनश्री
बरायहीं ओर बहैठनप्रे कप्रे हलए आसन हदयरा। परावर्णतश्रीजश्री पसन्न हगोकर हशवजश्री कप्रे परास बहैठ गई।मं उन्हमें
हपछलप्रे जन्म ककी कररा स्मरर हगो आई॥2॥
*पहत हहयहूँ हप्रेतपु अहधक अनपुमरानश्री। हबहहस उमरा बगोलहीं हपय बरानश्री॥
कररा जगो सकल लगोक हहतकरारश्री। सगोइ पपूछन चह सहैल कपु मरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री कप्रे हृदय ममें (अपनप्रे ऊपर पहलप्रे ककी अपप्रेक्षरा) अहधक पप्रेम समझकर परावर्णतश्रीजश्री
हहूँसकर हपय वचन बगोलहीं। (यराजवल्क्यजश्री कहतप्रे हमैं हक) जगो कररा सब लगोगर करा हहत करनप्रे वरालश्री
हहै, उसप्रे हश्री परावर्णतश्रीजश्री पपूछनरा चराहतश्री हमैं॥3॥
*हबस्वनरार मम नरार पपुररारश्री। हत्रभपुवन महहमरा हबहदत तपुम्हरारश्री॥
चर अर अचर नराग नर दप्रेवरा। सकल करहहमं पद पमंकज सप्रेवरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(परावर्णतश्रीजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे समंसरार कप्रे स्वरामश्री! हप्रे मप्रेरप्रे नरार! हप्रे हत्रपपुररासरपु करा वध करनप्रे
वरालप्रे! आपककी महहमरा तश्रीनर लगोकर ममें हवख्यरात हहै। चर, अचर, नराग, मनपुष्य और दप्रेवतरा सभश्री
आपकप्रे चरर कमलर ककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* पभपु समरर सबर्णग्य हसव सकल कलरा गपुन धराम।
जगोग ग्यरान बहैरराग्य हनहध पनत कलपतर नराम॥107॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! आप समरर्ण, सवर्णज और कल्यरारस्वरूप हमैं। सब कलराओमं और गपुरर कप्रे हनधरान
हमैं और यगोग, जरान तररा वहैरराग्य कप्रे भमंडरार हमैं। आपकरा नराम शरररागतर कप्रे हलए कल्पवमृक्ष हहै॥
107॥
चरौपराई :
* जजौं मगो पर पसन्न सपुखररासश्री। जराहनअ सत्य मगोहह हनज दरासश्री॥
तरौ पभपु हरहह मगोर अग्यरानरा। कहह रघपुनरार कररा हबहध नरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुख ककी रराहश ! यहद आप मपुझ पर पसन्न हमैं और सचमपुच मपुझप्रे अपनश्री दरासश्री (यरा
अपनश्री सचश्री दरासश्री) जरानतप्रे हमैं, तगो हप्रे पभगो! आप शश्री रघपुनरारजश्री ककी नरानरा पकरार ककी कररा
कहकर मप्रेररा अजरान दरपू ककीहजए॥1॥
* जरासपु भवनपु सपुरतर तर हगोई। सहह हक दररद जहनत दख पु पु सगोई॥
सहसभपूषन अस हृदयहूँ हबचरारश्री। हरहह नरार मम महत रम भरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हजसकरा घर कल्पवमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे हगो, वह भलरा दररदतरा सप्रे उत्पन्न दद्धाःपु ख कगो क्यर सहप्रेगरा?
हप्रे शहशभपूषर! हप्रे नरार! हृदय ममें ऐसरा हवचरार कर मप्रेरश्री बपुहद कप्रे भरारश्री रम कगो दरपू ककीहजए॥2॥
* पभपु जप्रे मपुहन परमराररबरादश्री। कहहहमं रराम कहह हूँ ब्रह अनरादश्री॥
सप्रेस सरारदरा बप्रेद पपुररानरा। सकल करहहमं रघपुपहत गपुन गरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! जगो परमरारर्णतत्व (ब्रह) कप्रे जरातरा और वक्तरा मपुहन हमैं, वप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो
अनराहद ब्रह कहतप्रे हमैं और शप्रेष, सरस्वतश्री, वप्रेद और पपुररार सभश्री शश्री रघपुनरारजश्री करा गपुर गरातप्रे हमैं॥
3॥
* तपुम्ह पपुहन रराम रराम हदन ररातश्री। सरादर जपहह अनहूँग आररातश्री॥
ररामपु सगो अवध नमृपहत सपुत सगोई। ककी अज अगपुन अलखगहत कगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-और हप्रे करामदप्रेव कप्रे शत्रपु! आप भश्री हदन-ररात आदरपपूवर्णक रराम-रराम जपरा करतप्रे हमैं- यप्रे रराम
वहश्री अयगोध्यरा कप्रे रराजरा कप्रे पपुत्र हमैं? यरा अजन्मप्रे, हनगपुर्णर और अगगोचर कगोई और रराम हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* जजौं नमृप तनय त ब्रह हकहम नरारर हबरहहूँ महत भगोरर।
दप्रेहख चररत महहमरा सपुनत रमहत बपुहद अहत मगोरर॥108॥
भरावरारर्ण:-यहद वप्रे रराजपपुत्र हमैं तगो ब्रह कहै सप्रे? (और यहद ब्रह हमैं तगो) स्त्रश्री कप्रे हवरह ममें उनककी महत
बरावलश्री कहै सप्रे हगो गई? इधर उनकप्रे ऐसप्रे चररत्र दप्रेखकर और उधर उनककी महहमरा सपुनकर मप्रेरश्री बपुहद
अत्यन्त चकररा रहश्री हहै॥108॥
चरौपराई :
* जजौं अनश्रीह ब्यरापक हबभपु कगोऊ। कहहह बपुझराइ नरार मगोहह सगोऊ॥
अग्य जराहन ररस उर जहन धरहह । जप्रेहह हबहध मगोह हमटहै सगोइ करहह ॥1॥
भरावरारर्ण:-यहद इच्छरारहहत, व्यरापक, समरर्ण ब्रह कगोई और हमैं, तगो हप्रे नरार! मपुझप्रे उसप्रे समझराकर
कहहए। मपुझप्रे नरादरान समझकर मन ममें कगोध न लराइए। हजस तरह मप्रेररा मगोह द रपू हगो, वहश्री ककीहजए॥
1॥
* ममैं बन दश्रीहख रराम पभपुतराई। अहत भय हबकल न तपुम्हहह सपुनराई॥
तदहप महलन मन बगोधपु न आवरा। सगो फिलपु भलश्री भराहूँहत हम परावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे (हपछलप्रे जन्म ममें) वन ममें शश्री ररामचन्दजश्री ककी पभपुतरा दप्रेखश्री रश्री, परन्तपु अत्यन्त
भयभश्रीत हगोनप्रे कप्रे करारर ममैंनप्रे वह बरात आपकगो सपुनराई नहहीं। तगो भश्री मप्रेरप्रे महलन मन कगो बगोध न हहआ।
उसकरा फिल भश्री ममैंनप्रे अच्छश्री तरह परा हलयरा॥2॥
* अजहह हूँ कछपु समंसउ मन मगोरमें। करहह कमृ परा हबनवउहूँ कर जगोरमें॥
पभपु तब मगोहह बहह भराहूँहत पबगोधरा। नरार सगो समपुहझ करहह जहन कगोधरा॥3॥
भरावरारर्ण:-अब भश्री मप्रेरप्रे मन ममें कपु छ समंदप्रेह हहै। आप कमृ परा ककीहजए, ममैं हरार जगोडकर हवनतश्री करतश्री हह हूँ।
हप्रे पभगो! आपनप्रे उस समय मपुझप्रे बहह त तरह सप्रे समझरायरा ररा (हफिर भश्री मप्रेररा समंदप्रेह नहहीं गयरा), हप्रे
नरार! यह सगोचकर मपुझ पर कगोध न ककीहजए॥3॥
* तब कर अस हबमगोह अब नराहहीं। ररामकररा पर रहच मन मराहहीं॥
कहहह पपुनश्रीत रराम गपुन गराररा। भपुजगरराज भपूषन सपुरनराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे अब पहलप्रे जहैसरा मगोह नहहीं हहै, अब तगो मप्रेरप्रे मन ममें ररामकररा सपुननप्रे ककी रहच हहै। हप्रे
शप्रेषनराग कगो अलमंकरार रूप ममें धरारर करनप्रे वरालप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे नरार! आप शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर
ककी पहवत्र कररा कहहए॥4॥
दगोहरा :
* बमंदउहूँ पद धरर धरहन हसर हबनय करउहूँ कर जगोरर।
बरनहह रघपुबर हबसद जसपु शपुहत हसदरामंत हनचगोरर॥109॥
भरावरारर्ण:-ममैं पमृथ्वश्री पर हसर टप्रेककर आपकप्रे चररर ककी वमंदनरा करतश्री हह हूँ और हरार जगोडकर हवनतश्री
करतश्री हह हूँ। आप वप्रेदर कप्रे हसदरामंत कगो हनचगोडकर शश्री रघपुनरारजश्री करा हनमर्णल यश वरर्णन ककीहजए॥
109॥
चरौपराई :
* जदहप जगोहषतरा नहहमं अहधकरारश्री। दरासश्री मन कम बचन तपुम्हरारश्री॥
गपूढउ तत्त्व न सराधपु दरपु रावहहमं। आरत अहधकरारश्री जहहूँ परावहहमं॥1॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप स्त्रश्री हगोनप्रे कप्रे करारर ममैं उसप्रे सपुननप्रे ककी अहधकरारररश्री नहहीं हह हूँ, तरराहप ममैं मन, वचन
और कमर्ण सप्रे आपककी दरासश्री हह हूँ। समंत लगोग जहराहूँ आतर्ण अहधकरारश्री परातप्रे हमैं, वहराहूँ गपूढ तत्त्व भश्री उससप्रे
नहहीं हछपरातप्रे॥1॥
* अहत आरहत पपूछउहूँ सपुरररायरा। रघपुपहत कररा कहहह करर दरायरा॥
परम सगो करारन कहहह हबचरारश्री। हनगपुर्णन ब्रह सगपुन बपपु धरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री! ममैं बहह त हश्री आतर्णभराव (दश्रीनतरा) सप्रे पपूछतश्री हह,हूँ आप मपुझ पर दयरा
करकप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी कररा कहहए। पहलप्रे तगो वह करारर हवचरारकर बतलराइए, हजससप्रे हनगपुर्णर
ब्रह सगपुर रूप धरारर करतरा हहै॥2॥
* पपुहन पभपु कहहह रराम अवतराररा। बरालचररत पपुहन कहहह उदराररा॥
कहहह जररा जरानककी हबबराहहीं। रराज तजरा सगो दषपू न कराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर हप्रे पभपु! शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे अवतरार (जन्म) ककी कररा कहहए तररा उनकरा उदरार
बराल चररत्र कहहए। हफिर हजस पकरार उन्हरनप्रे शश्री जरानककीजश्री सप्रे हववराह हकयरा, वह कररा कहहए
और हफिर यह बतलराइए हक उन्हरनप्रे जगो रराज्य छगोडरा, सगो हकस दगोष सप्रे॥3॥
* बन बहस ककीन्हप्रे चररत अपराररा। कहहह नरार हजहम ररावन मराररा॥
रराज बहैहठ ककीन्हहीं बहह लश्रीलरा। सकल कहहह समंकर सपुखसश्रीलरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हफिर उन्हरनप्रे वन ममें रहकर जगो अपरार चररत्र हकए तररा हजस तरह ररावर कगो
मराररा, वह कहहए। हप्रे सपुखस्वरूप शमंकर! हफिर आप उन सरारश्री लश्रीलराओमं कगो कहहए जगो उन्हरनप्रे
रराज्य (हसमंहरासन) पर बहैठकर ककी रहीं॥4॥
दगोहरा :
* बहह रर कहहह करनरायतन ककीन्ह जगो अचरज रराम।
पजरा सहहत रघपुबमंसमहन हकहम गवनप्रे हनज धराम॥110॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ पराधराम! हफिर वह अद्भतपु चररत्र कहहए जगो शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हकयरा- वप्रे रघपुकपुल
हशरगोमहर पजरा सहहत हकस पकरार अपनप्रे धराम कगो गए?॥110॥
चरौपराई :
* पपुहन पभपु कहहह सगो तत्त्व बखरानश्री। जप्रेहहमं हबग्यरान मगन मपुहन ग्यरानश्री॥
भगहत ग्यरान हबग्यरान हबररागरा। पपुहन सब बरनहह सहहत हबभरागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभपु! हफिर आप उस तत्त्व कगो समझराकर कहहए, हजसककी अनपुभपूहत ममें जरानश्री मपुहनगर
सदरा मग्नि रहतप्रे हमैं और हफिर भहक्त, जरान, हवजरान और वहैरराग्य करा हवभराग सहहत वरर्णन ककीहजए॥
1॥
* औरउ रराम रहस्य अनप्रेकरा। कहहह नरार अहत हबमल हबबप्रेकरा॥
जगो पभपु ममैं पपूछरा नहहमं हगोई। सगोउ दयराल रराखहह जहन गगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-(इसकप्रे हसवरा) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे और भश्री जगो अनप्रेक रहस्य (हछपप्रे हह ए भराव अरवरा
चररत्र) हमैं, उनकगो कहहए। हप्रे नरार! आपकरा जरान अत्यन्त हनमर्णल हहै। हप्रे पभगो! जगो बरात ममैंनप्रे न भश्री
पपूछश्री हगो, हप्रे दयरालपु! उसप्रे भश्री आप हछपरा न रहखएगरा॥2॥
* तपुम्ह हत्रभपुवन गपुर बप्रेद बखरानरा। आन जश्रीव पराहूँवर करा जरानरा॥
पस्न उमरा कहै सहज सपुहराई। छल हबहश्रीन सपुहन हसव मन भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर नप्रे आपकगो तश्रीनर लगोकर करा गपुर कहरा हहै। दस पू रप्रे परामर जश्रीव इस रहस्य कगो क्यरा जरानमें!
परावर्णतश्रीजश्री कप्रे सहज सपुदमं र और छलरहहत (सरल) पश्न सपुनकर हशवजश्री कप्रे मन कगो बहह त अच्छप्रे
लगप्रे॥3॥
* हर हहयहूँ ररामचररत सब आए। पप्रेम पपुलक लगोचन जल छराए॥
शश्रीरघपुनरार रूप उर आवरा। परमरानमंद अहमत सपुख परावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री महरादप्रेवजश्री कप्रे हृदय ममें सरारप्रे ररामचररत्र आ गए। पप्रेम कप्रे मरारप्रे उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो
गयरा और नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा। शश्री रघपुनरारजश्री करा रूप उनकप्रे हृदय ममें आ गयरा, हजससप्रे स्वयमं
परमरानन्दस्वरूप हशवजश्री नप्रे भश्री अपरार सपुख परायरा॥4॥
दगोहरा :
* मगन ध्यरान रस दमंड जपुग पपुहन मन बराहप्रेर ककीन्ह।
रघपुपहत चररत महप्रेस तब हरहषत बरनहै लश्रीन्ह॥111।
भरावरारर्ण:-हशवजश्री दगो घडश्री तक ध्यरान कप्रे रस (आनमंद) ममें डपू बप्रे रहप्रे, हफिर उन्हरनप्रे मन कगो बराहर
खहींचरा और तब वप्रे पसन्न हगोकर शश्री रघपुनरारजश्री करा चररत्र वरर्णन करनप्रे लगप्रे॥ 111॥
चरौपराई :
* झपूठप्रेउ सत्य जराहह हबनपु जरानमें। हजहम भपुजमंग हबनपु रजपु पहहचरानमें॥
जप्रेहह जरानमें जग जराइ हप्रेरराई। जरागमें जररा सपन रम जराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे हबनरा जरानप्रे झपूठ भश्री सत्य मरालपूम हगोतरा हहै, जहैसप्रे हबनरा पहचरानप्रे रस्सश्री ममें सराहूँप करा
रम हगो जरातरा हहै और हजसकप्रे जरान लप्रेनप्रे पर जगत करा उसश्री तरह लगोप हगो जरातरा हहै, जहैसप्रे जरागनप्रे पर
स्वप्न करा रम जरातरा रहतरा हहै॥1॥
*बमंदउहूँ बरालरूप सगोइ ररामपू। सब हसहध सपुलभ जपत हजसपु नरामपू॥
ममंगल भवन अममंगल हरारश्री। दवउ सगो दसरर अहजर हबहरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ममैं उन्हहीं शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे बराल रूप ककी वमंदनरा करतरा हह हूँ, हजनकरा नराम जपनप्रे सप्रे सब
हसहदयराहूँ सहज हश्री पराप्त हगो जरातश्री हमैं। ममंगल कप्रे धराम, अममंगल कप्रे हरनप्रे वरालप्रे और शश्री दशररजश्री कप्रे
आहूँगन ममें खप्रेलनप्रे वरालप्रे (बरालरूप) शश्री ररामचन्दजश्री मपुझ पर कमृ परा करमें॥2॥
* करर पनराम ररामहह हत्रपपुररारश्री। हरहष सपुधरा सम हगररा उचरारश्री॥
धन्य धन्य हगरररराजकपु मरारश्री। तपुम्ह समरान नहहमं कगोउ उपकरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हत्रपपुररासपुर करा वध करनप्रे वरालप्रे हशवजश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो परराम करकप्रे आनमंद ममें भरकर
अममृत कप्रे समरान वरारश्री बगोलप्रे- हप्रे हगरररराजकपु मरारश्री परावर्णतश्री! तपुम धन्य हगो! धन्य हगो!! तपुम्हरारप्रे समरान
कगोई उपकरारश्री नहहीं हहै॥3॥
* पपूछ हूँ प्रेहह रघपुपहत कररा पसमंगरा। सकल लगोक जग परावहन गमंगरा॥
तपुम्ह रघपुबश्रीर चरन अनपुररागश्री। ककीहन्हहह पस्न जगत हहत लरागश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो तपुमनप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी कररा करा पसमंग पपूछरा हहै, जगो कररा समस्त लगोकर कप्रे हलए
जगत कगो पहवत्र करनप्रे वरालश्री गमंगराजश्री कप्रे समरान हहै। तपुमनप्रे जगत कप्रे कल्यरार कप्रे हलए हश्री पश्न पपूछप्रे हमैं।
तपुम शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम रखनप्रे वरालश्री हगो॥4॥
दगोहरा :
* रराम कमृ परा तमें परारबहत सपनप्रेहहहूँ तव मन मराहहमं।
सगोक मगोह समंदप्रेह रम मम हबचरार कछपु नराहहमं॥112॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! मप्रेरप्रे हवचरार ममें तगो शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे तपुम्हरारप्रे मन ममें स्वप्न ममें भश्री शगोक,
मगोह, समंदहप्रे और रम कपु छ भश्री नहहीं हहै॥112॥
चरौपराई :
* तदहप असमंकरा ककीहन्हहह सगोई। कहत सपुनत सब कर हहत हगोई॥
हजन्ह हररकररा सपुनश्री नहहमं करानरा। शवन रमंध अहहभवन समरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर भश्री तपुमनप्रे इसश्रीहलए वहश्री (पपुररानश्री) शमंकरा ककी हहै हक इस पसमंग कप्रे कहनप्रे-सपुननप्रे सप्रे
सबकरा कल्यरार हगोगरा। हजन्हरनप्रे अपनप्रे करानर सप्रे भगवरान ककी कररा नहहीं सपुनश्री , उनकप्रे करानर कप्रे हछद
सराहूँप कप्रे हबल कप्रे समरान हमैं॥1॥
* नयनहन्ह समंत दरस नहहमं दप्रेखरा। लगोचन मगोरपमंख कर लप्रेखरा॥
तप्रेहसर कटपु तपुमंबरर समतपूलरा। जप्रे न नमत हरर गपुर पद मपूलरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे अपनप्रे नप्रेत्रर सप्रे समंतर कप्रे दशर्णन नहहीं हकए, उनकप्रे वप्रे नप्रेत्र मगोर कप्रे पमंखर पर हदखनप्रे
वरालश्री नकलश्री आहूँखर ककी हगनतश्री ममें हमैं। वप्रे हसर कडवश्री तपूहूँबश्री कप्रे समरान हमैं, जगो शश्री हरर और गपुर कप्रे
चररतल पर नहहीं झपुकतप्रे॥2॥
* हजन्ह हररभगहत हृदयहूँ नहहमं आनश्री। जश्रीवत सव समरान तप्रेइ परानश्री॥
जगो नहहमं करइ रराम गपुन गरानरा। जश्रीह सगो दरादरपु जश्रीह समरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे भगवरान ककी भहक्त कगो अपनप्रे हृदय ममें स्ररान नहहीं हदयरा, वप्रे परारश्री जश्रीतप्रे हह ए हश्री
मपुदर्दे कप्रे समरान हमैं, जगो जश्रीभ शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर करा गरान नहहीं करतश्री, वह ममेंढक ककी जश्रीभ कप्रे
समरान हहै॥3॥
* कपु हलस कठगोर हनठपु र सगोइ छरातश्री। सपुहन हररचररत न जगो हरषरातश्री॥
हगररजरा सपुनहह रराम कहै लश्रीलरा। सपुर हहत दनपुज हबमगोहनसश्रीलरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वह हृदय वज्र कप्रे समरान कडरा और हनषहर हहै, जगो भगवरान कप्रे चररत्र सपुनकर हहषर्णत नहहीं
हगोतरा। हप्रे परावर्णतश्री! शश्री ररामचन्दजश्री ककी लश्रीलरा सपुनगो, यह दप्रेवतराओमं करा कल्यरार करनप्रे वरालश्री और
दहैत्यर कगो हवशप्रेष रूप सप्रे मगोहहत करनप्रे वरालश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* ररामकररा सपुरधप्रेनपु सम सप्रेवत सब सपुख दराहन।
सतसमराज सपुरलगोक सब कगो न सपुनहै अस जराहन॥113॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी कररा करामधप्रेनपु कप्रे समरान सप्रेवरा करनप्रे सप्रे सब सपुखर कगो दप्रेनप्रे वरालश्री हहै
और सत्पपुरषर कप्रे समराज हश्री सब दप्रेवतराओमं कप्रे लगोक हमैं, ऐसरा जरानकर इसप्रे करौन न सपुनप्रेगरा!॥
113॥
चरौपराई :
* ररामकररा सपुदमं र कर तरारश्री। समंसय हबहग उडरावहनहरारश्री॥
ररामकररा कहल हबटप कपु ठरारश्री। सरादर सपुनपु हगरररराजकपु मरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी कररा हरार ककी सपुदमं र तरालश्री हहै, जगो समंदहप्रे रूपश्री पहक्षयर कगो उडरा दप्रेतश्री
हहै। हफिर ररामकररा कहलयगपु रूपश्री वमृक्ष कगो कराटनप्रे कप्रे हलए कपु ल्हराडश्री हहै। हप्रे हगरररराजकपु मरारश्री! तपुम इसप्रे
आदरपपूवर्णक सपुनगो॥1॥
* रराम नराम गपुन चररत सपुहराए। जनम करम अगहनत शपुहत गराए॥
जररा अनमंत रराम भगवरानरा। तररा कररा ककीरहत गपुन नरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सपुमंदर नराम, गपुर, चररत्र, जन्म और कमर्ण सभश्री अनहगनत कहप्रे
हमैं। हजस पकरार भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री अनन्त हमैं, उसश्री तरह उनककी कररा, ककीहतर्ण और गपुर भश्री
अनमंत हमैं॥2॥
* तदहप जररा शपुत जहस महत मगोरश्री। कहहहउहूँ दप्रेहख पश्रीहत अहत तगोरश्री॥
उमरा पस्न तव सहज सपुहराई। सपुखद समंतसमंमत मगोहह भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-तगो भश्री तपुम्हरारश्री अत्यन्त पश्रीहत दप्रेखकर, जहैसरा कपु छ ममैंनप्रे सपुनरा हहै और जहैसश्री मप्रेरश्री बपुहद हहै,
उसश्री कप्रे अनपुसरार ममैं कहह हूँगरा। हप्रे परावर्णतश्री! तपुम्हराररा पश्न स्वराभराहवक हश्री सपुमंदर, सपुखदरायक और
समंतसम्मत हहै और मपुझप्रे तगो बहह त हश्री अच्छरा लगरा हहै॥3॥
* एक बरात नहहमं मगोहह सगोहरानश्री। जदहप मगोह बस कहप्रेहह भवरानश्री॥
तपुम्ह जगो कहरा रराम कगोउ आनरा। जप्रेहह शपुहत गराव धरहहमं मपुहन ध्यरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-परमंतपु हप्रे परावर्णतश्री! एक बरात मपुझप्रे अच्छश्री नहहीं लगश्री, यद्यहप वह तपुमनप्रे मगोह कप्रे वश हगोकर हश्री
कहश्री हहै। तपुमनप्रे जगो यह कहरा हक वप्रे रराम कगोई और हमैं, हजन्हमें वप्रेद गरातप्रे और मपुहनजन हजनकरा ध्यरान
धरतप्रे हमैं-॥4॥
दगोहरा :
* कहहहमं सपुनहहमं अस अधम नर गसप्रे जप्रे मगोह हपसराच।
पराषमंडश्री हरर पद हबमपुख जरानहहमं झपूठ न सराच॥114॥
भरावरारर्ण:-जगो मगोह रूपश्री हपशराच कप्रे दराररा गस्त हमैं, पराखण्डश्री हमैं, भगवरान कप्रे चररर सप्रे हवमपुख हमैं और
जगो झपूठ-सच कपु छ भश्री नहहीं जरानतप्रे, ऐसप्रे अधम मनपुष्य हश्री इस तरह कहतप्रे-सपुनतप्रे हमैं॥114॥
चरौपराई :
* अग्य अकगोहबद अमंध अभरागश्री। कराई हबषय मपुकपुर मन लरागश्री॥
लमंपट कपटश्री कपु हटल हबसप्रेषश्री। सपनप्रेहहहूँ समंतसभरा नहहमं दप्रेखश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो अजरानश्री, मपूखर्ण, अमंधप्रे और भराग्यहश्रीन हमैं और हजनकप्रे मन रूपश्री दपर्णर पर हवषय रूपश्री
कराई जमश्री हह ई हहै, जगो व्यहभचरारश्री, छलश्री और बडप्रे कपु हटल हमैं और हजन्हरनप्रे कभश्री स्वप्न ममें भश्री समंत
समराज कप्रे दशर्णन नहहीं हकए॥1॥
* कहहहमं तप्रे बप्रेद असमंमत बरानश्री। हजन्ह कमें सपूझ लराभपु नहहमं हरानश्री॥
मपुकपुर महलन अर नयन हबहश्रीनरा। रराम रूप दप्रेखहहमं हकहम दश्रीनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-और हजन्हमें अपनप्रे लराभ-हराहन नहहीं सपूझतश्री, वप्रे हश्री ऐसश्री वप्रेदहवरद बरातमें कहरा करतप्रे हमैं,
हजनकरा हृदय रूपश्री दपर्णर महैलरा हहै और जगो नप्रेत्रर सप्रे हश्रीन हमैं, वप्रे बप्रेचरारप्रे शश्री ररामचन्दजश्री करा रूप कहै सप्रे
दप्रेख!में ॥2॥
* हजन्ह कमें अगपुन न सगपुन हबबप्रेकरा। जल्पहहमं कहल्पत बचन अनप्रेकरा॥
हररमरायरा बस जगत रमराहहीं। हतन्हहह कहत कछपु अघहटत नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनकगो हनगपुर्णर-सगपुर करा कपु छ भश्री हववप्रेक नहहीं हहै, जगो अनप्रेक मनगढमंत बरातमें बकरा करतप्रे
हमैं, जगो शश्री हरर ककी मरायरा कप्रे वश ममें हगोकर जगत ममें (जन्म-ममृत्यपु कप्रे चक ममें) रमतप्रे हफिरतप्रे हमैं,
उनकप्रे हलए कपु छ भश्री कह डरालनरा असमंभव नहहीं हहै॥3॥
* बरातपुल भपूत हबबस मतवरारप्रे। तप्रे नहहमं बगोलहहमं बचन हबचरारप्रे॥
हजन्ह कमृ त महरामगोह मद परानरा। हतन्ह कर कहरा कररअ नहहमं करानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजन्हमें वरायपु करा रगोग (सहन्नपरात, उन्मराद आहद) हगो गयरा हगो, जगो भपूत कप्रे वश हगो गए हमैं
और जगो नशप्रे ममें चपूर हमैं, ऐसप्रे लगोग हवचरारकर वचन नहहीं बगोलतप्रे। हजन्हरनप्रे महरामगोह रूपश्री महदररा पश्री
रखश्री हहै, उनकप्रे कहनप्रे पर करान नहहीं दप्रेनरा चराहहए॥4॥
सगोरठरा :
* अस हनज हृदयहूँ हबचरारर तजपु समंसय भजपु रराम पद।
सपुनपु हगरररराज कपु मरारर रम तम रहब कर बचन मम॥115॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे हृदय ममें ऐसरा हवचरार कर समंदहप्रे छगोड दगो और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर कगो भजगो। हप्रे
परावर्णतश्री! रम रूपश्री अमंधकरार कप्रे नराश करनप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण ककी हकररर कप्रे समरान मप्रेरप्रे वचनर कगो
सपुनगो!॥115॥
चरौपराई :
* सगपुनहह अगपुनहह नहहमं कछपु भप्रेदरा। गरावहहमं मपुहन पपुररान बपुध बप्रेदरा॥
अगपुन अरूप अलख अज जगोई। भगत पप्रेम बस सगपुन सगो हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-सगपुर और हनगपुर्णर ममें कपु छ भश्री भप्रेद नहहीं हहै- मपुहन, पपुररार, पहण्डत और वप्रेद सभश्री ऐसरा
कहतप्रे हमैं। जगो हनगपुर्णर, अरूप (हनरराकरार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मरा हहै, वहश्री भक्तर कप्रे
पप्रेमवश सगपुर हगो जरातरा हहै॥1॥
* जगो गपुन रहहत सगपुन सगोइ कहै समें। जलपु हहम उपल हबलग नहहमं जहैसमें॥
जरासपु नराम रम हतहमर पतमंगरा। तप्रेहह हकहम कहहअ हबमगोह पसमंगरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो हनगपुर्णर हहै वहश्री सगपुर कहै सप्रे हहै? जहैसप्रे जल और ओलप्रे ममें भप्रेद नहहीं। (दगोनर जल हश्री हमैं,
ऐसप्रे हश्री हनगपुर्णर और सगपुर एक हश्री हमैं।) हजसकरा नराम रम रूपश्री अमंधकरार कप्रे हमटरानप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण हहै,
उसकप्रे हलए मगोह करा पसमंग भश्री कहै सप्रे कहरा जरा सकतरा हहै?॥2॥
* रराम सहचदरानमंद हदनप्रेसरा। नहहमं तहहूँ मगोह हनसरा लवलप्रेसरा॥
सहज पकरासरूप भगवरानरा। नहहमं तहहूँ पपुहन हबग्यरान हबहरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री सहचदरानन्दस्वरूप सपूयर्ण हमैं। वहराहूँ मगोह रूपश्री रराहत्र करा लवलप्रेश भश्री नहहीं हहै।
वप्रे स्वभराव सप्रे हश्री पकराश रूप और (षडहैश्वयर्णयक्त पु ) भगवरान हहै, वहराहूँ तगो हवजरान रूपश्री परातद्धाःकराल भश्री
नहहीं हगोतरा (अजरान रूपश्री रराहत्र हगो तब तगो हवजरान रूपश्री परातद्धाःकराल हगो, भगवरान तगो हनत्य जरान
स्वरूप हमैं।)॥3॥
* हरष हबषराद ग्यरान अग्यरानरा। जश्रीव धमर्ण अहहमहत अहभमरानरा॥
रराम ब्रह ब्यरापक जग जरानरा। परमरानमंद परप्रेस पपुररानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हषर्ण, शगोक, जरान, अजरान, अहमंतरा और अहभमरान- यप्रे सब जश्रीव कप्रे धमर्ण हमैं। शश्री
ररामचन्दजश्री तगो व्यरापक ब्रह, परमरानन्दस्वरूप, पररात्पर पभपु और पपुररार पपुरष हमैं। इस बरात कगो
सराररा जगत जरानतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* पपुरष पहसद पकराश हनहध पगट पररावर नरार।
रघपुकपुलमहन मम स्वराहम सगोइ कहह हसवहूँ नरायउ मरार॥116॥
भरावरारर्ण:-जगो (पपुररार) पपुरष पहसद हमैं, पकराश कप्रे भमंडरार हमैं, सब रूपर ममें पकट हमैं, जश्रीव, मरायरा
और जगत सबकप्रे स्वरामश्री हमैं, वप्रे हश्री रघपुकपुल महर शश्री ररामचन्दजश्री मप्रेरप्रे स्वरामश्री हमैं- ऐसरा कहकर
हशवजश्री नप्रे उनकगो मस्तक नवरायरा॥116॥
चरौपराई :
* हनज रम नहहमं समपुझहहमं अग्यरानश्री। पभपु पर मगोह धरहहमं जड परानश्री॥
जररा गगन घन पटल हनहरारश्री। झरापहूँ प्रेउ भरानपु कहहहमं कपु हबचरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-अजरानश्री मनपुष्य अपनप्रे रम कगो तगो समझतप्रे नहहीं और वप्रे मपूखर्ण पभपु शश्री ररामचन्दजश्री पर
उसकरा आरगोप करतप्रे हमैं, जहैसप्रे आकराश ममें बरादलर करा परदरा दप्रेखकर कपु हवचरारश्री (अजरानश्री) लगोग
कहतप्रे हमैं हक बरादलर नप्रे सपूयर्ण कगो ढहूँक हलयरा॥1॥
* हचतव जगो लगोचन अमंगपुहल लराएहूँ। पगट जपुगल सहस तप्रेहह कप्रे भराएहूँ॥
उमरा रराम हबषइक अस मगोहरा। नभ तम धपूम धपूरर हजहम सगोहरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य आहूँख ममें अहूँगपुलश्री लगराकर दप्रेखतरा हहै, उसकप्रे हलए तगो दगो चन्दमरा पकट
(पत्यक्ष) हमैं। हप्रे परावर्णतश्री! शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवषय ममें इस पकरार मगोह ककी कल्पनरा करनरा वहैसरा हश्री
हहै, जहैसरा आकराश ममें अमंधकरार, धपुएहूँ और धपूल करा सगोहनरा (हदखनरा)। (आकराश जहैसप्रे हनमर्णल और
हनलर्देप हहै, उसकगो कगोई महलन यरा स्पशर्ण नहहीं कर सकतरा, इसश्री पकरार भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री
हनत्य हनमर्णल और हनलर्देप हमैं।) ॥2॥
* हबषय करन सपुर जश्रीव समप्रेतरा। सकल एक तमें एक सचप्रेतरा॥
सब कर परम पकरासक जगोई। रराम अनराहद अवधपहत सगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-हवषय, इहन्दयराहूँ, इहन्दयर कप्रे दप्रेवतरा और जश्रीवरात्मरा- यप्रे सब एक ककी सहरायतरा सप्रे एक
चप्रेतन हगोतप्रे हमैं। (अररार्णत हवषयर करा पकराश इहन्दयर सप्रे, इहन्दयर करा इहन्दयर कप्रे दप्रेवतराओमं सप्रे और
इहन्दय दप्रेवतराओमं करा चप्रेतन जश्रीवरात्मरा सप्रे पकराश हगोतरा हहै।) इन सबकरा जगो परम पकराशक हहै
(अररार्णत हजससप्रे इन सबकरा पकराश हगोतरा हहै), वहश्री अनराहद ब्रह अयगोध्यरा नरप्रेश शश्री ररामचन्दजश्री
हमैं॥3॥
* जगत पकरास्य पकरासक ररामपू। मरायराधश्रीस ग्यरान गपुन धरामपू॥
जरासपु सत्यतरा तमें जड मरायरा। भरास सत्य इव मगोह सहरायरा॥4॥
भरावरारर्ण:-यह जगत पकराश्य हहै और शश्री ररामचन्दजश्री इसकप्रे पकराशक हमैं। वप्रे मरायरा कप्रे स्वरामश्री और
जरान तररा गपुरर कप्रे धराम हमैं। हजनककी सररा सप्रे, मगोह ककी सहरायतरा पराकर जड मरायरा भश्री सत्य सश्री
भराहसत हगोतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
*रजत सश्रीप महह हूँ भरास हजहम जररा भरानपु कर बरारर।
जदहप ममृषरा हतहह हूँ कराल सगोइ रम न सकइ कगोउ टरारर॥117॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे सश्रीप ममें चराहूँदश्री ककी और सपूयर्ण ककी हकररर ममें परानश्री ककी (हबनरा हह ए भश्री) पतश्रीहत हगोतश्री हहै।
यद्यहप यह पतश्रीहत तश्रीनर करालर ममें झपूठ हहै, तरराहप इस रम कगो कगोई हटरा नहहीं सकतरा॥117॥
चरौपराई :
* एहह हबहध जग हरर आहशत रहई। जदहप असत्य दप्रेत द ख पु अहई॥
जजौं सपनमें हसर कराटहै कगोई। हबनपु जरागमें न दरपू र दख पु हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-इसश्री तरह यह समंसरार भगवरान कप्रे आहशत रहतरा हहै। यद्यहप यह असत्य हहै, तगो भश्री दद्धाःपु ख
तगो दप्रेतरा हश्री हहै, हजस तरह स्वप्न ममें कगोई हसर कराट लप्रे तगो हबनरा जरागप्रे वह द द्धाःपु ख दरपू नहहीं हगोतरा॥1॥
* जरासपु कमृ पराहूँ अस रम हमहट जराई। हगररजरा सगोइ कमृ पराल रघपुरराई॥
आहद अमंत कगोउ जरासपु न परावरा। महत अनपुमराहन हनगम अस गरावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! हजनककी कमृ परा सप्रे इस पकरार करा रम हमट जरातरा हहै, वहश्री कमृ परालपु शश्री
रघपुनरारजश्री हमैं। हजनकरा आहद और अमंत हकसश्री नप्रे नहहीं (जरान) परायरा। वप्रेदर नप्रे अपनश्री बपुहद सप्रे
अनपुमरान करकप्रे इस पकरार (नश्रीचप्रे हलखप्रे अनपुसरार) गरायरा हहै-॥2॥
* हबनपु पद चलइ सपुनइ हबनपु करानरा। कर हबनपु करम करइ हबहध नरानरा॥
आनन रहहत सकल रस भगोगश्री। हबनपु बरानश्री बकतरा बड जगोगश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह (ब्रह) हबनरा हश्री पहैर कप्रे चलतरा हहै, हबनरा हश्री करान कप्रे सपुनतरा हहै, हबनरा हश्री हरार कप्रे
नरानरा पकरार कप्रे कराम करतरा हहै, हबनरा मपुहूँह (हजव्हरा) कप्रे हश्री सरारप्रे (छहर) रसर करा आनमंद लप्रेतरा हहै
और हबनरा हश्री वरारश्री कप्रे बहह त यगोग्य वक्तरा हहै॥3॥
* तन हबनपु परस नयन हबनपु दप्रेखरा। गहइ घ्ररान हबनपु बरास असप्रेषरा॥
अहस सब भराहूँहत अलरौहकक करनश्री। महहमरा जरासपु जराइ नहहमं बरनश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वह हबनरा हश्री शरश्रीर (त्वचरा) कप्रे स्पशर्ण करतरा हहै, हबनरा हश्री आहूँखर कप्रे दप्रेखतरा हहै और हबनरा
हश्री नराक कप्रे सब गमंधर कगो गहर करतरा हहै (सपूहूँघतरा हहै)। उस ब्रह ककी करनश्री सभश्री पकरार सप्रे ऐसश्री
अलरौहकक हहै हक हजसककी महहमरा कहश्री नहहीं जरा सकतश्री॥ 4॥
दगोहरा :
* जप्रेहह इहम गरावहहमं बप्रेद बपुध जराहह धरहहमं मपुहन ध्यरान।
सगोइ दसरर सपुत भगत हहत कगोसलपहत भगवरान॥118॥
भरावरारर्ण:-हजसकरा वप्रेद और पमंहडत इस पकरार वरर्णन करतप्रे हमैं और मपुहन हजसकरा ध्यरान धरतप्रे हमैं ,
वहश्री दशररनमंदन, भक्तर कप्रे हहतकरारश्री, अयगोध्यरा कप्रे स्वरामश्री भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री हमैं॥118॥
चरौपराई :
*करासहीं मरत जमंतपु अवलगोककी। जरासपु नराम बल करउहूँ हबसगोककी॥
सगोइ पभपु मगोर चरराचर स्वरामश्री। रघपुबर सब उर अमंतरजरामश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(हप्रे परावर्णतश्री !) हजनकप्रे नराम कप्रे बल सप्रे कराशश्री ममें मरतप्रे हहए परारश्री कगो दप्रेखकर ममैं उसप्रे (रराम
ममंत्र दप्रेकर) शगोकरहहत कर दप्रेतरा हह हूँ (मपुक्त कर दप्रेतरा हह हूँ), वहश्री मप्रेरप्रे पभपु रघपुशप्रेष शश्री ररामचन्दजश्री जड-
चप्रेतन कप्रे स्वरामश्री और सबकप्रे हृदय कप्रे भश्रीतर ककी जराननप्रे वरालप्रे हमैं॥1॥
* हबबसहह हूँ जरासपु नराम नर कहहहीं। जनम अनप्रेक रहचत अघ दहहहीं॥
सरादर सपुहमरन जप्रे नर करहहीं। भव बराररहध गगोपद इव तरहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हववश हगोकर (हबनरा इच्छरा कप्रे ) भश्री हजनकरा नराम लप्रेनप्रे सप्रे मनपुष्यर कप्रे अनप्रेक जन्मर ममें हकए
हह ए पराप जल जरातप्रे हमैं। हफिर जगो मनपुष्य आदरपपूवर्णक उनकरा स्मरर करतप्रे हमैं , वप्रे तगो समंसरार रूपश्री
(दस्पु तर) समपुद कगो गराय कप्रे खपुर सप्रे बनप्रे हहए गडप्रे कप्रे समरान (अररार्णत हबनरा हकसश्री पररशम कप्रे ) परार
कर जरातप्रे हमैं॥2॥
* रराम सगो परमरातमरा भवरानश्री। तहहूँ रम अहत अहबहहत तव बरानश्री॥
अस समंसय आनत उर मराहहीं। ग्यरान हबरराग सकल गपुन जराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! वहश्री परमरात्मरा शश्री ररामचन्दजश्री हमैं। उनममें रम (दप्रेखनप्रे ममें आतरा) हहै, तपुम्हराररा
ऐसरा कहनरा अत्यन्त हश्री अनपुहचत हहै। इस पकरार करा समंदप्रेह मन ममें लरातप्रे हश्री मनपुष्य कप्रे जरान, वहैरराग्य
आहद सरारप्रे सदरपु नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* सपुहन हसव कप्रे रम भमंजन बचनरा। हमहट गहै सब कपु तरक कहै रचनरा॥
भइ रघपुपहत पद पश्रीहत पतश्रीतश्री। दरारन असमंभरावनरा बश्रीतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे रमनराशक वचनर कगो सपुनकर परावर्णतश्रीजश्री कप्रे सब कपु तकर्मों ककी रचनरा हमट गई।
शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें उनकरा पप्रेम और हवश्वरास हगो गयरा और कहठन असम्भरावनरा (हजसकरा
हगोनरा- सम्भव नहहीं, ऐसश्री हमथ्यरा कल्पनरा) जरातश्री रहश्री!॥4॥
दगोहरा :
* पपुहन पपुहन पभपु पद कमल गहह जगोरर पमंकरह पराहन।
बगोलहीं हगररजरा बचन बर मनहह हूँ पप्रेम रस सराहन॥119॥
भरावरारर्ण:-बरार- बरार स्वरामश्री (हशवजश्री) कप्रे चररकमलर कगो पकडकर और अपनप्रे कमल कप्रे समरान
हरारर कगो जगोडकर परावर्णतश्रीजश्री मरानगो पप्रेमरस ममें सरानकर सपुदमं र वचन बगोलहीं॥ 119॥
चरौपराई :
* सहस कर सम सपुहन हगररा तपुम्हरारश्री। हमटरा मगोह सरदरातप भरारश्री॥
तपुम्ह कमृ पराल सबपु समंसउ हरप्रेऊ। रराम स्वरूप जराहन मगोहह परप्रेऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-आपककी चन्दमरा ककी हकररर कप्रे समरान शश्रीतल वरारश्री सपुनकर मप्रेररा अजरान रूपश्री शरद-ऋतपु
(क्वरार) ककी धपूप करा भरारश्री तराप हमट गयरा। हप्रे कमृ परालपु! आपनप्रे मप्रेररा सब समंदहप्रे हर हलयरा, अब शश्री
ररामचन्दजश्री करा यररारर्ण स्वरूप मप्रेरश्री समझ ममें आ गयरा॥1॥
* नरार कमृ पराहूँ अब गयउ हबषरादरा। सपुखश्री भयउहूँ पभपु चरन पसरादरा॥
अब मगोहह आपहन हकमंकरर जरानश्री। जदहप सहज जड नरारर अयरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपककी कमृ परा सप्रे अब मप्रेररा हवषराद जरातरा रहरा और आपकप्रे चररर कप्रे अनपुगह सप्रे ममैं
सपुखश्री हगो गई। यद्यहप ममैं स्त्रश्री हगोनप्रे कप्रे करारर स्वभराव सप्रे हश्री मपूखर्ण और जरानहश्रीन हह हूँ, तगो भश्री अब आप
मपुझप्रे अपनश्री दरासश्री जरानकर-॥2॥
* परम जगो ममैं पपूछरा सगोइ कहहह । जजौं मगो पर पसन्न पभपु अहहह ॥
रराम ब्रह हचनमय अहबनरासश्री। सबर्ण रहहत सब उर पपुर बरासश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! यहद आप मपुझ पर पसन्न हमैं, तगो जगो बरात ममैंनप्रे पहलप्रे आपसप्रे पपूछश्री रश्री, वहश्री
कहहए। (यह सत्य हहै हक) शश्री ररामचन्दजश्री ब्रह हमैं, हचन्मय (जरानस्वरूप) हमैं, अहवनराशश्री हमैं,
सबसप्रे रहहत और सबकप्रे हृदय रूपश्री नगरश्री ममें हनवरास करनप्रे वरालप्रे हमैं॥3॥
* नरार धरप्रेउ नरतनपु कप्रे हह हप्रेतपू। मगोहह समपुझराइ कहहह बमृषकप्रे तपू॥
उमरा बचन सपुहन परम हबनश्रीतरा। ररामकररा पर पश्रीहत पपुनश्रीतरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर हप्रे नरार! उन्हरनप्रे मनपुष्य करा शरश्रीर हकस करारर सप्रे धरारर हकयरा? हप्रे धमर्ण ककी ध्वजरा
धरारर करनप्रे वरालप्रे पभगो! यह मपुझप्रे समझराकर कहहए। परावर्णतश्री कप्रे अत्यन्त नम्र वचन सपुनकर और शश्री
ररामचन्दजश्री ककी कररा ममें उनकरा हवशपुद पप्रेम दप्रेखकर-॥4॥
दगोहरा :
* हहयहूँ हरषप्रे करामरारर तब समंकर सहज सपुजरान।
बहह हबहध उमहह पसमंहस पपुहन बगोलप्रे कमृ पराहनधरान॥120 क॥
भरावरारर्ण:-तब करामदप्रेव कप्रे शत्रपु, स्वराभराहवक हश्री सपुजरान, कमृ परा हनधरान हशवजश्री मन ममें बहह त हश्री हहषर्णत
हह ए और बहह त पकरार सप्रे परावर्णतश्री ककी बडराई करकप्रे हफिर बगोलप्रे- ॥120 (क)॥
नवराह्न पराररायर, पहलरा हवशराम
मरासपराररायर, चरौररा हवशराम
अवतरार कप्रे हप्रेतपु
सगोरठरा :
* सपुनपु सपुभ कररा भवराहन ररामचररतमरानस हबमल।
कहरा भपुसपुमंहड बखराहन सपुनरा हबहग नरायक गरड॥120 ख॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! हनमर्णल ररामचररतमरानस ककी वह ममंगलमयश्री कररा सपुनगो हजसप्रे कराकभपुशपुहण्ड नप्रे
हवस्तरार सप्रे कहरा और पहक्षयर कप्रे रराजरा गरडजश्री नप्रे सपुनरा ररा॥120 (ख)॥
* सगो समंबराद उदरार जप्रेहह हबहध भरा आगमें कहब।
सपुनहह रराम अवतरार चरहत परम सपुदमं र अनघ॥120 ग॥
भरावरारर्ण:-वह शप्रेष समंवराद हजस पकरार हहआ, वह ममैं आगप्रे कहह हूँगरा। अभश्री तपुम शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे
अवतरार करा परम सपुदमं र और पहवत्र (परापनराशक) चररत्र सपुनगो॥120(ग)॥
* हरर गपुन नराम अपरार कररा रूप अगहनत अहमत।
ममैं हनज महत अनपुसरार कहउहूँ उमरा सरादर सपुनहह ॥120 घ॥
भरावरारर्ण:-शश्री हरर कप्रे गपुर, मरान, कररा और रूप सभश्री अपरार, अगहरत और असश्रीम हमैं। हफिर भश्री हप्रे
परावर्णतश्री! ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार कहतरा हह,हूँ तपुम आदरपपूवर्णक सपुनगो॥120 (घ)॥
चरौपराई :
* सपुनपु हगररजरा हररचररत सपुहराए। हबपपुल हबसद हनगमरागम गराए॥
हरर अवतरार हप्रेतपु जप्रेहह हगोई। इदहमत्रमं कहह जराइ न सगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! सपुनगो, वप्रेद-शरास्त्रर नप्रे शश्री हरर कप्रे सपुदमं र, हवस्तमृत और हनमर्णल चररत्रर करा गरान
हकयरा हहै। हरर करा अवतरार हजस करारर सप्रे हगोतरा हहै , वह करारर 'बस यहश्री हहै' ऐसरा नहहीं कहरा जरा
सकतरा (अनप्रेकर करारर हगो सकतप्रे हमैं और ऐसप्रे भश्री हगो सकतप्रे हमैं, हजन्हमें कगोई जरान हश्री नहहीं
सकतरा)॥1॥
* रराम अतक्यर्ण बपुहद मन बरानश्री। मत हमरार अस सपुनहह सयरानश्री॥
तदहप समंत मपुहन बप्रेद पपुररानरा। जस कछपु कहहहमं स्वमहत अनपुमरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सयरानश्री! सपुनगो, हमराररा मत तगो यह हहै हक बपुहद, मन और वरारश्री सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री ककी
तकर्णनरा नहहीं ककी जरा सकतश्री। तरराहप समंत, मपुहन, वप्रेद और पपुररार अपनश्री-अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार
जहैसरा कपु छ कहतप्रे हमैं॥2॥
* तस ममैं सपुमपुहख सपुनरावउहूँ तगोहश्री। समपुहझ परइ जस करारन मगोहश्री॥
जब जब हगोई धरम कहै हरानश्री। बराढहहमं असपुर अधम अहभमरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-और जहैसरा कपु छ मप्रेरश्री समझ ममें आतरा हहै, हप्रे सपुमपुहख! वहश्री करारर ममैं तपुमकगो सपुनरातरा हह हूँ।
जब-जब धमर्ण करा ह्ररास हगोतरा हहै और नश्रीच अहभमरानश्री रराक्षस बढ जरातप्रे हमैं॥ 3॥
चरौपराई :
* करहहमं अनश्रीहत जराइ नहहमं बरनश्री। सश्रीदहहमं हबप धप्रेनपु सपुर धरनश्री॥
तब तब पभपु धरर हबहबध सरश्रीररा। हरहहमं कमृ पराहनहध सजन पश्रीररा॥4॥
भरावरारर्ण:-और वप्रे ऐसरा अन्यराय करतप्रे हमैं हक हजसकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा तररा ब्रराहर, गगो,
दप्रेवतरा और पमृथ्वश्री कष्टि परातप्रे हमैं, तब-तब वप्रे कमृ पराहनधरान पभपु भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे (हदव्य) शरश्रीर धरारर
कर सजनर ककी पश्रीडरा हरतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* असपुर मरारर ररापहहमं सपुरन्ह रराखहहमं हनज शपुहत सप्रेतपु।
जग हबस्तरारहहमं हबसद जस रराम जन्म कर हप्रेतपु॥121॥
भरावरारर्ण:-वप्रे असपुरर कगो मरारकर दप्रेवतराओमं कगो स्रराहपत करतप्रे हमैं , अपनप्रे (श्वरास रूप) वप्रेदर ककी
मयरार्णदरा ककी रक्षरा करतप्रे हमैं और जगत ममें अपनरा हनमर्णल यश फिहै लरातप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे अवतरार
करा यह करारर हहै॥121॥
चरौपराई :
* सगोइ जस गराइ भगत भव तरहहीं। कमृ पराहसमंधपु जन हहत तनपु धरहहीं॥
रराम जनम कप्रे हप्रेतपु अनप्रेकरा। परम हबहचत्र एक तमें एकरा॥1॥
भरावरारर्ण:-उसश्री यश कगो गरा-गराकर भक्तजन भवसरागर सप्रे तर जरातप्रे हमैं। कमृ परासरागर भगवरान भक्तर कप्रे
हहत कप्रे हलए शरश्रीर धरारर करतप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे जन्म लप्रेनप्रे कप्रे अनप्रेक करारर हमैं, जगो एक सप्रे
एक बढकर हवहचत्र हमैं॥1॥
* जनम एक दइपु कहउहूँ बखरानश्री। सरावधरान सपुनपु सपुमहत भवरानश्री॥
दरारपराल हरर कप्रे हपय दगोऊ। जय अर हबजय जरान सब कगोऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुदमं र बपुहद वरालश्री भवरानश्री! ममैं उनकप्रे दगो-एक जन्मर करा हवस्तरार सप्रे वरर्णन करतरा हह हूँ,
तपुम सरावधरान हगोकर सपुनगो। शश्री हरर कप्रे जय और हवजय दगो प्यरारप्रे दरारपराल हमैं, हजनकगो सब कगोई
जरानतप्रे हमैं॥2॥
* हबप शराप तमें दनपू उ भराई। तरामस असपुर दप्रेह हतन्ह पराई॥
कनककहसपपु अर हराटकलगोचन। जगत हबहदत सपुरपहत मद मगोचन॥3॥
भरावरारर्ण:-उन दगोनर भराइयर नप्रे ब्रराहर (सनकराहद) कप्रे शराप सप्रे असपुरर करा तरामसश्री शरश्रीर परायरा। एक
करा नराम ररा हहरण्यकहशपपु और दस पू रप्रे करा हहरण्यराक्ष। यप्रे दप्रेवरराज इन्द कप्रे गवर्ण कगो छपु डरानप्रे वरालप्रे सरारप्रे
जगत ममें पहसद हहए॥3॥
* हबजई समर बश्रीर हबख्यरातरा। धरर बरराह बपपु एक हनपरातरा॥
हगोइ नरहरर दस पू र पपुहन मराररा। जन पहलराद सपुजस हबस्तराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे यद पु ममें हवजय परानप्रे वरालप्रे हवख्यरात वश्रीर रप्रे। इनममें सप्रे एक (हहरण्यराक्ष) कगो भगवरान नप्रे
वरराह (सपूअर) करा शरश्रीर धरारर करकप्रे मराररा, हफिर दस पू रप्रे (हहरण्यकहशपपु) करा नरहसमंह रूप धरारर
करकप्रे वध हकयरा और अपनप्रे भक्त पहराद करा सपुदमं र यश फिहै लरायरा॥4॥
दगोहरा :
* भए हनसराचर जराइ तप्रेइ महराबश्रीर बलवरान।
कपुमं भकरन ररावन सपुभट सपुर हबजई जग जरान॥122॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हश्री (दगोनर) जराकर दप्रेवतराओमं कगो जश्रीतनप्रे वरालप्रे तररा बडप्रे यगोदरा, ररावर और कपु म्भकरर्ण
नरामक बडप्रे बलवरान और महरावश्रीर रराक्षस हह ए, हजन्हमें सराररा जगत जरानतरा हहै॥122॥
चरौपराई :
* मपुकपुत न भए हतप्रे भगवरानरा। तश्रीहन जनम हदज बचन पवरानरा॥
एक बरार हतन्ह कप्रे हहत लरागश्री। धरप्रेउ सरश्रीर भगत अनपुररागश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-भगवरान कप्रे दराररा मरारप्रे जरानप्रे पर भश्री वप्रे (हहरण्यराक्ष और हहरण्यकहशपपु) इसश्रीहलए मपुक्त नहहीं
हह ए हक ब्रराहर कप्रे वचन (शराप) करा पमरार तश्रीन जन्म कप्रे हलए ररा। अतद्धाः एक बरार उनकप्रे कल्यरार
कप्रे हलए भक्तपप्रेमश्री भगवरान नप्रे हफिर अवतरार हलयरा॥1॥
* कस्यप अहदहत तहराहूँ हपतपु मरातरा। दसरर करौसल्यरा हबख्यरातरा॥
एक कलप एहह हबहध अवतराररा। चररत पहवत्र हकए समंसराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ (उस अवतरार ममें) कश्यप और अहदहत उनकप्रे मरातरा-हपतरा हह ए, जगो दशरर और
करौसल्यरा कप्रे नराम सप्रे पहसद रप्रे। एक कल्प ममें इस पकरार अवतरार लप्रेकर उन्हरनप्रे समंसरार ममें पहवत्र
लश्रीलराएहूँ ककीमं॥2॥
* एक कलप सपुर दप्रेहख दख पु रारप्रे। समर जलमंधर सन सब हरारप्रे॥
समंभपु ककीन्ह समंगराम अपराररा। दनपुज महराबल मरइ न मराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-एक कल्प ममें सब दप्रेवतराओमं कगो जलन्धर दहैत्य सप्रे यद पु ममें हरार जरानप्रे कप्रे करारर दद्धाःपु खश्री
दप्रेखकर हशवजश्री नप्रे उसकप्रे सरार बडरा घगोर यद पु हकयरा, पर वह महराबलश्री दहैत्य मरारप्रे नहहीं मरतरा ररा॥
3॥
* परम सतश्री असपुरराहधप नरारश्री। तप्रेहहमं बल तराहह न हजतहहमं पपुररारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उस दहैत्यरराज ककी स्त्रश्री परम सतश्री (बडश्री हश्री पहतव्रतरा) रश्री। उसश्री कप्रे पतराप सप्रे हत्रपपुररासपुर
(जहैसप्रे अजप्रेय शत्रपु) करा हवनराश करनप्रे वरालप्रे हशवजश्री भश्री उस दहैत्य कगो नहहीं जश्रीत सकप्रे ॥4॥
दगोहरा :
* छल करर टरारप्रेउ तरासपु ब्रत पभपु सपुर करारज ककीन्ह।
जब तप्रेहहमं जरानप्रेउ मरम तब शराप कगोप करर दश्रीन्ह॥123॥
भरावरारर्ण:-पभपु नप्रे छल सप्रे उस स्त्रश्री करा व्रत भमंग कर दप्रेवतराओमं करा कराम हकयरा। जब उस स्त्रश्री नप्रे यह
भप्रेद जरानरा, तब उसनप्रे कगोध करकप्रे भगवरान कगो शराप हदयरा॥123॥
चरौपराई :
* तरासपु शराप हरर दश्रीन्ह पमरानरा। करौतपुकहनहध कमृ पराल भगवरानरा॥
तहराहूँ जलमंधर ररावन भयऊ। रन हहत रराम परम पद दयऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-लश्रीलराओमं कप्रे भमंडरार कमृ परालपु हरर नप्रे उस स्त्रश्री कप्रे शराप कगो परामराण्य हदयरा (स्वश्रीकरार हकयरा)।
वहश्री जलन्धर उस कल्प ममें ररावर हहआ, हजसप्रे शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे यद पु ममें मरारकर परमपद हदयरा॥
1॥
* एक जनम कर करारन एहरा। जप्रेहह लहग रराम धरश्री नरदप्रेहरा॥
पहत अवतरार कररा पभपु कप्रे रश्री। सपुनपु मपुहन बरनश्री कहबन्ह घनप्रेरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-एक जन्म करा करारर यह ररा, हजससप्रे शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मनपुष्य दप्रेह धरारर हकयरा। हप्रे
भरदराज मपुहन! सपुनगो, पभपु कप्रे पत्यप्रेक अवतरार ककी कररा करा कहवयर नप्रे नरानरा पकरार सप्रे वरर्णन हकयरा
हहै॥2॥
* नरारद शराप दश्रीन्ह एक बराररा। कलप एक तप्रेहह लहग अवतराररा॥
हगररजरा चहकत भई मं सपुहन बरानश्री। नरारद हबष्नपुभगत पपुहन ग्यरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-एक बरार नरारदजश्री नप्रे शराप हदयरा, अतद्धाः एक कल्प ममें उसकप्रे हलए अवतरार हहआ। यह बरात
सपुनकर परावर्णतश्रीजश्री बडश्री चहकत हह ई मं (और बगोलहीं हक) नरारदजश्री तगो हवष्रपु भक्त और जरानश्री हमैं॥3॥
* करारन कवन शराप मपुहन दश्रीन्हरा। करा अपरराध रमरापहत ककीन्हरा॥
यह पसमंग मगोहह कहहह पपुररारश्री। मपुहन मन मगोह आचरज भरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे भगवरान कगो शराप हकस करारर सप्रे हदयरा। लक्ष्मश्रीपहत भगवरान नप्रे उनकरा क्यरा
अपरराध हकयरा ररा? हप्रे पपुररारर (शमंकरजश्री)! यह कररा मपुझसप्रे कहहए। मपुहन नरारद कप्रे मन ममें मगोह
हगोनरा बडप्रे आश्चयर्ण ककी बरात हहै॥4॥
दगोहरा :
* बगोलप्रे हबहहस महप्रेस तब ग्यरानश्री मपूढ न कगोइ।
जप्रेहह जस रघपुपहत करहहमं जब सगो तस तप्रेहह छन हगोइ॥124 क॥
भरावरारर्ण:-तब महरादप्रेवजश्री नप्रे हहूँसकर कहरा- न कगोई जरानश्री हहै न मपूखर्ण। शश्री रघपुनरारजश्री जब हजसकगो
जहैसरा करतप्रे हमैं, वह उसश्री क्षर वहैसरा हश्री हगो जरातरा हहै॥124 (क)॥
सगोरठरा :
* कहउहूँ रराम गपुन गरार भरदराज सरादर सपुनहह ।
भव भमंजन रघपुनरार भजपु तपुलसश्री तहज मरान मद॥124 ख॥
भरावरारर्ण:-(यराजवल्क्यजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भरदराज! ममैं शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर ककी कररा कहतरा हह हूँ,
तपुम आदर सप्रे सपुनगो। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- मरान और मद कगो छगोडकर आवरागमन करा नराश करनप्रे
वरालप्रे रघपुनरारजश्री कगो भजगो॥124 (ख)॥
चरौपराई :
*हहमहगरर गपुहरा एक अहत परावहन। बह समश्रीप सपुरसरश्री सपुहरावहन॥
आशम परम पपुनश्रीत सपुहरावरा। दप्रेहख दप्रेवररहष मन अहत भरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हहमरालय पवर्णत ममें एक बडश्री पहवत्र गपुफिरा रश्री। उसकप्रे समश्रीप हश्री सपुमंदर गमंगराजश्री बहतश्री रहीं। वह
परम पहवत्र सपुदमं र आशम दप्रेखनप्रे पर नरारदजश्री कप्रे मन कगो बहह त हश्री सपुहरावनरा लगरा॥1॥
* हनरहख सहैल सरर हबहपन हबभरागरा। भयउ रमरापहत पद अनपुररागरा॥
सपुहमरत हररहह शराप गहत बराधश्री। सहज हबमल मन लराहग समराधश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पवर्णत, नदश्री और वन कप्रे (सपुमंदर) हवभरागर कगो दप्रेखकर नरादरजश्री करा लक्ष्मश्रीकरामंत भगवरान
कप्रे चररर ममें पप्रेम हगो गयरा। भगवरान करा स्मरर करतप्रे हश्री उन (नरारद मपुहन) कप्रे शराप ककी (जगो शराप
उन्हमें दक्ष पजरापहत नप्रे हदयरा ररा और हजसकप्रे करारर वप्रे एक स्ररान पर नहहीं ठहर सकतप्रे रप्रे) गहत
रक गई और मन कप्रे स्वराभराहवक हश्री हनमर्णल हगोनप्रे सप्रे उनककी समराहध लग गई॥2॥
* मपुहन गहत दप्रेहख सपुरप्रेस डप्रेररानरा। करामहह बगोहल ककीन्ह सनमरानरा॥
सहहत सहराय जराहह मम हप्रेतपू। चलप्रेउ हरहष हहयहूँ जलचरकप्रे तपू॥3॥
भरावरारर्ण:-नरारद मपुहन ककी (यह तपगोमयश्री) हस्रहत दप्रेखकर दप्रेवरराज इमंद डर गयरा। उसनप्रे करामदप्रेव कगो
बपुलराकर उसकरा आदर-सत्करार हकयरा (और कहरा हक) मप्रेरप्रे (हहत कप्रे ) हलए तपुम अपनप्रे सहरायकर
सहहत (नरारद ककी समराहध भमंग करनप्रे कगो) जराओ। (यह सपुनकर) मश्रीनध्वज करामदप्रेव मन ममें पसन्न
हगोकर चलरा॥3॥
* सपुनरासश्रीर मन महह हूँ अहस त्ररासरा। चहत दप्रेवररहष मम पपुर बरासरा॥
जप्रे करामश्री लगोलपुप जग मराहहीं। कपु हटल कराक इव सबहह डप्रेरराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-इन्द कप्रे मन ममें यह डर हहआ हक दप्रेवहषर्ण नरारद मप्रेरश्री पपुरश्री (अमररावतश्री) करा हनवरास (रराज्य)
चराहतप्रे हमैं। जगत ममें जगो करामश्री और लगोभश्री हगोतप्रे हमैं, वप्रे कपु हटल करौए ककी तरह सबसप्रे डरतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सपूख हराड लहै भराग सठ स्वरान हनरहख ममृगरराज।
छश्रीहन लप्रेइ जहन जरान जड हतहम सपुरपहतहह न लराज॥125॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे मपूखर्ण कपु ररा हसमंह कगो दप्रेखकर सपूखश्री हडश्री लप्रेकर भरागप्रे और वह मपूखर्ण यह समझप्रे हक
कहहीं उस हडश्री कगो हसमंह छश्रीन न लप्रे, वहैसप्रे हश्री इन्द कगो (नरारदजश्री मप्रेररा रराज्य छश्रीन लमेंगप्रे, ऐसरा
सगोचतप्रे) लराज नहहीं आई॥125॥
चरौपराई :
* तप्रेहह आशमहहमं मदन जब गयऊ। हनज मरायराहूँ बसमंत हनरमयऊ॥
कपु सपुहमत हबहबध हबटप बहहरमंगरा। कपू जहहमं कगोहकल गपुमंजहहमं भमृमंगरा॥1॥
भरावरारर्ण:-जब करामदप्रेव उस आशम ममें गयरा, तब उसनप्रे अपनश्री मरायरा सप्रे वहराहूँ वसन्त ऋतपु कगो
उत्पन्न हकयरा। तरह-तरह कप्रे वमृक्षर पर रमंग-हबरमंगप्रे फिपूल हखल गए, उन पर कगोयलमें कपू कनप्रे लगहीं और
भजौंरप्रे गपुमंजरार करनप्रे लगप्रे॥1॥
* चलश्री सपुहरावहन हत्रहबध बयरारश्री। कराम कमृ सरानपु बढरावहनहरारश्री॥
रमंभराहदक सपुर नरारर नबश्रीनरा। सकल असमसर कलरा पबश्रीनरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-करामराहग्नि कगो भडकरानप्रे वरालश्री तश्रीन पकरार ककी (शश्रीतल, ममंद और सपुगमंध) सपुहरावनश्री हवरा
चलनप्रे लगश्री। रम्भरा आहद नवयवपु तश्री दप्रेवरामंगनराएहूँ, जगो सब ककी सब करामकलरा ममें हनपपुर रहीं,॥2॥
* करहहमं गरान बहह तरान तरमंगरा। बहह हबहध ककीडहहमं पराहन पतमंगरा॥
दप्रेहख सहराय मदन हरषरानरा। ककीन्हप्रेहस पपुहन पपमंच हबहध नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे बहह त पकरार ककी तरानर ककी तरमंग कप्रे सरार गरानप्रे लगहीं और हरार ममें गमेंद लप्रेकर नरानरा पकरार
कप्रे खप्रेल खप्रेलनप्रे लगहीं। करामदप्रेव अपनप्रे इन सहरायकर कगो दप्रेखकर बहह त पसन्न हहआ और हफिर उसनप्रे
नरानरा पकरार कप्रे मरायराजराल हकए॥3॥
* कराम कलरा कछपु मपुहनहह न ब्यरापश्री। हनज भयहूँ डरप्रेउ मनगोभव परापश्री॥
सश्रीम हक चराहूँहप सकइ कगोउ तरासपू। बड रखवरार रमरापहत जरासपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु करामदप्रेव ककी कगोई भश्री कलरा मपुहन पर असर न कर सककी। तब तगो परापश्री करामदप्रेव
अपनप्रे हश्री (नराश कप्रे ) भय सप्रे डर गयरा। लक्ष्मश्रीपहत भगवरान हजसकप्रे बडप्रे रक्षक हर, भलरा, उसककी
सश्रीमरा (मयरार्णदरा) कगो कगोई दबरा सकतरा हहै? ॥4॥
दगोहरा :
* सहहत सहराय सभश्रीत अहत मराहन हरारर मन महैन।
गहप्रेहस जराइ मपुहन चरन तब कहह सपुहठ आरत बहैन॥126॥
भरावरारर्ण:-तब अपनप्रे सहरायकर समप्रेत करामदप्रेव नप्रे बहह त डरकर और अपनप्रे मन ममें हरार मरानकर बहह त
हश्री आतर्ण (दश्रीन) वचन कहतप्रे हहए मपुहन कप्रे चररर कगो जरा पकडरा॥126॥
चरौपराई :
* भयउ न नरारद मन कछपु रगोषरा। कहह हपय बचन कराम पररतगोषरा॥
नराइ चरन हसर आयसपु पराई। गयउ मदन तब सहहत सहराई॥1॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री कप्रे मन ममें कपु छ भश्री कगोध न आयरा। उन्हरनप्रे हपय वचन कहकर करामदप्रेव करा
समराधरान हकयरा। तब मपुहन कप्रे चररर ममें हसर नवराकर और उनककी आजरा पराकर करामदप्रेव अपनप्रे
सहरायकर सहहत लरौट गयरा॥1॥
दगोहरा :
* मपुहन सपुसश्रीलतरा आपहन करनश्री। सपुरपहत सभराहूँ जराइ सब बरनश्री॥
सपुहन सब कमें मन अचरजपु आवरा। मपुहनहह पसमंहस हररहह हसर नरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवरराज इन्द ककी सभरा ममें जराकर उसनप्रे मपुहन ककी सपुशश्रीलतरा और अपनश्री करतपूत सब कहश्री ,
हजसप्रे सपुनकर सबकप्रे मन ममें आश्चयर्ण हह आ और उन्हरनप्रे मपुहन ककी बडराई करकप्रे शश्री हरर कगो हसर
नवरायरा॥2॥
* तब नरारद गवनप्रे हसव पराहहीं। हजतरा कराम अहहमहत मन मराहहीं॥
मरार चरहत समंकरहह सपुनराए। अहतहपय जराहन महप्रेस हसखराए॥3॥
भरावरारर्ण:- तब नरारदजश्री हशवजश्री कप्रे परास गए। उनकप्रे मन ममें इस बरात करा अहमंकरार हगो गयरा हक हमनप्रे
करामदप्रेव कगो जश्रीत हलयरा। उन्हरनप्रे करामदप्रेव कप्रे चररत्र हशवजश्री कगो सपुनराए और महरादवप्रे जश्री नप्रे उन
(नरारदजश्री) कगो अत्यन्त हपय जरानकर (इस पकरार) हशक्षरा दश्री-॥3॥
* बरार बरार हबनवउहूँ मपुहन तगोहश्री। हजहम यह कररा सपुनरायहह मगोहश्री॥
हतहम जहन हररहह सपुनरावहह कबहह हूँ। चलप्रेहहहूँ पसमंग दरपु राएहह तबहह हूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! ममैं तपुमसप्रे बरार-बरार हवनतश्री करतरा हह हूँ हक हजस तरह यह कररा तपुमनप्रे मपुझप्रे सपुनराई
हहै, उस तरह भगवरान शश्री हरर कगो कभश्री मत सपुनरानरा। चचरार्ण भश्री चलप्रे तब भश्री इसकगो हछपरा जरानरा॥
4॥
नरारद करा अहभमरान और मरायरा करा पभराव
दगोहरा :
* समंभपु दश्रीन्ह उपदप्रेस हहत नहहमं नरारदहह सगोहरान।
भरदराज करौतपुक सपुनहह हरर इच्छरा बलवरान॥127॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप हशवजश्री नप्रे यह हहत ककी हशक्षरा दश्री, पर नरारदजश्री कगो वह अच्छश्री न लगश्री। हप्रे
भरदराज! अब करौतपुक (तमराशरा) सपुनगो। हरर ककी इच्छरा बडश्री बलवरान हहै॥127॥
चरौपराई :
* रराम ककीन्ह चराहहहमं सगोइ हगोई। करहै अन्यररा अस नहहमं कगोई॥
समंभपु बचन मपुहन मन नहहमं भराए। तब हबरमंहच कप्रे लगोक हसधराए॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री जगो करनरा चराहतप्रे हमैं, वहश्री हगोतरा हहै, ऐसरा कगोई नहहीं जगो उसकप्रे हवरद कर
सकप्रे । शश्री हशवजश्री कप्रे वचन नरारदजश्री कप्रे मन कगो अच्छप्रे नहहीं लगप्रे, तब वप्रे वहराहूँ सप्रे ब्रहलगोक कगो चल
हदए॥1॥
* एक बरार करतल बर बश्रीनरा। गरावत हरर गपुन गरान पबश्रीनरा॥
छश्रीरहसमंधपु गवनप्रे मपुहननराररा। जहहूँ बस शश्रीहनवरास शपुहतमराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार गरानहवद्यरा ममें हनपपुर मपुहननरार नरारदजश्री हरार ममें सपुदमं र वश्रीररा हलए, हररगपुर गरातप्रे
हह ए क्षश्रीरसरागर कगो गए, जहराहूँ वप्रेदर कप्रे मस्तकस्वरूप (मपूहतर्णमरान वप्रेदरामंतत्व) लक्ष्मश्री हनवरास भगवरान
नराररायर रहतप्रे हमैं॥2॥
* हरहष हमलप्रे उहठ रमराहनकप्रे तरा। बहैठप्रे आसन ररहषहह समप्रेतरा॥
बगोलप्रे हबहहस चरराचर ररायरा। बहह तप्रे हदनन ककीहन्ह मपुहन दरायरा॥3॥
भरावरारर्ण:-रमराहनवरास भगवरान उठकर बडप्रे आनमंद सप्रे उनसप्रे हमलप्रे और ऋहष (नरारदजश्री) कप्रे सरार
आसन पर बहैठ गए। चरराचर कप्रे स्वरामश्री भगवरान हहूँसकर बगोलप्रे- हप्रे मपुहन! आज आपनप्रे बहह त हदनर पर
दयरा ककी॥3॥
* कराम चररत नरारद सब भराषप्रे। जद्यहप परम बरहज हसवहूँ रराखप्रे॥
अहत पचमंड रघपुपहत कहै मरायरा। जप्रेहह न मगोह अस कगो जग जरायरा॥4॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप शश्री हशवजश्री नप्रे उन्हमें पहलप्रे सप्रे हश्री बरज रखरा ररा, तगो भश्री नरारदजश्री नप्रे करामदप्रेव करा
सराररा चररत्र भगवरान कगो कह सपुनरायरा। शश्री रघपुनरारजश्री ककी मरायरा बडश्री हश्री पबल हहै। जगत ममें ऐसरा करौन
जन्मरा हहै, हजसप्रे वप्रे मगोहहत न कर दमें॥4॥
दगोहरा :
*रूख बदन करर बचन ममृद पु बगोलप्रे शश्रीभगवरान।
तपुम्हरप्रे सपुहमरन तमें हमटहहमं मगोह मरार मद मरान॥128॥
भरावरारर्ण:-भगवरान रूखरा मपुहूँह करकप्रे कगोमल वचन बगोलप्रे- हप्रे मपुहनरराज! आपकरा स्मरर करनप्रे सप्रे
दस पू रर कप्रे मगोह, कराम, मद और अहभमरान हमट जरातप्रे हमैं (हफिर आपकप्रे हलए तगो कहनरा हश्री क्यरा
हहै!)॥128॥
चरौपराई :
* सपुनपु मपुहन मगोह हगोइ मन तराकमें। ग्यरान हबरराग हृदय नहहमं जराकमें॥
ब्रहचरज ब्रत रत महतधश्रीररा। तपुम्हहह हक करइ मनगोभव पश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! सपुहनए, मगोह तगो उसकप्रे मन ममें हगोतरा हहै, हजसकप्रे हृदय ममें जरान-वहैरराग्य नहहीं हहै।
आप तगो ब्रहचयर्णव्रत ममें तत्पर और बडप्रे धश्रीर बपुहद हमैं। भलरा, कहहीं आपकगो भश्री करामदप्रेव सतरा सकतरा
हहै?॥1॥
* नरारद कहप्रेउ सहहत अहभमरानरा। कमृ परा तपुम्हरारर सकल भगवरानरा॥
करनराहनहध मन दश्रीख हबचरारश्री। उर अमंकपुरप्रेउ गरब तर भरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री नप्रे अहभमरान कप्रे सरार कहरा- भगवन! यह सब आपककी कमृ परा हहै। कररराहनधरान
भगवरान नप्रे मन ममें हवचरारकर दप्रेखरा हक इनकप्रे मन ममें गवर्ण कप्रे भरारश्री वमृक्ष करा अमंकपुर पहैदरा हगो गयरा हहै॥2॥
* बप्रेहग सगो ममैं डराररहउहूँ उखरारश्री। पन हमरार सप्रेवक हहतकरारश्री॥
मपुहन कर हहत मम करौतपुक हगोई। अवहस उपराय करहब ममैं सगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं उसप्रे तपुरमंत हश्री उखराड फिमें कपूहूँ गरा, क्यरहक सप्रेवकर करा हहत करनरा हमराररा पर हहै। ममैं अवश्य
हश्री वह उपराय करूहूँगरा, हजससप्रे मपुहन करा कल्यरार और मप्रेररा खप्रेल हगो॥3॥
* तब नरारद हरर पद हसर नराई। चलप्रे हृदयहूँ अहहमहत अहधकराई॥
शश्रीपहत हनज मरायरा तब पप्रेरश्री। सपुनहह कहठन करनश्री तप्रेहह कप्रे रश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-तब नरारदजश्री भगवरान कप्रे चररर ममें हसर नवराकर चलप्रे। उनकप्रे हृदय ममें अहभमरान और भश्री
बढ गयरा। तब लक्ष्मश्रीपहत भगवरान नप्रे अपनश्री मरायरा कगो पप्रेररत हकयरा। अब उसककी कहठन करनश्री
सपुनगो॥4॥
दगोहरा :
* हबरचप्रेउ मग महह हूँ नगर तप्रेहहमं सत जगोजन हबस्तरार।
शश्रीहनवरासपपुर तमें अहधक रचनरा हबहबध पकरार॥129॥
भरावरारर्ण:-उस (हररमरायरा) नप्रे ररास्तप्रे ममें सरौ यगोजन (चरार सरौ कगोस) करा एक नगर रचरा। उस नगर
ककी भराहूँहत-भराहूँहत ककी रचनराएहूँ लक्ष्मश्रीहनवरास भगवरान हवष्रपु कप्रे नगर (वहैकपुण्ठ) सप्रे भश्री अहधक सपुदमं र
रहीं॥129॥
चरौपराई :
* बसहहमं नगर सपुमंदर नर नरारश्री। जनपु बहह मनहसज रहत तनपुधरारश्री॥
तप्रेहहमं पपुर बसइ सश्रीलहनहध रराजरा। अगहनत हय गय सप्रेन समराजरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उस नगर ममें ऐसप्रे सपुदमं र नर-नरारश्री बसतप्रे रप्रे, मरानगो बहह त सप्रे करामदप्रेव और (उसककी स्त्रश्री)
रहत हश्री मनपुष्य शरश्रीर धरारर हकए हह ए हर। उस नगर ममें शश्रीलहनहध नराम करा रराजरा रहतरा ररा, हजसकप्रे
यहराहूँ असमंख्य घगोडप्रे, हरारश्री और सप्रेनरा कप्रे समपूह (टपु कहडयराहूँ) रप्रे॥1॥
* सत सपुरप्रेस सम हबभव हबलरासरा। रूप तप्रेज बल नश्रीहत हनवरासरा॥
हबस्वमगोहनश्री तरासपु कपु मरारश्री। शश्री हबमगोह हजसपु रूपपु हनहरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-उसकरा वहैभव और हवलरास सरौ इन्दर कप्रे समरान ररा। वह रूप, तप्रेज, बल और नश्रीहत करा
घर ररा। उसकप्रे हवश्वमगोहहनश्री नराम ककी एक (ऐसश्री रूपवतश्री) कन्यरा रश्री, हजसकप्रे रूप कगो दप्रेखकर
लक्ष्मश्रीजश्री भश्री मगोहहत हगो जराएहूँ॥ 2॥
*सगोइ हररमरायरा सब गपुन खरानश्री। सगोभरा तरासपु हक जराइ बखरानश्री॥
करइ स्वयमंबर सगो नमृपबरालरा। आए तहहूँ अगहनत महहपरालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वह सब गपुरर ककी खरान भगवरान ककी मरायरा हश्री रश्री। उसककी शगोभरा करा वरर्णन कहै सप्रे हकयरा जरा
सकतरा हहै। वह रराजकपु मरारश्री स्वयमंवर करनरा चराहतश्री रश्री, इससप्रे वहराहूँ अगहरत रराजरा आए हहए रप्रे॥3॥
*मपुहन करौतपुककी नगर तप्रेहह गयऊ। पपुरबराहसन्ह सब पपूछत भयऊ॥
सपुहन सब चररत भपूपगमृहहूँ आए। करर पपूजरा नमृप मपुहन बहैठराए॥4॥
भरावरारर्ण:-हखलवराडश्री मपुहन नरारदजश्री उस नगर ममें गए और नगरवराहसयर सप्रे उन्हरनप्रे सब हराल पपूछरा।
सब समराचरार सपुनकर वप्रे रराजरा कप्रे महल ममें आए। रराजरा नप्रे पपूजरा करकप्रे मपुहन कगो (आसन पर)
बहैठरायरा॥4॥
हवश्वमगोहहनश्री करा स्वयमंवर, हशवगरर तररा भगवरानम कगो शराप और नरारद करा मगोहभमंग
दगोहरा :
* आहन दप्रेखराई नरारदहह भपूपहत रराजकपु मरारर।
कहहह नरार गपुन दगोष सब एहह कप्रे हृदयहूँ हबचरारर॥130॥
भरावरारर्ण:-(हफिर) रराजरा नप्रे रराजकपु मरारश्री कगो लराकर नरारदजश्री कगो हदखलरायरा (और पपूछरा हक-) हप्रे
नरार! आप अपनप्रे हृदय ममें हवचरार कर इसकप्रे सब गपुर-दगोष कहहए॥130॥
चरौपराई :
*दप्रेहख रूप मपुहन हबरहत हबसरारश्री। बडश्री बरार लहग रहप्रे हनहरारश्री॥
लच्छन तरासपु हबलगोहक भपुलरानप्रे। हृदयहूँ हरष नहहमं पगट बखरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे रूप कगो दप्रेखकर मपुहन वहैरराग्य भपूल गए और बडश्री दप्रेर तक उसककी ओर दप्रेखतप्रे हश्री रह
गए। उसकप्रे लक्षर दप्रेखकर मपुहन अपनप्रे आपकगो भश्री भपूल गए और हृदय ममें हहषर्णत हहए, पर पकट रूप
ममें उन लक्षरर कगो नहहीं कहरा॥1॥
* जगो एहह बरइ अमर सगोइ हगोई। समरभपूहम तप्रेहह जश्रीत न कगोई॥
सप्रेवहहमं सकल चरराचर तराहश्री। बरइ सश्रीलहनहध कन्यरा जराहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(लक्षरर कगो सगोचकर वप्रे मन ममें कहनप्रे लगप्रे हक) जगो इसप्रे ब्यराहप्रेगरा, वह अमर हगो जराएगरा
और ररभपूहम ममें कगोई उसप्रे जश्रीत न सकप्रे गरा। यह शश्रीलहनहध ककी कन्यरा हजसकगो वरप्रेगश्री, सब चर-
अचर जश्रीव उसककी सप्रेवरा करमेंगप्रे॥2॥
* लच्छन सब हबचरारर उर रराखप्रे। कछपु क बनराइ भपूप सन भराषप्रे॥
सपुतरा सपुलच्छन कहह नमृप पराहहीं। नरारद चलप्रे सगोच मन मराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब लक्षरर कगो हवचरारकर मपुहन नप्रे अपनप्रे हृदय ममें रख हलयरा और रराजरा सप्रे कपु छ अपनश्री
ओर सप्रे बनराकर कह हदए। रराजरा सप्रे लडककी कप्रे सपुलक्षर कहकर नरारदजश्री चल हदए। पर उनकप्रे मन
ममें यह हचन्तरा रश्री हक- ॥3॥
* करजौं जराइ सगोइ जतन हबचरारश्री। जप्रेहह पकरार मगोहह बरहै कपु मरारश्री॥
जप तप कछपु न हगोइ तप्रेहह करालरा। हप्रे हबहध हमलइ कवन हबहध बरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैं जराकर सगोच-हवचरारकर अब वहश्री उपराय करूहूँ, हजससप्रे यह कन्यरा मपुझप्रे हश्री वरप्रे। इस
समय जप-तप सप्रे तगो कपु छ हगो नहहीं सकतरा। हप्रे हवधरातरा! मपुझप्रे यह कन्यरा हकस तरह हमलप्रेगश्री?॥4॥
दगोहरा :
* एहह अवसर चराहहअ परम सगोभरा रूप हबसराल।
जगो हबलगोहक रश्रीझहै कपु अहूँरर तब मप्रेलहै जयमराल॥131॥
भरावरारर्ण:-इस समय तगो बडश्री भरारश्री शगोभरा और हवशराल (सपुमंदर) रूप चराहहए, हजसप्रे दप्रेखकर
रराजकपु मरारश्री मपुझ पर रश्रीझ जराए और तब जयमराल (मप्रेरप्रे गलप्रे ममें) डराल दप्रे॥131॥
चरौपराई :
* हरर सन मरागजौं सपुदमं रतराई। हगोइहह जरात गहर अहत भराई॥
मगोरमें हहत हरर सम नहहमं कगोऊ। एहह अवसर सहराय सगोइ हगोऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-(एक कराम करूहूँ हक) भगवरान सप्रे सपुदमं रतरा मराहूँगपूहूँ, पर भराई! उनकप्रे परास जरानप्रे ममें तगो बहह त
दप्रेर हगो जराएगश्री, हकन्तपु शश्री हरर कप्रे समरान मप्रेररा हहतपू भश्री कगोई नहहीं हहै, इसहलए इस समय वप्रे हश्री मप्रेरप्रे
सहरायक हर॥1॥
* बहह हबहध हबनय ककीहन्ह तप्रेहह करालरा। पगटप्रेउ पभपु करौतपुककी कमृ परालरा॥
पभपु हबलगोहक मपुहन नयन जपुडरानप्रे। हगोइहह कराजपु हहएहूँ हरषरानप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-उस समय नरारदजश्री नप्रे भगवरान ककी बहह त पकरार सप्रे हवनतश्री ककी। तब लश्रीलरामय कमृ परालपु पभपु
(वहहीं) पकट हगो गए। स्वरामश्री कगो दप्रेखकर नरारदजश्री कप्रे नप्रेत्र शश्रीतल हगो गए और वप्रे मन ममें बडप्रे हश्री
हहषर्णत हहए हक अब तगो कराम बन हश्री जराएगरा॥2॥
* अहत आरहत कहह कररा सपुनराई। करहह कमृ परा करर हगोहह सहराई॥
आपन रूप दप्रेहह पभपु मगोहहीं। आन भराहूँहत नहहमं परावजौं ओहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री नप्रे बहह त आतर्ण (दश्रीन) हगोकर सब कररा कह सपुनराई (और परारर्णनरा ककी हक) कमृ परा
ककीहजए और कमृ परा करकप्रे मप्रेरप्रे सहरायक बहनए। हप्रे पभगो! आप अपनरा रूप मपुझकगो दश्रीहजए और हकसश्री
पकरार ममैं उस (रराजकन्यरा) कगो नहहीं परा सकतरा॥3॥
* जप्रेहह हबहध नरार हगोइ हहत मगोररा। करहह सगो बप्रेहग दरास ममैं तगोररा॥
हनज मरायरा बल दप्रेहख हबसरालरा। हहयहूँ हहूँहस बगोलप्रे दश्रीनदयरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हजस तरह मप्रेररा हहत हगो, आप वहश्री शश्रीघ्र ककीहजए। ममैं आपकरा दरास हह हूँ। अपनश्री
मरायरा करा हवशराल बल दप्रेख दश्रीनदयरालपु भगवरान मन हश्री मन हहूँसकर बगोलप्रे -॥4॥
दगोहरा :
* जप्रेहह हबहध हगोइहह परम हहत नरारद सपुनहह तपुम्हरार।
सगोइ हम करब न आन कछपु बचन न ममृषरा हमरार॥132॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरारदजश्री! सपुनगो, हजस पकरार आपकरा परम हहत हगोगरा, हम वहश्री करमेंगप्रे, दस पू ररा कपु छ
नहहीं। हमराररा वचन असत्य नहहीं हगोतरा॥132॥
चरौपराई :
* कपु पर मराग रज ब्यराकपुल रगोगश्री। बहैद न दप्रेइ सपुनहह मपुहन जगोगश्री॥
एहह हबहध हहत तपुम्हरार ममैं ठयऊ। कहह अस अमंतरहहत पभपु भयऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे यगोगश्री मपुहन! सपुहनए, रगोग सप्रे व्यराकपुल रगोगश्री कपु पथ्य मराहूँगप्रे तगो वहैद्य उसप्रे नहहीं दप्रेतरा। इसश्री
पकरार ममैंनप्रे भश्री तपुम्हराररा हहत करनप्रे ककी ठरान लश्री हहै। ऐसरा कहकर भगवरान अन्तधरार्णन हगो गए॥1॥
* मरायरा हबबस भए मपुहन मपूढरा। समपुझश्री नहहमं हरर हगररा हनगपूढरा॥
गवनप्रे तपुरत तहराहूँ ररहषरराई। जहराहूँ स्वयमंबर भपूहम बनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-(भगवरान ककी) मरायरा कप्रे वशश्रीभपूत हह ए मपुहन ऐसप्रे मपूढ हगो गए हक वप्रे भगवरान ककी अगपूढ
(स्पष्टि) वरारश्री कगो भश्री न समझ सकप्रे । ऋहषरराज नरारदजश्री तपुरमंत वहराहूँ गए जहराहूँ स्वयमंवर ककी भपूहम
बनराई गई रश्री॥2॥
* हनज हनज आसन बहैठप्रे रराजरा। बहह बनराव करर सहहत समराजरा॥
मपुहन मन हरष रूप अहत मगोरमें। मगोहह तहज आनहह बररहह न भगोरमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा लगोग खपूब सज-धजकर समराज सहहत अपनप्रे-अपनप्रे आसन पर बहैठप्रे रप्रे। मपुहन
(नरारद) मन हश्री मन पसन्न हगो रहप्रे रप्रे हक मप्रेररा रूप बडरा सपुमंदर हहै, मपुझप्रे छगोड कन्यरा भपूलकर भश्री
दस पू रप्रे कगो न वरप्रेगश्री॥3॥
* मपुहन हहत करारन कमृ पराहनधरानरा। दश्रीन्ह कपु रूप न जराइ बखरानरा॥
सगो चररत्र लहख कराहहहूँ न परावरा। नरारद जराहन सबहहमं हसर नरावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-कमृ पराहनधरान भगवरान नप्रे मपुहन कप्रे कल्यरार कप्रे हलए उन्हमें ऐसरा कपु रूप बनरा हदयरा हक हजसकरा
वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, पर यह चररत कगोई भश्री न जरान सकरा। सबनप्रे उन्हमें नरारद हश्री जरानकर परराम
हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* रहप्रे तहराहूँ दइपु रद गन तप्रे जरानहहमं सब भप्रेउ।
हबपबप्रेष दप्रेखत हफिरहहमं परम करौतपुककी तप्रेउ॥133॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ हशवजश्री कप्रे दगो गर भश्री रप्रे। वप्रे सब भप्रेद जरानतप्रे रप्रे और ब्रराहर करा वप्रेष बनराकर सरारश्री
लश्रीलरा दप्रेखतप्रे-हफिरतप्रे रप्रे। वप्रे भश्री बडप्रे मरौजश्री रप्रे॥133॥
चरौपराई :
* जप्रेहहमं समराज बहैठप्रे मपुहन जराई। हृदयहूँ रूप अहहमहत अहधकराई॥
तहहूँ बहैठप्रे महप्रेस गन दगोऊ। हबपबप्रेष गहत लखइ न कगोऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री अपनप्रे हृदय ममें रूप करा बडरा अहभमरान लप्रेकर हजस समराज (पमंहक्त) ममें जराकर
बहैठप्रे रप्रे, यप्रे हशवजश्री कप्रे दगोनर गर भश्री वहहीं बहैठ गए। ब्रराहर कप्रे वप्रेष ममें हगोनप्रे कप्रे करारर उनककी इस चराल
कगो कगोई न जरान सकरा॥1॥
* करहहमं कपू हट नरारदहह सपुनराई। नश्रीहक दश्रीहन्ह हरर सपुदमं रतराई॥
रश्रीहझहह रराजकपु अहूँरर छहब दप्रेखश्री। इन्हहह बररहह हरर जराहन हबसप्रेषश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे नरारदजश्री कगो सपुनरा-सपुनराकर, व्यमंग्य वचन कहतप्रे रप्रे- भगवरान नप्रे इनकगो अच्छश्री
'सपुदमं रतरा' दश्री हहै। इनककी शगोभरा दप्रेखकर रराजकपु मरारश्री रश्रीझ हश्री जराएगश्री और 'हरर' (वरानर) जरानकर
इन्हहीं कगो खरास तरौर सप्रे वरप्रेगश्री॥2॥
* मपुहनहह मगोह मन हरार परराएहूँ। हहूँसहहमं समंभपु गन अहत सचपु पराएहूँ॥
जदहप सपुनहहमं मपुहन अटपहट बरानश्री। समपुहझ न परइ बपुहद रम सरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-नरारद मपुहन कगो मगोह हगो रहरा ररा, क्यरहक उनकरा मन दस पू रप्रे कप्रे हरार (मरायरा कप्रे वश) ममें
ररा। हशवजश्री कप्रे गर बहह त पसन्न हगोकर हहूँस रहप्रे रप्रे। यद्यहप मपुहन उनककी अटपटश्री बरातमें सपुन रहप्रे रप्रे ,
पर बपुहद रम ममें सनश्री हह ई हगोनप्रे कप्रे करारर वप्रे बरातमें उनककी समझ ममें नहहीं आतश्री रहीं (उनककी बरातर कगो
वप्रे अपनश्री पशमंसरा समझ रहप्रे रप्रे)॥3॥
* कराहहहूँ न लखरा सगो चररत हबसप्रेषरा। सगो सरूप नमृपकन्यराहूँ दप्रेखरा॥
मकर्णट बदन भयमंकर दप्रेहश्री। दप्रेखत हृदयहूँ कगोध भरा तप्रेहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-इस हवशप्रेष चररत कगो और हकसश्री नप्रे नहहीं जरानरा, कप्रे वल रराजकन्यरा नप्रे (नरारदजश्री करा) वह
रूप दप्रेखरा। उनकरा बमंदर करा सरा मपुहूँह और भयमंकर शरश्रीर दप्रेखतप्रे हश्री कन्यरा कप्रे हृदय ममें कगोध उत्पन्न हगो
गयरा॥4॥
दगोहरा :
* सखहीं समंग लहै कपु अहूँरर तब चहल जनपु रराजमरराल।
दप्रेखत हफिरइ महश्रीप सब कर सरगोज जयमराल॥134॥
भरावरारर्ण:-तब रराजकपु मरारश्री सहखयर कगो सरार लप्रेकर इस तरह चलश्री मरानगो रराजहमंहसनश्री चल रहश्री हहै।
वह अपनप्रे कमल जहैसप्रे हरारर ममें जयमरालरा हलए सब रराजराओमं कगो दप्रेखतश्री हह ई घपूमनप्रे लगश्री॥134॥
चरौपराई :
* जप्रेहह हदहस बहैठप्रे नरारद फिपूलश्री। सगो हदहस तप्रेहहमं न हबलगोककी भपूलश्री॥
पपुहन-पपुहन मपुहन उकसहहमं अकपु लराहहीं। दप्रेहख दसरा हर गन मपुसपुकराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हजस ओर नरारदजश्री (रूप कप्रे गवर्ण ममें) फिपूलप्रे बहैठप्रे रप्रे, उस ओर उसनप्रे भपूलकर भश्री नहहीं
तराकरा। नरारद मपुहन बरार-बरार उचकतप्रे और छटपटरातप्रे हमैं। उनककी दशरा दप्रेखकर हशवजश्री कप्रे गर
मपुसकररातप्रे हमैं॥1॥
* धरर नमृपतनपु तहहूँ गयउ कमृ परालरा। कपु अहूँरर हरहष मप्रेलप्रेउ जयमरालरा॥
दल पु हहहन लहै गप्रे लहच्छहनवरासरा। नमृपसमराज सब भयउ हनररासरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कमृ परालपु भगवरान भश्री रराजरा करा शरश्रीर धरारर कर वहराहूँ जरा पहह हूँचप्रे। रराजकपु मरारश्री नप्रे हहषर्णत हगोकर
उनकप्रे गलप्रे ममें जयमरालरा डराल दश्री। लक्ष्मश्रीहनवरास भगवरान दल पु हहन कगो लप्रे गए। सरारश्री रराजममंडलश्री
हनरराश हगो गई॥2॥
* मपुहन अहत हबकल मगोहहूँ महत नराठश्री। महन हगरर गई छपू हट जनपु गराहूँठश्री॥
तब हर गन बगोलप्रे मपुसपुकराई। हनज मपुख मपुकपुर हबलगोकहह जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-मगोह कप्रे करारर मपुहन ककी बपुहद नष्टि हगो गई रश्री, इससप्रे वप्रे (रराजकपु मरारश्री कगो गई दप्रेख) बहह त
हश्री हवकल हगो गए। मरानगो गराहूँठ सप्रे छपू टकर महर हगर गई हगो। तब हशवजश्री कप्रे गरर नप्रे मपुसकरराकर
कहरा- जराकर दपर्णर ममें अपनरा मपुहूँह तगो दप्रेहखए!॥3॥
* अस कहह दगोउ भरागप्रे भयहूँ भरारश्री। बदन दश्रीख मपुहन बरारर हनहरारश्री॥
बप्रेषपु हबलगोहक कगोध अहत बराढरा। हतन्हहह सरराप दश्रीन्ह अहत गराढरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर वप्रे दगोनर बहह त भयभश्रीत हगोकर भरागप्रे। मपुहन नप्रे जल ममें झराहूँककर अपनरा मपुहूँह
दप्रेखरा। अपनरा रूप दप्रेखकर उनकरा कगोध बहह त बढ गयरा। उन्हरनप्रे हशवजश्री कप्रे उन गरर कगो अत्यन्त
कठगोर शराप हदयरा-॥4॥
दगोहरा :
* हगोहह हनसराचर जराइ तपुम्ह कपटश्री परापश्री दगोउ।
हहूँसहप्रे ह हमहह सगो लप्रेहह फिल बहह रर हहूँसहप्रे ह मपुहन कगोउ॥।135॥
भरावरारर्ण:-तपुम दगोनर कपटश्री और परापश्री जराकर रराक्षस हगो जराओ। तपुमनप्रे हमरारश्री हहूँसश्री ककी, उसकरा फिल
चखगो। अब हफिर हकसश्री मपुहन ककी हहूँसश्री करनरा।135॥
चरौपराई :
* पपुहन जल दश्रीख रूप हनज परावरा। तदहप हृदयहूँ समंतगोष न आवरा॥
फिरकत अधर कगोप मन मराहहीं। सपहद चलप्रे कमलरापहत पराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे हफिर जल ममें दप्रेखरा, तगो उन्हमें अपनरा (असलश्री) रूप पराप्त हगो गयरा, तब भश्री उन्हमें
समंतगोष नहहीं हहआ। उनकप्रे हगोठ फिडक रहप्रे रप्रे और मन ममें कगोध (भररा) ररा। तपुरमंत हश्री वप्रे भगवरान
कमलरापहत कप्रे परास चलप्रे॥1॥
* दप्रेहउहूँ शराप हक मररहउहूँ जराई। जगत मगोरर उपहरास करराई॥
बश्रीचहहमं पमंर हमलप्रे दनपुजरारश्री। समंग रमरा सगोइ रराजकपु मरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(मन ममें सगोचतप्रे जरातप्रे रप्रे-) जराकर यरा तगो शराप दगहूँपू रा यरा परार दप्रे दहूँगपू रा। उन्हरनप्रे जगत ममें मप्रेरश्री
हहूँसश्री करराई। दहैत्यर कप्रे शत्रपु भगवरान हरर उन्हमें बश्रीच ररास्तप्रे ममें हश्री हमल गए। सरार ममें लक्ष्मश्रीजश्री और
वहश्री रराजकपु मरारश्री रहीं॥2॥
* बगोलप्रे मधपुर बचन सपुरसराई।मं मपुहन कहहूँ चलप्रे हबकल ककी नराई॥मं
सपुनत बचन उपजरा अहत कगोधरा। मरायरा बस न रहरा मन बगोधरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री भगवरान नप्रे मश्रीठश्री वरारश्री ममें कहरा- हप्रे मपुहन! व्यराकपुल ककी तरह कहराहूँ
चलप्रे? यप्रे शब्द सपुनतप्रे हश्री नरारद कगो बडरा कगोध आयरा, मरायरा कप्रे वशश्रीभपूत हगोनप्रे कप्रे करारर मन ममें चप्रेत
नहहीं रहरा॥3॥
* पर समंपदरा सकहह नहहमं दप्रेखश्री। तपुम्हरमें इररषरा कपट हबसप्रेषश्री॥
मरत हसमंधपु रदहह बरौररायहह । सपुरन्ह पप्रेरर हबष परान कररायहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-(मपुहन नप्रे कहरा-) तपुम दस पू रर ककी सम्पदरा नहहीं दप्रेख सकतप्रे, तपुम्हरारप्रे ईष्यरार्ण और कपट बहह त
हहै। समपुद मरतप्रे समय तपुमनप्रे हशवजश्री कगो बरावलरा बनरा हदयरा और दप्रेवतराओमं कगो पप्रेररत करकप्रे उन्हमें
हवषपरान कररायरा॥4॥
दगोहरा :
* असपुर सपुररा हबष समंकरहह आपपु रमरा महन चरार।
स्वरारर सराधक कपु हटल तपुम्ह सदरा कपट ब्यवहरार॥136॥
भरावरारर्ण:-असपुरर कगो महदररा और हशवजश्री कगो हवष दप्रेकर तपुमनप्रे स्वयमं लक्ष्मश्री और सपुदमं र (करौस्तपुभ)
महर लप्रे लश्री। तपुम बडप्रे धगोखप्रेबराज और मतलबश्री हगो। सदरा कपट करा व्यवहरार करतप्रे हगो॥ 136॥
चरौपराई :
* परम स्वतमंत्र न हसर पर कगोई। भरावइ मनहह करहह तपुम्ह सगोई॥
भलप्रेहह ममंद ममंदहप्रे ह भल करहह । हबसमय हरष न हहयहूँ कछपु धरहह ॥1॥
भरावरारर्ण:-तपुम परम स्वतमंत्र हगो, हसर पर तगो कगोई हहै नहहीं, इससप्रे जब जगो मन कगो भरातरा हहै,
(स्वच्छन्दतरा सप्रे) वहश्री करतप्रे हगो। भलप्रे कगो बपुररा और बपुरप्रे कगो भलरा कर दप्रेतप्रे हगो। हृदय ममें हषर्ण -हवषराद
कपु छ भश्री नहहीं लरातप्रे॥1॥
* डहहक डहहक पररचप्रेहह सब कराहह। अहत असमंक मन सदरा उछराहह॥
करम सपुभरासपुभ तपुम्हहह न बराधरा। अब लहग तपुम्हहह न कराहह हूँ सराधरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सबकगो ठग-ठगकर परक गए हगो और अत्यन्त हनडर हगो गए हगो, इसश्री सप्रे (ठगनप्रे कप्रे कराम
ममें) मन ममें सदरा उत्सराह रहतरा हहै। शपुभ-अशपुभ कमर्ण तपुम्हमें बराधरा नहहीं दप्रेतप्रे। अब तक तपुम कगो हकसश्री नप्रे
ठश्रीक नहहीं हकयरा ररा॥2॥
* भलप्रे भवन अब बरायन दश्रीन्हरा। परावहह गप्रे फिल आपन ककीन्हरा॥
बमंचप्रेहह मगोहह जवहन धरर दप्रेहरा। सगोइ तनपु धरहह शराप मम एहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-अबककी तपुमनप्रे अच्छप्रे घर बहैनरा हदयरा हहै (मप्रेरप्रे जहैसप्रे जबदर्णस्त आदमश्री सप्रे छप्रेडखरानश्री ककी हहै।)
अतद्धाः अपनप्रे हकए करा फिल अवश्य पराओगप्रे। हजस शरश्रीर कगो धरारर करकप्रे तपुमनप्रे मपुझप्रे ठगरा हहै, तपुम भश्री
वहश्री शरश्रीर धरारर करगो, यह मप्रेररा शराप हहै॥3॥
* कहप आकमृ हत तपुम्ह ककीहन्ह हमरारश्री। कररहहहमं ककीस सहराय तपुम्हरारश्री॥
मम अपकरार ककीन्ह तपुम्ह भरारश्री। नरारर हबरहहूँ तपुम्ह हगोब द ख पु रारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-तपुमनप्रे हमराररा रूप बमंदर करा सरा बनरा हदयरा ररा, इससप्रे बमंदर हश्री तपुम्हरारश्री सहरायतरा करमेंगप्रे। (ममैं
हजस स्त्रश्री कगो चराहतरा ररा, उससप्रे मप्रेररा हवयगोग करराकर) तपुमनप्रे मप्रेररा बडरा अहहत हकयरा हहै, इससप्रे
तपुम भश्री स्त्रश्री कप्रे हवयगोग ममें दद्धाःपु खश्री हरगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* शराप सश्रीस धरर हरहष हहयहूँ पभपु बहह हबनतश्री ककीहन्ह॥
हनज मरायरा कहै पबलतरा करहष कमृ पराहनहध लश्रीहन्ह॥137॥
भरावरारर्ण:-शराप कगो हसर पर चढराकर, हृदय ममें हहषर्णत हगोतप्रे हह ए पभपु नप्रे नरारदजश्री सप्रे बहह त हवनतश्री ककी
और कमृ पराहनधरान भगवरान नप्रे अपनश्री मरायरा ककी पबलतरा खहींच लश्री॥ 137॥
चरौपराई :
* जब हरर मरायरा दरपू र हनवरारश्री। नहहमं तहहूँ रमरा न रराजकपु मरारश्री॥
तब मपुहन अहत सभश्रीत हरर चरनरा। गहप्रे पराहह पनतरारहत हरनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब भगवरान नप्रे अपनश्री मरायरा कगो हटरा हलयरा, तब वहराहूँ न लक्ष्मश्री हश्री रह गई,मं न
रराजकपु मरारश्री हश्री। तब मपुहन नप्रे अत्यन्त भयभश्रीत हगोकर शश्री हरर कप्रे चरर पकड हलए और कहरा- हप्रे
शरररागत कप्रे दद्धाःपु खर कगो हरनप्रे वरालप्रे! मप्रेरश्री रक्षरा ककीहजए॥1॥
* ममृषरा हगोउ मम शराप कमृ परालरा। मम इच्छरा कह दश्रीनदयरालरा॥
ममैं दबपु र्णचन कहप्रे बहह तप्रेरप्रे। कह मपुहन पराप हमहटहहमं हकहम मप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ परालपु! मप्रेररा शराप हमथ्यरा हगो जराए। तब दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे भगवरान नप्रे कहरा हक
यह सब मप्रेरश्री हश्री इच्छरा (सप्रे हह आ) हहै। मपुहन नप्रे कहरा- ममैंनप्रे आप कगो अनप्रेक खगोटप्रे वचन कहप्रे हमैं। मप्रेरप्रे
पराप कहै सप्रे हमटमेंगप्रे?॥2॥
* जपहह जराइ समंकर सत नरामरा। हगोइहह हृदयहूँ तपुरत हबशरामरा॥
कगोउ नहहमं हसव समरान हपय मगोरमें। अहस परतश्रीहत तजहह जहन भगोरमें॥3॥
भरावरारर्ण:-(भगवरान नप्रे कहरा-) जराकर शमंकरजश्री कप्रे शतनराम करा जप करगो, इससप्रे हृदय ममें तपुरमंत
शरामंहत हगोगश्री। हशवजश्री कप्रे समरान मपुझप्रे कगोई हपय नहहीं हहै, इस हवश्वरास कगो भपूलकर भश्री न छगोडनरा॥
3॥
*जप्रेहह पर कमृ परा न करहहमं पपुररारश्री। सगो न पराव मपुहन भगहत हमरारश्री॥
अस उर धरर महह हबचरहह जराई। अब न तपुम्हहह मरायरा हनअरराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन ! पपुररारर (हशवजश्री) हजस पर कमृ परा नहहीं करतप्रे, वह मप्रेरश्री भहक्त नहहीं परातरा। हृदय
ममें ऐसरा हनश्चय करकप्रे जराकर पमृथ्वश्री पर हवचरगो। अब मप्रेरश्री मरायरा तपुम्हरारप्रे हनकट नहहीं आएगश्री॥ 4॥
दगोहरा :
* बहह हबहध मपुहनहह पबगोहध पभपु तब भए अमंतरधरान।
सत्यलगोक नरारद चलप्रे करत रराम गपुन गरान॥138॥
भरावरारर्ण:-बहह त पकरार सप्रे मपुहन कगो समझरा-बपुझराकर (ढराहूँढस दप्रेकर) तब पभपु अमंतदरार्णन हगो गए और
नरारदजश्री शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुरर करा गरान करतप्रे हहए सत्य लगोक (ब्रहलगोक) कगो चलप्रे॥138॥
चरौपराई :
* हर गन मपुहनहह जरात पर दप्रेखश्री। हबगत मगोह मन हरष हबसप्रेषश्री॥
अहत सभश्रीत नरारद पहहमं आए। गहह पद आरत बचन सपुहराए॥1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे गरर नप्रे जब मपुहन कगो मगोहरहहत और मन ममें बहह त पसन्न हगोकर मरागर्ण ममें जरातप्रे
हह ए दप्रेखरा तब वप्रे अत्यन्त भयभश्रीत हगोकर नरारदजश्री कप्रे परास आए और उनकप्रे चरर पकडकर दश्रीन
वचन बगोलप्रे-॥1॥
* हर गन हम न हबप मपुहनररायरा। बड अपरराध ककीन्ह फिल परायरा॥
शराप अनपुगह करहह कमृ परालरा। बगोलप्रे नरारद दश्रीनदयरालरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहनरराज! हम ब्रराहर नहहीं हमैं, हशवजश्री कप्रे गर हमैं। हमनप्रे बडरा अपरराध हकयरा, हजसकरा
फिल हमनप्रे परा हलयरा। हप्रे कमृ परालपु! अब शराप दरपू करनप्रे ककी कमृ परा ककीहजए। दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे
नरारदजश्री नप्रे कहरा-॥2॥
* हनहसचर जराइ हगोहह तपुम्ह दगोऊ। बहैभव हबपपुल तप्रेज बल हगोऊ॥
भपुज बल हबस्व हजतब तपुम्ह जहहआ। धररहहहमं हबष्नपु मनपुज तनपु तहहआ॥3॥
भरावरारर्ण:-तपुम दगोनर जराकर रराक्षस हगोओ, तपुम्हमें महरान ऐश्वयर्ण, तप्रेज और बल ककी पराहप्त हगो। तपुम
अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे जब सरारप्रे हवश्व कगो जश्रीत लगोगप्रे, तब भगवरान हवष्रपु मनपुष्य करा शरश्रीर
धरारर करमेंगप्रे॥3॥
* समर मरन हरर हरार तपुम्हराररा। हगोइहहह मपुकपुत न पपुहन समंसराररा॥
चलप्रे जपुगल मपुहन पद हसर नराई। भए हनसराचर करालहह पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-यद पु ममें शश्री हरर कप्रे हरार सप्रे तपुम्हरारश्री ममृत्यपु हगोगश्री, हजससप्रे तपुम मपुक्त हगो जराओगप्रे और हफिर
समंसरार ममें जन्म नहहीं लगोगप्रे। वप्रे दगोनर मपुहन कप्रे चररर ममें हसर नवराकर चलप्रे और समय पराकर रराक्षस
हह ए॥4॥
दगोहरा :
* एक कलप एहह हप्रेतपु पभपु लश्रीन्ह मनपुज अवतरार।
सपुर रमंजन सजन सपुखद हरर भमंजन भपुहम भरार॥139॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कगो पसन्न करनप्रे वरालप्रे, सजनर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे और पमृथ्वश्री करा भरार हरर
करनप्रे वरालप्रे भगवरान नप्रे एक कल्प ममें इसश्री करारर मनपुष्य करा अवतरार हलयरा ररा॥ 139॥
चरौपराई :
* एहह हबहध जनम करम हरर कप्रे रप्रे। सपुदमं र सपुखद हबहचत्र घनप्रेरप्रे॥
कलप कलप पहत पभपु अवतरहहीं। चरार चररत नरानराहबहध करहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार भगवरान कप्रे अनप्रेक सपुदमं र, सपुखदरायक और अलरौहकक जन्म और कमर्ण हमैं।
पत्यप्रेक कल्प ममें जब-जब भगवरान अवतरार लप्रेतप्रे हमैं और नरानरा पकरार ककी सपुदमं र लश्रीलराएहूँ करतप्रे हमैं ,॥
1॥
* तब-तब कररा मपुनश्रीसन्ह गराई। परम पपुनश्रीत पबमंध बनराई॥
हबहबध पसमंग अनपूप बखरानप्रे। करहहमं न सपुहन आचरजपु सयरानप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-तब-तब मपुनश्रीश्वरर नप्रे परम पहवत्र कराव्य रचनरा करकप्रे उनककी करराओमं करा गरान हकयरा हहै
और भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे अनपुपम पसमंगर करा वरर्णन हकयरा हहै, हजनकगो सपुनकर समझदरार (हववप्रेककी) लगोग
आश्चयर्ण नहहीं करतप्रे॥2॥
* हरर अनमंत हरर कररा अनमंतरा। कहहहमं सपुनहहमं बहह हबहध सब समंतरा॥
ररामचमंद कप्रे चररत सपुहराए। कलप कगोहट लहग जराहहमं न गराए॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री हरर अनमंत हमैं (उनकरा कगोई परार नहहीं परा सकतरा) और उनककी कररा भश्री अनमंत हहै। सब
समंत लगोग उसप्रे बहह त पकरार सप्रे कहतप्रे-सपुनतप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सपुदमं र चररत्र करगोडर कल्पर ममें भश्री
गराए नहहीं जरा सकतप्रे॥3॥
* यह पसमंग ममैं कहरा भवरानश्री। हररमरायराहूँ मगोहहहमं मपुहन ग्यरानश्री॥
पभपु करौतपुककी पनत हहतकरारश्री। सप्रेवत सपुलभ सकल दख पु हरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं हक) हप्रे परावर्णतश्री! ममैंनप्रे यह बतरानप्रे कप्रे हलए इस पसमंग कगो कहरा हक जरानश्री
मपुहन भश्री भगवरान ककी मरायरा सप्रे मगोहहत हगो जरातप्रे हमैं। पभपु करौतपुककी (लश्रीलरामय) हमैं और शरररागत करा
हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं। वप्रे सप्रेवरा करनप्रे ममें बहह त सपुलभ और सब दद्धाःपु खर कप्रे हरनप्रे वरालप्रे हमैं॥4॥
सगोरठरा :
* सपुर नर मपुहन कगोउ नराहहमं जप्रेहह न मगोह मरायरा पबल।
अस हबचरारर मन मराहहमं भहजअ महरामरायरा पहतहह॥140॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहनयर ममें ऐसरा कगोई नहहीं हहै, हजसप्रे भगवरान ककी महरान बलवतश्री मरायरा
मगोहहत न कर दप्रे। मन ममें ऐसरा हवचरारकर उस महरामरायरा कप्रे स्वरामश्री (पप्रेरक) शश्री भगवरान करा भजन
करनरा चराहहए॥140॥
चरौपराई :
*अपर हप्रेतपु सपुनपु सहैलकपु मरारश्री। कहउहूँ हबहचत्र कररा हबस्तरारश्री॥
जप्रेहह करारन अज अगपुन अरूपरा। ब्रह भयउ कगोसलपपुर भपूपरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हगरररराजकपु मरारश्री! अब भगवरान कप्रे अवतरार करा वह दस पू ररा करारर सपुनगो- ममैं उसककी
हवहचत्र कररा हवस्तरार करकप्रे कहतरा हह-हूँ हजस करारर सप्रे जन्मरहहत, हनगपुर्णर और रूपरहहत
(अव्यक्त सहचदरानमंदघन) ब्रह अयगोध्यरापपुरश्री कप्रे रराजरा हहए॥1॥
* जगो पभपु हबहपन हफिरत तपुम्ह दप्रेखरा। बमंधपु समप्रेत धरमें मपुहनबप्रेषरा॥
जरासपु चररत अवलगोहक भवरानश्री। सतश्री सरश्रीर रहहहह बरौररानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हजन पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो तपुमनप्रे भराई लक्ष्मरजश्री कप्रे सरार मपुहनयर करा सरा वप्रेष धरारर
हकए वन ममें हफिरतप्रे दप्रेखरा ररा और हप्रे भवरानश्री! हजनकप्रे चररत्र दप्रेखकर सतश्री कप्रे शरश्रीर ममें तपुम ऐसश्री
बरावलश्री हगो गई रहीं हक- ॥2॥
* अजहह हूँ न छरायरा हमटहत तपुम्हरारश्री। तरासपु चररत सपुनपु रम रज हरारश्री॥
लश्रीलरा ककीहन्ह जगो तप्रेहहमं अवतराररा। सगो सब कहहहउहूँ महत अनपुसराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अब भश्री तपुम्हरारप्रे उस बरावलप्रेपन ककी छरायरा नहहीं हमटतश्री , उन्हहीं कप्रे रम रूपश्री रगोग कप्रे हरर
करनप्रे वरालप्रे चररत्र सपुनगो। उस अवतरार ममें भगवरान नप्रे जगो-जगो लश्रीलरा ककी, वह सब ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे
अनपुसरार तपुम्हमें कहह हूँगरा॥3॥
* भरदराज सपुहन समंकर बरानश्री। सकपु हच सपप्रेम उमरा मपुसपुकरानश्री॥
लगप्रे बहह रर बरनहै बमृषकप्रे तपू। सगो अवतरार भयउ जप्रेहह हप्रेतपू॥4॥
भरावरारर्ण:-(यराजवल्क्यजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे भरदराज! शमंकरजश्री कप्रे वचन सपुनकर परावर्णतश्रीजश्री सकपु चराकर
पप्रेमसहहत मपुस्कपु रराई।मं हफिर वमृषकप्रे तपु हशवजश्री हजस करारर सप्रे भगवरान करा वह अवतरार हहआ ररा,
उसकरा वरर्णन करनप्रे लगप्रे॥4॥
मनपु-शतरूपरा तप एवमं वरदरान
दगोहरा :
* सगो ममैं तपुम्ह सन कहउहूँ सबपु सपुनपु मपुनश्रीस मन लराइ।
ररामकररा कहल मल हरहन ममंगल करहन सपुहराइ॥141॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुनश्रीश्वर भरदराज! ममैं वह सब तपुमसप्रे कहतरा हह,हूँ मन लगराकर सपुनगो। शश्री ररामचन्दजश्री ककी
कररा कहलयगपु कप्रे परापर कगो हरनप्रे वरालश्री, कल्यरार करनप्रे वरालश्री और बडश्री सपुदमं र हहै॥141॥
चरौपराई :
* स्वरायभमं पू मनपु अर सतरूपरा। हजन्ह तमें भहै नरसमृहष्टि अनपूपरा॥
दमंपहत धरम आचरन नश्रीकरा। अजहह हूँ गराव शपुहत हजन्ह कहै लश्रीकरा॥1॥
भरावरारर्ण:-स्वरायम्भपुव मनपु और (उनककी पत्नश्री) शतरूपरा, हजनसप्रे मनपुष्यर ककी यह अनपुपम समृहष्टि
हह ई, इन दगोनर पहत-पत्नश्री कप्रे धमर्ण और आचरर बहह त अच्छप्रे रप्रे। आज भश्री वप्रेद हजनककी मयरार्णदरा करा
गरान करतप्रे हमैं॥1॥
* नमृप उररानपराद सपुत तरासपू। धपुव हररभगत भयउ सपुत जरासपू॥
लघपु सपुत नराम हपयब्रत तराहश्री। बप्रेद पपुररान पसमंसहहमं जराहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा उररानपराद उनकप्रे पपुत्र रप्रे, हजनकप्रे पपुत्र (पहसद) हररभक्त धपुवजश्री हह ए। उन
(मनपुजश्री) कप्रे छगोटप्रे लडकप्रे करा नराम हपयव्रत ररा, हजनककी पशमंसरा वप्रेद और पपुररार करतप्रे हमैं॥2॥
* दप्रेवहह हत पपुहन तरासपु कपु मरारश्री। जगो मपुहन कदर्णम कहै हपय नरारश्री॥
आहद दप्रेव पभपु दश्रीनदयरालरा। जठर धरप्रेउ जप्रेहहमं कहपल कमृ परालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पपुनद्धाः दप्रेवहह हत उनककी कन्यरा रश्री, जगो कदर्णम मपुहन ककी प्यरारश्री पत्नश्री हह ई और हजन्हरनप्रे आहद
दप्रेव, दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे समरर्ण एवमं कमृ परालपु भगवरान कहपल कगो गभर्ण ममें धरारर हकयरा॥3॥
* सराख्मं य सरास्त्र हजन्ह पगट बखरानरा। तत्व हबचरार हनपपुन भगवरानरा॥
तप्रेहहमं मनपु रराज ककीन्ह बहह करालरा। पभपु आयसपु सब हबहध पहतपरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-तत्वर करा हवचरार करनप्रे ममें अत्यन्त हनपपुर हजन (कहपल) भगवरान नप्रे सरामंख्य शरास्त्र करा
पकट रूप ममें वरर्णन हकयरा, उन (स्वरायम्भपुव) मनपुजश्री नप्रे बहह त समय तक रराज्य हकयरा और सब
पकरार सप्रे भगवरान ककी आजरा (रूप शरास्त्रर ककी मयरार्णदरा) करा परालन हकयरा॥4॥
सगोरठरा :
* हगोइ न हबषय हबरराग भवन बसत भरा चरौरपन॥
हृदयहूँ बहह त दख पु लराग जनम गयउ हररभगहत हबनपु॥142॥
भरावरारर्ण:-घर ममें रहतप्रे बपुढरापरा आ गयरा, परन्तपु हवषयर सप्रे वहैरराग्य नहहीं हगोतरा (इस बरात कगो सगोचकर)
उनकप्रे मन ममें बडरा दद्धाःपु ख हहआ हक शश्री हरर ककी भहक्त हबनरा जन्म यर हश्री चलरा गयरा॥ 142॥
चरौपराई :
* बरबस रराज सपुतहह तब दश्रीन्हरा। नरारर समप्रेत गवन बन ककीन्हरा॥
तश्रीरर बर नहैहमष हबख्यरातरा। अहत पपुनश्रीत सराधक हसहध दरातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब मनपुजश्री नप्रे अपनप्रे पपुत्र कगो जबदर्णस्तश्री रराज्य दप्रेकर स्वयमं स्त्रश्री सहहत वन कगो गमन हकयरा।
अत्यन्त पहवत्र और सराधकर कगो हसहद दप्रेनप्रे वरालरा तश्रीरर्मों ममें शप्रेष नहैहमषरारण्य पहसद हहै॥ 1॥
* बसहहमं तहराहूँ मपुहन हसद समराजरा। तहहूँ हहयहूँ हरहष चलप्रेउ मनपु रराजरा॥
पमंर जरात सगोहहहमं महतधश्रीररा। ग्यरान भगहत जनपु धरमें सरश्रीररा॥2॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ मपुहनयर और हसदर कप्रे समपूह बसतप्रे हमैं। रराजरा मनपु हृदय ममें हहषर्णत हगोकर वहहीं चलप्रे। वप्रे
धश्रीर बपुहद वरालप्रे रराजरा-ररानश्री मरागर्ण ममें जरातप्रे हह ए ऐसप्रे सपुशगोहभत हगो रहप्रे रप्रे मरानर जरान और भहक्त हश्री
शरश्रीर धरारर हकए जरा रहप्रे हर॥2॥
* पहह हूँचप्रे जराइ धप्रेनपुमहत तश्रीररा। हरहष नहरानप्रे हनरमल नश्रीररा॥
आए हमलन हसद मपुहन ग्यरानश्री। धरम धपुरधमं र नमृपररहष जरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(चलतप्रे-चलतप्रे) वप्रे गगोमतश्री कप्रे हकनरारप्रे जरा पहह हूँचप्रे। हहषर्णत हगोकर उन्हरनप्रे हनमर्णल जल ममें
स्नरान हकयरा। उनकगो धमर्णधपुरमंधर रराजहषर्ण जरानकर हसद और जरानश्री मपुहन उनसप्रे हमलनप्रे आए॥3॥
* जहहूँ जहहूँ तश्रीरर रहप्रे सपुहराए। मपुहनन्ह सकल सरादर करवराए॥
कमृ स सरश्रीर मपुहनपट पररधरानरा। सत समराज हनत सपुनहहमं पपुररानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ-जहराहूँ सपुदमं र तश्रीरर्ण रप्रे, मपुहनयर नप्रे आदरपपूवर्णक सभश्री तश्रीरर्ण उनकगो कररा हदए। उनकरा
शरश्रीर दबपु र्णल हगो गयरा ररा। वप्रे मपुहनयर कप्रे सप्रे (वल्कल) वस्त्र धरारर करतप्रे रप्रे और समंतर कप्रे समराज ममें
हनत्य पपुररार सपुनतप्रे रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* दरादस अच्छर ममंत्र पपुहन जपहहमं सहहत अनपुरराग।
बरासपुदवप्रे पद पमंकरह दमंपहत मन अहत लराग॥143॥
भरावरारर्ण:-और दरादशराक्षर मन्त्र (ऊहूँ नमगो भगवतप्रे वरासपुदप्रेवराय) करा पप्रेम सहहत जप करतप्रे रप्रे। भगवरान
वरासदपु प्रेव कप्रे चररकमलर ममें उन रराजरा-ररानश्री करा मन बहह त हश्री लग गयरा॥143॥
चरौपराई :
* करहहमं अहरार सराक फिल कमंदरा। सपुहमरहहमं ब्रह सहचदरानमंदरा॥
पपुहन हरर हप्रेतपु करन तप लरागप्रे। बरारर अधरार मपूल फिल त्यरागप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सराग, फिल और कन्द करा आहरार करतप्रे रप्रे और सहचदरानमंद ब्रह करा स्मरर करतप्रे रप्रे।
हफिर वप्रे शश्री हरर कप्रे हलए तप करनप्रे लगप्रे और मपूल-फिल कगो त्यरागकर कप्रे वल जल कप्रे आधरार पर
रहनप्रे लगप्रे॥1॥
* उर अहभलराष हनरमंतर हगोई। दप्रेहखअ नयन परम पभपु सगोई॥
अगपुन अखमंड अनमंत अनरादश्री। जप्रेहह हचमंतहहमं परमराररबरादश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें हनरमंतर यहश्री अहभलराषरा हहआ करतश्री हक हम (कहै सप्रे) उन परम पभपु कगो आहूँखर सप्रे
दप्रेख,में जगो हनगपुर्णर, अखमंड, अनमंत और अनराहद हमैं और परमरारर्णवरादश्री (ब्रहजरानश्री, तत्त्ववप्रेररा) लगोग
हजनकरा हचन्तन हकयरा करतप्रे हमैं॥2॥
* नप्रेहत नप्रेहत जप्रेहह बप्रेद हनरूपरा। हनजरानमंद हनरपराहध अनपूपरा॥
समंभपु हबरमंहच हबष्नपु भगवरानरा। उपजहहमं जरासपु अमंस तमें नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजन्हमें वप्रेद 'नप्रेहत-नप्रेहत' (यह भश्री नहहीं, यह भश्री नहहीं) कहकर हनरूपर करतप्रे हमैं। जगो
आनमंदस्वरूप, उपराहधरहहत और अनपुपम हमैं एवमं हजनकप्रे अमंश सप्रे अनप्रेक हशव, ब्रहरा और हवष्रपु
भगवरान पकट हगोतप्रे हमैं॥3॥
* ऐसप्रेउ पभपु सप्रेवक बस अहई। भगत हप्रेतपु लश्रीलरातनपु गहई॥
जजौं यह बचन सत्य शपुहत भराषरा। तरौ हमरार पपूहजहह अहभलराषरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे (महरान) पभपु भश्री सप्रेवक कप्रे वश ममें हमैं और भक्तर कप्रे हलए (हदव्य) लश्रीलरा हवगह
धरारर करतप्रे हमैं। यहद वप्रेदर ममें यह वचन सत्य कहरा हहै, तगो हमरारश्री अहभलराषरा भश्री अवश्य पपूरश्री हगोगश्री॥
4॥
दगोहरा :
* एहह हवहध बश्रीतप्रे बरष षट सहस बरारर आहरार।
समंबत सप्त सहस्र पपुहन रहप्रे समश्रीर अधरार॥144॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार जल करा आहरार (करकप्रे तप) करतप्रे छह हजरार वषर्ण बश्रीत गए। हफिर सरात हजरार
वषर्ण वप्रे वरायपु कप्रे आधरार पर रहप्रे॥144॥
चरौपराई :
* बरष सहस दस त्यरागप्रेउ सगोऊ। ठराढप्रे रहप्रे एक पद दगोऊ ॥
हबहध हरर हर तप दप्रेहख अपराररा। मनपु समश्रीप आए बहह बराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-दस हजरार वषर्ण तक उन्हरनप्रे वरायपु करा आधरार भश्री छगोड हदयरा। दगोनर एक पहैर सप्रे खडप्रे रहप्रे।
उनकरा अपरार तप दप्रेखकर ब्रहरा, हवष्रपु और हशवजश्री कई बरार मनपुजश्री कप्रे परास आए॥1॥
* मरागहह बर बहह भराहूँहत लगोभराए। परम धश्रीर नहहमं चलहहमं चलराए॥
अहस्रमरात्र हगोइ रहप्रे सरश्रीररा। तदहप मनराग मनहहमं नहहमं पश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे इन्हमें अनप्रेक पकरार सप्रे ललचरायरा और कहरा हक कपु छ वर मराहूँगगो। पर यप्रे परम धहैयर्णवरान
(रराजरा-ररानश्री अपनप्रे तप सप्रे हकसश्री कप्रे ) हडगराए नहहीं हडगप्रे। यद्यहप उनकरा शरश्रीर हरडयर करा ढराहूँचरा मरात्र
रह गयरा ररा, हफिर भश्री उनकप्रे मन ममें जररा भश्री पश्रीडरा नहहीं रश्री॥2॥
* पभपु सबर्णग्य दरास हनज जरानश्री। गहत अनन्य तरापस नमृप ररानश्री॥
मरागपु मरागपु बर भहै नभ बरानश्री। परम गभश्रीर कमृ पराममृत सरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सवर्णज पभपु नप्रे अनन्य गहत (आशय) वरालप्रे तपस्वश्री रराजरा-ररानश्री कगो 'हनज दरास' जरानरा।
तब परम गमंभश्रीर और कमृ परा रूपश्री अममृत सप्रे सनश्री हह ई यह आकराशवरारश्री हहई हक 'वर मराहूँगगो'॥3॥
* ममृतक हजआवहन हगररा सपुहराई। शवन रमंध हगोइ उर जब आई॥
हृष्टि पपुष्टि तन भए सपुहराए। मरानहह हूँ अबहहमं भवन तप्रे आए॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुदर्दे कगो भश्री हजलरा दप्रेनप्रे वरालश्री यह सपुदमं र वरारश्री करानर कप्रे छप्रेदर सप्रे हगोकर जब हृदय ममें आई,
तब रराजरा-ररानश्री कप्रे शरश्रीर ऐसप्रे सपुमंदर और हृष्टि-पपुष्टि हगो गए, मरानगो अभश्री घर सप्रे आए हमैं॥4॥
दगोहरा :
* शवन सपुधरा सम बचन सपुहन पपुलक पफिपु हल्लत गरात।
बगोलप्रे मनपु करर दमंडवत पप्रेम न हृदयहूँ समरात॥145॥
भरावरारर्ण:-करानर ममें अममृत कप्रे समरान लगनप्रे वरालप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री उनकरा शरश्रीर पपुलहकत और
पफिपु हल्लत हगो गयरा। तब मनपुजश्री दण्डवत करकप्रे बगोलप्रे- पप्रेम हृदय ममें समरातरा न ररा-॥145॥
चरौपराई :
* सपुनपु सप्रेवक सपुरतर सपुरधप्रेनपू। हबहध हरर हर बमंहदत पद रप्रेनपू॥
सप्रेवत सपुलभ सकल सपुखदरायक। पनतपराल सचरराचर नरायक॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! सपुहनए, आप सप्रेवकर कप्रे हलए कल्पवमृक्ष और करामधप्रेनपु हमैं। आपकप्रे चरर रज ककी
ब्रहरा, हवष्रपु और हशवजश्री भश्री वमंदनरा करतप्रे हमैं। आप सप्रेवरा करनप्रे ममें सपुलभ हमैं तररा सब सपुखर कप्रे दप्रेनप्रे
वरालप्रे हमैं। आप शरररागत कप्रे रक्षक और जड-चप्रेतन कप्रे स्वरामश्री हमैं॥1॥
* जजौं अनरार हहत हम पर नप्रेहह। तरौ पसन्न हगोई यह बर दप्रेहह॥
जगोसरूप बस हसव मन मराहहीं। जप्रेहहमं करारन मपुहन जतन करराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे अनरारर करा कल्यरार करनप्रे वरालप्रे! यहद हम लगोगर पर आपकरा स्नप्रेह हहै, तगो पसन्न
हगोकर यह वर दश्रीहजए हक आपकरा जगो स्वरूप हशवजश्री कप्रे मन ममें बसतरा हहै और हजस (ककी पराहप्त)
कप्रे हलए मपुहन लगोग यत्न करतप्रे हमैं॥2॥
* जगो भपुसपुमंहड मन मरानस हमंसरा। सगपुन अगपुन जप्रेहह हनगम पसमंसरा॥
दप्रेखहहमं हम सगो रूप भरर लगोचन। कमृ परा करहह पनतरारहत मगोचन॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो कराकभपुशपुहण्ड कप्रे मन रूपश्री मरान सरगोवर ममें हवहरार करनप्रे वरालरा हमंस हहै , सगपुर और
हनगपुर्णर कहकर वप्रेद हजसककी पशमंसरा करतप्रे हमैं, हप्रे शरररागत कप्रे दद्धाःपु ख हमटरानप्रे वरालप्रे पभगो! ऐसश्री कमृ परा
ककीहजए हक हम उसश्री रूप कगो नप्रेत्र भरकर दप्रेख॥में 3॥
* दमंपहत बचन परम हपय लरागप्रे। ममृदल पु हबनश्रीत पप्रेम रस परागप्रे॥
भगत बछल पभपु कमृ पराहनधरानरा। हबस्वबरास पगटप्रे भगवरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा-ररानश्री कप्रे कगोमल, हवनययक्त पु और पप्रेमरस ममें पगप्रे हह ए वचन भगवरान कगो बहह त हश्री
हपय लगप्रे। भक्तवत्सल, कमृ पराहनधरान, सम्पपूरर्ण हवश्व कप्रे हनवरास स्ररान (यरा समस्त हवश्व ममें
व्यरापक), सवर्णसमरर्ण भगवरान पकट हगो गए॥4॥
दगोहरा :
* नश्रील सरगोरह नश्रील महन नश्रील नश्रीरधर स्यराम।
लराजहहमं तन सगोभरा हनरहख कगोहट कगोहट सत कराम॥146॥
भरावरारर्ण:- भगवरान कप्रे नश्रीलप्रे कमल, नश्रीलमहर और नश्रीलप्रे (जलयक्त पु ) मप्रेघ कप्रे समरान (कगोमल,
पकराशमय और सरस) श्यरामवरर्ण (हचन्मय) शरश्रीर ककी शगोभरा दप्रेखकर करगोडर करामदप्रेव भश्री लजरा
जरातप्रे हमैं॥146॥
चरौपराई :
* सरद मयमंक बदन छहब सहींवरा। चरार कपगोल हचबपुक दर गश्रीवरा॥
अधर अरन रद सपुदमं र नरासरा। हबधपु कर हनकर हबहनमंदक हरासरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उनकरा मपुख शरद (पपूहरर्णमरा) कप्रे चन्दमरा कप्रे समरान छहब ककी सश्रीमरास्वरूप ररा। गराल और
ठगोडश्री बहह त सपुमंदर रप्रे, गलरा शमंख कप्रे समरान (हत्ररप्रेखरायक्त पु , चढराव-उतरार वरालरा) ररा। लराल हगोठ,
दराहूँत और नराक अत्यन्त सपुदमं र रप्रे। हहूँसश्री चन्दमरा ककी हकरररावलश्री कगो नश्रीचरा हदखरानप्रे वरालश्री रश्री॥ 1॥
* नव अमंबपुज अमंबक छहब नश्रीककी। हचतवहन लहलत भरावहूँतश्रीजश्री ककी॥
भमृकपुहट मनगोज चराप छहब हरारश्री। हतलक ललराट पटल दहपु तकरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-नप्रेत्रर ककी छहव नए (हखलप्रे हह ए) कमल कप्रे समरान बडश्री सपुदमं र रश्री। मनगोहर हचतवन जश्री कगो
बहह त प्यरारश्री लगतश्री रश्री। टप्रेढश्री भजौंहमें करामदप्रेव कप्रे धनपुष ककी शगोभरा कगो हरनप्रे वरालश्री रहीं। ललराट पटल पर
पकराशमय हतलक ररा॥2॥
* कपुमं डल मकर मपुकपुट हसर रराजरा। कपु हटल कप्रे स जनपु मधपुप समराजरा॥
उर शश्रीबत्स रहचर बनमरालरा। पहदक हरार भपूषन महनजरालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-करानर ममें मकरराकमृत (मछलश्री कप्रे आकरार कप्रे ) कपुमं डल और हसर पर मपुकपुट सपुशगोहभत ररा।
टप्रेढप्रे (घपुहूँघररालप्रे) करालप्रे बराल ऐसप्रे सघन रप्रे, मरानगो भजौंरर कप्रे झपुडमं हर। हृदय पर शश्रीवत्स, सपुदमं र
वनमरालरा, रत्नजहडत हरार और महरयर कप्रे आभपूषर सपुशगोहभत रप्रे॥3॥
* कप्रे हरर कमंधर चरार जनप्रेऊ। बराहह हबभपूषन सपुदमं र तप्रेऊ॥
मकरर कर सररस सपुभग भपुजदमंडरा। कहट हनषमंग कर सर कगोदमंडरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हसमंह ककी सश्री गदर्णन रश्री, सपुदमं र जनप्रेऊ ररा। भपुजराओमं ममें जगो गहनप्रे रप्रे, वप्रे भश्री सपुदमं र रप्रे। हरारश्री
ककी सपूहूँड कप्रे समरान (उतरार-चढराव वरालप्रे) सपुमंदर भपुजदमंड रप्रे। कमर ममें तरकस और हरार ममें बरार और
धनपुष (शगोभरा परा रहप्रे) रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* तहडत हबहनमंदक पश्रीत पट उदर रप्रेख बर तश्रीहन।
नराहभ मनगोहर लप्रेहत जनपु जमपुन भहूँवर छहब छश्रीहन॥147॥
भरावरारर्ण:-(स्वरर्ण-वरर्ण करा पकराशमय) पश्रीतराम्बर हबजलश्री कगो लजरानप्रे वरालरा ररा। पप्रेट पर सपुदमं र तश्रीन
रप्रेखराएहूँ (हत्रवलश्री) रहीं। नराहभ ऐसश्री मनगोहर रश्री, मरानगो यमपुनराजश्री कप्रे भहूँवरर ककी छहब कगो छश्रीनप्रे लप्रेतश्री
हगो॥147॥
चरौपराई :
* पद रराजश्रीव बरहन नहहमं जराहहीं। मपुहन मन मधपुप बसहहमं जप्रेन्ह मराहहीं॥
बराम भराग सगोभहत अनपुकपूलरा। आहदसहक्त छहबहनहध जगमपूलरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हजनममें मपुहनयर कप्रे मन रूपश्री भजौंरप्रे बसतप्रे हमैं, भगवरान कप्रे उन चररकमलर करा तगो वरर्णन हश्री
नहहीं हकयरा जरा सकतरा। भगवरान कप्रे बराएहूँ भराग ममें सदरा अनपुकपूल रहनप्रे वरालश्री, शगोभरा ककी रराहश जगत
ककी मपूलकरारर रूपरा आहद शहक्त शश्री जरानककीजश्री सपुशगोहभत हमैं॥1॥
*जरासपु अमंस उपजहहमं गपुनखरानश्री। अगहनत लहच्छ उमरा ब्रहरानश्री॥
भमृकपुहट हबलरास जरासपु जग हगोई। रराम बराम हदहस सश्रीतरा सगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे अमंश सप्रे गपुरर ककी खरान अगहरत लक्ष्मश्री, परावर्णतश्री और ब्रहरारश्री (हत्रदप्रेवर ककी
शहक्तयराहूँ) उत्पन्न हगोतश्री हमैं तररा हजनककी भजौंह कप्रे इशरारप्रे सप्रे हश्री जगत ककी रचनरा हगो जरातश्री हहै, वहश्री
(भगवरान ककी स्वरूपरा शहक्त) शश्री सश्रीतराजश्री शश्री ररामचन्दजश्री ककी बराई मं ओर हस्रत हमैं॥2॥
*छहबसमपुद हरर रूप हबलगोककी। एकटक रहप्रे नयन पट रगोककी॥
हचतवहहमं सरादर रूप अनपूपरा। तमृहप्त न मरानहहमं मनपु सतरूपरा॥3॥
भरावरारर्ण:-शगोभरा कप्रे समपुद शश्री हरर कप्रे रूप कगो दप्रेखकर मनपु-शतरूपरा नप्रेत्रर कप्रे पट (पलकमें ) रगोकप्रे हह ए
एकटक (स्तब्ध) रह गए। उस अनपुपम रूप कगो वप्रे आदर सहहत दप्रेख रहप्रे रप्रे और दप्रेखतप्रे -दप्रेखतप्रे
अघरातप्रे हश्री न रप्रे॥3॥
* हरष हबबस तन दसरा भपुलरानश्री। परप्रे दमंड इव गहह पद परानश्री॥
हसर परसप्रे पभपु हनज कर कमंजरा। तपुरत उठराए करनरापपुमंजरा॥4॥
भरावरारर्ण:-आनमंद कप्रे अहधक वश ममें हगो जरानप्रे कप्रे करारर उन्हमें अपनप्रे दप्रेह ककी सपुहध भपूल गई। वप्रे हरारर
सप्रे भगवरान कप्रे चरर पकडकर दण्ड ककी तरह (सश्रीधप्रे) भपूहम पर हगर पडप्रे। कमृ परा ककी रराहश पभपु नप्रे
अपनप्रे करकमलर सप्रे उनकप्रे मस्तकर करा स्पशर्ण हकयरा और उन्हमें तपुरमंत हश्री उठरा हलयरा॥4॥
दगोहरा :
* बगोलप्रे कमृ पराहनधरान पपुहन अहत पसन्न मगोहह जराहन।
मरागहह बर जगोइ भराव मन महरादराहन अनपुमराहन॥148॥
भरावरारर्ण:-हफिर कमृ पराहनधरान भगवरान बगोलप्रे- मपुझप्रे अत्यन्त पसन्न जरानकर और बडरा भरारश्री दरानश्री
मरानकर, जगो मन कगो भराए वहश्री वर मराहूँग लगो॥148॥
चरौपराई :
* सपुहन पभपु बचन जगोरर जपुग परानश्री। धरर धश्रीरजपु बगोलश्री ममृद पु बरानश्री॥
नरार दप्रेहख पद कमल तपुम्हरारप्रे। अब पपूरप्रे सब कराम हमरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे वचन सपुनकर, दगोनर हरार जगोडकर और धश्रीरज धरकर रराजरा नप्रे कगोमल वरारश्री
कहश्री- हप्रे नरार! आपकप्रे चररकमलर कगो दप्रेखकर अब हमरारश्री सरारश्री मनद्धाःकरामनराएहूँ पपूरश्री हगो गई ॥मं 1॥
* एक लरालसरा बहड उर मराहहीं। सपुगम अगम कहह जराहत सगो नराहहीं॥
तपुम्हहह दप्रेत अहत सपुगम गगोसराई।मं अगम लराग मगोहह हनज कमृ पनराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर भश्री मन ममें एक बडश्री लरालसरा हहै। उसकरा पपूररा हगोनरा सहज भश्री हहै और अत्यन्त कहठन
भश्री, इसश्री सप्रे उसप्रे कहतप्रे नहहीं बनतरा। हप्रे स्वरामश्री! आपकप्रे हलए तगो उसकरा पपूररा करनरा बहह त सहज
हहै, पर मपुझप्रे अपनश्री कमृ परतरा (दश्रीनतरा) कप्रे करारर वह अत्यन्त कहठन मरालपूम हगोतरा हहै॥2॥
* जररा दररद हबबपुधतर पराई। बहह समंपहत मरागत सकपु चराई॥
तरासपु पभराउ जरान नहहमं सगोई। तररा हृदयहूँ मम समंसय हगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे कगोई दररद कल्पवमृक्ष कगो पराकर भश्री अहधक दव्य मराहूँगनप्रे ममें समंकगोच करतरा हहै , क्यरहक
वह उसकप्रे पभराव कगो नहहीं जरानतरा, वहैसप्रे हश्री मप्रेरप्रे हृदय ममें समंशय हगो रहरा हहै॥3॥
* सगो तपुम्ह जरानहह अमंतरजरामश्री। पपुरवहह मगोर मनगोरर स्वरामश्री॥
सकपु च हबहराइ मरागपु नमृप मगोहश्री। मगोरमें नहहमं अदप्रेय कछपु तगोहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! आप अन्तरयरामश्री हमैं, इसहलए उसप्रे जरानतप्रे हश्री हमैं। मप्रेररा वह मनगोरर पपूररा
ककीहजए। (भगवरान नप्रे कहरा-) हप्रे रराजनम! समंकगोच छगोडकर मपुझसप्रे मराहूँगगो। तपुम्हमें न दप्रे सकपूहूँ ऐसरा मप्रेरप्रे
परास कपु छ भश्री नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
*दराहन हसरगोमहन कमृ पराहनहध नरार कहउहूँ सहतभराउ।
चराहउहूँ तपुम्हहह समरान सपुत पभपु सन कवन दरपु राउ॥149॥
भरावरारर्ण:-(रराजरा नप्रे कहरा-) हप्रे दराहनयर कप्रे हशरगोमहर! हप्रे कमृ पराहनधरान! हप्रे नरार! ममैं अपनप्रे मन करा
सचरा भराव कहतरा हह हूँ हक ममैं आपकप्रे समरान पपुत्र चराहतरा हह।हूँ पभपु सप्रे भलरा क्यरा हछपरानरा! ॥149॥
चरौपराई :
* दप्रेहख पश्रीहत सपुहन बचन अमगोलप्रे। एवमस्तपु करनराहनहध बगोलप्रे॥
आपपु सररस खगोजजौं कहहूँ जराई। नमृप तव तनय हगोब ममैं आई॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा ककी पश्रीहत दप्रेखकर और उनकप्रे अमपूल्य वचन सपुनकर कररराहनधरान भगवरान बगोलप्रे-
ऐसरा हश्री हगो। हप्रे रराजनम! ममैं अपनप्रे समरान (दस पू ररा) कहराहूँ जराकर खगोजपूहूँ! अतद्धाः स्वयमं हश्री आकर
तपुम्हराररा पपुत्र बनपूहूँगरा॥1॥
* सतरूपहहमं हबलगोहक कर जगोरमें। दप्रेहब मरागपु बर जगो रहच तगोरमें॥
जगो बर नरार चतपुर नमृप मरागरा। सगोइ कमृ पराल मगोहह अहत हपय लरागरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शतरूपराजश्री कगो हरार जगोडप्रे दप्रेखकर भगवरान नप्रे कहरा- हप्रे दप्रेवश्री! तपुम्हरारश्री जगो इच्छरा हगो, सगो
वर मराहूँग लगो। (शतरूपरा नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! चतपुर रराजरा नप्रे जगो वर मराहूँगरा, हप्रे कमृ परालपु! वह मपुझप्रे
बहह त हश्री हपय लगरा,॥2॥
* पभपु परमंतपु सपुहठ हगोहत हढठराई। जदहप भगत हहत तपुम्हहह सगोहराई॥
तपुम्ह ब्रहराहद जनक जग स्वरामश्री। ब्रह सकल उर अमंतरजरामश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-परमंतपु हप्रे पभपु! बहह त हढठराई हगो रहश्री हहै, यद्यहप हप्रे भक्तर करा हहत करनप्रे वरालप्रे! वह हढठराई
भश्री आपकगो अच्छश्री हश्री लगतश्री हहै। आप ब्रहरा आहद कप्रे भश्री हपतरा (उत्पन्न करनप्रे वरालप्रे), जगत कप्रे
स्वरामश्री और सबकप्रे हृदय कप्रे भश्रीतर ककी जराननप्रे वरालप्रे ब्रह हमैं॥3॥
* अस समपुझत मन समंसय हगोई। कहरा जगो पभपु पवरान पपुहन सगोई॥
जप्रे हनज भगत नरार तव अहहहीं। जगो सपुख परावहहमं जगो गहत लहहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा समझनप्रे पर मन ममें समंदप्रेह हगोतरा हहै, हफिर भश्री पभपु नप्रे जगो कहरा वहश्री पमरार (सत्य) हहै।
(ममैं तगो यह मराहूँगतश्री हह हूँ हक) हप्रे नरार! आपकप्रे जगो हनज जन हमैं, वप्रे जगो (अलरौहकक, अखमंड) सपुख
परातप्रे हमैं और हजस परम गहत कगो पराप्त हगोतप्रे हमैं-॥4॥
दगोहरा :
* सगोइ सपुख सगोइ गहत सगोइ भगहत सगोइ हनज चरन सनप्रेहह।
सगोइ हबबप्रेक सगोइ रहहन पभपु हमहह कमृ परा करर दप्रेहह॥150॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! वहश्री सपुख, वहश्री गहत, वहश्री भहक्त, वहश्री अपनप्रे चररर ममें पप्रेम, वहश्री जरान और
वहश्री रहन-सहन कमृ परा करकप्रे हममें दश्रीहजए॥150॥
चरौपराई :
* सपुहन ममृदपु गपूढ रहचर बर रचनरा। कमृ पराहसमंधपु बगोलप्रे ममृद पु बचनरा॥
जगो कछपु रहच तपुम्हरप्रे मन मराहहीं। ममैं सगो दश्रीन्ह सब समंसय नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(ररानश्री ककी) कगोमल, गपूढ और मनगोहर शप्रेष वराक्य रचनरा सपुनकर कमृ परा कप्रे समपुद भगवरान
कगोमल वचन बगोलप्रे- तपुम्हरारप्रे मन ममें जगो कपु छ इच्छरा हहै, वह सब ममैंनप्रे तपुमकगो हदयरा, इसममें कगोई समंदप्रेह
न समझनरा॥1॥
*मरातपु हबबप्रेक अलरौहकक तगोरमें। कबहह हूँ न हमहटहह अनपुगह मगोरमें॥
बमंहद चरन मनपु कहप्रेउ बहगोरश्री। अवर एक हबनतश्री पभपु मगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! मप्रेरश्री कमृ परा सप्रे तपुम्हराररा अलरौहकक जरान कभश्री नष्टि न हगोगरा। तब मनपु नप्रे भगवरान कप्रे
चररर ककी वमंदनरा करकप्रे हफिर कहरा- हप्रे पभपु! मप्रेरश्री एक हवनतश्री और हहै-॥2॥
* सपुत हबषइक तव पद रहत हगोऊ। मगोहह बड मपूढ कहप्रे हकन कगोऊ॥
महन हबनपु फिहन हजहम जल हबनपु मश्रीनरा। मम जश्रीवन हतहम तपुम्हहह अधश्रीनरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे चररर ममें मप्रेरश्री वहैसश्री हश्री पश्रीहत हगो जहैसश्री पपुत्र कप्रे हलए हपतरा ककी हगोतश्री हहै, चराहप्रे मपुझप्रे
कगोई बडरा भरारश्री मपूखर्ण हश्री क्यर न कहप्रे। जहैसप्रे महर कप्रे हबनरा सराहूँप और जल कप्रे हबनरा मछलश्री (नहहीं रह
सकतश्री), वहैसप्रे हश्री मप्रेररा जश्रीवन आपकप्रे अधश्रीन रहप्रे (आपकप्रे हबनरा न रह सकप्रे )॥3॥
* अस बर मराहग चरन गहह रहप्रेऊ। एवमस्तपु करनराहनहध कहप्रेऊ॥
अब तपुम्ह मम अनपुसरासन मरानश्री। बसहह जराइ सपुरपहत रजधरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा वर मराहूँगकर रराजरा भगवरान कप्रे चरर पकडप्रे रह गए। तब दयरा कप्रे हनधरान भगवरान नप्रे
कहरा- ऐसरा हश्री हगो। अब तपुम मप्रेरश्री आजरा मरानकर दप्रेवरराज इन्द ककी रराजधरानश्री (अमररावतश्री) ममें
जराकर वरास करगो॥4॥
सगोरठरा :
* तहहूँ करर भगोग हबसराल तरात गएहूँ कछपु कराल पपुहन।
हगोइहहह अवध भपुआल तब ममैं हगोब तपुम्हरार सपुत॥151॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! वहराहूँ (स्वगर्ण कप्रे ) बहह त सप्रे भगोग भगोगकर, कपु छ कराल बश्रीत जरानप्रे पर, तपुम अवध
कप्रे रराजरा हरगप्रे। तब ममैं तपुम्हराररा पपुत्र हगोऊहूँगरा॥151॥
चरौपराई :
*इच्छरामय नरबप्रेष सहूँवरारमें। हगोइहउहूँ पगट हनकप्रे त तपुम्हरारमें॥
अमंसन्ह सहहत दप्रेह धरर तरातरा। कररहउहूँ चररत भगत सपुखदरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-इच्छराहनहमर्णत मनपुष्य रूप सजकर ममैं तपुम्हरारप्रे घर पकट हगोऊहूँगरा। हप्रे तरात ! ममैं अपनप्रे अमंशर
सहहत दप्रेह धरारर करकप्रे भक्तर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे चररत्र करूहूँगरा॥1॥
* जप्रे सपुहन सरादर नर बडभरागश्री। भव तररहहहमं ममतरा मद त्यरागश्री॥
आहदसहक्त जप्रेहहमं जग उपजरायरा। सगोउ अवतररहह मगोरर यह मरायरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजन (चररत्रर) कगो बडप्रे भराग्यशरालश्री मनपुष्य आदरसहहत सपुनकर, ममतरा और मद
त्यरागकर, भवसरागर सप्रे तर जराएहूँगप्रे। आहदशहक्त यह मप्रेरश्री (स्वरूपभपूतरा) मरायरा भश्री, हजसनप्रे जगत
कगो उत्पन्न हकयरा हहै, अवतरार लप्रेगश्री॥2॥
* पपुरउब ममैं अहभलराष तपुम्हराररा। सत्य सत्य पन सत्य हमराररा॥
पपुहन पपुहन अस कहह कमृ पराहनधरानरा। अमंतरधरान भए भगवरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार ममैं तपुम्हरारश्री अहभलराषरा पपूरश्री करूहूँगरा। मप्रेररा पर सत्य हहै , सत्य हहै, सत्य हहै।
कमृ पराहनधरान भगवरान बरार-बरार ऐसरा कहकर अन्तरधरान हगो गए॥3॥
* दमंपहत उर धरर भगत कमृ परालरा। तप्रेहहमं आशम हनवसप्रे कछपु करालरा॥
समय पराइ तनपु तहज अनयरासरा। जराइ ककीन्ह अमररावहत बरासरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे स्त्रश्री-पपुरष (रराजरा-ररानश्री) भक्तर पर कमृ परा करनप्रे वरालप्रे भगवरान कगो हृदय ममें धरारर करकप्रे
कपु छ कराल तक उस आशम ममें रहप्रे। हफिर उन्हरनप्रे समय पराकर, सहज हश्री (हबनरा हकसश्री कष्टि कप्रे )
शरश्रीर छगोडकर, अमररावतश्री (इन्द ककी पपुरश्री) ममें जराकर वरास हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* यह इहतहरास पपुनश्रीत अहत उमहह कहश्री बमृषकप्रे तपु।
भरदराज सपुनपु अपर पपुहन रराम जनम कर हप्रेतपु॥ 152॥
भरावरारर्ण:-(यराजवल्क्यजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भरदराज! इस अत्यन्त पहवत्र इहतहरास कगो हशवजश्री नप्रे
पू ररा करारर सपुनगो॥152॥
परावर्णतश्री सप्रे कहरा ररा। अब शश्रीरराम कप्रे अवतरार लप्रेनप्रे करा दस
मरासपराररायर, पराहूँचवराहूँ हवशराम
पतरापभरानपु ककी कररा
चरौपराई :
* सपुनपु मपुहन कररा पपुनश्रीत पपुररानश्री। जगो हगररजरा पहत समंभपु बखरानश्री॥
हबस्व हबहदत एक कहै कय दप्रेसपू। सत्यकप्रे तपु तहहूँ बसइ नरप्रेसपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! वह पहवत्र और पराचश्रीन कररा सपुनगो, जगो हशवजश्री नप्रे परावर्णतश्री सप्रे कहश्री रश्री। समंसरार ममें
पहसद एक कहै कय दप्रेश हहै। वहराहूँ सत्यकप्रे तपु नराम करा रराजरा रहतरा (रराज्य करतरा) ररा॥1॥
* धरम धपुरमंधर नश्रीहत हनधरानरा। तप्रेज पतराप सश्रील बलवरानरा॥
तप्रेहह कमें भए जपुगल सपुत बश्रीररा। सब गपुन धराम महरा रनधश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वह धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालरा, नश्रीहत ककी खरान, तप्रेजस्वश्री, पतरापश्री, सपुशश्रील
और बलवरान ररा, उसकप्रे दगो वश्रीर पपुत्र हहए, जगो सब गपुरर कप्रे भमंडरार और बडप्रे हश्री ररधश्रीर रप्रे॥2॥
* रराज धनश्री जगो जप्रेठ सपुत आहश्री। नराम पतरापभरानपु अस तराहश्री॥
अपर सपुतहह अररमदर्णन नरामरा। भपुजबल अतपुल अचल समंगरामरा॥3॥
भरावरारर्ण:-रराज्य करा उररराहधकरारश्री जगो बडरा लडकरा ररा, उसकरा नराम पतरापभरानपु ररा। दस पू रप्रे पपुत्र करा
नराम अररमदर्णन ररा, हजसककी भपुजराओमं ममें अपरार बल ररा और जगो यद पु ममें (पवर्णत कप्रे समरान) अटल
रहतरा ररा॥3॥
* भराइहह भराइहह परम समश्रीतश्री। सकल दगोष छल बरहजत पश्रीतश्री॥
जप्रेठप्रे सपुतहह रराज नमृप दश्रीन्हरा। हरर हहत आपपु गवन बन ककीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-भराई-भराई ममें बडरा मप्रेल और सब पकरार कप्रे दगोषर और छलर सप्रे रहहत (सचश्री) पश्रीहत रश्री।
रराजरा नप्रे जप्रेठप्रे पपुत्र कगो रराज्य दप्रे हदयरा और आप भगवरान (कप्रे भजन) कप्रे हलए वन कगो चल हदए॥4॥
दगोहरा :
* जब पतरापरहब भयउ नमृप हफिरश्री दगोहराई दप्रेस।
पजरा पराल अहत बप्रेदहबहध कतहह हूँ नहहीं अघ लप्रेस॥153॥
भरावरारर्ण:-जब पतरापभरानपु रराजरा हहआ, दप्रेश ममें उसककी दहपु राई हफिर गई। वह वप्रेद ममें बतराई हहई हवहध कप्रे
अनपुसरार उरम रश्रीहत सप्रे पजरा करा परालन करनप्रे लगरा। उसकप्रे रराज्य ममें पराप करा कहहीं लप्रेश भश्री नहहीं रह
गयरा॥153॥
चरौपराई :
* नमृप हहतकरारक सहचव सयरानरा। नराम धरमरहच सपुक समरानरा॥
सहचव सयरान बमंधपु बलबश्रीररा। आपपु पतरापपपुमंज रनधश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा करा हहत करनप्रे वरालरा और शपुकराचरायर्ण कप्रे समरान बपुहदमरान धमर्णरहच नरामक उसकरा
ममंत्रश्री ररा। इस पकरार बपुहदमरान ममंत्रश्री और बलवरान तररा वश्रीर भराई कप्रे सरार हश्री स्वयमं रराजरा भश्री बडरा
पतरापश्री और ररधश्रीर ररा॥1॥
* सप्रेन समंग चतपुरमंग अपराररा। अहमत सपुभट सब समर जपुझराररा॥
सप्रेन हबलगोहक रराउ हरषरानरा। अर बराजप्रे गहगहप्रे हनसरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सरार ममें अपरार चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा रश्री, हजसममें असमंख्य यगोदरा रप्रे, जगो सब कप्रे सब रर ममें
जपूझ मरनप्रे वरालप्रे रप्रे। अपनश्री सप्रेनरा कगो दप्रेखकर रराजरा बहह त पसन्न हह आ और घमराघम नगराडप्रे बजनप्रे
लगप्रे॥2॥
* हबजय हप्रेतपु कटकई बनराई। सपुहदन सराहध नमृप चलप्रेउ बजराई॥
जहहूँ तहहूँ परहीं अनप्रेक लरराई।मं जश्रीतप्रे सकल भपूप बररआई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-हदहग्वजय कप्रे हलए सप्रेनरा सजराकर वह रराजरा शपुभ हदन (मपुहहतर्ण) सराधकर और डमंकरा
बजराकर चलरा। जहराहूँ-तहराहूँ बहह तसश्री लडराइयराहूँ हह ई।मं उसनप्रे सब रराजराओमं कगो बलपपूवर्णक जश्रीत हलयरा॥3॥
* सप्त दश्रीप भपुजबल बस ककीन्हप्रे। लहै लहै दमंड छराहड नमृप दश्रीन्हप्रे॥
सकल अवहन ममंडल तप्रेहह करालरा। एक पतरापभरानपु महहपरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे उसनप्रे सरातर दश्रीपर (भपूहमखण्डर) कगो वश ममें कर हलयरा और
रराजराओमं सप्रे दमंड (कर) लप्रे-लप्रेकर उन्हमें छगोड हदयरा। सम्पपूरर्ण पमृथ्वश्री ममंडल करा उस समय पतरापभरानपु
हश्री एकमरात्र (चकवतर) रराजरा ररा॥4॥
दगोहरा :
* स्वबस हबस्व करर बराहहबल हनज पपुर ककीन्ह पबप्रेसपु।
अरर धरम करामराहद सपुख सप्रेवइ समयहूँ नरप्रेसपु॥154॥
भरावरारर्ण:-समंसरारभर कगो अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे वश ममें करकप्रे रराजरा नप्रे अपनप्रे नगर ममें पवप्रेश
हकयरा। रराजरा अरर्ण, धमर्ण और कराम आहद कप्रे सपुखर करा समयरानपुसरार सप्रेवन करतरा ररा॥154॥
चरौपराई :
* भपूप पतरापभरानपु बल पराई। करामधप्रेनपु भहै भपूहम सपुहराई॥
सब दख पु बरहजत पजरा सपुखरारश्री। धरमसश्रील सपुदमं र नर नरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा पतरापभरानपु करा बल पराकर भपूहम सपुदमं र करामधप्रेनपु (मनचराहश्री वस्तपु दप्रेनप्रे वरालश्री) हगो गई।
(उनकप्रे रराज्य ममें) पजरा सब (पकरार कप्रे ) दद्धाःपु खर सप्रे रहहत और सपुखश्री रश्री और सभश्री स्त्रश्री-पपुरष
सपुमंदर और धमरार्णत्मरा रप्रे॥1॥
* सहचव धरमरहच हरर पद पश्रीतश्री। नमृप हहत हप्रेतपु हसखव हनत नश्रीतश्री॥
गपुर सपुर समंत हपतर महहदप्रेवरा। करइ सदरा नमृप सब कहै सप्रेवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-धमर्णरहच ममंत्रश्री करा शश्री हरर कप्रे चररर ममें पप्रेम ररा। वह रराजरा कप्रे हहत कप्रे हलए सदरा उसकगो
नश्रीहत हसखरायरा करतरा ररा। रराजरा गपुर, दप्रेवतरा, समंत, हपतर और ब्रराहर- इन सबककी सदरा सप्रेवरा
करतरा रहतरा ररा॥2॥
*भपूप धरम जप्रे बप्रेद बखरानप्रे। सकल करइ सरादर सपुख मरानप्रे॥
हदन पहत दप्रेइ हबहबध हबहध दरानरा। सपुनइ सरास्त्र बर बप्रेद पपुररानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर ममें रराजराओमं कप्रे जगो धमर्ण बतराए गए हमैं, रराजरा सदरा आदरपपूवर्णक और सपुख मरानकर उन
सबकरा परालन करतरा ररा। पहतहदन अनप्रेक पकरार कप्रे दरान दप्रेतरा और उरम शरास्त्र, वप्रेद और पपुररार
सपुनतरा ररा॥3॥
* नरानरा बरापहीं कपू प तडरागरा। सपुमन बराहटकरा सपुदमं र बरागरा॥
हबपभवन सपुरभवन सपुहराए। सब तश्रीररन्ह हवहचत्र बनराए॥4॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे बहह त सश्री बरावहलयराहूँ, कपु एहूँ, तरालराब, फिपु लवराहडयराहूँ सपुमंदर बगश्रीचप्रे, ब्रराहरर कप्रे हलए
घर और दप्रेवतराओमं कप्रे सपुमंदर हवहचत्र ममंहदर सब तश्रीरर्मों ममें बनवराए॥4॥
दगोहरा :
* जहहूँ लहज कहप्रे पपुररान शपुहत एक एक सब जराग।
बरार सहस्र सहस्र नमृप हकए सहहत अनपुरराग॥155॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद और पपुररारर ममें हजतनप्रे पकरार कप्रे यज कहप्रे गए हमैं, रराजरा नप्रे एक-एक करकप्रे उन सब
यजर कगो पप्रेम सहहत हजरार-हजरार बरार हकयरा॥155॥
चरौपराई :
* हृदयहूँ न कछपु फिल अनपुसमंधरानरा। भपूप हबबप्रेककी परम सपुजरानरा॥
करइ जप्रे धरम करम मन बरानश्री। बरासपुदप्रेव अहपर्णत नमृप ग्यरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(रराजरा कप्रे ) हृदय ममें हकसश्री फिल ककी टगोह (करामनरा) न रश्री। रराजरा बडरा हश्री बपुहदमरान और
जरानश्री ररा। वह जरानश्री रराजरा कमर्ण, मन और वरारश्री सप्रे जगो कपु छ भश्री धमर्ण करतरा ररा, सब भगवरान
वरासदपु प्रेव कगो अहपर्णत करतप्रे रहतरा ररा॥1॥
* चहढ बर बराहज बरार एक रराजरा। ममृगयरा कर सब सराहज समराजरा॥
हबमंध्यराचल गभश्रीर बन गयऊ। ममृग पपुनश्रीत बहह मरारत भयऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार वह रराजरा एक अच्छप्रे घगोडप्रे पर सवरार हगोकर, हशकरार करा सब सरामरान सजराकर
हवमंध्यराचल कप्रे घनप्रे जमंगल ममें गयरा और वहराहूँ उसनप्रे बहह त सप्रे उरम-उरम हहरन मरारप्रे॥2॥
* हफिरत हबहपन नमृप दश्रीख बरराहह। जनपु बन दरपु प्रेउ सहसहह गहस रराहह॥
बड हबधपु नहहमं समरात मपुख मराहहीं। मनहह हूँ कगोध बस उहगलत नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे वन ममें हफिरतप्रे हह ए एक सपूअर कगो दप्रेखरा। (दराहूँतर कप्रे करारर वह ऐसरा हदख पडतरा
ररा) मरानगो चन्दमरा कगो गसकर (मपुहूँह ममें पकडकर) रराहह वन ममें आ हछपरा हगो। चन्दमरा बडरा हगोनप्रे सप्रे
उसकप्रे मपुहूँह ममें समरातरा नहहीं हहै और मरानगो कगोधवश वह भश्री उसप्रे उगलतरा नहहीं हहै॥ 3॥
* कगोल करराल दसन छहब गराई। तनपु हबसराल पश्रीवर अहधकराई॥
घपुरघपुररात हय आररौ पराएहूँ। चहकत हबलगोकत करान उठराएहूँ॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यह तगो सपूअर कप्रे भयरानक दराहूँतर ककी शगोभरा कहश्री गई। (इधर) उसकरा शरश्रीर भश्री बहह त
हवशराल और मगोटरा ररा। घगोडप्रे ककी आहट पराकर वह घपुरघपुररातरा हहआ करान उठराए चरौकन्नरा हगोकर दप्रेख
रहरा ररा॥4॥
दगोहरा :
* नश्रील महश्रीधर हसखर सम दप्रेहख हबसराल बरराहह।
चपरर चलप्रेउ हय सपुटपुहक नमृप हराहूँहक न हगोइ हनबराहह॥156॥
भरावरारर्ण:-नश्रील पवर्णत कप्रे हशखर कप्रे समरान हवशराल (शरश्रीर वरालप्रे) उस सपूअर कगो दप्रेखकर रराजरा घगोडप्रे
कगो चराबपुक लगराकर तप्रेजश्री सप्रे चलरा और उसनप्रे सपूअर कगो ललकराररा हक अब तप्रेररा बचराव नहहीं हगो
सकतरा॥156॥
चरौपराई :
* आवत दप्रेहख अहधक रव बराजश्री। चलप्रेउ बरराह मरत गहत भराजश्री॥
तपुरत ककीन्ह नमृप सर समंधरानरा। महह हमहल गयउ हबलगोकत बरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अहधक शब्द करतप्रे हह ए घगोडप्रे कगो (अपनश्री तरफि) आतरा दप्रेखकर सपूअर पवन वप्रेग सप्रे भराग
चलरा। रराजरा नप्रे तपुरमंत हश्री बरार कगो धनपुष पर चढरायरा। सपूअर बरार कगो दप्रेखतप्रे हश्री धरतश्री ममें द बपु क गयरा॥
1॥
* तहक तहक तश्रीर महश्रीस चलरावरा। करर छल सपुअर सरश्रीर बचरावरा॥
पगटत दरपु त जराइ ममृग भरागरा। ररस बस भपूप चलप्रेउ सहूँग लरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा तक-तककर तश्रीर चलरातरा हहै, परन्तपु सपूअर छल करकप्रे शरश्रीर कगो बचरातरा जरातरा हहै।
वह पशपु कभश्री पकट हगोतरा और कभश्री हछपतरा हहआ भराग जरातरा ररा और रराजरा भश्री कगोध कप्रे वश
उसकप्रे सरार (पश्रीछप्रे) लगरा चलरा जरातरा ररा॥2॥
* गयउ दरपू र घन गहन बरराहह। जहहूँ नराहहन गज बराहज हनबराहह॥
अहत अकप्रे ल बन हबपपुल कलप्रेसपू। तदहप न ममृग मग तजइ नरप्रेसपू॥3॥
भरावरारर्ण:-सपूअर बहह त दरपू ऐसप्रे घनप्रे जमंगल ममें चलरा गयरा, जहराहूँ हरारश्री-घगोडप्रे करा हनबराह (गमन) नहहीं
ररा। रराजरा हबलकपु ल अकप्रे लरा ररा और वन ममें कप्रे श भश्री बहह त ररा, हफिर भश्री रराजरा नप्रे उस पशपु करा पश्रीछरा
नहहीं छगोडरा॥3॥
* कगोल हबलगोहक भपूप बड धश्रीररा। भराहग पहैठ हगररगपुहराहूँ गभश्रीररा॥
अगम दप्रेहख नमृप अहत पहछतराई। हफिरप्रेउ महराबन परप्रेउ भपुलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो बडरा धहैयर्णवरान दप्रेखकर, सपूअर भरागकर पहराड ककी एक गहरश्री गपुफिरा ममें जरा घपुसरा।
उसममें जरानरा कहठन दप्रेखकर रराजरा कगो बहह त पछतराकर लरौटनरा पडरा, पर उस घगोर वन ममें वह
ररास्तरा भपूल गयरा॥4॥
दगोहरा :
*खप्रेद हखन्न छपु हदत तमृहषत रराजरा बराहज समप्रेत।
खगोजत ब्यराकपुल सररत सर जल हबनपु भयउ अचप्रेत॥157॥
भरावरारर्ण:-बहह त पररशम करनप्रे सप्रे रकरा हहआ और घगोडप्रे समप्रेत भपूख-प्यरास सप्रे व्यराकपुल रराजरा नदश्री-
तरालराब खगोजतरा-खगोजतरा परानश्री हबनरा बप्रेहराल हगो गयरा॥157॥
चरौपराई :
* हफिरत हबहपन आशम एक दप्रेखरा। तहहूँ बस नमृपहत कपट मपुहनबप्रेषरा॥
जरासपु दप्रेस नमृप लश्रीन्ह छडराई। समर सप्रेन तहज गयउ परराई॥1॥
भरावरारर्ण:- वन ममें हफिरतप्रे-हफिरतप्रे उसनप्रे एक आशम दप्रेखरा, वहराहूँ कपट सप्रे मपुहन करा वप्रेष बनराए एक
रराजरा रहतरा ररा, हजसकरा दप्रेश रराजरा पतरापभरानपु नप्रे छश्रीन हलयरा ररा और जगो सप्रेनरा कगो छगोडकर य द पु
सप्रे भराग गयरा ररा॥1॥
* समय पतरापभरानपु कर जरानश्री। आपन अहत असमय अनपुमरानश्री॥
गयउ न गमृह मन बहह त गलरानश्री। हमलरा न रराजहह नमृप अहभमरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-पतरापभरानपु करा समय (अच्छप्रे हदन) जरानकर और अपनरा कपु समय (बपुरप्रे हदन)
अनपुमरानकर उसकप्रे मन ममें बडश्री ग्लराहन हह ई। इससप्रे वह न तगो घर गयरा और न अहभमरानश्री हगोनप्रे कप्रे
करारर रराजरा पतरापभरानपु सप्रे हश्री हमलरा (मप्रेल हकयरा)॥2॥
* ररस उर मरारर रमंक हजहम रराजरा। हबहपन बसइ तरापस कमें सराजरा॥
तरासपु समश्रीप गवन नमृप ककीन्हरा। यह पतरापरहब तप्रेहहमं तब चश्रीन्हरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दररद ककी भराहूँहत मन हश्री ममें कगोध कगो मरारकर वह रराजरा तपस्वश्री कप्रे वप्रेष ममें वन ममें रहतरा ररा।
रराजरा (पतरापभरानपु) उसश्री कप्रे परास गयरा। उसनप्रे तपुरमंत पहचरान हलयरा हक यह पतरापभरानपु हहै॥ 3॥
* रराउ तमृहषत नहहमं सगो पहहचरानरा। दप्रेहख सपुबषप्रे महरामपुहन जरानरा॥
उतरर तपुरग तमें ककीन्ह पनरामरा। परम चतपुर न कहप्रेउ हनज नरामरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा प्यरासरा हगोनप्रे कप्रे करारर (व्यराकपुलतरा ममें) उसप्रे पहचरान न सकरा। सपुदमं र वप्रेष दप्रेखकर
रराजरा नप्रे उसप्रे महरामपुहन समझरा और घगोडप्रे सप्रे उतरकर उसप्रे परराम हकयरा, परन्तपु बडरा चतपुर हगोनप्रे कप्रे
करारर रराजरा नप्रे उसप्रे अपनरा नराम नहहीं बतरायरा॥4॥
दगोहरा :
* भपूपहत तमृहषत हबलगोहक तप्रेहहमं सरबरू दश्रीन्ह दप्रेखराइ।
मजन परान समप्रेत हय ककीन्ह नमृपहत हरषराइ॥158॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो प्यरासरा दप्रेखकर उसनप्रे सरगोवर हदखलरा हदयरा। हहषर्णत हगोकर रराजरा नप्रे घगोडप्रे सहहत
उसममें स्नरान और जलपरान हकयरा॥158॥
चरौपराई :
* गहै शम सकल सपुखश्री नमृप भयऊ। हनज आशम तरापस लहै गयऊ॥
आसन दश्रीन्ह अस्त रहब जरानश्री। पपुहन तरापस बगोलप्रेउ ममृद पु बरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सरारश्री रकरावट हमट गई, रराजरा सपुखश्री हगो गयरा। तब तपस्वश्री उसप्रे अपनप्रे आशम ममें लप्रे गयरा
और सपूयरार्णस्त करा समय जरानकर उसनप्रे (रराजरा कगो बहैठनप्रे कप्रे हलए) आसन हदयरा। हफिर वह तपस्वश्री
कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलरा- ॥1॥
*कगो तपुम्ह कस बन हफिरहह अकप्रे लमें। सपुदमं र जपुबरा जश्रीव परहप्रेलमें॥
चकबहतर्ण कप्रे लच्छन तगोरमें। दप्रेखत दयरा लराहग अहत मगोरमें॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम करौन हगो? सपुमंदर यवपु क हगोकर, जश्रीवन ककी परवराह न करकप्रे वन ममें अकप्रे लप्रे क्यर हफिर
रहप्रे हगो? तपुम्हरारप्रे चकवतर रराजरा कप्रे सप्रे लक्षर दप्रेखकर मपुझप्रे बडश्री दयरा आतश्री हहै॥2॥
* नराम पतरापभरानपु अवनश्रीसरा। तरासपु सहचव ममैं सपुनहह मपुनश्रीसरा॥
हफिरत अहप्रेरमें परप्रेउहूँ भपुलराई। बडमें भराग दप्रेखप्रेउहूँ पद आई॥3॥
भरावरारर्ण:-(रराजरा नप्रे कहरा-) हप्रे मपुनश्रीश्वर! सपुहनए, पतरापभरानपु नराम करा एक रराजरा हहै, ममैं उसकरा
ममंत्रश्री हह हूँ। हशकरार कप्रे हलए हफिरतप्रे हह ए रराह भपूल गयरा हह हूँ। बडप्रे भराग्य सप्रे यहराहूँ आकर ममैंनप्रे आपकप्रे चररर
कप्रे दशर्णन पराए हमैं॥3॥
* हम कहहूँ दल पु र्णभ दरस तपुम्हराररा। जरानत हजौं कछपु भल हगोहनहराररा॥
कह मपुहन तरात भयउ अहूँहधआररा। जगोजन सररर नगर तपुम्हराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हममें आपकरा दशर्णन दल पु र्णभ ररा, इससप्रे जरान पडतरा हहै कपु छ भलरा हगोनप्रे वरालरा हहै। मपुहन नप्रे
कहरा- हप्रे तरात! अहूँधप्रेररा हगो गयरा। तपुम्हराररा नगर यहराहूँ सप्रे सरर यगोजन पर हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* हनसरा घगोर गमंभश्रीर बन पमंर न सपुनहह सपुजरान।
बसहह आजपु अस जराहन तपुम्ह जराएहह हगोत हबहरान॥159 (क)॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुजरान! सपुनगो, घगोर अहूँधप्रेरश्री ररात हहै, घनरा जमंगल हहै, ररास्तरा नहहीं हहै, ऐसरा समझकर
तपुम आज यहहीं ठहर जराओ, सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री चलप्रे जरानरा॥159 (क)॥
* तपुलसश्री जहस भवतब्यतरा तहैसश्री हमलइ सहराइ।
आपपुनपु आवइ तराहह पहहमं तराहह तहराहूँ लहै जराइ॥159(ख)॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- जहैसश्री भहवतव्यतरा (हगोनहरार) हगोतश्री हहै, वहैसश्री हश्री सहरायतरा हमल
जरातश्री हहै। यरा तगो वह आप हश्री उसकप्रे परास आतश्री हहै यरा उसकगो वहराहूँ लप्रे जरातश्री हहै॥159 (ख)॥
चरौपराई :
* भलप्रेहहमं नरार आयसपु धरर सश्रीसरा। बराहूँहध तपुरग तर बहैठ महश्रीसरा॥
नमृप बहह भराहूँहत पसमंसप्रेउ तराहश्री। चरन बमंहद हनज भराग्य सरराहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! बहह त अच्छरा, ऐसरा कहकर और उसककी आजरा हसर चढराकर, घगोडप्रे कगो वमृक्ष सप्रे
बराहूँधकर रराजरा बहैठ गयरा। रराजरा नप्रे उसककी बहह त पकरार सप्रे पशमंसरा ककी और उसकप्रे चररर ककी वमंदनरा
करकप्रे अपनप्रे भराग्य ककी सरराहनरा ककी॥1॥
* पपुहन बगोलप्रेउ ममृद पु हगररा सपुहराई। जराहन हपतरा पभपु करउहूँ हढठराई॥
मगोहह मपुनश्रीस सपुत सप्रेवक जरानश्री। नरार नराम हनज कहहह बखरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर सपुमंदर कगोमल वरारश्री सप्रे कहरा- हप्रे पभगो! आपकगो हपतरा जरानकर ममैं हढठराई करतरा हह।हूँ हप्रे
मपुनश्रीश्वर! मपुझप्रे अपनरा पपुत्र और सप्रेवक जरानकर अपनरा नराम (धराम) हवस्तरार सप्रे बतलराइए॥2॥
* तप्रेहह न जरान नमृप नमृपहह सगो जरानरा। भपूप सपुहृद सगो कपट सयरानरा॥
बहैरश्री पपुहन छत्रश्री पपुहन रराजरा। छल बल ककीन्ह चहइ हनज कराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे उसकगो नहहीं पहचरानरा, पर वह रराजरा कगो पहचरान गयरा ररा। रराजरा तगो शपुद हृदय
ररा और वह कपट करनप्रे ममें चतपुर ररा। एक तगो वहैरश्री, हफिर जराहत करा क्षहत्रय, हफिर रराजरा। वह छल-
बल सप्रे अपनरा कराम बनरानरा चराहतरा ररा॥3॥
* समपुहझ रराजसपुख दहपु खत अररातश्री। अवराहूँ अनल इव सपुलगइ छरातश्री॥
ससरल बचन नमृप कप्रे सपुहन करानरा। बयर सहूँभरारर हृदयहूँ हरषरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वह शत्रपु अपनप्रे रराज्य सपुख कगो समझ करकप्रे (स्मरर करकप्रे ) दद्धाःपु खश्री ररा। उसककी छरातश्री
(कपु म्हरार कप्रे ) आहूँवप्रे ककी आग ककी तरह (भश्रीतर हश्री भश्रीतर) सपुलग रहश्री रश्री। रराजरा कप्रे सरल वचन
करान सप्रे सपुनकर, अपनप्रे वहैर कगो यरादकर वह हृदय ममें हहषर्णत हहआ॥4॥
दगोहरा :
* कपट बगोरर बरानश्री ममृदल बगोलप्रेउ जपुगपुहत समप्रेत।
नराम हमरार हभखरारर अब हनधर्णन रहहत हनकप्रे त॥160॥
भरावरारर्ण:-वह कपट ममें डपु बगोकर बडश्री यहपु क्त कप्रे सरार कगोमल वरारश्री बगोलरा- अब हमराररा नराम हभखरारश्री
हहै, क्यरहक हम हनधर्णन और अहनकप्रे त (घर-दरारहश्रीन) हमैं॥160॥
चरौपराई :
* कह नमृप जप्रे हबग्यरान हनधरानरा। तपुम्ह सराररखप्रे गहलत अहभमरानरा॥
सदरा रहहहमं अपनपरौ दरपु राएहूँ। सब हबहध कपु सल कपु बप्रेष बनराएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे कहरा- जगो आपकप्रे सदृश हवजरान कप्रे हनधरान और सवर्णररा अहभमरानरहहत हगोतप्रे हमैं,
वप्रे अपनप्रे स्वरूप कगो सदरा हछपराए रहतप्रे हमैं, क्यरहक कपु वप्रेष बनराकर रहनप्रे ममें हश्री सब तरह करा कल्यरार
हहै (पकट समंत वप्रेश ममें मरान हगोनप्रे ककी सम्भरावनरा हहै और मरान सप्रे पतन ककी)॥1॥
* तप्रेहह तमें कहहहमं समंत शपुहत टप्रेरमें। परम अहकमंचन हपय हरर कप्रे रमें॥
तपुम्ह सम अधन हभखरारर अगप्रेहरा। हगोत हबरमंहच हसवहह समंदप्रेहरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इसश्री सप्रे तगो समंत और वप्रेद पपुकरारकर कहतप्रे हमैं हक परम अहकमं चन (सवर्णररा अहमंकरार, ममतरा
और मरानरहहत) हश्री भगवरान कगो हपय हगोतप्रे हमैं। आप सरश्रीखप्रे हनधर्णन, हभखरारश्री और गमृहहश्रीनर कगो
दप्रेखकर ब्रहरा और हशवजश्री कगो भश्री समंदहप्रे हगो जरातरा हहै (हक वप्रे वरास्तहवक समंत हमैं यरा हभखरारश्री)॥2॥
* जगोहस सगोहस तव चरन नमरामश्री। मगो पर कमृ परा कररअ अब स्वरामश्री॥
सहज पश्रीहत भपूपहत कहै दप्रेखश्री। आपपु हबषय हबस्वरास हबसप्रेषश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-आप जगो हर सगो हर (अररार्णतम जगो कगोई भश्री हर), ममैं आपकप्रे चररर ममें नमस्करार करतरा हह हूँ। हप्रे
स्वरामश्री! अब मपुझ पर कमृ परा ककीहजए। अपनप्रे ऊपर रराजरा ककी स्वराभराहवक पश्रीहत और अपनप्रे हवषय ममें
उसकरा अहधक हवश्वरास दप्रेखकर॥2॥
* सब पकरार रराजहह अपनराई। बगोलप्रेउ अहधक सनप्रेह जनराई॥
सपुनपु सहतभराउ कहउहूँ महहपरालरा। इहराहूँ बसत बश्रीतप्रे बहह करालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सब पकरार सप्रे रराजरा कगो अपनप्रे वश ममें करकप्रे , अहधक स्नप्रेह हदखरातरा हह आ वह (कपट-
तपस्वश्री) बगोलरा- हप्रे रराजनम! सपुनगो, ममैं तपुमसप्रे सत्य कहतरा हह,हूँ मपुझप्रे यहराहूँ रहतप्रे बहह त समय बश्रीत
गयरा॥4॥
दगोहरा :
* अब लहग मगोहह न हमलप्रेउ कगोउ ममैं न जनरावउहूँ कराहह।
लगोकमरान्यतरा अनल सम कर तप करानन दराहह॥161 क॥
भरावरारर्ण:-अब तक न तगो कगोई मपुझसप्रे हमलरा और न ममैं अपनप्रे कगो हकसश्री पर पकट करतरा हह हूँ,
क्यरहक लगोक ममें पहतषरा अहग्नि कप्रे समरान हहै, जगो तप रूपश्री वन कगो भस्म कर डरालतश्री हहै॥161
(क)॥
सगोरठरा :
* तपुलसश्री दप्रेहख सपुबप्रेषपु भपूलहहमं मपूढ न चतपुर नर।
सपुमंदर कप्रे हकहह पप्रेखपु बचन सपुधरा सम असन अहह॥161 ख॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- सपुमंदर वप्रेष दप्रेखकर मपूढ नहहीं (मपूढ तगो मपूढ हश्री हमैं), चतपुर मनपुष्य
भश्री धगोखरा खरा जरातप्रे हमैं। सपुदमं र मगोर कगो दप्रेखगो, उसकरा वचन तगो अममृत कप्रे समरान हहै और आहरार सराहूँप
करा हहै॥161 (ख)॥
चरौपराई :
* तरातमें गपुपपुत रहउहूँ जग मराहहीं। हरर तहज हकमहप पयगोजन नराहहीं॥
पभपु जरानत सब हबनहहमं जनराए। कहहह कवहन हसहध लगोक ररझराएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-(कपट-तपस्वश्री नप्रे कहरा-) इसश्री सप्रे ममैं जगत ममें हछपकर रहतरा हह।हूँ शश्री हरर कगो छगोडकर
हकसश्री सप्रे कपु छ भश्री पयगोजन नहहीं रखतरा। पभपु तगो हबनरा जनराए हश्री सब जरानतप्रे हमैं। हफिर कहगो समंसरार
कगो ररझरानप्रे सप्रे क्यरा हसहद हमलप्रेगश्री॥1॥
* तपुम्ह सपुहच सपुमहत परम हपय मगोरमें। पश्रीहत पतश्रीहत मगोहह पर तगोरमें॥
अब जजौं तरात दरपु रावउहूँ तगोहश्री। दरारन दगोष घटइ अहत मगोहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम पहवत्र और सपुदमं र बपुहद वरालप्रे हगो, इससप्रे मपुझप्रे बहह त हश्री प्यरारप्रे हगो और तपुम्हरारश्री भश्री मपुझ
पर पश्रीहत और हवश्वरास हहै। हप्रे तरात! अब यहद ममैं तपुमसप्रे कपु छ हछपरातरा हह हूँ, तगो मपुझप्रे बहह त हश्री भयरानक
दगोष लगप्रेगरा॥2॥
* हजहम हजहम तरापसपु करइ उदरासरा। हतहम हतहम नमृपहह उपज हबस्वरासरा॥
दप्रेखरा स्वबस कमर्ण मन बरानश्री। तब बगोलरा तरापस बगध्यरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ज्यर-ज्यर वह तपस्वश्री उदरासश्रीनतरा ककी बरातमें कहतरा ररा, त्यर हश्री त्यर रराजरा कगो हवश्वरास
उत्पन्न हगोतरा जरातरा ररा। जब उस बगपुलप्रे ककी तरह ध्यरान लगरानप्रे वरालप्रे (कपटश्री) मपुहन नप्रे रराजरा कगो
कमर्ण, मन और वचन सप्रे अपनप्रे वश ममें जरानरा, तब वह बगोलरा- ॥3॥
* नराम हमरार एकतनपु भराई। सपुहन नमृप बगोलप्रेउ पपुहन हसर नराई॥
कहहह नराम कर अरर बखरानश्री। मगोहह सप्रेवक अहत आपन जरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! हमराररा नराम एकतनपु हहै। यह सपुनकर रराजरा नप्रे हफिर हसर नवराकर कहरा- मपुझप्रे
अपनरा अत्यन्त (अनपुररागश्री) सप्रेवक जरानकर अपनप्रे नराम करा अरर्ण समझराकर कहहए॥4॥
दगोहरा :
* आहदसमृहष्टि उपजश्री जबहहमं तब उतपहत भहै मगोरर।
नराम एकतनपु हप्रेतपु तप्रेहह दप्रेह न धरश्री बहगोरर॥162॥
भरावरारर्ण:-(कपटश्री मपुहन नप्रे कहरा-) जब सबसप्रे पहलप्रे समृहष्टि उत्पन्न हह ई रश्री, तभश्री मप्रेरश्री उत्पहर हहई
पू रश्री दप्रेह नहहीं धरारर ककी, इसश्री सप्रे मप्रेररा नराम एकतनपु हहै॥162॥
रश्री। तबसप्रे ममैंनप्रे हफिर दस
चरौपराई :
*जहन आचरजपु करहह मन मराहहीं। सपुत तप तमें दल पु र्णभ कछपु नराहहीं॥
तप बल तमें जग समृजइ हबधरातरा। तप बल हबष्नपु भए पररत्ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पपुत्र! मन ममें आश्चयर्ण मत करगो, तप सप्रे कपु छ भश्री दल पु र्णभ नहहीं हहै, तप कप्रे बल सप्रे ब्रहरा
जगत कगो रचतप्रे हमैं। तप कप्रे हश्री बल सप्रे हवष्रपु समंसरार करा परालन करनप्रे वरालप्रे बनप्रे हमैं॥1॥
* तपबल समंभपु करहहमं समंघराररा। तप तमें अगम न कछपु समंसराररा॥
भयउ नमृपहह सपुहन अहत अनपुररागरा। कररा पपुररातन कहहै सगो लरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तप हश्री कप्रे बल सप्रे रद समंहरार करतप्रे हमैं। समंसरार ममें कगोई ऐसश्री वस्तपु नहहीं जगो तप सप्रे न हमल
सकप्रे । यह सपुनकर रराजरा कगो बडरा अनपुरराग हह आ। तब वह (तपस्वश्री) पपुररानश्री करराएहूँ कहनप्रे लगरा॥2॥
* करम धरम इहतहरास अनप्रेकरा। करइ हनरूपन हबरहत हबबप्रेकरा॥
उदभव परालन पलय कहरानश्री। कहप्रेहस अहमत आचरज बखरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-कमर्ण, धमर्ण और अनप्रेकर पकरार कप्रे इहतहरास कहकर वह वहैरराग्य और जरान करा हनरूपर
करनप्रे लगरा। समृहष्टि ककी उत्पहर, परालन (हस्रहत) और समंहरार (पलय) ककी अपरार आश्चयर्णभरश्री
करराएहूँ उसनप्रे हवस्तरार सप्रे कहश्री॥3॥
* सपुहन महश्रीप तरापस बस भयऊ। आपन नराम कहन तब लयउ॥
कह तरापस नमृप जरानउहूँ तगोहश्री। ककीन्हप्रेहह कपट लराग भल मगोहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा सपुनकर उस तपस्वश्री कप्रे वश ममें हगो गयरा और तब वह उसप्रे अपनरा नराम बतरानप्रे लगरा।
तपस्वश्री नप्रे कहरा- रराजन ! ममैं तपुमकगो जरानतरा हह हूँ। तपुमनप्रे कपट हकयरा, वह मपुझप्रे अच्छरा लगरा॥4॥
सगोरठरा :
* सपुनपु महश्रीस अहस नश्रीहत जहहूँ तहहूँ नराम न कहहहमं नमृप।
मगोहह तगोहह पर अहत पश्रीहत सगोइ चतपुरतरा हबचरारर तव॥163॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! सपुनगो, ऐसश्री नश्रीहत हहै हक रराजरा लगोग जहराहूँ-तहराहूँ अपनरा नराम नहहीं कहतप्रे। तपुम्हरारश्री
वहश्री चतपुरराई समझकर तपुम पर मप्रेररा बडरा पप्रेम हगो गयरा हहै॥ 163॥
चरौपराई :
* नराम तपुम्हरार पतराप हदनप्रेसरा। सत्यकप्रे तपु तव हपतरा नरप्रेसरा॥
गपुर पसराद सब जराहनअ रराजरा। कहहअ न आपन जराहन अकराजरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हराररा नराम पतरापभरानपु हहै, महरारराज सत्यकप्रे तपु तपुम्हरारप्रे हपतरा रप्रे। हप्रे रराजनम! गपुर ककी कमृ परा
सप्रे ममैं सब जरानतरा हह,हूँ पर अपनश्री हराहन समझकर कहतरा नहहीं॥1॥
* दप्रेहख तरात तव सहज सपुधराई। पश्रीहत पतश्रीहत नश्रीहत हनपपुनराई॥
उपहज परश्री ममतरा मन मगोरमें। कहउहूँ कररा हनज पपूछप्रे तगोरमें॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम्हराररा स्वराभराहवक सश्रीधरापन (सरलतरा), पप्रेम, हवश्वरास और नश्रीहत ममें
हनपपुरतरा दप्रेखकर मप्रेरप्रे मन ममें तपुम्हरारप्रे ऊपर बडश्री ममतरा उत्पन्न हगो गई हहै , इसश्रीहलए ममैं तपुम्हरारप्रे पपूछनप्रे
पर अपनश्री कररा कहतरा हह॥हूँ 2॥
* अब पसन्न ममैं समंसय नराहहीं। मरागपु जगो भपूप भराव मन मराहहीं॥
सपुहन सपुबचन भपूपहत हरषरानरा। गहह पद हबनय ककीहन्ह हबहध नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं पसन्न हह हूँ, इसममें समंदप्रेह न करनरा। हप्रे रराजनम! जगो मन कगो भरावप्रे वहश्री मराहूँग लगो। सपुदमं र
(हपय) वचन सपुनकर रराजरा हहषर्णत हगो गयरा और (मपुहन कप्रे ) पहैर पकडकर उसनप्रे बहह त पकरार सप्रे
हवनतश्री ककी॥3॥
* कमृ पराहसमंधपु मपुहन दरसन तगोरमें। चरारर पदरारर करतल मगोरमें॥
पभपुहह तरराहप पसन्न हबलगोककी। मराहग अगम बर हगोउहूँ असगोककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दयरासरागर मपुहन! आपकप्रे दशर्णन सप्रे हश्री चरारर पदरारर्ण (अरर्ण, धमर्ण, कराम और मगोक्ष) मप्रेरश्री
मपुटश्री ममें आ गए। तगो भश्री स्वरामश्री कगो पसन्न दप्रेखकर ममैं यह द ल पु र्णभ वर मराहूँगकर (क्यर न) शगोकरहहत
हगो जराऊहूँ॥4॥
दगोहरा :
* जररा मरन दख पु रहहत तनपु समर हजतहै जहन कगोउ।
एकछत्र ररपपुहश्रीन महह रराज कलप सत हगोउ॥164॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा शरश्रीर वमृदरावस्ररा, ममृत्यपु और दद्धाःपु ख सप्रे रहहत हगो जराए, मपुझप्रे यद पु ममें कगोई जश्रीत न सकप्रे
और पमृथ्वश्री पर मप्रेररा सरौ कल्पतक एकछत्र अकण्टक रराज्य हगो॥ 164॥
चरौपराई :
* कह तरापस नमृप ऐसप्रेइ हगोऊ। करारन एक कहठन सपुनपु सगोऊ॥
करालउ तपुअ पद नराइहह सश्रीसरा। एक हबपकपु ल छराहड महश्रीसरा॥1॥
भरावरारर्ण:-तपस्वश्री नप्रे कहरा- हप्रे रराजनम! ऐसरा हश्री हगो, पर एक बरात कहठन हहै, उसप्रे भश्री सपुन लगो। हप्रे
पमृथ्वश्री कप्रे स्वरामश्री! कप्रे वल ब्रराहर कपु ल कगो छगोड कराल भश्री तपुम्हरारप्रे चररर पर हसर नवराएगरा॥ 1॥
* तपबल हबप सदरा बररआररा। हतन्ह कप्रे कगोप न कगोउ रखवराररा॥
जजौं हबपन्ह बस करहह नरप्रेसरा। तरौ तपुअ बस हबहध हबष्नपु महप्रेसरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तप कप्रे बल सप्रे ब्रराहर सदरा बलवरान रहतप्रे हमैं। उनकप्रे कगोध सप्रे रक्षरा करनप्रे वरालरा कगोई नहहीं
हहै। हप्रे नरपहत! यहद तपुम ब्रराहरर कगो वश ममें कर लगो, तगो ब्रहरा, हवष्रपु और महप्रेश भश्री तपुम्हरारप्रे
अधश्रीन हगो जराएहूँगप्रे॥2॥
* चल न ब्रहकपु ल सन बररआई। सत्य कहउहूँ दगोउ भपुजरा उठराई॥
हबप शराप हबनपु सपुनपु महहपरालरा। तगोर नरास नहहमं कवनप्रेहहहूँ करालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहर कपु ल सप्रे जगोर जबदर्णस्तश्री नहहीं चल सकतश्री, ममैं दगोनर भपुजरा उठराकर सत्य कहतरा हह हूँ।
हप्रे रराजनम! सपुनगो, ब्रराहरर कप्रे शराप हबनरा तपुम्हराररा नराश हकसश्री कराल ममें नहहीं हगोगरा॥ 3॥
* हरषप्रेउ रराउ बचन सपुहन तरासपू। नरार न हगोइ मगोर अब नरासपू॥
तव पसराद पभपु कमृ पराहनधरानरा। मगो कहह हूँ सबर्णकराल कल्यरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा उसकप्रे वचन सपुनकर बडरा पसन्न हहआ और कहनप्रे लगरा- हप्रे स्वरामश्री! मप्रेररा नराश अब
नहहीं हगोगरा। हप्रे कमृ पराहनधरान पभपु! आपककी कमृ परा सप्रे मप्रेररा सब समय कल्यरार हगोगरा॥4॥
दगोहरा :
* एवमस्तपु कहह कपट मपुहन बगोलरा कपु हटल बहगोरर।
हमलब हमरार भपुलराब हनज कहहह त हमहह न खगोरर॥165॥
भरावरारर्ण:-'एवमस्तपु' (ऐसरा हश्री हगो) कहकर वह कपु हटल कपटश्री मपुहन हफिर बगोलरा- (हकन्तपु) तपुम मप्रेरप्रे
हमलनप्रे तररा अपनप्रे रराह भपूल जरानप्रे ककी बरात हकसश्री सप्रे (कहनरा नहहीं, यहद) कह दगोगप्रे, तगो हमराररा
दगोष नहहीं॥165॥
चरौपराई :
* तरातमें ममैं तगोहह बरजउहूँ रराजरा। कहमें कररा तव परम अकराजरा॥
छठमें शवन यह परत कहरानश्री। नरास तपुम्हरार सत्य मम बरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! ममैं तपुमकगो इसहलए मनरा करतरा हह हूँ हक इस पसमंग कगो कहनप्रे सप्रे तपुम्हरारश्री बडश्री
हराहन हगोगश्री। छठप्रे करान ममें यह बरात पडतप्रे हश्री तपुम्हराररा नराश हगो जराएगरा, मप्रेररा यह वचन सत्य जराननरा॥
1॥
* यह पगटमें अरवरा हदजशरापरा। नरास तगोर सपुनपु भरानपुपतरापरा॥
आन उपरायहूँ हनधन तव नराहहीं। जजौं हरर हर कगोपहहमं मन मराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पतरापभरानपु! सपुनगो, इस बरात कप्रे पकट करनप्रे सप्रे अरवरा ब्रराहरर कप्रे शराप सप्रे तपुम्हराररा
नराश हगोगरा और हकसश्री उपराय सप्रे, चराहप्रे ब्रहरा और शमंकर भश्री मन ममें कगोध करमें, तपुम्हरारश्री ममृत्यपु नहहीं
हगोगश्री॥2॥
* सत्य नरार पद गहह नमृप भराषरा। हदज गपुर कगोप कहहह कगो रराखरा॥
रराखइ गपुर जजौं कगोप हबधरातरा। गपुर हबरगोध नहहमं कगोउ जग त्ररातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे मपुहन कप्रे चरर पकडकर कहरा- हप्रे स्वरामश्री! सत्य हश्री हहै। ब्रराहर और गपुर कप्रे कगोध
सप्रे, कहहए, करौन रक्षरा कर सकतरा हहै? यहद ब्रहरा भश्री कगोध करमें, तगो गपुर बचरा लप्रेतप्रे हमैं, पर गपुर सप्रे
हवरगोध करनप्रे पर जगत ममें कगोई भश्री बचरानप्रे वरालरा नहहीं हहै॥ 3॥
* जजौं न चलब हम कहप्रे तपुम्हरारमें। हगोउ नरास नहहमं सगोच हमरारमें॥
एकहहमं डर डरपत मन मगोररा। पभपु महहदप्रेव शराप अहत घगोररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यहद ममैं आपकप्रे करन कप्रे अनपुसरार नहहीं चलपूहूँगरा, तगो (भलप्रे हश्री) मप्रेररा नराश हगो जराए। मपुझप्रे
इसककी हचन्तरा नहहीं हहै। मप्रेररा मन तगो हप्रे पभगो! (कप्रे वल) एक हश्री डर सप्रे डर रहरा हहै हक ब्रराहरर करा
शराप बडरा भयरानक हगोतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* हगोहहमं हबप बस कवन हबहध कहहह कमृ परा करर सगोउ।
तपुम्ह तहज दश्रीनदयराल हनज हहतपू न दप्रेखउहूँ कगोउ॥166॥
भरावरारर्ण:-वप्रे ब्रराहर हकस पकरार सप्रे वश ममें हगो सकतप्रे हमैं, कमृ परा करकप्रे वह भश्री बतराइए। हप्रे दश्रीनदयरालपु!
आपकगो छगोडकर और हकसश्री कगो ममैं अपनरा हहतपू नहहीं दप्रेखतरा॥ 166॥
चरौपराई :
* सपुनपु नमृप हबहबध जतन जग मराहहीं। कष्टिसराध्य पपुहन हगोहहमं हक नराहहीं॥
अहइ एक अहत सपुगम उपराई। तहराहूँ परन्तपु एक कहठनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-(तपस्वश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रराजनम !सपुनगो, समंसरार ममें उपराय तगो बहह त हमैं, पर वप्रे कष्टि सराध्य हमैं
(बडश्री कहठनतरा सप्रे बननप्रे ममें आतप्रे हमैं) और इस पर भश्री हसद हर यरा न हर (उनककी सफिलतरा
हनहश्चत नहहीं हहै) हराहूँ, एक उपराय बहह त सहज हहै, परन्तपु उसममें भश्री एक कहठनतरा हहै॥1॥
* मम आधश्रीन जपुगपुहत नमृप सगोई। मगोर जराब तव नगर न हगोई॥
आजपु लगमें अर जब तमें भयऊहूँ। कराहह कप्रे गमृह गराम न गयऊहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! वह यहपु क्त तगो मप्रेरप्रे हरार हहै, पर मप्रेररा जरानरा तपुम्हरारप्रे नगर ममें हगो नहहीं सकतरा। जब
सप्रे पहैदरा हहआ हह हूँ, तब सप्रे आज तक ममैं हकसश्री कप्रे घर अरवरा गराहूँव नहहीं गयरा॥2॥
* जजौं न जराउहूँ तव हगोइ अकराजपू। बनरा आइ असममंजस आजपू॥
सपुहन महश्रीस बगोलप्रेउ ममृद पु बरानश्री। नरार हनगम अहस नश्रीहत बखरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु यहद नहहीं जरातरा हह हूँ, तगो तपुम्हराररा कराम हबगडतरा हहै। आज यह बडरा असममंजस आ
पडरा हहै। यह सपुनकर रराजरा कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलरा, हप्रे नरार! वप्रेदर ममें ऐसश्री नश्रीहत कहश्री हहै हक- ॥3॥
* बडप्रे सनप्रेह लघपुन्ह पर करहहीं। हगरर हनज हसरहन सदरा तमृन धरहहीं॥
जलहध अगराध मरौहल बह फिप्रे नपू। समंतत धरहन धरत हसर रप्रेनपू॥4॥
भरावरारर्ण:-बडप्रे लगोग छगोटर पर स्नप्रेह करतप्रे हश्री हमैं। पवर्णत अपनप्रे हसरर पर सदरा तमृर (घरास) कगो धरारर
हकए रहतप्रे हमैं। अगराध समपुद अपनप्रे मस्तक पर फिप्रे न कगो धरारर करतरा हहै और धरतश्री अपनप्रे हसर पर
सदरा धपूहल कगो धरारर हकए रहतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* अस कहह गहप्रे नरप्रेस पद स्वरामश्री हगोहह कमृ पराल।
मगोहह लराहग दख पु सहहअ पभपु सजन दश्रीनदयराल॥167॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर रराजरा नप्रे मपुहन कप्रे चरर पकड हलए। (और कहरा-) हप्रे स्वरामश्री! कमृ परा ककीहजए।
आप समंत हमैं। दश्रीनदयरालपु हमैं। (अतद्धाः) हप्रे पभगो! मप्रेरप्रे हलए इतनरा कष्टि (अवश्य) सहहए॥167॥
चरौपराई :
* जराहन नमृपहह आपन आधश्रीनरा। बगोलरा तरापस कपट पबश्रीनरा॥
सत्य कहउहूँ भपूपहत सपुनपु तगोहश्री। जग नराहहन दल पु भर्ण कछपु मगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो अपनप्रे अधश्रीन जरानकर कपट ममें पवश्रीर तपस्वश्री बगोलरा- हप्रे रराजनम! सपुनगो, ममैं
तपुमसप्रे सत्य कहतरा हह,हूँ जगत ममें मपुझप्रे कपु छ भश्री दल पु भर्ण नहहीं हहै॥1॥
* अवहस कराज ममैं कररहउहूँ तगोररा। मन तन बचन भगत तमैं मगोररा॥
जगोग जपुगपुहत तप ममंत्र पभराऊ। फिलइ तबहहमं जब कररअ दरपु राऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं तपुम्हराररा कराम अवश्य करूहूँगरा, (क्यरहक) तपुम, मन, वरारश्री और शरश्रीर (तश्रीनर) सप्रे मप्रेरप्रे
भक्त हगो। पर यगोग, यहपु क्त, तप और ममंत्रर करा पभराव तभश्री फिलश्रीभपूत हगोतरा हहै जब वप्रे हछपराकर हकए
जरातप्रे हमैं॥2॥
* जजौं नरप्रेस ममैं करजौं रसगोई। तपुम्ह परसहह मगोहह जरान न कगोई॥
अन्न सगो जगोइ जगोइ भगोजन करई। सगोइ सगोइ तव आयसपु अनपुसरई॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरपहत! ममैं यहद रसगोई बनराऊहूँ और तपुम उसप्रे परगोसगो और मपुझप्रे कगोई जराननप्रे न परावप्रे ,
तगो उस अन्न कगो जगो-जगो खराएगरा, सगो-सगो तपुम्हराररा आजराकरारश्री बन जराएगरा॥3॥
* पपुहन हतन्ह कप्रे गमृह जप्रेवहूँइ जगोऊ। तव बस हगोइ भपूप सपुनपु सगोऊ॥
जराइ उपराय रचहह नमृप एहह । समंबत भरर समंकलप करप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-यहश्री नहहीं, उन (भगोजन करनप्रे वरालर) कप्रे घर भश्री जगो कगोई भगोजन करप्रेगरा, हप्रे रराजनम!
सपुनगो, वह भश्री तपुम्हरारप्रे अधश्रीन हगो जराएगरा। हप्रे रराजनम! जराकर यहश्री उपराय करगो और वषर्णभर (भगोजन
कररानप्रे) करा समंकल्प कर लप्रेनरा॥4॥
दगोहरा :
* हनत नपूतन हदज सहस सत बरप्रेहह सहहत पररवरार।
ममैं तपुम्हरप्रे समंकलप लहग हदनहहमं करहब जप्रेवनरार॥168॥
भरावरारर्ण:-हनत्य नए एक लराख ब्रराहरर कगो कपु टपु म्ब सहहत हनममंहत्रत करनरा। ममैं तपुम्हरारप्रे सकमंल्प (कप्रे
कराल अररार्णत एक वषर्ण) तक पहतहदन भगोजन बनरा हदयरा करूहूँगरा॥168॥
चरौपराई :
* एहह हबहध भपूप कष्टि अहत रगोरमें। हगोइहहहमं सकल हबप बस तगोरमें॥
कररहहहमं हबप हगोममख सप्रेवरा। तप्रेहहमं पसमंग सहजप्रेहहमं बस दप्रेवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! इस पकरार बहह त हश्री रगोडप्रे पररशम सप्रे सब ब्रराहर तपुम्हरारप्रे वश ममें हगो जराएहूँगप्रे।
ब्रराहर हवन, यज और सप्रेवरा-पपूजरा करमेंगप्रे, तगो उस पसमंग (समंबमंध) सप्रे दप्रेवतरा भश्री सहज हश्री वश ममें
हगो जराएहूँगप्रे॥1॥
* और एक तगोहह कहउहूँ लखराऊ। ममैं एहहमं बप्रेष न आउब कराऊ॥
तपुम्हरप्रे उपरगोहहत कहह हूँ ररायरा। हरर आनब ममैं करर हनज मरायरा॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं एक और पहचरान तपुमकगो बतराए दप्रेतरा हह हूँ हक ममैं इस रूप ममें कभश्री न आऊहूँगरा। हप्रे रराजनम!
ममैं अपनश्री मरायरा सप्रे तपुम्हरारप्रे पपुरगोहहत कगो हर लराऊहूँगरा॥ 2॥\
* तपबल तप्रेहह करर आपपु समरानरा। रहखहउहूँ इहराहूँ बरष परवरानरा॥
ममैं धरर तरासपु बप्रेषपु सपुनपु रराजरा। सब हबहध तगोर सहूँवरारब कराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तप कप्रे बल सप्रे उसप्रे अपनप्रे समरान बनराकर एक वषर्ण यहराहूँ रखपूहूँगरा और हप्रे रराजनम! सपुनगो, ममैं
उसकरा रूप बनराकर सब पकरार सप्रे तपुम्हराररा कराम हसद करूहूँगरा॥ 3॥
* गहै हनहस बहह त सयन अब ककीजप्रे। मगोहह तगोहह भपूप भमेंट हदन तश्रीजप्रे॥
ममैं तपबल तगोहह तपुरग समप्रेतरा। पहह हूँचहैहउहूँ सगोवतहह हनकप्रे तरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! ररात बहह त बश्रीत गई, अब सगो जराओ। आज सप्रे तश्रीसरप्रे हदन मपुझसप्रे तपुम्हरारश्री भमेंट
हगोगश्री। तप कप्रे बल सप्रे ममैं घगोडप्रे सहहत तपुमकगो सगोतप्रे हश्री ममें घर पहह हूँचरा दहूँगपू रा॥4॥
दगोहरा :
* ममैं आउब सगोइ बप्रेषपु धरर पहहचरानप्रेहह तब मगोहह।
जब एकरामंत बगोलराइ सब कररा सपुनरावजौं तगोहह॥169॥
भरावरारर्ण:-ममैं वहश्री (पपुरगोहहत करा) वप्रेश धरकर आऊहूँगरा। जब एकरामंत ममें तपुमकगो बपुलराकर सब कररा
सपुनराऊहूँगरा, तब तपुम मपुझप्रे पहचरान लप्रेनरा॥169॥
चरौपराई :
* सयन ककीन्ह नमृप आयसपु मरानश्री। आसन जराइ बहैठ छलग्यरानश्री॥
शहमत भपूप हनदरा अहत आई। सगो हकहम सगोव सगोच अहधकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे आजरा मरानकर शयन हकयरा और वह कपट-जरानश्री आसन पर जरा बहैठरा। रराजरा
रकरा ररा, (उसप्रे) खपूब (गहरश्री) नहींद आ गई। पर वह कपटश्री कहै सप्रे सगोतरा। उसप्रे तगो बहह त हचन्तरा हगो
रहश्री रश्री॥1॥
* करालकप्रे तपु हनहसचर तहहूँ आवरा। जप्रेहहमं सपूकर हगोइ नमृपहह भपुलरावरा॥
परम हमत्र तरापस नमृप कप्रे ररा। जरानइ सगो अहत कपट घनप्रेररा॥2॥
भरावरारर्ण:-(उसश्री समय) वहराहूँ करालकप्रे तपु रराक्षस आयरा, हजसनप्रे सपूअर बनकर रराजरा कगो भटकरायरा
ररा। वह तपस्वश्री रराजरा करा बडरा हमत्र ररा और खपूब छल-पपमंच जरानतरा ररा॥2॥
* तप्रेहह कप्रे सत सपुत अर दस भराई। खल अहत अजय दप्रेव दख पु दराई॥
परमहहमं भपूप समर सब मरारप्रे। हबप समंत सपुर दप्रेहख द ख पु रारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे सरौ पपुत्र और दस भराई रप्रे, जगो बडप्रे हश्री दष्टिपु , हकसश्री सप्रे न जश्रीतप्रे जरानप्रे वरालप्रे और
दप्रेवतराओमं कगो दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालप्रे रप्रे। ब्रराहरर, समंतर और दप्रेवतराओमं कगो दद्धाःपु खश्री दप्रेखकर रराजरा नप्रे उन
सबकगो पहलप्रे हश्री यद पु ममें मरार डरालरा ररा॥3॥
* तप्रेहहमं खल पराहछल बयर सहूँभराररा। तरापस नमृप हमहल ममंत्र हबचराररा॥
जप्रेहहमं ररपपु छय सगोइ रचप्रेहन्ह उपराऊ। भरावश्री बस न जरान कछपु रराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-उस दष्टिपु नप्रे हपछलरा बहैर यराद करकप्रे तपस्वश्री रराजरा सप्रे हमलकर सलराह हवचरारश्री (षडमंत्र
हकयरा) और हजस पकरार शत्रपु करा नराश हगो, वहश्री उपराय रचरा। भरावश्रीवश रराजरा (पतरापभरानपु) कपु छ
भश्री न समझ सकरा॥4॥
दगोहरा :
* ररपपु तप्रेजसश्री अकप्रे ल अहप लघपु करर गहनअ न तराहह।
अजहह हूँ दप्रेत दख पु रहब सहसहह हसर अवसप्रेहषत रराहह॥170॥
भरावरारर्ण:-तप्रेजस्वश्री शत्रपु अकप्रे लरा भश्री हगो तगो भश्री उसप्रे छगोटरा नहहीं समझनरा चराहहए। हजसकरा हसर मरात्र
बचरा ररा, वह रराहह आज तक सपूयर्ण-चन्दमरा कगो दद्धाःपु ख दप्रेतरा हहै॥170॥
* तरापस नमृप हनज सखहह हनहरारश्री। हरहष हमलप्रेउ उहठ भयउ सपुखरारश्री॥
हमत्रहह कहह सब कररा सपुनराई। जरातपुधरान बगोलरा सपुख पराई॥1॥
भरावरारर्ण:-तपस्वश्री रराजरा अपनप्रे हमत्र कगो दप्रेख पसन्न हगो उठकर हमलरा और सपुखश्री हहआ। उसनप्रे हमत्र
कगो सब कररा कह सपुनराई, तब रराक्षस आनमंहदत हगोकर बगोलरा॥1॥
* अब सराधप्रेउहूँ ररपपु सपुनहह नरप्रेसरा। जजौं तपुम्ह ककीन्ह मगोर उपदप्रेसरा॥
पररहरर सगोच रहहह तपुम्ह सगोई। हबनपु औषध हबआहध हबहध खगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! सपुनगो, जब तपुमनप्रे मप्रेरप्रे कहनप्रे कप्रे अनपुसरार (इतनरा) कराम कर हलयरा, तगो अब
ममैंनप्रे शत्रपु कगो कराबपू ममें कर हश्री हलयरा (समझगो)। तपुम अब हचन्तरा त्यराग सगो रहगो। हवधरातरा नप्रे हबनरा हश्री
दवरा कप्रे रगोग दरपू कर हदयरा॥2॥
* कपु ल समप्रेत ररपपु मपूल बहराई। चरौरमें हदवस हमलब ममैं आई॥
तरापस नमृपहह बहह त पररतगोषश्री। चलरा महराकपटश्री अहतरगोषश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-कपु ल सहहत शत्रपु कगो जड-मपूल सप्रे उखराड-बहराकर, (आज सप्रे) चरौरप्रे हदन ममैं तपुमसप्रे आ
हमलपूहूँगरा। (इस पकरार) तपस्वश्री रराजरा कगो खपूब हदलरासरा दप्रेकर वह महरामरायरावश्री और अत्यन्त कगोधश्री
रराक्षस चलरा॥3॥
* भरानपुपतरापहह बराहज समप्रेतरा। पहह हूँचराएहस छन मराझ हनकप्रे तरा॥
नमृपहह नरारर पहहमं सयन करराई। हयगमृहहूँ बराहूँधहप्रे स बराहज बनराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे पतरापभरानपु रराजरा कगो घगोडप्रे सहहत क्षरभर ममें घर पहह हूँचरा हदयरा। रराजरा कगो ररानश्री कप्रे
परास सपुलराकर घगोडप्रे कगो अच्छश्री तरह सप्रे घपुडसराल ममें बराधहूँ हदयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* रराजरा कप्रे उपरगोहहतहह हरर लहै गयउ बहगोरर।
लहै रराखप्रेहस हगरर खगोह महह हूँ मरायराहूँ करर महत भगोरर॥171॥
भरावरारर्ण:-हफिर वह रराजरा कप्रे पपुरगोहहत कगो उठरा लप्रे गयरा और मरायरा सप्रे उसककी बपुहद कगो रम ममें
डरालकर उसप्रे उसनप्रे पहराड ककी खगोह ममें लरा रखरा॥171॥
चरौपराई :
* आपपु हबरहच उपरगोहहत रूपरा। परप्रेउ जराइ तप्रेहह सप्रेज अनपूपरा॥
जरागप्रेउ नमृप अनभएहूँ हबहरानरा। दप्रेहख भवन अहत अचरजपु मरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-वह आप पपुरगोहहत करा रूप बनराकर उसककी सपुदमं र सप्रेज पर जरा लप्रेटरा। रराजरा सबप्रेररा हगोनप्रे सप्रे
पहलप्रे हश्री जरागरा और अपनरा घर दप्रेखकर उसनप्रे बडरा हश्री आश्चयर्ण मरानरा॥ 1॥
* मपुहन महहमरा मन महह हूँ अनपुमरानश्री। उठप्रेउ गवहूँहहमं जप्रेहहमं जरान न ररानश्री॥
करानन गयउ बराहज चहढ तप्रेहहीं। पपुर नर नरारर न जरानप्रेउ कप्रे हहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-मन ममें मपुहन ककी महहमरा करा अनपुमरान करकप्रे वह धश्रीरप्रे सप्रे उठरा, हजसममें ररानश्री न जरान परावप्रे।
हफिर उसश्री घगोडप्रे पर चढकर वन कगो चलरा गयरा। नगर कप्रे हकसश्री भश्री स्त्रश्री-पपुरष नप्रे नहहीं जरानरा॥2॥
* गएहूँ जराम जपुग भपूपहत आवरा। घर घर उत्सव बराज बधरावरा॥
उपरगोहहतहह दप्रेख जब रराजरा। चहकत हबलगोक सपुहमरर सगोइ कराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दगो पहर बश्रीत जरानप्रे पर रराजरा आयरा। घर-घर उत्सव हगोनप्रे लगप्रे और बधरावरा बजनप्रे लगरा।
जब रराजरा नप्रे पपुरगोहहत कगो दप्रेखरा, तब वह (अपनप्रे) उसश्री करायर्ण करा स्मररकर उसप्रे आश्चयर्ण सप्रे दप्रेखनप्रे
लगरा॥3॥
* जपुग सम नमृपहह गए हदन तश्रीनश्री। कपटश्री मपुहन पद रह महत लश्रीनश्री॥
समय जरान उपरगोहहत आवरा। नमृपहह मतप्रे सब कहह समपुझरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो तश्रीन हदन यगपु कप्रे समरान बश्रीतप्रे। उसककी बपुहद कपटश्री मपुहन कप्रे चररर ममें लगश्री रहश्री।
हनहश्चत समय जरानकर पपुरगोहहत (बनरा हहआ रराक्षस) आयरा और रराजरा कप्रे सरार ककी हहई गपुप्त सलराह
कप्रे अनपुसरार (उसनप्रे अपनप्रे) सब हवचरार उसप्रे समझराकर कह हदए॥4॥
दगोहरा :
* नमृप हरषप्रेउ पहहचराहन गपुर रम बस रहरा न चप्रेत।
बरप्रे तपुरत सत सहस बर हबप कपु टपु मंब समप्रेत॥172॥
भरावरारर्ण:-(समंकप्रेत कप्रे अनपुसरार) गपुर कगो (उस रूप ममें) पहचरानकर रराजरा पसन्न हह आ। रमवश उसप्रे
चप्रेत न रहरा (हक यह तरापस मपुहन हहै यरा करालकप्रे तपु रराक्षस)। उसनप्रे तपुरमंत एक लराख उरम ब्रराहरर कगो
कपु टपु म्ब सहहत हनममंत्रर दप्रे हदयरा॥172॥
चरौपराई :
* उपरगोहहत जप्रेवनरार बनराई। छरस चरारर हबहध जहस शपुहत गराई॥
मरायरामय तप्रेहहमं ककीहन्ह रसगोई। हबमंजन बहह गहन सकइ न कगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-पपुरगोहहत नप्रे छह रस और चरार पकरार कप्रे भगोजन, जहैसरा हक वप्रेदर ममें वरर्णन हहै, बनराए। उसनप्रे
मरायरामयश्री रसगोई तहैयरार ककी और इतनप्रे व्यमंजन बनराए , हजन्हमें कगोई हगन नहहीं सकतरा॥1॥
* हबहबध ममृगन्ह कर आहमष रराहूँधरा। तप्रेहह महह हूँ हबप मराहूँसपु खल सराहूँधरा॥
भगोजन कहह हूँ सब हबप बगोलराए। पद पखरारर सरादर बहैठराए॥2॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक पकरार कप्रे पशपुओमं करा मरामंस पकरायरा और उसममें उस दष्टिपु नप्रे ब्रराहरर करा मरामंस हमलरा
हदयरा। सब ब्रराहरर कगो भगोजन कप्रे हलए बपुलरायरा और चरर धगोकर आदर सहहत बहैठरायरा॥2॥
* परसन जबहहमं लराग महहपरालरा। भहै अकरासबरानश्री तप्रेहह करालरा॥
हबपबमृमंद उहठ उहठ गमृह जराहह। हहै बहड हराहन अन्न जहन खराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-ज्यर हश्री रराजरा परगोसनप्रे लगरा, उसश्री कराल (करालकप्रे तपुकमृत) आकराशवरारश्री हहई- हप्रे ब्रराहरर!
उठ-उठकर अपनप्रे घर जराओ, यह अन्न मत खराओ। इस (कप्रे खरानप्रे) ममें बडश्री हराहन हहै॥3॥
* भयउ रसगोई मं भपूसपुर मराहूँसपू। सब हदज उठप्रे मराहन हबस्वरासपू॥
भपूप हबकल महत मगोहहूँ भपुलरानश्री। भरावश्री बस न आव मपुख बरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रसगोई ममें ब्रराहरर करा मरामंस बनरा हहै। (आकराशवरारश्री करा) हवश्वरास मरानकर सब ब्रराहर उठ
खडप्रे हहए। रराजरा व्यराकपुल हगो गयरा (परन्तपु), उसककी बपुहद मगोह ममें भपूलश्री हह ई रश्री। हगोनहरारवश उसकप्रे
मपुहूँह सप्रे (एक) बरात (भश्री) न हनकलश्री॥4॥
दगोहरा :
*बगोलप्रे हबप सकगोप तब नहहमं कछपु ककीन्ह हबचरार।
जराइ हनसराचर हगोहह नमृप मपूढ सहहत पररवरार॥173॥
भरावरारर्ण:-तब ब्रराहर कगोध सहहत बगोल उठप्रे- उन्हरनप्रे कपु छ भश्री हवचरार नहहीं हकयरा- अरप्रे मपूखर्ण रराजरा!
तपू जराकर पररवरार सहहत रराक्षस हगो॥173॥
चरौपराई :
* छत्रबमंधपु तमैं हबप बगोलराई। घरालहै हलए सहहत समपुदराई॥
ईश्वर रराखरा धरम हमराररा। जहैहहस तमैं समप्रेत पररवराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रप्रे नश्रीच क्षहत्रय! तपूनप्रे तगो पररवरार सहहत ब्रराहरर कगो बपुलराकर उन्हमें नष्टि करनरा चराहरा ररा,
ईश्वर नप्रे हमरारप्रे धमर्ण ककी रक्षरा ककी। अब तपू पररवरार सहहत नष्टि हगोगरा॥ 1॥
* समंबत मध्य नरास तव हगोऊ। जलदरातरा न रहहहह कपु ल कगोऊ॥
नमृप सपुहन शराप हबकल अहत त्ररासरा। भहै बहगोरर बर हगररा अकरासरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-एक वषर्ण कप्रे भश्रीतर तप्रेररा नराश हगो जराए, तप्रेरप्रे कपु ल ममें कगोई परानश्री दप्रेनप्रे वरालरा तक न रहप्रेगरा।
शराप सपुनकर रराजरा भय कप्रे मरारप्रे अत्यन्त व्यराकपुल हगो गयरा। हफिर सपुमंदर आकराशवरारश्री हहई-॥2॥
* हबपहह शराप हबचरारर न दश्रीन्हरा। नहहमं अपरराध भपूप कछपु ककीन्हरा॥
चहकत हबप सब सपुहन नभबरानश्री। भपूप गयउ जहहूँ भगोजन खरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ब्रराहरर! तपुमनप्रे हवचरार कर शराप नहहीं हदयरा। रराजरा नप्रे कपु छ भश्री अपरराध नहहीं हकयरा।
आकराशवरारश्री सपुनकर सब ब्रराहर चहकत हगो गए। तब रराजरा वहराहूँ गयरा, जहराहूँ भगोजन बनरा ररा॥3॥
* तहहूँ न असन नहहमं हबप सपुआररा। हफिरप्रेउ रराउ मन सगोच अपराररा॥
सब पसमंग महहसपुरन्ह सपुनराई। त्रहसत परप्रेउ अवनहीं अकपु लराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(दप्रेखरा तगो) वहराहूँ न भगोजन ररा, न रसगोइयरा ब्रराहर हश्री ररा। तब रराजरा मन ममें अपरार हचन्तरा
करतरा हह आ लरौटरा। उसनप्रे ब्रराहरर कगो सब वमृररान्त सपुनरायरा और (बडरा हश्री) भयभश्रीत और व्यराकपुल
हगोकर वह पमृथ्वश्री पर हगर पडरा॥4॥
दगोहरा :
* भपूपहत भरावश्री हमटइ नहहमं जदहप न दषपू न तगोर।
हकएहूँ अन्यररा दगोइ नहहमं हबपशराप अहत घगोर॥174॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजन! यद्यहप तपुम्हराररा दगोष नहहीं हहै, तगो भश्री हगोनहरार नहहीं हमटतरा। ब्रराहरर करा शराप
बहह त हश्री भयरानक हगोतरा हहै, यह हकसश्री तरह भश्री टरालप्रे टल नहहीं सकतरा॥174॥
चरौपराई :
* अस कहह सब महहदप्रेव हसधराए। समराचरार पपुरलगोगन्ह पराए॥
सगोचहहमं दषपू न दहैवहह दप्रेहहीं। हबरचत हमंस कराग हकए जप्रेहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर सब ब्रराहर चलप्रे गए। नगरवराहसयर नप्रे (जब) यह समराचरार परायरा, तगो वप्रे
हचन्तरा करनप्रे और हवधरातरा कगो दगोष दप्रेनप्रे लगप्रे, हजसनप्रे हमंस बनरातप्रे-बनरातप्रे करौआ कर हदयरा (ऐसप्रे
पपुण्यरात्मरा रराजरा कगो दप्रेवतरा बनरानरा चराहहए ररा, सगो रराक्षस बनरा हदयरा)॥1॥
* उपरगोहहतहह भवन पहह हूँचराई। असपुर तरापसहह खबरर जनराई॥
तप्रेहहमं खल जहहूँ तहहूँ पत्र पठराए। सहज सहज सप्रेन भपूप सब धराए॥2॥
भरावरारर्ण:-पपुरगोहहत कगो उसकप्रे घर पहह हूँचराकर असपुर (करालकप्रे तपु) नप्रे (कपटश्री) तपस्वश्री कगो खबर दश्री।
उस दष्टिपु नप्रे जहराहूँ-तहराहूँ पत्र भप्रेजप्रे, हजससप्रे सब (बहैरश्री) रराजरा सप्रेनरा सजरा-सजराकर (चढ) दरौडप्रे॥2॥
* घप्रेरहप्रे न्ह नगर हनसरान बजराई। हबहबध भराहूँहत हनत हगोइ लरराई॥
जपूझप्रे सकल सपुभट करर करनश्री। बमंधपु समप्रेत परप्रेउ नमृप धरनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-और उन्हरनप्रे डमंकरा बजराकर नगर कगो घप्रेर हलयरा। हनत्य पहत अनप्रेक पकरार सप्रे लडराई हगोनप्रे
लगश्री। (पतराप भरानपु कप्रे ) सब यगोदरा (शपूरवश्रीरर ककी) करनश्री करकप्रे रर ममें जपूझ मरप्रे। रराजरा भश्री भराई
सहहत खप्रेत रहरा॥3॥
* सत्यकप्रे तपु कपु ल कगोउ नहहमं बराहूँचरा। हबपशराप हकहम हगोइ असराहूँचरा॥
ररपपु हजहत सब नमृप नगर बसराई। हनज पपुर गवनप्रे जय जसपु पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सत्यकप्रे तपु कप्रे कपु ल ममें कगोई नहहीं बचरा। ब्रराहरर करा शराप झपूठरा कहै सप्रे हगो सकतरा ररा। शत्रपु कगो
जश्रीतकर नगर कगो (हफिर सप्रे) बसराकर सब रराजरा हवजय और यश पराकर अपनप्रे-अपनप्रे नगर कगो
चलप्रे गए॥4॥
ररावरराहद करा जन्म, तपस्यरा और उनकरा ऐश्वयर्ण तररा अत्यराचरार
दगोहरा :
* भरदराज सपुनपु जराहह जब हगोई हबधरातरा बराम।
धपूरर मप्रेरसम जनक जम तराहह ब्यरालसम दराम॥175॥
भरावरारर्ण:-(यराजवल्क्यजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भरदराज! सपुनगो, हवधरातरा जब हजसकप्रे हवपरश्रीत हगोतप्रे हमैं,
तब उसकप्रे हलए धपूल सपुमप्रेर पवर्णत कप्रे समरान (भरारश्री और कपु चल डरालनप्रे वरालश्री), हपतरा यम कप्रे
समरान (करालरूप) और रस्सश्री सराहूँप कप्रे समरान (कराट खरानप्रे वरालश्री) हगो जरातश्री हहै॥175॥
चरौपराई:
* कराल पराइ मपुहन सपुनपु सगोइ रराजरा। भयउ हनसराचर सहहत समराजरा॥
दस हसर तराहह बश्रीस भपुजदमंडरा। ररावन नराम बश्रीर बररबमंडरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! सपुनगो, समय पराकर वहश्री रराजरा पररवरार सहहत ररावर नरामक रराक्षस हहआ। उसकप्रे
दस हसर और बश्रीस भपुजराएहूँ रहीं और वह बडरा हश्री पचण्ड शपूरवश्रीर ररा॥ 1॥
* भपूप अनपुज अररमदर्णन नरामरा। भयउ सगो कपुमं भकरन बलधरामरा॥
सहचव जगो रहरा धरमरहच जरासपू। भयउ हबमरात्र बमंधपु लघपु तरासपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अररमदर्णन नरामक जगो रराजरा करा छगोटरा भराई ररा, वह बल करा धराम कपु म्भकरर्ण हहआ। उसकरा
जगो ममंत्रश्री ररा, हजसकरा नराम धमर्णरहच ररा, वह ररावर करा सरौतप्रेलरा छगोटरा भराई हहआ ॥2॥
* नराम हबभश्रीषन जप्रेहह जग जरानरा। हबष्नपुभगत हबग्यरान हनधरानरा॥
रहप्रे जप्रे सपुत सप्रेवक नमृप कप्रे रप्रे। भए हनसराचर घगोर घनप्रेरप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-उसकरा हवभश्रीषर नराम ररा, हजसप्रे सराररा जगत जरानतरा हहै। वह हवष्रपुभक्त और जरान-
हवजरान करा भमंडरार ररा और जगो रराजरा कप्रे पपुत्र और सप्रेवक रप्रे, वप्रे सभश्री बडप्रे भयरानक रराक्षस हहए॥3॥
* करामरूप खल हजनस अनप्रेकरा। कपु हटल भयमंकर हबगत हबबप्रेकरा॥
कमृ परा रहहत हहमंसक सब परापश्री। बरहन न जराहहमं हबस्व पररतरापश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब अनप्रेकर जराहत कप्रे , मनमरानरा रूप धरारर करनप्रे वरालप्रे, दष्टिपु , कपु हटल, भयमंकर,
हववप्रेकरहहत, हनदर्णयश्री, हहमंसक, परापश्री और समंसरार भर कगो दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालप्रे हह ए, उनकरा वरर्णन नहहीं
हगो सकतरा॥4॥
दगोहरा :
* उपजप्रे जदहप पपुलस्त्यकपु ल परावन अमल अनपूप।
तदहप महश्रीसपुर शराप बस भए सकल अघरूप॥176॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप वप्रे पपुलस्त्य ऋहष कप्रे पहवत्र, हनमर्णल और अनपुपम कपु ल ममें उत्पन्न हहए, तरराहप
ब्रराहरर कप्रे शराप कप्रे करारर वप्रे सब पराप रूप हह ए॥176॥
चरौपराई :
* ककीन्ह हबहबध तप तश्रीहनहह हूँ भराई। परम उग नहहमं बरहन सगो जराई॥
गयउ हनकट तप दप्रेहख हबधरातरा। मरागहह बर पसन्न ममैं तरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-तश्रीनर भराइयर नप्रे अनप्रेकर पकरार ककी बडश्री हश्री कहठन तपस्यरा ककी, हजसकरा वरर्णन नहहीं हगो
सकतरा। (उनकरा उग) तप दप्रेखकर ब्रहराजश्री उनकप्रे परास गए और बगोलप्रे- हप्रे तरात! ममैं पसन्न हह,हूँ वर
मराहूँगगो॥1॥
* करर हबनतश्री पद गहह दससश्रीसरा। बगोलप्रेउ बचन सपुनहह जगदश्रीसरा॥
हम कराहह कप्रे मरहहमं न मरारमें। बरानर मनपुज जराहत दइपु बरारमें॥2॥
भरावरारर्ण:-ररावर नप्रे हवनय करकप्रे और चरर पकडकर कहरा- हप्रे जगदश्रीश्वर! सपुहनए, वरानर और
मनपुष्य- इन दगो जराहतयर कगो छगोडकर हम और हकसश्री कप्रे मरारप्रे न मरमें। (यह वर दश्रीहजए)॥2॥
* एवमस्तपु तपुम्ह बड तप ककीन्हरा। ममैं ब्रहराहूँ हमहल तप्रेहह बर दश्रीन्हरा॥
पपुहन पभपु कपुमं भकरन पहहमं गयऊ। तप्रेहह हबलगोहक मन हबसमय भयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं हक-) ममैंनप्रे और ब्रहरा नप्रे हमलकर उसप्रे वर हदयरा हक ऐसरा हश्री हगो, तपुमनप्रे
बडरा तप हकयरा हहै। हफिर ब्रहराजश्री कपुमं भकरर्ण कप्रे परास गए। उसप्रे दप्रेखकर उनकप्रे मन ममें बडरा आश्चयर्ण
हह आ॥3॥
* जजौं एहहमं खल हनत करब अहरारू। हगोइहह सब उजरारर समंसरारू॥
सरारद पप्रेरर तरासपु महत फिप्रे रश्री। मरागप्रेहस नश्रीद मरास षट कप्रे रश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो यह दष्टिपु हनत्य आहरार करप्रेगरा, तगो सराररा समंसरार हश्री उजराड हगो जराएगरा। (ऐसरा
हवचरारकर) ब्रहराजश्री नप्रे सरस्वतश्री कगो पप्रेरररा करकप्रे उसककी बपुहद फिप्रे र दश्री। (हजससप्रे) उसनप्रे छह
महश्रीनप्रे ककी नहींद मराहूँगश्री॥4॥
दगोहरा :
* गए हबभश्रीषन परास पपुहन कहप्रेउ पपुत्र बर मरागपु।
तप्रेहहमं मरागप्रेउ भगवमंत पद कमल अमल अनपुररागपु॥177॥
भरावरारर्ण:-हफिर ब्रहराजश्री हवभश्रीषर कप्रे परास गए और बगोलप्रे- हप्रे पपुत्र! वर मराहूँगगो। उसनप्रे भगवरान कप्रे
चररकमलर ममें हनमर्णल (हनष्कराम और अनन्य) पप्रेम मराहूँगरा॥177॥
चरौपराई :
* हतन्हहह दप्रेइ बर ब्रह हसधराए। हरहषत तप्रे अपनप्रे गमृह आए॥
मय तनपुजरा ममंदगोदरर नरामरा। परम सपुदमं रश्री नरारर ललरामरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उनकगो वर दप्रेकर ब्रहराजश्री चलप्रे गए और वप्रे (तश्रीनर भराई) हहषर्णत हप्रेकर अपनप्रे घर लरौट
आए। मय दरानव ककी ममंदगोदरश्री नराम ककी कन्यरा परम सपुदमं रश्री और हस्त्रयर ममें हशरगोमहर रश्री॥ 1॥
* सगोइ मयहूँ दश्रीहन्ह ररावनहह आनश्री। हगोइहह जरातपुधरानपहत जरानश्री॥
हरहषत भयउ नरारर भहल पराई। पपुहन दगोउ बमंधपु हबआहप्रेहस जराई॥2॥
भरावरारर्ण:-मय नप्रे उसप्रे लराकर ररावर कगो हदयरा। उसनप्रे जरान हलयरा हक यह रराक्षसर करा रराजरा हगोगरा।
अच्छश्री स्त्रश्री पराकर ररावर पसन्न हहआ और हफिर उसनप्रे जराकर दगोनर भराइयर करा हववराह कर हदयरा॥
2॥
* हगरर हत्रकपू ट एक हसमंधपु मझरारश्री। हबहध हनहमर्णत दगपु र्णम अहत भरारश्री॥
सगोइ मय दरानवहूँ बहह रर सहूँवराररा। कनक रहचत महन भवन अपराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-समपुद कप्रे बश्रीच ममें हत्रकपू ट नरामक पवर्णत पर ब्रहरा करा बनरायरा हह आ एक बडरा भरारश्री हकलरा ररा।
(महरान मरायरावश्री और हनपपुर करारश्रीगर) मय दरानव नप्रे उसकगो हफिर सप्रे सजरा हदयरा। उसममें महरयर सप्रे
जडप्रे हहए सगोनप्रे कप्रे अनहगनत महल रप्रे॥3॥
* भगोगरावहत जहस अहहकपु ल बरासरा। अमररावहत जहस सकहनवरासरा॥
हतन्ह तमें अहधक रम्य अहत बमंकरा। जग हबख्यरात नराम तप्रेहह लमंकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जहैसश्री नरागकपु ल कप्रे रहनप्रे ककी (परातराल लगोक ममें) भगोगरावतश्री पपुरश्री हहै और इन्द कप्रे रहनप्रे ककी
(स्वगर्णलगोक ममें) अमररावतश्री पपुरश्री हहै, उनसप्रे भश्री अहधक सपुमंदर और बराहूँकरा वह दगपु र्ण ररा। जगत ममें
उसकरा नराम लमंकरा पहसद हह आ॥4॥
दगोहरा :
* खराई मं हसमंधपु गभश्रीर अहत चराररहह हूँ हदहस हफिरर आव।
कनक कगोट महन खहचत दृढ बरहन न जराइ बनराव॥178 क॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे चरारर ओर सप्रे समपुद ककी अत्यन्त गहरश्री खराई घप्रेरप्रे हह ए हहै। उस (दगपु र्ण) कप्रे महरयर सप्रे
जडरा हहआ सगोनप्रे करा मजबपूत परकगोटरा हहै, हजसककी करारश्रीगरश्री करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥
178 (क)॥
* हरर पप्रेररत जप्रेहहमं कलप जगोइ जरातपुधरानपहत हगोइ।
सपूर पतरापश्री अतपुलबल दल समप्रेत बस सगोइ॥178 ख॥
भरावरारर्ण:-भगवरान ककी पप्रेरररा सप्रे हजस कल्प ममें जगो रराक्षसर करा रराजरा (ररावर) हगोतरा हहै, वहश्री शपूर,
पतरापश्री, अतपुहलत बलवरानम अपनश्री सप्रेनरा सहहत उस पपुरश्री ममें बसतरा हहै॥178 (ख)॥
चरौपराई :
* रहप्रे तहराहूँ हनहसचर भट भरारप्रे। तप्रे सब सपुरन्ह समर समंघरारप्रे॥
अब तहहूँ रहहहमं सक कप्रे पप्रेरप्रे। रच्छक कगोहट जच्छपहत कप्रे रप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-(पहलप्रे) वहराहूँ बडप्रे-बडप्रे यगोदरा रराक्षस रहतप्रे रप्रे। दप्रेवतराओमं नप्रे उन सबकगो यदपु ममें मरार डरालरा।
अब इमंद ककी पप्रेरररा सप्रे वहराहूँ कपु बप्रेर कप्रे एक करगोड रक्षक (यक्ष लगोग) रहतप्रे हमैं॥1॥
*दसमपुख कतहह हूँ खबरर अहस पराई। सप्रेन सराहज गढ घप्रेरप्रेहस जराई॥
दप्रेहख हबकट भट बहड कटकराई। जच्छ जश्रीव लहै गए परराई॥2॥
भरावरारर्ण:-ररावर कगो कहहीं ऐसश्री खबर हमलश्री, तब उसनप्रे सप्रेनरा सजराकर हकलप्रे कगो जरा घप्रेररा। उस बडप्रे
हवकट यगोदरा और उसककी बडश्री सप्रेनरा कगो दप्रेखकर यक्ष अपनप्रे परार लप्रेकर भराग गए॥2॥
* हफिरर सब नगर दसरानन दप्रेखरा। गयउ सगोच सपुख भयउ हबसप्रेषरा॥
सपुमंदर सहज अगम अनपुमरानश्री। ककीहन्ह तहराहूँ ररावन रजधरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-तब ररावर नप्रे घपूम-हफिरकर सराररा नगर दप्रेखरा। उसककी (स्ररान समंबमंधश्री) हचन्तरा हमट गई
और उसप्रे बहह त हश्री सपुख हह आ। उस पपुरश्री कगो स्वराभराहवक हश्री सपुमंदर और (बराहर वरालर कप्रे हलए) दगपु र्णम
अनपुमरान करकप्रे ररावर नप्रे वहराहूँ अपनश्री रराजधरानश्री करायम ककी॥3॥
* जप्रेहह जस जगोग बराहूँहट गमृह दश्रीन्हप्रे। सपुखश्री सकल रजनश्रीचर ककीन्हमें॥
एक बरार कपु बप्रेर पर धरावरा। पपुष्पक जरान जश्रीहत लहै आवरा॥4॥
भरावरारर्ण:-यगोग्यतरा कप्रे अनपुसरार घरर कगो बराटहूँ कर ररावर नप्रे सब रराक्षसर कगो सपुखश्री हकयरा। एक बरार वह
कपु बप्रेर पर चढ दरौडरा और उससप्रे पपुष्पक हवमरान कगो जश्रीतकर लप्रे आयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* करौतपुकहहीं कहै लरास पपुहन लश्रीन्हप्रेहस जराइ उठराइ।
मनहह हूँ तरौहल हनज बराहहबल चलरा बहह त सपुख पराइ॥179॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे जराकर (एक बरार) हखलवराड हश्री ममें कहै लरास पवर्णत कगो उठरा हलयरा और मरानगो
अपनश्री भपुजराओमं करा बल तरौलकर, बहह त सपुख पराकर वह वहराहूँ सप्रे चलरा आयरा॥179॥
चरौपराई :
* सपुख समंपहत सपुत सप्रेन सहराई। जय पतराप बल बपुहद बडराई॥
हनत नपूतन सब बराढत जराई। हजहम पहतलराभ लगोभ अहधकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुख, सम्पहर, पपुत्र, सप्रेनरा, सहरायक, जय, पतराप, बल, बपुहद और बडराई- यप्रे सब
उसकप्रे हनत्य नए (वहैसप्रे हश्री) बढतप्रे जरातप्रे रप्रे, जहैसप्रे पत्यप्रेक लराभ पर लगोभ बढतरा हहै॥1॥
* अहतबल कपुमं भकरन अस ररातरा। जप्रेहह कहह हूँ नहहमं पहतभट जग जरातरा॥
करइ परान सगोवइ षट मरासरा। जरागत हगोइ हतहह हूँ पपुर त्ररासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त बलवरानम कपु म्भकरर्ण सरा उसकरा भराई ररा, हजसकप्रे जगोड करा यगोदरा जगत ममें पहैदरा
हश्री नहहीं हहआ। वह महदररा पश्रीकर छह महश्रीनप्रे सगोयरा करतरा ररा। उसकप्रे जरागतप्रे हश्री तश्रीनर लगोकर ममें
तहलकरा मच जरातरा ररा॥2॥
* जजौं हदन पहत अहरार कर सगोई। हबस्व बप्रेहग सब चरौपट हगोई॥
समर धश्रीर नहहमं जराइ बखरानरा। तप्रेहह सम अहमत बश्रीर बलवरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद वह पहतहदन भगोजन करतरा, तब तगो सम्पपूरर्ण हवश्व शश्रीघ्र हश्री चरौपट (खरालश्री) हगो
जरातरा। ररधश्रीर ऐसरा ररा हक हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। (लमंकरा ममें) उसकप्रे ऐसप्रे असमंख्य
बलवरान वश्रीर रप्रे॥3॥
* बराररदनराद जप्रेठ सपुत तरासपू। भट महह हूँ परम लश्रीक जग जरासपू॥
जप्रेहह न हगोइ रन सनमपुख कगोई। सपुरपपुर हनतहहमं पररावन हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद ररावर करा बडरा लडकरा ररा, हजसकरा जगत कप्रे यगोदराओमं ममें पहलरा नमंबर ररा। रर
ममें कगोई भश्री उसकरा सरामनरा नहहीं कर सकतरा ररा। स्वगर्ण ममें तगो (उसकप्रे भय सप्रे) हनत्य भगदड मचश्री
रहतश्री रश्री॥4॥
दगोहरा :
* कपु मपुख अकमंपन कपु हलसरद धपूमकप्रे तपु अहतकराय।
एक एक जग जश्रीहत सक ऐसप्रे सपुभट हनकराय॥180॥
भरावरारर्ण:-(इनकप्रे अहतररक्त) दमपु पुर्णख, अकम्पन, वज्रदन्त, धपूमकप्रे तपु और अहतकराय आहद ऐसप्रे
अनप्रेक यगोदरा रप्रे, जगो अकप्रे लप्रे हश्री सरारप्रे जगत कगो जश्रीत सकतप्रे रप्रे॥180॥
चरौपराई :
* करामरूप जरानहहमं सब मरायरा। सपनप्रेहहहूँ हजन्ह कमें धरम न दरायरा॥
दसमपुख बहैठ सभराहूँ एक बराररा। दप्रेहख अहमत आपन पररवराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सभश्री रराक्षस मनमरानरा रूप बनरा सकतप्रे रप्रे और (आसपुरश्री) मरायरा जरानतप्रे रप्रे। उनकप्रे दयरा-
धमर्ण स्वप्न ममें भश्री नहहीं ररा। एक बरार सभरा ममें बहैठप्रे हहए ररावर नप्रे अपनप्रे अगहरत पररवरार कगो दप्रेखरा-॥
1॥
* सपुत समपूह जन पररजन नरातश्री। गनहै कगो परार हनसराचर जरातश्री॥
सप्रेन हबलगोहक सहज अहभमरानश्री। बगोलरा बचन कगोध मद सरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र-परौत्र, कपु टपु म्बश्री और सप्रेवक ढप्रेर-कप्रे -ढप्रेर रप्रे। (सरारश्री) रराक्षसर ककी जराहतयर कगो तगो हगन
हश्री करौन सकतरा ररा! अपनश्री सप्रेनरा कगो दप्रेखकर स्वभराव सप्रे हश्री अहभमरानश्री ररावर कगोध और गवर्ण ममें
सनश्री हह ई वरारश्री बगोलरा-॥2॥
* सपुनहह सकल रजनश्रीचर जपूररा। हमरप्रे बहैरश्री हबबपुध बरूररा॥
तप्रे सनमपुख नहहमं करहहमं लरराई। दप्रेहख सबल ररपपु जराहहमं परराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे समस्त रराक्षसर कप्रे दलर! सपुनगो, दप्रेवतरागर हमरारप्रे शत्रपु हमैं। वप्रे सरामनप्रे आकर यद पु नहहीं
करतप्रे। बलवरान शत्रपु कगो दप्रेखकर भराग जरातप्रे हमैं॥ 3॥
* तप्रेन्ह कर मरन एक हबहध हगोई। कहउहूँ बपुझराइ सपुनहह अब सगोई॥
हदजभगोजन मख हगोम सरराधरा। सब कहै जराइ करहह तपुम्ह बराधरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकरा मरर एक हश्री उपराय सप्रे हगो सकतरा हहै, ममैं समझराकर कहतरा हह हूँ। अब उसप्रे सपुनगो।
(उनकप्रे बल कगो बढरानप्रे वरालप्रे) ब्रराहर भगोजन, यज, हवन और शराद- इन सबममें जराकर तपुम बराधरा
डरालगो॥4॥
दगोहरा :
* छपु धरा छश्रीन बलहश्रीन सपुर सहजप्रेहहमं हमहलहहहमं आइ।
तब मराररहउहूँ हक छराहडहउहूँ भलश्री भराहूँहत अपनराइ॥181॥
भरावरारर्ण:-भपूख सप्रे दबपु र्णल और बलहश्रीन हगोकर दप्रेवतरा सहज हश्री ममें आ हमलमेंगप्रे। तब उनकगो ममैं मरार
डरालपूहूँगरा अरवरा भलश्रीभराहूँहत अपनप्रे अधश्रीन करकप्रे (सवर्णररा परराधश्रीन करकप्रे ) छगोड दहूँगपू रा॥181॥
चरौपराई :
* मप्रेघनराद कहह हूँ पपुहन हहूँकररावरा। दश्रीन्हहीं हसख बलपु बयर बढरावरा॥
जप्रे सपुर समर धश्रीर बलवरानरा। हजन्ह कमें लररबप्रे कर अहभमरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे मप्रेघनराद कगो बपुलवरायरा और हसखरा-पढराकर उसकप्रे बल और दप्रेवतराओमं कप्रे पहत
बहैरभराव कगो उरप्रेजनरा दश्री। (हफिर कहरा-) हप्रे पपुत्र ! जगो दप्रेवतरा रर ममें धश्रीर और बलवरानम हमैं और
हजन्हमें लडनप्रे करा अहभमरान हहै॥1॥
* हतन्हहह जश्रीहत रन आनप्रेसपु बराहूँधश्री। उहठ सपुत हपतपु अनपुसरासन कराहूँघश्री॥
एहह हबहध सबहश्री अग्यरा दश्रीन्हहीं। आपपुनपु चलप्रेउ गदरा कर लश्रीन्हश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें यद पु ममें जश्रीतकर बराहूँध लरानरा। बप्रेटप्रे नप्रे उठकर हपतरा ककी आजरा कगो हशरगोधरायर्ण हकयरा।
इसश्री तरह उसनप्रे सबकगो आजरा दश्री और आप भश्री हरार ममें गदरा लप्रेकर चल हदयरा॥ 2॥
* चलत दसरानन डगोलहत अवनश्री। गजर्णत गभर्ण स्रवहहमं सपुर रवनश्री॥
ररावन आवत सपुनप्रेउ सकगोहरा। दप्रेवन्ह तकप्रे मप्रेर हगरर खगोहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ररावर कप्रे चलनप्रे सप्रे पमृथ्वश्री डगमगरानप्रे लगश्री और उसककी गजर्णनरा सप्रे दप्रेवरमहरयर कप्रे गभर्ण हगरनप्रे
लगप्रे। ररावर कगो कगोध सहहत आतप्रे हह ए सपुनकर दप्रेवतराओमं नप्रे सपुमप्रेर पवर्णत ककी गपुफिराएहूँ तककीमं (भरागकर
सपुमप्रेर ककी गपुफिराओमं करा आशय हलयरा)॥3॥
* हदगपरालन्ह कप्रे लगोक सपुहराए। सपूनप्रे सकल दसरानन पराए॥
पपुहन पपुहन हसमंघनराद करर भरारश्री। दप्रेइ दप्रेवतन्ह गरारर पचरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हदक्परालर कप्रे सरारप्रे सपुदमं र लगोकर कगो ररावर नप्रे सपूनरा परायरा। वह बरार -बरार भरारश्री हसमंहगजर्णनरा
करकप्रे दप्रेवतराओमं कगो ललकरार-ललकरारकर गराहलयराहूँ दप्रेतरा ररा॥4॥
* रन मद मर हफिरइ गज धरावरा। पहतभट खगोजत कतहह हूँ न परावरा॥
रहब सहस पवन बरन धनधरारश्री। अहगहन कराल जम सब अहधकरारश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-रर कप्रे मद ममें मतवरालरा हगोकर वह अपनश्री जगोडश्री करा यगोदरा खगोजतरा हह आ जगत भर ममें
दरौडतरा हफिररा, परन्तपु उसप्रे ऐसरा यगोदरा कहहीं नहहीं हमलरा। सपूयर्ण, चन्दमरा, वराय,पु वरर, कपु बप्रेर,
अहग्नि, कराल और यम आहद सब अहधकरारश्री,॥5॥
* हकमंनर हसद मनपुज सपुर नरागरा। हहठ सबहश्री कप्रे पमंरहहमं लरागरा॥
ब्रहसमृहष्टि जहहूँ लहग तनपुधरारश्री। दसमपुख बसबतर नर नरारश्री॥6॥
भरावरारर्ण:-हकन्नर, हसद, मनपुष्य, दप्रेवतरा और नराग- सभश्री कप्रे पश्रीछप्रे वह हठपपूवर्णक पड गयरा (हकसश्री
कगो भश्री उसनप्रे शरामंहतपपूवर्णक नहहीं बहैठनप्रे हदयरा)। ब्रहराजश्री ककी समृहष्टि ममें जहराहूँ तक शरश्रीरधरारश्री स्त्रश्री-पपुरष
रप्रे, सभश्री ररावर कप्रे अधश्रीन हगो गए॥6॥
* आयसपु करहहमं सकल भयभश्रीतरा। नवहहमं आइ हनत चरन हबनश्रीतरा॥ 7॥
भरावरारर्ण:-डर कप्रे मरारप्रे सभश्री उसककी आजरा करा परालन करतप्रे रप्रे और हनत्य आकर नम्रतरापपूवर्णक उसकप्रे
चररर ममें हसर नवरातप्रे रप्रे॥7॥
दगोहरा :
* भपुजबल हबस्व बस्य करर रराखप्रेहस कगोउ न सपुतमंत्र।
ममंडलश्रीक महन ररावन रराज करइ हनज ममंत्र॥182 क॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे सरारप्रे हवश्व कगो वश ममें कर हलयरा, हकसश्री कगो स्वतमंत्र नहहीं रहनप्रे
हदयरा। (इस पकरार) ममंडलश्रीक रराजराओमं करा हशरगोमहर (सरावर्णभरौम सम्रराट) ररावर अपनश्री इच्छरानपुसरार
रराज्य करनप्रे लगरा॥182 (क)॥
* दप्रेव जच्छ गमंधबर्ण नर हकमंनर नराग कपु मरारर।
जश्रीहत बरहीं हनज बराहह बल बहह सपुदमं र बर नरारर॥182 ख॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, यक्ष, गमंधवर्ण, मनपुष्य, हकन्नर और नरागर ककी कन्यराओमं तररा बहह त सश्री अन्य सपुदमं रश्री
और उरम हस्त्रयर कगो उसनप्रे अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे जश्रीतकर ब्यराह हलयरा॥182 (ख)॥
चरौपराई :
* इमंदजश्रीत सन जगो कछपु कहप्रेऊ। सगो सब जनपु पहहलप्रेहहमं करर रहप्रेऊ॥
परमहहमं हजन्ह कहह हूँ आयसपु दश्रीन्हरा। हतन्ह कर चररत सपुनहह जगो ककीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-मप्रेघनराद सप्रे उसनप्रे जगो कपु छ कहरा, उसप्रे उसनप्रे (मप्रेघनराद नप्रे) मरानगो पहलप्रे सप्रे हश्री कर रखरा
ररा (अररार्णतम ररावर कप्रे कहनप्रे भर ककी दप्रेर रश्री, उसनप्रे आजरापरालन ममें तहनक भश्री दप्रेर नहहीं ककी।)
हजनकगो (ररावर नप्रे मप्रेघनराद सप्रे) पहलप्रे हश्री आजरा दप्रे रखश्री रश्री, उन्हरनप्रे जगो करतपूतमें ककी उन्हमें सपुनगो॥
1॥
* दप्रेखत भश्रीमरूप सब परापश्री। हनहसचर हनकर दप्रेव पररतरापश्री॥
करहहमं उपदव असपुर हनकरायरा। नरानरा रूप धरहहमं करर मरायरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब रराक्षसर कप्रे समपूह दप्रेखनप्रे ममें बडप्रे भयरानक, परापश्री और दप्रेवतराओमं कगो दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालप्रे रप्रे।
वप्रे असपुरर कप्रे समपूह उपदव करतप्रे रप्रे और मरायरा सप्रे अनप्रेकर पकरार कप्रे रूप धरतप्रे रप्रे॥2॥
* जप्रेहह हबहध हगोइ धमर्ण हनमपूर्णलरा। सगो सब करहहमं बप्रेद पहतकपू लरा॥
जप्रेहहमं जप्रेहहमं दप्रेस धप्रेनपु हदज परावहहमं। नगर गराउहूँ पपुर आहग लगरावहहमं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजस पकरार धमर्ण ककी जड कटप्रे, वप्रे वहश्री सब वप्रेदहवरद कराम करतप्रे रप्रे। हजस-हजस स्ररान
ममें वप्रे गगो और ब्रराहरर कगो परातप्रे रप्रे, उसश्री नगर, गराहूँव और पपुरवप्रे ममें आग लगरा दप्रेतप्रे रप्रे॥3॥
* सपुभ आचरन कतहह हूँ नहहमं हगोई। दप्रेव हबप गपुर मरान न कगोई॥
नहहमं हररभगहत जग्य तप ग्यरानरा। सपनप्रेहह सपुहनअ न बप्रेद पपुररानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(उनकप्रे डर सप्रे) कहहीं भश्री शपुभ आचरर (ब्रराहर भगोजन, यज, शराद आहद) नहहीं हगोतप्रे
रप्रे। दप्रेवतरा, ब्रराहर और गपुर कगो कगोई नहहीं मरानतरा ररा। न हररभहक्त रश्री, न यज, तप और जरान
ररा। वप्रेद और पपुररार तगो स्वप्न ममें भश्री सपुननप्रे कगो नहहीं हमलतप्रे रप्रे॥ 4॥
छन्द :
* जप जगोग हबररागरा तप मख भरागरा शवन सपुनइ दससश्रीसरा।
आपपुनपु उहठ धरावइ रहहै न परावइ धरर सब घरालइ खश्रीसरा॥
अस रष्टि अचराररा भरा समंसराररा धमर्ण सपुहनअ नहहमं करानरा।
तप्रेहह बहह हबहध त्ररासइ दप्रेस हनकरासइ जगो कह बप्रेद पपुररानरा॥
भरावरारर्ण:-जप, यगोग, वहैरराग्य, तप तररा यज ममें (दप्रेवतराओमं कप्रे ) भराग परानप्रे ककी बरात ररावर कहहीं
करानर सप्रे सपुन परातरा, तगो (उसश्री समय) स्वयमं उठ दरौडतरा। कपु छ भश्री रहनप्रे नहहीं परातरा, वह सबकगो
पकडकर हवध्वमंस कर डरालतरा ररा। समंसरार ममें ऐसरा रष्टि आचरर फिहै ल गयरा हक धमर्ण तगो करानर ममें
सपुननप्रे ममें नहहीं आतरा ररा, जगो कगोई वप्रेद और पपुररार कहतरा, उसकगो बहह त तरह सप्रे त्ररास दप्रेतरा और
दप्रेश सप्रे हनकराल दप्रेतरा ररा।
सगोरठरा :
* बरहन न जराइ अनश्रीहत घगोर हनसराचर जगो करहहमं।
हहमंसरा पर अहत पश्रीहत हतन्ह कप्रे परापहह कवहन हमहत॥183॥
भरावरारर्ण:-रराक्षस लगोग जगो घगोर अत्यराचरार करतप्रे रप्रे, उसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। हहमंसरा पर
हश्री हजनककी पश्रीहत हहै, उनकप्रे परापर करा क्यरा हठकरानरा॥183॥
मरासपराररायर, छठरा हवशराम
पमृथ्वश्री और दप्रेवतराहद ककी करर पपुकरार
चरौपराई :
* बराढप्रे खल बहह चगोर जपुआररा। जप्रे लमंपट परधन परदराररा॥
मरानहहमं मरातपु हपतरा नहहमं दप्रेवरा। सराधपुन्ह सन करवरावहहमं सप्रेवरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परराए धन और परराई स्त्रश्री पर मन चलरानप्रे वरालप्रे, दष्टिपु , चगोर और जपुआरश्री बहह त बढ गए।
लगोग मरातरा-हपतरा और दप्रेवतराओमं कगो नहहीं मरानतप्रे रप्रे और सराधपुओमं (ककी सप्रेवरा करनरा तगो दरपू रहरा,
उल्टप्रे उन) सप्रे सप्रेवरा करवरातप्रे रप्रे॥1॥
* हजन्ह कप्रे यह आचरन भवरानश्री। तप्रे जरानप्रेहह हनहसचर सब परानश्री॥
अहतसय दप्रेहख धमर्ण कहै ग्लरानश्री। परम सभश्रीत धररा अकपु लरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(शश्री हशवजश्री कहतप्रे हमैं हक-) हप्रे भवरानश्री! हजनकप्रे ऐसप्रे आचरर हमैं, उन सब पराहरयर कगो
रराक्षस हश्री समझनरा। इस पकरार धमर्ण कप्रे पहत (लगोगर ककी) अहतशय ग्लराहन (अरहच, अनरास्ररा)
दप्रेखकर पमृथ्वश्री अत्यन्त भयभश्रीत एवमं व्यराकपुल हगो गई॥2॥
* हगरर सरर हसमंधपु भरार नहहमं मगोहश्री। जस मगोहह गरअ एक परदगोहश्री।
सकल धमर्ण दप्रेखइ हबपरश्रीतरा। कहह न सकइ ररावन भय भश्रीतरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(वह सगोचनप्रे लगश्री हक) पवर्णतर, नहदयर और समपुदर करा बगोझ मपुझप्रे इतनरा भरारश्री नहहीं जरान
पडतरा, हजतनरा भरारश्री मपुझप्रे एक परदगोहश्री (दस पू रर करा अहनष्टि करनप्रे वरालरा) लगतरा हहै। पमृथ्वश्री सरारप्रे
धमर्मों कगो हवपरश्रीत दप्रेख रहश्री हहै, पर ररावर सप्रे भयभश्रीत हह ई वह कपु छ बगोल नहहीं सकतश्री॥3॥
*धप्रेनपु रूप धरर हृदयहूँ हबचरारश्री। गई तहराहूँ जहहूँ सपुर मपुहन झरारश्री॥
हनज समंतराप सपुनराएहस रगोई। कराहह तमें कछपु कराज न हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-(अमंत ममें) हृदय ममें सगोच-हवचरारकर, गगो करा रूप धरारर कर धरतश्री वहराहूँ गई, जहराहूँ सब
दप्रेवतरा और मपुहन (हछपप्रे) रप्रे। पमृथ्वश्री नप्रे रगोककर उनकगो अपनरा दद्धाःपु ख सपुनरायरा, पर हकसश्री सप्रे कपु छ
कराम न बनरा॥4॥
छन्द :
* सपुर मपुहन गमंधबरार्ण हमहल करर सबरार्ण गप्रे हबरमंहच कप्रे लगोकरा।
सहूँग गगोतनपुधरारश्री भपूहम हबचरारश्री परम हबकल भय सगोकरा॥
ब्रहराहूँ सब जरानरा मन अनपुमरानरा मगोर कछपू न बसराई।
जरा करर तमैं दरासश्री सगो अहबनरासश्री हमरप्रेउ तगोर सहराई॥
भरावरारर्ण:-तब दप्रेवतरा, मपुहन और गमंधवर्ण सब हमलकर ब्रहराजश्री कप्रे लगोक (सत्यलगोक) कगो गए। भय
और शगोक सप्रे अत्यन्त व्यराकपुल बप्रेचरारश्री पमृथ्वश्री भश्री गगो करा शरश्रीर धरारर हकए हहए उनकप्रे सरार रश्री।
ब्रहराजश्री सब जरान गए। उन्हरनप्रे मन ममें अनपुमरान हकयरा हक इसममें मप्रेररा कपु छ भश्री वश नहहीं चलनप्रे करा।
(तब उन्हरनप्रे पमृथ्वश्री सप्रे कहरा हक-) हजसककी तपू दरासश्री हहै, वहश्री अहवनराशश्री हमराररा और तपुम्हराररा दगोनर
करा सहरायक हहै॥
सगोरठरा :
* धरहन धरहह मन धश्रीर कह हबरमंहच हरर पद सपुहमर।
जरानत जन ककी पश्रीर पभपु भमंहजहह दरारन हबपहत॥184॥
भरावरारर्ण:-ब्रहराजश्री नप्रे कहरा- हप्रे धरतश्री! मन ममें धश्रीरज धरारर करकप्रे शश्री हरर कप्रे चररर करा स्मरर
करगो। पभपु अपनप्रे दरासर ककी पश्रीडरा कगो जरानतप्रे हमैं, वप्रे तपुम्हरारश्री कहठन हवपहर करा नराश करमेंगप्रे॥184॥
चरौपराई :
* बहैठप्रे सपुर सब करहहमं हबचराररा। कहहूँ पराइअ पभपु कररअ पपुकराररा॥
पपुर बहैकमंपु ठ जरान कह कगोई। कगोउ कह पयहनहध बस पभपु सगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतरा बहैठकर हवचरार करनप्रे लगप्रे हक पभपु कगो कहराहूँ परावमें तराहक उनकप्रे सरामनप्रे पपुकरार
(फिररयराद) करमें। कगोई बहैकमंपु ठपपुरश्री जरानप्रे कगो कहतरा ररा और कगोई कहतरा ररा हक वहश्री पभपु क्षश्रीरसमपुद
ममें हनवरास करतप्रे हमैं॥1॥
* जराकप्रे हृदयहूँ भगहत जहस पश्रीतश्री। पभपु तहहूँ पगट सदरा तप्रेहहमं रश्रीतश्री॥
तप्रेहहमं समराज हगररजरा ममैं रहप्रेऊहूँ। अवसर पराइ बचन एक कहप्रेउहूँ॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे हृदय ममें जहैसश्री भहक्त और पश्रीहत हगोतश्री हहै, पभपु वहराहूँ (उसकप्रे हलए) सदरा उसश्री
रश्रीहत सप्रे पकट हगोतप्रे हमैं। हप्रे परावर्णतश्री! उस समराज ममें ममैं भश्री ररा। अवसर पराकर ममैंनप्रे एक बरात कहश्री-॥
2॥
* हरर ब्यरापक सबर्णत्र समरानरा। पप्रेम तमें पगट हगोहहमं ममैं जरानरा॥
दप्रेस कराल हदहस हबहदहसहह मराहहीं। कहहह सगो कहराहूँ जहराहूँ पभपु नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं तगो यह जरानतरा हह हूँ हक भगवरान सब जगह समरान रूप सप्रे व्यरापक हमैं, पप्रेम सप्रे वप्रे पकट हगो
जरातप्रे हमैं, दप्रेश, कराल, हदशरा, हवहदशरा ममें बतराओ, ऐसश्री जगह कहराहूँ हहै, जहराहूँ पभपु न हर॥3॥
* अग जगमय सब रहहत हबररागश्री। पप्रेम तमें पभपु पगटइ हजहम आगश्री॥
मगोर बचन सब कप्रे मन मरानरा। सराधपु-सराधपु करर ब्रह बखरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे चरराचरमय (चरराचर ममें व्यराप्त) हगोतप्रे हह ए हश्री सबसप्रे रहहत हमैं और हवरक्त हमैं (उनककी कहहीं
आसहक्त नहहीं हहै), वप्रे पप्रेम सप्रे पकट हगोतप्रे हमैं, जहैसप्रे अहग्नि। (अहग्नि अव्यक्त रूप सप्रे सवर्णत्र व्यराप्त हहै,
परन्तपु जहराहूँ उसकप्रे हलए अरहरमन्रनराहद सराधन हकए जरातप्रे हमैं, वहराहूँ वह पकट हगोतश्री हहै। इसश्री पकरार
सवर्णत्र व्यराप्त भगवरान भश्री पप्रेम सप्रे पकट हगोतप्रे हमैं।) मप्रेरश्री बरात सबकगो हपय लगश्री। ब्रहराजश्री नप्रे 'सराधपु-
सराधपु' कहकर बडराई ककी॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन हबरमंहच मन हरष तन पपुलहक नयन बह नश्रीर।
अस्तपुहत करत जगोरर कर सरावधरान महतधश्रीर॥185॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री बरात सपुनकर ब्रहराजश्री कप्रे मन ममें बडरा हषर्ण हहआ, उनकरा तन पपुलहकत हगो गयरा और
नप्रेत्रर सप्रे (पप्रेम कप्रे ) आहूँसपू बहनप्रे लगप्रे। तब वप्रे धश्रीरबपुहद ब्रहराजश्री सरावधरान हगोकर हरार जगोडकर स्तपुहत
करनप्रे लगप्रे॥185॥
छन्द :
* जय जय सपुरनरायक जन सपुखदरायक पनतपराल भगवमंतरा।
गगो हदज हहतकरारश्री जय असपुररारश्री हसमंधपुसपुतरा हपय कमंतरा॥
परालन सपुर धरनश्री अद्भतपु करनश्री मरम न जरानइ कगोई।
जगो सहज कमृ परालरा दश्रीनदयरालरा करउ अनपुगह सगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री, सप्रेवकर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे, शरररागत ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे
भगवरान! आपककी जय हगो! जय हगो!! हप्रे गगो-ब्रराहरर करा हहत करनप्रे वरालप्रे, असपुरर करा हवनराश
करनप्रे वरालप्रे, समपुद ककी कन्यरा (शश्री लक्ष्मश्रीजश्री) कप्रे हपय स्वरामश्री! आपककी जय हगो! हप्रे दप्रेवतरा और
पमृथ्वश्री करा परालन करनप्रे वरालप्रे! आपककी लश्रीलरा अद्भतपु हहै, उसकरा भप्रेद कगोई नहहीं जरानतरा। ऐसप्रे जगो
स्वभराव सप्रे हश्री कमृ परालपु और दश्रीनदयरालपु हमैं, वप्रे हश्री हम पर कमृ परा करमें॥1॥
* जय जय अहबनरासश्री सब घट बरासश्री ब्यरापक परमरानमंदरा।
अहबगत गगोतश्रीतमं चररत पपुनश्रीतमं मरायरारहहत मपुकमंपु दरा॥
जप्रेहह लराहग हबररागश्री अहत अनपुररागश्री हबगत मगोह मपुहनबमृमंदरा।
हनहस बरासर ध्यरावहहमं गपुन गन गरावहहमं जयहत सहचदरानमंदरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे अहवनराशश्री, सबकप्रे हृदय ममें हनवरास करनप्रे वरालप्रे (अन्तयरार्णमश्री), सवर्णव्यरापक, परम
आनमंदस्वरूप, अजप्रेय, इहन्दयर सप्रे परप्रे, पहवत्र चररत्र, मरायरा सप्रे रहहत मपुकमंपु द (मगोक्षदरातरा)!
आपककी जय हगो! जय हगो!! (इस लगोक और परलगोक कप्रे सब भगोगर सप्रे) हवरक्त तररा मगोह सप्रे
सवर्णररा छपूटप्रे हह ए (जरानश्री) मपुहनवमृन्द भश्री अत्यन्त अनपुररागश्री (पप्रेमश्री) बनकर हजनकरा ररात-हदन ध्यरान
करतप्रे हमैं और हजनकप्रे गपुरर कप्रे समपूह करा गरान करतप्रे हमैं, उन सहचदरानमंद ककी जय हगो॥2॥
* जप्रेहहमं समृहष्टि उपराई हत्रहबध बनराई समंग सहराय न दज पू रा।
सगो करउ अघरारश्री हचमंत हमरारश्री जराहनअ भगहत न पपूजरा॥
जगो भव भय भमंजन मपुहन मन रमंजन गमंजन हबपहत बरूररा।
मन बच कम बरानश्री छराहड सयरानश्री सरन सकल सपुरजपूररा॥3॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे हबनरा हकसश्री दस पू रप्रे समंगश्री अरवरा सहरायक कप्रे अकप्रे लप्रे हश्री (यरा स्वयमं अपनप्रे कगो
हत्रगपुररूप- ब्रहरा, हवष्रपु, हशवरूप- बनराकर अरवरा हबनरा हकसश्री उपरादरान-करारर कप्रे अररार्णतम स्वयमं
हश्री समृहष्टि करा अहभन्नहनहमरगोपरादरान करारर बनकर) तश्रीन पकरार ककी समृहष्टि उत्पन्न ककी, वप्रे परापर करा
नराश करनप्रे वरालप्रे भगवरान हमरारश्री सपुहध लमें। हम न भहक्त जरानतप्रे हमैं, न पपूजरा, जगो समंसरार कप्रे (जन्म-
ममृत्यपु कप्रे ) भय करा नराश करनप्रे वरालप्रे, मपुहनयर कप्रे मन कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे और हवपहरयर कप्रे समपूह
कगो नष्टि करनप्रे वरालप्रे हमैं। हम सब दप्रेवतराओमं कप्रे समपूह, मन, वचन और कमर्ण सप्रे चतपुरराई करनप्रे ककी बरान
छगोडकर उन (भगवरान) ककी शरर (आए) हमैं॥3॥
* सरारद शपुहत सप्रेषरा ररषय असप्रेषरा जरा कहह हूँ कगोउ नहहमं जरानरा।
जप्रेहह दश्रीन हपआरप्रे बप्रेद पपुकरारप्रे दवउ सगो शश्रीभगवरानरा॥
भव बराररहध ममंदर सब हबहध सपुमंदर गपुनममंहदर सपुखपपुमंजरा।
मपुहन हसद सकल सपुर परम भयरातपुर नमत नरार पद कमं जरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सरस्वतश्री, वप्रेद, शप्रेषजश्री और सम्पपूरर्ण ऋहष कगोई भश्री हजनकगो नहहीं जरानतप्रे , हजन्हमें दश्रीन
हपय हमैं, ऐसरा वप्रेद पपुकरारकर कहतप्रे हमैं, वप्रे हश्री शश्री भगवरान हम पर दयरा करमें। हप्रे समंसरार रूपश्री समपुद कप्रे
(मरनप्रे कप्रे ) हलए ममंदरराचल रूप, सब पकरार सप्रे सपुदमं र, गपुरर कप्रे धराम और सपुखर ककी रराहश नरार!
आपकप्रे चरर कमलर ममें मपुहन, हसद और सरारप्रे दप्रेवतरा भय सप्रे अत्यन्त व्यराकपुल हगोकर नमस्करार
करतप्रे हमैं॥4॥
भगवरानम करा वरदरान
दगोहरा :
* जराहन सभय सपुर भपूहम सपुहन बचन समप्रेत सनप्रेह।
गगनहगररा गमंभश्रीर भइ हरहन सगोक समंदहप्रे ॥186॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं और पमृथ्वश्री कगो भयभश्रीत जरानकर और उनकप्रे स्नप्रेहयक्त पु वचन सपुनकर शगोक और
समंदहप्रे कगो हरनप्रे वरालश्री गमंभश्रीर आकराशवरारश्री हह ई॥186॥
चरौपराई :
* जहन डरपहह मपुहन हसद सपुरप्रेसरा। तपुम्हहह लराहग धररहउहूँ नर बप्रेसरा॥
अमंसन्ह सहहत मनपुज अवतराररा। लप्रेहउहूँ हदनकर बमंस उदराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन, हसद और दप्रेवतराओमं कप्रे स्वराहमयर! डरगो मत। तपुम्हरारप्रे हलए ममैं मनपुष्य करा रूप
धरारर करूहूँगरा और उदरार (पहवत्र) सपूयर्णवमंश ममें अमंशर सहहत मनपुष्य करा अवतरार लपूहूँगरा॥1॥
* कस्यप अहदहत महरातप ककीन्हरा। हतन्ह कहह हूँ ममैं पपूरब बर दश्रीन्हरा॥
तप्रे दसरर करौसल्यरा रूपरा। कगोसलपपुरहीं पगट नर भपूपरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कश्यप और अहदहत नप्रे बडरा भरारश्री तप हकयरा ररा। ममैं पहलप्रे हश्री उनकगो वर दप्रे चपुकरा हह हूँ। वप्रे हश्री
दशरर और करौसल्यरा कप्रे रूप ममें मनपुष्यर कप्रे रराजरा हगोकर शश्री अयगोध्यरापपुरश्री ममें पकट हहए हमैं॥2॥
* हतन्ह कमें गमृह अवतररहउहूँ जराई। रघपुकपुल हतलक सगो चराररउ भराई॥
नरारद बचन सत्य सब कररहउहूँ। परम सहक्त समप्रेत अवतररहउहूँ॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उन्हहीं कप्रे घर जराकर ममैं रघपुकपुल ममें शप्रेष चरार भराइयर कप्रे रूप ममें अवतरार लपूहूँगरा। नरारद कप्रे सब
वचन ममैं सत्य करूहूँगरा और अपनश्री परराशहक्त कप्रे सहहत अवतरार लपूहूँगरा॥3॥
* हररहउहूँ सकल भपूहम गरआई। हनभर्णय हगोहह दप्रेव समपुदराई॥
गगन ब्रहबरानश्री सपुहन करानरा। तपुरत हफिरप्रे सपुर हृदय जपुडरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं पमृथ्वश्री करा सब भरार हर लपूहूँगरा। हप्रे दप्रेववमृमंद! तपुम हनभर्णय हगो जराओ। आकराश ममें ब्रह
(भगवरान) ककी वरारश्री कगो करान सप्रे सपुनकर दप्रेवतरा तपुरमंत लरौट गए। उनकरा हृदय शश्रीतल हगो गयरा॥ 4॥
* तब ब्रहराहूँ धरहनहह समपुझरावरा। अभय भई भरगोस हजयहूँ आवरा॥5॥
भरावरारर्ण:-तब ब्रहराजश्री नप्रे पमृथ्वश्री कगो समझरायरा। वह भश्री हनभर्णय हह ई और उसकप्रे जश्री ममें भरगोसरा
(ढराढस) आ गयरा॥5॥
दगोहरा :
* हनज लगोकहह हबरमंहच गप्रे दप्रेवन्ह इहइ हसखराइ।
बरानर तनपु धरर धरर महह हरर पद सप्रेवहह जराइ॥187॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कगो यहश्री हसखराकर हक वरानरर करा शरश्रीर धर-धरकर तपुम लगोग पमृथ्वश्री पर जराकर
भगवरान कप्रे चररर ककी सप्रेवरा करगो, ब्रहराजश्री अपनप्रे लगोक कगो चलप्रे गए॥187॥
चरौपराई :
* गए दप्रेव सब हनज हनज धरामरा। भपूहम सहहत मन कहह हूँ हबशरामरा॥
जगो कछपु आयसपु ब्रहराहूँ दश्रीन्हरा। हरषप्रे दप्रेव हबलमंब न ककीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतरा अपनप्रे-अपनप्रे लगोक कगो गए। पमृथ्वश्री सहहत सबकप्रे मन कगो शरामंहत हमलश्री। ब्रहराजश्री
नप्रे जगो कपु छ आजरा दश्री, उससप्रे दप्रेवतरा बहह त पसन्न हहए और उन्हरनप्रे (वहैसरा करनप्रे ममें) दप्रेर नहहीं ककी॥
1॥
*बनचर दप्रेह धरश्री हछहत मराहहीं। अतपुहलत बल पतराप हतन्ह पराहहीं॥
हगरर तर नख आयधपु सब बश्रीररा। हरर मरारग हचतवहहमं महतधश्रीररा॥2॥
भरावरारर्ण:-पमृथ्वश्री पर उन्हरनप्रे वरानरदप्रेह धरारर ककी। उनममें अपरार बल और पतराप ररा। सभश्री शपूरवश्रीर रप्रे ,
पवर्णत, वमृक्ष और नख हश्री उनकप्रे शस्त्र रप्रे। वप्रे धश्रीर बपुहद वरालप्रे (वरानर रूप दप्रेवतरा) भगवरान कप्रे आनप्रे
ककी रराह दप्रेखनप्रे लगप्रे॥2॥
रराजरा दशरर करा पपुत्रप्रेहष्टि यज, रराहनयर करा गभर्णवतश्री हगोनरा
* हगरर करानन जहहूँ तहहूँ भरर पपूरश्री। रहप्रे हनज हनज अनश्रीक रहच रूरश्री॥
यह सब रहचर चररत ममैं भराषरा। अब सगो सपुनहह जगो बश्रीचहहमं रराखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे (वरानर) पवर्णतर और जमंगलर ममें जहराहूँ-तहराहूँ अपनश्री-अपनश्री सपुदमं र सप्रेनरा बनराकर भरपपूर छरा
गए। यह सब सपुदमं र चररत्र ममैंनप्रे कहरा। अब वह चररत्र सपुनगो हजसप्रे बश्रीच हश्री ममें छगोड हदयरा ररा॥ 3॥
* अवधपपुरहीं रघपुकपुलमहन रराऊ। बप्रेद हबहदत तप्रेहह दसरर नराऊहूँ॥
धरम धपुरमंधर गपुनहनहध ग्यरानश्री। हृदयहूँ भगहत भहत सरारहूँगपरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अवधपपुरश्री ममें रघपुकपुल हशरगोमहर दशरर नराम कप्रे रराजरा हह ए, हजनकरा नराम वप्रेदर ममें हवख्यरात
हहै। वप्रे धमर्णधपुरमंधर, गपुरर कप्रे भमंडरार और जरानश्री रप्रे। उनकप्रे हृदय ममें शरामंगर्णधनपुष धरारर करनप्रे वरालप्रे
भगवरान ककी भहक्त रश्री और उनककी बपुहद भश्री उन्हहीं ममें लगश्री रहतश्री रश्री॥ 4॥
दगोहरा :
* करौसल्यराहद नरारर हपय सब आचरन पपुनश्रीत।
पहत अनपुकपूल पप्रेम दृढ हरर पद कमल हबनश्रीत॥188॥
भरावरारर्ण:-उनककी करौसल्यरा आहद हपय रराहनयराहूँ सभश्री पहवत्र आचरर वरालश्री रहीं। वप्रे (बडश्री) हवनश्रीत
और पहत कप्रे अनपुकपूल (चलनप्रे वरालश्री) रहीं और शश्री हरर कप्रे चररकमलर ममें उनकरा दृढ पप्रेम ररा॥
188॥
चरौपराई :
* एक बरार भपूपहत मन मराहहीं। भहै गलराहन मगोरमें सपुत नराहहीं॥
गपुर गमृह गयउ तपुरत महहपरालरा। चरन लराहग करर हबनय हबसरालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-एक बरार रराजरा कप्रे मन ममें बडश्री ग्लराहन हहई हक मप्रेरप्रे पपुत्र नहहीं हहै। रराजरा तपुरमंत हश्री गपुर कप्रे घर
गए और चररर ममें परराम कर बहह त हवनय ककी॥1॥
* हनज दख पु सपुख सब गपुरहह सपुनरायउ। कहह बहसष बहह हबहध समपुझरायउ॥
धरहह धश्रीर हगोइहहहमं सपुत चरारश्री। हत्रभपुवन हबहदत भगत भय हरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे अपनरा सराररा सपुख-दद्धाःपु ख गपुर कगो सपुनरायरा। गपुर वहशषजश्री नप्रे उन्हमें बहह त पकरार सप्रे
समझरायरा (और कहरा-) धश्रीरज धरगो, तपुम्हरारप्रे चरार पपुत्र हरगप्रे, जगो तश्रीनर लगोकर ममें पहसद और भक्तर
कप्रे भय कगो हरनप्रे वरालप्रे हरगप्रे॥2॥
* समृगमं श्री ररहषहह बहसष बगोलरावरा। पपुत्रकराम सपुभ जग्य कररावरा॥
भगहत सहहत मपुहन आहह हत दश्रीन्हमें। पगटप्रे अहगहन चरू कर लश्रीन्हमें॥3॥
भरावरारर्ण:-वहशषजश्री नप्रे शमृमंगश्री ऋहष कगो बपुलवरायरा और उनसप्रे शपुभ पपुत्रकरामप्रेहष्टि यज कररायरा। मपुहन कप्रे
भहक्त सहहत आहहहतयराहूँ दप्रेनप्रे पर अहग्निदप्रेव हरार ममें चर (हहवष्यरान्न खश्रीर) हलए पकट हह ए॥3॥
दगोहरा :
*जगो बहसष कछपु हृदयहूँ हबचराररा। सकल कराजपु भरा हसद तपुम्हराररा॥
यह हहब बराहूँहट दप्रेहह नमृप जराई। जररा जगोग जप्रेहह भराग बनराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(और दशरर सप्रे बगोलप्रे-) वहशष नप्रे हृदय ममें जगो कपु छ हवचराररा ररा, तपुम्हराररा वह सब कराम
हसद हगो गयरा। हप्रे रराजनम! (अब) तपुम जराकर इस हहवष्यरान्न (परायस) कगो, हजसकगो जहैसरा उहचत
हगो, वहैसरा भराग बनराकर बराटहूँ दगो॥4॥
दगोहरा :
* तब अदृस्य भए परावक सकल सभहह समपुझराइ।
परमरानमंद मगन नमृप हरष न हृदयहूँ समराइ॥189॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर अहग्निदप्रेव सरारश्री सभरा कगो समझराकर अन्तधरार्णन हगो गए। रराजरा परमरानमंद ममें मग्नि हगो
गए, उनकप्रे हृदय ममें हषर्ण समरातरा न ररा॥189॥
चरौपराई :
* तबहहमं ररायहूँ हपय नरारर बगोलराई।मं करौसल्यराहद तहराहूँ चहल आई॥मं
अधर्ण भराग करौसल्यहह दश्रीन्हरा। उभय भराग आधप्रे कर ककीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय रराजरा नप्रे अपनश्री प्यरारश्री पहत्नयर कगो बपुलरायरा। करौसल्यरा आहद सब (रराहनयराहूँ)
वहराहूँ चलश्री आई।मं रराजरा नप्रे (परायस करा) आधरा भराग करौसल्यरा कगो हदयरा, (और शप्रेष) आधप्रे कप्रे दगो
भराग हकए॥1॥
* कहै कप्रे ई कहहूँ नमृप सगो दयऊ। रह्यगो सगो उभय भराग पपुहन भयऊ॥
करौसल्यरा कहै कप्रे ई हरार धरर। दश्रीन्ह सपुहमत्रहह मन पसन्न करर॥2॥
भरावरारर्ण:-वह (उनममें सप्रे एक भराग) रराजरा नप्रे कहै कप्रे यश्री कगो हदयरा। शप्रेष जगो बच रहरा उसकप्रे हफिर दगो
भराग हहए और रराजरा नप्रे उनकगो करौसल्यरा और कहै कप्रे यश्री कप्रे हरार पर रखकर (अररार्णतम उनककी अनपुमहत
लप्रेकर) और इस पकरार उनकरा मन पसन्न करकप्रे सपुहमत्ररा कगो हदयरा॥2॥
* एहह हबहध गभर्णसहहत सब नरारश्री। भई मं हृदयहूँ हरहषत सपुख भरारश्री॥
जरा हदन तमें हरर गभर्णहहमं आए। सकल लगोक सपुख समंपहत छराए॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब हस्त्रयराहूँ गभर्णवतश्री हहई।मं वप्रे हृदय ममें बहह त हहषर्णत हह ई।मं उन्हमें बडरा सपुख हमलरा।
हजस हदन सप्रे शश्री हरर (लश्रीलरा सप्रे हश्री) गभर्ण ममें आए, सब लगोकर ममें सपुख और सम्पहर छरा गई॥3॥
* ममंहदर महहूँ सब रराजहहमं ररानहीं। सगोभरा सश्रील तप्रेज ककी खरानहीं॥
सपुख जपुत कछपु क कराल चहल गयऊ। जप्रेहहमं पभपु पगट सगो अवसर भयऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-शगोभरा, शश्रील और तप्रेज ककी खरान (बनश्री हहई) सब रराहनयराहूँ महल ममें सपुशगोहभत हहई।मं इस
पकरार कपु छ समय सपुखपपूवर्णक बश्रीतरा और वह अवसर आ गयरा, हजसममें पभपु कगो पकट हगोनरा ररा॥4॥
शश्री भगवरानम करा पराकट्य और बराललश्रीलरा करा आनमंद
दगोहरा :
* जगोग लगन गह बरार हतहर सकल भए अनपुकपूल।
चर अर अचर हषर्णजपुत रराम जनम सपुखमपूल॥190॥
भरावरारर्ण:-यगोग, लग्नि, गह, वरार और हतहर सभश्री अनपुकपूल हगो गए। जड और चप्रेतन सब हषर्ण सप्रे भर
गए। (क्यरहक) शश्री रराम करा जन्म सपुख करा मपूल हहै॥190॥
चरौपराई :
* नरौमश्री हतहर मधपु मरास पपुनश्रीतरा। सपुकल पच्छ अहभहजत हररपश्रीतरा॥
मध्यहदवस अहत सश्रीत न घरामरा। परावन कराल लगोक हबशरामरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-पहवत्र चहैत्र करा महश्रीनरा ररा, नवमश्री हतहर रश्री। शपुक पक्ष और भगवरान करा हपय अहभहजतम
मपुहहतर्ण ररा। दगोपहर करा समय ररा। न बहह त सदर रश्री, न धपूप (गरमश्री) रश्री। वह पहवत्र समय सब
लगोकर कगो शरामंहत दप्रेनप्रे वरालरा ररा॥1॥
* सश्रीतल ममंद सपुरहभ बह बराऊ। हरहषत सपुर समंतन मन चराऊ॥
बन कपु सपुहमत हगररगन महनआररा। स्रवहहमं सकल सररतराऽममृतधराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्रीतल, ममंद और सपुगमंहधत पवन बह रहरा ररा। दप्रेवतरा हहषर्णत रप्रे और समंतर कप्रे मन ममें
(बडरा) चराव ररा। वन फिपूलप्रे हह ए रप्रे, पवर्णतर कप्रे समपूह महरयर सप्रे जगमगरा रहप्रे रप्रे और सरारश्री नहदयराहूँ
अममृत ककी धराररा बहरा रहश्री रहीं॥2॥
* सगो अवसर हबरमंहच जब जरानरा। चलप्रे सकल सपुर सराहज हबमरानरा॥
गगन हबमल समंकपुल सपुर जपूररा। गरावहहमं गपुन गमंधबर्ण बरूररा॥3॥
भरावरारर्ण:-जब ब्रहराजश्री नप्रे वह (भगवरान कप्रे पकट हगोनप्रे करा) अवसर जरानरा तब (उनकप्रे समप्रेत) सरारप्रे
दप्रेवतरा हवमरान सजरा-सजराकर चलप्रे। हनमर्णल आकराश दप्रेवतराओमं कप्रे समपूहर सप्रे भर गयरा। गमंधवर्मों कप्रे दल
गपुरर करा गरान करनप्रे लगप्रे॥3॥
* बरषहहमं सपुमन सपुअमंजपुहल सराजश्री। गहगहह गगन ददमंपु भपु श्री बराजश्री॥
अस्तपुहत करहहमं नराग मपुहन दप्रेवरा। बहह हबहध लरावहहमं हनज हनज सप्रेवरा॥4॥
भरावरारर्ण:-और सपुदमं र अमंजहलयर ममें सजरा-सजराकर पपुष्प बरसरानप्रे लगप्रे। आकराश ममें घमराघम नगराडप्रे
बजनप्रे लगप्रे। नराग, मपुहन और दप्रेवतरा स्तपुहत करनप्रे लगप्रे और बहह त पकरार सप्रे अपनश्री-अपनश्री सप्रेवरा
(उपहरार) भमेंट करनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपुर समपूह हबनतश्री करर पहह हूँचप्रे हनज हनज धराम।
जगहनवरास पभपु पगटप्रे अहखल लगोक हबशराम॥191
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कप्रे समपूह हवनतश्री करकप्रे अपनप्रे-अपनप्रे लगोक ममें जरा पहह हूँचप्रे। समस्त लगोकर कगो शरामंहत
दप्रेनप्रे वरालप्रे, जगदराधरार पभपु पकट हह ए॥191॥
छन्द :
* भए पगट कमृ परालरा दश्रीनदयरालरा करौसल्यरा हहतकरारश्री।
हरहषत महतरारश्री मपुहन मन हरारश्री अद्भतपु रूप हबचरारश्री॥
लगोचन अहभररामरा तनपु घनस्यरामरा हनज आयधपु भपुजचरारश्री।
भपूषन बनमरालरा नयन हबसरालरा सगोभराहसमंधपु खररारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे, करौसल्यराजश्री कप्रे हहतकरारश्री कमृ परालपु पभपु पकट हह ए। मपुहनयर कप्रे
मन कगो हरनप्रे वरालप्रे उनकप्रे अद्भतपु रूप करा हवचरार करकप्रे मरातरा हषर्ण सप्रे भर गई। नप्रेत्रर कगो आनमंद दप्रेनप्रे
वरालरा मप्रेघ कप्रे समरान श्यराम शरश्रीर ररा, चरारर भपुजराओमं ममें अपनप्रे (खरास) आयधपु (धरारर हकए हह ए)
रप्रे, (हदव्य) आभपूषर और वनमरालरा पहनप्रे रप्रे, बडप्रे-बडप्रे नप्रेत्र रप्रे। इस पकरार शगोभरा कप्रे समपुद तररा
खर रराक्षस कगो मरारनप्रे वरालप्रे भगवरान पकट हहए॥1॥
* कह दइपु कर जगोरश्री अस्तपुहत तगोरश्री कप्रे हह हबहध करजौं अनमंतरा।
मरायरा गपुन ग्यरानरातश्रीत अमरानरा बप्रेद पपुररान भनमंतरा॥
करनरा सपुख सरागर सब गपुन आगर जप्रेहह गरावहहमं शपुहत समंतरा।
सगो मम हहत लरागश्री जन अनपुररागश्री भयउ पगट शश्रीकमंतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर हरार जगोडकर मरातरा कहनप्रे लगश्री- हप्रे अनमंत! ममैं हकस पकरार तपुम्हरारश्री स्तपुहत करूहूँ।
वप्रेद और पपुररार तपुम कगो मरायरा, गपुर और जरान सप्रे परप्रे और पररमरार रहहत बतलरातप्रे हमैं। शपुहतयराहूँ और
समंतजन दयरा और सपुख करा समपुद, सब गपुरर करा धराम कहकर हजनकरा गरान करतप्रे हमैं, वहश्री भक्तर
पर पप्रेम करनप्रे वरालप्रे लक्ष्मश्रीपहत भगवरान मप्रेरप्रे कल्यरार कप्रे हलए पकट हहए हमैं॥2॥
* ब्रहरामंड हनकरायरा हनहमर्णत मरायरा रगोम रगोम पहत बप्रेद कहहै।
मम उर सगो बरासश्री यह उपहरासश्री सपुनत धश्रीर महत हरर न रहहै॥
उपजरा जब ग्यरानरा पभपु मपुसपुकरानरा चररत बहह त हबहध ककीन्ह चहहै।
कहह कररा सपुहराई मरातपु बपुझराई जप्रेहह पकरार सपुत पप्रेम लहहै॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद कहतप्रे हमैं हक तपुम्हरारप्रे पत्यप्रेक रगोम ममें मरायरा कप्रे रचप्रे हह ए अनप्रेकर ब्रहराण्डर कप्रे समपूह (भरप्रे)
हमैं। वप्रे तपुम मप्रेरप्रे गभर्ण ममें रहप्रे- इस हहूँसश्री ककी बरात कप्रे सपुननप्रे पर धश्रीर (हववप्रेककी) पपुरषर ककी बपुहद भश्री
हस्रर नहहीं रहतश्री (हवचहलत हगो जरातश्री हहै)। जब मरातरा कगो जरान उत्पन्न हहआ, तब पभपु मपुस्कपु रराए। वप्रे
बहह त पकरार कप्रे चररत्र करनरा चराहतप्रे हमैं। अतद्धाः उन्हरनप्रे (पपूवर्ण जन्म ककी) सपुमंदर कररा कहकर मरातरा कगो
समझरायरा, हजससप्रे उन्हमें पपुत्र करा (वरात्सल्य) पप्रेम पराप्त हगो (भगवरान कप्रे पहत पपुत्र भराव हगो जराए)॥
3॥
* मरातरा पपुहन बगोलश्री सगो महत डगोलश्री तजहह तरात यह रूपरा।
ककीजहै हससपुलश्रीलरा अहत हपयसश्रीलरा यह सपुख परम अनपूपरा॥
सपुहन बचन सपुजरानरा रगोदन ठरानरा हगोइ बरालक सपुरभपूपरा।
यह चररत जप्रे गरावहहमं हररपद परावहहमं तप्रे न परहहमं भवकपू परा॥4॥
भरावरारर्ण:-मरातरा ककी वह बपुहद बदल गई, तब वह हफिर बगोलश्री- हप्रे तरात! यह रूप छगोडकर अत्यन्त
हपय बराललश्रीलरा करगो, (मप्रेरप्रे हलए) यह सपुख परम अनपुपम हगोगरा। (मरातरा करा) यह वचन सपुनकर
दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री सपुजरान भगवरान नप्रे बरालक (रूप) हगोकर रगोनरा शपुरू कर हदयरा। (तपुलसश्रीदरासजश्री
कहतप्रे हमैं-) जगो इस चररत्र करा गरान करतप्रे हमैं, वप्रे शश्री हरर करा पद परातप्रे हमैं और (हफिर) समंसरार रूपश्री
कपू प ममें नहहीं हगरतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हबप धप्रेनपु सपुर समंत हहत लश्रीन्ह मनपुज अवतरार।
हनज इच्छरा हनहमर्णत तनपु मरायरा गपुन गगो परार॥192॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहर, गगो, दप्रेवतरा और समंतर कप्रे हलए भगवरान नप्रे मनपुष्य करा अवतरार हलयरा। वप्रे
(अजरानमयश्री, महलनरा) मरायरा और उसकप्रे गपुर (सतम, रज, तम) और (बराहरश्री तररा भश्रीतरश्री)
इहन्दयर सप्रे परप्रे हमैं। उनकरा (हदव्य) शरश्रीर अपनश्री इच्छरा सप्रे हश्री बनरा हहै (हकसश्री कमर्ण बमंधन सप्रे परवश
हगोकर हत्रगपुररात्मक भरौहतक पदरारर्मों कप्रे दराररा नहहीं)॥192॥
चरौपराई :
* सपुहन हससपु रदन परम हपय बरानश्री। समंरम चहल आई मं सब ररानश्री॥
हरहषत जहहूँ तहहूँ धराई मं दरासश्री। आनहूँद मगन सकल पपुरबरासश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-बचप्रे कप्रे रगोनप्रे ककी बहह त हश्री प्यरारश्री ध्वहन सपुनकर सब रराहनयराहूँ उतरावलश्री हगोकर दरौडश्री चलश्री
आई।मं दराहसयराहूँ हहषर्णत हगोकर जहराहूँ-तहराहूँ दरौडहीं। सरारप्रे पपुरवरासश्री आनमंद ममें मग्नि हगो गए॥1॥
* दसरर पपुत्रजन्म सपुहन करानरा। मरानहह ब्रहरानमंद समरानरा॥
परम पप्रेम मन पपुलक सरश्रीररा। चराहत उठन करत महत धश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशररजश्री पपुत्र करा जन्म करानर सप्रे सपुनकर मरानगो ब्रहरानमंद ममें समरा गए। मन ममें
अहतशय पप्रेम हहै, शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा। (आनमंद ममें अधश्रीर हहई) बपुहद कगो धश्रीरज दप्रेकर (और पप्रेम
ममें हशहरल हहए शरश्रीर कगो समंभरालकर) वप्रे उठनरा चराहतप्रे हमैं॥2॥
* जराकर नराम सपुनत सपुभ हगोई। मगोरमें गमृह आवरा पभपु सगोई॥
परमरानमंद पपूरर मन रराजरा। कहरा बगोलराइ बजरावहह बराजरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा नराम सपुननप्रे सप्रे हश्री कल्यरार हगोतरा हहै, वहश्री पभपु मप्रेरप्रे घर आए हमैं। (यह सगोचकर)
रराजरा करा मन परम आनमंद सप्रे पपूरर्ण हगो गयरा। उन्हरनप्रे बराजप्रे वरालर कगो बपुलराकर कहरा हक बराजरा
बजराओ॥3॥
* गपुर बहसष कहहूँ गयउ हहूँकराररा। आए हदजन सहहत नमृपदराररा॥
अनपुपम बरालक दप्रेखप्रेहन्ह जराई। रूप रराहस गपुन कहह न हसरराई॥4॥
भरावरारर्ण:-गपुर वहशषजश्री कप्रे परास बपुलरावरा गयरा। वप्रे ब्रराहरर कगो सरार हलए रराजदरार पर आए। उन्हरनप्रे
जराकर अनपुपम बरालक कगो दप्रेखरा, जगो रूप ककी रराहश हहै और हजसकप्रे गपुर कहनप्रे सप्रे समराप्त नहहीं हगोतप्रे॥
4॥
दगोहरा :
* नमंदश्रीमपुख सरराध करर जरातकरम सब ककीन्ह।
हराटक धप्रेनपु बसन महन नमृप हबपन्ह कहहूँ दश्रीन्ह॥193॥
भरावरारर्ण:-हफिर रराजरा नप्रे नरामंदश्रीमपुख शराद करकप्रे सब जरातकमर्ण-समंस्करार आहद हकए और ब्रराहरर कगो
सगोनरा, गगो, वस्त्र और महरयर करा दरान हदयरा॥193॥
चरौपराई :
* ध्वज पतराक तगोरन पपुर छरावरा। कहह न जराइ जप्रेहह भराहूँहत बनरावरा॥
सपुमनबमृहष्टि अकरास तमें हगोई। ब्रहरानमंद मगन सब लगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-ध्वजरा, पतराकरा और तगोररर सप्रे नगर छरा गयरा। हजस पकरार सप्रे वह सजरायरा गयरा, उसकरा
तगो वरर्णन हश्री नहहीं हगो सकतरा। आकराश सप्रे फिपू लर ककी वषरार्ण हगो रहश्री हहै, सब लगोग ब्रहरानमंद ममें मग्नि हमैं॥
1॥
* बमृदमं बमृमंद हमहल चलहीं लगोगराई।मं सहज हसमंगरार हकएहूँ उहठ धराई॥मं
कनक कलस ममंगल भरर रराररा। गरावत पहैठहहमं भपूप दआ पु ररा॥2॥
भरावरारर्ण:-हस्त्रयराहूँ झपुमंड ककी झपुडमं हमलकर चलहीं। स्वराभराहवक शमृमंगरार हकए हश्री वप्रे उठ दरौडहीं। सगोनप्रे करा
कलश लप्रेकर और ररालर ममें ममंगल दव्य भरकर गरातश्री हह ई मं रराजदरार ममें पवप्रेश करतश्री हमैं॥2॥
* करर आरहत नप्रेवछरावरर करहहीं। बरार बरार हससपु चरनहन्ह परहहीं॥
मरागध सपूत बमंहदगन गरायक। परावन गपुन गरावहहमं रघपुनरायक॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे आरतश्री करकप्रे हनछरावर करतश्री हमैं और बरार-बरार बचप्रे कप्रे चररर पर हगरतश्री हमैं। मरागध,
सपूत, वन्दश्रीजन और गवहैयप्रे रघपुकपुल कप्रे स्वरामश्री कप्रे पहवत्र गपुरर करा गरान करतप्रे हमैं॥3॥
* सबर्णस दरान दश्रीन्ह सब कराहह। जप्रेहहमं परावरा रराखरा नहहमं तराहह॥
ममृगमद चमंदन कपुमं कपु म ककीचरा। मचश्री सकल बश्रीहरन्ह हबच बश्रीचरा॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सब हकसश्री कगो भरपपूर दरान हदयरा। हजसनप्रे परायरा उसनप्रे भश्री नहहीं रखरा (लपुटरा
हदयरा)। (नगर ककी) सभश्री गहलयर कप्रे बश्रीच-बश्रीच ममें कस्तपूरश्री, चमंदन और कप्रे सर ककी ककीच मच गई॥
4॥
दगोहरा :
* गमृह गमृह बराज बधराव सपुभ पगटप्रे सपुषमरा कमंद।
हरषवमंत सब जहहूँ तहहूँ नगर नरारर नर बमृदमं ॥194॥
भरावरारर्ण:-घर-घर ममंगलमय बधरावरा बजनप्रे लगरा, क्यरहक शगोभरा कप्रे मपूल भगवरान पकट हह ए हमैं। नगर
कप्रे स्त्रश्री-पपुरषर कप्रे झपुमंड कप्रे झपुडमं जहराहूँ-तहराहूँ आनमंदमग्नि हगो रहप्रे हमैं॥194॥
चरौपराई :
* कहै कयसपुतरा सपुहमत्ररा दगोऊ। सपुमंदर सपुत जनमत भमैं ओऊ॥
वह सपुख समंपहत समय समराजरा। कहह न सकइ सरारद अहहरराजरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री और सपुहमत्ररा- इन दगोनर नप्रे भश्री सपुदमं र पपुत्रर कगो जन्म हदयरा। उस सपुख, सम्पहर,
समय और समराज करा वरर्णन सरस्वतश्री और सपर्मों कप्रे रराजरा शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कर सकतप्रे॥1॥
* अवधपपुरश्री सगोहइ एहह भराहूँतश्री। पभपुहह हमलन आई जनपु ररातश्री॥
दप्रेहख भरानपु जनपु मन सकपु चरानश्री। तदहप बनश्री समंध्यरा अनपुमरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-अवधपपुरश्री इस पकरार सपुशगोहभत हगो रहश्री हहै, मरानगो रराहत्र पभपु सप्रे हमलनप्रे आई हगो और सपूयर्ण
कगो दप्रेखकर मरानगो मन ममें सकपु चरा गई हगो, परन्तपु हफिर भश्री मन ममें हवचरार कर वह मरानगो समंध्यरा बन
(कर रह) गई हगो॥2॥
* अगर धपूप बहह जनपु अहूँहधआरश्री। उडइ अबश्रीर मनहह हूँ अरनरारश्री॥
ममंहदर महन समपूह जनपु तराररा। नमृप गमृह कलस सगो इमंद पु उदराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-अगर ककी धपूप करा बहह त सरा धपुआहूँ मरानगो (समंध्यरा करा) अमंधकरार हहै और जगो अबश्रीर उड रहरा
हहै, वह उसककी ललराई हहै। महलर ममें जगो महरयर कप्रे समपूह हमैं, वप्रे मरानगो तराररागर हमैं। रराज महल करा
जगो कलश हहै, वहश्री मरानगो शप्रेष चन्दमरा हहै॥3॥
* भवन बप्रेदधपुहन अहत ममृद पु बरानश्री। जनपु खग मपुखर समयहूँ जनपु सरानश्री॥
करौतपुक दप्रेहख पतमंग भपुलरानरा। एक मरास तप्रेइहूँ जरात न जरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराजभवन ममें जगो अहत कगोमल वरारश्री सप्रे वप्रेदध्वहन हगो रहश्री हहै, वहश्री मरानगो समय सप्रे
(समयरानपुकपूल) सनश्री हहई पहक्षयर ककी चहचहराहट हहै। यह करौतपुक दप्रेखकर सपूयर्ण भश्री (अपनश्री चराल)
भपूल गए। एक महश्रीनरा उन्हरनप्रे जरातरा हहआ न जरानरा (अररार्णत उन्हमें एक महश्रीनरा वहहीं बश्रीत गयरा)॥4॥
दगोहरा :
* मरास हदवस कर हदवस भरा मरम न जरानइ कगोइ।
रर समप्रेत रहब रराकप्रेउ हनसरा कवन हबहध हगोइ॥195॥
भरावरारर्ण:- महश्रीनप्रे भर करा हदन हगो गयरा। इस रहस्य कगो कगोई नहहीं जरानतरा। सपूयर्ण अपनप्रे रर सहहत
वहहीं रक गए, हफिर ररात हकस तरह हगोतश्री॥195॥
चरौपराई :
* यह रहस्य कराहहहूँ नहहमं जरानरा। हदनमहन चलप्रे करत गपुनगरानरा॥
दप्रेहख महगोत्सव सपुर मपुहन नरागरा। चलप्रे भवन बरनत हनज भरागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-यह रहस्य हकसश्री नप्रे नहहीं जरानरा। सपूयदर्ण प्रेव (भगवरान शश्री ररामजश्री करा) गपुरगरान करतप्रे हह ए
चलप्रे। यह महगोत्सव दप्रेखकर दप्रेवतरा, मपुहन और नराग अपनप्रे भराग्य ककी सरराहनरा करतप्रे हह ए अपनप्रे-अपनप्रे
घर चलप्रे॥1॥
* औरउ एक कहउहूँ हनज चगोरश्री। सपुनपु हगररजरा अहत दृढ महत तगोरश्री॥
कराकभपुसपुमंहड समंग हम दगोऊ। मनपुजरूप जरानइ नहहमं कगोऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! तपुम्हरारश्री बपुहद (शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें) बहह त दृढ हहै, इसहलए ममैं और भश्री
अपनश्री एक चगोरश्री (हछपराव) ककी बरात कहतरा हह हूँ, सपुनगो। कराकभपुशपुहण्ड और ममैं दगोनर वहराहूँ सरार-सरार
रप्रे, परन्तपु मनपुष्य रूप ममें हगोनप्रे कप्रे करारर हममें कगोई जरान न सकरा॥2॥
* परमरानमंद पप्रेम सपुख फिपूलप्रे। बश्रीहरन्ह हफिरहहमं मगन मन भपूलप्रे॥
यह सपुभ चररत जरान पहै सगोई। कमृ परा रराम कहै जरापर हगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-परम आनमंद और पप्रेम कप्रे सपुख ममें फिपूलप्रे हह ए हम दगोनर मगन मन सप्रे (मस्त हहए) गहलयर ममें
(तन-मन ककी सपुहध) भपूलप्रे हह ए हफिरतप्रे रप्रे, परन्तपु यह शपुभ चररत्र वहश्री जरान सकतरा हहै, हजस पर शश्री
ररामजश्री ककी कमृ परा हगो॥3॥
* तप्रेहह अवसर जगो जप्रेहह हबहध आवरा। दश्रीन्ह भपूप जगो जप्रेहह मन भरावरा॥
गज रर तपुरग हप्रेम गगो हश्रीररा। दश्रीन्हप्रे नमृप नरानराहबहध चश्रीररा॥4॥
भरावरारर्ण:-उस अवसर पर जगो हजस पकरार आयरा और हजसकप्रे मन कगो जगो अच्छरा लगरा, रराजरा नप्रे
उसप्रे वहश्री हदयरा। हरारश्री, रर, घगोडप्रे, सगोनरा, गरायमें, हश्रीरप्रे और भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे वस्त्र रराजरा नप्रे हदए॥4॥
दगोहरा :
* मन समंतगोषप्रे सबहन्ह कप्रे जहहूँ तहहूँ दप्रेहहमं असश्रीस।
सकल तनय हचर जश्रीवहह हूँ तपुलहसदरास कप्रे ईस॥196॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सबकप्रे मन कगो समंतपुष्टि हकयरा। (इसश्री सप्रे) सब लगोग जहराहूँ-तहराहूँ आशश्रीवरार्णद दप्रे रहप्रे रप्रे
हक तपुलसश्रीदरास कप्रे स्वरामश्री सब पपुत्र (चरारर रराजकपु मरार) हचरजश्रीवश्री (दश्रीघरार्णय)पु हर॥196॥
चरौपराई :
* कछपु क हदवस बश्रीतप्रे एहह भराहूँतश्री। जरात न जराहनअ हदन अर ररातश्री॥
नरामकरन कर अवसर जरानश्री। भपूप बगोहल पठए मपुहन ग्यरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार कपु छ हदन बश्रीत गए। हदन और ररात जरातप्रे हह ए जरान नहहीं पडतप्रे। तब नरामकरर
समंस्करार करा समय जरानकर रराजरा नप्रे जरानश्री मपुहन शश्री वहशषजश्री कगो बपुलरा भप्रेजरा॥ 1॥
* करर पपूजरा भपूपहत अस भराषरा। धररअ नराम जगो मपुहन गपुहन रराखरा॥
इन्ह कप्रे नराम अनप्रेक अनपूपरा। ममैं नमृप कहब स्वमहत अनपुरूपरा॥2॥
भरावरारर्ण:-मपुहन ककी पपूजरा करकप्रे रराजरा नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! आपनप्रे मन ममें जगो हवचरार रखप्रे हर, वप्रे नराम
रहखए। (मपुहन नप्रे कहरा-) हप्रे रराजनम! इनकप्रे अनपुपम नराम हमैं, हफिर भश्री ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार
कहह हूँगरा॥2॥
*जगो आनमंद हसमंधपु सपुखररासश्री। सश्रीकर तमें त्रहैलगोक सपुपरासश्री॥
सगो सपुखधराम रराम अस नरामरा। अहखल लगोक दरायक हबशरामरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे जगो आनमंद कप्रे समपुद और सपुख ककी रराहश हमैं, हजस (आनमंदहसमंधपु) कप्रे एक कर सप्रे तश्रीनर
लगोक सपुखश्री हगोतप्रे हमैं, उन (आपकप्रे सबसप्रे बडप्रे पपुत्र) करा नराम 'रराम' हहै, जगो सपुख करा भवन और
सम्पपूरर्ण लगोकर कगो शरामंहत दप्रेनप्रे वरालरा हहै॥3॥
* हबस्व भरन पगोषन कर जगोई। तराकर नराम भरत अस हगोई॥
जराकप्रे सपुहमरन तमें ररपपु नरासरा। नराम सत्रपुहन बप्रेद पकरासरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो समंसरार करा भरर-पगोषर करतप्रे हमैं, उन (आपकप्रे दस पू रप्रे पपुत्र) करा नराम 'भरत' हगोगरा,
हजनकप्रे स्मरर मरात्र सप्रे शत्रपु करा नराश हगोतरा हहै, उनकरा वप्रेदर ममें पहसद 'शत्रपुघ्न' नराम हहै॥4॥
दगोहरा :
* लच्छन धराम रराम हपय सकल जगत आधरार।
गपुर बहसषछ तप्रेहह रराखरा लहछमन नराम उदरार॥197॥
भरावरारर्ण:-जगो शपुभ लक्षरर कप्रे धराम, शश्री ररामजश्री कप्रे प्यरारप्रे और सरारप्रे जगत कप्रे आधरार हमैं, गपुर
वहशषराजश्री नप्रे उनकरा 'लक्ष्मर' ऐसरा शप्रेषन नराम रखरा हहै॥197॥
चरौपराई :
* धरप्रे नराम गपुर हृदयहूँ हबचरारश्री। बप्रेद तत्व नमृप तव सपुत चरारश्री॥
मपुहन धन जन सरबस हसव परानरा। बराल कप्रे हल रस तप्रेहहमं सपुख मरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री नप्रे हृदय ममें हवचरार कर यप्रे नराम रखप्रे (और कहरा-) हप्रे रराजनम! तपुम्हरारप्रे चरारर पपुत्र वप्रेद
कप्रे तत्त्व (सराक्षरातम पररात्पर भगवरान) हमैं। जगो मपुहनयर कप्रे धन, भक्तर कप्रे सवर्णस्व और हशवजश्री कप्रे परार
हमैं, उन्हरनप्रे (इस समय तपुम लगोगर कप्रे पप्रेमवश) बराल लश्रीलरा कप्रे रस ममें सपुख मरानरा हहै॥1॥
* बरारप्रेहह तप्रे हनज हहत पहत जरानश्री। लहछमन रराम चरन रहत मरानश्री॥
भरत सत्रपुहन दनपू उ भराई। पभपु सप्रेवक जहस पश्रीहत बडराई॥2॥
भरावरारर्ण:-बचपन सप्रे हश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो अपनरा परम हहतहैषश्री स्वरामश्री जरानकर लक्ष्मरजश्री नप्रे उनकप्रे
चररर ममें पश्रीहत जगोड लश्री। भरत और शत्रपुघ्न दगोनर भराइयर ममंज स्वरामश्री और सप्रेवक ककी हजस पश्रीहत
ककी पशमंसरा हहै, वहैसश्री पश्रीहत हगो गई॥2॥
*स्यराम गरौर सपुदमं र दगोउ जगोरश्री। हनरखहहमं छहब जननहीं तमृन तगोरश्री॥
चराररउ सश्रील रूप गपुन धरामरा। तदहप अहधक सपुखसरागर ररामरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-श्यराम और गरौर शरश्रीर वरालश्री दगोनर सपुदमं र जगोहडयर ककी शगोभरा कगो दप्रेखकर मरातराएहूँ तमृर
तगोडतश्री हमैं (हजसममें दश्रीठ न लग जराए)। यर तगो चरारर हश्री पपुत्र शश्रील, रूप और गपुर कप्रे धराम हमैं, तगो भश्री
सपुख कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री सबसप्रे अहधक हमैं॥3॥
* हृदयहूँ अनपुगह इमंदपु पकरासरा। सपूचत हकरन मनगोहर हरासरा॥
कबहह हूँ उछमंग कबहह हूँ बर पलनरा। मरातपु दल पु रारइ कहह हपय ललनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे हृदय ममें कमृ परा रूपश्री चन्दमरा पकराहशत हहै। उनककी मन कगो हरनप्रे वरालश्री हहूँसश्री उस
(कमृ परा रूपश्री चन्दमरा) ककी हकररर कगो सपूहचत करतश्री हहै। कभश्री गगोद ममें (लप्रेकर) और कभश्री उरम
परालनप्रे ममें (हलटराकर) मरातरा 'प्यरारप्रे ललनरा!' कहकर दल पु रार करतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* ब्यरापक ब्रह हनरमंजन हनगपुर्णन हबगत हबनगोद।
सगो अज पप्रेम भगहत बस करौसल्यरा कमें गगोद॥198॥
भरावरारर्ण:-जगो सवर्णव्यरापक, हनरमंजन (मरायरारहहत), हनगपुर्णर, हवनगोदरहहत और अजन्मप्रे ब्रह हमैं, वहश्री
पप्रेम और भहक्त कप्रे वश करौसल्यराजश्री ककी गगोद ममें (खप्रेल रहप्रे) हमैं॥198॥
चरौपराई :
* कराम कगोहट छहब स्यराम सरश्रीररा। नश्रील कमंज बराररद गमंभश्रीररा॥
नअरन चरन पमंकज नख जगोतश्री। कमल दलहन्ह बहैठप्रे जनपु मगोतश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे नश्रीलकमल और गमंभश्रीर (जल सप्रे भरप्रे हहए) मप्रेघ कप्रे समरान श्यराम शरश्रीर ममें करगोडर
करामदप्रेवर ककी शगोभरा हहै। लराल-लराल चरर कमलर कप्रे नखर ककी (शपुर) ज्यगोहत ऐसश्री मरालपूम हगोतश्री हहै
जहैसप्रे (लराल) कमल कप्रे परर पर मगोतश्री हस्रर हगो गए हर॥1॥
* रप्रेख कपु हलस ध्वज अमंकपुस सगोहप्रे। नपूपपुर धपुहन सपुहन मपुहन मन मगोहप्रे॥
कहट हकमंहकनश्री उदर त्रय रप्रेखरा। नराहभ गभश्रीर जरान जप्रेहहमं दप्रेखरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(चररतलर ममें) वज्र, ध्वजरा और अमंकपुश कप्रे हचह्न शगोहभत हमैं। नपूपपुर (पमेंजनश्री) ककी ध्वहन
सपुनकर मपुहनयर करा भश्री मन मगोहहत हगो जरातरा हहै। कमर ममें करधनश्री और पप्रेट पर तश्रीन रप्रेखराएहूँ
(हत्रवलश्री) हमैं। नराहभ ककी गमंभश्रीरतरा कगो तगो वहश्री जरानतप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे उसप्रे दप्रेखरा हहै॥2॥
* भपुज हबसराल भपूषन जपुत भपूरश्री। हहयहूँ हरर नख अहत सगोभरा रूरश्री॥
उर महनहरार पहदक ककी सगोभरा। हबप चरन दप्रेखत मन लगोभरा॥3॥
भरावरारर्ण:-बहह त सप्रे आभपूषरर सप्रे सपुशगोहभत हवशराल भपुजराएहूँ हमैं। हृदय पर बराघ कप्रे नख ककी बहह त हश्री
हनररालश्री छटरा हहै। छरातश्री पर रत्नर सप्रे यक्त पु महरयर कप्रे हरार ककी शगोभरा और ब्रराहर (भमृगपु) कप्रे चरर
हचह्न कगो दप्रेखतप्रे हश्री मन लपुभरा जरातरा हहै॥3॥
* कमंबपु कमंठ अहत हचबपुक सपुहराई। आनन अहमत मदन छहब छराई॥
दइपु दइपु दसन अधर अरनरारप्रे। नरासरा हतलक कगो बरनहै परारप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-कमंठ शमंख कप्रे समरान (उतरार-चढराव वरालरा, तश्रीन रप्रेखराओमं सप्रे सपुशगोहभत) हहै और ठगोडश्री
बहह त हश्री सपुदमं र हहै। मपुख पर असमंख्य करामदप्रेवर ककी छटरा छरा रहश्री हहै। दगो-दगो सपुदमं र दहूँतपुहलयराहूँ हमैं, लराल-
लराल हगोठ हमैं। नराहसकरा और हतलक (कप्रे सजौंदयर्ण) करा तगो वरर्णन हश्री करौन कर सकतरा हहै॥4॥
* सपुदमं र शवन सपुचरार कपगोलरा। अहत हपय मधपुर तगोतरप्रे बगोलरा॥
हचक्कन कच कपुमं हचत गभपुआरप्रे। बहह पकरार रहच मरातपु सहूँवरारप्रे॥5॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर करान और बहह त हश्री सपुदमं र गराल हमैं। मधपुर तगोतलप्रे शब्द बहह त हश्री प्यरारप्रे लगतप्रे हमैं। जन्म
कप्रे समय सप्रे रखप्रे हह ए हचकनप्रे और घपुहूँघररालप्रे बराल हमैं, हजनकगो मरातरा नप्रे बहह त पकरार सप्रे बनराकर सहूँवरार
हदयरा हहै॥5॥
* पश्रीत झगपुहलआ तनपु पहहरराई। जरानपु पराहन हबचरहन मगोहह भराई॥
रूप सकहहमं नहहमं कहह शपुहत सप्रेषरा। सगो जरानइ सपनप्रेहह हूँ जप्रेहहमं दप्रेखरा॥6॥
भरावरारर्ण:-शरश्रीर पर पश्रीलश्री झहूँगपुलश्री पहनराई हहई हहै। उनकरा घपुटनर और हरारर कप्रे बल चलनरा मपुझप्रे बहह त
हश्री प्यराररा लगतरा हहै। उनकप्रे रूप करा वरर्णन वप्रेद और शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कर सकतप्रे। उसप्रे वहश्री जरानतरा हहै ,
हजसनप्रे कभश्री स्वप्न ममें भश्री दप्रेखरा हगो॥6॥
दगोहरा :
* सपुख समंदगोह मगोह पर ग्यरान हगररा गगोतश्रीत।
दमंपहत परम पप्रेम बस कर हससपुचररत पपुनश्रीत॥199॥
भरावरारर्ण:-जगो सपुख कप्रे पपुमंज, मगोह सप्रे परप्रे तररा जरान, वरारश्री और इहन्दयर सप्रे अतश्रीत हमैं, वप्रे भगवरान
दशरर-करौसल्यरा कप्रे अत्यन्त पप्रेम कप्रे वश हगोकर पहवत्र बराललश्रीलरा करतप्रे हमैं॥199॥
चरौपराई :
* एहह हबहध रराम जगत हपतपु मरातरा। कगोसलपपुर बराहसन्ह सपुखदरातरा॥
हजन्ह रघपुनरार चरन रहत मरानश्री। हतन्ह ककी यह गहत पगट भवरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार (सम्पपूरर्ण) जगत कप्रे मरातरा-हपतरा शश्री ररामजश्री अवधपपुर कप्रे हनवराहसयर कगो सपुख
दप्रेतप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें पश्रीहत जगोडश्री हहै, हप्रे भवरानश्री! उनककी यह पत्यक्ष गहत
हहै (हक भगवरान उनकप्रे पप्रेमवश बराललश्रीलरा करकप्रे उन्हमें आनमंद दप्रे रहप्रे हमैं)॥1॥
* रघपुपहत हबमपुख जतन कर कगोरश्री। कवन सकइ भव बमंधन छगोरश्री॥
जश्रीव चरराचर बस कहै रराखप्रे। सगो मरायरा पभपु सर भय भराखप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री सप्रे हवमपुख रहकर मनपुष्य चराहप्रे करगोडर उपराय करप्रे , परन्तपु उसकरा समंसरार
बमंधन करौन छपु डरा सकतरा हहै। हजसनप्रे सब चरराचर जश्रीवर कगो अपनप्रे वश ममें कर रखरा हहै , वह मरायरा भश्री
पभपु सप्रे भय खरातश्री हहै॥2॥
* भमृकपुहट हबलरास नचरावइ तराहश्री। अस पभपु छराहड भहजअ कहह कराहश्री॥
मन कम बचन छराहड चतपुरराई। भजत कमृ परा कररहहहमं रघपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-भगवरान उस मरायरा कगो भजौंह कप्रे इशरारप्रे पर नचरातप्रे हमैं। ऐसप्रे पभपु कगो छगोडकर कहगो, (और)
हकसकरा भजन हकयरा जराए। मन, वचन और कमर्ण सप्रे चतपुरराई छगोडकर भजतप्रे हश्री शश्री रघपुनरारजश्री
कमृ परा करमेंगप्रे॥3॥
* एहह हबहध हससपुहबनगोद पभपु ककीन्हरा। सकल नगरबराहसन्ह सपुख दश्रीन्हरा॥
लहै उछमंग कबहह हूँक हलररावहै। कबहह हूँ परालनप्रे घराहल झपुलरावहै॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे बरालककीडरा ककी और समस्त नगर हनवराहसयर कगो
सपुख हदयरा। करौसल्यराजश्री कभश्री उन्हमें गगोद ममें लप्रेकर हहलरातश्री -डपु लरातश्री और कभश्री परालनप्रे ममें हलटराकर
झपुलरातश्री रहीं॥4॥
दगोहरा :
* पप्रेम मगन करौसल्यरा हनहस हदन जरात न जरान।
सपुत सनप्रेह बस मरातरा बरालचररत कर गरान॥200॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम ममें मग्नि करौसल्यराजश्री ररात और हदन करा बश्रीतनरा नहहीं जरानतश्री रहीं। पपुत्र कप्रे स्नप्रेहवश मरातरा
उनकप्रे बरालचररत्रर करा गरान हकयरा करतहीं॥200॥
चरौपराई :
* एक बरार जननहीं अन्हवराए। करर हसमंगरार पलनराहूँ परौढराए॥
हनज कपु ल इष्टिदप्रेव भगवरानरा। पपूजरा हप्रेतपु ककीन्ह अस्नरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-एक बरार मरातरा नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो स्नरान कररायरा और शमृमंगरार करकप्रे परालनप्रे पर परौढरा
हदयरा। हफिर अपनप्रे कपु ल कप्रे इष्टिदप्रेव भगवरान ककी पपूजरा कप्रे हलए स्नरान हकयरा॥1॥
* करर पपूजरा नहैबप्रेद्य चढरावरा। आपपु गई जहहूँ पराक बनरावरा॥
बहह रर मरातपु तहवराहूँ चहल आई। भगोजन करत दप्रेख सपुत जराई॥2॥
भरावरारर्ण:-पपूजरा करकप्रे नहैवप्रेद्य चढरायरा और स्वयमं वहराहूँ गई,मं जहराहूँ रसगोई बनराई गई रश्री। हफिर मरातरा वहहीं
(पपूजरा कप्रे स्ररान ममें) लरौट आई और वहराहूँ आनप्रे पर पपुत्र कगो (इष्टिदप्रेव भगवरान कप्रे हलए चढराए हह ए
नहैवप्रेद्य करा) भगोजन करतप्रे दप्रेखरा॥2॥
* गहै जननश्री हससपु पहहमं भयभश्रीतरा। दप्रेखरा बराल तहराहूँ पपुहन सपूतरा॥
बहह रर आइ दप्रेखरा सपुत सगोई। हृदयहूँ कमंप मन धश्रीर न हगोई॥3।
भरावरारर्ण:-मरातरा भयभश्रीत हगोकर (परालनप्रे ममें सगोयरा ररा, यहराहूँ हकसनप्रे लराकर बहैठरा हदयरा, इस बरात सप्रे
डरकर) पपुत्र कप्रे परास गई, तगो वहराहूँ बरालक कगो सगोयरा हहआ दप्रेखरा। हफिर (पपूजरा स्ररान ममें लरौटकर)
दप्रेखरा हक वहश्री पपुत्र वहराहूँ (भगोजन कर रहरा) हहै। उनकप्रे हृदय ममें कम्प हगोनप्रे लगरा और मन कगो धश्रीरज
नहहीं हगोतरा॥3॥
* इहराहूँ उहराहूँ दइपु बरालक दप्रेखरा। महतरम मगोर हक आन हबसप्रेषरा॥
दप्रेहख रराम जननश्री अकपु लरानश्री। पभपु हहूँहस दश्रीन्ह मधपुर मपुसपुकरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-(वह सगोचनप्रे लगश्री हक) यहराहूँ और वहराहूँ ममैंनप्रे दगो बरालक दप्रेखप्रे। यह मप्रेरश्री बपुहद करा रम हहै यरा
और कगोई हवशप्रेष करारर हहै? पभपु शश्री ररामचन्दजश्री मरातरा कगो घबडराई हह ई दप्रेखकर मधपुर मपुस्करान सप्रे
हहूँस हदए॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेखररावरा मरातहह हनज अद्भतपु रूप अखमंड।
रगोम रगोम पहत लरागप्रे कगोहट कगोहट ब्रहमंड॥201॥
भरावरारर्ण:-हफिर उन्हरनप्रे मरातरा कगो अपनरा अखमंड अद्भतपु रूप हदखलरायरा, हजसकप्रे एक-एक रगोम ममें
करगोडर ब्रहराण्ड लगप्रे हहए हमैं॥201॥
चरौपराई :
* अगहनत रहब सहस हसव चतपुररानन। बहह हगरर सररत हसमंधपु महह करानन॥
कराल कमर्ण गपुन ग्यरान सपुभराऊ। सगोउ दप्रेखरा जगो सपुनरा न कराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-अगहरत सपूयर्ण, चन्दमरा, हशव, ब्रहरा, बहह त सप्रे पवर्णत, नहदयराहूँ, समपुद, पमृथ्वश्री, वन,
कराल, कमर्ण, गपुर, जरान और स्वभराव दप्रेखप्रे और वप्रे पदरारर्ण भश्री दप्रेखप्रे जगो कभश्री सपुनप्रे भश्री न रप्रे॥1॥
* दप्रेखश्री मरायरा सब हबहध गराढश्री। अहत सभश्रीत जगोरमें कर ठराढश्री॥
दप्रेखरा जश्रीव नचरावइ जराहश्री। दप्रेखश्री भगहत जगो छगोरइ तराहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-सब पकरार सप्रे बलवतश्री मरायरा कगो दप्रेखरा हक वह (भगवरान कप्रे सरामनप्रे) अत्यन्त भयभश्रीत
हरार जगोडप्रे खडश्री हहै। जश्रीव कगो दप्रेखरा, हजसप्रे वह मरायरा नचरातश्री हहै और (हफिर) भहक्त कगो दप्रेखरा, जगो
उस जश्रीव कगो (मरायरा सप्रे) छपु डरा दप्रेतश्री हहै॥2॥
* तन पपुलहकत मपुख बचन न आवरा। नयन मपूहद चरनहन हसर नरावरा॥
हबसमयवमंत दप्रेहख महतरारश्री। भए बहह रर हससपुरूप खररारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(मरातरा करा) शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा, मपुख सप्रे वचन नहहीं हनकलतरा। तब आहूँखमें मपूहूँदकर
उसनप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। मरातरा कगो आश्चयर्णचहकत दप्रेखकर खर कप्रे शत्रपु शश्री
ररामजश्री हफिर बराल रूप हगो गए॥3॥
* अस्तपुहत करर न जराइ भय मरानरा। जगत हपतरा ममैं सपुत करर जरानरा॥
हरर जननश्री बहह हबहध समपुझराई। यह जहन कतहह हूँ कहहस सपुनपु मराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(मरातरा सप्रे) स्तपुहत भश्री नहहीं ककी जरातश्री। वह डर गई हक ममैंनप्रे जगहत्पतरा परमरात्मरा कगो पपुत्र
करकप्रे जरानरा। शश्री हरर नप्रे मरातरा कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा (और कहरा-) हप्रे मरातरा! सपुनगो, यह
बरात कहहीं पर कहनरा नहहीं॥4॥
दगोहरा :
* बरार बरार करौसल्यरा हबनय करइ कर जगोरर।
अब जहन कबहह हूँ ब्यरापहै पभपु मगोहह मरायरा तगोरर॥202॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री बरार-बरार हरार जगोडकर हवनय करतश्री हमैं हक हप्रे पभगो! मपुझप्रे आपककी मरायरा अब
कभश्री न व्यरापप्रे॥202॥
चरौपराई :
* बरालचररत हरर बहह हबहध ककीन्हरा। अहत अनमंद दरासन्ह कहहूँ दश्रीन्हरा॥
कछपु क कराल बश्रीतमें सब भराई। बडप्रे भए पररजन सपुखदराई॥1॥
भरावरारर्ण:-भगवरान नप्रे बहह त पकरार सप्रे बराललश्रीलराएहूँ ककीमं और अपनप्रे सप्रेवकर कगो अत्यन्त आनमंद हदयरा।
कपु छ समय बश्रीतनप्रे पर चरारर भराई बडप्रे हगोकर कपु टपु हम्बयर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हह ए॥1॥
* चपूडराकरन ककीन्ह गपुर जराई। हबपन्ह पपुहन दहछनरा बहह पराई॥
परम मनगोहर चररत अपराररा। करत हफिरत चराररउ सपुकपुमराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब गपुरजश्री नप्रे जराकर चपूडराकमर्ण-समंस्करार हकयरा। ब्रराहरर नप्रे हफिर बहह त सश्री दहक्षररा पराई।
चरारर सपुमंदर रराजकपु मरार बडप्रे हश्री मनगोहर अपरार चररत्र करतप्रे हफिरतप्रे हमैं॥ 2॥
* मन कम बचन अगगोचर जगोई। दसरर अहजर हबचर पभपु सगोई॥
भगोजन करत बगोल जब रराजरा। नहहमं आवत तहज बराल समराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगो मन, वचन और कमर्ण सप्रे अगगोचर हमैं, वहश्री पभपु दशररजश्री कप्रे आहूँगन ममें हवचर रहप्रे हमैं।
भगोजन करनप्रे कप्रे समय जब रराजरा बपुलरातप्रे हमैं, तब वप्रे अपनप्रे बराल सखराओमं कप्रे समराज कगो छगोडकर
नहहीं आतप्रे॥3॥
* करौसल्यरा जब बगोलन जराई। ठपु मपुकपु ठपु मपुकपु पभपु चलहहमं परराई॥
हनगम नप्रेहत हसव अमंत न परावरा। तराहह धरहै जननश्री हहठ धरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यरा जब बपुलरानप्रे जरातश्री हमैं, तब पभपु ठपु मपुक-ठपु मपुक भराग चलतप्रे हमैं। हजनकरा वप्रेद 'नप्रेहत'
(इतनरा हश्री नहहीं) कहकर हनरूपर करतप्रे हमैं और हशवजश्री नप्रे हजनकरा अन्त नहहीं परायरा, मरातरा उन्हमें
हठपपूवर्णक पकडनप्रे कप्रे हलए दरौडतश्री हमैं॥4॥
* धपूसर धपूरर भरमें तनपु आए। भपूपहत हबहहस गगोद बहैठराए॥5॥।
भरावरारर्ण:-वप्रे शरश्रीर ममें धपूल लपप्रेटप्रे हह ए आए और रराजरा नप्रे हहूँसकर उन्हमें गगोद ममें बहैठरा हलयरा॥5॥
दगोहरा :
*भगोजन करत चपल हचत इत उत अवसर पराइ।
भराहज चलप्रे हकलकत मपुख दहध ओदन लपटराइ॥203॥
भरावरारर्ण:-भगोजन करतप्रे हमैं, पर हचत चमंचल हहै। अवसर पराकर मपुहूँह ममें दहश्री-भरात लपटराए हकलकरारश्री
मरारतप्रे हह ए इधर-उधर भराग चलप्रे॥203॥
चरौपराई :
* बरालचररत अहत सरल सपुहराए। सरारद सप्रेष समंभपु शपुहत गराए॥
हजन्ह कर मन इन्ह सन नहहमं ररातरा। तप्रे जन बमंहचत हकए हबधरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी बहह त हश्री सरल (भगोलश्री) और सपुदमं र (मनभरावनश्री) बराललश्रीलराओमं करा
सरस्वतश्री, शप्रेषजश्री, हशवजश्री और वप्रेदर नप्रे गरान हकयरा हहै। हजनकरा मन इन लश्रीलराओमं ममें अनपुरक्त नहहीं
हह आ, हवधरातरा नप्रे उन मनपुष्यर कगो वमंहचत कर हदयरा (हनतरामंत भराग्यहश्रीन बनरायरा)॥1॥
* भए कपु मरार जबहहमं सब ररातरा। दश्रीन्ह जनप्रेऊ गपुर हपतपु मरातरा॥
गपुरगमृहहूँ गए पढन रघपुरराई। अलप कराल हबद्यरा सब आई॥2॥
भरावरारर्ण:-ज्यर हश्री सब भराई कपु मराररावस्ररा कप्रे हहए, त्यर हश्री गपुर, हपतरा और मरातरा नप्रे उनकरा
यजगोपवश्रीत समंस्करार कर हदयरा। शश्री रघपुनरारजश्री (भराइयर सहहत) गपुर कप्रे घर ममें हवद्यरा पढनप्रे गए और
रगोडप्रे हश्री समय ममें उनकगो सब हवद्यराएहूँ आ गई॥मं 2॥
* जराककी सहज स्वरास शपुहत चरारश्री। सगो हरर पढ यह करौतपुक भरारश्री॥
हबद्यरा हबनय हनपपुन गपुन सश्रीलरा। खप्रेलहहमंखप्रेल सकल नमृपलश्रीलरा॥3॥
भरावरारर्ण:-चरारर वप्रेद हजनकप्रे स्वराभराहवक श्वरास हमैं, वप्रे भगवरान पढमें, यह बडरा करौतपुक (अचरज) हहै।
चरारर भराई हवद्यरा, हवनय, गपुर और शश्रील ममें (बडप्रे) हनपपुर हमैं और सब रराजराओमं ककी लश्रीलराओमं कप्रे
हश्री खप्रेल खप्रेलतप्रे हमैं॥3॥
* करतल बरान धनपुष अहत सगोहरा। दप्रेखत रूप चरराचर मगोहरा॥
हजन्ह बश्रीहरन्ह हबहरहहमं सब भराई। रहकत हगोहहमं सब लगोग लपुगराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हरारर ममें बरार और धनपुष बहह त हश्री शगोभरा दप्रेतप्रे हमैं। रूप दप्रेखतप्रे हश्री चरराचर (जड-चप्रेतन)
मगोहहत हगो जरातप्रे हमैं। वप्रे सब भराई हजन गहलयर ममें खप्रेलतप्रे (हहए हनकलतप्रे) हमैं, उन गहलयर कप्रे सभश्री
स्त्रश्री-पपुरष उनकगो दप्रेखकर स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो जरातप्रे हमैं अरवरा हठठककर रह जरातप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* कगोसलपपुर बरासश्री नर नरारर बमृद अर बराल।
परानहह तप्रे हपय लरागत सब कहह हूँ रराम कमृ पराल॥204॥
भरावरारर्ण:-कगोसलपपुर कप्रे रहनप्रे वरालप्रे स्त्रश्री, पपुरष, बपूढप्रे और बरालक सभश्री कगो कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री
परारर सप्रे भश्री बढकर हपय लगतप्रे हमैं॥204॥
चरौपराई :
* बमंधपु सखरा सहूँग लप्रेहहमं बगोलराई। बन ममृगयरा हनत खप्रेलहहमं जराई॥
परावन ममृग मरारहहमं हजयहूँ जरानश्री। हदन पहत नमृपहह दप्रेखरावहहमं आनश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री भराइयर और इष्टि हमत्रर कगो बपुलराकर सरार लप्रे लप्रेतप्रे हमैं और हनत्य वन ममें
जराकर हशकरार खप्रेलतप्रे हमैं। मन ममें पहवत्र समझकर ममृगर कगो मरारतप्रे हमैं और पहतहदन लराकर रराजरा
(दशररजश्री) कगो हदखलरातप्रे हमैं॥1॥
* जप्रे ममृग रराम बरान कप्रे मरारप्रे। तप्रे तनपु तहज सपुरलगोक हसधरारप्रे॥
अनपुज सखरा सहूँग भगोजन करहहीं। मरातपु हपतरा अग्यरा अनपुसरहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो ममृग शश्री ररामजश्री कप्रे बरार सप्रे मरारप्रे जरातप्रे रप्रे, वप्रे शरश्रीर छगोडकर दप्रेवलगोक कगो चलप्रे जरातप्रे रप्रे।
शश्री ररामचन्दजश्री अपनप्रे छगोटप्रे भराइयर और सखराओमं कप्रे सरार भगोजन करतप्रे हमैं और मरातरा-हपतरा ककी
आजरा करा परालन करतप्रे हमैं॥2॥
* जप्रेहह हबहध सपुखश्री हगोहहमं पपुर लगोगरा। करहहमं कमृ पराहनहध सगोइ समंजगोगरा॥
बप्रेद पपुररान सपुनहहमं मन लराई। आपपु कहहहमं अनपुजन्ह समपुझराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हजस पकरार नगर कप्रे लगोग सपुखश्री हर, कमृ पराहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री वहश्री समंयगोग (लश्रीलरा)
करतप्रे हमैं। वप्रे मन लगराकर वप्रेद-पपुररार सपुनतप्रे हमैं और हफिर स्वयमं छगोटप्रे भराइयर कगो समझराकर कहतप्रे हमैं॥
3॥
* परातकराल उहठ कहै रघपुनराररा। मरातपु हपतरा गपुर नरावहहमं मराररा॥
आयसपु मराहग करहहमं पपुर कराजरा। दप्रेहख चररत हरषइ मन रराजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री परातद्धाःकराल उठकर मरातरा-हपतरा और गपुर कगो मस्तक नवरातप्रे हमैं और आजरा
लप्रेकर नगर करा कराम करतप्रे हमैं। उनकप्रे चररत्र दप्रेख-दप्रेखकर रराजरा मन ममें बडप्रे हहषर्णत हगोतप्रे हमैं॥4॥
हवश्वराहमत्र करा रराजरा दशरर सप्रे रराम-लक्ष्मर कगो मराहूँगनरा, तराडकरा वध
दगोहरा :
* ब्यरापक अकल अनश्रीह अज हनगपुर्णन नराम न रूप।
भगत हप्रेतपु नरानरा हबहध करत चररत्र अनपूप॥205॥
भरावरारर्ण:-जगो व्यरापक, अकल (हनरवयव), इच्छरारहहत, अजन्मरा और हनगपुर्णर हहै तररा हजनकरा न
नराम हहै न रूप, वहश्री भगवरान भक्तर कप्रे हलए नरानरा पकरार कप्रे अनपुपम (अलरौहकक) चररत्र करतप्रे हमैं॥
205॥
चरौपराई :
* यह सब चररत कहरा ममैं गराई। आहगहल कररा सपुनहह मन लराई॥
हबस्वराहमत्र महरामपुहन ग्यरानश्री। बसहहमं हबहपन सपुभ आशम जरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह सब चररत्र ममैंनप्रे गराकर (बखरानकर) कहरा। अब आगप्रे ककी कररा मन लगराकर सपुनगो।
जरानश्री महरामपुहन हवश्वराहमत्रजश्री वन ममें शपुभ आशम (पहवत्र स्ररान) जरानकर बसतप्रे रप्रे,॥1॥
* जहहूँ जप जग्य जगोग मपुहन करहहीं। अहत मरारश्रीच सपुबराहहहह डरहहीं॥
दप्रेखत जग्य हनसराचर धरावहहमं। करहहमं उपदव मपुहन दख पु परावहहमं॥2॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ वप्रे मपुहन जप, यज और यगोग करतप्रे रप्रे, परन्तपु मरारश्रीच और सपुबराहह सप्रे बहह त डरतप्रे रप्रे।
यज दप्रेखतप्रे हश्री रराक्षस दरौड पडतप्रे रप्रे और उपदव मचरातप्रे रप्रे, हजससप्रे मपुहन (बहह त) दद्धाःपु ख परातप्रे रप्रे॥
2॥
* गराहधतनय मन हचमंतरा ब्यरापश्री। हरर हबनपु मरहहमं न हनहसचर परापश्री॥
तब मपुहनबर मन ककीन्ह हबचराररा। पभपु अवतरप्रेउ हरन महह भराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-गराहध कप्रे पपुत्र हवश्वराहमत्रजश्री कप्रे मन ममें हचन्तरा छरा गई हक यप्रे परापश्री रराक्षस भगवरान कप्रे (मरारप्रे)
हबनरा न मरमेंगप्रे। तब शप्रेष मपुहन नप्रे मन ममें हवचरार हकयरा हक पभपु नप्रे पमृथ्वश्री करा भरार हरनप्रे कप्रे हलए अवतरार
हलयरा हहै॥3॥
*एहह हूँ हमस दप्रेखजौं पद जराई। करर हबनतश्री आनजौं दगोउ भराई॥
ग्यरान हबरराग सकल गपुन अयनरा। सगो पभपु ममैं दप्रेखब भरर नयनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इसश्री बहरानप्रे जराकर ममैं उनकप्रे चररर करा दशर्णन करूहूँ और हवनतश्री करकप्रे दगोनर भराइयर कगो लप्रे
आऊहूँ। (अहरा!) जगो जरान, वहैरराग्य और सब गपुरर कप्रे धराम हमैं, उन पभपु कगो ममैं नप्रेत्र भरकर दप्रेखपूहूँगरा॥
4॥
दगोहरा :
* बहह हबहध करत मनगोरर जरात लराहग नहहमं बरार।
करर मजन सरऊ जल गए भपूप दरबरार॥206॥
भरावरारर्ण:-बहह त पकरार सप्रे मनगोरर करतप्रे हहए जरानप्रे ममें दप्रेर नहहीं लगश्री। सरयपूजश्री कप्रे जल ममें स्नरान करकप्रे
वप्रे रराजरा कप्रे दरवराजप्रे पर पहह हूँचप्रे॥206॥
चरौपराई :
* मपुहन आगमन सपुनरा जब रराजरा। हमलन गयउ लहै हबप समराजरा॥
करर दमंडवत मपुहनहह सनमरानश्री। हनज आसन बहैठरारप्रेहन्ह आनश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे जब मपुहन करा आनरा सपुनरा, तब वप्रे ब्रराहरर कप्रे समराज कगो सरार लप्रेकर हमलनप्रे गए
और दण्डवतम करकप्रे मपुहन करा सम्मरान करतप्रे हह ए उन्हमें लराकर अपनप्रे आसन पर बहैठरायरा॥1॥
* चरन पखरारर ककीहन्ह अहत पपूजरा। मगो सम आजपु धन्य नहहमं दज पू रा॥
हबहबध भराहूँहत भगोजन करवरावरा। मपुहनबर हृदयहूँ हरष अहत परावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-चररर कगो धगोकर बहह त पपूजरा ककी और कहरा- मप्रेरप्रे समरान धन्य आज दस पू ररा कगोई नहहीं हहै।
हफिर अनप्रेक पकरार कप्रे भगोजन करवराए, हजससप्रे शप्रेष मपुहन नप्रे अपनप्रे हृदय ममें बहह त हश्री हषर्ण पराप्त
हकयरा॥2॥
*पपुहन चरनहन मप्रेलप्रे सपुत चरारश्री। रराम दप्रेहख मपुहन दप्रेह हबसरारश्री॥
भए मगन दप्रेखत मपुख सगोभरा। जनपु चकगोर पपूरन सहस लगोभरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर रराजरा नप्रे चरारर पपुत्रर कगो मपुहन कप्रे चररर पर डराल हदयरा (उनसप्रे परराम कररायरा)। शश्री
ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर मपुहन अपनश्री दप्रेह ककी सपुहध भपूल गए। वप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे मपुख ककी शगोभरा दप्रेखतप्रे
हश्री ऐसप्रे मग्नि हगो गए, मरानगो चकगोर पपूरर्ण चन्दमरा कगो दप्रेखकर लपुभरा गयरा हगो॥3॥
* तब मन हरहष बचन कह रराऊ। मपुहन अस कमृ परा न ककीहन्हहह कराऊ॥
कप्रे हह करारन आगमन तपुम्हराररा। कहहह सगो करत न लरावउहूँ बराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा नप्रे मन ममें हहषर्णत हगोकर यप्रे वचन कहप्रे- हप्रे मपुहन! इस पकरार कमृ परा तगो आपनप्रे
कभश्री नहहीं ककी। आज हकस करारर सप्रे आपकरा शपुभरागमन हहआ? कहहए, ममैं उसप्रे पपूररा करनप्रे ममें दप्रेर
नहहीं लगराऊहूँगरा॥4॥
* असपुर समपूह सतरावहहमं मगोहश्री। ममैं जराचन आयउहूँ नमृप तगोहश्री॥
अनपुज समप्रेत दप्रेहह रघपुनराररा। हनहसचर बध ममैं हगोब सनराररा॥5॥
भरावरारर्ण:-(मपुहन नप्रे कहरा-) हप्रे रराजनम! रराक्षसर कप्रे समपूह मपुझप्रे बहह त सतरातप्रे हमैं, इसश्रीहलए ममैं तपुमसप्रे
कपु छ मराहूँगनप्रे आयरा हह हूँ। छगोटप्रे भराई सहहत शश्री रघपुनरारजश्री कगो मपुझप्रे दगो। रराक्षसर कप्रे मरारप्रे जरानप्रे पर ममैं
सनरार (सपुरहक्षत) हगो जराऊहूँगरा॥5॥
दगोहरा :
* दप्रेहह भपूप मन हरहषत तजहह मगोह अग्यरान।
धमर्ण सपुजस पभपु तपुम्ह कजौं इन्ह कहहूँ अहत कल्यरान॥207॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! पसन्न मन सप्रे इनकगो दगो, मगोह और अजरान कगो छगोड दगो। हप्रे स्वरामश्री! इससप्रे
तपुमकगो धमर्ण और सपुयश ककी पराहप्त हगोगश्री और इनकरा परम कल्यरार हगोगरा॥ 207॥
चरौपराई :
* सपुहन रराजरा अहत अहपय बरानश्री। हृदय कमंप मपुख दहपु त कपु मपुलरानश्री॥
चरौरमेंपन परायउहूँ सपुत चरारश्री। हबप बचन नहहमं कहप्रेहह हबचरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-इस अत्यन्त अहपय वरारश्री कगो सपुनकर रराजरा करा हृदय कराहूँप उठरा और उनकप्रे मपुख ककी
करामंहत फिकीककी पड गई। (उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे ब्रराहर! ममैंनप्रे चरौरप्रेपन ममें चरार पपुत्र पराए हमैं, आपनप्रे हवचरार
कर बरात नहहीं कहश्री॥1॥
* मरागहह भपूहम धप्रेनपु धन कगोसरा। सबर्णस दप्रेउहूँ आजपु सहरगोसरा॥
दप्रेह परान तमें हपय कछपु नराहहीं। सगोउ मपुहन दप्रेउहूँ हनहमष एक मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! आप पमृथ्वश्री, गगो, धन और खजरानरा मराहूँग लश्रीहजए, ममैं आज बडप्रे हषर्ण कप्रे सरार
अपनरा सवर्णस्व दप्रे दहूँगपू रा। दप्रेह और परार सप्रे अहधक प्यराररा कपु छ भश्री नहहीं हगोतरा, ममैं उसप्रे भश्री एक पल ममें
दप्रे दगहूँपू रा॥2॥
* सब सपुत हपय मगोहह परान ककी नराई।मं रराम दप्रेत नहहमं बनइ गगोसराई॥मं
कहहूँ हनहसचर अहत घगोर कठगोररा। कहहूँ सपुदमं र सपुत परम हकसगोररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सभश्री पपुत्र मपुझप्रे परारर कप्रे समरान प्यरारप्रे हमैं, उनममें भश्री हप्रे पभगो! रराम कगो तगो (हकसश्री पकरार
भश्री) दप्रेतप्रे नहहीं बनतरा। कहराहूँ अत्यन्त डररावनप्रे और कपू र रराक्षस और कहराहूँ परम हकशगोर अवस्ररा कप्रे
(हबलकपु ल सपुकपुमरार) मप्रेरप्रे सपुमंदर पपुत्र! ॥3॥
* सपुहन नमृप हगररा पप्रेम रस सरानश्री। हृदयहूँ हरष मरानरा मपुहन ग्यरानश्री॥
तब बहसष्टि बहह हबहध समपुझरावरा। नमृप समंदहप्रे नरास कहहूँ परावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम रस ममें सनश्री हह ई रराजरा ककी वरारश्री सपुनकर जरानश्री मपुहन हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे हृदय ममें बडरा हषर्ण
मरानरा। तब वहशषजश्री नप्रे रराजरा कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा, हजससप्रे रराजरा करा समंदप्रेह नराश कगो पराप्त
हह आ॥4॥
* अहत आदर दगोउ तनय बगोलराए। हृदयहूँ लराइ बहह भराहूँहत हसखराए॥
मप्रेरप्रे परान नरार सपुत दगोऊ। तपुम्ह मपुहन हपतरा आन नहहमं कगोऊ॥5॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे बडप्रे हश्री आदर सप्रे दगोनर पपुत्रर कगो बपुलरायरा और हृदय सप्रे लगराकर बहह त पकरार सप्रे
उन्हमें हशक्षरा दश्री। (हफिर कहरा-) हप्रे नरार! यप्रे दगोनर पपुत्र मप्रेरप्रे परार हमैं। हप्रे मपुहन! (अब) आप हश्री इनकप्रे
हपतरा हमैं, दस पू ररा कगोई नहहीं॥5॥
दगोहरा :
* सजौंपप्रे भपूप ररहषहह सपुत बहह हबहध दप्रेइ असश्रीस।
जननश्री भवन गए पभपु चलप्रे नराइ पद सश्रीस॥208 क ॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे बहह त पकरार सप्रे आशश्रीवरादर्ण दप्रेकर पपुत्रर कगो ऋहष कप्रे हवरालप्रे कर हदयरा। हफिर पभपु
मरातरा कप्रे महल ममें गए और उनकप्रे चररर ममें हसर नवराकर चलप्रे॥208 (क)॥
सगोरठरा :
* पपुरष हसमंह दगोउ बश्रीर हरहष चलप्रे मपुहन भय हरन।
कमृ पराहसमंधपु महतधश्रीर अहखल हबस्व करारन करन॥208 ख॥
भरावरारर्ण:-पपुरषर ममें हसमंह रूप दगोनर भराई (रराम-लक्ष्मर) मपुहन करा भय हरनप्रे कप्रे हलए पसन्न हगोकर
चलप्रे। वप्रे कमृ परा कप्रे समपुद, धश्रीर बपुहद और सम्पपूरर्ण हवश्व कप्रे करारर कप्रे भश्री करारर हमैं॥208 (ख)॥
चरौपराई :
* अरन नयन उर बराहह हबसरालरा। नश्रील जलज तनपु स्यराम तमरालरा॥
कहट पट पश्रीत कसमें बर भराररा। रहचर चराप सरायक दहपु ह हूँ हराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-भगवरान कप्रे लराल नप्रेत्र हमैं, चरौडश्री छरातश्री और हवशराल भपुजराएहूँ हमैं, नश्रील कमल और तमराल
कप्रे वमृक्ष ककी तरह श्यराम शरश्रीर हहै, कमर ममें पश्रीतराम्बर (पहनप्रे) और सपुदमं र तरकस कसप्रे हह ए हमैं। दगोनर
हरारर ममें (कमशद्धाः) सपुमंदर धनपुष और बरार हमैं॥1॥
* स्यराम गरौर सपुमंदर दगोउ भराई। हबस्वराहमत्र महराहनहध पराई॥
पभपु ब्रहन्यदप्रेव ममैं जरानरा। मगोहह हनहत हपतरा तजप्रेउ भगवरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-श्यराम और गरौर वरर्ण कप्रे दगोनर भराई परम सपुदमं र हमैं। हवश्वराहमत्रजश्री कगो महरान हनहध पराप्त हगो
गई। (वप्रे सगोचनप्रे लगप्रे-) ममैं जरान गयरा हक पभपु ब्रहण्यदप्रेव (ब्रराहरर कप्रे भक्त) हमैं। मप्रेरप्रे हलए भगवरान नप्रे
अपनप्रे हपतरा कगो भश्री छगोड हदयरा॥2॥
* चलप्रे जरात मपुहन दश्रीहन्ह दप्रेखराई। सपुहन तराडकरा कगोध करर धराई॥
एकहहमं बरान परान हरर लश्रीन्हरा। दश्रीन जराहन तप्रेहह हनज पद दश्रीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-मरागर्ण ममें चलप्रे जरातप्रे हह ए मपुहन नप्रे तराडकरा कगो हदखलरायरा। शब्द सपुनतप्रे हश्री वह कगोध करकप्रे
दरौडश्री। शश्री ररामजश्री नप्रे एक हश्री बरार सप्रे उसकप्रे परार हर हलए और दश्रीन जरानकर उसकगो हनजपद
(अपनरा हदव्य स्वरूप) हदयरा॥3॥
* तब ररहष हनज नरारहह हजयहूँ चश्रीन्हश्री। हबद्यराहनहध कहह हूँ हबद्यरा दश्रीन्हश्री॥
जरातप्रे लराग न छपु धरा हपपरासरा। अतपुहलत बल तनपु तप्रेज पकरासरा॥4॥
भरावरारर्ण:-तब ऋहष हवश्वराहमत्र नप्रे पभपु कगो मन ममें हवद्यरा करा भमंडरार समझतप्रे हहए भश्री (लश्रीलरा कगो पपूरर्ण
करनप्रे कप्रे हलए) ऐसश्री हवद्यरा दश्री, हजससप्रे भपूख-प्यरास न लगप्रे और शरश्रीर ममें अतपुहलत बल और तप्रेज
करा पकराश हगो॥4॥

हवश्वराहमत्र-यज ककी रक्षरा


दगोहरा :
* आयधपु सबर्ण समहपर्ण कहै पभपु हनज आशम आहन।
कमंद मपूल फिल भगोजन दश्रीन्ह भगहत हहत जराहन॥209॥
भरावरारर्ण:-सब अस्त्र-शस्त्र समपर्णर करकप्रे मपुहन पभपु शश्री ररामजश्री कगो अपनप्रे आशम ममें लप्रे आए और
उन्हमें परम हहतपू जरानकर भहक्तपपूवर्णक कमंद, मपूल और फिल करा भगोजन कररायरा॥209॥
चरौपराई :
*परात कहरा मपुहन सन रघपुरराई। हनभर्णय जग्य करहह तपुम्ह जराई॥
हगोम करन लरागप्रे मपुहन झरारश्री। आपपु रहप्रे मख ककीमं रखवरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सबप्रेरप्रे शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे मपुहन सप्रे कहरा- आप जराकर हनडर हगोकर यज ककीहजए। यह
सपुनकर सब मपुहन हवन करनप्रे लगप्रे। आप (शश्री ररामजश्री) यज ककी रखवरालश्री पर रहप्रे॥1॥
* सपुहन मरारश्रीच हनसराचर कगोहश्री। लहै सहराय धरावरा मपुहनदगोहश्री॥
हबनपु फिर बरान रराम तप्रेहह मराररा। सत जगोजन गरा सरागर पराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यह समराचरार सपुनकर मपुहनयर करा शत्रपु कगोररश्री रराक्षस मरारश्रीच अपनप्रे सहरायकर कगो लप्रेकर
दरौडरा। शश्री ररामजश्री नप्रे हबनरा फिल वरालरा बरार उसकगो मराररा, हजससप्रे वह सरौ यगोजन कप्रे हवस्तरार वरालप्रे
समपुद कप्रे परार जरा हगररा॥2॥
* परावक सर सपुबराहह पपुहन मराररा। अनपुज हनसराचर कटकपु सहूँघराररा॥
मरारर असपुर हदज हनभर्णयकरारश्री। अस्तपुहत करहहमं दप्रेव मपुहन झरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर सपुबराहह कगो अहग्निबरार मराररा। इधर छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री नप्रे रराक्षसर ककी सप्रेनरा करा समंहरार
कर डरालरा। इस पकरार शश्री ररामजश्री नप्रे रराक्षसर कगो मरारकर ब्रराहरर कगो हनभर्णय कर हदयरा। तब सरारप्रे
दप्रेवतरा और मपुहन स्तपुहत करनप्रे लगप्रे॥3॥
* तहहूँ पपुहन कछपु क हदवस रघपुररायरा। रहप्रे ककीहन्ह हबपन्ह पर दरायरा॥
भगहत हप्रेतपु बहह त कररा पपुररानरा। कहप्रे हबप जद्यहप पभपु जरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे वहराहूँ कपु छ हदन और रहकर ब्रराहरर पर दयरा ककी। भहक्त कप्रे करारर
ब्रराहरर नप्रे उन्हमें पपुररारर ककी बहह त सश्री करराएहूँ कहहीं, यद्यहप पभपु सब जरानतप्रे रप्रे॥4॥
* तब मपुहन सरादर कहरा बपुझराई। चररत एक पभपु दप्रेहखअ जराई॥
धनपुषजग्य सपुहन रघपुकपुल नराररा। हरहष चलप्रे मपुहनबर कप्रे सराररा॥5॥
भरावरारर्ण:-तदन्तर मपुहन नप्रे आदरपपूवर्णक समझराकर कहरा- हप्रे पभगो! चलकर एक चररत्र दप्रेहखए।
रघपुकपुल कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री धनपुषयज (ककी बरात) सपुनकर मपुहनशप्रेष हवश्वराहमत्रजश्री कप्रे सरार
पसन्न हगोकर चलप्रे॥5॥
अहल्यरा उदरार
* आशम एक दश्रीख मग मराहहीं। खग ममृग जश्रीव जमंतपु तहहूँ नराहहीं॥
पपूछरा मपुहनहह हसलरा पभपु दप्रेखश्री। सकल कररा मपुहन कहरा हबसप्रेषश्री॥ 6॥
भरावरारर्ण:-मरागर्ण ममें एक आशम हदखराई पडरा। वहराहूँ पशपु-पक्षश्री, कगो भश्री जश्रीव-जन्तपु नहहीं ररा। पत्रर ककी
एक हशलरा कगो दप्रेखकर पभपु नप्रे पपूछरा, तब मपुहन नप्रे हवस्तरारपपूवर्णक सब कररा कहश्री॥6॥
दगोहरा :
* गरौतम नरारर शराप बस उपल दप्रेह धरर धश्रीर।
चरन कमल रज चराहहत कमृ परा करहह रघपुबश्रीर॥210॥
भरावरारर्ण:-गरौतम मपुहन ककी स्त्रश्री अहल्यरा शरापवश पत्रर ककी दप्रेह धरारर हकए बडप्रे धश्रीरज सप्रे आपकप्रे
चररकमलर ककी धपूहल चराहतश्री हहै। हप्रे रघपुवश्रीर! इस पर कमृ परा ककीहजए॥210॥
छन्द :
* परसत पद परावन सगोकनसरावन पगट भई तपपपुमंज सहश्री।
दप्रेखत रघपुनरायक जन सपुखदरायक सनमपुख हगोइ कर जगोरर रहश्री॥
अहत पप्रेम अधश्रीररा पपुलक शरश्रीररा मपुख नहहमं आवइ बचन कहश्री।
अहतसय बडभरागश्री चरनहन्ह लरागश्री जपुगल नयन जलधरार बहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे पहवत्र और शगोक कगो नराश करनप्रे वरालप्रे चररर करा स्पशर्ण परातप्रे हश्री सचमपुच वह
तपगोमपूहतर्ण अहल्यरा पकट हगो गई। भक्तर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कगो दप्रेखकर वह हरार
जगोडकर सरामनप्रे खडश्री रह गई। अत्यन्त पप्रेम कप्रे करारर वह अधश्रीर हगो गई। उसकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो
उठरा, मपुख सप्रे वचन कहनप्रे ममें नहहीं आतप्रे रप्रे। वह अत्यन्त बडभराहगनश्री अहल्यरा पभपु कप्रे चररर सप्रे
हलपट गई और उसकप्रे दगोनर नप्रेत्रर सप्रे जल (पप्रेम और आनमंद कप्रे आहूँसओ पु मं) ककी धराररा बहनप्रे लगश्री॥1॥
* धश्रीरजपु मन ककीन्हरा पभपु कहह हूँ चश्रीन्हरा रघपुपहत कमृ पराहूँ भगहत पराई।
अहत हनमर्णल बरानश्री अस्तपुहत ठरानश्री ग्यरानगम्य जय रघपुरराई॥
ममैं नरारर अपरावन पभपु जग परावन ररावन ररपपु जन सपुखदराई।
रराजश्रीव हबलगोचन भव भय मगोचन पराहह पराहह सरनहहमं आई॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे मन ममें धश्रीरज धरकर पभपु कगो पहचरानरा और शश्री रघपुनरारजश्री ककी कमृ परा सप्रे भहक्त
पराप्त ककी। तब अत्यन्त हनमर्णल वरारश्री सप्रे उसनप्रे (इस पकरार) स्तपुहत परारभमं ककी- हप्रे जरान सप्रे जराननप्रे
यगोग्य शश्री रघपुनरारजश्री! आपककी जय हगो! ममैं (सहज हश्री) अपहवत्र स्त्रश्री हह हूँ, और हप्रे पभगो! आप
जगत कगो पहवत्र करनप्रे वरालप्रे, भक्तर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे और ररावर कप्रे शत्रपु हमैं। हप्रे कमलनयन! हप्रे
समंसरार (जन्म-ममृत्य)पु कप्रे भय सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे! ममैं आपककी शरर आई हह हूँ, (मप्रेरश्री) रक्षरा ककीहजए,
रक्षरा ककीहजए॥2॥
* मपुहन शराप जगो दश्रीन्हरा अहत भल ककीन्हरा परम अनपुगह ममैं मरानरा।
दप्रेखप्रेउहूँ भरर लगोचन हरर भव मगोचन इहइ लराभ समंकर जरानरा॥
हबनतश्री पभपु मगोरश्री ममैं महत भगोरश्री नरार न मरागउहूँ बर आनरा।
पद कमल पररागरा रस अनपुररागरा मम मन मधपुप करहै परानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे जगो मपुझप्रे शराप हदयरा, सगो बहह त हश्री अच्छरा हकयरा। ममैं उसप्रे अत्यन्त अनपुगह (करकप्रे )
मरानतश्री हह हूँ हक हजसकप्रे करारर ममैंनप्रे समंसरार सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे शश्री हरर (आप) कगो नप्रेत्र भरकर दप्रेखरा।
इसश्री (आपकप्रे दशर्णन) कगो शमंकरजश्री सबसप्रे बडरा लराभ समझतप्रे हमैं। हप्रे पभगो! ममैं बपुहद ककी बडश्री भगोलश्री
हह हूँ, मप्रेरश्री एक हवनतश्री हहै। हप्रे नरार ! ममैं और कगोई वर नहहीं मराहूँगतश्री, कप्रे वल यहश्री चराहतश्री हह हूँ हक मप्रेररा मन
रूपश्री भजौंररा आपकप्रे चरर-कमल ककी रज कप्रे पप्रेमरूपश्री रस करा सदरा परान करतरा रहप्रे॥3॥
* जप्रेहहमं पद सपुरसररतरा परम पपुनश्रीतरा पगट भई हसव सश्रीस धरश्री।
सगोई पद पमंकज जप्रेहह पपूजत अज मम हसर धरप्रेउ कमृ पराल हरश्री॥
एहह भराहूँहत हसधरारश्री गरौतम नरारश्री बरार बरार हरर चरन परश्री।
जगो अहत मन भरावरा सगो बर परावरा गहै पहत लगोक अनमंद भरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजन चररर सप्रे परमपहवत्र दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री पकट हहई,मं हजन्हमें हशवजश्री नप्रे हसर पर धरारर
हकयरा और हजन चररकमलर कगो ब्रहराजश्री पपूजतप्रे हमैं, कमृ परालपु हरर (आप) नप्रे उन्हहीं कगो मप्रेरप्रे हसर पर
रखरा। इस पकरार (स्तपुहत करतश्री हहई) बरार-बरार भगवरान कप्रे चररर ममें हगरकर, जगो मन कगो बहह त हश्री
अच्छरा लगरा, उस वर कगो पराकर गरौतम ककी स्त्रश्री अहल्यरा आनमंद ममें भरश्री हह ई पहतलगोक कगो चलश्री
गई॥4॥
दगोहरा :
* अस पभपु दश्रीनबमंधपु हरर करारन रहहत दयराल।
तपुलहसदरास सठ तप्रेहह भजपु छराहड कपट जमंजराल॥211॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ऐसप्रे दश्रीनबमंधपु और हबनरा हश्री करारर दयरा करनप्रे वरालप्रे हमैं। तपुलसश्रीदरासजश्री
कहतप्रे हमैं, हप्रे शठ (मन)! तपू कपट-जमंजराल छगोडकर उन्हहीं करा भजन कर॥211॥
मरासपराररायर, सरातवराहूँ हवशराम
शश्री रराम-लक्ष्मर सहहत हवश्वराहमत्र करा जनकपपुर ममें पवप्रेश
चरौपराई :
* चलप्रे रराम लहछमन मपुहन समंगरा। गए जहराहूँ जग परावहन गमंगरा॥
गराहधसपूनपु सब कररा सपुनराई। जप्रेहह पकरार सपुरसरर महह आई॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और लक्ष्मरजश्री मपुहन कप्रे सरार चलप्रे। वप्रे वहराहूँ गए, जहराहूँ जगत कगो पहवत्र करनप्रे
वरालश्री गमंगराजश्री रहीं। महरारराज गराहध कप्रे पपुत्र हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे वह सब कररा कह सपुनराई हजस पकरार
दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री पमृथ्वश्री पर आई रहीं॥1॥
* तब पभपु ररहषन्ह समप्रेत नहराए। हबहबध दरान महहदप्रेवहन्ह पराए॥
हरहष चलप्रे मपुहन बमृमंद सहरायरा। बप्रेहग हबदप्रेह नगर हनअररायरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब पभपु नप्रे ऋहषयर सहहत (गमंगराजश्री ममें) स्नरान हकयरा। ब्रराहरर नप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे दरान
पराए। हफिर मपुहनवमृन्द कप्रे सरार वप्रे पसन्न हगोकर चलप्रे और शश्रीघ्र हश्री जनकपपुर कप्रे हनकट पहहचहूँ गए॥2॥
* पपुर रम्यतरा रराम जब दप्रेखश्री। हरषप्रे अनपुज समप्रेत हबसप्रेषश्री॥
बरापहीं कपू प सररत सर नरानरा। सहलल सपुधरासम महन सगोपरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे जब जनकपपुर ककी शगोभरा दप्रेखश्री, तब वप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर सहहत अत्यन्त
हहषर्णत हहए। वहराहूँ अनप्रेकर बरावहलयराहूँ, कपु एहूँ, नदश्री और तरालराब हमैं, हजनममें अममृत कप्रे समरान जल हहै
और महरयर ककी सश्रीहढयराहूँ (बनश्री हहई) हमैं॥3॥
* गपुमंजत ममंजपु मर रस भमृमंगरा। कपू जत कल बहह बरन हबहमंगरा॥
बरन बरन हबकसप्रे बनजरातरा। हत्रहबध समश्रीर सदरा सपुखदरातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-मकरमंद रस सप्रे मतवरालप्रे हगोकर भजौंरप्रे सपुदमं र गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं। रमंग -हबरमंगप्रे (बहह त सप्रे) पक्षश्री
मधपुर शब्द कर रहप्रे हमैं। रमंग-रमंग कप्रे कमल हखलप्रे हमैं। सदरा (सब ऋतपुओमं ममें) सपुख दप्रेनप्रे वरालरा शश्रीतल,
ममंद, सपुगमंध पवन बह रहरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सपुमन बराहटकरा बराग बन हबपपुल हबहमंग हनवरास।
फिपूलत फिलत सपुपल्लवत सगोहत पपुर चहह हूँ परास॥212।
भरावरारर्ण:-पपुष्प वराहटकरा (फिपु लवरारश्री), बराग और वन, हजनममें बहह त सप्रे पहक्षयर करा हनवरास हहै,
फिपूलतप्रे, फिलतप्रे और सपुदमं र परर सप्रे लदप्रे हहए नगर कप्रे चरारर ओर सपुशगोहभत हमैं॥212॥
चरौपराई :
* बनइ न बरनत नगर हनकराई। जहराहूँ जराइ मन तहहूँइहूँ लगोभराई॥
चरार बजरार हबहचत्र अहूँबरारश्री। महनमय हबहध जनपु स्वकर सहूँवरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-नगर ककी सपुदमं रतरा करा वरर्णन करतप्रे नहहीं बनतरा। मन जहराहूँ जरातरा हहै , वहहीं लपुभरा जरातरा (रम
जरातरा) हहै। सपुमंदर बराजरार हहै, महरयर सप्रे बनप्रे हह ए हवहचत्र छजप्रे हमैं, मरानगो ब्रहरा नप्रे उन्हमें अपनप्रे हरारर सप्रे
बनरायरा हहै॥1॥
*धहनक बहनक बर धनद समरानरा। बहैठप्रे सकल बस्तपु लहै नरानरा।
चरौहट सपुदमं र गलहीं सपुहराई। समंतत रहहहमं सपुगमंध हसमंचराई॥2॥
भरावरारर्ण:-कपु बप्रेर कप्रे समरान शप्रेष धनश्री व्यरापरारश्री सब पकरार ककी अनप्रेक वस्तपुएहूँ लप्रेकर (दक पु रानर ममें) बहैठप्रे
हमैं। सपुदमं र चरौरराहप्रे और सपुहरावनश्री गहलयराहूँ सदरा सपुगमंध सप्रे हसमंचश्री रहतश्री हमैं॥ 2॥
* ममंगलमय ममंहदर सब कप्रे रमें। हचहत्रत जनपु रहतनरार हचतप्रेरमें॥
पपुर नर नरारर सपुभग सपुहच समंतरा। धरमसश्रील ग्यरानश्री गपुनवमंतरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे घर ममंगलमय हमैं और उन पर हचत्र कढप्रे हह ए हमैं, हजन्हमें मरानगो करामदप्रेव रूपश्री हचत्रकरार
नप्रे अमंहकत हकयरा हहै। नगर कप्रे (सभश्री) स्त्रश्री-पपुरष सपुदमं र, पहवत्र, सराधपु स्वभराव वरालप्रे, धमरार्णत्मरा,
जरानश्री और गपुरवरान हमैं॥3॥
*अहत अनपूप जहहूँ जनक हनवरासपू। हबरकहहमं हबबपुध हबलगोहक हबलरासपू॥
हगोत चहकत हचत कगोट हबलगोककी। सकल भपुवन सगोभरा जनपु रगोककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ जनकजश्री करा अत्यन्त अनपुपम (सपुमंदर) हनवरास स्ररान (महल) हहै, वहराहूँ कप्रे हवलरास
(ऐश्वयर्ण) कगो दप्रेखकर दप्रेवतरा भश्री रहकत (स्तहम्भत) हगो जरातप्रे हमैं (मनपुष्यर ककी तगो बरात हश्री क्यरा!)।
कगोट (रराजमहल कप्रे परकगोटप्रे) कगो दप्रेखकर हचर चहकत हगो जरातरा हहै, (ऐसरा मरालपूम हगोतरा हहै) मरानगो
उसनप्रे समस्त लगोकर ककी शगोभरा कगो रगोक (घप्रेर) रखरा हहै॥4॥
दगोहरा :
*धवल धराम महन पपुरट पट सपुघहटत नरानरा भराहूँहत।
हसय हनवरास सपुदमं र सदन सगोभरा हकहम कहह जराहत॥213॥
भरावरारर्ण:-उज्ज्वल महलर ममें अनप्रेक पकरार कप्रे सपुदमं र रश्रीहत सप्रे बनप्रे हहए महर जहटत सगोनप्रे ककी जरश्री कप्रे
परदप्रे लगप्रे हमैं। सश्रीतराजश्री कप्रे रहनप्रे कप्रे सपुदमं र महल ककी शगोभरा करा वरर्णन हकयरा हश्री कहै सप्रे जरा सकतरा हहै॥
213॥
चरौपराई :
* सपुभग दरार सब कपु हलस कपराटरा। भपूप भश्रीर नट मरागध भराटरा॥
बनश्री हबसराल बराहज गज सरालरा। हय गय रख समंकपुल सब करालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजमहल कप्रे सब दरवराजप्रे (फिराटक) सपुमंदर हमैं, हजनममें वज्र कप्रे (मजबपूत अरवरा हश्रीरर कप्रे
चमकतप्रे हह ए) हकवराड लगप्रे हमैं। वहराहूँ (मरातहत) रराजराओमं, नटर, मरागधर और भराटर ककी भश्रीड लगश्री
रहतश्री हहै। घगोडर और हराहरयर कप्रे हलए बहह त बडश्री-बडश्री घपुडसरालमें और गजशरालराएहूँ (फिकीलखरानप्रे) बनश्री
हह ई हमैं, जगो सब समय घगोडप्रे, हरारश्री और ररर सप्रे भरश्री रहतश्री हमैं॥1॥
* सपूर सहचव सप्रेनप बहह तप्रेरप्रे। नमृपगमृह सररस सदन सब कप्रे रप्रे॥
पपुर बराहरप्रे सर सररत समश्रीपरा। उतरप्रे जहहूँ तहहूँ हबपपुल महश्रीपरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-बहह त सप्रे शपूरवश्रीर, ममंत्रश्री और सप्रेनरापहत हमैं। उन सबकप्रे घर भश्री रराजमहल सरश्रीखप्रे हश्री हमैं। नगर
कप्रे बराहर तरालराब और नदश्री कप्रे हनकट जहराहूँ-तहराहूँ बहह त सप्रे रराजरा लगोग उतरप्रे हह ए (डप्रेररा डरालप्रे हहए) हमैं॥
2॥
* दप्रेहख अनपूप एक अहूँवरराई। सब सपुपरास सब भराहूँहत सपुहराई।
करौहसक कहप्रेउ मगोर मनपु मरानरा। इहराहूँ रहहअ रघपुबश्रीर सपुजरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(वहहीं) आमर करा एक अनपुपम बराग दप्रेखकर, जहराहूँ सब पकरार कप्रे सपुभश्रीतप्रे रप्रे और जगो सब
तरह सप्रे सपुहरावनरा ररा, हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे कहरा- हप्रे सपुजरान रघपुवश्रीर! मप्रेररा मन कहतरा हहै हक यहहीं रहरा
जराए॥3॥
* भलप्रेहहमं नरार कहह कमृ पराहनकप्रे तरा। उतरप्रे तहहूँ मपुहन बमृदमं समप्रेतरा॥
हबस्वराहमत्र महरामपुहन आए। समराचरार हमहरलरापहत पराए॥4॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे धराम शश्री ररामचन्दजश्री 'बहह त अच्छरा स्वराहमनम!' कहकर वहहीं मपुहनयर कप्रे समपूह कप्रे
सरार ठहर गए। हमहरलरापहत जनकजश्री नप्रे जब यह समराचरार परायरा हक महरामपुहन हवश्वराहमत्र आए हमैं ,॥
4॥
दगोहरा :
* समंग सहचव सपुहच भपूरर भट भपूसरपु बर गपुर ग्यराहत।
चलप्रे हमलन मपुहननरायकहह मपुहदत रराउ एहह भराहूँहत॥214॥
भरावरारर्ण:-तब उन्हरनप्रे पहवत्र हृदय कप्रे (ईमरानदरार, स्वराहमभक्त) ममंत्रश्री बहह त सप्रे यगोदरा, शप्रेष ब्रराहर,
गपुर (शतरानमंदजश्री) और अपनश्री जराहत कप्रे शप्रेष लगोगर कगो सरार हलयरा और इस पकरार पसन्नतरा कप्रे
सरार रराजरा मपुहनयर कप्रे स्वरामश्री हवश्वराहमत्रजश्री सप्रे हमलनप्रे चलप्रे॥214॥
चरौपराई :
* ककीन्ह पनरामपु चरन धरर मराररा। दश्रीहन्ह असश्रीस मपुहदत मपुहननराररा॥
हबपबमृमंद सब सरादर बमंदप्रे। जराहन भराग्य बड रराउ अनमंदप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे मपुहन कप्रे चररर पर मस्तक रखकर परराम हकयरा। मपुहनयर कप्रे स्वरामश्री हवश्वराहमत्रजश्री
नप्रे पसन्न हगोकर आशश्रीवरार्णद हदयरा। हफिर सरारश्री ब्रराहरममंडलश्री कगो आदर सहहत परराम हकयरा और
अपनरा बडरा भराग्य जरानकर रराजरा आनमंहदत हहए॥1॥
* कपु सल पस्न कहह बरारहहमं बराररा। हबस्वराहमत्र नमृपहह बहैठराररा॥
तप्रेहह अवसर आए दगोउ भराई। गए रहप्रे दप्रेखन फिपु लवराई॥2॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार कपु शल पश्न करकप्रे हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे रराजरा कगो बहैठरायरा। उसश्री समय दगोनर भराई आ
पहह हूँच,प्रे जगो फिपु लवराडश्री दप्रेखनप्रे गए रप्रे॥2॥
* स्यराम गरौर ममृदपु बयस हकसगोररा। लगोचन सपुखद हबस्व हचत चगोररा॥
उठप्रे सकल जब रघपुपहत आए। हबस्वराहमत्र हनकट बहैठराए॥3॥
भरावरारर्ण:-सपुकपुमरार हकशगोर अवस्ररा वरालप्रे श्यराम और गरौर वरर्ण कप्रे दगोनर कपु मरार नप्रेत्रर कगो सपुख दप्रेनप्रे
वरालप्रे और सरारप्रे हवश्व कप्रे हचर कगो चपुररानप्रे वरालप्रे हमैं। जब रघपुनरारजश्री आए तब सभश्री (उनकप्रे रूप एवमं
तप्रेज सप्रे पभराहवत हगोकर) उठकर खडप्रे हगो गए। हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे उनकगो अपनप्रे परास बहैठरा हलयरा॥ 3॥
* भए सब सपुखश्री दप्रेहख दगोउ ररातरा। बरारर हबलगोचन पपुलहकत गरातरा॥
मपूरहत मधपुर मनगोहर दप्रेखश्री भयउ हबदप्रेहह हबदप्रेहह हबसप्रेषश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर सभश्री सपुखश्री हह ए। सबकप्रे नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा (आनमंद और पप्रेम
कप्रे आहूँसपू उमड पडप्रे) और शरश्रीर रगोमरामंहचत हगो उठप्रे। ररामजश्री ककी मधपुर मनगोहर मपूहतर्ण कगो दप्रेखकर हवदप्रेह
(जनक) हवशप्रेष रूप सप्रे हवदप्रेह (दप्रेह ककी सपुध-बपुध सप्रे रहहत) हगो गए॥4॥
शश्री रराम-लक्ष्मर कगो दप्रेखकर जनकजश्री ककी पप्रेम मपुग्धतरा
दगोहरा :
* पप्रेम मगन मनपु जराहन नमृपपु करर हबबप्रेकपु धरर धश्रीर।
बगोलप्रेउ मपुहन पद नराइ हसर गदगद हगररा गभश्रीर॥215॥
भरावरारर्ण:-मन कगो पप्रेम ममें मग्नि जरान रराजरा जनक नप्रे हववप्रेक करा आशय लप्रेकर धश्रीरज धरारर हकयरा
और मपुहन कप्रे चररर ममें हसर नवराकर गद द् (पप्रेमभरश्री) गमंभश्रीर वरारश्री सप्रे कहरा- ॥215॥
चरौपराई :
* कहहह नरार सपुदमं र दगोउ बरालक। मपुहनकपु ल हतलक हक नमृपकपु ल परालक॥
ब्रह जगो हनगम नप्रेहत कहह गरावरा। उभय बप्रेष धरर ककी सगोइ आवरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! कहहए, यप्रे दगोनर सपुमंदर बरालक मपुहनकपु ल कप्रे आभपूषर हमैं यरा हकसश्री रराजवमंश कप्रे
परालक? अरवरा हजसकरा वप्रेदर नप्रे 'नप्रेहत' कहकर गरान हकयरा हहै कहहीं वह ब्रह तगो यगपु ल रूप धरकर
नहहीं आयरा हहै?॥1॥
* सहज हबररागरूप मनपु मगोररा। रहकत हगोत हजहम चमंद चकगोररा॥
तरातप्रे पभपु पपूछउहूँ सहतभराऊ। कहहह नरार जहन करहह दरपु राऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा मन जगो स्वभराव सप्रे हश्री वहैरराग्य रूप (बनरा हहआ) हहै, (इन्हमें दप्रेखकर) इस तरह मपुग्ध
हगो रहरा हहै, जहैसप्रे चन्दमरा कगो दप्रेखकर चकगोर। हप्रे पभगो! इसहलए ममैं आपसप्रे सत्य (हनश्छल) भराव सप्रे
पपूछतरा हह हूँ। हप्रे नरार! बतराइए, हछपराव न ककीहजए॥2॥
* इन्हहह हबलगोकत अहत अनपुररागरा। बरबस ब्रहसपुखहह मन त्यरागरा॥
कह मपुहन हबहहस कहप्रेहह नमृप नश्रीकरा। बचन तपुम्हरार न हगोइ अलश्रीकरा॥3॥
भरावरारर्ण:-इनकगो दप्रेखतप्रे हश्री अत्यन्त पप्रेम कप्रे वश हगोकर मप्रेरप्रे मन नप्रे जबदर्णस्तश्री ब्रहसपुख कगो त्यराग हदयरा
हहै। मपुहन नप्रे हहूँसकर कहरा- हप्रे रराजनम! आपनप्रे ठश्रीक (यररारर्ण हश्री) कहरा। आपकरा वचन हमथ्यरा नहहीं
हगो सकतरा॥3॥
* ए हपय सबहह जहराहूँ लहग परानश्री। मन मपुसपुकराहहमं ररामपु सपुहन बरानश्री॥
रघपुकपुल महन दसरर कप्रे जराए। मम हहत लराहग नरप्रेस पठराए॥4॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें जहराहूँ तक (हजतनप्रे भश्री) परारश्री हमैं, यप्रे सभश्री कगो हपय हमैं। मपुहन ककी (रहस्य भरश्री)
वरारश्री सपुनकर शश्री ररामजश्री मन हश्री मन मपुस्कपु ररातप्रे हमैं (हहूँसकर मरानगो समंकप्रेत करतप्रे हमैं हक रहस्य खगोहलए
नहहीं)। (तब मपुहन नप्रे कहरा-) यप्रे रघपुकपुल महर महरारराज दशरर कप्रे पपुत्र हमैं। मप्रेरप्रे हहत कप्रे हलए रराजरा नप्रे
इन्हमें मप्रेरप्रे सरार भप्रेजरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* ररामपु लखनपु दगोउ बमंधपुबर रूप सश्रील बल धराम।
मख रराखप्रेउ सबपु सराहख जगपु हजतप्रे असपुर समंगराम॥216॥
भरावरारर्ण:-यप्रे रराम और लक्ष्मर दगोनर शप्रेष भराई रूप, शश्रील और बल कप्रे धराम हमैं। सराररा जगत (इस
बरात करा) सराक्षश्री हहै हक इन्हरनप्रे यद पु ममें असपुरर कगो जश्रीतकर मप्रेरप्रे यज ककी रक्षरा ककी हहै॥216॥
चरौपराई :
* मपुहन तव चरन दप्रेहख कह रराऊ। कहह न सकउहूँ हनज पपुन्य पभराऊ॥
सपुमंदर स्यराम गरौर दगोउ ररातरा। आनहूँदहह कप्रे आनहूँद दरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! आपकप्रे चररर कप्रे दशर्णन कर ममैं अपनरा पपुण्य पभराव कह नहहीं
सकतरा। यप्रे सपुदमं र श्यराम और गरौर वरर्ण कप्रे दगोनर भराई आनमंद कगो भश्री आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं।
* इन्ह कहै पश्रीहत परसपर परावहन। कहह न जराइ मन भराव सपुहरावहन॥
सपुनहह नरार कह मपुहदत हबदप्रेहह। ब्रह जश्रीव इव सहज सनप्रेहह॥2॥
भरावरारर्ण:-इनककी आपस ककी पश्रीहत बडश्री पहवत्र और सपुहरावनश्री हहै, वह मन कगो बहह त भरातश्री हहै, पर
(वरारश्री सप्रे) कहश्री नहहीं जरा सकतश्री। हवदप्रेह (जनकजश्री) आनमंहदत हगोकर कहतप्रे हमैं- हप्रे नरार! सपुहनए,
ब्रह और जश्रीव ककी तरह इनममें स्वराभराहवक पप्रेम हहै॥2॥
* पपुहन पपुहन पभपुहह हचतव नरनराहह। पपुलक गरात उर अहधक उछराहह॥
मपुहनहह पसमंहस नराइ पद सश्रीसपू। चलप्रेउ लवराइ नगर अवनश्रीसपू॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा बरार-बरार पभपु कगो दप्रेखतप्रे हमैं (दृहष्टि वहराहूँ सप्रे हटनरा हश्री नहहीं चराहतश्री)। (पप्रेम सप्रे) शरश्रीर
पपुलहकत हगो रहरा हहै और हृदय ममें बडरा उत्सराह हहै। (हफिर) मपुहन ककी पशमंसरा करकप्रे और उनकप्रे चररर
ममें हसर नवराकर रराजरा उन्हमें नगर ममें हलवरा चलप्रे॥3॥
* सपुदमं र सदनपु सपुखद सब करालरा। तहराहूँ बरासपु लहै दश्रीन्ह भपुआलरा॥
करर पपूजरा सब हबहध सप्रेवकराई। गयउ रराउ गमृह हबदरा करराई॥4॥
भरावरारर्ण:-एक सपुमंदर महल जगो सब समय (सभश्री ऋतपुओमं ममें) सपुखदरायक ररा, वहराहूँ रराजरा नप्रे उन्हमें लप्रे
जराकर ठहररायरा। तदनन्तर सब पकरार सप्रे पपूजरा और सप्रेवरा करकप्रे रराजरा हवदरा मराहूँगकर अपनप्रे घर गए॥
4॥
दगोहरा :
* ररषय समंग रघपुबस मं महन करर भगोजनपु हबशरामपु।
बहैठप्रे पभपु ररातरा सहहत हदवसपु रहरा भरर जरामपु॥217॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल कप्रे हशरगोमहर पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ऋहषयर कप्रे सरार भगोजन और हवशराम करकप्रे
भराई लक्ष्मर समप्रेत बहैठप्रे। उस समय पहरभर हदन रह गयरा ररा॥217॥
चरौपराई :
*लखन हृदयहूँ लरालसरा हबसप्रेषश्री। जराइ जनकपपुर आइअ दप्रेखश्री॥
पभपु भय बहह रर मपुहनहह सकपु चराहहीं। पगट न कहहहमं मनहहमं मपुसपुकराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री कप्रे हृदय ममें हवशप्रेष लरालसरा हहै हक जराकर जनकपपुर दप्रेख आवमें , परन्तपु पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री करा डर हहै और हफिर मपुहन सप्रे भश्री सकपु चरातप्रे हमैं, इसहलए पकट ममें कपु छ नहहीं कहतप्रे, मन
हश्री मन मपुस्कपु ररा रहप्रे हमैं॥1॥
* रराम अनपुज मन ककी गहत जरानश्री। भगत बछलतरा हहयहूँ हहलसरानश्री॥
परम हबनश्रीत सकपु हच मपुसपुकराई। बगोलप्रे गपुर अनपुसरासन पराई॥2॥
भरावरारर्ण:-(अन्तयरार्णमश्री) शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई कप्रे मन ककी दशरा जरान लश्री, (तब) उनकप्रे
हृदय ममें भक्तवत्सलतरा उमड आई। वप्रे गपुर ककी आजरा पराकर बहह त हश्री हवनय कप्रे सरार सकपु चरातप्रे हहए
मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे॥2॥
* नरार लखनपु पपुर दप्रेखन चहहहीं। पभपु सकगोच डर पगट न कहहहीं॥
जजौं रराउर आयसपु ममैं परावजौं। नगर दप्रेखराइ तपुरत लहै आवजौं॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! लक्ष्मर नगर दप्रेखनरा चराहतप्रे हमैं, हकन्तपु पभपु (आप) कप्रे डर और समंकगोच कप्रे
करारर स्पष्टि नहहीं कहतप्रे। यहद आपककी आजरा पराऊहूँ, तगो ममैं इनकगो नगर हदखलराकर तपुरमंत हश्री
(वरापस) लप्रे आऊहूँ॥3॥
* सपुहन मपुनश्रीसपु कह बचन सपश्रीतश्री। कस न रराम तपुम्ह रराखहह नश्रीतश्री॥
धरम सप्रेतपु परालक तपुम्ह तरातरा। पप्रेम हबबस सप्रेवक सपुखदरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर मपुनश्रीश्वर हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे पप्रेम सहहत वचन कहप्रे- हप्रे रराम! तपुम नश्रीहत ककी रक्षरा
कहै सप्रे न करगोगप्रे, हप्रे तरात! तपुम धमर्ण ककी मयरार्णदरा करा परालन करनप्रे वरालप्रे और पप्रेम कप्रे वशश्रीभपूत हगोकर
सप्रेवकर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हगो॥4॥
शश्री रराम-लक्ष्मर करा जनकपपुर हनरश्रीक्षर
दगोहरा :
* जराइ दप्रेहख आवहह नगर सपुख हनधरान दगोउ भराइ।
करहह सपुफिल सब कप्रे नयन सपुदमं र बदन दप्रेखराइ॥218॥
भरावरारर्ण:-सपुख कप्रे हनधरान दगोनर भराई जराकर नगर दप्रेख आओ। अपनप्रे सपुदमं र मपुख हदखलराकर सब
(नगर हनवराहसयर) कप्रे नप्रेत्रर कगो सफिल करगो॥218॥
चरौपराई :
* मपुहन पद कमल बमंहद दगोउ ररातरा। चलप्रे लगोक लगोचन सपुख दरातरा॥
बरालक बमृमंद दप्रेहख अहत सगोभरा। लगप्रे समंग लगोचन मनपु लगोभरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सब लगोकर कप्रे नप्रेत्रर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे दगोनर भराई मपुहन कप्रे चररकमलर ककी वमंदनरा करकप्रे
चलप्रे। बरालकर कप्रे झपुमंड इन (कप्रे सजौंदयर्ण) ककी अत्यन्त शगोभरा दप्रेखकर सरार लग गए। उनकप्रे नप्रेत्र और
मन (इनककी मराधपुरश्री पर) लपुभरा गए॥1॥
* पश्रीत बसन पररकर कहट भराररा। चरार चराप सर सगोहत हराररा॥
तन अनपुहरत सपुचमंदन खगोरश्री। स्यरामल गरौर मनगोहर जगोरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(दगोनर भराइयर कप्रे ) पश्रीलप्रे रमंग कप्रे वस्त्र हमैं, कमर कप्रे (पश्रीलप्रे) दपपु टर ममें तरकस बहूँधप्रे हमैं। हरारर
ममें सपुदमं र धनपुष-बरार सपुशगोहभत हमैं। (श्यराम और गरौर वरर्ण कप्रे ) शरश्रीरर कप्रे अनपुकपूल (अररार्णतम हजस पर
हजस रमंग करा चमंदन अहधक फिबप्रे उस पर उसश्री रमंग कप्रे ) सपुमंदर चमंदन ककी खरौर लगश्री हहै। सराहूँवरप्रे और
गगोरप्रे (रमंग) ककी मनगोहर जगोडश्री हहै॥2॥
* कप्रे हरर कमंधर बराहह हबसरालरा। उर अहत रहचर नरागमहन मरालरा॥
सपुभग सगोन सरसश्रीरह लगोचन। बदन मयमंक तरापत्रय मगोचन॥3॥
भरावरारर्ण:-हसमंह कप्रे समरान (पपुष्टि) गदर्णन (गलप्रे करा हपछलरा भराग) हहै, हवशराल भपुजराएहूँ हमैं। (चरौडश्री)
छरातश्री पर अत्यन्त सपुदमं र गजमपुक्तरा ककी मरालरा हहै। सपुदमं र लराल कमल कप्रे समरान नप्रेत्र हमैं। तश्रीनर तरापर सप्रे
छपु डरानप्रे वरालरा चन्दमरा कप्रे समरान मपुख हहै॥3॥
* करानहन्ह कनक फिपूल छहब दप्रेहहीं। हचतवत हचतहह चगोरर जनपु लप्रेहहीं॥
हचतवहन चरार भमृकपुहट बर बराहूँककी। हतलक रप्रेख सगोभरा जनपु चराहूँककी॥4॥
भरावरारर्ण:-करानर ममें सगोनप्रे कप्रे करर्णफिपूल (अत्यन्त) शगोभरा दप्रे रहप्रे हमैं और दप्रेखतप्रे हश्री (दप्रेखनप्रे वरालप्रे कप्रे )
हचर कगो मरानगो चपुररा लप्रेतप्रे हमैं। उनककी हचतवन (दृहष्टि) बडश्री मनगोहर हहै और भजौंहमें हतरछश्री एवमं सपुदमं र हमैं।
(मरारप्रे पर) हतलक ककी रप्रेखराएहूँ ऐसश्री सपुदमं र हमैं, मरानगो (मपूहतर्णमतश्री) शगोभरा पर मपुहर लगरा दश्री गई हहै॥
4॥
दगोहरा :
* रहचर चरौतनहीं सपुभग हसर मप्रेचक कपुमं हचत कप्रे स।
नख हसख सपुदमं र बमंधपु दगोउ सगोभरा सकल सपुदस प्रे ॥219॥
भरावरारर्ण:-हसर पर सपुमंदर चरौकगोनश्री टगोहपयराहूँ (हदए) हमैं, करालप्रे और घपुहूँघररालप्रे बराल हमैं। दगोनर भराई नख
सप्रे लप्रेकर हशखरा तक (एडश्री सप्रे चगोटश्री तक) सपुदमं र हमैं और सरारश्री शगोभरा जहराहूँ जहैसश्री चराहहए वहैसश्री हश्री हहै॥
219॥
चरौपराई :
* दप्रेखन नगर भपूपसपुत आए। समराचरार पपुरबराहसन्ह पराए॥
धराए धराम कराम सब त्यरागश्री। मनहह हूँ रमंक हनहध लपूटन लरागश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जब पपुरवराहसयर नप्रे यह समराचरार परायरा हक दगोनर रराजकपु मरार नगर दप्रेखनप्रे कप्रे हलए आए हमैं,
तब वप्रे सब घर-बरार और सब कराम-कराज छगोडकर ऐसप्रे दरौडप्रे मरानगो दररदश्री (धन करा) खजरानरा
लपूटनप्रे दरौडप्रे हर॥1॥
* हनरहख सहज सपुमंदर दगोउ भराई। हगोहहमं सपुखश्री लगोचन फिल पराई॥
जपुबतहीं भवन झरगोखहन्ह लरागहीं। हनरखहहमं रराम रूप अनपुररागहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-स्वभराव हश्री सप्रे सपुदमं र दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर वप्रे लगोग नप्रेत्रर करा फिल पराकर सपुखश्री हगो रहप्रे
हमैं। यवपु तश्री हस्त्रयराहूँ घर कप्रे झरगोखर सप्रे लगश्री हहई पप्रेम सहहत शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप कगो दप्रेख रहश्री हमैं॥
2॥
* कहहहमं परसपर बचन सपश्रीतश्री। सहख इन्ह कगोहट कराम छहब जश्रीतश्री॥
सपुर नर असपुर नराग मपुहन मराहहीं। सगोभरा अहस कहह हूँ सपुहनअहत नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे आपस ममें बडप्रे पप्रेम सप्रे बरातमें कर रहश्री हमैं- हप्रे सखश्री! इन्हरनप्रे करगोडर करामदप्रेवर ककी छहब
कगो जश्रीत हलयरा हहै। दप्रेवतरा, मनपुष्य, असपुर, नराग और मपुहनयर ममें ऐसश्री शगोभरा तगो कहहीं सपुननप्रे ममें भश्री
नहहीं आतश्री॥3॥
* हबष्नपु चरारर भपुज हबहध मपुख चरारश्री। हबकट बप्रेष मपुख पमंच पपुररारश्री॥
अपर दप्रेउ अस कगोउ नरा आहश्री। यह छहब सखश्री पटतररअ जराहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भगवरान हवष्रपु कप्रे चरार भपुजराएहूँ हमैं, ब्रहराजश्री कप्रे चरार मपुख हमैं, हशवजश्री करा हवकट
(भयरानक) वप्रेष हहै और उनकप्रे पराहूँच मपुहूँह हमैं। हप्रे सखश्री! दस पू ररा दप्रेवतरा भश्री कगोई ऐसरा नहहीं हहै, हजसकप्रे
सरार इस छहब ककी उपमरा दश्री जराए॥4॥
दगोहरा :
* बय हकसगोर सपुषमरा सदन स्यराम गरौर सपुख धराम।
अमंग अमंग पर वराररअहहमं कगोहट कगोहट सत कराम॥220॥
भरावरारर्ण:-इनककी हकशगोर अवस्ररा हहै, यप्रे सपुदमं रतरा कप्रे घर, सराहूँवलप्रे और गगोरप्रे रमंग कप्रे तररा सपुख कप्रे
धराम हमैं। इनकप्रे अमंग-अमंग पर करगोडर-अरबर करामदप्रेवर कगो हनछरावर कर दप्रेनरा चराहहए॥220॥
चरौपराई :
* कहहह सखश्री अस कगो तनपु धरारश्री। जगो न मगोह यह रूप हनहरारश्री॥
कगोउ सपप्रेम बगोलश्री ममृद पु बरानश्री। जगो ममैं सपुनरा सगो सपुनहह सयरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखश्री! (भलरा) कहगो तगो ऐसरा करौन शरश्रीरधरारश्री हगोगरा, जगो इस रूप कगो दप्रेखकर मगोहहत
न हगो जराए (अररार्णत यह रूप जड-चप्रेतन सबकगो मगोहहत करनप्रे वरालरा हहै)। (तब) कगोई दस पू रश्री सखश्री
पप्रेम सहहत कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलश्री- हप्रे सयरानश्री! ममैंनप्रे जगो सपुनरा हहै उसप्रे सपुनगो-॥1॥
* ए दगोऊ दसरर कप्रे ढगोटरा। बराल मररालहन्ह कप्रे कल जगोटरा॥
मपुहन करौहसक मख कप्रे रखवरारप्रे। हजन्ह रन अहजर हनसराचर मरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-यप्रे दगोनर (रराजकपु मरार) महरारराज दशररजश्री कप्रे पपुत्र हमैं! बराल रराजहमंसर करा सरा सपुदमं र जगोडरा
हहै। यप्रे मपुहन हवश्वराहमत्र कप्रे यज ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे हमैं, इन्हरनप्रे यद पु कप्रे महैदरान ममें रराक्षसर कगो मराररा हहै॥
2॥
* स्यराम गरात कल कमंज हबलगोचन। जगो मरारश्रीच सपुभपुज मद पु मगोचन॥
करौसल्यरा सपुत सगो सपुख खरानश्री। नरामपु ररामपु धनपु सरायक परानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा श्यराम शरश्रीर और सपुमंदर कमल जहैसप्रे नप्रेत्र हमैं, जगो मरारश्रीच और सपुबराहह कप्रे मद कगो
चपूर करनप्रे वरालप्रे और सपुख ककी खरान हमैं और जगो हरार ममें धनपुष -बरार हलए हह ए हमैं, वप्रे करौसल्यराजश्री कप्रे
पपुत्र हमैं, इनकरा नराम रराम हहै॥3॥
* गरौर हकसगोर बप्रेषपु बर कराछमें। कर सर चराप रराम कप्रे पराछमें॥
लहछमनपु नरामपु रराम लघपु ररातरा। सपुनपु सहख तरासपु सपुहमत्ररा मरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा रमंग गगोररा और हकशगोर अवस्ररा हहै और जगो सपुदमं र वप्रेष बनराए और हरार ममें धनपुष -
बरार हलए शश्री ररामजश्री कप्रे पश्रीछप्रे-पश्रीछप्रे चल रहप्रे हमैं, वप्रे इनकप्रे छगोटप्रे भराई हमैं, उनकरा नराम लक्ष्मर हहै। हप्रे
सखश्री! सपुनगो, उनककी मरातरा सपुहमत्ररा हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हबपकराजपु करर बमंधपु दगोउ मग मपुहनबधपू उधरारर।
आए दप्रेखन चरापमख सपुहन हरषहीं सब नरारर॥221॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराई ब्रराहर हवश्वराहमत्र करा कराम करकप्रे और ररास्तप्रे ममें मपुहन गरौतम ककी स्त्रश्री अहल्यरा
करा उदरार करकप्रे यहराहूँ धनपुषयज दप्रेखनप्रे आए हमैं। यह सपुनकर सब हस्त्रयराहूँ पसन्न हह ई॥मं 221॥
चरौपराई :
* दप्रेहख रराम छहब कगोउ एक कहई। जगोगपु जरानहकहह यह बर अहई॥
जजौं सहख इन्हहह दप्रेख नरनराहह। पन पररहरर हहठ करइ हबबराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब दप्रेखकर कगोई एक (दस पू रश्री सखश्री) कहनप्रे लगश्री- यह वर जरानककी
कप्रे यगोग्य हहै। हप्रे सखश्री! यहद कहहीं रराजरा इन्हमें दप्रेख लप्रे, तगो पहतजरा छगोडकर हठपपूवर्णक इन्हहीं सप्रे हववराह
कर दप्रेगरा॥1॥
* कगोउ कह ए भपूपहत पहहचरानप्रे। मपुहन समप्रेत सरादर सनमरानप्रे॥
सहख परमंतपु पनपु रराउ न तजई। हबहध बस हहठ अहबबप्रेकहह भजई॥2॥
भरावरारर्ण:-हकसश्री नप्रे कहरा- रराजरा नप्रे इन्हमें पहचरान हलयरा हहै और मपुहन कप्रे सहहत इनकरा आदरपपूवर्णक
सम्मरान हकयरा हहै, परमंतपु हप्रे सखश्री! रराजरा अपनरा पर नहहीं छगोडतरा। वह हगोनहरार कप्रे वशश्रीभपूत हगोकर
हठपपूवर्णक अहववप्रेक करा हश्री आशय हलए हहए हमैं (पर पर अडप्रे रहनप्रे ककी मपूखर्णतरा नहहीं छगोडतरा)॥2॥
* कगोउ कह जजौं भल अहइ हबधरातरा। सब कहहूँ सपुहनअ उहचत फिल दरातरा॥
तरौ जरानहकहह हमहलहह बर एहह । नराहहन आहल इहराहूँ समंदहप्रे ह ॥3॥
भरावरारर्ण:-कगोई कहतश्री हहै- यहद हवधरातरा भलप्रे हमैं और सपुनरा जरातरा हहै हक वप्रे सबकगो उहचत फिल दप्रेतप्रे
हमैं, तगो जरानककीजश्री कगो यहश्री वर हमलप्रेगरा। हप्रे सखश्री! इसममें समंदप्रेह नहहीं हहै॥3॥
* जजौं हबहध बस अस बनहै सहूँजगोगपू। तरौ कमृ तकमृ त्य हगोइ सब लगोगपू॥
सहख हमरमें आरहत अहत तरातमें। कबहह हूँक ए आवहहमं एहह नरातमें॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो दहैवयगोग सप्रे ऐसरा समंयगोग बन जराए, तगो हम सब लगोग कमृ तरारर्ण हगो जराएहूँ। हप्रे सखश्री! मप्रेरप्रे तगो
इसश्री सप्रे इतनश्री अहधक आतपुरतरा हगो रहश्री हहै हक इसश्री नरातप्रे कभश्री यप्रे यहराहूँ आवमेंगप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* नराहहमं त हम कहह हूँ सपुनहह सहख इन्ह कर दरसनपु दरपू र।
यह समंघटपु तब हगोइ जब पपुन्य पपुरराकमृत भपूरर॥222॥
भरावरारर्ण:-नहहीं तगो (हववराह न हहआ तगो) हप्रे सखश्री! सपुनगो, हमकगो इनकप्रे दशर्णन दल पु भर्ण हमैं। यह समंयगोग
तभश्री हगो सकतरा हहै, जब हमरारप्रे पपूवर्णजन्मर कप्रे बहह त पपुण्य हर॥222॥
चरौपराई :
* बगोलश्री अपर कहप्रेहह सहख नश्रीकरा। एहहमं हबआह अहत हहत सबहश्री करा।
कगोउ कह समंकर चराप कठगोररा। ए स्यरामल ममृद पु गरात हकसगोररा॥1॥
भरावरारर्ण:-दस पू रश्री नप्रे कहरा- हप्रे सखश्री! तपुमनप्रे बहह त अच्छरा कहरा। इस हववराह सप्रे सभश्री करा परम हहत हहै।
हकसश्री नप्रे कहरा- शमंकरजश्री करा धनपुष कठगोर हहै और यप्रे सरावहूँ लप्रे रराजकपु मरार कगोमल शरश्रीर कप्रे बरालक हमैं॥
1॥
* सबपु असममंजस अहइ सयरानश्री। यह सपुहन अपर कहइ ममृद पु बरानश्री॥
सहख इन्ह कहहूँ कगोउ कगोउ अस कहहहीं। बड पभराउ दप्रेखत लघपु अहहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सयरानश्री! सब असममंजस हश्री हहै। यह सपुनकर दस पू रश्री सखश्री कगोमल वरारश्री सप्रे कहनप्रे लगश्री-
हप्रे सखश्री! इनकप्रे समंबधमं ममें कगोई-कगोई ऐसरा कहतप्रे हमैं हक यप्रे दप्रेखनप्रे ममें तगो छगोटप्रे हमैं, पर इनकरा पभराव
बहह त बडरा हहै॥2॥
* परहस जरासपु पद पमंकज धपूरश्री। तरश्री अहल्यरा कमृ त अघ भपूरश्री॥
सगो हक रहहहह हबनपु हसव धनपु तगोरमें। यह पतश्रीहत पररहररअ न भगोरमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे चररकमलर ककी धपूहल करा स्पशर्ण पराकर अहल्यरा तर गई, हजसनप्रे बडरा भरारश्री पराप
हकयरा ररा, वप्रे क्यरा हशवजश्री करा धनपुष हबनरा तगोडप्रे रहमेंगप्रे। इस हवश्वरास कगो भपूलकर भश्री नहहीं छगोडनरा
चराहहए॥3॥
* जप्रेहहमं हबरमंहच रहच सश्रीय सहूँवरारश्री। तप्रेहहमं स्यरामल बर रचप्रेउ हबचरारश्री॥
तरासपु बचन सपुहन सब हरषरानहीं। ऐसप्रेइ हगोउ कहहहमं ममृद पु बरानहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-हजस ब्रहरा नप्रे सश्रीतरा कगो सहूँवरारकर (बडश्री चतपुरराई सप्रे) रचरा हहै, उसश्री नप्रे हवचरार कर
सराहूँवलरा वर भश्री रच रखरा हहै। उसकप्रे यप्रे वचन सपुनकर सब हहषर्णत हहई मं और कगोमल वरारश्री सप्रे कहनप्रे
लगहीं- ऐसरा हश्री हगो॥4॥
दगोहरा :
* हहयहूँ हरषहहमं बरषहहमं सपुमन सपुमपुहख सपुलगोचहन बमृदमं ।
जराहहमं जहराहूँ जहहूँ बमंधपु दगोउ तहहूँ तहहूँ परमरानमंद॥223॥
भरावरारर्ण:- सपुदमं र मपुख और सपुमंदर नप्रेत्रर वरालश्री हस्त्रयराहूँ समपूह ककी समपूह हृदय ममें हहषर्णत हगोकर फिपू ल
बरसरा रहश्री हमैं। जहराहूँ-जहराहूँ दगोनर भराई जरातप्रे हमैं, वहराहूँ-वहराहूँ परम आनमंद छरा जरातरा हहै॥223॥
चरौपराई :
* पपुर पपूरब हदहस गप्रे दगोउ भराई। जहहूँ धनपुमख हहत भपूहम बनराई॥
अहत हबस्तरार चरार गच ढरारश्री। हबमल बप्रेहदकरा रहचर सहूँवरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराई नगर कप्रे पपूरब ओर गए, जहराहूँ धनपुषयज कप्रे हलए (रमंग) भपूहम बनराई गई रश्री।
बहह त लमंबरा-चरौडरा सपुदमं र ढरालरा हहआ पक्करा आहूँगन ररा, हजस पर सपुदमं र और हनमर्णल वप्रेदश्री सजराई गई
रश्री॥1॥
* चहह हूँ हदहस कमंचन ममंच हबसरालरा। रचप्रे जहराहूँ बहैठहहमं महहपरालरा॥
तप्रेहह पराछमें समश्रीप चहह हूँ परासरा। अपर ममंच ममंडलश्री हबलरासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-चरारर ओर सगोनप्रे कप्रे बडप्रे-बडप्रे ममंच बनप्रे रप्रे, हजन पर रराजरा लगोग बहैठमेंगप्रे। उनकप्रे पश्रीछप्रे समश्रीप
हश्री चरारर ओर दस पू रप्रे मचरानर करा ममंडलराकरार घप्रेररा सपुशगोहभत ररा॥2॥
* कछपु क ऊहूँहच सब भराहूँहत सपुहराई। बहैठहहमं नगर लगोग जहहूँ जराई॥
हतन्ह कप्रे हनकट हबसराल सपुहराए। धवल धराम बहह बरन बनराए॥3॥
भरावरारर्ण:-वह कपु छ ऊहूँचरा ररा और सब पकरार सप्रे सपुदमं र ररा, जहराहूँ जराकर नगर कप्रे लगोग बहैठमेंगप्रे। उन्हहीं
कप्रे परास हवशराल एवमं सपुदमं र सफिप्रे द मकरान अनप्रेक रमंगर कप्रे बनराए गए हमैं॥3॥
* जहहूँ बहैठमें दप्रेखहहमं सब नरारश्री। जरराजगोगपु हनज कपु ल अनपुहरारश्री॥
पपुर बरालक कहह कहह ममृद पु बचनरा। सरादर पभपुहह दप्रेखरावहहमं रचनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ अपनप्रे-अपनप्रे कपु ल कप्रे अनपुसरार सब हस्त्रयराहूँ यररायगोग्य (हजसकगो जहराहूँ बहैठनरा उहचत
हहै) बहैठकर दप्रेखगमें श्री। नगर कप्रे बरालक कगोमल वचन कह-कहकर आदरपपूवर्णक पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो
(यजशरालरा ककी) रचनरा हदखलरा रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सब हससपु एहह हमस पप्रेमबस परहस मनगोहर गरात।
तन पपुलकहहमं अहत हरषपु हहयहूँ दप्रेहख दप्रेहख दगोउ ररात॥224॥
भरावरारर्ण:-सब बरालक इसश्री बहरानप्रे पप्रेम कप्रे वश ममें हगोकर शश्री ररामजश्री कप्रे मनगोहर अमंगर कगो छपू कर शरश्रीर
सप्रे पपुलहकत हगो रहप्रे हमैं और दगोनर भराइयर कगो दप्रेख-दप्रेखकर उनकप्रे हृदय ममें अत्यन्त हषर्ण हगो रहरा हहै॥
224॥
चरौपराई :
* हससपु सब रराम पप्रेमबस जरानप्रे। पश्रीहत समप्रेत हनकप्रे त बखरानप्रे॥
हनज हनज रहच सब लप्रेहहमं बगोलराई। सहहत सनप्रेह जराहहमं दगोउ भराई॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सब बरालकर कगो पप्रेम कप्रे वश जरानकर (यजभपूहम कप्रे ) स्ररानर ककी
पप्रेमपपूवर्णक पशमंसरा ककी। (इससप्रे बरालकर करा उत्सराह, आनमंद और पप्रेम और भश्री बढ गयरा, हजससप्रे)
वप्रे सब अपनश्री-अपनश्री रहच कप्रे अनपुसरार उन्हमें बपुलरा लप्रेतप्रे हमैं और (पत्यप्रेक कप्रे बपुलरानप्रे पर) दगोनर भराई
पप्रेम सहहत उनकप्रे परास चलप्रे जरातप्रे हमैं॥1॥
* रराम दप्रेखरावहहमं अनपुजहह रचनरा। कहह ममृद पु मधपुर मनगोहर बचनरा॥
लव हनमप्रेष महह हूँ भपुवन हनकरायरा। रचइ जरासपु अनपुसरासन मरायरा॥2॥
भरावरारर्ण:-कगोमल, मधपुर और मनगोहर वचन कहकर शश्री ररामजश्री अपनप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर कगो
(यजभपूहम ककी) रचनरा हदखलरातप्रे हमैं। हजनककी आजरा पराकर मरायरा लव हनमप्रेष (पलक हगरनप्रे कप्रे
चरौरराई समय) ममें ब्रहराण्डर कप्रे समपूह रच डरालतश्री हहै,॥2॥
*भगहत हप्रेतपु सगोइ दश्रीनदयरालरा। हचतवत चहकत धनपुष मखसरालरा॥
करौतपुक दप्रेहख चलप्रे गपुर पराहहीं। जराहन हबलमंबपु त्ररास मन मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-वहश्री दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री भहक्त कप्रे करारर धनपुष यज शरालरा कगो चहकत
हगोकर (आश्चयर्ण कप्रे सरार) दप्रेख रहप्रे हमैं। इस पकरार सब करौतपुक (हवहचत्र रचनरा) दप्रेखकर वप्रे गपुर कप्रे
परास चलप्रे। दप्रेर हह ई जरानकर उनकप्रे मन ममें डर हहै॥3॥
* जरासपु त्ररास डर कहह हूँ डर हगोई। भजन पभराउ दप्रेखरावत सगोई॥
कहह बरातमें ममृद पु मधपुर सपुहराई।मं हकए हबदरा बरालक बररआई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे भय सप्रे डर कगो भश्री डर लगतरा हहै, वहश्री पभपु भजन करा पभराव (हजसकप्रे करारर ऐसप्रे
महरान पभपु भश्री भय करा नराट्य करतप्रे हमैं) हदखलरा रहप्रे हमैं। उन्हरनप्रे कगोमल, मधपुर और सपुदमं र बरातमें
कहकर बरालकर कगो जबदर्णस्तश्री हवदरा हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* सभय सपप्रेम हबनश्रीत अहत सकपु च सहहत दगोउ भराइ।
गपुर पद पमंकज नराइ हसर बहैठप्रे आयसपु पराइ॥225॥
भरावरारर्ण:-हफिर भय, पप्रेम, हवनय और बडप्रे समंकगोच कप्रे सरार दगोनर भराई गपुर कप्रे चरर कमलर ममें हसर
नवराकर आजरा पराकर बहैठप्रे॥225॥
चरौपराई :
* हनहस पबप्रेस मपुहन आयसपु दश्रीन्हरा। सबहहीं समंध्यराबमंदनपु ककीन्हरा॥
कहत कररा इहतहरास पपुररानश्री। रहचर रजहन जपुग जराम हसररानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-रराहत्र करा पवप्रेश हगोतप्रे हश्री (समंध्यरा कप्रे समय) मपुहन नप्रे आजरा दश्री, तब सबनप्रे समंध्यरावदमं न
हकयरा। हफिर पराचश्रीन करराएहूँ तररा इहतहरास कहतप्रे-कहतप्रे सपुदमं र रराहत्र दगो पहर बश्रीत गई॥1॥
* मपुहनबर सयन ककीहन्ह तब जराई। लगप्रे चरन चरापन दगोउ भराई॥
हजन्ह कप्रे चरन सरगोरह लरागश्री। करत हबहबध जप जगोग हबररागश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तब शप्रेष मपुहन नप्रे जराकर शयन हकयरा। दगोनर भराई उनकप्रे चरर दबरानप्रे लगप्रे, हजनकप्रे चरर
कमलर कप्रे (दशर्णन एवमं स्पशर्ण कप्रे ) हलए वहैरराग्यवरानम पपुरष भश्री भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे जप और यगोग करतप्रे हमैं॥
2॥
*तप्रेइ दगोउ बमंधपु पप्रेम जनपु जश्रीतप्रे। गपुर पद कमल पलगोटत पश्रीतप्रे॥
बरार बरार मपुहन अग्यरा दश्रीन्हश्री। रघपुबर जराइ सयन तब ककीन्हश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हश्री दगोनर भराई मरानगो पप्रेम सप्रे जश्रीतप्रे हह ए पप्रेमपपूवर्णक गपुरजश्री कप्रे चरर कमलर कगो दबरा रहप्रे हमैं।
मपुहन नप्रे बरार-बरार आजरा दश्री, तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे जराकर शयन हकयरा॥3॥
* चरापत चरन लखनपु उर लराएहूँ। सभय सपप्रेम परम सचपु पराएहूँ॥
पपुहन पपुहन पभपु कह सगोवहह तरातरा। परौढप्रे धरर उर पद जलजरातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे चररर कगो हृदय सप्रे लगराकर भय और पप्रेम सहहत परम सपुख करा अनपुभव
करतप्रे हह ए लक्ष्मरजश्री उनकगो दबरा रहप्रे हमैं। पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे बरार-बरार कहरा- हप्रे तरात! (अब)
सगो जराओ। तब वप्रे उन चरर कमलर कगो हृदय ममें धरकर लप्रेटप्रे रहप्रे॥ 4॥
पपुष्पवराहटकरा-हनरश्रीक्षर, सश्रीतराजश्री करा परम दशर्णन, शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री करा परस्पर दशर्णन
दगोहरा :
* उठप्रे लखनपु हनहस हबगत सपुहन अरनहसखरा धपुहन करान।
गपुर तमें पहहलप्रेहहमं जगतपहत जरागप्रे ररामपु सपुजरान॥226॥
भरावरारर्ण:-ररात बश्रीतनप्रे पर, मपुगर्दे करा शब्द करानर सप्रे सपुनकर लक्ष्मरजश्री उठप्रे। जगत कप्रे स्वरामश्री सपुजरान
शश्री ररामचन्दजश्री भश्री गपुर सप्रे पहलप्रे हश्री जराग गए॥226॥
चरौपराई :
* सकल सरौच करर जराइ नहराए। हनत्य हनबराहह मपुहनहह हसर नराए॥
समय जराहन गपुर आयसपु पराई। लप्रेन पसपून चलप्रे दगोउ भराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सब शरौचहकयरा करकप्रे वप्रे जराकर नहराए। हफिर (समंध्यरा-अहग्निहगोत्रराहद) हनत्यकमर्ण समराप्त
करकप्रे उन्हरनप्रे मपुहन कगो मस्तक नवरायरा। (पपूजरा करा) समय जरानकर, गपुर ककी आजरा पराकर दगोनर
भराई फिपूल लप्रेनप्रे चलप्रे॥1॥
* भपूप बरागपु बर दप्रेखप्रेउ जराई। जहहूँ बसमंत ररतपु रहश्री लगोभराई॥
लरागप्रे हबटप मनगोहर नरानरा। बरन बरन बर बप्रेहल हबतरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे जराकर रराजरा करा सपुदमं र बराग दप्रेखरा, जहराहूँ वसमंत ऋतपु लपुभराकर रह गई हहै। मन कगो
लपुभरानप्रे वरालप्रे अनप्रेक वमृक्ष लगप्रे हमैं। रमंग-हबरमंगश्री उरम लतराओमं कप्रे ममंडप छराए हहए हमैं॥2॥
*नव पल्लव फिल सपुमन सपुहराए। हनज समंपहत सपुर रूख लजराए॥
चरातक कगोहकल ककीर चकगोररा। कपू जत हबहग नटत कल मगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:-नए, परर, फिलर और फिपूलर सप्रे यक्त पु सपुमंदर वमृक्ष अपनश्री सम्पहर सप्रे कल्पवमृक्ष कगो भश्री लजरा
रहप्रे हमैं। पपश्रीहप्रे, कगोयल, तगोतप्रे, चकगोर आहद पक्षश्री मश्रीठश्री बगोलश्री बगोल रहप्रे हमैं और मगोर सपुदमं र नमृत्य कर
रहप्रे हमैं॥3॥
* मध्य बराग सर सगोह सपुहरावरा। महन सगोपरान हबहचत्र बनरावरा॥
हबमल सहललपु सरहसज बहह रमंगरा। जलखग कपू जत गपुमंजत भमृमंगरा॥4॥
भरावरारर्ण:-बराग कप्रे बश्रीचरबश्रीच सपुहरावनरा सरगोवर सपुशगोहभत हहै, हजसममें महरयर ककी सश्रीहढयराहूँ हवहचत्र ढमंग
सप्रे बनश्री हमैं। उसकरा जल हनमर्णल हहै, हजसममें अनप्रेक रमंगर कप्रे कमल हखलप्रे हह ए हमैं, जल कप्रे पक्षश्री कलरव
कर रहप्रे हमैं और रमर गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* बरागपु तडरागपु हबलगोहक पभपु हरषप्रे बमंधपु समप्रेत।
परम रम्य आररामपु यहह जगो ररामहह सपुख दप्रेत॥227॥
भरावरारर्ण:-बराग और सरगोवर कगो दप्रेखकर पभपु शश्री ररामचन्दजश्री भराई लक्ष्मर सहहत हहषर्णत हह ए। यह
बराग (वरास्तव ममें) परम रमरश्रीय हहै, जगो (जगत कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे) शश्री ररामचन्दजश्री कगो सपुख दप्रे
रहरा हहै॥227॥
चरौपराई :
*चहह हूँ हदहस हचतइ पपूहूँहछ मरालश्रीगन। लगप्रे लप्रेन दल फिपू ल मपुहदत मन॥
तप्रेहह अवसर सश्रीतरा तहहूँ आई। हगररजरा पपूजन जनहन पठराई॥1॥
भरावरारर्ण:-चरारर ओर दृहष्टि डरालकर और मराहलयर सप्रे पपूछकर वप्रे पसन्न मन सप्रे पत्र-पपुष्प लप्रेनप्रे लगप्रे।
उसश्री समय सश्रीतराजश्री वहराहूँ आई।मं मरातरा नप्रे उन्हमें हगररजराजश्री (परावर्णतश्री) ककी पपूजरा करनप्रे कप्रे हलए भप्रेजरा
ररा॥1॥
* समंग सखहीं सब सपुभग सयरानहीं। गरावहहमं गश्रीत मनगोहर बरानहीं॥
सर समश्रीप हगररजरा गमृह सगोहरा। बरहन न जराइ दप्रेहख मनपु मगोहरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सरार ममें सब सपुमंदरश्री और सयरानश्री सहखयराहूँ हमैं, जगो मनगोहर वरारश्री सप्रे गश्रीत गरा रहश्री हमैं। सरगोवर
कप्रे परास हगररजराजश्री करा ममंहदर सपुशगोहभत हहै, हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा, दप्रेखकर मन
मगोहहत हगो जरातरा हहै॥।2॥
* मजनपु करर सर सहखन्ह समप्रेतरा। गई मपुहदत मन गरौरर हनकप्रे तरा॥
पपूजरा ककीहन्ह अहधक अनपुररागरा। हनज अनपुरूप सपुभग बर मरागरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सहखयर सहहत सरगोवर ममें स्नरान करकप्रे सश्रीतराजश्री पसन्न मन सप्रे हगररजराजश्री कप्रे ममंहदर ममें गई।मं
उन्हरनप्रे बडप्रे पप्रेम सप्रे पपूजरा ककी और अपनप्रे यगोग्य सपुमंदर वर मराहूँगरा॥ 3॥
* एक सखश्री हसय समंगपु हबहराई। गई रहश्री दप्रेखन फिपु लवराई॥
तप्रेहहमं दगोउ बमंधपु हबलगोकप्रे जराई। पप्रेम हबबस सश्रीतरा पहहमं आई॥4॥
भरावरारर्ण:-एक सखश्री सश्रीतराजश्री करा सरार छगोडकर फिपु लवराडश्री दप्रेखनप्रे चलश्री गई रश्री। उसनप्रे जराकर दगोनर
भराइयर कगो दप्रेखरा और पप्रेम ममें हवह्वल हगोकर वह सश्रीतराजश्री कप्रे परास आई॥4॥
दगोहरा :
* तरासपु दसरा दप्रेखश्री सहखन्ह पपुलक गरात जलपु नहैन।
कहह करारनपु हनज हरष कर पपूछहहमं सब ममृद पु बहैन॥228॥
भरावरारर्ण:-सहखयर नप्रे उसककी दशरा दप्रेखश्री हक उसकरा शरश्रीर पपुलहकत हहै और नप्रेत्रर ममें जल भररा हहै। सब
कगोमल वरारश्री सप्रे पपूछनप्रे लगहीं हक अपनश्री पसन्नतरा करा करारर बतरा॥ 228॥
चरौपराई :
* दप्रेखन बरागपु कपु अहूँर दइपु आए। बय हकसगोर सब भराहूँहत सपुहराए॥
स्यराम गरौर हकहम कहजौं बखरानश्री। हगररा अनयन नयन हबनपु बरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(उसनप्रे कहरा-) दगो रराजकपु मरार बराग दप्रेखनप्रे आए हमैं। हकशगोर अवस्ररा कप्रे हमैं और सब पकरार
सप्रे सपुदमं र हमैं। वप्रे सरावहूँ लप्रे और गगोरप्रे (रमंग कप्रे ) हमैं, उनकप्रे सजौंदयर्ण कगो ममैं कहै सप्रे बखरानकर कहह हूँ। वरारश्री हबनरा
नप्रेत्र ककी हहै और नप्रेत्रर कप्रे वरारश्री नहहीं हहै॥1॥
* सपुहन हरषहीं सब सखहीं सयरानश्री। हसय हहयहूँ अहत उतकमं ठरा जरानश्री॥
एक कहइ नमृपसपुत तप्रेइ आलश्री। सपुनप्रे जप्रे मपुहन सहूँग आए करालश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर और सश्रीतराजश्री कप्रे हृदय ममें बडश्री उत्कमंठरा जरानकर सब सयरानश्री सहखयराहूँ पसन्न
हह ई।मं तब एक सखश्री कहनप्रे लगश्री- हप्रे सखश्री! यप्रे वहश्री रराजकपु मरार हमैं, जगो सपुनरा हहै हक कल हवश्वराहमत्र
मपुहन कप्रे सरार आए हमैं॥2॥
* हजन्ह हनज रूप मगोहनश्री डरारश्री। ककीन्हप्रे स्वबस नगर नर नरारश्री॥
बरनत छहब जहहूँ तहहूँ सब लगोगपू। अवहस दप्रेहखअहहमं दप्रेखन जगोगपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और हजन्हरनप्रे अपनप्रे रूप ककी मगोहहनश्री डरालकर नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरषर कगो अपनप्रे वश ममें कर
हलयरा हहै। जहराहूँ-तहराहूँ सब लगोग उन्हहीं ककी छहब करा वरर्णन कर रहप्रे हमैं। अवश्य (चलकर) उन्हमें दप्रेखनरा
चराहहए, वप्रे दप्रेखनप्रे हश्री यगोग्य हमैं॥3॥
* तरासपु बचन अहत हसयहह सगोहरानप्रे। दरस लराहग लगोचन अकपु लरानप्रे॥
चलश्री अग करर हपय सहख सगोई। पश्रीहत पपुररातन लखइ न कगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे वचन सश्रीतराजश्री कगो अत्यन्त हश्री हपय लगप्रे और दशर्णन कप्रे हलए उनकप्रे नप्रेत्र अकपु लरा
उठप्रे। उसश्री प्यरारश्री सखश्री कगो आगप्रे करकप्रे सश्रीतराजश्री चलहीं। पपुररानश्री पश्रीहत कगो कगोई लख नहहीं परातरा॥4॥
दगोहरा :
* सपुहमरर सश्रीय नरारद बचन उपजश्री पश्रीहत पपुनश्रीत।
चहकत हबलगोकहत सकल हदहस जनपु हससपु ममृगश्री सभश्रीत॥229॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री कप्रे वचनर करा स्मरर करकप्रे सश्रीतराजश्री कप्रे मन ममें पहवत्र पश्रीहत उत्पन्न हहई। वप्रे चहकत
हगोकर सब ओर इस तरह दप्रेख रहश्री हमैं, मरानगो डरश्री हह ई ममृगछरौनश्री इधर-उधर दप्रेख रहश्री हगो॥229॥
चरौपराई :
* कमंकन हकमंहकहन नपूपपुर धपुहन सपुहन। कहत लखन सन ररामपु हृदयहूँ गपुहन॥
मरानहह हूँ मदन ददमंपु भपु श्री दश्रीन्हश्री। मनसरा हबस्व हबजय कहहूँ ककीन्हश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-कमंकर (हरारर कप्रे कडप्रे), करधनश्री और परायजप्रेब कप्रे शब्द सपुनकर शश्री ररामचन्दजश्री हृदय ममें
हवचरार कर लक्ष्मर सप्रे कहतप्रे हमैं- (यह ध्वहन ऐसश्री आ रहश्री हहै) मरानगो करामदप्रेव नप्रे हवश्व कगो जश्रीतनप्रे
करा समंकल्प करकप्रे डमंकप्रे पर चगोट मरारश्री हहै॥1॥
* अस कहह हफिरर हचतए तप्रेहह ओररा। हसय मपुख सहस भए नयन चकगोररा॥
भए हबलगोचन चरार अचमंचल। मनहह हूँ सकपु हच हनहम तजप्रे हदगमंचल॥2॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर शश्री ररामजश्री नप्रे हफिर कर उस ओर दप्रेखरा। शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख रूपश्री चन्दमरा
(कगो हनहरारनप्रे) कप्रे हलए उनकप्रे नप्रेत्र चकगोर बन गए। सपुमंदर नप्रेत्र हस्रर हगो गए (टकटककी लग गई)।
मरानगो हनहम (जनकजश्री कप्रे पपूवर्णज) नप्रे (हजनकरा सबककी पलकर ममें हनवरास मरानरा गयरा हहै, लडककी-
दरामराद कप्रे हमलन-पसमंग कगो दप्रेखनरा उहचत नहहीं, इस भराव सप्रे) सकपु चराकर पलकमें छगोड दहीं,
(पलकर ममें रहनरा छगोड हदयरा, हजससप्रे पलकर करा हगरनरा रक गयरा)॥2॥
* दप्रेहख सश्रीय शगोभरा सपुखपु परावरा। हृदयहूँ सरराहत बचनपु न आवरा॥
जनपु हबरमंहच सब हनज हनपपुनराई। हबरहच हबस्व कहहूँ पगहट दप्रेखराई॥3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी शगोभरा दप्रेखकर शश्री ररामजश्री नप्रे बडरा सपुख परायरा। हृदय ममें वप्रे उसककी सरराहनरा
करतप्रे हमैं, हकन्तपु मपुख सप्रे वचन नहहीं हनकलतप्रे। (वह शगोभरा ऐसश्री अनपुपम हहै) मरानगो ब्रहरा नप्रे अपनश्री
सरारश्री हनपपुरतरा कगो मपूहतर्णमरान कर समंसरार कगो पकट करकप्रे हदखरा हदयरा हगो॥3॥
* सपुदमं रतरा कहह हूँ सपुदमं र करई। छहबगमृहहूँ दश्रीपहसखरा जनपु बरई॥
सब उपमरा कहब रहप्रे जपुठरारश्री। कप्रे हहमं पटतरजौं हबदप्रेहकपु मरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-वह (सश्रीतराजश्री ककी शगोभरा) सपुमंदरतरा कगो भश्री सपुदमं र करनप्रे वरालश्री हहै। (वह ऐसश्री मरालपूम हगोतश्री
हहै) मरानगो सपुमंदरतरा रूपश्री घर ममें दश्रीपक ककी लरौ जल रहश्री हगो। (अब तक सपुदमं रतरा रूपश्री भवन ममें अहूँधप्रेररा
ररा, वह भवन मरानगो सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं रतरा रूपश्री दश्रीपहशखरा कगो पराकर जगमगरा उठरा हहै , पहलप्रे सप्रे भश्री
अहधक सपुमंदर हगो गयरा हहै)। सरारश्री उपमराओमं कगो तगो कहवयर नप्रे जपूहूँठरा कर रखरा हहै। ममैं जनकनहन्दनश्री शश्री
सश्रीतराजश्री ककी हकससप्रे उपमरा द॥हूँपू 4॥
दगोहरा :
* हसय शगोभरा हहयहूँ बरहन पभपु आपहन दसरा हबचरारर॥
बगोलप्रे सपुहच मन अनपुज सन बचन समय अनपुहरारर॥230॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार) हृदय ममें सश्रीतराजश्री ककी शगोभरा करा वरर्णन करकप्रे और अपनश्री दशरा कगो
हवचरारकर पभपु शश्री ररामचन्दजश्री पहवत्र मन सप्रे अपनप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर सप्रे समयरानपुकपू ल वचन
बगोलप्रे-॥230॥
चरौपराई :
* तरात जनकतनयरा यह सगोई। धनपुषजग्य जप्रेहह करारन हगोई॥
पपूजन गरौरर सखहीं लहै आई।मं करत पकरासपु हफिरइ फिपु लवराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! यह वहश्री जनकजश्री ककी कन्यरा हहै, हजसकप्रे हलए धनपुषयज हगो रहरा हहै। सहखयराहूँ इसप्रे
गरौरश्री पपूजन कप्रे हलए लप्रे आई हमैं। यह फिपु लवराडश्री ममें पकराश करतश्री हह ई हफिर रहश्री हहै॥1॥
* जरासपु हबलगोहक अलरौहकक सगोभरा। सहज पपुनश्रीत मगोर मनपु छगोभरा॥
सगो सबपु करारन जरान हबधरातरा। फिरकहहमं सपुभद अमंग सपुनपु ररातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजसककी अलरौहकक सपुदमं रतरा दप्रेखकर स्वभराव सप्रे हश्री पहवत्र मप्रेररा मन क्षपुब्ध हगो गयरा हहै। वह
सब करारर (अरवरा उसकरा सब करारर) तगो हवधरातरा जरानमें, हकन्तपु हप्रे भराई! सपुनगो, मप्रेरप्रे
ममंगलदरायक (दराहहनप्रे) अमंग फिडक रहप्रे हमैं॥2॥
* रघपुबहमं सन्ह कर सहज सपुभराऊ। मनपु कपु पमंर पगपु धरइ न कराऊ॥
मगोहह अहतसय पतश्रीहत मन कप्रे रश्री। जप्रेहहमं सपनप्रेहहहूँ परनरारर न हप्रेरश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-रघपुवमंहशयर करा यह सहज (जन्मगत) स्वभराव हहै हक उनकरा मन कभश्री कपु मरागर्ण पर पहैर नहहीं
रखतरा। मपुझप्रे तगो अपनप्रे मन करा अत्यन्त हश्री हवश्वरास हहै हक हजसनप्रे (जरागत ककी करौन कहप्रे) स्वप्न ममें
भश्री परराई स्त्रश्री पर दृहष्टि नहहीं डरालश्री हहै॥3॥
* हजन्ह कहै लहहहमं न ररपपु रन पश्रीठश्री। नहहमं परावहहमं परहतय मनपु डश्रीठश्री॥
ममंगन लहहहमं न हजन्ह कहै नराहहीं। तप्रे नरबर रगोरप्रे जग मराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-रर ममें शत्रपु हजनककी पश्रीठ नहहीं दप्रेख परातप्रे (अररार्णतम जगो लडराई कप्रे महैदरान सप्रे भरागतप्रे नहहीं),
परराई हस्त्रयराहूँ हजनकप्रे मन और दृहष्टि कगो नहहीं खहींच परातहीं और हभखरारश्री हजनकप्रे यहराहूँ सप्रे 'नराहहीं' नहहीं
परातप्रे (खरालश्री हरार नहहीं लरौटतप्रे), ऐसप्रे शप्रेष पपुरष समंसरार ममें रगोडप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* करत बतकहश्री अनपुज सन मन हसय रूप लगोभरान।
मपुख सरगोज मकरमंद छहब करइ मधपुप इव परान॥231॥
भरावरारर्ण:- यर शश्री ररामजश्री छगोटप्रे भराई सप्रे बरातमें कर रहप्रे हमैं, पर मन सश्रीतराजश्री कप्रे रूप ममें लपुभरायरा हहआ
उनकप्रे मपुखरूपश्री कमल कप्रे छहब रूप मकरमंद रस कगो भजौंरप्रे ककी तरह पश्री रहरा हहै॥ 231॥
चरौपराई :
* हचतवहत चहकत चहह हूँ हदहस सश्रीतरा। कहहूँ गए नमृप हकसगोर मनपु हचमंतरा॥
जहहूँ हबलगोक ममृग सरावक नहैनश्री। जनपु तहहूँ बररस कमल हसत शप्रेनश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री चहकत हगोकर चरारर ओर दप्रेख रहश्री हमैं। मन इस बरात ककी हचन्तरा कर रहरा हहै हक
रराजकपु मरार कहराहूँ चलप्रे गए। बराल ममृगनयनश्री (ममृग कप्रे छरौनप्रे ककी सश्री आहूँख वरालश्री) सश्रीतराजश्री जहराहूँ दृहष्टि
डरालतश्री हमैं, वहराहूँ मरानगो श्वप्रेत कमलर ककी कतरार बरस जरातश्री हहै॥1॥
* लतरा ओट तब सहखन्ह लखराए। स्यरामल गरौर हकसगोर सपुहराए॥
दप्रेहख रूप लगोचन ललचरानप्रे। हरषप्रे जनपु हनज हनहध पहहचरानप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-तब सहखयर नप्रे लतरा ककी ओट ममें सपुदमं र श्यराम और गरौर कपु मरारर कगो हदखलरायरा। उनकप्रे रूप
कगो दप्रेखकर नप्रेत्र ललचरा उठप्रे, वप्रे ऐसप्रे पसन्न हहए मरानगो उन्हरनप्रे अपनरा खजरानरा पहचरान हलयरा॥2॥
* रकप्रे नयन रघपुपहत छहब दप्रेख।में पलकहन्हहह हूँ पररहरहीं हनमप्रेषमें॥
अहधक सनप्रेहहूँ दप्रेह भहै भगोरश्री। सरद सहसहह जनपु हचतव चकगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी छहब दप्रेखकर नप्रेत्र रहकत (हनश्चल) हगो गए। पलकर नप्रे भश्री हगरनरा
छगोड हदयरा। अहधक स्नप्रेह कप्रे करारर शरश्रीर हवह्वल (बप्रेकराबपू) हगो गयरा। मरानगो शरद ऋतपु कप्रे चन्दमरा
कगो चकगोरश्री (बप्रेसपुध हहई) दप्रेख रहश्री हगो॥3॥
* लगोचन मग ररामहह उर आनश्री। दश्रीन्हप्रे पलक कपराट सयरानश्री॥
जब हसय सहखन्ह पप्रेमबस जरानश्री। कहह न सकहहमं कछपु मन सकपु चरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नप्रेत्रर कप्रे ररास्तप्रे शश्री ररामजश्री कगो हृदय ममें लराकर चतपुरहशरगोमहर जरानककीजश्री नप्रे पलकर कप्रे
हकवराड लगरा हदए (अररार्णत नप्रेत्र मपूहूँदकर उनकरा ध्यरान करनप्रे लगहीं)। जब सहखयर नप्रे सश्रीतराजश्री कगो पप्रेम
कप्रे वश जरानरा, तब वप्रे मन ममें सकपु चरा गई,मं कपु छ कह नहहीं सकतश्री रहीं॥4॥
दगोहरा :
* लतराभवन तमें पगट भप्रे तप्रेहह अवसर दगोउ भराइ।
तहकसप्रे जनपु जपुग हबमल हबधपु जलद पटल हबलगराई॥232॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय दगोनर भराई लतरा ममंडप (कपुमं ज) ममें सप्रे पकट हहए। मरानगो दगो हनमर्णल चन्दमरा
बरादलर कप्रे परदप्रे कगो हटराकर हनकलप्रे हर॥232॥
चरौपराई :
* सगोभरा सश्रीवहूँ सपुभग दगोउ बश्रीररा। नश्रील पश्रीत जलजराभ सरश्रीररा॥
मगोरपमंख हसर सगोहत नश्रीकप्रे। गपुच्छ बश्रीच हबच कपु सपुम कलश्री कप्रे ॥1॥
भरावरारर्ण:-दगोनर सपुमंदर भराई शगोभरा ककी सश्रीमरा हमैं। उनकप्रे शरश्रीर ककी आभरा नश्रीलप्रे और पश्रीलप्रे कमल ककी सश्री
हहै। हसर पर सपुदमं र मगोरपमंख सपुशगोहभत हमैं। उनकप्रे बश्रीच-बश्रीच ममें फिपूलर ककी कहलयर कप्रे गपुच्छप्रे लगप्रे हमैं॥1॥
* भराल हतलक शम हबन्द पु सपुहराए। शवन सपुभग भपूषन छहब छराए॥
हबकट भमृकपुहट कच घपूघरवरारप्रे। नव सरगोज लगोचन रतनरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-मरारप्रे पर हतलक और पसश्रीनप्रे ककी बपूहूँदमें शगोभरायमरान हमैं। करानर ममें सपुदमं र भपूषरर ककी छहब छराई
हहै। टप्रेढश्री भजौंहमें और घपुहूँघररालप्रे बराल हमैं। नए लराल कमल कप्रे समरान रतनरारप्रे (लराल) नप्रेत्र हमैं॥2॥
* चरार हचबपुक नराहसकरा कपगोलरा। हरास हबलरास लप्रेत मनपु मगोलरा॥
मपुखछहब कहह न जराइ मगोहह पराहहीं। जगो हबलगोहक बहह कराम लजराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-ठगोडश्री नराक और गराल बडप्रे सपुदमं र हमैं और हहूँसश्री ककी शगोभरा मन कगो मगोल हलए लप्रेतश्री हहै। मपुख
ककी छहब तगो मपुझसप्रे कहश्री हश्री नहहीं जरातश्री, हजसप्रे दप्रेखकर बहह त सप्रे करामदप्रेव लजरा जरातप्रे हमैं॥3॥
* उर महन मराल कमंबपु कल गश्रीवरा। कराम कलभ कर भपुज बलसहींवरा॥
सपुमन समप्रेत बराम कर दगोनरा। सरावहूँर कपु अहूँर सखश्री सपुहठ लगोनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वक्षद्धाःस्रल पर महरयर ककी मरालरा हहै। शमंख कप्रे सदृश सपुदमं र गलरा हहै। करामदप्रेव कप्रे हरारश्री कप्रे
बचप्रे ककी सपूडहूँ कप्रे समरान (उतरार-चढराव वरालश्री एवमं कगोमल) भपुजराएहूँ हमैं, जगो बल ककी सश्रीमरा हमैं। हजसकप्रे
बराएहूँ हरार ममें फिपूलर सहहत दगोनरा हहै, हप्रे सहख! वह सराहूँवलरा कपुहूँ अर तगो बहह त हश्री सलगोनरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* कप्रे हरर कहट पट पश्रीत धर सपुषमरा सश्रील हनधरान।
दप्रेहख भरानपुकपुलभपूषनहह हबसररा सहखन्ह अपरान॥233॥
भरावरारर्ण:-हसमंह ककी सश्री (पतलश्री, लचश्रीलश्री) कमर वरालप्रे, पश्रीतराम्बर धरारर हकए हह ए, शगोभरा और
शश्रील कप्रे भमंडरार, सपूयर्णकपुल कप्रे भपूषर शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर सहखयराहूँ अपनप्रे आपकगो भपूल गई ॥मं
233॥
चरौपराई :
* धरर धश्रीरजपु एक आहल सयरानश्री। सश्रीतरा सन बगोलश्री गहह परानश्री॥
बहह रर गरौरर कर ध्यरान करप्रेहह। भपूपहकसगोर दप्रेहख हकन लप्रेहह॥1॥
भरावरारर्ण:-एक चतपुर सखश्री धश्रीरज धरकर, हरार पकडकर सश्रीतराजश्री सप्रे बगोलश्री- हगररजराजश्री करा ध्यरान
हफिर कर लप्रेनरा, इस समय रराजकपु मरार कगो क्यर नहहीं दप्रेख लप्रेतहीं॥1॥
* सकपु हच सश्रीयहूँ तब नयन उघरारप्रे। सनमपुख दगोउ रघपुहसमंघ हनहरारप्रे॥
नख हसख दप्रेहख रराम कहै सगोभरा। सपुहमरर हपतरा पनपु मनपु अहत छगोभरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तब सश्रीतराजश्री नप्रे सकपु चराकर नप्रेत्र खगोलप्रे और रघपुकपुल कप्रे दगोनर हसमंहर कगो अपनप्रे सरामनप्रे
(खडप्रे) दप्रेखरा। नख सप्रे हशखरा तक शश्री ररामजश्री ककी शगोभरा दप्रेखकर और हफिर हपतरा करा पर यराद
करकप्रे उनकरा मन बहह त क्षपुब्ध हगो गयरा॥2॥
* परबस सहखन्ह लखश्री जब सश्रीतरा। भयउ गहर सब कहहहमं सभश्रीतरा॥
पपुहन आउब एहह बप्रेररआहूँ करालश्री। अस कहह मन हबहसश्री एक आलश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जब सहखयर नप्रे सश्रीतराजश्री कगो परवश (पप्रेम कप्रे वश) दप्रेखरा, तब सब भयभश्रीत हगोकर कहनप्रे
लगहीं- बडश्री दप्रेर हगो गई। (अब चलनरा चराहहए)। कल इसश्री समय हफिर आएहूँगश्री, ऐसरा कहकर एक
सखश्री मन ममें हहूँसश्री॥3॥
* गपूढ हगररा सपुहन हसय सकपु चरानश्री। भयउ हबलमंबपु मरातपु भय मरानश्री॥
धरर बहड धश्रीर ररामपु उर आनप्रे। हफिरश्री अपनपउ हपतपुबस जरानप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सखश्री ककी यह रहस्यभरश्री वरारश्री सपुनकर सश्रीतराजश्री सकपु चरा गई।मं दप्रेर हगो गई जरान उन्हमें मरातरा
करा भय लगरा। बहह त धश्रीरज धरकर वप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो हृदय ममें लप्रे आई मं और (उनकरा ध्यरान
करतश्री हह ई) अपनप्रे कगो हपतरा कप्रे अधश्रीन जरानकर लरौट चलहीं॥4॥
शश्री सश्रीतराजश्री करा परावर्णतश्री पपूजन एवमं वरदरान पराहप्त तररा रराम -लक्ष्मर समंवराद
दगोहरा :
* दप्रेखन हमस ममृग हबहग तर हफिरइ बहगोरर बहगोरर।
हनरहख हनरहख रघपुबश्रीर छहब बराढइ पश्रीहत न रगोरर॥234॥
भरावरारर्ण:-ममृग, पक्षश्री और वमृक्षर कगो दप्रेखनप्रे कप्रे बहरानप्रे सश्रीतराजश्री बरार-बरार घपूम जरातश्री हमैं और शश्री ररामजश्री
ककी छहब दप्रेख-दप्रेखकर उनकरा पप्रेम कम नहहीं बढ रहरा हहै। (अररार्णतम बहह त हश्री बढतरा जरातरा हहै)॥
234॥
चरौपराई :
* जराहन कहठन हसवचराप हबसपूरहत। चलश्री रराहख उर स्यरामल मपूरहत॥
पभपु जब जरात जरानककी जरानश्री। सपुख सनप्रेह सगोभरा गपुन खरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो कठगोर जरानकर वप्रे हवसपूरतश्री (मन ममें हवलराप करतश्री) हह ई हृदय ममें शश्री
ररामजश्री ककी सराहूँवलश्री मपूहतर्ण कगो रखकर चलहीं। (हशवजश्री कप्रे धनपुष ककी कठगोरतरा करा स्मरर आनप्रे सप्रे
उन्हमें हचमंतरा हगोतश्री रश्री हक यप्रे सपुकपुमरार रघपुनरारजश्री उसप्रे कहै सप्रे तगोडमेंगप्रे, हपतरा कप्रे पर ककी स्ममृहत सप्रे उनकप्रे
हृदय ममें क्षगोभ ररा हश्री, इसहलए मन ममें हवलराप करनप्रे लगहीं। पप्रेमवश ऐश्वयर्ण ककी हवस्ममृहत हगो जरानप्रे सप्रे
हश्री ऐसरा हह आ, हफिर भगवरान कप्रे बल करा स्मरर आतप्रे हश्री वप्रे हहषर्णत हगो गई मं और सराहूँवलश्री छहब कगो
हृदय ममें धरारर करकप्रे चलहीं।) पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे जब सपुख, स्नप्रेह, शगोभरा और गपुरर ककी खरान शश्री
जरानककीजश्री कगो जरातश्री हह ई जरानरा,॥1॥
* परम पप्रेममय ममृद पु महस ककीन्हश्री। चरार हचर भश्रीतहीं हलहख लश्रीन्हश्री॥
गई भवरानश्री भवन बहगोरश्री। बमंहद चरन बगोलश्री कर जगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तब परमपप्रेम ककी कगोमल स्यराहश्री बनराकर उनकप्रे स्वरूप कगो अपनप्रे सपुदमं र हचर रूपश्री हभहर
पर हचहत्रत कर हलयरा। सश्रीतराजश्री पपुनद्धाः भवरानश्रीजश्री कप्रे ममंहदर ममें गई मं और उनकप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे
हरार जगोडकर बगोलहीं-॥2॥
*जय जय हगररबररराज हकसगोरश्री। जय महप्रेस मपुख चमंद चकगोरश्री॥
जय गजबदन षडरानन मरातरा। जगत जनहन दराहमहन दहपु त गरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शप्रेष पवर्णतर कप्रे रराजरा हहमराचल ककी पपुत्रश्री परावर्णतश्री! आपककी जय हगो, जय हगो, हप्रे
महरादप्रेवजश्री कप्रे मपुख रूपश्री चन्दमरा ककी (ओर टकटककी लगराकर दप्रेखनप्रे वरालश्री) चकगोरश्री! आपककी जय
हगो, हप्रे हरारश्री कप्रे मपुख वरालप्रे गरप्रेशजश्री और छह मपुख वरालप्रे स्वराहमकराहतर्णकजश्री ककी मरातरा! हप्रे
जगजननश्री! हप्रे हबजलश्री ककी सश्री कराहन्तयक्त पु शरश्रीर वरालश्री! आपककी जय हगो! ॥3॥
* नहहमं तव आहद मध्य अवसरानरा। अहमत पभराउ बप्रेद पु नहहमं जरानरा॥
भव भव हबभव परराभव कराररहन। हबस्व हबमगोहहन स्वबस हबहराररहन॥4॥
भरावरारर्ण:-आपकरा न आहद हहै, न मध्य हहै और न अमंत हहै। आपकप्रे असश्रीम पभराव कगो वप्रेद भश्री नहहीं
जरानतप्रे। आप समंसरार कगो उत्पन्न, परालन और नराश करनप्रे वरालश्री हमैं। हवश्व कगो मगोहहत करनप्रे वरालश्री
और स्वतमंत्र रूप सप्रे हवहरार करनप्रे वरालश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* पहतदप्रेवतरा सपुतश्रीय महह हूँ मरातपु परम तव रप्रेख।
महहमरा अहमत न सकहहमं कहह सहस सरारदरा सप्रेष॥235॥
भरावरारर्ण:-पहत कगो इष्टिदप्रेव मराननप्रे वरालश्री शप्रेष नराररयर ममें हप्रे मरातरा! आपककी परम गरनरा हहै। आपककी
अपरार महहमरा कगो हजरारर सरस्वतश्री और शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कह सकतप्रे॥ 235॥
चरौपराई :
* सप्रेवत तगोहह सपुलभ फिल चरारश्री। बरदरायनश्री पपुररारर हपआरश्री॥
दप्रेहब पपूहज पद कमल तपुम्हरारप्रे। सपुर नर मपुहन सब हगोहहमं सपुखरारप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे (भक्तर कगो मपुहूँहमराहूँगरा) वर दप्रेनप्रे वरालश्री! हप्रे हत्रपपुर कप्रे शत्रपु हशवजश्री ककी हपय पत्नश्री! आपककी
सप्रेवरा करनप्रे सप्रे चरारर फिल सपुलभ हगो जरातप्रे हमैं। हप्रे दप्रेवश्री ! आपकप्रे चरर कमलर ककी पपूजरा करकप्रे दप्रेवतरा,
मनपुष्य और मपुहन सभश्री सपुखश्री हगो जरातप्रे हमैं॥1॥
* मगोर मनगोररपु जरानहह नश्रीकमें। बसहह सदरा उर पपुर सबहश्री कमें ॥
ककीन्हप्रेउहूँ पगट न करारन तप्रेहहीं। अस कहह चरन गहप्रे बहैदहप्रे हीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे मनगोरर कगो आप भलश्रीभराहूँहत जरानतश्री हमैं, क्यरहक आप सदरा सबकप्रे हृदय रूपश्री नगरश्री ममें
हनवरास करतश्री हमैं। इसश्री करारर ममैंनप्रे उसकगो पकट नहहीं हकयरा। ऐसरा कहकर जरानककीजश्री नप्रे उनकप्रे
चरर पकड हलए॥2॥
* हबनय पप्रेम बस भई भवरानश्री। खसश्री मराल मपूरहत मपुसपुकरानश्री॥
सरादर हसयहूँ पसराद पु हसर धरप्रेऊ। बगोलश्री गरौरर हरषपु हहयहूँ भरप्रेऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हगररजराजश्री सश्रीतराजश्री कप्रे हवनय और पप्रेम कप्रे वश ममें हगो गई।मं उन (कप्रे गलप्रे) ककी मरालरा
हखसक पडश्री और मपूहतर्ण मपुस्कपु रराई। सश्रीतराजश्री नप्रे आदरपपूवर्णक उस पसराद (मरालरा) कगो हसर पर धरारर
हकयरा। गरौरश्रीजश्री करा हृदय हषर्ण सप्रे भर गयरा और वप्रे बगोलहीं -॥3॥
* सपुनपु हसय सत्य असश्रीस हमरारश्री। पपूहजहह मन करामनरा तपुम्हरारश्री॥
नरारद बचन सदरा सपुहच सराचरा। सगो बर हमहलहह जराहहमं मनपु रराचरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सश्रीतरा! हमरारश्री सचश्री आसश्रीस सपुनगो, तपुम्हरारश्री मनद्धाःकरामनरा पपूरश्री हगोगश्री। नरारदजश्री करा वचन
सदरा पहवत्र (समंशय, रम आहद दगोषर सप्रे रहहत) और सत्य हहै। हजसममें तपुम्हराररा मन अनपुरक्त हगो गयरा
हहै, वहश्री वर तपुमकगो हमलप्रेगरा॥4॥
छन्द :
* मनपु जराहहमं रराचप्रेउ हमहलहह सगो बर सहज सपुमंदर सराहूँवरगो।
करनरा हनधरान सपुजरान सश्रीलपु सनप्रेहह जरानत ररावरगो॥
एहह भराहूँहत गरौरर असश्रीस सपुहन हसय सहहत हहयहूँ हरषहीं अलश्री।
तपुलसश्री भवराहनहह पपूहज पपुहन पपुहन मपुहदत मन ममंहदर चलश्री॥
भरावरारर्ण:-हजसममें तपुम्हराररा मन अनपुरक्त हगो गयरा हहै, वहश्री स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं र सरावहूँ लरा वर (शश्री
ररामचन्दजश्री) तपुमकगो हमलप्रेगरा। वह दयरा करा खजरानरा और सपुजरान (सवर्णज) हहै, तपुम्हरारप्रे शश्रील और
स्नप्रेह कगो जरानतरा हहै। इस पकरार शश्री गरौरश्रीजश्री करा आशश्रीवरार्णद सपुनकर जरानककीजश्री समप्रेत सब सहखयराहूँ
हृदय ममें हहषर्णत हहई।मं तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- भवरानश्रीजश्री कगो बरार-बरार पपूजकर सश्रीतराजश्री पसन्न मन
सप्रे रराजमहल कगो लरौट चलहीं॥
सगोरठरा :
* जराहन गरौरर अनपुकपूल हसय हहय हरषपु न जराइ कहह।
ममंजपुल ममंगल मपूल बराम अमंग फिरकन लगप्रे॥236॥
भरावरारर्ण:-गरौरश्रीजश्री कगो अनपुकपूल जरानकर सश्रीतराजश्री कप्रे हृदय कगो जगो हषर्ण हहआ, वह कहरा नहहीं जरा
सकतरा। सपुमंदर ममंगलर कप्रे मपूल उनकप्रे बराएहूँ अमंग फिडकनप्रे लगप्रे॥236॥
चरौपराई :
* हृदयहूँ सरराहत सश्रीय लगोनराई। गपुर समश्रीप गवनप्रे दगोउ भराई॥
रराम कहरा सबपु करौहसक पराहहीं। सरल सपुभराउ छपु अत छल नराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें सश्रीतराजश्री कप्रे सजौंदयर्ण ककी सरराहनरा करतप्रे हह ए दगोनर भराई गपुरजश्री कप्रे परास गए। शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे हवश्वराहमत्र सप्रे सब कपु छ कह हदयरा, क्यरहक उनकरा सरल स्वभराव हहै, छल तगो उसप्रे
छपूतरा भश्री नहहीं हहै॥1॥
* सपुमन पराइ मपुहन पपूजरा ककीन्हश्री। पपुहन असश्रीस दहपु ह भराइन्ह दश्रीन्हश्री॥
सपुफिल मनगोरर हगोहहहूँ तपुम्हरारप्रे। ररामपु लखनपु सपुहन भय सपुखरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-फिपूल पराकर मपुहन नप्रे पपूजरा ककी। हफिर दगोनर भराइयर कगो आशश्रीवरादर्ण हदयरा हक तपुम्हरारप्रे मनगोरर
सफिल हर। यह सपुनकर शश्री रराम-लक्ष्मर सपुखश्री हह ए॥2॥
* करर भगोजनपु मपुहनबर हबग्यरानश्री। लगप्रे कहन कछपु कररा पपुररानश्री॥
हबगत हदवसपु गपुर आयसपु पराई। समंध्यरा करन चलप्रे दगोउ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-शप्रेष हवजरानश्री मपुहन हवश्वराहमत्रजश्री भगोजन करकप्रे कपु छ पराचश्रीन करराएहूँ कहनप्रे लगप्रे। (इतनप्रे ममें)
हदन बश्रीत गयरा और गपुर ककी आजरा पराकर दगोनर भराई समंध्यरा करनप्रे चलप्रे॥ 3॥
* पराचश्री हदहस सहस उयउ सपुहरावरा। हसय मपुख सररस दप्रेहख सपुख पु परावरा॥
बहह रर हबचरार ककीन्ह मन मराहहीं। सश्रीय बदन सम हहमकर नराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(उधर) पपूवर्ण हदशरा ममें सपुदमं र चन्दमरा उदय हह आ। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे उसप्रे सश्रीतरा कप्रे मपुख कप्रे
समरान दप्रेखकर सपुख परायरा। हफिर मन ममें हवचरार हकयरा हक यह चन्दमरा सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख कप्रे समरान
नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* जनमपु हसमंधपु पपुहन बमंधपु हबषपु हदन मलश्रीन सकलमंक।
हसय मपुख समतरा पराव हकहम चमंद पु बरापपुरगो रमंक॥237॥
भरावरारर्ण:-खरारप्रे समपुद ममें तगो इसकरा जन्म, हफिर (उसश्री समपुद सप्रे उत्पन्न हगोनप्रे कप्रे करारर) हवष
इसकरा भराई, हदन ममें यह महलन (शगोभराहश्रीन, हनस्तप्रेज) रहतरा हहै, और कलमंककी (करालप्रे दराग सप्रे
यक्तपु ) हहै। बप्रेचराररा गरश्रीब चन्दमरा सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख ककी बरराबरश्री कहै सप्रे परा सकतरा हहै?॥237॥
चरौपराई :
* घटइ बढइ हबरहहहन दख पु दराई। गसइ रराहह हनज समंहधहहमं पराई॥
कगोक सगोकपद पमंकज दगोहश्री। अवगपुन बहह त चमंदमरा तगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर यह घटतरा-बढतरा हहै और हवरहहरश्री हस्त्रयर कगो दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालरा हहै, रराहह अपनश्री समंहध
ममें पराकर इसप्रे गस लप्रेतरा हहै। चकवप्रे कगो (चकवश्री कप्रे हवयगोग करा) शगोक दप्रेनप्रे वरालरा और कमल करा बहैरश्री
(उसप्रे मपुरझरा दप्रेनप्रे वरालरा) हहै। हप्रे चन्दमरा! तपुझममें बहह त सप्रे अवगपुर हमैं (जगो सश्रीतराजश्री ममें नहहीं हमैं।)॥1॥
* बहैदप्रेहश्री मपुख पटतर दश्रीन्हप्रे। हगोइ दगोषपु बड अनपुहचत ककीन्हप्रे॥
हसय मपुख छहब हबधपु ब्यराज बखरानश्री। गपुर पहहमं चलप्रे हनसरा बहड जरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः जरानककीजश्री कप्रे मपुख ककी तपुझप्रे उपमरा दप्रेनप्रे ममें बडरा अनपुहचत कमर्ण करनप्रे करा दगोष लगप्रेगरा।
इस पकरार चन्दमरा कप्रे बहरानप्रे सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख ककी छहब करा वरर्णन करकप्रे , बडश्री ररात हगो गई जरान, वप्रे
गपुरजश्री कप्रे परास चलप्रे॥2॥
* करर मपुहन चरन सरगोज पनरामरा। आयसपु पराइ ककीन्ह हबशरामरा॥
हबगत हनसरा रघपुनरायक जरागप्रे। बमंधपु हबलगोहक कहन अस लरागप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे चरर कमलर ममें परराम करकप्रे , आजरा पराकर उन्हरनप्रे हवशराम हकयरा, ररात बश्रीतनप्रे
पर शश्री रघपुनरारजश्री जरागप्रे और भराई कगो दप्रेखकर ऐसरा कहनप्रे लगप्रे -॥3॥
* उयउ अरन अवलगोकहह तरातरा। पमंकज कगोक लगोक सपुखदरातरा॥
बगोलप्रे लखनपु जगोरर जपुग परानश्री। पभपु पभराउ सपूचक ममृद पु बरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! दप्रेखगो, कमल, चकवराक और समस्त समंसरार कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालरा अररगोदय
हह आ हहै। लक्ष्मरजश्री दगोनर हरार जगोडकर पभपु कप्रे पभराव कगो सपूहचत करनप्रे वरालश्री कगोमल वरारश्री बगोलप्रे-॥
4॥
दगोहरा :
* अरनगोदयहूँ सकपु चप्रे कपु मपुद उडगन जगोहत मलश्रीन।
हजहम तपुम्हरार आगमन सपुहन भए नमृपहत बलहश्रीन॥238॥
भरावरारर्ण:-अररगोदय हगोनप्रे सप्रे कपु मपुहदनश्री सकपु चरा गई और तराररागरर करा पकराश फिकीकरा पड गयरा, हजस
पकरार आपकरा आनरा सपुनकर सब रराजरा बलहश्रीन हगो गए हमैं॥238॥
चरौपराई :
* नमृप सब नखत करहहमं उहजआरश्री। टरारर न सकहहमं चराप तम भरारश्री॥
कमल कगोक मधपुकर खग नरानरा। हरषप्रे सकल हनसरा अवसरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सब रराजरा रूपश्री तरारप्रे उजरालरा (ममंद पकराश) करतप्रे हमैं, पर वप्रे धनपुष रूपश्री महरान अमंधकरार
कगो हटरा नहहीं सकतप्रे। रराहत्र करा अमंत हगोनप्रे सप्रे जहैसप्रे कमल, चकवप्रे, भजौंरप्रे और नरानरा पकरार कप्रे पक्षश्री
हहषर्णत हगो रहप्रे हमैं॥1॥
* ऐसप्रेहहमं पभपु सब भगत तपुम्हरारप्रे। हगोइहहहमं टपू टमें धनपुष सपुखरारप्रे॥
उयउ भरानपु हबनपु शम तम नरासरा। दरपु प्रे नखत जग तप्रेजपु पकरासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-वहैसप्रे हश्री हप्रे पभगो! आपकप्रे सब भक्त धनपुष टपू टनप्रे पर सपुखश्री हरगप्रे। सपूयर्ण उदय हहआ, हबनरा हश्री
पररशम अमंधकरार नष्टि हगो गयरा। तरारप्रे हछप गए, समंसरार ममें तप्रेज करा पकराश हगो गयरा॥2॥
* रहब हनज उदय ब्यराज रघपुररायरा। पभपु पतरापपु सब नमृपन्ह हदखरायरा॥
तव भपुज बल महहमरा उदघराटश्री। पगटश्री धनपु हबघटन पररपराटश्री।3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुनरारजश्री! सपूयर्ण नप्रे अपनप्रे उदय कप्रे बहरानप्रे सब रराजराओमं कगो पभपु (आप) करा पतराप
हदखलरायरा हहै। आपककी भपुजराओमं कप्रे बल ककी महहमरा कगो उदराहटत करनप्रे (खगोलकर हदखरानप्रे) कप्रे हलए
हश्री धनपुष तगोडनप्रे ककी यह पदहत पकट हहई हहै॥3॥
* बमंधपु बचन सपुहन पभपु मपुसपुकरानप्रे। हगोइ सपुहच सहज पपुनश्रीत नहरानप्रे॥
कहनत्यहकयरा करर गर पहहमं आए। चरन सरगोज सपुभग हसर नराए॥4॥
भरावरारर्ण:-भराई कप्रे वचन सपुनकर पभपु मपुस्कपु रराए। हफिर स्वभराव सप्रे हश्री पहवत्र शश्री ररामजश्री नप्रे शरौच सप्रे
हनवमृर हगोकर स्नरान हकयरा और हनत्यकमर्ण करकप्रे वप्रे गपुरजश्री कप्रे परास आए। आकर उन्हरनप्रे गपुरजश्री कप्रे
सपुमंदर चरर कमलर ममें हसर नवरायरा॥4॥
* सतरानमंदपु तब जनक बगोलराए। करौहसक मपुहन पहहमं तपुरत पठराए॥
जनक हबनय हतन्ह आइ सपुनराई। हरषप्रे बगोहल हलए दगोउ भराई॥5॥
भरावरारर्ण:- तब जनकजश्री नप्रे शतरानमंदजश्री कगो बपुलरायरा और उन्हमें तपुरमंत हश्री हवश्वराहमत्र मपुहन कप्रे परास
भप्रेजरा। उन्हरनप्रे आकर जनकजश्री ककी हवनतश्री सपुनराई। हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे हहषर्णत हगोकर दगोनर भराइयर कगो
बपुलरायरा॥5॥
दगोहरा :
* सतरानमंद पद बमंहद पभपु बहैठप्रे गपुर पहहमं जराइ।
चलहह तरात मपुहन कहप्रेउ तब पठवरा जनक बगोलराइ॥239॥
भरावरारर्ण:-शतरानन्दजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री गपुरजश्री कप्रे परास जरा बहैठप्रे। तब
मपुहन नप्रे कहरा- हप्रे तरात! चलगो, जनकजश्री नप्रे बपुलरा भप्रेजरा हहै॥239॥
मरासपराररायर, आठवराहूँ हवशराम
नवराह्न पराररायर, दस पू ररा हवशराम
शश्री रराम-लक्ष्मर सहहत हवश्वराहमत्र करा यजशरालरा ममें पवप्रेश
चरौपराई :
* सश्रीय स्वयमंबरू दप्रेहखअ जराई। ईसपु कराहह धजौं दप्रेइ बडराई॥
लखन कहरा जस भराजनपु सगोई। नरार कमृ परा तव जरापर हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-चलकर सश्रीतराजश्री कप्रे स्वयमंवर कगो दप्रेखनरा चराहहए। दप्रेखमें ईश्वर हकसकगो बडराई दप्रेतप्रे हमैं।
लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा- हप्रे नरार! हजस पर आपककी कमृ परा हगोगश्री, वहश्री बडराई करा परात्र हगोगरा (धनपुष
तगोडनप्रे करा शप्रेय उसश्री कगो पराप्त हगोगरा)॥1॥
* हरषप्रे मपुहन सब सपुहन बर बरानश्री। दश्रीहन्ह असश्रीस सबहहमं सपुखपु मरानश्री॥
पपुहन मपुहनबमृमंद समप्रेत कमृ परालरा। दप्रेखन चलप्रे धनपुषमख सरालरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इस शप्रेष वरारश्री कगो सपुनकर सब मपुहन पसन्न हह ए। सभश्री नप्रे सपुख मरानकर आशश्रीवरार्णद हदयरा।
हफिर मपुहनयर कप्रे समपूह सहहत कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री धनपुष यजशरालरा दप्रेखनप्रे चलप्रे॥2॥
* रमंगभपूहम आए दगोउ भराई। अहस सपुहध सब पपुरबराहसन्ह पराई॥
चलप्रे सकल गमृह कराज हबसरारश्री। बराल जपुबरान जरठ नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराई रमंगभपूहम ममें आए हमैं, ऐसश्री खबर जब सब नगर हनवराहसयर नप्रे पराई, तब बरालक,
जवरान, बपूढप्रे, स्त्रश्री, पपुरष सभश्री घर और कराम-कराज कगो भपुलराकर चल हदए॥3॥
* दप्रेखश्री जनक भश्रीर भहै भरारश्री। सपुहच सप्रेवक सब हलए हहूँकरारश्री॥
तपुरत सकल लगोगन्ह पहहमं जराहह। आसन उहचत दप्रेहह सब कराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-जब जनकजश्री नप्रे दप्रेखरा हक बडश्री भश्रीड हगो गई हहै, तब उन्हरनप्रे सब हवश्वरासपरात्र सप्रेवकर कगो
बपुलवरा हलयरा और कहरा- तपुम लगोग तपुरमंत सब लगोगर कप्रे परास जराओ और सब हकसश्री कगो यररायगोग्य
आसन दगो॥4॥
दगोहरा :
* कहह ममृदपु बचन हबनश्रीत हतन्ह बहैठरारप्रे नर नरारर।
उरम मध्यम नश्रीच लघपु हनज हनज रल अनपुहरारर॥240॥
भरावरारर्ण:-उन सप्रेवकर नप्रे कगोमल और नम्र वचन कहकर उरम, मध्यम, नश्रीच और लघपु (सभश्री
शप्रेरश्री कप्रे ) स्त्रश्री-पपुरषर कगो अपनप्रे-अपनप्रे यगोग्य स्ररान पर बहैठरायरा॥240॥
चरौपराई :
* रराजकपु अहूँर तप्रेहह अवसर आए। मनहह हूँ मनगोहरतरा तन छराए॥
गपुन सरागर नरागर बर बश्रीररा। सपुदमं र स्यरामल गरौर सरश्रीररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय रराजकपु मरार (रराम और लक्ष्मर) वहराहूँ आए। (वप्रे ऐसप्रे सपुदमं र हमैं) मरानगो सराक्षरात
मनगोहरतरा हश्री उनकप्रे शरश्रीरर पर छरा रहश्री हगो। सपुदमं र सरावहूँ लरा और गगोररा उनकरा शरश्रीर हहै। वप्रे गपुरर कप्रे
समपुद, चतपुर और उरम वश्रीर हमैं॥1॥
* रराज समराज हबरराजत रूरप्रे। उडगन महह हूँ जनपु जपुग हबधपु पपूरप्रे॥
हजन्ह कमें रहश्री भरावनरा जहैसश्री। पभपु मपूरहत हतन्ह दप्रेखश्री तहैसश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे रराजराओमं कप्रे समराज ममें ऐसप्रे सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं, मरानगो तराररागरर कप्रे बश्रीच दगो पपूरर्ण चन्दमरा
हर। हजनककी जहैसश्री भरावनरा रश्री, पभपु ककी मपूहतर्ण उन्हरनप्रे वहैसश्री हश्री दप्रेखश्री॥2॥
* दप्रेखहहमं रूप महरा रनधश्रीररा। मनहह हूँ बश्रीर रसपु धरमें सरश्रीररा॥
डरप्रे कपु हटल नमृप पभपुहह हनहरारश्री। मनहह हूँ भयरानक मपूरहत भरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-महरान ररधश्रीर (रराजरा लगोग) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप कगो ऐसरा दप्रेख रहप्रे हमैं, मरानगो स्वयमं
वश्रीर रस शरश्रीर धरारर हकए हह ए हर। कपु हटल रराजरा पभपु कगो दप्रेखकर डर गए, मरानगो बडश्री भयरानक मपूहतर्ण
हगो॥3॥
* रहप्रे असपुर छल छगोहनप बप्रेषरा। हतन्ह पभपु पगट करालसम दप्रेखरा।
पपुरबराहसन्ह दप्रेखप्रे दगोउ भराई। नरभपूषन लगोचन सपुखदराई॥4॥
भरावरारर्ण:-छल सप्रे जगो रराक्षस वहराहूँ रराजराओमं कप्रे वप्रेष ममें (बहैठप्रे) रप्रे, उन्हरनप्रे पभपु कगो पत्यक्ष कराल कप्रे
समरान दप्रेखरा। नगर हनवराहसयर नप्रे दगोनर भराइयर कगो मनपुष्यर कप्रे भपूषर रूप और नप्रेत्रर कगो सपुख दप्रेनप्रे
वरालरा दप्रेखरा॥4॥
दगोहरा :
* नरारर हबलगोकहहमं हरहष हहयहूँ हनज-हनज रहच अनपुरूप।
जनपु सगोहत हसमंगरार धरर मपूरहत परम अनपूप॥241॥
भरावरारर्ण:-हस्त्रयराहूँ हृदय ममें हहषर्णत हगोकर अपनश्री-अपनश्री रहच कप्रे अनपुसरार उन्हमें दप्रेख रहश्री हमैं। मरानगो
शमृमंगरार रस हश्री परम अनपुपम मपूहतर्ण धरारर हकए सपुशगोहभत हगो रहरा हगो॥ 241॥
चरौपराई :
* हबदषपु न्ह पभपु हबरराटमय दश्रीसरा। बहह मपुख कर पग लगोचन सश्रीसरा॥
जनक जराहत अवलगोकहहमं कहै समें। सजन सगप्रे हपय लरागहहमं जहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-हवदरानर कगो पभपु हवरराट रूप ममें हदखराई हदए, हजसकप्रे बहह त सप्रे मपुहूँह, हरार, पहैर, नप्रेत्र और
हसर हमैं। जनकजश्री कप्रे सजरातश्रीय (कपु टपु म्बश्री) पभपु कगो हकस तरह (कहै सप्रे हपय रूप ममें) दप्रेख रहप्रे हमैं,
जहैसप्रे सगप्रे सजन (समंबमंधश्री) हपय लगतप्रे हमैं॥1॥
* सहहत हबदप्रेह हबलगोकहहमं ररानश्री। हससपु सम पश्रीहत न जराहत बखरानश्री॥
जगोहगन्ह परम तत्वमय भरासरा। सरामंत सपुद सम सहज पकरासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जनक समप्रेत रराहनयराहूँ उन्हमें अपनप्रे बचप्रे कप्रे समरान दप्रेख रहश्री हमैं, उनककी पश्रीहत करा वरर्णन नहहीं
हकयरा जरा सकतरा। यगोहगयर कगो वप्रे शरामंत, शपुद, सम और स्वतद्धाः पकराश परम तत्व कप्रे रूप ममें हदखप्रे॥
2॥
* हररभगतन्ह दप्रेखप्रे दगोउ ररातरा। इष्टिदप्रेव इव सब सपुख दरातरा॥
ररामहह हचतव भरायहूँ जप्रेहह सश्रीयरा। सगो सनप्रेहह सपुखपु नहहमं करनश्रीयरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हरर भक्तर नप्रे दगोनर भराइयर कगो सब सपुखर कप्रे दप्रेनप्रे वरालप्रे इष्टि दप्रेव कप्रे समरान दप्रेखरा। सश्रीतराजश्री
हजस भराव सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेख रहश्री हमैं, वह स्नप्रेह और सपुख तगो कहनप्रे ममें हश्री नहहीं आतरा॥3॥
* उर अनपुभवहत न कहह सक सगोऊ। कवन पकरार कहहै कहब कगोऊ॥
एहह हबहध रहरा जराहह जस भराऊ। तप्रेहहमं तस दप्रेखप्रेउ कगोसलरराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-उस (स्नप्रेह और सपुख) करा वप्रे हृदय ममें अनपुभव कर रहश्री हमैं, पर वप्रे भश्री उसप्रे कह नहहीं
सकतहीं। हफिर कगोई कहव उसप्रे हकस पकरार कह सकतरा हहै। इस पकरार हजसकरा जहैसरा भराव ररा,
उसनप्रे कगोसलराधश्रीश शश्री ररामचन्दजश्री कगो वहैसरा हश्री दप्रेखरा॥4॥
दगोहरा :
* रराजत रराज समराज महह हूँ कगोसलरराज हकसगोर।
सपुमंदर स्यरामल गरौर तन हबस्व हबलगोचन चगोर॥242॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर सराहूँवलप्रे और गगोरप्रे शरश्रीर वरालप्रे तररा हवश्वभर कप्रे नप्रेत्रर कगो चपुररानप्रे वरालप्रे कगोसलराधश्रीश कप्रे
कपु मरार रराज समराज ममें (इस पकरार) सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं॥242॥
चरौपराई :
* सहज मनगोहर मपूरहत दगोऊ। कगोहट कराम उपमरा लघपु सगोऊ॥
सरद चमंद हनमंदक मपुख नश्रीकप्रे। नश्रीरज नयन भरावतप्रे जश्री कप्रे ॥1॥
भरावरारर्ण:-दगोनर मपूहतर्णयराहूँ स्वभराव सप्रे हश्री (हबनरा हकसश्री बनराव-शमृगमं रार कप्रे ) मन कगो हरनप्रे वरालश्री हमैं।
करगोडर करामदप्रेवर ककी उपमरा भश्री उनकप्रे हलए तपुच्छ हहै। उनकप्रे सपुदमं र मपुख शरदम (पपूहरर्णमरा) कप्रे चन्दमरा
ककी भश्री हनमंदरा करनप्रे वरालप्रे (उसप्रे नश्रीचरा हदखरानप्रे वरालप्रे) हमैं और कमल कप्रे समरान नप्रेत्र मन कगो बहह त हश्री
भरातप्रे हमैं॥1॥
* हचतवहन चरार मरार मनपु हरनश्री। भरावहत हृदय जराहत नहहमं बरनश्री॥
कल कपगोल शपुहत कपुमं डल लगोलरा। हचबपुक अधर सपुमंदर ममृद पु बगोलरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर हचतवन (सरारप्रे समंसरार कप्रे मन कगो हरनप्रे वरालप्रे) करामदप्रेव कप्रे भश्री मन कगो हरनप्रे वरालश्री
हहै। वह हृदय कगो बहह त हश्री प्यरारश्री लगतश्री हहै, पर उसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। सपुदमं र गराल हमैं,
करानर ममें चमंचल (झपूमतप्रे हह ए) कपुमं डल हमैं। ठगोड और अधर (हगोठ) सपुदमं र हमैं, कगोमल वरारश्री हहै॥2॥
* कपु मपुदबमंधपु कर हनमंदक हरास हूँ रा। भमृकपुटश्री हबकट मनगोहर नरासरा॥
भराल हबसराल हतलक झलकराहहीं। कच हबलगोहक अहल अवहल लजराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हहूँसश्री, चन्दमरा ककी हकररर करा हतरस्करार करनप्रे वरालश्री हहै। भजौंहमें टप्रेढश्री और नराहसकरा मनगोहर
हहै। (ऊहूँचप्रे) चरौडप्रे ललराट पर हतलक झलक रहप्रे हमैं (दश्रीहप्तमरान हगो रहप्रे हमैं)। (करालप्रे घपुहूँघररालप्रे) बरालर
कगो दप्रेखकर भजौंरर ककी पमंहक्तयराहूँ भश्री लजरा जरातश्री हमैं॥3॥
* पश्रीत चरौतनहीं हसरहन्ह सपुहराई।मं कपु सपुम कलहीं हबच बश्रीच बनराई॥मं
रप्रेखमें रहचर कमंबपु कल गश्रीवराहूँ। जनपु हत्रभपुवन सपुषमरा ककी सश्रीवराहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-पश्रीलश्री चरौकगोनश्री टगोहपयराहूँ हसरर पर सपुशगोहभत हमैं, हजनकप्रे बश्रीच-बश्रीच ममें फिपूलर ककी कहलयराहूँ
बनराई (कराढश्री) हहई हमैं। शमंख कप्रे समरान सपुदमं र (गगोल) गलप्रे ममें मनगोहर तश्रीन रप्रेखराएहूँ हमैं, जगो मरानगो तश्रीनर
लगोकर ककी सपुमंदरतरा ककी सश्रीमरा (कगो बतरा रहश्री) हमैं॥4॥
दगोहरा :
* कपुमं जर महन कमंठरा कहलत उरहन्ह तपुलहसकरा मराल।
बमृषभ कमंध कप्रे हरर ठवहन बल हनहध बराहह हबसराल॥243॥
भरावरारर्ण:-हृदयर पर गजमपुक्तराओमं कप्रे सपुमंदर कमंठप्रे और तपुलसश्री ककी मरालराएहूँ सपुशगोहभत हमैं। उनकप्रे कमंधप्रे
बहैलर कप्रे कमंधप्रे ककी तरह (ऊहूँचप्रे तररा पपुष्टि) हमैं, ऐमंड (खडप्रे हगोनप्रे ककी शरान) हसमंह ककी सश्री हहै और भपुजराएहूँ
हवशराल एवमं बल ककी भमंडरार हमैं॥243॥
चरौपराई :
* कहट तपूनश्रीर पश्रीत पट बराहूँधमें। कर सर धनपुष बराम बर कराहूँधमें॥
पश्रीत जग्य उपबश्रीत सपुहराए। नख हसख ममंजपु महराछहब छराए॥1॥
भरावरारर्ण:-कमर ममें तरकस और पश्रीतराम्बर बराधहूँ प्रे हमैं। (दराहहनप्रे) हरारर ममें बरार और बराएहूँ सपुमंदर कमंधर पर
धनपुष तररा पश्रीलप्रे यजगोपवश्रीत (जनप्रेऊ) सपुशगोहभत हमैं। नख सप्रे लप्रेकर हशखरा तक सब अमंग सपुमंदर हमैं ,
उन पर महरान शगोभरा छराई हह ई हहै॥1॥
* दप्रेहख लगोग सब भए सपुखरारप्रे। एकटक लगोचन चलत न तरारप्रे॥
हरषप्रे जनकपु दप्रेहख दगोउ भराई। मपुहन पद कमल गहप्रे तब जराई॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें दप्रेखकर सब लगोग सपुखश्री हहए। नप्रेत्र एकटक (हनमप्रेष शपून्य) हमैं और तरारप्रे (पपुतहलयराहूँ)
भश्री नहहीं चलतप्रे। जनकजश्री दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर हहषर्णत हह ए। तब उन्हरनप्रे जराकर मपुहन कप्रे चरर
कमल पकड हलए॥2॥
* करर हबनतश्री हनज कररा सपुनराई। रमंग अवहन सब मपुहनहह दप्रेखराई॥
जहहूँ जहहूँ जराहहमं कपु अहूँर बर दगोऊ। तहहूँ तहहूँ चहकत हचतव सबपु कगोऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हवनतश्री करकप्रे अपनश्री कररा सपुनराई और मपुहन कगो सरारश्री रमंगभपूहम (यजशरालरा) हदखलराई।
(मपुहन कप्रे सरार) दगोनर शप्रेष रराजकपु मरार जहराहूँ-जहराहूँ जरातप्रे हमैं, वहराहूँ-वहराहूँ सब कगोई आश्चयर्णचहकत हगो
दप्रेखनप्रे लगतप्रे हमैं॥3॥
* हनज हनज रख ररामहह सबपु दप्रेखरा। कगोउ न जरान कछपु मरमपु हबसप्रेषरा॥
भहल रचनरा मपुहन नमृप सन कहप्रेऊ। रराजराहूँ मपुहदत महरासपुख लहप्रेऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सबनप्रे ररामजश्री कगो अपनश्री-अपनश्री ओर हश्री मपुख हकए हहए दप्रेखरा, परन्तपु इसकरा कपु छ भश्री
हवशप्रेष रहस्य कगोई नहहीं जरान सकरा। मपुहन नप्रे रराजरा सप्रे कहरा- रमंगभपूहम ककी रचनरा बडश्री सपुदमं र हहै
(हवश्वराहमत्र- जहैसप्रे हनद्धाःस्पमृह, हवरक्त और जरानश्री मपुहन सप्रे रचनरा ककी पशमंसरा सपुनकर) रराजरा पसन्न
हह ए और उन्हमें बडरा सपुख हमलरा॥4॥
दगोहरा :
* सब ममंचन्ह तमें ममंचपु एक सपुदमं र हबसद हबसराल।
मपुहन समप्रेत दगोउ बमंधपु तहहूँ बहैठरारप्रे महहपराल॥244॥
भरावरारर्ण:-सब ममंचर सप्रे एक ममंच अहधक सपुमंदर, उज्ज्वल और हवशराल ररा। (स्वयमं) रराजरा नप्रे मपुहन
सहहत दगोनर भराइयर कगो उस पर बहैठरायरा॥244॥
चरौपराई :
* पभपुहह दप्रेहख सब नमृप हहयहूँ हरारप्रे। जनपु रराकप्रेश उदय भएहूँ तरारप्रे॥
अहस पतश्रीहत सब कप्रे मन मराहहीं। रराम चराप तगोरब सक नराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:- पभपु कगो दप्रेखकर सब रराजरा हृदय ममें ऐसप्रे हरार गए (हनरराश एवमं उत्सराहहश्रीन हगो गए) जहैसप्रे
पपूरर्ण चन्दमरा कप्रे उदय हगोनप्रे पर तरारप्रे पकराशहश्रीन हगो जरातप्रे हमैं। (उनकप्रे तप्रेज कगो दप्रेखकर) सबकप्रे मन ममें
ऐसरा हवश्वरास हगो गयरा हक ररामचन्दजश्री हश्री धनपुष कगो तगोडमेंगप्रे, इसममें समंदप्रेह नहहीं॥1॥
* हबनपु भमंजप्रेहहहूँ भव धनपुषपु हबसरालरा। मप्रेहलहह सश्रीय रराम उर मरालरा॥
अस हबचरारर गवनहह घर भराई। जसपु पतरापपु बलपु तप्रेजपु गवराहूँई॥2॥
भरावरारर्ण:-(इधर उनकप्रे रूप कगो दप्रेखकर सबकप्रे मन ममें यह हनश्चय हगो गयरा हक) हशवजश्री कप्रे हवशराल
धनपुष कगो (जगो समंभव हहै न टपू ट सकप्रे ) हबनरा तगोडप्रे भश्री सश्रीतराजश्री शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हश्री गलप्रे ममें
जयमरालरा डरालमेंगश्री (अररार्णत दगोनर तरह सप्रे हश्री हमरारश्री हरार हगोगश्री और हवजय ररामचन्दजश्री कप्रे हरार
रहप्रेगश्री)। (यर सगोचकर वप्रे कहनप्रे लगप्रे) हप्रे भराई! ऐसरा हवचरारकर यश, पतराप, बल और तप्रेज
गहूँवराकर अपनप्रे-अपनप्रे घर चलगो॥2॥
* हबहसप्रे अपर भपूप सपुहन बरानश्री। जप्रे अहबबप्रेक अमंध अहभमरानश्री॥
तगोरप्रेहहहूँ धनपुषपु ब्यराहह अवगराहरा। हबनपु तगोरमें कगो कपु अहूँरर हबआहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-दस पू रप्रे रराजरा, जगो अहववप्रेक सप्रे अमंधप्रे हगो रहप्रे रप्रे और अहभमरानश्री रप्रे, यह बरात सपुनकर बहह त
हहूँसप्रे। (उन्हरनप्रे कहरा) धनपुष तगोडनप्रे पर भश्री हववराह हगोनरा कहठन हहै (अररार्णत सहज हश्री ममें हम जरानककी
कगो हरार सप्रे जरानप्रे नहहीं दमेंगप्रे), हफिर हबनरा तगोडप्रे तगो रराजकपु मरारश्री कगो ब्यराह हश्री करौन सकतरा हहै॥3॥
* एक बरार करालउ हकन हगोऊ। हसय हहत समर हजतब हम सगोऊ॥
यह सपुहन अवर महहप मपुसपुकरानप्रे। धरमसश्रील हररभगत सयरानप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कराल हश्री क्यर न हगो, एक बरार तगो सश्रीतरा कप्रे हलए उसप्रे भश्री हम यद पु ममें जश्रीत लमेंगप्रे। यह घममंड
ककी बरात सपुनकर दस पू रप्रे रराजरा, जगो धमरार्णत्मरा, हररभक्त और सयरानप्रे रप्रे, मपुस्कपु रराए॥4॥
सगोरठरा :
* सश्रीय हबआहहब रराम गरब दरपू र करर नमृपन्ह कप्रे ।
जश्रीहत कगो सक समंगराम दसरर कप्रे रन बराहूँकपुरप्रे॥245॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे कहरा-) रराजराओमं कप्रे गवर्ण दरपू करकप्रे (जगो धनपुष हकसश्री सप्रे नहहीं टपू ट सकप्रे गरा उसप्रे
तगोडकर) शश्री ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री कगो ब्यराहमेंगप्रे। (रहश्री यद पु ककी बरात, सगो) महरारराज दशरर कप्रे रर
पु ममें तगो जश्रीत हश्री करौन सकतरा हहै॥245॥
ममें बराहूँकप्रे पपुत्रर कगो यद
चरौपराई :
* ब्यरर्ण मरहह जहन गराल बजराई। मन मगोदकहन्ह हक भपूख बपुतराई॥
हसख हमरारर सपुहन परम पपुनश्रीतरा। जगदमंबरा जरानहह हजयहूँ सश्रीतरा॥1॥
भरावरारर्ण:-गराल बजराकर व्यरर्ण हश्री मत मरगो। मन कप्रे लडहओमं सप्रे भश्री कहहीं भपूख बपुझतश्री हहै? हमरारश्री परम
पहवत्र (हनष्कपट) सश्रीख कगो सपुनकर सश्रीतराजश्री कगो अपनप्रे जश्री ममें सराक्षरात जगजननश्री समझगो (उन्हमें
पत्नश्री रूप ममें परानप्रे ककी आशरा एवमं लरालसरा छगोड दगो),॥1॥
* जगत हपतरा रघपुपहतहह हबचरारश्री। भरर लगोचन छहब लप्रेहह हनहरारश्री॥
सपुमंदर सपुखद सकल गपुन ररासश्री। ए दगोउ बमंधपु समंभपु उर बरासश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-और शश्री रघपुनरारजश्री कगो जगत करा हपतरा (परमप्रेश्वर) हवचरार कर, नप्रेत्र भरकर उनककी
छहब दप्रेख लगो (ऐसरा अवसर बरार-बरार नहहीं हमलप्रेगरा)। सपुमंदर, सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे और समस्त गपुरर ककी
रराहश यप्रे दगोनर भराई हशवजश्री कप्रे हृदय ममें बसनप्रे वरालप्रे हमैं (स्वयमं हशवजश्री भश्री हजन्हमें सदरा हृदय ममें हछपराए
रखतप्रे हमैं, वप्रे तपुम्हरारप्रे नप्रेत्रर कप्रे सरामनप्रे आ गए हमैं)॥2॥
* सपुधरा समपुद समश्रीप हबहराई। ममृगजलपु हनरहख मरहह कत धराई॥
करहह जराइ जरा कहह हूँ जगोइ भरावरा। हम तरौ आजपु जनम फिलपु परावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-समश्रीप आए हह ए (भगवत्दजशर्णन रूप) अममृत कप्रे समपुद कगो छगोडकर तपुम (जगजननश्री
जरानककी कगो पत्नश्री रूप ममें परानप्रे ककी दरपु राशरा रूप हमथ्यरा) ममृगजल कगो दप्रेखकर दरौडकर क्यर मरतप्रे
हगो? हफिर (भराई!) हजसकगो जगो अच्छरा लगप्रे, वहश्री जराकर करगो। हमनप्रे तगो (शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे
दशर्णन करकप्रे ) आज जन्म लप्रेनप्रे करा फिल परा हलयरा (जश्रीवन और जन्म कगो सफिल कर हलयरा)॥3॥
* अस कहह भलप्रे भपूप अनपुररागप्रे। रूप अनपूप हबलगोकन लरागप्रे॥
दप्रेखहहमं सपुर नभ चढप्रे हबमरानरा। बरषहहमं सपुमन करहहमं कल गरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर अच्छप्रे रराजरा पप्रेम मग्नि हगोकर शश्री ररामजश्री करा अनपुपम रूप दप्रेखनप्रे लगप्रे। (मनपुष्यर
ककी तगो बरात हश्री क्यरा) दप्रेवतरा लगोग भश्री आकराश सप्रे हवमरानर पर चढप्रे हहए दशर्णन कर रहप्रे हमैं और सपुदमं र
गरान करतप्रे हह ए फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं॥4॥
शश्री सश्रीतराजश्री करा यजशरालरा ममें पवप्रेश
दगोहरा :
* जराहन सपुअवसर सश्रीय तब पठई जनक बगोलराइ।
चतपुर सखहीं सपुदमं र सकल सरादर चलहीं ह‍लवराइ॥246॥
भरावरारर्ण:-तब सपुअवसर जरानकर जनकजश्री नप्रे सश्रीतराजश्री कगो बपुलरा भप्रेजरा। सब चतपुर और सपुमंदर
सहखयराहूँ आरदपपूवर्णक उन्हमें हलवरा चलहीं॥246॥
चरौपराई :
* हसय सगोभरा नहहमं जराइ बखरानश्री। जगदमंहबकरा रूप गपुन खरानश्री॥
उपमरा सकल मगोहह लघपु लरागहीं। पराकमृत नरारर अमंग अनपुररागहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-रूप और गपुरर ककी खरान जगजननश्री जरानककीजश्री ककी शगोभरा करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा।
उनकप्रे हलए मपुझप्रे (कराव्य ककी) सब उपमराएहूँ तपुच्छ लगतश्री हमैं, क्यरहक वप्रे लरौहकक हस्त्रयर कप्रे अमंगर सप्रे
अनपुरराग रखनप्रे वरालश्री हमैं (अररार्णतम वप्रे जगत ककी हस्त्रयर कप्रे अमंगर कगो दश्री जरातश्री हमैं)। (कराव्य ककी उपमराएहूँ
सब हत्रगपुररात्मक, मराहयक जगत सप्रे लश्री गई हमैं, उन्हमें भगवरान ककी स्वरूपरा शहक्त शश्री जरानककीजश्री कप्रे
अपराकमृत, हचन्मय अमंगर कप्रे हलए पयक्त पु करनरा उनकरा अपमरान करनरा और अपनप्रे कगो उपहरासरास्पद
बनरानरा हहै)॥1॥
* हसय बरहनअ तप्रेइ उपमरा दप्रेई। कपु कहब कहराइ अजसपु कगो लप्रेई॥
जजौं पटतररअ तश्रीय सम सश्रीयरा। जग अहस जपुबहत कहराहूँ कमनश्रीयरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कप्रे वरर्णन ममें उन्हहीं उपमराओमं कगो दप्रेकर करौन कपु कहव कहलराए और अपयश करा
भरागश्री बनप्रे (अररार्णत सश्रीतराजश्री कप्रे हलए उन उपमराओमं करा पयगोग करनरा सपुकहव कप्रे पद सप्रे च्यतपु हगोनरा
और अपककीहतर्ण मगोल लप्रेनरा हहै, कगोई भश्री सपुकहव ऐसश्री नरादरानश्री एवमं अनपुहचत करायर्ण नहहीं करप्रेगरा। ) यहद
हकसश्री स्त्रश्री कप्रे सरार सश्रीतराजश्री ककी तपुलनरा ककी जराए तगो जगत ममें ऐसश्री सपुदमं र य वपु तश्री हहै हश्री कहराहूँ
(हजसककी उपमरा उन्हमें दश्री जराए)॥2॥
* हगररा मपुखर तन अरध भवरानश्री। रहत अहत दहपु खत अतनपु पहत जरानश्री॥
हबष बरारनश्री बमंधपु हपय जप्रेहश्री। कहहअ रमरासम हकहम बहैदप्रेहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(पमृथ्वश्री ककी हस्त्रयर ककी तगो बरात हश्री क्यरा, दप्रेवतराओमं ककी हस्त्रयर कगो भश्री यहद दप्रेखरा जराए तगो
हमरारश्री अपप्रेक्षरा कहहीं अहधक हदव्य और सपुदमं र हमैं, तगो उनममें) सरस्वतश्री तगो बहह त बगोलनप्रे वरालश्री हमैं,
परावर्णतश्री अमंदरार्धांहगनश्री हमैं (अररार्णत अधर्ण-नरारश्रीनटप्रेश्वर कप्रे रूप ममें उनकरा आधरा हश्री अमंग स्त्रश्री करा हहै, शप्रेष
आधरा अमंग पपुरष-हशवजश्री करा हहै), करामदप्रेव ककी स्त्रश्री रहत पहत कगो हबनरा शरश्रीर करा (अनमंग)
जरानकर बहह त दद्धाःपु खश्री रहतश्री हहै और हजनकप्रे हवष और मद्य-जहैसप्रे (समपुद सप्रे उत्पन्न हगोनप्रे कप्रे नरातप्रे)
हपय भराई हमैं, उन लक्ष्मश्री कप्रे समरान तगो जरानककीजश्री कगो कहरा हश्री कहै सप्रे जराए॥3॥
* जजौं छहब सपुधरा पयगोहनहध हगोई। परम रूपमय कच्छपपु सगोई॥
सगोभरा रजपु ममंदर हसमंगरारू। मरहै पराहन पमंकज हनज मरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-(हजन लक्ष्मश्रीजश्री ककी बरात ऊपर कहश्री गई हहै, वप्रे हनकलश्री रहीं खरारप्रे समपुद सप्रे, हजसकगो
मरनप्रे कप्रे हलए भगवरान नप्रे अहत ककर्णश पश्रीठ वरालप्रे कच्छप करा रूप धरारर हकयरा, रस्सश्री बनराई गई
महरान हवषधर वरासपुहक नराग ककी, मररानश्री करा करायर्ण हकयरा अहतशय कठगोर ममंदरराचल पवर्णत नप्रे और
उसप्रे मररा सरारप्रे दप्रेवतराओमं और दहैत्यर नप्रे हमलकर। हजन लक्ष्मश्री कगो अहतशय शगोभरा ककी खरान और
अनपुपम सपुदमं रश्री कहतप्रे हमैं, उनकगो पकट करनप्रे ममें हप्रेतपु बनप्रे यप्रे सब असपुमंदर एवमं स्वराभराहवक हश्री कठगोर
उपकरर। ऐसप्रे उपकररर सप्रे पकट हहई लक्ष्मश्री शश्री जरानककीजश्री ककी समतरा कगो कहै सप्रे परा सकतश्री हमैं। हराहूँ,
(इसकप्रे हवपरश्रीत) यहद छहब रूपश्री अममृत करा समपुद हगो, परम रूपमय कच्छप हगो, शगोभरा रूप रस्सश्री
हगो, शमृगमं रार (रस) पवर्णत हगो और (उस छहब कप्रे समपुद कगो) स्वयमं करामदप्रेव अपनप्रे हश्री करकमल सप्रे
मरप्रे,॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध उपजहै लहच्छ जब सपुदमं रतरा सपुख मपूल।
तदहप सकगोच समप्रेत कहब कहहहमं सश्रीय समतपूल॥247॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार (करा समंयगोग हगोनप्रे सप्रे) जब सपुदमं रतरा और सपुख ककी मपूल लक्ष्मश्री उत्पन्न हगो, तगो
भश्री कहव लगोग उसप्रे (बहह त) समंकगोच कप्रे सरार सश्रीतराजश्री कप्रे समरान कहमेंगप्रे॥247॥<
(हजस सपुदमं रतरा कप्रे समपुद कगो करामदप्रेव मरप्रेगरा वह सपुदमं रतरा भश्री पराकमृत, लरौहकक सपुदमं रतरा हश्री हगोगश्री,
क्यरहक करामदप्रेव स्वयमं भश्री हत्रगपुरमयश्री पकमृ हत करा हश्री हवकरार हहै। अतद्धाः उस सपुमंदरतरा कगो मरकर पकट
ककी हह ई लक्ष्मश्री भश्री उपयर्णक्त
पु लक्ष्मश्री ककी अपप्रेक्षरा कहहीं अहधक सपुमंदर और हदव्य हगोनप्रे पर भश्री हगोगश्री
पराकमृत हश्री, अतद्धाः उसकप्रे सरार भश्री जरानककीजश्री ककी तपुलनरा करनरा कहव कप्रे हलए बडप्रे समंकगोच ककी बरात
हगोगश्री। हजस सपुमंदरतरा सप्रे जरानककीजश्री करा हदव्यराहतहदव्य परम हदव्य हवगह बनरा हहै , वह सपुदमं रतरा
उपयर्णक्तपु सपुमंदरतरा सप्रे हभन्न अपराकमृत हहै- वस्तपुतद्धाः लक्ष्मश्रीजश्री करा अपराकमृत रूप भश्री यहश्री हहै। वह
करामदप्रेव कप्रे मरनप्रे ममें नहहीं आ सकतश्री और वह जरानककीजश्री करा स्वरूप हश्री हहै, अतद्धाः उनसप्रे हभन्न नहहीं
और उपमरा दश्री जरातश्री हहै हभन्न वस्तपु कप्रे सरार। इसकप्रे अहतररक्त जरानककीजश्री पकट हह ई हमैं स्वयमं अपनश्री
महहमरा सप्रे, उन्हमें पकट करनप्रे कप्रे हलए हकसश्री हभन्न उपकरर ककी अपप्रेक्षरा नहहीं हहै। अररार्णत शहक्त
शहक्तमरान सप्रे अहभन्न, अदहैत तत्व हहै, अतएव अनपुपमप्रेय हहै, यहश्री गपूढ दराशर्णहनक तत्व भक्त हशरगोमहर
कहव नप्रे इस अभपूतगोपमरालमंकरार कप्रे दराररा बडश्री सपुमंदरतरा सप्रे व्यक्त हकयरा हहै।)
चरौपराई :
* चलहीं समंग लहै सखहीं सयरानश्री। गरावत गश्रीत मनगोहर बरानश्री॥
सगोह नवल तनपु सपुदमं र सरारश्री। जगत जनहन अतपुहलत छहब भरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सयरानश्री सहखयराहूँ सश्रीतराजश्री कगो सरार लप्रेकर मनगोहर वरारश्री सप्रे गश्रीत गरातश्री हहई चलहीं। सश्रीतराजश्री
कप्रे नवल शरश्रीर पर सपुदमं र सराडश्री सपुशगोहभत हहै। जगजननश्री ककी महरान छहब अतपुलनश्रीय हहै॥ 1॥
* भपूषन सकल सपुदप्रेस सपुहराए। अमंग अमंग रहच सहखन्ह बनराए॥
रमंगभपूहम जब हसय पगपु धरारश्री। दप्रेहख रूप मगोहप्रे नर नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब आभपूषर अपनश्री-अपनश्री जगह पर शगोहभत हमैं, हजन्हमें सहखयर नप्रे अमंग-अमंग ममें
भलश्रीभराहूँहत सजराकर पहनरायरा हहै। जब सश्रीतराजश्री नप्रे रमंगभपूहम ममें पहैर रखरा, तब उनकरा (हदव्य) रूप
दप्रेखकर स्त्रश्री, पपुरष सभश्री मगोहहत हगो गए॥2॥
*हरहष सपुरन्ह ददमंपु भपु हीं बजराई।मं बरहष पसपून अपछररा गराई॥मं
पराहन सरगोज सगोह जयमरालरा। अवचट हचतए सकल भपुआलरा॥3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे हहषर्णत हगोकर नगराडप्रे बजराए और पपुष्प बरसराकर अप्सरराएहूँ गरानप्रे लगहीं। सश्रीतराजश्री
कप्रे करकमलर ममें जयमरालरा सपुशगोहभत हहै। सब रराजरा चहकत हगोकर अचरानक उनककी ओर दप्रेखनप्रे लगप्रे॥
3॥
* सश्रीय चहकत हचत ररामहह चराहरा। भए मगोहबस सब नरनराहरा॥
मपुहन समश्रीप दप्रेखप्रे दगोउ भराई। लगप्रे ललहक लगोचन हनहध पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री चहकत हचर सप्रे शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखनप्रे लगहीं, तब सब रराजरा लगोग मगोह कप्रे वश हगो
गए। सश्रीतराजश्री नप्रे मपुहन कप्रे परास (बहैठप्रे हहए) दगोनर भराइयर कगो दप्रेखरा तगो उनकप्रे नप्रेत्र अपनरा खजरानरा
पराकर ललचराकर वहहीं (शश्री ररामजश्री ममें) जरा लगप्रे (हस्रर हगो गए)॥4॥
दगोहरा :
* गपुरजन लराज समराजपु बड दप्रेहख सश्रीय सकपु चराहन।
लराहग हबलगोकन सहखन्ह तन रघपुबश्रीरहह उर आहन॥248॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु गपुरजनर ककी लराज सप्रे तररा बहह त बडप्रे समराज कगो दप्रेखकर सश्रीतराजश्री सकपु चरा गई।मं वप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री कगो हृदय ममें लराकर सहखयर ककी ओर दप्रेखनप्रे लगहीं॥ 248॥
चरौपराई :
* रराम रूपपु अर हसय छहब दप्रेख।में नर नराररन्ह पररहरहीं हनमप्रेषमें॥
सगोचहहमं सकल कहत सकपु चराहहीं। हबहध सन हबनय करहहमं मन मराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा रूप और सश्रीतराजश्री ककी छहब दप्रेखकर स्त्रश्री -पपुरषर नप्रे पलक मरारनरा छगोड
हदयरा (सब एकटक उन्हहीं कगो दप्रेखनप्रे लगप्रे)। सभश्री अपनप्रे मन ममें सगोचतप्रे हमैं, पर कहतप्रे सकपु चरातप्रे हमैं।
मन हश्री मन वप्रे हवधरातरा सप्रे हवनय करतप्रे हमैं-॥1॥
* हर हबहध बप्रेहग जनक जडतराई। महत हमरारर अहस दप्रेहह सपुहराई॥
हबनपु हबचरार पनपु तहज नरनराहह। सश्रीय रराम कर करहै हबबराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हवधरातरा! जनक ककी मपूढतरा कगो शश्रीघ्र हर लश्रीहजए और हमरारश्री हश्री ऐसश्री सपुदमं र बपुहद उन्हमें
दश्रीहजए हक हजससप्रे हबनरा हश्री हवचरार हकए रराजरा अपनरा पर छगोडकर सश्रीतराजश्री करा हववराह ररामजश्री सप्रे
कर दमें॥2॥
*जगपु भल कहहहह भराव सब कराहह। हठ ककीन्हमें अमंतहह हूँ उर दराहह॥
एहहमं लरालसराहूँ मगन सब लगोगपू। बर सराहूँवरगो जरानककी जगोगपू॥3॥
भरावरारर्ण:-समंसरार उन्हमें भलरा कहप्रेगरा, क्यरहक यह बरात सब हकसश्री कगो अच्छश्री लगतश्री हहै। हठ करनप्रे सप्रे
अमंत ममें भश्री हृदय जलप्रेगरा। सब लगोग इसश्री लरालसरा ममें मग्नि हगो रहप्रे हमैं हक जरानककीजश्री कप्रे यगोग्य वर तगो
यह सराहूँवलरा हश्री हहै॥3॥
बमंदश्रीजनर दराररा जनकपहतजरा ककी घगोषररा रराजराओमं सप्रे धनपुष न उठनरा, जनक ककी हनरराशराजनक
वरारश्री
* तब बमंदश्रीजन जनक बगोलराए। हबररदरावलश्री कहत चहल आए॥
कह नमृपपु जराइ कहहह पन मगोररा। चलप्रे भराट हहयहूँ हरषपु न रगोररा॥4॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा जनक नप्रे वमंदश्रीजनर (भराटर) कगो बपुलरायरा। वप्रे हवरदरावलश्री (वमंश ककी ककीहतर्ण) गरातप्रे
हह ए चलप्रे आए। रराजरा नप्रे कहरा- जराकर मप्रेररा पर सबसप्रे कहगो। भराट चलप्रे, उनकप्रे हृदय ममें कम आनमंद
न ररा॥4॥
दगोहरा :
* बगोलप्रे बमंदश्री बचन बर सपुनहह सकल महहपराल।
पन हबदप्रेह कर कहहहमं हम भपुजरा उठराइ हबसराल॥249॥
भरावरारर्ण:-भराटर नप्रे शप्रेष वचन कहरा- हप्रे पमृथ्वश्री ककी परालनरा करनप्रे वरालप्रे सब रराजरागर! सपुहनए। हम
अपनश्री भपुजरा उठराकर जनकजश्री करा हवशराल पर कहतप्रे हमैं-॥249॥
चरौपराई :
* नमृप भपुजबल हबधपु हसवधनपु रराहह। गरअ कठगोर हबहदत सब कराहह॥
ररावनपु बरानपु महराभट भरारप्रे। दप्रेहख सररासन गवहूँहहमं हसधरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजराओमं ककी भपुजराओमं करा बल चन्दमरा हहै, हशवजश्री करा धनपुष रराहह हहै, वह भरारश्री हहै, कठगोर
हहै, यह सबकगो हवहदत हहै। बडप्रे भरारश्री यगोदरा ररावर और बराररासपुर भश्री इस धनपुष कगो दप्रेखकर गजौं सप्रे
(चपुपकप्रे सप्रे) चलतप्रे बनप्रे (उसप्रे उठरानरा तगो दरपू रहरा, छपूनप्रे तक ककी हहम्मत न हह ई)॥1॥
* सगोइ पपुररारर कगोदमंडपु कठगोररा। रराज समराज आजपु जगोइ तगोररा॥
हत्रभपुवन जय समप्रेत बहैदप्रेहश्री। हबनहहमं हबचरार बरइ हहठ तप्रेहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उसश्री हशवजश्री कप्रे कठगोर धनपुष कगो आज इस रराज समराज ममें जगो भश्री तगोडप्रेगरा, तश्रीनर लगोकर
ककी हवजय कप्रे सरार हश्री उसकगो जरानककीजश्री हबनरा हकसश्री हवचरार कप्रे हठपपूवर्णक वरर करमेंगश्री॥2॥
* सपुहन पन सकल भपूप अहभलराषप्रे। भटमरानश्री अहतसय मन मराखप्रे॥
पररकर बराहूँहध उठप्रे अकपु लराई। चलप्रे इष्टि दप्रेवन्ह हसर नराई॥3॥
भरावरारर्ण:-पर सपुनकर सब रराजरा ललचरा उठप्रे। जगो वश्रीरतरा कप्रे अहभमरानश्री रप्रे, वप्रे मन ममें बहह त हश्री
तमतमराए। कमर कसकर अकपु लराकर उठप्रे और अपनप्रे इष्टिदप्रेवर कगो हसर नवराकर चलप्रे॥3॥
* तमहक तराहक तहक हसवधनपु धरहहीं। उठइ न कगोहट भराहूँहत बलपु करहहीं॥
हजन्ह कप्रे कछपु हबचरार मन मराहहीं। चराप समश्रीप महश्रीप न जराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे तमककर (बडप्रे तराव सप्रे) हशवजश्री कप्रे धनपुष ककी ओर दप्रेखतप्रे हमैं और हफिर हनगराह जमराकर
उसप्रे पकडतप्रे हमैं, करगोडर भराहूँहत सप्रे जगोर लगरातप्रे हमैं, पर वह उठतरा हश्री नहहीं। हजन रराजराओमं कप्रे मन ममें
कपु छ हववप्रेक हहै, वप्रे तगो धनपुष कप्रे परास हश्री नहहीं जरातप्रे॥4॥
दगोहरा :
* तमहक धरहहमं धनपु मपूढ नमृप उठइ न चलहहमं लजराइ॥
मनहह हूँ पराइ भट बराहहबलपु अहधकपु अहधकपु गरआइ॥250॥
भरावरारर्ण:-वप्रे मपूखर्ण रराजरा तमककर (हकटहकटराकर) धनपुष कगो पकडतप्रे हमैं, परन्तपु जब नहहीं उठतरा तगो
लजराकर चलप्रे जरातप्रे हमैं, मरानगो वश्रीरर ककी भपुजराओमं करा बल पराकर वह धनपुष अहधक-अहधक भरारश्री
हगोतरा जरातरा हहै॥250॥
चरौपराई :
* भपूप सहस दस एकहह बराररा। लगप्रे उठरावन टरइ न टराररा॥
डगइ न समंभपु सररासनपु कहै समें। करामश्री बचन सतश्री मनपु जहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-तब दस हजरार रराजरा एक हश्री बरार धनपुष कगो उठरानप्रे लगप्रे , तगो भश्री वह उनकप्रे टरालप्रे नहहीं
टलतरा। हशवजश्री करा वह धनपुष कहै सप्रे नहहीं हडगतरा ररा, जहैसप्रे करामश्री पपुरष कप्रे वचनर सप्रे सतश्री करा मन
(कभश्री) चलरायमरान नहहीं हगोतरा॥1॥
* सब नमृप भए जगोगपु उपहरासश्री। जहैसमें हबनपु हबरराग समंन्यरासश्री॥
ककीरहत हबजय बश्रीरतरा भरारश्री। चलप्रे चराप कर बरबस हरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब रराजरा उपहरास कप्रे यगोग्य हगो गए, जहैसप्रे वहैरराग्य कप्रे हबनरा समंन्यरासश्री उपहरास कप्रे यगोग्य हगो
जरातरा हहै। ककीहतर्ण, हवजय, बडश्री वश्रीरतरा- इन सबकगो वप्रे धनपुष कप्रे हरारर बरबस हरारकर चलप्रे गए॥2॥
* शश्रीहत भए हरारर हहयहूँ रराजरा। बहैठप्रे हनज हनज जराइ समराजरा॥
नमृपन्ह हबलगोहक जनकपु अकपु लरानप्रे। बगोलप्रे बचन रगोष जनपु सरानप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा लगोग हृदय सप्रे हरारकर शश्रीहश्रीन (हतपभ) हगो गए और अपनप्रे-अपनप्रे समराज ममें जरा
बहैठप्रे। रराजराओमं कगो (असफिल) दप्रेखकर जनक अकपु लरा उठप्रे और ऐसप्रे वचन बगोलप्रे जगो मरानगो कगोध ममें
सनप्रे हह ए रप्रे॥3॥
* दश्रीप दश्रीप कप्रे भपूपहत नरानरा। आए सपुहनहम जगो पनपु ठरानरा॥
दप्रेव दनपुज धरर मनपुज सरश्रीररा। हबपपुल बश्रीर आए रनधश्रीररा॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे जगो पर ठरानरा ररा, उसप्रे सपुनकर दश्रीप-दश्रीप कप्रे अनप्रेकर रराजरा आए। दप्रेवतरा और दहैत्य
भश्री मनपुष्य करा शरश्रीर धरारर करकप्रे आए तररा और भश्री बहह त सप्रे ररधश्रीर वश्रीर आए॥4॥
दगोहरा :
* कपु अहूँरर मनगोहर हबजय बहड ककीरहतअहत कमनश्रीय।
परावहनहरार हबरमंहच जनपु रचप्रेउ न धनपु दमनश्रीय॥251॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु धनपुष कगो तगोडकर मनगोहर कन्यरा, बडश्री हवजय और अत्यन्त सपुमंदर ककीहतर्ण कगो परानप्रे
वरालरा मरानगो ब्रहरा नप्रे हकसश्री कगो रचरा हश्री नहहीं॥251॥
चरौपराई :
* कहहह कराहह यहह लराभपु न भरावरा। कराहहहूँ न समंकर चराप चढरावरा॥
रहउ चढराउब तगोरब भराई। हतलपु भरर भपूहम न सकप्रे छडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-कहहए, यह लराभ हकसकगो अच्छरा नहहीं लगतरा, परन्तपु हकसश्री नप्रे भश्री शमंकरजश्री करा धनपुष
नहहीं चढरायरा। अरप्रे भराई! चढरानरा और तगोडनरा तगो दरपू रहरा, कगोई हतल भर भपूहम भश्री छपु डरा न सकरा॥
1॥
* अब जहन कगोउ भराखप्रे भट मरानश्री। बश्रीर हबहश्रीन महश्री ममैं जरानश्री॥
तजहह आस हनज हनज गमृह जराहह। हलखरा न हबहध बहैदप्रेहह हबबराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-अब कगोई वश्रीरतरा करा अहभमरानश्री नरारराज न हगो। ममैंनप्रे जरान हलयरा, पमृथ्वश्री वश्रीरर सप्रे खरालश्री हगो
गई। अब आशरा छगोडकर अपनप्रे-अपनप्रे घर जराओ, ब्रहरा नप्रे सश्रीतरा करा हववराह हलखरा हश्री नहहीं॥2॥
* सपुकमृतपु जराइ जजौं पनपु पररहरऊहूँ। कपु अहूँरर कपु आहूँरर रहउ करा करऊहूँ॥
जजौं जनतप्रेउहूँ हबनपु भट भपुहब भराई। तरौ पनपु करर हगोतप्रेउहूँ न हहूँसराई॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद पर छगोडतरा हह,हूँ तगो पपुण्य जरातरा हहै, इसहलए क्यरा करूहूँ, कन्यरा कपुहूँ आरश्री हश्री रहप्रे। यहद
ममैं जरानतरा हक पमृथ्वश्री वश्रीरर सप्रे शपून्य हहै, तगो पर करकप्रे उपहरास करा परात्र न बनतरा॥3॥
शश्री लक्ष्मरजश्री करा कगोध
* जनक बचन सपुहन सब नर नरारश्री। दप्रेहख जरानहकहह भए दख पु रारश्री॥
मराखप्रे लखनपु कपु हटल भइहूँ भजौंहमें। रदपट फिरकत नयन ररसजौंहमें॥4॥
भरावरारर्ण:-जनक कप्रे वचन सपुनकर सभश्री स्त्रश्री-पपुरष जरानककीजश्री ककी ओर दप्रेखकर दद्धाःपु खश्री हहए, परन्तपु
लक्ष्मरजश्री तमतमरा उठप्रे, उनककी भजौंहमें टप्रेढश्री हगो गई,मं हगोठ फिडकनप्रे लगप्रे और नप्रेत्र कगोध सप्रे लराल हगो
गए॥4॥
दगोहरा :
* कहह न सकत रघपुबश्रीर डर लगप्रे बचन जनपु बरान।
नराइ रराम पद कमल हसर बगोलप्रे हगररा पमरान॥252॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुवश्रीरजश्री कप्रे डर सप्रे कपु छ कह तगो सकतप्रे नहहीं, पर जनक कप्रे वचन उन्हमें बरार सप्रे लगप्रे।
(जब न रह सकप्रे तब) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवराकर वप्रे यररारर्ण वचन बगोलप्रे-॥
252॥
चरौपराई :
* रघपुबहमं सन्ह महह हूँ जहहूँ कगोउ हगोई। तप्रेहहमं समराज अस कहइ न कगोई॥
कहश्री जनक जहस अनपुहचत बरानश्री। हबद्यमरान रघपुकपुल महन जरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-रघपुवमंहशयर ममें कगोई भश्री जहराहूँ हगोतरा हहै, उस समराज ममें ऐसप्रे वचन कगोई नहहीं कहतरा, जहैसप्रे
अनपुहचत वचन रघपुकपुल हशरगोमहर शश्री ररामजश्री कगो उपहस्रत जरानतप्रे हह ए भश्री जनकजश्री नप्रे कहप्रे हमैं॥1॥
* सपुनहह भरानपुकपुल पमंकज भरानपू। कहउहूँ सपुभराउ न कछपु अहभमरानपू॥
जजौं तपुम्हरारर अनपुसरासन परावजौं। कमंदक पु इव ब्रहरामंड उठरावजौं॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपूयर्ण कपु ल रूपश्री कमल कप्रे सपूयर्ण! सपुहनए, ममैं स्वभराव हश्री सप्रे कहतरा हह हूँ, कपु छ अहभमरान
करकप्रे नहहीं, यहद आपककी आजरा पराऊहूँ, तगो ममैं ब्रहराण्ड कगो गमेंद ककी तरह उठरा लपूहूँ॥2॥
*कराचप्रे घट हजहम डरारजौं फिगोरश्री। सकउहूँ मप्रेर मपूलक हजहम तगोरश्री॥
तव पतराप महहमरा भगवरानरा। कगो बरापपुरगो हपनराक पपुररानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और उसप्रे कचप्रे घडप्रे ककी तरह फिगोड डरालपूहूँ। ममैं सपुमप्रेर पवर्णत कगो मपूलश्री ककी तरह तगोड सकतरा
हह हूँ, हप्रे भगवनम! आपकप्रे पतराप ककी महहमरा सप्रे यह बप्रेचराररा पपुररानरा धनपुष तगो करौन चश्रीज हहै॥ 3॥
* नरार जराहन अस आयसपु हगोऊ। करौतपुकपु करजौं हबलगोहकअ सगोऊ॥
कमल नराल हजहम चराप चढरावजौं। जगोजन सत पमरान लहै धरावजौं॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा जरानकर हप्रे नरार! आजरा हगो तगो कपु छ खप्रेल करूहूँ, उसप्रे भश्री दप्रेहखए। धनपुष कगो कमल
ककी डमंडश्री ककी तरह चढराकर उसप्रे सरौ यगोजन तक दरौडरा हलए चलरा जराऊहूँ॥4॥
दगोहरा :
* तगोरजौं छत्रक दमंड हजहम तव पतराप बल नरार।
जजौं न करजौं पभपु पद सपर कर न धरजौं धनपु भरार॥253॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपकप्रे पतराप कप्रे बल सप्रे धनपुष कगो कपु कपु रमपुरप्रे (बरसरातश्री छरप्रे) ककी तरह तगोड
दहूँ।पू यहद ऐसरा न करूहूँ तगो पभपु कप्रे चररर ककी शपर हहै, हफिर ममैं धनपुष और तरकस कगो कभश्री हरार ममें
भश्री न लपूहूँगरा॥253॥
चरौपराई :
* लखन सकगोप बचन जप्रे बगोलप्रे। डगमगराहन महह हदग्गज डगोलप्रे॥
सकल लगोग सब भपूप डप्रेररानप्रे। हसय हहयहूँ हरषपु जनकपु सकपु चरानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-ज्यर हश्री लक्ष्मरजश्री कगोध भरप्रे वचन बगोलप्रे हक पमृथ्वश्री डगमगरा उठश्री और हदशराओमं कप्रे हरारश्री
कराहूँप गए। सभश्री लगोग और सब रराजरा डर गए। सश्रीतराजश्री कप्रे हृदय ममें हषर्ण हह आ और जनकजश्री सकपु चरा
गए॥1॥
* गपुर रघपुपहत सब मपुहन मन मराहहीं। मपुहदत भए पपुहन पपुहन पपुलकराहहीं॥
सयनहहमं रघपुपहत लखनपु नप्रेवरारप्रे। पप्रेम समप्रेत हनकट बहैठरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-गपुर हवश्वराहमत्रजश्री, शश्री रघपुनरारजश्री और सब मपुहन मन ममें पसन्न हहए और बरार-बरार
पपुलहकत हगोनप्रे लगप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे इशरारप्रे सप्रे लक्ष्मर कगो मनरा हकयरा और पप्रेम सहहत अपनप्रे परास
बहैठरा हलयरा॥2॥
* हबस्वराहमत्र समय सपुभ जरानश्री। बगोलप्रे अहत सनप्रेहमय बरानश्री॥
उठहह रराम भमंजहह भवचरापरा। मप्रेटहह तरात जनक पररतरापरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री शपुभ समय जरानकर अत्यन्त पप्रेमभरश्री वरारश्री बगोलप्रे - हप्रे रराम! उठगो, हशवजश्री
करा धनपुष तगोडगो और हप्रे तरात! जनक करा समंतराप हमटराओ॥3॥
* सपुहन गपुर बचन चरन हसर नरावरा। हरषपु हबषराद पु न कछपु उर आवरा॥
ठराढप्रे भए उहठ सहज सपुभराएहूँ। ठवहन जपुबरा ममृगरराजपु लजराएहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-गपुर कप्रे वचन सपुनकर शश्री ररामजश्री नप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। उनकप्रे मन ममें न हषर्ण हहआ, न
हवषराद और वप्रे अपनश्री ऐमंड (खडप्रे हगोनप्रे ककी शरान) सप्रे जवरान हसमंह कगो भश्री लजरातप्रे हहए सहज स्वभराव
सप्रे हश्री उठ खडप्रे हहए ॥4॥
दगोहरा :
* उहदत उदयहगरर ममंच पर रघपुबर बरालपतमंग।
हबकसप्रे समंत सरगोज सब हरषप्रे लगोचन भमृमंग॥254॥
भरावरारर्ण:-ममंच रूपश्री उदयराचल पर रघपुनरारजश्री रूपश्री बराल सपूयर्ण कप्रे उदय हगोतप्रे हश्री सब समंत रूपश्री
कमल हखल उठप्रे और नप्रेत्र रूपश्री भजौंरप्रे हहषर्णत हगो गए॥254॥
चरौपराई :
* नमृपन्ह कप्रे रर आसरा हनहस नरासश्री। बचन नखत अवलश्री न पकरासश्री॥
मरानश्री महहप कपु मपुद सकपु चरानप्रे। कपटश्री भपूप उलपूक लपुकरानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजराओमं ककी आशरा रूपश्री रराहत्र नष्टि हगो गई। उनकप्रे वचन रूपश्री तरारर कप्रे समपूह करा चमकनरा
बमंद हगो गयरा। (वप्रे मरौन हगो गए)। अहभमरानश्री रराजरा रूपश्री कपु मपुद समंकपुहचत हगो गए और कपटश्री रराजरा
रूपश्री उल्लह हछप गए॥1॥
* भए हबसगोक कगोक मपुहन दप्रेवरा। बररसहहमं सपुमन जनरावहहमं सप्रेवरा॥
गपुर पद बमंहद सहहत अनपुररागरा। रराम मपुहनन्हसन आयसपु मरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपुहन और दप्रेवतरा रूपश्री चकवप्रे शगोकरहहत हगो गए। वप्रे फिपू ल बरसराकर अपनश्री सप्रेवरा पकट कर
रहप्रे हमैं। पप्रेम सहहत गपुर कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मपुहनयर सप्रे आजरा मराहूँगश्री॥2॥
* सहजहहमं चलप्रे सकल जग स्वरामश्री। मर ममंजपु बर कपुमं जर गरामश्री॥
चलत रराम सब पपुर नर नरारश्री। पपुलक पपूरर तन भए सपुखरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-समस्त जगत कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामजश्री सपुदमं र मतवरालप्रे शप्रेष हरारश्री ककी सश्री चराल सप्रे स्वराभराहवक
हश्री चलप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चलतप्रे हश्री नगर भर कप्रे सब स्त्रश्री-पपुरष सपुखश्री हगो गए और उनकप्रे शरश्रीर
रगोमरामंच सप्रे भर गए॥3॥
* बमंहद हपतर सपुर सपुकमृत सहूँभरारप्रे। जजौं कछपु पपुन्य पभराउ हमरारप्रे॥
तरौ हसवधनपु ममृनराल ककी नराई।मं तगोरहह हूँ ररामपु गनप्रेस गगोसराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे हपतर और दप्रेवतराओमं ककी वमंदनरा करकप्रे अपनप्रे पपुण्यर करा स्मरर हकयरा। यहद हमरारप्रे
पपुण्यर करा कपु छ भश्री पभराव हगो, तगो हप्रे गरप्रेश गगोसराई!मं ररामचन्दजश्री हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो कमल ककी
डमंडश्री ककी भराहूँहत तगोड डरालमें॥4॥
दगोहरा :
* ररामहह पप्रेम समप्रेत लहख सहखन्ह समश्रीप बगोलराइ।
सश्रीतरा मरातपु सनप्रेह बस बचन कहइ हबलखराइ॥255॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कगो (वरात्सल्य) पप्रेम कप्रे सरार दप्रेखकर और सहखयर कगो समश्रीप बपुलराकर
सश्रीतराजश्री ककी मरातरा स्नप्रेहवश हबलखकर (हवलराप करतश्री हह ई सश्री) यप्रे वचन बगोलहीं-॥255॥
चरौपराई :
* सहख सब करौतपुक दप्रेख हनहरारप्रे। जप्रेउ कहरावत हहतपू हमरारप्रे॥
कगोउ न बपुझराइ कहइ गपुर पराहहीं। ए बरालक अहस हठ भहल नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखश्री! यप्रे जगो हमरारप्रे हहतपू कहलरातप्रे हमैं, वप्रे भश्री सब तमराशरा दप्रेखनप्रे वरालप्रे हमैं। कगोई भश्री
(इनकप्रे ) गपुर हवश्वराहमत्रजश्री कगो समझराकर नहहीं कहतरा हक यप्रे (ररामजश्री) बरालक हमैं, इनकप्रे हलए
ऐसरा हठ अच्छरा नहहीं। (जगो धनपुष ररावर और बरार- जहैसप्रे जगहदजयश्री वश्रीरर कप्रे हहलराए न हहल
सकरा, उसप्रे तगोडनप्रे कप्रे हलए मपुहन हवश्वराहमत्रजश्री करा ररामजश्री कगो आजरा दप्रेनरा और ररामजश्री करा उसप्रे
तगोडनप्रे कप्रे हलए चल दप्रेनरा ररानश्री कगो हठ जरान पडरा, इसहलए वप्रे कहनप्रे लगहीं हक गपुर हवश्वराहमत्रजश्री कगो
कगोई समझरातरा भश्री नहहीं)॥1॥
* ररावन बरान छपु आ नहहमं चरापरा। हरारप्रे सकल भपूप करर दरापरा॥
सगो धनपु रराजकपु अहूँर कर दप्रेहहीं। बराल मरराल हक ममंदर लप्रेहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-ररावर और बराररासपुर नप्रे हजस धनपुष कगो छपु आ तक नहहीं और सब रराजरा घममंड करकप्रे हरार
गए, वहश्री धनपुष इस सपुकपुमरार रराजकपु मरार कप्रे हरार ममें दप्रे रहप्रे हमैं। हमंस कप्रे बचप्रे भश्री कहहीं ममंदरराचल पहराड
उठरा सकतप्रे हमैं?॥2॥
* भपूप सयरानप सकल हसररानश्री। सहख हबहध गहत कछपु जराहत न जरानश्री॥
बगोलश्री चतपुर सखश्री ममृद पु बरानश्री। तप्रेजवमंत लघपु गहनअ न ररानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(और तगो कगोई समझराकर कहप्रे यरा नहहीं, रराजरा तगो बडप्रे समझदरार और जरानश्री हमैं, उन्हमें तगो
गपुर कगो समझरानप्रे ककी चप्रेष्टिरा करनश्री चराहहए रश्री, परन्तपु मरालपूम हगोतरा हहै-) रराजरा करा भश्री सराररा
सयरानरापन समराप्त हगो गयरा। हप्रे सखश्री! हवधरातरा ककी गहत कपु छ जराननप्रे ममें नहहीं आतश्री (यर कहकर ररानश्री
चपुप हगो रहहीं)। तब एक चतपुर (ररामजश्री कप्रे महत्व कगो जराननप्रे वरालश्री) सखश्री कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलश्री-
हप्रे ररानश्री! तप्रेजवरान कगो (दप्रेखनप्रे ममें छगोटरा हगोनप्रे पर भश्री) छगोटरा नहहीं हगननरा चराहहए॥3॥
* कहहूँ कपुमं भज कहहूँ हसमंधपु अपराररा। सगोषप्रेउ सपुजसपु सकल समंसराररा॥
रहब ममंडल दप्रेखत लघपु लरागरा। उदयहूँ तरासपु हतभपुवन तम भरागरा॥4॥
भरावरारर्ण:-कहराहूँ घडप्रे सप्रे उत्पन्न हगोनप्रे वरालप्रे (छगोटप्रे सप्रे) मपुहन अगस्त्य और कहराहूँ समपुद? हकन्तपु
उन्हरनप्रे उसप्रे सगोख हलयरा, हजसकरा सपुयश सरारप्रे समंसरार ममें छरायरा हहआ हहै। सपूयर्णममंडल दप्रेखनप्रे ममें छगोटरा
लगतरा हहै, पर उसकप्रे उदय हगोतप्रे हश्री तश्रीनर लगोकर करा अमंधकरार भराग जरातरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* ममंत्र परम लघपु जरासपु बस हबहध हरर हर सपुर सबर्ण।
महरामर गजरराज कहह हूँ बस कर अमंकपुस खबर्ण॥256॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे वश ममें ब्रहरा, हवष्रपु, हशव और सभश्री दप्रेवतरा हमैं, वह ममंत्र अत्यन्त छगोटरा हगोतरा हहै।
महरान मतवरालप्रे गजरराज कगो छगोटरा सरा अमंकपुश वश ममें कर लप्रेतरा हहै॥256॥
चरौपराई :
* कराम कपु सपुम धनपु सरायक लश्रीन्हप्रे। सकल भपुवन अपनमें बस ककीन्हप्रे॥
दप्रेहब तहजअ समंसउ अस जरानश्री। भमंजब धनपुषपु रराम सपुनपु ररानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-करामदप्रेव नप्रे फिपूलर करा हश्री धनपुष-बरार लप्रेकर समस्त लगोकर कगो अपनप्रे वश ममें कर रखरा हहै। हप्रे
दप्रेवश्री! ऐसरा जरानकर समंदप्रेह त्यराग दश्रीहजए। हप्रे ररानश्री! सपुहनए, ररामचन्दजश्री धनपुष कगो अवश्य हश्री
तगोडमेंगप्रे॥1॥
* सखश्री बचन सपुहन भहै परतश्रीतश्री। हमटरा हबषराद पु बढश्री अहत पश्रीतश्री॥
तब ररामहह हबलगोहक बहैदप्रेहश्री। सभय हृदयहूँ हबनवहत जप्रेहह तप्रेहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-सखश्री कप्रे वचन सपुनकर ररानश्री कगो (शश्री ररामजश्री कप्रे सरामथ्यर्ण कप्रे समंबमंध ममें) हवश्वरास हगो गयरा।
उनककी उदरासश्री हमट गई और शश्री ररामजश्री कप्रे पहत उनकरा पप्रेम अत्यन्त बढ गयरा। उस समय शश्री
ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर सश्रीतराजश्री भयभश्रीत हृदय सप्रे हजस-हतस (दप्रेवतरा) सप्रे हवनतश्री कर रहश्री हमैं॥
2॥
* मनहहीं मन मनराव अकपु लरानश्री। हगोहह पसन्न महप्रेस भवरानश्री॥
करहह सफिल आपहन सप्रेवकराई। करर हहतपु हरहह चराप गरआई॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे व्यराकपुल हगोकर मन हश्री मन मनरा रहश्री हमैं- हप्रे महप्रेश-भवरानश्री! मपुझ पर पसन्न हगोइए, ममैंनप्रे
आपककी जगो सप्रेवरा ककी हहै, उसप्रे सपुफिल ककीहजए और मपुझ पर स्नप्रेह करकप्रे धनपुष कप्रे भरारश्रीपन कगो हर
लश्रीहजए॥3॥
* गननरायक बरदरायक दप्रेवरा। आजपु लगमें ककीहन्हउहूँ तपुअ सप्रेवरा॥
बरार बरार हबनतश्री सपुहन मगोरश्री। करहह चराप गपुरतरा अहत रगोरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे गरर कप्रे नरायक, वर दप्रेनप्रे वरालप्रे दप्रेवतरा गरप्रेशजश्री! ममैंनप्रे आज हश्री कप्रे हलए तपुम्हरारश्री सप्रेवरा
ककी रश्री। बरार-बरार मप्रेरश्री हवनतश्री सपुनकर धनपुष करा भरारश्रीपन बहह त हश्री कम कर दश्रीहजए॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेहख दप्रेहख रघपुबश्रीर तन सपुर मनराव धरर धश्रीर।
भरप्रे हबलगोचन पप्रेम जल पपुलकरावलश्री सरश्रीर॥257॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी ओर दप्रेख-दप्रेखकर सश्रीतराजश्री धश्रीरज धरकर दप्रेवतराओमं कगो मनरा रहश्री हमैं।
उनकप्रे नप्रेत्रर ममें पप्रेम कप्रे आहूँसपू भरप्रे हमैं और शरश्रीर ममें रगोमरामंच हगो रहरा हहै॥257॥
चरौपराई :
* नश्रीकमें हनरहख नयन भरर सगोभरा। हपतपु पनपु सपुहमरर बहह रर मनपु छगोभरा॥
अहह तरात दरारहन हठ ठरानश्री। समपुझत नहहमं कछपु लराभपु न हरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-अच्छश्री तरह नप्रेत्र भरकर शश्री ररामजश्री ककी शगोभरा दप्रेखकर, हफिर हपतरा कप्रे पर करा स्मरर
करकप्रे सश्रीतराजश्री करा मन क्षपुब्ध हगो उठरा। (वप्रे मन हश्री मन कहनप्रे लगहीं-) अहगो! हपतराजश्री नप्रे बडरा हश्री
कहठन हठ ठरानरा हहै, वप्रे लराभ-हराहन कपु छ भश्री नहहीं समझ रहप्रे हमैं॥1॥
* सहचव सभय हसख दप्रेइ न कगोई। बपुध समराज बड अनपुहचत हगोई॥
कहहूँ धनपु कपु हलसहह चराहह कठगोररा। कहहूँ स्यरामल ममृदगपु रात हकसगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री डर रहप्रे हमैं, इसहलए कगोई उन्हमें सश्रीख भश्री नहहीं दप्रेतरा, पमंहडतर ककी सभरा ममें यह बडरा
अनपुहचत हगो रहरा हहै। कहराहूँ तगो वज्र सप्रे भश्री बढकर कठगोर धनपुष और कहराहूँ यप्रे कगोमल शरश्रीर हकशगोर
श्यरामसपुमंदर!॥2॥
* हबहध कप्रे हह भराहूँहत धरजौं उर धश्रीररा। हसरस सपुमन कन बप्रेहधअ हश्रीररा॥
सकल सभरा कहै महत भहै भगोरश्री। अब मगोहह समंभपुचराप गहत तगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हवधरातरा! ममैं हृदय ममें हकस तरह धश्रीरज धरूहूँ, हसरस कप्रे फिपूल कप्रे कर सप्रे कहहीं हश्रीररा
छप्रेदरा जरातरा हहै। सरारश्री सभरा ककी बपुहद भगोलश्री (बरावलश्री) हगो गई हहै, अतद्धाः हप्रे हशवजश्री कप्रे धनपुष! अब
तगो मपुझप्रे तपुम्हराररा हश्री आसररा हहै॥3॥
* हनज जडतरा लगोगन्ह पर डरारश्री। हगोहह हरअ रघपुपहतहह हनहरारश्री॥
अहत पररतराप सश्रीय मन मराहहीं। लव हनमप्रेष जपुग सय सम जराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तपुम अपनश्री जडतरा लगोगर पर डरालकर, शश्री रघपुनरारजश्री (कप्रे सपुकपुमरार शरश्रीर) कगो दप्रेखकर
(उतनप्रे हश्री) हल्कप्रे हगो जराओ। इस पकरार सश्रीतराजश्री कप्रे मन ममें बडरा हश्री समंतराप हगो रहरा हहै। हनमप्रेष करा
एक लव (अमंश) भश्री सरौ यगपु र कप्रे समरान बश्रीत रहरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* पभपुहह हचतइ पपुहन हचतव महह रराजत लगोचन लगोल।
खप्रेलत मनहसज मश्रीन जपुग जनपु हबधपु ममंडल डगोल॥258॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर हफिर पमृथ्वश्री ककी ओर दप्रेखतश्री हहई सश्रीतराजश्री कप्रे चमंचल नप्रेत्र
इस पकरार शगोहभत हगो रहप्रे हमैं, मरानगो चन्दममंडल रूपश्री डगोल ममें करामदप्रेव ककी दगो मछहलयराहूँ खप्रेल रहश्री
हर॥258॥
चरौपराई :
* हगररा अहलहन मपुख पमंकज रगोककी। पगट न लराज हनसरा अवलगोककी॥
लगोचन जलपु रह लगोचन कगोनरा। जहैसमें परम कमृ पन कर सगोनरा॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी वरारश्री रूपश्री रमरश्री कगो उनकप्रे मपुख रूपश्री कमल नप्रे रगोक रखरा हहै। लराज रूपश्री
रराहत्र कगो दप्रेखकर वह पकट नहहीं हगो रहश्री हहै। नप्रेत्रर करा जल नप्रेत्रर कप्रे कगोनप्रे (कगोयप्रे) ममें हश्री रह जरातरा हहै।
जहैसप्रे बडप्रे भरारश्री कमंजपूस करा सगोनरा कगोनप्रे ममें हश्री गडरा रह जरातरा हहै॥1॥
* सकपु चश्री ब्यराकपुलतरा बहड जरानश्री। धरर धहींरजपु पतश्रीहत उर आनश्री॥
तन मन बचन मगोर पनपु सराचरा। रघपुपहत पद सरगोज हचतपु रराचरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री बढश्री हह ई व्यराकपुलतरा जरानकर सश्रीतराजश्री सकपु चरा गई मं और धश्रीरज धरकर हृदय ममें
हवश्वरास लप्रे आई मं हक यहद तन, मन और वचन सप्रे मप्रेररा पर सचरा हहै और शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चरर
कमलर ममें मप्रेररा हचर वरास्तव ममें अनपुरक्त हहै,॥2॥
* तरौ भगवरानपु सकल उर बरासश्री। कररहह मगोहह रघपुबर कहै दरासश्री॥
जप्रेहह कमें जप्रेहह पर सत्य सनप्रेहह। सगो तप्रेहह हमलइ न कछपु समंदप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-तगो सबकप्रे हृदय ममें हनवरास करनप्रे वरालप्रे भगवरान मपुझप्रे रघपुशप्रेष शश्री ररामचन्दजश्री ककी दरासश्री
अवश्य बनराएहूँगप्रे। हजसकरा हजस पर सचरा स्नप्रेह हगोतरा हहै, वह उसप्रे हमलतरा हश्री हहै, इसममें कपु छ भश्री
समंदहप्रे नहहीं हहै॥3॥
* पभपु तन हचतइ पप्रेम तन ठरानरा। कमृ पराहनधरान रराम सबपु जरानरा॥
हसयहह हबलगोहक तकप्रे उ धनपु कहै समें। हचतव गरर लघपु ब्यरालहह जहैसमें॥4॥
भरावरारर्ण:-पभपु ककी ओर दप्रेखकर सश्रीतराजश्री नप्रे शरश्रीर कप्रे दराररा पप्रेम ठरान हलयरा (अररार्णतम यह हनश्चय कर
हलयरा हक यह शरश्रीर इन्हहीं करा हगोकर रहप्रेगरा यरा रहप्रेगरा हश्री नहहीं) कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री सब जरान
गए। उन्हरनप्रे सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर धनपुष ककी ओर कहै सप्रे तराकरा, जहैसप्रे गरडजश्री छगोटप्रे सप्रे सराहूँप ककी ओर
दप्रेखतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* लखन लखप्रेउ रघपुबमंसमहन तराकप्रेउ हर कगोदमंडपु।
पपुलहक गरात बगोलप्रे बचन चरन चराहप ब्रहरामंडपु॥259॥
भरावरारर्ण:-इधर जब लक्ष्मरजश्री नप्रे दप्रेखरा हक रघपुकपुल महर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हशवजश्री कप्रे धनपुष ककी
ओर तराकरा हहै, तगो वप्रे शरश्रीर सप्रे पपुलहकत हगो ब्रहराण्ड कगो चररर सप्रे दबराकर हनम्नहलहखत वचन
बगोलप्रे-॥259॥
चरौपराई :
*हदहसकपुमं जरहह कमठ अहह कगोलरा। धरहह धरहन धरर धश्रीर न डगोलरा॥
ररामपु चहहहमं समंकर धनपु तगोररा। हगोहह सजग सपुहन आयसपु मगोररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हदग्गजगो! हप्रे कच्छप! हप्रे शप्रेष! हप्रे वरारराह! धश्रीरज धरकर पमृथ्वश्री कगो ररामप्रे रहगो, हजससप्रे
यह हहलनप्रे न परावप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो तगोडनरा चराहतप्रे हमैं। मप्रेरश्री आजरा सपुनकर सब
सरावधरान हगो जराओ॥1॥
* चराप समश्रीप ररामपु जब आए। नर नराररन्ह सपुर सपुकमृत मनराए॥
सब कर समंसउ अर अग्यरानपू। ममंद महश्रीपन्ह कर अहभमरानपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री जब धनपुष कप्रे समश्रीप आए, तब सब स्त्रश्री-पपुरषर नप्रे दप्रेवतराओमं और पपुण्यर
कगो मनरायरा। सबकरा समंदप्रेह और अजरान, नश्रीच रराजराओमं करा अहभमरान,॥2॥
* भमृगपुपहत कप्रे रर गरब गरआई। सपुर मपुहनबरन्ह कप्रे रर कदरराई॥
हसय कर सगोचपु जनक पहछतरावरा। रराहनन्ह कर दरारन दख पु दरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-परशपुररामजश्री कप्रे गवर्ण ककी गपुरतरा, दप्रेवतरा और शप्रेष मपुहनयर ककी करातरतरा (भय), सश्रीतराजश्री
करा सगोच, जनक करा पश्चरातराप और रराहनयर कप्रे दरारर दद्धाःपु ख करा दरावरानल,॥3॥
* समंभपुचराप बड बगोहहतपु पराई। चढप्रे जराइ सब समंगपु बनराई॥
रराम बराहहबल हसमंधपु अपरारू। चहत परार नहहमं कगोउ कडहरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-यप्रे सब हशवजश्री कप्रे धनपुष रूपश्री बडप्रे जहराज कगो पराकर, समराज बनराकर उस पर जरा चढप्रे। यप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री ककी भपुजराओमं कप्रे बल रूपश्री अपरार समपुद कप्रे परार जरानरा चराहतप्रे हमैं, परन्तपु कगोई कप्रे वट
नहहीं हहै॥4॥

जयमरालरा पहनरानरा, परशपुरराम करा आगमन व कगोध


दगोहरा :
* बमंदश्री मरागध सपूतगन हबरद बदहहमं महतधश्रीर।
करहहमं हनछरावरर लगोग सब हय गय धन महन चश्रीर॥262॥
भरावरारर्ण:-धश्रीर बपुहद वरालप्रे, भराट, मरागध और सपूत लगोग हवरदरावलश्री (ककीहतर्ण) करा बखरान कर रहप्रे
हमैं। सब लगोग घगोडप्रे, हरारश्री, धन, महर और वस्त्र हनछरावर कर रहप्रे हमैं॥262॥
चरौपराई :
* झराहहूँ झ ममृदमंग समंख सहनराई। भप्रेरर ढगोल ददमंपु भपु श्री सपुहराई॥
बराजहहमं बहह बराजनप्रे सपुहराए। जहहूँ तहहूँ जपुबहतन्ह ममंगल गराए॥1॥
भरावरारर्ण:-झराझ हूँ , ममृदमंग, शमंख, शहनराई, भप्रेरश्री, ढगोल और सपुहरावनप्रे नगराडप्रे आहद बहह त पकरार कप्रे
सपुमंदर बराजप्रे बज रहप्रे हमैं। जहराहूँ-तहराहूँ यवपु हतयराहूँ ममंगल गश्रीत गरा रहश्री हमैं॥1॥
* सहखन्ह सहहत हरषश्री अहत ररानश्री। सपूखत धरान पररा जनपु परानश्री॥
जनक लहप्रेउ सपुखपु सगोचपु हबहराई। तहैरत रकमें रराह जनपु पराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सहखयर सहहत ररानश्री अत्यन्त हहषर्णत हह ई,मं मरानगो सपूखतप्रे हहए धरान पर परानश्री पड गयरा हगो।
जनकजश्री नप्रे सगोच त्यराग कर सपुख पराप्त हकयरा। मरानगो तहैरतप्रे -तहैरतप्रे रकप्रे हह ए पपुरष नप्रे रराह परा लश्री हगो॥
2॥
* शश्रीहत भए भपूप धनपु टपू टप्रे। जहैसमें हदवस दश्रीप छहब छपू टप्रे॥
सश्रीय सपुखहह बरहनअ कप्रे हह भराहूँतश्री। जनपु चरातककी पराइ जलपु स्वरातश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-धनपुष टपू ट जरानप्रे पर रराजरा लगोग ऐसप्रे शश्रीहश्रीन (हनस्तप्रेज) हगो गए, जहैसप्रे हदन ममें दश्रीपक ककी
शगोभरा जरातश्री रहतश्री हहै। सश्रीतराजश्री करा सपुख हकस पकरार वरर्णन हकयरा जराए , जहैसप्रे चरातककी स्वरातश्री करा
जल परा गई हगो॥3॥
* ररामहह लखनपु हबलगोकत कहै समें। सहसहह चकगोर हकसगोरकपु जहैसमें॥
सतरानमंद तब आयसपु दश्रीन्हरा। सश्रीतराहूँ गमनपु रराम पहहमं ककीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कगो लक्ष्मरजश्री हकस पकरार दप्रेख रहप्रे हमैं, जहैसप्रे चन्दमरा कगो चकगोर करा बचरा दप्रेख
रहरा हगो। तब शतरानमंदजश्री नप्रे आजरा दश्री और सश्रीतराजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे परास गमन हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* समंग सखहीं सपुमंदर चतपुर गरावहहमं ममंगलचरार।
गवनश्री बराल मरराल गहत सपुषमरा अमंग अपरार॥263॥
भरावरारर्ण:-सरार ममें सपुदमं र चतपुर सहखयराहूँ ममंगलराचरार कप्रे गश्रीत गरा रहश्री हमैं, सश्रीतराजश्री बरालहमंहसनश्री ककी चराल
सप्रे चलहीं। उनकप्रे अमंगर ममें अपरार शगोभरा हहै॥263॥
चरौपराई :
* सहखन्ह मध्य हसय सगोहहत कहै समें। छहबगन मध्य महराछहब जहैसमें॥
कर सरगोज जयमराल सपुहराई। हबस्व हबजय सगोभरा जप्रेहहमं छराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सहखयर कप्रे बश्रीच ममें सश्रीतराजश्री कहै सश्री शगोहभत हगो रहश्री हमैं, जहैसप्रे बहह त सश्री छहवयर कप्रे बश्रीच ममें
महराछहव हगो। करकमल ममें सपुदमं र जयमरालरा हहै, हजसममें हवश्व हवजय ककी शगोभरा छराई हह ई हहै॥1॥
* तन सकगोचपु मन परम उछराहह। गपूढ पप्रेमपु लहख परइ न कराहह॥
जराइ समश्रीप रराम छहब दप्रेखश्री। रहह जनपु कपु अहूँरर हचत्र अवरप्रेखश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कप्रे शरश्रीर ममें समंकगोच हहै, पर मन ममें परम उत्सराह हहै। उनकरा यह गपुप्त पप्रेम हकसश्री
कगो जरान नहहीं पड रहरा हहै। समश्रीप जराकर, शश्री ररामजश्री ककी शगोभरा दप्रेखकर रराजकपु मरारश्री सश्रीतराजश्री जहैसप्रे
हचत्र ममें हलखश्री सश्री रह गई॥मं 2॥
* चतपुर सखहीं लहख कहरा बपुझराई। पहहररावहह जयमराल सपुहराई॥
सपुनत जपुगल कर मराल उठराई। पप्रेम हबबस पहहरराइ न जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-चतपुर सखश्री नप्रे यह दशरा दप्रेखकर समझराकर कहरा- सपुहरावनश्री जयमरालरा पहनराओ। यह
सपुनकर सश्रीतराजश्री नप्रे दगोनर हरारर सप्रे मरालरा उठराई, पर पप्रेम ममें हववश हगोनप्रे सप्रे पहनराई नहहीं जरातश्री॥3॥
* सगोहत जनपु जपुग जलज सनरालरा। सहसहह सभश्रीत दप्रेत जयमरालरा॥
गरावहहमं छहब अवलगोहक सहप्रेलश्री। हसयहूँ जयमराल रराम उर मप्रेलश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(उस समय उनकप्रे हरार ऐसप्रे सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं) मरानगो डमंहडयर सहहत दगो कमल चन्दमरा
कगो डरतप्रे हहए जयमरालरा दप्रे रहप्रे हर। इस छहव कगो दप्रेखकर सहखयराहूँ गरानप्रे लगहीं। तब सश्रीतराजश्री नप्रे शश्री
ररामजश्री कप्रे गलप्रे ममें जयमरालरा पहनरा दश्री॥4॥
सगोरठरा :
* रघपुबर उर जयमराल दप्रेहख दप्रेव बररसहहमं सपुमन।
सकपु चप्रे सकल भपुआल जनपु हबलगोहक रहब कपु मपुदगन॥264॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हृदय पर जयमरालरा दप्रेखकर दप्रेवतरा फिपू ल बरसरानप्रे लगप्रे। समस्त रराजरागर
इस पकरार सकपु चरा गए मरानगो सपूयर्ण कगो दप्रेखकर कपु मपुदर करा समपूह हसकपु ड गयरा हगो॥264॥
चरौपराई :
* पपुर अर ब्यगोम बराजनप्रे बराजप्रे। खल भए महलन सराधपु सब रराजप्रे॥
सपुर हकमंनर नर नराग मपुनश्रीसरा। जय जय जय कहह दप्रेहहमं असश्रीसरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-नगर और आकराश ममें बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। दष्टिपु लगोग उदरास हगो गए और सजन लगोग सब
पसन्न हगो गए। दप्रेवतरा, हकन्नर, मनपुष्य, नराग और मपुनश्रीश्वर जय-जयकरार करकप्रे आशश्रीवरार्णद दप्रे रहप्रे
हमैं॥1॥
* नराचहहमं गरावहहमं हबबपुध बधपूटहीं। बरार बरार कपु सपुमरामंजहल छपूटहीं॥
जहहूँ तहहूँ हबप बप्रेदधपुहन करहहीं। बमंदश्री हबररदरावहल उचरहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं ककी हस्त्रयराहूँ नराचतश्री-गरातश्री हमैं। बरार-बरार हरारर सप्रे पपुष्पर ककी अमंजहलयराहूँ छपू ट रहश्री हमैं।
जहराहूँ-तहराहूँ ब्रह वप्रेदध्वहन कर रहप्रे हमैं और भराट लगोग हवरदरावलश्री (कपु लककीहतर्ण) बखरान रहप्रे हमैं॥2॥
* महहमं परातराल नराक जसपु ब्यरापरा। रराम बरश्री हसय भमंजप्रेउ चरापरा॥
करहहमं आरतश्री पपुर नर नरारश्री। दप्रेहहमं हनछरावरर हबर हबसरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पमृथ्वश्री, परातराल और स्वगर्ण तश्रीनर लगोकर ममें यश फिहै ल गयरा हक शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे धनपुष
तगोड हदयरा और सश्रीतराजश्री कगो वरर कर हलयरा। नगर कप्रे नर-नरारश्री आरतश्री कर रहप्रे हमैं और अपनश्री
पपूहूँजश्री (हहैहसयत) कगो भपुलराकर (सरामथ्यर्ण सप्रे बहह त अहधक) हनछरावर कर रहप्रे हमैं॥3॥
* सगोहहत सश्रीय रराम कहै जगोरश्री। छहब हसमंगरार मनहह हूँ एक ठगोरश्री॥
सखहीं कहहहमं पभपु पद गहह सश्रीतरा। करहत न चरन परस अहत भश्रीतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री ककी जगोडश्री ऐसश्री सपुशगोहभत हगो रहश्री हहै मरानगो सपुदमं रतरा और शमृगमं रार रस एकत्र
हगो गए हर। सहखयराहूँ कह रहश्री हमैं- सश्रीतप्रे! स्वरामश्री कप्रे चरर छपु ओ, हकन्तपु सश्रीतराजश्री अत्यन्त भयभश्रीत
हह ई उनकप्रे चरर नहहीं छपूतहीं॥4॥
दगोहरा :
* गरौतम हतय गहत सपुरहत करर नहहमं परसहत पग पराहन।
मन हबहसप्रे रघपुबमंसमहन पश्रीहत अलरौहकक जराहन॥265॥
भरावरारर्ण:-गरौतमजश्री ककी स्त्रश्री अहल्यरा ककी गहत करा स्मरर करकप्रे सश्रीतराजश्री शश्री ररामजश्री कप्रे चररर कगो
हरारर सप्रे स्पशर्ण नहहीं कर रहश्री हमैं। सश्रीतराजश्री ककी अलरौहकक पश्रीहत जरानकर रघपुकपु ल महर शश्री
ररामचन्दजश्री मन ममें हहूँसप्रे॥265॥
चरौपराई :
* तब हसय दप्रेहख भपूप अहभलराषप्रे। कपू र कपपूत मपूढ मन मराखप्रे॥
उहठ उहठ पहहरर सनराह अभरागप्रे। जहहूँ तहहूँ गराल बजरावन लरागप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उस समय सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर कपु छ रराजरा लगोग ललचरा उठप्रे। वप्रे दष्टिपु , कपु पपूत और मपूढ
रराजरा मन ममें बहह त तमतमराए। वप्रे अभरागप्रे उठ-उठकर, कवच पहनकर, जहराहूँ-तहराहूँ गराल बजरानप्रे लगप्रे॥
1॥
* लप्रेहह छडराइ सश्रीय कह कगोऊ। धरर बराहूँधहह नमृप बरालक दगोऊ॥
तगोरमें धनपुषपु चराड नहहमं सरई। जश्रीवत हमहह कपु अहूँरर कगो बरई॥2॥
भरावरारर्ण:-कगोई कहतप्रे हमैं, सश्रीतरा कगो छश्रीन लगो और दगोनर रराजकपु मरारर कगो पकडकर बराधहूँ लगो। धनपुष
तगोडनप्रे सप्रे हश्री चराह नहहीं सरप्रेगश्री (पपूरश्री हगोगश्री)। हमरारप्रे जश्रीतप्रे-जश्री रराजकपु मरारश्री कगो करौन ब्यराह सकतरा
हहै?॥2॥
* जजौं हबदप्रेहह कछपु करहै सहराई। जश्रीतहह समर सहहत दगोउ भराई॥
सराधपु भपूप बगोलप्रे सपुहन बरानश्री। रराजसमराजहह लराज लजरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यहद जनक कपु छ सहरायतरा करमें, तगो यद पु ममें दगोनर भराइयर सहहत उसप्रे भश्री जश्रीत लगो। यप्रे
वचन सपुनकर सराधपु रराजरा बगोलप्रे- इस (हनलर्णज) रराज समराज कगो दप्रेखकर तगो लराज भश्री लजरा गई॥
3॥
* बलपु पतरापपु बश्रीरतरा बडराई। नराक हपनराकहह समंग हसधराई॥
सगोइ सपूरतरा हक अब कहह हूँ पराई। अहस बपुहध तरौ हबहध मपुहूँह महस लराई॥4॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे! तपुम्हराररा बल, पतराप, वश्रीरतरा, बडराई और नराक (पहतषरा) तगो धनपुष कप्रे सरार हश्री
चलश्री गई। वहश्री वश्रीरतरा रश्री हक अब कहहीं सप्रे हमलश्री हहै? ऐसश्री दष्टिपु बपुहद हहै, तभश्री तगो हवधरातरा नप्रे तपुम्हरारप्रे
मपुखर पर कराहलख लगरा दश्री॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेखहह ररामहह नयन भरर तहज इररषरा मद पु कगोहह।।
लखन रगोषपु परावकपु पबल जराहन सलभ जहन हगोहह॥266॥
भरावरारर्ण:-ईषरार्ण, घममंड और कगोध छगोडकर नप्रेत्र भरकर शश्री ररामजश्री (ककी छहब) कगो दप्रेख लगो। लक्ष्मर
कप्रे कगोध कगो पबल अहग्नि जरानकर उसममें पतमंगप्रे मत बनगो॥266॥
चरौपराई :
*बहैनतप्रेय बहल हजहम चह करागपू। हजहम ससपु चहहै नराग अरर भरागपू॥
हजहम चह कपु सल अकरारन कगोहश्री। सब समंपदरा चहहै हसवदगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे गरड करा भराग करौआ चराहप्रे, हसमंह करा भराग खरगगोश चराहप्रे, हबनरा करारर हश्री कगोध
करनप्रे वरालरा अपनश्री कपु शल चराहप्रे, हशवजश्री सप्रे हवरगोध करनप्रे वरालरा सब पकरार ककी सम्पहर चराहप्रे ,॥1॥
* लगोभश्री लगोलपुप कल ककीरहत चहई। अकलमंकतरा हक करामश्री लहई॥
हरर पद हबमपुख परम गहत चराहरा। तस तपुम्हरार लरालचपु नरनराहरा॥2॥
भरावरारर्ण:-लगोभश्री-लरालचश्री सपुदमं र ककीहतर्ण चराहप्रे, करामश्री मनपुष्य हनष्कलमंकतरा (चराहप्रे तगो) क्यरा परा सकतरा
हहै? और जहैसप्रे शश्री हरर कप्रे चररर सप्रे हवमपुख मनपुष्य परमगहत (मगोक्ष) चराहप्रे, हप्रे रराजराओमं! सश्रीतरा कप्रे
हलए तपुम्हराररा लरालच भश्री वहैसरा हश्री व्यरर्ण हहै॥2॥
* कगोलराहलपु सपुहन सश्रीय सकरानश्री। सखहीं लवराइ गई मं जहहूँ ररानश्री॥
ररामपु सपुभरायहूँ चलप्रे गपुर पराहहीं। हसय सनप्रेहह बरनत मन मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-कगोलराहल सपुनकर सश्रीतराजश्री शमंहकत हगो गई।मं तब सहखयराहूँ उन्हमें वहराहूँ लप्रे गई,मं जहराहूँ ररानश्री
(सश्रीतराजश्री ककी मरातरा) रहीं। शश्री ररामचन्दजश्री मन ममें सश्रीतराजश्री कप्रे पप्रेम करा बखरान करतप्रे हह ए स्वराभराहवक
चराल सप्रे गपुरजश्री कप्रे परास चलप्रे॥3॥
*रराहनन्ह सहहत सगोच बस सश्रीयरा। अब धजौं हबहधहह कराह करनश्रीयरा॥
भपूप बचन सपुहन इत उत तकहहीं। लखनपु रराम डर बगोहल न सकहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराहनयर सहहत सश्रीतराजश्री (दष्टिपु रराजराओमं कप्रे दवपु र्णचन सपुनकर) सगोच कप्रे वश हमैं हक न जरानप्रे
हवधरातरा अब क्यरा करनप्रे वरालप्रे हमैं। रराजराओमं कप्रे वचन सपुनकर लक्ष्मरजश्री इधर-उधर तराकतप्रे हमैं,
हकन्तपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे डर सप्रे कपु छ बगोल नहहीं सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* अरन नयन भमृकपुटश्री कपु हटल हचतवत नमृपन्ह सकगोप।
मनहह हूँ मर गजगन हनरहख हसमंघहकसगोरहह चगोप॥267॥
भरावरारर्ण:- उनकप्रे नप्रेत्र लराल और भजौंहमें टप्रेढश्री हगो गई मं और वप्रे कगोध सप्रे रराजराओमं ककी ओर दप्रेखनप्रे लगप्रे,
मरानगो मतवरालप्रे हराहरयर करा झपुमंड दप्रेखकर हसमंह कप्रे बचप्रे कगो जगोश आ गयरा हगो॥267॥
चरौपराई :
* खरभर दप्रेहख हबकल पपुर नरारहीं। सब हमहल दप्रेहहमं महश्रीपन्ह गरारहीं॥
तप्रेहहमं अवसर सपुहन हसवधनपु भमंगरा। आयउ भमृगपुकपुल कमल पतमंगरा॥1॥
भरावरारर्ण:-खलबलश्री दप्रेखकर जनकपपुरश्री ककी हस्त्रयराहूँ व्यराकपुल हगो गई मं और सब हमलकर रराजराओमं कगो
गराहलयराहूँ दप्रेनप्रे लगहीं। उसश्री मरौकप्रे पर हशवजश्री कप्रे धनपुष करा टपू टनरा सपुनकर भमृगपुकपुल रूपश्री कमल कप्रे सपूयर्ण
परशपुररामजश्री आए॥1॥
* दप्रेहख महश्रीप सकल सकपु चरानप्रे। बराज झपट जनपु लवरा लपुकरानप्रे॥
गरौरर सरश्रीर भपूहत भल रराजरा। भराल हबसराल हत्रपपुमंड हबरराजरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इन्हमें दप्रेखकर सब रराजरा सकपु चरा गए, मरानगो बराज कप्रे झपटनप्रे पर बटप्रेर लपुक (हछप) गए हर।
गगोरप्रे शरश्रीर पर हवभपूहत (भस्म) बडश्री फिब रहश्री हहै और हवशराल ललराट पर हत्रपपुण्डड हवशप्रेष शगोभरा दप्रे
रहरा हहै॥2॥
* सश्रीस जटरा सहसबदनपु सपुहरावरा। ररस बस कछपु क अरन हगोइ आवरा॥
भमृकपुटश्री कपु हटल नयन ररस ररातप्रे। सहजहह हूँ हचतवत मनहह हूँ ररसरातप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-हसर पर जटरा हहै, सपुमंदर मपुखचन्द कगोध कप्रे करारर कपु छ लराल हगो आयरा हहै। भजौंहमें टप्रेढश्री और
आहूँखमें कगोध सप्रे लराल हमैं। सहज हश्री दप्रेखतप्रे हमैं, तगो भश्री ऐसरा जरान पडतरा हहै मरानगो कगोध कर रहप्रे हमैं॥3॥
* बमृषभ कमंध उर बराहह हबसरालरा। चरार जनप्रेउ मराल ममृगछरालरा॥
कहट मपुहनबसन तपून दइपु बराहूँधमें। धनपु सर कर कपु ठरार कल कराधहूँ में॥4॥
भरावरारर्ण:-बहैल कप्रे समरान (ऊहूँचप्रे और पपुष्टि) कमंधप्रे हमैं, छरातश्री और भपुजराएहूँ हवशराल हमैं। सपुमंदर यजगोपवश्रीत
धरारर हकए, मरालरा पहनप्रे और ममृगचमर्ण हलए हमैं। कमर ममें मपुहनयर करा वस्त्र (वल्कल) और दगो
तरकस बराहूँधप्रे हमैं। हरार ममें धनपुष-बरार और सपुदमं र कमंधप्रे पर फिरसरा धरारर हकए हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सरामंत बप्रेषपु करनश्री कहठन बरहन न जराइ सरूप।
धरर मपुहनतनपु जनपु बश्रीर रसपु आयउ जहहूँ सब भपूप॥268॥
भरावरारर्ण:-शरामंत वप्रेष हहै, परन्तपु करनश्री बहह त कठगोर हमैं, स्वरूप करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा।
मरानगो वश्रीर रस हश्री मपुहन करा शरश्रीर धरारर करकप्रे , जहराहूँ सब रराजरा लगोग हमैं, वहराहूँ आ गयरा हगो॥
268॥
चरौपराई :
* दप्रेखत भमृगपुपहत बप्रेषपु कररालरा। उठप्रे सकल भय हबकल भपुआलरा॥
हपतपु समप्रेत कहह कहह हनज नरामरा। लगप्रे करन सब दमंड पनरामरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परशपुररामजश्री करा भयरानक वप्रेष दप्रेखकर सब रराजरा भय सप्रे व्यराकपु ल हगो उठ खडप्रे हह ए और
हपतरा सहहत अपनरा नराम कह-कहकर सब दमंडवत परराम करनप्रे लगप्रे॥1॥
* जप्रेहह सपुभरायहूँ हचतवहहमं हहतपु जरानश्री। सगो जरानइ जनपु आइ खपुटरानश्री॥
जनक बहगोरर आइ हसर नरावरा। सश्रीय बगोलराइ पनरामपु कररावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-परशपुररामजश्री हहत समझकर भश्री सहज हश्री हजसककी ओर दप्रेख लप्रेतप्रे हमैं , वह समझतरा हहै
मरानगो मप्रेरश्री आयपु पपूरश्री हगो गई। हफिर जनकजश्री नप्रे आकर हसर नवरायरा और सश्रीतराजश्री कगो बपुलराकर
परराम कररायरा॥2॥
* आहसष दश्रीहन्ह सखहीं हरषरानहीं। हनज समराज लहै गई मं सयरानहीं॥
हबस्वराहमत्रपु हमलप्रे पपुहन आई। पद सरगोज मप्रेलप्रे दगोउ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-परशपुररामजश्री नप्रे सश्रीतराजश्री कगो आशश्रीवरादर्ण हदयरा। सहखयराहूँ हहषर्णत हह ई मं और (वहराहूँ अब अहधक
दप्रेर ठहरनरा ठश्रीक न समझकर) वप्रे सयरानश्री सहखयराहूँ उनकगो अपनश्री ममंडलश्री ममें लप्रे गई।मं हफिर
हवश्वराहमत्रजश्री आकर हमलप्रे और उन्हरनप्रे दगोनर भराइयर कगो उनकप्रे चरर कमलर पर हगररायरा॥3॥
* ररामपु लखनपु दसरर कप्रे ढगोटरा। दश्रीहन्ह असश्रीस दप्रेहख भल जगोटरा॥
ररामहह हचतइ रहप्रे रहक लगोचन। रूप अपरार मरार मद मगोचन॥4॥
भरावरारर्ण:-(हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे कहरा-) यप्रे रराम और लक्ष्मर रराजरा दशरर कप्रे पपुत्र हमैं। उनककी सपुदमं र
जगोडश्री दप्रेखकर परशपुररामजश्री नप्रे आशश्रीवरार्णद हदयरा। करामदप्रेव कप्रे भश्री मद कगो छपु डरानप्रे वरालप्रे शश्री ररामचन्दजश्री
कप्रे अपरार रूप कगो दप्रेखकर उनकप्रे नप्रेत्र रहकत (स्तहम्भत) हगो रहप्रे॥4॥
दगोहरा :
* बहह रर हबलगोहक हबदप्रेह सन कहहह कराह अहत भश्रीर।
पपूहूँछत जराहन अजरान हजहम ब्यरापप्रेउ कगोपपु सरश्रीर॥269॥
भरावरारर्ण:-हफिर सब दप्रेखकर, जरानतप्रे हहए भश्री अनजरान ककी तरह जनकजश्री सप्रे पपूछतप्रे हमैं हक कहगो, यह
बडश्री भरारश्री भश्रीड कहै सश्री हहै? उनकप्रे शरश्रीर ममें कगोध छरा गयरा॥269॥
चरौपराई :
* समराचरार कहह जनक सपुनराए। जप्रेहह करारन महश्रीप सब आए॥
सपुनत बचन हफिरर अनत हनहरारप्रे। दप्रेखप्रे चरापखमंड महह डरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-हजस करारर सब रराजरा आए रप्रे, रराजरा जनक नप्रे वप्रे सब समराचरार कह सपुनराए। जनक कप्रे
वचन सपुनकर परशपुररामजश्री नप्रे हफिरकर दस पू रश्री ओर दप्रेखरा तगो धनपुष कप्रे टपु कडप्रे पमृथ्वश्री पर पडप्रे हह ए
हदखराई हदए॥1॥
* अहत ररस बगोलप्रे बचन कठगोररा। कहह जड जनक धनपुष कहै तगोररा॥
बप्रेहग दप्रेखराउ मपूढ न त आजपू। उलटउहूँ महह जहहूँ लहह तव रराजपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त कगोध ममें भरकर वप्रे कठगोर वचन बगोलप्रे- रप्रे मपूखर्ण जनक! बतरा, धनपुष हकसनप्रे
तगोडरा? उसप्रे शश्रीघ्र हदखरा, नहहीं तगो अरप्रे मपूढ! आज ममैं जहराहूँ तक तप्रेररा रराज्य हहै, वहराहूँ तक ककी पमृथ्वश्री
उलट दहूँगपू रा॥2॥
* अहत डर उतर दप्रेत नमृपपु नराहहीं। कपु हटल भपूप हरषप्रे मन मराहहीं॥
सपुर मपुहन नराग नगर नर नरारश्री। सगोचहहमं सकल त्ररास उर भरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो अत्यन्त डर लगरा, हजसकप्रे करारर वप्रे उरर नहहीं दप्रेतप्रे। यह दप्रेखकर कपु हटल रराजरा
मन ममें बडप्रे पसन्न हहए। दप्रेवतरा, मपुहन, नराग और नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष सभश्री सगोच करनप्रे लगप्रे, सबकप्रे
हृदय ममें बडरा भय हहै॥3॥
*मन पहछतराहत सश्रीय महतरारश्री। हबहध अब सहूँवरश्री बरात हबगरारश्री॥
भमृगपुपहत कर सपुभराउ सपुहन सश्रीतरा। अरध हनमप्रेष कलप सम बश्रीतरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी मरातरा मन ममें पछतरा रहश्री हमैं हक हराय! हवधरातरा नप्रे अब बनश्री-बनराई बरात
हबगराड दश्री। परशपुररामजश्री करा स्वभराव सपुनकर सश्रीतराजश्री कगो आधरा क्षर भश्री कल्प कप्रे समरान बश्रीततप्रे
लगरा॥4॥
दगोहरा :
* सभय हबलगोकप्रे लगोग सब जराहन जरानककी भश्रीर।
हृदयहूँ न हरषपु हबषराद पु कछपु बगोलप्रे शश्रीरघपुबश्रीर॥270॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री सब लगोगर कगो भयभश्रीत दप्रेखकर और सश्रीतराजश्री कगो डरश्री हह ई जरानकर
बगोलप्रे- उनकप्रे हृदय ममें न कपु छ हषर्ण ररा न हवषराद-॥270॥
मरासपराररायर नरौवराहूँ हवशराम

शश्री रराम-लक्ष्मर और परशपुरराम-समंवराद


चरौपराई :
* नरार समंभपुधनपु भमंजहनहराररा। हगोइहह कप्रे उ एक दरास तपुम्हराररा॥
आयसपु कराह कहहअ हकन मगोहश्री। सपुहन ररसराइ बगोलप्रे मपुहन कगोहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो तगोडनप्रे वरालरा आपकरा कगोई एक दरास हश्री हगोगरा। क्यरा आजरा
हहै, मपुझसप्रे क्यर नहहीं कहतप्रे? यह सपुनकर कगोधश्री मपुहन ररसराकर बगोलप्रे-॥1॥
* सप्रेवकपु सगो जगो करहै सप्रेवकराई। अरर करनश्री करर कररअ लरराई॥
सपुनहह रराम जप्रेहहमं हसवधनपु तगोररा। सहसबराहह सम सगो ररपपु मगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक वह हहै जगो सप्रेवरा करा कराम करप्रे। शत्रपु करा कराम करकप्रे तगो लडराई हश्री करनश्री चराहहए। हप्रे
रराम! सपुनगो, हजसनप्रे हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो तगोडरा हहै, वह सहस्रबराहह कप्रे समरान मप्रेररा शत्रपु हहै॥2॥
* सगो हबलगराउ हबहराइ समराजरा। न त मरारप्रे जहैहहहमं सब रराजरा॥
सपुहन मपुहन बचन लखन मपुसपुकरानप्रे। बगोलप्रे परसपुधरहह अपमरानप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह इस समराज कगो छगोडकर अलग हगो जराए, नहहीं तगो सभश्री रराजरा मरारप्रे जराएहूँगप्रे। मपुहन कप्रे
वचन सपुनकर लक्ष्मरजश्री मपुस्कपु रराए और परशपुररामजश्री करा अपमरान करतप्रे हह ए बगोलप्रे-॥3॥
* बहह धनपुहहीं तगोरहीं लररकराई।मं कबहह हूँ न अहस ररस ककीहन्ह गगोसराई॥मं
एहह धनपु पर ममतरा कप्रे हह हप्रेतपू। सपुहन ररसराइ कह भमृगपुकपुलकप्रे तपू॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे गगोसराई!मं लडकपन ममें हमनप्रे बहह त सश्री धनपुहहयराहूँ तगोड डरालहीं, हकन्तपु आपनप्रे ऐसरा कगोध
कभश्री नहहीं हकयरा। इसश्री धनपुष पर इतनश्री ममतरा हकस करारर सप्रे हहै ? यह सपुनकर भमृगपुवमंश ककी ध्वजरा
स्वरूप परशपुररामजश्री कपु हपत हगोकर कहनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* रप्रे नमृप बरालक कराल बस बगोलत तगोहह न सहूँभरार।
धनपुहश्री सम हतपपुररारर धनपु हबहदत सकल समंसरार॥271॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे रराजपपुत्र! कराल कप्रे वश हगोनप्रे सप्रे तपुझप्रे बगोलनप्रे ममें कपु छ भश्री हगोश नहहीं हहै। सरारप्रे समंसरार ममें
हवख्यरात हशवजश्री करा यह धनपुष क्यरा धनपुहश्री कप्रे समरान हहै?॥271॥
चरौपराई :
* लखन कहरा हहूँहस हमरमें जरानरा। सपुनहह दप्रेव सब धनपुष समरानरा॥
करा छहत लराभपु जपून धनपु तगोरमें। दप्रेखरा रराम नयन कप्रे भगोरमें॥1॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे हहूँसकर कहरा- हप्रे दप्रेव! सपुहनए, हमरारप्रे जरान ममें तगो सभश्री धनपुष एक सप्रे हश्री हमैं।
पपुररानप्रे धनपुष कप्रे तगोडनप्रे ममें क्यरा हराहन-लराभ! शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे तगो इसप्रे नवश्रीन कप्रे धगोखप्रे सप्रे दप्रेखरा ररा॥
1॥
* छपु अत टपू ट रघपुपहतहह न दगोसपू। मपुहन हबनपु कराज कररअ कत रगोसपू॥
बगोलप्रे हचतइ परसपु ककी ओररा। रप्रे सठ सपुनप्रेहह सपुभराउ न मगोररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर यह तगो छपूतप्रे हश्री टपू ट गयरा, इसममें रघपुनरारजश्री करा भश्री कगोई दगोष नहहीं हहै। मपुहन! आप
हबनरा हश्री करारर हकसहलए कगोध करतप्रे हमैं? परशपुररामजश्री अपनप्रे फिरसप्रे ककी ओर दप्रेखकर बगोलप्रे- अरप्रे
दष्टिपु ! तपूनप्रे मप्रेररा स्वभराव नहहीं सपुनरा॥2॥
* बरालकपु बगोहल बधउहूँ नहहमं तगोहश्री। कप्रे वल मपुहन जड जरानहह मगोहश्री॥
बराल ब्रहचरारश्री अहत कगोहश्री। हबस्व हबहदत छहत्रयकपु ल दगोहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं तपुझप्रे बरालक जरानकर नहहीं मरारतरा हह हूँ। अरप्रे मपूखर्ण! क्यरा तपू मपुझप्रे हनररा मपुहन हश्री जरानतरा हहै।
ममैं बरालब्रहचरारश्री और अत्यन्त कगोधश्री हह हूँ। क्षहत्रयकपु ल करा शत्रपु तगो हवश्वभर ममें हवख्यरात हह हूँ॥3॥
* भपुजबल भपूहम भपूप हबनपु ककीन्हश्री। हबपपुल बरार महहदप्रेवन्ह दश्रीन्हश्री॥
सहसबराहह भपुज छप्रेदहनहराररा। परसपु हबलगोकपु महश्रीपकपु मराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे ममैंनप्रे पमृथ्वश्री कगो रराजराओमं सप्रे रहहत कर हदयरा और बहह त बरार उसप्रे
ब्रराहरर कगो दप्रे डरालरा। हप्रे रराजकपु मरार! सहस्रबराहह ककी भपुजराओमं कगो कराटनप्रे वरालप्रे मप्रेरप्रे इस फिरसप्रे कगो
दप्रेख!॥4॥
दगोहरा :
* मरातपु हपतहह जहन सगोचबस करहस महश्रीसहकसगोर।
गभर्णन्ह कप्रे अभर्णक दलन परसपु मगोर अहत घगोर॥272॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे रराजरा कप्रे बरालक! तपू अपनप्रे मरातरा-हपतरा कगो सगोच कप्रे वश न कर। मप्रेररा फिरसरा बडरा
भयरानक हहै, यह गभर्मों कप्रे बचर करा भश्री नराश करनप्रे वरालरा हहै॥272॥
चरौपराई :
*हबहहस लखनपु बगोलप्रे ममृद पु बरानश्री। अहगो मपुनश्रीसपु महरा भटमरानश्री॥
पपुहन पपुहन मगोहह दप्रेखराव कपु ठरारू। चहत उडरावन फिपूहूँहक पहरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री हहूँसकर कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलप्रे- अहगो, मपुनश्रीश्वर तगो अपनप्रे कगो बडरा भरारश्री यगोदरा
समझतप्रे हमैं। बरार-बरार मपुझप्रे कपु ल्हराडश्री हदखरातप्रे हमैं। फिपूहूँक सप्रे पहराड उडरानरा चराहतप्रे हमैं॥1॥
* इहराहूँ कपु म्हडबहतयरा कगोउ नराहहीं। जप्रे तरजनश्री दप्रेहख मरर जराहहीं॥
दप्रेहख कपु ठरार सररासन बरानरा। ममैं कछपु कहरा सहहत अहभमरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-यहराहूँ कगोई कपु म्हडप्रे ककी बहतयरा (छगोटरा कचरा फिल) नहहीं हहै, जगो तजर्णनश्री (सबसप्रे आगप्रे ककी)
अहूँगपुलश्री कगो दप्रेखतप्रे हश्री मर जरातश्री हमैं। कपु ठरार और धनपुष-बरार दप्रेखकर हश्री ममैंनप्रे कपु छ अहभमरान सहहत
कहरा ररा॥2॥
*भमृगपुसपुत समपुहझ जनप्रेउ हबलगोककी। जगो कछपु कहहह सहउहूँ ररस रगोककी॥
सपुर महहसपुर हररजन अर गराई। हमरमें कपु ल इन्ह पर न सपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-भमृगपुवमंशश्री समझकर और यजगोपवश्रीत दप्रेखकर तगो जगो कपु छ आप कहतप्रे हमैं, उसप्रे ममैं कगोध कगो
रगोककर सह लप्रेतरा हह हूँ। दप्रेवतरा, ब्रराहर, भगवरान कप्रे भक्त और गगो- इन पर हमरारप्रे कपु ल ममें वश्रीरतरा नहहीं
हदखराई जरातश्री॥3॥
* बधमें परापपु अपककीरहत हरारमें। मरारतहह हूँ परा पररअ तपुम्हरारमें॥
कगोहट कपु हलस सम बचनपु तपुम्हराररा। ब्यरर्ण धरहह धनपु बरान कपु ठराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक इन्हमें मरारनप्रे सप्रे पराप लगतरा हहै और इनसप्रे हरार जरानप्रे पर अपककीहतर्ण हगोतश्री हहै ,
इसहलए आप मरारमें तगो भश्री आपकप्रे पहैर हश्री पडनरा चराहहए। आपकरा एक-एक वचन हश्री करगोडर वज्रर कप्रे
समरान हहै। धनपुष-बरार और कपु ठरार तगो आप व्यरर्ण हश्री धरारर करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* जगो हबलगोहक अनपुहचत कहप्रेउहूँ छमहह महरामपुहन धश्रीर।
सपुहन सरगोष भमृगपुबमंसमहन बगोलप्रे हगररा गभश्रीर॥273॥
भरावरारर्ण:-इन्हमें (धनपुष-बरार और कपु ठरार कगो) दप्रेखकर ममैंनप्रे कपु छ अनपुहचत कहरा हगो, तगो उसप्रे हप्रे धश्रीर
महरामपुहन! क्षमरा ककीहजए। यह सपुनकर भमृगपुवमंशमहर परशपुररामजश्री कगोध कप्रे सरार गमंभश्रीर वरारश्री बगोलप्रे-॥
273॥
चरौपराई :
* करौहसक सपुनहह ममंद यहह बरालकपु । कपु हटल करालबस हनज कपु ल घरालकपु ॥
भरानपु बमंस रराकप्रेस कलमंकपू। हनपट हनरमंकपुस अबपुध असमंकपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हवश्वराहमत्र! सपुनगो, यह बरालक बडरा कपु बपुहद और कपु हटल हहै, कराल कप्रे वश हगोकर यह
अपनप्रे कपु ल करा घरातक बन रहरा हहै। यह सपूयवर्ण मंश रूपश्री पपूरर्ण चन्द करा कलमंक हहै। यह हबल्कपु ल उदण्ड,
मपूखर्ण और हनडर हहै॥1॥
* कराल कवलपु हगोइहह छन मराहहीं। कहउहूँ पपुकरारर खगोरर मगोहह नराहहीं॥
तपुम्ह हटकहह जजौं चहहह उबराररा। कहह पतरापपु बलपु रगोषपु हमराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-अभश्री क्षर भर ममें यह कराल करा गरास हगो जराएगरा। ममैं पपुकरारकर कहप्रे दप्रेतरा हह हूँ, हफिर मपुझप्रे दगोष
नहहीं हहै। यहद तपुम इसप्रे बचरानरा चराहतप्रे हगो, तगो हमराररा पतराप, बल और कगोध बतलराकर इसप्रे मनरा कर
दगो॥2॥
* लखन कहप्रेउ मपुहन सपुजसपु तपुम्हराररा। तपुम्हहह अछत कगो बरनहै पराररा॥
अपनप्रे मपुहूँह तपुम्ह आपहन करनश्री। बरार अनप्रेक भराहूँहत बहह बरनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! आपकरा सपुयश आपकप्रे रहतप्रे दस पू ररा करौन वरर्णन कर सकतरा
हहै? आपनप्रे अपनप्रे हश्री मपुहूँह सप्रे अपनश्री करनश्री अनप्रेकर बरार बहह त पकरार सप्रे वरर्णन ककी हहै॥3॥
* नहहमं समंतगोषपु त पपुहन कछपु कहहह । जहन ररस रगोहक दसपु ह दख पु सहहह ॥
बश्रीरब्रतश्री तपुम्ह धश्रीर अछगोभरा। गरारश्री दप्रेत न परावहह सगोभरा॥4॥
भरावरारर्ण:-इतनप्रे पर भश्री समंतगोष न हह आ हगो तगो हफिर कपु छ कह डराहलए। कगोध रगोककर असह्य दद्धाःपु ख
मत सहहए। आप वश्रीरतरा करा व्रत धरारर करनप्रे वरालप्रे, धहैयर्णवरान और क्षगोभरहहत हमैं। गरालश्री दप्रेतप्रे शगोभरा
नहहीं परातप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपूर समर करनश्री करहहमं कहह न जनरावहहमं आपपु।
हबद्यमरान रन पराइ ररपपु करायर करहहमं पतरापपु॥274॥
भरावरारर्ण:-शपूरवश्रीर तगो यद पु ममें करनश्री (शपूरवश्रीरतरा करा करायर्ण) करतप्रे हमैं, कहकर अपनप्रे कगो नहहीं जनरातप्रे।
शत्रपु कगो यद पु ममें उपहस्रत पराकर करायर हश्री अपनप्रे पतराप ककी डहींग मराररा करतप्रे हमैं॥ 274॥
चरौपराई :
* तपुम्ह तरौ करालपु हराक हूँ जनपु लरावरा। बरार बरार मगोहह लराहग बगोलरावरा॥
सपुनत लखन कप्रे बचन कठगोररा। परसपु सपुधरारर धरप्रेउ कर घगोररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-आप तगो मरानगो कराल कगो हराहूँक लगराकर बरार-बरार उसप्रे मप्रेरप्रे हलए बपुलरातप्रे हमैं। लक्ष्मरजश्री कप्रे
कठगोर वचन सपुनतप्रे हश्री परशपुररामजश्री नप्रे अपनप्रे भयरानक फिरसप्रे कगो सपुधरारकर हरार ममें लप्रे हलयरा॥ 1॥
* अब जहन दप्रेइ दगोसपु मगोहह लगोगपू। कटपु बरादश्री बरालकपु बधजगोगपू॥
बराल हबलगोहक बहह त ममैं बराहूँचरा। अब यहह मरहनहरार भरा सराहूँचरा॥2॥
भरावरारर्ण:- (और बगोलप्रे-) अब लगोग मपुझप्रे दगोष न दमें। यह कडपु आ बगोलनप्रे वरालरा बरालक मरारप्रे जरानप्रे कप्रे
हश्री यगोग्य हहै। इसप्रे बरालक दप्रेखकर ममैंनप्रे बहह त बचरायरा, पर अब यह सचमपुच मरनप्रे कगो हश्री आ गयरा हहै॥
2॥
* करौहसक कहरा छहमअ अपरराधपू। बराल दगोष गपुन गनहहमं न सराधपू॥
खर कपु ठरार ममैं अकरन कगोहश्री। आगमें अपरराधश्री गपुरदगोहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे कहरा- अपरराध क्षमरा ककीहजए। बरालकर कप्रे दगोष और गपुर कगो सराधपु लगोग
नहहीं हगनतप्रे। (परशपुररामजश्री बगोलप्रे-) तश्रीखश्री धरार करा कपु ठरार, ममैं दयरारहहत और कगोधश्री और यह
गपुरदगोहश्री और अपरराधश्री मप्रेरप्रे सरामनप्रे-॥3॥
* उतर दप्रेत छगोडउहूँ हबनपु मरारमें। कप्रे वल करौहसक सश्रील तपुम्हरारमें॥
न त एहह कराहट कपु ठरार कठगोरमें। गपुरहह उररन हगोतप्रेउहूँ शम रगोरमें॥4॥
भरावरारर्ण:-उरर दप्रे रहरा हहै। इतनप्रे पर भश्री ममैं इसप्रे हबनरा मरारप्रे छगोड रहरा हह,हूँ सगो हप्रे हवश्वराहमत्र! कप्रे वल
तपुम्हरारप्रे शश्रील (पप्रेम) सप्रे। नहहीं तगो इसप्रे इस कठगोर कपु ठरार सप्रे कराटकर रगोडप्रे हश्री पररशम सप्रे गपुर सप्रे
उऋर हगो जरातरा॥4॥
दगोहरा :
* गराहधसपूनपु कह हृदयहूँ हहूँहस मपुहनहह हररअरइ सपूझ।
अयमय खराडहूँ न ऊखमय अजहह हूँ न बपूझ अबपूझ॥275॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे हृदय ममें हहूँसकर कहरा- मपुहन कगो हररा हश्री हररा सपूझ रहरा हहै (अररार्णत सवर्णत्र
हवजयश्री हगोनप्रे कप्रे करारर यप्रे शश्री रराम-लक्ष्मर कगो भश्री सराधरारर क्षहत्रय हश्री समझ रहप्रे हमैं), हकन्तपु यह
लगोहमयश्री (कप्रे वल फिरौलराद ककी बनश्री हहई) खराहूँड (खराहूँडरा-खड्ग) हहै, ऊख ककी (रस ककी) खराडहूँ
नहहीं हहै (जगो मपुहूँह ममें लप्रेतप्रे हश्री गल जराए। खप्रेद हहै,) मपुहन अब भश्री बप्रेसमझ बनप्रे हहए हमैं, इनकप्रे पभराव कगो
नहहीं समझ रहप्रे हमैं॥275॥
चरौपराई :
* कहप्रेउ लखन मपुहन सश्रीलपु तपुम्हराररा। कगो नहहमं जरान हबहदत समंसराररा॥
मरातरा हपतहह उररन भए नश्रीकमें। गपुर ररनपु रहरा सगोचपु बड जश्रीकमें॥1॥
भरावरारर्ण:- लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! आपकप्रे शश्रील कगो करौन नहहीं जरानतरा? वह समंसरार भर ममें
पहसद हहै। आप मरातरा-हपतरा सप्रे तगो अच्छश्री तरह उऋर हगो हश्री गए, अब गपुर करा ऋर रहरा, हजसकरा
जश्री ममें बडरा सगोच लगरा हहै॥1॥
* सगो जनपु हमरप्रेहह मरारप्रे कराढरा। हदन चहल गए ब्यराज बड बराढरा॥
अब आहनअ ब्यवहररआ बगोलश्री। तपुरत दप्रेउहूँ ममैं रहैलश्री खगोलश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वह मरानगो हमरारप्रे हश्री मत्रप्रे कराढरा ररा। बहह त हदन बश्रीत गए, इससप्रे ब्यराज भश्री बहह त बढ गयरा
हगोगरा। अब हकसश्री हहसराब करनप्रे वरालप्रे कगो बपुलरा लराइए, तगो ममैं तपुरमंत रहैलश्री खगोलकर दप्रे दहूँ॥पू 2॥
*सपुहन कटपु बचन कपु ठरार सपुधराररा। हराय हराय सब सभरा पपुकराररा॥
भमृगपुबर परसपु दप्रेखरावहह मगोहश्री। हबप हबचरारर बचउहूँ नमृपदगोहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री कप्रे कडपु ए वचन सपुनकर परशपुररामजश्री नप्रे कपु ठरार सम्हरालरा। सरारश्री सभरा हराय-हराय!
करकप्रे पपुकरार उठश्री। (लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे भमृगपुशप्रेष! आप मपुझप्रे फिरसरा हदखरा रहप्रे हमैं? पर हप्रे
रराजराओमं कप्रे शत्रपु! ममैं ब्रराहर समझकर बचरा रहरा हह हूँ (तरह दप्रे रहरा हह हूँ)॥3॥
* हमलप्रे न कबहह हूँ सपुभट रन गराढप्रे। हदज दप्रेवतरा घरहह कप्रे बरामढप्रे॥
अनपुहचत कहह सब लगोग पपुकरारप्रे। रघपुपहत सयनहहमं लखनपु नप्रेवरारप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-आपकगो कभश्री ररधश्रीर बलवरानम वश्रीर नहहीं हमलप्रे हमैं। हप्रे ब्रराहर दप्रेवतरा ! आप घर हश्री ममें बडप्रे
हमैं। यह सपुनकर 'अनपुहचत हहै, अनपुहचत हहै' कहकर सब लगोग पपुकरार उठप्रे। तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे
इशरारप्रे सप्रे लक्ष्मरजश्री कगो रगोक हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* लखन उतर आहह हत सररस भमृगपुबर कगोपपु कमृ सरानपु।
बढत दप्रेहख जल सम बचन बगोलप्रे रघपुकपुलभरानपु॥276॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री कप्रे उरर सप्रे, जगो आहह हत कप्रे समरान रप्रे, परशपुररामजश्री कप्रे कगोध रूपश्री अहग्नि कगो
बढतप्रे दप्रेखकर रघपुकपुल कप्रे सपूयर्ण शश्री ररामचमंदजश्री जल कप्रे समरान (शरामंत करनप्रे वरालप्रे) वचन बगोलप्रे-॥
276॥
चरौपराई :
*नरार करहह बरालक पर छगोहह। सपूध दधपू मपुख कररअ न कगोहह॥
जजौं पहै पभपु पभराउ कछपु जरानरा। तरौ हक बरराबरर करत अयरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार ! बरालक पर कमृ परा ककीहजए। इस सश्रीधप्रे और दधपू मपुहूँहप्रे बचप्रे पर कगोध न ककीहजए। यहद
यह पभपु करा (आपकरा) कपु छ भश्री पभराव जरानतरा, तगो क्यरा यह बप्रेसमझ आपककी बरराबरश्री करतरा ?॥
1॥
* जजौं लररकरा कछपु अचगरर करहहीं। गपुर हपतपु मरातपु मगोद मन भरहहीं॥
कररअ कमृ परा हससपु सप्रेवक जरानश्री। तपुम्ह सम सश्रील धश्रीर मपुहन ग्यरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-बरालक यहद कपु छ चपलतरा भश्री करतप्रे हमैं, तगो गपुर, हपतरा और मरातरा मन ममें आनमंद सप्रे भर
जरातप्रे हमैं। अतद्धाः इसप्रे छगोटरा बचरा और सप्रेवक जरानकर कमृ परा ककीहजए। आप तगो समदशर, सपुशश्रील, धश्रीर
और जरानश्री मपुहन हमैं॥2॥
* रराम बचन सपुहन कछपु क जपुडरानप्रे। कहह कछपु लखनपु बहह रर मपुसपुकरानप्रे॥
हहूँसत दप्रेहख नख हसख ररस ब्यरापश्री। रराम तगोर ररातरा बड परापश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे वचन सपुनकर वप्रे कपु छ ठमंडप्रे पडप्रे। इतनप्रे ममें लक्ष्मरजश्री कपु छ कहकर हफिर
मपुस्कपु ररा हदए। उनकगो हहूँसतप्रे दप्रेखकर परशपुररामजश्री कप्रे नख सप्रे हशखरा तक (सरारप्रे शरश्रीर ममें) कगोध छरा
गयरा। उन्हरनप्रे कहरा- हप्रे रराम! तप्रेररा भराई बडरा परापश्री हहै॥3॥
* गरौर सरश्रीर स्यराम मन मराहहीं। करालकपू ट मपुख पयमपुख नराहहीं॥
सहज टप्रेढ अनपुहरइ न तगोहश्री। नश्रीचपु मश्रीचपु सम दप्रेख न मगोहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यह शरश्रीर सप्रे गगोररा, पर हृदय करा बडरा करालरा हहै। यह हवषमपुख हहै, दधपू मपुहूँहरा नहहीं। स्वभराव
हश्री टप्रेढरा हहै, तप्रेररा अनपुसरर नहहीं करतरा (तप्रेरप्रे जहैसरा शश्रीलवरान नहहीं हहै)। यह नश्रीच मपुझप्रे कराल कप्रे
समरान नहहीं दप्रेखतरा॥4॥
दगोहरा :
* लखन कहप्रेउ हहूँहस सपुनहह मपुहन कगोधपु पराप कर मपूल।
जप्रेहह बस जन अनपुहचत करहहमं चरहहमं हबस्व पहतकपू ल॥277॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे हहूँसकर कहरा- हप्रे मपुहन! सपुहनए, कगोध पराप करा मपूल हहै, हजसकप्रे वश ममें
हगोकर मनपुष्य अनपुहचत कमर्ण कर बहैठतप्रे हमैं और हवश्वभर कप्रे पहतकपू ल चलतप्रे (सबकरा अहहत करतप्रे)
हमैं॥277॥
चरौपराई :
* ममैं तपुम्हरार अनपुचर मपुहनररायरा। पररहरर कगोपपु कररअ अब दरायरा॥
टपू ट चराप नहहमं जपुररहह ररसरानप्रे। बहैहठअ हगोइहहमं पराय हपररानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहनरराज! ममैं आपकरा दरास हह हूँ। अब कगोध त्यरागकर दयरा ककीहजए। टपू टरा हह आ धनपुष कगोध
करनप्रे सप्रे जपुड नहहीं जराएगरा। खडप्रे-खडप्रे पहैर दद्धाःपु खनप्रे लगप्रे हरगप्रे, बहैठ जराइए॥1॥
* जजौं अहत हपय तरौ कररअ उपराई। जगोररअ कगोउ बड गपुनश्री बगोलराई॥
बगोलत लखनहहमं जनकपु डप्रेरराहहीं। मष्टि करहह अनपुहचत भल नराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-यहद धनपुष अत्यन्त हश्री हपय हगो, तगो कगोई उपराय हकयरा जराए और हकसश्री बडप्रे गपुरश्री
(करारश्रीगर) कगो बपुलराकर जपुडवरा हदयरा जराए। लक्ष्मरजश्री कप्रे बगोलनप्रे सप्रे जनकजश्री डर जरातप्रे हमैं और
कहतप्रे हमैं- बस, चपुप रहहए, अनपुहचत बगोलनरा अच्छरा नहहीं॥2॥
* रर रर कराहूँपहहमं पपुर नर नरारश्री। छगोट कपु मरार खगोट बड भरारश्री॥
भमृगपुपहत सपुहन सपुहन हनरभय बरानश्री। ररस तन जरइ हगोई बल हरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जनकपपुर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष रर-रर कराहूँप रहप्रे हमैं (और मन हश्री मन कह रहप्रे हमैं हक) छगोटरा
कपु मरार बडरा हश्री खगोटरा हहै। लक्ष्मरजश्री ककी हनभर्णय वरारश्री सपुन-सपुनकर परशपुररामजश्री करा शरश्रीर कगोध सप्रे
जलरा जरा रहरा हहै और उनकप्रे बल ककी हराहन हगो रहश्री हहै (उनकरा बल घट रहरा हहै)॥3॥
* बगोलप्रे ररामहह दप्रेइ हनहगोररा। बचउहूँ हबचरारर बमंधपु लघपु तगोररा॥
मनपु मलश्रीन तनपु सपुमंदर कहै समें। हबष रस भररा कनक घटपु जहैसमें॥4॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री पर एहसरान जनराकर परशपुररामजश्री बगोलप्रे - तप्रेररा छगोटरा भराई समझकर ममैं
इसप्रे बचरा रहरा हह।हूँ यह मन करा महैलरा और शरश्रीर करा कहै सरा सपुदमं र हहै, जहैसप्रे हवष कप्रे रस सप्रे भररा हहआ
सगोनप्रे करा घडरा!॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन लहछमन हबहसप्रे बहह रर नयन तरप्रेरप्रे रराम।
गपुर समश्रीप गवनप्रे सकपु हच पररहरर बरानश्री बराम॥278॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर लक्ष्मरजश्री हफिर हहूँसप्रे। तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हतरछश्री नजर सप्रे उनककी ओर
दप्रेखरा, हजससप्रे लक्ष्मरजश्री सकपु चराकर, हवपरश्रीत बगोलनरा छगोडकर, गपुरजश्री कप्रे परास चलप्रे गए॥
278॥
चरौपराई :
* अहत हबनश्रीत ममृदपु सश्रीतल बरानश्री। बगोलप्रे ररामपु जगोरर जपुग परानश्री॥
सपुनहह नरार तपुम्ह सहज सपुजरानरा। बरालक बचनपु कररअ नहहमं करानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री दगोनर हरार जगोडकर अत्यन्त हवनय कप्रे सरार कगोमल और शश्रीतल वरारश्री
बगोलप्रे- हप्रे नरार! सपुहनए, आप तगो स्वभराव सप्रे हश्री सपुजरान हमैं। आप बरालक कप्रे वचन पर करान न
दश्रीहजए (उसप्रे सपुनरा-अनसपुनरा कर दश्रीहजए)॥1॥
*बररहै बरालकपु एकपु सपुभराऊ। इन्हहह न समंत हबदषपू हहमं कराऊ ॥
तप्रेहहमं नराहहीं कछपु कराज हबगराररा। अपरराधश्री ममैं नरार तपुम्हराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-बरर्रै और बरालक करा एक स्वभराव हहै। समंतजन इन्हमें कभश्री दगोष नहहीं लगरातप्रे। हफिर उसनप्रे
(लक्ष्मर नप्रे) तगो कपु छ कराम भश्री नहहीं हबगराडरा हहै, हप्रे नरार! आपकरा अपरराधश्री तगो ममैं हह हूँ॥2॥
* कमृ परा कगोपपु बधपु बहूँधब गगोसराई।मं मगो पर कररअ दरास ककी नराई॥मं
कहहअ बप्रेहग जप्रेहह हबहध ररस जराई। मपुहननरायक सगोइ करजौं उपराई॥3॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः हप्रे स्वरामश्री! कमृ परा, कगोध, वध और बमंधन, जगो कपु छ करनरा हगो, दरास ककी तरह
(अररार्णत दरास समझकर) मपुझ पर ककीहजए। हजस पकरार सप्रे शश्रीघ्र आपकरा कगोध दरपू हगो। हप्रे
मपुहनरराज! बतराइए, ममैं वहश्री उपराय करूहूँ॥3॥
* कह मपुहन रराम जराइ ररस कहै समें। अजहह हूँ अनपुज तव हचतव अनहैसमें॥
एहह कमें कमंठ कपु ठरार न दश्रीन्हरा। तरौ ममैं कहरा कगोपपु करर ककीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे कहरा- हप्रे रराम! कगोध कहै सप्रे जराए, अब भश्री तप्रेररा छगोटरा भराई टप्रेढरा हश्री तराक रहरा हहै।
इसककी गदर्णन पर ममैंनप्रे कपु ठरार न चलरायरा, तगो कगोध करकप्रे हकयरा हश्री क्यरा?॥4॥
दगोहरा :
* गभर्ण स्रवहहमं अवहनप रवहन सपुहन कपु ठरार गहत घगोर।
परसपु अछत दप्रेखउहूँ हजअत बहैरश्री भपूपहकसगोर॥279॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे हजस कपु ठरार ककी घगोर करनश्री सपुनकर रराजराओमं ककी हस्त्रयर कप्रे गभर्ण हगर पडतप्रे हमैं, उसश्री
फिरसप्रे कप्रे रहतप्रे ममैं इस शत्रपु रराजपपुत्र कगो जश्रीहवत दप्रेख रहरा हह हूँ॥279॥
चरौपराई :
* बहइ न हरारपु दहइ ररस छरातश्री। भरा कपु ठरार कपुमं हठत नमृपघरातश्री॥
भयउ बराम हबहध हफिरप्रेउ सपुभराऊ। मगोरप्रे हृदयहूँ कमृ परा कहस कराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-हरार चलतरा नहहीं, कगोध सप्रे छरातश्री जलश्री जरातश्री हहै। (हराय!) रराजराओमं करा घरातक यह
कपु ठरार भश्री कपु हण्ठत हगो गयरा। हवधरातरा हवपरश्रीत हगो गयरा, इससप्रे मप्रेररा स्वभराव बदल गयरा, नहहीं तगो
भलरा, मप्रेरप्रे हृदय ममें हकसश्री समय भश्री कमृ परा कहै सश्री?॥1॥
* आजपु दयरा दख पु पु दसपु ह सहरावरा। सपुहन सरौहमहत्र हबहहस हसर नरावरा॥
बराउ कमृ परा मपूरहत अनपुकपूलरा। बगोलत बचन झरत जनपु फिपू लरा॥2॥
भरावरारर्ण:-आज दयरा मपुझप्रे यह दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख सहरा रहश्री हहै। यह सपुनकर लक्ष्मरजश्री नप्रे मपुस्कपु रराकर हसर
नवरायरा (और कहरा-) आपककी कमृ परा रूपश्री वरायपु भश्री आपककी मपूहतर्ण कप्रे अनपुकपूल हश्री हहै, वचन बगोलतप्रे
हमैं, मरानगो फिपूल झड रहप्रे हमैं॥2॥
* जजौं पहै कमृ पराहूँ जररहहमं मपुहन गरातरा। कगोध भएहूँ तनपु रराख हबधरातरा॥
दप्रेखपु जनक हहठ बरालकपु एहह । ककीन्ह चहत जड जमपपुर गप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन ! यहद कमृ परा करनप्रे सप्रे आपकरा शरश्रीर जलरा जरातरा हहै, तगो कगोध हगोनप्रे पर तगो शरश्रीर
ककी रक्षरा हवधरातरा हश्री करमेंगप्रे। (परशपुररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे जनक! दप्रेख, यह मपूखर्ण बरालक हठ करकप्रे
यमपपुरश्री ममें घर (हनवरास) करनरा चराहतरा हहै॥3॥
* बप्रेहग करहह हकन आहूँहखन्ह ओटरा। दप्रेखत छगोट खगोट नमृपपु ढगोटरा॥
हबहसप्रे लखनपु कहरा मन मराहहीं। मपूदमें आहूँहख कतहह हूँ कगोउ नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-इसकगो शश्रीघ्र हश्री आहूँखर ककी ओट क्यर नहहीं करतप्रे? यह रराजपपुत्र दप्रेखनप्रे ममें छगोटरा हहै, पर हहै
बडरा खगोटरा। लक्ष्मरजश्री नप्रे हहूँसकर मन हश्री मन कहरा- आहूँख मपूहूँद लप्रेनप्रे पर कहहीं कगोई नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* परसपुररामपु तब रराम पहत बगोलप्रे उर अहत कगोधपु।
समंभपु सररासनपु तगोरर सठ करहस हमरार पबगोधपु॥280॥
भरावरारर्ण:-तब परशपुररामजश्री हृदय ममें अत्यन्त कगोध भरकर शश्री ररामजश्री सप्रे बगोलप्रे - अरप्रे शठ! तपू
हशवजश्री करा धनपुष तगोडकर उलटरा हमहीं कगो जरान हसखरातरा हहै॥ 280॥
चरौपराई :
* बमंधपु कहइ कटपु समंमत तगोरमें। तपू छल हबनय करहस कर जगोरमें॥
कर पररतगोषपु मगोर समंगरामरा। नराहहमं त छराड कहराउब ररामरा॥1॥
भरावरारर्ण:-तप्रेररा यह भराई तप्रेरश्री हश्री सम्महत सप्रे कटपु वचन बगोलतरा हहै और तपू छल सप्रे हरार जगोडकर
हवनय करतरा हहै। यरा तगो यद पु ममें मप्रेररा समंतगोष कर, नहहीं तगो रराम कहलरानरा छगोड दप्रे॥1॥
* छलपु तहज करहह समर हसवदगोहश्री। बमंधपु सहहत न त मरारउहूँ तगोहश्री॥
भमृगपुपहत बकहहमं कपु ठरार उठराएहूँ। मन मपुसपुकराहहमं ररामपु हसर नराएहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे हशवदगोहश्री! छल त्यरागकर मपुझसप्रे यद पु कर। नहहीं तगो भराई सहहत तपुझप्रे मरार डरालपूहूँगरा।
इस पकरार परशपुररामजश्री कपु ठरार उठराए बक रहप्रे हमैं और शश्री ररामचन्दजश्री हसर झपुकराए मन हश्री मन
मपुस्कपु ररा रहप्रे हमैं॥2॥
* गपुनह लखन कर हम पर रगोषपू। कतहह हूँ सपुधराइहह तप्रे बड दगोषपू॥
टप्रेढ जराहन सब बमंदइ कराहह। बक चमंदमहह गसइ न रराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मन हश्री मन कहरा-) गपुनराह (दगोष) तगो लक्ष्मर करा और कगोध मपुझ पर
करतप्रे हमैं। कहहीं-कहहीं सश्रीधप्रेपन ममें भश्री बडरा दगोष हगोतरा हहै। टप्रेढरा जरानकर सब लगोग हकसश्री ककी भश्री वमंदनरा
करतप्रे हमैं, टप्रेढप्रे चन्दमरा कगो रराहह भश्री नहहीं गसतरा॥3॥
* रराम कहप्रेउ ररस तहजअ मपुनश्रीसरा। कर कपु ठरार आगमें यह सश्रीसरा॥
जप्रेहहमं ररस जराइ कररअ सगोइ स्वरामश्री। मगोहह जराहनअ आपन अनपुगरामश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे (पकट) कहरा- हप्रे मपुनश्रीश्वर! कगोध छगोहडए। आपकप्रे हरार ममें कपु ठरार हहै
और मप्रेररा यह हसर आगप्रे हहै, हजस पकरार आपकरा कगोध जराए, हप्रे स्वरामश्री! वहश्री ककीहजए। मपुझप्रे अपनरा
अनपुचर (दरास) जराहनए॥4॥
दगोहरा :
* पभपुहह सप्रेवकहह समर कस तजहह हबपबर रगोसपु।
बप्रेषपु हबलगोकमें कहप्रेहस कछपु बरालकहह नहहमं दगोसपु॥281॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री और सप्रेवक ममें यद पु कहै सरा? हप्रे ब्रराहर शप्रेष! कगोध करा त्यराग ककीहजए। आपकरा
(वश्रीरर करा सरा) वप्रेष दप्रेखकर हश्री बरालक नप्रे कपु छ कह डरालरा ररा, वरास्तव ममें उसकरा भश्री कगोई दगोष
नहहीं हहै॥281॥
चरौपराई :
*दप्रेहख कपु ठरार बरान धनपु धरारश्री। भहै लररकहह ररस बश्रीर हबचरारश्री॥
नरामपु जरान पहै तपुम्हहह न चश्रीन्हरा। बमंस सपुभरायहूँ उतर तप्रेहहमं दश्रीन्हरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-आपकगो कपु ठरार, बरार और धनपुष धरारर हकए दप्रेखकर और वश्रीर समझकर बरालक कगो
कगोध आ गयरा। वह आपकरा नराम तगो जरानतरा ररा, पर उसनप्रे आपकगो पहचरानरा नहहीं। अपनप्रे वमंश
(रघपुवमंश) कप्रे स्वभराव कप्रे अनपुसरार उसनप्रे उरर हदयरा॥1॥
* जजौं तपुम्ह औतप्रेहह मपुहन ककी नराई।मं पद रज हसर हससपु धरत गगोसराई॥मं
छमहह चपूक अनजरानत कप्रे रश्री। चहहअ हबप उर कमृ परा घनप्रेरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-यहद आप मपुहन ककी तरह आतप्रे, तगो हप्रे स्वरामश्री! बरालक आपकप्रे चररर ककी धपूहल हसर पर
रखतरा। अनजरानप्रे ककी भपूल कगो क्षमरा कर दश्रीहजए। ब्रराहरर कप्रे हृदय ममें बहह त अहधक दयरा हगोनश्री
चराहहए॥2॥
* हमहह तपुम्हहह सररबरर कहस नराररा। कहहह न कहराहूँ चरन कहहूँ मराररा॥
रराम मरात्र लघपुनराम हमराररा। परसपु सहहत बड नराम तगोहराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हमरारश्री और आपककी बरराबरश्री कहै सश्री? कहहए न, कहराहूँ चरर और कहराहूँ मस्तक!
कहराहूँ मप्रेररा रराम मरात्र छगोटरा सरा नराम और कहराहूँ आपकरा परशपुसहहत बडरा नराम॥3॥
* दप्रेव एकपु गपुनपु धनपुष हमरारमें। नव गपुन परम पपुनश्रीत तपुम्हरारमें॥
सब पकरार हम तपुम्ह सन हरारप्रे। छमहह हबप अपरराध हमरारप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! हमरारप्रे तगो एक हश्री गपुर धनपुष हहै और आपकप्रे परम पहवत्र (शम, दम, तप, शरौच,
क्षमरा, सरलतरा, जरान, हवजरान और आहस्तकतरा यप्रे) नरौ गपुर हमैं। हम तगो सब पकरार सप्रे आपसप्रे हरारप्रे
हमैं। हप्रे हवप! हमरारप्रे अपरराधर कगो क्षमरा ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* बरार बरार मपुहन हबपबर कहरा रराम सन रराम।
बगोलप्रे भमृगपुपहत सरष हहस तहह हूँ बमंधपू सम बराम॥282॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे परशपुररामजश्री कगो बरार-बरार 'मपुहन' और 'हवपवर' कहरा। तब भमृगपुपहत
(परशपुररामजश्री) कपु हपत हगोकर (अरवरा कगोध ककी हहूँसश्री हहूँसकर) बगोलप्रे- तपू भश्री अपनप्रे भराई कप्रे समरान
हश्री टप्रेढरा हहै॥282॥
* हनपटहहमं हदज करर जरानहह मगोहश्री। ममैं जस हबप सपुनरावउहूँ तगोहश्री॥
चराप सपुवरा सर आहहहत जरानपू। कगोपपु मगोर अहत घगोर कमृ सरानपू॥1॥
भरावरारर्ण:-तपू मपुझप्रे हनररा ब्रराहर हश्री समझतरा हहै? ममैं जहैसरा हवप हह,हूँ तपुझप्रे सपुनरातरा हह हूँ। धनपुष कगो सपुरम वरा,
बरार कगो आहह हत और मप्रेरप्रे कगोध कगो अत्यन्त भयमंकर अहग्नि जरान॥1॥
* सहमहध सप्रेन चतपुरमंग सपुहराई। महरा महश्रीप भए पसपु आई॥
ममैं एहहमं परसपु कराहट बहल दश्रीन्हप्रे। समर जग्य जप कगोहटन्ह ककीन्हप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा सपुदमं र सहमधराएहूँ (यज ममें जलराई जरानप्रे वरालश्री लकहडयराहूँ) हमैं। बडप्रे-बडप्रे रराजरा
उसममें आकर बहल कप्रे पशपु हहए हमैं, हजनकगो ममैंनप्रे इसश्री फिरसप्रे सप्रे कराटकर बहल हदयरा हहै। ऐसप्रे करगोडर
जपयक्त पु ररयज ममैंनप्रे हकए हमैं (अररार्णत जहैसप्रे ममंत्रगोचरारर पपूवर्णक 'स्वराहरा' शब्द कप्रे सरार आहह हत दश्री
जरातश्री हहै, उसश्री पकरार ममैंनप्रे पपुकरार-पपुकरार कर रराजराओमं ककी बहल दश्री हहै)॥2॥
* मगोर पभराउ हबहदत नहहमं तगोरमें। बगोलहस हनदरर हबप कप्रे भगोरमें॥
भमंजप्रेउ चरापपु दरापपु बड बराढरा। अहहमहत मनहह हूँ जश्रीहत जगपु ठराढरा॥3॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा पभराव तपुझप्रे मरालपूम नहहीं हहै, इसश्री सप्रे तपू ब्रराहर कप्रे धगोखप्रे मप्रेररा हनररादर करकप्रे बगोल रहरा
हहै। धनपुष तगोड डरालरा, इससप्रे तप्रेररा घममंड बहह त बढ गयरा हहै। ऐसरा अहमंकरार हहै, मरानगो समंसरार कगो
जश्रीतकर खडरा हहै॥3॥
* रराम कहरा मपुहन कहहह हबचरारश्री। ररस अहत बहड लघपु चपूक हमरारश्री॥
छपु अतहहमं टपू ट हपनराक पपुररानरा। ममैं कप्रे हह हप्रेतपु करजौं अहभमरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! हवचरारकर बगोहलए। आपकरा कगोध बहह त बडरा हहै और
मप्रेरश्री भपूल बहह त छगोटश्री हहै। पपुररानरा धनपुष ररा, छपूतप्रे हश्री टपू ट गयरा। ममैं हकस करारर अहभमरान करूहूँ?॥4॥
दगोहरा :
* जजौं हम हनदरहहमं हबप बहद सत्य सपुनहह भमृगपुनरार।
तरौ अस कगो जग सपुभटपु जप्रेहह भय बस नरावहहमं मरार॥283॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भमृगपुनरार! यहद हम सचमपुच ब्रराहर कहकर हनररादर करतप्रे हमैं, तगो यह सत्य सपुहनए,
हफिर समंसरार ममें ऐसरा करौन यगोदरा हहै, हजसप्रे हम डरकप्रे मरारप्रे मस्तक नवराएहूँ?॥283॥
चरौपराई :
* दप्रेव दनपुज भपूपहत भट नरानरा। समबल अहधक हगोउ बलवरानरा॥
जजौं रन हमहह पचरारहै कगोऊ। लरहहमं सपुखप्रेन करालपु हकन हगोऊ ॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, दहैत्य, रराजरा यरा और बहह त सप्रे यगोदरा, वप्रे चराहप्रे बल ममें हमरारप्रे बरराबर हर चराहप्रे
अहधक बलवरान हर, यहद रर ममें हममें कगोई भश्री ललकरारप्रे तगो हम उससप्रे सपुखपपूवर्णक लडमेंगप्रे , चराहप्रे कराल
हश्री क्यर न हगो॥1॥
* छहत्रय तनपु धरर समर सकरानरा। कपु ल कलमंकपु तप्रेहहमं परावहूँर आनरा॥
कहउहूँ सपुभराउ न कपु लहह पसमंसश्री। करालहह डरहहमं न रन रघपुबस मं श्री॥2॥
भरावरारर्ण:-क्षहत्रय करा शरश्रीर धरकर जगो यद पु ममें डर गयरा, उस नश्रीच नप्रे अपनप्रे कपु ल पर कलमंक लगरा
हदयरा। ममैं स्वभराव सप्रे हश्री कहतरा हह,हूँ कपु ल ककी पशमंसरा करकप्रे नहहीं, हक रघपुवमंशश्री रर ममें कराल सप्रे भश्री
नहहीं डरतप्रे॥2॥
* हबपबमंस कहै अहस पभपुतराई। अभय हगोइ जगो तपुम्हहह डप्रेरराई॥
सपुहन ममृदपु गपूढ बचन रघपुपत कप्रे । उघरप्रे पटल परसपुधर महत कप्रे ॥3॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहरवमंश ककी ऐसश्री हश्री पभपुतरा (महहमरा) हहै हक जगो आपसप्रे डरतरा हहै, वह सबसप्रे हनभर्णय हगो
जरातरा हहै (अरवरा जगो भयरहहत हगोतरा हहै, वह भश्री आपसप्रे डरतरा हहै) शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे कगोमल और
रहस्यपपूरर्ण वचन सपुनकर परशपुररामजश्री ककी बपुहद कप्रे परदप्रे खपुल गए॥3॥
* रराम रमरापहत कर धनपु लप्रेहह। खमैंचहह हमटहै मगोर समंदप्रेहह॥
दप्रेत चरापपु आपपुहहमं चहल गयऊ। परसपुरराम मन हबसमय भयऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-(परशपुररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रराम! हप्रे लक्ष्मश्रीपहत! धनपुष कगो हरार ममें (अरवरा लक्ष्मश्रीपहत
हवष्रपु करा धनपुष) लश्रीहजए और इसप्रे खहींहचए, हजससप्रे मप्रेररा समंदप्रेह हमट जराए। परशपुररामजश्री धनपुष दप्रेनप्रे
लगप्रे, तब वह आप हश्री चलरा गयरा। तब परशपुररामजश्री कप्रे मन ममें बडरा आश्चयर्ण हह आ॥4॥
दगोहरा :
* जरानरा रराम पभराउ तब पपुलक पफिपु हल्लत गरात।
जगोरर पराहन बगोलप्रे बचन हृदयहूँ न पप्रेमपु अमरात॥284॥
भरावरारर्ण:-तब उन्हरनप्रे शश्री ररामजश्री करा पभराव जरानरा, (हजसकप्रे करारर) उनकरा शरश्रीर पपुलहकत और
पफिपु हल्लत हगो गयरा। वप्रे हरार जगोडकर वचन बगोलप्रे- पप्रेम उनकप्रे हृदय ममें समरातरा न ररा-॥284॥
चरौपराई :
* जय रघपुबमंस बनज बन भरानपू। गहन दनपुज कपु ल दहन कमृ सरानपू॥
जय सपुर हबप धप्रेनपु हहतकरारश्री। जय मद मगोह कगोह रम हरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुकपुल रूपश्री कमल वन कप्रे सपूयर्ण! हप्रे रराक्षसर कप्रे कपु ल रूपश्री घनप्रे जमंगल कगो जलरानप्रे वरालप्रे
अहग्नि! आपककी जय हगो! हप्रे दप्रेवतरा, ब्रराहर और गगो करा हहत करनप्रे वरालप्रे! आपककी जय हगो। हप्रे मद,
मगोह, कगोध और रम कप्रे हरनप्रे वरालप्रे! आपककी जय हगो॥1॥
* हबनय सश्रील करनरा गपुन सरागर। जयहत बचन रचनरा अहत नरागर॥
सप्रेवक सपुखद सपुभग सब अमंगरा। जय सरश्रीर छहब कगोहट अनमंगरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हवनय, शश्रील, कमृ परा आहद गपुरर कप्रे समपुद और वचनर ककी रचनरा ममें अत्यन्त चतपुर!
आपककी जय हगो। हप्रे सप्रेवकर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे, सब अमंगर सप्रे सपुदमं र और शरश्रीर ममें करगोडर करामदप्रेवर
ककी छहब धरारर करनप्रे वरालप्रे! आपककी जय हगो॥2॥
*करजौं कराह मपुख एक पसमंसरा। जय महप्रेस मन मरानस हमंसरा॥
अनपुहचत बहह त कहप्रेउहूँ अग्यरातरा। छमहह छमरा ममंहदर दगोउ ररातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं एक मपुख सप्रे आपककी क्यरा पशमंसरा करूहूँ? हप्रे महरादवप्रे जश्री कप्रे मन रूपश्री मरानसरगोवर कप्रे
हमंस! आपककी जय हगो। ममैंनप्रे अनजरानप्रे ममें आपकगो बहह त सप्रे अनपुहचत वचन कहप्रे। हप्रे क्षमरा कप्रे ममंहदर
दगोनर भराई! मपुझप्रे क्षमरा ककीहजए॥3॥
* कहह जय जय जय रघपुकपुलकप्रे तपू। भमृगपुपहत गए बनहह तप हप्रेतपू॥
अपभयहूँ कपु हटल महश्रीप डप्रेररानप्रे। जहहूँ तहहूँ करायर गवहूँहहमं पररानप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुकपुल कप्रे पतराकरा स्वरूप शश्री ररामचन्दजश्री! आपककी जय हगो, जय हगो, जय हगो। ऐसरा
कहकर परशपुररामजश्री तप कप्रे हलए वन कगो चलप्रे गए। (यह दप्रेखकर) दष्टिपु रराजरा लगोग हबनरा हश्री करारर
कप्रे (मनद्धाः कहल्पत) डर सप्रे (ररामचन्दजश्री सप्रे तगो परशपुररामजश्री भश्री हरार गए, हमनप्रे इनकरा अपमरान
हकयरा ररा, अब कहहीं यप्रे उसकरा बदलरा न लमें, इस व्यरर्ण कप्रे डर सप्रे डर गए) वप्रे करायर चपुपकप्रे सप्रे
जहराहूँ-तहराहूँ भराग गए॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेवन्ह दश्रीन्हहीं ददमंपु भपु हीं पभपु पर बरषहहमं फिपू ल।
हरषप्रे पपुर नर नरारर सब हमटश्री मगोहमय सपूल॥285॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे नगराडप्रे बजराए, वप्रे पभपु कप्रे ऊपर फिपूल बरसरानप्रे लगप्रे। जनकपपुर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष
सब हहषर्णत हगो गए। उनकरा मगोहमय (अजरान सप्रे उत्पन्न) शपूल हमट गयरा॥285॥
चरौपराई :
* अहत गहगहप्रे बराजनप्रे बराजप्रे। सबहहमं मनगोहर ममंगल सराजप्रे॥
जपूर जपूर हमहल सपुमपुहख सपुनयनहीं। करहहमं गरान कल कगोहकलबयनहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-खपूब जगोर सप्रे बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। सभश्री नप्रे मनगोहर ममंगल सराज सराजप्रे। सपुदमं र मपुख और सपुदमं र
नप्रेत्रर वरालश्री तररा कगोयल कप्रे समरान मधपुर बगोलनप्रे वरालश्री हस्त्रयराहूँ झपुडमं ककी झपुमंड हमलकर सपुदमं रगरान करनप्रे
लगहीं॥1॥
* सपुखपु हबदप्रेह कर बरहन न जराई। जन्मदररद मनहह हूँ हनहध पराई॥
हबगत त्ररास भइ सश्रीय सपुखरारश्री। जनपु हबधपु उदयहूँ चकगोरकपु मरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री कप्रे सपुख करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा, मरानगो जन्म करा दररदश्री धन करा
खजरानरा परा गयरा हगो! सश्रीतराजश्री करा भय जरातरा रहरा, वप्रे ऐसश्री सपुखश्री हहई मं जहैसप्रे चन्दमरा कप्रे उदय हगोनप्रे सप्रे
चकगोर ककी कन्यरा सपुखश्री हगोतश्री हहै॥2॥
* जनक ककीन्ह करौहसकहह पनरामरा। पभपु पसराद धनपु भमंजप्रेउ ररामरा॥
मगोहह कमृ तकमृ त्य ककीन्ह दहपु ह हूँ भराई।मं अब जगो उहचत सगो कहहअ गगोसराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री नप्रे हवश्वराहमत्रजश्री कगो परराम हकयरा (और कहरा-) पभपु हश्री ककी कमृ परा सप्रे शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे धनपुष तगोडरा हहै। दगोनर भराइयर नप्रे मपुझप्रे कमृ तरारर्ण कर हदयरा। हप्रे स्वरामश्री! अब जगो उहचत हगो
सगो कहहए॥3॥
* कह मपुहन सपुनपु नरनरार पबश्रीनरा। रहरा हबबराहह चराप आधश्रीनरा॥
टपू टतहहीं धनपु भयउ हबबराहह। सपुर नर नराग हबहदत सब कराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे कहरा- हप्रे चतपुर नरप्रेश ! सपुनगो यर तगो हववराह धनपुष कप्रे अधश्रीन ररा, धनपुष कप्रे टपू टतप्रे
हश्री हववराह हगो गयरा। दप्रेवतरा, मनपुष्य और नराग सब हकसश्री कगो यह मरालपूम हहै॥4॥
दशररजश्री कप्रे परास जनकजश्री करा दतपू भप्रेजनरा, अयगोध्यरा सप्रे बराररात करा पस्ररान
दगोहरा :
* तदहप जराइ तपुम्ह करहह अब जररा बमंस ब्यवहरार।
बपूहझ हबप कपु लबमृद गपुर बप्रेद हबहदत आचरार॥286॥
भरावरारर्ण:-तरराहप तपुम जराकर अपनप्रे कपु ल करा जहैसरा व्यवहरार हगो, ब्रराहरर, कपु ल कप्रे बपूढर और गपुरओमं
सप्रे पपूछकर और वप्रेदर ममें वहरर्णत जहैसरा आचरार हगो वहैसरा करगो॥ 286॥
चरौपराई :
* दतपू अवधपपुर पठवहह जराई। आनहहमं नमृप दसररहहमं बगोलराई॥
मपुहदत रराउ कहह भलप्रेहहमं कमृ परालरा। पठए दतपू बगोहल तप्रेहह करालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-जराकर अयगोध्यरा कगो दतपू भप्रेजगो, जगो रराजरा दशरर कगो बपुलरा लरावमें। रराजरा नप्रे पसन्न हगोकर
कहरा- हप्रे कमृ परालपु! बहह त अच्छरा! और उसश्री समय दतपू र कगो बपुलराकर भप्रेज हदयरा॥1॥
* बहह रर महराजन सकल बगोलराए। आइ सबहन्ह सरादर हसर नराए॥
हराट बराट ममंहदर सपुरबरासरा। नगर सहूँवरारहह चराररहह हूँ परासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर सब महराजनर कगो बपुलरायरा और सबनप्रे आकर रराजरा कगो आदरपपूवर्णक हसर नवरायरा।
(रराजरा नप्रे कहरा-) बराजरार, ररास्तप्रे, घर, दप्रेवरालय और सरारप्रे नगर कगो चरारर ओर सप्रे सजराओ॥2॥
* हरहष चलप्रे हनज हनज गमृह आए। पपुहन पररचरारक बगोहल पठराए॥
रचहह हबहचत्र हबतरान बनराई। हसर धरर बचन चलप्रे सचपु पराई॥3॥
भरावरारर्ण:-महराजन पसन्न हगोकर चलप्रे और अपनप्रे-अपनप्रे घर आए। हफिर रराजरा नप्रे नरौकरर कगो बपुलरा
भप्रेजरा (और उन्हमें आजरा दश्री हक) हवहचत्र ममंडप सजराकर तहैयरार करगो। यह सपुनकर वप्रे सब रराजरा कप्रे
वचन हसर पर धरकर और सपुख पराकर चलप्रे॥3॥
* पठए बगोहल गपुनश्री हतन्ह नरानरा। जप्रे हबतरान हबहध कपु सल सपुजरानरा॥
हबहधहह बमंहद हतन्ह ककीन्ह अरमंभरा। हबरचप्रे कनक कदहल कप्रे खमंभरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे अनप्रेक करारश्रीगरर कगो बपुलरा भप्रेजरा, जगो ममंडप बनरानप्रे ममें कपु शल और चतपुर रप्रे। उन्हरनप्रे
ब्रहरा ककी वमंदनरा करकप्रे करायर्ण आरमंभ हकयरा और (पहलप्रे) सगोनप्रे कप्रे कप्रे लप्रे कप्रे खमंभप्रे बनराए॥4॥
दगोहरा :
* हररत महनन्ह कप्रे पत्र फिल पदमपु रराग कप्रे फिपूल।
रचनरा दप्रेहख हबहचत्र अहत मनपु हबरमंहच कर भपूल॥287॥
भरावरारर्ण:-हरश्री-हरश्री महरयर (पन्नप्रे) कप्रे परप्रे और फिल बनराए तररा पदरराग महरयर (मराहरक) कप्रे
फिपूल बनराए। ममंडप ककी अत्यन्त हवहचत्र रचनरा दप्रेखकर ब्रहरा करा मन भश्री भपूल गयरा॥ 287॥
चरौपराई :
* बप्रेनपु हररत महनमय सब ककीन्हप्रे। सरल सपरब परहहमं नहहमं चश्रीन्हप्रे॥
कनक कहलत अहहबप्रेहल बनराई। लहख नहहमं परइ सपरन सपुहराई॥1॥
भरावरारर्ण:-बराहूँस सब हरश्री-हरश्री महरयर (पन्नप्रे) कप्रे सश्रीधप्रे और गराहूँठर सप्रे यक्त पु ऐसप्रे बनराए जगो पहचरानप्रे
नहहीं जरातप्रे रप्रे (हक महरयर कप्रे हमैं यरा सराधरारर)। सगोनप्रे ककी सपुदमं र नरागबप्रेलश्री (परान ककी लतरा) बनराई,
जगो परर सहहत ऐसश्री भलश्री मरालपूम हगोतश्री रश्री हक पहचरानश्री नहहीं जरातश्री रश्री॥ 1॥
* तप्रेहह कप्रे रहच पहच बमंध बनराए। हबच हबच मपुकपुतरा दराम सपुहराए॥
मराहनक मरकत कपु हलस हपरगोजरा। चश्रीरर कगोरर पहच रचप्रे सरगोजरा॥2॥
भरावरारर्ण:-उसश्री नरागबप्रेलश्री कप्रे रचकर और पचश्रीकरारश्री करकप्रे बमंधन (बराहूँधनप्रे ककी रस्सश्री) बनराए। बश्रीच-
बश्रीच ममें मगोहतयर ककी सपुदमं र झरालरमें हमैं। मराहरक, पन्नप्रे, हश्रीरप्रे और ह‍फिरगोजप्रे, इन रत्नर कगो चश्रीरकर,
कगोरकर और पचश्रीकरारश्री करकप्रे , इनकप्रे (लराल, हरप्रे, सफिप्रे द और हफिरगोजश्री रमंग कप्रे ) कमल बनराए॥
2॥
* हकए भमृमंग बहहरमंग हबहमंगरा। गपुमंजहहमं कपू जहहमं पवन पसमंगरा॥
सपुर पहतमरा खमंभन गहढ कराढहीं। ममंगल दब्य हलएहूँ सब ठराढहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-भजौंरप्रे और बहह त रमंगर कप्रे पक्षश्री बनराए, जगो हवरा कप्रे सहरारप्रे गपूहूँजतप्रे और कपू जतप्रे रप्रे। खमंभर पर
दप्रेवतराओमं ककी मपूहतर्णयराहूँ गढकर हनकरालहीं, जगो सब ममंगल दव्य हलए खडश्री रहीं॥3॥
* चरौकमें भराहूँहत अनप्रेक पपुरराई।मं हसमंधपुर महनमय सहज सपुहराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-गजमपुक्तराओमं कप्रे सहज हश्री सपुहरावनप्रे अनप्रेकर तरह कप्रे चरौक पपुरराए॥4॥
दगोहरा :
* सरौरभ पल्लव सपुभग सपुहठ हकए नश्रीलमहन कगोरर।
हप्रेम बरौर मरकत घवरर लसत पराटमय डगोरर॥288॥
भरावरारर्ण:-नश्रील महर कगो कगोरकर अत्यन्त सपुमंदर आम कप्रे परप्रे बनराए। सगोनप्रे कप्रे बरौर (आम कप्रे फिपूल)
और रप्रेशम ककी डगोरश्री सप्रे बहूँधप्रे हह ए पन्नप्रे कप्रे बनप्रे फिलर कप्रे गपुच्छप्रे सपुशगोहभत हमैं॥288॥
चरौपराई :
* रचप्रे रहचर बर बमंदहनवरारप्रे। मनहह हूँ मनगोभवहूँ फिमंद सहूँवरारप्रे॥
ममंगल कलश अनप्रेक बनराए। ध्वज पतराक पट चमर सपुहराए॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे सपुदमं र और उरम बमंदनवरार बनराए मरानगो करामदप्रेव नप्रे फिमंदप्रे सजराए हर। अनप्रेकर ममंगल
कलश और सपुदमं र ध्वजरा, पतराकरा, परदप्रे और चहूँवर बनराए॥1॥
* दश्रीप मनगोहर महनमय नरानरा। जराइ न बरहन हबहचत्र हबतरानरा॥
जप्रेहहमं ममंडप दल पु हहहन बहैदप्रेहश्री। सगो बरनहै अहस महत कहब कप्रे हश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हजसममें महरयर कप्रे अनप्रेकर सपुदमं र दश्रीपक हमैं, उस हवहचत्र ममंडप करा तगो वरर्णन हश्री नहहीं हकयरा
जरा सकतरा, हजस ममंडप ममें शश्री जरानककीजश्री दल पु हहन हरगश्री, हकस कहव ककी ऐसश्री बपुहद हहै जगो उसकरा
वरर्णन कर सकप्रे ॥2॥
* दल पू हह ररामपु रूप गपुन सरागर। सगो हबतरानपु हतहह हूँ लगोग उजरागर॥
जनक भवन कहै सगोभरा जहैसश्री। गमृह गमृह पहत पपुर दप्रेहखअ तहैसश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हजस ममंडप ममें रूप और गपुरर कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री दल्पू हप्रे हरगप्रे, वह ममंडप तश्रीनर लगोकर
ममें पहसद हगोनरा हश्री चराहहए। जनकजश्री कप्रे महल ककी जहैसश्री शगोभरा हहै, वहैसश्री हश्री शगोभरा नगर कप्रे पत्यप्रेक
घर ककी हदखराई दप्रेतश्री हहै॥3॥
* जप्रेहहमं तप्रेरहह हत तप्रेहह समय हनहरारश्री। तप्रेहह लघपु लगहहमं भपुवन दस चरारश्री॥
जगो समंपदरा नश्रीच गमृह सगोहरा। सगो हबलगोहक सपुरनरायक मगोहरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उस समय हजसनप्रे हतरहह त कगो दप्रेखरा, उसप्रे चरौदह भपुवन तपुच्छ जरान पडप्रे। जनकपपुर ममें नश्रीच
कप्रे घर भश्री उस समय जगो सम्पदरा सपुशगोहभत रश्री, उसप्रे दप्रेखकर इन्द भश्री मगोहहत हगो जरातरा ररा॥4॥
दगोहरा :
* बसइ नगर जप्रेहहमं लहच्छ करर कपट नरारर बर बप्रेषपु।
तप्रेहह पपुर कहै सगोभरा कहत सकपु चहहमं सरारद सप्रेषपु॥289॥
भरावरारर्ण:-हजस नगर ममें सराक्षरातम लक्ष्मश्रीजश्री कपट सप्रे स्त्रश्री करा सपुदमं र वप्रेष बनराकर बसतश्री हमैं , उस पपुर
ककी शगोभरा करा वरर्णन करनप्रे ममें सरस्वतश्री और शप्रेष भश्री सकपु चरातप्रे हमैं॥289॥
चरौपराई :
* पहह हूँचप्रे दतपू रराम पपुर परावन। हरषप्रे नगर हबलगोहक सपुहरावन॥
भपूप दरार हतन्ह खबरर जनराई। दसरर नमृप सपुहन हलए बगोलराई॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री कप्रे दतपू शश्री ररामचन्दजश्री ककी पहवत्र पपुरश्री अयगोध्यरा ममें पहह हूँचप्रे। सपुमंदर नगर दप्रेखकर वप्रे
हहषर्णत हहए। रराजदरार पर जराकर उन्हरनप्रे खबर भप्रेजश्री, रराजरा दशररजश्री नप्रे सपुनकर उन्हमें बपुलरा हलयरा॥
1॥
* करर पनरामपु हतन्ह परातश्री दश्रीन्हश्री। मपुहदत महश्रीप आपपु उहठ लश्रीन्हश्री॥
बरारर हबलगोचन बराहूँचत परातश्री। पपुलक गरात आई भरर छरातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-दतपू र नप्रे परराम करकप्रे हचटश्री दश्री। पसन्न हगोकर रराजरा नप्रे स्वयमं उठकर उसप्रे हलयरा। हचटश्री
बराहूँचतप्रे समय उनकप्रे नप्रेत्रर ममें जल (पप्रेम और आनमंद कप्रे आहूँसपू) छरा गयरा, शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा
और छरातश्री भर आई॥2॥
* ररामपु लखनपु उर कर बर चश्रीठश्री। रहह गए कहत न खराटश्री मश्रीठश्री॥
पपुहन धरर धश्रीर पहत्रकरा बराहूँचश्री। हरषश्री सभरा बरात सपुहन सराहूँचश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें रराम और लक्ष्मर हमैं, हरार ममें सपुदमं र हचटश्री हहै, रराजरा उसप्रे हरार ममें हलए हश्री रह गए,
खटश्री-मश्रीठश्री कपु छ भश्री कह न सकप्रे । हफिर धश्रीरज धरकर उन्हरनप्रे पहत्रकरा पढश्री। सरारश्री सभरा सचश्री बरात
सपुनकर हहषर्णत हगो गई॥3॥
* खप्रेलत रहप्रे तहराहूँ सपुहध पराई। आए भरतपु सहहत हहत भराई॥
पपूछत अहत सनप्रेहहूँ सकपु चराई। तरात कहराहूँ तमें परातश्री आई॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री अपनप्रे हमत्रर और भराई शत्रपुघ्न कप्रे सरार जहराहूँ खप्रेलतप्रे रप्रे, वहहीं समराचरार पराकर वप्रे
आ गए। बहह त पप्रेम सप्रे सकपु चरातप्रे हह ए पपूछतप्रे हमैं- हपतराजश्री! हचटश्री कहराहूँ सप्रे आई हहै?॥4॥
दगोहरा :
* कपु सल परानहपय बमंधपु दगोउ अहहहमं कहहह कप्रे हहमं दप्रेस।
सपुहन सनप्रेह सरानप्रे बचन बराचश्री बहह रर नरप्रेस॥290॥
भरावरारर्ण:- हमरारप्रे परारर सप्रे प्यरारप्रे दगोनर भराई, कहहए सकपु शल तगो हमैं और वप्रे हकस दप्रेश ममें हमैं? स्नप्रेह
सप्रे सनप्रे यप्रे वचन सपुनकर रराजरा नप्रे हफिर सप्रे हचटश्री पढश्री॥ 290॥
चरौपराई :
* सपुहन परातश्री पपुलकप्रे दगोउ ररातरा। अहधन सनप्रेहह समरात न गरातरा॥
पश्रीहत पपुनश्रीत भरत कहै दप्रेखश्री। सकल सभराहूँ सपुखपु लहप्रेउ हबसप्रेषश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हचटश्री सपुनकर दगोनर भराई पपुलहकत हगो गए। स्नप्रेह इतनरा अहधक हगो गयरा हक वह शरश्रीर ममें
समरातरा नहहीं। भरतजश्री करा पहवत्र पप्रेम दप्रेखकर सरारश्री सभरा नप्रे हवशप्रेष सपुख परायरा॥ 1॥
* तब नमृप दतपू हनकट बहैठरारप्रे। मधपुर मनगोहर बचन उचरारप्रे॥
भहैयरा कहहह कपु सल दगोउ बरारप्रे। तपुम्ह नश्रीकमें हनज नयन हनहरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा दतपू र कगो परास बहैठराकर मन कगो हरनप्रे वरालप्रे मश्रीठप्रे वचन बरालप्रे - भहैयरा! कहगो, दगोनर
बचप्रे कपु शल सप्रे तगो हमैं? तपुमनप्रे अपनश्री आहूँखर सप्रे उन्हमें अच्छश्री तरह दप्रेखरा हहै न?॥2॥
* स्यरामल गरौर धरमें धनपु भराररा। बय हकसगोर करौहसक मपुहन सराररा॥
पहहचरानहह तपुम्ह कहहह सपुभराऊ। पप्रेम हबबस पपुहन पपुहन कह रराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-सराहूँवलप्रे और गगोरप्रे शरश्रीर वरालप्रे वप्रे धनपुष और तरकस धरारर हकए रहतप्रे हमैं , हकशगोर अवस्ररा
हहै, हवश्वराहमत्र मपुहन कप्रे सरार हमैं। तपुम उनकगो पहचरानतप्रे हगो तगो उनकरा स्वभराव बतराओ। रराजरा पप्रेम कप्रे
हवशप्रेष वश हगोनप्रे सप्रे बरार-बरार इस पकरार कह (पपूछ) रहप्रे हमैं॥3॥
* जरा हदन तमें मपुहन गए लवराई। तब तमें आजपु सराहहूँ च सपुहध पराई॥
कहहह हबदप्रेह कवन हबहध जरानप्रे। सपुहन हपय बचन दतपू मपुसपुकरानप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:- (भहैयरा!) हजस हदन सप्रे मपुहन उन्हमें हलवरा लप्रे गए, तब सप्रे आज हश्री हमनप्रे सचश्री खबर पराई
हहै। कहगो तगो महरारराज जनक नप्रे उन्हमें कहै सप्रे पहचरानरा? यप्रे हपय (पप्रेम भरप्रे) वचन सपुनकर दतपू
मपुस्कपु रराए॥4॥
दगोहरा :
* सपुनहह महश्रीपहत मपुकपुट महन तपुम्ह सम धन्य न कगोउ।
ररामपु लखनपु हजन्ह कप्रे तनय हबस्व हबभपूषन दगोउ॥291॥
भरावरारर्ण:-(दतपू र नप्रे कहरा-) हप्रे रराजराओमं कप्रे मपुकपुटमहर! सपुहनए, आपकप्रे समरान धन्य और कगोई नहहीं
हहै, हजनकप्रे रराम-लक्ष्मर जहैसप्रे पपुत्र हमैं, जगो दगोनर हवश्व कप्रे हवभपूषर हमैं॥291॥
चरौपराई :
* पपूछन जगोगपु न तनय तपुम्हरारप्रे। पपुरषहसमंघ हतहह पपुर उहजआरप्रे॥
हजन्ह कप्रे जस पतराप कमें आगप्रे। सहस मलश्रीन रहब सश्रीतल लरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे पपुत्र पपूछनप्रे यगोग्य नहहीं हमैं। वप्रे पपुरषहसमंह तश्रीनर लगोकर कप्रे पकराश स्वरूप हमैं। हजनकप्रे
यश कप्रे आगप्रे चन्दमरा महलन और पतराप कप्रे आगप्रे सपूयर्ण शश्रीतल लगतरा हहै॥1॥
* हतन्ह कहहूँ कहहअ नरार हकहम चश्रीन्हप्रे। दप्रेहखअ रहब हक दश्रीप कर लश्रीन्हप्रे॥
सश्रीय स्वयमंबर भपूप अनप्रेकरा। सहमटप्रे सपुभट एक तमें एकरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! उनकप्रे हलए आप कहतप्रे हमैं हक उन्हमें कहै सप्रे पहचरानरा! क्यरा सपूयर्ण कगो हरार ममें दश्रीपक
लप्रेकर दप्रेखरा जरातरा हहै? सश्रीतराजश्री कप्रे स्वयमंवर ममें अनप्रेकर रराजरा और एक सप्रे एक बढकर यगोदरा एकत्र
हह ए रप्रे॥2॥
* समंभपु सररासनपु कराहहहूँ न टराररा। हरारप्रे सकल बश्रीर बररआररा॥
तश्रीहन लगोक महहूँ जप्रे भटमरानश्री। सभ कहै सकहत समंभपु धनपु भरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-परमंतपु हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो कगोई भश्री नहहीं हटरा सकरा। सरारप्रे बलवरान वश्रीर हरार गए। तश्रीनर
लगोकर ममें जगो वश्रीरतरा कप्रे अहभमरानश्री रप्रे, हशवजश्री कप्रे धनपुष नप्रे सबककी शहक्त तगोड दश्री॥3॥
* सकइ उठराइ सररासपुर मप्रेरू। सगोउ हहयहूँ हरारर गयउ करर फिप्रे रू॥
जप्रेहहमं करौतपुक हसवसहैलपु उठरावरा। सगोउ तप्रेहह सभराहूँ परराभउ परावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-बराररासपुर, जगो सपुमप्रेर कगो भश्री उठरा सकतरा ररा, वह भश्री हृदय ममें हरारकर पररकमरा करकप्रे
चलरा गयरा और हजसनप्रे खप्रेल सप्रे हश्री कहै लरास कगो उठरा हलयरा ररा, वह ररावर भश्री उस सभरा ममें परराजय
कगो पराप्त हहआ॥4॥
दगोहरा :
* तहराहूँ रराम रघपुबमंसमहन सपुहनअ महरा महहपराल।
भमंजप्रेउ चराप पयरास हबनपु हजहम गज पमंकज नराल॥292॥
भरावरारर्ण:-हप्रे महरारराज! सपुहनए, वहराहूँ (जहराहूँ ऐसप्रे-ऐसप्रे यगोदरा हरार मरान गए) रघपुवमंशमहर शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे हबनरा हश्री पयरास हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो वहैसप्रे हश्री तगोड डरालरा जहैसप्रे हरारश्री कमल ककी डमंडश्री
कगो तगोड डरालतरा हहै!॥292॥
चरौपराई :
* सपुहन सरगोष भमृगपुनरायकपु आए। बहह त भराहूँहत हतन्ह आहूँहख दप्रेखराए॥
दप्रेहख रराम बलपु हनज धनपु दश्रीन्हरा। कररबहह हबनय गवनपु बन ककीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-धनपुष टपू टनप्रे ककी बरात सपुनकर परशपुररामजश्री कगोध ममें भरप्रे आए और उन्हरनप्रे बहह त पकरार सप्रे
आहूँखमें हदखलराई।मं अमंत ममें उन्हरनप्रे भश्री शश्री ररामचन्दजश्री करा बल दप्रेखकर उन्हमें अपनरा धनपुष दप्रे हदयरा
और बहह त पकरार सप्रे हवनतश्री करकप्रे वन कगो गमन हकयरा॥1॥
* रराजन ररामपु अतपुलबल जहैसमें। तप्रेज हनधरान लखनपु पपुहन तहैसमें॥
कमंपहहमं भपूप हबलगोकत जराकमें। हजहम गज हरर हकसगोर कप्रे तराकमें॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! जहैसप्रे शश्री ररामचन्दजश्री अतपुलनश्रीय बलश्री हमैं, वहैसप्रे हश्री तप्रेज हनधरान हफिर लक्ष्मरजश्री
भश्री हमैं, हजनकप्रे दप्रेखनप्रे मरात्र सप्रे रराजरा लगोग ऐसप्रे कराहूँप उठतप्रे रप्रे, जहैसप्रे हरारश्री हसमंह कप्रे बचप्रे कप्रे तराकनप्रे सप्रे
कराहूँप उठतप्रे हमैं॥2॥
* दप्रेव दप्रेहख तव बरालक दगोऊ। अब न आहूँहख तर आवत कगोऊ ॥
दतपू बचन रचनरा हपय लरागश्री। पप्रेम पतराप बश्रीर रस परागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! आपकप्रे दगोनर बरालकर कगो दप्रेखनप्रे कप्रे बराद अब आहूँखर कप्रे नश्रीचप्रे कगोई आतरा हश्री नहहीं
(हमरारश्री दृहष्टि पर कगोई चढतरा हश्री नहहीं)। पप्रेम, पतराप और वश्रीर रस ममें पगश्री हह ई दतपू र ककी वचन रचनरा
सबकगो बहह त हपय लगश्री॥3॥
* सभरा समप्रेत रराउ अनपुररागप्रे। दतपू न्ह दप्रेन हनछरावरर लरागप्रे॥
कहह अनश्रीहत तप्रे मपूदहहमं करानरा। धरमपु हबचरारर सबहहमं सपुखपु मरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सभरा सहहत रराजरा पप्रेम ममें मग्नि हगो गए और दतपू र कगो हनछरावर दप्रेनप्रे लगप्रे। (उन्हमें हनछरावर दप्रेतप्रे
दप्रेखकर) यह नश्रीहत हवरद हहै, ऐसरा कहकर दतपू अपनप्रे हरारर सप्रे करान मपूहूँदनप्रे लगप्रे। धमर्ण कगो
हवचरारकर (उनकरा धमर्णयक्त पु बतरार्णव दप्रेखकर) सभश्री नप्रे सपुख मरानरा॥4॥
दगोहरा :
* तब उहठ भपूप बहसष्टि कहह हूँ दश्रीहन्ह पहत्रकरा जराई।
कररा सपुनराई गपुरहह सब सरादर दतपू बगोलराइ॥293॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा नप्रे उठकर वहशषजश्री कप्रे परास जराकर उन्हमें पहत्रकरा दश्री और आदरपपूवर्णक दतपू र कगो
बपुलराकर सरारश्री कररा गपुरजश्री कगो सपुनरा दश्री॥293॥
चरौपराई :
* सपुहन बगोलप्रे गपुर अहत सपुखपु पराई। पपुन्य पपुरष कहह हूँ महह सपुख छराई॥
हजहम सररतरा सरागर महह हूँ जराहहीं। जद्यहप तराहह करामनरा नराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-सब समराचरार सपुनकर और अत्यन्त सपुख पराकर गपुर बगोलप्रे- पपुण्यरात्मरा पपुरष कप्रे हलए पमृथ्वश्री
सपुखर सप्रे छराई हह ई हहै। जहैसप्रे नहदयराहूँ समपुद ममें जरातश्री हमैं, यद्यहप समपुद कगो नदश्री ककी करामनरा नहहीं हगोतश्री॥
1॥
* हतहम सपुख समंपहत हबनहहमं बगोलराएहूँ। धरमसश्रील पहहमं जराहहमं सपुभराएहूँ॥
तपुम्ह गपुर हबप धप्रेनपु सपुर सप्रेबश्री। तहस पपुनश्रीत करौसल्यरा दप्रेबश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वहैसप्रे हश्री सपुख और सम्पहर हबनरा हश्री बपुलराए स्वराभराहवक हश्री धमरार्णत्मरा पपुरष कप्रे परास जरातश्री
हहै। तपुम जहैसप्रे गपुर, ब्रराहर, गराय और दप्रेवतरा ककी सप्रेवरा करनप्रे वरालप्रे हगो, वहैसश्री हश्री पहवत्र करौसल्यरादप्रेवश्री
भश्री हमैं॥2॥
* सपुकमृतश्री तपुम्ह समरान जग मराहहीं। भयउ न हहै कगोउ हगोनप्रेउ नराहहीं॥
तपुम्ह तप्रे अहधक पपुन्य बड कराकमें। रराजन रराम सररस सपुत जराकमें॥3॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हरारप्रे समरान पपुण्यरात्मरा जगत ममें न कगोई हहआ, न हहै और न हगोनप्रे करा हश्री हहै। हप्रे रराजनम!
तपुमसप्रे अहधक पपुण्य और हकसकरा हगोगरा, हजसकप्रे रराम सरश्रीखप्रे पपुत्र हमैं॥3॥
* बश्रीर हबनश्रीत धरम ब्रत धरारश्री। गपुन सरागर बर बरालक चरारश्री॥
तपुम्ह कहह हूँ सबर्ण कराल कल्यरानरा। सजहह बररात बजराइ हनसरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-और हजसकप्रे चरारर बरालक वश्रीर, हवनम्र, धमर्ण करा व्रत धरारर करनप्रे वरालप्रे और गपुरर कप्रे
सपुमंदर समपुद हमैं। तपुम्हरारप्रे हलए सभश्री करालर ममें कल्यरार हहै। अतएव डमंकरा बजवराकर बराररात सजराओ॥
4॥
दगोहरा :
* चलहह बप्रेहग सपुहन गपुर बचन भलप्रेहहमं नरार हसर नराई।
भपूपहत गवनप्रे भवन तब दतपू न्ह बरासपु दप्रेवराइ॥294॥
भरावरारर्ण:-और जल्दश्री चलगो। गपुरजश्री कप्रे ऐसप्रे वचन सपुनकर, हप्रे नरार! बहह त अच्छरा कहकर और हसर
नवराकर तररा दतपू र कगो डप्रेररा हदलवराकर रराजरा महल ममें गए॥294॥
चरौपराई :
* रराजरा सबपु रहनवरास बगोलराई। जनक पहत्रकरा बराहच सपुनराई॥
सपुहन समंदस प्रे पु सकल हरषरानहीं। अपर कररा सब भपूप बखरानहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सरारप्रे रहनवरास कगो बपुलराकर जनकजश्री ककी पहत्रकरा बराहूँचकर सपुनराई। समराचरार
सपुनकर सब रराहनयराहूँ हषर्ण सप्रे भर गई।मं रराजरा नप्रे हफिर दस पू रश्री सब बरातर करा (जगो दतपू र कप्रे मपुख सप्रे सपुनश्री
रहीं) वरर्णन हकयरा॥1॥
* पप्रेम पफिपु हल्लत रराजहहमं ररानश्री। मनहह हूँ हसहखहन सपुहन बराररद बरानश्री॥
मपुहदत असश्रीस दप्रेहहमं गपुर नरारहीं। अहत आनमंद मगन महतरारहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम ममें पफिपु हल्लत हह ई रराहनयराहूँ ऐसश्री सपुशगोहभत हगो रहश्री हमैं, जहैसप्रे मगोरनश्री बरादलर ककी गरज
सपुनकर पफिपु हल्लत हगोतश्री हमैं। बडश्री-बपूढश्री (अरवरा गपुरओमं ककी) हस्त्रयराहूँ पसन्न हगोकर आशश्रीवरार्णद दप्रे रहश्री
हमैं। मरातराएहूँ अत्यन्त आनमंद ममें मग्नि हमैं॥2॥
* लप्रेहहमं परस्पर अहत हपय परातश्री। हृदयहूँ लगराई जपुडरावहहमं छरातश्री॥
रराम लखन कहै ककीरहत करनश्री। बरारहहमं बरार भपूपबर बरनश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उस अत्यन्त हपय पहत्रकरा कगो आपस ममें लप्रेकर सब हृदय सप्रे लगराकर छरातश्री शश्रीतल करतश्री
हमैं। रराजराओमं ममें शप्रेष दशररजश्री नप्रे शश्री रराम-लक्ष्मर ककी ककीहतर्ण और करनश्री करा बरारमंबरार वरर्णन हकयरा॥
3॥
* मपुहन पसरादपु कहह दरार हसधराए। रराहनन्ह तब महहदप्रेव बगोलराए॥
हदए दरान आनमंद समप्रेतरा। चलप्रे हबपबर आहसष दप्रेतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-'यह सब मपुहन ककी कमृ परा हहै' ऐसरा कहकर वप्रे बराहर चलप्रे आए। तब रराहनयर नप्रे ब्रराहरर कगो
बपुलरायरा और आनमंद सहहत उन्हमें दरान हदए। शप्रेष ब्रराहर आशश्रीवरादर्ण दप्रेतप्रे हहए चलप्रे॥4॥
सगोरठरा :
* जराचक हलए हहूँकरारर दश्रीहन्ह हनछरावरर कगोहट हबहध।
हचर जश्रीवहह हूँ सपुत चरारर चकबहतर्ण दसरत्र कप्रे ॥295॥
भरावरारर्ण:-हफिर हभक्षपुकर कगो बपुलराकर करगोडर पकरार ककी हनछरावरमें उनकगो दहीं। 'चकवतर महरारराज
दशरर कप्रे चरारर पपुत्र हचरमंजश्रीवश्री हर'॥295॥
चरौपराई :
* कहत चलप्रे पहहरमें पट नरानरा। हरहष हनप्रे गहगहप्रे हनसरानरा॥
समराचरार सब लगोगन्ह पराए। लरागप्रे घर-घर हगोन बधराए॥1॥
भरावरारर्ण:-यर कहतप्रे हहए वप्रे अनप्रेक पकरार कप्रे सपुमंदर वस्त्र पहन-पहनकर चलप्रे। आनमंहदत हगोकर नगराडप्रे
वरालर नप्रे बडप्रे जगोर सप्रे नगराडर पर चगोट लगराई। सब लगोगर नप्रे जब यह समराचरार परायरा, तब घर-घर
बधरावप्रे हगोनप्रे लगप्रे॥1॥
* भपुवन चराररदस भररा उछराहह। जनकसपुतरा रघपुबश्रीर हबआहह ॥
सपुहन सपुभ कररा लगोग अनपुररागप्रे। मग गमृह गलहीं सहूँवरारन लरागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-चरौदहर लगोकर ममें उत्सराह भर गयरा हक जरानककीजश्री और शश्री रघपुनरारजश्री करा हववराह हगोगरा।
यह शपुभ समराचरार पराकर लगोग पप्रेममग्नि हगो गए और ररास्तप्रे, घर तररा गहलयराहूँ सजरानप्रे लगप्रे॥2॥
* जद्यहप अवध सदहैव सपुहरावहन। ररामपपुरश्री ममंगलमय परावहन॥
तदहप पश्रीहत कहै पश्रीहत सपुहराई। ममंगल रचनरा रचश्री बनराई॥3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप अयगोध्यरा सदरा सपुहरावनश्री हहै, क्यरहक वह शश्री ररामजश्री ककी ममंगलमयश्री पहवत्र पपुरश्री हहै,
तरराहप पश्रीहत पर पश्रीहत हगोनप्रे सप्रे वह सपुमंदर ममंगल रचनरा सप्रे सजराई गई॥3॥
* ध्वज पतराक पट चरामर चरारू। छरावरा परम हबहचत्र बजरारू॥
कनक कलस तगोरन महन जरालरा। हरद दबपू दहध अच्छत मरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-ध्वजरा, पतराकरा, परदप्रे और सपुदमं र चहूँवरर सप्रे सराररा बराजरा बहह त हश्री अनपूठरा छरायरा हहआ हहै।
सगोनप्रे कप्रे कलश, तगोरर, महरयर ककी झरालरमें, हलदश्री, दबपू , दहश्री, अक्षत और मरालराओमं सप्रे-॥4॥
दगोहरा :
* ममंगलमय हनज हनज भवन लगोगन्ह रचप्रे बनराइ।
बश्रीरहीं सहींचहीं चतपुरसम चरौकमें चरार पपुरराइ॥296॥
भरावरारर्ण:-लगोगर नप्रे अपनप्रे-अपनप्रे घरर कगो सजराकर ममंगलमय बनरा हलयरा। गहलयर कगो चतपुर सम सप्रे
सहींचरा और (दरारर पर) सपुमंदर चरौक पपुरराए। (चमंदन, कप्रे शर, कस्तपूरश्री और कपपूर सप्रे बनप्रे हहए एक
सपुगमंहधत दव कगो चतपुरसम कहतप्रे हमैं)॥296॥
चरौपराई :
* जहहूँ तहहूँ जपूर जपूर हमहल भराहमहन। सहज नव सप्त सकल दहपु त दराहमहन॥
हबधपुबदनहीं ममृग सरावक लगोचहन। हनज सरूप रहत मरानपु हबमगोचहन॥1॥
भरावरारर्ण:-हबजलश्री ककी सश्री करामंहत वरालश्री चन्दमपुखश्री, हररन कप्रे बचप्रे कप्रे सप्रे नप्रेत्र वरालश्री और अपनप्रे सपुदमं र
रूप सप्रे करामदप्रेव ककी स्त्रश्री रहत कप्रे अहभमरान कगो छपु डरानप्रे वरालश्री सपुहराहगनश्री हस्त्रयराहूँ सभश्री सगोलहर शमृमंगरार
सजकर, जहराहूँ-तहराहूँ झपुमंड ककी झपुडमं हमलकर,॥1॥
* गरावहहमं ममंगल ममंजपुल बरानहीं। सपुहन कल रव कलकमंहठ लजरानहीं॥
भपूप भवन हकहम जराइ बखरानरा। हबस्व हबमगोहन रचप्रेउ हबतरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मनगोहर वरारश्री सप्रे ममंगल गश्रीत गरा रहश्री हमैं, हजनकप्रे सपुमंदर स्वर कगो सपुनकर कगोयलमें भश्री लजरा
जरातश्री हमैं। रराजमहल करा वरर्णन कहै सप्रे हकयरा जराए, जहराहूँ हवश्व कगो हवमगोहहत करनप्रे वरालरा ममंडप बनरायरा
गयरा हहै॥2॥
* ममंगल दब्य मनगोहर नरानरा। रराजत बराजत हबपपुल हनसरानरा॥
कतहह हूँ हबररद बमंदश्री उचरहहीं। कतहह हूँ बप्रेद धपुहन भपूसपुर करहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेकर पकरार कप्रे मनगोहर मरामंगहलक पदरारर्ण शगोहभत हगो रहप्रे हमैं और बहह त सप्रे नगराडप्रे बज रहप्रे
हमैं। कहहीं भराट हवरदरावलश्री (कपु लककीहतर्ण) करा उचरारर कर रहप्रे हमैं और कहहीं ब्रराहर वप्रेदध्वहन कर रहप्रे
हमैं॥3॥
* गरावहहमं सपुदमं रर ममंगल गश्रीतरा। लहै लहै नरामपु ररामपु अर सश्रीतरा॥
बहह त उछराहह भवनपु अहत रगोररा। मरानहह हूँ उमहग चलरा चहह ओररा॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदरश्री हस्त्रयराहूँ शश्री ररामजश्री और शश्री सश्रीतराजश्री करा नराम लप्रे -लप्रेकर ममंगलगश्रीत गरा रहश्री हमैं।
उत्सराह बहह त हहै और महल अत्यन्त हश्री छगोटरा हहै। इससप्रे (उसममें न समराकर) मरानगो वह उत्सराह
(आनमंद) चरारर ओर उमड चलरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सगोभरा दसरर भवन कइ कगो कहब बरनहै परार।
जहराहूँ सकल सपुर सश्रीस महन रराम लश्रीन्ह अवतरार॥297॥
भरावरारर्ण:-दशरर कप्रे महल ककी शगोभरा करा वरर्णन करौन कहव कर सकतरा हहै, जहराहूँ समस्त दप्रेवतराओमं
कप्रे हशरगोमहर ररामचन्दजश्री नप्रे अवतरार हलयरा हहै॥297॥
चरौपराई :
* भपूप भरत पपुहन हलए बगोलराई। हय गयस्यमंदन सराजहह जराई॥
चलहह बप्रेहग रघपुबश्रीर बररातरा। सपुनत पपुलक पपूरप्रे दगोउ ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर रराजरा नप्रे भरतजश्री कगो बपुलरा हलयरा और कहरा हक जराकर घगोडप्रे , हरारश्री और रर
सजराओ, जल्दश्री ररामचन्दजश्री ककी बराररात ममें चलगो। यह सपुनतप्रे हश्री दगोनर भराई (भरतजश्री और
शत्रपुघ्नजश्री) आनमंदवश पपुलक सप्रे भर गए॥1॥
* भरत सकल सराहनश्री बगोलराए। आयसपु दश्रीन्ह मपुहदत उहठ धराए॥
रहच रहच जश्रीन तपुरग हतन्ह सराजप्रे। बरन बरन बर बराहज हबरराजप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे सब सराहनश्री (घपुडसराल कप्रे अध्यक्ष) बपुलराए और उन्हमें (घगोडर कगो सजरानप्रे ककी)
आजरा दश्री, वप्रे पसन्न हगोकर उठ दरौडप्रे। उन्हरनप्रे रहच कप्रे सरार (यररायगोग्य) जश्रीनमें कसकर घगोडप्रे
सजराए। रमंग-रमंग कप्रे उरम घगोडप्रे शगोहभत हगो गए॥2॥
* सपुभग सकल सपुहठ चमंचल करनश्री। अय इव जरत धरत पग धरनश्री॥
नरानरा जराहत न जराहहमं बखरानप्रे। हनदरर पवनपु जनपु चहत उडरानप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-सब घगोडप्रे बडप्रे हश्री सपुदमं र और चमंचल करनश्री (चराल) कप्रे हमैं। वप्रे धरतश्री पर ऐसप्रे पहैर रखतप्रे हमैं
जहैसप्रे जलतप्रे हह ए लगोहप्रे पर रखतप्रे हर। अनप्रेकर जराहत कप्रे घगोडप्रे हमैं, हजनकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा। (ऐसश्री
तप्रेज चराल कप्रे हमैं) मरानगो हवरा करा हनररादर करकप्रे उडनरा चराहतप्रे हमैं॥3॥
* हतन्ह सब छयल भए असवराररा। भरत सररस बय रराजकपु मराररा॥
सब सपुदमं र सब भपूषनधरारश्री। कर सर चराप तपून कहट भरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उन सब घगोडर पर भरतजश्री कप्रे समरान अवस्ररा वरालप्रे सब छहैल-छबश्रीलप्रे रराजकपु मरार सवरार
हह ए। वप्रे सभश्री सपुदमं र हमैं और सब आभपूषर धरारर हकए हहए हमैं। उनकप्रे हरारर ममें बरार और धनपुष हमैं तररा
कमर ममें भरारश्री तरकस बहूँधप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* छरप्रे छबश्रीलप्रे छयल सब सपूर सपुजरान नबश्रीन।
जपुग पदचर असवरार पहत जप्रे अहसकलरा पबश्रीन॥298॥
भरावरारर्ण:-सभश्री चपुनप्रे हह ए छबश्रीलप्रे छहैल, शपूरवश्रीर, चतपुर और नवयवपु क हमैं। पत्यप्रेक सवरार कप्रे सरार दगो
पहैदल हसपराहश्री हमैं, जगो तलवरार चलरानप्रे ककी कलरा ममें बडप्रे हनपपुर हमैं॥298॥
चरौपराई :
* बराहूँधमें हबरद बश्रीर रन गराढप्रे। हनकहस भए पपुर बराहप्रेर ठराढप्रे॥
फिप्रे रहहमं चतपुर तपुरग गहत नरानरा। हरषहहमं सपुहन सपुहन पनव हनसरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शपूरतरा करा बरानरा धरारर हकए हह ए ररधश्रीर वश्रीर सब हनकलकर नगर कप्रे बराहर आ खडप्रे हह ए।
वप्रे चतपुर अपनप्रे घगोडर कगो तरह-तरह ककी चरालर सप्रे फिप्रे र रहप्रे हमैं और भप्रेरश्री तररा नगराडप्रे ककी आवराज
सपुन-सपुनकर पसन्न हगो रहप्रे हमैं॥1॥
* रर सरारहरन्ह हबहचत्र बनराए। ध्वज पतराक महन भपूषन लराए॥
चवहूँर चरार हकमंहकहन धपुहन करहहीं। भरानपु जरान सगोभरा अपहरहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-सरारहरयर नप्रे ध्वजरा, पतराकरा, महर और आभपूषरर कगो लगराकर ररर कगो बहह त हवलक्षर
बनरा हदयरा हहै। उनममें सपुदमं र चहूँवर लगप्रे हमैं और घमंहटयराहूँ सपुदमं र शब्द कर रहश्री हमैं। वप्रे रर इतनप्रे सपुदमं र हमैं ,
मरानगो सपूयर्ण कप्रे रर ककी शगोभरा कगो छश्रीनप्रे लप्रेतप्रे हमैं॥2॥
* सरावहूँकरन अगहनत हय हगोतप्रे। तप्रे हतन्ह ररन्ह सरारहरन्ह जगोतप्रे॥
सपुमंदर सकल अलमंकमृत सगोहप्रे। हजन्हहह हबलगोकत मपुहन मन मगोहप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-अगहरत श्यरामवरर्ण घगोडप्रे रप्रे। उनकगो सरारहरयर नप्रे उन ररर ममें जगोत हदयरा हहै , जगो सभश्री
दप्रेखनप्रे ममें सपुमंदर और गहनर सप्रे सजराए हह ए सपुशगोहभत हमैं और हजन्हमें दप्रेखकर मपुहनयर कप्रे मन भश्री मगोहहत
हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* जप्रे जल चलहहमं रलहह ककी नराई।मं टराप न बपूड बप्रेग अहधकराई॥मं
अस्त्र सस्त्र सबपु सराजपु बनराई। ररश्री सरारहरन्ह हलए बगोलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो जल पर भश्री जमश्रीन ककी तरह हश्री चलतप्रे हमैं। वप्रेग ककी अहधकतरा सप्रे उनककी टराप परानश्री ममें
नहहीं डपू बतश्री। अस्त्र-शस्त्र और सब सराज सजराकर सरारहरयर नप्रे रहरयर कगो बपुलरा हलयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* चहढ चहढ रर बराहप्रेर नगर लरागश्री जपुरन बररात।
हगोत सगपुन सपुमंदर सबहह जगो जप्रेहह करारज जरात॥299॥
भरावरारर्ण:-ररर पर चढ-चढकर बराररात नगर कप्रे बराहर जपुटनप्रे लगश्री, जगो हजस कराम कप्रे हलए जरातरा हहै,
सभश्री कगो सपुदमं र शकपु न हगोतप्रे हमैं॥299॥
चरौपराई :
* कहलत कररबरहन्ह परहीं अहूँबरारहीं। कहह न जराहहमं जप्रेहह भराहूँहत सहूँवरारहीं॥
चलप्रे मर गज घमंट हबरराजश्री। मनहह हूँ सपुभग सरावन घन रराजश्री॥1।
भरावरारर्ण:-शप्रेष हराहरयर पर सपुदमं र अमंबराररयराहूँ पडश्री हमैं। वप्रे हजस पकरार सजराई गई रहीं, सगो कहरा नहहीं
जरा सकतरा। मतवरालप्रे हरारश्री घमंटर सप्रे सपुशगोहभत हगोकर (घमंटप्रे बजरातप्रे हहए) चलप्रे, मरानगो सरावन कप्रे सपुमंदर
बरादलर कप्रे समपूह (गरतप्रे हह ए) जरा रहप्रे हर॥
* बराहन अपर अनप्रेक हबधरानरा। हसहबकरा सपुभग सपुखरासन जरानरा॥
हतन्ह चहढ चलप्रे हबपबर बमृमंदरा। जनपु तनपु धरमें सकल शपुहत छमंदरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर परालहकयराहूँ, सपुख सप्रे बहैठनप्रे यगोग्य तरामजरान (जगो कपु सरनपुमरा हगोतप्रे हमैं) और रर आहद
और भश्री अनप्रेकर पकरार ककी सवराररयराहूँ हमैं। उन पर शप्रेष ब्रराहरर कप्रे समपूह चढकर चलप्रे, मरानगो सब
वप्रेदर कप्रे छन्द हश्री शरश्रीर धरारर हकए हह ए हर॥2॥
* मरागध सपूत बमंहध गपुनगरायक। चलप्रे जरान चहढ जगो जप्रेहह लरायक॥
बप्रेसर ऊहूँट बमृषभ बहह जरातश्री। चलप्रे बस्तपु भरर अगहनत भराहूँतश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-मरागध, सपूत, भराट और गपुर गरानप्रे वरालप्रे सब, जगो हजस यगोग्य रप्रे, वहैसश्री सवरारश्री पर चढकर
चलप्रे। बहह त जराहतयर कप्रे खचर, ऊहूँट और बहैल असमंख्यर पकरार ककी वस्तपुएहूँ लराद-लरादकर चलप्रे॥3॥
* कगोहटन्ह कराहूँवरर चलप्रे कहराररा। हबहबध बस्तपु कगो बरनहै पराररा॥
चलप्रे सकल सप्रेवक समपुदराई। हनज हनज सराजपु समराजपु बनराई॥4॥
भरावरारर्ण:-कहरार करगोडर कराहूँवरमें लप्रेकर चलप्रे। उनममें अनप्रेकर पकरार ककी इतनश्री वस्तपुएहूँ रहीं हक हजनकरा
वरर्णन करौन कर सकतरा हहै। सब सप्रेवकर कप्रे समपूह अपनरा-अपनरा सराज-समराज बनराकर चलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सब कमें उर हनभर्णर हरषपु पपूररत पपुलक सरश्रीर।
कबहहमं दप्रेहखबप्रे नयन भरर ररामपु लखनपु दगोउ बश्रीर॥300॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे हृदय ममें अपरार हषर्ण हहै और शरश्रीर पपुलक सप्रे भरप्रे हमैं। (सबकगो एक हश्री लरालसरा लगश्री हहै
हक) हम शश्री रराम-लक्ष्मर दगोनर भराइयर कगो नप्रेत्र भरकर कब दप्रेखगमें प्रे॥300॥
चरौपराई :
* गरजहहमं गज घमंटरा धपुहन घगोररा। रर रव बराहज हहमंस चहह ओररा॥
हनदरर घनहह घपुम्मर्णरहहमं हनसरानरा। हनज परराइ कछपु सपुहनअ न करानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हरारश्री गरज रहप्रे हमैं, उनकप्रे घमंटर ककी भश्रीषर ध्वहन हगो रहश्री हहै। चरारर ओर ररर ककी
घरघरराहट और घगोडर ककी हहनहहनराहट हगो रहश्री हहै। बरादलर करा हनररादर करतप्रे हहए नगराडप्रे घगोर शब्द
कर रहप्रे हमैं। हकसश्री कगो अपनश्री-परराई कगोई बरात करानर सप्रे सपुनराई नहहीं दप्रेतश्री॥1॥
* महरा भश्रीर भपूपहत कप्रे दरारमें। रज हगोइ जराइ पषरान पबरारमें॥
चढश्री अटराररन्ह दप्रेखहहमं नरारहीं। हलएहूँ आरतश्री ममंगल ररारहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशरर कप्रे दरवराजप्रे पर इतनश्री भरारश्री भश्रीड हगो रहश्री हहै हक वहराहूँ पत्रर फिमें करा जराए तगो
वह भश्री हपसकर धपूल हगो जराए। अटराररयर पर चढश्री हस्त्रयराहूँ ममंगल ररालर ममें आरतश्री हलए दप्रेख रहश्री हमैं॥
2॥
* गरावहहमं गश्रीत मनगोहर नरानरा। अहत आनमंद पु न जराइ बखरानरा॥
तब सपुममंत्र दइपु स्यमंदन सराजश्री। जगोतप्रे रहब हय हनमंदक बराजश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-और नरानरा पकरार कप्रे मनगोहर गश्रीत गरा रहश्री हमैं। उनकप्रे अत्यन्त आनमंद करा बखरान नहहीं हगो
सकतरा। तब सपुमन्त्रजश्री नप्रे दगो रर सजराकर उनममें सपूयर्ण कप्रे घगोडर कगो भश्री मरात करनप्रे वरालप्रे घगोडप्रे जगोतप्रे॥
3॥
* दगोउ रर रहचर भपूप पहहमं आनप्रे। नहहमं सरारद पहहमं जराहहमं बखरानप्रे॥
रराज समराजपु एक रर सराजरा। दस पू र तप्रेज पपुमंज अहत रराजरा॥4॥
भरावरारर्ण:-दगोनर सपुमंदर रर वप्रे रराजरा दशरर कप्रे परास लप्रे आए, हजनककी सपुमंदरतरा करा वरर्णन सरस्वतश्री सप्रे
भश्री नहहीं हगो सकतरा। एक रर पर रराजसश्री सरामरान सजरायरा गयरा और द स पू ररा जगो तप्रेज करा पपुमंज और
अत्यन्त हश्री शगोभरायमरान ररा,॥4॥
दगोहरा :
* तप्रेहहमं रर रहचर बहसष कहह हूँ हरहष चढराई नरप्रेसपु।
आपपु चढप्रेउ स्यमंदन सपुहमरर हर गपुर गरौरर गनप्रेसपु॥301॥
भरावरारर्ण:-उस सपुदमं र रर पर रराजरा वहशषजश्री कगो हषर्ण पपूवर्णक चढराकर हफिर स्वयमं हशव, गपुर, गरौरश्री
(परावर्णतश्री) और गरप्रेशजश्री करा स्मरर करकप्रे (दस पू रप्रे) रर पर चढप्रे॥301॥
चरौपराई :
* सहहत बहसष सगोह नमृप कहै समें। सपुर गपुर समंग पपुरमंदर जहैसमें॥
करर कपु ल रश्रीहत बप्रेद हबहध रराऊ। दप्रेहख सबहह सब भराहूँहत बनराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-वहशषजश्री कप्रे सरार (जरातप्रे हहए) रराजरा दशररजश्री कहै सप्रे शगोहभत हगो रहप्रे हमैं, जहैसप्रे दप्रेव गपुर
बमृहस्पहतजश्री कप्रे सरार इन्द हर। वप्रेद ककी हवहध सप्रे और कपु ल ककी रश्रीहत कप्रे अनपुसरार सब करायर्ण करकप्रे
तररा सबकगो सब पकरार सप्रे सजप्रे दप्रेखकर,॥1॥
* सपुहमरर ररामपु गपुर आयसपु पराई। चलप्रे महश्रीपहत समंख बजराई॥
हरषप्रे हबबपुध हबलगोहक बररातरा। बरषहहमं सपुमन सपुममंगल दरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा स्मरर करकप्रे , गपुर ककी आजरा पराकर पमृथ्वश्री पहत दशररजश्री शमंख
बजराकर चलप्रे। बराररात दप्रेखकर दप्रेवतरा हहषर्णत हह ए और सपुदमं र ममंगलदरायक फिपूलर ककी वषरार्ण करनप्रे लगप्रे॥
2॥
* भयउ कगोलराहल हय गय गराजप्रे। ब्यगोम बररात बराजनप्रे बराजप्रे॥
सपुर नर नरारर सपुममंगल गराई।मं सरस रराग बराजहहमं सहनराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-बडरा शगोर मच गयरा, घगोडप्रे और हरारश्री गरजनप्रे लगप्रे। आकराश ममें और बराररात ममें (दगोनर
जगह) बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। दप्रेवरामंगनराएहूँ और मनपुष्यर ककी हस्त्रयराहूँ सपुदमं र ममंगलगरान करनप्रे लगहीं और रसश्रीलप्रे
रराग सप्रे शहनराइयराहूँ बजनप्रे लगहीं॥3॥
* घमंट घमंहट धपुहन बरहन न जराहहीं। सरव करहहमं पराइक फिहरराहहीं॥
करहहमं हबदषपू क करौतपुक नरानरा। हरास कपु सल कल गरान सपुजरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-घमंटप्रे-घमंहटयर ककी ध्वहन करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा। पहैदल चलनप्रे वरालप्रे सप्रेवकगर अरवरा
पटप्रेबराज कसरत कप्रे खप्रेल कर रहप्रे हमैं और फिहररा रहप्रे हमैं (आकराश ममें ऊहूँचप्रे उछलतप्रे हह ए जरा रहप्रे हमैं।)
हहूँसश्री करनप्रे ममें हनपपुर और सपुदमं र गरानप्रे ममें चतपुर हवदषपू क (मसखरप्रे) तरह-तरह कप्रे तमराशप्रे कर रहप्रे हमैं॥
4॥
दगोहरा :
* तपुरग नचरावहहमं कपु अहूँर बर अकहन ममृदमंग हनसरान।
नरागर नट हचतवहहमं चहकत डगहहमं न तराल बहूँधरान॥302॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर रराजकपु मरार ममृदमंग और नगराडप्रे कप्रे शब्द सपुनकर घगोडर कगो उन्हहीं कप्रे अनपुसरार इस
पकरार नचरा रहप्रे हमैं हक वप्रे तराल कप्रे बमंधरान सप्रे जररा भश्री हडगतप्रे नहहीं हमैं। चतपुर नट चहकत हगोकर यह दप्रेख
रहप्रे हमैं॥302॥
चरौपराई :
* बनइ न बरनत बनश्री बररातरा। हगोहहमं सगपुन सपुमंदर सपुभदरातरा॥
चराररा चराषपु बराम हदहस लप्रेई। मनहह हूँ सकल ममंगल कहह दप्रेई॥1॥
भरावरारर्ण:-बराररात ऐसश्री बनश्री हहै हक उसकरा वरर्णन करतप्रे नहहीं बनतरा। सपुदमं र शपुभदरायक शकपु न हगो रहप्रे हमैं।
नश्रीलकमंठ पक्षश्री बराई मं ओर चराररा लप्रे रहरा हहै, मरानगो सम्पपूरर्ण ममंगलर ककी सपूचनरा दप्रे रहरा हगो॥।1॥
* दराहहन कराग सपुखप्रेत सपुहरावरा। नकपु ल दरसपु सब कराहहहूँ परावरा॥
सरानपुकपूल बह हत्रहबध बयरारश्री। सघट सबराल आव बर नरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-दराहहनश्री ओर करौआ सपुदमं र खप्रेत ममें शगोभरा परा रहरा हहै। नप्रेवलप्रे करा दशर्णन भश्री सब हकसश्री नप्रे
परायरा। तश्रीनर पकरार ककी (शश्रीतल, ममंद, सपुगमंहधत) हवरा अनपुकपूल हदशरा ममें चल रहश्री हहै। शप्रेष
(सपुहराहगनश्री) हस्त्रयराहूँ भरप्रे हह ए घडप्रे और गगोद ममें बरालक हलए आ रहश्री हमैं॥2॥
* लगोवरा हफिरर हफिरर दरसपु दप्रेखरावरा। सपुरभश्री सनमपुख हससपुहह हपआवरा॥
ममृगमरालरा हफिरर दराहहहन आई। ममंगल गन जनपु दश्रीहन्ह दप्रेखराई॥3॥
भरावरारर्ण:-लगोमडश्री हफिर-हफिरकर (बरार-बरार) हदखराई दप्रे जरातश्री हहै। गरायमें सरामनप्रे खडश्री बछडर कगो दधपू
हपलरातश्री हमैं। हररनर ककी टगोलश्री (बराई मं ओर सप्रे) घपूमकर दराहहनश्री ओर कगो आई, मरानगो सभश्री ममंगलर करा
समपूह हदखराई हदयरा॥3॥
* छप्रेमकरश्री कह छप्रेम हबसप्रेषश्री। स्यरामरा बराम सपुतर पर दप्रेखश्री॥
सनमपुख आयउ दहध अर मश्रीनरा। कर पपुस्तक दइपु हबप पबश्रीनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-क्षप्रेमकरश्री (सफिप्रे द हसरवरालश्री चश्रील) हवशप्रेष रूप सप्रे क्षप्रेम (कल्यरार) कह रहश्री हहै। श्यरामरा
बराई मं ओर सपुदमं र पप्रेड पर हदखराई पडश्री। दहश्री, मछलश्री और दगो हवदरान ब्रराहर हरार ममें पपुस्तक हलए हह ए
सरामनप्रे आए॥4॥
दगोहरा :
* ममंगलमय कल्यरानमय अहभमत फिल दरातरार।
जनपु सब सराचप्रे हगोन हहत भए सगपुन एक बरार॥303॥
भरावरारर्ण:-सभश्री ममंगलमय, कल्यरारमय और मनगोवरामंहछत फिल दप्रेनप्रे वरालप्रे शकपु न मरानगो सचप्रे हगोनप्रे कप्रे
हलए एक हश्री सरार हगो गए॥303॥
चरौपराई :
* ममंगल सगपुन सपुगम सब तराकमें। सगपुन ब्रह सपुदमं र सपुत जराकमें॥
रराम सररस बर दल पु हहहन सश्रीतरा। समधश्री दसररपु जनकपु पपुनश्रीतरा॥1॥
भरावरारर्ण:-स्वयमं सगपुर ब्रह हजसकप्रे सपुदमं र पपुत्र हमैं, उसकप्रे हलए सब ममंगल शकपु न सपुलभ हमैं। जहराहूँ शश्री
ररामचन्दजश्री सरश्रीखप्रे दल्पू हरा और सश्रीतराजश्री जहैसश्री दलपु हहन हमैं तररा दशररजश्री और जनकजश्री जहैसप्रे पहवत्र
समधश्री हमैं,॥1॥
* सपुहन अस ब्यराहह सगपुन सब नराचप्रे। अब ककीन्हप्रे हबरमंहच हम सराहूँचप्रे॥
एहह हबहध ककीन्ह बररात पयरानरा। हय गय गराजहहमं हनप्रे हनसरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा ब्यराह सपुनकर मरानगो सभश्री शकपु न नराच उठप्रे (और कहनप्रे लगप्रे-) अब ब्रहराजश्री नप्रे
हमकगो सचरा कर हदयरा। इस तरह बराररात नप्रे पस्ररान हकयरा। घगोडप्रे , हरारश्री गरज रहप्रे हमैं और नगराडर
पर चगोट लग रहश्री हहै॥2॥
* आवत जराहन भरानपुकपुल कप्रे तपू। सररतहन्ह जनक बहूँधराए सप्रेतपू॥
बश्रीच-बश्रीच बर बरास बनराए। सपुरपपुर सररस समंपदरा छराए॥3॥
भरावरारर्ण:-सपूयवर्ण मंश कप्रे पतराकरा स्वरूप दशररजश्री कगो आतप्रे हहए जरानकर जनकजश्री नप्रे नहदयर पर पपुल
बहूँधवरा हदए। बश्रीच-बश्रीच ममें ठहरनप्रे कप्रे हलए सपुदमं र घर (पडराव) बनवरा हदए, हजनममें दप्रेवलगोक कप्रे
समरान सम्पदरा छराई हहै,॥3॥
* असन सयन बर बसन सपुहराए। परावहहमं सब हनज हनज मन भराए॥
हनत नपूतन सपुख लहख अनपुकपूलप्रे। सकल बरराहतन्ह ममंहदर भपूलप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-और जहराहूँ बराररात कप्रे सब लगोग अपनप्रे-अपनप्रे मन ककी पसमंद कप्रे अनपुसरार सपुहरावनप्रे उरम
भगोजन, हबस्तर और वस्त्र परातप्रे हमैं। मन कप्रे अनपुकपूल हनत्य नए सपुखर कगो दप्रेखकर सभश्री बरारराहतयर
कगो अपनप्रे घर भपूल गए॥4॥
दगोहरा :
* आवत जराहन बररात बर सपुहन गहगहप्रे हनसरान।
सहज गज रर पदचर तपुरग लप्रेन चलप्रे अगवरान॥304॥
भरावरारर्ण:-बडप्रे जगोर सप्रे बजतप्रे हह ए नगराडर ककी आवराज सपुनकर शप्रेष बराररात कगो आतश्री हहई जरानकर
अगवरानश्री करनप्रे वरालप्रे हरारश्री, रर, पहैदल और घगोडप्रे सजराकर बराररात लप्रेनप्रे चलप्रे॥304॥
मरासपराररायर दसवराहूँ हवशराम
बराररात करा जनकपपुर ममें आनरा और स्वरागतराहद
चरौपराई :
* कनक कलस भरर कगोपर रराररा। भराजन लहलत अनप्रेक पकराररा॥
भरप्रे सपुधरा सम सब पकवरानप्रे। नरानरा भराहूँहत न जराहहमं बखरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(दधपू , शबर्णत, ठमंडराई, जल आहद सप्रे) भरकर सगोनप्रे कप्रे कलश तररा हजनकरा वरर्णन नहहीं
हगो सकतरा ऐसप्रे अममृत कप्रे समरान भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे सब पकवरानर सप्रे भरप्रे हह ए पररात, रराल आहद अनप्रेक
पकरार कप्रे सपुदमं र बतर्णन,॥1॥
* फिल अनप्रेक बर बस्तपु सपुहराई।मं हरहष भमेंट हहत भपूप पठराई॥मं
भपूषन बसन महरामहन नरानरा। खग ममृग हय गय बहह हबहध जरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-उरम फिल तररा और भश्री अनप्रेकर सपुदमं र वस्तपुएहूँ रराजरा नप्रे हहषर्णत हगोकर भमेंट कप्रे हलए भप्रेजहीं।
गहनप्रे, कपडप्रे, नरानरा पकरार ककी मपूल्यवरान महरयराहूँ (रत्न), पक्षश्री, पशपु, घगोडप्रे, हरारश्री और बहह त
तरह ककी सवराररयराहूँ,॥2॥
* ममंगल सगपुन सपुगमंध सपुहराए। बहह त भराहूँहत महहपराल पठराए॥
दहध हचउररा उपहरार अपराररा। भरर भरर कराहूँवरर चलप्रे कहराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तररा बहह त पकरार कप्रे सपुगमंहधत एवमं सपुहरावनप्रे ममंगल दव्य और शगपुन कप्रे पदरारर्ण रराजरा नप्रे भप्रेजप्रे।
दहश्री, हचउडरा और अगहरत उपहरार ककी चश्रीजमें कराहूँवरर ममें भर-भरकर कहरार चलप्रे॥3॥
* अगवरानन्ह जब दश्रीहख बररातरा। उर आनमंद पु पपुलक भर गरातरा॥
दप्रेहख बनराव सहहत अगवरानरा। मपुहदत बरराहतन्ह हनप्रे हनसरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-अगवरानश्री करनप्रे वरालर कगो जब बराररात हदखराई दश्री, तब उनकप्रे हृदय ममें आनमंद छरा गयरा
और शरश्रीर रगोमरामंच सप्रे भर गयरा। अगवरानर कगो सज-धज कप्रे सरार दप्रेखकर बरारराहतयर नप्रे पसन्न हगोकर
नगराडप्रे बजराए॥4॥
दगोहरा :
* हरहष परसपर हमलन हहत कछपु क चलप्रे बगमप्रेल।
जनपु आनमंद समपुद दइपु हमलत हबहराइ सपुबप्रेल॥305॥
भरावरारर्ण:-(बराररातश्री तररा अगवरानर ममें सप्रे) कपु छ लगोग परस्पर हमलनप्रे कप्रे हलए हषर्ण कप्रे मरारप्रे बराग
छगोडकर (सरपट) दरौड चलप्रे और ऐसप्रे हमलप्रे मरानगो आनमंद कप्रे दगो समपुद मयरार्णदरा छगोडकर हमलतप्रे हर॥
305॥
चरौपराई :
* बरहष सपुमन सपुर सपुदमं रर गरावहहमं। मपुहदत दप्रेव ददमंपु भपु हीं बजरावहहमं॥
बस्तपु सकल रराखहीं नमृप आगमें। हबनय ककीहन्ह हतन्ह अहत अनपुररागमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवसपुमंदररयराहूँ फिपूल बरसराकर गश्रीत गरा रहश्री हमैं और दप्रेवतरा आनमंहदत हगोकर नगराडप्रे बजरा रहप्रे हमैं।
(अगवरानश्री ममें आए हहए) उन लगोगर नप्रे सब चश्रीजमें दशररजश्री कप्रे आगप्रे रख दहीं और अत्यन्त पप्रेम सप्रे
हवनतश्री ककी॥1॥
* पप्रेम समप्रेत ररायहूँ सबपु लश्रीन्हरा। भहै बकसश्रीस जराचकहन्ह दश्रीन्हरा॥
करर पपूजरा मरान्यतरा बडराई। जनवरासप्रे कहह हूँ चलप्रे लवराई॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशररजश्री नप्रे पप्रेम सहहत सब वस्तपुएहूँ लप्रे लहीं, हफिर उनककी बख्शश्रीशमें हगोनप्रे लगहीं और वप्रे
यराचकर कगो दप्रे दश्री गई।मं तदनन्तर पपूजरा, आदर-सत्करार और बडराई करकप्रे अगवरान लगोग उनकगो
जनवरासप्रे ककी ओर हलवरा लप्रे चलप्रे॥2॥
* बसन हबहचत्र पराहूँवडप्रे परहहीं। दप्रेहख धनद पु धन मदपु पररहरहहीं॥
अहत सपुदमं र दश्रीन्हप्रेउ जनवरासरा। जहहूँ सब कहह हूँ सब भराहूँहत सपुपरासरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हवलक्षर वस्त्रर कप्रे पराहूँवडप्रे पड रहप्रे हमैं, हजन्हमें दप्रेखकर कपु बप्रेर भश्री अपनप्रे धन करा अहभमरान
छगोड दप्रेतप्रे हमैं। बडरा सपुमंदर जनवरासरा हदयरा गयरा, जहराहूँ सबकगो सब पकरार करा सपुभश्रीतरा ररा॥3॥
* जरानश्री हसयहूँ बररात पपुर आई। कछपु हनज महहमरा पगहट जनराई॥
हृदयहूँ सपुहमरर सब हसहद बगोलराई।मं भपूप पहह नई करन पठराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री नप्रे बराररात जनकपपुर ममें आई जरानकर अपनश्री कपु छ महहमरा पकट करकप्रे हदखलराई।
हृदय ममें स्मररकर सब हसहदयर कगो बपुलरायरा और उन्हमें रराजरा दशररजश्री ककी मप्रेहमरानश्री करनप्रे कप्रे हलए
भप्रेजरा॥4॥
दगोहरा :
* हसहध सब हसय आयसपु अकहन गई मं जहराहूँ जनवरास।
हलएहूँ समंपदरा सकल सपुख सपुरपपुर भगोग हबलरास॥306॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी आजरा सपुनकर सब हसहदयराहूँ जहराहूँ जनवरासरा ररा, वहराहूँ सरारश्री सम्पदरा, सपुख
और इमंदपपुरश्री कप्रे भगोग-हवलरास कगो हलए हह ए गई॥मं 306॥
चरौपराई :
* हनज हनज बरास हबलगोहक बररातश्री। सपुर सपुख सकल सपुलभ सब भराहूँतश्री॥
हबभव भप्रेद कछपु कगोउ न जरानरा। सकल जनक कर करहहमं बखरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-बरारराहतयर नप्रे अपनप्रे-अपनप्रे ठहरनप्रे कप्रे स्ररान दप्रेखप्रे तगो वहराहूँ दप्रेवतराओमं कप्रे सब सपुखर कगो सब
पकरार सप्रे सपुलभ परायरा। इस ऐश्वयर्ण करा कपु छ भश्री भप्रेद कगोई जरान न सकरा। सब जनकजश्री ककी बडराई
कर रहप्रे हमैं॥1॥
* हसय महहमरा रघपुनरायक जरानश्री। हरषप्रे हृदयहूँ हप्रेतपु पहहचरानश्री॥
हपतपु आगमनपु सपुनत दगोउ भराई। हृदयहूँ न अहत आनमंद पु अमराई॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री यह सब सश्रीतराजश्री ककी महहमरा जरानकर और उनकरा पप्रेम पहचरानकर हृदय ममें
हहषर्णत हहए। हपतरा दशररजश्री कप्रे आनप्रे करा समराचरार सपुनकर दगोनर भराइयर कप्रे हृदय ममें महरान आनमंद
समरातरा न ररा॥2॥
* सकपु चन्ह कहह न सकत गपुर पराहहीं। हपतपु दरसन लरालचपु मन मराहहीं॥
हबस्वराहमत्र हबनय बहड दप्रेखश्री। उपजरा उर समंतगोषपु हबसप्रेषश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-समंकगोचवश वप्रे गपुर हवश्वराहमत्रजश्री सप्रे कह नहहीं सकतप्रे रप्रे, परन्तपु मन ममें हपतराजश्री कप्रे दशर्णनर
ककी लरालसरा रश्री। हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे उनककी बडश्री नम्रतरा दप्रेखश्री, तगो उनकप्रे हृदय ममें बहह त समंतगोष उत्पन्न
हह आ॥3॥
* हरहष बमंधपु दगोउ हृदयहूँ लगराए। पपुलक अमंग अमंबक जल छराए॥
चलप्रे जहराहूँ दसररपु जनवरासप्रे। मनहह हूँ सरगोबर तकप्रे उ हपआसप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-पसन्न हगोकर उन्हरनप्रे दगोनर भराइयर कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो
गयरा और नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा। वप्रे उस जनवरासप्रे कगो चलप्रे, जहराहूँ दशररजश्री रप्रे।
मरानगो सरगोवर प्यरासप्रे ककी ओर लक्ष्य करकप्रे चलरा हगो॥4॥
दगोहरा :
* भपूप हबलगोकप्रे जबहहमं मपुहन आवत सपुतन्ह समप्रेत।
उठप्रे हरहष सपुखहसमंधपु महह हूँ चलप्रे रराह सश्री लप्रेत॥307॥
भरावरारर्ण:-जब रराजरा दशररजश्री नप्रे पपुत्रर सहहत मपुहन कगो आतप्रे दप्रेखरा, तब वप्रे हहषर्णत हगोकर उठप्रे और
सपुख कप्रे समपुद ममें रराह सश्री लप्रेतप्रे हह ए चलप्रे॥307॥
चरौपराई :
* मपुहनहह दमंडवत ककीन्ह महश्रीसरा। बरार बरार पद रज धरर सश्रीसरा॥
करौहसक रराउ हलए उर लराई। कहह असश्रीस पपूछश्री कपु सलराई॥1॥
भरावरारर्ण:-पमृथ्वश्रीपहत दशररजश्री नप्रे मपुहन ककी चररधपूहल कगो बरारमंबरार हसर पर चढराकर उनकगो दण्डवतम
परराम हकयरा। हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे रराजरा कगो उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा और आशश्रीवरादर्ण दप्रेकर कपु शल
पपूछश्री॥1॥
* पपुहन दमंडवत करत दगोउ भराई। दप्रेहख नमृपहत उर सपुखपु न समराई॥
सपुत हहयहूँ लराइ दसपु ह दख पु मप्रेटप्रे। ममृतक सरश्रीर परान जनपु भमेंटप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर दगोनर भराइयर कगो दण्डवतम परराम करतप्रे दप्रेखकर रराजरा कप्रे हृदय ममें सपुख समरायरा नहहीं।
पपुत्रर कगो (उठराकर) हृदय सप्रे लगराकर उन्हरनप्रे अपनप्रे (हवयगोगजहनत) दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख कगो हमटरायरा।
मरानगो ममृतक शरश्रीर कगो परार हमल गए हर॥2॥
* पपुहन बहसष पद हसर हतन्ह नराए। पप्रेम मपुहदत मपुहनबर उर लराए॥
हबप बमृमंद बमंदप्रे दहपु ह हूँ भराई।मं मनभरावतश्री असश्रीसमें पराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर उन्हरनप्रे वहशषजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। मपुहन शप्रेष नप्रे पप्रेम कप्रे आनमंद ममें उन्हमें हृदय
सप्रे लगरा हलयरा। दगोनर भराइयर नप्रे सब ब्रराहरर ककी वमंदनरा ककी और मनभराए आशश्रीवरार्णद पराए॥3॥
* भरत सहरानपुज ककीन्ह पनरामरा। हलए उठराइ लराइ उर ररामरा॥
हरषप्रे लखन दप्रेहख दगोउ ररातरा। हमलप्रे पप्रेम पररपपूररत गरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न सहहत शश्री ररामचन्दजश्री कगो परराम हकयरा। शश्री ररामजश्री नप्रे उन्हमें
उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा। लक्ष्मरजश्री दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर हहषर्णत हह ए और पप्रेम सप्रे पररपपूरर्ण
हह ए शरश्रीर सप्रे उनसप्रे हमलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* पपुरजन पररजन जराहतजन जराचक ममंत्रश्री मश्रीत।
हमलप्रे जरराहबहध सबहह पभपु परम कमृ पराल हबनश्रीत॥308॥
भरावरारर्ण:-तदन्तर परम कमृ परालपु और हवनयश्री शश्री ररामचन्दजश्री अयगोध्यरावराहसयर, कपु टपु हम्बयर, जराहत
कप्रे लगोगर, यराचकर, ममंहत्रयर और हमत्रर सभश्री सप्रे यररा यगोग्य हमलप्रे॥308॥
* ररामहह दप्रेहख बररात जपुडरानश्री। पश्रीहत हक रश्रीहत न जराहत बखरानश्री॥
नमृप समश्रीप सगोहहहमं सपुत चरारश्री। जनपु धन धरमराहदक तनपुधरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर बराररात शश्रीतल हहई (रराम कप्रे हवयगोग ममें सबकप्रे हृदय ममें जगो
आग जल रहश्री रश्री, वह शरामंत हगो गई)। पश्रीहत ककी रश्रीहत करा बखरान नहहीं हगो सकतरा। रराजरा कप्रे परास
चरारर पपुत्र ऐसश्री शगोभरा परा रहप्रे हमैं, मरानगो अरर्ण, धमर्ण, कराम और मगोक्ष शरश्रीर धरारर हकए हहए हर॥1॥
चरौपराई :
* सपुतन्ह समप्रेत दसररहह दप्रेखश्री। मपुहदत नगर नर नरारर हबसप्रेषश्री॥
सपुमन बररहस सपुर हनहहमं हनसरानरा। नराकनटहीं नराचहहमं करर गरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पपुत्रर सहहत दशररजश्री कगो दप्रेखकर नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष बहह त हश्री पसन्न हगो रहप्रे हमैं। (आकराश
ममें) दप्रेवतरा फिपूलर ककी वषरार्ण करकप्रे नगराडप्रे बजरा रहप्रे हमैं और अप्सरराएहूँ गरा-गराकर नराच रहश्री हमैं॥2॥
* सतरानमंद अर हबप सहचव गन। मरागध सपूत हबदषपु बमंदश्रीजन॥
सहहत बररात रराउ सनमरानरा। आयसपु मराहग हफिरप्रे अगवरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-अगवरानश्री ममें आए हह ए शतरानमंदजश्री, अन्य ब्रराहर, ममंत्रश्रीगर, मरागध, सपूत, हवदरान और
भराटर नप्रे बराररात सहहत रराजरा दशररजश्री करा आदर-सत्करार हकयरा। हफिर आजरा लप्रेकर वप्रे वरापस
लरौटप्रे॥3॥
* परम बररात लगन तमें आई। तरातमें पपुर पमगोद पु अहधकराई॥
ब्रहरानमंदपु लगोग सब लहहहीं। बढहह हूँ हदवस हनहस हबहध सन कहहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-बराररात लग्नि कप्रे हदन सप्रे पहलप्रे आ गई हहै, इससप्रे जनकपपुर ममें अहधक आनमंद छरा रहरा हहै।
सब लगोग ब्रहरानमंद पराप्त कर रहप्रे हमैं और हवधरातरा सप्रे मनराकर कहतप्रे हमैं हक हदन-ररात बढ जराएहूँ (बडप्रे
हगो जराएहूँ)॥4॥
* ररामपु सश्रीय सगोभरा अवहध सपुकमृत अवहध दगोउ रराज।
जहहूँ तहहूँ पपुरजन कहहहमं अस हमहल नर नरारर समराज॥309॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामचन्दजश्री और सश्रीतराजश्री सपुमंदरतरा ककी सश्रीमरा हमैं और दगोनर रराजरा पपुण्य ककी सश्रीमरा हमैं ,
जहराहूँ-तहराहूँ जनकपपुरवरासश्री स्त्रश्री-पपुरषर कप्रे समपूह इकटप्रे हगो-हगोकर यहश्री कह रहप्रे हमैं॥309॥
चरौपराई :
* जनक सपुकमृत मपूरहत बहैदप्रेहश्री। दसरर सपुकमृत ररामपु धरमें दप्रेहश्री॥
इन्ह सम कराहहहूँ न हसव अवरराधप्रे। कराहहहूँ न इन्ह समरान फिल लराधप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री कप्रे सपुकमृत (पपुण्य) ककी मपूहतर्ण जरानककीजश्री हमैं और दशररजश्री कप्रे सपुकमृत दप्रेह धरारर
हकए हह ए शश्री ररामजश्री हमैं। इन (दगोनर रराजराओमं) कप्रे समरान हकसश्री नप्रे हशवजश्री ककी आरराधनरा नहहीं ककी
और न इनकप्रे समरान हकसश्री नप्रे फिल हश्री पराए॥1॥
* इन्ह सम कगोउ न भयउ जग मराहहीं। हहै नहहमं कतहह हूँ हगोनप्रेउ नराहहीं॥
हम सब सकल सपुकमृत कहै ररासश्री। भए जग जनहम जनकपपुर बरासश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-इनकप्रे समरान जगत ममें न कगोई हहआ, न कहहीं हहै, न हगोनप्रे करा हश्री हहै। हम सब भश्री सम्पपूरर्ण
पपुण्यर ककी रराहश हमैं, जगो जगत ममें जन्म लप्रेकर जनकपपुर कप्रे हनवरासश्री हहए,॥2॥
* हजन्ह जरानककी रराम छहब दप्रेखश्री। कगो सपुकमृतश्री हम सररस हबसप्रेषश्री॥
पपुहन दप्रेखब रघपुबश्रीर हबआहह । लप्रेब भलश्री हबहध लगोचन लराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-और हजन्हरनप्रे जरानककीजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब दप्रेखश्री हहै। हमरारप्रे सरश्रीखरा हवशप्रेष
पपुण्यरात्मरा करौन हगोगरा! और अब हम शश्री रघपुनरारजश्री करा हववराह दप्रेखगमें प्रे और भलश्रीभराहूँहत नप्रेत्रर करा
लराभ लमेंगप्रे॥3॥
* कहहहमं परसपर कगोहकलबयनहीं। एहह हबआहहूँ बड लराभपु सपुनयनहीं॥
बडमें भराग हबहध बरात बनराई। नयन अहतहर हगोइहहहमं दगोउ भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-कगोयल कप्रे समरान मधपुर बगोलनप्रे वरालश्री हस्त्रयराहूँ आपस ममें कहतश्री हमैं हक हप्रे सपुमंदर नप्रेत्रर वरालश्री !
इस हववराह ममें बडरा लराभ हहै। बडप्रे भराग्य सप्रे हवधरातरा नप्रे सब बरात बनरा दश्री हहै , यप्रे दगोनर भराई हमरारप्रे नप्रेत्रर
कप्रे अहतहर हहआ करमेंगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* बरारहहमं बरार सनप्रेह बस जनक बगोलराउब सश्रीय।
लप्रेन आइहहहमं बमंधपु दगोउ कगोहट कराम कमनश्रीय॥310॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री स्नप्रेहवश बरार-बरार सश्रीतराजश्री कगो बपुलरावमेंगप्रे और करगोडर करामदप्रेवर कप्रे समरान सपुमंदर
दगोनर भराई सश्रीतराजश्री कगो लप्रेनप्रे (हवदरा कररानप्रे) आयरा करमेंगप्रे॥310॥
चरौपराई :
* हबहबध भराहूँहत हगोइहह पहह नराई। हपय न कराहह अस सरासपुर मराई॥
तब तब रराम लखनहह हनहरारश्री। हगोइहहहमं सब पपुर लगोग सपुखरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब उनककी अनप्रेकर पकरार सप्रे पहह नराई हगोगश्री। सखश्री! ऐसश्री ससपुरराल हकसप्रे प्यरारश्री न हगोगश्री!
तब-तब हम सब नगर हनवरासश्री शश्री रराम-लक्ष्मर कगो दप्रेख-दप्रेखकर सपुखश्री हरगप्रे॥1॥
* सहख जस रराम लखन कर जगोटरा। तहैसप्रेइ भपूप समंग हह इ ढगोटरा॥
स्यराम गरौर सब अमंग सपुहराए। तप्रे सब कहहहमं दप्रेहख जप्रे आए॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखश्री! जहैसरा शश्री रराम-लक्ष्मर करा जगोडरा हहै, वहैसप्रे हश्री दगो कपु मरार रराजरा कप्रे सरार और भश्री
हमैं। वप्रे भश्री एक श्यराम और दस पू रप्रे गरौर वरर्ण कप्रे हमैं, उनकप्रे भश्री सब अमंग बहह त सपुदमं र हमैं। जगो लगोग उन्हमें
दप्रेख आए हमैं, वप्रे सब यहश्री कहतप्रे हमैं॥2॥
* कहरा एक ममैं आजपु हनहरारप्रे। जनपु हबरमंहच हनज हरार सहूँवरारप्रे॥
भरतपु रराम हश्री ककी अनपुहरारश्री। सहसरा लहख न सकहहमं नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-एक नप्रे कहरा- ममैंनप्रे आज हश्री उन्हमें दप्रेखरा हहै, इतनप्रे सपुदमं र हमैं, मरानगो ब्रहराजश्री नप्रे उन्हमें अपनप्रे
हरारर सहूँवराररा हहै। भरत तगो शश्री ररामचन्दजश्री ककी हश्री शकल-सपूरत कप्रे हमैं। स्त्रश्री-पपुरष उन्हमें सहसरा
पहचरान नहहीं सकतप्रे॥3॥
* लखनपु सत्रपुसपूदनपु एकरूपरा। नख हसख तप्रे सब अमंग अनपूपरा॥
मन भरावहहमं मपुख बरहन न जराहहीं। उपमरा कहह हूँ हत्रभपुवन कगोउ नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मर और शत्रपुघ्न दगोनर करा एक रूप हहै। दगोनर कप्रे नख सप्रे हशखरा तक सभश्री अमंग अनपुपम
हमैं। मन कगो बडप्रे अच्छप्रे लगतप्रे हमैं, पर मपुख सप्रे उनकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा। उनककी उपमरा कप्रे यगोग्य
तश्रीनर लगोकर ममें कगोई नहहीं हहै॥4॥
छन्द :
* उपमरा न कगोउ कह दरास तपुलसश्री कतहह हूँ कहब कगोहबद कहमैं।
बल हबनय हबद्यरा सश्रील सगोभरा हसमंधपु इन्ह सप्रे एइ अहमैं॥
पपुर नरारर सकल पसरारर अमंचल हबहधहह बचन सपुनरावहहीं॥
ब्यराहहअहह हूँ चराररउ भराइ एहहमं पपुर हम सपुममंगल गरावहहीं॥
भरावरारर्ण:-दरास तपुलसश्री कहतरा हहै कहव और कगोहवद (हवदरान) कहतप्रे हमैं, इनककी उपमरा कहहीं कगोई
नहहीं हहै। बल, हवनय, हवद्यरा, शश्रील और शगोभरा कप्रे समपुद इनकप्रे समरान यप्रे हश्री हमैं। जनकपपुर ककी सब
हस्त्रयराहूँ आहूँचल फिहैलराकर हवधरातरा कगो यह वचन (हवनतश्री) सपुनरातश्री हमैं हक चरारर भराइयर करा हववराह
इसश्री नगर ममें हगो और हम सब सपुमंदर ममंगल गरावमें।
सगोरठरा :
* कहहहमं परस्पर नरारर बरारर हबलगोचन पपुलक तन।
सहख सबपु करब पपुररारर पपुन्य पयगोहनहध भपूप दगोउ॥311॥
भरावरारर्ण:-नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भरकर पपुलहकत शरश्रीर सप्रे हस्त्रयराहूँ आपस ममें कह रहश्री हमैं हक
हप्रे सखश्री! दगोनर रराजरा पपुण्य कप्रे समपुद हमैं, हत्रपपुररारश्री हशवजश्री सब मनगोरर पपूरर्ण करमेंगप्रे॥311॥
चरौपराई :
* एहह हबहध सकल मनगोरर करहहीं। आनहूँद उमहग उमहग उर भरहहीं॥
जप्रे नमृप सश्रीय स्वयमंबर आए। दप्रेहख बमंधपु सब हतन्ह सपुख पराए॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब मनगोरर कर रहश्री हमैं और हृदय कगो उममंग -उममंगकर (उत्सराहपपूवर्णक)
आनमंद सप्रे भर रहश्री हमैं। सश्रीतराजश्री कप्रे स्वयमंवर ममें जगो रराजरा आए रप्रे, उन्हरनप्रे भश्री चरारर भराइयर कगो
दप्रेखकर सपुख परायरा॥1॥
* कहत रराम जसपु हबसद हबसरालरा। हनज हनज भवन गए महहपरालरा॥
गए बश्रीहत कछपु हदन एहह भराहूँतश्री। पमपुहदत पपुरजन सकल बररातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा हनमर्णल और महरान यश कहतप्रे हह ए रराजरा लगोग अपनप्रे-अपनप्रे घर गए।
इस पकरार कपु छ हदन बश्रीत गए। जनकपपुर हनवरासश्री और बराररातश्री सभश्री बडप्रे आनमंहदत हमैं॥ 2॥
* ममंगल मपूल लगन हदनपु आवरा। हहम ररतपु अगहनपु मरासपु सपुहरावरा॥
गह हतहर नखतपु जगोगपु बर बरारू। लगन सगोहध हबहध ककीन्ह हबचरारू॥3॥
भरावरारर्ण:-ममंगलर करा मपूल लग्नि करा हदन आ गयरा। हप्रेममंत ऋतपु और सपुहरावनरा अगहन करा महश्रीनरा ररा।
गह, हतहर, नक्षत्र, यगोग और वरार शप्रेष रप्रे। लग्नि (मपुहहतर्ण) शगोधकर ब्रहराजश्री नप्रे उस पर हवचरार
हकयरा,॥3॥
* पठहै दश्रीहन्ह नरारद सन सगोई। गनश्री जनक कप्रे गनकन्ह जगोई॥
सपुनश्री सकल लगोगन्ह यह बरातरा। कहहहमं जगोहतषश्री आहहमं हबधरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और उस (लग्नि पहत्रकरा) कगो नरारदजश्री कप्रे हरार (जनकजश्री कप्रे यहराहूँ) भप्रेज हदयरा। जनकजश्री
कप्रे ज्यगोहतहषयर नप्रे भश्री वहश्री गरनरा कर रखश्री रश्री। जब सब लगोगर नप्रे यह बरात सपुनश्री तब वप्रे कहनप्रे लगप्रे -
यहराहूँ कप्रे ज्यगोहतषश्री भश्री ब्रहरा हश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* धप्रेनपुधपूरर बप्रेलरा हबमल सकल सपुममंगल मपूल।
हबपन्ह कहप्रेउ हबदप्रेह सन जराहन सगपुन अनपुकपूल॥312॥
भरावरारर्ण:-हनमर्णल और सभश्री सपुदमं र ममंगलर ककी मपूल गगोधपूहल ककी पहवत्र बप्रेलरा आ गई और अनपुकपू ल
शकपु न हगोनप्रे लगप्रे, यह जरानकर ब्रराहरर नप्रे जनकजश्री सप्रे कहरा॥312॥
चरौपराई :
* उपरगोहहतहह कहप्रेउ नरनराहरा। अब हबलमंब कर करारनपु कराहरा॥
सतरानमंद तब सहचव बगोलराए। ममंगल सकल सराहज सब ल्यराए॥1॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा जनक नप्रे पपुरगोहहत शतरानमंदजश्री सप्रे कहरा हक अब दप्रेरश्री करा क्यरा करारर हहै। तब
शतरानमंदजश्री नप्रे ममंहत्रयर कगो बपुलरायरा। वप्रे सब ममंगल करा सरामरान सजराकर लप्रे आए॥1॥
* समंख हनसरान पनव बहह बराजप्रे। ममंगल कलस सगपुन सपुभ सराजप्रे॥
सपुभग सपुआहसहन गरावहहमं गश्रीतरा। करहहमं बप्रेद धपुहन हबप पपुनश्रीतरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शमंख, नगराडप्रे, ढगोल और बहह त सप्रे बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे तररा ममंगल कलश और शपुभ शकपु न ककी
वस्तपुएहूँ (दहध, दवपू रार्ण आहद) सजराई गई।मं सपुदमं र सपुहराहगन हस्त्रयराहूँ गश्रीत गरा रहश्री हमैं और पहवत्र ब्रराहर
वप्रेद ककी ध्वहन कर रहप्रे हमैं॥2॥
* लप्रेन चलप्रे सरादर एहह भराहूँतश्री। गए जहराहूँ जनवरास बररातश्री॥
कगोसलपहत कर दप्रेहख समराजपू। अहत लघपु लराग हतन्हहह सपुररराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग इस पकरार आदरपपूवर्णक बराररात कगो लप्रेनप्रे चलप्रे और जहराहूँ बरारराहतयर करा जनवरासरा
ररा, वहराहूँ गए। अवधपहत दशररजश्री करा समराज (वहैभव) दप्रेखकर उनकगो दप्रेवरराज इन्द भश्री बहह त हश्री
तपुच्छ लगनप्रे लगप्रे॥3॥
* भयउ समउ अब धराररअ पराऊ। यह सपुहन पररा हनसरानहहमं घराऊ ॥
गपुरहह पपूहछ करर कपु ल हबहध रराजरा। चलप्रे समंग मपुहन सराधपु समराजरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे जराकर हवनतश्री ककी-) समय हगो गयरा, अब पधराररए। यह सपुनतप्रे हश्री नगराडर पर
चगोट पडश्री। गपुर वहशषजश्री सप्रे पपूछकर और कपु ल ककी सब रश्रीहतयर कगो करकप्रे रराजरा दशररजश्री मपुहनयर
और सराधपुओमं कप्रे समराज कगो सरार लप्रेकर चलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* भराग्य हबभव अवधप्रेस कर दप्रेहख दप्रेव ब्रहराहद।
लगप्रे सरराहन सहस मपुख जराहन जनम हनज बराहद॥313॥
भरावरारर्ण:-अवध नरप्रेश दशररजश्री करा भराग्य और वहैभव दप्रेखकर और अपनरा जन्म व्यरर्ण समझकर,
ब्रहराजश्री आहद दप्रेवतरा हजरारर मपुखर सप्रे उसककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥ 313॥
चरौपराई :
* सपुरन्ह सपुममंगल अवसर जरानरा। बरषहहमं सपुमन बजराइ हनसरानरा॥
हसव ब्रहराहदक हबबपुध बरूररा। चढप्रे हबमरानहन्ह नरानरा जपूररा॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवगर सपुमंदर ममंगल करा अवसर जरानकर, नगराडप्रे बजरा-बजराकर फिपूल बरसरातप्रे हमैं। हशवजश्री,
ब्रहराजश्री आहद दप्रेववमृन्द यपूर (टगोहलयराहूँ) बनरा-बनराकर हवमरानर पर जरा चढप्रे॥1॥
* पप्रेम पपुलक तन हृदयहूँ उछराहह। चलप्रे हबलगोकन रराम हबआहह ॥
दप्रेहख जनकपपुर सपुर अनपुररागप्रे। हनज हनज लगोक सबहहमं लघपु लरागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-और पप्रेम सप्रे पपुलहकत शरश्रीर हगो तररा हृदय ममें उत्सराह भरकर शश्री ररामचन्दजश्री करा हववराह
दप्रेखनप्रे चलप्रे। जनकपपुर कगो दप्रेखकर दप्रेवतरा इतनप्रे अनपुरक्त हगो गए हक उन सबकगो अपनप्रे -अपनप्रे लगोक
बहह त तपुच्छ लगनप्रे लगप्रे॥2॥
* हचतवहहमं चहकत हबहचत्र हबतरानरा। रचनरा सकल अलरौहकक नरानरा।
नगर नरारर नर रूप हनधरानरा। सपुघर सपुधरम सपुसश्रील सपुजरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हवहचत्र ममंडप कगो तररा नरानरा पकरार ककी सब अलरौहकक रचनराओमं कगो वप्रे चहकत हगोकर दप्रेख
रहप्रे हमैं। नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष रूप कप्रे भमंडरार, सपुघड, शप्रेष धमरार्णत्मरा, सपुशश्रील और सपुजरान हमैं॥3॥
* हतन्हहह दप्रेहख सब सपुर सपुरनरारहीं। भए नखत जनपु हबधपु उहजआरहीं॥
हबहधहह भयउ आचरजपु हबसप्रेषश्री। हनज करनश्री कछपु कतहह हूँ न दप्रेखश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें दप्रेखकर सब दप्रेवतरा और दप्रेवरामंगनराएहूँ ऐसप्रे पभराहश्रीन हगो गए जहैसप्रे चन्दमरा कप्रे उहजयरालप्रे ममें
तराररागर फिकीकप्रे पड जरातप्रे हमैं। ब्रहराजश्री कगो हवशप्रेष आश्चयर्ण हहआ, क्यरहक वहराहूँ उन्हरनप्रे अपनश्री कगोई
करनश्री (रचनरा) तगो कहहीं दप्रेखश्री हश्री नहहीं॥4॥
दगोहरा :
* हसवहूँ समपुझराए दप्रेव सब जहन आचरज भपुलराहह।
हृदयहूँ हबचरारहह धश्रीर धरर हसय रघपुबश्रीर हबआहह ॥314॥
भरावरारर्ण:-तब हशवजश्री नप्रे सब दप्रेवतराओमं कगो समझरायरा हक तपुम लगोग आश्चयर्ण ममें मत भपूलगो। हृदय ममें
धश्रीरज धरकर हवचरार तगो करगो हक यह (भगवरान ककी महरामहहमरामयश्री हनजशहक्त) शश्री सश्रीतराजश्री करा
और (अहखल ब्रहराण्डर कप्रे परम ईश्वर सराक्षरातम भगवरान) शश्री ररामचन्दजश्री करा हववराह हहै॥314॥
चरौपराई :
* हजन्ह कर नरामपु लप्रेत जग मराहहीं। सकल अममंगल मपूल नसराहहीं॥
करतल हगोहहमं पदरारर चरारश्री। तप्रेइ हसय ररामपु कहप्रेउ करामरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा नराम लप्रेतप्रे हश्री जगत ममें सरारप्रे अममंगलर ककी जड कट जरातश्री हहै और चरारर पदरारर्ण
(अरर्ण, धमर्ण, कराम, मगोक्ष) मपुटश्री ममें आ जरातप्रे हमैं, यप्रे वहश्री (जगत कप्रे मरातरा-हपतरा) शश्री सश्रीतराररामजश्री
हमैं, कराम कप्रे शत्रपु हशवजश्री नप्रे ऐसरा कहरा॥1॥
* एहह हबहध समंभपु सपुरन्ह समपुझरावरा। पपुहन आगमें बर बसह चलरावरा॥
दप्रेवन्ह दप्रेखप्रे दसररपु जरातरा। महरामगोद मन पपुलहकत गरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार हशवजश्री नप्रे दप्रेवतराओमं कगो समझरायरा और हफिर अपनप्रे शप्रेष बहैल नमंदश्रीश्वर कगो आगप्रे
बढरायरा। दप्रेवतराओमं नप्रे दप्रेखरा हक दशररजश्री मन ममें बडप्रे हश्री पसन्न और शरश्रीर सप्रे पपुलहकत हह ए चलप्रे जरा
रहप्रे हमैं॥2॥
* सराधपु समराज समंग महहदप्रेवरा। जनपु तनपु धरमें करहहमं सपुख सप्रेवरा॥
सगोहत सरार सपुभग सपुत चरारश्री। जनपु अपबरग सकल तनपुधरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे सरार (परम हषर्णयक्त पु ) सराधओ पु मं और ब्रराहरर ककी ममंडलश्री ऐसश्री शगोभरा दप्रे रहश्री हहै,
मरानगो समस्त सपुख शरश्रीर धरारर करकप्रे उनककी सप्रेवरा कर रहप्रे हर। चरारर सपुदमं र पपुत्र सरार ममें ऐसप्रे
सपुशगोहभत हमैं, मरानगो सम्पपूरर्ण मगोक्ष (सरालगोक्य, सरामश्रीप्य, सरारूप्य, सरायज्पु य) शरश्रीर धरारर हकए हहए
हर॥3॥
* मरकत कनक बरन बर जगोरश्री। दप्रेहख सपुरन्ह भहै पश्रीहत न रगोरश्री॥
पपुहन ररामहह हबलगोहक हहयहूँ हरषप्रे। नमृपहह सरराहह सपुमन हतन्ह बरषप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मरकतमहर और सपुवरर्ण कप्रे रमंग ककी सपुदमं र जगोहडयर कगो दप्रेखकर दप्रेवतराओमं कगो कम पश्रीहत
नहहीं हह ई (अररार्णतम बहह त हश्री पश्रीहत हह ई)। हफिर ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर वप्रे हृदय ममें (अत्यन्त) हहषर्णत
हह ए और रराजरा ककी सरराहनरा करकप्रे उन्हरनप्रे फिपूल बरसराए॥4॥
दगोहरा :
* रराम रूपपु नख हसख सपुभग बरारहहमं बरार हनहरारर।
पपुलक गरात लगोचन सजल उमरा समप्रेत पपुररारर॥315॥
भरावरारर्ण:-नख सप्रे हशखरा तक शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सपुदमं र रूप कगो बरार-बरार दप्रेखतप्रे हहए परावर्णतश्रीजश्री
सहहत शश्री हशवजश्री करा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा और उनकप्रे नप्रेत्र (पप्रेमराशपुओमं कप्रे ) जल सप्रे भर गए॥
315॥
चरौपराई :
* कप्रे हक कमंठ दहपु त स्यरामल अमंगरा। तहडत हबहनमंदक बसन सपुरमंगरा॥
ब्यराह हबभपूषन हबहबध बनराए। ममंगल सब सब भराहूँहत सपुहराए॥1॥
भरावरारर्ण:-ररामजश्री करा मगोर कप्रे कमंठ ककी सश्री करामंहतवरालरा (हररतराभ) श्यराम शरश्रीर हहै। हबजलश्री करा
अत्यन्त हनररादर करनप्रे वरालप्रे पकराशमय सपुदमं र (पश्रीत) रमंग कप्रे वस्त्र हमैं। सब ममंगल रूप और सब
पकरार कप्रे सपुदमं र भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे हववराह कप्रे आभपूषर शरश्रीर पर सजराए हह ए हमैं॥1॥
* सरद हबमल हबधपु बदनपु सपुहरावन। नयन नवल रराजश्रीव लजरावन॥
सकल अलरौहकक सपुमंदरतराई। कहह न जराई मनहहीं मन भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-उनकरा सपुदमं र मपुख शरत्पपूहरर्णमरा कप्रे हनमर्णल चन्दमरा कप्रे समरान और (मनगोहर) नप्रेत्र नवश्रीन
कमल कगो लजरानप्रे वरालप्रे हमैं। सरारश्री सपुदमं रतरा अलरौहकक हहै। (मरायरा ककी बनश्री नहहीं हहै, हदव्य
सहचदरानन्दमयश्री हहै) वह कहहीं नहहीं जरा सकतश्री, मन हश्री मन बहह त हपय लगतश्री हहै॥2॥
* बमंधपु मनगोहर सगोहहहमं समंगरा। जरात नचरावत चपल तपुरमंगरा।
रराजकपु अहूँर बर बराहज दप्रेखरावहहमं। बमंस पसमंसक हबररद सपुनरावहहमं॥3॥
भरावरारर्ण:-सरार ममें मनगोहर भराई शगोहभत हमैं, जगो चमंचल घगोडर कगो नचरातप्रे हहए चलप्रे जरा रहप्रे हमैं।
रराजकपु मरार शप्रेष घगोडर कगो (उनककी चराल कगो) हदखलरा रहप्रे हमैं और वमंश ककी पशमंसरा करनप्रे वरालप्रे
(मरागध भराट) हवरदरावलश्री सपुनरा रहप्रे हमैं॥3॥
* जप्रेहह तपुरमंग पर ररामपु हबरराजप्रे। गहत हबलगोहक खगनरायकपु लराजप्रे॥
कहह न जराइ सब भराहूँहत सपुहरावरा। बराहज बप्रेषपु जनपु कराम बनरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजस घगोडप्रे पर शश्री ररामजश्री हवरराजमरान हमैं, उसककी (तप्रेज) चराल दप्रेखकर गरड भश्री लजरा
जरातप्रे हमैं, उसकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, वह सब पकरार सप्रे सपुमंदर हहै। मरानगो करामदप्रेव नप्रे हश्री घगोडप्रे करा
वप्रेष धरारर कर हलयरा हगो॥4॥
छन्द :
* जनपु बराहज बप्रेषपु बनराइ मनहसजपु रराम हहत अहत सगोहई।
आपनमें बय बल रूप गपुन गहत सकल भपुवन हबमगोहई॥
जगमगत जश्रीनपु जरराव जगोहत सपुमगोहत महन मराहनक लगप्रे।
हकमंहकहन ललराम लगरामपु लहलत हबलगोहकसपुर नर मपुहन ठगप्रे॥
भरावरारर्ण:-मरानगो शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हलए करामदप्रेव घगोडप्रे करा वप्रेश बनराकर अत्यन्त शगोहभत हगो रहरा हहै।
वह अपनश्री अवस्ररा, बल, रूप, गपुर और चराल सप्रे समस्त लगोकर कगो मगोहहत कर रहरा हहै। उसककी
सपुमंदर घपुहूँघरू लगश्री लहलत लगराम कगो दप्रेखकर दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन सभश्री ठगप्रे जरातप्रे हमैं।
दगोहरा :
* पभपु मनसहहमं लयलश्रीन मनपु चलत बराहज छहब पराव।
भपूहषत उडगन तहडत घनपु जनपु बर बरहह नचराव॥316॥
भरावरारर्ण:-पभपु ककी इच्छरा ममें अपनप्रे मन कगो लश्रीन हकए चलतरा हहआ वह घगोडरा बडश्री शगोभरा परा रहरा हहै।
मरानगो तराररागर तररा हबजलश्री सप्रे अलमंकमृत मप्रेघ सपुदमं र मगोर कगो नचरा रहरा हगो॥316॥
चरौपराई :
* जप्रेहहमं बर बराहज ररामपु असवराररा। तप्रेहह सरारदउ न बरनहै पराररा॥
समंकर रराम रूप अनपुररागप्रे। नयन पमंचदस अहत हपय लरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-हजस शप्रेष घगोडप्रे पर शश्री ररामचन्दजश्री सवरार हमैं, उसकरा वरर्णन सरस्वतश्रीजश्री भश्री नहहीं कर
सकतहीं। शमंकरजश्री शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप ममें ऐसप्रे अनपुरक्त हहए हक उन्हमें अपनप्रे पमंदह नप्रेत्र इस समय
बहह त हश्री प्यरारप्रे लगनप्रे लगप्रे॥1॥
* हरर हहत सहहत ररामपु जब जगोहप्रे। रमरा समप्रेत रमरापहत मगोहप्रे॥
हनरहख रराम छहब हबहध हरषरानप्रे। आठइ नयन जराहन पहछतरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भगवरान हवष्रपु नप्रे जब पप्रेम सहहत शश्री रराम कगो दप्रेखरा, तब वप्रे (रमरश्रीयतरा ककी मपूहतर्ण) शश्री
लक्ष्मश्रीजश्री कप्रे पहत शश्री लक्ष्मश्रीजश्री सहहत मगोहहत हगो गए। शश्री ररामचन्दजश्री ककी शगोभरा दप्रेखकर ब्रहराजश्री
बडप्रे पसन्न हहए, पर अपनप्रे आठ हश्री नप्रेत्र जरानकर पछतरानप्रे लगप्रे॥2॥
* सपुर सप्रेनप उर बहह त उछराहह। हबहध तप्रे डप्रेवढ लगोचन लराहह॥
ररामहह हचतव सपुरप्रेस सपुजरानरा। गरौतम शरापपु परम हहत मरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कप्रे सप्रेनरापहत स्वराहम कराहतर्णक कप्रे हृदय ममें बडरा उत्सराह हहै, क्यरहक वप्रे ब्रहराजश्री सप्रे
डगोढप्रे अररार्णत बरारह नप्रेत्रर सप्रे ररामदशर्णन करा सपुमंदर लराभ उठरा रहप्रे हमैं। सपुजरान इन्द (अपनप्रे हजरार नप्रेत्रर
सप्रे) शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेख रहप्रे हमैं और गरौतमजश्री कप्रे शराप कगो अपनप्रे हलए परम हहतकर मरान रहप्रे
हमैं॥3॥
* दप्रेव सकल सपुरपहतहह हसहराहहीं। आजपु पपुरदमं र सम कगोउ नराहहीं॥
मपुहदत दप्रेवगन ररामहह दप्रेखश्री। नमृपसमराज दहपु ह हूँ हरषपु हबसप्रेषश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-सभश्री दप्रेवतरा दप्रेवरराज इन्द सप्रे ईषरार्ण कर रहप्रे हमैं (और कह रहप्रे हमैं) हक आज इन्द कप्रे समरान
भराग्यवरान दस पू ररा कगोई नहहीं हहै। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर दप्रेवगर पसन्न हमैं और दगोनर रराजराओमं कप्रे
समराज ममें हवशप्रेष हषर्ण छरा रहरा हहै॥4॥
छन्द :
* अहत हरषपु रराजसमराज दहपु ह हदहस दमंदपु भपु हीं बराजहहमं घनश्री।
बरषहहमं सपुमन सपुर हरहष कहह जय जयहत जय रघपुकपुलमनश्री॥
एहह भराहूँहत जराहन बररात आवत बराजनप्रे बहह बराजहहीं।
ररानश्री सपुआहसहन बगोहल पररछहन हप्रेतपु ममंगल सराजहहीं॥
भरावरारर्ण:-दगोनर ओर सप्रे रराजसमराज ममें अत्यन्त हषर्ण हहै और बडप्रे जगोर सप्रे नगराडप्रे बज रहप्रे हमैं। दप्रेवतरा
पसन्न हगोकर और 'रघपुकपुलमहर शश्री रराम ककी जय हगो, जय हगो, जय हगो' कहकर फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं।
इस पकरार बराररात कगो आतश्री हह ई जरानकर बहह त पकरार कप्रे बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे और ररानश्री सपुहराहगन
हस्त्रयर कगो बपुलराकर परछन कप्रे हलए ममंगल दव्य सजरानप्रे लगहीं॥
दगोहरा :
* सहज आरतश्री अनप्रेक हबहध ममंगल सकल सहूँवरारर।
चलहीं मपुहदत पररछहन करन गजगराहमहन बर नरारर॥317॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक पकरार सप्रे आरतश्री सजकर और समस्त ममंगल दव्यर कगो यररायगोग्य सजराकर
गजगराहमनश्री (हरारश्री ककी सश्री चराल वरालश्री) उरम हस्त्रयराहूँ आनमंदपपूवर्णक परछन कप्रे हलए चलहीं॥317॥
चरौपराई :
* हबधपुबदनहीं सब सब ममृगलगोचहन। सब हनज तन छहब रहत मद पु मगोचहन॥
पहहरमें बरन बरन बर चश्रीररा। सकल हबभपूषन सजमें सरश्रीररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सभश्री हस्त्रयराहूँ चन्दमपुखश्री (चन्दमरा कप्रे समरान मपुख वरालश्री) और सभश्री ममृगलगोचनश्री (हररर ककी
सश्री आहूँखर वरालश्री) हमैं और सभश्री अपनप्रे शरश्रीर ककी शगोभरा सप्रे रहत कप्रे गवर्ण कगो छपु डरानप्रे वरालश्री हमैं। रमंग-रमंग
ककी सपुमंदर सराहडयराहूँ पहनप्रे हमैं और शरश्रीर पर सब आभपूषर सजप्रे हहए हमैं॥1॥
* सकल सपुममंगल अमंग बनराएहूँ। करहहमं गरान कलकमंहठ लजराएहूँ॥
कमंकन हकमंहकहन नपूपपुर बराजहहमं। चराहल हबलगोहक कराम गज लराजहहमं॥2॥
भरावरारर्ण:-समस्त अमंगर कगो सपुदमं र ममंगल पदरारर्मों सप्रे सजराए हहए वप्रे कगोयल कगो भश्री लजरातश्री हह ई (मधपुर
स्वर सप्रे) गरान कर रहश्री हमैं। कमंगन, करधनश्री और नपूपपुर बज रहप्रे हमैं। हस्त्रयर ककी चराल दप्रेखकर करामदप्रेव
कप्रे हरारश्री भश्री लजरा जरातप्रे हमैं॥2॥
* बराजहहमं बराजनप्रे हबहबध पकराररा। नभ अर नगर सपुममंगलचराररा॥
सचश्री सरारदरा रमरा भवरानश्री। जप्रे सपुरहतय सपुहच सजह सयरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक पकरार कप्रे बराजप्रे बज रहप्रे हमैं, आकराश और नगर दगोनर स्ररानर ममें सपुदमं र ममंगलराचरार हगो
रहप्रे हमैं। शचश्री (इन्दरारश्री), सरस्वतश्री, लक्ष्मश्री, परावर्णतश्री और जगो स्वभराव सप्रे हश्री पहवत्र और सयरानश्री
दप्रेवरामंगनराएहूँ रहीं,॥3॥
* कपट नरारर बर बप्रेष बनराई। हमलश्री सकल रहनवरासहहमं जराई॥
करहहमं गरान कल ममंगल बरानहीं। हरष हबबस सब कराहहहूँ न जरानहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब कपट सप्रे सपुदमं र स्त्रश्री करा वप्रेश बनराकर रहनवरास ममें जरा हमलहीं और मनगोहर वरारश्री सप्रे
ममंगलगरान करनप्रे लगहीं। सब कगोई हषर्ण कप्रे हवशप्रेष वश रप्रे, अतद्धाः हकसश्री नप्रे उन्हमें पहचरानरा नहहीं॥4॥
छन्द :
* कगो जरान कप्रे हह आनमंद बस सब ब्रहपु बर पररछन चलश्री।
कल गरान मधपुर हनसरान बरषहहमं सपुमन सपुर सगोभरा भलश्री॥
आनमंदकमंदपु हबलगोहक दल पू हह सकलहहयहूँ हरहषत भई।
अमंभगोज अमंबक अमंबपु उमहग सपुअमंग पपुलकरावहल छई॥
भरावरारर्ण:-करौन हकसप्रे जरानप्रे-पहहचरानप्रे! आनमंद कप्रे वश हह ई सब दल पू ह बनप्रे हह ए ब्रह करा परछन करनप्रे
चलहीं। मनगोहर गरान हगो रहरा हहै। मधपुर-मधपुर नगराडप्रे बज रहप्रे हमैं, दप्रेवतरा फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं, बडश्री अच्छश्री
शगोभरा हहै। आनमंदकन्द दल पू ह कगो दप्रेखकर सब हस्त्रयराहूँ हृदय ममें हहषर्णत हह ई।मं उनकप्रे कमल सरश्रीखप्रे नप्रेत्रर ममें
पप्रेमराशपुओमं करा जल उमड आयरा और सपुदमं र अमंगर ममें पपुलकरावलश्री छरा गई॥
दगोहरा :
* जगो सपुखपु भरा हसय मरातपु मन दप्रेहख रराम बर बप्रेषपु।
सगो न सकहहमं कहह कलप सत सहस सरारदरा सप्रेषपु॥318॥
शश्री ररामचन्दजश्री करा वर वप्रेश दप्रेखकर सश्रीतराजश्री ककी मरातरा सपुनयनराजश्री कप्रे मन ममें जगो सपुख हहआ, उसप्रे
हजरारर सरस्वतश्री और शप्रेषजश्री सरौ कल्पर ममें भश्री नहहीं कह सकतप्रे (अरवरा लराखर सरस्वतश्री और शप्रेष
लराखर कल्पर ममें भश्री नहहीं कह सकतप्रे)॥318॥
चरौपराई :
* नयन नश्रीर हहट ममंगल जरानश्री। पररछहन करहहमं मपुहदत मन ररानश्री॥
बप्रेद हबहहत अर कपु ल आचरारू। ककीन्ह भलश्री हबहध सब ब्यवहरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-ममंगल अवसर जरानकर नप्रेत्रर कप्रे जल कगो रगोकप्रे हह ए ररानश्री पसन्न मन सप्रे परछन कर रहश्री हमैं।
वप्रेदर ममें कहप्रे हह ए तररा कपु लराचरार कप्रे अनपुसरार सभश्री व्यवहरार ररानश्री नप्रे भलश्रीभराहूँहत हकए॥1॥
* पमंच सबद धपुहन ममंगल गरानरा। पट पराहूँवडप्रे परहहमं हबहध नरानरा॥
करर आरतश्री अरघपु हतन्ह दश्रीन्हरा। रराम गमनपु ममंडप तब ककीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पमंचशब्द (तमंत्रश्री, तराल, झराझ हूँ , नगराररा और तपुरहश्री- इन पराहूँच पकरार कप्रे बराजर कप्रे शब्द),
पमंचध्वहन (वप्रेदध्वहन, वहन्दध्वहन, जयध्वहन, शमंखध्वहन और हहलपूध्वहन) और ममंगलगरान हगो रहप्रे
हमैं। नरानरा पकरार कप्रे वस्त्रर कप्रे पराहूँवडप्रे पड रहप्रे हमैं। उन्हरनप्रे (ररानश्री नप्रे) आरतश्री करकप्रे अघ्यर्ण हदयरा, तब
शश्री ररामजश्री नप्रे ममंडप ममें गमन हकयरा॥2॥
* दसररपु सहहत समराज हबरराजप्रे। हबभव हबलगोहक लगोकपहत लराजप्रे॥
समयहूँ समयहूँ सपुर बरषहहमं फिपू लरा। सरामंहत पढहहमं महहसपुर अनपुकपूलरा॥3॥
भरावरारर्ण:-दशररजश्री अपनश्री ममंडलश्री सहहत हवरराजमरान हहए। उनकप्रे वहैभव कगो दप्रेखकर लगोकपराल भश्री
लजरा गए। समय-समय पर दप्रेवतरा फिपूल बरसरातप्रे हमैं और भपूदप्रेव ब्रराहर समयरानपुकपूल शरामंहत पराठ करतप्रे
हमैं॥3॥
* नभ अर नगर कगोलराहल हगोई। आपहन पर कछपु सपुनइ न कगोई॥
एहह हबहध ररामपु ममंडपहहमं आए। अरघपु दप्रेइ आसन बहैठराए॥4॥
भरावरारर्ण:-आकराश और नगर ममें शगोर मच रहरा हहै। अपनश्री-परराई कगोई कपु छ भश्री नहहीं सपुनतरा। इस
पकरार शश्री ररामचन्दजश्री ममंडप ममें आए और अघ्यर्ण दप्रेकर आसन पर बहैठराए गए॥4॥
छन्द :
* बहैठरारर आसन आरतश्री करर हनरहख बर सपुखपु परावहहीं।
महन बसन भपूषन भपूरर वरारहहमं नरारर ममंगल गरावहहीं॥
ब्रहराहद सपुरबर हबप बप्रेष बनराइ करौतपुक दप्रेखहहीं।
अवलगोहक रघपुकपुल कमल रहब छहब सपुफिल जश्रीवन लप्रेखहहीं॥
भरावरारर्ण:-आसन पर बहैठराकर, आरतश्री करकप्रे दल पू ह कगो दप्रेखकर हस्त्रयराहूँ सपुख परा रहश्री हमैं। वप्रे ढप्रेर कप्रे
ढप्रेर महर, वस्त्र और गहनप्रे हनछरावर करकप्रे ममंगल गरा रहश्री हमैं। ब्रहरा आहद शप्रेष दप्रेवतरा ब्रराहर करा वप्रेश
बनराकर करौतपुक दप्रेख रहप्रे हमैं। वप्रे रघपुकपुल रूपश्री कमल कगो पफिपु हल्लत करनप्रे वरालप्रे सपूयर्ण शश्री ररामचन्दजश्री
ककी छहब दप्रेखकर अपनरा जश्रीवन सफिल जरान रहप्रे हमैं।
दगोहरा :
*नराऊ बरारश्री भराट नट रराम हनछरावरर पराइ।
मपुहदत असश्रीसहहमं नराइ हसर हरषपु न हृदयहूँ समराइ॥319॥
भरावरारर्ण:-नराई, बरारश्री, भराट और नट शश्री ररामचन्दजश्री ककी हनछरावर पराकर आनमंहदत हगो हसर नवराकर
आशश्रीष दप्रेतप्रे हमैं, उनकप्रे हृदय ममें हषर्ण समरातरा नहहीं हहै॥319॥
चरौपराई :
* हमलप्रे जनकपु दसररपु अहत पश्रीतहीं। करर बहैहदक लरौहकक सब रश्रीतहीं॥
हमलत महरा दगोउ रराज हबरराजप्रे। उपमरा खगोहज खगोहज कहब लराजप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-वहैहदक और लरौहकक सब रश्रीहतयराहूँ करकप्रे जनकजश्री और दशररजश्री बडप्रे पप्रेम सप्रे हमलप्रे। दगोनर
महरारराज हमलतप्रे हह ए बडप्रे हश्री शगोहभत हहए, कहव उनकप्रे हलए उपमरा खगोज-खगोजकर लजरा गए॥1॥
* लहश्री न कतहह हूँ हरारर हहयहूँ मरानश्री। इन्ह सम एइ उपमरा उर आनश्री॥
सरामध दप्रेहख दप्रेव अनपुररागप्रे। सपुमन बरहष जसपु गरावन लरागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जब कहहीं भश्री उपमरा नहहीं हमलश्री, तब हृदय ममें हरार मरानकर उन्हरनप्रे मन ममें यहश्री उपमरा
हनहश्चत ककी हक इनकप्रे समरान यप्रे हश्री हमैं। समहधयर करा हमलराप यरा परस्पर समंबधमं दप्रेखकर दप्रेवतरा
अनपुरक्त हगो गए और फिपूल बरसराकर उनकरा यश गरानप्रे लगप्रे॥2॥
* जगपु हबरमंहच उपजरावरा जब तमें। दप्रेखप्रे सपुनप्रे ब्यराह बहह तब तमें॥
सकल भराहूँहत सम सराजपु समराजपू। सम समधश्री दप्रेखप्रे हम आजपू॥3॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे कहनप्रे लगप्रे-) जबसप्रे ब्रहराजश्री नप्रे जगत कगो उत्पन्न हकयरा, तब सप्रे हमनप्रे बहह त हववराह
दप्रेखप्रे- सपुनप्रे, परन्तपु सब पकरार सप्रे समरान सराज-समराज और बरराबरश्री कप्रे (पपूरर्ण समतरायक्त पु ) समधश्री
तगो आज हश्री दप्रेखप्रे॥3॥
* दप्रेव हगररा सपुहन सपुमंदर सराहूँचश्री। पश्रीहत अलरौहकक दहपु ह हदहस मराचश्री॥
दप्रेत पराहूँवडप्रे अरघपु सपुहराए। सरादर जनकपु ममंडपहहमं ल्यराए॥4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं ककी सपुदमं र सत्यवरारश्री सपुनकर दगोनर ओर अलरौहकक पश्रीहत छरा गई। सपुदमं र परावहूँ डप्रे
और अघ्यर्ण दप्रेतप्रे हह ए जनकजश्री दशररजश्री कगो आदरपपूवर्णक ममंडप ममें लप्रे आए॥4॥
छन्द :
* ममंडपपु हबलगोहक हबहचत्र रचनराहूँ रहचरतराहूँ मपुहन मन हरप्रे।
हनज पराहन जनक सपुजरान सब कहह हूँ आहन हसमंघरासन धरप्रे॥
कपु ल इष्टि सररस बहसष्टि पपूजप्रे हबनय करर आहसष लहश्री।
करौहसकहह पपूजन परम पश्रीहत हक रश्रीहत तरौ न परहै कहश्री॥
भरावरारर्ण:-ममंडप कगो दप्रेखकर उसककी हवहचत्र रचनरा और सपुदमं रतरा सप्रे मपुहनयर कप्रे मन भश्री हरप्रे गए
(मगोहहत हगो गए)। सपुजरान जनकजश्री नप्रे अपनप्रे हरारर सप्रे लरा-लराकर सबकप्रे हलए हसमंहरासन रखप्रे।
उन्हरनप्रे अपनप्रे कपु ल कप्रे इष्टिदप्रेवतरा कप्रे समरान वहशषजश्री ककी पपूजरा ककी और हवनय करकप्रे आशश्रीवरार्णद पराप्त
हकयरा। हवश्वराहमत्रजश्री ककी पपूजरा करतप्रे समय ककी परम पश्रीहत ककी रश्रीहत तगो कहतप्रे हश्री नहहीं बनतश्री॥
दगोहरा :
* बरामदप्रेव आहदक ररषय पपूजप्रे मपुहदत महश्रीस॥
हदए हदब्य आसन सबहह सब सन लहश्री असश्रीस॥320॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे वरामदप्रेव आहद ऋहषयर ककी पसन्न मन सप्रे पपूजरा ककी। सभश्री कगो हदव्य आसन हदए
और सबसप्रे आशश्रीवरादर्ण पराप्त हकयरा॥320॥
चरौपराई :
* बहह रर ककीहन्ह कगोसलपहत पपूजरा। जराहन ईस सम भराउ न द ज पू रा॥
ककीहन्ह जगोरर कर हबनय बडराई। कहह हनज भराग्य हबभव बहह तराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर उन्हरनप्रे कगोसलराधश्रीश रराजरा दशररजश्री ककी पपूजरा उन्हमें ईश (महरादवप्रे जश्री) कप्रे समरान
जरानकर ककी, कगोई दस पू ररा भराव न ररा। तदन्तर (उनकप्रे समंबमंध सप्रे) अपनप्रे भराग्य और वहैभव कप्रे
हवस्तरार ककी सरराहनरा करकप्रे हरार जगोडकर हवनतश्री और बडराई ककी॥1॥
* पपूजप्रे भपूपहत सकल बररातश्री। समधश्री सम सरादर सब भराहूँतश्री॥
आसन उहचत हदए सब कराहह। कहजौं कराह मपुख एक उछराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा जनकजश्री नप्रे सब बरारराहतयर करा समधश्री दशररजश्री कप्रे समरान हश्री सब पकरार सप्रे
आदरपपूवर्णक पपूजन हकयरा और सब हकसश्री कगो उहचत आसन हदए। ममैं एक मपुख सप्रे उस उत्सराह करा
क्यरा वरर्णन करूहूँ॥2॥
* सकल बररात जनक सनमरानश्री। दरान मरान हबनतश्री बर बरानश्री॥
हबहध हरर हर हदहसपहत हदनरराऊ। जप्रे जरानहहमं रघपुबश्रीर पभराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा जनक नप्रे दरान, मरान-सम्मरान, हवनय और उरम वरारश्री सप्रे सरारश्री बराररात करा सम्मरान
हकयरा। ब्रहरा, हवष्रपु, हशव, हदक्पराल और सपूयर्ण जगो शश्री रघपुनरारजश्री करा पभराव जरानतप्रे हमैं ,॥3॥
* कपट हबप बर बप्रेष बनराएहूँ। करौतपुक दप्रेखहहमं अहत सचपु पराएहूँ॥
पपूजप्रे जनक दप्रेव सम जरानमें। हदए सपुआसन हबनपु पहहचरानमें॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे कपट सप्रे ब्रराहरर करा सपुदमं र वप्रेश बनराए बहह त हश्री सपुख परातप्रे हह ए सब लश्रीलरा दप्रेख रहप्रे रप्रे।
जनकजश्री नप्रे उनकगो दप्रेवतराओमं कप्रे समरान जरानकर उनकरा पपूजन हकयरा और हबनरा पहहचरानप्रे भश्री उन्हमें
सपुमंदर आसन हदए॥4॥
छन्द :
* पहहचरान कगो कप्रे हह जरान सबहह अपरान सपुहध भगोरश्री भई।
आनमंद कमंदपु हबलगोहक दल पू हह उभय हदहस आनहूँदमई॥
सपुर लखप्रे रराम सपुजरान पपूजप्रे मरानहसक आसन दए।
अवलगोहक सश्रीलपु सपुभराउ पभपु कगो हबबपुध मन पमपुहदत भए॥
भरावरारर्ण:-करौन हकसकगो जरानप्रे-पहहचरानप्रे! सबकगो अपनश्री हश्री सपुध भपूलश्री हह ई हहै। आनमंदकन्द दल पू ह कगो
दप्रेखकर दगोनर ओर आनमंदमयश्री हस्रहत हगो रहश्री हहै। सपुजरान (सवर्णज) शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे दप्रेवतराओमं कगो
पहहचरान हलयरा और उनककी मरानहसक पपूजरा करकप्रे उन्हमें मरानहसक आसन हदए। पभपु करा शश्रील-
स्वभराव दप्रेखकर दप्रेवगर मन ममें बहह त आनमंहदत हहए।
दगोहरा :
* ररामचन्द मपुख चमंद छहब लगोचन चरार चकगोर।
करत परान सरादर सकल पप्रेमपु पमगोद पु न रगोर॥321॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे मपुख रूपश्री चन्दमरा ककी छहब कगो सभश्री कप्रे सपुमंदर नप्रेत्र रूपश्री चकगोर
आदरपपूवर्णक परान कर रहप्रे हमैं, पप्रेम और आनमंद कम नहहीं हहै (अररार्णत बहह त हहै)॥321॥
चरौपराई :
* समउ हबलगोहक बहसष बगोलराए। सरादर सतरानमंद पु सपुहन आए॥
बप्रेहग कपु अहूँरर अब आनहह जराई। चलप्रे मपुहदत मपुहन आयसपु पराई॥1॥
भरावरारर्ण:-समय दप्रेखकर वहशषजश्री नप्रे शतरानमंदजश्री कगो आदरपपूवर्णक बपुलरायरा। वप्रे सपुनकर आदर कप्रे सरार
आए। वहशषजश्री नप्रे कहरा- अब जराकर रराजकपु मरारश्री कगो शश्रीघ्र लप्रे आइए। मपुहन ककी आजरा पराकर वप्रे
पसन्न हगोकर चलप्रे॥1॥
* ररानश्री सपुहन उपरगोहहत बरानश्री। पमपुहदत सहखन्ह समप्रेत सयरानश्री॥
हबप बधपू कपु ल बमृद बगोलराई।मं करर कपु ल रश्रीहत सपुममंगल गराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-बपुहदमतश्री ररानश्री पपुरगोहहत ककी वरारश्री सपुनकर सहखयर समप्रेत बडश्री पसन्न हह ई।मं ब्रराहरर ककी
हस्त्रयर और कपु ल ककी बपूढश्री हस्त्रयर कगो बपुलराकर उन्हरनप्रे कपु लरश्रीहत करकप्रे सपुदमं र ममंगल गश्रीत गराए॥2॥
* नरारर बप्रेष जप्रे सपुर बर बरामरा। सकल सपुभरायहूँ सपुदमं रश्री स्यरामरा॥
हतन्हहह दप्रेहख सपुखपु परावहहमं नरारश्री। हबनपु पहहचराहन परानहह तप्रे प्यरारहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-शप्रेष दप्रेवरामंगनराएहूँ, जगो सपुमंदर मनपुष्य-हस्त्रयर कप्रे वप्रेश ममें हमैं, सभश्री स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं रश्री और
श्यरामरा (सगोलह वषर्ण ककी अवस्ररा वरालश्री) हमैं। उनकगो दप्रेखकर रहनवरास ककी हस्त्रयराहूँ सपुख परातश्री हमैं और
हबनरा पहहचरान कप्रे हश्री वप्रे सबकगो परारर सप्रे भश्री प्यरारश्री हगो रहश्री हमैं॥ 3॥
* बरार बरार सनमरानहहमं ररानश्री। उमरा रमरा सरारद सम जरानश्री॥
सश्रीय सहूँवरारर समराजपु बनराई। मपुहदत ममंडपहहमं चलहीं लवराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें परावर्णतश्री, लक्ष्मश्री और सरस्वतश्री कप्रे समरान जरानकर ररानश्री बरार-बरार उनकरा सम्मरान
करतश्री हमैं। (रहनवरास ककी हस्त्रयराहूँ और सहखयराहूँ) सश्रीतराजश्री करा शमृगमं रार करकप्रे , ममंडलश्री बनराकर, पसन्न
हगोकर उन्हमें ममंडप ममें हलवरा चलहीं॥4॥
शश्री सश्रीतरा-रराम हववराह, हवदराई
छन्द :
* चहल ल्यराइ सश्रीतहह सखहीं सरादर सहज सपुममंगल भराहमनहीं।
नवसप्त सराजमें सपुदमं रश्री सब मर कपुमं जर गराहमनहीं॥
कल गरान सपुहन मपुहन ध्यरान त्यरागहहमं कराम कगोहकल लराजहहीं।
ममंजश्रीर नपूपपुर कहलत कमंकन तराल गहत बर बराजहहीं॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर ममंगल करा सराज सजकर (रहनवरास ककी) हस्त्रयराहूँ और सहखयराहूँ आदर सहहत
सश्रीतराजश्री कगो हलवरा चलहीं। सभश्री सपुदमं ररयराहूँ सगोलहर शमृमंगरार हकए हह ए मतवरालप्रे हराहरयर ककी चराल सप्रे
चलनप्रे वरालश्री हमैं। उनकप्रे मनगोहर गरान कगो सपुनकर मपुहन ध्यरान छगोड दप्रेतप्रे हमैं और करामदप्रेव ककी कगोयलमें
भश्री लजरा जरातश्री हमैं। परायजप्रेब, पमैंजनश्री और सपुमंदर कमंकर तराल ककी गहत पर बडप्रे सपुदमं र बज रहप्रे हमैं।
दगोहरा :
* सगोहहत बहनतरा बमृमंद महह हूँ सहज सपुहरावहन सश्रीय।
छहब ललनरा गन मध्य जनपु सपुषमरा हतय कमनश्रीय॥322॥
भरावरारर्ण:-सहज हश्री सपुदमं रश्री सश्रीतराजश्री हस्त्रयर कप्रे समपूह ममें इस पकरार शगोभरा परा रहश्री हमैं, मरानगो छहब
रूपश्री ललनराओमं कप्रे समपूह कप्रे बश्रीच सराक्षरात परम मनगोहर शगोभरा रूपश्री स्त्रश्री सपुशगोहभत हगो॥ 322॥
चरौपराई :
* हसय सपुदमं रतरा बरहन न जराई। लघपु महत बहह त मनगोहरतराई॥
आवत दश्रीहख बरराहतन्ह सश्रीतरा। रूप रराहस सब भराहूँहत पपुनश्रीतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं रतरा करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, क्यरहक बपुहद बहह त छगोटश्री हहै और
मनगोहरतरा बहह त बडश्री हहै। रूप ककी रराहश और सब पकरार सप्रे पहवत्र सश्रीतराजश्री कगो बरारराहतयर नप्रे आतप्रे
दप्रेखरा॥1॥
* सबहहमं मनहहमं मन हकए पनरामरा। दप्रेहख रराम भए पपूरनकरामरा॥
हरषप्रे दसरर सपुतन्ह समप्रेतरा। कहह न जराइ उर आनहूँद पु जप्रेतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री नप्रे उन्हमें मन हश्री मन परराम हकयरा। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर तगो सभश्री पपूरर्णकराम
(कमृ तकमृ त्य) हगो गए। रराजरा दशररजश्री पपुत्रर सहहत हहषर्णत हह ए। उनकप्रे हृदय ममें हजतनरा आनमंद ररा,
वह कहरा नहहीं जरा सकतरा॥2॥
* सपुर पनरामपु करर बररसहहमं फिपू लरा। मपुहन असश्रीस धपुहन ममंगल मपूलरा॥
गरान हनसरान कगोलराहलपु भरारश्री। पप्रेम पमगोद मगन नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा परराम करकप्रे फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं। ममंगलर ककी मपूल मपुहनयर कप्रे आशश्रीवरार्णदर ककी ध्वहन हगो
रहश्री हहै। गरानर और नगराडर कप्रे शब्द सप्रे बडरा शगोर मच रहरा हहै। सभश्री नर-नरारश्री पप्रेम और आनमंद ममें मग्नि
हमैं॥3॥
*एहह हबहध सश्रीय ममंडपहहमं आई। पमपुहदत सरामंहत पढहहमं मपुहनरराई॥
तप्रेहह अवसर कर हबहध ब्यवहरारू। दहपु ह हूँ कपु लगपुर सब ककीन्ह अचरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सश्रीतराजश्री ममंडप ममें आई।मं मपुहनरराज बहह त हश्री आनमंहदत हगोकर शरामंहतपराठ पढ रहप्रे
हमैं। उस अवसर ककी सब रश्रीहत, व्यवहरार और कपु लराचरार दगोनर कपु लगपुरओमं नप्रे हकए॥4॥
छन्द :
* आचरार करर गपुर गरौरर गनपहत मपुहदत हबप पपुजरावहहीं।
सपुर पगहट पपूजरा लप्रेहहमं दप्रेहहमं असश्रीस अहत सपुखपु परावहहीं॥
मधपुपकर्ण ममंगल दब्य जगो जप्रेहह समय मपुहन मन महह हूँ चहमें।
भरप्रे कनक कगोपर कलस सगो तब हलएहहमं पररचरारक रहमैं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कपु लराचरार करकप्रे गपुरजश्री पसन्न हगोकर गरौरश्रीजश्री, गरप्रेशजश्री और ब्रराहरर ककी पपूजरा कररा रहप्रे हमैं
(अरवरा ब्रराहरर कप्रे दराररा गरौरश्री और गरप्रेश ककी पपूजरा करवरा रहप्रे हमैं)। दप्रेवतरा पकट हगोकर पपूजरा गहर
करतप्रे हमैं, आशश्रीवरार्णद दप्रेतप्रे हमैं और अत्यन्त सपुख परा रहप्रे हमैं। मधपुपकर्ण आहद हजस हकसश्री भश्री मरामंगहलक
पदरारर्ण ककी मपुहन हजस समय भश्री मन ममें चराह मरात्र करतप्रे हमैं, सप्रेवकगर उसश्री समय सगोनप्रे ककी पररातर ममें
और कलशर ममें भरकर उन पदरारर्मों कगो हलए तहैयरार रहतप्रे हमैं॥ 1॥
* कपु ल रश्रीहत पश्रीहत समप्रेत रहब कहह दप्रेत सबपु सरादर हकयगो।
एहह भराहूँहत दप्रेव पपुजराइ सश्रीतहह सपुभग हसमंघरासनपु हदयगो॥
हसय रराम अवलगोकहन परसपर पप्रेमपु कराहहहूँ न लहख परहै।
मन बपुहद बर बरानश्री अगगोचर पगट कहब कहै समें करहै॥2॥
भरावरारर्ण:-स्वयमं सपूयर्णदवप्रे पप्रेम सहहत अपनप्रे कपु ल ककी सब रश्रीहतयराहूँ बतरा दप्रेतप्रे हमैं और वप्रे सब आदरपपूवर्णक
ककी जरा रहश्री हमैं। इस पकरार दप्रेवतराओमं ककी पपूजरा करराकप्रे मपुहनयर नप्रे सश्रीतराजश्री कगो सपुदमं र हसमंहरासन हदयरा।
शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री ररामजश्री करा आपस ममें एक-दस पू रप्रे कगो दप्रेखनरा तररा उनकरा परस्पर करा पप्रेम
हकसश्री कगो लख नहहीं पड रहरा हहै, जगो बरात शप्रेष मन, बपुहद और वरारश्री सप्रे भश्री परप्रे हहै, उसप्रे कहव क्यर
कर पकट करप्रे?॥2॥
दगोहरा :
* हगोम समय तनपु धरर अनलपु अहत सपुख आहह हत लप्रेहहमं।
हबप बप्रेष धरर बप्रेद सब कहह हबबराह हबहध दप्रेहहमं॥323॥
भरावरारर्ण:-हवन कप्रे समय अहग्निदप्रेव शरश्रीर धरारर करकप्रे बडप्रे हश्री सपुख सप्रे आहह हत गहर करतप्रे हमैं और
सरारप्रे वप्रेद ब्रराहर वप्रेष धरकर हववराह ककी हवहधयराहूँ बतराए दप्रेतप्रे हमैं॥ 323॥
चरौपराई :
* जनक पराटमहहषश्री जग जरानश्री। सश्रीय मरातपु हकहम जराइ बखरानश्री॥॥
सपुजसपु सपुकमृत सपुख सपुदमं रतराई। सब समप्रेहट हबहध रचश्री बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री ककी जगहवख्यरात पटररानश्री और सश्रीतराजश्री ककी मरातरा करा बखरान तगो हगो हश्री कहै सप्रे
सकतरा हहै। सपुयश, सपुकमृत (पपुण्य), सपुख और सपुदमं रतरा सबकगो बटगोरकर हवधरातरा नप्रे उन्हमें सहूँवरारकर
तहैयरार हकयरा हहै॥1॥
* समउ जराहन मपुहनबरन्ह बगोलराई।मं सपुनत सपुआहसहन सरादर ल्यराई॥मं
जनक बराम हदहस सगोह सपुनयनरा। हहमहगरर समंग बनश्री जनपु मयनरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-समय जरानकर शप्रेष मपुहनयर नप्रे उनकगो बपुलवरायरा। यह सपुनतप्रे हश्री सपुहराहगनश्री हस्त्रयराहूँ उन्हमें
आदरपपूवर्णक लप्रे आई।मं सपुनयनराजश्री (जनकजश्री ककी पटररानश्री) जनकजश्री ककी बराई मं ओर ऐसश्री सगोह रहश्री
हमैं, मरानगो हहमराचल कप्रे सरार महैनराजश्री शगोहभत हर॥2॥
* कनक कलस महन कगोपर रूरप्रे। सपुहच सपुगमंध ममंगल जल पपूरप्रे॥
हनज कर मपुहदत ररायहूँ अर ररानश्री। धरप्रे रराम कप्रे आगमें आनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पहवत्र, सपुगमंहधत और ममंगल जल सप्रे भरप्रे सगोनप्रे कप्रे कलश और महरयर ककी सपुदमं र पररातमें
रराजरा और ररानश्री नप्रे आनमंहदत हगोकर अपनप्रे हरारर सप्रे लराकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे आगप्रे रखहीं॥3॥
* पढहहमं बप्रेद मपुहन ममंगल बरानश्री। गगन सपुमन झरर अवसर जरानश्री॥
बर हबलगोहक दमंपहत अनपुररागप्रे। पराय पपुनश्रीत पखरारन लरागप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन ममंगलवरारश्री सप्रे वप्रेद पढ रहप्रे हमैं। सपुअवसर जरानकर आकराश सप्रे फिपू लर ककी झडश्री लग गई
हहै। दलपू ह कगो दप्रेखकर रराजरा-ररानश्री पप्रेममग्नि हगो गए और उनकप्रे पहवत्र चररर कगो पखरारनप्रे लगप्रे॥4॥
छन्द :
* लरागप्रे पखरारन पराय पमंकज पप्रेम तन पपुलकरावलश्री।
नभ नगर गरान हनसरान जय धपुहन उमहग जनपु चहह हूँ हदहस चलश्री॥
जप्रे पद सरगोज मनगोज अरर उर सर सदहैव हबरराजहहीं।
जप्रे सपुकमृत सपुहमरत हबमलतरा मन सकल कहल मल भराजहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चरर कमलर कगो पखरारनप्रे लगप्रे, पप्रेम सप्रे उनकप्रे शरश्रीर ममें पपुलकरावलश्री छरा
रहश्री हहै। आकराश और नगर ममें हगोनप्रे वरालश्री गरान, नगराडप्रे और जय-जयकरार ककी ध्वहन मरानगो चरारर
हदशराओमं ममें उमड चलश्री, जगो चरर कमल करामदप्रेव कप्रे शत्रपु शश्री हशवजश्री कप्रे हृदय रूपश्री सरगोवर ममें
सदरा हश्री हवरराजतप्रे हमैं, हजनकरा एक बरार भश्री स्मरर करनप्रे सप्रे मन ममें हनमर्णलतरा आ जरातश्री हहै और
कहलयगपु कप्रे सरारप्रे पराप भराग जरातप्रे हमैं,॥1।
* जप्रे परहस मपुहनबहनतरा लहश्री गहत रहश्री जगो परातकमई।
मकरमंदपु हजन्ह कगो समंभपु हसर सपुहचतरा अवहध सपुर बरनई॥
करर मधपुप मन मपुहन जगोहगजन जप्रे सप्रेइ अहभमत गहत लहमैं।
तप्रे पद पखरारत भराग्यभराजनपु जनकपु जय जय सब कहमैं॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा स्पशर्ण पराकर गरौतम मपुहन ककी स्त्रश्री अहल्यरा नप्रे, जगो परापमयश्री रश्री, परमगहत पराई,
हजन चररकमलर करा मकरन्द रस (गमंगराजश्री) हशवजश्री कप्रे मस्तक पर हवरराजमरान हहै, हजसकगो
दप्रेवतरा पहवत्रतरा ककी सश्रीमरा बतरातप्रे हमैं, मपुहन और यगोगश्रीजन अपनप्रे मन कगो भजौंररा बनराकर हजन
चररकमलर करा सप्रेवन करकप्रे मनगोवरामंहछत गहत पराप्त करतप्रे हमैं, उन्हहीं चररर कगो भराग्य कप्रे परात्र
(बडभरागश्री) जनकजश्री धगो रहप्रे हमैं, यह दप्रेखकर सब जय-जयकरार कर रहप्रे हमैं॥2॥
*बर कपु अहूँरर करतल जगोरर सराखगोचरार दगोउ कपु लगपुर करमैं।
भयगो पराहनगहनपु हबलगोहक हबहध सपुर मनपुज मपुहन आनहूँद भरमैं॥
सपुखमपूल दल पू हह दप्रेहख दमंपहत पपुलक तन हहलस्यगो हहयगो।
करर लगोक बप्रेद हबधरानपु कन्यरादरानपु नमृपभपूषन हकयगो॥3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर कपु लर कप्रे गपुर वर और कन्यरा ककी हरप्रेहलयर कगो हमलराकर शराखगोचरार करनप्रे लगप्रे।
पराहरगहर हहआ दप्रेखकर ब्रहराहद दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन आनमंद ममें भर गए। सपुख कप्रे मपूल दल पू ह कगो
दप्रेखकर रराजरा-ररानश्री करा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा और हृदय आनमंद सप्रे उममंग उठरा। रराजराओमं कप्रे
अलमंकरार स्वरूप महरारराज जनकजश्री नप्रे लगोक और वप्रेद ककी रश्रीहत कगो करकप्रे कन्यरादरान हकयरा॥3॥
* हहमवमंत हजहम हगररजरा महप्रेसहह हररहह शश्री सरागर दई।
हतहम जनक ररामहह हसय समरपश्री हबस्व कल ककीरहत नई॥
क्यर करहै हबनय हबदप्रेहह हकयगो हबदप्रेहह मपूरहत सरावहूँरहीं।
करर हगोमपु हबहधवत गराहूँहठ जगोरश्री हगोन लरागहीं भरावहूँरहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हहमवरान नप्रे हशवजश्री कगो परावर्णतश्रीजश्री और सरागर नप्रे भगवरान हवष्रपु कगो लक्ष्मश्रीजश्री दश्री रहीं,
वहैसप्रे हश्री जनकजश्री नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो सश्रीतराजश्री समहपर्णत ककीमं, हजससप्रे हवश्व ममें सपुमंदर नवश्रीन ककीहतर्ण
छरा गई। हवदप्रेह (जनकजश्री) कहै सप्रे हवनतश्री करमें! उस सराहूँवलश्री मपूहतर्ण नप्रे तगो उन्हमें सचमपुच हवदप्रेह (दप्रेह
ककी सपुध-बपुध सप्रे रहहत) हश्री कर हदयरा। हवहधपपूवर्णक हवन करकप्रे गठजगोडश्री ककी गई और भराहूँवरमें हगोनप्रे
लगहीं॥4॥
दगोहरा :
* जय धपुहन बमंदश्री बप्रेद धपुहन ममंगल गरान हनसरान।
सपुहन हरषहहमं बरषहहमं हबबपुध सपुरतर सपुमन सपुजरान॥324॥
भरावरारर्ण:-जय ध्वहन, वन्दश्री ध्वहन, वप्रेद ध्वहन, ममंगलगरान और नगराडर ककी ध्वहन सपुनकर चतपुर
दप्रेवगर हहषर्णत हगो रहप्रे हमैं और कल्पवमृक्ष कप्रे फिपूलर कगो बरसरा रहप्रे हमैं॥324॥
चरौपराई :
* कपु अहूँर कपु अहूँरर कल भरावहूँरर दप्रेहहीं। नयन लराभपु सब सरादर लप्रेहहीं॥
जराइ न बरहन मनगोहर जगोरश्री। जगो उपमरा कछपु कहजौं सगो रगोरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-वर और कन्यरा सपुदमं र भरावहूँ रमें दप्रे रहप्रे हमैं। सब लगोग आदरपपूवर्णक (उन्हमें दप्रेखकर) नप्रेत्रर करा
परम लराभ लप्रे रहप्रे हमैं। मनगोहर जगोडश्री करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, जगो कपु छ उपमरा कहह हूँ वहश्री रगोडश्री
हगोगश्री॥1॥
* रराम सश्रीय सपुदमं र पहतछराहहीं। जगमगरात महन खमंभन मराहहीं
मनहह हूँ मदन रहत धरर बहह रूपरा। दप्रेखत रराम हबआहह अनपूपरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और शश्री सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं र परछराहहीं महरयर कप्रे खम्भर ममें जगमगरा रहश्री हमैं,
मरानगो करामदप्रेव और रहत बहह त सप्रे रूप धरारर करकप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे अनपुपम हववराह कगो दप्रेख रहप्रे हमैं॥
2॥
* दरस लरालसरा सकपु च न रगोरश्री। पगटत दरपु त बहगोरर बहगोरश्री॥
भए मगन सब दप्रेखहनहरारप्रे। जनक समरान अपरान हबसरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- उन्हमें (करामदप्रेव और रहत कगो) दशर्णन ककी लरालसरा और समंकगोच दगोनर हश्री कम नहहीं हमैं
(अररार्णत बहह त हमैं), इसश्रीहलए वप्रे मरानगो बरार-बरार पकट हगोतप्रे और हछपतप्रे हमैं। सब दप्रेखनप्रे वरालप्रे
आनमंदमग्नि हगो गए और जनकजश्री ककी भराहूँहत सभश्री अपनश्री सपुध भपूल गए॥3॥
* पमपुहदत मपुहनन्ह भरावहूँरहीं फिप्रे रहीं। नप्रेगसहहत सब रश्रीहत हनवप्रेरहीं॥
रराम सश्रीय हसर समेंदरपु दप्रेहहीं। सगोभरा कहह न जराहत हबहध कप्रे हहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहनयर नप्रे आनमंदपपूवर्णक भराहूँवरमें हफिरराई मं और नप्रेग सहहत सब रश्रीहतयर कगो पपूररा हकयरा। शश्री
ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री कप्रे हसर ममें हसमंदरपू दप्रे रहप्रे हमैं, यह शगोभरा हकसश्री पकरार भश्री कहश्री नहहीं जरातश्री॥4॥
* अरन परराग जलजपु भरर नश्रीकमें। सहसहह भपूष अहह लगोभ अमश्री कमें ॥
बहह रर बहसष दश्रीहन्ह अनपुसरासन। बर दल पु हहहन बहैठप्रे एक आसन॥5॥
भरावरारर्ण:-मरानगो कमल कगो लराल परराग सप्रे अच्छश्री तरह भरकर अममृत कप्रे लगोभ सप्रे सरापहूँ चन्दमरा कगो
भपूहषत कर रहरा हहै। (यहराहूँ शश्री रराम कप्रे हरार कगो कमल ककी, समेंदरपू कगो परराग ककी, शश्री रराम ककी श्यराम
भपुजरा कगो सराहूँप ककी और सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख कगो चन्दमरा ककी उपमरा दश्री गई हहै।) हफिर वहशषजश्री नप्रे
आजरा दश्री, तब दल पू ह और दल पु हहन एक आसन पर बहैठप्रे॥5॥
छन्द :
* बहैठप्रे बररासन ररामपु जरानहक मपुहदत मन दसररपु भए।
तनपु पपुलक पपुहन पपुहन दप्रेहख अपनमें सपुकमृत सपुरतर पल नए॥
भरर भपुवन रहरा उछराहह रराम हबबराहह भरा सबहहीं कहरा।
कप्रे हह भराहूँहत बरहन हसररात रसनरा एक यहह ममंगलपु महरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और जरानककीजश्री शप्रेष आसन पर बहैठप्रे, उन्हमें दप्रेखकर दशररजश्री मन ममें बहह त
आनमंहदत हह ए। अपनप्रे सपुकमृत रूपश्री कल्प वमृक्ष ममें नए फिल (आए) दप्रेखकर उनकरा शरश्रीर बरार-बरार
पपुलहकत हगो रहरा हहै। चरौदहर भपुवनर ममें उत्सराह भर गयरा, सबनप्रे कहरा हक शश्री ररामचन्दजश्री करा हववराह
हगो गयरा। जश्रीभ एक हहै और यह ममंगल महरान हहै, हफिर भलरा, वह वरर्णन करकप्रे हकस पकरार समराप्त
हकयरा जरा सकतरा हहै॥1॥
* तब जनक पराइ बहसष आयसपु ब्यराह सराज सहूँवरारर कहै ।
मरामंडवश्री शपुतककीरहत उरहमलरा कपु अहूँरर लई मं हहूँकरारर कहै ॥
कपु सकप्रे तपु कन्यरा परम जगो गपुन सश्रील सपुख सगोभरामई।
सब रश्रीहत पश्रीहत समप्रेत करर सगो ब्यराहह नमृप भरतहह दई॥2॥
भरावरारर्ण:- तब वहशषजश्री ककी आजरा पराकर जनकजश्री नप्रे हववराह करा सरामरान सजराकर मराण्डवश्रीजश्री ,
शपुतककीहतर्णजश्री और उहमर्णलराजश्री इन तश्रीनर रराजकपु मराररयर कगो बपुलरा हलयरा। कपु श ध्वज ककी बडश्री कन्यरा
मराण्डवश्रीजश्री कगो, जगो गपुर, शश्रील, सपुख और शगोभरा ककी रूप हश्री रहीं, रराजरा जनक नप्रे पप्रेमपपूवर्णक सब
रश्रीहतयराहूँ करकप्रे भरतजश्री कगो ब्यराह हदयरा॥2॥
* जरानककी लघपु भहगनश्री सकल सपुदमं रर हसरगोमहन जराहन कहै ।
सगो तनय दश्रीन्हश्री ब्यराहह लखनहह सकल हबहध सनमराहन कहै ॥
जप्रेहह नरामपु शपुतककीरहत सपुलगोचहन सपुमपुहख सब गपुन आगरश्री।
सगो दई ररपपुसपूदनहह भपूपहत रूप सश्रील उजरागरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री ककी छगोटश्री बहहन उहमर्णलराजश्री कगो सब सपुदमं ररयर ममें हशरगोमहर जरानकर उस कन्यरा
कगो सब पकरार सप्रे सम्मरान करकप्रे , लक्ष्मरजश्री कगो ब्यराह हदयरा और हजनकरा नराम शपुतककीहतर्ण हहै और
जगो सपुमंदर नप्रेत्रर वरालश्री, सपुमंदर मपुखवरालश्री, सब गपुरर ककी खरान और रूप तररा शश्रील ममें उजरागर हमैं,
उनकगो रराजरा नप्रे शत्रपुघ्न कगो ब्यराह हदयरा॥3॥
* अनपुरूप बर दल पु हहहन परस्पर लहख सकपु च हहयहूँ हरषहहीं।
सब मपुहदत सपुदमं रतरा सरराहहहमं सपुमन सपुर गन बरषहहीं॥
सपुमंदरहीं सपुमंदर बरन्ह सह सब एक ममंडप रराजहहीं।
जनपु जश्रीव उर चराररउ अवस्ररा हबभपुन सहहत हबरराजहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-दल पू ह और दल पु हहनमें परस्पर अपनप्रे-अपनप्रे अनपुरूप जगोडश्री कगो दप्रेखकर सकपु चरातप्रे हह ए हृदय
ममें हहषर्णत हगो रहश्री हमैं। सब लगोग पसन्न हगोकर उनककी सपुदमं रतरा ककी सरराहनरा करतप्रे हमैं और दप्रेवगर फिपू ल
बरसरा रहप्रे हमैं। सब सपुदमं रश्री दल पु हहनमें सपुदमं र दल्पू हर कप्रे सरार एक हश्री ममंडप ममें ऐसश्री शगोभरा परा रहश्री हमैं, मरानगो
जश्रीव कप्रे हृदय ममें चरारर अवस्रराएहूँ (जरागत, स्वप्न, सपुषपुहप्त और तपुरश्रीय) अपनप्रे चरारर स्वराहमयर
(हव�
शश्री सश्रीतरा-रराम हववराह, हवदराई
छन्द :
* चहल ल्यराइ सश्रीतहह सखहीं सरादर सहज सपुममंगल भराहमनहीं।
नवसप्त सराजमें सपुदमं रश्री सब मर कपुमं जर गराहमनहीं॥
कल गरान सपुहन मपुहन ध्यरान त्यरागहहमं कराम कगोहकल लराजहहीं।
ममंजश्रीर नपूपपुर कहलत कमंकन तराल गहत बर बराजहहीं॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर ममंगल करा सराज सजकर (रहनवरास ककी) हस्त्रयराहूँ और सहखयराहूँ आदर सहहत
सश्रीतराजश्री कगो हलवरा चलहीं। सभश्री सपुदमं ररयराहूँ सगोलहर शमृमंगरार हकए हह ए मतवरालप्रे हराहरयर ककी चराल सप्रे
चलनप्रे वरालश्री हमैं। उनकप्रे मनगोहर गरान कगो सपुनकर मपुहन ध्यरान छगोड दप्रेतप्रे हमैं और करामदप्रेव ककी कगोयलमें
भश्री लजरा जरातश्री हमैं। परायजप्रेब, पमैंजनश्री और सपुमंदर कमंकर तराल ककी गहत पर बडप्रे सपुदमं र बज रहप्रे हमैं।
दगोहरा :
* सगोहहत बहनतरा बमृमंद महह हूँ सहज सपुहरावहन सश्रीय।
छहब ललनरा गन मध्य जनपु सपुषमरा हतय कमनश्रीय॥322॥
भरावरारर्ण:-सहज हश्री सपुदमं रश्री सश्रीतराजश्री हस्त्रयर कप्रे समपूह ममें इस पकरार शगोभरा परा रहश्री हमैं, मरानगो छहब
रूपश्री ललनराओमं कप्रे समपूह कप्रे बश्रीच सराक्षरात परम मनगोहर शगोभरा रूपश्री स्त्रश्री सपुशगोहभत हगो॥ 322॥
चरौपराई :
* हसय सपुदमं रतरा बरहन न जराई। लघपु महत बहह त मनगोहरतराई॥
आवत दश्रीहख बरराहतन्ह सश्रीतरा। रूप रराहस सब भराहूँहत पपुनश्रीतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं रतरा करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, क्यरहक बपुहद बहह त छगोटश्री हहै और
मनगोहरतरा बहह त बडश्री हहै। रूप ककी रराहश और सब पकरार सप्रे पहवत्र सश्रीतराजश्री कगो बरारराहतयर नप्रे आतप्रे
दप्रेखरा॥1॥
* सबहहमं मनहहमं मन हकए पनरामरा। दप्रेहख रराम भए पपूरनकरामरा॥
हरषप्रे दसरर सपुतन्ह समप्रेतरा। कहह न जराइ उर आनहूँद पु जप्रेतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री नप्रे उन्हमें मन हश्री मन परराम हकयरा। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर तगो सभश्री पपूरर्णकराम
(कमृ तकमृ त्य) हगो गए। रराजरा दशररजश्री पपुत्रर सहहत हहषर्णत हह ए। उनकप्रे हृदय ममें हजतनरा आनमंद ररा,
वह कहरा नहहीं जरा सकतरा॥2॥
* सपुर पनरामपु करर बररसहहमं फिपू लरा। मपुहन असश्रीस धपुहन ममंगल मपूलरा॥
गरान हनसरान कगोलराहलपु भरारश्री। पप्रेम पमगोद मगन नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा परराम करकप्रे फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं। ममंगलर ककी मपूल मपुहनयर कप्रे आशश्रीवरार्णदर ककी ध्वहन हगो
रहश्री हहै। गरानर और नगराडर कप्रे शब्द सप्रे बडरा शगोर मच रहरा हहै। सभश्री नर-नरारश्री पप्रेम और आनमंद ममें मग्नि
हमैं॥3॥
*एहह हबहध सश्रीय ममंडपहहमं आई। पमपुहदत सरामंहत पढहहमं मपुहनरराई॥
तप्रेहह अवसर कर हबहध ब्यवहरारू। दहपु ह हूँ कपु लगपुर सब ककीन्ह अचरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सश्रीतराजश्री ममंडप ममें आई।मं मपुहनरराज बहह त हश्री आनमंहदत हगोकर शरामंहतपराठ पढ रहप्रे
हमैं। उस अवसर ककी सब रश्रीहत, व्यवहरार और कपु लराचरार दगोनर कपु लगपुरओमं नप्रे हकए॥4॥
छन्द :
* आचरार करर गपुर गरौरर ग�
शश्री सश्रीतरा-रराम हववराह, हवदराई
छन्द :
* चहल ल्यराइ सश्रीतहह सखहीं सरादर सहज सपुममंगल भराहमनहीं।
नवसप्त सराजमें सपुदमं रश्री सब मर कपुमं जर गराहमनहीं॥
कल गरान सपुहन मपुहन ध्यरान त्यरागहहमं कराम कगोहकल लराजहहीं।
ममंजश्रीर नपूपपुर कहलत कमंकन तराल गहत बर बराजहहीं॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर ममंगल करा सराज सजकर (रहनवरास ककी) हस्त्रयराहूँ और सहखयराहूँ आदर सहहत
सश्रीतराजश्री कगो हलवरा चलहीं। सभश्री सपुदमं ररयराहूँ सगोलहर शमृमंगरार हकए हह ए मतवरालप्रे हराहरयर ककी चराल सप्रे
चलनप्रे वरालश्री हमैं। उनकप्रे मनगोहर गरान कगो सपुनकर मपुहन ध्यरान छगोड दप्रेतप्रे हमैं और करामदप्रेव ककी कगोयलमें
भश्री लजरा जरातश्री हमैं। परायजप्रेब, पमैंजनश्री और सपुमंदर कमंकर तराल ककी गहत पर बडप्रे सपुदमं र बज रहप्रे हमैं।
दगोहरा :
* सगोहहत बहनतरा बमृमंद महह हूँ सहज सपुहरावहन सश्रीय।
छहब ललनरा गन मध्य जनपु सपुषमरा हतय कमनश्रीय॥322॥
भरावरारर्ण:-सहज हश्री सपुदमं रश्री सश्रीतराजश्री हस्त्रयर कप्रे समपूह ममें इस पकरार शगोभरा परा रहश्री हमैं, मरानगो छहब
रूपश्री ललनराओमं कप्रे समपूह कप्रे बश्रीच सराक्षरात परम मनगोहर शगोभरा रूपश्री स्त्रश्री सपुशगोहभत हगो॥ 322॥
चरौपराई :
* हसय सपुदमं रतरा बरहन न जराई। लघपु महत बहह त मनगोहरतराई॥
आवत दश्रीहख बरराहतन्ह सश्रीतरा। रूप रराहस सब भराहूँहत पपुनश्रीतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं रतरा करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, क्यरहक बपुहद बहह त छगोटश्री हहै और
मनगोहरतरा बहह त बडश्री हहै। रूप ककी रराहश और सब पकरार सप्रे पहवत्र सश्रीतराजश्री कगो बरारराहतयर नप्रे आतप्रे
दप्रेखरा॥1॥
* सबहहमं मनहहमं मन हकए पनरामरा। दप्रेहख रराम भए पपूरनकरामरा॥
हरषप्रे दसरर सपुतन्ह समप्रेतरा। कहह न जराइ उर आनहूँद पु जप्रेतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री नप्रे उन्हमें मन हश्री मन परराम हकयरा। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर तगो सभश्री पपूरर्णकराम
(कमृ तकमृ त्य) हगो गए। रराजरा दशररजश्री पपुत्रर सहहत हहषर्णत हह ए। उनकप्रे हृदय ममें हजतनरा आनमंद ररा,
वह कहरा नहहीं जरा सकतरा॥2॥
* सपुर पनरामपु करर बररसहहमं फिपू लरा। मपुहन असश्रीस धपुहन ममंगल मपूलरा॥
गरान हनसरान कगोलराहलपु भरारश्री। पप्रेम पमगोद मगन नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा परराम करकप्रे फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं। ममंगलर ककी मपूल मपुहनयर कप्रे आशश्रीवरार्णदर ककी ध्वहन हगो
रहश्री हहै। गरानर और नगराडर कप्रे शब्द सप्रे बडरा शगोर मच रहरा हहै। सभश्री नर-नरारश्री पप्रेम और आनमंद ममें मग्नि
हमैं॥3॥
*एहह हबहध सश्रीय ममंडपहहमं आई। पमपुहदत सरामंहत पढहहमं मपुहनरराई॥
तप्रेहह अवसर कर हबहध ब्यवहरारू। दहपु ह हूँ कपु लगपुर सब ककीन्ह अचरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सश्रीतराजश्री ममंडप ममें आई।मं मपुहनरराज बहह त हश्री आनमंहदत हगोकर शरामंहतपराठ पढ रहप्रे
हमैं। उस अवसर ककी सब रश्रीहत, व्यवहरार और कपु लराचरार दगोनर कपु लगपुरओमं नप्रे हकए॥4॥
छन्द :
* आचरार करर गपुर गरौरर गनपहत मपुहदत हबप पपुजरावहहीं।
सपुर पगहट पपूजरा लप्रेहहमं दप्रेहहमं असश्रीस अहत सपुखपु परावहहीं॥
मधपुपकर्ण ममंगल दब्य जगो जप्रेहह समय मपुहन मन महह हूँ चहमें।
भरप्रे कनक कगोपर कलस सगो तब हलएहहमं पररचरारक रहमैं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कपु लराचरार करकप्रे गपुरजश्री पसन्न हगोकर गरौरश्रीजश्री, गरप्रेशजश्री और ब्रराहरर ककी पपूजरा कररा रहप्रे हमैं
(अरवरा ब्रराहरर कप्रे दराररा गरौरश्री और गरप्रेश ककी पपूजरा करवरा रहप्रे हमैं)। दप्रेवतरा पकट हगोकर पपूजरा गहर
करतप्रे हमैं, आशश्रीवरार्णद दप्रेतप्रे हमैं और अत्यन्त सपुख परा रहप्रे हमैं। मधपुपकर्ण आहद हजस हकसश्री भश्री मरामंगहलक
पदरारर्ण ककी मपुहन हजस समय भश्री मन ममें चराह मरात्र करतप्रे हमैं, सप्रेवकगर उसश्री समय सगोनप्रे ककी पररातर ममें
और कलशर ममें भरकर उन पदरारर्मों कगो हलए तहैयरार रहतप्रे हमैं॥ 1॥
* कपु ल रश्रीहत पश्रीहत समप्रेत रहब कहह दप्रेत सबपु सरादर हकयगो।
एहह भराहूँहत दप्रेव पपुजराइ सश्रीतहह सपुभग हसमंघरासनपु हदयगो॥
हसय रराम अवलगोकहन परसपर पप्रेमपु कराहहहूँ न लहख परहै।
मन बपुहद बर बरानश्री अगगोचर पगट कहब कहै समें करहै॥2॥
भरावरारर्ण:-स्वयमं सपूयर्णदवप्रे पप्रेम सहहत अपनप्रे कपु ल ककी सब रश्रीहतयराहूँ बतरा दप्रेतप्रे हमैं और वप्रे सब आदरपपूवर्णक
ककी जरा रहश्री हमैं। इस पकरार दप्रेवतराओमं ककी पपूजरा करराकप्रे मपुहनयर नप्रे सश्रीतराजश्री कगो सपुदमं र हसमंहरासन हदयरा।
शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री ररामजश्री करा आपस ममें एक-दस पू रप्रे कगो दप्रेखनरा तररा उनकरा परस्पर करा पप्रेम
हकसश्री कगो लख नहहीं पड रहरा हहै, जगो बरात शप्रेष मन, बपुहद और वरारश्री सप्रे भश्री परप्रे हहै, उसप्रे कहव क्यर
कर पकट करप्रे?॥2॥
दगोहरा :
* हगोम समय तनपु धरर अनलपु अहत सपुख आहह हत लप्रेहहमं।
हबप बप्रेष धरर बप्रेद सब कहह हबबराह हबहध दप्रेहहमं॥323॥
भरावरारर्ण:-हवन कप्रे समय अहग्निदप्रेव शरश्रीर धरारर करकप्रे बडप्रे हश्री सपुख सप्रे आहह हत गहर करतप्रे हमैं और
सरारप्रे वप्रेद ब्रराहर वप्रेष धरकर हववराह ककी हवहधयराहूँ बतराए दप्रेतप्रे हमैं॥ 323॥
चरौपराई :
* जनक पराटमहहषश्री जग जरानश्री। सश्रीय मरातपु हकहम जराइ बखरानश्री॥॥
सपुजसपु सपुकमृत सपुख सपुदमं रतराई। सब समप्रेहट हबहध रचश्री बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री ककी जगहवख्यरात पटररानश्री और सश्रीतराजश्री ककी मरातरा करा बखरान तगो हगो हश्री कहै सप्रे
सकतरा हहै। सपुयश, सपुकमृत (पपुण्य), सपुख और सपुदमं रतरा सबकगो बटगोरकर हवधरातरा नप्रे उन्हमें सहूँवरारकर
तहैयरार हकयरा हहै॥1॥
* समउ जराहन मपुहनबरन्ह बगोलराई।मं सपुनत सपुआहसहन सरादर ल्यराई॥मं
जनक बराम हदहस सगोह सपुनयनरा। हहमहगरर समंग बनश्री जनपु मयनरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-समय जरानकर शप्रेष मपुहनयर नप्रे उनकगो बपुलवरायरा। यह सपुनतप्रे हश्री सपुहराहगनश्री हस्त्रयराहूँ उन्हमें
आदरपपूवर्णक लप्रे आई।मं सपुनयनराजश्री (जनकजश्री ककी पटररानश्री) जनकजश्री ककी बराई मं ओर ऐसश्री सगोह रहश्री
हमैं, मरानगो हहमराचल कप्रे सरार महैनराजश्री शगोहभत हर॥2॥
* कनक कलस महन कगोपर रूरप्रे। सपुहच सपुगमंध ममंगल जल पपूरप्रे॥
हनज कर मपुहदत ररायहूँ अर ररानश्री। धरप्रे रराम कप्रे आगमें आनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पहवत्र, सपुगमंहधत और ममंगल जल सप्रे भरप्रे सगोनप्रे कप्रे कलश और महरयर ककी सपुदमं र पररातमें
रराजरा और ररानश्री नप्रे आनमंहदत हगोकर अपनप्रे हरारर सप्रे लराकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे आगप्रे रखहीं॥3॥
* पढहहमं बप्रेद मपुहन ममंगल बरानश्री। गगन सपुमन झरर अवसर जरानश्री॥
बर हबलगोहक दमंपहत अनपुररागप्रे। पराय पपुनश्रीत पखरारन लरागप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन ममंगलवरारश्री सप्रे वप्रेद पढ रहप्रे हमैं। सपुअवसर जरानकर आकराश सप्रे फिपू लर ककी झडश्री लग गई
हहै। दलपू ह कगो दप्रेखकर रराजरा-ररानश्री पप्रेममग्नि हगो गए और उनकप्रे पहवत्र चररर कगो पखरारनप्रे लगप्रे॥4॥
छन्द :
* लरागप्रे पखरारन पराय पमंकज पप्रेम तन पपुलकरावलश्री।
नभ नगर गरान हनसरान जय धपुहन उमहग जनपु चहह हूँ हदहस चलश्री॥
जप्रे पद सरगोज मनगोज अरर उर सर सदहैव हबरराजहहीं।
जप्रे सपुकमृत सपुहमरत हबमलतरा मन सकल कहल मल भराजहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चरर कमलर कगो पखरारनप्रे लगप्रे, पप्रेम सप्रे उनकप्रे शरश्रीर ममें पपुलकरावलश्री छरा
रहश्री हहै। आकराश और नगर ममें हगोनप्रे वरालश्री गरान, नगराडप्रे और जय-जयकरार ककी ध्वहन मरानगो चरारर
हदशराओमं ममें उमड चलश्री, जगो चरर कमल करामदप्रेव कप्रे शत्रपु शश्री हशवजश्री कप्रे हृदय रूपश्री सरगोवर ममें
सदरा हश्री हवरराजतप्रे हमैं, हजनकरा एक बरार भश्री स्मरर करनप्रे सप्रे मन ममें हनमर्णलतरा आ जरातश्री हहै और
कहलयगपु कप्रे सरारप्रे पराप भराग जरातप्रे हमैं,॥1।
* जप्रे परहस मपुहनबहनतरा लहश्री गहत रहश्री जगो परातकमई।
मकरमंदपु हजन्ह कगो समंभपु हसर सपुहचतरा अवहध सपुर बरनई॥
करर मधपुप मन मपुहन जगोहगजन जप्रे सप्रेइ अहभमत गहत लहमैं।
तप्रे पद पखरारत भराग्यभराजनपु जनकपु जय जय सब कहमैं॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा स्पशर्ण पराकर गरौतम मपुहन ककी स्त्रश्री अहल्यरा नप्रे, जगो परापमयश्री रश्री, परमगहत पराई,
हजन चररकमलर करा मकरन्द रस (गमंगराजश्री) हशवजश्री कप्रे मस्तक पर हवरराजमरान हहै, हजसकगो
दप्रेवतरा पहवत्रतरा ककी सश्रीमरा बतरातप्रे हमैं, मपुहन और यगोगश्रीजन अपनप्रे मन कगो भजौंररा बनराकर हजन
चररकमलर करा सप्रेवन करकप्रे मनगोवरामंहछत गहत पराप्त करतप्रे हमैं, उन्हहीं चररर कगो भराग्य कप्रे परात्र
(बडभरागश्री) जनकजश्री धगो रहप्रे हमैं, यह दप्रेखकर सब जय-जयकरार कर रहप्रे हमैं॥2॥
*बर कपु अहूँरर करतल जगोरर सराखगोचरार दगोउ कपु लगपुर करमैं।
भयगो पराहनगहनपु हबलगोहक हबहध सपुर मनपुज मपुहन आनहूँद भरमैं॥
सपुखमपूल दल पू हह दप्रेहख दमंपहत पपुलक तन हहलस्यगो हहयगो।
करर लगोक बप्रेद हबधरानपु कन्यरादरानपु नमृपभपूषन हकयगो॥3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर कपु लर कप्रे गपुर वर और कन्यरा ककी हरप्रेहलयर कगो हमलराकर शराखगोचरार करनप्रे लगप्रे।
पराहरगहर हहआ दप्रेखकर ब्रहराहद दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन आनमंद ममें भर गए। सपुख कप्रे मपूल दल पू ह कगो
दप्रेखकर रराजरा-ररानश्री करा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा और हृदय आनमंद सप्रे उममंग उठरा। रराजराओमं कप्रे
अलमंकरार स्वरूप महरारराज जनकजश्री नप्रे लगोक और वप्रेद ककी रश्रीहत कगो करकप्रे कन्यरादरान हकयरा॥3॥
* हहमवमंत हजहम हगररजरा महप्रेसहह हररहह शश्री सरागर दई।
हतहम जनक ररामहह हसय समरपश्री हबस्व कल ककीरहत नई॥
क्यर करहै हबनय हबदप्रेहह हकयगो हबदप्रेहह मपूरहत सरावहूँरहीं।
करर हगोमपु हबहधवत गराहूँहठ जगोरश्री हगोन लरागहीं भरावहूँरहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हहमवरान नप्रे हशवजश्री कगो परावर्णतश्रीजश्री और सरागर नप्रे भगवरान हवष्रपु कगो लक्ष्मश्रीजश्री दश्री रहीं,
वहैसप्रे हश्री जनकजश्री नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो सश्रीतराजश्री समहपर्णत ककीमं, हजससप्रे हवश्व ममें सपुमंदर नवश्रीन ककीहतर्ण
छरा गई। हवदप्रेह (जनकजश्री) कहै सप्रे हवनतश्री करमें! उस सराहूँवलश्री मपूहतर्ण नप्रे तगो उन्हमें सचमपुच हवदप्रेह (दप्रेह
ककी सपुध-बपुध सप्रे रहहत) हश्री कर हदयरा। हवहधपपूवर्णक हवन करकप्रे गठजगोडश्री ककी गई और भराहूँवरमें हगोनप्रे
लगहीं॥4॥
दगोहरा :
* जय धपुहन बमंदश्री बप्रेद धपुहन ममंगल गरान हनसरान।
सपुहन हरषहहमं बरषहहमं हबबपुध सपुरतर सपुमन सपुजरान॥324॥
भरावरारर्ण:-जय ध्वहन, वन्दश्री ध्वहन, वप्रेद ध्वहन, ममंगलगरान और नगराडर ककी ध्वहन सपुनकर चतपुर
दप्रेवगर हहषर्णत हगो रहप्रे हमैं और कल्पवमृक्ष कप्रे फिपूलर कगो बरसरा रहप्रे हमैं॥324॥
चरौपराई :
* कपु अहूँर कपु अहूँरर कल भरावहूँरर दप्रेहहीं। नयन लराभपु सब सरादर लप्रेहहीं॥
जराइ न बरहन मनगोहर जगोरश्री। जगो उपमरा कछपु कहजौं सगो रगोरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-वर और कन्यरा सपुदमं र भरावहूँ रमें दप्रे रहप्रे हमैं। सब लगोग आदरपपूवर्णक (उन्हमें दप्रेखकर) नप्रेत्रर करा
परम लराभ लप्रे रहप्रे हमैं। मनगोहर जगोडश्री करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, जगो कपु छ उपमरा कहह हूँ वहश्री रगोडश्री
हगोगश्री॥1॥
* रराम सश्रीय सपुदमं र पहतछराहहीं। जगमगरात महन खमंभन मराहहीं
मनहह हूँ मदन रहत धरर बहह रूपरा। दप्रेखत रराम हबआहह अनपूपरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और शश्री सश्रीतराजश्री ककी सपुदमं र परछराहहीं महरयर कप्रे खम्भर ममें जगमगरा रहश्री हमैं,
मरानगो करामदप्रेव और रहत बहह त सप्रे रूप धरारर करकप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे अनपुपम हववराह कगो दप्रेख रहप्रे हमैं॥
2॥
* दरस लरालसरा सकपु च न रगोरश्री। पगटत दरपु त बहगोरर बहगोरश्री॥
भए मगन सब दप्रेखहनहरारप्रे। जनक समरान अपरान हबसरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- उन्हमें (करामदप्रेव और रहत कगो) दशर्णन ककी लरालसरा और समंकगोच दगोनर हश्री कम नहहीं हमैं
(अररार्णत बहह त हमैं), इसश्रीहलए वप्रे मरानगो बरार-बरार पकट हगोतप्रे और हछपतप्रे हमैं। सब दप्रेखनप्रे वरालप्रे
आनमंदमग्नि हगो गए और जनकजश्री ककी भराहूँहत सभश्री अपनश्री सपुध भपूल गए॥3॥
* पमपुहदत मपुहनन्ह भरावहूँरहीं फिप्रे रहीं। नप्रेगसहहत सब रश्रीहत हनवप्रेरहीं॥
रराम सश्रीय हसर समेंदरपु दप्रेहहीं। सगोभरा कहह न जराहत हबहध कप्रे हहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहनयर नप्रे आनमंदपपूवर्णक भराहूँवरमें हफिरराई मं और नप्रेग सहहत सब रश्रीहतयर कगो पपूररा हकयरा। शश्री
ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री कप्रे हसर ममें हसमंदरपू दप्रे रहप्रे हमैं, यह शगोभरा हकसश्री पकरार भश्री कहश्री नहहीं जरातश्री॥4॥
* अरन परराग जलजपु भरर नश्रीकमें। सहसहह भपूष अहह लगोभ अमश्री कमें ॥
बहह रर बहसष दश्रीहन्ह अनपुसरासन। बर दल पु हहहन बहैठप्रे एक आसन॥5॥
भरावरारर्ण:-मरानगो कमल कगो लराल परराग सप्रे अच्छश्री तरह भरकर अममृत कप्रे लगोभ सप्रे सरापहूँ चन्दमरा कगो
भपूहषत कर रहरा हहै। (यहराहूँ शश्री रराम कप्रे हरार कगो कमल ककी, समेंदरपू कगो परराग ककी, शश्री रराम ककी श्यराम
भपुजरा कगो सराहूँप ककी और सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख कगो चन्दमरा ककी उपमरा दश्री गई हहै।) हफिर वहशषजश्री नप्रे
आजरा दश्री, तब दल पू ह और दल पु हहन एक आसन पर बहैठप्रे॥5॥
छन्द :
* बहैठप्रे बररासन ररामपु जरानहक मपुहदत मन दसररपु भए।
तनपु पपुलक पपुहन पपुहन दप्रेहख अपनमें सपुकमृत सपुरतर पल नए॥
भरर भपुवन रहरा उछराहह रराम हबबराहह भरा सबहहीं कहरा।
कप्रे हह भराहूँहत बरहन हसररात रसनरा एक यहह ममंगलपु महरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और जरानककीजश्री शप्रेष आसन पर बहैठप्रे, उन्हमें दप्रेखकर दशररजश्री मन ममें बहह त
आनमंहदत हह ए। अपनप्रे सपुकमृत रूपश्री कल्प वमृक्ष ममें नए फिल (आए) दप्रेखकर उनकरा शरश्रीर बरार-बरार
पपुलहकत हगो रहरा हहै। चरौदहर भपुवनर ममें उत्सराह भर गयरा, सबनप्रे कहरा हक शश्री ररामचन्दजश्री करा हववराह
हगो गयरा। जश्रीभ एक हहै और यह ममंगल महरान हहै, हफिर भलरा, वह वरर्णन करकप्रे हकस पकरार समराप्त
हकयरा जरा सकतरा हहै॥1॥
* तब जनक पराइ बहसष आयसपु ब्यराह सराज सहूँवरारर कहै ।
मरामंडवश्री शपुतककीरहत उरहमलरा कपु अहूँरर लई मं हहूँकरारर कहै ॥
कपु सकप्रे तपु कन्यरा परम जगो गपुन सश्रील सपुख सगोभरामई।
सब रश्रीहत पश्रीहत समप्रेत करर सगो ब्यराहह नमृप भरतहह दई॥2॥
भरावरारर्ण:- तब वहशषजश्री ककी आजरा पराकर जनकजश्री नप्रे हववराह करा सरामरान सजराकर मराण्डवश्रीजश्री ,
शपुतककीहतर्णजश्री और उहमर्णलराजश्री इन तश्रीनर रराजकपु मराररयर कगो बपुलरा हलयरा। कपु श ध्वज ककी बडश्री कन्यरा
मराण्डवश्रीजश्री कगो, जगो गपुर, शश्रील, सपुख और शगोभरा ककी रूप हश्री रहीं, रराजरा जनक नप्रे पप्रेमपपूवर्णक सब
रश्रीहतयराहूँ करकप्रे भरतजश्री कगो ब्यराह हदयरा॥2॥
* जरानककी लघपु भहगनश्री सकल सपुदमं रर हसरगोमहन जराहन कहै ।
सगो तनय दश्रीन्हश्री ब्यराहह लखनहह सकल हबहध सनमराहन कहै ॥
जप्रेहह नरामपु शपुतककीरहत सपुलगोचहन सपुमपुहख सब गपुन आगरश्री।
सगो दई ररपपुसपूदनहह भपूपहत रूप सश्रील उजरागरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री ककी छगोटश्री बहहन उहमर्णलराजश्री कगो सब सपुदमं ररयर ममें हशरगोमहर जरानकर उस कन्यरा
कगो सब पकरार सप्रे सम्मरान करकप्रे , लक्ष्मरजश्री कगो ब्यराह हदयरा और हजनकरा नराम शपुतककीहतर्ण हहै और
जगो सपुमंदर नप्रेत्रर वरालश्री, सपुमंदर मपुखवरालश्री, सब गपुरर ककी खरान और रूप तररा शश्रील ममें उजरागर हमैं,
उनकगो रराजरा नप्रे शत्रपुघ्न कगो ब्यराह हदयरा॥3॥
* अनपुरूप बर दल पु हहहन परस्पर लहख सकपु च हहयहूँ हरषहहीं।
सब मपुहदत सपुदमं रतरा सरराहहहमं सपुमन सपुर गन बरषहहीं॥
सपुमंदरहीं सपुमंदर बरन्ह सह सब एक ममंडप रराजहहीं।
जनपु जश्रीव उर चराररउ अवस्ररा हबभपुन सहहत हबरराजहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-दल पू ह और दल पु हहनमें परस्पर अपनप्रे-अपनप्रे अनपुरूप जगोडश्री कगो दप्रेखकर सकपु चरातप्रे हह ए हृदय
ममें हहषर्णत हगो रहश्री हमैं। सब लगोग पसन्न हगोकर उनककी सपुदमं रतरा ककी सरराहनरा करतप्रे हमैं और दप्रेवगर फिपू ल
पु हहनमें सपुदमं र दल्पू हर कप्रे सरार एक हश्री ममंडप ममें ऐसश्री शगोभरा परा रहश्री हमैं, मरानगो
बरसरा रहप्रे हमैं। सब सपुदमं रश्री दल
जश्रीव कप्रे हृदय ममें चरारर अवस्रराएहूँ (जरागत, स्वप्न, सपुषपुहप्त और तपुरश्रीय) अपनप्रे चरारर स्वराहमयर
(हवश्व, तहैजस, पराज और ब्रह) सहहत हवरराजमरान हर॥4॥
दगोहरा :
* मपुहदत अवधपहत सकल सपुत बधपुन्ह समप्रेत हनहरारर।
जनपु पराए महहपराल महन हकयन्ह सहहत फिल चरारर॥325॥
भरावरारर्ण:-सब पपुत्रर कगो बहह ओमं सहहत दप्रेखकर अवध नरप्रेश दशररजश्री ऐसप्रे आनमंहदत हमैं, मरानगो वप्रे
रराजराओमं कप्रे हशरगोमहर हकयराओमं (यजहकयरा, शदराहकयरा, यगोगहकयरा और जरानहकयरा) सहहत चरारर
फिल (अरर्ण, धमर्ण, कराम और मगोक्ष) परा गए हर॥325॥
चरौपराई :
* जहस रघपुबश्रीर ब्यराह हबहध बरनश्री। सकल कपु अहूँर ब्यराहप्रे तप्रेहहमं करनश्री॥
कहह न जरा कछपु दराइज भपूरश्री। रहरा कनक महन ममंडपपु पपूरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हववराह ककी जहैसश्री हवहध वरर्णन ककी गई, उसश्री रश्रीहत सप्रे सब रराजकपु मरार
हववराहप्रे गए। दहप्रेज ककी अहधकतरा कपु छ कहश्री नहहीं जरातश्री, सराररा ममंडप सगोनप्रे और महरयर सप्रे भर गयरा॥
1॥
* कमंबल बसन हबहचत्र पटगोरप्रे। भराहूँहत भराहूँहत बहह मगोल न रगोरप्रे॥
गज रर तपुरगदरास अर दरासश्री। धप्रेनपु अलमंकमृत करामदहपु रा सश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-बहह त सप्रे कम्बल, वस्त्र और भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे हवहचत्र रप्रेशमश्री कपडप्रे, जगो रगोडश्री ककीमत कप्रे न
रप्रे (अररार्णत बहह मपूल्य रप्रे) तररा हरारश्री, रर, घगोडप्रे, दरास-दराहसयराहूँ और गहनर सप्रे सजश्री हहई करामधप्रेनपु
सरश्रीखश्री गरायमें-॥2॥
* बस्तपु अनप्रेक कररअ हकहम लप्रेखरा। कहह न जराइ जरानहहमं हजन्ह दप्रेखरा॥
लगोकपराल अवलगोहक हसहरानप्रे। लश्रीन्ह अवधपहत सबपु सपुखपु मरानप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-(आहद) अनप्रेकर वस्तपुएहूँ हमैं, हजनककी हगनतश्री कहै सप्रे ककी जराए। उनकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा
सकतरा, हजन्हरनप्रे दप्रेखरा हहै, वहश्री जरानतप्रे हमैं। उन्हमें दप्रेखकर लगोकपराल भश्री हसहरा गए। अवधरराज
दशररजश्री नप्रे सपुख मरानकर पसन्नहचर सप्रे सब कपु छ गहर हकयरा॥3॥
* दश्रीन्ह जराचकहन्ह जगो जप्रेहह भरावरा। उबररा सगो जनवरासप्रेहहमं आवरा॥
तब कर जगोरर जनकपु ममृदपु बरानश्री। बगोलप्रे सब बररात सनमरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे वह दहप्रेज करा सरामरान यराचकर कगो, जगो हजसप्रे अच्छरा लगरा, दप्रे हदयरा। जगो बच
रहरा, वह जनवरासप्रे ममें चलरा आयरा। तब जनकजश्री हरार जगोडकर सरारश्री बराररात करा सम्मरान करतप्रे हह ए
कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलप्रे॥4॥
छन्द :
* सनमराहन सकल बररात आदर दरान हबनय बडराइ कहै ।
पमपुहदत महरामपुहन बमृदमं बमंदप्रे पपूहज पप्रेम लडराइ कहै ॥
हसर नराइ दप्रेव मनराइ सब सन कहत कर समंपटपु हकएहूँ।
सपुर सराधपु चराहत भराउ हसमंधपु हक तगोष जल अमंजहल हदएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-आदर, दरान, हवनय और बडराई कप्रे दराररा सरारश्री बराररात करा सम्मरान कर रराजरा जनक नप्रे
महरान आनमंद कप्रे सरार पप्रेमपपूवर्णक लडराकर (लराड करकप्रे ) मपुहनयर कप्रे समपूह ककी पपूजरा एवमं वमंदनरा ककी।
हसर नवराकर, दप्रेवतराओमं कगो मनराकर, रराजरा हरार जगोडकर सबसप्रे कहनप्रे लगप्रे हक दप्रेवतरा और सराधपु
तगो भराव हश्री चराहतप्रे हमैं, (वप्रे पप्रेम सप्रे हश्री पसन्न हगो जरातप्रे हमैं, उन पपूरर्णकराम महरानपुभरावर कगो कगोई कपु छ
दप्रेकर कहै सप्रे समंतपुष्टि कर सकतरा हहै), क्यरा एक अमंजहल जल दप्रेनप्रे सप्रे कहहीं समपुद समंतपुष्टि हगो सकतरा हहै॥
1॥
* कर जगोरर जनकपु बहगोरर बमंधपु समप्रेत कगोसलरराय सर।
बगोलप्रे मनगोहर बयन सराहन सनप्रेह सश्रील सपुभराय सर॥
समंबमंध रराजन ररावरमें हम बडप्रे अब सब हबहध भए।
एहह रराज सराज समप्रेत सप्रेवक जराहनबप्रे हबनपु गर लए॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर जनकजश्री भराई सहहत हरार जगोडकर कगोसलराधश्रीश दशररजश्री सप्रे स्नप्रेह , शश्रील और
सपुमंदर पप्रेम ममें सरानकर मनगोहर वचन बगोलप्रे- हप्रे रराजनम! आपकप्रे सरार समंबमंध हगो जरानप्रे सप्रे अब हम सब
पकरार सप्रे बडप्रे हगो गए। इस रराज-पराट सहहत हम दगोनर कगो आप हबनरा दराम कप्रे हलए हह ए सप्रेवक हश्री
समहझएगरा॥2॥
* ए दराररकरा पररचराररकरा करर पराहलबहीं करनरा नई।
अपरराधपु छहमबगो बगोहल पठए बहह त हजौं ढश्रीट्यगो कई॥
पपुहन भरानपुकपुलभपूषन सकल सनमरान हनहध समधश्री हकए।
कहह जराहत नहहमं हबनतश्री परस्पर पप्रेम पररपपूरन हहए॥3॥
भरावरारर्ण:-इन लडहकयर कगो टहलनश्री मरानकर, नई-नई दयरा करकप्रे परालन ककीहजएगरा। ममैंनप्रे बडश्री
हढठराई ककी हक आपकगो यहराहूँ बपुलरा भप्रेजरा, अपरराध क्षमरा ककीहजएगरा। हफिर सपूयर्णकपुल कप्रे भपूषर
दशररजश्री नप्रे समधश्री जनकजश्री कगो सम्पपूरर्ण सम्मरान करा हनहध कर हदयरा (इतनरा सम्मरान हकयरा हक वप्रे
सम्मरान कप्रे भमंडरार हश्री हगो गए)। उनककी परस्पर ककी हवनय कहश्री नहहीं जरातश्री, दगोनर कप्रे हृदय पप्रेम सप्रे
पररपपूरर्ण हमैं॥3॥
* बमृमंदरारकरा गन सपुमन बररसहहमं रराउ जनवरासप्रेहह चलप्रे।
ददमंपु भपु श्री जय धपुहन बप्रेद धपुहन नभ नगर करौतपूहल भलप्रे॥
तब सखहीं ममंगल गरान करत मपुनश्रीस आयसपु पराइ कहै ।
दल पू ह दल पु हहहनन्ह सहहत सपुदमं रर चलहीं कगोहबर ल्यराइ कहै ॥4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरागर फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं, रराजरा जनवरासप्रे कगो चलप्रे। नगराडप्रे ककी ध्वहन, जयध्वहन और
वप्रेद ककी ध्वहन हगो रहश्री हहै, आकराश और नगर दगोनर ममें खपूब करौतपूहल हगो रहरा हहै (आनमंद छरा रहरा
हहै), तब मपुनश्रीश्वर ककी आजरा पराकर सपुमंदरश्री सहखयराहूँ ममंगलगरान करतश्री हहई दल पु हहनर सहहत दल्पू हर कगो
हलवराकर कगोहबर कगो चलहीं॥4॥
दगोहरा :
* पपुहन पपुहन ररामहह हचतव हसय सकपु चहत मनपु सकपु चहै न।
हरत मनगोहर मश्रीन छहब पप्रेम हपआसप्रे नहैन॥326॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री बरार-बरार ररामजश्री कगो दप्रेखतश्री हमैं और सकपु चरा जरातश्री हमैं, पर उनकरा मन नहहीं
सकपु चरातरा। पप्रेम कप्रे प्यरासप्रे उनकप्रे नप्रेत्र सपुदमं र मछहलयर ककी छहब कगो हर रहप्रे हमैं॥326॥
मरासपराररायर, ग्यरारहवराहूँ हवशराम
चरौपराई :
* स्यराम सरश्रीर सपुभरायहूँ सपुहरावन। सगोभरा कगोहट मनगोज लजरावन॥
जरावक जपुत पद कमल सपुहराए। मपुहन मन मधपुप रहत हजन्ह छराए॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा सराहूँवलरा शरश्रीर स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं र हहै। उसककी शगोभरा करगोडर करामदप्रेवर
कगो लजरानप्रे वरालश्री हहै। महरावर सप्रे यक्त पु चरर कमल बडप्रे सपुहरावनप्रे लगतप्रे हमैं, हजन पर मपुहनयर कप्रे मन
रूपश्री भजौंरप्रे सदरा छराए रहतप्रे हमैं॥1॥
* पश्रीत पपुनश्रीत मनगोहर धगोतश्री। हरहत बराल रहब दराहमहन जगोतश्री॥
कल हकमंहकहन कहट सपूत्र मनगोहर। बराहह हबसराल हबभपूषन सपुदमं र॥2॥
भरावरारर्ण:-पहवत्र और मनगोहर पश्रीलश्री धगोतश्री परातद्धाःकराल कप्रे सपूयर्ण और हबजलश्री ककी ज्यगोहत कगो हरप्रे लप्रेतश्री
हहै। कमर ममें सपुमंदर हकमंहकरश्री और कहटसपूत्र हमैं। हवशराल भपुजराओमं ममें सपुदमं र आभपूषर सपुशगोहभत हमैं॥ 2॥
* पश्रीत जनप्रेउ महराछहब दप्रेई। कर मपुहदकरा चगोरर हचतपु लप्रेई॥
सगोहत ब्यराह सराज सब सराजप्रे। उर आयत उरभपूषन रराजप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पश्रीलरा जनप्रेऊ महरान शगोभरा दप्रे रहरा हहै। हरार ककी अहूँगपूठश्री हचर कगो चपुररा लप्रेतश्री हहै। ब्यराह कप्रे सब
सराज सजप्रे हहए वप्रे शगोभरा परा रहप्रे हमैं। चरौडश्री छरातश्री पर हृदय पर पहननप्रे कप्रे सपुदमं र आभपूषर सपुशगोहभत हमैं॥
3॥
* हपअर उपरनरा कराखरासगोतश्री। दहपु ह हूँ आहूँचरहन्ह लगप्रे महन मगोतश्री॥
नयन कमल कल कपुमं डल करानरा। बदनपु सकल सजौंदजर्ण हनदरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-पश्रीलरा दपपु टरा कराहूँखरासगोतश्री (जनप्रेऊ ककी तरह) शगोहभत हहै, हजसकप्रे दगोनर छगोरर पर महर
और मगोतश्री लगप्रे हमैं। कमल कप्रे समरान सपुदमं र नप्रेत्र हमैं, करानर ममें सपुदमं र कपुमं डल हमैं और मपुख तगो सरारश्री
सपुमंदरतरा करा खजरानरा हश्री हहै॥4॥
* सपुदमं र भमृकपुहट मनगोहर नरासरा। भराल हतलकपु रहचरतरा हनवरासरा॥
सगोहत मरौर मनगोहर मरारप्रे। ममंगलमय मपुकपुतरा महन गरारप्रे॥5॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर भजौंहमें और मनगोहर नराहसकरा हहै। ललराट पर हतलक तगो सपुदमं रतरा करा घर हश्री हहै , हजसममें
ममंगलमय मगोतश्री और महर गपुरहूँ प्रे हह ए हमैं, ऐसरा मनगोहर मरौर मरारप्रे पर सगोह रहरा हहै॥5॥
छन्द :
* गरारप्रे महरामहन मरौर ममंजपुल अमंग सब हचत चगोरहहीं।
पपुर नरारर सपुर सपुमंदरहीं बरहह हबलगोहक सब हतन तगोरहहीं॥
महन बसन भपूषन वरारर आरहत करहहमं ममंगल गरावहहीं।
सपुर सपुमन बररसहहमं सपूत मरागध बमंहद सपुजसपु सपुनरावहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर मरौर ममें बहह मपूल्य महरयराहूँ गपुहूँरश्री हहई हमैं, सभश्री अमंग हचर कगो चपुरराए लप्रेतप्रे हमैं। सब नगर
पू ह कगो दप्रेखकर हतनकरा तगोड रहश्री हमैं (उनककी बलहैयराहूँ लप्रे रहश्री हमैं) और
ककी हस्त्रयराहूँ और दप्रेवसपुदमं ररयराहूँ दल
महर, वस्त्र तररा आभपूषर हनछरावर करकप्रे आरतश्री उतरार रहश्री और ममंगलगरान कर रहश्री हमैं। दप्रेवतरा
फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं और सपूत, मरागध तररा भराट सपुयश सपुनरा रहप्रे हमैं॥1॥
*कगोहबरहहमं आनप्रे कपु अहूँर कपु अहूँरर सपुआहसहनन्ह सपुख पराइ कहै ।
अहत पश्रीहत लरौहकक रश्रीहत लरागहीं करन ममंगल गराइ कहै ॥
लहकरौरर गरौरर हसखराव ररामहह सश्रीय सन सरारद कहमैं।
रहनवरासपु हरास हबलरास रस बस जन्म कगो फिलपु सब लहमैं॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुहराहगनश्री हस्त्रयराहूँ सपुख पराकर कपुहूँ अर और कपु मराररयर कगो कगोहबर (कपु लदप्रेवतरा कप्रे स्ररान) ममें
लराई मं और अत्यन्त पप्रेम सप्रे ममंगल गश्रीत गरा-गराकर लरौहकक रश्रीहत करनप्रे लगहीं। परावर्णतश्रीजश्री शश्री
ररामचन्दजश्री कगो लहकरौर (वर-वधपू करा परस्पर गरास दप्रेनरा) हसखरातश्री हमैं और सरस्वतश्रीजश्री सश्रीतराजश्री
कगो हसखरातश्री हमैं। रहनवरास हरास-हवलरास कप्रे आनमंद ममें मग्नि हहै, (शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री कगो दप्रेख-
दप्रेखकर) सभश्री जन्म करा परम फिल पराप्त कर रहश्री हमैं॥2॥
* हनज पराहन महन महह हूँ दप्रेहखअहत मपूरहत सपुरूपहनधरान ककी।
चरालहत न भपुजबल्लश्री हबलगोकहन हबरह भय बस जरानककी॥
करौतपुक हबनगोद पमगोद पु पप्रेमपु न जराइ कहह जरानहहमं अलहीं।
बर कपु अहूँरर सपुदमं र सकल सखहीं लवराइ जनवरासप्रेहह चलहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-'अपनप्रे हरार ककी महरयर ममें सपुमंदर रूप कप्रे भण्डरार शश्री ररामचन्दजश्री ककी परछराहहीं हदख रहश्री
हहै। यह दप्रेखकर जरानककीजश्री दशर्णन ममें हवयगोग हगोनप्रे कप्रे भय सप्रे बराहह रूपश्री लतरा कगो और दृहष्टि कगो
हहलरातश्री-डपु लरातश्री नहहीं हमैं। उस समय कप्रे हहूँसश्री-खप्रेल और हवनगोद करा आनमंद और पप्रेम कहरा नहहीं जरा
सकतरा, उसप्रे सहखयराहूँ हश्री जरानतश्री हमैं। तदनन्तर वर-कन्यराओमं कगो सब सपुदमं र सहखयराहूँ जनवरासप्रे कगो
हलवरा चलहीं॥3॥
* तप्रेहह समय सपुहनअ असश्रीस जहहूँ तहहूँ नगर नभ आनहूँद पु महरा।
हचर हजअहह हूँ जगोरहीं चरार चरारमयगो मपुहदत मन सबहहीं कहरा॥
जगोगहींद हसद मपुनश्रीस दप्रेव हबलगोहक पभपु ददमंपु हपु भ हनश्री।
चलप्रे हरहष बरहष पसपून हनज हनज लगोक जय जय जय भनश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उस समय नगर और आकराश ममें जहराहूँ सपुहनए, वहहीं आशश्रीवरार्णद ककी ध्वहन सपुनराई दप्रे रहश्री हहै
और महरान आनमंद छरायरा हहै। सभश्री नप्रे पसन्न मन सप्रे कहरा हक सपुदमं र चरारर जगोहडयराहूँ हचरमंजश्रीवश्री हर।
यगोगश्रीरराज, हसद, मपुनश्रीश्वर और दप्रेवतराओमं नप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर द न्पु दभपु श्री बजराई और
हहषर्णत हगोकर फिपूलर ककी वषरार्ण करतप्रे हह ए तररा 'जय हगो, जय हगो, जय हगो' कहतप्रे हह ए वप्रे अपनप्रे-अपनप्रे
लगोक कगो चलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सहहत बधपूहटन्ह कपु अहूँर सब तब आए हपतपु परास।
सगोभरा ममंगल मगोद भरर उमगप्रेउ जनपु जनवरास॥327॥
भरावरारर्ण:-तब सब (चरारर) कपु मरार बहह ओमं सहहत हपतराजश्री कप्रे परास आए। ऐसरा मरालपूम हगोतरा ररा मरानगो
शगोभरा, ममंगल और आनमंद सप्रे भरकर जनवरासरा उमड पडरा हगो॥327॥
चरौपराई :
* पपुहन जप्रेवनरार भई बहह भराहूँतश्री। पठए जनक बगोलराइ बररातश्री॥
परत पराहूँवडप्रे बसन अनपूपरा। सपुतन्ह समप्रेत गवन हकयगो भपूपरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर बहह त पकरार ककी रसगोई बनश्री। जनकजश्री नप्रे बरारराहतयर कगो बपुलरा भप्रेजरा। रराजरा दशररजश्री
नप्रे पपुत्रर सहहत गमन हकयरा। अनपुपम वस्त्रर कप्रे परावहूँ डप्रे पडतप्रे जरातप्रे हमैं॥1॥
* सरादर सब कप्रे पराय पखरारप्रे। जरराजगोगपु पश्रीढन्ह बहैठरारप्रे॥
धगोए जनक अवधपहत चरनरा। सश्रीलपु सनप्रेहह जराइ नहहमं बरनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-आदर कप्रे सरार सबकप्रे चरर धगोए और सबकगो यररायगोग्य पश्रीढर पर बहैठरायरा। तब जनकजश्री
नप्रे अवधपहत दशररजश्री कप्रे चरर धगोए। उनकरा शश्रील और स्नप्रेह वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥ 2॥
* बहह रर रराम पद पमंकज धगोए। जप्रे हर हृदय कमल महह हूँ गगोए॥
तश्रीहनउ भराइ रराम सम जरानश्री। धगोए चरन जनक हनज परानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररकमलर कगो धगोयरा, जगो शश्री हशवजश्री कप्रे हृदय कमल ममें हछपप्रे
रहतप्रे हमैं। तश्रीनर भराइयर कगो शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे समरान जरानकर जनकजश्री नप्रे उनकप्रे भश्री चरर अपनप्रे
हरारर सप्रे धगोए॥3॥
* आसन उहचत सबहह नमृप दश्रीन्हप्रे। बगोहल सपूपकरारश्री सब लश्रीन्हप्रे॥
सरादर लगप्रे परन पनवरारप्रे। कनक ककील महन परान सहूँवरारप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा जनकजश्री नप्रे सभश्री कगो उहचत आसन हदए और सब परसनप्रे वरालर कगो बपुलरा हलयरा।
आदर कप्रे सरार परलमें पडनप्रे लगहीं, जगो महरयर कप्रे परर सप्रे सगोनप्रे ककी ककील लगराकर बनराई गई रहीं॥
4॥
दगोहरा :
* सपूपगोदन सपुरभश्री सरहप सपुदमं र स्वराद पु पपुनश्रीत।
छन महह हूँ सब कमें परहस गप्रे चतपुर सपुआर हबनश्रीत॥328॥
भरावरारर्ण:-चतपुर और हवनश्रीत रसगोइए सपुमंदर, स्वराहदष्टि और पहवत्र दराल-भरात और गराय करा
(सपुगमंहधत) घश्री क्षर भर ममें सबकप्रे सरामनप्रे परस गए॥328॥
चरौपराई :
* पमंच कवल करर जप्रेवन लरागप्रे। गरारर गरान सपुहन अहत अनपुररागप्रे।
भराहूँहत अनप्रेक परप्रे पकवरानप्रे। सपुधरा सररस नहहमं जराहहमं बखरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग पमंचकरौर करकप्रे (अररार्णत 'परारराय स्वराहरा, अपरानराय स्वराहरा, व्यरानराय स्वराहरा,
उदरानराय स्वराहरा और समरानराय स्वराहरा' इन ममंत्रर करा उचरारर करतप्रे हह ए पहलप्रे पराहूँच गरास लप्रेकर)
भगोजन करनप्रे लगप्रे। गरालश्री करा गरानरा सपुनकर वप्रे अत्यन्त पप्रेममग्नि हगो गए। अनप्रेकर तरह कप्रे अममृत कप्रे
समरान (स्वराहदष्टि) पकवरान परसप्रे गए, हजनकरा बखरान नहहीं हगो सकतरा॥1॥
* परसन लगप्रे सपुआर सपुजरानरा। हबमंजन हबहबध नराम कगो जरानरा॥
चरारर भराहूँहत भगोजन हबहध गराई। एक एक हबहध बरहन न जराई॥2॥
भरावरारर्ण:-चतपुर रसगोइए नरानरा पकरार कप्रे व्यमंजन परसनप्रे लगप्रे, उनकरा नराम करौन जरानतरा हहै। चरार
पकरार कप्रे (चव्यर्ण, चगोष्य, लप्रेह्य, पप्रेय अररार्णत चबराकर, चपूसकर, चराटकर और पश्रीनरा-खरानप्रे यगोग्य)
भगोजन ककी हवहध कहश्री गई हहै, उनममें सप्रे एक-एक हवहध कप्रे इतनप्रे पदरारर्ण बनप्रे रप्रे हक हजनकरा वरर्ण नहहीं
हकयरा जरा सकतरा॥2॥
* छरस रहचर हबमंजन बहह जरातश्री। एक एक रस अगहनत भराहूँतश्री॥
जप्रेवहूँत दप्रेहहमं मधपुर धपुहन गरारश्री। लहै लहै नराम पपुरष अर नरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-छहर रसर कप्रे बहह त तरह कप्रे सपुदमं र (स्वराहदष्टि) व्यमंजन हमैं। एक-एक रस कप्रे अनहगनत
पकरार कप्रे बनप्रे हमैं। भगोजन कप्रे समय पपुरष और हस्त्रयर कप्रे नराम लप्रे-लप्रेकर हस्त्रयराहूँ मधपुर ध्वहन सप्रे गरालश्री
दप्रे रहश्री हमैं (गरालश्री गरा रहश्री हमैं)॥3॥
* समय सपुहरावहन गरारर हबरराजरा। हहूँसत रराउ सपुहन सहहत समराजरा॥
एहह हबहध सबहहीं भगोजनपु ककीन्हरा। आदर सहहत आचमनपु दश्रीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-समय ककी सपुहरावनश्री गरालश्री शगोहभत हगो रहश्री हहै। उसप्रे सपुनकर समराज सहहत रराजरा दशररजश्री
हहूँस रहप्रे हमैं। इस रश्रीहत सप्रे सभश्री नप्रे भगोजन हकयरा और तब सबकगो आदर सहहत आचमन (हरार-मपुहूँह
धगोनप्रे कप्रे हलए जल) हदयरा गयरा॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेइ परान पपूजप्रे जनक दसररपु सहहत समराज।
जनवरासप्रेहह गवनप्रे मपुहदत सकल भपूप हसरतराज॥329॥
भरावरारर्ण:-हफिर परान दप्रेकर जनकजश्री नप्रे समराज सहहत दशररजश्री करा पपूजन हकयरा। सब रराजराओमं कप्रे
हसरमरौर (चकवतर) शश्री दशररजश्री पसन्न हगोकर जनवरासप्रे कगो चलप्रे॥329॥
चरौपराई :
* हनत नपूतन ममंगल पपुर मराहहीं। हनहमष सररस हदन जराहमहन जराहहीं॥
बडप्रे भगोर भपूपहतमहन जरागप्रे। जराचक गपुन गन गरावन लरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकपपुर ममें हनत्य नए ममंगल हगो रहप्रे हमैं। हदन और ररात पल कप्रे समरान बश्रीत जरातप्रे हमैं। बडप्रे
सबप्रेरप्रे रराजराओमं कप्रे मपुकपुटमहर दशररजश्री जरागप्रे। यराचक उनकप्रे गपुर समपूह करा गरान करनप्रे लगप्रे॥1॥
* दप्रेहख कपु अहूँर बर बधपुन्ह समप्रेतरा। हकहम कहह जरात मगोद पु मन जप्रेतरा॥
परातहकयरा करर गप्रे गपुर पराहहीं। महरापमगोद पु पप्रेमपु मन मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-चरारर कपु मरारर कगो सपुदमं र वधपुओमं सहहत दप्रेखकर उनकप्रे मन ममें हजतनरा आनमंद हहै, वह हकस
पकरार कहरा जरा सकतरा हहै? वप्रे परातद्धाः हकयरा करकप्रे गपुर वहशषजश्री कप्रे परास गए। उनकप्रे मन ममें महरान
आनमंद और पप्रेम भररा हहै॥2॥
* करर पनरामपु पपूजरा कर जगोरश्री। बगोलप्रे हगररा अहमअहूँ जनपु बगोरश्री॥
तपुम्हरश्री कमृ पराहूँ सपुनहह मपुहनरराजरा। भयउहूँ आजपु ममैं पपूरन कराजरा॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा परराम और पपूजन करकप्रे , हफिर हरार जगोडकर मरानगो अममृत ममें डपु बगोई हह ई वरारश्री बगोलप्रे-
हप्रे मपुहनरराज! सपुहनए, आपककी कमृ परा सप्रे आज ममैं पपूरर्णकराम हगो गयरा॥3॥
* अब सब हबप बगोलराइ गगोसराई।मं दप्रेहह धप्रेनपु सब भराहूँहत बनराई॥मं
सपुहन गपुर करर महहपराल बडराई। पपुहन पठए मपुहनबमृमंद बगोलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वराहमनम! अब सब ब्रराहरर कगो बपुलराकर उनकगो सब तरह (गहनर-कपडर) सप्रे सजश्री
हह ई गरायमें दश्रीहजए। यह सपुनकर गपुरजश्री नप्रे रराजरा ककी बडराई करकप्रे हफिर मपुहनगरर कगो बपुलवरा भप्रेजरा॥4॥
दगोहरा :
* बरामदप्रेउ अर दप्रेवररहष बरालमश्रीहक जराबराहल।
आए मपुहनबर हनकर तब करौहसकराहद तपसराहल॥330॥
भरावरारर्ण:-तब वरामदप्रेव, दप्रेवहषर्ण नरारद, वराल्मश्रीहक, जराबराहल और हवश्वराहमत्र आहद तपस्वश्री शप्रेष
मपुहनयर कप्रे समपूह कप्रे समपूह आए॥330॥
चरौपराई :
* दमंड पनराम सबहह नमृप ककीन्हप्रे। पपूहज सपप्रेम बररासन दश्रीन्हप्रे॥
चरारर लच्छ बर धप्रेनपु मगराई।मं कराम सपुरहभ सम सश्रील सपुहराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सबकगो दण्डवतम परराम हकयरा और पप्रेम सहहत पपूजन करकप्रे उन्हमें उरम आसन
हदए। चरार लराख उरम गरायमें महूँगवराई,मं जगो करामधप्रेनपु कप्रे समरान अच्छप्रे स्वभराव वरालश्री और सपुहरावनश्री
रहीं॥1॥
* सब हबहध सकल अलमंकमृत ककीन्हहीं। मपुहदत महहप महहदप्रेवन्ह दश्रीन्हहीं॥
करत हबनय बहह हबहध नरनराहह। लहप्रेउहूँ आजपु जग जश्रीवन लराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-उन सबकगो सब पकरार सप्रे (गहनर-कपडर सप्रे) सजराकर रराजरा नप्रे पसन्न हगोकर भपूदवप्रे
ब्रराहरर कगो हदयरा। रराजरा बहह त तरह सप्रे हवनतश्री कर रहप्रे हमैं हक जगत ममें ममैंनप्रे आज हश्री जश्रीनप्रे करा लराभ
परायरा॥2॥
* पराइ असश्रीस महश्रीसपु अनमंदरा। हलए बगोहल पपुहन जराचक बमृमंदरा॥
कनक बसन महन हय गय स्यमंदन। हदए बपूहझ रहच रहबकपु लनमंदन॥3॥
भरावरारर्ण:-(ब्रराहरर सप्रे) आशश्रीवरादर्ण पराकर रराजरा आनमंहदत हह ए। हफिर यराचकर कप्रे समपूहर कगो बपुलवरा
हलयरा और सबकगो उनककी रहच पपूछकर सगोनरा, वस्त्र, महर, घगोडरा, हरारश्री और रर (हजसनप्रे जगो
चराहरा सगो) सपूयर्णकपुल कगो आनमंहदत करनप्रे वरालप्रे दशररजश्री नप्रे हदए॥3॥
* चलप्रे पढत गरावत गपुन गराररा। जय जय जय हदनकर कपु ल नराररा॥
एहह हबहध रराम हबआह उछराहह। सकइ न बरहन सहस मपुख जराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब गपुररानपुवराद गरातप्रे और 'सपूयर्णकपुल कप्रे स्वरामश्री ककी जय हगो, जय हगो, जय हगो' कहतप्रे
हह ए चलप्रे। इस पकरार शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हववराह करा उत्सव हहआ, हजन्हमें सहस्र मपुख हमैं, वप्रे शप्रेषजश्री
भश्री उसकरा वरर्णन नहहीं कर सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* बरार बरार करौहसक चरन सश्रीसपु नराइ कह रराउ।
यह सबपु सपुखपु मपुहनरराज तव कमृ परा कटराच्छ पसराउ॥331॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार हवश्वराहमत्रजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर रराजरा कहतप्रे हमैं- हप्रे मपुहनरराज! यह सब
सपुख आपकप्रे हश्री कमृ पराकटराक्ष करा पसराद हहै॥331॥
चरौपराई :
* जनक सनप्रेहह सश्रीलपु करतपूतश्री। नमृपपु सब भराहूँहत सरराह हबभपूतश्री॥
हदन उहठ हबदरा अवधपहत मरागरा। रराखहहमं जनकपु सहहत अनपुररागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशररजश्री जनकजश्री कप्रे स्नप्रेह, शश्रील, करनश्री और ऐश्वयर्ण ककी सब पकरार सप्रे सरराहनरा
करतप्रे हमैं। पहतहदन (सबप्रेरप्रे) उठकर अयगोध्यरा नरप्रेश हवदरा मराहूँगतप्रे हमैं। पर जनकजश्री उन्हमें पप्रेम सप्रे रख
लप्रेतप्रे हमैं॥1॥
* हनत नपूतन आदर अहधकराई। हदन पहत सहस भराहूँहत पहह नराई॥
हनत नव नगर अनमंद उछराहह। दसरर गवनपु सगोहराइ न कराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-आदर हनत्य नयरा बढतरा जरातरा हहै। पहतहदन हजरारर पकरार सप्रे मप्रेहमरानश्री हगोतश्री हहै। नगर ममें
हनत्य नयरा आनमंद और उत्सराह रहतरा हहै, दशररजश्री करा जरानरा हकसश्री कगो नहहीं सपुहरातरा॥2॥
* बहह त हदवस बश्रीतप्रे एहह भराहूँतश्री। जनपु सनप्रेह रजपु बहूँधप्रे बररातश्री॥
करौहसक सतरानमंद तब जराई। कहरा हबदप्रेह नमृपहह समपुझराई॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार बहह त हदन बश्रीत गए, मरानगो बराररातश्री स्नप्रेह ककी रस्सश्री सप्रे बहूँध गए हमैं। तब
हवश्वराहमत्रजश्री और शतरानमंदजश्री नप्रे जराकर रराजरा जनक कगो समझराकर कहरा-॥3॥
* अब दसरर कहहूँ आयसपु दप्रेहह। जद्यहप छराहड न सकहह सनप्रेहह॥
भलप्रेहहमं नरार कहह सहचव बगोलराए। कहह जय जश्रीव सश्रीस हतन्ह नराए॥4॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप आप स्नप्रेह (वश उन्हमें) नहहीं छगोड सकतप्रे, तगो भश्री अब दशररजश्री कगो आजरा
दश्रीहजए। 'हप्रे नरार! बहह त अच्छरा' कहकर जनकजश्री नप्रे ममंहत्रयर कगो बपुलवरायरा। वप्रे आए और 'जय
जश्रीव' कहकर उन्हरनप्रे मस्तक नवरायरा॥4॥
दगोहरा :
* अवधनरारपु चराहत चलन भश्रीतर करहह जनराउ।
भए पप्रेमबस सहचव सपुहन हबप सभरासद रराउ॥332॥
भरावरारर्ण:-(जनकजश्री नप्रे कहरा-) अयगोध्यरानरार चलनरा चराहतप्रे हमैं, भश्रीतर (रहनवरास ममें) खबर कर
दगो। यह सपुनकर ममंत्रश्री, ब्रराहर, सभरासद और रराजरा जनक भश्री पप्रेम कप्रे वश हगो गए॥332॥
चरौपराई :
* पपुरबरासश्री सपुहन चहलहह बररातरा। बपूझत हबकल परस्पर बरातरा॥
सत्य गवनपु सपुहन सब हबलखरानप्रे। मनहह हूँ सराझ हूँ सरहसज सकपु चरानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-जनकपपुरवराहसयर नप्रे सपुनरा हक बराररात जराएगश्री , तब वप्रे व्यराकपुल हगोकर एक-दस पू रप्रे सप्रे बरात
पपूछनप्रे लगप्रे। जरानरा सत्य हहै, यह सपुनकर सब ऐसप्रे उदरास हगो गए मरानगो समंध्यरा कप्रे समय कमल सकपु चरा
गए हर॥1॥
* जहहूँ जहहूँ आवत बसप्रे बररातश्री। तहहूँ तहहूँ हसद चलरा बहह भराहूँतश्री॥
हबहबध भराहूँहत मप्रेवरा पकवरानरा। भगोजन सराजपु न जराइ बखरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आतप्रे समय जहराहूँ-जहराहूँ बराररातश्री ठहरप्रे रप्रे, वहराहूँ-वहराहूँ बहह त पकरार करा सश्रीधरा (रसगोई करा
सरामरान) भप्रेजरा गयरा। अनप्रेकर पकरार कप्रे मप्रेवप्रे, पकवरान और भगोजन ककी सरामगश्री जगो बखरानश्री नहहीं जरा
सकतश्री-॥2॥
* भरर भरर बसहहूँ अपरार कहराररा। पठई मं जनक अनप्रेक सपुसराररा॥
तपुरग लराख रर सहस पचश्रीसरा। सकल सहूँवरारप्रे नख अर सश्रीसरा॥3॥
भरावरारर्ण:-अनहगनत बहैलर और कहरारर पर भर-भरकर (लराद-लरादकर) भप्रेजश्री गई। सरार हश्री
जनकजश्री नप्रे अनप्रेकर सपुदमं र शय्यराएहूँ (पलमंग) भप्रेजहीं। एक लराख घगोडप्रे और पचश्रीस हजरार रर सब नख
सप्रे हशखरा तक (ऊपर सप्रे नश्रीचप्रे तक) सजराए हहए,॥3॥
दगोहरा :
* मर सहस दस हसमंधपुर सराजप्रे। हजन्हहह दप्रेहख हदहसकपुमं जर लराजप्रे॥
कनक बसन महन भरर भरर जरानरा। महहषहीं धप्रेनपु बस्तपु हबहध नरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-दस हजरार सजप्रे हहए मतवरालप्रे हरारश्री, हजन्हमें दप्रेखकर हदशराओमं कप्रे हरारश्री भश्री लजरा जरातप्रे हमैं,
गराहडयर ममें भर-भरकर सगोनरा, वस्त्र और रत्न (जवराहररात) और भमैंस, गराय तररा और भश्री नरानरा
पकरार ककी चश्रीजमें दहीं॥4॥
दगोहरा :
* दराइज अहमत न सहकअ कहह दश्रीन्ह हबदप्रेहहूँ बहगोरर।
जगो अवलगोकत लगोकपहत लगोक समंपदरा रगोरर॥333॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार) जनकजश्री नप्रे हफिर सप्रे अपररहमत दहप्रेज हदयरा, जगो कहरा नहहीं जरा सकतरा
और हजसप्रे दप्रेखकर लगोकपरालर कप्रे लगोकर ककी सम्पदरा भश्री रगोडश्री जरान पडतश्री रश्री॥333॥
चरौपराई :
* सबपु समराजपु एहह भराहूँहत बनराई। जनक अवधपपुर दश्रीन्ह पठराई॥
चहलहह बररात सपुनत सब ररानहीं। हबकल मश्रीनगन जनपु लघपु परानहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब सरामरान सजराकर रराजरा जनक नप्रे अयगोध्यरापपुरश्री कगो भप्रेज हदयरा। बराररात
चलप्रेगश्री, यह सपुनतप्रे हश्री सब रराहनयराहूँ ऐसश्री हवकल हगो गई,मं मरानगो रगोडप्रे जल ममें मछहलयराहूँ छटपटरा रहश्री
हर॥1॥
* पपुहन पपुहन सश्रीय गगोद करर लप्रेहहीं। दप्रेह असश्रीस हसखरावनपु दप्रेहहीं॥
हगोएहह समंतत हपयहह हपआरश्री। हचर अहहबरात असश्रीस हमरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे बरार-बरार सश्रीतराजश्री कगो गगोद कर लप्रेतश्री हमैं और आशश्रीवरार्णद दप्रेकर हसखरावन दप्रेतश्री हमैं - तपुम
सदरा अपनप्रे पहत ककी प्यरारश्री हगोओ, तपुम्हराररा सगोहराग अचल हगो, हमरारश्री यहश्री आशश्रीष हहै॥2॥
* सरासपु ससपुर गपुर सप्रेवरा करप्रेहह। पहत रख लहख आयसपु अनपुसरप्रेहह॥
अहत सनप्रेह बस सखहीं सयरानश्री। नरारर धरम हसखवहहमं ममृद पु बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सरास, ससपुर और गपुर ककी सप्रेवरा करनरा। पहत करा रख दप्रेखकर उनककी आजरा करा परालन
करनरा। सयरानश्री सहखयराहूँ अत्यन्त स्नप्रेह कप्रे वश कगोमल वरारश्री सप्रे हस्त्रयर कप्रे धमर्ण हसखलरातश्री हमैं॥3॥
* सरादर सकल कपु अहूँरर समपुझराई।मं रराहनन्ह बरार बरार उर लराई॥मं
बहह रर बहह रर भप्रेटहहमं महतरारहीं। कहहहमं हबरमंहच रचहीं कत नरारहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-आदर कप्रे सरार सब पपुहत्रयर कगो (हस्त्रयर कप्रे धमर्ण) समझराकर रराहनयर नप्रे बरार-बरार उन्हमें
हृदय सप्रे लगरायरा। मरातराएहूँ हफिर-हफिर भमेंटतश्री और कहतश्री हमैं हक ब्रहरा नप्रे स्त्रश्री जराहत कगो क्यर रचरा॥ 4॥
दगोहरा :
* तप्रेहह अवसर भराइन्ह सहहत ररामपु भरानपु कपु ल कप्रे तपु।
चलप्रे जनक ममंहदर मपुहदत हबदरा कररावन हप्रेतपु॥334॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय सपूयर्णवमंश कप्रे पतराकरा स्वरूप शश्री ररामचन्दजश्री भराइयर सहहत पसन्न हगोकर हवदरा
कररानप्रे कप्रे हलए जनकजश्री कप्रे महल कगो चलप्रे॥334॥
चरौपराई :
* चराररउ भराइ सपुभरायहूँ सपुहराए। नगर नरारर नर दप्रेखन धराए॥
कगोउ कह चलन चहत हहहमं आजपू। ककीन्ह हबदप्रेह हबदरा कर सराजपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं र चरारर भराइयर कगो दप्रेखनप्रे कप्रे हलए नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष दरौडप्रे। कगोई कहतरा
हहै- आज यप्रे जरानरा चराहतप्रे हमैं। हवदप्रेह नप्रे हवदराई करा सब सरामरान तहैयरार कर हलयरा हहै॥ 1॥
* लप्रेहह नयन भरर रूप हनहरारश्री। हपय पराहहनप्रे भपूप सपुत चरारश्री॥
कगो जरानहै कप्रे हहमं सपुकमृत सयरानश्री। नयन अहतहर ककीन्हप्रे हबहध आनश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कप्रे चरारर पपुत्र, इन प्यरारप्रे मप्रेहमरानर कप्रे (मनगोहर) रूप कगो नप्रेत्र भरकर दप्रेख लगो। हप्रे
सयरानश्री! करौन जरानप्रे, हकस पपुण्य सप्रे हवधरातरा नप्रे इन्हमें यहराहूँ लराकर हमरारप्रे नप्रेत्रर करा अहतहर हकयरा हहै॥
2॥
* मरनसश्रीलपु हजहम पराव हपऊषरा। सपुरतर लहहै जनम कर भपूखरा॥
पराव नरार ककी हररपद पु जहैसमें। इन्ह कर दरसनपु हम कहहूँ तहैसमें॥3॥
भरावरारर्ण:-मरनप्रे वरालरा हजस तरह अममृत परा जराए, जन्म करा भपूखरा कल्पवमृक्ष परा जराए और नरक ममें
रहनप्रे वरालरा (यरा नरक कप्रे यगोग्य) जश्रीव जहैसप्रे भगवरान कप्रे परमपद कगो पराप्त हगो जराए, हमरारप्रे हलए
इनकप्रे दशर्णन वहैसप्रे हश्री हमैं॥3॥
* हनरहख रराम सगोभरा उर धरहह । हनज मन फिहन मपूरहत महन करहह ॥
एहह हबहध सबहह नयन फिलपु दप्रेतरा। गए कपु अहूँर सब रराज हनकप्रे तरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी शगोभरा कगो हनरखकर हृदय ममें धर लगो। अपनप्रे मन कगो सरापहूँ और इनककी
मपूहतर्ण कगो महर बनरा लगो। इस पकरार सबकगो नप्रेत्रर करा फिल दप्रेतप्रे हह ए सब रराजकपु मरार रराजमहल ममें गए॥
4॥
दगोहरा :
* रूप हसमंधपु सब बमंधपु लहख हरहष उठरा रहनवरासपु।
करहहमं हनछरावरर आरतश्री महरा मपुहदत मन सरासपु॥335॥
भरावरारर्ण:-रूप कप्रे समपुद सब भराइयर कगो दप्रेखकर सराररा रहनवरास हहषर्णत हगो उठरा। सरासपुएहूँ महरान पसन्न
मन सप्रे हनछरावर और आरतश्री करतश्री हमैं॥335॥
चरौपराई :
* दप्रेहख रराम छहब अहत अनपुररागहीं। पप्रेमहबबस पपुहन पपुहन पद लरागहीं॥
रहश्री न लराज पश्रीहत उर छराई। सहज सनप्रेहह बरहन हकहम जराई॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब दप्रेखकर वप्रे पप्रेम ममें अत्यन्त मग्नि हगो गई मं और पप्रेम कप्रे हवशप्रेष वश
हगोकर बरार-बरार चररर लगहीं। हृदय ममें पश्रीहत छरा गई, इससप्रे लजरा नहहीं रह गई। उनकप्रे स्वराभराहवक
स्नप्रेह करा वरर्णन हकस तरह हकयरा जरा सकतरा हहै॥ 1॥
* भराइन्ह सहहत उबहट अन्हवराए। छरस असन अहत हप्रेतपु जप्रेवराहूँए॥
बगोलप्रे ररामपु सपुअवसर जरानश्री। सश्रील सनप्रेह सकपु चमय बरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे भराइयर सहहत शश्री ररामजश्री कगो उबटन करकप्रे स्नरान कररायरा और बडप्रे पप्रेम सप्रे षटड स
भगोजन कररायरा। सपुअवसर जरानकर शश्री ररामचन्दजश्री शश्रील, स्नप्रेह और समंकगोचभरश्री वरारश्री बगोलप्रे-॥2॥
* रराउ अवधपपुर चहत हसधराए। हबदरा हगोन हम इहराहूँ पठराए॥
मरातपु मपुहदत मन आयसपु दप्रेहह। बरालक जराहन करब हनत नप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-महरारराज अयगोध्यरापपुरश्री कगो चलरानरा चराहतप्रे हमैं, उन्हरनप्रे हममें हवदरा हगोनप्रे कप्रे हलए यहराहूँ भप्रेजरा हहै।
हप्रे मरातरा! पसन्न मन सप्रे आजरा दश्रीहजए और हममें अपनप्रे बरालक जरानकर सदरा स्नप्रेह बनराए रहखएगरा॥
3॥
* सपुनत बचन हबलखप्रेउ रहनवरासपू। बगोहल न सकहहमं पप्रेमबस सरासपू॥
हृदयहूँ लगराई कपु अहूँरर सब लश्रीन्हश्री। पहतन्ह सजौंहप हबनतश्री अहत ककीन्हश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-इन वचनर कगो सपुनतप्रे हश्री रहनवरास उदरास हगो गयरा। सरासपुएहूँ पप्रेमवश बगोल नहहीं सकतहीं।
उन्हरनप्रे सब कपु मराररयर कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा और उनकप्रे पहतयर कगो सजौंपकर बहह त हवनतश्री ककी॥
4॥
छन्द :
* करर हबनय हसय ररामहह समरपश्री जगोरर कर पपुहन पपुहन कहहै।
बहल जराउहूँ तरात सपुजरान तपुम्ह कहह हूँ हबहदत गहत सब ककी अहहै॥
पररवरार पपुरजन मगोहह रराजहह परानहपय हसय जराहनबश्री।
तपुलसश्रीस सश्रीलपु सनप्रेहह लहख हनज हकमंकरश्री करर मराहनबश्री॥
भरावरारर्ण:-हवनतश्री करकप्रे उन्हरनप्रे सश्रीतराजश्री कगो शश्री ररामचन्दजश्री कगो समहपर्णत हकयरा और हरार जगोडकर
बरार-बरार कहरा- हप्रे तरात! हप्रे सपुजरान! ममैं बहल जरातश्री हह हूँ, तपुमकगो सबककी गहत (हराल) मरालपूम हहै।
पररवरार कगो, पपुरवराहसयर कगो, मपुझकगो और रराजरा कगो सश्रीतरा परारर कप्रे समरान हपय हहै, ऐसरा
जराहनएगरा। हप्रे तपुलसश्री कप्रे स्वरामश्री! इसकप्रे शश्रील और स्नप्रेह कगो दप्रेखकर इसप्रे अपनश्री दरासश्री करकप्रे
मराहनएगरा।
सगोरठरा :
* तपुम्ह पररपपूरन कराम जरान हसरगोमहन भरावहपय।
जन गपुन गराहक रराम दगोष दलन करनरायतन॥336॥
भरावरारर्ण:-तपुम पपूरर्ण कराम हगो, सपुजरान हशरगोमहर हगो और भरावहपय हगो (तपुम्हमें पप्रेम प्यराररा हहै)। हप्रे रराम!
तपुम भक्तर कप्रे गपुरर कगो गहर करनप्रे वरालप्रे, दगोषर कगो नराश करनप्रे वरालप्रे और दयरा कप्रे धराम हगो॥336॥
चरौपराई :
* अस कहह रहश्री चरन गहह ररानश्री। पप्रेम पमंक जनपु हगररा समरानश्री॥
सपुहन सनप्रेहसरानश्री बर बरानश्री। बहह हबहध रराम सरासपु सनमरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर ररानश्री चररर कगो पकडकर (चपुप) रह गई।मं मरानगो उनककी वरारश्री पप्रेम रूपश्री
दलदल ममें समरा गई हगो। स्नप्रेह सप्रे सनश्री हह ई शप्रेष वरारश्री सपुनकर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सरास करा बहह त
पकरार सप्रे सम्मरान हकयरा॥1॥
* रराम हबदरा मरागत कर जगोरश्री। ककीन्ह पनरामपु बहगोरर बहगोरश्री॥
पराइ असश्रीस बहह रर हसर नराई। भराइन्ह सहहत चलप्रे रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हरार जगोडकर हवदरा मराहूँगतप्रे हहए बरार-बरार परराम हकयरा। आशश्रीवरार्णद
पराकर और हफिर हसर नवराकर भराइयर सहहत शश्री रघपुनरारजश्री चलप्रे॥ 2॥
* ममंजपु मधपुर मपूरहत उर आनश्री। भई मं सनप्रेह हसहरल सब ररानश्री॥
पपुहन धश्रीरजपु धरर कपु अहूँरर हहूँकरारहीं। बरार बरार भप्रेटहह महतरारहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी सपुदमं र मधपुर मपूहतर्ण कगो हृदय ममें लराकर सब रराहनयराहूँ स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो गई ।मं
हफिर धश्रीरज धरारर करकप्रे कपु मराररयर कगो बपुलराकर मरातराएहूँ बरारमंबरार उन्हमें (गलप्रे लगराकर) भमेंटनप्रे लगहीं॥
3॥
* पहह हूँचरावहहमं हफिरर हमलहहमं बहगोरश्री। बढश्री परस्पर पश्रीहत न रगोरश्री॥
पपुहन पपुहन हमलत सहखन्ह हबलगराई। बराल बच्छ हजहम धप्रेनपु लवराई॥4॥
भरावरारर्ण:-पपुहत्रयर कगो पहह हूँचरातश्री हमैं, हफिर लरौटकर हमलतश्री हमैं। परस्पर ममें कपु छ रगोडश्री पश्रीहत नहहीं बढश्री
(अररार्णत बहह त पश्रीहत बढश्री)। बरार-बरार हमलतश्री हहई मरातराओमं कगो सहखयर नप्रे अलग कर हदयरा। जहैसप्रे
हराल ककी ब्यरायश्री हहई गराय कगो कगोई उसकप्रे बरालक बछडप्रे (यरा बहछयरा) सप्रे अलग कर दप्रे॥4॥
दगोहरा :
* पप्रेमहबबस नर नरारर सब सहखन्ह सहहत रहनवरासपु।
मरानहह हूँ ककीन्ह हबदप्रेहपपुर करनराहूँ हबरहहूँ हनवरासपु॥337॥
भरावरारर्ण:-सब स्त्रश्री-पपुरष और सहखयर सहहत सराररा रहनवरास पप्रेम कप्रे हवशप्रेष वश हगो रहरा हहै। (ऐसरा
लगतरा हहै) मरानगो जनकपपुर ममें करररा और हवरह नप्रे डप्रेररा डराल हदयरा हहै॥337॥
चरौपराई :
* सपुक सराररकरा जरानककी ज्यराए। कनक हपमंजरहन्ह रराहख पढराए॥
ब्यराकपुल कहहहमं कहराहूँ बहैदहप्रे श्री। सपुहन धश्रीरजपु पररहरइ न कप्रे हश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जरानककी नप्रे हजन तगोतरा और महैनरा कगो पराल-पगोसकर बडरा हकयरा ररा और सगोनप्रे कप्रे हपमंजडर
ममें रखकर पढरायरा ररा, वप्रे व्यराकपुल हगोकर कह रहप्रे हमैं- वहैदहप्रे श्री कहराहूँ हमैं। उनकप्रे ऐसप्रे वचनर कगो सपुनकर
धश्रीरज हकसकगो नहहीं त्यराग दप्रेगरा (अररार्णत सबकरा धहैयर्ण जरातरा रहरा)॥1॥
* भए हबकल खग ममृग एहह भराहूँतश्री। मनपुज दसरा कहै समें कहह जरातश्री॥
बमंधपु समप्रेत जनकपु तब आए। पप्रेम उमहग लगोचन जल छराए॥2॥
भरावरारर्ण:-जब पक्षश्री और पशपु तक इस तरह हवकल हगो गए, तब मनपुष्यर ककी दशरा कहै सप्रे कहश्री जरा
सकतश्री हहै! तब भराई सहहत जनकजश्री वहराहूँ आए। पप्रेम सप्रे उमडकर उनकप्रे नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा)
जल भर आयरा॥2॥
* सश्रीय हबलगोहक धश्रीरतरा भरागश्री। रहप्रे कहरावत परम हबररागश्री॥
लश्रीहन्ह ररायहूँ उर लराइ जरानककी। हमटश्री महरामरजराद ग्यरान ककी॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे परम वहैरराग्यवरान कहलरातप्रे रप्रे, पर सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर उनकरा भश्री धश्रीरज भराग गयरा।
रराजरा नप्रे जरानककीजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। (पप्रेम कप्रे पभराव सप्रे) जरान ककी महरान मयरार्णदरा हमट गई
(जरान करा बराहूँध टपू ट गयरा)॥3॥
* समपुझरावत सब सहचव सयरानप्रे। ककीन्ह हबचरार न अवसर जरानप्रे॥
बरारहहमं बरार सपुतरा उर लराई।मं सहज सपुदमं र परालककीमं मगराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-सब बपुहदमरान ममंत्रश्री उन्हमें समझरातप्रे हमैं। तब रराजरा नप्रे हवषराद करनप्रे करा समय न जरानकर
हवचरार हकयरा। बरारमंबरार पपुहत्रयर कगो हृदय सप्रे लगराकर सपुदमं र सजश्री हह ई परालहकयराहूँ महूँगवराई॥4॥
दगोहरा :
* पप्रेमहबबस पररवरार सबपु जराहन सपुलगन नरप्रेस।
कपु अहूँरर चढराई मं परालहकन्ह सपुहमरप्रे हसहद गनप्रेस॥338॥
भरावरारर्ण:-सराररा पररवरार पप्रेम ममें हववश हहै। रराजरा नप्रे सपुदमं र मपुहह तर्ण जरानकर हसहद सहहत गरप्रेशजश्री करा
स्मरर करकप्रे कन्यराओमं कगो परालहकयर पर चढरायरा॥338॥
चरौपराई :
* बहह हबहध भपूप सपुतरा समपुझराई।मं नराररधरमपु कपु लरश्रीहत हसखराई॥मं
दरासहीं दरास हदए बहह तप्रेरप्रे। सपुहच सप्रेवक जप्रे हपय हसय कप्रे रप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे पपुहत्रयर कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा और उन्हमें हस्त्रयर करा धमर्ण और कपु ल ककी
रश्रीहत हसखराई। बहह त सप्रे दरासश्री-दरास हदए, जगो सश्रीतराजश्री कप्रे हपय और हवश्वरास परात्र सप्रेवक रप्रे॥1॥
* सश्रीय चलत ब्यराकपुल पपुरबरासश्री। हगोहहमं सगपुन सपुभ ममंगल ररासश्री॥
भपूसपुर सहचव समप्रेत समराजरा। समंग चलप्रे पहह हूँचरावन रराजरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कप्रे चलतप्रे समय जनकपपुरवरासश्री व्यराकपुल हगो गए। ममंगल ककी रराहश शपुभ शकपु न हगो
रहप्रे हमैं। ब्रराहर और ममंहत्रयर कप्रे समराज सहहत रराजरा जनकजश्री उन्हमें पहह हूँचरानप्रे कप्रे हलए सरार चलप्रे॥2॥
* समय हबलगोहक बराजनप्रे बराजप्रे। रर गज बराहज बरराहतन्ह सराजप्रे॥
दसरर हबप बगोहल सब लश्रीन्हप्रे। दरान मरान पररपपूरन ककीन्हप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-समय दप्रेखकर बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। बरारराहतयर नप्रे रर, हरारश्री और घगोडप्रे सजराए। दशररजश्री नप्रे
सब ब्रराहरर कगो बपुलरा हलयरा और उन्हमें दरान और सम्मरान सप्रे पररपपूरर्ण कर हदयरा॥ 3॥
* चरन सरगोज धपूरर धरर सश्रीसरा। मपुहदत महश्रीपहत पराइ असश्रीसरा॥
सपुहमरर गजराननपु ककीन्ह पयरानरा। ममंगल मपूल सगपुन भए नरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे चरर कमलर ककी धपूहल हसर पर धरकर और आशश्रीष पराकर रराजरा आनमंहदत हह ए
और गरप्रेशजश्री करा स्मरर करकप्रे उन्हरनप्रे पस्ररान हकयरा। ममंगलर कप्रे मपूल अनप्रेकर शकपु न हह ए॥4॥
दगोहरा :
* सपुर पसपून बरषहहमं हरहष करहहमं अपछररा गरान।
चलप्रे अवधपहत अवधपपुर मपुहदत बजराइ हनसरान॥339॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा हहषर्णत हगोकर फिपू ल बरसरा रहप्रे हमैं और अप्सरराएहूँ गरान कर रहश्री हमैं। अवधपहत
दशररजश्री नगराडप्रे बजराकर आनमंदपपूवर्णक अयगोध्यरापपुरश्री चलप्रे॥339॥
चरौपराई :
* नमृप करर हबनय महराजन फिप्रे रप्रे। सरादर सकल मरागनप्रे टप्रेरप्रे॥
भपूषन बसन बराहज गज दश्रीन्हप्रे। पप्रेम पगोहष ठराढप्रे सब ककीन्हप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशररजश्री नप्रे हवनतश्री करकप्रे पहतहषत जनर कगो लरौटरायरा और आदर कप्रे सरार सब
महूँगनर कगो बपुलवरायरा। उनकगो गहनप्रे-कपडप्रे, घगोडप्रे-हरारश्री हदए और पप्रेम सप्रे पपुष्टि करकप्रे सबकगो सम्पन्न
अररार्णत बलयक्त पु कर हदयरा॥1॥।
* बरार बरार हबररदरावहल भराषश्री। हफिरप्रे सकल ररामहह उर रराखश्री॥
बहह रर बहह रर कगोसलपहत कहहहीं। जनकपु पप्रेमबस हफिरहै न चहहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब बरारमंबरार हवरदरावलश्री (कपु लककीहतर्ण) बखरानकर और शश्री ररामचन्दजश्री कगो हृदय ममें
रखकर लरौटप्रे। कगोसलराधश्रीश दशररजश्री बरार-बरार लरौटनप्रे कगो कहतप्रे हमैं, परन्तपु जनकजश्री पप्रेमवश
लरौटनरा नहहीं चराहतप्रे॥2॥
* पपुहन कह भपूपत बचन सपुहराए। हफिररअ महश्रीस दरपू र बहड आए॥
रराउ बहगोरर उतरर भए ठराढप्रे। पप्रेम पबराह हबलगोचन बराढप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दशररजश्री नप्रे हफिर सपुहरावनप्रे वचन कहप्रे- हप्रे रराजनम! बहह त दरपू आ गए, अब लरौहटए। हफिर
रराजरा दशररजश्री रर सप्रे उतरकर खडप्रे हगो गए। उनकप्रे नप्रेत्रर ममें पप्रेम करा पवराह बढ आयरा (पप्रेमराशपुओमं
ककी धराररा बह चलश्री)॥3॥
* तब हबदप्रेह बगोलप्रे कर जगोरश्री। बचन सनप्रेह सपुधराहूँ जनपु बगोरश्री॥
करजौं कवन हबहध हबनय बनराई। महरारराज मगोहह दश्रीहन्ह बडराई॥4॥
भरावरारर्ण:-तब जनकजश्री हरार जगोडकर मरानगो स्नप्रेह रूपश्री अममृत ममें डपु बगोकर वचन बगोलप्रे- ममैं हकस तरह
बनराकर (हकन शब्दर ममें) हवनतश्री करूहूँ। हप्रे महरारराज! आपनप्रे मपुझप्रे बडश्री बडराई दश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* कगोसलपहत समधश्री सजन सनमरानप्रे सब भराहूँहत।
हमलहन परसपर हबनय अहत पश्रीहत न हृदयहूँ समराहत॥340॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरानरार दशररजश्री नप्रे अपनप्रे स्वजन समधश्री करा सब पकरार सप्रे सम्मरान हकयरा। उनकप्रे
आपस कप्रे हमलनप्रे ममें अत्यन्त हवनय रश्री और इतनश्री पश्रीहत रश्री जगो हृदय ममें समरातश्री न रश्री॥ 340॥
चरौपराई :
* मपुहन ममंडहलहह जनक हसर नरावरा। आहसरबराद पु सबहह सन परावरा॥
सरादर पपुहन भमेंटप्रे जरामरातरा। रूप सश्रील गपुन हनहध सब ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री नप्रे मपुहन ममंडलश्री कगो हसर नवरायरा और सभश्री सप्रे आशश्रीवरादर्ण परायरा। हफिर आदर कप्रे
सरार वप्रे रूप, शश्रील और गपुरर कप्रे हनधरान सब भराइयर सप्रे, अपनप्रे दरामरादर सप्रे हमलप्रे,॥1॥
* जगोरर पमंकरह पराहन सपुहराए। बगोलप्रे बचन पप्रेम जनपु जराए॥
रराम करजौं कप्रे हह भराहूँहत पसमंसरा। मपुहन महप्रेस मन मरानस हमंसरा॥2॥
भरावरारर्ण:-और सपुदमं र कमल कप्रे समरान हरारर कगो जगोडकर ऐसप्रे वचन बगोलप्रे जगो मरानगो पप्रेम सप्रे हश्री जन्मप्रे
हर। हप्रे ररामजश्री! ममैं हकस पकरार आपककी पशमंसरा करूहूँ! आप मपुहनयर और महरादवप्रे जश्री कप्रे मन रूपश्री
मरानसरगोवर कप्रे हमंस हमैं॥2॥
* करहहमं जगोग जगोगश्री जप्रेहह लरागश्री। कगोहह मगोहह ममतरा मदपु त्यरागश्री॥
ब्यरापकपु ब्रहपु अलखपु अहबनरासश्री। हचदरानमंद पु हनरगपुन गपुनररासश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-यगोगश्री लगोग हजनकप्रे हलए कगोध, मगोह, ममतरा और मद कगो त्यरागकर यगोग सराधन करतप्रे हमैं,
जगो सवर्णव्यरापक, ब्रह, अव्यक्त, अहवनराशश्री, हचदरानमंद, हनगपुर्णर और गपुरर ककी रराहश हमैं,॥3॥
*मन समप्रेत जप्रेहह जरान न बरानश्री। तरहक न सकहहमं सकल अनपुमरानश्री॥
महहमरा हनगमपु नप्रेहत कहह कहई। जगो हतहह हूँ कराल एकरस रहई॥4॥
भरावरारर्ण:- हजनकगो मन सहहत वरारश्री नहहीं जरानतश्री और सब हजनकरा अनपुमरान हश्री करतप्रे हमैं , कगोई
तकर्णनरा नहहीं कर सकतप्रे, हजनककी महहमरा कगो वप्रेद 'नप्रेहत' कहकर वरर्णन करतरा हहै और जगो
(सहचदरानमंद) तश्रीनर करालर ममें एकरस (सवर्णदरा और सवर्णररा हनहवर्णकरार) रहतप्रे हमैं,॥4॥
दगोहरा :
* नयन हबषय मगो कहह हूँ भयउ सगो समस्त सपुख मपूल।
सबइ लराभपु जग जश्रीव कहहूँ भएहूँ ईसपु अनपुकपूल॥341॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हश्री समस्त सपुखर कप्रे मपूल (आप) मप्रेरप्रे नप्रेत्रर कप्रे हवषय हह ए। ईश्वर कप्रे अनपुकपूल हगोनप्रे पर
जगत ममें जश्रीव कगो सब लराभ हश्री लराभ हहै॥341॥
चरौपराई :
* सबहह भराहूँहत मगोहह दश्रीहन्ह बडराई। हनज जन जराहन लश्रीन्ह अपनराई॥
हगोहहमं सहस दस सरारद सप्रेषरा। करहहमं कलप कगोहटक भरर लप्रेखरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- आपनप्रे मपुझप्रे सभश्री पकरार सप्रे बडराई दश्री और अपनरा जन जरानकर अपनरा हलयरा। यहद दस
हजरार सरस्वतश्री और शप्रेष हर और करगोडर कल्पर तक गरनरा करतप्रे रहमें॥ 1॥
* मगोर भराग्य रराउर गपुन गराररा। कहह न हसरराहहमं सपुनहह रघपुनराररा॥
ममैं कछपु कहउहूँ एक बल मगोरमें। तपुम्ह रश्रीझहह सनप्रेह सपुहठ रगोरमें॥2॥
भरावरारर्ण:- तगो भश्री हप्रे रघपुनराजश्री! सपुहनए, मप्रेरप्रे सरौभराग्य और आपकप्रे गपुरर ककी कररा कहकर समराप्त
नहहीं ककी जरा सकतश्री। ममैं जगो कपु छ कह रहरा हह हूँ, वह अपनप्रे इस एक हश्री बल पर हक आप अत्यन्त
रगोडप्रे पप्रेम सप्रे पसन्न हगो जरातप्रे हमैं॥2॥
* बरार बरार मरागउहूँ कर जगोरमें। मनपु पररहरहै चरन जहन भगोरमें॥
सपुहन बर बचन पप्रेम जनपु पगोषप्रे। पपूरनकराम ररामपु पररतगोषप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:- ममैं बरार-बरार हरार जगोडकर यह मराहूँगतरा हह हूँ हक मप्रेररा मन भपूलकर भश्री आपकप्रे चररर कगो न
छगोडप्रे। जनकजश्री कप्रे शप्रेष वचनर कगो सपुनकर, जगो मरानगो पप्रेम सप्रे पपुष्टि हकए हहए रप्रे, पपूरर्ण कराम शश्री
ररामचन्दजश्री समंतपुष्टि हहए॥3॥
* करर बर हबनय ससपुर सनमरानप्रे। हपतपु करौहसक बहसष सम जरानप्रे॥
हबनतश्री बहह रर भरत सन ककीन्हश्री। हमहल सपप्रेमपु पपुहन आहसष दश्रीन्हश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे सपुदमं र हवनतश्री करकप्रे हपतरा दशररजश्री, गपुर हवश्वराहमत्रजश्री और कपु लगपुर वहशषजश्री
कप्रे समरान जरानकर ससपुर जनकजश्री करा सम्मरान हकयरा। हफिर जनकजश्री नप्रे भरतजश्री सप्रे हवनतश्री ककी
और पप्रेम कप्रे सरार हमलकर हफिर उन्हमें आशश्रीवरार्णद हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* हमलप्रे लखन ररपपुसपूदनहह दश्रीहन्ह असश्रीस महश्रीस।
भए परसपर पप्रेमबस हफिरर हफिरर नरावहहमं सश्रीस॥342॥
भरावरारर्ण:- हफिर रराजरा नप्रे लक्ष्मरजश्री और शत्रपुघ्नजश्री सप्रे हमलकर उन्हमें आशश्रीवरादर्ण हदयरा। वप्रे परस्पर
पप्रेम कप्रे वश हगोकर बरार-बरार आपस ममें हसर नवरानप्रे लगप्रे॥342॥
चरौपराई :
* बरार बरार करर हबनय बडराई। रघपुपहत चलप्रे समंग सब भराई॥
जनक गहप्रे करौहसक पद जराई। चरन रप्रेनपु हसर नयनन्ह लराई॥1॥
भरावरारर्ण:- जनकजश्री ककी बरार-बरार हवनतश्री और बडराई करकप्रे शश्री रघपुनरारजश्री सब भराइयर कप्रे सरार
चलप्रे। जनकजश्री नप्रे जराकर हवश्वराहमत्रजश्री कप्रे चरर पकड हलए और उनकप्रे चररर ककी रज कगो हसर
और नप्रेत्रर ममें लगरायरा॥1॥
* सपुनपु मपुनश्रीस बर दरसन तगोरमें। अगमपु न कछपु पतश्रीहत मन मगोरमें॥
जगो सपुखपु सपुजसपु लगोकपहत चहहहीं। करत मनगोरर सकपु चत अहहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:- (उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे मपुनश्रीश्वर! सपुहनए, आपकप्रे सपुदमं र दशर्णन सप्रे कपु छ भश्री दलपु भर्ण नहहीं हहै,
मप्रेरप्रे मन ममें ऐसरा हवश्वरास हहै, जगो सपुख और सपुयश लगोकपराल चराहतप्रे हमैं, परन्तपु (असमंभव समझकर)
हजसकरा मनगोरर करतप्रे हह ए सकपु चरातप्रे हमैं,॥2॥
* सगो सपुखपु सपुजसपु सपुलभ मगोहह स्वरामश्री। सब हसहध तव दरसन अनपुगरामश्री॥
ककीहन्ह हबनय पपुहन पपुहन हसर नराई। हफिरप्रे महश्रीसपु आहसषरा पराई॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे स्वरामश्री! वहश्री सपुख और सपुयश मपुझप्रे सपुलभ हगो गयरा, सरारश्री हसहदयराहूँ आपकप्रे दशर्णनर ककी
अनपुगराहमनश्री अररार्णत पश्रीछप्रे-पश्रीछप्रे चलनप्रे वरालश्री हमैं। इस पकरार बरार-बरार हवनतश्री ककी और हसर नवराकर
तररा उनसप्रे आशश्रीवरार्णद पराकर रराजरा जनक लरौटप्रे॥3॥
बराररात करा अयगोध्यरा लरौटनरा और अयगोध्यरा ममें आनमंद
* चलश्री बररात हनसरान बजराई। मपुहदत छगोट बड सब समपुदराई॥
ररामहह हनरहख गराम नर नरारश्री। पराइ नयन फिलपु हगोहहमं सपुखरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-डमंकरा बजराकर बराररात चलश्री। छगोटप्रे-बडप्रे सभश्री समपुदराय पसन्न हमैं। (ररास्तप्रे कप्रे ) गराहूँव कप्रे स्त्रश्री-
पपुरष शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर नप्रेत्रर करा फिल पराकर सपुखश्री हगोतप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* बश्रीच बश्रीच बर बरास करर मग लगोगन्ह सपुख दप्रेत।
अवध समश्रीप पपुनश्रीत हदन पहह हूँचश्री आइ जनप्रेत॥343॥
भरावरारर्ण:-बश्रीच-बश्रीच ममें सपुमंदर मपुकराम करतश्री हह ई तररा मरागर्ण कप्रे लगोगर कगो सपुख दप्रेतश्री हहई वह बराररात
पहवत्र हदन ममें अयगोध्यरापपुरश्री कप्रे समश्रीप आ पहह हूँचश्री॥343॥
चरौपराई :
*हनप्रे हनसरान पनव बर बराजप्रे। भप्रेरर समंख धपुहन हय गय गराजप्रे॥
झराहूँहझ हबरव हडमंहडमहीं सपुहराई। सरस रराग बराजहहमं सहनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-नगराडर पर चगोटमें पडनप्रे लगहीं, सपुदमं र ढगोल बजनप्रे लगप्रे। भप्रेरश्री और शमंख ककी बडश्री आवराज हगो
रहश्री हहै, हरारश्री-घगोडप्रे गरज रहप्रे हमैं। हवशप्रेष शब्द करनप्रे वरालश्री झराझ
हूँ में, सपुहरावनश्री डफिहलयराहूँ तररा रसश्रीलप्रे
रराग सप्रे शहनराइयराहूँ बज रहश्री हमैं॥1॥
* पपुर जन आवत अकहन बररातरा। मपुहदत सकल पपुलकरावहल गरातरा॥
हनज हनज सपुमंदर सदन सहूँवरारप्रे। हराट बराट चरौहटपपुर दरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-बराररात कगो आतश्री हहई सपुनकर नगर हनवरासश्री पसन्न हगो गए। सबकप्रे शरश्रीरर पर पपुलकरावलश्री
छरा गई। सबनप्रे अपनप्रे-अपनप्रे सपुदमं र घरर, बराजरारर, गहलयर, चरौरराहर और नगर कप्रे दरारर कगो सजरायरा॥
2॥
* गलहीं सकल अरगजराहूँ हसमंचराई।मं जहहूँ तहहूँ चरौकमें चरार पपुरराई॥मं
बनरा बजरार न जराइ बखरानरा। तगोरन कप्रे तपु पतराक हबतरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सरारश्री गहलयराहूँ अरगजप्रे सप्रे हसमंचराई गई,मं जहराहूँ-तहराहूँ सपुदमं र चरौक पपुरराए गए। तगोररर ध्वजरा-
पतराकराओमं और ममंडपर सप्रे बराजरार ऐसरा सजरा हक हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥ 3॥
* सफिल पपूगफिल कदहल रसरालरा। रगोपप्रे बकपु ल कदमंब तमरालरा॥
लगप्रे सपुभग तर परसत धरनश्री। महनमय आलबराल कल करनश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-फिल सहहत सपुपरारश्री, कप्रे लरा, आम, मरौलहसरश्री, कदम्ब और तमराल कप्रे वमृक्ष लगराए गए। वप्रे
लगप्रे हहए सपुदमं र वमृक्ष (फिलर कप्रे भरार सप्रे) पमृथ्वश्री कगो छपू रहप्रे हमैं। उनकप्रे महरयर कप्रे ररालप्रे बडश्री सपुदमं र
करारश्रीगरश्री सप्रे बनराए गए हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हबहबध भराहूँहत ममंगल कलस गमृह गमृह रचप्रे सहूँवरारर।
सपुर ब्रहराहद हसहराहहमं सब रघपुबर पपुरश्री हनहरारर॥344॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक पकरार कप्रे ममंगल-कलश घर-घर सजराकर बनराए गए हमैं। शश्री रघपुनरारजश्री ककी पपुरश्री
(अयगोध्यरा) कगो दप्रेखकर ब्रहरा आहद सब दप्रेवतरा हसहरातप्रे हमैं॥344॥
चरौपराई :
* भपूप भवनपु तप्रेहह अवसर सगोहरा। रचनरा दप्रेहख मदन मनपु मगोहरा॥
ममंगल सगपुन मनगोहरतराई। ररहध हसहध सपुख समंपदरा सपुहराई॥1॥
भरावरारर्ण:-उस समय रराजमहल (अत्यन्त) शगोहभत हगो रहरा ररा। उसककी रचनरा दप्रेखकर करामदप्रेव भश्री
मन मगोहहत हगो जरातरा ररा। ममंगल शकपु न, मनगोहरतरा, ऋहद-हसहद, सपुख, सपुहरावनश्री सम्पहर॥1॥
* जनपु उछराह सब सहज सपुहराए। तनपु धरर धरर दसरर गमृहहूँ छराए॥
दप्रेखन हप्रेतपु रराम बहैदहप्रे श्री। कहहह लरालसरा हगोहह न कप्रे हश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-और सब पकरार कप्रे उत्सराह (आनमंद) मरानगो सहज सपुदमं र शरश्रीर धर-धरकर दशररजश्री कप्रे
घर ममें छरा गए हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे दशर्णनर कप्रे हलए भलरा कहहए, हकसप्रे लरालसरा न
हगोगश्री॥2॥
* जपूर जपूर हमहल चलहीं सपुआहसहन। हनज छहब हनदरहहमं मदन हबलराहसहन॥
सकल सपुममंगल सजमें आरतश्री। गरावहहमं जनपु बहह बप्रेष भरारतश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सपुहराहगनश्री हस्त्रयराहूँ झपुडमं ककी झपुमंड हमलकर चलहीं, जगो अपनश्री छहब सप्रे करामदप्रेव ककी स्त्रश्री रहत
करा भश्री हनररादर कर रहश्री हमैं। सभश्री सपुदमं र ममंगलदव्य एवमं आरतश्री सजराए हह ए गरा रहश्री हमैं, मरानगो
सरस्वतश्रीजश्री हश्री बहह त सप्रे वप्रेष धरारर हकए गरा रहश्री हर॥3॥
* भपूपहत भवन कगोलराहलपु हगोई। जराइ न बरहन समउ सपुखपु सगोई॥
करौसल्यराहद रराम महतरारहीं। पप्रेमहबबस तन दसरा हबसरारहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजमहल ममें (आनमंद कप्रे मरारप्रे) शगोर मच रहरा हहै। उस समय करा और सपुख करा वरर्णन नहहीं
हकयरा जरा सकतरा। करौसल्यराजश्री आहद शश्री ररामचन्दजश्री ककी सब मरातराएहूँ पप्रेम कप्रे हवशप्रेष वश हगोनप्रे सप्रे
शरश्रीर ककी सपुध भपूल गई॥मं 4॥
दगोहरा :
* हदए दरान हबपन्ह हबपपुल पपूहज गनप्रेस पपुररारर।
पमपुहदत परम दररद जनपु पराइ पदरारर चरारर॥345॥
भरावरारर्ण:-गरप्रेशजश्री और हत्रपपुररारर हशवजश्री करा पपूजन करकप्रे उन्हरनप्रे ब्रराहरर कगो बहह त सरा दरान हदयरा।
वप्रे ऐसश्री परम पसन्न हह ई,मं मरानगो अत्यन्त दररदश्री चरारर पदरारर्ण परा गयरा हगो॥345॥
चरौपराई :
* मगोद पमगोद हबबस सब मरातरा। चलहहमं न चरन हसहरल भए गरातरा॥
रराम दरस हहत अहत अनपुररागहीं। पररछहन सराजपु सजन सब लरागहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सपुख और महरान आनमंद सप्रे हववश हगोनप्रे कप्रे करारर सब मरातराओमं कप्रे शरश्रीर हशहरल हगो गए
हमैं, उनकप्रे चरर चलतप्रे नहहीं हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णनर कप्रे हलए वप्रे अत्यन्त अनपुरराग ममें भरकर
परछन करा सब सरामरान सजरानप्रे लगहीं॥1॥
* हबहबध हबधरान बराजनप्रे बराजप्रे। ममंगल मपुहदत सपुहमत्रराहूँ सराजप्रे॥
हरद दबपू दहध पल्लव फिपूलरा। परान पपूगफिल ममंगल मपूलरा॥2॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेकर पकरार कप्रे बराजप्रे बजतप्रे रप्रे। सपुहमत्रराजश्री नप्रे आनमंदपपूवर्णक ममंगल सराज सजराए। हल्दश्री ,
दबपू , दहश्री, परप्रे, फिपूल, परान और सपुपरारश्री आहद ममंगल ककी मपूल वस्तपुएहूँ,॥2॥
* अच्छत अमंकपुर लगोचन लराजरा। ममंजपुल ममंजरर तपुलहस हबरराजरा॥
छपु हप्रे पपुरट घट सहज सपुहराए। मदन सकपु न जनपु नश्रीड बनराए॥3॥
भरावरारर्ण:-तररा अक्षत (चरावल), अहूँखपुए, गगोरगोचन, लरावरा और तपुलसश्री ककी सपुदमं र ममंजररयराहूँ
सपुशगोहभत हमैं। नरानरा रमंगर सप्रे हचहत्रत हकए हहए सहज सपुहरावनप्रे सपुवरर्ण कप्रे कलश ऐसप्रे मरालपूम हगोतप्रे हमैं,
मरानगो करामदप्रेव कप्रे पहक्षयर नप्रे घरसलप्रे बनराए हर॥3॥
*सगपुन सपुगमंध न जराहहमं बखरानश्री। ममंगल सकल सजहहमं सब ररानश्री॥
रचहीं आरतहीं बहतपु हबधरानरा। मपुहदत करहहमं कल ममंगल गरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शकपु न ककी सपुगहन्धत वस्तपुएहूँ बखरानश्री नहहीं जरा सकतहीं। सब रराहनयराहूँ सम्पपूरर्ण ममंगल सराज
सज रहश्री हमैं। बहह त पकरार ककी आरतश्री बनराकर वप्रे आनमंहदत हह ई मं सपुदमं र ममंगलगरान कर रहश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* कनक ररार भरर ममंगलहन्ह कमल करहन्ह हलएहूँ मरात।
चलहीं मपुहदत पररछहन करन पपुलक पल्लहवत गरात॥346॥
भरावरारर्ण:-सगोनप्रे कप्रे ररालर कगो मरामंगहलक वस्तपुओमं सप्रे भरकर अपनप्रे कमल कप्रे समरान (कगोमल) हरारर
ममें हलए हहए मरातराएहूँ आनमंहदत हगोकर परछन करनप्रे चलहीं। उनकप्रे शरश्रीर पपुलकरावलश्री सप्रे छरा गए हमैं॥
346॥
चरौपराई :
* धपूप धपूम नभपु मप्रेचक भयऊ। सरावन घन घममंडपु जनपु ठयऊ॥
सपुरतर सपुमन मराल सपुर बरषहहमं। मनहह हूँ बलराक अवहल मनपु करषहहमं॥1॥
भरावरारर्ण:-धपूप कप्रे धपुएहूँ सप्रे आकराश ऐसरा करालरा हगो गयरा हहै मरानगो सरावन कप्रे बरादल घपुमड-घपुमडकर छरा
गए हर। दप्रेवतरा कल्पवमृक्ष कप्रे फिपूलर ककी मरालराएहूँ बरसरा रहप्रे हमैं। वप्रे ऐसश्री लगतश्री हमैं, मरानगो बगपुलर ककी पराहूँहत
मन कगो (अपनश्री ओर) खहींच रहश्री हगो॥1॥
* ममंजपुल महनमय बमंदहनवरारप्रे। मनहह हूँ पराकररपपु चराप सहूँवरारप्रे॥
पगटहहमं दरपु हहमं अटन्ह पर भराहमहन। चरार चपल जनपु दमकहहमं दराहमहन॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर महरयर सप्रे बनप्रे बमंदनवरार ऐसप्रे मरालपूम हगोतप्रे हमैं, मरानगो इन्दधनपुष सजराए हर। अटराररयर
पर सपुदमं र और चपल हस्त्रयराहूँ पकट हगोतश्री और हछप जरातश्री हमैं (आतश्री-जरातश्री हमैं), वप्रे ऐसश्री जरान
पडतश्री हमैं, मरानगो हबजहलयराहूँ चमक रहश्री हर॥2॥
* ददमंपु हपु भ धपुहन घन गरजहन घगोररा। जराचक चरातक दरादरपु मगोररा॥
सपुर सपुगमंध सपुहच बरषहहमं बरारश्री। सपुखश्री सकल सहस पपुर नर नरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-नगराडर ककी ध्वहन मरानगो बरादलर ककी घगोर गजर्णनरा हहै। यराचकगर पपश्रीहप्रे , ममेंढक और मगोर हमैं।
दप्रेवतरा पहवत्र सपुगमंध रूपश्री जल बरसरा रहप्रे हमैं, हजससप्रे खप्रेतश्री कप्रे समरान नगर कप्रे सब स्त्रश्री-पपुरष सपुखश्री
हगो रहप्रे हमैं॥3॥
* समउ जराहन गपुर आयसपु दश्रीन्हरा। पपुर पबप्रेसपु रघपुकपुलमहन ककीन्हरा॥
सपुहमरर समंभपु हगररजरा गनरराजरा। मपुहदत महश्रीपहत सहहत समराजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- (पवप्रेश करा) समय जरानकर गपुर वहशषजश्री नप्रे आजरा दश्री। तब रघपुकपुलमहर महरारराज
दशररजश्री नप्रे हशवजश्री, परावर्णतश्रीजश्री और गरप्रेशजश्री करा स्मरर करकप्रे समराज सहहत आनमंहदत हगोकर
नगर ममें पवप्रेश हकयरा॥4॥
* हगोहहमं सगपुन बरषहहमं सपुमन सपुर ददमंपु भहीं बजराइ।
हबबपुध बधपू नराचहहमं मपुहदत ममंजपुल ममंगल गराइ॥347॥
भरावरारर्ण:-शकपु न हगो रहप्रे हमैं, दप्रेवतरा दन्पु दभपु श्री बजरा-बजराकर फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं। दप्रेवतराओमं ककी हस्त्रयराहूँ
आनमंहदत हगोकर सपुदमं र ममंगल गश्रीत गरा-गराकर नराच रहश्री हमैं॥347॥
चरौपराई :
* मरागध सपूत बमंहद नट नरागर। गरावहहमं जसपु हतहह लगोक उजरागर॥
जय धपुहन हबमल बप्रेद बर बरानश्री। दस हदहस सपुहनअ सपुममंगल सरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मरागध, सपूत, भराट और चतपुर नट तश्रीनर लगोकर कप्रे उजरागर (सबकगो पकराश दप्रेनप्रे वरालप्रे
परम पकराश स्वरूप) शश्री ररामचन्दजश्री करा यश गरा रहप्रे हमैं। जय ध्वहन तररा वप्रेद ककी हनमर्णल शप्रेष वरारश्री
सपुमंदर ममंगल सप्रे सनश्री हह ई दसर हदशराओमं ममें सपुनराई पड रहश्री हहै॥1॥
* हबपपुल बराज नप्रे बराजन लरागप्रे। नभ सपुर नगर लगोग अनपुररागप्रे॥
बनप्रे बररातश्री बरहन न जराहहीं। महरा मपुहदत मन सपुख न समराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-बहह त सप्रे बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। आकराश ममें दप्रेवतरा और नगर ममें लगोग सब पप्रेम ममें मग्नि हमैं। बराररातश्री
ऐसप्रे बनप्रे-ठनप्रे हमैं हक उनकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा। परम आनमंहदत हमैं, सपुख उनकप्रे मन ममें समरातरा
नहहीं हहै॥2॥
* पपुरबराहसन्ह तब रराय जगोहरारप्रे। दप्रेखत ररामहह भए सपुखरारप्रे॥
करहहमं हनछरावरर महनगन चश्रीररा। बरारर हबलगोचन पपुलक सरश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- तब अयगोध्यरावहसयर नप्रे रराजरा कगो जगोहरार (वमंदनरा) ककी। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखतप्रे हश्री वप्रे
सपुखश्री हगो गए। सब महरयराहूँ और वस्त्र हनछरावर कर रहप्रे हमैं। नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भररा हहै और
शरश्रीर पपुलहकत हमैं॥3॥।
* आरहत करहहमं मपुहदत पपुर नरारश्री। हरषहहमं हनरहख कपु अहूँर बर चरारश्री॥
हसहबकरा सपुभग ओहरार उघरारश्री। दप्रेहख दल पु हहहनन्ह हगोहहमं सपुखरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नगर ककी हस्त्रयराहूँ आनमंहदत हगोकर आरतश्री कर रहश्री हमैं और सपुदमं र चरारर कपु मरारर कगो दप्रेखकर
पु हहनर कगो दप्रेखकर सपुखश्री हगोतश्री हमैं॥4॥
हहषर्णत हगो रहश्री हमैं। परालहकयर कप्रे सपुदमं र परदप्रे हटरा-हटराकर वप्रे दल
दगोहरा :
* एहह हबहध सबहश्री दप्रेत सपुखपु आए रराजदआ पु र।
मपुहदत मरातपु पररछहन करहहमं बधपुन्ह समप्रेत कपु मरार॥348॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सबकगो सपुख दप्रेतप्रे हह ए रराजदरार पर आए। मरातराएहूँ आनमंहदत हगोकर बहह ओमं सहहत
कपु मरारर करा परछन कर रहश्री हमैं॥348॥
चरौपराई :
* करहहमं आरतश्री बरारहहमं बराररा। पप्रेमपु पमगोद पु कहहै कगो पराररा॥
भपूषन महन पट नरानरा जरातश्री। करहहमं हनछरावरर अगहनत भराहूँतश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे बरार-बरार आरतश्री कर रहश्री हमैं। उस पप्रेम और महरान आनमंद कगो करौन कह सकतरा हहै !
अनप्रेकर पकरार कप्रे आभपूषर, रत्न और वस्त्र तररा अगहरत पकरार ककी अन्य वस्तपुएहूँ हनछरावर कर
रहश्री हमैं॥1॥
* बधपुन्ह समप्रेत दप्रेहख सपुत चरारश्री। परमरानमंद मगन महतरारश्री॥
पपुहन पपुहन सश्रीय रराम छहब दप्रेखश्री। मपुहदत सफिल जग जश्रीवन लप्रेखश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-बहह ओमं सहहत चरारर पपुत्रर कगो दप्रेखकर मरातराएहूँ परमरानमंद ममें मग्नि हगो गई।मं सश्रीतराजश्री और शश्री
ररामजश्री ककी छहब कगो बरार-बरार दप्रेखकर वप्रे जगत ममें अपनप्रे जश्रीवन कगो सफिल मरानकर आनमंहदत हगो
रहश्री हमैं॥2॥
* सखहीं सश्रीय मपुख पपुहन पपुहन चराहश्री। गरान करहहमं हनज सपुकमृत सरराहश्री॥
बरषहहमं सपुमन छनहहमं छन दप्रेवरा। नराचहहमं गरावहहमं लरावहहमं सप्रेवरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सहखयराहूँ सश्रीतराजश्री कप्रे मपुख कगो बरार-बरार दप्रेखकर अपनप्रे पपुण्यर ककी सरराहनरा करतश्री हहई गरान
कर रहश्री हमैं। दप्रेवतरा क्षर-क्षर ममें फिपूल बरसरातप्रे, नराचतप्रे, गरातप्रे तररा अपनश्री-अपनश्री सप्रेवरा समपर्णर करतप्रे
हमैं॥3॥
* दप्रेहख मनगोहर चराररउ जगोरहीं। सरारद उपमरा सकल ढहूँढगोरहीं॥
दप्रेत न बनहहमं हनपट लघपु लरागहीं। एकटक रहहीं रूप अनपुररागहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-चरारर मनगोहर जगोहडयर कगो दप्रेखकर सरस्वतश्री नप्रे सरारश्री उपमराओमं कगो खगोज डरालरा, पर कगोई
उपमरा दप्रेतप्रे नहहीं बनश्री, क्यरहक उन्हमें सभश्री हबलकपु ल तपुच्छ जरान पडहीं। तब हरारकर वप्रे भश्री शश्री ररामजश्री
कप्रे रूप ममें अनपुरक्त हगोकर एकटक दप्रेखतश्री रह गई॥मं 4॥
दगोहरा :
* हनगम नश्रीहत कपु ल रश्रीहत करर अरघ पराहूँवडप्रे दप्रेत।
बधपुन्ह सहहत सपुत पररहछ सब चलहीं लवराइ हनकप्रे त॥349॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद ककी हवहध और कपु ल ककी रश्रीहत करकप्रे अघ्यर्ण-पराहूँवडप्रे दप्रेतश्री हह ई बहहओमं समप्रेत सब पपुत्रर कगो
परछन करकप्रे मरातराएहूँ महल ममें हलवरा चलहीं॥349॥
चरौपराई :
* चरारर हसमंघरासन सहज सपुहराए। जनपु मनगोज हनज हरार बनराए॥
हतन्ह पर कपु अहूँरर कपु अहूँर बहैठरारप्रे। सरादर पराय पपुनश्रीत पखरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-स्वराभराहवक हश्री सपुदमं र चरार हसमंहरासन रप्रे, जगो मरानगो करामदप्रेव नप्रे हश्री अपनप्रे हरार सप्रे बनराए रप्रे।
उन पर मरातराओमं नप्रे रराजकपु मराररयर और रराजकपु मरारर कगो बहैठरायरा और आदर कप्रे सरार उनकप्रे पहवत्र
चरर धगोए॥1॥
* धपूप दश्रीप नहैबप्रेद बप्रेद हबहध। पपूजप्रे बर दल पु हहहन ममंगल हनहध॥
बरारहहमं बरार आरतश्री करहहीं। ब्यजन चरार चरामर हसर ढरहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर वप्रेद ककी हवहध कप्रे अनपुसरार ममंगल कप्रे हनधरान दल पू ह ककी दल पु हहनर ककी धपूप, दश्रीप और
नहैवप्रेद्य आहद कप्रे दराररा पपूजरा ककी। मरातराएहूँ बरारम्बरार आरतश्री कर रहश्री हमैं और वर-वधपुओमं कप्रे हसरर पर
सपुमंदर पमंखप्रे तररा चहूँवर ढल रहप्रे हमैं॥2॥
* बस्तपु अनप्रेक हनछरावरर हगोहहीं। भरहीं पमगोद मरातपु सब सगोहहीं॥
परावरा परम तत्व जनपु जगोगहीं। अममृतपु लहप्रेउ जनपु समंतत रगोगहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेकर वस्तपुएहूँ हनछरावर हगो रहश्री हमैं, सभश्री मरातराएहूँ आनमंद सप्रे भरश्री हहई ऐसश्री सपुशगोहभत हगो
रहश्री हमैं मरानगो यगोगश्री नप्रे परम तत्व कगो पराप्त कर हलयरा। सदरा कप्रे रगोगश्री नप्रे मरानगो अममृत परा हलयरा॥3॥
* जनम रमंक जनपु परारस परावरा। अमंधहह लगोचन लराभपु सपुहरावरा॥
मपूक बदन जनपु सरारद छराई। मरानहह हूँ समर सपूर जय पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-जन्म करा दररदश्री मरानगो परारस परा गयरा। अमंधप्रे कगो सपुदमं र नप्रेत्रर करा लराभ हहआ। गपूहूँगप्रे कप्रे मपुख ममें
मरानगो सरस्वतश्री आ हवरराजहीं और शपूरवश्रीर नप्रे मरानगो यद पु ममें हवजय परा लश्री॥4॥
दगोहरा :
* एहह सपुख तप्रे सत कगोहट गपुन परावहहमं मरातपु अनमंद।पु
भराइन्ह सहहत हबआहह घर आए रघपुकपुलचमंद॥पु 350 क॥
भरावरारर्ण:-इन सपुखर सप्रे भश्री सरौ करगोड गपुनरा बढकर आनमंद मरातराएहूँ परा रहश्री हमैं , क्यरहक रघपुकपुल कप्रे
चमंदमरा शश्री ररामजश्री हववराह कर कप्रे भराइयर सहहत घर आए हमैं॥350 (क)॥
* लगोक रश्रीहत जननहीं करहहमं बर दल पु हहहन सकपु चराहहमं।
मगोदपु हबनगोदपु हबलगोहक बड ररामपु मनहहमं मपुसपुकराहहमं॥350 ख॥
भरावरारर्ण:-मरातराएहूँ लगोकरश्रीहत करतश्री हमैं और दल पू ह-दल पु हहनमें सकपु चरातप्रे हमैं। इस महरान आनमंद और
हवनगोद कगो दप्रेखकर शश्री ररामचन्दजश्री मन हश्री मन मपुस्कपु ररा रहप्रे हमैं॥350 (ख)॥
चरौपराई :
* दप्रेव हपतर पपूजप्रे हबहध नश्रीककी। पपूजहीं सकल बरासनरा जश्री ककी॥
सबहह बमंहद मराहूँगहहमं बरदरानरा। भराइन्ह सहहत रराम कल्यरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मन ककी सभश्री वरासनराएहूँ पपूरश्री हह ई जरानकर दप्रेवतरा और हपतरर करा भलश्रीभराहूँहत पपूजन हकयरा।
सबककी वमंदनरा करकप्रे मरातराएहूँ यहश्री वरदरान मराहूँगतश्री हमैं हक भराइयर सहहत शश्री ररामजश्री करा कल्यरार हगो॥
1॥
* अमंतरहहत सपुर आहसष दप्रेहहीं। मपुहदत मरातपु अमंचल भरर लप्रेहहीं॥
भपूपहत बगोहल बररातश्री लश्रीन्हप्रे। जरान बसन महन भपूषन दश्रीन्हप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा हछपप्रे हह ए (अन्तररक्ष सप्रे) आशश्रीवरादर्ण दप्रे रहप्रे हमैं और मरातराएहूँ आनहन्दत हगो आहूँचल
भरकर लप्रे रहश्री हमैं। तदनन्तर रराजरा नप्रे बरारराहतयर कगो बपुलवरा हलयरा और उन्हमें सवराररयराहूँ , वस्त्र, महर
(रत्न) और आभपूषरराहद हदए॥2॥
* आयसपु पराइ रराहख उर ररामहह। मपुहदत गए सब हनज हनज धरामहह॥
पपुर नर नरारर सकल पहहरराए। घर घर बराजन लगप्रे बधराए॥3॥
भरावरारर्ण:-आजरा पराकर, शश्री ररामजश्री कगो हृदय ममें रखकर वप्रे सब आनमंहदत हगोकर अपनप्रे -अपनप्रे घर
गए। नगर कप्रे समस्त स्त्रश्री-पपुरषर कगो रराजरा नप्रे कपडप्रे और गहनप्रे पहनराए। घर-घर बधरावप्रे बजनप्रे लगप्रे॥
3॥
* जराचक जन जराचहहमं जगोइ जगोई। पमपुहदत रराउ दप्रेहहमं सगोइ सगोई॥
सप्रेवक सकल बजहनआ नरानरा। पपूरन हकए दरान सनमरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यराचक लगोग जगो-जगो मराहूँगतप्रे हमैं, हवशप्रेष पसन्न हगोकर रराजरा उन्हमें वहश्री-वहश्री दप्रेतप्रे हमैं। सम्पपूरर्ण
सप्रेवकर और बराजप्रे वरालर कगो रराजरा नप्रे नरानरा पकरार कप्रे दरान और सम्मरान सप्रे सन्तपुष्टि हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेहहमं असश्रीस जगोहरारर सब गरावहहमं गपुन गन गरार।
तब गपुर भपूसपुर सहहत गमृहहूँ गवनपु ककीन्ह नरनरार॥351॥
भरावरारर्ण:-सब जगोहरार (वमंदन) करकप्रे आशश्रीष दप्रेतप्रे हमैं और गपुर समपूहर ककी कररा गरातप्रे हमैं। तब गपुर
और ब्रराहरर सहहत रराजरा दशररजश्री नप्रे महल ममें गमन हकयरा॥ 351॥
चरौपराई :
* जगो बहसष्टि अनपुसरासन दश्रीन्हश्री। लगोक बप्रेद हबहध सरादर ककीन्हश्री॥
भपूसपुर भश्रीर दप्रेहख सब ररानश्री। सरादर उठहीं भराग्य बड जरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- वहशषजश्री नप्रे जगो आजरा दश्री, उसप्रे लगोक और वप्रेद ककी हवहध कप्रे अनपुसरार रराजरा नप्रे
आदरपपूवर्णक हकयरा। ब्रराहरर ककी भश्रीड दप्रेखकर अपनरा बडरा भराग्य जरानकर सब रराहनयराहूँ आदर कप्रे
सरार उठहीं॥1॥
* पराय पखरारर सकल अन्हवराए। पपूहज भलश्री हबहध भपूप जप्रेवराहूँए॥
आदर दरान पप्रेम पररपगोषप्रे। दप्रेत असश्रीस चलप्रे मन तगोषप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-चरर धगोकर उन्हरनप्रे सबकगो स्नरान कररायरा और रराजरा नप्रे भलश्री -भराहूँहत पपूजन करकप्रे उन्हमें
भगोजन कररायरा! आदर, दरान और पप्रेम सप्रे पपुष्टि हह ए वप्रे समंतपुष्टि मन सप्रे आशश्रीवरार्णद दप्रेतप्रे हहए चलप्रे॥2॥
* बहह हबहध ककीहन्ह गराहधसपुत पपूजरा। नरार मगोहह सम धन्य न द ज पू रा॥
ककीहन्ह पसमंसरा भपूपहत भपूरश्री। रराहनन्ह सहहत लश्रीहन्ह पग धपूरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे गराहध पपुत्र हवश्वराहमत्रजश्री ककी बहह त तरह सप्रे पपूजरा ककी और कहरा- हप्रे नरार! मप्रेरप्रे
समरान धन्य दस पू ररा कगोई नहहीं हहै। रराजरा नप्रे उनककी बहह त पशमंसरा ककी और रराहनयर सहहत उनककी
चररधपूहल कगो गहर हकयरा॥3॥
* भश्रीतर भवन दश्रीन्ह बर बरासपू। मन जगोगवत रह नमृपपु रहनवरासपू॥
पपूजप्रे गपुर पद कमल बहगोरश्री। ककीहन्ह हबनय उर पश्रीहत न रगोरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें महल कप्रे भश्रीतर ठहरनप्रे कगो उरम स्ररान हदयरा, हजसममें रराजरा और सब रहनवरास
उनकरा मन जगोहतरा रहप्रे (अररार्णत हजसममें रराजरा और महल ककी सरारश्री रराहनयराहूँ स्वयमं उनककी
इच्छरानपुसरार उनकप्रे आरराम ककी ओर दृहष्टि रख सकमें ) हफिर रराजरा नप्रे गपुर वहशषजश्री कप्रे चररकमलर ककी
पपूजरा और हवनतश्री ककी। उनकप्रे हृदय ममें कम पश्रीहत न रश्री (अररार्णत बहह त पश्रीहत रश्री)॥4॥
दगोहरा :
* बधपुन्ह समप्रेत कपु मरार सब रराहनन्ह सहहत महश्रीसपु।
पपुहन पपुहन बमंदत गपुर चरन दप्रेत असश्रीस मपुनश्रीसपु॥352॥
भरावरारर्ण:-बहह ओमं सहहत सब रराजकपु मरार और सब रराहनयर समप्रेत रराजरा बरार-बरार गपुरजश्री कप्रे चररर ककी
वमंदनरा करतप्रे हमैं और मपुनश्रीश्वर आशश्रीवरार्णद दप्रेतप्रे हमैं॥352॥
चरौपराई :
* हबनय ककीहन्ह उर अहत अनपुररागमें। सपुत समंपदरा रराहख सब आगमें॥
नप्रेगपु मराहग मपुहननरायक लश्रीन्हरा। आहसरबराद पु बहह त हबहध दश्रीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे अत्यन्त पप्रेमपपूरर्ण हृदय सप्रे पपुत्रर कगो और सरारश्री सम्पहर कगो सरामनप्रे रखकर (उन्हमें
स्वश्रीकरार करनप्रे कप्रे हलए) हवनतश्री ककी, परन्तपु मपुहनरराज नप्रे (पपुरगोहहत कप्रे नरातप्रे) कप्रे वल अपनरा नप्रेग मराहूँग
हलयरा और बहह त तरह सप्रे आशश्रीवरार्णद हदयरा॥1॥
* उर धरर ररामहह सश्रीय समप्रेतरा। हरहष ककीन्ह गपुर गवनपु हनकप्रे तरा॥
हबपबधपू सब भपूप बगोलराई।मं चहैल चरार भपूषन पहहरराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर सश्रीतराजश्री सहहत शश्री ररामचन्दजश्री कगो हृदय ममें रखकर गपुर वहशषजश्री हहषर्णत हगोकर
अपनप्रे स्ररान कगो गए। रराजरा नप्रे सब ब्रराहरर ककी हस्त्रयर कगो बपुलवरायरा और उन्हमें सपुदमं र वस्त्र तररा
आभपूषर पहनराए॥2॥
* बहह रर बगोलराइ सपुआहसहन लश्रीन्हहीं। रहच हबचरारर पहहररावहन दश्रीन्हहीं॥
नप्रेगश्री नप्रेग जगोग जब लप्रेहहीं। रहच अनपुरूप भपूपमहन दप्रेहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर अब सपुआहसहनयर कगो (नगर ककी सरौभराग्यवतश्री बहहन, बप्रेटश्री, भरानजश्री आहद कगो)
बपुलवरा हलयरा और उनककी रहच समझकर (उसश्री कप्रे अनपुसरार) उन्हमें पहहररावनश्री दश्री। नप्रेगश्री लगोग सब
अपनरा-अपनरा नप्रेग-जगोग लप्रेतप्रे और रराजराओमं कप्रे हशरगोमहर दशररजश्री उनककी इच्छरा कप्रे अनपुसरार दप्रेतप्रे
हमैं॥3॥
* हपय पराहहनप्रे पपूज्य जप्रे जरानप्रे। भपूपहत भलश्री भराहूँहत सनमरानप्रे॥
दप्रेव दप्रेहख रघपुबश्रीर हबबराहह। बरहष पसपून पसमंहस उछराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-हजन मप्रेहमरानर कगो हपय और पपूजनश्रीय जरानरा, उनकरा रराजरा नप्रे भलश्रीभराहूँहत सम्मरान हकयरा।
दप्रेवगर शश्री रघपुनरारजश्री करा हववराह दप्रेखकर, उत्सव ककी पशमंसरा करकप्रे फिपूल बरसरातप्रे हह ए-॥4॥
दगोहरा :
* चलप्रे हनसरान बजराइ सपुर हनज हनज पपुर सपुख पराइ।
कहत परसपर रराम जसपु पप्रेम न हृदयहूँ समराइ॥353॥
भरावरारर्ण:-नगराडप्रे बजराकर और (परम) सपुख पराप्त कर अपनप्रे-अपनप्रे लगोकर कगो चलप्रे। वप्रे एक-दस पू रप्रे सप्रे
शश्री ररामजश्री करा यश कहतप्रे जरातप्रे हमैं। हृदय ममें पप्रेम समरातरा नहहीं हहै॥ 353॥
चरौपराई :
* सब हबहध सबहह समहद नरनराहह। रहरा हृदयहूँ भरर पपूरर उछराहह॥
जहहूँ रहनवरासपु तहराहूँ पगपु धरारप्रे। सहहत बहह हटन्ह कपु अहूँर हनहरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-सब पकरार सप्रे सबकरा पप्रेमपपूवर्णक भलश्री-भराहूँहत आदर-सत्करार कर लप्रेनप्रे पर रराजरा दशररजश्री
कप्रे हृदय ममें पपूरर्ण उत्सराह (आनमंद) भर गयरा। जहराहूँ रहनवरास ररा, वप्रे वहराहूँ पधरारप्रे और बहह ओमं समप्रेत
उन्हरनप्रे कपु मरारर कगो दप्रेखरा॥1॥
* हलए गगोद करर मगोद समप्रेतरा। कगो कहह सकइ भयउ सपुख पु जप्रेतरा॥
बधपू सपप्रेम गगोद बहैठरारहीं। बरार बरार हहयहूँ हरहष दल पु रारहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे आनमंद सहहत पपुत्रर कगो गगोद ममें लप्रे हलयरा। उस समय रराजरा कगो हजतनरा सपुख हहआ
उसप्रे करौन कह सकतरा हहै? हफिर पपुत्रवधपुओमं कगो पप्रेम सहहत गगोदश्री ममें बहैठराकर, बरार-बरार हृदय ममें
हहषर्णत हगोकर उन्हरनप्रे उनकरा दल पु रार (लराड-चराव) हकयरा॥2॥
* दप्रेहख समराजपु मपुहदत रहनवरासपू। सब कमें उर अनमंद हकयगो बरासपू॥
कहप्रेउ भपूप हजहम भयउ हबबराहह। सपुहन सपुहन हरषपु हगोत सब कराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-यह समराज (समरारगोह) दप्रेखकर रहनवरास पसन्न हगो गयरा। सबकप्रे हृदय ममें आनमंद नप्रे हनवरास
कर हलयरा। तब रराजरा नप्रे हजस तरह हववराह हहआ ररा, वह सब कहरा। उसप्रे सपुन-सपुनकर सब हकसश्री
कगो हषर्ण हगोतरा हहै॥3॥
* जनक रराज गपुन सश्रीलपु बडराई। पश्रीहत रश्रीहत समंपदरा सपुहराई॥
बहह हबहध भपूप भराट हजहम बरनश्री। ररानहीं सब पमपुहदत सपुहन करनश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा जनक कप्रे गपुर, शश्रील, महत्व, पश्रीहत ककी रश्रीहत और सपुहरावनश्री सम्पहर करा वरर्णन
रराजरा नप्रे भराट ककी तरह बहह त पकरार सप्रे हकयरा। जनकजश्री ककी करनश्री सपुनकर सब रराहनयराहूँ बहह त पसन्न
हह ई॥मं 4॥
दगोहरा :
* सपुतन्ह समप्रेत नहराइ नमृप बगोहल हबप गपुर ग्यराहत।
भगोजन ककीन्ह अनप्रेक हबहध घरश्री पमंच गइ रराहत॥।354॥
भरावरारर्ण:-पपुत्रर सहहत स्नरान करकप्रे रराजरा नप्रे ब्रराहर, गपुर और कपु टपु हम्बयर कगो बपुलराकर अनप्रेक पकरार
कप्रे भगोजन हकए। (यह सब करतप्रे-करतप्रे) पराहूँच घडश्री ररात बश्रीत गई॥354॥
चरौपराई :
* ममंगलगरान करहहमं बर भराहमहन। भहै सपुखमपूल मनगोहर जराहमहन॥
अहूँचइ परान सब कराहहहूँ पराए। स्रग सपुगमंध भपूहषत छहब छराए॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर हस्त्रयराहूँ ममंगलगरान कर रहश्री हमैं। वह रराहत्र सपुख ककी मपूल और मनगोहरारररश्री हगो गई। सबनप्रे
आचमन करकप्रे परान खराए और फिपूलर ककी मरालरा, सपुगमंहधत दव्य आहद सप्रे हवभपूहषत हगोकर सब शगोभरा
सप्रे छरा गए॥1॥
* ररामहह दप्रेहख रजरायसपु पराई। हनज हनज भवन चलप्रे हसर नराई॥
पप्रेम पमगोदपु हबनगोदपु बडराई। समउ समराजपु मनगोहरतराई॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर और आजरा पराकर सब हसर नवराकर अपनप्रे -अपनप्रे घर कगो
चलप्रे। वहराहूँ कप्रे पप्रेम, आनमंद, हवनगोद, महत्व, समय, समराज और मनगोहरतरा कगो-॥2॥
* कहह न सकहहमं सतसरारद सप्रेसपू। बप्रेद हबरमंहच महप्रेस गनप्रेसपू॥
सगो ममैं कहजौं कवन हबहध बरनश्री। भपूहमनरागपु हसर धरइ हक धरनश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सहैकडर सरस्वतश्री, शप्रेष, वप्रेद, ब्रहरा, महरादप्रेवजश्री और गरप्रेशजश्री भश्री नहहीं कह सकतप्रे। हफिर
भलरा ममैं उसप्रे हकस पकरार सप्रे बखरानकर कहह हूँ? कहहीं कमें चपुआ भश्री धरतश्री कगो हसर पर लप्रे सकतरा हहै?॥
3॥
* नमृप सब भराहूँहत सबहह सनमरानश्री। कहह ममृद पु बचन बगोलराई मं ररानश्री॥
बधपू लररकनहीं पर घर आई।मं रराखप्रेहह नयन पलक ककी नराई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सबकरा सब पकरार सप्रे सम्मरान करकप्रे , कगोमल वचन कहकर रराहनयर कगो बपुलरायरा
और कहरा- बहह एहूँ अभश्री बचश्री हमैं, परराए घर आई हमैं। इनकगो इस तरह सप्रे रखनरा जहैसप्रे नप्रेत्रर कगो पलकमें
रखतश्री हमैं (जहैसप्रे पलकमें नप्रेत्रर ककी सब पकरार सप्रे रक्षरा करतश्री हमैं और उन्हमें सपुख पहहचहूँ रातश्री हमैं, वहैसप्रे हश्री
इनकगो सपुख पहह हूँचरानरा)॥4॥
दगोहरा :
* लररकरा शहमत उनश्रीद बस सयन कररावहह जराइ।
अस कहह गप्रे हबशरामगमृहहूँ रराम चरन हचतपु लराइ॥355॥
भरावरारर्ण:-लडकप्रे रकप्रे हह ए नहींद कप्रे वश हगो रहप्रे हमैं, इन्हमें लप्रे जराकर शयन करराओ। ऐसरा कहकर रराजरा
शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें मन लगराकर हवशराम भवन ममें चलप्रे गए॥355॥
चरौपराई :
* भपूप बचन सपुहन सहज सपुहराए। जररत कनक महन पलहूँग डसराए॥
सपुभग सपुरहभ पय फिप्रे न समरानरा। कगोमल कहलत सपुपप्रेतहीं नरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कप्रे स्वराभव सप्रे हश्री सपुदमं र वचन सपुनकर (रराहनयर नप्रे) महरयर सप्रे जडप्रे सपुवरर्ण कप्रे पलहूँग
हबछवराए। (गदर पर) गगो कप्रे फिप्रे न कप्रे समरान सपुमंदर एवमं कगोमल अनप्रेकर सफिप्रे द चरादरमें हबछराई॥मं 1॥
* उपबरहन बर बरहन न जराहहीं। स्रग सपुगमंध महनममंहदर मराहहीं॥
रतनदश्रीप सपुहठ चरार चहूँदगोवरा। कहत न बनइ जरान जप्रेहहमं जगोवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर तहकयर करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। महरयर कप्रे ममंहदर ममें फिपूलर ककी मरालराएहूँ और
सपुगमंध दव्य सजप्रे हमैं। सपुदमं र रत्नर कप्रे दश्रीपकर और सपुदमं र चहूँदगोवप्रे ककी शगोभरा कहतप्रे नहहीं बनतश्री। हजसनप्रे
उन्हमें दप्रेखरा हगो, वहश्री जरान सकतरा हहै॥2॥
* सप्रेज रहचर रहच ररामपु उठराए। पप्रेम समप्रेत पलहूँग परौढराए॥
अग्यरा पपुहन पपुहन भराइन्ह दश्रीन्हश्री। हनज हनज सप्रेज सयन हतन्ह ककीन्हश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सपुदमं र शय्यरा सजराकर (मरातराओमं नप्रे) शश्री ररामचन्दजश्री कगो उठरायरा और पप्रेम
सहहत पलहूँग पर परौढरायरा। शश्री ररामजश्री नप्रे बरार-बरार भराइयर कगो आजरा दश्री। तब वप्रे भश्री अपनश्री-अपनश्री
शय्यराओमं पर सगो गए॥3॥
* दप्रेहख स्यराम ममृद पु ममंजपुल गरातरा। कहहहमं सपप्रेम बचन सब मरातरा॥
मरारग जरात भयरावहन भरारश्री। कप्रे हह हबहध तरात तराडकरा मरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे सराहूँवलप्रे सपुदमं र कगोमल अहूँगर कगो दप्रेखकर सब मरातराएहूँ पप्रेम सहहत वचन कह
रहश्री हमैं- हप्रे तरात! मरागर्ण ममें जरातप्रे हह ए तपुमनप्रे बडश्री भयरावनश्री तराडकरा रराक्षसश्री कगो हकस पकरार सप्रे
मराररा?॥4॥
दगोहरा :
* घगोर हनसराचर हबकट भट समर गनहहमं नहहमं कराहह।
मरारप्रे सहहत सहराय हकहम खल मरारश्रीच सपुबराहह॥356॥
भरावरारर्ण:-बडप्रे भयरानक रराक्षस, जगो हवकट यगोदरा रप्रे और जगो यद पु ममें हकसश्री कगो कपु छ नहहीं हगनतप्रे रप्रे,
उन दष्टिपु मरारश्रीच और सपुबराहह कगो सहरायकर सहहत तपुमनप्रे कहै सप्रे मराररा?॥356॥
चरौपराई :
* मपुहन पसराद बहल तरात तपुम्हरारश्री। ईस अनप्रेक करवरमें टरारश्री॥
मख रखवरारश्री करर दहपु ह हूँ भराई।मं गपुर पसराद सब हबद्यरा पराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ममैं बलहैयरा लप्रेतश्री हह,हूँ मपुहन ककी कमृ परा सप्रे हश्री ईश्वर नप्रे तपुम्हरारश्री बहह त सश्री बलराओमं कगो
टराल हदयरा। दगोनर भराइयर नप्रे यज ककी रखवरालश्री करकप्रे गपुरजश्री कप्रे पसराद सप्रे सब हवद्यराएहूँ पराई॥मं 1॥
* मपुहनहतय तरश्री लगत पग धपूरश्री। ककीरहत रहश्री भपुवन भरर पपूरश्री॥
कमठ पश्रीहठ पहब कपू ट कठगोररा। नमृप समराज महह हूँ हसव धनपु तगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-चररर ककी धपूहल लगतप्रे हश्री मपुहन पत्नश्री अहल्यरा तर गई। हवश्वभर ममें यह ककीहतर्ण पपूरर्ण रश्रीहत सप्रे
व्यराप्त हगो गई। कच्छप ककी पश्रीठ, वज्र और पवर्णत सप्रे भश्री कठगोर हशवजश्री कप्रे धनपुष कगो रराजराओमं कप्रे
समराज ममें तपुमनप्रे तगोड हदयरा!॥2॥
* हबस्व हबजय जसपु जरानहक पराई। आए भवन ब्यराहह सब भराई॥
सकल अमरानपुष करम तपुम्हरारप्रे। कप्रे वल करौहसक कमृ पराहूँ सपुधरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-हवश्वहवजय कप्रे यश और जरानककी कगो परायरा और सब भराइयर कगो ब्यराहकर घर आए।
तपुम्हरारप्रे सभश्री कमर्ण अमरानपुषश्री हमैं (मनपुष्य ककी शहक्त कप्रे बराहर हमैं), हजन्हमें कप्रे वल हवश्वराहमत्रजश्री ककी कमृ परा
नप्रे सपुधराररा हहै (सम्पन्न हकयरा हहै)॥3॥
* आजपु सपुफिल जग जनमपु हमराररा। दप्रेहख तरात हबधपुबदन तपुम्हराररा॥
जप्रे हदन गए तपुम्हहह हबनपु दप्रेख।में तप्रे हबरमंहच जहन परारहहमं लप्रेख॥में 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम्हराररा चन्दमपुख दप्रेखकर आज हमराररा जगत ममें जन्म लप्रेनरा सफिल हह आ। तपुमकगो
हबनरा दप्रेखप्रे जगो हदन बश्रीतप्रे हमैं, उनकगो ब्रहरा हगनतश्री ममें न लरावमें (हमरारश्री आयपु ममें शराहमल न करमें)॥4॥
दगोहरा :
* रराम पतगोषहीं मरातपु सब कहह हबनश्रीत बर बहैन।
सपुहमरर समंभपु गपुर हबप पद हकए नश्रीदबस नहैन॥357॥
भरावरारर्ण:-हवनय भरप्रे उरम वचन कहकर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सब मरातराओमं कगो समंतपुष्टि हकयरा। हफिर
हशवजश्री, गपुर और ब्रराहरर कप्रे चररर करा स्मरर कर नप्रेत्रर कगो नहींद कप्रे वश हकयरा। (अररार्णत वप्रे सगो
रहप्रे)॥357॥
चरौपराई :
* नश्रीदउहूँ बदन सगोह सपुहठ लगोनरा। मनहह हूँ सराहूँझ सरसश्रीरह सगोनरा॥
घर घर करहहमं जरागरन नरारहीं। दप्रेहहमं परसपर ममंगल गरारहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-नहींद ममें भश्री उनकरा अत्यन्त सलगोनरा मपुखडरा ऐसरा सगोह रहरा ररा, मरानगो समंध्यरा कप्रे समय करा
लराल कमल सगोह रहरा हगो। हस्त्रयराहूँ घर-घर जरागरर कर रहश्री हमैं और आपस ममें (एक-दस पू रश्री कगो)
ममंगलमयश्री गराहलयराहूँ दप्रे रहश्री हमैं॥1॥
* पपुरश्री हबरराजहत रराजहत रजनश्री। ररानहीं कहहहमं हबलगोकहह सजनश्री॥
सपुमंदर बधपुन्ह सरासपु लहै सगोई।मं फिहनकन्ह जनपु हसरमहन उर गगोई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-रराहनयराहूँ कहतश्री हमैं- हप्रे सजनश्री! दप्रेखगो, (आज) रराहत्र ककी कहै सश्री शगोभरा हहै, हजससप्रे
अयगोध्यरापपुरश्री हवशप्रेष शगोहभत हगो रहश्री हहै! (यर कहतश्री हह ई) सरासपुएहूँ सपुदमं र बहह ओमं कगो लप्रेकर सगो गई,मं
मरानगो सपर्मों नप्रे अपनप्रे हसर ककी महरयर कगो हृदय ममें हछपरा हलयरा हहै॥ 2॥
* परात पपुनश्रीत कराल पभपु जरागप्रे। अरनचपूड बर बगोलन लरागप्रे॥
बमंहद मरागधहन्ह गपुनगन गराए। पपुरजन दरार जगोहरारन आए॥3॥
भरावरारर्ण:-परातद्धाःकराल पहवत्र ब्रह मपुहहतर्ण ममें पभपु जरागप्रे। मपुगर्दे सपुमंदर बगोलनप्रे लगप्रे। भराट और मरागधर नप्रे गपुरर
करा गरान हकयरा तररा नगर कप्रे लगोग दरार पर जगोहरार करनप्रे कगो आए॥3॥
* बमंहद हबप सपुर गपुर हपतपु मरातरा। पराइ असश्रीस मपुहदत सब ररातरा॥
जनहनन्ह सरादर बदन हनहरारप्रे। भपूपहत समंग दरार पगपु धरारप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहरर, दप्रेवतराओमं, गपुर, हपतरा और मरातराओमं ककी वमंदनरा करकप्रे आशश्रीवरार्णद पराकर सब
भराई पसन्न हहए। मरातराओमं नप्रे आदर कप्रे सरार उनकप्रे मपुखर कगो दप्रेखरा। हफिर वप्रे रराजरा कप्रे सरार दरवराजप्रे
(बराहर) पधरारप्रे॥4॥
दगोहरा :
* ककीहन्ह सरौच सब सहज सपुहच सररत पपुनश्रीत नहराइ।
परातहकयरा करर तरात पहहमं आए चराररउ भराइ॥358॥
भरावरारर्ण:-स्वभराव सप्रे हश्री पहवत्र चरारर भराइयर नप्रे सब शरौचराहद सप्रे हनवमृर हगोकर पहवत्र सरय पू नदश्री ममें
स्नरान हकयरा और परातद्धाःहकयरा (समंध्यरा वमंदनराहद) करकप्रे वप्रे हपतरा कप्रे परास आए॥358॥
नवराह्नपराररायर, तश्रीसररा हवशराम
चरौपराई :
* भपूप हबलगोहक हलए उर लराई। बहैठप्रे हरहष रजरायसपु पराई॥
दप्रेहख ररामपु सब सभरा जपुडरानश्री। लगोचन लराभ अवहध अनपुमरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे दप्रेखतप्रे हश्री उन्हमें हृदय सप्रे लगरा हलयरा। तदनन्तर वप्रे आजरा पराकर हहषर्णत हगोकर बहैठ
गए। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन कर और नप्रेत्रर कप्रे लराभ ककी बस यहश्री सश्रीमरा हहै, ऐसरा अनपुमरान कर
सरारश्री सभरा शश्रीतल हगो गई। (अररार्णत सबकप्रे तश्रीनर पकरार कप्रे तराप सदरा कप्रे हलए हमट गए)॥1॥
* पपुहन बहसष्टिह मपुहन करौहसकपु आए। सपुभग आसनहन्ह मपुहन बहैठराए॥
सपुतन्ह समप्रेत पपूहज पद लरागप्रे। हनरहख ररामपु दगोउ गपुर अनपुररागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर मपुहन वहशषजश्री और हवश्वराहमत्रजश्री आए। रराजरा नप्रे उनकगो सपुदमं र आसनर पर बहैठरायरा
और पपुत्रर समप्रेत उनककी पपूजरा करकप्रे उनकप्रे चररर लगप्रे। दगोनर गपुर शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखकर पप्रेम ममें मपुग्ध
हगो गए॥2॥
* कहहहमं बहसष्टिह धरम इहतहरासरा। सपुनहहमं महश्रीसपु सहहत रहनवरासरा॥
मपुहन मन अगम गराहधसपुत करनश्री। मपुहदत बहसष हबपपुल हबहध बरनश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वहशषजश्री धमर्ण कप्रे इहतहरास कह रहप्रे हमैं और रराजरा रहनवरास सहहत सपुन रहप्रे हमैं , जगो मपुहनयर
कप्रे मन कगो भश्री अगम्य हहै, ऐसश्री हवश्वराहमत्रजश्री ककी करनश्री कगो वहशषजश्री नप्रे आनमंहदत हगोकर बहह त
पकरार सप्रे वरर्णन हकयरा॥3॥
* बगोलप्रे बरामदप्रेउ सब सराहूँचश्री। ककीरहत कहलत लगोक हतहह हूँ मराचश्री॥
सपुहन आनमंदपु भयउ सब कराहह। रराम लखन उर अहधक उछराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-वरामदप्रेवजश्री बगोलप्रे- यप्रे सब बरातमें सत्य हमैं। हवश्वराहमत्रजश्री ककी सपुदमं र ककीहतर्ण तश्रीनर लगोकर ममें छराई
हह ई हहै। यह सपुनकर सब हकसश्री कगो आनमंद हहआ। शश्री रराम-लक्ष्मर कप्रे हृदय ममें अहधक उत्सराह
(आनमंद) हहआ॥4॥
दगोहरा :
* ममंगल मगोद उछराह हनत जराहहमं हदवस एहह भराहूँहत।
उमगश्री अवध अनमंद भरर अहधक अहधक अहधकराहत॥359॥
भरावरारर्ण:-हनत्य हश्री ममंगल, आनमंद और उत्सव हगोतप्रे हमैं, इस तरह आनमंद ममें हदन बश्रीततप्रे जरातप्रे हमैं।
अयगोध्यरा आनमंद सप्रे भरकर उमड पडश्री, आनमंद ककी अहधकतरा अहधक-अहधक बढतश्री हश्री जरा रहश्री
हहै॥359॥
चरौपराई :
* सपुहदन सगोहध कल कमंकन छगोरप्रे। ममंगल मगोद हबनगोद न रगोरप्रे॥
हनत नव सपुखपु सपुर दप्रेहख हसहराहहीं। अवध जन्म जराचहहमं हबहध पराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अच्छरा हदन (शपुभ मपुहहतर्ण) शगोधकर सपुदमं र कमंकर खगोलप्रे गए। ममंगल, आनमंद और हवनगोद
कपु छ कम नहहीं हह ए (अररार्णत बहह त हह ए)। इस पकरार हनत्य नए सपुख कगो दप्रेखकर दप्रेवतरा हसहरातप्रे हमैं
और अयगोध्यरा ममें जन्म परानप्रे कप्रे हलए ब्रहराजश्री सप्रे यराचनरा करतप्रे हमैं॥1॥
* हबस्वराहमत्रपु चलन हनत चहहहीं। रराम सपप्रेम हबनय बस रहहहीं॥
हदन हदन सयगपुन भपूपहत भराऊ। दप्रेहख सरराह महरामपुहनरराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री हनत्य हश्री चलनरा (अपनप्रे आशम जरानरा) चराहतप्रे हमैं, पर ररामचन्दजश्री कप्रे स्नप्रेह
और हवनयवश रह जरातप्रे हमैं। हदनरहदन रराजरा करा सरौ गपुनरा भराव (पप्रेम) दप्रेखकर महरामपुहनरराज
हवश्वराहमत्रजश्री उनककी सरराहनरा करतप्रे हमैं॥2॥
* मरागत हबदरा रराउ अनपुररागप्रे। सपुतन्ह समप्रेत ठराढ भप्रे आगप्रे॥
नरार सकल समंपदरा तपुम्हरारश्री। ममैं सप्रेवकपु समप्रेत सपुत नरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-अमंत ममें जब हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे हवदरा मराहूँगश्री, तब रराजरा पप्रेममग्नि हगो गए और पपुत्रर सहहत आगप्रे
खडप्रे हगो गए। (वप्रे बगोलप्रे-) हप्रे नरार! यह सरारश्री सम्पदरा आपककी हहै। ममैं तगो स्त्रश्री-पपुत्रर सहहत आपकरा
सप्रेवक हह॥हूँ 3॥
* करब सदरा लररकन्ह पर छगोहह। दरसनपु दप्रेत रहब मपुहन मगोहह॥
अस कहह रराउ सहहत सपुत ररानश्री। परप्रेउ चरन मपुख आव न बरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहन! लडकर पर सदरा स्नप्रेह करतप्रे रहहएगरा और मपुझप्रे भश्री दशर्णन दप्रेतप्रे रहहएगरा। ऐसरा
कहकर पपुत्रर और रराहनयर सहहत रराजरा दशररजश्री हवश्वराहमत्रजश्री कप्रे चररर पर हगर पडप्रे, (पप्रेमहवह्वल
हगो जरानप्रे कप्रे करारर) उनकप्रे मपुहूँह सप्रे बरात नहहीं हनकलतश्री॥4॥
* दश्रीहन्ह असश्रीस हबप बहह भराहूँहत। चलप्रे न पश्रीहत रश्रीहत कहह जरातश्री॥
ररामपु सपप्रेम समंग सब भराई। आयसपु पराइ हफिरप्रे पहह हूँचराई॥5॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहर हवश्वहमत्रजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे आशश्रीवरादर्ण हदए और वप्रे चल पडप्रे। पश्रीहत ककी रश्रीहत
कहश्री नहहीं जश्रीतश्री। सब भराइयर कगो सरार लप्रेकर शश्री ररामजश्री पप्रेम कप्रे सरार उन्हमें पहह हूँचराकर और आजरा
पराकर लरौटप्रे॥5॥
शश्री ररामचररतम सपुननप्रे-गरानप्रे ककी महहमरा
दगोहरा :
* रराम रूपपु भपूपहत भगहत ब्यराहह उछराहह अनमंद।पु
जरात सरराहत मनहहमं मन मपुहदत गराहधकपु लचमंद॥पु 360॥
भरावरारर्ण:-गराहधकपु ल कप्रे चन्दमरा हवश्वराहमत्रजश्री बडप्रे हषर्ण कप्रे सरार शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप, रराजरा
दशररजश्री ककी भहक्त, (चरारर भराइयर कप्रे ) हववराह और (सबकप्रे ) उत्सराह और आनमंद कगो मन हश्री
मन सरराहतप्रे जरातप्रे हमैं॥360॥
चरौपराई :
* बरामदप्रेव रघपुकपुल गपुर ग्यरानश्री। बहह रर गराहधसपुत कररा बखरानश्री॥
सपुहन मपुहन सपुजसपु मनहहमं मन रराऊ। बरनत आपन पपुन्य पभराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-वरामदप्रेवजश्री और रघपुकपुल कप्रे गपुर जरानश्री वहशषजश्री नप्रे हफिर हवश्वराहमत्रजश्री ककी कररा बखरानकर
कहश्री। मपुहन करा सपुदमं र यश सपुनकर रराजरा मन हश्री मन अपनप्रे पपुण्यर कप्रे पभराव करा बखरान करनप्रे लगप्रे॥
1॥
* बहह रप्रे लगोग रजरायसपु भयऊ। सपुतन्ह समप्रेत नमृपहत गमृहहूँ गयऊ॥
जहहूँ तहहूँ रराम ब्यराहह सबपु गरावरा। सपुजसपु पपुनश्रीत लगोक हतहह हूँ छरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-आजरा हहई तब सब लगोग (अपनप्रे-अपनप्रे घरर कगो) लरौटप्रे। रराजरा दशररजश्री भश्री पपुत्रर सहहत
महल ममें गए। जहराहूँ-तहराहूँ सब शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हववराह ककी गरारराएहूँ गरा रहप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री करा
पहवत्र सपुयश तश्रीनर लगोकर ममें छरा गयरा॥2॥
* आए ब्यराहह ररामपु घर जब तमें। बसइ अनमंद अवध सब तब तमें॥
पभपु हबबराहहूँ जस भयउ उछराहह। सकहहमं न बरहन हगररा अहहनराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री हववराह करकप्रे घर आए, तब सप्रे सब पकरार करा आनमंद अयगोध्यरा ममें
आकर बसनप्रे लगरा। पभपु कप्रे हववराह ममें आनमंद-उत्सराह हहआ, उसप्रे सरस्वतश्री और सपर्मों कप्रे रराजरा
शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कह सकतप्रे॥3॥
* कहबकपु ल जश्रीवनपु परावन जरानश्री। रराम सश्रीय जसपु ममंगल खरानश्री॥
तप्रेहह तप्रे ममैं कछपु कहरा बखरानश्री। करन पपुनश्रीत हप्रेतपु हनज बरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे यश कगो कहवकपु ल कप्रे जश्रीवन कगो पहवत्र करनप्रे वरालरा और ममंगलर ककी
खरान जरानकर, इससप्रे ममैंनप्रे अपनश्री वरारश्री कगो पहवत्र करनप्रे कप्रे हलए कपु छ (रगोडरा सरा) बखरानकर कहरा
हहै॥4॥
छन्द :
* हनज हगररा परावहन करन करारन रराम जसपु तपुलसहीं कह्यगो।
रघपुबश्रीर चररत अपरार बराररहध परार कहब करौनमें लह्यगो॥
उपबश्रीत ब्यराह उछराह ममंगल सपुहन जप्रे सरादर गरावहहीं।
बहैदप्रेहह रराम पसराद तप्रे जन सबर्णदरा सपुखपु परावहहीं॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री वरारश्री कगो पहवत्र करनप्रे कप्रे हलए तपुलसश्री नप्रे रराम करा यश कहरा हहै। (नहहीं तगो) शश्री
रघपुनरारजश्री करा चररत्र अपरार समपुद हहै, हकस कहव नप्रे उसकरा परार परायरा हहै? जगो लगोग यजगोपवश्रीत
और हववराह कप्रे ममंगलमय उत्सव करा वरर्णन आदर कप्रे सरार सपुनकर गरावमेंगप्रे, वप्रे लगोग शश्री जरानककीजश्री
और शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे सदरा सपुख परावमेंगप्रे।
सगोरठरा :
* हसय रघपुबश्रीर हबबराहह जप्रे सपप्रेम गरावहहमं सपुनहहमं।
हतन्ह कहह हूँ सदरा उछराहह ममंगलरायतन रराम जसपु॥361॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हववराह पसमंग कगो जगो लगोग पप्रेमपपूवर्णक गराएहूँ-सपुनमेंगप्रे,
उनकप्रे हलए सदरा उत्सराह (आनमंद) हश्री उत्सराह हहै, क्यरहक शश्री ररामचन्दजश्री करा यश ममंगल करा धराम
हहै॥361॥
* मरासपराररायर, बरारहवराहूँ हवशराम
इहत शश्रीमदरामचररतमरानसप्रे सकलकहलकलपुषहवध्वमंसनप्रे परमद्धाः सगोपरानद्धाः समराप्तद्धाः।
कहलयगपु कप्रे सम्पपूरर्ण परापर कगो हवध्वमंस करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररत मरानस करा यह पहलरा सगोपरान
समराप्त हहआ॥
(बराल-कराण्ड समराप्त)

शश्री ररामचररतमरानस
अयगोध्यराकराण्ड
हदतश्रीय सगोपरान-ममंगलराचरर
श्लगोक :
* यस्यरामंकप्रे च हवभराहत भपूधरसपुतरा दप्रेवरापगरा मस्तकप्रे
भरालप्रे बरालहवधपुगर्णलप्रे च गरलमं यस्यगोरहस व्यरालरराटम।
सगोऽयमं भपूहतहवभपूषरद्धाः सपुरवरद्धाः सवराहर्ण धपद्धाः सवर्णदरा
शवर्णद्धाः सवर्णगतद्धाः हशवद्धाः शहशहनभद्धाः शश्री शमंकरद्धाः परातपु मरामम॥1॥
भरावरारर्ण:-हजनककी गगोद ममें हहमराचलसपुतरा परावर्णतश्रीजश्री, मस्तक पर गमंगराजश्री, ललराट पर
हदतश्रीयरा करा चन्दमरा, कमंठ ममें हलराहल हवष और वक्षद्धाःस्रल पर सपर्णरराज शप्रेषजश्री
सपुशगोहभत हमैं, वप्रे भस्म सप्रे हवभपूहषत, दप्रेवतराओमं ममें शप्रेष, सवर्देश्वर, समंहरारकतरार्ण (यरा भक्तर
कप्रे परापनराशक), सवर्णव्यरापक, कल्यरार रूप, चन्दमरा कप्रे समरान शपुरवरर्ण शश्री शमंकरजश्री
सदरा मप्रेरश्री रक्षरा करमें॥1॥
* पसन्नतरामं यरा न गतराहभषप्रेकतस्तररा न मम्लप्रे वनवरासद द्धाःपु खतद्धाः।
मपुखराम्बपुजशश्री रघपुनन्दनस्य मप्रे सदरास्तपु सरा ममंजपुलममंगलपदरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे मपुखरारहवमंद ककी जगो शगोभरा
रराज्यराहभषप्रेक सप्रे (रराज्यराहभषप्रेक ककी बरात सपुनकर) न तगो पसन्नतरा कगो पराप्त हहई और न
वनवरास कप्रे दद्धाःपु ख सप्रे महलन हश्री हहई, वह (मपुखकमल ककी छहब) मप्रेरप्रे हलए सदरा सपुदमं र
ममंगलर ककी दप्रेनप्रे वरालश्री हगो॥2॥
* नश्रीलराम्बपुजश्यरामलकगोमलरामंग सश्रीतरासमरारगोहपतवरामभरागमम।
पराररौ महरासरायकचरारचरापमं नमराहम रराममं रघपुवमंशनरारमम॥3॥
भरावरारर्ण:-नश्रीलप्रे कमल कप्रे समरान श्यराम और कगोमल हजनकप्रे अमंग हमैं, शश्री सश्रीतराजश्री हजनकप्रे
वराम भराग ममें हवरराजमरान हमैं और हजनकप्रे हरारर ममें (कमशद्धाः) अमगोघ बरार और सपुमंदर
धनपुष हहै, उन रघपुवमंश कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो ममैं नमस्करार करतरा हह हूँ॥3॥
दगोहरा :
* शश्री गपुर चरन सरगोज रज हनज मनपु मपुकपुर सपुधरारर।
बरनउहूँ रघपुबर हबमल जसपु जगो दरायकपु फिल चरारर॥
भरावरारर्ण:-शश्री गपुरजश्री कप्रे चरर कमलर ककी रज सप्रे अपनप्रे मन रूपश्री दपर्णर कगो सराफि करकप्रे
ममैं शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे उस हनमर्णल यश करा वरर्णन करतरा हह,हूँ जगो चरारर फिलर कगो (धमर्ण,
अरर्ण, कराम, मगोक्ष कगो) दप्रेनप्रे वरालरा हहै।
चरौपराई :
* जब तमें ररामपु ब्यराहह घर आए। हनत नव ममंगल मगोद बधराए॥
भपुवन चराररदस भपूधर भरारश्री। सपुकमृत मप्रेघ बरषहहमं सपुख बरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री हववराह करकप्रे घर आए, तब सप्रे (अयगोध्यरा ममें) हनत्य
नए ममंगल हगो रहप्रे हमैं और आनमंद कप्रे बधरावप्रे बज रहप्रे हमैं। चरौदहर लगोक रूपश्री बडप्रे भरारश्री
पवर्णतर पर पपुण्य रूपश्री मप्रेघ सपुख रूपश्री जल बरसरा रहप्रे हमैं॥ 1॥
* ररहध हसहध समंपहत नदहीं सपुहराई। उमहग अवध अमंबपुहध कहह हूँ आई॥
महनगन पपुर नर नरारर सपुजरातश्री। सपुहच अमगोल सपुदमं र सब भराहूँतश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ऋहद-हसहद और सम्पहर रूपश्री सपुहरावनश्री नहदयराहूँ उमड-उमडकर अयगोध्यरा रूपश्री
समपुद ममें आ हमलहीं। नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष अच्छश्री जराहत कप्रे महरयर कप्रे समपूह हमैं, जगो सब
पकरार सप्रे पहवत्र, अमपूल्य और सपुदमं र हमैं॥2॥
* कहह न जराइ कछपु नगर हबभपूतश्री। जनपु एतहनअ हबरमंहच करतपूतश्री॥
सब हबहध सब पपुर लगोग सपुखरारश्री। ररामचमंद मपुख चमंद पु हनहरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-नगर करा ऐश्वयर्ण कपु छ कहरा नहहीं जरातरा। ऐसरा जरान पडतरा हहै, मरानगो ब्रहराजश्री
ककी करारश्रीगरश्री बस इतनश्री हश्री हहै। सब नगर हनवरासश्री शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे मपुखचन्द कगो
दप्रेखकर सब पकरार सप्रे सपुखश्री हमैं॥3॥
* मपुहदत मरातपु सब सखहीं सहप्रेलश्री। फिहलत हबलगोहक मनगोरर बप्रेलश्री॥
रराम रूपपु गपुन सश्रीलपु सपुभराऊ। पमपुहदत हगोइ दप्रेहख सपुहन रराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सब मरातराएहूँ और सखश्री-सहप्रेहलयराहूँ अपनश्री मनगोरर रूपश्री बप्रेल कगो फिलश्री हहई
दप्रेखकर आनमंहदत हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप, गपुर, शश्रील और स्वभराव कगो दप्रेख-
सपुनकर रराजरा दशररजश्री बहह त हश्री आनमंहदत हगोतप्रे हमैं॥4॥

रराम रराज्यराहभषप्रेक ककी तहैयरारश्री, दप्रेवतराओमं ककी व्यराकपुलतरा तररा सरस्वतश्री सप्रे उनककी परारर्णनरा
दगोहरा :
* सब कमें उर अहभलराषपु अस कहहहमं मनराइ महप्रेसपु।
आप अछत जपुबरराज पद ररामहह दप्रेउ नरप्रेसपु॥1॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे हृदय ममें ऐसश्री अहभलराषरा हहै और सब महरादप्रेवजश्री कगो मनराकर (परारर्णनरा
करकप्रे ) कहतप्रे हमैं हक रराजरा अपनप्रे जश्रीतप्रे जश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो य वपु रराज पद दप्रे दमें॥1॥
चरौपराई :
* एक समय सब सहहत समराजरा। रराजसभराहूँ रघपुरराजपु हबरराजरा॥
सकल सपुकमृत मपूरहत नरनराहह। रराम सपुजसपु सपुहन अहतहह उछराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-एक समय रघपुकपुल कप्रे रराजरा दशररजश्री अपनप्रे सरारप्रे समराज सहहत रराजसभरा ममें
हवरराजमरान रप्रे। महरारराज समस्त पपुण्यर ककी मपूहतर्ण हमैं , उन्हमें शश्री ररामचन्दजश्री करा सपुदमं र यश
सपुनकर अत्यन्त आनमंद हगो रहरा हहै॥1॥
* नमृप सब रहहहमं कमृ परा अहभलराषमें। लगोकप करहहमं पश्रीहत रख रराख॥में वन तश्रीहन कराल जग
मराहहीं। भपूररभराग दसरर सम नराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-सब रराजरा उनककी कमृ परा चराहतप्रे हमैं और लगोकपरालगर उनकप्रे रख कगो रखतप्रे हहए
(अनपुकपूल हगोकर) पश्रीहत करतप्रे हमैं। (पमृथ्वश्री, आकराश, परातराल) तश्रीनर भपुवनर ममें और
(भपूत, भहवष्य, वतर्णमरान) तश्रीनर करालर ममें दशररजश्री कप्रे समरान बडभरागश्री (और) कगोई
नहहीं हहै॥2॥
* ममंगलमपूल ररामपु सपुत जरासपू। जगो कछपु कहहअ रगोर सबपु तरासपू॥
ररायहूँ सपुभरायहूँ मपुकपुर कर लश्रीन्हरा। बदनपु हबलगोहक मपुकपुटपु सम ककीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ममंगलर कप्रे मपूल शश्री ररामचन्दजश्री हजनकप्रे पपुत्र हमैं, उनकप्रे हलए जगो कपु छ कहरा जराए
सब रगोडरा हहै। रराजरा नप्रे स्वराभराहवक हश्री हरार ममें दपर्णर लप्रे हलयरा और उसममें अपनरा मपुहूँह
दप्रेखकर मपुकपुट कगो सश्रीधरा हकयरा॥3॥
* शवन समश्रीप भए हसत कप्रे सरा। मनहह हूँ जरठपनपु अस उपदप्रेसरा॥
नमृप जपुबरराजपु रराम कहह हूँ दप्रेहह। जश्रीवन जनम लराहह हकन लप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-(दप्रेखरा हक) करानर कप्रे परास बराल सफिप्रे द हगो गए हमैं, मरानगो बपुढरापरा ऐसरा उपदप्रेश
कर रहरा हहै हक हप्रे रराजनम! शश्री ररामचन्दजश्री कगो यवपु रराज पद दप्रेकर अपनप्रे जश्रीवन और
जन्म करा लराभ क्यर नहहीं लप्रेतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* यह हबचरार उर आहन नमृप सपुहदनपु सपुअवसर पराइ।
पप्रेम पपुलहक तन मपुहदत मन गपुरहह सपुनरायउ जराइ॥2॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें यह हवचरार लराकर (यवपु रराज पद दप्रेनप्रे करा हनश्चय कर) रराजरा
दशररजश्री नप्रे शपुभ हदन और सपुमंदर समय पराकर, पप्रेम सप्रे पपुलहकत शरश्रीर हगो आनमंदमग्नि
मन सप्रे उसप्रे गपुर वहशषजश्री कगो जरा सपुनरायरा॥ 2॥
चरौपराई :
* कहइ भपुआलपु सपुहनअ मपुहननरायक। भए रराम सब हबहध सब लरायक॥
सप्रेवक सहचव सकल पपुरबरासश्री। जप्रे हमरार अरर हमत्र उदरासश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे कहरा- हप्रे मपुहनरराज! (कमृ पयरा यह हनवप्रेदन) सपुहनए। शश्री ररामचन्दजश्री
अब सब पकरार सप्रे सब यगोग्य हगो गए हमैं। सप्रेवक, ममंत्रश्री, सब नगर हनवरासश्री और जगो
हमरारप्रे शत्रपु, हमत्र यरा उदरासश्रीन हमैं-॥1॥
* सबहह ररामपु हपय जप्रेहह हबहध मगोहश्री। पभपु असश्रीस जनपु तनपु धरर सगोहश्री॥
हबप सहहत पररवरार गगोसराई।मं करहहमं छगोहह सब ररौररहह नराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री कगो शश्री ररामचन्द वहैसप्रे हश्री हपय हमैं, जहैसप्रे वप्रे मपुझकगो हमैं। (उनकप्रे रूप ममें)
आपकरा आशश्रीवरादर्ण हश्री मरानगो शरश्रीर धरारर करकप्रे शगोहभत हगो रहरा हहै। हप्रे स्वरामश्री! सरारप्रे
ब्रराहर, पररवरार सहहत आपकप्रे हश्री समरान उन पर स्नप्रेह करतप्रे हमैं॥2॥
* जप्रे गपुर चरन रप्रेनपु हसर धरहहीं। तप्रे जनपु सकल हबभव बस करहहीं॥
मगोहह सम यहह अनपुभयउ न दज पू प्रे

रराम रराज्यराहभषप्रेक ककी तहैयरारश्री, दप्रेवतराओमं ककी व्यराकपुलतरा तररा सरस्वतश्री सप्रे उनककी परारर्णनरा
दगोहरा :
* सब कमें उर अहभलराषपु अस कहहहमं मनराइ महप्रेसपु।
आप अछत जपुबरराज पद ररामहह दप्रेउ नरप्रेसपु॥1॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे हृदय ममें ऐसश्री अहभलराषरा हहै और सब महरादप्रेवजश्री कगो मनराकर (परारर्णनरा
करकप्रे ) कहतप्रे हमैं हक रराजरा अपनप्रे जश्रीतप्रे जश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो य वपु रराज पद दप्रे दमें॥1॥
चरौपराई :
* एक समय सब सहहत समराजरा। रराजसभराहूँ रघपुरराजपु हबरराजरा॥
सकल सपुकमृत मपूरहत नरनराहह। रराम सपुजसपु सपुहन अहतहह उछराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-एक समय रघपुकपुल कप्रे रराजरा दशररजश्री अपनप्रे सरारप्रे समराज सहहत रराजसभरा ममें
हवरराजमरान रप्रे। महरारराज समस्त पपुण्यर ककी मपूहतर्ण हमैं , उन्हमें शश्री ररामचन्दजश्री करा सपुदमं र यश
सपुनकर अत्यन्त आनमंद हगो रहरा हहै॥1॥
* नमृप सब रहहहमं कमृ परा अहभलराषमें। लगोकप करहहमं पश्रीहत रख रराख॥में वन तश्रीहन कराल जग
मराहहीं। भपूररभराग दसरर सम नराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-सब रराजरा उनककी कमृ परा चराहतप्रे हमैं और लगोकपरालगर उनकप्रे रख कगो रखतप्रे हहए
(अनपुकपूल हगोकर) पश्रीहत करतप्रे हमैं। (पमृथ्वश्री, आकराश, परातराल) तश्रीनर भपुवनर ममें और
(भपूत, भहवष्य, वतर्णमरान) तश्रीनर करालर ममें दशररजश्री कप्रे समरान बडभरागश्री (और) कगोई
नहहीं हहै॥2॥
* ममंगलमपूल ररामपु सपुत जरासपू। जगो कछपु कहहअ रगोर सबपु तरासपू॥
ररायहूँ सपुभरायहूँ मपुकपुर कर लश्रीन्हरा। बदनपु हबलगोहक मपुकपुटपु सम ककीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ममंगलर कप्रे मपूल शश्री ररामचन्दजश्री हजनकप्रे पपुत्र हमैं, उनकप्रे हलए जगो कपु छ कहरा जराए
सब रगोडरा हहै। रराजरा नप्रे स्वराभराहवक हश्री हरार ममें दपर्णर लप्रे हलयरा और उसममें अपनरा मपुहूँह
दप्रेखकर मपुकपुट कगो सश्रीधरा हकयरा॥3॥
* शवन समश्रीप भए हसत कप्रे सरा। मनहह हूँ जरठपनपु अस उपदप्रेसरा॥
नमृप जपुबरराजपु रराम कहह हूँ दप्रेहह। जश्रीवन जनम लराहह हकन लप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-(दप्रेखरा हक) करानर कप्रे परास बराल सफिप्रे द हगो गए हमैं, मरानगो बपुढरापरा ऐसरा उपदप्रेश
कर रहरा हहै हक हप्रे रराजनम! शश्री ररामचन्दजश्री कगो यवपु रराज पद दप्रेकर अपनप्रे जश्रीवन और
जन्म करा लराभ क्यर नहहीं लप्रेतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* यह हबचरार उर आहन नमृप सपुहदनपु सपुअवसर पराइ।
पप्रेम पपुलहक तन मपुहदत मन गपुरहह सपुनरायउ जराइ॥2॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें यह हवचरार लराकर (यवपु रराज पद दप्रेनप्रे करा हनश्चय कर) रराजरा
दशररजश्री नप्रे शपुभ हदन और सपुमंदर समय पराकर, पप्रेम सप्रे पपुलहकत शरश्रीर हगो आनमंदमग्नि
मन सप्रे उसप्रे गपुर वहशषजश्री कगो जरा सपुनरायरा॥ 2॥
चरौपराई :
* कहइ भपुआलपु सपुहनअ मपुहननरायक। भए रराम सब हबहध सब लरायक॥
सप्रेवक सहचव सकल पपुरबरासश्री। जप्रे हमरार अरर हमत्र उदरासश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे कहरा- हप्रे मपुहनरराज! (कमृ पयरा यह हनवप्रेदन) सपुहनए। शश्री ररामचन्दजश्री
अब सब पकरार सप्रे सब यगोग्य हगो गए हमैं। सप्रेवक, ममंत्रश्री, सब नगर हनवरासश्री और जगो
हमरारप्रे शत्रपु, हमत्र यरा उदरासश्रीन हमैं-॥1॥
* सबहह ररामपु हपय जप्रेहह हबहध मगोहश्री। पभपु असश्रीस जनपु तनपु धरर सगोहश्री॥
हबप सहहत पररवरार गगोसराई।मं करहहमं छगोहह सब ररौररहह नराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री कगो शश्री ररामचन्द वहैसप्रे हश्री हपय हमैं, जहैसप्रे वप्रे मपुझकगो हमैं। (उनकप्रे रूप ममें)
आपकरा आशश्रीवरादर्ण हश्री मरानगो शरश्रीर धरारर करकप्रे शगोहभत हगो रहरा हहै। हप्रे स्वरामश्री! सरारप्रे
ब्रराहर, पररवरार सहहत आपकप्रे हश्री समरान उन पर स्नप्रेह करतप्रे हमैं॥2॥
* जप्रे गपुर चरन रप्रेनपु हसर धरहहीं। तप्रे जनपु सकल हबभव बस करहहीं॥
मगोहह सम यहह अनपुभयउ न दज पू में। सबपु परायउहूँ रज परावहन पपूजमें॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग गपुर कप्रे चररर ककी रज कगो मस्तक पर धरारर करतप्रे हमैं , वप्रे मरानगो
समस्त ऐश्वयर्ण कगो अपनप्रे वश ममें कर लप्रेतप्रे हमैं। इसकरा अनपुभव मप्रेरप्रे समरान द स पू रप्रे हकसश्री
नप्रे नहहीं हकयरा। आपककी पहवत्र चरर रज ककी पपूजरा करकप्रे ममैंनप्रे सब कपु छ परा हलयरा॥3॥
* अब अहभलराषपु एकपु मन मगोरमें। पपूहजहह नरार अनपुगह तगोरमें॥
मपुहन पसन्न लहख सहज सनप्रेहह। कहप्रेउ नरप्रेस रजरायसपु दप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-अब मप्रेरप्रे मन ममें एक हश्री अहभलराषरा हहै। हप्रे नरार ! वह भश्री आप हश्री कप्रे अनपुगह
सप्रे पपूरश्री हगोगश्री। रराजरा करा सहज पप्रेम दप्रेखकर मपुहन नप्रे पसन्न हगोकर कहरा- नरप्रेश! आजरा
दश्रीहजए (कहहए, क्यरा अहभलराषरा हहै?)॥4॥
दगोहरा :
* रराजन रराउर नरामपु जसपु सब अहभमत दरातरार।
फिल अनपुगरामश्री महहप महन मन अहभलराषपु तपुम्हरार॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजन! आपकरा नराम और यश हश्री सम्पपूरर्ण मनचराहश्री वस्तपुओमं कगो दप्रेनप्रे वरालरा
हहै। हप्रे रराजराओमं कप्रे मपुकपुटमहर! आपकप्रे मन ककी अहभलराषरा फिल करा अनपुगमन करतश्री हहै
(अररार्णत आपकप्रे इच्छरा करनप्रे कप्रे पहलप्रे हश्री फिल उत्पन्न हगो जरातरा हहै)॥3॥
चरौपराई :
* सब हबहध गपुर पसन्न हजयहूँ जरानश्री। बगोलप्रेउ रराउ रहहूँहस ममृद पु बरानश्री॥
नरार ररामपु कररअहहमं जपुबरराजपू। कहहअ कमृ परा करर कररअ समराजपू॥1॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे जश्री ममें गपुरजश्री कगो सब पकरार सप्रे पसन्न जरानकर, हहषर्णत हगोकर रराजरा
कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलप्रे- हप्रे नरार! शश्री ररामचन्द कगो यवपु रराज ककीहजए। कमृ परा करकप्रे कहहए
(आजरा दश्रीहजए) तगो तहैयरारश्री ककी जराए॥1॥
* मगोहह अछत यहह हगोइ उछराहह। लहहहमं लगोग सब लगोचन लराहह॥
पभपु पसराद हसव सबइ हनबराहहीं। यह लरालसरा एक मन मराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे जश्रीतप्रे जश्री यह आनमंद उत्सव हगो जराए , (हजससप्रे) सब लगोग अपनप्रे नप्रेत्रर
करा लराभ पराप्त करमें। पभपु (आप) कप्रे पसराद सप्रे हशवजश्री नप्रे सब कपु छ हनबराह हदयरा (सब
इच्छराएहूँ पपूरर्ण कर दहीं), कप्रे वल यहश्री एक लरालसरा मन ममें रह गई हहै॥2॥
* पपुहन न सगोच तनपु रहउ हक जराऊ। जप्रेहहमं न हगोइ पराछमें पहछतराऊ॥
सपुहन मपुहन दसरर बचन सपुहराए। ममंगल मगोद मपूल मन भराए॥3॥
भरावरारर्ण:-(इस लरालसरा कप्रे पपूरर्ण हगो जरानप्रे पर) हफिर सगोच नहहीं, शरश्रीर रहप्रे यरा चलरा
जराए, हजससप्रे मपुझप्रे पश्रीछप्रे पछतरावरा न हगो। दशररजश्री कप्रे ममंगल और आनमंद कप्रे मपूल सपुदमं र
वचन सपुनकर मपुहन मन ममें बहह त पसन्न हहए॥3॥
* सपुनपु नमृप जरासपु हबमपुख पहछतराहहीं। जरासपु भजन हबनपु जरहन न जराहहीं॥
भयउ तपुम्हरार तनय सगोइ स्वरामश्री। ररामपु पपुनश्रीत पप्रेम अनपुगरामश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(वहशषजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रराजनम! सपुहनए, हजनसप्रे हवमपुख हगोकर लगोग पछतरातप्रे
हमैं और हजनकप्रे भजन हबनरा जश्री ककी जलन नहहीं जरातश्री, वहश्री स्वरामश्री (सवर्णलगोक
महप्रेश्वर) शश्री ररामजश्री आपकप्रे पपुत्र हहए हमैं, जगो पहवत्र पप्रेम कप्रे अनपुगरामश्री हमैं। (शश्री ररामजश्री
पहवत्र पप्रेम कप्रे पश्रीछप्रे-पश्रीछप्रे चलनप्रे वरालप्रे हमैं, इसश्री सप्रे तगो पप्रेमवश आपकप्रे पपुत्र हह ए हमैं।)॥4॥
दगोहरा :
* बप्रेहग हबलमंबपु न कररअ नमृप सराहजअ सबपुइ समराजपु।
सपुहदन सपुममंगलपु तबहहमं जब ररामपु हगोहहमं जपुबरराजपु॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! अब दप्रेर न ककीहजए, शश्रीघ्र सब सरामरान सजराइए। शपुभ हदन और
सपुमंदर ममंगल तभश्री हहै, जब शश्री ररामचन्दजश्री यवपु रराज हगो जराएहूँ (अररार्णत उनकप्रे अहभषप्रेक कप्रे
हलए सभश्री हदन शपुभ और ममंगलमय हमैं)॥4॥
चरौपराई :
* मपुहदत महश्रीपहत ममंहदर आए। सप्रेवक सहचव सपुममंत्रपु बगोलराए॥
कहह जयजश्रीव सश्रीस हतन्ह नराए। भपूप सपुममंगल बचन सपुनराए॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा आनमंहदत हगोकर महल ममें आए और उन्हरनप्रे सप्रेवकर कगो तररा ममंत्रश्री सपुममंत्र
कगो बपुलवरायरा। उन लगोगर नप्रे 'जय-जश्रीव' कहकर हसर नवराए। तब रराजरा नप्रे सपुदमं र
ममंगलमय वचन (शश्री ररामजश्री कगो यवपु रराज पद दप्रेनप्रे करा पस्तराव) सपुनराए॥1॥
* जजौं पराहूँचहह मत लरागहै नश्रीकरा। करहह हरहष हहयहूँ ररामहह टश्रीकरा॥2॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) यहद पमंचर कगो (आप सबकगो) यह मत अच्छरा लगप्रे, तगो हृदय
ममें हहषर्णत हगोकर आप लगोग शश्री ररामचन्द करा रराजहतलक ककीहजए॥2॥
* ममंत्रश्री मपुहदत सपुनत हपय बरानश्री। अहभमत हबरवहूँ परप्रेउ जनपु परानश्री॥
हबनतश्री सहचव करहहमं कर जगोरश्री। हजअहह जगतपहत बररस करगोरश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-इस हपय वरारश्री कगो सपुनतप्रे हश्री ममंत्रश्री ऐसप्रे आनमंहदत हहए मरानगो उनकप्रे मनगोरर रूपश्री
परौधप्रे पर परानश्री पड गयरा हगो। ममंत्रश्री हरार जगोडकर हवनतश्री करतप्रे हमैं हक हप्रे जगत्पहत!
आप करगोडर वषर्ण हजएहूँ॥3॥
* जग ममंगल भल कराजपु हबचराररा। बप्रेहगअ नरार न लराइअ बराररा॥
नमृपहह मगोद पु सपुहन सहचव सपुभराषरा। बढत बजौंड जनपु लहश्री सपुसराखरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-आपनप्रे जगतभर करा ममंगल करनप्रे वरालरा भलरा कराम सगोचरा हहै। हप्रे नरार ! शश्रीघ्रतरा
ककीहजए, दप्रेर न लगराइए। ममंहत्रयर ककी सपुदमं र वरारश्री सपुनकर रराजरा कगो ऐसरा आनमंद हहआ
मरानगो बढतश्री हहई बप्रेल सपुदमं र डरालश्री करा सहराररा परा गई हगो॥ 4॥
दगोहरा :
* कहप्रेउ भपूप मपुहनरराज कर जगोइ जगोइ आयसपु हगोइ।
रराम रराज अहभषप्रेक हहत बप्रेहग करहह सगोइ सगोइ॥5॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे कहरा- शश्री ररामचन्द कप्रे रराज्यराहभषप्रेक कप्रे हलए मपुहनरराज वहशषजश्री ककी
जगो-जगो आजरा हगो, आप लगोग वहश्री सब तपुरमंत करमें॥5॥
चरौपराई :
* हरहष मपुनश्रीस कहप्रेउ ममृद पु बरानश्री। आनहह सकल सपुतश्रीरर परानश्री॥
औषध मपूल फिपूल फिल परानरा। कहप्रे नराम गहन ममंगल नरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहनरराज नप्रे हहषर्णत हगोकर कगोमल वरारश्री सप्रे कहरा हक सम्पपूरर्ण शप्रेष तश्रीरर्मों करा
जल लप्रे आओ। हफिर उन्हरनप्रे औषहध, मपूल, फिपूल, फिल और पत्र आहद अनप्रेकर
मरामंगहलक वस्तपुओमं कप्रे नराम हगनकर बतराए॥1॥
* चरामर चरम बसन बहह भराहूँतश्री। रगोम पराट पट अगहनत जरातश्री॥
महनगन ममंगल बस्तपु अनप्रेकरा। जगो जग जगोगपु भपूप अहभषप्रेकरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-चहूँवर, ममृगचमर्ण, बहह त पकरार कप्रे वस्त्र, असमंख्यर जराहतयर कप्रे ऊनश्री और रप्रेशमश्री
कपडप्रे, (नरानरा पकरार ककी) महरयराहूँ (रत्न) तररा और भश्री बहह त सश्री ममंगल वस्तपुएहूँ,
जगो जगत ममें रराज्यराहभषप्रेक कप्रे यगोग्य हगोतश्री हमैं, (सबकगो महूँगरानप्रे ककी उन्हरनप्रे आजरा दश्री)॥
2॥
* बप्रेद हबहदत कहह सकल हबधरानरा। कहप्रेउ रचहह पपुर हबहबध हबतरानरा॥
सफिल रसराल पपूगफिल कप्रे ररा। रगोपहह बश्रीहरन्ह पपुर चहह हूँ फिप्रे ररा॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे वप्रेदर ममें कहरा हहआ सब हवधरान बतराकर कहरा- नगर ममें बहह त सप्रे ममंडप
(चहूँदगोवप्रे) सजराओ। फिलर समप्रेत आम, सपुपरारश्री और कप्रे लप्रे कप्रे वमृक्ष नगर ककी गहलयर ममें
चरारर ओर रगोप दगो॥3॥
* रचहह ममंजपु महन चरौकमें चरारू। कहहह बनरावन बप्रेहग बजरारू॥
पपूजहह गनपहत गपुर कपु लदप्रेवरा। सब हबहध करहह भपूहमसपुर सप्रेवरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर महरयर कप्रे मनगोहर चरौक पपुरवराओ और बराजरार कगो तपुरमंत सजरानप्रे कप्रे हलए
कह दगो। शश्री गरप्रेशजश्री, गपुर और कपु लदप्रेवतरा ककी पपूजरा करगो और भपूदप्रेव ब्रराहरर ककी सब
पकरार सप्रे सप्रेवरा करगो॥4॥
दगोहरा :
* ध्वज पतराक तगोरन कलस सजहह तपुरग रर नराग।
हसर धरर मपुहनबर बचन सबपु हनज हनज कराजहहमं लराग॥6॥
भरावरारर्ण:-ध्वजरा, पतराकरा, तगोरर, कलश, घगोडप्रे, रर और हरारश्री सबकगो सजराओ!
मपुहन शप्रेष वहशषजश्री कप्रे वचनर कगो हशरगोधरायर्ण करकप्रे सब लगोग अपनप्रे-अपनप्रे कराम ममें लग
गए॥6॥
चरौपराई :
* जगो मपुनश्रीस जप्रेहह आयसपु दश्रीन्हरा। सगो तप्रेहहमं कराजपु परम जनपु ककीन्हरा॥
हबप सराधपु सपुर पपूजत रराजरा। करत रराम हहत ममंगल कराजरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुनश्रीश्वर नप्रे हजसकगो हजस कराम कप्रे हलए आजरा दश्री, उसनप्रे वह कराम (इतनश्री
शश्रीघ्रतरा सप्रे कर डरालरा हक) मरानगो पहलप्रे सप्रे हश्री कर रखरा ररा। रराजरा ब्रराहर, सराधपु और
दप्रेवतराओमं कगो पपूज रहप्रे हमैं और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हलए सब ममंगल करायर्ण कर रहप्रे हमैं॥1॥
* सपुनत रराम अहभषप्रेक सपुहरावरा। बराज गहरागह अवध बधरावरा॥
रराम सश्रीय तन सगपुन जनराए। फिरकहहमं ममंगल अमंग सपुहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रराज्यराहभषप्रेक ककी सपुहरावनश्री खबर सपुनतप्रे हश्री अवधभर ममें बडश्री
धपूम सप्रे बधरावप्रे बजनप्रे लगप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे शरश्रीर ममें भश्री शपुभ शकपु न
सपूहचत हह ए। उनकप्रे सपुदमं र ममंगल अमंग फिडकनप्रे लगप्रे॥2॥
* पपुलहक सपप्रेम परसपर कहहहीं। भरत आगमनपु सपूचक अहहहीं॥
भए बहह त हदन अहत अवसप्रेरश्री। सगपुन पतश्रीहत भमेंट हपय कप्रे रश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पपुलहकत हगोकर वप्रे दगोनर पप्रेम सहहत एक-दस पू रप्रे सप्रे कहतप्रे हमैं हक यप्रे सब शकपु न
भरत कप्रे आनप्रे ककी सपूचनरा दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। (उनकगो मरामरा कप्रे घर गए) बहह त हदन हगो
गए, बहह त हश्री अवसप्रेर आ रहश्री हहै (बरार-बरार उनसप्रे हमलनप्रे ककी मन ममें आतश्री हहै)
शकपु नर सप्रे हपय (भरत) कप्रे हमलनप्रे करा हवश्वरास हगोतरा हहै॥3॥
* भरत सररस हपय कगो जग मराहहीं। इहइ सगपुन फिलपु द स पू र नराहहीं॥
ररामहह बमंधपु सगोच हदन ररातश्री। अमंडहन्ह कमठ हृदय जप्रेहह भराहूँतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और भरत कप्रे समरान जगत ममें (हममें) करौन प्यराररा हहै! शकपु न करा बस, यहश्री
फिल हहै, दस पू ररा नहहीं। शश्री ररामचन्दजश्री कगो (अपनप्रे) भराई भरत करा हदन-ररात ऐसरा सगोच
रहतरा हहै जहैसरा कछपु ए करा हृदय अमंडर ममें रहतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* एहह अवसर ममंगलपु परम सपुहन रहहूँसप्रेउ रहनवरासपु।
सगोभत लहख हबधपु बढत जनपु बराररहध बश्रीहच हबलरासपु॥ 7॥
भरावरारर्ण:-इसश्री समय यह परम ममंगल समराचरार सपुनकर सराररा रहनवरास हहषर्णत हगो उठरा।
जहैसप्रे चन्दमरा कगो बढतप्रे दप्रेखकर समपुद ममें लहरर करा हवलरास (आनमंद) सपुशगोहभत हगोतरा
हहै॥7॥
चरौपराई :
* परम जराइ हजन्ह बचन सपुनराए। भपूषन बसन भपूरर हतन्ह पराए॥
पप्रेम पपुलहक तन मन अनपुररागहीं। ममंगल कलस सजन सब लरागहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सबसप्रे पहलप्रे (रहनवरास ममें) जराकर हजन्हरनप्रे यप्रे वचन (समराचरार) सपुनराए,
उन्हरनप्रे बहह त सप्रे आभपूषर और वस्त्र पराए। रराहनयर करा शरश्रीर पप्रेम सप्रे पपुलहकत हगो उठरा
और मन पप्रेम ममें मग्नि हगो गयरा। वप्रे सब ममंगल कलश सजरानप्रे लगहीं॥ 1॥
* चरौकमें चरार सपुहमत्रराहूँ पपूरश्री। महनमय हबहबध भराहूँहत अहत रूरश्री॥
आनहूँद मगन रराम महतरारश्री। हदए दरान बहह हबप हहूँकरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुहमत्रराजश्री नप्रे महरयर (रत्नर) कप्रे बहह त पकरार कप्रे अत्यन्त सपुदमं र और मनगोहर
चरौक पपूरप्रे। आनमंद ममें मग्नि हहई शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा करौसल्यराजश्री नप्रे ब्रराहरर कगो
बपुलराकर बहह त दरान हदए॥2॥
* पपूजहीं गरामदप्रेहब सपुर नरागरा। कहप्रेउ बहगोरर दप्रेन बहलभरागरा॥
जप्रेहह हबहध हगोइ रराम कल्यरानपू। दप्रेहह दयरा करर सगो बरदरानपू॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे गरामदप्रेहवयर, दप्रेवतराओमं और नरागर ककी पपूजरा ककी और हफिर बहल भमेंट
दप्रेनप्रे कगो कहरा (अररार्णत करायर्ण हसद हगोनप्रे पर हफिर पपूजरा करनप्रे ककी मनरौतश्री मरानश्री ) और
परारर्णनरा ककी हक हजस पकरार सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री करा कल्यरार हगो, दयरा करकप्रे वहश्री
वरदरान दश्रीहजए॥3॥
*गरावहहमं ममंगल कगोहकलबयनहीं। हबधपुबदनहीं ममृगसरावकनयनहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कगोयल ककी सश्री मश्रीठश्री वरारश्री वरालश्री, चन्दमरा कप्रे समरान मपुख वरालश्री और हहरन
कप्रे बचप्रे कप्रे सप्रे नप्रेत्रर वरालश्री हस्त्रयराहूँ ममंगलगरान करनप्रे लगहीं॥4॥
दगोहरा :
* रराम रराज अहभषप्रेकपु सपुहन हहयहूँ हरषप्रे नर नरारर।
लगप्रे सपुममंगल सजन सब हबहध अनपुकपूल हबचरारर॥8॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा रराज्यराहभषप्रेक सपुनकर सभश्री स्त्रश्री -पपुरष हृदय ममें हहषर्णत हगो
उठप्रे और हवधरातरा कगो अपनप्रे अनपुकपूल समझकर सब सपुदमं र ममंगल सराज सजरानप्रे लगप्रे॥ 8॥
चरौपराई :
* तब नरनराहहूँ बहसषह बगोलराए। ररामधराम हसख दप्रेन पठराए॥
गपुर आगमनपु सपुनत रघपुनराररा। दरार आइ पद नरायउ मराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा नप्रे वहशषजश्री कगो बपुलरायरा और हशक्षरा (समयगोहचत उपदप्रेश) दप्रेनप्रे कप्रे
हलए शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे महल ममें भप्रेजरा। गपुर करा आगमन सपुनतप्रे हश्री शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे
दरवराजप्रे पर आकर उनकप्रे चररर ममें मस्तक नवरायरा।1॥
* सरादर अरघ दप्रेइ घर आनप्रे। सगोरह भराहूँहत पपूहज सनमरानप्रे॥
गहप्रे चरन हसय सहहत बहगोरश्री। बगोलप्रे ररामपु कमल कर जगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आदरपपूवर्णक अघ्यर्ण दप्रेकर उन्हमें घर ममें लराए और षगोडशगोपचरार सप्रे पपूजरा करकप्रे
उनकरा सम्मरान हकयरा। हफिर सश्रीतराजश्री सहहत उनकप्रे चरर स्पशर्ण हकए और कमल कप्रे
समरान दगोनर हरारर कगो जगोडकर शश्री ररामजश्री बगोलप्रे -॥2॥
* सप्रेवक सदन स्वराहम आगमनपू। ममंगल मपूल अममंगल दमनपू॥
तदहप उहचत जनपु बगोहल सपश्रीतश्री। पठइअ कराज नरार अहस नश्रीतश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप सप्रेवक कप्रे घर स्वरामश्री करा पधरारनरा ममंगलर करा मपूल और अममंगलर करा
नराश करनप्रे वरालरा हगोतरा हहै, तरराहप हप्रे नरार! उहचत तगो यहश्री ररा हक पप्रेमपपूवर्णक दरास
कगो हश्री करायर्ण कप्रे हलए बपुलरा भप्रेजतप्रे, ऐसश्री हश्री नश्रीहत हहै॥3॥
* पभपुतरा तहज पभपु ककीन्ह सनप्रेहह। भयउ पपुनश्रीत आजपु यहह गप्रेहह॥
आयसपु हगोइ सगो करजौं गगोसराई।मं सप्रेवकपु लइह स्वराहम सप्रेवकराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु पभपु (आप) नप्रे पभपुतरा छगोडकर (स्वयमं यहराहूँ पधरारकर) जगो स्नप्रेह
हकयरा, इससप्रे आज यह घर पहवत्र हगो गयरा! हप्रे गगोसराई!मं (अब) जगो आजरा हगो, ममैं
वहश्री करूहूँ। स्वरामश्री ककी सप्रेवरा ममें हश्री सप्रेवक करा लराभ हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* सपुहन सनप्रेह सरानप्रे बचन मपुहन रघपुबरहह पसमंस।
रराम कस न तपुम्ह कहहह अस हमंस बमंस अवतमंस॥9॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे ) पप्रेम ममें सनप्रे हह ए वचनर कगो सपुनकर मपुहन वहशषजश्री नप्रे शश्री
रघपुनरारजश्री ककी पशमंसरा करतप्रे हहए कहरा हक हप्रे रराम! भलरा आप ऐसरा क्यर न कहमें। आप
सपूयवर्ण मंश कप्रे भपूषर जगो हमैं॥9॥
चरौपराई :
* बरहन रराम गपुन सश्रीलपु सपुभराऊ। बगोलप्रे पप्रेम पपुलहक मपुहनरराऊ॥
भपूप सजप्रेउ अहभषप्रेक समराजपू। चराहत दप्रेन तपुम्हहह जपुबरराजपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुर, शश्रील और स्वभराव करा बखरान कर, मपुहनरराज पप्रेम सप्रे
पपुलहकत हगोकर बगोलप्रे- (हप्रे ररामचन्दजश्री!) रराजरा (दशररजश्री) नप्रे रराज्यराहभषप्रेक ककी तहैयरारश्री
ककी हहै। वप्रे आपकगो यवपु रराज पद दप्रेनरा चराहतप्रे हमैं॥1॥
* रराम करहह सब समंजम आजपू। जजौं हबहध कपु सल हनबराहहै कराजपू॥
गपुर हसख दप्रेइ रराय पहहमं गयऊ। रराम हृदयहूँ अस हबसमउ भयऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-(इसहलए) हप्रे ररामजश्री! आज आप (उपवरास, हवन आहद हवहधपपूवर्णक) सब
समंयम ककीहजए, हजससप्रे हवधरातरा कपु शलपपूवर्णक इस कराम कगो हनबराह दमें (सफिल कर दमें)।
गपुरजश्री हशक्षरा दप्रेकर रराजरा दशररजश्री कप्रे परास चलप्रे गए। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हृदय ममें (यह
सपुनकर) इस बरात करा खप्रेद हह आ हक-॥2॥
* जनमप्रे एक समंग सब भराई। भगोजन सयन कप्रे हल लररकराई॥
करनबप्रेध उपबश्रीत हबआहरा। समंग समंग सब भए उछराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हम सब भराई एक हश्री सरार जन्मप्रे, खरानरा, सगोनरा, लडकपन कप्रे खप्रेल-कपू द,
कनछप्रेदन, यजगोपवश्रीत और हववराह आहद उत्सव सब सरार -सरार हश्री हह ए॥3॥
* हबमल बमंस यहह अनपुहचत एकपू । बमंधपु हबहराइ बडप्रेहह अहभषप्रेकपू॥
पभपु सपप्रेम पहछतराहन सपुहराई। हरउ भगत मन कहै कपु हटलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-पर इस हनमर्णल वमंश ममें यहश्री एक अनपुहचत बरात हगो रहश्री हहै हक और सब
भराइयर कगो छगोडकर रराज्यराहभषप्रेक एक बडप्रे करा हश्री (मप्रेररा हश्री) हगोतरा हहै। (तपुलसश्रीदरासजश्री
कहतप्रे हमैं हक) पभपु शश्री ररामचन्दजश्री करा यह सपुदमं र पप्रेमपपूरर्ण पछतरावरा भक्तर कप्रे मन ककी
कपु हटलतरा कगो हरर करप्रे॥4॥
दगोहरा :
*तप्रेहह अवसर आए लखन मगन पप्रेम आनमंद।
सनमरानप्रे हपय बचन कहह रघपुकपुल कहै रव चमंद॥10॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय पप्रेम और आनमंद ममें मग्नि लक्ष्मरजश्री आए। रघपुकपु ल रूपश्री कपु मपुद कप्रे
हखलरानप्रे वरालप्रे चन्दमरा शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हपय वचन कहकर उनकरा सम्मरान हकयरा॥ 10॥
चरौपराई :
* बराजहहमं बराजनप्रे हबहबध हबधरानरा। पपुर पमगोद पु नहहमं जराइ बखरानरा॥
भरत आगमनपु सकल मनरावहहमं। आवहह हूँ बप्रेहग नयन फिलपु परावहहमं॥1॥
भरावरारर्ण:-बहह त पकरार कप्रे बराजप्रे बज रहप्रे हमैं। नगर कप्रे अहतशय आनमंद करा वरर्णन नहहीं हगो
सकतरा। सब लगोग भरतजश्री करा आगमन मनरा रहप्रे हमैं और कह रहप्रे हमैं हक वप्रे भश्री शश्रीघ्र
आवमें और (रराज्यराहभषप्रेक करा उत्सव दप्रेखकर) नप्रेत्रर करा फिल पराप्त करमें॥1॥
* हराट बराट घर गलहीं अरराई।मं कहहहमं परसपर लगोग लगोगराई॥मं
कराहल लगन भहल कप्रे हतक बराररा। पपूहजहह हबहध अहभलराषपु हमराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-बराजरार, ररास्तप्रे, घर, गलश्री और चबपूतरर पर (जहराहूँ-तहराहूँ) पपुरष और स्त्रश्री
आपस ममें यहश्री कहतप्रे हमैं हक कल वह शपुभ लग्नि (मपुहहतर्ण) हकतनप्रे समय हहै, जब
हवधरातरा हमरारश्री अहभलराषरा पपूरश्री करमेंगप्रे॥ 2॥
* कनक हसमंघरासन सश्रीय समप्रेतरा। बहैठहहमं ररामपु हगोइ हचत चप्रेतरा॥
सकल कहहहमं कब हगोइहह करालश्री। हबघन मनरावहहमं दप्रेव कपु चरालश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-जब सश्रीतराजश्री सहहत शश्री ररामचन्दजश्री सपुवरर्ण कप्रे हसमंहरासन पर हवरराजमेंगप्रे और
हमराररा मनचश्रीतरा हगोगरा (मनद्धाःकरामनरा पपूरश्री हगोगश्री)। इधर तगो सब यह कह रहप्रे हमैं हक कल
कब हगोगरा, उधर कपु चककी दप्रेवतरा हवघ्न मनरा रहप्रे हमैं॥3॥
* हतन्हहह सगोहराइ न अवध बधरावरा। चगोरहह चमंहदहन रराहत न भरावरा॥
सरारद बगोहल हबनय सपुर करहहीं। बरारहहमं बरार पराय लहै परहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें (दप्रेवतराओमं कगो) अवध कप्रे बधरावप्रे नहहीं सपुहरातप्रे, जहैसप्रे चगोर कगो चराहूँदनश्री ररात
नहहीं भरातश्री। सरस्वतश्रीजश्री कगो बपुलराकर दप्रेवतरा हवनय कर रहप्रे हमैं और बरार -बरार उनकप्रे पहैरर
कगो पकडकर उन पर हगरतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हबपहत हमरारर हबलगोहक बहड मरातपु कररअ सगोइ आजपु।
ररामपु जराहहमं बन रराजपु तहज हगोइ सकल सपुरकराजपु॥ 11॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे कहतप्रे हमैं-) हप्रे मरातरा! हमरारश्री बडश्री हवपहर कगो दप्रेखकर आज वहश्री ककीहजए
हजससप्रे शश्री ररामचन्दजश्री रराज्य त्यरागकर वन कगो चलप्रे जराएहूँ और दप्रेवतराओमं करा सब करायर्ण
हसद हगो॥11॥
चरौपराई :
* सपुहन सपुर हबनय ठराहढ पहछतरातश्री। भइउहूँ सरगोज हबहपन हहमररातश्री॥
दप्रेहख दप्रेव पपुहन कहहहमं हनहगोरश्री। मरातपु तगोहह नहहमं रगोररउ खगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं ककी हवनतश्री सपुनकर सरस्वतश्रीजश्री खडश्री-खडश्री पछतरा रहश्री हमैं हक
(हराय!) ममैं कमलवन कप्रे हलए हप्रेममंत ऋतपु ककी ररात हह ई। उन्हमें इस पकरार पछतरातप्रे
दप्रेखकर दप्रेवतरा हवनय करकप्रे कहनप्रे लगप्रे- हप्रे मरातरा! इसममें आपकगो जररा भश्री दगोष न
लगप्रेगरा॥1॥
* हबसमय हरष रहहत रघपुरराऊ। तपुम्ह जरानहह सब रराम पभराऊ॥
जश्रीव करम बस सपुख दख पु भरागश्री। जराइअ अवध दप्रेव हहत लरागश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री हवषराद और हषर्ण सप्रे रहहत हमैं। आप तगो शश्री ररामजश्री कप्रे सब
पभराव कगो जरानतश्री हश्री हमैं। जश्रीव अपनप्रे कमर्णवश हश्री सपुख -दद्धाःपु ख करा भरागश्री हगोतरा हहै। अतएव
दप्रेवतराओमं कप्रे हहत कप्रे हलए आप अयगोध्यरा जराइए॥2॥
* बरार बरार गहह चरन सहूँकगोचश्री। चलश्री हबचरारर हबबपुध महत पगोचश्री॥
ऊहूँच हनवरासपु नश्रीहच करतपूतश्री। दप्रेहख न सकहहमं परराइ हबभपूतश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार चरर पकडकर दप्रेवतराओमं नप्रे सरस्वतश्री कगो समंकगोच ममें डराल हदयरा। तब
वप्रे यह हवचरारकर चलहीं हक दप्रेवतराओमं ककी बपुहद ओछश्री हहै। इनकरा हनवरास तगो ऊहूँचरा हहै ,
पर इनककी करनश्री नश्रीचश्री हहै। यप्रे दस पू रप्रे करा ऐश्वयर्ण नहहीं दप्रेख सकतप्रे॥3॥
* आहगल कराजपु हबचरारर बहगोरश्री। कररहहहमं चराह कपु सल कहब मगोरश्री॥
हरहष हृदयहूँ दसरर पपुर आई। जनपु गह दसरा द सपु ह दख पु दराई॥4॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु आगप्रे कप्रे कराम करा हवचरार करकप्रे (शश्री ररामजश्री कप्रे वन जरानप्रे सप्रे रराक्षसर
करा वध हगोगरा, हजससप्रे सराररा जगत सपुखश्री हगो जराएगरा) चतपुर कहव (शश्री ररामजश्री कप्रे
वनवरास कप्रे चररत्रर करा वरर्णन करनप्रे कप्रे हलए) मप्रेरश्री चराह (करामनरा) करमेंगप्रे। ऐसरा हवचरार
कर सरस्वतश्री हृदय ममें हहषर्णत हगोकर दशररजश्री ककी पपुरश्री अयगोध्यरा ममें आई ,मं मरानगो दद्धाःपु सह
दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालश्री कगोई गहदशरा आई हगो॥4॥
सरस्वतश्री करा मन्रररा ककी बपुहद फिप्रे रनरा, कहै कप्रे यश्री-मन्रररा समंवराद, पजरा ममें खपुशश्री
दगोहरा :
* नरामपु ममंरररा ममंदमहत चप्रेरश्री कहै कइ कप्रे रर।
अजस पप्रेटरारश्री तराहह करर गई हगररा महत फिप्रे रर॥12॥
भरावरारर्ण:-मन्रररा नराम ककी कहै कप्रे ई ककी एक ममंदबपुहद दरासश्री रश्री, उसप्रे अपयश ककी हपटरारश्री
बनराकर सरस्वतश्री उसककी बपुहद कगो फिप्रे रकर चलश्री गई॥मं 12॥
चरौपराई :
* दश्रीख ममंरररा नगर बनरावरा। ममंजपुल ममंगल बराज बधरावरा॥
पपूछप्रेहस लगोगन्ह कराह उछराहह। रराम हतलकपु सपुहन भरा उर दराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-ममंरररा नप्रे दप्रेखरा हक नगर सजरायरा हहआ हहै। सपुमंदर ममंगलमय बधरावप्रे बज रहप्रे हमैं।
उसनप्रे लगोगर सप्रे पपूछरा हक कहै सरा उत्सव हहै? (उनसप्रे) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रराजहतलक
ककी बरात सपुनतप्रे हश्री उसकरा हृदय जल उठरा॥1॥
* करइ हबचरार कपु बपुहद कपु जरातश्री। हगोइ अकराजपु कवहन हबहध ररातश्री॥
दप्रेहख लराहग मधपु कपु हटल हकररातश्री। हजहम गवहूँ तकइ लप्रेउहूँ कप्रे हह भराहूँतश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-वह दबपु पुर्णहद, नश्रीच जराहत वरालश्री दरासश्री हवचरार करनप्रे लगश्री हक हकस पकरार सप्रे
यह कराम ररात हश्री ररात ममें हबगड जराए, जहैसप्रे कगोई कपु हटल भश्रीलनश्री शहद करा छररा लगरा
दप्रेखकर घरात लगरातश्री हहै हक इसकगो हकस तरह सप्रे उखराड लपूहूँ॥ 2॥
* भरत मरातपु पहहमं गइ हबलखरानश्री। करा अनमहन हहस कह हहूँहस ररानश्री॥
ऊतर दप्रेइ न लप्रेइ उसरासपू। नरारर चररत करर ढरारइ आहूँसपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह उदरास हगोकर भरतजश्री ककी मरातरा कहै कप्रे यश्री कप्रे परास गई। ररानश्री कहै कप्रे यश्री नप्रे
हहूँसकर कहरा- तपू उदरास क्यर हहै? ममंरररा कपु छ उरर नहहीं दप्रेतश्री, कप्रे वल लमंबश्री सरास हूँ लप्रे
रहश्री हहै और हत्रयराचररत्र करकप्रे आहूँसपू ढरकरा रहश्री हहै॥3॥
* हहूँहस कह रराहन गरालपु बड तगोरमें। दश्रीन्ह लखन हसख अस मन मगोरमें॥
तबहह हूँ न बगोल चप्रेरर बहड पराहपहन। छराडइ स्वरास करारर जनपु सराहूँहपहन॥4॥
भरावरारर्ण:-ररानश्री हहूँसकर कहनप्रे लगश्री हक तप्रेरप्रे बडप्रे गराल हमैं (तपू बहह त बढ-बढकर बगोलनप्रे
वरालश्री हहै)। मप्रेररा मन कहतरा हहै हक लक्ष्मर नप्रे तपुझप्रे कपु छ सश्रीख दश्री हहै (दण्ड हदयरा हहै)।
तब भश्री वह महरापराहपनश्री दरासश्री कपु छ भश्री नहहीं बगोलतश्री। ऐसश्री लमंबश्री सराहूँस छगोड रहश्री हहै ,
मरानगो करालश्री नराहगन (फिपु फिकरार छगोड रहश्री) हगो॥4॥
दगोहरा :
* सभय रराहन कह कहहस हकन कपु सल ररामपु महहपरालपु।
लखनपु भरतपु ररपपुदमनपु सपुहन भरा कपु बरश्री उर सरालपु॥13॥
भरावरारर्ण:-तब ररानश्री नप्रे डरकर कहरा- अरश्री! कहतश्री क्यर नहहीं? शश्री ररामचन्द, रराजरा,
लक्ष्मर, भरत और शत्रपुघ्न कपु शल सप्रे तगो हमैं? यह सपुनकर कपु बरश्री ममंरररा कप्रे हृदय ममें
बडश्री हश्री पश्रीडरा हह ई॥13॥
चरौपराई :
* कत हसख दप्रेइ हमहह कगोउ मराई। गरालपु करब कप्रे हह कर बलपु पराई॥
ररामहह छराहड कपु सल कप्रे हह आजपू। जप्रेहह जनप्रेसपु दप्रेइ जपुबरराजपू॥1॥
भरावरारर्ण:-(वह कहनप्रे लगश्री-) हप्रे मराई! हममें कगोई क्यर सश्रीख दप्रेगरा और ममैं हकसकरा बल
पराकर गराल करूहूँगश्री (बढ-बढकर बगोलपूहूँगश्री)। ररामचन्द कगो छगोडकर आज और हकसककी
कपु शल हहै, हजन्हमें रराजरा यवपु रराज पद दप्रे रहप्रे हमैं॥1॥
* भयउ करौहसलहह हबहध अहत दराहहन। दप्रेखत गरब रहत उर नराहहन॥
दप्रेखहह कस न जराइ सब सगोभरा। जगो अवलगोहक मगोर मनपु छगोभरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आज करौसल्यरा कगो हवधरातरा बहह त हश्री दराहहनप्रे (अनपुकपूल) हह ए हमैं, यह दप्रेखकर
उनकप्रे हृदय ममें गवर्ण समरातरा नहहीं। तपुम स्वयमं जराकर सब शगोभरा क्यर नहहीं दप्रेख लप्रेतहीं,
हजसप्रे दप्रेखकर मप्रेरप्रे मन ममें क्षगोभ हह आ हहै॥2॥
* पपूतपु हबदप्रेस न सगोचपु तपुम्हरारमें। जरानहत हहह बस नराहह हमरारमें॥
नश्रीद बहह त हपय सप्रेज तपुरराई। लखहह न भपूप कपट चतपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हराररा पपुत्र परदप्रेस ममें हहै, तपुम्हमें कपु छ सगोच नहहीं। जरानतश्री हगो हक स्वरामश्री हमरारप्रे
वश ममें हमैं। तपुम्हमें तगो तगोशक-पलहूँग पर पडप्रे-पडप्रे नहींद लप्रेनरा हश्री बहह त प्यराररा लगतरा हहै,
रराजरा ककी कपटभरश्री चतपुरराई तपुम नहहीं दप्रेखतहीं॥ 3॥
*सपुहन हपय बचन महलन मनपु जरानश्री। झपुककी रराहन अब रहह अरगरानश्री॥
पपुहन अस कबहह हूँ कहहस घरफिगोरश्री। तब धरर जश्रीभ कढरावउहूँ तगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मन्रररा कप्रे हपय वचन सपुनकर, हकन्तपु उसकगो मन ककी महैलश्री जरानकर ररानश्री
झपुककर (डराहूँटकर) बगोलश्री- बस, अब चपुप रह घरफिगोडश्री कहहीं ककी! जगो हफिर कभश्री
ऐसरा कहरा तगो तप्रेरश्री जश्रीभ पकडकर हनकलवरा लपूहूँगश्री॥ 4॥
दगोहरा :
* करानप्रे खगोरप्रे कपू बरप्रे कपु हटल कपु चरालश्री जराहन।
हतय हबसप्रेहष पपुहनचप्रेरर कहह भरतमरातपु मपुसपुकराहन॥14॥
भरावरारर्ण:-करानर, लमंगडर और कपु बडर कगो कपु हटल और कपु चरालश्री जराननरा चराहहए। उनममें भश्री
स्त्रश्री और खरासकर दरासश्री! इतनरा कहकर भरतजश्री ककी मरातरा कहै कप्रे यश्री मपुस्कपु ररा दहीं॥14॥
चरौपराई :
* हपयबराहदहन हसख दश्रीहन्हउहूँ तगोहश्री। सपनप्रेहहहूँ तगो पर कगोपपु न मगोहश्री॥
सपुहदनपु सपुममंगल दरायकपु सगोई। तगोर कहरा फिपु र जप्रेहह हदन हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-(और हफिर बगोलहीं-) हप्रे हपय वचन कहनप्रे वरालश्री ममंरररा! ममैंनप्रे तपुझकगो यह सश्रीख
दश्री हहै (हशक्षरा कप्रे हलए इतनश्री बरात कहश्री हहै)। मपुझप्रे तपुझ पर स्वप्न ममें भश्री कगोध नहहीं हहै।
सपुमंदर ममंगलदरायक शपुभ हदन वहश्री हगोगरा, हजस हदन तप्रेररा कहनरा सत्य हगोगरा (अररार्णत शश्री
रराम करा रराज्यहतलक हगोगरा)॥1॥
* जप्रेठ स्वराहम सप्रेवक लघपु भराई। यह हदनकर कपु ल रश्रीहत सपुहराई॥
रराम हतलकपु जजौं सराचहूँ प्रेहहहूँ करालश्री। दप्रेउहूँ मरागपु मन भरावत आलश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-बडरा भराई स्वरामश्री और छगोटरा भराई सप्रेवक हगोतरा हहै। यह सपूयर्णवमंश ककी सपुहरावनश्री
रश्रीहत हश्री हहै। यहद सचमपुच कल हश्री शश्री रराम करा हतलक हहै , तगो हप्रे सखश्री! तप्रेरप्रे मन
कगो अच्छश्री लगप्रे वहश्री वस्तपु मराहूँग लप्रे, ममैं दहूँगपू श्री॥2॥
* करौसल्यरा सम सब महतरारश्री। ररामहह सहज सपुभरायहूँ हपआरश्री॥
मगो पर करहहमं सनप्रेहह हबसप्रेषश्री। ममैं करर पश्रीहत परश्रीछरा दप्रेखश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराम कगो सहज स्वभराव सप्रे सब मरातराएहूँ करौसल्यरा कप्रे समरान हश्री प्यरारश्री हमैं। मपुझ
पर तगो वप्रे हवशप्रेष पप्रेम करतप्रे हमैं। ममैंनप्रे उनककी पश्रीहत ककी परश्रीक्षरा करकप्रे दप्रेख लश्री हहै॥3॥
* जजौं हबहध जनमपु दप्रेइ करर छगोहह। हगोहहहूँ रराम हसय पपूत पपुतगोहह॥
परान तमें अहधक ररामपु हपय मगोरमें। हतन्ह कमें हतलक छगोभपु कस तगोरमें॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो हवधरातरा कमृ परा करकप्रे जन्म दमें तगो (यह भश्री दमें हक) शश्री ररामचन्द पपुत्र और
सश्रीतरा बहह हर। शश्री रराम मपुझप्रे परारर सप्रे भश्री अहधक हपय हमैं। उनकप्रे हतलक सप्रे (उनकप्रे
हतलक ककी बरात सपुनकर) तपुझप्रे क्षगोभ कहै सरा?॥4॥
दगोहरा :
* भरत सपर तगोहह सत्य कहह पररहरर कपट दरपु राउ।
हरष समय हबसमउ करहस करारन मगोहह सपुनराउ॥15॥
भरावरारर्ण:- तपुझप्रे भरत ककी सरौगमंध हहै, छल-कपट छगोडकर सच-सच कह। तपू हषर्ण कप्रे
समय हवषराद कर रहश्री हहै, मपुझप्रे इसकरा करारर सपुनरा॥15॥
चरौपराई :
* एकहहमं बरार आस सब पपूजश्री। अब कछपु कहब जश्रीभ करर दज पू श्री॥
फिगोरहै जगोगपु कपरार अभरागरा। भलप्रेउ कहत दख पु रउरप्रेहह लरागरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(ममंरररा नप्रे कहरा-) सरारश्री आशराएहूँ तगो एक हश्री बरार कहनप्रे ममें पपूरश्री हगो गई ।मं अब
तगो दस पू रश्री जश्रीभ लगराकर कपु छ कहह हूँगश्री। मप्रेररा अभरागरा कपराल तगो फिगोडनप्रे हश्री यगोग्य हहै , जगो
अच्छश्री बरात कहनप्रे पर भश्री आपकगो दद्धाःपु ख हगोतरा हहै॥1॥
* कहहहमं झपूहठ फिपु रर बरात बनराई। तप्रे हपय तपुम्हहह करइ ममैं मराई॥
हमहह हूँ कहहब अब ठकपु रसगोहरातश्री। नराहहमं त मरौन रहब हदनपु ररातश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो झपूठश्री-सचश्री बरातमें बनराकर कहतप्रे हमैं, हप्रे मराई! वप्रे हश्री तपुम्हमें हपय हमैं और ममैं
कडवश्री लगतश्री हह हूँ! अब ममैं भश्री ठकपु रसपुहरातश्री (मपुहूँह दप्रेखश्री) कहरा करूहूँगश्री। नहहीं तगो हदन-
ररात चपुप रहह हूँगश्री॥2॥
* करर कपु रूप हबहध परबस ककीन्हरा। बवरा सगो लपुहनअ लहहअ जगो दश्रीन्हरा॥
कगोउ नमृप हगोउ हमहह करा हरानश्री। चप्रेरर छराहड अब हगोब हक ररानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे कपु रूप बनराकर मपुझप्रे परवश कर हदयरा! (दस पू रप्रे कगो क्यरा दगोष) जगो
बगोयरा सगो कराटतश्री हह,हूँ हदयरा सगो परातश्री हह हूँ। कगोई भश्री रराजरा हगो, हमरारश्री क्यरा हराहन हहै?
दरासश्री छगोडकर क्यरा अब ममैं ररानश्री हगोऊहूँगश्री! (अररार्णत ररानश्री तगो हगोनप्रे सप्रे रहश्री)॥3॥
* जरारहै जगोगपु सपुभराउ हमराररा। अनभल दप्रेहख न जराइ तपुम्हराररा॥
तरातमें कछपु क बरात अनपुसरारश्री। छहमअ दप्रेहब बहड चपूक हमरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हमराररा स्वभराव तगो जलरानप्रे हश्री यगोग्य हहै, क्यरहक तपुम्हराररा अहहत मपुझसप्रे दप्रेखरा
नहहीं जरातरा, इसहलए कपु छ बरात चलराई रश्री, हकन्तपु हप्रे दप्रेवश्री! हमरारश्री बडश्री भपूल हहई,
क्षमरा करगो॥4॥
दगोहरा :
* गपूढ कपट हपय बचन सपुहन तश्रीय अधरबपुहध रराहन।
सपुरमरायरा बस बहैररहनहह सपुहृद जराहन पहतआहन॥16॥
भरावरारर्ण:-आधराररहहत (अहस्रर) बपुहद ककी स्त्रश्री और दप्रेवतराओमं ककी मरायरा कप्रे वश ममें हगोनप्रे
कप्रे करारर रहस्ययक्त पु कपट भरप्रे हपय वचनर कगो सपुनकर ररानश्री कहै कप्रे यश्री नप्रे बहैररन मन्रररा
कगो अपनश्री सपुहृदम (अहहैतपुक हहत करनप्रे वरालश्री) जरानकर उसकरा हवश्वरास कर हलयरा॥
16॥
चरौपराई :
* सरादर पपुहन पपुहन पपूछ हूँ हत ओहश्री। सबरश्री गरान ममृगश्री जनपु मगोहश्री॥
तहस महत हफिरश्री अहइ जहस भराबश्री। रहसश्री चप्रेरर घरात जनपु फिराबश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार ररानश्री उससप्रे आदर कप्रे सरार पपूछ रहश्री हहै, मरानगो भश्रीलनश्री कप्रे गरान सप्रे
हहरनश्री मगोहहत हगो गई हगो। जहैसश्री भरावश्री (हगोनहरार) हहै, वहैसश्री हश्री बपुहद भश्री हफिर गई।
दरासश्री अपनरा दरावहूँ लगरा जरानकर हहषर्णत हह ई॥1॥
* तपुम्ह पपूहूँछहह ममैं कहत डप्रेरराउहूँ। धरप्रेहह मगोर घरफिगोरश्री नराऊहूँ॥
सहज पतश्रीहत बहह हबहध गहढ छगोलश्री। अवध सराढसरातश्री तब बगोलश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तपुम पपूछतश्री हगो, हकन्तपु ममैं कहतप्रे डरतश्री हह,हूँ क्यरहक तपुमनप्रे पहलप्रे हश्री मप्रेररा नराम
घरफिगोडश्री रख हदयरा हहै। बहह त तरह सप्रे गढ-छगोलकर, खपूब हवश्वरास जमराकर, तब वह
अयगोध्यरा ककी सराढ सरातश्री (शहन ककी सराढप्रे सरातश्री वषर्ण ककी दशरा रूपश्री ममंरररा) बगोलश्री-॥2॥
* हपय हसय ररामपु कहरा तपुम्ह ररानश्री। ररामहह तपुम्ह हपय सगो फिपु रर बरानश्री॥
रहरा परम अब तप्रे हदन बश्रीतप्रे। समउ हफिरमें ररपपु हगोहहमं हपरश्रीतप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ररानश्री! तपुमनप्रे जगो कहरा हक मपुझप्रे सश्रीतरा-रराम हपय हमैं और रराम कगो तपुम हपय
हगो, सगो यह बरात सचश्री हहै, परन्तपु यह बरात पहलप्रे रश्री, वप्रे हदन अब बश्रीत गए। समय
हफिर जरानप्रे पर हमत्र भश्री शत्रपु हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* भरानपु कमल कपु ल पगोषहनहराररा। हबनपु जल जरारर करइ सगोइ छराररा॥
जरर तपुम्हरारर चह सवहत उखरारश्री। रूहूँधहह करर उपराउ बर बरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-सपूयर्ण कमल कप्रे कपु ल करा परालन करनप्रे वरालरा हहै, पर हबनरा जल कप्रे वहश्री सपूयर्ण
उनकगो (कमलर कगो) जलराकर भस्म कर दप्रेतरा हहै। सरौत करौसल्यरा तपुम्हरारश्री जड
उखराडनरा चराहतश्री हहै। अतद्धाः उपराय रूपश्री शप्रेष बराड (घप्रेररा) लगराकर उसप्रे रूहूँध दगो
(सपुरहक्षत कर दगो)॥4॥
दगोहरा :
* तपुम्हहह न सगोचपु सगोहराग बल हनज बस जरानहह रराउ।
मन मलश्रीन मपुहूँह मश्रीठ नमृपपु रराउर सरल सपुभराउ॥17॥
भरावरारर्ण:-तपुमकगो अपनप्रे सपुहराग कप्रे (झपूठप्रे) बल पर कपु छ भश्री सगोच नहहीं हहै, रराजरा कगो
अपनप्रे वश ममें जरानतश्री हगो, हकन्तपु रराजरा मन कप्रे महैलप्रे और मपुहूँह कप्रे मश्रीठप्रे हमैं! और
आपकरा सश्रीधरा स्वभराव हहै (आप कपट-चतपुरराई जरानतश्री हश्री नहहीं)॥17॥
चरौपराई :
* चतपुर गहूँभश्रीर रराम महतरारश्री। बश्रीचपु पराइ हनज बरात सहूँवरारश्री॥
पठए भरतपु भपूप नहनअउरमें। रराम मरातपु मत जरानब रउरमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराम ककी मरातरा (करौसल्यरा) बडश्री चतपुर और गमंभश्रीर हहै (उसककी रराह कगोई नहहीं
परातरा)। उसनप्रे मरौकरा पराकर अपनश्री बरात बनरा लश्री। रराजरा नप्रे जगो भरत कगो नहनहराल भप्रेज
हदयरा, उसममें आप बस रराम ककी मरातरा ककी हश्री सलराह समहझए!॥1॥
* सप्रेवहहमं सकल सवहत मगोहह नश्रीकमें। गरहबत भरत मरातपु बल पश्री कमें ॥
सरालपु तपुमर करौहसलहह मराई। कपट चतपुर नहहमं हगोई जनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-(करौसल्यरा समझतश्री हहै हक) और सब सरौतमें तगो मप्रेरश्री अच्छश्री तरह सप्रेवरा करतश्री
हमैं, एक भरत ककी मराहूँ पहत कप्रे बल पर गहवर्णत रहतश्री हहै! इसश्री सप्रे हप्रे मराई! करौसल्यरा
कगो तपुम बहह त हश्री सराल (खटक) रहश्री हगो, हकन्तपु वह कपट करनप्रे ममें चतपुर हहै, अतद्धाः
उसकप्रे हृदय करा भराव जराननप्रे ममें नहहीं आतरा (वह उसप्रे चतपुरतरा सप्रे हछपराए रखतश्री हहै)॥
2॥
* रराजहह तपुम्ह पर पप्रेमपु हबसप्रेषश्री। सवहत सपुभराउ सकइ नहहमं दप्रेखश्री॥
रहच पपमंचपु भपूपहह अपनराई। रराम हतलक हहत लगन धरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा करा तपुम पर हवशप्रेष पप्रेम हहै। करौसल्यरा सरौत कप्रे स्वभराव सप्रे उसप्रे दप्रेख नहहीं
सकतश्री, इसहलए उसनप्रे जराल रचकर रराजरा कगो अपनप्रे वश ममें करकप्रे , (भरत ककी
अनपुपहस्रहत ममें) रराम कप्रे रराजहतलक कप्रे हलए लग्नि हनश्चय कररा हलयरा॥3॥
* यह कपु ल उहचत रराम कहह हूँ टश्रीकरा। सबहह सगोहराइ मगोहह सपुहठ नश्रीकरा॥
आहगहल बरात समपुहझ डर मगोहश्री। दप्रेउ दहैउ हफिरर सगो फिलपु ओहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराम कगो हतलक हगो, यह कपु ल (रघपुकपुल) कप्रे उहचत हश्री हहै और यह बरात
सभश्री कगो सपुहरातश्री हहै और मपुझप्रे तगो बहह त हश्री अच्छश्री लगतश्री हहै, परन्तपु मपुझप्रे तगो आगप्रे ककी
बरात हवचरारकर डर लगतरा हहै। दहैव उलटकर इसकरा फिल उसश्री (करौसल्यरा) कगो दप्रे॥4॥
दगोहरा :
* रहच पहच कगोहटक कपु हटलपन ककीन्हप्रेहस कपट पबगोधपु।
कहहहस कररा सत सवहत कहै जप्रेहह हबहध बराढ हबरगोधपु॥18॥
भरावरारर्ण:-इस तरह करगोडर कपु हटलपन ककी बरातमें गढ-छगोलकर मन्रररा नप्रे कहै कप्रे यश्री कगो
उलटरा-सश्रीधरा समझरा हदयरा और सहैकडर सरौतर ककी कहराहनयराहूँ इस पकरार (बनरा-बनराकर)
कहहीं हजस पकरार हवरगोध बढप्रे॥18॥
चरौपराई :
* भरावश्री बस पतश्रीहत उर आई। पपूहूँछ रराहन पपुहन सपर दप्रेवराई॥
करा पपूहूँछहह तपुम्ह अबहह हूँ न जरानरा। हनज हहत अनहहत पसपु पहहचरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हगोनहरार वश कहै कप्रे यश्री कप्रे मन ममें हवश्वरास हगो गयरा। ररानश्री हफिर सरौगमंध हदलराकर
पपूछनप्रे लगश्री। (ममंरररा बगोलश्री-) क्यरा पपूछतश्री हगो? अरप्रे, तपुमनप्रे अब भश्री नहहीं समझरा?
अपनप्रे भलप्रे-बपुरप्रे कगो (अरवरा हमत्र-शत्रपु कगो) तगो पशपु भश्री पहचरान लप्रेतप्रे हमैं॥1॥
* भयउ पराखपु हदन सजत समराजपू। तपुम्ह पराई सपुहध मगोहह सन आजपू॥
खराइअ पहहररअ रराज तपुम्हरारमें। सत्य कहमें नहहमं दगोषपु हमरारमें॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पपूररा पखवराडरा बश्रीत गयरा सरामरान सजतप्रे और तपुमनप्रे खबर पराई हहै आज मपुझसप्रे !
ममैं तपुम्हरारप्रे रराज ममें खरातश्री-पहनतश्री हह हूँ, इसहलए सच कहनप्रे ममें मपुझप्रे कगोई दगोष नहहीं हहै॥
2॥
* जजौं असत्य कछपु कहब बनराई। तरौ हबहध दप्रेइहह हमहह सजराई॥
ररामहह हतलक कराहल जजौं भयऊ। तपुम्ह कहह हूँ हबपहत बश्रीजपु हबहध बयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद ममैं कपु छ बनराकर झपूठ कहतश्री हगोऊहूँगश्री तगो हवधरातरा मपुझप्रे दमंड दप्रेगरा। यहद कल
रराम कगो रराजहतलक हगो गयरा तगो (समझ रखनरा हक) तपुम्हरारप्रे हलए हवधरातरा नप्रे हवपहर
करा बश्रीज बगो हदयरा॥3॥
* रप्रेख खहूँचराइ कहउहूँ बलपु भराषश्री। भराहमहन भइहह दधपू कइ मराखश्री॥
जजौं सपुत सहहत करहह सप्रेवकराई। तरौ घर रहहह न आन उपराई॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैं यह बरात लककीर खहींचकर बलपपूवर्णक कहतश्री हह हूँ, हप्रे भराहमनश्री! तपुम तगो अब
दधपू ककी मक्खश्री हगो गई! (जहैसप्रे दधपू ममें पडश्री हह ई मक्खश्री कगो लगोग हनकरालकर फिमें क दप्रेतप्रे
हमैं, वहैसप्रे हश्री तपुम्हमें भश्री लगोग घर सप्रे हनकराल बराहर करमेंगप्रे ) जगो पपुत्र सहहत (करौसल्यरा
ककी) चराकरश्री बजराओगश्री तगो घर ममें रह सकगोगश्री, (अन्यररा घर ममें रहनप्रे करा) दस पू ररा
उपराय नहहीं॥4॥
दगोहरा :
* कदपूहूँ हबनतहह दश्रीन्ह दख पु पु तपुम्हहह करौहसलराहूँ दप्रेब।
भरतपु बमंहदगमृह सप्रेइहहहमं लखनपु रराम कप्रे नप्रेब॥19॥
भरावरारर्ण:-कदपू नप्रे हवनतरा कगो दद्धाःपु ख हदयरा ररा, तपुम्हमें करौसल्यरा दप्रेगश्री। भरत कराररागरार करा
सप्रेवन करमेंगप्रे (जप्रेल ककी हवरा खराएहूँगप्रे) और लक्ष्मर रराम कप्रे नरायब (सहकरारश्री) हरगप्रे॥
19॥
चरौपराई :
* कहै कयसपुतरा सपुनत कटपु बरानश्री। कहह न सकइ कछपु सहहम सपुखरानश्री॥
तन पसप्रेउ कदलश्री हजहम कराहूँपश्री। कपु बरहीं दसन जश्रीभ तब चराहूँपश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री मन्रररा ककी कडवश्री वरारश्री सपुनतप्रे हश्री डरकर सपूख गई, कपु छ बगोल नहहीं
सकतश्री। शरश्रीर ममें पसश्रीनरा हगो आयरा और वह कप्रे लप्रे ककी तरह कराहूँपनप्रे लगश्री। तब कपु बरश्री
(ममंरररा) नप्रे अपनश्री जश्रीभ दराहूँतर तलप्रे दबराई (उसप्रे भय हहआ हक कहहीं भहवष्य करा
अत्यन्त डररावनरा हचत्र सपुनकर कहै कप्रे यश्री कप्रे हृदय ककी गहत न रक जराए, हजससप्रे उलटरा
सराररा कराम हश्री हबगड जराए)॥1॥
* कहह कहह कगोहटक कपट कहरानश्री। धश्रीरजपु धरहह पबगोहधहस ररानश्री॥
हफिररा करमपु हपय लराहग कपु चरालश्री। बहकहह सरराहइ मराहन मररालश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर कपट ककी करगोडर कहराहनयराहूँ कह-कहकर उसनप्रे ररानश्री कगो खपूब समझरायरा
हक धश्रीरज रखगो! कहै कप्रे यश्री करा भराग्य पलट गयरा, उसप्रे कपु चराल प्यरारश्री लगश्री। वह बगपुलश्री
कगो हमंहसनश्री मरानकर (वहैररन कगो हहत मरानकर) उसककी सरराहनरा करनप्रे लगश्री॥2॥
* सपुनपु ममंरररा बरात फिपु रर तगोरश्री। दहहहन आहूँहख हनत फिरकइ मगोरश्री॥
हदन पहत दप्रेखउहूँ रराहत कपु सपनप्रे। कहउहूँ न तगोहह मगोह बस अपनप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री नप्रे कहरा- मन्रररा! सपुन, तप्रेरश्री बरात सत्य हहै। मप्रेरश्री दराहहनश्री आहूँख हनत्य
फिडकरा करतश्री हहै। ममैं पहतहदन ररात कगो बपुरप्रे स्वप्न दप्रेखतश्री हह हूँ, हकन्तपु अपनप्रे अजरानवश
तपुझसप्रे कहतश्री नहहीं॥3॥
* कराह करजौं सहख सपूध सपुभराऊ। दराहहन बराम न जरानउहूँ कराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सखश्री! क्यरा करूहूँ, मप्रेररा तगो सश्रीधरा स्वभराव हहै। ममैं दरायराहूँ-बरायराहूँ कपु छ भश्री नहहीं
जरानतश्री॥4॥
दगोहरा :
* अपनमें चलत न आजपु लहग अनभल कराहहक ककीन्ह।
कप्रे हहमं अघ एकहह बरार मगोहह दहैअहूँ दसपु ह दख पु पु दश्रीन्ह॥20॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री चलतप्रे (जहराहूँ तक मप्रेररा वश चलरा) ममैंनप्रे आज तक कभश्री हकसश्री करा
बपुररा नहहीं हकयरा। हफिर न जरानप्रे हकस पराप सप्रे दहैव नप्रे मपुझप्रे एक हश्री सरार यह द द्धाःपु सह
दद्धाःपु ख हदयरा॥20॥
चरौपराई :
* नहैहर जनमपु भरब बर जराई। हजअत न करहब सवहत सप्रेवकराई॥
अरर बस दहैउ हजआवत जराहश्री। मरनपु नश्रीक तप्रेहह जश्रीवन चराहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं भलप्रे हश्री नहैहर जराकर वहहीं जश्रीवन हबतरा द हूँगपू श्री, पर जश्रीतप्रे जश्री सरौत ककी
चराकरश्री नहहीं करूहूँगश्री। दहैव हजसकगो शत्रपु कप्रे वश ममें रखकर हजलरातरा हहै, उसकप्रे हलए तगो
जश्रीनप्रे ककी अपप्रेक्षरा मरनरा हश्री अच्छरा हहै॥1॥ दश्रीन बचन कह बहह हबहध ररानश्री। सपुहन कपु बरहीं
हतयमरायरा ठरानश्री॥
* दश्रीन बचन कह बहह हबहध ररानश्री। सपुहन कपु बरहीं हतयमरायरा ठरानश्री॥
अस कस कहहह मराहन मन ऊनरा। सपुखपु सगोहरागपु तपुम्ह कहह हूँ हदन दनपू रा॥2॥
भरावरारर्ण:-ररानश्री नप्रे बहह त पकरार कप्रे दश्रीन वचन कहप्रे। उन्हमें सपुनकर कपु बरश्री नप्रे हत्रयरा चररत्र
फिहैलरायरा। (वह बगोलश्री-) तपुम मन ममें ग्लराहन मरानकर ऐसरा क्यर कह रहश्री हगो, तपुम्हराररा
सपुख-सपुहराग हदन-हदन दनपू रा हगोगरा॥2॥
* जप्रेहहमं रराउर अहत अनभल तराकरा। सगोइ पराइहह यहह फिलपु पररपराकरा॥
जब तमें कपु मत सपुनरा ममैं स्वराहमहन। भपूख न बरासर नहींद न जराहमहन॥3॥
भरावरारर्ण:-हजसनप्रे तपुम्हरारश्री बपुरराई चराहश्री हहै, वहश्री परररराम ममें यह (बपुरराई रूप) फिल
पराएगश्री। हप्रे स्वराहमहन! ममैंनप्रे जब सप्रे यह कपु मत सपुनरा हहै, तबसप्रे मपुझप्रे न तगो हदन ममें कपु छ
भपूख लगतश्री हहै और न ररात ममें नहींद हश्री आतश्री हहै॥ 3॥
* पपूछ हूँ प्रेउहूँ गपुहनन्ह रप्रेख हतन्ह खराहूँचश्री। भरत भपुआल हगोहहमं यह सराहूँचश्री॥
भराहमहन करहह त कहजौं उपराऊ। हहै तपुम्हरहीं सप्रेवरा बस रराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे ज्यगोहतहषयर सप्रे पपूछरा, तगो उन्हरनप्रे रप्रेखरा खहींचकर (गहरत करकप्रे अरवरा
हनश्चयपपूवर्णक) कहरा हक भरत रराजरा हरगप्रे, यह सत्य बरात हहै। हप्रे भराहमहन! तपुम करगो
तगो उपराय ममैं बतराऊहूँ। रराजरा तपुम्हरारश्री सप्रेवरा कप्रे वश ममें हमैं हश्री॥4॥
दगोहरा :
* परउहूँ कपू प तपुअ बचन पर सकउहूँ पपूत पहत त्यराहग।
कहहस मगोर दख पु पु दप्रेहख बड कस न करब हहत लराहग॥21॥
भरावरारर्ण:-(कहै कप्रे यश्री नप्रे कहरा-) ममैं तप्रेरप्रे कहनप्रे सप्रे कपु एहूँ ममें हगर सकतश्री हह,हूँ पपुत्र और पहत
कगो भश्री छगोड सकतश्री हह।हूँ जब तपू मप्रेररा बडरा भरारश्री दद्धाःपु ख दप्रेखकर कपु छ कहतश्री हहै, तगो
भलरा ममैं अपनप्रे हहत कप्रे हलए उसप्रे क्यर न करूहूँगश्री॥21॥
चरौपराई :
* कपु बरहीं करर कबपुलश्री कहै कप्रे ई। कपट छपु रश्री उर पराहन टप्रेई॥
लखइ नरा रराहन हनकट दख पु पु कहै समें। चरइ हररत हतन बहलपसपु जहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-कपु बरश्री नप्रे कहै कप्रे यश्री कगो (सब तरह सप्रे) कबपूल करवराकर (अररार्णत बहल पशपु
बनराकर) कपट रूप छपु रश्री कगो अपनप्रे (कठगोर) हृदय रूपश्री पत्रर पर टप्रेयरा (उसककी
धरार कगो तप्रेज हकयरा)। ररानश्री कहै कप्रे यश्री अपनप्रे हनकट कप्रे (शश्रीघ्र आनप्रे वरालप्रे) दद्धाःपु ख कगो
कहै सप्रे नहहीं दप्रेखतश्री, जहैसप्रे बहल करा पशपु हरश्री-हरश्री घरास चरतरा हहै। (पर यह नहहीं जरानतरा
हक मरौत हसर पर नराच रहश्री हहै।)॥1॥
* सपुनत बरात ममृद पु अमंत कठगोरश्री। दप्रेहत मनहह हूँ मधपु मराहहर घगोरश्री॥
कहइ चप्रेरर सपुहध अहइ हक नराहहीं। स्वराहमहन कहहहह कररा मगोहह पराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-मन्रररा ककी बरातमें सपुननप्रे ममें तगो कगोमल हमैं, पर परररराम ममें कठगोर (भयरानक)
हमैं। मरानगो वह शहद ममें घगोलकर जहर हपलरा रहश्री हगो। दरासश्री कहतश्री हहै - हप्रे स्वराहमहन!
तपुमनप्रे मपुझकगो एक कररा कहश्री रश्री, उसककी यराद हहै हक नहहीं?॥2॥
* दइपु बरदरान भपूप सन ररातश्री। मरागहह आजपु जपुडरावहह छरातश्री॥
सपुतहह रराजपु ररामहह बनबरासपू। दप्रेहह लप्रेहह सब सवहत हह लरासपू॥3॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हरारप्रे दगो वरदरान रराजरा कप्रे परास धरगोहर हमैं। आज उन्हमें रराजरा सप्रे मराहूँगकर
अपनश्री छरातश्री ठमंडश्री करगो। पपुत्र कगो रराज्य और रराम कगो वनवरास दगो और सरौत करा सराररा
आनमंद तपुम लप्रे लगो॥3॥
* भपूपहत रराम सपर जब करई। तब मरागप्रेहह जप्रेहहमं बचनपु न टरई॥
हगोइ अकराजपु आजपु हनहस बश्रीतमें। बचनपु मगोर हपय मरानप्रेहह जश्री तमें॥4॥
भरावरारर्ण:-जब रराजरा रराम ककी सरौगमंध खरा लमें, तब वर मराहूँगनरा, हजससप्रे वचन न टलनप्रे
परावप्रे। आज ककी ररात बश्रीत गई, तगो कराम हबगड जराएगरा। मप्रेरश्री बरात कगो हृदय सप्रे हपय
(यरा परारर सप्रे भश्री प्यरारश्री) समझनरा॥4॥

कहै कप्रे यश्री करा कगोपभवन ममें जरानरा


दगोहरा :
* बड कपु घरातपु करर परातहकहन कहप्रेहस कगोपगमृहहूँ जराहह ।
कराजपु सहूँवरारहप्रे ह सजग सबपु सहसरा जहन पहतआहह ॥22॥॥
भरावरारर्ण:-पराहपनश्री मन्रररा नप्रे बडश्री बपुरश्री घरात लगराकर कहरा- कगोपभवन ममें जराओ। सब
कराम बडश्री सरावधरानश्री सप्रे बनरानरा, रराजरा पर सहसरा हवश्वरास न कर लप्रेनरा (उनककी बरातर
ममें न आ जरानरा)॥22॥
चरौपराई :
* कपु बररहह रराहन परानहपय जरानश्री। बरार बरार बपुहद बखरानश्री॥
तगोहह सम हहत न मगोर समंसराररा। बहप्रे जरात कई भइहस अधराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कपु बरश्री कगो ररानश्री नप्रे परारर कप्रे समरान हपय समझकर बरार-बरार उसककी बडश्री बपुहद
करा बखरान हकयरा और बगोलश्री- समंसरार ममें मप्रेररा तप्रेरप्रे समरान हहतकरारश्री और कगोई नहहीं हहै।
तपू मपुझप्रे बहश्री जरातश्री हहई कप्रे हलए सहराररा हह ई हहै॥1॥
* जजौं हबहध पपुरब मनगोररपु करालश्री। करजौं तगोहह चख पपूतरर आलश्री॥
बहह हबहध चप्रेररहह आदर दप्रेई। कगोपभवन गवनश्री कहै कप्रे ई॥2॥
भरावरारर्ण:-यहद हवधरातरा कल मप्रेररा मनगोरर पपूररा कर दमें तगो हप्रे सखश्री ! ममैं तपुझप्रे आहूँखर ककी
पपुतलश्री बनरा लपूहूँ। इस पकरार दरासश्री कगो बहह त तरह सप्रे आदर दप्रेकर कहै कप्रे यश्री कगोपभवन ममें
चलश्री गई॥।2॥
* हबपहत बश्रीजपु बरषरा ररतपु चप्रेरश्री। भपुइहूँ भइ कपु महत कहै कई कप्रे रश्री॥
पराइ कपट जलपु अमंकपुर जरामरा। बर दगोउ दल दख पु फिल पररनरामरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हवपहर (कलह) बश्रीज हहै, दरासश्री वषरार्ण ऋतपु हहै, कहै कप्रे यश्री ककी कपु बपुहद (उस
बश्रीज कप्रे बगोनप्रे कप्रे हलए) जमश्रीन हगो गई। उसममें कपट रूपश्री जल पराकर अमंकपु र फिपूट
हनकलरा। दगोनर वरदरान उस अमंकपुर कप्रे दगो परप्रे हमैं और अमंत ममें इसकप्रे दद्धाःपु ख रूपश्री फिल
हगोगरा॥3॥
* कगोप समराजपु सराहज सबपु सगोई। रराजपु करत हनज कपु महत हबगगोई॥
रराउर नगर कगोलराहलपु हगोई। यह कपु चराहल कछपु जरान न कगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कगोप करा सब सराज सजकर (कगोपभवन ममें) जरा सगोई। रराज्य करतश्री
हह ई वह अपनश्री दष्टिपु बपुहद सप्रे नष्टि हगो गई। रराजमहल और नगर ममें धपूम-धराम मच रहश्री
हहै। इस कपु चराल कगो कगोई कपु छ नहहीं जरानतरा॥4॥
दगोहरा :
* पमपुहदत पपुर नर नरारर सब सजहहमं सपुममंगलचरार।
एक पहबसहहमं एक हनगर्णमहहमं भश्रीर भपूप दरबरार॥23।
भरावरारर्ण:-बडप्रे हश्री आनहन्दत हगोकर नगर कप्रे सब स्त्रश्री-पपुरष शपुभ ममंगलराचरार कप्रे सरार सज
रहप्रे हमैं। कगोई भश्रीतर जरातरा हहै, कगोई बराहर हनकलतरा हहै, रराजदरार ममें बडश्री भश्रीड हगो रहश्री
हहै॥23॥
चरौपराई :
* बराल सखरा सपुहन हहयहूँ हरषराहहीं। हमहल दस पराहूँच रराम पहहमं जराहहीं॥
पभपु आदरहहमं पप्रेमपु पहहचरानश्री। पपूछ हूँ हहमं कपु सल खप्रेम ममृदपु बरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे बराल सखरा रराजहतलक करा समराचरार सपुनकर हृदय ममें हहषर्णत
हगोतप्रे हमैं। वप्रे दस-पराहूँच हमलकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे परास जरातप्रे हमैं। पप्रेम पहचरानकर पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री उनकरा आदर करतप्रे हमैं और कगोमल वरारश्री सप्रे कपु शल क्षप्रेम पपूछतप्रे हमैं॥1॥
* हफिरहहमं भवन हपय आयसपु पराई। करत परसपर रराम बडराई॥
कगो रघपुबश्रीर सररस समंसराररा। सश्रीलपु सनप्रेहह हनबराहहनहराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे हपय सखरा शश्री ररामचन्दजश्री ककी आजरा पराकर वप्रे आपस ममें एक-दस पू रप्रे सप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री ककी बडराई करतप्रे हह ए घर लरौटतप्रे हमैं और कहतप्रे हमैं- समंसरार ममें शश्री
रघपुनरारजश्री कप्रे समरान शश्रील और स्नप्रेह कगो हनबराहनप्रे वरालरा करौन हहै ?॥2॥
* जप्रेहहमं-जप्रेहहमं जगोहन करम बस रमहहीं। तहहूँ तहहूँ ईसपु दप्रेउ यह हमहहीं॥
सप्रेवक हम स्वरामश्री हसयनराहह। हगोउ नरात यह ओर हनबराहह॥3॥
भरावरारर्ण:-भगवरान हममें यहश्री दमें हक हम अपनप्रे कमर्णवश रमतप्रे हह ए हजस-हजस यगोहन ममें
जन्ममें, वहराहूँ-वहराहूँ (उस-उस यगोहन ममें) हम तगो सप्रेवक हर और सश्रीतरापहत शश्री
ररामचन्दजश्री हमरारप्रे स्वरामश्री हर और यह नरातरा अन्त तक हनभ जराए॥
* अस अहभलराषपु नगर सब कराहह। कहै कयसपुतरा हृदयहूँ अहत दराहह॥
कगो न कपु समंगहत पराइ नसराई। रहइ न नश्रीच मतमें चतपुरराई॥4॥
भरावरारर्ण:-नगर ममें सबककी ऐसश्री हश्री अहभलराषरा हहै, परन्तपु कहै कप्रे यश्री कप्रे हृदय ममें बडश्री जलन
हगो रहश्री हहै। कपु समंगहत पराकर करौन नष्टि नहहीं हगोतरा। नश्रीच कप्रे मत कप्रे अनपुसरार चलनप्रे सप्रे
चतपुरराई नहहीं रह जरातश्री॥4॥
दगोहरा :
* सराझ हूँ समय सरानमंद नमृपपु गयउ कहै कई गप्रेहहूँ।
गवनपु हनठपु रतरा हनकट हकय जनपु धरर दप्रेह सनप्रेहहूँ॥24॥
भरावरारर्ण:-समंध्यरा कप्रे समय रराजरा दशरर आनमंद कप्रे सरार कहै कप्रे यश्री कप्रे महल ममें गए। मरानगो
सराक्षरात स्नप्रेह हश्री शरश्रीर धरारर कर हनषहरतरा कप्रे परास गयरा हगो!॥24॥
चरौपराई :
* कगोपभवन सपुहन सकपु चप्रेउ रराऊ। भय बस अगहह ड परइ न पराऊ॥
सपुरपहत बसइ बराहहूँबल जराकमें। नरपहत सकल रहहहमं रख तराकमें॥1॥
भरावरारर्ण:-कगोप भवन करा नराम सपुनकर रराजरा सहम गए। डर कप्रे मरारप्रे उनकरा परावहूँ आगप्रे
कगो नहहीं पडतरा। स्वयमं दप्रेवरराज इन्द हजनककी भपुजराओमं कप्रे बल पर (रराक्षसर सप्रे हनभर्णय
हगोकर) बसतरा हहै और सम्पपूरर्ण रराजरा लगोग हजनकरा रख दप्रेखतप्रे रहतप्रे हमैं॥ 1॥
* सगो सपुहन हतय ररस गयउ सपुखराई। दप्रेखहह कराम पतराप बडराई॥
सपूल कपु हलस अहस अहूँगवहनहरारप्रे। तप्रे रहतनरार सपुमन सर मरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वहश्री रराजरा दशरर स्त्रश्री करा कगोध सपुनकर सपूख गए। करामदप्रेव करा पतराप और
महहमरा तगो दप्रेहखए। जगो हत्रशपूल, वज्र और तलवरार आहद ककी चगोट अपनप्रे अमंगर पर सहनप्रे
वरालप्रे हमैं, वप्रे रहतनरार करामदप्रेव कप्रे पपुष्पबरार सप्रे मरारप्रे गए॥2॥
* सभय नरप्रेसपु हपयरा पहहमं गयऊ। दप्रेहख दसरा दख पु पु दरारन भयऊ॥
भपूहम सयन पटपु मगोट पपुररानरा। हदए डरारर तन भपूषन नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा डरतप्रे-डरतप्रे अपनश्री प्यरारश्री कहै कप्रे यश्री कप्रे परास गए। उसककी दशरा दप्रेखकर उन्हमें
बडरा हश्री दद्धाःपु ख हहआ। कहै कप्रे यश्री जमश्रीन पर पडश्री हहै। पपुररानरा मगोटरा कपडरा पहनप्रे हह ए हहै।
शरश्रीर कप्रे नरानरा आभपूषरर कगो उतरारकर फिमें क हदयरा हहै।
* कपु महतहह कहस कपु बप्रेषतरा फिराबश्री। अनअहहवरातपु सपूच जनपु भराबश्री॥
जराइ हनकट नमृपपु कह ममृद पु बरानश्री। परानहपयरा कप्रे हह हप्रेतपु ररसरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उस दबपु हपुर्ण द कहै कप्रे यश्री कगो यह कपु वप्रेषतरा (बपुररा वप्रेष) कहै सश्री फिब रहश्री हहै, मरानगो
भरावश्री हवधवरापन ककी सपूचनरा दप्रे रहश्री हगो। रराजरा उसकप्रे परास जराकर कगोमल वरारश्री सप्रे
बगोलप्रे- हप्रे परारहपयप्रे! हकसहलए ररसराई (रूठश्री) हगो?॥4॥
दशरर-कहै कप्रे यश्री समंवराद और दशरर शगोक, सपुमन्त्र करा महल ममें जरानरा और वहराहूँ सप्रे
लरौटकर शश्री ररामजश्री कगो महल ममें भप्रेजनरा
छन्द :
* कप्रे हह हप्रेतपु रराहन ररसराहन परसत पराहन पहतहह नप्रेवरारई।
मरानहह हूँ सरगोष भपुअमंग भराहमहन हबषम भराहूँहत हनहरारई॥
दगोउ बरासनरा रसनरा दसन बर मरम ठराहर दप्रेखई।
तपुलसश्री नमृपहत भवतब्यतरा बस कराम करौतपुक लप्रेखई॥
भरावरारर्ण:-'हप्रे ररानश्री! हकसहलए रूठश्री हगो?' यह कहकर रराजरा उसप्रे हरार सप्रे स्पशर्ण करतप्रे
हमैं, तगो वह उनकप्रे हरार कगो (झटककर) हटरा दप्रेतश्री हहै और ऐसप्रे दप्रेखतश्री हहै मरानगो कगोध
ममें भरश्री हह ई नराहगन कपू र दृहष्टि सप्रे दप्रेख रहश्री हगो। दगोनर (वरदरानर ककी) वरासनराएहूँ उस
नराहगन ककी दगो जश्रीभमें हमैं और दगोनर वरदरान दराहूँत हमैं, वह कराटनप्रे कप्रे हलए ममर्णस्ररान दप्रेख
रहश्री हहै। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक रराजरा दशरर हगोनहरार कप्रे वश ममें हगोकर इसप्रे (इस
पकरार हरार झटकनप्रे और नराहगन ककी भराहूँहत दप्रेखनप्रे कगो) करामदप्रेव ककी ककीडरा हश्री समझ
रहप्रे हमैं।
सगोरठरा :
* बरार बरार कह रराउ सपुमपुहख सपुलगोचहन हपकबचहन।
करारन मगोहह सपुनराउ गजगराहमहन हनज कगोप कर॥25॥
भरावरारर्ण:-रराजरा बरार-बरार कह रहप्रे हमैं- हप्रे सपुमपुखश्री! हप्रे सपुलगोचनश्री! हप्रे कगोहकलबयनश्री! हप्रे
गजगराहमनश्री! मपुझप्रे अपनप्रे कगोध करा करारर तगो सपुनरा॥25॥
चरौपराई :
* अनहहत तगोर हपयरा कप्रे इहूँ ककीन्हरा। कप्रे हह दइपु हसर कप्रे हह जमपु चह लश्रीन्हरा॥
कहह कप्रे हह रमंकहह करजौं नरप्रेसपू। कहह कप्रे हह नमृपहह हनकरासजौं दप्रेसपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! हकसनप्रे तप्रेररा अहनष्टि हकयरा? हकसकप्रे दगो हसर हमैं? यमरराज हकसकगो
लप्रेनरा (अपनप्रे लगोक कगो लप्रे जरानरा) चराहतप्रे हमैं? कह, हकस कमंगराल कगो रराजरा कर दहूँपू
यरा हकस रराजरा कगो दप्रेश सप्रे हनकराल दहूँ? पू ॥1॥
* सकउहूँ तगोर अरर अमरउ मरारश्री। कराह ककीट बपपुरप्रे नर नरारश्री॥
जरानहस मगोर सपुभराउ बरगोरू। मनपु तव आनन चमंद चकगोरू॥2॥
भरावरारर्ण:-तप्रेररा शत्रपु अमर (दप्रेवतरा) भश्री हगो, तगो ममैं उसप्रे भश्री मरार सकतरा हह हूँ। बप्रेचरारप्रे
ककीडप्रे-मकगोडप्रे सरश्रीखप्रे नर-नरारश्री तगो चश्रीज हश्री क्यरा हमैं। हप्रे सपुदमं रश्री! तपू तगो मप्रेररा स्वभराव
जरानतश्री हश्री हहै हक मप्रेररा मन सदरा तप्रेरप्रे मपुख रूपश्री चन्दमरा करा चकगोर हहै॥ 2॥
* हपयरा परान सपुत सरबसपु मगोरमें। पररजन पजरा सकल बस तगोरमें॥
जजौं कछपु कहजौं कपटपु करर तगोहश्री। भराहमहन रराम सपर सत मगोहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! मप्रेरश्री पजरा, कपु टम्बश्री, सवर्णस्व (सम्पहर), पपुत्र, यहराहूँ तक हक मप्रेरप्रे
परार भश्री, यप्रे सब तप्रेरप्रे वश ममें (अधश्रीन) हमैं। यहद ममैं तपुझसप्रे कपु छ कपट करकप्रे कहतरा
हगोऊहूँ तगो हप्रे भराहमनश्री! मपुझप्रे सरौ बरार रराम ककी सरौगमंध हहै॥3॥
* हबहहस मरागपु मनभरावहत बरातरा। भपूषन सजहह मनगोहर गरातरा॥।
घरश्री कपु घरश्री समपुहझ हजयहूँ दप्रेखपू। बप्रेहग हपयरा पररहरहह कपु बप्रेषपू॥4॥
भरावरारर्ण:-तपू हहूँसकर (पसन्नतरापपूवर्णक) अपनश्री मनचराहश्री बरात मराहूँग लप्रे और अपनप्रे मनगोहर
अमंगर कगो आभपूषरर सप्रे सजरा। मरौकरा-बप्रेमरौकरा तगो मन ममें हवचरार कर दप्रेख। हप्रे हपयप्रे !
जल्दश्री इस बपुरप्रे वप्रेष कगो त्यराग दप्रे॥4॥
दगोहरा :
* यह सपुहन मन गपुहन सपर बहड हबहहस उठश्री महतममंद।
भपूषन सजहत हबलगोहकममृगपु मनहह हूँ हकरराहतहन फिमंद॥26॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर और मन ममें ररामजश्री ककी बडश्री सजौंगमंध कगो हवचरारकर ममंदबपुहद कहै कप्रे यश्री
हहूँसतश्री हहई उठश्री और गहनप्रे पहननप्रे लगश्री, मरानगो कगोई भश्रीलनश्री ममृग कगो दप्रेखकर फिमंदरा
तहैयरार कर रहश्री हगो!॥26॥
चरौपराई :
* पपुहन कह रराउ सपुहृद हजयहूँ जरानश्री। पप्रेम पपुलहक ममृद पु ममंजपुल बरानश्री॥
भराहमहन भयउ तगोर मनभरावरा। घर घर नगर अनमंद बधरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे जश्री ममें कहै कप्रे यश्री कगो सपुहृदम जरानकर रराजरा दशररजश्री पप्रेम सप्रे पपुलहकत हगोकर
कगोमल और सपुदमं र वरारश्री सप्रे हफिर बगोलप्रे- हप्रे भराहमहन! तप्रेररा मनचश्रीतरा हगो गयरा। नगर ममें
घर-घर आनमंद कप्रे बधरावप्रे बज रहप्रे हमैं॥1॥
* ररामहह दप्रेउहूँ कराहल जपुबरराजपू। सजहह सपुलगोचहन ममंगल सराजपू॥
दलहक उठप्रेउ सपुहन हृदउ कठगोरू। जनपु छपु इ गयउ पराक बरतगोरू॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं कल हश्री रराम कगो यवपु रराज पद दप्रे रहरा हह हूँ, इसहलए हप्रे सपुनयनश्री! तपू ममंगल
सराज सज। यह सपुनतप्रे हश्री उसकरा कठगोर हृदय दलक उठरा (फिटनप्रे लगरा)। मरानगो पकरा
हह आ बरालतगोड (फिगोडरा) छपू गयरा हगो॥2॥
* ऐहसउ पश्रीर हबहहस तप्रेहहमं गगोई। चगोर नरारर हजहम पगहट न रगोई॥
लखहहमं न भपूप कपट चतपुरराई। कगोहट कपु हटल महन गपुरू पढराई॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसश्री भरारश्री पश्रीडरा कगो भश्री उसनप्रे हहूँसकर हछपरा हलयरा, जहैसप्रे चगोर ककी स्त्रश्री पकट
हगोकर नहहीं रगोतश्री (हजसममें उसकरा भप्रेद न खपुल जराए)। रराजरा उसककी कपट-चतपुरराई कगो
नहहीं लख रहप्रे हमैं, क्यरहक वह करगोडर कपु हटलर ककी हशरगोमहर गपुर ममंरररा ककी पढराई हहई
हहै॥3॥
* जद्यहप नश्रीहत हनपपुन नरनराहह। नराररचररत जलहनहध अवगराहह॥
कपट सनप्रेहह बढराई बहगोरश्री। बगोलश्री हबहहस नयन मपुहह मगोरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप रराजरा नश्रीहत ममें हनपपुर हमैं, परन्तपु हत्रयराचररत्र अरराह समपुद हहै। हफिर वह
कपटयक्त पु पप्रेम बढराकर (ऊपर सप्रे पप्रेम हदखराकर) नप्रेत्र और मपुहूँह मगोडकर हहूँसतश्री हह ई
बगोलश्री-॥4॥
दगोहरा :
* मरागपु मरागपु पहै कहहह हपय कबहह हूँ न दप्रेहह न लप्रेहह।
दप्रेन कहप्रेहह बरदरान दइपु तप्रेउ परावत समंदप्रेहह॥27॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयतम! आप मराहूँग-मराहूँग तगो कहरा करतप्रे हमैं, पर दप्रेतप्रे-लप्रेतप्रे कभश्री कपु छ भश्री
नहहीं। आपनप्रे दगो वरदरान दप्रेनप्रे कगो कहरा ररा, उनकप्रे भश्री हमलनप्रे ममें समंदहप्रे हहै॥27॥
चरौपराई :
* जरानप्रेउहूँ मरमपु रराउ हहूँहस कहई। तपुम्हहह कगोहराब परम हपय अहई॥
ररातश्री रराहख न मराहगहह कराऊ। हबसरर गयउ मगोहह भगोर सपुभराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे हहूँसकर कहरा हक अब ममैं तपुम्हराररा ममर्ण (मतलब) समझरा। मरान करनरा
तपुम्हमें परम हपय हहै। तपुमनप्रे उन वरर कगो ररातश्री (धरगोहर) रखकर हफिर कभश्री मराहूँगरा हश्री
नहहीं और मप्रेररा भपूलनप्रे करा स्वभराव हगोनप्रे सप्रे मपुझप्रे भश्री वह पसमंग यराद नहहीं रहरा॥ 1॥
* झपूठप्रेहहहूँ हमहह दगोषपु जहन दप्रेहह। दइपु कहै चरारर मराहग मकपु लप्रेहह॥
रघपुकपुल रश्रीहत सदरा चहल आई। परान जराहहहूँ पर बचनपु न जराई॥2॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे झपूठ-मपूठ दगोष मत दगो। चराहप्रे दगो कप्रे बदलप्रे चरार मराहूँग लगो। रघपुकपुल ममें सदरा
सप्रे यह रश्रीहत चलश्री आई हहै हक परार भलप्रे हश्री चलप्रे जराएहूँ , पर वचन नहहीं जरातरा॥2॥
* नहहमं असत्य सम परातक पपुज मं रा। हगरर सम हगोहहमं हक कगोहटक गपुमंजरा॥
सत्यमपूल सब सपुकमृत सपुहराए। बप्रेद पपुररान हबहदत मनपु गराए॥3॥
भरावरारर्ण:-असत्य कप्रे समरान परापर करा समपूह भश्री नहहीं हहै। क्यरा करगोडर घपुहूँघहचयराहूँ हमलकर
भश्री कहहीं पहराड कप्रे समरान हगो सकतश्री हमैं। 'सत्य' हश्री समस्त उरम सपुकमृतर (पपुण्यर)
ककी जड हहै। यह बरात वप्रेद-पपुररारर ममें पहसद हहै और मनपुजश्री नप्रे भश्री यहश्री कहरा हहै॥ 3॥
* तप्रेहह पर रराम सपर करर आई। सपुकमृत सनप्रेह अवहध रघपुरराई॥
बराद दृढराइ कपु महत हहूँहस बगोलश्री। कपु मत कपु हबहग कपु लह जनपु खगोलश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उस पर मप्रेरप्रे दराररा शश्री ररामजश्री ककी शपर करनप्रे ममें आ गई (मपुहूँह सप्रे हनकल
पडश्री)। शश्री रघपुनरारजश्री मप्रेरप्रे सपुकमृत (पपुण्य) और स्नप्रेह ककी सश्रीमरा हमैं। इस पकरार बरात
पक्ककी करराकप्रे दबपु पुर्णहद कहै कप्रे यश्री हहूँसकर बगोलश्री, मरानगो उसनप्रे कपु मत (बपुरप्रे हवचरार) रूपश्री दष्टिपु
पक्षश्री (बराज) (कगो छगोडनप्रे कप्रे हलए उस) ककी कपु लहश्री (आहूँखर पर ककी टगोपश्री) खगोल
दश्री॥4॥
दगोहरा :
* भपूप मनगोरर सपुभग बनपु सपुख सपुहबहमंग समराजपु।
हभहल्लहन हजहम छराडन चहहत बचनपु भयमंकर बराजपु॥28॥
भरावरारर्ण:-रराजरा करा मनगोरर सपुदमं र वन हहै, सपुख सपुदमं र पहक्षयर करा समपुदराय हहै। उस पर
भश्रीलनश्री ककी तरह कहै कप्रे यश्री अपनरा वचन रूपश्री भयमंकर बराज छगोडनरा चराहतश्री हहै॥ 28॥
मरासपराररायर, तप्रेरहवराहूँ हवशराम
चरौपराई :
* सपुनहह परानहपय भरावत जश्री करा। दप्रेहह एक बर भरतहह टश्रीकरा॥
मरागउहूँ दस पू र बर कर जगोरश्री। पपुरवहह नरार मनगोरर मगोरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-(वह बगोलश्री-) हप्रे परार प्यरारप्रे! सपुहनए, मप्रेरप्रे मन कगो भरानप्रे वरालरा एक वर तगो
दश्रीहजए, भरत कगो रराजहतलक और हप्रे नरार! दस पू ररा वर भश्री ममैं हरार जगोडकर मराहूँगतश्री
हह हूँ, मप्रेररा मनगोरर पपूररा ककीहजए-॥1॥
* तरापस बप्रेष हबसप्रेहष उदरासश्री। चरौदह बररस ररामपु बनबरासश्री॥
सपुहन ममृदपु बचन भपूप हहयहूँ सगोकपू। सहस कर छपु अत हबकल हजहम कगोकपू॥2॥
भरावरारर्ण:-तपहस्वयर कप्रे वप्रेष ममें हवशप्रेष उदरासश्रीन भराव सप्रे (रराज्य और कपु टपु म्ब आहद ककी
ओर सप्रे भलश्रीभराहूँहत उदरासश्रीन हगोकर हवरक्त मपुहनयर ककी भराहूँहत) रराम चरौदह वषर्ण तक वन
ममें हनवरास करमें। कहै कप्रे यश्री कप्रे कगोमल (हवनययक्त पु ) वचन सपुनकर रराजरा कप्रे हृदय ममें ऐसरा
शगोक हह आ जहैसप्रे चन्दमरा ककी हकररर कप्रे स्पशर्ण सप्रे चकवरा हवकल हगो जरातरा हहै॥ 2॥
* गयउ सहहम नहहमं कछपु कहह आवरा। जनपु सचरान बन झपटप्रेउ लरावरा॥
हबबरन भयउ हनपट नरपरालपू। दराहमहन हनप्रेउ मनहह हूँ तर तरालपू॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा सहम गए, उनसप्रे कपु छ कहतप्रे न बनरा मरानगो बराज वन ममें बटप्रेर पर
झपटरा हगो। रराजरा करा रमंग हबलकपु ल उड गयरा, मरानगो तराड कप्रे पप्रेड कगो हबजलश्री नप्रे मराररा
हगो (जहैसप्रे तराड कप्रे पप्रेड पर हबजलश्री हगरनप्रे सप्रे वह झपुलसकर बदरमंगरा हगो जरातरा हहै , वहश्री
हराल रराजरा करा हहआ)॥3॥
* मरारमें हरार मपूहद दगोउ लगोचन। तनपु धरर सगोचपु लराग जनपु सगोचन॥
मगोर मनगोररपु सपुरतर फिपूलरा। फिरत कररहन हजहम हतप्रेउ समपूलरा॥4॥
भरावरारर्ण:-मरारप्रे पर हरार रखकर, दगोनर नप्रेत्र बमंद करकप्रे रराजरा ऐसप्रे सगोच करनप्रे लगप्रे,
मरानगो सराक्षरातम सगोच हश्री शरश्रीर धरारर कर सगोच कर रहरा हगो। (वप्रे सगोचतप्रे हमैं- हराय!)
मप्रेररा मनगोरर रूपश्री कल्पवमृक्ष फिपू ल चपुकरा ररा, परन्तपु फिलतप्रे समय कहै कप्रे यश्री नप्रे हहरनश्री ककी
तरह उसप्रे जड समप्रेत उखराडकर नष्टि कर डरालरा॥ 4॥
* अवध उजरारर ककीहन्ह कहै कप्रे ई।मं दश्रीहन्हहस अचल हबपहत कहै नप्रेई॥मं 5॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री नप्रे अयगोध्यरा कगो उजराड कर हदयरा और हवपहर ककी अचल (सपुदृढ)
नहींव डराल दश्री॥5॥
दगोहरा :
* कवनमें अवसर करा भयउ गयउहूँ नरारर हबस्वरास।
जगोग हसहद फिल समय हजहम जहतहह अहबद्यरा नरास॥29॥
भरावरारर्ण:-हकस अवसर पर क्यरा हगो गयरा! स्त्रश्री करा हवश्वरास करकप्रे ममैं वहैसप्रे हश्री मराररा
गयरा, जहैसप्रे यगोग ककी हसहद रूपश्री फिल हमलनप्रे कप्रे समय यगोगश्री कगो अहवद्यरा नष्टि कर
दप्रेतश्री हहै॥29॥
चरौपराई :
* एहह हबहध रराउ मनहहमं मन झराख हूँ रा। दप्रेहख कपु भराहूँहत कपु महत मन मराखरा॥
भरतपु हक रराउर पपूत न हरहश्री। आनप्रेहह मगोल बप्रेसराहह हक मगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार रराजरा मन हश्री मन झहींख रहप्रे हमैं। रराजरा करा ऐसरा बपुररा हराल दप्रेखकर
दबपु पुर्णहद कहै कप्रे यश्री मन ममें बपुरश्री तरह सप्रे कगोहधत हह ई। (और बगोलश्री-) क्यरा भरत आपकप्रे पपुत्र
नहहीं हमैं? क्यरा मपुझप्रे आप दराम दप्रेकर खरश्रीद लराए हमैं? (क्यरा ममैं आपककी हववराहहतरा
पत्नश्री नहहीं हह? हूँ )॥1॥
* जगो सपुहन सर अस लराग तपुम्हरारमें। कराहप्रे न बगोलहह बचनपु सहूँभरारमें॥
दप्रेहह उतर अनपु करहह हक नराहहीं। सत्यसमंध तपुम्ह रघपुकपुल मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो मप्रेररा वचन सपुनतप्रे हश्री आपकगो बरार सरा लगरा तगो आप सगोच -समझकर बरात
क्यर नहहीं कहतप्रे? उरर दश्रीहजए- हराहूँ ककीहजए, नहहीं तगो नराहहीं कर दश्रीहजए। आप
रघपुवमंश ममें सत्य पहतजरा वरालप्रे (पहसद) हमैं!॥2॥
* दप्रेन कहप्रेहह अब जहन बर दप्रेहह। तजहह सत्य जग अपजसपु लप्रेहह॥
सत्य सरराहह कहप्रेहह बर दप्रेनरा। जरानप्रेहह लप्रेइहह मराहग चबप्रेनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-आपनप्रे हश्री वर दप्रेनप्रे कगो कहरा ररा, अब भलप्रे हश्री न दश्रीहजए। सत्य कगो छगोड
दश्रीहजए और जगत ममें अपयश लश्रीहजए। सत्य ककी बडश्री सरराहनरा करकप्रे वर दप्रेनप्रे कगो कहरा
ररा। समझरा ररा हक यह चबप्रेनरा हश्री मराहूँग लप्रेगश्री !॥3॥
* हसहब दधश्रीहच बहल जगो कछपु भराषरा। तनपु धनपु तजप्रेउ बचन पनपु रराखरा॥
अहत कटपु बचन कहहत कहै कप्रे ई। मरानहह हूँ लगोन जरप्रे पर दप्रेई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा हशहब, दधश्रीहच और बहल नप्रे जगो कपु छ कहरा, शरश्रीर और धन त्यरागकर
भश्री उन्हरनप्रे अपनप्रे वचन ककी पहतजरा कगो हनबराहरा। कहै कप्रे यश्री बहह त हश्री कडपुवप्रे वचन कह रहश्री
हहै, मरानगो जलप्रे पर नमक हछडक रहश्री हगो॥4॥
दगोहरा :
* धरम धपुरधमं र धश्रीर धरर नयन उघरारप्रे ररायहूँ।
हसर धपुहन लश्रीहन्ह उसरास अहस मरारप्रेहस मगोहह कपु ठरायहूँ॥30॥
भरावरारर्ण:-धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे रराजरा दशरर नप्रे धश्रीरज धरकर नप्रेत्र खगोलप्रे
और हसर धपुनकर तररा लमंबश्री सरास हूँ लप्रेकर इस पकरार कहरा हक इसनप्रे मपुझप्रे बडप्रे कपु ठरौर
मराररा (ऐसश्री कहठन पररहस्रहत उत्पन्न कर दश्री, हजससप्रे बच हनकलनरा कहठन हगो गयरा)॥
30॥
चरौपराई :
* आगमें दश्रीहख जरत हसर भरारश्री। मनहह हूँ रगोष तरवरारर उघरारश्री॥
मपूहठ कपु बपुहद धरार हनठपु रराई। धरश्री कपू बरहीं सरान बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-पचमंड कगोध सप्रे जलतश्री हह ई कहै कप्रे यश्री सरामनप्रे इस पकरार हदखराई पडश्री, मरानगो
कगोध रूपश्री तलवरार नमंगश्री (म्यरान सप्रे बराहर) खडश्री हगो। कपु बपुहद उस तलवरार ककी मपूठ हहै,
हनषहरतरा धरार हहै और वह कपु बरश्री (ममंरररा) रूपश्री सरान पर धरकर तप्रेज ककी हहई हहै॥1॥
* लखश्री महश्रीप करराल कठगोररा। सत्य हक जश्रीवनपु लप्रेइहह मगोररा॥
बगोलप्रे रराउ कहठन करर छरातश्री। बरानश्री सहबनय तरासपु सगोहरातश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे दप्रेखरा हक यह (तलवरार) बडश्री हश्री भयरानक और कठगोर हहै (और
सगोचरा-) क्यरा सत्य हश्री यह मप्रेररा जश्रीवन लप्रेगश्री? रराजरा अपनश्री छरातश्री कडश्री करकप्रे , बहह त
हश्री नम्रतरा कप्रे सरार उसप्रे (कहै कप्रे यश्री कगो) हपय लगनप्रे वरालश्री वरारश्री बगोलप्रे-॥2॥
* हपयरा बचन कस कहहस कपु भराहूँतश्री। भश्रीर पतश्रीहत पश्रीहत करर हराहूँतश्री॥
मगोरमें भरतपु ररामपु दइपु आहूँखश्री। सत्य कहउहूँ करर समंकर सराखश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! हप्रे भश्रीर! हवश्वरास और पप्रेम कगो नष्टि करकप्रे ऐसप्रे बपुरश्री तरह कप्रे वचन
कहै सप्रे कह रहश्री हगो। मप्रेरप्रे तगो भरत और ररामचन्द दगो आहूँख में (अररार्णत एक सप्रे) हमैं, यह
ममैं शमंकरजश्री ककी सराक्षश्री दप्रेकर सत्य कहतरा हह॥हूँ 3॥
* अवहस दतपू पु ममैं पठइब परातरा। ऐहहहमं बप्रेहग सपुनत दगोउ ररातरा॥
सपुहदन सगोहध सबपु सराजपु सजराई। दप्रेउहूँ भरत कहह हूँ रराजपु बजराई॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैं अवश्य सबप्रेरप्रे हश्री दतपू भप्रेजपूहूँगरा। दगोनर भराई (भरत-शत्रपुघ्न) सपुनतप्रे हश्री तपुरमंत
आ जराएहूँगप्रे। अच्छरा हदन (शपुभ मपुहहतर्ण) शगोधवराकर, सब तहैयरारश्री करकप्रे डमंकरा बजराकर ममैं
भरत कगो रराज्य दप्रे दहूँगपू रा॥4॥
दगोहरा :
* लगोभपु न ररामहह रराजपु कर बहह त भरत पर पश्रीहत।
ममैं बड छगोट हबचरारर हजयहूँ करत रहप्रेउहूँ नमृपनश्रीहत॥31॥
भरावरारर्ण:-रराम कगो रराज्य करा लगोभ नहहीं हहै और भरत पर उनकरा बडरा हश्री पप्रेम हहै। ममैं
हश्री अपनप्रे मन ममें बडप्रे-छगोटप्रे करा हवचरार करकप्रे रराजनश्रीहत करा परालन कर रहरा ररा (बडप्रे
कगो रराजहतलक दप्रेनप्रे जरा रहरा ररा)॥31॥
चरौपराई :
* रराम सपर सत कहउहूँ सपुभराऊ। रराममरातपु कछपु कहप्रेउ न कराऊ॥
ममैं सबपु ककीन्ह तगोहह हबनपु पपूहूँछमें। तप्रेहह तमें परप्रेउ मनगोररपु छपू छमें॥1॥
भरावरारर्ण:-रराम ककी सरौ बरार सरौगमंध खराकर ममैं स्वभराव सप्रे हश्री कहतरा हह हूँ हक रराम ककी मरातरा
(करौसल्यरा) नप्रे (इस हवषय ममें) मपुझसप्रे कभश्री कपु छ नहहीं कहरा। अवश्य हश्री ममैंनप्रे तपुमसप्रे
हबनरा पपूछप्रे यह सब हकयरा। इसश्री सप्रे मप्रेररा मनगोरर खरालश्री गयरा॥ 1॥
* ररस पररहर अब ममंगल सराजपू। कछपु हदन गएहूँ भरत जपुबरराजपू॥
एकहह बरात मगोहह दख पु पु लरागरा। बर दस पू र असममंजस मरागरा॥2॥
भरावरारर्ण:-अब कगोध छगोड दप्रे और ममंगल सराज सज। कपु छ हश्री हदनर बराद भरत यवपु रराज
हगो जराएहूँगप्रे। एक हश्री बरात करा मपुझप्रे दद्धाःपु ख लगरा हक तपूनप्रे दस पू ररा वरदरान बडश्री अडचन करा
मराहूँगरा॥2॥
* अजहह हूँ हृदय जरत तप्रेहह आहूँचरा। ररस पररहरास हक सराचहूँ प्रेहह हूँ सराहूँचरा॥
कहह तहज रगोषपु रराम अपरराधपू। सबपु कगोउ कहइ ररामपु सपुहठ सराधपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उसककी आहूँच सप्रे अब भश्री मप्रेररा हृदय जल रहरा हहै। यह हदल्लगश्री ममें , कगोध ममें
अरवरा सचमपुच हश्री (वरास्तव ममें) सचरा हहै? कगोध कगो त्यरागकर रराम करा अपरराध तगो
बतरा। सब कगोई तगो कहतप्रे हमैं हक रराम बडप्रे हश्री सराधपु हमैं॥ 3॥
* तपुहहहूँ सरराहहस करहस सनप्रेहह। अब सपुहन मगोहह भयउ समंदहप्रे ह ॥
जरासपु सपुभराउ अररहह अनपूकपूलरा। सगो हकहम कररहह मरातपु पहतकपू लरा॥4॥
भरावरारर्ण:-तपू स्वयमं भश्री रराम ककी सरराहनरा करतश्री और उन पर स्नप्रेह हकयरा करतश्री रश्री।
अब यह सपुनकर मपुझप्रे समंदहप्रे हगो गयरा हहै (हक तपुम्हरारश्री पशमंसरा और स्नप्रेह कहहीं झपूठप्रे तगो
न रप्रे?) हजसकरा स्वभराव शत्रपु कगो भश्री अनपूकल हहै, वह मरातरा कप्रे पहतकपू ल आचरर
क्यर कर करप्रेगरा?॥4॥
दगोहरा :
* हपयरा हरास ररस पररहरहह मरागपु हबचरारर हबबप्रेकपु ।
जप्रेहहमं दप्रेखजौं अब नयन भरर भरत रराज अहभषप्रेकपु ॥32॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! हहूँसश्री और कगोध छगोड दप्रे और हववप्रेक (उहचत-अनपुहचत) हवचरारकर
वर मराहूँग, हजससप्रे अब ममैं नप्रेत्र भरकर भरत करा रराज्यराहभषप्रेक दप्रेख सकपूहूँ ॥32॥
चरौपराई :
* हजऐ मश्रीन बर बरारर हबहश्रीनरा। महन हबनपु फिहनकपु हजऐ दख पु दश्रीनरा॥
कहउहूँ सपुभराउ न छलपु मन मराहहीं। जश्रीवनपु मगोर रराम हबनपु नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मछलश्री चराहप्रे हबनरा परानश्री कप्रे जश्रीतश्री रहप्रे और सरापहूँ भश्री चराहप्रे हबनरा महर कप्रे दश्रीन-
दद्धाःपु खश्री हगोकर जश्रीतरा रहप्रे, परन्तपु ममैं स्वभराव सप्रे हश्री कहतरा हह हूँ, मन ममें (जररा भश्री) छल
रखकर नहहीं हक मप्रेररा जश्रीवन रराम कप्रे हबनरा नहहीं हहै॥1॥
* समपुहझ दप्रेखपु हजयहूँ हपयरा पबश्रीनरा। जश्रीवनपु रराम दरस आधश्रीनरा॥
सपुहन ममृदपु बचन कपु महत अहत जरई। मनहह हूँ अनल आहह हत घमृत परई॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे चतपुर हपयप्रे! जश्री ममें समझ दप्रेख, मप्रेररा जश्रीवन शश्री रराम कप्रे दशर्णन कप्रे अधश्रीन
हहै। रराजरा कप्रे कगोमल वचन सपुनकर दबपु हपुर्ण द कहै कप्रे यश्री अत्यन्त जल रहश्री हहै। मरानगो अहग्नि ममें
घश्री ककी आहह हतयराहूँ पड रहश्री हमैं॥2॥
* कहइ करहह हकन कगोहट उपरायरा। इहराहूँ न लराहगहह रराउरर मरायरा॥
दप्रेहह हक लप्रेहह अजसपु करर नराहहीं। मगोहह न बहह त पपमंच सगोहराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-(कहै कप्रे यश्री कहतश्री हहै-) आप करगोडर उपराय क्यर न करमें, यहराहूँ आपककी मरायरा
(चरालबराजश्री) नहहीं लगप्रेगश्री। यरा तगो ममैंनप्रे जगो मराहूँगरा हहै सगो दश्रीहजए, नहहीं तगो 'नराहहीं' करकप्रे
अपयश लश्रीहजए। मपुझप्रे बहह त पपमंच (बखप्रेडप्रे) नहहीं सपुहरातप्रे॥3॥
* ररामपु सराधपु तपुम्ह सराधपु सयरानप्रे। रराममरातपु भहल सब पहहचरानप्रे॥
जस करौहसलराहूँ मगोर भल तराकरा। तस फिलपु उन्हहह दप्रेउहूँ करर सराकरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराम सराधपु हमैं, आप सयरानप्रे सराधपु हमैं और रराम ककी मरातरा भश्री भलश्री हहै , ममैंनप्रे
सबकगो पहचरान हलयरा हहै। करौसल्यरा नप्रे मप्रेररा जहैसरा भलरा चराहरा हहै , ममैं भश्री सराकरा करकप्रे
(यराद रखनप्रे यगोग्य) उन्हमें वहैसरा हश्री फिल दहूँगपू श्री॥4॥
दगोहरा :
* हगोत परात मपुहनबप्रेष धरर जजौं न ररामपु बन जराहहमं।
मगोर मरनपु रराउर अजस नमृप समपुहझअ मन मराहहमं॥33॥
भरावरारर्ण:-(सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री मपुहन करा वप्रेष धरारर कर यहद रराम वन कगो नहहीं जरातप्रे , तगो
हप्रे रराजनम! मन ममें (हनश्चय) समझ लश्रीहजए हक मप्रेररा मरनरा हगोगरा और आपकरा
अपयश!॥33॥
चरौपराई :
* अस कहह कपु हटल भई उहठ ठराढश्री। मरानहह हूँ रगोष तरमंहगहन बराढश्री॥
पराप पहरार पगट भइ सगोई। भरश्री कगोध जल जराइ न जगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर कपु हटल कहै कप्रे यश्री उठ खडश्री हहई, मरानगो कगोध ककी नदश्री उमडश्री हगो।
वह नदश्री पराप रूपश्री पहराड सप्रे पकट हह ई हहै और कगोध रूपश्री जल सप्रे भरश्री हहै, (ऐसश्री
भयरानक हहै हक) दप्रेखश्री नहहीं जरातश्री!॥1॥
* दगोउ बर कपू ल कहठन हठ धराररा। भवहूँर कपू बरश्री बचन पचराररा॥
ढराहत भपूपरूप तर मपूलरा। चलश्री हबपहत बराररहध अनपूकपू लरा॥2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर वरदरान उस नदश्री कप्रे दगो हकनरारप्रे हमैं, कहै कप्रे यश्री करा कहठन हठ हश्री उसककी
(तश्रीव्र) धराररा हहै और कपु बरश्री (ममंरररा) कप्रे वचनर ककी पप्रेरररा हश्री भहूँवर हहै। (वह कगोध
रूपश्री नदश्री) रराजरा दशरर रूपश्री वमृक्ष कगो जड-मपूल सप्रे ढहरातश्री हह ई हवपहर रूपश्री समपुद
ककी ओर (सश्रीधश्री) चलश्री हहै॥2॥
* लखश्री नरप्रेस बरात फिपु रर सराहूँचश्री। हतय हमस मश्रीचपु सश्रीस पर नराचश्री॥
गहह पद हबनय ककीन्ह बहैठरारश्री। जहन हदनकर कपु ल हगोहस कपु ठरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे समझ हलयरा हक बरात सचमपुच (वरास्तव ममें) सचश्री हहै, स्त्रश्री कप्रे बहरानप्रे
मप्रेरश्री ममृत्यपु हश्री हसर पर नराच रहश्री हहै। (तदनन्तर रराजरा नप्रे कहै कप्रे यश्री कप्रे ) चरर पकडकर
उसप्रे हबठराकर हवनतश्री ककी हक तपू सपूयर्णकपुल (रूपश्री वमृक्ष) कप्रे हलए कपु ल्हराडश्री मत बन॥3॥
* मरागपु मरार अबहहीं दप्रेउहूँ तगोहश्री। रराम हबरहहूँ जहन मरारहस मगोहश्री॥
रराखपु रराम कहह हूँ जप्रेहह तप्रेहह भराहूँतश्री। नराहहमं त जररहह जनम भरर छरातश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तपू मप्रेररा मस्तक मराहूँग लप्रे, ममैं तपुझप्रे अभश्री दप्रे द।हूँपू पर रराम कप्रे हवरह ममें मपुझप्रे मत
मरार। हजस हकसश्री पकरार सप्रे हगो तपू रराम कगो रख लप्रे। नहहीं तगो जन्मभर तप्रेरश्री छरातश्री
जलप्रेगश्री॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेखश्री ब्यराहध असराध नमृपपु परप्रेउ धरहन धपुहन मरार।
कहत परम आरत बचन रराम रराम रघपुनरार॥34॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे दप्रेखरा हक रगोग असराध्य हहै, तब वप्रे अत्यन्त आतर्णवरारश्री सप्रे 'हरा रराम!
हरा रराम! हरा रघपुनरार!' कहतप्रे हहए हसर पश्रीटकर जमश्रीन पर हगर पडप्रे॥ 34॥
चरौपराई :
* ब्यराकपुल रराउ हसहरल सब गरातरा। कररहन कलपतर मनहह हूँ हनपरातरा॥
कमंठपु सपूख मपुख आव न बरानश्री। जनपु पराठश्रीनपु दश्रीन हबनपु परानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा व्यराकपुल हगो गए, उनकरा सराररा शरश्रीर हशहरल पड गयरा, मरानगो हहरनश्री नप्रे
कल्पवमृक्ष कगो उखराड फिमें करा हगो। कमंठ सपूख गयरा, मपुख सप्रे बरात नहहीं हनकलतश्री, मरानगो
परानश्री कप्रे हबनरा पहहनरा नरामक मछलश्री तडप रहश्री हगो॥1॥
* पपुहन कह कटपु कठगोर कहै कप्रे ई। मनहह हूँ घराय महह हूँ मराहहर दप्रेई॥
जजौं अमंतहह हूँ अस करतबपु रहप्रेऊ। मरागपु मरागपु तपुम्ह कप्रे हहमं बल कहप्रेऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री हफिर कडवप्रे और कठगोर वचन बगोलश्री , मरानगो घराव ममें जहर भर रहश्री हगो।
(कहतश्री हहै-) जगो अमंत ममें ऐसरा हश्री करनरा ररा, तगो आपनप्रे 'मराहूँग, मराहूँग' हकस बल
पर कहरा ररा?॥2॥
* दइपु हक हगोइ एक समय भपुआलरा। हहूँसब ठठराइ फिपु लराउब गरालरा॥
दराहन कहराउब अर कमृ पनराई। हगोइ हक खप्रेम कपु सल ररौतराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजरा! ठहराकरा मरारकर हहूँसनरा और गराल फिपु लरानरा- क्यरा यप्रे दगोनर एक सरार
हगो सकतप्रे हमैं? दरानश्री भश्री कहरानरा और कमंजपूसश्री भश्री करनरा। क्यरा रजपपूतश्री ममें क्षप्रेम-कपु शल
भश्री रह सकतश्री हहै?(लडराई ममें बहरादरपु श्री भश्री हदखरावमें और कहहीं चगोट भश्री न लगप्रे !)॥3॥
* छराडहह बचनपु हक धश्रीरजपु धरहह । जहन अबलरा हजहम करनरा करहह ॥
तनपु हतय तनय धरामपु धनपु धरनश्री। सत्यसमंध कहह हूँ तमृन सम बरनश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-यरा तगो वचन (पहतजरा) हश्री छगोड दश्रीहजए यरा धहैयर्ण धरारर ककीहजए। यर असहराय
स्त्रश्री ककी भराहूँहत रगोइए-पश्रीहटए नहहीं। सत्यव्रतश्री कप्रे हलए तगो शरश्रीर, स्त्रश्री, पपुत्र, घर, धन
और पमृथ्वश्री- सब हतनकप्रे कप्रे बरराबर कहप्रे गए हमैं॥4॥
दगोहरा :
* मरम बचन सपुहन रराउ कह कहह कछपु दगोषपु न तगोर।
लरागप्रेउ तगोहह हपसराच हजहम करालपु कहरावत मगोर॥35॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कप्रे ममर्णभप्रेदश्री वचन सपुनकर रराजरा नप्रे कहरा हक तपू जगो चराहप्रे कह, तप्रेररा
कपु छ भश्री दगोष नहहीं हहै। मप्रेररा कराल तपुझप्रे मरानगो हपशराच हगोकर लग गयरा हहै , वहश्री तपुझसप्रे
यह सब कहलरा रहरा हहै॥35॥
चरौपराई :
* चहत न भरत भपूपतहह भगोरमें। हबहध बस कपु महत बसश्री हजय तगोरमें॥
सगो सबपु मगोर पराप पररनरामपू। भयउ कपु ठराहर जप्रेहहमं हबहध बरामपू॥
भरावरारर्ण:-भरत तगो भपूलकर भश्री रराजपद नहहीं चराहतप्रे। हगोनहरारवश तप्रेरप्रे हश्री जश्री ममें कपु महत
आ बसश्री। यह सब मप्रेरप्रे परापर करा परररराम हहै, हजससप्रे कपु समय (बप्रेमरौकप्रे) ममें हवधरातरा
हवपरश्रीत हगो गयरा॥1॥
* सपुबस बहसहह हफिरर अवध सपुहराई। सब गपुन धराम रराम पभपुतराई॥
कररहहहमं भराइ सकल सप्रेवकराई। हगोइहह हतहह हूँ पपुर रराम बडराई॥2॥
भरावरारर्ण:- (तप्रेरश्री उजराडश्री हह ई) यह सपुमंदर अयगोध्यरा हफिर भलश्रीभराहूँहत बसप्रेगश्री और समस्त
गपुरर कप्रे धराम शश्री रराम ककी पभपुतरा भश्री हगोगश्री। सब भराई उनककी सप्रेवरा करमेंगप्रे और तश्रीनर
लगोकर ममें शश्री रराम ककी बडराई हगोगश्री॥2॥
* तगोर कलमंकपु मगोर पहछतराऊ। मपुएहह हूँ न हमहटहह न जराइहह कराऊ॥
अब तगोहह नश्रीक लराग कर सगोई। लगोचन ओट बहैठपु मपुहह गगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-कप्रे वल तप्रेररा कलमंक और मप्रेररा पछतरावरा मरनप्रे पर भश्री नहहीं हमटप्रेगरा, यह हकसश्री
तरह नहहीं जराएगरा। अब तपुझप्रे जगो अच्छरा लगप्रे वहश्री कर। मपुहूँह हछपराकर मप्रेरश्री आहूँखर ककी
ओट जरा बहैठ (अररार्णत मप्रेरप्रे सरामनप्रे सप्रे हट जरा, मपुझप्रे मपुहूँह न हदखरा)॥3॥
* जब लहग हजऔमं कहउहूँ कर जगोरश्री। तब लहग जहन कछपु कहहस बहगोरश्री॥
हफिरर पहछतहैहहस अमंत अभरागश्री। मरारहस गराइ नहरारू लरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं हरार जगोडकर कहतरा हह हूँ हक जब तक ममैं जश्रीतरा रहह,हूँ तब तक हफिर कपु छ न
कहनरा (अररार्णत मपुझसप्रे न बगोलनरा)। अरश्री अभराहगनश्री! हफिर तपू अन्त ममें पछतराएगश्री जगो तपू
नहरारू (तराहूँत) कप्रे हलए गराय कगो मरार रहश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* परप्रेउ रराउ कहह कगोहट हबहध कराहप्रे करहस हनदरानपु।
कपट सयराहन न कहहत कछपु जरागहत मनहह हूँ मसरानपु॥36॥
भरावरारर्ण:-रराजरा करगोडर पकरार सप्रे (बहह त तरह सप्रे) समझराकर (और यह कहकर) हक
तपू क्यर सवर्णनराश कर रहश्री हहै, पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे। पर कपट करनप्रे ममें चतपुर कहै कप्रे यश्री
कपु छ बगोलतश्री नहहीं, मरानगो (मरौन हगोकर) मसरान जगरा रहश्री हगो (श्मशरान ममें बहैठकर
पप्रेतममंत्र हसद कर रहश्री हगो)॥36॥
चरौपराई :
* रराम रराम रट हबकल भपुआलपू। जनपु हबनपु पमंख हबहमंग बप्रेहरालपू॥
हृदयहूँ मनराव भगोर जहन हगोई। ररामहह जराइ कहहै जहन कगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा 'रराम-रराम' रट रहप्रे हमैं और ऐसप्रे व्यराकपुल हमैं, जहैसप्रे कगोई पक्षश्री पमंख कप्रे
हबनरा बप्रेहराल हगो। वप्रे अपनप्रे हृदय ममें मनरातप्रे हमैं हक सबप्रेररा न हगो और कगोई जराकर शश्री
ररामचन्दजश्री सप्रे यह बरात न कहप्रे॥1॥
* उदउ करहह जहन रहब रघपुकपुल गपुर। अवध हबलगोहक सपूल हगोइहह उर॥
भपूप पश्रीहत कहै कइ कहठनराई। उभय अवहध हबहध रचश्री बनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुकपुल कप्रे गपुर (बडप्रेरप्रे, मपूलपपुरष) सपूयर्ण भगवरानम! आप अपनरा उदय न
करमें। अयगोध्यरा कगो (बप्रेहराल) दप्रेखकर आपकप्रे हृदय ममें बडश्री पश्रीडरा हगोगश्री। रराजरा ककी पश्रीहत
और कहै कप्रे यश्री ककी हनषहरतरा दगोनर कगो ब्रहरा नप्रे सश्रीमरा तक रचकर बनरायरा हहै (अररार्णत रराजरा
पप्रेम ककी सश्रीमरा हहै और कहै कप्रे यश्री हनषहरतरा ककी)॥2॥
* हबलपत नमृपहह भयउ हभनपुसराररा। बश्रीनरा बप्रेनपु समंख धपुहन दराररा॥
पढहहमं भराट गपुन गरावहहमं गरायक। सपुनत नमृपहह जनपु लरागहहमं सरायक॥3॥
भरावरारर्ण:-हवलराप करतप्रे-करतप्रे हश्री रराजरा कगो सबप्रेररा हगो गयरा! रराज दरार पर वश्रीररा, बराहूँसपुरश्री
और शमंख ककी ध्वहन हगोनप्रे लगश्री। भराट लगोग हवरदरावलश्री पढ रहप्रे हमैं और गवहैयप्रे गपुरर करा
गरान कर रहप्रे हमैं। सपुननप्रे पर रराजरा कगो वप्रे बरार जहैसप्रे लगतप्रे हमैं॥ 3॥
* ममंगल सकल सगोहराहहमं न कहै समें। सहगराहमहनहह हबभपूषन जहैसमें॥
तप्रेहह हनहस नश्रीद परश्री नहहमं कराहह। रराम दरस लरालसरा उछराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो यप्रे सब ममंगल सराज कहै सप्रे नहहीं सपुहरा रहप्रे हमैं, जहैसप्रे पहत कप्रे सरार
सतश्री हगोनप्रे वरालश्री स्त्रश्री कगो आभपूषर! शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन ककी लरालसरा और उत्सराह
कप्रे करारर उस रराहत्र ममें हकसश्री कगो भश्री नहींद नहहीं आई॥4॥
दगोहरा :
* दरार भश्रीर सप्रेवक सहचव कहहहमं उहदत रहब दप्रेहख।
जरागप्रेउ अजहह हूँ न अवधपहत करारनपु कवनपु हबसप्रेहष॥37॥
भरावरारर्ण:-रराजदरार पर ममंहत्रयर और सप्रेवकर ककी भश्रीड लगश्री हहै। वप्रे सब सपूयर्ण कगो उदय
हह आ दप्रेखकर कहतप्रे हमैं हक ऐसरा करौन सरा हवशप्रेष करारर हहै हक अवधपहत दशररजश्री
अभश्री तक नहहीं जरागप्रे?॥37॥
चरौपराई :
* पहछलप्रे पहर भपूपपु हनत जरागरा। आजपु हमहह बड अचरजपु लरागरा॥
जराहह सपुममंत्र जगरावहह जराई। ककीहजअ कराजपु रजरायसपु पराई॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा हनत्य हश्री ररात कप्रे हपछलप्रे पहर जराग जरायरा करतप्रे हमैं, हकन्तपु आज हममें
बडरा आश्चयर्ण हगो रहरा हहै। हप्रे सपुममंत्र! जराओ, जराकर रराजरा कगो जगराओ। उनककी आजरा
पराकर हम सब कराम करमें॥1॥
* गए सपुममंत्रपु तब रराउर मराहहीं। दप्रेहख भयरावन जरात डप्रेरराहहीं॥
धराइ खराई जनपु जराइ न हप्रेररा। मरानहह हूँ हबपहत हबषराद बसप्रेररा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब सपुममंत्र ररावलप्रे (रराजमहल) ममें गए, पर महल कगो भयरानक दप्रेखकर वप्रे जरातप्रे
हह ए डर रहप्रे हमैं। (ऐसरा लगतरा हहै) मरानगो दरौडकर कराट खराएगरा, उसककी ओर दप्रेखरा भश्री
नहहीं जरातरा। मरानगो हवपहर और हवषराद नप्रे वहराहूँ डप्रेररा डराल रखरा हगो॥ 2॥
* पपूछमें कगोउ न ऊतर दप्रेई। गए जप्रेहहमं भवन भपूप कहै कप्रे ई॥
कहह जयजश्रीव बहैठ हसर नराई। दप्रेहख भपूप गहत गयउ सपुखराई॥3॥
भरावरारर्ण:-पपूछनप्रे पर कगोई जवराब नहहीं दप्रेतरा। वप्रे उस महल ममें गए, जहराहूँ रराजरा और
कहै कप्रे यश्री रप्रे 'जय जश्रीव' कहकर हसर नवराकर (वमंदनरा करकप्रे ) बहैठप्रे और रराजरा ककी दशरा
दप्रेखकर तगो वप्रे सपूख हश्री गए॥3॥
* सगोच हबकल हबबरन महह परप्रेऊ। मरानहह कमल मपूलपु पररहरप्रेऊ॥
सहचउ सभश्रीत सकइ नहहमं पपूहूँछश्री। बगोलश्री असपुभ भरश्री सपुभ छपू हूँछश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-(दप्रेखरा हक-) रराजरा सगोच सप्रे व्यराकपुल हमैं, चप्रेहरप्रे करा रमंग उड गयरा हहै। जमश्रीन
पर ऐसप्रे पडप्रे हमैं, मरानगो कमल जड छगोडकर (जड सप्रे उखडकर) (मपुझरार्णयरा) पडरा हगो।
ममंत्रश्री मरारप्रे डर कप्रे कपु छ पपूछ नहहीं सकतप्रे। तब अशपुभ सप्रे भरश्री हहई और शपुभ सप्रे हवहश्रीन
कहै कप्रे यश्री बगोलश्री-॥4॥
दगोहरा :
* परश्री न रराजहह नश्रीद हनहस हप्रेतपु जरान जगदश्रीसपु।
ररामपु ररामपु रहट भगोर हकय कहइ नरा मरमपु महश्रीसपु॥ 38॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो ररातभर नहींद नहहीं आई, इसकरा करारर जगदश्रीश्वर हश्री जरानमें। इन्हरनप्रे
'रराम रराम' रटकर सबप्रेररा कर हदयरा, परन्तपु इसकरा भप्रेद रराजरा कपु छ भश्री नहहीं बतलरातप्रे॥
38॥
चरौपराई :
* आनहह ररामहह बप्रेहग बगोलराई। समराचरार तब पपूछ हूँ प्रेहह आई॥
चलप्रेउ सपुममंत्रपु रराय रख जरानश्री। लखश्री कपु चराहल ककीहन्ह कछपु ररानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-तपुम जल्दश्री रराम कगो बपुलरा लराओ। तब आकर समराचरार पपूछनरा। रराजरा करा रख
जरानकर सपुममंत्रजश्री चलप्रे, समझ गए हक ररानश्री नप्रे कपु छ कपु चराल ककी हहै॥1॥
* सगोच हबकल मग परइ न पराऊ। ररामहह बगोहल कहहहह करा रराऊ॥
उर धरर धश्रीरजपु गयउ दआ हूँ हहमं सकल दप्रेहख मनपु मरारमें॥2॥
पु रमें। पपूछ
भरावरारर्ण:-सपुममंत्र सगोच सप्रे व्यराकपुल हमैं, ररास्तप्रे पर पहैर नहहीं पडतरा (आगप्रे बढरा नहहीं
जरातरा), (सगोचतप्रे हमैं-) ररामजश्री कगो बपुलराकर रराजरा क्यरा कहमेंगप्रे? हकसश्री तरह हृदय ममें
धश्रीरज धरकर वप्रे दरार पर गए। सब लगोग उनकगो मन मरारप्रे (उदरास) दप्रेखकर पपूछनप्रे
लगप्रे॥2॥
* समराधरानपु करर सगो सबहश्री करा। गयउ जहराहूँ हदनकर कपु ल टश्रीकरा॥
रराम सपुममंत्रहह आवत दप्रेखरा। आदर ककीन्ह हपतरा सम लप्रेखरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब लगोगर करा समराधरान करकप्रे (हकसश्री तरह समझरा-बपुझराकर) सपुममंत्र वहराहूँ गए,
जहराहूँ सपूयर्णकपुल कप्रे हतलक शश्री ररामचन्दजश्री रप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सपुममंत्र कगो आतप्रे दप्रेखरा
तगो हपतरा कप्रे समरान समझकर उनकरा आदर हकयरा॥3॥
* हनरहख बदनपु कहह भपूप रजराई। रघपुकपुलदश्रीपहह चलप्रेउ लप्रेवराई॥
ररामपु कपु भराहूँहत सहचव सहूँग जराहहीं। दप्रेहख लगोग जहहूँ तहहूँ हबलखराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे मपुख कगो दप्रेखकर और रराजरा ककी आजरा सपुनराकर वप्रे रघपुकपु ल
कप्रे दश्रीपक शश्री ररामचन्दजश्री कगो (अपनप्रे सरार) हलवरा चलप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री ममंत्रश्री कप्रे सरार
बपुरश्री तरह सप्रे (हबनरा हकसश्री लवराजमप्रे कप्रे ) जरा रहप्रे हमैं, यह दप्रेखकर लगोग जहराहूँ-तहराहूँ
हवषराद कर रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* जराइ दश्रीख रघपुबमंसमहन नरपहत हनपट कपु सराजपु।
सहहम परप्रेउ लहख हसमंहघहनहह मनहह हूँ बमृद गजरराजपु॥39॥
भरावरारर्ण:-रघपुवमंशमहर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे जराकर दप्रेखरा हक रराजरा अत्यन्त हश्री बपुरश्री हरालत
ममें पडप्रे हमैं, मरानगो हसमंहनश्री कगो दप्रेखकर कगोई बपूढरा गजरराज सहमकर हगर पडरा हगो॥ 39॥
चरौपराई :
* सपूखहहमं अधर जरइ सबपु अमंगपू। मनहह हूँ दश्रीन महनहश्रीन भपुअमंगपू॥
सरष समश्रीप दश्रीहख कहै कप्रे ई। मरानहह हूँ मश्रीचपु घरहीं गहन लप्रेई॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कप्रे हगोठ सपूख रहप्रे हमैं और सराररा शरश्रीर जल रहरा हहै , मरानगो महर कप्रे
हबनरा सरापहूँ दद्धाःपु खश्री हगो रहरा हगो। परास हश्री कगोध सप्रे भरश्री कहै कप्रे यश्री कगो दप्रेखरा, मरानगो
(सराक्षरात) ममृत्यपु हश्री बहैठश्री (रराजरा कप्रे जश्रीवन ककी अमंहतम) घहडयराहूँ हगन रहश्री हगो॥1॥
शश्री रराम-कहै कप्रे यश्री समंवराद
* करनरामय ममृद पु रराम सपुभराऊ। परम दश्रीख दख पु पु सपुनरा न कराऊ॥
तदहप धश्रीर धरर समउ हबचरारश्री। पपूहूँछश्री मधपुर बचन महतरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा स्वभराव कगोमल और करररामय हहै। उन्हरनप्रे (अपनप्रे जश्रीवन
ममें) पहलश्री बरार यह दद्धाःपु ख दप्रेखरा, इससप्रे पहलप्रे कभश्री उन्हरनप्रे दद्धाःपु ख सपुनरा भश्री न ररा। तगो
भश्री समय करा हवचरार करकप्रे हृदय ममें धश्रीरज धरकर उन्हरनप्रे मश्रीठप्रे वचनर सप्रे मरातरा कहै कप्रे यश्री
सप्रे पपूछरा-॥2॥
* मगोहह कहह मरातपु तरात दख पु करारन। कररअ जतन जप्रेहहमं हगोइ हनवरारन॥
सपुनहह रराम सबपु करारनपु एहह । रराजहह तपुम्ह पर बहह त सनप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! मपुझप्रे हपतराजश्री कप्रे दद्धाःपु ख करा करारर कहगो, तराहक उसकरा हनवरारर हगो
(दद्धाःपु ख दरपू हगो) वह यत्न हकयरा जराए। (कहै कप्रे यश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रराम! सपुनगो, सराररा
करारर यहश्री हहै हक रराजरा करा तपुम पर बहह त स्नप्रेह हहै॥3॥
* दप्रेन कहप्रेहन्ह मगोहह दइपु बरदरानरा। मरागप्रेउहूँ जगो कछपु मगोहह सगोहरानरा॥
सगो सपुहन भयउ भपूप उर सगोचपू। छराहड न सकहहमं तपुम्हरार सहूँकगोचपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इन्हरनप्रे मपुझप्रे दगो वरदरान दप्रेनप्रे कगो कहरा ररा। मपुझप्रे जगो कपु छ अच्छरा लगरा, वहश्री
ममैंनप्रे मराहूँगरा। उसप्रे सपुनकर रराजरा कप्रे हृदय ममें सगोच हगो गयरा, क्यरहक यप्रे तपुम्हराररा समंकगोच
नहहीं छगोड सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपुत सनप्रेहह इत बचनपु उत समंकट परप्रेउ नरप्रेसपु।
सकहह त आयसपु धरहह हसर मप्रेटहह कहठन कलप्रेसपु॥40॥
भरावरारर्ण:-इधर तगो पपुत्र करा स्नप्रेह हहै और उधर वचन (पहतजरा), रराजरा इसश्री धमर्णसमंकट
ममें पड गए हमैं। यहद तपुम कर सकतप्रे हगो, तगो रराजरा ककी आजरा हशरगोधरायर्ण करगो और
इनकप्रे कहठन कप्रे श कगो हमटराओ॥40॥
चरौपराई :
* हनधरक बहैहठ कहइ कटपु बरानश्री। सपुनत कहठनतरा अहत अकपु लरानश्री॥
जश्रीभ कमरान बचन सर नरानरा। मनहह हूँ महहप ममृद पु लच्छ समरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री बप्रेधडक बहैठश्री ऐसश्री कडवश्री वरारश्री कह रहश्री हहै , हजसप्रे सपुनकर स्वयमं
कठगोरतरा भश्री अत्यन्त व्यराकपुल हगो उठश्री। जश्रीभ धनपुष हहै, वचन बहह त सप्रे तश्रीर हमैं और
मरानगो रराजरा हश्री कगोमल हनशरानप्रे कप्रे समरान हमैं॥1॥
* जनपु कठगोरपनपु धरमें सरश्रीरू। हसखइ धनपुषहबद्यरा बर बश्रीरू॥
सबपु पसमंगपु रघपुपहतहह सपुनराई। बहैहठ मनहह हूँ तनपु धरर हनठपु रराई॥2॥
भरावरारर्ण:-(इस सरारप्रे सराज-समरान कप्रे सरार) मरानगो स्वयमं कठगोरपन शप्रेष वश्रीर करा शरश्रीर
धरारर करकप्रे धनपुष हवद्यरा सश्रीख रहरा हहै। शश्री रघपुनरारजश्री कगो सब हराल सपुनराकर वह ऐसप्रे
बहैठश्री हहै, मरानगो हनषहरतरा हश्री शरश्रीर धरारर हकए हहए हगो॥2॥
* मन मपुसपुकराइ भरानपुकपुल भरानपू। ररामपु सहज आनमंद हनधरानपू॥
बगोलप्रे बचन हबगत सब दषपू न। ममृदपु ममंजपुल जनपु बराग हबभपूषन॥3॥
भरावरारर्ण:-सपूयर्णकपुल कप्रे सपूयर्ण, स्वराभराहवक हश्री आनमंदहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री मन ममें
मपुस्कपु रराकर सब दषपू रर सप्रे रहहत ऐसप्रे कगोमल और सपुदमं र वचन बगोलप्रे जगो मरानगो वरारश्री कप्रे
भपूषर हश्री रप्रे-॥3॥
* सपुनपु जननश्री सगोइ सपुतपु बडभरागश्री। जगो हपतपु मरातपु बचन अनपुररागश्री॥
तनय मरातपु हपतपु तगोषहनहराररा। दल पु र्णभ जनहन सकल समंसराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! सपुनगो, वहश्री पपुत्र बडभरागश्री हहै, जगो हपतरा-मरातरा कप्रे वचनर करा
अनपुररागश्री (परालन करनप्रे वरालरा) हहै। (आजरा परालन दराररा) मरातरा-हपतरा कगो समंतपुष्टि करनप्रे
वरालरा पपुत्र, हप्रे जननश्री! सरारप्रे समंसरार ममें दल पु र्णभ हहै॥4॥
दगोहरा :
* मपुहनगन हमलनपु हबसप्रेहष बन सबहह भराहूँहत हहत मगोर।
तप्रेहह महहूँ हपतपु आयसपु बहह रर समंमत जननश्री तगोर॥41॥
भरावरारर्ण:-वन ममें हवशप्रेष रूप सप्रे मपुहनयर करा हमलराप हगोगरा, हजसममें मप्रेररा सभश्री पकरार सप्रे
कल्यरार हहै। उसममें भश्री, हफिर हपतराजश्री ककी आजरा और हप्रे जननश्री! तपुम्हरारश्री सम्महत हहै,॥
41॥
चरौपराई :
* भरतपु परानहपय परावहहमं रराजपू। हबहध सब हबहध मगोहह सनमपुख आजपू॥
जजौं न जराउहूँ बन ऐसप्रेहह कराजरा। परम गहनअ मगोहह मपूढ समराजरा॥1॥
भरावरारर्ण:-और परार हपय भरत रराज्य परावमेंगप्रे। (इन सभश्री बरातर कगो दप्रेखकर यह पतश्रीत
हगोतरा हहै हक) आज हवधरातरा सब पकरार सप्रे मपुझप्रे सम्मपुख हमैं (मप्रेरप्रे अनपुकपूल हमैं)। यहद
ऐसप्रे कराम कप्रे हलए भश्री ममैं वन कगो न जराऊहूँ तगो मपूखर्मों कप्रे समराज ममें सबसप्रे पहलप्रे मप्रेरश्री
हगनतश्री करनश्री चराहहए॥1॥
* सप्रेवहहमं अरहूँडपु कलपतर त्यरागश्री। पररहरर अममृत लप्रेहहमं हबषपु मरागश्री॥
तप्रेउ न पराइ अस समउ चपुकराहहीं। दप्रेखपु हबचरारर मरातपु मन मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो कल्पवमृक्ष कगो छगोडकर रमेंड ककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं और अममृत त्यराग कर हवष
मराहूँग लप्रेतप्रे हमैं, हप्रे मरातरा! तपुम मन ममें हवचरार कर दप्रेखगो, वप्रे (महरामपूखर्ण) भश्री ऐसरा मरौकरा
पराकर कभश्री न चपूकमेंगप्रे॥2॥
* अमंब एक दख पु पु मगोहह हबसप्रेषश्री। हनपट हबकल नरनरायकपु दप्रेखश्री॥
रगोररहहमं बरात हपतहह दख पु भरारश्री। हगोहत पतश्रीहत न मगोहह महतरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! मपुझप्रे एक हश्री दद्धाःपु ख हवशप्रेष रूप सप्रे हगो रहरा हहै, वह महरारराज कगो
अत्यन्त व्यराकपुल दप्रेखकर। इस रगोडश्री सश्री बरात कप्रे हलए हश्री हपतराजश्री कगो इतनरा भरारश्री
दद्धाःपु ख हगो, हप्रे मरातरा! मपुझप्रे इस बरात पर हवश्वरास नहहीं हगोतरा॥3॥
* रराउ धश्रीर गपुन उदहध अगराधपू। भरा मगोहह तमें कछपु बड अपरराधपू॥
जरातमें मगोहह न कहत कछपु रराऊ। मगोरर सपर तगोहह कहह सहतभराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक महरारराज तगो बडप्रे हश्री धश्रीर और गपुरर कप्रे अरराह समपुद हमैं। अवश्य हश्री
मपुझसप्रे कगोई बडरा अपरराध हगो गयरा हहै, हजसकप्रे करारर महरारराज मपुझसप्रे कपु छ नहहीं कहतप्रे।
तपुम्हमें मप्रेरश्री सरौगमंध हहै, मरातरा! तपुम सच-सच कहगो॥4॥
दगोहरा :
* सहज सकल रघपुबर बचन कपु महत कपु हटल करर जरान।
चलइ जरक जल बकगहत जद्यहप सहललपु समरान॥42॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल ममें शप्रेष शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे स्वभराव सप्रे हश्री सश्रीधप्रे वचनर कगो दबपु पुर्णहद
कहै कप्रे यश्री टप्रेढरा हश्री करकप्रे जरान रहश्री हहै, जहैसप्रे यद्यहप जल समरान हश्री हगोतरा हहै, परन्तपु
जरक उसममें टप्रेढश्री चराल सप्रे हश्री चलतश्री हहै॥42॥
चरौपराई :
* रहसश्री रराहन रराम रख पराई। बगोलश्री कपट सनप्रेहह जनराई॥
सपर तपुम्हरार भरत कहै आनरा। हप्रेतपु न दस पू र ममैं कछपु जरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ररानश्री कहै कप्रे यश्री शश्री ररामचन्दजश्री करा रख पराकर हहषर्णत हगो गई और कपटपपूरर्ण स्नप्रेह
हदखराकर बगोलश्री- तपुम्हरारश्री शपर और भरत ककी सरौगमंध हहै, मपुझप्रे रराजरा कप्रे दद्धाःपु ख करा
दस पू ररा कपु छ भश्री करारर हवहदत नहहीं हहै॥1॥
* तपुम्ह अपरराध जगोगपु नहहमं तरातरा। जननश्री जनक बमंधपु सपुखदरातरा॥
रराम सत्य सबपु जगो कछपु कहहह । तपुम्ह हपतपु मरातपु बचन रत अहहह ॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम अपरराध कप्रे यगोग्य नहहीं हगो (तपुमसप्रे मरातरा-हपतरा करा अपरराध बन
पडप्रे यह समंभव नहहीं)। तपुम तगो मरातरा-हपतरा और भराइयर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हगो। हप्रे
रराम! तपुम जगो कपु छ कह रहप्रे हगो, सब सत्य हहै। तपुम हपतरा-मरातरा कप्रे वचनर (कप्रे
परालन) ममें तत्पर हगो॥2॥
*हपतहह बपुझराइ कहहह बहल सगोई। चरौरमेंपन जप्रेहहमं अजसपु न हगोई॥
तपुम्ह सम सपुअन सपुकमृत जप्रेहहमं दश्रीन्हप्रे। उहचत न तरासपु हनररादर ककीन्हप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ममैं तपुम्हरारश्री बहलहरारश्री जरातश्री हह हूँ, तपुम हपतरा कगो समझराकर वहश्री बरात कहगो,
हजससप्रे चरौरप्रेपन (बपुढरापप्रे) ममें इनकरा अपयश न हगो। हजस पपुण्य नप्रे इनकगो तपुम जहैसप्रे पपुत्र
हदए हमैं, उसकरा हनररादर करनरा उहचत नहहीं॥3॥
* लरागहहमं कपु मपुख बचन सपुभ कहै सप्रे। मगहहूँ गयराहदक तश्रीरर जहैसप्रे॥
ररामहह मरातपु बचन सब भराए। हजहम सपुरसरर गत सहलल सपुहराए॥4॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कप्रे बपुरप्रे मपुख ममें यप्रे शपुभ वचन कहै सप्रे लगतप्रे हमैं जहैसप्रे मगध दप्रेश ममें गयरा
आहदक तश्रीरर्ण! शश्री ररामचन्दजश्री कगो मरातरा कहै कप्रे यश्री कप्रे सब वचन ऐसप्रे अच्छप्रे लगप्रे जहैसप्रे
गमंगराजश्री ममें जराकर (अच्छप्रे-बपुरप्रे सभश्री पकरार कप्रे ) जल शपुभ, सपुमंदर हगो जरातप्रे हमैं॥4॥

शश्री रराम-दशरर समंवराद, अवधवराहसयर करा हवषराद, कहै कप्रे यश्री कगो समझरानरा
दगोहरा :
* गइ मपुरछरा ररामहह सपुहमरर नमृप हफिरर करवट लश्रीन्ह।
सहचव रराम आगमन कहह हबनय समय सम ककीन्ह॥43॥
भरावरारर्ण:-इतनप्रे ममें रराजरा ककी मपूछरार्ण दरपू हह ई, उन्हरनप्रे रराम करा स्मरर करकप्रे ('रराम!
रराम!' कहकर) हफिरकर करवट लश्री। ममंत्रश्री नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री करा आनरा कहकर
समयरानपुकपूल हवनतश्री ककी॥43॥
चरौपराई :
* अवहनप अकहन ररामपु पगपु धरारप्रे। धरर धश्रीरजपु तब नयन उघरारप्रे॥
सहचवहूँ सहूँभरारर रराउ बहैठरारप्रे। चरन परत नमृप ररामपु हनहरारप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब रराजरा नप्रे सपुनरा हक शश्री ररामचन्द पधरारप्रे हमैं तगो उन्हरनप्रे धश्रीरज धरकप्रे नप्रेत्र
खगोलप्रे। ममंत्रश्री नप्रे समंभरालकर रराजरा कगो बहैठरायरा। रराजरा नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो अपनप्रे चररर
ममें पडतप्रे (परराम करतप्रे) दप्रेखरा॥1॥
* हलए सनप्रेह हबकल उर लराई। गहै महन मनहह हूँ फिहनक हफिरर पराई॥
ररामहह हचतइ रहप्रेउ नरनराहह। चलरा हबलगोचन बरारर पबराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-स्नप्रेह सप्रे हवकल रराजरा नप्रे ररामजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। मरानगो सरापहूँ नप्रे
अपनश्री खगोई हहई महर हफिर सप्रे परा लश्री हगो। रराजरा दशररजश्री शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखतप्रे हश्री
रह गए। उनकप्रे नप्रेत्रर सप्रे आहूँसपुओमं ककी धराररा बह चलश्री॥ 2॥
* सगोक हबबस कछपु कहहै न पराररा। हृदयहूँ लगरावत बरारहहमं बराररा॥
हबहधहह मनराव रराउ मन मराहहीं। जप्रेहहमं रघपुनरार न करानन जराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शगोक कप्रे हवशप्रेष वश हगोनप्रे कप्रे करारर रराजरा कपु छ कह नहहीं सकतप्रे। वप्रे बरार-बरार
शश्री ररामचन्दजश्री कगो हृदय सप्रे लगरातप्रे हमैं और मन ममें ब्रहराजश्री कगो मनरातप्रे हमैं हक हजससप्रे
शश्री रराघपुनरारजश्री वन कगो न जराएहूँ॥3॥
* सपुहमरर महप्रेसहह कहइ हनहगोरश्री। हबनतश्री सपुनहह सदराहसव मगोरश्री॥
आसपुतगोष तपुम्ह अवढर दरानश्री। आरहत हरहह दश्रीन जनपु जरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर महरादप्रेवजश्री करा स्मरर करकप्रे उनसप्रे हनहगोररा करतप्रे हह ए कहतप्रे हमैं- हप्रे
सदराहशव! आप मप्रेरश्री हवनतश्री सपुहनए। आप आशपुतगोष (शश्रीघ्र पसन्न हगोनप्रे वरालप्रे) और
अवढरदरानश्री (मपुहूँहमराहूँगरा दप्रे डरालनप्रे वरालप्रे) हमैं। अतद्धाः मपुझप्रे अपनरा दश्रीन सप्रेवक जरानकर मप्रेरप्रे
दद्धाःपु ख कगो दरपू ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* तपुम्ह पप्रेरक सब कप्रे हृदयहूँ सगो महत ररामहह दप्रेहह।
बचनपु मगोर तहज रहहहमं घर पररहरर सश्रीलपु सनप्रेहह ॥44॥
भरावरारर्ण:-आप पप्रेरक रूप सप्रे सबकप्रे हृदय ममें हमैं। आप शश्री ररामचन्द कगो ऐसश्री बपुहद
दश्रीहजए, हजससप्रे वप्रे मप्रेरप्रे वचन कगो त्यरागकर और शश्रील -स्नप्रेह कगो छगोडकर घर हश्री ममें रह
जराएहूँ॥44॥
चरौपराई :
* अजसपु हगोउ जग सपुजसपु नसराऊ। नरक परजौं बर सपुरपपुर जराऊ॥
सब दख पु दसपु ह सहरावहह मगोहश्री। लगोचन ओट ररामपु जहन हरहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें चराहप्रे अपयश हगो और सपुयश नष्टि हगो जराए। चराहप्रे (नयरा पराप हगोनप्रे सप्रे)
ममैं नरक ममें हगरूहूँ, अरवरा स्वगर्ण चलरा जराए (पपूवर्ण पपुण्यर कप्रे फिलस्वरूप हमलनप्रे वरालरा
स्वगर्ण चराहप्रे मपुझप्रे न हमलप्रे)। और भश्री सब पकरार कप्रे दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख आप मपुझसप्रे सहन कररा
लमें। पर शश्री ररामचन्द मप्रेरश्री आहूँखर ककी ओट न हर॥1॥
* अस मन गपुनइ रराउ नहहमं बगोलरा। पश्रीपर परात सररस मनपु डगोलरा॥
रघपुपहत हपतहह पप्रेमबस जरानश्री। पपुहन कछपु कहहहह मरातपु अनपुमरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा मन हश्री मन इस पकरार हवचरार कर रहप्रे हमैं, बगोलतप्रे नहहीं। उनकरा मन
पश्रीपल कप्रे परप्रे ककी तरह डगोल रहरा हहै। शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे हपतरा कगो पप्रेम कप्रे वश
जरानकर और यह अनपुमरान करकप्रे हक मरातरा हफिर कपु छ कहप्रेगश्री (तगो हपतराजश्री कगो दद्धाःपु ख
हगोगरा)॥2॥
* दप्रेस कराल अवसर अनपुसरारश्री। बगोलप्रे बचन हबनश्रीत हबचरारश्री॥
तरात कहउहूँ कछपु करउहूँ हढठराई। अनपुहचतपु छमब जराहन लररकराई॥3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेश, कराल और अवसर कप्रे अनपुकपूल हवचरार कर हवनश्रीत वचन कहप्रे- हप्रे तरात!
ममैं कपु छ कहतरा हह,हूँ यह हढठराई करतरा हह।हूँ इस अनरौहचत्य कगो मप्रेरश्री बराल्यरावस्ररा
समझकर क्षमरा ककीहजएगरा॥3॥
* अहत लघपु बरात लराहग दख पु पु परावरा। कराहहहूँ न मगोहह कहह परम जनरावरा॥
दप्रेहख गगोसराइहूँहह पपूहूँहछउहूँ मरातरा। सपुहन पसमंगपु भए सश्रीतल गरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इस अत्यन्त तपुच्छ बरात कप्रे हलए आपनप्रे इतनरा दद्धाःपु ख परायरा। मपुझप्रे हकसश्री नप्रे
पहलप्रे कहकर यह बरात नहहीं जनराई। स्वरामश्री (आप) कगो इस दशरा ममें दप्रेखकर ममैंनप्रे
मरातरा सप्रे पपूछरा। उनसप्रे सराररा पसमंग सपुनकर मप्रेरप्रे सब अमंग शश्रीतल हगो गए (मपुझप्रे बडश्री
पसन्नतरा हहई)॥4॥
दगोहरा :
* ममंगल समय सनप्रेह बस सगोच पररहररअ तरात।
आयसपु दप्रेइअ हरहष हहयहूँ कहह पपुलकप्रे पभपु गरात॥45॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपतराजश्री! इस ममंगल कप्रे समय स्नप्रेहवश हगोकर सगोच करनरा छगोड दश्रीहजए
और हृदय ममें पसन्न हगोकर मपुझप्रे आजरा दश्रीहजए। यह कहतप्रे हहए पभपु शश्री ररामचन्दजश्री
सवरार्धांग पपुलहकत हगो गए॥45॥
चरौपराई :
* धन्य जनमपु जगतश्रीतल तरासपू। हपतहह पमगोद पु चररत सपुहन जरासपू॥
चरारर पदरारर करतल तराकमें। हपय हपतपु मरातपु परान सम जराकमें॥1॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे हफिर कहरा-) इस पमृथ्वश्रीतल पर उसकरा जन्म धन्य हहै, हजसकप्रे
चररत्र सपुनकर हपतरा कगो परम आनमंद हगो, हजसकगो मरातरा-हपतरा परारर कप्रे समरान हपय हमैं,
चरारर पदरारर्ण (अरर्ण, धमर्ण, कराम, मगोक्ष) उसकप्रे करतलगत (मपुटश्री ममें) रहतप्रे हमैं॥1॥
* आयसपु पराहल जनम फिलपु पराई। ऐहउहूँ बप्रेहगहहमं हगोउ रजराई॥
हबदरा मरातपु सन आवउहूँ मरागश्री। चहलहउहूँ बनहह बहह रर पग लरागश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-आपककी आजरा परालन करकप्रे और जन्म करा फिल पराकर ममैं जल्दश्री हश्री लरौट
आऊहूँगरा, अतद्धाः कमृ पयरा आजरा दश्रीहजए। मरातरा सप्रे हवदरा मराहूँग आतरा हह हूँ। हफिर आपकप्रे पहैर
लगकर (परराम करकप्रे ) वन कगो चलपूहूँगरा॥2॥
* अस कहह रराम गवनपु तब ककीन्हरा। भपूप सगोक बस उतर न दश्रीन्हरा॥
नगर ब्यराहप गइ बरात सपुतश्रीछश्री। छपु अत चढश्री जनपु सब तन बश्रीछश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर तब शश्री ररामचन्दजश्री वहराहूँ सप्रे चल हदए। रराजरा नप्रे शगोकवश कगोई
उरर नहहीं हदयरा। वह बहह त हश्री तश्रीखश्री (अहपय) बरात नगर भर ममें इतनश्री जल्दश्री फिहै ल
गई, मरानगो डमंक मरारतप्रे हश्री हबच्छपू करा हवष सरारप्रे शरश्रीर ममें चढ गयरा हगो॥3॥
* सपुहन भए हबकल सकल नर नरारश्री। बप्रेहल हबटप हजहम दप्रेहख दवरारश्री॥
जगो जहहूँ सपुनइ धपुनइ हसर सगोई। बड हबषराद पु नहहमं धश्रीरजपु हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-इस बरात कगो सपुनकर सब स्त्रश्री-पपुरष ऐसप्रे व्यराकपुल हगो गए जहैसप्रे दरावरानल (वन
ममें आग लगश्री) दप्रेखकर बप्रेल और वमृक्ष मपुरझरा जरातप्रे हमैं। जगो जहराहूँ सपुनतरा हहै , वह वहहीं
हसर धपुननप्रे (पश्रीटनप्रे) लगतरा हहै! बडरा हवषराद हहै, हकसश्री कगो धश्रीरज नहहीं बहूँधतरा॥4॥
दगोहरा :
* मपुख सपुखराहहमं लगोचन स्रवहहमं सगोकपु न हृदयहूँ समराइ।
मनहह हूँ करन रस कटकई उतरश्री अवध बजराइ॥46॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे मपुख सपूखप्रे जरातप्रे हमैं, आहूँखर सप्रे आहूँसपू बहतप्रे हमैं, शगोक हृदय ममें नहहीं
समरातरा। मरानगो करररा रस ककी सप्रेनरा अवध पर डमंकरा बजराकर उतर आई हगो॥ 46॥
चरौपराई :
* हमलप्रेहह मराझ हबहध बरात बप्रेगरारश्री। जहहूँ तहहूँ दप्रेहहमं कहै कइहह गरारश्री॥
एहह पराहपहनहह बपूहझ करा परप्रेऊ। छराइ भवन पर परावकपु धरप्रेऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-सब मप्रेल हमल गए रप्रे (सब समंयगोग ठश्रीक हगो गए रप्रे), इतनप्रे ममें हश्री हवधरातरा नप्रे
बरात हबगराड दश्री! जहराहूँ-तहराहूँ लगोग कहै कप्रे यश्री कगो गरालश्री दप्रे रहप्रे हमैं! इस पराहपन कगो क्यरा
सपूझ पडरा जगो इसनप्रे छराए घर पर आग रख दश्री॥ 1॥
* हनज कर नयन कराहढ चह दश्रीखरा। डरारर सपुधरा हबषपु चराहत चश्रीखरा॥
कपु हटल कठगोर कपु बपुहद अभरागश्री। भइ रघपुबमंस बप्रेनपु बन आगश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-यह अपनप्रे हरार सप्रे अपनश्री आहूँखर कगो हनकरालकर (आहूँखर कप्रे हबनरा हश्री) दप्रेखनरा
चराहतश्री हहै और अममृत फिमें ककर हवष चखनरा चराहतश्री हहै! यह कपु हटल, कठगोर, दबपु पुर्णहद
और अभराहगनश्री कहै कप्रे यश्री रघपुवमंश रूपश्री बराहूँस कप्रे वन कप्रे हलए अहग्नि हगो गई!॥2॥
* परालव बहैहठ पप्रेडपु एहहमं कराटरा। सपुख महह हूँ सगोक ठराटपु धरर ठराटरा॥
सदरा ररामपु एहह परान समरानरा। करारन कवन कपु हटलपनपु ठरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-परप्रे पर बहैठकर इसनप्रे पप्रेड कगो कराट डरालरा। सपुख ममें शगोक करा ठराट ठटकर
रख हदयरा! शश्री ररामचन्दजश्री इसप्रे सदरा परारर कप्रे समरान हपय रप्रे। हफिर भश्री न जरानप्रे हकस
करारर इसनप्रे यह कपु हटलतरा ठरानश्री॥3॥
* सत्य कहहहमं कहब नरारर सपुभराऊ। सब हबहध अगहह अगराध दरपु राऊ॥
हनज पहतहबमंबपु बरकपु गहह जराई। जराहन न जराइ नरारर गहत भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-कहव सत्य हश्री कहतप्रे हमैं हक स्त्रश्री करा स्वभराव सब पकरार सप्रे पकड ममें न आनप्रे
यगोग्य, अरराह और भप्रेदभररा हगोतरा हहै। अपनश्री परछराहहीं भलप्रे हश्री पकड जराए , पर भराई!
हस्त्रयर ककी गहत (चराल) नहहीं जरानश्री जरातश्री॥4॥
दगोहरा :
* कराह न परावकपु जरारर सक करा न समपुद समराइ।
करा न करहै अबलरा पबल कप्रे हह जग करालपु न खराइ॥47॥
भरावरारर्ण:-आग क्यरा नहहीं जलरा सकतश्री! समपुद ममें क्यरा नहहीं समरा सकतरा! अबलरा
कहरानप्रे वरालश्री पबल स्त्रश्री (जराहत) क्यरा नहहीं कर सकतश्री! और जगत ममें कराल हकसकगो
नहहीं खरातरा!॥47॥
चरौपराई :
* करा सपुनराइ हबहध कराह सपुनरावरा। करा दप्रेखराइ चह कराह दप्रेखरावरा॥
एक कहहहमं भल भपूप न ककीन्हरा। बर हबचरारर नहहमं कपु महतहह दश्रीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे क्यरा सपुनराकर क्यरा सपुनरा हदयरा और क्यरा हदखराकर अब वह क्यरा
हदखरानरा चराहतरा हहै! एक कहतप्रे हमैं हक रराजरा नप्रे अच्छरा नहहीं हकयरा, दबपु पुर्णहद कहै कप्रे यश्री कगो
हवचरारकर वर नहहीं हदयरा॥1॥
* जगो हहठ भयउ सकल दख पु भराजनपु। अबलरा हबबस ग्यरानपु गपुनपु गरा जनपु॥
एक धरम परहमहत पहहचरानप्रे। नमृपहह दगोसपु नहहमं दप्रेहहमं सयरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो हठ करकप्रे (कहै कप्रे यश्री ककी बरात कगो पपूररा करनप्रे ममें अडप्रे रहकर) स्वयमं सब
दद्धाःपु खर कप्रे परात्र हगो गए। स्त्रश्री कप्रे हवशप्रेष वश हगोनप्रे कप्रे करारर मरानगो उनकरा जरान और गपुर
जरातरा रहरा। एक (दस पू रप्रे) जगो धमर्ण ककी मयरार्णदरा कगो जरानतप्रे हमैं और सयरानप्रे हमैं , वप्रे रराजरा
कगो दगोष नहहीं दप्रेतप्रे॥2॥
* हसहब दधश्रीहच हररचमंद कहरानश्री। एक एक सन कहहहमं बखरानश्री॥
एक भरत कर समंमत कहहहीं। एक उदरास भरायहूँ सपुहन रहहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हशहब, दधश्रीहच और हररश्चन्द ककी कररा एक-दस पू रप्रे सप्रे बखरानकर कहतप्रे हमैं।
कगोई एक इसममें भरतजश्री ककी सम्महत बतरातप्रे हमैं। कगोई एक सपुनकर उदरासश्रीन भराव सप्रे रह
जरातप्रे हमैं (कपु छ बगोलतप्रे नहहीं)॥3॥
* करान मपूहद कर रद गहह जश्रीहरा। एक कहहहमं यह बरात अलश्रीहरा॥
सपुकमृत जराहहमं अस कहत तपुम्हरारप्रे। ररामपु भरत कहह हूँ परानहपआरप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-कगोई हरारर सप्रे करान मपूहूँदकर और जश्रीभ कगो दराहूँतर तलप्रे दबराकर कहतप्रे हमैं हक
यह बरात झपूठ हहै, ऐसश्री बरात कहनप्रे सप्रे तपुम्हरारप्रे पपुण्य नष्टि हगो जराएहूँगप्रे। भरतजश्री कगो तगो
शश्री ररामचन्दजश्री परारर कप्रे समरान प्यरारप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* चमंदपु चवहै बर अनल कन सपुधरा हगोइ हबषतपूल।
सपनप्रेहहहूँ कबहह हूँ न करहहमं हकछपु भरतपु रराम पहतकपू ल॥48॥
भरावरारर्ण:-चन्दमरा चराहप्रे (शश्रीतल हकररर ककी जगह) आग ककी हचनगराररयराहूँ बरसरानप्रे लगप्रे
और अममृत चराहप्रे हवष कप्रे समरान हगो जराए, परन्तपु भरतजश्री स्वप्न ममें भश्री कभश्री शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे हवरद कपु छ नहहीं करमेंगप्रे॥48॥
चरौपराई :
* एक हबधरातहह दषपू नपु दप्रेहहीं। सपुधरा दप्रेखराइ दश्रीन्ह हबषपु जप्रेहहीं॥
खरभर नगर सगोचपु सब कराहह। दसपु ह दराहह उर हमटरा उछराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-कगोई एक हवधरातरा कगो दगोष दप्रेतप्रे हमैं, हजसनप्रे अममृत हदखराकर हवष दप्रे हदयरा।
नगर भर ममें खलबलश्री मच गई, सब हकसश्री कगो सगोच हगो गयरा। हृदय ममें द द्धाःपु सह जलन
हगो गई, आनमंद-उत्सराह हमट गयरा॥1॥
* हबपबधपू कपु लमरान्य जठप्रेरश्री। जप्रे हपय परम कहै कई कप्रे रश्री॥
लगहीं दप्रेन हसख सश्रीलपु सरराहश्री। बचन बरानसम लरागहहमं तराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहरर ककी हस्त्रयराहूँ, कपु ल ककी मराननश्रीय बडश्री-बपूढश्री और जगो कहै कप्रे यश्री ककी परम
हपय रहीं, वप्रे उसकप्रे शश्रील ककी सरराहनरा करकप्रे उसप्रे सश्रीख दप्रेनप्रे लगहीं। पर उसकगो उनकप्रे
वचन बरार कप्रे समरान लगतप्रे हमैं॥2॥
* भरतपु न मगोहह हपय रराम समरानरा। सदरा कहहह यहह सबपु जगपु जरानरा॥
करहह रराम पर सहज सनप्रेहह। कप्रे हहमं अपरराध आजपु बनपु दप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे कहतश्री हमैं-) तपुम तगो सदरा कहरा करतश्री रहीं हक शश्री ररामचमंद कप्रे समरान
मपुझकगो भरत भश्री प्यरारप्रे नहहीं हमैं, इस बरात कगो सराररा जगतम जरानतरा हहै। शश्री ररामचमंदजश्री
पर तगो तपुम स्वराभराहवक हश्री स्नप्रेह करतश्री रहश्री हगो। आज हकस अपरराध सप्रे उन्हमें वन दप्रेतश्री
हगो?॥3॥
* कबहह हूँ न हकयहह सवहत आरप्रेसपू। पश्रीहत पतश्रीहत जरान सबपु दप्रेसपू॥
करौसल्यराहूँ अब कराह हबगराररा। तपुम्ह जप्रेहह लराहग बज्र पपुर पराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तपुमनप्रे कभश्री सरौहतयराडराह नहहीं हकयरा। सराररा दप्रेश तपुम्हरारप्रे पप्रेम और हवश्वरास कगो
जरानतरा हहै। अब करौसल्यरा नप्रे तपुम्हराररा करौन सरा हबगराड कर हदयरा, हजसकप्रे करारर तपुमनप्रे
सरारप्रे नगर पर वज्र हगररा हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* सश्रीय हक हपय सहूँगपु पररहररहह लखनपु करहहहहहमं धराम।
रराजपु हक भपूहूँजब भरत पपुर नमृपपु हक हजइहह हबनपु रराम॥49॥
भरावरारर्ण:-क्यरा सश्रीतराजश्री अपनप्रे पहत (शश्री ररामचमंदजश्री) करा सरार छगोड दमेंगश्री? क्यरा
लक्ष्मरजश्री शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हबनरा घर रह सकमें गप्रे? क्यरा भरतजश्री शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे
हबनरा अयगोध्यरापपुरश्री करा रराज्य भगोग सकमें गप्रे? और क्यरा रराजरा शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हबनरा
जश्रीहवत रह सकमें गप्रे? (अररार्णतम न सश्रीतराजश्री यहराहूँ रहमेंगश्री, न लक्ष्मरजश्री रहमेंगप्रे, न भरतजश्री
रराज्य करमेंगप्रे और न रराजरा हश्री जश्रीहवत रहमेंगप्रे, सब उजराड हगो जराएगरा।)॥49॥
चरौपराई :
* अस हबचरारर उर छराडहह कगोहह। सगोक कलमंक कगोहठ जहन हगोहह॥
भरतहह अवहस दप्रेहह जपुबरराजपू। करानन कराह रराम कर कराजपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें ऐसरा हवचरार कर कगोध छगोड दगो, शगोक और कलमंक ककी कगोठश्री मत
बनगो। भरत कगो अवश्य यवपु रराजपद दगो, पर शश्री ररामचमंदजश्री करा वन ममें क्यरा कराम हहै?॥
1॥
* नराहहन ररामपु रराज कप्रे भपूखप्रे। धरम धपुरश्रीन हबषय रस रूखप्रे॥
गपुर गमृह बसहह हूँ ररामपु तहज गप्रेहह। नमृप सन अस बर दस पू र लप्रेहह॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री रराज्य कप्रे भपूखप्रे नहहीं हमैं। वप्रे धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे
और हवषय रस सप्रे रूखप्रे हमैं (अररार्णतम उनममें हवषयरासहक्त हहै हश्री नहहीं), इसहलए तपुम यह
शमंकरा न करगो हक शश्री ररामजश्री वन न गए तगो भरत कप्रे रराज्य ममें हवघ्न करमेंगप्रे, इतनप्रे
पर भश्री मन न मरानप्रे तगो) तपुम रराजरा सप्रे दस पू ररा ऐसरा (यह) वर लप्रे लगो हक शश्री रराम
घर छगोडकर गपुर कप्रे घर रहमें॥2॥
* जजौं नहहमं लहगहहह कहमें हमरारप्रे। नहहमं लराहगहह कछपु हरार तपुम्हरारप्रे॥
जजौं पररहरास ककीहन्ह कछपु हगोई। तरौ कहह पगट जनरावहह सगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो तपुम हमरारप्रे कहनप्रे पर न चलगोगश्री तगो तपुम्हरारप्रे हरार कपु छ भश्री न लगप्रेगरा। यहद
तपुमनप्रे कपु छ हहूँसश्री ककी हगो तगो उसप्रे पकट ममें कहकर जनरा दगो (हक ममैंनप्रे हदल्लगश्री ककी हहै)॥
3॥
* रराम सररस सपुत करानन जगोगपू। कराह कहहहह सपुहन तपुम्ह कहह हूँ लगोगपू॥
उठहह बप्रेहग सगोइ करहह उपराई। जप्रेहह हबहध सगोकपु कलमंकपु नसराई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराम सरश्रीखरा पपुत्र क्यरा वन कप्रे यगोग्य हहै? यह सपुनकर लगोग तपुम्हमें क्यरा कहमेंगप्रे!
जल्दश्री उठगो और वहश्री उपराय करगो हजस उपराय सप्रे इस शगोक और कलमंक करा नराश
हगो॥4॥
छमंद :
* जप्रेहह भराहूँहत सगोकपु कलमंकपु जराइ उपराय करर कपु ल परालहश्री।
हहठ फिप्रे र ररामहह जरात बन जहन बरात दस पू रर चरालहश्री॥
हजहम भरानपु हबनपु हदनपु परान हबनपु तनपु चमंद हबनपु हजहम जराहमनश्री।
हतहम अवध तपुलसश्रीदरास पभपु हबन समपुहझ धजौं हजयहूँ भरामनश्री॥
भरावरारर्ण:-हजस तरह (नगरभर करा) शगोक और (तपुम्हराररा) कलमंक हमटप्रे, वहश्री उपराय
करकप्रे कपु ल ककी रक्षरा कर। वन जरातप्रे हहए शश्री ररामजश्री कगो हठ करकप्रे लरौटरा लप्रे, दस पू रश्री
कगोई बरात न चलरा। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- जहैसप्रे सपूयर्ण कप्रे हबनरा हदन, परार कप्रे हबनरा
शरश्रीर और चमंदमरा कप्रे हबनरा ररात (हनजरव तररा शगोभराहश्रीन हगो जरातश्री हहै), वहैसप्रे हश्री शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे हबनरा अयगोध्यरा हगो जराएगश्री, हप्रे भराहमनश्री! तपू अपनप्रे हृदय ममें इस बरात कगो
समझ (हवचरारकर दप्रेख) तगो सहश्री।
सगोरठरा :
* सहखन्ह हसखरावनपु दश्रीन्ह सपुनत मधपुर पररनराम हहत।
तप्रेइहूँ कछपु करान न ककीन्ह कपु हटल पबगोधश्री कपू बरश्री॥50॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सहखयर नप्रे ऐसश्री सश्रीख दश्री जगो सपुननप्रे ममें मश्रीठश्री और परररराम ममें
हहतकरारश्री रश्री। पर कपु हटलरा कपु बरश्री ककी हसखराई-पढराई हह ई कहै कप्रे यश्री नप्रे इस पर जररा भश्री
करान नहहीं हदयरा॥50॥
चरौपराई :
* उतर न दप्रेइ दसपु ह ररस रूखश्री। ममृहगन्ह हचतव जनपु बराहघहन भपूखश्री॥
ब्यराहध असराहध जराहन हतन्ह त्यरागश्री। चलहीं कहत महतममंद अभरागश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कगोई उरर नहहीं दप्रेतश्री, वह दद्धाःपु सह कगोध कप्रे मरारप्रे रूखश्री (बप्रेमपुरव्वत) हगो
रहश्री हहै। ऐसप्रे दप्रेखतश्री हहै मरानगो भपूखश्री बराहघन हररहनयर कगो दप्रेख रहश्री हगो। तब सहखयर नप्रे
रगोग कगो असराध्य समझकर उसप्रे छगोड हदयरा। सब उसकगो ममंदबपुहद, अभराहगनश्री कहतश्री
हह ई चल दहीं॥1॥
* रराजपु करत यह दहैअहूँ हबगगोई। ककीन्हप्रेहस अस जस करइ न कगोई॥
एहह हबहध हबलपहहमं पपुर नर नरारहीं। दप्रेहहमं कपु चराहलहह कगोहटक गरारहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-रराज्य करतप्रे हह ए इस कहै कप्रे यश्री कगो दहैव नप्रे नष्टि कर हदयरा। इसनप्रे जहैसरा कपु छ
हकयरा, वहैसरा कगोई भश्री न करप्रेगरा! नगर कप्रे सब स्त्रश्री-पपुरष इस पकरार हवलराप कर रहप्रे
हमैं और उस कपु चरालश्री कहै कप्रे यश्री कगो करगोडर गराहलयराहूँ दप्रे रहप्रे हमैं॥2॥
* जरहहमं हबषम जर लप्रेहहमं उसरासरा। कवहन रराम हबनपु जश्रीवन आसरा॥
हबपपुल हबयगोग पजरा अकपु लरानश्री। जनपु जलचर गन सपूखत परानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-लगोग हवषम ज्वर (भयरानक दद्धाःपु ख ककी आग) सप्रे जल रहप्रे हमैं। लमंबश्री सराहूँसमें लप्रेतप्रे
हह ए वप्रे कहतप्रे हमैं हक शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हबनरा जश्रीनप्रे ककी करौन आशरा हहै। महरानम हवयगोग
(ककी आशमंकरा) सप्रे पजरा ऐसश्री व्यराकपुल हगो गई हहै मरानगो परानश्री सपूखनप्रे कप्रे समय जलचर
जश्रीवर करा समपुदराय व्यराकपुल हगो!॥3
शश्री रराम-करौसल्यरा समंवराद
* अहत हबषराद बस लगोग लगोगराई।मं गए मरातपु पहहमं ररामपु गगोसराई॥मं
मपुख पसन्न हचत चरौगपुन चराऊ। हमटरा सगोचपु जहन रराखहै रराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सभश्री पपुरष और हस्त्रयराहूँ अत्यमंत हवषराद कप्रे वश हगो रहप्रे हमैं। स्वरामश्री शश्री ररामचमंदजश्री
मरातरा करौसल्यरा कप्रे परास गए। उनकरा मपुख पसन्न हहै और हचर ममें चरौगपुनरा चराव
(उत्सराह) हहै। यह सगोच हमट गयरा हहै हक रराजरा कहहीं रख न लमें। (शश्री ररामजश्री कगो
रराजहतलक ककी बरात सपुनकर हवषराद हहआ ररा हक सब भराइयर कगो छगोडकर बडप्रे भराई
मपुझकगो हश्री रराजहतलक क्यर हगोतरा हहै। अब मरातरा कहै कप्रे यश्री ककी आजरा और हपतरा ककी मरौन
सम्महत पराकर वह सगोच हमट गयरा।)॥4॥
दगोहरा :
* नव गयमंदपु रघपुबश्रीर मनपु रराजपु अलरान समरान।
छपूट जराहन बन गवनपु सपुहन उर अनमंद पु अहधकरान॥51॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री करा मन नए पकडप्रे हह ए हरारश्री कप्रे समरान और रराजहतलक उस
हरारश्री कप्रे बराहूँधनप्रे ककी कराटहूँ प्रेदरार लगोहप्रे ककी बप्रेडश्री कप्रे समरान हहै। 'वन जरानरा हहै' यह सपुनकर,
अपनप्रे कगो बमंधन सप्रे छपू टरा जरानकर, उनकप्रे हृदय ममें आनमंद बढ गयरा हहै॥51॥
चरौपराई :
* रघपुकपुलहतलक जगोरर दगोउ हराररा। मपुहदत मरातपु पद नरायउ मराररा॥
दश्रीहन्ह असश्रीस लराइ उर लश्रीन्हप्रे। भपूषन बसन हनछरावरर ककीन्हप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल हतलक शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे दगोनर हरार जगोडकर आनमंद कप्रे सरार मरातरा कप्रे
चररर ममें हसर नवरायरा। मरातरा नप्रे आशश्रीवरार्णद हदयरा, अपनप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा और उन
पर गहनप्रे तररा कपडप्रे हनछरावर हकए॥1॥
* बरार-बरार मपुख चपुमंबहत मरातरा। नयन नप्रेह जलपु पपुलहकत गरातरा॥
गगोद रराहख पपुहन हृदयहूँ लगराए। स्रवत पप्रेमरस पयद सपुहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा बरार-बरार शश्री ररामचमंदजश्री करा मपुख चपूम रहश्री हमैं। नप्रेत्रर ममें पप्रेम करा जल भर
आयरा हहै और सब अमंग पपुलहकत हगो गए हमैं। शश्री रराम कगो अपनश्री गगोद ममें बहैठराकर हफिर
हृदय सप्रे लगरा हलयरा। सपुदमं र स्तन पप्रेमरस (दधपू ) बहरानप्रे लगप्रे॥2॥
* पप्रेमपु पमगोदपु न कछपु कहह जराई। रमंक धनद पदबश्री जनपु पराई॥
सरादर सपुदमं र बदनपु हनहरारश्री। बगोलश्री मधपुर बचन महतरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उनकरा पप्रेम और महरानम आनमंद कपु छ कहरा नहहीं जरातरा। मरानगो कमंगराल नप्रे कपु बप्रेर
करा पद परा हलयरा हगो। बडप्रे आदर कप्रे सरार सपुदमं र मपुख दप्रेखकर मरातरा मधपुर वचन
बगोलहीं-॥3॥
* कहहह तरात जननश्री बहलहरारश्री। कबहहमं लगन मपुद ममंगलकरारश्री॥
सपुकमृत सश्रील सपुख सश्रीवहूँ सपुहराई। जनम लराभ कइ अवहध अघराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! मरातरा बहलहरारश्री जरातश्री हहै, कहगो, वह आनमंद- ममंगलकरारश्री लग्नि कब
हहै, जगो मप्रेरप्रे पपुण्य, शश्रील और सपुख ककी सपुदमं र सश्रीमरा हहै और जन्म लप्रेनप्रे कप्रे लराभ ककी
पपूरर्णतम अवहध हहै,॥4॥
दगोहरा :
* जप्रेहह चराहत नर नरारर सब अहत आरत एहह भराहूँहत।
हजहम चरातक चरातहक तमृहषत बमृहष्टि सरद ररतपु स्वराहत॥52॥
भरावरारर्ण:-तररा हजस (लग्नि) कगो सभश्री स्त्रश्री-पपुरष अत्यमंत व्यराकपुलतरा सप्रे इस पकरार चराहतप्रे
हमैं हजस पकरार प्यरास सप्रे चरातक और चरातककी शरद म ऋतपु कप्रे स्वराहत नक्षत्र ककी वषरार्ण कगो
चराहतप्रे हमैं॥52॥
चरौपराई :
* तरात जराउहूँ बहल बप्रेहग नराहराहह। जगो मन भराव मधपुर कछपु खराहह॥
हपतपु समश्रीप तब जराएहह भहैआ। भइ बहड बरार जराइ बहल महैआ॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ममैं बलहैयरा लप्रेतश्री हह,हूँ तपुम जल्दश्री नहरा लगो और जगो मन भरावप्रे, कपु छ
हमठराई खरा लगो। भहैयरा! तब हपतरा कप्रे परास जरानरा। बहह त दप्रेर हगो गई हहै, मरातरा बहलहरारश्री
जरातश्री हहै॥1॥
* मरातपु बचन सपुहन अहत अनपुकपूलरा। जनपु सनप्रेह सपुरतर कप्रे फिपूलरा॥
सपुख मकरमंद भरप्रे हशयमपूलरा। हनरहख रराम मनपु भवहूँर न भपूलरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा कप्रे अत्यमंत अनपुकपूल वचन सपुनकर- जगो मरानगो स्नप्रेह रूपश्री कल्पवमृक्ष कप्रे
फिपूल रप्रे, जगो सपुख रूपश्री मकरन्द (पपुष्परस) सप्रे भरप्रे रप्रे और शश्री (रराजलक्ष्मश्री) कप्रे
मपूल रप्रे- ऐसप्रे वचन रूपश्री फिपूलर कगो दप्रेकर शश्री ररामचमंदजश्री करा मन रूपश्री भजौंररा उन पर
नहहीं भपूलरा॥2॥
* धरम धपुरश्रीन धरम गहत जरानश्री। कहप्रेउ मरातपु सन अहत ममृद पु बरानश्री॥
हपतराहूँ दश्रीन्ह मगोहह करानन रराजपू। जहहूँ सब भराहूँहत मगोर बड कराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-धमर्णधपुरश्रीर शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे धमर्ण ककी गहत कगो जरानकर मरातरा सप्रे अत्यमंत कगोमल
वरारश्री सप्रे कहरा- हप्रे मरातरा! हपतराजश्री नप्रे मपुझकगो वन करा रराज्य हदयरा हहै, जहराहूँ सब
पकरार सप्रे मप्रेररा बडरा कराम बननप्रे वरालरा हहै॥3॥
* आयसपु दप्रेहह मपुहदत मन मरातरा। जप्रेहहमं मपुद ममंगल करानन जरातरा॥
जहन सनप्रेह बस डरपहस भगोरमें। आनहूँद पु अमंब अनपुगह तगोरमें॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! तपू पसन्न मन सप्रे मपुझप्रे आजरा दप्रे, हजससप्रे मप्रेरश्री वन यरात्ररा ममें आनमंद-
ममंगल हगो। मप्रेरप्रे स्नप्रेहवश भपूलकर भश्री डरनरा नहहीं। हप्रे मरातरा! तप्रेरश्री कमृ परा सप्रे आनमंद हश्री
हगोगरा॥4॥
दगोहरा :
* बरष चराररदस हबहपन बहस करर हपतपु बचन पमरान।
आइ पराय पपुहन दप्रेहखहउहूँ मनपु जहन करहस मलरान॥53॥
भरावरारर्ण:-चरौदह वषर्ण वन ममें रहकर, हपतराजश्री कप्रे वचन कगो पमराहरत (सत्य) कर, हफिर
लरौटकर तप्रेरप्रे चररर करा दशर्णन करूहूँगरा, तपू मन कगो म्लरान (दद्धाःपु खश्री) न कर॥53॥
चरौपराई :
* बचन हबनश्रीत मधपुर रघपुबर कप्रे । सर सम लगप्रे मरातपु उर करकप्रे ॥
सहहम सपूहख सपुहन सश्रीतहल बरानश्री। हजहम जवरास परमें परावस परानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल ममें शप्रेष शश्री ररामजश्री कप्रे यप्रे बहह त हश्री नम्र और मश्रीठप्रे वचन मरातरा कप्रे
हृदय ममें बरार कप्रे समरान लगप्रे और कसकनप्रे लगप्रे। उस शश्रीतल वरारश्री कगो सपुनकर
करौसल्यरा वहैसप्रे हश्री सहमकर सपूख गई मं जहैसप्रे बरसरात करा परानश्री पडनप्रे सप्रे जवरासरा सपूख
जरातरा हहै॥1॥
* कहह न जराइ कछपु हृदय हबषराद।पू मनहह हूँ ममृगश्री सपुहन कप्रे हरर नराद॥पू
नयन सजल तन रर रर कराहूँपश्री। मराजहह खराइ मश्रीन जनपु मरापश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हृदय करा हवषराद कपु छ कहरा नहहीं जरातरा। मरानगो हसमंह ककी गजर्णनरा सपुनकर हहरनश्री
हवकल हगो गई हगो। नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा, शरश्रीर रर-रर कराहूँपनप्रे लगरा। मरानगो मछलश्री
मराहूँजरा (पहलश्री वषरार्ण करा फिप्रे न) खराकर बदहवरास हगो गई हगो!॥2॥
* धरर धश्रीरजपु सपुत बदनपु हनहरारश्री। गदगद बचन कहहत महतरारश्री॥
तरात हपतहह तपुम्ह परानहपआरप्रे। दप्रेहख मपुहदत हनत चररत तपुम्हरारप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-धश्रीरज धरकर, पपुत्र करा मपुख दप्रेखकर मरातरा गदगद वचन कहनप्रे लगहीं- हप्रे
तरात! तपुम तगो हपतरा कगो परारर कप्रे समरान हपय हगो। तपुम्हरारप्रे चररत्रर कगो दप्रेखकर वप्रे हनत्य
पसन्न हगोतप्रे रप्रे॥3॥
* रराजपु दप्रेन कहह हूँ सपुभ हदन सराधरा। कहप्रेउ जरान बन कप्रे हहमं अपरराधरा॥
तरात सपुनरावहह मगोहह हनदरानपू। कगो हदनकर कपु ल भयउ कमृ सरानपू॥4॥
भरावरारर्ण:-रराज्य दप्रेनप्रे कप्रे हलए उन्हरनप्रे हश्री शपुभ हदन शगोधवरायरा ररा। हफिर अब हकस
अपरराध सप्रे वन जरानप्रे कगो कहरा? हप्रे तरात! मपुझप्रे इसकरा करारर सपुनराओ! सपूयवर्ण मंश
(रूपश्री वन) कगो जलरानप्रे कप्रे हलए अहग्नि करौन हगो गयरा?॥4॥
दगोहरा :
* हनरहख रराम रख सहचवसपुत करारनपु कहप्रेउ बपुझराइ।
सपुहन पसमंगपु रहह मपूक हजहम दसरा बरहन नहहमं जराइ॥54॥
भरावरारर्ण:- तब शश्री ररामचन्दजश्री करा रख दप्रेखकर मन्त्रश्री कप्रे पपुत्र नप्रे सब करारर समझराकर
कहरा। उस पसमंग कगो सपुनकर वप्रे गपूहूँगश्री जहैसश्री (चपुप) रह गई,मं उनककी दशरा करा वरर्णन
नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥54॥
चरौपराई :
* रराहख न सकइ न कहह सक जराहह। दहपु ह हूँ भराहूँहत उर दरारन दराहह॥
हलखत सपुधराकर गरा हलहख रराहह। हबहध गहत बराम सदरा सब कराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-न रख हश्री सकतश्री हमैं, न यह कह सकतश्री हमैं हक वन चलप्रे जराओ। दगोनर हश्री
पकरार सप्रे हृदय ममें बडरा भरारश्री समंतराप हगो रहरा हहै। (मन ममें सगोचतश्री हमैं हक दप्रेखगो-)
हवधरातरा ककी चराल सदरा सबकप्रे हलए टप्रेढश्री हगोतश्री हहै। हलखनप्रे लगप्रे चन्दमरा और हलखरा गयरा
रराहह॥1॥
* धरम सनप्रेह उभयहूँ महत घप्रेरश्री। भइ गहत सराहूँप छपु छपु दमं रर कप्रे रश्री॥
रराखउहूँ सपुतहह करउहूँ अनपुरगोधपू। धरमपु जराइ अर बमंधपु हबरगोधपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-धमर्ण और स्नप्रेह दगोनर नप्रे करौसल्यराजश्री ककी बपुहद कगो घप्रेर हलयरा। उनककी दशरा
सराहूँप-छछपूहूँदर ककी सश्री हगो गई। वप्रे सगोचनप्रे लगहीं हक यहद ममैं अनपुरगोध (हठ) करकप्रे पपुत्र
कगो रख लप्रेतश्री हह हूँ तगो धमर्ण जरातरा हहै और भराइयर ममें हवरगोध हगोतरा हहै ,॥2॥
* कहउहूँ जरान बन तरौ बहड हरानश्री। समंकट सगोच हबबस भइ ररानश्री॥
बहह रर समपुहझ हतय धरमपु सयरानश्री। ररामपु भरतपु दगोउ सपुत सम जरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और यहद वन जरानप्रे कगो कहतश्री हह हूँ तगो बडश्री हराहन हगोतश्री हहै। इस पकरार कप्रे
धमर्णसमंकट ममें पडकर ररानश्री हवशप्रेष रूप सप्रे सगोच कप्रे वश हगो गई।मं हफिर बपुहदमतश्री
करौसल्यराजश्री स्त्रश्री धमर्ण (पराहतव्रत धमर्ण) कगो समझकर और रराम तररा भरत दगोनर पपुत्रर
कगो समरान जरानकर-॥3॥
* सरल सपुभराउ रराम महतरारश्री। बगोलश्री बचन धश्रीर धरर भरारश्री॥
तरात जराउहूँ बहल ककीन्हप्रेहह नश्रीकरा। हपतपु आयसपु सब धरमक टश्रीकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सरल स्वभराव वरालश्री शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा बडरा धश्रीरज धरकर वचन बगोलहीं-
हप्रे तरात! ममैं बहलहरारश्री जरातश्री हह हूँ, तपुमनप्रे अच्छरा हकयरा। हपतरा ककी आजरा करा परालन
करनरा हश्री सब धमर्मों करा हशरगोमहर धमर्ण हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* रराजपु दप्रेन कहहदश्रीन्ह बनपु मगोहह न सगो दख पु लप्रेसपु।
तपुम्ह हबनपु भरतहह भपूपहतहह पजहह पचमंड कलप्रेसपु॥ 55॥
भरावरारर्ण:-रराज्य दप्रेनप्रे कगो कहकर वन दप्रे हदयरा, उसकरा मपुझप्रे लप्रेशमरात्र भश्री दद्धाःपु ख नहहीं हहै।
(दद्धाःपु ख तगो इस बरात करा हहै हक) तपुम्हरारप्रे हबनरा भरत कगो, महरारराज कगो और पजरा कगो
बडरा भरारश्री कप्रे श हगोगरा॥55॥
चरौपराई :
* जजौं कप्रे वल हपतपु आयसपु तरातरा। तरौ जहन जराहह जराहन बहड मरातरा॥
जजौं हपतपु मरातपु कहप्रेउ बन जरानरा। तरौ करानन सत अवध समरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! यहद कप्रे वल हपतराजश्री ककी हश्री आजरा, हगो तगो मरातरा कगो (हपतरा सप्रे)
बडश्री जरानकर वन कगो मत जराओ, हकन्तपु यहद हपतरा-मरातरा दगोनर नप्रे वन जरानप्रे कगो कहरा
हगो, तगो वन तपुम्हरारप्रे हलए सहैकडर अयगोध्यरा कप्रे समरान हहै॥1॥
* हपतपु बनदप्रेव मरातपु बनदप्रेवश्री। खग ममृग चरन सरगोरह सप्रेवश्री॥
अमंतहह हूँ उहचत नमृपहह बनबरासपू। बय हबलगोहक हहयहूँ हगोइ हररास हूँ पू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वन कप्रे दप्रेवतरा तपुम्हरारप्रे हपतरा हरगप्रे और वनदप्रेहवयराहूँ मरातरा हरगश्री। वहराहूँ कप्रे पशपु-पक्षश्री
तपुम्हरारप्रे चररकमलर कप्रे सप्रेवक हरगप्रे। रराजरा कप्रे हलए अमंत ममें तगो वनवरास करनरा उहचत हश्री
हहै। कप्रे वल तपुम्हरारश्री (सपुकपुमरार) अवस्ररा दप्रेखकर हृदय ममें दद्धाःपु ख हगोतरा हहै॥2॥
* बडभरागश्री बनपु अवध अभरागश्री। जगो रघपुबस मं हतलक तपुम्ह त्यरागश्री॥
जजौं सपुत कहजौं समंग मगोहह लप्रेहह। तपुम्हरप्रे हृदयहूँ हगोइ समंदप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुवमंश कप्रे हतलक! वन बडरा भराग्यवरान हहै और यह अवध अभरागरा हहै ,
हजसप्रे तपुमनप्रे त्यराग हदयरा। हप्रे पपुत्र! यहद ममैं कहह हूँ हक मपुझप्रे भश्री सरार लप्रे चलगो तगो तपुम्हरारप्रे
हृदय ममें समंदप्रेह हगोगरा (हक मरातरा इसश्री बहरानप्रे मपुझप्रे रगोकनरा चराहतश्री हमैं)॥3॥
* पपूत परम हपय तपुम्ह सबहश्री कप्रे । परान परान कप्रे जश्रीवन जश्री कप्रे ॥
तप्रे तपुम्ह कहहह मरातपु बन जराऊहूँ। ममैं सपुहन बचन बहैहठ पहछतराऊहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पपुत्र! तपुम सभश्री कप्रे परम हपय हगो। परारर कप्रे परार और हृदय कप्रे जश्रीवन हगो।
वहश्री (परारराधरार) तपुम कहतप्रे हगो हक मरातरा! ममैं वन कगो जराऊहूँ और ममैं तपुम्हरारप्रे वचनर
कगो सपुनकर बहैठश्री पछतरातश्री हह हूँ!॥4॥
दगोहरा :
* यह हबचरारर नहहमं करउहूँ हठ झपूठ सनप्रेहह बढराइ।
मराहन मरातपु कर नरात बहल सपुरहत हबसरर जहन जराइ॥56॥
भरावरारर्ण:-यह सगोचकर झपूठरा स्नप्रेह बढराकर ममैं हठ नहहीं करतश्री ! बप्रेटरा! ममैं बलहैयरा लप्रेतश्री
हह हूँ, मरातरा करा नरातरा मरानकर मप्रेरश्री सपुध भपूल न जरानरा॥ 56॥
चरौपराई :
* दप्रेव हपतर सब तपुम्हहह गगोसराई।मं रराखहह हूँ पलक नयन ककी नराई॥मं
अवहध अमंबपु हपय पररजन मश्रीनरा। तपुम्ह करनराकर धरम धपुरश्रीनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे गगोसराई!मं सब दप्रेव और हपतर तपुम्हरारश्री वहैसश्री हश्री रक्षरा करमें , जहैसप्रे पलकमें
आहूँखर ककी रक्षरा करतश्री हमैं। तपुम्हरारप्रे वनवरास ककी अवहध (चरौदह वषर्ण) जल हहै, हपयजन
और कपु टपु म्बश्री मछलश्री हमैं। तपुम दयरा ककी खरान और धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे
हगो॥1॥
* अस हबचरारर सगोइ करहह उपराई। सबहह हजअत जप्रेहहमं भमेंटहह आई॥
जराहह सपुखप्रेन बनहह बहल जराऊहूँ। करर अनरार जन पररजन गराऊहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरारकर वहश्री उपराय करनरा, हजसममें सबकप्रे जश्रीतप्रे जश्री तपुम आ हमलगो। ममैं
बहलहरारश्री जरातश्री हह हूँ, तपुम सप्रेवकर, पररवरार वरालर और नगर भर कगो अनरार करकप्रे
सपुखपपूवर्णक वन कगो जराओ॥2॥
* सब कर आजपु सपुकमृत फिल बश्रीतरा। भयउ करराल करालपु हबपरश्रीतरा॥
बहह हबहध हबलहप चरन लपटरानश्री। परम अभराहगहन आपपुहह जरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आज सबकप्रे पपुण्यर करा फिल पपूररा हगो गयरा। कहठन कराल हमरारप्रे हवपरश्रीत हगो
गयरा। (इस पकरार) बहह त हवलराप करकप्रे और अपनप्रे कगो परम अभराहगनश्री जरानकर मरातरा
शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हलपट गई॥मं 3॥
* दरारन दसपु ह दराहह उर ब्यरापरा। बरहन न जराहहमं हबलराप कलरापरा॥
रराम उठराइ मरातपु उर लराई। कहह ममृद पु बचन बहह रर समपुझराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें भयरानक दद्धाःपु सह समंतराप छरा गयरा। उस समय कप्रे बहह हवध हवलराप करा
वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मरातरा कगो उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा
और हफिर कगोमल वचन कहकर उन्हमें समझरायरा॥4॥
दगोहरा :
* समराचरार तप्रेहह समय सपुहन सश्रीय उठश्री अकपु लराइ।
जराइ सरासपु पद कमल जपुग बमंहद बहैहठ हसर नराइ॥57॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय यह समराचरार सपुनकर सश्रीतराजश्री अकपु लरा उठहीं और सरास कप्रे परास
जराकर उनकप्रे दगोनर चररकमलर ककी वमंदनरा कर हसर नश्रीचरा करकप्रे बहैठ गई॥मं 57॥
चरौपराई :
* दश्रीहन्ह असश्रीस सरासपु ममृद पु बरानश्री। अहत सपुकपुमरारर दप्रेहख अकपु लरानश्री॥
बहैहठ नहमत मपुख सगोचहत सश्रीतरा। रूप रराहस पहत पप्रेम पपुनश्रीतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सरास नप्रे कगोमल वरारश्री सप्रे आशश्रीवरार्णद हदयरा। वप्रे सश्रीतराजश्री कगो अत्यन्त सपुकपु मरारश्री
दप्रेखकर व्यराकपुल हगो उठहीं। रूप ककी रराहश और पहत कप्रे सरार पहवत्र पप्रेम करनप्रे वरालश्री
सश्रीतराजश्री नश्रीचरा मपुख हकए बहैठश्री सगोच रहश्री हमैं॥ 1॥
* चलन चहत बन जश्रीवननरारपू। कप्रे हह सपुकमृतश्री सन हगोइहह सरारपू॥
ककी तनपु परान हक कप्रे वल परानरा। हबहध करतबपु कछपु जराइ न जरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जश्रीवननरार (परारनरार) वन कगो चलनरा चराहतप्रे हमैं। दप्रेख में हकस पपुण्यवरान सप्रे
उनकरा सरार हगोगरा- शरश्रीर और परार दगोनर सरार जराएहूँगप्रे यरा कप्रे वल परार हश्री सप्रे इनकरा
सरार हगोगरा? हवधरातरा ककी करनश्री कपु छ जरानश्री नहहीं जरातश्री॥2॥
* चरार चरन नख लप्रेखहत धरनश्री। नपूपपुर मपुखर मधपुर कहब बरनश्री॥
मनहह हूँ पप्रेम बस हबनतश्री करहहीं। हमहह सश्रीय पद जहन पररहरहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री अपनप्रे सपुदमं र चररर कप्रे नखर सप्रे धरतश्री कपु रप्रेद रहश्री हमैं। ऐसरा करतप्रे समय
नपूपपुरर करा जगो मधपुर शब्द हगो रहरा हहै, कहव उसकरा इस पकरार वरर्णन करतप्रे हमैं हक
मरानगो पप्रेम कप्रे वश हगोकर नपूपपुर यह हवनतश्री कर रहप्रे हमैं हक सश्रीतराजश्री कप्रे चरर कभश्री
हमराररा त्यराग न करमें॥3॥
* ममंजपु हबलगोचन मगोचहत बरारश्री। बगोलश्री दप्रेहख रराम महतरारश्री॥
तरात सपुनहह हसय अहत सपुकपुमरारश्री। सरास ससपुर पररजनहह हपआरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री सपुदमं र नप्रेत्रर सप्रे जल बहरा रहश्री हमैं। उनककी यह दशरा दप्रेखकर शश्री ररामजश्री
ककी मरातरा करौसल्यराजश्री बगोलहीं- हप्रे तरात! सपुनगो, सश्रीतरा अत्यन्त हश्री सपुकपुमरारश्री हमैं तररा
सरास, ससपुर और कपु टपु म्बश्री सभश्री कगो प्यरारश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हपतरा जनक भपूपराल महन ससपुर भरानपुकपुल भरानपु।
पहत रहबकपु ल कहै रव हबहपन हबधपु गपुन रूप हनधरानपु॥58॥
भरावरारर्ण:-इनकप्रे हपतरा जनकजश्री रराजराओमं कप्रे हशरगोमहर हमैं, ससपुर सपूयर्णकपुल कप्रे सपूयर्ण हमैं और
पहत सपूयर्णकपुल रूपश्री कपु मपुदवन कगो हखलरानप्रे वरालप्रे चन्दमरा तररा गपुर और रूप कप्रे भमंडरार
हमैं॥58॥
* ममैं पपुहन पपुत्रबधपू हपय पराई। रूप रराहस गपुन सश्रील सपुहराई॥
नयन पपुतरर करर पश्रीहत बढराई। रराखप्रेउहूँ परान जरानहकहहमं लराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर ममैंनप्रे रूप ककी रराहश, सपुदमं र गपुर और शश्रीलवरालश्री प्यरारश्री पपुत्रवधपू पराई हहै। ममैंनप्रे
इन (जरानककी) कगो आहूँखर ककी पपुतलश्री बनराकर इनसप्रे पप्रेम बढरायरा हहै और अपनप्रे परार
इनममें लगरा रखप्रे हमैं॥1॥
* कलपबप्रेहल हजहम बहह हबहध लरालश्री। सहींहच सनप्रेह सहलल पहतपरालश्री॥
फिपूलत फिलत भयउ हबहध बरामरा। जराहन न जराइ कराह पररनरामरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इन्हमें कल्पलतरा कप्रे समरान ममैंनप्रे बहह त तरह सप्रे बडप्रे लराड-चराव कप्रे सरार स्नप्रेह
रूपश्री जल सप्रे सहींचकर परालरा हहै। अब इस लतरा कप्रे फिपूलनप्रे-फिलनप्रे कप्रे समय हवधरातरा वराम
हगो गए। कपु छ जरानरा नहहीं जरातरा हक इसकरा क्यरा परररराम हगोगरा॥ 2॥
* पलहूँग पश्रीठ तहज गगोद हहमंडगोररा। हसयहूँ न दश्रीन्ह पगपु अवहन कठगोररा॥
हजअनमपूरर हजहम जगोगवत रहउहूँ। दश्रीप बराहत नहहमं टरारन कहऊहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरा नप्रे पयर्धांकपमृष (पलमंग कप्रे ऊपर), गगोद और हहमंडगोलप्रे कगो छगोडकर कठगोर
पमृथ्वश्री पर कभश्री पहैर नहहीं रखरा। ममैं सदरा समंजश्रीवनश्री जडश्री कप्रे समरान (सरावधरानश्री सप्रे)
इनककी रखवरालश्री करतश्री रहश्री हह।हूँ कभश्री दश्रीपक ककी बरश्री हटरानप्रे कगो भश्री नहहीं कहतश्री॥ 3॥
* सगोइ हसय चलन चहहत बन सराररा। आयसपु कराह हगोइ रघपुनराररा॥
चमंद हकरन रस रहसक चकगोरश्री। रहब रखनयन सकइ हकहम जगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वहश्री सश्रीतरा अब तपुम्हरारप्रे सरार वन चलनरा चराहतश्री हहै। हप्रे रघपुनरार ! उसप्रे क्यरा
आजरा हगोतश्री हहै? चन्दमरा ककी हकररर करा रस (अममृत) चराहनप्रे वरालश्री चकगोरश्री सपूयर्ण ककी
ओर आहूँख हकस तरह हमलरा सकतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* करर कप्रे हरर हनहसचर चरहहमं दष्टिपु जमंतपु बन भपूरर।
हबष बराहटकराहूँ हक सगोह सपुत सपुभग सजश्रीवहन मपूरर॥59॥
भरावरारर्ण:-हरारश्री, हसमंह, रराक्षस आहद अनप्रेक दष्टिपु जश्रीव-जन्तपु वन ममें हवचरतप्रे रहतप्रे हमैं। हप्रे
पपुत्र! क्यरा हवष ककी वराहटकरा ममें सपुमंदर समंजश्रीवनश्री बपूटश्री शगोभरा परा सकतश्री हहै ?॥59॥
चरौपराई :
* बन हहत कगोल हकररात हकसगोरश्री। रचहीं हबरमंहच हबषय सपुख भगोरश्री॥
पराहन कमृ हम हजहम कहठन सपुभराऊ। हतन्हहह कलप्रेसपु न करानन कराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-वन कप्रे हलए तगो ब्रहराजश्री नप्रे हवषय सपुख कगो न जराननप्रे वरालश्री कगोल और भश्रीलर
ककी लडहकयर कगो रचरा हहै, हजनकरा पत्रर कप्रे ककीडप्रे जहैसरा कठगोर स्वभराव हहै। उन्हमें वन
ममें कभश्री कप्रे श नहहीं हगोतरा॥1॥
* कहै तरापस हतय करानन जगोगपू। हजन्ह तप हप्रेतपु तजरा सब भगोगपू॥
हसय बन बहसहह तरात कप्रे हह भराहूँतश्री। हचत्रहलहखत कहप दप्रेहख डप्रेररातश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अरवरा तपहस्वयर ककी हस्त्रयराहूँ वन ममें रहनप्रे यगोग्य हमैं , हजन्हरनप्रे तपस्यरा कप्रे हलए
सब भगोग तज हदए हमैं। हप्रे पपुत्र! जगो तसवश्रीर कप्रे बमंदर कगो दप्रेखकर डर जरातश्री हमैं, वप्रे
सश्रीतरा वन ममें हकस तरह रह सकमें गश्री?॥2॥
* सपुरसर सपुभग बनज बन चरारश्री। डराबर जगोगपु हक हमंसकपु मरारश्री॥
अस हबचरारर जस आयसपु हगोई। ममैं हसख दप्रेउहूँ जरानहकहह सगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवसरगोवर कप्रे कमल वन ममें हवचरर करनप्रे वरालश्री हमंहसनश्री क्यरा गडहैयर (तलहैयर)
ममें रहनप्रे कप्रे यगोग्य हहै? ऐसरा हवचरार कर जहैसश्री तपुम्हरारश्री आजरा हगो, ममैं जरानककी कगो वहैसश्री
हश्री हशक्षरा दहूँ॥पू 3॥
* जजौं हसय भवन रहहै कह अमंबरा। मगोहह कहहूँ हगोइ बहह त अवलमंबरा॥
सपुहन रघपुबश्रीर मरातपु हपय बरानश्री। सश्रील सनप्रेह सपुधराहूँ जनपु सरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मरातरा कहतश्री हमैं- यहद सश्रीतरा घर ममें रहमें तगो मपुझकगो बहह त सहराररा हगो जराए। शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे मरातरा ककी हपय वरारश्री सपुनकर, जगो मरानगो शश्रील और स्नप्रेह रूपश्री अममृत सप्रे
सनश्री हह ई रश्री,॥4॥
दगोहरा :
* कहह हपय बचन हबबप्रेकमय ककीहन्ह मरातपु पररतगोष।
लगप्रे पबगोधन जरानहकहह पगहट हबहपन गपुन दगोष॥60॥
भरावरारर्ण:-हववप्रेकमय हपय वचन कहकर मरातरा कगो समंतपुष्टि हकयरा। हफिर वन कप्रे गपुर-दगोष
पकट करकप्रे वप्रे जरानककीजश्री कगो समझरानप्रे लगप्रे॥60॥

मरासपराररायर, चरौदहवराहूँ हवशराम


शश्री सश्रीतरा-रराम समंवराद
चरौपराई :
* मरातपु समश्रीप कहत सकपु चराहहीं। बगोलप्रे समउ समपुहझ मन मराहहीं॥
रराजकपु मरारर हसखरावनपु सपुनहह । आन भराहूँहत हजयहूँ जहन कछपु गपुनहह ॥1॥
भरावरारर्ण:-मरातरा कप्रे सरामनप्रे सश्रीतराजश्री सप्रे कपु छ कहनप्रे ममें सकपु चरातप्रे हमैं। पर मन ममें यह
समझकर हक यह समय ऐसरा हश्री हहै, वप्रे बगोलप्रे- हप्रे रराजकपु मरारश्री! मप्रेरश्री हसखरावन सपुनगो।
मन ममें कपु छ दस पू रश्री तरह न समझ लप्रेनरा॥1॥
* आपन मगोर नश्रीक जजौं चहहह । बचनपु हमरार मराहन गमृह रहहह ॥
आयसपु मगोर सरासपु सप्रेवकराई। सब हबहध भराहमहन भवन भलराई॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो अपनरा और मप्रेररा भलरा चराहतश्री हगो, तगो मप्रेररा वचन मरानकर घर रहगो। हप्रे
भराहमनश्री! मप्रेरश्री आजरा करा परालन हगोगरा, सरास ककी सप्रेवरा बन पडप्रेगश्री। घर रहनप्रे ममें सभश्री
पकरार सप्रे भलराई हहै॥2॥
* एहह तप्रे अहधक धरमपु नहहमं दज पू रा। सरादर सरासपु ससपुर पद पपूजरा॥
जब जब मरातपु कररहह सपुहध मगोरश्री। हगोइहह पप्रेम हबकल महत भगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आदरपपूवर्णक सरास-ससपुर कप्रे चररर ककी पपूजरा (सप्रेवरा) करनप्रे सप्रे बढकर दस पू ररा
कगोई धमर्ण नहहीं हहै। जब-जब मरातरा मपुझप्रे यराद करमेंगश्री और पप्रेम सप्रे व्यराकपु ल हगोनप्रे कप्रे करारर
उनककी बपुहद भगोलश्री हगो जराएगश्री (वप्रे अपनप्रे-आपकगो भपूल जराएहूँगश्री)॥3॥
* तब तब तपुम्ह कहह कररा पपुररानश्री। सपुदमं रर समपुझराएहह ममृदपु बरानश्री॥
कहउहूँ सपुभरायहूँ सपर सत मगोहश्री। सपुमपुहख मरातपु हहत रराखउहूँ तगोहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुदमं रश्री! तब-तब तपुम कगोमल वरारश्री सप्रे पपुररानश्री करराएहूँ कह-कहकर इन्हमें
समझरानरा। हप्रे सपुमपुहख! मपुझप्रे सहैकडर सरौगमंध हमैं, ममैं यह स्वभराव सप्रे हश्री कहतरा हह हूँ हक ममैं
तपुम्हमें कप्रे वल मरातरा कप्रे हलए हश्री घर पर रखतरा हह॥हूँ 4॥
दगोहरा :
* गपुर शपुहत समंमत धरम फिलपु पराइअ हबनहहमं कलप्रेस।
हठ बस सब समंकट सहप्रे गरालव नहहष नरप्रेस॥61॥
भरावरारर्ण:-(मप्रेरश्री आजरा मरानकर घर पर रहनप्रे सप्रे) गपुर और वप्रेद कप्रे दराररा सम्मत धमर्ण
(कप्रे आचरर) करा फिल तपुम्हमें हबनरा हश्री कप्रे श कप्रे हमल जरातरा हहै, हकन्तपु हठ कप्रे वश
हगोकर गरालव मपुहन और रराजरा नहह ष आहद सब नप्रे समंकट हश्री सहप्रे॥61॥
चरौपराई :
* ममैं पपुहन करर पवरान हपतपु बरानश्री। बप्रेहग हफिरब सपुनपु सपुमपुहख सयरानश्री॥
हदवस जरात नहहमं लराहगहह बराररा। सपुमंदरर हसखवनपु सपुनहह हमराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुमपुहख! हप्रे सयरानश्री! सपुनगो, ममैं भश्री हपतरा कप्रे वचन कगो सत्य करकप्रे शश्रीघ्र
हश्री लरौटपूहूँगरा। हदन जरातप्रे दप्रेर नहहीं लगप्रेगश्री। हप्रे सपुदमं रश्री ! हमरारश्री यह सश्रीख सपुनगो!॥1॥
* जजौं हठ करहह पप्रेम बस बरामरा। तरौ तपुम्ह दख पु पु पराउब पररनरामरा॥
कराननपु कहठन भयमंकर भरारश्री। घगोर घरामपु हहम बरारर बयरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे वरामरा! यहद पप्रेमवश हठ करगोगश्री, तगो तपुम परररराम ममें दद्धाःपु ख पराओगश्री। वन
बडरा कहठन (कप्रे शदरायक) और भयरानक हहै। वहराहूँ ककी धपूप, जराडरा, वषरार्ण और हवरा
सभश्री बडप्रे भयरानक हमैं॥2॥
* कपु स कमंटक मग कराहूँकर नरानरा। चलब पयरादहप्रे हमं हबनपु पदत्ररानरा॥
चरन कमल ममृद पु ममंजपु तपुम्हरारप्रे। मरारग अगम भपूहमधर भरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें कपु श, कराहूँटप्रे और बहह त सप्रे कमंकड हमैं। उन पर हबनरा जपूतप्रे कप्रे पहैदल
हश्री चलनरा हगोगरा। तपुम्हरारप्रे चररकमल कगोमल और सपुदमं र हमैं और ररास्तप्रे ममें बडप्रे -बडप्रे दगपु र्णम
पवर्णत हमैं॥3॥
* कमंदर खगोह नदहीं नद नरारप्रे। अगम अगराध न जराहहमं हनहरारप्रे॥
भरालपु बराघ बमृक कप्रे हरर नरागरा। करहहमं नराद सपुहन धश्रीरजपु भरागरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-पवर्णतर ककी गपुफिराएहूँ, खगोह (दरर्दे), नहदयराहूँ, नद और नरालप्रे ऐसप्रे अगम्य और
गहरप्रे हमैं हक उनककी ओर दप्रेखरा तक नहहीं जरातरा। रश्रीछ , बराघ, भप्रेहडयप्रे, हसमंह और हरारश्री
ऐसप्रे (भयरानक) शब्द करतप्रे हमैं हक उन्हमें सपुनकर धश्रीरज भराग जरातरा हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* भपूहम सयन बलकल बसन असनपु कमंद फिल मपूल।
तप्रे हक सदरा सब हदन हमलहहमं सबपुइ समय अनपुकपू ल॥62॥
भरावरारर्ण:-जमश्रीन पर सगोनरा, पप्रेडर ककी छराल कप्रे वस्त्र पहननरा और कमंद, मपूल, फिल करा
भगोजन करनरा हगोगरा। और वप्रे भश्री क्यरा सदरा सब हदन हमलमेंगप्रे ? सब कपु छ अपनप्रे-अपनप्रे
समय कप्रे अनपुकपूल हश्री हमल सकप्रे गरा॥62॥
चरौपराई :
* नर अहरार रजनश्रीचर चरहहीं। कपट बप्रेष हबहध कगोहटक करहहीं॥
लरागइ अहत पहरार कर परानश्री। हबहपन हबपहत नहहमं जराइ बखरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मनपुष्यर कगो खरानप्रे वरालप्रे हनशराचर (रराक्षस) हफिरतप्रे रहतप्रे हमैं। वप्रे करगोडर पकरार कप्रे
कपट रूप धरारर कर लप्रेतप्रे हमैं। पहराड करा परानश्री बहह त हश्री लगतरा हहै। वन ककी हवपहर
बखरानश्री नहहीं जरा सकतश्री॥1॥
* ब्यराल करराल हबहग बन घगोररा। हनहसचर हनकर नरारर नर चगोररा॥
डरपहहमं धश्रीर गहन सपुहध आएहूँ। ममृगलगोचहन तपुम्ह भश्रीर सपुभराएहूँ॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वन ममें भश्रीषर सपर्ण, भयरानक पक्षश्री और स्त्रश्री-पपुरषर कगो चपुररानप्रे वरालप्रे रराक्षसर कप्रे
झपुमंड कप्रे झपुमंड रहतप्रे हमैं। वन ककी (भयमंकरतरा) यराद आनप्रे मरात्र सप्रे धश्रीर पपुरष भश्री डर
जरातप्रे हमैं। हफिर हप्रे ममृगलगोचहन! तपुम तगो स्वभराव सप्रे हश्री डरपगोक हगो!॥2॥
* हमंसगवहन तपुम्ह नहहमं बन जगोगपू। सपुहन अपजसपु मगोहह दप्रेइहह लगोगपू॥
मरानस सहलल सपुधराहूँ पहतपरालश्री। हजअइ हक लवन पयगोहध मररालश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हमंसगमनश्री! तपुम वन कप्रे यगोग्य नहहीं हगो। तपुम्हरारप्रे वन जरानप्रे ककी बरात सपुनकर
लगोग मपुझप्रे अपयश दमेंगप्रे (बपुररा कहमेंगप्रे)। मरानसरगोवर कप्रे अममृत कप्रे समरान जल सप्रे परालश्री हहई
हमंहसनश्री कहहीं खरारप्रे समपुद ममें जश्री सकतश्री हहै॥3॥
* नव रसराल बन हबहरनसश्रीलरा। सगोह हक कगोहकल हबहपन करश्रीलरा॥
रहहह भवन अस हृदयहूँ हबचरारश्री। चमंदबदहन दख पु पु करानन भरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नवश्रीन आम कप्रे वन ममें हवहरार करनप्रे वरालश्री कगोयल क्यरा करश्रील कप्रे जमंगल ममें
शगोभरा परातश्री हहै? हप्रे चन्दमपुखश्री! हृदय ममें ऐसरा हवचरारकर तपुम घर हश्री पर रहगो। वन ममें
बडरा कष्टि हहै॥4॥
दगोहरा :
* सहज सपुहृद गपुर स्वराहम हसख जगो न करइ हसर मराहन।
सगो पहछतराइ अघराइ उर अवहस हगोइ हहत हराहन॥63॥
भरावरारर्ण:-स्वराभराहवक हश्री हहत चराहनप्रे वरालप्रे गपुर और स्वरामश्री ककी सश्रीख कगो जगो हसर
चढराकर नहहीं मरानतरा, वह हृदय ममें भरपप्रेट पछतरातरा हहै और उसकप्रे हहत ककी हराहन
अवश्य हगोतश्री हहै॥63॥
चरौपराई :
* सपुहन ममृद पु बचन मनगोहर हपय कप्रे । लगोचन लहलत भरप्रे जल हसय कप्रे ॥
सश्रीतल हसख दराहक भइ कहै समें। चकइहह सरद चमंद हनहस जहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-हपयतम कप्रे कगोमल तररा मनगोहर वचन सपुनकर सश्रीतराजश्री कप्रे सपुदमं र नप्रेत्र जल सप्रे
भर गए। शश्री ररामजश्री ककी यह शश्रीतल सश्रीख उनकगो कहै सश्री जलरानप्रे वरालश्री हह ई, जहैसप्रे चकवश्री
कगो शरद ऋतपु ककी चराहूँदनश्री ररात हगोतश्री हहै॥1॥
* उतर न आव हबकल बहैदप्रेहश्री। तजन चहत सपुहच स्वराहम सनप्रेहश्री॥
बरबस रगोहक हबलगोचन बरारश्री। धरर धश्रीरजपु उर अवहनकपु मरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री सप्रे कपु छ उरर दप्रेतप्रे नहहीं बनतरा, वप्रे यह सगोचकर व्यराकपुल हगो उठहीं
हक मप्रेरप्रे पहवत्र और पप्रेमश्री स्वरामश्री मपुझप्रे छगोड जरानरा चराहतप्रे हमैं। नप्रेत्रर कप्रे जल (आहूँसओ
पु मं)
कगो जबदर्णस्तश्री रगोककर वप्रे पमृथ्वश्री ककी कन्यरा सश्रीतराजश्री हृदय ममें धश्रीरज धरकर,॥2॥
* लराहग सरासपु पग कह कर जगोरश्री। छमहब दप्रेहब बहड अहबनय मगोरश्री।
दश्रीहन्ह परानपहत मगोहह हसख सगोई। जप्रेहह हबहध मगोर परम हहत हगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-सरास कप्रे पहैर लगकर, हरार जगोडकर कहनप्रे लगहीं- हप्रे दप्रेहव! मप्रेरश्री इस बडश्री
भरारश्री हढठराई कगो क्षमरा ककीहजए। मपुझप्रे परारपहत नप्रे वहश्री हशक्षरा दश्री हहै , हजससप्रे मप्रेररा परम
हहत हगो॥3॥
* ममैं पपुहन समपुहझ दश्रीहख मन मराहहीं। हपय हबयगोग सम द ख पु पु जग नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु ममैंनप्रे मन ममें समझकर दप्रेख हलयरा हक पहत कप्रे हवयगोग कप्रे समरान जगत
ममें कगोई दद्धाःपु ख नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* पराननरार करनरायतन सपुदमं र सपुखद सपुजरान।
तपुम्ह हबनपु रघपुकपुल कपु मपुद हबधपु सपुरपपुर नरक समरान॥64॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परारनरार! हप्रे दयरा कप्रे धराम! हप्रे सपुदमं र! हप्रे सपुखर कप्रे दप्रेनप्रे वरालप्रे! हप्रे
सपुजरान! हप्रे रघपुकपुल रूपश्री कपु मपुद कप्रे हखलरानप्रे वरालप्रे चन्दमरा! आपकप्रे हबनरा स्वगर्ण भश्री मप्रेरप्रे
हलए नरक कप्रे समरान हहै॥64॥
चरौपराई :
* मरातपु हपतरा भहगनश्री हपय भराई। हपय पररवरार सपुहृदय समपुदराई॥
सरासपु ससपुर गपुर सजन सहराई। सपुत सपुमंदर सपुसश्रील सपुखदराई॥1॥
भरावरारर्ण:-मरातरा, हपतरा, बहहन, प्यराररा भराई, प्यराररा पररवरार, हमत्रर करा समपुदराय,
सरास, ससपुर, गपुर, स्वजन (बन्धपु-बरामंधव), सहरायक और सपुमंदर, सपुशश्रील और सपुख
दप्रेनप्रे वरालरा पपुत्र-॥1॥
* जहहूँ लहगनरार नप्रेह अर नरातप्रे। हपय हबनपु हतयहह तरहनहह तप्रे तरातप्रे॥
तनपु धनपु धरामपु धरहन पपुर रराजपू। पहत हबहश्रीन सबपु सगोक समराजपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! जहराहूँ तक स्नप्रेह और नरातप्रे हमैं, पहत कप्रे हबनरा स्त्रश्री कगो सपूयर्ण सप्रे भश्री
बढकर तपरानप्रे वरालप्रे हमैं। शरश्रीर, धन, घर, पमृथ्वश्री, नगर और रराज्य, पहत कप्रे हबनरा
स्त्रश्री कप्रे हलए यह सब शगोक करा समराज हहै॥2॥
* भगोग रगोगसम भपूषन भरारू। जम जरातनरा सररस समंसरारू॥
पराननरार तपुम्ह हबनपु जग मराहहीं। मगो कहह हूँ सपुखद कतहह हूँ कछपु नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-भगोग रगोग कप्रे समरान हमैं, गहनप्रे भरार रूप हमैं और समंसरार यम यरातनरा (नरक
ककी पश्रीडरा) कप्रे समरान हहै। हप्रे परारनरार! आपकप्रे हबनरा जगत ममें मपुझप्रे कहहीं कपु छ भश्री
सपुखदरायश्री नहहीं हहै॥3॥
* हजय हबनपु दप्रेह नदश्री हबनपु बरारश्री। तहैहसअ नरार पपुरष हबनपु नरारश्री॥
नरार सकल सपुख सरार तपुम्हरारमें। सरद हबमल हबधपु बदनपु हनहरारमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हबनरा जश्रीव कप्रे दप्रेह और हबनरा जल कप्रे नदश्री, वहैसप्रे हश्री हप्रे नरार! हबनरा
पपुरष कप्रे स्त्रश्री हहै। हप्रे नरार! आपकप्रे सरार रहकर आपकरा शरद-म (पपूहरर्णमरा) कप्रे हनमर्णल
चन्दमरा कप्रे समरान मपुख दप्रेखनप्रे सप्रे मपुझप्रे समस्त सपुख पराप्त हरगप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* खग ममृग पररजन नगर बनपु बलकल हबमल दक पु पू ल।
नरार सरार सपुरसदन सम परनसराल सपुख मपूल॥65॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपकप्रे सरार पक्षश्री और पशपु हश्री मप्रेरप्रे कपु टपु म्बश्री हरगप्रे, वन हश्री नगर
और वमृक्षर ककी छराल हश्री हनमर्णल वस्त्र हरगप्रे और परर्णकपु टश्री (परर ककी बनश्री झगोपडश्री) हश्री
स्वगर्ण कप्रे समरान सपुखर ककी मपूल हगोगश्री॥65॥
चरौपराई :
* बनदप्रेबहीं बनदप्रेव उदराररा। कररहहहमं सरासपु ससपुर सम सराररा॥
कपु स हकसलय सराररश्री सपुहराई। पभपु सहूँग ममंजपु मनगोज तपुरराई॥1॥
भरावरारर्ण:-उदरार हृदय कप्रे वनदप्रेवश्री और वनदप्रेवतरा हश्री सरास-ससपुर कप्रे समरान मप्रेरश्री सरार-
समंभरार करमेंगप्रे और कपु शरा और परर ककी सपुमंदर सराररश्री (हबछरौनरा) हश्री पभपु कप्रे सरार
करामदप्रेव ककी मनगोहर तगोशक कप्रे समरान हगोगश्री॥1॥
* कमंद मपूल फिल अहमअ अहरारू। अवध सरौध सत सररस पहरारू॥
हछनपु-हछनपु पभपु पद कमल हबलगोककी। रहहहउहूँ मपुहदत हदवस हजहम कगोककी॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कन्द, मपूल और फिल हश्री अममृत कप्रे समरान आहरार हरगप्रे और (वन कप्रे ) पहराड
हश्री अयगोध्यरा कप्रे सहैकडर रराजमहलर कप्रे समरान हरगप्रे। क्षर-क्षर ममें पभपु कप्रे चरर कमलर
कगो दप्रेख-दप्रेखकर ममैं ऐसश्री आनमंहदत रहह हूँगश्री जहैसप्रे हदन ममें चकवश्री रहतश्री हहै॥2॥
* बन दख पु नरार कहप्रे बहह तप्रेरप्रे। भय हबषराद पररतराप घनप्रेरप्रे॥
पभपु हबयगोग लवलप्रेस समरानरा। सब हमहल हगोहहमं न कमृ पराहनधरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपनप्रे वन कप्रे बहह त सप्रे दद्धाःपु ख और बहह त सप्रे भय, हवषराद और
सन्तराप कहप्रे, परन्तपु हप्रे कमृ पराहनधरान! वप्रे सब हमलकर भश्री पभपु (आप) कप्रे हवयगोग (सप्रे
हगोनप्रे वरालप्रे दद्धाःपु ख) कप्रे लवलप्रेश कप्रे समरान भश्री नहहीं हगो सकतप्रे॥3॥
* अस हजयहूँ जराहन सपुजरान हसरगोमहन। लप्रेइअ समंग मगोहह छराहडअ जहन॥
हबनतश्री बहह त करजौं करा स्वरामश्री। करनरामय उर अमंतरजरामश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा जश्री ममें जरानकर, हप्रे सपुजरान हशरगोमहर! आप मपुझप्रे सरार लप्रे लश्रीहजए, यहराहूँ
न छगोहडए। हप्रे स्वरामश्री! ममैं अहधक क्यरा हवनतश्री करूहूँ? आप करररामय हमैं और सबकप्रे
हृदय कप्रे अमंदर ककी जराननप्रे वरालप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* रराहखअ अवध जगो अवहध लहग रहत न जहनअहहमं परान।
दश्रीनबमंधपु सपुदमं र सपुखद सश्रील सनप्रेह हनधरान॥66॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दश्रीनबन्धपु! हप्रे सपुदमं र! हप्रे सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे! हप्रे शश्रील और पप्रेम कप्रे भमंडरार!
यहद अवहध (चरौदह वषर्ण) तक मपुझप्रे अयगोध्यरा ममें रखतप्रे हमैं, तगो जरान लश्रीहजए हक मप्रेरप्रे
परार नहहीं रहमेंगप्रे॥66॥
चरौपराई :
* मगोहह मग चलत न हगोइहह हरारश्री। हछनपु हछनपु चरन सरगोज हनहरारश्री॥
सबहह भराहूँहत हपय सप्रेवरा कररहजौं। मरारग जहनत सकल शम हररहजौं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-क्षर-क्षर ममें आपकप्रे चरर कमलर कगो दप्रेखतप्रे रहनप्रे सप्रे मपुझप्रे मरागर्ण चलनप्रे ममें
रकरावट न हगोगश्री। हप्रे हपयतम! ममैं सभश्री पकरार सप्रे आपककी सप्रेवरा करूहूँगश्री और मरागर्ण
चलनप्रे सप्रे हगोनप्रे वरालश्री सरारश्री रकरावट कगो दरपू कर दहूँगपू श्री॥1॥
* पराय पखरारर बहैहठ तर छराहहीं। कररहउहूँ बराउ मपुहदत मन मराहहीं॥
शम कन सहहत स्यराम तनपु दप्रेख।में कहहूँ दख पु समउ परानपहत पप्रेख॥में 2॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे पहैर धगोकर, पप्रेडर ककी छरायरा ममें बहैठकर, मन ममें पसन्न हगोकर हवरा
करूहूँगश्री (पमंखरा झलपूहूँगश्री)। पसश्रीनप्रे ककी बपूहूँदर सहहत श्यराम शरश्रीर कगो दप्रेखकर परारपहत कप्रे
दशर्णन करतप्रे हह ए दद्धाःपु ख कप्रे हलए मपुझप्रे अवकराश हश्री कहराहूँ रहप्रेगरा॥2॥
* सम महह तमृन तरपल्लव डरासश्री। पराय पलगोहटहह सब हनहस दरासश्री॥
बरार बरार ममृद पु मपूरहत जगोहश्री। लराहगहह तरात बयरारर न मगोहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-समतल भपूहम पर घरास और पप्रेडर कप्रे परप्रे हबछराकर यह दरासश्री ररातभर आपकप्रे
चरर दबरावप्रेगश्री। बरार-बरार आपककी कगोमल मपूहतर्ण कगो दप्रेखकर मपुझकगो गरम हवरा भश्री न
लगप्रेगश्री॥3॥
* कगो पभपु सहूँग मगोहह हचतवहनहराररा। हसमंघबधपुहह हजहम ससक हसआररा॥
ममैं सपुकपुमरारर नरार बन जगोगपू। तपुम्हहह उहचत तप मगो कहह हूँ भगोगपू॥4॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे सरार (रहतप्रे) मप्रेरश्री ओर (आहूँख उठराकर) दप्रेखनप्रे वरालरा करौन हहै
(अररार्णत कगोई नहहीं दप्रेख सकतरा)! जहैसप्रे हसमंह ककी स्त्रश्री (हसमंहनश्री) कगो खरगगोश और
हसयरार नहहीं दप्रेख सकतप्रे। ममैं सपुकपुमरारश्री हह हूँ और नरार वन कप्रे यगोग्य हमैं? आपकगो तगो
तपस्यरा उहचत हहै और मपुझकगो हवषय भगोग?॥4॥
दगोहरा :
* ऐसप्रेउ बचन कठगोर सपुहन जजौं न हृदउ हबलगरान।
तरौ पभपु हबषम हबयगोग दख पु सहहहहहमं परावरहूँ परान॥67॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे कठगोर वचन सपुनकर भश्री जब मप्रेररा हृदय न फिटरा तगो, हप्रे पभपु! (मरालपूम
हगोतरा हहै) यप्रे परामर परार आपकप्रे हवयगोग करा भश्रीषर दद्धाःपु ख सहमेंगप्रे॥67॥
चरौपराई :
* अस कहह सश्रीय हबकल भइ भरारश्री। बचन हबयगोगपु न सककी सहूँभरारश्री॥
दप्रेहख दसरा रघपुपहत हजयहूँ जरानरा। हहठ रराख में नहहमं रराहखहह परानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर सश्रीतराजश्री बहह त हश्री व्यराकपुल हगो गई।मं वप्रे वचन कप्रे हवयगोग कगो भश्री न
सम्हराल सककीमं। (अररार्णत शरश्रीर सप्रे हवयगोग ककी बरात तगो अलग रहश्री , वचन सप्रे भश्री हवयगोग
ककी बरात सपुनकर वप्रे अत्यन्त हवकल हगो गई।मं ) उनककी यह दशरा दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री
नप्रे अपनप्रे जश्री ममें जरान हलयरा हक हठपपूवर्णक इन्हमें यहराहूँ रखनप्रे सप्रे यप्रे परारर कगो न रखमेंगश्री॥
1॥
* कहप्रेउ कमृ पराल भरानपुकपुलनराररा। पररहरर सगोचपु चलहह बन सराररा॥
नहहमं हबषराद कर अवसर आजपू। बप्रेहग करहह बन गवन समराजपू॥2॥
भरावरारर्ण:-तब कमृ परालपु, सपूयर्णकपुल कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कहरा हक सगोच छगोडकर
मप्रेरप्रे सरार वन कगो चलगो। आज हवषराद करनप्रे करा अवसर नहहीं हहै। तपुरमंत वनगमन ककी
तहैयरारश्री करगो॥2॥

शश्री रराम-करौसल्यरा-सश्रीतरा समंवराद


* कहह हपय बचन हपयरा समपुझराई। लगप्रे मरातपु पद आहसष पराई॥
बप्रेहग पजरा दख पु मप्रेटब आई। जननश्री हनठपु र हबसरर जहन जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हपय वचन कहकर हपयतमरा सश्रीतराजश्री कगो समझरायरा। हफिर
मरातरा कप्रे पहैरर लगकर आशश्रीवरार्णद पराप्त हकयरा। (मरातरा नप्रे कहरा-) बप्रेटरा! जल्दश्री लरौटकर
पजरा कप्रे दद्धाःपु ख कगो हमटरानरा और यह हनठपु र मरातरा तपुम्हमें भपूल न जराए!॥3॥
* हफिररहह दसरा हबहध बहह रर हक मगोरश्री। दप्रेहखहउहूँ नयन मनगोहर जगोरश्री।
सपुहदन सपुघरश्री तरात कब हगोइहह। जननश्री हजअत बदन हबधपु जगोइहह॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हवधरातरा! क्यरा मप्रेरश्री दशरा भश्री हफिर पलटप्रेगश्री? क्यरा अपनप्रे नप्रेत्रर सप्रे ममैं इस
मनगोहर जगोडश्री कगो हफिर दप्रेख पराऊहूँगश्री? हप्रे पपुत्र! वह सपुमंदर हदन और शपुभ घडश्री कब
हगोगश्री जब तपुम्हरारश्री जननश्री जश्रीतप्रे जश्री तपुम्हराररा चराहूँद सरा मपुखडरा हफिर दप्रेख प्रेगश्री!॥4॥
दगोहरा :
* बहह रर बच्छ कहह लरालपु कहह रघपुपहत रघपुबर तरात।
कबहहमं बगोलराइ लगराइ हहयहूँ हरहष हनरहखहउहूँ गरात॥68॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! 'वत्स' कहकर, 'लराल' कहकर, 'रघपुपहत' कहकर, 'रघपुवर'
कहकर, ममैं हफिर कब तपुम्हमें बपुलराकर हृदय सप्रे लगराऊहूँगश्री और हहषर्णत हगोकर तपुम्हरारप्रे अमंगर
कगो दप्रेखपूहूँगश्री!॥68॥
चरौपराई :
* लहख सनप्रेह करातरर महतरारश्री। बचनपु न आव हबकल भइ भरारश्री॥
रराम पबगोधपु ककीन्ह हबहध नरानरा। समउ सनप्रेहह न जराइ बखरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-यह दप्रेखकर हक मरातरा स्नप्रेह कप्रे मरारप्रे अधश्रीर हगो गई हमैं और इतनश्री अहधक
व्यराकपुल हमैं हक मपुहूँह सप्रे वचन नहहीं हनकलतरा। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे अनप्रेक पकरार सप्रे उन्हमें
समझरायरा। वह समय और स्नप्रेह वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥ 1॥
* तब जरानककी सरासपु पग लरागश्री। सपुहनअ मराय ममैं परम अभरागश्री॥
सप्रेवरा समय दहैअहूँ बनपु दश्रीन्हरा। मगोर मनगोररपु सफिल न ककीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तब जरानककीजश्री सरास कप्रे पराहूँव लगहीं और बगोलहीं- हप्रे मरातरा! सपुहनए, ममैं बडश्री
हश्री अभराहगनश्री हह।हूँ आपककी सप्रेवरा करनप्रे कप्रे समय दहैव नप्रे मपुझप्रे वनवरास दप्रे हदयरा। मप्रेररा
मनगोरर सफिल न हकयरा॥2॥
* तजब छगोभपु जहन छराहडअ छगोहह। करमपु कहठन कछपु दगोसपु न मगोहह॥
सपुहनहसय बचन सरासपु अकपु लरानश्री। दसरा कवहन हबहध कहजौं बखरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-आप क्षगोभ करा त्यराग कर दमें, परन्तपु कमृ परा न छगोहडएगरा। कमर्ण ककी गहत कहठन
हहै, मपुझप्रे भश्री कपु छ दगोष नहहीं हहै। सश्रीतराजश्री कप्रे वचन सपुनकर सरास व्यराकपुल हगो गई।मं
उनककी दशरा कगो ममैं हकस पकरार बखरान कर कहह हूँ!॥3॥
* बरारहहमं बरार लराइ उर लश्रीन्हश्री। धरर धश्रीरजपु हसख आहसष दश्रीन्हश्री॥
अचल हगोउ अहहवरातपु तपुम्हराररा। जब लहग गमंग जमपुन जल धराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे सश्रीतराजश्री कगो बरार-बरार हृदय सप्रे लगरायरा और धश्रीरज धरकर हशक्षरा दश्री
और आशश्रीवरार्णद हदयरा हक जब तक गमंगराजश्री और यमपुनराजश्री ममें जल ककी धराररा बहप्रे , तब
तक तपुम्हराररा सपुहराग अचल रहप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सश्रीतहह सरासपु आसश्रीस हसख दश्रीहन्ह अनप्रेक पकरार।
चलश्री नराइ पद पदमपु हसर अहत हहत बरारहहमं बरार॥69॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कगो सरास नप्रे अनप्रेकर पकरार सप्रे आशश्रीवरार्णद और हशक्षराएहूँ दहीं और वप्रे
(सश्रीतराजश्री) बडप्रे हश्री पप्रेम सप्रे बरार-बरार चररकमलर ममें हसर नवराकर चलहीं॥69॥

शश्री रराम-लक्ष्मर समंवराद


चरौपराई :
* समराचरार जब लहछमन पराए। ब्यराकपुल हबलख बदन उहठ धराए॥
कमंप पपुलक तन नयन सनश्रीररा। गहप्रे चरन अहत पप्रेम अधश्रीररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब लक्ष्मरजश्री नप्रे समराचरार पराए, तब वप्रे व्यराकपुल हगोकर उदरास मपुहूँह उठ दरौडप्रे।
शरश्रीर कराहूँप रहरा हहै, रगोमरामंच हगो रहरा हहै, नप्रेत्र आहूँसपुओमं सप्रे भरप्रे हमैं। पप्रेम सप्रे अत्यन्त
अधश्रीर हगोकर उन्हरनप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चरर पकड हलए॥1॥
* कहह न सकत कछपु हचतवत ठराढप्रे। मश्रीनपु दश्रीन जनपु जल तमें कराढप्रे॥
सगोचपु हृदयहूँ हबहध करा हगोहनहराररा। सबपु सपुखपु सपुकमृतपु हसररान हमराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे कपु छ कह नहहीं सकतप्रे, खडप्रे-खडप्रे दप्रेख रहप्रे हमैं। (ऐसप्रे दश्रीन हगो रहप्रे हमैं) मरानगो
जल सप्रे हनकरालप्रे जरानप्रे पर मछलश्री दश्रीन हगो रहश्री हगो। हृदय ममें यह सगोच हहै हक हप्रे
हवधरातरा! क्यरा हगोनप्रे वरालरा हहै? क्यरा हमराररा सब सपुख और पपुण्य पपूररा हगो गयरा?॥2॥
* मगो कहह हूँ कराह कहब रघपुनराररा। रहखहहहमं भवन हक लप्रेहहहमं सराररा॥
रराम हबलगोहक बमंधपु कर जगोरमें। दप्रेह गप्रेहसब सन तमृनपु तगोरमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मपुझकगो शश्री रघपुनरारजश्री क्यरा कहमेंगप्रे? घर पर रखमेंगप्रे यरा सरार लप्रे चलमेंगप्रे? शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे भराई लक्ष्मर कगो हरार जगोडप्रे और शरश्रीर तररा घर सभश्री सप्रे नरातरा तगोडप्रे
हह ए खडप्रे दप्रेखरा॥3॥
* बगोलप्रे बचनपु रराम नय नरागर। सश्रील सनप्रेह सरल सपुख सरागर॥
तरात पप्रेम बस जहन कदरराहह। समपुहझ हृदयहूँ पररनराम उछराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-तब नश्रीहत ममें हनपपुर और शश्रील, स्नप्रेह, सरलतरा और सपुख कप्रे समपुद शश्री
ररामचन्दजश्री वचन बगोलप्रे- हप्रे तरात! परररराम ममें हगोनप्रे वरालप्रे आनमंद कगो हृदय ममें समझकर
तपुम पप्रेमवश अधश्रीर मत हगोओ॥4॥
दगोहरा :
* मरातपु हपतरा गपुर स्वराहम हसख हसर धरर करहहमं सपुभरायहूँ।
लहप्रेउ लराभपु हतन्ह जनम कर नतर जनमपु जग जरायहूँ॥70॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग मरातरा, हपतरा, गपुर और स्वरामश्री ककी हशक्षरा कगो स्वराभराहवक हश्री हसर
चढराकर उसकरा परालन करतप्रे हमैं, उन्हरनप्रे हश्री जन्म लप्रेनप्रे करा लराभ परायरा हहै, नहहीं तगो
जगत ममें जन्म व्यरर्ण हश्री हहै॥70॥
चरौपराई :
* अस हजयहूँ जराहन सपुनहह हसख भराई। करहह मरातपु हपतपु पद सप्रेवकराई॥
भवन भरतपु ररपपुसपूदनपु नराहहीं। रराउ बमृद मम द ख पु पु मन मराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! हृदय ममें ऐसरा जरानकर मप्रेरश्री सश्रीख सपुनगो और मरातरा-हपतरा कप्रे चररर
ककी सप्रेवरा करगो। भरत और शत्रपुघ्न घर पर नहहीं हमैं , महरारराज वमृद हमैं और उनकप्रे मन
ममें मप्रेररा दद्धाःपु ख हहै॥1॥
* ममैं बन जराउहूँ तपुम्हहह लप्रेइ सराररा। हगोइ सबहह हबहध अवध अनराररा॥
गपुर हपतपु मरातपु पजरा पररवरारू। सब कहह हूँ परइ दसपु ह दख पु भरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-इस अवस्ररा ममें ममैं तपुमकगो सरार लप्रेकर वन जराऊहूँ तगो अयगोध्यरा सभश्री पकरार सप्रे
अनरार हगो जराएगश्री। गपुर, हपतरा, मरातरा, पजरा और पररवरार सभश्री पर दद्धाःपु ख करा दद्धाःपु सह
भरार आ पडप्रेगरा॥2॥
* रहहह करहह सब कर पररतगोषपू। नतर तरात हगोइहह बड दगोषपू॥
जरासपु रराज हपय पजरा दख पु रारश्री। सगो नमृपपु अवहस नरक अहधकरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः तपुम यहहीं रहगो और सबकरा समंतगोष करतप्रे रहगो। नहहीं तगो हप्रे तरात ! बडरा
दगोष हगोगरा। हजसकप्रे रराज्य ममें प्यरारश्री पजरा दद्धाःपु खश्री रहतश्री हहै, वह रराजरा अवश्य हश्री नरक
करा अहधकरारश्री हगोतरा हहै॥3॥
* रहहह तरात अहस नश्रीहत हबचरारश्री। सपुनत लखनपु भए ब्यराकपु ल भरारश्री॥
हसअरमें बचन सपूहख गए कहै समें। परसत तपुहहन तरामरसपु जहैसमें॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ऐसश्री नश्रीहत हवचरारकर तपुम घर रह जराओ। यह सपुनतप्रे हश्री लक्ष्मरजश्री
बहह त हश्री व्यराकपुल हगो गए! इन शश्रीतल वचनर सप्रे वप्रे कहै सप्रे सपूख गए, जहैसप्रे परालप्रे कप्रे
स्पशर्ण सप्रे कमल सपूख जरातरा हहै!॥4॥
दगोहरा :
* उतर न आवत पप्रेम बस गहप्रे चरन अकपु लराइ।
नरार दरासपु ममैं स्वराहम तपुम्ह तजहह त कराह बसराइ॥71॥
भरावरारर्ण:-पप्रेमवश लक्ष्मरजश्री सप्रे कपु छ उरर दप्रेतप्रे नहहीं बनतरा। उन्हरनप्रे व्यराकपुल हगोकर शश्री
ररामजश्री कप्रे चरर पकड हलए और कहरा- हप्रे नरार! ममैं दरास हह हूँ और आप स्वरामश्री हमैं,
अतद्धाः आप मपुझप्रे छगोड हश्री दमें तगो मप्रेररा क्यरा वश हहै ?॥71॥
चरौपराई :
* दश्रीहन्ह मगोहह हसख नश्रीहक गगोसराई।मं लराहग अगम अपनश्री कदरराई॥मं
नरबर धश्रीर धरम धपुर धरारश्री। हनगम नश्रीहत कहह हूँ तप्रे अहधकरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! आपनप्रे मपुझप्रे सश्रीख तगो बडश्री अच्छश्री दश्री हहै, पर मपुझप्रे अपनश्री
करायरतरा सप्रे वह मप्रेरप्रे हलए अगम (पहह हूँच कप्रे बराहर) लगश्री। शरास्त्र और नश्रीहत कप्रे तगो वप्रे
हश्री शप्रेष पपुरष अहधकरारश्री हमैं, जगो धश्रीर हमैं और धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे हमैं॥
1॥
* ममैं हससपु पभपु सनप्रेहहूँ पहतपरालरा। ममंदर मप्रेर हक लप्रेहहमं मररालरा॥
गपुर हपतपु मरातपु न जरानउहूँ कराहह। कहउहूँ सपुभराउ नरार पहतआहह ॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं तगो पभपु (आप) कप्रे स्नप्रेह ममें पलरा हह आ छगोटरा बचरा हह हूँ! कहहीं हमंस भश्री
ममंदरराचल यरा सपुमप्रेर पवर्णत कगो उठरा सकतप्रे हमैं ! हप्रे नरार! स्वभराव सप्रे हश्री कहतरा हह हूँ,
आप हवश्वरास करमें, ममैं आपकगो छगोडकर गपुर, हपतरा, मरातरा हकसश्री कगो भश्री नहहीं
जरानतरा॥2॥
* जहहूँ लहग जगत सनप्रेह सगराई। पश्रीहत पतश्रीहत हनगम हनजपु गराई॥
मगोरमें सबइ एक तपुम्ह स्वरामश्री। दश्रीनबमंधपु उर अमंतरजरामश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें जहराहूँ तक स्नप्रेह करा समंबधमं , पप्रेम और हवश्वरास हहै, हजनकगो स्वयमं वप्रेद
नप्रे गरायरा हहै- हप्रे स्वरामश्री! हप्रे दश्रीनबन्धपु! हप्रे सबकप्रे हृदय कप्रे अमंदर ककी जराननप्रे वरालप्रे! मप्रेरप्रे
तगो वप्रे सब कपु छ कप्रे वल आप हश्री हमैं॥3॥
* धरम नश्रीहत उपदप्रेहसअ तराहश्री। ककीरहत भपूहत सपुगहत हपय जराहश्री॥
मन कम बचन चरन रत हगोई। कमृ पराहसमंधपु पररहररअ हक सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-धमर्ण और नश्रीहत करा उपदप्रेश तगो उसकगो करनरा चराहहए, हजसप्रे ककीहतर्ण, हवभपूहत
(ऐश्वयर्ण) यरा सदहत प्यरारश्री हगो, हकन्तपु जगो मन, वचन और कमर्ण सप्रे चररर ममें हश्री पप्रेम
रखतरा हगो, हप्रे कमृ पराहसन्धपु! क्यरा वह भश्री त्यरागनप्रे कप्रे यगोग्य हहै?॥4॥
दगोहरा :
* करनराहसमंधपु सपुबमंधपु कप्रे सपुहन ममृद पु बचन हबनश्रीत।
समपुझराए उर लराइ पभपु जराहन सनप्रेहहूँ सभश्रीत॥72॥
भरावरारर्ण:- दयरा कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे भलप्रे भराई कप्रे कगोमल और नम्रतरायक्त
पु वचन
सपुनकर और उन्हमें स्नप्रेह कप्रे करारर डरप्रे हहए जरानकर, हृदय सप्रे लगराकर समझरायरा॥72॥
चरौपराई :
* मरागहह हबदरा मरातपु सन जराई। आवहह बप्रेहग चलहह बन भराई॥
मपुहदत भए सपुहन रघपुबर बरानश्री। भयउ लराभ बड गइ बहड हरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे भराई! जराकर मरातरा सप्रे हवदरा मराहूँग आओ और जल्दश्री वन
कगो चलगो! रघपुकपुल ममें शप्रेष शश्री ररामजश्री ककी वरारश्री सपुनकर लक्ष्मरजश्री आनमंहदत हगो गए।
बडश्री हराहन दरपू हगो गई और बडरा लराभ हहआ!॥1।

शश्री लक्ष्मर-सपुहमत्ररा समंवराद


* हरहषत हृदयहूँ मरातपु पहहमं आए। मनहह हूँ अमंध हफिरर लगोचन पराए॥
जराइ जनहन पग नरायउ मराररा। मनपु रघपुनमंदन जरानहक सराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हहषर्णत हृदय सप्रे मरातरा सपुहमत्रराजश्री कप्रे परास आए, मरानगो अमंधरा हफिर सप्रे नप्रेत्र परा
गयरा हगो। उन्हरनप्रे जराकर मरातरा कप्रे चररर ममें मस्तक नवरायरा, हकन्तपु उनकरा मन रघपुकपुल
कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री और जरानककीजश्री कप्रे सरार ररा॥2॥
* पपूछ हूँ प्रे मरातपु महलन मन दप्रेखश्री। लखन कहश्री सब कररा हबसप्रेषश्री।
गई सहहम सपुहन बचन कठगोररा। ममृगश्री दप्रेहख दव जनपु चहह हूँ ओररा॥3॥
भरावरारर्ण:-मरातरा नप्रे उदरास मन दप्रेखकर उनसप्रे (करारर) पपूछरा। लक्ष्मरजश्री नप्रे सब कररा
हवस्तरार सप्रे कह सपुनराई। सपुहमत्रराजश्री कठगोर वचनर कगो सपुनकर ऐसश्री सहम गई मं जहैसप्रे हहरनश्री
चरारर ओर वन ममें आग लगश्री दप्रेखकर सहम जरातश्री हहै॥3॥
* लखन लखप्रेउ भरा अनरर आजपू। एहहमं सनप्रेह सब करब अकराजपू॥
मरागत हबदरा सभय सकपु चराहहीं। जराइ समंग हबहध कहहहह हक नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मर नप्रे दप्रेखरा हक आज (अब) अनरर्ण हहआ। यप्रे स्नप्रेह वश कराम हबगराड
दमेंगश्री! इसहलए वप्रे हवदरा मराहूँगतप्रे हहए डर कप्रे मरारप्रे सकपु चरातप्रे हमैं (और मन हश्री मन सगोचतप्रे
हमैं) हक हप्रे हवधरातरा! मरातरा सरार जरानप्रे कगो कहमेंगश्री यरा नहहीं॥4॥
दगोहरा :
* समपुहझ सपुहमत्रराहूँ रराम हसय रूपपु सपुसश्रीलपु सपुभराउ।
नमृप सनप्रेहह लहख धपुनप्रेउ हसर पराहपहन दश्रीन्ह कपु दराउ॥73॥
भरावरारर्ण:-सपुहमत्रराजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री और शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे रूप, सपुदमं र शश्रील और स्वभराव
कगो समझकर और उन पर रराजरा करा पप्रेम दप्रेखकर अपनरा हसर धपुनरा (पश्रीटरा) और
कहरा हक पराहपनश्री कहै कप्रे यश्री नप्रे बपुरश्री तरह घरात लगरायरा॥73॥
चरौपराई :
* धश्रीरजपु धरप्रेउ कपु अवसर जरानश्री। सहज सपुहृद बगोलश्री ममृद पु बरानश्री॥
तरात तपुम्हरारर मरातपु बहैदहप्रे श्री। हपतरा ररामपु सब भराहूँहत सनप्रेहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु कपु समय जरानकर धहैयर्ण धरारर हकयरा और स्वभराव सप्रे हश्री हहत चराहनप्रे
वरालश्री सपुहमत्रराजश्री कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलहीं- हप्रे तरात! जरानककीजश्री तपुम्हरारश्री मरातरा हमैं और
सब पकरार सप्रे स्नप्रेह करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचन्दजश्री तपुम्हरारप्रे हपतरा हमैं !॥1॥
* अवध तहराहूँ जहहूँ रराम हनवरासपू। तहहूँइहूँ हदवसपु जहहूँ भरानपु पकरासपू॥
जजौं पहै सश्रीय ररामपु बन जराहहीं। अवध तपुम्हरार कराजपु कछपु नराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ शश्री ररामजश्री करा हनवरास हगो वहहीं अयगोध्यरा हहै। जहराहूँ सपूयर्ण करा पकराश हगो
वहहीं हदन हहै। यहद हनश्चय हश्री सश्रीतरा-रराम वन कगो जरातप्रे हमैं, तगो अयगोध्यरा ममें तपुम्हराररा
कपु छ भश्री कराम नहहीं हहै॥2॥
* गपुर हपतपु मरातपु बमंधपु सपुर सराई।मं सप्रेइअहहमं सकल परान ककी नराई॥मं
ररामपु परानहपय जश्रीवन जश्री कप्रे । स्वरारर रहहत सखरा सबहश्री कप्रे ॥3॥
भरावरारर्ण:-गपुर, हपतरा, मरातरा, भराई, दप्रेवतरा और स्वरामश्री, इन सबककी सप्रेवरा परार कप्रे
समरान करनश्री चराहहए। हफिर शश्री ररामचन्दजश्री तगो परारर कप्रे भश्री हपय हमैं, हृदय कप्रे भश्री
जश्रीवन हमैं और सभश्री कप्रे स्वरारर्णरहहत सखरा हमैं॥3॥
* पपूजनश्रीय हपय परम जहराहूँ तमें। सब मराहनअहहमं रराम कप्रे नरातमें॥
अस हजयहूँ जराहन समंग बन जराहह। लप्रेहह तरात जग जश्रीवन लराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें जहराहूँ तक पपूजनश्रीय और परम हपय लगोग हमैं , वप्रे सब ररामजश्री कप्रे नरातप्रे
सप्रे हश्री (पपूजनश्रीय और परम हपय) मराननप्रे यगोग्य हमैं। हृदय ममें ऐसरा जरानकर, हप्रे तरात!
उनकप्रे सरार वन जराओ और जगत ममें जश्रीनप्रे करा लराभ उठराओ !॥4॥
दगोहरा :
* भपूरर भराग भराजनपु भयहह मगोहह समप्रेत बहल जराउहूँ।
जजौं तपुम्हरमें मन छराहड छलपु ककीन्ह रराम पद ठराउहूँ॥ 74॥
भरावरारर्ण:-ममैं बहलहरारश्री जरातश्री हह,हूँ (हप्रे पपुत्र!) मप्रेरप्रे समप्रेत तपुम बडप्रे हश्री सरौभराग्य कप्रे परात्र
हह ए, जगो तपुम्हरारप्रे हचर नप्रे छल छगोडकर शश्री रराम कप्रे चररर ममें स्ररान पराप्त हकयरा हहै॥
74॥
चरौपराई :
* पपुत्रवतश्री जपुबतश्री जग सगोई। रघपुपहत भगतपु जरासपु सपुतपु हगोई॥
नतर बराहूँझ भहल बराहद हबआनश्री। रराम हबमपुख सपुत तमें हहत जरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-समंसरार ममें वहश्री यवपु तश्री स्त्रश्री पपुत्रवतश्री हहै, हजसकरा पपुत्र शश्री रघपुनरारजश्री करा भक्त
हगो। नहहीं तगो जगो रराम सप्रे हवमपुख पपुत्र सप्रे अपनरा हहत जरानतश्री हहै , वह तगो बराहूँझ हश्री
अच्छश्री। पशपु ककी भराहूँहत उसकरा ब्यरानरा (पपुत्र पसव करनरा) व्यरर्ण हश्री हहै॥1॥
* तपुम्हरप्रेहहमं भराग ररामपु बन जराहहीं। दस पू र हप्रेतपु तरात कछपु नराहहीं॥
सकल सपुकमृत कर बड फिलपु एहह । रराम सश्रीय पद सहज सनप्रेहह॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हरारप्रे हश्री भराग्य सप्रे शश्री ररामजश्री वन कगो जरा रहप्रे हमैं। हप्रे तरात ! दसपू ररा कगोई
करारर नहहीं हहै। सम्पपूरर्ण पपुण्यर करा सबसप्रे बडरा फिल यहश्री हहै हक शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे
चररर ममें स्वराभराहवक पप्रेम हगो॥2॥
* ररागपु रगोषपु इररषरा मद पु मगोहह। जहन सपनप्रेहहहूँ इन्ह कप्रे बस हगोहह॥
सकल पकरार हबकरार हबहराई। मन कम बचन करप्रेहह सप्रेवकराई॥3॥
भरावरारर्ण:-रराग, रगोष, ईषरार्ण, मद और मगोह- इनकप्रे वश स्वप्न ममें भश्री मत हगोनरा। सब
पकरार कप्रे हवकरारर करा त्यराग कर मन, वचन और कमर्ण सप्रे शश्री सश्रीतराररामजश्री ककी सप्रेवरा
करनरा॥3॥
* तपुम्ह कहह हूँ बन सब भराहूँहत सपुपरासपू। सहूँग हपतपु मरातपु ररामपु हसय जरासपू॥
जप्रेहहमं न ररामपु बन लहहहमं कलप्रेसपू। सपुत सगोइ करप्रेहह इहइ उपदप्रेसपू॥4॥
भरावरारर्ण:-तपुमकगो वन ममें सब पकरार सप्रे आरराम हहै, हजसकप्रे सरार शश्री ररामजश्री और
सश्रीतराजश्री रूप हपतरा-मरातरा हमैं। हप्रे पपुत्र! तपुम वहश्री करनरा हजससप्रे शश्री ररामचन्दजश्री वन ममें
कप्रे श न परावमें, मप्रेररा यहश्री उपदप्रेश हहै॥4॥
छन्द :
* उपदप्रेसपु यहह जप्रेहहमं तरात तपुम्हरप्रे रराम हसय सपुख परावहहीं।
हपतपु मरातपु हपय पररवरार पपुर सपुख सपुरहत बन हबसररावहहीं॥
तपुलसश्री पभपुहह हसख दप्रेइ आयसपु दश्रीन्ह पपुहन आहसष दई।
रहत हगोउ अहबरल अमल हसय रघपुबश्रीर पद हनत-हनत नई॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! मप्रेररा यहश्री उपदप्रेश हहै (अररार्णत तपुम वहश्री करनरा), हजससप्रे वन ममें
तपुम्हरारप्रे करारर शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री सपुख परावमें और हपतरा, मरातरा, हपय पररवरार
तररा नगर कप्रे सपुखर ककी यराद भपूल जराएहूँ। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक सपुहमत्रराजश्री नप्रे इस
पकरार हमरारप्रे पभपु (शश्री लक्ष्मरजश्री) कगो हशक्षरा दप्रेकर (वन जरानप्रे ककी) आजरा दश्री और
हफिर यह आशश्रीवरार्णद हदयरा हक शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री रघपुवश्रीरजश्री कप्रे चररर ममें तपुम्हराररा
हनमर्णल (हनष्कराम और अनन्य) एवमं पगराढ पप्रेम हनत-हनत नयरा हगो!
सगोरठरा :
* मरातपु चरन हसर नराइ चलप्रे तपुरत समंहकत हृदयहूँ।
बरागपुर हबषम तगोरराइ मनहह हूँ भराग ममृगपु भराग बस॥75॥
भरावरारर्ण:-मरातरा कप्रे चररर ममें हसर नवराकर, हृदय ममें डरतप्रे हह ए (हक अब भश्री कगोई हवघ्न
न आ जराए) लक्ष्मरजश्री तपुरमंत इस तरह चल हदए जहैसप्रे सरौभराग्यवश कगोई हहरन कहठन
फिमंदप्रे कगो तपुडराकर भराग हनकलरा हगो॥75॥
चरौपराई :
* गए लखनपु जहहूँ जरानहकनरारपू। भप्रे मन मपुहदत पराइ हपय सरारपू॥
बमंहद रराम हसय चरन सपुहराए। चलप्रे समंग नमृपममंहदर आए॥1॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री वहराहूँ गए जहराहूँ शश्री जरानककीनरारजश्री रप्रे और हपय करा सरार पराकर मन
ममें बडप्रे हश्री पसन्न हह ए। शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे सपुदमं र चररर ककी वमंदनरा करकप्रे वप्रे
उनकप्रे सरार चलप्रे और रराजभवन ममें आए॥1॥
* कहहहमं परसपर पपुर नर नरारश्री। भहल बनराइ हबहध बरात हबगरारश्री॥
तन कमृ स मन दख पु पु बदन मलश्रीनप्रे। हबकल मनहह हूँ मराखश्री मधपु छश्रीनप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष आपस ममें कह रहप्रे हमैं हक हवधरातरा नप्रे खपूब बनराकर बरात
हबगराडश्री! उनकप्रे शरश्रीर दबपु लप्रे, मन दद्धाःपु खश्री और मपुख उदरास हगो रहप्रे हमैं। वप्रे ऐसप्रे व्यराकपु ल
हमैं, जहैसप्रे शहद छश्रीन हलए जरानप्रे पर शहद ककी महक्खयराहूँ व्यराकपु ल हर॥2॥
* कर मश्रीजहहमं हसर धपुहन पहछतराहहीं। जनपु हबनपु पमंख हबहग अकपु लराहहीं॥
भइ बहड भश्रीर भपूप दरबराररा। बरहन न जराइ हबषराद पु अपराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-सब हरार मल रहप्रे हमैं और हसर धपुनकर (पश्रीटकर) पछतरा रहप्रे हमैं। मरानगो हबनरा
पमंख कप्रे पक्षश्री व्यराकपुल हगो रहप्रे हर। रराजदरार पर बडश्री भश्रीड हगो रहश्री हहै। अपरार हवषराद करा
वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥3॥

शश्री ररामजश्री, लक्ष्मरजश्री, सश्रीतराजश्री करा महरारराज दशरर कप्रे परास हवदरा मराहूँगनप्रे जरानरा,
दशररजश्री करा सश्रीतराजश्री कगो समझरानरा
* सहचवहूँ उठराइ रराउ बहैठरारप्रे। कहह हपय बचन ररामपु पगपु धरारप्रे॥
हसय समप्रेत दगोउ तनय हनहरारश्री। ब्यराकपुल भयउ भपूहमपहत भरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-'शश्री ररामजश्री पधरारप्रे हमैं', यप्रे हपय वचन कहकर ममंत्रश्री नप्रे रराजरा कगो उठराकर
बहैठरायरा। सश्रीतरा सहहत दगोनर पपुत्रर कगो (वन कप्रे हलए तहैयरार) दप्रेखकर रराजरा बहह त व्यराकपुल
हह ए॥4॥
दगोहरा :
* सश्रीय सहहत सपुत सपुभग दगोउ दप्रेहख दप्रेहख अकपु लराइ।
बरारहहमं बरार सनप्रेह बस रराउ लप्रेइ उर लराइ॥76॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरा सहहत दगोनर सपुदमं र पपुत्रर कगो दप्रेख-दप्रेखकर रराजरा अकपु लरातप्रे हमैं और स्नप्रेह
वश बरारमंबरार उन्हमें हृदय सप्रे लगरा लप्रेतप्रे हमैं॥76॥
चरौपराई :
* सकइ न बगोहल हबकल नरनराहह। सगोक जहनत उर दरारन दराहह॥
नराइ सश्रीसपु पद अहत अनपुररागरा। उहठ रघपुबश्रीर हबदरा तब मरागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा व्यराकपुल हमैं, बगोल नहहीं सकतप्रे। हृदय ममें शगोक सप्रे उत्पन्न हहआ भयरानक
सन्तराप हहै। तब रघपुकपुल कप्रे वश्रीर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे अत्यन्त पप्रेम सप्रे चररर ममें हसर
नवराकर उठकर हवदरा मराहूँगश्री-॥1॥
* हपतपु असश्रीस आयसपु मगोहह दश्रीजहै। हरष समय हबसमउ कत ककीजहै॥
तरात हकएहूँ हपय पप्रेम पमराद।पू जसपु जग जराइ हगोइ अपबराद॥पू 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपतराजश्री! मपुझप्रे आशश्रीवरार्णद और आजरा दश्रीहजए। हषर्ण कप्रे समय आप शगोक क्यर
कर रहप्रे हमैं? हप्रे तरात! हपय कप्रे पप्रेमवश पमराद (कतर्णव्यकमर्ण ममें त्रपुहट) करनप्रे सप्रे जगत
ममें यश जरातरा रहप्रेगरा और हनमंदरा हगोगश्री॥2॥
* सपुहन सनप्रेह बस उहठ नरनराहराहूँ। बहैठरारप्रे रघपुपहत गहह बराहराहूँ॥
सपुनहह तरात तपुम्ह कहह हूँ मपुहन कहहहीं। ररामपु चरराचर नरायक अहहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर स्नप्रेहवश रराजरा नप्रे उठकर शश्री रघपुनरारजश्री ककी बराहूँह पकडकर उन्हमें
बहैठरा हलयरा और कहरा- हप्रे तरात! सपुनगो, तपुम्हरारप्रे हलए मपुहन लगोग कहतप्रे हमैं हक शश्री रराम
चरराचर कप्रे स्वरामश्री हमैं॥3॥
* सपुभ अर असपुभ करम अनपुहरारश्री। ईसपु दप्रेइ फिलपु हृदयहूँ हबचरारश्री॥
करइ जगो करम पराव फिल सगोई। हनगम नश्रीहत अहस कह सबपु कगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-शपुभ और अशपुभ कमर्मों कप्रे अनपुसरार ईश्वर हृदय ममें हवचरारकर फिल दप्रेतरा हहै,
जगो कमर्ण करतरा हहै, वहश्री फिल परातरा हहै। ऐसश्री वप्रेद ककी नश्रीहत हहै, यह सब कगोई कहतप्रे
हमैं॥4॥
दगोहरा :
*और करहै अपरराधपु कगोउ और पराव फिल भगोगपु।
अहत हबहचत्र भगवमंत गहत कगो जग जरानहै जगोगपु॥77॥
भरावरारर्ण:-(हकन्तपु इस अवसर पर तगो इसकप्रे हवपरश्रीत हगो रहरा हहै,) अपरराध तगो कगोई
और हश्री करप्रे और उसकप्रे फिल करा भगोग कगोई और हश्री परावप्रे। भगवरान ककी लश्रीलरा बडश्री
हश्री हवहचत्र हहै, उसप्रे जराननप्रे यगोग्य जगत ममें करौन हहै?॥77॥
चरौपराई :
* ररायहूँ रराम रराखन हहत लरागश्री। बहह त उपराय हकए छलपु त्यरागश्री॥
लखश्री रराम रख रहत न जरानप्रे। धरम धपुरमंधर धश्रीर सयरानप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे इस पकरार शश्री ररामचन्दजश्री कगो रखनप्रे कप्रे हलए छल छगोडकर बहह त सप्रे
उपराय हकए, पर जब उन्हरनप्रे धमर्णधपुरमंधर, धश्रीर और बपुहदमरान शश्री ररामजश्री करा रख दप्रेख
हलयरा और वप्रे रहतप्रे हह ए न जरान पडप्रे,॥1॥
* तब नमृप सश्रीय लराइ उर लश्रीन्हश्री। अहत हहत बहह त भराहूँहत हसख दश्रीन्हश्री॥
कहह बन कप्रे दख पु दसपु ह सपुनराए। सरासपु ससपुर हपतपु सपुख समपुझराए॥2॥
भरावरारर्ण:-तब रराजरा नप्रे सश्रीतराजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा और बडप्रे पप्रेम सप्रे बहह त पकरार
ककी हशक्षरा दश्री। वन कप्रे दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख कहकर सपुनराए। हफिर सरास, ससपुर तररा हपतरा कप्रे
(परास रहनप्रे कप्रे ) सपुखर कगो समझरायरा॥2॥
* हसय मनपु रराम चरन अनपुररागरा। घरन सपुगमपु बनपु हबषमपु न लरागरा॥
औरउ सबहहमं सश्रीय समपुझराई। कहह कहह हबहपन हबपहत अहधकराई॥3॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु सश्रीतराजश्री करा मन शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें अनपुरक्त ररा, इसहलए
उन्हमें घर अच्छरा नहहीं लगरा और न वन भयरानक लगरा। हफिर और सब लगोगर नप्रे भश्री
वन ममें हवपहरयर ककी अहधकतरा बतरा-बतराकर सश्रीतराजश्री कगो समझरायरा॥3॥
* सहचव नरारर गपुर नरारर सयरानश्री। सहहत सनप्रेह कहहहमं ममृद पु बरानश्री॥
तपुम्ह कहह हूँ तरौ न दश्रीन्ह बनबरासपू। करहह जगो कहहहमं ससपुर गपुर सरासपू॥4॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री सपुममंत्रजश्री ककी पत्नश्री और गपुर वहशषजश्री ककी स्त्रश्री अरमं धतश्रीजश्री तररा और भश्री
चतपुर हस्त्रयराहूँ स्नप्रेह कप्रे सरार कगोमल वरारश्री सप्रे कहतश्री हमैं हक तपुमकगो तगो (रराजरा नप्रे)
वनवरास हदयरा नहहीं हहै, इसहलए जगो ससपुर, गपुर और सरास कहमें, तपुम तगो वहश्री करगो॥
4॥
दगोहरा :
* हसख सश्रीतहल हहत मधपुर ममृद पु सपुहन सश्रीतहह न सगोहराहन।
सरद चमंद चमंहदहन लगत जनपु चकई अकपु लराहन॥78॥
भरावरारर्ण:-यह शश्रीतल, हहतकरारश्री, मधपुर और कगोमल सश्रीख सपुननप्रे पर सश्रीतराजश्री कगो
अच्छश्री नहहीं लगश्री। (वप्रे इस पकरार व्यराकपुल हगो गई)मं मरानगो शरद ऋतपु कप्रे चन्दमरा ककी
चराहूँदनश्री लगतप्रे हश्री चकई व्यराकपुल हगो उठश्री हगो॥78॥
चरौपराई :
* सश्रीय सकपु च बस उतर न दप्रेई। सगो सपुहन तमहक उठश्री कहै कप्रे ई॥
मपुहन पट भपूषन भराजन आनश्री। आगमें धरर बगोलश्री ममृद पु बरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री समंकगोचवश उरर नहहीं दप्रेतहीं। इन बरातर कगो सपुनकर कहै कप्रे यश्री तमककर
उठश्री। उसनप्रे मपुहनयर कप्रे वस्त्र, आभपूषर (मरालरा, मप्रेखलरा आहद) और बतर्णन (कमण्डलपु
आहद) लराकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे आगप्रे रख हदए और कगोमल वरारश्री सप्रे कहरा-॥1॥
* नमृपहह परानहपय तपुम्ह रघपुबश्रीररा। सश्रील सनप्रेह न छराहडहह भश्रीररा॥
सपुकमृतपु सपुजसपु परलगोकपु नसराऊ। तपुम्हहह जरान बन कहहहह न कराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुवश्रीर! रराजरा कगो तपुम परारर कप्रे समरान हपय हगो। भश्रीर (पप्रेमवश दबपु र्णल
हृदय कप्रे ) रराजरा शश्रील और स्नप्रेह नहहीं छगोडमेंगप्रे! पपुण्य, सपुमंदर यश और परलगोक चराहप्रे
नष्टि हप्रे जराए, पर तपुम्हमें वन जरानप्रे कगो वप्रे कभश्री न कहमेंगप्रे॥ 2॥
* अस हबचरारर सगोइ करहह जगो भरावरा। रराम जनहन हसख सपुहन सपुख पु परावरा॥
भपूपहह बचन बरानसम लरागप्रे। करहहमं न परान पयरान अभरागप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरारकर जगो तपुम्हमें अच्छरा लगप्रे वहश्री करगो। मरातरा ककी सश्रीख सपुनकर शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे (बडरा) सपुख परायरा, परन्तपु रराजरा कगो यप्रे वचन बरार कप्रे समरान लगप्रे। (वप्रे
सगोचनप्रे लगप्रे) अब भश्री अभरागप्रे परार (क्यर) नहहीं हनकलतप्रे!॥3॥
* लगोग हबकल मपुरहछत नरनराहह। कराह कररअ कछपु सपूझ न कराहह॥
ररामपु तपुरत मपुहन बप्रेषपु बनराई। चलप्रे जनक जनहनहह हसर नराई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा मपूहछर्णत हगो गए, लगोग व्यराकपुल हमैं। हकसश्री कगो कपु छ सपूझ नहहीं पडतरा हक
क्यरा करमें। शश्री ररामचन्दजश्री तपुरमंत मपुहन करा वप्रेष बनराकर और मरातरा-हपतरा कगो हसर नवराकर
चल हदए॥4॥

शश्री रराम-सश्रीतरा-लक्ष्मर करा वन गमन और नगर हनवराहसयर कगो सगोए छगोडकर आगप्रे
बढनरा
दगोहरा :
* सहज बन सराजपु समराजपु सबपु बहनतरा बमंधपु समप्रेत।
बमंहद हबप गपुर चरन पभपु चलप्रे करर सबहह अचप्रेत॥79॥
भरावरारर्ण:-वन करा सब सराज-सरामरान सजकर (वन कप्रे हलए आवश्यक वस्तपुओमं कगो सरार
लप्रेकर) शश्री ररामचन्दजश्री स्त्रश्री (शश्री सश्रीतराजश्री) और भराई (लक्ष्मरजश्री) सहहत, ब्रराहर
और गपुर कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे सबकगो अचप्रेत करकप्रे चलप्रे॥79॥
चरौपराई :
* हनकहस बहसष दरार भए ठराढप्रे। दप्रेखप्रे लगोग हबरह दव दराढप्रे॥
कहह हपय बचन सकल समपुझराए। हबप बमृदमं रघपुबश्रीर बगोलराए॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजमहल सप्रे हनकलकर शश्री ररामचन्दजश्री वहशषजश्री कप्रे दरवराजप्रे पर जरा खडप्रे हहए
और दप्रेखरा हक सब लगोग हवरह ककी अहग्नि ममें जल रहप्रे हमैं। उन्हरनप्रे हपय वचन कहकर
सबकगो समझरायरा, हफिर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे ब्रराहरर ककी ममंडलश्री कगो बपुलरायरा॥ 1॥
* गपुर सन कहह बरषरासन दश्रीन्हप्रे। आदर दरान हबनय बस ककीन्हप्रे॥
जराचक दरान मरान समंतगोषप्रे। मश्रीत पपुनश्रीत पप्रेम पररतगोषप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री सप्रे कहकर उन सबकगो वषरार्णशन (वषर्णभर करा भगोजन) हदए और आदर,
दरान तररा हवनय सप्रे उन्हमें वश ममें कर हलयरा। हफिर यराचकर कगो दरान और मरान दप्रेकर
समंतपुष्टि हकयरा तररा हमत्रर कगो पहवत्र पप्रेम सप्रे पसन्न हकयरा॥ 2॥
* दरासहीं दरास बगोलराइ बहगोरश्री। गपुरहह सजौंहप बगोलप्रे कर जगोरश्री॥
सब कहै सरार सहूँभरार गगोसराई।मं करहब जनक जननश्री ककी नराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर दरास-दराहसयर कगो बपुलराकर उन्हमें गपुरजश्री कगो सजौंपकर, हरार जगोडकर बगोलप्रे-
हप्रे गपुसराई!मं इन सबककी मरातरा-हपतरा कप्रे समरान सरार-समंभरार (दप्रेख-रप्रेख) करतप्रे रहहएगरा॥
3॥
* बरारहहमं बरार जगोरर जपुग परानश्री। कहत ररामपु सब सन ममृद पु बरानश्री॥
सगोइ सब भराहूँहत मगोर हहतकरारश्री। जप्रेहह तमें रहहै भपुआल सपुखरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री बरार-बरार दगोनर हरार जगोडकर सबसप्रे कगोमल वरारश्री कहतप्रे हमैं हक
मप्रेररा सब पकरार सप्रे हहतकरारश्री हमत्र वहश्री हगोगरा, हजसककी चप्रेष्टिरा सप्रे महरारराज सपुखश्री रहमें॥4॥
दगोहरा :
* मरातपु सकल मगोरप्रे हबरहहूँ जप्रेहहमं न हगोहहमं द ख पु दश्रीन।
सगोइ उपराउ तपुम्ह करप्रेहह सब पपुर जन परम पबश्रीन॥80॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परम चतपुर पपुरवरासश्री सजनर! आप लगोग सब वहश्री उपराए ककीहजएगरा, हजससप्रे
मप्रेरश्री सब मरातराएहूँ मप्रेरप्रे हवरह कप्रे दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री न हर॥80॥
चरौपराई :
* एहह हबहध रराम सबहह समपुझरावरा। गपुर पद पद मपु हरहष हसर नरावरा॥
गनपहत गरौरर हगरश्रीसपु मनराई। चलप्रे असश्रीस पराइ रघपुरराई॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार शश्री ररामजश्री नप्रे सबकगो समझरायरा और हहषर्णत हगोकर गपुरजश्री कप्रे
चररकमलर ममें हसर नवरायरा। हफिर गरप्रेशजश्री, परावर्णतश्रीजश्री और कहै लरासपहत महरादप्रेवजश्री कगो
मनराकर तररा आशश्रीवरार्णद पराकर शश्री रघपुनरारजश्री चलप्रे॥1॥
* रराम चलत अहत भयउ हबषराद।पू सपुहन न जराइ पपुर आरत नराद॥पू
कपु सगपुन लमंक अवध अहत सगोकपू। हरष हबषराद हबबस सपुरलगोकपू॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे चलतप्रे हश्री बडरा भरारश्री हवषराद हगो गयरा। नगर करा आतर्णनराद
(हराहराकर) सपुनरा नहहीं जरातरा। लमंकरा ममें बपुरप्रे शकपु न हगोनप्रे लगप्रे, अयगोध्यरा ममें अत्यन्त शगोक
छरा गयरा और दप्रेवलगोक ममें सब हषर्ण और हवषराद दगोनर कप्रे वश ममें गए। (हषर्ण इस बरात
करा ररा हक अब रराक्षसर करा नराश हगोगरा और हवषराद अयगोध्यरावराहसयर कप्रे शगोक कप्रे
करारर ररा)॥2॥
* गइ मपुरछरा तब भपूपहत जरागप्रे। बगोहल सपुममंत्रपु कहन अस लरागप्रे॥
ररामपु चलप्रे बन परान न जराहहीं। कप्रे हह सपुख लराहग रहत तन मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-मपूछरार्ण दरपू हह ई, तब रराजरा जरागप्रे और सपुममंत्र कगो बपुलराकर ऐसरा कहनप्रे लगप्रे - शश्री
रराम वन कगो चलप्रे गए, पर मप्रेरप्रे परार नहहीं जरा रहप्रे हमैं। न जरानप्रे यप्रे हकस सपुख कप्रे हलए
शरश्रीर ममें हटक रहप्रे हमैं॥3॥
* एहह तमें कवन ब्यररा बलवरानरा। जगो दख पु पु पराइ तजहहमं तनपु परानरा॥
पपुहन धरर धश्रीर कहइ नरनराहह। लहै ररपु समंग सखरा तपुम्ह जराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-इससप्रे अहधक बलवतश्री और करौन सश्री व्यररा हगोगश्री, हजस दद्धाःपु ख कगो पराकर परार
शरश्रीर कगो छगोडमेंगप्रे। हफिर धश्रीरज धरकर रराजरा नप्रे कहरा- हप्रे सखरा! तपुम रर लप्रेकर शश्री
रराम कप्रे सरार जराओ॥4॥
दगोहरा :
* सपुहठ सपुकपुमरार कपु मरार दगोउ जनकसपुतरा सपुकपुमरारर।
रर चढराइ दप्रेखरराइ बनपु हफिरप्रेहह गएहूँ हदन चरारर॥81॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त सपुकपुमरार दगोनर कपु मरारर कगो और सपुकपुमरारश्री जरानककी कगो रर ममें चढराकर,
वन हदखलराकर चरार हदन कप्रे बराद लरौट आनरा॥81॥
चरौपराई :
* जजौं नहहमं हफिरहहमं धश्रीर दगोउ भराई। सत्यसमंध दृढब्रत रघपुरराई॥
तरौ तपुम्ह हबनय करप्रेहह कर जगोरश्री। फिप्रे ररअ पभपु हमहरलप्रेसहकसगोरश्री॥1॥॥
भरावरारर्ण:-यहद धहैयर्णवरान दगोनर भराई न लरौटमें- क्यरहक शश्री रघपुनरारजश्री पर कप्रे सचप्रे और
दृढतरा सप्रे हनयम करा परालन करनप्रे वरालप्रे हमैं- तगो तपुम हरार जगोडकर हवनतश्री करनरा हक हप्रे
पभगो! जनककपु मरारश्री सश्रीतराजश्री कगो तगो लरौटरा दश्रीहजए॥1॥
* जब हसय करानन दप्रेहख डप्रेरराई। कहप्रेहह मगोरर हसख अवसर पराई॥
सरासपु ससपुर अस कहप्रेउ सहूँदप्रेसपू। पपुहत्र हफिररअ बन बहह त कलप्रेसपू॥2॥
भरावरारर्ण:-जब सश्रीतरा वन कगो दप्रेखकर डरमें, तब मरौकरा पराकर मप्रेरश्री यह सश्रीख उनसप्रे
कहनरा हक तपुम्हरारप्रे सरास और ससपुर नप्रे ऐसरा समंदप्रेश कहरा हहै हक हप्रे पपुत्रश्री! तपुम लरौट
चलगो, वन ममें बहह त कप्रे श हमैं॥2॥
* हपतपुगमृह कबहह हूँ कबहह हूँ ससपुररारश्री। रहप्रेहह जहराहूँ रहच हगोइ तपुम्हरारश्री॥
एहह हबहध करप्रेहह उपराय कदमंबरा। हफिरइ त हगोइ परान अवलमंबरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-कभश्री हपतरा कप्रे घर, कभश्री ससपुरराल, जहराहूँ तपुम्हरारश्री इच्छरा हगो, वहहीं रहनरा। इस
पकरार तपुम बहह त सप्रे उपराय करनरा। यहद सश्रीतराजश्री लरौट आई मं तगो मप्रेरप्रे परारर कगो सहराररा
हगो जराएगरा॥3॥
* नराहहमं त मगोर मरनपु पररनरामरा। कछपु न बसराइ भएहूँ हबहध बरामरा॥
अस कहह मपुरहछ पररा महह रराऊ। ररामपु लखनपु हसय आहन दप्रेखराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-(नहहीं तगो अमंत ममें मप्रेररा मरर हश्री हगोगरा। हवधरातरा कप्रे हवपरश्रीत हगोनप्रे पर कपु छ वश
नहहीं चलतरा। हरा! रराम, लक्ष्मर और सश्रीतरा कगो लराकर हदखराओ। ऐसरा कहकर रराजरा
मपूहछर्णत हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे॥4॥
दगोहरा :
* पराइ रजरायसपु नराइ हसर ररपु अहत बप्रेग बनराइ।
गयउ जहराहूँ बराहप्रेर नगर सश्रीय सहहत दगोउ भराइ॥82॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्रजश्री रराजरा ककी आजरा पराकर, हसर नवराकर और बहह त जल्दश्री रर
जपुडवराकर वहराहूँ गए, जहराहूँ नगर कप्रे बराहर सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराई रप्रे॥82॥
चरौपराई :
* तब सपुममंत्र नमृप बचन सपुनराए। करर हबनतश्री रर ररामपु चढराए॥
चहढ रर सश्रीय सहहत दगोउ भराई। चलप्रे हृदयहूँ अवधहह हसर नराई॥1॥
भरावरारर्ण:-तब (वहराहूँ पहह हूँचकर) सपुममंत्र नप्रे रराजरा कप्रे वचन शश्री ररामचन्दजश्री कगो सपुनराए और
हवनतश्री करकप्रे उनकगो रर पर चढरायरा। सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराई रर पर चढकर हृदय
ममें अयगोध्यरा कगो हसर नवराकर चलप्रे॥1॥
* चलत ररामपु लहख अवध अनराररा। हबकल लगोग सब लरागप्रे सराररा॥
कमृ पराहसमंधपु बहह हबहध समपुझरावहहमं। हफिरहहमं पप्रेम बस पपुहन हफिरर आवहहमं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कगो जरातप्रे हहए और अयगोध्यरा कगो अनरार (हगोतप्रे हह ए) दप्रेखकर
सब लगोग व्यराकपुल हगोकर उनकप्रे सरार हगो हलए। कमृ परा कप्रे समपुद शश्री ररामजश्री उन्हमें बहह त
तरह सप्रे समझरातप्रे हमैं, तगो वप्रे (अयगोध्यरा ककी ओर) लरौट जरातप्रे हमैं, परन्तपु पप्रेमवश हफिर
लरौट आतप्रे हमैं॥2॥
* लरागहत अवध भयरावहन भरारश्री। मरानहह हूँ करालरराहत अहूँहधआरश्री॥
घगोर जमंतपु सम पपुर नर नरारश्री। डरपहहमं एकहह एक हनहरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरापपुरश्री बडश्री डररावनश्री लग रहश्री हहै, मरानगो अमंधकरारमयश्री करालरराहत्र हश्री हगो।
नगर कप्रे नर-नरारश्री भयरानक जन्तपुओमं कप्रे समरान एक-दस पू रप्रे कगो दप्रेखकर डर रहप्रे हमैं॥3॥
* घर मसरान पररजन जनपु भपूतरा। सपुत हहत मश्रीत मनहह हूँ जमदतपू रा॥
बरागन्ह हबटप बप्रेहल कपु हम्हलराहहीं। सररत सरगोवर दप्रेहख न जराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-घर श्मशरान, कपु टपु म्बश्री भपूत-पप्रेत और पपुत्र, हहतहैषश्री और हमत्र मरानगो यमरराज कप्रे
दतपू हमैं। बगश्रीचर ममें वमृक्ष और बप्रेलमें कपु म्हलरा रहश्री हमैं। नदश्री और तरालराब ऐसप्रे भयरानक लगतप्रे
हमैं हक उनककी ओर दप्रेखरा भश्री नहहीं जरातरा॥ 4॥
दगोहरा :
* हय गय कगोहटन्ह कप्रे हलममृग पपुरपसपु चरातक मगोर।
हपक रररामंग सपुक सराररकरा सरारस हमंस चकगोर॥83॥
भरावरारर्ण:-करगोडर घगोडप्रे, हरारश्री, खप्रेलनप्रे कप्रे हलए परालप्रे हह ए हहरन, नगर कप्रे (गराय, बहैल,
बकरश्री आहद) पशपु, पपश्रीहप्रे, मगोर, कगोयल, चकवप्रे, तगोतप्रे, महैनरा, सरारस, हमंस और
चकगोर-॥83॥
चरौपराई :
* रराम हबयगोग हबकल सब ठराढप्रे। जहहूँ तहहूँ मनहह हूँ हचत्र हलहख कराढप्रे॥
नगर सफिल बनपु गहबर भरारश्री। खग ममृग हबपपुल सकल नर नरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे हवयगोग ममें सभश्री व्यराकपुल हहए जहराहूँ-तहराहूँ (ऐसप्रे चपुपचराप हस्रर
हगोकर) खडप्रे हमैं, मरानगो तसवश्रीरर ममें हलखकर बनराए हह ए हमैं। नगर मरानगो फिलर सप्रे
पररपपूरर्ण बडरा भरारश्री सघन वन ररा। नगर हनवरासश्री सब स्त्रश्री -पपुरष बहह त सप्रे पशपु-पक्षश्री रप्रे।
(अररार्णत अवधपपुरश्री अरर्ण, धमर्ण, कराम, मगोक्ष चरारर फिलर कगो दप्रेनप्रे वरालश्री नगरश्री रश्री और
सब स्त्रश्री-पपुरष सपुख सप्रे उन फिलर कगो पराप्त करतप्रे रप्रे।)॥1॥
* हबहध कहै कई हकरराहतहन ककीन्हश्री। जप्रेहहमं दव दसपु ह दसहह हूँ हदहस दश्रीन्हश्री॥
सहह न सकप्रे रघपुबर हबरहरागश्री। चलप्रे लगोग सब ब्यराकपुल भरागश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे कहै कप्रे यश्री कगो भश्रीलनश्री बनरायरा, हजसनप्रे दसर हदशराओमं ममें दद्धाःपु सह दरावराहग्नि
(भयरानक आग) लगरा दश्री। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवरह ककी इस अहग्नि कगो लगोग सह न
सकप्रे । सब लगोग व्यराकपुल हगोकर भराग चलप्रे॥2॥
* सबहहमं हबचरार ककीन्ह मन मराहहीं। रराम लखन हसय हबनपु सपुख पु नराहहीं॥
जहराहूँ ररामपु तहहूँ सबपुइ समराजपू। हबनपु रघपुबश्रीर अवध नहहमं कराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सबनप्रे मन ममें हवचरार कर हलयरा हक शश्री ररामजश्री , लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे
हबनरा सपुख नहहीं हहै। जहराहूँ शश्री ररामजश्री रहमेंगप्रे , वहहीं सराररा समराज रहप्रेगरा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे
हबनरा अयगोध्यरा ममें हम लगोगर करा कपु छ कराम नहहीं हहै॥3॥
* चलप्रे सरार अस ममंत्रपु दृढराई। सपुर दल पु र्णभ सपुख सदन हबहराई॥
रराम चरन पमंकज हपय हजन्हहश्री। हबषय भगोग बस करहहमं हक हतन्हहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरार दृढ करकप्रे दप्रेवतराओमं कगो भश्री दल पु र्णभ सपुखर सप्रे पपूरर्ण घरर कगो छगोडकर
सब शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सरार चलप्रे पडप्रे। हजनकगो शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमल प्यरारप्रे हमैं,
उन्हमें क्यरा कभश्री हवषय भगोग वश ममें कर सकतप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* बरालक बमृद हबहराइ गमृहहूँ लगप्रे लगोग सब सरार।
तमसरा तश्रीर हनवरासपु हकय परम हदवस रघपुनरार॥84॥
भरावरारर्ण:-बचर और बपूढर कगो घरर ममें छगोडकर सब लगोग सरार हगो हलए। पहलप्रे हदन शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे तमसरा नदश्री कप्रे तश्रीर पर हनवरास हकयरा॥84॥
चरौपराई :
* रघपुपहत पजरा पप्रेमबस दप्रेखश्री। सदय हृदयहूँ द ख पु पु भयउ हबसप्रेषश्री॥
करनरामय रघपुनरार गगोसराहूँई। बप्रेहग पराइअहहमं पश्रीर परराई॥1॥
भरावरारर्ण:-पजरा कगो पप्रेमवश दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे दयरालपु हृदय ममें बडरा दद्धाःपु ख हहआ।
पभपु शश्री रघपुनरारजश्री करररामय हमैं। परराई पश्रीडरा कगो वप्रे तपुरमंत परा जरातप्रे हमैं (अररार्णत दस पू रप्रे
करा दद्धाःपु ख दप्रेखकर वप्रे तपुरमंत स्वयमं दद्धाःपु हखत हगो जरातप्रे हमैं)॥1॥
* कहह सपप्रेम ममृद पु बचन सपुहराए। बहह हबहध रराम लगोग समपुझराए॥
हकए धरम उपदप्रेस घनप्रेरप्रे। लगोग पप्रेम बस हफिरहहमं न फिप्रे रप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-पप्रेमयक्त
पु कगोमल और सपुदमं र वचन कहकर शश्री ररामजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे लगोगर
कगो समझरायरा और बहह तप्रेरप्रे धमर्ण समंबधमं श्री उपदप्रेश हदए, परन्तपु पप्रेमवश लगोग लरौटराए लरौटतप्रे
नहहीं॥2॥
* सश्रीलपु सनप्रेहह छराहड नहहमं जराई। असममंजस बस भप्रे रघपुरराई॥
लगोग सगोग शम बस गए सगोई। कछपु क दप्रेवमरायराहूँ महत मगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्रील और स्नप्रेह छगोडरा नहहीं जरातरा। शश्री रघपुनरारजश्री असममंजस कप्रे अधश्रीन हगो गए
(दहपु वधरा ममें पड गए)। शगोक और पररशम (रकरावट) कप्रे मरारप्रे लगोग सगो गए और कपु छ
दप्रेवतराओमं ककी मरायरा सप्रे भश्री उनककी बपुहद मगोहहत हगो गई॥3॥
* जबहहमं जराम जपुग जराहमहन बश्रीतश्री। रराम सहचव सन कहप्रेउ सपश्रीतश्री॥
खगोज मरारर ररपु हराक हूँ हह तरातरा। आन उपरायहूँ बहनहह नहहमं बरातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-जब दगो पहर बश्रीत गई, तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे पप्रेमपपूवर्णक ममंत्रश्री सपुममंत्र सप्रे कहरा-
हप्रे तरात! रर कप्रे खगोज मरारकर (अररार्णत पहहयर कप्रे हचह्नर सप्रे हदशरा करा पतरा न चलप्रे
इस पकरार) रर कगो हराहूँहकए। और हकसश्री उपराय सप्रे बरात नहहीं बनप्रेगश्री॥ 4॥
दगोहरा :
* रराम लखन हसय जरान चहढ समंभपु चरन हसर नराइ।
सहचवहूँ चलरायउ तपुरत ररपु इत उत खगोज दरपु राइ॥85॥
भरावरारर्ण:-शमंकरजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर शश्री ररामजश्री , लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री रर
पर सवरार हहए। ममंत्रश्री नप्रे तपुरमंत हश्री रर कगो इधर-उधर खगोज हछपराकर चलरा हदयरा॥85॥
चरौपराई :
* जरागप्रे सकल लगोग भएहूँ भगोरू। गप्रे रघपुनरार भयउ अहत सगोरू॥
रर कर खगोज कतहह हूँ नहहमं परावहहमं। रराम रराम कहह चहह हूँ हदहस धरावहहमं॥1॥
भरावरारर्ण:-सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री सब लगोग जरागप्रे, तगो बडरा शगोर मचरा हक रघपुनरारजश्री चलप्रे गए।
कहहीं रर करा खगोज नहहीं परातप्रे, सब 'हरा रराम! हरा रराम!' पपुकरारतप्रे हह ए चरारर ओर
दरौड रहप्रे हमैं॥1॥
* मनहह हूँ बराररहनहध बपूड जहराजपू। भयउ हबकल बड बहनक समराजपू॥
एकहह एक दप्रेहहमं उपदप्रेसपू। तजप्रे रराम हम जराहन कलप्रेसपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मरानगो समपुद ममें जहराज डपू ब गयरा हगो, हजससप्रे व्यरापराररयर करा समपुदराय बहह त हश्री
व्यराकपुल हगो उठरा हगो। वप्रे एक-दस पू रप्रे कगो उपदप्रेश दप्रेतप्रे हमैं हक शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे , हम
लगोगर कगो कप्रे श हगोगरा, यह जरानकर छगोड हदयरा हहै॥2॥
* हनमंदहहमं आपपु सरराहहहमं मश्रीनरा। हधग जश्रीवनपु रघपुबश्रीर हबहश्रीनरा॥
जजौं पहै हपय हबयगोगपु हबहध ककीन्हरा। तरौ कस मरनपु न मरागमें दश्रीन्हरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे लगोग अपनश्री हनमंदरा करतप्रे हमैं और मछहलयर ककी सरराहनरा करतप्रे हमैं। (कहतप्रे
हमैं-) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हबनरा हमरारप्रे जश्रीनप्रे कगो हधक्करार हहै। हवधरातरा नप्रे यहद प्यरारप्रे करा
हवयगोग हश्री रचरा, तगो हफिर उसनप्रे मराहूँगनप्रे पर ममृत्य पु क्यर नहहीं दश्री!॥3॥
* एहह हबहध करत पलराप कलरापरा। आए अवध भरप्रे पररतरापरा॥
हबषम हबयगोगपु न जराइ बखरानरा। अवहध आस सब रराखहहमं परानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार बहह त सप्रे पलराप करतप्रे हह ए वप्रे समंतराप सप्रे भरप्रे हह ए अयगोध्यराजश्री ममें
आए। उन लगोगर कप्रे हवषम हवयगोग ककी दशरा करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। (चरौदह
सराल ककी) अवहध ककी आशरा सप्रे हश्री वप्रे परारर कगो रख रहप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* रराम दरस हहत नप्रेम ब्रत लगप्रे करन नर नरारर।
मनहह हूँ कगोक कगोककी कमल दश्रीन हबहश्रीन तमरारर॥86॥
भरावरारर्ण:-(सब) स्त्रश्री-पपुरष शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन कप्रे हलए हनयम और व्रत करनप्रे
लगप्रे और ऐसप्रे दद्धाःपु खश्री हगो गए जहैसप्रे चकवरा, चकवश्री और कमल सपूयर्ण कप्रे हबनरा दश्रीन हगो
जरातप्रे हमैं॥86॥
चरौपराई :
* सश्रीतरा सहचव सहहत दगोउ भराई। समृगमं बप्रेरपपुर पहह हूँचप्रे जराई॥
उतरप्रे रराम दप्रेवसरर दप्रेखश्री। ककीन्ह दमंडवत हरषपु हबसप्रेषश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री और ममंत्रश्री सहहत दगोनर भराई शमृगमं वप्रेरपपुर जरा पहह हूँचप्रे। वहराहूँ गमंगराजश्री कगो
दप्रेखकर शश्री ररामजश्री रर सप्रे उतर पडप्रे और बडप्रे हषर्ण कप्रे सरार उन्हरनप्रे दण्डवत ककी॥1॥
* लखन सहचवहूँ हसयहूँ हकए पनरामरा। सबहह सहहत सपुखपु परायउ ररामरा॥
गमंग सकल मपुद ममंगल मपूलरा। सब सपुख करहन हरहन सब सपूलरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री, सपुममंत्र और सश्रीतराजश्री नप्रे भश्री परराम हकयरा। सबकप्रे सरार शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे सपुख परायरा। गमंगराजश्री समस्त आनमंद-ममंगलर ककी मपूल हमैं। वप्रे सब सपुखर कगो
करनप्रे वरालश्री और सब पश्रीडराओमं कगो हरनप्रे वरालश्री हमैं॥ 2॥
* कहह कहह कगोहटक कररा पसमंगरा। ररामपु हबलगोकहहमं गमंग तरमंगरा॥
सहचवहह अनपुजहह हपयहह सपुनराई। हबबपुध नदश्री महहमरा अहधकराई॥3॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेक कररा पसमंग कहतप्रे हह ए शश्री ररामजश्री गमंगराजश्री ककी तरमंगर कगो दप्रेख रहप्रे हमैं।
उन्हरनप्रे ममंत्रश्री कगो, छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री कगो और हपयरा सश्रीतराजश्री कगो दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री ककी
बडश्री महहमरा सपुनराई॥3॥
* मजनपु ककीन्ह पमंर शम गयऊ। सपुहच जलपु हपअत मपुहदत मन भयऊ॥
सपुहमरत जराहह हमटइ शम भरारू। तप्रेहह शम यह लरौहकक ब्यवहरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-इसकप्रे बराद सबनप्रे स्नरान हकयरा, हजससप्रे मरागर्ण करा सराररा शम (रकरावट) दरपू
हगो गयरा और पहवत्र जल पश्रीतप्रे हश्री मन पसन्न हगो गयरा। हजनकप्रे स्मरर मरात्र सप्रे (बरार-
बरार जन्म नप्रे और मरनप्रे करा) महरान शम हमट जरातरा हहै, उनकगो 'शम' हगोनरा- यह
कप्रे वल लरौहकक व्यवहरार (नरलश्रीलरा) हहै॥4॥
शश्री रराम करा शमृगमं वप्रेरपपुर पहह हूँचनरा, हनषराद कप्रे दराररा सप्रेवरा
दगोहरा :
* सपुद सहचदरानमंदमय कमंद भरानपुकपुल कप्रे तपु।
चररतकरत नर अनपुहरत समंसमृहत सरागर सप्रेतपु॥87॥
भरावरारर्ण:-शपुद (पकमृ हतजन्य हत्रगपुरर सप्रे रहहत, मरायरातश्रीत हदव्य ममंगलहवगह) सहचदरानमंद-
कन्द स्वरूप सपूयर्ण कपु ल कप्रे ध्वजरा रूप भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री मनपुष्यर कप्रे सदृश ऐसप्रे
चररत्र करतप्रे हमैं, जगो समंसरार रूपश्री समपुद कप्रे परार उतरनप्रे कप्रे हलए पपुल कप्रे समरान हमैं॥
87॥
चरौपराई :
* यह सपुहध गपुहहूँ हनषराद जब पराई। मपुहदत हलए हपय बमंधपु बगोलराई॥
हलए फिल मपूल भमेंट भरर भराररा। हमलन चलप्रेउ हहयहूँ हरषपु अपराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब हनषरादरराज गपुह नप्रे यह खबर पराई, तब आनमंहदत हगोकर उसनप्रे अपनप्रे
हपयजनर और भराई-बमंधपुओमं कगो बपुलरा हलयरा और भमेंट दप्रेनप्रे कप्रे हलए फिल, मपूल (कन्द)
लप्रेकर और उन्हमें भरारर (बहहूँहगयर) ममें भरकर हमलनप्रे कप्रे हलए चलरा। उसकप्रे हृदय ममें हषर्ण
करा परार नहहीं ररा॥1॥
* करर दमंडवत भमेंट धरर आगमें। पभपुहह हबलगोकत अहत अनपुररागमें॥
सहज सनप्रेह हबबस रघपुरराई। पपूहूँछश्री कपु सल हनकट बहैठराई॥2॥
भरावरारर्ण:-दण्डवत करकप्रे भमेंट सरामनप्रे रखकर वह अत्यन्त पप्रेम सप्रे पभपु कगो दप्रेखनप्रे लगरा।
शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे स्वराभराहवक स्नप्रेह कप्रे वश हगोकर उसप्रे अपनप्रे परास बहैठराकर कपु शल
पपूछश्री॥2॥
* नरार कपु सल पद पमंकज दप्रेख।में भयउहूँ भरागभराजन जन लप्रेख॥में
दप्रेव धरहन धनपु धरामपु तपुम्हराररा। ममैं जनपु नश्रीचपु सहहत पररवराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज नप्रे उरर हदयरा- हप्रे नरार! आपकप्रे चररकमल कप्रे दशर्णन सप्रे हश्री
कपु शल हहै (आपकप्रे चरररारहवन्दर कप्रे दशर्णन कर) आज ममैं भराग्यवरान पपुरषर ककी हगनतश्री ममें
आ गयरा। हप्रे दप्रेव! यह पमृथ्वश्री, धन और घर सब आपकरा हहै। ममैं तगो पररवरार सहहत
आपकरा नश्रीच सप्रेवक हह हूँ॥3॥
* कमृ परा कररअ पपुर धराररअ पराऊ। रराहपय जनपु सबपु लगोगपु हसहराऊ॥
कहप्रेहह सत्य सबपु सखरा सपुजरानरा। मगोहह दश्रीन्ह हपतपु आयसपु आनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अब कमृ परा करकप्रे पपुर (शमृमंगवप्रेरपपुर) ममें पधराररए और इस दरास ककी पहतषरा
बढराइए, हजससप्रे सब लगोग मप्रेरप्रे भराग्य ककी बडराई करमें। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कहरा- हप्रे
सपुजरान सखरा! तपुमनप्रे जगो कपु छ कहरा सब सत्य हहै, परन्तपु हपतराजश्री नप्रे मपुझकगो और हश्री
आजरा दश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* बरष चराररदस बरासपु बन मपुहन ब्रत बप्रेषपु अहरार।
गराम बरासपु नहहमं उहचत सपुहन गपुहहह भयउ द ख पु पु भरार॥88॥
भरावरारर्ण:-(उनककी आजरानपुसरार) मपुझप्रे चरौदह वषर्ण तक मपुहनयर करा व्रत और वप्रेष धरारर
कर और मपुहनयर कप्रे यगोग्य आहरार करतप्रे हहए वन ममें हश्री बसनरा हहै, गराहूँव कप्रे भश्रीतर
हनवरास करनरा उहचत नहहीं हहै। यह सपुनकर गपुह कगो बडरा द द्धाःपु ख हह आ॥88॥
चरौपराई :
* रराम लखन हसय रूप हनहरारश्री। कहहहमं सपप्रेम गराम नर नरारश्री॥
तप्रे हपतपु मरातपु कहहह सहख कहै सप्रे। हजन्ह पठए बन बरालक ऐसप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री, लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे रूप कगो दप्रेखकर गराहूँव कप्रे स्त्रश्री-पपुरष
पप्रेम कप्रे सरार चचरार्ण करतप्रे हमैं। (कगोई कहतश्री हहै-) हप्रे सखश्री! कहगो तगो, वप्रे मरातरा-हपतरा
कहै सप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे ऐसप्रे (सपुमंदर सपुकपुमरार) बरालकर कगो वन ममें भप्रेज हदयरा हहै॥1॥
* एक कहहहमं भल भपूपहत ककीन्हरा। लगोयन लराहह हमहह हबहध दश्रीन्हरा॥
तब हनषरादपहत उर अनपुमरानरा। तर हसमंसपुपरा मनगोहर जरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कगोई एक कहतप्रे हमैं- रराजरा नप्रे अच्छरा हश्री हकयरा, इसश्री बहरानप्रे हममें भश्री ब्रहरा नप्रे
नप्रेत्रर करा लराभ हदयरा। तब हनषराद रराज नप्रे हृदय ममें अनपुमरान हकयरा, तगो अशगोक कप्रे पप्रेड
कगो (उनकप्रे ठहरनप्रे कप्रे हलए) मनगोहर समझरा॥2॥
* लहै रघपुनरारहहमं ठराउहूँ दप्रेखरावरा। कहप्रेउ रराम सब भराहूँहत सपुहरावरा॥
पपुरजन करर जगोहरार घर आए। रघपुबर समंध्यरा करन हसधराए॥3॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कगो लप्रे जराकर वह स्ररान हदखरायरा। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
(दप्रेखकर) कहरा हक यह सब पकरार सप्रे सपुदमं र हहै। पपुरवरासश्री लगोग जगोहरार (वमंदनरा) करकप्रे
अपनप्रे-अपनप्रे घर लरौटप्रे और शश्री ररामचन्दजश्री समंध्यरा करनप्रे पधरारप्रे॥ 3॥
* गपुहहूँ सहूँवरारर सरारहूँ रश्री डसराई। कपु स हकसलयमय ममृदल पु सपुहराई॥
सपुहच फिल मपूल मधपुर ममृद पु जरानश्री। दगोनरा भरर भरर रराखप्रेहस परानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-गपुह नप्रे (इसश्री बश्रीच) कपु श और कगोमल परर ककी कगोमल और सपुमंदर सराररश्री
सजराकर हबछरा दश्री और पहवत्र, मश्रीठप्रे और कगोमल दप्रेख-दप्रेखकर दगोनर ममें भर-भरकर
फिल-मपूल और परानश्री रख हदयरा (अरवरा अपनप्रे हरार सप्रे फिल-मपूल दगोनर ममें भर-भरकर
रख हदए)॥4॥
दगोहरा :
* हसय सपुममंत्र ररातरा सहहत कमंद मपूल फिल खराइ।
सयन ककीन्ह रघपुबमंसमहन पराय पलगोटत भराइ॥89॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री, सपुममंत्रजश्री और भराई लक्ष्मरजश्री सहहत कन्द-मपूल-फिल खराकर रघपुकपुल
महर शश्री ररामचन्दजश्री लप्रेट गए। भराई लक्ष्मरजश्री उनकप्रे पहैर दबरानप्रे लगप्रे॥89॥
चरौपराई :
* उठप्रे लखनपु पभपु सगोवत जरानश्री। कहह सहचवहह सगोवन ममृद पु बरानश्री॥
कछपु क दरपू र सहज बरान सररासन। जरागन लगप्रे बहैहठ बश्रीररासन॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो सगोतप्रे जरानकर लक्ष्मरजश्री उठप्रे और कगोमल वरारश्री
सप्रे ममंत्रश्री सपुममंत्रजश्री कगो सगोनप्रे कप्रे हलए कहकर वहराहूँ सप्रे कपु छ दरपू पर धनपुष-बरार सप्रे
सजकर, वश्रीररासन सप्रे बहैठकर जरागनप्रे (पहररा दप्रेनप्रे) लगप्रे॥1॥
* गपुहहूँ बगोलराइ पराहरू पतश्रीतश्री। ठरावहूँ ठरावहूँ रराखप्रे अहत पश्रीतश्री॥
आपपु लखन पहहमं बहैठप्रेउ जराई। कहट भरारश्री सर चराप चढराई॥2॥
भरावरारर्ण:-गपुह नप्रे हवश्वरासपरात्र पहरप्रेदरारर कगो बपुलराकर अत्यन्त पप्रेम सप्रे जगह-जगह हनयक्त पु
कर हदयरा और आप कमर ममें तरकस बराहूँधकर तररा धनपुष पर बरार चढराकर लक्ष्मरजश्री
कप्रे परास जरा बहैठरा॥2॥
* सगोवत पभपुहह हनहरारर हनषराद।पू भयउ पप्रेम बस हृदयहूँ हबषराद॥पू
तनपु पपुलहकत जलपु लगोचन बहई। बचन सपप्रेम लखन सन कहई॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु कगो जमश्रीन पर सगोतप्रे दप्रेखकर पप्रेम वश हनषराद रराज कप्रे हृदय ममें हवषराद हगो
आयरा। उसकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा और नप्रेत्रर सप्रे (पप्रेमराशपुओमं करा) जल बहनप्रे लगरा।
वह पप्रेम सहहत लक्ष्मरजश्री सप्रे वचन कहनप्रे लगरा-॥3॥
* भपूपहत भवन सपुभरायहूँ सपुहरावरा। सपुरपहत सदनपु न पटतर परावरा॥
महनमय रहचत चरार चरौबरारप्रे। जनपु रहतपहत हनज हरार सहूँवरारप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-महरारराज दशररजश्री करा महल तगो स्वभराव सप्रे हश्री सपुमंदर हहै , इन्दभवन भश्री
हजसककी समरानतरा नहहीं परा सकतरा। उसममें सपुदमं र महरयर कप्रे रचप्रे चरौबरारप्रे (छत कप्रे ऊपर
बहूँगलप्रे) हमैं, हजन्हमें मरानगो रहत कप्रे पहत करामदप्रेव नप्रे अपनप्रे हश्री हरारर सजराकर बनरायरा हहै॥
4॥
दगोहरा :
* सपुहच सपुहबहचत्र सपुभगोगमय सपुमन सपुगमंध सपुबरास।
पलहूँग ममंजपु महन दश्रीप जहहूँ सब हबहध सकल सपुपरास॥90॥
भरावरारर्ण:- जगो पहवत्र, बडप्रे हश्री हवलक्षर, सपुदमं र भगोग पदरारर्मों सप्रे पपूरर्ण और फिपू लर ककी
सपुगमंध सप्रे सपुवराहसत हमैं, जहराहूँ सपुमंदर पलहूँग और महरयर कप्रे दश्रीपक हमैं तररा सब पकरार
करा पपूररा आरराम हहै,॥90॥
चरौपराई :
* हबहबध बसन उपधरान तपुरराई।मं छश्रीर फिप्रे न ममृदपु हबसद सपुहराई॥मं
तहहूँ हसय ररामपु सयन हनहस करहहीं। हनज छहब रहत मनगोज मद पु हरहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ (ओढनप्रे-हबछरानप्रे कप्रे ) अनप्रेकर वस्त्र, तहकए और गदप्रे हमैं, जगो दधपू कप्रे
फिप्रे न कप्रे समरान कगोमल, हनमर्णल (उज्ज्वल) और सपुमंदर हमैं, वहराहूँ (उन चरौबरारर ममें) शश्री
सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री ररात कगो सगोयरा करतप्रे रप्रे और अपनश्री शगोभरा सप्रे रहत और
करामदप्रेव कप्रे गवर्ण कगो हरर करतप्रे रप्रे॥1॥
* तप्रे हसय ररामपु सराररहीं सगोए। शहमत बसन हबनपु जराहहमं न जगोए॥
मरातपु हपतरा पररजन पपुरबरासश्री। सखरा सपुसश्रील दरास अर दरासश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वहश्री शश्री सश्रीतरा और शश्री ररामजश्री आज घरास -फिपूस ककी सराररश्री पर रकप्रे हह ए
हबनरा वस्त्र कप्रे हश्री सगोए हमैं। ऐसश्री दशरा ममें वप्रे दप्रेखप्रे नहहीं जरातप्रे। मरातरा, हपतरा, कपु टपु म्बश्री,
पपुरवरासश्री (पजरा), हमत्र, अच्छप्रे शश्रील-स्वभराव कप्रे दरास और दराहसयराहूँ-॥2॥
* जगोगवहहमं हजन्हहह परान ककी नराई।मं महह सगोवत तप्रेइ रराम गगोसराई॥मं
हपतरा जनक जग हबहदत पभराऊ। ससपुर सपुरस प्रे सखरा रघपुरराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-सब हजनककी अपनप्रे परारर ककी तरह सरार-समंभरार करतप्रे रप्रे, वहश्री पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री आज पमृथ्वश्री पर सगो रहप्रे हमैं। हजनकप्रे हपतरा जनकजश्री हमैं, हजनकरा पभराव
जगत ममें पहसद हहै, हजनकप्रे ससपुर इन्द कप्रे हमत्र रघपुरराज दशररजश्री हमैं,॥3॥
* ररामचमंदपु पहत सगो बहैदप्रेहश्री। सगोवत महह हबहध बराम न कप्रे हश्री॥
हसय रघपुबश्रीर हक करानन जगोगपू। करम पधरान सत्य कह लगोगपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और पहत शश्री ररामचन्दजश्री हमैं, वहश्री जरानककीजश्री आज जमश्रीन पर सगो रहश्री हमैं।
हवधरातरा हकसकगो पहतकपू ल नहहीं हगोतरा! सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री क्यरा वन कप्रे यगोग्य
हमैं? लगोग सच कहतप्रे हमैं हक कमर्ण (भराग्य) हश्री पधरान हहै॥4॥
दगोहरा :
* कहै कयनमंहदहन ममंदमहत कहठन कपु हटलपन ककीन्ह।
जप्रेहहमं रघपुनमंदन जरानहकहह सपुख अवसर दख पु पु दश्रीन्ह॥91॥
भरावरारर्ण:-कहै कयरराज ककी लडककी नश्रीच बपुहद कहै कप्रे यश्री नप्रे बडश्री हश्री कपु हटलतरा ककी, हजसनप्रे
रघपुनमंदन शश्री ररामजश्री और जरानककीजश्री कगो सपुख कप्रे समय दद्धाःपु ख हदयरा॥91॥
चरौपराई :
* भइ हदनकर कपु ल हबटप कपु ठरारश्री। कपु महत ककीन्ह सब हबस्व दख पु रारश्री॥
भयउ हबषराद पु हनषरादहह भरारश्री। रराम सश्रीय महह सयन हनहरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वह सपूयर्णकपुल रूपश्री वमृक्ष कप्रे हलए कपु ल्हराडश्री हगो गई। उस कपु बपुहद नप्रे सम्पपूरर्ण हवश्व
कगो दद्धाःपु खश्री कर हदयरा। शश्री रराम-सश्रीतरा कगो जमश्रीन पर सगोतप्रे हह ए दप्रेखकर हनषराद कगो बडरा
दद्धाःपु ख हह आ॥1॥

लक्ष्मर-हनषराद समंवराद, शश्री रराम-सश्रीतरा सप्रे सपुमन्त्र करा समंवराद, सपुममंत्र करा लरौटनरा
* बगोलप्रे लखन मधपुर ममृद पु बरानश्री। ग्यरान हबरराग भगहत रस सरानश्री॥
कराहह न कगोउ सपुख दख पु कर दरातरा। हनज कमृ त करम भगोग सबपु ररातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब लक्ष्मरजश्री जरान, वहैरराग्य और भहक्त कप्रे रस सप्रे सनश्री हहई मश्रीठश्री और
कगोमल वरारश्री बगोलप्रे- हप्रे भराई! कगोई हकसश्री कगो सपुख-दद्धाःपु ख करा दप्रेनप्रे वरालरा नहहीं हहै। सब
अपनप्रे हश्री हकए हह ए कमर्मों करा फिल भगोगतप्रे हमैं॥2॥
* जगोग हबयगोग भगोग भल ममंदरा। हहत अनहहत मध्यम रम फिमं दरा॥
जनमपु मरनपु जहहूँ लहग जग जरालपू। समंपहत हबपहत करमपु अर करालपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-समंयगोग (हमलनरा), हवयगोग (हबछपु डनरा), भलप्रे-बपुरप्रे भगोग, शत्रपु, हमत्र और
उदरासश्रीन- यप्रे सभश्री रम कप्रे फिमंदप्रे हमैं। जन्म-ममृत्य,पु सम्पहर-हवपहर, कमर्ण और कराल-
जहराहूँ तक जगत कप्रे जमंजराल हमैं,॥3॥
* दरहन धरामपु धनपु पपुर पररवरारू। सरगपु नरकपु जहहूँ लहग ब्यवहरारू॥
दप्रेहखअ सपुहनअ गपुहनअ मन मराहहीं। मगोह मपूल परमराररपु नराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-धरतश्री, घर, धन, नगर, पररवरार, स्वगर्ण और नरक आहद जहराहूँ तक
व्यवहरार हमैं, जगो दप्रेखनप्रे, सपुननप्रे और मन कप्रे अमंदर हवचरारनप्रे ममें आतप्रे हमैं, इन सबकरा
मपूल मगोह (अजरान) हश्री हहै। परमरारर्णतद्धाः यप्रे नहहीं हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सपनमें हगोइ हभखरारर नमृपपु रमंकपु नराकपहत हगोइ।
जरागमें लराभपु न हराहन कछपु हतहम पपमंच हजयहूँ जगोइ॥92॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे स्वप्न ममें रराजरा हभखरारश्री हगो जराए यरा कमं गराल स्वगर्ण करा स्वरामश्री इन्द हगो
जराए, तगो जरागनप्रे पर लराभ यरा हराहन कपु छ भश्री नहहीं हहै, वहैसप्रे हश्री इस दृश्य-पपमंच कगो
हृदय सप्रे दप्रेखनरा चराहहए॥92॥
चरौपराई :
* अस हबचरारर नहहमं ककीहजअ रगोसपू। कराहहहह बराहद न दप्रेइअ दगोसपू॥
मगोह हनसराहूँ सबपु सगोवहनहराररा। दप्रेहखअ सपन अनप्रेक पकराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरारकर कगोध नहहीं करनरा चराहहए और न हकसश्री कगो व्यरर्ण दगोष हश्री दप्रेनरा
चराहहए। सब लगोग मगोह रूपश्री रराहत्र ममें सगोनप्रे वरालप्रे हमैं और सगोतप्रे हहए उन्हमें अनप्रेकर पकरार
कप्रे स्वप्न हदखराई दप्रेतप्रे हमैं॥1॥
* एहहमं जग जराहमहन जरागहहमं जगोगश्री। परमराररश्री पपमंच हबयगोगश्री॥
जराहनअ तबहहमं जश्रीव जग जरागरा। जब सब हबषय हबलरास हबररागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस जगत रूपश्री रराहत्र ममें यगोगश्री लगोग जरागतप्रे हमैं , जगो परमरारर हमैं और पपमंच
(मराहयक जगत) सप्रे छपूटप्रे हह ए हमैं। जगत ममें जश्रीव कगो जरागरा हहआ तभश्री जराननरा चराहहए,
जब सम्पपूरर्ण भगोग-हवलरासर सप्रे वहैरराग्य हगो जराए॥2॥
* हगोइ हबबप्रेकपु मगोह रम भरागरा। तब रघपुनरार चरन अनपुररागरा॥
सखरा परम परमराररपु एहह । मन कम बचन रराम पद नप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-हववप्रेक हगोनप्रे पर मगोह रूपश्री रम भराग जरातरा हहै , तब (अजरान करा नराश हगोनप्रे
पर) शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हगोतरा हहै। हप्रे सखरा! मन, वचन और कमर्ण सप्रे
शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हगोनरा, यहश्री सवर्णशप्रेष परमरारर्ण (पपुरषरारर्ण) हहै॥3॥
* रराम ब्रह परमरारर रूपरा। अहबगत अलख अनराहद अनपूपरा॥
सकल हबकरार रहहत गतभप्रेदरा। कहह हनत नप्रेहत हनरूपहहमं बप्रेदरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री परमरारर्णस्वरूप (परमवस्तपु) परब्रह हमैं। वप्रे अहवगत (जराननप्रे ममें न
आनप्रे वरालप्रे) अलख (स्रपूल दृहष्टि सप्रे दप्रेखनप्रे ममें न आनप्रे वरालप्रे), अनराहद (आहदरहहत),
अनपुपम (उपमरारहहत) सब हवकरारर सप्रे रहहत और भप्रेद शपून्य हमैं, वप्रेद हजनकरा हनत्य
'नप्रेहत-नप्रेहत' कहकर हनरूपर करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* भगत भपूहम भपूसपुर सपुरहभ सपुर हहत लराहग कमृ पराल।
करत चररत धरर मनपुज तनपु सपुनत हमटहहमं जग जराल॥93॥
भरावरारर्ण:-वहश्री कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री भक्त, भपूहम, ब्रराहर, गगो और दप्रेवतराओमं कप्रे हहत
कप्रे हलए मनपुष्य शरश्रीर धरारर करकप्रे लश्रीलराएहूँ करतप्रे हमैं, हजनकप्रे सपुननप्रे सप्रे जगत कप्रे
जमंजराल हमट जरातप्रे हमैं॥93॥

मरासपराररायर, पमंदहवराहूँ हवशराम


चरौपराई :
* सखरा समपुहझ अस पररहरर मगोहह। हसय रघपुबश्रीर चरन रत हगोहह॥
कहत रराम गपुन भरा हभनपुसराररा। जरागप्रे जग ममंगल सपुखदराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखरा! ऐसरा समझ, मगोह कगो त्यरागकर शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम
करगो। इस पकरार शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुर कहतप्रे-कहतप्रे सबप्रेररा हगो गयरा! तब जगत करा
ममंगल करनप्रे वरालप्रे और उसप्रे सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री जरागप्रे॥ 1॥
* सकल सरौच करर रराम नहरावरा। सपुहच सपुजरान बट छश्रीर मगरावरा॥
अनपुज सहहत हसर जटरा बनराए। दप्रेहख सपुममंत्र नयन जल छराए॥
भरावरारर्ण:-शरौच कप्रे सब करायर्ण करकप्रे (हनत्य) पहवत्र और सपुजरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
स्नरान हकयरा। हफिर बड करा दधपू महूँगरायरा और छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत उस दधपू सप्रे
हसर पर जटराएहूँ बनराई।मं यह दप्रेखकर सपुममंत्रजश्री कप्रे नप्रेत्रर ममें जल छरा गयरा॥2॥
* हृदयहूँ दराहह अहत बदन मलश्रीनरा। कह कर जगोर बचन अहत दश्रीनरा॥
नरार कहप्रेउ अस कगोसलनराररा। लहै ररपु जराहह रराम कमें सराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-उनकरा हृदय अत्यमंत जलनप्रे लगरा, मपुहूँह महलन (उदरास) हगो गयरा। वप्रे हरार
जगोडकर अत्यमंत दश्रीन वचन बगोलप्रे- हप्रे नरार! मपुझप्रे करौसलनरार दशररजश्री नप्रे ऐसश्री आजरा
दश्री रश्री हक तपुम रर लप्रेकर शश्री ररामजश्री कप्रे सरार जराओ,॥3॥
* बनपु दप्रेखराइ सपुरसरर अन्हवराई। आनप्रेहह फिप्रे रर बप्रेहग दगोउ भराई॥
लखनपु ररामपु हसय आनप्रेहह फिप्रे रश्री। समंसय सकल सहूँकगोच हनबप्रेरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-वन हदखराकर, गमंगरा स्नरान करराकर दगोनर भराइयर कगो तपुरमंत लरौटरा लरानरा। सब
समंशय और समंकगोच कगो दरपू करकप्रे लक्ष्मर, रराम, सश्रीतरा कगो हफिररा लरानरा॥4॥
दगोहरा :
* नमृप अस कहप्रेउ गगोसराइहूँ जस कहइ करजौं बहल सगोइ।
करर हबनतश्री परायन्ह परप्रेउ दश्रीन्ह बराल हजहम रगोइ॥94॥
भरावरारर्ण:- महरारराज नप्रे ऐसरा कहरा ररा, अब पभपु जहैसरा कहमें, ममैं वहश्री करूहूँ, ममैं आपककी
बहलहरारश्री हह।हूँ इस पकरार सप्रे हवनतश्री करकप्रे वप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हगर पडप्रे और
बरालक ककी तरह रगो हदए॥94॥
चरौपराई :
* तरात कमृ परा करर ककीहजअ सगोई। जरातमें अवध अनरार न हगोई॥
ममंहत्रहह रराम उठराइ पबगोधरा। तरात धरम मतपु तपुम्ह सबपु सगोधरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा -) हप्रे तरात ! कमृ परा करकप्रे वहश्री ककीहजए हजससप्रे अयगोध्यरा अनरार
न हगो शश्री ररामजश्री नप्रे ममंत्रश्री कगो उठराकर धहैयर्ण बहूँधरातप्रे हह ए समझरायरा हक हप्रे तरात ! आपनप्रे
तगो धमर्ण कप्रे सभश्री हसदरामंतर कगो छरान डरालरा हहै॥ 1॥
* हसहब दधश्रीच हररचमंद नरप्रेसरा। सहप्रे धरम हहत कगोहट कलप्रेसरा॥
रमंहतदप्रेव बहल भपूप सपुजरानरा। धरमपु धरप्रेउ सहह समंकट नरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हशहब, दधश्रीहच और रराजरा हररश्चन्द नप्रे धमर्ण कप्रे हलए करगोडर (अनप्रेकर) कष्टि
सहप्रे रप्रे। बपुहदमरान रराजरा रहन्तदप्रेव और बहल बहह त सप्रे समंकट सहकर भश्री धमर्ण कगो पकडप्रे
रहप्रे (उन्हरनप्रे धमर्ण करा पररत्यराग नहहीं हकयरा)॥2॥
* धरमपु न दस पू र सत्य समरानरा। आगम हनगम पपुररान बखरानरा॥
ममैं सगोइ धरमपु सपुलभ करर परावरा। तजमें हतहह हूँ पपुर अपजसपु छरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद, शरास्त्र और पपुररारर ममें कहरा गयरा हहै हक सत्य कप्रे समरान दस पू ररा धमर्ण नहहीं
हहै। ममैंनप्रे उस धमर्ण कगो सहज हश्री परा हलयरा हहै। इस (सत्य रूपश्री धमर्ण) करा त्यराग करनप्रे
सप्रे तश्रीनर लगोकर ममें अपयश छरा जराएगरा॥3॥
* समंभराहवत कहह हूँ अपजस लराहह। मरन कगोहट सम दरारन दराहह॥
तपुम्ह सन तरात बहह त करा कहउहूँ। हदएहूँ उतर हफिरर परातकपु लहऊहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-पहतहषत पपुरष कप्रे हलए अपयश ककी पराहप्त करगोडर ममृत्य पु कप्रे समरान भश्रीषर समंतराप
दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। हप्रे तरात! ममैं आप सप्रे अहधक क्यरा कहह हूँ! लरौटकर उरर दप्रेनप्रे ममें भश्री पराप
करा भरागश्री हगोतरा हह हूँ॥4॥
दगोहरा :
* हपतपु पद गहह कहह कगोहट नहत हबनय करब कर जगोरर।
हचमंतरा कवहनहह बरात कहै तरात कररअ जहन मगोरर॥95॥
भरावरारर्ण:-आप जराकर हपतराजश्री कप्रे चरर पकडकर करगोडर नमस्करार कप्रे सरार हश्री हरार
जगोडकर हबनतश्री कररएगरा हक हप्रे तरात! आप मप्रेरश्री हकसश्री बरात ककी हचन्तरा न करमें॥95॥
चरौपराई :
* तपुम्ह पपुहन हपतपु सम अहत हहत मगोरमें। हबनतश्री करउहूँ तरात कर जगोरमें॥
सब हबहध सगोइ करतब्य तपुम्हरारमें। दख पु न पराव हपतपु सगोच हमरारमें॥1॥
भरावरारर्ण:-आप भश्री हपतरा कप्रे समरान हश्री मप्रेरप्रे बडप्रे हहतहैषश्री हमैं। हप्रे तरात ! ममैं हरार जगोडकर
आप सप्रे हवनतश्री करतरा हह हूँ हक आपकरा भश्री सब पकरार सप्रे वहश्री कतर्णव्य हहै , हजसममें
हपतराजश्री हम लगोगर कप्रे सगोच ममें दद्धाःपु ख न परावमें॥1॥
* सपुहन रघपुनरार सहचव समंबराद।पू भयउ सपररजन हबकल हनषराद॥पू
पपुहन कछपु लखन कहश्री कटपु बरानश्री। पभपु बरजप्रे बड अनपुहचत जरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री और सपुममंत्र करा यह समंवराद सपुनकर हनषरादरराज कपु टपु हम्बयर सहहत
व्यराकपुल हगो गयरा। हफिर लक्ष्मरजश्री नप्रे कपु छ कडवश्री बरात कहश्री। पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
उसप्रे बहह त हश्री अनपुहचत जरानकर उनकगो मनरा हकयरा॥2॥
* सकपु हच रराम हनज सपर दप्रेवराई। लखन सहूँदस प्रे पु कहहअ जहन जराई॥
कह सपुममंत्रपु पपुहन भपूप सहूँदप्रेसपू। सहह न सहकहह हसय हबहपन कलप्रेसपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सकपु चराकर, अपनश्री सरौगमंध हदलराकर सपुममंत्रजश्री सप्रे कहरा हक
आप जराकर लक्ष्मर करा यह समंदप्रेश न कहहएगरा। सपुममंत्र नप्रे हफिर रराजरा करा समंदप्रेश कहरा
हक सश्रीतरा वन कप्रे कप्रे श न सह सकमें गश्री॥3॥
* जप्रेहह हबहध अवध आव हफिरर सश्रीयरा। हगोइ रघपुबरहह तपुम्हहह करनश्रीयरा॥
नतर हनपट अवलमंब हबहश्रीनरा। ममैं न हजअब हजहम जल हबनपु मश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अतएव हजस तरह सश्रीतरा अयगोध्यरा कगो लरौट आवमें , तपुमकगो और शश्री ररामचन्द
कगो वहश्री उपराय करनरा चराहहए। नहहीं तगो ममैं हबल्कपु ल हश्री हबनरा सहरारप्रे करा हगोकर वहैसप्रे हश्री
नहहीं जश्रीऊहूँगरा जहैसप्रे हबनरा जल कप्रे मछलश्री नहहीं जश्रीतश्री॥4॥
दगोहरा :
* मइकमें ससपुरमें सकल सपुख जबहहमं जहराहूँ मनपु मरान।
तहहूँ तब रहहहह सपुखप्रेन हसय जब लहग हबपहत हबहरान॥96॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरा कप्रे मरायकप्रे (हपतरा कप्रे घर) और ससपुरराल ममें सब सपुख हमैं। जब तक यह
हवपहर दरपू नहहीं हगोतश्री, तब तक वप्रे जब जहराहूँ जश्री चराहमें, वहहीं सपुख सप्रे रहमेंगश्री॥96॥
चरौपराई :
* हबनतश्री भपूप ककीन्ह जप्रेहह भराहूँतश्री। आरहत पश्रीहत न सगो कहह जरातश्री॥
हपतपु सहूँदस प्रे पु सपुहन कमृ पराहनधरानरा। हसयहह दश्रीन्ह हसख कगोहट हबधरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे हजस तरह (हजस दश्रीनतरा और पप्रेम सप्रे) हवनतश्री ककी हहै, वह दश्रीनतरा
और पप्रेम कहरा नहहीं जरा सकतरा। कमृ पराहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हपतरा करा समंदप्रेश सपुनकर
सश्रीतराजश्री कगो करगोडर (अनप्रेकर) पकरार सप्रे सश्रीख दश्री॥1॥
* सरासपु ससपुर गपुर हपय पररवरारू। हफिरहह त सब कर हमटहै खभरारू॥
सपुहन पहत बचन कहहत बहैदहप्रे श्री। सपुनहह परानपहत परम सनप्रेहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे कहरा-) जगो तपुम घर लरौट जराओ, तगो सरास, ससपुर, गपुर, हपयजन
एवमं कपु टपु म्बश्री सबककी हचन्तरा हमट जराए। पहत कप्रे वचन सपुनकर जरानककीजश्री कहतश्री हमैं- हप्रे
परारपहत! हप्रे परम स्नप्रेहश्री! सपुहनए॥2॥
* पभपु करनरामय परम हबबप्रेककी। तनपु तहज रहहत छराहूँह हकहम छमेंककी॥
पभरा जराइ कहहूँ भरानपु हबहराई। कहहूँ चमंहदकरा चमंद पु तहज जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! आप करररामय और परम जरानश्री हमैं। (कमृ परा करकप्रे हवचरार तगो
ककीहजए) शरश्रीर कगो छगोडकर छरायरा अलग कहै सप्रे रगोककी रह सकतश्री हहै? सपूयर्ण ककी पभरा
सपूयर्ण कगो छगोडकर कहराहूँ जरा सकतश्री हहै? और चराहूँदनश्री चन्दमरा कगो त्यरागकर कहराहूँ जरा
सकतश्री हहै?॥3॥
* पहतहह पप्रेममय हबनय सपुनराई। कहहत सहचव सन हगररा सपुहराई॥
तपुम्ह हपतपु ससपुर सररस हहतकरारश्री। उतर दप्रेउहूँ हफिरर अनपुहचत भरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार पहत कगो पप्रेममयश्री हवनतश्री सपुनराकर सश्रीतराजश्री ममंत्रश्री सप्रे सपुहरावनश्री वरारश्री
कहनप्रे लगहीं- आप मप्रेरप्रे हपतराजश्री और ससपुरजश्री कप्रे समरान मप्रेररा हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं।
आपकगो ममैं बदलप्रे ममें उरर दप्रेतश्री हह,हूँ यह बहह त हश्री अनपुहचत हहै॥4॥
दगोहरा :
* आरहत बस सनमपुख भइउहूँ हबलगपु न मरानब तरात।
आरजसपुत पद कमल हबनपु बराहद जहराहूँ लहग नरात॥97॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु हप्रे तरात! ममैं आरर्ण हगोकर हश्री आपकप्रे सम्मपुख हह ई हह,हूँ आप बपुररा न
मराहनएगरा। आयर्णपपुत्र (स्वरामश्री) कप्रे चररकमलर कप्रे हबनरा जगत ममें जहराहूँ तक नरातप्रे हमैं,
सभश्री मप्रेरप्रे हलए व्यरर्ण हमैं॥97॥
चरौपराई :
* हपतपु बहैभव हबलरास ममैं डश्रीठरा। नमृप महन मपुकपु ट हमहलत पद पश्रीठरा॥
सपुखहनधरान अस हपतपु गमृह मगोरमें। हपय हबहश्रीन मन भराव न भगोरमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे हपतराजश्री कप्रे ऐश्वयर्ण ककी छटरा दप्रेखश्री हहै, हजनकप्रे चरर रखनप्रे ककी चरौककी सप्रे
सवर्णहशरगोमहर रराजराओमं कप्रे मपुकपुट हमलतप्रे हमैं (अररार्णत बडप्रे-बडप्रे रराजरा हजनकप्रे चररर ममें
परराम करतप्रे हमैं) ऐसप्रे हपतरा करा घर भश्री, जगो सब पकरार कप्रे सपुखर करा भमंडरार हहै,
पहत कप्रे हबनरा मप्रेरप्रे मन कगो भपूलकर भश्री नहहीं भरातरा॥ 1॥
* ससपुर चक्कवइ कगोसल रराऊ। भपुवन चराररदस पगट पभराऊ॥
आगमें हगोइ जप्रेहह सपुरपहत लप्रेई। अरध हसमंघरासन आसनपु दप्रेई॥2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे ससपुर कगोसलरराज चकवतर सम्रराट हमैं, हजनकरा पभराव चरौदहर लगोकर ममें
पकट हहै, इन्द भश्री आगप्रे हगोकर हजनकरा स्वरागत करतरा हहै और अपनप्रे आधप्रे हसमंहरासन
पर बहैठनप्रे कप्रे हलए स्ररान दप्रेतरा हहै,॥2॥
* ससपुर एतरादृस अवध हनवरासपू। हपय पररवरार मरातपु सम सरासपू॥
हबनपु रघपुपहत पद पदमपु पररागरा। मगोहह कप्रे उ सपनप्रेहहहूँ सपुखद न लरागरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे (ऐश्वयर्ण और पभरावशरालश्री) ससपुर, (उनककी रराजधरानश्री) अयगोध्यरा करा
हनवरास, हपय कपु टपु म्बश्री और मरातरा कप्रे समरान सरासपुएहूँ- यप्रे कगोई भश्री शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे
चरर कमलर ककी रज कप्रे हबनरा मपुझप्रे स्वप्न ममें भश्री सपुखदरायक नहहीं लगतप्रे॥ 3॥
* अगम पमंर बनभपूहम पहराररा। करर कप्रे हरर सर सररत अपराररा॥
कगोल हकररात कपु रमंग हबहमंगरा। मगोहह सब सपुखद परानपहत समंगरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-दगपु र्णम ररास्तप्रे, जमंगलश्री धरतश्री, पहराड, हरारश्री, हसमंह, अरराह तरालराब एवमं
नहदयराहूँ, कगोल, भश्रील, हहरन और पक्षश्री- परारपहत (शश्री रघपुनरारजश्री) कप्रे सरार रहतप्रे यप्रे
सभश्री मपुझप्रे सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हरगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सरासपु ससपुर सन मगोरर हहहहूँ त हबनय करहब परर परायहूँ।
मगोर सगोचपु जहन कररअ कछपु ममैं बन सपुखश्री सपुभरायहूँ॥98॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः सरास और ससपुर कप्रे पराहूँव पडकर, मप्रेरश्री ओर सप्रे हवनतश्री ककीहजएगरा हक वप्रे
मप्रेररा कपु छ भश्री सगोच न करमें, ममैं वन ममें स्वभराव सप्रे हश्री सपुखश्री हह हूँ॥98॥
चरौपराई :
* पराननरार हपय दप्रेवर सराररा। बश्रीर धपुरश्रीन धरमें धनपु भराररा॥
नहहमं मग शमपु रमपु दख पु मन मगोरमें। मगोहह लहग सगोचपु कररअ जहन भगोरमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वश्रीरर ममें अगगण्य तररा धनपुष और (बरारर सप्रे भरप्रे) तरकश धरारर हकए मप्रेरप्रे
परारनरार और प्यरारप्रे दप्रेवर सरार हमैं। इससप्रे मपुझप्रे न ररास्तप्रे ककी रकरावट हहै , न रम हहै
और न मप्रेरप्रे मन ममें कगोई दद्धाःपु ख हश्री हहै। आप मप्रेरप्रे हलए भपूलकर भश्री सगोच न करमें॥ 1॥
* सपुहन सपुममंत्रपु हसय सश्रीतहल बरानश्री। भयउ हबकल जनपु फिहन महन हरानश्री॥
नयन सपूझ नहहमं सपुनइ न करानरा। कहह न सकइ कछपु अहत अकपु लरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्र सश्रीतराजश्री ककी शश्रीतल वरारश्री सपुनकर ऐसप्रे व्यराकपु ल हगो गए जहैसप्रे सराहूँप महर
खगो जरानप्रे पर। नप्रेत्रर सप्रे कपु छ सपूझतरा नहहीं, करानर सप्रे सपुनराई नहहीं दप्रेतरा। वप्रे बहह त व्यराकपुल
हगो गए, कपु छ कह नहहीं सकतप्रे॥2॥
* रराम पबगोधपु ककीन्ह बहह भराहूँतश्री। तदहप हगोहत नहहमं सश्रीतहल छरातश्री॥
जतन अनप्रेक सरार हहत ककीन्हप्रे। उहचत उतर रघपुनमंदन दश्रीन्हप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे उनकरा बहह त पकरार सप्रे समराधरान हकयरा। तगो भश्री उनककी छरातश्री
ठमंडश्री न हह ई। सरार चलनप्रे कप्रे हलए ममंत्रश्री नप्रे अनप्रेकर यत्न हकए (यहपु क्तयराहूँ पप्रेश ककीमं), पर
रघपुनमंदन शश्री ररामजश्री (उन सब यहपु क्तयर करा) यरगोहचत उरर दप्रेतप्रे गए॥3॥
* मप्रेहट जराइ नहहमं रराम रजराई। कहठन करम गहत कछपु न बसराई॥
रराम लखन हसय पद हसर नराई। हफिरप्रेउ बहनक हजहम मपूर गवराहूँई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी आजरा मप्रेटश्री नहहीं जरा सकतश्री। कमर्ण ककी गहत कहठन हहै , उस
पर कपु छ भश्री वश नहहीं चलतरा। शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतराजश्री कप्रे चररर ममें हसर
नवराकर सपुममंत्र इस तरह लरौटप्रे जहैसप्रे कगोई व्यरापरारश्री अपनरा मपूलधन (पपूहूँजश्री) गहूँवराकर लरौटप्रे॥
4॥
दगोहरा :
* ररपु हराहूँकप्रेउ हय रराम तन हप्रेरर हप्रेरर हहहहनराहहमं।
दप्रेहख हनषराद हबषराद बस धपुनहहमं सश्रीस पहछतराहहमं॥ 99॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्र नप्रे रर कगो हराहूँकरा, घगोडप्रे शश्री ररामचन्दजश्री ककी ओर दप्रेख-दप्रेखकर
हहनहहनरातप्रे हमैं। यह दप्रेखकर हनषराद लगोग हवषराद कप्रे वश हगोकर हसर धपुन-धपुनकर (पश्रीट-
पश्रीटकर) पछतरातप्रे हमैं॥99॥
कप्रे वट करा पप्रेम और गमंगरा परार जरानरा
चरौपराई :
* जरासपु हबयगोग हबकल पसपु ऐसमें। पजरा मरातपु हपतपु हजइहहहमं कहै समें॥
बरबस रराम सपुममंत्रपु पठराए। सपुरसरर तश्रीर आपपु तब आए॥1॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे हवयगोग ममें पशपु इस पकरार व्यराकपुल हमैं, उनकप्रे हवयगोग ममें पजरा, मरातरा
और हपतरा कहै सप्रे जश्रीतप्रे रहमेंगप्रे? शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे जबदर्णस्तश्री सपुममंत्र कगो लरौटरायरा। तब आप
गमंगराजश्री कप्रे तश्रीर पर आए॥1॥
* मरागश्री नराव न कप्रे वटपु आनरा। कहइ तपुम्हरार मरमपु ममैं जरानरा॥
चरन कमल रज कहह हूँ सबपु कहई। मरानपुष करहन मपूरर कछपु अहई॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रराम नप्रे कप्रे वट सप्रे नराव मराहूँगश्री, पर वह लरातरा नहहीं। वह कहनप्रे लगरा- ममैंनप्रे
तपुम्हराररा ममर्ण (भप्रेद) जरान हलयरा। तपुम्हरारप्रे चरर कमलर ककी धपूल कप्रे हलए सब लगोग
कहतप्रे हमैं हक वह मनपुष्य बनरा दप्रेनप्रे वरालश्री कगोई जडश्री हहै ,॥2॥
* छपु अत हसलरा भइ नरारर सपुहराई। पराहन तमें न कराठ कहठनराई॥
तरहनउ मपुहन घररनश्री हगोइ जराई। बराट परइ मगोरर नराव उडराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे छपूतप्रे हश्री पत्रर ककी हशलरा सपुदमं रश्री स्त्रश्री हगो गई (मप्रेरश्री नराव तगो कराठ ककी
हहै)। कराठ पत्रर सप्रे कठगोर तगो हगोतरा नहहीं। मप्रेरश्री नराव भश्री मपुहन ककी स्त्रश्री हगो जराएगश्री और
इस पकरार मप्रेरश्री नराव उड जराएगश्री, ममैं लपुट जराऊहूँगरा (अरवरा ररास्तरा रक जराएगरा,
हजससप्रे आप परार न हगो सकमें गप्रे और मप्रेरश्री रगोजश्री मरारश्री जराएगश्री) (मप्रेरश्री कमरानप्रे-खरानप्रे ककी
रराह हश्री मरारश्री जराएगश्री)॥3॥
* एहहमं पहतपरालउहूँ सबपु पररवरारू। नहहमं जरानउहूँ कछपु अउर कबरारू॥
जजौं पभपु परार अवहस गरा चहहह । मगोहह पद पदमपु पखरारन कहहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैं तगो इसश्री नराव सप्रे सरारप्रे पररवरार करा परालन-पगोषर करतरा हह।हूँ दस पू ररा कगोई धमंधरा
नहहीं जरानतरा। हप्रे पभपु! यहद तपुम अवश्य हश्री परार जरानरा चराहतप्रे हगो तगो मपुझप्रे पहलप्रे अपनप्रे
चररकमल पखरारनप्रे (धगो लप्रेनप्रे) कप्रे हलए कह दगो॥4॥
छन्द :
* पद कमल धगोइ चढराइ नराव न नरार उतरराई चहजौं।
मगोहह रराम रराउरर आन दसररसपर सब सराचश्री कहजौं॥
बर तश्रीर मरारहह हूँ लखनपु पहै जब लहग न पराय पखराररहजौं।
तब लहग न तपुलसश्रीदरास नरार कमृ पराल परार उतराररहजौं॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! ममैं चरर कमल धगोकर आप लगोगर कगो नराव पर चढरा लपूहूँगरा, ममैं
आपसप्रे कपु छ उतरराई नहहीं चराहतरा। हप्रे रराम! मपुझप्रे आपककी दहपु राई और दशररजश्री ककी
सरौगमंध हहै, ममैं सब सच-सच कहतरा हह हूँ। लक्ष्मर भलप्रे हश्री मपुझप्रे तश्रीर मरारमें, पर जब तक
ममैं पहैरर कगो पखरार न लपूहूँगरा, तब तक हप्रे तपुलसश्रीदरास कप्रे नरार! हप्रे कमृ परालपु! ममैं परार
नहहीं उतरारूहूँगरा।
सगोरठरा :
* सपुहन कप्रे वट कप्रे बहैन पप्रेम लपप्रेटप्रे अटपटप्रे।
हबहसप्रे करनराऐन हचतइ जरानककी लखन तन॥100॥
भरावरारर्ण:-कप्रे वट कप्रे पप्रेम ममें लपप्रेटप्रे हहए अटपटप्रे वचन सपुनकर कररराधराम शश्री ररामचन्दजश्री
जरानककीजश्री और लक्ष्मरजश्री ककी ओर दप्रेखकर हहूँसप्रे॥100॥
चरौपराई :
* कमृ पराहसमंधपु बगोलप्रे मपुसपुकराई। सगोइ कर जप्रेहहमं तव नराव न जराई॥
बप्रेहग आनपु जलपराय पखरारू। हगोत हबलमंबपु उतरारहह परारू॥1॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे वट सप्रे मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे भराई! तपू वहश्री कर
हजससप्रे तप्रेरश्री नराव न जराए। जल्दश्री परानश्री लरा और पहैर धगो लप्रे। दप्रेर हगो रहश्री हहै , परार
उतरार दप्रे॥1॥
* जरासपु नराम सपुहमरत एक बराररा। उतरहहमं नर भवहसमंधपु अपराररा॥
सगोइ कमृ परालपु कप्रे वटहह हनहगोररा। जप्रेहहमं जगपु हकय हतहह पगहह तप्रे रगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार हजनकरा नराम स्मरर करतप्रे हश्री मनपुष्य अपरार भवसरागर कप्रे परार उतर
जरातप्रे हमैं और हजन्हरनप्रे (वरामनरावतरार ममें) जगत कगो तश्रीन पग सप्रे भश्री छगोटरा कर हदयरा
ररा (दगो हश्री पग ममें हत्रलगोककी कगो नराप हलयरा ररा), वहश्री कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री (गमंगराजश्री
सप्रे परार उतरारनप्रे कप्रे हलए) कप्रे वट करा हनहगोररा कर रहप्रे हमैं!॥2॥
* पद नख हनरहख दप्रेवसरर हरषश्री। सपुहन पभपु बचन मगोहहूँ महत करषश्री॥
कप्रे वट रराम रजरायसपु परावरा। पराहन कठवतरा भरर लप्रेइ आवरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे इन वचनर कगो सपुनकर गमंगराजश्री ककी बपुहद मगोह सप्रे हखमंच गई रश्री (हक
यप्रे सराक्षरात भगवरान हगोकर भश्री परार उतरारनप्रे कप्रे हलए कप्रे वट करा हनहगोररा कहै सप्रे कर रहप्रे
हमैं), परन्तपु (समश्रीप आनप्रे पर अपनश्री उत्पहर कप्रे स्ररान) पदनखर कगो दप्रेखतप्रे हश्री (उन्हमें
पहचरानकर) दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री हहषर्णत हगो गई।मं (वप्रे समझ गई मं हक भगवरान नरलश्रीलरा कर
रहप्रे हमैं, इससप्रे उनकरा मगोह नष्टि हगो गयरा और इन चररर करा स्पशर्ण पराप्त करकप्रे ममैं धन्य
हगोऊहूँगश्री, यह हवचरारकर वप्रे हहषर्णत हगो गई।मं ) कप्रे वट शश्री ररामचन्दजश्री ककी आजरा पराकर
कठरौतप्रे ममें भरकर जल लप्रे आयरा॥3॥
* अहत आनमंद उमहग अनपुररागरा। चरन सरगोज पखरारन लरागरा॥
बरहष सपुमन सपुर सकल हसहराहहीं। एहह सम पपुन्यपपुमंज कगोउ नराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त आनमंद और पप्रेम ममें उममंगकर वह भगवरान कप्रे चररकमल धगोनप्रे लगरा।
सब दप्रेवतरा फिपूल बरसराकर हसहरानप्रे लगप्रे हक इसकप्रे समरान पपुण्य ककी रराहश कगोई नहहीं हहै॥
4॥
दगोहरा :
* पद पखरारर जलपु परान करर आपपु सहहत पररवरार।
हपतर परार करर पभपुहह पपुहन मपुहदत गयउ लप्रेइ परार॥101॥
भरावरारर्ण:-चररर कगो धगोकर और सरारप्रे पररवरार सहहत स्वयमं उस जल (चररगोदक) कगो
पश्रीकर पहलप्रे (उस महरान पपुण्य कप्रे दराररा) अपनप्रे हपतरर कगो भवसरागर सप्रे परार कर हफिर
आनमंदपपूवर्णक पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो गमंगराजश्री कप्रे परार लप्रे गयरा॥101॥
चरौपराई :
* उतरर ठराढ भए सपुरसरर रप्रेतरा। सश्रीय ररामपुगपुह लखन समप्रेतरा॥
कप्रे वट उतरर दमंडवत ककीन्हरा। पभपुहह सकपु च एहह नहहमं कछपु दश्रीन्हरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज और लक्ष्मरजश्री सहहत शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री (नराव सप्रे)
उतरकर गमंगराजश्री ककी रप्रेत (बरालपू) ममें खडप्रे हगो गए। तब कप्रे वट नप्रे उतरकर दण्डवत ककी।
(उसकगो दण्डवत करतप्रे दप्रेखकर) पभपु कगो समंकगोच हह आ हक इसकगो कपु छ हदयरा नहहीं॥1॥
* हपय हहय ककी हसय जरानहनहरारश्री। महन मपुदरश्री मन मपुहदत उतरारश्री॥
कहप्रेउ कमृ पराल लप्रेहह उतरराई। कप्रे वट चरन गहप्रे अकपु लराई॥2॥
भरावरारर्ण:-पहत कप्रे हृदय ककी जराननप्रे वरालश्री सश्रीतराजश्री नप्रे आनमंद भरप्रे मन सप्रे अपनश्री रत्न
जहमडत अहूँगपूठश्री (अहूँगपुलश्री सप्रे) उतरारश्री। कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कप्रे वट सप्रे कहरा, नराव
ककी उतरराई लगो। कप्रे वट नप्रे व्यराकपुल हगोकर चरर पकड हलए॥2॥
* नरार आजपु ममैं कराह न परावरा। हमटप्रे दगोष दख पु दराररद दरावरा॥
बहह त कराल ममैं ककीहन्ह मजपूरश्री। आजपु दश्रीन्ह हबहध बहन भहल भपूरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(उसनप्रे कहरा-) हप्रे नरार! आज ममैंनप्रे क्यरा नहहीं परायरा! मप्रेरप्रे दगोष, दद्धाःपु ख और
दररदतरा ककी आग आज बपुझ गई हहै। ममैंनप्रे बहह त समय तक मजदरपू श्री ककी। हवधरातरा नप्रे
आज बहह त अच्छश्री भरपपूर मजदरपू श्री दप्रे दश्री॥3॥
* अब कछपु नरार न चराहहअ मगोरमें। दश्रीन दयराल अनपुगह तगोरमें॥
हफिरतश्री बरार मगोहह जगो दप्रेबरा। सगो पसराद पु ममैं हसर धरर लप्रेबरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हप्रे दश्रीनदयराल! आपककी कमृ परा सप्रे अब मपुझप्रे कपु छ नहहीं चराहहए। लरौटतश्री
बरार आप मपुझप्रे जगो कपु छ दमेंगप्रे, वह पसराद ममैं हसर चढराकर लपूहूँगरा॥4॥
दगोहरा :
* बहह त ककीन्ह पभपु लखन हसयहूँ नहहमं कछपु कप्रे वटपु लप्रेइ।
हबदरा ककीन्ह करनरायतन भगहत हबमल बर दप्रेइ॥102॥
भरावरारर्ण:- पभपु शश्री ररामजश्री, लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री नप्रे बहह त आगह (यरा यत्न)
हकयरा, पर कप्रे वट कपु छ नहहीं लप्रेतरा। तब करररा कप्रे धराम भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
हनमर्णल भहक्त करा वरदरान दप्रेकर उसप्रे हवदरा हकयरा॥ 102॥
चरौपराई :
* तब मजनपु करर रघपुकपुलनराररा। पपूहज परारहरव नरायउ मराररा॥
हसयहूँ सपुरसररहह कहप्रेउ कर जगोरश्री। मरातपु मनगोरर पपुरउहब मगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हफिर रघपुकपुल कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे स्नरान करकप्रे पराहरर्णव पपूजरा ककी और
हशवजश्री कगो हसर नवरायरा। सश्रीतराजश्री नप्रे हरार जगोडकर गमंगराजश्री सप्रे कहरा- हप्रे मरातरा! मप्रेररा
मनगोरर पपूररा ककीहजएगरा॥1॥
* पहत दप्रेवर सहूँग कपु सल बहगोरश्री। आइ करजौं जप्रेहहमं पपूजरा तगोरश्री॥
सपुहन हसय हबनय पप्रेम रस सरानश्री। भइ तब हबमल बरारर बर बरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजससप्रे ममैं पहत और दप्रेवर कप्रे सरार कपु शलतरापपूवर्णक लरौट आकर तपुम्हरारश्री पपूजरा
करूहूँ। सश्रीतराजश्री ककी पप्रेम रस ममें सनश्री हह ई हवनतश्री सपुनकर तब गमंगराजश्री कप्रे हनमर्णल जल ममें
सप्रे शप्रेष वरारश्री हह ई-॥2॥
* सपुनपु रघपुबश्रीर हपयरा बहैदप्रेहश्री। तब पभराउ जग हबहदत न कप्रे हश्री॥
लगोकप हगोहहमं हबलगोकत तगोरमें। तगोहह सप्रेवहहमं सब हसहध कर जगोरमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुवश्रीर ककी हपयतमरा जरानककी! सपुनगो, तपुम्हराररा पभराव जगत ममें हकसप्रे नहहीं
मरालपूम हहै? तपुम्हरारप्रे (कमृ परा दृहष्टि सप्रे) दप्रेखतप्रे हश्री लगोग लगोकपराल हगो जरातप्रे हमैं। सब
हसहदयराहूँ हरार जगोडप्रे तपुम्हरारश्री सप्रेवरा करतश्री हमैं॥ 3॥
* तपुम्ह जगो हमहह बहड हबनय सपुनराई। कमृ परा ककीहन्ह मगोहह दश्रीहन्ह बडराई॥
तदहप दप्रेहब ममैं दप्रेहब असश्रीसरा। सफिल हगोन हहत हनज बरागश्रीसरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तपुमनप्रे जगो मपुझकगो बडश्री हवनतश्री सपुनराई, यह तगो मपुझ पर कमृ परा ककी और मपुझप्रे
बडराई दश्री हहै। तगो भश्री हप्रे दप्रेवश्री! ममैं अपनश्री वरारश्री सफिल हगोनप्रे कप्रे हलए तपुम्हमें आशश्रीवरार्णद
दहूँगपू श्री॥4॥
दगोहरा :
* पराननरार दप्रेवर सहहत कपु सल कगोसलरा आइ।
पपूहजहह सब मनकरामनरा सपुजसपु रहहहह जग छराइ॥103॥
भरावरारर्ण:-तपुम अपनप्रे परारनरार और दप्रेवर सहहत कपु शलपपूवर्णक अयगोध्यरा लरौटगोगश्री। तपुम्हरारश्री
सरारश्री मनद्धाःकरामनराएहूँ पपूरश्री हरगश्री और तपुम्हराररा सपुदमं र यश जगतभर ममें छरा जराएगरा॥ 103॥
चरौपराई :
* गमंग बचन सपुहन ममंगल मपूलरा। मपुहदत सश्रीय सपुरसरर अनपुकपू लरा॥
तब पभपु गपुहहह कहप्रेउ घर जराहह। सपुनत सपूख मपुखपु भरा उर दराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-ममंगल कप्रे मपूल गमंगराजश्री कप्रे वचन सपुनकर और दप्रेवनदश्री कगो अनपुकपूल दप्रेखकर
सश्रीतराजश्री आनमंहदत हह ई।मं तब पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हनषरादरराज गपुह सप्रे कहरा हक भहैयरा!
अब तपुम घर जराओ! यह सपुनतप्रे हश्री उसकरा मपुहूँह सपूख गयरा और हृदय ममें दराह उत्पन्न
हगो गयरा॥1॥
* दश्रीन बचन गपुह कह कर जगोरश्री। हबनय सपुनहह रघपुकपुलमहन मगोरश्री॥
नरार सरार रहह पमंरपु दप्रेखराई। करर हदन चरारर चरन सप्रेवकराई॥2॥
भरावरारर्ण:-गपुह हरार जगोडकर दश्रीन वचन बगोलरा- हप्रे रघपुकपुल हशरगोमहर! मप्रेरश्री हवनतश्री
सपुहनए। ममैं नरार (आप) कप्रे सरार रहकर, ररास्तरा हदखराकर, चरार (कपु छ) हदन चररर
ककी सप्रेवरा करकप्रे -॥2॥
* जप्रेहहमं बन जराइ रहब रघपुरराई। परनकपु टश्री ममैं करहब सपुहराई॥
तब मगोहह कहहूँ जहस दप्रेब रजराई। सगोइ कररहउहूँ रघपुबश्रीर दगोहराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुरराज! हजस वन ममें आप जराकर रहमेंगप्रे, वहराहूँ ममैं सपुदमं र परर्णकपुटश्री (परर
ककी कपु हटयरा) बनरा दहूँगपू रा। तब मपुझप्रे आप जहैसश्री आजरा दमेंगप्रे, मपुझप्रे रघपुवश्रीर (आप) ककी
दहपु राई हहै, ममैं वहैसरा हश्री करूहूँगरा॥3॥
* सहज सनप्रेह रराम लहख तरासपू। समंग लश्रीन्ह गपुह हृदयहूँ हह लरासपू॥
पपुहन गपुहहूँ ग्यराहत बगोहल सब लश्रीन्हप्रे। करर पररतगोषपु हबदरा तब ककीन्हप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे स्वराभराहवक पप्रेम कगो दप्रेखकर शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे उसकगो सरार लप्रे हलयरा,
इससप्रे गपुह कप्रे हृदय ममें बडरा आनमंद हहआ। हफिर गपुह (हनषरादरराज) नप्रे अपनश्री जराहत कप्रे
लगोगर कगो बपुलरा हलयरा और उनकरा समंतगोष करराकप्रे तब उनकगो हवदरा हकयरा॥4॥

पयराग पहह हूँचनरा, भरदराज समंवराद, यमपुनरातश्रीर हनवराहसयर करा पप्रेम


दगोहरा :
* तब गनपहत हसव सपुहमरर पभपु नराइ सपुरसररहह मरार।
सखरा अनपुज हसय सहहत बन गवनपु ककीन्ह रघपुनरार॥104॥
भरावरारर्ण:-तब पभपु शश्री रघपुनरारजश्री गरप्रेशजश्री और हशवजश्री करा स्मरर करकप्रे तररा गमंगराजश्री
कगो मस्तक नवराकर सखरा हनषरादरराज, छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत वन
कगो चलप्रे॥104॥
चरौपराई :
* तप्रेहह हदन भयउ हबटप तर बरासपू। लखन सखराहूँ सब ककीन्ह सपुपरासपू॥
परात परातकमृ त करर रघपुरराई। तश्रीरररराजपु दश्रीख पभपु जराई॥1॥
भरावरारर्ण:-उस हदन पप्रेड कप्रे नश्रीचप्रे हनवरास हह आ। लक्ष्मरजश्री और सखरा गपुह नप्रे (हवशराम
ककी) सब सपुव्यवस्ररा कर दश्री। पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सबप्रेरप्रे परातद्धाःकराल ककी सब हकयराएहूँ
करकप्रे जराकर तश्रीरर्मों कप्रे रराजरा पयराग कप्रे दशर्णन हकए॥1॥
* सहचव सत्य शदरा हपय नरारश्री। मराधव सररस मश्रीतपु हहतकरारश्री॥
चरारर पदरारर भररा भहूँडरारू। पपुन्य पदप्रेस दप्रेस अहत चरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-उस रराजरा करा सत्य ममंत्रश्री हहै, शदरा प्यरारश्री स्त्रश्री हहै और शश्री वप्रेरश्रीमराधवजश्री
सरश्रीखप्रे हहतकरारश्री हमत्र हमैं। चरार पदरारर्मों (धमर्ण, अरर्ण, कराम और मगोक्ष) सप्रे भमंडरार भररा
हहै और वह पपुण्यमय परामंत हश्री उस रराजरा करा सपुमंदर दप्रेश हहै॥ 2॥
* छप्रेत्रपु अगम गढपु गराढ सपुहरावरा। सपनप्रेहहहूँ नहहमं पहतपहच्छन्ह परावरा॥
सप्रेन सकल तश्रीरर बर बश्रीररा। कलपुष अनश्रीक दलन रनधश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पयराग क्षप्रेत्र हश्री दगपु र्णम, मजबपूत और सपुदमं र गढ (हकलरा) हहै, हजसकगो स्वप्न ममें
भश्री (पराप रूपश्री) शत्रपु नहहीं परा सकप्रे हमैं। समंपपूरर्ण तश्रीरर्ण हश्री उसकप्रे शप्रेष वश्रीर सहैहनक हमैं,
जगो पराप ककी सप्रेनरा कगो कपु चल डरालनप्रे वरालप्रे और बडप्रे ररधश्रीर हमैं॥3॥
* समंगमपु हसमंहरासनपु सपुहठ सगोहरा। छत्रपु अखयबटपु मपुहन मनपु मगोहरा॥
चवहूँर जमपुन अर गमंग तरमंगरा। दप्रेहख हगोहहमं दख पु दराररद भमंगरा॥4॥
भरावरारर्ण:-((गमंगरा, यमपुनरा और सरस्वतश्री करा) समंगम हश्री उसकरा अत्यन्त सपुशगोहभत
हसमंहरासन हहै। अक्षयवट छत्र हहै, जगो मपुहनयर कप्रे भश्री मन कगो मगोहहत कर लप्रेतरा हहै।
यमपुनराजश्री और गमंगराजश्री ककी तरमंगमें उसकप्रे (श्यराम और श्वप्रेत) चहूँवर हमैं, हजनकगो दप्रेखकर
हश्री दद्धाःपु ख और दररदतरा नष्टि हगो जरातश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* सप्रेवहहमं सपुकमृतश्री सराधपु सपुहच परावहहमं सब मनकराम।
बमंदश्री बप्रेद पपुररान गन कहहहमं हबमल गपुन गराम॥105॥
भरावरारर्ण:-पपुण्यरात्मरा, पहवत्र सराधपु उसककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं और सब मनगोरर परातप्रे हमैं। वप्रेद
और पपुररारर कप्रे समपूह भराट हमैं, जगो उसकप्रे हनमर्णल गपुरगरर करा बखरान करतप्रे हमैं॥105॥
चरौपराई :
* कगो कहह सकइ पयराग पभराऊ। कलपुष पपुमंज कपुमं जर ममृगरराऊ॥
अस तश्रीररपहत दप्रेहख सपुहरावरा। सपुख सरागर रघपुबर सपुख पु परावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-परापर कप्रे समपूह रूपश्री हरारश्री कप्रे मरारनप्रे कप्रे हलए हसमंह रूप पयरागरराज करा पभराव
(महत्व-मराहरात्म्य) करौन कह सकतरा हहै। ऐसप्रे सपुहरावनप्रे तश्रीरर्णरराज करा दशर्णन कर सपुख कप्रे
समपुद रघपुकपुल शप्रेष शश्री ररामजश्री नप्रे भश्री सपुख परायरा॥ 1॥
* कहह हसय लखनहह सखहह सपुनराई। शश्री मपुख तश्रीरररराज बडराई॥
करर पनरामपु दप्रेखत बन बरागरा। कहत महरातम अहत अनपुररागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे अपनप्रे शश्रीमपुख सप्रे सश्रीतराजश्री, लक्ष्मरजश्री और सखरा गपुह कगो तश्रीरर्णरराज ककी
महहमरा कहकर सपुनराई। तदनन्तर परराम करकप्रे , वन और बगश्रीचर कगो दप्रेखतप्रे हह ए और
बडप्रे पप्रेम सप्रे मराहरात्म्य कहतप्रे हह ए-॥2॥
* एहह हबहध आइ हबलगोककी बप्रेनश्री। सपुहमरत सकल सपुममंगल दप्रेनश्री॥
मपुहदत नहराइ ककीहन्ह हसव सप्रेवरा। पपूहज जरराहबहध तश्रीरर दप्रेवरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार शश्री रराम नप्रे आकर हत्रवप्रेरश्री करा दशर्णन हकयरा, जगो स्मरर करनप्रे सप्रे
हश्री सब सपुदमं र ममंगलर कगो दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। हफिर आनमंदपपूवर्णक (हत्रवप्रेरश्री ममें) स्नरान करकप्रे
हशवजश्री ककी सप्रेवरा (पपूजरा) ककी और हवहधपपूवर्णक तश्रीरर्ण दप्रेवतराओमं करा पपूजन हकयरा॥ 3॥
* तब पभपु भरदराज पहहमं आए। करत दमंडवत मपुहन उर लराए॥
मपुहन मन मगोद न कछपु कहह जराई। ब्रहरानमंद रराहस जनपु पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(स्नरान, पपूजन आहद सब करकप्रे ) तब पभपु शश्री ररामजश्री भरदराजजश्री कप्रे परास
आए। उन्हमें दण्डवत करतप्रे हह ए हश्री मपुहन नप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा। मपुहन कप्रे मन करा
आनमंद कपु छ कहरा नहहीं जरातरा। मरानगो उन्हमें ब्रहरानन्द ककी रराहश हमल गई हगो॥ 4॥
दगोहरा :
* दश्रीहन्ह असश्रीस मपुनश्रीस उर अहत अनमंद पु अस जराहन।
लगोचन गगोचर सपुकमृत फिल मनहह हूँ हकए हबहध आहन॥106॥
भरावरारर्ण:-मपुनश्रीश्वर भरदराजजश्री नप्रे आशश्रीवरार्णद हदयरा। उनकप्रे हृदय ममें ऐसरा जरानकर अत्यन्त
आनमंद हहआ हक आज हवधरातरा नप्रे (शश्री सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन करराकर) मरानगो हमरारप्रे सम्पपूरर्ण पपुण्यर कप्रे फिल कगो लराकर आहूँखर कप्रे
सरामनप्रे कर हदयरा॥106॥
चरौपराई :
* कपु सल पस्न करर आसन दश्रीन्हप्रे। पपूहज पप्रेम पररपपूरन ककीन्हप्रे॥
कमंद मपूल फिल अमंकपुर नश्रीकप्रे। हदए आहन मपुहन मनहह हूँ अमश्री कप्रे ॥1॥
भरावरारर्ण:-कपु शल पपूछकर मपुहनरराज नप्रे उनकगो आसन हदए और पप्रेम सहहत पपूजन करकप्रे
उन्हमें समंतपुष्टि कर हदयरा। हफिर मरानगो अममृत कप्रे हश्री बनप्रे हर, ऐसप्रे अच्छप्रे-अच्छप्रे कन्द,
मपूल, फिल और अमंकपुर लराकर हदए॥1॥
* सश्रीय लखन जन सहहत सपुहराए। अहत रहच रराम मपूल फिल खराए॥
भए हबगतशम ररामपु सपुखरारप्रे। भरदराज ममृद पु बचन उचरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री, लक्ष्मरजश्री और सप्रेवक गपुह सहहत शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे उन सपुदमं र मपूल -
फिलर कगो बडश्री रहच कप्रे सरार खरायरा। रकरावट दरपू हगोनप्रे सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री सपुखश्री हगो
गए। तब भरदराजजश्री नप्रे उनसप्रे कगोमल वचन कहप्रे-॥2॥
* आजपु सफिल तपपु तश्रीरर त्यरागपू। आजपु सपुफिल जप जगोग हबररागपू॥
सफिल सकल सपुभ सराधन सराजपू। रराम तपुम्हहह अवलगोकत आजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! आपकरा दशर्णन करतप्रे हश्री आज मप्रेररा तप, तश्रीरर्ण सप्रेवन और त्यराग
सफिल हगो गयरा। आज मप्रेररा जप, यगोग और वहैरराग्य सफिल हगो गयरा और आज मप्रेरप्रे
सम्पपूरर्ण शपुभ सराधनर करा समपुदराय भश्री सफिल हगो गयरा॥ 3॥
* लराभ अवहध सपुख अवहध न दज पू श्री। तपुम्हरमें दरस आस सब पपूजश्री॥
अब करर कमृ परा दप्रेहह बर एहह । हनज पद सरहसज सहज सनप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-लराभ ककी सश्रीमरा और सपुख ककी सश्रीमरा (पभपु कप्रे दशर्णन कगो छगोडकर) दस पू रश्री
कपु छ भश्री नहहीं हहै। आपकप्रे दशर्णन सप्रे मप्रेरश्री सब आशराएहूँ पपूरर्ण हगो गई।मं अब कमृ परा करकप्रे यह
वरदरान दश्रीहजए हक आपकप्रे चरर कमलर ममें मप्रेररा स्वराभराहवक पप्रेम हगो॥4॥
दगोहरा :
* करम बचन मन छराहड छलपु जब लहग जनपु न तपुम्हरार।
तब लहग सपुखपु सपनप्रेहहहूँ नहहीं हकएहूँ कगोहट उपचरार॥107॥
भरावरारर्ण:- जब तक कमर्ण, वचन और मन सप्रे छल छगोडकर मनपुष्य आपकरा दरास नहहीं
हगो जरातरा, तब तक करगोडर उपराय करनप्रे सप्रे भश्री, स्वप्न ममें भश्री वह सपुख नहहीं परातरा॥
107॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन बचन ररामपु सकपु चरानप्रे। भराव भगहत आनमंद अघरानप्रे॥
तब रघपुबर मपुहन सपुजसपु सपुहरावरा। कगोहट भराहूँहत कहह सबहह सपुनरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे वचन सपुनकर, उनककी भराव-भहक्त कप्रे करारर आनमंद सप्रे तमृप्त हह ए
भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री (लश्रीलरा ककी दृहष्टि सप्रे) सकपु चरा गए। तब (अपनप्रे ऐश्वयर्ण कगो
हछपरातप्रे हह ए) शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे भरदराज मपुहन करा सपुदमं र सपुयश करगोडर (अनप्रेकर) पकरार
सप्रे कहकर सबकगो सपुनरायरा॥1॥
* सगो बड सगो सब गपुन गन गप्रेहह। जप्रेहह मपुनश्रीस तपुम्ह आदर दप्रेहह॥
मपुहन रघपुबश्रीर परसपर नवहहीं। बचन अगगोचर सपुख पु अनपुभवहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे मपुनश्रीश्वर! हजसकगो आप आदर दमें, वहश्री बडरा हहै और
वहश्री सब गपुर समपूहर करा घर हहै। इस पकरार शश्री ररामजश्री और मपुहन भरदराजजश्री दगोनर
परस्पर हवनम्र हगो रहप्रे हमैं और अहनवर्णचनश्रीय सपुख करा अनपुभव कर रहप्रे हमैं॥ 2॥
* यह सपुहध पराइ पयराग हनवरासश्री। बटपु तरापस मपुहन हसद उदरासश्री॥
भरदराज आशम सब आए। दप्रेखन दसरर सपुअन सपुहराए॥3॥
भरावरारर्ण:-यह (शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतराजश्री कप्रे आनप्रे ककी) खबर पराकर पयराग
हनवरासश्री ब्रहचरारश्री, तपस्वश्री, मपुहन, हसद और उदरासश्री सब शश्री दशररजश्री कप्रे सपुमंदर पपुत्रर
कगो दप्रेखनप्रे कप्रे हलए भरदराजजश्री कप्रे आशम पर आए॥3॥
* रराम पनराम ककीन्ह सब कराहह। मपुहदत भए लहह लगोयन लराहह॥
दप्रेहहमं असश्रीस परम सपुखपु पराई। हफिरप्रे सरराहत सपुमंदरतराई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सब हकसश्री कगो परराम हकयरा। नप्रेत्रर करा लराभ पराकर सब
आनमंहदत हगो गए और परम सपुख पराकर आशश्रीवरादर्ण दप्रेनप्रे लगप्रे। शश्री ररामजश्री कप्रे सजौंदयर्ण ककी
सरराहनरा करतप्रे हहए वप्रे लरौटप्रे॥4॥
दगोहरा :
* रराम ककीन्ह हबशराम हनहस परात पयराग नहराइ।
चलप्रे सहहतहसय लखन जन मपुहदत मपुहनहह हसर नराइ॥108॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे ररात कगो वहहीं हवशराम हकयरा और परातद्धाःकराल पयरागरराज करा स्नरान
करकप्रे और पसन्नतरा कप्रे सरार मपुहन कगो हसर नवराकर शश्री सश्रीतराजश्री , लक्ष्मरजश्री और
सप्रेवक गपुह कप्रे सरार वप्रे चलप्रे॥108॥
चरौपराई :
* रराम सपप्रेम कहप्रेउ मपुहन पराहहीं। नरार कहहअ हम कप्रे हह मग जराहहीं॥
मपुहन मन हबहहस रराम सन कहहहीं। सपुगम सकल मग तपुम्ह कहह हूँ अहहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-(चलतप्रे समय) बडप्रे पप्रेम सप्रे शश्री ररामजश्री नप्रे मपुहन सप्रे कहरा- हप्रे नरार! बतराइए
हम हकस मरागर्ण सप्रे जराएहूँ। मपुहन मन ममें हहूँसकर शश्री ररामजश्री सप्रे कहतप्रे हमैं हक आपकप्रे हलए
सभश्री मरागर्ण सपुगम हमैं॥1॥
* सरार लराहग मपुहन हसष्य बगोलराए। सपुहन मन मपुहदत पचरासक आए॥
सबहन्ह रराम पर पप्रेम अपराररा। सकल कहहहमं मगपु दश्रीख हमराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर उनकप्रे सरार कप्रे हलए मपुहन नप्रे हशष्यर कगो बपुलरायरा। (सरार जरानप्रे ककी बरात)
सपुनतप्रे हश्री हचर ममें हहषर्णत हगो कगोई पचरास हशष्य आ गए। सभश्री करा शश्री ररामजश्री पर
अपरार पप्रेम हहै। सभश्री कहतप्रे हमैं हक मरागर्ण हमराररा दप्रेखरा हहआ हहै॥2॥
* मपुहन बटपु चरारर समंग तब दश्रीन्हप्रे। हजन्ह बहह जनम सपुकमृत सब ककीन्हप्रे॥
करर पनरामपु ररहष आयसपु पराई। पमपुहदत हृदयहूँ चलप्रे रघपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-तब मपुहन नप्रे (चपुनकर) चरार ब्रहचराररयर कगो सरार कर हदयरा, हजन्हरनप्रे बहह त
जन्मर तक सब सपुकमृत (पपुण्य) हकए रप्रे। शश्री रघपुनरारजश्री परराम कर और ऋहष ककी
आजरा पराकर हृदय ममें बडप्रे हश्री आनमंहदत हगोकर चलप्रे॥ 3॥
* गराम हनकट जब हनकसहहमं जराई। दप्रेखहहमं दरसपु नरारर नर धराई॥
हगोहहमं सनरार जनम फिलपु पराई। हफिरहहमं दहपु खत मनपु समंग पठराई॥4॥
भरावरारर्ण:-जब वप्रे हकसश्री गराहूँव कप्रे परास हगोकर हनकलतप्रे हमैं, तब स्त्रश्री-पपुरष दरौडकर उनकप्रे
रूप कगो दप्रेखनप्रे लगतप्रे हमैं। जन्म करा फिल पराकर वप्रे (सदरा कप्रे अनरार) सनरार हगो जरातप्रे
हमैं और मन कगो नरार कप्रे सरार भप्रेजकर (शरश्रीर सप्रे सरार न रहनप्रे कप्रे करारर) दद्धाःपु खश्री
हगोकर लरौट आतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हबदरा हकए बटपु हबनय करर हफिरप्रे पराइ मन कराम।
उतरर नहराए जमपुन जल जगो सरश्रीर सम स्यराम॥109॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर शश्री ररामजश्री नप्रे हवनतश्री करकप्रे चरारर ब्रहचराररयर कगो हवदरा हकयरा, वप्रे
मनचराहश्री वस्तपु (अनन्य भहक्त) पराकर लरौटप्रे। यमपुनराजश्री कप्रे परार उतरकर सबनप्रे यमपुनराजश्री
कप्रे जल ममें स्नरान हकयरा, जगो शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे शरश्रीर कप्रे समरान हश्री श्यराम रमंग करा
ररा॥109॥
चरौपराई :
* सपुनत तश्रीरबरासश्री नर नरारश्री। धराए हनज हनज कराज हबसरारश्री॥
लखन रराम हसय सपुदमं रतराई। दप्रेहख करहहमं हनज भराग्य बडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-यमपुनराजश्री कप्रे हकनरारप्रे पर रहनप्रे वरालप्रे स्त्रश्री-पपुरष (यह सपुनकर हक हनषराद कप्रे
सरार दगो परम सपुदमं र सपुकपुमरार नवयवपु क और एक परम सपुदमं रश्री स्त्रश्री आ रहश्री हहै) सब
अपनरा-अपनरा कराम भपूलकर दरौडप्रे और लक्ष्मरजश्री , शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री करा सजौंदयर्ण
दप्रेखकर अपनप्रे भराग्य ककी बडराई करनप्रे लगप्रे॥1॥
* अहत लरालसरा बसहहमं मन मराहहीं। नराउहूँ गराउहूँ बपूझत सकपु चराहहीं॥
जप्रे हतन्ह महह हूँ बयहबररध सयरानप्रे। हतन्ह करर जपुगपुहत ररामपु पहहचरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे मन ममें (पररचय जराननप्रे ककी) बहह त सश्री लरालसराएहूँ भरश्री हमैं। पर वप्रे नराम -
गराहूँव पपूछतप्रे सकपु चरातप्रे हमैं। उन लगोगर ममें जगो वयगोवद मृ और चतपुर रप्रे , उन्हरनप्रे यहपु क्त सप्रे शश्री
ररामचन्दजश्री कगो पहचरान हलयरा॥2॥
* सकल कररा हतन्ह सबहह सपुनराई। बनहह चलप्रे हपतपु आयसपु पराई॥
सपुहन सहबषराद सकल पहछतराहहीं। ररानश्री ररायहूँ ककीन्ह भल नराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे सब कररा सब लगोगर कगो सपुनराई हक हपतरा ककी आजरा पराकर यप्रे वन कगो
चलप्रे हमैं। यह सपुनकर सब लगोग दद्धाःपु हखत हगो पछतरा रहप्रे हमैं हक ररानश्री और रराजरा नप्रे
अच्छरा नहहीं हकयरा॥3॥

तरापस पकरर
* तप्रेहह अवसर एक तरापसपु आवरा। तप्रेजपपुमंज लघपुबयस सपुहरावरा॥
कहब अलहखत गहत बप्रेषपु हबररागश्री। मन कम बचन रराम अनपुररागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उसश्री अवसर पर वहराहूँ एक तपस्वश्री आयरा, जगो तप्रेज करा पपुमंज, छगोटश्री अवस्ररा
करा और सपुमंदर ररा। उसककी गहत कहव नहहीं जरानतप्रे (अरवरा वह कहव ररा जगो अपनरा
पररचय नहहीं दप्रेनरा चराहतरा)। वह वहैररागश्री कप्रे वप्रेष ममें ररा और मन, वचन तररा कमर्ण सप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री करा पप्रेमश्री ररा॥4॥
दगोहरा :
* सजल नयन तन पपुलहक हनज इष्टिदप्रेउ पहहचराहन।
परप्रेउ दमंड हजहम धरहनतल दसरा न जराइ बखराहन॥110॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे इष्टिदप्रेव कगो पहचरानकर उसकप्रे नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा और शरश्रीर
पपुलहकत हगो गयरा। वह दण्ड ककी भराहूँहत पमृथ्वश्री पर हगर पडरा, उसककी (पप्रेम हवह्वल)
दशरा करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥ 110॥
चरौपराई :
* रराम सपप्रेम पपुलहक उर लरावरा। परम रमंक जनपु परारसपु परावरा॥
मनहह हूँ पप्रेमपु परमराररपु दगोऊ। हमलत धरमें तन कह सबपु कगोऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे पप्रेमपपूवर्णक पपुलहकत हगोकर उसकगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। (उसप्रे
इतनरा आनमंद हह आ) मरानगो कगोई महरादररदश्री मनपुष्य परारस परा गयरा हगो। सब कगोई (दप्रेखनप्रे
वरालप्रे) कहनप्रे लगप्रे हक मरानगो पप्रेम और परमरारर्ण (परम तत्व) दगोनर शरश्रीर धरारर करकप्रे
हमल रहप्रे हमैं॥1॥
* बहह रर लखन परायन्ह सगोइ लरागरा। लश्रीन्ह उठराइ उमहग अनपुररागरा॥
पपुहन हसय चरन धपूरर धरर सश्रीसरा। जनहन जराहन हससपु दश्रीहन्ह असश्रीसरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर वह लक्ष्मरजश्री कप्रे चररर लगरा। उन्हरनप्रे पप्रेम सप्रे उममंगकर उसकगो उठरा
हलयरा। हफिर उसनप्रे सश्रीतराजश्री ककी चरर धपूहल कगो अपनप्रे हसर पर धरारर हकयरा। मरातरा
सश्रीतराजश्री नप्रे भश्री उसकगो अपनरा बचरा जरानकर आशश्रीवरार्णद हदयरा॥ 2॥
* ककीन्ह हनषराद दमंडवत तप्रेहश्री। हमलप्रेउ मपुहदत लहख रराम सनप्रेहश्री॥
हपअत नयन पपुट रूपपु हपयषपु रा। मपुहदत सपुअसनपु पराइ हजहम भपूखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर हनषरादरराज नप्रे उसकगो दण्डवत ककी। शश्री ररामचन्दजश्री करा पप्रेमश्री जरानकर वह
उस (हनषराद) सप्रे आनमंहदत हगोकर हमलरा। वह तपस्वश्री अपनप्रे नप्रेत्र रूपश्री दगोनर सप्रे शश्री
ररामजश्री ककी सजौंदयर्ण सपुधरा करा परान करनप्रे लगरा और ऐसरा आनमंहदत हहआ जहैसप्रे कगोई भपूखरा
आदमश्री सपुदमं र भगोजन पराकर आनमंहदत हगोतरा हहै॥3॥
* तप्रे हपतपु मरातपु कहहह सहख कहै सप्रे। हजन्ह पठए बन बरालक ऐसप्रे॥
रराम लखन हसय रूपपु हनहरारश्री। हगोहहमं सनप्रेह हबकल नर नरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(इधर गराहूँव ककी हस्त्रयराहूँ कह रहश्री हमैं) हप्रे सखश्री! कहगो तगो, वप्रे मरातरा-हपतरा कहै सप्रे
हमैं, हजन्हरनप्रे ऐसप्रे (सपुदमं र सपुकपुमरार) बरालकर कगो वन ममें भप्रेज हदयरा हहै। शश्री ररामजश्री ,
लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे रूप कगो दप्रेखकर सब स्त्रश्री-पपुरष स्नप्रेह सप्रे व्यराकपुल हगो जरातप्रे
हमैं॥4॥

यमपुनरा कगो परराम, वनवराहसयर करा पप्रेम


दगोहरा :
* तब रघपुबश्रीर अनप्रेक हबहध सखहह हसखरावनपु दश्रीन्ह।।
रराम रजरायसपु सश्रीस धरर भवन गवनपु तप्रेइहूँ ककीन्ह॥111॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सखरा गपुह कगो अनप्रेकर तरह सप्रे (घर लरौट जरानप्रे कप्रे
हलए) समझरायरा। शश्री ररामचन्दजश्री ककी आजरा कगो हसर चढराकर उसनप्रे अपनप्रे घर कगो
गमन हकयरा॥111॥
चरौपराई :
* पपुहन हसयहूँ रराम लखन कर जगोरश्री। जमपुनहह ककीन्ह पनरामपु बहगोरश्री॥
चलप्रे ससश्रीय मपुहदत दगोउ भराई। रहबतनपुजरा कइ करत बडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर सश्रीतराजश्री, शश्री ररामजश्री और लक्ष्मरजश्री नप्रे हरार जगोडकर यमपुनराजश्री कगो पपुनद्धाः
परराम हकयरा और सपूयर्णकन्यरा यमपुनराजश्री ककी बडराई करतप्रे हह ए सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराई
पसन्नतरापपूवर्णक आगप्रे चलप्रे॥1॥
* पहरक अनप्रेक हमलहहमं मग जरातरा। कहहहमं सपप्रेम दप्रेहख दगोउ ररातरा॥
रराज लखन सब अमंग तपुम्हरारमें। दप्रेहख सगोचपु अहत हृदय हमरारमें॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें जरातप्रे हहए उन्हमें अनप्रेकर यरात्रश्री हमलतप्रे हमैं। वप्रे दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर
उनसप्रे पप्रेमपपूवर्णक कहतप्रे हमैं हक तपुम्हरारप्रे सब अमंगर ममें रराज हचह्न दप्रेखकर हमरारप्रे हृदय ममें
बडरा सगोच हगोतरा हहै॥2॥
* मरारग चलहह पयरादप्रेहह पराएहूँ। ज्यगोहतषपु झपूठ हमरारमें भराएहूँ॥
अगमपु पमंरपु हगरर करानन भरारश्री। तप्रेहह महहूँ सरार नरारर सपुकपु मरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(ऐसप्रे रराजहचह्नर कप्रे हगोतप्रे हहए भश्री) तपुम लगोग ररास्तप्रे ममें पहैदल हश्री चल रहप्रे हगो,
इससप्रे हमरारश्री समझ ममें आतरा हहै हक ज्यगोहतष शरास्त्र झपूठरा हश्री हहै। भरारश्री जमंगल और
बडप्रे-बडप्रे पहराडर करा दगपु र्णम ररास्तरा हहै। हतस पर तपुम्हरारप्रे सरार सपुकपु मरारश्री स्त्रश्री हहै॥3॥
* करर कप्रे हरर बन जराइ न जगोई। हम सहूँग चलहहमं जगो आयसपु हगोई॥
जराब जहराहूँ लहग तहहूँ पहह हूँचराई। हफिरब बहगोरर तपुम्हहह हसर नराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हरारश्री और हसमंहर सप्रे भररा यह भयरानक वन दप्रेखरा तक नहहीं जरातरा। यहद आजरा
हगो तगो हम सरार चलमें। आप जहराहूँ तक जराएहूँगप्रे , वहराहूँ तक पहह हूँचराकर, हफिर आपकगो
परराम करकप्रे हम लरौट आवमेंगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध पपूछ हूँ हहमं पप्रेम बस पपुलक गरात जलपु नहैन।
कमृ पराहसमंधपु फिप्रे रहहमं हतन्हहह कहह हबनश्रीत ममृद पु बहैन॥112॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार वप्रे यरात्रश्री पप्रेमवश पपुलहकत शरश्रीर हगो और नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा)
जल भरकर पपूछतप्रे हमैं, हकन्तपु कमृ परा कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री कगोमल हवनययक्त पु वचन
कहकर उन्हमें लरौटरा दप्रेतप्रे हमैं॥112॥
चरौपराई :
* जप्रे पपुर गराहूँव बसहहमं मग मराहहीं। हतन्हहह नराग सपुर नगर हसहराहहीं॥
कप्रे हह सपुकमृतहीं कप्रे हह घरहीं बसराए। धन्य पपुन्यमय परम सपुहराए॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो गराहूँव और पपुरवप्रे ररास्तप्रे ममें बसप्रे हमैं, नरागर और दप्रेवतराओमं कप्रे नगर उनकगो
दप्रेखकर पशमंसरा पपूवर्णक ईषरार्ण करतप्रे और ललचरातप्रे हहए कहतप्रे हमैं हक हकस पपुण्यवरानम नप्रे
हकस शपुभ घडश्री ममें इनकगो बसरायरा ररा, जगो आज यप्रे इतनप्रे धन्य और पपुण्यमय तररा
परम सपुदमं र हगो रहप्रे हमैं॥1॥
* जहहूँ जहहूँ रराम चरन चहल जराहहीं। हतन्ह समरान अमररावहत नराहहीं॥
पपुन्यपपुमंज मग हनकट हनवरासश्री। हतन्हहह सरराहहहमं सपुरपपुरबरासश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ-जहराहूँ शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चरर चलप्रे जरातप्रे हमैं, उनकप्रे समरान इन्द ककी पपुरश्री
अमररावतश्री भश्री नहहीं हहै। ररास्तप्रे कप्रे समश्रीप बसनप्रे वरालप्रे भश्री बडप्रे पपुण्यरात्मरा हमैं- स्वगर्ण ममें
रहनप्रे वरालप्रे दप्रेवतरा भश्री उनककी सरराहनरा करतप्रे हमैं -॥2॥
* जप्रे भरर नयन हबलगोकहहमं ररामहह। सश्रीतरा लखन सहहत घनस्यरामहह॥
जप्रे सर सररत रराम अवगराहहहमं। हतन्हहह दप्रेव सर सररत सरराहहहमं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगो नप्रेत्र भरकर सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत घनश्यराम शश्री ररामजश्री कप्रे दशर्णन
करतप्रे हमैं, हजन तरालराबर और नहदयर ममें शश्री ररामजश्री स्नरान कर लप्रेतप्रे हमैं , दप्रेवसरगोवर
और दप्रेवनहदयराहूँ भश्री उनककी बडराई करतश्री हमैं॥3॥
* जप्रेहह तर तर पभपु बहैठहहमं जराई। करहहमं कलपतर तरासपु बडराई॥
परहस रराम पद पदमपु पररागरा। मरानहत भपूहम भपूरर हनज भरागरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजस वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे पभपु जरा बहैठतप्रे हमैं, कल्पवमृक्ष भश्री उसककी बडराई करतप्रे हमैं।
शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररकमलर ककी रज करा स्पशर्ण करकप्रे पमृथ्वश्री अपनरा बडरा सरौभराग्य
मरानतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* छराहहूँ करहहमं घन हबबपुधगन बरषहहमं सपुमन हसहराहहमं।
दप्रेखत हगरर बन हबहग ममृग ररामपु चलप्रे मग जराहहमं॥ 113॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें बरादल छरायरा करतप्रे हमैं और दप्रेवतरा फिपू ल बरसरातप्रे और हसहरातप्रे हमैं।
पवर्णत, वन और पशपु-पहक्षयर कगो दप्रेखतप्रे हह ए शश्री ररामजश्री ररास्तप्रे ममें चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥
113॥
चरौपराई :
* सश्रीतरा लखन सहहत रघपुरराई। गराहूँव हनकट जब हनकसहहमं जराई॥
सपुहन सब बराल बमृद नर नरारश्री। चलहहमं तपुरत गमृह कराजपु हबसरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत शश्री रघपुनरारजश्री जब हकसश्री गराहूँव कप्रे परास जरा
हनकलतप्रे हमैं, तब उनकरा आनरा सपुनतप्रे हश्री बरालक-बपूढप्रे, स्त्रश्री-पपुरष सब अपनप्रे घर और
कराम-कराज कगो भपूलकर तपुरमंत उन्हमें दप्रेखनप्रे कप्रे हलए चल दप्रेतप्रे हमैं॥1॥
* रराम लखन हसय रूप हनहरारश्री। पराइ नयन फिलपु हगोहहमं सपुखरारश्री॥
सजल हबलगोचन पपुलक सरश्रीररा। सब भए मगन दप्रेहख दगोउ बश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतराजश्री करा रूप दप्रेखकर, नप्रेत्रर करा (परम) फिल
पराकर वप्रे सपुखश्री हगोतप्रे हमैं। दगोनर भराइयर कगो दप्रेखकर सब पप्रेमरानन्द ममें मग्नि हगो गए। उनकप्रे
नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा और शरश्रीर पपुलहकत हगो गए॥2॥
* बरहन न जराइ दसरा हतन्ह कप्रे रश्री। लहह जनपु रमंकन्ह सपुरमहन ढप्रेरश्री॥
एकन्ह एक बगोहल हसख दप्रेहहीं। लगोचन लराहह लप्रेहह छन एहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-उनककी दशरा वरर्णन नहहीं ककी जरातश्री। मरानगो दररदर नप्रे हचन्तरामहर ककी ढप्रेरश्री परा लश्री
हगो। वप्रे एक-एक कगो पपुकरारकर सश्रीख दप्रेतप्रे हमैं हक इसश्री क्षर नप्रेत्रर करा लराभ लप्रे लगो॥ 3॥
* ररामहह दप्रेहख एक अनपुररागप्रे। हचतवत चलप्रे जराहहमं सहूँग लरागप्रे॥
एक नयन मग छहब उर आनश्री। हगोहहमं हसहरल तन मन बर बरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कगोई शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर ऐसप्रे अनपुरराग ममें भर गए हमैं हक वप्रे उन्हमें
दप्रेखतप्रे हहए उनकप्रे सरार लगप्रे चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। कगोई नप्रेत्र मरागर्ण सप्रे उनककी छहब कगो हृदय
ममें लराकर शरश्रीर, मन और शप्रेष वरारश्री सप्रे हशहरल हगो जरातप्रे हमैं (अररार्णतम उनकप्रे शरश्रीर,
मन और वरारश्री करा व्यवहरार बमंद हगो जरातरा हहै)॥4॥
दगोहरा :
* एक दप्रेहख बट छराहूँह भहल डराहस ममृदल पु तमृन परात।
कहहहमं गवराहूँइअ हछनपुकपु शमपु गवनब अबहहमंहक परात॥114॥
भरावरारर्ण:-कगोई बड ककी सपुमंदर छरायरा दप्रेखकर, वहराहूँ नरम घरास और परप्रे हबछराकर कहतप्रे
हमैं हक क्षर भर यहराहूँ बहैठकर रकरावट हमटरा लश्रीहजए। हफिर चराहप्रे अभश्री चलप्रे जराइएगरा,
चराहप्रे सबप्रेरप्रे॥114॥
चरौपराई :
* एक कलस भरर आनहहमं परानश्री। अहूँचइअ नरार कहहहमं ममृद पु बरानश्री॥
सपुहन हपय बचन पश्रीहत अहत दप्रेखश्री। रराम कमृ पराल सपुसश्रील हबसप्रेषश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-कगोई घडरा भरकर परानश्री लप्रे आतप्रे हमैं और कगोमल वरारश्री सप्रे कहतप्रे हमैं - नरार!
आचमन तगो कर लश्रीहजए। उनकप्रे प्यरारप्रे वचन सपुनकर और उनकरा अत्यन्त पप्रेम दप्रेखकर
दयरालपु और परम सपुशश्रील शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे-॥1॥
* जरानश्री शहमत सश्रीय मन मराहहीं। घररक हबलमंबपु ककीन्ह बट छराहहीं॥
मपुहदत नरारर नर दप्रेखहहमं सगोभरा। रूप अनपूप नयन मनपु लगोभरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मन ममें सश्रीतराजश्री कगो रककी हह ई जरानकर घडश्री भर बड ककी छरायरा ममें हवशराम
हकयरा। स्त्रश्री-पपुरष आनमंहदत हगोकर शगोभरा दप्रेखतप्रे हमैं। अनपुपम रूप नप्रे उनकप्रे नप्रेत्र और मनर
कगो लपुभरा हलयरा हहै॥2॥
* एकटक सब सगोहहहमं चहह हूँ ओररा। ररामचन्द मपुख चमंद चकगोररा॥
तरन तमराल बरन तनपु सगोहरा। दप्रेखत कगोहट मदन मनपु मगोहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग टकटककी लगराए शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे मपुख चन्द कगो चकगोर ककी तरह
(तन्मय हगोकर) दप्रेखतप्रे हह ए चरारर ओर सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं। शश्री ररामजश्री करा नवश्रीन
तमराल वमृक्ष कप्रे रमंग करा (श्यराम) शरश्रीर अत्यन्त शगोभरा दप्रे रहरा हहै, हजसप्रे दप्रेखतप्रे हश्री
करगोडर करामदप्रेवर कप्रे मन मगोहहत हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* दराहमहन बरन लखन सपुहठ नश्रीकप्रे। नख हसख सपुभग भरावतप्रे जश्री कप्रे ॥
मपुहन पट कहटन्ह कसमें तपूनश्रीररा। सगोहहहमं कर कमलहन धनपु तश्रीररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हबजलश्री कप्रे सप्रे रमंग कप्रे लक्ष्मरजश्री बहह त हश्री भलप्रे मरालपूम हगोतप्रे हमैं। वप्रे नख सप्रे
हशखरा तक सपुदमं र हमैं और मन कगो बहह त भरातप्रे हमैं। दगोनर मपुहनयर कप्रे (वल्कल आहद)
वस्त्र पहनप्रे हमैं और कमर ममें तरकस कसप्रे हहए हमैं। कमल कप्रे समरान हरारर ममें धनपुष-बरार
शगोहभत हगो रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* जटरा मपुकपुट सश्रीसहन सपुभग उर भपुज नयन हबसराल।
सरद परब हबधपु बदन बर लसत स्वप्रेद कन जराल॥115॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे हसरर पर सपुमंदर जटराओमं कप्रे मपुकपुट हमैं, वक्षद्धाः स्रल, भपुजरा और नप्रेत्र
हवशराल हमैं और शरद पपूहरर्णमरा कप्रे चन्दमरा कप्रे समरान सपुमंदर मपुखर पर पसश्रीनप्रे ककी बपूहूँदर करा
समपूह शगोहभत हगो रहरा हहै॥115॥
चरौपराई :
* बरहन न जराइ मनगोहर जगोरश्री। सगोभरा बहह त रगोरर महत मगोरश्री॥
रराम लखन हसय सपुदमं रतराई। सब हचतवहहमं हचत मन महत लराई॥1॥
भरावरारर्ण:-उस मनगोहर जगोडश्री करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा, क्यरहक शगोभरा बहह त
अहधक हहै और मप्रेरश्री बपुहद रगोडश्री हहै। शश्री रराम , लक्ष्मर और सश्रीतराजश्री ककी सपुमंदरतरा कगो
सब लगोग मन, हचर और बपुहद तश्रीनर कगो लगराकर दप्रेख रहप्रे हमैं॥1॥
* रकप्रे नरारर नर पप्रेम हपआसप्रे। मनहह हूँ ममृगश्री ममृग दप्रेहख हदआ सप्रे॥
सश्रीय समश्रीप गरामहतय जराहहीं। पपूछ हूँ त अहत सनप्रेहहूँ सकपु चराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम कप्रे प्यरासप्रे (वप्रे गराहूँवर कप्रे ) स्त्रश्री-पपुरष (इनकप्रे सजौंदयर्ण-मराधपुयर्ण ककी छटरा
दप्रेखकर) ऐसप्रे रहकत रह गए जहैसप्रे दश्रीपक कगो दप्रेखकर हहरनश्री और हहरन (हनस्तब्ध रह
जरातप्रे हमैं)! गराहूँवर ककी हस्त्रयराहूँ सश्रीतराजश्री कप्रे परास जरातश्री हमैं, परन्तपु अत्यन्त स्नप्रेह कप्रे
करारर पपूछतप्रे सकपु चरातश्री हमैं॥2॥
* बरार बरार सब लरागहहमं पराएहूँ। कहहहमं बचन ममृद पु सरल सपुभराएहूँ॥
रराजकपु मरारर हबनय हम करहहीं। हतय सपुभरायहूँ कछपु पपूहूँछत डरहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार सब उनकप्रे परावहूँ लगतहीं और सहज हश्री सश्रीधप्रे-सरादप्रे कगोमल वचन कहतश्री
हमैं- हप्रे रराजकपु मरारश्री! हम हवनतश्री करतश्री (कपु छ हनवप्रेदन करनरा चराहतश्री) हमैं, परन्तपु स्त्रश्री
स्वभराव कप्रे करारर कपु छ पपूछतप्रे हह ए डरतश्री हमैं॥3॥
* स्वराहमहन अहबनय छमहब हमरारश्री। हबलगपु न मरानब जराहन गवराहूँरश्री॥
रराजकपु अहूँर दगोउ सहज सलगोनप्रे। इन्ह तमें लहश्री दहपु त मरकत सगोनप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वराहमनश्री! हमरारश्री हढठराई क्षमरा ककीहजएगरा और हमकगो गहूँवरारश्री जरानकर बपुररा न
मराहनएगरा। यप्रे दगोनर रराजकपु मरार स्वभराव सप्रे हश्री लरावण्यमय (परम सपुदमं र) हमैं। मरकतमहर
(पन्नप्रे) और सपुवरर्ण नप्रे करामंहत इन्हहीं सप्रे पराई हहै (अररार्णत मरकतमहर ममें और स्वरर्ण ममें
जगो हररत और स्वरर्ण वरर्ण ककी आभरा हहै, वह इनककी हररतराभ नश्रील और स्वरर्ण कराहन्त
कप्रे एक कर कप्रे बरराबर भश्री नहहीं हहै।)॥4॥
दगोहरा :
* स्यरामल गरौर हकसगोर बर सपुदमं र सपुषमरा ऐन।
सरद सबर्णरश्रीनरार मपुखपु सरद सरगोरह नहैन॥116॥
भरावरारर्ण:-श्यराम और गरौर वरर्ण हहै, सपुदमं र हकशगोर अवस्ररा हहै, दगोनर हश्री परम सपुदमं र और
शगोभरा कप्रे धराम हमैं। शरद पपूहरर्णमरा कप्रे चन्दमरा कप्रे समरान इनकप्रे मपुख और शरद ऋतपु कप्रे
कमल कप्रे समरान इनकप्रे नप्रेत्र हमैं॥116॥

मरासपराररायर, सगोलहवराहूँ हवशराम


नवराह्नपराररायर, चरौररा हवशराम
चरौपराई :
* कगोहट मनगोज लजरावहनहरारप्रे। सपुमपुहख कहहह कगो आहहमं तपुम्हरारप्रे॥
सपुहन सनप्रेहमय ममंजपुल बरानश्री। सकपु चश्री हसय मन महह हूँ मपुसपुकरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुमपुहख! कहगो तगो अपनश्री सपुमंदरतरा सप्रे करगोडर करामदप्रेवर कगो लजरानप्रे वरालप्रे यप्रे
तपुम्हरारप्रे करौन हमैं? उनककी ऐसश्री पप्रेममयश्री सपुदमं र वरारश्री सपुनकर सश्रीतराजश्री सकपु चरा गई मं और
मन हश्री मन मपुस्कपु रराई॥मं 1॥
* हतन्हहह हबलगोहक हबलगोकहत धरनश्री। दहपु ह हूँ सकगोच सकपु चहत बरबरनश्री॥
सकपु हच सपप्रेम बराल ममृग नयनश्री। बगोलश्री मधपुर बचन हपकबयनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उरम (गरौर) वरर्णवरालश्री सश्रीतराजश्री उनकगो दप्रेखकर (समंकगोचवश) पमृथ्वश्री ककी ओर
दप्रेखतश्री हमैं। वप्रे दगोनर ओर कप्रे समंकगोच सप्रे सकपु चरा रहश्री हमैं (अररार्णत न बतरानप्रे ममें गराम ककी
हस्त्रयर कगो दद्धाःपु ख हगोनप्रे करा समंकगोच हहै और बतरानप्रे ममें लजरा रूप समंकगोच )। हहरन कप्रे बचप्रे
कप्रे सदृश नप्रेत्र वरालश्री और कगोहकल ककी सश्री वरारश्री वरालश्री सश्रीतराजश्री सकपु चराकर पप्रेम सहहत
मधपुर वचन बगोलहीं-॥2॥
* सहज सपुभराय सपुभग तन गगोरप्रे। नरामपु लखनपु लघपु दप्रेवर मगोरप्रे॥
बहह रर बदनपु हबधपु अमंचल ढराहूँककी। हपय तन हचतइ भजौंह करर बराहूँककी॥ 3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे जगो सहज स्वभराव, सपुमंदर और गगोरप्रे शरश्रीर कप्रे हमैं, उनकरा नराम लक्ष्मर हहै,
यप्रे मप्रेरप्रे छगोटप्रे दप्रेवर हमैं। हफिर सश्रीतराजश्री नप्रे (लजरावश) अपनप्रे चन्दमपुख कगो आहूँचल सप्रे
ढहूँककर और हपयतम (शश्री ररामजश्री) ककी ओर हनहरारकर भजौंहमें टप्रेढश्री करकप्रे ,॥3॥
* खमंजन ममंजपु हतरश्रीछप्रे नयनहन। हनज पहत कहप्रेउ हतन्हहह हसयहूँ सयनहन॥
भई मं मपुहदत सब गरामबधपूटहीं। रमंकन्ह रराय रराहस जनपु लपूटहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-खमंजन पक्षश्री कप्रे सप्रे सपुदमं र नप्रेत्रर कगो हतरछरा करकप्रे सश्रीतराजश्री नप्रे इशरारप्रे सप्रे उन्हमें
कहरा हक यप्रे (शश्री ररामचन्दजश्री) मप्रेरप्रे पहत हमैं। यह जरानकर गराहूँव ककी सब य वपु तश्री हस्त्रयराहूँ
इस पकरार आनमंहदत हहई,मं मरानगो कमंगरालर नप्रे धन ककी रराहशयराहूँ लपूट लश्री हर॥4॥
दगोहरा :
* अहत सपप्रेम हसय परायहूँ परर बहह हबहध दप्रेहहमं असश्रीस।
सदरा सगोहराहगहन हगोहह तपुम्ह जब लहग महह अहह सश्रीस॥117
भरावरारर्ण:-वप्रे अत्यन्त पप्रेम सप्रे सश्रीतराजश्री कप्रे पहैरर पडकर बहह त पकरार सप्रे आशश्रीष दप्रेतश्री हमैं
(शपुभ करामनरा करतश्री हमैं), हक जब तक शप्रेषजश्री कप्रे हसर पर पमृथ्वश्री रहप्रे, तब तक तपुम
सदरा सपुहराहगनश्री बनश्री रहगो,॥117॥
चरौपराई :
* परारबतश्री सम पहतहपय हगोहह। दप्रेहब न हम पर छराडब छगोहह॥
पपुहन पपुहन हबनय कररअ कर जगोरश्री। जजौं एहह मरारग हफिररअ बहगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-और परावर्णतश्रीजश्री कप्रे समरान अपनप्रे पहत ककी प्यरारश्री हगोओ। हप्रे दप्रेवश्री ! हम पर कमृ परा
न छगोडनरा (बनराए रखनरा)। हम बरार-बरार हरार जगोडकर हवनतश्री करतश्री हमैं, हजसममें आप
हफिर इसश्री ररास्तप्रे लरौटमें,॥1॥
* दरसनपु दप्रेब जराहन हनज दरासश्री। लखहीं सश्रीयहूँ सब पप्रेम हपआसश्री॥
मधपुर बचन कहह कहह पररतगोषहीं। जनपु कपु मपुहदनहीं करौमपुदहीं पगोषहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-और हममें अपनश्री दरासश्री जरानकर दशर्णन दमें। सश्रीतराजश्री नप्रे उन सबकगो पप्रेम ककी
प्यरासश्री दप्रेखरा और मधपुर वचन कह-कहकर उनकरा भलश्रीभराहूँहत समंतगोष हकयरा। मरानगो चराहूँदनश्री
नप्रे कपु मपुहदहनयर कगो हखलराकर पपुष्टि कर हदयरा हगो॥2॥
* तबहहमं लखन रघपुबर रख जरानश्री। पपूछ हूँ प्रेउ मगपु लगोगहन्ह ममृद पु बरानश्री॥
सपुनत नरारर नर भए दख पु रारश्री। पपुलहकत गरात हबलगोचन बरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय शश्री ररामचन्दजश्री करा रख जरानकर लक्ष्मरजश्री नप्रे कगोमल वरारश्री सप्रे
लगोगर सप्रे ररास्तरा पपूछरा। यह सपुनतप्रे हश्री स्त्रश्री -पपुरष दद्धाःपु खश्री हगो गए। उनकप्रे शरश्रीर पपुलहकत हगो
गए और नप्रेत्रर ममें (हवयगोग ककी सम्भरावनरा सप्रे पप्रेम करा) जल भर आयरा॥3॥
* हमटरा मगोदपु मन भए मलश्रीनप्रे। हबहध हनहध दश्रीन्ह लप्रेत जनपु छश्रीनप्रे॥
समपुहझ करम गहत धश्रीरजपु ककीन्हरा। सगोहध सपुगम मगपु हतन्ह कहह दश्रीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उनकरा आनमंद हमट गयरा और मन ऐसप्रे उदरास हगो गए मरानगो हवधरातरा दश्री हह ई
सम्पहर छश्रीनप्रे लप्रेतरा हगो। कमर्ण ककी गहत समझकर उन्हरनप्रे धहैयर्ण धरारर हकयरा और अच्छश्री
तरह हनरर्णय करकप्रे सपुगम मरागर्ण बतलरा हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* लखन जरानककी सहहत तब गवनपु ककीन्ह रघपुनरार।
फिप्रे रप्रे सब हपय बचन कहह हलए लराइ मन सरार॥118॥
भरावरारर्ण:-तब लक्ष्मरजश्री और जरानककीजश्री सहहत शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे गमन हकयरा और सब
लगोगर कगो हपय वचन कहकर लरौटरायरा, हकन्तपु उनकप्रे मनर कगो अपनप्रे सरार हश्री लगरा
हलयरा॥118॥
चरौपराई :
* हफिरत नरारर नर अहत पहछतराहहीं। दहैअहह दगोषपु दप्रेहहमं मन मराहहीं॥
सहहत हबषराद परसपर कहहहीं। हबहध करतब उलटप्रे सब अहहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-लरौटतप्रे हह ए वप्रे स्त्रश्री-पपुरष बहह त हश्री पछतरातप्रे हमैं और मन हश्री मन दहैव कगो दगोष
दप्रेतप्रे हमैं। परस्पर (बडप्रे हश्री) हवषराद कप्रे सरार कहतप्रे हमैं हक हवधरातरा कप्रे सभश्री कराम उलटप्रे
हमैं॥1॥
* हनपट हनरमंकपुस हनठपु र हनसमंकपू। जप्रेहहमं सहस ककीन्ह सरज सकलमंकपू॥
रूख कलपतर सरागर खराररा। तप्रेहहमं पठए बन रराजकपु मराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-वह हवधरातरा हबल्कपु ल हनरमंकपुश (स्वतमंत्र), हनदर्णय और हनडर हहै, हजसनप्रे चन्दमरा
कगो रगोगश्री (घटनप्रे-बढनप्रे वरालरा) और कलमंककी बनरायरा, कल्पवमृक्ष कगो पप्रेड और समपुद कगो
खराररा बनरायरा। उसश्री नप्रे इन रराजकपु मरारर कगो वन ममें भप्रेजरा हहै॥2॥
* जजौं पहै इन्हहहमं दश्रीन्ह बनबरासपू। ककीन्ह बराहद हबहध भगोग हबलरासपू॥
ए हबचरहहमं मग हबनपु पदत्ररानरा। रचप्रे बराहद हबहध बराहन नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जब हवधरातरा नप्रे इनकगो वनवरास हदयरा हहै, तब उसनप्रे भगोग-हवलरास व्यरर्ण हश्री
बनराए। जब यप्रे हबनरा जपूतप्रे कप्रे (नमंगप्रे हश्री पहैरर) ररास्तप्रे ममें चल रहप्रे हमैं, तब हवधरातरा नप्रे
अनप्रेकर वराहन (सवराररयराहूँ) व्यरर्ण हश्री रचप्रे॥3॥
* ए महह परहहमं डराहस कपु स परातरा। सपुभग सप्रेज कत समृजत हबधरातरा॥
तरबर बरास इन्हहह हबहध दश्रीन्हरा। धवल धराम रहच रहच शमपु ककीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जब यप्रे कपु श और परप्रे हबछराकर जमश्रीन पर हश्री पडप्रे रहतप्रे हमैं , तब हवधरातरा
सपुमंदर सप्रेज (पलमंग और हबछरौनप्रे) हकसहलए बनरातरा हहै? हवधरातरा नप्रे जब इनकगो बडप्रे-बडप्रे
पप्रेडर (कप्रे नश्रीचप्रे) करा हनवरास हदयरा, तब उज्ज्वल महलर कगो बनरा-बनराकर उसनप्रे व्यरर्ण
हश्री पररशम हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* जजौं ए मपुहन पट धर जहटल सपुदमं र सपुहठ सपुकपु मरार।
हबहबध भराहूँहत भपूषन बसन बराहद हकए करतरार॥119॥
भरावरारर्ण:-जगो यप्रे सपुदमं र और अत्यन्त सपुकपुमरार हगोकर मपुहनयर कप्रे (वल्कल) वस्त्र पहनतप्रे
और जटरा धरारर करतप्रे हमैं, तगो हफिर करतरार (हवधरातरा) नप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे गहनप्रे और
कपडप्रे वमृररा हश्री बनराए॥119॥
चरौपराई :
* जजौं ए कमंदमपूल फिल खराहहीं। बराहद सपुधराहद असन जग मराहहीं॥
एक कहहहमं ए सहज सपुहराए। आपपु पगट भए हबहध न बनराए॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो यप्रे कन्द, मपूल, फिल खरातप्रे हमैं, तगो जगत ममें अममृत आहद भगोजन व्यरर्ण
हश्री हमैं। कगोई एक कहतप्रे हमैं- यप्रे स्वभराव सप्रे हश्री सपुदमं र हमैं (इनकरा सजौंदयर्ण-मराधपुयर्ण हनत्य
और स्वराभराहवक हहै)। यप्रे अपनप्रे-आप पकट हहए हमैं, ब्रहरा कप्रे बनराए नहहीं हमैं॥1॥
* जहहूँ लहगबप्रेद कहश्री हबहध करनश्री। शवन नयन मन गगोचर बरनश्री॥
दप्रेखहह खगोहज भपुअन दस चरारश्री। कहहूँ अस पपुरष कहराहूँ अहस नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हमरारप्रे करानर, नप्रेत्रर और मन कप्रे दराररा अनपुभव ममें आनप्रे वरालश्री हवधरातरा ककी
करनश्री कगो जहराहूँ तक वप्रेदर नप्रे वरर्णन करकप्रे कहरा हहै, वहराहूँ तक चरौदहर लगोकर ममें ढपू हूँढ
दप्रेखगो, ऐसप्रे पपुरष और ऐसश्री हस्त्रयराहूँ कहराहूँ हमैं? (कहहीं भश्री नहहीं हमैं, इसश्री सप्रे हसद हहै
हक यप्रे हवधरातरा कप्रे चरौदहर लगोकर सप्रे अलग हमैं और अपनश्री महहमरा सप्रे हश्री आप हनहमर्णत
हह ए हमैं)॥2॥
* इन्हहह दप्रेहख हबहध मनपु अनपुररागरा। पटतर जगोग बनरावहै लरागरा॥
ककीन्ह बहह त शम ऐक न आए। तप्रेहहमं इररषरा बन आहन दरपु राए॥3॥
भरावरारर्ण:-इन्हमें दप्रेखकर हवधरातरा करा मन अनपुरक्त (मपुग्ध) हगो गयरा, तब वह भश्री इन्हहीं
ककी उपमरा कप्रे यगोग्य दस पू रप्रे स्त्रश्री-पपुरष बनरानप्रे लगरा। उसनप्रे बहह त पररशम हकयरा, परन्तपु
कगोई उसककी अटकल ममें हश्री नहहीं आए (पपूरप्रे नहहीं उतरप्रे)। इसश्री ईषरार्ण कप्रे मरारप्रे उसनप्रे
इनकगो जमंगल ममें लराकर हछपरा हदयरा हहै॥ 3॥
* एक कहहहमं हम बहह त न जरानहहमं। आपपुहह परम धन्य करर मरानहहमं॥
तप्रे पपुहन पपुन्यपपुमंज हम लप्रेखप्रे। जप्रे दप्रेखहहमं दप्रेहखहहहमं हजन्ह दप्रेखप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-कगोई एक कहतप्रे हमैं- हम बहह त नहहीं जरानतप्रे। हराहूँ, अपनप्रे कगो परम धन्य अवश्य
मरानतप्रे हमैं (जगो इनकप्रे दशर्णन कर रहप्रे हमैं) और हमरारश्री समझ ममें वप्रे भश्री बडप्रे पपुण्यवरान हमैं ,
हजन्हरनप्रे इनकगो दप्रेखरा हहै, जगो दप्रेख रहप्रे हमैं और जगो दप्रेखगमें प्रे॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध कहह कहह बचन हपय लप्रेहहमं नयन भरर नश्रीर।
हकहम चहलहहहमं मरारग अगम सपुहठ सपुकपुमरार सरश्रीर॥120॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार हपय वचन कह-कहकर सब नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर
लप्रेतप्रे हमैं और कहतप्रे हमैं हक यप्रे अत्यन्त सपुकपु मरार शरश्रीर वरालप्रे दगपु र्णम (कहठन) मरागर्ण ममें
कहै सप्रे चलमेंगप्रे॥120॥
चरौपराई :
* नरारर सनप्रेह हबकल बस हगोहहीं। चकई मं सराझ हूँ समय जनपु सगोहहीं॥
ममृदपु पद कमल कहठन मगपु जरानश्री। गहबरर हृदयहूँ कहहहमं बर बरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हस्त्रयराहूँ स्नप्रेहवश हवकल हगो जरातश्री हमैं। मरानगो समंध्यरा कप्रे समय चकवश्री (भरावश्री
हवयगोग ककी पश्रीडरा सप्रे) सगोह रहश्री हगो। (दद्धाःपु खश्री हगो रहश्री हगो)। इनकप्रे चररकमलर कगो
कगोमल तररा मरागर्ण कगो कठगोर जरानकर वप्रे व्यहरत हृदय सप्रे उरम वरारश्री कहतश्री हमैं -॥1॥
* परसत ममृदल पु चरन अरनरारप्रे। सकपु चहत महह हजहम हृदय हमरारप्रे॥
जजौं जगदश्रीस इन्हहह बनपु दश्रीन्हरा। कस न सपुमनमय मरारगपु ककीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इनकप्रे कगोमल और लराल-लराल चररर (तलवर) कगो छपूतप्रे हश्री पमृथ्वश्री वहैसप्रे हश्री
सकपु चरा जरातश्री हहै, जहैसप्रे हमरारप्रे हृदय सकपु चरा रहप्रे हमैं। जगदश्रीश्वर नप्रे यहद इन्हमें वनवरास हश्री
हदयरा, तगो सरारप्रे ररास्तप्रे कगो पपुष्पमय क्यर नहहीं बनरा हदयरा?॥2॥
* जजौं मरागरा पराइअ हबहध पराहहीं। ए रहखअहहमं सहख आहूँहखन्ह मराहहीं॥
जप्रे नर नरारर न अवसर आए। हतन्ह हसय ररामपु न दप्रेखन पराए॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद ब्रहरा सप्रे मराहूँगप्रे हमलप्रे तगो हप्रे सखश्री! (हम तगो उनसप्रे मराहूँगकर) इन्हमें अपनश्री
आहूँखर ममें हश्री रखमें! जगो स्त्रश्री-पपुरष इस अवसर पर नहहीं आए, वप्रे शश्री सश्रीतराररामजश्री कगो
नहहीं दप्रेख सकप्रे ॥3॥
* सपुहन सपुरूपपु बपूझहहमं अकपु लराई। अब लहग गए कहराहूँ लहग भराई॥
समरर धराइ हबलगोकहहमं जराई। पमपुहदत हफिरहहमं जनमफिलपु पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे सजौंदयर्ण कगो सपुनकर वप्रे व्यराकपुल हगोकर पपूछतप्रे हमैं हक भराई! अब तक वप्रे
कहराहूँ तक गए हरगप्रे? और जगो समरर्ण हमैं, वप्रे दरौडतप्रे हह ए जराकर उनकप्रे दशर्णन कर लप्रेतप्रे
हमैं और जन्म करा परम फिल पराकर, हवशप्रेष आनमंहदत हगोकर लरौटतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* अबलरा बरालक बमृद जन कर मश्रीजहहमं पहछतराहहमं।
हगोहहमं पप्रेमबस लगोग इहम ररामपु जहराहूँ जहहूँ जराहहमं॥121॥
भरावरारर्ण:-(गभर्णवतश्री, पसपूतरा आहद) अबलरा हस्त्रयराहूँ, बचप्रे और बपूढप्रे (दशर्णन न परानप्रे सप्रे)
हरार मलतप्रे और पछतरातप्रे हमैं। इस पकरार जहराहूँ -जहराहूँ शश्री ररामचन्दजश्री जरातप्रे हमैं, वहराहूँ-वहराहूँ
लगोग पप्रेम कप्रे वश ममें हगो जरातप्रे हमैं॥121॥
चरौपराई :
* गराहूँव गराहूँव अस हगोइ अनमंद।पू दप्रेहख भरानपुकपुल कहै रव चमंद॥पू
जप्रे कछपु समराचरार सपुहन परावहहमं। तप्रे नमृप रराहनहह दगोसपु लगरावहहमं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सपूयर्णकपुल रूपश्री कपु मपुहदनश्री कगो पफिपु हल्लत करनप्रे वरालप्रे चन्दमरा स्वरूप शश्री ररामचन्दजश्री
कप्रे दशर्णन कर गराहूँव-गराहूँव ममें ऐसरा हश्री आनमंद हगो रहरा हहै, जगो लगोग (वनवरास हदए जरानप्रे
करा) कपु छ भश्री समराचरार सपुन परातप्रे हमैं, वप्रे रराजरा-ररानश्री (दशरर-कहै कप्रे यश्री) कगो दगोष लगरातप्रे
हमैं॥1॥
* कहहहमं एक अहत भल नरनराहह। दश्रीन्ह हमहह जगोइ लगोचन लराहह॥
कहहहमं परसपर लगोग लगोगराई।मं बरातमें सरल सनप्रेह सपुहराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-कगोई एक कहतप्रे हमैं हक रराजरा बहह त हश्री अच्छप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे हममें अपनप्रे नप्रेत्रर करा
लराभ हदयरा। स्त्रश्री-पपुरष सभश्री आपस ममें सश्रीधश्री, स्नप्रेहभरश्री सपुदमं र बरातमें कह रहप्रे हमैं॥2॥
* तप्रे हपतपु मरातपु धन्य हजन्ह जराए। धन्य सगो नगर जहराहूँ तमें आए॥
धन्य सगो दप्रेसपु सहैलपु बन गराऊहूँ। जहहूँ-जहहूँ जराहहमं धन्य सगोइ ठराऊहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-(कहतप्रे हमैं-) वप्रे मरातरा-हपतरा धन्य हमैं, हजन्हरनप्रे इन्हमें जन्म हदयरा। वह नगर
धन्य हहै, जहराहूँ सप्रे यप्रे आए हमैं। वह दप्रेश, पवर्णत, वन और गराहूँव धन्य हहै और वहश्री
स्ररान धन्य हहै, जहराहूँ-जहराहूँ यप्रे जरातप्रे हमैं॥3॥
* सपुखपु परायउ हबरमंहच रहच तप्रेहश्री। ए जप्रेहह कप्रे सब भराहूँहत सनप्रेहश्री॥
रराम लखन पहर कररा सपुहराई। रहश्री सकल मग करानन छराई॥4॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा नप्रे उसश्री कगो रचकर सपुख परायरा हहै, हजसकप्रे यप्रे (शश्री ररामचन्दजश्री) सब
पकरार सप्रे स्नप्रेहश्री हमैं। पहरक रूप शश्री रराम -लक्ष्मर ककी सपुमंदर कररा सरारप्रे ररास्तप्रे और
जमंगल ममें छरा गई हहै॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध रघपुकपुल कमल रहब मग लगोगन्ह सपुख दप्रेत।
जराहहमं चलप्रे दप्रेखत हबहपन हसय सरौहमहत्र समप्रेत॥122॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल रूपश्री कमल कगो हखलरानप्रे वरालप्रे सपूयर्ण शश्री ररामचन्दजश्री इस पकरार मरागर्ण कप्रे
लगोगर कगो सपुख दप्रेतप्रे हह ए सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत वन कगो दप्रेखतप्रे हह ए चलप्रे जरा
रहप्रे हमैं॥122॥
चरौपराई :
* आगमें ररामपु लखनपु बनप्रे पराछमें। तरापस बप्रेष हबरराजत कराछमें॥
उभय बश्रीच हसय सगोहहत कहै समें। ब्रह जश्रीव हबच मरायरा जहैसमें॥1॥
भरावरारर्ण:-आगप्रे शश्री ररामजश्री हमैं, पश्रीछप्रे लक्ष्मरजश्री सपुशगोहभत हमैं। तपहस्वयर कप्रे वप्रेष बनराए
दगोनर बडश्री हश्री शगोभरा परा रहप्रे हमैं। दगोनर कप्रे बश्रीच ममें सश्रीतराजश्री कहै सश्री सपुशगोहभत हगो रहश्री हमैं,
जहैसप्रे ब्रह और जश्रीव कप्रे बश्रीच ममें मरायरा!॥1॥
* बहह रर कहउहूँ छहब जहस मन बसई। जनपु मधपु मदन मध्य रहत लसई॥
उपमरा बहह रर कहउहूँ हजयहूँ जगोहश्री। जनपु बपुध हबधपु हबच रगोहहहन सगोहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर जहैसश्री छहब मप्रेरप्रे मन ममें बस रहश्री हहै, उसकगो कहतरा हह-हूँ मरानगो वसमंत ऋतपु
और करामदप्रेव कप्रे बश्रीच ममें रहत (करामप्रेदव ककी स्त्रश्री) शगोहभत हगो। हफिर अपनप्रे हृदय ममें
खगोजकर उपमरा कहतरा हह हूँ हक मरानगो बपुध (चमंदमरा कप्रे पपुत्र) और चन्दमरा कप्रे बश्रीच ममें
रगोहहरश्री (चन्दमरा ककी स्त्रश्री) सगोह रहश्री हगो॥2॥
* पभपु पद रप्रेख बश्रीच हबच सश्रीतरा। धरहत चरन मग चलहत सभश्रीतरा॥
सश्रीय रराम पद अमंक बरराएहूँ। लखन चलहहमं मगपु दराहहन लराएहूँ॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे (जमश्रीन पर अमंहकत हगोनप्रे वरालप्रे दगोनर) चरर हचह्नर कप्रे
बश्रीच-बश्रीच ममें पहैर रखतश्री हह ई सश्रीतराजश्री (कहहीं भगवरान कप्रे चरर हचह्नर पर पहैर न हटक
जराए इस बरात सप्रे) डरतश्री हहई मं मरागर्ण ममें चल रहश्री हमैं और लक्ष्मरजश्री (मयरार्णदरा ककी रक्षरा
कप्रे हलए) सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री दगोनर कप्रे चरर हचह्नर कगो बचरातप्रे हह ए दराहहनप्रे
रखकर ररास्तरा चल रहप्रे हमैं॥3॥
* रराम लखन हसय पश्रीहत सपुहराई। बचन अगगोचर हकहम कहह जराई॥
खग ममृग मगन दप्रेहख छहब हगोहहीं। हलए चगोरर हचत रराम बटगोहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री, लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री ककी सपुमंदर पश्रीहत वरारश्री करा हवषय नहहीं हहै
(अररार्णत अहनवर्णचनश्रीय हहै), अतद्धाः वह कहै सप्रे कहश्री जरा सकतश्री हहै? पक्षश्री और पशपु भश्री
उस छहब कगो दप्रेखकर (पप्रेमरानमंद ममें) मग्नि हगो जरातप्रे हमैं। पहरक रूप शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
उनकप्रे भश्री हचर चपुररा हलए हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हजन्ह हजन्ह दप्रेखप्रे पहरक हपय हसय समप्रेत दगोउ भराइ।
भव मगपु अगमपु अनमंद पु तप्रेइ हबनपु शम रहप्रे हसरराइ॥123॥
भरावरारर्ण:-प्यरारप्रे पहरक सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराइयर कगो हजन-हजन लगोगर नप्रे दप्रेखरा,
उन्हरनप्रे भव करा अगम मरागर्ण (जन्म-ममृत्यपु रूपश्री समंसरार ममें भटकनप्रे करा भयरानक मरागर्ण )
हबनरा हश्री पररशम आनमंद कप्रे सरार तय कर हलयरा (अररार्णत वप्रे आवरागमन कप्रे चक सप्रे
सहज हश्री छपूटकर मपुक्त हगो गए)॥123॥
चरौपराई :
* अजहह हूँ जरासपु उर सपनप्रेहहहूँ कराऊ। बसहह हूँ लखनपु हसय ररामपु बटराऊ॥
रराम धराम पर पराइहह सगोई। जगो पर पराव कबहह मपुहन कगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-आज भश्री हजसकप्रे हृदय ममें स्वप्न ममें भश्री कभश्री लक्ष्मर, सश्रीतरा, रराम तश्रीनर
बटगोहश्री आ बसमें, तगो वह भश्री शश्री ररामजश्री कप्रे परमधराम कप्रे उस मरागर्ण कगो परा जराएगरा,
हजस मरागर्ण कगो कभश्री कगोई हबरलप्रे हश्री मपुहन परातप्रे हमैं॥ 1॥
* तब रघपुबश्रीर शहमत हसय जरानश्री। दप्रेहख हनकट बटपु सश्रीतल परानश्री॥
तहहूँ बहस कमंद मपूल फिल खराई। परात नहराइ चलप्रे रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री कगो रककी हह ई जरानकर और समश्रीप हश्री एक बड
करा वमृक्ष और ठमंडरा परानश्री दप्रेखकर उस हदन वहहीं ठहर गए। कन्द, मपूल, फिल खराकर
(ररात भर वहराहूँ रहकर) परातद्धाःकराल स्नरान करकप्रे शश्री रघपुनरारजश्री आगप्रे चलप्रे॥2॥
शश्री रराम-वराल्मश्रीहक समंवराद
* दप्रेखत बन सर सहैल सपुहराए। बरालमश्रीहक आशम पभपु आए॥
रराम दश्रीख मपुहन बरासपु सपुहरावन। सपुमंदर हगरर कराननपु जलपु परावन॥3॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर वन, तरालराब और पवर्णत दप्रेखतप्रे हह ए पभपु शश्री ररामचन्दजश्री वराल्मश्रीहकजश्री कप्रे
आशम ममें आए। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे दप्रेखरा हक मपुहन करा हनवरास स्ररान बहह त सपुदमं र हहै,
जहराहूँ सपुदमं र पवर्णत, वन और पहवत्र जल हहै॥3॥
* सरहन सरगोज हबटप बन फिपू लप्रे। गपुमंजत ममंजपु मधपुप रस भपूलप्रे॥
खग ममृग हबपपुल कगोलराहल करहहीं। हबरहहत बहैर मपुहदत मन चरहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सरगोवरर ममें कमल और वनर ममें वमृक्ष फिपू ल रहप्रे हमैं और मकरन्द रस ममें मस्त
हह ए भजौंरप्रे सपुदमं र गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं। बहह त सप्रे पक्षश्री और पशपु कगोलराहल कर रहप्रे हमैं और
वहैर सप्रे रहहत हगोकर पसन्न मन सप्रे हवचर रहप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* सपुहच सपुमंदर आशमपु हनरहख हरषप्रे रराहजवनप्रेन।
सपुहन रघपुबर आगमनपु मपुहन आगमें आयउ लप्रेन॥124॥
भरावरारर्ण:-पहवत्र और सपुदमं र आशम कगो दप्रेखकर कमल नयन शश्री ररामचन्दजश्री हहषर्णत हह ए।
रघपु शप्रेष शश्री ररामजश्री करा आगमन सपुनकर मपुहन वराल्मश्रीहकजश्री उन्हमें लप्रेनप्रे कप्रे हलए आगप्रे
आए॥124॥
चरौपराई :
* मपुहन कहह हूँ रराम दमंडवत ककीन्हरा। आहसरबराद पु हबपबर दश्रीन्हरा॥
दप्रेहख रराम छहब नयन जपुडरानप्रे। करर सनमरानपु आशमहहमं आनप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मपुहन कगो दण्डवत हकयरा। हवप शप्रेष मपुहन नप्रे उन्हमें आशश्रीवरार्णद
हदयरा। शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब दप्रेखकर मपुहन कप्रे नप्रेत्र शश्रीतल हगो गए। सम्मरानपपूवर्णक मपुहन
उन्हमें आशम ममंमं लप्रे आए॥1॥
* मपुहनबर अहतहर परानहपय पराए। कमंद मपूल फिल मधपुर महूँगराए॥
हसय सरौहमहत्र रराम फिल खराए। तब मपुहन आशम हदए सपुहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-शप्रेष मपुहन वराल्मश्रीहकजश्री नप्रे परारहपय अहतहरयर कगो पराकर उनकप्रे हलए मधपुर कमंद,
मपूल और फिल महूँगवराए। शश्री सश्रीतराजश्री, लक्ष्मरजश्री और ररामचन्दजश्री नप्रे फिलर कगो खरायरा।
तब मपुहन नप्रे उनकगो (हवशराम करनप्रे कप्रे हलए) सपुदमं र स्ररान बतलरा हदए॥2॥
* बरालमश्रीहक मन आनहूँद पु भरारश्री। ममंगल मपूरहत नयन हनहरारश्री॥
तब कर कमल जगोरर रघपुरराई। बगोलप्रे बचन शवन सपुखदराई॥3॥
भरावरारर्ण:-(मपुहन शश्री ररामजश्री कप्रे परास बहैठप्रे हमैं और उनककी) ममंगल मपूहतर्ण कगो नप्रेत्रर सप्रे
दप्रेखकर वराल्मश्रीहकजश्री कप्रे मन ममें बडरा भरारश्री आनमंद हगो रहरा हहै। तब शश्री रघपुनरारजश्री
कमलसदृश हरारर कगो जगोडकर, करानर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे मधपुर वचन बगोलप्रे-॥3॥
* तपुम्ह हत्रकराल दरसश्री मपुहननराररा। हबस्व बदर हजहम तपुम्हरमें हराररा ॥
अस कहह पभपु सब कररा बखरानश्री। जप्रेहह जप्रेहह भराहूँहत दश्रीन्ह बनपु ररानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहननरार! आप हत्रकरालदशर हमैं। सम्पपूरर्ण हवश्व आपकप्रे हलए हरप्रेलश्री पर रखप्रे
हह ए बप्रेर कप्रे समरान हहै। पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे ऐसरा कहकर हफिर हजस-हजस पकरार सप्रे
ररानश्री कहै कप्रे यश्री नप्रे वनवरास हदयरा, वह सब कररा हवस्तरार सप्रे सपुनराई॥4॥
दगोहरा :
* तरात बचन पपुहन मरातपु हहत भराइ भरत अस रराउ।
मगो कहह हूँ दरस तपुम्हरार पभपु सबपु मम पपुन्य पभराउ॥125॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे पभगो! हपतरा ककी आजरा (करा परालन), मरातरा करा हहत और
भरत जहैसप्रे (स्नप्रेहश्री एवमं धमरार्णत्मरा) भराई करा रराजरा हगोनरा और हफिर मपुझप्रे आपकप्रे दशर्णन
हगोनरा, यह सब मप्रेरप्रे पपुण्यर करा पभराव हहै॥125॥
चरौपराई :
* दप्रेहख पराय मपुहनरराय तपुम्हरारप्रे। भए सपुकमृत सब सपुफिल हमरारप्रे॥॥
अब जहहूँ रराउर आयसपु हगोई। मपुहन उदबप्रेगपु न परावहै कगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपुहनरराज! आपकप्रे चररर करा दशर्णन करनप्रे सप्रे आज हमरारप्रे सब पपुण्य सफिल
हगो गए (हममें सरारप्रे पपुण्यर करा फिल हमल गयरा)। अब जहराहूँ आपककी आजरा हगो और जहराहूँ
कगोई भश्री मपुहन उदप्रेग कगो पराप्त न हगो-॥1॥
* मपुहन तरापस हजन्ह तमें दख पु पु लहहहीं। तप्रे नरप्रेस हबनपु परावक दहहहीं॥
ममंगल मपूल हबप पररतगोषपू। दहइ कगोहट कपु ल भपूसपुर रगोषपू॥2॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक हजनसप्रे मपुहन और तपस्वश्री दद्धाःपु ख परातप्रे हमैं, वप्रे रराजरा हबनरा अहग्नि कप्रे हश्री
(अपनप्रे दष्टिपु कमर्मों सप्रे हश्री) जलकर भस्म हगो जरातप्रे हमैं। ब्रराहरर करा समंतगोष सब ममंगलर
ककी जड हहै और भपूदप्रेव ब्रराहरर करा कगोध करगोडर कपु लर कगो भस्म कर दप्रेतरा हहै॥2॥
* अस हजयहूँ जराहन कहहअ सगोइ ठराऊहूँ। हसय सरौहमहत्र सहहत जहहूँ जराऊहूँ॥
तहहूँ रहच रहचर परन तमृन सरालरा। बरासपु करजौं कछपु कराल कमृ परालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हृदय ममें समझकर- वह स्ररान बतलराइए जहराहूँ ममैं लक्ष्मर और सश्रीतरा
सहहत जराऊहूँ और वहराहूँ सपुदमं र परर और घरास ककी कपु टश्री बनराकर, हप्रे दयरालपु! कपु छ
समय हनवरास करूहूँ॥3॥
* सहज सरल सपुहन रघपुबर बरानश्री। सराधपु सराधपु बगोलप्रे मपुहन ग्यरानश्री॥
कस न कहहह अस रघपुकपुलकप्रे तपू। तपुम्ह परालक समंतत शपुहत सप्रेतपू॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी सहज हश्री सरल वरारश्री सपुनकर जरानश्री मपुहन वराल्मश्रीहक बगोलप्रे -
धन्य! धन्य! हप्रे रघपुकपुल कप्रे ध्वजरास्वरूप! आप ऐसरा क्यर न कहमेंगप्रे? आप सदहैव
वप्रेद ककी मयरार्णदरा करा परालन (रक्षर) करतप्रे हमैं॥4॥
छन्द :
* शपुहत सप्रेतपु परालक रराम तपुम्ह जगदश्रीस मरायरा जरानककी।
जगो समृजहत जगपु परालहत हरहत रख पराइ कमृ पराहनधरान ककी॥
जगो सहससश्रीसपु अहश्रीसपु महहधर लखनपु सचरराचर धनश्री।
सपुर कराज धरर नररराज तनपु चलप्रे दलन खल हनहसचर अनश्री॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! आप वप्रेद ककी मयरार्णदरा कप्रे रक्षक जगदश्रीश्वर हमैं और जरानककीजश्री
(आपककी स्वरूप भपूतरा) मरायरा हमैं, जगो कमृ परा कप्रे भमंडरार आपकरा रख पराकर जगत करा
समृजन, परालन और समंहरार करतश्री हमैं। जगो हजरार मस्तक वरालप्रे सपर्मों कप्रे स्वरामश्री और
पमृथ्वश्री कगो अपनप्रे हसर पर धरारर करनप्रे वरालप्रे हमैं , वहश्री चरराचर कप्रे स्वरामश्री शप्रेषजश्री लक्ष्मर
हमैं। दप्रेवतराओमं कप्रे करायर्ण कप्रे हलए आप रराजरा करा शरश्रीर धरारर करकप्रे दष्टिपु रराक्षसर ककी सप्रेनरा
करा नराश करनप्रे कप्रे हलए चलप्रे हमैं।
सगोरठरा :
* रराम सरूप तपुम्हरार बचन अगगोचर बपुहदपर।
अहबगत अकर अपरार नप्रेहत नप्रेहत हनत हनगम कह।126॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! आपकरा स्वरूप वरारश्री कप्रे अगगोचर, बपुहद सप्रे परप्रे, अव्यक्त,
अकरनश्रीय और अपरार हहै। वप्रेद हनरमंतर उसकरा 'नप्रेहत-नप्रेहत' कहकर वरर्णन करतप्रे हमैं॥
126॥
चरौपराई :
* जगपु पप्रेखन तपुम्ह दप्रेखहनहरारप्रे। हबहध हरर समंभपु नचरावहनहरारप्रे॥
तप्रेउ न जरानहहमं मरमपु तपुम्हराररा। और तपुम्हहह कगो जरानहनहराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! जगत दृश्य हहै, आप उसकप्रे दप्रेखनप्रे वरालप्रे हमैं। आप ब्रहरा, हवष्रपु और
शमंकर कगो भश्री नचरानप्रे वरालप्रे हमैं। जब वप्रे भश्री आपकप्रे ममर्ण कगो नहहीं जरानतप्रे, तब और करौन
आपकगो जराननप्रे वरालरा हहै?॥1॥
* सगोइ जरानइ जप्रेहह दप्रेहह जनराई। जरानत तपुम्हहह तपुम्हइ हगोइ जराई॥
तपुम्हररहह कमृ पराहूँ तपुम्हहह रघपुनमंदन। जरानहहमं भगत भगत उर चमंदन॥2॥
भरावरारर्ण:-वहश्री आपकगो जरानतरा हहै, हजसप्रे आप जनरा दप्रेतप्रे हमैं और जरानतप्रे हश्री वह आपकरा
हश्री स्वरूप बन जरातरा हहै। हप्रे रघपुनमंदन! हप्रे भक्तर कप्रे हृदय कगो शश्रीतल करनप्रे वरालप्रे
चमंदन! आपककी हश्री कमृ परा सप्रे भक्त आपकगो जरान परातप्रे हमैं॥2॥
* हचदरानमंदमय दप्रेह तपुम्हरारश्री। हबगत हबकरार जरान अहधकरारश्री॥
नर तनपु धरप्रेहह समंत सपुर कराजरा। कहहह करहह जस पराकमृत रराजरा॥3॥
भरावरारर्ण:-आपककी दप्रेह हचदरानन्दमय हहै (यह पकमृ हतजन्य पमंच महराभपूतर ककी बनश्री हह ई कमर्ण
बमंधनयक्त पु , हत्रदप्रेह हवहशष्टि मराहयक नहहीं हहै) और (उत्पहर-नराश, वमृहद-क्षय आहद) सब
हवकरारर सप्रे रहहत हहै, इस रहस्य कगो अहधकरारश्री पपुरष हश्री जरानतप्रे हमैं। आपनप्रे दप्रेवतरा और
समंतर कप्रे करायर्ण कप्रे हलए (हदव्य) नर शरश्रीर धरारर हकयरा हहै और पराकमृत (पकमृ हत कप्रे
तत्वर सप्रे हनहमर्णत दप्रेह वरालप्रे, सराधरारर) रराजराओमं ककी तरह सप्रे कहतप्रे और करतप्रे हमैं॥ 3॥
* रराम दप्रेहख सपुहन चररत तपुम्हरारप्रे। जड मगोहहहमं बपुध हगोहहमं सपुखरारप्रे॥
तपुम्ह जगो कहहह करहह सबपु सराहूँचरा। जस कराहछअ तस चराहहअ नराचरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! आपकप्रे चररत्रर कगो दप्रेख और सपुनकर मपूखर्ण लगोग तगो मगोह कगो पराप्त
हगोतप्रे हमैं और जरानश्रीजन सपुखश्री हगोतप्रे हमैं। आप जगो कपु छ कहतप्रे, करतप्रे हमैं, वह सब सत्य
(उहचत) हश्री हहै, क्यरहक जहैसरा स्वराहूँग भरप्रे वहैसरा हश्री नराचनरा भश्री तगो चराहहए (इस समय
आप मनपुष्य रूप ममें हमैं, अतद्धाः मनपुष्यगोहचत व्यवहरार करनरा ठश्रीक हश्री हहै।)॥4॥
दगोहरा :
* पपूछ हूँ प्रेहह मगोहह हक रहजौं कहहूँ ममैं पपूहूँछत सकपु चराउहूँ।
जहहूँ न हगोहह तहहूँ दप्रेहह कहह तपुम्हहह दप्रेखरावजौं ठराउहूँ॥127॥
भरावरारर्ण:-आपनप्रे मपुझसप्रे पपूछरा हक ममैं कहराहूँ रहह हूँ? परन्तपु ममैं यह पपूछतप्रे सकपु चरातरा हह हूँ हक
जहराहूँ आप न हर, वह स्ररान बतरा दश्रीहजए। तब ममैं आपकप्रे रहनप्रे कप्रे हलए स्ररान
हदखराऊहूँ॥127॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन बचन पप्रेम रस सरानप्रे। सकपु हच रराम मन महह हूँ मपुसपुकरानप्रे॥
बरालमश्रीहक हहूँहस कहहहमं बहगोरश्री। बरानश्री मधपुर अहमअ रस बगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे पप्रेमरस सप्रे सनप्रे हह ए वचन सपुनकर शश्री ररामचन्दजश्री रहस्य खपुल जरानप्रे कप्रे
डर सप्रे सकपु चराकर मन ममें मपुस्कपु रराए। वराल्मश्रीहकजश्री हहूँसकर हफिर अममृत रस ममें डपु बगोई हहई
मश्रीठश्री वरारश्री बगोलप्रे-॥1॥
* सपुनहह रराम अब कहउहूँ हनकप्रे तरा। जहराहूँ बसहह हसय लखन समप्रेतरा॥
हजन्ह कप्रे शवन समपुद समरानरा। कररा तपुम्हरारर सपुभग सरर नरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ररामजश्री! सपुहनए, अब ममैं वप्रे स्ररान बतरातरा हह हूँ, जहराहूँ आप, सश्रीतराजश्री और
लक्ष्मरजश्री समप्रेत हनवरास ककीहजए। हजनकप्रे करान समपुद ककी भराहूँहत आपककी सपुदमं र कररा
रूपश्री अनप्रेक सपुदमं र नहदयर सप्रे-॥2॥
* भरहहमं हनरमंतर हगोहहमं न पपूरप्रे। हतन्ह कप्रे हहय तपुम्ह कहह हूँ गपुह रूरप्रे॥
लगोचन चरातक हजन्ह करर रराखप्रे। रहहहमं दरस जलधर अहभलराषप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-हनरमंतर भरतप्रे रहतप्रे हमैं, परन्तपु कभश्री पपूरप्रे (तमृप्त) नहहीं हगोतप्रे, उनकप्रे हृदय
आपकप्रे हलए सपुमंदर घर हमैं और हजन्हरनप्रे अपनप्रे नप्रेत्रर कगो चरातक बनरा रखरा हहै , जगो
आपकप्रे दशर्णन रूपश्री मप्रेघ कप्रे हलए सदरा लरालराहयत रहतप्रे हमैं,॥3॥
* हनदरहहमं सररत हसमंधपु सर भरारश्री। रूप हबमंद पु जल हगोहहमं सपुखरारश्री॥
हतन्ह कमें हृदय सदन सपुखदरायक। बसहह बमंधपु हसय सह रघपुनरायक॥4॥
भरावरारर्ण:-तररा जगो भरारश्री-भरारश्री नहदयर, समपुदर और झश्रीलर करा हनररादर करतप्रे हमैं और
आपकप्रे सजौंदयर्ण (रूपश्री मप्रेघ) ककी एक बपूहूँद जल सप्रे सपुखश्री हगो जरातप्रे हमैं (अररार्णत आपकप्रे
हदव्य सहचदरानन्दमय स्वरूप कप्रे हकसश्री एक अमंग ककी जररा सश्री भश्री झराहूँककी कप्रे सरामनप्रे
स्रपूल, सपूक्ष्म और करारर तश्रीनर जगत कप्रे अररार्णत पमृथ्वश्री, स्वगर्ण और ब्रहलगोक तक कप्रे
सजौंदयर्ण करा हतरस्करार करतप्रे हमैं), हप्रे रघपुनरारजश्री! उन लगोगर कप्रे हृदय रूपश्री सपुखदरायश्री
भवनर ममें आप भराई लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत हनवरास ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* जसपु तपुम्हरार मरानस हबमल हमंहसहन जश्रीहरा जरासपु।
मपुकतराहल गपुन गन चपुनइ रराम बसहह हहयहूँ तरासपु॥128॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे यश रूपश्री हनमर्णल मरानसरगोवर ममें हजसककी जश्रीभ हमंहसनश्री बनश्री हह ई आपकप्रे
गपुर समपूह रूपश्री मगोहतयर कगो चपुगतश्री रहतश्री हहै, हप्रे ररामजश्री! आप उसकप्रे हृदय ममें बहसए॥
128॥
चरौपराई :
* पभपु पसराद सपुहच सपुभग सपुबरासरा। सरादर जरासपु लहइ हनत नरासरा॥
तपुम्हहह हनबप्रेहदत भगोजन करहहीं। पभपु पसराद पट भपूषन धरहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हजसककी नराहसकरा पभपु (आप) कप्रे पहवत्र और सपुगमंहधत (पपुष्पराहद) सपुमंदर पसराद
कगो हनत्य आदर कप्रे सरार गहर करतश्री (सपूहूँघतश्री) हहै और जगो आपकगो अपर्णर करकप्रे
भगोजन करतप्रे हमैं और आपकप्रे पसराद रूप हश्री वस्त्रराभपूषर धरारर करतप्रे हमैं ,॥1॥
* सश्रीस नवहहमं सपुर गपुर हदज दप्रेखश्री। पश्रीहत सहहत करर हबनय हबसप्रेषश्री॥
कर हनत करहहमं रराम पद पपूजरा। रराम भरगोस हृदयहूँ नहहमं द ज पू रा॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे मस्तक दप्रेवतरा, गपुर और ब्रराहरर कगो दप्रेखकर बडश्री नम्रतरा कप्रे सरार पप्रेम
सहहत झपुक जरातप्रे हमैं, हजनकप्रे हरार हनत्य शश्री ररामचन्दजश्री (आप) कप्रे चररर ककी पपूजरा
करतप्रे हमैं और हजनकप्रे हृदय ममें शश्री ररामचन्दजश्री (आप) करा हश्री भरगोसरा हहै, दस पू ररा
नहहीं,॥2॥
* चरन रराम तश्रीरर चहल जराहहीं। रराम बसहह हतन्ह कप्रे मन मराहहीं॥
ममंत्ररराजपु हनत जपहहमं तपुम्हराररा। पपूजहहमं तपुम्हहह सहहत पररवराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तररा हजनकप्रे चरर शश्री ररामचन्दजश्री (आप) कप्रे तश्रीरर्मों ममें चलकर जरातप्रे हमैं, हप्रे
ररामजश्री! आप उनकप्रे मन ममें हनवरास ककीहजए। जगो हनत्य आपकप्रे (रराम नराम रूप)
ममंत्ररराज कगो जपतप्रे हमैं और पररवरार (पररकर) सहहत आपककी पपूजरा करतप्रे हमैं॥3॥
* तरपन हगोम करहहमं हबहध नरानरा। हबप जप्रेवराहूँइ दप्रेहहमं बहह दरानरा॥
तपुम्ह तमें अहधक गपुरहह हजयहूँ जरानश्री। सकल भरायहूँ सप्रेवहहमं सनमरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जगो अनप्रेक पकरार सप्रे तपर्णर और हवन करतप्रे हमैं तररा ब्रराहरर कगो भगोजन
करराकर बहह त दरान दप्रेतप्रे हमैं तररा जगो गपुर कगो हृदय ममें आपसप्रे भश्री अहधक (बडरा)
जरानकर सवर्णभराव सप्रे सम्मरान करकप्रे उनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं,॥4॥
दगोहरा :
* सबपु करर मरागहहमं एक फिलपु रराम चरन रहत हगोउ।
हतन्ह कमें मन ममंहदर बसहह हसय रघपुनमंदन दगोउ॥129॥
भरावरारर्ण:-और यप्रे सब कमर्ण करकप्रे सबकरा एक मरात्र यहश्री फिल मराहूँगतप्रे हमैं हक शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हमरारश्री पश्रीहत हगो, उन लगोगर कप्रे मन रूपश्री ममंहदरर ममें सश्रीतराजश्री
और रघपुकपुल कगो आनमंहदत करनप्रे वरालप्रे आप दगोनर बहसए॥129॥
चरौपराई :
* कराम कगोह मद मरान न मगोहरा। लगोभ न छगोभ न रराग न दगोहरा॥
हजन्ह कमें कपट दमंभ नहहमं मरायरा। हतन्ह कमें हृदय बसहह रघपुररायरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे न तगो कराम, कगोध, मद, अहभमरान और मगोह हमैं, न लगोभ हहै, न
क्षगोभ हहै, न रराग हहै, न दप्रेष हहै और न कपट, दम्भ और मरायरा हश्री हहै- हप्रे रघपुरराज!
आप उनकप्रे हृदय ममें हनवरास ककीहजए॥1॥
* सब कप्रे हपय सब कप्रे हहतकरारश्री। दख पु सपुख सररस पसमंसरा गरारश्री॥
कहहहमं सत्य हपय बचन हबचरारश्री। जरागत सगोवत सरन तपुम्हरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगो सबकप्रे हपय और सबकरा हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं, हजन्हमें दद्धाःपु ख और सपुख तररा
पशमंसरा (बडराई) और गरालश्री (हनमंदरा) समरान हहै, जगो हवचरारकर सत्य और हपय वचन
बगोलतप्रे हमैं तररा जगो जरागतप्रे-सगोतप्रे आपककी हश्री शरर हमैं,॥2॥
* तपुम्हहह छराहड गहत दस पू रर नराहहीं। रराम बसहह हतन्ह कप्रे मन मराहहीं॥
जननश्री सम जरानहहमं परनरारश्री। धनपु परराव हबष तमें हबष भरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और आपकगो छगोडकर हजनकप्रे दस पू रप्रे कगोई गहत (आशय) नहहीं हहै, हप्रे ररामजश्री!
आप उनकप्रे मन ममें बहसए। जगो परराई स्त्रश्री कगो जन्म दप्रेनप्रे वरालश्री मरातरा कप्रे समरान जरानतप्रे
हमैं और पररायरा धन हजन्हमें हवष सप्रे भश्री भरारश्री हवष हहै ,॥3॥
* जप्रे हरषहहमं पर समंपहत दप्रेखश्री। दहपु खत हगोहहमं पर हबपहत हबसप्रेषश्री॥
हजन्हहह रराम तपुम्ह परान हपआरप्रे। हतन्ह कप्रे मन सपुभ सदन तपुम्हरारप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो दस पू रप्रे ककी सम्पहर दप्रेखकर हहषर्णत हगोतप्रे हमैं और द स पू रप्रे ककी हवपहर दप्रेखकर
हवशप्रेष रूप सप्रे दद्धाःपु खश्री हगोतप्रे हमैं और हप्रे ररामजश्री! हजन्हमें आप परारर कप्रे समरान प्यरारप्रे हमैं,
उनकप्रे मन आपकप्रे रहनप्रे यगोग्य शपुभ भवन हमैं॥4॥
दगोहरा :
* स्वराहम सखरा हपतपु मरातपु गपुर हजन्ह कप्रे सब तपुम्ह तरात।
मन ममंहदर हतन्ह कमें बसहह सश्रीय सहहत दगोउ ररात॥130॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! हजनकप्रे स्वरामश्री, सखरा, हपतरा, मरातरा और गपुर सब कपु छ आप हश्री
हमैं, उनकप्रे मन रूपश्री ममंहदर ममें सश्रीतरा सहहत आप दगोनर भराई हनवरास ककीहजए॥130॥
चरौपराई :
* अवगपुन तहज सब कप्रे गपुन गहहहीं। हबप धप्रेनपु हहत समंकट सहहहीं॥
नश्रीहत हनपपुन हजन्ह कइ जग लश्रीकरा। घर तपुम्हरार हतन्ह कर मनपु नश्रीकरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जगो अवगपुरर कगो छगोडकर सबकप्रे गपुरर कगो गहर करतप्रे हमैं, ब्रराहर और गगो कप्रे
हलए समंकट सहतप्रे हमैं, नश्रीहत-हनपपुरतरा ममें हजनककी जगत ममें मयरार्णदरा हहै, उनकरा सपुदमं र मन
आपकरा घर हहै॥1॥
* गपुन तपुम्हरार समपुझइ हनज दगोसरा। जप्रेहह सब भराहूँहत तपुम्हरार भरगोसरा॥
रराम भगत हपय लरागहहमं जप्रेहश्री। तप्रेहह उर बसहह सहहत बहैदहप्रे श्री॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो गपुरर कगो आपकरा और दगोषर कगो अपनरा समझतरा हहै , हजसप्रे सब पकरार सप्रे
आपकरा हश्री भरगोसरा हहै और रराम भक्त हजसप्रे प्यरारप्रे लगतप्रे हमैं , उसकप्रे हृदय ममें आप
सश्रीतरा सहहत हनवरास ककीहजए॥2॥
* जराहत पराहूँहत धनपु धरमपु बडराई। हपय पररवरार सदन सपुखदराई॥
सब तहज तपुम्हहह रहइ उर लराई। तप्रेहह कप्रे हृदयहूँ रहहह रघपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-जराहत, पराहूँहत, धन, धमर्ण, बडराई, प्यराररा पररवरार और सपुख दप्रेनप्रे वरालरा घर,
सबकगो छगोडकर जगो कप्रे वल आपकगो हश्री हृदय ममें धरारर हकए रहतरा हहै , हप्रे रघपुनरारजश्री!
आप उसकप्रे हृदय ममें रहहए॥3॥
* सरगपु नरकपु अपबरगपु समरानरा। जहहूँ तहहूँ दप्रेख धरमें धनपु बरानरा॥
करम बचन मन रराउर चप्रेररा। रराम करहह तप्रेहह कमें उर डप्रेररा॥4॥
भरावरारर्ण:-स्वगर्ण, नरक और मगोक्ष हजसककी दृहष्टि ममें समरान हमैं, क्यरहक वह जहराहूँ-तहराहूँ
(सब जगह) कप्रे वल धनपुष-बरार धरारर हकए आपकगो हश्री दप्रेखतरा हहै और जगो कमर्ण सप्रे ,
वचन सप्रे और मन सप्रे आपकरा दरास हहै, हप्रे ररामजश्री! आप उसकप्रे हृदय ममें डप्रेररा
ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* जराहह न चराहहअ कबहह हूँ कछपु तपुम्ह सन सहज सनप्रेहह।
बसहह हनरमंतर तरासपु मन सगो रराउर हनज गप्रेहह॥131॥
भरावरारर्ण:-हजसकगो कभश्री कपु छ भश्री नहहीं चराहहए और हजसकरा आपसप्रे स्वराभराहवक पप्रेम हहै ,
आप उसकप्रे मन ममें हनरमंतर हनवरास ककीहजए, वह आपकरा अपनरा घर हहै॥131॥
चरौपराई :
* एहह हबहध मपुहनबर भवन दप्रेखराए। बचन सपप्रेम रराम मन भराए॥
कह मपुहन सपुनहह भरानपुकपुलनरायक। आशम कहउहूँ समय सपुखदरायक॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार मपुहन शप्रेष वराल्मश्रीहकजश्री नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो घर हदखराए। उनकप्रे
पप्रेमपपूरर्ण वचन शश्री ररामजश्री कप्रे मन कगो अच्छप्रे लगप्रे। हफिर मपुहन नप्रे कहरा- हप्रे सपूयर्णकपुल कप्रे
स्वरामश्री! सपुहनए, अब ममैं इस समय कप्रे हलए सपुखदरायक आशम कहतरा हह हूँ (हनवरास
स्ररान बतलरातरा हह)हूँ ॥1॥
* हचत्रकपू ट हगरर करहह हनवरासपू। तहहूँ तपुम्हरार सब भराहूँहत सपुपरासपू॥
सहैलपु सपुहरावन करानन चरारू। करर कप्रे हरर ममृग हबहग हबहरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-आप हचत्रकपू ट पवर्णत पर हनवरास ककीहजए, वहराहूँ आपकप्रे हलए सब पकरार ककी
सपुहवधरा हहै। सपुहरावनरा पवर्णत हहै और सपुदमं र वन हहै। वह हरारश्री , हसमंह, हहरन और पहक्षयर
करा हवहरार स्रल हहै॥2॥
* नदश्री पपुनश्रीत पपुररान बखरानश्री। अहत्रहपयरा हनज तप बल आनश्री॥
सपुरसरर धरार नराउहूँ ममंदराहकहन। जगो सब परातक पगोतक डराहकहन॥3॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ पहवत्र नदश्री हहै, हजसककी पपुररारर नप्रे पशमंसरा ककी हहै और हजसकगो अहत्र ऋहष
ककी पत्नश्री अनसपुयराजश्री अपनप्रे तपगोबल सप्रे लराई रहीं। वह गमंगराजश्री ककी धराररा हहै , उसकरा
ममंदराहकनश्री नराम हहै। वह सब पराप रूपश्री बरालकर कगो खरा डरालनप्रे कप्रे हलए डराहकनश्री
(डरायन) रूप हहै॥3॥
* अहत्र आहद मपुहनबर बहह बसहहीं। करहहमं जगोग जप तप तन कसहहीं॥
चलहह सफिल शम सब कर करहह । रराम दप्रेहह गरौरव हगररबरहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-अहत्र आहद बहह त सप्रे शप्रेष मपुहन वहराहूँ हनवरास करतप्रे हमैं, जगो यगोग, जप और
तप करतप्रे हह ए शरश्रीर कगो कसतप्रे हमैं। हप्रे ररामजश्री! चहलए, सबकप्रे पररशम कगो सफिल
ककीहजए और पवर्णत शप्रेष हचत्रकपू ट कगो भश्री गरौरव दश्रीहजए॥4॥
हचत्रकपू ट ममें हनवरास, कगोल-भश्रीलर कप्रे दराररा सप्रेवरा
दगोहरा :
* हचत्रकपू ट महहमरा अहमत कहश्री महरामपुहन गराइ।
आइ नहराए सररत बर हसय समप्रेत दगोउ भराइ॥132॥
भरावरारर्ण:-महरामपुहन वराल्मश्रीहकजश्री नप्रे हचत्रकपू ट ककी अपररहमत महहमरा बखरान कर कहश्री। तब
सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराइयर नप्रे आकर शप्रेष नदश्री ममंदराहकनश्री ममें स्नरान हकयरा॥ 132॥
चरौपराई :
* रघपुबर कहप्रेउ लखन भल घराटपू। करहह कतहह हूँ अब ठराहर ठराटपू॥
लखन दश्रीख पय उतर करराररा। चहह हूँ हदहस हफिरप्रेउ धनपुष हजहम नराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कहरा- लक्ष्मर! बडरा अच्छरा घराट हहै। अब यहहीं कहहीं
ठहरनप्रे ककी व्यवस्ररा करगो। तब लक्ष्मरजश्री नप्रे पयहस्वनश्री नदश्री कप्रे उरर कप्रे ऊहूँचप्रे हकनरारप्रे
कगो दप्रेखरा (और कहरा हक-) इसकप्रे चरारर ओर धनपुष कप्रे जहैसरा एक नरालरा हफिररा हहआ
हहै॥।1॥
* नदश्री पनच सर सम दम दरानरा। सकल कलपुष कहल सराउज नरानरा॥
हचत्रकपू ट जनपु अचल अहप्रेरश्री। चपुकइ न घरात मरार मपुठभप्रेरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-नदश्री (ममंदराहकनश्री) उस धनपुष ककी पत्यमंचरा (डगोरश्री) हहै और शम, दम, दरान
बरार हमैं। कहलयगपु कप्रे समस्त पराप उसकप्रे अनप्रेक हहमंसक पशपु (रूप हनशरानप्रे) हमैं। हचत्रकपू ट
हश्री मरानगो अचल हशकरारश्री हहै, हजसकरा हनशरानरा कभश्री चपूकतरा नहहीं और जगो सरामनप्रे सप्रे
मरारतरा हहै॥2॥
* अस कहह लखन ठराउहूँ दप्रेखररावरा। रलपु हबलगोहक रघपुबर सपुख पु परावरा॥
रमप्रेउ रराम मनपु दप्रेवन्ह जरानरा। चलप्रे सहहत सपुर रपहत पधरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर लक्ष्मरजश्री नप्रे स्ररान हदखरायरा। स्ररान कगो दप्रेखकर शश्री ररामचन्दजश्री
नप्रे सपुख परायरा। जब दप्रेवतराओमं नप्रे जरानरा हक शश्री ररामचन्दजश्री करा मन यहराहूँ रम गयरा, तब
वप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे पधरान रवई (मकरान बनरानप्रे वरालप्रे) हवश्वकमरार्ण कगो सरार लप्रेकर चलप्रे॥3॥
* कगोल हकररात बप्रेष सब आए। रचप्रे परन तमृन सदन सपुहराए॥
बरहन न जराहहमं ममंजपु दइपु सरालरा। एक लहलत लघपु एक हबसरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सब दप्रेवतरा कगोल-भश्रीलर कप्रे वप्रेष ममें आए और उन्हरनप्रे (हदव्य) परर और घरासर
कप्रे सपुदमं र घर बनरा हदए। दगो ऐसश्री सपुदमं र कपु हटयरा बनराई मं हजनकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा।
उनममें एक बडश्री सपुमंदर छगोटश्री सश्री रश्री और द स पू रश्री बडश्री रश्री॥4॥
दगोहरा :
* लखन जरानककी सहहत पभपु रराजत रहचर हनकप्रे त।
सगोह मदनपु मपुहन बप्रेष जनपु रहत ररतपुरराज समप्रेत॥133॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री और जरानककीजश्री सहहत पभपु शश्री ररामचन्दजश्री सपुदमं र घरास -परर कप्रे घर
ममें शगोभरायमरान हमैं। मरानगो करामदप्रेव मपुहन करा वप्रेष धरारर करकप्रे पत्नश्री रहत और वसमंत ऋतपु
कप्रे सरार सपुशगोहभत हगो॥133॥

मरासपराररायर, सत्रहवराहूँ हवशराम


चरौपराई :
* अमर नराग हकमंनर हदहसपरालरा। हचत्रकपू ट आए तप्रेहह करालरा॥
रराम पनरामपु ककीन्ह सब कराहह। मपुहदत दप्रेव लहह लगोचन लराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-उस समय दप्रेवतरा, नराग, हकन्नर और हदक्पराल हचत्रकपू ट ममें आए और शश्री
ररामचन्दजश्री नप्रे सब हकसश्री कगो परराम हकयरा। दप्रेवतरा नप्रेत्रर करा लराभ पराकर आनमंहदत हह ए॥
1॥
* बरहष सपुमन कह दप्रेव समराजपू। नरार सनरार भए हम आजपू॥
करर हबनतश्री दख पु दसपु ह सपुनराए। हरहषत हनज हनज सदन हसधराए॥2॥
भरावरारर्ण:-फिपूलर ककी वषरार्ण करकप्रे दप्रेव समराज नप्रे कहरा- हप्रे नरार! आज (आपकरा दशर्णन
पराकर) हम सनरार हगो गए। हफिर हवनतश्री करकप्रे उन्हरनप्रे अपनप्रे दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख सपुनराए और
(दद्धाःपु खर कप्रे नराश करा आश्वरासन पराकर) हहषर्णत हगोकर अपनप्रे-अपनप्रे स्ररानर कगो चलप्रे गए॥
2॥
* हचत्रकपू ट रघपुनमंदनपु छराए। समराचरार सपुहन सपुहन मपुहन आए॥
आवत दप्रेहख मपुहदत मपुहनबमृमंदरा। ककीन्ह दमंडवत रघपुकपुल चमंदरा॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री हचत्रकपू ट ममें आ बसप्रे हमैं, यह समराचरार सपुन-सपुनकर बहह त सप्रे
मपुहन आए। रघपुकपुल कप्रे चन्दमरा शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मपुहदत हह ई मपुहन ममंडलश्री कगो आतप्रे
दप्रेखकर दमंडवत परराम हकयरा॥3॥
* मपुहन रघपुबरहह लराइ उर लप्रेहहीं। सपुफिल हगोन हहत आहसष दप्रेहहीं॥
हसय सरौहमहत्र रराम छहब दप्रेखहहमं। सराधन सकल सफिल करर लप्रेखहहमं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मपुहनगर शश्री ररामजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा लप्रेतप्रे हमैं और सफिल हगोनप्रे कप्रे हलए
आशश्रीवरार्णद दप्रेतप्रे हमैं। वप्रे सश्रीतराजश्री, लक्ष्मरजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब दप्रेखतप्रे हमैं और
अपनप्रे सरारप्रे सराधनर कगो सफिल हहआ समझतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* जरराजगोग सनमराहन पभपु हबदरा हकए मपुहनबमृमंद।
करहहमं जगोग जप जराग तप हनज आशमहन्ह सपुछदमं ॥134॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे यररायगोग्य सम्मरान करकप्रे मपुहन ममंडलश्री कगो हवदरा हकयरा।
(शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे आ जरानप्रे सप्रे) वप्रे सब अपनप्रे-अपनप्रे आशमर ममें अब स्वतमंत्रतरा कप्रे
सरार यगोग, जप, यज और तप करनप्रे लगप्रे॥134॥
चरौपराई :
* यह सपुहध कगोल हकररातन्ह पराई। हरषप्रे जनपु नव हनहध घर आई॥
कमंद मपूल फिल भरर भरर दगोनरा। चलप्रे रमंक जनपु लपूटन सगोनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह (शश्री ररामजश्री कप्रे आगमन करा) समराचरार जब कगोल-भश्रीलर नप्रे परायरा, तगो वप्रे
ऐसप्रे हहषर्णत हहए मरानगो नवर हनहधयराहूँ उनकप्रे घर हश्री पर आ गई हर। वप्रे दगोनर ममें कमं द,
मपूल, फिल भर-भरकर चलप्रे, मरानगो दररद सगोनरा लपूटनप्रे चलप्रे हर॥1॥
* हतन्ह महहूँ हजन्ह दप्रेखप्रे दगोउ ररातरा। अपर हतन्हहह पपूछ हूँ हहमं मगपु जरातरा॥
कहत सपुनत रघपुबश्रीर हनकराई। आइ सबहन्ह दप्रेखप्रे रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-उनममें सप्रे जगो दगोनर भराइयर कगो (पहलप्रे) दप्रेख चपुकप्रे रप्रे, उनसप्रे दस पू रप्रे लगोग
ररास्तप्रे ममें जरातप्रे हहए पपूछतप्रे हमैं। इस पकरार शश्री ररामचन्दजश्री ककी सपुदमं रतरा कहतप्रे -सपुनतप्रे सबनप्रे
आकर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे दशर्णन हकए॥2॥
* करहहमं जगोहरार भमेंट धरर आगप्रे। पभपुहह हबलगोकहहमं अहत अनपुररागप्रे॥
हचत्र हलखप्रे जनपु जहहूँ तहहूँ ठराढप्रे। पपुलक सरश्रीर नयन जल बराढप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भमेंट आगप्रे रखकर वप्रे लगोग जगोहरार करतप्रे हमैं और अत्यन्त अनपुरराग कप्रे सरार पभपु
कगो दप्रेखतप्रे हमैं। वप्रे मपुग्ध हहए जहराहूँ कप्रे तहराहूँ मरानगो हचत्र हलखप्रे सप्रे खडप्रे हमैं। उनकप्रे शरश्रीर
पपुलहकत हमैं और नप्रेत्रर ममें पप्रेमराशपुओमं कप्रे जल ककी बराढ आ रहश्री हहै॥3॥
* रराम सनप्रेह मगन सब जरानप्रे। कहह हपय बचन सकल सनमरानप्रे॥
पभपुहह जगोहरारर बहगोरर बहगोरश्री। बचन हबनश्रीत कहहहमंकर जगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे उन सबकगो पप्रेम ममें मग्नि जरानरा और हपय वचन कहकर सबकरा
सम्मरान हकयरा। वप्रे बरार-बरार पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो जगोहरार करतप्रे हहए हरार जगोडकर
हवनश्रीत वचन कहतप्रे हमैं-॥4॥
दगोहरा :
* अब हम नरार सनरार सब भए दप्रेहख पभपु पराय।
भराग हमरारमें आगमनपु रराउर कगोसलरराय॥135॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! पभपु (आप) कप्रे चररर करा दशर्णन पराकर अब हम सब सनरार हगो
गए। हप्रे कगोसलरराज! हमरारप्रे हश्री भराग्य सप्रे आपकरा यहराहूँ शपुभरागमन हह आ हहै॥135॥
चरौपराई :
* धन्य भपूहम बन पमंर पहराररा। जहहूँ जहहूँ नरार पराउ तपुम्ह धराररा॥
धन्य हबहग ममृग कराननचरारश्री। सफिल जनम भए तपुम्हहह हनहरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! जहराहूँ-जहराहूँ आपनप्रे अपनप्रे चरर रखप्रे हमैं, वप्रे पमृथ्वश्री, वन, मरागर्ण और
पहराड धन्य हमैं, वप्रे वन ममें हवचरनप्रे वरालप्रे पक्षश्री और पशपु धन्य हमैं , जगो आपकगो दप्रेखकर
सफिल जन्म हगो गए॥1॥
* हम सब धन्य सहहत पररवराररा। दश्रीख दरसपु भरर नयन तपुम्हराररा॥
ककीन्ह बरासपु भल ठराउहूँ हबचरारश्री। इहराहूँ सकल ररतपु रहब सपुखरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हम सब भश्री अपनप्रे पररवरार सहहत धन्य हमैं , हजन्हरनप्रे नप्रेत्र भरकर आपकरा दशर्णन
हकयरा। आपनप्रे बडश्री अच्छश्री जगह हवचरारकर हनवरास हकयरा हहै। यहराहूँ सभश्री ऋतपुओमं ममें आप
सपुखश्री रहहएगरा॥2॥
* हम सब भराहूँहत करब सप्रेवकराई। करर कप्रे हरर अहह बराघ बरराई॥
बन बप्रेहड हगरर कमंदर खगोहरा। सब हमरार पभपु पग पग जगोहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हम लगोग सब पकरार सप्रे हरारश्री, हसमंह, सपर्ण और बराघर सप्रे बचराकर आपककी
सप्रेवरा करमेंगप्रे। हप्रे पभगो! यहराहूँ कप्रे बश्रीहड वन, पहराड, गपुफिराएहूँ और खगोह (दरर्दे) सब पग-
पग हमरारप्रे दप्रेखप्रे हह ए हमैं॥3॥
* तहहूँ तहहूँ तपुम्हहह अहप्रेर खप्रेलराउब। सर हनरझर जलठराउहूँ दप्रेखराउब॥
हम सप्रेवक पररवरार समप्रेतरा। नरार न सकपु चब आयसपु दप्रेतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हम वहराहूँ-वहराहूँ (उन-उन स्ररानर ममें) आपकगो हशकरार हखलराएहूँगप्रे और तरालराब,
झरनप्रे आहद जलराशयर कगो हदखराएहूँगप्रे। हम कपु टपु म्ब समप्रेत आपकप्रे सप्रेवक हमैं। हप्रे नरार!
इसहलए हममें आजरा दप्रेनप्रे ममें समंकगोच न ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* बप्रेद बचन मपुहन मन अगम तप्रे पभपु करनरा ऐन।
बचन हकररातन्ह कप्रे सपुनत हजहम हपतपु बरालक बहैन॥136॥
भरावरारर्ण:-जगो वप्रेदर कप्रे वचन और मपुहनयर कप्रे मन कगो भश्री अगम हमैं, वप्रे करररा कप्रे धराम
पभपु शश्री ररामचन्दजश्री भश्रीलर कप्रे वचन इस तरह सपुन रहप्रे हमैं, जहैसप्रे हपतरा बरालकर कप्रे
वचन सपुनतरा हहै॥136॥
चरौपराई :
* ररामहह कप्रे वल पप्रेमपु हपआररा। जराहन लप्रेउ जगो जरान हनहराररा॥
रराम सकल बनचर तब तगोषप्रे। कहह ममृद पु बचन पप्रेम पररपगोषप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कगो कप्रे वल पप्रेम प्यराररा हहै, जगो जराननप्रे वरालरा हगो (जराननरा चराहतरा
हगो), वह जरान लप्रे। तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे पप्रेम सप्रे पररपपुष्टि हह ए (पप्रेमपपूरर्ण) कगोमल वचन
कहकर उन सब वन ममें हवचरर करनप्रे वरालप्रे लगोगर कगो समंतपुष्टि हकयरा॥ 1॥
* हबदरा हकए हसर नराइ हसधराए। पभपु गपुन कहत सपुनत घर आए॥
एहह हबहध हसय समप्रेत दगोउ भराई। बसहहमं हबहपन सपुर मपुहन सपुखदराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर उनकगो हवदरा हकयरा। वप्रे हसर नवराकर चलप्रे और पभपु कप्रे गपुर कहतप्रे-सपुनतप्रे
घर आए। इस पकरार दप्रेवतरा और मपुहनयर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे दगोनर भराई सश्रीतराजश्री समप्रेत
वन ममें हनवरास करनप्रे लगप्रे॥2॥
* जब तमें आइ रहप्रे रघपुनरायकपु । तब तमें भयउ बनपु ममंगलदरायकपु ॥
फिपूलहहमं फिलहहमं हबटप हबहध नरानरा। ममंजपु बहलत बर बप्रेहल हबतरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे शश्री रघपुनरारजश्री वन ममें आकर रहप्रे तब सप्रे वन ममंगलदरायक हगो गयरा।
अनप्रेक पकरार कप्रे वमृक्ष फिपूलतप्रे और फिलतप्रे हमैं और उन पर हलपटश्री हह ई सपुदमं र बप्रेलर कप्रे
ममंडप तनप्रे हमैं॥3॥
* सपुरतर सररस सपुभरायहूँ सपुहराए। मनहह हूँ हबबपुध बन पररहरर आए॥
गपुमंज ममंजपुतर मधपुकर शप्रेनश्री। हत्रहबध बयरारर बहइ सपुख दप्रेनश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे कल्पवमृक्ष कप्रे समरान स्वराभराहवक हश्री सपुमंदर हमैं। मरानगो वप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे वन
(नमंदन वन) कगो छगोडकर आए हर। भजौंरर ककी पमंहक्तयराहूँ बहह त हश्री सपुदमं र गपुमंजरार करतश्री हमैं
और सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री शश्रीतल, ममंद, सपुगमंहधत हवरा चलतश्री रहतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* नश्रीलकमंठ कलकमंठ सपुक चरातक चक्क चकगोर।
भराहूँहत भराहूँहत बगोलहहमं हबहग शवन सपुखद हचत चगोर॥137॥
भरावरारर्ण:-नश्रीलकमंठ, कगोयल, तगोतप्रे, पपश्रीहप्रे, चकवप्रे और चकगोर आहद पक्षश्री करानर कगो
सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री और हचर कगो चपुररानप्रे वरालश्री तरह-तरह ककी बगोहलयराहूँ बगोलतप्रे हमैं॥137॥
चरौपराई :
* करर कप्रे हरर कहप कगोल कपु रमंगरा। हबगतबहैर हबचरहहमं सब समंगरा॥
हफिरत अहप्रेर रराम छहब दप्रेखश्री। हगोहहमं मपुहदत ममृग बमृमंद हबसप्रेषश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हरारश्री, हसमंह, बमंदर, सपूअर और हहरन, यप्रे सब वहैर छगोडकर सरार-सरार
हवचरतप्रे हमैं। हशकरार कप्रे हलए हफिरतप्रे हहए शश्री ररामचन्दजश्री ककी छहब कगो दप्रेखकर पशपुओमं कप्रे
समपूह हवशप्रेष आनमंहदत हगोतप्रे हमैं॥1॥
* हबबपुध हबहपन जहहूँ लहग जग मराहहीं। दप्रेहख ररामबनपु सकल हसहराहहीं॥
सपुरसरर सरसइ हदनकर कन्यरा। मप्रेकलसपुतरा गगोदरावरर धन्यरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें जहराहूँ तक (हजतनप्रे) दप्रेवतराओमं कप्रे वन हमैं, सब शश्री ररामजश्री कप्रे वन
कगो दप्रेखकर हसहरातप्रे हमैं, गमंगरा, सरस्वतश्री, सपूयर्णकपुमरारश्री यमपुनरा, नमर्णदरा, गगोदरावरश्री आहद
धन्य (पपुण्यमयश्री) नहदयराहूँ,॥2॥
* सब सर हसमंधपु नदहीं नद नरानरा। ममंदराहकहन कर करहहमं बखरानरा॥
उदय अस्त हगरर अर कहै लरासपू। ममंदर मप्रेर सकल सपुरबरासपू॥3॥
भरावरारर्ण:-सरारप्रे तरालराब, समपुद, नदश्री और अनप्रेकर नद सब ममंदराहकनश्री ककी बडराई करतप्रे
हमैं। उदयराचल, अस्तराचल, कहै लरास, ममंदरराचल और सपुमप्रेर आहद सब, जगो दप्रेवतराओमं
कप्रे रहनप्रे कप्रे स्ररान हमैं,॥3॥
* सहैल हहमराचल आहदक जप्रेतप्रे। हचत्रकपू ट जसपु गरावहहमं तप्रेतप्रे॥
हबमंहध मपुहदत मन सपुखपु न समराई। शम हबनपु हबपपुल बडराई पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-और हहमरालय आहद हजतनप्रे पवर्णत हमैं, सभश्री हचत्रकपू ट करा यश गरातप्रे हमैं।
हवन्ध्यराचल बडरा आनमंहदत हहै, उसकप्रे मन ममें सपुख समरातरा नहहीं, क्यरहक उसनप्रे हबनरा
पररशम हश्री बहह त बडश्री बडराई परा लश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* हचत्रकपू ट कप्रे हबहग ममृग बप्रेहल हबटप तमृन जराहत।
पपुन्य पपुजमं सब धन्य अस कहहहमं दप्रेव हदन रराहत॥138॥
भरावरारर्ण:-हचत्रकपू ट कप्रे पक्षश्री, पशपु, बप्रेल, वमृक्ष, तमृर-अमंकपुरराहद ककी सभश्री जराहतयराहूँ पपुण्य
ककी रराहश हमैं और धन्य हमैं- दप्रेवतरा हदन-ररात ऐसरा कहतप्रे हमैं॥138॥
चरौपराई :
* नयनवमंत रघपुबरहह हबलगोककी। पराइ जनम फिल हगोहहमं हबसगोककी॥
परहस चरन रज अचर सपुखरारश्री। भए परम पद कप्रे अहधकरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-आहूँखर वरालप्रे जश्रीव शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर जन्म करा फिल पराकर शगोकरहहत
हगो जरातप्रे हमैं और अचर (पवर्णत, वमृक्ष, भपूहम, नदश्री आहद) भगवरान ककी चरर रज करा
स्पशर्ण पराकर सपुखश्री हगोतप्रे हमैं। यर सभश्री परम पद (मगोक्ष) कप्रे अहधकरारश्री हगो गए॥1॥
* सगो बनपु सहैलपु सपुभरायहूँ सपुहरावन। ममंगलमय अहत परावन परावन॥
महहमरा कहहअ कवहन हबहध तरासपू। सपुखसरागर जहहूँ ककीन्ह हनवरासपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वह वन और पवर्णत स्वराभराहवक हश्री सपुदमं र, ममंगलमय और अत्यन्त पहवत्रर कगो
भश्री पहवत्र करनप्रे वरालरा हहै। उसककी महहमरा हकस पकरार कहश्री जराए , जहराहूँ सपुख कप्रे समपुद
शश्री ररामजश्री नप्रे हनवरास हकयरा हहै॥2॥
* पय पयगोहध तहज अवध हबहराई। जहहूँ हसय लखनपु ररामपु रहप्रे आई॥
कहह न सकहहमं सपुषमरा जहस करानन। जजौं सत सहस हगोहहमं सहसरानन॥3॥
भरावरारर्ण:-क्षश्रीर सरागर कगो त्यरागकर और अयगोध्यरा कगो छगोडकर जहराहूँ सश्रीतराजश्री, लक्ष्मरजश्री
और शश्री ररामचन्दजश्री आकर रहप्रे, उस वन ककी जहैसश्री परम शगोभरा हहै, उसकगो हजरार
मपुख वरालप्रे जगो लराख शप्रेषजश्री हर तगो वप्रे भश्री नहहीं कह सकतप्रे॥ 3॥
* सगो ममैं बरहन कहजौं हबहध कप्रे हहीं। डराबर कमठ हक ममंदर लप्रेहहीं॥
सप्रेवहहमं लखनपु करम मन बरानश्री। जराइ न सश्रीलपु सनप्रेहह बखरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे भलरा, ममैं हकस पकरार सप्रे वरर्णन करकप्रे कह सकतरा हह हूँ। कहहीं पगोखरप्रे करा
(क्षपुद) कछपु आ भश्री ममंदरराचल उठरा सकतरा हहै? लक्ष्मरजश्री मन, वचन और कमर्ण सप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री ककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं। उनकप्रे शश्रील और स्नप्रेह करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा
सकतरा॥4॥
दगोहरा :
* हछनपु हछनपु लहख हसय रराम पद जराहन आपपु पर नप्रेहह ।
करत न सपनप्रेहहहूँ लखनपु हचतपु बमंधपु मरातपु हपतपु गप्रेहह॥139॥
भरावरारर्ण:-क्षर-क्षर पर शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चररर कगो दप्रेखकर और अपनप्रे ऊपर उनकरा
स्नप्रेह जरानकर लक्ष्मरजश्री स्वप्न ममें भश्री भराइयर, मरातरा-हपतरा और घर ककी यराद नहहीं
करतप्रे॥139॥
चरौपराई :
* रराम समंग हसय रहहत सपुखरारश्री। पपुर पररजन गमृह सपुरहत हबसरारश्री॥
हछनपु हछनपु हपय हबधपु बदनपु हनहरारश्री। पमपुहदत मनहह हूँ चकगोर कपु मरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सरार सश्रीतराजश्री अयगोध्यरापपुरश्री, कपु टपु म्ब कप्रे लगोग और घर ककी
यराद भपूलकर बहह त हश्री सपुखश्री रहतश्री हमैं। क्षर-क्षर पर पहत शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चन्दमरा कप्रे
समरान मपुख कगो दप्रेखकर वप्रे वहैसप्रे हश्री परम पसन्न रहतश्री हमैं , जहैसप्रे चकगोर कपु मरारश्री
(चकगोरश्री) चन्दमरा कगो दप्रेखकर !॥1॥
* नराह नप्रेहह हनत बढत हबलगोककी। हरहषत रहहत हदवस हजहम कगोककी॥
हसय मनपु रराम चरन अनपुररागरा। अवध सहस सम बनपु हपय लरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री करा पप्रेम अपनप्रे पहत हनत्य बढतरा हहआ दप्रेखकर सश्रीतराजश्री ऐसश्री हहषर्णत
रहतश्री हमैं, जहैसप्रे हदन ममें चकवश्री! सश्रीतराजश्री करा मन शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें अनपुरक्त
हहै, इससप्रे उनकगो वन हजरारर अवध कप्रे समरान हपय लगतरा हहै॥2॥
* परनकपु टश्री हपय हपयतम समंगरा। हपय पररवरार कपु रमंग हबहमंगरा॥
सरासपु ससपुर सम मपुहनहतय मपुहनबर। असनपु अहमअ सम कमं द मपूल फिर॥3॥
भरावरारर्ण:-हपयतम (शश्री ररामचन्दजश्री) कप्रे सरार परर्णकपुटश्री प्यरारश्री लगतश्री हहै। ममृग और पक्षश्री
प्यरारप्रे कपु टपु हम्बयर कप्रे समरान लगतप्रे हमैं। मपुहनयर ककी हस्त्रयराहूँ सरास कप्रे समरान, शप्रेष मपुहन
ससपुर कप्रे समरान और कमंद-मपूल-फिलर करा आहरार उनकगो अममृत कप्रे समरान लगतरा हहै॥3॥
* नरार सरार सराहूँररश्री सपुहराई। मयन सयन सय सम सपुखदराई॥
लगोकप हगोहहमं हबलगोकत जरासपू। तप्रेहह हक मगोहह सक हबषय हबलरासपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री कप्रे सरार सपुमंदर सराररश्री (कपु श और परर ककी सप्रेज) सहैकडर करामदप्रेव ककी
सप्रेजर कप्रे समरान सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। हजनकप्रे (कमृ परापवपू र्णक) दप्रेखनप्रे मरात्र सप्रे जश्रीव लगोकपराल
हगो जरातप्रे हमैं, उनकगो कहहीं भगोग-हवलरास मगोहहत कर सकतप्रे हमैं!॥4॥
दगोहरा :
* सपुहमरत ररामहह तजहहमं जन तमृन सम हबषय हबलरासपु।
ररामहपयरा जग जनहन हसय कछपु न आचरजपु तरासपु॥140॥
भरावरारर्ण:-हजन शश्री ररामचन्दजश्री करा स्मरर करनप्रे सप्रे हश्री भक्तजन तमराम भगोग -हवलरास कगो
हतनकप्रे कप्रे समरान त्यराग दप्रेतप्रे हमैं, उन शश्री ररामचन्दजश्री ककी हपय पत्नश्री और जगत ककी
मरातरा सश्रीतराजश्री कप्रे हलए यह (भगोग-हवलरास करा त्यराग) कपु छ भश्री आश्चयर्ण नहहीं हहै॥
140॥
चरौपराई :
* सश्रीय लखन जप्रेहह हबहध सपुखपु लहहहीं। सगोइ रघपुनरार करहहमं सगोइ कहहहीं॥
कहहहमं पपुररातन कररा कहरानश्री। सपुनहहमं लखनपु हसय अहत सपुख पु मरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री कगो हजस पकरार सपुख हमलप्रे , शश्री रघपुनरारजश्री वहश्री
करतप्रे और वहश्री कहतप्रे हमैं। भगवरान पराचश्रीन करराएहूँ और कहराहनयराहूँ कहतप्रे हमैं और
लक्ष्मरजश्री तररा सश्रीतराजश्री अत्यन्त सपुख मरानकर सपुनतप्रे हमैं॥1॥
* जब जब ररामपु अवध सपुहध करहहीं। तब तब बरारर हबलगोचन भरहहीं॥
सपुहमरर मरातपु हपतपु पररजन भराई। भरत सनप्रेहह सश्रीलपु सप्रेवकराई॥2॥
भरावरारर्ण:-जब-जब शश्री ररामचन्दजश्री अयगोध्यरा ककी यराद करतप्रे हमैं , तब-तब उनकप्रे नप्रेत्रर ममें
जल भर आतरा हहै। मरातरा-हपतरा, कपु टपु हम्बयर और भराइयर तररा भरत कप्रे पप्रेम, शश्रील
और सप्रेवराभराव कगो यराद करकप्रे -॥2॥
* कमृ पराहसमंधपु पभपु हगोहहमं दख पु रारश्री। धश्रीरजपु धरहहमं कपु समउ हबचरारश्री॥
लहख हसय लखनपु हबकल हगोइ जराहहीं। हजहम पपुरषहह अनपुसर पररछराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे समपुद पभपु शश्री ररामचन्दजश्री दद्धाःपु खश्री हगो जरातप्रे हमैं, हकन्तपु हफिर कपु समय
समझकर धश्रीरज धरारर कर लप्रेतप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री कगो द द्धाःपु खश्री दप्रेखकर सश्रीतराजश्री और
लक्ष्मरजश्री भश्री व्यराकपुल हगो जरातप्रे हमैं, जहैसप्रे हकसश्री मनपुष्य ककी परछराहहीं उस मनपुष्य कप्रे
समरान हश्री चप्रेष्टिरा करतश्री हहै॥3॥
* हपयरा बमंधपु गहत लहख रघपुनमंदनपु। धश्रीर कमृ पराल भगत उर चमंदनपु॥
लगप्रे कहन कछपु कररा पपुनश्रीतरा। सपुहन सपुखपु लहहहमं लखनपु अर सश्रीतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-तब धश्रीर, कमृ परालपु और भक्तर कप्रे हृदयर कगो शश्रीतल करनप्रे कप्रे हलए चमंदन रूप
रघपुकपुल कगो आनमंहदत करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचन्दजश्री प्यरारश्री पत्नश्री और भराई लक्ष्मर ककी
दशरा दप्रेखकर कपु छ पहवत्र करराएहूँ कहनप्रे लगतप्रे हमैं, हजन्हमें सपुनकर लक्ष्मरजश्री और
सश्रीतराजश्री सपुख पराप्त करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* ररामपु लखन सश्रीतरा सहहत सगोहत परन हनकप्रे त।
हजहम बरासव बस अमरपपुर सचश्री जयमंत समप्रेत॥141॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत शश्री ररामचन्दजश्री परर्णकपुटश्री ममें ऐसप्रे सपुशगोहभत हमैं,
जहैसप्रे अमररावतश्री ममें इन्द अपनश्री पत्नश्री शचश्री और पपुत्र जयमंत सहहत बसतरा हहै॥ 141॥
चरौपराई :
* जगोगवहहमं पभपुहसय लखनहह कहै समें। पलक हबलगोचन गगोलक जहैसमें॥
सप्रेवहहमं लखनपु सश्रीय रघपुबश्रीरहह। हजहम अहबबप्रेककी पपुरष सरश्रीरहह॥1॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री ककी कहै सश्री सहूँभराल रखतप्रे हमैं, जहैसप्रे
पलकमें नप्रेत्रर कप्रे गगोलकर ककी। इधर लक्ष्मरजश्री शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री ककी
(अरवरा लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री शश्री ररामचन्दजश्री ककी) ऐसश्री सप्रेवरा करतप्रे हमैं, जहैसप्रे
अजरानश्री मनपुष्य शरश्रीर ककी करतप्रे हमैं॥1॥
* एहह हबहध पभपु बन बसहहमं सपुखरारश्री। खग ममृग सपुर तरापस हहतकरारश्री॥
कहप्रेउहूँ रराम बन गवनपु सपुहरावरा। सपुनहह सपुममंत्र अवध हजहम आवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-पक्षश्री, पशपु, दप्रेवतरा और तपहस्वयर कप्रे हहतकरारश्री पभपु इस पकरार सपुखपपूवर्णक वन
ममें हनवरास कर रहप्रे हमैं। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- ममैंनप्रे शश्री ररामचन्दजश्री करा सपुदमं र वनगमन
कहरा। अब हजस तरह सपुमन्त्र अयगोध्यरा ममें आए वह (कररा) सपुनगो॥2॥
* हफिरप्रेउ हनषराद पु पभपुहह पहहचहूँ राई। सहचव सहहत रर दप्रेखप्रेहस आई॥
ममंत्रश्री हबकल हबलगोहक हनषराद।पू कहह न जराइ जस भयउ हबषराद॥पू 3॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो पहह हूँचराकर जब हनषरादरराज लरौटरा, तब आकर उसनप्रे
रर कगो ममंत्रश्री (सपुममंत्र) सहहत दप्रेखरा। ममंत्रश्री कगो व्यराकपुल दप्रेखकर हनषराद कगो जहैसरा दद्धाःपु ख
हह आ, वह कहरा नहहीं जरातरा॥3॥
* रराम रराम हसय लखन पपुकरारश्री। परप्रेउ धरहनतल ब्यराकपु ल भरारश्री॥
दप्रेहख दहखन हदहस हय हहहहनराहहीं। जनपु हबनपु पमंख हबहग अकपु लराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-(हनषराद कगो अकप्रे लप्रे आयरा दप्रेखकर) सपुममंत्र हरा रराम! हरा रराम! हरा सश्रीतप्रे! हरा
लक्ष्मर! पपुकरारतप्रे हहए, बहह त व्यराकपुल हगोकर धरतश्री पर हगर पडप्रे। (रर कप्रे ) घगोडप्रे
दहक्षर हदशरा ककी ओर (हजधर शश्री ररामचन्दजश्री गए रप्रे) दप्रेख-दप्रेखकर हहनहहनरातप्रे हमैं।
मरानगो हबनरा पमंख कप्रे पक्षश्री व्यराकपुल हगो रहप्रे हर॥4॥
दगोहरा :
* नहहमं तमृन चरहहमं न हपअहहमं जलपु मगोचहहमं लगोचन बरारर।
ब्यराकपुल भए हनषराद सब रघपुबर बराहज हनहरारर॥142॥
भरावरारर्ण:-वप्रे न तगो घरास चरतप्रे हमैं, न परानश्री पश्रीतप्रे हमैं। कप्रे वल आहूँखर सप्रे जल बहरा रहप्रे हमैं।
शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे घगोडर कगो इस दशरा ममें दप्रेखकर सब हनषराद व्यराकपु ल हगो गए॥142॥
चरौपराई :
* धरर धश्रीरजपु तब कहइ हनषराद।पू अब सपुममंत्र पररहरहह हबषराद॥पू
तपुम्ह पमंहडत परमरारर ग्यरातरा। धरहह धश्रीर लहख हबमपुख हबधरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-तब धश्रीरज धरकर हनषरादरराज कहनप्रे लगरा- हप्रे सपुममंत्रजश्री! अब हवषराद कगो
छगोहडए। आप पमंहडत और परमरारर्ण कप्रे जराननप्रे वरालप्रे हमैं। हवधरातरा कगो पहतकपू ल जरानकर
धहैयर्ण धरारर ककीहजए॥1॥
* हबहबहध कररा कहह कहह ममृद पु बरानश्री। रर बहैठरारप्रेउ बरबस आनश्री॥
सगोक हसहरल ररपु सकइ न हराक हूँ की। रघपुबर हबरह पश्रीर उर बराहूँककी॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कगोमल वरारश्री सप्रे भराहूँहत-भराहूँहत ककी करराएहूँ कहकर हनषराद नप्रे जबदर्णस्तश्री लराकर
सपुममंत्र कगो रर पर बहैठरायरा, परन्तपु शगोक कप्रे मरारप्रे वप्रे इतनप्रे हशहरल हगो गए हक रर कगो
हराहूँक नहहीं सकतप्रे। उनकप्रे हृदय ममें शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवरह ककी बडश्री तश्रीव्र वप्रेदनरा हहै॥2॥
* चरफिरराहहमं मग चलहहमं न घगोरप्रे। बन ममृग मनहह हूँ आहन रर जगोरप्रे॥
अढपुहक परहहमं हफिरर हप्रेरहहमं पश्रीछमें। रराम हबयगोहग हबकल द ख पु तश्रीछमें॥3॥
भरावरारर्ण:-घगोडप्रे तडफिडरातप्रे हमैं और (ठश्रीक) ररास्तप्रे पर नहहीं चलतप्रे। मरानगो जमंगलश्री पशपु
लराकर रर ममें जगोत हदए गए हर। वप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवयगोगश्री घगोडप्रे कभश्री ठगोकर
खराकर हगर पडतप्रे हमैं, कभश्री घपूमकर पश्रीछप्रे ककी ओर दप्रेखनप्रे लगतप्रे हमैं। वप्रे तश्रीक्ष्र द द्धाःपु ख सप्रे
व्यराकपुल हमैं॥3॥
*जगो कह ररामपु लखनपु बहैदप्रेहश्री। हहमंकरर हहमंकरर हहत हप्रेरहहमं तप्रेहश्री॥
बराहज हबरह गहत कहह हकहम जरातश्री। हबनपु महन फिहनक हबकल जप्रेहहमं भराहूँतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जगो कगोई रराम, लक्ष्मर यरा जरानककी करा नराम लप्रे लप्रेतरा हहै, घगोडप्रे हहकर-
हहकरकर उसककी ओर प्यरार सप्रे दप्रेखनप्रे लगतप्रे हमैं। घगोडर ककी हवरह दशरा कहै सप्रे कहश्री जरा
सकतश्री हहै? वप्रे ऐसप्रे व्यराकपुल हमैं, जहैसप्रे महर कप्रे हबनरा सरापहूँ व्यराकपुल हगोतरा हहै॥4॥
सपुमन्त्र करा अयगोध्यरा कगो लरौटनरा और सवर्णत्र शगोक दप्रेखनरा
दगोहरा :
* भयउ हनषरादपु हबषरादबस दप्रेखत सहचव तपुरमंग।
बगोहल सपुसवप्रे क चरारर तब हदए सराररश्री समंग॥143॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री और घगोडर ककी यह दशरा दप्रेखकर हनषरादरराज हवषराद कप्रे वश हगो गयरा। तब
उसनप्रे अपनप्रे चरार उरम सप्रेवक बपुलराकर सराररश्री कप्रे सरार कर हदए॥143॥
चरौपराई :
* गपुह सरारहरहह हफिरप्रेउ पहह हूँचराई। हबरहह हबषरादपु बरहन नहहमं जराई॥
चलप्रे अवध लप्रेइ ररहह हनषरादरा। हगोहहमं छनहहमं छन मगन हबषरादरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज गपुह सराररश्री (सपुममंत्रजश्री) कगो पहह हूँचराकर (हवदरा करकप्रे ) लरौटरा। उसकप्रे
हवरह और दद्धाःपु ख करा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। वप्रे चरारर हनषराद रर लप्रेकर अवध
कगो चलप्रे। (सपुममंत्र और घगोडर कगो दप्रेख-दप्रेखकर) वप्रे भश्री क्षर-क्षरभर हवषराद ममें डपू बप्रे जरातप्रे
रप्रे॥1॥
* सगोच सपुममंत्र हबकल दख पु दश्रीनरा। हधग जश्रीवन रघपुबश्रीर हबहश्रीनरा॥
रहहहह न अमंतहह हूँ अधम सरश्रीरू। जसपु न लहप्रेउ हबछपु रत रघपुबश्रीरू॥2॥
भरावरारर्ण:-व्यराकपुल और दद्धाःपु ख सप्रे दश्रीन हहए सपुममंत्रजश्री सगोचतप्रे हमैं हक शश्री रघपुवश्रीर कप्रे हबनरा
जश्रीनरा हधक्करार हहै। आहखर यह अधम शरश्रीर रहप्रेगरा तगो हहै हश्री नहहीं। अभश्री शश्री ररामचन्दजश्री
कप्रे हबछपु डतप्रे हश्री छपूटकर इसनप्रे यश (क्यर) नहहीं लप्रे हलयरा॥2॥
* भए अजस अघ भराजन परानरा। कवन हप्रेतपु नहहमं करत पयरानरा॥
अहह ममंद मनपु अवसर चपूकरा। अजहह हूँ न हृदय हगोत दइपु टपू करा॥3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे परार अपयश और पराप कप्रे भराहूँडप्रे हगो गए। अब यप्रे हकस करारर कपू च नहहीं
करतप्रे (हनकलतप्रे नहहीं)? हराय! नश्रीच मन (बडरा अच्छरा) मरौकरा चपूक गयरा। अब भश्री तगो
हृदय कप्रे दगो टपु कडप्रे नहहीं हगो जरातप्रे!॥3॥
* मश्रीहज हरार हसर धपुहन पहछतराई। मनहह हूँ कमृ पन धन रराहस गवराहूँई॥
हबररद बराहूँहध बर बश्रीर कहराई। चलप्रेउ समर जनपु सपुभट परराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्र हरार मल-मलकर और हसर पश्रीट-पश्रीटकर पछतरातप्रे हमैं। मरानगो कगोई कमंजपूस
धन करा खजरानरा खगो बहैठरा हगो। वप्रे इस पकरार चलप्रे मरानगो कगोई बडरा यगोदरा वश्रीर करा
बरानरा पहनकर और उरम शपूरवश्रीर कहलराकर य द पु सप्रे भराग चलरा हगो!॥4॥
दगोहरा :
* हबप हबबप्रेककी बप्रेदहबद समंमत सराधपु सपुजराहत।
हजहम धगोखमें मदपरान कर सहचव सगोच तप्रेहह भराहूँहत॥144॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे कगोई हववप्रेकशश्रील, वप्रेद करा जरातरा, सराधपुसम्मत आचररर वरालरा और उरम
जराहत करा (कपु लश्रीन) ब्रराहर धगोखप्रे सप्रे महदररा पश्री लप्रे और पश्रीछप्रे पछतरावप्रे , उसश्री पकरार
ममंत्रश्री सपुममंत्र सगोच कर रहप्रे (पछतरा रहप्रे) हमैं॥144॥
चरौपराई :
* हजहम कपु लश्रीन हतय सराधपु सयरानश्री। पहतदप्रेवतरा करम मन बरानश्री॥
रहहै करम बस पररहरर नराहह। सहचव हृदयहूँ हतहम दरारन दराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे हकसश्री उरम कपु लवरालश्री, सराधपु स्वराभराव ककी, समझदरार और मन, वचन,
कमर्ण सप्रे पहत कगो हश्री दप्रेवतरा मराननप्रे वरालश्री पहतव्रतरा स्त्रश्री कगो भराग्यवश पहत कगो छगोडकर
(पहत सप्रे अलग) रहनरा पडप्रे, उस समय उसकप्रे हृदय ममें जहैसप्रे भयरानक समंतराप हगोतरा
हहै, वहैसप्रे हश्री ममंत्रश्री कप्रे हृदय ममें हगो रहरा हहै॥1॥
* लगोचन सजल डश्रीहठ भइ रगोरश्री। सपुनइ न शवन हबकल महत भगोरश्री॥
सपूखहहमं अधर लराहग मपुहहूँ लराटश्री। हजउ न जराइ उर अवहध कपराटश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-नप्रेत्रर ममें जल भररा हहै, दृहष्टि ममंद हगो गई हहै। करानर सप्रे सपुनराई नहहीं पडतरा,
व्यराकपुल हहई बपुहद बप्रेहठकरानप्रे हगो रहश्री हहै। हगोठ सपूख रहप्रे हमैं , मपुहूँह ममें लराटश्री लग गई हहै,
हकन्तपु (यप्रे सब ममृत्यपु कप्रे लक्षर हगो जरानप्रे पर भश्री) परार नहहीं हनकलतप्रे, क्यरहक हृदय
ममें अवहध रूपश्री हकवराड लगप्रे हमैं (अररार्णत चरौदह वषर्ण बश्रीत जरानप्रे पर भगवरान हफिर हमलमेंगप्रे ,
यहश्री आशरा रकरावट डराल रहश्री हहै)॥2॥
* हबबरन भयउ न जराइ हनहरारश्री। मरारप्रेहस मनहह हूँ हपतरा महतरारश्री॥
हराहन गलराहन हबपपुल मन ब्यरापश्री। जमपपुर पमंर सगोच हजहम परापश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्रजश्री कप्रे मपुख करा रमंग बदल गयरा हहै, जगो दप्रेखरा नहहीं जरातरा। ऐसरा मरालपूम
हगोतरा हहै मरानगो इन्हरनप्रे मरातरा-हपतरा कगो मरार डरालरा हगो। उनकप्रे मन ममें ररामहवयगोग रूपश्री
हराहन ककी महरान ग्लराहन (पश्रीडरा) छरा रहश्री हहै, जहैसप्रे कगोई परापश्री मनपुष्य नरक कगो जरातरा
हह आ ररास्तप्रे ममें सगोच कर रहरा हगो॥3॥
* बचनपु न आव हृदयहूँ पहछतराई। अवध कराह ममैं दप्रेखब जराई॥
रराम रहहत रर दप्रेहखहह जगोई। सकपु हचहह मगोहह हबलगोकत सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहूँह सप्रे वचन नहहीं हनकलतप्रे। हृदय ममें पछतरातप्रे हमैं हक ममैं अयगोध्यरा ममें जराकर
क्यरा दप्रेखपूहूँगरा? शश्री ररामचन्दजश्री सप्रे शपून्य रर कगो जगो भश्री दप्रेखप्रेगरा, वहश्री मपुझप्रे दप्रेखनप्रे ममें
समंकगोच करप्रेगरा (अररार्णत मप्रेररा मपुहूँह नहहीं दप्रेखनरा चराहप्रेगरा)॥4॥
दगोहरा :
* धराइ पपूहहूँ छहहहमं मगोहह जब हबकल नगर नर नरारर।
उतर दप्रेब ममैं सबहह तब हृदयहूँ बज्रपु बहैठरारर॥145॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे सब व्यराकपुल स्त्रश्री-पपुरष जब दरौडकर मपुझसप्रे पपूछमेंगप्रे, तब ममैं हृदय पर
वज्र रखकर सबकगो उरर दहूँगपू रा॥145॥
चरौपराई :
* पपुहछहहहमं दश्रीन दहपु खत सब मरातरा। कहब कराह ममैं हतन्हहह हबधरातरा।
पपूहछहह जबहहमं लखन महतरारश्री। कहहहउहूँ कवन सहूँदस प्रे सपुखरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब दश्रीन-दद्धाःपु खश्री सब मरातराएहूँ पपूछमेंगश्री, तब हप्रे हवधरातरा! ममैं उन्हमें क्यरा कहह हूँगरा?
जब लक्ष्मरजश्री ककी मरातरा मपुझसप्रे पपूछमेंगश्री, तब ममैं उन्हमें करौन सरा सपुखदरायश्री सहूँदप्रेसरा
कहह हूँगरा?॥1॥
* रराम जनहन जब आइहह धराई। सपुहमरर बच्छपु हजहम धप्रेनपु लवराई॥
पपूहूँछत उतर दप्रेब ममैं तप्रेहश्री। गप्रे बनपु रराम लखनपु बहैदहप्रे श्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी मरातरा जब इस पकरार दरौडश्री आवमेंगश्री जहैसप्रे नई ब्यरायश्री हहई गरौ
बछडप्रे कगो यराद करकप्रे दरौडश्री आतश्री हहै, तब उनकप्रे पपूछनप्रे पर ममैं उन्हमें यह उरर दहूँगपू रा
हक शश्री रराम, लक्ष्मर, सश्रीतरा वन कगो चलप्रे गए!॥2॥
* जगोई पपूहूँहछहह तप्रेहह ऊतर दप्रेबरा। जराइ अवध अब यहह सपुखपु लप्रेबरा॥
पपूहूँहछहह जबहहमं रराउ दख पु दश्रीनरा। हजवनपु जरासपु रघपुनरार अधश्रीनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो भश्री पपूछप्रेगरा उसप्रे यहश्री उरर दप्रेनरा पडप्रेगरा! हराय! अयगोध्यरा जराकर अब मपुझप्रे
यहश्री सपुख लप्रेनरा हहै! जब दद्धाःपु ख सप्रे दश्रीन महरारराज, हजनकरा जश्रीवन शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे
(दशर्णन कप्रे ) हश्री अधश्रीन हहै, मपुझसप्रे पपूछमेंगप्रे,॥3॥
* दप्रेहउहूँ उतर करौनपु मपुहह लराई। आयउहूँ कपु सल कपु अहूँर पहह हूँचराई॥
सपुनत लखन हसय रराम सहूँदप्रेसपू। तमृन हजहम तनपु पररहररहह नरप्रेसपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तब ममैं करौन सरा मपुहूँह लप्रेकर उन्हमें उरर दगहूँपू रा हक ममैं रराजकपु मरारर कगो कपु शल
पपूवर्णक पहह हूँचरा आयरा हह हूँ! लक्ष्मर, सश्रीतरा और शश्रीरराम करा समराचरार सपुनतप्रे हश्री महरारराज
हतनकप्रे ककी तरह शरश्रीर कगो त्यराग दमेंगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हृदउ न हबदरप्रेउ पमंक हजहम हबछपु रत पश्रीतमपु नश्रीर।
जरानत हजौं मगोहह दश्रीन्ह हबहध यहह जरातनरा सरश्रीर॥146॥
भरावरारर्ण:-हपयतम (शश्री ररामजश्री) रूपश्री जल कप्रे हबछपु डतप्रे हश्री मप्रेररा हृदय ककीचड ककी तरह
फिट नहहीं गयरा, इससप्रे ममैं जरानतरा हह हूँ हक हवधरातरा नप्रे मपुझप्रे यह 'यरातनरा शरश्रीर' हश्री हदयरा
हहै (जगो परापश्री जश्रीवर कगो नरक भगोगनप्रे कप्रे हलए हमलतरा हहै)॥146॥
चरौपराई :
* एहह हबहध करत पमंर पहछतरावरा। तमसरा तश्रीर तपुरत ररपु आवरा॥
हबदरा हकए करर हबनय हनषरादरा। हफिरप्रे परायहूँ परर हबकल हबषरादरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सपुममंत्र इस पकरार मरागर्ण ममें पछतरावरा कर रहप्रे रप्रे, इतनप्रे ममें हश्री रर तपुरमंत तमसरा
नदश्री कप्रे तट पर आ पहहचहूँ रा। ममंत्रश्री नप्रे हवनय करकप्रे चरारर हनषरादर कगो हवदरा हकयरा। वप्रे
हवषराद सप्रे व्यराकपुल हगोतप्रे हहए सपुममंत्र कप्रे पहैरर पडकर लरौटप्रे॥1॥
* पहैठत नगर सहचव सकपु चराई। जनपु मरारप्रेहस गपुर बराहूँभन गराई॥
बहैहठ हबटप तर हदवसपु गवराहूँवरा। सराझ हूँ समय तब अवसर परावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-नगर ममें पवप्रेश करतप्रे ममंत्रश्री (ग्लराहन कप्रे करारर) ऐसप्रे सकपु चरातप्रे हमैं, मरानगो गपुर,
ब्रराहर यरा गरौ कगो मरारकर आए हर। सराररा हदन एक पप्रेड कप्रे नश्रीचप्रे बहैठकर हबतरायरा। जब
समंध्यरा हह ई तब मरौकरा हमलरा॥2॥
* अवध पबप्रेसपु ककीन्ह अहूँहधआरमें। पहैठ भवन ररपु रराहख द आ पु रमें॥
हजन्ह हजन्ह समराचरार सपुहन पराए। भपूप दरार ररपु दप्रेखन आए॥3॥
भरावरारर्ण:-अहूँधप्रेररा हगोनप्रे पर उन्हरनप्रे अयगोध्यरा ममें पवप्रेश हकयरा और रर कगो दरवराजप्रे पर
खडरा करकप्रे वप्रे (चपुपकप्रे सप्रे) महल ममें घपुसप्रे। हजन-हजन लगोगर नप्रे यह समराचरार सपुनरा
परायरा, वप्रे सभश्री रर दप्रेखनप्रे कगो रराजदरार पर आए॥3॥
* ररपु पहहचराहन हबकल लहख घगोरप्रे। गरहहमं गरात हजहम आतप ओरप्रे॥
नगर नरारर नर ब्यराकपुल कहै समें। हनघटत नश्रीर मश्रीनगन जहैसमें॥4॥
भरावरारर्ण:-रर कगो पहचरानकर और घगोडर कगो व्यराकपुल दप्रेखकर उनकप्रे शरश्रीर ऐसप्रे गलप्रे जरा
रहप्रे हमैं (क्षश्रीर हगो रहप्रे हमैं) जहैसप्रे घराम ममें ओलप्रे! नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष कहै सप्रे व्यराकपुल हमैं,
जहैसप्रे जल कप्रे घटनप्रे पर मछहलयराहूँ (व्यराकपुल हगोतश्री हमैं)॥4॥
दगोहरा :
* सहचव आगमनपु सपुनत सबपु हबकल भयउ रहनवरासपु।
भवनपु भयमंकर लराग तप्रेहह मरानहह हूँ पप्रेत हनवरासपु॥147॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री करा (अकप्रे लप्रे हश्री) आनरा सपुनकर सराररा रहनवरास व्यराकपुल हगो गयरा।
रराजमहल उनकगो ऐसरा भयरानक लगरा मरानगो पप्रेतर करा हनवरास स्ररान (श्मशरान) हगो॥
147॥
चरौपराई :
* अहत आरहत सब पपूहूँछहहमं ररानश्री। उतर न आव हबकल भइ बरानश्री॥
सपुनइ न शवन नयन नहहमं सपूझरा। कहहह कहराहूँ नमृपपु तप्रेहह तप्रेहह बपूझरा॥1॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त आतर्ण हगोकर सब रराहनयराहूँ पपूछतश्री हमैं, पर सपुममंत्र कगो कपु छ उरर नहहीं
आतरा, उनककी वरारश्री हवकल हगो गई (रक गई) हहै। न करानर सप्रे सपुनराई पडतरा हहै और
न आहूँखर सप्रे कपु छ सपूझतरा हहै। वप्रे जगो भश्री सरामनप्रे आतरा हहै उस-उससप्रे पपूछतप्रे हमैं कहगो,
रराजरा कहराहूँ हमैं ?॥1॥
* दराहसन्ह दश्रीख सहचव हबकलराई। करौसल्यरा गमृहहूँ गई मं लवराई॥
जराइ सपुममंत्र दश्रीख कस रराजरा। अहमअ रहहत जनपु चमंद पु हबरराजरा॥2॥
भरावरारर्ण:-दराहसयराहूँ ममंत्रश्री कगो व्यराकपुल दप्रेखकर उन्हमें करौसल्यराजश्री कप्रे महल ममें हलवरा गई।मं
सपुममंत्र नप्रे जराकर वहराहूँ रराजरा कगो कहै सरा (बहैठप्रे) दप्रेखरा मरानगो हबनरा अममृत करा चन्दमरा हगो॥
2॥
* आसन सयन हबभपूषन हश्रीनरा। परप्रेउ भपूहमतल हनपट मलश्रीनरा॥
लप्रेइ उसरासपु सगोच एहह भराहूँतश्री। सपुरपपुर तमें जनपु खहूँसप्रेउ जजरातश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा आसन, शय्यरा और आभपूषरर सप्रे रहहत हबलकपु ल महलन (उदरास) पमृथ्वश्री
पर पडप्रे हहए हमैं। वप्रे लमंबश्री सरास हूँ में लप्रेकर इस पकरार सगोच करतप्रे हमैं , मरानगो रराजरा ययराहत
स्वगर्ण सप्रे हगरकर सगोच कर रहप्रे हर॥3॥
* लप्रेत सगोच भरर हछनपु हछनपु छरातश्री। जनपु जरर पमंख परप्रेउ समंपरातश्री॥
रराम रराम कह रराम सनप्रेहश्री। पपुहन कह रराम लखन बहैदहप्रे श्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा क्षर-क्षर ममें सगोच सप्रे छरातश्री भर लप्रेतप्रे हमैं। ऐसश्री हवकल दशरा हहै मरानगो
(गश्रीध रराज जटरायपु करा भराई) सम्परातश्री पमंखर कप्रे जल जरानप्रे पर हगर पडरा हगो। रराजरा
(बरार-बरार) 'रराम, रराम' 'हरा स्नप्रेहश्री (प्यरारप्रे) रराम!' कहतप्रे हमैं, हफिर 'हरा रराम, हरा
लक्ष्मर, हरा जरानककी' ऐसरा कहनप्रे लगतप्रे हमैं॥4॥
दशरर-सपुमन्त्र समंवराद, दशरर मरर
दगोहरा :
* दप्रेहख सहचवहूँ जय जश्रीव कहह ककीन्हप्रेउ दमंड पनरामपु।
सपुनत उठप्रेउ ब्यराकपुल नमृपहत कहह सपुममंत्र कहहूँ ररामपु॥148॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री नप्रे दप्रेखकर 'जयजश्रीव' कहकर दण्डवतम परराम हकयरा। सपुनतप्रे हश्री रराजरा
व्यराकपुल हगोकर उठप्रे और बगोलप्रे- सपुममंत्र! कहगो, रराम कहराहूँ हमैं ?॥148॥
चरौपराई :
* भपूप सपुममंत्रपु लश्रीन्ह उर लराई। बपूडत कछपु अधरार जनपु पराई॥
सहहत सनप्रेह हनकट बहैठरारश्री। पपूहूँछत रराउ नयन भरर बरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे सपुममंत्र कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। मरानगो डपू बतप्रे हह ए आदमश्री कगो कपु छ
सहराररा हमल गयरा हगो। ममंत्रश्री कगो स्नप्रेह कप्रे सरार परास बहैठराकर नप्रेत्रर ममें जल भरकर रराजरा
पपूछनप्रे लगप्रे-॥1॥
* रराम कपु सल कहह सखरा सनप्रेहश्री। कहहूँ रघपुनरारपु लखनपु बहैदप्रेहश्री॥
आनप्रे फिप्रे रर हक बनहह हसधराए। सपुनत सहचव लगोचन जल छराए॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मप्रेरप्रे पप्रेमश्री सखरा! शश्री रराम ककी कपु शल कहगो। बतराओ, शश्री रराम, लक्ष्मर
और जरानककी कहराहूँ हमैं? उन्हमें लरौटरा लराए हगो हक वप्रे वन कगो चलप्रे गए? यह सपुनतप्रे हश्री
ममंत्रश्री कप्रे नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा॥2॥
* सगोक हबकल पपुहन पपूहूँछ नरप्रेसपू। कहह हसय रराम लखन समंदप्रेसपू॥
रराम रूप गपुन सश्रील सपुभराऊ। सपुहमरर सपुहमरर उर सगोचत रराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-शगोक सप्रे व्यराकपुल हगोकर रराजरा हफिर पपूछनप्रे लगप्रे- सश्रीतरा, रराम और लक्ष्मर करा
समंदस प्रे रा तगो कहगो। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रूप, गपुर, शश्रील और स्वभराव कगो यराद कर-
करकप्रे रराजरा हृदय ममें सगोच करतप्रे हमैं॥3॥
* रराउ सपुनराइ दश्रीन्ह बनबरासपू। सपुहन मन भयउ न हरषपु हरराहूँसपू॥
सगो सपुत हबछपु रत गए न परानरा। कगो परापश्री बड मगोहह समरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(और कहतप्रे हमैं-) ममैंनप्रे रराजरा हगोनप्रे ककी बरात सपुनराकर वनवरास दप्रे हदयरा, यह
सपुनकर भश्री हजस (रराम) कप्रे मन ममें हषर्ण और हवषराद नहहीं हह आ, ऐसप्रे पपुत्र कप्रे हबछपु डनप्रे
पर भश्री मप्रेरप्रे परार नहहीं गए, तब मप्रेरप्रे समरान बडरा परापश्री करौन हगोगरा ?॥4॥
दगोहरा :
* सखरा ररामपु हसय लखनपु जहहूँ तहराहूँ मगोहह पहह हूँचराउ।
नराहहमं त चराहत चलन अब परान कहउहूँ सहतभराउ॥149॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखरा! शश्री रराम, जरानककी और लक्ष्मर जहराहूँ हमैं, मपुझप्रे भश्री वहहीं पहह हूँचरा दगो।
नहहीं तगो ममैं सत्य भराव सप्रे कहतरा हह हूँ हक मप्रेरप्रे परार अब चलनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥ 149॥
चरौपराई :
* पपुहन पपुहन पपूछ हूँ त ममंहत्रहह रराऊ। हपयतम सपुअन सहूँदप्रेस सपुनराऊ॥
करहह सखरा सगोइ बप्रेहग उपराऊ। ररामपु लखनपु हसय नयन दप्रेखराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा बरार-बरार ममंत्रश्री सप्रे पपूछतप्रे हमैं- मप्रेरप्रे हपयतम पपुत्रर करा समंदप्रेसरा सपुनराओ। हप्रे
सखरा! तपुम तपुरमंत वहश्री उपराय करगो हजससप्रे शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतरा कगो मपुझप्रे
आहूँखर हदखरा दगो॥1॥
* सहचव धश्रीर धरर कह ममृद पु बरानश्री। महरारराज तपुम्ह पमंहडत ग्यरानश्री॥
बश्रीर सपुधश्रीर धपुरमंधर दप्रेवरा। सराधपु समराजपु सदरा तपुम्ह सप्रेवरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री धश्रीरज धरकर कगोमल वरारश्री बगोलप्रे- महरारराज! आप पमंहडत और जरानश्री हमैं।
हप्रे दप्रेव! आप शपूरवश्रीर तररा उरम धहैयर्णवरान पपुरषर ममें शप्रेष हमैं। आपनप्रे सदरा सराधपुओमं कप्रे
समराज ककी सप्रेवरा ककी हहै॥2॥
* जनम मरन सब दख पु सपुख भगोगरा। हराहन लराभपु हपय हमलन हबयगोगरा॥
कराल करम बस हगोहहमं गगोसराई।मं बरबस रराहत हदवस ककी नराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-जन्म-मरर, सपुख-दद्धाःपु ख कप्रे भगोग, हराहन-लराभ, प्यरारर करा हमलनरा-हबछपु डनरा, यप्रे
सब हप्रे स्वरामश्री! कराल और कमर्ण कप्रे अधश्रीन ररात और हदन ककी तरह बरबस हगोतप्रे रहतप्रे
हमैं॥3॥
* सपुख हरषहहमं जड दख पु हबलखराहहीं। दगोउ सम धश्रीर धरहहमं मन मराहहीं॥
धश्रीरज धरहह हबबप्रेकपु हबचरारश्री। छराहडअ सगोच सकल हहतकरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण लगोग सपुख ममें हहषर्णत हगोतप्रे और दद्धाःपु ख ममें रगोतप्रे हमैं, पर धश्रीर पपुरष अपनप्रे
मन ममें दगोनर कगो समरान समझतप्रे हमैं। हप्रे सबकप्रे हहतकरारश्री (रक्षक)! आप हववप्रेक
हवचरारकर धश्रीरज धररए और शगोक करा पररत्यराग ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* परम बरासपु तमसरा भयउ दस पू र सपुरसरर तश्रीर।
न्हराइ रहप्रे जलपरानपु करर हसय समप्रेत दगोउ बश्रीर॥150॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री करा पहलरा हनवरास (मपुकराम) तमसरा कप्रे तट पर हहआ, दस पू ररा
गमंगरातश्रीर पर। सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराई उस हदन स्नरान करकप्रे जल पश्रीकर हश्री रहप्रे॥
150॥
चरौपराई :
* कप्रे वट ककीहन्ह बहह त सप्रेवकराई। सगो जराहमहन हसमंगररौर गवराहूँई॥
हगोत परात बट छश्रीर मगरावरा। जटरा मपुकपुट हनज सश्रीस बनरावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-कप्रे वट (हनषरादरराज) नप्रे बहह त सप्रेवरा ककी। वह ररात हसमंगररौर (शमृगमं वप्रेरपपुर) ममें हश्री
हबतराई। दस पू रप्रे हदन सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री बड करा दधपू महूँगवरायरा और उससप्रे शश्री रराम-लक्ष्मर नप्रे
अपनप्रे हसरर पर जटराओमं कप्रे मपुकपुट बनराए॥1॥
* रराम सखराहूँ तब नराव मगराई। हपयरा चढराई चढप्रे रघपुरराई॥
लखन बरान धनपु धरप्रे बनराई। आपपु चढप्रे पभपु आयसपु पराई॥2॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सखरा हनषरादरराज नप्रे नराव महूँगवराई। पहलप्रे हपयरा सश्रीतराजश्री
कगो उस पर चढराकर हफिर शश्री रघपुनरारजश्री चढप्रे। हफिर लक्ष्मरजश्री नप्रे धनपुष -बरार सजराकर
रखप्रे और पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ककी आजरा पराकर स्वयमं चढप्रे॥ 2॥
* हबकल हबलगोहक मगोहह रघपुबश्रीररा। बगोलप्रे मधपुर बचन धरर धश्रीररा॥
तरात पनरामपु तरात सन कहप्रेहह। बरार बरार पद पमंकज गहप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे व्यराकपुल दप्रेखकर शश्री ररामचन्दजश्री धश्रीरज धरकर मधपुर वचन बगोलप्रे - हप्रे
तरात! हपतराजश्री सप्रे मप्रेररा परराम कहनरा और मप्रेरश्री ओर सप्रे बरार -बरार उनकप्रे चरर कमल
पकडनरा॥3॥
* करहब परायहूँ परर हबनय बहगोरश्री। तरात कररअ जहन हचमंतरा मगोरश्री॥
बन मग ममंगल कपु सल हमरारमें। कमृ परा अनपुगह पपुन्य तपुम्हरारमें॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर पराहूँव पकडकर हवनतश्री करनरा हक हप्रे हपतराजश्री ! आप मप्रेरश्री हचमंतरा न
ककीहजए। आपककी कमृ परा, अनपुगह और पपुण्य सप्रे वन ममें और मरागर्ण ममें हमराररा कपु शल-ममंगल
हगोगरा॥4॥
छन्द :
* तपुम्हरमें अनपुगह तरात करानन जरात सब सपुखपु पराइहजौं।
पहतपराहल आयसपु कपु सल दप्रेखन पराय पपुहन हफिरर आइहजौं॥
जननहीं सकल पररतगोहष परर परर परायहूँ करर हबनतश्री घनश्री।
तपुलसश्री करहह सगोइ जतनपु जप्रेहहमं कपु सलश्री रहहहमं कगोसलधनश्री॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपतराजश्री! आपकप्रे अनपुगह सप्रे ममैं वन जरातप्रे हहए सब पकरार करा सपुख पराऊहूँगरा।
आजरा करा भलश्रीभराहूँहत परालन करकप्रे चररर करा दशर्णन करनप्रे कपु शल पपूवर्णक हफिर लरौट
आऊहूँगरा। सब मरातराओमं कप्रे पहैरर पड-पडकर उनकरा समराधरान करकप्रे और उनसप्रे बहह त
हवनतश्री करकप्रे तपुलसश्रीदरास कहतप्रे हमैं- तपुम वहश्री पयत्न करनरा, हजसममें कगोसलपहत
हपतराजश्री कपु शल रहमें।
सगोरठरा :
* गपुर सन कहब सहूँदप्रेसपु बरार बरार पद पद मपु गहह।
करब सगोइ उपदप्रेसपु जप्रेहहमं न सगोच मगोहह अवधपहत॥151॥
भरावरारर्ण:-बरार-बरार चरर कमलर कगो पकडकर गपुर वहशषजश्री सप्रे मप्रेररा समंदप्रेसरा कहनरा हक
वप्रे वहश्री उपदप्रेश दमें, हजससप्रे अवधपहत हपतराजश्री मप्रेररा सगोच न करमें॥ 151॥
चरौपराई :
* पपुरजन पररजन सकल हनहगोरश्री। तरात सपुनराएहह हबनतश्री मगोरश्री॥
सगोइ सब भराहूँहत मगोर हहतकरारश्री। जरातमें रह नरनराहह सपुखरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! सब पपुरवराहसयर और कपु टपु हम्बयर सप्रे हनहगोररा (अनपुरगोध) करकप्रे मप्रेरश्री
हवनतश्री सपुनरानरा हक वहश्री मनपुष्य मप्रेररा सब पकरार सप्रे हहतकरारश्री हहै , हजसककी चप्रेष्टिरा सप्रे
महरारराज सपुखश्री रहमें॥1॥
* कहब सहूँदप्रेसपु भरत कप्रे आएहूँ। नश्रीहत न तहजअ रराजपद पु पराएहूँ॥
परालप्रेहह पजहह करम मन बरानश्री। सप्रेएहह मरातपु सकल सम जरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-भरत कप्रे आनप्रे पर उनकगो मप्रेररा समंदस प्रे रा कहनरा हक रराजरा करा पद परा जरानप्रे पर
नश्रीहत न छगोड दप्रेनरा, कमर्ण, वचन और मन सप्रे पजरा करा परालन करनरा और सब
मरातराओमं कगो समरान जरानकर उनककी सप्रेवरा करनरा॥ 2॥
* ओर हनबराहप्रेहह भरायप भराई। करर हपतपु मरातपु सपुजन सप्रेवकराई॥
तरात भराहूँहत तप्रेहह रराखब रराऊ। सगोच मगोर जप्रेहहमं करहै न कराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-और हप्रे भराई! हपतरा, मरातरा और स्वजनर ककी सप्रेवरा करकप्रे भराईपन कगो अमंत
तक हनबराहनरा। हप्रे तरात! रराजरा (हपतराजश्री) कगो उसश्री पकरार सप्रे रखनरा हजससप्रे वप्रे कभश्री
(हकसश्री तरह भश्री) मप्रेररा सगोच न करमें॥3॥
* लखन कहप्रे कछपु बचन कठगोररा। बरहज रराम पपुहन मगोहह हनहगोररा॥
बरार बरार हनज सपर दप्रेवराई। कहहब न तरात लखन लराररकराई॥4॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे कपु छ कठगोर वचन कहप्रे, हकन्तपु शश्री ररामजश्री नप्रे उन्हमें बरजकर हफिर
मपुझसप्रे अनपुरगोध हकयरा और बरार-बरार अपनश्री सरौगमंध हदलराई (और कहरा) हप्रे तरात!
लक्ष्मर करा लडकपन वहराहूँ न कहनरा॥4॥
दगोहरा :
* कहह पनरामपु कछपु कहन हलय हसय भइ हसहरल सनप्रेह।
रहकत बचन लगोचन सजल पपुलक पल्लहवत दप्रेह॥152॥
भरावरारर्ण:-परराम कर सश्रीतराजश्री भश्री कपु छ कहनप्रे लगश्री रहीं, परन्तपु स्नप्रेहवश वप्रे हशहरल हगो
गई।मं उनककी वरारश्री रक गई, नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा और शरश्रीर रगोमरामंच सप्रे व्यराप्त हगो
गयरा॥152॥
चरौपराई :
* तप्रेहह अवसर रघपुबर रख पराई। कप्रे वट परारहह नराव चलराई॥
रघपुकपुलहतलक चलप्रे एहह भराहूँतश्री। दप्रेखउहूँ ठराढ कपु हलस धरर छरातश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय शश्री ररामचन्दजश्री करा रख पराकर कप्रे वट नप्रे परार जरानप्रे कप्रे हलए नराव
चलरा दश्री। इस पकरार रघपुवमंश हतलक शश्री ररामचन्दजश्री चल हदए और ममैं छरातश्री पर वज्र
रखकर खडरा-खडरा दप्रेखतरा रहरा॥1॥
* ममैं आपन हकहम कहजौं कलप्रेसपू। हजअत हफिरप्रेउहूँ लप्रेइ रराम सहूँदप्रेसपू॥
अस कहह सहचव बचन रहह गयऊ। हराहन गलराहन सगोच बस भयऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं अपनप्रे कप्रे श कगो कहै सप्रे कहह हूँ, जगो शश्री ररामजश्री करा यह समंदप्रेसरा लप्रेकर जश्रीतरा हश्री
लरौट आयरा! ऐसरा कहकर ममंत्रश्री ककी वरारश्री रक गई (वप्रे चपुप हगो गए) और वप्रे हराहन
ककी ग्लराहन और सगोच कप्रे वश हगो गए॥2॥
* सपूत बचन सपुनतहहमं नरनराहह। परप्रेउ धरहन उर दरारन दराहह॥
तलफित हबषम मगोह मन मरापरा। मराजरा मनहह हूँ मश्रीन कहह हूँ ब्यरापरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सराररश्री सपुममंत्र कप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री रराजरा पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे , उनकप्रे हृदय ममें
भयरानक जलन हगोनप्रे लगश्री। वप्रे तडपनप्रे लगप्रे, उनकरा मन भश्रीषर मगोह सप्रे व्यराकपुल हगो
गयरा। मरानगो मछलश्री कगो मराहूँजरा व्यराप गयरा हगो (पहलश्री वषरार्ण करा जल लग गयरा हगो)॥3॥
* करर हबलराप सब रगोवहहमं ररानश्री। महरा हबपहत हकहम जराइ बखरानश्री॥
सपुहन हबलराप दख पु हह दख पु पु लरागरा। धश्रीरजहह कर धश्रीरजपु भरागरा॥4॥
भरावरारर्ण:-सब रराहनयराहूँ हवलराप करकप्रे रगो रहश्री हमैं। उस महरान हवपहर करा कहै सप्रे वरर्णन हकयरा
जराए? उस समय कप्रे हवलराप कगो सपुनकर दद्धाःपु ख कगो भश्री दद्धाःपु ख लगरा और धश्रीरज करा भश्री
धश्रीरज भराग गयरा!॥4॥
दगोहरा :
* भयउ कगोलराहलपु अवध अहत सपुहन नमृप रराउर सगोर।
हबपपुल हबहग बन परप्रेउ हनहस मरानहह हूँ कपु हलस कठगोर॥153॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कप्रे ररावलप्रे (रहनवरास) ममें (रगोनप्रे करा) शगोर सपुनकर अयगोध्यरा भर ममें बडरा
भरारश्री कपु हरराम मच गयरा! (ऐसरा जरान पडतरा ररा) मरानगो पहक्षयर कप्रे हवशराल वन ममें ररात
कप्रे समय कठगोर वज्र हगररा हगो॥153॥
चरौपराई :
* परान कमंठगत भयउ भपुआलपू। महन हबहश्रीन जनपु ब्यराकपुल ब्यरालपू॥
इमंदहीं सकल हबकल भइहूँ भरारश्री। जनपु सर सरहसज बनपु हबनपु बरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कप्रे परार कमंठ ममें आ गए। मरानगो महर कप्रे हबनरा सराहूँप व्यराकपुल (मरररासन्न)
हगो गयरा हगो। इहन्दयराहूँ सब बहह त हश्री हवकल हगो गई,मं मरानगो हबनरा जल कप्रे तरालराब ममें
कमलर करा वन मपुरझरा गयरा हगो॥1॥
* करौसल्यराहूँ नमृपपु दश्रीख मलरानरा। रहबकपु ल रहब अहूँरयउ हजयहूँ जरानरा॥
उर धरर धश्रीर रराम महतरारश्री। बगोलश्री बचन समय अनपुसरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री नप्रे रराजरा कगो बहह त दद्धाःपु खश्री दप्रेखकर अपनप्रे हृदय ममें जरान हलयरा हक
अब सपूयर्णकपुल करा सपूयर्ण अस्त हगो चलरा! तब शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा करौसल्यरा हृदय
ममें धश्रीरज धरकर समय कप्रे अनपुकपूल वचन बगोलहीं-॥2॥
* नरार समपुहझ मन कररअ हबचरारू। रराम हबयगोग पयगोहध अपरारू॥
करनधरार तपुम्ह अवध जहराजपू। चढप्रेउ सकल हपय पहरक समराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आप मन ममें समझ कर हवचरार ककीहजए हक शश्री ररामचन्द करा हवयगोग
अपरार समपुद हहै। अयगोध्यरा जहराज हहै और आप उसकप्रे करर्णधरार (खप्रेनप्रे वरालप्रे) हमैं। सब
हपयजन (कपु टपु म्बश्री और पजरा) हश्री यराहत्रयर करा समराज हहै, जगो इस जहराज पर चढरा
हह आ हहै॥3॥
* धश्रीरजपु धररअ त पराइअ परारू। नराहहमं त बपूहडहह सबपु पररवरारू॥
जजौं हजयहूँ धररअ हबनय हपय मगोरश्री। ररामपु लखनपु हसय हमलहहमं बहगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-आप धश्रीरज धररएगरा, तगो सब परार पहह हूँच जराएहूँगप्रे। नहहीं तगो सराररा पररवरार डपू ब
जराएगरा। हप्रे हपय स्वरामश्री! यहद मप्रेरश्री हवनतश्री हृदय ममें धरारर ककीहजएगरा तगो शश्री रराम ,
लक्ष्मर, सश्रीतरा हफिर आ हमलमेंगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हपयरा बचन ममृद पु सपुनत नमृपपु हचतयउ आहूँहख उघरारर।
तलफित मश्रीन मलश्रीन जनपु सहींचत सश्रीतल बरारर॥154॥
भरावरारर्ण:-हपय पत्नश्री करौसल्यरा कप्रे कगोमल वचन सपुनतप्रे हह ए रराजरा नप्रे आहूँखमें खगोलकर
दप्रेखरा! मरानगो तडपतश्री हह ई दश्रीन मछलश्री पर कगोई शश्रीतल जल हछडक रहरा हगो॥ 154॥
चरौपराई :
* धरर धश्रीरजपु उहठ बहैठ भपुआलपू। कहह सपुममंत्र कहहूँ रराम कमृ परालपू॥
कहराहूँ लखनपु कहहूँ ररामपु सनप्रेहश्री। कहहूँ हपय पपुत्रबधपू बहैदप्रेहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-धश्रीरज धरकर रराजरा उठ बहैठप्रे और बगोलप्रे- सपुममंत्र! कहगो, कमृ परालपु शश्री रराम कहराहूँ
हमैं? लक्ष्मर कहराहूँ हमैं? स्नप्रेहश्री रराम कहराहूँ हमैं? और मप्रेरश्री प्यरारश्री बहह जरानककी कहराहूँ हहै?॥
1॥
* हबलपत रराउ हबकल बहह भराहूँतश्री। भइ जपुग सररस हसरराहत न ररातश्री॥
तरापस अमंध सराप सपुहध आई। करौसल्यहह सब कररा सपुनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा व्यराकपुल हगोकर बहह त पकरार सप्रे हवलराप कर रहप्रे हमैं। वह ररात य गपु कप्रे
समरान बडश्री हगो गई, बश्रीततश्री हश्री नहहीं। रराजरा कगो अमंधप्रे तपस्वश्री (शवरकपु मरार कप्रे हपतरा)
कप्रे शराप ककी यराद आ गई। उन्हरनप्रे सब कररा करौसल्यरा कगो कह सपुनराई॥2॥
* भयउ हबकल बरनत इहतहरासरा। रराम रहहत हधग जश्रीवन आसरा॥
सगो तनपु रराहख करब ममैं कराहरा। जप्रेहहमं न पप्रेम पनपु मगोर हनबराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उस इहतहरास करा वरर्णन करतप्रे-करतप्रे रराजरा व्यराकपुल हगो गए और कहनप्रे लगप्रे हक
शश्री रराम कप्रे हबनरा जश्रीनप्रे ककी आशरा कगो हधक्करार हहै। ममैं उस शरश्रीर कगो रखकर क्यरा
करूहूँगरा, हजसनप्रे मप्रेररा पप्रेम करा पर नहहीं हनबराहरा?॥3॥
* हरा रघपुनमंदन परान हपरश्रीतप्रे। तपुम्ह हबनपु हजअत बहह त हदन बश्रीतप्रे॥
हरा जरानककी लखन हरा रघपुबर। हरा हपतपु हहत हचत चरातक जलधर॥4॥
भरावरारर्ण:-हरा रघपुकपुल कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे मप्रेरप्रे परार प्यरारप्रे रराम! तपुम्हरारप्रे हबनरा जश्रीतप्रे हहए
मपुझप्रे बहह त हदन बश्रीत गए। हरा जरानककी, लक्ष्मर! हरा रघपुवश्रीर! हरा हपतरा कप्रे हचर रूपश्री
चरातक कप्रे हहत करनप्रे वरालप्रे मप्रेघ!॥4॥
दगोहरा :
* रराम रराम कहह रराम कहह रराम रराम कहह रराम।
तनपु पररहरर रघपुबर हबरहहूँ रराउ गयउ सपुरधराम॥155॥
भरावरारर्ण:-रराम-रराम कहकर, हफिर रराम कहकर, हफिर रराम-रराम कहकर और हफिर रराम
कहकर रराजरा शश्री रराम कप्रे हवरह ममें शरश्रीर त्यराग कर सपुरलगोक कगो हसधरार गए॥155॥
चरौपराई :
* हजअन मरन फिलपु दसरर परावरा। अमंड अनप्रेक अमल जसपु छरावरा॥
हजअत रराम हबधपु बदनपु हनहराररा। रराम हबरह करर मरनपु सहूँवराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जश्रीनप्रे और मरनप्रे करा फिल तगो दशररजश्री नप्रे हश्री परायरा, हजनकरा हनमर्णल यश
अनप्रेकर ब्रहरामंडर ममें छरा गयरा। जश्रीतप्रे जश्री तगो शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चन्दमरा कप्रे समरान मपुख
कगो दप्रेखरा और शश्री रराम कप्रे हवरह कगो हनहमर बनराकर अपनरा मरर सपुधरार हलयरा॥ 1॥
* सगोक हबकल सब रगोवहहमं ररानश्री। रूपपु सश्रीलपु बलपु तप्रेजपु बखरानश्री॥
करहहमं हबलराप अनप्रेक पकराररा। परहहमं भपूहमतल बरारहहमं बराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब रराहनयराहूँ शगोक कप्रे मरारप्रे व्यराकपुल हगोकर रगो रहश्री हमैं। वप्रे रराजरा कप्रे रूप, शश्रील,
बल और तप्रेज करा बखरान कर-करकप्रे अनप्रेकर पकरार सप्रे हवलराप कर रहश्री हमैं और बरार -
बरार धरतश्री पर हगर-हगर पडतश्री हमैं॥2॥
* हबलपहहमं हबकल दरास अर दरासश्री। घर घर रदनपु करहहमं पपुरबरासश्री॥
अहूँरयउ आजपु भरानपुकपुल भरानपू। धरम अवहध गपुन रूप हनधरानपू॥3॥
भरावरारर्ण:-दरास-दरासश्रीगर व्यराकपुल हगोकर हवलराप कर रहप्रे हमैं और नगर हनवरासश्री घर-घर रगो
रहप्रे हमैं। कहतप्रे हमैं हक आज धमर्ण ककी सश्रीमरा, गपुर और रूप कप्रे भमंडरार सपूयर्णकपुल कप्रे सपूयर्ण
अस्त हगो गए?॥3॥
* गरारहीं सकल कहै कइहह दप्रेहहीं। नयन हबहश्रीन ककीन्ह जग जप्रेहहीं॥
एहह हबहध हबलपत रहैहन हबहरानश्री। आए सकल महरामपुहन ग्यरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सब कहै कप्रे यश्री कगो गराहलयराहूँ दप्रेतप्रे हमैं, हजसनप्रे समंसरार भर कगो हबनरा नप्रेत्रर करा
(अमंधरा) कर हदयरा! इस पकरार हवलराप करतप्रे ररात बश्रीत गई। परातद्धाःकराल सब बडप्रे -बडप्रे
जरानश्री मपुहन आए॥4॥
मपुहन वहशष करा भरतजश्री कगो बपुलरानप्रे कप्रे हलए दतपू भप्रेजनरा
दगोहरा :
* तब बहसष मपुहन समय सम कहह अनप्रेक इहतहरास।
सगोक नप्रेवरारप्रेउ सबहह कर हनज हबग्यरान पकरास॥156॥
भरावरारर्ण:-तब वहशष मपुहन नप्रे समय कप्रे अनपुकपूल अनप्रेक इहतहरास कहकर अपनप्रे हवजरान कप्रे
पकराश सप्रे सबकरा शगोक दरपू हकयरा॥156॥
चरौपराई :
* तप्रेल नरावहूँ भरर नमृप तनपु रराखरा। दतपू बगोलराइ बहह रर अस भराषरा॥
धरावहह बप्रेहग भरत पहहमं जराहह। नमृप सपुहध कतहह हूँ कहहह जहन कराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-वहशषजश्री नप्रे नराव ममें तप्रेल भरवराकर रराजरा कप्रे शरश्रीर कगो उसममें रखवरा हदयरा।
हफिर दतपू र कगो बपुलवराकर उनसप्रे ऐसरा कहरा- तपुम लगोग जल्दश्री दरौडकर भरत कप्रे परास
जराओ। रराजरा ककी ममृत्यपु करा समराचरार कहहीं हकसश्री सप्रे न कहनरा॥1॥
* एतनप्रेइ कहप्रेहह भरत सन जराई। गपुर बगोलराइ पठयउ दगोउ भराई॥
सपुहन मपुहन आयसपु धरावन धराए। चलप्रे बप्रेग बर बराहज लजराए॥2॥
भरावरारर्ण:-जराकर भरत सप्रे इतनरा हश्री कहनरा हक दगोनर भराइयर कगो गपुरजश्री नप्रे बपुलवरा भप्रेजरा
हहै। मपुहन ककी आजरा सपुनकर धरावन (दतपू ) दरौडप्रे। वप्रे अपनप्रे वप्रेग सप्रे उरम घगोडर कगो भश्री
लजरातप्रे हहए चलप्रे॥2॥
* अनररपु अवध अरमंभप्रेउ जब तमें। कपु सगपुन हगोहहमं भरत कहह हूँ तब तमें॥
दप्रेखहहमं रराहत भयरानक सपनरा। जराहग करहहमं कटपु कगोहट कलपनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे अयगोध्यरा ममें अनरर्ण परारमंभ हहआ, तभश्री सप्रे भरतजश्री कगो अपशकपु न हगोनप्रे
लगप्रे। वप्रे ररात कगो भयमंकर स्वप्न दप्रेखतप्रे रप्रे और जरागनप्रे पर (उन स्वप्नर कप्रे करारर)
करगोडर (अनप्रेकर) तरह ककी बपुरश्री-बपुरश्री कल्पनराएहूँ हकयरा करतप्रे रप्रे॥3॥
* हबप जप्रेवराहूँइ दप्रेहहमं हदन दरानरा। हसव अहभषप्रेक करहहमं हबहध नरानरा॥
मरागहहमं हृदयहूँ महप्रेस मनराई। कपु सल मरातपु हपतपु पररजन भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(अहनष्टिशराहन्त कप्रे हलए) वप्रे पहतहदन ब्रराहरर कगो भगोजन करराकर दरान दप्रेतप्रे रप्रे।
अनप्रेकर हवहधयर सप्रे रदराहभषप्रेक करतप्रे रप्रे। महरादवप्रे जश्री कगो हृदय ममें मनराकर उनसप्रे मरातरा-
हपतरा, कपु टपु म्बश्री और भराइयर करा कपु शल-क्षप्रेम मराहूँगतप्रे रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध सगोचत भरत मन धरावन पहह हूँचप्रे आइ।
गपुर अनपुसरासन शवन सपुहन चलप्रे गनप्रेसपु मनराई॥157॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री इस पकरार मन ममें हचमंतरा कर रहप्रे रप्रे हक द तपू आ पहह हूँचप्रे। गपुरजश्री ककी
आजरा करानर सप्रे सपुनतप्रे हश्री वप्रे गरप्रेशजश्री कगो मनराकर चल पडप्रे। 157॥
चरौपराई :
* चलप्रे समश्रीर बप्रेग हय हराक हूँ प्रे । नराघत सररत सहैल बन बराहूँकप्रे॥
हृदयहूँ सगोचपु बड कछपु न सगोहराई। अस जरानहहमं हजयहूँ जराउहूँ उडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हवरा कप्रे समरान वप्रेग वरालप्रे घगोडर कगो हराहूँकतप्रे हह ए वप्रे हवकट नदश्री, पहराड तररा
जमंगलर कगो लराहूँघतप्रे हहए चलप्रे। उनकप्रे हृदय ममें बडरा सगोच ररा, कपु छ सपुहरातरा न ररा। मन
ममें ऐसरा सगोचतप्रे रप्रे हक उडकर पहह हूँच जराऊहूँ॥1॥
* एक हनमप्रेष बरष सम जराई। एहह हबहध भरत नगर हनअरराई॥
असगपुन हगोहहमं नगर पहैठराररा। रटहहमं कपु भराहूँहत कपु खप्रेत करराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-एक-एक हनमप्रेष वषर्ण कप्रे समरान बश्रीत रहरा ररा। इस पकरार भरतजश्री नगर कप्रे
हनकट पहह हूँचप्रे। नगर ममें पवप्रेश करतप्रे समय अपशकपु न हगोनप्रे लगप्रे। करौए बपुरश्री जगह बहैठकर
बपुरश्री तरह सप्रे कराहूँव-कराहूँव कर रहप्रे हमैं॥2॥
* खर हसआर बगोलहहमं पहतकपू लरा। सपुहन सपुहन हगोइ भरत मन सपूलरा॥
शश्रीहत सर सररतरा बन बरागरा। नगर हबसप्रेहष भयरावनपु लरागरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-गदहप्रे और हसयरार हवपरश्रीत बगोल रहप्रे हमैं। यह सपुन -सपुनकर भरत कप्रे मन ममें बडश्री
पश्रीडरा हगो रहश्री हहै। तरालराब, नदश्री, वन, बगश्रीचप्रे सब शगोभराहश्रीन हगो रहप्रे हमैं। नगर बहह त हश्री
भयरानक लग रहरा हहै॥3॥
* खग ममृग हय गय जराहहमं न जगोए। रराम हबयगोग कपु रगोग हबगगोए॥
नगर नरारर नर हनपट दख पु रारश्री। मनहह हूँ सबहन्ह सब समंपहत हरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे हवयगोग रूपश्री बपुरप्रे रगोग सप्रे सतराए हहए पक्षश्री-पशपु, घगोडप्रे-हरारश्री (ऐसप्रे
दद्धाःपु खश्री हगो रहप्रे हमैं हक) दप्रेखप्रे नहहीं जरातप्रे। नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष अत्यन्त दद्धाःपु खश्री हगो रहप्रे हमैं।
मरानगो सब अपनश्री सरारश्री सम्पहर हरार बहैठप्रे हर॥4॥
* पपुरजन हमलहहमं न कहहहमं कछपु गवहूँहह जगोहरारहहमं जराहहमं।
भरत कपु सल पपूहूँहछ न सकहहमं भय हबषराद मन मराहहमं॥158॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे लगोग हमलतप्रे हमैं, पर कपु छ कहतप्रे नहहीं, गजौं सप्रे (चपुपकप्रे सप्रे) जगोहरार
(वमंदनरा) करकप्रे चलप्रे जरातप्रे हमैं। भरतजश्री भश्री हकसश्री सप्रे कपु शल नहहीं पपूछ सकतप्रे, क्यरहक
उनकप्रे मन ममें भय और हवषराद छरा रहरा हहै॥158॥
शश्री भरत-शत्रपुघ्न करा आगमन और शगोक
* हराट बराट नहहमं जराइ हनहरारश्री। जनपु पपुर दहहूँ हदहस लराहग दवरारश्री॥
आवत सपुत सपुहन कहै कयनमंहदहन। हरषश्री रहबकपु ल जलरह चमंहदहन॥1॥
भरावरारर्ण:-बराजरार और ररास्तप्रे दप्रेखप्रे नहहीं जरातप्रे। मरानगो नगर ममें दसर हदशराओमं ममें दरावराहग्नि
लगश्री हहै! पपुत्र कगो आतप्रे सपुनकर सपूयर्णकपुल रूपश्री कमल कप्रे हलए चराहूँदनश्री रूपश्री कहै कप्रे यश्री
(बडश्री) हहषर्णत हहई॥1॥
* सहज आरतश्री मपुहदत उहठ धराई। दरारप्रेहहमं भमेंहट भवन लप्रेइ आई॥
भरत दहपु खत पररवरार हनहराररा॥ मरानहह हूँ तपुहहन बनज बनपु मराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-वह आरतश्री सजराकर आनमंद ममें भरकर उठ दरौडश्री और दरवराजप्रे पर हश्री हमलकर
भरत-शत्रपुघ्न कगो महल ममें लप्रे आई। भरत नप्रे सरारप्रे पररवरार कगो द द्धाःपु खश्री दप्रेखरा। मरानगो
कमलर कप्रे वन कगो परालरा मरार गयरा हगो॥2॥
* कहै कप्रे ई हरहषत एहह भराहूँतश्री। मनहह हूँ मपुहदत दव लराइ हकररातश्री॥
सपुहतह ससगोच दप्रेहख मनपु मरारमें। पपूहूँछहत नहैहर कपु सल हमरारमें॥3॥
भरावरारर्ण:-एक कहै कप्रे यश्री हश्री इस तरह हहषर्णत हदखतश्री हहै मरानगो भश्रीलनश्री जमंगल ममें आग
लगराकर आनमंद ममें भर रहश्री हगो। पपुत्र कगो सगोच वश और मन मरारप्रे (बहह त उदरास)
दप्रेखकर वह पपूछनप्रे लगश्री- हमरारप्रे नहैहर ममें कपु शल तगो हहै?॥3॥
* सकल कपु सल कहह भरत सपुनराई। पपूहूँछश्री हनज कपु ल कपु सल भलराई॥
कहह कहहूँ तरात कहराहूँ सब मरातरा। कहहूँ हसय रराम लखन हपय ररातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे सब कपु शल कह सपुनराई। हफिर अपनप्रे कपु ल ककी कपु शल-क्षप्रेम पपूछश्री।
(भरतजश्री नप्रे कहरा-) कहगो, हपतराजश्री कहराहूँ हमैं? मप्रेरश्री सब मरातराएहूँ कहराहूँ हमैं? सश्रीतराजश्री
और मप्रेरप्रे प्यरारप्रे भराई रराम-लक्ष्मर कहराहूँ हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन सपुत बचन सनप्रेहमय कपट नश्रीर भरर नहैन।
भरत शवन मन सपूल सम पराहपहन बगोलश्री बहैन॥159॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र कप्रे स्नप्रेहमय वचन सपुनकर नप्रेत्रर ममें कपट करा जल भरकर पराहपनश्री कहै कप्रे यश्री
भरत कप्रे करानर ममें और मन ममें शपूल कप्रे समरान चपुभनप्रे वरालप्रे वचन बगोलश्री-॥159॥
चरौपराई :
* तरात बरात ममैं सकल सहूँवरारश्री। भहै ममंरररा सहराय हबचरारश्री॥
कछपु क कराज हबहध बश्रीच हबगरारप्रेउ। भपूपहत सपुरपहत पपुर पगपु धरारप्रेउ॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ममैंनप्रे सरारश्री बरात बनरा लश्री रश्री। बप्रेचरारश्री ममंरररा सहरायक हह ई। पर हवधरातरा
नप्रे बश्रीच ममें जररा सरा कराम हबगराड हदयरा। वह यह हक रराजरा दप्रेवलगोक कगो पधरार गए॥1॥
* सपुनत भरतपु भए हबबस हबषरादरा। जनपु सहमप्रेउ करर कप्रे हरर नरादरा॥
तरात तरात हरा तरात पपुकरारश्री। परप्रे भपूहमतल ब्यराकपु ल भरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-भरत यह सपुनतप्रे हश्री हवषराद कप्रे मरारप्रे हववश (बप्रेहराल) हगो गए। मरानगो हसमंह ककी
गजर्णनरा सपुनकर हरारश्री सहम गयरा हगो। वप्रे 'तरात! तरात! हरा तरात!' पपुकरारतप्रे हह ए अत्यन्त
व्यराकपुल हगोकर जमश्रीन पर हगर पडप्रे॥2॥
* चलत न दप्रेखन परायउहूँ तगोहश्री। तरात न ररामहह सजौंपप्रेहह मगोहश्री॥
बहह रर धश्रीर धरर उठप्रे सहूँभरारश्री। कहह हपतपु मरन हप्रेतपु महतरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(और हवलराप करनप्रे लगप्रे हक) हप्रे तरात! ममैं आपकगो (स्वगर्ण कप्रे हलए) चलतप्रे
समय दप्रेख भश्री न सकरा। (हराय!) आप मपुझप्रे शश्री ररामजश्री कगो सजौंप भश्री नहहीं गए! हफिर
धश्रीरज धरकर वप्रे सम्हलकर उठप्रे और बगोलप्रे - मरातरा! हपतरा कप्रे मरनप्रे करा करारर तगो
बतराओ॥3॥
* सपुहन सपुत बचन कहहत कहै कप्रे ई। मरमपु पराहूँहछ जनपु मराहहर दप्रेई॥
आहदहह तमें सब आपहन करनश्री। कपु हटल कठगोर मपुहदत मन बरनश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र करा वचन सपुनकर कहै कप्रे यश्री कहनप्रे लगश्री। मरानगो ममर्ण स्ररान कगो पराछकर (चराकपू
सप्रे चश्रीरकर) उसममें जहर भर रहश्री हगो। कपु हटल और कठगोर कहै कप्रे यश्री नप्रे अपनश्री सब करनश्री
शपुरू सप्रे (आहखर तक बडप्रे) पसन्न मन सप्रे सपुनरा दश्री॥4॥
दगोहरा :
* भरतहह हबसरप्रेउ हपतपु मरन सपुनत रराम बन गरौनपु।
हप्रेतपु अपनपउ जराहन हजयहूँ रहकत रहप्रे धरर मरौनपु॥ 160॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा वन जरानरा सपुनकर भरतजश्री कगो हपतरा करा मरर भपूल गयरा
और हृदय ममें इस सरारप्रे अनरर्ण करा करारर अपनप्रे कगो हश्री जरानकर वप्रे मरौन हगोकर
स्तहम्भत रह गए (अररार्णत उनककी बगोलश्री बमंद हगो गई और वप्रे सन्न रह गए)॥160॥
* हबकल हबलगोहक सपुतहह समपुझरावहत। मनहह हूँ जरप्रे पर लगोनपु लगरावहत॥
तरात रराउ नहहमं सगोचहै जगोगपू। हबढइ सपुकमृत जसपु ककीन्हप्रेउ भगोगपू॥1॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र कगो व्यराकपुल दप्रेखकर कहै कप्रे यश्री समझरानप्रे लगश्री। मरानगो जलप्रे पर नमक लगरा रहश्री
हगो। (वह बगोलश्री-) हप्रे तरात! रराजरा सगोच करनप्रे यगोग्य नहहीं हमैं। उन्हरनप्रे पपुण्य और यश
कमराकर उसकरा पयरार्णप्त भगोग हकयरा॥1॥
* जश्रीवत सकल जनम फिल पराए। अमंत अमरपहत सदन हसधराए॥
अस अनपुमराहन सगोच पररहरहह । सहहत समराज रराज पपुर करहह ॥2॥
भरावरारर्ण:-जश्रीवनकराल ममें हश्री उन्हरनप्रे जन्म लप्रेनप्रे कप्रे सम्पपूरर्ण फिल परा हलए और अमंत ममें वप्रे
इन्दलगोक कगो चलप्रे गए। ऐसरा हवचरारकर सगोच छगोड दगो और समराज सहहत नगर करा
रराज्य करगो॥2॥
* सपुहन सपुहठ सहमप्रेउ रराजकपु मरारू। पराकमें छत जनपु लराग अहूँगरारू॥
धश्रीरज धरर भरर लप्रेहहमं उसरासरा। पराहपहन सबहह भराहूँहत कपु ल नरासरा॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजकपु मरार भरतजश्री यह सपुनकर बहह त हश्री सहम गए। मरानगो पकप्रे घराव पर अहूँगरार
छपू गयरा हगो। उन्हरनप्रे धश्रीरज धरकर बडश्री लम्बश्री सरास हूँ लप्रेतप्रे हहए कहरा- पराहपनश्री! तपूनप्रे
सभश्री तरह सप्रे कपु ल करा नराश कर हदयरा॥3॥
* जजौं पहै कपु रहच रहश्री अहत तगोहश्री। जनमत कराहप्रे न मरारप्रे मगोहश्री॥
पप्रेड कराहट तमैं परालउ सहींचरा। मश्रीन हजअन हनहत बरारर उलश्रीचरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हराय! यहद तप्रेरश्री ऐसश्री हश्री अत्यन्त बपुरश्री रहच (दष्टिपु इच्छरा) रश्री, तगो तपूनप्रे
जन्मतप्रे हश्री मपुझप्रे मरार क्यर नहहीं डरालरा? तपूनप्रे पप्रेड कगो कराटकर परप्रे कगो सहींचरा हहै और
मछलश्री कप्रे जश्रीनप्रे कप्रे हलए परानश्री कगो उलश्रीच डरालरा! (अररार्णत मप्रेररा हहत करनप्रे जराकर
उलटरा तपूनप्रे मप्रेररा अहहत कर डरालरा)॥4॥
दगोहरा :
* हमंसबमंसपु दसररपु जनकपु रराम लखन सप्रे भराइ।
जननश्री तपूहूँ जननश्री भई हबहध सन कछपु न बसराइ॥161॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे सपूयर्णवमंश (सरा वमंश), दशररजश्री (सरश्रीखप्रे) हपतरा और रराम-लक्ष्मर सप्रे भराई
हमलप्रे। पर हप्रे जननश्री! मपुझप्रे जन्म दप्रेनप्रे वरालश्री मरातरा तपू हह ई! (क्यरा हकयरा जराए!)
हवधरातरा सप्रे कपु छ भश्री वश नहहीं चलतरा॥161॥
चरौपराई :
* जब ममैं कपु महत कपु मत हजयहूँ ठयऊ। खमंड खमंड हगोइ हृदउ न गयऊ॥
बर मरागत मन भइ नहहमं पश्रीररा। गरर न जश्रीह मपुहूँह परप्रेउ न ककीररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अरश्री कपु महत! जब तपूनप्रे हृदय ममें यह बपुररा हवचरार (हनश्चय) ठरानरा, उसश्री
समय तप्रेरप्रे हृदय कप्रे टपु कडप्रे-टपु कडप्रे (क्यर) न हगो गए? वरदरान मराहूँगतप्रे समय तप्रेरप्रे मन ममें
कपु छ भश्री पश्रीडरा नहहीं हह ई? तप्रेरश्री जश्रीभ गल नहहीं गई? तप्रेरप्रे मपुहूँह ममें ककीडप्रे नहहीं पड
गए?॥1॥
* भपूपहूँ पतश्रीहत तगोरर हकहम ककीन्हश्री। मरन कराल हबहध महत हरर लश्रीन्हश्री॥
हबहधहह हूँ न नरारर हृदय गहत जरानश्री। सकल कपट अघ अवगपुन खरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे तप्रेररा हवश्वरास कहै सप्रे कर हलयरा? (जरान पडतरा हहै,) हवधरातरा नप्रे मरनप्रे
कप्रे समय उनककी बपुहद हर लश्री रश्री। हस्त्रयर कप्रे हृदय ककी गहत (चराल) हवधरातरा भश्री नहहीं
जरान सकप्रे । वह सम्पपूरर्ण कपट, पराप और अवगपुरर ककी खरान हहै॥2॥
* सरल सपुसश्रील धरम रत रराऊ। सगो हकहम जरानहै तश्रीय सपुभराऊ॥
अस कगो जश्रीव जमंतपु जग मराहहीं। जप्रेहह रघपुनरार परानहपय नराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर रराजरा तगो सश्रीधप्रे, सपुशश्रील और धमर्णपररायर रप्रे। वप्रे भलरा, स्त्रश्री स्वभराव कगो
कहै सप्रे जरानतप्रे? अरप्रे, जगत कप्रे जश्रीव-जन्तपुओमं ममें ऐसरा करौन हहै, हजसप्रे शश्री रघपुनरारजश्री
परारर कप्रे समरान प्यरारप्रे नहहीं हमैं॥3॥
* भप्रे अहत अहहत ररामपु तप्रेउ तगोहहीं। कगो तपू अहहस सत्य कहह मगोहश्री॥
जगो हहस सगो हहस मपुहूँह महस लराई। आहूँहख ओट उहठ बहैठहह जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे शश्री ररामजश्री भश्री तपुझप्रे अहहत हगो गए (वहैरश्री लगप्रे)! तपू करौन हहै? मपुझप्रे सच-
सच कह! तपू जगो हहै, सगो हहै, अब मपुहूँह ममें स्यराहश्री पगोतकर (मपुहूँह करालरा करकप्रे )
उठकर मप्रेरश्री आहूँखर ककी ओट ममें जरा बहैठ॥4॥
दगोहरा :
* रराम हबरगोधश्री हृदय तमें पगट ककीन्ह हबहध मगोहह।
मगो समरान कगो परातककी बराहद कहउहूँ कछपु तगोहह॥162॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे मपुझप्रे शश्री ररामजश्री सप्रे हवरगोध करनप्रे वरालप्रे (तप्रेरप्रे) हृदय सप्रे उत्पन्न
हकयरा (अरवरा हवधरातरा नप्रे मपुझप्रे हृदय सप्रे रराम करा हवरगोधश्री जराहहर कर हदयरा। ) मप्रेरप्रे
बरराबर परापश्री दस पू ररा करौन हहै? ममैं व्यरर्ण हश्री तपुझप्रे कपु छ कहतरा हह हूँ॥162॥
चरौपराई :
* सपुहन सत्रपुघपुन मरातपु कपु हटलराई। जरहहमं गरात ररस कछपु न बसराई॥
तप्रेहह अवसर कपु बरश्री तहहूँ आई। बसन हबभपूषन हबहबध बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-मरातरा ककी कपु हटलतरा सपुनकर शत्रपुघ्नजश्री कप्रे सब अमंग कगोध सप्रे जल रहप्रे हमैं, पर
कपु छ वश नहहीं चलतरा। उसश्री समय भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे कपडर और गहनर सप्रे सजकर कपु बरश्री
(ममंरररा) वहराहूँ आई॥1॥
* लहख ररस भरप्रेउ लखन लघपु भराई। बरत अनल घमृत आहह हत पराई॥
हह महग लरात तहक कपू बर मराररा। परर मपुहूँह भर महह करत पपुकराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे (सजश्री) दप्रेखकर लक्ष्मर कप्रे छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्नजश्री कगोध ममें भर गए। मरानगो
जलतश्री हहई आग कगो घश्री ककी आहह हत हमल गई हगो। उन्हरनप्रे जगोर सप्रे तककर कपू बड पर
एक लरात जमरा दश्री। वह हचल्लरातश्री हह ई मपुहूँह कप्रे बल जमश्रीन पर हगर पडश्री॥2॥
* कपू बर टपू टप्रेउ फिपूट कपरारू। दहलत दसन मपुख रहधर पचरारू॥
आह दइअ ममैं कराह नसरावरा। करत नश्रीक फिलपु अनइस परावरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उसकरा कपू बड टपू ट गयरा, कपराल फिपूट गयरा, दराहूँत टपू ट गए और मपुहूँह सप्रे खपून
बहनप्रे लगरा। (वह करराहतश्री हहई बगोलश्री-) हराय दहैव! ममैंनप्रे क्यरा हबगराडरा? जगो भलरा करतप्रे
बपुररा फिल परायरा॥3॥
* सपुहन ररपपुहन लहख नख हसख खगोटश्री। लगप्रे घसश्रीटन धरर धरर झरटश्री॥
भरत दयराहनहध दश्रीहन्ह छपु डराई। करौसल्यरा पहहमं गप्रे दगोउ भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उसककी यह बरात सपुनकर और उसप्रे नख सप्रे हशखरा तक द ष्टिपु जरानकर शत्रपुघ्नजश्री
झरटरा पकड-पकडकर उसप्रे घसश्रीटनप्रे लगप्रे। तब दयराहनहध भरतजश्री नप्रे उसकगो छपु डरा हदयरा
और दगोनर भराई (तपुरमंत) करौसल्यराजश्री कप्रे परास गए॥4॥

भरत-करौसल्यरा समंवराद और दशररजश्री ककी अन्त्यप्रेहष्टि हकयरा


दगोहरा :
* महलन बसन हबबरन हबकल कमृ स शरश्रीर दख पु भरार।
कनक कलप बर बप्रेहल बन मरानहह हूँ हनश्री तपुसरार॥163॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री महैलप्रे वस्त्र पहनप्रे हमैं, चप्रेहरप्रे करा रमंग बदलरा हहआ हहै, व्यराकपुल हगो
रहश्री हमैं, दद्धाःपु ख कप्रे बगोझ सप्रे शरश्रीर सपूख गयरा हहै। ऐसश्री हदख रहश्री हमैं मरानगो सगोनप्रे ककी
सपुमंदर कल्पलतरा कगो वन ममें परालरा मरार गयरा हगो॥ 163॥
चरौपराई :
* भरतहह दप्रेहख मरातपु उहठ धराई। मपुरहचत अवहन परश्री झइहूँ आई॥
दप्रेखत भरतपु हबकल भए भरारश्री। परप्रे चरन तन दसरा हबसरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरत कगो दप्रेखतप्रे हश्री मरातरा करौसल्यराजश्री उठ दरौडहीं। पर चक्कर आ जरानप्रे सप्रे
मपूहच्छर्णत हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर पडहीं। यह दप्रेखतप्रे हश्री भरतजश्री बडप्रे व्यराकपु ल हगो गए और
शरश्रीर ककी सपुध भपुलराकर चररर ममें हगर पडप्रे॥ 1॥
* मरातपु तरात कहहूँ दप्रेहह दप्रेखराई। कहहूँ हसय ररामपु लखनपु दगोउ भराई॥
कहै कइ कत जनमश्री जग मराझरा। जजौं जनहम त भइ कराहप्रे न बराहूँझरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(हफिर बगोलप्रे-) मरातरा! हपतराजश्री कहराहूँ हमैं? उन्हमें हदखरा दमें। सश्रीतराजश्री तररा मप्रेरप्रे
दगोनर भराई शश्री रराम-लक्ष्मर कहराहूँ हमैं? (उन्हमें हदखरा दमें।) कहै कप्रे यश्री जगत ममें क्यर जनमश्री!
और यहद जनमश्री हश्री तगो हफिर बराहूँझ क्यर न हह ई?-॥2॥
* कपु ल कलमंकपु जप्रेहहमं जनमप्रेउ मगोहश्री। अपजस भराजन हपयजन दगोहश्री॥
कगो हतभपुवन मगोहह सररस अभरागश्री। गहत अहस तगोरर मरातपुजप्रेहह लरागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजसनप्रे कपु ल कप्रे कलमंक, अपयश कप्रे भराहूँडप्रे और हपयजनर कप्रे दगोहश्री मपुझ जहैसप्रे
पपुत्र कगो उत्पन्न हकयरा। तश्रीनर लगोकर ममें मप्रेरप्रे समरान अभरागरा करौन हहै ? हजसकप्रे करारर हप्रे
मरातरा! तप्रेरश्री यह दशरा हहई!॥3॥
* हपतपु सपुरपपुर बन रघपुबर कप्रे तपू। ममैं कप्रे वल सब अनरर हप्रेतपू॥
हधग मगोहह भयउहूँ बप्रेनपु बन आगश्री। दसपु ह दराह दख पु दषपू न भरागश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हपतराजश्री स्वगर्ण ममें हमैं और शश्री ररामजश्री वन ममें हमैं। कप्रे तपु कप्रे समरान कप्रे वल ममैं हश्री
इन सब अनरर्मों करा करारर हह हूँ। मपुझप्रे हधक्करार हहै! ममैं बराहूँस कप्रे वन ममें आग उत्पन्न हह आ
और कहठन दराह, दद्धाःपु ख और दगोषर करा भरागश्री बनरा॥4॥
दगोहरा :
* मरातपु भरत कप्रे बचन ममृद पु सपुहन पपुहन उठश्री सहूँभरारर।
हलए उठराइ लगराइ उर लगोचन मगोचहत बरारर॥164॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे कगोमल वचन सपुनकर मरातरा करौसल्यराजश्री हफिर सहूँभलकर उठहीं।
उन्हरनप्रे भरत कगो उठराकर छरातश्री सप्रे लगरा हलयरा और नप्रेत्रर सप्रे आहूँसपू बहरानप्रे लगहीं॥
164॥
चरौपराई :
* सरल सपुभराय मरायहूँ हहयहूँ लराए। अहत हहत मनहह हूँ रराम हफिरर आए॥
भमेंटप्रेउ बहह रर लखन लघपु भराई। सगोकपु सनप्रेहह न हृदयहूँ समराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सरल स्वभराव वरालश्री मरातरा नप्रे बडप्रे पप्रेम सप्रे भरतजश्री कगो छरातश्री सप्रे लगरा हलयरा,
मरानगो शश्री ररामजश्री हश्री लरौटकर आ गए हर। हफिर लक्ष्मरजश्री कप्रे छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न कगो
हृदय सप्रे लगरायरा। शगोक और स्नप्रेह हृदय ममें समरातरा नहहीं हहै॥ 1॥
* दप्रेहख सपुभराउ कहत सबपु कगोई। रराम मरातपु अस कराहप्रे न हगोई॥
मरातराहूँ भरतपु गगोद बहैठरारप्रे। आहूँसपु पगोहछमं ममृद पु बचन उचरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री करा स्वभराव दप्रेखकर सब कगोई कह रहप्रे हमैं - शश्री रराम ककी मरातरा करा
ऐसरा स्वभराव क्यर न हगो। मरातरा नप्रे भरतजश्री कगो गगोद ममें बहैठरा हलयरा और उनकप्रे आहूँसपू
परछकर कगोमल वचन बगोलहीं-॥2॥
* अजहह हूँ बच्छ बहल धश्रीरज धरहह । कपु समउ समपुहझ सगोक पररहरहह ॥
जहन मरानहह हहयहूँ हराहन गलरानश्री। कराल करम गहत अघहटत जरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे वत्स! ममैं बलहैयरा लप्रेतश्री हह हूँ। तपुम अब भश्री धश्रीरज धरगो। बपुररा समय जरानकर
शगोक त्यराग दगो। कराल और कमर्ण ककी गहत अहमट जरानकर हृदय ममें हराहन और ग्लराहन
मत मरानगो॥3॥
* कराहहहह दगोसपु दप्रेहह जहन तरातरा। भरा मगोहह सब हबहध बराम हबधरातरा॥
जगो एतप्रेहहहूँ दखपु मगोहह हजआवरा। अजहह हूँ कगो जरानइ करा तप्रेहह भरावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! हकसश्री कगो दगोष मत दगो। हवधरातरा मप्रेरप्रे ह‍लए सब पकरार सप्रे उलटरा
हगो गयरा हहै, जगो इतनप्रे दद्धाःपु ख पर भश्री मपुझप्रे हजलरा रहरा हहै। अब भश्री करौन जरानतरा हहै ,
उसप्रे क्यरा भरा रहरा हहै?॥4॥
दगोहरा :
* हपतपु आयस भपूषन बसन तरात तजप्रे रघपुबश्रीर।
हबसमउ हरषपु न हृदयहूँ कछपु पहहरप्रे बलकल चश्रीर॥165॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! हपतरा ककी आजरा सप्रे शश्री रघपुवश्रीर नप्रे भपूषर-वस्त्र त्यराग हदए और
वल्कल वस्त्र पहन हलए। उनकप्रे हृदय ममें न कपु छ हवषराद ररा, न हषर्ण!॥165॥
चरौपराई :
* मपुख पसन्न मन रमंग न रगोषपू। सब कर सब हबहध करर पररतगोषपू॥
चलप्रे हबहपन सपुहन हसय सहूँग लरागश्री। रहइ न रराम चरन अनपुररागश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-उनकरा मपुख पसन्न ररा, मन ममें न आसहक्त रश्री, न रगोष (दप्रेष)। सबकरा सब
तरह सप्रे समंतगोष करराकर वप्रे वन कगो चलप्रे। यह सपुनकर सश्रीतरा भश्री उनकप्रे सरार लग गई।मं
शश्रीरराम कप्रे चररर ककी अनपुरराहगरश्री वप्रे हकसश्री तरह न रहहीं॥ 1॥
* सपुनतहहमं लखनपु चलप्रे उहठ सराररा। रहहहमं न जतन हकए रघपुनराररा॥
तब रघपुपहत सबहश्री हसर नराई। चलप्रे समंग हसय अर लघपु भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुनतप्रे हश्री लक्ष्मर भश्री सरार हश्री उठ चलप्रे। शश्री रघपुनरार नप्रे उन्हमें रगोकनप्रे कप्रे बहह त
यत्न हकए, पर वप्रे न रहप्रे। तब शश्री रघपुनरारजश्री सबकगो हसर नवराकर सश्रीतरा और छगोटप्रे
भराई लक्ष्मर कगो सरार लप्रेकर चलप्रे गए॥2॥
* ररामपु लखनपु हसय बनहह हसधराए। गइउहूँ न समंग न परान पठराए॥
यहह सबपु भरा इन्ह आहूँहखन्ह आगमें। तउ न तजरा तनपु जश्रीव अभरागमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतरा वन कगो चलप्रे गए। ममैं न तगो सरार हश्री गई और
न ममैंनप्रे अपनप्रे परार हश्री उनकप्रे सरार भप्रेजप्रे। यह सब इन्हहीं आहूँखर कप्रे सरामनप्रे हहआ, तगो
भश्री अभरागप्रे जश्रीव नप्रे शरश्रीर नहहीं छगोडरा॥3॥
* मगोहह न लराज हनज नप्रेहह हनहरारश्री। रराम सररस सपुत ममैं महतरारश्री॥
हजऐ मरहै भल भपूपहत जरानरा। मगोर हृदय सत कपु हलस समरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे स्नप्रेह ककी ओर दप्रेखकर मपुझप्रे लराज नहहीं आतश्री ; रराम सरश्रीखप्रे पपुत्र ककी ममैं
मरातरा! जश्रीनरा और मरनरा तगो रराजरा नप्रे खपूब जरानरा। मप्रेररा हृदय तगो सहैकडर वज्रर कप्रे
समरान कठगोर हहै॥4॥
दगोहरा :
* करौसल्यरा कप्रे बचन सपुहन भरत सहहत रहनवरासपु।
ब्यराकपुल हबलपत रराजगमृह मरानहह हूँ सगोक नप्रेवरासपु ॥166॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री कप्रे वचनर कगो सपुनकर भरत सहहत सराररा रहनवरास व्यराकपु ल हगोकर
हवलराप करनप्रे लगरा। रराजमहल मरानगो शगोक करा हनवरास बन गयरा॥ 166॥
चरौपराई :
* हबलपहहमं हबकल भरत दगोउ भराई। करौसल्यराहूँ हलए हृदयहूँ लगराई॥
भराहूँहत अनप्रेक भरतपु समपुझराए। कहह हबबप्रेकमय बचन सपुनराए॥1॥
भरावरारर्ण:-भरत, शत्रपुघ्न दगोनर भराई हवकल हगोकर हवलराप करनप्रे लगप्रे। तब करौसल्यराजश्री नप्रे
उनकगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। अनप्रेकर पकरार सप्रे भरतजश्री कगो समझरायरा और बहह त सश्री
हववप्रेकभरश्री बरातमें उन्हमें कहकर सपुनराई॥मं 1॥
* भरतहह हूँ मरातपु सकल समपुझराई।मं कहह पपुररान शपुहत कररा सपुहराई॥मं
छल हबहश्रीन सपुहच सरल सपुबरानश्री। बगोलप्रे भरत जगोरर जपुग परानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे भश्री सब मरातराओमं कगो पपुररार और वप्रेदर ककी सपुदमं र करराएहूँ कहकर
समझरायरा। दगोनर हरार जगोडकर भरतजश्री छलरहहत, पहवत्र और सश्रीधश्री सपुदमं र वरारश्री
बगोलप्रे-॥2॥
* जप्रे अघ मरातपु हपतरा सपुत मरारमें। गराइ गगोठ महहसपुर पपुर जरारमें॥
जप्रे अघ हतय बरालक बध ककीन्हमें। मश्रीत महश्रीपहत मराहह र दश्रीन्हमें॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो पराप मरातरा-हपतरा और पपुत्र कप्रे मरारनप्रे सप्रे हगोतप्रे हमैं और जगो गगोशरालरा और
ब्रराहरर कप्रे नगर जलरानप्रे सप्रे हगोतप्रे हमैं, जगो पराप स्त्रश्री और बरालक ककी हत्यरा करनप्रे सप्रे
हगोतप्रे हमैं और जगो हमत्र और रराजरा कगो जहर दप्रेनप्रे सप्रे हगोतप्रे हमैं -॥3॥
* जप्रे परातक उपपरातक अहहहीं। करम बचन मन भव कहब कहहहीं॥
तप्रे परातक मगोहह हगोहहहूँ हबधरातरा। जजौं यहह हगोइ मगोर मत मरातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-कमर्ण, वचन और मन सप्रे हगोनप्रे वरालप्रे हजतनप्रे परातक एवमं उपपरातक (बडप्रे-छगोटप्रे
पराप) हमैं, हजनकगो कहव लगोग कहतप्रे हमैं, हप्रे हवधरातरा! यहद इस कराम ममें मप्रेररा मत हगो,
तगो हप्रे मरातरा! वप्रे सब पराप मपुझप्रे लगमें॥4॥
दगोहरा :
* जप्रे पररहरर हरर हर चरन भजहहमं भपूतगन घगोर।
तप्रेहह कइ गहत मगोहह दप्रेउ हबहध जजौं जननश्री मत मगोर॥167॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग शश्री हरर और शश्री शमंकरजश्री कप्रे चररर कगो छगोडकर भयरानक भपूत-पप्रेतर
कगो भजतप्रे हमैं, हप्रे मरातरा! यहद इसममें मप्रेररा मत हगो तगो हवधरातरा मपुझप्रे उनककी गहत दप्रे॥
167॥
चरौपराई :
* बप्रेचहहमं बप्रेदपु धरमपु दहपु ह लप्रेहहीं। हपसपुन परराय पराप कहह दप्रेहहीं॥
कपटश्री कपु हटल कलहहपय कगोधश्री। बप्रेद हबदषपू क हबस्व हबरगोधश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग वप्रेदर कगो बप्रेचतप्रे हमैं, धमर्ण कगो दहपु लप्रेतप्रे हमैं, चपुगलखगोर हमैं, दस
पू रर कप्रे
परापर कगो कह दप्रेतप्रे हमैं, जगो कपटश्री, कपु हटल, कलहहपय और कगोधश्री हमैं तररा जगो वप्रेदर
ककी हनमंदरा करनप्रे वरालप्रे और हवश्वभर कप्रे हवरगोधश्री हमैं,॥1॥
* लगोभश्री लमंपट लगोलपुपचराररा। जप्रे तराकहहमं परधनपु परदराररा॥
परावजौं ममैं हतन्ह कहै गहत घगोररा। जजौं जननश्री यहह समंमत मगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोभश्री, लम्पट और लरालहचयर करा आचरर करनप्रे वरालप्रे हमैं, जगो परराए धन
और परराई स्त्रश्री ककी तराक ममें रहतप्रे हमैं, हप्रे जननश्री! यहद इस कराम ममें मप्रेरश्री सम्महत हगो
तगो ममैं उनककी भयरानक गहत कगो पराऊहूँ॥2॥
* जप्रे नहहमं सराधस पु मंग अनपुररागप्रे। परमरारर पर हबमपुख अभरागप्रे॥
जप्रे न भजहहमं हरर नर तनपु पराई। हजन्हहह न हरर हर सपुजसपु सगोहराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा सत्समंग ममें पप्रेम नहहीं हहै, जगो अभरागप्रे परमरारर्ण कप्रे मरागर्ण सप्रे हवमपुख हमैं,
जगो मनपुष्य शरश्रीर पराकर शश्री हरर करा भजन नहहीं करतप्रे , हजनकगो हरर-हर (भगवरान
हवष्रपु और शमंकरजश्री) करा सपुयश नहहीं सपुहरातरा,॥3॥
* तहज शपुहतपमंरपु बराम पर चलहहीं। बमंचक हबरहच बप्रेष जगपु छलहहीं॥
हतन्ह कहै गहत मगोहह समंकर दप्रेऊ। जननश्री जजौं यहह जरानजौं भप्रेऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो वप्रेद मरागर्ण कगो छगोडकर वराम (वप्रेद पहतकपू ल) मरागर्ण पर चलतप्रे हमैं, जगो ठग
हमैं और वप्रेष बनराकर जगत कगो छलतप्रे हमैं, हप्रे मरातरा! यहद ममैं इस भप्रेद कगो जरानतरा भश्री
हगोऊहूँ तगो शमंकरजश्री मपुझप्रे उन लगोगर ककी गहत दमें॥ 4॥
दगोहरा :
* मरातपु भरत कप्रे बचन सपुहन सराहूँचप्रे सरल सपुभरायहूँ।
कहहत रराम हपय तरात तपुम्ह सदरा बचन मन करायहूँ॥ 168॥
भरावरारर्ण:-मरातरा करौसल्यराजश्री भरतजश्री कप्रे स्वराभराहवक हश्री सचप्रे और सरल वचनर कगो
सपुनकर कहनप्रे लगहीं- हप्रे तरात! तपुम तगो मन, वचन और शरश्रीर सप्रे सदरा हश्री शश्री
ररामचन्द कप्रे प्यरारप्रे हगो॥168॥
चरौपराई :
* रराम परानहह तमें परान तपुम्हरारप्रे। तपुम्ह रघपुपहतहह परानहह तमें प्यरारप्रे॥
हबधपु हबष चवहै स्रवहै हहमपु आगश्री। हगोइ बराररचर बरारर हबररागश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री रराम तपुम्हरारप्रे परारर सप्रे भश्री बढकर परार (हपय) हमैं और तपुम भश्री शश्री
रघपुनरार कगो परारर सप्रे भश्री अहधक प्यरारप्रे हगो। चन्दमरा चराहप्रे हवष चपुआनप्रे लगप्रे और परालरा
आग बरसरानप्रे लगप्रे, जलचर जश्रीव जल सप्रे हवरक्त हगो जराए ,॥1॥
* भएहूँ ग्यरानपु बर हमटहै न मगोहह। तपुम्ह ररामहह पहतकपू ल न हगोहह॥
मत तपुम्हरार यहह जगो जग कहहहीं। सगो सपनप्रेहहहूँ सपुख सपुगहत न लहहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-और जरान हगो जरानप्रे पर भश्री चराहप्रे मगोह न हमटप्रे , पर तपुम शश्री ररामचन्द कप्रे
पहतकपू ल कभश्री नहहीं हगो सकतप्रे। इसममें तपुम्हरारश्री सम्महत हहै , जगत ममें जगो कगोई ऐसरा
कहतप्रे हमैं, वप्रे स्वप्न ममें भश्री सपुख और शपुभ गहत नहहीं परावमेंगप्रे॥ 2॥
* अस कहह मरातपु भरतपु हहएहूँ लराए। रन पय स्रवहहमं नयन जल छराए॥
करत हबलराप बहह त एहह भराहूँतश्री। बहैठप्रेहहमं बश्रीहत गई सब ररातश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर मरातरा करौसल्यरा नप्रे भरतजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। उनकप्रे स्तनर
सप्रे दधपू बहनप्रे लगरा और नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल छरा गयरा। इस पकरार बहह त
हवलराप करतप्रे हहए सरारश्री ररात बहैठप्रे हश्री बहैठप्रे बश्रीत गई॥3॥
* बरामदप्रेउ बहसष तब आए। सहचव महराजन सकल बगोलराए॥
मपुहन बहह भराहूँहत भरत उपदप्रेसप्रे। कहह परमरारर बचन सपुदप्रेसप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तब वरामदप्रेवजश्री और वहशषजश्री आए। उन्हरनप्रे सब ममंहत्रयर तररा महराजनर कगो
बपुलरायरा। हफिर मपुहन वहशषजश्री नप्रे परमरारर्ण कप्रे सपुदमं र समयरानपुकपूल वचन कहकर बहह त पकरार
सप्रे भरतजश्री कगो उपदप्रेश हदयरा॥4॥

वहशष-भरत समंवराद, शश्री ररामजश्री कगो लरानप्रे कप्रे हलए हचत्रकपू ट जरानप्रे ककी तहैयरारश्री
दगोहरा :
* तरात हृदयहूँ धश्रीरजपु धरहह करहह जगो अवसर आजपु।
उठप्रे भरत गपुर बचन सपुहन करन कहप्रेउ सबपु सराजपु॥ 169॥
भरावरारर्ण:-(वहशषजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! हृदय ममें धश्रीरज धरगो और आज हजस करायर्ण
कप्रे करनप्रे करा अवसर हहै, उसप्रे करगो। गपुरजश्री कप्रे वचन सपुनकर भरतजश्री उठप्रे और उन्हरनप्रे
सब तहैयरारश्री करनप्रे कप्रे हलए कहरा॥169॥
चरौपराई :
* नमृपतनपु बप्रेद हबहदत अन्हवरावरा। परम हबहचत्र हबमरानपु बनरावरा॥
गराहह पदभरत मरातपु सब रराखश्री। रहहीं रराहन दरसन अहभलराषश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर ममें बतराई हह ई हवहध सप्रे रराजरा ककी दप्रेह कगो स्नरान कररायरा गयरा और परम
हवहचत्र हवमरान बनरायरा गयरा। भरतजश्री नप्रे सब मरातराओमं कगो चरर पकडकर रखरा (अररार्णत
परारर्णनरा करकप्रे उनकगो सतश्री हगोनप्रे सप्रे रगोक हलयरा)। वप्रे रराहनयराहूँ भश्री (शश्री रराम कप्रे ) दशर्णन
ककी अहभलराषरा सप्रे रह गई॥मं 1॥
* चमंदन अगर भरार बहह आए। अहमत अनप्रेक सपुगमंध सपुहराए॥
सरजपु तश्रीर रहच हचतरा बनराई। जनपु सपुरपपुर सगोपरान सपुहराई॥2॥
भरावरारर्ण:-चमंदन और अगर कप्रे तररा और भश्री अनप्रेकर पकरार कप्रे अपरार (कपपूर, गपुग्गपुल,
कप्रे सर आहद) सपुगमंध दव्यर कप्रे बहह त सप्रे बगोझ आए। सरयपूजश्री कप्रे तट पर सपुदमं र हचतरा
रचकर बनराई गई, (जगो ऐसश्री मरालपूम हगोतश्री रश्री) मरानगो स्वगर्ण ककी सपुदमं र सश्रीढश्री हगो॥2॥
* एहह हबहध दराह हकयरा सब ककीन्हश्री। हबहधवत न्हराइ हतलरामंजपुहल दश्रीन्हश्री॥
सगोहध सपुममृहत सब बप्रेद पपुररानरा। ककीन्ह भरत दसगरात हबधरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब दराह हकयरा ककी गई और सबनप्रे हवहधपपूवर्णक स्नरान करकप्रे
हतलरामंजहल दश्री। हफिर वप्रेद, स्ममृहत और पपुररार सबकरा मत हनश्चय करकप्रे उसकप्रे अनपुसरार
भरतजश्री नप्रे हपतरा करा दशगरात्र हवधरान (दस हदनर कप्रे कमृ त्य) हकयरा॥3॥
* जहहूँ जस मपुहनबर आयसपु दश्रीन्हरा। तहहूँ तस सहस भराहूँहत सबपु ककीन्हरा॥
भए हबसपुद हदए सब दरानरा। धप्रेनपु बराहज गज बराहन नरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन शप्रेष वहशषजश्री नप्रे जहराहूँ जहैसश्री आजरा दश्री, वहराहूँ भरतजश्री नप्रे सब वहैसरा हश्री
हजरारर पकरार सप्रे हकयरा। शपुद हगो जरानप्रे पर (हवहधपपूवर्णक) सब दरान हदए। गरायमें तररा
घगोडप्रे, हरारश्री आहद अनप्रेक पकरार ककी सवराररयराहूँ,॥4॥
दगोहरा :
* हसमंघरासन भपूषन बसन अन्न धरहन धन धराम।
हदए भरत लहह भपूहमसपुर भप्रे पररपपूरन कराम॥170॥
भरावरारर्ण:-हसमंहरासन, गहनप्रे, कपडप्रे, अन्न, पमृथ्वश्री, धन और मकरान भरतजश्री नप्रे हदए,
भपूदवप्रे ब्रराहर दरान पराकर पररपपूरर्णकराम हगो गए (अररार्णत उनककी सरारश्री मनगोकरामनराएहूँ अच्छश्री
तरह सप्रे पपूरश्री हगो गई)मं ॥170॥
चरौपराई :
* हपतपु हहत भरत ककीहन्ह जहस करनश्री। सगो मपुख लराख जराइ नहहमं बरनश्री॥
सपुहदनपु सगोहध मपुहनबर तब आए। सहचव महराजन सकल बगोलराए॥1॥
भरावरारर्ण:-हपतराजश्री कप्रे हलए भरतजश्री नप्रे जहैसश्री करनश्री ककी वह लराखर मपुखर सप्रे भश्री वरर्णन
नहहीं ककी जरा सकतश्री। तब शपुभ हदन शगोधकर शप्रेष मपुहन वहशषजश्री आए और उन्हरनप्रे
ममंहत्रयर तररा सब महराजनर कगो बपुलवरायरा॥1॥
* बहैठप्रे रराजसभराहूँ सब जराई। पठए बगोहल भरत दगोउ भराई॥
भरतपु बहसष हनकट बहैठरारप्रे। नश्रीहत धरममय बचन उचरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग रराजसभरा ममें जराकर बहैठ गए। तब मपुहन नप्रे भरतजश्री तररा शत्रपुघ्नजश्री
दगोनर भराइयर कगो बपुलवरा भप्रेजरा। भरतजश्री कगो वहशषजश्री नप्रे अपनप्रे परास बहैठरा हलयरा और
नश्रीहत तररा धमर्ण सप्रे भरप्रे हह ए वचन कहप्रे॥2॥
* परम कररा सब मपुहनबर बरनश्री। कहै कइ कपु हटल ककीहन्ह जहस करनश्री॥
भपूप धरमपुब्रतपु सत्य सरराहरा। जप्रेहहमं तनपु पररहरर पप्रेमपु हनबराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे तगो कहै कप्रे यश्री नप्रे जहैसश्री कपु हटल करनश्री ककी रश्री, शप्रेष मपुहन नप्रे वह सरारश्री
कररा कहश्री। हफिर रराजरा कप्रे धमर्णव्रत और सत्य ककी सरराहनरा ककी, हजन्हरनप्रे शरश्रीर त्यराग
कर पप्रेम कगो हनबराहरा॥3॥
* कहत रराम गपुन सश्रील सपुभराऊ। सजल नयन पपुलकप्रे उ मपुहनरराऊ॥
बहह रर लखन हसय पश्रीहत बखरानश्री। सगोक सनप्रेह मगन मपुहन ग्यरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुर, शश्रील और स्वभराव करा वरर्णन करतप्रे-करतप्रे तगो मपुहनरराज
कप्रे नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा और वप्रे शरश्रीर सप्रे पपुलहकत हगो गए। हफिर लक्ष्मरजश्री और
सश्रीतराजश्री कप्रे पप्रेम ककी बडराई करतप्रे हहए जरानश्री मपुहन शगोक और स्नप्रेह ममें मग्नि हगो गए॥4॥
दगोहरा :
* सपुनहह भरत भरावश्री पबल हबलहख कहप्रेउ मपुहननरार।
हराहन लराभपु जश्रीवनपु मरनपु जसपु अपजसपु हबहध हरार॥171॥
भरावरारर्ण:-मपुहननरार नप्रे हबलखकर (दद्धाःपु खश्री हगोकर) कहरा- हप्रे भरत! सपुनगो, भरावश्री
(हगोनहरार) बडश्री बलवरान हहै। हराहन-लराभ, जश्रीवन-मरर और यश-अपयश, यप्रे सब
हवधरातरा कप्रे हरार हमैं॥171॥
चरौपराई :
* अस हबचरारर कप्रे हह दप्रेइअ दगोसपू। ब्यरर कराहह पर ककीहजअ रगोसपू॥
तरात हबचरार करहह मन मराहहीं। सगोच जगोगपु दसररपु नमृपपु नराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरार कर हकसप्रे दगोष हदयरा जराए? और व्यरर्ण हकस पर कगोध हकयरा
जराए? हप्रे तरात! मन ममें हवचरार करगो। रराजरा दशरर सगोच करनप्रे कप्रे यगोग्य नहहीं हमैं॥1॥
* सगोहचअ हबप जगो बप्रेद हबहश्रीनरा। तहज हनज धरमपु हबषय लयलश्रीनरा॥
सगोहचअ नमृपहत जगो नश्रीहत न जरानरा। जप्रेहह न पजरा हपय परान समरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-सगोच उस ब्रराहर करा करनरा चराहहए, जगो वप्रेद नहहीं जरानतरा और जगो अपनरा
धमर्ण छगोडकर हवषय भगोग ममें हश्री लश्रीन रहतरा हहै। उस रराजरा करा सगोच करनरा चराहहए, जगो
नश्रीहत नहहीं जरानतरा और हजसकगो पजरा परारर कप्रे समरान प्यरारश्री नहहीं हहै॥2॥
* सगोहचअ बयसपु कमृ पन धनवरानपू। जगो न अहतहर हसव भगहत सपुजरानपू॥
सगोहचअ सपूदपु हबप अवमरानश्री। मपुखर मरानहपय ग्यरान गपुमरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उस वहैश्य करा सगोच करनरा चराहहए, जगो धनवरान हगोकर भश्री कमंजपूस हहै और जगो
अहतहर सत्करार तररा हशवजश्री ककी भहक्त करनप्रे ममें कपु शल नहहीं हहै। उस शपूद करा सगोच
करनरा चराहहए, जगो ब्रराहरर करा अपमरान करनप्रे वरालरा, बहह त बगोलनप्रे वरालरा, मरान-बडराई
चराहनप्रे वरालरा और जरान करा घममंड रखनप्रे वरालरा हहै॥ 3॥
* सगोहचअ पपुहन पहत बमंचक नरारश्री। कपु हटल कलहहपय इच्छराचरारश्री॥
सगोहचअ बटपु हनज ब्रतपु पररहरई। जगो नहहमं गपुर आयसपु अनपुसरई॥4॥
भरावरारर्ण:-पपुनद्धाः उस स्त्रश्री करा सगोच करनरा चराहहए जगो पहत कगो छलनप्रे वरालश्री , कपु हटल,
कलहहपय और स्वप्रेच्छरा चरारररश्री हहै। उस ब्रहचरारश्री करा सगोच करनरा चराहहए, जगो अपनप्रे
ब्रहचयर्ण व्रत कगो छगोड दप्रेतरा हहै और गपुर ककी आजरा कप्रे अनपुसरार नहहीं चलतरा॥4॥
दगोहरा :
* सगोहचअ गमृहश्री जगो मगोह बस करइ करम पर त्यराग।
सगोहचअ जतश्री पपमंच रत हबगत हबबप्रेक हबरराग॥172॥
भरावरारर्ण:-उस गमृहस्र करा सगोच करनरा चराहहए, जगो मगोहवश कमर्ण मरागर्ण करा त्यराग कर
दप्रेतरा हहै, उस समंन्यरासश्री करा सगोच करनरा चराहहए, जगो दहपु नयरा कप्रे पपमंच ममें फिहूँसरा हह आ
और जरान-वहैरराग्य सप्रे हश्रीन हहै॥172॥
चरौपराई :
* बहैखरानस सगोइ सगोचहै जगोगपू। तपपु हबहराइ जप्रेहह भरावइ भगोगपू॥
सगोहचअ हपसपुन अकरारन कगोधश्री। जनहन जनक गपुर बमंधपु हबरगोधश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वरानपस्र वहश्री सगोच करनप्रे यगोग्य हहै, हजसकगो तपस्यरा छगोडकर भगोग अच्छप्रे
लगतप्रे हमैं। सगोच उसकरा करनरा चराहहए जगो चपुगलखगोर हहै, हबनरा हश्री करारर कगोध करनप्रे
वरालरा हहै तररा मरातरा, हपतरा, गपुर एवमं भराई-बमंधपुओमं कप्रे सरार हवरगोध रखनप्रे वरालरा हहै॥1॥
* सब हबहध सगोहचअ पर अपकरारश्री। हनज तनपु पगोषक हनरदय भरारश्री॥
सगोचनश्रीय सबहहीं हबहध सगोई। जगो न छराहड छलपु हरर जन हगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-सब पकरार सप्रे उसकरा सगोच करनरा चराहहए, जगो दस पू रर करा अहनष्टि करतरा हहै,
अपनप्रे हश्री शरश्रीर करा पगोषर करतरा हहै और बडरा भरारश्री हनदर्णयश्री हहै और वह तगो सभश्री
पकरार सप्रे सगोच करनप्रे यगोग्य हहै, जगो छल छगोडकर हरर करा भक्त नहहीं हगोतरा॥ 2॥
* सगोचनश्रीय नहहमं कगोसलरराऊ। भपुवन चराररदस पगट पभराऊ॥
भयउ न अहइ न अब हगोहनहराररा। भपूप भरत जस हपतरा तपुम्हराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-कगोसलरराज दशररजश्री सगोच करनप्रे यगोग्य नहहीं हमैं, हजनकरा पभराव चरौदहर लगोकर
ममें पकट हहै। हप्रे भरत! तपुम्हरारप्रे हपतरा जहैसरा रराजरा तगो न हहआ, न हहै और न अब हगोनप्रे
करा हश्री हहै॥3॥
* हबहध हरर हर सपुरपहत हदहसनराररा। बरनहहमं सब दसरर गपुन गराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हब्रहरा, हवष्रपु, हशव, इन्द और हदक्पराल सभश्री दशररजश्री कप्रे गपुरर ककी करराएहूँ
कहरा करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* कहहह तरात कप्रे हह भराहूँहत कगोउ कररहह बडराई तरासपु।
रराम लखन तपुम्ह सत्रपुहन सररस सपुअन सपुहच जरासपु॥ 173॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! कहगो, उनककी बडराई कगोई हकस पकरार करप्रेगरा, हजनकप्रे शश्री रराम,
लक्ष्मर, तपुम और शत्रपुघ्न-सरश्रीखप्रे पहवत्र पपुत्र हमैं?॥173॥
चरौपराई :
* सब पकरार भपूपहत बडभरागश्री। बराहद हबषराद पु कररअ तप्रेहह लरागश्री॥
यह सपुहन समपुहझ सगोचपु पररहरहह । हसर धरर रराज रजरायसपु करहह ॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा सब पकरार सप्रे बडभरागश्री रप्रे। उनकप्रे हलए हवषराद करनरा व्यरर्ण हहै। यह सपुन
और समझकर सगोच त्यराग दगो और रराजरा ककी आजरा हसर चढराकर तदनपुसरार करगो॥ 1॥
* ररायहूँ रराजपद पु तपुम्ह कहह हूँ दश्रीन्हरा। हपतरा बचनपु फिपु र चराहहअ ककीन्हरा॥
तजप्रे ररामपु जप्रेहहमं बचनहह लरागश्री। तनपु पररहरप्रेउ रराम हबरहरागश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे रराज पद तपुमकगो हदयरा हहै। हपतरा करा वचन तपुम्हमें सत्य करनरा चराहहए,
हजन्हरनप्रे वचन कप्रे हलए हश्री शश्री ररामचन्दजश्री कगो त्यराग हदयरा और ररामहवरह ककी अहग्नि ममें
अपनप्रे शरश्रीर ककी आहहहत दप्रे दश्री॥2॥
* नमृपहह बचन हपय नहहमं हपय परानरा। करहह तरात हपतपु बचन पवरानरा॥
करहह सश्रीस धरर भपूप रजराई। हइ तपुम्ह कहहूँ सब भराहूँहत भलराई॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा कगो वचन हपय रप्रे, परार हपय नहहीं रप्रे, इसहलए हप्रे तरात! हपतरा कप्रे
वचनर कगो पमरार (सत्य) करगो! रराजरा ककी आजरा हसर चढराकर परालन करगो, इसममें
तपुम्हरारश्री सब तरह भलराई हहै॥3॥
* परसपुरराम हपतपु अग्यरा रराखश्री। मरारश्री मरातपु लगोक सब सराखश्री॥
तनय जजराहतहह जरौबनपु दयऊ। हपतपु अग्यराहूँ अघ अजसपु न भयऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-परशपुररामजश्री नप्रे हपतरा ककी आजरा रखश्री और मरातरा कगो मरार डरालरा, सब लगोक
इस बरात कप्रे सराक्षश्री हमैं। रराजरा ययराहत कप्रे पपुत्र नप्रे हपतरा कगो अपनश्री जवरानश्री दप्रे दश्री। हपतरा
ककी आजरा परालन करनप्रे सप्रे उन्हमें पराप और अपयश नहहीं हहआ॥4॥
दगोहरा :
* अनपुहचत उहचत हबचरार तहज तप्रे परालहहमं हपतपु बहैन।
तप्रे भराजन सपुख सपुजस कप्रे बसहहमं अमरपहत ऐन॥174॥
भरावरारर्ण:-जगो अनपुहचत और उहचत करा हवचरार छगोडकर हपतरा कप्रे वचनर करा परालन करतप्रे
हमैं, वप्रे (यहराहूँ) सपुख और सपुयश कप्रे परात्र हगोकर अमंत ममें इन्दपपुरश्री (स्वगर्ण) ममें हनवरास
करतप्रे हमैं॥174॥
चरौपराई :
* अवहस नरप्रेस बचन फिपु र करहह । परालहह पजरा सगोकपु पररहरहह ॥
सपुरपपुर नमृपपु पराइहह पररतगोषपू। तपुम्ह कहह हूँ सपुकमृतपु सपुजसपु नहहमं दगोषपू॥1॥
भरावरारर्ण:-रराजरा करा वचन अवश्य सत्य करगो। शगोक त्यराग दगो और पजरा करा परालन करगो।
ऐसरा करनप्रे सप्रे स्वगर्ण ममें रराजरा समंतगोष परावमेंगप्रे और तपुम कगो पपुण्य और सपुदमं र यश हमलप्रेगरा,
दगोष नहहीं लगप्रेगरा॥1॥
* बप्रेद हबहदत समंमत सबहश्री करा। जप्रेहह हपतपु दप्रेइ सगो परावइ टश्रीकरा॥
करहह रराजपु पररहरहह गलरानश्री। मरानहह मगोर बचन हहत जरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-यह वप्रेद ममें पहसद हहै और (स्ममृहत-पपुररारराहद) सभश्री शरास्त्रर कप्रे दराररा सम्मत हहै
हक हपतरा हजसकगो दप्रे वहश्री रराजहतलक परातरा हहै , इसहलए तपुम रराज्य करगो, ग्लराहन करा
त्यराग कर दगो। मप्रेरप्रे वचन कगो हहत समझकर मरानगो॥ 2॥
* सपुहन सपुखपु लहब रराम बहैदप्रेहहीं। अनपुहचत कहब न पमंहडत कप्रे हहीं॥
करौसल्यराहद सकल महतरारहीं। तप्रेउ पजरा सपुख हगोहहमं सपुखरारहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस बरात कगो सपुनकर शश्री ररामचन्दजश्री और जरानककीजश्री सपुख परावमेंगप्रे और कगोई
पमंहडत इसप्रे अनपुहचत नहहीं कहप्रेगरा। करौसल्यराजश्री आहद तपुम्हरारश्री सब मरातराएहूँ भश्री पजरा कप्रे
सपुख सप्रे सपुखश्री हरगश्री॥
* परम तपुम्हरार रराम कर जराहनहह। सगो सब हबहध तपुम्ह सन भल मराहनहह॥
सजौंपप्रेहह रराजपु रराम कप्रे आएहूँ। सप्रेवरा करप्रेहह सनप्रेह सपुहराएहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो तपुम्हरारप्रे और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे शप्रेष समंबमंध कगो जरान लप्रेगरा, वह सभश्री
पकरार सप्रे तपुमसप्रे भलरा मरानप्रेगरा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे लरौट आनप्रे पर रराज्य उन्हमें सजौंप दप्रेनरा
और सपुमंदर स्नप्रेह सप्रे उनककी सप्रेवरा करनरा॥ 4॥
दगोहरा :
* ककीहजअ गपुर आयसपु अवहस कहहहमं सहचव कर जगोरर।
रघपुपहत आएहूँ उहचत जस तस तब करब बहगोरर॥175॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री हरार जगोडकर कह रहप्रे हमैं- गपुरजश्री ककी आजरा करा अवश्य हश्री परालन
ककीहजए। शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे लरौट आनप्रे पर जहैसरा उहचत हगो, तब हफिर वहैसरा हश्री
ककीहजएगरा॥175॥
चरौपराई :
* करौसल्यरा धरर धश्रीरजपु कहई। पपूत पथ्य गपुर आयसपु अहई॥
सगो आदररअ कररअ हहत मरानश्री। तहजअ हबषराद पु कराल गहत जरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री भश्री धश्रीरज धरकर कह रहश्री हमैं- हप्रे पपुत्र! गपुरजश्री ककी आजरा पथ्य
रूप हहै। उसकरा आदर करनरा चराहहए और हहत मरानकर उसकरा परालन करनरा चराहहए।
कराल ककी गहत कगो जरानकर हवषराद करा त्यराग कर दप्रेनरा चराहहए॥1॥
* बन रघपुपहत सपुरपहत नरनराहह। तपुम्ह एहह भराहूँहत तरात कदरराहह॥
पररजन पजरा सहचव सब अमंबरा। तपुम्हहहीं सपुत सब कहहूँ अवलमंबरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री वन ममें हमैं, महरारराज स्वगर्ण करा रराज्य करनप्रे चलप्रे गए और हप्रे
तरात! तपुम इस पकरार करातर हगो रहप्रे हगो। हप्रे पपुत्र ! कपु टपु म्ब, पजरा, ममंत्रश्री और सब
मरातराओमं कप्रे , सबकप्रे एक तपुम हश्री सहरारप्रे हगो॥2॥
* लहख हबहध बराम करालपु कहठनराई। धश्रीरजपु धरहह मरातपु बहल जराई॥
हसर धरर गपुर आयसपु अनपुसरहह । पजरा पराहल पररजन दख पु पु हरहह ॥3॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा कगो पहतकपू ल और कराल कगो कठगोर दप्रेखकर धश्रीरज धरगो, मरातरा तपुम्हरारश्री
बहलहरारश्री जरातश्री हहै। गपुर ककी आजरा कगो हसर चढराकर उसश्री कप्रे अनपुसरार करायर्ण करगो और
पजरा करा परालन कर कपु टपु हम्बयर करा दद्धाःपु ख हरगो॥3॥
* गपुर कप्रे बचन सहचव अहभनमंदनपु। सपुनप्रे भरत हहय हहत जनपु चमंदनपु॥
सपुनश्री बहगोरर मरातपु ममृद पु बरानश्री। सश्रील सनप्रेह सरल रस सरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे गपुर कप्रे वचनर और ममंहत्रयर कप्रे अहभनमंदन (अनपुमगोदन) कगो सपुनरा,
जगो उनकप्रे हृदय कप्रे हलए मरानगो चमंदन कप्रे समरान (शश्रीतल) रप्रे। हफिर उन्हरनप्रे शश्रील,
स्नप्रेह और सरलतरा कप्रे रस ममें सनश्री हहई मरातरा करौसल्यरा ककी कगोमल वरारश्री सपुनश्री॥ 4॥
छमंद :
* सरानश्री सरल रस मरातपु बरानश्री सपुहन भरतपु ब्यराकपु ल भए।
लगोचन सरगोरह स्रवत सहींचत हबरह उर अमंकपुर नए॥
सगो दसरा दप्रेखत समय तप्रेहह हबसरश्री सबहह सपुहध दप्रेह ककी।
तपुलसश्री सरराहत सकल सरादर सश्रीवहूँ सहज सनप्रेह ककी॥
भरावरारर्ण:-सरलतरा कप्रे रस ममें सनश्री हहई मरातरा ककी वरारश्री सपुनकर भरतजश्री व्यराकपुल हगो गए।
उनकप्रे नप्रेत्र कमल जल (आहूँसपू) बहराकर हृदय कप्रे हवरह रूपश्री नवश्रीन अमंकपुर कगो सहींचनप्रे
लगप्रे। (नप्रेत्रर कप्रे आहूँसओ
पु मं नप्रे उनकप्रे हवयगोग-दद्धाःपु ख कगो बहह त हश्री बढराकर उन्हमें अत्यन्त
व्यराकपुल कर हदयरा।) उनककी वह दशरा दप्रेखकर उस समय सबकगो अपनप्रे शरश्रीर ककी सपुध
भपूल गई। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- स्वराभराहवक पप्रेम ककी सश्रीमरा शश्री भरतजश्री ककी सब लगोग
आदरपपूवर्णक सरराहनरा करनप्रे लगप्रे।
सगोरठरा :
* भरतपु कमल कर जगोरर धश्रीर धपुरधमं र धश्रीर धरर।
बचन अहमअहूँ जनपु बगोरर दप्रेत उहचत उरर सबहह॥176॥
भरावरारर्ण:-धहैयर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे भरतजश्री धश्रीरज धरकर, कमल कप्रे समरान
हरारर कगो जगोडकर, वचनर कगो मरानगो अममृत ममें डपु बराकर सबकगो उहचत उरर दप्रेनप्रे लगप्रे-॥
176॥

मरासपराररायर, अठरारहवराहूँ हवशराम


चरौपराई :
* मगोहह उपदप्रेसपु दश्रीन्ह गपुर नश्रीकरा। पजरा सहचव समंमत सबहश्री करा॥
मरातपु उहचत धरर आयसपु दश्रीन्हरा। अवहस सश्रीस धरर चराहउहूँ ककीन्हरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री नप्रे मपुझप्रे सपुदमं र उपदप्रेश हदयरा। (हफिर) पजरा, ममंत्रश्री आहद सभश्री कगो यहश्री
सम्मत हहै। मरातरा नप्रे भश्री उहचत समझकर हश्री आजरा दश्री हहै और ममैं भश्री अवश्य उसकगो
हसर चढराकर वहैसरा हश्री करनरा चराहतरा हह॥हूँ 1॥
* गपुर हपतपु मरातपु स्वराहम हहत बरानश्री। सपुहन मन मपुहदत कररअ भहल जरानश्री॥
उहचत हक अनपुहचत हकएहूँ हबचरारू। धरमपु जराइ हसर परातक भरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-(क्यरहक) गपुर, हपतरा, मरातरा, स्वरामश्री और सपुहृदम (हमत्र) ककी वरारश्री सपुनकर
पसन्न मन सप्रे उसप्रे अच्छश्री समझकर करनरा (मराननरा) चराहहए। उहचत-अनपुहचत करा
हवचरार करनप्रे सप्रे धमर्ण जरातरा हहै और हसर पर पराप करा भरार चढतरा हहै॥ 2॥
* तपुम्ह तरौ दप्रेहह सरल हसख सगोई। जगो आचरत मगोर भल हगोई॥
जद्यहप यह समपुझत हउहूँ नश्रीकमें। तदहप हगोत पररतगोष न जश्री कमें ॥3॥
भरावरारर्ण:-आप तगो मपुझप्रे वहश्री सरल हशक्षरा दप्रे रहप्रे हमैं, हजसकप्रे आचरर करनप्रे ममें मप्रेररा
भलरा हगो। यद्यहप ममैं इस बरात कगो भलश्रीभराहूँहत समझतरा हह हूँ, तरराहप मप्रेरप्रे हृदय कगो समंतगोष
नहहीं हगोतरा॥3॥
* अब तपुम्ह हबनय मगोरर सपुहन लप्रेहह। मगोहह अनपुहरत हसखरावनपु दप्रेहह॥
ऊतर दप्रेउहूँ छमब अपरराधपू। दहपु खत दगोष गपुन गनहहमं न सराधपू॥4॥
भरावरारर्ण:-अब आप लगोग मप्रेरश्री हवनतश्री सपुन लश्रीहजए और मप्रेरश्री यगोग्यतरा कप्रे अनपुसरार मपुझप्रे
हशक्षरा दश्रीहजए। ममैं उरर दप्रे रहरा हह हूँ, यह अपरराध क्षमरा ककीहजए। सराधपु पपुरष दद्धाःपु खश्री मनपुष्य
कप्रे दगोष-गपुरर कगो नहहीं हगनतप्रे।
दगोहरा :
* हपतपु सपुरपपुर हसय ररामपु बन करन कहहह मगोहह रराजपु।
एहह तमें जरानहह मगोर हहत कहै आपन बड कराजपु॥177॥
भरावरारर्ण:-हपतराजश्री स्वगर्ण ममें हमैं, शश्री सश्रीतराररामजश्री वन ममें हमैं और मपुझप्रे आप रराज्य करनप्रे
कप्रे हलए कह रहप्रे हमैं। इसममें आप मप्रेररा कल्यरार समझतप्रे हमैं यरा अपनरा कगोई बडरा कराम
(हगोनप्रे ककी आशरा रखतप्रे हमैं)?॥177॥
चरौपराई :
* हहत हमरार हसयपहत सप्रेवकराई।मं सगो हरर लश्रीन्ह मरातपु कपु हटलराई॥मं
ममैं अनपुमराहन दश्रीख मन मराहहीं। आन उपरायहूँ मगोर हहत नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा कल्यरार तगो सश्रीतरापहत शश्री ररामजश्री ककी चराकरश्री ममें हहै , सगो उसप्रे मरातरा ककी
कपु हटलतरा नप्रे छश्रीन हलयरा। ममैंनप्रे अपनप्रे मन ममें अनपुमरान करकप्रे दप्रेख हलयरा हहै हक दस पू रप्रे
हकसश्री उपराय सप्रे मप्रेररा कल्यरार नहहीं हहै॥1॥
* सगोक समराजपु रराजपु कप्रे हह लप्रेख।में लखन रराम हसय हबनपु पद दप्रेख॥में
बराहद बसन हबनपु भपूषन भरारू। बराहद हबरहत हबनपु ब्रहहबचरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-यह शगोक करा समपुदराय रराज्य लक्ष्मर, शश्री ररामचमंदजश्री और सश्रीतराजश्री कप्रे चररर
कगो दप्रेखप्रे हबनरा हकस हगनतश्री ममें हहै (इसकरा क्यरा मपूल्य हहै)? जहैसप्रे कपडर कप्रे हबनरा
गहनर करा बगोझ व्यरर्ण हहै। वहैरराग्य कप्रे हबनरा ब्रहहवचरार व्यरर्ण हहै॥2॥
* सरज सरश्रीर बराहद बहह भगोगरा। हबनपु हररभगहत जरायहूँ जप जगोगरा॥
जरायहूँ जश्रीव हबनपु दप्रेह सपुहराई। बराहद मगोर सबपु हबनपु रघपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-रगोगश्री शरश्रीर कप्रे हलए नरानरा पकरार कप्रे भगोग व्यरर्ण हमैं। शश्री हरर ककी भहक्त कप्रे हबनरा
जप और यगोग व्यरर्ण हमैं। जश्रीव कप्रे हबनरा सपुदमं र दप्रेह व्यरर्ण हहै, वहैसप्रे हश्री शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे
हबनरा मप्रेररा सब कपु छ व्यरर्ण हहै॥3॥
* जराउहूँ रराम पहहमं आयसपु दप्रेहह। एकराहहमं आहूँक मगोर हहत एहह ॥
मगोहह नमृप करर भल आपन चहहह । सगोउ सनप्रेह जडतरा बस कहहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे आजरा दश्रीहजए, ममैं शश्री ररामजश्री कप्रे परास जराऊहूँ! एक हश्री आहूँक
(हनश्चयपपूवर्णक) मप्रेररा हहत इसश्री ममें हहै। और मपुझप्रे रराजरा बनराकर आप अपनरा भलरा चराहतप्रे
हमैं, यह भश्री आप स्नप्रेह ककी जडतरा (मगोह) कप्रे वश हगोकर हश्री कह रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* कहै कप्रे ई सपुअ कपु हटलमहत रराम हबमपुख गतलराज।
तपुम्ह चराहत सपुखपु मगोहबस मगोहह सप्रे अधम कमें रराज॥178॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कप्रे पपुत्र, कपु हटलबपुहद, ररामहवमपुख और हनलर्णज मपुझ सप्रे अधम कप्रे रराज्य
सप्रे आप मगोह कप्रे वश हगोकर हश्री सपुख चराहतप्रे हमैं॥178॥
चरौपराई :
* कहउहूँ सराहूँचपु सब सपुहन पहतआहह । चराहहअ धरमसश्रील नरनराहह॥
मगोहह रराजपु हहठ दप्रेइहहह जबहहीं। रसरा रसरातल जराइहह तबहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-ममैं सत्य कहतरा हह हूँ, आप सब सपुनकर हवश्वरास करमें, धमर्णशश्रील कगो हश्री रराजरा
हगोनरा चराहहए। आप मपुझप्रे हठ करकप्रे ज्यर हश्री रराज्य दमेंगप्रे, त्यर हश्री पमृथ्वश्री परातराल ममें धहूँस
जराएगश्री॥1॥
* मगोहह समरान कगो पराप हनवरासपू। जप्रेहह लहग सश्रीय रराम बनबरासपू॥
ररायहूँ रराम कहह हूँ कराननपु दश्रीन्हरा। हबछपु रत गमनपु अमरपपुर ककीन्हरा॥2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे समरान परापर करा घर करौन हगोगरा, हजसकप्रे करारर सश्रीतराजश्री और शश्री ररामजश्री
करा वनवरास हह आ? रराजरा नप्रे शश्री ररामजश्री कगो वन हदयरा और उनकप्रे हबछपु डतप्रे हश्री स्वयमं
स्वगर्ण कगो गमन हकयरा॥2॥
* ममैं सठपु सब अनरर कर हप्रेतपू। बहैठ बरात सब सपुनउहूँ सचप्रेतपू॥
हबन रघपुबश्रीर हबलगोहक अबरासपू। रहप्रे परान सहह जग उपहरासपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और ममैं दष्टिपु , जगो अनरर्मों करा करारर हह,हूँ हगोश-हवरास ममें बहैठरा सब बरातमें सपुन
रहरा हह।हूँ शश्री रघपुनरारजश्री सप्रे रहहत घर कगो दप्रेखकर और जगतम करा उपहरास सहकर भश्री
यप्रे परार बनप्रे हह ए हमैं॥3॥
* रराम पपुनश्रीत हबषय रस रूखप्रे। लगोलपुप भपूहम भगोग कप्रे भपूखप्रे॥
कहहूँ लहग कहजौं हृदय कहठनराई। हनदरर कपु हलसपु जप्रेहहमं लहश्री बडराई॥4॥
भरावरारर्ण:-(इसकरा यहश्री करारर हहै हक यप्रे परार) शश्री रराम रूपश्री पहवत्र हवषय रस ममें
आसक्त नहहीं हमैं। यप्रे लरालचश्री भपूहम और भगोगर कप्रे हश्री भपूखप्रे हमैं। ममैं अपनप्रे हृदय ककी
कठगोरतरा कहराहूँ तक कहह हूँ? हजसनप्रे वज्र करा भश्री हतरस्करार करकप्रे बडराई पराई हहै॥4॥
दगोहरा :
* करारन तमें करारजपु कहठन हगोइ दगोसपु नहहमं मगोर।
कपु हलस अहस्र तमें उपल तमें लगोह करराल कठगोर॥179॥
भरावरारर्ण:-करारर सप्रे करायर्ण कहठन हगोतरा हश्री हहै, इसममें मप्रेररा दगोष नहहीं। हडश्री सप्रे वज्र और
पत्रर सप्रे लगोहरा भयरानक और कठगोर हगोतरा हहै॥ 179॥
चरौपराई :
* कहै कप्रे ई भव तनपु अनपुररागप्रे। परावहूँर परान अघराइ अभरागप्रे॥
जजौं हपय हबरहहूँ परान हपय लरागप्रे। दप्रेखब सपुनब बहह त अब आगप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री सप्रे उत्पन्न दप्रेह ममें पप्रेम करनप्रे वरालप्रे यप्रे परामर परार भरपप्रेट (पपूरश्री तरह
सप्रे) अभरागप्रे हमैं। जब हपय कप्रे हवयगोग ममें भश्री मपुझप्रे परार हपय लग रहप्रे हमैं , तब अभश्री
आगप्रे ममैं और भश्री बहह त कपु छ दप्रेखहूँपू-सपुनपूहूँगरा॥1॥
* लखन रराम हसय कहह हूँ बनपु दश्रीन्हरा। पठइ अमरपपुर पहत हहत ककीन्हरा॥
लश्रीन्ह हबधवपन अपजसपु आपपू। दश्रीन्हप्रेउ पजहह सगोकपु समंतरापपू॥2॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मर, शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री कगो तगो वन हदयरा, स्वगर्ण भप्रेजकर पहत करा
कल्यरार हकयरा, स्वयमं हवधवरापन और अपयश हलयरा, पजरा कगो शगोक और समंतराप
हदयरा,॥2॥
* मगोहह दश्रीन्ह सपुखपु सपुजसपु सपुरराजपू। ककीन्ह कहै कई मं सब कर कराजपू॥
ऐहह तमें मगोर कराह अब नश्रीकरा। तप्रेहह पर दप्रेन कहहह तपुम्ह टश्रीकरा॥3॥
भरावरारर्ण:-और मपुझप्रे सपुख, सपुदमं र यश और उरम रराज्य हदयरा! कहै कप्रे यश्री नप्रे सभश्री करा
कराम बनरा हदयरा! इससप्रे अच्छरा अब मप्रेरप्रे हलए और क्यरा हगोगरा? उस पर भश्री आप
लगोग मपुझप्रे रराजहतलक दप्रेनप्रे कगो कहतप्रे हमैं!॥3॥
* कहै कइ जठर जनहम जग मराहहीं। यह मगोहह कहहूँ कछपु अनपुहचत नराहहीं॥
मगोरर बरात सब हबहधहहमं बनराई। पजरा पराहूँच कत करहह सहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-कहै कयश्री कप्रे पप्रेट सप्रे जगतम ममें जन्म लप्रेकर यह मप्रेरप्रे हलए कपु छ भश्री अनपुहचत नहहीं
हहै। मप्रेरश्री सब बरात तगो हवधरातरा नप्रे हश्री बनरा दश्री हहै। (हफिर) उसममें पजरा और पमंच (आप
लगोग) क्यर सहरायतरा कर रहप्रे हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* गह गहश्रीत पपुहन बरात बस तप्रेहह पपुहन बश्रीछश्री मरार।
तप्रेहह हपआइअ बरारनश्री कहहह कराह उपचरार॥180॥
भरावरारर्ण:-हजसप्रे कपु गह लगप्रे हर (अरवरा जगो हपशराचगस्त हगो), हफिर जगो वरायरपु गोग सप्रे
पश्रीहडत हगो और उसश्री कगो हफिर हबच्छपू डमंक मरार दप्रे, उसकगो यहद महदररा हपलराई जराए,
तगो कहहए यह कहै सरा इलराज हहै!॥180॥
चरौपराई :
* कहै कइ सपुअन जगोगपु जग जगोई। चतपुर हबरमंहच दश्रीन्ह मगोहह सगोई॥
दसरर तनय रराम लघपु भराई। दश्रीहन्ह मगोहह हबहध बराहद बडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-कहै कप्रे यश्री कप्रे लडकप्रे कप्रे हलए समंसरार ममें जगो कपु छ यगोग्य ररा, चतपुर हवधरातरा नप्रे
मपुझप्रे वहश्री हदयरा। पर 'दशररजश्री करा पपुत्र' और 'रराम करा छगोटरा भराई' हगोनप्रे ककी बडराई
मपुझप्रे हवधरातरा नप्रे व्यरर्ण हश्री दश्री॥1॥
* तपुम्ह सब कहहह कढरावन टश्रीकरा। रराय रजरायसपु सब कहहूँ नश्रीकरा॥
उतर दप्रेउहूँ कप्रे हह हबहध कप्रे हह कप्रे हश्री। कहहह सपुखप्रेन जररा रहच जप्रेहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-आप सब लगोग भश्री मपुझप्रे टश्रीकरा कढरानप्रे कप्रे हलए कह रहप्रे हमैं! रराजरा ककी आजरा
सभश्री कप्रे हलए अच्छश्री हहै। ममैं हकस-हकस कगो हकस-हकस पकरार सप्रे उरर दहूँ? पू हजसककी
जहैसश्री रहच हगो, आप लगोग सपुखपपूवर्णक वहश्री कहमें॥2॥
* मगोहह कपु मरातपु समप्रेत हबहराई। कहहह कहहहह कप्रे ककीन्ह भलराई॥
मगो हबनपु कगो सचरराचर मराहहीं। जप्रेहह हसय ररामपु परानहपय नराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री कपु मरातरा कहै कप्रे यश्री समप्रेत मपुझप्रे छगोडकर, कहहए और करौन कहप्रेगरा हक यह
कराम अच्छरा हकयरा गयरा? जड-चप्रेतन जगतम ममें मप्रेरप्रे हसवरा और करौन हहै, हजसकगो शश्री
सश्रीतरा-ररामजश्री परारर कप्रे समरान प्यरारप्रे न हर॥3॥
* परम हराहन सब कहहूँ बड लराहह। अहदनपु मगोर नहहमं दषपू न कराहह॥
समंसय सश्रील पप्रेम बस अहहह । सबपुइ उहचत सब जगो कछपु कहहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो परम हराहन हहै, उसश्री ममें सबकगो बडरा लराभ हदख रहरा हहै। मप्रेररा बपुररा हदन हहै
हकसश्री करा दगोष नहहीं। आप सब जगो कपु छ कहतप्रे हमैं सगो सब उहचत हश्री हहै, क्यरहक
आप लगोग समंशय, शश्रील और पप्रेम कप्रे वश हमैं॥4॥
दगोहरा :
* रराम मरातपु सपुहठ सरलहचत मगो पर पप्रेमपु हबसप्रेहष।
कहइ सपुभराय सनप्रेह बस मगोरर दश्रीनतरा दप्रेहख॥181॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री ककी मरातरा बहह त हश्री सरल हृदय हमैं और मपुझ पर उनकरा हवशप्रेष
पप्रेम हहै, इसहलए मप्रेरश्री दश्रीनतरा दप्रेखकर वप्रे स्वराभराहवक स्नप्रेहवश हश्री ऐसरा कह रहश्री हमैं॥
181॥
चरौपराई :
* गपुर हबबप्रेक सरागर जगपु जरानरा। हजन्हहह हबस्व कर बदर समरानरा॥
मगो कहहूँ हतलक सराज सज सगोऊ। भएहूँ हबहध हबमपुख हबमपुख सबपु कगोऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री जरान कप्रे समपुद हमैं, इस बरात कगो सराररा जगतम जरानतरा हहै, हजसकप्रे हलए
हवश्व हरप्रेलश्री पर रखप्रे हह ए बप्रेर कप्रे समरान हहै, वप्रे भश्री मप्रेरप्रे हलए रराजहतलक करा सराज
सज रहप्रे हमैं। सत्य हहै, हवधरातरा कप्रे हवपरश्रीत हगोनप्रे पर सब कगोई हवपरश्रीत हगो जरातप्रे हमैं॥ 1॥
* पररहरर ररामपु सश्रीय जग मराहहीं। कगोउ न कहहहह मगोर मत नराहहीं॥
सगो ममैं सपुनब सहब सपुखपु मरानश्री। अमंतहह हूँ ककीच तहराहूँ जहहूँ परानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री और सश्रीतराजश्री कगो छगोडकर जगतम ममें कगोई यह नहहीं कहप्रेगरा हक
इस अनरर्ण ममें मप्रेरश्री सम्महत नहहीं हहै। ममैं उसप्रे सपुखपपूवर्णक सपुनपूहूँगरा और सहह हूँगरा, क्यरहक
जहराहूँ परानश्री हगोतरा हहै, वहराहूँ अन्त ममें ककीचड हगोतरा हश्री हहै॥2॥
* डर न मगोहह जग कहहहह हक पगोचपू। परलगोकहह कर नराहहन सगोचपू॥
एकइ उर बस दसपु ह दवरारश्री। मगोहह लहग भप्रे हसय ररामपु दख पु रारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे इसकरा डर नहहीं हहै हक जगतम मपुझप्रे बपुररा कहप्रेगरा और न मपुझप्रे परलगोक करा
हश्री सगोच हहै। मप्रेरप्रे हृदय ममें तगो बस, एक हश्री दद्धाःपु सह दरावरानल धधक रहरा हहै हक मप्रेरप्रे
करारर शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री दद्धाःपु खश्री हह ए॥3॥
* जश्रीवन लराहह लखन भल परावरा। सबपु तहज रराम चरन मनपु लरावरा॥
मगोर जनम रघपुबर बन लरागश्री। झपूठ कराह पहछतराउहूँ अभरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जश्रीवन करा उरम लराभ तगो लक्ष्मर नप्रे परायरा, हजन्हरनप्रे सब कपु छ तजकर शश्री
ररामजश्री कप्रे चररर ममें मन लगरायरा। मप्रेररा जन्म तगो शश्री ररामजश्री कप्रे वनवरास कप्रे हलए हश्री
हह आ ररा। ममैं अभरागरा झपूठ-मपूठ क्यरा पछतरातरा हह? हूँ ॥4॥
दगोहरा :
* आपहन दरारन दश्रीनतरा कहउहूँ सबहह हसर नराइ।
दप्रेखमें हबनपु रघपुनरार पद हजय कहै जरहन न जराइ॥182॥
भरावरारर्ण:-सबकगो हसर झपुकराकर ममैं अपनश्री दरारर दश्रीनतरा कहतरा हह हूँ। शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे
चररर कप्रे दशर्णन हकए हबनरा मप्रेरप्रे जश्री ककी जलन न जराएगश्री॥ 182॥
चरौपराई :
* आन उपराउ मगोहह नहहमं सपूझरा। कगो हजय कहै रघपुबर हबनपु बपूझरा॥
एकहहमं आहूँक इहइ मन मराहहीं। परातकराल चहलहउहूँ पभपु पराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे दस
पू ररा कगोई उपराय नहहीं सपूझतरा। शश्री रराम कप्रे हबनरा मप्रेरप्रे हृदय ककी बरात
करौन जरान सकतरा हहै? मन ममें एक हश्री आहूँक (हनश्चयपपूवर्णक) यहश्री हहै हक परातद्धाः कराल
शश्री ररामजश्री कप्रे परास चल दहूँगपू रा॥1॥
* जद्यहप ममैं अनभल अपरराधश्री। भहै मगोहह करारन सकल उपराधश्री॥
तदहप सरन सनमपुख मगोहह दप्रेखश्री। छहम सब कररहहहमं कमृ परा हबसप्रेषश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप ममैं बपुररा हह हूँ और अपरराधश्री हह हूँ और मप्रेरप्रे हश्री करारर यह सब उपदव हहआ
हहै, तरराहप शश्री ररामजश्री मपुझप्रे शरर ममें सम्मपुख आयरा हह आ दप्रेखकर सब अपरराध क्षमरा
करकप्रे मपुझ पर हवशप्रेष कमृ परा करमेंगप्रे॥2॥
* सश्रील सकपु च सपुहठ सरल सपुभराऊ। कमृ परा सनप्रेह सदन रघपुरराऊ॥
अररहह क अनभल ककीन्ह न ररामरा। ममैं हससपु सप्रेवक जद्यहप बरामरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री शश्रील, समंकगोच, अत्यन्त सरल स्वभराव, कमृ परा और स्नप्रेह कप्रे
घर हमैं। शश्री ररामजश्री नप्रे कभश्री शत्रपु करा भश्री अहनष्टि नहहीं हकयरा। ममैं यद्यहप टप्रेढरा हह हूँ, पर हह हूँ
तगो उनकरा बचरा और गपुलराम हश्री॥3॥
*तपुम्ह पहै पराहूँच मगोर भल मरानश्री। आयसपु आहसष दप्रेहह सपुबरानश्री॥
जप्रेहहमं सपुहन हबनय मगोहह जनपु जरानश्री। आवहहमं बहह रर ररामपु रजधरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-आप पमंच (सब) लगोग भश्री इसश्री ममें मप्रेररा कल्यरार मरानकर सपुमंदर वरारश्री सप्रे
आजरा और आशश्रीवरादर्ण दश्रीहजए, हजसममें मप्रेरश्री हवनतश्री सपुनकर और मपुझप्रे अपनरा दरास
जरानकर शश्री ररामचन्दजश्री रराजधरानश्री कगो लरौट आवमें॥4॥
दगोहरा :
* जद्यहप जनमपु कपु मरातपु तमें ममैं सठपु सदरा सदगोस।
आपन जराहन न त्यराहगहहहमं मगोहह रघपुबश्रीर भरगोस॥183॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप मप्रेररा जन्म कपु मरातरा सप्रे हहआ हहै और ममैं दष्टिपु तररा सदरा दगोषयक्त पु भश्री हह,हूँ
तगो भश्री मपुझप्रे शश्री ररामजश्री करा भरगोसरा हहै हक वप्रे मपुझप्रे अपनरा जरानकर त्यरागमेंगप्रे नहहीं॥ 183॥
चरौपराई :
* भरत बचन सब कहहूँ हपय लरागप्रे। रराम सनप्रेह सपुधराहूँ जनपु परागप्रे॥
लगोग हबयगोग हबषम हबष दरागप्रे। ममंत्र सबश्रीज सपुनत जनपु जरागप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे वचन सबकगो प्यरारप्रे लगप्रे। मरानगो वप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे पप्रेमरूपश्री अममृत ममें
पगप्रे हह ए रप्रे। शश्री ररामहवयगोग रूपश्री भश्रीषर हवष सप्रे सब लगोग जलप्रे हहए रप्रे। वप्रे मरानगो बश्रीज
सहहत ममंत्र कगो सपुनतप्रे हश्री जराग उठप्रे॥1॥
* मरातपु सहचव गपुर पपुर नर नरारश्री। सकल सनप्रेहहूँ हबकल भए भरारश्री॥
भरतहह कहहहमं सरराहह सरराहश्री। रराम पप्रेम मपूरहत तनपु आहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा, ममंत्रश्री, गपुर, नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष सभश्री स्नप्रेह कप्रे करारर बहह त हश्री
व्यराकपुल हगो गए। सब भरतजश्री कगो सरराह-सरराहकर कहतप्रे हमैं हक आपकरा शरश्रीर शश्री
ररामपप्रेम ककी सराक्षरात मपूहतर्ण हश्री हहै॥2॥
* तरात भरत अस कराहप्रे न कहहह । परान समरान रराम हपय अहहह ॥
जगो परावहूँर अपनश्री जडतराई।मं तपुम्हहह सपुगराइ मरातपु कपु हटलराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात भरत! आप ऐसरा क्यर न कहमें। शश्री ररामजश्री कगो आप परारर कप्रे समरान
प्यरारप्रे हमैं। जगो नश्रीच अपनश्री मपूखर्णतरा सप्रे आपककी मरातरा कहै कप्रे यश्री ककी कपु हटलतरा कगो लप्रेकर
आप पर सन्दप्रेह करप्रेगरा,॥3॥
* सगो सठपु कगोहटक पपुरष समप्रेतरा। बहसहह कलप सत नरक हनकप्रे तरा॥
अहह अघ अवगपुन नहहमं महन गहई। हरइ गरल दख पु दराररद दहई॥4॥
भरावरारर्ण:-वह दष्टिपु करगोडर पपुरखर सहहत सरौ कल्पर तक नरक कप्रे घर ममें हनवरास करप्रेगरा।
सराहूँप कप्रे पराप और अवगपुर कगो महर नहहीं गहर करतश्री , बहल्क वह हवष कगो हर लप्रेतश्री
हहै और दद्धाःपु ख तररा दररदतरा कगो भस्म कर दप्रेतश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* अवहस चहलअ बन ररामपु जहहूँ भरत ममंत्रपु भल ककीन्ह।
सगोक हसमंधपु बपूडत सबहह तपुम्ह अवलमंबनपु दश्रीन्ह॥184॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरतजश्री! वन कगो अवश्य चहलए, जहराहूँ शश्री ररामजश्री हमैं, आपनप्रे बहह त
अच्छश्री सलराह हवचरारश्री। शगोक समपुद ममें डपू बतप्रे हह ए सब लगोगर कगो आपनप्रे (बडरा) सहराररा
दप्रे हदयरा॥184॥
चरौपराई :
* भरा सब कमें मन मगोद पु न रगोररा। जनपु घन धपुहन सपुहन चरातक मगोररा॥
चलत परात लहख हनरनउ नश्रीकप्रे। भरतपु परानहपय भप्रे सबहश्री कप्रे ॥1॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे मन ममें कम आनमंद नहहीं हह आ (अररार्णत बहह त हश्री आनमंद हहआ)! मरानगो
मप्रेघर ककी गजर्णनरा सपुनकर चरातक और मगोर आनमंहदत हगो रहप्रे हर। (दस पू रप्रे हदन) परातद्धाःकराल
चलनप्रे करा सपुमंदर हनरर्णय दप्रेखकर भरतजश्री सभश्री कगो परारहपय हगो गए॥1॥
* मपुहनहह बमंहद भरतहह हसर नराई। चलप्रे सकल घर हबदरा करराई॥
धन्य भरत जश्रीवनपु जग मराहहीं। सश्रीलपु सनप्रेहह सरराहत जराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-मपुहन वहशषजश्री ककी वमंदनरा करकप्रे और भरतजश्री कगो हसर नवराकर, सब लगोग
हवदरा लप्रेकर अपनप्रे-अपनप्रे घर कगो चलप्रे। जगत ममें भरतजश्री करा जश्रीवन धन्य हहै , इस
पकरार कहतप्रे हहए वप्रे उनकप्रे शश्रील और स्नप्रेह ककी सरराहनरा करतप्रे जरातप्रे हमैं॥ 2॥
* कहहहमं परसपर भरा बड कराजपू। सकल चलहै कर सराजहहमं सराजपू॥
जप्रेहह रराखहहमं रहह घर रखवरारश्री। सगो जरानइ जनपु गरदहन मरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आपस ममें कहतप्रे हमैं, बडरा कराम हहआ। सभश्री चलनप्रे ककी तहैयरारश्री करनप्रे लगप्रे।
हजसकगो भश्री घर ककी रखवरालश्री कप्रे हलए रहगो, ऐसरा कहकर रखतप्रे हमैं, वहश्री समझतरा हहै
मरानगो मप्रेरश्री गदर्णन मरारश्री गई॥3॥
* कगोउ कह रहन कहहअ नहहमं कराहह। कगो न चहइ जग जश्रीवन लराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-कगोई-कगोई कहतप्रे हमैं- रहनप्रे कप्रे हलए हकसश्री कगो भश्री मत कहगो, जगत ममें जश्रीवन
करा लराभ करौन नहहीं चराहतरा?॥4॥
अयगोध्यरावराहसयर सहहत शश्री भरत-शत्रपुघ्न आहद करा वनगमन
दगोहरा :
* जरउ सगो समंपहत सदन सपुखपु सपुहृद मरातपु हपतपु भराइ।
सनमपुख हगोत जगो रराम पद करहै न सहस सहराइ॥185॥
भरावरारर्ण:-वह सम्पहर, घर, सपुख, हमत्र, मरातरा, हपतरा, भराई जल जराए जगो शश्री
ररामजश्री कप्रे चररर कप्रे सम्मपुख हगोनप्रे ममें हहूँसतप्रे हह ए (पसन्नतरापपूवर्णक) सहरायतरा न करप्रे॥
185॥
चरौपराई :
* घर घर सराजहहमं बराहन नरानरा। हरषपु हृदयहूँ परभरात पयरानरा॥
भरत जराइ घर ककीन्ह हबचरारू। नगर बराहज गज भवन भहूँडरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-घर-घर लगोग अनप्रेकर पकरार ककी सवराररयराहूँ सजरा रहप्रे हमैं। हृदय ममें (बडरा) हषर्ण
हहै हक सबप्रेरप्रे चलनरा हहै। भरतजश्री नप्रे घर जराकर हवचरार हकयरा हक नगर घगोडप्रे , हरारश्री,
महल-खजरानरा आहद-॥1॥
* समंपहत सब रघपुपहत कहै आहश्री। जजौं हबनपु जतन चलजौं तहज तराहश्री॥
तरौ पररनराम न मगोरर भलराई। पराप हसरगोमहन सराइहूँ दगोहराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सरारश्री सम्पहर शश्री रघपुनरारजश्री ककी हहै। यहद उसककी (रक्षरा ककी) व्यवस्ररा हकए
हबनरा उसप्रे ऐसप्रे हश्री छगोडकर चल द,हूँपू तगो परररराम ममें मप्रेरश्री भलराई नहहीं हहै, क्यरहक
स्वरामश्री करा दगोह सब परापर ममें हशरगोमहर (शप्रेष) हहै॥2॥
* करइ स्वराहम हहत सप्रेवकपु सगोई। दषपू न कगोहट दप्रेइ हकन कगोई॥
अस हबचरारर सपुहच सप्रेवक बगोलप्रे। जप्रे सपनप्रेहहहूँ हनज धरम न डगोलप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक वहश्री हहै, जगो स्वरामश्री करा हहत करप्रे, चराहप्रे कगोई करगोडर दगोष क्यर न दप्रे।
भरतजश्री नप्रे ऐसरा हवचरारकर ऐसप्रे हवश्वरासपरात्र सप्रेवकर कगो बपुलरायरा, जगो कभश्री स्वप्न ममें भश्री
अपनप्रे धमर्ण सप्रे नहहीं हडगप्रे रप्रे॥3॥
* कहह सबपु मरमपु धरमपु भल भराषरा। जगो जप्रेहह लरायक सगो तप्रेहहमं रराखरा॥
करर सबपु जतनपु रराहख रखवरारप्रे। रराम मरातपु पहहमं भरतपु हसधरारप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे उनकगो सब भप्रेद समझराकर हफिर उरम धमर्ण बतलरायरा और जगो
हजस यगोग्य ररा, उसप्रे उसश्री कराम पर हनयक्त पु कर हदयरा। सब व्यवस्ररा करकप्रे , रक्षकर
कगो रखकर भरतजश्री रराम मरातरा करौसल्यराजश्री कप्रे परास गए॥4॥
दगोहरा :
* आरत जननश्री जराहन सब भरत सनप्रेह सपुजरान।
कहप्रेउ बनरावन परालककीमं सजन सपुखरासन जरान॥186॥
भरावरारर्ण:-स्नप्रेह कप्रे सपुजरान (पप्रेम कप्रे तत्व कगो जराननप्रे वरालप्रे) भरतजश्री नप्रे सब मरातराओमं कगो
आतर्ण (दद्धाःपु खश्री) जरानकर उनकप्रे हलए परालहकयराहूँ तहैयरार करनप्रे तररा सपुखरासन यरान
(सपुखपराल) सजरानप्रे कप्रे हलए कहरा॥186॥
चरौपराई :
* चक्क चहक्क हजहम पपुर नर नरारश्री। चहत परात उर आरत भरारश्री॥
जरागत सब हनहस भयउ हबहरानरा। भरत बगोलराए सहचव सपुजरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे नर-नरारश्री चकवप्रे-चकवश्री ककी भराहूँहत हृदय ममें अत्यन्त आतर्ण हगोकर
परातद्धाःकराल करा हगोनरा चराहतप्रे हमैं। सरारश्री ररात जरागतप्रे -जरागतप्रे सबप्रेररा हगो गयरा। तब भरतजश्री नप्रे
चतपुर ममंहत्रयर कगो बपुलवरायरा॥1॥
* कहप्रेउ लप्रेहह सबपु हतलक समराजपू। बनहहमं दप्रेब मपुहन ररामहह रराजपू॥
बप्रेहग चलहह सपुहन सहचव जगोहरारप्रे। तपुरत तपुरग रर नराग सहूँवरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-और कहरा- हतलक करा सब सरामरान लप्रे चलगो। वन ममें हश्री मपुहन वहशषजश्री शश्री
ररामचन्दजश्री कगो रराज्य दमेंगप्रे, जल्दश्री चलगो। यह सपुनकर ममंहत्रयर नप्रे वमंदनरा ककी और तपुरमंत
घगोडप्रे, रर और हरारश्री सजवरा हदए॥2॥
* अरमंधतश्री अर अहगहन समराऊ। रर चहढ चलप्रे परम मपुहनरराऊ॥
हबप बमृमंद चहढ बराहन नरानरा। चलप्रे सकल तप तप्रेज हनधरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सबसप्रे पहलप्रे मपुहनरराज वहशषजश्री अरमंधतश्री और अहग्निहगोत्र ककी सब सरामगश्री सहहत
रर पर सवरार हगोकर चलप्रे। हफिर ब्रराहरर कप्रे समपूह, जगो सब कप्रे सब तपस्यरा और तप्रेज
कप्रे भमंडरार रप्रे, अनप्रेकर सवराररयर पर चढकर चलप्रे॥3॥
* नगर लगोग सब सहज सहज जरानरा। हचत्रकपू ट कहहूँ ककीन्ह पयरानरा॥
हसहबकरा सपुभग न जराहहमं बखरानश्री। चहढ चहढ चलत भई मं सब ररानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे सब लगोग ररर कगो सजरा-सजराकर हचत्रकपू ट कगो चल पडप्रे। हजनकरा
वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, ऐसश्री सपुदमं र परालहकयर पर चढ-चढकर सब रराहनयराहूँ चलहीं॥4॥
दगोहरा :
* सजौंहप नगर सपुहच सप्रेवकहन सरादर सकल चलराइ।
सपुहमरर रराम हसय चरन तब चलप्रे भरत दगोउ भराइ॥187॥
भरावरारर्ण:-हवश्वरासपरात्र सप्रेवकर कगो नगर सजौंपकर और सबकगो आदरपपूवर्णक रवरानरा करकप्रे ,
तब शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चररर कगो स्मरर करकप्रे भरत-शत्रपुघ्न दगोनर भराई चलप्रे॥187॥
चरौपराई :
* रराम दरस बस सब नर नरारश्री। जनपु करर कररहन चलप्रे तहक बरारश्री॥
बन हसय ररामपु समपुहझ मन मराहहीं। सरानपुज भरत पयरादप्रेहहमं जराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन कप्रे वश ममें हहए (दशर्णन ककी अनन्य लरालसरा सप्रे) सब
नर-नरारश्री ऐसप्रे चलप्रे मरानगो प्यरासप्रे हरारश्री-हहरनश्री जल कगो तककर (बडश्री तप्रेजश्री सप्रे बरावलप्रे सप्रे
हह ए) जरा रहप्रे हर। शश्री सश्रीतराजश्री-ररामजश्री (सब सपुखर कगो छगोडकर) वन ममें हमैं, मन ममें
ऐसरा हवचरार करकप्रे छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्नजश्री सहहत भरतजश्री पहैदल हश्री चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥ 1॥
*दप्रेहख सनप्रेहह लगोग अनपुररागप्रे। उतरर चलप्रे हय गय रर त्यरागप्रे॥
जराइ समश्रीप रराहख हनज डगोलश्री। रराम मरातपु ममृद पु बरानश्री बगोलश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-उनकरा स्नप्रेह दप्रेखकर लगोग पप्रेम ममें मग्नि हगो गए और सब घगोडप्रे , हरारश्री, ररर
कगो छगोडकर उनसप्रे उतरकर पहैदल चलनप्रे लगप्रे। तब शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा
करौसल्यराजश्री भरत कप्रे परास जराकर और अपनश्री परालककी उनकप्रे समश्रीप खडश्री करकप्रे कगोमल
वरारश्री सप्रे बगोलहीं-॥2॥
* तरात चढहह रर बहल महतरारश्री। हगोइहह हपय पररवरार दख पु रारश्री॥
तपुम्हरमें चलत चहलहह सबपु लगोगपू। सकल सगोक कमृ स नहहमं मग जगोगपू॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे बप्रेटरा! मरातरा बलहैयरा लप्रेतश्री हहै, तपुम रर पर चढ जराओ। नहहीं तगो सराररा
पररवरार दद्धाःपु खश्री हगो जराएगरा। तपुम्हरारप्रे पहैदल चलनप्रे सप्रे सभश्री लगोग पहैदल चलमेंगप्रे। शगोक कप्रे
मरारप्रे सब दबपु लप्रे हगो रहप्रे हमैं, पहैदल ररास्तप्रे कप्रे (पहैदल चलनप्रे कप्रे ) यगोग्य नहहीं हमैं॥3॥
* हसर धरर बचन चरन हसर नराई। रर चहढ चलत भए दगोउ भराई॥
तमसरा परम हदवस करर बरासपू। दस पू र गगोमहत तश्रीर हनवरासपू॥4॥
भरावरारर्ण:-मरातरा ककी आजरा कगो हसर चढराकर और उनकप्रे चररर ममें हसर नवराकर दगोनर
भराई रर पर चढकर चलनप्रे लगप्रे। पहलप्रे हदन तमसरा पर वरास (मपुकराम) करकप्रे दस पू ररा
मपुकराम गगोमतश्री कप्रे तश्रीर पर हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* पय अहरार फिल असन एक हनहस भगोजन एक लगोग।
करत रराम हहत नप्रेम ब्रत पररहरर भपूषन भगोग॥188॥
भरावरारर्ण:-कगोई दधपू हश्री पश्रीतप्रे, कगोई फिलराहरार करतप्रे और कपु छ लगोग ररात कगो एक हश्री
बरार भगोजन करतप्रे हमैं। भपूषर और भगोग -हवलरास कगो छगोडकर सब लगोग शश्री ररामचन्दजश्री
कप्रे हलए हनयम और व्रत करतप्रे हमैं॥188॥
हनषराद ककी शमंकरा और सरावधरानश्री
चरौपराई :
* सई तश्रीर बहस चलप्रे हबहरानप्रे। समृमंगबप्रेरपपुर सब हनअररानप्रे॥
समराचरार सब सपुनप्रे हनषरादरा। हृदयहूँ हबचरार करइ सहबषरादरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ररात भर सई नदश्री कप्रे तश्रीर पर हनवरास करकप्रे सबप्रेरप्रे वहराहूँ सप्रे चल हदए और
सब शमृगमं वप्रेरपपुर कप्रे समश्रीप जरा पहह हूँचप्रे। हनषरादरराज नप्रे सब समराचरार सपुनप्रे, तगो वह दद्धाःपु खश्री
हगोकर हृदय ममें हवचरार करनप्रे लगरा-॥1॥
* करारन कवन भरतपु बन जराहहीं। हहै कछपु कपट भराउ मन मराहहीं॥
जजौं पहै हजयहूँ न हगोहत कपु हटलराई। तरौ कत लश्रीन्ह समंग कटकराई॥2॥
भरावरारर्ण:-क्यरा करारर हहै जगो भरत वन कगो जरा रहप्रे हमैं, मन ममें कपु छ कपट भराव अवश्य
हहै। यहद मन ममें कपु हटलतरा न हगोतश्री, तगो सरार ममें सप्रेनरा क्यर लप्रे चलप्रे हमैं॥2॥
* जरानहहमं सरानपुज ररामहह मरारश्री। करउहूँ अकमंटक रराजपु सपुखरारश्री॥
भरत न रराजनश्रीहत उर आनश्री। तब कलमंकपु अब जश्रीवन हरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-समझतप्रे हमैं हक छगोटप्रे भराई लक्ष्मर सहहत शश्री रराम कगो मरारकर सपुख सप्रे
हनष्कण्टक रराज्य करूहूँगरा। भरत नप्रे हृदय ममें रराजनश्रीहत कगो स्ररान नहहीं हदयरा (रराजनश्रीहत
करा हवचरार नहहीं हकयरा)। तब (पहलप्रे) तगो कलमंक हश्री लगरा ररा, अब तगो जश्रीवन सप्रे हश्री
हरार धगोनरा पडप्रेगरा॥3॥
* सकल सपुररासपुर जपुरहहमं जपुझराररा। ररामहह समर न जश्रीतहनहराररा॥
करा आचरजपु भरतपु अस करहहीं। नहहमं हबष बप्रेहल अहमअ फिल फिरहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सम्पपूरर्ण दप्रेवतरा और दहैत्य वश्रीर जपुट जराएहूँ, तगो भश्री शश्री ररामजश्री कगो रर ममें जश्रीतनप्रे
वरालरा कगोई नहहीं हहै। भरत जगो ऐसरा कर रहप्रे हमैं , इसममें आश्चयर्ण हश्री क्यरा हहै? हवष ककी
बप्रेलमें अममृतफिल कभश्री नहहीं फिलतहीं!॥4॥
दगोहरा :
* अस हबचरारर गपुहहूँ ग्यराहत सन कहप्रेउ सजग सब हगोहह ।
हरवराहूँसहह बगोरहह तरहन ककीहजअ घराटरारगोहह॥189॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा हवचरारकर गपुह (हनषरादरराज) नप्रे अपनश्री जराहत वरालर सप्रे कहरा हक सब
लगोग सरावधरान हगो जराओ। नरावर कगो हरार ममें (कब्जप्रे ममें) कर लगो और हफिर उन्हमें डपु बरा
दगो तररा सब घराटर कगो रगोक दगो॥189॥
चरौपराई :
* हगोहह सहूँजगोइल रगोकहह घराटरा। ठराटहह सकल मरहै कप्रे ठराटरा॥
सनमपुख लगोह भरत सन लप्रेऊहूँ। हजअत न सपुरसरर उतरन दप्रेऊहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुसहजत हगोकर घराटर कगो रगोक लगो और सब लगोग मरनप्रे कप्रे सराज सजरा लगो
(अररार्णत भरत सप्रे यद पु ममें लडकर मरनप्रे कप्रे हलए तहैयरार हगो जराओ)। ममैं भरत सप्रे सरामनप्रे
(महैदरान ममें) लगोहरा लपूहूँगरा (मपुठभप्रेड करूहूँगरा) और जश्रीतप्रे जश्री उन्हमें गमंगरा परार न उतरनप्रे
दहूँगपू रा॥1॥
* समर मरनपु पपुहन सपुरसरर तश्रीररा। रराम कराजपु छनभमंगपु सरश्रीररा॥
भरत भराइ नमृपपु ममैं जन नश्रीचपू। बडमें भराग अहस पराइअ मश्रीचपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यद पु ममें मरर, हफिर गमंगराजश्री करा तट, शश्री ररामजश्री करा कराम और क्षरभमंगपुर
शरश्रीर (जगो चराहप्रे जब नराश हगो जराए), भरत शश्री ररामजश्री कप्रे भराई और रराजरा (उनकप्रे
हरार सप्रे मरनरा) और ममैं नश्रीच सप्रेवक- बडप्रे भराग्य सप्रे ऐसश्री ममृत्य पु हमलतश्री हहै॥2॥
* स्वराहम कराज कररहउहूँ रन ररारश्री। जस धवहलहउहूँ भपुवन दस चरारश्री॥
तजउहूँ परान रघपुनरार हनहगोरमें। दहपु ह हूँ हरार मपुद मगोदक मगोरमें॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं स्वरामश्री कप्रे कराम कप्रे हलए रर ममें लडराई करूहूँगरा और चरौदहर लगोकर कगो
अपनप्रे यश सप्रे उज्ज्वल कर दगहूँपू रा। शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हनहमर परार त्यराग दगहूँपू रा। मप्रेरप्रे तगो
दगोनर हश्री हरारर ममें आनमंद कप्रे लडह हमैं (अररार्णत जश्रीत गयरा तगो रराम सप्रेवक करा यश पराप्त
करूहूँगरा और मराररा गयरा तगो शश्री ररामजश्री ककी हनत्य सप्रेवरा पराप्त करूहूँगरा)॥3॥
* सराधपु समराज न जराकर लप्रेखरा। रराम भगत महह हूँ जरासपु न रप्रेखरा॥
जरायहूँ हजअत जग सगो महह भरारू। जननश्री जरौबन हबटप कपु ठरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-सराधओ पु मं कप्रे समराज ममें हजसककी हगनतश्री नहहीं और शश्री ररामजश्री कप्रे भक्तर ममें
हजसकरा स्ररान नहहीं, वह जगत ममें पमृथ्वश्री करा भरार हगोकर व्यरर्ण हश्री जश्रीतरा हहै। वह मरातरा
कप्रे यरौवन रूपश्री वमृक्ष कप्रे कराटनप्रे कप्रे हलए कपु ल्हराडरा मरात्र हहै॥4॥
दगोहरा :
* हबगत हबषराद हनषरादपहत सबहह बढराइ उछराहह।
सपुहमरर रराम मरागप्रेउ तपुरत तरकस धनपुष सनराहह॥190॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार शश्री ररामजश्री कप्रे हलए परार समपर्णर करा हनश्चय करकप्रे ) हनषरादरराज
हवषराद सप्रे रहहत हगो गयरा और सबकरा उत्सराह बढराकर तररा शश्री ररामचन्दजश्री करा स्मरर
करकप्रे उसनप्रे तपुरमंत हश्री तरकस, धनपुष और कवच मराहूँगरा॥190॥
चरौपराई :
* बप्रेगहह भराइहह सजहह सहूँजगोऊ। सपुहन रजराइ कदरराइ न कगोऊ॥
भलप्रेहहमं नरार सब कहहहमं सहरषरा। एकहहमं एक बढरावइ करषरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(उसनप्रे कहरा-) हप्रे भराइयर! जल्दश्री करगो और सब सरामरान सजराओ। मप्रेरश्री
आजरा सपुनकर कगोई मन ममें करायरतरा न लरावप्रे। सब हषर्ण कप्रे सरार बगोल उठप्रे- हप्रे नरार!
बहह त अच्छरा और आपस ममें एक-दस पू रप्रे करा जगोश बढरानप्रे लगप्रे॥1॥
* चलप्रे हनषराद जगोहरारर जगोहरारश्री। सपूर सकल रन रूचइ ररारश्री॥
सपुहमरर रराम पद पमंकज पनहहीं। भरारहीं बराहूँहध चढराइहन्ह धनहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज कगो जगोहरार कर-करकप्रे सब हनषराद चलप्रे। सभश्री बडप्रे शपूरवश्रीर हमैं और
समंगराम ममें लडनरा उन्हमें बहह त अच्छरा लगतरा हहै। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररकमलर ककी
जपूहतयर करा स्मरर करकप्रे उन्हरनप्रे भराहरयराहूँ (छगोटप्रे-छगोटप्रे तरकस) बराहूँधकर धनपुहहयर
(छगोटप्रे-छगोटप्रे धनपुषर) पर पत्यमंचरा चढराई॥2॥
* अहूँगरश्री पहहरर कपूहूँ हड हसर धरहहीं। फिरसरा बराहूँस सप्रेल सम करहहीं॥
एक कपु सल अहत ओडन खराहूँडप्रे। कपू दहहमं गगन मनहह हूँ हछहत छराडहूँ प्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-कवच पहनकर हसर पर लगोहप्रे करा टगोप रखतप्रे हमैं और फिरसप्रे , भरालप्रे तररा
बरछर कगो सश्रीधरा कर रहप्रे हमैं (सपुधरार रहप्रे हमैं)। कगोई तलवरार कप्रे वरार रगोकनप्रे ममें अत्यन्त
हश्री कपु शल हहै। वप्रे ऐसप्रे उममंग ममें भरप्रे हमैं, मरानगो धरतश्री छगोडकर आकराश ममें कपू द (उछल)
रहप्रे हर॥3॥
* हनज हनज सराजपु समराजपु बनराई। गपुह रराउतहह जगोहरारप्रे जराई॥
दप्रेहख सपुभट सब लरायक जरानप्रे। लहै लहै नराम सकल सनमरानप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अपनरा-अपनरा सराज-समराज (लडराई करा सरामरान और दल) बनराकर उन्हरनप्रे
जराकर हनषरादरराज गपुह कगो जगोहरार ककी। हनषरादरराज नप्रे सपुदमं र यगोदराओमं कगो दप्रेखकर,
सबकगो सपुयगोग्य जरानरा और नराम लप्रे-लप्रेकर सबकरा सम्मरान हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* भराइहह लरावहह धगोख जहन आजपु कराज बड मगोहह।
सपुहन सरगोष बगोलप्रे सपुभट बश्रीर अधश्रीर न हगोहह॥191॥
भरावरारर्ण:-(उसनप्रे कहरा-) हप्रे भराइयर! धगोखरा न लरानरा (अररार्णत मरनप्रे सप्रे न घबडरानरा),
आज मप्रेररा बडरा भरारश्री कराम हहै। यह सपुनकर सब यगोदरा बडप्रे जगोश कप्रे सरार बगोल उठप्रे-
हप्रे वश्रीर! अधश्रीर मत हगो॥191॥
चरौपराई :
* रराम पतराप नरार बल तगोरप्रे। करहहमं कटकपु हबनपु भट हबनपु घगोरप्रे॥
जश्रीवन पराउ न पराछमें धरहहीं। रमंड मपुमंडमय मप्रेहदहन करहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे पतराप सप्रे और आपकप्रे बल सप्रे हम लगोग भरत
ककी सप्रेनरा कगो हबनरा वश्रीर और हबनरा घगोडप्रे ककी कर दमेंगप्रे (एक-एक वश्रीर और एक-एक
घगोडप्रे कगो मरार डरालमेंगप्रे)। जश्रीतप्रे जश्री पश्रीछप्रे पराहूँव न रखमेंगप्रे। पमृथ्वश्री कगो रण्ड-मपुण्डमयश्री कर
दमेंगप्रे (हसरर और धडर सप्रे छरा दमेंगप्रे)॥1॥
* दश्रीख हनषरादनरार भल टगोलपू। कहप्रेउ बजराउ जपुझराऊ ढगोलपू॥
एतनरा कहत छहींक भइ बराहूँए। कहप्रेउ सगपुहनअन्ह खप्रेत सपुहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज नप्रे वश्रीरर करा बहढयरा दल दप्रेखकर कहरा- जपुझरारू (लडराई करा) ढगोल
बजराओ। इतनरा कहतप्रे हश्री बराई मं ओर छहींक हहई। शकपु न हवचरारनप्रे वरालर नप्रे कहरा हक खप्रेत
सपुमंदर हमैं (जश्रीत हगोगश्री)॥2॥
* बपूढपु एकपु कह सगपुन हबचरारश्री। भरतहह हमहलअ न हगोइहह ररारश्री॥
ररामहह भरतपु मनरावन जराहहीं। सगपुन कहइ अस हबगहह नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-एक बपूढप्रे नप्रे शकपु न हवचरारकर कहरा- भरत सप्रे हमल लश्रीहजए, उनसप्रे लडराई नहहीं
हगोगश्री। भरत शश्री ररामचन्दजश्री कगो मनरानप्रे जरा रहप्रे हमैं। शकपु न ऐसरा कह रहरा हहै हक हवरगोध
नहहीं हहै॥3॥
* सपुहन गपुह कहइ नश्रीक कह बपूढरा। सहसरा करर पहछतराहहमं हबमपूढरा॥
भरत सपुभराउ सश्रीलपु हबनपु बपूझमें। बहड हहत हराहन जराहन हबनपु जपूझमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर हनषरादरराज गपुहनप्रे कहरा- बपूढरा ठश्रीक कह रहरा हहै। जल्दश्री ममें (हबनरा
हवचरारप्रे) कगोई कराम करकप्रे मपूखर्ण लगोग पछतरातप्रे हमैं। भरतजश्री करा शश्रील स्वभराव हबनरा
समझप्रे और हबनरा जरानप्रे यद पु करनप्रे ममें हहत ककी बहह त बडश्री हराहन हहै॥4॥
दगोहरा :
* गहहह घराट भट सहमहट सब लप्रेउहूँ मरम हमहल जराइ।
बपूहझ हमत्र अरर मध्य गहत तस तब कररहउहूँ आइ॥192॥
भरावरारर्ण:-अतएव हप्रे वश्रीरर! तपुम लगोग इकटप्रे हगोकर सब घराटर कगो रगोक लगो, ममैं जराकर
भरतजश्री सप्रे हमलकर उनकरा भप्रेद लप्रेतरा हह।हूँ उनकरा भराव हमत्र करा हहै यरा शत्रपु करा यरा
उदरासश्रीन करा, यह जरानकर तब आकर वहैसरा (उसश्री कप्रे अनपुसरार) पबमंध करूहूँगरा॥
192॥
चरौपराई :
* लखब सनप्रेहह सपुभरायहूँ सपुहराएहूँ। बहैर पश्रीहत नहहमं दरपु इहूँ दरपु राएहूँ॥
अस कहह भमेंट सहूँजगोवन लरागप्रे। कमंद मपूल फिल खग ममृग मरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे सपुदमं र स्वभराव सप्रे ममैं उनकप्रे स्नप्रेह कगो पहचरान लपूहूँगरा। वहैर और पप्रेम हछपरानप्रे
सप्रे नहहीं हछपतप्रे। ऐसरा कहकर वह भमेंट करा सरामरान सजरानप्रे लगरा। उसनप्रे कमं द, मपूल,
फिल, पक्षश्री और हहरन महूँगवराए॥1॥
* मश्रीन पश्रीन पराठश्रीन पपुररानप्रे। भरर भरर भरार कहरारन्ह आनप्रे॥
हमलन सराजपु सहज हमलन हसधराए। ममंगल मपूल सगपुन सपुभ पराए॥2॥
भरावरारर्ण:-कहरार लगोग पपुररानश्री और मगोटश्री पहहनरा नरामक मछहलयर कप्रे भरार भर-भरकर
लराए। भमेंट करा सरामरान सजराकर हमलनप्रे कप्रे हलए चलप्रे तगो ममंगलदरायक शपुभ-शकपु न हमलप्रे॥
2॥
* दप्रेहख दरपू र तमें कहह हनज नरामपू। ककीन्ह मपुनश्रीसहह दमंड पनरामपू॥
जराहन ररामहपय दश्रीहन्ह असश्रीसरा। भरतहह कहप्रेउ बपुझराइ मपुनश्रीसरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज नप्रे मपुहनरराज वहशषजश्री कगो दप्रेखकर अपनरा नराम बतलराकर द रपू हश्री सप्रे
दण्डवत परराम हकयरा। मपुनश्रीश्वर वहशषजश्री नप्रे उसकगो रराम करा प्यराररा जरानकर आशश्रीवरार्णद
हदयरा और भरतजश्री कगो समझराकर कहरा (हक यह शश्री ररामजश्री करा हमत्र हहै)॥3॥
* रराम सखरा सपुहन समंदनपु त्यरागरा। चलप्रे उचरर उमगत अनपुररागरा॥
गराउहूँ जराहत गपुहहूँ नराउहूँ सपुनराई। ककीन्ह जगोहरार मरार महह लराई॥4॥
भरावरारर्ण:-यह शश्री रराम करा हमत्र हहै, इतनरा सपुनतप्रे हश्री भरतजश्री नप्रे रर त्यराग हदयरा। वप्रे
रर सप्रे उतरकर पप्रेम ममें उमहूँगतप्रे हह ए चलप्रे। हनषरादरराज गपुह नप्रे अपनरा गराहूँव, जराहत और
नराम सपुनराकर पमृथ्वश्री पर मराररा टप्रेककर जगोहरार ककी॥ 4॥
भरत-हनषराद हमलन और समंवराद और भरतजश्री करा तररा नगरवराहसयर करा पप्रेम
दगोहरा :
* करत दमंडवत दप्रेहख तप्रेहह भरत लश्रीन्ह उर लराइ।
मनहह हूँ लखन सन भमेंट भइ पप्रेमपु न हृदयहूँ समराइ॥193॥
भरावरारर्ण:-दण्डवत करतप्रे दप्रेखकर भरतजश्री नप्रे उठराकर उसकगो छरातश्री सप्रे लगरा हलयरा। हृदय
ममें पप्रेम समरातरा नहहीं हहै, मरानगो स्वयमं लक्ष्मरजश्री सप्रे भमेंट हगो गई हगो॥193॥
चरौपराई :
* भमेंटत भरतपु तराहह अहत पश्रीतश्री। लगोग हसहराहहमं पप्रेम कहै रश्रीतश्री॥
धन्य धन्य धपुहन ममंगल मपूलरा। सपुर सरराहह तप्रेहह बररसहहमं फिपू लरा॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री गपुह कगो अत्यन्त पप्रेम सप्रे गलप्रे लगरा रहप्रे हमैं। पप्रेम ककी रश्रीहत कगो सब
लगोग हसहरा रहप्रे हमैं (ईषरार्णपपूवर्णक पशमंसरा कर रहप्रे हमैं)। ममंगल ककी मपूल 'धन्य-धन्य' ककी
ध्वहन करकप्रे दप्रेवतरा उसककी सरराहनरा करतप्रे हह ए फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं॥1॥
* लगोक बप्रेद सब भराहूँहतहहमं नश्रीचरा। जरासपु छराहूँह छपु इ लप्रेइअ सहींचरा॥
तप्रेहह भरर अमंक रराम लघपु ररातरा। हमलत पपुलक पररपपूररत गरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे कहतप्रे हमैं-) जगो लगोक और वप्रेद दगोनर ममें सब पकरार सप्रे नश्रीचरा मरानरा जरातरा
हहै, हजसककी छरायरा कप्रे छपू जरानप्रे सप्रे भश्री स्नरान करनरा हगोतरा हहै, उसश्री हनषराद सप्रे अहूँकवरार
भरकर (हृदय सप्रे हचपटराकर) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे छगोटप्रे भराई भरतजश्री (आनमंद और
पप्रेमवश) शरश्रीर ममें पपुलकरावलश्री सप्रे पररपपूरर्ण हगो हमल रहप्रे हमैं॥ 2॥
* रराम रराम कहह जप्रे जमपुहराहहीं। हतन्हहह न पराप पपुमंज समपुहराहहीं॥
यह तरौ रराम लराइ उर लश्रीन्हरा। कपु ल समप्रेत जगपु परावन ककीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग रराम-रराम कहकर जहूँभराई लप्रेतप्रे हमैं (अररार्णत आलस्य सप्रे भश्री हजनकप्रे मपुहूँह
सप्रे रराम-नराम करा उचरारर हगो जरातरा हहै), परापर कप्रे समपूह (कगोई भश्री पराप) उनकप्रे
सरामनप्रे नहहीं आतप्रे। हफिर इस गपुह कगो तगो स्वयमं शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा
और कपु ल समप्रेत इसप्रे जगत्परावन (जगत कगो पहवत्र करनप्रे वरालरा) बनरा हदयरा॥3॥
* करमनरास जलपु सपुरसरर परई। तप्रेहह कगो कहहह सश्रीस नहहमं धरप्रेई॥
उलटरा नरामपु जपत जगपु जरानरा। बरालमश्रीहक भए ब्रह समरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-कमर्णनराशरा नदश्री करा जल गमंगराजश्री ममें पड जरातरा हहै (हमल जरातरा हहै), तब
कहहए, उसप्रे करौन हसर पर धरारर नहहीं करतरा? जगत जरानतरा हहै हक उलटरा नराम
(मररा-मररा) जपतप्रे-जपतप्रे वराल्मश्रीहकजश्री ब्रह कप्रे समरान हगो गए॥4॥
दगोहरा :
* स्वपच सबर खस जमन जड परावरहूँ कगोल हकररात।
ररामपु कहत परावन परम हगोत भपुवन हबख्यरात॥194॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण और परामर चराण्डराल, शबर, खस, यवन, कगोल और हकररात भश्री रराम-
नराम कहतप्रे हश्री परम पहवत्र और हत्रभपुवन ममें हवख्यरात हगो जरातप्रे हमैं॥ 194॥
चरौपराई :
* नहहमं अहचररजपु जपुग जपुग चहल आई। कप्रे हह न दश्रीहन्ह रघपुबश्रीर बडराई॥
रराम नराम महहमरा सपुर कहहहीं। सपुहन सपुहन अवध लगोग सपुख पु लहहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-इसममें कगोई आश्चयर्ण नहहीं हहै, यगपु -यगपु रान्तर सप्रे यहश्री रश्रीहत चलश्री आ रहश्री हहै। शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे हकसकगो बडराई नहहीं दश्री? इस पकरार दप्रेवतरा रराम नराम ककी महहमरा कह
रहप्रे हमैं और उसप्रे सपुन-सपुनकर अयगोध्यरा कप्रे लगोग सपुख परा रहप्रे हमैं॥1॥
* ररामसखहह हमहल भरत सपप्रेमरा। पपूछ हूँ श्री कपु सल सपुममंगल खप्रेमरा॥
दप्रेहख भरत कर सश्रीलपु सनप्रेहह। भरा हनषराद तप्रेहह समय हबदप्रेहह॥2॥
भरावरारर्ण:-रराम सखरा हनषरादरराज सप्रे पप्रेम कप्रे सरार हमलकर भरतजश्री नप्रे कपु शल, ममंगल और
क्षप्रेम पपूछश्री। भरतजश्री करा शश्रील और पप्रेम दप्रेखकर हनषराद उस समय हवदप्रेह हगो गयरा
(पप्रेममपुग्ध हगोकर दप्रेह ककी सपुध भपूल गयरा)॥2॥
* सकपु च सनप्रेहह मगोदपु मन बराढरा। भरतहह हचतवत एकटक ठराढरा॥
धरर धश्रीरजपु पद बमंहद बहगोरश्री। हबनय सपप्रेम करत कर जगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे मन ममें समंकगोच, पप्रेम और आनमंद इतनरा बढ गयरा हक वह खडरा-खडरा
टकटककी लगराए भरतजश्री कगो दप्रेखतरा रहरा। हफिर धश्रीरज धरकर भरतजश्री कप्रे चररर ककी
वमंदनरा करकप्रे पप्रेम कप्रे सरार हरार जगोडकर हवनतश्री करनप्रे लगरा-॥3॥
* कपु सल मपूल पद पमंकज पप्रेखश्री। ममैं हतहह हूँ कराल कपु सल हनज लप्रेखश्री॥
अब पभपु परम अनपुगह तगोरमें। सहहत कगोहट कपु ल ममंगल मगोरमें॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! कपु शल कप्रे मपूल आपकप्रे चरर कमलर कप्रे दशर्णन कर ममैंनप्रे तश्रीनर करालर
ममें अपनरा कपु शल जरान हलयरा। अब आपकप्रे परम अनपुगह सप्रे करगोडर कपु लर (पश्रीहढयर)
सहहत मप्रेररा ममंगल (कल्यरार) हगो गयरा॥4॥
दगोहरा :
* समपुहझ मगोरर करतपूहत कपु लपु पभपु महहमरा हजयहूँ जगोइ।
जगो न भजइ रघपुबश्रीर पद जग हबहध बमंहचत सगोइ॥195॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री करतपूत और कपु ल कगो समझकर और पभपु शश्री ररामचन्दजश्री ककी महहमरा कगो
मन ममें दप्रेख (हवचरार) कर (अररार्णत कहराहूँ तगो ममैं नश्रीच जराहत और नश्रीच कमर्ण करनप्रे
वरालरा जश्रीव, और कहराहूँ अनन्तकगोहट ब्रहराण्डर कप्रे स्वरामश्री भगवरान शश्री ररामचन्दजश्री! पर
उन्हरनप्रे मपुझ जहैसप्रे नश्रीच कगो भश्री अपनश्री अहहैतपुककी कमृ परा वश अपनरा हलयरा- यह
समझकर) जगो रघपुवश्रीर शश्री ररामजश्री कप्रे चररर करा भजन नहहीं करतरा, वह जगत ममें
हवधरातरा कप्रे दराररा ठगरा गयरा हहै॥195॥
चरौपराई :
* कपटश्री करायर कपु महत कपु जरातश्री। लगोक बप्रेद बराहप्रेर सब भराहूँतश्री॥
रराम ककीन्ह आपन जबहश्री तमें। भयउहूँ भपुवन भपूषन तबहश्री तमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं कपटश्री, करायर, कपु बपुहद और कपु जराहत हह हूँ और लगोक-वप्रेद दगोनर सप्रे सब
पकरार सप्रे बराहर हह।हूँ पर जब सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे मपुझप्रे अपनरायरा हहै , तभश्री सप्रे ममैं हवश्व
करा भपूषर हगो गयरा॥1॥
हदतश्रीय सगोपरान
* दप्रेहख पश्रीहत सपुहन हबनय सपुहराई। हमलप्रेउ बहगोरर भरत लघपु भराई॥
कहह हनषराद हनज नराम सपुबरानहीं। सरादर सकल जगोहरारहीं ररानहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हनषराद रराज ककी पश्रीहत कगो दप्रेखकर और सपुदमं र हवनय सपुनकर हफिर भरतजश्री कप्रे
छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्नजश्री उससप्रे हमलप्रे। हफिर हनषराद नप्रे अपनरा नराम लप्रे -लप्रेकर सपुमंदर (नम्र
और मधपुर) वरारश्री सप्रे सब रराहनयर कगो आदरपपूवर्णक जगोहरार ककी॥ 2॥
* जराहन लखन सम दप्रेहहमं असश्रीसरा। हजअहह सपुखश्री सय लराख बरश्रीसरा॥
हनरहख हनषराद पु नगर नर नरारश्री। भए सपुखश्री जनपु लखनपु हनहरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-रराहनयराहूँ उसप्रे लक्ष्मरजश्री कप्रे समरान समझकर आशश्रीवरार्णद दप्रेतश्री हमैं हक तपुम सरौ
लराख वषर्मों तक सपुख पपूवर्णक हजओ। नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष हनषराद कगो दप्रेखकर ऐसप्रे सपुखश्री
हह ए, मरानगो लक्ष्मरजश्री कगो दप्रेख रहप्रे हर॥3॥
* कहहहमं लहप्रेउ एहहमं जश्रीवन लराहह। भमेंटप्रेउ ररामभद भरर बराहह॥
सपुहन हनषराद पु हनज भराग बडराई। पमपुहदत मन लइ चलप्रेउ लप्रेवराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सब कहतप्रे हमैं हक जश्रीवन करा लराभ तगो इसश्री नप्रे परायरा हहै , हजसप्रे कल्यरार
स्वरूप शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे भपुजराओमं ममें बराहूँधकर गलप्रे लगरायरा हहै। हनषराद अपनप्रे भराग्य ककी
बडराई सपुनकर मन ममें परम आनमंहदत हगो सबकगो अपनप्रे सरार हलवरा लप्रे चलरा॥ 4॥
दगोहरा :
* सनकरारप्रे सप्रेवक सकल चलप्रे स्वराहम रख पराइ।
घर तर तर सर बराग बन बरास बनराएहन्ह जराइ॥196॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे अपनप्रे सब सप्रेवकर कगो इशरारप्रे सप्रे कह हदयरा। वप्रे स्वरामश्री करा रख पराकर
चलप्रे और उन्हरनप्रे घरर ममें, वमृक्षर कप्रे नश्रीचप्रे, तरालराबर पर तररा बगश्रीचर और जमंगलर ममें
ठहरनप्रे कप्रे हलए स्ररान बनरा हदए॥196॥
चरौपराई :
* समृगमं बप्रेरपपुर भरत दश्रीख जब। भप्रे सनप्रेहहूँ सब अमंग हसहरल तब॥
सगोहत हदएहूँ हनषरादहह लरागपू। जनपु तनपु धरमें हबनय अनपुररागपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे जब शमृमंगवप्रेरपपुर कगो दप्रेखरा, तब उनकप्रे सब अमंग पप्रेम कप्रे करारर
हशहरल हगो गए। वप्रे हनषराद कगो लराग हदए (अररार्णत उसकप्रे कमंधप्रे पर हरार रखप्रे चलतप्रे
हह ए) ऐसप्रे शगोभरा दप्रे रहप्रे हमैं, मरानगो हवनय और पप्रेम शरश्रीर धरारर हकए हह ए हर॥1॥
* एहह हबहध भरत सप्रेनपु सबपु समंगरा। दश्रीहख जराइ जग परावहन गमंगरा॥
ररामघराट कहहूँ ककीन्ह पनरामपू। भरा मनपु मगनपु हमलप्रे जनपु ररामपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार भरतजश्री नप्रे सब सप्रेनरा कगो सरार ममें हलए हह ए जगत कगो पहवत्र करनप्रे
वरालश्री गमंगराजश्री कप्रे दशर्णन हकए। शश्री ररामघराट कगो (जहराहूँ शश्री ररामजश्री नप्रे स्नरान समंध्यरा ककी
रश्री) परराम हकयरा। उनकरा मन इतनरा आनमंदमग्नि हगो गयरा, मरानगो उन्हमें स्वयमं शश्री ररामजश्री
हमल गए हर॥2॥
* करहहमं पनराम नगर नर नरारश्री। मपुहदत ब्रहमय बरारर हनहरारश्री॥
करर मजनपु मरागहहमं कर जगोरश्री। ररामचन्द पद पश्रीहत न रगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे नर-नरारश्री परराम कर रहप्रे हमैं और गमंगराजश्री कप्रे ब्रह रूप जल कगो दप्रेख-
दप्रेखकर आनमंहदत हगो रहप्रे हमैं। गमंगराजश्री ममें स्नरान कर हरार जगोडकर सब यहश्री वर मराहूँगतप्रे हमैं
हक शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें हमराररा पप्रेम कम न हगो (अररार्णत बहह त अहधक हगो)॥3॥
* भरत कहप्रेउ सपुरसरर तव रप्रेनपू। सकल सपुखद सप्रेवक सपुरधप्रेनपू॥
जगोरर पराहन बर मरागउहूँ एहह । सश्रीय रराम पद सहज सनप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे कहरा- हप्रे गमंगप्रे! आपककी रज सबकगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री तररा सप्रेवक
कप्रे हलए तगो करामधप्रेनपु हश्री हहै। ममैं हरार जगोडकर यहश्री वरदरान मराहूँगतरा हह हूँ हक शश्री सश्रीतरा-
ररामजश्री कप्रे चररर ममें मप्रेररा स्वराभराहवक पप्रेम हगो॥4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध मजनपु भरतपु करर गपुर अनपुसरासन पराइ।
मरातपु नहरानहीं जराहन सब डप्रेररा चलप्रे लवराइ॥197॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार भरतजश्री स्नरान कर और गपुरजश्री ककी आजरा पराकर तररा यह जरानकर
हक सब मरातराएहूँ स्नरान कर चपुककी हमैं, डप्रेररा उठरा लप्रे चलप्रे॥197॥
चरौपराई :
* जहहूँ तहहूँ लगोगन्ह डप्रेररा ककीन्हरा। भरत सगोधपु सबहश्री कर लश्रीन्हरा॥
सपुर सप्रेवरा करर आयसपु पराई। रराम मरातपु पहहमं गप्रे दगोउ भराई॥1॥
भरावरारर्ण:-लगोगर नप्रे जहराहूँ-तहराहूँ डप्रेररा डराल हदयरा। भरतजश्री नप्रे सभश्री करा पतरा लगरायरा (हक
सब लगोग आकर आरराम सप्रे हटक गए हमैं यरा नहहीं )। हफिर दप्रेव पपूजन करकप्रे आजरा पराकर
दगोनर भराई शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा करौसल्यराजश्री कप्रे परास गए॥1॥
* चरन चराहूँहप कहह कहह ममृद पु बरानश्री। जननहीं सकल भरत सनमरानश्री॥
भराइहह सजौंहप मरातपु सप्रेवकराई। आपपु हनषरादहह लश्रीन्ह बगोलराई॥2॥
भरावरारर्ण:-चरर दबराकर और कगोमल वचन कह-कहकर भरतजश्री नप्रे सब मरातराओमं करा
सत्करार हकयरा। हफिर भराई शत्रपुघ्न कगो मरातराओमं ककी सप्रेवरा सजौंपकर आपनप्रे हनषराद कगो बपुलरा
हलयरा॥2॥
* चलप्रे सखरा कर सर कर जगोरमें। हसहरल सरश्रीर सनप्रेह न रगोरमें॥
पपूहूँछत सखहह सगो ठराउहूँ दप्रेखराऊ। नप्रेकपु नयन मन जरहन जपुडराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-सखरा हनषराद रराज कप्रे हरार सप्रे हरार हमलराए हहए भरतजश्री चलप्रे। पप्रेम कपु छ रगोडरा
नहहीं हहै (अररार्णत बहह त अहधक पप्रेम हहै), हजससप्रे उनकरा शरश्रीर हशहरल हगो रहरा हहै।
भरतजश्री सखरा सप्रे पपूछतप्रे हमैं हक मपुझप्रे वह स्ररान हदखलराओ और नप्रेत्र और मन ककी
जलन कपु छ ठमंडश्री करगो-॥3॥
* जहहूँ हसय ररामपु लखनपु हनहस सगोए। कहत भरप्रे जल लगोचन कगोए॥
भरत बचन सपुहन भयउ हबषराद।पू तपुरत तहराहूँ लइ गयउ हनषराद॥पू 4॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ सश्रीतराजश्री, शश्री ररामजश्री और लक्ष्मर ररात कगो सगोए रप्रे। ऐसरा कहतप्रे हश्री
उनकप्रे नप्रेत्रर कप्रे कगोयर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा। भरतजश्री कप्रे वचन सपुनकर
हनषराद कगो बडरा हवषराद हहआ। वह तपुरमंत हश्री उन्हमें वहराहूँ लप्रे गयरा॥4॥
दगोहरा :
* जहहूँ हसमंसपुपरा पपुनश्रीत तर रघपुबर हकय हबशरामपु।
अहत सनप्रेहहूँ सरादर भरत ककीन्हप्रेउ दमंड पनरामपु॥ 198॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ पहवत्र अशगोक कप्रे वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे शश्री ररामजश्री नप्रे हवशराम हकयरा ररा। भरतजश्री
नप्रे वहराहूँ अत्यन्त पप्रेम सप्रे आदरपपूवर्णक दण्डवत परराम हकयरा॥ 198॥
चरौपराई :
* कपु स सरारहूँ रश्री हनहरारर सपुहराई। ककीन्ह पनरामपु पदहच्छन जराई॥
चरन दप्रेख रज आहूँहखन्ह लराई। बनइ न कहत पश्रीहत अहधकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-कपु शर ककी सपुमंदर सराररश्री दप्रेखकर उसककी पदहक्षररा करकप्रे परराम हकयरा। शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे चरर हचह्नर ककी रज आहूँखर ममें लगराई। (उस समय कप्रे ) पप्रेम ककी
अहधकतरा कहतप्रे नहहीं बनतश्री॥1॥
* कनक हबमंद पु दइपु चराररक दप्रेखप्रे। रराखप्रे सश्रीस सश्रीय सम लप्रेखप्रे॥
सजल हबलगोचन हृदयहूँ गलरानश्री। कहत सखरा सन बचन सपुबरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे दगो-चरार स्वरर्णहबन्द पु (सगोनप्रे कप्रे कर यरा तरारप्रे आहद जगो सश्रीतराजश्री कप्रे
गहनप्रे-कपडर सप्रे हगर पडप्रे रप्रे) दप्रेखप्रे तगो उनकगो सश्रीतराजश्री कप्रे समरान समझकर हसर पर
रख हलयरा। उनकप्रे नप्रेत्र (पप्रेमराशपु कप्रे ) जल सप्रे भरप्रे हमैं और हृदय ममें ग्लराहन भरश्री हहै। वप्रे
सखरा सप्रे सपुदमं र वरारश्री ममें यप्रे वचन बगोलप्रे-॥2॥
* शश्रीहत सश्रीय हबरहहूँ दहपु तहश्रीनरा। जररा अवध नर नरारर हबलश्रीनरा॥
हपतरा जनक दप्रेउहूँ पटतर कप्रे हश्री। करतल भगोगपु जगोगपु जग जप्रेहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-यप्रे स्वरर्ण कप्रे कर यरा तरारप्रे भश्री सश्रीतराजश्री कप्रे हवरह सप्रे ऐसप्रे शश्रीहत (शगोभराहश्रीन)
एवमं कराहन्तहश्रीन हगो रहप्रे हमैं, जहैसप्रे (रराम हवयगोग ममें) अयगोध्यरा कप्रे नर-नरारश्री हवलश्रीन (शगोक
कप्रे करारर क्षश्रीर) हगो रहप्रे हमैं। हजन सश्रीतराजश्री कप्रे हपतरा रराजरा जनक हमैं, इस जगत ममें
भगोग और यगोग दगोनर हश्री हजनककी मपुटश्री ममें हमैं, उन जनकजश्री कगो ममैं हकसककी उपमरा
दहूँ?पू ॥3॥
* ससपुर भरानपुकपुल भरानपु भपुआलपू। जप्रेहह हसहरात अमररावहतपरालपू॥
पराननरारपु रघपुनरार गगोसराई।मं जगो बड हगोत सगो रराम बडराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-सपूयर्णकपुल कप्रे सपूयर्ण रराजरा दशररजश्री हजनकप्रे ससपुर हमैं, हजनकगो अमररावतश्री कप्रे
स्वरामश्री इन्द भश्री हसहरातप्रे रप्रे। (ईषरार्णपपूवर्णक उनकप्रे जहैसरा ऐश्वयर्ण और पतराप परानरा चराहतप्रे रप्रे)
और पभपु शश्री रघपुनरारजश्री हजनकप्रे परारनरार हमैं, जगो इतनप्रे बडप्रे हमैं हक जगो कगोई भश्री बडरा
हगोतरा हहै, वह शश्री ररामचन्दजश्री ककी (दश्री हह ई) बडराई सप्रे हश्री हगोतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* पहत दप्रेवतरा सपुतश्रीय महन सश्रीय सरारहूँ रश्री दप्रेहख।
हबहरत हृदउ न हहरर हर पहब तमें कहठन हबसप्रेहष॥199॥
भरावरारर्ण:-उन शप्रेष पहतव्रतरा हस्त्रयर ममें हशरगोमहर सश्रीतराजश्री ककी सराररश्री (कपु श शय्यरा)
दप्रेखकर मप्रेररा हृदय हहरराकर (दहलकर) फिट नहहीं जरातरा, हप्रे शमंकर! यह वज्र सप्रे भश्री
अहधक कठगोर हहै!॥199॥
चरौपराई :
* लरालन जगोगपु लखन लघपु लगोनप्रे। भप्रे न भराइ अस अहहहमं न हगोनप्रे॥
पपुरजन हपय हपतपु मरातपु दल पु रारप्रे। हसय रघपुबश्रीरहह परानहपआरप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर बहह त हश्री सपुमंदर और प्यरार करनप्रे यगोग्य हमैं। ऐसप्रे भराई न
तगो हकसश्री कप्रे हहए, न हमैं, न हगोनप्रे कप्रे हश्री हमैं। जगो लक्ष्मर अवध कप्रे लगोगर कगो प्यरारप्रे,
मरातरा-हपतरा कप्रे दल पु रारप्रे और शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे परार प्यरारप्रे हमैं,॥1॥
* ममृदपु मपूरहत सपुकपुमरार सपुभराऊ। तरात बराउ तन लराग न कराउ॥
तप्रे बन सहहहमं हबपहत सब भराहूँतश्री। हनदरप्रे कगोहट कपु हलस एहहमं छरातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनककी कगोमल मपूहतर्ण और सपुकपुमरार स्वभराव हहै, हजनकप्रे शरश्रीर ममें कभश्री गरम
हवरा भश्री नहहीं लगश्री, वप्रे वन ममें सब पकरार ककी हवपहरयराहूँ सह रहप्रे हमैं। (हराय!) इस
मप्रेरश्री छरातश्री नप्रे (कठगोरतरा ममें) करगोडर वज्रर करा भश्री हनररादर कर हदयरा (नहहीं तगो यह
कभश्री ककी फिट गई हगोतश्री)॥2॥
* रराम जनहम जगपु ककीन्ह उजरागर। रूप सश्रील सपुख सब गपुन सरागर॥
पपुरजन पररजन गपुर हपतपु मरातरा। रराम सपुभराउ सबहह सपुखदरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे जन्म (अवतरार) लप्रेकर जगतम कगो पकराहशत (परम सपुशगोहभत)
कर हदयरा। वप्रे रूप, शश्रील, सपुख और समस्त गपुरर कप्रे समपुद हमैं। पपुरवरासश्री, कपु टपु म्बश्री,
गपुर, हपतरा-मरातरा सभश्री कगो शश्री ररामजश्री करा स्वभराव सपुख दप्रेनप्रे वरालरा हहै॥ 3॥
* बहैररउ रराम बडराई करहहीं। बगोलहन हमलहन हबनय मन हरहहीं॥
सरारद कगोहट कगोहट सत सप्रेषरा। करर न सकहहमं पभपु गपुन गन लप्रेखरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु भश्री शश्री ररामजश्री ककी बडराई करतप्रे हमैं। बगोल -चराल, हमलनप्रे कप्रे ढमंग और
हवनय सप्रे वप्रे मन कगो हर लप्रेतप्रे हमैं। करगोडर सरस्वतश्री और अरबर शप्रेषजश्री भश्री पभपु शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे गपुर समपूहर ककी हगनतश्री नहहीं कर सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपुखस्वरूप रघपुबमंसमहन ममंगल मगोद हनधरान।
तप्रे सगोवत कपु स डराहस महह हबहध गहत अहत बलवरान॥200॥
भरावरारर्ण:-जगो सपुख स्वरूप रघपुवमंश हशरगोमहर शश्री ररामचमंदजश्री ममंगल और आनमंद कप्रे भमंडरार
हमैं, वप्रे पमृथ्वश्री पर कपु शरा हबछराकर सगोतप्रे हमैं। हवधरातरा ककी गहत बडश्री हश्री बलवरान हहै॥
200॥
चरौपराई :
* रराम सपुनरा दख पु पु करान न कराऊ। जश्रीवनतर हजहम जगोगवइ रराउ॥
पलक नयन फिहन महन जप्रेहह भराहूँतश्री। जगोगवहहमं जनहन सकल हदन ररातश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे करानर सप्रे भश्री कभश्री द द्धाःपु ख करा नराम नहहीं सपुनरा। महरारराज स्वयमं
जश्रीवन वमृक्ष ककी तरह उनककी सरार-सहूँभराल हकयरा करतप्रे रप्रे। सब मरातराएहूँ भश्री ररात-हदन
उनककी ऐसश्री सरार-सहूँभराल करतश्री रहीं, जहैसप्रे पलक नप्रेत्रर और सराहूँप अपनश्री महर ककी
करतप्रे हमैं॥1॥
* तप्रे अब हफिरत हबहपन पदचरारश्री। कमंद मपूल फिल फिपूल अहरारश्री॥
हधग कहै कई अममंगल मपूलरा। भइहस परान हपयतम पहतकपू लरा॥2॥
भरावरारर्ण:-वहश्री शश्री ररामचमंदजश्री अब जमंगलर ममें पहैदल हफिरतप्रे हमैं और कमं द-मपूल तररा फिल-
फिपूलर करा भगोजन करतप्रे हमैं। अममंगल ककी मपूल कहै कप्रे यश्री हधक्करार हहै, जगो अपनप्रे परारहपयतम
पहत सप्रे भश्री पहतकपू ल हगो गई॥2॥
* ममैं हधग हधग अघ उदहध अभरागश्री। सबपु उतपरातपु भयउ जप्रेहह लरागश्री॥
कपु ल कलमंकपु करर समृजप्रेउ हबधरातराहूँ। सराइहूँदगोह मगोहह ककीन्ह कपु मरातराहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे परापर कप्रे समपुद और अभरागप्रे कगो हधक्करार हहै, हधक्करार हहै, हजसकप्रे करारर यप्रे
सब उत्परात हहए। हवधरातरा नप्रे मपुझप्रे कपु ल करा कलमंक बनराकर पहैदरा हकयरा और कपु मरातरा नप्रे
मपुझप्रे स्वरामश्री दगोहश्री बनरा हदयरा॥3॥
* सपुहन सपप्रेम समपुझराव हनषराद।पू नरार कररअ कत बराहद हबषराद॥पू
रराम तपुम्हहह हपय तपुम्ह हपय ररामहह। यह हनरजगोसपु दगोसपु हबहध बरामहह॥4॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर हनषरादरराज पप्रेमपपूवर्णक समझरानप्रे लगरा- हप्रे नरार! आप व्यरर्ण हवषराद
हकसहलए करतप्रे हमैं? शश्री ररामचमंदजश्री आपकगो प्यरारप्रे हमैं और आप शश्री ररामचमंदजश्री कगो प्यरारप्रे
हमैं। यहश्री हनचगोड (हनहश्चत हसदरामंत) हहै, दगोष तगो पहतकपू ल हवधरातरा कगो हहै॥4॥
छमंद- :
* हबहध बराम ककी करनश्री कहठन जप्रेहहमं मरातपु ककीन्हश्री बरावरश्री।
तप्रेहह रराहत पपुहन पपुहन करहहमं पभपु सरादर सरहनरा ररावरश्री॥
तपुलसश्री न तपुम्ह सगो रराम पश्रीतमपु कहतपु हजौं सजौंहप्रे हकएहूँ।
पररनराम ममंगल जराहन अपनप्रे आहनए धश्रीरजपु हहएहूँ॥
भरावरारर्ण:-पहतकपू ल हवधरातरा ककी करनश्री बडश्री कठगोर हहै, हजसनप्रे मरातरा कहै कप्रे यश्री कगो बरावलश्री
बनरा हदयरा (उसककी महत फिप्रे र दश्री)। उस ररात कगो पभपु शश्री ररामचमंदजश्री बरार-बरार
आदरपपूवर्णक आपककी बडश्री सरराहनरा करतप्रे रप्रे। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं - (हनषरादरराज कहतरा
हहै हक-) शश्री ररामचमंदजश्री कगो आपकप्रे समरान अहतशय हपय और कगोई नहहीं हहै, ममैं
सरौगमंध खराकर कहतरा हह हूँ। परररराम ममें ममंगल हगोगरा, यह जरानकर आप अपनप्रे हृदय ममें
धहैयर्ण धरारर ककीहजए।
सगोरठरा :
* अमंतरजरामश्री ररामपु सकपु च सपप्रेम कमृ परायतन।
चहलअ कररअ हबशरामपु यह हबचरारर दृढ आहन मन॥201॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री अमंतयरार्णमश्री तररा समंकगोच, पप्रेम और कमृ परा कप्रे धराम हमैं, यह हवचरार
कर और मन ममें दृढतरा लराकर चहलए और हवशराम ककीहजए॥201॥
चरौपराई :
* सखरा बचन सपुहन उर धरर धश्रीररा। बरास चलप्रे सपुहमरत रघपुबश्रीररा॥
यह सपुहध पराइ नगर नर नरारश्री। चलप्रे हबलगोकन आरत भरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सखरा कप्रे वचन सपुनकर, हृदय ममें धश्रीरज धरकर शश्री ररामचमंदजश्री करा स्मरर
करतप्रे हह ए भरतजश्री डप्रेरप्रे कगो चलप्रे। नगर कप्रे सरारप्रे स्त्रश्री-पपुरष यह (शश्री ररामजश्री कप्रे ठहरनप्रे
कप्रे स्ररान करा) समराचरार पराकर बडप्रे आतपुर हगोकर उस स्ररान कगो दप्रेखनप्रे चलप्रे॥ 1॥
* परदहखनरा करर करहहमं पनरामरा। दप्रेहहमं कहै कइहह खगोरर हनकरामरा।
भरर भरर बरारर हबलगोचन लमेंहहीं। बराम हबधरातहह द षपू न दप्रेहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे उस स्ररान ककी पररकमरा करकप्रे परराम करतप्रे हमैं और कहै कप्रे यश्री कगो बहह त दगोष
दप्रेतप्रे हमैं। नप्रेत्रर ममें जल भर-भर लप्रेतप्रे हमैं और पहतकपू ल हवधरातरा कगो दषपू र दप्रेतप्रे हमैं॥2॥
* एक सरराहहहमं भरत सनप्रेहह। कगोउ कह नमृपहत हनबराहप्रेउ नप्रेहह॥
हनमंदहहमं आपपु सरराहह हनषरादहह। कगो कहह सकइ हबमगोह हबषरादहह॥3॥
भरावरारर्ण:-कगोई भरतजश्री कप्रे स्नप्रेह ककी सरराहनरा करतप्रे हमैं और कगोई कहतप्रे हमैं हक रराजरा नप्रे
अपनरा पप्रेम खपूब हनबराहरा। सब अपनश्री हनमंदरा करकप्रे हनषराद ककी पशमंसरा करतप्रे हमैं। उस
समय कप्रे हवमगोह और हवषराद कगो करौन कह सकतरा हहै?॥3॥
* ऐहह हबहध रराहत लगोगपु सबपु जरागरा। भरा हभनपुसरार गपुदराररा लरागरा॥
गपुरहह सपुनरावहूँ चढराइ सपुहराई।मं नई मं नराव सब मरातपु चढराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार ररातभर सब लगोग जरागतप्रे रहप्रे। सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री खप्रेवरा लगरा। सपुदमं र नराव
पर गपुरजश्री कगो चढराकर हफिर नई नराव पर सब मरातराओमं कगो चढरायरा॥ 4॥
* दमंड चरारर महहूँ भरा सबपु पराररा। उतरर भरत तब सबहह सहूँभराररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-चरार घडश्री ममें सब गमंगराजश्री कप्रे परार उतर गए। तब भरतजश्री नप्रे उतरकर सबकगो
सहूँभरालरा॥5॥
दगोहरा :
* परातहकयरा करर मरातपु पद बमंहद गपुरहह हसर नराइ।
आगमें हकए हनषराद गन दश्रीन्हप्रेउ कटकपु चलराइ॥202॥
भरावरारर्ण:-परातद्धाःकराल ककी हकयराओमं कगो करकप्रे मरातरा कप्रे चररर ककी वमंदनरा कर और गपुरजश्री
कगो हसर नवराकर भरतजश्री नप्रे हवषराद गरर कगो (ररास्तरा हदखलरानप्रे कप्रे हलए) आगप्रे कर
हलयरा और सप्रेनरा चलरा दश्री॥202॥141॥
चरौपराई :
* हकयउ हनषरादनरारपु अगपुआई।मं मरातपु परालककीमं सकल चलराई॥मं
सरार बगोलराइ भराइ लघपु दश्रीन्हरा। हबपन्ह सहहत गवनपु गपुर ककीन्हरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हनषरादरराज कगो आगप्रे करकप्रे पश्रीछप्रे सब मरातराओमं ककी परालहकयराहूँ चलराई।मं छगोटप्रे भराई
शत्रपुघ्नजश्री कगो बपुलराकर उनकप्रे सरार कर हदयरा। हफिर ब्रराहरर सहहत गपुरजश्री नप्रे गमन
हकयरा॥1॥
* आपपु सपुरसररहह ककीन्ह पनरामपू। सपुहमरप्रे लखन सहहत हसय ररामपू॥
गवनप्रे भरत पयरादप्रेहहमं पराए। कगोतल समंग जराहहमं डगोररआए॥2॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर आप (भरतजश्री) नप्रे गमंगराजश्री कगो परराम हकयरा और लक्ष्मर सहहत शश्री
सश्रीतरा-ररामजश्री करा स्मरर हकयरा। भरतजश्री पहैदल हश्री चलप्रे। उनकप्रे सरार कगोतल (हबनरा
सवरार कप्रे ) घगोडप्रे बरागडगोर सप्रे बहूँधप्रे हहए चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥2॥
* कहहहमं सपुसप्रेवक बरारहहमं बराररा। हगोइअ नरार अस्व असवराररा॥
ररामपु पयरादप्रेहह परायहूँ हसधराए। हम कहहूँ रर गज बराहज बनराए॥3॥
भरावरारर्ण:-उरम सप्रेवक बरार-बरार कहतप्रे हमैं हक हप्रे नरार! आप घगोडप्रे पर सवरार हगो
लश्रीहजए। (भरतजश्री जवराब दप्रेतप्रे हमैं हक) शश्री ररामचमंदजश्री तगो पहैदल हश्री गए और हमरारप्रे हलए
रर, हरारश्री और घगोडप्रे बनराए गए हमैं॥3॥
* हसर भर जराउहूँ उहचत अस मगोररा। सब तमें सप्रेवक धरमपु कठगोररा॥
दप्रेहख भरत गहत सपुहन ममृद पु बरानश्री। सब सप्रेवक गन गरहहमं गलरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे उहचत तगो ऐसरा हहै हक ममैं हसर कप्रे बल चलकर जराऊहूँ। सप्रेवक करा धमर्ण
सबसप्रे कहठन हगोतरा हहै। भरतजश्री ककी दशरा दप्रेखकर और कगोमल वरारश्री सपुनकर सब
सप्रेवकगर ग्लराहन कप्रे मरारप्रे गलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥4॥
भरतजश्री करा पयराग जरानरा और भरत-भरदराज समंवराद
दगोहरा :
* भरत तश्रीसरप्रे पहर कहहूँ ककीन्ह पबप्रेसपु पयराग।
कहत रराम हसय रराम हसय उमहग उमहग अनपुरराग॥203॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम ममें उमहूँग-उमहूँगकर सश्रीतरारराम-सश्रीतरारराम कहतप्रे हह ए भरतजश्री नप्रे तश्रीसरप्रे पहर
पयराग ममें पवप्रेश हकयरा॥203॥
चरौपराई :
* झलकरा झलकत परायन्ह कहै समें। पमंकज कगोस ओस कन जहैसमें॥
भरत पयरादप्रेहहमं आए आजपू। भयउ दहपु खत सपुहन सकल समराजपू॥1॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे चररर ममें छरालप्रे कहै सप्रे चमकतप्रे हमैं, जहैसप्रे कमल ककी कलश्री पर ओस ककी
बपूहूँदमें चमकतश्री हर। भरतजश्री आज पहैदल हश्री चलकर आए हमैं , यह समराचरार सपुनकर सराररा
समराज दद्धाःपु खश्री हगो गयरा॥1॥
* खबरर लश्रीन्ह सब लगोग नहराए। ककीन्ह पनरामपु हत्रबप्रेहनहहमं आए॥
सहबहध हसतराहसत नश्रीर नहरानप्रे। हदए दरान महहसपुर सनमरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जब भरतजश्री नप्रे यह पतरा परा हलयरा हक सब लगोग स्नरान कर चपुकप्रे , तब
हत्रवप्रेरश्री पर आकर उन्हमें परराम हकयरा। हफिर हवहधपपूवर्णक (गमंगरा-यमपुनरा कप्रे ) श्वप्रेत और
श्यराम जल ममें स्नरान हकयरा और दरान दप्रेकर ब्रराहरर करा सम्मरान हकयरा॥ 2॥
* दप्रेखत स्यरामल धवल हलगोरप्रे। पपुलहक सरश्रीर भरत कर जगोरप्रे॥
सकल कराम पद तश्रीरररराऊ। बप्रेद हबहदत जग पगट पभराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-श्यराम और सफिप्रे द (यमपुनराजश्री और गमंगराजश्री ककी) लहरर कगो दप्रेखकर भरतजश्री करा
शरश्रीर पपुलहकत हगो उठरा और उन्हरनप्रे हरार जगोडकर कहरा- हप्रे तश्रीरर्णरराज! आप समस्त
करामनराओमं कगो पपूरर्ण करनप्रे वरालप्रे हमैं। आपकरा पभराव वप्रेदर ममें पहसद और समंसरार ममें पकट
हहै॥3॥
* मरागउहूँ भश्रीख त्यराहग हनज धरमपू। आरत कराह न करइ कपु करमपू॥
अस हजयहूँ जराहन सपुजरान सपुदरानश्री। सफिल करहहमं जग जराचक बरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं अपनरा धमर्ण (न मराहूँगनप्रे करा क्षहत्रय धमर्ण) त्यरागकर आप सप्रे भश्रीख मराहूँगतरा हह हूँ।
आरर्ण मनपुष्य करौन सरा कपु कमर्ण नहहीं करतरा? ऐसरा हृदय ममें जरानकर सपुजरान उरम दरानश्री
जगतम ममें मराहूँगनप्रे वरालप्रे ककी वरारश्री कगो सफिल हकयरा करतप्रे हमैं (अररार्णतम वह जगो मराहूँगतरा हहै,
सगो दप्रे दप्रेतप्रे हमैं)॥4॥
दगोहरा :
* अरर न धरम न कराम रहच गहत न चहउहूँ हनरबरान।
जनम-जनम रहत रराम पद यह बरदरानपु न आन॥204॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे न अरर्ण ककी रहच (इच्छरा) हहै, न धमर्ण ककी, न कराम ककी और न ममैं
मगोक्ष हश्री चराहतरा हह हूँ। जन्म-जन्म ममें मप्रेररा शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हगो, बस, यहश्री
वरदरान मराहूँगतरा हह,हूँ दस पू ररा कपु छ नहहीं॥204॥
चरौपराई :
* जरानहह हूँ ररामपु कपु हटल करर मगोहश्री। लगोग कहउ गपुर सराहहब दगोहश्री॥
सश्रीतरा रराम चरन रहत मगोरमें। अनपुहदन बढउ अनपुगह तगोरमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-स्वयमं शश्री ररामचमंदजश्री भश्री भलप्रे हश्री मपुझप्रे कपु हटल समझमें और लगोग मपुझप्रे गपुरदगोहश्री
तररा स्वरामश्री दगोहश्री भलप्रे हश्री कहमें, पर शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चररर ममें मप्रेररा पप्रेम आपककी
कमृ परा सप्रे हदन-हदन बढतरा हश्री रहप्रे॥1॥
* जलदपु जनम भरर सपुरहत हबसरारउ। जराचत जलपु पहब पराहन डरारउ॥
चरातकपु रहटन घटमें घहट जराई। बढमें पप्रेमपु सब भराहूँहत भलराई॥2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेघ चराहप्रे जन्मभर चरातक ककी सपुध भपुलरा दप्रे और जल मराहूँगनप्रे पर वह चराहप्रे वज्र
और पत्रर (ओलप्रे) हश्री हगररावप्रे, पर चरातक ककी रटन घटनप्रे सप्रे तगो उसककी बरात हश्री
घट जराएगश्री (पहतषरा हश्री नष्टि हगो जराएगश्री)। उसककी तगो पप्रेम बढनप्रे ममें हश्री सब तरह सप्रे
भलराई हहै॥2॥
* कनकहहमं बरान चढइ हजहम दराहमें। हतहम हपयतम पद नप्रेम हनबराहमें॥
भरत बचन सपुहन मराझ हत्रबप्रेनश्री। भइ ममृद पु बराहन सपुममंगल दप्रेनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे तपरानप्रे सप्रे सगोनप्रे पर आब (चमक) आ जरातश्री हहै, वहैसप्रे हश्री हपयतम कप्रे
चररर ममें पप्रेम करा हनयम हनबराहनप्रे सप्रे पप्रेमश्री सप्रेवक करा गरौरव बढ जरातरा हहै। भरतजश्री कप्रे
वचन सपुनकर बश्रीच हत्रवप्रेरश्री ममें सप्रे सपुदमं र ममंगल दप्रेनप्रे वरालश्री कगोमल वरारश्री हहई॥3॥
* तरात भरत तपुम्ह सब हबहध सराधपू। रराम चरन अनपुरराग अगराधपू॥
बराहद गलराहन करहह मन मराहहीं। तपुम्ह सम ररामहह कगोउ हपय नराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात भरत! तपुम सब पकरार सप्रे सराधपु हगो। शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे चररर ममें
तपुम्हराररा अरराह पप्रेम हहै। तपुम व्यरर्ण हश्री मन ममें ग्लराहन कर रहप्रे हगो। शश्री ररामचमंदजश्री कगो
तपुम्हरारप्रे समरान हपय कगोई नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* तनपु पपुलकप्रे उ हहयहूँ हरषपु सपुहन बप्रेहन बचन अनपुकपूल।
भरत धन्य कहह धन्य सपुर हरहषत बरषहहमं फिपू ल॥205॥
भरावरारर्ण:-हत्रवप्रेरश्रीजश्री कप्रे अनपुकपूल वचन सपुनकर भरतजश्री करा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा,
हृदय ममें हषर्ण छरा गयरा। भरतजश्री धन्य हमैं, कहकर दप्रेवतरा हहषर्णत हगोकर फिपू ल बरसरानप्रे
लगप्रे॥205॥
चरौपराई :
* पमपुहदत तश्रीरररराज हनवरासश्री। बहैखरानस बटपु गमृहश्री उदरासश्री॥
कहहहमं परसपर हमहल दस पराहूँचरा। भरत सनप्रेहह सश्रीलपु सपुहच सराचहूँ रा॥1॥
भरावरारर्ण:-तश्रीरर्णरराज पयराग ममें रहनप्रे वरालप्रे वनपस्र, ब्रहचरारश्री, गमृहस्र और उदरासश्रीन
(समंन्यरासश्री) सब बहह त हश्री आनमंहदत हमैं और दस-पराहूँच हमलकर आपस ममें कहतप्रे हमैं हक
भरतजश्री करा पप्रेम और शश्रील पहवत्र और सचरा हहै॥ 1॥
* सपुनत रराम गपुन गराम सपुहराए। भरदराज मपुहनबर पहहमं आए॥
दमंड पनरामपु करत मपुहन दप्रेखप्रे। मपूरहतममंत भराग्य हनज लप्रेखप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सपुमंदर गपुर समपूहर कगो सपुनतप्रे हह ए वप्रे मपुहनशप्रेष भरदराजजश्री कप्रे
परास आए। मपुहन नप्रे भरतजश्री कगो दण्डवत परराम करतप्रे दप्रेखरा और उन्हमें अपनरा मपूहतर्णमरान
सरौभराग्य समझरा॥2॥
* धराइ उठराइ लराइ उर लश्रीन्हप्रे। दश्रीहन्ह असश्रीस कमृ तरारर ककीन्हप्रे॥
आसनपु दश्रीन्ह नराइ हसर बहैठप्रे। चहत सकपु च गमृहहूँ जनपु भहज पहैठप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे दरौडकर भरतजश्री कगो उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा और आशश्रीवरार्णद दप्रेकर
कमृ तरारर्ण हकयरा। मपुहन नप्रे उन्हमें आसन हदयरा। वप्रे हसर नवराकर इस तरह बहैठप्रे मरानगो भरागकर
समंकगोच कप्रे घर ममें घपुस जरानरा चराहतप्रे हमैं॥3॥
* मपुहन पपूहूँछब कछपु यह बड सगोचपू। बगोलप्रे ररहष लहख सश्रीलपु सहूँकगोचपू॥
सपुनहह भरत हम सब सपुहध पराई। हबहध करतब पर हकछपु न बसराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे मन ममें यह बडरा सगोच हहै हक मपुहन कपु छ पपूछमेंगप्रे (तगो ममैं क्यरा उरर
दहूँगपू रा)। भरतजश्री कप्रे शश्रील और समंकगोच कगो दप्रेखकर ऋहष बगोलप्रे- भरत! सपुनगो, हम सब
खबर परा चपुकप्रे हमैं। हवधरातरा कप्रे कतर्णव्य पर कपु छ वश नहहीं चलतरा॥4॥
दगोहरा :
* तपुम्ह गलराहन हजयहूँ जहन करहह समपुहझ मरातपु करतपूहत।
तरात कहै कइहह दगोसपु नहहमं गई हगररा महत धपूहत॥206॥
भरावरारर्ण:-मरातरा ककी करतपूत कगो समझकर (यराद करकप्रे ) तपुम हृदय ममें ग्लराहन मत करगो।
हप्रे तरात! कहै कप्रे यश्री करा कगोई दगोष नहहीं हहै, उसककी बपुहद तगो सरस्वतश्री हबगराड गई रश्री॥
206॥
चरौपराई :
* यहउ कहत भल कहहहह न कगोऊ। लगोकपु बप्रेदपु बपुध समंमत दगोऊ॥
तरात तपुम्हरार हबमल जसपु गराई। पराइहह लगोकउ बप्रेद पु बडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-यह कहतप्रे भश्री कगोई भलरा न कहप्रेगरा, क्यरहक लगोक और वप्रेद दगोनर हश्री हवदरानर
कगो मरान्य हहै, हकन्तपु हप्रे तरात! तपुम्हराररा हनमर्णल यश गराकर तगो लगोक और वप्रेद दगोनर
बडराई परावमेंगप्रे॥1॥
* लगोक बप्रेद समंमत सबपु कहई। जप्रेहह हपतपु दप्रेइ रराजपु सगो लहई॥
रराउ सत्यब्रत तपुम्हहह बगोलराई। दप्रेत रराजपु सपुख पु धरमपु बडराई॥2॥
भरावरारर्ण:-यह लगोक और वप्रेद दगोनर कगो मरान्य हहै और सब यहश्री कहतप्रे हमैं हक हपतरा
हजसकगो रराज्य दप्रे वहश्री परातरा हहै। रराजरा सत्यव्रतश्री रप्रे , तपुमकगो बपुलराकर रराज्य दप्रेतप्रे, तगो
सपुख हमलतरा, धमर्ण रहतरा और बडराई हगोतश्री॥2॥
* रराम गवनपु बन अनरर मपूलरा। जगो सपुहन सकल हबस्व भइ सपूलरा॥
सगो भरावश्री बस रराहन अयरानश्री। करर कपु चराहल अमंतहह हूँ पहछतरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-सरारप्रे अनरर्ण ककी जड तगो शश्री ररामचन्दजश्री करा वनगमन हहै , हजसप्रे सपुनकर समस्त
समंसरार कगो पश्रीडरा हह ई। वह शश्री रराम करा वनगमन भश्री भरावश्रीवश हहआ। बप्रेसमझ ररानश्री तगो
भरावश्रीवश कपु चराल करकप्रे अमंत ममें पछतराई॥3॥
* तहहूँउहूँ तपुम्हरार अलप अपरराधपू। कहहै सगो अधम अयरान असराधपू॥
करतप्रेहह रराजपु त तपुम्हहह नरा दगोषपू। ररामहह हगोत सपुनत समंतगोषपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उसममें भश्री तपुम्हराररा कगोई तहनक सरा भश्री अपरराध कहप्रे , तगो वह अधम, अजरानश्री
और असराधपु हहै। यहद तपुम रराज्य करतप्रे तगो भश्री तपुम्हमें दगोष न हगोतरा। सपुनकर शश्री
ररामचन्दजश्री कगो भश्री समंतगोष हश्री हगोतरा॥4॥
दगोहरा :
* अब अहत ककीन्हप्रेहह भरत भल तपुम्हहह उहचत मत एहह ।
सकल सपुममंगल मपूल जग रघपुबर चरन सनप्रेहह ॥207॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! अब तगो तपुमनप्रे बहह त हश्री अच्छरा हकयरा, यहश्री मत तपुम्हरारप्रे हलए
उहचत ररा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हगोनरा हश्री समंसरार ममें समस्त सपुदमं र ममंगलर
करा मपूल हहै॥207॥
चरौपराई :
* सगो तपुम्हरार धनपु जश्रीवनपु परानरा। भपूररभराग कगो तपुम्हहह समरानरा॥
यह तपुम्हरार आचरजपु न तरातरा। दसरर सपुअन रराम हपय ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सगो वह (शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर करा पप्रेम) तगो तपुम्हराररा धन, जश्रीवन और
परार हश्री हहै, तपुम्हरारप्रे समरान बडभरागश्री करौन हहै? हप्रे तरात! तपुम्हरारप्रे हलए यह आश्चयर्ण ककी
बरात नहहीं हहै, क्यरहक तपुम दशररजश्री कप्रे पपुत्र और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे प्यरारप्रे भराई हगो॥
1॥
* सपुनहह भरत रघपुबर मन मराहहीं। पप्रेम परात्रपु तपुम्ह सम कगोउ नराहहीं॥
लखन रराम सश्रीतहह अहत पश्रीतश्री। हनहस सब तपुम्हहह सरराहत बश्रीतश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! सपुनगो, शश्री ररामचन्द कप्रे मन ममें तपुम्हरारप्रे समरान पप्रेम परात्र द स पू ररा कगोई
नहहीं हहै। लक्ष्मरजश्री, शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री तश्रीनर ककी सरारश्री ररात उस हदन अत्यन्त
पप्रेम कप्रे सरार तपुम्हरारश्री सरराहनरा करतप्रे हश्री बश्रीतश्री॥ 2॥
* जरानरा मरमपु नहरात पयरागरा। मगन हगोहहमं तपुम्हरमें अनपुररागरा॥
तपुम्ह पर अस सनप्रेहह रघपुबर कमें । सपुख जश्रीवन जग जस जड नर कमें ॥3॥
भरावरारर्ण:-पयरागरराज ममें जब वप्रे स्नरान कर रहप्रे रप्रे , उस समय ममैंनप्रे उनकरा यह ममर्ण
जरानरा। वप्रे तपुम्हरारप्रे पप्रेम ममें मग्नि हगो रहप्रे रप्रे। तपुम पर शश्री ररामचन्दजश्री करा ऐसरा हश्री (अगराध)
स्नप्रेह हहै, जहैसरा मपूखर्ण (हवषयरासक्त) मनपुष्य करा समंसरार ममें सपुखमय जश्रीवन पर हगोतरा हहै॥
3॥
* यह न अहधक रघपुबश्रीर बडराई। पनत कपु टपु मंब पराल रघपुरराई॥
तपुम्ह तरौ भरत मगोर मत एहह । धरमें दप्रेह जनपु रराम सनप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-यह शश्री रघपुनरारजश्री ककी बहह त बडराई नहहीं हहै, क्यरहक शश्री रघपुनरारजश्री तगो
शरररागत कप्रे कपु टपु म्ब भर कगो परालनप्रे वरालप्रे हमैं। हप्रे भरत! मप्रेररा यह मत हहै हक तपुम तगो
मरानगो शरश्रीरधरारश्री शश्री ररामजश्री कप्रे पप्रेम हश्री हगो॥4॥
दगोहरा :
* तपुम्ह कहहूँ भरत कलमंक यह हम सब कहहूँ उपदप्रेसपु।
रराम भगहत रस हसहद हहत भरा यह समउ गनप्रेसपु॥ 208॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! तपुम्हरारप्रे हलए (तपुम्हरारश्री समझ ममें) यह कलमंक हहै, पर हम सबकप्रे
हलए तगो उपदप्रेश हहै। शश्री ररामभहक्त रूपश्री रस ककी हसहद कप्रे हलए यह समय गरप्रेश (बडरा
शपुभ) हह आ हहै॥208॥
चरौपराई :
* नव हबधपु हबमल तरात जसपु तगोररा। रघपुबर हकमंकर कपु मपुद चकगोररा॥
उहदत सदरा अहूँरइहह कबहह हूँ नरा। घहटहह न जग नभ हदन हदन दनपू रा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम्हराररा यश हनमर्णल नवश्रीन चन्दमरा हहै और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दरास
कपु मपुद और चकगोर हमैं (वह चन्दमरा तगो पहतहदन अस्त हगोतरा और घटतरा हहै , हजससप्रे
कपु मपुद और चकगोर कगो दद्धाःपु ख हगोतरा हहै), परन्तपु यह तपुम्हराररा यश रूपश्री चन्दमरा सदरा
उदय रहप्रेगरा, कभश्री अस्त हगोगरा हश्री नहहीं! जगत रूपश्री आकराश ममें यह घटप्रेगरा नहहीं,
वरन हदन-हदन दनपू रा हगोगरा॥1॥
* कगोक हतलगोक पश्रीहत अहत कररहश्री। पभपु पतराप रहब छहबहह न हररहश्री॥
हनहस हदन सपुखद सदरा सब कराहह। गहसहह न कहै कइ करतबपु रराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-त्रहैलगोक्य रूपश्री चकवरा इस यश रूपश्री चन्दमरा पर अत्यन्त पप्रेम करप्रेगरा और पभपु
शश्री ररामचन्दजश्री करा पतराप रूपश्री सपूयर्ण इसककी छहब कगो हरर नहहीं करप्रेगरा। यह चन्दमरा
ररात-हदन सदरा सब हकसश्री कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालरा हगोगरा। कहै कप्रे यश्री करा कपु कमर्ण रूपश्री रराहह इसप्रे
गरास नहहीं करप्रेगरा॥2॥
* पपूरन रराम सपुपप्रेम हपयपूषरा। गपुर अवमरान दगोष नहहमं दषपू रा॥
रराम भगत अब अहमअहूँ अघराहहहूँ। ककीन्हप्रेहह सपुलभ सपुधरा बसपुधराहहहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-यह चन्दमरा शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे सपुदमं र पप्रेम रूपश्री अममृत सप्रे पपूरर्ण हहै। यह गपुर कप्रे
अपमरान रूपश्री दगोष सप्रे दहपू षत नहहीं हहै। तपुमनप्रे इस यश रूपश्री चन्दमरा ककी समृहष्टि करकप्रे
पमृथ्वश्री पर भश्री अममृत कगो सपुलभ कर हदयरा। अब शश्री ररामजश्री कप्रे भक्त इस अममृत सप्रे तमृप्त
हगो लमें॥3॥
* भपूप भगश्रीरर सपुरसरर आनश्री। सपुहमरत सकल सपुममंगल खरानश्री॥
दसरर गपुन गन बरहन न जराहहीं। अहधकपु कहरा जप्रेहह सम जग नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-रराजरा भगश्रीरर गमंगराजश्री कगो लराए, हजन (गमंगराजश्री) करा स्मरर हश्री सम्पपूरर्ण सपुमंदर
ममंगलर ककी खरान हहै। दशररजश्री कप्रे गपुर समपूहर करा तगो वरर्णन हश्री नहहीं हकयरा जरा सकतरा,
अहधक क्यरा, हजनककी बरराबरश्री करा जगत ममें कगोई नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* जरासपु सनप्रेह सकगोच बस रराम पगट भए आई।
जप्रे हर हहय नयनहन कबहह हूँ हनरखप्रे नहहीं अघराइ॥209॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे पप्रेम और समंकगोच (शश्रील) कप्रे वश ममें हगोकर स्वयमं (सहचदरानमंदघन)
भगवरान शश्री रराम आकर पकट हहए, हजन्हमें शश्री महरादप्रेवजश्री अपनप्रे हृदय कप्रे नप्रेत्रर सप्रे कभश्री
अघराकर नहहीं दप्रेख पराए (अररार्णत हजनकरा स्वरूप हृदय ममें दप्रेखतप्रे-दप्रेखतप्रे हशवजश्री कभश्री
तमृप्त नहहीं हह ए)॥209॥
चरौपराई :
* ककीरहत हबधपु तपुम्ह ककीन्ह अनपूपरा। जहहूँ बस रराम पप्रेम ममृगरूपरा॥
तरात गलराहन करहह हजयहूँ जराएहूँ। डरहह दररदहह परारसपु पराएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-(परन्तपु उनसप्रे भश्री बढकर) तपुमनप्रे ककीहतर्ण रूपश्री अनपुपम चमंदमरा कगो उत्पन्न हकयरा,
हजसममें शश्री रराम पप्रेम हश्री हहरन कप्रे (हचह्न कप्रे ) रूप ममें बसतरा हहै। हप्रे तरात! तपुम व्यरर्ण
हश्री हृदय ममें ग्लराहन कर रहप्रे हगो। परारस पराकर भश्री तपुम दररदतरा सप्रे डर रहप्रे हगो!॥1॥
* सपुनहह भरत हम झपूठ न कहहहीं। उदरासश्रीन तरापस बन रहहहीं॥
सब सराधन कर सपुफिल सपुहरावरा। लखन रराम हसय दरसनपु परावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! सपुनगो, हम झपूठ नहहीं कहतप्रे। हम उदरासश्रीन हमैं (हकसश्री करा पक्ष नहहीं
करतप्रे), तपस्वश्री हमैं (हकसश्री ककी मपुहूँह दप्रेखश्री नहहीं कहतप्रे) और वन ममें रहतप्रे हमैं (हकसश्री
सप्रे कपु छ पयगोजन नहहीं रखतप्रे)। सब सराधनर करा उरम फिल हममें लक्ष्मरजश्री , शश्री ररामजश्री
और सश्रीतराजश्री करा दशर्णन पराप्त हहआ॥2॥
* तप्रेहह फिल कर फिलपु दरस तपुम्हराररा। सहहत पयराग सपुभराग हमराररा॥
भरत धन्य तपुम्ह जसपु जगपु जयऊ। कहह अस पप्रेम मगन मपुहन भयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-(सश्रीतरा-लक्ष्मर सहहत शश्री ररामदशर्णन रूप) उस महरान फिल करा परम फिल यह
तपुम्हराररा दशर्णन हहै! पयरागरराज समप्रेत हमराररा बडरा भराग्य हहै। हप्रे भरत! तपुम धन्य हगो,
तपुमनप्रे अपनप्रे यश सप्रे जगत कगो जश्रीत हलयरा हहै। ऐसरा कहकर मपुहन पप्रेम ममें मग्नि हगो गए॥
3॥
* सपुहन मपुहन बचन सभरासद हरषप्रे। सराधपु सरराहह सपुमन सपुर बरषप्रे॥
धन्य धन्य धपुहन गगन पयरागरा। सपुहन सपुहन भरतपु मगन अनपुररागरा॥ 4
भरावरारर्ण:-भरदराज मपुहन कप्रे वचन सपुनकर सभरासदम हहषर्णत हगो गए। 'सराधपु-सराधपु' कहकर
सरराहनरा करतप्रे हहए दप्रेवतराओमं नप्रे फिपूल बरसराए। आकराश ममें और पयरागरराज ममें 'धन्य,
धन्य' ककी ध्वहन सपुन-सपुनकर भरतजश्री पप्रेम ममें मग्नि हगो रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* पपुलक गरात हहयहूँ ररामपु हसय सजल सरगोरह नहैन।
करर पनरामपु मपुहन ममंडहलहह बगोलप्रे गदगद बहैन॥210॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा शरश्रीर पपुलहकत हहै, हृदय ममें शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री हमैं और कमल कप्रे
समरान नप्रेत्र (पप्रेमराशपु कप्रे ) जल सप्रे भरप्रे हमैं। वप्रे मपुहनयर ककी ममंडलश्री कगो परराम करकप्रे गदद
वचन बगोलप्रे-॥210॥
चरौपराई :
* मपुहन समराजपु अर तश्रीरररराजपू। सराहूँहचहह हूँ सपर अघराइ अकराजपू॥
एहहमं रल जजौं हकछपु कहहअ बनराई। एहह सम अहधक न अघ अधमराई॥1॥
भरावरारर्ण:-मपुहनयर करा समराज हहै और हफिर तश्रीरर्णरराज हहै। यहराहूँ सचश्री सरौगमंध खरानप्रे सप्रे भश्री
भरपपूर हराहन हगोतश्री हहै। इस स्ररान ममें यहद कपु छ बनराकर कहरा जराए, तगो इसकप्रे समरान
कगोई बडरा पराप और नश्रीचतरा न हगोगश्री॥1॥
* तपुम्ह सबर्णग्य कहउहूँ सहतभराऊ। उर अमंतरजरामश्री रघपुरराऊ॥
मगोहह न मरातपु करतब कर सगोचपू। नहहमं दख पु पु हजयहूँ जगपु जराहनहह पगोचपू॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं सचप्रे भराव सप्रे कहतरा हह।हूँ आप सवर्णज हमैं और शश्री रघपुनरारजश्री हृदय कप्रे भश्रीतर
ककी जराननप्रे वरालप्रे हमैं (ममैं कपु छ भश्री असत्य कहह हूँगरा तगो आपसप्रे और उनसप्रे हछपरा नहहीं रह
सकतरा)। मपुझप्रे मरातरा कहै कप्रे यश्री ककी करनश्री करा कपु छ भश्री सगोच नहहीं हहै और न मप्रेरप्रे मन ममें
इसश्री बरात करा दद्धाःपु ख हहै हक जगत मपुझप्रे नश्रीच समझप्रेगरा॥2॥
* नराहहन डर हबगररहह परलगोकपू। हपतहह मरन कर मगोहह न सगोकपू॥
सपुकमृत सपुजस भरर भपुअन सपुहराए। लहछमन रराम सररस सपुत पराए॥3॥
भरावरारर्ण:-न यहश्री डर हहै हक मप्रेररा परलगोक हबगड जराएगरा और न हपतराजश्री कप्रे मरनप्रे करा
हश्री मपुझप्रे शगोक हहै, क्यरहक उनकरा सपुदमं र पपुण्य और सपुयश हवश्व भर ममें सपुशगोहभत हहै।
उन्हरनप्रे शश्री रराम-लक्ष्मर सरश्रीखप्रे पपुत्र पराए॥3॥
* रराम हबरहहूँ तहज तनपु छनभमंगपू। भपूप सगोच कर कवन पसमंगपू॥
रराम लखन हसय हबनपु पग पनहहीं। करर मपुहन बप्रेष हफिरहहमं बन बनहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर हजन्हरनप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवरह ममें अपनप्रे क्षरभमंगपुर शरश्रीर कगो त्यराग
हदयरा, ऐसप्रे रराजरा कप्रे हलए सगोच करनप्रे करा करौन पसमंग हहै? (सगोच इसश्री बरात करा हहै
हक) शश्री ररामजश्री, लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री पहैरर ममें हबनरा जपूतश्री कप्रे मपुहनयर करा वप्रेष
बनराए वन-वन ममें हफिरतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* अहजन बसन फिल असन महह सयन डराहस कपु स परात।
बहस तर तर हनत सहत हहम आतप बरषरा बरात॥211॥
भरावरारर्ण:-वप्रे वल्कल वस्त्र पहनतप्रे हमैं, फिलर करा भगोजन करतप्रे हमैं, पमृथ्वश्री पर कपु श और
परप्रे हबछराकर सगोतप्रे हमैं और वमृक्षर कप्रे नश्रीचप्रे हनवरास करकप्रे हनत्य सदर, गमर, वषरार्ण और
हवरा सहतप्रे हमैं। 211॥
चरौपराई :
* एहह दख पु दराहहूँ दहइ हदन छरातश्री। भपूख न बरासर नश्रीद न ररातश्री॥
एहह कपु रगोग कर औषधपु नराहहीं। सगोधप्रेउहूँ सकल हबस्व मन मराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इसश्री दद्धाःपु ख ककी जलन सप्रे हनरमंतर मप्रेरश्री छरातश्री जलतश्री रहतश्री हहै। मपुझप्रे न हदन ममें
भपूख लगतश्री हहै, न ररात कगो नहींद आतश्री हहै। ममैंनप्रे मन हश्री मन समस्त हवश्व कगो खगोज
डरालरा, पर इस कपु रगोग ककी औषध कहहीं नहहीं हहै॥1॥
* मरातपु कपु मत बढई अघ मपूलरा। तप्रेहहमं हमरार हहत ककीन्ह बहूँसपूलरा॥
कहल कपु कराठ कर ककीन्ह कपु जमंत्रपू। गराहड अवहध पहढ कहठन कपु ममंत्रपू॥2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा करा कपु मत (बपुररा हवचरार) परापर करा मपूल बढई हहै। उसनप्रे हमरारप्रे हहत करा
बसपूलरा बनरायरा। उससप्रे कलह रूपश्री कपु कराठ करा कपु यमंत्र बनरायरा और चरौदह वषर्ण ककी अवहध
रूपश्री कहठन कपु ममंत्र पढकर उस यमंत्र कगो गराड हदयरा। (यहराहूँ मरातरा करा कपु हवचरार बढई हहै,
भरत कगो रराज्य बसपूलरा हहै, रराम करा वनवरास कपु यमंत्र हहै और चरौदह वषर्ण ककी अवहध
कपु ममंत्र हहै)॥2॥
* मगोहह लहग यहह कपु ठराटपु तप्रेहहमं ठराटरा। घरालप्रेहस सब जगपु बरारहबराटरा॥
हमटइ कपु जगोगपु रराम हफिरर आएहूँ। बसइ अवध नहहमं आन उपराएहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे हलए उसनप्रे यह सराररा कपु ठराट (बपुररा सराज) रचरा और सरारप्रे जगत कगो
बरारहबराट (हछन्न-हभन्न) करकप्रे नष्टि कर डरालरा। यह कपु यगोग शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे लरौट
आनप्रे पर हश्री हमट सकतरा हहै और तभश्री अयगोध्यरा बस सकतश्री हहै , दस पू रप्रे हकसश्री उपराय
सप्रे नहहीं॥3॥
* भरत बचन सपुहन मपुहन सपुखपु पराई। सबहहमं ककीहन्ह बहह भराहूँहत बडराई॥
तरात करहह जहन सगोचपु हबसप्रेषश्री। सब दख पु पु हमहटहह रराम पग दप्रेखश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे वचन सपुनकर मपुहन नप्रे सपुख परायरा और सभश्री नप्रे उनककी बहह त पकरार
सप्रे बडराई ककी। (मपुहन नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! अहधक सगोच मत करगो। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे
चररर करा दशर्णन करतप्रे हश्री सराररा दद्धाःपु ख हमट जराएगरा॥4॥
भरदराज दराररा भरत करा सत्करार
दगोहरा :
* करर पबगोधपु मपुहनबर कहप्रेउ अहतहर पप्रेमहपय हगोहह।
कमंद मपूल फिल फिपूल हम दप्रेहहमं लप्रेहह करर छगोहह॥212॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार मपुहनशप्रेष भरदराजजश्री नप्रे उनकरा समराधरान करकप्रे कहरा- अब आप
लगोग हमरारप्रे पप्रेम हपय अहतहर बहनए और कमृ परा करकप्रे कमंद-मपूल, फिल-फिपूल जगो कपु छ
हम दमें, स्वश्रीकरार ककीहजए॥212॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन बचन भरत हहयहूँ सगोचपू। भयउ कपु अवसर कहठन सहूँकगोचपू॥
जराहन गपुरइ गपुर हगररा बहगोरश्री। चरन बमंहद बगोलप्रे कर जगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे वचन सपुनकर भरत कप्रे हृदय ममें सगोच हह आ हक यह बप्रेमरौकप्रे बडरा बप्रेढब
समंकगोच आ पडरा! हफिर गपुरजनर ककी वरारश्री कगो महत्वपपूरर्ण (आदररश्रीय) समझकर,
चररर ककी वमंदनरा करकप्रे हरार जगोडकर बगोलप्रे-॥1॥
* हसर धरर आयसपु कररअ तपुम्हराररा। परम धरम यहह नरार हमराररा॥
भरत बचन मपुहनबर मन भराए। सपुहच सप्रेवक हसष हनकट बगोलराए॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपककी आजरा कगो हसर चढराकर उसकरा परालन करनरा, यह हमराररा
परम धमर्ण हहै। भरतजश्री कप्रे यप्रे वचन मपुहनशप्रेष कप्रे मन कगो अच्छप्रे लगप्रे। उन्हरनप्रे हवश्वरासपरात्र
सप्रेवकर और हशष्यर कगो परास बपुलरायरा॥2॥
* चराहहअ ककीहन्ह भरत पहह नराई। कमंद मपूल फिल आनहह जराई।
भलप्रेहहमं नरार कहह हतन्ह हसर नराए। पमपुहदत हनज हनज कराज हसधराए॥3॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा हक) भरत ककी पहह नराई करनश्री चराहहए। जराकर कमंद, मपूल और
फिल लराओ। उन्हरनप्रे 'हप्रे नरार! बहह त अच्छरा' कहकर हसर नवरायरा और तब वप्रे बडप्रे
आनमंहदत हगोकर अपनप्रे-अपनप्रे कराम कगो चल हदए॥3॥
* मपुहनहह सगोच पराहहन बड नप्रेवतरा। तहस पपूजरा चराहहअ जस दप्रेवतरा॥
सपुहन ररहध हसहध अहनमराहदक आई।मं आयसपु हगोइ सगो करहहमं गगोसराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कगो हचमंतरा हह ई हक हमनप्रे बहह त बडप्रे मप्रेहमरान कगो न्यगोतरा हहै। अब जहैसरा
दप्रेवतरा हगो, वहैसश्री हश्री उसककी पपूजरा भश्री हगोनश्री चराहहए। यह सपुनकर ऋहदयराहूँ और अहरमराहद
हसहदयराहूँ आ गई मं (और बगोलहीं-) हप्रे गगोसराई!मं जगो आपककी आजरा हगो सगो हम करमें॥4॥
दगोहरा :
* रराम हबरह ब्यराकपुल भरतपु सरानपुज सहहत समराज।
पहह नराई करर हरहह शम कहरा मपुहदत मपुहनरराज॥213॥
भरावरारर्ण:-मपुहनरराज नप्रे पसन्न हगोकर कहरा- छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न और समराज सहहत भरतजश्री
शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हवरह ममें व्यराकपुल हमैं, इनककी पहह नराई (आहतथ्य सत्करार) करकप्रे
इनकप्रे शम कगो दरपू करगो॥213॥
चरौपराई :
* ररहध हसहध हसर धरर मपुहनबर बरानश्री। बडभराहगहन आपपुहह अनपुमरानश्री॥
कहहहमं परसपर हसहध समपुदराई। अतपुहलत अहतहर रराम लघपु भराई॥1॥
भरावरारर्ण:-ऋहद-हसहद नप्रे मपुहनरराज ककी आजरा कगो हसर चढराकर अपनप्रे कगो बडभराहगनश्री
समझरा। सब हसहदयराहूँ आपस ममें कहनप्रे लगहीं- शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे छगोटप्रे भराई भरत ऐसप्रे
अहतहर हमैं, हजनककी तपुलनरा ममें कगोई नहहीं आ सकतरा॥1॥
* मपुहन पद बमंहद कररअ सगोइ आजपू। हगोइ सपुखश्री सब रराज समराजपू॥
अस कहह रचप्रेउ रहचर गमृह नरानरा। जप्रेहह हबलगोहक हबलखराहहमं हबमरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः मपुहन कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे आज वहश्री करनरा चराहहए, हजससप्रे सराररा
रराज-समराज सपुखश्री हगो। ऐसरा कहकर उन्हरनप्रे बहह त सप्रे सपुदमं र घर बनराए, हजन्हमें दप्रेखकर
हवमरान भश्री हवलखतप्रे हमैं (लजरा जरातप्रे हमैं)॥2॥
* भगोग हबभपूहत भपूरर भरर रराखप्रे। दप्रेखत हजन्हहह अमर अहभलराषप्रे॥
दरासहीं दरास सराजपु सब लश्रीन्हमें। जगोगवत रहहहमं मनहह मनपु दश्रीन्हमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उन घरर ममें बहह त सप्रे भगोग (इहन्दयर कप्रे हवषय) और ऐश्वयर्ण (ठराट-बराट) करा
सरामरान भरकर रख हदयरा, हजन्हमें दप्रेखकर दप्रेवतरा भश्री ललचरा गए। दरासश्री-दरास सब पकरार
ककी सरामगश्री हलए हह ए मन लगराकर उनकप्रे मनर कगो दप्रेखतप्रे रहतप्रे हमैं (अररार्णत उनकप्रे मन
ककी रहच कप्रे अनपुसरार करतप्रे रहतप्रे हमैं)॥3॥
* सब समराजपु सहज हसहध पल मराहहीं। जप्रे सपुख सपुरपपुर सपनप्रेहह हूँ नराहहीं॥
परमहहमं बरास हदए सब कप्रे हश्री। सपुदमं र सपुखद जररा रहच जप्रेहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो सपुख कप्रे सरामरान स्वगर्ण ममें भश्री स्वप्न ममें भश्री नहहीं हमैं, ऐसप्रे सब सरामरान
हसहदयर नप्रे पल भर ममें सजरा हदए। पहलप्रे तगो उन्हरनप्रे सब हकसश्री कगो, हजसककी जहैसश्री
रहच रश्री, वहैसप्रे हश्री, सपुमंदर सपुखदरायक हनवरास स्ररान हदए॥4॥
दगोहरा :
* बहह रर सपररजन भरत कहह हूँ ररहष अस आयसपु दश्रीन्ह।
हबहध हबसमय दरायकपु हबभव मपुहनबर तपबल ककीन्ह॥214॥
भरावरारर्ण:-और हफिर कपु टपु म्ब सहहत भरतजश्री कगो हदए, क्यरहक ऋहष भरदराजजश्री नप्रे ऐसश्री
हश्री आजरा दप्रे रखश्री रश्री। (भरतजश्री चराहतप्रे रप्रे हक उनकप्रे सब समंहगयर कगो आरराम हमलप्रे,
इसहलए उनकप्रे मन ककी बरात जरानकर मपुहन नप्रे पहलप्रे उन लगोगर कगो स्ररान दप्रेकर पश्रीछप्रे
सपररवरार भरतजश्री कगो स्ररान दप्रेनप्रे कप्रे हलए आजरा दश्री रश्री।) मपुहन शप्रेष नप्रे तपगोबल सप्रे
ब्रहरा कगो भश्री चहकत कर दप्रेनप्रे वरालरा वहैभव रच हदयरा॥ 214॥
चरौपराई :
* मपुहन पभराउ जब भरत हबलगोकरा। सब लघपु लगप्रे लगोकपहत लगोकरा॥
सपुख समराजपु नहहमं जराइ बखरानश्री। दप्रेखत हबरहत हबसरारहहमं ग्यरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब भरतजश्री नप्रे मपुहन कप्रे पभराव कगो दप्रेखरा, तगो उसकप्रे सरामनप्रे उन्हमें (इन्द,
वरर, यम, कपु बप्रेर आहद) सभश्री लगोकपरालर कप्रे लगोक तपुच्छ जरान पडप्रे। सपुख ककी
सरामगश्री करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, हजसप्रे दप्रेखकर जरानश्री लगोग भश्री वहैरराग्य भपूल जरातप्रे हमैं॥
1॥
* आसन सयन सपुबसन हबतरानरा। बन बराहटकरा हबहग ममृग नरानरा॥
सपुरहभ फिपूल फिल अहमअ समरानरा। हबमल जलरासय हबहबध हबधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-आसन, सप्रेज, सपुदमं र वस्त्र, चहूँदगोवप्रे, वन, बगश्रीचप्रे, भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे पक्षश्री और
पशपु, सपुगमंहधत फिपूल और अममृत कप्रे समरान स्वराहदष्टि फिल, अनप्रेकर पकरार कप्रे (तरालराब,
कपु एहूँ, बरावलश्री आहद) हनमर्णल जलराशय,॥2॥
* असन परान सपुहच अहमअ अमश्री सप्रे। दप्रेहख लगोग सकपु चरात जमश्री सप्रे॥
सपुर सपुरभश्री सपुरतर सबहश्री कमें । लहख अहभलराषपु सपुरस प्रे सचश्री कमें ॥3॥
भरावरारर्ण:-तररा अममृत कप्रे भश्री अममृत-सरश्रीखप्रे पहवत्र खरान-परान कप्रे पदरारर्ण रप्रे, हजन्हमें
दप्रेखकर सब लगोग समंयमश्री पपुरषर (हवरक्त मपुहनयर) ककी भराहूँहत सकपु चरा रहप्रे हमैं। सभश्री कप्रे
डप्रेरर ममें (मनगोवरामंहछत वस्तपु दप्रेनप्रे वरालप्रे) करामधप्रेनपु और कल्पवमृक्ष हमैं, हजन्हमें दप्रेखकर इन्द
और इन्दरारश्री कगो भश्री अहभलराषरा हगोतश्री हहै (उनकरा भश्री मन ललचरा जरातरा हहै)॥3॥
* ररतपु बसमंत बह हत्रहबध बयरारश्री। सब कहहूँ सपुलभ पदरारर चरारश्री॥
स्रक चमंदन बहनतराहदक भगोगरा। दप्रेहख हरष हबसमय बस लगोगरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वसन्त ऋतपु हहै। शश्रीतल, ममंद, सपुगमंध तश्रीन पकरार ककी हवरा बह रहश्री हहै। सभश्री
कगो (धमर्ण, अरर्ण, कराम और मगोक्ष) चरारर पदरारर्ण सपुलभ हमैं। मरालरा, चमंदन, स्त्रश्री आहद
भगोगर कगो दप्रेखकर सब लगोग हषर्ण और हवषराद कप्रे वश हगो रहप्रे हमैं। (हषर्ण तगो भगोग
सरामहगयर कगो और मपुहन कप्रे तप पभराव कगो दप्रेखकर हगोतरा हहै और हवषराद इस बरात सप्रे
हगोतरा हहै हक शश्री रराम कप्रे हवयगोग ममें हनयम-व्रत सप्रे रहनप्रे वरालप्रे हम लगोग भगोग-हवलरास ममें
क्यर आ फिहूँसप्रे, कहहीं इनममें आसक्त हगोकर हमराररा मन हनयम-व्रतर कगो न त्यराग दप्रे)॥4॥
दगोहरा :
* समंपहत चकई भरतपु चक मपुहन आयस खप्रेलवरार।
तप्रेहह हनहस आशम हपमंजरराहूँ रराखप्रे भरा हभनपुसरार॥215॥
भरावरारर्ण:-सम्पहर (भगोग-हवलरास ककी सरामगश्री) चकवश्री हहै और भरतजश्री चकवरा हमैं और
मपुहन ककी आजरा खप्रेल हहै, हजसनप्रे उस ररात कगो आशम रूपश्री हपमंजडप्रे ममें दगोनर कगो बमंद
कर रखरा और ऐसप्रे हश्री सबप्रेररा हगो गयरा। (जहैसप्रे हकसश्री बहप्रेहलए कप्रे दराररा एक हपमंजडप्रे ममें
रखप्रे जरानप्रे पर भश्री चकवश्री-चकवप्रे करा ररात कगो समंयगोग नहहीं हगोतरा, वहैसप्रे हश्री भरदराजजश्री ककी
आजरा सप्रे ररात भर भगोग सरामहगयर कप्रे सरार रहनप्रे पर भश्री भरतजश्री नप्रे मन सप्रे भश्री उनकरा
स्पशर्ण तक नहहीं हकयरा।)॥215॥

मरासपराररायर, उन्नश्रीसवराहूँ हवशराम


चरौपराई :
* ककीन्ह हनमजनपु तश्रीरररराजरा। नराई मपुहनहह हसर सहहत समराजरा।
ररहष आयसपु असश्रीस हसर रराखश्री। करर दमंडवत हबनय बहह भराषश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-(परातद्धाःकराल) भरतजश्री नप्रे तश्रीरर्णरराज ममें स्नरान हकयरा और समराज सहहत मपुहन
कगो हसर नवराकर और ऋहष ककी आजरा तररा आशश्रीवरादर्ण कगो हसर चढराकर दण्डवतम करकप्रे
बहह त हवनतश्री ककी॥1॥
* पर गहत कपु सल सरार सब लश्रीन्हमें। चलप्रे हचत्रकपू टहहमं हचतपु दश्रीन्हमें॥
ररामसखरा कर दश्रीन्हमें लरागपू। चलत दप्रेह धरर जनपु अनपुररागपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर ररास्तप्रे ककी पहचरान रखनप्रे वरालप्रे लगोगर (कपु शल परपदशर्णकर) कप्रे सरार
सब लगोगर कगो हलए हहए भरतजश्री हत्रकपू ट ममें हचर लगराए चलप्रे। भरतजश्री ररामसखरा गपुह कप्रे
हरार ममें हरार हदए हहए ऐसप्रे जरा रहप्रे हमैं, मरानगो सराक्षरातम पप्रेम हश्री शरश्रीर धरारर हकए हह ए
हगो॥2॥
* नहहमं पद त्ररान सश्रीस नहहमं छरायरा। पप्रेमपु नप्रेमपु ब्रतपु धरमपु अमरायरा॥
लखन रराम हसय पमंर कहरानश्री। पपूछ हूँ त सखहह कहत ममृद पु बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-न तगो उनकप्रे पहैरर ममें जपूतप्रे हमैं और न हसर पर छरायरा हहै , उनकरा पप्रेम हनयम,
व्रत और धमर्ण हनष्कपट (सचरा) हहै। वप्रे सखरा हनषरादरराज सप्रे लक्ष्मरजश्री , शश्री ररामचमंदजश्री
और सश्रीतराजश्री कप्रे ररास्तप्रे ककी बरातमें पपूछतप्रे हमैं और वह कगोमल वरारश्री सप्रे कहतरा हहै॥ 3॥
* रराम बरास रल हबटप हबलगोकमें। उर अनपुरराग रहत नहहमं रगोकमें॥
दप्रेहख दसरा सपुर बररसहहमं फिपू लरा। भइ ममृद पु महह मगपु ममंगल मपूलरा॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे ठहरनप्रे ककी जगहर और वमृक्षर कगो दप्रेखकर उनकप्रे हृदय ममें पप्रेम
रगोकप्रे नहहीं रकतरा। भरतजश्री ककी यह दशरा दप्रेखकर दप्रेवतरा फिपू ल बरसरानप्रे लगप्रे। पमृथ्वश्री
कगोमल हगो गई और मरागर्ण ममंगल करा मपूल बन गयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* हकएहूँ जराहहमं छरायरा जलद सपुखद बहइ बर बरात।
तस मगपु भयउ न रराम कहहूँ जस भरा भरतहह जरात॥216॥
भरावरारर्ण:-बरादल छरायरा हकए जरा रहप्रे हमैं, सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री सपुमंदर हवरा बह रहश्री हहै। भरतजश्री
कप्रे जरातप्रे समय मरागर्ण जहैसरा सपुखदरायक हहआ, वहैसरा शश्री ररामचमंदजश्री कगो भश्री नहहीं हहआ
ररा॥216॥
चरौपराई :
* जड चप्रेतन मग जश्रीव घनप्रेरप्रे। जप्रे हचतए पभपु हजन्ह पभपु हप्रेरप्रे॥
तप्रे सब भए परम पद जगोगपू। भरत दरस मप्रेटरा भव रगोगपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें असमंख्य जड-चप्रेतन जश्रीव रप्रे। उनममें सप्रे हजनकगो पभपु शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे
दप्रेखरा, अरवरा हजन्हरनप्रे पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कगो दप्रेखरा, वप्रे सब (उसश्री समय) परमपद
कप्रे अहधकरारश्री हगो गए, परन्तपु अब भरतजश्री कप्रे दशर्णन नप्रे तगो उनकरा भव (जन्म-मरर)
रूपश्री रगोग हमटरा हश्री हदयरा। (शश्री ररामदशर्णन सप्रे तगो वप्रे परमपद कप्रे अहधकरारश्री हश्री हह ए रप्रे,
परन्तपु भरत दशर्णन सप्रे उन्हमें वह परमपद पराप्त हगो गयरा)॥1॥
* यह बहड बरात भरत कइ नराहहीं। सपुहमरत हजनहह ररामपु मन मराहहीं॥
बरारक रराम कहत जग जप्रेऊ। हगोत तरन तरारन नर तप्रेऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे हलए यह कगोई बडश्री बरात नहहीं हहै, हजन्हमें शश्री ररामजश्री स्वयमं अपनप्रे
मन ममें स्मरर करतप्रे रहतप्रे हमैं। जगतम ममें जगो भश्री मनपुष्य एक बरार 'रराम' कह लप्रेतप्रे हमैं,
वप्रे भश्री तरनप्रे-तरारनप्रे वरालप्रे हगो जरातप्रे हमैं॥2॥
* भरतपु रराम हपय पपुहन लघपु ररातरा। कस न हगोइ मगपु ममंगलदरातरा॥
हसद सराधपु मपुहनबर अस कहहहीं। भरतहह हनरहख हरषपु हहयहूँ लहहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर भरतजश्री तगो शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे प्यरारप्रे तररा उनकप्रे छगोटप्रे भराई ठहरप्रे। तब
भलरा उनकप्रे हलए मरागर्ण ममंगल (सपुख) दरायक कहै सप्रे न हगो? हसद, सराधपु और शप्रेष मपुहन
ऐसरा कह रहप्रे हमैं और भरतजश्री कगो दप्रेखकर हृदय ममें हषर्ण लराभ करतप्रे हमैं॥ 3॥
इमंद-बमृहस्पहत समंवराद
* दप्रेहख पभराउ सपुरस प्रे हह सगोचपू। जगपु भल भलप्रेहह पगोच कहह हूँ पगोचपू॥
गपुर सन कहप्रेउ कररअ पभपु सगोई। ररामहह भरतहह भमेंट न हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे (इस पप्रेम कप्रे ) पभराव कगो दप्रेखकर दप्रेवरराज इन्द कगो सगोच हगो गयरा
(हक कहहीं इनकप्रे पप्रेमवश शश्री ररामजश्री लरौट न जराएहूँ और हमराररा बनरा-बनरायरा कराम हबगड
जराए)। समंसरार भलप्रे कप्रे हलए भलरा और बपुरप्रे कप्रे हलए बपुररा हहै (मनपुष्य जहैसरा आप हगोतरा
हहै जगतम उसप्रे वहैसरा हश्री हदखतरा हहै)। उसनप्रे गपुर बमृहस्पहतजश्री सप्रे कहरा- हप्रे पभगो! वहश्री
उपराय ककीहजए हजससप्रे शश्री ररामचमंदजश्री और भरतजश्री ककी भमेंट हश्री न हगो॥ 4॥
दगोहरा :
* ररामपु सहूँकगोचश्री पप्रेम बस भरत सपप्रेम पयगोहध।
बनश्री बरात बप्रेगरन चहहत कररअ जतनपु छलपु सगोहध॥217॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री समंकगोचश्री और पप्रेम कप्रे वश हमैं और भरतजश्री पप्रेम कप्रे समपुद हमैं।
बनश्री-बनराई बरात हबगडनरा चराहतश्री हहै, इसहलए कपु छ छल ढपू हूँढकर इसकरा उपराय ककीहजए॥
217॥
चरौपराई :
* बचन सपुनत सपुरगपुर मपुसपुकरानप्रे। सहसनयन हबनपु लगोचन जरानप्रे॥
मरायरापहत सप्रेवक सन मरायरा। करइ त उलहट परइ सपुरररायरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इमंद कप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री दप्रेवगपुर बमृहस्पहतजश्री मपुस्कपु रराए। उन्हरनप्रे हजरार नप्रेत्रर वरालप्रे
इमंद कगो (जरान रूपश्री) नप्रेत्रररहहत (मपूखर्ण) समझरा और कहरा- हप्रे दप्रेवरराज! मरायरा कप्रे
स्वरामश्री शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे सप्रेवक कप्रे सरार कगोई मरायरा करतरा हहै तगो वह उलटकर अपनप्रे
हश्री ऊपर आ पडतश्री हहै॥1॥
* तब हकछपु ककीन्ह रराम रख जरानश्री। अब कपु चराहल करर हगोइहह हरानश्री।
सपुनपु सपुरप्रेस रघपुनरार सपुभराऊ। हनज अपरराध ररसराहहमं न कराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-उस समय (हपछलश्री बरार) तगो शश्री ररामचमंदजश्री करा रख जरानकर कपु छ हकयरा
ररा, परन्तपु इस समय कपु चराल करनप्रे सप्रे हराहन हश्री हगोगश्री। हप्रे दप्रेवरराज! शश्री रघपुनरारजश्री करा
स्वभराव सपुनगो, वप्रे अपनप्रे पहत हकए हहए अपरराध सप्रे कभश्री रष्टि नहहीं हगोतप्रे॥2॥
* जगो अपरराधपु भगत कर करई। रराम रगोष परावक सगो जरई॥
लगोकहह हूँ बप्रेद हबहदत इहतहरासरा। यह महहमरा जरानहहमं दरपु बरासरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पर जगो कगोई उनकप्रे भक्त करा अपरराध करतरा हहै, वह शश्री रराम ककी कगोधराहग्नि ममें
जल जरातरा हहै। लगोक और वप्रेद दगोनर ममें इहतहरास (कररा) पहसद हहै। इस महहमरा कगो
दवपु रार्णसराजश्री जरानतप्रे हमैं॥3॥
* भरत सररस कगो रराम सनप्रेहश्री। जगपु जप रराम ररामपु जप जप्रेहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सराररा जगतम शश्री रराम कगो जपतरा हहै, वप्रे शश्री ररामजश्री हजनकगो जपतप्रे हमैं, उन
भरतजश्री कप्रे समरान शश्री ररामचमंदजश्री करा पप्रेमश्री करौन हगोगरा?॥4॥
दगोहरा :
* मनहह हूँ न आहनअ अमरपहत रघपुबर भगत अकराजपु।
अजसपु लगोक परलगोक दख पु हदन हदन सगोक समराजपु॥218॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवरराज! रघपुकपुलशप्रेष शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे भक्त करा कराम हबगराडनप्रे ककी बरात
मन ममें भश्री न लराइए। ऐसरा करनप्रे सप्रे लगोक ममें अपयश और परलगोक ममें द द्धाःपु ख हगोगरा और
शगोक करा सरामरान हदनरहदन बढतरा हश्री चलरा जराएगरा॥ 218॥
चरौपराई :
* सपुनपु सपुरप्रेस उपदप्रेसपु हमराररा। ररामहह सप्रेवकपु परम हपआररा॥
मरानत सपुखपु सप्रेवक सप्रेवकराई।मं सप्रेवक बहैर बहैर अहधकराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवरराज! हमराररा उपदप्रेश सपुनगो। शश्री ररामजश्री कगो अपनरा सप्रेवक परम हपय हहै।
वप्रे अपनप्रे सप्रेवक ककी सप्रेवरा सप्रे सपुख मरानतप्रे हमैं और सप्रेवक कप्रे सरार वहैर करनप्रे सप्रे बडरा
भरारश्री वहैर मरानतप्रे हमैं॥1॥
* जद्यहप सम नहहमं रराग न रगोषपू। गहहहमं न पराप पपूनपु गपुन दगोषपू॥
करम पधरान हबस्व करर रराखरा। जगो जस करइ सगो तस फिलपु चराखरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप वप्रे सम हमैं- उनममें न रराग हहै, न रगोष हहै और न वप्रे हकसश्री करा पराप -
पपुण्य और गपुर-दगोष हश्री गहर करतप्रे हमैं। उन्हरनप्रे हवश्व ममें कमर्ण कगो हश्री पधरान कर रखरा
हहै। जगो जहैसरा करतरा हहै, वह वहैसरा हश्री फिल भगोगतरा हहै॥2॥
* तदहप करहहमं सम हबषम हबहराररा। भगत अभगत हृदय अनपुसराररा॥
अगनपु अलप्रेप अमरान एकरस। ररामपु सगपुन भए भगत पप्रेम बस॥3॥
भरावरारर्ण:-तरराहप वप्रे भक्त और अभक्त कप्रे हृदय कप्रे अनपुसरार सम और हवषम व्यवहरार
करतप्रे हमैं (भक्त कगो पप्रेम सप्रे गलप्रे लगरा लप्रेतप्रे हमैं और अभक्त कगो मरारकर तरार दप्रेतप्रे हमैं )।
गपुररहहत, हनलर्देप, मरानरहहत और सदरा एकरस भगवरानम शश्री रराम भक्त कप्रे पप्रेमवश हश्री
सगपुर हह ए हमैं॥3॥
* रराम सदरा सप्रेवक रहच रराखश्री। बप्रेद पपुररान सराधपु सपुर सराखश्री॥
अस हजयहूँ जराहन तजहह कपु हटलराई। करहह भरत पद पश्रीहत सपुहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री सदरा अपनप्रे सप्रेवकर (भक्तर) ककी रहच रखतप्रे आए हमैं। वप्रेद, पपुररार,
सराधपु और दप्रेवतरा इसकप्रे सराक्षश्री हमैं। ऐसरा हृदय ममें जरानकर कपु हटलतरा छगोड दगो और
भरतजश्री कप्रे चररर ममें सपुमंदर पश्रीहत करगो॥4॥
दगोहरा :
* रराम भगत परहहत हनरत पर दख पु दखपु श्री दयराल।
भगत हसरगोमहन भरत तमें जहन डरपहह सपुरपराल॥219॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवरराज इमंद! शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे भक्त सदरा दस पू रर कप्रे हहत ममें लगप्रे रहतप्रे हमैं,
वप्रे दसपू रर कप्रे दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री और दयरालपु हगोतप्रे हमैं। हफिर भरतजश्री तगो भक्तर कप्रे हशरगोमहर
हमैं, उनसप्रे हबलकपु ल न डरगो॥219॥
चरौपराई :
* सत्यसमंध पभपु सपुर हहतकरारश्री। भरत रराम आयस अनपुसरारश्री॥
स्वरारर हबबस हबकल तपुम्ह हगोहह। भरत दगोसपु नहहमं रराउर मगोहह॥1॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचमंदजश्री सत्यपहतज और दप्रेवतराओमं करा हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं और
भरतजश्री शश्री ररामजश्री ककी आजरा कप्रे अनपुसरार चलनप्रे वरालप्रे हमैं। तपुम व्यरर्ण हश्री स्वरारर्ण कप्रे
हवशप्रेष वश हगोकर व्यराकपुल हगो रहप्रे हगो। इसममें भरतजश्री करा कगोई दगोष नहहीं , तपुम्हराररा हश्री
मगोह हहै॥1॥
* सपुहन सपुरबर सपुरगपुर बर बरानश्री। भरा पमगोद पु मन हमटश्री गलरानश्री॥
बरहष पसपून हरहष सपुररराऊ। लगप्रे सरराहन भरत सपुभराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवगपुर बमृहस्पहतजश्री ककी शप्रेष वरारश्री सपुनकर इमंद कप्रे मन ममें बडरा आनमंद हह आ
और उनककी हचमंतरा हमट गई। तब हहषर्णत हगोकर दप्रेवरराज फिपू ल बरसराकर भरतजश्री कप्रे
स्वभराव ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥2॥
भरतजश्री हचत्रकपू ट कप्रे मरागर्ण ममें
* एहह हबहध भरत चलप्रे मग जराहहीं। दसरा दप्रेहख मपुहन हसद हसहराहहीं॥
जबहह ररामपु कहह लप्रेहहमं उसरासरा। उमगत पप्रेमपु मनहह हूँ चहह परासरा॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार भरतजश्री मरागर्ण ममें चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। उनककी (पप्रेममयश्री) दशरा दप्रेखकर
मपुहन और हसद लगोग भश्री हसहरातप्रे हमैं। भरतजश्री जब भश्री 'रराम' कहकर लमंबश्री सरास हूँ लप्रेतप्रे
हमैं, तभश्री मरानगो चरारर ओर पप्रेम उमड पडतरा हहै॥ 3॥
* दवहहमं बचन सपुहन कपु हलस पषरानरा। पपुरजन पप्रेमपु न जराइ बखरानरा॥
बश्रीच बरास करर जमपुनहहमं आए। हनरहख नश्रीर लगोचन जल छराए॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे (पप्रेम और दश्रीनतरा सप्रे पपूरर्ण) वचनर कगो सपुनकर वज्र और पत्रर भश्री
हपघल जरातप्रे हमैं। अयगोध्यरावराहसयर करा पप्रेम कहतप्रे नहहीं बनतरा। बश्रीच ममें हनवरास (मपुकराम)
करकप्रे भरतजश्री यमपुनराजश्री कप्रे तट पर आए। यमपुनराजश्री करा जल दप्रेखकर उनकप्रे नप्रेत्रर ममें
जल भर आयरा॥4॥
दगोहरा :
* रघपुबर बरन हबलगोहक बर बरारर समप्रेत समराज।
हगोत मगन बराररहध हबरह चढप्रे हबबप्रेक जहराज॥220॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे (श्यराम) रमंग करा सपुदमं र जल दप्रेखकर सरारप्रे समराज सहहत
भरतजश्री (पप्रेम हवह्वल हगोकर) शश्री ररामजश्री कप्रे हवरह रूपश्री समपुद ममें डपू बतप्रे-डपू बतप्रे हववप्रेक
रूपश्री जहराज पर चढ गए (अररार्णतम यमपुनराजश्री करा श्यरामवरर्ण जल दप्रेखकर सब लगोग
श्यरामवरर्ण भगवरान कप्रे पप्रेम ममें हवह्वल हगो गए और उन्हमें न पराकर हवरह व्यररा सप्रे पश्रीहडत
हगो गए, तब भरतजश्री कगो यह ध्यरान आयरा हक जल्दश्री चलकर उनकप्रे सराक्षरातम दशर्णन
करमेंगप्रे, इस हववप्रेक सप्रे वप्रे हफिर उत्सराहहत हगो गए)॥220॥
चरौपराई :
* जमपुन तश्रीर तप्रेहह हदन करर बरासपू। भयउ समय सम सबहह सपुपरासपू॥
रराहतहहमं घराट घराट ककी तरनश्री। आई मं अगहनत जराहहमं न बरनश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-उस हदन यमपुनराजश्री कप्रे हकनरारप्रे हनवरास हकयरा। समयरानपुसरार सबकप्रे हलए (खरान-
परान आहद ककी) सपुदमं र व्यवस्ररा हह ई (हनषरादरराज करा समंकप्रेत पराकर) ररात हश्री ररात ममें
घराट-घराट ककी अगहरत नरावमें वहराहूँ आ गई,मं हजनकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥1॥
* परात परार भए एकहह खप्रेवराहूँ। तगोषप्रे ररामसखरा ककी सप्रेवराहूँ॥
चलप्रे नहराइ नहदहह हसर नराई। सरार हनषरादनरार दगोउ भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सबप्रेरप्रे एक हश्री खप्रेवप्रे ममें सब लगोग परार हगो गए और शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे सखरा
हनषरादरराज ककी इस सप्रेवरा सप्रे समंतपुष्टि हह ए। हफिर स्नरान करकप्रे और नदश्री कगो हसर नवराकर
हनषरादरराज कप्रे सरार दगोनर भराई चलप्रे॥2॥
* आगमें मपुहनबर बराहन आछमें। रराजसमराज जराइ सबपु पराछमें॥
तप्रेहह पराछमें दगोउ बमंधपु पयरादमें। भपूषन बसन बप्रेष सपुहठ सरादमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आगप्रे अच्छश्री-अच्छश्री सवराररयर पर शप्रेष मपुहन हमैं, उनकप्रे पश्रीछप्रे सराररा रराजसमराज
जरा रहरा हहै। उसकप्रे पश्रीछप्रे दगोनर भराई बहह त सरादप्रे भपूषर-वस्त्र और वप्रेष सप्रे पहैदल चल रहप्रे
हमैं॥3॥
* सप्रेवक सपुहृद सहचवसपुत सराररा। सपुहमरत लखनपु सश्रीय रघपुनराररा॥
जहहूँ जहहूँ रराम बरास हबशरामरा। तहहूँ तहहूँ करहहमं सपप्रेम पनरामरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक, हमत्र और ममंत्रश्री कप्रे पपुत्र उनकप्रे सरार हमैं। लक्ष्मर, सश्रीतराजश्री और शश्री
रघपुनरारजश्री करा स्मरर करतप्रे जरा रहप्रे हमैं। जहराहूँ-जहराहूँ शश्री ररामजश्री नप्रे हनवरास और हवशराम
हकयरा ररा, वहराहूँ-वहराहूँ वप्रे पप्रेमसहहत परराम करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* मगबरासश्री नर नरारर सपुहन धराम कराम तहज धराइ।
दप्रेहख सरूप सनप्रेह सब मपुहदत जनम फिलपु पराइ॥221॥
भरावरारर्ण:-मरागर्ण ममें रहनप्रे वरालप्रे स्त्रश्री-पपुरष यह सपुनकर घर और कराम-कराज छगोडकर दरौड
पडतप्रे हमैं और उनकप्रे रूप (सजौंदयर्ण) और पप्रेम कगो दप्रेखकर वप्रे सब जन्म लप्रेनप्रे करा फिल
पराकर आनमंहदत हगोतप्रे हमैं॥221॥
चरौपराई :
* कहहहमं सपप्रेम एक एक पराहहीं। ररामपु लखनपु सहख हगोहहमं हक नराहहीं॥
बय बपपु बरन रूपपु सगोइ आलश्री। सश्रीलपु सनप्रेहह सररस सम चरालश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-गराहूँवर ककी हस्त्रयराहूँ एक-दस पू रप्रे सप्रे पप्रेमपपूवर्णक कहतश्री हमैं- सखश्री! यप्रे रराम-लक्ष्मर हमैं
हक नहहीं? हप्रे सखश्री! इनककी अवस्ररा, शरश्रीर और रमंग-रूप तगो वहश्री हहै। शश्रील, स्नप्रेह
उन्हहीं कप्रे सदृश हहै और चराल भश्री उन्हहीं कप्रे समरान हहै॥1॥
* बप्रेषपु न सगो सहख सश्रीय न समंगरा। आगमें अनश्री चलश्री चतपुरमंगरा॥
नहहमं पसन्न मपुख मरानस खप्रेदरा। सहख समंदहप्रे ह हगोइ एहहमं भप्रेदरा॥2॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु सखश्री! इनकरा न तगो वह वप्रेष (वल्कल वस्त्रधरारश्री मपुहनवप्रेष) हहै, न
सश्रीतराजश्री हश्री समंग हमैं और इनकप्रे आगप्रे चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा चलश्री जरा रहश्री हहै। हफिर इनकप्रे मपुख
पसन्न नहहीं हमैं, इनकप्रे मन ममें खप्रेद हहै। हप्रे सखश्री! इसश्री भप्रेद कप्रे करारर समंदप्रेह हगोतरा हहै॥
2॥
* तरासपु तरक हतयगन मन मरानश्री। कहहहमं सकल तप्रेहह सम न सयरानश्री॥
तप्रेहह सरराहह बरानश्री फिपु रर पपूजश्री। बगोलश्री मधपुर बचन हतय दज पू श्री॥3॥
भरावरारर्ण:-उसकरा तकर्ण (यहपु क्त) अन्य हस्त्रयर कप्रे मन भरायरा। सब कहतश्री हमैं हक इसकप्रे
समरान सयरानश्री (चतपुर) कगोई नहहीं हहै। उसककी सरराहनरा करकप्रे और 'तप्रेरश्री वरारश्री सत्य हहै'
इस पकरार उसकरा सम्मरान करकप्रे दस पू रश्री स्त्रश्री मश्रीठप्रे वचन बगोलश्री॥3॥
* कहह सपप्रेम बस कररापसमंगपू। जप्रेहह हबहध रराम रराज रस भमंगपू॥
भरतहह बहह रर सरराहन लरागश्री। सश्रील सनप्रेह सपुभराय सपुभरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे रराजहतलक करा आनमंद हजस पकरार सप्रे भमंग हहआ ररा, वह सब
कररापसमंग पप्रेमपपूवर्णक कहकर हफिर वह भराग्यवतश्री स्त्रश्री शश्री भरतजश्री कप्रे शश्रील, स्नप्रेह और
स्वभराव ककी सरराहनरा करनप्रे लगश्री॥4॥
दगोहरा :
* चलत पयरादमें खरात फिल हपतरा दश्रीन्ह तहज रराजपु।
जरात मनरावन रघपुबरहह भरत सररस कगो आजपु॥222॥
भरावरारर्ण:-(वह बगोलश्री-) दप्रेखगो, यप्रे भरतजश्री हपतरा कप्रे हदए हहए रराज्य कगो त्यरागकर पहैदल
चलतप्रे और फिलराहरार करतप्रे हह ए शश्री ररामजश्री कगो मनरानप्रे कप्रे हलए जरा रहप्रे हमैं। इनकप्रे समरान
आज करौन हहै?॥222॥।
चरौपराई :
* भरायप भगहत भरत आचरनपू। कहत सपुनत दख पु दषपू न हरनपू॥
जगो हकछपु कहब रगोर सहख सगोई। रराम बमंधपु अस कराहप्रे न हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा भराईपनरा, भहक्त और इनकप्रे आचरर कहनप्रे और सपुननप्रे सप्रे दद्धाःपु ख
और दगोषर कप्रे हरनप्रे वरालप्रे हमैं। हप्रे सखश्री! उनकप्रे समंबमंध ममें जगो कपु छ भश्री कहरा जराए, वह
रगोडरा हहै। शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे भराई ऐसप्रे क्यर न हर॥1॥
* हम सब सरानपुज भरतहह दप्रेख।में भइन्ह धन्य जपुबतश्री जन लप्रेख॥में
सपुहन गपुन दप्रेहख दसरा पहछतराहहीं। कहै कइ जनहन जगोगपु सपुतपु नराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न सहहत भरतजश्री कगो दप्रेखकर हम सब भश्री आज धन्य
(बडभराहगनश्री) हस्त्रयर ककी हगनतश्री ममें आ गई।मं इस पकरार भरतजश्री कप्रे गपुर सपुनकर और
उनककी दशरा दप्रेखकर हस्त्रयराहूँ पछतरातश्री हमैं और कहतश्री हमैं - यह पपुत्र कहै कयश्री जहैसश्री मरातरा
कप्रे यगोग्य नहहीं हहै॥2॥
* कगोउ कह दषपू नपु रराहनहह नराहहन। हबहध सबपु ककीन्ह हमहह जगो दराहहन॥
कहहूँ हम लगोक बप्रेद हबहध हश्रीनश्री। लघपु हतय कपु ल करतपूहत मलश्रीनश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-कगोई कहतश्री हहै- इसममें ररानश्री करा भश्री दगोष नहहीं हहै। यह सब हवधरातरा नप्रे हश्री
हकयरा हहै, जगो हमरारप्रे अनपुकपूल हहै। कहराहूँ तगो हम लगोक और वप्रेद दगोनर ककी हवहध
(मयरार्णदरा) सप्रे हश्रीन, कपु ल और करतपूत दगोनर सप्रे महलन तपुच्छ हस्त्रयराहूँ,॥3॥
* बसहहमं कपु दप्रेस कपु गराहूँव कपु बरामरा। कहहूँ यह दरसपु पपुन्य पररनरामरा॥
अस अनमंदपु अहचररजपु पहत गरामरा। जनपु मरभपूहम कलपतर जरामरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जगो बपुरप्रे दप्रेश (जमंगलश्री परान्त) और बपुरप्रे गराहूँव ममें बसतश्री हमैं और (हस्त्रयर ममें भश्री)
नश्रीच हस्त्रयराहूँ हमैं! और कहराहूँ यह महरानम पपुण्यर करा पररररामस्वरूप इनकरा दशर्णन ! ऐसरा हश्री
आनमंद और आश्चयर्ण गराहूँव-गराहूँव ममें हगो रहरा हहै। मरानगो मरभपूहम ममें कल्पवमृक्ष उग गयरा हगो॥
4॥
दगोहरा :
* भरत दरसपु दप्रेखत खपुलप्रेउ मग लगोगन्ह कर भरागपु।
जनपु हसमंघलबराहसन्ह भयउ हबहध बस सपुलभ पयरागपु॥ 223॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा स्वरूप दप्रेखतप्रे हश्री ररास्तप्रे ममें रहनप्रे वरालप्रे लगोगर कप्रे भराग्य खपुल गए!
मरानगो दहैवयगोग सप्रे हसमंहलदश्रीप कप्रे बसनप्रे वरालर कगो तश्रीरर्णरराज पयराग सपुलभ हगो गयरा हगो!॥
223॥
चरौपराई :
* हनज गपुन सहहत रराम गपुन गराररा। सपुनत जराहहमं सपुहमरत रघपुनराररा॥
तश्रीरर मपुहन आशम सपुरधरामरा। हनरहख हनमजहहमं करहहमं पनरामरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार) अपनप्रे गपुरर सहहत शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे गपुरर ककी कररा सपुनतप्रे और
शश्री रघपुनरारजश्री कगो स्मरर करतप्रे हहए भरतजश्री चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। वप्रे तश्रीरर्ण दप्रेखकर स्नरान
और मपुहनयर कप्रे आशम तररा दप्रेवतराओमं कप्रे ममंहदर दप्रेखकर परराम करतप्रे हमैं॥1॥
* मनहहीं मन मरागहहमं बर एहह । सश्रीय रराम पद पदमपु सनप्रेहह॥
हमलहहमं हकररात कगोल बनबरासश्री। बहैखरानस बटपु जतश्री उदरासश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-और मन हश्री मन यह वरदरान मराहूँगतप्रे हमैं हक शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चरर कमलर
ममें पप्रेम हगो। मरागर्ण ममें भश्रील, कगोल आहद वनवरासश्री तररा वरानपस्र, ब्रहचरारश्री, समंन्यरासश्री
और हवरक्त हमलतप्रे हमैं॥2॥
* करर पनरामपु पपूहूँछहहमं जप्रेहह तप्रेहश्री। कप्रे हह बन लखनपु ररामपु बहैदप्रेहश्री॥
तप्रे पभपु समराचरार सब कहहहीं। भरतहह दप्रेहख जनम फिलपु लहहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उनममें सप्रे हजस-हतस सप्रे परराम करकप्रे पपूछतप्रे हमैं हक लक्ष्मरजश्री, शश्री ररामजश्री
और जरानककीजश्री हकस वन ममें हमैं? वप्रे पभपु कप्रे सब समराचरार कहतप्रे हमैं और भरतजश्री कगो
दप्रेखकर जन्म करा फिल परातप्रे हमैं॥3॥
* जप्रे जन कहहहमं कपु सल हम दप्रेखप्रे। तप्रे हपय रराम लखन सम लप्रेखप्रे॥
एहह हबहध बपूझत सबहह सपुबरानश्री। सपुनत रराम बनबरास कहरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग कहतप्रे हमैं हक हमनप्रे उनकगो कपु शलपपूवर्णक दप्रेखरा हहै, उनकगो यप्रे शश्री रराम-
लक्ष्मर कप्रे समरान हश्री प्यरारप्रे मरानतप्रे हमैं। इस पकरार सबसप्रे सपुमंदर वरारश्री सप्रे पपूछतप्रे और शश्री
ररामजश्री कप्रे वनवरास ककी कहरानश्री सपुनतप्रे जरातप्रे हमैं॥ 4॥
दगोहरा :
* तप्रेहह बरासर बहस परातहहीं चलप्रे सपुहमरर रघपुनरार।
रराम दरस ककी लरालसरा भरत सररस सब सरार॥224॥
भरावरारर्ण:-उस हदन वहहीं ठहरकर दस पू रप्रे हदन परातद्धाःकराल हश्री शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर
करकप्रे चलप्रे। सरार कप्रे सब लगोगर कगो भश्री भरतजश्री कप्रे समरान हश्री शश्री ररामजश्री कप्रे दशर्णन
ककी लरालसरा (लगश्री हहई) हहै॥224॥
चरौपराई :
* ममंगल सगपुन हगोहहमं सब कराहह। फिरकहहमं सपुखद हबलगोचन बराहह॥
भरतहह सहहत समराज उछराहह। हमहलहहहमं ररामपु हमहटहह दख पु दराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-सबकगो ममंगलसपूचक शकपु न हगो रहप्रे हमैं। सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे (पपुरषर कप्रे दराहहनप्रे और
हस्त्रयर कप्रे बराएहूँ) नप्रेत्र और भपुजराएहूँ फिडक रहश्री हमैं। समराज सहहत भरतजश्री कगो उत्सराह हगो
रहरा हहै हक शश्री ररामचमंदजश्री हमलमेंगप्रे और द द्धाःपु ख करा दराह हमट जराएगरा॥1॥
* करत मनगोरर जस हजयहूँ जराकप्रे। जराहहमं सनप्रेह सपुरराहूँ सब छराकप्रे।
हसहरल अमंग पग मग डहग डगोलहहमं। हबहबल बचन पप्रेम बस बगोलहहमं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे जश्री ममें जहैसरा हहै, वह वहैसरा हश्री मनगोरर करतरा हहै। सब स्नप्रेहश्री रूपश्री
महदररा सप्रे छकप्रे (पप्रेम ममें मतवरालप्रे हह ए) चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। अमंग हशहरल हमैं, ररास्तप्रे ममें पहैर
डगमगरा रहप्रे हमैं और पप्रेमवश हवह्वल वचन बगोल रहप्रे हमैं॥ 2॥
* ररामसखराहूँ तप्रेहह समय दप्रेखरावरा। सहैल हसरगोमहन सहज सपुहरावरा॥
जरासपु समश्रीप सररत पय तश्रीररा। सश्रीय समप्रेत बसहहमं दगोउ बश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ररामसखरा हनषरादरराज नप्रे उसश्री समय स्वराभराहवक हश्री सपुहरावनरा पवर्णतहशरगोमहर
करामदहगरर हदखलरायरा, हजसकप्रे हनकट हश्री पयहस्वनश्री नदश्री कप्रे तट पर सश्रीतराजश्री समप्रेत
दगोनर भराई हनवरास करतप्रे हमैं॥3॥
* दप्रेहख करहहमं सब दमंड पनरामरा। कहह जय जरानहक जश्रीवन ररामरा॥
पप्रेम मगन अस रराज समराजपू। जनपु हफिरर अवध चलप्रे रघपुरराजपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग उस पवर्णत कगो दप्रेखकर 'जरानककी जश्रीवन शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय हगो।'
ऐसरा कहकर दण्डवत परराम करतप्रे हमैं। रराजसमराज पप्रेम ममें ऐसरा मग्नि हहै मरानगो शश्री
रघपुनरारजश्री अयगोध्यरा कगो लरौट चलप्रे हर॥4॥
दगोहरा :
* भरत पप्रेमपु तप्रेहह समय जस तस कहह सकइ न सप्रेषपु।
कहबहह अगम हजहम ब्रहसपुखपु अह मम महलन जनप्रेषपु॥225॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा उस समय जहैसरा पप्रेम ररा, वहैसरा शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कह सकतप्रे।
कहव कप्रे हलए तगो वह वहैसरा हश्री अगम हहै, जहैसरा अहमंतरा और ममतरा सप्रे महलन मनपुष्यर
कप्रे हलए ब्रहरानमंद!॥225॥
चरौपराई :
* सकल सनप्रेह हसहरल रघपुबर कमें । गए कगोस दइपु हदनकर ढरकमें ॥
जलपु रलपु दप्रेहख बसप्रे हनहस बश्रीतमें। ककीन्ह गवन रघपुनरार हपरश्रीतमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे पप्रेम कप्रे मरारप्रे हशहरल हगोनप्रे कप्रे करारर सपूयरार्णस्त हगोनप्रे
तक (हदनभर ममें) दगो हश्री कगोस चल पराए और जल-स्रल करा सपुपरास दप्रेखकर ररात कगो
वहहीं (हबनरा खराए-पश्रीए हश्री) रह गए। ररात बश्रीतनप्रे पर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे पप्रेमश्री भरतजश्री नप्रे
आगप्रे गमन हकयरा॥1॥
शश्री सश्रीतराजश्री करा स्वप्न, शश्री ररामजश्री कगो कगोल-हकररातर दराररा भरतजश्री कप्रे आगमन ककी
सपूचनरा, ररामजश्री करा शगोक, लक्ष्मरजश्री करा कगोध
* उहराहूँ ररामपु रजनश्री अवसप्रेषरा। जरागप्रे सश्रीयहूँ सपन अस दप्रेखरा॥
सहहत समराज भरत जनपु आए। नरार हबयगोग तराप तन तराए॥2॥
भरावरारर्ण:-उधर शश्री ररामचमंदजश्री ररात शप्रेष रहतप्रे हश्री जरागप्रे। ररात कगो सश्रीतराजश्री नप्रे ऐसरा स्वप्न
दप्रेखरा (हजसप्रे वप्रे शश्री ररामचमंदजश्री कगो सपुनरानप्रे लगहीं) मरानगो समराज सहहत भरतजश्री यहराहूँ
आए हमैं। पभपु कप्रे हवयगोग ककी अहग्नि सप्रे उनकरा शरश्रीर समंतप्त हहै॥ 2॥
* सकल महलन मन दश्रीन दख पु रारश्री। दप्रेखहीं सरासपु आन अनपुहरारश्री॥
सपुहन हसय सपन भरप्रे जल लगोचन। भए सगोचबस सगोच हबमगोचन॥3॥
भरावरारर्ण:-सभश्री लगोग मन ममें उदरास, दश्रीन और दद्धाःपु खश्री हमैं। सरासपुओमं कगो दस पू रश्री हश्री सपूरत
ममें दप्रेखरा। सश्रीतराजश्री करा स्वप्न सपुनकर शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे नप्रेत्रर ममें जल भर गयरा और
सबकगो सगोच सप्रे छपु डरा दप्रेनप्रे वरालप्रे पभपु स्वयमं (लश्रीलरा सप्रे) सगोच कप्रे वश हगो गए॥3॥
* लखन सपन यह नश्रीक न हगोई। कहठन कपु चराह सपुनराइहह कगोई॥
अस कहह बमंधपु समप्रेत नहरानप्रे पपूहज पपुररारर सराधपु सनमरानप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(और बगोलप्रे-) लक्ष्मर! यह स्वप्न अच्छरा नहहीं हहै। कगोई भश्रीषर कपु समराचरार
(बहह त हश्री बपुरश्री खबर) सपुनरावप्रेगरा। ऐसरा कहकर उन्हरनप्रे भराई सहहत स्नरान हकयरा और
हत्रपपुररारश्री महरादप्रेवजश्री करा पपूजन करकप्रे सराधपुओमं करा सम्मरान हकयरा॥4॥
छमंद :
* सनमराहन सपुर मपुहन बमंहद बहैठप्रे उतर हदहस दप्रेखत भए।
नभ धपूरर खग ममृग भपूरर भरागप्रे हबकल पभपु आशम गए॥
तपुलसश्री उठप्रे अवलगोहक करारनपु कराह हचत सचहकत रहप्रे।
सब समराचरार हकररात कगोलहन्ह आइ तप्रेहह अवसर कहप्रे॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं करा सम्मरान (पपूजन) और मपुहनयर ककी वमंदनरा करकप्रे शश्री ररामचमंदजश्री
बहैठ गए और उरर हदशरा ककी ओर दप्रेखनप्रे लगप्रे। आकराश ममें धपूल छरा रहश्री हहै , बहह त सप्रे
पक्षश्री और पशपु व्यराकपुल हगोकर भरागप्रे हहए पभपु कप्रे आशम कगो आ रहप्रे हमैं। तपुलसश्रीदरासजश्री
कहतप्रे हमैं हक पभपु शश्री ररामचमंदजश्री यह दप्रेखकर उठप्रे और सगोचनप्रे लगप्रे हक क्यरा करारर
हहै? वप्रे हचर ममें आश्चयर्णयक्त पु हगो गए। उसश्री समय कगोल-भश्रीलर नप्रे आकर सब समराचरार
कहप्रे।
सगोरठरा :
* सपुनत सपुममंगल बहैन मन पमगोद तन पपुलक भर।
सरद सरगोरह नहैन तपुलसश्री भरप्रे सनप्रेह जल॥226॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक सपुदमं र ममंगल वचन सपुनतप्रे हश्री शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे मन
ममें बडरा आनमंद हहआ। शरश्रीर ममें पपुलकरावलश्री छरा गई और शरद म ऋतपु कप्रे कमल कप्रे समरान
नप्रेत्र पप्रेमराशपुओमं सप्रे भर गए॥226॥
चरौपराई :
* बहह रर सगोचबस भप्रे हसयरवनपू। करारन कवन भरत आगवनपू॥
एक आइ अस कहरा बहगोरश्री। सप्रेन समंग चतपुरमंग न रगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरापहत शश्री ररामचमंदजश्री पपुनद्धाः सगोच कप्रे वश हगो गए हक भरत कप्रे आनप्रे करा
क्यरा करारर हहै? हफिर एक नप्रे आकर ऐसरा कहरा हक उनकप्रे सरार ममें बडश्री भरारश्री
चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा भश्री हहै॥1॥
* सगो सपुहन ररामहह भरा अहत सगोचपू। इत हपतपु बच इत बमंधपु सकगोचपू॥
भरत सपुभराउ समपुहझ मन मराहहीं। पभपु हचत हहत हरहत परावत नराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर शश्री ररामचमंदजश्री कगो अत्यमंत सगोच हहआ। इधर तगो हपतरा कप्रे वचन
और उधर भराई भरतजश्री करा समंकगोच ! भरतजश्री कप्रे स्वभराव कगो मन ममें समझकर तगो
पभपु शश्री ररामचमंदजश्री हचर कगो ठहररानप्रे कप्रे हलए कगोई स्ररान हश्री नहहीं परातप्रे हमैं॥2॥
* समराधरान तब भरा यह जरानप्रे। भरतपु कहप्रे महह हूँ सराधपु सयरानप्रे॥
लखन लखप्रेउ पभपु हृदयहूँ खभरारू। कहत समय सम नश्रीहत हबचरारू॥3॥
भरावरारर्ण:-तब यह जरानकर समराधरान हगो गयरा हक भरत सराधपु और सयरानप्रे हमैं तररा मप्रेरप्रे
कहनप्रे ममें (आजराकरारश्री) हमैं। लक्ष्मरजश्री नप्रे दप्रेखरा हक पभपु शश्री ररामजश्री कप्रे हृदय ममें हचमंतरा
हहै तगो वप्रे समय कप्रे अनपुसरार अपनरा नश्रीहतयक्त पु हवचरार कहनप्रे लगप्रे-॥3॥
* हबनपु पपूछमें कछपु कहउहूँ गगोसराई।मं सप्रेवकपु समयहूँ न ढश्रीठ हढठराई॥मं
तपुम्ह सबर्णग्य हसरगोमहन स्वरामश्री। आपहन समपुहझ कहउहूँ अनपुगरामश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! आपकप्रे हबनरा हश्री पपूछप्रे ममैं कपु छ कहतरा हह हूँ, सप्रेवक समय पर हढठराई
करनप्रे सप्रे ढश्रीठ नहहीं समझरा जरातरा (अररार्णतम आप पपूछमें तब ममैं कहह हूँ, ऐसरा अवसर नहहीं
हहै, इसहलए यह मप्रेररा कहनरा हढठराई नहहीं हगोगरा)। हप्रे स्वरामश्री! आप सवर्णजर ममें हशरगोमहर
हमैं (सब जरानतप्रे हश्री हमैं)। ममैं सप्रेवक तगो अपनश्री समझ ककी बरात कहतरा हह॥हूँ 4॥
दगोहरा :
* नरार सपुहृद सपुहठ सरल हचत सश्रील सनप्रेह हनधरान।
सब पर पश्रीहत पतश्रीहत हजयहूँ जराहनअ आपपु समरान॥227॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आप परम सपुहृदम (हबनरा हश्री करारर परम हहत करनप्रे वरालप्रे), सरल
हृदय तररा शश्रील और स्नप्रेह कप्रे भमंडरार हमैं, आपकरा सभश्री पर पप्रेम और हवश्वरास हहै,
और अपनप्रे हृदय ममें सबकगो अपनप्रे हश्री समरान जरानतप्रे हमैं॥ 227॥
चरौपराई :
* हबषई जश्रीव पराइ पभपुतराई। मपूढ मगोह बस हगोहहमं जनराई॥
भरतपु नश्रीहत रत सराधपु सपुजरानरा। पभपु पद पप्रेमपु सकल जगपु जरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परमंतपु मपूढ हवषयश्री जश्रीव पभपुतरा पराकर मगोहवश अपनप्रे असलश्री स्वरूप कगो पकट
कर दप्रेतप्रे हमैं। भरत नश्रीहतपररायर, सराधपु और चतपुर हमैं तररा पभपु (आप) कप्रे चररर ममें
उनकरा पप्रेम हहै, इस बरात कगो सराररा जगतम जरानतरा हहै॥1॥
* तप्रेऊ आजपु रराम पद पु पराई। चलप्रे धरम मरजराद मप्रेटराई॥
कपु हटल कपु बमंधपु कपु अवसर तराककी। जराहन रराम बनबरास एकराककी॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे भरतजश्री आज शश्री ररामजश्री (आप) करा पद (हसमंहरासन यरा अहधकरार) पराकर
धमर्ण ककी मयरार्णदरा कगो हमटराकर चलप्रे हमैं। कपु हटल खगोटप्रे भराई भरत कपु समय दप्रेखकर और
यह जरानकर हक ररामजश्री (आप) वनवरास ममें अकप्रे लप्रे (असहराय) हमैं,॥2॥
* करर कपु ममंत्रपु मन सराहज समराजपू। आए करहै अकमंटक रराजपू॥
कगोहट पकरार कलहप कपु हटलराई। आए दल बटगोरर दगोउ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे मन ममें बपुररा हवचरार करकप्रे , समराज जगोडकर रराज्यर कगो हनष्कण्टक करनप्रे
कप्रे हलए यहराहूँ आए हमैं। करगोडर (अनप्रेकर) पकरार ककी कपु हटलतराएहूँ रचकर सप्रेनरा बटगोरकर
दगोनर भराई आए हमैं॥3॥
* जजौं हजयहूँ हगोहत न कपट कपु चरालश्री। कप्रे हह सगोहराहत रर बराहज गजरालश्री॥
भरतहह दगोसपु दप्रेइ कगो जराएहूँ। जग बरौरराइ रराज पद पु पराएहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-यहद इनकप्रे हृदय ममें कपट और कपु चराल न हगोतश्री, तगो रर, घगोडप्रे और हराहरयर
ककी कतरार (ऐसप्रे समय) हकसप्रे सपुहरातश्री? परन्तपु भरत कगो हश्री व्यरर्ण करौन दगोष दप्रे?
रराजपद परा जरानप्रे पर सराररा जगतम हश्री परागल (मतवरालरा) हगो जरातरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सहस गपुर हतय गरामश्री नघपुषपु चढप्रेउ भपूहमसपुर जरान।
लगोक बप्रेद तमें हबमपुख भरा अधम न बप्रेन समरान॥228॥
भरावरारर्ण:-चमंदमरा गपुरपत्नश्री गरामश्री हहआ, रराजरा नहहष ब्रराहरर ककी परालककी पर चढरा और
रराजरा वप्रेन कप्रे समरान नश्रीच तगो कगोई नहहीं हगोगरा, जगो लगोक और वप्रेद दगोनर सप्रे हवमपुख हगो
गयरा॥228॥
चरौपराई :
* सहसबराहह सपुरनरारपु हत्रसमंकपू। कप्रे हह न रराजमद दश्रीन्ह कलमंकपू॥
भरत ककीन्ह यह उहचत उपराऊ। ररपपु ररन रमंच न रराखब कराउ॥1॥
भरावरारर्ण:-सहस्रबराहह, दप्रेवरराज इमंद और हत्रशमंकपु आहद हकसकगो रराजमद नप्रे कलमंक नहहीं
हदयरा? भरत नप्रे यह उपराय उहचत हश्री हकयरा हहै, क्यरहक शत्रपु और ऋर कगो कभश्री
जररा भश्री शप्रेष नहहीं रखनरा चराहहए॥1॥
* एक ककीहन्ह नहहमं भरत भलराई। हनदरप्रे ररामपु जराहन असहराई॥
समपुहझ पररहह सगोउ आजपु हबसप्रेषश्री। समर सरगोष रराम मपुख पु पप्रेखश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हराहूँ, भरत नप्रे एक बरात अच्छश्री नहहीं ककी, जगो ररामजश्री (आप) कगो असहराय
जरानकर उनकरा हनररादर हकयरा! पर आज समंगराम ममें शश्री ररामजश्री (आप) करा कगोधपपूरर्ण
मपुख दप्रेखकर यह बरात भश्री उनककी समझ ममें हवशप्रेष रूप सप्रे आ जराएगश्री (अररार्णतम इस
हनररादर करा फिल भश्री वप्रे अच्छश्री तरह परा जराएहूँगप्रे )॥2॥
* एतनरा कहत नश्रीहत रस भपूलरा। रन रस हबटपपु पपुलक हमस फिपू लरा॥
पभपु पद बमंहद सश्रीस रज रराखश्री। बगोलप्रे सत्य सहज बलपु भराषश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इतनरा कहतप्रे हश्री लक्ष्मरजश्री नश्रीहतरस भपूल गए और यद पु रस रूपश्री वमृक्ष
पपुलकरावलश्री कप्रे बहरानप्रे सप्रे फिपूल उठरा (अररार्णतम नश्रीहत ककी बरात कहतप्रे-कहतप्रे उनकप्रे शरश्रीर ममें
वश्रीर रस छरा गयरा)। वप्रे पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे , चरर रज कगो
हसर पर रखकर सचरा और स्वराभराहवक बल कहतप्रे हह ए बगोलप्रे॥3॥
* अनपुहचत नरार न मरानब मगोररा। भरत हमहह उपचरार न रगोररा॥
कहहूँ लहग सहहअ रहहअ मनपु मरारमें। नरार सरार धनपु हरार हमरारमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! मप्रेररा कहनरा अनपुहचत न मराहनएगरा। भरत नप्रे हममें कम नहहीं पचराररा हहै
(हमरारप्रे सरार कम छप्रेडछराड नहहीं ककी हहै)। आहखर कहराहूँ तक सहरा जराए और मन मरारप्रे
रहरा जराए, जब स्वरामश्री हमरारप्रे सरार हमैं और धनपुष हमरारप्रे हरार ममें हहै !॥4॥
दगोहरा :
* छहत्र जराहत रघपुकपुल जनमपु रराम अनपुग जगपु जरान।
लरातहह हूँ मरारमें चढहत हसर नश्रीच कगो धपूरर समरान॥229॥
भरावरारर्ण:-क्षहत्रय जराहत, रघपुकपुल ममें जन्म और हफिर ममैं शश्री ररामजश्री (आप) करा अनपुगरामश्री
(सप्रेवक) हह हूँ, यह जगतम जरानतरा हहै। (हफिर भलरा कहै सप्रे सहरा जराए?) धपूल कप्रे समरान
नश्रीच करौन हहै, परन्तपु वह भश्री लरात मरारनप्रे पर हसर हश्री चढतश्री हहै॥ 229॥
चरौपराई :
* उहठ कर जगोरर रजरायसपु मरागरा। मनहह हूँ बश्रीर रस सगोवत जरागरा॥
बराहूँहध जटरा हसर कहस कहट भराररा। सराहज सररासनपु सरायकपु हराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-यर कहकर लक्ष्मरजश्री नप्रे उठकर, हरार जगोडकर आजरा मराहूँगश्री। मरानगो वश्रीर रस
सगोतप्रे सप्रे जराग उठरा हगो। हसर पर जटरा बराधहूँ कर कमर ममें तरकस कस हलयरा और धनपुष
कगो सजराकर तररा बरार कगो हरार ममें लप्रेकर कहरा-॥1॥
* आजपु रराम सप्रेवक जसपु लप्रेऊहूँ। भरतहह समर हसखरावन दप्रेऊहूँ॥
रराम हनररादर कर फिलपु पराई। सगोवहह हूँ समर सप्रेज दगोउ भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-आज ममैं शश्री रराम (आप) करा सप्रेवक हगोनप्रे करा यश लपूहूँ और भरत कगो समंगराम
ममें हशक्षरा द।हूँपू शश्री ररामचमंदजश्री (आप) कप्रे हनररादर करा फिल पराकर दगोनर भराई (भरत-
शत्रपुघ्न) रर शय्यरा पर सगोवमें॥2॥
* आइ बनरा भल सकल समराजपू। पगट करउहूँ ररस पराहछल आजपू॥
हजहम करर हनकर दलइ ममृगरराजपू। लप्रेइ लपप्रेहट लवरा हजहम बराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अच्छरा हह आ जगो सराररा समराज आकर एकत्र हगो गयरा। आज ममैं हपछलरा सब
कगोध पकट करूहूँगरा। जहैसप्रे हसमंह हराहरयर कप्रे झपुडमं कगो कपु चल डरालतरा हहै और बराज जहैसप्रे
लवप्रे कगो लपप्रेट ममें लप्रे लप्रेतरा हहै॥3॥
* तहैसप्रेहहमं भरतहह सप्रेन समप्रेतरा। सरानपुज हनदरर हनपरातउहूँ खप्रेतरा॥
जजौं सहराय कर समंकर आई। तरौ मरारउहूँ रन रराम दगोहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-वहैसप्रे हश्री भरत कगो सप्रेनरा समप्रेत और छगोटप्रे भराई सहहत हतरस्करार करकप्रे महैदरान
ममें पछराडपूहूँगरा। यहद शमंकरजश्री भश्री आकर उनककी सहरायतरा करमें , तगो भश्री, मपुझप्रे ररामजश्री ककी
सरौगमंध हहै, ममैं उन्हमें यद पु ममें (अवश्य) मरार डरालपूहूँगरा (छगोडपूहूँगरा नहहीं)॥4॥
दगोहरा :
* अहत सरगोष मराखप्रे लखनपु लहख सपुहन सपर पवरान।
सभय लगोक सब लगोकपहत चराहत भभरर भगरान॥230॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री कगो अत्यमंत कगोध सप्रे तमतमरायरा हहआ दप्रेखकर और उनककी परामराहरक
(सत्य) सरौगमंध सपुनकर सब लगोग भयभश्रीत हगो जरातप्रे हमैं और लगोकपराल घबडराकर भरागनरा
चराहतप्रे हमैं॥230।
चरौपराई :
* जगपु भय मगन गगन भइ बरानश्री। लखन बराहहबलपु हबपपुल बखरानश्री॥
तरात पतराप पभराउ तपुम्हराररा। कगो कहह सकइ कगो जरानहनहराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सराररा जगतम भय ममें डपू ब गयरा। तब लक्ष्मरजश्री कप्रे अपरार बराहहबल ककी पशमंसरा
करतश्री हह ई आकराशवरारश्री हह ई- हप्रे तरात! तपुम्हरारप्रे पतराप और पभराव कगो करौन कह
सकतरा हहै और करौन जरान सकतरा हहै?॥1॥
* अनपुहचत उहचत कराजपु हकछपु हगोऊ। समपुहझ कररअ भल कह सबपु कगोऊ।
सहसरा करर पराछप्रे पहछतराहहीं। कहहहमं बप्रेद बपुध तप्रे बपुध नराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु कगोई भश्री कराम हगो, उसप्रे अनपुहचत-उहचत खपूब समझ-बपूझकर हकयरा जराए
तगो सब कगोई अच्छरा कहतप्रे हमैं। वप्रेद और हवदरान कहतप्रे हमैं हक जगो हबनरा हवचरारप्रे जल्दश्री
ममें हकसश्री कराम कगो करकप्रे पश्रीछप्रे पछतरातप्रे हमैं, वप्रे बपुहदमरानम नहहीं हमैं॥2॥

शश्री ररामजश्री करा लक्ष्मरजश्री कगो समझरानरा एवमं भरतजश्री ककी महहमरा कहनरा
* सपुहन सपुर बचन लखन सकपु चरानप्रे। रराम सश्रीयहूँ सरादर सनमरानप्रे॥
कहश्री तरात तपुम्ह नश्रीहत सपुहराई। सब तमें कहठन रराजमद पु भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेववरारश्री सपुनकर लक्ष्मरजश्री सकपु चरा गए। शश्री ररामचमंदजश्री और सश्रीतराजश्री नप्रे उनकरा
आदर कप्रे सरार सम्मरान हकयरा (और कहरा-) हप्रे तरात! तपुमनप्रे बडश्री सपुमंदर नश्रीहत कहश्री।
हप्रे भराई! रराज्य करा मद सबसप्रे कहठन मद हहै॥3॥
* जगो अचवहूँत नमृप मरातहहमं तप्रेई। नराहहन सराधस पु भरा जप्रेहहमं सप्रेई॥
सपुनहह लखन भल भरत सरश्रीसरा। हबहध पपमंच महहूँ सपुनरा न दश्रीसरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे सराधओ पु मं ककी सभरा करा सप्रेवन (सत्समंग) नहहीं हकयरा, वप्रे हश्री रराजरा
रराजमद रूपश्री महदररा करा आचमन करतप्रे हश्री (पश्रीतप्रे हश्री) मतवरालप्रे हगो जरातप्रे हमैं। हप्रे
लक्ष्मर! सपुनगो, भरत सरश्रीखरा उरम पपुरष ब्रहरा ककी समृहष्टि ममें न तगो कहहीं सपुनरा गयरा
हहै, न दप्रेखरा हश्री गयरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* भरतहह हगोइ न रराजमद पु हबहध हरर हर पद पराइ।
कबहह हूँ हक कराहूँजश्री सश्रीकरहन छश्रीरहसमंधपु हबनसराइ॥231॥
भरावरारर्ण:-(अयगोध्यरा कप्रे रराज्य ककी तगो बरात हश्री क्यरा हहै) ब्रहरा, हवष्रपु और महरादप्रेव करा
पद पराकर भश्री भरत कगो रराज्य करा मद नहहीं हगोनप्रे करा! क्यरा कभश्री कराहूँजश्री ककी बपूहूँदर सप्रे
क्षश्रीरसमपुद नष्टि हगो सकतरा (फिट सकतरा) हहै?॥231॥
चरौपराई :
* हतहमर तरन तरहनहह मकपु हगलई। गगनपु मगन मकपु मप्रेघहहमं हमलई॥
गगोपद जल बपूडहहमं घटजगोनश्री। सहज छमरा बर छराडहै छगोनश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अन्धकरार चराहप्रे तरर (मध्यराह्न कप्रे ) सपूयर्ण कगो हनगल जराए। आकराश चराहप्रे
बरादलर ममें समराकर हमल जराए। गगो कप्रे खपुर इतनप्रे जल ममें अगस्त्यजश्री डपू ब जराएहूँ और
पमृथ्वश्री चराहप्रे अपनश्री स्वराभराहवक क्षमरा (सहनशश्रीलतरा) कगो छगोड दप्रे॥1॥
* मसक फिपूहूँक मकपु मप्रेर उडराई। हगोइ न नमृपमद पु भरतहह भराई॥
लखन तपुम्हरार सपर हपतपु आनरा। सपुहच सपुबधमं पु नहहमं भरत समरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मच्छर ककी फिपूहूँक सप्रे चराहप्रे सपुमप्रेर उड जराए, परन्तपु हप्रे भराई! भरत कगो रराजमद
कभश्री नहहीं हगो सकतरा। हप्रे लक्ष्मर! ममैं तपुम्हरारश्री शपर और हपतराजश्री ककी सरौगमंध खराकर
कहतरा हह हूँ, भरत कप्रे समरान पहवत्र और उरम भराई समंसरार ममें नहहीं हहै॥ 2॥
* सगपुनपु खश्रीर अवगपुन जलपु तरातरा। हमलइ रचइ परपमंचपु हबधरातरा॥
भरतपु हमंस रहबबमंस तडरागरा। जनहम ककीन्ह गपुन दगोष हबभरागरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! गपुर रूपश्री दधपू और अवगपुर रूपश्री जल कगो हमलराकर हवधरातरा इस
दृश्य पपमंच (जगतम) कगो रचतरा हहै, परन्तपु भरत नप्रे सपूयर्णवमंश रूपश्री तरालराब ममें हमंस रूप
जन्म लप्रेकर गपुर और दगोष करा हवभराग कर हदयरा (दगोनर कगो अलग-अलग कर हदयरा)॥
3॥
* गहह गपुन पय तहज अवगपुर बरारश्री। हनज जस जगत ककीहन्ह उहजआरश्री॥
कहत भरत गपुन सश्रीलपु सपुभराऊ। पप्रेम पयगोहध मगन रघपुरराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-गपुररूपश्री दधपू कगो गहर कर और अवगपुर रूपश्री जल कगो त्यरागकर भरत नप्रे
अपनप्रे यश सप्रे जगतम ममें उहजयरालरा कर हदयरा हहै। भरतजश्री कप्रे गपुर, शश्रील और स्वभराव
कगो कहतप्रे-कहतप्रे शश्री रघपुनरारजश्री पप्रेमसमपुद ममें मग्नि हगो गए॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन रघपुबर बरानश्री हबबपुध दप्रेहख भरत पर हप्रेतपु।
सकल सरराहत रराम सगो पभपु कगो कमृ पराहनकप्रे तपु॥232॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री ककी वरारश्री सपुनकर और भरतजश्री पर उनकरा पप्रेम दप्रेखकर समस्त
दप्रेवतरा उनककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे (और कहनप्रे लगप्रे) हक शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे समरान कमृ परा
कप्रे धराम पभपु और करौन हहै?॥232॥
चरौपराई :
* जजौं न हगोत जग जनम भरत कगो। सकल धरम धपुर धरहन धरत कगो॥
कहब कपु ल अगम भरत गपुन गराररा। कगो जरानइ तपुम्ह हबनपु रघपुनराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यहद जगतम ममें भरत करा जन्म न हगोतरा, तगो पमृथ्वश्री पर समंपपूरर्ण धमर्मों ककी धपुरश्री
कगो करौन धरारर करतरा? हप्रे रघपुनरारजश्री! कहवकपु ल कप्रे हलए अगम (उनककी कल्पनरा सप्रे
अतश्रीत) भरतजश्री कप्रे गपुरर ककी कररा आपकप्रे हसवरा और करौन जरान सकतरा हहै?॥1॥
भरतजश्री करा मन्दराहकनश्री स्नरान, हचत्रकपू ट ममें पहह हूँचनरा, भरतराहद सबकरा परस्पर हमलराप,
हपतरा करा शगोक और शराद
* लखन रराम हसयहूँ सपुहन सपुर बरानश्री। अहत सपुखपु लहप्रेउ न जराइ बखरानश्री॥
इहराहूँ भरतपु सब सहहत सहराए। ममंदराहकनहीं पपुनश्रीत नहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री, शश्री ररामचमंदजश्री और सश्रीतराजश्री नप्रे दप्रेवतराओमं ककी वरारश्री सपुनकर अत्यमंत
सपुख परायरा, जगो वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। यहराहूँ भरतजश्री नप्रे सरारप्रे समराज कप्रे सरार
पहवत्र ममंदराहकनश्री ममें स्नरान हकयरा॥2॥
* सररत समश्रीप रराहख सब लगोगरा। मराहग मरातपु गपुर सहचव हनयगोगरा॥
चलप्रे भरतपु जहहूँ हसय रघपुरराई। सरार हनषरादनरारपु लघपु भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर सबकगो नदश्री कप्रे समश्रीप ठहरराकर तररा मरातरा, गपुर और ममंत्रश्री ककी आजरा

भरतजश्री करा मन्दराहकनश्री स्नरान, हचत्रकपू ट ममें पहह हूँचनरा, भरतराहद सबकरा परस्पर हमलराप,
हपतरा करा शगोक और शराद
* लखन रराम हसयहूँ सपुहन सपुर बरानश्री। अहत सपुखपु लहप्रेउ न जराइ बखरानश्री॥
इहराहूँ भरतपु सब सहहत सहराए। ममंदराहकनहीं पपुनश्रीत नहराए॥2॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री, शश्री ररामचमंदजश्री और सश्रीतराजश्री नप्रे दप्रेवतराओमं ककी वरारश्री सपुनकर अत्यमंत
सपुख परायरा, जगो वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। यहराहूँ भरतजश्री नप्रे सरारप्रे समराज कप्रे सरार
पहवत्र ममंदराहकनश्री ममें स्नरान हकयरा॥2॥
* सररत समश्रीप रराहख सब लगोगरा। मराहग मरातपु गपुर सहचव हनयगोगरा॥
चलप्रे भरतपु जहहूँ हसय रघपुरराई। सरार हनषरादनरारपु लघपु भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर सबकगो नदश्री कप्रे समश्रीप ठहरराकर तररा मरातरा, गपुर और ममंत्रश्री ककी आजरा
मराहूँगकर हनषरादरराज और शत्रपुघ्न कगो सरार लप्रेकर भरतजश्री वहराहूँ चलप्रे जहराहूँ शश्री सश्रीतराजश्री
और शश्री रघपुनरारजश्री रप्रे॥3॥।
* समपुहझ मरातपु करतब सकपु चराहहीं। करत कपु तरक कगोहट मन मराहहीं॥
ररामपु लखनपु हसय सपुहन मम नराऊहूँ। उहठ जहन अनत जराहहमं तहज ठराऊहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री अपनश्री मरातरा कहै कप्रे यश्री ककी करनश्री कगो समझकर (यराद करकप्रे ) सकपु चरातप्रे
हमैं और मन ममें करगोडर (अनप्रेकर) कपु तकर्ण करतप्रे हमैं (सगोचतप्रे हमैं) शश्री रराम, लक्ष्मर और
सश्रीतराजश्री मप्रेररा नराम सपुनकर स्ररान छगोडकर कहहीं द स पू रश्री जगह उठकर न चलप्रे जराएहूँ॥4॥
दगोहरा :
* मरातपु मतप्रे महह हूँ मराहन मगोहह जगो कछपु करहहमं सगो रगोर।
अघ अवगपुन छहम आदरहहमं समपुहझ आपनश्री ओर॥233॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे मरातरा कप्रे मत ममें मरानकर वप्रे जगो कपु छ भश्री करमें सगो रगोडरा हहै, पर वप्रे
अपनश्री ओर समझकर (अपनप्रे हवरद और समंबधमं कगो दप्रेखकर) मप्रेरप्रे परापर और अवगपुरर
कगो क्षमरा करकप्रे मप्रेररा आदर हश्री करमेंगप्रे॥233॥
चरौपराई :
* जजौं पररहरहहमं महलन मनपु जरानश्री। जजौं सनमरानहहमं सप्रेवकपु मरानश्री॥
मगोरमें सरन ररामहह ककी पनहश्री। रराम सपुस्वराहम दगोसपु सब जनहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-चराहप्रे महलन मन जरानकर मपुझप्रे त्यराग दमें, चराहप्रे अपनरा सप्रेवक मरानकर मप्रेररा
सम्मरान करमें, (कपु छ भश्री करमें), मप्रेरप्रे तगो शश्री ररामचमंदजश्री ककी जपूहतयराहूँ हश्री शरर हमैं। शश्री
ररामचमंदजश्री तगो अच्छप्रे स्वरामश्री हमैं, दगोष तगो सब दरास करा हश्री हहै॥1॥
* जग जग भराजन चरातक मश्रीनरा। नप्रेम पप्रेम हनज हनपपुन नबश्रीनरा॥
अस मन गपुनत चलप्रे मग जरातरा। सकपु च सनप्रेहहूँ हसहरल सब गरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-जगतम ममें यश कप्रे परात्र तगो चरातक और मछलश्री हश्री हमैं, जगो अपनप्रे नप्रेम और
पप्रेम कगो सदरा नयरा बनराए रखनप्रे ममें हनपपुर हमैं। ऐसरा मन ममें सगोचतप्रे हहए भरतजश्री मरागर्ण ममें
चलप्रे जरातप्रे हमैं। उनकप्रे सब अमंग समंकगोच और पप्रेम सप्रे हशहरल हगो रहप्रे हमैं॥ 2॥
* फिप्रे रहत मनहह हूँ मरातपु कमृ त खगोरश्री। चलत भगहत बल धश्रीरज धगोरश्री॥
जब समपुझत रघपुनरार सपुभराऊ। तब पर परत उतराइल पराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-मरातरा ककी हह ई बपुरराई मरानगो उन्हमें लरौटरातश्री हहै, पर धश्रीरज ककी धपुरश्री कगो धरारर
करनप्रे वरालप्रे भरतजश्री भहक्त कप्रे बल सप्रे चलप्रे जरातप्रे हमैं। जब शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे स्वभराव कगो
समझतप्रे (स्मरर करतप्रे) हमैं तब मरागर्ण ममें उनकप्रे पहैर जल्दश्री-जल्दश्री पडनप्रे लगतप्रे हमैं॥3॥
* भरत दसरा तप्रेहह अवसर कहै सश्री। जल पबराहहूँ जल अहल गहत जहैसश्री॥
दप्रेहख भरत कर सगोचपु सनप्रेहह। भरा हनषराद तप्रेहह समयहूँ हबदप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-उस समय भरत ककी दशरा कहै सश्री हहै? जहैसश्री जल कप्रे पवराह ममें जल कप्रे भजौंरप्रे
ककी गहत हगोतश्री हहै। भरतजश्री करा सगोच और पप्रेम दप्रेखकर उस समय हनषराद हवदप्रेह हगो
गयरा (दप्रेह ककी सपुध-बपुध भपूल गयरा)॥4॥
दगोहरा :
* लगप्रे हगोन ममंगल सगपुन सपुहन गपुहन कहत हनषराद।पु
हमहटहह सगोचपु हगोइहह हरषपु पपुहन पररनराम हबषराद ॥पु 234॥
भरावरारर्ण:-ममंगल शकपु न हगोनप्रे लगप्रे। उन्हमें सपुनकर और हवचरारकर हनषराद कहनप्रे लगरा- सगोच
हमटप्रेगरा, हषर्ण हगोगरा, पर हफिर अन्त ममें दद्धाःपु ख हगोगरा॥234॥
चरौपराई :
* सप्रेवक बचन सत्य सब जरानप्रे। आशम हनकट जराइ हनअररानप्रे॥
भरत दश्रीख बन सहैल समराजपू। मपुहदत छपु हधत जनपु पराइ सपुनराजपू॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे सप्रेवक (गपुह) कप्रे सब वचन सत्य जरानप्रे और वप्रे आशम कप्रे समश्रीप
जरा पहह हूँचप्रे। वहराहूँ कप्रे वन और पवर्णतर कप्रे समपूह कगो दप्रेखरा तगो भरतजश्री इतनप्रे आनमंहदत हह ए
मरानगो कगोई भपूखरा अच्छरा अन्न (भगोजन) परा गयरा हगो॥1॥
* ईहत भश्रीहत जनपु पजरा दख पु रारश्री। हत्रहबध तराप पश्रीहडत गह मरारश्री॥
जराइ सपुरराज सपुदप्रेस सपुखरारश्री। हगोहहमं भरत गहत तप्रेहह अनपुहरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे *ईहत कप्रे भय सप्रे दद्धाःपु खश्री हहई और तश्रीनर (आध्यराहत्मक, आहधदहैहवक और
आहधभरौहतक) तरापर तररा कपू र गहर और महरामराररयर सप्रे पश्रीहडत पजरा हकसश्री उरम दप्रेश
और उरम रराज्य ममें जराकर सपुखश्री हगो जराए , भरतजश्री ककी गहत (दशरा) ठश्रीक उसश्री
पकरार हगो रहश्री हहै॥2॥ (*अहधक जल बरसनरा, न बरसनरा, चपूहर करा उत्परात,
हटरडयराहूँ, तगोतप्रे और दस पू रप्रे रराजरा ककी चढराई- खप्रेतर ममें बराधरा दप्रेनप्रे वरालप्रे इन छह उपदवर
कगो 'ईहत' कहतप्रे हमैं)।
* रराम बरास बन समंपहत रराजरा। सपुखश्री पजरा जनपु पराइ सपुरराजरा॥
सहचव हबररागपु हबबप्रेकपु नरप्रेसपू। हबहपन सपुहरावन परावन दप्रेसपू॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हनवरास सप्रे वन ककी सम्पहर ऐसश्री सपुशगोहभत हहै मरानगो अच्छप्रे
रराजरा कगो पराकर पजरा सपुखश्री हगो। सपुहरावनरा वन हश्री पहवत्र दप्रेश हहै। हववप्रेक उसकरा रराजरा हहै
और वहैरराग्य ममंत्रश्री हहै॥3॥
* भट जम हनयम सहैल रजधरानश्री। सरामंहत सपुमहत सपुहच सपुदमं र ररानश्री॥
सकल अमंग समंपन्न सपुरराऊ। रराम चरन आहशत हचत चराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-यम (अहहमंसरा, सत्य, अस्तप्रेय, ब्रहचयर्ण और अपररगह) तररा हनयम (शरौच,
समंतगोष, तप, स्वराध्यराय और ईश्वर पहरधरान) यगोदरा हमैं। पवर्णत रराजधरानश्री हहै, शरामंहत
तररा सपुबहपु द दगो सपुमंदर पहवत्र रराहनयराहूँ हमैं। वह शप्रेष रराजरा रराज्य कप्रे सब अमंगर सप्रे पपूरर्ण हहै
और शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे चररर कप्रे आहशत रहनप्रे सप्रे उसकप्रे हचर ममें चराव (आनमंद यरा
उत्सराह) हहै॥4॥ (स्वरामश्री, आमत्य, सपुहृद, कगोष, रराष्टिड, दगपु र्ण और सप्रेनरा- रराज्य कप्रे
सरात अमंग हमैं।)
दगोहरा :
* जश्रीहत मगोह महहपरालपु दल सहहत हबबप्रेक भपुआलपु।
करत अकमंटक रराजपु पपुरहूँ सपुख समंपदरा सपुकरालपु॥235॥
भरावरारर्ण:-मगोह रूपश्री रराजरा कगो सप्रेनरा सहहत जश्रीतकर हववप्रेक रूपश्री रराजरा हनष्कण्टक रराज्य
कर रहरा हहै। उसकप्रे नगर ममें सपुख, सम्पहर और सपुकराल वतर्णमरान हहै॥235॥
चरौपराई :
* बन पदप्रेस मपुहन बरास घनप्रेरप्रे। जनपु पपुर नगर गराउहूँ गन खप्रेरप्रे॥
हबपपुल हबहचत्र हबहग ममृग नरानरा। पजरा समराजपु न जराइ बखरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वन रूपश्री परामंतर ममें जगो मपुहनयर कप्रे बहह त सप्रे हनवरास स्ररान हमैं, वहश्री मरानगो
शहरर, नगरर, गराहूँवर और खप्रेडर करा समपूह हहै। बहह त सप्रे हवहचत्र पक्षश्री और अनप्रेकर पशपु
हश्री मरानगो पजराओमं करा समराज हहै, हजसकरा वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥1॥
* खगहरा करर हरर बराघ बरराहरा। दप्रेहख महहष बमृष सराजपु सरराहरा॥
बयर हबहराइ चरहहमं एक समंगरा। जहहूँ तहहूँ मनहह हूँ सप्रेन चतपुरमंगरा॥2॥
भरावरारर्ण:-गमैंडरा, हरारश्री, हसमंह, बराघ, सपूअर, भमैंसप्रे और बहैलर कगो दप्रेखकर रराजरा कप्रे
सराज कगो सरराहतप्रे हश्री बनतरा हहै। यप्रे सब आपस करा वहैर छगोडकर जहराहूँ -तहराहूँ एक सरार
हवचरतप्रे हमैं। यहश्री मरानगो चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा हहै॥2॥
* झरनरा झरहहमं मर गज गराजहहमं। मनहह हूँ हनसरान हबहबहध हबहध बराजहहमं॥
चक चकगोर चरातक सपुक हपक गन। कपू जत ममंजपु मरराल मपुहदत मन॥3॥
भरावरारर्ण:-परानश्री कप्रे झरनप्रे झर रहप्रे हमैं और मतवरालप्रे हरारश्री हचमंघराड रहप्रे हमैं। मरानगो वहराहूँ
अनप्रेकर पकरार कप्रे नगराडप्रे बज रहप्रे हमैं। चकवरा, चकगोर, पपश्रीहरा, तगोतरा तररा कगोयलर कप्रे
समपूह और सपुदमं र हमंस पसन्न मन सप्रे कपू ज रहप्रे हमैं॥3॥
* अहलगन गरावत नराचत मगोररा। जनपु सपुरराज ममंगल चहह ओररा॥
बप्रेहल हबटप तमृन सफिल सफिपू लरा। सब समराजपु मपुद ममंगल मपूलरा॥4॥
भरावरारर्ण:-भजौंरर कप्रे समपूह गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं और मगोर नराच रहप्रे हमैं। मरानगो उस अच्छप्रे
रराज्य ममें चरारर ओर ममंगल हगो रहरा हहै। बप्रेल, वमृक्ष, तमृर सब फिल और फिपू लर सप्रे यक्त पु
हमैं। सराररा समराज आनमंद और ममंगल करा मपूल बन रहरा हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* रराम सहैल सगोभरा हनरहख भरत हृदयहूँ अहत पप्रेमपु।
तरापस तप फिलपु पराइ हजहम सपुखश्री हसररानमें नप्रेमपु॥ 236॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे पवर्णत ककी शगोभरा दप्रेखकर भरतजश्री कप्रे हृदय ममें अत्यमंत पप्रेम हहआ।
जहैसप्रे तपस्वश्री हनयम ककी समराहप्त हगोनप्रे पर तपस्यरा करा फिल पराकर सपुखश्री हगोतरा हहै॥
236॥

मरासपराररायर, बश्रीसवराहूँ हवशराम


नवराह्नपराररायर, पराहूँचवराहूँ हवशराम
चरौपराई :
* तब कप्रे वट ऊहूँचप्रे चहढ धराई। कहप्रेउ भरत सन भपुजरा उठराई॥
नरार दप्रेहखअहहमं हबटप हबसरालरा। पराकरर जमंबपु रसराल तमरालरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब कप्रे वट दरौडकर ऊहूँचप्रे चढ गयरा और भपुजरा उठराकर भरजश्री सप्रे कहनप्रे लगरा-
हप्रे नरार! यप्रे जगो पराकर, जरामपुन, आम और तमराल कप्रे हवशराल वमृक्ष हदखराई दप्रेतप्रे हमैं,॥
1॥
* हजन्ह तरबरन्ह मध्य बटपु सगोहरा। ममंजपु हबसराल दप्रेहख मनपु मगोहरा॥
नश्रील सघन पल्लव फिल लरालरा। अहबरल छराहहूँ सपुखद सब करालरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हजन शप्रेष वमृक्षर कप्रे बश्रीच ममें एक सपुमंदर हवशराल बड करा वमृक्ष सपुशगोहभत हहै ,
हजसकगो दप्रेखकर मन मगोहहत हगो जरातरा हहै, उसकप्रे परप्रे नश्रीलप्रे और सघन हमैं और उसममें
लराल फिल लगप्रे हमैं। उसककी घनश्री छरायरा सब ऋतपुओमं ममें सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै॥ 2॥
* मरानहह हूँ हतहमर अरनमय ररासश्री। हबरचश्री हबहध सहूँकप्रेहल सपुषमरा सश्री॥
ए तर सररत समश्रीप गगोसराहूँई। रघपुबर परनकपु टश्री जहहूँ छराई॥3॥
भरावरारर्ण:-मरानगो ब्रहराजश्री नप्रे परम शगोभरा कगो एकत्र करकप्रे अमंधकरार और लराहलमरामयश्री रराहश
सश्री रच दश्री हहै। हप्रे गपुसराई!मं यप्रे वमृक्ष नदश्री कप्रे समश्रीप हमैं, जहराहूँ शश्री रराम ककी परर्णकपुटश्री छराई
हहै॥3॥
* तपुलसश्री तरबर हबहबध सपुहराए। कहह हूँ कहह हूँ हसयहूँ कहह हूँ लखन लगराए॥
बट छरायराहूँ बप्रेहदकरा बनराई। हसयहूँ हनज पराहन सरगोज सपुहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ तपुलसश्रीजश्री कप्रे बहह त सप्रे सपुदमं र वमृक्ष सपुशगोहभत हमैं, जगो कहहीं-कहहीं सश्रीतराजश्री नप्रे
और कहहीं लक्ष्मरजश्री नप्रे लगराए हमैं। इसश्री बड ककी छरायरा ममें सश्रीतराजश्री नप्रे अपनप्रे करकमलर
सप्रे सपुदमं र वप्रेदश्री बनराई हहै॥4॥
दगोहरा :
* जहराहूँ बहैहठ मपुहनगन सहहत हनत हसय ररामपु सपुजरान।
सपुनहहमं कररा इहतहरास सब आगम हनगम पपुररान॥237॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ सपुजरान शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री मपुहनयर कप्रे वमृन्द समप्रेत बहैठकर हनत्य शरास्त्र, वप्रेद
और पपुररारर कप्रे सब कररा-इहतहरास सपुनतप्रे हमैं॥237॥
चरौपराई :
* सखरा बचन सपुहन हबटप हनहरारश्री। उमगप्रे भरत हबलगोचन बरारश्री॥
करत पनराम चलप्रे दगोउ भराई। कहत पश्रीहत सरारद सकपु चराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सखरा कप्रे वचन सपुनकर और वमृक्षर कगो दप्रेखकर भरतजश्री कप्रे नप्रेत्रर ममें जल उमड
आयरा। दगोनर भराई परराम करतप्रे हह ए चलप्रे। उनकप्रे पप्रेम करा वरर्णन करनप्रे ममें सरस्वतश्रीजश्री भश्री
सकपु चरातश्री हमैं॥1॥
* हरषहहमं हनरहख रराम पद अमंकरा। मरानहह हूँ परारसपु परायउ रमंकरा॥
रज हसर धरर हहयहूँ नयनहन्ह लरावहहमं। रघपुबर हमलन सररस सपुख परावहहमं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररहचह्न दप्रेखकर दगोनर भराई ऐसप्रे हहषर्णत हगोतप्रे हमैं , मरानगो
दररद परारस परा गयरा हगो। वहराहूँ ककी रज कगो मस्तक पर रखकर हृदय ममें और नप्रेत्रर ममें
लगरातप्रे हमैं और शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हमलनप्रे कप्रे समरान सपुख परातप्रे हमैं॥2॥
* दप्रेहख भरत गहत अकर अतश्रीवरा। पप्रेम मगन ममृग खग जड जश्रीवरा॥
सखहह सनप्रेह हबबस मग भपूलरा। कहह सपुपमंर सपुर बरषहहमं फिपू लरा॥3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री ककी अत्यन्त अहनवर्णचनश्रीय दशरा दप्रेखकर वन कप्रे पशपु, पक्षश्री और जड
(वमृक्षराहद) जश्रीव पप्रेम ममें मग्नि हगो गए। पप्रेम कप्रे हवशप्रेष वश हगोनप्रे सप्रे सखरा हनषरादरराज कगो
भश्री ररास्तरा भपूल गयरा। तब दप्रेवतरा सपुमंदर ररास्तरा बतलराकर फिपू ल बरसरानप्रे लगप्रे॥3॥
* हनरहख हसद सराधक अनपुररागप्रे। सहज सनप्रेहह सरराहन लरागप्रे॥
हगोत न भपूतल भराउ भरत कगो। अचर सचर चर अचर करत कगो॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरत कप्रे पप्रेम ककी इस हस्रहत कगो दप्रेखकर हसद और सराधक लगोग भश्री अनपुरराग
सप्रे भर गए और उनकप्रे स्वराभराहवक पप्रेम ककी पशमंसरा करनप्रे लगप्रे हक यहद इस पमृथ्वश्री तल
पर भरत करा जन्म (अरवरा पप्रेम) न हगोतरा, तगो जड कगो चप्रेतन और चप्रेतन कगो जड
करौन करतरा?॥4॥
दगोहरा :
* पप्रेम अहमअ ममंदर हबरहह भरतपु पयगोहध गहूँभश्रीर।
महर पगटप्रेउ सपुर सराधपु हहत कमृ पराहसमंधपु रघपुबश्रीर॥238॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम अममृत हहै, हवरह ममंदरराचल पवर्णत हहै, भरतजश्री गहरप्रे समपुद हमैं। कमृ परा कप्रे
समपुद शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे दप्रेवतरा और सराधपुओमं कप्रे हहत कप्रे हलए स्वयमं (इस भरत रूपश्री
गहरप्रे समपुद कगो अपनप्रे हवरह रूपश्री ममंदरराचल सप्रे ) मरकर यह पप्रेम रूपश्री अममृत पकट
हकयरा हहै॥238॥
चरौपराई :
* सखरा समप्रेत मनगोहर जगोटरा। लखप्रेउ न लखन सघन बन ओटरा॥
भरत दश्रीख पभपु आशमपु परावन। सकल सपुममंगल सदनपु सपुहरावन॥1॥
भरावरारर्ण:-सखरा हनषरादरराज सहहत इस मनगोहर जगोडश्री कगो सघन वन ककी आड कप्रे करारर
लक्ष्मरजश्री नहहीं दप्रेख पराए। भरतजश्री नप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे समस्त सपुममंगलर कप्रे धराम
और सपुमंदर पहवत्र आशम कगो दप्रेखरा॥1॥
* करत पबप्रेस हमटप्रे दख पु दरावरा। जनपु जगोगहीं परमराररपु परावरा॥
दप्रेखप्रे भरत लखन पभपु आगप्रे। पपूछ हूँ प्रे बचन कहत अनपुररागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आशम ममें पवप्रेश करतप्रे हश्री भरतजश्री करा द द्धाःपु ख और दराह (जलन) हमट गयरा,
मरानगो यगोगश्री कगो परमरारर्ण (परमतत्व) ककी पराहप्त हगो गई हगो। भरतजश्री नप्रे दप्रेखरा हक
लक्ष्मरजश्री पभपु कप्रे आगप्रे खडप्रे हमैं और पपूछप्रे हह ए वचन पप्रेमपपूवर्णक कह रहप्रे हमैं (पपूछश्री हहई
बरात करा पप्रेमपपूवर्णक उरर दप्रे रहप्रे हमैं)॥2॥
* सश्रीस जटरा कहट मपुहन पट बराहूँधमें। तपून कसमें कर सर धनपु कराहूँधमें॥
बप्रेदश्री पर मपुहन सराधपु समराजपू। सश्रीय सहहत रराजत रघपुरराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हसर पर जटरा हहै, कमर ममें मपुहनयर करा (वल्कल) वस्त्र बराधहूँ प्रे हमैं और उसश्री ममें
तरकस कसप्रे हमैं। हरार ममें बरार तररा कमंधप्रे पर धनपुष हहै, वप्रेदश्री पर मपुहन तररा सराधपुओमं
करा समपुदराय बहैठरा हहै और सश्रीतराजश्री सहहत शश्री रघपुनरारजश्री हवरराजमरान हमैं॥ 3॥
* बलकल बसन जहटल तनपु स्यरामरा। जनपु मपुहनबप्रेष ककीन्ह रहत करामरा॥
कर कमलहन धनपु सरायकपु फिप्रे रत। हजय ककी जरहन हरत हहूँहस हप्रेरत॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे वल्कल वस्त्र हमैं, जटरा धरारर हकए हमैं, श्यराम शरश्रीर हहै।
(सश्रीतरा-ररामजश्री ऐसप्रे लगतप्रे हमैं) मरानगो रहत और करामदप्रेव नप्रे मपुहन करा वप्रेष धरारर हकयरा
हगो। शश्री ररामजश्री अपनप्रे करकमलर सप्रे धनपुष -बरार फिप्रे र रहप्रे हमैं और हहूँसकर दप्रेखतप्रे हश्री जश्री
ककी जलन हर लप्रेतप्रे हमैं (अररार्णत हजसककी ओर भश्री एक बरार हहूँसकर दप्रेख लप्रेतप्रे हमैं , उसश्री
कगो परम आनमंद और शरामंहत हमल जरातश्री हहै। )॥4॥
दगोहरा :
* लसत ममंजपु मपुहन ममंडलश्री मध्य सश्रीय रघपुचमंद।पु
ग्यरान सभराहूँ जनपु तनपु धरमें भगहत सहचदरानमंद॥पु 239॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर मपुहन ममंडलश्री कप्रे बश्रीच ममें सश्रीतराजश्री और रघपुकपुलचमंद शश्री ररामचन्दजश्री ऐसप्रे
सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं मरानगो जरान ककी सभरा ममें सराक्षरातम भहक्त और सहचदरानमंद शरश्रीर धरारर
करकप्रे हवरराजमरान हमैं॥239॥
चरौपराई :
* सरानपुज सखरा समप्रेत मगन मन। हबसरप्रे हरष सगोक सपुख द ख पु गन॥
पराहह नरार कहह पराहह गगोसराई।मं भपूतल परप्रे लकपु ट ककी नराई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न और सखरा हनषरादरराज समप्रेत भरतजश्री करा मन (पप्रेम ममें) मग्नि
हगो रहरा हहै। हषर्ण-शगोक, सपुख-दद्धाःपु ख आहद सब भपूल गए। हप्रे नरार! रक्षरा ककीहजए, हप्रे
गपुसराई!मं रक्षरा ककीहजए' ऐसरा कहकर वप्रे पमृथ्वश्री पर दण्ड ककी तरह हगर पडप्रे॥ 1॥
* बचन सपप्रेम लखन पहहचरानप्रे। करत पनरामपु भरत हजयहूँ जरानप्रे॥
बमंधपु सनप्रेह सरस एहह ओररा। उत सराहहब सप्रेवरा बस जगोररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पप्रेमभरप्रे वचनर सप्रे लक्ष्मरजश्री नप्रे पहचरान हलयरा और मन ममें जरान हलयरा हक
भरतजश्री परराम कर रहप्रे हमैं। (वप्रे शश्री ररामजश्री ककी ओर मपुहूँह हकए खडप्रे रप्रे, भरतजश्री पश्रीठ
पश्रीछप्रे रप्रे, इससप्रे उन्हरनप्रे दप्रेखरा नहहीं।) अब इस ओर तगो भराई भरतजश्री करा सरस पप्रेम
और उधर स्वरामश्री शश्री ररामचन्दजश्री ककी सप्रेवरा ककी पबल परवशतरा॥ 2॥
* हमहल न जराइ नहहमं गपुदरत बनई। सपुकहब लखन मन ककी गहत भनई॥
रहप्रे रराहख सप्रेवरा पर भरारू। चढश्री चमंग जनपु खमैंच खप्रेलरारू॥3॥
भरावरारर्ण:-न तगो (क्षरभर कप्रे हलए भश्री सप्रेवरा सप्रे पमृरक हगोकर) हमलतप्रे हश्री बनतरा हहै और
न (पप्रेमवश) छगोडतप्रे (उपप्रेक्षरा करतप्रे) हश्री। कगोई शप्रेष कहव हश्री लक्ष्मरजश्री कप्रे हचर ककी
इस गहत (दहपु वधरा) करा वरर्णन कर सकतरा हहै। वप्रे सप्रेवरा पर भरार रखकर रह गए (सप्रेवरा
कगो हश्री हवशप्रेष महत्वपपूरर्ण समझकर उसश्री ममें लगप्रे रहप्रे ) मरानगो चढश्री हहई पतमंग कगो
हखलराडश्री (पतमंग उडरानप्रे वरालरा) खहींच रहरा हगो॥3॥
* कहत सपप्रेम नराइ महह मराररा। भरत पनराम करत रघपुनराररा॥
उठप्रे ररामपु सपुहन पप्रेम अधश्रीररा। कहह हूँ पट कहह हूँ हनषमंग धनपु तश्रीररा॥4॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे पप्रेम सहहत पमृथ्वश्री पर मस्तक नवराकर कहरा- हप्रे रघपुनरारजश्री!
भरतजश्री परराम कर रहप्रे हमैं। यह सपुनतप्रे हश्री शश्री रघपुनरारजश्री पप्रेम ममें अधश्रीर हगोकर उठप्रे।
कहहीं वस्त्र हगररा, कहहीं तरकस, कहहीं धनपुष और कहहीं बरार॥4॥
दगोहरा :
* बरबस हलए उठराइ उर लराए कमृ पराहनधरान।
भरत रराम ककी हमलहन लहख हबसरप्रे सबहह अपरान॥240॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा हनधरान शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे उनकगो जबरदस्तश्री उठराकर हृदय सप्रे लगरा
हलयरा! भरतजश्री और शश्री ररामजश्री कप्रे हमलन ककी रश्रीहत कगो दप्रेखकर सबकगो अपनश्री सपुध
भपूल गई॥240॥
चरौपराई :
* हमलहन पश्रीहत हकहम जराइ बखरानश्री। कहबकपु ल अगम करम मन बरानश्री॥
परम पप्रेम पपूरन दगोउ भराई। मन बपुहध हचत अहहमहत हबसरराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हमलन ककी पश्रीहत कहै सप्रे बखरानश्री जराए? वह तगो कहवकपु ल कप्रे हलए कमर्ण, मन,
वरारश्री तश्रीनर सप्रे अगम हहै। दगोनर भराई (भरतजश्री और शश्री ररामजश्री) मन, बपुहद, हचर
और अहमंकरार कगो भपुलराकर परम पप्रेम सप्रे पपूरर्ण हगो रहप्रे हमैं॥ 1॥
* कहहह सपुपप्रेम पगट कगो करई। कप्रे हह छरायरा कहब महत अनपुसरई॥
कहबहह अरर आखर बलपु सराहूँचरा। अनपुहरर तराल गहतहह नटपु नराचरा॥2॥
भरावरारर्ण:-कहहए, उस शप्रेष पप्रेम कगो करौन पकट करप्रे? कहव ककी बपुहद हकसककी छरायरा
करा अनपुसरर करप्रे? कहव कगो तगो अक्षर और अरर्ण करा हश्री सचरा बल हहै। नट तराल ककी
गहत कप्रे अनपुसरार हश्री नराचतरा हहै!॥2॥
* अगम सनप्रेह भरत रघपुबर कगो। जहहूँ न जराइ मनपु हबहध हरर हर कगो॥
सगो ममैं कपु महत कहजौं कप्रे हह भराहूँहत। बराज सपुरराग हक गराहूँडर तराहूँतश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री और शश्री रघपुनरारजश्री करा पप्रेम अगम्य हहै, जहराहूँ ब्रहरा, हवष्रपु और
महरादप्रेव करा भश्री मन नहहीं जरा सकतरा। उस पप्रेम कगो ममैं कपु बपुहद हकस पकरार कहह हूँ!
भलरा, *गराहूँडर ककी तराहूँत सप्रे भश्री कहहीं सपुमंदर रराग बज सकतरा हहै ?॥3॥ (*तरालराबर और
झश्रीलर ममें एक तरह ककी घरास हगोतश्री हहै, उसप्रे गराहूँडर कहतप्रे हमैं।)
* हमलहन हबलगोहक भरत रघपुबर ककी। सपुरगन सभय धकधककी धरककी॥
समपुझराए सपुरगपुर जड जरागप्रे। बरहष पसपून पसमंसन लरागप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हमलनप्रे करा ढमंग दप्रेखकर दप्रेवतरा भयभश्रीत हगो
गए, उनककी धपुकधपुककी धडकनप्रे लगश्री। दप्रेव गपुर बमृहस्पहतजश्री नप्रे समझरायरा, तब कहहीं वप्रे
मपूखर्ण चप्रेतप्रे और फिपूल बरसराकर पशमंसरा करनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* हमहल सपप्रेम ररपपुसपूदनहह कप्रे वटपु भमेंटप्रेउ रराम।
भपूरर भरायहूँ भमेंटप्रे भरत लहछमन करत पनराम॥241॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री ररामजश्री पप्रेम कप्रे सरार शत्रपुघ्न सप्रे हमलकर तब कप्रे वट (हनषरादरराज) सप्रे
हमलप्रे। परराम करतप्रे हह ए लक्ष्मरजश्री सप्रे भरतजश्री बडप्रे हश्री पप्रेम सप्रे हमलप्रे॥241॥
चरौपराई :
* भमेंटप्रेउ लखन ललहक लघपु भराई। बहह रर हनषरादपु लश्रीन्ह उर लराई॥
पपुहन मपुहनगन दहपु ह हूँ भराइन्ह बमंदप्रे। अहभमत आहसष पराइ अनमंदप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-तब लक्ष्मरजश्री ललककर (बडश्री उममंग कप्रे सरार) छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न सप्रे हमलप्रे।
हफिर उन्हरनप्रे हनषरादरराज कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा। हफिर भरत-शत्रपुघ्न दगोनर भराइयर नप्रे
(उपहस्रत) मपुहनयर कगो परराम हकयरा और इहच्छत आशश्रीवरादर्ण पराकर वप्रे आनमंहदत हहए॥
1॥
* सरानपुज भरत उमहग अनपुररागरा। धरर हसर हसय पद पद मपु पररागरा॥
पपुहन पपुहन करत पनराम उठराए। हसर कर कमल परहस बहैठराए॥2॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न सहहत भरतजश्री पप्रेम ममें उमहूँगकर सश्रीतराजश्री कप्रे चरर कमलर
ककी रज हसर पर धरारर कर बरार-बरार परराम करनप्रे लगप्रे। सश्रीतराजश्री नप्रे उन्हमें उठराकर
उनकप्रे हसर कगो अपनप्रे करकमल सप्रे स्पशर्ण कर (हसर पर हरार फिप्रे रकर) उन दगोनर कगो
बहैठरायरा॥2॥
* सश्रीयहूँ असश्रीस दश्रीहन्ह मन मराहहीं। मनग सनप्रेहहूँ दप्रेह सपुहध नराहहीं॥
सब हबहध सरानपुकपूल लहख सश्रीतरा। भप्रे हनसगोच उर अपडर बश्रीतरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री नप्रे मन हश्री मन आशश्रीवरार्णद हदयरा, क्यरहक वप्रे स्नप्रेह ममें मग्नि हमैं, उन्हमें
दप्रेह ककी सपुध-बपुध नहहीं हहै। सश्रीतराजश्री कगो सब पकरार सप्रे अपनप्रे अनपुकपू ल दप्रेखकर भरतजश्री
सगोचरहहत हगो गए और उनकप्रे हृदय करा कहल्पत भय जरातरा रहरा॥3॥
* कगोउ हकछपु कहई न कगोउ हकछपु पपूछ हूँ रा। पप्रेम भररा मन हनज गहत छपू हूँछरा॥
तप्रेहह अवसर कप्रे वटपु धश्रीरजपु धरर। जगोरर पराहन हबनवत पनरामपु करर॥4॥
भरावरारर्ण:-उस समय न तगो कगोई कपु छ कहतरा हहै, न कगोई कपु छ पपूछतरा हहै! मन पप्रेम सप्रे
पररपपूरर्ण हहै, वह अपनश्री गहत सप्रे खरालश्री हहै (अररार्णत समंकल्प-हवकल्प और चरामंचल्य सप्रे
शपून्य हहै)। उस अवसर पर कप्रे वट (हनषरादरराज) धश्रीरज धर और हरार जगोडकर परराम
करकप्रे हवनतश्री करनप्रे लगरा-॥4॥
दगोहरा :
* नरार सरार मपुहननरार कप्रे मरातपु सकल पपुर लगोग।
सप्रेवक सप्रेनप सहचव सब आए हबकल हबयगोग॥242॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! मपुहननरार वहशषजश्री कप्रे सरार सब मरातराएहूँ, नगरवरासश्री, सप्रेवक,
सप्रेनरापहत, ममंत्रश्री- सब आपकप्रे हवयगोग सप्रे व्यराकपुल हगोकर आए हमैं॥242॥
चरौपराई :
* सश्रीलहसमंधपु सपुहन गपुर आगवनपू। हसय समश्रीप रराखप्रे ररपपुदवनपू॥
चलप्रे सबप्रेग ररामपु तप्रेहह करालरा। धश्रीर धरम धपुर दश्रीनदयरालरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-गपुर करा आगमन सपुनकर शश्रील कप्रे समपुद शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सश्रीतराजश्री कप्रे परास
शत्रपुघ्नजश्री कगो रख हदयरा और वप्रे परम धश्रीर, धमर्णधपुरमंधर, दश्रीनदयरालपु शश्री ररामचन्दजश्री
उसश्री समय वप्रेग कप्रे सरार चल पडप्रे॥1॥
* गपुरहह दप्रेहख सरानपुज अनपुररागप्रे। दमंड पनराम करन पभपु लरागप्रे॥
मपुहनबर धराइ हलए उर लराई। पप्रेम उमहग भमेंटप्रे दगोउ भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री कप्रे दशर्णन करकप्रे लक्ष्मरजश्री सहहत पभपु शश्री ररामचन्दजश्री पप्रेम ममें भर गए
और दण्डवत परराम करनप्रे लगप्रे। मपुहनशप्रेष वहशषजश्री नप्रे दरौडकर उन्हमें हृदय सप्रे लगरा
हलयरा और पप्रेम ममें उमहूँगकर वप्रे दगोनर भराइयर सप्रे हमलप्रे॥ 2॥
* पप्रेम पपुलहक कप्रे वट कहह नरामपू। ककीन्ह दरपू र तमें दमंड पनरामपू॥
रराम सखरा ररहष बरबस भमेंटरा। जनपु महह लपुठत सनप्रेह समप्रेटरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर पप्रेम सप्रे पपुलहकत हगोकर कप्रे वट (हनषरादरराज) नप्रे अपनरा नराम लप्रेकर दरपू सप्रे
हश्री वहशषजश्री कगो दण्डवत परराम हकयरा। ऋहष वहशषजश्री नप्रे ररामसखरा जरानकर उसकगो
जबदर्णस्तश्री हृदय सप्रे लगरा हलयरा। मरानगो जमश्रीन पर लगोटतप्रे हहए पप्रेम कगो समप्रेट हलयरा हगो॥
3॥
* रघपुपहत भगहत सपुममंगल मपूलरा। नभ सरराहह सपुर बररसहहमं फिपू लरा॥
एहह सम हनपट नश्रीच कगोउ नराहहीं। बड बहसष सम कगो जग मराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी भहक्त सपुदमं र ममंगलर करा मपूल हहै , इस पकरार कहकर सरराहनरा
करतप्रे हह ए दप्रेवतरा आकराश सप्रे फिपू ल बरसरानप्रे लगप्रे। वप्रे कहनप्रे लगप्रे- जगत ममें इसकप्रे समरान
सवर्णररा नश्रीच कगोई नहहीं और वहशषजश्री कप्रे समरान बडरा करौन हहै?॥4॥
दगोहरा :
* जप्रेहह लहख लखनहह तमें अहधक हमलप्रे मपुहदत मपुहनरराउ।
सगो सश्रीतरापहत भजन कगो पगट पतराप पभराउ॥243॥
भरावरारर्ण:-हजस (हनषराद) कगो दप्रेखकर मपुहनरराज वहशषजश्री लक्ष्मरजश्री सप्रे भश्री अहधक उससप्रे
आनमंहदत हगोकर हमलप्रे। यह सब सश्रीतरापहत शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे भजन करा पत्यक्ष पतराप
और पभराव हहै॥243॥
चरौपराई :
* आरत लगोग रराम सबपु जरानरा। करनराकर सपुजरान भगवरानरा॥
जगो जप्रेहह भरायहूँ रहरा अहभलराषश्री। तप्रेहह तप्रेहह कहै तहस तहस रख रराखश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-दयरा ककी खरान, सपुजरान भगवरान शश्री ररामजश्री नप्रे सब लगोगर कगो द द्धाःपु खश्री (हमलनप्रे
कप्रे हलए व्यराकपुल) जरानरा। तब जगो हजस भराव सप्रे हमलनप्रे करा अहभलराषश्री ररा, उस-उस
करा उस-उस पकरार करा रख रखतप्रे हह ए (उसककी रहच कप्रे अनपुसरार)॥1॥
* सरानपुज हमहल पल महह हूँ सब कराहह। ककीन्ह दरपू र दख पु पु दरारन दराहह॥
यह बहड बरात रराम कहै नराहहीं। हजहम घट कगोहट एक रहब छराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे लक्ष्मरजश्री सहहत पल भर ममें सब हकसश्री सप्रे हमलकर उनकप्रे दद्धाःपु ख और
कहठन समंतराप कगो दरपू कर हदयरा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हलए यह कगोई बडश्री बरात नहहीं हहै।
जहैसप्रे करगोडर घडर ममें एक हश्री सपूयर्ण ककी (पमृरक-पमृरक) छरायरा (पहतहबम्ब) एक सरार
हश्री हदखतश्री हहै॥2॥
* हमहल कप्रे वटहह उमहग अनपुररागरा। पपुरजन सकल सरराहहहमं भरागरा॥
दप्रेखहीं रराम दहपु खत महतरारहीं। जनपु सपुबप्रेहल अवलहीं हहम मरारहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-समस्त पपुरवरासश्री पप्रेम ममें उमहूँगकर कप्रे वट सप्रे हमलकर (उसकप्रे ) भराग्य ककी
सरराहनरा करतप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सब मरातराओमं कगो द द्धाःपु खश्री दप्रेखरा। मरानगो सपुदमं र लतराओमं
ककी पमंहक्तयर कगो परालरा मरार गयरा हगो॥3॥
*परम रराम भमेंटश्री कहै कप्रे ई। सरल सपुभरायहूँ भगहत महत भप्रेई॥
पग परर ककीन्ह पबगोधपु बहगोरश्री। कराल करम हबहध हसर धरर खगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सबसप्रे पहलप्रे ररामजश्री कहै कप्रे यश्री सप्रे हमलप्रे और अपनप्रे सरल स्वभराव तररा भहक्त सप्रे
उसककी बपुहद कगो तर कर हदयरा। हफिर चररर ममें हगरकर कराल , कमर्ण और हवधरातरा कप्रे
हसर दगोष मढकर, शश्री ररामजश्री नप्रे उनकगो सरान्त्वनरा दश्री॥4॥
दगोहरा :
* भप्रेटहीं रघपुबर मरातपु सब करर पबगोधपु पररतगोषपु।
अमंब ईस आधश्रीन जगपु कराहह न दप्रेइअ दगोषपु॥244॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री रघपुनरारजश्री सब मरातराओमं सप्रे हमलप्रे। उन्हरनप्रे सबकगो समझरा-बपुझराकर
समंतगोष कररायरा हक हप्रे मरातरा! जगत ईश्वर कप्रे अधश्रीन हहै। हकसश्री कगो भश्री दगोष नहहीं दप्रेनरा
चराहहए॥244॥
* गपुरहतय पद बमंदप्रे दहपु ह भराई।मं सहहत हबपहतय जप्रे सहूँग आई॥मं
गमंग गरौररसम सब सनमरानहीं। दप्रेहहमं असश्रीस मपुहदत ममृद पु बरानहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर दगोनर भराइयर नप्रे ब्रराहरर ककी हस्त्रयर सहहत- जगो भरतजश्री कप्रे सरार आई
रहीं, गपुरजश्री ककी पत्नश्री अरमंधतश्रीजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा ककी और उन सबकरा गमंगराजश्री
तररा गरौरश्रीजश्री कप्रे समरान सम्मरान हकयरा। वप्रे सब आनमंहदत हगोकर कगोमल वरारश्री सप्रे
आशश्रीवरार्णद दप्रेनप्रे लगहीं॥1॥
* गहह पद लगप्रे सपुहमत्ररा अमंकरा। जनपु भमेंटश्री समंपहत अहत रमंकरा॥
पपुहन जननश्री चरनहन दगोउ ररातरा। परप्रे पप्रेम ब्यराकपुल सब गरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब दगोनर भराई पहैर पकडकर सपुहमत्रराजश्री ककी गगोद ममें जरा हचपटप्रे। मरानगो हकसश्री
अत्यन्त दररद ककी सम्पहर सप्रे भमेंट हगो गई हगो। हफिर दगोनर भराई मरातरा करौसल्यराजश्री कप्रे
चररर ममें हगर पडप्रे। पप्रेम कप्रे मरारप्रे उनकप्रे सरारप्रे अमंग हशहरल हमैं॥2॥
* अहत अनपुरराग अमंब उर लराए। नयन सनप्रेह सहलल अन्हवराए॥
तप्रेहह अवसर कर हरष हबषराद।पू हकहम कहब कहहै मपूक हजहम स्वराद॥पू 3॥
भरावरारर्ण:-बडप्रे हश्री स्नप्रेह सप्रे मरातरा नप्रे उन्हमें हृदय सप्रे लगरा हलयरा और नप्रेत्रर सप्रे बहप्रे हह ए
पप्रेमराशपुओमं कप्रे जल सप्रे उन्हमें नहलरा हदयरा। उस समय कप्रे हषर्ण और हवषराद कगो कहव कहै सप्रे
कहप्रे? जहैसप्रे गपूहूँगरा स्वराद कगो कहै सप्रे बतरावप्रे?॥3॥
* हमहल जनहनहह सरानपुज रघपुरराऊ। गपुर सन कहप्रेउ हक धराररअ पराऊ॥
पपुरजन पराइ मपुनश्रीस हनयगोगपू। जल रल तहक तहक उतरप्रेउ लगोगपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत मरातरा करौसल्यरा सप्रे हमलकर गपुर
सप्रे कहरा हक आशम पर पधराररए। तदनन्तर मपुनश्रीश्वर वहशषजश्री ककी आजरा पराकर
अयगोध्यरावरासश्री सब लगोग जल और रल करा सपुभश्रीतरा दप्रेख -दप्रेखकर उतर गए॥4॥
दगोहरा :
* महहसपुर ममंत्रश्री मरातपु गपुर गनप्रे लगोग हलए सरार।
परावन आशम गवनपु हकए भरत लखन रघपुनरार॥245॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहर, ममंत्रश्री, मरातराएहूँ और गपुर आहद हगनप्रे-चपुनप्रे लगोगर कगो सरार हलए हह ए,
भरतजश्री, लक्ष्मरजश्री और शश्री रघपुनरारजश्री पहवत्र आशम कगो चलप्रे॥ 245॥
चरौपराई :
* सश्रीय आइ मपुहनबर पग लरागश्री। उहचत असश्रीस लहश्री मन मरागश्री॥
गपुरपहतहनहह मपुहनहतयन्ह समप्रेतरा। हमलश्री पप्रेमपु कहह जराइ न जप्रेतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री आकर मपुहन शप्रेष वहशषजश्री कप्रे चररर लगहीं और उन्हरनप्रे मन मराहूँगश्री
उहचत आशश्रीष पराई। हफिर मपुहनयर ककी हस्त्रयर सहहत गपुर पत्नश्री अरन्धतश्रीजश्री सप्रे हमलहीं।
उनकरा हजतनरा पप्रेम ररा, वह कहरा नहहीं जरातरा॥1॥
* बमंहद बमंहद पग हसय सबहश्री कप्रे । आहसरबचन लहप्रे हपय जश्री कप्रे ।
सरासपु सकल सब सश्रीयहूँ हनहरारहीं। मपूदप्रे नयन सहहम सपुकपु मरारहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री नप्रे सभश्री कप्रे चररर ककी अलग-अलग वमंदनरा करकप्रे अपनप्रे हृदय कगो
हपय (अनपुकपूल) लगनप्रे वरालप्रे आशश्रीवरार्णद पराए। जब सपुकपुमरारश्री सश्रीतराजश्री नप्रे सब सरासओ पु मं कगो
दप्रेखरा, तब उन्हरनप्रे सहमकर अपनश्री आहूँखमें बमंद कर लहीं॥2॥
* परहीं बहधक बस मनहह हूँ मररालहीं। कराह ककीन्ह करतरार कपु चरालहीं॥
हतन्ह हसय हनरहख हनपट दख पु पु परावरा। सगो सबपु सहहअ जगो दहैउ सहरावरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(सरासपुओमं ककी बपुरश्री दशरा दप्रेखकर) उन्हमें ऐसरा पतश्रीत हहआ मरानगो रराजहमंहसहनयराहूँ
बहधक कप्रे वश ममें पड गई हर। (मन ममें सगोचनप्रे लगहीं हक) कपु चरालश्री हवधरातरा नप्रे क्यरा
कर डरालरा? उन्हरनप्रे भश्री सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर बडरा दद्धाःपु ख परायरा। (सगोचरा) जगो कपु छ दहैव
सहरावप्रे, वह सब सहनरा हश्री पडतरा हहै॥3॥
* जनकसपुतरा तब उर धरर धश्रीररा। नश्रील नहलन लगोयन भरर नश्रीररा॥
हमलश्री सकल सरासपुन्ह हसय जराई। तप्रेहह अवसर करनरा महह छराई॥4॥
भरावरारर्ण:-तब जरानककीजश्री हृदय ममें धश्रीरज धरकर, नश्रील कमल कप्रे समरान नप्रेत्रर ममें जल
भरकर, सब सरासओ पु मं सप्रे जराकर हमलहीं। उस समय पमृथ्वश्री पर करररा (करर रस) छरा
गई॥4॥
दगोहरा :
* लराहग लराहग पग सबहन हसय भमेंटहत अहत अनपुरराग।
हृदयहूँ असश्रीसहहमं पप्रेम बस रहहअहह भरश्री सगोहराग॥246॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री सबकप्रे पहैरर लग-लगकर अत्यन्त पप्रेम सप्रे हमल रहश्री हमैं और सब सरासपुएहूँ
स्नप्रेहवश हृदय सप्रे आशश्रीवरादर्ण दप्रे रहश्री हमैं हक तपुम सपुहराग सप्रे भरश्री रहगो (अररार्णत सदरा
सरौभराग्यवतश्री रहगो)॥246॥
चरौपराई :
* हबकल सनप्रेहहूँ सश्रीय सब ररानहीं। बहैठन सबहह कहप्रेउ गपुर ग्यरानहीं॥
कहह जग गहत मराहयक मपुहननराररा॥ कहप्रे कछपु क परमरारर गराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री और सब रराहनयराहूँ स्नप्रेह कप्रे मरारप्रे व्यराकपुल हमैं। तब जरानश्री गपुर नप्रे सबकगो
बहैठ जरानप्रे कप्रे हलए कहरा। हफिर मपुहननरार वहशषजश्री नप्रे जगत ककी गहत कगो मराहयक कहकर
(अररार्णत जगत मरायरा करा हहै, इसममें कपु छ भश्री हनत्य नहहीं हहै, ऐसरा कहकर) कपु छ
परमरारर्ण ककी करराएहूँ (बरातमें) कहहीं॥1॥
* नमृप कर सपुरपपुर गवनपु सपुनरावरा। सपुहन रघपुनरार द सपु ह दख पु पु परावरा॥
मरन हप्रेतपु हनज नप्रेहह हबचरारश्री। भप्रे अहत हबकल धश्रीर धपुर धरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर वहशषजश्री नप्रे रराजरा दशररजश्री कप्रे स्वगर्ण गमन ककी बरात सपुनराई। हजसप्रे
सपुनकर रघपुनरारजश्री नप्रे दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख परायरा और अपनप्रे पहत उनकप्रे स्नप्रेह कगो उनकप्रे मरनप्रे
करा करारर हवचरारकर धश्रीरधपुरन्धर शश्री ररामचन्दजश्री अत्यन्त व्यराकपु ल हगो गए॥2॥
* कपु हलस कठगोर सपुनत कटपु बरानश्री। हबलपत लखन सश्रीय सब ररानश्री॥
सगोक हबकल अहत सकल समराजपू। मरानहह हूँ रराजपु अकराजप्रेउ आजपू॥3॥
भरावरारर्ण:-वज्र कप्रे समरान कठगोर, कडवश्री वरारश्री सपुनकर लक्ष्मरजश्री, सश्रीतराजश्री और सब
रराहनयराहूँ हवलराप करनप्रे लगहीं। सराररा समराज शगोक सप्रे अत्यन्त व्यराकपु ल हगो गयरा! मरानगो
रराजरा आज हश्री मरप्रे हर॥3॥
* मपुहनबर बहह रर रराम समपुझराए। सहहत समराज सपुसररत नहराए॥
ब्रत हनरमंबपु तप्रेहह हदन पभपु ककीन्हरा। मपुहनहह कहमें जलपु कराहहहूँ न लश्रीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर मपुहनशप्रेष वहशषजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री कगो समझरायरा। तब उन्हरनप्रे समराज सहहत
शप्रेष नदश्री ममंदराहकनश्रीजश्री ममंल स्नरान हकयरा। उस हदन पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हनजर्णल व्रत
हकयरा। मपुहन वहशषजश्री कप्रे कहनप्रे पर भश्री हकसश्री नप्रे जल गहर नहहीं हकयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* भगोर भएहूँ रघपुनमंदनहह जगो मपुहन आयसपु दश्रीन्ह।
शदरा भगहत समप्रेत पभपु सगो सबपु सरादर ककीन्ह॥247॥
भरावरारर्ण:-दस पू रप्रे हदन सबप्रेररा हगोनप्रे पर मपुहन वहशषजश्री नप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कगो जगो-जगो आजरा
दश्री, वह सब करायर्ण पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे शदरा-भहक्त सहहत आदर कप्रे सरार हकयरा॥
247॥
चरौपराई :
* करर हपतपु हकयरा बप्रेद जहस बरनश्री। भप्रे पपुनश्रीत परातक तम तरनश्री॥
जरासपु नराम परावक अघ तपूलरा। सपुहमरत सकल सपुममंगल मपूलरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-वप्रेदर ममें जहैसरा कहरा गयरा हहै, उसश्री कप्रे अनपुसरार हपतरा ककी हकयरा करकप्रे , पराप
रूपश्री अमंधकरार कप्रे नष्टि करनप्रे वरालप्रे सपूयर्णरूप शश्री ररामचन्दजश्री शपुद हहए! हजनकरा नराम पराप
रूपश्री रूई कप्रे (तपुरमंत जलरा डरालनप्रे कप्रे ) हलए अहग्नि हहै और हजनकरा स्मरर मरात्र समस्त
शपुभ ममंगलर करा मपूल हहै,॥1॥
* सपुद सगो भयउ सराधपु समंमत अस। तश्रीरर आवराहन सपुसररजस॥
सपुद भएहूँ दइपु बरासर बश्रीतप्रे। बगोलप्रे गपुर सनरराम हपरश्रीतप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे (हनत्य शपुद-बपुद) भगवरान शश्री ररामजश्री शपुद हह ए! सराधओ पु मं ककी ऐसश्री सम्महत
हहै हक उनकरा शपुद हगोनरा वहैसप्रे हश्री हहै जहैसरा तश्रीरर्मों कप्रे आवराहन सप्रे गमंगराजश्री शपुद हगोतश्री हमैं!
(गमंगराजश्री तगो स्वभराव सप्रे हश्री शपुद हमैं, उनममें हजन तश्रीरर्मों करा आवराहन हकयरा जरातरा हहै,
उलटप्रे वप्रे हश्री गमंगराजश्री कप्रे सम्पकर्ण ममें आनप्रे सप्रे शपुद हगो जरातप्रे हमैं। इसश्री पकरार सहचदरानमंद
रूप शश्रीरराम तगो हनत्य शपुद हमैं, उनकप्रे समंसगर्ण सप्रे कमर्ण हश्री शपुद हगो गए।) जब शपुद हह ए
दगो हदन बश्रीत गए तब शश्री ररामचन्दजश्री पश्रीहत कप्रे सरार गपुरजश्री सप्रे बगोलप्रे-॥2॥
* नरार लगोग सब हनपट दख पु रारश्री। कमंद मपूल फिल अमंबपु आहरारश्री॥
सरानपुज भरतपु सहचव सब मरातरा। दप्रेहख मगोहह पल हजहम जपुग जरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! सब लगोग यहराहूँ अत्यन्त दद्धाःपु खश्री हगो रहप्रे हमैं। कमंद, मपूल, फिल और
जल करा हश्री आहरार करतप्रे हमैं। भराई शत्रपुघ्न सहहत भरत कगो, ममंहत्रयर कगो और सब
मरातराओमं कगो दप्रेखकर मपुझप्रे एक-एक पल यगपु कप्रे समरान बश्रीत रहरा हहै॥3॥
* सब समप्रेत पपुर धराररअ पराऊ। आपपु इहराहूँ अमररावहत रराऊ॥
बहह त कहप्रेउहूँ सब हकयउहूँ हढठराई। उहचत हगोइ तस कररअ गगोसराहूँई॥4॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः सबकप्रे सरार आप अयगोध्यरापपुरश्री कगो पधराररए (लरौट जराइए)। आप यहराहूँ हमैं
और रराजरा अमररावतश्री (स्वगर्ण) ममें हमैं (अयगोध्यरा सपूनश्री हहै)! ममैंनप्रे बहह त कह डरालरा, यह
सब बडश्री हढठराई ककी हहै। हप्रे गगोसराई!मं जहैसरा उहचत हगो, वहैसरा हश्री ककीहजए॥4॥
दगोहरा :
* धमर्ण सप्रेतपु करनरायतन कस न कहह अस रराम।
लगोग दहपु खत हदन दइपु दरस दप्रेहख लहहह हूँ हबशराम॥248॥
भरावरारर्ण:-(वहशषजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रराम! तपुम धमर्ण कप्रे सप्रेतपु और दयरा कप्रे धराम हगो, तपुम
भलरा ऐसरा क्यर न कहगो? लगोग दद्धाःपु खश्री हमैं। दगो हदन तपुम्हराररा दशर्णन कर शरामंहत लराभ कर
लमें॥248॥
चरौपराई :
* रराम बचन सपुहन सभय समराजपू। जनपु जलहनहध महह हूँ हबकल जहराजपू॥
सपुहन गपुर हगररा सपुममंगल मपूलरा। भयउ मनहह हूँ मरारत अनपुकपूलरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सपुनकर सराररा समराज भयभश्रीत हगो गयरा। मरानगो बश्रीच समपुद
ममें जहराज डगमगरा गयरा हगो, परन्तपु जब उन्हरनप्रे गपुर वहशषजश्री ककी शप्रेष कल्यरारमपूलक
वरारश्री सपुनश्री, तगो उस जहराज कप्रे हलए मरानगो हवरा अनपुकपूल हगो गई॥1॥
* परावन पयहूँ हतहह हूँ कराल नहराहहीं। जगो हबलगोहक अघ ओघ नसराहहीं॥
ममंगलमपूरहत लगोचन भरर भरर। हनरखहहमं हरहष दमंडवत करर करर॥2॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग पहवत्र पयहस्वनश्री नदश्री ममें (अरवरा पयहस्वनश्री नदश्री कप्रे पहवत्र जल ममें)
तश्रीनर समय (सबप्रेरप्रे, दगोपहर और सरायमंकराल) स्नरान करतप्रे हमैं, हजसकप्रे दशर्णन सप्रे हश्री
परापर कप्रे समपूह नष्टि हगो जरातप्रे हमैं और ममंगल मपूहतर्ण शश्री ररामचन्दजश्री कगो दण्डवत परराम
कर-करकप्रे उन्हमें नप्रेत्र भर-भरकर दप्रेखतप्रे हमैं॥2॥
* रराम सहैल बन दप्रेखन जराहहीं। जहहूँ सपुख सकल सकल द ख पु नराहहीं॥
झरनरा झरहहमं सपुधरासम बरारश्री। हत्रहबध तरापहर हत्रहबध बयरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे पवर्णत (करामदहगरर) और वन कगो दप्रेखनप्रे जरातप्रे हमैं,
जहराहूँ सभश्री सपुख हमैं और सभश्री दद्धाःपु खर करा अभराव हहै। झरनप्रे अममृत कप्रे समरान जल झरतप्रे
हमैं और तश्रीन पकरार ककी (शश्रीतल, ममंद, सपुगमंध) हवरा तश्रीनर पकरार कप्रे (आध्यराहत्मक,
आहधभरौहतक, आहधदहैहवक) तरापर कगो हर लप्रेतश्री हहै॥3॥
* हबटप बप्रेहल तमृन अगहनत जरातश्री। फिल पसपून पल्लव बहह भराहूँतश्री॥
सपुमंदर हसलरा सपुखद तर छराहहीं। जराइ बरहन बन छहब कप्रे हह पराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-असमंख्य जरात कप्रे वमृक्ष, लतराएहूँ और तमृर हमैं तररा बहह त तरह कप्रे फिल, फिपूल
और परप्रे हमैं। सपुमंदर हशलराएहूँ हमैं। वमृक्षर ककी छरायरा सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। वन ककी शगोभरा
हकससप्रे वरर्णन ककी जरा सकतश्री हहै?॥4॥
वनवराहसयर दराररा भरतजश्री ककी ममंडलश्री करा सत्करार , कहै कप्रे यश्री करा पश्चरातराप
दगोहरा :
* सरहन सरगोरह जल हबहग कपू जत गपुमंजत भमृमंग।
बहैर हबगत हबहरत हबहपन ममृग हबहमंग बहह रमंग॥249॥
भरावरारर्ण:-तरालराबर ममें कमल हखल रहप्रे हमैं, जल कप्रे पक्षश्री कपू ज रहप्रे हमैं, भजौंरप्रे गपुमंजरार कर
रहप्रे हमैं और बहह त रमंगर कप्रे पक्षश्री और पशपु वन ममें वहैररहहत हगोकर हवहरार कर रहप्रे हमैं॥
249॥
चरौपराई :
* कगोल हकररात हभल्ल बनबरासश्री। मधपु सपुहच सपुदमं र स्वराद पु सपुधरा सश्री॥
भरर भरर परन पपुटहीं रहच रूरश्री। कमंद मपूल फिल अमंकपुर जपूरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-कगोल, हकररात और भश्रील आहद वन कप्रे रहनप्रे वरालप्रे लगोग पहवत्र, सपुदमं र एवमं
अममृत कप्रे समरान स्वराहदष्टि मधपु (शहद) कगो सपुदमं र दगोनप्रे बनराकर और उनममें भर-भरकर
तररा कमंद, मपूल, फिल और अमंकपुर आहद ककी जपूहडयर (अहूँहटयर) कगो॥1॥
* सबहह दप्रेहहमं करर हबनय पनरामरा। कहह कहह स्वराद भप्रेद गपुन नरामरा॥
दप्रेहहमं लगोग बहह मगोल न लप्रेहहीं। फिप्रे रत रराम दगोहराई दप्रेहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-सबकगो हवनय और परराम करकप्रे उन चश्रीजर कप्रे अलग-अलग स्वराद, भप्रेद
(पकरार), गपुर और नराम बतरा-बतराकर दप्रेतप्रे हमैं। लगोग उनकरा बहह त दराम दप्रेतप्रे हमैं, पर वप्रे
नहहीं लप्रेतप्रे और लरौटरा दप्रेनप्रे ममें शश्री ररामजश्री ककी द हपु राई दप्रेतप्रे हमैं॥2॥
* कहहहमं सनप्रेह मगन ममृद पु बरानश्री। मरानत सराधपु पप्रेम पहहचरानश्री॥
तपुम्ह सपुकमृतश्री हम नश्रीच हनषरादरा। परावरा दरसनपु रराम पसरादरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम ममें मग्नि हह ए वप्रे कगोमल वरारश्री सप्रे कहतप्रे हमैं हक सराधपु लगोग पप्रेम कगो
पहचरानकर उसकरा सम्मरान करतप्रे हमैं (अररार्णत आप सराधपु हमैं, आप हमरारप्रे पप्रेम कगो
दप्रेहखए, दराम दप्रेकर यरा वस्तपुएहूँ लरौटराकर हमरारप्रे पप्रेम करा हतरस्करार न ककीहजए)। आप तगो
पपुण्यरात्मरा हमैं, हम नश्रीच हनषराद हमैं। शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे हश्री हमनप्रे आप लगोगर कप्रे
दशर्णन पराए हमैं॥3॥
* हमहह अगम अहत दरसपु तपुम्हराररा। जस मर धरहन दप्रेवधपुहन धराररा॥
रराम कमृ पराल हनषराद नप्रेवराजरा। पररजन पजउ चहहअ जस रराजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हम लगोगर कगो आपकप्रे दशर्णन बडप्रे हश्री दल पु भर्ण हमैं, जहैसप्रे मरभपूहम कप्रे हलए गमंगराजश्री
ककी धराररा दल पु र्णभ हहै! (दप्रेहखए) कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे हनषराद पर कहै सश्री कमृ परा ककी हहै।
जहैसप्रे रराजरा हमैं वहैसरा हश्री उनकप्रे पररवरार और पजरा कगो भश्री हगोनरा चराहहए॥4॥
दगोहरा :
* यह हजयहूँ जराहन सहूँकगोचपु तहज कररअ छगोहह लहख नप्रेहह।
हमहह कमृ तरारर करनलहग फिल तमृन अमंकपुर लप्रेहह॥250॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें ऐसरा जरानकर समंकगोच छगोडकर और हमराररा पप्रेम दप्रेखकर कमृ परा ककीहजए
और हमकगो कमृ तरारर्ण करनप्रे कप्रे हलए हश्री फिल, तमृर और अमंकपुर लश्रीहजए॥250॥
चरौपराई :
* तपुम्ह हपय पराहहनप्रे बन पगपु धरारप्रे। सप्रेवरा जगोगपु न भराग हमरारप्रे॥
दप्रेब कराह हम तपुम्हहह गगोसराहूँई। ईधमं नपु परात हकररात हमतराई॥1॥
भरावरारर्ण:-आप हपय पराहहनप्रे वन ममें पधरारप्रे हमैं। आपककी सप्रेवरा करनप्रे कप्रे यगोग्य हमरारप्रे भराग्य
नहहीं हमैं। हप्रे स्वरामश्री! हम आपकगो क्यरा दमेंगप्रे? भश्रीलर ककी हमत्रतरा तगो बस, ईधमं न
(लकडश्री) और परर हश्री तक हहै॥1॥
* यह हमरारर अहत बहड सप्रेवकराई। लप्रेहहमं न बरासन बसन चगोरराई॥
हम जड जश्रीव जश्रीव गन घरातश्री। कपु हटल कपु चरालश्री कपु महत कपु जरातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हमरारश्री तगो यहश्री बडश्री भरारश्री सप्रेवरा हहै हक हम आपकप्रे कपडप्रे और बतर्णन नहहीं चपुररा
लप्रेतप्रे। हम लगोग जड जश्रीव हमैं, जश्रीवर ककी हहमंसरा करनप्रे वरालप्रे हमैं, कपु हटल, कपु चरालश्री,
कपु बपुहद और कपु जराहत हमैं॥2॥
* पराप करत हनहस बरासर जराहहीं। नहहमं पट कहट नहहमं पप्रेट अघराहहीं॥
सपनप्रेहहहूँ धरमबपुहद कस कराऊ। यह रघपुनमंदन दरस पभराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हमरारप्रे हदन-ररात पराप करतप्रे हश्री बश्रीततप्रे हमैं। तगो भश्री न तगो हमरारश्री कमर ममें कपडरा
हहै और न पप्रेट हश्री भरतप्रे हमैं। हमममें स्वप्न ममें भश्री कभश्री धमर्णबहपु द कहै सश्री? यह सब तगो
शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे दशर्णन करा पभराव हहै॥3॥
* जब तमें पभपु पद पदमपु हनहरारप्रे। हमटप्रे दसपु ह दख पु दगोष हमरारप्रे॥
बचन सपुनत पपुरजन अनपुररागप्रे। हतन्ह कप्रे भराग सरराहन लरागप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे पभपु कप्रे चरर कमल दप्रेखप्रे, तब सप्रे हमरारप्रे दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख और दगोष हमट
गए। वनवराहसयर कप्रे वचन सपुनकर अयगोध्यरा कप्रे लगोग पप्रेम ममें भर गए और उनकप्रे भराग्य
ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥4॥
छन्द :
* लरागप्रे सरराहन भराग सब अनपुरराग बचन सपुनरावहहीं
बगोलहन हमलहन हसय रराम चरन सनप्रेहह लहख सपुखपु परावहहीं॥
नर नरारर हनदरहहमं नप्रेहह हनज सपुहन कगोल हभल्लहन ककी हगररा।
तपुलसश्री कमृ परा रघपुबस मं महन ककी लगोह लहै लरौकरा हतररा॥
भरावरारर्ण:-सब उनकप्रे भराग्य ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे और पप्रेम कप्रे वचन सपुनरानप्रे लगप्रे। उन
लगोगर कप्रे बगोलनप्रे और हमलनप्रे करा ढमंग तररा शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चररर ममें उनकरा पप्रेम
दप्रेखकर सब सपुख परा रहप्रे हमैं। उन कगोल -भश्रीलर ककी वरारश्री सपुनकर सभश्री नर-नरारश्री अपनप्रे
पप्रेम करा हनररादर करतप्रे हमैं (उसप्रे हधक्करार दप्रेतप्रे हमैं)। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक यह
रघपुवमंशमहर शश्री ररामचन्दजश्री ककी कमृ परा हहै हक लगोहरा नरौकरा कगो अपनप्रे ऊपर लप्रेकर तहैर
गयरा॥
सगोरठरा :
* हबहरहहमं बन चहह ओर पहतहदन पमपुहदत लगोग सब।
जल ज्यर दरादरपु मगोर भए पश्रीन परावस परम॥251॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग हदनरहदन परम आनमंहदत हगोतप्रे हह ए वन ममें चरारर ओर हवचरतप्रे हमैं। जहैसप्रे
पहलश्री वषरार्ण कप्रे जल सप्रे ममेंढक और मगोर मगोटप्रे हगो जरातप्रे हमैं (पसन्न हगोकर नराचतप्रे-कपू दतप्रे
हमैं)॥251॥
चरौपराई :
* पपुर जन नरारर मगन अहत पश्रीतश्री। बरासर जराहहमं पलक सम बश्रीतश्री॥
सश्रीय सरासपु पहत बप्रेष बनराई। सरादर करइ सररस सप्रेवकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरापपुरश्री कप्रे पपुरष और स्त्रश्री सभश्री पप्रेम ममें अत्यन्त मग्नि हगो रहप्रे हमैं। उनकप्रे
हदन पल कप्रे समरान बश्रीत जरातप्रे हमैं। हजतनश्री सरासपुएहूँ रहीं, उतनप्रे हश्री वप्रेष (रूप) बनराकर
सश्रीतराजश्री सब सरासपुओमं ककी आदरपपूवर्णक एक सश्री सप्रेवरा करतश्री हमैं॥ 1॥
* लखरा न मरमपु रराम हबनपु कराहहहूँ। मरायरा सब हसय मरायरा मराहहहूँ॥
सश्रीयहूँ सरासपु सप्रेवरा बस ककीन्हहीं। हतन्ह लहह सपुख हसख आहसष दश्रीन्हहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हसवरा इस भप्रेद कगो और हकसश्री नप्रे नहहीं जरानरा। सब मरायराएहूँ
(परराशहक्त महरामरायरा) शश्री सश्रीतराजश्री ककी मरायरा ममें हश्री हमैं। सश्रीतराजश्री नप्रे सरासपुओमं कगो सप्रेवरा
सप्रे वश ममें कर हलयरा। उन्हरनप्रे सपुख पराकर सश्रीख और आशश्रीवरादर्ण हदए॥2॥
* लहख हसय सहहत सरल दगोउ भराई। कपु हटल रराहन पहछतराहन अघराई॥
अवहन जमहह जराचहत कहै कप्रे ई। महह न बश्रीचपु हबहध मश्रीचपु न दप्रेई॥3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री समप्रेत दगोनर भराइयर (शश्री रराम-लक्ष्मर) कगो सरल स्वभराव दप्रेखकर
कपु हटल ररानश्री कहै कप्रे यश्री भरपप्रेट पछतराई। वह पमृथ्वश्री तररा यमरराज सप्रे यराचनरा करतश्री हहै ,
हकन्तपु धरतश्री बश्रीच (फिटकर समरा जरानप्रे कप्रे हलए ररास्तरा) नहहीं दप्रेतश्री और हवधरातरा मरौत
नहहीं दप्रेतरा॥3॥
* लगोकहह हूँ बप्रेद हबहदत कहब कहहहीं। रराम हबमपुख रलपु नरक न लहहहीं॥
यहह समंसउ सब कप्रे मन मराहहीं। रराम गवनपु हबहध अवध हक नराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-लगोक और वप्रेद ममें पहसद हहै और कहव (जरानश्री) भश्री कहतप्रे हमैं हक जगो शश्री
ररामजश्री सप्रे हवमपुख हमैं, उन्हमें नरक ममें भश्री ठरौर नहहीं हमलतश्री। सबकप्रे मन ममें यह समंदप्रेह
हगो रहरा ररा हक हप्रे हवधरातरा! शश्री ररामचन्दजश्री करा अयगोध्यरा जरानरा हगोगरा यरा नहहीं॥ 4॥
दगोहरा :
* हनहस न नश्रीद नहहमं भपूख हदन भरतपु हबकल सपुहच सगोच।
नश्रीच ककीच हबच मगन जस मश्रीनहह सहलल सहूँकगोच॥252॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कगो न तगो ररात कगो नहींद आतश्री हहै, न हदन ममें भपूख हश्री लगतश्री हहै। वप्रे
पहवत्र सगोच ममें ऐसप्रे हवकल हमैं, जहैसप्रे नश्रीचप्रे (तल) कप्रे ककीचड ममें डपू बश्री हहई मछलश्री कगो
जल ककी कमश्री सप्रे व्यराकपुलतरा हगोतश्री हहै॥252॥
चरौपराई :
* ककीहन्ह मरातपु हमस कराल कपु चरालश्री। ईहत भश्रीहत जस पराकत सरालश्री॥
कप्रे हह हबहध हगोइ रराम अहभषप्रेकपू। मगोहह अवकलत उपराउ न एकपू ॥1॥
भरावरारर्ण:-(भरतजश्री सगोचतप्रे हमैं हक) मरातरा कप्रे हमस सप्रे कराल नप्रे कपु चराल ककी हहै। जहैसप्रे
धरान कप्रे पकतप्रे समय ईहत करा भय आ उपहस्रत हगो। अब शश्री ररामचन्दजश्री करा
रराज्यराहभषप्रेक हकस पकरार हगो, मपुझप्रे तगो एक भश्री उपराय नहहीं सपूझ पडतरा॥ 1॥
* अवहस हफिरहहमं गपुर आयसपु मरानश्री। मपुहन पपुहन कहब रराम रहच जरानश्री॥
मरातपु कहप्रेहहहूँ बहह रहहमं रघपुरराऊ। रराम जनहन हठ करहब हक कराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री ककी आजरा मरानकर तगो शश्री ररामजश्री अवश्य हश्री अयगोध्यरा कगो लरौट चलमेंगप्रे ,
परन्तपु मपुहन वहशषजश्री तगो शश्री ररामचन्दजश्री ककी रहच जरानकर हश्री कपु छ कहमेंगप्रे। ( अररार्णत
वप्रे शश्री ररामजश्री ककी रहच दप्रेखप्रे हबनरा जरानप्रे कगो नहहीं कहमेंगप्रे)। मरातरा करौसल्यराजश्री कप्रे कहनप्रे
सप्रे भश्री शश्री रघपुनरारजश्री लरौट सकतप्रे हमैं, पर भलरा, शश्री ररामजश्री कगो जन्म दप्रेनप्रे वरालश्री
मरातरा क्यरा कभश्री हठ करप्रेगश्री?॥2॥
* मगोहह अनपुचर कर कप्रे हतक बरातरा। तप्रेहह महहूँ कपु समउ बराम हबधरातरा॥
जजौं हठ करउहूँ त हनपट कपु करमपू। हरहगरर तमें गपुर सप्रेवक धरमपू॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुझ सप्रेवक ककी तगो बरात हश्री हकतनश्री हहै? उसममें भश्री समय खरराब हहै (मप्रेरप्रे हदन
अच्छप्रे नहहीं हमैं) और हवधरातरा पहतकपू ल हहै। यहद ममैं हठ करतरा हह हूँ तगो यह घगोर कपु कमर्ण
(अधमर्ण) हगोगरा, क्यरहक सप्रेवक करा धमर्ण हशवजश्री कप्रे पवर्णत कहै लरास सप्रे भश्री भरारश्री
(हनबराहनप्रे ममें कहठन) हहै॥3॥
* एकउ जपुगपुहत न मन ठहररानश्री। सगोचत भरतहह रहैहन हबहरानश्री॥
परात नहराइ पभपुहह हसर नराई। बहैठत पठए ररषयहूँ बगोलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-एक भश्री यहपु क्त भरतजश्री कप्रे मन ममें न ठहरश्री। सगोचतप्रे हश्री सगोचतप्रे ररात बश्रीत गई।
भरतजश्री परातद्धाःकराल स्नरान करकप्रे और पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कगो हसर नवराकर बहैठप्रे हश्री रप्रे
हक ऋहष वहशषजश्री नप्रे उनकगो बपुलवरा भप्रेजरा॥4॥

शश्री वहशषजश्री करा भराषर


दगोहरा :
* गपुर पद कमल पनरामपु करर बहैठप्रे आयसपु पराइ।
हबप महराजन सहचव सब जपुरप्रे सभरासद आइ॥253॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री गपुर कप्रे चररकमलर ममें परराम करकप्रे आजरा पराकर बहैठ गए। उसश्री समय
ब्रराहर, महराजन, ममंत्रश्री आहद सभश्री सभरासद आकर जपुट गए॥253॥
चरौपराई :
* बगोलप्रे मपुहनबर समय समरानरा। सपुनहह सभरासद भरत सपुजरानरा॥
धरम धपुरश्रीन भरानपुकपुल भरानपू। रराजरा ररामपु स्वबस भगवरानपू॥1॥
भरावरारर्ण:-शप्रेष मपुहन वहशषजश्री समयगोहचत वचन बगोलप्रे- हप्रे सभरासदर! हप्रे सपुजरान भरत!
सपुनगो। सपूयर्णकपुल कप्रे सपूयर्ण महरारराज शश्री ररामचन्द धमर्णधपुरधमं र और स्वतमंत्र भगवरान हमैं॥ 1॥
* सत्यसमंध परालक शपुहत सप्रेतपू। रराम जनमपु जग ममंगल हप्रेतपु॥
गपुर हपतपु मरातपु बचन अनपुसरारश्री। खल दलपु दलन दप्रेव हहतकरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सत्य पहतज हमैं और वप्रेद ककी मयरार्णदरा कप्रे रक्षक हमैं। शश्री ररामजश्री करा अवतरार
हश्री जगत कप्रे कल्यरार कप्रे हलए हहआ हहै। वप्रे गपुर, हपतरा और मरातरा कप्रे वचनर कप्रे
अनपुसरार चलनप्रे वरालप्रे हमैं। दष्टिपु र कप्रे दल करा नराश करनप्रे वरालप्रे और दप्रेवतराओमं कप्रे हहतकरारश्री
हमैं॥2॥
* नश्रीहत पश्रीहत परमरारर स्वराररपु। कगोउ न रराम सम जरान जरराररपु॥
हबहध हरर हर सहस रहब हदहसपरालरा। मरायरा जश्रीव करम कपु हल करालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-नश्रीहत, पप्रेम, परमरारर्ण और स्वरारर्ण कगो शश्री ररामजश्री कप्रे समरान यररारर्ण (तत्त्व सप्रे)
कगोई नहहीं जरानतरा। ब्रहरा, हवष्रपु, महरादवप्रे , चन्द, सपूयर्ण, हदक्पराल, मरायरा, जश्रीव,
सभश्री कमर्ण और कराल,॥3॥
* अहहप महहप जहहूँ लहग पभपुतराई। जगोग हसहद हनगमरागम गराई॥
करर हबचरार हजयहूँ दप्रेखहह नश्रीकमें। रराम रजराइ सश्रीस सबहश्री कमें ॥4॥
भरावरारर्ण:-शप्रेषजश्री और (पमृथ्वश्री एवमं परातराल कप्रे अन्यरान्य) रराजरा आहद जहराहूँ तक पभपुतरा हहै
और यगोग ककी हसहदयराहूँ, जगो वप्रेद और शरास्त्रर ममें गराई गई हमैं, हृदय ममें अच्छश्री तरह
हवचरार कर दप्रेखगो, (तगो यह स्पष्टि हदखराई दप्रेगरा हक) शश्री ररामजश्री ककी आजरा इन सभश्री
कप्रे हसर पर हहै (अररार्णत शश्री ररामजश्री हश्री सबकप्रे एक मरात्र महरान महप्रेश्वर हमैं)॥4॥
दगोहरा :
* रराखमें रराम रजराइ रख हम सब कर हहत हगोइ।
समपुहझ सयरानप्रे करहह अब सब हमहल समंमत सगोइ॥254॥
भरावरारर्ण:-अतएव शश्री ररामजश्री ककी आजरा और रख रखनप्रे ममें हश्री हम सबकरा हहत हगोगरा।
(इस तत्त्व और रहस्य कगो समझकर) अब तपुम सयरानप्रे लगोग जगो सबकगो सम्मत हगो,
वहश्री हमलकर करगो॥254॥
चरौपराई :
* सब कहह हूँ सपुखद रराम अहभषप्रेकपू। ममंगल मगोद मपूल मग एकपू ॥
कप्रे हह हबहध अवध चलहहमं रघपुरराऊ। कहहह समपुहझ सगोइ कररअ उपराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री करा रराज्यराहभषप्रेक सबकप्रे हलए सपुखदरायक हहै। ममंगल और आनमंद करा
मपूल यहश्री एक मरागर्ण हहै। (अब) शश्री रघपुनरारजश्री अयगोध्यरा हकस पकरार चलमें? हवचरारकर
कहगो, वहश्री उपराय हकयरा जराए॥1॥
* सब सरादर सपुहन मपुहनबर बरानश्री। नय परमरारर स्वरारर सरानश्री॥
उतर न आव लगोग भए भगोरप्रे। तब हसर नराइ भरत कर जगोरप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपुहनशप्रेष वहशषजश्री ककी नश्रीहत, परमरारर्ण और स्वरारर्ण (लरौहकक हहत) ममें सनश्री
हह ई वरारश्री सबनप्रे आदरपपूवर्णक सपुनश्री। पर हकसश्री कगो कगोई उरर नहहीं आतरा, सब लगोग
भगोलप्रे (हवचरार शहक्त सप्रे रहहत) हगो गए। तब भरत नप्रे हसर नवराकर हरार जगोडप्रे॥2॥
* भरानपुबमंस भए भपूप घनप्रेरप्रे। अहधक एक तमें एक बडप्रेरप्रे॥
जनम हप्रेतपु सब कहहूँ हकतपु मरातरा। करम सपुभरासभपु दप्रेइ हबधरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) सपूयवर्ण मंश ममें एक सप्रे एक अहधक बडप्रे बहह त सप्रे रराजरा हगो गए हमैं।
सभश्री कप्रे जन्म कप्रे करारर हपतरा-मरातरा हगोतप्रे हमैं और शपुभ-अशपुभ कमर्मों कगो (कमर्मों करा
फिल) हवधरातरा दप्रेतप्रे हमैं॥3॥
* दहल दख पु सजइ सकल कल्यरानरा। अस असश्रीस रराउरर जगपु जरानरा॥
सगो गगोसराइहूँ हबहध गहत जप्रेहहमं छमेंककी। सकइ कगो टरारर टप्रेक जगो टप्रेककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-आपककी आशश्रीष हश्री एक ऐसश्री हहै, जगो दद्धाःपु खर करा दमन करकप्रे , समस्त
कल्यरारर कगो सज दप्रेतश्री हहै, यह जगत जरानतरा हहै। हप्रे स्वरामश्री! आप हश्री हमैं, हजन्हरनप्रे
हवधरातरा ककी गहत (हवधरान) कगो भश्री रगोक हदयरा। आपनप्रे जगो टप्रेक टप्रेक दश्री (जगो हनश्चय
कर हदयरा) उसप्रे करौन टराल सकतरा हहै?॥4॥
* बपूहझअ मगोहह उपराउ अब सगो सब मगोर अभरागपु।
सपुहन सनप्रेहमय बचनगपुर उर उमगरा अनपुररागपु॥255॥
भरावरारर्ण:-अब आप मपुझसप्रे उपराय पपूछतप्रे हमैं, यह सब मप्रेररा अभराग्य हहै। भरतजश्री कप्रे
पप्रेममय वचनर कगो सपुनकर गपुरजश्री कप्रे हृदय ममें पप्रेम उमड आयरा॥255॥
चरौपराई :
* तरात बरात फिपु रर रराम कमृ पराहहीं। रराम हबमपुख हसहध सपनप्रेहहहूँ नराहहीं॥
सकपु चउहूँ तरात कहत एक बरातरा। अरध तजहहमं बपुध सरबस जरातरा॥ 1।
भरावरारर्ण:-(वप्रे बगोलप्रे-) हप्रे तरात! बरात सत्य हहै, पर हहै ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे हश्री। रराम
हवमपुख कगो तगो स्वप्न ममें भश्री हसहद नहहीं हमलतश्री। हप्रे तरात ! ममैं एक बरात कहनप्रे ममें
सकपु चरातरा हह हूँ। बपुहदमरान लगोग सवर्णस्व जरातरा दप्रेखकर (आधप्रे ककी रक्षरा कप्रे हलए) आधरा
छगोड हदयरा करतप्रे हमैं॥1॥
* तपुम्ह करानन गवनहह दगोउ भराई। फिप्रे ररअहहमं लखन सश्रीय रघपुरराई॥
सपुहन सपुबचन हरषप्रे दगोउ ररातरा। भप्रे पमगोद पररपपूरन गरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः तपुम दगोनर भराई (भरत-शत्रपुघ्न) वन कगो जराओ और लक्ष्मर, सश्रीतरा
और शश्री ररामचन्द कगो लरौटरा हदयरा जराए। यप्रे सपुदमं र वचन सपुनकर दगोनर भराई हहषर्णत हगो
गए। उनकप्रे सरारप्रे अमंग परमरानमंद सप्रे पररपपूरर्ण हगो गए॥2॥
* मन पसन्न तन तप्रेजपु हबरराजरा। जनपु हजय रराउ ररामपु भए रराजरा॥
बहह त लराभ लगोगन्ह लघपु हरानश्री। सम दख पु सपुख सब रगोवहहमं ररानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे मन पसन्न हगो गए। शरश्रीर ममें तप्रेज सपुशगोहभत हगो गयरा। मरानगो रराजरा
दशररजश्री उठप्रे हर और शश्री ररामचन्दजश्री रराजरा हगो गए हर! अन्य लगोगर कगो तगो इसममें
लराभ अहधक और हराहन कम पतश्रीत हहई, परन्तपु रराहनयर कगो दद्धाःपु ख-सपुख समरान हश्री रप्रे
(रराम-लक्ष्मर वन ममें रहमें यरा भरत-शत्रपुघ्न, दगो पपुत्रर करा हवयगोग तगो रहप्रेगरा हश्री), यह
समझकर वप्रे सब रगोनप्रे लगहीं॥3॥
* कहहहमं भरतपु मपुहन कहरा सगो ककीन्हप्रे। फिलपु जग जश्रीवन्ह अहभमत दश्रीन्हप्रे॥
करानन करउहूँ जनम भरर बरासपू। एहह तमें अहधक न मगोर सपुपरासपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कहनप्रे लगप्रे- मपुहन नप्रे जगो कहरा, वह करनप्रे सप्रे जगतभर कप्रे जश्रीवर कगो
उनककी इहच्छत वस्तपु दप्रेनप्रे करा फिल हगोगरा। (चरौदह वषर्ण ककी कगोई अवहध नहहीं) ममैं
जन्मभर वन ममें वरास करूहूँगरा। मप्रेरप्रे हलए इससप्रे बढकर और कगोई सपुख नहहीं हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* अमंतरजरामश्री ररामपु हसय तपुम्ह सरबग्य सपुजरान।
जजौं फिपु र कहहह त नरार हनज ककीहजअ बचनपु पवरान॥256॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री और सश्रीतराजश्री हृदय ककी जराननप्रे वरालप्रे हमैं और आप सवर्णज तररा
सपुजरान हमैं। यहद आप यह सत्य कह रहप्रे हमैं तगो हप्रे नरार ! अपनप्रे वचनर कगो पमरार
ककीहजए (उनकप्रे अनपुसरार व्यवस्ररा ककीहजए)॥256॥
चरौपराई :
* भरत बचन सपुहन दप्रेहख सनप्रेहह। सभरा सहहत मपुहन भए हबदप्रेहह॥
भरत महरा महहमरा जलररासश्री। मपुहन महत ठराहढ तश्रीर अबलरा सश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे वचन सपुनकर और उनकरा पप्रेम दप्रेखकर सरारश्री सभरा सहहत मपुहन
वहशषजश्री हवदप्रेह हगो गए (हकसश्री कगो अपनप्रे दप्रेह ककी सपुहध न रहश्री)। भरतजश्री ककी महरान
महहमरा समपुद हहै, मपुहन ककी बपुहद उसकप्रे तट पर अबलरा स्त्रश्री कप्रे समरान खडश्री हहै॥1॥
* गरा चह परार जतनपु हहयहूँ हप्रेररा। परावहत नराव न बगोहहतपु बप्रेररा॥
और कररहह कगो भरत बडराई। सरसश्री सश्रीहप हक हसमंधपु समराई॥2॥
भरावरारर्ण:-वह (उस समपुद कप्रे ) परार जरानरा चराहतश्री हहै, इसकप्रे हलए उसनप्रे हृदय ममें उपराय
भश्री ढपू हूँढप्रे! पर (उसप्रे परार करनप्रे करा सराधन) नराव, जहराज यरा बप्रेडरा कपु छ भश्री नहहीं
परातश्री। भरतजश्री ककी बडराई और करौन करप्रेगरा? तलहैयरा ककी सश्रीपश्री ममें भश्री कहहीं समपुद समरा
सकतरा हहै?॥2॥
* भरतपु मपुहनहह मन भश्रीतर भराए। सहहत समराज रराम पहहमं आए॥
पभपु पनरामपु करर दश्रीन्ह सपुआसनपु। बहैठप्रे सब सपुहन मपुहन अनपुसरासनपु॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मपुहन वहशषजश्री ककी अन्तररात्मरा कगो भरतजश्री बहह त अच्छप्रे लगप्रे और वप्रे समराज
सहहत शश्री ररामजश्री कप्रे परास आए। पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे परराम कर उरम आसन
हदयरा। सब लगोग मपुहन ककी आजरा सपुनकर बहैठ गए॥3॥
* बगोलप्रे मपुहनबर बचन हबचरारश्री। दप्रेस कराल अवसर अनपुहरारश्री॥
सपुनहह रराम सरबग्य सपुजरानरा। धरम नश्रीहत गपुन ग्यरान हनधरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शप्रेष मपुहन दप्रेश, कराल और अवसर कप्रे अनपुसरार हवचरार करकप्रे वचन बगोलप्रे- हप्रे
सवर्णज! हप्रे सपुजरान! हप्रे धमर्ण, नश्रीहत, गपुर और जरान कप्रे भण्डरार रराम! सपुहनए-॥4॥
दगोहरा :
* सब कप्रे उर अमंतर बसहह जरानहह भराउ कपु भराउ।
पपुरजन जननश्री भरत हहत हगोइ सगो कहहअ उपराउ॥257॥
भरावरारर्ण:-आप सबकप्रे हृदय कप्रे भश्रीतर बसतप्रे हमैं और सबकप्रे भलप्रे-बपुरप्रे भराव कगो जरानतप्रे हमैं,
हजसममें पपुरवराहसयर करा, मरातराओमं करा और भरत करा हहत हगो, वहश्री उपराय बतलराइए॥
257॥
चरौपराई :
* आरत कहहहमं हबचरारर न कराऊ। सपूझ जपुआररहह आपन दराऊ॥
सपुहन मपुहन बचन कहत रघपुरराऊ॥ नरार तपुम्हरारप्रेहह हरार उपराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-आतर्ण (दद्धाःपु खश्री) लगोग कभश्री हवचरारकर नहहीं कहतप्रे। जपुआरश्री कगो अपनरा हश्री दरावहूँ
सपूझतरा हहै। मपुहन कप्रे वचन सपुनकर शश्री रघपुनरारजश्री कहनप्रे लगप्रे- हप्रे नरार! उपराय तगो आप
हश्री कप्रे हरार हहै॥1॥
* सब कर हहत रख रराउरर रराख।में आयसपु हकए मपुहदत फिपु र भराषमें॥
परम जगो आयसपु मगो कहह हूँ हगोई। मरारमें मराहन करजौं हसख सगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-आपकरा रख रखनप्रे ममें और आपककी आजरा कगो सत्य कहकर पसन्नतरा पपूवर्णक
परालन करनप्रे ममें हश्री सबकरा हहत हहै। पहलप्रे तगो मपुझप्रे जगो आजरा हगो, ममैं उसश्री हशक्षरा कगो
मरारप्रे पर चढराकर करूहूँ॥2॥
* पपुहन जप्रेहह कहहूँ जस कहब गगोसराई।मं सगो सब भराहूँहत घहटहह सप्रेवकराई॥मं
कह मपुहन रराम सत्य तपुम्ह भराषरा। भरत सनप्रेहहूँ हबचरार न रराखरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर हप्रे गगोसराई!मं आप हजसकगो जहैसरा कहमेंगप्रे वह सब तरह सप्रे सप्रेवरा ममें लग
जराएगरा (आजरा परालन करप्रेगरा)। मपुहन वहशषजश्री कहनप्रे लगप्रे- हप्रे रराम! तपुमनप्रे सच कहरा।
पर भरत कप्रे पप्रेम नप्रे हवचरार कगो नहहीं रहनप्रे हदयरा॥3॥
* तप्रेहह तमें कहउहूँ बहगोरर बहगोरश्री। भरत भगहत बस भइ महत मगोरश्री॥
मगोरमें जरान भरत रहच रराखश्री। जगो ककीहजअ सगो सपुभ हसव सराखश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इसश्रीहलए ममैं बरार-बरार कहतरा हह हूँ, मप्रेरश्री बपुहद भरत ककी भहक्त कप्रे वश हगो गई हहै।
मप्रेरश्री समझ ममें तगो भरत ककी रहच रखकर जगो कपु छ हकयरा जराएगरा, हशवजश्री सराक्षश्री हमैं,
वह सब शपुभ हश्री हगोगरा॥4॥
शश्री रराम-भरतराहद करा समंवराद
दगोहरा :
* भरत हबनय सरादर सपुहनअ कररअ हबचरार बहगोरर।
करब सराधपुमत लगोकमत नमृपनय हनगम हनचगोरर॥258॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे भरत ककी हवनतश्री आदरपपूवर्णक सपुन लश्रीहजए, हफिर उस पर हवचरार ककीहजए।
तब सराधपुमत, लगोकमत, रराजनश्रीहत और वप्रेदर करा हनचगोड (सरार) हनकरालकर वहैसरा हश्री
(उसश्री कप्रे अनपुसरार) ककीहजए॥258॥
चरौपराई :
* गपुर अनपुररागपु भरत पर दप्रेखश्री। रराम हृदयहूँ आनमंद पु हबसप्रेषश्री॥
भरतहह धरम धपुरधमं र जरानश्री। हनज सप्रेवक तन मरानस बरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री पर गपुरजश्री करा स्नप्रेह दप्रेखकर शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे हृदय ममें हवशप्रेष आनमंद
हह आ। भरतजश्री कगो धमर्णधपुरधमं र और तन, मन, वचन सप्रे अपनरा सप्रेवक जरानकर-॥1॥
* बगोलप्रे गपुर आयस अनपुकपूलरा। बचन ममंजपु ममृद पु ममंगलमपूलरा॥
नरार सपर हपतपु चरन दगोहराई। भयउ न भपुअन भरत सम भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री गपुर ककी आजरा अनपुकपूल मनगोहर, कगोमल और कल्यरार कप्रे मपूल
वचन बगोलप्रे- हप्रे नरार! आपककी सरौगमंध और हपतराजश्री कप्रे चररर ककी दहपु राई हहै (ममैं सत्य
कहतरा हह हूँ हक) हवश्वभर ममें भरत कप्रे समरान कगोई भराई हहआ हश्री नहहीं॥2॥
* जप्रे गपुर पद अमंबपुज अनपुररागश्री। तप्रे लगोकहह हूँ बप्रेदहह हूँ बडभरागश्री॥
रराउर जरा पर अस अनपुररागपू। कगो कहह सकइ भरत कर भरागपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग गपुर कप्रे चररकमलर कप्रे अनपुररागश्री हमैं, वप्रे लगोक ममें (लरौहकक दृहष्टि सप्रे)
भश्री और वप्रेद ममें (परमराहरर्णक दृहष्टि सप्रे) भश्री बडभरागश्री हगोतमें हमैं! (हफिर) हजस पर आप
(गपुर) करा ऐसरा स्नप्रेह हहै, उस भरत कप्रे भराग्य कगो करौन कह सकतरा हहै?॥3॥
* लहख लघपु बमंधपु बपुहद सकपु चराई। करत बदन पर भरत बडराई॥
भरतपु कहहहमं सगोइ हकएहूँ भलराई। अस कहह रराम रहप्रे अरगराई॥4॥
भरावरारर्ण:-छगोटरा भराई जरानकर भरत कप्रे मपुहूँह पर उसककी बडराई करनप्रे ममें मप्रेरश्री बपुहद
सकपु चरातश्री हहै। (हफिर भश्री ममैं तगो यहश्री कहह हूँगरा हक) भरत जगो कपु छ कहमें, वहश्री करनप्रे ममें
भलराई हहै। ऐसरा कहकर शश्री ररामचन्दजश्री चपुप हगो रहप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* तब मपुहन बगोलप्रे भरत सन सब सहूँकगोचपु तहज तरात।
कमृ पराहसमंधपु हपय बमंधपु सन कहहह हृदय कहै बरात॥259॥
भरावरारर्ण:-तब मपुहन भरतजश्री सप्रे बगोलप्रे- हप्रे तरात! सब समंकगोच त्यरागकर कमृ परा कप्रे समपुद
अपनप्रे प्यरारप्रे भराई सप्रे अपनप्रे हृदय ककी बरात कहगो॥ 259॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन बचन रराम रख पराई। गपुर सराहहब अनपुकपू ल अघराई॥
लहख अपनमें हसर सबपु छर भरारू। कहह न सकहहमं कछपु करहहमं हबचरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे वचन सपुनकर और शश्री ररामचन्दजश्री करा रख पराकर गपुर तररा स्वरामश्री
कगो भरपप्रेट अपनप्रे अनपुकपूल जरानकर सराररा बगोझ अपनप्रे हश्री ऊपर समझकर भरतजश्री कपु छ
कह नहहीं सकतप्रे। वप्रे हवचरार करनप्रे लगप्रे॥1॥
* पपुलहक सरश्रीर सभराहूँ भए ठराढप्रे। नश्रीरज नयन नप्रेह जल बराढप्रे॥
कहब मगोर मपुहननरार हनबराहरा। एहह तमें अहधक कहजौं ममैं कराहरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शरश्रीर सप्रे पपुलहकत हगोकर वप्रे सभरा ममें खडप्रे हगो गए। कमल कप्रे समरान नप्रेत्रर ममें
पप्रेमराशपुओमं ककी बराढ आ गई। (वप्रे बगोलप्रे-) मप्रेररा कहनरा तगो मपुहननरार नप्रे हश्री हनबराह हदयरा
(जगो कपु छ ममैं कह सकतरा ररा वह उन्हरनप्रे हश्री कह हदयरा)। इससप्रे अहधक ममैं क्यरा
कहह हूँ?॥2॥
* ममैं जरानउहूँ हनज नरार सपुभराऊ। अपरराहधहह पर कगोह न कराऊ॥
मगो पर कमृ परा सनप्रेहह हबसप्रेषश्री। खप्रेलत खपुहनस न कबहह हूँ दप्रेखश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे स्वरामश्री करा स्वभराव ममैं जरानतरा हह हूँ। वप्रे अपरराधश्री पर भश्री कभश्री कगोध नहहीं
करतप्रे। मपुझ पर तगो उनककी हवशप्रेष कमृ परा और स्नप्रेह हहै। ममैंनप्रे खप्रेल ममें भश्री कभश्री उनककी
रश्रीस (अपसन्नतरा) नहहीं दप्रेखश्री॥3॥
* हससपुपन तमें पररहरप्रेउहूँ न समंगपू। कबहह हूँ न ककीन्ह मगोर मन भमंगपू॥
ममैं पभपु कमृ परा रश्रीहत हजयहूँ जगोहश्री। हरारप्रेहहहूँ खप्रेल हजतरावहहमं मगोहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-बचपन ममें हश्री ममैंनप्रे उनकरा सरार नहहीं छगोडरा और उन्हरनप्रे भश्री मप्रेरप्रे मन कगो कभश्री
नहहीं तगोडरा (मप्रेरप्रे मन कप्रे पहतकपू ल कगोई कराम नहहीं हकयरा)। ममैंनप्रे पभपु ककी कमृ परा ककी रश्रीहत
कगो हृदय ममें भलश्रीभराहूँहत दप्रेखरा हहै (अनपुभव हकयरा हहै)। मप्रेरप्रे हरारनप्रे पर भश्री खप्रेल ममें पभपु
मपुझप्रे हजतरा दप्रेतप्रे रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* महह हूँ सनप्रेह सकगोच बस सनमपुख कहश्री न बहैन।
दरसन तमृहपत न आजपु लहग पप्रेम हपआसप्रे नहैन॥260॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे भश्री पप्रेम और समंकगोचवश कभश्री सरामनप्रे मपुहूँह नहहीं खगोलरा। पप्रेम कप्रे प्यरासप्रे मप्रेरप्रे
नप्रेत्र आज तक पभपु कप्रे दशर्णन सप्रे तमृप्त नहहीं हह ए॥260॥
चरौपराई :
* हबहध न सकप्रे ऊ सहह मगोर दल पु राररा। नश्रीच बश्रीचपु जननश्री हमस पराररा॥
यहउ कहत मगोहह आजपु न सगोभरा। अपनहीं समपुहझ सराधपु सपुहच कगो भरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु हवधरातरा मप्रेररा दल पु रार न सह सकरा। उसनप्रे नश्रीच मरातरा कप्रे बहरानप्रे (मप्रेरप्रे और
स्वरामश्री कप्रे बश्रीच) अमंतर डराल हदयरा। यह भश्री कहनरा आज मपुझप्रे शगोभरा नहहीं दप्रेतरा,
क्यरहक अपनश्री समझ सप्रे करौन सराधपु और पहवत्र हह आ हहै? (हजसकगो दस पू रप्रे सराधपु और
पहवत्र मरानमें, वहश्री सराधपु हहै)॥1॥
* मरातपु ममंहद ममैं सराधपु सपुचरालश्री। उर अस आनत कगोहट कपु चरालश्री॥
फिरइ हक कगोदव बराहल सपुसरालश्री। मपुकतरा पसव हक समंबपुक करालश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मरातरा नश्रीच हहै और ममैं सदराचरारश्री और सराधपु हह,हूँ ऐसरा हृदय ममें लरानरा हश्री
करगोडर दरपु राचरारर कप्रे समरान हहै। क्यरा कगोदर ककी बरालश्री उरम धरान फिल सकतश्री हहै ? क्यरा
करालश्री घरघश्री मगोतश्री उत्पन्न कर सकतश्री हहै?॥2॥
* सपनप्रेहहहूँ दगोसक लप्रेसपु न कराहह। मगोर अभराग उदहध अवगराहह॥
हबनपु समपुझमें हनज अघ पररपराकपू। जराररउहूँ जरायहूँ जनहन कहह कराकपू॥3॥
भरावरारर्ण:-स्वप्न ममें भश्री हकसश्री कगो दगोष करा लप्रेश भश्री नहहीं हहै। मप्रेररा अभराग्य हश्री अरराह
समपुद हहै। ममैंनप्रे अपनप्रे परापर करा परररराम समझप्रे हबनरा हश्री मरातरा कगो कटपु वचन कहकर
व्यरर्ण हश्री जलरायरा॥3॥
* हृदयहूँ हप्रेरर हरारप्रेउहूँ सब ओररा। एकहह भराहूँहत भलप्रेहहमं भल मगोररा॥
गपुर गगोसराइहूँ सराहहब हसय ररामपू। लरागत मगोहह नश्रीक पररनरामपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं अपनप्रे हृदय ममें सब ओर खगोज कर हरार गयरा (मप्रेरश्री भलराई करा कगोई सराधन
नहहीं सपूझतरा)। एक हश्री पकरार भलप्रे हश्री (हनश्चय हश्री) मप्रेररा भलरा हहै। वह यह हहै हक गपुर
महरारराज सवर्णसमरर्ण हमैं और शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री मप्रेरप्रे स्वरामश्री हमैं। इसश्री सप्रे परररराम मपुझप्रे
अच्छरा जरान पडतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सराधपु सभराहूँ गपुर पभपु हनकट कहउहूँ सपुरल सहतभराउ।
पप्रेम पपमंचपु हक झपूठ फिपु र जरानहहमं मपुहन रघपुरराउ॥261॥
भरावरारर्ण:-सराधओ पु मं ककी सभरा ममें गपुरजश्री और स्वरामश्री कप्रे समश्रीप इस पहवत्र तश्रीरर्ण स्ररान ममें
ममैं सत्य भराव सप्रे कहतरा हह।हूँ यह पप्रेम हहै यरा पपमंच (छल-कपट)? झपूठ हहै यरा सच?
इसप्रे (सवर्णज) मपुहन वहशषजश्री और (अन्तयरार्णमश्री) शश्री रघपुनरारजश्री जरानतप्रे हमैं॥261॥
चरौपराई :
* भपूपहत मरन पप्रेम पनपु रराखश्री। जननश्री कपु महत जगतपु सबपु सराखश्री॥
दप्रेहख न जराहहमं हबकल महतरारहीं। जरहहमं दसपु ह जर पपुर नर नरारहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम कप्रे पर कगो हनबराहकर महरारराज (हपतराजश्री) करा मरनरा और मरातरा ककी
कपु बपुहद, दगोनर करा सराररा समंसरार सराक्षश्री हहै। मरातराएहूँ व्यराकपु ल हमैं, वप्रे दप्रेखश्री नहहीं जरातहीं।
अवधपपुरश्री कप्रे नर-नरारश्री दद्धाःपु सह तराप सप्रे जल रहप्रे हमैं॥1॥
* महहीं सकल अनरर कर मपूलरा। सगो सपुहन समपुहझ सहहउहूँ सब सपूलरा॥
सपुहन बन गवनपु ककीन्ह रघपुनराररा। करर मपुहन बप्रेष लखन हसय सराररा॥ 2॥
हबनपु परानहहन्ह पयरादप्रेहह पराएहूँ। समंकर सराहख रहप्रेउहूँ एहह घराएहूँ॥
बहह रर हनहरारर हनषराद सनप्रेहह। कपु हलस कहठन उर भयउ न बप्रेहह॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं हश्री इन सरारप्रे अनरर्मों करा मपूल हह,हूँ यह सपुन और समझकर ममैंनप्रे सब दद्धाःपु ख
सहरा हहै। शश्री रघपुनरारजश्री लक्ष्मर और सश्रीतराजश्री कप्रे सरार मपुहनयर करा सरा वप्रेष धराररकर
हबनरा जपूतप्रे पहनप्रे पराहूँव-प्यरादप्रे (पहैदल) हश्री वन कगो चलप्रे गए, यह सपुनकर, शमंकरजश्री
सराक्षश्री हमैं, इस घराव सप्रे भश्री ममैं जश्रीतरा रह गयरा (यह सपुनतप्रे हश्री मप्रेरप्रे परार नहहीं हनकल
गए)! हफिर हनषरादरराज करा पप्रेम दप्रेखकर भश्री इस वज्र सप्रे भश्री कठगोर हृदय ममें छप्रेद नहहीं
हह आ (यह फिटरा नहहीं)॥2-3॥
*अब सबपु आहूँहखन्ह दप्रेखप्रेउहूँ आई। हजअत जश्रीव जड सबइ सहराई॥
हजन्हहह हनरहख मग सराहूँहपहन बश्रीछश्री। तजहहमं हबषम हबषपु तरामस तश्रीछश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अब यहराहूँ आकर सब आहूँखर दप्रेख हलयरा। यह जड जश्रीव जश्रीतरा रह कर सभश्री
सहरावप्रेगरा। हजनकगो दप्रेखकर ररास्तप्रे ककी सराहूँहपनश्री और बश्रीछश्री भश्री अपनप्रे भयरानक हवष और
तश्रीव्र कगोध कगो त्यराग दप्रेतश्री हमैं-॥4॥
दगोहरा :
* तप्रेइ रघपुनमंदनपु लखनपु हसय अनहहत लरागप्रे जराहह।
तरासपु तनय तहज दसपु ह दख पु दहैउ सहरावइ कराहह॥262॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हश्री शश्री रघपुनमंदन, लक्ष्मर और सश्रीतरा हजसकगो शत्रपु जरान पडप्रे, उस कहै कप्रे यश्री
कप्रे पपुत्र मपुझकगो छगोडकर दहैव दद्धाःपु सह दद्धाःपु ख और हकसप्रे सहरावप्रेगरा?॥262॥
चरौपराई :
* सपुहन अहत हबकल भरत बर बरानश्री। आरहत पश्रीहत हबनय नय सरानश्री॥
सगोक मगन सब सभराहूँ खभरारू। मनहह हूँ कमल बन परप्रेउ तपुसरारू॥1॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त व्यराकपुल तररा दद्धाःपु ख, पप्रेम, हवनय और नश्रीहत ममें सनश्री हहई भरतजश्री
ककी शप्रेष वरारश्री सपुनकर सब लगोग शगोक ममें मग्नि हगो गए, सरारश्री सभरा ममें हवषराद छरा गयरा।
मरानगो कमल कप्रे वन पर परालरा पड गयरा हगो॥1॥
* कहह अनप्रेक हबहध कररा पपुररानश्री। भरत पबगोधपु ककीन्ह मपुहन ग्यरानश्री॥
बगोलप्रे उहचत बचन रघपुनमंद।पू हदनकर कपु ल कहै रव बन चमंद॥पू 2॥
भरावरारर्ण:-तब जरानश्री मपुहन वहशषजश्री नप्रे अनप्रेक पकरार ककी पपुररानश्री (ऐहतहराहसक) करराएहूँ
कहकर भरतजश्री करा समराधरान हकयरा। हफिर सपूयर्णकपुल रूपश्री कपु मपुदवन कप्रे पफिपु हल्लत करनप्रे
वरालप्रे चन्दमरा शश्री रघपुनमंदन उहचत वचन बगोलप्रे-॥2॥
* तरात जरायहूँ हजयहूँ करहह गलरानश्री। ईस अधश्रीन जश्रीव गहत जरानश्री॥
तश्रीहन कराल हतभपुअन मत मगोरमें। पपुन्यहसलगोक तरात तर तगोरमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम अपनप्रे हृदय ममें व्यरर्ण हश्री ग्लराहन करतप्रे हगो। जश्रीव ककी गहत कगो
ईश्वर कप्रे अधश्रीन जरानगो। मप्रेरप्रे मत ममें (भपूत, भहवष्य, वतर्णमरान) तश्रीनर करालर और
(स्वगर्ण, पमृथ्वश्री और परातराल) तश्रीनर लगोकर कप्रे सब पपुण्यरात्मरा पपुरष तपुम सप्रे नश्रीचप्रे हमैं॥3॥
* उर आनत तपुम्ह पर कपु हटलराई। जराइ लगोकपु परलगोकपु नसराई॥
दगोसपु दप्रेहहमं जनहनहह जड तप्रेई। हजन्ह गपुर सराधपु सभरा नहहमं सप्रेई॥4॥
भरावरारर्ण:-हृदय ममें भश्री तपुम पर कपु हटलतरा करा आरगोप करनप्रे सप्रे यह लगोक (यहराहूँ कप्रे सपुख,
यश आहद) हबगड जरातरा हहै और परलगोक भश्री नष्टि हगो जरातरा हहै (मरनप्रे कप्रे बराद भश्री
अच्छश्री गहत नहहीं हमलतश्री)। मरातरा कहै कप्रे यश्री कगो तगो वप्रे हश्री मपूखर्ण दगोष दप्रेतप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे गपुर
और सराधपुओमं ककी सभरा करा सप्रेवन नहहीं हकयरा हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* हमहटहहहमं पराप पपमंच सब अहखल अममंगल भरार।
लगोक सपुजसपु परलगोक सपुखपु सपुहमरत नरामपु तपुम्हरार॥263॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! तपुम्हराररा नराम स्मरर करतप्रे हश्री सब पराप , पपमंच (अजरान) और
समस्त अममंगलर कप्रे समपूह हमट जराएहूँगप्रे तररा इस लगोक ममें सपुदमं र यश और परलगोक ममें
सपुख पराप्त हगोगरा॥263॥
चरौपराई :
* कहउहूँ सपुभराउ सत्य हसव सराखश्री। भरत भपूहम रह रराउरर रराखश्री॥
तरात कपु तरक करहह जहन जराएहूँ। बहैर पप्रेम नहहमं दरपु इ दरपु राएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भरत! ममैं स्वभराव सप्रे हश्री सत्य कहतरा हह हूँ, हशवजश्री सराक्षश्री हमैं, यह पमृथ्वश्री
तपुम्हरारश्री हश्री रखश्री रह रहश्री हहै। हप्रे तरात ! तपुम व्यरर्ण कपु तकर्ण न करगो। वहैर और पप्रेम हछपराए
नहहीं हछपतप्रे॥1॥
* मपुहनगन हनकट हबहग ममृग जराहहीं। बराधक बहधक हबलगोहक परराहहीं॥
हहत अनहहत पसपु पहच्छउ जरानरा। मरानपुष तनपु गपुन ग्यरान हनधरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पक्षश्री और पशपु मपुहनयर कप्रे परास (बप्रेधडक) चलप्रे जरातप्रे हमैं, पर हहमंसरा करनप्रे
वरालप्रे बहधकर कगो दप्रेखतप्रे हश्री भराग जरातप्रे हमैं। हमत्र और शत्रपु कगो पशपु -पक्षश्री भश्री पहचरानतप्रे
हमैं। हफिर मनपुष्य शरश्रीर तगो गपुर और जरान करा भमंडरार हश्री हहै॥ 2॥
* तरात तपुम्हहह ममैं जरानउहूँ नश्रीकमें। करजौं कराह असममंजस जश्रीकमें॥
रराखप्रेउ ररायहूँ सत्य मगोहह त्यरागश्री। तनपु पररहरप्रेउ पप्रेम पन लरागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ममैं तपुम्हमें अच्छश्री तरह जरानतरा हह।हूँ क्यरा करूहूँ? जश्री ममें बडरा असममंजस
(दहपु वधरा) हहै। रराजरा नप्रे मपुझप्रे त्यराग कर सत्य कगो रखरा और पप्रेम -पर कप्रे हलए शरश्रीर
छगोड हदयरा॥3॥
* तरासपु बचन मप्रेटत मन सगोचपू। तप्रेहह तमें अहधक तपुम्हरार सहूँकगोचपू॥
तरा पर गपुर मगोहह आयसपु दश्रीन्हरा। अवहस जगो कहहह चहउहूँ सगोइ ककीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे वचन कगो मप्रेटतप्रे मन ममें सगोच हगोतरा हहै। उससप्रे भश्री बढकर तपुम्हराररा समंकगोच
हहै। उस पर भश्री गपुरजश्री नप्रे मपुझप्रे आजरा दश्री हहै, इसहलए अब तपुम जगो कपु छ कहगो,
अवश्य हश्री ममैं वहश्री करनरा चराहतरा हह हूँ॥4॥
दगोहरा :
* मनपु पसन्न करर सकपु च तहज कहहह करजौं सगोइ आजपु।
सत्यसमंध रघपुबर बचन सपुहन भरा सपुखश्री समराजपु॥ 264॥
भरावरारर्ण:-तपुम मन कगो पसन्न कर और समंकगोच कगो त्यराग कर जगो कपु छ कहगो, ममैं आज
वहश्री करूहूँ। सत्य पहतज रघपुकपुल शप्रेष शश्री ररामजश्री करा यह वचन सपुनकर सराररा समराज
सपुखश्री हगो गयरा॥264॥
चरौपराई :
* सपुर गन सहहत सभय सपुररराजपू। सगोचहहमं चराहत हगोन अकराजपू॥
बनत उपराउ करत कछपु नराहहीं। रराम सरन सब गप्रे मन मराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवगरर सहहत दप्रेवरराज इन्द भयभश्रीत हगोकर सगोचनप्रे लगप्रे हक अब बनरा-बनरायरा
कराम हबगडनरा हश्री चराहतरा हहै। कपु छ उपराय करतप्रे नहहीं बनतरा। तब वप्रे सब मन हश्री मन
शश्री ररामजश्री ककी शरर गए॥1॥
*बहह रर हबचरारर परस्पर कहहहीं। रघपुपहत भगत भगहत बस अहहहीं॥
सपुहध करर अमंबरश्रीष दरपु बरासरा। भप्रे सपुर सपुरपहत हनपट हनररासरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर वप्रे हवचरार करकप्रे आपस ममें कहनप्रे लगप्रे हक शश्री रघपुनरारजश्री तगो भक्त ककी
भहक्त कप्रे वश हमैं। अम्बरश्रीष और दवपु रार्णसरा ककी (घटनरा) यराद करकप्रे तगो दप्रेवतरा और इन्द
हबल्कपु ल हश्री हनरराश हगो गए॥2॥
* सहप्रे सपुरन्ह बहह कराल हबषरादरा। नरहरर हकए पगट पहलरादरा॥
लहग लहग करान कहहहमं धपुहन मराररा। अब सपुर कराज भरत कप्रे हराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे दप्रेवतराओमं नप्रे बहह त समय तक दद्धाःपु ख सहप्रे। तब भक्त पहराद नप्रे हश्री नमृहसमंह
भगवरान कगो पकट हकयरा ररा। सब दप्रेवतरा परस्पर करानर सप्रे लग-लगकर और हसर
धपुनकर कहतप्रे हमैं हक अब (इस बरार) दप्रेवतराओमं करा कराम भरतजश्री कप्रे हरार हहै॥3॥
* आन उपराउ न दप्रेहखअ दप्रेवरा। मरानत ररामपु सपुसप्रेवक सप्रेवरा॥
हहयहूँ सपप्रेम सपुहमरहह सब भरतहह। हनज गपुन सश्रील रराम बस करतहह॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवतराओमं! और कगोई उपराय नहहीं हदखराई दप्रेतरा। शश्री ररामजश्री अपनप्रे शप्रेष
सप्रेवकर ककी सप्रेवरा कगो मरानतप्रे हमैं (अररार्णत उनकप्रे भक्त ककी कगोई सप्रेवरा करतरा हहै, तगो उस
पर बहह त पसन्न हगोतप्रे हमैं)। अतएव अपनप्रे गपुर और शश्रील सप्रे शश्री ररामजश्री कगो वश ममें
करनप्रे वरालप्रे भरतजश्री करा हश्री सब लगोग अपनप्रे -अपनप्रे हृदय ममें पप्रेम सहहत स्मरर करगो॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन सपुर मत सपुरगपुर कहप्रेउ भल तपुम्हरार बड भरागपु।
सकल सपुममंगल मपूल जग भरत चरन अनपुररागपु॥ 265॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं करा मत सपुनकर दप्रेवगपुर बमृहस्पहतजश्री नप्रे कहरा- अच्छरा हवचरार हकयरा,
तपुम्हरारप्रे बडप्रे भराग्य हमैं। भरतजश्री कप्रे चररर करा पप्रेम जगत ममें समस्त शपुभ ममंगलर करा मपूल
हहै॥265॥
चरौपराई :
* सश्रीतरापहत सप्रेवक सप्रेवकराई। करामधप्रेनपु सय सररस सपुहराई॥
भरत भगहत तपुम्हरमें मन आई। तजहह सगोचपु हबहध बरात बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरानरार शश्री ररामजश्री कप्रे सप्रेवक ककी सप्रेवरा सहैकडर करामधप्रेनपुओमं कप्रे समरान सपुदमं र
हहै। तपुम्हरारप्रे मन ममें भरतजश्री ककी भहक्त आई हहै , तगो अब सगोच छगोड दगो। हवधरातरा नप्रे
बरात बनरा दश्री॥1॥
* दप्रेखपु दप्रेवपहत भरत पभराऊ। सजह सपुभरायहूँ हबबस रघपुरराऊ॥
मन हरर करहह दप्रेव डर नराहहीं। भरतहह जराहन रराम पररछराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेवरराज! भरतजश्री करा पभराव तगो दप्रेखगो। शश्री रघपुनरारजश्री सहज स्वभराव सप्रे हश्री
उनकप्रे पपूरर्णरूप सप्रे वश ममें हमैं। हप्रे दप्रेवतराओमं ! भरतजश्री कगो शश्री ररामचन्दजश्री ककी परछराई मं
(परछराई मं ककी भराहूँहत उनकरा अनपुसरर करनप्रे वरालरा) जरानकर मन हस्रर करगो, डर ककी
बरात नहहीं हहै॥2॥
* सपुहन सपुरगपुर सपुर समंमत सगोचपू। अमंतरजरामश्री पभपुहह सकगोचपू॥
हनज हसर भरार भरत हजयहूँ जरानरा। करत कगोहट हबहध उर अनपुमरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवगपुर बमृहस्पहतजश्री और दप्रेवतराओमं ककी सम्महत (आपस करा हवचरार) और
उनकरा सगोच सपुनकर अन्तयरार्णमश्री पभपु शश्री ररामजश्री कगो समंकगोच हहआ। भरतजश्री नप्रे अपनप्रे मन
ममें सब बगोझरा अपनप्रे हश्री हसर जरानरा और वप्रे हृदय ममें करगोडर (अनप्रेकर) पकरार कप्रे
अनपुमरान (हवचरार) करनप्रे लगप्रे॥3॥
* करर हबचरार मन दश्रीन्हश्री ठश्रीकरा। रराम रजरायस आपन नश्रीकरा॥
हनज पन तहज रराखप्रेउ पनपु मगोररा। छगोहह सनप्रेहह ककीन्ह नहहमं रगोररा॥4॥
भरावरारर्ण:-सब तरह सप्रे हवचरार करकप्रे अमंत ममें उन्हरनप्रे मन ममें यहश्री हनश्चय हकयरा हक शश्री
ररामजश्री ककी आजरा ममें हश्री अपनरा कल्यरार हहै। उन्हरनप्रे अपनरा पर छगोडकर मप्रेररा पर
रखरा। यह कपु छ कम कमृ परा और स्नप्रेह नहहीं हकयरा (अररार्णत अत्यन्त हश्री अनपुगह और
स्नप्रेह हकयरा)॥4॥
दगोहरा :
* ककीन्ह अनपुगह अहमत अहत सब हबहध सश्रीतरानरार।
करर पनरामपु बगोलप्रे भरतपु जगोरर जलज जपुग हरार॥266॥
भरावरारर्ण:-शश्री जरानककीनरारजश्री नप्रे सब पकरार सप्रे मपुझ पर अत्यन्त अपरार अनपुगह हकयरा।
तदनन्तर भरतजश्री दगोनर करकमलर कगो जगोडकर परराम करकप्रे बगोलप्रे-॥266॥
चरौपराई :
* कहजौं कहरावजौं करा अब स्वरामश्री। कमृ परा अमंबपुहनहध अमंतरजरामश्री॥
गपुर पसन्न सराहहब अनपुकपूलरा। हमटश्री महलन मन कलहपत सपूलरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! हप्रे कमृ परा कप्रे समपुद! हप्रे अन्तयरार्णमश्री! अब ममैं (अहधक) क्यरा कहह हूँ
और क्यरा कहराऊहूँ? गपुर महरारराज कगो पसन्न और स्वरामश्री कगो अनपुकपूल जरानकर मप्रेरप्रे
महलन मन ककी कहल्पत पश्रीडरा हमट गई॥1॥
* अपडर डरप्रेउहूँ न सगोच समपूलमें। रहबहह न दगोसपु दप्रेव हदहस भपूलमें॥
मगोर अभरागपु मरातपु कपु हटलराई। हबहध गहत हबषम कराल कहठनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं हमथ्यरा डर सप्रे हश्री डर गयरा ररा। मप्रेरप्रे सगोच ककी जड हश्री न रश्री। हदशरा भपूल
जरानप्रे पर हप्रे दप्रेव! सपूयर्ण करा दगोष नहहीं हहै। मप्रेररा दभपु रार्णग्य, मरातरा ककी कपु हटलतरा, हवधरातरा
ककी टप्रेढश्री चराल और कराल ककी कहठनतरा,॥2॥
* पराउ रगोहप सब हमहल मगोहह घरालरा। पनतपराल पन आपन परालरा॥
यह नइ रश्रीहत न रराउरर हगोई। लगोकहह हूँ बप्रेद हबहदत नहहमं गगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-इन सबनप्रे हमलकर पहैर रगोपकर (पर करकप्रे ) मपुझप्रे नष्टि कर हदयरा ररा, परन्तपु
शरररागत कप्रे रक्षक आपनप्रे अपनरा (शरररागत ककी रक्षरा करा) पर हनबराहरा (मपुझप्रे बचरा
हलयरा)। यह आपककी कगोई नई रश्रीहत नहहीं हहै। यह लगोक और वप्रेदर ममें पकट हहै , हछपश्री
नहहीं हहै॥3॥
* जगपु अनभल भल एकपु गगोसराई।मं कहहअ हगोइ भल करासपु भलराई॥मं
दप्रेउ दप्रेवतर सररस सपुभराऊ। सनमपुख हबमपुख न कराहह हह कराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सराररा जगत बपुररा (करनप्रे वरालरा) हगो, हकन्तपु हप्रे स्वरामश्री! कप्रे वल एक आप हश्री
भलप्रे (अनपुकपूल) हर, तगो हफिर कहहए, हकसककी भलराई सप्रे भलरा हगो सकतरा हहै? हप्रे
दप्रेव! आपकरा स्वभराव कल्पवमृक्ष कप्रे समरान हहै, वह न कभश्री हकसश्री कप्रे सम्मपुख
(अनपुकपूल) हहै, न हवमपुख (पहतकपू ल)॥4॥
दगोहरा :
* जराइ हनकट पहहचराहन तर छराहहूँ समहन सब सगोच।
मरागत अहभमत पराव जग रराउ रमंकपु भल पगोच॥267॥
भरावरारर्ण:-उस वमृक्ष (कल्पवमृक्ष) कगो पहचरानकर जगो उसकप्रे परास जराए, तगो उसककी छरायरा
हश्री सरारश्री हचमंतराओमं करा नराश करनप्रे वरालश्री हहै। रराजरा-रमंक, भलप्रे-बपुरप्रे, जगत ममें सभश्री उससप्रे
मराहूँगतप्रे हश्री मनचराहश्री वस्तपु परातप्रे हमैं॥267॥
चरौपराई :
* लहख सब हबहध गपुर स्वराहम सनप्रेहह। हमटप्रेउ छगोभपु नहहमं मन समंदप्रेहह॥
अब करनराकर ककीहजअ सगोई। जन हहत पभपु हचत छगोभपु न हगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-गपुर और स्वरामश्री करा सब पकरार सप्रे स्नप्रेह दप्रेखकर मप्रेररा क्षगोभ हमट गयरा, मन
ममें कपु छ भश्री समंदहप्रे नहहीं रहरा। हप्रे दयरा ककी खरान ! अब वहश्री ककीहजए हजससप्रे दरास कप्रे
हलए पभपु कप्रे हचर ममें क्षगोभ (हकसश्री पकरार करा हवचरार) न हगो॥1॥
* जगो सप्रेवकपु सराहहबहह सहूँकगोचश्री। हनज हहत चहइ तरासपु महत पगोचश्री॥
सप्रेवक हहत सराहहब सप्रेवकराई। करहै सकल सपुख लगोभ हबहराई॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो सप्रेवक स्वरामश्री कगो समंकगोच ममें डरालकर अपनरा भलरा चराहतरा हहै , उसककी बपुहद
नश्रीच हहै। सप्रेवक करा हहत तगो इसश्री ममें हहै हक वह समस्त सपुखर और लगोभर कगो छगोडकर
स्वरामश्री ककी सप्रेवरा हश्री करप्रे॥2॥
* स्वराररपु नरार हफिरमें सबहश्री करा। हकएहूँ रजराइ कगोहट हबहध नश्रीकरा॥
यह स्वरारर परमरारर सरारू। सकल सपुकमृत फिल सपुगहत हसमंगरारू॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपकप्रे लरौटनप्रे ममें सभश्री करा स्वरारर्ण हहै और आपककी आजरा परालन
करनप्रे ममें करगोडर पकरार सप्रे कल्यरार हहै। यहश्री स्वरारर्ण और परमरारर्ण करा सरार (हनचगोड)
हहै, समस्त पपुण्यर करा फिल और सम्पपूरर्ण शपुभ गहतयर करा शमृमंगरार हहै॥ 3॥
* दप्रेव एक हबनतश्री सपुहन मगोरश्री। उहचत हगोइ तस करब बहगोरश्री॥
हतलक समराजपु सराहज सबपु आनरा। कररअ सपुफिल पभपु जजौं मनपु मरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! आप मप्रेरश्री एक हवनतश्री सपुनकर, हफिर जहैसरा उहचत हगो वहैसरा हश्री
ककीहजए। रराजहतलक ककी सब सरामगश्री सजराकर लराई गई हहै , जगो पभपु करा मन मरानप्रे तगो
उसप्रे सफिल ककीहजए (उसकरा उपयगोग ककीहजए)॥4॥
दगोहरा :
* सरानपुज पठइअ मगोहह बन ककीहजअ सबहह सनरार।
नतर फिप्रे ररअहहमं बमंधपु दगोउ नरार चलजौं ममैं सरार॥268॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न समप्रेत मपुझप्रे वन ममें भप्रेज दश्रीहजए और (अयगोध्यरा लरौटकर)
सबकगो सनरार ककीहजए। नहहीं तगो हकसश्री तरह भश्री (यहद आप अयगोध्यरा जरानप्रे कगो तहैयरार
न हर) हप्रे नरार! लक्ष्मर और शत्रपुघ्न दगोनर भराइयर कगो लरौटरा दश्रीहजए और ममैं आपकप्रे
सरार चलपूहूँ॥268॥
चरौपराई :
* नतर जराहहमं बन तश्रीहनउ भराई। बहह ररअ सश्रीय सहहत रघपुरराई॥
जप्रेहह हबहध पभपु पसन्न मन हगोई। करनरा सरागर ककीहजअ सगोई॥1॥
भरावरारर्ण:-अरवरा हम तश्रीनर भराई वन चलप्रे जराएहूँ और हप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ! आप शश्री
सश्रीतराजश्री सहहत (अयगोध्यरा कगो) लरौट जराइए। हप्रे दयरासरागर! हजस पकरार सप्रे पभपु करा
मन पसन्न हगो, वहश्री ककीहजए॥1॥
* दप्रेवहूँ दश्रीन्ह सबपु मगोहह अभरारू। मगोरमें नश्रीहत न धरम हबचरारू॥
कहउहूँ बचन सब स्वरारर हप्रेतपू। रहत न आरत कप्रे हचत चप्रेतपू॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! आपनप्रे सराररा भरार (हजम्मप्रेवरारश्री) मपुझ पर रख हदयरा। पर मपुझममें न तगो
नश्रीहत करा हवचरार हहै, न धमर्ण करा। ममैं तगो अपनप्रे स्वरारर्ण कप्रे हलए सब बरातमें कह रहरा हह हूँ।
आतर्ण (दद्धाःपु खश्री) मनपुष्य कप्रे हचर ममें चप्रेत (हववप्रेक) नहहीं रहतरा॥2॥
* उतर दप्रेइ सपुहन स्वराहम रजराई। सगो सप्रेवकपु लहख लराज लजराई॥
अस ममैं अवगपुन उदहध अगराधपू। स्वराहम सनप्रेहहूँ सरराहत सराधपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री ककी आजरा सपुनकर जगो उरर दप्रे, ऐसप्रे सप्रेवक कगो दप्रेखकर लजरा भश्री
लजरा जरातश्री हहै। ममैं अवगपुरर करा ऐसरा अरराह समपुद हह हूँ (हक पभपु कगो उरर दप्रे रहरा हह हूँ),
हकन्तपु स्वरामश्री (आप) स्नप्रेह वश सराधपु कहकर मपुझप्रे सरराहतप्रे हमैं!॥3॥
* अब कमृ पराल मगोहह सगो मत भरावरा। सकपु च स्वराहम मन जराइहूँ न परावरा॥
पभपु पद सपर कहउहूँ सहत भराऊ। जग ममंगल हहत एक उपराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ परालपु! अब तगो वहश्री मत मपुझप्रे भरातरा हहै, हजससप्रे स्वरामश्री करा मन समंकगोच
न परावप्रे। पभपु कप्रे चररर ककी शपर हहै, ममैं सत्यभराव सप्रे कहतरा हह हूँ, जगत कप्रे कल्यरार
कप्रे हलए एक यहश्री उपराय हहै॥4॥
दगोहरा :
* पभपु पसन्न मन सकपु च तहज जगो जप्रेहह आयसपु दप्रेब।
सगो हसर धरर धरर कररहह सबपु हमहटहह अनट अवरप्रेब॥269॥
भरावरारर्ण:-पसन्न मन सप्रे समंकगोच त्यरागकर पभपु हजसप्रे जगो आजरा दमेंगप्रे , उसप्रे सब लगोग हसर
चढरा-चढराकर (परालन) करमेंगप्रे और सब उपदव और उलझनमें हमट जराएहूँगश्री॥ 269॥
चरौपराई :
* भरत बचन सपुहच सपुहन सपुर हरषप्रे। सराधपु सरराहह सपुमन सपुर बरषप्रे॥
असममंजस बस अवध नप्रेवरासश्री। पमपुहदत मन तरापस बनबरासश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे पहवत्र वचन सपुनकर दप्रेवतरा हहषर्णत हहए और 'सराधपु-सराधपु' कहकर
सरराहनरा करतप्रे हहए दप्रेवतराओमं नप्रे फिपूल बरसराए। अयगोध्यरा हनवरासश्री असममंजस कप्रे वश हगो
गए (हक दप्रेखमें अब शश्री ररामजश्री क्यरा कहतप्रे हमैं) तपस्वश्री तररा वनवरासश्री लगोग (शश्री
ररामजश्री कप्रे वन ममें बनप्रे रहनप्रे ककी आशरा सप्रे) मन ममें परम आनहन्दत हहए॥1॥
* चपुपहहमं रहप्रे रघपुनरार सहूँकगोचश्री। पभपु गहत दप्रेहख सभरा सब सगोचश्री॥
जनक दतपू तप्रेहह अवसर आए। मपुहन बहसषहूँ सपुहन बप्रेहग बगोलराए॥2॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु समंकगोचश्री शश्री रघपुनरारजश्री चपुप हश्री रह गए। पभपु ककी यह हस्रहत (मरौन)
दप्रेख सरारश्री सभरा सगोच ममें पड गई। उसश्री समय जनकजश्री कप्रे दतपू आए, यह सपुनकर
मपुहन वहशषजश्री नप्रे उन्हमें तपुरमंत बपुलवरा हलयरा॥2॥
* करर पनराम हतन्ह ररामपु हनहरारप्रे। बप्रेषपु दप्रेहख भए हनपट द ख पु रारप्रे॥
दतपू न्ह मपुहनबर बपूझश्री बरातरा। कहहह हबदप्रेह भपूप कपु सलरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे (आकर) परराम करकप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखरा। उनकरा (मपुहनयर करा
सरा) वप्रेष दप्रेखकर वप्रे बहह त हश्री दद्धाःपु खश्री हह ए। मपुहनशप्रेष वहशषजश्री नप्रे दतपू र सप्रे बरात पपूछश्री हक
रराजरा जनक करा कपु शल समराचरार कहगो॥3॥
* सपुहन सकपु चराइ नराइ महह मराररा। बगोलप्रे चरबर जगोरमें हराररा॥
बपूझब रराउर सरादर सराई।मं कपु सल हप्रेतपु सगो भयउ गगोसराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-यह (मपुहन करा कपु शल पश्न) सपुनकर सकपु चराकर पमृथ्वश्री पर मस्तक नवराकर वप्रे
शप्रेष दतपू हरार जगोडकर बगोलप्रे- हप्रे स्वरामश्री! आपकरा आदर कप्रे सरार पपूछनरा, यहश्री हप्रे
गगोसराई!मं कपु शल करा करारर हगो गयरा॥4॥
दगोहरा :
* नराहहमं त कगोसलनरार कमें सरार कपु सल गइ नरार।
हमहरलरा अवध हबसप्रेष तमें जगपु सब भयउ अनरार॥270॥
भरावरारर्ण:-नहहीं तगो हप्रे नरार! कपु शल-क्षप्रेम तगो सब कगोसलनरार दशररजश्री कप्रे सरार हश्री
चलश्री गई। (उनकप्रे चलप्रे जरानप्रे सप्रे) यर तगो सराररा जगत हश्री अनरार (स्वरामश्री कप्रे हबनरा
असहराय) हगो गयरा, हकन्तपु हमहरलरा और अवध तगो हवशप्रेष रूप सप्रे अनरार हगो गयरा॥
270॥
चरौपराई :
* कगोसलपहत गहत सपुहन जनकरौररा। भप्रे सब लगोक सगोकबस बरौररा॥
जप्रेहहमं दप्रेखप्रे तप्रेहह समय हबदप्रेहह। नरामपु सत्य अस लराग न कप्रे हह ॥1॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरानरार ककी गहत (दशररजश्री करा मरर) सपुनकर जनकपपुर वरासश्री सभश्री
लगोग शगोकवश बरावलप्रे हगो गए (सपुध-बपुध भपूल गए)। उस समय हजन्हरनप्रे हवदप्रेह कगो
(शगोकमग्नि) दप्रेखरा, उनममें सप्रे हकसश्री कगो ऐसरा न लगरा हक उनकरा हवदप्रेह
(दप्रेहराहभमरानरहहत) नराम सत्य हहै! (क्यरहक दप्रेहहभमरान सप्रे शपून्य पपुरष कगो शगोक
कहै सरा?)॥1॥
* रराहन कपु चराहल सपुनत नरपरालहह। सपूझ न कछपु जस महन हबनपु ब्यरालहह॥
भरत रराज रघपुबर बनबरासपू। भरा हमहरलप्रेसहह हृदयहूँ हरराहूँसपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ररानश्री ककी कपु चराल सपुनकर रराजरा जनकजश्री कगो कपु छ सपूझ न पडरा, जहैसप्रे महर कप्रे
हबनरा सरापहूँ कगो नहहीं सपूझतरा। हफिर भरतजश्री कगो रराज्य और शश्री ररामचन्दजश्री कगो वनवरास
सपुनकर हमहरलप्रेश्वर जनकजश्री कप्रे हृदय ममें बडरा दद्धाःपु ख हहआ॥2॥
* नमृप बपूझप्रे बपुध सहचव समराजपू। कहहह हबचरारर उहचत करा आजपू॥
समपुहझ अवध असममंजस दगोऊ। चहलअ हक रहहअ न कह कछपु कगोऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे हवदरानर और ममंहत्रयर कप्रे समराज सप्रे पपूछरा हक हवचरारकर कहहए, आज
(इस समय) क्यरा करनरा उहचत हहै? अयगोध्यरा ककी दशरा समझकर और दगोनर पकरार
सप्रे असममंजस जरानकर 'चहलए यरा रहहए?' हकसश्री नप्रे कपु छ नहहीं कहरा॥3॥
* नमृपहहमं धश्रीर धरर हृदयहूँ हबचरारश्री। पठए अवध चतपुर चर चरारश्री॥
बपूहझ भरत सहत भराउ कपु भराऊ। आएहह बप्रेहग न हगोइ लखराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-(जब हकसश्री नप्रे कगोई सम्महत नहहीं दश्री) तब रराजरा नप्रे धश्रीरज धर हृदय ममें
हवचरारकर चरार चतपुर गपुप्तचर (जरासस पू ) अयगोध्यरा कगो भप्रेजप्रे (और उनसप्रे कह हदयरा हक)
तपुम लगोग (शश्री ररामजश्री कप्रे पहत) भरतजश्री कप्रे सद्भराव (अच्छप्रे भराव, पप्रेम) यरा दभपु रार्णव
(बपुररा भराव, हवरगोध) करा (यररारर्ण) पतरा लगराकर जल्दश्री लरौट आनरा, हकसश्री कगो
तपुम्हराररा पतरा न लगनप्रे परावप्रे॥4॥
दगोहरा :
* गए अवध चर भरत गहत बपूहझ दप्रेहख करतपूहत।
चलप्रे हचत्रकपू टहह भरतपु चरार चलप्रे तप्रेरहह हत॥271॥
भरावरारर्ण:-गपुप्तचर अवध कगो गए और भरतजश्री करा ढमंग जरानकर और उनककी करनश्री
दप्रेखकर, जहैसप्रे हश्री भरतजश्री हचत्रकपू ट कगो चलप्रे, वप्रे हतरहह त (हमहरलरा) कगो चल हदए॥
271॥
चरौपराई :
* दतपू न्ह आइ भरत कइ करनश्री। जनक समराज जररामहत बरनश्री॥
सपुहन गपुर पररजन सहचव महश्रीपहत। भप्रे सब सगोच सनप्रेहहूँ हबकल अहत॥1॥
भरावरारर्ण:-(गपुप्त) दतपू र नप्रे आकर रराजरा जनकजश्री ककी सभरा ममें भरतजश्री ककी करनश्री करा
अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार वरर्णन हकयरा। उसप्रे सपुनकर गपुर , कपु टपु म्बश्री, ममंत्रश्री और रराजरा
सभश्री सगोच और स्नप्रेह सप्रे अत्यन्त व्यराकपुल हगो गए॥1॥
* धरर धश्रीरजपु करर भरत बडराई। हलए सपुभट सराहनश्री बगोलराई॥
घर पपुर दप्रेस रराहख रखवरारप्रे। हय गय रर बहह जरान सहूँवरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर जनकजश्री नप्रे धश्रीरज धरकर और भरतजश्री ककी बडराई करकप्रे अच्छप्रे यगोदराओमं
और सराहहनयर कगो बपुलरायरा। घर, नगर और दप्रेश ममें रक्षकर कगो रखकर, घगोडप्रे, हरारश्री,
रर आहद बहह त सश्री सवराररयराहूँ सजवराई॥मं 2॥
* दघपु रश्री सराहध चलप्रे ततकरालरा। हकए हबशरामपु न मग महहपरालरा॥
भगोरहहमं आजपु नहराइ पयरागरा। चलप्रे जमपुन उतरन सबपु लरागरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे दघपु हडयरा मपुहहतर्ण सराधकर उसश्री समय चल पडप्रे। रराजरा नप्रे ररास्तप्रे ममें कहहीं
हवशराम भश्री नहहीं हकयरा। आज हश्री सबप्रेरप्रे पयरागरराज ममें स्नरान करकप्रे चलप्रे हमैं। जब सब
लगोग यमपुनराजश्री उतरनप्रे लगप्रे,॥3॥
* खबरर लप्रेन हम पठए नराररा। हतन्ह कहह अस महह नरायउ मराररा॥
सरार हकररात छ सरातक दश्रीन्हप्रे। मपुहनबर तपुरत हबदरा चर ककीन्हप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-तब हप्रे नरार! हममें खबर लप्रेनप्रे कगो भप्रेजरा। उन्हरनप्रे (दतपू र नप्रे) ऐसरा कहकर
पमृथ्वश्री पर हसर नवरायरा। मपुहनशप्रेष वहशषजश्री नप्रे कगोई छह-सरात भश्रीलर कगो सरार दप्रेकर दतपू र
कगो तपुरमंत हवदरा कर हदयरा॥4॥
दगोहरा :
* सपुनत जनक आगवनपु सबपु हरषप्रेउ अवध समराजपु।
रघपुनमंदनहह सकगोचपु बड सगोच हबबस सपुररराजपु॥ 272॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री करा आगमन सपुनकर अयगोध्यरा करा सराररा समराज हहषर्णत हगो गयरा। शश्री
ररामजश्री कगो बडरा समंकगोच हहआ और दप्रेवरराज इन्द तगो हवशप्रेष रूप सप्रे सगोच कप्रे वश ममें हगो
गए॥272॥
चरौपराई :
* गरइ गलराहन कपु हटल कहै कप्रे ई। कराहह कहहै कप्रे हह दषपू नपु दप्रेई॥
अस मन आहन मपुहदत नर नरारश्री। भयउ बहगोरर रहब हदन चरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कपु हटल कहै कप्रे यश्री मन हश्री मन ग्लराहन (पश्चरातराप) सप्रे गलश्री जरातश्री हहै। हकससप्रे कहप्रे
और हकसकगो दगोष दप्रे? और सब नर-नरारश्री मन ममें ऐसरा हवचरार कर पसन्न हगो रहप्रे हमैं
हक (अच्छरा हहआ, जनकजश्री कप्रे आनप्रे सप्रे) चरार (कपु छ) हदन और रहनरा हगो गयरा॥1॥
* एहह पकरार गत बरासर सगोऊ। परात नहरान लराग सबपु कगोऊ॥
करर मजनपु पपूजहहमं नर नरारश्री। गनप गरौरर हतपपुररारर तमरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस तरह वह हदन भश्री बश्रीत गयरा। दस पू रप्रे हदन परातद्धाःकराल सब कगोई स्नरान करनप्रे
लगप्रे। स्नरान करकप्रे सब नर-नरारश्री गरप्रेशजश्री, गरौरश्रीजश्री, महरादवप्रे जश्री और सपूयर्ण भगवरान ककी
पपूजरा करतप्रे हमैं॥2॥
* रमरा रमन पद बमंहद बहगोरश्री। हबनवहहमं अमंजपुहल अमंचल जगोरश्री॥
रराजरा ररामपु जरानककी ररानश्री। आनहूँद अवहध अवध रजधरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर लक्ष्मश्रीपहत भगवरान हवष्रपु कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे , दगोनर हरार
जगोडकर, आहूँचल पसरारकर हवनतश्री करतप्रे हमैं हक शश्री ररामजश्री रराजरा हर, जरानककीजश्री ररानश्री
हर तररा रराजधरानश्री अयगोध्यरा आनमंद ककी सश्रीमरा हगोकर-॥3॥
* सपुबस बसउ हफिरर सहहत समराजरा। भरतहह ररामपु करहह हूँ जपुबरराजरा॥
एहह सपुख सपुधराहूँ सहींहच सब कराहह। दप्रेव दप्रेहह जग जश्रीवन लराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर समराज सहहत सपुखपपूवर्णक बसप्रे और शश्री ररामजश्री भरतजश्री कगो य वपु रराज बनरावमें।
हप्रे दप्रेव! इस सपुख रूपश्री अममृत सप्रे सहींचकर सब हकसश्री कगो जगत ममें जश्रीनप्रे करा लराभ
दश्रीहजए॥4॥
दगोहरा :
* गपुर समराज भराइन्ह सहहत रराम रराजपु पपुर हगोउ।
अछत रराम रराजरा अवध मररअ मराग सबपु कगोउ॥273॥
भरावरारर्ण:-गपुर, समराज और भराइयर समप्रेत शश्री ररामजश्री करा रराज्य अवधपपुरश्री ममें हगो और
शश्री ररामजश्री कप्रे रराजरा रहतप्रे हश्री हम लगोग अयगोध्यरा ममें मरमें। सब कगोई यहश्री मराहूँगतप्रे हमैं॥
273॥
चरौपराई :
* सपुहन सनप्रेहमय पपुरजन बरानश्री। हनमंदहहमं जगोग हबरहत मपुहन ग्यरानश्री॥
एहह हबहध हनत्यकरम करर पपुरजन। ररामहह करहहमं पनराम पपुलहक तन॥1॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरा वराहसयर ककी पप्रेममयश्री वरारश्री सपुनकर जरानश्री मपुहन भश्री अपनप्रे यगोग और
वहैरराग्य ककी हनमंदरा करतप्रे हमैं। अवधवरासश्री इस पकरार हनत्यकमर्ण करकप्रे शश्री ररामजश्री कगो
पपुलहकत शरश्रीर हगो परराम करतप्रे हमैं॥1॥
* ऊहूँच नश्रीच मध्यम नर नरारश्री। लहहहमं दरसपु हनज हनज अनपुहरारश्री॥
सरावधरान सबहश्री सनमरानहहमं। सकल सरराहत कमृ पराहनधरानहहमं॥2॥
भरावरारर्ण:-ऊहूँच, नश्रीच और मध्यम सभश्री शप्रेहरयर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष अपनप्रे-अपनप्रे भराव कप्रे
अनपुसरार शश्री ररामजश्री करा दशर्णन पराप्त करतप्रे हमैं। शश्री ररामचन्दजश्री सरावधरानश्री कप्रे सरार सबकरा
सम्मरान करतप्रे हमैं और सभश्री कमृ पराहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री ककी सरराहनरा करतप्रे हमैं॥ 2॥
* लररकराइहह तमें रघपुबर बरानश्री। परालत नश्रीहत पश्रीहत पहहचरानश्री॥
सश्रील सकगोच हसमंधपु रघपुरराऊ। सपुमपुख सपुलगोचन सरल सपुभराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी लडकपन सप्रे हश्री यह बरान हहै हक वप्रे पप्रेम कगो पहचरानकर नश्रीहत
करा परालन करतप्रे हमैं। शश्री रघपुनरारजश्री शश्रील और समंकगोच कप्रे समपुद हमैं। वप्रे सपुमंदर मपुख कप्रे
(यरा सबकप्रे अनपुकपूल रहनप्रे वरालप्रे), सपुमंदर नप्रेत्र वरालप्रे (यरा सबकगो कमृ परा और पप्रेम ककी दृहष्टि
सप्रे दप्रेखनप्रे वरालप्रे) और सरल स्वभराव हमैं॥3॥
* कहत रराम गपुन गन अनपुररागप्रे। सब हनज भराग सरराहन लरागप्रे॥
हम सम पपुन्य पपुमंज जग रगोरप्रे। हजन्हहह ररामपु जरानत करर मगोरप्रे॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर समपूहर कगो कहतप्रे-कहतप्रे सब लगोग पप्रेम ममें भर गए और
अपनप्रे भराग्य ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे हक जगत ममें हमरारप्रे समरान पपुण्य ककी बडश्री पपूज हूँ श्री
वरालप्रे रगोडप्रे हश्री हमैं, हजन्हमें शश्री ररामजश्री अपनरा करकप्रे जरानतप्रे हमैं (यप्रे मप्रेरप्रे हमैं ऐसरा जरानतप्रे
हमैं)॥4॥
जनकजश्री करा पहह हूँचनरा, कगोल हकररातराहद ककी भमेंट, सबकरा परस्पर हमलराप
दगोहरा :
* पप्रेम मगन तप्रेहह समय सब सपुहन आवत हमहरलप्रेसपु।
सहहत सभरा समंरम उठप्रेउ रहबकपु ल कमल हदनप्रेसपु॥274॥
भरावरारर्ण:-उस समय सब लगोग पप्रेम ममें मग्नि हमैं। इतनप्रे ममें हश्री हमहरलरापहत जनकजश्री कगो
आतप्रे हह ए सपुनकर सपूयर्णकपुल रूपश्री कमल कप्रे सपूयर्ण शश्री ररामचन्दजश्री सभरा सहहत आदरपपूवर्णक
जल्दश्री सप्रे उठ खडप्रे हह ए॥274॥
चरौपराई :
* भराइ सहचव गपुर पपुरजन सराररा। आगमें गवनपु ककीन्ह रघपुनराररा॥
हगररबर दश्रीख जनकपहत जबहहीं। करर पनरामपु रर त्यरागप्रेउ तबहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भराई, ममंत्रश्री, गपुर और पपुरवराहसयर कगो सरार लप्रेकर शश्री रघपुनरारजश्री आगप्रे
(जनकजश्री ककी अगवरानश्री ममें) चलप्रे। जनकजश्री नप्रे ज्यर हश्री पवर्णत शप्रेष करामदनरार कगो
दप्रेखरा, त्यर हश्री परराम करकप्रे उन्हरनप्रे रर छगोड हदयरा। (पहैदल चलनरा शपुरू कर हदयरा)॥
1॥
* रराम दरस लरालसरा उछराहह। पर शम लप्रेसपु कलप्रेसपु न कराहह॥
मन तहहूँ जहहूँ रघपुबर बहैदहप्रे श्री। हबनपु मन तन द ख पु सपुख सपुहध कप्रे हश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे दशर्णन ककी लरालसरा और उत्सराह कप्रे करारर हकसश्री कगो ररास्तप्रे ककी
रकरावट और कप्रे श जररा भश्री नहहीं हहै। मन तगो वहराहूँ हहै जहराहूँ शश्री रराम और जरानककीजश्री हमैं।
हबनरा मन कप्रे शरश्रीर कप्रे सपुख-दद्धाःपु ख ककी सपुध हकसकगो हगो?॥2॥
* आवत जनकपु चलप्रे एहह भराहूँतश्री। सहहत समराज पप्रेम महत मरातश्री॥
आए हनकट दप्रेहख अनपुररागप्रे। सरादर हमलन परसपर लरागप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री इस पकरार चलप्रे आ रहप्रे हमैं। समराज सहहत उनककी बपुहद पप्रेम ममें
मतवरालश्री हगो रहश्री हहै। हनकट आए दप्रेखकर सब पप्रेम ममें भर गए और आदरपपूवर्णक आपस
ममें हमलनप्रे लगप्रे॥3॥
* लगप्रे जनक मपुहनजन पद बमंदन। ररहषन्ह पनरामपु ककीन्ह रघपुनमंदन॥
भराइन्ह सहहत ररामपु हमहल रराजहह। चलप्रे लवराइ समप्रेत समराजहह॥4॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री (वहशष आहद अयगोध्यरावरासश्री) मपुहनयर कप्रे चररर ककी वमंदनरा करनप्रे लगप्रे
और शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे (शतरानमंद आहद जनकपपुरवरासश्री) ऋहषयर कगो परराम हकयरा। हफिर
भराइयर समप्रेत शश्री ररामजश्री रराजरा जनकजश्री सप्रे हमलकर उन्हमें समराज सहहत अपनप्रे आशम
कगो हलवरा चलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* आशम सरागर सरामंत रस पपूरन परावन परारपु।
सप्रेन मनहह हूँ करनरा सररत हलएहूँ जराहहमं रघपुनरारपु॥275॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री करा आशम शरामंत रस रूपश्री पहवत्र जल सप्रे पररपपूरर्ण समपुद हहै।
जनकजश्री ककी सप्रेनरा (समराज) मरानगो करररा (करर रस) ककी नदश्री हहै, हजसप्रे शश्री
रघपुनरारजश्री (उस आशम रूपश्री शरामंत रस कप्रे समपुद ममें हमलरानप्रे कप्रे हलए) हलए जरा रहप्रे
हमैं॥275॥
चरौपराई :
* बगोरहत ग्यरान हबरराग कररारप्रे। बचन ससगोक हमलत नद नरारप्रे॥
सगोच उसरास समश्रीर तरमंगरा। धश्रीरज तट तरबर कर भमंगरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह करररा ककी नदश्री (इतनश्री बढश्री हहई हहै हक) जरान-वहैरराग्य रूपश्री हकनरारर कगो
डपु बरातश्री जरातश्री हहै। शगोक भरप्रे वचन नद और नरालप्रे हमैं , जगो इस नदश्री ममें हमलतप्रे हमैं और
सगोच ककी लमंबश्री सरास हूँ में (आहमें) हश्री वरायपु कप्रे झकगोरर सप्रे उठनप्रे वरालश्री तरमंगमें हमैं, जगो धहैयर्ण
रूपश्री हकनरारप्रे कप्रे उरम वमृक्षर कगो तगोड रहश्री हमैं॥1॥
* हबषम हबषराद तगोररावहत धराररा। भय रम भवहूँर अबतर्ण अपराररा॥
कप्रे वट बपुध हबद्यरा बहड नरावरा। सकहहमं न खप्रेइ ऐक नहहमं आवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-भयरानक हवषराद (शगोक) हश्री उस नदश्री ककी तप्रेज धराररा हहै। भय और रम
(मगोह) हश्री उसकप्रे असमंख्य भहूँवर और चक हमैं। हवदरान मल्लराह हमैं, हवद्यरा हश्री बडश्री नराव
हहै, परन्तपु वप्रे उसप्रे खप्रे नहहीं सकतप्रे हमैं, (उस हवद्यरा करा उपयगोग नहहीं कर सकतप्रे हमैं )
हकसश्री कगो उसककी अटकल हश्री नहहीं आतश्री हहै॥2॥
* बनचर कगोल हकररात हबचरारप्रे। रकप्रे हबलगोहक पहरक हहयहूँ हरारप्रे॥
आशम उदहध हमलश्री जब जराई। मनहह हूँ उठप्रेउ अमंबपुहध अकपु लराई॥3॥
भरावरारर्ण:-वन ममें हवचरनप्रे वरालप्रे बप्रेचरारप्रे कगोल-हकररात हश्री यरात्रश्री हमैं, जगो उस नदश्री कगो
दप्रेखकर हृदय ममें हरारकर रक गए हमैं। यह करररा नदश्री जब आशम-समपुद ममें जराकर
हमलश्री, तगो मरानगो वह समपुद अकपु लरा उठरा (खरौल उठरा)॥3॥
* सगोक हबकल दगोउ रराज समराजरा। रहरा न ग्यरानपु न धश्रीरजपु लराजरा॥
भपूप रूप गपुन सश्रील सरराहश्री। रगोवहहमं सगोक हसमंधपु अवगराहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-दगोनर रराज समराज शगोक सप्रे व्यराकपुल हगो गए। हकसश्री कगो न जरान रहरा, न
धश्रीरज और न लराज हश्री रहश्री। रराजरा दशररजश्री कप्रे रूप, गपुर और शश्रील ककी सरराहनरा
करतप्रे हह ए सब रगो रहप्रे हमैं और शगोक समपुद ममें डपु बककी लगरा रहप्रे हमैं॥4॥
छन्द :
* अवगराहह सगोक समपुद सगोचहहमं नरारर नर ब्यराकपुल महरा।
दहै दगोष सकल सरगोष बगोलहहमं बराम हबहध ककीन्हगो कहरा॥
सपुर हसद तरापस जगोहगजन मपुहन दप्रेहख दसरा हबदप्रेह ककी।
तपुलसश्री न समररपु कगोउ जगो तरर सकहै सररत सनप्रेह ककी॥
भरावरारर्ण:-शगोक समपुद ममें डपु बककी लगरातप्रे हह ए सभश्री स्त्रश्री-पपुरष महरान व्यराकपुल हगोकर सगोच
(हचमंतरा) कर रहप्रे हमैं। वप्रे सब हवधरातरा कगो दगोष दप्रेतप्रे हहए कगोधयक्त पु हगोकर कह रहप्रे हमैं हक
पहतकपू ल हवधरातरा नप्रे यह क्यरा हकयरा? तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक दप्रेवतरा, हसद,
तपस्वश्री, यगोगश्री और मपुहनगरर ममें कगोई भश्री समरर्ण नहहीं हहै, जगो उस समय हवदप्रेह
(जनकरराज) ककी दशरा दप्रेखकर पप्रेम ककी नदश्री कगो परार कर सकप्रे (पप्रेम ममें मग्नि हह ए हबनरा
रह सकप्रे )।
सगोरठरा :
* हकए अहमत उपदप्रेस जहहूँ तहहूँ लगोगन्ह मपुहनबरन्ह।
धश्रीरजपु धररअ नरप्रेस कहप्रेउ बहसष हबदप्रेह सन॥276॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ-तहराहूँ शप्रेष मपुहनयर नप्रे लगोगर कगो अपररहमत उपदप्रेश हदए और वहशषजश्री नप्रे
हवदप्रेह (जनकजश्री) सप्रे कहरा- हप्रे रराजनम! आप धहैयर्ण धरारर ककीहजए॥276॥
चरौपराई :
* जरासपु ग्यरान रहब भव हनहस नरासरा। बचन हकरन मपुहन कमल हबकरासरा॥
तप्रेहह हक मगोह ममतरा हनअरराई। यह हसय रराम सनप्रेह बडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हजन रराजरा जनक करा जरान रूपश्री सपूयर्ण भव (आवरागमन) रूपश्री रराहत्र करा नराश
कर दप्रेतरा हहै और हजनककी वचन रूपश्री हकररमें मपुहन रूपश्री कमलर कगो हखलरा दप्रेतश्री हमैं
(आनमंहदत करतश्री हमैं), क्यरा मगोह और ममतरा उनकप्रे हनकट भश्री आ सकतप्रे हमैं? यह
तगो शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे पप्रेम ककी महहमरा हहै! (अररार्णत रराजरा जनक ककी यह दशरा शश्री
सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे अलरौहकक पप्रेम कप्रे करारर हह ई, लरौहकक मगोह-ममतरा कप्रे करारर नहहीं।
जगो लरौहकक मगोह-ममतरा कगो परार कर चपुकप्रे हमैं, उन पर भश्री शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री करा पप्रेम
अपनरा पभराव हदखराए हबनरा नहहीं रहतरा)॥1॥
* हबषई सराधक हसद सयरानप्रे। हत्रहबध जश्रीव जग बप्रेद बखरानप्रे॥
रराम सनप्रेह सरस मन जरासपू। सराधपु सभराहूँ बड आदर तरासपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हवषयश्री, सराधक और जरानवरान हसद पपुरष- जगत ममें तश्रीन पकरार कप्रे जश्रीव
वप्रेदर नप्रे बतराए हमैं। इन तश्रीनर ममें हजसकरा हचर शश्री ररामजश्री कप्रे स्नप्रेह सप्रे सरस (सरराबगोर)
रहतरा हहै, सराधओ पु मं ककी सभरा ममें उसश्री करा बडरा आदर हगोतरा हहै॥ 2॥
* सगोह न रराम पप्रेम हबनपु ग्यरानपू। करनधरार हबनपु हजहम जलजरानपू॥
मपुहन बहह हबहध हबदप्रेहह समपुझराए। रराम घराट सब लगोग नहराए॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे पप्रेम कप्रे हबनरा जरान शगोभरा नहहीं दप्रेतरा, जहैसप्रे करर्णधरार कप्रे हबनरा
जहराज। वहशषजश्री नप्रे हवदप्रेहरराज (जनकजश्री) कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा। तदनमंतर सब
लगोगर नप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे घराट पर स्नरान हकयरा॥3॥
* सकल सगोक समंकपुल नर नरारश्री। सगो बरासर बश्रीतप्रेउ हबनपु बरारश्री॥
पसपु खग ममृगन्ह न ककीन्ह अहरारू। हपय पररजन कर करौन हबचरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-स्त्रश्री-पपुरष सब शगोक सप्रे पपूरर्ण रप्रे। वह हदन हबनरा हश्री जल कप्रे बश्रीत गयरा (भगोजन
ककी बरात तगो दरपू रहश्री, हकसश्री नप्रे जल तक नहहीं हपयरा)। पशपु-पक्षश्री और हहरनर तक नप्रे
कपु छ आहरार नहहीं हकयरा। तब हपयजनर एवमं कपु टपु हम्बयर करा तगो हवचरार हश्री क्यरा हकयरा
जराए?॥4॥
दगोहरा :
* दगोउ समराज हनहमरराजपु रघपुरराजपु नहरानप्रे परात।
बहैठप्रे सब बट हबटप तर मन मलश्रीन कमृ स गरात॥277॥
भरावरारर्ण:- हनहमरराज जनकजश्री और रघपुरराज ररामचन्दजश्री तररा दगोनर ओर कप्रे समराज नप्रे
दस पू रप्रे हदन सबप्रेरप्रे स्नरान हकयरा और सब बड कप्रे वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे जरा बहैठप्रे। सबकप्रे मन
उदरास और शरश्रीर दबपु लप्रे हमैं॥277॥
चरौपराई :
* जप्रे महहसपुर दसरर पपुर बरासश्री। जप्रे हमहरलरापहत नगर हनवरासश्री॥
हमंस बमंस गपुर जनक पपुरगोधरा। हजन्ह जग मगपु परमराररपु सगोधरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जगो दशररजश्री ककी नगरश्री अयगोध्यरा कप्रे रहनप्रे वरालप्रे और जगो हमहरलरापहत जनकजश्री
कप्रे नगर जनकपपुर कप्रे रहनप्रे वरालप्रे ब्रराहर रप्रे तररा सपूयवर्ण मंश कप्रे गपुर वहशषजश्री तररा
जनकजश्री कप्रे पपुरगोहहत शतरानमंदजश्री, हजन्हरनप्रे सरामंसराररक अभ्यदपु य करा मरागर्ण तररा परमरारर्ण
करा मरागर्ण छरान डरालरा ररा,॥1॥
* लगप्रे कहन उपदप्रेस अनप्रेकरा। सहहत धरम नय हबरहत हबबप्रेकरा॥
करौहसक कहह कहह कररा पपुररानहीं। समपुझराई सब सभरा सपुबरानहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब धमर्ण, नश्रीहत वहैरराग्य तररा हववप्रेकयक्त पु अनप्रेकर उपदप्रेश दप्रेनप्रे लगप्रे।
हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे पपुररानश्री करराएहूँ (इहतहरास) कह-कहकर सरारश्री सभरा कगो सपुदमं र वरारश्री सप्रे
समझरायरा॥2॥
* तब रघपुनरार करौहसकहह कहप्रेऊ। नरार कराहल जल हबनपु सपुब रहप्रेऊ॥
मपुहन कह उहचत कहत रघपुरराई। गयउ बश्रीहत हदन पहर अढराई॥3॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे हवश्वराहमत्रजश्री सप्रे कहरा हक हप्रे नरार ! कल सब लगोग
हबनरा जल हपए हश्री रह गए रप्रे। (अब कपु छ आहरार करनरा चराहहए)। हवश्वराहमत्रजश्री नप्रे कहरा
हक शश्री रघपुनरारजश्री उहचत हश्री कह रहप्रे हमैं। ढराई पहर हदन (आज भश्री) बश्रीत गयरा॥3॥
* ररहष रख लहख कह तप्रेरहह हतरराजपू। इहराहूँ उहचत नहहमं असन अनराजपू॥
कहरा भपूप भल सबहह सगोहरानरा। पराइ रजरायसपु चलप्रे नहरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री करा रख दप्रेखकर हतरहह त रराज जनकजश्री नप्रे कहरा- यहराहूँ अन्न
खरानरा उहचत नहहीं हहै। रराजरा करा सपुमंदर करन सबकप्रे मन कगो अच्छरा लगरा। सब आजरा
पराकर नहरानप्रे चलप्रे॥4॥
दगोहरा :
* तप्रेहह अवसर फिल फिपू ल दल मपूल अनप्रेक पकरार।
लइ आए बनचर हबपपुल भरर भरर करावहूँ रर भरार॥278॥
भरावरारर्ण:-उसश्री समय अनप्रेकर पकरार कप्रे बहह त सप्रे फिल, फिपूल, परप्रे, मपूल आहद बहहूँहगयर
और बगोझर ममें भर-भरकर वनवरासश्री (कगोल-हकररात) लगोग लप्रे आए॥278॥
चरौपराई :
* करामद भप्रे हगरर रराम पसरादरा। अवलगोकत अपहरत हबषरादरा॥
सर सररतरा बन भपूहम हबभरागरा। जनपु उमगत आनहूँद अनपुररागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी कमृ परा सप्रे सब पवर्णत मनचराहश्री वस्तपु दप्रेनप्रे वरालप्रे हगो गए। वप्रे
दप्रेखनप्रे मरात्र सप्रे हश्री दद्धाःपु खर कगो सवर्णररा हर लप्रेतप्रे रप्रे। वहराहूँ कप्रे तरालराबर, नहदयर, वन और
पमृथ्वश्री कप्रे सभश्री भरागर ममें मरानगो आनमंद और पप्रेम उमड रहरा हहै॥ 1॥
* बप्रेहल हबटप सब सफिल सफिपू लरा। बगोलत खग ममृग अहल अनपुकपूलरा॥
तप्रेहह अवसर बन अहधक उछराहह। हत्रहबध समश्रीर सपुखद सब कराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-बप्रेलमें और वमृक्ष सभश्री फिल और फिपू लर सप्रे यक्त पु हगो गए। पक्षश्री, पशपु और भजौंरमें
अनपुकपूल बगोलनप्रे लगप्रे। उस अवसर पर वन ममें बहह त उत्सराह (आनमंद) ररा, सब हकसश्री
कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री शश्रीतल, ममंद, सपुगमंध हवरा चल रहश्री रश्री॥2॥
* जराइ न बरहन मनगोहरतराई। जनपु महह करहत जनक पहह नराई॥
तब सब लगोग नहराइ नहराई। रराम जनक मपुहन आयसपु पराई॥3॥
दप्रेहख दप्रेहख तरबर अनपुररागप्रे। जहहूँ तहहूँ पपुरजन उतरन लरागप्रे॥
दल फिल मपूल कमंद हबहध नरानरा। परावन सपुदमं र सपुधरा समरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वन ककी मनगोहरतरा वरर्णन नहहीं ककी जरा सकतश्री, मरानगो पमृथ्वश्री जनकजश्री ककी
पहह नराई कर रहश्री हहै। तब जनकपपुर वरासश्री सब लगोग नहरा-नहराकर शश्री ररामचन्दजश्री,
जनकजश्री और मपुहन ककी आजरा पराकर, सपुदमं र वमृक्षर कगो दप्रेख-दप्रेखकर पप्रेम ममें भरकर
जहराहूँ-तहराहूँ उतरनप्रे लगप्रे। पहवत्र, सपुदमं र और अममृत कप्रे समरान (स्वराहदष्टि) अनप्रेकर पकरार
कप्रे परप्रे, फिल, मपूल और कमंद-॥3-4॥
दगोहरा :
* सरादर सब कहहूँ ररामगपुर पठए भरर भरर भरार।
पपूहज हपतर सपुर अहतहर गपुर लगप्रे करन फिरहरार॥279॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर वहशषजश्री नप्रे सबकप्रे परास बगोझप्रे भर-भरकर आदरपपूवर्णक भप्रेजप्रे।
तब वप्रे हपतर-दप्रेवतरा, अहतहर और गपुर ककी पपूजरा करकप्रे फिलराहरार करनप्रे लगप्रे॥279॥
चरौपराई :
* एहह हबहध बरासर बश्रीतप्रे चरारश्री। ररामपु हनरहख नर नरारर सपुखरारश्री॥
दहपु ह समराज अहस रहच मन मराहहीं। हबनपु हसय रराम हफिरब भल नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार चरार हदन बश्रीत गए। शश्री ररामचन्दजश्री कगो दप्रेखकर सभश्री नर-नरारश्री
सपुखश्री हमैं। दगोनर समराजर कप्रे मन ममें ऐसश्री इच्छरा हहै हक शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे हबनरा
लरौटनरा अच्छरा नहहीं हहै॥1॥
* सश्रीतरा रराम समंग बनबरासपू। कगोहट अमरपपुर सररस सपुपरासपू॥
पररहरर लखन ररामपु बहैदप्रेहश्री। जप्रेहह घर भराव बराम हबहध तप्रेहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे सरार वन ममें रहनरा करगोडर दप्रेवलगोकर कप्रे (हनवरास कप्रे )
समरान सपुखदरायक हहै। शश्री लक्ष्मरजश्री , शश्री ररामजश्री और शश्री जरानककीजश्री कगो छगोडकर
हजसकगो घर अच्छरा लगप्रे, हवधरातरा उसकप्रे हवपरश्रीत हमैं॥2॥
* दराहहन दइउ हगोइ जब सबहश्री। रराम समश्रीप बहसअ बन तबहश्री॥
ममंदराहकहन मजनपु हतहह करालरा। रराम दरसपु मपुद ममंगल मरालरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जब दहैव सबकप्रे अनपुकपूल हगो, तभश्री शश्री ररामजश्री कप्रे परास वन ममें हनवरास हगो
सकतरा हहै। ममंदराहकनश्रीजश्री करा तश्रीनर समय स्नरान और आनमंद तररा ममंगलर ककी मरालरा
(समपूह) रूप शश्री रराम करा दशर्णन,॥3॥
* अटनपु रराम हगरर बन तरापस रल। असनपु अहमअ सम कमं द मपूल फिल॥
सपुख समप्रेत समंबत दइपु सरातरा। पल सम हगोहहमं न जहनअहहमं जरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे पवर्णत (करामदनरार), वन और तपहस्वयर कप्रे स्ररानर ममें घपूमनरा
और अममृत कप्रे समरान कमंद, मपूल, फिलर करा भगोजन। चरौदह वषर्ण सपुख कप्रे सरार पल कप्रे
समरान हगो जराएहूँगप्रे (बश्रीत जराएहूँगप्रे), जरातप्रे हहए जरान हश्री न पडमेंगप्रे॥4॥
करौसल्यरा सपुनयनरा-समंवराद, शश्री सश्रीतराजश्री करा शश्रील
दगोहरा :
* एहह सपुख जगोग न लगोग सब कहहहमं कहराहूँ अस भरागपु।
सहज सपुभरायहूँ समराज दहपु ह रराम चरन अनपुररागपु॥280॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग कह रहप्रे हमैं हक हम इस सपुख कप्रे यगोग्य नहहीं हमैं, हमरारप्रे ऐसप्रे भराग्य
कहराहूँ? दगोनर समराजर करा शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे चररर ममें सहज स्वभराव सप्रे हश्री पप्रेम हहै॥
280॥
चरौपराई :
* एहह हबहध सकल मनगोरर करहहीं। बचन सपप्रेम सपुनत मन हरहहीं॥
सश्रीय मरातपु तप्रेहह समय पठराई।मं दरासहीं दप्रेहख सपुअवसर आई॥मं 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब मनगोरर कर रहप्रे हमैं। उनकप्रे पप्रेमयक्त पु वचन सपुनतप्रे हश्री (सपुननप्रे
वरालर कप्रे ) मनर कगो हर लप्रेतप्रे हमैं। उसश्री समय सश्रीतराजश्री ककी मरातरा शश्री सपुनयनराजश्री ककी
भप्रेजश्री हह ई दराहसयराहूँ (करौसल्यराजश्री आहद कप्रे हमलनप्रे करा) सपुदमं र अवसर दप्रेखकर आई॥मं 1॥
* सरावकरास सपुहन सब हसय सरासपू। आयउ जनकरराज रहनवरासपू॥
करौसल्यराहूँ सरादर सनमरानश्री। आसन हदए समय सम आनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उनसप्रे यह सपुनकर हक सश्रीतरा ककी सब सरासपुएहूँ इस समय फिपु रसत ममें हमैं,
जनकरराज करा रहनवरास उनसप्रे हमलनप्रे आयरा। करौसल्यराजश्री नप्रे आदरपपूवर्णक उनकरा सम्मरान
हकयरा और समयगोहचत आसन लराकर हदए॥2॥
* सश्रीलपु सनप्रेहह सकल दहपु ह ओररा। दवहहमं दप्रेहख सपुहन कपु हलस कठगोररा॥
पपुलक हसहरल तन बरारर हबलगोचन। महह नख हलखन लगहीं सब सगोचन॥3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर ओर सबकप्रे शश्रील और पप्रेम कगो दप्रेखकर और सपुनकर कठगोर वज्र भश्री
हपघल जरातप्रे हमैं। शरश्रीर पपुलहकत और हशहरल हमैं और नप्रेत्रर ममें (शगोक और पप्रेम कप्रे )
आहूँसपू हमैं। सब अपनप्रे (पहैरर कप्रे ) नखर सप्रे जमश्रीन कपु रप्रेदनप्रे और सगोचनप्रे लगहीं॥3॥
* सब हसय रराम पश्रीहत ककी हस मपूरहत। जनपु करनरा बहह बप्रेष हबसपूरहत॥
सश्रीय मरातपु कह हबहध बपुहध बराहूँककी। जगो पय फिप्रे नपु फिगोर पहब टराहूँककी॥4॥
भरावरारर्ण:-सभश्री शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे पप्रेम ककी मपूहतर्ण सश्री हमैं, मरानगो स्वयमं करररा हश्री बहह त
सप्रे वप्रेष (रूप) धरारर करकप्रे हवसपूर रहश्री हगो (दद्धाःपु ख कर रहश्री हगो)। सश्रीतराजश्री ककी मरातरा
सपुनयनराजश्री नप्रे कहरा- हवधरातरा ककी बपुहद बडश्री टप्रेढश्री हहै, जगो दधपू कप्रे फिप्रे न जहैसश्री कगोमल
वस्तपु कगो वज्र ककी टराहूँककी सप्रे फिगोड रहरा हहै (अररार्णत जगो अत्यन्त कगोमल और हनदर्दोष हमैं
उन पर हवपहर पर हवपहर ढहरा रहरा हहै)॥4॥
दगोहरा :
* सपुहनअ सपुधरा दप्रेहखअहहमं गरल सब करतपूहत करराल।
जहहूँ तहहूँ कराक उलपूक बक मरानस सकमृ त मरराल॥281॥
भरावरारर्ण:-अममृत कप्रे वल सपुननप्रे ममें आतरा हहै और हवष जहराहूँ-तहराहूँ पत्यक्ष दप्रेखप्रे जरातप्रे हमैं।
हवधरातरा ककी सभश्री करतपूतमें भयमंकर हमैं। जहराहूँ -तहराहूँ करौए, उल्लह और बगपुलप्रे हश्री (हदखराई
दप्रेतप्रे) हमैं, हमंस तगो एक मरानसरगोवर ममें हश्री हमैं॥281॥
चरौपराई :
* सपुहन ससगोच कह दप्रेहब सपुहमत्ररा। हबहध गहत बहड हबपरश्रीत हबहचत्ररा॥
जगो समृहज परालइ हरइ बहगोरश्री। बरालकप्रे हल सम हबहध महत भगोरश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर दप्रेवश्री सपुहमत्रराजश्री शगोक कप्रे सरार कहनप्रे लगहीं- हवधरातरा ककी चराल
बडश्री हश्री हवपरश्रीत और हवहचत्र हहै, जगो समृहष्टि कगो उत्पन्न करकप्रे परालतरा हहै और हफिर नष्टि
कर डरालतरा हहै। हवधरातरा ककी बपुहद बरालकर कप्रे खप्रेल कप्रे समरान भगोलश्री (हववप्रेक शपून्य)
हहै॥1॥
* करौसल्यरा कह दगोसपु न कराहह। करम हबबस दख पु सपुख छहत लराहह॥
कहठन करम गहत जरान हबधरातरा। जगो सपुभ असपुभ सकल फिल दरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री नप्रे कहरा- हकसश्री करा दगोष नहहीं हहै, दद्धाःपु ख-सपुख, हराहन-लराभ सब
कमर्ण कप्रे अधश्रीन हमैं। कमर्ण ककी गहत कहठन (दहपु वर्णजप्रेय) हहै, उसप्रे हवधरातरा हश्री जरानतरा हहै,
जगो शपुभ और अशपुभ सभश्री फिलर करा दप्रेनप्रे वरालरा हहै॥ 2॥
* ईस रजराइ सश्रीस सबहश्री कमें । उतपहत हरहत लय हबषहह अमश्री कमें ॥
दप्रेहब मगोह बस सगोहचअ बरादश्री। हबहध पपमंचपु अस अचल अनरादश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ईश्वर ककी आजरा सभश्री कप्रे हसर पर हहै। उत्पहर, हस्रहत (परालन) और लय
(समंहरार) तररा अममृत और हवष कप्रे भश्री हसर पर हहै (यप्रे सब भश्री उसश्री कप्रे अधश्रीन हमैं)।
हप्रे दप्रेहव! मगोहवश सगोच करनरा व्यरर्ण हहै। हवधरातरा करा पपमंच ऐसरा हश्री अचल और अनराहद
हहै॥3॥
* भपूपहत हजअब मरब उर आनश्री। सगोहचअ सहख लहख हनज हहत हरानश्री॥
सश्रीय मरातपु कह सत्य सपुबरानश्री। सपुकमृतश्री अवहध अवधपहत ररानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-महरारराज कप्रे मरनप्रे और जश्रीनप्रे ककी बरात कगो हृदय ममें यराद करकप्रे जगो हचन्तरा
करतश्री हमैं, वह तगो हप्रे सखश्री! हम अपनप्रे हश्री हहत ककी हराहन दप्रेखकर (स्वरारर्णवश)
करतश्री हमैं। सश्रीतराजश्री ककी मरातरा नप्रे कहरा- आपकरा करन उरम हहै और सत्य हहै। आप
पपुण्यरात्मराओमं कप्रे सश्रीमरा रूप अवधपहत (महरारराज दशररजश्री) ककी हश्री तगो ररानश्री हमैं। (हफिर
भलरा, ऐसरा क्यर न कहमेंगश्री)॥4॥
दगोहरा :
* लखनपु ररामपु हसय जराहहहूँ बन भल पररनराम न पगोचपु।
गहबरर हहयहूँ कह करौहसलरा मगोहह भरत कर सगोचपु॥ 282॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री नप्रे दद्धाःपु ख भरप्रे हृदय सप्रे कहरा- शश्री रराम, लक्ष्मर और सश्रीतरा वन
ममें जराएहूँ, इसकरा परररराम तगो अच्छरा हश्री हगोगरा, बपुररा नहहीं। मपुझप्रे तगो भरत ककी हचन्तरा
हहै॥282॥
चरौपराई :
* ईस पसराद असश्रीस तपुम्हरारश्री। सपुत सपुतबधपू दप्रेवसरर बरारश्री॥
रराम सपर ममैं ककीहन्ह न कराऊ। सगो करर कहउहूँ सखश्री सहत भराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-ईश्वर कप्रे अनपुगह और आपकप्रे आशश्रीवरादर्ण सप्रे मप्रेरप्रे (चरारर) पपुत्र और (चरारर)
बहह एहूँ गमंगराजश्री कप्रे जल कप्रे समरान पहवत्र हमैं। हप्रे सखश्री! ममैंनप्रे कभश्री शश्री रराम ककी सरौगमंध
नहहीं ककी, सगो आज शश्री रराम ककी शपर करकप्रे सत्य भराव सप्रे कहतश्री हह हूँ-॥1॥
* भरत सश्रील गपुन हबनय बडराई। भरायप भगहत भरगोस भलराई॥
कहत सरारदहह कर महत हश्रीचप्रे। सरागर सश्रीप हक जराहहमं उलश्रीचप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भरत कप्रे शश्रील, गपुर, नम्रतरा, बडप्पन, भराईपन, भहक्त, भरगोसप्रे और
अच्छप्रेपन करा वरर्णन करनप्रे ममें सरस्वतश्रीजश्री ककी बपुहद भश्री हहचकतश्री हहै। सश्रीप सप्रे कहहीं समपुद
उलश्रीचप्रे जरा सकतप्रे हमैं?॥2॥
* जरानउहूँ सदरा भरत कपु लदश्रीपरा। बरार बरार मगोहह कहप्रेउ महश्रीपरा॥
कसमें कनकपु महन पराररहख पराएहूँ। पपुरष पररहखअहहमं समयहूँ सपुभराएहूँ॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ममैं भरत कगो सदरा कपु ल करा दश्रीपक जरानतश्री हह।हूँ महरारराज नप्रे भश्री बरार-बरार मपुझप्रे
यहश्री कहरा ररा। सगोनरा कसरौटश्री पर कसप्रे जरानप्रे पर और रत्न परारखश्री (जरौहरश्री) कप्रे हमलनप्रे
पर हश्री पहचरानरा जरातरा हहै। वहैसप्रे हश्री पपुरष ककी परश्रीक्षरा समय पडनप्रे पर उसकप्रे स्वभराव सप्रे
हश्री (उसकरा चररत्र दप्रेखकर) हगो जरातश्री हहै॥3॥
* अनपुहचत आजपु कहब अस मगोररा। सगोक सनप्रेहहूँ सयरानप रगोररा॥
सपुहन सपुरसरर सम परावहन बरानश्री। भई मं सनप्रेह हबकल सब ररानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु आज मप्रेररा ऐसरा कहनरा भश्री अनपुहचत हहै। शगोक और स्नप्रेह ममें सयरानरापन
(हववप्रेक) कम हगो जरातरा हहै (लगोग कहमेंगप्रे हक ममैं स्नप्रेहवश भरत ककी बडराई कर रहश्री हह)हूँ ।
करौसल्यराजश्री ककी गमंगराजश्री कप्रे समरान पहवत्र करनप्रे वरालश्री वरारश्री सपुनकर सब रराहनयराहूँ स्नप्रेह
कप्रे मरारप्रे हवकल हगो उठहीं॥4॥
दगोहरा :
* करौसल्यरा कह धश्रीर धरर सपुनहह दप्रेहब हमहरलप्रेहस।
कगो हबबप्रेकहनहध बल्लभहह तपुम्हहह सकइ उपदप्रेहस॥283॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री नप्रे हफिर धश्रीरज धरकर कहरा- हप्रे दप्रेवश्री हमहरलप्रेश्वरश्री! सपुहनए, जरान
कप्रे भमंडरार शश्री जनकजश्री ककी हपयरा आपकगो करौन उपदप्रेश दप्रे सकतरा हहै ?॥283॥
चरौपराई :
* रराहन रराय सन अवसर पराई। अपनश्री भराहूँहत कहब समपुझराई॥
रहखअहहमं लखनपु भरतपु गवनहहमं बन। जजौं यह मत मरानहै महश्रीप मन॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ररानश्री! मरौकरा पराकर आप रराजरा कगो अपनश्री ओर सप्रे जहराहूँ तक हगो सकप्रे
समझराकर कहहएगरा हक लक्ष्मर कगो घर रख हलयरा जराए और भरत वन कगो जराएहूँ। यहद
यह रराय रराजरा कप्रे मन ममें (ठश्रीक) जहूँच जराए,॥1॥
* तरौ भल जतनपु करब सपुहबचरारश्री। मगोरमें सगोचपु भरत कर भरारश्री॥
गपूढ सनप्रेह भरत मन मराहहीं। रहमें नश्रीक मगोहह लरागत नराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तगो भलश्रीभराहूँहत खपूब हवचरारकर ऐसरा यत्न करमें। मपुझप्रे भरत करा अत्यहधक सगोच
हहै। भरत कप्रे मन ममें गपूढ पप्रेम हहै। उनकप्रे घर रहनप्रे ममें मपुझप्रे भलराई नहहीं जरान पडतश्री (यह
डर लगतरा हहै हक उनकप्रे परारर कगो कगोई भय न हगो जराए)॥2॥
* लहख सपुभराउ सपुहन सरल सपुबरानश्री। सब भइ मगन करन रस ररानश्री॥
नभ पसपून झरर धन्य धन्य धपुहन। हसहरल सनप्रेहहूँ हसद जगोगश्री मपुहन॥3॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री करा स्वभराव दप्रेखकर और उनककी सरल और उरम वरारश्री कगो
सपुनकर सब रराहनयराहूँ करर रस ममें हनमग्नि हगो गई।मं आकराश सप्रे पपुष्प वषरार्ण ककी झडश्री लग
गई और धन्य-धन्य ककी ध्वहन हगोनप्रे लगश्री। हसद, यगोगश्री और मपुहन स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो
गए॥3॥
* सबपु रहनवरासपु हबरहक लहख रहप्रेऊ। तब धरर धश्रीर सपुहमत्रराहूँ कहप्रेऊ॥
दप्रेहब दमंड जपुग जराहमहन बश्रीतश्री। रराम मरातपु सपुहन उठश्री सपश्रीतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सराररा रहनवरास दप्रेखकर रहकत रह गयरा (हनस्तब्ध हगो गयरा), तब सपुहमत्रराजश्री नप्रे
धश्रीरज करकप्रे कहरा हक हप्रे दप्रेवश्री! दगो घडश्री ररात बश्रीत गई हहै। यह सपुनकर शश्री ररामजश्री ककी
मरातरा करौसल्यराजश्री पप्रेमपपूवर्णक उठहीं-॥4॥
* दगोहरार बप्रेहग पराउ धराररअ रलहह कह सनप्रेहहूँ सहतभराय।
हमरमें तरौ अब ईस गहत कहै हमहरलप्रेस सहराय॥284॥
भरावरारर्ण:-और पप्रेम सहहत सद्भराव सप्रे बगोलहीं- अब आप शश्रीघ्र डप्रेरप्रे कगो पधराररए। हमरारप्रे तगो
अब ईश्वर हश्री गहत हमैं, अरवरा हमहरलप्रेश्वर जनकजश्री सहरायक हमैं॥284॥
चरौपराई :
* लहख सनप्रेह सपुहन बचन हबनश्रीतरा। जनकहपयरा गह पराय पपुनश्रीतरा॥
दप्रेहब उहचत अहस हबनय तपुम्हरारश्री। दसरर घररहन रराम महतरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-करौसल्यराजश्री कप्रे पप्रेम कगो दप्रेखकर और उनकप्रे हवनम्र वचनर कगो सपुनकर जनकजश्री
ककी हपय पत्नश्री नप्रे उनकप्रे पहवत्र चरर पकड हलए और कहरा- हप्रे दप्रेवश्री! आप रराजरा
दशररजश्री ककी ररानश्री और शश्री ररामजश्री ककी मरातरा हमैं। आपककी ऐसश्री नम्रतरा उहचत हश्री हहै॥
1॥
* पभपु अपनप्रे नश्रीचहह आदरहहीं। अहगहन धपूम हगरर हसर हतनपु धरहहीं॥
सप्रेवकपु रराउ करम मन बरानश्री। सदरा सहराय महप्रेसपु भवरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पभपु अपनप्रे हनज जनर करा भश्री आदर करतप्रे हमैं। अहग्नि धपुएहूँ कगो और पवर्णत तमृर
(घरास) कगो अपनप्रे हसर पर धरारर करतप्रे हमैं। हमरारप्रे रराजरा तगो कमर्ण , मन और वरारश्री सप्रे
आपकप्रे सप्रेवक हमैं और सदरा सहरायक तगो शश्री महरादप्रेव -परावर्णतश्रीजश्री हमैं॥2॥
* रउरप्रे अमंग जगोगपु जग कगो हहै। दश्रीप सहराय ककी हदनकर सगोहहै॥
ररामपु जराइ बनपु करर सपुर कराजपू। अचल अवधपपुर कररहहहमं रराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-आपकरा सहरायक हगोनप्रे यगोग्य जगत ममें करौन हहै? दश्रीपक सपूयर्ण ककी सहरायतरा
करनप्रे जराकर कहहीं शगोभरा परा सकतरा हहै? शश्री ररामचन्दजश्री वन ममें जराकर दप्रेवतराओमं करा
करायर्ण करकप्रे अवधपपुरश्री ममें अचल रराज्य करमेंगप्रे॥3॥
* अमर नराग नर रराम बराहहबल। सपुख बहसहहहमं अपनमें अपनमें रल॥
यह सब जरागबहलक कहह रराखरा। दप्रेहब न हगोइ मपुधरा मपुहन भराषरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, नराग और मनपुष्य सब शश्री ररामचन्दजश्री ककी भपुजराओमं कप्रे बल पर अपनप्रे-
अपनप्रे स्ररानर (लगोकर) ममें सपुखपपूवर्णक बसमेंगप्रे। यह सब यराजवल्क्य मपुहन नप्रे पहलप्रे हश्री सप्रे
कह रखरा हहै। हप्रे दप्रेहव! मपुहन करा करन व्यरर्ण (झपूठरा) नहहीं हगो सकतरा॥4॥
दगोहरा :
* अस कहह पग परर पप्रेम अहत हसय हहत हबनय सपुनराइ।
हसय समप्रेत हसयमरातपु तब चलश्री सपुआयसपु पराइ॥285॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर बडप्रे पप्रेम सप्रे पहैरर पडकर सश्रीतराजश्री (कगो सरार भप्रेजनप्रे) कप्रे हलए
हवनतश्री करकप्रे और सपुमंदर आजरा पराकर तब सश्रीतराजश्री समप्रेत सश्रीतराजश्री ककी मरातरा डप्रेरप्रे कगो
चलहीं॥285॥
चरौपराई :
* हपय पररजनहह हमलश्री बहैदप्रेहश्री। जगो जप्रेहह जगोगपु भराहूँहत तप्रेहह तप्रेहश्री॥
तरापस बप्रेष जरानककी दप्रेखश्री। भरा सबपु हबकल हबषराद हबसप्रेषश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री अपनप्रे प्यरारप्रे कपु टपु हम्बयर सप्रे- जगो हजस यगोग्य ररा, उससप्रे उसश्री पकरार
हमलहीं। जरानककीजश्री कगो तपहस्वनश्री कप्रे वप्रेष ममें दप्रेखकर सभश्री शगोक सप्रे अत्यन्त व्यराकपु ल हगो
गए॥1॥
* जनक रराम गपुर आयसपु पराई। चलप्रे रलहह हसय दप्रेखश्री आई॥
लश्रीहन्ह लराइ उर जनक जरानककी। पराहहहन परावन पप्रेम परान ककी॥2॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर वहशषजश्री ककी आजरा पराकर डप्रेरप्रे कगो चलप्रे और
आकर उन्हरनप्रे सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखरा। जनकजश्री नप्रे अपनप्रे पहवत्र पप्रेम और परारर ककी पराहह नश्री
जरानककीजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥2॥
* उर उमगप्रेउ अमंबपुहध अनपुररागपू। भयउ भपूप मनपु मनहह हूँ पयरागपू॥
हसय सनप्रेह बटपु बराढत जगोहरा। तरा पर रराम पप्रेम हससपु सगोहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे हृदय ममें (वरात्सल्य) पप्रेम करा समपुद उमड पडरा। रराजरा करा मन मरानगो
पयराग हगो गयरा। उस समपुद कप्रे अमंदर उन्हरनप्रे (आहद शहक्त) सश्रीतराजश्री कप्रे (अलरौहकक)
स्नप्रेह रूपश्री अक्षयवट कगो बढतप्रे हहए दप्रेखरा। उस (सश्रीतराजश्री कप्रे पप्रेम रूपश्री वट) पर शश्री
ररामजश्री करा पप्रेम रूपश्री बरालक (बराल रूप धरारश्री भगवरान) सपुशगोहभत हगो रहरा हहै॥3॥
* हचरजश्रीवश्री मपुहन ग्यरान हबकल जनपु। बपूडत लहप्रेउ बराल अवलमंबनपु॥
मगोह मगन महत नहहमं हबदप्रेह ककी। महहमरा हसय रघपुबर सनप्रेह ककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जनकजश्री करा जरान रूपश्री हचरमंजश्रीवश्री (मराकर्णण्डप्रेय) मपुहन व्यराकपुल हगोकर डपू बतप्रे-डपू बतप्रे
मरानगो उस शश्री रराम पप्रेम रूपश्री बरालक करा सहराररा पराकर बच गयरा। वस्तपुतद्धाः
(जराहनहशरगोमहर) हवदप्रेहरराज ककी बपुहद मगोह ममें मग्नि नहहीं हहै। यह तगो शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे
पप्रेम ककी महहमरा हहै (हजसनप्रे उन जहैसप्रे महरान जरानश्री कप्रे जरान कगो भश्री हवकल कर हदयरा)॥
4॥
दगोहरा :
* हसय हपतपु मरातपु सनप्रेह बस हबकल न सककी सहूँभरारर।
धरहनसपुतराहूँ धश्रीरजपु धरप्रेउ समउ सपुधरमपु हबचरारर॥286॥
भरावरारर्ण:-हपतरा-मरातरा कप्रे पप्रेम कप्रे मरारप्रे सश्रीतराजश्री ऐसश्री हवकल हगो गई मं हक अपनप्रे कगो सहूँभराल
न सककीमं। (परन्तपु परम धहैयर्णवतश्री) पमृथ्वश्री ककी कन्यरा सश्रीतराजश्री नप्रे समय और सपुदमं र धमर्ण
करा हवचरार कर धहैयर्ण धरारर हकयरा॥286॥
चरौपराई :
* तरापस बप्रेष जनक हसय दप्रेखश्री। भयउ पप्रेमपु पररतगोषपु हबसप्रेषश्री॥
पपुहत्र पहबत्र हकए कपु ल दगोऊ। सपुजस धवल जगपु कह सबपु कगोऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कगो तपहस्वनश्री वप्रेष ममें दप्रेखकर जनकजश्री कगो हवशप्रेष पप्रेम और समंतगोष
हह आ। (उन्हरनप्रे कहरा-) बप्रेटश्री! तपूनप्रे दगोनर कपु ल पहवत्र कर हदए। तप्रेरप्रे हनमर्णल यश सप्रे
सराररा जगत उज्ज्वल हगो रहरा हहै, ऐसरा सब कगोई कहतप्रे हमैं॥1॥
* हजहत सपुरसरर ककीरहत सरर तगोरश्री। गवनपु ककीन्ह हबहध अमंड करगोरश्री॥
गमंग अवहन रल तश्रीहन बडप्रेरप्रे। एहहमं हकए सराधपु समराज घनप्रेरप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तप्रेरश्री ककीहतर्ण रूपश्री नदश्री दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री कगो भश्री जश्रीतकर (जगो एक हश्री ब्रहराण्ड ममें
बहतश्री हहै) करगोडर ब्रहराण्डर ममें बह चलश्री हहै। गमंगराजश्री नप्रे तगो पमृथ्वश्री पर तश्रीन हश्री स्ररानर
(हररदरार, पयरागरराज और गमंगरासरागर) कगो बडरा (तश्रीरर्ण) बनरायरा हहै। पर तप्रेरश्री इस ककीहतर्ण
नदश्री नप्रे तगो अनप्रेकर समंत समराज रूपश्री तश्रीरर्ण स्ररान बनरा हदए हमैं॥ 2॥
* हपतपु कह सत्य सनप्रेहहूँ सपुबरानश्री। सश्रीय सकपु च महह हूँ मनहह हूँ समरानश्री॥
पपुहन हपतपु मरातपु लश्रीहन्ह उर लराई। हसख आहसष हहत दश्रीहन्ह सपुहराई॥3॥
भरावरारर्ण:-हपतरा जनकजश्री नप्रे तगो स्नप्रेह सप्रे सचश्री सपुदमं र वरारश्री कहश्री , परन्तपु अपनश्री बडराई
सपुनकर सश्रीतराजश्री मरानगो समंकगोच ममें समरा गई।मं हपतरा-मरातरा नप्रे उन्हमें हफिर हृदय सप्रे लगरा
हलयरा और हहतभरश्री सपुदमं र सश्रीख और आशश्रीष हदयरा॥ 3॥
* कहहत न सश्रीय सकपु हच मन मराहहीं। इहराहूँ बसब रजनहीं भल नराहहीं॥
लहख रख रराहन जनरायउ रराऊ। हृदयहूँ सरराहत सश्रीलपु सपुभराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कपु छ कहतश्री नहहीं हमैं, परन्तपु सकपु चरा रहश्री हमैं हक ररात ममें (सरासपुओमं ककी
सप्रेवरा छगोडकर) यहराहूँ रहनरा अच्छरा नहहीं हहै। ररानश्री सपुनयनराजश्री नप्रे जरानककीजश्री करा रख
दप्रेखकर (उनकप्रे मन ककी बरात समझकर) रराजरा जनकजश्री कगो जनरा हदयरा। तब दगोनर
अपनप्रे हृदयर ममें सश्रीतराजश्री कप्रे शश्रील और स्वभराव ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥4॥
जनक-सपुनयनरा समंवराद, भरतजश्री ककी महहमरा
दगोहरा :
* बरार बरार हमहल भमेंहट हसय हबदरा ककीहन्ह सनमराहन।
कहश्री समय हसर भरत गहत रराहन सपुबराहन सयराहन॥287॥
भरावरारर्ण:-रराजरा-ररानश्री नप्रे बरार-बरार हमलकर और हृदय सप्रे लगराकर तररा सम्मरान करकप्रे
सश्रीतराजश्री कगो हवदरा हकयरा। चतपुर ररानश्री नप्रे समय पराकर रराजरा सप्रे सपुमंदर वरारश्री ममें भरतजश्री
ककी दशरा करा वरर्णन हकयरा॥287॥
चरौपराई :
* सपुहन भपूपराल भरत ब्यवहरारू। सगोन सपुगमंध सपुधरा सहस सरारू॥
मपूदप्रे सजन नयन पपुलकप्रे तन। सपुजसपु सरराहन लगप्रे मपुहदत मन॥1॥
भरावरारर्ण:-सगोनप्रे ममें सपुगमंध और (समपुद सप्रे हनकलश्री हह ई) सपुधरा ममें चन्दमरा कप्रे सरार अममृत
कप्रे समरान भरतजश्री करा व्यवहरार सपुनकर रराजरा नप्रे (पप्रेम हवह्वल हगोकर) अपनप्रे (पप्रेमराशपुओमं
कप्रे ) जल सप्रे भरप्रे नप्रेत्रर कगो मपूहूँद हलयरा (वप्रे भरतजश्री कप्रे पप्रेम ममें मरानगो ध्यरानस्र हगो गए)।
वप्रे शरश्रीर सप्रे पपुलहकत हगो गए और मन ममें आनमंहदत हगोकर भरतजश्री कप्रे सपुदमं र यश ककी
सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥1॥
* सरावधरान सपुनपु सपुमपुहख सपुलगोचहन। भरत कररा भव बमंध हबमगोचहन॥
धरम रराजनय ब्रहहबचरारू। इहराहूँ जररामहत मगोर पचरारू॥2॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे बगोलप्रे-) हप्रे सपुमपुहख! हप्रे सपुनयनश्री! सरावधरान हगोकर सपुनगो। भरतजश्री ककी
कररा समंसरार कप्रे बमंधन सप्रे छपु डरानप्रे वरालश्री हहै। धमर्ण, रराजनश्रीहत और ब्रहहवचरार- इन तश्रीनर
हवषयर ममें अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार मप्रेरश्री (रगोडश्री-बहह त) गहत हहै (अररार्णत इनकप्रे समंबमंध ममें
ममैं कपु छ जरानतरा हह)हूँ ॥2॥
* सगो महत मगोरर भरत महहमराहश्री। कहहै कराह छहल छपु अहत न छराहहूँ श्री॥
हबहध गनपहत अहहपहत हसव सरारद। कहब कगोहबद बपुध बपुहद हबसरारद॥3॥
भरावरारर्ण:-वह (धमर्ण, रराजनश्रीहत और ब्रहजरान ममें पवप्रेश रखनप्रे वरालश्री) मप्रेरश्री बपुहद भरतजश्री
ककी महहमरा करा वरर्णन तगो क्यरा करप्रे, छल करकप्रे भश्री उसककी छरायरा तक कगो नहहीं छपू
परातश्री! ब्रहराजश्री, गरप्रेशजश्री, शप्रेषजश्री, महरादप्रेवजश्री, सरस्वतश्रीजश्री, कहव, जरानश्री, पहण्डत
और बपुहदमरान-॥3॥
* भरत चररत ककीरहत करतपूतश्री। धरम सश्रील गपुन हबमल हबभपूतश्री॥
समपुझत सपुनत सपुखद सब कराहह। सपुहच सपुरसरर रहच हनदर सपुधराहह॥4॥
भरावरारर्ण:-सब हकसश्री कगो भरतजश्री कप्रे चररत्र, ककीहतर्ण, करनश्री, धमर्ण, शश्रील, गपुर और
हनमर्णल ऐश्वयर्ण समझनप्रे ममें और सपुननप्रे ममें सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं और पहवत्रतरा ममें गमंगराजश्री करा
तररा स्वराद (मधपुरतरा) ममें अममृत करा भश्री हतरस्करार करनप्रे वरालप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हनरवहध गपुन हनरपम पपुरषपु भरतपु भरत सम जराहन।
कहहअ सपुमप्रेर हक सप्रेर सम कहबकपु ल महत सकपु चराहन॥288॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री असश्रीम गपुर सम्पन्न और उपमरारहहत पपुरष हमैं। भरतजश्री कप्रे समरान बस,
भरतजश्री हश्री हमैं, ऐसरा जरानगो। सपुमप्रेर पवर्णत कगो क्यरा सप्रेर कप्रे बरराबर कह सकतप्रे हमैं?
इसहलए (उन्हमें हकसश्री पपुरष कप्रे सरार उपमरा दप्रेनप्रे ममें) कहव समराज ककी बपुहद भश्री सकपु चरा
गई!॥288॥
चरौपराई :
* अगम सबहह बरनत बरबरनश्री। हजहम जलहश्रीन मश्रीन गमपु धरनश्री॥
भरत अहमत महहमरा सपुनपु ररानश्री। जरानहहमं ररामपु न सकहहमं बखरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शप्रेष वरर्णवरालश्री! भरतजश्री ककी महहमरा करा वरर्णन करनरा सभश्री कप्रे हलए वहैसप्रे हश्री
अगम हहै जहैसप्रे जलरहहत पमृथ्वश्री पर मछलश्री करा चलनरा। हप्रे ररानश्री ! सपुनगो, भरतजश्री ककी
अपररहमत महहमरा कगो एक शश्री ररामचन्दजश्री हश्री जरानतप्रे हमैं , हकन्तपु वप्रे भश्री उसकरा वरर्णन
नहहीं कर सकतप्रे॥1॥
* बरहन सपप्रेम भरत अनपुभराऊ। हतय हजय ककी रहच लहख कह रराऊ॥
बहह रहहमं लखनपु भरतपु बन जराहहीं। सब कर भल सब कप्रे मन मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार पप्रेमपपूवर्णक भरतजश्री कप्रे पभराव करा वरर्णन करकप्रे , हफिर पत्नश्री कप्रे मन
ककी रहच जरानकर रराजरा नप्रे कहरा- लक्ष्मरजश्री लरौट जराएहूँ और भरतजश्री वन कगो जराएहूँ ,
इसममें सभश्री करा भलरा हहै और यहश्री सबकप्रे मन ममें हहै॥2॥
* दप्रेहब परन्तपु भरत रघपुबर ककी। पश्रीहत पतश्रीहत जराइ नहहमं तरककी॥
भरतपु अवहध सनप्रेह ममतरा ककी। जद्यहप ररामपु सश्रीम समतरा ककी॥ 3॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु हप्रे दप्रेहव! भरतजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री करा पप्रेम और एक-दस पू रप्रे पर
हवश्वरास, बपुहद और हवचरार ककी सश्रीमरा ममें नहहीं आ सकतरा। यद्यहप शश्री ररामचन्दजश्री
समतरा ककी सश्रीमरा हमैं, तरराहप भरतजश्री पप्रेम और ममतरा ककी सश्रीमरा हमैं॥ 3॥
* परमरारर स्वरारर सपुख सरारप्रे। भरत न सपनप्रेहह हूँ मनहह हूँ हनहरारप्रे॥
सराधन हसहद रराम पग नप्रेहह। मगोहह लहख परत भरत मत एहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे पहत अनन्य पप्रेम कगो छगोडकर) भरतजश्री नप्रे समस्त
परमरारर्ण, स्वरारर्ण और सपुखर ककी ओर स्वप्न ममें भश्री मन सप्रे भश्री नहहीं तराकरा हहै। शश्री
ररामजश्री कप्रे चररर करा पप्रेम हश्री उनकरा सराधन हहै और वहश्री हसहद हहै। मपुझप्रे तगो भरतजश्री
करा बस, यहश्री एक मरात्र हसदरामंत जरान पडतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* भगोरहप्रे ह हूँ भरत न पप्रेहलहहहमं मनसहह हूँ रराम रजराइ।
कररअ न सगोचपु सनप्रेह बस कहप्रेउ भपूप हबलखराइ॥289॥
भरावरारर्ण:-रराजरा नप्रे हबलखकर (पप्रेम सप्रे गदद हगोकर) कहरा- भरतजश्री भपूलकर भश्री शश्री
ररामचन्दजश्री ककी आजरा कगो मन सप्रे भश्री नहहीं टरालमेंगप्रे। अतद्धाः स्नप्रेह कप्रे वश हगोकर हचमंतरा
नहहीं करनश्री चराहहए॥289॥
चरौपराई :
* रराम भरत गपुन गनत सपश्रीतश्री। हनहस दमंपहतहह पलक सम बश्रीतश्री॥
रराज समराज परात जपुग जरागप्रे। न्हराइ न्हराइ सपुर पपूजन लरागप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री और भरतजश्री कप्रे गपुरर ककी पप्रेमपपूवर्णक गरनरा करतप्रे (कहतप्रे-सपुनतप्रे)
पहत-पत्नश्री कगो ररात पलक कप्रे समरान बश्रीत गई। परातद्धाःकराल दगोनर रराजसमराज जरागप्रे और
नहरा-नहराकर दप्रेवतराओमं ककी पपूजरा करनप्रे लगप्रे॥1॥
* गप्रे नहराइ गपुर पहहमं रघपुरराई। बमंहद चरन बगोलप्रे रख पराई॥
नरार भरतपु पपुरजन महतरारश्री। सगोक हबकल बनबरास द ख पु रारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री स्नरान करकप्रे गपुर वहशषजश्री कप्रे परास गए और चररर ककी वमंदनरा
करकप्रे उनकरा रख पराकर बगोलप्रे- हप्रे नरार! भरत, अवधपपुर वरासश्री तररा मरातराएहूँ, सब
शगोक सप्रे व्यराकपुल और वनवरास सप्रे दद्धाःपु खश्री हमैं॥2॥
* सहहत समराज रराउ हमहरलप्रेसपू। बहह त हदवस भए सहत कलप्रेसपू॥
उहचत हगोइ सगोइ ककीहजअ नराररा। हहत सबहश्री कर ररौरमें हराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हमहरलरापहत रराजरा जनकजश्री कगो भश्री समराज सहहत कप्रे श सहतप्रे बहह त हदन हगो
गए, इसहलए हप्रे नरार! जगो उहचत हगो वहश्री ककीहजए। आप हश्री कप्रे हरार सभश्री करा हहत
हहै॥3॥
* अस कहह अहत सकपु चप्रे रघपुरराऊ। मपुहन पपुल कप्रे लहख सश्रीलपु सपुभराऊ॥
तपुम्ह हबनपु रराम सकल सपुख सराजरा। नरक सररस द हपु ह रराज समराजरा॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर शश्री रघपुनरारजश्री अत्यन्त हश्री सकपु चरा गए। उनकरा शश्रील स्वभराव
दप्रेखकर (पप्रेम और आनमंद सप्रे) मपुहन वहशषजश्री पपुलहकत हगो गए। (उन्हरनप्रे खपुलकर
कहरा-) हप्रे रराम! तपुम्हरारप्रे हबनरा (घर-बरार आहद) सम्पपूरर्ण सपुखर कप्रे सराज दगोनर
रराजसमराजर कगो नरक कप्रे समरान हमैं॥4॥
दगोहरा :
* परान-परान कप्रे जश्रीव कप्रे हजव सपुख कप्रे सपुख रराम।
तपुम्ह तहज तरात सगोहरात गमृह हजन्हहह हतन्हहह हबहध बराम॥290॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराम! तपुम परारर कप्रे भश्री परार, आत्मरा कप्रे भश्री आत्मरा और सपुख कप्रे भश्री
सपुख हगो। हप्रे तरात! तपुम्हमें छगोडकर हजन्हमें घर सपुहरातरा हहै, उन्हप्रे हवधरातरा हवपरश्रीत हहै॥
290॥
चरौपराई :
* सगो सपुखपु करमपु धरमपु जरर जराऊ। जहहूँ न रराम पद पमंकज भराऊ॥
जगोगपु कपु जगोगपु ग्यरानपु अग्यरानपू। जहहूँ नहहमं रराम पप्रेम परधरानपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ शश्री रराम कप्रे चरर कमलर ममें पप्रेम नहहीं हहै, वह सपुख, कमर्ण और धमर्ण
जल जराए, हजसममें शश्री रराम पप्रेम ककी पधरानतरा नहहीं हहै, वह यगोग कपु यगोग हहै और वह
जरान अजरान हहै॥1॥
* तपुम्ह हबनपु दख पु श्री सपुखश्री तपुम्ह तप्रेहहीं। तपुम्ह जरानहह हजय जगो जप्रेहह कप्रे हहीं॥
रराउर आयसपु हसर सबहश्री कमें । हबहदत कमृ परालहह गहत सब नश्रीकमें॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम्हरारप्रे हबनरा हश्री सब दद्धाःपु खश्री हमैं और जगो सपुखश्री हमैं वप्रे तपुम्हहीं सप्रे सपुखश्री हमैं। हजस
हकसश्री कप्रे जश्री ममें जगो कपु छ हहै तपुम सब जरानतप्रे हगो। आपककी आजरा सभश्री कप्रे हसर पर हहै।
कमृ परालपु (आप) कगो सभश्री ककी हस्रहत अच्छश्री तरह मरालपूम हहै॥2॥

जनक-वहशषराहद समंवराद, इमंद ककी हचमंतरा, सरस्वतश्री करा इमंद कगो समझरानरा
* आपपु आशमहह धराररअ पराऊ। भयउ सनप्रेह हसहरल मपुहनरराऊ॥
करर पनरामपु तब ररामपु हसधराए। ररहष धरर धश्रीर जनक पहहमं आए॥3॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः आप आशम कगो पधराररए। इतनरा कह मपुहनरराज स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो गए।
तब शश्री ररामजश्री परराम करकप्रे चलप्रे गए और ऋहष वहशषजश्री धश्रीरज धरकर जनकजश्री कप्रे
परास आए॥3॥
* रराम बचन गपुर नमृपहह सपुनराए। सश्रील सनप्रेह सपुभरायहूँ सपुहराए॥
महरारराज अब ककीहजअ सगोई। सब कर धरम सहहत हहत हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री नप्रे शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे शश्रील और स्नप्रेह सप्रे यक्त
पु स्वभराव सप्रे हश्री सपुमंदर
वचन रराजरा जनकजश्री कगो सपुनराए (और कहरा-) हप्रे महरारराज! अब वहश्री ककीहजए,
हजसममें सबकरा धमर्ण सहहत हहत हगो॥4॥
दगोहरा :
* ग्यरान हनधरान सपुजरान सपुहच धरम धश्रीर नरपराल।
तपुम्ह हबनपु असममंजस समन कगो समरर एहह कराल॥291॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजनम! तपुम जरान कप्रे भमंडरार, सपुजरान, पहवत्र और धमर्ण ममें धश्रीर हगो। इस
समय तपुम्हरारप्रे हबनरा इस दहपु वधरा कगो दरपू करनप्रे ममें और करौन समरर्ण हहै?॥291॥
चरौपराई :
* सपुहन मपुहन बचन जनक अनपुररागप्रे। लहख गहत ग्यरानपु हबररागपु हबररागप्रे॥
हसहरल सनप्रेहहूँ गपुनत मन मराहहीं। आए इहराहूँ ककीन्ह भल नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन वहशषजश्री कप्रे वचन सपुनकर जनकजश्री पप्रेम ममें मग्नि हगो गए। उनककी दशरा
दप्रेखकर जरान और वहैरराग्य कगो भश्री वहैरराग्य हगो गयरा (अररार्णत उनकप्रे जरान-वहैरराग्य छपूट सप्रे
गए)। वप्रे पप्रेम सप्रे हशहरल हगो गए और मन ममें हवचरार करनप्रे लगप्रे हक हम यहराहूँ आए,
यह अच्छरा नहहीं हकयरा॥1॥
* ररामहह ररायहूँ कहप्रेउ बन जरानरा। ककीन्ह आपपु हपय पप्रेम पवरानरा॥
हम अब बन तमें बनहह पठराई। पमपुहदत हफिरब हबबप्रेक बडराई॥2॥
भरावरारर्ण:-रराजरा दशररजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री कगो वन जरानप्रे कप्रे हलए कहरा और स्वयमं अपनप्रे
हपय कप्रे पप्रेम कगो पमराहरत (सचरा) कर हदयरा (हपय हवयगोग ममें परार त्यराग हदए),
परन्तपु हम अब इन्हमें वन सप्रे (और गहन) वन कगो भप्रेजकर अपनप्रे हववप्रेक ककी बडराई ममें
आनहन्दत हगोतप्रे हहए लरौटमेंगप्रे (हक हममें जररा भश्री मगोह नहहीं हहै, हम शश्री ररामजश्री कगो वन ममें
छगोडकर चलप्रे आए, दशररजश्री ककी तरह मरप्रे नहहीं!)॥2॥
* तरापस मपुहन महहसपुर सपुहन दप्रेखश्री। भए पप्रेम बस हबकल हबसप्रेषश्री॥
समउ समपुहझ धरर धश्रीरजपु रराजरा। चलप्रे भरत पहहमं सहहत समराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तपस्वश्री, मपुहन और ब्रराहर यह सब सपुन और दप्रेखकर पप्रेमवश बहह त हश्री
व्यराकपुल हगो गए। समय करा हवचरार करकप्रे रराजरा जनकजश्री धश्रीरज धरकर समराज सहहत
भरतजश्री कप्रे परास चलप्रे॥3॥
* भरत आइ आगमें भइ लश्रीन्हप्रे। अवसर सररस सपुआसन दश्रीन्हप्रे॥
तरात भरत कह तप्रेरहह हत रराऊ। तपुम्हहह हबहदत रघपुबश्रीर सपुभराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे आकर उन्हमें आगप्रे हगोकर हलयरा (सरामनप्रे आकर उनकरा स्वरागत
हकयरा) और समयरानपुकपूल अच्छप्रे आसन हदए। हतरहह तरराज जनकजश्री कहनप्रे लगप्रे- हप्रे तरात
भरत! तपुमकगो शश्री ररामजश्री करा स्वभराव मरालपूम हश्री हहै॥ 4॥
दगोहरा :
* रराम सत्यब्रत धरम रत सब कर सश्रीलपु स्नप्रेहह ।
समंकट सहत सकगोच बस कहहअ जगो आयसपु दप्रेहह ॥292॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री सत्यव्रतश्री और धमर्णपररायर हमैं, सबकरा शश्रील और स्नप्रेह रखनप्रे
वरालप्रे हमैं, इसश्रीहलए वप्रे समंकगोचवश समंकट सह रहप्रे हमैं, अब तपुम जगो आजरा दगो, वह
उनसप्रे कहश्री जराए॥292॥
चरौपराई :
* सपुहन तन पपुलहक नयन भरर बरारश्री। बगोलप्रे भरतपु धश्रीर धरर भरारश्री॥
पभपु हपय पपूज्य हपतरा सम आपपू। कपु लगपुर सम हहत मराय न बरापपू॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री यह सपुनकर पपुलहकत शरश्रीर हगो नप्रेत्रर ममें जल भरकर बडरा भरारश्री धश्रीरज
धरकर बगोलप्रे- हप्रे पभगो! आप हमरारप्रे हपतरा कप्रे समरान हपय और पपूज्य हमैं और कपु ल गपुर
शश्री वहशषजश्री कप्रे समरान हहतहैषश्री तगो मरातरा-हपतरा भश्री नहहीं हहै॥1॥
* करौहसकराहद मपुहन सहचव समराजपू। ग्यरान अमंबपुहनहध आपपुनपु आजपू॥
हससपु सप्रेवकपु आयसपु अनपुगरामश्री। जराहन मगोहह हसख दप्रेइअ स्वरामश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हवश्वराहमत्रजश्री आहद मपुहनयर और ममंहत्रयर करा समराज हहै और आज कप्रे हदन जरान
कप्रे समपुद आप भश्री उपहस्रत हमैं। हप्रे स्वरामश्री ! मपुझप्रे अपनरा बचरा, सप्रेवक और आजरानपुसरार
चलनप्रे वरालरा समझकर हशक्षरा दश्रीहजए॥2॥
* एहहमं समराज रल बपूझब रराउर। मरौन महलन ममैं बगोलब बराउर॥
छगोटप्रे बदन कहउहूँ बहड बरातरा। छमब तरात लहख बराम हबधरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस समराज और (पपुण्य) स्रल ममें आप (जहैसप्रे जरानश्री और पपूज्य) करा
पपूछनरा! इस पर यहद ममैं मरौन रहतरा हह हूँ तगो महलन समझरा जराऊहूँगरा और बगोलनरा
परागलपन हगोगरा तरराहप ममैं छगोटप्रे मपुहूँह बडश्री बरात कहतरा हह।हूँ हप्रे तरात! हवधरातरा कगो
पहतकपू ल जरानकर क्षमरा ककीहजएगरा॥3॥
* आगम हनगम पहसद पपुररानरा। सप्रेवराधरमपु कहठन जगपु जरानरा॥
स्वराहम धरम स्वराररहह हबरगोधपू। बहैर अमंध पप्रेमहह न पबगोधपू॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वप्रेद, शरास्त्र और पपुररारर ममें पहसद हहै और जगत जरानतरा हहै हक सप्रेवरा धमर्ण
बडरा कहठन हहै। स्वरामश्री धमर्ण ममें (स्वरामश्री कप्रे पहत कतर्णव्य परालन ममें) और स्वरारर्ण ममें
हवरगोध हहै (दगोनर एक सरार नहहीं हनभ सकतप्रे) वहैर अमंधरा हगोतरा हहै और पप्रेम कगो जरान
नहहीं रहतरा (ममैं स्वरारर्णवश कहह हूँगरा यरा पप्रेमवश, दगोनर ममें हश्री भपूल हगोनप्रे करा भय हहै)॥4॥
दगोहरा :
* रराहख रराम रख धरमपु ब्रतपु परराधश्रीन मगोहह जराहन।
सब कमें समंमत सबर्ण हहत कररअ पप्रेमपु पहहचराहन॥293॥
भरावरारर्ण:-अतएव मपुझप्रे परराधश्रीन जरानकर (मपुझसप्रे न पपूछकर) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे रख
(रहच), धमर्ण और (सत्य कप्रे ) व्रत कगो रखतप्रे हह ए, जगो सबकप्रे सम्मत और सबकप्रे
हलए हहतकरारश्री हगो आप सबकरा पप्रेम पहचरानकर वहश्री ककीहजए॥293॥
चरौपराई :
* भरत बचन सपुहन दप्रेहख सपुभराऊ। सहहत समराज सरराहत रराऊ॥
सपुगम अगम ममृद पु ममंजपु कठगोरप्रे। अररपु अहमत अहत आखर रगोरप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे वचन सपुनकर और उनकरा स्वभराव दप्रेखकर समराज सहहत रराजरा
जनक उनककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे। भरतजश्री कप्रे वचन सपुगम और अगम, सपुदमं र, कगोमल
और कठगोर हमैं। उनममें अक्षर रगोडप्रे हमैं, परन्तपु अरर्ण अत्यन्त अपरार भररा हहआ हहै॥1॥
* ज्यर मपुखपु मपुकपुर मपुकपुर हनज परानश्री। गहह न जराइ अस अदभपुत बरानश्री॥
भपूप भरतपू मपुहन सहहत समराजपू। गप्रे जहहूँ हबबपुध कपु मपुद हदजरराजपू॥2॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे मपुख (करा पहतहबम्ब) दपर्णर ममें हदखतरा हहै और दपर्णर अपनप्रे हरार ममें हहै,
हफिर भश्री वह (मपुख करा पहतहबम्ब) पकडरा नहहीं जरातरा, इसश्री पकरार भरतजश्री ककी यह
अद्भतपु वरारश्री भश्री पकड ममें नहहीं आतश्री (शब्दर सप्रे उसकरा आशय समझ ममें नहहीं आतरा)।
(हकसश्री सप्रे कपु छ उरर दप्रेतप्रे नहहीं बनरा) तब रराजरा जनकजश्री, भरतजश्री तररा मपुहन
वहशषजश्री समराज कप्रे सरार वहराहूँ गए, जहराहूँ दप्रेवतरा रूपश्री कपु मपुदर कगो हखलरानप्रे वरालप्रे (सपुख
दप्रेनप्रे वरालप्रे) चन्दमरा शश्री ररामचन्दजश्री रप्रे॥2॥
* सपुहन सपुहध सगोच हबकल सब लगोगरा। मनहह हूँ मश्रीनगन नव जल जगोगरा॥
दप्रेवहूँ परम कपु लगपुर गहत दप्रेखश्री। हनरहख हबदप्रेह सनप्रेह हबसप्रेषश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-यह समराचरार सपुनकर सब लगोग सगोच सप्रे व्यराकपुल हगो गए, जहैसप्रे नए (पहलश्री
वषरार्ण कप्रे ) जल कप्रे समंयगोग सप्रे मछहलयराहूँ व्यराकपुल हगोतश्री हमैं। दप्रेवतराओमं नप्रे पहलप्रे कपु लगपुर
वहशषजश्री ककी (पप्रेमहवह्वल) दशरा दप्रेखश्री, हफिर हवदप्रेहजश्री कप्रे हवशप्रेष स्नप्रेह कगो दप्रेखरा,॥3॥
* रराम भगहतमय भरतपु हनहरारप्रे। सपुर स्वराररश्री हहरर हहयहूँ हरारप्रे॥
सब कगोउ रराम पप्रेममय पप्रेखरा। भए अलप्रेख सगोच बस लप्रेखरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और तब शश्री ररामभहक्त सप्रे ओतपगोत भरतजश्री कगो दप्रेखरा। इन सबकगो दप्रेखकर
स्वरारर दप्रेवतरा घबडराकर हृदय ममें हरार मरान गए (हनरराश हगो गए)। उन्हरनप्रे सब हकसश्री
कगो शश्री रराम पप्रेम ममें सरराबगोर दप्रेखरा। इससप्रे दप्रेवतरा इतनप्रे सगोच कप्रे वश हगो गए हक
हजसकरा कगोई हहसराब नहहीं॥4॥
दगोहरा :
* ररामपु सनप्रेह सकगोच बस कह ससगोच सपुररराजपु।
रचहह पपमंचहह पमंच हमहल नराहहमं त भयउ अकराजपु॥ 294॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवरराज इन्द सगोच ममें भरकर कहनप्रे लगप्रे हक शश्री ररामचन्दजश्री तगो स्नप्रेह और
समंकगोच कप्रे वश ममें हमैं, इसहलए सब लगोग हमलकर कपु छ पपमंच (मरायरा) रचगो, नहहीं तगो
कराम हबगडरा (हश्री समझगो)॥294॥
चरौपराई :
* सपुरन्ह सपुहमरर सरारदरा सरराहश्री। दप्रेहब दप्रेव सरनरागत पराहश्री॥
फिप्रे रर भरत महत करर हनज मरायरा। परालपु हबबपुध कपु ल करर छल छरायरा॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे सरस्वतश्री करा स्मरर कर उनककी सरराहनरा (स्तपुहत) ककी और
कहरा- हप्रे दप्रेवश्री! दप्रेवतरा आपकप्रे शरररागत हमैं, उनककी रक्षरा ककीहजए। अपनश्री मरायरा रचकर
भरतजश्री ककी बपुहद कगो फिप्रे र दश्रीहजए और छल ककी छरायरा कर दप्रेवतराओमं कप्रे कपु ल करा
परालन (रक्षरा) ककीहजए॥1॥
* हबबपुध हबनय सपुहन दप्रेहब सयरानश्री। बगोलश्री सपुर स्वरारर जड जरानश्री॥
मगो सन कहहह भरत महत फिप्रे रू। लगोचन सहस न सपूझ सपुमप्रेरू॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं ककी हवनतश्री सपुनकर और दप्रेवतराओमं कगो स्वरारर्ण कप्रे वश हगोनप्रे सप्रे मपूखर्ण
जरानकर बपुहदमतश्री सरस्वतश्रीजश्री बगोलहीं- मपुझसप्रे कह रहप्रे हगो हक भरतजश्री ककी महत पलट
दगो! हजरार नप्रेत्रर सप्रे भश्री तपुमकगो सपुमप्रेरू नहहीं सपूझ पडतरा!॥2॥
* हबहध हरर हर मरायरा बहड भरारश्री। सगोउ न भरत महत सकइ हनहरारश्री॥
सगो महत मगोहह कहत कर भगोरश्री। चमंहदहन कर हक चमंडकर चगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा, हवष्रपु और महप्रेश ककी मरायरा बडश्री पबल हहै! हकन्तपु वह भश्री भरतजश्री ककी
बपुहद ककी ओर तराक नहहीं सकतश्री। उस बपुहद कगो, तपुम मपुझसप्रे कह रहप्रे हगो हक, भगोलश्री
कर दगो (भपुलरावप्रे ममें डराल दगो)! अरप्रे! चराहूँदनश्री कहहीं पचमंड हकरर वरालप्रे सपूयर्ण कगो चपुररा
सकतश्री हहै?॥3॥
* भरत हृदयहूँ हसय रराम हनवरासपू। तहहूँ हक हतहमर जहहूँ तरहन पकरासपू॥
अस कहह सरारद गइ हबहध लगोकरा। हबबपुध हबकल हनहस मरानहह हूँ कगोकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे हृदय ममें शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री करा हनवरास हहै। जहराहूँ सपूयर्ण करा पकराश
हहै, वहराहूँ कहहीं अहूँधप्रेररा रह सकतरा हहै? ऐसरा कहकर सरस्वतश्रीजश्री ब्रहलगोक कगो चलश्री
गई।मं दप्रेवतरा ऐसप्रे व्यराकपुल हहए जहैसप्रे रराहत्र ममें चकवरा व्यराकपुल हगोतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* सपुर स्वराररश्री मलश्रीन मन ककीन्ह कपु ममंत्र कपु ठराटपु।
रहच पपमंच मरायरा पबल भय रम अरहत उचराटपु॥295॥
भरावरारर्ण:-महलन मन वरालप्रे स्वरारर दप्रेवतराओमं नप्रे बपुरश्री सलराह करकप्रे बपुररा ठराट (षडन्त्र)
रचरा। पबल मरायरा-जराल रचकर भय, रम, अपश्रीहत और उचराटन फिहै लरा हदयरा॥295॥
चरौपराई :
* करर कपु चराहल सगोचत सपुररराजपू। भरत हरार सबपु कराजपु अकराजपू॥
गए जनकपु रघपुनरार समश्रीपरा। सनमरानप्रे सब रहबकपु ल दश्रीपरा॥1॥
भरावरारर्ण:-कपु चराल करकप्रे दप्रेवरराज इन्द सगोचनप्रे लगप्रे हक कराम करा बननरा-हबगडनरा सब
भरतजश्री कप्रे हरार हहै। इधर रराजरा जनकजश्री (मपुहन वहशष आहद कप्रे सरार) शश्री रघपुनरारजश्री
कप्रे परास गए। सपूयर्णकपुल कप्रे दश्रीपक शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सबकरा सम्मरान हकयरा,॥1॥
* समय समराज धरम अहबरगोधरा। बगोलप्रे तब रघपुबमंस पपुरगोधरा॥
जनक भरत समंबराद पु सपुनराई। भरत कहराउहत कहश्री सपुहराई॥2॥
भरावरारर्ण:-तब रघपुकपुल कप्रे पपुरगोहहत वहशषजश्री समय, समराज और धमर्ण कप्रे अहवरगोधश्री
(अररार्णत अनपुकपूल) वचन बगोलप्रे। उन्हरनप्रे पहलप्रे जनकजश्री और भरतजश्री करा समंवराद
सपुनरायरा। हफिर भरतजश्री ककी कहश्री हह ई सपुदमं र बरातमें कह सपुनराई॥मं 2॥
* तरात रराम जस आयसपु दप्रेहह। सगो सबपु करहै मगोर मत एहह ॥
सपुहन रघपुनरार जगोरर जपुग परानश्री। बगोलप्रे सत्य सरल ममृद पु बरानश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(हफिर बगोलप्रे-) हप्रे तरात रराम! मप्रेररा मत तगो यह हहै हक तपुम जहैसश्री आजरा दगो,
वहैसरा हश्री सब करमें! यह सपुनकर दगोनर हरार जगोडकर शश्री रघपुनरारजश्री सत्य, सरल और
कगोमल वरारश्री बगोलप्रे-॥3॥
* हबद्यमरान आपपुहन हमहरलप्रेसपू। मगोर कहब सब भराहूँहत भदप्रेसपू॥
रराउर रराय रजरायसपु हगोई। रराउरर सपर सहश्री हसर सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे और हमहरलप्रेश्वर जनकजश्री कप्रे हवद्यमरान रहतप्रे मप्रेररा कपु छ कहनरा सब
पकरार सप्रे भदरा (अनपुहचत) हहै। आपककी और महरारराज ककी जगो आजरा हगोगश्री , ममैं आपककी
शपर करकप्रे कहतरा हह हूँ वह सत्य हश्री सबकगो हशरगोधरायर्ण हगोगश्री॥ 4॥
शश्री रराम-भरत समंवराद
दगोहरा :
* रराम सपर सपुहन मपुहन जनकपु सकपु चप्रे सभरा समप्रेत।
सकल हबलगोकत भरत मपुखपु बनइ न ऊतर दप्रेत॥296॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी शपर सपुनकर सभरा समप्रेत मपुहन और जनकजश्री सकपु चरा गए
(स्तहम्भत रह गए)। हकसश्री सप्रे उरर दप्रेतप्रे नहहीं बनतरा, सब लगोग भरतजश्री करा मपुहूँह तराक
रहप्रे हमैं॥296॥
चरौपराई :
* सभरा सकपु च बस भरत हनहरारश्री। रराम बमंधपु धरर धश्रीरजपु भरारश्री॥
कपु समउ दप्रेहख सनप्रेहह सहूँभराररा। बढत हबमंहध हजहम घटज हनवराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे सभरा कगो समंकगोच कप्रे वश दप्रेखरा। ररामबमंधपु (भरतजश्री) नप्रे बडरा भरारश्री
धश्रीरज धरकर और कपु समय दप्रेखकर अपनप्रे (उमडतप्रे हहए) पप्रेम कगो समंभरालरा, जहैसप्रे बढतप्रे
हह ए हवन्ध्यराचल कगो अगस्त्यजश्री नप्रे रगोकरा ररा॥1॥
* सगोक कनकलगोचन महत छगोनश्री। हरश्री हबमल गपुन गन जगजगोनश्री॥
भरत हबबप्रेक बरराहहूँ हबसरालरा। अनरायरास उधरश्री तप्रेहह करालरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शगोक रूपश्री हहरण्यराक्ष नप्रे (सरारश्री सभरा ककी) बपुहद रूपश्री पमृथ्वश्री कगो हर हलयरा जगो
हवमल गपुर समपूह रूपश्री जगत ककी यगोहन (उत्पन्न करनप्रे वरालश्री) रश्री। भरतजश्री कप्रे हववप्रेक
रूपश्री हवशराल वरराह (वरराह रूप धरारश्री भगवरान) नप्रे (शगोक रूपश्री हहरण्यराक्ष कगो नष्टि कर)
हबनरा हश्री पररशम उसकरा उदरार कर हदयरा!॥2॥
* करर पनरामपु सब कहहूँ कर जगोरप्रे। ररामपु रराउ गपुर सराधपु हनहगोरप्रे॥
छमब आजपु अहत अनपुहचत मगोररा। कहउहूँ बदन ममृद पु बचन कठगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे परराम करकप्रे सबकप्रे पहत हरार जगोडप्रे तररा शश्री ररामचन्दजश्री, रराजरा
जनकजश्री, गपुर वहशषजश्री और सराधपु-समंत सबसप्रे हवनतश्री ककी और कहरा- आज मप्रेरप्रे इस
अत्यन्त अनपुहचत बतरार्णव कगो क्षमरा ककीहजएगरा। ममैं कगोमल (छगोटप्रे) मपुख सप्रे कठगोर
(धमृष्टितरापपूरर्ण) वचन कह रहरा हह॥हूँ 3॥
* हहयहूँ सपुहमरश्री सरारदरा सपुहराई। मरानस तमें मपुख पमंकज आई॥
हबमल हबबप्रेक धरम नय सरालश्री। भरत भरारतश्री ममंजपु मररालश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर उन्हरनप्रे हृदय ममें सपुहरावनश्री सरस्वतश्री करा स्मरर हकयरा। वप्रे मरानस सप्रे
(उनकप्रे मन रूपश्री मरानसरगोवर सप्रे) उनकप्रे मपुखरारहवमंद पर आ हवरराजहीं। हनमर्णल हववप्रेक ,
धमर्ण और नश्रीहत सप्रे यक्त पु भरतजश्री ककी वरारश्री सपुदमं र हमंहसनश्री (कप्रे समरान गपुर-दगोष करा
हववप्रेचन करनप्रे वरालश्री) हहै॥4॥
दगोहरा :
* हनरहख हबबप्रेक हबलगोचनहन्ह हसहरल सनप्रेहहूँ समराजपु।
करर पनरामपु बगोलप्रे भरतपु सपुहमरर सश्रीय रघपुरराजपु॥ 297॥
भरावरारर्ण:-हववप्रेक कप्रे नप्रेत्रर सप्रे सरारप्रे समराज कगो पप्रेम सप्रे हशहरल दप्रेख , सबकगो परराम कर,
शश्री सश्रीतराजश्री और शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर करकप्रे भरतजश्री बगोलप्रे-॥297॥
चरौपराई :
* पभपु हपतपु मरातपु सपुहृद गपुर स्वरामश्री। पपूज्य परम हहत अमंतरजरामश्री॥
सरल सपुसराहहबपु सश्रील हनधरानपू। पनतपराल सबर्णग्य सपुजरानपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभपु! आप हपतरा, मरातरा, सपुहृदम (हमत्र), गपुर, स्वरामश्री, पपूज्य, परम
हहतहैषश्री और अन्तयरार्णमश्री हमैं। सरल हृदय, शप्रेष मराहलक, शश्रील कप्रे भमंडरार, शरररागत ककी
रक्षरा करनप्रे वरालप्रे, सवर्णज, सपुजरान,॥1॥
* समरर सरनरागत हहतकरारश्री। गपुनगराहकपु अवगपुन अघ हरारश्री॥
स्वराहम गगोसराहूँइहह सररस गगोसराई।मं मगोहह समरान ममैं सराइहूँ दगोहराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-समरर्ण, शरररागत करा हहत करनप्रे वरालप्रे, गपुरर करा आदर करनप्रे वरालप्रे और
अवगपुरर तररा परापर कगो हरनप्रे वरालप्रे हमैं। हप्रे गगोसराई !मं आप सरश्रीखप्रे स्वरामश्री आप हश्री हमैं
और स्वरामश्री कप्रे सरार दगोह करनप्रे ममें मप्रेरप्रे समरान ममैं हश्री हह हूँ॥2॥
* पभपु हपतपु बचन मगोह बस पप्रेलश्री। आयउहूँ इहराहूँ समराजपु सकप्रे लश्री॥
जग भल पगोच ऊहूँच अर नश्रीचपू। अहमअ अमरपद मराहह र मश्रीचपू॥3॥
भरावरारर्ण:-ममैं मगोहवश पभपु (आप) कप्रे और हपतराजश्री कप्रे वचनर करा उल्लमंघन कर और
समराज बटगोरकर यहराहूँ आयरा हह हूँ। जगत ममें भलप्रे-बपुरप्रे, ऊहूँचप्रे और नश्रीचप्रे, अममृत और अमर
पद (दप्रेवतराओमं करा पद), हवष और ममृत्यपु आहद-॥3॥
* रराम रजराइ मप्रेट मन मराहहीं। दप्रेखरा सपुनरा कतहह हूँ कगोउ नराहहीं॥
सगो ममैं सब हबहध ककीहन्ह हढठराई। पभपु मरानश्री सनप्रेह सप्रेवकराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हकसश्री कगो भश्री कहहीं ऐसरा नहहीं दप्रेखरा-सपुनरा जगो मन ममें भश्री शश्री ररामचन्दजश्री
(आप) ककी आजरा कगो मप्रेट दप्रे। ममैंनप्रे सब पकरार सप्रे वहश्री हढठराई ककी, परन्तपु पभपु नप्रे
उस हढठराई कगो स्नप्रेह और सप्रेवरा मरान हलयरा!॥4॥
दगोहरा :
* कमृ पराहूँ भलराई मं आपनश्री नरार ककीन्ह भल मगोर।
दषपू न भप्रे भपूषन सररस सपुजसपु चरार चहह हूँ ओर॥298॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपनप्रे अपनश्री कमृ परा और भलराई सप्रे मप्रेररा भलरा हकयरा, हजससप्रे मप्रेरप्रे
दषपू र (दगोष) भश्री भपूषर (गपुर) कप्रे समरान हगो गए और चरारर ओर मप्रेररा सपुदमं र यश छरा
गयरा॥298॥
चरौपराई :
* रराउरर रश्रीहत सपुबराहन बडराई। जगत हबहदत हनगमरागम गराई॥
कपू र कपु हटल खल कपु महत कलमंककी। नश्रीच हनसश्रील हनरश्रीस हनसमंककी॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपककी रश्रीहत और सपुदमं र स्वभराव ककी बडराई जगत ममें पहसद हहै और
वप्रेद-शरास्त्रर नप्रे गराई हहै। जगो कपू र, कपु हटल, दष्टिपु , कपु बपुहद, कलमंककी, नश्रीच, शश्रीलरहहत,
हनरश्रीश्वरवरादश्री (नराहस्तक) और हनद्धाःशमंक (हनडर) हहै॥1॥
* तप्रेउ सपुहन सरन सरामपुहमें आए। सकमृ त पनरामपु हकहमें अपनराए॥
दप्रेहख दगोष कबहह हूँ न उर आनप्रे। सपुहन गपुन सराधपु समराज बखरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें भश्री आपनप्रे शरर ममें सम्मपुख आयरा सपुनकर एक बरार परराम करनप्रे पर हश्री
अपनरा हलयरा। उन (शरररागतर) कप्रे दगोषर कगो दप्रेखकर भश्री आप कभश्री हृदय ममें नहहीं
लराए और उनकप्रे गपुरर कगो सपुनकर सराधपुओमं कप्रे समराज ममें उनकरा बखरान हकयरा॥2॥
* कगो सराहहब सप्रेवकहह नप्रेवराजश्री। आपपु समराज सराज सब सराजश्री॥
हनज करतपूहत न समपुहझअ सपनमें। सप्रेवक सकपु च सगोचपु उर अपनमें॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा सप्रेवक पर कमृ परा करनप्रे वरालरा स्वरामश्री करौन हहै, जगो आप हश्री सप्रेवक करा
सराररा सराज-सरामरान सज दप्रे (उसककी सरारश्री आवश्यकतराओमं कगो पपूरर्ण कर दप्रे ) और स्वप्न
ममें भश्री अपनश्री कगोई करनश्री न समझकर (अररार्णत ममैंनप्रे सप्रेवक कप्रे हलए कपु छ हकयरा हहै,
ऐसरा न जरानकर) उलटरा सप्रेवक कगो समंकगोच हगोगरा, इसकरा सगोच अपनप्रे हृदय ममें रखप्रे!॥
3॥
* सगो गगोसराइहूँ नहहमं दस पू र कगोपश्री। भपुजरा उठराइ कहउहूँ पन रगोपश्री॥
पसपु नराचत सपुक पराठ पबश्रीनरा। गपुन गहत नट पराठक आधश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं भपुजरा उठराकर और पर रगोपकर (बडप्रे जगोर कप्रे सरार) कहतरा हह हूँ, ऐसरा
स्वरामश्री आपकप्रे हसवरा दस पू ररा कगोई नहहीं हहै। (बमंदर आहद) पशपु नराचतप्रे और तगोतप्रे (सश्रीखप्रे
हह ए) पराठ ममें पवश्रीर हगो जरातप्रे हमैं, परन्तपु तगोतप्रे करा (पराठ पवश्रीरतरा रूप) गपुर और पशपु
कप्रे नराचनप्रे ककी गहत (कमशद्धाः) पढरानप्रे वरालप्रे और नचरानप्रे वरालप्रे कप्रे अधश्रीन हहै॥4॥
दगोहरा :
* यर सपुधरारर सनमराहन जन हकए सराधपु हसरमगोर।
कगो कमृ पराल हबनपु पराहलहहै हबररदरावहल बरजगोर॥299॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार अपनप्रे सप्रेवकर ककी (हबगडश्री) बरात सपुधरारकर और सम्मरान दप्रेकर
आपनप्रे उन्हमें सराधओ पु मं करा हशरगोमहर बनरा हदयरा। कमृ परालपु (आप) कप्रे हसवरा अपनश्री
हवरदरावलश्री करा और करौन जबदर्णस्तश्री (हठपपूवर्णक) परालन करप्रेगरा?॥299॥
चरौपराई :
* सगोक सनप्रेहहूँ हक बराल सपुभराएहूँ। आयउहूँ लराइ रजरायसपु बराएहूँ॥
तबहह हूँ कमृ पराल हप्रेरर हनज ओररा। सबहह भराहूँहत भल मरानप्रेउ मगोररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं शगोक सप्रे यरा स्नप्रेह सप्रे यरा बरालक स्वभराव सप्रे आजरा कगो बराएहूँ लराकर (न
मरानकर) चलरा आयरा, तगो भश्री कमृ परालपु स्वरामश्री (आप) नप्रे अपनश्री ओर दप्रेखकर सभश्री
पकरार सप्रे मप्रेररा भलरा हश्री मरानरा (मप्रेरप्रे इस अनपुहचत करायर्ण कगो अच्छरा हश्री समझरा)॥1॥
* दप्रेखप्रेउहूँ पराय सपुममंगल मपूलरा। जरानप्रेउहूँ स्वराहम सहज अनपुकपूलरा।
बडमें समराज हबलगोकप्रेउहूँ भरागपू। बडहीं चपूक सराहहब अनपुररागपू॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे सपुदमं र ममंगलर कप्रे मपूल आपकप्रे चररर करा दशर्णन हकयरा और यह जरान हलयरा
हक स्वरामश्री मपुझ पर स्वभराव सप्रे हश्री अनपुकपू ल हमैं। इस बडप्रे समराज ममें अपनप्रे भराग्य कगो
दप्रेखरा हक इतनश्री बडश्री चपूक हगोनप्रे पर भश्री स्वरामश्री करा मपुझ पर हकतनरा अनपुरराग हहै !॥2॥
* कमृ परा अनपुगहह अमंगपु अघराई। ककीहन्ह कमृ पराहनहध सब अहधकराई॥
रराखरा मगोर दल पु रार गगोसराई।मं अपनमें सश्रील सपुभरायहूँ भलराई॥3॥
भरावरारर्ण:-कमृ पराहनधरान नप्रे मपुझ पर सरागमं गोपरामंग भरपप्रेट कमृ परा और अनपुगह, सब अहधक हश्री
हकए हमैं (अररार्णत ममैं हजसकप्रे जररा भश्री लरायक नहहीं ररा, उतनश्री अहधक सवरार्धांगपपूरर्ण कमृ परा
आपनप्रे मपुझ पर ककी हहै)। हप्रे गगोसराई!मं आपनप्रे अपनप्रे शश्रील, स्वभराव और भलराई सप्रे मप्रेररा
दल पु रार रखरा॥3॥
* नरार हनपट ममैं ककीहन्ह हढठराई। स्वराहम समराज सकगोच हबहराई॥
अहबनय हबनय जररारहच बरानश्री। छहमहह दप्रेउ अहत आरहत जरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! ममैंनप्रे स्वरामश्री और समराज कप्रे समंकगोच कगो छगोडकर अहवनय यरा हवनय
भरश्री जहैसश्री रहच हहई वहैसश्री हश्री वरारश्री कहकर सवर्णररा हढठराई ककी हहै। हप्रे दप्रेव ! मप्रेरप्रे
आतर्णभराव (आतपुरतरा) कगो जरानकर आप क्षमरा करमेंगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपुहृद सपुजरान सपुसराहहबहह बहह त कहब बहड खगोरर।
आयसपु दप्रेइअ दप्रेव अब सबइ सपुधरारश्री मगोरर॥300॥
भरावरारर्ण:-सपुहृदम (हबनरा हश्री हप्रेतपु कप्रे हहत करनप्रे वरालप्रे), बपुहदमरान और शप्रेष मराहलक सप्रे
बहह त कहनरा बडरा अपरराध हहै, इसहलए हप्रे दप्रेव! अब मपुझप्रे आजरा दश्रीहजए, आपनप्रे मप्रेरश्री
सभश्री बरात सपुधरार दश्री॥300॥
चरौपराई :
* पभपु पद पदमपु परराग दगोहराई। सत्य सपुकमृत सपुख सश्रीवहूँ सपुहराई॥
सगो करर कहउहूँ हहए अपनप्रे ककी। रहच जरागत सगोवत सपनप्रे ककी॥ 1॥
भरावरारर्ण:-पभपु (आप) कप्रे चररकमलर ककी रज, जगो सत्य, सपुकमृत (पपुण्य) और सपुख
ककी सपुहरावनश्री सश्रीमरा (अवहध) हहै, उसककी दहपु राई करकप्रे ममैं अपनप्रे हृदय कगो जरागतप्रे,
सगोतप्रे और स्वप्न ममें भश्री बनश्री रहनप्रे वरालश्री रहच (इच्छरा) कहतरा हह हूँ॥1॥
* सहज सनप्रेहहूँ स्वराहम सप्रेवकराई। स्वरारर छल फिल चरारर हबहराई॥
अग्यरासम न सपुसराहहब सप्रेवरा। सगो पसराद पु जन परावहै दप्रेवरा।2॥
भरावरारर्ण:-वह रहच हहै- कपट, स्वरारर्ण और (अरर्ण-धमर्ण-कराम-मगोक्ष रूप) चरारर फिलर कगो
छगोडकर स्वराभराहवक पप्रेम सप्रे स्वरामश्री ककी सप्रेवरा करनरा। और आजरा परालन कप्रे समरान शप्रेष
स्वरामश्री ककी और कगोई सप्रेवरा नहहीं हहै। हप्रे दप्रेव ! अब वहश्री आजरा रूप पसराद सप्रेवक कगो
हमल जराए॥2॥
* अस कहह पप्रेम हबबस भए भरारश्री। पपुलक सरश्रीर हबलगोचन बरारश्री॥
पभपु पद कमल गहप्रे अकपु लराई। समउ सनप्रेहह न सगो कहह जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री ऐसरा कहकर पप्रेम कप्रे बहह त हश्री हववश हगो गए। शरश्रीर पपुलहकत हगो उठरा,
नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा। अकपु लराकर (व्यराकपुल हगोकर) उन्हरनप्रे पभपु शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे चररकमल पकड हलए। उस समय कगो और स्नप्रेह कगो कहरा नहहीं जरा
सकतरा॥3॥
* कमृ पराहसमंधपु सनमराहन सपुबरानश्री। बहैठराए समश्रीप गहह परानश्री॥
भरत हबनय सपुहनदप्रेहख सपुभराऊ। हसहरल सनप्रेहहूँ सभरा रघपुरराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-कमृ पराहसन्धपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे सपुदमं र वरारश्री सप्रे भरतजश्री करा सम्मरान करकप्रे हरार
पकडकर उनकगो अपनप्रे परास हबठरा हलयरा। भरतजश्री ककी हवनतश्री सपुनकर और उनकरा
स्वभराव दप्रेखकर सरारश्री सभरा और शश्री रघपुनरारजश्री स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो गए॥4॥
छन्द :
* रघपुरराउ हसहरल सनप्रेहहूँ सराधपु समराज मपुहन हमहरलरा धनश्री।
मन महह हूँ सरराहत भरत भरायप भगहत ककी महहमरा घनश्री॥
भरतहह पसमंसत हबबपुध बरषत सपुमन मरानस महलन सप्रे।
तपुलसश्री हबकल सब लगोग सपुहन सकपु चप्रे हनसरागम नहलन सप्रे॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री, सराधपुओमं करा समराज, मपुहन वहशषजश्री और हमहरलरापहत
जनकजश्री स्नप्रेह सप्रे हशहरल हगो गए। सब मन हश्री मन भरतजश्री कप्रे भराईपन और उनककी
भहक्त ककी अहतशय महहमरा कगो सरराहनप्रे लगप्रे। दप्रेवतरा महलन सप्रे मन सप्रे भरतजश्री ककी
पशमंसरा करतप्रे हह ए उन पर फिपूल बरसरानप्रे लगप्रे। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- सब लगोग
भरतजश्री करा भराषर सपुनकर व्यराकपुल हगो गए और ऐसप्रे सकपु चरा गए जहैसप्रे रराहत्र कप्रे आगमन
सप्रे कमल!
सगोरठरा :
* दप्रेहख दख पु रारश्री दश्रीन दहपु ह समराज नर नरारर सब।
मघवरा महरा मलश्रीन मपुए मरारर ममंगल चहत॥301॥
भरावरारर्ण:-दगोनर समराजर कप्रे सभश्री नर-नराररयर कगो दश्रीन और दद्धाःपु खश्री दप्रेखकर महरामहलन मन
इन्द मरप्रे हहओमं कगो मरारकर अपनरा ममंगल चराहतरा हहै॥301॥
चरौपराई :
* कपट कपु चराहल सश्रीवहूँ सपुररराजपू। पर अकराज हपय आपन कराजपू॥
कराक समरान पराकररपपु रश्रीतश्री। छलश्री मलश्रीन कतहह हूँ न पतश्रीतश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवरराज इन्द कपट और कपु चराल ककी सश्रीमरा हहै। उसप्रे परराई हराहन और अपनरा
लराभ हश्री हपय हहै। इन्द ककी रश्रीहत करौए कप्रे समरान हहै। वह छलश्री और महलन मन हहै ,
उसकरा कहहीं हकसश्री पर हवश्वरास नहहीं हहै॥1॥
* परम कपु मत करर कपटपु सहूँकप्रेलरा। सगो उचराटपु सब कमें हसर मप्रेलरा॥
सपुरमरायराहूँ सब लगोग हबमगोहप्रे। रराम पप्रेम अहतसय न हबछगोहप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पहलप्रे तगो कपु मत (बपुररा हवचरार) करकप्रे कपट कगो बटगोररा (अनप्रेक पकरार कप्रे
कपट करा सराज सजरा)। हफिर वह (कपटजहनत) उचराट सबकप्रे हसर पर डराल हदयरा।
हफिर दप्रेवमरायरा सप्रे सब लगोगर कगो हवशप्रेष रूप सप्रे मगोहहत कर हदयरा, हकन्तपु शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे पप्रेम सप्रे उनकरा अत्यन्त हबछगोह नहहीं हहआ (अररार्णत उनकरा शश्री ररामजश्री कप्रे
पहत पप्रेम कपु छ तगो बनरा हश्री रहरा)॥2॥
* भय उचराट बस मन हरर नराहहीं। छन बन रहच छन सदन सगोहराहहीं॥
दहपु बध मनगोगहत पजरा दख पु रारश्री। सररत हसमंधपु समंगम जनपु बरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-भय और उचराट कप्रे वश हकसश्री करा मन हस्रर नहहीं हहै। क्षर ममें उनककी वन ममें
रहनप्रे ककी इच्छरा हगोतश्री हहै और क्षर ममें उन्हमें घर अच्छप्रे लगनप्रे लगतप्रे हमैं। मन ककी इस
पकरार ककी दहपु वधरामयश्री हस्रहत सप्रे पजरा दद्धाःपु खश्री हगो रहश्री हहै। मरानगो नदश्री और समपुद कप्रे
समंगम करा जल क्षपुब्ध हगो रहरा हगो। (जहैसप्रे नदश्री और समपुद कप्रे समंगम करा जल हस्रर
नहहीं रहतरा, कभश्री इधर आतरा और कभश्री उधर जरातरा हहै, उसश्री पकरार ककी दशरा पजरा
कप्रे मन ककी हगो गई)॥3॥
* दहपु चत कतहह हूँ पररतगोषपु न लहहहीं। एक एक सन मरमपु न कहहहीं॥
लहख हहयहूँ हहूँहस कह कमृ पराहनधरानपू। सररस स्वरान मघवरान जपुबरानपू॥4॥
भरावरारर्ण:-हचर दगो तरफिरा हगो जरानप्रे सप्रे वप्रे कहहीं समंतगोष नहहीं परातप्रे और एक-दस पू रप्रे सप्रे
अपनरा ममर्ण भश्री नहहीं कहतप्रे। कमृ पराहनधरान शश्री ररामचन्दजश्री यह दशरा दप्रेखकर हृदय ममें
हहूँसकर कहनप्रे लगप्रे- कपु ररा, इन्द और नवयवपु क (करामश्री पपुरष) एक सरश्रीखप्रे (एक हश्री
स्वभराव कप्रे ) हमैं। (पराहरनश्रीय व्यराकरर कप्रे अनपुसरार, श्वन, यवपु न और मघवन शब्दर कप्रे
रूप भश्री एक सरश्रीखप्रे हगोतप्रे हमैं)॥4॥
दगोहरा :
* भरतपु जनकपु मपुहनजन सहचव सराधपु सचप्रेत हबहराइ।
लराहग दप्रेवमरायरा सबहह जरराजगोगपु जनपु पराइ॥302॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री, जनकजश्री, मपुहनजन, ममंत्रश्री और जरानश्री सराधपु-समंतर कगो छगोडकर अन्य
सभश्री पर हजस मनपुष्य कगो हजस यगोग्य (हजस पकमृ हत और हजस हस्रहत करा) परायरा,
उस पर वहैसप्रे हश्री दप्रेवमरायरा लग गई॥302॥
चरौपराई :
* कमृ पराहसमंधपु लहख लगोग दख पु रारप्रे। हनज सनप्रेहहूँ सपुरपहत छल भरारप्रे॥
सभरा रराउ गपुर महहसपुर ममंत्रश्री। भरत भगहत सब कहै महत जमंत्रश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-कमृ पराहसमंधपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे लगोगर कगो अपनप्रे स्नप्रेह और दप्रेवरराज इन्द कप्रे भरारश्री
छल सप्रे दद्धाःपु खश्री दप्रेखरा। सभरा, रराजरा जनक, गपुर, ब्रराहर और ममंत्रश्री आहद सभश्री ककी
बपुहद कगो भरतजश्री ककी भहक्त नप्रे ककील हदयरा॥1॥
* ररामहह हचतवत हचत्र हलखप्रे सप्रे। सकपु चत बगोलत बचन हसखप्रे सप्रे॥
भरत पश्रीहत नहत हबनय बडराई। सपुनत सपुखद बरनत कहठनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग हचत्रहलखप्रे सप्रे शश्री ररामचन्दजश्री ककी ओर दप्रेख रहप्रे हमैं। सकपु चरातप्रे हहए
हसखराए हह ए सप्रे वचन बगोलतप्रे हमैं। भरतजश्री ककी पश्रीहत, नम्रतरा, हवनय और बडराई सपुननप्रे
ममें सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै, पर उसकरा वरर्णन करनप्रे ममें कहठनतरा हहै॥2॥
* जरासपु हबलगोहक भगहत लवलप्रेसपू। पप्रेम मगन मपुहनगन हमहरलप्रेसपू॥
महहमरा तरासपु कहहै हकहम तपुलसश्री। भगहत सपुभरायहूँ सपुमहत हहयहूँ हह लसश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनककी भहक्त करा लवलप्रेश दप्रेखकर मपुहनगर और हमहरलप्रेश्वर जनकजश्री पप्रेम ममें
मग्नि हगो गए, उन भरतजश्री ककी महहमरा तपुलसश्रीदरास कहै सप्रे कहप्रे? उनककी भहक्त और सपुदमं र
भराव सप्रे (कहव कप्रे ) हृदय ममें सपुबपुहद हहलस रहश्री हहै (हवकहसत हगो रहश्री हहै)॥3॥
* आपपु छगोहट महहमरा बहड जरानश्री। कहबकपु ल कराहन मराहन सकपु चरानश्री॥
कहह न सकहत गपुन रहच अहधकराई। महत गहत बराल बचन ककी नराई॥4॥
भरावरारर्ण:-परन्तपु वह बपुहद अपनप्रे कगो छगोटश्री और भरतजश्री ककी महहमरा कगो बडश्री जरानकर
कहव परम्पररा ककी मयरार्णदरा कगो मरानकर सकपु चरा गई (उसकरा वरर्णन करनप्रे करा सराहस नहहीं
कर सककी)। उसककी गपुरर ममें रहच तगो बहह त हहै, पर उन्हमें कह नहहीं सकतश्री। बपुहद ककी
गहत बरालक कप्रे वचनर ककी तरह हगो गई (वह कपु हण्ठत हगो गई)!॥4॥
दगोहरा :
* भरत हबमल जसपु हबमल हबधपु सपुमहत चकगोरकपु मरारर।
उहदत हबमल जन हृदय नभ एकटक रहश्री हनहरारर॥303॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा हनमर्णल यश हनमर्णल चन्दमरा हहै और कहव ककी सपुबपुहद चकगोरश्री हहै ,
जगो भक्तर कप्रे हृदय रूपश्री हनमर्णल आकराश ममें उस चन्दमरा कगो उहदत दप्रेखकर उसककी
ओर टकटककी लगराए दप्रेखतश्री हश्री रह गई हहै (तब उसकरा वरर्णन करौन करप्रे?)॥303॥
चरौपराई :
* भरत सपुभराउ न सपुगम हनगमहह हूँ। लघपु महत चरापलतरा कहब छमहह हूँ॥
कहत सपुनत सहत भराउ भरत कगो। सश्रीय रराम पद हगोइ न रत कगो॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे स्वभराव करा वरर्णन वप्रेदर कप्रे हलए भश्री सपुगम नहहीं हहै। (अतद्धाः) मप्रेरश्री
तपुच्छ बपुहद ककी चमंचलतरा कगो कहव लगोग क्षमरा करमें ! भरतजश्री कप्रे सद्भराव कगो कहतप्रे-सपुनतप्रे
करौन मनपुष्य शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे चररर ममें अनपुरक्त न हगो जराएगरा॥1॥
* सपुहमरत भरतहह पप्रेमपु रराम कगो। जप्रेहह न सपुलभपु तप्रेहह सररस बराम कगो॥
दप्रेहख दयराल दसरा सबहश्री ककी। रराम सपुजरान जराहन जन जश्री ककी॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा स्मरर करनप्रे सप्रे हजसकगो शश्री ररामजश्री करा पप्रेम सपुलभ न हहआ,
उसकप्रे समरान वराम (अभरागरा) और करौन हगोगरा? दयरालपु और सपुजरान शश्री ररामजश्री नप्रे
सभश्री ककी दशरा दप्रेखकर और भक्त (भरतजश्री) कप्रे हृदय ककी हस्रहत जरानकर,॥2॥
* धरम धपुरश्रीन धश्रीर नय नरागर। सत्य सनप्रेह सश्रील सपुख सरागर॥
दप्रेसपु करालपु लहख समउ समराजपू। नश्रीहत पश्रीहत परालक रघपुरराजपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-धमर्णधपुरधमं र, धश्रीर, नश्रीहत ममें चतपुर, सत्य, स्नप्रेह, शश्रील और सपुख कप्रे समपुद,
नश्रीहत और पश्रीहत कप्रे परालन करनप्रे वरालप्रे शश्री रघपुनरारजश्री दप्रेश, कराल, अवसर और
समराज कगो दप्रेखकर,॥3॥
* बगोलप्रे बचन बराहन सरबसपु सप्रे। हहत पररनराम सपुनत सहस रसपु सप्रे॥
तरात भरत तपुम्ह धरम धपुरश्रीनरा। लगोक बप्रेद हबद पप्रेम पबश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(तदनपुसरार) ऐसप्रे वचन बगोलप्रे जगो मरानगो वरारश्री कप्रे सवर्णस्व हश्री रप्रे, परररराम ममें
हहतकरारश्री रप्रे और सपुननप्रे ममें चन्दमरा कप्रे रस (अममृत) सरश्रीखप्रे रप्रे। (उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे
तरात भरत! तपुम धमर्ण ककी धपुरश्री कगो धरारर करनप्रे वरालप्रे हगो, लगोक और वप्रेद दगोनर कप्रे
जराननप्रे वरालप्रे और पप्रेम ममें पवश्रीर हगो॥4॥
दगोहरा :
* करम बचन मरानस हबमल तपुम्ह समरान तपुम्ह तरात।
गपुर समराज लघपु बमंधपु गपुन कपु समयहूँ हकहम कहह जरात॥304॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! कमर्ण सप्रे, वचन सप्रे और मन सप्रे हनमर्णल तपुम्हरारप्रे समरान तपुम्हहीं हगो।
गपुरजनर कप्रे समराज ममें और ऐसप्रे कपु समय ममें छगोटप्रे भराई कप्रे गपुर हकस तरह कहप्रे जरा
सकतप्रे हमैं?॥304॥
चरौपराई :
* जरानहह तरात तरहन कपु ल रश्रीतश्री। सत्यसमंध हपतपु ककीरहत पश्रीतश्री॥
समउ समराजपु लराज गपुरजन ककी। उदरासश्रीन हहत अनहहत मन ककी॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम सपूयर्णकपुल ककी रश्रीहत कगो, सत्यपहतज हपतराजश्री ककी ककीहतर्ण और
पश्रीहत कगो, समय, समराज और गपुरजनर ककी लजरा (मयरार्णदरा) कगो तररा उदरासश्रीन, हमत्र
और शत्रपु सबकप्रे मन ककी बरात कगो जरानतप्रे हगो॥1॥
* तपुम्हहह हबहदत सबहश्री कर करमपू। आपन मगोर परम हहत धरमपू॥
मगोहह सब भराहूँहत भरगोस तपुम्हराररा। तदहप कहउहूँ अवसर अनपुसराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तपुमकगो सबकप्रे कमर्मों (कतर्णव्यर) करा और अपनप्रे तररा मप्रेरप्रे परम हहतकरारश्री धमर्ण
करा पतरा हहै। यद्यहप मपुझप्रे तपुम्हराररा सब पकरार सप्रे भरगोसरा हहै , तरराहप ममैं समय कप्रे
अनपुसरार कपु छ कहतरा हह हूँ॥2॥
* तरात तरात हबनपु बरात हमरारश्री। कप्रे वल गपुरकपु ल कमृ पराहूँ सहूँभरारश्री॥
नतर पजरा पररजन पररवरारू। हमहह सहहत सबपु हगोत खपुआरू॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! हपतराजश्री कप्रे हबनरा (उनककी अनपुपहस्रहत ममें) हमरारश्री बरात कप्रे वल
गपुरवमंश ककी कमृ परा नप्रे हश्री सम्हराल रखश्री हहै, नहहीं तगो हमरारप्रे समप्रेत पजरा, कपु टपु म्ब, पररवरार
सभश्री बबरादर्ण हगो जरातप्रे॥3॥
* जजौं हबनपु अवसर अरवहूँ हदनप्रेसपू। जग कप्रे हह कहहह न हगोइ कलप्रेसपू॥
तस उतपरातपु तरात हबहध ककीन्हरा। मपुहन हमहरलप्रेस रराहख सबपु लश्रीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यहद हबनरा समय कप्रे (सन्ध्यरा सप्रे पपूवर्ण हश्री) सपूयर्ण अस्त हगो जराए, तगो कहगो
जगत ममें हकस कगो कप्रे श न हगोगरा? हप्रे तरात! उसश्री पकरार करा उत्परात हवधरातरा नप्रे यह
(हपतरा ककी असरामहयक ममृत्य)पु हकयरा हहै। पर मपुहन महरारराज नप्रे तररा हमहरलप्रेश्वर नप्रे
सबकगो बचरा हलयरा॥4॥
दगोहरा :
* रराज कराज सब लराज पहत धरम धरहन धन धराम।
गपुर पभराउ पराहलहह सबहह भल हगोइहह पररनराम॥305॥
भरावरारर्ण:-रराज्य करा सब करायर्ण, लजरा, पहतषरा, धमर्ण, पमृथ्वश्री, धन, घर- इन सभश्री
करा परालन (रक्षर) गपुरजश्री करा पभराव (सरामथ्यर्ण) करप्रेगरा और परररराम शपुभ हगोगरा॥
305॥
चरौपराई :
* सहहत समराज तपुम्हरार हमराररा। घर बन गपुर पसराद रखवराररा॥
मरातपु हपतरा गपुर स्वराहम हनदप्रेसपू। सकल धरम धरनश्रीधर सप्रेसपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-गपुरजश्री करा पसराद (अनपुगह) हश्री घर ममें और वन ममें समराज सहहत तपुम्हराररा
और हमराररा रक्षक हहै। मरातरा, हपतरा, गपुर और स्वरामश्री ककी आजरा (करा परालन) समस्त
धमर्ण रूपश्री पमृथ्वश्री कगो धरारर करनप्रे ममें शप्रेषजश्री कप्रे समरान हहै॥1॥
* सगो तपुम्ह करहह कररावहह मगोहह। तरात तरहनकपु ल परालक हगोहह॥
सराधक एक सकल हसहध दप्रेनश्री। ककीरहत सपुगहत भपूहतमय बप्रेनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम वहश्री करगो और मपुझसप्रे भश्री करराओ तररा सपूयर्णकपु ल कप्रे रक्षक बनगो।
सराधक कप्रे हलए यह एक हश्री (आजरा परालन रूपश्री सराधनरा) सम्पपूरर्ण हसहदयर ककी दप्रेनप्रे
वरालश्री, ककीहतर्णमयश्री, सदहतमयश्री और ऐश्वयर्णमयश्री हत्रवप्रेरश्री हहै॥2॥
* सगो हबचरारर सहह समंकटपु भरारश्री। करहह पजरा पररवरारू सपुखरारश्री॥
बराहूँटश्री हबपहत सबहहमं मगोहह भराई। तपुम्हहह अवहध भरर बहड कहठनराई॥3॥
भरावरारर्ण:-इसप्रे हवचरारकर भरारश्री समंकट सहकर भश्री पजरा और पररवरार कगो सपुखश्री करगो। हप्रे
भराई! मप्रेरश्री हवपहर सभश्री नप्रे बराहूँट लश्री हहै, परन्तपु तपुमकगो तगो अवहध (चरौदह वषर्ण) तक
बडश्री कहठनराई हहै (सबसप्रे अहधक दद्धाःपु ख हहै)॥3॥
* जराहन तपुम्हहह ममृद पु कहउहूँ कठगोररा। कपु समयहूँ तरात न अनपुहचत मगोररा॥
हगोहहमं कपु ठरायहूँ सपुबमंधपु सहराए। ओहडअहहमं हरार असहनहह कप्रे धराए॥4॥
भरावरारर्ण:-तपुमकगो कगोमल जरानकर भश्री ममैं कठगोर (हवयगोग ककी बरात) कह रहरा हह हूँ। हप्रे
तरात! बपुरप्रे समय ममें मप्रेरप्रे हलए यह कगोई अनपुहचत बरात नहहीं हहै। कपु ठरौर (कपु अवसर) ममें
शप्रेष भराई हश्री सहरायक हगोतप्रे हमैं। वज्र कप्रे आघरात भश्री हरार सप्रे हश्री रगोकप्रे जरातप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* सप्रेवक कर पद नयन सप्रे मपुख सगो सराहहबपु हगोइ।
तपुलसश्री पश्रीहत हक रश्रीहत सपुहन सपुकहब सरराहहहमं सगोइ॥306॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक हरार, पहैर और नप्रेत्रर कप्रे समरान और स्वरामश्री मपुख कप्रे समरान हगोनरा
चराहहए। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक सप्रेवक-स्वरामश्री ककी ऐसश्री पश्रीहत ककी रश्रीहत सपुनकर
सपुकहव उसककी सरराहनरा करतप्रे हमैं॥306॥
चरौपराई :
* सभरा सकल सपुहन रघपुबर बरानश्री। पप्रेम पयगोहध अहमअहूँ जनपु सरानश्री॥
हसहरल समराज सनप्रेह समराधश्री। दप्रेहख दसरा चपुप सरारद सराधश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी वरारश्री सपुनकर, जगो मरानगो पप्रेम रूपश्री समपुद कप्रे (ममंरन सप्रे
हनकलप्रे हह ए) अममृत ममें सनश्री हह ई रश्री, सराररा समराज हशहरल हगो गयरा, सबकगो पप्रेम
समराहध लग गई। यह दशरा दप्रेखकर सरस्वतश्री नप्रे चपुप सराध लश्री॥ 1॥
* भरतहह भयउ परम समंतगोषपू। सनमपुख स्वराहम हबमपुख द ख पु दगोषपू॥
मपुख पसन्न मन हमटरा हबषराद।पू भरा जनपु गपूहूँगप्रेहह हगररा पसराद॥पू 2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कगो परम समंतगोष हह आ। स्वरामश्री कप्रे सम्मपुख (अनपुकपूल) हगोतप्रे हश्री उनकप्रे
दद्धाःपु ख और दगोषर नप्रे मपुहूँह मगोड हलयरा (वप्रे उन्हमें छगोडकर भराग गए)। उनकरा मपुख पसन्न
हगो गयरा और मन करा हवषराद हमट गयरा। मरानगो गपूहूँगप्रे पर सरस्वतश्री ककी कमृ परा हगो गई हगो॥
2॥
* ककीन्ह सपप्रेम पनरामपु बहगोरश्री। बगोलप्रे पराहन पमंकरह जगोरश्री॥
नरार भयउ सपुखपु सरार गए कगो। लहप्रेउहूँ लराहह जग जनमपु भए कगो॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे हफिर पप्रेमपपूवर्णक परराम हकयरा और करकमलर कगो जगोडकर वप्रे बगोलप्रे - हप्रे
नरार! मपुझप्रे आपकप्रे सरार जरानप्रे करा सपुख पराप्त हगो गयरा और ममैंनप्रे जगत ममें जन्म लप्रेनप्रे
करा लराभ भश्री परा हलयरा।3॥
* अब कमृ पराल जस आयसपु हगोई। करजौं सश्रीस धरर सरादर सगोई॥
सगो अवलमंब दप्रेव मगोहह दप्रेई। अवहध परार परावजौं जप्रेहह सप्रेई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ परालपु! अब जहैसश्री आजरा हगो, उसश्री कगो ममैं हसर पर धर कर आदरपपूवर्णक
करूहूँ! परन्तपु दप्रेव! आप मपुझप्रे वह अवलम्बन (कगोई सहराररा) दमें, हजसककी सप्रेवरा कर ममैं
अवहध करा परार परा जराऊहूँ (अवहध कगो हबतरा दहूँ)पू ॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेव दप्रेव अहभषप्रेक हहत गपुर अनपुसरासनपु पराइ।
आनप्रेउहूँ सब तश्रीरर सहललपु तप्रेहह कहहूँ कराह रजराइ॥307॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! स्वरामश्री (आप) कप्रे अहभषप्रेक कप्रे हलए गपुरजश्री ककी आजरा पराकर ममैं सब
तश्रीरर्मों करा जल लप्रेतरा आयरा हह हूँ, उसकप्रे हलए क्यरा आजरा हगोतश्री हहै?॥307॥
चरौपराई :
* एकपु मनगोररपु बड मन मराहहीं। सभयहूँ सकगोच जरात कहह नराहहीं॥
कहहह तरात पभपु आयसपु पराई। बगोलप्रे बराहन सनप्रेह सपुहराई॥1॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे मन ममें एक और बडरा मनगोरर हहै, जगो भय और समंकगोच कप्रे करारर कहरा
नहहीं जरातरा। (शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे भराई! कहगो। तब पभपु ककी आजरा पराकर
भरतजश्री स्नप्रेहपपूरर्ण सपुदमं र वरारश्री बगोलप्रे-॥1॥
* हचत्रकपू ट सपुहच रल तश्रीरर बन। खग ममृग सर सरर हनझर्णर हगररगन॥
पभपु पद अमंहकत अवहन हबसप्रेषश्री। आयसपु हगोइ त आवजौं दप्रेखश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आजरा हगो तगो हचत्रकपू ट कप्रे पहवत्र स्ररान, तश्रीरर्ण, वन, पक्षश्री-पशपु, तरालराब-नदश्री,
झरनप्रे और पवर्णतर कप्रे समपूह तररा हवशप्रेष कर पभपु (आप) कप्रे चरर हचह्नर सप्रे अमंहकत
भपूहम कगो दप्रेख आऊहूँ॥2॥
* अवहस अहत्र आयसपु हसर धरहह । तरात हबगतभय करानन चरहह ॥
मपुहन पसराद बनपु ममंगल दरातरा। परावन परम सपुहरावन ररातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(शश्री रघपुनरारजश्री बगोलप्रे-) अवश्य हश्री अहत्र ऋहष ककी आजरा कगो हसर पर धरारर
करगो (उनसप्रे पपूछकर वप्रे जहैसरा कहमें वहैसरा करगो) और हनभर्णय हगोकर वन ममें हवचरगो। हप्रे
भराई! अहत्र मपुहन कप्रे पसराद सप्रे वन ममंगलर करा दप्रेनप्रे वरालरा, परम पहवत्र और अत्यन्त
सपुमंदर हहै-॥3॥
* ररहषनरायकपु जहहूँ आयसपु दप्रेहहीं। रराखप्रेहह तश्रीरर जलपु रल तप्रेहहीं॥
सपुहन पभपु बचन भरत सपुखपु परावरा। मपुहन पद कमल मपुहदत हसर नरावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-और ऋहषयर कप्रे पमपुख अहत्रजश्री जहराहूँ आजरा दमें, वहहीं (लरायरा हहआ) तश्रीरर्मों करा
जल स्रराहपत कर दप्रेनरा। पभपु कप्रे वचन सपुनकर भरतजश्री नप्रे सपुख परायरा और आनमंहदत
हगोकर मपुहन अहत्रजश्री कप्रे चररकमलर ममें हसर नवरायरा॥4॥
दगोहरा :
* भरत रराम समंबराद पु सपुहन सकल सपुममंगल मपूल।
सपुर स्वराररश्री सरराहह कपु ल बरषत सपुरतर फिपू ल॥308॥
भरावरारर्ण:-समस्त सपुदमं र ममंगलर करा मपूल भरतजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री करा समंवराद सपुनकर
स्वरारर दप्रेवतरा रघपुकपुल ककी सरराहनरा करकप्रे कल्पवमृक्ष कप्रे फिपूल बरसरानप्रे लगप्रे॥308॥
चरौपराई :
* धन्य भरत जय रराम गगोसराई।मं कहत दप्रेव हरषत बररआई॥मं
मपुहन हमहरलप्रेस सभराहूँ सब कराहह। भरत बचन सपुहन भयउ उछराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-'भरतजश्री धन्य हमैं, स्वरामश्री शश्री ररामजश्री ककी जय हगो!' ऐसरा कहतप्रे हहए दप्रेवतरा
बलपपूवर्णक (अत्यहधक) हहषर्णत हगोनप्रे लगप्रे। भरतजश्री कप्रे वचन सपुनकर मपुहन वहशषजश्री,
हमहरलरापहत जनकजश्री और सभरा ममें सब हकसश्री कगो बडरा उत्सराह (आनमंद) हह आ॥1॥
* भरत रराम गपुन गराम सनप्रेहह। पपुलहक पसमंसत रराउ हबदप्रेहह॥
सप्रेवक स्वराहम सपुभराउ सपुहरावन। नप्रेमपु पप्रेमपु अहत परावन परावन॥2॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे गपुर समपूह ककी तररा पप्रेम ककी हवदप्रेहरराज
जनकजश्री पपुलहकत हगोकर पशमंसरा कर रहप्रे हमैं। सप्रेवक और स्वरामश्री दगोनर करा सपुमंदर स्वभराव
हहै। इनकप्रे हनयम और पप्रेम पहवत्र कगो भश्री अत्यन्त पहवत्र करनप्रे वरालप्रे हमैं॥ 2॥
* महत अनपुसरार सरराहन लरागप्रे। सहचव सभरासद सब अनपुररागप्रे॥
सपुहन सपुहन रराम भरत समंबराद।पू दहपु ह समराज हहयहूँ हरषपु हवषराद॥पू 3
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री और सभरासदम सभश्री पप्रेममपुग्ध हगोकर अपनश्री-अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार
सरराहनरा करनप्रे लगप्रे। शश्री ररामचन्दजश्री और भरतजश्री करा समंवराद सपुन -सपुनकर दगोनर समराजर
कप्रे हृदयर ममें हषर्ण और हवषराद (भरतजश्री कप्रे सप्रेवरा धमर्ण कगो दप्रेखकर हषर्ण और ररामहवयगोग
ककी सम्भरावनरा सप्रे हवषराद) दगोनर हह ए॥3॥
* रराम मरातपु दख पु पु सपुखपु सम जरानश्री। कहह गपुन रराम पबगोधहीं ररानश्री॥
एक कहहहमं रघपुबश्रीर बडराई। एक सरराहत भरत भलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री ककी मरातरा करौसल्यराजश्री नप्रे दद्धाःपु ख और सपुख कगो समरान जरानकर
शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर कहकर दस पू रश्री रराहनयर कगो धहैयर्ण बहूँधरायरा। कगोई शश्री ररामजश्री ककी बडराई
(बडप्पन) ककी चचरार्ण कर रहप्रे हमैं, तगो कगोई भरतजश्री कप्रे अच्छप्रेपन ककी सरराहनरा करतप्रे
हमैं॥4॥
भरतजश्री करा तश्रीरर्ण जल स्ररापन तररा हचत्रकपू ट रमर
दगोहरा :
* अहत्र कहप्रेउ तब भरत सन सहैल समश्रीप सपुकपूप।
रराहखअ तश्रीरर तगोय तहहूँ परावन अहमअ अनपूप॥309॥
भरावरारर्ण:-तब अहत्रजश्री नप्रे भरतजश्री सप्रे कहरा- इस पवर्णत कप्रे समश्रीप हश्री एक सपुदमं र कपु आहूँ
हहै। इस पहवत्र, अनपुपम और अममृत जहैसप्रे तश्रीरर्णजल कगो उसश्री ममें स्रराहपत कर दश्रीहजए॥
309॥
चरौपराई :
* भरत अहत्र अनपुसरासन पराई। जल भराजन सब हदए चलराई॥
सरानपुज आपपु अहत्र मपुहन सराधपू। सहहत गए जहहूँ कपू प अगराधपू॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे अहत्रमपुहन ककी आजरा पराकर जल कप्रे सब परात्र रवरानरा कर हदए और
छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्न, अहत्र मपुहन तररा अन्य सराधपु-समंतर सहहत आप वहराहूँ गए, जहराहूँ वह
अरराह कपु आहूँ ररा॥1॥
* परावन परार पपुन्यरल रराखरा। पमपुहदत पप्रेम अहत्र अस भराषरा॥
तरात अनराहद हसद रल एहह । लगोपप्रेउ कराल हबहदत नहहमं कप्रे हह ॥2॥
भरावरारर्ण:-और उस पहवत्र जल कगो उस पपुण्य स्रल ममें रख हदयरा। तब अहत्र ऋहष नप्रे
पप्रेम सप्रे आनमंहदत हगोकर ऐसरा कहरा- हप्रे तरात! यह अनराहद हसदस्रल हहै। करालकम सप्रे
यह लगोप हगो गयरा ररा, इसहलए हकसश्री कगो इसकरा पतरा नहहीं ररा॥2॥
* तब सप्रेवकन्ह सरस रलपुदप्रेखरा। ककीन्ह सपुजल हहत कपू प हबसप्रेषरा॥
हबहध बस भयउ हबस्व उपकरारू। सपुगम अगम अहत धरम हबचरारू॥3॥
भरावरारर्ण:-तब (भरतजश्री कप्रे ) सप्रेवकर नप्रे उस जलयक्त पु स्ररान कगो दप्रेखरा और उस सपुदमं र
(तश्रीरर्मों कप्रे ) जल कप्रे हलए एक खरास कपु आहूँ बनरा हलयरा। दहैवयगोग सप्रे हवश्वभर करा
उपकरार हगो गयरा। धमर्ण करा हवचरार जगो अत्यन्त अगम ररा, वह (इस कपू प कप्रे पभराव
सप्रे) सपुगम हगो गयरा॥3॥
* भरतकपू प अब कहहहहहमं लगोगरा। अहत परावन तश्रीरर जल जगोगरा॥
पप्रेम सनप्रेम हनमजत परानश्री। हगोइहहहमं हबमल करम मन बरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अब इसकगो लगोग भरतकपू प कहमेंगप्रे। तश्रीरर्मों कप्रे जल कप्रे समंयगोग सप्रे तगो यह अत्यन्त
हश्री पहवत्र हगो गयरा। इसममें पप्रेमपपूवर्णक हनयम सप्रे स्नरान करनप्रे पर परारश्री मन, वचन और
कमर्ण सप्रे हनमर्णल हगो जराएहूँगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* कहत कपू प महहमरा सकल गए जहराहूँ रघपुरराउ।
अहत्र सपुनरायउ रघपुबरहह तश्रीरर पपुन्य पभराउ॥310॥
भरावरारर्ण:-कपू प ककी महहमरा कहतप्रे हहए सब लगोग वहराहूँ गए जहराहूँ शश्री रघपुनरारजश्री रप्रे। शश्री
रघपुनरारजश्री कगो अहत्रजश्री नप्रे उस तश्रीरर्ण करा पपुण्य पभराव सपुनरायरा॥ 310॥
चरौपराई :
* कहत धरम इहतहरास सपश्रीतश्री। भयउ भगोर हनहस सगो सपुख बश्रीतश्री॥
हनत्य हनबराहह भरत दगोउ भराई। रराम अहत्र गपुर आयसपु पराई॥1॥
भरावरारर्ण:-पप्रेमपपूवर्णक धमर्ण कप्रे इहतहरास कहतप्रे वह ररात सपुख सप्रे बश्रीत गई और सबप्रेररा हगो
गयरा। भरत-शत्रपुघ्न दगोनर भराई हनत्यहकयरा पपूरश्री करकप्रे , शश्री ररामजश्री, अहत्रजश्री और गपुर
वहशषजश्री ककी आजरा पराकर,॥1॥
* सहहत समराज सराज सब सरादमें। चलप्रे रराम बन अटन पयरादमें॥
कगोमल चरन चलत हबनपु पनहहीं। भइ ममृद पु भपूहम सकपु हच मन मनहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-समराज सहहत सब सरादप्रे सराज सप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे वन ममें रमर (पदहक्षररा)
करनप्रे कप्रे हलए पहैदल हश्री चलप्रे। कगोमल चरर हमैं और हबनरा जपूतप्रे कप्रे चल रहप्रे हमैं, यह
दप्रेखकर पमृथ्वश्री मन हश्री मन सकपु चराकर कगोमल हगो गई॥2॥
* कपु स कमंटक कराहूँकरहीं कपु रराई।मं कटपु क कठगोर कपु बस्तपु दरपु राई॥मं
महह ममंजपुल ममृद पु मरारग ककीन्हप्रे। बहत समश्रीर हत्रहबध सपुख लश्रीन्हप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:-कपु श, कराहूँटप्रे, कमंकडश्री, दररारर आहद कडवश्री, कठगोर और बपुरश्री वस्तपुओमं कगो
हछपराकर पमृथ्वश्री नप्रे सपुदमं र और कगोमल मरागर्ण कर हदए। सपुखर कगो सरार हलए (सपुखदरायक)
शश्रीतल, ममंद, सपुगमंध हवरा चलनप्रे लगश्री॥3॥
* सपुमन बरहष सपुर घन करर छराहहीं। हबटप फिपू हल फिहल तमृन ममृदतपु राहहीं॥
ममृग हबलगोहक खग बगोहल सपुबरानश्री। सप्रेवहहमं सकल रराम हपय जरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें दप्रेवतरा फिपू ल बरसराकर, बरादल छरायरा करकप्रे , वमृक्ष फिपूल-फिलकर, तमृर
अपनश्री कगोमलतरा सप्रे, ममृग (पशपु) दप्रेखकर और पक्षश्री सपुदमं र वरारश्री बगोलकर सभश्री भरतजश्री
कगो शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे प्यरारप्रे जरानकर उनककी सप्रेवरा करनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* सपुलभ हसहद सब पराकमृतहह रराम कहत जमपुहरात।
रराम परानहपय भरत कहह हूँ यह न हगोइ बहड बरात॥311॥
भरावरारर्ण:-जब एक सराधरारर मनपुष्य कगो भश्री (आलस्य सप्रे) जहूँभराई लप्रेतप्रे समय 'रराम'
कह दप्रेनप्रे सप्रे हश्री सब हसहदयराहूँ सपुलभ हगो जरातश्री हमैं , तब शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे परार प्यरारप्रे
भरतजश्री कप्रे हलए यह कगोई बडश्री (आश्चयर्ण ककी) बरात नहहीं हहै॥311॥
चरौपराई :
* एहह हबहध भरतपु हफिरत बन मराहहीं। नप्रेमपु पप्रेमपु लहख मपुहन सकपु चराहहीं॥
पपुन्य जलराशय भपूहम हबभरागरा। खग ममृग तर तमृन हगरर बन बरागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार भरतजश्री वन ममें हफिर रहप्रे हमैं। उनकप्रे हनयम और पप्रेम कगो दप्रेखकर
मपुहन भश्री सकपु चरा जरातप्रे हमैं। पहवत्र जल कप्रे स्ररान (नदश्री, बरावलश्री, कपुमं ड आहद) पमृथ्वश्री
कप्रे पमृरक-पमृरक भराग, पक्षश्री, पशपु, वमृक्ष, तमृर (घरास), पवर्णत, वन और बगश्रीचप्रे-॥1॥
* चरार हबहचत्र पहबत्र हबसप्रेषश्री। बपूझत भरतपु हदब्य सब दप्रेखश्री॥
सपुहन मन मपुहदत कहत ररहषरराऊ। हप्रेतपु नराम गपुन पपुन्य पभराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-सभश्री हवशप्रेष रूप सप्रे सपुमंदर, हवहचत्र, पहवत्र और हदव्य दप्रेखकर भरतजश्री पपूछतप्रे
हमैं और उनकरा पश्न सपुनकर ऋहषरराज अहत्रजश्री पसन्न मन सप्रे सबकप्रे करारर, नराम, गपुर
और पपुण्य पभराव कगो कहतप्रे हमैं॥2॥
* कतहह हूँ हनमजन कतहह हूँ पनरामरा। कतहह हूँ हबलगोकत मन अहभररामरा॥
कतहह हूँ बहैहठ मपुहन आयसपु पराई। सपुहमरत सश्रीय सहहत दगोउ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कहहीं स्नरान करतप्रे हमैं, कहहीं परराम करतप्रे हमैं, कहहीं मनगोहर स्ररानर कप्रे
दशर्णन करतप्रे हमैं और कहहीं मपुहन अहत्रजश्री ककी आजरा पराकर बहैठकर, सश्रीतराजश्री सहहत शश्री
रराम-लक्ष्मर दगोनर भराइयर करा स्मरर करतप्रे हमैं॥ 3॥ तगो इसममें लराभ अहधक और हराहन
कम पतश्रीत हह ई, परन्तपु रराहनयर कगो दद्धाःपु ख-सपुख समरान हश्री रप्रे (रराम-लक्ष्मर वन ममें रहमें
यरा भरत-शत्रपुघ्न, दगो पपुत्रर करा हवयगोग तगो रहप्रेगरा हश्री), यह समझकर वप्रे सब रगोनप्रे
लगहीं॥3॥
* दप्रेहख सपुभराउ सनप्रेहह सपुसप्रेवरा। दप्रेहहमं असश्रीस मपुहदत बनदप्रेवरा॥
हफिरहहमं गएहूँ हदनपु पहर अढराई। पभपु पद कमल हबलगोकहहमं आई॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे स्वभराव, पप्रेम और सपुदमं र सप्रेवराभराव कगो दप्रेखकर वनदप्रेवतरा आनमंहदत
हगोकर आशश्रीवरादर्ण दप्रेतप्रे हमैं। यर घपूम-हफिरकर ढराई पहर हदन बश्रीतनप्रे पर लरौट पडतप्रे हमैं और
आकर पभपु शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररकमलर करा दशर्णन करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेखप्रे रल तश्रीरर सकल भरत पराहूँच हदन मराझ।
कहत सपुनत हरर हर सपुजसपु गयउ हदवसपु भइ सराहूँझ॥312॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे पराहूँच हदन ममें सब तश्रीरर्ण स्ररानर कप्रे दशर्णन कर हलए। भगवरान हवष्रपु
और महरादप्रेवजश्री करा सपुदमं र यश कहतप्रे-सपुनतप्रे वह (पराहूँचवराहूँ) हदन भश्री बश्रीत गयरा, समंध्यरा
हगो गई॥312॥
शश्री रराम-भरत-समंवराद, परादक पु रा पदरान, भरतजश्री ककी हबदराई
चरौपराई :
* भगोर न्हराइ सबपु जपुररा समराजपू। भरत भपूहमसपुर तप्रेरहह हत रराजपू॥
भल हदन आजपु जराहन मन मराहहीं। ररामपु कमृ पराल कहत सकपु चराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-(अगलप्रे छठप्रे हदन) सबप्रेरप्रे स्नरान करकप्रे भरतजश्री, ब्रराहर, रराजरा जनक और
सराररा समराज आ जपुटरा। आज सबकगो हवदरा करनप्रे कप्रे हलए अच्छरा हदन हहै, यह मन ममें
जरानकर भश्री कमृ परालपु शश्री ररामजश्री कहनप्रे ममें सकपु चरा रहप्रे हमैं॥1॥
* गपुर नमृप भरत सभरा अवलगोककी। सकपु हच रराम हफिरर अवहन हबलगोककी॥
सश्रील सरराहह सभरा सब सगोचश्री। कहह हूँ न रराम सम स्वराहम सहूँकगोचश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे गपुर वहशषजश्री, रराजरा जनकजश्री, भरतजश्री और सरारश्री सभरा
ककी ओर दप्रेखरा, हकन्तपु हफिर सकपु चराकर दृहष्टि फिप्रे रकर वप्रे पमृथ्वश्री ककी ओर तराकनप्रे लगप्रे।
सभरा उनकप्रे शश्रील ककी सरराहनरा करकप्रे सगोचतश्री हहै हक शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे समरान समंकगोचश्री
स्वरामश्री कहहीं नहहीं हहै॥2॥
* भरत सपुजरान रराम रख दप्रेखश्री। उहठ सपप्रेम धरर धश्रीर हबसप्रेषश्री॥
करर दमंडवत कहत कर जगोरश्री। रराखहीं नरार सकल रहच मगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सपुजरान भरतजश्री शश्री ररामचन्दजश्री करा रख दप्रेखकर पप्रेमपपूवर्णक उठकर, हवशप्रेष रूप
सप्रे धश्रीरज धरारर कर दण्डवत करकप्रे हरार जगोडकर कहनप्रे लगप्रे- हप्रे नरार! आपनप्रे मप्रेरश्री
सभश्री रहचयराहूँ रखहीं॥3॥
* मगोहह लहग सहप्रेउ सबहहमं समंतरापपू। बहह त भराहूँहत दख पु पु परावरा आपपू॥
अब गगोसराइहूँ मगोहह दप्रेउ रजराई। सप्रेवजौं अवध अवहध भरर जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे हलए सब लगोगर नप्रे समंतराप सहरा और आपनप्रे भश्री बहह त पकरार सप्रे दद्धाःपु ख
परायरा। अब स्वरामश्री मपुझप्रे आजरा दमें। ममैं जराकर अवहध भर (चरौदह वषर्ण तक) अवध करा
सप्रेवन करूहूँ॥4॥
दगोहरा :
* जप्रेहहमं उपराय पपुहन पराय जनपु दप्रेखहै दश्रीनदयराल।
सगो हसख दप्रेइअ अवहध लहग कगोसलपराल कमृ पराल॥313॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दश्रीनदयरालपु! हजस उपराय सप्रे यह दरास हफिर चररर करा दशर्णन करप्रे - हप्रे
कगोसलराधश्रीश! हप्रे कमृ परालपु! अवहधभर कप्रे हलए मपुझप्रे वहश्री हशक्षरा दश्रीहजए॥313॥
चरौपराई :
* पपुरजन पररजन पजरा गगोसराई।मं सब सपुहच सरस सनप्रेहहूँ सगराई॥मं
रराउर बहद भल भव दख पु दराहह। पभपु हबनपु बराहद परम पद लराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे गगोसराई!मं आपकप्रे पप्रेम और समंबमंध ममें अवधपपुर वरासश्री, कपु टपु म्बश्री और पजरा
सभश्री पहवत्र और रस (आनमंद) सप्रे यक्त पु हमैं। आपकप्रे हलए भवदद्धाःपु ख (जन्म-मरर कप्रे
दद्धाःपु ख) ककी ज्वरालरा ममें जलनरा भश्री अच्छरा हहै और पभपु (आप) कप्रे हबनरा परमपद
(मगोक्ष) करा लराभ भश्री व्यरर्ण हहै॥1॥
* स्वराहम सपुजरानपु जराहन सब हश्री ककी। रहच लरालसरा रहहन जन जश्री ककी॥
पनतपरालपु पराहलहह सब कराहह। दप्रेउ दहपु ह हदहस ओर हनबराहह॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! आप सपुजरान हमैं, सभश्री कप्रे हृदय ककी और मपुझ सप्रेवक कप्रे मन ककी
रहच, लरालसरा (अहभलराषरा) और रहनश्री जरानकर, हप्रे परतपराल! आप सब हकसश्री करा
परालन करमेंगप्रे और हप्रे दप्रेव! दगोनर ओर अन्त तक हनबराहमेंगप्रे॥2॥
* अस मगोहह सब हबहध भपूरर भरगोसगो। हकएहूँ हबचरार न सगोचपु खरगो सगो॥
आरहत मगोर नरार कर छगोहह। दहपु ह हूँ हमहल ककीन्ह ढश्रीठपु हहठ मगोहह॥3॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे सब पकरार सप्रे ऐसरा बहह त बडरा भरगोसरा हहै। हवचरार करनप्रे पर हतनकप्रे कप्रे
बरराबर (जररा सरा) भश्री सगोच नहहीं रह जरातरा! मप्रेरश्री दश्रीनतरा और स्वरामश्री करा स्नप्रेह दगोनर
नप्रे हमलकर मपुझप्रे जबदर्णस्तश्री ढश्रीठ बनरा हदयरा हहै॥3॥
* यह बड दगोषपु दरपू र करर स्वरामश्री। तहज सकगोच हसखइअ अनपुगरामश्री॥
भरत हबनय सपुहन सबहहमं पसमंसश्री। खश्रीर नश्रीर हबबरन गहत हमंसश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! इस बडप्रे दगोष कगो दरपू करकप्रे समंकगोच त्यराग कर मपुझ सप्रेवक कगो
हशक्षरा दश्रीहजए। दधपू और जल कगो अलग-अलग करनप्रे ममें हमंहसनश्री ककी सश्री गहत वरालश्री
भरतजश्री ककी हवनतश्री सपुनकर उसककी सभश्री नप्रे पशमंसरा ककी॥ 4॥
दगोहरा :
* दश्रीनबमंधपु सपुहन बमंधपु कप्रे वचन दश्रीन छलहश्रीन।
दप्रेस कराल अवसर सररस बगोलप्रे ररामपु पबश्रीन॥314॥
भरावरारर्ण:-दश्रीनबन्धपु और परम चतपुर शश्री ररामजश्री नप्रे भराई भरतजश्री कप्रे दश्रीन और छलरहहत
वचन सपुनकर दप्रेश, कराल और अवसर कप्रे अनपुकपूल वचन बगोलप्रे-॥314॥
चरौपराई :
* तरात तपुम्हरारर मगोरर पररजन ककी। हचमंतरा गपुरहह नमृपहह घर बन ककी॥
मरारप्रे पर गपुर मपुहन हमहरलप्रेसपू। हमहह तपुम्हहह सपनप्रेहह हूँ न कलप्रेसपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुम्हरारश्री, मप्रेरश्री, पररवरार ककी, घर ककी और वन ककी सरारश्री हचमंतरा गपुर
वहशषजश्री और महरारराज जनकजश्री कगो हहै। हमरारप्रे हसर पर जब गपुरजश्री , मपुहन हवश्वराहमत्रजश्री
और हमहरलरापहत जनकजश्री हमैं, तब हममें और तपुम्हमें स्वप्न नमें भश्री कप्रे श नहहीं हहै॥1॥
* मगोर तपुम्हरार परम पपुरषराररपु। स्वराररपु सपुजसपु धरमपु परमराररपु॥
हपतपु आयसपु पराहलहहमं दहपु ह भराई।मं लगोक बप्रेद भल भपूप भलराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा और तपुम्हराररा तगो परम पपुरषरारर्ण, स्वरारर्ण, सपुयश, धमर्ण और परमरारर्ण इसश्री
ममें हहै हक हम दगोनर भराई हपतराजश्री ककी आजरा करा परालन करमें। रराजरा ककी भलराई (उनकप्रे
व्रत ककी रक्षरा) सप्रे हश्री लगोक और वप्रेद दगोनर ममें भलरा हहै॥ 2॥
* गपुर हपतपु मरातपु स्वराहम हसख परालमें। चलप्रेहहहूँ कपु मग पग परहहमं न खरालमें॥
अस हबचरारर सब सगोच हबहराई। परालहह अवध अवहध भरर जराई॥3॥
भरावरारर्ण:-गपुर, हपतरा, मरातरा और स्वरामश्री ककी हशक्षरा (आजरा) करा परालन करनप्रे सप्रे
कपु मरागर्ण पर भश्री चलनप्रे पर पहैर गडप्रे ममें नहहीं पडतरा (पतन नहहीं हगोतरा)। ऐसरा हवचरार कर
सब सगोच छगोडकर अवध जराकर अवहधभर उसकरा परालन करगो॥ 3॥
* दप्रेसपु कगोसपु पररजन पररवरारू। गपुर पद रजहहमं लराग छरभरारू॥
तपुम्ह मपुहन मरातपु सहचव हसख मरानश्री। परालहप्रे ह पपुहहहम पजरा रजधरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेश, खजरानरा, कपु टपु म्ब, पररवरार आहद सबककी हजम्मप्रेदरारश्री तगो गपुरजश्री ककी चरर
रज पर हहै। तपुम तगो मपुहन वहशषजश्री, मरातराओमं और महन्त्रयर ककी हशक्षरा मरानकर तदनपुसरार
पमृथ्वश्री, पजरा और रराजधरानश्री करा परालन (रक्षरा) भर करतप्रे रहनरा॥4॥
दगोहरा :
* मपुहखआ मपुखपु सगो चराहहऐ खरान परान कहह हूँ एक।
परालइ पगोषइ सकल अहूँग तपुलसश्री सहहत हबबप्रेक॥315॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- (शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) मपुहखयरा मपुख कप्रे समरान हगोनरा
चराहहए, जगो खरानप्रे-पश्रीनप्रे कगो तगो एक (अकप्रे लरा) हहै, परन्तपु हववप्रेकपपूवर्णक सब अमंगर करा
परालन-पगोषर करतरा हहै॥315॥
चरौपराई :
* रराजधरम सरबसपु एतनगोई। हजहम मन मराहहूँ मनगोरर गगोई॥
बमंधपु पबगोधपु ककीन्ह बहह भराहूँतश्री। हबनपु अधरार मन तगोषपु न सराहूँतश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-रराजधमर्ण करा सवर्णस्व (सरार) भश्री इतनरा हश्री हहै। जहैसप्रे मन कप्रे भश्रीतर मनगोरर
हछपरा रहतरा हहै। शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे भराई भरत कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा, परन्तपु
कगोई अवलम्बन पराए हबनरा उनकप्रे मन ममें न समंतगोष हहआ, न शराहन्त॥1॥
* भरत सश्रील गपुर सहचव समराजपू। सकपु च सनप्रेह हबबस रघपुरराजपू॥
पभपु करर कमृ परा पराहूँवरहीं दश्रीन्हहीं। सरादर भरत सश्रीस धरर लश्रीन्हहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इधर तगो भरतजश्री करा शश्रील (पप्रेम) और उधर गपुरजनर, ममंहत्रयर तररा समराज
ककी उपहस्रहत! यह दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री समंकगोच तररा स्नप्रेह कप्रे हवशप्रेष वशश्रीभपूत हगो
गए (अररार्णत भरतजश्री कप्रे पप्रेमवश उन्हमें पराहूँवरश्री दप्रेनरा चराहतप्रे हमैं, हकन्तपु सरार हश्री गपुर
आहद करा समंकगोच भश्री हगोतरा हहै।) आहखर (भरतजश्री कप्रे पप्रेमवश) पभपु शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे
कमृ परा कर खडराऊहूँ दप्रे दहीं और भरतजश्री नप्रे उन्हमें आदरपपूवर्णक हसर पर धरारर कर हलयरा॥
2॥
* चरनपश्रीठ करनराहनधरान कप्रे । जनपु जपुग जराहमक पजरा परान कप्रे ॥
समंपटपु भरत सनप्रेह रतन कप्रे । आखर जपुग जनपु जश्रीव जतन कप्रे ॥3॥
भरावरारर्ण:-कररराहनधरान शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे दगोनर ख़डराऊहूँ पजरा कप्रे परारर ककी रक्षरा कप्रे हलए
मरानगो दगो पहरप्रेदरार हमैं। भरतजश्री कप्रे पप्रेमरूपश्री रत्न कप्रे हलए मरानगो हडब्बरा हहै और जश्रीव कप्रे
सराधन कप्रे हलए मरानगो रराम-नराम कप्रे दगो अक्षर हमैं॥3॥
* कपु ल कपराट कर कपु सल करम कप्रे । हबमल नयन सप्रेवरा सपुधरम कप्रे ॥
भरत मपुहदत अवलमंब लहप्रे तमें। अस सपुख जस हसय ररामपु रहप्रे तमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-रघपुकपुल (ककी रक्षरा) कप्रे हलए दगो हकवराड हमैं। कपु शल (शप्रेष) कमर्ण करनप्रे कप्रे
हलए दगो हरार ककी भराहूँहत (सहरायक) हमैं और सप्रेवरा रूपश्री शप्रेष धमर्ण कप्रे सपुझरानप्रे कप्रे हलए
हनमर्णल नप्रेत्र हमैं। भरतजश्री इस अवलमंब कप्रे हमल जरानप्रे सप्रे परम आनमंहदत हमैं। उन्हमें ऐसरा हश्री
सपुख हहआ, जहैसरा शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री कप्रे रहनप्रे सप्रे हगोतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* मरागप्रेउ हबदरा पनरामपु करर रराम हलए उर लराइ।
लगोग उचराटप्रे अमरपहत कपु हटल कपु अवसर पराइ॥316॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे परराम करकप्रे हवदरा मराहूँगश्री, तब शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे उन्हमें हृदय सप्रे
लगरा हलयरा। इधर कपु हटल इमंद नप्रे बपुररा मरौकरा पराकर लगोगर करा उचराटन कर हदयरा॥
316॥
चरौपराई :
* सगो कपु चराहल सब कहहूँ भइ नश्रीककी। अवहध आस सम जश्रीवहन जश्री ककी॥
नतर लखन हसय रराम हबयगोगरा। हहरर मरत सब लगोग कपु रगोगरा॥1॥
भरावरारर्ण:-वह कपु चराल भश्री सबकप्रे हलए हहतकर हगो गई। अवहध ककी आशरा कप्रे समरान हश्री
वह जश्रीवन कप्रे हलए समंजश्रीवनश्री हगो गई। नहहीं तगो (उचराटन न हगोतरा तगो) लक्ष्मरजश्री,
सश्रीतराजश्री और शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हवयगोग रूपश्री बपुरप्रे रगोग सप्रे सब लगोग घबडराकर (हराय-
हराय करकप्रे ) मर हश्री जरातप्रे॥1॥
* ररामकमृ पराहूँ अवरप्रेब सपुधरारश्री। हबबपुध धरारर भइ गपुनद गगोहरारश्री॥
भमेंटत भपुज भरर भराइ भरत सगो। रराम पप्रेम रसपु न कहह न परत सगो॥ 2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा नप्रे सरारश्री उलझन सपुधरार दश्री। दप्रेवतराओमं ककी सप्रेनरा जगो लपूटनप्रे
आई रश्री, वहश्री गपुरदरायक (हहतकरश्री) और रक्षक बन गई। शश्री ररामजश्री भपुजराओमं ममें
भरकर भराई भरत सप्रे हमल रहप्रे हमैं। शश्री ररामजश्री कप्रे पप्रेम करा वह रस (आनमंद) कहतप्रे
नहहीं बनतरा॥2॥
* तन मन बचन उमग अनपुररागरा। धश्रीर धपुरधमं र धश्रीरजपु त्यरागरा॥
बराररज लगोचन मगोचत बरारश्री। दप्रेहख दसरा सपुर सभरा द ख पु रारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-तन, मन और वचन तश्रीनर ममें पप्रेम उमड पडरा। धश्रीरज ककी धपुरश्री कगो धरारर
करनप्रे वरालप्रे शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे भश्री धश्रीरज त्यराग हदयरा। वप्रे कमल सदृश नप्रेत्रर सप्रे
(पप्रेमराशपुओमं करा) जल बहरानप्रे लगप्रे। उनककी यह दशरा दप्रेखकर दप्रेवतराओमं ककी सभरा
(समराज) दद्धाःपु खश्री हगो गई॥3॥
* मपुहनगन गपुर धपुर धश्रीर जनक सप्रे। ग्यरान अनल मन कसमें कनक सप्रे॥
जप्रे हबरमंहच हनरलप्रेप उपराए। पदमपु पत्र हजहम जग जल जराए॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहनगर, गपुर वहशषजश्री और जनकजश्री सरश्रीखप्रे धश्रीरधपुरन्धर जगो अपनप्रे मनर कगो
जरान रूपश्री अहग्नि ममें सगोनप्रे कप्रे समरान कस चपुकप्रे रप्रे, हजनकगो ब्रहराजश्री नप्रे हनलर्देप हश्री रचरा
और जगो जगतम रूपश्री जल ममें कमल कप्रे परप्रे ककी तरह हश्री (जगतम ममें रहतप्रे हह ए भश्री
जगतम सप्रे अनरासक्त) पहैदरा हहए॥4॥
दगोहरा :
* तप्रेउ हबलगोहक रघपुबर भरत पश्रीहत अनपूप अपरार।
भए मगन मन तन बचन सहहत हबरराग हबचरार॥317॥
भरावरारर्ण:-वप्रे भश्री शश्री ररामजश्री और भरतजश्री कप्रे उपमरारहहत अपरार पप्रेम कगो दप्रेखकर वहैरराग्य
और हववप्रेक सहहत तन, मन, वचन सप्रे उस पप्रेम ममें मग्नि हगो गए॥317॥
चरौपराई :
* जहराहूँ जनक गपुर गहत महत भगोरश्री। पराकमृत पश्रीहत कहत बहड खगोरश्री॥
बरनत रघपुबर भरत हबयगोगपू। सपुहन कठगोर कहब जराहनहह लगोगपू॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ जनकजश्री और गपुर वहशषजश्री ककी बपुहद ककी गहत कपु हण्ठत हगो, उस हदव्य
पप्रेम कगो पराकमृत (लरौहकक) कहनप्रे ममें बडरा दगोष हहै। शश्री ररामचमंदजश्री और भरतजश्री कप्रे
हवयगोग करा वरर्णन करतप्रे सपुनकर लगोग कहव कगो कठगोर हृदय समझमेंगप्रे॥ 1॥
* सगो सकगोच रसपु अकर सपुबरानश्री। समउ सनप्रेहह सपुहमरर सकपु चरानश्री॥
भमेंहट भरतपु रघपुबर समपुझराए। पपुहन ररपपुदवनपु हरहष हहयहूँ लराए॥2॥
भरावरारर्ण:-वह समंकगोच रस अकरनश्रीय हहै। अतएव कहव ककी सपुदमं र वरारश्री उस समय उसकप्रे
पप्रेम कगो स्मरर करकप्रे सकपु चरा गई। भरतजश्री कगो भमेंट कर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उनकगो
समझरायरा। हफिर हहषर्णत हगोकर शत्रपुघ्नजश्री कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥ 2॥
* सप्रेवक सहचव भरत रख पराई। हनज हनज कराज लगप्रे सब जराई॥
सपुहन दरारन दख पु पु दहपु ह हूँ समराजरा। लगप्रे चलन कप्रे सराजन सराजरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक और ममंत्रश्री भरतजश्री करा रख पराकर सब अपनप्रे -अपनप्रे कराम ममें जरा लगप्रे।
यह सपुनकर दगोनर समराजर ममें दरारर दद्धाःपु ख छरा गयरा। वप्रे चलनप्रे ककी तहैयराररयराहूँ करनप्रे लगप्रे॥
3॥
* पभपु पद पदमपु बमंहद दगोउ भराई। चलप्रे सश्रीस धरर रराम रजराई॥
मपुहन तरापस बनदप्रेव हनहगोरश्री। सब सनमराहन बहगोरर बहगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे चररकमलर ककी वमंदनरा करकप्रे तररा शश्री ररामजश्री ककी आजरा कगो हसर पर
रखकर भरत-शत्रपुघ्न दगोनर भराई चलप्रे। मपुहन, तपस्वश्री और वनदप्रेवतरा सबकरा बरार-बरार
सम्मरान करकप्रे उनककी हवनतश्री ककी॥4॥
दगोहरा :
* लखनहह भमेंहट पनरामपु करर हसर धरर हसय पद धपूरर।
चलप्रे सपप्रेम असश्रीस सपुहन सकल सपुममंगल मपूरर॥318॥
भरावरारर्ण:-हफिर लक्ष्मरजश्री कगो कमशद्धाः भमेंटकर तररा परराम करकप्रे और सश्रीतराजश्री कप्रे चररर
ककी धपूहल कगो हसर पर धरारर करकप्रे और समस्त ममंगलर कप्रे मपूल आशश्रीवरार्णद सपुनकर वप्रे
पप्रेमसहहत चलप्रे॥318॥
चरौपराई :
* सरानपुज रराम नमृपहह हसर नराई। ककीहन्ह बहह त हबहध हबनय बडराई॥
दप्रेव दयरा बस बड दख पु पु परायउ। सहहत समराज कराननहहमं आयउ॥1॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री समप्रेत शश्री ररामजश्री नप्रे रराजरा जनकजश्री कगो हसर नवराकर
उनककी बहह त पकरार सप्रे हवनतश्री और बडराई ककी (और कहरा-) हप्रे दप्रेव! दयरावश आपनप्रे
बहह त दद्धाःपु ख परायरा। आप समराज सहहत वन ममें आए॥1॥
* पपुर पगपु धराररअ दप्रेइ असश्रीसरा। ककीन्ह धश्रीर धरर गवनपु महश्रीसरा॥
मपुहन महहदप्रेव सराधपु सनमरानप्रे। हबदरा हकए हरर हर सम जरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अब आशश्रीवरार्णद दप्रेकर नगर कगो पधराररए। यह सपुन रराजरा जनकजश्री नप्रे धश्रीरज
धरकर गमन हकयरा। हफिर शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे मपुहन, ब्रराहर और सराधपुओमं कगो हवष्रपु और
हशव कप्रे समरान जरानकर सम्मरान करकप्रे उनकगो हवदरा हकयरा॥2॥
* सरासपु समश्रीप गए दगोउ भराई। हफिरप्रे बमंहद पग आहसष पराई॥
करौहसक बरामदप्रेव जराबरालश्री। पपुरजन पररजन सहचव सपुचरालश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री रराम-लक्ष्मर दगोनर भराई सरास (सपुनयनराजश्री) कप्रे परास गए और उनकप्रे
चररर ककी वमंदनरा करकप्रे आशश्रीवरार्णद पराकर लरौट आए। हफिर हवश्वराहमत्र, वरामदप्रेव, जराबराहल
और शपुभ आचरर वरालप्रे कपु टपु म्बश्री, नगर हनवरासश्री और ममंत्रश्री-॥3॥
* जररा जगोगपु करर हबनय पनरामरा। हबदरा हकए सब सरानपुज ररामरा॥
नरारर पपुरष लघपु मध्य बडप्रेरप्रे। सब सनमराहन कमृ पराहनहध फिप्रे रप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-सबकगो छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे यररायगोग्य हवनय एवमं
परराम करकप्रे हवदरा हकयरा। कमृ पराहनधरान शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे छगोटप्रे, मध्यम (मझलप्रे) और
बडप्रे सभश्री शप्रेरश्री कप्रे स्त्रश्री-पपुरषर करा सम्मरान करकप्रे उनकगो लरौटरायरा॥4॥
दगोहरा :
* भरत मरातपु पद बमंहद पभपु सपुहच सनप्रेहहूँ हमहल भमेंहट।
हबदरा ककीन्ह सहज परालककी सकपु च सगोच सब मप्रेहट॥319॥
भरावरारर्ण:-भरत ककी मरातरा कहै कप्रे यश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे पभपु शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे
पहवत्र (हनश्छल) पप्रेम कप्रे सरार उनसप्रे हमल-भमेंट कर तररा उनकप्रे सरारप्रे समंकगोच और
सगोच कगो हमटराकर परालककी सजराकर उनकगो हवदरा हकयरा॥ 319॥
चरौपराई :
* पररजन मरातपु हपतहह हमहल सश्रीतरा। हफिरश्री परानहपय पप्रेम पपुनश्रीतरा॥
करर पनरामपु भमेंटहीं सब सरासपू। पश्रीहत कहत कहब हहयहूँ न हहलरासपू॥1॥
भरावरारर्ण:-परारहपय पहत शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे सरार पहवत्र पप्रेम करनप्रे वरालश्री सश्रीतराजश्री नहैहर कप्रे
कपु टपु हम्बयर सप्रे तररा मरातरा-हपतरा सप्रे हमलकर लरौट आई।मं हफिर परराम करकप्रे सब सरासपुओमं
सप्रे गलप्रे लगकर हमलहीं। उनकप्रे पप्रेम करा वरर्णन करनप्रे कप्रे हलए कहव कप्रे हृदय ममें हह लरास
(उत्सराह) नहहीं हगोतरा॥1॥
* सपुहन हसख अहभमत आहसष पराई। रहश्री सश्रीय द हपु ह पश्रीहत समराई॥
रघपुपहत पटपु परालककीमं मगराई।मं करर पबगोध सब मरातपु चढराई॥मं 2॥
भरावरारर्ण:-उनककी हशक्षरा सपुनकर और मनचराहरा आशश्रीवरार्णद पराकर सश्रीतराजश्री सरासपुओमं तररा
मरातरा-हपतरा दगोनर ओर ककी पश्रीहत ममें समराई (बहह त दप्रेर तक हनमग्नि) रहहीं! (तब) शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे सपुदमं र परालहकयराहूँ महूँगवराई मं और सब मरातराओमं कगो आश्वरासन दप्रेकर उन पर
चढरायरा॥2॥
* बरार बरार हहहल हमहल दहपु ह भराई।मं सम सनप्रेहहूँ जननहीं पहह हूँचराई॥मं
सराहज बराहज गज बराहन नरानरा। भरत भपूप दल ककीन्ह पयरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराइयर नप्रे मरातराओमं सप्रे समरान पप्रेम सप्रे बरार -बरार हमल-जपुलकर उनकगो
पहह हूँचरायरा। भरतजश्री और रराजरा जनकजश्री कप्रे दलर नप्रे घगोडप्रे, हरारश्री और अनप्रेकर तरह ककी
सवराररयराहूँ सजराकर पस्ररान हकयरा॥3॥
* हृदयहूँ ररामपु हसय लखन समप्रेतरा। चलप्रे जराहहमं सब लगोग अचप्रेतरा॥
बसह बराहज गज पसपु हहयहूँ हरारमें। चलप्रे जराहहमं परबस मन मरारमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री एवमं लक्ष्मरजश्री सहहत शश्री ररामचमंदजश्री कगो हृदय ममें रखकर सब लगोग
बप्रेसपुध हह ए चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। बहैल-घगोडप्रे, हरारश्री आहद पशपु हृदय ममें हरारप्रे (हशहरल) हह ए
परवश मन मरारप्रे चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* गपुर गपुरहतय पद बमंहद पभपु सश्रीतरा लखन समप्रेत।
हफिरप्रे हरष हबसमय सहहत आए परन हनकप्रे त॥320॥
भरावरारर्ण:-गपुर वहशषजश्री और गपुर पत्नश्री अरन्धतश्रीजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे सश्रीतराजश्री
और लक्ष्मरजश्री सहहत पभपु शश्री ररामचमंदजश्री हषर्ण और हवषराद कप्रे सरार लरौटकर परर्णकपुटश्री
पर आए॥320॥
चरौपराई :
* हबदरा ककीन्ह सनमराहन हनषराद।पू चलप्रेउ हृदयहूँ बड हबरह हबषराद॥पू
कगोल हकररात हभल्ल बनचरारश्री। फिप्रे रप्रे हफिरप्रे जगोहरारर जगोहरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर सम्मरान करकप्रे हनषरादरराज कगो हवदरा हकयरा। वह चलरा तगो सहश्री , हकन्तपु
उसकप्रे हृदय ममें हवरह करा भरारश्री हवषराद ररा। हफिर शश्री ररामजश्री नप्रे कगोल , हकररात, भश्रील
आहद वनवरासश्री लगोगर कगो लरौटरायरा। वप्रे सब जगोहरार -जगोहरार कर (वमंदनरा कर-करकप्रे )
लरौटप्रे॥1॥
* पभपु हसय लखन बहैहठ बट छराहहीं। हपय पररजन हबयगोग हबलखराहहीं॥
भरत सनप्रेह सपुभराउ सपुबरानश्री। हपयरा अनपुज सन कहत बखरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामचमंदजश्री, सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री बड ककी छरायरा ममें बहैठकर
हपयजन एवमं पररवरार कप्रे हवयगोग सप्रे दद्धाःपु खश्री हगो रहप्रे हमैं। भरतजश्री कप्रे स्नप्रेह, स्वभराव और
सपुमंदर वरारश्री कगो बखरान-बखरान कर वप्रे हपय पत्नश्री सश्रीतराजश्री और छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सप्रे
कहनप्रे लगप्रे॥2॥
* पश्रीहत पतश्रीहत बचन मन करनश्री। शश्रीमपुख रराम पप्रेम बस बरनश्री॥
तप्रेहह अवसर खम ममृग जल मश्रीनरा। हचत्रकपू ट चर अचर मलश्रीनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे पप्रेम कप्रे वश हगोकर भरतजश्री कप्रे वचन, मन, कमर्ण ककी पश्रीहत
तररा हवश्वरास करा अपनप्रे शश्रीमपुख सप्रे वरर्णन हकयरा। उस समय पक्षश्री , पशपु और जल ककी
मछहलयराहूँ, हचत्रकपू ट कप्रे सभश्री चप्रेतन और जड जश्रीव उदरास हगो गए॥3॥
* हबबपुध हबलगोहक दसरा रघपुबर ककी। बरहष सपुमन कहह गहत घर घर ककी॥
पभपु पनरामपु करर दश्रीन्ह भरगोसगो। चलप्रे मपुहदत मन डर न खरगो सगो॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री ककी दशरा दप्रेखकर दप्रेवतराओमं नप्रे उन पर फिपू ल बरसराकर अपनश्री
घर-घर ककी दशरा कहश्री (दख पु डरा सपुनरायरा)। पभपु शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे उन्हमें परराम कर
आश्वरासन हदयरा। तब वप्रे पसन्न हगोकर चलप्रे , मन ममें जररा सरा भश्री डर न रहरा॥4॥
भरतजश्री करा अयगोध्यरा लरौटनरा, भरतजश्री दराररा परादक पु रा ककी स्ररापनरा, नहन्दगराम ममें हनवरास
और शश्री भरतजश्री कप्रे चररत्र शवर ककी महहमरा
दगोहरा :
* सरानपुज सश्रीय समप्रेत पभपु रराजत परन कपु टश्रीर।
भगहत ग्यरानपु बहैरराग्य जनपु सगोहत धरमें सरश्रीर॥321॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री समप्रेत पभपु शश्री ररामचमंदजश्री परर्णकपु टश्री ममें ऐसप्रे
सपुशगोहभत हगो रहप्रे हमैं मरानगो वहैरराग्य, भहक्त और जरान शरश्रीर धरारर कर कप्रे शगोहभत हगो
रहप्रे हर॥321॥
चरौपराई :
* मपुहन महहसपुर गपुर भरत भपुआलपू। रराम हबरहहूँ सबपु सराजपु हबहरालपू।
पभपु गपुन गराम गनत मन मराहहीं। सब चपुपचराप चलप्रे मग जराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन, ब्रराहर, गपुर वहशषजश्री, भरतजश्री और रराजरा जनकजश्री सराररा समराज शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे हवरह ममें हवह्वल हहै। पभपु कप्रे गपुर समपूहर करा मन ममें स्मरर करतप्रे हह ए
सब लगोग मरागर्ण ममें चपुपचराप चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥1॥
* जमपुनरा उतरर परार सबपु भयऊ। सगो बरासर हबनपु भगोजन गयऊ॥
उतरर दप्रेवसरर दस पू र बरासपू। ररामसखराहूँ सब ककीन्ह सपुपरासपू॥2॥
भरावरारर्ण:-(पहलप्रे हदन) सब लगोग यमपुनराजश्री उतरकर परार हहए। वह हदन हबनरा भगोजन कप्रे
हश्री बश्रीत गयरा। दस पू ररा मपुकराम गमंगराजश्री उतरकर (गमंगरापरार शमृगमं वप्रेरपपुर ममें) हह आ। वहराहूँ रराम
सखरा हनषरादरराज नप्रे सब सपुपबमंध कर हदयरा॥2॥
* सई उतरर गगोमतहीं नहराए। चरौरमें हदवस अवधपपुर आए॥
जनकपु रहप्रे पपुर बरासर चरारश्री। रराज कराज सब सराज सहूँभरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर सई उतरकर गगोमतश्रीजश्री ममें स्नरान हकयरा और चरौरप्रे हदन सब अयगोध्यराजश्री
जरा पहह हूँचप्रे। जनकजश्री चरार हदन अयगोध्यराजश्री ममें रहप्रे और रराजकराज एवमं सब सराज -सरामरान
कगो सम्हरालकर,॥3॥
* सजौंहप सहचव गपुर भरतहहमं रराजपू। तप्रेरहह हत चलप्रे सराहज सबपु सराजपू॥
नगर नरारर नर गपुर हसख मरानश्री। बसप्रे सपुखप्रेन रराम रजधरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-तररा ममंत्रश्री, गपुरजश्री तररा भरतजश्री कगो रराज्य सजौंपकर, सराररा सराज-सरामरान ठश्रीक
करकप्रे हतरहह त कगो चलप्रे। नगर कप्रे स्त्रश्री-पपुरष गपुरजश्री ककी हशक्षरा मरानकर शश्री ररामजश्री ककी
रराजधरानश्री अयगोध्यराजश्री ममें सपुखपपूवर्णक रहनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* रराम दरस लहग लगोग सब करत नप्रेम उपबरास।
तहज तहज भपूषन भगोग सपुख हजअत अवहध ककीमं आस॥322॥
भरावरारर्ण:-सब लगोग शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे दशर्णन कप्रे हलए हनयम और उपवरास करनप्रे लगप्रे। वप्रे
भपूषर और भगोग-सपुखर कगो छगोड-छराडकर अवहध ककी आशरा पर जश्री रहप्रे हमैं॥322॥
चरौपराई :
* सहचव सपुसवप्रे क भरत पबगोधप्रे। हनज हनज कराज पराइ हसख ओधप्रे॥
पपुहन हसख दश्रीहन्ह बगोहल लघपु भराई। सजौंपश्री सकल मरातपु सप्रेवकराई॥1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे ममंहत्रयर और हवश्वरासश्री सप्रेवकर कगो समझराकर उद्यत हकयरा। वप्रे सब
सश्रीख पराकर अपनप्रे-अपनप्रे कराम ममें लग गए। हफिर छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्नजश्री कगो बपुलराकर
हशक्षरा दश्री और सब मरातराओमं ककी सप्रेवरा उनकगो सजौंपश्री॥ 1॥
* भपूसपुर बगोहल भरत कर जगोरप्रे। करर पनराम बय हबनय हनहगोरप्रे॥
ऊहूँच नश्रीच करारजपु भल पगोचपू। आयसपु दप्रेब न करब सहूँकगोचपू॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहरर कगो बपुलराकर भरतजश्री नप्रे हरार जगोडकर परराम कर अवस्ररा कप्रे अनपुसरार
हवनय और हनहगोररा हकयरा हक आप लगोग ऊहूँचरा-नश्रीचरा (छगोटरा-बडरा), अच्छरा-मन्दरा जगो
कपु छ भश्री करायर्ण हगो, उसकप्रे हलए आजरा दश्रीहजएगरा। समंकगोच न ककीहजएगरा॥ 2॥
* पररजन पपुरजन पजरा बगोलराए। समराधरानपु करर सपुबस बसराए॥
सरानपुज गप्रे गपुर गप्रेहहूँ बहगोरश्री। करर दमंडवत कहत कर जगोरश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे हफिर पररवरार कप्रे लगोगर कगो, नरागररकर कगो तररा अन्य पजरा कगो
बपुलराकर, उनकरा समराधरान करकप्रे उनकगो सपुखपपूवर्णक बसरायरा। हफिर छगोटप्रे भराई शत्रपुघ्नजश्री
सहहत वप्रे गपुरजश्री कप्रे घर गए और दमंडवत करकप्रे हरार जगोडकर बगोलप्रे-॥3॥
* आयसपु हगोइ त रहजौं सनप्रेमरा। बगोलप्रे मपुहन तन पपुलहक सपप्रेमरा॥
समपुझब कहब करब तपुम्ह जगोई। धरम सरार जग हगोइहह सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-आजरा हगो तगो ममैं हनयमपपूवर्णक रहह हूँ! मपुहन वहशषजश्री पपुलहकत शरश्रीर हगो पप्रेम कप्रे
सरार बगोलप्रे- हप्रे भरत! तपुम जगो कपु छ समझगोगप्रे, कहगोगप्रे और करगोगप्रे, वहश्री जगत ममें धमर्ण
करा सरार हगोगरा॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन हसख पराइ असश्रीस बहड गनक बगोहल हदनपु सराहध।
हसमंघरासन पभपु परादक पु रा बहैठरारप्रे हनरपराहध॥323॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री नप्रे यह सपुनकर और हशक्षरा तररा बडरा आशश्रीवरार्णद पराकर ज्यगोहतहषयर कगो
बपुलरायरा और हदन (अच्छरा मपुहहतर्ण) सराधकर पभपु ककी चररपरादक पु राओमं कगो हनहवर्णघ्नतरापपूवर्णक
हसमंहरासन पर हवरराहजत कररायरा॥323॥
चरौपराई :
* रराम मरातपु गपुर पद हसर नराई। पभपु पद पश्रीठ रजरायसपु पराई॥
नमंहदगराहूँव करर परन कपु टश्रीररा। ककीन्ह हनवरासपु धरम धपुर धश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री ररामजश्री ककी मरातरा करौसल्यराजश्री और गपुरजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर
और पभपु ककी चररपरादक पु राओमं ककी आजरा पराकर धमर्ण ककी धपुरश्री धरारर करनप्रे ममें धश्रीर
भरतजश्री नप्रे नहन्दगराम ममें परर्णकपुटश्री बनराकर उसश्री ममें हनवरास हकयरा॥1॥
* जटराजपूट हसर मपुहनपट धरारश्री। महह खहन कपु स सरारहूँ रश्री सहूँवरारश्री॥
असन बसन बरासन ब्रत नप्रेमरा। करत कहठन ररहषधरम सपप्रेमरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हसर पर जटराजपूट और शरश्रीर ममें मपुहनयर कप्रे (वल्कल) वस्त्र धरारर कर,
पमृथ्वश्री कगो खगोदकर उसकप्रे अमंदर कपु श ककी आसनश्री हबछराई। भगोजन, वस्त्र, बरतन,
व्रत, हनयम सभश्री बरातर ममें वप्रे ऋहषयर कप्रे कहठन धमर्ण करा पप्रेम सहहत आचरर करनप्रे
लगप्रे॥2॥
* भपूषन बसन भगोग सपुख भपूरश्री। मन तन बचन तजप्रे हतन तपूरश्री॥
अवध रराजपु सपुर रराजपु हसहराई। दसरर धनपु सपुहन धनद पु लजराई॥3॥
भरावरारर्ण:-गहनप्रे-कपडप्रे और अनप्रेकर पकरार कप्रे भगोग-सपुखर कगो मन, तन और वचन सप्रे
तमृर तगोडकर (पहतजरा करकप्रे ) त्यराग हदयरा। हजस अयगोध्यरा कप्रे रराज्य कगो दप्रेवरराज इन्द
हसहरातप्रे रप्रे और (जहराहूँ कप्रे रराजरा) दशररजश्री ककी सम्पहर सपुनकर कपु बप्रेर भश्री लजरा जरातप्रे
रप्रे,॥3॥
* तप्रेहहमं पपुर बसत भरत हबनपु ररागरा। चमंचरश्रीक हजहम चमंपक बरागरा॥
रमरा हबलरासपु रराम अनपुररागश्री। तजत बमन हजहम जन बडभरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-उसश्री अयगोध्यरापपुरश्री ममें भरतजश्री अनरासक्त हगोकर इस पकरार हनवरास कर रहप्रे हमैं ,
जहैसप्रे चम्परा कप्रे बराग ममें भजौंररा। शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे पप्रेमश्री बडभरागश्री पपुरष लक्ष्मश्री कप्रे हवलरास
(भगोगहैश्वयर्ण) कगो वमन ककी भराहूँहत त्यराग दप्रेतप्रे हमैं (हफिर उसककी ओर तराकतप्रे भश्री नहहीं)॥
4॥
दगोहरा :
* रराम पप्रेम भराजन भरतपु बडप्रे न एहहमं करतपूहत।
चरातक हमंस सरराहहअत टमेंक हबबप्रेक हबभपूहत॥324॥
भरावरारर्ण:-हफिर भरतजश्री तगो (स्वयमं) शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे पप्रेम कप्रे परात्र हमैं। वप्रे इस
(भगोगहैश्वयर्ण त्यराग रूप) करनश्री सप्रे बडप्रे नहहीं हहए (अररार्णत उनकप्रे हलए यह कगोई बडश्री
बरात नहहीं हहै)। (पमृथ्वश्री पर करा जल न पश्रीनप्रे ककी) टप्रेक सप्रे चरातक ककी और नश्रीर-क्षश्रीर-
हववप्रेक ककी हवभपूहत (शहक्त) सप्रे हमंस ककी भश्री सरराहनरा हगोतश्री हहै॥ 324॥
चरौपराई :
* दप्रेह हदनहह हूँ हदन दबपू रर हगोई। घटइ तप्रेजपु बलपु मपुखछहब सगोई॥
हनत नव रराम पप्रेम पनपु पश्रीनरा। बढत धरम दलपु मनपु न मलश्रीनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा शरश्रीर हदनर-हदन दबपु लरा हगोतरा जरातरा हहै। तप्रेज (अन्न, घमृत आहद
सप्रे उत्पन्न हगोनप्रे वरालरा मप्रेद*) घट रहरा हहै। बल और मपुख छहब (मपुख ककी कराहन्त
अरवरा शगोभरा) वहैसश्री हश्री बनश्री हह ई हहै। रराम पप्रेम करा पर हनत्य नयरा और पपुष्टि हगोतरा हहै ,
धमर्ण करा दल बढतरा हहै और मन उदरास नहहीं हहै (अररार्णत पसन्न हहै)॥1॥
* समंस्कमृ त कगोष ममें 'तप्रेज' करा अरर्ण मप्रेद हमलतरा हहै और यह अरर्ण लप्रेनप्रे सप्रे 'घटइ'
कप्रे अरर्ण ममें भश्री हकसश्री पकरार ककी खहींच-तरान नहहीं करनश्री पडतश्री।
* हजहम जलपु हनघटत सरद पकरासप्रे। हबलसत बप्रेतस बनज हबकरासप्रे॥
सम दम समंजम हनयम उपरासरा। नखत भरत हहय हबमल अकरासरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे शरद ऋतपु कप्रे पकराश (हवकरास) सप्रे जल घटतरा हहै, हकन्तपु बमेंत शगोभरा
परातप्रे हमैं और कमल हवकहसत हगोतप्रे हमैं। शम, दम, समंयम, हनयम और उपवरास आहद
भरतजश्री कप्रे हृदयरूपश्री हनमर्णल आकराश कप्रे नक्षत्र (तराररागर) हमैं॥2॥
* धपुव हबस्वरासपु अवहध रराकरा सश्री। स्वराहम सपुरहत सपुरबश्रीहर हबकरासश्री॥
रराम पप्रेम हबधपु अचल अदगोषरा। सहहत समराज सगोह हनत चगोखरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हवश्वरास हश्री (उस आकराश ममें) धपुव तराररा हहै, चरौदह वषर्ण ककी अवहध (करा
ध्यरान) पपूहरर्णमरा कप्रे समरान हहै और स्वरामश्री शश्री ररामजश्री ककी सपुरहत (स्ममृहत) आकराशगमंगरा
सरश्रीखश्री पकराहशत हहै। रराम पप्रेम हश्री अचल (सदरा रहनप्रे वरालरा) और कलमंकरहहत चन्दमरा
हहै। वह अपनप्रे समराज (नक्षत्रर) सहहत हनत्य सपुमंदर सपुशगोहभत हहै॥3॥
* भरत रहहन समपुझहन करतपूतश्री। भगहत हबरहत गपुन हबमल हबभपूतश्री॥
बरनत सकल सपुकहब सकपु चराहहीं। सप्रेस गनप्रेस हगररा गमपु नराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री ककी रहनश्री, समझ, करनश्री, भहक्त, वहैरराग्य, हनमर्णल, गपुर और ऐश्वयर्ण
करा वरर्णन करनप्रे ममें सभश्री सपुकहव सकपु चरातप्रे हमैं, क्यरहक वहराहूँ (औरर ककी तगो बरात हश्री
क्यरा) स्वयमं शप्रेष, गरप्रेश और सरस्वतश्री ककी भश्री पहह हूँच नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* हनत पपूजत पभपु पराहूँवरश्री पश्रीहत न हृदयहूँ समराहत।
मराहग मराहग आयसपु करत रराज कराज बहह भराहूँहत॥325॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हनत्य पहत पभपु ककी परादक पु राओमं करा पपूजन करतप्रे हमैं, हृदय ममें पप्रेम समरातरा
नहहीं हहै। परादक पु राओमं सप्रे आजरा मराहूँग-मराहूँगकर वप्रे बहह त पकरार (सब पकरार कप्रे ) रराज-कराज
करतप्रे हमैं॥325॥
चरौपराई :
* पपुलक गरात हहयहूँ हसय रघपुबश्रीरू। जश्रीह नरामपु जप लगोचन नश्रीरू॥
लखन रराम हसय करानन बसहहीं। भरतपु भवन बहस तप तनपु कसहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शरश्रीर पपुलहकत हहै, हृदय ममें शश्री सश्रीतरा-ररामजश्री हमैं। जश्रीभ रराम नराम जप रहश्री हहै,
नप्रेत्रर ममें पप्रेम करा जल भररा हहै। लक्ष्मरजश्री , शश्री ररामजश्री और सश्रीतराजश्री तगो वन ममें बसतप्रे
हमैं, परन्तपु भरतजश्री घर हश्री ममें रहकर तप कप्रे दराररा शरश्रीर कगो कस रहप्रे हमैं॥ 1॥
* दगोउ हदहस समपुहझ कहत सबपु लगोगपू। सब हबहध भरत सरराहन जगोगपू॥
सपुहन ब्रत नप्रेम सराधपु सकपु चराहहीं। दप्रेहख दसरा मपुहनरराज लजराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर ओर ककी हस्रहत समझकर सब लगोग कहतप्रे हमैं हक भरतजश्री सब पकरार
सप्रे सरराहनप्रे यगोग्य हमैं। उनकप्रे व्रत और हनयमर कगो सपुनकर सराधपु-समंत भश्री सकपु चरा जरातप्रे हमैं
और उनककी हस्रहत दप्रेखकर मपुहनरराज भश्री लहजत हगोतप्रे हमैं॥ 2॥
* परम पपुनश्रीत भरत आचरनपू। मधपुर ममंजपु मपुद ममंगल करनपू॥
हरन कहठन कहल कलपुष कलप्रेसपू। महरामगोह हनहस दलन हदनप्रेसपू॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री करा परम पहवत्र आचरर (चररत्र) मधपुर, सपुमंदर और आनमंद-ममंगलर करा
करनप्रे वरालरा हहै। कहलयगपु कप्रे कहठन परापर और कप्रे शर कगो हरनप्रे वरालरा हहै। महरामगोह रूपश्री
रराहत्र कगो नष्टि करनप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण कप्रे समरान हहै॥3॥
* पराप पपुमंज कपुमं जर ममृगरराजपू। समन सकल समंतराप समराजपू॥
जन रमंजन भमंजन भव भरारू। रराम सनप्रेह सपुधराकर सरारू॥4॥
भरावरारर्ण:-पराप समपूह रूपश्री हरारश्री कप्रे हलए हसमंह हहै। सरारप्रे समंतरापर कप्रे दल करा नराश करनप्रे
वरालरा हहै। भक्तर कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालरा और भव कप्रे भरार (समंसरार कप्रे दद्धाःपु ख) करा भमंजन
करनप्रे वरालरा तररा शश्री रराम पप्रेम रूपश्री चन्दमरा करा सरार (अममृत) हहै॥4॥
छन्द :
* हसय रराम पप्रेम हपयपूष पपूरन हगोत जनमपु न भरत कगो।
मपुहन मन अगम जम हनयम सम दम हबषम ब्रत आचरत कगो॥
दख पु दराह दराररद दमंभ दषपू न सपुजस हमस अपहरत कगो।
कहलकराल तपुलसश्री सप्रे सठहन्ह हहठ रराम सनमपुख करत कगो॥
भरावरारर्ण:-शश्री सश्रीतराररामजश्री कप्रे पप्रेमरूपश्री अममृत सप्रे पररपपूरर्ण भरतजश्री करा जन्म यहद न हगोतरा,
तगो मपुहनयर कप्रे मन कगो भश्री अगम यम, हनयम, शम, दम आहद कहठन व्रतर करा
आचरर करौन करतरा? दद्धाःपु ख, समंतराप, दररदतरा, दम्भ आहद दगोषर कगो अपनप्रे सपुयश
कप्रे बहरानप्रे करौन हरर करतरा? तररा कहलकराल ममें तपुलसश्रीदरास जहैसप्रे शठर कगो हठपपूवर्णक
करौन शश्री ररामजश्री कप्रे सम्मपुख करतरा?
सगोरठरा :
* भरत चररत करर नप्रेमपु तपुलसश्री जगो सरादर सपुनहहमं।
सश्रीय रराम पद पप्रेमपु अवहस हगोइ भव रस हबरहत॥326॥
भरावरारर्ण:-तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं- जगो कगोई भरतजश्री कप्रे चररत्र कगो हनयम सप्रे आदरपपूवर्णक
सपुनमेंगप्रे, उनकगो अवश्य हश्री शश्रीसश्रीतराररामजश्री कप्रे चररर ममें पप्रेम हगोगरा और सरामंसराररक हवषय
रस सप्रे वहैरराग्य हगोगरा॥326॥

मरासपराररायर, इक्ककीसवराहूँ हवशराम

इहत शश्रीमदरामचररतमरानसप्रे सकलकहलकलपुषहवध्वमंसनप्रे हदतश्रीयद्धाः सगोपरानद्धाः समराप्तद्धाः। कहलय गपु कप्रे


सम्पपूरर्ण परापर कगो हवध्वमंस करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररत मरानस करा यह द स पू ररा सगोपरान समराप्त
हह आ॥
अयगोध्यराकराण्ड समराप्त
शश्री र रामचररतमरानस
अरण्यकराण्ड
तमृतश्रीय सगोपरान-ममंगलराचरर
श्लगोक :
* मपूलमं धमर्णतरगोहवर्णवप्रेकजलधप्रेद्धाः पपूरर्देन्दमपु रानन्ददमं
वहैरराग्यराम्बपुजभरास्करमं ह्यघघनध्वरान्तरापहमं तरापहमम।
मगोहराम्भगोधरपपूगपराटनहवधरौ स्वद्धाःसम्भवमं शमंकरमं
वमंदप्रे ब्रहकपु लमं कलमंकशमनमं शश्री ररामभपूपहपयमम॥1॥
भरावरारर्ण:-धमर्ण रूपश्री वमृक्ष कप्रे मपूल, हववप्रेक रूपश्री समपुद कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे पपूरर्णचन्द, वहैरराग्य रूपश्री
कमल कप्रे (हवकहसत करनप्रे वरालप्रे) सपूयर्ण, पराप रूपश्री घगोर अमंधकरार कगो हनश्चय हश्री हमटरानप्रे वरालप्रे,
तश्रीनर तरापर कगो हरनप्रे वरालप्रे, मगोह रूपश्री बरादलर कप्रे समपूह कगो हछन्न-हभन्न करनप्रे ककी हवहध (हकयरा) ममें
आकराश सप्रे उत्पन्न पवन स्वरूप, ब्रहराजश्री कप्रे वमंशज (आत्मज) तररा कलमंकनराशक, महरारराज शश्री
ररामचन्दजश्री कप्रे हपय शश्री शमंकरजश्री ककी ममैं वमंदनरा करतरा हह हूँ॥1॥
* सरान्दरानन्दपयगोदसरौभगतनपुमं पश्रीतराम्बरमं सपुदमं रमं
पराररौ बरारशररासनमं कहटलसरपूरश्रीरभरारमं वरमम।
रराजश्रीवरायतलगोचनमं धमृतजटराजपूटप्रेन समंशगोहभतमं
सश्रीतरालक्ष्मरसमंयतपु मं पहरगतमं ररामराहभरराममं भजप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा शरश्रीर जलयक्त पु मप्रेघर कप्रे समरान सपुदमं र (श्यरामवरर्ण) एवमं आनमंदघन हहै, जगो सपुदमं र
(वल्कल करा) पश्रीत वस्त्र धरारर हकए हमैं, हजनकप्रे हरारर ममें बरार और धनपुष हमैं, कमर उरम तरकस
कप्रे भरार सप्रे सपुशगोहभत हहै, कमल कप्रे समरान हवशराल नप्रेत्र हमैं और मस्तक पर जटराजपूट धरारर हकए हमैं,
उन अत्यन्त शगोभरायमरान शश्री सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री सहहत मरागर्ण ममें चलतप्रे हह ए आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे
शश्री ररामचन्दजश्री कगो ममैं भजतरा हह॥हूँ 2॥
सगोरठरा :
* उमरा रराम गपुन गपूढ पमंहडत मपुहन परावहहमं हबरहत।
परावहहमं मगोह हबमपूढ जप्रे हरर हबमपुख न धमर्ण रहत॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर गपूढ हमैं, पहण्डत और मपुहन उन्हमें समझकर वहैरराग्य पराप्त
करतप्रे हमैं, परन्तपु जगो भगवरान सप्रे हवमपुख हमैं और हजनकरा धमर्ण ममें पप्रेम नहहीं हहै , वप्रे महरामपूढ (उन्हमें
सपुनकर) मगोह कगो पराप्त हगोतप्रे हमैं।
*चरौपराई :
पपुर नर भरत पश्रीहत ममैं गराई। महत अनपुरूप अनपूप सपुहराई॥
अब पभपु चररत सपुनहह अहत परावन। करत जप्रे बन सपुर नर मपुहन भरावन॥1॥
भरावरारर्ण:-पपुरवराहसयर कप्रे और भरतजश्री कप्रे अनपुपम और सपुदमं र पप्रेम करा ममैंनप्रे अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार
गरान हकयरा। अब दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहनयर कप्रे मन कगो भरानप्रे वरालप्रे पभपु शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे वप्रे
अत्यन्त पहवत्र चररत्र सपुनगो, हजन्हमें वप्रे वन ममें कर रहप्रे हहै

जयमंत ककी कपु हटलतरा और फिल पराहप्त


* एक बरार चपुहन कपु सपुम सपुहराए। हनज कर भपूषन रराम बनराए॥
सश्रीतहह पहहरराए पभपु सरादर। बहैठप्रे फिहटक हसलरा पर सपुमंदर॥2॥
भरावरारर्ण:-एक बरार सपुदमं र फिपूल चपुनकर शश्री ररामजश्री नप्रे अपनप्रे हरारर सप्रे भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे गहनप्रे बनराए
और सपुदमं र स्फिहटक हशलरा पर बहैठप्रे हह ए पभपु नप्रे आदर कप्रे सरार वप्रे गहनप्रे शश्री सश्रीतराजश्री कगो पहनराए॥2॥
* सपुरपहत सपुत धरर बरायस बप्रेषरा। सठ चराहत रघपुपहत बल दप्रेखरा॥
हजहम हपपश्रीहलकरा सरागर रराहरा। महरा ममंदमहत परावन चराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवरराज इन्द करा मपूखर्ण पपुत्र जयन्त करौए करा रूप धरकर शश्री रघपुनरारजश्री करा बल दप्रेखनरा
चराहतरा हहै। जहैसप्रे महरान ममंदबपुहद चहींटश्री समपुद करा रराह परानरा चराहतश्री हगो॥ 3॥
*सश्रीतरा चरन चरच हहत भरागरा। मपूढ ममंदमहत करारन करागरा॥
चलरा रहधर रघपुनरायक जरानरा। सहींक धनपुष सरायक समंधरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वह मपूढ, ममंदबपुहद करारर सप्रे (भगवरान कप्रे बल ककी परश्रीक्षरा करनप्रे कप्रे हलए) बनरा हहआ
करौआ सश्रीतराजश्री कप्रे चररर ममें चरच मरारकर भरागरा। जब रक्त बह चलरा, तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे जरानरा
और धनपुष पर सहींक (सरकमंडप्रे) करा बरार समंधरान हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* अहत कमृ पराल रघपुनरायक सदरा दश्रीन पर नप्रेह।
तरा सन आइ ककीन्ह छलपु मपूरख अवगपुन गप्रेह॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री, जगो अत्यन्त हश्री कमृ परालपु हमैं और हजनकरा दश्रीनर पर सदरा पप्रेम रहतरा हहै,
उनसप्रे भश्री उस अवगपुरर कप्रे घर मपूखर्ण जयन्त नप्रे आकर छल हकयरा॥1॥
चरौपराई :
*पप्रेररत ममंत्र ब्रहसर धरावरा। चलरा भराहज बरायस भय परावरा॥
धरर हनज रूप गयउ हपतपु पराहहीं। रराम हबमपुख रराखरा तप्रेहह नराहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममंत्र सप्रे पप्रेररत हगोकर वह ब्रहबरार दरौडरा। करौआ भयभश्रीत हगोकर भराग चलरा। वह अपनरा
असलश्री रूप धरकर हपतरा इन्द कप्रे परास गयरा, पर शश्री ररामजश्री करा हवरगोधश्री जरानकर इन्द नप्रे उसकगो
नहहीं रखरा॥1॥
*भरा हनररास उपजश्री मन त्ररासरा। जररा चक भय ररहष दबपु रार्णसरा॥
ब्रहधराम हसवपपुर सब लगोकरा। हफिररा शहमत ब्यराकपुल भय सगोकरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब वह हनरराश हगो गयरा, उसकप्रे मन ममें भय उत्पन्न हगो गयरा, जहैसप्रे दवपु रार्णसरा ऋहष कगो चक
सप्रे भय हहआ ररा। वह ब्रहलगोक, हशवलगोक आहद समस्त लगोकर ममें रकरा हहआ और भय-शगोक सप्रे
व्यराकपुल हगोकर भरागतरा हफिररा॥2॥
*कराहहहूँ बहैठन कहरा न ओहश्री। रराहख कगो सकइ रराम कर दगोहश्री ॥
मरातपु ममृत्यपु हपतपु समन समरानरा। सपुधरा हगोइ हबष सपुनपु हररजरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(पर रखनरा तगो दरपू रहरा) हकसश्री नप्रे उसप्रे बहैठनप्रे तक कप्रे हलए नहहीं कहरा। शश्री ररामजश्री कप्रे दगोहश्री
कगो करौन रख सकतरा हहै? (कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) हहै गरड ! सपुहनए, उसकप्रे हलए मरातरा
ममृत्यपु कप्रे समरान, हपतरा यमरराज कप्रे समरान और अममृत हवष कप्रे समरान हगो जरातरा हहै॥3॥
*हमत्र करइ सत ररपपु कहै करनश्री। तरा कहहूँ हबबपुधनदश्री बहैतरनश्री॥
सब जगपु तराहह अनलहह तप्रे तरातरा। जगो रघपुबश्रीर हबमपुख सपुनपु ररातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हमत्र सहैकडर शत्रपुओमं ककी सश्री करनश्री करनप्रे लगतरा हहै। दप्रेवनदश्री गमंगराजश्री उसकप्रे हलए वहैतररश्री
(यमपपुरश्री ककी नदश्री) हगो जरातश्री हहै। हप्रे भराई! सपुहनए, जगो शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हवमपुख हगोतरा हहै, समस्त
जगत उनकप्रे हलए अहग्नि सप्रे भश्री अहधक गरम (जलरानप्रे वरालरा) हगो जरातरा हहै॥4॥
*नरारद दप्रेखरा हबकल जयमंतरा। लहग दयरा कगोमल हचत समंतरा॥
पठवरा तपुरत रराम पहहमं तराहश्री। कहप्रेहस पपुकरारर पनत हहत पराहश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-नरारदजश्री नप्रे जयन्त कगो व्यराकपुल दप्रेखरा तगो उन्हमें दयरा आ गई, क्यरहक समंतर करा हचर बडरा
कगोमल हगोतरा हहै। उन्हरनप्रे उसप्रे (समझराकर) तपुरमंत शश्री ररामजश्री कप्रे परास भप्रेज हदयरा। उसनप्रे (जराकर)
पपुकरारकर कहरा- हप्रे शरररागत कप्रे हहतकरारश्री! मप्रेरश्री रक्षरा ककीहजए॥5॥
*आतपुर सभय गहप्रेहस पद जराई। त्रराहह त्रराहह दयराल रघपुरराई॥
अतपुहलत बल अतपुहलत पभपुतराई। ममैं महतममंद जराहन नहहीं पराई॥6॥
भरावरारर्ण:-आतपुर और भयभश्रीत जयन्त नप्रे जराकर शश्री ररामजश्री कप्रे चरर पकड हलए (और कहरा-) हप्रे
दयरालपु रघपुनरारजश्री! रक्षरा ककीहजए, रक्षरा ककीहजए। आपकप्रे अतपुहलत बल और आपककी अतपुहलत
पभपुतरा (सरामथ्यर्ण) कगो ममैं मन्दबपुहद जरान नहहीं परायरा ररा॥6॥
*हनज कमृ त कमर्ण जहनत फिल परायउहूँ। अब पभपु पराहह सरन तहक आयउहूँ॥
सपुहन कमृ पराल अहत आरत बरानश्री। एकनयन करर तजरा भवरानश्री॥7॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे कमर्ण सप्रे उत्पन्न हहआ फिल ममैंनप्रे परा हलयरा। अब हप्रे पभपु! मप्रेरश्री रक्षरा ककीहजए। ममैं आपककी
शरर तक कर आयरा हह हूँ। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! कमृ परालपु शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उसककी अत्यमंत
आरर्ण (दद्धाःपु ख भरश्री) वरारश्री सपुनकर उसप्रे एक आहूँख करा करानरा करकप्रे छगोड हदयरा॥7॥
सगोरठरा :
*ककीन्ह मगोह बस दगोह जद्यहप तप्रेहह कर बध उहचत।
पभपु छराडप्रेउ करर छगोह कगो कमृ पराल रघपुबश्रीर सम॥2॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे मगोहवश दगोह हकयरा ररा, इसहलए यद्यहप उसकरा वध हश्री उहचत ररा, पर पभपु नप्रे
कमृ परा करकप्रे उसप्रे छगोड हदयरा। शश्री ररामजश्री कप्रे समरान कमृ परालपु और करौन हगोगरा?॥2॥
चरौपराई :
*रघपुपहत हचत्रकपू ट बहस नरानरा। चररत हकए शपुहत सपुधरा समरानरा॥
बहह रर रराम अस मन अनपुमरानरा। हगोइहह भश्रीर सबहहमं मगोहह जरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हचत्रकपू ट ममें बसकर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे बहह त सप्रे चररत्र हकए, जगो करानर कगो अममृत कप्रे समरान
(हपय) हमैं। हफिर (कपु छ समय पश्चरात) शश्री ररामजश्री नप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक मपुझप्रे सब लगोग
जरान गए हमैं, इससप्रे (यहराहूँ) बडश्री भश्रीड हगो जराएगश्री॥1॥

अहत्र हमलन एवमं स्तपुहत


* सकल मपुहनन्ह सन हबदरा करराई। सश्रीतरा सहहत चलप्रे दरौ भराई॥
अहत्र कप्रे आशम जब पभपु गयऊ। सपुनत महरामपुहन हरहषत भयऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-(इसहलए) सब मपुहनयर सप्रे हवदरा लप्रेकर सश्रीतराजश्री सहहत दगोनर भराई चलप्रे! जब पभपु
अहत्रजश्री कप्रे आशम ममें गए, तगो उनकरा आगमन सपुनतप्रे हश्री महरामपुहन हहषर्णत हगो गए॥2॥
* पपुलहकत गरात अहत्र उहठ धराए। दप्रेहख ररामपु आतपुर चहल आए॥
करत दमंडवत मपुहन उर लराए। पप्रेम बरारर दरौ जन अन्हवराए॥3॥
भरावरारर्ण:-शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा, अहत्रजश्री उठकर दरौडप्रे। उन्हमें दरौडप्रे आतप्रे दप्रेखकर शश्री ररामजश्री और
भश्री शश्रीघ्रतरा सप्रे चलप्रे आए। दण्डवत करतप्रे हह ए हश्री शश्री ररामजश्री कगो (उठराकर) मपुहन नप्रे हृदय सप्रे लगरा
हलयरा और पप्रेमराशपुओमं कप्रे जल सप्रे दगोनर जनर कगो (दगोनर भराइयर कगो) नहलरा हदयरा॥3॥
*दप्रेहख रराम छहब नयन जपुडरानप्रे। सरादर हनज आशम तब आनप्रे॥
करर पपूजरा कहह बचन सपुहराए। हदए मपूल फिल पभपु मन भराए॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री ककी छहव दप्रेखकर मपुहन कप्रे नप्रेत्र शश्रीतल हगो गए। तब वप्रे उनकगो आदरपपूवर्णक अपनप्रे
आशम ममें लप्रे आए। पपूजन करकप्रे सपुदमं र वचन कहकर मपुहन नप्रे मपूल और फिल हदए, जगो पभपु कप्रे मन
कगो बहह त रचप्रे॥4॥
सगोरठरा :
* पभपु आसन आसश्रीन भरर लगोचन सगोभरा हनरहख।
मपुहनबर परम पबश्रीन जगोरर पराहन अस्तपुहत करत॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु आसन पर हवरराजमरान हमैं। नप्रेत्र भरकर उनककी शगोभरा दप्रेखकर परम पवश्रीर मपुहन शप्रेष
हरार जगोडकर स्तपुहत करनप्रे लगप्रे॥3॥
छन्द :
*नमराहम भक्त वत्सलमं। कमृ परालपु शश्रील कगोमलमं॥
भजराहम तप्रे पदरामंबपुजमं। अकराहमनरामं स्वधरामदमं॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भक्त वत्सल! हप्रे कमृ परालपु! हप्रे कगोमल स्वभराव वरालप्रे! ममैं आपकगो नमस्करार करतरा हह हूँ।
हनष्कराम पपुरषर कगो अपनरा परमधराम दप्रेनप्रे वरालप्रे आपकप्रे चरर कमलर कगो ममैं भजतरा हह हूँ॥1॥
*हनकराम श्यराम सपुमंदरमं। भवरामंबपुनरार ममंदरमं॥
पफिपु ल्ल कमंज लगोचनमं। मदराहद दगोष मगोचनमं॥2॥
भरावरारर्ण:-आप हनतरान्त सपुदमं र श्यराम, समंसरार (आवरागमन) रूपश्री समपुद कगो मरनप्रे कप्रे हलए ममंदरराचल
रूप, फिपूलप्रे हह ए कमल कप्रे समरान नप्रेत्रर वरालप्रे और मद आहद दगोषर सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे हमैं॥2॥
*पलमंब बराहह हवकममं। पभगोऽपमप्रेय वहैभवमं॥
हनषमंग चराप सरायकमं। धरमं हत्रलगोक नरायकमं॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! आपककी लमंबश्री भपुजराओमं करा परराकम और आपकरा ऐश्वयर्ण अपमप्रेय (बपुहद कप्रे परप्रे
अरवरा असश्रीम) हहै। आप तरकस और धनपुष-बरार धरारर करनप्रे वरालप्रे तश्रीनर लगोकर कप्रे स्वरामश्री,॥3॥
*हदनप्रेश वमंश ममंडनमं। महप्रेश चराप खमंडनमं॥
मपुनहींद समंत रमंजनमं। सपुररारर वमृदमं भमंजनमं॥4॥
भरावरारर्ण:-सपूयवर्ण मंश कप्रे भपूषर, महरादवप्रे जश्री कप्रे धनपुष कगो तगोडनप्रे वरालप्रे, मपुहनरराजर और समंतर कगो आनमंद
दप्रेनप्रे वरालप्रे तररा दप्रेवतराओमं कप्रे शत्रपु असपुरर कप्रे समपूह करा नराश करनप्रे वरालप्रे हमैं॥4॥
*मनगोज वहैरर वमंहदतमं। अजराहद दप्रेव सप्रेहवतमं॥
हवशपुद बगोध हवगहमं। समस्त दषपू ररापहमं॥5॥
भरावरारर्ण:-आप करामदप्रेव कप्रे शत्रपु महरादप्रेवजश्री कप्रे दराररा वमंहदत, ब्रहरा आहद दप्रेवतराओमं सप्रे सप्रेहवत, हवशपुद
जरानमय हवगह और समस्त दगोषर कगो नष्टि करनप्रे वरालप्रे हमैं॥5॥
*नमराहम इमंहदररा पहतमं। सपुखराकरमं सतरामं गहतमं॥
भजप्रे सशहक्त सरानपुजमं। शचश्री पहत हपयरानपुजमं॥6॥
भरावरारर्ण:-हप्रे लक्ष्मश्रीपतप्रे! हप्रे सपुखर ककी खरान और सत्पपुरषर ककी एकमरात्र गहत! ममैं आपकगो नमस्करार
करतरा हह हूँ! हप्रे शचश्रीपहत (इन्द) कप्रे हपय छगोटप्रे भराई (वरामनजश्री)! स्वरूपरा-शहक्त शश्री सश्रीतराजश्री और
छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत आपकगो ममैं भजतरा हह॥हूँ 6॥
*त्वदमंहघ्र मपूल यप्रे नरराद्धाः। भजमंहत हश्रीन मत्सरराद्धाः॥
पतमंहत नगो भवरारर्णवप्रे। हवतकर्ण वश्रीहच समंकपुलप्रे॥7॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य मत्सर (डराह) रहहत हगोकर आपकप्रे चरर कमलर करा सप्रेवन करतप्रे हमैं, वप्रे तकर्ण-
हवतकर्ण (अनप्रेक पकरार कप्रे समंदप्रेह) रूपश्री तरमंगर सप्रे पपूरर्ण समंसरार रूपश्री समपुद ममें नहहीं हगरतप्रे (आवरागमन
कप्रे चक्कर ममें नहहीं पडतप्रे)॥7॥
*हवहवक्त वराहसनद्धाः सदरा। भजमंहत मपुक्तयप्रे मपुदरा॥
हनरस्य इमंहदयराहदकमं। पयरामंहततप्रे गहतमं स्वकमं॥8॥
भरावरारर्ण:-जगो एकरान्तवरासश्री पपुरष मपुहक्त कप्रे हलए, इहन्दयराहद करा हनगह करकप्रे (उन्हमें हवषयर सप्रे
हटराकर) पसन्नतरापपूवर्णक आपकगो भजतप्रे हमैं, वप्रे स्वककीय गहत कगो (अपनप्रे स्वरूप कगो) पराप्त हगोतप्रे हमैं॥
8॥
*तमप्रेकमद्भतपु मं पभपुमं। हनरश्रीहमश्रीश्वरमं हवभपुमं॥
जगदरपु मं च शराश्वतमं। तपुरश्रीयमप्रेव कप्रे वलमं॥9॥
भरावरारर्ण:-उन (आप) कगो जगो एक (अहदतश्रीय), अद्भतपु (मराहयक जगत सप्रे हवलक्षर), पभपु
(सवर्णसमरर्ण), इच्छरारहहत, ईश्वर (सबकप्रे स्वरामश्री), व्यरापक, जगदरपु , सनरातन (हनत्य), तपुरश्रीय
(तश्रीनर गपुरर सप्रे सवर्णररा परप्रे) और कप्रे वल (अपनप्रे स्वरूप ममें हस्रत) हमैं॥9॥
*भजराहम भराव वल्लभमं। कपु यगोहगनरामं सपुदल
पु र्णभमं॥
स्वभक्त कल्प परादपमं। सममं सपुसप्रेव्यमन्वहमं॥10॥
भरावरारर्ण:-(तररा) जगो भरावहपय, कपु यगोहगयर (हवषयश्री पपुरषर) कप्रे हलए अत्यन्त दल पु र्णभ, अपनप्रे भक्तर
कप्रे हलए कल्पवमृक्ष (अररार्णतम उनककी समस्त करामनराओमं कगो पपूरर्ण करनप्रे वरालप्रे), सम (पक्षपरातरहहत)
और सदरा सपुखपपूवर्णक सप्रेवन करनप्रे यगोग्य हमैं, ममैं हनरमंतर भजतरा हह॥हूँ 10॥
*अनपूप रूप भपूपहतमं। नतगोऽहमपुहवर्णजरा पहतमं॥
पसश्रीद मप्रे नमराहम तप्रे। पदराब्ज भहक्त दप्रेहह मप्रे॥11॥
भरावरारर्ण:-हप्रे अनपुपम सपुदमं र! हप्रे पमृथ्वश्रीपहत! हप्रे जरानककीनरार! ममैं आपकगो परराम करतरा हह।हूँ मपुझ पर
पसन्न हगोइए, ममैं आपकगो नमस्करार करतरा हह हूँ। मपुझप्रे अपनप्रे चरर कमलर ककी भहक्त दश्रीहजए॥11॥
*पठमंहत यप्रे स्तवमं इदमं। नररादरप्रेर तप्रे पदमं॥
व्रजमंहत नरात्र समंशयमं। त्वदश्रीय भहक्त समंयतपु राद्धाः॥12॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य इस स्तपुहत कगो आदरपपूवर्णक पढतप्रे हमैं, वप्रे आपककी भहक्त सप्रे यक्त
पु हगोकर आपकप्रे
परम पद कगो पराप्त हगोतप्रे हमैं, इसममें समंदप्रेह नहहीं॥12॥
दगोहरा :
*हबनतश्री करर मपुहन नराइ हसर कह कर जगोरर बहगोरर।
चरन सरगोरह नरार जहन कबहह हूँ तजहै महत मगोरर॥4॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे (इस पकरार) हवनतश्री करकप्रे और हफिर हसर नवराकर, हरार जगोडकर कहरा- हप्रे
नरार! मप्रेरश्री बपुहद आपकप्रे चरर कमलर कगो कभश्री न छगोडप्रे॥4॥

शश्री सश्रीतरा-अनसपूयरा हमलन और शश्री सश्रीतराजश्री कगो अनसपूयराजश्री करा पहतव्रत धमर्ण कहनरा
चरौपराई :
* अनपुसपुइयरा कप्रे पद गहह सश्रीतरा। हमलश्री बहगोरर सपुसश्रील हबनश्रीतरा॥
ररहषपहतनश्री मन सपुख अहधकराई। आहसष दप्रेइ हनकट बहैठराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर परम शश्रीलवतश्री और हवनम्र शश्री सश्रीतराजश्री अनसपूयराजश्री (आहत्रजश्री ककी पत्नश्री) कप्रे चरर
पकडकर उनसप्रे हमलहीं। ऋहष पत्नश्री कप्रे मन ममें बडरा सपुख हहआ। उन्हरनप्रे आशश्रीष दप्रेकर सश्रीतराजश्री कगो
परास बहैठरा हलयरा॥1॥
* हदब्य बसन भपूषन पहहरराए। जप्रे हनत नपूतन अमल सपुहराए॥
कह ररहषबधपू सरस ममृद पु बरानश्री। नराररधमर्ण कछपु ब्यराज बखरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-और उन्हमें ऐसप्रे हदव्य वस्त्र और आभपूषर पहनराए, जगो हनत्य-नए हनमर्णल और सपुहरावनप्रे बनप्रे
रहतप्रे हमैं। हफिर ऋहष पत्नश्री उनकप्रे बहरानप्रे मधपुर और कगोमल वरारश्री सप्रे हस्त्रयर कप्रे कपु छ धमर्ण बखरान कर
कहनप्रे लगहीं॥2॥
*मरातपु हपतरा ररातरा हहतकरारश्री। हमतपद सब सपुनपु रराजकपु मरारश्री॥
अहमत दराहन भतरार्ण बयदप्रेहश्री। अधम सगो नरारर जगो सप्रेव न तप्रेहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रराजकपु मरारश्री! सपुहनए- मरातरा, हपतरा, भराई सभश्री हहत करनप्रे वरालप्रे हमैं, परन्तपु यप्रे सब एक
सश्रीमरा तक हश्री (सपुख) दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, परन्तपु हप्रे जरानककी! पहत तगो (मगोक्ष रूप) असश्रीम (सपुख) दप्रेनप्रे
वरालरा हहै। वह स्त्रश्री अधम हहै, जगो ऐसप्रे पहत ककी सप्रेवरा नहहीं करतश्री॥3॥
* धश्रीरज धमर्ण हमत्र अर नरारश्री। आपद कराल पररहखअहहमं चरारश्री॥
बमृद रगोगबस जड धनहश्रीनरा। अमंध बहधर कगोधश्री अहत दश्रीनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-धहैयर्ण, धमर्ण, हमत्र और स्त्रश्री- इन चरारर ककी हवपहर कप्रे समय हश्री परश्रीक्षरा हगोतश्री हहै। वमृद,
रगोगश्री, मपूखर्ण, हनधर्णन, अमंधरा, बहररा, कगोधश्री और अत्यन्त हश्री दश्रीन-॥4॥
*ऐसप्रेहह पहत कर हकएहूँ अपमरानरा। नरारर पराव जमपपुर दख
पु नरानरा॥
एकइ धमर्ण एक ब्रत नप्रेमरा। करायहूँ बचन मन पहत पद पप्रेमरा॥5॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे भश्री पहत करा अपमरान करनप्रे सप्रे स्त्रश्री यमपपुर ममें भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे दद्धाःपु ख परातश्री हहै। शरश्रीर,
वचन और मन सप्रे पहत कप्रे चररर ममें पप्रेम करनरा स्त्रश्री कप्रे हलए, बस यह एक हश्री धमर्ण हहै, एक हश्री व्रत
हहै और एक हश्री हनयम हहै॥5॥
*जग पहतब्रतरा चरारर हबहध अहहहीं। बप्रेद पपुररान समंत सब कहहहीं॥
उरम कप्रे अस बस मन मराहहीं। सपनप्रेहहहूँ आन पपुरष जग नराहहीं॥6॥
भरावरारर्ण:-जगत ममें चरार पकरार ककी पहतव्रतराएहूँ हमैं। वप्रेद, पपुररार और समंत सब ऐसरा कहतप्रे हमैं हक उरम
शप्रेरश्री ककी पहतव्रतरा कप्रे मन ममें ऐसरा भराव बसरा रहतरा हहै हक जगत ममें (मप्रेरप्रे पहत कगो छगोडकर) दस
पू ररा
पपुरष स्वप्न ममें भश्री नहहीं हहै॥6॥
*मध्यम परपहत दप्रेखइ कहै समें। ररातरा हपतरा पपुत्र हनज जहैसमें॥
धमर्ण हबचरारर समपुहझ कपु ल रहई। सगो हनहकष्टि हत्रय शपुहत अस कहई॥7॥
भरावरारर्ण:-मध्यम शप्रेरश्री ककी पहतव्रतरा परराए पहत कगो कहै सप्रे दप्रेखतश्री हहै, जहैसप्रे वह अपनरा सगरा भराई,
हपतरा यरा पपुत्र हगो (अररार्णत समरान अवस्ररा वरालप्रे कगो वह भराई कप्रे रूप ममें दप्रेखतश्री हहै, बडप्रे कगो हपतरा कप्रे
रूप ममें और छगोटप्रे कगो पपुत्र कप्रे रूप ममें दप्रेखतश्री हहै।) जगो धमर्ण कगो हवचरारकर और अपनप्रे कपु ल ककी मयरार्णदरा
समझकर बचश्री रहतश्री हहै, वह हनकमृ ष्टि (हनम्न शप्रेरश्री ककी) स्त्रश्री हहै, ऐसरा वप्रेद कहतप्रे हमैं॥7॥
*हबनपु अवसर भय तमें रह जगोई। जरानप्रेहह अधम नरारर जग सगोई॥
पहत बमंचक परपहत रहत करई। ररौरव नरक कल्प सत परई॥8॥
भरावरारर्ण:-और जगो स्त्रश्री मरौकरा न हमलनप्रे सप्रे यरा भयवश पहतव्रतरा बनश्री रहतश्री हहै , जगत ममें उसप्रे अधम
स्त्रश्री जराननरा। पहत कगो धगोखरा दप्रेनप्रे वरालश्री जगो स्त्रश्री परराए पहत सप्रे रहत करतश्री हहै , वह तगो सरौ कल्प तक
ररौरव नरक ममें पडश्री रहतश्री हहै॥8॥
*छन सपुख लराहग जनम सत कगोटश्री। दख
पु न समपुझ तप्रेहह सम कगो खगोटश्री॥
हबनपु शम नरारर परम गहत लहई। पहतब्रत धमर्ण छराहड छल गहई॥9॥
भरावरारर्ण:-क्षरभर कप्रे सपुख कप्रे हलए जगो सरौ करगोड (असमंख्य) जन्मर कप्रे दद्धाःपु ख कगो नहहीं समझतश्री,
उसकप्रे समरान दष्टिपु रा करौन हगोगश्री। जगो स्त्रश्री छल छगोडकर पहतव्रत धमर्ण कगो गहर करतश्री हहै , वह हबनरा हश्री
पररशम परम गहत कगो पराप्त करतश्री हहै॥9॥
*पहत पहतकपू ल जनम जहहूँ जराई। हबधवरा हगोइ पराइ तरनराई॥10॥
भरावरारर्ण:-हकन्तपु जगो पहत कप्रे पहतकपू ल चलतश्री हहै, वह जहराहूँ भश्री जराकर जन्म लप्रेतश्री हहै, वहहीं जवरानश्री
पराकर (भरश्री जवरानश्री ममें) हवधवरा हगो जरातश्री हहै॥10॥
सगोरठरा :
* सहज अपरावहन नरारर पहत सप्रेवत सपुभ गहत लहइ।
जसपु गरावत शपुहत चरारर अजहह हूँ तपुलहसकरा हररहह हपय॥5 क॥
भरावरारर्ण:-स्त्रश्री जन्म सप्रे हश्री अपहवत्र हहै, हकन्तपु पहत ककी सप्रेवरा करकप्रे वह अनरायरास हश्री शपुभ गहत पराप्त
कर लप्रेतश्री हहै। (पहतव्रत धमर्ण कप्रे करारर हश्री) आज भश्री 'तपुलसश्रीजश्री' भगवरान कगो हपय हमैं और चरारर
वप्रेद उनकरा यश गरातप्रे हमैं॥5 (क)॥
*सपुनपु सश्रीतरा तव नराम सपुहमरर नरारर पहतब्रत करहहमं।
तगोहह परानहपय रराम कहहउहूँ कररा समंसरार हहत॥5 ख॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सश्रीतरा! सपुनगो, तपुम्हराररा तगो नराम हश्री लप्रे-लप्रेकर हस्त्रयराहूँ पहतव्रत धमर्ण करा परालन करमेंगश्री।
तपुम्हमें तगो शश्री ररामजश्री परारर कप्रे समरान हपय हमैं, यह (पहतव्रत धमर्ण ककी) कररा तगो ममैंनप्रे समंसरार कप्रे हहत
कप्रे हलए कहश्री हहै॥5 (ख)॥
चरौपराई :
* सपुहन जरानककीमं परम सपुखपु परावरा। सरादर तरासपु चरन हसर नरावरा॥
तब मपुहन सन कह कमृ पराहनधरानरा। आयसपु हगोइ जराउहूँ बन आनरा॥1॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री नप्रे सपुनकर परम सपुख परायरा और आदरपपूवर्णक उनकप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। तब
कमृ परा ककी खरान शश्री ररामजश्री नप्रे मपुहन सप्रे कहरा- आजरा हगो तगो अब दस
पू रप्रे वन ममें जराऊहूँ॥1॥
*समंतत मगो पर कमृ परा करप्रेहह। सप्रेवक जराहन तजप्रेहह जहन नप्रेहह॥
धमर्ण धपुरधमं र पभपु कहै बरानश्री। सपुहन सपप्रेम बगोलप्रे मपुहन ग्यरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-मपुझ पर हनरमंतर कमृ परा करतप्रे रहहएगरा और अपनरा सप्रेवक जरानकर स्नप्रेह न छगोहडएगरा। धमर्ण
धपुरधमं र पभपु शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सपुनकर जरानश्री मपुहन पप्रेमपपूवर्णक बगोलप्रे-॥2॥
*जरासपु कमृ परा अज हसव सनकरादश्री। चहत सकल परमरारर बरादश्री॥
तप्रे तपुम्ह रराम अकराम हपआरप्रे। दश्रीन बमंधपु ममृद पु बचन उचरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा, हशव और सनकराहद सभश्री परमरारर्णवरादश्री (तत्ववप्रेररा) हजनककी कमृ परा चराहतप्रे हमैं, हप्रे
ररामजश्री! आप वहश्री हनष्कराम पपुरषर कप्रे भश्री हपय और दश्रीनर कप्रे बमंधपु भगवरान हमैं, जगो इस पकरार
कगोमल वचन बगोल रहप्रे हमैं॥3॥
*अब जरानश्री ममैं शश्री चतपुरराई। भजश्री तपुम्हहह सब दप्रेव हबहराई॥
जप्रेहह समरान अहतसय नहहमं कगोई। तरा कर सश्रील कस न अस हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-अब ममैंनप्रे लक्ष्मश्रीजश्री ककी चतपुरराई समझश्री, हजन्हरनप्रे सब दप्रेवतराओमं कगो छगोडकर आप हश्री कगो
भजरा। हजसकप्रे समरान (सब बरातर ममें) अत्यन्त बडरा और कगोई नहहीं हहै, उसकरा शश्रील भलरा, ऐसरा
क्यर न हगोगरा?॥4॥
*कप्रे हह हबहध कहजौं जराहह अब स्वरामश्री। कहहह नरार तपुम्ह अमंतरजरामश्री॥
अस कहह पभपु हबलगोहक मपुहन धश्रीररा। लगोचन जल बह पपुलक सरश्रीररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-ममैं हकस पकरार कहह हूँ हक हप्रे स्वरामश्री! आप अब जराइए? हप्रे नरार! आप अन्तयरार्णमश्री हमैं,
आप हश्री कहहए। ऐसरा कहकर धश्रीर मपुहन पभपु कगो दप्रेखनप्रे लगप्रे। मपुहन कप्रे नप्रेत्रर सप्रे (पप्रेमराशपुओमं करा) जल
बह रहरा हहै और शरश्रीर पपुलहकत हहै॥5॥
छन्द :
* तन पपुलक हनभर्णर पप्रेम पपूरन नयन मपुख पमंकज हदए।
मन ग्यरान गपुन गगोतश्रीत पभपु ममैं दश्रीख जप तप करा हकए॥
जप जगोग धमर्ण समपूह तमें नर भगहत अनपुपम परावई।
रघपुबश्रीर चररत पपुनश्रीत हनहस हदन दरास तपुलसश्री गरावई॥
भरावरारर्ण:-मपुहन अत्यन्त पप्रेम सप्रे पपूरर्ण हमैं, उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हहै और नप्रेत्रर कगो शश्री ररामजश्री कप्रे
मपुखकमल ममें लगराए हह ए हमैं। (मन ममें हवचरार रहप्रे हमैं हक) ममैंनप्रे ऐसप्रे करौन सप्रे जप-तप हकए रप्रे, हजसकप्रे
करारर मन, जरान, गपुर और इहन्दयर सप्रे परप्रे पभपु कप्रे दशर्णन पराए। जप, यगोग और धमर्ण समपूह सप्रे
मनपुष्य अनपुपम भहक्त कगो परातरा हहै। शश्री रघपुवश्रीर कप्रे पहवत्र चररत्र कगो तपुलसश्रीदरास ररात-हदन गरातरा हहै।
दगोहरा :
* कहलमल समन दमन मन रराम सपुजस सपुखमपूल।
सरादर सपुनहहमं जप्रे हतन्ह पर रराम रहहहमं अनपुकपूल॥6 क॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा सपुदमं र यश कहलयगपु कप्रे परापर करा नराश करनप्रे वरालरा, मन कगो दमन
करनप्रे वरालरा और सपुख करा मपूल हहै, जगो लगोग इसप्रे आदरपपूवर्णक सपुनतप्रे हमैं, उन पर शश्री ररामजश्री पसन्न
रहतप्रे हमैं॥6 (क)॥
सगोरठरा :
* कहठन कराल मल कगोस धमर्ण न ग्यरान न जगोग जप।
पररहरर सकल भरगोस ररामहह भजहहमं तप्रे चतपुर नर॥6 ख॥
भरावरारर्ण:-यह कहठन कहल कराल परापर करा खजरानरा हहै, इसममें न धमर्ण हहै, न जरान हहै और न यगोग
तररा जप हश्री हहै। इसममें तगो जगो लगोग सब भरगोसर कगो छगोडकर शश्री ररामजश्री कगो हश्री भजतप्रे हमैं , वप्रे हश्री
चतपुर हमैं॥6 (ख)॥

शश्री ररामजश्री करा आगप्रे पस्ररान, हवरराध वध और शरभमंग पसमंग


चरौपराई :
* मपुहन पद कमल नराइ करर सश्रीसरा। चलप्रे बनहह सपुर नर मपुहन ईसरा॥
आगमें रराम अनपुज पपुहन पराछमें। मपुहन बर बप्रेष बनप्रे अहत कराछमें॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवराकर दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहनयर कप्रे स्वरामश्री शश्री ररामजश्री
वन कगो चलप्रे। आगप्रे शश्री ररामजश्री हमैं और उनकप्रे पश्रीछप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री हमैं। दगोनर हश्री मपुहनयर करा
सपुमंदर वप्रेष बनराए अत्यन्त सपुशगोहभत हमैं॥1॥
* उभय बश्रीच शश्री सगोहइ कहै सश्री। ब्रह जश्रीव हबच मरायरा जहैसश्री॥
सररतरा बन हगरर अवघट घराटरा। पहत पहहचराहन दप्रेहहमं बर बराटरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर कप्रे बश्रीच ममें शश्री जरानककीजश्री कहै सश्री सपुशगोहभत हमैं, जहैसप्रे ब्रह और जश्रीव कप्रे बश्रीच मरायरा हगो।
नदश्री, वन, पवर्णत और दगपु र्णम घराहटयराहूँ, सभश्री अपनप्रे स्वरामश्री कगो पहचरानकर सपुमंदर ररास्तरा दप्रे दप्रेतप्रे हमैं॥
2॥
* जहहूँ जहहूँ जराहहमं दप्रेव रघपुररायरा। करहहमं मप्रेघ तहहूँ तहहूँ नभ छरायरा॥
हमलरा असपुर हबरराध मग जरातरा। आवतहहीं रघपुबश्रीर हनपरातरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ-जहराहूँ दप्रेव शश्री रघपुनरारजश्री जरातप्रे हमैं, वहराहूँ-वहराहूँ बरादल आकराश ममें छरायरा करतप्रे जरातप्रे हमैं।
ररास्तप्रे ममें जरातप्रे हह ए हवरराध रराक्षस हमलरा। सरामनप्रे आतप्रे हश्री शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उसप्रे मरार डरालरा॥ 3॥
* तपुरतहहमं रहचर रूप तप्रेहहमं परावरा। दप्रेहख दख
पु श्री हनज धराम पठरावरा॥
पपुहन आए जहहूँ मपुहन सरभमंगरा। सपुमंदर अनपुज जरानककी समंगरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री कप्रे हरार सप्रे मरतप्रे हश्री) उसनप्रे तपुरमंत सपुदमं र (हदव्य) रूप पराप्त कर हलयरा। दद्धाःपु खश्री
दप्रेखकर पभपु नप्रे उसप्रे अपनप्रे परम धराम कगो भप्रेज हदयरा। हफिर वप्रे सपुदमं र छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री और
सश्रीतराजश्री कप्रे सरार वहराहूँ आए जहराहूँ मपुहन शरभमंगजश्री रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* दप्रेहख रराम मपुख पमंकज मपुहनबर लगोचन भमृमंग।
सरादर परान करत अहत धन्य जन्म सरभमंग॥7॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचन्दजश्री करा मपुखकमल दप्रेखकर मपुहनशप्रेष कप्रे नप्रेत्र रूपश्री भजौंरप्रे अत्यन्त आदरपपूवर्णक
उसकरा (मकरन्द रस) परान कर रहप्रे हमैं। शरभमंगजश्री करा जन्म धन्य हहै॥7॥
चरौपराई :
* कह मपुहन सपुनपु रघपुबश्रीर कमृ परालरा। समंकर मरानस रराजमररालरा॥
जरात रहप्रेउहूँ हबरमंहच कप्रे धरामरा। सपुनप्रेउहूँ शवन बन ऐहहहमं ररामरा॥1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे कहरा- हप्रे कमृ परालपु रघपुवश्रीर! हप्रे शमंकरजश्री मन रूपश्री मरानसरगोवर कप्रे रराजहमंस! सपुहनए,
ममैं ब्रहलगोक कगो जरा रहरा ररा। (इतनप्रे ममें) करानर सप्रे सपुनरा हक शश्री ररामजश्री वन ममें आवमेंगप्रे॥1॥
* हचतवत पमंर रहप्रेउहूँ हदन ररातश्री। अब पभपु दप्रेहख जपुडरानश्री छरातश्री॥
नरार सकल सराधन ममैं हश्रीनरा। ककीन्हश्री कमृ परा जराहन जन दश्रीनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब सप्रे ममैं हदन-ररात आपककी रराह दप्रेखतरा रहरा हह।हूँ अब (आज) पभपु कगो दप्रेखकर मप्रेरश्री छरातश्री
शश्रीतल हगो गई। हप्रे नरार! ममैं सब सराधनर सप्रे हश्रीन हह हूँ। आपनप्रे अपनरा दश्रीन सप्रेवक जरानकर मपुझ पर
कमृ परा ककी हहै॥2॥
* सगो कछपु दप्रेव न मगोहह हनहगोररा। हनज पन रराखप्रेउ जन मन चगोररा॥
तब लहग रहहह दश्रीन हहत लरागश्री। जब लहग हमलजौं तपुम्हहह तनपु त्यरागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! यह कपु छ मपुझ पर आपकरा एहसरान नहहीं हहै। हप्रे भक्त-मनचगोर! ऐसरा करकप्रे आपनप्रे
अपनप्रे पर ककी हश्री रक्षरा ककी हहै। अब इस दश्रीन कप्रे कल्यरार कप्रे हलए तब तक यहराहूँ ठहररए, जब तक ममैं
शरश्रीर छगोडकर आपसप्रे (आपकप्रे धराम ममें न) हमलपूहूँ॥3॥
* जगोग जग्य जप तप ब्रत ककीन्हरा। पभपु कहहूँ दप्रेइ भगहत बर लश्रीन्हरा॥
एहह हबहध सर रहच मपुहन सरभमंगरा। बहैठप्रे हृदयहूँ छराहड सब समंगरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-यगोग, यज, जप, तप जगो कपु छ व्रत आहद भश्री मपुहन नप्रे हकयरा ररा, सब पभपु कगो समपर्णर
करकप्रे बदलप्रे ममें भहक्त करा वरदरान लप्रे हलयरा। इस पकरार (दल
पु र्णभ भहक्त पराप्त करकप्रे हफिर) हचतरा
रचकर मपुहन शरभमंगजश्री हृदय सप्रे सब आसहक्त छगोडकर उस पर जरा बहैठप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* सश्रीतरा अनपुज समप्रेत पभपु नश्रील जलद तनपु स्यराम।
मम हहयहूँ बसहह हनरमंतर सगपुनरूप शश्री रराम॥8॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नश्रीलप्रे मप्रेघ कप्रे समरान श्यराम शरश्रीर वरालप्रे सगपुर रूप शश्री ररामजश्री ! सश्रीतराजश्री और छगोटप्रे भराई
लक्ष्मरजश्री सहहत पभपु (आप) हनरमंतर मप्रेरप्रे हृदय ममें हनवरास ककीहजए॥8॥
चरौपराई :
* अस कहह जगोग अहगहन तनपु जराररा। रराम कमृ पराहूँ बहैकमंपु ठ हसधराररा॥
तरातप्रे मपुहन हरर लश्रीन न भयऊ। परमहहमं भप्रेद भगहत बर लयऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर शरभमंगजश्री नप्रे यगोगराहग्नि सप्रे अपनप्रे शरश्रीर कगो जलरा डरालरा और शश्री ररामजश्री ककी
कमृ परा सप्रे वप्रे वहैकमंपु ठ कगो चलप्रे गए। मपुहन भगवरान ममें लश्रीन इसहलए नहहीं हह ए हक उन्हरनप्रे पहलप्रे हश्री भप्रेद-
भहक्त करा वर लप्रे हलयरा ररा॥1॥
* ररहष हनकराय मपुहनबर गहत दप्रेखश्री। सपुखश्री भए हनज हृदयहूँ हबसप्रेषश्री॥
अस्तपुहत करहहमं सकल मपुहन बमृमंदरा। जयहत पनत हहत करनरा कमंदरा॥2॥
भरावरारर्ण:-ऋहष समपूह मपुहन शप्रेष शरभमंगजश्री ककी यह (दल पु र्णभ) गहत दप्रेखकर अपनप्रे हृदय ममें हवशप्रेष रूप
सप्रे सपुखश्री हह ए। समस्त मपुहनवमृमंद शश्री ररामजश्री ककी स्तपुहत कर रहप्रे हमैं (और कह रहप्रे हमैं) शरररागत
हहतकरारश्री करररा कन्द (करररा कप्रे मपूल) पभपु ककी जय हगो!॥2॥
* पपुहन रघपुनरार चलप्रे बन आगप्रे। मपुहनबर बमृदमं हबपपुल सहूँग लरागप्रे॥
अहस्र समपूह दप्रेहख रघपुररायरा। पपूछश्री मपुहनन्ह लराहग अहत दरायरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री रघपुनरारजश्री आगप्रे वन ममें चलप्रे। शप्रेष मपुहनयर कप्रे बहह त सप्रे समपूह उनकप्रे सरार हगो हलए।
हरडयर करा ढप्रेर दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री कगो बडश्री दयरा आई, उन्हरनप्रे मपुहनयर सप्रे पपूछरा॥3॥
* जरानतहह हूँ पपूहछअ कस स्वरामश्री। सबदरसश्री तपुम्ह अमंतरजरामश्री॥
हनहसचर हनकर सकल मपुहन खराए। सपुहन रघपुबश्रीर नयन जल छराए॥4॥
भरावरारर्ण:-(मपुहनयर नप्रे कहरा) हप्रे स्वरामश्री! आप सवर्णदशर (सवर्णज) और अमंतयरार्णमश्री (सबकप्रे हृदय ककी
जराननप्रे वरालप्रे) हमैं। जरानतप्रे हह ए भश्री (अनजरान ककी तरह) हमसप्रे कहै सप्रे पपूछ रहप्रे हमैं? रराक्षसर कप्रे दलर नप्रे
सब मपुहनयर कगो खरा डरालरा हहै। (यप्रे सब उन्हहीं ककी हरडयर कप्रे ढप्रेर हमैं)। यह सपुनतप्रे हश्री शश्री रघपुवश्रीर कप्रे
नप्रेत्रर ममें जल छरा गयरा (उनककी आहूँखर ममें करररा कप्रे आहूँसपू भर आए)॥4॥

रराक्षस वध ककी पहतजरा करनरा, सपुतश्रीक्ष्रजश्री करा पप्रेम, अगस्त्य हमलन, अगस्त्य समंवराद
दगोहरा :
* हनहसचर हश्रीन करउहूँ महह भपुज उठराइ पन ककीन्ह।
सकल मपुहनन्ह कप्रे आशमहन्ह जराइ जराइ सपुख दश्रीन्ह॥9॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे भपुजरा उठराकर पर हकयरा हक ममैं पमृथ्वश्री कगो रराक्षसर सप्रे रहहत कर द हूँगपू रा। हफिर
समस्त मपुहनयर कप्रे आशमर ममें जरा-जराकर उनकगो (दशर्णन एवमं सम्भराषर करा) सपुख हदयरा॥9॥
चरौपराई :
* मपुहन अगहस्त कर हसष्य सपुजरानरा। नराम सपुतश्रीछन रहत भगवरानरा॥
मन कम बचन रराम पद सप्रेवक। सपनप्रेहहहूँ आन भरगोस न दप्रेवक॥1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन अगस्त्यजश्री कप्रे एक सपुतश्रीक्ष्र नरामक सपुजरान (जरानश्री) हशष्य रप्रे, उनककी भगवरान ममें
पश्रीहत रश्री। वप्रे मन, वचन और कमर्ण सप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चररर कप्रे सप्रेवक रप्रे। उन्हमें स्वप्न ममें भश्री हकसश्री
पू रप्रे दप्रेवतरा करा भरगोसरा नहहीं ररा॥1॥
दस
* पभपु आगवनपु शवन सपुहन परावरा। करत मनगोरर आतपुर धरावरा॥
हप्रे हबहध दश्रीनबमंधपु रघपुररायरा। मगो सप्रे सठ पर कररहहहमं दरायरा॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे ज्यर हश्री पभपु करा आगमन करानर सप्रे सपुन परायरा, त्यर हश्री अनप्रेक पकरार कप्रे मनगोरर
करतप्रे हह ए वप्रे आतपुरतरा (शश्रीघ्रतरा) सप्रे दरौड चलप्रे। हप्रे हवधरातरा! क्यरा दश्रीनबन्धपु शश्री रघपुनरारजश्री मपुझ जहैसप्रे
दष्टिपु पर भश्री दयरा करमेंगप्रे?॥2॥
* सहहत अनपुज मगोहह रराम गगोसराई।मं हमहलहहहमं हनज सप्रेवक ककी नराई॥मं
मगोरप्रे हजयहूँ भरगोस दृढ नराहहीं। भगहत हबरहत न ग्यरान मन मराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-क्यरा स्वरामश्री शश्री ररामजश्री छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत मपुझसप्रे अपनप्रे सप्रेवक ककी तरह
हमलमेंगप्रे? मप्रेरप्रे हृदय ममें दृढ हवश्वरास नहहीं हगोतरा, क्यरहक मप्रेरप्रे मन ममें भहक्त, वहैरराग्य यरा जरान कपु छ भश्री
नहहीं हहै॥3॥
* नहहमं सतसमंग जगोग जप जरागरा। नहहमं दृढ चरन कमल अनपुररागरा॥
एक बराहन करनराहनधरान ककी। सगो हपय जराकमें गहत न आन ककी॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैंनप्रे न तगो सत्समंग, यगोग, जप अरवरा यज हश्री हकए हमैं और न पभपु कप्रे चररकमलर ममें मप्रेररा
दृढ अनपुरराग हश्री हहै। हराहूँ, दयरा कप्रे भमंडरार पभपु ककी एक बरान हहै हक हजसप्रे हकसश्री दस
पू रप्रे करा सहराररा नहहीं
हहै, वह उन्हमें हपय हगोतरा हहै॥4॥
* हगोइहमैं सपुफिल आजपु मम लगोचन। दप्रेहख बदन पमंकज भव मगोचन॥
हनभर्णर पप्रेम मगन मपुहन ग्यरानश्री। कहह न जराइ सगो दसरा भवरानश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-(भगवरान ककी इस बरान करा स्मरर आतप्रे हश्री मपुहन आनमंदमग्नि हगोकर मन हश्री मन कहनप्रे
लगप्रे-) अहरा! भव बमंधन सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे पभपु कप्रे मपुखरारहवमंद कगो दप्रेखकर आज मप्रेरप्रे नप्रेत्र सफिल हरगप्रे।
(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भवरानश्री! जरानश्री मपुहन पप्रेम ममें पपूरर्ण रूप सप्रे हनमग्नि हमैं। उनककी वह दशरा कहश्री
नहहीं जरातश्री॥5॥
* हदहस अर हबहदहस पमंर नहहमं सपूझरा। कगो ममैं चलप्रेउहूँ कहराहूँ नहहमं बपूझरा॥
कबहह हूँक हफिरर पराछमें पपुहन जराई। कबहह हूँक नमृत्य करइ गपुन गराई॥6॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें हदशरा-हवहदशरा (हदशराएहूँ और उनकप्रे कगोर आहद) और ररास्तरा, कपु छ भश्री नहहीं सपूझ
रहरा हहै। ममैं करौन हह हूँ और कहराहूँ जरा रहरा हह,हूँ यह भश्री नहहीं जरानतप्रे (इसकरा भश्री जरान नहहीं हहै)। वप्रे कभश्री
पश्रीछप्रे घपूमकर हफिर आगप्रे चलनप्रे लगतप्रे हमैं और कभश्री (पभपु कप्रे ) गपुर गरा-गराकर नराचनप्रे लगतप्रे हमैं॥6॥
* अहबरल पप्रेम भगहत मपुहन पराई। पभपु दप्रेखमैं तर ओट लपुकराई॥
अहतसय पश्रीहत दप्रेहख रघपुबश्रीररा। पगटप्रे हृदयहूँ हरन भव भश्रीररा॥7॥
भरावरारर्ण:-मपुहन नप्रे पगराढ पप्रेमराभहक्त पराप्त कर लश्री। पभपु शश्री ररामजश्री वमृक्ष ककी आड ममें हछपकर (भक्त ककी
पप्रेमगोन्मर दशरा) दप्रेख रहप्रे हमैं। मपुहन करा अत्यन्त पप्रेम दप्रेखकर भवभय (आवरागमन कप्रे भय) कगो हरनप्रे
वरालप्रे शश्री रघपुनरारजश्री मपुहन कप्रे हृदय ममें पकट हगो गए॥7॥
* मपुहन मग मराझ अचल हगोइ बहैसरा। पपुलक सरश्रीर पनस फिल जहैसरा॥
तब रघपुनरार हनकट चहल आए। दप्रेहख दसरा हनज जन मन भराए॥8॥
भरावरारर्ण:-(हृदय ममें पभपु कप्रे दशर्णन पराकर) मपुहन बश्रीच ररास्तप्रे ममें अचल (हस्रर) हगोकर बहैठ गए।
उनकरा शरश्रीर रगोमरामंच सप्रे कटहल कप्रे फिल कप्रे समरान (कण्टहकत) हगो गयरा। तब शश्री रघपुनरारजश्री उनकप्रे
परास चलप्रे आए और अपनप्रे भक्त ककी पप्रेम दशरा दप्रेखकर मन ममें बहह त पसन्न हहए॥8॥
* मपुहनहह रराम बहह भराहूँहत जगरावरा। जराग न ध्यरान जहनत सपुख परावरा॥
भपूप रूप तब रराम दरपु रावरा। हृदयहूँ चतपुभपुर्णज रूप दप्रेखरावरा॥9॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे मपुहन कगो बहह त पकरार सप्रे जगरायरा, पर मपुहन नहहीं जरागप्रे, क्यरहक उन्हमें पभपु कप्रे
ध्यरान करा सपुख पराप्त हगो रहरा ररा। तब शश्री ररामजश्री नप्रे अपनप्रे रराजरूप कगो हछपरा हलयरा और उनकप्रे
हृदय ममें अपनरा चतपुभपुर्णज रूप पकट हकयरा॥9॥
* मपुहन अकपु लराइ उठरा तब कहै समें। हबकल हश्रीन महन फिहनबर जहैसमें॥
आगमें दप्रेहख रराम तन स्यरामरा। सश्रीतरा अनपुज सहहत सपुख धरामरा॥ 10॥
भरावरारर्ण:-तब (अपनप्रे ईष्टि स्वरूप कप्रे अमंतधरार्णन हगोतप्रे हश्री) मपुहन ऐसप्रे व्यराकपुल हगोकर उठप्रे, जहैसप्रे शप्रेष
(महरधर) सपर्ण महर कप्रे हबनरा व्यराकपुल हगो जरातरा हहै। मपुहन नप्रे अपनप्रे सरामनप्रे सश्रीतराजश्री और लक्ष्मरजश्री
सहहत श्यरामसपुदमं र हवगह सपुखधराम शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखरा॥10॥
* परप्रेउ लकपु ट इव चरनहन्ह लरागश्री। पप्रेम मगन मपुहनबर बडभरागश्री॥
भपुज हबसराल गहह हलए उठराई। परम पश्रीहत रराखप्रे उर लराई॥11॥
भरावरारर्ण:-पप्रेम ममें मग्नि हहए वप्रे बडभरागश्री शप्रेष मपुहन लराठश्री ककी तरह हगरकर शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें लग
गए। शश्री ररामजश्री नप्रे अपनश्री हवशराल भपुजराओमं सप्रे पकडकर उन्हमें उठरा हलयरा और बडप्रे पप्रेम सप्रे हृदय सप्रे
लगरा रखरा॥11॥
* मपुहनहह हमलत अस सगोह कमृ परालरा। कनक तरहह जनपु भमेंट तमरालरा॥
रराम बदनपु हबलगोक मपुहन ठराढरा। मरानहह हूँ हचत्र मराझ हलहख कराढरा॥12॥
भरावरारर्ण:-कमृ परालपु शश्री ररामचन्दजश्री मपुहन सप्रे हमलतप्रे हह ए ऐसप्रे शगोहभत हगो रहप्रे हमैं, मरानगो सगोनप्रे कप्रे वमृक्ष सप्रे
तमराल करा वमृक्ष गलप्रे लगकर हमल रहरा हगो। मपुहन (हनस्तब्ध) खडप्रे हह ए (टकटककी लगराकर) शश्री
ररामजश्री करा मपुख दप्रेख रहप्रे हमैं, मरानगो हचत्र ममें हलखकर बनराए गए हर॥12॥
दगोहरा :
* तब मपुहन हृदयहूँ धश्रीर धरर गहह पद बरारहहमं बरार।
हनज आशम पभपु आहन करर पपूजरा हबहबध पकरार॥10॥
भरावरारर्ण:-तब मपुहन नप्रे हृदय ममें धश्रीरज धरकर बरार-बरार चररर कगो स्पशर्ण हकयरा। हफिर पभपु कगो अपनप्रे
आशम ममें लराकर अनप्रेक पकरार सप्रे उनककी पपूजरा ककी॥10॥
चरौपराई :
* कह मपुहन पभपु सपुनपु हबनतश्री मगोरश्री। अस्तपुहत करजौं कवन हबहध तगोरश्री॥
महहमरा अहमत मगोरर महत रगोरश्री। रहब सन्मपुख खद्यगोत अहूँजगोरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-मपुहन कहनप्रे लगप्रे- हप्रे पभगो! मप्रेरश्री हवनतश्री सपुहनए। ममैं हकस पकरार सप्रे आपककी स्तपुहत करूहूँ ?
आपककी महहमरा अपरार हहै और मप्रेरश्री बपुहद अल्प हहै। जहैसप्रे सपूयर्ण कप्रे सरामनप्रे जपुगनपू करा उजरालरा!॥1॥
* श्यराम तरामरस दराम शरश्रीरमं। जटरा मपुकपुट पररधन मपुहनचश्रीरमं॥
पराहर चराप शर कहट तपूरश्रीरमं। नरौहम हनरमंतर शश्रीरघपुवश्रीरमं॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नश्रीलकमल ककी मरालरा कप्रे समरान श्यराम शरश्रीर वरालप्रे! हप्रे जटराओमं करा मपुकपुट और मपुहनयर
कप्रे (वल्कल) वस्त्र पहनप्रे हह ए, हरारर ममें धनपुष-बरार हलए तररा कमर ममें तरकस कसप्रे हहए शश्री
ररामजश्री! ममैं आपकगो हनरमंतर नमस्करार करतरा हह॥हूँ 2॥
* मगोह हवहपन घन दहन कमृ शरानपुद्धाः। समंत सरगोरह करानन भरानपुद्धाः॥
हनहसचर करर वरूर ममृगरराजद्धाः। त्ररास सदरा नगो भव खग बराजद्धाः॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो मगोह रूपश्री घनप्रे वन कगो जलरानप्रे कप्रे हलए अहग्नि हमैं, समंत रूपश्री कमलर कप्रे वन कगो
पफिपु हल्लत करनप्रे कप्रे हलए सपूयर्ण हमैं, रराक्षस रूपश्री हराहरयर कप्रे समपूह कगो पछराडनप्रे कप्रे हलए हसमंह हमैं और
भव (आवरागमन) रूपश्री पक्षश्री कगो मरारनप्रे कप्रे हलए बराज रूप हमैं, वप्रे पभपु सदरा हमरारश्री रक्षरा करमें॥3॥
* अरर नयन रराजश्रीव सपुवप्रेशमं। सश्रीतरा नयन चकगोर हनशप्रेशमं॥
हर हृहद मरानस बराल मररालमं। नरौहम रराम उर बराहह हवशरालमं॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे लराल कमल कप्रे समरान नप्रेत्र और सपुदमं र वप्रेश वरालप्रे! सश्रीतराजश्री कप्रे नप्रेत्र रूपश्री चकगोर कप्रे
चमंदमरा, हशवजश्री कप्रे हृदय रूपश्री मरानसरगोवर कप्रे बरालहमंस, हवशराल हृदय और भपुजरा वरालप्रे शश्री
ररामचमंदजश्री! ममैं आपकगो नमस्करार करतरा हह हूँ॥4॥
* समंशय सपर्ण गसन उरगरादद्धाः। शमन सपुककर्ण श तकर्ण हवषरादद्धाः॥
भव भमंजन रमंजन सपुर यपूरद्धाः। त्ररातपु सदरा नगो कमृ परा वरूरद्धाः॥5॥
भरावरारर्ण:-जगो समंशय रूपश्री सपर्ण कगो गसनप्रे कप्रे हलए गरड हमैं, अत्यमंत कठगोर तकर्ण सप्रे उत्पन्न हगोनप्रे वरालप्रे
हवषराद करा नराश करनप्रे वरालप्रे हमैं, आवरागमन कगो हमटरानप्रे वरालप्रे और दप्रेवतराओमं कप्रे समपूह कगो आनमंद दप्रेनप्रे
वरालप्रे हमैं, वप्रे कमृ परा कप्रे समपूह शश्री ररामजश्री सदरा हमरारश्री रक्षरा करमें॥5॥
* हनगपुर्णर सगपुर हवषम सम रूपमं। जरान हगररा गगोतश्रीतमनपूपमं॥
अमलमहखलमनवद्यमपरारमं। नरौहम रराम भमंजन महह भरारमं॥6॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हनगपुर्णर, सगपुर, हवषम और समरूप! हप्रे जरान, वरारश्री और इमंहदयर सप्रे अतश्रीत! हप्रे
अनपुपम, हनमर्णल, समंपपूरर्ण दगोषरहहत, अनमंत एवमं पमृथ्वश्री करा भरार उतरारनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचमंदजश्री ! ममैं
आपकगो नमस्करार करतरा हह॥हूँ 6॥
* भक्त कल्पपरादप आररामद्धाः। तजर्णन कगोध लगोभ मद करामद्धाः॥
अहत नरागर भव सरागर सप्रेतपुद्धाः। त्ररातपु सदरा हदनकर कपु ल कप्रे तपुद्धाः॥7॥
भरावरारर्ण:-जगो भक्तर कप्रे हलए कल्पवमृक्ष कप्रे बगश्रीचप्रे हमैं, कगोध, लगोभ, मद और कराम कगो डररानप्रे वरालप्रे
हमैं, अत्यमंत हश्री चतपुर और समंसरार रूपश्री समपुद सप्रे तरनप्रे कप्रे हलए सप्रेतपु रूप हमैं, वप्रे सपूयर्णकपुल ककी ध्वजरा
शश्री ररामजश्री सदरा मप्रेरश्री रक्षरा करमें॥7॥
* अतपुहलत भपुज पतराप बल धरामद्धाः। कहल मल हवपपुल हवभमंजन नरामद्धाः॥
धमर्ण वमर्ण नमर्णद गपुर गरामद्धाः। समंतत शमं तनगोतपु मम ररामद्धाः॥8॥
भरावरारर्ण:-हजनककी भपुजराओमं करा पतराप अतपुलनश्रीय हहै, जगो बल कप्रे धराम हमैं, हजनकरा नराम कहलयगपु कप्रे
बडप्रे भरारश्री परापर करा नराश करनप्रे वरालरा हहै, जगो धमर्ण कप्रे कवच (रक्षक) हमैं और हजनकप्रे गपुर समपूह
आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, वप्रे शश्री ररामजश्री हनरमंतर मप्रेरप्रे कल्यरार करा हवस्तरार करमें॥8॥
* जदहप हबरज ब्यरापक अहबनरासश्री। सब कप्रे हृदयहूँ हनरमंतर बरासश्री॥
तदहप अनपुज शश्री सहहत खररारश्री। बसतपु मनहस मम कराननचरारश्री॥ 9॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप आप हनमर्णल, व्यरापक, अहवनराशश्री और सबकप्रे हृदय ममें हनरमंतर हनवरास करनप्रे वरालप्रे
हमैं, तरराहप हप्रे खररारर शश्री ररामजश्री! लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत वन ममें हवचरनप्रे वरालप्रे आप इसश्री
रूप ममें मप्रेरप्रे हृदय ममें हनवरास ककीहजए॥9॥
* जप्रे जरानहहमं तप्रे जरानहह हूँ स्वरामश्री। सगपुन अगपुन उर अमंतरजरामश्री॥
जगो कगोसलपहत रराहजव नयनरा। करउ सगो रराम हृदय मम अयनरा॥ 10॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! आपकगो जगो सगपुर, हनगपुर्णर और अमंतयरार्णमश्री जरानतप्रे हर, वप्रे जरानरा करमें, मप्रेरप्रे
हृदय ममें तगो कगोसलपहत कमलनयन शश्री ररामजश्री हश्री अपनरा घर बनरावमें॥ 10॥
* अस अहभमरान जराइ जहन भगोरप्रे। ममैं सप्रेवक रघपुपहत पहत मगोरप्रे॥
सपुहन मपुहन बचन रराम मन भराए। बहह रर हरहष मपुहनबर उर लराए॥11॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा अहभमरान भपूलकर भश्री न छपू टप्रे हक ममैं सप्रेवक हह हूँ और शश्री रघपुनरारजश्री मप्रेरप्रे स्वरामश्री हमैं। मपुहन
कप्रे वचन सपुनकर शश्री ररामजश्री मन ममें बहह त पसन्न हह ए। तब उन्हरनप्रे हहषर्णत हगोकर शप्रेष मपुहन कगो हृदय
सप्रे लगरा हलयरा॥11॥
* परम पसन्न जरानपु मपुहन मगोहश्री। जगो बर मरागहह दप्रेउहूँ सगो तगोहश्री॥
मपुहन कह ममैं बर कबहह हूँ न जराचरा। समपुहझ न परइ झपूठ करा सराचरा॥12॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे मपुहन! मपुझप्रे परम पसन्न जरानगो। जगो वर मराहूँगगो, वहश्री ममैं तपुम्हमें दहूँ!पू मपुहन
सपुतश्रीक्ष्रजश्री नप्रे कहरा- ममैंनप्रे तगो वर कभश्री मराहूँगरा हश्री नहहीं। मपुझप्रे समझ हश्री नहहीं पडतरा हक क्यरा झपूठ हहै
और क्यरा सत्य हहै, (क्यरा मराहूँगपू, क्यरा नहहीं)॥12॥
* तपुम्हहह नश्रीक लरागहै रघपुरराई। सगो मगोहह दप्रेहह दरास सपुखदराई॥
अहबरल भगहत हबरहत हबग्यरानरा। हगोहह सकल गपुन ग्यरान हनधरानरा॥13॥
भरावरारर्ण:-((अतद्धाः) हप्रे रघपुनरारजश्री! हप्रे दरासर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे! आपकगो जगो अच्छरा लगप्रे, मपुझप्रे
वहश्री दश्रीहजए। (शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मपुनप्रे!) तपुम पगराढ भहक्त, वहैरराग्य, हवजरान और समस्त
गपुरर तररा जरान कप्रे हनधरान हगो जराओ॥13॥
* पभपु जगो दश्रीन्ह सगो बर ममैं परावरा। अब सगो दप्रेहह मगोहह जगो भरावरा॥14॥
भरावरारर्ण:-(तब मपुहन बगोलप्रे-) पभपु नप्रे जगो वरदरान हदयरा, वह तगो ममैंनप्रे परा हलयरा। अब मपुझप्रे जगो अच्छरा
लगतरा हहै, वह दश्रीहजए॥14॥
दगोहरा :
* अनपुज जरानककी सहहत पभपु चराप बरान धर रराम।
मन हहय गगन इमंद पु इव बसहह सदरा हनहकराम॥11॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! हप्रे शश्री ररामजश्री! छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत धनपुष-बरारधरारश्री आप
हनष्कराम (हस्रर) हगोकर मप्रेरप्रे हृदय रूपश्री आकराश ममें चमंदमरा ककी भराहूँहत सदरा हनवरास ककीहजए॥11॥
चरौपराई :
* एवमस्तपु करर रमराहनवरासरा। हरहष चलप्रे कपुमं भज ररहष परासरा॥
बहह त हदवस गपुर दरसनपु पराएहूँ। भए मगोहह एहहमं आशम आएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-'एवमस्तपु' (ऐसरा हश्री हगो) ऐसरा उचरारर कर लक्ष्मश्री हनवरास शश्री ररामचमंदजश्री हहषर्णत हगोकर
अगस्त्य ऋहष कप्रे परास चलप्रे। (तब सपुतश्रीक्ष्रजश्री बगोलप्रे-) गपुर अगस्त्यजश्री करा दशर्णन पराए और इस
आशम ममें आए मपुझप्रे बहह त हदन हगो गए॥1॥
* अब पभपु समंग जराउहूँ गपुर पराहहीं। तपुम्ह कहहूँ नरार हनहगोररा नराहहीं॥
दप्रेहख कमृ पराहनहध मपुहन चतपुरराई। हलए समंग हबहसप्रे दरौ भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं भश्री पभपु (आप) कप्रे सरार गपुरजश्री कप्रे परास चलतरा हह।हूँ इसममें हप्रे नरार! आप पर मप्रेररा
कगोई एहसरान नहहीं हहै। मपुहन ककी चतपुरतरा दप्रेखकर कमृ परा कप्रे भमंडरार शश्री ररामजश्री नप्रे उनकगो सरार लप्रे हलयरा
और दगोनगो भराई हहूँसनप्रे लगप्रे॥2॥
* पमंर कहत हनज भगहत अनपूपरा। मपुहन आशम पहहचहूँ प्रे सपुरभपूपरा॥
तपुरत सपुतश्रीछन गपुर पहहमं गयऊ। करर दमंडवत कहत अस भयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-ररास्तप्रे ममें अपनश्री अनपुपम भहक्त करा वरर्णन करतप्रे हह ए दप्रेवतराओमं कप्रे रराजरराजप्रेश्वर शश्री ररामजश्री
अगस्त्य मपुहन कप्रे आशम पर पहह हूँचप्रे। सपुतश्रीक्ष्र तपुरमंत हश्री गपुर अगस्त्य कप्रे परास गए और दण्डवतम करकप्रे
ऐसरा कहनप्रे लगप्रे॥3॥
* नरार कगोसलराधश्रीस कपु मराररा। आए हमलन जगत आधराररा॥
रराम अनपुज समप्रेत बहैदप्रेहश्री। हनहस हदनपु दप्रेव जपत हहह जप्रेहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! अयगोध्यरा कप्रे रराजरा दशररजश्री कप्रे कपु मरार जगदराधरार शश्री ररामचमंदजश्री छगोटप्रे भराई
लक्ष्मरजश्री और सश्रीतराजश्री सहहत आपसप्रे हमलनप्रे आए हमैं, हजनकरा हप्रे दप्रेव! आप ररात-हदन जप करतप्रे
रहतप्रे हमैं॥4॥
* सपुनत अगहस्त तपुरत उहठ धराए। हरर हबलगोहक लगोचन जल छराए॥
मपुहन पद कमल परप्रे दरौ भराई। ररहष अहत पश्रीहत हलए उर लराई॥5॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनतप्रे हश्री अगस्त्यजश्री तपुरमंत हश्री उठ दरौडप्रे। भगवरानम कगो दप्रेखतप्रे हश्री उनकप्रे नप्रेत्रर ममें (आनमंद
और पप्रेम कप्रे आहूँसपुओमं करा) जल भर आयरा। दगोनर भराई मपुहन कप्रे चरर कमलर पर हगर पडप्रे। ऋहष नप्रे
(उठराकर) बडप्रे पप्रेम सप्रे उन्हमें हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥5॥
* सरादर कपु सल पपूहछ मपुहन ग्यरानश्री। आसन बर बहैठरारप्रे आनश्री॥
पू रा॥6॥
पपुहन करर बहह पकरार पभपु पपूजरा। मगोहह सम भराग्यवमंत नहहमं दज
भरावरारर्ण:-जरानश्री मपुहन नप्रे आदरपपूवर्णक कपु शल पपूछकर उनकगो लराकर शप्रेष आसन पर बहैठरायरा। हफिर
पू ररा कगोई नहहीं हहै॥6॥
बहह त पकरार सप्रे पभपु ककी पपूजरा करकप्रे कहरा- मप्रेरप्रे समरान भराग्यवरानम आज दस
* जहहूँ लहग रहप्रे अपर मपुहन बमृमंदरा। हरषप्रे सब हबलगोहक सपुखकमं दरा॥7॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ जहराहूँ तक (हजतनप्रे भश्री) अन्य मपुहनगर रप्रे, सभश्री आनमंदकन्द शश्री ररामजश्री कप्रे दशर्णन
करकप्रे हहषर्णत हगो गए॥7॥
दगोहरा :
* मपुहन समपूह महहूँ बहैठप्रे सन्मपुख सब ककी ओर।
सरद इमंदपु तन हचतवन मरानहह हूँ हनकर चकगोर॥12॥
भरावरारर्ण:-मपुहनयर कप्रे समपूह ममें शश्री ररामचमंदजश्री सबककी ओर सम्मपुख हगोकर बहैठप्रे हमैं (अररार्णतम पत्यप्रेक मपुहन
कगो शश्री ररामजश्री अपनप्रे हश्री सरामनप्रे मपुख करकप्रे बहैठप्रे हदखराई दप्रेतप्रे हमैं और सब मपुहन टकटककी लगराए उनकप्रे
मपुख कगो दप्रेख रहप्रे हमैं)। ऐसरा जरान पडतरा हहै मरानगो चकगोरर करा समपुदराय शरत्पपूहरर्णमरा कप्रे चमंदमरा ककी ओर
दप्रेख रहरा हहै॥12॥
चरौपराई :
* तब रघपुबश्रीर कहरा मपुहन पराहहीं। तपुम्ह सन पभपु दरपु राव कछपु नराहहीं॥
तपुम्ह जरानहह जप्रेहह करारन आयउहूँ। तरातप्रे तरात न कहह समपुझरायउहूँ॥ 1॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामजश्री नप्रे मपुहन सप्रे कहरा- हप्रे पभगो! आप सप्रे तगो कपु छ हछपराव हहै नहहीं। ममैं हजस
करारर सप्रे आयरा हह हूँ, वह आप जरानतप्रे हश्री हमैं। इसश्री सप्रे हप्रे तरात! ममैंनप्रे आपसप्रे समझराकर कपु छ नहहीं
कहरा॥1॥
* अब सगो ममंत्र दप्रेहह पभपु मगोहश्री। जप्रेहह पकरार मरारजौं मपुहनदगोहश्री॥
मपुहन मपुसपुकरानप्रे सपुहन पभपु बरानश्री। पपूछहप्रे ह नरार मगोहह करा जरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! अब आप मपुझप्रे वहश्री ममंत्र (सलराह) दश्रीहजए, हजस पकरार ममैं मपुहनयर कप्रे दगोहश्री
रराक्षसर कगो मरारूहूँ। पभपु ककी वरारश्री सपुनकर मपुहन मपुस्कपु रराए और बगोलप्रे- हप्रे नरार! आपनप्रे क्यरा समझकर
मपुझसप्रे यह पश्न हकयरा?॥2॥
* तपुम्हरप्रेइहूँ भजन पभराव अघरारश्री। जरानउहूँ महहमरा कछपु क तपुम्हरारश्री॥
ऊमरर तर हबसराल तव मरायरा। फिल ब्रहरामंड अनप्रेक हनकरायरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परापर करा नराश करनप्रे वरालप्रे! ममैं तगो आप हश्री कप्रे भजन कप्रे पभराव सप्रे आपककी कपु छ रगोडश्री
सश्री महहमरा जरानतरा हह।हूँ आपककी मरायरा गपूलर कप्रे हवशराल वमृक्ष कप्रे समरान हहै, अनप्रेकर ब्रहरामंडर कप्रे समपूह
हश्री हजसकप्रे फिल हमैं॥3॥
* जश्रीव चरराचर जमंतपु समरानरा। भश्रीतर बसहहमं न जरानहहमं आनरा॥
तप्रे फिल भच्छक कहठन कररालरा। तव भयहूँ डरत सदरा सगोउ करालरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-चर और अचर जश्रीव (गपूलर कप्रे फिल कप्रे भश्रीतर रहनप्रे वरालप्रे छगोटप्रे-छगोटप्रे) जमंतपुओमं कप्रे समरान
उन (ब्रहराण्ड रूपश्री फिलर) कप्रे भश्रीतर बसतप्रे हमैं और वप्रे (अपनप्रे उस छगोटप्रे सप्रे जगतम कप्रे हसवरा) दस पू ररा
कपु छ नहहीं जरानतप्रे। उन फिलर करा भक्षर करनप्रे वरालरा कहठन और करराल कराल हहै। वह कराल भश्री सदरा
आपसप्रे भयभश्रीत रहतरा हहै॥4॥
* तप्रे तपुम्ह सकल लगोकपहत सराई।मं पपूहूँछप्रेहह मगोहह मनपुज ककी नराई॥मं
यह बर मरागउहूँ कमृ पराहनकप्रे तरा। बसहह हृदयहूँ शश्री अनपुज समप्रेतरा॥5॥
भरावरारर्ण:-उन्हहीं आपनप्रे समस्त लगोकपरालर कप्रे स्वरामश्री हगोकर भश्री मपुझसप्रे मनपुष्य ककी तरह पश्न हकयरा।
हप्रे कमृ परा कप्रे धराम! ममैं तगो यह वर मराहूँगतरा हह हूँ हक आप शश्री सश्रीतराजश्री और छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत
मप्रेरप्रे हृदय ममें (सदरा) हनवरास ककीहजए॥5॥
* अहबरल भगहत हबरहत सतसमंगरा। चरन सरगोरह पश्रीहत अभमंगरा॥
जद्यहप ब्रह अखमंड अनमंतरा। अनपुभव गम्य भजहहमं जप्रेहह समंतरा।6॥
भरावरारर्ण:-मपुझप्रे पगराढ भहक्त, वहैरराग्य, सत्समंग और आपकप्रे चररकमलर ममें अटपू ट पप्रेम पराप्त हगो। यद्यहप
आप अखमंड और अनमंत ब्रह हमैं, जगो अनपुभव सप्रे हश्री जराननप्रे ममें आतप्रे हमैं और हजनकरा समंतजन भजन
करतप्रे हमैं॥6॥
* अस तव रूप बखरानउहूँ जरानउहूँ। हफिरर हफिरर सगपुन ब्रह रहत मरानउहूँ॥
समंतत दरासन्ह दप्रेहह बडराई। तरातमें मगोहह पपूहूँछहप्रे ह रघपुरराई॥7॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप ममैं आपकप्रे ऐसप्रे रूप कगो जरानतरा हह हूँ और उसकरा वरर्णन भश्री करतरा हह हूँ, तगो भश्री लरौट-
लरौटकर ममें सगपुर ब्रह ममें (आपकप्रे इस सपुदमं र स्वरूप ममें) हश्री पप्रेम मरानतरा हह।हूँ आप सप्रेवकर कगो सदरा
हश्री बडराई हदयरा करतप्रे हमैं, इसश्री सप्रे हप्रे रघपुनरारजश्री! आपनप्रे मपुझसप्रे पपूछरा हहै॥7॥
रराम करा दमंडकवन पवप्रेश, जटरायपु हमलन, पमंचवटश्री हनवरास और शश्री रराम-लक्ष्मर समंवराद
* हहै पभपु परम मनगोहर ठराऊहूँ। परावन पमंचबटश्री तप्रेहह नराऊहूँ॥
दमंडक बन पपुनश्रीत पभपु करहह । उग सराप मपुहनबर कर हरहह ॥8॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! एक परम मनगोहर और पहवत्र स्ररान हहै, उसकरा नराम पमंचवटश्री हहै। हप्रे पभगो! आप
दण्डक वन कगो (जहराहूँ पमंचवटश्री हहै) पहवत्र ककीहजए और शप्रेष मपुहन गरौतमजश्री कप्रे कठगोर शराप कगो हर
लश्रीहजए॥8॥
* बरास करहह तहहूँ रघपुकपुल ररायरा। ककीजप्रे सकल मपुहनन्ह पर दरायरा॥
चलप्रे रराम मपुहन आयसपु पराई। तपुरतहहमं पमंचबटश्री हनअरराई॥9॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुकपुल कप्रे स्वरामश्री! आप सब मपुहनयर पर दयरा करकप्रे वहहीं हनवरास ककीहजए। मपुहन ककी
आजरा पराकर शश्री ररामचमंदजश्री वहराहूँ सप्रे चल हदए और शश्रीघ्र हश्री पमंचवटश्री कप्रे हनकट पहह हूँच गए॥9॥
दगोहरा :
* गश्रीधरराज सहै भमेंट भइ बहह हबहध पश्रीहत बढराइ।
गगोदरावरश्री हनकट पभपु रहप्रे परन गमृह छराइ॥13॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ गमृधरराज जटरायपु सप्रे भमेंट हहई। उसकप्रे सरार बहह त पकरार सप्रे पप्रेम बढराकर पभपु शश्री
ररामचमंदजश्री गगोदरावरश्रीजश्री कप्रे समश्रीप परर्णकपुटश्री छराकर रहनप्रे लगप्रे॥13॥
चरौपराई :
* जब तप्रे रराम ककीन्ह तहहूँ बरासरा। सपुखश्री भए मपुहन बश्रीतश्री त्ररासरा॥
हगरर बन नदहीं तराल छहब छराए। हदन हदन पहत अहत हगोहहमं सपुहराए॥1॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे शश्री ररामजश्री नप्रे वहराहूँ हनवरास हकयरा, तब सप्रे मपुहन सपुखश्री हगो गए, उनकरा डर जरातरा
रहरा। पवर्णत, वन, नदश्री और तरालराब शगोभरा सप्रे छरा गए। वप्रे हदनरहदन अहधक सपुहरावनप्रे (मरालपूम) हगोनप्रे
लगप्रे॥1॥
* खग ममृग बमृदमं अनमंहदत रहहहीं। मधपुप मधपुर गपुमंजत छहब लहहहीं॥
सगो बन बरहन न सक अहहरराजरा। जहराहूँ पगट रघपुबश्रीर हबरराजरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पक्षश्री और पशपुओमं कप्रे समपूह आनमंहदत रहतप्रे हमैं और भजौंरप्रे मधपुर गपुमंजरार करतप्रे हहए शगोभरा परा
रहप्रे हमैं। जहराहूँ पत्यक्ष शश्री ररामजश्री हवरराजमरान हमैं, उस वन करा वरर्णन सपर्णरराज शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कर
सकतप्रे॥2॥
* एक बरार पभपु सपुख आसश्रीनरा। लहछमन बचन कहप्रे छलहश्रीनरा॥
सपुर नर मपुहन सचरराचर सराई।मं ममैं पपूछउहूँ हनज पभपु ककी नराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-एक बरार पभपु शश्री ररामजश्री सपुख सप्रे बहैठप्रे हहए रप्रे। उस समय लक्ष्मरजश्री नप्रे उनसप्रे छलरहहत
(सरल) वचन कहप्रे- हप्रे दप्रेवतरा, मनपुष्य, मपुहन और चरराचर कप्रे स्वरामश्री! ममैं अपनप्रे पभपु ककी तरह
(अपनरा स्वरामश्री समझकर) आपसप्रे पपूछतरा हह॥हूँ 3॥
* मगोहह समपुझराइ कहहह सगोइ दप्रेवरा। सब तहज करजौं चरन रज सप्रेवरा॥
कहहह ग्यरान हबरराग अर मरायरा। कहहह सगो भगहत करहह जप्रेहहमं दरायरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दप्रेव! मपुझप्रे समझराकर वहश्री कहहए, हजससप्रे सब छगोडकर ममैं आपककी चरररज ककी हश्री
सप्रेवरा करूहूँ। जरान, वहैरराग्य और मरायरा करा वरर्णन ककीहजए और उस भहक्त कगो कहहए, हजसकप्रे करारर
आप दयरा करतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* ईस्वर जश्रीव भप्रेद पभपु सकल कहरौ समपुझराइ।
जरातमें हगोइ चरन रहत सगोक मगोह रम जराइ॥14॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो! ईश्वर और जश्रीव करा भप्रेद भश्री सब समझराकर कहहए, हजससप्रे आपकप्रे चररर ममें
मप्रेरश्री पश्रीहत हगो और शगोक, मगोह तररा रम नष्टि हगो जराएहूँ॥14॥
चरौपराई :
* रगोरप्रेहह महहूँ सब कहउहूँ बपुझराई। सपुनहह तरात महत मन हचत लराई॥
ममैं अर मगोर तगोर तमैं मरायरा। जप्रेहहमं बस ककीन्हप्रे जश्रीव हनकरायरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! ममैं रगोडप्रे हश्री ममें सब समझराकर कहप्रे दप्रेतरा हह हूँ। तपुम मन,
हचर और बपुहद लगराकर सपुनगो! ममैं और मप्रेररा, तपू और तप्रेररा- यहश्री मरायरा हहै, हजसनप्रे समस्त जश्रीवर
कगो वश ममें कर रखरा हहै॥1॥
* गगो गगोचर जहहूँ लहग मन जराई। सगो सब मरायरा जरानप्रेहह भराई॥
तप्रेहह कर भप्रेद सपुनहह तपुम्ह सगोऊ। हबद्यरा अपर अहबद्यरा दगोऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-इमंहदयर कप्रे हवषयर कगो और जहराहूँ तक मन जरातरा हहै, हप्रे भराई! उन सबकगो मरायरा जराननरा।
उसकप्रे भश्री एक हवद्यरा और दस पू रश्री अहवद्यरा, इन दगोनर भप्रेदर कगो तपुम सपुनगो-॥2॥
* एक दष्टिपु अहतसय दख
पु रूपरा। जरा बस जश्रीव पररा भवकपू परा॥
एक रचइ जग गपुन बस जराकमें। पभपु पप्रेररत नहहमं हनज बल तराकमें॥3॥
भरावरारर्ण:-एक (अहवद्यरा) दष्टिपु (दगोषयक्त पु ) हहै और अत्यमंत दद्धाःपु खरूप हहै, हजसकप्रे वश हगोकर जश्रीव
समंसरार रूपश्री कपु एहूँ ममें पडरा हह आ हहै और एक (हवद्यरा) हजसकप्रे वश ममें गपुर हहै और जगो जगतम ककी रचनरा
करतश्री हहै, वह पभपु सप्रे हश्री पप्रेररत हगोतश्री हहै, उसकप्रे अपनरा बल कपु छ भश्री नहश्री हहै॥3॥
* ग्यरान मरान जहहूँ एकउ नराहहीं। दप्रेख ब्रह समरान सब मराहहीं॥
कहहअ तरात सगो परम हबररागश्री। तमृन सम हसहद तश्रीहन गपुन त्यरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जरान वह हहै, जहराहूँ (हजसममें) मरान आहद एक भश्री (दगोष) नहहीं हहै और जगो सबसप्रे समरान
रूप सप्रे ब्रह कगो दप्रेखतरा हहै। हप्रे तरात! उसश्री कगो परम वहैरराग्यवरानम कहनरा चराहहए, जगो सरारश्री हसहदयर
कगो और तश्रीनर गपुरर कगो हतनकप्रे कप्रे समरान त्यराग चपुकरा हगो॥4॥

(हजसममें मरान, दम्भ, हहमंसरा, क्षमरारराहहत्य, टप्रेढरापन, आचरायर्ण सप्रेवरा करा अभराव, अपहवत्रतरा,
अहस्ररतरा, मन करा हनगमृहश्रीत न हगोनरा, इमंहदयर कप्रे हवषय ममें आसहक्त, अहमंकरार, जन्म-ममृत्य-पु जररा-
व्यराहधमय जगतम ममें सपुख-बपुहद, स्त्रश्री-पपुत्र-घर आहद ममें आसहक्त तररा ममतरा, इष्टि और अहनष्टि ककी
पराहप्त ममें हषर्ण-शगोक, भहक्त करा अभराव, एकरान्त ममें मन न लगनरा, हवषयश्री मनपुष्यर कप्रे समंग ममें पप्रेम- यप्रे
अठरारह न हर और हनत्य अध्यरात्म (आत्मरा) ममें हस्रहत तररा तत्त्व जरान कप्रे अरर्ण (तत्त्वजरान कप्रे
दराररा जराननप्रे यगोग्य) परमरात्मरा करा हनत्य दशर्णन हगो, वहश्री जरान कहलरातरा हहै। दप्रेहखए गश्रीतरा अध्यराय
13/ 7 सप्रे 11)
दगोहरा :
* मरायरा ईस न आपपु कहह हूँ जरान कहहअ सगो जश्रीव।
बमंध मगोच्छ पद सबर्णपर मरायरा पप्रेरक सश्रीव॥15॥
भरावरारर्ण:-जगो मरायरा कगो, ईश्वर कगो और अपनप्रे स्वरूप कगो नहहीं जरानतरा, उसप्रे जश्रीव कहनरा चराहहए।
जगो (कमरार्णनपुसरार) बमंधन और मगोक्ष दप्रेनप्रे वरालरा, सबसप्रे परप्रे और मरायरा करा पप्रेरक हहै, वह ईश्वर हहै॥
15॥
चरौपराई
* धमर्ण तमें हबरहत जगोग तमें ग्यरानरा। ग्यरान मगोच्छपद बप्रेद बखरानरा॥
जरातमें बप्रेहग दवउहूँ ममैं भराई। सगो मम भगहत भगत सपुखदराई॥1॥
भरावरारर्ण:-धमर्ण (कप्रे आचरर) सप्रे वहैरराग्य और यगोग सप्रे जरान हगोतरा हहै तररा जरान मगोक्ष करा दप्रेनप्रे वरालरा
हहै- ऐसरा वप्रेदर नप्रे वरर्णन हकयरा हहै। और हप्रे भराई! हजससप्रे ममैं शश्रीघ्र हश्री पसन्न हगोतरा हह हूँ, वह मप्रेरश्री भहक्त हहै
जगो भक्तर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै॥1॥
* सगो सपुतमंत्र अवलमंब न आनरा। तप्रेहह आधश्रीन ग्यरान हबग्यरानरा॥
भगहत तरात अनपुपम सपुखमपूलरा। हमलइ जगो समंत हगोइहूँ अनपुकपूलरा॥2॥
भरावरारर्ण:-वह भहक्त स्वतमंत्र हहै, उसकगो (जरान-हवजरान आहद हकसश्री) दस पू रप्रे सराधन करा सहराररा
(अपप्रेक्षरा) नहहीं हहै। जरान और हवजरान तगो उसकप्रे अधश्रीन हमैं। हप्रे तरात! भहक्त अनपुपम एवमं सपुख ककी
मपूल हहै और वह तभश्री हमलतश्री हहै, जब समंत अनपुकपूल (पसन्न) हगोतप्रे हमैं॥2॥
* भगहत हक सराधन कहउहूँ बखरानश्री। सपुगम पमंर मगोहह परावहहमं परानश्री॥
परमहहमं हबप चरन अहत पश्रीतश्री। हनज हनज कमर्ण हनरत शपुहत रश्रीतश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अब ममैं भहक्त कप्रे सराधन हवस्तरार सप्रे कहतरा हह हूँ- यह सपुगम मरागर्ण हहै, हजससप्रे जश्रीव मपुझकगो
सहज हश्री परा जरातप्रे हमैं। पहलप्रे तगो ब्रराहरर कप्रे चररर ममें अत्यमंत पश्रीहत हगो और वप्रेद ककी रश्रीहत कप्रे अनपुसरार
अपनप्रे-अपनप्रे (वररार्णशम कप्रे ) कमर्मों ममें लगरा रहप्रे॥3॥
* एहह कर फिल पपुहन हबषय हबररागरा। तब मम धमर्ण उपज अनपुररागरा॥
शवनराहदक नव भहक्त दृढराहहीं। मम लश्रीलरा रहत अहत मन मराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:-इसकरा फिल, हफिर हवषयर सप्रे वहैरराग्य हगोगरा। तब (वहैरराग्य हगोनप्रे पर) मप्रेरप्रे धमर्ण (भरागवत
धमर्ण) ममें पप्रेम उत्पन्न हगोगरा। तब शवर आहद नरौ पकरार ककी भहक्तयराहूँ दृढ हरगश्री और मन ममें मप्रेरश्री
लश्रीलराओमं कप्रे पहत अत्यमंत पप्रेम हगोगरा॥4॥
* समंत चरन पमंकज अहत पप्रेमरा। मन कम बचन भजन दृढ नप्रेमरा॥
गपुर हपतपु मरातपु बमंधपु पहत दप्रेवरा। सब मगोहह कहहूँ जरानहै दृढ सप्रेवरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हजसकरा समंतर कप्रे चररकमलर ममें अत्यमंत पप्रेम हगो, मन, वचन और कमर्ण सप्रे भजन करा दृढ
हनयम हगो और जगो मपुझकगो हश्री गपुर, हपतरा, मरातरा, भराई, पहत और दप्रेवतरा सब कपु छ जरानप्रे और सप्रेवरा
ममें दृढ हगो,॥5॥
* मम गपुन गरावत पपुलक सरश्रीररा। गदगद हगररा नयन बह नश्रीररा॥
कराम आहद मद दमंभ न जराकमें। तरात हनरमंतर बस ममैं तराकमें॥6॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा गपुर गरातप्रे समय हजसकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो जराए, वरारश्री गदगद हगो जराए और नप्रेत्रर सप्रे
(पप्रेमराशपुओमं करा) जल बहनप्रे लगप्रे और कराम, मद और दम्भ आहद हजसममें न हर, हप्रे भराई! ममैं सदरा
उसकप्रे वश ममें रहतरा हह हूँ॥6॥
दगोहरा :
* बचन कमर्ण मन मगोरर गहत भजनपु करहहमं हनद्धाःकराम।
हतन्ह कप्रे हृदय कमल महह हूँ करउहूँ सदरा हबशराम॥16॥
भरावरारर्ण:-हजनकगो कमर्ण, वचन और मन सप्रे मप्रेरश्री हश्री गहत हहै और जगो हनष्कराम भराव सप्रे मप्रेररा भजन
करतप्रे हमैं, उनकप्रे हृदय कमल ममें ममैं सदरा हवशराम हकयरा करतरा हह॥हूँ 16॥
चरौपराई :
* भगहत जगोग सपुहन अहत सपुख परावरा। लहछमन पभपु चरनहन्ह हसर नरावरा॥
एहह हबहध कछपु क हदन बश्रीतश्री। कहत हबरराग ग्यरान गपुन नश्रीतश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-इस भहक्त यगोग कगो सपुनकर लक्ष्मरजश्री नप्रे अत्यमंत सपुख परायरा और उन्हरनप्रे पभपु शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। इस पकरार वहैरराग्य, जरान, गपुर और नश्रीहत कहतप्रे हह ए कपु छ हदन
बश्रीत गए॥1॥

शपूपर्णरखरा ककी कररा, शपूपर्णरखरा करा खरदषपू र कप्रे परास जरानरा और खरदषपू रराहद करा वध
* सपूपनखरा ररावन कहै बहहनश्री। दष्टिपु हृदय दरारन जस अहहनश्री॥
पमंचबटश्री सगो गइ एक बराररा। दप्रेहख हबकल भइ जपुगल कपु मराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-शपूपर्णरखरा नरामक ररावर ककी एक बहहन रश्री, जगो नराहगन कप्रे समरान भयरानक और दष्टिपु हृदय
ककी रश्री। वह एक बरार पमंचवटश्री ममें गई और दगोनर रराजकपु मरारर कगो दप्रेखकर हवकल (कराम सप्रे पश्रीहडत)
हगो गई॥2॥
* ररातरा हपतरा पपुत्र उरगरारश्री। पपुरष मनगोहर हनरखत नरारश्री॥
हगोइ हबकल सक मनहह न रगोककी। हजहम रहबमहन दव रहबहह हबलगोककी॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे गरडजश्री! (शपूपर्णरखरा- जहैसश्री रराक्षसश्री, धमर्णजरान शपून्य
करामरान्ध) स्त्रश्री मनगोहर पपुरष कगो दप्रेखकर, चराहप्रे वह भराई, हपतरा, पपुत्र हश्री हगो, हवकल हगो जरातश्री हहै
और मन कगो नहहीं रगोक सकतश्री। जहैसप्रे सपूयर्णकरान्तमहर सपूयर्ण कगो दप्रेखकर दहवत हगो जरातश्री हहै (ज्वरालरा सप्रे
हपघल जरातश्री हहै)॥3॥
* रहचर रूप धरर पभपु पहहमं जराई। बगोलश्री बचन बहह त मपुसपुकराई॥
तपुम्ह सम पपुरष न मगो सम नरारश्री। यह सहूँजगोग हबहध रचरा हबचरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वह सपुन्दर रूप धरकर पभपु कप्रे परास जराकर और बहह त मपुस्कपु रराकर वचन बगोलश्री- न तगो
तपुम्हरारप्रे समरान कगोई पपुरष हहै, न मप्रेरप्रे समरान स्त्रश्री। हवधरातरा नप्रे यह समंयगोग (जगोडरा) बहह त हवचरार कर
रचरा हहै॥4॥
* मम अनपुरूप पपुरष जग मराहहीं। दप्रेखप्रेउहूँ खगोहज लगोक हतहह नराहहीं॥
तरातमें अब लहग रहहउहूँ कपु मरारश्री। मनपु मरानरा कछपु तपुम्हहह हनहरारश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे यगोग्य पपुरष (वर) जगतमभर ममें नहहीं हहै, ममैंनप्रे तश्रीनर लगोकर कगो खगोज दप्रेखरा। इसश्री सप्रे ममैं
अब तक कपु मरारश्री (अहववराहहत) रहश्री। अब तपुमकगो दप्रेखकर कपु छ मन मरानरा (हचर ठहररा) हहै॥5॥
* सश्रीतहह हचतइ कहश्री पभपु बरातरा। अहइ कपु आर मगोर लघपु ररातरा॥
गइ लहछमन ररपपु भहगनश्री जरानश्री। पभपु हबलगोहक बगोलप्रे ममृद पु बरानश्री॥6॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी ओर दप्रेखकर पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे यह बरात कहश्री हक मप्रेररा छगोटरा भराई कपु मरार हहै।
तब वह लक्ष्मरजश्री कप्रे परास गई। लक्ष्मरजश्री नप्रे उसप्रे शत्रपु ककी बहहन समझकर और पभपु ककी ओर
दप्रेखकर कगोमल वरारश्री सप्रे बगोलप्रे-॥6॥
* सपुदमं रर सपुनपु ममैं उन्ह कर दरासरा। परराधश्रीन नहहमं तगोर सपुपरासरा॥
पभपु समरर्ण कगोसलपपुर रराजरा। जगो कछपु करहहमं उनहह सब छराजरा॥7॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुदमं रश्री! सपुन, ममैं तगो उनकरा दरास हह हूँ। ममैं परराधश्रीन हह हूँ, अतद्धाः तपुम्हप्रे सपुभश्रीतरा (सपुख) न
हगोगरा। पभपु समरर्ण हमैं, कगोसलपपुर कप्रे रराजरा हहै, वप्रे जगो कपु छ करमें, उन्हमें सब फिबतरा हहै॥7॥
* सप्रेवक सपुख चह मरान हभखरारश्री। ब्यसनश्री धन सपुभ गहत हबहभचरारश्री॥
लगोभश्री जसपु चह चरार गपुमरानश्री। नभ दहपु ह दधपू चहत ए परानश्री॥8॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक सपुख चराहप्रे, हभखरारश्री सम्मरान चराहप्रे, व्यसनश्री (हजसप्रे जपुए, शरराब आहद करा व्यसन
हगो) धन और व्यहभचरारश्री शपुभ गहत चराहप्रे, लगोभश्री यश चराहप्रे और अहभमरानश्री चरारर फिल- अरर्ण, धमर्ण,
कराम, मगोक्ष चराहप्रे, तगो यप्रे सब परारश्री आकराश कगो दहपु कर दधपू लप्रेनरा चराहतप्रे हमैं (अररार्णतम असमंभव बरात
कगो समंभव करनरा चराहतप्रे हमैं)॥8॥
* पपुहन हफिरर रराम हनकट सगो आई। पभपु लहछमन पहहमं बहह रर पठराई॥
लहछमन कहरा तगोहह सगो बरई। जगो तमृन तगोरर लराज पररहरई॥9॥
भरावरारर्ण:-वह लरौटकर हफिर शश्री ररामजश्री कप्रे परास आई, पभपु नप्रे उसप्रे हफिर लक्ष्मरजश्री कप्रे परास भप्रेज
हदयरा। लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा- तपुम्हमें वहश्री वरप्रेगरा, जगो लजरा कगो तमृर तगोडकर (अररार्णतम पहतजरा करकप्रे )
त्यराग दप्रेगरा (अररार्णतम जगो हनपट हनलर्णज हगोगरा)॥9॥
* तब हखहसआहन रराम पहहमं गई। रूप भयमंकर पगटत भई॥
सश्रीतहह सभय दप्रेहख रघपुरराई। कहरा अनपुज सन सयन बपुझराई॥10॥
भरावरारर्ण:-तब वह हखहसयरायश्री हह ई (कपु द हगोकर) शश्री ररामजश्री कप्रे परास गई और उसनप्रे अपनरा भयमंकर
रूप पकट हकयरा। सश्रीतराजश्री कगो भयभश्रीत दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे लक्ष्मर कगो इशराररा दप्रेकर कहरा॥
10॥
दगोहरा :
* लहछमन अहत लराघवहूँ सगो नराक करान हबनपु ककीहन्ह।
तराकप्रे कर ररावन कहहूँ मनरौ चपुनरौतश्री दश्रीहन्ह॥17॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे बडश्री फिपु तर सप्रे उसकगो हबनरा नराक-करान ककी कर हदयरा। मरानगो उसकप्रे हरार
ररावर कगो चपुनरौतश्री दश्री हगो!॥17॥
चरौपराई :
* नराक करान हबनपु भइ हबकरराररा। जनपु स्रव सहैल गप्रेर कहै धराररा॥
खर दषपू न पहहमं गइ हबलपरातरा। हधग हधग तव परौरष बल ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हबनरा नराक-करान कप्रे वह हवकरराल हगो गई। (उसकप्रे शरश्रीर सप्रे रक्त इस पकरार बहनप्रे लगरा)
मरानगो (करालप्रे) पवर्णत सप्रे गप्रेरू ककी धराररा बह रहश्री हगो। वह हवलराप करतश्री हह ई खर-दषपू र कप्रे परास गई
(और बगोलश्री-) हप्रे भराई! तपुम्हरारप्रे परौरष (वश्रीरतरा) कगो हधक्करार हहै, तपुम्हरारप्रे बल कगो हधक्करार हहै॥1॥
* तप्रेहहमं पपूछरा सब कहप्रेहस बपुझराई। जरातपुधरान सपुहन सप्रेन बनराई॥
धराए हनहसचर हनकर बरूररा। जनपु सपच्छ कजल हगरर जपूररा॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे पपूछरा, तब शपूपर्णरखरा नप्रे सब समझराकर कहरा। सब सपुनकर रराक्षसर नप्रे सप्रेनरा तहैयरार
ककी। रराक्षस समपूह झपुडमं कप्रे झपुमंड दरौडप्रे। मरानगो पमंखधरारश्री कराजल कप्रे पवर्णतर करा झपुमंड हगो॥2॥
* नरानरा बराहन नरानराकराररा। नरानरायधपु धर घगोर अपराररा॥
सपूपनखरा आगमें करर लश्रीनश्री। असपुभ रूप शपुहत नरासरा हश्रीनश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे अनप्रेकर पकरार ककी सवराररयर पर चढप्रे हह ए तररा अनप्रेकर आकरार (सपूरतर) कप्रे हमैं। वप्रे अपरार
हमैं और अनप्रेकर पकरार कप्रे असमंख्य भयरानक हहरयरार धरारर हकए हहए हमैं। उन्हरनप्रे नराक-करान कटश्री
हह ई अममंगलरूहपरश्री शपूपर्णरखरा कगो आगप्रे कर हलयरा॥3॥
* असगपुन अहमत हगोहहमं भयकरारश्री। गनहहमं न ममृत्य पु हबबस सब झरारश्री॥
गजर्णहहमं तजर्णहहमं गगन उडराहहीं। दप्रेहख कटकपु भट अहत हरषराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-अनहगनत भयमंकर अशकपु न हगो रहप्रे हमैं, परमंतपु ममृत्यपु कप्रे वश हगोनप्रे कप्रे करारर वप्रे सब कप्रे सब
उनकगो कपु छ हगनतप्रे हश्री नहहीं। गरजतप्रे हमैं, ललकरारतप्रे हमैं और आकराश ममें उडतप्रे हमैं। सप्रेनरा दप्रेखकर यगोदरा
लगोग बहह त हश्री हहषर्णत हगोतप्रे हमैं॥4॥
* कगोउ कह हजअत धरहह दरौ भराई। धरर मरारहह हतय लप्रेहह छडराई॥
धपूरर पपूरर नभ ममंडल रहरा। रराम बगोलराइ अनपुज सन कहरा॥5॥
भरावरारर्ण:-कगोई कहतरा हहै दगोनर भराइयर कगो जश्रीतरा हश्री पकड लगो, पकडकर मरार डरालगो और स्त्रश्री कगो
छश्रीन लगो। आकराशमण्डल धपूल सप्रे भर गयरा। तब शश्री ररामजश्री नप्रे लक्ष्मरजश्री कगो बपुलराकर उनसप्रे कहरा॥
5॥
* लहै जरानहकहह जराहह हगरर कमंदर। आवरा हनहसचर कटकपु भयमंकर॥
रहप्रेहह सजग सपुहन पभपु कहै बरानश्री। चलप्रे सहहत शश्री सर धनपु परानश्री॥6॥
भरावरारर्ण:-रराक्षसर ककी भयरानक सप्रेनरा आ गई हहै। जरानककीजश्री कगो लप्रेकर तपुम पवर्णत ककी कमं दररा ममें चलप्रे
जराओ। सरावधरान रहनरा। पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे वचन सपुनकर लक्ष्मरजश्री हरार ममें धनपुष-बरार हलए
शश्री सश्रीतराजश्री सहहत चलप्रे॥6॥
* दप्रेहख रराम ररपपुदल चहल आवरा।
हबहहस कहठन कगोदमंड चढरावरा॥7॥
भरावरारर्ण:-शत्रपुओमं ककी सप्रेनरा (समश्रीप) चलश्री आई हहै, यह दप्रेखकर शश्री ररामजश्री नप्रे हहूँसकर कहठन धनपुष
कगो चढरायरा॥7॥
छमंद :
* कगोदमंड कहठन चढराइ हसर जट जपूट बराधहूँ त सगोह क्यर।
मरकत सयल पर लरत दराहमहन कगोहट सर जपुग भपुजग ज्यर॥
कहट कहस हनषमंग हबसराल भपुज गहह चराप हबहसख सपुधरारर कहै ।
हचतवत मनहह हूँ ममृगरराज पभपु गजरराज घटरा हनहरारर कहै ॥
भरावरारर्ण:-कहठन धनपुष चढराकर हसर पर जटरा करा जपूमडरा बराहूँधतप्रे हहए पभपु कहै सप्रे शगोहभत हगो रहप्रे हमैं, जहैसप्रे
मरकतमहर (पन्नप्रे) कप्रे पवर्णत पर करगोडर हबजहलयर सप्रे दगो सराहूँप लड रहप्रे हर। कमर ममें तरकस
कसकर, हवशराल भपुजराओमं ममें धनपुष लप्रेकर और बरार सपुधरारकर पभपु शश्री ररामचमंदजश्री रराक्षसर ककी ओर
दप्रेख रहप्रे हमैं। मरानर मतवरालप्रे हराहरयर कप्रे समपूह कगो (आतरा) दप्रेखकर हसमंह (उनककी ओर) तराक रहरा
हगो।
सगोरठरा :
* आइ गए बगमप्रेल धरहह धरहह धरावत सपुभट।
जररा हबलगोहक अकप्रे ल बराल रहबहह घप्रेरत दनपुज॥18॥
भरावरारर्ण:-'पकडगो-पकडगो' पपुकरारतप्रे हहए रराक्षस यगोदरा बराग छगोडकर (बडश्री तप्रेजश्री सप्रे) दरौडप्रे हह ए आए
(और उन्हरनप्रे शश्री ररामजश्री कगो चरारर ओर सप्रे घप्रेर हलयरा), जहैसप्रे बरालसपूयर्ण (उदयकरालश्रीन सपूयर्ण) कगो
अकप्रे लरा दप्रेखकर मन्दप्रेह नरामक दहैत्य घप्रेर लप्रेतप्रे हमैं॥18॥
चरौपराई :
* पभपु हबलगोहक सर सकहहमं न डरारश्री। रहकत भई रजनश्रीचर धरारश्री॥
सहचव बगोहल बगोलप्रे खर दषपू न। यह कगोउ नमृपबरालक नर भपूषन॥1॥
भरावरारर्ण:-(सजौंदयर्ण-मराधपुयर्णहनहध) पभपु शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखकर रराक्षसर ककी सप्रेनरा रहकत रह गई। वप्रे
उन पर बरार नहहीं छगोड सकप्रे । ममंत्रश्री कगो बपुलराकर खर-दषपू र नप्रे कहरा- यह रराजकपु मरार कगोई मनपुष्यर
करा भपूषर हहै॥1॥
* नराग असपुर सपुर नर मपुहन जप्रेतप्रे। दप्रेखप्रे हजतप्रे हतप्रे हम कप्रे तप्रे॥
हम भरर जन्म सपुनहह सब भराई। दप्रेखश्री नहहमं अहस सपुदमं रतराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हजतनप्रे भश्री नराग, असपुर, दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन हमैं, उनममें सप्रे हमनप्रे न जरानप्रे हकतनप्रे हश्री
दप्रेखप्रे, जश्रीतप्रे और मरार डरालप्रे हमैं। पर हप्रे सब भराइयर! सपुनगो, हमनप्रे जन्मभर ममें ऐसश्री सपुदमं रतरा कहहीं नहहीं
दप्रेखश्री॥2॥
* जद्यहप भहगनश्री ककीहन्ह कपु रूपरा। बध लरायक नहहमं पपुरष अनपूपरा॥
दप्रेहह तपुरत हनज नरारर दरपु राई। जश्रीअत भवन जराहह दरौ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप इन्हरनप्रे हमरारश्री बहहन कगो कपु रूप कर हदयरा तरराहप यप्रे अनपुपम पपुरष वध करनप्रे यगोग्य
नहहीं हमैं। 'हछपराई हह ई अपनश्री स्त्रश्री हममें तपुरमंत दप्रे दगो और दगोनर भराई जश्रीतप्रे जश्री घर लरौट जराओ '॥3॥
* मगोर कहरा तपुम्ह तराहह सपुनरावहह । तरासपु बचन सपुहन आतपुर आवहह ॥
दतपू न्ह कहरा रराम सन जराई। सपुनत रराम बगोलप्रे मपुसपुकराई॥4॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा यह करन तपुम लगोग उसप्रे सपुनराओ और उसकरा वचन (उरर) सपुनकर शश्रीघ्र आओ।
दतपू र नप्रे जराकर यह समंदप्रेश शश्री ररामचमंदजश्री सप्रे कहरा। उसप्रे सपुनतप्रे हश्री शश्री ररामचमंदजश्री मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे-॥
4॥
* हम छत्रश्री ममृगयरा बन करहहीं। तपुम्ह सप्रे खल ममृग खगोजत हफिरहहीं॥
ररपपु बलवमंत दप्रेहख नहहमं डरहहीं। एक बरार करालहह सन लरहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-हम क्षहत्रय हमैं, वन ममें हशकरार करतप्रे हमैं और तपुम्हरारप्रे सरश्रीखप्रे दष्टिपु पशपुओमं कगो तगो ढपूहूँढतप्रे हश्री
हफिरतप्रे हमैं। हम बलवरानम शत्रपु दप्रेखकर नहहीं डरतप्रे। (लडनप्रे कगो आवप्रे तगो) एक बरार तगो हम कराल सप्रे भश्री
लड सकतप्रे हमैं॥5॥
* जद्यहप मनपुज दनपुज कपु ल घरालक। मपुहन परालक खल सरालक बरालक॥
जजौं न हगोइ बल घर हफिरर जराहह। समर हबमपुख ममैं हतउहूँ न कराहह॥6॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप हम मनपुष्य हमैं, परन्तपु दहैत्यकपु ल करा नराश करनप्रे वरालप्रे और मपुहनयर ककी रक्षरा करनप्रे
वरालप्रे हमैं, हम बरालक हमैं, परन्तपु दष्टिपु र कगो दण्ड दप्रेनप्रे वरालप्रे। यहद बल न हगो तगो घर लरौट जराओ। समंगराम
ममें पश्रीठ हदखरानप्रे वरालप्रे हकसश्री कगो ममैं नहहीं मरारतरा॥ 6॥
* रन चहढ कररअ कपट चतपुरराई। ररपपु पर कमृ परा परम कदरराई॥
दतपू न्ह जराइ तपुरत सब कहप्रेऊ। सपुहन खर दषपू न उर अहत दहप्रेऊ॥7॥
भरावरारर्ण:-रर ममें चढ आकर कपट-चतपुरराई करनरा और शत्रपु पर कमृ परा करनरा (दयरा हदखरानरा) तगो
बडश्री भरारश्री करायरतरा हहै। दतपू र नप्रे लरौटकर तपुरमंत सब बरातमें कहहीं, हजन्हमें सपुनकर खर-दषपू र करा हृदय
अत्यमंत जल उठरा॥7॥
छमंद :
* उर दहप्रेउ कहप्रेउ हक धरहह धराए हबकट भट रजनश्रीचररा।
सर चराप तगोमर सहक्त सपूल कमृ परान पररघ परसपु धररा॥
पभपु ककीहन्ह धनपुष टकगोर परम कठगोर घगोर भयरावहरा।
भए बहधर ब्यराकपुल जरातपुधरान न ग्यरान तप्रेहह अवसर रहरा॥
भरावरारर्ण:-(खर-दषपू र करा) हृदय जल उठरा। तब उन्हरनप्रे कहरा- पकड लगो (कहै द कर लगो)। (यह
सपुनकर) भयरानक रराक्षस यगोदरा बरार, धनपुष, तगोमर, शहक्त (सराहूँग), शपूल (बरछश्री), कमृ परार
(कटरार), पररघ और फिरसरा धरारर हकए हह ए दरौड पडप्रे। पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे पहलप्रे धनपुष करा बडरा
कठगोर, घगोर और भयरानक टमंकरार हकयरा, हजसप्रे सपुनकर रराक्षस बहरप्रे और व्यराकपुल हगो गए। उस
समय उन्हमें कपु छ भश्री हगोश न रहरा।
दगोहरा :
* सरावधरान हगोइ धराए जराहन सबल आरराहत।
लरागप्रे बरषन रराम पर अस्त्र सस्त्र बहह भराहूँहत॥19 क॥
भरावरारर्ण:-हफिर वप्रे शत्रपु कगो बलवरानम जरानकर सरावधरान हगोकर दरौडप्रे और शश्री ररामचन्दजश्री कप्रे ऊपर
बहह त पकरार कप्रे अस्त्र-शस्त्र बरसरानप्रे लगप्रे॥19 (क)॥
* हतन्ह कप्रे आयधपु हतल सम करर कराटप्रे रघपुबश्रीर।
तराहन सररासन शवन लहग पपुहन छराडहूँ प्रे हनज तश्रीर॥19 ख॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुवश्रीरजश्री नप्रे उनकप्रे हहरयरारर कगो हतल कप्रे समरान (टपु कडप्रे-टपु कडप्रे) करकप्रे कराट डरालरा।
हफिर धनपुष कगो करान तक तरानकर अपनप्रे तश्रीर छगोडप्रे॥19 (ख)॥
छन्द :
* तब चलप्रे बरान करराल। फिपुमं करत जनपु बहह ब्यराल॥
कगोपप्रेउ समर शश्रीरराम। चलप्रे हबहसख हनहसत हनकराम॥1॥
भरावरारर्ण:-तब भयरानक बरार ऐसप्रे चलप्रे, मरानगो फिपु फिकरारतप्रे हहए बहह त सप्रे सपर्ण जरा रहप्रे हमैं। शश्री
ररामचन्दजश्री समंगराम ममें कपु द हहए और अत्यन्त तश्रीक्ष्र बरार चलप्रे॥1॥
* अवलगोहक खरतर तश्रीर। मपुरर चलप्रे हनहसचर बश्रीर॥
भए कपु द तश्रीहनउ भराइ। जगो भराहग रन तप्रे जराइ॥2॥
भरावरारर्ण:-अत्यन्त तश्रीक्ष्र बरारर कगो दप्रेखकर रराक्षस वश्रीर पश्रीठ हदखराकर भराग चलप्रे। तब खर-दषपू र
और हत्रहशररा तश्रीनर भराई कपु द हगोकर बगोलप्रे- जगो रर सप्रे भरागकर जराएगरा,॥2॥
* तप्रेहह बधब हम हनज पराहन। हफिरप्रे मरन मन महह हूँ ठराहन॥
आयधपु अनप्रेक पकरार। सनमपुख तप्रे करहहमं पहरार॥3॥
भरावरारर्ण:-उसकरा हम अपनप्रे हरारर वध करमेंगप्रे। तब मन ममें मरनरा ठरानकर भरागतप्रे हहए रराक्षस लरौट पडप्रे
और सरामनप्रे हगोकर वप्रे अनप्रेकर पकरार कप्रे हहरयरारर सप्रे शश्री ररामजश्री पर पहरार करनप्रे लगप्रे॥3॥
* ररपपु परम कगोपप्रे जराहन। पभपु धनपुष सर समंधराहन॥
छराहूँडप्रे हबपपुल नरारराच। लगप्रे कटन हबकट हपसराच॥4॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु कगो अत्यन्त कपु हपत जरानकर पभपु नप्रे धनपुष पर बरार चढराकर बहह त सप्रे बरार छगोडप्रे,
हजनसप्रे भयरानक रराक्षस कटनप्रे लगप्रे॥4॥
* उर सश्रीस भपुज कर चरन। जहहूँ तहहूँ लगप्रे महह परन॥
हचक्करत लरागत बरान। धर परत कपु धर समरान॥5॥
भरावरारर्ण:-उनककी छरातश्री, हसर, भपुजरा, हरार और पहैर जहराहूँ-तहराहूँ पमृथ्वश्री पर हगरनप्रे लगप्रे। बरार लगतप्रे
हश्री वप्रे हरारश्री ककी तरह हचमंग्घराडतप्रे हमैं। उनकप्रे पहराड कप्रे समरान धड कट-कटकर हगर रहप्रे हमैं॥5॥
* भट कटत तन सत खमंड। पपुहन उठत करर पराषमंड॥
नभ उडत बहह भपुज मपुमंड। हबनपु मरौहल धरावत रमंड॥6॥
भरावरारर्ण:-यगोदराओमं कप्रे शरश्रीर कटकर सहैकडर टपु कडप्रे हगो जरातप्रे हमैं। वप्रे हफिर मरायरा करकप्रे उठ खडप्रे हगोतप्रे
हमैं। आकराश ममें बहह त सश्री भपुजराएहूँ और हसर उड रहप्रे हमैं तररा हबनरा हसर कप्रे धड दरौड रहप्रे हमैं॥6॥
* खग कमंक कराक समृगराल। कटकटहहमं कहठन करराल॥7॥
भरावरारर्ण:-चश्रील (यरा कजौंच), करौए आहद पक्षश्री और हसयरार कठगोर और भयमंकर कट-कट शब्द कर
रहप्रे हमैं॥7॥
छन्द :
* कटकटहहमं जमंबपुक भपूत पप्रेत हपसराच खपर्णर समंचहहीं।
बप्रेतराल बश्रीर कपराल तराल बजराइ जगोहगहन नमंचहहीं॥
रघपुबश्रीर बरान पचमंड खमंडहहमं भटन्ह कप्रे उर भपुज हसररा।
जहहूँ तहहूँ परहहमं उहठ लरहहमं धर धर धर करहहमं भयमंकर हगररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हसयरार कटकटरातप्रे हमैं, भपूत, पप्रेत और हपशराच खगोपहडयराहूँ बटगोर रहप्रे हमैं (अरवरा खप्पर भर
रहप्रे हमैं)। वश्रीर-वहैतराल खगोपहडयर पर तराल दप्रे रहप्रे हमैं और यगोहगहनयराहूँ नराच रहश्री हमैं। शश्री रघपुवश्रीर कप्रे पचमंड
बरार यगोदराओमं कप्रे वक्षद्धाःस्रल, भपुजरा और हसरर कप्रे टपु कडप्रे-टपु कडप्रे कर डरालतप्रे हमैं। उनकप्रे धड जहराहूँ-
तहराहूँ हगर पडतप्रे हमैं, हफिर उठतप्रे और लडतप्रे हमैं और 'पकडगो-पकडगो' करा भयमंकर शब्द करतप्रे हमैं॥1॥
* अमंतरावरहीं गहह उडत गश्रीध हपसराच कर गहह धरावहहीं।
समंगराम पपुर बरासश्री मनहह हूँ बहह बराल गपुडश्री उडरावहहीं॥
मरारप्रे पछरारप्रे उर हबदरारप्रे हबपपुल भट कहहूँरत परप्रे।
अवलगोहक हनज दल हबकल भट हतहसरराहद खर दषपू न हफिरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-अमंतहडयर कप्रे एक छगोर कगो पकडकर गश्रीध उडतप्रे हमैं और उन्हहीं करा द स पू ररा छगोर हरार सप्रे
पकडकर हपशराच दरौडतप्रे हमैं, ऐसरा मरालपूम हगोतरा हहै मरानगो समंगराम रूपश्री नगर कप्रे हनवरासश्री बहह त सप्रे
बरालक पतमंग उडरा रहप्रे हर। अनप्रेकर यगोदरा मरारप्रे और पछराडप्रे गए बहह त सप्रे, हजनकप्रे हृदय हवदश्रीरर्ण हगो गए
हमैं, पडप्रे करराह रहप्रे हमैं। अपनश्री सप्रेनरा कगो व्यराकपुल दप्रेखर हत्रहशररा और खर-दषपू र आहद यगोदरा शश्री
ररामजश्री ककी ओर मपुडप्रे॥2॥
* सरसहक्त तगोमर परसपु सपूल कमृ परान एकहह बरारहहीं।
करर कगोप शश्री रघपुबश्रीर पर अगहनत हनसराचर डरारहहीं॥
पभपु हनहमष महह हूँ ररपपु सर हनवरारर पचरारर डरारप्रे सरायकरा।
दस दस हबहसख उर मराझ मरारप्रे सकल हनहसचर नरायकरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अनहगनत रराक्षस कगोध करकप्रे बरार, शहक्त, तगोमर, फिरसरा, शपूल और कमृ परार एक हश्री
बरार ममें शश्री रघपुवश्रीर पर छगोडनप्रे लगप्रे। पभपु नप्रे पल भर ममें शत्रपुओमं कप्रे बरारर कगो कराटकर, ललकरारकर
उन पर अपनप्रे बरार छगोडप्रे। सब रराक्षस सप्रेनरापहतयर कप्रे हृदय ममें दस-दस बरार मरारप्रे॥3॥
* महह परत उहठ भट हभरत मरत न करत मरायरा अहत घनश्री।
सपुर डरत चरौदह सहस पप्रेत हबलगोहक एक अवध धनश्री॥
सपुर मपुहन सभय पभपु दप्रेहख मरायरानरार अहत करौतपुक करमयगो।
दप्रेखहहमं परसपर रराम करर समंगराम ररपपु दल लरर मरमयगो॥4॥
भरावरारर्ण:-यगोदरा पमृथ्वश्री पर हगर पडतप्रे हमैं, हफिर उठकर हभडतप्रे हमैं। मरतप्रे नहहीं, बहह त पकरार ककी
अहतशय मरायरा रचतप्रे हमैं। दप्रेवतरा यह दप्रेखकर डरतप्रे हमैं हक पप्रेत (रराक्षस) चरौदह हजरार हमैं और
अयगोध्यरानरार शश्री ररामजश्री अकप्रे लप्रे हमैं। दप्रेवतरा और मपुहनयर कगो भयभश्रीत दप्रेखकर मरायरा कप्रे स्वरामश्री पभपु नप्रे
एक बडरा करौतपुक हकयरा, हजससप्रे शत्रपुओमं ककी सप्रेनरा एक-दस पू रप्रे कगो रराम रूप दप्रेखनप्रे लगश्री और आपस
पु करकप्रे लड मरश्री॥4॥
ममें हश्री यद
दगोहरा :
* रराम रराम कहह तनपु तजहहमं परावहहमं पद हनबरार्णन।
करर उपराय ररपपु मरारप्रे छन महह हूँ कमृ पराहनधरान॥20 क॥
भरावरारर्ण:-सब ('यहश्री रराम हहै, इसप्रे मरारगो' इस पकरार) रराम-रराम कहकर शरश्रीर छगोडतप्रे हमैं और
हनवरार्णर (मगोक्ष) पद परातप्रे हमैं। कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री नप्रे यह उपराय करकप्रे क्षर भर ममें शत्रपुओमं कगो मरार
डरालरा॥20 (क)॥
* हरहषत बरषहहमं सपुमन सपुर बराजहहमं गगन हनसरान।
अस्तपुहत करर करर सब चलप्रे सगोहभत हबहबध हबमरान॥20 ख॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा हहषर्णत हगोकर फिपू ल बरसरातप्रे हमैं, आकराश ममें नगराडप्रे बज रहप्रे हमैं। हफिर वप्रे सब स्तपुहत
कर-करकप्रे अनप्रेकर हवमरानर पर सपुशगोहभत हह ए चलप्रे गए॥20 (ख)॥
चरौपराई :
* जब रघपुनरार समर ररपपु जश्रीतप्रे। सपुर नर मपुहन सब कप्रे भय बश्रीतप्रे॥
तब लहछमन सश्रीतहह लहै आए। पभपु पद परत हरहष उर लराए॥1॥
भरावरारर्ण:-जब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे यद
पु ममें शत्रपुओमं कगो जश्रीत हलयरा तररा दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन
सबकप्रे भय नष्टि हगो गए, तब लक्ष्मरजश्री सश्रीतराजश्री कगो लप्रे आए। चररर ममें पडतप्रे हह ए उनकगो पभपु नप्रे
पसन्नतरापपूवर्णक उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥1॥
* सश्रीतरा हचतव स्यराम ममृद पु गरातरा। परम पप्रेम लगोचन न अघरातरा॥
पमंचबटहीं बहस शश्री रघपुनरायक। करत चररत सपुर मपुहन सपुखदरायक॥2॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री शश्री ररामजश्री कप्रे श्यराम और कगोमल शरश्रीर कगो परम पप्रेम कप्रे सरार दप्रेख रहश्री हमैं, नप्रेत्र
अघरातप्रे नहहीं हमैं। इस पकरार पमंचवटश्री ममें बसकर शश्री रघपुनरारजश्री दप्रेवतराओमं और मपुहनयर कगो सपुख दप्रेनप्रे
वरालप्रे चररत्र करनप्रे लगप्रे॥2॥

शपूपर्णरखरा करा ररावर कप्रे हनकट जरानरा, शश्री सश्रीतराजश्री करा अहग्नि पवप्रेश और मरायरा सश्रीतरा
* धपुआहूँ दप्रेहख खरदषपू न कप्रे ररा। जराइ सपुपनखराहूँ ररावन पप्रेररा॥
बगोलश्री बचन कगोध करर भरारश्री। दप्रेस कगोस कहै सपुरहत हबसरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-खर-दषपू र करा हवध्वमंस दप्रेखकर शपूपर्णरखरा नप्रे जराकर ररावर कगो भडकरायरा। वह बडरा कगोध
करकप्रे वचन बगोलश्री- तपूनप्रे दप्रेश और खजरानप्रे ककी सपुहध हश्री भपुलरा दश्री॥3॥
* करहस परान सगोवहस हदनपु ररातश्री। सपुहध नहहमं तव हसर पर आररातश्री॥
रराज नश्रीहत हबनपु धन हबनपु धमरार्ण। हररहह समपर्दे हबनपु सतकमरार्ण॥ 4॥
हबद्यरा हबनपु हबबप्रेक उपजराएहूँ। शम फिल पढमें हकएहूँ अर पराएहूँ॥
समंग तमें जतश्री कपु ममंत्र तप्रे रराजरा। मरान तप्रे ग्यरान परान तमें लराजरा॥5॥
भरावरारर्ण:-शरराब पश्री लप्रेतरा हहै और हदन-ररात पडरा सगोतरा रहतरा हहै। तपुझप्रे खबर नहहीं हहै हक शत्रपु तप्रेरप्रे हसर
पर खडरा हहै? नश्रीहत कप्रे हबनरा रराज्य और धमर्ण कप्रे हबनरा धन पराप्त करनप्रे सप्रे, भगवरान कगो समपर्णर हकए
हबनरा उरम कमर्ण करनप्रे सप्रे और हववप्रेक उत्पन्न हकए हबनरा हवद्यरा पढनप्रे सप्रे परररराम ममें शम हश्री हरार
लगतरा हहै। हवषयर कप्रे समंग सप्रे समंन्यरासश्री, बपुरश्री सलराह सप्रे रराजरा, मरान सप्रे जरान, महदररा परान सप्रे
लजरा,॥4-5॥
* पश्रीहत पनय हबनपु मद तप्रे गपुनश्री। नरासहहमं बप्रेहग नश्रीहत अस सपुनश्री॥ 6॥
भरावरारर्ण:-नम्रतरा कप्रे हबनरा (नम्रतरा न हगोनप्रे सप्रे) पश्रीहत और मद (अहमंकरार) सप्रे गपुरवरान शश्रीघ्र हश्री नष्टि
हगो जरातप्रे हमैं, इस पकरार नश्रीहत ममैंनप्रे सपुनश्री हहै॥6॥
सगोरठरा :
* ररपपु रज परावक पराप पभपु अहह गहनअ न छगोट करर।
अस कहह हबहबध हबलराप करर लरागश्री रगोदन करन॥21 क॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु, रगोग, अहग्नि, पराप, स्वरामश्री और सपर्ण कगो छगोटरा करकप्रे नहहीं समझनरा चराहहए। ऐसरा
कहकर शपूपर्णरखरा अनप्रेक पकरार सप्रे हवलराप करकप्रे रगोनप्रे लगश्री॥21 (क)॥
दगोहरा :
* सभरा मराझ परर ब्यराकपुल बहह पकरार कह रगोइ।
तगोहह हजअत दसकमंधर मगोरर हक अहस गहत हगोइ॥21 ख॥
भरावरारर्ण:-(ररावर ककी) सभरा कप्रे बश्रीच वह व्यराकपुल हगोकर पडश्री हह ई बहह त पकरार सप्रे रगो-रगोकर कह
रहश्री हहै हक अरप्रे दशगश्रीव! तप्रेरप्रे जश्रीतप्रे जश्री मप्रेरश्री क्यरा ऐसश्री दशरा हगोनश्री चराहहए?॥21 (ख)॥
चरौपराई :
* सपुनत सभरासद उठप्रे अकपु लराई। समपुझराई गहह बराहूँह उठराई॥
कह लमंकप्रेस कहहस हनज बरातरा। कप्रे इहूँ तव नरासरा करान हनपरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शपूपर्णरखरा कप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री सभरासदम अकपु लरा उठप्रे। उन्हरनप्रे शपूपर्णरखरा ककी बराहहूँ पकडकर
उसप्रे उठरायरा और समझरायरा। लमंकरापहत ररावर नप्रे कहरा- अपनश्री बरात तगो बतरा, हकसनप्रे तप्रेरप्रे नराक-
करान कराट हलए?॥1॥
* अवध नमृपहत दसरर कप्रे जराए। पपुरष हसमंघ बन खप्रेलन आए॥
समपुहझ परश्री मगोहह उन्ह कहै करनश्री। रहहत हनसराचर कररहहहमं धरनश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(वह बगोलश्री-) अयगोध्यरा कप्रे रराजरा दशरर कप्रे पपुत्र, जगो पपुरषर ममें हसमंह कप्रे समरान हमैं, वन ममें
हशकरार खप्रेलनप्रे आए हमैं। मपुझप्रे उनककी करनश्री ऐसश्री समझ पडश्री हहै हक वप्रे पमृथ्वश्री कगो रराक्षसर सप्रे रहहत कर
दमेंगप्रे॥2॥
* हजन्ह कर भपुजबल पराइ दसरानन। अभय भए हबचरत मपुहन करानन॥
दप्रेखत बरालक कराल समरानरा। परम धश्रीर धन्वश्री गपुन नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हजनककी भपुजराओमं करा बल पराकर हप्रे दशमपुख! मपुहन लगोग वन ममें हनभर्णय हगोकर हवचरनप्रे लगप्रे
हमैं। वप्रे दप्रेखनप्रे ममें तगो बरालक हमैं, पर हमैं कराल कप्रे समरान। वप्रे परम धश्रीर, शप्रेष धनपुधर्णर और अनप्रेकर गपुरर
पु हमैं॥3॥
सप्रे यक्त
* अतपुहलत बल पतराप दरौ ररातरा। खल बध रत सपुर मपुहन सपुखदरातरा॥
सगोभरा धराम रराम अस नरामरा। हतन्ह कप्रे समंग नरारर एक स्यरामरा॥4॥
भरावरारर्ण:-दगोनर भराइयर करा बल और पतराप अतपुलनश्रीय हहै। वप्रे दष्टिपु र करा वध करनप्रे ममें लगप्रे हमैं और
दप्रेवतरा तररा मपुहनयर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। वप्रे शगोभरा कप्रे धराम हमैं, 'रराम' ऐसरा उनकरा नराम हहै। उनकप्रे
सरार एक तररश्री सपुदमं र स्त्रश्री हहै॥4॥
* रूप रराहस हबहध नरारर सहूँवरारश्री। रहत सत कगोहट तरासपु बहलहरारश्री॥
तरासपु अनपुज कराटप्रे शपुहत नरासरा। सपुहन तव भहगहन करहहमं पररहरासरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हवधरातरा नप्रे उस स्त्रश्री कगो ऐसश्री रूप ककी रराहश बनरायरा हहै हक सरौ करगोड रहत (करामदप्रेव ककी
स्त्रश्री) उस पर हनछरावर हमैं। उन्हहीं कप्रे छगोटप्रे भराई नप्रे मप्रेरप्रे नराक-करान कराट डरालप्रे। ममैं तप्रेरश्री बहहन हह,हूँ यह
सपुनकर वप्रे मप्रेरश्री हहूँसश्री करनप्रे लगप्रे॥5॥
* खर दषपू न सपुहन लगप्रे पपुकराररा। छन महह हूँ सकल कटक उन्ह मराररा॥
खर दषपू न हतहसररा कर घरातरा। सपुहन दससश्रीस जरप्रे सब गरातरा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरश्री पपुकरार सपुनकर खर-दषपू र सहरायतरा करनप्रे आए। पर उन्हरनप्रे क्षर भर ममें सरारश्री सप्रेनरा
कगो मरार डरालरा। खर-दषपू न और हत्रहशररा करा वध सपुनकर ररावर कप्रे सरारप्रे अमंग जल उठप्रे॥6॥
दगोहरा :
* सपूपनखहह समपुझराइ करर बल बगोलप्रेहस बहह भराहूँहत।
गयउ भवन अहत सगोचबस नश्रीद परइ नहहमं रराहत॥22॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे शपूपर्णरखरा कगो समझराकर बहह त पकरार सप्रे अपनप्रे बल करा बखरान हकयरा, हकन्तपु (मन
ममें) वह अत्यन्त हचमंतरावश हगोकर अपनप्रे महल ममें गयरा, उसप्रे ररात भर नहींद नहहीं पडश्री॥22॥
चरौपराई :
* सपुर नर असपुर नराग खग मराहहीं। मगोरप्रे अनपुचर कहहूँ कगोउ नराहहीं॥
खर दषपू न मगोहह सम बलवमंतरा। हतन्हहह कगो मरारइ हबनपु भगवमंतरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(वह मन हश्री मन हवचरार करनप्रे लगरा-) दप्रेवतरा, मनपुष्य, असपुर, नराग और पहक्षयर ममें कगोई
ऐसरा नहहीं, जगो मप्रेरप्रे सप्रेवक कगो भश्री परा सकप्रे । खर-दषपू र तगो मप्रेरप्रे हश्री समरान बलवरान रप्रे। उन्हमें भगवरान
कप्रे हसवरा और करौन मरार सकतरा हहै?॥1॥
* सपुर रमंजन भमंजन महह भराररा। जजौं भगवमंत लश्रीन्ह अवतराररा॥
तरौ ममैं जराइ बहैर हहठ करऊहूँ। पभपु सर परान तजमें भव तरऊहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे और पमृथ्वश्री करा भरार हरर करनप्रे वरालप्रे भगवरान नप्रे हश्री यहद
अवतरार हलयरा हहै, तगो ममैं जराकर उनसप्रे हठपपूवर्णक वहैर करूहूँगरा और पभपु कप्रे बरार (कप्रे आघरात) सप्रे
परार छगोडकर भवसरागर सप्रे तर जराऊहूँगरा॥2॥
* हगोइहह भजनपु न तरामस दप्रेहरा। मन कम बचन ममंत्र दृढ एहरा॥
जजौं नररूप भपूपसपुत कगोऊ। हररहउहूँ नरारर जश्रीहत रन दगोऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-इस तरामस शरश्रीर सप्रे भजन तगो हगोगरा नहहीं, अतएव मन, वचन और कमर्ण सप्रे यहश्री दृढ
हनश्चय हहै। और यहद वप्रे मनपुष्य रूप कगोई रराजकपु मरार हरगप्रे तगो उन दगोनर कगो रर ममें जश्रीतकर उनककी
स्त्रश्री कगो हर लपूहूँगरा॥3॥
* चलरा अकप्रे ल जरान चहढ तहवराहूँ। बस मरारश्रीच हसमंधपु तट जहवराहूँ॥
इहराहूँ रराम जहस जपुगपुहत बनराई। सपुनहह उमरा सगो कररा सपुहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-रराक्षसर ककी भयरानक सप्रेनरा आ गई हहै। जरानककीजश्री कगो लप्रेकर तपुम पवर्णत ककी कमं दररा ममें चलप्रे
जराओ। सरावधरान रहनरा। पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे वचन सपुनकर लक्ष्मरजश्री हरार ममें धनपुष-बरार हलए
शश्री सश्रीतराजश्री सहहत चलप्रे॥6॥
दगोहरा :
* लहछमन गए बनहहमं जब लप्रेन मपूल फिल कमंद।
जनकसपुतरा सन बगोलप्रे हबहहस कमृ परा सपुख बमृमंद॥23॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री जब कमंद-मपूल-फिल लप्रेनप्रे कप्रे हलए वन ममें गए, तब (अकप्रे लप्रे ममें) कमृ परा और
सपुख कप्रे समपूह शश्री ररामचमंदजश्री हहूँसकर जरानककीजश्री सप्रे बगोलप्रे -॥23॥
चरौपराई :
* सपुनहह हपयरा ब्रत रहचर सपुसश्रीलरा। ममैं कछपु करहब लहलत नरलश्रीलरा॥
तपुम्ह परावक महह हूँ करहह हनवरासरा। जरौ लहग करजौं हनसराचर नरासरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हपयप्रे! हप्रे सपुदमं र पहतव्रत धमर्ण करा परालन करनप्रे वरालश्री सपुशश्रीलप्रे! सपुनगो! ममैं अब कपु छ
मनगोहर मनपुष्य लश्रीलरा करूहूँगरा, इसहलए जब तक ममैं रराक्षसर करा नराश करूहूँ, तब तक तपुम अहग्नि ममें
हनवरास करगो॥1॥
* जबहहमं रराम सब कहरा बखरानश्री। पभपु पद धरर हहयहूँ अनल समरानश्री॥
हनज पहतहबमंब रराहख तहहूँ सश्रीतरा। तहैसइ सश्रील रूप सपुहबनश्रीतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे ज्यर हश्री सब समझराकर कहरा, त्यर हश्री शश्री सश्रीतराजश्री पभपु कप्रे चररर कगो हृदय
ममें धरकर अहग्नि ममें समरा गई।मं सश्रीतराजश्री नप्रे अपनश्री हश्री छरायरा मपूहतर्ण वहराहूँ रख दश्री, जगो उनकप्रे जहैसप्रे हश्री
शश्रील-स्वभराव और रूपवरालश्री तररा वहैसप्रे हश्री हवनम्र रश्री॥2॥
* लहछमनहह हूँ यह मरमपु न जरानरा। जगो कछपु चररत रचरा भगवरानरा॥
दसमपुख गयउ जहराहूँ मरारश्रीचरा। नराइ मरार स्वरारर रत नश्रीचरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भगवरान नप्रे जगो कपु छ लश्रीलरा रचश्री, इस रहस्य कगो लक्ष्मरजश्री नप्रे भश्री नहहीं जरानरा। स्वरारर्ण
पररायर और नश्रीच ररावर वहराहूँ गयरा, जहराहूँ मरारश्रीच ररा और उसकगो हसर नवरायरा॥3॥
* नवहन नश्रीच कहै अहत दख
पु दराई। हजहम अमंकपुस धनपु उरग हबलराई॥
भयदरायक खल कहै हपय बरानश्री। हजहम अकराल कप्रे कपु सपुम भवरानश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- नश्रीच करा झपुकनरा (नम्रतरा) भश्री अत्यन्त दद्धाःपु खदरायश्री हगोतरा हहै। जहैसप्रे अमंकपुश, धनपुष, सराहूँप
और हबल्लश्री करा झपुकनरा। हप्रे भवरानश्री! दष्टिपु ककी मश्रीठश्री वरारश्री भश्री (उसश्री पकरार) भय दप्रेनप्रे वरालश्री हगोतश्री हहै,
जहैसप्रे हबनरा ऋतपु कप्रे फिपूल!॥4॥

मरारश्रीच पसमंग और स्वरर्णममृग रूप ममें मरारश्रीच करा मराररा जरानरा, सश्रीतराजश्री दराररा लक्ष्मर कगो भप्रेजनरा
दगोहरा :
* करर पपूजरा मरारश्रीच तब सरादर पपूछश्री बरात।
कवन हप्रेतपु मन ब्यग अहत अकसर आयहह तरात॥24॥
भरावरारर्ण:- तब मरारश्रीच नप्रे उसककी पपूजरा करकप्रे आदरपपूवर्णक बरात पपूछश्री- हप्रे तरात! आपकरा मन हकस
करारर इतनरा अहधक व्यग हहै और आप अकप्रे लप्रे आए हमैं?॥24॥
चरौपराई :
* दसमपुख सकल कररा तप्रेहह आगमें। कहश्री सहहत अहभमरान अभरागमें॥
हगोहह कपट ममृग तपुम्ह छलकरारश्री। जप्रेहह हबहध हरर आनजौं नमृपनरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- भराग्यहश्रीन ररावर नप्रे सरारश्री कररा अहभमरान सहहत उसकप्रे सरामनप्रे कहश्री (और हफिर कहरा-)
तपुम छल करनप्रे वरालप्रे कपटममृग बनगो, हजस उपराय सप्रे ममैं उस रराजवधपू कगो हर लराऊहूँ॥1॥
* तप्रेहहमं पपुहन कहरा सपुनहह दससश्रीसरा। तप्रे नररूप चरराचर ईसरा॥
तरासर तरात बयर नहहमं ककीजहै। मरारमें मररअ हजआएहूँ जश्रीजहै॥2॥
भरावरारर्ण:- तब उसनप्रे (मरारश्रीच नप्रे) कहरा- हप्रे दशशश्रीश! सपुहनए। वप्रे मनपुष्य रूप ममें चरराचर कप्रे ईश्वर
हमैं। हप्रे तरात! उनसप्रे वहैर न ककीहजए। उन्हहीं कप्रे मरारनप्रे सप्रे मरनरा और उनकप्रे हजलरानप्रे सप्रे जश्रीनरा हगोतरा हहै
(सबकरा जश्रीवन-मरर उन्हहीं कप्रे अधश्रीन हहै)॥2॥
* मपुहन मख रराखन गयउ कपु मराररा। हबनपु फिर सर रघपुपहत मगोहह मराररा॥
सत जगोजन आयउहूँ छन मराहहीं। हतन्ह सन बयर हकएहूँ भल नराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:- यहश्री रराजकपु मरार मपुहन हवश्वराहमत्र कप्रे यज ककी रक्षरा कप्रे हलए गए रप्रे। उस समय शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे हबनरा फिल करा बरार मपुझप्रे मराररा ररा, हजससप्रे ममैं क्षरभर ममें सरौ यगोजन पर आ हगररा।
उनसप्रे वहैर करनप्रे ममें भलराई नहहीं हहै॥3॥
* भइ मम ककीट भमृमंग ककी नराई। जहहूँ तहहूँ ममैं दप्रेखउहूँ दगोउ भराई॥
जजौं नर तरात तदहप अहत सपूररा। हतन्हहह हबरगोहध न आइहह पपूररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- मप्रेरश्री दशरा तगो भमृमंगश्री कप्रे ककीडप्रे ककी सश्री हगो गई हहै। अब ममैं जहराहूँ-तहराहूँ शश्री रराम-लक्ष्मर दगोनर
भराइयर कगो हश्री दप्रेखतरा हह हूँ। और हप्रे तरात! यहद वप्रे मनपुष्य हमैं, तगो भश्री बडप्रे शपूरवश्रीर हमैं। उनसप्रे हवरगोध
करनप्रे ममें पपूररा न पडप्रेगरा (सफिलतरा नहहीं हमलप्रेगश्री)॥4॥
दगोहरा :
* जप्रेहहमं तराडकरा सपुबराहह हहत खमंडप्रेउ हर कगोदमंड।
खर दषपू न हतहसररा बधप्रेउ मनपुज हक अस बररबमंड॥25॥
भरावरारर्ण:- हजसनप्रे तराडकरा और सपुबराहह कगो मरारकर हशवजश्री करा धनपुष तगोड हदयरा और खर, दषपू र
और हत्रहशररा करा वध कर डरालरा, ऐसरा पचमंड बलश्री भश्री कहहीं मनपुष्य हगो सकतरा हहै?॥25॥
चरौपराई :
* जराहह भवन कपु ल कपु सल हबचरारश्री। सपुनत जररा दश्रीहन्हहस बहह गरारश्री॥
गपुर हजहम मपूढ करहस मम बगोधरा। कहह जग मगोहह समरान कगो जगोधरा॥1॥
भरावरारर्ण:- अतद्धाः अपनप्रे कपु ल ककी कपु शल हवचरारकर आप घर लरौट जराइए। यह सपुनकर ररावर जल
उठरा और उसनप्रे बहह त सश्री गराहलयराहूँ दहीं (दवपु र्णचन कहप्रे)। (कहरा-) अरप्रे मपूखर्ण! तपू गपुर ककी तरह मपुझप्रे
जरान हसखरातरा हहै? बतरा तगो समंसरार ममें मप्रेरप्रे समरान यगोदरा करौन हहै?॥1॥
* तब मरारश्रीच हृदयहूँ अनपुमरानरा। नवहह हबरगोधमें नहहमं कल्यरानरा॥
सस्त्रश्री ममर पभपु सठ धनश्री। बहैद बमंहद कहब भरानस गपुनश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- तब मरारश्रीच नप्रे हृदय ममें अनपुमरान हकयरा हक शस्त्रश्री (शस्त्रधरारश्री), ममर (भप्रेद जराननप्रे
वरालरा), समरर्ण स्वरामश्री, मपूखर्ण, धनवरान, वहैद्य, भराट, कहव और रसगोइयरा- इन नरौ व्यहक्तयर सप्रे
हवरगोध (वहैर) करनप्रे ममें कल्यरार (कपु शल) नहहीं हगोतरा॥2॥
* उभय भराहूँहत दप्रेखरा हनज मरनरा। तब तराहकहस रघपुनरायक सरनरा॥
उतर दप्रेत मगोहह बधब अभरागमें। कस न मरजौं रघपुपहत सर लरागमें॥ 3॥
भरावरारर्ण:- जब मरारश्रीच नप्रे दगोनर पकरार सप्रे अपनरा मरर दप्रेखरा, तब उसनप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी शरर
तककी (अररार्णत उनककी शरर जरानप्रे ममें हश्री कल्यरार समझरा)। (सगोचरा हक) उरर दप्रेतप्रे हश्री (नराहहीं करतप्रे
हश्री) यह अभरागरा मपुझप्रे मरार डरालप्रेगरा। हफिर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे बरार लगनप्रे सप्रे हश्री क्यर न मरूहूँ॥3॥
* अस हजयहूँ जराहन दसरानन समंगरा। चलरा रराम पद पप्रेम अभमंगरा॥
मन अहत हरष जनराव न तप्रेहश्री। आजपु दप्रेहखहउहूँ परम सनप्रेहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- हृदय ममें ऐसरा समझकर वह ररावर कप्रे सरार चलरा। शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें उसकरा अखमंड
पप्रेम हहै। उसकप्रे मन ममें इस बरात करा अत्यन्त हषर्ण हहै हक आज ममैं अपनप्रे परम स्नप्रेहश्री शश्री ररामजश्री कगो
दप्रेखपूहूँगरा, हकन्तपु उसनप्रे यह हषर्ण ररावर कगो नहहीं जनरायरा॥4॥
छन्द :
* हनज परम पश्रीतम दप्रेहख लगोचन सपुफिल करर सपुख पराइहजौं।
शश्रीसहहत अनपुज समप्रेत कमृ पराहनकप्रे त पद मन लराइहजौं॥
हनबरार्णन दरायक कगोध जरा कर भगहत अबसहह बसकरश्री।
हनज पराहन सर समंधराहन सगो मगोहह बहधहह सपुखसरागर हरश्री॥
भरावरारर्ण:-(वह मन हश्री मन सगोचनप्रे लगरा-) अपनप्रे परम हपयतम कगो दप्रेखकर नप्रेत्रर कगो सफिल करकप्रे
सपुख पराऊहूँगरा। जरानककीजश्री सहहत और छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री समप्रेत कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री कप्रे चररर
ममें मन लगराऊहूँगरा। हजनकरा कगोध भश्री मगोक्ष दप्रेनप्रे वरालरा हहै और हजनककी भहक्त उन अवश (हकसश्री कप्रे
वश ममें न हगोनप्रे वरालप्रे, स्वतमंत्र भगवरान) कगो भश्री वश ममें करनप्रे वरालश्री हहै, अब वप्रे हश्री आनमंद कप्रे समपुद
शश्री हरर अपनप्रे हरारर सप्रे बरार सन्धरानकर मप्रेररा वध करमेंगप्रे।
दगोहरा :
* मम पराछमें धर धरावत धरमें सररासन बरान।
हफिरर हफिरर पभपुहह हबलगोहकहउहूँ धन्य न मगो सम आन॥26॥
भरावरारर्ण:- धनपुष-बरार धरारर हकए मप्रेरप्रे पश्रीछप्रे-पश्रीछप्रे पमृथ्वश्री पर (पकडनप्रे कप्रे हलए) दरौडतप्रे हहए पभपु कगो
पू ररा कगोई नहहीं हहै॥26॥
ममैं हफिर-हफिरकर दप्रेखपूहूँगरा। मप्रेरप्रे समरान धन्य दस
चरौपराई :
* तप्रेहह बनहनकट दसरानन गयऊ। तब मरारश्रीच कपटममृग भयऊ॥
अहत हबहचत्र कछपु बरहन न जराई। कनक दप्रेह महन रहचत बनराई॥1॥
भरावरारर्ण:- जब ररावर उस वन कप्रे (हजस वन ममें शश्री रघपुनरारजश्री रहतप्रे रप्रे) हनकट पहह हूँचरा, तब
मरारश्रीच कपटममृग बन गयरा! वह अत्यन्त हश्री हवहचत्र ररा, कपु छ वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा। सगोनप्रे
करा शरश्रीर महरयर सप्रे जडकर बनरायरा ररा॥1॥
* सश्रीतरा परम रहचर ममृग दप्रेखरा। अमंग अमंग सपुमनगोहर बप्रेषरा॥
सपुनहह दप्रेव रघपुबश्रीर कमृ परालरा। एहह ममृग कर अहत सपुदमं र छरालरा॥2॥
भरावरारर्ण:- सश्रीतराजश्री नप्रे उस परम सपुमंदर हहरन कगो दप्रेखरा, हजसकप्रे अमंग-अमंग ककी छटरा अत्यन्त
मनगोहर रश्री। (वप्रे कहनप्रे लगहीं-) हप्रे दप्रेव! हप्रे कमृ परालपु रघपुवश्रीर! सपुहनए। इस ममृग ककी छराल बहह त हश्री
सपुमंदर हहै॥2॥
* सत्यसमंध पभपु बहध करर एहश्री। आनहह चमर्ण कहहत बहैदहप्रे श्री॥
तब रघपुपहत जरानत सब करारन। उठप्रे हरहष सपुर कराजपु सहूँवरारन॥3॥
भरावरारर्ण:- जरानककीजश्री नप्रे कहरा- हप्रे सत्यपहतज पभगो! इसकगो मरारकर इसकरा चमडरा लरा दश्रीहजए।
तब शश्री रघपुनरारजश्री (मरारश्रीच कप्रे कपटममृग बननप्रे करा) सब करारर जरानतप्रे हह ए भश्री, दप्रेवतराओमं करा करायर्ण
बनरानप्रे कप्रे हलए हहषर्णत हगोकर उठप्रे॥3॥
* ममृग हबलगोहक कहट पररकर बराहूँधरा। करतल चराप रहचर सर सराधहूँ रा॥
पभपु लहछमनहह कहरा समपुझराई। हफिरत हबहपन हनहसचर बहह भराई॥4॥
भरावरारर्ण:- हहरन कगो दप्रेखकर शश्री ररामजश्री नप्रे कमर ममें फिमें टरा बराहूँधरा और हरार ममें धनपुष लप्रेकर उस पर
सपुमंदर (हदव्य) बरार चढरायरा। हफिर पभपु नप्रे लक्ष्मरजश्री कगो समझराकर कहरा- हप्रे भराई! वन ममें बहह त सप्रे
रराक्षस हफिरतप्रे हमैं॥4॥
* सश्रीतरा कप्रे रर करप्रेहह रखवरारश्री। बपुहध हबबप्रेक बल समय हबचरारश्री॥
पभपुहह हबलगोहक चलरा ममृग भराजश्री। धराए ररामपु सररासन सराजश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- तपुम बपुहद और हववप्रेक कप्रे दराररा बल और समय करा हवचरार करकप्रे सश्रीतराजश्री ककी रखवरालश्री
करनरा। पभपु कगो दप्रेखकर ममृग भराग चलरा। शश्री ररामचन्दजश्री भश्री धनपुष चढराकर उसकप्रे पश्रीछप्रे दरौडप्रे॥5॥
* हनगम नप्रेहत हसव ध्यरान न परावरा। मरायराममृग पराछमें सगो धरावरा॥
कबहह हूँ हनकट पपुहन दरपू र परराई। कबहह हूँक पगटइ कबहह हूँ छपराई॥6॥
भरावरारर्ण:- वप्रेद हजनकप्रे हवषय ममें 'नप्रेहत-नप्रेहत' कहकर रह जरातप्रे हमैं और हशवजश्री भश्री हजन्हमें ध्यरान ममें
नहहीं परातप्रे (अररार्णत जगो मन और वरारश्री सप्रे हनतरान्त परप्रे हमैं), वप्रे हश्री शश्री ररामजश्री मरायरा सप्रे बनप्रे हहए ममृग
कप्रे पश्रीछप्रे दरौड रहप्रे हमैं। वह कभश्री हनकट आ जरातरा हहै और हफिर द रपू भराग जरातरा हहै। कभश्री तगो पकट हगो
जरातरा हहै और कभश्री हछप जरातरा हहै॥6॥
* पगटत दरपु त करत छल भपूरश्री। एहह हबहध पभपुहह गयउ लहै दरपू श्री॥
तब तहक रराम कहठन सर मराररा। धरहन परप्रेउ करर घगोर पपुकराररा॥ 7॥
भरावरारर्ण:- इस पकरार पकट हगोतरा और हछपतरा हहआ तररा बहह तप्रेरप्रे छल करतरा हहआ वह पभपु कगो दरपू
लप्रे गयरा। तब शश्री ररामचन्दजश्री नप्रे तक कर (हनशरानरा सराधकर) कठगोर बरार मराररा, (हजसकप्रे लगतप्रे
हश्री) वह घगोर शब्द करकप्रे पमृथ्वश्री पर हगर पडरा॥7॥
* लहछमन कर परमहहमं लहै नरामरा। पराछमें सपुहमरप्रेहस मन महह हूँ ररामरा॥
परान तजत पगटप्रेहस हनज दप्रेहरा। सपुहमरप्रेहस ररामपु समप्रेत सनप्रेहरा॥ 8॥
भरावरारर्ण:- पहलप्रे लक्ष्मरजश्री करा नराम लप्रेकर उसनप्रे पश्रीछप्रे मन ममें शश्री ररामजश्री करा स्मरर हकयरा। परार
त्यराग करतप्रे समय उसनप्रे अपनरा (रराक्षसश्री) शरश्रीर पकट हकयरा और पप्रेम सहहत शश्री ररामजश्री करा
स्मरर हकयरा॥8॥
* अमंतर पप्रेम तरासपु पहहचरानरा। मपुहन दल
पु र्णभ गहत दश्रीहन्ह सपुजरानरा॥9॥
भरावरारर्ण:- सपुजरान (सवर्णज) शश्री ररामजश्री नप्रे उसकप्रे हृदय कप्रे पप्रेम कगो पहचरानकर उसप्रे वह गहत
(अपनरा परमपद) दश्री जगो मपुहनयर कगो भश्री दल पु र्णभ हहै॥9॥
दगोहरा :
* हबपपुल सपुमर सपुर बरषहहमं गरावहहमं पभपु गपुन गरार।
हनज पद दश्रीन्ह असपुर कहह हूँ दश्रीनबमंधपु रघपुनरार॥27॥
भरावरारर्ण:- दप्रेवतरा बहह त सप्रे फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं और पभपु कप्रे गपुरर ककी गरारराएहूँ (स्तपुहतयराहूँ) गरा रहप्रे हमैं
(हक) शश्री रघपुनरारजश्री ऐसप्रे दश्रीनबन्धपु हमैं हक उन्हरनप्रे असपुर कगो भश्री अपनरा परम पद दप्रे हदयरा॥ 27॥
चरौपराई :
* खल बहध तपुरत हफिरप्रे रघपुबश्रीररा। सगोह चराप कर कहट तपूनश्रीररा॥
आरत हगररा सपुनश्री जब सश्रीतरा। कह लहछमन सन परम सभश्रीतरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- दष्टिपु मरारश्रीच कगो मरारकर शश्री रघपुवश्रीर तपुरमंत लरौट पडप्रे। हरार ममें धनपुष और कमर ममें तरकस
शगोभरा दप्रे रहरा हहै। इधर जब सश्रीतराजश्री नप्रे दद्धाःपु खभरश्री वरारश्री (मरतप्रे समय मरारश्रीच ककी 'हरा लक्ष्मर' ककी
आवराज) सपुनश्री तगो वप्रे बहह त हश्री भयभश्रीत हगोकर लक्ष्मरजश्री सप्रे कहनप्रे लगहीं॥1॥
* जराहह बप्रेहग समंकट अहत ररातरा। लहछमन हबहहस कहरा सपुनपु मरातरा॥
भमृकपुहट हबलरास समृहष्टि लय हगोई। सपनप्रेहहहूँ समंकट परइ हक सगोई॥2॥
भरावरारर्ण:- तपुम शश्रीघ्र जराओ, तपुम्हरारप्रे भराई बडप्रे समंकट ममें हमैं। लक्ष्मरजश्री नप्रे हहूँसकर कहरा- हप्रे मरातरा!
सपुनगो, हजनकप्रे रमृकपुहट हवलरास (भजौं कप्रे इशरारप्रे) मरात्र सप्रे सरारश्री समृहष्टि करा लय (पलय) हगो जरातरा हहै,
वप्रे शश्री ररामजश्री क्यरा कभश्री स्वप्न ममें भश्री समंकट ममें पड सकतप्रे हमैं ?॥2॥
* मरम बचन जब सश्रीतरा बगोलरा। हरर पप्रेररत लहछमन मन डगोलरा॥
बन हदहस दप्रेव सजौंहप सब कराहह। चलप्रे जहराहूँ ररावन सहस रराहह॥3॥
भरावरारर्ण:- इस पर जब सश्रीतराजश्री कपु छ ममर्ण वचन (हृदय ममें चपुभनप्रे वरालप्रे वचन) कहनप्रे लगहीं, तब
भगवरान ककी पप्रेरररा सप्रे लक्ष्मरजश्री करा मन भश्री चमंचल हगो उठरा। वप्रे शश्री सश्रीतराजश्री कगो वन और हदशराओमं
कप्रे दप्रेवतराओमं कगो सजौंपकर वहराहूँ चलप्रे, जहराहूँ ररावर रूपश्री चन्दमरा कप्रे हलए रराहह रूप शश्री ररामजश्री रप्रे॥3॥

शश्री सश्रीतराहरर और शश्री सश्रीतरा हवलराप


* सपून बश्रीच दसकमंधर दप्रेखरा। आवरा हनकट जतश्री कमें बप्रेषरा॥
जराकमें डर सपुर असपुर डप्रेरराहहीं। हनहस न नश्रीद हदन अन्न न खराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:- ररावर सपूनरा मरौकरा दप्रेखकर यहत (समंन्यरासश्री) कप्रे वप्रेष ममें शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे समश्रीप आयरा,
हजसकप्रे डर सप्रे दप्रेवतरा और दहैत्य तक इतनरा डरतप्रे हमैं हक ररात कगो नहींद नहहीं आतश्री और हदन ममें
(भरपप्रेट) अन्न नहहीं खरातप्रे-॥4॥
* सगो दससश्रीस स्वरान ककी नराई।मं इत उत हचतइ चलरा भहडहराई॥मं
इहम कपु पमंर पग दप्रेत खगप्रेसरा। रह न तप्रेज तन बपुहध बल लप्रेसरा॥5॥
भरावरारर्ण:- वहश्री दस हसर वरालरा ररावर कपु रप्रे ककी तरह इधर-उधर तराकतरा हहआ भहडहराई * (चगोरश्री)
कप्रे हलए चलरा। (कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे गरडजश्री! इस पकरार कपु मरागर्ण पर पहैर रखतप्रे हश्री शरश्रीर
ममें तप्रेज तररा बपुहद एवमं बल करा लप्रेश भश्री नहहीं रह जरातरा॥ 5॥
* सपूनरा पराकर कपु ररा चपुपकप्रे सप्रे बतर्णन-भराडहूँ र ममें मपुहूँह डरालकर कपु छ चपुररा लप्रे जरातरा हहै। उसप्रे 'भहडहराई'
कहतप्रे हमैं।
* नरानरा हबहध करर कररा सपुहराई। रराजनश्रीहत भय पश्रीहत दप्रेखराई॥
कह सश्रीतरा सपुनपु जतश्री गगोसराई।मं बगोलप्रेहह बचन दष्टिपु ककी नराई॥मं 6॥
भरावरारर्ण:- ररावर नप्रे अनप्रेकर पकरार ककी सपुहरावनश्री करराएहूँ रचकर सश्रीतराजश्री कगो रराजनश्रीहत, भय और
पप्रेम हदखलरायरा। सश्रीतराजश्री नप्रे कहरा- हप्रे यहत गगोसराई!मं सपुनगो, तपुमनप्रे तगो दष्टिपु ककी तरह वचन कहप्रे॥6।
* तब ररावन हनज रूप दप्रेखरावरा। भई सभय जब नराम सपुनरावरा॥
कह सश्रीतरा धरर धश्रीरजपु गराढरा। आइ गयउ पभपु रहह खल ठराढरा॥7॥
भरावरारर्ण:- तब ररावर नप्रे अपनरा असलश्री रूप हदखलरायरा और जब नराम सपुनरायरा तब तगो सश्रीतराजश्री
भयभश्रीत हगो गई।मं उन्हरनप्रे गहररा धश्रीरज धरकर कहरा- 'अरप्रे दष्टिपु ! खडरा तगो रह, पभपु आ गए'॥7॥
* हजहम हररबधपुहह छपु द सस चराहरा। भएहस करालबस हनहसचर नराहरा॥
सपुनत बचन दससश्रीस ररसरानरा। मन महह हूँ चरन बमंहद सपुख मरानरा॥8॥
भरावरारर्ण:- जहैसप्रे हसमंह ककी स्त्रश्री कगो तपुच्छ खरगगोश चराहप्रे, वहैसप्रे हश्री अरप्रे रराक्षसरराज! तपू (मप्रेरश्री चराह
करकप्रे ) कराल कप्रे वश हहआ हहै। यप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री ररावर कगो कगोध आ गयरा, परन्तपु मन ममें उसनप्रे
सश्रीतराजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे सपुख मरानरा॥8॥
दगोहरा :
* कगोधवमंत तब ररावन लश्रीहन्हहस रर बहैठराइ।
चलरा गगनपर आतपुर भयहूँ रर हराहूँहक न जराइ॥28॥
भरावरारर्ण:- हफिर कगोध ममें भरकर ररावर नप्रे सश्रीतराजश्री कगो रर पर बहैठरा हलयरा और वह बडश्री उतरावलश्री
कप्रे सरार आकराश मरागर्ण सप्रे चलरा, हकन्तपु डर कप्रे मरारप्रे उससप्रे रर हराहूँकरा नहहीं जरातरा ररा॥28॥
चरौपराई :
* हरा जग एक बश्रीर रघपुररायरा। कप्रे हहमं अपरराध हबसरारप्रेहह दरायरा॥
आरहत हरन सरन सपुखदरायक। हरा रघपुकपुल सरगोज हदननरायक॥1॥
भरावरारर्ण:- (सश्रीतराजश्री हवलराप कर रहश्री रहीं-) हरा जगत कप्रे अहदतश्रीय वश्रीर शश्री रघपुनरारजश्री! आपनप्रे
हकस अपरराध सप्रे मपुझ पर दयरा भपुलरा दश्री। हप्रे दद्धाःपु खर कप्रे हरनप्रे वरालप्रे, हप्रे शरररागत कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे,
हरा रघपुकपुल रूपश्री कमल कप्रे सपूयर्ण!॥1॥
* हरा लहछमन तपुम्हरार नहहमं दगोसरा। सगो फिलपु परायउहूँ ककीन्हप्रेउहूँ रगोसरा॥
हबहबध हबलराप करहत बहैदप्रेहश्री। भपूरर कमृ परा पभपु दरपू र सनप्रेहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- हरा लक्ष्मर! तपुम्हराररा दगोष नहहीं हहै। ममैंनप्रे कगोध हकयरा, उसकरा फिल परायरा। शश्री जरानककीजश्री
बहह त पकरार सप्रे हवलराप कर रहश्री हमैं- (हराय!) पभपु ककी कमृ परा तगो बहह त हहै, परन्तपु वप्रे स्नप्रेहश्री पभपु बहह त
दरपू रह गए हमैं॥2॥
* हबपहत मगोरर कगो पभपुहह सपुनरावरा। पपुरगोडरास चह ररासभ खरावरा॥
पु रारश्री॥3॥
सश्रीतरा कहै हबलराप सपुहन भरारश्री। भए चरराचर जश्रीव दख
भरावरारर्ण:- पभपु कगो मप्रेरश्री यह हवपहर करौन सपुनरावप्रे? यज कप्रे अन्न कगो गदहरा खरानरा चराहतरा हहै।
सश्रीतराजश्री करा भरारश्री हवलराप सपुनकर जड-चप्रेतन सभश्री जश्रीव दद्धाःपु खश्री हगो गए॥3॥

जटराय-पु ररावर-यद
पु , अशगोक वराहटकरा ममें सश्रीतराजश्री कगो रखनरा
* गश्रीधरराज सपुहन आरत बरानश्री। रघपुकपुलहतलक नरारर पहहचरानश्री॥
अधम हनसराचर लश्रीन्हमें जराई। हजहम मलप्रेछ बस कहपलरा गराई॥4॥
भरावरारर्ण:- गमृधरराज जटरायपु नप्रे सश्रीतराजश्री ककी दद्धाःपु खभरश्री वरारश्री सपुनकर पहचरान हलयरा हक यप्रे रघपुकपुल
हतलक शश्री ररामचन्दजश्री ककी पत्नश्री हमैं। (उसनप्रे दप्रेखरा हक) नश्रीच रराक्षस इनकगो (बपुरश्री तरह) हलए जरा
रहरा हहै, जहैसप्रे कहपलरा गराय म्लप्रेच्छ कप्रे परालप्रे पड गई हगो॥4॥
* सश्रीतप्रे पपुहत्र करहस जहन त्ररासरा। कररहउहूँ जरातपुधरान कर नरासरा॥
धरावरा कगोधवमंत खग कहै समें। छपूटइ पहब परबत कहह हूँ जहैसमें॥5॥
भरावरारर्ण:- (वह बगोलरा-) हप्रे सश्रीतप्रे पपुत्रश्री! भय मत कर। ममैं इस रराक्षस करा नराश करूहूँगरा। (यह
कहकर) वह पक्षश्री कगोध ममें भरकर ऐसप्रे दरौडरा, जहैसप्रे पवर्णत ककी ओर वज्र छपू टतरा हगो॥5॥
* रप्रे रप्रे दष्टिपु ठराढ हकन हगो हश्री। हनभर्णय चलप्रेहस न जरानप्रेहह मगोहश्री॥
आवत दप्रेहख कमृ तरामंत समरानरा। हफिरर दसकमंधर कर अनपुमरानरा॥6॥
भरावरारर्ण:- (उसनप्रे ललकरारकर कहरा-) रप्रे रप्रे दष्टिपु ! खडरा क्यर नहहीं हगोतरा? हनडर हगोकर चल
हदयरा! मपुझप्रे तपूनप्रे नहहीं जरानरा? उसकगो यमरराज कप्रे समरान आतरा हहआ दप्रेखकर ररावर घपूमकर मन ममें
अनपुमरान करनप्रे लगरा-॥6॥
* ककी महैनराक हक खगपहत हगोई। मम बल जरान सहहत पहत सगोई॥
जरानरा जरठ जटरायपू एहरा। मम कर तश्रीरर छराहूँहडहह दप्रेहरा॥7॥
भरावरारर्ण:- यह यरा तगो महैनराक पवर्णत हहै यरा पहक्षयर करा स्वरामश्री गरड। पर वह (गरड) तगो अपनप्रे
स्वरामश्री हवष्रपु सहहत मप्रेरप्रे बल कगो जरानतरा हहै! (कपु छ परास आनप्रे पर) ररावर नप्रे उसप्रे पहचरान हलयरा
(और बगोलरा-) यह तगो बपूढरा जटरायपु हहै। यह मप्रेरप्रे हरार रूपश्री तश्रीरर्ण ममें शरश्रीर छगोडप्रेगरा॥7॥
* सपुनत गश्रीध कगोधरातपुर धरावरा। कह सपुनपु ररावन मगोर हसखरावरा॥
तहज जरानहकहह कपु सल गमृह जराहह। नराहहमं त अस हगोइहह बहह बराहह॥8॥
भरावरारर्ण:- यह सपुनतप्रे हश्री गश्रीध कगोध ममें भरकर बडप्रे वप्रेग सप्रे दरौडरा और बगोलरा- ररावर! मप्रेरश्री हसखरावन
सपुन। जरानककीजश्री कगो छगोडकर कपु शलपपूवर्णक अपनप्रे घर चलरा जरा। नहहीं तगो हप्रे बहह त भपुजराओमं वरालप्रे!
ऐसरा हगोगरा हक-॥8॥
* रराम रगोष परावक अहत घगोररा। हगोइहह सकल सलभ कपु ल तगोररा॥
उतर न दप्रेत दसरानन जगोधरा। तबहहमं गश्रीध धरावरा करर कगोधरा॥9॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे कगोध रूपश्री अत्यन्त भयरानक अहग्नि ममें तप्रेररा सराररा वमंश पहतमंगरा (हगोकर
भस्म) हगो जराएगरा। यगोदरा ररावर कपु छ उरर नहहीं दप्रेतरा। तब गश्रीध कगोध करकप्रे दरौडरा॥9॥
* धरर कच हबरर ककीन्ह महह हगररा। सश्रीतहह रराहख गश्रीध पपुहन हफिररा॥
चगोचन्ह मरारर हबदरारप्रेहस दप्रेहश्री। दमंड एक भइ मपुरछरा तप्रेहश्री॥10॥
भरावरारर्ण:- उसनप्रे (ररावर कप्रे ) बराल पकडकर उसप्रे रर कप्रे नश्रीचप्रे उतरार हलयरा, ररावर पमृथ्वश्री पर हगर
पडरा। गश्रीध सश्रीतराजश्री कगो एक ओर बहैठराकर हफिर लरौटरा और चरचर सप्रे मरार -मरारकर ररावर कप्रे शरश्रीर
कगो हवदश्रीरर्ण कर डरालरा। इससप्रे उसप्रे एक घडश्री कप्रे हलए मपूच्छरार्ण हगो गई॥10॥
* तब सकगोध हनहसचर हखहसआनरा। कराढप्रेहस परम करराल कमृ परानरा॥
कराटप्रेहस पमंख पररा खग धरनश्री। सपुहमरर रराम करर अदभपुत करनश्री॥ 11॥
भरावरारर्ण:- तब हखहसयराए हहए ररावर नप्रे कगोधयक्त पु हगोकर अत्यन्त भयरानक कटरार हनकरालश्री और
उससप्रे जटरायपु कप्रे पमंख कराट डरालप्रे। पक्षश्री (जटराय)पु शश्री ररामजश्री ककी अद्भतपु लश्रीलरा करा स्मरर करकप्रे
पमृथ्वश्री पर हगर पडरा॥11॥
* सश्रीतहह जरान चढराइ बहगोरश्री। चलरा उतराइल त्ररास न रगोरश्री॥
करहत हबलराप जराहत नभ सश्रीतरा। ब्यराध हबबस जनपु ममृगश्री सभश्रीतरा॥12॥
भरावरारर्ण:- सश्रीतराजश्री कगो हफिर रर पर चढराकर ररावर बडश्री उतरावलश्री कप्रे सरार चलरा। उसप्रे भय कम न
ररा। सश्रीतराजश्री आकराश ममें हवलराप करतश्री हहई जरा रहश्री हमैं। मरानगो व्यराधप्रे कप्रे वश ममें पडश्री हह ई (जराल ममें
फिहूँसश्री हह ई) कगोई भयभश्रीत हहरनश्री हगो!॥12॥
* हगरर पर बहैठप्रे कहपन्ह हनहरारश्री। कहह हरर नराम दश्रीन्ह पट डरारश्री॥
एहह हबहध सश्रीतहह सगो लहै गयऊ। बन असगोक महहूँ रराखत भयऊ॥13॥
भरावरारर्ण:- पवर्णत पर बहैठप्रे हहए बमंदरर कगो दप्रेखकर सश्रीतराजश्री नप्रे हररनराम लप्रेकर वस्त्र डराल हदयरा। इस
पकरार वह सश्रीतराजश्री कगो लप्रे गयरा और उन्हमें अशगोक वन ममें जरा रखरा॥ 13॥
दगोहरा :
* हरारर पररा खल बहह हबहध भय अर पश्रीहत दप्रेखराइ।
तब असगोक परादप तर रराहखहस जतन करराइ॥29 क॥
भरावरारर्ण:- सश्रीतराजश्री कगो बहह त पकरार सप्रे भय और पश्रीहत हदखलराकर जब वह दष्टिपु हरार गयरा, तब
उन्हमें यत्न करराकप्रे (सब व्यवस्ररा ठश्रीक करराकप्रे) अशगोक वमृक्ष कप्रे नश्रीचप्रे रख हदयरा॥29 (क)॥
नवराह्नपराररायर, छठरा हवशराम

शश्री ररामजश्री करा हवलराप, जटरायपु करा पसमंग, कबन्ध उदरार


* जप्रेहह हबहध कपट कपु रमंग सहूँग धराइ चलप्रे शश्रीरराम।
सगो छहब सश्रीतरा रराहख उर रटहत रहहत हररनराम॥29 ख॥
भरावरारर्ण:- हजस पकरार कपट ममृग कप्रे सरार शश्री ररामजश्री दरौड चलप्रे रप्रे, उसश्री छहव कगो हृदय ममें रखकर
वप्रे हररनराम (ररामनराम) रटतश्री रहतश्री हमैं॥29 (ख)॥
चरौपराई :
* रघपुपहत अनपुजहह आवत दप्रेखश्री। बराहहज हचमंतरा ककीहन्ह हबसप्रेषश्री॥
जनकसपुतरा पररहररहह अकप्रे लश्री। आयहह तरात बचन मम पप्रेलश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- (इधर) शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री कगो आतप्रे दप्रेखकर ब्रराह्य रूप ममें बहह त
हचमंतरा ककी (और कहरा-) हप्रे भराई! तपुमनप्रे जरानककी कगो अकप्रे लश्री छगोड हदयरा और मप्रेरश्री आजरा करा
उल्लमंघन कर यहराहूँ चलप्रे आए!॥1॥
* हनहसचर हनकर हफिरहहमं बन मराहहीं। मम मन सश्रीतरा आशम नराहहीं॥
गहह पद कमल अनपुज कर जगोरश्री। कहप्रेउ नरार कछपु मगोहह न खगोरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- रराक्षसर कप्रे झपुमंड वन ममें हफिरतप्रे रहतप्रे हमैं। मप्रेरप्रे मन ममें ऐसरा आतरा हहै हक सश्रीतरा आशम ममें नहहीं
हहै। छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमलर कगो पकडकर हरार जगोडकर कहरा- हप्रे नरार!
मप्रेररा कपु छ भश्री दगोष नहहीं हहै॥2॥
* अनपुज समप्रेत गए पभपु तहवराहूँ। गगोदरावरर तट आशम जहवराहूँ॥
आशम दप्रेहख जरानककी हश्रीनरा। भए हबकल जस पराकमृत दश्रीनरा॥3॥
भरावरारर्ण:- लक्ष्मरजश्री सहहत पभपु शश्री ररामजश्री वहराहूँ गए, जहराहूँ गगोदरावरश्री कप्रे तट पर उनकरा आशम
ररा। आशम कगो जरानककीजश्री सप्रे रहहत दप्रेखकर शश्री ररामजश्री सराधरारर मनपुष्य ककी भराहूँहत व्यराकपु ल और
दश्रीन (दद्धाःपु खश्री) हगो गए॥3॥
* हरा गपुन खराहन जरानककी सश्रीतरा। रूप सश्रील ब्रत नप्रेम पपुनश्रीतरा॥
लहछमन समपुझराए बहह भराहूँहत। पपूछत चलप्रे लतरा तर पराहूँतश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- (वप्रे हवलराप करनप्रे लगप्रे-) हरा गपुरर ककी खरान जरानककी! हरा रूप, शश्रील, व्रत और हनयमर
ममें पहवत्र सश्रीतप्रे! लक्ष्मरजश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे समझरायरा। तब शश्री ररामजश्री लतराओमं और वमृक्षर ककी
पमंहक्तयर सप्रे पपूछतप्रे हहए चलप्रे॥4॥
* हप्रे खग ममृग हप्रे मधपुकर शप्रेनश्री। तपुम्ह दप्रेखश्री सश्रीतरा ममृगनहैनश्री॥
खमंजन सपुक कपगोत ममृग मश्रीनरा। मधपुप हनकर कगोहकलरा पबश्रीनरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- हप्रे पहक्षयर! हप्रे पशपुओमं! हप्रे भजौंरर ककी पमंहक्तयर! तपुमनप्रे कहहीं ममृगनयनश्री सश्रीतरा कगो दप्रेखरा हहै?
खमंजन, तगोतरा, कबपूतर, हहरन, मछलश्री, भजौंरर करा समपूह, पवश्रीर कगोयल,॥5॥
* कपुमं द कलश्री दराहडम दराहमनश्री। कमल सरद सहस अहहभराहमनश्री॥
बरन परास मनगोज धनपु हमंसरा। गज कप्रे हरर हनज सपुनत पसमंसरा॥6॥
भरावरारर्ण:- कपु न्दकलश्री, अनरार, हबजलश्री, कमल, शरदम करा चमंदमरा और नराहगनश्री, अरर करा पराश,
करामदप्रेव करा धनपुष, हमंस, गज और हसमंह- यप्रे सब आज अपनश्री पशमंसरा सपुन रहप्रे हमैं॥6॥
* शश्री फिल कनक कदहल हरषराहहीं। नप्रेकपु न समंक सकपु च मन मराहहीं॥
सपुनपु जरानककी तगोहह हबनपु आजपू। हरषप्रे सकल पराइ जनपु रराजपू॥7॥
भरावरारर्ण:- बप्रेल, सपुवरर्ण और कप्रे लरा हहषर्णत हगो रहप्रे हमैं। इनकप्रे मन ममें जररा भश्री शमंकरा और समंकगोच नहहीं
हहै। हप्रे जरानककी! सपुनगो, तपुम्हरारप्रे हबनरा यप्रे सब आज ऐसप्रे हहषर्णत हमैं, मरानगो रराज परा गए हर। (अररार्णतम
तपुम्हरारप्रे अमंगर कप्रे सरामनप्रे यप्रे सब तपुच्छ, अपमराहनत और लहजत रप्रे। आज तपुम्हमें न दप्रेखकर यप्रे अपनश्री
शगोभरा कप्रे अहभमरान ममें फिपूल रहप्रे हमैं)॥7॥
* हकहम सहह जरात अनख तगोहह पराहहीं। हपयरा बप्रेहग पगटहस कस नराहहीं॥
एहह हबहध खगोजत हबलपत स्वरामश्री। मनहह हूँ महरा हबरहश्री अहत करामश्री॥8॥
भरावरारर्ण:- तपुमसप्रे यह अनख (स्पधरार्ण) कहै सप्रे सहश्री जरातश्री हहै? हप्रे हपयप्रे! तपुम शश्रीघ्र हश्री पकट क्यर नहहीं
हगोतश्री? इस पकरार (अनन्त ब्रहराण्डर कप्रे अरवरा महरामहहमरामयश्री स्वरूपराशहक्त शश्री सश्रीतराजश्री कप्रे )
स्वरामश्री शश्री ररामजश्री सश्रीतराजश्री कगो खगोजतप्रे हह ए (इस पकरार) हवलराप करतप्रे हमैं, मरानगो कगोई महराहवरहश्री
और अत्यमंत करामश्री पपुरष हगो॥8॥
* पपूरकनराम रराम सपुख ररासश्री। मनपुजचररत कर अज अहबनरासश्री॥
आगमें पररा गश्रीधपहत दप्रेखरा। सपुहमरत रराम चरन हजन्ह रप्रेखरा॥ 9॥
भरावरारर्ण:- पपूरर्णकराम, आनमंद ककी रराहश, अजन्मरा और अहवनराशश्री शश्री ररामजश्री मनपुष्यर कप्रे चररत्र कर
रहप्रे हमैं। आगप्रे (जरानप्रे पर) उन्हरनप्रे गमृधपहत जटरायपु कगो पडरा दप्रेखरा। वह शश्री ररामजश्री कप्रे चररर करा
स्मरर कर रहरा ररा, हजनममें (ध्वजरा, कपु हलश आहद ककी) रप्रेखराएहूँ (हचह्न) हमैं॥9॥
दगोहरा :
* कर सरगोज हसर परसप्रेउ कमृ पराहसमंधपु रघपुबश्रीर।
हनरहख रराम छहब धराम मपुख हबगत भई सब पश्रीर॥30॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा सरागर शश्री रघपुवश्रीर नप्रे अपनप्रे करकमल सप्रे उसकप्रे हसर करा स्पशर्ण हकयरा (उसकप्रे हसर
पर करकमल फिप्रे र हदयरा)। शगोभराधराम शश्री ररामजश्री करा (परम सपुदमं र) मपुख दप्रेखकर उसककी सब पश्रीडरा
जरातश्री रहश्री॥30॥
चरौपराई :
* तब कह गश्रीध बचन धरर धश्रीररा। सपुनहह रराम भमंजन भव भश्रीररा॥
नरार दसरानन यह गहत ककीन्हश्री। तप्रेहहमं खल जनकसपुतरा हरर लश्रीन्हश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- तब धश्रीरज धरकर गश्रीध नप्रे यह वचन कहरा- हप्रे भव (जन्म-ममृत्य)पु कप्रे भय करा नराश करनप्रे
वरालप्रे शश्री ररामजश्री! सपुहनए। हप्रे नरार! ररावर नप्रे मप्रेरश्री यह दशरा ककी हहै। उसश्री दष्टिपु नप्रे जरानककीजश्री कगो हर
हलयरा हहै॥1॥
* लहै दहच्छन हदहस गयउ गगोसराई।मं हबलपहत अहत कपु ररश्री ककी नराई॥मं
दरस लराग पभपु रराखप्रेउहूँ परानरा। चलन चहत अब कमृ पराहनधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे गगोसराई!मं वह उन्हमें लप्रेकर दहक्षर हदशरा कगो गयरा हहै। सश्रीतराजश्री कपु ररश्री (कपु जर्ण) ककी तरह
अत्यमंत हवलराप कर रहश्री रहीं। हप्रे पभगो! आपकप्रे दशर्णनर कप्रे हलए हश्री परार रगोक रखप्रे रप्रे। हप्रे कमृ पराहनधरान!
अब यप्रे चलनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥2॥
* रराम कहरा तनपु रराखहह तरातरा। मपुख मपुसपुकराइ कहश्री तप्रेहहमं बरातरा॥
जराकर नराम मरत मपुख आवरा। अधमउ मपुकपुत हगोइ शपुहत गरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे कहरा- हप्रे तरात! शरारश्रीर कगो बनराए रहखए। तब उसनप्रे मपुस्कपु ररातप्रे हह ए मपुहूँह
सप्रे यह बरात कहश्री- मरतप्रे समय हजनकरा नराम मपुख ममें आ जरानप्रे सप्रे अधम (महरानम परापश्री) भश्री मपुक्त हगो
जरातरा हहै, ऐसरा वप्रेद गरातप्रे हमैं-॥3॥
* सगो मम लगोचन गगोचर आगमें। रराखजौं दप्रेह नरार कप्रे हह खराहूँगमें॥
जल भरर नयन कहहहमं रघपुरराई। तरात कमर्ण हनज तमें गहत पराई॥4॥
भरावरारर्ण:- वहश्री (आप) मप्रेरप्रे नप्रेत्रर कप्रे हवषय हगोकर सरामनप्रे खडप्रे हमैं। हप्रे नरार! अब ममैं हकस कमश्री (ककी
पपूहतर्ण) कप्रे हलए दप्रेह कगो रखपूहूँ? नप्रेत्रर ममें जल भरकर शश्री रघपुनरारजश्री कहनप्रे लगप्रे- हप्रे तरात! आपनप्रे
अपनप्रे शप्रेष कमर्मों सप्रे (दल
पु र्णभ) गहत पराई हहै॥4॥
* परहहत बस हजन्ह कप्रे मन मराहहीं। हतन्ह कहह हूँ जग दल
पु र्णभ कछपु नराहहीं॥
तनपु हतज तरात जराहह मम धरामरा। दप्रेउहूँ कराह तपुम्ह पपूरनकरामरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- हजनकप्रे मन ममें दस पू रप्रे करा हहत बसतरा हहै (समरायरा रहतरा हहै), उनकप्रे हलए जगतम ममें कपु छ
भश्री (कगोई भश्री गहत) दल पु र्णभ नहहीं हहै। हप्रे तरात! शरश्रीर छगोडकर आप मप्रेरप्रे परम धराम ममें जराइए। ममैं
आपकगो क्यरा द? हूँपू आप तगो पपूरर्णकराम हमैं (सब कपु छ परा चपुकप्रे हमैं)॥5॥
दगोहरा :
* सश्रीतरा हरन तरात जहन कहहह हपतरा सन जराइ।
जजौं ममैं रराम त कपु ल सहहत कहहहह दसरानन आइ॥31॥
भरावरारर्ण:- हप्रे तरात! सश्रीतरा हरर ककी बरात आप जराकर हपतराजश्री सप्रे न कहहएगरा। यहद ममैं रराम हह हूँ तगो
दशमपुख ररावर कपु टपु म्ब सहहत वहराहूँ आकर स्वयमं हश्री कहप्रेगरा॥31॥
चरौपराई :
* गश्रीध दप्रेह तहज धरर हरर रूपरा। भपूषन बहह पट पश्रीत अनपूपरा॥
स्यराम गरात हबसराल भपुज चरारश्री। अस्तपुहत करत नयन भरर बरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- जटरायपु नप्रे गश्रीध ककी दप्रेह त्यरागकर हरर करा रूप धरारर हकयरा और बहह त सप्रे अनपुपम
(हदव्य) आभपूषर और (हदव्य) पश्रीतराम्बर पहन हलए। श्यराम शरश्रीर हहै, हवशराल चरार भपुजराएहूँ हमैं और
नप्रेत्रर ममें (पप्रेम तररा आनमंद कप्रे आहूँसओपु मं करा) जल भरकर वह स्तपुहत कर रहरा हहै-॥1॥
छमंद :
* जय रराम रूप अनपूप हनगपुर्णन सगपुन गपुन पप्रेरक सहश्री।
दससश्रीस बराहह पचमंड खमंडन चमंड सर ममंडन महश्री॥
परारगोद गरात सरगोज मपुख रराजश्रीव आयत लगोचनमं।
हनत नरौहम ररामपु कमृ पराल बराहह हबसराल भव भय मगोचनमं॥1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे ररामजश्री! आपककी जय हगो। आपकरा रूप अनपुपम हहै, आप हनगपुर्णर हमैं, सगपुर हमैं और
सत्य हश्री गपुरर कप्रे (मरायरा कप्रे ) पप्रेरक हमैं। दस हसर वरालप्रे ररावर ककी पचण्ड भपुजराओमं कगो खमंड-खमंड
करनप्रे कप्रे हलए पचण्ड बरार धरारर करनप्रे वरालप्रे, पमृथ्वश्री कगो सपुशगोहभत करनप्रे वरालप्रे, जलयक्त पु मप्रेघ कप्रे
समरान श्यराम शरश्रीर वरालप्रे, कमल कप्रे समरान मपुख और (लराल) कमल कप्रे समरान हवशराल नप्रेत्रर
वरालप्रे, हवशराल भपुजराओमं वरालप्रे और भव-भय सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे कमृ परालपु शश्री ररामजश्री कगो ममैं हनत्य
नमस्करार करतरा हह हूँ॥1॥
* बलमपमप्रेयमनराहदमजमब्यक्तमप्रेकमगगोचरमं।
गगोहबमंद गगोपर दमंदहर हबग्यरानघन धरनश्रीधरमं॥
जप्रे रराम ममंत्र जपमंत समंत अनमंत जन मन रमंजनमं।
हनत नरौहम रराम अकराम हपय करामराहद खल दल गमंजनमं॥2॥
भरावरारर्ण:- आप अपररहमत बलवरालप्रे हमैं, अनराहद, अजन्मरा, अव्यक्त (हनरराकरार), एक अगगोचर
(अलक्ष्य), गगोहवमंद (वप्रेद वराक्यर दराररा जराननप्रे यगोग्य), इमंहदयर सप्रे अतश्रीत, (जन्म-मरर, सपुख-
दद्धाःपु ख, हषर्ण-शगोकराहद) दमंदर कगो हरनप्रे वरालप्रे, हवजरान ककी घनमपूहतर्ण और पमृथ्वश्री कप्रे आधरार हमैं तररा जगो
समंत रराम ममंत्र कगो जपतप्रे हमैं, उन अनन्त सप्रेवकर कप्रे मन कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। उन हनष्करामहपय
(हनष्करामजनर कप्रे पप्रेमश्री अरवरा उन्हमें हपय) तररा कराम आहद दष्टिपु र (दष्टिपु वमृहरयर) कप्रे दल करा दलन
करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री कगो ममैं हनत्य नमस्करार करतरा हह हूँ॥2॥
* जप्रेहह शपुहत हनरमंजन ब्रह ब्यरापक हबरज अज कहह गरावहहीं।
करर ध्यरान ग्यरान हबरराग जगोग अनप्रेक मपुहन जप्रेहह परावहहीं॥
सगो पगट करनरा कमंद सगोभरा बमृदमं अग जग मगोहई।
मम हृदय पमंकज भमृमंग अमंग अनमंग बहह छहब सगोहई॥3॥
भरावरारर्ण:- हजनकगो शपुहतयराहूँ हनरमंजन (मरायरा सप्रे परप्रे), ब्रह, व्यरापक, हनहवर्णकरार और जन्मरहहत
कहकर गरान करतश्री हमैं। मपुहन हजन्हमें ध्यरान, जरान, वहैरराग्य और यगोग आहद अनप्रेक सराधन करकप्रे परातप्रे
हमैं। वप्रे हश्री कररराकन्द, शगोभरा कप्रे समपूह (स्वयमं शश्री भगवरानम) पकट हगोकर जड-चप्रेतन समस्त जगतम
कगो मगोहहत कर रहप्रे हमैं। मप्रेरप्रे हृदय कमल कप्रे रमर रूप उनकप्रे अमंग-अमंग ममें बहह त सप्रे करामदप्रेवर ककी छहव
शगोभरा परा रहश्री हहै॥3॥
* जगो अगम सपुगम सपुभराव हनमर्णल असम सम सश्रीतल सदरा।
पस्यमंहत जमं जगोगश्री जतन करर करत मन गगो बस सदरा॥
सगो रराम रमरा हनवरास समंतत दरास बस हत्रभपुवन धनश्री।
मम उर बसउ सगो समन समंसमृहत जरासपु ककीरहत परावनश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- जगो अगम और सपुगम हमैं, हनमर्णल स्वभराव हमैं, हवषम और सम हमैं और सदरा शश्रीतल
(शरामंत) हमैं। मन और इमंहदयर कगो सदरा वश ममें करतप्रे हह ए यगोगश्री बहह त सराधन करनप्रे पर हजन्हमें दप्रेख
परातप्रे हमैं। वप्रे तश्रीनर लगोकर कप्रे स्वरामश्री, रमराहनवरास शश्री ररामजश्री हनरमंतर अपनप्रे दरासर कप्रे वश ममें रहतप्रे हमैं। वप्रे
हश्री मप्रेरप्रे हृदय ममें हनवरास करमें, हजनककी पहवत्र ककीहतर्ण आवरागमन कगो हमटरानप्रे वरालश्री हहै॥4॥
दगोहरा :
* अहबरल भगहत मराहग बर गश्रीध गयउ हररधराम।
तप्रेहह ककी हकयरा जरगोहचत हनज कर ककीन्हश्री रराम॥32॥
भरावरारर्ण:- अखमंड भहक्त करा वर मराहूँगकर गमृधरराज जटराय पु शश्री हरर कप्रे परमधराम कगो चलरा गयरा। शश्री
ररामचमंदजश्री नप्रे उसककी (दराहकमर्ण आहद सरारश्री) हकयराएहूँ यररायगोग्य अपनप्रे हरारर सप्रे ककीमं॥32॥
चरौपराई :
* कगोमल हचत अहत दश्रीनदयरालरा। करारन हबनपु रघपुनरार कमृ परालरा॥
गश्रीध अधम खग आहमष भगोगश्री। गहत दश्रीन्हश्री जगो जराचत जगोगश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुनरारजश्री अत्यमंत कगोमल हचर वरालप्रे, दश्रीनदयरालपु और हबनरा हश्री करर कमृ परालपु हमैं।
गश्रीध (पहक्षयर ममें भश्री) अधम पक्षश्री और मरामंसराहरारश्री ररा, उसकगो भश्री वह दल
पु र्णभ गहत दश्री, हजसप्रे
यगोगश्रीजन मराहूँगतप्रे रहतप्रे हमैं॥1॥
* सपुनहह उमरा तप्रे लगोग अभरागश्री। हरर तहज हगोहहमं हबषय अनपुररागश्री।
पपुहन सश्रीतहह खगोजत दरौ भराई। चलप्रे हबलगोकत बन बहह तराई॥2॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! सपुनगो, वप्रे लगोग अभरागप्रे हमैं, जगो भगवरानम कगो छगोडकर
हवषयर सप्रे अनपुरराग करतप्रे हमैं। हफिर दगोनर भराई सश्रीतराजश्री कगो खगोजतप्रे हह ए आगप्रे चलप्रे। वप्रे वन ककी सघनतरा
दप्रेखतप्रे जरातप्रे हमैं॥2॥
* समंकपुल लतरा हबटप घन करानन। बहह खग ममृग तहहूँ गज पमंचरानन॥
आवत पमंर कबमंध हनपरातरा। तप्रेहहमं सब कहश्री सराप कहै बरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह सघन वन लतराओमं और वमृक्षर सप्रे भररा हहै। उसममें बहह त सप्रे पक्षश्री, ममृग, हरारश्री और हसमंह
रहतप्रे हमैं। शश्री ररामजश्री नप्रे ररास्तप्रे ममें आतप्रे हह ए कबमंध रराक्षस कगो मरार डरालरा। उसनप्रे अपनप्रे शराप ककी सरारश्री
बरात कहश्री॥3॥
* दरपु बरासरा मगोहह दश्रीन्हश्री सरापरा। पभपु पद पप्रेहख हमटरा सगो परापरा॥
सपुनपु गमंधबर्ण कहउहूँ ममैं तगोहश्री। मगोहह न सगोहराइ ब्रहकपु ल दगोहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- (वह बगोलरा-) दवपु रार्णसराजश्री नप्रे मपुझप्रे शराप हदयरा ररा। अब पभपु कप्रे चररर कगो दप्रेखनप्रे सप्रे वह
पराप हमट गयरा। (शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे गमंधवर्ण! सपुनगो, ममैं तपुम्हमें कहतरा हह,हूँ ब्रराहरकपु ल सप्रे दगोह
करनप्रे वरालरा मपुझप्रे नहहीं सपुहरातरा॥4॥
दगोहरा :
* मन कम बचन कपट तहज जगो कर भपूसपुर सप्रेव।
मगोहह समप्रेत हबरमंहच हसव बस तराकमें सब दप्रेव॥33॥
भरावरारर्ण:- मन, वचन और कमर्ण सप्रे कपट छगोडकर जगो भपूदप्रेव ब्रराहरर ककी सप्रेवरा करतरा हहै , मपुझ
समप्रेत ब्रहरा, हशव आहद सब दप्रेवतरा उसकप्रे वश हगो जरातप्रे हमैं॥33॥
चरौपराई :
* सरापत तराडत परष कहमंतरा। हबप पपूज्य अस गरावहहमं समंतरा॥
पपूहजअ हबप सश्रील गपुन हश्रीनरा। सपूद न गपुन गन ग्यरान पबश्रीनरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- शराप दप्रेतरा हहआ, मरारतरा हहआ और कठगोर वचन कहतरा हहआ भश्री ब्रराहर पपूजनश्रीय हहै,
ऐसरा समंत कहतप्रे हमैं। शश्रील और गपुर सप्रे हश्रीन भश्री ब्रराहर पपूजनश्रीय हहै। और गपुर गरर सप्रे य क्त
पु और जरान
ममें हनपपुर भश्री शपूद पपूजनश्रीय नहहीं हहै॥1॥
* कहह हनज धमर्ण तराहह समपुझरावरा। हनज पद पश्रीहत दप्रेहख मन भरावरा॥
रघपुपहत चरन कमल हसर नराई। गयउ गगन आपहन गहत पराई॥2॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री नप्रे अपनरा धमर्ण (भरागवत धमर्ण) कहकर उसप्रे समझरायरा। अपनप्रे चररर ममें पप्रेम
दप्रेखकर वह उनकप्रे मन कगो भरायरा। तदनन्तर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररकमलर ममें हसर नवराकर वह
अपनश्री गहत (गमंधवर्ण करा स्वरूप) पराकर आकराश ममें चलरा गयरा॥2॥

शबरश्री पर कमृ परा, नवधरा भहक्त उपदप्रेश और पम्परासर ककी ओर पस्ररान


* तराहह दप्रेइ गहत रराम उदराररा। सबरश्री कमें आशम पगपु धराररा॥
सबरश्री दप्रेहख रराम गमृहहूँ आए। मपुहन कप्रे बचन समपुहझ हजयहूँ भराए॥3॥
भरावरारर्ण:- उदरार शश्री ररामजश्री उसप्रे गहत दप्रेकर शबरश्रीजश्री कप्रे आशम ममें पधरारप्रे। शबरश्रीजश्री नप्रे शश्री
ररामचमंदजश्री कगो घर ममें आए दप्रेखरा, तब मपुहन मतमंगजश्री कप्रे वचनर कगो यराद करकप्रे उनकरा मन पसन्न हगो
गयरा॥3॥
* सरहसज लगोचन बराहह हबसरालरा। जटरा मपुकपुट हसर उर बनमरालरा॥
स्यराम गरौर सपुदमं र दगोउ भराई। सबरश्री परश्री चरन लपटराई॥4॥
भरावरारर्ण:- कमल सदृश नप्रेत्र और हवशराल भपुजराओमं वरालप्रे, हसर पर जटराओमं करा मपुकपुट और हृदय पर
वनमरालरा धरारर हकए हह ए सपुदमं र, सराहूँवलप्रे और गगोरप्रे दगोनर भराइयर कप्रे चररर ममें शबरश्रीजश्री हलपट पडहीं॥
4॥
* पप्रेम मगन मपुख बचन न आवरा। पपुहन पपुहन पद सरगोज हसर नरावरा॥
सरादर जल लहै चरन पखरारप्रे। पपुहन सपुमंदर आसन बहैठरारप्रे॥ 5॥
भरावरारर्ण:- वप्रे पप्रेम ममें मग्नि हगो गई,मं मपुख सप्रे वचन नहहीं हनकलतरा। बरार-बरार चरर-कमलर ममें हसर नवरा
रहश्री हमैं। हफिर उन्हरनप्रे जल लप्रेकर आदरपपूवर्णक दगोनर भराइयर कप्रे चरर धगोए और हफिर उन्हमें सपुदमं र
आसनर पर बहैठरायरा॥5॥
दगोहरा :
* कमंद मपूल फिल सपुरस अहत हदए रराम कहह हूँ आहन।
पप्रेम सहहत पभपु खराए बरारमंबरार बखराहन॥34॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे अत्यमंत रसश्रीलप्रे और स्वराहदष्टि कन्द, मपूल और फिल लराकर शश्री ररामजश्री कगो हदए।
पभपु नप्रे बरार-बरार पशमंसरा करकप्रे उन्हमें पप्रेम सहहत खरायरा॥34॥
चरौपराई :
* पराहन जगोरर आगमें भइ ठराढश्री। पभपुहह हबलगोहक पश्रीहत अहत बराढश्री॥
कप्रे हह हबहध अस्तपुहत करजौं तपुम्हरारश्री। अधम जराहत ममैं जडमहत भरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हफिर वप्रे हरार जगोडकर आगप्रे खडश्री हगो गई।मं पभपु कगो दप्रेखकर उनकरा पप्रेम अत्यमंत बढ गयरा।
(उन्हरनप्रे कहरा-) ममैं हकस पकरार आपककी स्तपुहत करूहूँ? ममैं नश्रीच जराहत ककी और अत्यमंत मपूढ बपुहद
हह हूँ॥1॥
* अधम तप्रे अधम अधम अहत नरारश्री। हतन्ह महहूँ ममैं महतममंद अघरारश्री॥
कह रघपुपहत सपुनपु भराहमहन बरातरा। मरानउहूँ एक भगहत कर नरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- जगो अधम सप्रे भश्री अधम हमैं, हस्त्रयराहूँ उनममें भश्री अत्यमंत अधम हमैं, और उनममें भश्री हप्रे
परापनराशन! ममैं ममंदबपुहद हह।हूँ शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे कहरा- हप्रे भराहमहन! मप्रेरश्री बरात सपुन! ममैं तगो कप्रे वल एक
भहक्त हश्री करा समंबधमं मरानतरा हह॥हूँ 2॥
* जराहत पराहूँहत कपु ल धमर्ण बडराई। धन बल पररजन गपुन चतपुरराई॥
भगहत हश्रीन नर सगोहइ कहै सरा। हबनपु जल बराररद दप्रेहखअ जहैसरा॥3॥
भरावरारर्ण:- जराहत, पराहूँहत, कपु ल, धमर्ण, बडराई, धन, बल, कपु टपु म्ब, गपुर और चतपुरतरा- इन सबकप्रे
हगोनप्रे पर भश्री भहक्त सप्रे रहहत मनपुष्य कहै सरा लगतरा हहै, जहैसप्रे जलहश्रीन बरादल (शगोभराहश्रीन) हदखराई
पडतरा हहै॥3॥
* नवधरा भगहत कहउहूँ तगोहह पराहहीं। सरावधरान सपुनपु धर मन मराहहीं॥
पू रर रहत मम कररा पसमंगरा॥4॥
परम भगहत समंतन्ह कर समंगरा। दस
भरावरारर्ण:- ममैं तपुझसप्रे अब अपनश्री नवधरा भहक्त कहतरा हह हूँ। तपू सरावधरान हगोकर सपुन और मन ममें धरारर
कर। पहलश्री भहक्त हहै समंतर करा सत्समंग। दस पू रश्री भहक्त हहै मप्रेरप्रे कररा पसमंग ममें पप्रेम॥4॥
दगोहरा :
* गपुर पद पमंकज सप्रेवरा तश्रीसरर भगहत अमरान।
चरौहर भगहत मम गपुन गन करइ कपट तहज गरान॥35॥
भरावरारर्ण:- तश्रीसरश्री भहक्त हहै अहभमरानरहहत हगोकर गपुर कप्रे चरर कमलर ककी सप्रेवरा और चरौरश्री भहक्त
यह हहै हक कपट छगोडकर मप्रेरप्रे गपुर समपूहर करा गरान करमें॥ 35॥
चरौपराई :
* ममंत्र जराप मम दृढ हबस्वरासरा। पमंचम भजन सगो बप्रेद पकरासरा॥
छठ दम सश्रील हबरहत बहह करमरा। हनरत हनरमंतर सजन धरमरा॥1॥
भरावरारर्ण:- मप्रेरप्रे (रराम) ममंत्र करा जराप और मपुझममंर दृढ हवश्वरास- यह पराहूँचवहीं भहक्त हहै, जगो वप्रेदर ममें
पहसद हहै। छठश्री भहक्त हहै इमंहदयर करा हनगह, शश्रील (अच्छरा स्वभराव यरा चररत्र), बहह त करायर्मों सप्रे
वहैरराग्य और हनरमंतर समंत पपुरषर कप्रे धमर्ण (आचरर) ममें लगप्रे रहनरा॥1॥
* सरातवहूँ सम मगोहह मय जग दप्रेखरा। मगोतमें समंत अहधक करर लप्रेखरा॥
आठवहूँ जररालराभ समंतगोषरा। सपनप्रेहहहूँ नहहमं दप्रेखइ परदगोषरा॥2॥
भरावरारर्ण:- सरातवहीं भहक्त हहै जगतम भर कगो समभराव सप्रे मपुझममें ओतपगोत (रराममय) दप्रेखनरा और समंतर
कगो मपुझसप्रे भश्री अहधक करकप्रे मराननरा। आठवहीं भहक्त हहै जगो कपु छ हमल जराए, उसश्री ममें समंतगोष करनरा
और स्वप्न ममें भश्री परराए दगोषर कगो न दप्रेखनरा॥2॥
* नवम सरल सब सन छलहश्रीनरा। मम भरगोस हहयहूँ हरष न दश्रीनरा॥
नव महह हूँ एकउ हजन्ह कमें हगोई। नरारर पपुरष सचरराचर कगोई॥3॥
भरावरारर्ण:- नवहीं भहक्त हहै सरलतरा और सबकप्रे सरार कपटरहहत बतरार्णव करनरा, हृदय ममें मप्रेररा भरगोसरा
रखनरा और हकसश्री भश्री अवस्ररा ममें हषर्ण और दहैन्य (हवषराद) करा न हगोनरा। इन नवर ममें सप्रे हजनकप्रे एक
भश्री हगोतश्री हहै, वह स्त्रश्री-पपुरष, जड-चप्रेतन कगोई भश्री हगो-॥3॥
* सगोइ अहतसय हपय भराहमहन मगोरमें। सकल पकरार भगहत दृढ तगोरमें॥
जगोहग बमृमंद दरपु लभ गहत जगोई। तगो कहह हूँ आजपु सपुलभ भइ सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे भराहमहन! मपुझप्रे वहश्री अत्यमंत हपय हहै। हफिर तपुझ ममें तगो सभश्री पकरार ककी भहक्त दृढ हहै।
अतएव जगो गहत यगोहगयर कगो भश्री दल पु र्णभ हहै, वहश्री आज तप्रेरप्रे हलए सपुलभ हगो गई हहै॥4॥
* मम दरसन फिल परम अनपूपरा। जश्रीव पराव हनज सहज सरूपरा॥
जनकसपुतरा कइ सपुहध भराहमनश्री। जरानहह कहह कररबरगराहमनश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- मप्रेरप्रे दशर्णन करा परम अनपुपम फिल यह हहै हक जश्रीव अपनप्रे सहज स्वरूप कगो पराप्त हगो जरातरा
हहै। हप्रे भराहमहन! अब यहद तपू गजगराहमनश्री जरानककी ककी कपु छ खबर जरानतश्री हगो तगो बतरा॥5॥
* पमंपरा सरहह जराहह रघपुरराई। तहहूँ हगोइहह सपुगश्रीव हमतराई॥
सगो सब कहहहह दप्रेव रघपुबश्रीररा। जरानतहह हूँ पपूछहह महतधश्रीररा॥6॥
भरावरारर्ण:- (शबरश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रघपुनरारजश्री! आप पमंपरा नरामक सरगोवर कगो जराइए। वहराहूँ आपककी
सपुगश्रीव सप्रे हमत्रतरा हगोगश्री। हप्रे दप्रेव! हप्रे रघपुवश्रीर! वह सब हराल बतरावप्रेगरा। हप्रे धश्रीरबपुहद! आप सब जरानतप्रे
हह ए भश्री मपुझसप्रे पपूछतप्रे हमैं!॥6॥
* बरार बरार पभपु पद हसर नराई। पप्रेम सहहत सब कररा सपुनराई॥7॥
भरावरारर्ण:- बरार-बरार पभपु कप्रे चररर ममें हसर नवराकर, पप्रेम सहहत उसनप्रे सब कररा सपुनराई॥7॥
छमंद- :
* कहह कररा सकल हबलगोहक हरर मपुख हृदय पद पमंकज धरप्रे।
तहज जगोग परावक दप्रेह परर पद लश्रीन भइ जहहूँ नहहमं हफिरप्रे॥
नर हबहबध कमर्ण अधमर्ण बहह मत सगोकपद सब त्यरागहह ।
हबस्वरास करर कह दरास तपुलसश्री रराम पद अनपुररागहह ॥
भरावरारर्ण:- सब कररा कहकर भगवरानम कप्रे मपुख कप्रे दशर्णन कर, उनकप्रे चररकमलर कगो धरारर कर
हलयरा और यगोगराहग्नि सप्रे दप्रेह कगो त्यराग कर (जलराकर) वह उस दल पु र्णभ हररपद ममें लश्रीन हगो गई, जहराहूँ
सप्रे लरौटनरा नहहीं हगोतरा। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक अनप्रेकर पकरार कप्रे कमर्ण, अधमर्ण और बहह त सप्रे
मत- यप्रे सब शगोकपद हमैं, हप्रे मनपुष्यर! इनकरा त्यराग कर दगो और हवश्वरास करकप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे
चररर ममें पप्रेम करगो।
दगोहरा :
* जराहत हश्रीन अघ जन्म महह मपुक्त ककीहन्ह अहस नरारर।
महराममंद मन सपुख चहहस ऐसप्रे पभपुहह हबसरारर॥36॥
भरावरारर्ण:- जगो नश्रीच जराहत ककी और परापर ककी जन्मभपूहम रश्री, ऐसश्री स्त्रश्री कगो भश्री हजन्हरनप्रे मपुक्त कर
हदयरा, अरप्रे महरादबपु पुर्णहद मन! तपू ऐसप्रे पभपु कगो भपूलकर सपुख चराहतरा हहै?॥36॥
चरौपराई :
* चलप्रे रराम त्यरागरा बन सगोऊ। अतपुहलत बल नर कप्रे हरर दगोऊ॥
हबरहश्री इव पभपु करत हबषरादरा। कहत कररा अनप्रेक समंबरादरा॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे उस वन कगो भश्री छगोड हदयरा और वप्रे आगप्रे चलप्रे। दगोनर भराई अतपुलनश्रीय
बलवरानम और मनपुष्यर ममें हसमंह कप्रे समरान हमैं। पभपु हवरहश्री ककी तरह हवषराद करतप्रे हह ए अनप्रेकर करराएहूँ
और समंवराद कहतप्रे हमैं-॥1॥
* लहछमन दप्रेखपु हबहपन कइ सगोभरा। दप्रेखत कप्रे हह कर मन नहहमं छगोभरा॥
नरारर सहहत सब खग ममृग बमृदमं रा। मरानहह हूँ मगोरर करत हहहमं हनमंदरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे लक्ष्मर! जररा वन ककी शगोभरा तगो दप्रेखगो। इसप्रे दप्रेखकर हकसकरा मन क्षपुब्ध नहहीं हगोगरा?
पक्षश्री और पशपुओमं कप्रे समपूह सभश्री स्त्रश्री सहहत हमैं। मरानगो वप्रे मप्रेरश्री हनमंदरा कर रहप्रे हमैं॥ 3॥
* हमहह दप्रेहख ममृग हनकर परराहहीं। ममृगहीं कहहहमं तपुम्ह कहहूँ भय नराहहीं॥
तपुम्ह आनमंद करहह ममृग जराए। कमंचन ममृग खगोजन ए आए॥3॥
भरावरारर्ण:- हममें दप्रेखकर (जब डर कप्रे मरारप्रे) हहरनर कप्रे झपुमंड भरागनप्रे लगतप्रे हमैं, तब हहरहनयराहूँ उनसप्रे
कहतश्री हमैं- तपुमकगो भय नहहीं हहै। तपुम तगो सराधरारर हहरनर सप्रे पहैदरा हह ए हगो, अतद्धाः तपुम आनमंद करगो। यप्रे
तगो सगोनप्रे करा हहरन खगोजनप्रे आए हमैं॥3॥
* समंग लराइ कररनहीं करर लप्रेहहीं। मरानहह हूँ मगोहह हसखरावनपु दप्रेहहीं॥
सरास्त्र सपुहचमंहतत पपुहन पपुहन दप्रेहखअ। भपूप सपुसप्रेहवत बस नहहमं लप्रेहखअ॥4॥
भरावरारर्ण:- हरारश्री हहरहनयर कगो सरार लगरा लप्रेतप्रे हमैं। वप्रे मरानगो मपुझप्रे हशक्षरा दप्रेतप्रे हमैं (हक स्त्रश्री कगो कभश्री
अकप्रे लश्री नहहीं छगोडनरा चराहहए)। भलश्रीभराहूँहत हचमंतन हकए हहए शरास्त्र कगो भश्री बरार-बरार दप्रेखतप्रे रहनरा
चराहहए। अच्छश्री तरह सप्रेवरा हकए हहए भश्री रराजरा कगो वश ममें नहहीं समझनरा चराहहए॥4॥
* रराहखअ नरारर जदहप उर मराहहीं। जपुबतश्री सरास्त्र नमृपहत बस नराहहीं॥
दप्रेखहह तरात बसमंत सपुहरावरा। हपयरा हश्रीन मगोहह भय उपजरावरा॥5॥
भरावरारर्ण:- और स्त्रश्री कगो चराहप्रे हृदय ममें हश्री क्यर न रखरा जराए, परन्तपु यवपु तश्री स्त्रश्री, शरास्त्र और रराजरा
हकसश्री कप्रे वश ममें नहहीं रहतप्रे। हप्रे तरात! इस सपुदमं र वसमंत कगो तगो दप्रेखगो। हपयरा कप्रे हबनरा मपुझकगो यह भय
उत्पन्न कर रहरा हहै॥5॥
दगोहरा :
* हबरह हबकल बलहश्रीन मगोहह जरानप्रेहस हनपट अकप्रे ल।
सहहत हबहपन मधपुकर खग मदन ककीन्ह बगमप्रेल॥37 क॥
भरावरारर्ण:- मपुझप्रे हवरह सप्रे व्यराकपुल, बलहश्रीन और हबलकपु ल अकप्रे लरा जरानकर करामदप्रेव नप्रे वन, भजौंरर
और पहक्षयर कगो सरार लप्रेकर मपुझ पर धरावरा बगोल हदयरा॥37 (क)॥
* दप्रेहख गयउ ररातरा सहहत तरासपु दतपू सपुहन बरात।
डप्रेररा ककीन्हप्रेउ मनहह हूँ तब कटकपु हटहक मनजरात॥37 ख॥
भरावरारर्ण:- परन्तपु जब उसकरा दतपू यह दप्रेख गयरा हक ममैं भराई कप्रे सरार हह हूँ (अकप्रे लरा नहहीं हह हूँ), तब
उसककी बरात सपुनकर करामदप्रेव नप्रे मरानगो सप्रेनरा कगो रगोककर डप्रेररा डराल हदयरा हहै॥ 37 (ख)॥
चरौपराई :
* हबटप हबसराल लतरा अरझरानश्री। हबहबध हबतरान हदए जनपु तरानश्री॥
कदहल तराल बर धपुजरा पतराकरा। दप्रेहख न मगोह धश्रीर मन जराकरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हवशराल वमृक्षर ममें लतराएहूँ उलझश्री हह ई ऐसश्री मरालपूम हगोतश्री हमैं मरानगो नरानरा पकरार कप्रे तमंबपू तरान
हदए गए हमैं। कप्रे लरा और तराड सपुदमं र ध्वजरा पतराकरा कप्रे समरान हमैं। इन्हमें दप्रेखकर वहश्री नहहीं मगोहहत हगोतरा,
हजसकरा मन धश्रीर हहै॥1॥
* हबहबध भराहूँहत फिपूलप्रे तर नरानरा। जनपु बरानहैत बनप्रे बहह बरानरा॥
कहह हूँ कहह हूँ सपुदमं र हबटप सपुहराए। जनपु भट हबलग हबलग हगोइ छराए॥2॥
भरावरारर्ण:- अनप्रेकर वमृक्ष नरानरा पकरार सप्रे फिपू लप्रे हहए हमैं। मरानगो अलग-अलग बरानरा (वदर) धरारर हकए
हह ए बहह त सप्रे तश्रीरमंदराज हर। कहहीं-कहहीं सपुमंदर वमृक्ष शगोभरा दप्रे रहप्रे हमैं। मरानगो यगोदरा लगोग अलग-अलग
हगोकर छरावनश्री डरालप्रे हर॥2॥
* कपू जत हपक मरानहह हूँ गज मरातप्रे। ढप्रेक महगोख ऊहूँट हबसररातप्रे॥
मगोर चकगोर ककीर बर बराजश्री। पराररावत मरराल सब तराजश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:- कगोयलमें कपू ज रहश्री हमैं, वहश्री मरानगो मतवरालप्रे हरारश्री (हचग्घराड रहप्रे) हमैं। ढप्रेक और महगोख पक्षश्री
मरानगो ऊहूँट और खचर हमैं। मगोर, चकगोर, तगोतप्रे, कबपूतर और हमंस मरानगो सब सपुदमं र तराजश्री (अरबश्री)
घगोडप्रे हमैं॥3॥
* तश्रीहतर लरावक पदचर जपूररा। बरहन न जराइ मनगोज बरूररा॥
रर हगरर हसलरा ददमंपु भपु हीं झरनरा। चरातक बमंदश्री गपुन गन बरनरा॥4॥
भरावरारर्ण:- तश्रीतर और बटप्रेर पहैदल हसपराहहयर कप्रे झपुमंड हमैं। करामदप्रेव ककी सप्रेनरा करा वरर्णन नहहीं हगो
सकतरा। पवर्णतर ककी हशलराएहूँ रर और जल कप्रे झरनप्रे नगराडप्रे हमैं। पपश्रीहप्रे भराट हमैं, जगो गपुरसमपूह
(हवरदरावलश्री) करा वरर्णन करतप्रे हमैं॥4॥
* मधपुकर मपुखर भप्रेरर सहनराई। हत्रहबध बयरारर बसश्रीठहीं आई॥
चतपुरमंहगनश्री सप्रेन सहूँग लश्रीन्हमें। हबचरत सबहह चपुनरौतश्री दश्रीन्हमें॥5॥
भरावरारर्ण:-भजौंरर ककी गपुमंजरार भप्रेरश्री और शहनराई हहै। शश्रीतल, ममंद और सपुगमंहधत हवरा मरानगो दतपू करा कराम
लप्रेकर आई हहै। इस पकरार चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा सरार हलए करामदप्रेव मरानगो सबकगो चपुनरौतश्री दप्रेतरा हह आ
हवचर रहरा हहै॥5॥
* लहछमन दप्रेखत कराम अनश्रीकरा। रहहहमं धश्रीर हतन्ह कहै जग लश्रीकरा॥
ऐहह कमें एक परम बल नरारश्री। तप्रेहह तमें उबर सपुभट सगोइ भरारश्री॥6॥
भरावरारर्ण:- हप्रे लक्ष्मर! करामदप्रेव ककी इस सप्रेनरा कगो दप्रेखकर जगो धश्रीर बनप्रे रहतप्रे हमैं , जगतम ममें उन्हहीं ककी
(वश्रीरर ममें) पहतषरा हगोतश्री हहै। इस करामदप्रेव कप्रे एक स्त्रश्री करा बडरा भरारश्री बल हहै। उससप्रे जगो बच जराए ,
वहश्री शप्रेष यगोदरा हहै॥6॥
दगोहरा :
* तरात तश्रीहन अहत पबल खल कराम कगोध अर लगोभ।
मपुहन हबग्यरान धराम मन करहहमं हनहमष महह हूँ छगोभ॥38 क॥
भरावरारर्ण:- हप्रे तरात! कराम, कगोध और लगोभ- यप्रे तश्रीन अत्यमंत दष्टिपु हमैं। यप्रे हवजरान कप्रे धराम मपुहनयर कप्रे
भश्री मनर कगो पलभर ममें क्षपुब्ध कर दप्रेतप्रे हमैं॥38 (क)॥
* लगोभ कमें इच्छरा दमंभ बल कराम कमें कप्रे वल नरारर।
कगोध कमें परष बचन बल मपुहनबर कहहहमं हबचरारर॥38 ख॥
भरावरारर्ण:- लगोभ कगो इच्छरा और दम्भ करा बल हहै, कराम कगो कप्रे वल स्त्रश्री करा बल हहै और कगोध कगो
कठगोर वचनर करा बराल हहै, शप्रेष मपुहन हवचरार कर ऐसरा कहतप्रे हमैं॥38 (ख)॥
चरौपराई :
* गपुनरातश्रीत सचरराचर स्वरामश्री। रराम उमरा सब अमंतरजरामश्री॥
कराहमन्ह कहै दश्रीनतरा दप्रेखराई। धश्रीरन्ह कमें मन हबरहत दृढराई॥1॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! शश्री ररामचमंदजश्री गपुररातश्रीत (तश्रीनर गपुरर सप्रे परप्रे), चरराचर
जगतम कप्रे स्वरामश्री और सबकप्रे अमंतर ककी जराननप्रे वरालप्रे हमैं। (उपयर्णक्त पु बरातमें कहकर) उन्हरनप्रे करामश्री लगोगर
ककी दश्रीनतरा (बप्रेबसश्री) हदखलराई हहै और धश्रीर (हववप्रेककी) पपुरषर कप्रे मन ममें वहैरराग्य कगो दृढ हकयरा हहै॥
1॥
* कगोध मनगोज लगोभ मद मरायरा। छपू टहहमं सकल रराम ककीमं दरायरा॥
सगो नर इमंदजराल नहहमं भपूलरा। जरा पर हगोइ सगो नट अनपुकपूलरा॥2॥
भरावरारर्ण:- कगोध, कराम, लगोभ, मद और मरायरा- यप्रे सभश्री शश्री ररामजश्री ककी दयरा सप्रे छपू ट जरातप्रे हमैं। वह
नट (नटरराज भगवरानम) हजस पर पसन्न हगोतरा हहै, वह मनपुष्य इमंदजराल (मरायरा) ममें नहहीं भपूलतरा॥
2॥
* उमरा कहउहूँ ममैं अनपुभव अपनरा। सत हरर भजनपु जगत सब सपनरा॥
पपुहन पभपु गए सरगोबर तश्रीररा। पमंपरा नराम सपुभग गमंभश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे उमरा! ममैं तपुम्हमें अपनरा अनपुभव कहतरा हह हूँ- हरर करा भजन हश्री सत्य हहै, यह सराररा जगतम
तगो स्वप्न (ककी भराहूँहत झपूठरा) हहै। हफिर पभपु शश्री ररामजश्री पमंपरा नरामक सपुदमं र और गहरप्रे सरगोवर कप्रे तश्रीर
पर गए॥3॥
* समंत हृदय जस हनमर्णल बरारश्री। बराधहूँ प्रे घराट मनगोहर चरारश्री॥
जहहूँ तहहूँ हपअहहमं हबहबध ममृग नश्रीररा। जनपु उदरार गमृह जराचक भश्रीररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- उसकरा जल समंतर कप्रे हृदय जहैसरा हनमर्णल हहै। मन कगो हरनप्रे वरालप्रे सपुमंदर चरार घराट बहूँधप्रे हह ए
हमैं। भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे पशपु जहराहूँ-तहराहूँ जल पश्री रहप्रे हमैं। मरानगो उदरार दरानश्री पपुरषर कप्रे घर यराचकर ककी भश्रीड
लगश्री हगो!॥4॥
दगोहरा :
* पपुरइहन सघन ओट जल बप्रेहग न पराइअ ममर्ण।
मरायराछन्न न दप्रेहखऐ जहैसमें हनगपुर्णन ब्रह॥39 क॥
भरावरारर्ण:- घनश्री पपुरइनर (कमल कप्रे परर) ककी आड ममें जल करा जल्दश्री पतरा नहहीं हमलतरा। जहैसप्रे
मरायरा सप्रे ढहूँकप्रे रहनप्रे कप्रे करारर हनगपुर्णर ब्रह नहहीं हदखतरा॥39 (क)॥
* सपुखश्री मश्रीन सब एकरस अहत अगराध जल मराहहमं।
जररा धमर्णसश्रीलन्ह कप्रे हदन सपुख समंजपुत जराहहमं॥39 ख॥
भरावरारर्ण:- उस सरगोवर कप्रे अत्यमंत अरराह जल ममें सब मछहलयराहूँ सदरा एकरस (एक समरान) सपुखश्री
रहतश्री हमैं। जहैसप्रे धमर्णशश्रील पपुरषर कप्रे सब हदन सपुखपपूवर्णक बश्रीततप्रे हमैं॥39 (ख)॥
चरौपराई :
* हबकसप्रे सरहसज नरानरा रमंगरा। मधपुर मपुखर गपुमंजत बहह भमृमंगरा॥
बगोलत जलकपु क्कहट कलहमंसरा। पभपु हबलगोहक जनपु करत पसमंसरा॥1॥
भरावरारर्ण:- उसममें रमंग-हबरमंगप्रे कमल हखलप्रे हहए हमैं। बहह त सप्रे भजौंरप्रे मधपुर स्वर सप्रे गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं। जल
कप्रे मपुगर्दे और रराजहमंस बगोल रहप्रे हमैं, मरानगो पभपु कगो दप्रेखकर उनककी पशमंसरा कर रहप्रे हर॥1॥
* चकबराक बक खग समपुदराई। दप्रेखत बनइ बरहन नहहमं जराई॥
सपुमंदर खग गन हगररा सपुहराई। जरात पहरक जनपु लप्रेत बगोलराई॥2॥
भरावरारर्ण:- चकवराक, बगपुलप्रे आहद पहक्षयर करा समपुदराय दप्रेखतप्रे हश्री बनतरा हहै, उनकरा वरर्णन नहहीं
हकयरा जरा सकतरा। सपुदमं र पहक्षयर ककी बगोलश्री बडश्री सपुहरावनश्री लगतश्री हहै , मरानगो (ररास्तप्रे ममें) जरातप्रे हहए
पहरक कगो बपुलराए लप्रेतश्री हगो॥2॥
* तराल समश्रीप मपुहनन्ह गमृह छराए। चहह हदहस करानन हबटप सपुहराए॥
चमंपक बकपु ल कदमंब तमरालरा। पराटल पनस पररास रसरालरा॥3॥
भरावरारर्ण:- उस झश्रील (पमंपरा सरगोवर) कप्रे समश्रीप मपुहनयर नप्रे आशम बनरा रखप्रे हमैं। उसकप्रे चरारर ओर
वन कप्रे सपुदमं र वमृक्ष हमैं। चम्परा, मरौलहसरश्री, कदम्ब, तमराल, पराटल, कटहल, ढराक और आम
आहद-॥3॥
* नव पल्लव कपु सपुहमत तर नरानरा। चमंचरश्रीक पटलश्री कर गरानरा॥
सश्रीतल ममंद सपुगमंध सपुभराऊ। समंतत बहइ मनगोहर बराऊ॥4॥
भरावरारर्ण:- बहह त पकरार कप्रे वमृक्ष नए-नए परर और (सपुगमंहधत) पपुष्पर सप्रे यक्त पु हमैं, (हजन पर) भजौंरर
कप्रे समपूह गपुमंजरार कर रहप्रे हमैं। स्वभराव सप्रे हश्री शश्रीतल, ममंद, सपुगमंहधत एवमं मन कगो हरनप्रे वरालश्री हवरा सदरा
बहतश्री रहतश्री हहै॥4॥
* कपु हह कपु हह कगोहकल धपुहन करहहीं। सपुहन रव सरस ध्यरान मपुहन टरहहीं॥ 5॥
भरावरारर्ण:- कगोयलमें 'कपु हह ' 'कपु हह ' करा शब्द कर रहश्री हमैं। उनककी रसश्रीलश्री बगोलश्री सपुनकर मपुहनयर करा भश्री
ध्यरान टपू ट जरातरा हहै॥5॥
दगोहरा :
* फिल भरारन नहम हबटप सब रहप्रे भपूहम हनअरराइ।
पर उपकरारश्री पपुरष हजहम नवहहमं सपुसपमं हत पराइ॥40॥
भरावरारर्ण:- फिलर कप्रे बगोझ सप्रे झपुककर सरारप्रे वमृक्ष पमृथ्वश्री कप्रे परास आ लगप्रे हमैं, जहैसप्रे परगोपकरारश्री पपुरष
बडश्री सम्पहर पराकर (हवनय सप्रे) झपुक जरातप्रे हमैं॥40॥
चरौपराई :
* दप्रेहख रराम अहत रहचर तलरावरा। मजनपु ककीन्ह परम सपुख परावरा॥
दप्रेखश्री सपुदमं र तरबर छरायरा। बहैठप्रे अनपुज सहहत रघपुररायरा॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री नप्रे अत्यमंत सपुमंदर तरालराब दप्रेखकर स्नरान हकयरा और परम सपुख परायरा। एक
सपुमंदर उरम वमृक्ष ककी छरायरा दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत बहैठ गए॥1॥
* तहहूँ पपुहन सकल दप्रेव मपुहन आए। अस्तपुहत करर हनज धराम हसधराए॥
बहैठप्रे परम पसन्न कमृ परालरा। कहत अनपुज सन कररा रसरालरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हफिर वहराहूँ सब दप्रेवतरा और मपुहन आए और स्तपुहत करकप्रे अपनप्रे-अपनप्रे धराम कगो चलप्रे गए।
कमृ परालपु शश्री ररामजश्री परम पसन्न बहैठप्रे हह ए छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सप्रे रसश्रीलश्री करराएहूँ कह रहप्रे हमैं॥2॥
नरारद-रराम समंवराद
* हबरहवमंत भगवमंतहह दप्रेखश्री। नरारद मन भरा सगोच हबसप्रेषश्री॥
पु भराररा॥3॥
मगोर सराप करर अमंगश्रीकराररा। सहत रराम नरानरा दख
भरावरारर्ण:- भगवरानम कगो हवरहयक्त पु दप्रेखकर नरारदजश्री कप्रे मन ममें हवशप्रेष रूप सप्रे सगोच हहआ। (उन्हरनप्रे
हवचरार हकयरा हक) मप्रेरप्रे हश्री शराप कगो स्वश्रीकरार करकप्रे शश्री ररामजश्री नरानरा पकरार कप्रे दद्धाःपु खर करा भरार सह
रहप्रे हमैं (दद्धाःपु ख उठरा रहप्रे हमैं)॥3॥
* ऐसप्रे पभपुहह हबलगोकउहूँ जराई। पपुहन न बहनहह अस अवसर आई॥
यह हबचरारर नरारद कर बश्रीनरा। गए जहराहूँ पभपु सपुख आसश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- ऐसप्रे (भक्त वत्सल) पभपु कगो जराकर दप्रेखपूहूँ। हफिर ऐसरा अवसर न बन आवप्रेगरा। यह हवचरार
कर नरारदजश्री हरार ममें वश्रीररा हलए हह ए वहराहूँ गए, जहराहूँ पभपु सपुखपपूवर्णक बहैठप्रे हहए रप्रे॥4॥
*गरावत रराम चररत ममृद पु बरानश्री। पप्रेम सहहत बहह भराहूँहत बखरानश्री॥
करत दमंडवत हलए उठराई। रराखप्रे बहह त बरार उर लराई॥5॥
भरावरारर्ण:- वप्रे कगोमल वरारश्री सप्रे पप्रेम कप्रे सरार बहह त पकरार सप्रे बखरान-बखरान कर ररामचररत करा गरान
कर (तप्रे हह ए चलप्रे आ) रहप्रे रप्रे। दण्डवतम करतप्रे दप्रेखकर शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे नरारदजश्री कगो उठरा हलयरा
और बहह त दप्रेर तक हृदय सप्रे लगराए रखरा॥5॥
* स्वरागत पपूहूँहछ हनकट बहैठरारप्रे। लहछमन सरादर चरन पखरारप्रे॥6॥
भरावरारर्ण:- हफिर स्वरागत (कपु शल) पपूछकर परास बहैठरा हलयरा। लक्ष्मरजश्री नप्रे आदर कप्रे सरार उनकप्रे
चरर धगोए॥6॥
दगोहरा :
* नरानरा हबहध हबनतश्री करर पभपु पसन्न हजयहूँ जराहन।
नरारद बगोलप्रे बचन तब जगोरर सरगोरह पराहन॥41॥
भरावरारर्ण:- बहह त पकरार सप्रे हवनतश्री करकप्रे और पभपु कगो मन ममें पसन्न जरानकर तब नरारदजश्री कमल कप्रे
समरान हरारर कगो जगोडकर वचन बगोलप्रे-॥41॥
चरौपराई :
* सपुनहह उदरार सहज रघपुनरायक। सपुमंदर अगम सपुगम बर दरायक॥
दप्रेहह एक बर मरागउहूँ स्वरामश्री। जद्यहप जरानत अमंतरजरामश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे स्वभराव सप्रे हश्री उदरार शश्री रघपुनरारजश्री! सपुहनए। आप सपुमंदर अगम और सपुगम वर कप्रे दप्रेनप्रे
वरालप्रे हमैं। हप्रे स्वरामश्री! ममैं एक वर मराहूँगतरा हह हूँ, वह मपुझप्रे दश्रीहजए, यद्यहप आप अमंतयरार्णमश्री हगोनप्रे कप्रे नरातप्रे
सब जरानतप्रे हश्री हमैं॥1॥
* जरानहह मपुहन तपुम्ह मगोर सपुभराऊ। जन सन कबहह हूँ हक करऊहूँ दरपु राऊ॥
कवन बस्तपु अहस हपय मगोहह लरागश्री। जगो मपुहनबर न सकहह हूँ तपुम्ह मरागश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- (शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे मपुहन! तपुम मप्रेररा स्वभराव जरानतप्रे हश्री हगो। क्यरा ममैं अपनप्रे भक्तर सप्रे
कभश्री कपु छ हछपराव करतरा हह हूँ? मपुझप्रे ऐसश्री करौन सश्री वस्तपु हपय लगतश्री हहै, हजसप्रे हप्रे मपुहनशप्रेष! तपुम नहहीं
मराहूँग सकतप्रे?॥2॥
* जन कहह हूँ कछपु अदप्रेय नहहमं मगोरमें। अस हबस्वरास तजहह जहन भगोरमें॥
तब नरारद बगोलप्रे हरषराई। अस बर मरागउहूँ करउहूँ हढठराई॥3॥
भरावरारर्ण:- मपुझप्रे भक्त कप्रे हलए कपु छ भश्री अदप्रेय नहहीं हहै। ऐसरा हवश्वरास भपूलकर भश्री मत छगोडगो। तब
नरारदजश्री हहषर्णत हगोकर बगोलप्रे- ममैं ऐसरा वर मराहूँगतरा हह हूँ, यह धमृष्टितरा करतरा हह हूँ-॥3॥
* जद्यहप पभपु कप्रे नराम अनप्रेकरा। शपुहत कह अहधक एक तमें एकरा॥
रराम सकल नरामन्ह तप्रे अहधकरा। हगोउ नरार अघ खग गन बहधकरा॥4॥
भरावरारर्ण:- यद्यहप पभपु कप्रे अनप्रेकर नराम हमैं और वप्रेद कहतप्रे हमैं हक वप्रे सब एक सप्रे एक बढकर हमैं , तगो
भश्री हप्रे नरार! ररामनराम सब नरामर सप्रे बढकर हगो और पराप रूपश्री पहक्षयर कप्रे समपूह कप्रे हलए यह वहधक
कप्रे समरान हगो॥4॥
दगोहरा :
* रराकरा रजनश्री भगहत तव रराम नराम सगोइ सगोम।
अपर नराम उडगन हबमल बसहह हूँ भगत उर ब्यगोम॥42 क॥
भरावरारर्ण:-आपककी भहक्त पपूहरर्णमरा ककी रराहत्र हहै, उसममें 'रराम' नराम यहश्री पपूरर्ण चमंदमरा हगोकर और अन्य
सब नराम तराररागर हगोकर भक्तर कप्रे हृदय रूपश्री हनमर्णल आकराश ममें हनवरास करमें॥42 (क)॥
* एवमस्तपु मपुहन सन कहप्रेउ कमृ पराहसमंधपु रघपुनरार।
तब नरारद मन हरष अहत पभपु पद नरायउ मरार॥42 ख॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा सरागर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे मपुहन सप्रे 'एवमस्तपु' (ऐसरा हश्री हगो) कहरा। तब नरारदजश्री नप्रे
मन ममें अत्यमंत हहषर्णत हगोकर पभपु कप्रे चररर ममें मस्तक नवरायरा॥42 (ख)॥
चरौपराई :
* अहत पसन्न रघपुनरारहह जरानश्री। पपुहन नरारद बगोलप्रे ममृद पु बरानश्री॥
रराम जबहहमं पप्रेरप्रेउ हनज मरायरा मगोहप्रेहह मगोहह सपुनहह रघपुररायरा॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुनरारजश्री कगो अत्यमंत पसन्न जरानकर नरारदजश्री हफिर कगोमल वरारश्री बगोलप्रे - हप्रे ररामजश्री!
हप्रे रघपुनरारजश्री! सपुहनए, जब आपनप्रे अपनश्री मरायरा कगो पप्रेररत करकप्रे मपुझप्रे मगोहहत हकयरा ररा,॥1॥
* तब हबबराह ममैं चराहउहूँ ककीन्हरा। पभपु कप्रे हह करारन करहै न दश्रीन्हरा॥
सपुनपु मपुहन तगोहह कहउहूँ सहरगोसरा। भजहहमं जप्रे मगोहह तहज सकल भरगोसरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- तब ममैं हववराह करनरा चराहतरा ररा। हप्रे पभपु! आपनप्रे मपुझप्रे हकस करारर हववराह नहहीं करनप्रे
हदयरा? (पभपु बगोलप्रे-) हप्रे मपुहन! सपुनगो, ममैं तपुम्हमें हषर्ण कप्रे सरार कहतरा हह हूँ हक जगो समस्त आशरा-
भरगोसरा छगोडकर कप्रे वल मपुझकगो हश्री भजतप्रे हमैं,॥2॥
* करउहूँ सदरा हतन्ह कहै रखवरारश्री। हजहम बरालक रराखइ महतरारश्री॥
गह हससपु बच्छ अनल अहह धराई। तहहूँ रराखइ जननश्री अरगराई॥3॥
भरावरारर्ण:- ममैं सदरा उनककी वहैसप्रे हश्री रखवरालश्री करतरा हह,हूँ जहैसप्रे मरातरा बरालक ककी रक्षरा करतश्री हहै। छगोटरा
बचरा जब दरौडकर आग और सराहूँप कगो पकडनप्रे जरातरा हहै, तगो वहराहूँ मरातरा उसप्रे (अपनप्रे हरारर) अलग
करकप्रे बचरा लप्रेतश्री हहै॥3॥
* परौढ भएहूँ तप्रेहह सपुत पर मरातरा। पश्रीहत करइ नहहमं पराहछहल बरातरा॥
मगोरमें परौढ तनय सम ग्यरानश्री। बरालक सपुत सम दरास अमरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:- सयरानरा हगो जरानप्रे पर उस पपुत्र पर मरातरा पप्रेम तगो करतश्री हहै, परन्तपु हपछलश्री बरात नहहीं रहतश्री
(अररार्णतम मरातमृ पररायर हशशपु ककी तरह हफिर उसकगो बचरानप्रे ककी हचमंतरा नहहीं करतश्री , क्यरहक वह मरातरा
पर हनभर्णर न कर अपनश्री रक्षरा आप करनप्रे लगतरा हहै)। जरानश्री मप्रेरप्रे परौढ (सयरानप्रे) पपुत्र कप्रे समरान हहै
और (तपुम्हरारप्रे जहैसरा) अपनप्रे बल करा मरान न करनप्रे वरालरा सप्रेवक मप्रेरप्रे हशशपु पपुत्र कप्रे समरान हहै॥4॥
* जनहह मगोर बल हनज बल तराहश्री। दहपु ह कहहूँ कराम कगोध ररपपु आहश्री॥
यह हबचरारर पमंहडत मगोहह भजहहीं। पराएहह हूँ ग्यरान भगहत नहहमं तजहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:- मप्रेरप्रे सप्रेवक कगो कप्रे वल मप्रेररा हश्री बल रहतरा हहै और उसप्रे (जरानश्री कगो) अपनरा बल हगोतरा हहै।
पर कराम-कगोध रूपश्री शत्रपु तगो दगोनर कप्रे हलए हमैं।(भक्त कप्रे शत्रपुओमं कगो मरारनप्रे ककी हजम्मप्रेवरारश्री मपुझ पर
रहतश्री हहै, क्यरहक वह मप्रेरप्रे पररायर हगोकर मप्रेररा हश्री बल मरानतरा हहै , परन्तपु अपनप्रे बल कगो मराननप्रे वरालप्रे
जरानश्री कप्रे शत्रपुओमं करा नराश करनप्रे ककी हजम्मप्रेवरारश्री मपुझ पर नहहीं हहै।) ऐसरा हवचरार कर पमंहडतजन
(बपुहदमरान लगोग) मपुझकगो हश्री भजतप्रे हमैं। वप्रे जरान पराप्त हगोनप्रे पर भश्री भहक्त कगो नहहीं छगोडतप्रे॥ 5॥
दगोहरा :
* कराम कगोध लगोभराहद मद पबल मगोह कहै धरारर।
हतन्ह महहूँ अहत दरारन दख
पु द मरायरारूपश्री नरारर॥43॥
भरावरारर्ण:- कराम, कगोध, लगोभ और मद आहद मगोह (अजरान) ककी पबल सप्रेनरा हहै। इनममें
मरायरारूहपरश्री (मरायरा ककी सराक्षरातम मपूहतर्ण) स्त्रश्री तगो अत्यमंत दरारर दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै॥43॥
चरौपराई :
* सपुनपु मपुहन कह पपुररान शपुहत समंतरा। मगोह हबहपन कहह हूँ नरारर बसमंतरा॥
जप तप नप्रेम जलराशय झरारश्री। हगोइ गश्रीषम सगोषइ सब नरारश्री॥ 1
भरावरारर्ण:- हप्रे मपुहन! सपुनगो, पपुररार, वप्रेद और समंत कहतप्रे हमैं हक मगोह रूपश्री वन (कगो हवकहसत करनप्रे)
कप्रे हलए स्त्रश्री वसमंत ऋतपु कप्रे समरान हहै। जप, तप, हनयम रूपश्री समंपपूरर्ण जल कप्रे स्ररानर कगो स्त्रश्री गश्रीष्म
रूप हगोकर सवर्णररा सगोख लप्रेतश्री हहै॥1॥
कराम कगोध मद मत्सर भप्रेकरा। इन्हहह हरषपद बरषरा एकरा॥
दबपु रार्णसनरा कपु मपुद समपुदराई। हतन्ह कहहूँ सरद सदरा सपुखदराई॥2॥
भरावरारर्ण:- कराम, कगोध, मद और मत्सर (डराह) आहद ममेंढक हमैं। इनकगो वषरार्ण ऋतपु हगोकर हषर्ण
पदरान करनप्रे वरालश्री एकमरात्र यहश्री (स्त्रश्री) हहै। बपुरश्री वरासनराएहूँ कपु मपुदर कप्रे समपूह हमैं। उनकगो सदहैव सपुख दप्रेनप्रे
वरालश्री यह शरदम ऋतपु हहै॥2॥
* धमर्ण सकल सरसश्रीरह बमृमंदरा। हगोइ हहम हतन्हहह दहइ सपुख ममंदरा॥
पपुहन ममतरा जवरास बहह तराई। पलपुहइ नरारर हसहसर ररतपु पराई॥3॥
भरावरारर्ण:- समस्त धमर्ण कमलर कप्रे झपुमंड हमैं। यह नश्रीच (हवषयजन्य) सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री स्त्रश्री हहमऋतपु
हगोकर उन्हमें जलरा डरालतश्री हहै। हफिर ममतरारूपश्री जवरास करा समपूह (वन) स्त्रश्री रूपश्री हशहशर ऋतपु कगो
पराकर हररा-भररा हगो जरातरा हहै॥3॥
* पराप उलपूक हनकर सपुखकरारश्री। नरारर हनहबड रजनश्री अहूँहधयरारश्री॥
बपुहध बल सश्रील सत्य सब मश्रीनरा। बनसश्री सम हत्रय कहहहमं पबश्रीनरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- पराप रूपश्री उल्लहओमं कप्रे समपूह कप्रे हलए यह स्त्रश्री सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री घगोर अमंधकरारमयश्री रराहत्र हहै।
बपुहद, बल, शश्रील और सत्य- यप्रे सब मछहलयराहूँ हमैं और उन (कगो फिहूँसराकर नष्टि करनप्रे) कप्रे हलए
स्त्रश्री बमंसश्री कप्रे समरान हहै, चतपुर पपुरष ऐसरा कहतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* अवगपुन मपूल सपूलपद पमदरा सब दख
पु खराहन।
तरातप्रे ककीन्ह हनवरारन मपुहन ममैं यह हजयहूँ जराहन॥44॥
भरावरारर्ण:- यवपु तश्री स्त्रश्री अवगपुरर ककी मपूल, पश्रीडरा दप्रेनप्रे वरालश्री और सब दद्धाःपु खर ककी खरान हहै, इसहलए हप्रे
मपुहन! ममैंनप्रे जश्री ममें ऐसरा जरानकर तपुमकगो हववराह करनप्रे सप्रे रगोकरा ररा॥44॥
चरौपराई :
* सपुहन रघपुपहत कप्रे बचन सपुहराए। मपुहन तन पपुलक नयन भरर आए॥
कहहह कवन पभपु कहै अहस रश्रीतश्री। सप्रेवक पर ममतरा अर पश्रीतश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे सपुमंदर वचन सपुनकर मपुहन करा शरश्रीर पपुलहकत हगो गयरा और नप्रेत्र
(पप्रेमराशपुओमं कप्रे जल सप्रे) भर आए। (वप्रे मन हश्री मन कहनप्रे लगप्रे-) कहगो तगो हकस पभपु ककी ऐसश्री रश्रीतश्री
हहै, हजसकरा सप्रेवक पर इतनरा ममत्व और पप्रेम हगो॥1॥

समंतर कप्रे लक्षर और सत्समंग भजन कप्रे हलए पप्रेरररा


* जप्रे न भजहहमं अस पभपु रम त्यरागश्री। ग्यरान रमंक नर ममंद अभरागश्री॥
पपुहन सरादर बगोलप्रे मपुहन नरारद। सपुनहह रराम हबग्यरान हबसरारद॥2॥
भरावरारर्ण:- जगो मनपुष्य रम कगो त्यरागकर ऐसप्रे पभपु कगो नहहीं भजतप्रे, वप्रे जरान कप्रे कमंगराल, दबपु पुर्णहद और
अभरागप्रे हमैं। हफिर नरारद मपुहन आदर सहहत बगोलप्रे- हप्रे हवजरान-हवशरारद शश्री ररामजश्री! सपुहनए-॥2॥
* समंतन्ह कप्रे लच्छन रघपुबश्रीररा। कहहह नरार भव भमंजन भश्रीररा॥
सपुनपु मपुहन समंतन्ह कप्रे गपुन कहऊहूँ। हजन्ह तप्रे ममैं उन्ह कमें बस रहऊहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे रघपुवश्रीर! हप्रे भव-भय (जन्म-मरर कप्रे भय) करा नराश करनप्रे वरालप्रे मप्रेरप्रे नरार! अब
कमृ परा कर समंतर कप्रे लक्षर कहहए! (शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे मपुहन! सपुनगो, ममैं समंतर कप्रे गपुरर कगो
कहतरा हह हूँ, हजनकप्रे करारर ममैं उनकप्रे वश ममें रहतरा हह॥हूँ 3॥
* षट हबकरार हजत अनघ अकरामरा। अचल अहकमंचन सपुहच सपुखधरामरा॥
अहमत बगोध अनश्रीह हमतभगोगश्री। सत्यसरार कहब कगोहबद जगोगश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:- वप्रे समंत (कराम, कगोध, लगोभ, मगोह, मद और मत्सर- इन) छह हवकरारर (दगोषर) कगो
जश्रीतप्रे हहए, परापरहहत, करामनरारहहत, हनश्चल (हस्ररबपुहद), अहकमंचन (सवर्णत्यरागश्री), बराहर-भश्रीतर
सप्रे पहवत्र, सपुख कप्रे धराम, असश्रीम जरानवरानम, इच्छरारहहत, हमतराहरारश्री, सत्यहनष, कहव, हवदरान,
यगोगश्री,॥4॥
* सरावधरान मरानद मदहश्रीनरा। धश्रीर धमर्ण गहत परम पबश्रीनरा॥5॥
भरावरारर्ण:- सरावधरान, दस
पू रर कगो मरान दप्रेनप्रे वरालप्रे, अहभमरानरहहत, धहैयर्णवरान, धमर्ण कप्रे जरान और
आचरर ममें अत्यमंत हनपपुर,॥5॥
दगोहरा :
* गपुनरागरार समंसरार दख
पु रहहत हबगत समंदप्रेह।
तहज मम चरन सरगोज हपय हतन्ह कहह हूँ दप्रेह न गप्रेह॥45॥
भरावरारर्ण:- गपुरर कप्रे घर, समंसरार कप्रे दद्धाःपु खर सप्रे रहहत और समंदप्रेहर सप्रे सवर्णररा छपू टप्रे हह ए हगोतप्रे हमैं। मप्रेरप्रे चरर
कमलर कगो छगोडकर उनकगो न दप्रेह हश्री हपय हगोतश्री हहै, न घर हश्री॥45॥
चरौपराई :
* हनज गपुन शवन सपुनत सकपु चराहहीं। पर गपुन सपुनत अहधक हरषराहहीं॥
सम सश्रीतल नहहमं त्यरागहहमं नश्रीतश्री। सरल सपुभराउ सबहह सन पश्रीहत॥1॥
भरावरारर्ण:- करानर सप्रे अपनप्रे गपुर सपुननप्रे ममें सकपु चरातप्रे हमैं, दस
पू रर कप्रे गपुर सपुननप्रे सप्रे हवशप्रेष हहषर्णत हगोतप्रे हमैं।
सम और शश्रीतल हमैं, न्यराय करा कभश्री त्यराग नहहीं करतप्रे। सरल स्वभराव हगोतप्रे हमैं और सभश्री सप्रे पप्रेम
रखतप्रे हमैं॥1॥
* जप तप ब्रत दम समंजम नप्रेमरा। गपुर गगोहबमंद हबप पद पप्रेमरा॥
शदरा छमरा मयत्रश्री दरायरा। मपुहदतरा मम पद पश्रीहत अमरायरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- वप्रे जप, तप, व्रत, दम, समंयम और हनयम ममें रत रहतप्रे हमैं और गपुर, गगोहवमंद तररा
ब्रराहरर कप्रे चररर ममें पप्रेम रखतप्रे हमैं। उनममें शदरा, क्षमरा, महैत्रश्री, दयरा, मपुहदतरा (पसन्नतरा) और मप्रेरप्रे
चररर ममें हनष्कपट पप्रेम हगोतरा हहै॥2॥
* हबरहत हबबप्रेक हबनय हबग्यरानरा। बगोध जररारर बप्रेद पपुररानरा॥
दमंभ मरान मद करहहमं न कराऊ। भपूहल न दप्रेहहमं कपु मरारग पराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:- तररा वहैरराग्य, हववप्रेक, हवनय, हवजरान (परमरात्मरा कप्रे तत्व करा जरान) और वप्रेद-पपुररार
करा यररारर्ण जरान रहतरा हहै। वप्रे दम्भ, अहभमरान और मद कभश्री नहहीं करतप्रे और भपूलकर भश्री कपु मरागर्ण पर
पहैर नहहीं रखतप्रे॥3॥
* गरावहहमं सपुनहहमं सदरा मम लश्रीलरा। हप्रेतपु रहहत परहहत रत सश्रीलरा॥
मपुहन सपुनपु सराधपुन्ह कप्रे गपुन जप्रेतप्रे। कहह न सकहहमं सरादर शपुहत तप्रेतप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:- सदरा मप्रेरश्री लश्रीलराओमं कगो गरातप्रे-सपुनतप्रे हमैं और हबनरा हश्री करारर दस पू रर कप्रे हहत ममें लगप्रे रहनप्रे
वरालप्रे हगोतप्रे हमैं। हप्रे मपुहन! सपुनगो, समंतर कप्रे हजतनप्रे गपुर हमैं, उनकगो सरस्वतश्री और वप्रेद भश्री नहहीं कह
सकतप्रे॥4॥
छमंद :
* कहह सक न सरारद सप्रेष नरारद सपुनत पद पमंकज गहप्रे।
अस दश्रीनबमंधपु कमृ पराल अपनप्रे भगत गपुन हनज मपुख कहप्रे॥
हसर नराइ बरारहहमं बरार चरनहन्ह ब्रहपपुर नरारद गए।
तप्रे धन्य तपुलसश्रीदरास आस हबहराइ जप्रे हरर रहूँग रहूँए॥
भरावरारर्ण:- 'शप्रेष और शरारदरा भश्री नहहीं कह सकतप्रे' यह सपुनतप्रे हश्री नरारदजश्री नप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे
चररकमल पकड हलए। दश्रीनबमंधपु कमृ परालपु पभपु नप्रे इस पकरार अपनप्रे शश्रीमपुख सप्रे अपनप्रे भक्तर कप्रे गपुर
कहप्रे। भगवरानम कप्रे चररर ममें बरार-बरार हसर नवराकर नरारदजश्री ब्रहलगोक कगो चलप्रे गए। तपुलसश्रीदरासजश्री
कहतप्रे हमैं हक वप्रे पपुरष धन्य हमैं, जगो सब आशरा छगोडकर कप्रे वल शश्री हरर कप्रे रमंग ममें रहूँग गए हमैं।
दगोहरा :
* ररावनरारर जसपु परावन गरावहहमं सपुनहहमं जप्रे लगोग।
रराम भगहत दृढ परावहहमं हबनपु हबरराग जप जगोग॥46 क॥
भरावरारर्ण:- जगो लगोग ररावर कप्रे शत्रपु शश्री ररामजश्री करा पहवत्र यश गरावमेंगप्रे और सपुनमेंगप्रे , वप्रे वहैरराग्य, जप
और यगोग कप्रे हबनरा हश्री शश्री ररामजश्री ककी दृढ भहक्त परावमेंगप्रे॥46 (क)॥
* दश्रीप हसखरा सम जपुबहत तन मन जहन हगोहस पतमंग।
भजहह रराम तहज कराम मद करहह सदरा सतसमंग॥46 ख॥
भरावरारर्ण:- यवपु तश्री हस्त्रयर करा शरश्रीर दश्रीपक ककी लरौ कप्रे समरान हहै, हप्रे मन! तपू उसकरा पहतमंगरा न बन।
कराम और मद कगो छगोडकर शश्री ररामचमंदजश्री करा भजन कर और सदरा सत्समंग कर॥46 (ख)॥
मरासपराररायर, बराईसवराहूँ हवशराम
इहत शश्रीमदरामचररतमरानसप्रे सकलकहलकलपुषहवध्वमंसनप्रे तमृतश्रीयद्धाः सगोपरानद्धाः समराप्तद्धाः।
कहलयगपु कप्रे समंपपूरर्ण परापर कगो हवध्वमंस करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररतमरानस करा यह तश्रीसररा सगोपरान समराप्त
हह आ।
(अरण्य-कराण्ड समराप्त)
शश्रीररामचररतमरानस
हकहष्कमंधराकरामंड
ममंगलराचरर
श्लगोक :
* कपु न्दप्रेन्दश्रीवरसपुन्दररावहतबलरौ हवजरानधरामरावपुभरौ
शगोभराढरौ वरधहन्वनरौ शपुहतनपुतरौ गगोहवपवमृन्दहपयरौ।
मरायरामरानपुषरूहपररौ रघपुवररौ सदमर्णवमर्मौ हहतरौ
सश्रीतरान्वप्रेषरतत्पररौ पहरगतरौ भहक्तपदरौ तरौ हह नद्धाः ॥1॥
भरावरारर्ण:-कपु न्दपपुष्प और नश्रीलकमल कप्रे समरान सपुदमं र गरौर एवमं श्यरामवरर्ण, अत्यमंत बलवरानम, हवजरान
कप्रे धराम, शगोभरा समंपन्न, शप्रेष धनपुधर्णर, वप्रेदर कप्रे दराररा वहन्दत, गरौ एवमं ब्रराहरर कप्रे समपूह कप्रे हपय
(अरवरा पप्रेमश्री), मरायरा सप्रे मनपुष्य रूप धरारर हकए हह ए, शप्रेष धमर्ण कप्रे हलए कवचस्वरूप, सबकप्रे
हहतकरारश्री, शश्री सश्रीतराजश्री ककी खगोज ममें लगप्रे हह ए, पहरक रूप रघपुकपुल कप्रे शप्रेष शश्री ररामजश्री और शश्री
लक्ष्मरजश्री दगोनर भराई हनश्चय हश्री हममें भहक्तपद हर ॥1॥
* ब्रहराम्भगोहधसमपुद्भवमं कहलमलपध्वमंसनमं चराव्ययमं
शश्रीमच्छम्भपुमपुखप्रेन्दसपु पुन्दरवरप्रे समंशगोहभतमं सवर्णदरा।
समंसराररामयभप्रेषजमं सपुखकरमं शश्रीजरानककीजश्रीवनमं
धन्यरास्तप्रे कमृ हतनद्धाः हपबहन्त सततमं शश्रीररामनरामराममृतमम॥2॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सपुकमृतश्री (पपुण्यरात्मरा पपुरष) धन्य हमैं जगो वप्रेद रूपश्री समपुद (कप्रे मरनप्रे) सप्रे उत्पन्न हह ए
कहलयगपु कप्रे मल कगो सवर्णररा नष्टि कर दप्रेनप्रे वरालप्रे, अहवनराशश्री, भगवरान शश्री शमंभपु कप्रे सपुदमं र एवमं शप्रेष मपुख
रूपश्री चमंदमरा ममें सदरा शगोभरायमरान, जन्म-मरर रूपश्री रगोग कप्रे औषध, सबकगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे और शश्री
जरानककीजश्री कप्रे जश्रीवनस्वरूप शश्री रराम नराम रूपश्री अममृत करा हनरमंतर परान करतप्रे रहतप्रे हमैं॥ 2॥
सगोरठरा :
मपुहक्त जन्म महह जराहन ग्यरान खरान अघ हराहन कर।
जहहूँ बस समंभपु भवराहन सगो करासश्री सप्रेइअ कस न ॥
भरावरारर्ण:-जहराहूँ शश्री हशव-परावर्णतश्री बसतप्रे हमैं, उस कराशश्री कगो मपुहक्त ककी जन्मभपूहम, जरान ककी खरान और
परापर करा नराश करनप्रे वरालश्री जरानकर उसकरा सप्रेवन क्यर न हकयरा जराए ?
* जरत सकल सपुर बमृदमं हबषम गरल जप्रेहहमं परान हकय।
तप्रेहह न भजहस मन ममंद कगो कमृ पराल समंकर सररस॥
भरावरारर्ण:-हजस भश्रीषर हलराहल हवष सप्रे सब दप्रेवतरागर जल रहप्रे रप्रे उसकगो हजन्हरनप्रे स्वयमं परान कर
हलयरा, रप्रे मन्द मन! तपू उन शमंकरजश्री कगो क्यर नहहीं भजतरा? उनकप्रे समरान कमृ परालपु (और) करौन
हहै?

शश्री ररामजश्री सप्रे हनपुमरानजश्री करा हमलनरा और शश्री रराम -सपुगश्रीव ककी हमत्रतरा
चरौपराई :
* आगमें चलप्रे बहह रर रघपुररायरा। ररष्यमपूक पबर्णत हनअररायरा॥
तहहूँ रह सहचव सहहत सपुगश्रीवरा। आवत दप्रेहख अतपुल बल सहींवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री हफिर आगप्रे चलप्रे। ऋष्यमपूक पवर्णत हनकट आ गयरा। वहराहूँ (ऋष्यमपूक पवर्णत
पर) ममंहत्रयर सहहत सपुगश्रीव रहतप्रे रप्रे। अतपुलनश्रीय बल ककी सश्रीमरा शश्री ररामचमंदजश्री और लक्ष्मरजश्री कगो
आतप्रे दप्रेखकर-॥1॥
* अहत सभश्रीत कह सपुनपु हनपुमरानरा। पपुरष जपुगल बल रूप हनधरानरा॥
धरर बटपु रूप दप्रेखपु तमैं जराई। कहप्रेसपु जराहन हजयहूँ सयन बपुझराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव अत्यमंत भयभश्रीत हगोकर बगोलप्रे- हप्रे हनपुमरानम! सपुनगो, यप्रे दगोनर पपुरष बल और रूप कप्रे
हनधरान हमैं। तपुम ब्रहचरारश्री करा रूप धरारर करकप्रे जराकर दप्रेखगो। अपनप्रे हृदय ममें उनककी यररारर्ण बरात
जरानकर मपुझप्रे इशरारप्रे सप्रे समझराकर कह दप्रेनरा॥2॥
* पठए बराहल हगोहहमं मन महैलरा। भरागजौं तपुरत तजजौं यह सहैलरा॥
हबप रूप धरर कहप तहहूँ गयऊ। मरार नराइ पपूछत अस भयऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-यहद वप्रे मन कप्रे महलन बराहल कप्रे भप्रेजप्रे हह ए हर तगो ममैं तपुरमंत हश्री इस पवर्णत कगो छगोडकर भराग
जराऊहूँ (यह सपुनकर) हनपुमरानमजश्री ब्रराहर करा रूप धरकर वहराहूँ गए और मस्तक नवराकर इस पकरार
पपूछनप्रे लगप्रे-॥3॥
* कगो तपुम्ह स्यरामल गरौर सरश्रीररा। छत्रश्री रूप हफिरहह बन बश्रीररा ॥
कहठन भपूहम कगोमल पद गरामश्री। कवन हप्रेतपु हबचरहह बन स्वरामश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे वश्रीर! सरावहूँ लप्रे और गगोरप्रे शरश्रीर वरालप्रे आप करौन हमैं, जगो क्षहत्रय कप्रे रूप ममें वन ममें हफिर रहप्रे
हमैं? हप्रे स्वरामश्री! कठगोर भपूहम पर कगोमल चररर सप्रे चलनप्रे वरालप्रे आप हकस करारर वन ममें हवचर रहप्रे
हमैं?॥4॥
* ममृदल
पु मनगोहर सपुदमं र गरातरा। सहत दसपु ह बन आतप बरातरा ॥
ककी तपुम्ह तश्रीहन दप्रेव महहूँ कगोऊ। नर नराररायन ककी तपुम्ह दगोऊ॥5॥
भरावरारर्ण:-मन कगो हरर करनप्रे वरालप्रे आपकप्रे सपुदमं र, कगोमल अमंग हमैं और आप वन कप्रे दद्धाःपु सह धपूप और
वरायपु कगो सह रहप्रे हमैं क्यरा आप ब्रहरा, हवष्रपु, महप्रेश- इन तश्रीन दप्रेवतराओमं ममें सप्रे कगोई हमैं यरा आप दगोनर
नर और नराररायर हमैं॥5॥
दगोहरा :
* जग करारन तरारन भव भमंजन धरनश्री भरार।
ककी तपुम्ह अहखल भपुवन पहत लश्रीन्ह मनपुज अवतरार॥1॥
भरावरारर्ण:-अरवरा आप जगतम कप्रे मपूल करारर और समंपपूरर्ण लगोकर कप्रे स्वरामश्री स्वयमं भगवरानम हमैं, हजन्हरनप्रे
लगोगर कगो भवसरागर सप्रे परार उतरारनप्रे तररा पमृथ्वश्री करा भरार नष्टि करनप्रे कप्रे हलए मनपुष्य रूप ममें अवतरार
हलयरा हहै?॥1॥
चरौपराई :
* कगोसलप्रेस दसरर कप्रे जराए। हम हपतपु बचन मराहन बन आए॥
नराम रराम लहछमन दगोउ भराई। समंग नरारर सपुकपुमरारर सपुहराई॥1॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे कहरा-) हम कगोसलरराज दशररजश्री कप्रे पपुत्र हमैं और हपतरा करा वचन
मरानकर वन आए हमैं। हमरारप्रे रराम-लक्ष्मर नराम हमैं, हम दगोनर भराई हमैं। हमरारप्रे सरार सपुदमं र सपुकपुमरारश्री स्त्रश्री
रश्री॥1॥
* इहराहूँ हरश्री हनहसचर बहैदप्रेहश्री। हबप हफिरहहमं हम खगोजत तप्रेहश्री॥
आपन चररत कहरा हम गराई। कहहह हबप हनज कररा बपुझराई॥2॥
भरावरारर्ण:-यहराहूँ (वन ममें) रराक्षस नप्रे (मप्रेरश्री पत्नश्री) जरानककी कगो हर हलयरा। हप्रे ब्रराहर! हम उसप्रे हश्री
खगोजतप्रे हफिरतप्रे हमैं। हमनप्रे तगो अपनरा चररत्र कह सपुनरायरा। अब हप्रे ब्रराहर! अपनश्री कररा समझराकर
कहहए ॥2॥
* पभपु पहहचराहन परप्रेउ गहह चरनरा। सगो सपुख उमरा जराइ नहहमं बरनरा॥
पपुलहकत तन मपुख आव न बचनरा। दप्रेखत रहचर बप्रेष कहै रचनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु कगो पहचरानकर हनपुमरानमजश्री उनकप्रे चरर पकडकर पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे (उन्हरनप्रे सराष्टिरामंग
दमंडवतम परराम हकयरा)। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! वह सपुख वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा।
शरश्रीर पपुलहकत हहै, मपुख सप्रे वचन नहहीं हनकलतरा। वप्रे पभपु कप्रे सपुदमं र वप्रेष ककी रचनरा दप्रेख रहप्रे हमैं!॥3॥
* पपुहन धश्रीरजपु धरर अस्तपुहत ककीन्हश्री। हरष हृदयहूँ हनज नरारहह चश्रीन्हश्री॥
मगोर न्यराउ ममैं पपूछरा सराई।मं तपुम्ह पपूछहह कस नर ककी नराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर धश्रीरज धर कर स्तपुहत ककी। अपनप्रे नरार कगो पहचरान लप्रेनप्रे सप्रे हृदय ममें हषर्ण हगो रहरा हहै।
(हफिर हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे स्वरामश्री! ममैंनप्रे जगो पपूछरा वह मप्रेररा पपूछनरा तगो न्यराय ररा, (वषर्मों कप्रे बराद
आपकगो दप्रेखरा, वह भश्री तपस्वश्री कप्रे वप्रेष ममें और मप्रेरश्री वरानरश्री बपुहद इससप्रे ममैं तगो आपकगो पहचरान न
सकरा और अपनश्री पररहस्रहत कप्रे अनपुसरार ममैंनप्रे आपसप्रे पपूछरा), परमंतपु आप मनपुष्य ककी तरह कहै सप्रे पपूछ
रहप्रे हमैं?॥4॥
* तव मरायरा बस हफिरउहूँ भपुलरानरा। तरातप्रे ममैं नहहमं पभपु पहहचरानरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-ममैं तगो आपककी मरायरा कप्रे वश भपूलरा हफिरतरा हह हूँ इसश्री सप्रे ममैंनप्रे अपनप्रे स्वरामश्री (आप) कगो नहहीं
पहचरानरा ॥5॥
दगोहरा :
*एकपु ममैं ममंद मगोहबस कपु हटल हृदय अग्यरान।
पपुहन पभपु मगोहह हबसरारप्रेउ दश्रीनबमंधपु भगवरान॥2॥
भरावरारर्ण:-एक तगो ममैं यर हश्री ममंद हह हूँ, दस
पू रप्रे मगोह कप्रे वश ममें हह हूँ, तश्रीसरप्रे हृदय करा कपु हटल और अजरान
हह हूँ, हफिर हप्रे दश्रीनबमंधपु भगवरानम! पभपु (आप) नप्रे भश्री मपुझप्रे भपुलरा हदयरा!॥2॥
चरौपराई :
* जदहप नरार बहह अवगपुन मगोरमें। सप्रेवक पभपुहह परहै जहन भगोरमें॥
नरार जश्रीव तव मरायराहूँ मगोहरा। सगो हनस्तरइ तपुम्हरारप्रेहहमं छगोहरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-एहप्रे नरार! यद्यहप मपुझ ममें बहह त सप्रे अवगपुर हमैं, तरराहप सप्रेवक स्वरामश्री ककी हवस्ममृहत ममें न
पडप्रे (आप उसप्रे न भपूल जराएहूँ)। हप्रे नरार! जश्रीव आपककी मरायरा सप्रे मगोहहत हहै। वह आप हश्री ककी कमृ परा सप्रे
हनस्तरार परा सकतरा हहै॥1॥
* तरा पर ममैं रघपुबश्रीर दगोहराई। जरानउहूँ नहहमं कछपु भजन उपराई॥
सप्रेवक सपुत पहत मरातपु भरगोसमें। रहइ असगोच बनइ पभपु पगोसमें॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उस पर हप्रे रघपुवश्रीर! ममैं आपककी दहपु राई (शपर) करकप्रे कहतरा हह हूँ हक ममैं भजन-सराधन कपु छ
नहहीं जरानतरा। सप्रेवक स्वरामश्री कप्रे और पपुत्र मरातरा कप्रे भरगोसप्रे हनहश्चमंत रहतरा हहै। पभपु कगो सप्रेवक करा
परालन-पगोषर करतप्रे हश्री बनतरा हहै (करनरा हश्री पडतरा हहै)॥2॥
* अस कहह परप्रेउ चरन अकपु लराई। हनज तनपु पगहट पश्रीहत उर छराई॥
तब रघपुपहत उठराई उर लरावरा। हनज लगोचन जल सहींहच जपुडरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर हनपुमरानमजश्री अकपु लराकर पभपु कप्रे चररर पर हगर पडप्रे, उन्हरनप्रे अपनरा असलश्री
शरश्रीर पकट कर हदयरा। उनकप्रे हृदय ममें पप्रेम छरा गयरा। तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उन्हमें उठराकर हृदय सप्रे
लगरा हलयरा और अपनप्रे नप्रेत्रर कप्रे जल सप्रे सहींचकर शश्रीतल हकयरा॥3॥
* सपुनपु कहप हजयहूँ मरानहस जहन ऊनरा। तमैं मम हपय लहछमन तप्रे द नपू रा॥
समदरसश्री मगोहह कह सब कगोऊ। सप्रेवक हपय अनन्य गहत सगोऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-(हफिर कहरा-) हप्रे कहप! सपुनगो, मन ममें ग्लराहन मत मराननरा (मन छगोटरा न करनरा)। तपुम
मपुझप्रे लक्ष्मर सप्रे भश्री दनपू प्रे हपय हगो। सब कगोई मपुझप्रे समदशर कहतप्रे हमैं (मप्रेरप्रे हलए न कगोई हपय हहै न
अहपय) पर मपुझकगो सप्रेवक हपय हहै, क्यरहक वह अनन्यगहत हगोतरा हहै (मपुझप्रे छगोडकर उसकगो कगोई
दस
पू ररा सहराररा नहहीं हगोतरा)॥4॥
दगोहरा :
* सगो अनन्य जराकमें अहस महत न टरइ हनपुममंत।
ममैं सप्रेवक सचरराचर रूप स्वराहम भगवमंत॥3॥
भरावरारर्ण:-और हप्रे हनपुमरानम! अनन्य वहश्री हहै हजसककी ऐसश्री बपुहद कभश्री नहहीं टलतश्री हक ममैं सप्रेवक हह हूँ
और यह चरराचर (जड-चप्रेतन) जगतम मप्रेरप्रे स्वरामश्री भगवरानम करा रूप हहै॥3॥
चरौपराई :
* दप्रेहख पवनसपुत पहत अनपुकपूलरा। हृदयहूँ हरष बश्रीतश्री सब सपूलरा॥
नरार सहैल पर कहपपहत रहई। सगो सपुगश्रीव दरास तव अहई॥1॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री कगो अनपुकपूल (पसन्न) दप्रेखकर पवन कपु मरार हनपुमरानमजश्री कप्रे हृदय ममें हषर्ण छरा गयरा
और उनकप्रे सब दद्धाःपु ख जरातप्रे रहप्रे। (उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे नरार! इस पवर्णत पर वरानररराज सपुगश्रीव रहतप्रे
हमैं, वह आपकरा दरास हहै॥1॥
* तप्रेहह सन नरार मयत्रश्री ककीजप्रे। दश्रीन जराहन तप्रेहह अभय करश्रीजप्रे॥
सगो सश्रीतरा कर खगोज करराइहह। जहहूँ तहहूँ मरकट कगोहट पठराइहह॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! उससप्रे हमत्रतरा ककीहजए और उसप्रे दश्रीन जरानकर हनभर्णय कर दश्रीहजए। वह सश्रीतराजश्री
ककी खगोज करवराएगरा और जहराहूँ-तहराहूँ करगोडर वरानरर कगो भप्रेजप्रेगरा॥2॥
* एहह हबहध सकल कररा समपुझराई। हलए दऔ
पु जन पश्रीहठ चढराई॥
जब सपुगश्रीवहूँ रराम कहह हूँ दप्रेखरा। अहतसय जन्म धन्य करर लप्रेखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सब बरातमें समझराकर हनपुमरानमजश्री नप्रे (शश्री रराम-लक्ष्मर) दगोनर जनर कगो पश्रीठ पर
चढरा हलयरा। जब सपुगश्रीव नप्रे शश्री ररामचमंदजश्री कगो दप्रेखरा तगो अपनप्रे जन्म कगो अत्यमंत धन्य समझरा॥ 3॥
* सरादर हमलप्रेउ नराइ पद मराररा। भमेंटप्रेउ अनपुज सहहत रघपुनराररा॥
कहप कर मन हबचरार एहह रश्रीतश्री। कररहहहमं हबहध मगो सन ए पश्रीतश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव चररर ममें मस्तक नवराकर आदर सहहत हमलप्रे। शश्री रघपुनरारजश्री भश्री छगोटप्रे भराई सहहत
उनसप्रे गलप्रे लगकर हमलप्रे। सपुगश्रीव मन ममें इस पकरार सगोच रहप्रे हमैं हक हप्रे हवधरातरा! क्यरा यप्रे मपुझसप्रे पश्रीहत
करमेंगप्रे?॥4॥

सपुगश्रीव करा दद्धाःपु ख सपुनरानरा, बराहल वध ककी पहतजरा, शश्री ररामजश्री करा हमत्र लक्षर वरर्णन
दगोहरा :
* तब हनपुममंत उभय हदहस ककी सब कररा सपुनराइ।
परावक सराखश्री दप्रेइ करर जगोरश्री पश्रीहत दृढराइ॥4॥
भरावरारर्ण:-तब हनपुमरानमजश्री नप्रे दगोनर ओर ककी सब कररा सपुनराकर अहग्नि कगो सराक्षश्री दप्रेकर परस्पर दृढ
करकप्रे पश्रीहत जगोड दश्री (अररार्णतम अहग्नि ककी सराक्षश्री दप्रेकर पहतजरापपूवर्णक उनककी महैत्रश्री करवरा दश्री )॥4॥
चरौपराई :
* ककीहन्ह पश्रीहत कछपु बश्रीच न रराखरा। लहछमन रराम चररतम सब भराषरा॥
कह सपुगश्रीव नयन भरर बरारश्री। हमहलहह नरार हमहरलप्रेसकपु मरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-दगोनर नप्रे (हृदय सप्रे) पश्रीहत ककी, कपु छ भश्री अमंतर नहहीं रखरा। तब लक्ष्मरजश्री नप्रे शश्री
ररामचमंदजश्री करा सराररा इहतहरास कहरा। सपुगश्रीव नप्रे नप्रेत्रर ममें जल भरकर कहरा- हप्रे नरार! हमहरलप्रेशकपु मरारश्री
जरानककीजश्री हमल जराएहूँगश्री॥1॥
* ममंहत्रन्ह सहहत इहराहूँ एक बराररा। बहैठ रहप्रेउहूँ ममैं करत हबचराररा॥
गगन पमंर दप्रेखश्री ममैं जरातरा। परबस परश्री बहह त हबलपरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं एक बरार यहराहूँ ममंहत्रयर कप्रे सरार बहैठरा हहआ कपु छ हवचरार कर रहरा ररा। तब ममैंनप्रे परराए
(शत्रपु) कप्रे वश ममें पडश्री बहह त हवलराप करतश्री हहई सश्रीतराजश्री कगो आकराश मरागर्ण सप्रे जरातप्रे दप्रेखरा ररा॥2॥
* रराम रराम हरा रराम पपुकरारश्री। हमहह दप्रेहख दश्रीन्हप्रेउ पट डरारश्री॥
मरागरा रराम तपुरत तप्रेहहमं दश्रीन्हरा। पट उर लराइ सगोच अहत ककीन्हरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हममें दप्रेखकर उन्हरनप्रे 'रराम! रराम! हरा रराम!' पपुकरारकर वस्त्र हगररा हदयरा ररा। शश्री ररामजश्री नप्रे
उसप्रे मराहूँगरा, तब सपुगश्रीव नप्रे तपुरमंत हश्री दप्रे हदयरा। वस्त्र कगो हृदय सप्रे लगराकर ररामचमंदजश्री नप्रे बहह त हश्री सगोच
हकयरा॥3॥
* कह सपुगश्रीव सपुनहह रघपुबश्रीररा। तजहह सगोच मन आनहह धश्रीररा॥
सब पकरार कररहउहूँ सप्रेवकराई। जप्रेहह हबहध हमहलहह जरानककी आई॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव नप्रे कहरा- हप्रे रघपुवश्रीर! सपुहनए। सगोच छगोड दश्रीहजए और मन ममें धश्रीरज लराइए। ममैं सब
पकरार सप्रे आपककी सप्रेवरा करूहूँगरा, हजस उपराय सप्रे जरानककीजश्री आकर आपकगो हमलमें॥4॥
दगोहरा :
* सखरा बचन सपुहन हरषप्रे कमृ पराहसमंधपु बलसहींव।
करारन कवन बसहह बन मगोहह कहहह सपुगश्रीव॥5॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे समपुद और बल ककी सश्रीमरा शश्री ररामजश्री सखरा सपुगश्रीव कप्रे वचन सपुनकर हहषर्णत हह ए।
(और बगोलप्रे-) हप्रे सपुगश्रीव! मपुझप्रे बतराओ, तपुम वन ममें हकस करारर रहतप्रे हगो?॥5॥
चरौपराई :
* नरार बराहल अर ममैं दरौ भराइ। पश्रीहत रहश्री कछपु बरहन न जराई॥
मयसपुत मरायरावश्री तप्रेहह नराऊहूँ। आवरा सगो पभपु हमरमें गराऊहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-(सपुगश्रीव नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! बराहल और ममैं दगो भराई हमैं, हम दगोनर ममें ऐसश्री पश्रीहत रश्री हक
वरर्णन नहहीं ककी जरा सकतश्री। हप्रे पभगो! मय दरानव करा एक पपुत्र ररा, उसकरा नराम मरायरावश्री ररा। एक बरार
वह हमरारप्रे गराहूँव ममें आयरा॥1॥
* अधर्ण रराहत पपुर दरार पपुकराररा। बरालश्री ररपपु बल सहहै न पराररा॥
धरावरा बराहल दप्रेहख सगो भरागरा। ममैं पपुहन गयउहूँ बमंधपु सहूँग लरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे आधश्री ररात कगो नगर कप्रे फिराटक पर आकर पपुकराररा (ललकराररा)। बराहल शत्रपु कप्रे बल
(ललकरार) कगो सह नहहीं सकरा। वह दरौडरा, उसप्रे दप्रेखकर मरायरावश्री भरागरा। ममैं भश्री भराई कप्रे समंग लगरा
चलरा गयरा॥2॥
* हगररबर गपुहराहूँ पहैठ सगो जराई। तब बरालहीं मगोहह कहरा बपुझराई॥
पररखप्रेसपु मगोहह एक पखवराररा। नहहमं आवजौं तब जरानप्रेसपु मराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह मरायरावश्री एक पवर्णत ककी गपुफिरा ममें जरा घपुसरा। तब बराहल नप्रे मपुझप्रे समझराकर कहरा- तपुम एक
पखवराडप्रे (पमंदह हदन) तक मप्रेरश्री बराट दप्रेखनरा। यहद ममैं उतनप्रे हदनर ममें न आऊहूँ तगो जरान लप्रेनरा हक ममैं
मराररा गयरा॥3॥
* मरास हदवस तहहूँ रहप्रेउहूँ खररारश्री। हनसरश्री रहधर धरार तहहूँ भरारश्री॥
बराहल हतप्रेहस मगोहह मराररहह आई। हसलरा दप्रेइ तहहूँ चलप्रेउहूँ परराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे खररारर! ममैं वहराहूँ महश्रीनप्रे भर तक रहरा। वहराहूँ (उस गपुफिरा ममें सप्रे) रक्त ककी बडश्री भरारश्री धराररा
हनकलश्री। तब (ममैंनप्रे समझरा हक) उसनप्रे बराहल कगो मरार डरालरा, अब आकर मपुझप्रे मरारप्रेगरा, इसहलए ममैं
वहराहूँ (गपुफिरा कप्रे दरार पर) एक हशलरा लगराकर भराग आयरा॥4॥
* ममंहत्रन्ह पपुर दप्रेखरा हबनपु सराई।मं दश्रीन्हप्रेउ मगोहह रराज बररआई॥मं
बरालश्री तराहह मरारर गमृह आवरा। दप्रेहख मगोहह हजयहूँ भप्रेद बढरावरा॥5॥
भरावरारर्ण:-ममंहत्रयर नप्रे नगर कगो हबनरा स्वरामश्री (रराजरा) करा दप्रेखरा, तगो मपुझकगो जबदर्णस्तश्री रराज्य दप्रे हदयरा।
बराहल उसप्रे मरारकर घर आ गयरा। मपुझप्रे (रराजहसमंहरासन पर) दप्रेखकर उसनप्रे जश्री ममें भप्रेद बढरायरा (बहह त
हश्री हवरगोध मरानरा)। (उसनप्रे समझरा हक यह रराज्य कप्रे लगोभ सप्रे हश्री गपुफिरा कप्रे दरार पर हशलरा दप्रे आयरा
ररा, हजससप्रे ममैं बराहर न हनकल सकपूहूँ और यहराहूँ आकर रराजरा बन बहैठरा)॥5॥
* ररपपु सम मगोहह मरारप्रेहस अहत भरारश्री। हरर लश्रीन्हहस सबर्णसपु अर नरारश्री॥
तराकमें भय रघपुबश्रीर कमृ परालरा सकल भपुवन ममैं हफिरप्रेउहूँ हबहरालरा॥6॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे मपुझप्रे शत्रपु कप्रे समरान बहह त अहधक मराररा और मप्रेररा सवर्णस्व तररा मप्रेरश्री स्त्रश्री कगो भश्री छश्रीन
हलयरा। हप्रे कमृ परालपु रघपुवश्रीर! ममैं उसकप्रे भय सप्रे समस्त लगोकर ममें बप्रेहराल हगोकर हफिरतरा रहरा॥6॥
* इहराहूँ सराप बस आवत नराहहीं। तदहप सभश्रीत रहउहूँ मन मराहहीं॥
सपुन सप्रेवक दद्धाःपु ख दश्रीनदयरालरा फिरहक उठहीं दहै भपुजरा हबसरालरा॥7॥
भरावरारर्ण:-वह शराप कप्रे करारर यहराहूँ नहहीं आतरा, तगो भश्री ममैं मन ममें भयभश्रीत रहतरा हह।हूँ सप्रेवक करा दद्धाःपु ख
सपुनकर दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी दगोनर हवशराल भपुजराएहूँ फिडक उठहीं॥ 7॥
दगोहरा :
* सपुनपु सपुगश्रीव मराररहउहूँ बराहलहह एकहहमं बरान।
ब्रह रद सरनरागत गएहूँ न उबररहहमं परान॥6॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे कहरा-) हप्रे सपुगश्रीव! सपुनगो, ममैं एक हश्री बरार सप्रे बराहल कगो मरार डरालपूहूँगरा। ब्रहरा और
रद ककी शरर ममें जरानप्रे पर भश्री उसकप्रे परार न बचमेंगप्रे॥6॥
चरौपराई :
* जप्रे न हमत्र दख
पु हगोहहमं दख
पु रारश्री। हतन्हहह हबलगोकत परातक भरारश्री॥
हनज दख पु रज मप्रेर समरानरा॥1॥
पु हगरर सम रज करर जरानरा। हमत्रक दख
भरावरारर्ण:-जगो लगोग हमत्र कप्रे दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री नहहीं हगोतप्रे, उन्हमें दप्रेखनप्रे सप्रे हश्री बडरा पराप लगतरा हहै। अपनप्रे
पवर्णत कप्रे समरान दद्धाःपु ख कगो धपूल कप्रे समरान और हमत्र कप्रे धपूल कप्रे समरान दद्धाःपु ख कगो सपुमप्रेर (बडप्रे भरारश्री
पवर्णत) कप्रे समरान जरानप्रे॥1॥
* हजन्ह कमें अहस महत सहज न आई। तप्रे सठ कत हहठ करत हमतराई॥
कपु पर हनवरारर सपुपमंर चलरावरा। गपुन पगटहै अवगपुनहन्ह दरपु रावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हजन्हमें स्वभराव सप्रे हश्री ऐसश्री बपुहद पराप्त नहहीं हहै, वप्रे मपूखर्ण हठ करकप्रे क्यर हकसश्री सप्रे हमत्रतरा
करतप्रे हमैं? हमत्र करा धमर्ण हहै हक वह हमत्र कगो बपुरप्रे मरागर्ण सप्रे रगोककर अच्छप्रे मरागर्ण पर चलरावप्रे। उसकप्रे गपुर
पकट करप्रे और अवगपुरर कगो हछपरावप्रे॥2॥
* दप्रेत लप्रेत मन समंक न धरई। बल अनपुमरान सदरा हहत करई॥
हबपहत कराल कर सतगपुन नप्रेहरा। शपुहत कह समंत हमत्र गपुन एहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेनप्रे-लप्रेनप्रे ममें मन ममें शमंकरा न रखप्रे। अपनप्रे बल कप्रे अनपुसरार सदरा हहत हश्री करतरा रहप्रे। हवपहर
कप्रे समय तगो सदरा सरौगपुनरा स्नप्रेह करप्रे। वप्रेद कहतप्रे हमैं हक समंत (शप्रेष) हमत्र कप्रे गपुर (लक्षर) यप्रे हमैं॥3॥
* आगमें कह ममृदपु बचन बनराई। पराछमें अनहहत मन कपु हटलराई॥
जराकर ह‍चत अहह गहत सम भराई। अस कपु हमत्र पररहरप्रेहहमं भलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-जगो सरामनप्रे तगो बनरा-बनराकर कगोमल वचन कहतरा हहै और पश्रीठ-पश्रीछप्रे बपुरराई करतरा हहै तररा
मन ममें कपु हटलतरा रखतरा हहै- हप्रे भराई! (इस तरह) हजसकरा मन सराहूँप ककी चराल कप्रे समरान टप्रेढरा हहै,
ऐसप्रे कपु हमत्र कगो तगो त्यरागनप्रे ममें हश्री भलराई हहै॥4॥
* सप्रेवक सठ नमृप कमृ पन कपु नरारश्री। कपटश्री हमत्र सपूल सम चरारश्री॥
सखरा सगोच त्यरागहह बल मगोरमें। सब हबहध घटब कराज ममैं तगोरमें॥5॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण सप्रेवक, कमंजपूस रराजरा, कपु लटरा स्त्रश्री और कपटश्री हमत्र- यप्रे चरारर शपूल कप्रे समरान पश्रीडरा
दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं। हप्रे सखरा! मप्रेरप्रे बल पर अब तपुम हचमंतरा छगोड दगो। ममैं सब पकरार सप्रे तपुम्हरारप्रे कराम आऊहूँगरा
(तपुम्हरारश्री सहरायतरा करूहूँगरा)॥5॥

सपुगश्रीव करा वहैरराग्य


* कह सपुगश्रीव सपुनहह रघपुबश्रीररा। बराहल महराबल अहत रनधश्रीररा॥
ददमंपु हपु भ अहस्र तराल दप्रेखरराए। हबनपु पयरास रघपुनरार ढहराए॥6॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव नप्रे कहरा- हप्रे रघपुवश्रीर! सपुहनए, बराहल महरानम बलवरानम और अत्यमंत ररधश्रीर हहै। हफिर
सपुगश्रीव नप्रे शश्री ररामजश्री कगो ददमंपु हपु भ रराक्षस ककी हरडयराहूँ व तराल कप्रे वमृक्ष हदखलराए। शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उन्हमें
हबनरा हश्री पररशम कप्रे (आसरानश्री सप्रे) ढहरा हदयरा।
* दप्रेहख अहमत बल बराढश्री पश्रीतश्री। बराहल बधब इन्ह भइ परतश्रीतश्री॥
बरार-बरार नरावइ पद सश्रीसरा। पभपुहह जराहन मन हरष कपश्रीसरा॥7॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री करा अपररहमत बल दप्रेखकर सपुगश्रीव ककी पश्रीहत बढ गई और उन्हमें हवश्वरास हगो
गयरा हक यप्रे बराहल करा वध अवश्य करमेंगप्रे। वप्रे बरार-बरार चररर ममें हसर नवरानप्रे लगप्रे। पभपु कगो पहचरानकर
सपुगश्रीव मन ममें हहषर्णत हगो रहप्रे रप्रे॥7॥
* उपजरा ग्यरान बचन तब बगोलरा। नरार कमृ पराहूँ मन भयउ अलगोलरा॥
सपुख समंपहत पररवरार बडराई। सब पररहरर कररहउहूँ सप्रेवकराई॥8॥
भरावरारर्ण:-जब जरान उत्पन्न हहआ तब वप्रे यप्रे वचन बगोलप्रे हक हप्रे नरार! आपककी कमृ परा सप्रे अब मप्रेररा मन
हस्रर हगो गयरा। सपुख, समंपहर, पररवरार और बडराई (बडप्पन) सबकगो त्यरागकर ममैं आपककी सप्रेवरा हश्री
करूहूँगरा॥8॥
* ए सब रराम भगहत कप्रे बराधक। कहहहमं समंत तव पद अवरराधक॥
सत्रपु हमत्र सपुख, दख
पु जग मराहहीं। मरायराकमृत परमरारर नराहहीं॥9॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक आपकप्रे चररर ककी आरराधनरा करनप्रे वरालप्रे समंत कहतप्रे हमैं हक यप्रे सब (सपुख-समंपहर
आहद) रराम भहक्त कप्रे हवरगोधश्री हमैं। जगतम ममें हजतनप्रे भश्री शत्रपु-हमत्र और सपुख-दद्धाःपु ख (आहद दमंद) हमैं,
सब कप्रे सब मरायरारहचत हमैं, परमरारर्णतद्धाः (वरास्तव ममें) नहहीं हमैं॥9॥
* बराहल परम हहत जरासपु पसरादरा। हमलप्रेहह रराम तपुम्ह समन हबषरादरा॥
सपनमें जप्रेहह सन हगोइ लरराई। जरागमें समपुझत मन सकपु चराई॥10॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शश्री ररामजश्री! बराहल तगो मप्रेररा परम हहतकरारश्री हहै, हजसककी कमृ परा सप्रे शगोक करा नराश करनप्रे
वरालप्रे आप मपुझप्रे हमलप्रे और हजसकप्रे सरार अब स्वप्न ममें भश्री लडराई हगो तगो जरागनप्रे पर उसप्रे समझकर
मन ममें समंकगोच हगोगरा (हक स्वप्न ममें भश्री ममैं उससप्रे क्यर लडरा)॥10॥
* अब पभपु कमृ परा करहह एहह भराहूँहत। सब तहज भजनपु करजौं हदन ररातश्री॥
सपुहन हबरराग समंजपुत कहप बरानश्री। बगोलप्रे हबहहूँहस ररामपु धनपुपरानश्री॥ 11॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभगो अब तगो इस पकरार कमृ परा ककीहजए हक सब छगोडकर हदन-ररात ममैं आपकरा भजन हश्री
करूहूँ। सपुगश्रीव ककी वहैरराग्ययक्त पु वरारश्री सपुनकर (उसकप्रे क्षहरक वहैरराग्य कगो दप्रेखकर) हरार ममें धनपुष धरारर
करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे- ॥11॥
* जगो कछपु कहप्रेहह सत्य सब सगोई। सखरा बचन मम ममृषरा न हगोई॥
नट मरकट इव सबहह नचरावत। ररामपु खगप्रेस बप्रेद अस गरावत॥12॥
भरावरारर्ण:-तपुमनप्रे जगो कपु छ कहरा हहै, वह सभश्री सत्य हहै, परमंतपु हप्रे सखरा! मप्रेररा वचन हमथ्यरा नहहीं हगोतरा
(अररार्णतम बराहल मराररा जराएगरा और तपुम्हमें रराज्य हमलप्रेगरा)। (कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं हक-) हप्रे पहक्षयर
कप्रे रराजरा गरड! नट (मदरारश्री) कप्रे बमंदर ककी तरह शश्री ररामजश्री सबकगो नचरातप्रे हमैं, वप्रेद ऐसरा कहतप्रे हमैं॥
12॥
* लहै सपुगश्रीव समंग रघपुनराररा। चलप्रे चराप सरायक गहह हराररा॥
तब रघपुपहत सपुगश्रीव पठरावरा। गजर्देहस जराइ हनकट बल परावरा॥13॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर सपुगश्रीव कगो सरार लप्रेकर और हरारर ममें धनपुष-बरार धरारर करकप्रे शश्री रघपुनरारजश्री
चलप्रे। तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे सपुगश्रीव कगो बराहल कप्रे परास भप्रेजरा। वह शश्री ररामजश्री करा बल पराकर बराहल कप्रे
हनकट जराकर गरजरा॥13॥
* सपुनत बराहल कगोधरातपुर धरावरा। गहह कर चरन नरारर समपुझरावरा॥
सपुनपु पहत हजन्हहह हमलप्रेउ सपुगश्रीवरा। तप्रे दरौ बमंधपु तप्रेज बल सहींवरा॥ 14॥
भरावरारर्ण:-बराहल सपुनतप्रे हश्री कगोध ममें भरकर वप्रेग सप्रे दरौडरा। उसककी स्त्रश्री तराररा नप्रे चरर पकडकर उसप्रे
समझरायरा हक हप्रे नरार! सपुहनए, सपुगश्रीव हजनसप्रे हमलप्रे हमैं वप्रे दगोनर भराई तप्रेज और बल ककी सश्रीमरा हमैं॥
14॥
* कगोसलप्रेस सपुत लहछमन ररामरा। करालहह जश्रीहत सकहहमं समंगरामरा॥15॥
भरावरारर्ण:-वप्रे कगोसलराधश्रीश दशररजश्री कप्रे पपुत्र रराम और लक्ष्मर समंगराम ममें कराल कगो भश्री जश्रीत सकतप्रे
हमैं॥15॥

पु , बराहल उदरार, तराररा करा हवलराप


बराहल-सपुगश्रीव यद
दगोहरा :
* कह बरालश्री सपुनपु भश्रीर हपय समदरसश्री रघपुनरार।
जजौं कदराहच मगोहह मरारहहमं तरौ पपुहन हगोउहूँ सनरार॥7॥
भरावरारर्ण:-बराहल नप्रे कहरा- हप्रे भश्रीर! (डरपगोक) हपयप्रे! सपुनगो, शश्री रघपुनरारजश्री समदशर हमैं। जगो
कदराहचतम वप्रे मपुझप्रे मरारमेंगप्रे हश्री तगो ममैं सनरार हगो जराऊहूँगरा (परमपद परा जराऊहूँगरा)॥7॥
चरौपराई :
* अस कहह चलरा महरा अहभमरानश्री। तमृन समरान सपुगश्रीवहह जरानश्री॥
हभरप्रे उभरौ बरालश्री अहत तजरार्ण। मपुहठकरा मरारर महराधपुहन गजरार्ण॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर वह महरानम अहभमरानश्री बराहल सपुगश्रीव कगो हतनकप्रे कप्रे समरान जरानकर चलरा। दगोनर
हभड गए। बराहल नप्रे सपुगश्रीव कगो बहह त धमकरायरा और घपूहूँसरा मरारकर बडप्रे जगोर सप्रे गरजरा॥ 1॥
* तब सपुगश्रीव हबकल हगोइ भरागरा। मपुहष्टि पहरार बज्र सम लरागरा॥
ममैं जगो कहरा रघपुबश्रीर कमृ परालरा। बमंधपु न हगोइ मगोर यह करालरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तब सपुगश्रीव व्यराकपुल हगोकर भरागरा। घपूहूँसप्रे ककी चगोट उसप्रे वज्र कप्रे समरान लगश्री (सपुगश्रीव नप्रे
आकर कहरा-) हप्रे कमृ परालपु रघपुवश्रीर! ममैंनप्रे आपसप्रे पहलप्रे हश्री कहरा ररा हक बराहल मप्रेररा भराई नहहीं हहै,
कराल हहै॥2॥
* एक रूप तपुम्ह ररातरा दगोऊ तप्रेहह रम तमें नहहमं मरारप्रेउहूँ सगोऊ॥
कर परसरा सपुगश्रीव सरश्रीररा। तनपु भरा कपु हलस गई सब पश्रीररा॥3॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) तपुम दगोनर भराइयर करा एक सरा हश्री रूप हहै। इसश्री रम सप्रे ममैंनप्रे उसकगो
नहहीं मराररा। हफिर शश्री ररामजश्री नप्रे सपुगश्रीव कप्रे शरश्रीर कगो हरार सप्रे स्पशर्ण हकयरा, हजससप्रे उसकरा शरश्रीर वज्र
कप्रे समरान हगो गयरा और सरारश्री पश्रीडरा जरातश्री रहश्री॥3॥
* मप्रेलश्री कमंठ सपुमन कहै मरालरा। पठवरा पपुहन बल दप्रेइ हबसरालरा॥
पपुहन नरानरा हबहध भई लरराई। हबटप ओट दप्रेखहहमं रघपुरराई॥4॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामजश्री नप्रे सपुगश्रीव कप्रे गलप्रे ममें फिपूलर ककी मरालरा डराल दश्री और हफिर उसप्रे बडरा भरारश्री
बल दप्रेकर भप्रेजरा। दगोनर ममें पपुनद्धाः अनप्रेक पकरार सप्रे यद पु हहआ। शश्री रघपुनरारजश्री वमृक्ष ककी आड सप्रे दप्रेख रहप्रे
रप्रे॥4॥
दगोहरा :
* बहह छल बल सपुगश्रीव कर हहयहूँ हराररा भय मराहन।
मराररा बराहल रराम तब हृदय मराझ सर तराहन॥8॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव नप्रे बहह त सप्रे छल-बल हकए, हकमंतपु (अमंत ममें) भय मरानकर हृदय सप्रे हरार गयरा। तब
शश्री ररामजश्री नप्रे तरानकर बराहल कप्रे हृदय ममें बरार मराररा॥8॥
चरौपराई :
* पररा हबकल महह सर कप्रे लरागमें। पपुहन उहठ बहैठ दप्रेहख पभपु आगप्रे॥
स्यराम गरात हसर जटरा बनराएहूँ। अरन नयन सर चराप चढराएहूँ॥1॥
भरावरारर्ण:-बरार कप्रे लगतप्रे हश्री बराहल व्यराकपुल हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर पडरा, हकमंतपु पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कगो
आगप्रे दप्रेखकर वह हफिर उठ बहैठरा। भगवरानम करा श्यराम शरश्रीर हहै, हसर पर जटरा बनराए हमैं, लराल नप्रेत्र
हमैं, बरार हलए हमैं और धनपुष चढराए हमैं॥1॥
* पपुहन पपुहन हचतइ चरन हचत दश्रीन्हरा। सपुफिल जन्म मरानरा पभपु चश्रीन्हरा॥
हृदयहूँ पश्रीहत मपुख बचन कठगोररा। बगोलरा हचतइ रराम ककी ओररा॥2॥
भरावरारर्ण:-बराहल नप्रे बरार-बरार भगवरानम ककी ओर दप्रेखकर हचर कगो उनकप्रे चररर ममें लगरा हदयरा। पभपु कगो
पहचरानकर उसनप्रे अपनरा जन्म सफिल मरानरा। उसकप्रे हृदय ममें पश्रीहत रश्री, पर मपुख ममें कठगोर वचन रप्रे।
वह शश्री ररामजश्री ककी ओर दप्रेखकर बगोलरा- ॥2॥
* धमर्ण हप्रेतपु अवतरप्रेहह गगोसराई।मं मरारप्रेहह मगोहह ब्यराध ककी नराई॥मं
ममैं बहैरश्री सपुगश्रीव हपआररा। अवगपुन कवन नरार मगोहह मराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे गगोसराई।मं आपनप्रे धमर्ण ककी रक्षरा कप्रे हलए अवतरार हलयरा हहै और मपुझप्रे व्यराध ककी तरह
(हछपकर) मराररा? ममैं बहैरश्री और सपुगश्रीव प्यराररा? हप्रे नरार! हकस दगोष सप्रे आपनप्रे मपुझप्रे मराररा?॥3॥
* अनपुज बधपू भहगनश्री सपुत नरारश्री। सपुनपु सठ कन्यरा सम ए चरारश्री॥
इन्हहह कपु दृहष्टि हबलगोकइ जगोई। तराहह बधमें कछपु पराप न हगोई॥4॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे मपूखर्ण! सपुन, छगोटप्रे भराई ककी स्त्रश्री, बहहन, पपुत्र ककी स्त्रश्री और
कन्यरा- यप्रे चरारर समरान हमैं। इनकगो जगो कगोई बपुरश्री दृहष्टि सप्रे दप्रेखतरा हहै, उसप्रे मरारनप्रे ममें कपु छ भश्री पराप नहहीं
हगोतरा॥4॥
* मपूढ तगोहह अहतसय अहभमरानरा। नरारर हसखरावन करहस न करानरा॥
मम भपुज बल आहशत तप्रेहह जरानश्री। मराररा चहहस अधम अहभमरानश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपूढ! तपुझप्रे अत्यमंत अहभमरान हहै। तपूनप्रे अपनश्री स्त्रश्री ककी सश्रीख पर भश्री करान (ध्यरान) नहहीं
हदयरा। सपुगश्रीव कगो मप्रेरश्री भपुजराओमं कप्रे बल करा आहशत जरानकर भश्री अरप्रे अधम अहभमरानश्री ! तपूनप्रे उसकगो
मरारनरा चराहरा॥5॥
दगोहरा :
* सपुनहह रराम स्वरामश्री सन चल न चरातपुरश्री मगोरर।
पभपु अजहह हूँ ममैं परापश्री अमंतकराल गहत तगोरर॥9॥
भरावरारर्ण:-(बराहल नप्रे कहरा-) हप्रे शश्री ररामजश्री! सपुहनए, स्वरामश्री (आप) सप्रे मप्रेरश्री चतपुरराई नहहीं चल
सकतश्री। हप्रे पभगो! अमंतकराल ममें आपककी गहत (शरर) पराकर ममैं अब भश्री परापश्री हश्री रहरा?॥9॥
चरौपराई :
* सपुनत रराम अहत कगोमल बरानश्री। बराहल सश्रीस परसप्रेउ हनज परानश्री॥
अचल करजौं तनपु रराखहह परानरा। बराहल कहरा सपुनपु कमृ पराहनधरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-बराहल ककी अत्यमंत कगोमल वरारश्री सपुनकर शश्री ररामजश्री नप्रे उसकप्रे हसर कगो अपनप्रे हरार सप्रे स्पशर्ण
हकयरा (और कहरा-) ममैं तपुम्हरारप्रे शरश्रीर कगो अचल कर दहूँ,पू तपुम परारर कगो रखगो। बराहल नप्रे कहरा- हप्रे
कमृ पराहनधरान! सपुहनए॥1॥
* जन्म जन्म मपुहन जतनपु करराहहीं। अमंत रराम कहह आवत नराहहीं॥
जरासपु नराम बल समंकर करासश्री। दप्रेत सबहह सम गहत अहबनरासश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपुहनगर जन्म-जन्म ममें (पत्यप्रेक जन्म ममें) (अनप्रेकर पकरार करा) सराधन करतप्रे रहतप्रे हमैं।
हफिर भश्री अमंतकराल ममें उन्हमें 'रराम' नहहीं कह आतरा (उनकप्रे मपुख सप्रे रराम नराम नहहीं हनकलतरा)।
हजनकप्रे नराम कप्रे बल सप्रे शमंकरजश्री कराशश्री ममें सबकगो समरान रूप सप्रे अहवनराहशनश्री गहत (मपुहक्त) दप्रेतप्रे हमैं॥
2॥
* मम लगोचन गगोचर सगोई आवरा। बहह रर हक पभपु अस बहनहह बनरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वह शश्री ररामजश्री स्वयमं मप्रेरप्रे नप्रेत्रर कप्रे सरामनप्रे आ गए हमैं। हप्रे पभगो! ऐसरा समंयगोग क्यरा हफिर कभश्री
बन पडप्रेगरा॥3॥
छमंद :
* सगो नयन गगोचर जरासपु गपुन हनत नप्रेहत कहह शपुहत गरावहहीं।
हजहत पवन मन गगो हनरस करर मपुहन ध्यरान कबहह हूँक परावहहीं॥
मगोहह जराहन अहत अहभमरान बस पभपु कहप्रेउ रराखपु सरश्रीरहश्री।
अस कवन सठ हहठ कराहट सपुरतर बरारर कररहह बबपूरहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-शपुहतयराहूँ 'नप्रेहत-नप्रेहत' कहकर हनरमंतर हजनकरा गपुरगरान करतश्री रहतश्री हमैं तररा परार और मन
कगो जश्रीतकर एवमं इमंहदयर कगो (हवषयर कप्रे रस सप्रे सवर्णररा) नश्रीरस बनराकर मपुहनगर ध्यरान ममें हजनककी
कभश्री क्वहचतम हश्री झलक परातप्रे हमैं, वप्रे हश्री पभपु (आप) सराक्षरातम मप्रेरप्रे सरामनप्रे पकट हमैं। आपनप्रे मपुझप्रे
अत्यमंत अहभमरानवश जरानकर यह कहरा हक तपुम शरश्रीर रख लगो, परमंतपु ऐसरा मपूखर्ण करौन हगोगरा जगो
हठपपूवर्णक कल्पवमृक्ष कगो कराटकर उससप्रे बबपूर कप्रे बराड लगराएगरा (अररार्णतम पपूरर्णकराम बनरा दप्रेनप्रे वरालप्रे
आपकगो छगोडकर आपसप्रे इस नश्वर शरश्रीर ककी रक्षरा चराहप्रेगरा?)॥1॥
* अब नरार करर करनरा हबलगोकहह दप्रेहह जगो बर मरागऊहूँ।
जप्रेहह जगोहन जन्मजौं कमर्ण बस तहहूँ रराम पद अनपुररागऊहूँ॥
यह तनय मम सम हबनय बल कल्यरानपद पभपु लश्रीहजयप्रे।
गहह बराहूँह सपुर नर नराह आपन दरास अमंगद ककीहजयप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! अब मपुझ पर दयरादृहष्टि ककीहजए और ममैं जगो वर मराहूँगतरा हह हूँ उसप्रे दश्रीहजए। ममैं कमर्णवश
हजस यगोहन ममें जन्म लपूहूँ, वहहीं शश्री ररामजश्री (आप) कप्रे चररर ममें पप्रेम करूहूँ! हप्रे कल्यरारपद पभगो! यह
मप्रेररा पपुत्र अमंगद हवनय और बल ममें मप्रेरप्रे हश्री समरान हहै, इसप्रे स्वश्रीकरार ककीहजए और हप्रे दप्रेवतरा और
मनपुष्यर कप्रे नरार! बराहूँह पकडकर इसप्रे अपनरा दरास बनराइए ॥2॥
दगोहरा :
* रराम चरन दृढ पश्रीहत करर बराहल ककीन्ह तनपु त्यराग।
सपुमन मराल हजहम कमंठ तप्रे हगरत न जरानइ नराग॥10॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें दृढ पश्रीहत करकप्रे बराहल नप्रे शरश्रीर कगो वहैसप्रे हश्री (आसरानश्री सप्रे) त्यराग
हदयरा जहैसप्रे हरारश्री अपनप्रे गलप्रे सप्रे फिपू लर ककी मरालरा करा हगरनरा न जरानप्रे॥10॥
चरौपराई :
* रराम बराहल हनज धराम पठरावरा। नगर लगोग सब व्यराकपुल धरावरा॥
नरानरा हबहध हबलराप कर तराररा। छपू टप्रे कप्रे स न दप्रेह सहूँभराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे बराहल कगो अपनप्रे परम धराम भप्रेज हदयरा। नगर कप्रे सब लगोग व्यराकपुल हगोकर
दरौडप्रे। बराहल ककी स्त्रश्री तराररा अनप्रेकर पकरार सप्रे हवलराप करनप्रे लगश्री। उसकप्रे बराल हबखरप्रे हह ए हमैं और दप्रेह
ककी सहूँभराल नहहीं हहै॥1॥

तराररा कगो शश्री ररामजश्री दराररा उपदप्रेश और सपुगश्रीव करा रराज्यराहभषप्रेक तररा अमंगद कगो य वपु रराज पद
* तराररा हबकल दप्रेहख रघपुररायरा। दश्रीन्ह ग्यरान हरर लश्रीन्हश्री मरायरा॥
हछहत जल परावक गगन समश्रीररा। पमंच रहचत अहत अधम सरश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तराररा कगो व्यराकपुल दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उसप्रे जरान हदयरा और उसककी मरायरा (अजरान)
हर लश्री। (उन्हरनप्रे कहरा-) पमृथ्वश्री, जल, अहग्नि, आकराश और वराय-पु इन पराहूँच तत्वर सप्रे यह अत्यमंत
अधम शरश्रीर रचरा गयरा हहै॥2॥
* पगट सगो तनपु तव आगप्रे सगोवरा। जश्रीव हनत्य कप्रे हह लहग तपुम्ह रगोवरा॥
उपजरा ग्यरान चरन तब लरागश्री। लश्रीन्हप्रेहस परम भगहत बर मरागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह शरश्रीर तगो पत्यक्ष तपुम्हरारप्रे सरामनप्रे सगोयरा हहआ हहै, और जश्रीव हनत्य हहै। हफिर तपुम हकसकप्रे
हलए रगो रहश्री हगो? जब जरान उत्पन्न हगो गयरा, तब वह भगवरानम कप्रे चररर लगश्री और उसनप्रे परम
भहक्त करा वर मराहूँग हलयरा॥3॥
* उमरा दरार जगोहषत ककी नराई।मं सबहह नचरावत ररामपु गगोसराई॥मं
तब सपुगश्रीवहह आयसपु दश्रीन्हरा। ममृतक कमर्ण हबहधवत सब ककीन्हरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! स्वरामश्री शश्री ररामजश्री सबकगो कठपपुतलश्री ककी तरह नचरातप्रे हमैं।
तदनन्तर शश्री ररामजश्री नप्रे सपुगश्रीव कगो आजरा दश्री और सपुगश्रीव नप्रे हवहधपपूवर्णक बराहल करा सब ममृतक कमर्ण
हकयरा॥4॥
* रराम कहरा अनपुजहह समपुझराई। रराज दप्रेहह सपुगश्रीवहह जराई॥
रघपुपहत चरन नराइ करर मराररा। चलप्रे सकल पप्रेररत रघपुनराररा॥5॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर कगो समझराकर कहरा हक तपुम जराकर सपुगश्रीव कगो
रराज्य दप्रे दगो। शश्री रघपुनरारजश्री ककी पप्रेरररा (आजरा) सप्रे सब लगोग शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें मस्तक
नवराकर चलप्रे॥5॥
दगोहरा :
* लहछमन तपुरत बगोलराए पपुरजन हबप समराज।
रराजपु दश्रीन्ह सपुगश्रीव कहहूँ अमंगद कहहूँ जपुबरराज॥11॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री नप्रे तपुरमंत हश्री सब नगरवराहसयर कगो और ब्रराहरर कप्रे समराज कगो बपुलरा हलयरा और
(उनकप्रे सरामनप्रे) सपुगश्रीव कगो रराज्य और अमंगद कगो यवपु रराज पद हदयरा॥11॥
चरौपराई :
* उमरा रराम सम हत जग मराहहीं। गपुर हपतपु मरातपु बमंधपु पभपु नराहहीं॥
सपुर नर मपुहन सब कहै यह रश्रीतश्री। स्वरारर लराहग करहहमं सब पश्रीहत॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे परावर्णतश्री! जगत ममें शश्री ररामजश्री कप्रे समरान हहत करनप्रे वरालरा गपुर, हपतरा, मरातरा, बमंधपु और
स्वरामश्री कगोई नहहीं हहै। दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन सबककी यह रश्रीहत हहै हक स्वरारर्ण कप्रे हलए हश्री सब पश्रीहत
करतप्रे हमैं॥1॥
* बराहल त्ररास ब्यराकपुल हदन ररातश्री। तन बहह ब्रन हचमंतराहूँ जर छरातश्री॥
सगोइ सपुगश्रीव ककीन्ह कहप रराऊ। अहत कमृ पराल रघपुबश्रीर सपुभराऊ॥2॥
भरावरारर्ण:-जगो सपुगश्रीव हदन-ररात बराहल कप्रे भय सप्रे व्यराकपुल रहतरा ररा, हजसकप्रे शरश्रीर ममें बहह त सप्रे घराव
हगो गए रप्रे और हजसककी छरातश्री हचमंतरा कप्रे मरारप्रे जलरा करतश्री रश्री, उसश्री सपुगश्रीव कगो उन्हरनप्रे वरानरर करा
रराजरा बनरा हदयरा। शश्री ररामचमंदजश्री करा स्वभराव अत्यमंत हश्री कमृ परालपु हहै॥2॥
* जरानतहह हूँ अस पभपु पररहरहहीं। कराहप्रे न हबपहत जराल नर परहहीं॥
पपुहन सपुगश्रीवहह लश्रीन्ह बगोलराई। बहह पकरार नमृपनश्रीहत हसखराई॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो लगोग जरानतप्रे हहए भश्री ऐसप्रे पभपु कगो त्यराग दप्रेतप्रे हमैं, वप्रे क्यर न हवपहर कप्रे जराल ममें फिहूँसमें?
हफिर शश्री ररामजश्री नप्रे सपुगश्रीव कगो बपुलरा हलयरा और बहह त पकरार सप्रे उन्हमें रराजनश्रीहत ककी हशक्षरा दश्री॥3॥
* कह पभपु सपुनपु सपुगश्रीव हरश्रीसरा। पपुर न जराउहूँ दस चरारर बरश्रीसरा॥
गत गश्रीषम बरषरा ररतपु आई। रहहहउहूँ हनकट सहैल पर छराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर पभपु नप्रे कहरा- हप्रे वरानरपहत सपुगश्रीव! सपुनगो, ममैं चरौदह वषर्ण तक गराहूँव (बस्तश्री) ममें नहहीं
जराऊहूँगरा। गश्रीष्मऋतपु बश्रीतकर वषरार्णऋतपु आ गई। अतद्धाः ममैं यहराहूँ परास हश्री पवर्णत पर हटक रहह हूँगरा॥4॥
* अमंगद सहहत करहह तपुम्ह रराजपू। समंतत हृदयहूँ धरप्रेहह मम कराजपू॥
जब सपुगश्रीव भवन हफिरर आए। ररामपु पबरषन हगरर पर छराए॥5॥
भरावरारर्ण:-तपुम अमंगद सहहत रराज्य करगो। मप्रेरप्रे कराम करा हृदय ममें सदरा ध्यरान रखनरा। तदनन्तर जब
सपुगश्रीवजश्री घर लरौट आए, तब शश्री ररामजश्री पवषर्णर पवर्णत पर जरा हटकप्रे ॥5॥

वषरार्ण ऋतपु वरर्णन


दगोहरा :
* परमहहमं दप्रेवन्ह हगरर गपुहरा रराखप्रेउ रहचर बनराइ।
रराम कमृ पराहनहध कछपु हदन बरास करहहमंगप्रे आइ॥12॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे पहलप्रे सप्रे हश्री उस पवर्णत ककी एक गपुफिरा कगो सपुमंदर बनरा (सजरा) रखरा ररा।
उन्हरनप्रे सगोच रखरा ररा हक कमृ परा ककी खरान शश्री ररामजश्री कपु छ हदन यहराहूँ आकर हनवरास करमेंगप्रे॥12॥
चरौपराई :
* सपुदमं र बन कपु सपुहमत अहत सगोभरा। गपुमंजत मधपुप हनकर मधपु लगोभरा॥
कमंद मपूल फिल पत्र सपुहराए। भए बहह त जब तप्रे पभपु आए॥1॥
भरावरारर्ण:-सपुमंदर वन फिपूलरा हह आ अत्यमंत सपुशगोहभत हहै। मधपु कप्रे लगोभ सप्रे भजौंरर कप्रे समपूह गपुमंजरार कर रहप्रे
हमैं। जब सप्रे पभपु आए, तब सप्रे वन ममें सपुदमं र कन्द, मपूल, फिल और परर ककी बहह तरायत हगो गई॥1॥
* दप्रेहख मनगोहर सहैल अनपूपरा। रहप्रे तहहूँ अनपुज सहहत सपुरभपूपरा॥
मधपुकर खग ममृग तनपु धरर दप्रेवरा। करहहमं हसद मपुहन पभपु कहै सप्रेवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-मनगोहर और अनपुपम पवर्णत कगो दप्रेखकर दप्रेवतराओमं कप्रे सम्रराटम शश्री ररामजश्री छगोटप्रे भराई सहहत
वहराहूँ रह गए। दप्रेवतरा, हसद और मपुहन भजौंरर, पहक्षयर और पशपुओमं कप्रे शरश्रीर धरारर करकप्रे पभपु ककी
सप्रेवरा करनप्रे लगप्रे॥2॥
* ममंगलरूप भयउ बन तब तप्रे। ककीन्ह हनवरास रमरापहत जब तप्रे॥
फिहटक हसलरा अहत सपुर सपुहराई। सपुख आसश्रीन तहराहूँ दरौ भराई॥3॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे रमरापहत शश्री ररामजश्री नप्रे वहराहूँ हनवरास हकयरा तब सप्रे वन ममंगलस्वरूप हगो गयरा। सपुमंदर
स्फिहटक महर ककी एक अत्यमंत उज्ज्वल हशलरा हहै, उस पर दगोनर भराई सपुखपपूवर्णक हवरराजमरान हमैं॥3॥
* कहत अनपुज सन कररा अनप्रेकरा। भगहत हबरत नमृपनश्रीहत हबबप्रेकरा॥
बरषरा कराल मप्रेघ नभ छराए। गरजत लरागत परम सपुहराए॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री रराम छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सप्रे भहक्त, वहैरराग्य, रराजनश्रीहत और जरान ककी अनप्रेकर करराएहूँ
कहतप्रे हमैं। वषरार्णकराल ममें आकराश ममें छराए हहए बरादल गरजतप्रे हह ए बहह त हश्री सपुहरावनप्रे लगतप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* लहछमन दप्रेखपु मगोर गन नराचत बराररद पप्रेहख।
गमृहश्री हबरहत रत हरष जस हबष्नपुभगत कहह हूँ दप्रेहख॥13॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री कहनप्रे लगप्रे-) हप्रे लक्ष्मर! दप्रेखगो, मगोरर कप्रे झपुडमं बरादलर कगो दप्रेखकर नराच रहप्रे
हमैं जहैसप्रे वहैरराग्य ममें अनपुरक्त गमृहस्र हकसश्री हवष्रपुभक्त कगो दप्रेखकर हहषर्णत हगोतप्रे हमैं॥13॥
चरौपराई :
* घन घममंड नभ गरजत घगोररा। हपयरा हश्रीन डरपत मन मगोररा॥
दराहमहन दमक रह नघन मराहहीं। खल कहै पश्रीहत जररा हरर नराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-आकराश ममें बरादल घपुमड-घपुमडकर घगोर गजर्णनरा कर रहप्रे हमैं, हपयरा (सश्रीतराजश्री) कप्रे हबनरा
मप्रेररा मन डर रहरा हहै। हबजलश्री ककी चमक बरादलर ममें ठहरतश्री नहहीं , जहैसप्रे दष्टिपु ककी पश्रीहत हस्रर नहहीं
रहतश्री॥1॥
* बरषहहमं जलद भपूहम हनअरराएहूँ। जररा नवहहमं बपुध हबद्यरा पराएहूँ।
बपूहूँद अघरात सहहहमं हगरर कहै सप्रे। खल कप्रे बचन समंत सह जहैसमें॥2॥
भरावरारर्ण:-बरादल पमृथ्वश्री कप्रे समश्रीप आकर (नश्रीचप्रे उतरकर) बरस रहप्रे हमैं, जहैसप्रे हवद्यरा पराकर हवदरानम
नम्र हगो जरातप्रे हमैं। बपूहूँदर ककी चगोट पवर्णत कहै सप्रे सहतप्रे हमैं, जहैसप्रे दष्टिपु र कप्रे वचन समंत सहतप्रे हमैं॥2॥
* छपु द नदहीं भरर चलहीं तगोरराई। जस रगोरप्रेहहहूँ धन खल इतरराई॥
भपूहम परत भरा ढराबर परानश्री। जनपु जश्रीवहह मरायरा लपटरानश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-छगोटश्री नहदयराहूँ भरकर (हकनरारर कगो) तपुडरातश्री हहई चलहीं, जहैसप्रे रगोडप्रे धन सप्रे भश्री दष्टिपु इतररा
जरातप्रे हमैं। (मयरार्णदरा करा त्यराग कर दप्रेतप्रे हमैं)। पमृथ्वश्री पर पडतप्रे हश्री परानश्री गमंदलरा हगो गयरा हहै, जहैसप्रे शपुद
जश्रीव कप्रे मरायरा हलपट गई हगो॥3॥
* सहमहट सहमहट जल भरहहमं तलरावरा। हजहम सदगपुन सजन पहहमं आवरा॥
सररतरा जल जलहनहध महह हूँ जगोई। हगोइ अचल हजहम हजव हरर पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-जल एकत्र हगो-हगोकर तरालराबर ममें भर रहरा हहै, जहैसप्रे सदरपु (एक-एककर) सजन कप्रे परास
चलप्रे आतप्रे हमैं। नदश्री करा जल समपुद ममें जराकर वहैसप्रे हश्री हस्रर हगो जरातरा हहै , जहैसप्रे जश्रीव शश्री हरर कगो
पराकर अचल (आवरागमन सप्रे मपुक्त) हगो जरातरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* हररत भपूहम तमृन समंकपुल समपुहझ परहहमं नहहमं पमंर।
हजहम पराखमंड बराद तमें गपुप्त हगोहहमं सदगमंर॥14॥
भरावरारर्ण:-पमृथ्वश्री घरास सप्रे पररपपूरर्ण हगोकर हरश्री हगो गई हहै, हजससप्रे ररास्तप्रे समझ नहहीं पडतप्रे। जहैसप्रे
पराखमंड मत कप्रे पचरार सप्रे सद्गमंर गपुप्त (लपुप्त) हगो जरातप्रे हमैं॥14॥
चरौपराई :
* दरादरपु धपुहन चहह हदसरा सपुहराई। बप्रेद पढहहमं जनपु बटपु समपुदराई॥
नव पल्लव भए हबटप अनप्रेकरा। सराधक मन जस हमलमें हबबप्रेकरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-चरारर हदशराओमं ममें ममेंढकर ककी ध्वहन ऐसश्री सपुहरावनश्री लगतश्री हहै , मरानगो हवद्यराहरर्णयर कप्रे समपुदराय
वप्रेद पढ रहप्रे हर। अनप्रेकर वमृक्षर ममें नए परप्रे आ गए हमैं, हजससप्रे वप्रे ऐसप्रे हरप्रे-भरप्रे एवमं सपुशगोहभत हगो गए हमैं
जहैसप्रे सराधक करा मन हववप्रेक (जरान) पराप्त हगोनप्रे पर हगो जरातरा हहै॥1॥
* अकर्ण जवरास परात हबनपु भयऊ। जस सपुरराज खल उद्यम गयऊ॥
खगोजत कतहह हूँ हमलइ नहहमं धपूरश्री। करइ कगोध हजहम धरमहह दरपू श्री॥2॥
भरावरारर्ण:-मदरार और जवरासरा हबनरा परप्रे कप्रे हगो गए (उनकप्रे परप्रे झड गए)। जहैसप्रे शप्रेष रराज्य ममें दष्टिपु र
करा उद्यम जरातरा रहरा (उनककी एक भश्री नहहीं चलतश्री)। धपूल कहहीं खगोजनप्रे पर भश्री नहहीं हमलतश्री, जहैसप्रे
कगोध धमर्ण कगो दरपू कर दप्रेतरा हहै। (अररार्णतम कगोध करा आवप्रेश हगोनप्रे पर धमर्ण करा जरान नहहीं रह जरातरा)॥
2॥
* सहस समंपन्न सगोह महह कहै सश्री। उपकरारश्री कहै समंपहत जहैसश्री॥
हनहस तम घन खद्यगोत हबरराजरा। जनपु दमंहभन्ह कर हमलरा समराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अन्न सप्रे यक्त
पु (लहररातश्री हह ई खप्रेतश्री सप्रे हरश्री-भरश्री) पमृथ्वश्री कहै सश्री शगोहभत हगो रहश्री हहै, जहैसश्री
उपकरारश्री पपुरष ककी समंपहर। ररात कप्रे घनप्रे अमंधकरार ममें जपुगनपू शगोभरा परा रहप्रे हमैं, मरानगो दहम्भयर करा
समराज आ जपुटरा हगो॥3॥
* महराबमृहष्टि चहल फिपूहट हकआरहीं। हजहम सपुतमंत्र भएहूँ हबगरहहमं नरारहीं॥
कमृ षश्री हनररावहहमं चतपुर हकसरानरा। हजहम बपुध तजहहमं मगोह मद मरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरारश्री वषरार्ण सप्रे खप्रेतर ककी क्यराररयराहूँ फिपूट चलश्री हमैं, जहैसप्रे स्वतमंत्र हगोनप्रे सप्रे हस्त्रयराहूँ हबगड जरातश्री
हमैं। चतपुर हकसरान खप्रेतर कगो हनररा रहप्रे हमैं (उनममें सप्रे घरास आहद कगो हनकरालकर फिमें क रहप्रे हमैं।) जहैसप्रे
हवदरानम लगोग मगोह, मद और मरान करा त्यराग कर दप्रेतप्रे हमैं॥4॥
* दप्रेहखअत चकबराक खग नराहहीं। कहलहह पराइ हजहम धमर्ण परराहहीं॥
ऊषर बरषइ तमृन नहहमं जरामरा। हजहम हररजन हहयहूँ उपज न करामरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-चकवराक पक्षश्री हदखराई नहहीं दप्रे रहप्रे हमैं, जहैसप्रे कहलयगपु कगो पराकर धमर्ण भराग जरातप्रे हमैं। ऊसर
ममें वषरार्ण हगोतश्री हहै, पर वहराहूँ घरास तक नहहीं उगतश्री। जहैसप्रे हररभक्त कप्रे हृदय ममें कराम नहहीं उत्पन्न हगोतरा॥
5॥
* हबहबध जमंतपु समंकपुल महह रराजरा। पजरा बराढ हजहम पराइ सपुरराजरा॥
जहहूँ तहहूँ रहप्रे पहरक रहक नरानरा। हजहम इमंहदय गन उपजमें ग्यरानरा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-पमृथ्वश्री अनप्रेक तरह कप्रे जश्रीवर सप्रे भरश्री हहई उसश्री तरह शगोभरायमरान हहै, जहैसप्रे सपुरराज्य पराकर
पजरा ककी वमृहद हगोतश्री हहै। जहराहूँ-तहराहूँ अनप्रेक पहरक रककर ठहरप्रे हह ए हमैं, जहैसप्रे जरान उत्पन्न हगोनप्रे पर
इमंहदयराहूँ (हशहरल हगोकर हवषयर ककी ओर जरानरा छगोड दप्रेतश्री हमैं)॥6॥
दगोहरा :
* कबहह हूँ पबल बह मरारत जहहूँ तहहूँ मप्रेघ हबलराहहमं।
हजहम कपपूत कप्रे उपजमें कपु ल सदमर्ण नसराहहमं॥15 क॥
भरावरारर्ण:-कभश्री-कभश्री वरायपु बडप्रे जगोर सप्रे चलनप्रे लगतश्री हहै, हजससप्रे बरादल जहराहूँ-तहराहूँ गरायब हगो जरातप्रे
हमैं। जहैसप्रे कपु पपुत्र कप्रे उत्पन्न हगोनप्रे सप्रे कपु ल कप्रे उरम धमर्ण (शप्रेष आचरर) नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥15 (क)॥
* कबहह हदवस महहूँ हनहबड तम कबहह हूँक पगट पतमंग।
हबनसइ उपजइ ग्यरान हजहम पराइ कपु समंग सपुसमंग॥15 ख॥
भरावरारर्ण:-कभश्री (बरादलर कप्रे करारर) हदन ममें घगोर अमंधकरार छरा जरातरा हहै और कभश्री सपूयर्ण पकट हगो
जरातप्रे हमैं। जहैसप्रे कपु समंग पराकर जरान नष्टि हगो जरातरा हहै और सपुसमंग पराकर उत्पन्न हगो जरातरा हहै॥ 15
(ख)॥

शरद ऋतपु वरर्णन


चरौपराई :
* बरषरा हबगत सरद ररतपु आई। लछमन दप्रेखहह परम सपुहराई॥
फिपूलमें करास सकल महह छराई। जनपु बरषराहूँ कमृ त पगट बपुढराई॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे लक्ष्मर! दप्रेखगो, वषरार्ण बश्रीत गई और परम सपुमंदर शरदम ऋतपु आ गई। फिपूलप्रे हहए करास सप्रे
सरारश्री पमृथ्वश्री छरा गई। मरानगो वषरार्ण ऋतपु नप्रे (करास रूपश्री सफिप्रे द बरालर कप्रे रूप ममें) अपनरा बपुढरापरा पकट
हकयरा हहै॥1॥
* उहदत अगहस्त पमंर जल सगोषरा। हजहम लगोभहहमं सगोषइ समंतगोषरा॥
सररतरा सर हनमर्णल जल सगोहरा। समंत हृदय जस गत मद मगोहरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अगस्त्य कप्रे तरारप्रे नप्रे उदय हगोकर मरागर्ण कप्रे जल कगो सगोख हलयरा, जहैसप्रे समंतगोष लगोभ कगो
सगोख लप्रेतरा हहै। नहदयर और तरालराबर करा हनमर्णल जल ऐसश्री शगोभरा परा रहरा हहै जहैसप्रे मद और मगोह सप्रे
रहहत समंतर करा हृदय!॥2॥
* रस रस सपूख सररत सर परानश्री। ममतरा त्यराग करहहमं हजहम ग्यरानश्री॥
जराहन सरद ररतपु खमंजन आए। पराइ समय हजहम सपुकमृत सपुहराए॥3॥
भरावरारर्ण:-नदश्री और तरालराबर करा जल धश्रीरप्रे-धश्रीरप्रे सपूख रहरा हहै। जहैसप्रे जरानश्री (हववप्रेककी) पपुरष ममतरा करा
त्यराग करतप्रे हमैं। शरद ऋतपु जरानकर खमंजन पक्षश्री आ गए। जहैसप्रे समय पराकर सपुमंदर सपुकमृत आ सकतप्रे
हमैं। (पपुण्य पकट हगो जरातप्रे हमैं)॥3॥
* पमंक न रप्रेनपु सगोह अहस धरनश्री। नश्रीहत हनपपुन नमृप कहै जहस करनश्री॥
जल समंकगोच हबकल भइहूँ मश्रीनरा। अबपुध कपु टपु मंबश्री हजहम धनहश्रीनरा॥4॥
भरावरारर्ण:-न ककीचड हहै न धपूल? इससप्रे धरतश्री (हनमर्णल हगोकर) ऐसश्री शगोभरा दप्रे रहश्री हहै जहैसप्रे
नश्रीहतहनपपुर रराजरा ककी करनश्री! जल कप्रे कम हगो जरानप्रे सप्रे मछहलयराहूँ व्यराकपुल हगो रहश्री हमैं, जहैसप्रे मपूखर्ण
(हववप्रेक शपून्य) कपु टपु म्बश्री (गमृहस्र) धन कप्रे हबनरा व्यराकपुल हगोतरा हहै॥4॥
* हबनपु घन हनमर्णल सगोह अकरासरा। हररजन इव पररहरर सब आसरा॥
कहह हूँ कहह हूँ बमृहष्टि सरारदश्री रगोरश्री। कगोउ एक भराव भगहत हजहम मगोरश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हबनरा बरादलर करा हनमर्णल आकराश ऐसरा शगोहभत हगो रहरा हहै जहैसप्रे भगवद्भक्त सब आशराओमं कगो
छगोडकर सपुशगोहभत हगोतप्रे हमैं। कहहीं-कहहीं (हवरलप्रे हश्री स्ररानर ममें) शरदम ऋतपु ककी रगोडश्री-रगोडश्री वषरार्ण हगो
रहश्री हहै। जहैसप्रे कगोई हवरलप्रे हश्री मप्रेरश्री भहक्त परातप्रे हमैं॥5॥
दगोहरा :
* चलप्रे हरहष तहज नगर नमृप तरापस बहनक हभखरारर।
हजहम हररभगहत पराइ शम तजहहमं आशमश्री चरारर॥16॥
भरावरारर्ण:-(शरदम ऋतपु पराकर) रराजरा, तपस्वश्री, व्यरापरारश्री और हभखरारश्री (कमशद्धाः हवजय, तप,
व्यरापरार और हभक्षरा कप्रे हलए) हहषर्णत हगोकर नगर छगोडकर चलप्रे। जहैसप्रे शश्री हरर ककी भहक्त पराकर चरारर
आशम वरालप्रे (नरानरा पकरार कप्रे सराधन रूपश्री) शमर कगो त्यराग दप्रेतप्रे हमैं॥16॥
चरौपराई :
* सपुखश्री मश्रीन जप्रे नश्रीर अगराधरा। हजहम हरर सरन न एकऊ बराधरा॥
फिपूलमें कमल सगोह सर कहै सरा। हनगपुर्णन ब्रह सगपुन भएहूँ जहैसरा॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो मछहलयराहूँ अरराह जल ममें हमैं, वप्रे सपुखश्री हमैं, जहैसप्रे शश्री हरर कप्रे शरर ममें चलप्रे जरानप्रे पर एक
भश्री बराधरा नहहीं रहतश्री। कमलर कप्रे फिपूलनप्रे सप्रे तरालराब कहै सश्री शगोभरा दप्रे रहरा हहै, जहैसप्रे हनगपुर्णर ब्रह सगपुर
हगोनप्रे पर शगोहभत हगोतरा हहै॥1॥
* गपुमंजत मधपुकर मपुखर अनपूपरा। सपुदमं र खग रव नरानरा रूपरा॥
चकबराक मन दख पु र्णन पर समंपहत दप्रेखश्री॥2॥
पु हनहस पप्रेखश्री। हजहम दज
भरावरारर्ण:-भजौंरप्रे अनपुपम शब्द करतप्रे हह ए गपूहूँज रहप्रे हमैं तररा पहक्षयर कप्रे नरानरा पकरार कप्रे सपुदमं र शब्द हगो रहप्रे
हमैं। रराहत्र दप्रेखकर चकवप्रे कप्रे मन ममें वहैसप्रे हश्री दद्धाःपु ख हगो रहरा हहै, जहैसप्रे दस
पू रप्रे ककी समंपहर दप्रेखकर दष्टिपु कगो
हगोतरा हहै॥2॥
* चरातक रटत तमृषरा अहत ओहश्री। हजहम सपुख लहइ न समंकर दगोहश्री॥
सरदरातप हनहस सहस अपहरई। समंत दरस हजहम परातक टरई॥3॥
भरावरारर्ण:-पपश्रीहरा रट लगराए हहै, उसकगो बडश्री प्यरास हहै, जहैसप्रे शश्री शमंकरजश्री करा दगोहश्री सपुख नहहीं परातरा
(सपुख कप्रे हलए झश्रीखतरा रहतरा हहै) शरदम ऋतपु कप्रे तराप कगो ररात कप्रे समय चमंदमरा हर लप्रेतरा हहै, जहैसप्रे
समंतर कप्रे दशर्णन सप्रे पराप दरपू हगो जरातप्रे हमैं॥3॥
* दप्रेहख इमंदपु चकगोर समपुदराई। हचतवहहमं हजहम हररजन हरर पराई॥
मसक दमंस बश्रीतप्रे हहम त्ररासरा। हजहम हदज दगोह हकएहूँ कपु ल नरासरा॥4॥
भरावरारर्ण:-चकगोरर कप्रे समपुदराय चमंदमरा कगो दप्रेखकर इस पकरार टकटककी लगराए हमैं जहैसप्रे भगवद्भक्त
भगवरानम कगो पराकर उनकप्रे (हनहनर्णमप्रेष नप्रेत्रर सप्रे) दशर्णन करतप्रे हमैं। मच्छर और डराहूँस जराडप्रे कप्रे डर सप्रे इस
पकरार नष्टि हगो गए जहैसप्रे ब्रराहर कप्रे सरार वहैर करनप्रे सप्रे कपु ल करा नराश हगो जरातरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* भपूहम जश्रीव समंकपुल रहप्रे गए सरद ररतपु पराइ।
सदगपुर हमलमें जराहहमं हजहम समंसय रम समपुदराइ॥17॥
भरावरारर्ण:-(वषरार्ण ऋतपु कप्रे करारर) पमृथ्वश्री पर जगो जश्रीव भर गए रप्रे, वप्रे शरदम ऋतपु कगो पराकर वहैसप्रे हश्री
नष्टि हगो गए जहैसप्रे सदरपु कप्रे हमल जरानप्रे पर समंदप्रेह और रम कप्रे समपूह नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥17॥
शश्री रराम ककी सपुगश्रीव पर नरारराजश्री, लक्ष्मरजश्री करा कगोप
चरौपराई :
* बरषरा गत हनमर्णल ररतपु आई। सपुहध न तरात सश्रीतरा कहै पराई॥
एक बरार कहै सप्रेहहहूँ सपुहध जरानजौं। करालपुह जश्रीहत हनहमष महह हूँ आनजौं॥1॥
भरावरारर्ण:-वषरार्ण बश्रीत गई, हनमर्णल शरदऋ म तपु आ गई, परमंतपु हप्रे तरात! सश्रीतरा ककी कगोई खबर नहहीं
हमलश्री। एक बरार कहै सप्रे भश्री पतरा पराऊहूँ तगो कराल कगो भश्री जश्रीतकर पल भर ममें जरानककी कगो लप्रे आऊहूँ॥
1॥
* कतहह हूँ रहउ जजौं जश्रीवहत हगोई। तरात जतन करर आनउहूँ सगोई॥
सपुगश्रीवहह हूँ सपुहध मगोरर हबसरारश्री। परावरा रराज कगोस पपुर नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कहहीं भश्री रहप्रे, यहद जश्रीतश्री हगोगश्री तगो हप्रे तरात! यत्न करकप्रे ममैं उसप्रे अवश्य लराऊहूँगरा। रराज्य,
खजरानरा, नगर और स्त्रश्री परा गयरा, इसहलए सपुगश्रीव नप्रे भश्री मप्रेरश्री सपुध भपुलरा दश्री॥2॥
* जप्रेहहमं सरायक मराररा ममैं बरालश्री। तप्रेहहमं सर हतजौं मपूढ कहहूँ करालश्री॥
जरासपु कमृ पराहूँ छपूटहहमं मद मगोहरा। तरा कहह हूँ उमरा हक सपनप्रेहहहूँ कगोहरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हजस बरार सप्रे ममैंनप्रे बराहल कगो मराररा ररा, उसश्री बरार सप्रे कल उस मपूढ कगो मरारूहूँ! (हशवजश्री
कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! हजनककी कमृ परा सप्रे मद और मगोह छपू ट जरातप्रे हमैं उनकगो कहहीं स्वप्न ममें भश्री कगोध
हगो सकतरा हहै? (यह तगो लश्रीलरा मरात्र हहै)॥3॥
* जरानहहमं यह चररत्र मपुहन ग्यरानश्री। हजन्ह रघपुबश्रीर चरन रहत मरानश्री॥
लहछमन कगोधवमंत पभपु जरानरा। धनपुष चढराई गहप्रे कर बरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जरानश्री मपुहन हजन्हरनप्रे शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें पश्रीहत मरान लश्री हहै (जगोड लश्री हहै), वप्रे हश्री
इस चररत्र (लश्रीलरा रहस्य) कगो जरानतप्रे हमैं। लक्ष्मरजश्री नप्रे जब पभपु कगो कगोधयक्त पु जरानरा, तब उन्हरनप्रे
धनपुष चढराकर बरार हरार ममें लप्रे हलए॥4॥
दगोहरा :
* तब अनपुजहह समपुझरावरा रघपुपहत करनरा सहींव।
भय दप्रेखराइ लहै आवहह तरात सखरा सपुगश्रीव॥18॥
भरावरारर्ण:-तब दयरा ककी सश्रीमरा शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री कगो समझरायरा हक हप्रे तरात !
सखरा सपुगश्रीव कगो कप्रे वल भय हदखलराकर लप्रे आओ (उसप्रे मरारनप्रे ककी बरात नहहीं हहै)॥18॥
चरौपराई :
* इहराहूँ पवनसपुत हृदयहूँ हबचराररा। रराम कराजपु सपुगश्रीवहूँ हबसराररा॥
हनकट जराइ चरनहन्ह हसर नरावरा। चराररहह हबहध तप्रेहह कहह समपुझरावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-यहराहूँ (हकहष्कन्धरा नगरश्री ममें) पवनकपु मरार शश्री हनपुमरानमजश्री नप्रे हवचरार हकयरा हक सपुगश्रीव नप्रे शश्री
ररामजश्री कप्रे करायर्ण कगो भपुलरा हदयरा। उन्हरनप्रे सपुगश्रीव कप्रे परास जराकर चररर ममें हसर नवरायरा। (सराम,
दरान, दमंड, भप्रेद) चरारर पकरार ककी नश्रीहत कहकर उन्हमें समझरायरा॥1॥
* सपुहन सपुगश्रीवहूँ परम भय मरानरा। हबषयहूँ मगोर हरर लश्रीन्हप्रेउ ग्यरानरा॥
अब मरारतसपुत दतपू समपूहरा। पठवहह जहहूँ तहहूँ बरानर जपूहरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री कप्रे वचन सपुनकर सपुगश्रीव नप्रे बहह त हश्री भय मरानरा। (और कहरा-) हवषयर नप्रे मप्रेरप्रे
जरान कगो हर हलयरा। अब हप्रे पवनसपुत! जहराहूँ-तहराहूँ वरानरर कप्रे यपूर रहतप्रे हमैं, वहराहूँ दतपू र कप्रे समपूहर कगो
भप्रेजगो॥2॥
* कहहह पराख महह हूँ आव न जगोई। मगोरमें कर तरा कर बध हगोई॥
तब हनपुममंत बगोलराए दतपू रा। सब कर करर सनमरान बहह तरा॥3॥
भरावरारर्ण:-और कहलरा दगो हक एक पखवराडप्रे ममें (पमंदह हदनर ममें) जगो न आ जराएगरा, उसकरा मप्रेरप्रे
हरारर वध हगोगरा। तब हनपुमरानमजश्री नप्रे दतपू र कगो बपुलरायरा और सबकरा बहह त सम्मरान करकप्रे -॥3॥
* भय अर पश्रीहत नश्रीहत दप्रेखरराई। चलप्रे सकल चरनहन्ह हसर नराई॥
एहह अवसर लहछमन पपुर आए। कगोध दप्रेहख जहहूँ तहहूँ कहप धराए॥4॥
भरावरारर्ण:-सबकगो भय, पश्रीहत और नश्रीहत हदखलराई। सब बमंदर चररर ममें हसर नवराकर चलप्रे। इसश्री
समय लक्ष्मरजश्री नगर ममें आए। उनकरा कगोध दप्रेखकर बमंदर जहराहूँ-तहराहूँ भरागप्रे॥4॥
दगोहरा :
* धनपुष चढराइ कहरा तब जरारर करउहूँ पपुर छरार।
ब्यराकपुल नगर दप्रेहख तब आयउ बराहलकपु मरार॥19॥
भरावरारर्ण:-तदनन्तर लक्ष्मरजश्री नप्रे धनपुष चढराकर कहरा हक नगर कगो जलराकर अभश्री रराख कर द गहूँपू रा।
तब नगरभर कगो व्यराकपुल दप्रेखकर बराहलपपुत्र अमंगदजश्री उनकप्रे परास आए॥19॥
चरौपराई :
* चर नराइ हसर हबनतश्री ककीन्हश्री। लहछमन अभय बराहहूँ तप्रेहह दश्रीन्हश्री॥
कगोधवमंत लहछमन सपुहन करानरा। कह कपश्रीस अहत भयहूँ अकपु लरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-अमंगद नप्रे उनकप्रे चररर ममें हसर नवराकर हवनतश्री ककी (क्षमरा-यराचनरा ककी) तब लक्ष्मरजश्री नप्रे
उनकगो अभय बराहूँह दश्री (भपुजरा उठराकर कहरा हक डरगो मत)। सपुगश्रीव नप्रे अपनप्रे करानर सप्रे लक्ष्मरजश्री कगो
कगोधयक्त
पु सपुनकर भय सप्रे अत्यमंत व्यराकपुल हगोकर कहरा-॥1॥
* सपुनपु हनपुममंत समंग लहै तराररा। करर हबनतश्री समपुझराउ कपु मराररा॥
तराररा सहहत जराइ हनपुमरानरा। चरन बमंहद पभपु सपुजस बखरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हनपुमरानम सपुनगो, तपुम तराररा कगो सरार लप्रे जराकर हवनतश्री करकप्रे रराजकपु मरार कगो समझराओ
(समझरा-बपुझराकर शरामंत करगो)। हनपुमरानमजश्री नप्रे तराररा सहहत जराकर लक्ष्मरजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा
ककी और पभपु कप्रे सपुदमं र यश करा बखरान हकयरा॥2॥
* करर हबनतश्री ममंहदर लहै आए। चरन पखरारर पलहूँग बहैठराए॥
तब कपश्रीस चरनहन्ह हसर नरावरा। गहह भपुज लहछमन कमंठ लगरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हवनतश्री करकप्रे उन्हमें महल ममें लप्रे आए तररा चररर कगो धगोकर उन्हमें पलहूँग पर बहैठरायरा। तब
वरानररराज सपुगश्रीव नप्रे उनकप्रे चररर ममें हसर नवरायरा और लक्ष्मरजश्री नप्रे हरार पकडकर उनकगो गलप्रे सप्रे
लगरा हलयरा॥3॥
* नरार हवषय सम मद कछपु नराहहीं। मपुहन मन मगोह करइ छन मराहहीं।
सपुनत हबनश्रीत बचन सपुख परावरा। लहछमन तप्रेहह बहह हबहध समपुझरावरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(सपुगश्रीव नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! हवषय कप्रे समरान और कगोई मद नहहीं हहै। यह मपुहनयर कप्रे मन
ममें भश्री क्षरमरात्र ममें मगोह उत्पन्न कर दप्रेतरा हहै (हफिर ममैं तगो हवषयश्री जश्रीव हश्री ठहररा)। सपुगश्रीव कप्रे हवनययक्त
पु
वचन सपुनकर लक्ष्मरजश्री नप्रे सपुख परायरा और उनकगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा॥4॥
* पवन तनय सब कररा सपुनराई। जप्रेहह हबहध गए दतपू समपुदराई॥5॥
भरावरारर्ण:-तब पवनसपुत हनपुमरानमजश्री नप्रे हजस पकरार सब हदशराओमं ममें दतपू र कप्रे समपूह गए रप्रे वह सब
हराल सपुनरायरा॥5॥

सपुगश्रीव-रराम समंवराद और सश्रीतराजश्री ककी खगोज कप्रे हलए बमंदरर करा पस्ररान
दगोहरा :
* हरहष चलप्रे सपुगश्रीव तब अमंगदराहद कहप सरार।
ररामरानपुज आगमें करर आए जहहूँ रघपुनरार॥20॥
भरावरारर्ण:-तब अमंगद आहद वरानरर कगो सरार लप्रेकर और शश्री ररामजश्री कप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री कगो
आगप्रे करकप्रे (अररार्णतम उनकप्रे पश्रीछप्रे-पश्रीछप्रे) सपुगश्रीव हहषर्णत हगोकर चलप्रे और जहराहूँ रघपुनरारजश्री रप्रे वहराहूँ
आए॥20॥
चरौपराई :
* नराइ चरन हसर कह कर जगोरश्री॥ नरार मगोहह कछपु नराहहन खगोरश्री॥
अहतसय पबल दप्रेव तव मरायरा॥ छपू टइ रराम करहह जजौं दरायरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर हरार जगोडकर सपुगश्रीव नप्रे कहरा- हप्रे नरार! मपुझप्रे
कपु छ भश्री दगोष नहहीं हहै। हप्रे दप्रेव! आपककी मरायरा अत्यमंत हश्री पबल हहै। आप जब दयरा करतप्रे हमैं, हप्रे रराम!
तभश्री यह छपूटतश्री हहै॥1॥
* हबषय बस्य सपुर नर मपुहन स्वरामश्री॥ ममैं परावहूँर पसपु कहप अहत करामश्री॥
नरारर नयन सर जराहह न लरागरा। घगोर कगोध तम हनहस जगो जरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे स्वरामश्री! दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन सभश्री हवषयर कप्रे वश ममें हमैं। हफिर ममैं तगो परामर पशपु
और पशपुओमं ममें भश्री अत्यमंत करामश्री बमंदर हह हूँ। स्त्रश्री करा नयन बरार हजसकगो नहहीं लगरा, जगो भयमंकर कगोध
रूपश्री अहूँधप्रेरश्री ररात ममें भश्री जरागतरा रहतरा हहै (कगोधरान्ध नहहीं हगोतरा)॥2॥
* लगोभ परास
हूँ जप्रेहहमं गर न बहूँधरायरा। सगो नर तपुम्ह समरान रघपुररायरा॥
यह गपुन सराधन तमें नहहमं हगोई। तपुम्हरश्री कमृ परा पराव कगोइ कगोई॥3॥
भरावरारर्ण:-और लगोभ ककी फिराहूँसश्री सप्रे हजसनप्रे अपनरा गलरा नहहीं बहूँधरायरा, हप्रे रघपुनरारजश्री! वह मनपुष्य
आप हश्री कप्रे समरान हहै। यप्रे गपुर सराधन सप्रे नहहीं पराप्त हगोतप्रे। आपककी कमृ परा सप्रे हश्री कगोई-कगोई इन्हमें परातप्रे
हमैं॥3॥
* तब रघपुपहत बगोलप्रे मपुसपुकराई। तपुम्ह हपय मगोहह भरत हजहम भराई॥
अब सगोइ जतनपु करह मन लराई। जप्रेहह हबहध सश्रीतरा कहै सपुहध पराई॥4॥
भरावरारर्ण:-तब शश्री रघपुनरारजश्री मपुस्कपु रराकर बगोलप्रे- हप्रे भराई! तपुम मपुझप्रे भरत कप्रे समरान प्यरारप्रे हगो। अब
मन लगराकर वहश्री उपराय करगो हजस उपराय सप्रे सश्रीतरा ककी खबर हमलप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* एहह हबहध हगोत बतकहश्री आए बरानर जपूर।
नरानरा बरन सकल हदहस दप्रेहखअ ककीस बरूर॥21॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार बरातचश्रीत हगो रहश्री रश्री हक वरानरर कप्रे यपूर (झपुमंड) आ गए। अनप्रेक रमंगर कप्रे वरानरर
कप्रे दल सब हदशराओमं ममें हदखराई दप्रेनप्रे लगप्रे॥21॥
चरौपराई :
* बरानर कटक उमरा ममैं दप्रेखरा। सगो मपूरख जगो करन चह लप्रेखरा॥
आइ रराम पद नरावहहमं मराररा। हनरहख बदनपु सब हगोहहमं सनराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! वरानरर ककी वह सप्रेनरा ममैंनप्रे दप्रेखश्री रश्री। उसककी जगो हगनतश्री
करनरा चराहप्रे वह महरानम मपूखर्ण हहै। सब वरानर आ-आकर शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें मस्तक नवरातप्रे हमैं और
(सजौंदयर्ण-मराधपुयर्णहनहध) शश्रीमपुख कप्रे दशर्णन करकप्रे कमृ तरारर्ण हगोतप्रे हमैं॥1॥
* अस कहप एक न सप्रेनरा मराहहीं। रराम कपु सल जप्रेहह पपूछश्री नराहहीं॥
यह कछपु नहहमं पभपु कइ अहधकराई। हबस्वरूप ब्यरापक रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-सप्रेनरा ममें एक भश्री वरानर ऐसरा नहहीं ररा हजससप्रे शश्री ररामजश्री नप्रे कपु शल न पपूछश्री हगो, पभपु कप्रे
हलए यह कगोई बडश्री बरात नहहीं हहै, क्यरहक शश्री रघपुनरारजश्री हवश्वरूप तररा सवर्णव्यरापक हमैं (सरारप्रे रूपर
और सब स्ररानर ममें हमैं)॥2॥
* ठराढप्रे जहहूँ तहहूँ आयसपु पराई। कह सपुगश्रीव सबहह समपुझराई॥
रराम कराजपु अर मगोर हनहगोररा। बरानर जपूर जराहह चहह हूँ ओररा॥3॥
भरावरारर्ण:-आजरा पराकर सब जहराहूँ-तहराहूँ खडप्रे हगो गए। तब सपुगश्रीव नप्रे सबकगो समझराकर कहरा हक हप्रे
वरानरर कप्रे समपूहर! यह शश्री ररामचमंदजश्री करा करायर्ण हहै और मप्रेररा हनहगोररा (अनपुरगोध) हहै, तपुम चरारर ओर
जराओ॥3॥
* जनकसपुतरा कहह हूँ खगोजहह जराई। मरास हदवस महहूँ आएहह भराई॥
अवहध मप्रेहट जगो हबनपु सपुहध पराएहूँ। आवइ बहनहह सगो मगोहह मरराएहूँ॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और जराकर जरानककीजश्री कगो खगोजगो। हप्रे भराई! महश्रीनप्रे भर ममें वरापस आ जरानरा। जगो (महश्रीनप्रे
भर ककी) अवहध हबतराकर हबनरा पतरा लगराए हश्री लरौट आएगरा उसप्रे मप्रेरप्रे दराररा मरवरातप्रे हश्री बनप्रेगरा
(अररार्णतम मपुझप्रे उसकरा वध करवरानरा हश्री पडप्रेगरा)॥4॥
दगोहरा :
* बचन सपुनत सब बरानर जहहूँ तहहूँ चलप्रे तपुरमंत।
तब सपुगश्रीवहूँ बगोलराए अमंगद नल हनपुममंत॥22॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव कप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री सब वरानर तपुरमंत जहराहूँ-तहराहूँ (हभन्न-हभन्न हदशराओमं ममें) चल हदए।
तब सपुगश्रीव नप्रे अमंगद, नल, हनपुमरानम आहद पधरान-पधरान यगोदराओमं कगो बपुलरायरा (और कहरा-)॥
22॥
चरौपराई :
* सपुनहह नश्रील अमंगद हनपुमरानरा। जरामवमंत महतधश्रीर सपुजरानरा॥
सकल सपुभट हमहल दहच्छन जराहह। सश्रीतरा सपुहध पपूहूँछप्रेहह सब कराहह॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे धश्रीरबपुहद और चतपुर नश्रील, अमंगद, जराम्बवरानम और हनपुमरान! तपुम सब शप्रेष यगोदरा
हमलकर दहक्षर हदशरा कगो जराओ और सब हकसश्री सप्रे सश्रीतराजश्री करा पतरा पपूछनरा॥ 1॥
* मन कम बचन सगो जतन हबचरारप्रेहह। ररामचमंद कर कराजपु सहूँवरारप्रेहह॥
भरानपु पश्रीहठ सप्रेइअ उर आगश्री। स्वराहमहह सबर्ण भराव छल त्यरागश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मन, वचन तररा कमर्ण सप्रे उसश्री करा (सश्रीतराजश्री करा पतरा लगरानप्रे करा) उपराय सगोचनरा। शश्री
ररामचमंदजश्री करा करायर्ण समंपन्न (सफिल) करनरा। सपूयर्ण कगो पश्रीठ सप्रे और अहग्नि कगो हृदय सप्रे (सरामनप्रे सप्रे)
सप्रेवन करनरा चराहहए, परमंतपु स्वरामश्री ककी सप्रेवरा तगो छल छगोडकर सवर्णभराव सप्रे (मन, वचन, कमर्ण सप्रे)
करनश्री चराहहए॥2॥
* तहज मरायरा सप्रेइअ परलगोकरा। हमटहहमं सकल भवसमंभव सगोकरा॥
दप्रेह धरप्रे कर यह फिलपु भराई। भहजअ रराम सब कराम हबहराई॥3॥
भरावरारर्ण:-मरायरा (हवषयर ककी ममतरा-आसहक्त) कगो छगोडकर परलगोक करा सप्रेवन (भगवरान कप्रे हदव्य
धराम ककी पराहप्त कप्रे हलए भगवत्सप्रेवरा रूप सराधन) करनरा चराहहए, हजससप्रे भव (जन्म-मरर) सप्रे
उत्पन्न सरारप्रे शगोक हमट जराएहूँ। हप्रे भराई! दप्रेह धरारर करनप्रे करा यहश्री फिल हहै हक सब करामर
(करामनराओमं) कगो छगोडकर शश्री ररामजश्री करा भजन हश्री हकयरा जराए॥3॥
* सगोइ गपुनग्य सगोई बडभरागश्री। जगो रघपुबश्रीर चरन अनपुररागश्री॥
आयसपु मराहग चरन हसर नराई। चलप्रे हरहष सपुहमरत रघपुरराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सदरपु र कगो पहचराननप्रे वरालरा (गपुरवरान) तररा बडभरागश्री वहश्री हहै जगो शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर
करा पप्रेमश्री हहै। आजरा मराहूँगकर और चररर ममें हफिर हसर नवराकर शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर करतप्रे हहए
सब हहषर्णत हगोकर चलप्रे॥4॥
* पराछमें पवन तनय हसर नरावरा। जराहन कराज पभपु हनकट बगोलरावरा॥
परसरा सश्रीस सरगोरह परानश्री। करमपुहदकरा दश्रीहन्ह जन जरानश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-सबकप्रे पश्रीछप्रे पवनसपुत शश्री हनपुमरानमजश्री नप्रे हसर नवरायरा। करायर्ण करा हवचरार करकप्रे पभपु नप्रे उन्हमें
अपनप्रे परास बपुलरायरा। उन्हरनप्रे अपनप्रे करकमल सप्रे उनकप्रे हसर करा स्पशर्ण हकयरा तररा अपनरा सप्रेवक
जरानकर उन्हमें अपनप्रे हरार ककी अहूँगपूठश्री उतरारकर दश्री॥5॥
* बहह पकरार सश्रीतहह समपुझराएहह । कहह बल हबरह बप्रेहग तपुम्ह आएहह ॥
हनपुमत जन्म सपुफिल करर मरानरा। चलप्रेउ हृदयहूँ धरर कमृ पराहनधरानरा॥6॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) बहह त पकरार सप्रे सश्रीतरा कगो समझरानरा और मप्रेररा बल तररा हवरह (पप्रेम)
कहकर तपुम शश्रीघ्र लरौट आनरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे अपनरा जन्म सफिल समझरा और कमृ पराहनधरान पभपु कगो
हृदय ममें धरारर करकप्रे वप्रे चलप्रे॥6॥
* जद्यहप पभपु जरानत सब बरातरा। रराजनश्रीहत रराखत सपुरत्ररातरा॥ 7॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप दप्रेवतराओमं ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे पभपु सब बरात जरानतप्रे हमैं, तगो भश्री वप्रे रराजनश्रीहत ककी
रक्षरा कर रहप्रे हमैं (नश्रीहत ककी मयरार्णदरा रखनप्रे कप्रे हलए सश्रीतराजश्री करा पतरा लगरानप्रे कगो जहराहूँ-तहराहूँ वरानरर कगो
भप्रेज रहप्रे हमैं)॥7॥
दगोहरा :
* चलप्रे सकल बन खगोजत सररतरा सर हगरर खगोह।
रराम कराज लयलश्रीन मन हबसररा तन कर छगोह॥23॥
भरावरारर्ण:-सब वरानर वन, नदश्री, तरालराब, पवर्णत और पवर्णतर ककी कन्दरराओमं ममें खगोजतप्रे हहए चलप्रे जरा
रहप्रे हमैं। मन शश्री ररामजश्री कप्रे करायर्ण ममें लवलश्रीन हहै। शरश्रीर तक करा पप्रेम (ममत्व) भपूल गयरा हहै॥23॥
चरौपराई :
* कतहह हूँ हगोइ हनहसचर समैं भप्रेटरा। परान लप्रेहहमं एक एक चपप्रेटरा॥
बहह पकरार हगरर करानन हप्रेरहहमं। कगोउ मपुहन हमलइ तराहह सब घप्रेरहहमं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-कहहीं हकसश्री रराक्षस सप्रे भमेंट हगो जरातश्री हहै, तगो एक-एक चपत ममें हश्री उसकप्रे परार लप्रे लप्रेतप्रे हमैं।
पवर्णतर और वनर कगो बहह त पकरार सप्रे खगोज रहप्रे हमैं। कगोई मपुहन हमल जरातरा हहै तगो पतरा पपूछनप्रे कप्रे हलए
उसप्रे सब घप्रेर लप्रेतप्रे हमैं॥1॥

गपुफिरा ममें तपहस्वनश्री कप्रे दशर्णन, वरानरर करा समपुद तट पर आनरा, सम्परातश्री सप्रे भमेंट और बरातचश्रीत
* लराहग तमृषरा अहतसय अकपु लरानप्रे। हमलइ न जल घन गहन भपुलरानप्रे॥
मन हनपुमरानम ककीन्ह अनपुमरानरा। मरन चहत सब हबनपु जल परानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इतनप्रे ममें हश्री सबकगो अत्यमंत प्यरास लगश्री, हजससप्रे सब अत्यमंत हश्री व्यराकपुल हगो गए, हकमंतपु
जल कहहीं नहहीं हमलरा। घनप्रे जमंगल ममें सब भपुलरा गए। हनपुमरानमजश्री नप्रे मन ममें अनपुमरान हकयरा हक जल
हपए हबनरा सब लगोग मरनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥2॥
* चहढ हगरर हसखर चहह हूँ हदहस दप्रेखरा। भपूहम हबबर एक करौतपुक पप्रेखरा॥
चकबराक बक हमंस उडराहहीं। बहह तक खग पहबसहहमं तप्रेहह मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे पहराड ककी चगोटश्री पर चढकर चरारर ओर दप्रेखरा तगो पमृथ्वश्री कप्रे अमंदर एक गपुफिरा ममें उन्हमें
एक करौतपुक (आश्चयर्ण) हदखराई हदयरा। उसकप्रे ऊपर चकवप्रे, बगपुलप्रे और हमंस उड रहप्रे हमैं और बहह त
सप्रे पक्षश्री उसममें पवप्रेश कर रहप्रे हमैं॥3॥
* हगरर तप्रे उतरर पवनसपुत आवरा। सब कहह हूँ लहै सगोइ हबबर दप्रेखरावरा॥
आगमें कहै हनपुममंतहह लश्रीन्हरा। पहैठप्रे हबबर हबलमंबपु न ककीन्हरा॥4॥
भरावरारर्ण:-पवन कपु मरार हनपुमरानमजश्री पवर्णत सप्रे उतर आए और सबकगो लप्रे जराकर उन्हरनप्रे वह गपुफिरा
हदखलराई। सबनप्रे हनपुमरानमजश्री कगो आगप्रे कर हलयरा और वप्रे गपुफिरा ममें घपुस गए, दप्रेर नहहीं ककी॥4॥
दगोहरा :
* दश्रीख जराइ उपबन बर सर हबगहसत बहह कमंज।
ममंहदर एक रहचर तहहूँ बहैहठ नरारर तप पपुमंज॥24॥
भरावरारर्ण:-अमंदर जराकर उन्हरनप्रे एक उरम उपवन (बगश्रीचरा) और तरालराब दप्रेखरा, हजसममें बहह त सप्रे
कमल हखलप्रे हहए हमैं। वहहीं एक सपुदमं र ममंहदर हहै, हजसममें एक तपगोमपूहतर्ण स्त्रश्री बहैठश्री हहै॥24॥
चरौपराई :
* दरपू र तप्रे तराहह सबहन्ह हसर नरावरा। पपूछमें हनज बमृररामंत सपुनरावरा॥
तप्रेहहमं तब कहरा करहह जल परानरा। खराहह सपुरस सपुमंदर फिल नरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-दरपू सप्रे हश्री सबनप्रे उसप्रे हसर नवरायरा और पपूछनप्रे पर अपनरा सब वमृररामंत कह सपुनरायरा। तब
उसनप्रे कहरा- जलपरान करगो और भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे रसश्रीलप्रे सपुदमं र फिल खराओ॥1॥
* मजनपु ककीन्ह मधपुर फिल खराए। तरासपु हनकट पपुहन सब चहल आए॥
तप्रेहहमं सब आपहन कररा सपुनराई। ममैं अब जराब जहराहूँ रघपुरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-(आजरा पराकर) सबनप्रे स्नरान हकयरा, मश्रीठप्रे फिल खराए और हफिर सब उसकप्रे परास चलप्रे
आए। तब उसनप्रे अपनश्री सब कररा कह सपुनराई (और कहरा-) ममैं अब वहराहूँ जराऊहूँगश्री जहराहूँ शश्री
रघपुनरारजश्री हमैं॥2॥
* मपूदहह नयन हबबर तहज जराहह। पहैहहह सश्रीतहह जहन पहछतराहह॥
नयन मपूहद पपुहन दप्रेखहहमं बश्रीररा। ठराढप्रे सकल हसमंधपु कमें तश्रीररा॥3॥
भरावरारर्ण:-तपुम लगोग आहूँखमें मपूहूँद लगो और गपुफिरा कगो छगोडकर बराहर जराओ। तपुम सश्रीतराजश्री कगो परा
जराओगप्रे, पछतराओ नहहीं (हनरराश न हगोओ)। आहूँखमें मपूहूँदकर हफिर जब आहूँखमें खगोलहीं तगो सब वश्रीर क्यरा
दप्रेखतप्रे हमैं हक सब समपुद कप्रे तश्रीर पर खडप्रे हमैं॥3॥
* सगो पपुहन गई जहराहूँ रघपुनराररा। जराइ कमल पद नराएहस मराररा॥
नरानरा भराहूँहत हबनय तप्रेहहमं ककीन्हहीं। अनपरायनश्री भगहत पभपु दश्रीन्हहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-और वह स्वयमं वहराहूँ गई जहराहूँ शश्री रघपुनरारजश्री रप्रे। उसनप्रे जराकर पभपु कप्रे चरर कमलर ममें
मस्तक नवरायरा और बहह त पकरार सप्रे हवनतश्री ककी। पभपु नप्रे उसप्रे अपनश्री अनपराहयनश्री (अचल) भहक्त
दश्री॥4॥
दगोहरा :
* बदरश्रीबन कहह हूँ सगो गई पभपु अग्यरा धरर सश्रीस।
उर धरर रराम चरन जपुग जप्रे बमंदत अज ईस॥25॥
भरावरारर्ण:-पभपु ककी आजरा हसर पर धरारर कर और शश्री ररामजश्री कप्रे यगपु ल चररर कगो, हजनककी ब्रहरा
और महप्रेश भश्री वमंदनरा करतप्रे हमैं, हृदय ममें धरारर कर वह (स्वयमंपभरा) बदररकराशम कगो चलश्री गई॥
25॥
चरौपराई :
* इहराहूँ हबचरारहहमं कहप मन मराहहीं। बश्रीतश्री अवहध कराज कछपु नराहहीं॥
सब हमहल कहहहमं परस्पर बरातरा। हबनपु सपुहध लएहूँ करब करा ररातरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यहराहूँ वरानरगर मन ममें हवचरार कर रहप्रे हमैं हक अवहध तगो बश्रीत गई, पर कराम कपु छ न हहआ।
सब हमलकर आपस ममें बरात करनप्रे लगप्रे हक हप्रे भराई! अब तगो सश्रीतराजश्री ककी खबर हलए हबनरा लरौटकर
भश्री क्यरा करमेंगप्रे!॥1॥
* कह अमंगद लगोचन भरर बरारश्री। दहपु ह हूँ पकरार भइ ममृत्यपु हमरारश्री॥
इहराहूँ न सपुहध सश्रीतरा कहै पराई। उहराहूँ गएहूँ मराररहह कहपरराई॥2॥
भरावरारर्ण:-अमंगद नप्रे नप्रेत्रर ममें जल भरकर कहरा हक दगोनर हश्री पकरार सप्रे हमरारश्री ममृत्य पु हह ई। यहराहूँ तगो
सश्रीतराजश्री ककी सपुध नहहीं हमलश्री और वहराहूँ जरानप्रे पर वरानररराज सपुगश्रीव मरार डरालमेंगप्रे॥ 2॥
* हपतरा बधप्रे पर मरारत मगोहश्री। रराखरा रराम हनहगोर न ओहश्री॥
पपुहन पपुहन अमंगद कह सब पराहहीं। मरन भयउ कछपु समंसय नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे तगो हपतरा कप्रे वध हगोनप्रे पर हश्री मपुझप्रे मरार डरालतप्रे। शश्री ररामजश्री नप्रे हश्री मप्रेरश्री रक्षरा ककी, इसममें
सपुगश्रीव करा कगोई एहसरान नहहीं हहै। अमंगद बरार-बरार सबसप्रे कह रहप्रे हमैं हक अब मरर हहआ, इसममें कपु छ
भश्री समंदप्रेह नहहीं हहै॥3॥
* अमंगद बचन सपुन कहप बश्रीररा। बगोहल न सकहहमं नयन बह नश्रीररा॥
छन एक सगोच मगन हगोइ रहप्रे। पपुहन अस बचन कहत सब भए॥4॥
भरावरारर्ण:-वरानर वश्रीर अमंगद कप्रे वचन सपुनतप्रे हमैं, हकमंतपु कपु छ बगोल नहहीं सकतप्रे। उनकप्रे नप्रेत्रर सप्रे जल बह
रहरा हहै। एक क्षर कप्रे हलए सब सगोच ममें मग्नि हगो रहप्रे। हफिर सब ऐसरा वचन कहनप्रे लगप्रे-॥4॥
* हम सश्रीतरा कहै सपुहध लश्रीन्हमें हबनरा। नहहमं जहैहमैं जपुबरराज पबश्रीनरा॥
अस कहह लवन हसमंधपु तट जराई। बहैठप्रे कहप सब दभर्ण डसराई॥5॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सपुयगोग्य यवपु रराज! हम लगोग सश्रीतराजश्री ककी खगोज हलए हबनरा नहहीं लरौटमेंगप्रे। ऐसरा कहकर
लवरसरागर कप्रे तट पर जराकर सब वरानर कपु श हबछराकर बहैठ गए॥5॥
* जरामवमंत अमंगद दख
पु दप्रेखश्री। कहहीं कररा उपदप्रेस हबसप्रेषश्री॥
तरात रराम कहह हूँ नर जहन मरानहह । हनगपुर्णन ब्रह अहजत अज जरानहह ॥6॥
भरावरारर्ण:-जराम्बवरानम नप्रे अमंगद करा दद्धाःपु ख दप्रेखकर हवशप्रेष उपदप्रेश ककी करराएहूँ कहहीं। (वप्रे बगोलप्रे-) हप्रे
तरात! शश्री ररामजश्री कगो मनपुष्य न मरानगो, उन्हमें हनगपुर्णर ब्रह, अजप्रेय और अजन्मरा समझगो॥6॥
* हम सब सप्रेवक अहत बडभरागश्री। समंतत सगपुन ब्रह अनपुररागश्री॥7॥
भरावरारर्ण:-हम सब सप्रेवक अत्यमंत बडभरागश्री हमैं, जगो हनरमंतर सगपुर ब्रह (शश्री ररामजश्री) ममें पश्रीहत रखतप्रे
हमैं॥7॥
दगोहरा :
* हनज इच्छराहूँ पभपु अवतरइ सपुर मह गगो ह‍दज लराहग।
सगपुन उपरासक समंग तहहूँ रहहहमं मगोच्छ सब त्यराहग॥26॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा, पमृथ्वश्री, गगो और ब्रराहरर कप्रे हलए पभपु अपनश्री इच्छरा सप्रे (हकसश्री कमर्णबमंधन सप्रे नहहीं)
अवतरार लप्रेतप्रे हमैं। वहराहूँ सगपुरगोपरासक (भक्तगर सरालगोक्य, सरामश्रीप्य, सरारप्य, सराहष्टिर्ण और सरायज्पु य)
सब पकरार कप्रे मगोक्षर कगो त्यरागकर उनककी सप्रेवरा ममें सरार रहतप्रे हमैं॥26॥
चरौपराई :
* एहह हबहध कररा कहहहमं बहह भराहूँतश्री। हगरर कमंदरराहूँ सपुनश्री समंपरातश्री॥
बराहप्रेर हगोइ दप्रेहख बहह ककीसरा। मगोहह अहरार दश्रीन्ह जगदश्रीसरा॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार जराम्बवरानम बहह त पकरार सप्रे करराएहूँ कह रहप्रे हमैं। इनककी बरातमें पवर्णत ककी कन्दररा ममें
सम्परातश्री नप्रे सपुनहीं। बराहर हनकलकर उसनप्रे बहह त सप्रे वरानर दप्रेखप्रे। (तब वह बगोलरा-) जगदश्रीश्वर नप्रे
मपुझकगो घर बहैठप्रे बहह त सरा आहरार भप्रेज हदयरा!॥1॥
* आजपु सबहह कहहूँ भच्छन करऊहूँ। हदन हबपु चलप्रे अहरार हबनपु मरऊहूँ॥
कबहह हूँ न हमल भरर उदर अहराररा। आजपु दश्रीन्ह हबहध एकहहमं बराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आज इन सबकगो खरा जराऊहूँगरा। बहह त हदन बश्रीत गए, भगोजन कप्रे हबनरा मर रहरा ररा। पप्रेटभर
भगोजन कभश्री नहहीं हमलतरा। आज हवधरातरा नप्रे एक हश्री बरार ममें बहह त सरा भगोजन दप्रे हदयरा॥2॥
* डरपप्रे गश्रीध बचन सपुहन करानरा। अब भरा मरन सत्य हम जरानरा॥
कहप सब उठप्रे गश्रीध कहहूँ दप्रेखश्री। जरामवमंत मन सगोच हबसप्रेषश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-गश्रीध कप्रे वचन करानर सप्रे सपुनतप्रे हश्री सब डर गए हक अब सचमपुच हश्री मरनरा हगो गयरा। यह
हमनप्रे जरान हलयरा। हफिर उस गश्रीध (सम्परातश्री) कगो दप्रेखकर सब वरानर उठ खडप्रे हह ए। जराम्बवरानम कप्रे
मन ममें हवशप्रेष सगोच हहआ॥3॥
* कह अमंगद हबचरारर मन मराहहीं। धन्य जटरायपू सम कगोउ नराहहीं॥
रराम कराज करारन तनपु त्यरागश्री। हरर पपुर गयउ परम बडभरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अमंगद नप्रे मन ममें हवचरार कर कहरा- अहरा! जटरायपु कप्रे समरान धन्य कगोई नहहीं हहै। शश्री ररामजश्री
कप्रे करायर्ण कप्रे हलए शरश्रीर छगोडकर वह परम बडभरागश्री भगवरानम कप्रे परमधराम कगो चलरा गयरा॥4॥
* सपुहन खग हरष सगोक जपुत बरानश्री। आवरा हनकट कहपन्ह भय मरानश्री॥
हतन्हहह अभय करर पपूछप्रेहस जराई। कररा सकल हतन्ह तराहह सपुनराई॥5॥
भरावरारर्ण:-हषर्ण और शगोक सप्रे यक्त
पु वरारश्री (समराचरार) सपुनकर वह पक्षश्री (सम्परातश्री) वरानरर कप्रे परास
आयरा। वरानर डर गए। उनकगो अभय करकप्रे (अभय वचन दप्रेकर) उसनप्रे परास जराकर जटरायपु करा
वमृररामंत पपूछरा, तब उन्हरनप्रे सरारश्री कररा उसप्रे कह सपुनराई॥5॥
* सपुहन समंपराहत बमंधपु कहै करनश्री। रघपुपहत महहमरा बहह हबहध बरनश्री॥6॥
भरावरारर्ण:-भराई जटरायपु ककी करनश्री सपुनकर सम्परातश्री नप्रे बहह त पकरार सप्रे शश्री रघपुनरारजश्री ककी महहमरा
वरर्णन ककी॥6॥
दगोहरा :
* मगोहह लहै जराहह हसमंधपुतट दप्रेउहूँ हतलरामंजहल तराहह।
बचन सहराइ करहब ममैं पहैहहह खगोजहह जराहह॥27॥
भरावरारर्ण:-(उसनप्रे कहरा-) मपुझप्रे समपुद कप्रे हकनरारप्रे लप्रे चलगो, ममैं जटरायपु कगो हतलरामंजहल दप्रे दहूँ।पू इस सप्रेवरा
कप्रे बदलप्रे ममैं तपुम्हरारश्री वचन सप्रे सहरायतरा करूहूँगरा (अररार्णतम सश्रीतराजश्री कहराहूँ हमैं सगो बतलरा दगहूँपू रा), हजसप्रे
तपुम खगोज रहप्रे हगो उसप्रे परा जराओगप्रे॥27॥
चरौपराई :
* अनपुज हकयरा करर सरागर तश्रीररा। कहह हनज कररा सपुनहह कहप बश्रीररा॥
हम दरौ बमंधपु परम तरनराई। गगन गए रहब हनकट उडराई॥1॥
भरावरारर्ण:-समपुद कप्रे तश्रीर पर छगोटप्रे भराई जटरायपु ककी हकयरा (शराद आहद) करकप्रे सम्परातश्री अपनश्री कररा
कहनप्रे लगरा- हप्रे वश्रीर वरानरर! सपुनगो, हम दगोनर भराई उठतश्री जवरानश्री ममें एक बरार आकराश ममें उडकर
सपूयर्ण कप्रे हनकट चलप्रे गए॥1॥
* तप्रेज न सहह सक सगो हफिरर आवरा। ममैं अहभमरानश्री रहब हनअररावरा॥
जरप्रे पमंख अहत तप्रेज अपराररा। परप्रेउहूँ भपूहम करर घगोर हचकराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वह (जटराय)पु तप्रेज नहहीं सह सकरा, इससप्रे लरौट आयरा (हकमंतपु), ममैं अहभमरानश्री ररा
इसहलए सपूयर्ण कप्रे परास चलरा गयरा। अत्यमंत अपरार तप्रेज सप्रे मप्रेरप्रे पमंख जल गए। ममैं बडप्रे जगोर सप्रे चश्रीख
मरारकर जमश्रीन पर हगर पडरा॥2॥
* मपुहन एक नराम चमंदमरा ओहश्री। लरागश्री दयरा दप्रेहख करर मगोहश्री॥
बहह पकरार तप्रेहहमं ग्यरान सपुनरावरा। दप्रेहजहनत अहभमरान छपु डरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ चमंदमरा नराम कप्रे एक मपुहन रप्रे। मपुझप्रे दप्रेखकर उन्हमें बडश्री दयरा लगश्री। उन्हरनप्रे बहह त पकरार
सप्रे मपुझप्रे जरान सपुनरायरा और मप्रेरप्रे दप्रेहजहनत (दप्रेह समंबमंधश्री) अहभमरान कगो छपु डरा हदयरा॥3॥
* त्रप्रेतराहूँ ब्रह मनपुज तनपु धररहश्री। तरासपु नरारर हनहसचर पहत हररहश्री॥
तरासपु खगोज पठइहह पभपु दतपू रा। हतन्हहह हमलमें तमैं हगोब पपुनश्रीतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(उन्हरनप्रे कहरा-) त्रप्रेतरायगपु ममें सराक्षरातम परब्रह मनपुष्य शरश्रीर धरारर करमेंगप्रे। उनककी स्त्रश्री कगो
रराक्षसर करा रराजरा हर लप्रे जराएगरा। उसककी खगोज ममें पभपु दतपू भप्रेजमेंगप्रे। उनसप्रे हमलनप्रे पर तपू पहवत्र हगो
जराएगरा॥4॥
* जहमहहहमं पमंख करहस जहन हचमंतरा। हतन्हहह दप्रेखराइ दप्रेहप्रेसपु तमैं सश्रीतरा॥
मपुहन कइ हगररा सत्य भइ आजपू। सपुहन मम बचन करहह पभपु कराजपू॥5॥
भरावरारर्ण:-और तप्रेरप्रे पमंख उग आएहूँगप्रे, हचमंतरा न कर। उन्हमें तपू सश्रीतराजश्री कगो हदखरा दप्रेनरा। मपुहन ककी वह
वरारश्री आज सत्य हह ई। अब मप्रेरप्रे वचन सपुनकर तपुम पभपु करा करायर्ण करगो॥5॥
* हगरर हत्रकपू ट ऊपर बस लमंकरा। तहहूँ रह ररावन सहज असमंकरा॥
तहहूँ असगोक उपबन जहहूँ रहई। सश्रीतरा बहैहठ सगोच रत अहई॥6॥
भरावरारर्ण:-हत्रकपू ट पवर्णत पर लमंकरा बसश्री हह ई हहै। वहराहूँ स्वभराव सप्रे हश्री हनडर ररावर रहतरा हहै। वहराहूँ अशगोक
नराम करा उपवन (बगश्रीचरा) हहै, जहराहूँ सश्रीतराजश्री रहतश्री हमैं। (इस समय भश्री) वप्रे सगोच ममें मग्नि बहैठश्री हमैं॥
6॥
समपुद लराहूँघनप्रे करा पररामशर्ण, जराम्बवन्त करा हनपुमरानमजश्री कगो बल यराद हदलराकर उत्सराहहत करनरा, शश्री
रराम-गपुर करा मराहरात्म्य
दगोहरा :
* ममैं दप्रेखउहूँ तपुम्ह नराहहीं गश्रीधहह दृहष्टि अपरार।
बपूढ भयउहूँ न त करतप्रेउहूँ कछपु क सहराय तपुम्हरार॥28॥
भरावरारर्ण:-ममैं उन्हमें दप्रेख रहरा हह हूँ, तपुम नहहीं दप्रेख सकतप्रे, क्यरहक गश्रीध ककी दृहष्टि अपरार हगोतश्री हहै (बहह त
दरपू तक जरातश्री हहै)। क्यरा करूहूँ? ममैं बपूढरा हगो गयरा, नहहीं तगो तपुम्हरारश्री कपु छ तगो सहरायतरा अवश्य
करतरा॥28॥
चरौपराई :
* जगो नराघइ सत जगोजन सरागर। करइ सगो रराम कराज महत आगर॥
मगोहह हबलगोहक धरहह मन धश्रीररा। रराम कमृ पराहूँ कस भयउ सरश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-जगो सरौ यगोजन (चरार सरौ कगोस) समपुद लराहूँघ सकप्रे गरा और बपुहदहनधरान हगोगरा, वहश्री शश्री
ररामजश्री करा करायर्ण कर सकप्रे गरा। (हनरराश हगोकर घबरराओ मत) मपुझप्रे दप्रेखकर मन ममें धश्रीरज धरगो।
दप्रेखगो, शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे (दप्रेखतप्रे हश्री दप्रेखतप्रे) मप्रेररा शरश्रीर कहै सरा हगो गयरा (हबनरा पराहूँख करा बप्रेहराल
ररा, पराहूँख उगनप्रे सप्रे सपुदमं र हगो गयरा) !॥1॥
* पराहपउ जराकर नराम सपुहमरहहीं। अहत अपरार भवसरागर तरहहीं॥
तरासपु दतपू तपुम्ह तहज कदरराई रराम हृदयहूँ धरर करहह उपराई॥2॥
भरावरारर्ण:-परापश्री भश्री हजनकरा नराम स्मरर करकप्रे अत्यमंत परार भवसरागर सप्रे तर जरातप्रे हमैं। तपुम उनकप्रे दतपू
हगो, अतद्धाः करायरतरा छगोडकर शश्री ररामजश्री कगो हृदय ममें धरारर करकप्रे उपराय करगो॥2॥
* अस कहह गरड गश्रीध जब गयऊ। हतन्ह कप्रे मन अहत हबसमय भयऊ॥
हनज हनज बल सब कराहहहूँ भराषरा। परार जराइ कर समंसय रराखरा॥3॥
भरावरारर्ण:-(कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे गरडजश्री! इस पकरार कहकर जब गश्रीध चलरा गयरा, तब
उन (वरानरर) कप्रे मन ममें अत्यमंत हवस्मय हह आ। सब हकसश्री नप्रे अपनरा-अपनरा बल कहरा। पर समपुद कप्रे
परार जरानप्रे ममें सभश्री नप्रे समंदहप्रे पकट हकयरा॥3॥
* जरठ भयउहूँ अब कहइ ररछप्रेसरा। नहहमं तन रहरा परम बल लप्रेसरा॥
जबहहमं हत्रहबकम भए खररारश्री। तब ममैं तरन रहप्रेउहूँ बल भरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-ऋक्षरराज जराम्बवरानम कहनप्रे लगप्रे- ममैं बपूढरा हगो गयरा। शरश्रीर ममें पहलप्रे वरालप्रे बल करा लप्रेश भश्री
नहहीं रहरा। जब खररारर (खर कप्रे शत्रपु शश्री रराम) वरामन बनप्रे रप्रे, तब ममैं जवरान ररा और मपुझ ममें बडरा
बल ररा॥4॥
दगोहरा :
* बहल बराहूँधत पभपु बराढप्रेउ सगो तनपु बरहन न जराइ।
उभय घरश्री महहूँ दश्रीन्हहीं सरात पदहच्छन धराइ॥29॥
भरावरारर्ण:-बहल कप्रे बराहूँधतप्रे समय पभपु इतनप्रे बढप्रे हक उस शरश्रीर करा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा, हकमंतपु ममैंनप्रे
दगो हश्री घडश्री ममें दरौडकर (उस शरश्रीर ककी) सरात पदहक्षरराएहूँ कर लहीं॥29॥
चरौपराई :
* अमंगद कहइ जराउहूँ ममैं पराररा। हजयहूँ समंसय कछपु हफिरतश्री बराररा॥
जरामवमंत कह तपुम्ह सब लरायक। पठइअ हकहम सबहश्री कर नरायक॥1॥
भरावरारर्ण:-अमंगद नप्रे कहरा- ममैं परार तगो चलरा जराऊहूँगरा, परमंतपु लरौटतप्रे समय कप्रे हलए हृदय ममें कपु छ समंदहप्रे
हहै। जराम्बवरानम नप्रे कहरा- तपुम सब पकरार सप्रे यगोग्य हगो, परमंतपु तपुम सबकप्रे नप्रेतरा हगो, तपुम्हप्रे कहै सप्रे भप्रेजरा
जराए?॥1॥
* कहइ रश्रीछपहत सपुनपु हनपुमरानरा। करा चपुप सराहध रहप्रेहह बलवरानरा॥
पवन तनय बल पवन समरानरा। बपुहध हबबप्रेक हबग्यरान हनधरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ऋक्षरराज जराम्बवरानम नप्रे शश्री हनपुमरानजश्री सप्रे कहरा- हप्रे हनपुमरानम! हप्रे बलवरानम! सपुनगो, तपुमनप्रे
यह क्यरा चपुप सराध रखश्री हहै? तपुम पवन कप्रे पपुत्र हगो और बल ममें पवन कप्रे समरान हगो। तपुम बपुहद-हववप्रेक
और हवजरान ककी खरान हगो॥2॥
* कवन सगो कराज कहठन जग मराहहीं। जगो नहहमं हगोइ तरात तपुम्ह पराहहीं॥
रराम कराज लहग तव अवतराररा। सपुनतहहमं भयउ पबर्णतराकराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-जगतम ममें करौन सरा ऐसरा कहठन कराम हहै जगो हप्रे तरात! तपुमसप्रे न हगो सकप्रे । शश्री ररामजश्री कप्रे करायर्ण
कप्रे हलए हश्री तगो तपुम्हराररा अवतरार हहआ हहै। यह सपुनतप्रे हश्री हनपुमरानमजश्री पवर्णत कप्रे आकरार कप्रे (अत्यमंत
हवशरालकराय) हगो गए॥3॥
* कनक बरन तन तप्रेज हबरराजरा। मरानहह हूँ अपर हगररन्ह कर रराजरा॥
हसमंहनराद करर बरारहहमं बराररा। लश्रीलहहमं नराघउहूँ जलहनहध खराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-उनकरा सगोनप्रे करा सरा रमंग हहै, शरश्रीर पर तप्रेज सपुशगोहभत हहै, मरानगो दस पू ररा पवर्णतर करा रराजरा
सपुमप्रेर हगो। हनपुमरानमजश्री नप्रे बरार-बरार हसमंहनराद करकप्रे कहरा- ममैं इस खरारप्रे समपुद कगो खप्रेल ममें हश्री लराहूँघ
सकतरा हह हूँ॥4॥
* सहहत सहराय ररावनहह मरारश्री। आनउहूँ इहराहूँ हत्रकपू ट उपरारश्री॥
जरामवमंत ममैं पपूहूँछउहूँ तगोहश्री। उहचत हसखरावनपु दश्रीजहह मगोहश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- और सहरायकर सहहत ररावर कगो मरारकर हत्रकपू ट पवर्णत कगो उखराडकर यहराहूँ लरा सकतरा हह।हूँ
हप्रे जराम्बवरानम! ममैं तपुमसप्रे पपूछतरा हह हूँ, तपुम मपुझप्रे उहचत सश्रीख दप्रेनरा (हक मपुझप्रे क्यरा करनरा चराहहए)॥5॥
* एतनरा करहह तरात तपुम्ह जराई। सश्रीतहह दप्रेहख कहहह सपुहध आई॥
तब हनज भपुज बल रराहजवनहैनरा। करौतपुक लराहग समंग कहप सप्रेनरा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-(जराम्बवरानम नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! तपुम जराकर इतनरा हश्री करगो हक सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर
लरौट आओ और उनककी खबर कह दगो। हफिर कमलनयन शश्री ररामजश्री अपनप्रे बराहह बल सप्रे (हश्री रराक्षसर
करा समंहरार कर सश्रीतराजश्री कगो लप्रे आएहूँगप्रे, कप्रे वल) खप्रेल कप्रे हलए हश्री वप्रे वरानरर ककी सप्रेनरा सरार लमेंगप्रे॥6॥
छमंद :
* कहप सप्रेन समंग सहूँघरारर हनहसचर ररामपु सश्रीतहह आहन हमैं।
त्रहैलगोक परावन सपुजसपु सपुर मपुहन नरारदराहद बखराहन हमैं॥
जगो सपुनत गरावत कहत समपुक्षत परमपद नर परावई।
रघपुबश्रीर पद परारगोज मधपुकर दरास तपुलसश्री गरावई॥
भरावरारर्ण:-वरानरर ककी सप्रेनरा सरार लप्रेकर रराक्षसर करा समंहरार करकप्रे शश्री ररामजश्री सश्रीतराजश्री कगो लप्रे आएहूँगप्रे।
तब दप्रेवतरा और नरारदराहद मपुहन भगवरानम कप्रे तश्रीनर लगोकर कगो पहवत्र करनप्रे वरालप्रे सपुदमं र यश करा बखरान
करमेंगप्रे, हजसप्रे सपुननप्रे, गरानप्रे, कहनप्रे और समझनप्रे सप्रे मनपुष्य परमपद परातप्रे हमैं और हजसप्रे शश्री रघपुवश्रीर कप्रे
चररकमल करा मधपुकर (रमर) तपुलसश्रीदरास गरातरा हहै।
दगोहरा :
* भव भप्रेषज रघपुनरार जसपु सपुनहहमं जप्रे नर अर नरारर।
हतन्ह कर सकल मनगोरर हसद करहहमं हत्रहसररारर॥30 क॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुवश्रीर करा यश भव (जन्म-मरर) रूपश्री रगोग ककी (अचपूक) दवरा हहै। जगो पपुरष और
स्त्रश्री इसप्रे सपुनमेंगप्रे, हत्रहशररा कप्रे शत्रपु शश्री ररामजश्री उनकप्रे सब मनगोररर कगो हसद करमेंगप्रे॥30 (क)॥
सगोरठरा :
* नश्रीलगोत्पल तन स्यराम कराम कगोहट सगोभरा अहधक।
सपुहनअ तरासपु गपुन गराम जरासपु नराम अघ खग बहधक॥30 ख॥
भरावरारर्ण:-हजनकरा नश्रीलप्रे कमल कप्रे समरान श्यराम शरश्रीर हहै, हजनककी शगोभरा करगोडर करामदप्रेवर सप्रे भश्री
अहधक हहै और हजनकरा नराम परापरूपश्री पहक्षयर कगो मरारनप्रे कप्रे हलए बहधक (व्यराधरा) कप्रे समरान हहै,
उन शश्री रराम कप्रे गपुरर कप्रे समपूह (लश्रीलरा) कगो अवश्य सपुननरा चराहहए॥30 (ख)॥
मरासपररायर, तप्रेईसवराहूँ हवशराम
इहत शश्रीमदरामचररतमरानसप्रे सकलकहलकलपुषहवध्वमंसनप्रे चतपुरर्ण: सगोपरानद्धाः समराप्त :।
कहलयगपु कप्रे समस्त परापर कप्रे नराश करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररतम मरानस करा यह चरौररा सगोपरान समराप्त
हह आ।

(हकहष्कमंधराकरामंड समराप्त)
शश्रीररामचररतमरानस
सपुमंदरकराण्ड
पमंचम सगोपरान-ममंगलराचरर
श्लगोक :
* शरान्तमं शराश्वतमपमप्रेयमनघमं हनवरार्णरशराहन्तपदमं
ब्रहराशम्भपुफिरश्रीन्दसप्रेव्यमहनशमं वप्रेदरान्तवप्रेद्यमं हवभपुमम।
ररामराख्यमं जगदश्रीश्वरमं सपुरगपुरमं मरायरामनपुष्यमं हररमं
वन्दप्रेऽहमं कररराकरमं रघपुवरमं भपूपरालचपूडरामहरमम॥1॥
भरावरारर्ण:-शरान्त, सनरातन, अपमप्रेय (पमरारर सप्रे परप्रे), हनष्पराप, मगोक्षरूप परमशराहन्त दप्रेनप्रे वरालप्रे,
ब्रहरा, शम्भपु और शप्रेषजश्री सप्रे हनरमंतर सप्रेहवत, वप्रेदरान्त कप्रे दराररा जराननप्रे यगोग्य, सवर्णव्यरापक, दप्रेवतराओमं
ममें सबसप्रे बडप्रे, मरायरा सप्रे मनपुष्य रूप ममें हदखनप्रे वरालप्रे, समस्त परापर कगो हरनप्रे वरालप्रे, करररा ककी
खरान, रघपुकपुल ममें शप्रेष तररा रराजराओमं कप्रे हशरगोमहर रराम कहलरानप्रे वरालप्रे जगदश्रीश्वर ककी ममैं वमंदनरा
करतरा हह हूँ॥1॥
* नरान्यरा स्पमृहरा रघपुपतप्रे हृदयप्रेऽस्मदश्रीयप्रे
सत्यमं वदराहम च भवरानहखलरान्तररात्मरा।
भहक्तमं पयच्छ रघपुपपुमंगव हनभर्णररामं मप्रे
करामराहददगोषरहहतमं कपु र मरानसमं च॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुनरारजश्री! ममैं सत्य कहतरा हह हूँ और हफिर आप सबकप्रे अमंतररात्मरा हश्री हमैं (सब जरानतप्रे हश्री
हमैं) हक मप्रेरप्रे हृदय ममें दस
पू रश्री कगोई इच्छरा नहहीं हहै। हप्रे रघपुकपुलशप्रेष! मपुझप्रे अपनश्री हनभर्णररा (पपूरर्ण) भहक्त
दश्रीहजए और मप्रेरप्रे मन कगो कराम आहद दगोषर सप्रे रहहत ककीहजए॥2॥
* अतपुहलतबलधराममं हप्रेमशहैलराभदप्रेहमं
दनपुजवनकमृ शरानपुमं जराहननरामगगण्यमम।
सकलगपुरहनधरानमं वरानरराररामधश्रीशमं
रघपुपहतहपयभक्तमं वरातजरातमं नमराहम॥3॥
भरावरारर्ण:-अतपुल बल कप्रे धराम, सगोनप्रे कप्रे पवर्णत (सपुमप्रेर) कप्रे समरान कराहन्तयक्त पु शरश्रीर वरालप्रे, दहैत्य
रूपश्री वन (कगो ध्वमंस करनप्रे) कप्रे हलए अहग्नि रूप, जराहनयर ममें अगगण्य, समंपपूरर्ण गपुरर कप्रे हनधरान,
वरानरर कप्रे स्वरामश्री, शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हपय भक्त पवनपपुत्र शश्री हनपुमरानमजश्री कगो ममैं परराम करतरा हह॥हूँ 3॥

हनपुमरानमजश्री करा लमंकरा कगो पस्ररान, सपुरसरा सप्रे भमेंट, छरायरा पकडनप्रे वरालश्री रराक्षसश्री करा वध
चरौपराई :
* जरामवमंत कप्रे बचन सपुहराए। सपुहन हनपुममंत हृदय अहत भराए॥
तब लहग मगोहह पररखप्रेहह तपुम्ह भराई। सहह दख पु कमंद मपूल फिल खराई॥1॥
भरावरारर्ण:-जराम्बवरानम कप्रे सपुमंदर वचन सपुनकर हनपुमरानमजश्री कप्रे हृदय कगो बहह त हश्री भराए। (वप्रे बगोलप्रे-) हप्रे
भराई! तपुम लगोग दद्धाःपु ख सहकर, कन्द-मपूल-फिल खराकर तब तक मप्रेरश्री रराह दप्रेखनरा॥1॥
* जब लहग आवजौं सश्रीतहह दप्रेखश्री। हगोइहह कराजपु मगोहह हरष हबसप्रेषश्री॥
यह कहह नराइ सबहन्ह कहह हूँ मराररा । चलप्रेउ हरहष हहयहूँ धरर रघपुनराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-जब तक ममैं सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर (लरौट) न आऊहूँ। कराम अवश्य हगोगरा, क्यरहक मपुझप्रे
बहह त हश्री हषर्ण हगो रहरा हहै। यह कहकर और सबकगो मस्तक नवराकर तररा हृदय ममें शश्री रघपुनरारजश्री कगो
धरारर करकप्रे हनपुमरानमजश्री हहषर्णत हगोकर चलप्रे॥2॥
* हसमंधपु तश्रीर एक भपूधर सपुमंदर। करौतपुक कपू हद चढप्रेउ तरा ऊपर॥
बरार-बरार रघपुबश्रीर सहूँभरारश्री। तरकप्रे उ पवनतनय बल भरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-समपुद कप्रे तश्रीर पर एक सपुदमं र पवर्णत ररा। हनपुमरानमजश्री खप्रेल सप्रे हश्री (अनरायरास हश्री) कपू दकर
उसकप्रे ऊपर जरा चढप्रे और बरार-बरार शश्री रघपुवश्रीर करा स्मरर करकप्रे अत्यमंत बलवरानम हनपुमरानमजश्री उस
पर सप्रे बडप्रे वप्रेग सप्रे उछलप्रे॥3॥
* जप्रेहहमं हगरर चरन दप्रेइ हनपुममंतरा। चलप्रेउ सगो गरा परातराल तपुरमंतरा॥
हजहम अमगोघ रघपुपहत कर बरानरा। एहश्री भराहूँहत चलप्रेउ हनपुमरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हजस पवर्णत पर हनपुमरानमजश्री पहैर रखकर चलप्रे (हजस पर सप्रे वप्रे उछलप्रे), वह तपुरमंत हश्री
परातराल ममें धहूँस गयरा। जहैसप्रे शश्री रघपुनरारजश्री करा अमगोघ बरार चलतरा हहै, उसश्री तरह हनपुमरानमजश्री चलप्रे॥
4॥
* जलहनहध रघपुपहत दतपू हबचरारश्री। तमैं महैनराक हगोहह शम हरारश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-समपुद नप्रे उन्हमें शश्री रघपुनरारजश्री करा दतपू समझकर महैनराक पवर्णत सप्रे कहरा हक हप्रे महैनराक ! तपू
इनककी रकरावट दरपू करनप्रे वरालरा हगो (अररार्णतम अपनप्रे ऊपर इन्हमें हवशराम दप्रे)॥5॥
दगोहरा :
* हनपूमरान तप्रेहह परसरा कर पपुहन ककीन्ह पनराम।
रराम कराजपु ककीन्हमें हबनपु मगोहह कहराहूँ हबशराम॥1॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे उसप्रे हरार सप्रे छपू हदयरा, हफिर परराम करकप्रे कहरा- भराई! शश्री ररामचमंदजश्री करा
कराम हकए हबनरा मपुझप्रे हवशराम कहराहूँ?॥1॥
चरौपराई :
* जरात पवनसपुत दप्रेवन्ह दप्रेखरा। जरानमैं कहह हूँ बल बपुहद हबसप्रेषरा॥
सपुरसरा नराम अहहन्ह कहै मरातरा। पठइहन्ह आइ कहश्री तप्रेहहमं बरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतराओमं नप्रे पवनपपुत्र हनपुमरानमजश्री कगो जरातप्रे हह ए दप्रेखरा। उनककी हवशप्रेष बल-बपुहद कगो जराननप्रे
कप्रे हलए (परश्रीक्षरारर्ण) उन्हरनप्रे सपुरसरा नरामक सपर्मों ककी मरातरा कगो भप्रेजरा, उसनप्रे आकर हनपुमरानमजश्री सप्रे
यह बरात कहश्री-॥1॥
* आजपु सपुरन्ह मगोहह दश्रीन्ह अहराररा। सपुनत बचन कह पवनकपु मराररा॥
रराम कराजपु करर हफिरर ममैं आवजौं। सश्रीतरा कइ सपुहध पभपुहह सपुनरावजौं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-आज दप्रेवतराओमं नप्रे मपुझप्रे भगोजन हदयरा हहै। यह वचन सपुनकर पवनकपु मरार हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-
शश्री ररामजश्री करा करायर्ण करकप्रे ममैं लरौट आऊहूँ और सश्रीतराजश्री ककी खबर पभपु कगो सपुनरा दहूँ,पू ॥2॥
* तब तव बदन पहैहठहउहूँ आई। सत्य कहउहूँ मगोहह जरान दप्रे मराई॥
कवनप्रेहहहूँ जतन दप्रेइ नहहमं जरानरा। गसहस न मगोहह कहप्रेउ हनपुमरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तब ममैं आकर तपुम्हरारप्रे मपुहूँह ममें घपुस जराऊहूँगरा (तपुम मपुझप्रे खरा लप्रेनरा)। हप्रे मरातरा! ममैं सत्य
कहतरा हह हूँ, अभश्री मपुझप्रे जरानप्रे दप्रे। जब हकसश्री भश्री उपराय सप्रे उसनप्रे जरानप्रे नहहीं हदयरा, तब हनपुमरानमजश्री नप्रे
कहरा- तगो हफिर मपुझप्रे खरा न लप्रे॥3॥
* जगोजन भरर तप्रेहहमं बदनपु पसराररा। कहप तनपु ककीन्ह दगपु पुन हबस्तराररा ॥
सगोरह जगोजन मपुख तप्रेहहमं ठयऊ। तपुरत पवनसपुत बहरस भयऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे यगोजनभर (चरार कगोस ममें) मपुहूँह फिहैलरायरा। तब हनपुमरानमजश्री नप्रे अपनप्रे शरश्रीर कगो उससप्रे
दनपू रा बढरा हलयरा। उसनप्रे सगोलह यगोजन करा मपुख हकयरा। हनपुमरानमजश्री तपुरमंत हश्री बरश्रीस यगोजन कप्रे हगो
गए॥4॥
* जस जस सपुरसरा बदनपु बढरावरा। तरासपु दनपू कहप रूप दप्रेखरावरा॥
सत जगोजन तप्रेहहमं आनन ककीन्हरा। अहत लघपु रूप पवनसपुत लश्रीन्हरा॥5॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे-जहैसप्रे सपुरसरा मपुख करा हवस्तरार बढरातश्री रश्री, हनपुमरानमजश्री उसकरा दनपू रा रूप हदखलरातप्रे
रप्रे। उसनप्रे सरौ यगोजन (चरार सरौ कगोस करा) मपुख हकयरा। तब हनपुमरानमजश्री नप्रे बहह त हश्री छगोटरा रूप धरारर
कर हलयरा॥5॥
* बदन पइहठ पपुहन बराहप्रेर आवरा। मरागरा हबदरा तराहह हसर नरावरा॥
मगोहह सपुरन्ह जप्रेहह लराहग पठरावरा। बपुहध बल मरमपु तगोर ममैं परावरा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-और उसकप्रे मपुख ममें घपुसकर (तपुरमंत) हफिर बराहर हनकल आए और उसप्रे हसर नवराकर
हवदरा मराहूँगनप्रे लगप्रे। (उसनप्रे कहरा-) ममैंनप्रे तपुम्हरारप्रे बपुहद-बल करा भप्रेद परा हलयरा, हजसकप्रे हलए दप्रेवतराओमं
नप्रे मपुझप्रे भप्रेजरा ररा॥6॥
दगोहरा :
* रराम कराजपु सबपु कररहहह तपुम्ह बल बपुहद हनधरान।
आहसष दप्रेइ गई सगो हरहष चलप्रेउ हनपुमरान॥2॥
भरावरारर्ण:-तपुम शश्री ररामचमंदजश्री करा सब करायर्ण करगोगप्रे, क्यरहक तपुम बल-बपुहद कप्रे भमंडरार हगो। यह
आशश्रीवरार्णद दप्रेकर वह चलश्री गई, तब हनपुमरानमजश्री हहषर्णत हगोकर चलप्रे॥2॥
चरौपराई :
* हनहसचरर एक हसमंधपु महह हूँ रहई। करर मरायरा नभपु कप्रे खग गहई॥
जश्रीव जमंतपु जप्रे गगन उडराहहीं। जल हबलगोहक हतन्ह कहै पररछराहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-समपुद ममें एक रराक्षसश्री रहतश्री रश्री। वह मरायरा करकप्रे आकराश ममें उडतप्रे हहए पहक्षयर कगो पकड
लप्रेतश्री रश्री। आकराश ममें जगो जश्रीव-जमंतपु उडरा करतप्रे रप्रे, वह जल ममें उनककी परछराई मं दप्रेखकर॥1॥
* गहइ छराहहूँ सक सगो न उडराई। एहह हबहध सदरा गगनचर खराई॥
सगोइ छल हनपूमरानम कहहूँ ककीन्हरा। तरासपु कपटपु कहप तपुरतहहमं चश्रीन्हरा॥2॥
भरावरारर्ण:-उस परछराई मं कगो पकड लप्रेतश्री रश्री, हजससप्रे वप्रे उड नहहीं सकतप्रे रप्रे (और जल ममें हगर पडतप्रे
रप्रे) इस पकरार वह सदरा आकराश ममें उडनप्रे वरालप्रे जश्रीवर कगो खरायरा करतश्री रश्री। उसनप्रे वहश्री छल
हनपुमरानमजश्री सप्रे भश्री हकयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे तपुरमंत हश्री उसकरा कपट पहचरान हलयरा॥ 2॥
* तराहह मरारर मरारतसपुत बश्रीररा। बराररहध परार गयउ महतधश्रीररा॥
तहराहूँ जराइ दप्रेखश्री बन सगोभरा। गपुमंजत चमंचरश्रीक मधपु लगोभरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-पवनपपुत्र धश्रीरबपुहद वश्रीर शश्री हनपुमरानमजश्री उसकगो मरारकर समपुद कप्रे परार गए। वहराहूँ जराकर
उन्हरनप्रे वन ककी शगोभरा दप्रेखश्री। मधपु (पपुष्प रस) कप्रे लगोभ सप्रे भजौंरप्रे गपुमंजरार कर रहप्रे रप्रे॥3॥

लमंकरा वरर्णन, लमंहकनश्री वध, लमंकरा ममें पवप्रेश

* नरानरा तर फिल फिपूल सपुहराए। खग ममृग बमृमंद दप्रेहख मन भराए॥


सहैल हबसराल दप्रेहख एक आगमें। तरा पर धराइ चढप्रेउ भय त्यरागमें॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अनप्रेकर पकरार कप्रे वमृक्ष फिल-फिपूल सप्रे शगोहभत हमैं। पक्षश्री और पशपुओमं कप्रे समपूह कगो दप्रेखकर तगो
वप्रे मन ममें (बहह त हश्री) पसन्न हह ए। सरामनप्रे एक हवशराल पवर्णत दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री भय त्यरागकर उस
पर दरौडकर जरा चढप्रे॥4॥
* उमरा न कछपु कहप कहै अहधकराई। पभपु पतराप जगो करालहह खराई॥
हगरर पर चहढ लमंकरा तप्रेहहमं दप्रेखश्री। कहह न जराइ अहत दगपु र्ण हबसप्रेषश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! इसममें वरानर हनपुमरानम ककी कपु छ बडराई नहहीं हहै। यह पभपु करा
पतराप हहै, जगो कराल कगो भश्री खरा जरातरा हहै। पवर्णत पर चढकर उन्हरनप्रे लमंकरा दप्रेखश्री। बहह त हश्री बडरा
हकलरा हहै, कपु छ कहरा नहहीं जरातरा॥5॥
* अहत उतमंग जलहनहध चहह हूँ परासरा। कनक कगोट कर परम पकरासरा॥6॥
भरावरारर्ण:-वह अत्यमंत ऊहूँचरा हहै, उसकप्रे चरारर ओर समपुद हहै। सगोनप्रे कप्रे परकगोटप्रे (चहरारदश्रीवरारश्री) करा
परम पकराश हगो रहरा हहै॥6॥
छमंद :
* कनक कगोहट हबहचत्र महन कमृ त सपुमंदररायतनरा घनरा।
चउहट हट सपुबट बश्रीरहीं चरार पपुर बहह हबहध बनरा॥
गज बराहज खचर हनकर पदचर रर बरूरहन्ह कगो गनहै।
बहह रूप हनहसचर जपूर अहतबल सप्रेन बरनत नहहमं बनहै॥1॥
भरावरारर्ण:-हवहचत्र महरयर सप्रे जडरा हहआ सगोनप्रे करा परकगोटरा हहै, उसकप्रे अमंदर बहह त सप्रे सपुदमं र-सपुमंदर घर
हमैं। चरौरराहप्रे, बराजरार, सपुमंदर मरागर्ण और गहलयराहूँ हमैं, सपुदमं र नगर बहह त पकरार सप्रे सजरा हहआ हहै। हरारश्री,
घगोडप्रे, खचरर कप्रे समपूह तररा पहैदल और ररर कप्रे समपूहर कगो करौन हगन सकतरा हहै! अनप्रेक रूपर कप्रे
रराक्षसर कप्रे दल हमैं, उनककी अत्यमंत बलवतश्री सप्रेनरा वरर्णन करतप्रे नहहीं बनतश्री॥1॥
* बन बराग उपबन बराहटकरा सर कपू प बरापहीं सगोहहहीं।
नर नराग सपुर गमंधबर्ण कन्यरा रूप मपुहन मन मगोहहहीं॥
कहह हूँ मराल दप्रेह हबसराल सहैल समरान अहतबल गजर्णहहीं।
नरानरा अखरारप्रेन्ह हभरहहमं बहह हबहध एक एकन्ह तजर्णहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-वन, बराग, उपवन (बगश्रीचप्रे), फिपु लवराडश्री, तरालराब, कपु एहूँ और बरावहलयराहूँ सपुशगोहभत हमैं।
मनपुष्य, नराग, दप्रेवतराओमं और गमंधवर्मों ककी कन्यराएहूँ अपनप्रे सजौंदयर्ण सप्रे मपुहनयर कप्रे भश्री मन कगो मगोहप्रे लप्रेतश्री
हमैं। कहहीं पवर्णत कप्रे समरान हवशराल शरश्रीर वरालप्रे बडप्रे हश्री बलवरानम मल्ल (पहलवरान) गरज रहप्रे हमैं। वप्रे
अनप्रेकर अखराडर ममें बहह त पकरार सप्रे हभडतप्रे और एक-दस पू रप्रे कगो ललकरारतप्रे हमैं॥2॥
* करर जतन भट कगोहटन्ह हबकट तन नगर चहह हूँ हदहस रच्छहहीं।
कहह हूँ महहष मरानपुष धप्रेनपु खर अज खल हनसराचर भच्छहहीं॥
एहह लराहग तपुलसश्रीदरास इन्ह ककी कररा कछपु एक हहै कहश्री।
रघपुबश्रीर सर तश्रीरर सरश्रीरहन्ह त्यराहग गहत पहैहहहमं सहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-भयमंकर शरश्रीर वरालप्रे करगोडर यगोदरा यत्न करकप्रे (बडश्री सरावधरानश्री सप्रे) नगर ककी चरारर
हदशराओमं ममें (सब ओर सप्रे) रखवरालश्री करतप्रे हमैं। कहहीं दष्टिपु रराक्षस भमैंसर, मनपुष्यर, गरायर, गदहर और
बकरर कगो खरा रहप्रे हमैं। तपुलसश्रीदरास नप्रे इनककी कररा इसश्रीहलए कपु छ रगोडश्री सश्री कहश्री हहै हक यप्रे हनश्चय हश्री
शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे बरार रूपश्री तश्रीरर्ण ममें शरश्रीरर कगो त्यरागकर परमगहत परावमेंगप्रे॥ 3॥
दगोहरा-
*पपुर रखवरारप्रे दप्रेहख बहह कहप मन ककीन्ह हबचरार।
अहत लघपु रूप धरर हनहस नगर करजौं पइसरार॥3॥
भरावरारर्ण:-नगर कप्रे बहह सख्मं यक रखवरालर कगो दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री नप्रे मन ममें हवचरार हकयरा हक अत्यमंत
छगोटरा रूप धरूहूँ और ररात कप्रे समय नगर ममें पवप्रेश करूहूँ॥3॥
चरौपराई :
* मसक समरान रूप कहप धरश्री। लमंकहह चलप्रेउ सपुहमरर नरहरश्री॥
नराम लमंहकनश्री एक हनहसचरश्री। सगो कह चलप्रेहस मगोहह हनमंदरश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री मच्छड कप्रे समरान (छगोटरा सरा) रूप धरारर कर नर रूप सप्रे लश्रीलरा करनप्रे वरालप्रे
भगवरानम शश्री ररामचमंदजश्री करा स्मरर करकप्रे लमंकरा कगो चलप्रे (लमंकरा कप्रे दरार पर) लमंहकनश्री नराम ककी एक
रराक्षसश्री रहतश्री रश्री। वह बगोलश्री- मप्रेररा हनररादर करकप्रे (हबनरा मपुझसप्रे पपूछप्रे) कहराहूँ चलरा जरा रहरा हहै?॥1॥
* जरानप्रेहह नहहीं मरमपु सठ मगोररा। मगोर अहरार जहराहूँ लहग चगोररा॥
मपुहठकरा एक महरा कहप हनश्री। रहधर बमत धरनहीं ढनमनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मपूखर्ण! तपूनप्रे मप्रेररा भप्रेद नहहीं जरानरा जहराहूँ तक (हजतनप्रे) चगोर हमैं, वप्रे सब मप्रेरप्रे आहरार हमैं।
महराकहप हनपुमरानमजश्री नप्रे उसप्रे एक घपूहूँसरा मराररा, हजससप्रे वह खपून ककी उलटश्री करतश्री हह ई पमृथ्वश्री पर
लम पुढक पडश्री॥2॥
* पपुहन समंभरारर उठश्री सगो लमंकरा। जगोरर पराहन कर हबनय ससमंकरा॥
जब ररावनहह ब्रह बर दश्रीन्हरा। चलत हबरमंच कहरा मगोहह चश्रीन्हरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वह लमंहकनश्री हफिर अपनप्रे कगो समंभरालकर उठश्री और डर कप्रे मरारप्रे हरार जगोडकर हवनतश्री करनप्रे
लगश्री। (वह बगोलश्री-) ररावर कगो जब ब्रहराजश्री नप्रे वर हदयरा ररा, तब चलतप्रे समय उन्हरनप्रे मपुझप्रे रराक्षसर
कप्रे हवनराश ककी यह पहचरान बतरा दश्री रश्री हक-॥3॥
* हबकल हगोहस तमैं कहप कमें मरारप्रे। तब जरानप्रेसपु हनहसचर समंघरारप्रे॥
तरात मगोर अहत पपुन्य बहह तरा। दप्रेखप्रेउहूँ नयन रराम कर दतपू रा॥4॥
भरावरारर्ण:-जब तपू बमंदर कप्रे मरारनप्रे सप्रे व्यराकपुल हगो जराए, तब तपू रराक्षसर करा समंहरार हहआ जरान लप्रेनरा। हप्रे
तरात! मप्रेरप्रे बडप्रे पपुण्य हमैं, जगो ममैं शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे दतपू (आप) कगो नप्रेत्रर सप्रे दप्रेख पराई॥4॥
दगोहरा :
* तरात स्वगर्ण अपबगर्ण सपुख धररअ तपुलरा एक अमंग।
तपूल न तराहह सकल हमहल जगो सपुख लव सतसमंग॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! स्वगर्ण और मगोक्ष कप्रे सब सपुखर कगो तरराजपू कप्रे एक पलडप्रे ममें रखरा जराए, तगो भश्री वप्रे
सब हमलकर (दस पू रप्रे पलडप्रे पर रखप्रे हह ए) उस सपुख कप्रे बरराबर नहहीं हगो सकतप्रे, जगो लव (क्षर)
मरात्र कप्रे सत्समंग सप्रे हगोतरा हहै॥4॥
चरौपराई :
* पहबहस नगर ककीजप्रे सब कराजरा। हृदयहूँ रराहख कगोसलपपुर रराजरा॥
गरल सपुधरा ररपपु करहहमं हमतराई। गगोपद हसमंधपु अनल हसतलराई॥1॥
भरावरारर्ण:-अयगोध्यरापपुरश्री कप्रे रराजरा शश्री रघपुनरारजश्री कगो हृदय ममें रखप्रे हह ए नगर ममें पवप्रेश करकप्रे सब कराम
ककीहजए। उसकप्रे हलए हवष अममृत हगो जरातरा हहै, शत्रपु हमत्रतरा करनप्रे लगतप्रे हमैं, समपुद गराय कप्रे खपुर कप्रे
बरराबर हगो जरातरा हहै, अहग्नि ममें शश्रीतलतरा आ जरातश्री हहै॥1॥
* गरड सपुमप्रेर रप्रेनपु सम तराहश्री। रराम कमृ परा करर हचतवरा जराहश्री॥
अहत लघपु रूप धरप्रेउ हनपुमरानरा। पहैठरा नगर सपुहमरर भगवरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-और हप्रे गरडजश्री! सपुमप्रेर पवर्णत उसकप्रे हलए रज कप्रे समरान हगो जरातरा हहै, हजसप्रे शश्री
ररामचमंदजश्री नप्रे एक बरार कमृ परा करकप्रे दप्रेख हलयरा। तब हनपुमरानमजश्री नप्रे बहह त हश्री छगोटरा रूप धरारर हकयरा
और भगवरानम करा स्मरर करकप्रे नगर ममें पवप्रेश हकयरा॥2॥
* ममंहदर ममंहदर पहत करर सगोधरा। दप्रेखप्रे जहहूँ तहहूँ अगहनत जगोधरा॥
गयउ दसरानन ममंहदर मराहहीं। अहत हबहचत्र कहह जरात सगो नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे एक-एक (पत्यप्रेक) महल ककी खगोज ककी। जहराहूँ-तहराहूँ असमंख्य यगोदरा दप्रेखप्रे। हफिर वप्रे
ररावर कप्रे महल ममें गए। वह अत्यमंत हवहचत्र ररा, हजसकरा वरर्णन नहहीं हगो सकतरा॥3॥
* सयन हकएहूँ दप्रेखरा कहप तप्रेहश्री। ममंहदर महह हूँ न दश्रीहख बहैदप्रेहश्री॥
भवन एक पपुहन दश्रीख सपुहरावरा। हरर ममंहदर तहहूँ हभन्न बनरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे उस (ररावर) कगो शयन हकए दप्रेखरा, परमंतपु महल ममें जरानककीजश्री नहहीं हदखराई
दहीं। हफिर एक सपुदमं र महल हदखराई हदयरा। वहराहूँ (उसममें) भगवरानम करा एक अलग ममंहदर बनरा हहआ
ररा॥4॥

हनपुमरानम-हवभश्रीषर समंवराद

दगोहरा :
* ररामरायधपु अमंहकत गमृह सगोभरा बरहन न जराइ।
नव तपुलहसकरा बमृमंद तहहूँ दप्रेहख हरष कहपरराई॥5॥
भरावरारर्ण:-वह महल शश्री ररामजश्री कप्रे आयधपु (धनपुष-बरार) कप्रे हचह्नर सप्रे अमंहकत ररा, उसककी शगोभरा
वरर्णन नहहीं ककी जरा सकतश्री। वहराहूँ नवश्रीन-नवश्रीन तपुलसश्री कप्रे वमृक्ष-समपूहर कगो दप्रेखकर कहपरराज शश्री
हनपुमरानमजश्री हहषर्णत हह ए॥5॥
चरौपराई :
* लमंकरा हनहसचर हनकर हनवरासरा। इहराहूँ कहराहूँ सजन कर बरासरा॥
मन महह हूँ तरक करमैं कहप लरागरा। तप्रेहहीं समय हबभश्रीषनपु जरागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-लमंकरा तगो रराक्षसर कप्रे समपूह करा हनवरास स्ररान हहै। यहराहूँ सजन (सराधपु पपुरष) करा हनवरास
कहराहूँ? हनपुमरानमजश्री मन ममें इस पकरार तकर्ण करनप्रे लगप्रे। उसश्री समय हवभश्रीषरजश्री जरागप्रे॥1॥
* रराम रराम तप्रेहहमं सपुहमरन ककीन्हरा। हृदयहूँ हरष कहप सजन चश्रीन्हरा॥
एहह सन सहठ कररहउहूँ पहहचरानश्री। सराधपु तप्रे हगोइ न करारज हरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे (हवभश्रीषर नप्रे) रराम नराम करा स्मरर (उचरारर) हकयरा। हनमरानमजश्री नप्रे उन्हमें सजन
जरानरा और हृदय ममें हहषर्णत हहए। (हनपुमरानमजश्री नप्रे हवचरार हकयरा हक) इनसप्रे हठ करकप्रे (अपनश्री ओर सप्रे
हश्री) पररचय करूहूँगरा, क्यरहक सराधपु सप्रे करायर्ण ककी हराहन नहहीं हगोतश्री। (पत्यतपु लराभ हश्री हगोतरा हहै)॥2॥
* हबप रूप धरर बचन सपुनराए। सपुनत हबभश्रीषन उहठ तहहूँ आए॥
करर पनराम पपूहूँछश्री कपु सलराई। हबप कहहह हनज कररा बपुझराई॥3॥
भरावरारर्ण:-ब्रराहर करा रूप धरकर हनपुमरानमजश्री नप्रे उन्हमें वचन सपुनराए (पपुकराररा)। सपुनतप्रे हश्री हवभश्रीषरजश्री
उठकर वहराहूँ आए। परराम करकप्रे कपु शल पपूछश्री (और कहरा हक) हप्रे ब्रराहरदप्रेव! अपनश्री कररा
समझराकर कहहए॥3॥
* ककी तपुम्ह हरर दरासन्ह महहूँ कगोई। मगोरमें हृदय पश्रीहत अहत हगोई॥
ककी तपुम्ह ररामपु दश्रीन अनपुररागश्री। आयहह मगोहह करन बडभरागश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-क्यरा आप हररभक्तर ममें सप्रे कगोई हमैं? क्यरहक आपकगो दप्रेखकर मप्रेरप्रे हृदय ममें अत्यमंत पप्रेम
उमड रहरा हहै। अरवरा क्यरा आप दश्रीनर सप्रे पप्रेम करनप्रे वरालप्रे स्वयमं शश्री ररामजश्री हश्री हमैं जगो मपुझप्रे बडभरागश्री
बनरानप्रे (घर-बहैठप्रे दशर्णन दप्रेकर कमृ तरारर्ण करनप्रे) आए हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* तब हनपुममंत कहश्री सब रराम कररा हनज नराम।
सपुनत जपुगल तन पपुलक मन मगन सपुहमरर गपुन गराम॥6॥
भरावरारर्ण:-तब हनपुमरानमजश्री नप्रे शश्री ररामचमंदजश्री ककी सरारश्री कररा कहकर अपनरा नराम बतरायरा। सपुनतप्रे हश्री
दगोनर कप्रे शरश्रीर पपुलहकत हगो गए और शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर समपूहर करा स्मरर करकप्रे दगोनर कप्रे मन (पप्रेम
और आनमंद ममें) मग्नि हगो गए॥6॥
चरौपराई :
* सपुनहह पवनसपुत रहहन हमरारश्री। हजहम दसनहन्ह महह हूँ जश्रीभ हबचरारश्री॥
तरात कबहह हूँ मगोहह जराहन अनराररा। कररहहहमं कमृ परा भरानपुकपुल नराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-(हवभश्रीषरजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे पवनपपुत्र! मप्रेरश्री रहनश्री सपुनगो। ममैं यहराहूँ वहैसप्रे हश्री रहतरा हह हूँ जहैसप्रे
दराहूँतर कप्रे बश्रीच ममें बप्रेचरारश्री जश्रीभ। हप्रे तरात! मपुझप्रे अनरार जरानकर सपूयर्णकपुल कप्रे नरार शश्री ररामचमंदजश्री क्यरा
कभश्री मपुझ पर कमृ परा करमेंगप्रे?॥1॥
*तरामस तनपु कछपु सराधन नराहहीं। पश्रीत न पद सरगोज मन मराहहीं॥
अब मगोहह भरा भरगोस हनपुममंतरा। हबनपु हररकमृ परा हमलहहमं नहहमं समंतरा॥2॥
भरावरारर्ण:-मप्रेररा तरामसश्री (रराक्षस) शरश्रीर हगोनप्रे सप्रे सराधन तगो कपु छ बनतरा नहहीं और न मन ममें शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे चररकमलर ममें पप्रेम हश्री हहै, परमंतपु हप्रे हनपुमरानम! अब मपुझप्रे हवश्वरास हगो गयरा हक शश्री
ररामजश्री ककी मपुझ पर कमृ परा हहै, क्यरहक हरर ककी कमृ परा कप्रे हबनरा समंत नहहीं हमलतप्रे॥2॥
* जजौं रघपुबश्रीर अनपुगह ककीन्हरा। तरौ तपुम्ह मगोहह दरसपु हहठ दश्रीन्हरा॥
सपुनहह हबभश्रीषन पभपु कहै रश्रीतश्री। करहहमं सदरा सप्रेवक पर पश्रीहत॥3॥
भरावरारर्ण:-जब शश्री रघपुवश्रीर नप्रे कमृ परा ककी हहै, तभश्री तगो आपनप्रे मपुझप्रे हठ करकप्रे (अपनश्री ओर सप्रे) दशर्णन
हदए हमैं। (हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे हवभश्रीषरजश्री! सपुहनए, पभपु ककी यहश्री रश्रीहत हहै हक वप्रे सप्रेवक पर
सदरा हश्री पप्रेम हकयरा करतप्रे हमैं॥3॥
* कहहह कवन ममैं परम कपु लश्रीनरा। कहप चमंचल सबहहीं हबहध हश्रीनरा॥
परात लप्रेइ जगो नराम हमराररा। तप्रेहह हदन तराहह न हमलहै अहराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-भलरा कहहए, ममैं हश्री करौन बडरा कपु लश्रीन हह? हूँ (जराहत करा) चमंचल वरानर हह हूँ और सब पकरार
सप्रे नश्रीच हह हूँ, परातद्धाःकराल जगो हम लगोगर (बमंदरर) करा नराम लप्रे लप्रे तगो उस हदन उसप्रे भगोजन न हमलप्रे॥
4॥
दगोहरा :
* अस ममैं अधम सखरा सपुनपु मगोहह पर रघपुबश्रीर।
ककीन्हहीं कमृ परा सपुहमरर गपुन भरप्रे हबलगोचन नश्रीर॥7॥
भरावरारर्ण:-हप्रे सखरा! सपुहनए, ममैं ऐसरा अधम हह हूँ, पर शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे तगो मपुझ पर भश्री कमृ परा हश्री ककी हहै।
भगवरानम कप्रे गपुरर करा स्मरर करकप्रे हनपुमरानमजश्री कप्रे दगोनर नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा॥
7॥
चरौपराई :
* जरानतहह हूँ अस स्वराहम हबसरारश्री। हफिरहहमं तप्रे कराहप्रे न हगोहहमं दख पु रारश्री॥
एहह हबहध कहत रराम गपुन गरामरा। परावरा अहनबरार्णच्य हबशरामरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जगो जरानतप्रे हह ए भश्री ऐसप्रे स्वरामश्री (शश्री रघपुनरारजश्री) कगो भपुलराकर (हवषयर कप्रे पश्रीछप्रे) भटकतप्रे
हफिरतप्रे हमैं, वप्रे दद्धाःपु खश्री क्यर न हर? इस पकरार शश्री ररामजश्री कप्रे गपुर समपूहर कगो कहतप्रे हह ए उन्हरनप्रे
अहनवर्णचनश्रीय (परम) शरामंहत पराप्त ककी॥1॥
* पपुहन सब कररा हबभश्रीषन कहश्री। जप्रेहह हबहध जनकसपुतरा तहहूँ रहश्री॥
तब हनपुममंत कहरा सपुनपु ररातरा। दप्रेखश्री चहउहूँ जरानककी मरातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर हवभश्रीषरजश्री नप्रे, शश्री जरानककीजश्री हजस पकरार वहराहूँ (लमंकरा ममें) रहतश्री रहीं, वह सब
कररा कहश्री। तब हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- हप्रे भराई सपुनगो, ममैं जरानककी मरातरा कगो दप्रेखतरा चराहतरा हह हूँ॥2॥

हनपुमरानमजश्री करा अशगोक वराहटकरा ममें सश्रीतराजश्री कगो दप्रेकर दद्धाःपु खश्री हगोनरा और ररावर करा सश्रीतराजश्री कगो भय
हदखलरानरा

* जपुगपुहत हबभश्रीषन सकल सपुनराई। चलप्रेउ पवन सपुत हबदरा करराई॥


करर सगोइ रूप गयउ पपुहन तहवराहूँ। बन असगोक सश्रीतरा रह जहवराहूँ॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हवभश्रीषरजश्री नप्रे (मरातरा कप्रे दशर्णन ककी) सब यहपु क्तयराहूँ (उपराय) कह सपुनराई।मं तब हनपुमरानमजश्री
हवदरा लप्रेकर चलप्रे। हफिर वहश्री (पहलप्रे करा मसक सरश्रीखरा) रूप धरकर वहराहूँ गए, जहराहूँ अशगोक वन ममें
(वन कप्रे हजस भराग ममें) सश्रीतराजश्री रहतश्री रहीं॥3॥
* दप्रेहख मनहह महह हूँ ककीन्ह पनरामरा। बहैठप्रेहहमं बश्रीहत जरात हनहस जरामरा॥
कमृ स तनपु सश्रीस जटरा एक बप्रेनश्री। जपहत हृदयहूँ रघपुपहत गपुन शप्रेनश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कगो दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री नप्रे उन्हमें मन हश्री ममें परराम हकयरा। उन्हमें बहैठप्रे हश्री बहैठप्रे रराहत्र कप्रे
चरारर पहर बश्रीत जरातप्रे हमैं। शरश्रीर दबपु लरा हगो गयरा हहै, हसर पर जटराओमं ककी एक वप्रेरश्री (लट) हहै। हृदय
ममें शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे गपुर समपूहर करा जराप (स्मरर) करतश्री रहतश्री हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हनज पद नयन हदएहूँ मन रराम पद कमल लश्रीन।
परम दख पु श्री भरा पवनसपुत दप्रेहख जरानककी दश्रीन॥8॥
भरावरारर्ण:-शश्री जरानककीजश्री नप्रेत्रर कगो अपनप्रे चररर ममें लगराए हह ए हमैं (नश्रीचप्रे ककी ओर दप्रेख रहश्री हमैं) और
मन शश्री ररामजश्री कप्रे चरर कमलर ममें लश्रीन हहै। जरानककीजश्री कगो दश्रीन (दद्धाःपु खश्री) दप्रेखकर पवनपपुत्र
हनपुमरानमजश्री बहह त हश्री दद्धाःपु खश्री हह ए॥8॥
चरौपराई :
* तर पल्लव महहूँ रहरा लपुकराई। करइ हबचरार करजौं करा भराई॥
तप्रेहह अवसर ररावनपु तहहूँ आवरा। समंग नरारर बहह हकएहूँ बनरावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री वमृक्ष कप्रे परर ममें हछप रहप्रे और हवचरार करनप्रे लगप्रे हक हप्रे भराई! क्यरा करूहूँ
(इनकरा दद्धाःपु ख कहै सप्रे दरपू करूहूँ)? उसश्री समय बहह त सश्री हस्त्रयर कगो सरार हलए सज-धजकर ररावर
वहराहूँ आयरा॥1॥
* बहह हबहध खल सश्रीतहह समपुझरावरा। सराम दरान भय भप्रेद दप्रेखरावरा॥
कह ररावनपु सपुनपु सपुमपुहख सयरानश्री। ममंदगोदरश्री आहद सब ररानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उस दष्टिपु नप्रे सश्रीतराजश्री कगो बहह त पकरार सप्रे समझरायरा। सराम, दरान, भय और भप्रेद
हदखलरायरा। ररावर नप्रे कहरा- हप्रे सपुमपुहख! हप्रे सयरानश्री! सपुनगो! ममंदगोदरश्री आहद सब रराहनयर कगो-॥2॥
* तव अनपुचरहीं करउहूँ पन मगोररा। एक बरार हबलगोकपु मम ओररा॥
तमृन धरर ओट कहहत बहैदप्रेहश्री। सपुहमरर अवधपहत परम सनप्रेहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ममैं तपुम्हरारश्री दरासश्री बनरा दहूँगपू रा, यह मप्रेररा पर हहै। तपुम एक बरार मप्रेरश्री ओर दप्रेखगो तगो सहश्री !
अपनप्रे परम स्नप्रेहश्री कगोसलराधश्रीश शश्री ररामचमंदजश्री करा स्मरर करकप्रे जरानककीजश्री हतनकप्रे ककी आड
(परदरा) करकप्रे कहनप्रे लगहीं-॥3॥
* सपुनपु दसमपुख खद्यगोत पकरासरा। कबहह हूँ हक नहलनश्री करइ हबकरासरा॥
अस मन समपुझपु कहहत जरानककी। खल सपुहध नहहमं रघपुबश्रीर बरान ककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दशमपुख! सपुन, जपुगनपू कप्रे पकराश सप्रे कभश्री कमहलनश्री हखल सकतश्री हहै? जरानककीजश्री हफिर
कहतश्री हमैं- तपू (अपनप्रे हलए भश्री) ऐसरा हश्री मन ममें समझ लप्रे। रप्रे दष्टिपु ! तपुझप्रे शश्री रघपुवश्रीर कप्रे बरार ककी
खबर नहहीं हहै॥4॥
* सठ सपूनमें हरर आनप्रेहह मगोहश्री। अधम हनलज लराज नहहमं तगोहश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-रप्रे परापश्री! तपू मपुझप्रे सपूनप्रे ममें हर लरायरा हहै। रप्रे अधम! हनलर्णज! तपुझप्रे लजरा नहहीं आतश्री?॥5॥
दगोहरा :
* आपपुहह सपुहन खद्यगोत सम ररामहह भरानपु समरान।
परष बचन सपुहन कराहढ अहस बगोलरा अहत हखहसआन॥9॥
भरावरारर्ण:-अपनप्रे कगो जपुगनपू कप्रे समरान और ररामचमंदजश्री कगो सपूयर्ण कप्रे समरान सपुनकर और सश्रीतराजश्री कप्रे
कठगोर वचनर कगो सपुनकर ररावर तलवरार हनकरालकर बडप्रे गपुस्सप्रे ममें आकर बगोलरा-॥9॥
चरौपराई :
* सश्रीतरा तमैं मम कमृ त अपमरानरा। कहटहउहूँ तव हसर कहठन कमृ परानरा॥
नराहहमं त सपहद मरानपु मम बरानश्री। सपुमपुहख हगोहत न त जश्रीवन हरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरा! तपूनप्रे मप्रेररा अपनराम हकयरा हहै। ममैं तप्रेररा हसर इस कठगोर कमृ परार सप्रे कराट डरालपूहूँगरा। नहहीं
तगो (अब भश्री) जल्दश्री मप्रेरश्री बरात मरान लप्रे। हप्रे सपुमपुहख! नहहीं तगो जश्रीवन सप्रे हरार धगोनरा पडप्रेगरा॥1॥
* स्यराम सरगोज दराम सम सपुदमं र। पभपु भपुज करर कर सम दसकमं धर॥
सगो भपुज कमंठ हक तव अहस घगोररा। सपुनपु सठ अस पवरान पन मगोररा॥2॥
भरावरारर्ण:-(सश्रीतराजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे दशगश्रीव! पभपु ककी भपुजरा जगो श्यराम कमल ककी मरालरा कप्रे समरान
सपुमंदर और हरारश्री ककी सपूडहूँ कप्रे समरान (पपुष्टि तररा हवशराल) हहै, यरा तगो वह भपुजरा हश्री मप्रेरप्रे कमंठ ममें पडप्रेगश्री
यरा तप्रेरश्री भयरानक तलवरार हश्री। रप्रे शठ! सपुन, यहश्री मप्रेररा सचरा पर हहै॥2॥
* चमंदहरास हर मम पररतरापमं। रघपुपहत हबरह अनल समंजरातमं॥
सश्रीतल हनहसत बहहस बर धराररा। कह सश्रीतरा हर मम दख पु भराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कहतश्री हमैं- हप्रे चमंदहरास (तलवरार)! शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे हवरह ककी अहग्नि सप्रे उत्पन्न
मप्रेरश्री बडश्री भरारश्री जलन कगो तपू हर लप्रे, हप्रे तलवरार! तपू शश्रीतल, तश्रीव्र और शप्रेष धराररा बहरातश्री हहै
(अररार्णतम तप्रेरश्री धराररा ठमंडश्री और तप्रेज हहै), तपू मप्रेरप्रे दद्धाःपु ख कप्रे बगोझ कगो हर लप्रे॥3॥
चरौपराई :
* सपुनत बचन पपुहन मरारन धरावरा। मयतनयराहूँ कहह नश्रीहत बपुझरावरा॥
कहप्रेहस सकल हनहसचररन्ह बगोलराई। सश्रीतहह बहह हबहध त्ररासहह जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कप्रे यप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री वह मरारनप्रे दरौडरा। तब मय दरानव ककी पपुत्रश्री मन्दगोदरश्री नप्रे नश्रीहत
कहकर उसप्रे समझरायरा। तब ररावर नप्रे सब दराहसयर कगो बपुलराकर कहरा हक जराकर सश्रीतरा कगो बहह त
पकरार सप्रे भय हदखलराओ॥4॥
* मरास हदवस महह हूँ कहरा न मरानरा। तरौ ममैं मरारहब कराहढ कमृ परानरा॥5॥
भरावरारर्ण:-यहद महश्रीनप्रे भर ममें यह कहरा न मरानप्रे तगो ममैं इसप्रे तलवरार हनकरालकर मरार डरालपूहूँगरा॥ 5॥
दगोहरा :
* भवन गयउ दसकमंधर इहराहूँ हपसराहचहन बमृदमं ।
सश्रीतहह त्ररास दप्रेखरावहहमं धरहहमं रूप बहह ममंद॥10॥
भरावरारर्ण:-(यर कहकर) ररावर घर चलरा गयरा। यहराहूँ रराक्षहसयर कप्रे समपूह बहह त सप्रे बपुरप्रे रूप धरकर
सश्रीतराजश्री कगो भय हदखलरानप्रे लगप्रे॥10॥
चरौपराई :
* हत्रजटरा नराम रराच्छसश्री एकरा। रराम चरन रहत हनपपुन हबबप्रेकरा॥
सबन्हरौ बगोहल सपुनराएहस सपनरा। सश्रीतहह सप्रेइ करहह हहत अपनरा॥1॥
भरावरारर्ण:-उनममें एक हत्रजटरा नराम ककी रराक्षसश्री रश्री। उसककी शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे चररर ममें पश्रीहत रश्री और
वह हववप्रेक (जरान) ममें हनपपुर रश्री। उसनप्रे सबर कगो बपुलराकर अपनरा स्वप्न सपुनरायरा और कहरा-
सश्रीतराजश्री ककी सप्रेवरा करकप्रे अपनरा कल्यरार कर लगो॥1॥
* सपनमें बरानर लमंकरा जरारश्री। जरातपुधरान सप्रेनरा सब मरारश्री॥
खर आरूढ नगन दससश्रीसरा। मपुमंहडत हसर खमंहडत भपुज बश्रीसरा॥2॥
भरावरारर्ण:-स्वप्न (ममैंनप्रे दप्रेखरा हक) एक बमंदर नप्रे लमंकरा जलरा दश्री। रराक्षसर ककी सरारश्री सप्रेनरा मरार डरालश्री
गई। ररावर नमंगरा हहै और गदहप्रे पर सवरार हहै। उसकप्रे हसर मपुहूँडप्रे हह ए हमैं, बश्रीसर भपुजराएहूँ कटश्री हह ई हमैं॥2॥
* एहह हबहध सगो दहच्छन हदहस जराई। लमंकरा मनहह हूँ हबभश्रीषन पराई॥
नगर हफिरश्री रघपुबश्रीर दगोहराई। तब पभपु सश्रीतरा बगोहल पठराई॥3॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार सप्रे वह दहक्षर (यमपपुरश्री ककी) हदशरा कगो जरा रहरा हहै और मरानगो लमंकरा हवभश्रीषर
नप्रे पराई हहै। नगर ममें शश्री ररामचमंदजश्री ककी दहपु राई हफिर गई। तब पभपु नप्रे सश्रीतराजश्री कगो बपुलरा भप्रेजरा॥3॥
* यह सपनरा ममैं कहउहूँ पपुकरारश्री। हगोइहह सत्य गएहूँ हदन चरारश्री॥
तरासपु बचन सपुहन तप्रे सब डरहीं। जनकसपुतरा कप्रे चरनहन्ह परहीं॥4॥
भरावरारर्ण:-ममैं पपुकरारकर (हनश्चय कप्रे सरार) कहतश्री हह हूँ हक यह स्वप्न चरार (कपु छ हश्री) हदनर बराद
सत्य हगोकर रहप्रेगरा। उसकप्रे वचन सपुनकर वप्रे सब रराक्षहसयराहूँ डर गई मं और जरानककीजश्री कप्रे चररर पर
हगर पडहीं॥4॥

शश्री सश्रीतरा-हत्रजटरा समंवराद

दगोहरा :
* जहहूँ तहहूँ गई मं सकल तब सश्रीतरा कर मन सगोच।
मरास हदवस बश्रीतमें मगोहह मराररहह हनहसचर पगोच॥11॥
भरावरारर्ण:-तब (इसकप्रे बराद) वप्रे सब जहराहूँ-तहराहूँ चलश्री गई।मं सश्रीतराजश्री मन ममें सगोच करनप्रे लगहीं हक एक
महश्रीनरा बश्रीत जरानप्रे पर नश्रीच रराक्षस ररावर मपुझप्रे मरारप्रेगरा॥ 11॥
चरौपराई :
* हत्रजटरा सन बगोलहीं कर जगोरश्री। मरातपु हबपहत समंहगहन तमैं मगोरश्री॥
तजजौं दप्रेह कर बप्रेहग उपराई। दसपु ह हबरहह अब नहहमं सहह जराई॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री हरार जगोडकर हत्रजटरा सप्रे बगोलहीं- हप्रे मरातरा! तपू मप्रेरश्री हवपहर ककी समंहगनश्री हहै। जल्दश्री
कगोई ऐसरा उपराय कर हजससप्रे ममैं शरश्रीर छगोड सकपूहूँ । हवरह असह हगो चलरा हहै, अब यह सहरा नहहीं
जरातरा॥1॥
* आहन कराठ रचपु हचतरा बनराई। मरातपु अनल पपुहन दप्रेहह लगराई॥
सत्य करहह मम पश्रीहत सयरानश्री। सपुनहै कगो शवन सपूल सम बरानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-कराठ लराकर हचतरा बनराकर सजरा दप्रे। हप्रे मरातरा! हफिर उसममें आग लगरा दप्रे। हप्रे सयरानश्री! तपू
मप्रेरश्री पश्रीहत कगो सत्य कर दप्रे। ररावर ककी शपूल कप्रे समरान दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालश्री वरारश्री करानर सप्रे करौन सपुनप्रे?॥
2॥
* सपुनत बचन पद गहह समपुझराएहस। पभपु पतराप बल सपुजसपु सपुनराएहस॥
हनहस न अनल हमल सपुनपु सपुकपुमरारश्री। अस कहह सगो हनज भवन हसधरारश्री।3॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री कप्रे वचन सपुनकर हत्रजटरा नप्रे चरर पकडकर उन्हमें समझरायरा और पभपु करा पतराप ,
बल और सपुयश सपुनरायरा। (उसनप्रे कहरा-) हप्रे सपुकपुमरारश्री! सपुनगो रराहत्र कप्रे समय आग नहहीं हमलप्रेगश्री।
ऐसरा कहकर वह अपनप्रे घर चलश्री गई॥3॥
* कह सश्रीतरा हबहध भरा पहतकपू लरा। हमहलहह न परावक हमहटहह न सपूलरा॥
दप्रेहखअत पगट गगन अमंगराररा। अवहन न आवत एकउ तराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री (मन हश्री मन) कहनप्रे लगहीं- (क्यरा करूहूँ) हवधरातरा हश्री हवपरश्रीत हगो गयरा। न आग
हमलप्रेगश्री, न पश्रीडरा हमटप्रेगश्री। आकराश ममें अमंगरारप्रे पकट हदखराई दप्रे रहप्रे हमैं, पर पमृथ्वश्री पर एक भश्री तराररा
नहहीं आतरा॥4॥
* परावकमय सहस स्रवत न आगश्री। मरानहह हूँ मगोहह जराहन हतभरागश्री॥
सपुनहह हबनय मम हबटप असगोकरा। सत्य नराम कर हर मम सगोकरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-चमंदमरा अहग्निमय हहै, हकमंतपु वह भश्री मरानगो मपुझप्रे हतभराहगनश्री जरानकर आग नहहीं बरसरातरा। हप्रे
अशगोक वमृक्ष! मप्रेरश्री हवनतश्री सपुन। मप्रेररा शगोक हर लप्रे और अपनरा (अशगोक) नराम सत्य कर॥5॥
*नपूतन हकसलय अनल समरानरा। दप्रेहह अहगहन जहन करहह हनदरानरा॥
दप्रेहख परम हबरहराकपुल सश्रीतरा। सगो छन कहपहह कलप सम बश्रीतरा॥6॥
भरावरारर्ण:-तप्रेरप्रे नए-नए कगोमल परप्रे अहग्नि कप्रे समरान हमैं। अहग्नि दप्रे, हवरह रगोग करा अमंत मत कर
(अररार्णतम हवरह रगोग कगो बढराकर सश्रीमरा तक न पहह हूँचरा) सश्रीतराजश्री कगो हवरह सप्रे परम व्यराकपुल दप्रेखकर
वह क्षर हनपुमरानमजश्री कगो कल्प कप्रे समरान बश्रीतरा॥6॥

शश्री सश्रीतरा-हनपुमरानम समंवराद

सगोरठरा :
* कहप करर हृदयहूँ हबचरार दश्रीहन्ह मपुहदकरा डरारर तब।
जनपु असगोक अमंगरार दश्रीन्ह हरहष उहठ कर गहप्रेउ॥12॥
भरावरारर्ण:-तब हनपुमरानमजश्री नप्रे हदय ममें हवचरार कर (सश्रीतराजश्री कप्रे सरामनप्रे) अहूँगपूठश्री डराल दश्री, मरानगो
अशगोक नप्रे अमंगराररा दप्रे हदयरा। (यह समझकर) सश्रीतराजश्री नप्रे हहषर्णत हगोकर उठकर उसप्रे हरार ममें लप्रे
हलयरा॥12॥
चरौपराई :
* तब दप्रेखश्री मपुहदकरा मनगोहर। रराम नराम अमंहकत अहत सपुदमं र॥
चहकत हचतव मपुदरश्री पहहचरानश्री। हरष हबषराद हृदयहूँ अकपु लरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-तब उन्हरनप्रे रराम-नराम सप्रे अमंहकत अत्यमंत सपुमंदर एवमं मनगोहर अहूँगपूठश्री दप्रेखश्री। अहूँगपूठश्री कगो
पहचरानकर सश्रीतराजश्री आश्चयर्णचहकत हगोकर उसप्रे दप्रेखनप्रे लगहीं और हषर्ण तररा हवषराद सप्रे हृदय ममें
अकपु लरा उठहीं॥1॥
* जश्रीहत कगो सकइ अजय रघपुरराई। मरायरा तमें अहस रहच नहहमं जराई॥
सश्रीतरा मन हबचरार कर नरानरा। मधपुर बचन बगोलप्रेउ हनपुमरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे सगोचनप्रे लगहीं-) शश्री रघपुनरारजश्री तगो सवर्णररा अजप्रेय हमैं, उन्हमें करौन जश्रीत सकतरा हहै?
और मरायरा सप्रे ऐसश्री (मरायरा कप्रे उपरादरान सप्रे सवर्णररा रहहत हदव्य, हचन्मय) अहूँगपूठश्री बनराई नहहीं जरा
सकतश्री। सश्रीतराजश्री मन ममें अनप्रेक पकरार कप्रे हवचरार कर रहश्री रहीं। इसश्री समय हनपुमरानमजश्री मधपुर वचन
बगोलप्रे-॥2॥
* ररामचमंद गपुन बरनमैं लरागरा। सपुनतहहमं सश्रीतरा कर दख पु भरागरा॥
लरागहीं सपुनमैं शवन मन लराई। आहदहह तमें सब कररा सपुनराई॥3॥
भरावरारर्ण:-वप्रे शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे गपुरर करा वरर्णन करनप्रे लगप्रे, (हजनकप्रे ) सपुनतप्रे हश्री सश्रीतराजश्री करा दद्धाःपु ख
भराग गयरा। वप्रे करान और मन लगराकर उन्हमें सपुननप्रे लगहीं। हनपुमरानमजश्री नप्रे आहद सप्रे लप्रेकर अब तक ककी
सरारश्री कररा कह सपुनराई॥3॥
* शवनराममृत जप्रेहहमं कररा सपुहराई। कहश्री सगो पगट हगोहत हकन भराई॥
तब हनपुममंत हनकट चहल गयऊ। हफिरर बहैठहीं मन हबसमय भयऊ ॥4॥
भरावरारर्ण:-(सश्रीतराजश्री बगोलहीं-) हजसनप्रे करानर कप्रे हलए अममृत रूप यह सपुदमं र कररा कहश्री, वह हप्रे भराई!
पकट क्यर नहहीं हगोतरा? तब हनपुमरानमजश्री परास चलप्रे गए। उन्हमें दप्रेखकर सश्रीतराजश्री हफिरकर (मपुख
फिप्रे रकर) बहैठ गई? मं उनकप्रे मन ममें आश्चयर्ण हहआ॥4॥
* रराम दतपू ममैं मरातपु जरानककी। सत्य सपर करनराहनधरान ककी॥
यह मपुहदकरा मरातपु ममैं आनश्री। दश्रीहन्ह रराम तपुम्ह कहहूँ सहहदरानश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:-(हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे मरातरा जरानककी ममैं शश्री ररामजश्री करा दतपू हह।हूँ कररराहनधरान ककी सचश्री
शपर करतरा हह हूँ, हप्रे मरातरा! यह अहूँगपूठश्री ममैं हश्री लरायरा हह।हूँ शश्री ररामजश्री नप्रे मपुझप्रे आपकप्रे हलए यह
सहहदरानश्री (हनशरानश्री यरा पहहचरान) दश्री हहै॥5॥
* नर बरानरहह समंग कहह कहै समें। कहश्री कररा भइ समंगहत जहैसमें॥6॥
भरावरारर्ण:-(सश्रीतराजश्री नप्रे पपूछरा-) नर और वरानर करा समंग कहगो कहै सप्रे हहआ? तब हनपुमरानजश्री नप्रे जहैसप्रे
समंग हहआ ररा, वह सब कररा कहश्री॥6॥
दगोहरा :
* कहप कप्रे बचन सपप्रेम सपुहन उपजरा मन हबस्वरास
जरानरा मन कम बचन यह कमृ पराहसमंधपु कर दरास॥13॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कप्रे पप्रेमयक्त वचन सपुनकर सश्रीतराजश्री कप्रे मन ममें हवश्वरास उत्पन्न हगो गयरा, उन्हरनप्रे
जरान हलयरा हक यह मन, वचन और कमर्ण सप्रे कमृ परासरागर शश्री रघपुनरारजश्री करा दरास हहै॥13॥
चरौपराई :
* हररजन जराहन पश्रीहत अहत गराढश्री। सजल नयन पपुलकरावहल बराढश्री॥
बपूडत हबरह जलहध हनपुमरानरा। भयहह तरात मगो कहह हूँ जलजरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-भगवरान करा जन (सप्रेवक) जरानकर अत्यमंत गराढश्री पश्रीहत हगो गई। नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा)
जल भर आयरा और शरश्रीर अत्यमंत पपुलहकत हगो गयरा (सश्रीतराजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे तरात हनपुमरानम!
हवरहसरागर ममें डपू बतश्री हहई मपुझकगो तपुम जहराज हहए॥1॥
* अब कहह कपु सल जराउहूँ बहलहरारश्री। अनपुज सहहत सपुख भवन खररारश्री॥
कगोमलहचत कमृ पराल रघपुरराई। कहप कप्रे हह हप्रेतपु धरश्री हनठपु रराई॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं बहलहरारश्री जरातश्री हह हूँ, अब छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत खर कप्रे शत्रपु सपुखधराम पभपु करा
कपु शल-ममंगल कहगो। शश्री रघपुनरारजश्री तगो कगोमल हृदय और कमृ परालपु हमैं। हफिर हप्रे हनपुमरानम! उन्हरनप्रे हकस
करारर यह हनषहरतरा धरारर कर लश्री हहै?॥2॥
* सहज बराहन सप्रेवक सपुखदरायक। कबहह हूँक सपुरहत करत रघपुनरायक॥
कबहह हूँ नयन मम सश्रीतल तरातरा। हगोइहहहमं हनरहख स्यराम ममृद पु गरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सप्रेवक कगो सपुख दप्रेनरा उनककी स्वराभराहवक बरान हहै। वप्रे शश्री रघपुनरारजश्री क्यरा कभश्री मप्रेरश्री भश्री यराद
करतप्रे हमैं? हप्रे तरात! क्यरा कभश्री उनकप्रे कगोमल सरावहूँ लप्रे अमंगर कगो दप्रेखकर मप्रेरप्रे नप्रेत्र शश्रीतल हरगप्रे?॥3॥
* बचनपु न आव नयन भरप्रे बरारश्री। अहह नरार हजौं हनपट हबसरारश्री॥
दप्रेहख परम हबरहराकपुल सश्रीतरा। बगोलरा कहप ममृद पु बचन हबनश्रीतरा॥4॥
भरावरारर्ण:-(मपुहूँह सप्रे) वचन नहहीं हनकलतरा, नप्रेत्रर ममें (हवरह कप्रे आहूँसपुओमं करा) जल भर आयरा। (बडप्रे
दद्धाःपु ख सप्रे वप्रे बगोलहीं-) हरा नरार! आपनप्रे मपुझप्रे हबलकपु ल हश्री भपुलरा हदयरा! सश्रीतराजश्री कगो हवरह सप्रे परम
व्यराकपुल दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री कगोमल और हवनश्रीत वचन बगोलप्रे-॥4॥
* मरातपु कपु सल पभपु अनपुज समप्रेतरा। तव दख पु दख पु श्री सपुकमृपरा हनकप्रे तरा॥
जहन जननश्री मरानह हजयहूँ ऊनरा। तपुम्ह तप्रे पप्रेमपु रराम कमें दनपू रा॥5॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! सपुमंदर कमृ परा कप्रे धराम पभपु भराई लक्ष्मरजश्री कप्रे सहहत (शरश्रीर सप्रे) कपु शल हमैं, परमंतपु
आपकप्रे दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री हमैं। हप्रे मरातरा! मन ममें ग्लराहन न मराहनए (मन छगोटरा करकप्रे दद्धाःपु ख न ककीहजए)।
शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे हृदय ममें आपसप्रे दनपू रा पप्रेम हहै॥5॥
दगोहरा :
* रघपुपहत कर समंदस प्रे पु अब सपुनपु जननश्री धरर धश्रीर।
अस कहह कहप गदगद भयउ भरप्रे हबलगोचन नश्रीर॥14॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! अब धश्रीरज धरकर शश्री रघपुनरारजश्री करा समंदप्रेश सपुहनए। ऐसरा कहकर हनपुमरानमजश्री
पप्रेम सप्रे गदद हगो गए। उनकप्रे नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा॥14॥
चरौपराई :
* कहप्रेउ रराम हबयगोग तव सश्रीतरा। मगो कहह हूँ सकल भए हबपरश्रीतरा॥
नव तर हकसलय मनहह हूँ कमृ सरानपू। करालहनसरा सम हनहस सहस भरानपू॥1॥
भरावरारर्ण:-(हनपुमरानमजश्री बगोलप्रे-) शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे कहरा हहै हक हप्रे सश्रीतप्रे! तपुम्हरारप्रे हवयगोग ममें मप्रेरप्रे हलए
सभश्री पदरारर्ण पहतकपू ल हगो गए हमैं। वमृक्षर कप्रे नए-नए कगोमल परप्रे मरानगो अहग्नि कप्रे समरान, रराहत्र करालरराहत्र
कप्रे समरान, चमंदमरा सपूयर्ण कप्रे समरान॥1॥
*कपु बलय हबहपन कपुमं त बन सररसरा। बराररद तपत तप्रेल जनपु बररसरा॥
जप्रे हहत रहप्रे करत तप्रेइ पश्रीररा। उरग स्वरास सम हत्रहबध समश्रीररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-और कमलर कप्रे वन भरालर कप्रे वन कप्रे समरान हगो गए हमैं। मप्रेघ मरानगो खरौलतरा हह आ तप्रेल
बरसरातप्रे हमैं। जगो हहत करनप्रे वरालप्रे रप्रे, वप्रे हश्री अब पश्रीडरा दप्रेनप्रे लगप्रे हमैं। हत्रहवध (शश्रीतल, ममंद, सपुगमंध)
वरायपु सरापहूँ कप्रे श्वरास कप्रे समरान (जहरश्रीलश्री और गरम) हगो गई हहै॥2॥
* कहप्रेहह तमें कछपु दख पु घहट हगोई। कराहह कहजौं यह जरान न कगोई॥
तत्व पप्रेम कर मम अर तगोररा। जरानत हपयरा एकपु मनपु मगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:-मन करा दद्धाःपु ख कह डरालनप्रे सप्रे भश्री कपु छ घट जरातरा हहै। पर कहह हूँ हकससप्रे? यह दद्धाःपु ख कगोई
जरानतरा नहहीं। हप्रे हपयप्रे! मप्रेरप्रे और तप्रेरप्रे पप्रेम करा तत्त्व (रहस्य) एक मप्रेररा मन हश्री जरानतरा हहै॥3॥
* सगो मनपु सदरा रहत तगोहह पराहहीं। जरानपु पश्रीहत रसपु एतनप्रेहह मराहहीं॥
पभपु समंदप्रेसपु सपुनत बहैदहप्रे श्री। मगन पप्रेम तन सपुहध नहहमं तप्रेहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और वह मन सदरा तप्रेरप्रे हश्री परास रहतरा हहै। बस, मप्रेरप्रे पप्रेम करा सरार इतनप्रे ममें हश्री समझ लप्रे।
पभपु करा समंदप्रेश सपुनतप्रे हश्री जरानककीजश्री पप्रेम ममें मग्नि हगो गई।मं उन्हमें शरश्रीर ककी सपुध न रहश्री॥4॥
* कह कहप हृदयहूँ धश्रीर धर मरातरा। सपुहमर रराम सप्रेवक सपुखदरातरा॥
उर आनहह रघपुपहत पभपुतराई। सपुहन मम बचन तजहह कदरराई॥5॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मरातरा! हृदय ममें धहैयर्ण धरारर करगो और सप्रेवकर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे
शश्री ररामजश्री करा स्मरर करगो। शश्री रघपुनरारजश्री ककी पभपुतरा कगो हृदय ममें लराओ और मप्रेरप्रे वचन सपुनकर
करायरतरा छगोड दगो॥5॥
दगोहरा :
* हनहसचर हनकर पतमंग सम रघपुपहत बरान कमृ सरानपु।
जननश्री हृदयहूँ धश्रीर धर जरप्रे हनसराचर जरानपु॥15॥
भरावरारर्ण:-रराक्षसर कप्रे समपूह पतमंगर कप्रे समरान और शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे बरार अहग्नि कप्रे समरान हमैं। हप्रे
मरातरा! हृदय ममें धहैयर्ण धरारर करगो और रराक्षसर कगो जलरा हश्री समझगो॥ 15॥
चरौपराई :
* जजौं रघपुबश्रीर हगोहत सपुहध पराई। करतप्रे नहहमं हबलमंबपु रघपुरराई॥
रराम बरान रहब उएहूँ जरानककी। तम बरर कहहूँ जरातपुधरान ककी॥ 1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे यहद खबर पराई हगोतश्री तगो वप्रे हबलमंब न करतप्रे। हप्रे जरानककीजश्री ! ररामबरार
रूपश्री सपूयर्ण कप्रे उदय हगोनप्रे पर रराक्षसर ककी सप्रेनरा रूपश्री अमंधकरार कहराहूँ रह सकतरा हहै ?॥1॥
* अबहहमं मरातपु ममैं जराउहूँ लवराई। पभपु आयस पु नहहमं रराम दगोहराई॥
कछपु क हदवस जननश्री धर धश्रीररा। कहपन्ह सहहत अइहहहमं रघपुबश्रीररा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! ममैं आपकगो अभश्री यहराहूँ सप्रे हलवरा जराऊहूँ, पर शश्री ररामचमंदजश्री ककी शपर हहै, मपुझप्रे
पभपु (उन) ककी आजरा नहहीं हहै। (अतद्धाः) हप्रे मरातरा! कपु छ हदन और धश्रीरज धरगो। शश्री ररामचमंदजश्री
वरानरर सहहत यहराहूँ आएहूँगप्रे॥2॥
*हनहसचर मरारर तगोहह लहै जहैहहहमं। हतहह हूँ पपुर नरारदराहद जसपु गहैहहहमं॥
हमैं सपुत कहप सब तपुम्हहह समरानरा। जरातपुधरान अहत भट बलवरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-और रराक्षसर कगो मरारकर आपकगो लप्रे जराएहूँगप्रे। नरारद आहद (ऋहष-मपुहन) तश्रीनर लगोकर ममें
उनकरा यश गराएहूँगप्रे। (सश्रीतराजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे पपुत्र! सब वरानर तपुम्हरारप्रे हश्री समरान (नन्हमें-नन्हमें सप्रे)
हरगप्रे, रराक्षस तगो बडप्रे बलवरान, यगोदरा हमैं॥3॥
* मगोरमें हृदय परम समंदप्रेहरा। सपुहन कहप पगट ककीहन्ह हनज दप्रेहरा॥
कनक भपूधरराकरार सरश्रीररा। समर भयमंकर अहतबल बश्रीररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अतद्धाः मप्रेरप्रे हृदय ममें बडरा भरारश्री समंदप्रेह हगोतरा हहै (हक तपुम जहैसप्रे बमंदर रराक्षसर कगो कहै सप्रे
जश्रीतमेंगप्रे!)। यह सपुनकर हनपुमरानमजश्री नप्रे अपनरा शरश्रीर पकट हकयरा। सगोनप्रे कप्रे पवर्णत (सपुमप्रेर) कप्रे आकरार
करा (अत्यमंत हवशराल) शरश्रीर ररा, जगो यद पु ममें शत्रपुओमं कप्रे हृदय ममें भय उत्पन्न करनप्रे वरालरा, अत्यमंत
बलवरानम और वश्रीर ररा॥4॥
* सश्रीतरा मन भरगोस तब भयऊ। पपुहन लघपु रूप पवनसपुत लयऊ॥5॥
भरावरारर्ण:-तब (उसप्रे दप्रेखकर) सश्रीतराजश्री कप्रे मन ममें हवश्वरास हहआ। हनपुमरानमजश्री नप्रे हफिर छगोटरा रूप
धरारर कर हलयरा॥5॥
दगोहरा :
* सपुनपु मरातरा सराखराममृग नहहमं बल बपुहद हबसराल।
पभपु पतराप तमें गरडहह खराइ परम लघपु ब्यराल॥16॥
भरावरारर्ण:-हप्रे मरातरा! सपुनगो, वरानरर ममें बहह त बल-बपुहद नहहीं हगोतश्री, परमंतपु पभपु कप्रे पतराप सप्रे बहह त छगोटरा
सपर्ण भश्री गरड कगो खरा सकतरा हहै। (अत्यमंत हनबर्णल भश्री महरानम बलवरानम कगो मरार सकतरा हहै)॥16॥
चरौपराई :
* मन समंतगोष सपुनत कहप बरानश्री। भगहत पतराप तप्रेज बल सरानश्री॥
आहसष दश्रीहन्ह रराम हपय जरानरा। हगोहह तरात बल सश्रील हनधरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:-भहक्त, पतराप, तप्रेज और बल सप्रे सनश्री हह ई हनपुमरानमजश्री ककी वरारश्री सपुनकर सश्रीतराजश्री कप्रे मन
ममें समंतगोष हह आ। उन्हरनप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे हपय जरानकर हनपुमरानमजश्री कगो आशश्रीवरार्णद हदयरा हक हप्रे तरात!
तपुम बल और शश्रील कप्रे हनधरान हगोओ॥1॥
*अजर अमर गपुनहनहध सपुत हगोहह। करहह हूँ बहह त रघपुनरायक छगोहह॥
करहह हूँ कमृ परा पभपु अस सपुहन करानरा। हनभर्णर पप्रेम मगन हनपुमरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पपुत्र! तपुम अजर (बपुढरापप्रे सप्रे रहहत), अमर और गपुरर कप्रे खजरानप्रे हगोओ। शश्री रघपुनरारजश्री
तपुम पर बहह त कमृ परा करमें। 'पभपु कमृ परा करमें' ऐसरा करानर सप्रे सपुनतप्रे हश्री हनपुमरानमजश्री पपूरर्ण पप्रेम ममें मग्नि हगो
गए॥2॥
*बरार बरार नराएहस पद सश्रीसरा। बगोलरा बचन जगोरर कर ककीसरा॥
अब कमृ तकमृ त्य भयउहूँ ममैं मरातरा। आहसष तव अमगोघ हबख्यरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे बरार-बरार सश्रीतराजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा और हफिर हरार जगोडकर कहरा-
हप्रे मरातरा! अब ममैं कमृ तरारर्ण हगो गयरा। आपकरा आशश्रीवरार्णद अमगोघ (अचपूक) हहै, यह बरात पहसद हहै॥3॥

हनपुमरानमजश्री दराररा अशगोक वराहटकरा हवध्वमंस, अक्षय कपु मरार वध और मप्रेघनराद करा हनपुमरानमजश्री कगो
नरागपराश ममें बराधहूँ कर सभरा ममें लप्रे जरानरा

दगोहरा :
* दप्रेहख बपुहद बल हनपपुन कहप कहप्रेउ जरानककीमं जराहह।
रघपुपहत चरन हृदयहूँ धरर तरात मधपुर फिल खराहह॥17॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कगो बपुहद और बल ममें हनपपुर दप्रेखकर जरानककीजश्री नप्रे कहरा- जराओ। हप्रे तरात! शश्री
रघपुनरारजश्री कप्रे चररर कगो हृदय ममें धरारर करकप्रे मश्रीठप्रे फिल खराओ॥17॥
चरौपराई :
* चलप्रेउ नराइ हसर पहैठप्रेउ बरागरा। फिल खराएहस तर तगोरमैं लरागरा॥
रहप्रे तहराहूँ बहह भट रखवरारप्रे। कछपु मरारप्रेहस कछपु जराइ पपुकरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सश्रीतराजश्री कगो हसर नवराकर चलप्रे और बराग ममें घपुस गए। फिल खराए और वमृक्षर कगो तगोडनप्रे
लगप्रे। वहराहूँ बहह त सप्रे यगोदरा रखवरालप्रे रप्रे। उनममें सप्रे कपु छ कगो मरार डरालरा और कपु छ नप्रे जराकर ररावर सप्रे
पपुकरार ककी-॥1॥
* नरार एक आवरा कहप भरारश्री। तप्रेहहमं असगोक बराहटकरा उजरारश्री॥
खराएहस फिल अर हबटप उपरारप्रे। रच्छक महदर्ण महदर्ण महह डरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे नरार! एक बडरा भरारश्री बमंदर आयरा हहै। उसनप्रे अशगोक वराहटकरा उजराड
डरालश्री। फिल खराए, वमृक्षर कगो उखराड डरालरा और रखवरालर कगो मसल-मसलकर जमश्रीन पर डराल
हदयरा॥2॥
* सपुहन ररावन पठए भट नरानरा। हतन्हहह दप्रेहख गजर्देउ हनपुमरानरा॥
सब रजनश्रीचर कहप समंघरारप्रे। गए पपुकरारत कछपु अधमरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर ररावर नप्रे बहह त सप्रे यगोदरा भप्रेजप्रे। उन्हमें दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री नप्रे गजर्णनरा ककी।
हनपुमरानमजश्री नप्रे सब रराक्षसर कगो मरार डरालरा, कपु छ जगो अधमरप्रे रप्रे, हचल्लरातप्रे हह ए गए॥3॥
* पपुहन पठयउ तप्रेहहमं अच्छकपु मराररा। चलरा समंग लहै सपुभट अपराररा॥
आवत दप्रेहख हबटप गहह तजरार्ण। तराहह हनपराहत महराधपुहन गजरार्ण॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर ररावर नप्रे अक्षयकपु मरार कगो भप्रेजरा। वह असमंख्य शप्रेष यगोदराओमं कगो सरार लप्रेकर चलरा।
उसप्रे आतप्रे दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री नप्रे एक वमृक्ष (हरार ममें) लप्रेकर ललकराररा और उसप्रे मरारकर महराध्वहन
(बडप्रे जगोर) सप्रे गजर्णनरा ककी॥4॥
दगोहरा :
* कछपु मरारप्रेहस कछपु मदर्देहस कछपु हमलएहस धरर धपूरर।
कछपु पपुहन जराइ पपुकरारप्रे पभपु मकर्ण ट बल भपूरर॥18॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे सप्रेनरा ममें सप्रे कपु छ कगो मरार डरालरा और कपु छ कगो मसल डरालरा और कपु छ कगो पकड-
पकडकर धपूल ममें हमलरा हदयरा। कपु छ नप्रे हफिर जराकर पपुकरार ककी हक हप्रे पभपु! बमंदर बहह त हश्री बलवरानम
हहै॥18॥
चरौपराई :
* सपुहन सपुत बध लमंकप्रेस ररसरानरा। पठएहस मप्रेघनराद बलवरानरा॥
मरारहस जहन सपुत बराहूँधस प्रे पु तराहश्री। दप्रेहखअ कहपहह कहराहूँ कर आहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र करा वध सपुनकर ररावर कगोहधत हगो उठरा और उसनप्रे (अपनप्रे जप्रेठप्रे पपुत्र) बलवरानम
मप्रेघनराद कगो भप्रेजरा। (उससप्रे कहरा हक-) हप्रे पपुत्र! मरारनरा नहहीं उसप्रे बराहूँध लरानरा। उस बमंदर कगो दप्रेखरा
जराए हक कहराहूँ करा हहै॥1॥
* चलरा इमंदहजत अतपुहलत जगोधरा। बमंधपु हनधन सपुहन उपजरा कगोधरा॥
कहप दप्रेखरा दरारन भट आवरा। कटकटराइ गजरार्ण अर धरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-इमंद कगो जश्रीतनप्रे वरालरा अतपुलनश्रीय यगोदरा मप्रेघनराद चलरा। भराई करा मराररा जरानरा सपुन उसप्रे कगोध
हगो आयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे दप्रेखरा हक अबककी भयरानक यगोदरा आयरा हहै। तब वप्रे कटकटराकर गजर्दे और
दरौडप्रे॥3॥
* अहत हबसराल तर एक उपराररा। हबरर ककीन्ह लमंकप्रेस कपु मराररा॥
रहप्रे महराभट तराकप्रे समंगरा। गहह गहह कहप मदर्णई हनज अमंगरा॥3॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे एक बहह त बडरा वमृक्ष उखराड हलयरा और (उसकप्रे पहरार सप्रे) लमंकप्रेश्वर ररावर कप्रे पपुत्र
मप्रेघनराद कगो हबनरा रर करा कर हदयरा। (रर कगो तगोडकर उसप्रे नश्रीचप्रे पटक हदयरा)। उसकप्रे सरार जगो
बडप्रे-बडप्रे यगोदरा रप्रे, उनकगो पकड-पकडकर हनपुमरानमजश्री अपनप्रे शरश्रीर सप्रे मसलनप्रे लगप्रे॥3॥
* हतन्हहह हनपराहत तराहह सन बराजरा। हभरप्रे जपुगल मरानहह हूँ गजरराजरा॥
मपुहठकरा मरारर चढरा तर जराई। तराहह एक छन मपुरछरा आई॥4॥
भरावरारर्ण:-उन सबकगो मरारकर हफिर मप्रेघनराद सप्रे लडनप्रे लगप्रे। (लडतप्रे हह ए वप्रे ऐसप्रे मरालपूम हगोतप्रे रप्रे)
मरानगो दगो गजरराज (शप्रेष हरारश्री) हभड गए हर। हनपुमरानमजश्री उसप्रे एक घपूहूँसरा मरारकर वमृक्ष पर जरा चढप्रे।
उसकगो क्षरभर कप्रे हलए मपूच्छरार्ण आ गई॥4॥
* उहठ बहगोरर ककीहन्हहस बहह मरायरा। जश्रीहत न जराइ पभमंजन जरायरा॥5॥
भरावरारर्ण:-हफिर उठकर उसनप्रे बहह त मरायरा रचश्री, परमंतपु पवन कप्रे पपुत्र उससप्रे जश्रीतप्रे नहहीं जरातप्रे॥5॥
दगोहरा :
* ब्रह अस्त्र तप्रेहह सराहूँधरा कहप मन ककीन्ह हबचरार।
जजौं न ब्रहसर मरानउहूँ महहमरा हमटइ अपरार॥19॥
भरावरारर्ण:-अमंत ममें उसनप्रे ब्रहरास्त्र करा समंधरान (पयगोग) हकयरा, तब हनपुमरानमजश्री नप्रे मन ममें हवचरार हकयरा
हक यहद ब्रहरास्त्र कगो नहहीं मरानतरा हह हूँ तगो उसककी अपरार महहमरा हमट जराएगश्री॥19॥
चरौपराई :
* ब्रहबरान कहप कहह हूँ तप्रेहहमं मराररा। परहतहह हूँ बरार कटकपु समंघराररा॥
तप्रेहहमं दप्रेखरा कहप मपुरहछत भयऊ। नरागपरास बराहूँधप्रेहस लहै गयऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे हनपुमरानमजश्री कगो ब्रहबरार मराररा, (हजसकप्रे लगतप्रे हश्री वप्रे वमृक्ष सप्रे नश्रीचप्रे हगर पडप्रे), परमंतपु
हगरतप्रे समय भश्री उन्हरनप्रे बहह त सश्री सप्रेनरा मरार डरालश्री। जब उसनप्रे दप्रेखरा हक हनपुमरानमजश्री मपूहछर्णत हगो गए
हमैं, तब वह उनकगो नरागपराश सप्रे बराहूँधकर लप्रे गयरा॥1॥
* जरासपु नराम जहप सपुनहह भवरानश्री। भव बमंधन कराटहहमं नर ग्यरानश्री॥
तरासपु दतपू हक बमंध तर आवरा। पभपु करारज लहग कहपहहमं बहूँधरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भवरानश्री सपुनगो, हजनकरा नराम जपकर जरानश्री (हववप्रेककी) मनपुष्य
समंसरार (जन्म-मरर) कप्रे बमंधन कगो कराट डरालतप्रे हमैं, उनकरा दतपू कहहीं बमंधन ममें आ सकतरा हहै?
हकमंतपु पभपु कप्रे करायर्ण कप्रे हलए हनपुमरानमजश्री नप्रे स्वयमं अपनप्रे कगो बहूँधरा हलयरा॥2॥
* कहप बमंधन सपुहन हनहसचर धराए। करौतपुक लराहग सभराहूँ सब आए॥
दसमपुख सभरा दश्रीहख कहप जराई। कहह न जराइ कछपु अहत पभपुतराई॥3॥
भरावरारर्ण:-बमंदर करा बराधहूँ रा जरानरा सपुनकर रराक्षस दरौडप्रे और करौतपुक कप्रे हलए (तमराशरा दप्रेखनप्रे कप्रे हलए)
सब सभरा ममें आए। हनपुमरानमजश्री नप्रे जराकर ररावर ककी सभरा दप्रेखश्री। उसककी अत्यमंत पभपुतरा (ऐश्वयर्ण)
कपु छ कहश्री नहहीं जरातश्री॥3॥
* कर जगोरमें सपुर हदहसप हबनश्रीतरा। भमृकपुहट हबलगोकत सकल सभश्रीतरा॥
दप्रेहख पतराप न कहप मन समंकरा। हजहम अहहगन महह हूँ गरड असमंकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा और हदक्पराल हरार जगोडप्रे बडश्री नम्रतरा कप्रे सरार भयभश्रीत हहए सब ररावर ककी भजौं तराक
रहप्रे हमैं। (उसकरा रख दप्रेख रहप्रे हमैं) उसकरा ऐसरा पतराप दप्रेखकर भश्री हनपुमरानमजश्री कप्रे मन ममें जररा भश्री डर
नहहीं हहआ। वप्रे ऐसप्रे हनद्धाःशमंख खडप्रे रहप्रे, जहैसप्रे सपर्मों कप्रे समपूह ममें गरड हनद्धाःशमंख हनभर्णय) रहतप्रे हमैं॥4॥

हनपुमरानम-ररावर समंवराद

दगोहरा :
* कहपहह हबलगोहक दसरानन हबहसरा कहह दबपु रार्णद।
सपुत बध सपुरहत ककीहन्ह पपुहन उपजरा हृदयहूँ हबसराद॥20॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कगो दप्रेखकर ररावर दवपु र्णचन कहतरा हहआ खपूब हहूँसरा। हफिर पपुत्र वध करा स्मरर
हकयरा तगो उसकप्रे हृदय ममें हवषराद उत्पन्न हगो गयरा॥20॥
चरौपराई :
* कह लमंकप्रेस कवन तमैं ककीसरा। कप्रे हह कमें बल घरालप्रेहह बन खश्रीसरा॥
ककी धजौं शवन सपुनप्रेहह नहहमं मगोहश्री। दप्रेखउहूँ अहत असमंक सठ तगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-लमंकरापहत ररावर नप्रे कहरा- रप्रे वरानर! तपू करौन हहै? हकसकप्रे बल पर तपूनप्रे वन कगो उजराडकर
नष्टि कर डरालरा? क्यरा तपूनप्रे कभश्री मपुझप्रे (मप्रेररा नराम और यश) करानर सप्रे नहहीं सपुनरा? रप्रे शठ! ममैं तपुझप्रे
अत्यमंत हनद्धाःशमंख दप्रेख रहरा हह॥हूँ 1॥
* मरारप्रे हनहसचर कप्रे हहमं अपरराधरा। कहह सठ तगोहह न परान कइ बराधरा॥
सपुनपु ररावन ब्रहरामंड हनकरायरा। पराइ जरासपु बल हबरचहत मरायरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तपूनप्रे हकस अपरराध सप्रे रराक्षसर कगो मराररा? रप्रे मपूखर्ण! बतरा, क्यरा तपुझप्रे परार जरानप्रे करा भय
नहहीं हहै? (हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे ररावर! सपुन, हजनकरा बल पराकर मरायरा समंपपूरर्ण ब्रहरामंडर कप्रे
समपूहर ककी रचनरा करतश्री हहै,॥2॥
* जराकमें बल हबरमंहच हरर ईसरा। परालत समृजत हरत दससश्रीसरा॥
जरा बल सश्रीस धरत सहसरानन। अमंडकगोस समप्रेत हगरर करानन॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे बल सप्रे हप्रे दशशश्रीश! ब्रहरा, हवष्रपु, महप्रेश (कमशद्धाः) समृहष्टि करा समृजन, परालन
और समंहरार करतप्रे हमैं, हजनकप्रे बल सप्रे सहस्रमपुख (फिरर) वरालप्रे शप्रेषजश्री पवर्णत और वनसहहत समस्त
ब्रहरामंड कगो हसर पर धरारर करतप्रे हमैं,॥3॥
* धरइ जगो हबहबध दप्रेह सपुरत्ररातरा। तपुम्ह सप्रे सठन्ह हसखरावनपु दरातरा॥
हर कगोदमंड कहठन जप्रेहहमं भमंजरा। तप्रेहह समप्रेत नमृप दल मद गमंजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जगो दप्रेवतराओमं ककी रक्षरा कप्रे हलए नरानरा पकरार ककी दप्रेह धरारर करतप्रे हमैं और जगो तपुम्हरारप्रे जहैसप्रे
मपूखर्मों कगो हशक्षरा दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, हजन्हरनप्रे हशवजश्री कप्रे कठगोर धनपुष कगो तगोड डरालरा और उसश्री कप्रे सरार
रराजराओमं कप्रे समपूह करा गवर्ण चपूरर्ण कर हदयरा॥4॥
* खर दषपू न हत्रहसररा अर बरालश्री। बधप्रे सकल अतपुहलत बलसरालश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे खर, दषपू र, हत्रहशररा और बराहल कगो मरार डरालरा, जगो सब कप्रे सब अतपुलनश्रीय
बलवरानम रप्रे,॥5॥
दगोहरा :
* जराकप्रे बल लवलप्रेस तमें हजतप्रेहह चरराचर झरारर।
तरास दतपू ममैं जरा करर हरर आनप्रेहह हपय नरारर॥21॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे लप्रेशमरात्र बल सप्रे तपुमनप्रे समस्त चरराचर जगतम कगो जश्रीत हलयरा और हजनककी हपय
पत्नश्री कगो तपुम (चगोरश्री सप्रे) हर लराए हगो, ममैं उन्हहीं करा दतपू हह हूँ॥21॥
चरौपराई :
* जरानउहूँ ममैं तपुम्हरारर पभपुतराई। सहसबराहह सन परश्री लरराई॥
समर बराहल सन करर जसपु परावरा। सपुहन कहप बचन हबहहस हबहररावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं तपुम्हरारश्री पभपुतरा कगो खपूब जरानतरा हह हूँ सहस्रबराहह सप्रे तपुम्हरारश्री लडराई हह ई रश्री और बराहल सप्रे
यद पु करकप्रे तपुमनप्रे यश पराप्त हकयरा ररा। हनपुमरानमजश्री कप्रे (मराहमर्णक) वचन सपुनकर ररावर नप्रे हहूँसकर बरात
टराल दश्री॥1॥
* खरायउहूँ फिल पभपु लरागश्री भपूहूँखरा। कहप सपुभराव तमें तगोरप्रेउहूँ रूखरा॥
सब कमें दप्रेह परम हपय स्वरामश्री। मरारहहमं मगोहह कपु मरारग गरामश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे (रराक्षसर कप्रे ) स्वरामश्री मपुझप्रे भपूख लगश्री रश्री, (इसहलए) ममैंनप्रे फिल खराए और वरानर
स्वभराव कप्रे करारर वमृक्ष तगोडप्रे। हप्रे (हनशराचरर कप्रे ) मराहलक! दप्रेह सबकगो परम हपय हहै। कपु मरागर्ण पर
चलनप्रे वरालप्रे (दष्टिपु ) रराक्षस जब मपुझप्रे मरारनप्रे लगप्रे॥2
*हजन्ह मगोहह मराररा तप्रे ममैं मरारप्रे। तप्रेहह पर बराहूँधप्रेउहूँ तनयहूँ तपुम्हरारप्रे॥
मगोहह न कछपु बराहूँधप्रे कइ लराजरा। ककीन्ह चहउहूँ हनज पभपु कर कराजरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-तब हजन्हरनप्रे मपुझप्रे मराररा, उनकगो ममैंनप्रे भश्री मराररा। उस पर तपुम्हरारप्रे पपुत्र नप्रे मपुझकगो बराहूँध हलयरा
(हकमंतपु), मपुझप्रे अपनप्रे बराधहूँ प्रे जरानप्रे ककी कपु छ भश्री लजरा नहहीं हहै। ममैं तगो अपनप्रे पभपु करा करायर्ण करनरा चराहतरा
हह हूँ॥3॥
*हबनतश्री करउहूँ जगोरर कर ररावन। सपुनहह मरान तहज मगोर हसखरावन॥
दप्रेखहह तपुम्ह हनज कपु लहह हबचरारश्री। रम तहज भजहह भगत भय हरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ररावर! ममैं हरार जगोडकर तपुमसप्रे हवनतश्री करतरा हह हूँ, तपुम अहभमरान छगोडकर मप्रेरश्री सश्रीख
सपुनगो। तपुम अपनप्रे पहवत्र कपु ल करा हवचरार करकप्रे दप्रेखगो और रम कगो छगोडकर भक्त भयहरारश्री भगवरानम
कगो भजगो॥4॥
* जराकमें डर अहत कराल डप्रेरराई। जगो सपुर असपुर चरराचर खराई॥
तरासर बयर कबहह हूँ नहहमं ककीजहै। मगोरप्रे कहमें जरानककी दश्रीजहै॥5॥
भरावरारर्ण:-जगो दप्रेवतरा, रराक्षस और समस्त चरराचर कगो खरा जरातरा हहै, वह कराल भश्री हजनकप्रे डर सप्रे
अत्यमंत डरतरा हहै, उनसप्रे कदराहप वहैर न करगो और मप्रेरप्रे कहनप्रे सप्रे जरानककीजश्री कगो दप्रे दगो॥ 5॥
दगोहरा :
* पनतपराल रघपुनरायक करनरा हसमंधपु खररारर।
गएहूँ सरन पभपु रराहखहमैं तव अपरराध हबसरारर॥22॥
भरावरारर्ण:-खर कप्रे शत्रपु शश्री रघपुनरारजश्री शरररागतर कप्रे रक्षक और दयरा कप्रे समपुद हमैं। शरर जरानप्रे पर पभपु
तपुम्हराररा अपरराध भपुलराकर तपुम्हमें अपनश्री शरर ममें रख लमेंगप्रे॥ 22॥
चरौपराई :
* रराम चरन पमंकज उर धरहह । लमंकरा अचल रराजपु तपुम्ह करहह ॥
ररहष पपुलहस्त जसपु हबमल मयमंकरा। तप्रेहह सहस महह हूँ जहन हगोहह कलमंकरा॥1॥
भरावरारर्ण:-तपुम शश्री ररामजश्री कप्रे चरर कमलर कगो हृदय ममें धरारर करगो और लमंकरा करा अचल रराज्य
करगो। ऋहष पपुलस्त्यजश्री करा यश हनमर्णल चमंदमरा कप्रे समरान हहै। उस चमंदमरा ममें तपुम कलमंक न बनगो॥1॥
* रराम नराम हबनपु हगररा न सगोहरा। दप्रेखपु हबचरारर त्यराहग मद मगोहरा॥
बसन हश्रीन नहहमं सगोह सपुररारश्री। सब भपूषन भपूहषत बर नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराम नराम कप्रे हबनरा वरारश्री शगोभरा नहहीं परातश्री, मद-मगोह कगो छगोड, हवचरारकर दप्रेखगो। हप्रे
दप्रेवतराओमं कप्रे शत्रपु! सब गहनर सप्रे सजश्री हह ई सपुदमं रश्री स्त्रश्री भश्री कपडर कप्रे हबनरा (नमंगश्री) शगोभरा नहहीं
परातश्री॥2॥
* रराम हबमपुख समंपहत पभपुतराई। जराइ रहश्री पराई हबनपु पराई॥
सजल मपूल हजन्ह सररतन्ह नराहहीं। बरहष गएहूँ पपुहन तबहहमं सपुखराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ररामहवमपुख पपुरष ककी समंपहर और पभपुतरा रहश्री हह ई भश्री चलश्री जरातश्री हहै और उसकरा परानरा न
परानप्रे कप्रे समरान हहै। हजन नहदयर कप्रे मपूल ममें कगोई जलस्रगोत नहहीं हहै। (अररार्णतम हजन्हमें कप्रे वल बरसरात हश्री
आसररा हहै) वप्रे वषरार्ण बश्रीत जरानप्रे पर हफिर तपुरमंत हश्री सपूख जरातश्री हमैं॥3॥
* सपुनपु दसकमंठ कहउहूँ पन रगोपश्री। हबमपुख रराम त्ररातरा नहहमं कगोपश्री॥
समंकर सहस हबष्नपु अज तगोहश्री। सकहहमं न रराहख रराम कर दगोहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे ररावर! सपुनगो, ममैं पहतजरा करकप्रे कहतरा हह हूँ हक ररामहवमपुख ककी रक्षरा करनप्रे वरालरा कगोई भश्री
नहहीं हहै। हजरारर शमंकर, हवष्रपु और ब्रहरा भश्री शश्री ररामजश्री कप्रे सरार दगोह करनप्रे वरालप्रे तपुमकगो नहहीं बचरा
सकतप्रे॥4॥
दगोहरा :
* मगोहमपूल बहह सपूल पद त्यरागहह तम अहभमरान।
भजहह रराम रघपुनरायक कमृ परा हसमंधपु भगवरान॥23॥
भरावरारर्ण:-मगोह हश्री हजनकरा मपूल हहै ऐसप्रे (अजरानजहनत), बहह त पश्रीडरा दप्रेनप्रे वरालप्रे, तमरूप अहभमरान
करा त्यराग कर दगो और रघपुकपुल कप्रे स्वरामश्री, कमृ परा कप्रे समपुद भगवरानम शश्री ररामचमंदजश्री करा भजन करगो॥
23॥
चरौपराई :
* जदहप कहश्री कहप अहत हहत बरानश्री। भगहत हबबप्रेक हबरहत नय सरानश्री॥
बगोलरा हबहहस महरा अहभमरानश्री। हमलरा हमहह कहप गपुर बड ग्यरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप हनपुमरानमजश्री नप्रे भहक्त, जरान, वहैरराग्य और नश्रीहत सप्रे सनश्री हहई बहह त हश्री हहत ककी वरारश्री
कहश्री, तगो भश्री वह महरानम अहभमरानश्री ररावर बहह त हहूँसकर (व्यमंग्य सप्रे) बगोलरा हक हममें यह बमंदर बडरा
जरानश्री गपुर हमलरा!॥1॥
* ममृत्यपु हनकट आई खल तगोहश्री। लरागप्रेहस अधम हसखरावन मगोहश्री॥
उलटरा हगोइहह कह हनपुमरानरा। महतरम तगोर पगट ममैं जरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-रप्रे दष्टिपु ! तप्रेरश्री ममृत्यपु हनकट आ गई हहै। अधम! मपुझप्रे हशक्षरा दप्रेनप्रे चलरा हहै। हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-
इससप्रे उलटरा हश्री हगोगरा (अररार्णतम ममृत्यपु तप्रेरश्री हनकट आई हहै, मप्रेरश्री नहहीं)। यह तप्रेररा महतरम (बपुहद करा
फिप्रे र) हहै, ममैंनप्रे पत्यक्ष जरान हलयरा हहै॥2॥
* सपुहन कहप बचन बहह त हखहसआनरा। बप्रेहग न हरहह मपूढ कर परानरा॥
सपुनत हनसराचर मरारन धराए। सहचवन्ह सहहत हबभश्रीषनपु आए॥3॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कप्रे वचन सपुनकर वह बहह त हश्री कपु हपत हगो गयरा। (और बगोलरा-) अरप्रे! इस मपूखर्ण
करा परार शश्रीघ्र हश्री क्यर नहहीं हर लप्रेतप्रे? सपुनतप्रे हश्री रराक्षस उन्हमें मरारनप्रे दरौडप्रे उसश्री समय ममंहत्रयर कप्रे
सरार हवभश्रीषरजश्री वहराहूँ आ पहह हूँचप्रे॥3॥
* नराइ सश्रीस करर हबनय बहह तरा। नश्रीहत हबरगोध न मराररअ दतपू रा॥
आन दमंड कछपु कररअ गगोसराहूँई। सबहहीं कहरा ममंत्र भल भराई॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे हसर नवराकर और बहह त हवनय करकप्रे ररावर सप्रे कहरा हक दतपू कगो मरारनरा नहहीं
पू ररा दमंड हदयरा जराए। सबनप्रे कहरा- भराई! यह
चराहहए, यह नश्रीहत कप्रे हवरद हहै। हप्रे गगोसराई।मं कगोई दस
सलराह उरम हहै॥4॥
* सपुनत हबहहस बगोलरा दसकमंधर। अमंग भमंग करर पठइअ बमंदर॥5॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनतप्रे हश्री ररावर हहूँसकर बगोलरा- अच्छरा तगो, बमंदर कगो अमंग-भमंग करकप्रे भप्रेज (लरौटरा)
हदयरा जराए॥5॥

लमंकरादहन

दगोहरा :
* कहप कमें ममतरा पपूछ हूँ पर सबहह कहउहूँ समपुझराइ।
तप्रेल बगोरर पट बराहूँहध पपुहन परावक दप्रेहह लगराइ॥24॥
भरावरारर्ण:-ममैं सबकगो समझराकर कहतरा हह हूँ हक बमंदर ककी ममतरा पपूछ हूँ पर हगोतश्री हहै। अतद्धाः तप्रेल ममें कपडरा
डपु बगोकर उसप्रे इसककी पपूहूँछ ममें बराहूँधकर हफिर आग लगरा दगो॥24॥
चरौपराई :
* पपूछ हूँ हश्रीन बरानर तहहूँ जराइहह। तब सठ हनज नरारहह लइ आइहह॥
हजन्ह कहै ककीहन्हहस बहह त बडराई। दप्रेखउ ममैं हतन्ह कहै पभपुतराई॥1॥
भरावरारर्ण:-जब हबनरा पपूछ हूँ करा यह बमंदर वहराहूँ (अपनप्रे स्वरामश्री कप्रे परास) जराएगरा, तब यह मपूखर्ण अपनप्रे
मराहलक कगो सरार लप्रे आएगरा। हजनककी इसनप्रे बहह त बडराई ककी हहै, ममैं जररा उनककी पभपुतरा (सरामथ्यर्ण)
तगो दप्रेखपूहूँ!॥1॥
* बचन सपुनत कहप मन मपुसपुकरानरा। भइ सहराय सरारद ममैं जरानरा॥
जरातपुधरान सपुहन ररावन बचनरा। लरागप्रे रचमैं मपूढ सगोइ रचनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-यह वचन सपुनतप्रे हश्री हनपुमरानमजश्री मन ममें मपुस्कपु रराए (और मन हश्री मन बगोलप्रे हक) ममैं जरान
गयरा, सरस्वतश्रीजश्री (इसप्रे ऐसश्री बपुहद दप्रेनप्रे ममें) सहरायक हह ई हमैं। ररावर कप्रे वचन सपुनकर मपूखर्ण रराक्षस
वहश्री (पपूहूँछ ममें आग लगरानप्रे ककी) तहैयरारश्री करनप्रे लगप्रे॥2॥
* रहरा न नगर बसन घमृत तप्रेलरा। बराढश्री पपूहूँछ ककीन्ह कहप खप्रेलरा॥
करौतपुक कहहूँ आए पपुरबरासश्री। मरारहहमं चरन करहहमं बहह हराहूँसश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-(पपूछ हूँ कप्रे लपप्रेटनप्रे ममें इतनरा कपडरा और घश्री-तप्रेल लगरा हक) नगर ममें कपडरा, घश्री और तप्रेल
नहहीं रह गयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे ऐसरा खप्रेल हकयरा हक पपूहूँछ बढ गई (लमंबश्री हगो गई)। नगरवरासश्री लगोग
तमराशरा दप्रेखनप्रे आए। वप्रे हनपुमरानमजश्री कगो पहैर सप्रे ठगोकर मरारतप्रे हमैं और उनककी हहूँसश्री करतप्रे हमैं॥ 3॥
* बराजहहमं ढगोल दप्रेहहमं सब तरारश्री। नगर फिप्रे रर पपुहन पपूहूँछ पजरारश्री॥
परावक जरत दप्रेहख हनपुममंतरा। भयउ परम लघपुरूप तपुरमंतरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ढगोल बजतप्रे हमैं, सब लगोग तराहलयराहूँ पश्रीटतप्रे हमैं। हनपुमरानमजश्री कगो नगर ममें हफिरराकर, हफिर पपूछ हूँ
ममें आग लगरा दश्री। अहग्नि कगो जलतप्रे हहए दप्रेखकर हनपुमरानमजश्री तपुरमंत हश्री बहह त छगोटप्रे रूप ममें हगो गए॥4॥
* हनबपुहक चढप्रेउ कप कनक अटरारहीं। भई मं सभश्रीत हनसराचर नरारहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-बमंधन सप्रे हनकलकर वप्रे सगोनप्रे ककी अटराररयर पर जरा चढप्रे। उनकगो दप्रेखकर रराक्षसर ककी हस्त्रयराहूँ
भयभश्रीत हगो गई॥मं 5॥
दगोहरा :
* हरर पप्रेररत तप्रेहह अवसर चलप्रे मरत उनचरास।
अटहरास करर गजरार्ण कहप बहढ लराग अकरास॥25॥
भरावरारर्ण:-उस समय भगवरानम ककी पप्रेरररा सप्रे उनचरासर पवन चलनप्रे लगप्रे। हनपुमरानमजश्री अटहरास करकप्रे
गजर्दे और बढकर आकराश सप्रे जरा लगप्रे॥25॥
चरौपराई :
* दप्रेह हबसराल परम हरआई। ममंहदर तमें ममंहदर चढ धराई॥
जरइ नगर भरा लगोग हबहरालरा। झपट लपट बहह कगोहट कररालरा॥1॥
भरावरारर्ण:-दप्रेह बडश्री हवशराल, परमंतपु बहह त हश्री हल्ककी (फिपु तरलश्री) हहै। वप्रे दरौडकर एक महल सप्रे दस पू रप्रे
महल पर चढ जरातप्रे हमैं। नगर जल रहरा हहै लगोग बप्रेहराल हगो गए हमैं। आग ककी करगोडर भयमंकर लपटमें
झपट रहश्री हमैं॥1॥
*तरात मरातपु हरा सपुहनअ पपुकराररा। एहहमं अवसर कगो हमहह उबराररा॥
हम जगो कहरा यह कहप नहहमं हगोई। बरानर रूप धरमें सपुर कगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-हराय बप्परा! हराय महैयरा! इस अवसर पर हममें करौन बचराएगरा? (चरारर ओर) यहश्री पपुकरार
सपुनराई पड रहश्री हहै। हमनप्रे तगो पहलप्रे हश्री कहरा ररा हक यह वरानर नहहीं हहै , वरानर करा रूप धरप्रे कगोई
दप्रेवतरा हहै!॥2॥
* सराधपु अवग्यरा कर फिलपु ऐसरा। जरइ नगर अनरार कर जहैसरा॥
जराररा नगर हनहमष एक मराहहीं। एक हबभश्रीषन कर गमृह नराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सराधपु कप्रे अपमरान करा यह फिल हहै हक नगर, अनरार कप्रे नगर ककी तरह जल रहरा हहै।
हनपुमरानमजश्री नप्रे एक हश्री क्षर ममें सराररा नगर जलरा डरालरा। एक हवभश्रीषर करा घर नहहीं जलरायरा॥ 3॥
* तराकर दतपू अनल जप्रेहहमं हसररजरा। जररा न सगो तप्रेहह करारन हगररजरा॥
उलहट पलहट लमंकरा सब जरारश्री। कपू हद पररा पपुहन हसमंधपु मझरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! हजन्हरनप्रे अहग्नि कगो बनरायरा, हनपुमरानमजश्री उन्हहीं कप्रे दतपू हमैं।
इसश्री करारर वप्रे अहग्नि सप्रे नहहीं जलप्रे। हनपुमरानमजश्री नप्रे उलट-पलटकर (एक ओर सप्रे दस पू रश्री ओर तक)
सरारश्री लमंकरा जलरा दश्री। हफिर वप्रे समपुद ममें कपू द पडप्रे॥

लमंकरा जलरानप्रे कप्रे बराद हनपुमरानमजश्री करा सश्रीतराजश्री सप्रे हवदरा मराहूँगनरा और चपूडरामहर परानरा

दगोहरा :
* पपूछ हूँ बपुझराइ खगोइ शम धरर लघपु रूप बहगोरर।
जनकसपुतरा कमें आगमें ठराढ भयउ कर जगोरर॥26॥
भरावरारर्ण:-पपूहूँछ बपुझराकर, रकरावट दरपू करकप्रे और हफिर छगोटरा सरा रूप धरारर कर हनपुमरानमजश्री शश्री
जरानककीजश्री कप्रे सरामनप्रे हरार जगोडकर जरा खडप्रे हहए॥26॥
चरौपराई :
* मरातपु मगोहह दश्रीजप्रे कछपु चश्रीन्हरा। जहैसमें रघपुनरायक मगोहह दश्रीन्हरा॥
चपूडरामहन उतरारर तब दयऊ। हरष समप्रेत पवनसपुत लयऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-(हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे मरातरा! मपुझप्रे कगोई हचह्न (पहचरान) दश्रीहजए, जहैसप्रे शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे मपुझप्रे हदयरा ररा। तब सश्रीतराजश्री नप्रे चपूडरामहर उतरारकर दश्री। हनपुमरानमजश्री नप्रे उसकगो हषर्णपपूवर्णक
लप्रे हलयरा॥1॥
* कहप्रेहह तरात अस मगोर पनरामरा। सब पकरार पभपु पपूरनकरामरा॥
दश्रीन दयराल हबररद पु समंभरारश्री। हरहह नरार सम समंकट भरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(जरानककीजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! मप्रेररा परराम हनवप्रेदन करनरा और इस पकरार कहनरा- हप्रे
पभपु! यद्यहप आप सब पकरार सप्रे पपूरर्ण कराम हमैं (आपकगो हकसश्री पकरार ककी करामनरा नहहीं हहै), तरराहप
दश्रीनर (दद्धाःपु हखयर) पर दयरा करनरा आपकरा हवरद हहै (और ममैं दश्रीन हह)हूँ अतद्धाः उस हवरद कगो यराद
करकप्रे , हप्रे नरार! मप्रेरप्रे भरारश्री समंकट कगो दरपू ककीहजए॥2॥
* तरात सकसपुत कररा सनराएहह । बरान पतराप पभपुहह समपुझराएहह ॥
मरास हदवस महह हूँ नरारपु न आवरा। तरौ पपुहन मगोहह हजअत नहहमं परावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! इमंदपपुत्र जयमंत ककी कररा (घटनरा) सपुनरानरा और पभपु कगो उनकप्रे बरार करा पतराप
समझरानरा (स्मरर कररानरा)। यहद महश्रीनप्रे भर ममें नरार न आए तगो हफिर मपुझप्रे जश्रीतश्री न पराएहूँगप्रे॥ 3॥
* कहह कहप कप्रे हह हबहध रराखजौं परानरा। तपुम्हहह तरात कहत अब जरानरा॥
तगोहह दप्रेहख सश्रीतहल भइ छरातश्री। पपुहन मगो कहह हूँ सगोइ हदनपु सगो ररातश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हनपुमरानम! कहगो, ममैं हकस पकरार परार रखपूहूँ! हप्रे तरात! तपुम भश्री अब जरानप्रे कगो कह रहप्रे
हगो। तपुमकगो दप्रेखकर छरातश्री ठमंडश्री हह ई रश्री। हफिर मपुझप्रे वहश्री हदन और वहश्री ररात!॥4॥
दगोहरा :
* जनकसपुतहह समपुझराइ करर बहह हबहध धश्रीरजपु दश्रीन्ह।
चरन कमल हसर नराइ कहप गवनपु रराम पहहमं ककीन्ह॥27॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे जरानककीजश्री कगो समझराकर बहह त पकरार सप्रे धश्रीरज हदयरा और उनकप्रे
चररकमलर ममें हसर नवराकर शश्री ररामजश्री कप्रे परास गमन हकयरा॥27॥

समपुद कप्रे इस परार आनरा, सबकरा लरौटनरा, मधपुवन पवप्रेश, सपुगश्रीव हमलन, शश्री रराम-हनपुमरानम समंवराद

चरौपराई :
* चलत महराधपुहन गजर्देहस भरारश्री। गभर्ण स्रवहहमं सपुहन हनहसचर नरारश्री॥
नराहघ हसमंधपु एहह परारहह आवरा। सबद हकहलहकलरा कहपन्ह सपुनरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-चलतप्रे समय उन्हरनप्रे महराध्वहन सप्रे भरारश्री गजर्णन हकयरा, हजसप्रे सपुनकर रराक्षसर ककी हस्त्रयर कप्रे
गभर्ण हगरनप्रे लगप्रे। समपुद लराहूँघकर वप्रे इस परार आए और उन्हरनप्रे वरानरर कगो हकलहकलरा शब्द
(हषर्णध्वहन) सपुनरायरा॥1॥
* हरषप्रे सब हबलगोहक हनपुमरानरा। नपूतन जन्म कहपन्ह तब जरानरा॥
मपुख पसन्न तन तप्रेज हबरराजरा। ककीन्हप्रेहस ररामचमंद कर कराजरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कगो दप्रेखकर सब हहषर्णत हगो गए और तब वरानरर नप्रे अपनरा नयरा जन्म समझरा।
हनपुमरानमजश्री करा मपुख पसन्न हहै और शरश्रीर ममें तप्रेज हवरराजमरान हहै , (हजससप्रे उन्हरनप्रे समझ हलयरा हक)
यप्रे शश्री ररामचमंदजश्री करा करायर्ण कर आए हमैं॥2॥
* हमलप्रे सकल अहत भए सपुखरारश्री। तलफित मश्रीन पराव हजहम बरारश्री॥
चलप्रे हरहष रघपुनरायक परासरा। पपूहूँछत कहत नवल इहतहरासरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-सब हनपुमरानमजश्री सप्रे हमलप्रे और बहह त हश्री सपुखश्री हह ए, जहैसप्रे तडपतश्री हह ई मछलश्री कगो जल हमल
गयरा हगो। सब हहषर्णत हगोकर नए-नए इहतहरास (वमृररामंत) पपूछतप्रे- कहतप्रे हह ए शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास
चलप्रे॥3॥
* तब मधपुबन भश्रीतर सब आए। अमंगद समंमत मधपु फिल खराए॥
रखवरारप्रे जब बरजन लरागप्रे। मपुहष्टि पहरार हनत सब भरागप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-तब सब लगोग मधपुवन कप्रे भश्रीतर आए और अमंगद ककी सम्महत सप्रे सबनप्रे मधपुर फिल (यरा मधपु
और फिल) खराए। जब रखवरालप्रे बरजनप्रे लगप्रे, तब घपूहूँसर ककी मरार मरारतप्रे हश्री सब रखवरालप्रे भराग छपू टप्रे॥
4॥
दगोहरा :
* जराइ पपुकरारप्रे तप्रे सब बन उजरार जपुबरराज।
सपुहन सपुगश्रीव हरष कहप करर आए पभपु कराज॥28॥
भरावरारर्ण:-उन सबनप्रे जराकर पपुकराररा हक यवपु रराज अमंगद वन उजराड रहप्रे हमैं। यह सपुनकर सपुगश्रीव हहषर्णत
हह ए हक वरानर पभपु करा करायर्ण कर आए हमैं॥28॥
चरौपराई :
* जजौं न हगोहत सश्रीतरा सपुहध पराई। मधपुबन कप्रे फिल सकहहमं हक कराई॥
एहह हबहध मन हबचरार कर रराजरा। आइ गए कहप सहहत समराजरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यहद सश्रीतराजश्री ककी खबर न पराई हगोतश्री तगो क्यरा वप्रे मधपुवन कप्रे फिल खरा सकतप्रे रप्रे? इस
पकरार रराजरा सपुगश्रीव मन ममें हवचरार कर हश्री रहप्रे रप्रे हक समराज सहहत वरानर आ गए॥1॥
* आइ सबहन्ह नरावरा पद सश्रीसरा। हमलप्रेउ सबहन्ह अहत पप्रेम कपश्रीसरा॥
पपूहूँछश्री कपु सल कपु सल पद दप्रेखश्री। रराम कमृ पराहूँ भरा कराजपु हबसप्रेषश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(सबनप्रे आकर सपुगश्रीव कप्रे चररर ममें हसर नवरायरा। कहपरराज सपुगश्रीव सभश्री सप्रे बडप्रे पप्रेम कप्रे सरार
हमलप्रे। उन्हरनप्रे कपु शल पपूछश्री, (तब वरानरर नप्रे उरर हदयरा-) आपकप्रे चररर कप्रे दशर्णन सप्रे सब कपु शल
हहै। शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे हवशप्रेष करायर्ण हहआ (करायर्ण ममें हवशप्रेष सफिलतरा हह ई हहै)॥2॥
* नरार कराजपु ककीन्हप्रेउ हनपुमरानरा। रराखप्रे सकल कहपन्ह कप्रे परानरा॥
सपुहन सपुगश्रीव बहह रर तप्रेहह हमलप्रेऊ कहपन्ह सहहत रघपुपहत पहहमं चलप्रेऊ॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! हनपुमरान नप्रे सब करायर्ण हकयरा और सब वरानरर कप्रे परार बचरा हलए। यह सपुनकर
सपुगश्रीवजश्री हनपुमरानमजश्री सप्रे हफिर हमलप्रे और सब वरानरर समप्रेत शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास चलप्रे॥3॥
* रराम कहपन्ह जब आवत दप्रेखरा। हकएहूँ कराजपु मन हरष हबसप्रेषरा॥
फिहटक हसलरा बहैठप्रे दरौ भराई। परप्रे सकल कहप चरनहन्ह जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे जब वरानरर कगो करायर्ण हकए हहए आतप्रे दप्रेखरा तब उनकप्रे मन ममें हवशप्रेष हषर्ण हह आ।
दगोनर भराई स्फिहटक हशलरा पर बहैठप्रे रप्रे। सब वरानर जराकर उनकप्रे चररर पर हगर पडप्रे॥4॥
दगोहरा :
* पश्रीहत सहहत सब भमेंटप्रे रघपुपहत करनरा पपुज मं ॥
पपूछश्री कपु सल नरार अब कपु सल दप्रेहख पद कमंज॥29॥
भरावरारर्ण:-दयरा ककी रराहश शश्री रघपुनरारजश्री सबसप्रे पप्रेम सहहत गलप्रे लगकर हमलप्रे और कपु शल पपूछश्री।
(वरानरर नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! आपकप्रे चरर कमलर कप्रे दशर्णन परानप्रे सप्रे अब कपु शल हहै॥29॥
चरौपराई :
* जरामवमंत कह सपुनपु रघपुररायरा। जरा पर नरार करहह तपुम्ह दरायरा॥
तराहह सदरा सपुभ कपु सल हनरमंतर। सपुर नर मपुहन पसन्न तरा ऊपर॥1॥
भरावरारर्ण:-जराम्बवरानम नप्रे कहरा- हप्रे रघपुनरारजश्री! सपुहनए। हप्रे नरार! हजस पर आप दयरा करतप्रे हमैं, उसप्रे
सदरा कल्यरार और हनरमंतर कपु शल हहै। दप्रेवतरा, मनपुष्य और मपुहन सभश्री उस पर पसन्न रहतप्रे हमैं॥1॥
* सगोइ हबजई हबनई गपुन सरागर। तरासपु सपुजसपु त्रहैलगोक उजरागर॥
पभपु ककीमं कमृ परा भयउ सबपु कराजपू। जन्म हमरार सपुफिल भरा आजपू॥2॥
भरावरारर्ण:-वहश्री हवजयश्री हहै, वहश्री हवनयश्री हहै और वहश्री गपुरर करा समपुद बन जरातरा हहै। उसश्री करा सपुदमं र
यश तश्रीनर लगोकर ममें पकराहशत हगोतरा हहै। पभपु ककी कमृ परा सप्रे सब करायर्ण हह आ। आज हमराररा जन्म सफिल
हगो गयरा॥2॥
* नरार पवनसपुत ककीहन्ह जगो करनश्री। सहसहह हूँ मपुख न जराइ सगो बरनश्री॥
पवनतनय कप्रे चररत सपुहराए। जरामवमंत रघपुपहतहह सपुनराए॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! पवनपपुत्र हनपुमरानम नप्रे जगो करनश्री ककी, उसकरा हजरार मपुखर सप्रे भश्री वरर्णन नहहीं हकयरा
जरा सकतरा। तब जराम्बवरानम नप्रे हनपुमरानमजश्री कप्रे सपुदमं र चररत्र (करायर्ण) शश्री रघपुनरारजश्री कगो सपुनराए॥3॥
* सपुनत कमृ पराहनहध मन अहत भराए। पपुहन हनपुमरान हरहष हहयहूँ लराए॥
कहहह तरात कप्रे हह भराहूँहत जरानककी। रहहत करहत रच्छरा स्वपरान ककी॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे चररत्र) सपुननप्रे पर कमृ पराहनहध शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे मन कगो बहह त हश्री अच्छप्रे लगप्रे। उन्हरनप्रे
हहषर्णत हगोकर हनपुमरानमजश्री कगो हफिर हृदय सप्रे लगरा हलयरा और कहरा- हप्रे तरात! कहगो, सश्रीतरा हकस
पकरार रहतश्री और अपनप्रे परारर ककी रक्षरा करतश्री हमैं?॥4॥
दगोहरा :
* नराम पराहरू हदवस हनहस ध्यरान तपुम्हरार कपराट।
लगोचन हनज पद जमंहत्रत जराहहमं परान कप्रे हहमं बराट॥30॥
भरावरारर्ण:-(हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) आपकरा नराम ररात-हदन पहररा दप्रेनप्रे वरालरा हहै, आपकरा ध्यरान हश्री
हकमंवराड हहै। नप्रेत्रर कगो अपनप्रे चररर ममें लगराए रहतश्री हमैं, यहश्री तरालरा लगरा हहै, हफिर परार जराएहूँ तगो हकस
मरागर्ण सप्रे?॥30॥
चरौपराई :
* चलत मगोहह चपूडरामहन दश्रीन्हहीं। रघपुपहत हृदयहूँ लराइ सगोइ लश्रीन्हश्री॥
नरार जपुगल लगोचन भरर बरारश्री। बचन कहप्रे कछपु जनककपु मरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-चलतप्रे समय उन्हरनप्रे मपुझप्रे चपूडरामहर (उतरारकर) दश्री। शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे उसप्रे लप्रेकर हृदय
सप्रे लगरा हलयरा। (हनपुमरानमजश्री नप्रे हफिर कहरा-) हप्रे नरार! दगोनर नप्रेत्रर ममें जल भरकर जरानककीजश्री नप्रे
मपुझसप्रे कपु छ वचन कहप्रे-॥1॥
* अनपुज समप्रेत गहप्रेहह पभपु चरनरा। दश्रीन बमंधपु पनतरारहत हरनरा॥
मन कम बचन चरन अनपुररागश्री। कप्रे हहमं अपरराध नरार हजौं त्यरागश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई समप्रेत पभपु कप्रे चरर पकडनरा (और कहनरा हक) आप दश्रीनबमंधपु हमैं, शरररागत कप्रे
दद्धाःपु खर कगो हरनप्रे वरालप्रे हमैं और ममैं मन, वचन और कमर्ण सप्रे आपकप्रे चररर ककी अनपुरराहगरश्री हह हूँ। हफिर
स्वरामश्री (आप) नप्रे मपुझप्रे हकस अपरराध सप्रे त्यराग हदयरा?॥2॥
* अवगपुन एक मगोर ममैं मरानरा। हबछपु रत परान न ककीन्ह पयरानरा॥
नरार सगो नयनहन्ह कगो अपरराधरा। हनसरत परान करहहमं हहठ बराधरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(हराहूँ) एक दगोष ममैं अपनरा (अवश्य) मरानतश्री हह हूँ हक आपकरा हवयगोग हगोतप्रे हश्री मप्रेरप्रे परार नहहीं
चलप्रे गए, हकमंतपु हप्रे नरार! यह तगो नप्रेत्रर करा अपरराध हहै जगो परारर कप्रे हनकलनप्रे ममें हठपपूवर्णक बराधरा दप्रेतप्रे
हमैं॥3॥
* हबरह अहगहन तनपु तपूल समश्रीररा। स्वरास जरइ छन मराहहमं सरश्रीररा॥
नयन स्रवहहमं जलपु हनज हहत लरागश्री। जरमैं न पराव दप्रेह हबरहरागश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हवरह अहग्नि हहै, शरश्रीर रूई हहै और श्वरास पवन हहै, इस पकरार (अहग्नि और पवन करा
समंयगोग हगोनप्रे सप्रे) यह शरश्रीर क्षरमरात्र ममें जल सकतरा हहै, परमंतपु नप्रेत्र अपनप्रे हहत कप्रे हलए पभपु करा
स्वरूप दप्रेखकर (सपुखश्री हगोनप्रे कप्रे हलए) जल (आहूँसपू) बरसरातप्रे हमैं, हजससप्रे हवरह ककी आग सप्रे भश्री दप्रेह
जलनप्रे नहहीं परातश्री॥4॥
* सश्रीतरा कहै अहत हबपहत हबसरालरा। हबनहहमं कहमें भहल दश्रीनदयरालरा॥5॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री ककी हवपहर बहह त बडश्री हहै। हप्रे दश्रीनदयरालपु! वह हबनरा कहश्री हश्री अच्छश्री हहै (कहनप्रे सप्रे
आपकगो बडरा कप्रे श हगोगरा)॥5॥
दगोहरा :
* हनहमष हनहमष करनराहनहध जराहहमं कलप सम बश्रीहत।
बप्रेहग चहलअ पभपु आहनअ भपुज बल खल दल जश्रीहत॥31॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कररराहनधरान! उनकरा एक-एक पल कल्प कप्रे समरान बश्रीततरा हहै। अतद्धाः हप्रे पभपु! तपुरमंत
चहलए और अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे दष्टिपु र कप्रे दल कगो जश्रीतकर सश्रीतराजश्री कगो लप्रे आइए॥31॥
चरौपराई :
* सपुहन सश्रीतरा दख पु पभपु सपुख अयनरा। भरर आए जल रराहजव नयनरा॥
बचन करायहूँ मन मम गहत जराहश्री। सपनप्रेहहहूँ बपूहझअ हबपहत हक तराहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतराजश्री करा दद्धाःपु ख सपुनकर सपुख कप्रे धराम पभपु कप्रे कमल नप्रेत्रर ममें जल भर आयरा (और वप्रे
बगोलप्रे-) मन, वचन और शरश्रीर सप्रे हजसप्रे मप्रेरश्री हश्री गहत (मप्रेररा हश्री आशय) हहै, उसप्रे क्यरा स्वप्न ममें भश्री
हवपहर हगो सकतश्री हहै?॥1॥
* कह हनपुममंत हबपहत पभपु सगोई। जब तव सपुहमरन भजन न हगोई॥
कप्रे हतक बरात पभपु जरातपुधरान ककी। ररपपुहह जश्रीहत आहनबश्री जरानककी॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- हप्रे पभपु! हवपहर तगो वहश्री (तभश्री) हहै जब आपकरा भजन-स्मरर न
हगो। हप्रे पभगो! रराक्षसर ककी बरात हश्री हकतनश्री हहै? आप शत्रपु कगो जश्रीतकर जरानककीजश्री कगो लप्रे आवमेंगप्रे॥2॥
* सपुनपु कहप तगोहह समरान उपकरारश्री। नहहमं कगोउ सपुर नर मपुहन तनपुधरारश्री॥
पहत उपकरार करजौं करा तगोररा। सनमपुख हगोइ न सकत मन मगोररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(भगवरानम कहनप्रे लगप्रे-) हप्रे हनपुमरानम! सपुन, तप्रेरप्रे समरान मप्रेररा उपकरारश्री दप्रेवतरा, मनपुष्य
अरवरा मपुहन कगोई भश्री शरश्रीरधरारश्री नहहीं हहै। ममैं तप्रेररा पत्य पपु करार (बदलप्रे ममें उपकरार) तगो क्यरा करूहूँ, मप्रेररा
मन भश्री तप्रेरप्रे सरामनप्रे नहहीं हगो सकतरा॥3॥
* सपुनपु सपुत तगोहह उररन ममैं नराहहीं। दप्रेखप्रेउहूँ करर हबचरार मन मराहहीं॥
पपुहन पपुहन कहपहह हचतव सपुरत्ररातरा। लगोचन नश्रीर पपुलक अहत गरातरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पपुत्र! सपुन, ममैंनप्रे मन ममें (खपूब) हवचरार करकप्रे दप्रेख हलयरा हक ममैं तपुझसप्रे उऋर नहहीं हगो
सकतरा। दप्रेवतराओमं कप्रे रक्षक पभपु बरार-बरार हनपुमरानमजश्री कगो दप्रेख रहप्रे हमैं। नप्रेत्रर ममें पप्रेमराशपुओमं करा जल भररा
हहै और शरश्रीर अत्यमंत पपुलहकत हहै॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन पभपु बचन हबलगोहक मपुख गरात हरहष हनपुममंत।
चरन परप्रेउ पप्रेमराकपुल त्रराहह त्रराहह भगवमंत॥32॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे वचन सपुनकर और उनकप्रे (पसन्न) मपुख तररा (पपुलहकत) अमंगर कगो दप्रेखकर
हनपुमरानमजश्री हहषर्णत हगो गए और पप्रेम ममें हवकल हगोकर 'हप्रे भगवनम! मप्रेरश्री रक्षरा करगो, रक्षरा करगो' कहतप्रे
हह ए शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें हगर पडप्रे॥32॥
चरौपराई :
* बरार बरार पभपु चहइ उठरावरा। पप्रेम मगन तप्रेहह उठब न भरावरा॥
पभपु कर पमंकज कहप कमें सश्रीसरा। सपुहमरर सगो दसरा मगन गरौरश्रीसरा॥1॥
भरावरारर्ण:-पभपु उनकगो बरार-बरार उठरानरा चराहतप्रे हमैं, परमंतपु पप्रेम ममें डपू बप्रे हह ए हनपुमरानमजश्री कगो चररर सप्रे
उठनरा सपुहरातरा नहहीं। पभपु करा करकमल हनपुमरानमजश्री कप्रे हसर पर हहै। उस हस्रहत करा स्मरर करकप्रे
हशवजश्री पप्रेममग्नि हगो गए॥1॥
* सरावधरान मन करर पपुहन समंकर। लरागप्रे कहन कररा अहत सपुदमं र॥
कहप उठराई पभपु हृदयहूँ लगरावरा। कर गहह परम हनकट बहैठरावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हफिर मन कगो सरावधरान करकप्रे शमंकरजश्री अत्यमंत सपुदमं र कररा कहनप्रे लगप्रे- हनपुमरानमजश्री कगो
उठराकर पभपु नप्रे हृदय सप्रे लगरायरा और हरार पकडकर अत्यमंत हनकट बहैठरा हलयरा॥ 2॥
* कहह कहप ररावन पराहलत लमंकरा। कप्रे हह हबहध दहप्रेउ दगपु र्ण अहत बमंकरा॥
पभपु पसन्न जरानरा हनपुमरानरा। बगोलरा बचन हबगत अहभमरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे हनपुमरानम! बतराओ तगो, ररावर कप्रे दराररा सपुरहक्षत लमंकरा और उसकप्रे बडप्रे बराहूँकप्रे हकलप्रे कगो
तपुमनप्रे हकस तरह जलरायरा? हनपुमरानमजश्री नप्रे पभपु कगो पसन्न जरानरा और वप्रे अहभमरानरहहत वचन बगोलप्रे-
॥3॥
* सराखरामग कहै बहड मनपुसराई। सराखरा तमें सराखरा पर जराई॥
नराहघ हसमंधपु हराटकपपुर जराररा। हनहसचर गन बहध हबहपन उजराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-बमंदर करा बस, यहश्री बडरा पपुरषरारर्ण हहै हक वह एक डराल सप्रे दस पू रश्री डराल पर चलरा जरातरा हहै।
ममैंनप्रे जगो समपुद लराहूँघकर सगोनप्रे करा नगर जलरायरा और रराक्षसगर कगो मरारकर अशगोक वन कगो उजराड
डरालरा,॥4॥
* सगो सब तव पतराप रघपुरराई। नरार न कछपू मगोरर पभपुतराई॥5॥
भरावरारर्ण:-यह सब तगो हप्रे शश्री रघपुनरारजश्री! आप हश्री करा पतराप हहै। हप्रे नरार! इसममें मप्रेरश्री पभपुतरा
(बडराई) कपु छ भश्री नहहीं हहै॥5॥
दगोहरा :
* तरा कहह हूँ पभपु कछपु अगम नहहमं जरा पर तपुम्ह अनपुकपूल।
तव पभरावहूँ बडवरानलहह जरारर सकइ खलपु तपूल॥33॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभपु! हजस पर आप पसन्न हर, उसकप्रे हलए कपु छ भश्री कहठन नहहीं हहै। आपकप्रे पभराव सप्रे
रूई (जगो स्वयमं बहह त जल्दश्री जल जरानप्रे वरालश्री वस्तपु हहै) बडवरानल कगो हनश्चय हश्री जलरा सकतश्री हहै
(अररार्णतम असमंभव भश्री समंभव हगो सकतरा हहै)॥3॥
चरौपराई :
* नरार भगहत अहत सपुखदरायनश्री। दप्रेहह कमृ परा करर अनपरायनश्री॥
सपुहन पभपु परम सरल कहप बरानश्री। एवमस्तपु तब कहप्रेउ भवरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! मपुझप्रे अत्यमंत सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री अपनश्री हनश्चल भहक्त कमृ परा करकप्रे दश्रीहजए।
हनपुमरानमजश्री ककी अत्यमंत सरल वरारश्री सपुनकर, हप्रे भवरानश्री! तब पभपु शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे 'एवमस्तपु'
(ऐसरा हश्री हगो) कहरा॥1॥
* उमरा रराम सपुभराउ जप्रेहहमं जरानरा। तराहह भजनपु तहज भराव न आनरा॥
यह समंबराद जरासपु उर आवरा। रघपुपहत चरन भगहत सगोइ परावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे उमरा! हजसनप्रे शश्री ररामजश्री करा स्वभराव जरान हलयरा, उसप्रे भजन छगोडकर दस पू रश्री बरात हश्री
नहहीं सपुहरातश्री। यह स्वरामश्री-सप्रेवक करा समंवराद हजसकप्रे हृदय ममें आ गयरा, वहश्री शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर
ककी भहक्त परा गयरा॥2॥
* सपुहन पभपु बचन कहहहमं कहप बमृमंदरा। जय जय जय कमृ पराल सपुखकमंदरा॥
तब रघपुपहत कहपपहतहह बगोलरावरा। कहरा चलमैं कर करहह बनरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे वचन सपुनकर वरानरगर कहनप्रे लगप्रे- कमृ परालपु आनमंदकमंद शश्री ररामजश्री ककी जय हगो
जय हगो, जय हगो! तब शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे कहपरराज सपुगश्रीव कगो बपुलरायरा और कहरा- चलनप्रे ककी तहैयरारश्री
करगो॥3॥
*अब हबलमंबपु कप्रे ह करारन ककीजप्रे। तपुरमंत कहपन्ह कहहूँ आयसपु दश्रीजप्रे॥
करौतपुक दप्रेहख सपुमन बहह बरषश्री। नभ तमें भवन चलप्रे सपुर हरषश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-अब हवलमंब हकस करारर हकयरा जराए। वरानरर कगो तपुरमंत आजरा दगो। (भगवरानम ककी) यह
लश्रीलरा (ररावरवध ककी तहैयरारश्री) दप्रेखकर, बहह त सप्रे फिपूल बरसराकर और हहषर्णत हगोकर दप्रेवतरा आकराश
सप्रे अपनप्रे-अपनप्रे लगोक कगो चलप्रे॥4॥

शश्री ररामजश्री करा वरानरर ककी सप्रेनरा कप्रे सरार चलकर समपुद तट पर पहह हूँचनरा

दगोहरा :
* कहपपहत बप्रेहग बगोलराए आए जपूरप जपूर।
नरानरा बरन अतपुल बल बरानर भरालपु बरूर॥34॥
भरावरारर्ण:-वरानररराज सपुगश्रीव नप्रे शश्रीघ्र हश्री वरानरर कगो बपुलरायरा, सप्रेनरापहतयर कप्रे समपूह आ गए। वरानर-
भरालपुओमं कप्रे झपुडमं अनप्रेक रमंगर कप्रे हमैं और उनममें अतपुलनश्रीय बल हहै॥34॥
चरौपराई :
* पभपु पद पमंकज नरावहहमं सश्रीसरा। गजर्णहहमं भरालपु महराबल ककीसरा॥
दप्रेखश्री रराम सकल कहप सप्रेनरा। हचतइ कमृ परा करर रराहजव नहैनरा॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे पभपु कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवरातप्रे हमैं। महरानम बलवरानम रश्रीछ और वरानर गरज रहप्रे हमैं। शश्री
ररामजश्री नप्रे वरानरर ककी सरारश्री सप्रेनरा दप्रेखश्री। तब कमल नप्रेत्रर सप्रे कमृ परापपूवर्णक उनककी ओर दृहष्टि डरालश्री॥1॥
* रराम कमृ परा बल पराइ कहपमंदरा। भए पच्छजपुत मनहह हूँ हगररमंदरा॥
हरहष रराम तब ककीन्ह पयरानरा। सगपुन भए सपुदमं र सपुभ नरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-रराम कमृ परा करा बल पराकर शप्रेष वरानर मरानगो पमंखवरालप्रे बडप्रे पवर्णत हगो गए। तब शश्री ररामजश्री नप्रे
हहषर्णत हगोकर पस्ररान (कपू च) हकयरा। अनप्रेक सपुदमं र और शपुभ शकपु न हहए॥2॥
* जरासपु सकल ममंगलमय ककीतश्री। तरासपु पयरान सगपुन यह नश्रीतश्री॥
पभपु पयरान जरानरा बहैदप्रेहहीं। फिरहक बराम अहूँग जनपु कहह दप्रेहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-हजनककी ककीहतर्ण सब ममंगलर सप्रे पपूरर्ण हहै, उनकप्रे पस्ररान कप्रे समय शकपु न हगोनरा, यह नश्रीहत हहै
(लश्रीलरा ककी मयरार्णदरा हहै)। पभपु करा पस्ररान जरानककीजश्री नप्रे भश्री जरान हलयरा। उनकप्रे बराएहूँ अमंग फिडक-
फिडककर मरानगो कहप्रे दप्रेतप्रे रप्रे (हक शश्री ररामजश्री आ रहप्रे हमैं)॥3॥
* जगोइ जगोइ सगपुन जरानहकहह हगोई। असगपुन भयउ ररावनहहमं सगोई॥
चलरा कटकपु कगो बरनमैं पराररा। गजर्णहहमं बरानर भरालपु अपराररा॥4॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री कगो जगो-जगो शकपु न हगोतप्रे रप्रे, वहश्री-वहश्री ररावर कप्रे हलए अपशकपु न हहए। सप्रेनरा
चलश्री, उसकरा वरर्णन करौन कर सकतरा हहै? असमंख्य वरानर और भरालपू गजर्णनरा कर रहप्रे हमैं॥4॥
* नख आयधपु हगरर परादपधरारश्री। चलप्रे गगन महह इच्छराचरारश्री॥
कप्रे हररनराद भरालपु कहप करहहीं। डगमगराहहमं हदग्गज हचक्करहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-नख हश्री हजनकप्रे शस्त्र हमैं, वप्रे इच्छरानपुसरार (सवर्णत्र बप्रेरगोक-टगोक) चलनप्रे वरालप्रे रश्रीछ-वरानर
पवर्णतर और वमृक्षर कगो धरारर हकए कगोई आकराश मरागर्ण सप्रे और कगोई पमृथ्वश्री पर चलप्रे जरा रहप्रे हमैं। वप्रे हसमंह
कप्रे समरान गजर्णनरा कर रहप्रे हमैं। (उनकप्रे चलनप्रे और गजर्णनप्रे सप्रे) हदशराओमं कप्रे हरारश्री हवचहलत हगोकर
हचमंग्घराड रहप्रे हमैं॥5॥
छमंद :
* हचक्करहहमं हदग्गज डगोल महह हगरर लगोल सरागर खरभरप्रे।
मन हरष सभ गमंधबर्ण सपुर मपुहन नराग हकमंनर दख पु टरप्रे॥
कटकटहहमं मकर्णट हबकट भट बहह कगोहट कगोहटन्ह धरावहहीं।
जय रराम पबल पतराप कगोसलनरार गपुन गन गरावहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-हदशराओमं कप्रे हरारश्री हचमंग्घराडनप्रे लगप्रे, पमृथ्वश्री डगोलनप्रे लगश्री, पवर्णत चमंचल हगो गए (कराहूँपनप्रे लगप्रे)
और समपुद खलबलरा उठप्रे। गमंधवर्ण, दप्रेवतरा, मपुहन, नराग, हकन्नर सब कप्रे सब मन ममें हहषर्णत हहए' हक
(अब) हमरारप्रे दद्धाःपु ख टल गए। अनप्रेकर करगोड भयरानक वरानर यगोदरा कटकटरा रहप्रे हमैं और करगोडर हश्री
दरौड रहप्रे हमैं। 'पबल पतराप कगोसलनरार शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय हगो' ऐसरा पपुकरारतप्रे हह ए वप्रे उनकप्रे
गपुरसमपूहर कगो गरा रहप्रे हमैं॥1॥
* सहह सक न भरार उदरार अहहपहत बरार बरारहहमं मगोहई।
गह दसन पपुहन पपुहन कमठ पमृष कठगोर सगो हकहम सगोहई॥
रघपुबश्रीर रहचर पयरान पहस्रहत जराहन परम सपुहरावनश्री।
जनपु कमठ खपर्णर सपर्णरराज सगो हलखत अहबचल परावनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उदरार (परम शप्रेष एवमं महरानम) सपर्णरराज शप्रेषजश्री भश्री सप्रेनरा करा बगोझ नहहीं सह सकतप्रे , वप्रे
बरार-बरार मगोहहत हगो जरातप्रे (घबडरा जरातप्रे) हमैं और पपुनद्धाः-पपुनद्धाः कच्छप ककी कठगोर पश्रीठ कगो दराहूँतर सप्रे
पकडतप्रे हमैं। ऐसरा करतप्रे (अररार्णतम बरार-बरार दरातहूँ र कगो गडराकर कच्छप ककी पश्रीठ पर लककीर सश्री खहींचतप्रे
हह ए) वप्रे कहै सप्रे शगोभरा दप्रे रहप्रे हमैं मरानगो शश्री ररामचमंदजश्री ककी सपुदमं र पस्ररान यरात्ररा कगो परम सपुहरावनश्री
जरानकर उसककी अचल पहवत्र कररा कगो सपर्णरराज शप्रेषजश्री कच्छप ककी पश्रीठ पर हलख रहप्रे हर॥2॥
दगोहरा :
* एहह हबहध जराइ कमृ पराहनहध उतरप्रे सरागर तश्रीर।
जहहूँ तहहूँ लरागप्रे खरान फिल भरालपु हबपपुल कहप बश्रीर॥35॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री समपुद तट पर जरा उतरप्रे। अनप्रेकर रश्रीछ -वरानर वश्रीर
जहराहूँ-तहराहूँ फिल खरानप्रे लगप्रे॥35॥
ममंदगोदरश्री-ररावर समंवराद

चरौपराई :
*उहराहूँ हनसराचर रहहहमं ससमंकरा। जब तमें जरारर गयउ कहप लमंकरा॥
हनज हनज गमृहहूँ सब करहहमं हबचराररा। नहहमं हनहसचर कपु ल कप्रे र उबराररा।1॥
भरावरारर्ण:-वहराहूँ (लमंकरा ममें) जब सप्रे हनपुमरानमजश्री लमंकरा कगो जलराकर गए, तब सप्रे रराक्षस भयभश्रीत रहनप्रे
लगप्रे। अपनप्रे-अपनप्रे घरर ममें सब हवचरार करतप्रे हमैं हक अब रराक्षस कपु ल ककी रक्षरा (करा कगोई उपराय)
नहहीं हहै॥1॥
* जरासपु दतपू बल बरहन न जराई। तप्रेहह आएहूँ पपुर कवन भलराई॥
दहपू तन्ह सन सपुहन पपुरजन बरानश्री। ममंदगोदरश्री अहधक अकपु लरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हजसकप्रे दतपू करा बल वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा, उसकप्रे स्वयमं नगर ममें आनप्रे पर करौन
भलराई हहै (हम लगोगर ककी बडश्री बपुरश्री दशरा हगोगश्री)? दहपू तयर सप्रे नगरवराहसयर कप्रे वचन सपुनकर ममंदगोदरश्री
बहह त हश्री व्यराकपुल हगो गई॥2॥
* रहहस जगोरर कर पहत पग लरागश्री। बगोलश्री बचन नश्रीहत रस परागश्री॥
कमंत करष हरर सन पररहरहह । मगोर कहरा अहत हहत हहयहूँ धरहह ॥3॥
भरावरारर्ण:-वह एकरामंत ममें हरार जगोडकर पहत (ररावर) कप्रे चररर लगश्री और नश्रीहतरस ममें पगश्री हह ई वरारश्री
बगोलश्री- हप्रे हपयतम! शश्री हरर सप्रे हवरगोध छगोड दश्रीहजए। मप्रेरप्रे कहनप्रे कगो अत्यमंत हश्री हहतकर जरानकर
हृदय ममें धरारर ककीहजए॥3॥
* समपुझत जरासपु दतपू कइ करनश्री। स्रवहहमं गभर्ण रजनश्रीचर घरनश्री॥
तरासपु नरारर हनज सहचव बगोलराई। पठवहह कमंत जगो चहहह भलराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे दतपू ककी करनश्री करा हवचरार करतप्रे हश्री (स्मरर आतप्रे हश्री) रराक्षसर ककी हस्त्रयर कप्रे गभर्ण
हगर जरातप्रे हमैं, हप्रे प्यरारप्रे स्वरामश्री! यहद भलरा चराहतप्रे हमैं, तगो अपनप्रे ममंत्रश्री कगो बपुलराकर उसकप्रे सरार
उनककी स्त्रश्री कगो भप्रेज दश्रीहजए॥4॥
दगोहरा :
*तव कपु ल कमल हबहपन दख पु दराई। सश्रीतरा सश्रीत हनसरा सम आई॥
सपुनहह नरार सश्रीतरा हबनपु दश्रीन्हमें। हहत न तपुम्हरार समंभपु अज ककीन्हमें॥ 5॥
भरावरारर्ण:-सश्रीतरा आपकप्रे कपु ल रूपश्री कमलर कप्रे वन कगो दद्धाःपु ख दप्रेनप्रे वरालश्री जराडप्रे ककी रराहत्र कप्रे समरान आई
हहै। हप्रे नरार। सपुहनए, सश्रीतरा कगो हदए (लरौटराए) हबनरा शम्भपु और ब्रहरा कप्रे हकए भश्री आपकरा भलरा नहहीं
हगो सकतरा॥5॥
दगोहरा :
* रराम बरान अहह गन सररस हनकर हनसराचर भप्रेक।
जब लहग गसत न तब लहग जतनपु करहह तहज टप्रेक॥36॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे बरार सपर्मों कप्रे समपूह कप्रे समरान हमैं और रराक्षसर कप्रे समपूह ममेंढक कप्रे समरान।
जब तक वप्रे इन्हमें गस नहहीं लप्रेतप्रे (हनगल नहहीं जरातप्रे) तब तक हठ छगोडकर उपराय कर लश्रीहजए॥
36॥
चरौपराई :
* शवन सपुनश्री सठ तरा करर बरानश्री। हबहसरा जगत हबहदत अहभमरानश्री॥
सभय सपुभराउ नरारर कर सराचरा। ममंगल महह हूँ भय मन अहत कराचरा॥1॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण और जगत पहसद अहभमरानश्री ररावर करानर सप्रे उसककी वरारश्री सपुनकर खपूब हहूँसरा (और
बगोलरा-) हस्त्रयर करा स्वभराव सचमपुच हश्री बहह त डरपगोक हगोतरा हहै। ममंगल ममें भश्री भय करतश्री हगो। तपुम्हराररा
मन (हृदय) बहह त हश्री कचरा (कमजगोर) हहै॥1॥
* जजौं आवइ मकर्णट कटकराई। हजअहहमं हबचरारप्रे हनहसचर खराई॥
कमंपहहमं लगोकप जराककीमं त्ररासरा। तरासपु नरारर सभश्रीत बहड हरासरा॥2॥
भरावरारर्ण:-यहद वरानरर ककी सप्रेनरा आवप्रेगश्री तगो बप्रेचरारप्रे रराक्षस उसप्रे खराकर अपनरा जश्रीवन हनवरार्णह करमेंगप्रे।
लगोकपराल भश्री हजसकप्रे डर सप्रे कराहूँपतप्रे हमैं, उसककी स्त्रश्री डरतश्री हगो, यह बडश्री हहूँसश्री ककी बरात हहै॥2॥
* अस कहह हबहहस तराहह उर लराई। चलप्रेउ सभराहूँ ममतरा अहधकराई॥
फिममंदगोदरश्री हृदयहूँ कर हचमंतरा। भयउ कमंत पर हबहध हबपरश्रीतरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ररावर नप्रे ऐसरा कहकर हहूँसकर उसप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा और ममतरा बढराकर (अहधक
स्नप्रेह दशरार्णकर) वह सभरा ममें चलरा गयरा। ममंदगोदरश्री हृदय ममें हचमंतरा करनप्रे लगश्री हक पहत पर हवधरातरा
पहतकपू ल हगो गए॥3॥
* बहैठप्रेउ सभराहूँ खबरर अहस पराई। हसमंधपु परार सप्रेनरा सब आई॥
बपूझप्रेहस सहचव उहचत मत कहहह । तप्रे सब हहूँसप्रे मष्टि करर रहहह ॥4॥
भरावरारर्ण:-ज्यर हश्री वह सभरा ममें जराकर बहैठरा, उसनप्रे ऐसश्री खबर पराई हक शत्रपु ककी सरारश्री सप्रेनरा समपुद कप्रे
उस परार आ गई हहै, उसनप्रे ममंहत्रयर सप्रे पपूछरा हक उहचत सलराह कहहए (अब क्यरा करनरा चराहहए?)।
तब वप्रे सब हहूँसप्रे और बगोलप्रे हक चपुप हकए रहहए (इसममें सलराह ककी करौन सश्री बरात हहै?)॥4॥
* हजतप्रेहह सपुररासपुर तब शम नराहहीं। नर बरानर कप्रे हह लप्रेखप्रे मराहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-आपनप्रे दप्रेवतराओमं और रराक्षसर कगो जश्रीत हलयरा, तब तगो कपु छ शम हश्री नहहीं हहआ। हफिर
मनपुष्य और वरानर हकस हगनतश्री ममें हमैं?॥5॥

ररावर कगो हवभश्रीषर करा समझरानरा और हवभश्रीषर करा अपमरान


दगोहरा :
* सहचव बहैद गपुर तश्रीहन जजौं हपय बगोलहहमं भय आस
रराज धमर्ण तन तश्रीहन कर हगोइ बप्रेहगहहीं नरास॥37॥
भरावरारर्ण:-ममंत्रश्री, वहैद्य और गपुर- यप्रे तश्रीन यहद (अपसन्नतरा कप्रे ) भय यरा (लराभ ककी) आशरा सप्रे (हहत
ककी बरात न कहकर) हपय बगोलतप्रे हमैं (ठकपु र सपुहरातश्री कहनप्रे लगतप्रे हमैं), तगो (कमशद्धाः) रराज्य, शरश्रीर
और धमर्ण- इन तश्रीन करा शश्रीघ्र हश्री नराश हगो जरातरा हहै॥37॥
चरौपराई :
* सगोइ ररावन कहह हूँ बनश्री सहराई। अस्तपुहत करहहमं सपुनराइ सपुनराई॥
अवसर जराहन हबभश्रीषनपु आवरा। ररातरा चरन सश्रीसपु तप्रेहहमं नरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ररावर कप्रे हलए भश्री वहश्री सहरायतरा (समंयगोग) आ बनश्री हहै। ममंत्रश्री उसप्रे सपुनरा-सपुनराकर (मपुहूँह
पर) स्तपुहत करतप्रे हमैं। (इसश्री समय) अवसर जरानकर हवभश्रीषरजश्री आए। उन्हरनप्रे बडप्रे भराई कप्रे चररर
ममें हसर नवरायरा॥1॥
* पपुहन हसर नराइ बहैठ हनज आसन। बगोलरा बचन पराइ अनपुसरासन॥
जरौ कमृ पराल पपूहूँहछहह मगोहह बरातरा। महत अनपुरूप कहउहूँ हहत तरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर सप्रे हसर नवराकर अपनप्रे आसन पर बहैठ गए और आजरा पराकर यप्रे वचन बगोलप्रे - हप्रे
कमृ पराल जब आपनप्रे मपुझसप्रे बरात (रराय) पपूछश्री हश्री हहै, तगो हप्रे तरात! ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार आपकप्रे
हहत ककी बरात कहतरा हह हूँ-॥2॥
* जगो आपन चराहहै कल्यरानरा। सपुजसपु सपुमहत सपुभ गहत सपुख नरानरा॥
सगो परनरारर हललरार गगोसराई।मं तजउ चउहर कप्रे चमंद हक नराई॥मं 3॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य अपनरा कल्यरार, सपुमंदर यश, सपुबपुहद, शपुभ गहत और नरानरा पकरार कप्रे सपुख
चराहतरा हगो, वह हप्रे स्वरामश्री! परस्त्रश्री कप्रे ललराट कगो चरौर कप्रे चमंदमरा ककी तरह त्यराग दप्रे (अररार्णतम जहैसप्रे
लगोग चरौर कप्रे चमंदमरा कगो नहहीं दप्रेखतप्रे, उसश्री पकरार परस्त्रश्री करा मपुख हश्री न दप्रेखप्रे)॥3॥
* चरौदह भपुवन एक पहत हगोई। भपूत दगोह हतष्टिइ नहहमं सगोई॥
गपुन सरागर नरागर नर जगोऊ। अलप लगोभ भल कहइ न कगोऊ॥4॥
भरावरारर्ण:-चरौदहर भपुवनर करा एक हश्री स्वरामश्री हगो, वह भश्री जश्रीवर सप्रे वहैर करकप्रे ठहर नहहीं सकतरा (नष्टि
हगो जरातरा हहै) जगो मनपुष्य गपुरर करा समपुद और चतपुर हगो, उसप्रे चराहप्रे रगोडरा भश्री लगोभ क्यर न हगो, तगो
भश्री कगोई भलरा नहहीं कहतरा॥4॥
दगोहरा :
* कराम कगोध मद लगोभ सब नरार नरक कप्रे पमंर।
सब पररहरर रघपुबश्रीरहह भजहह भजहहमं जप्रेहह समंत॥38॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! कराम, कगोध, मद और लगोभ- यप्रे सब नरक कप्रे ररास्तप्रे हमैं, इन सबकगो छगोडकर
शश्री ररामचमंदजश्री कगो भहजए, हजन्हमें समंत (सत्पपुरष) भजतप्रे हमैं॥38॥
चरौपराई :
* तरात रराम नहहमं नर भपूपरालरा। भपुवनप्रेस्वर करालहह कर करालरा॥
ब्रह अनरामय अज भगवमंतरा। ब्यरापक अहजत अनराहद अनमंतरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! रराम मनपुष्यर कप्रे हश्री रराजरा नहहीं हमैं। वप्रे समस्त लगोकर कप्रे स्वरामश्री और कराल कप्रे भश्री
कराल हमैं। वप्रे (समंपपूरर्ण ऐश्वयर्ण, यश, शश्री, धमर्ण, वहैरराग्य एवमं जरान कप्रे भमंडरार) भगवरानम हमैं, वप्रे हनररामय
(हवकराररहहत), अजन्मप्रे, व्यरापक, अजप्रेय, अनराहद और अनमंत ब्रह हमैं॥1॥
* गगो हदज धप्रेनपु दप्रेव हहतकरारश्री। कमृ परा हसमंधपु मरानपुष तनपुधरारश्री॥
जन रमंजन भमंजन खल ब्ररातरा। बप्रेद धमर्ण रच्छक सपुनपु ररातरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उन कमृ परा कप्रे समपुद भगवरानम नप्रे पमृथ्वश्री, ब्रराहर, गगो और दप्रेवतराओमं करा हहत करनप्रे कप्रे हलए
हश्री मनपुष्य शरश्रीर धरारर हकयरा हहै। हप्रे भराई! सपुहनए, वप्रे सप्रेवकर कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे, दष्टिपु र कप्रे समपूह
करा नराश करनप्रे वरालप्रे और वप्रेद तररा धमर्ण ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे हमैं॥ 2॥
* तराहह बयर तहज नराइअ मराररा। पनतरारहत भमंजन रघपुनराररा॥
दप्रेहह नरार पभपु कहह हूँ बहैदप्रेहश्री। भजहह रराम हबनपु हप्रेतपु सनप्रेहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-वहैर त्यरागकर उन्हमें मस्तक नवराइए। वप्रे शश्री रघपुनरारजश्री शरररागत करा दद्धाःपु ख नराश करनप्रे वरालप्रे
हमैं। हप्रे नरार! उन पभपु (सवर्देश्वर) कगो जरानककीजश्री दप्रे दश्रीहजए और हबनरा हश्री करारर स्नप्रेह करनप्रे वरालप्रे
शश्री ररामजश्री कगो भहजए॥3॥
दगोहरा :
* सरन गएहूँ पभपु तराहह न त्यरागरा। हबस्व दगोह कमृ त अघ जप्रेहह लरागरा॥
जरासपु नराम त्रय तराप नसरावन। सगोइ पभपु पगट समपुझपु हजयहूँ ररावन॥4॥
भरावरारर्ण:-हजसप्रे समंपपूरर्ण जगतम सप्रे दगोह करनप्रे करा पराप लगरा हहै, शरर जरानप्रे पर पभपु उसकरा भश्री त्यराग
नहहीं करतप्रे। हजनकरा नराम तश्रीनर तरापर करा नराश करनप्रे वरालरा हहै, वप्रे हश्री पभपु (भगवरानम) मनपुष्य रूप ममें
पकट हहए हमैं। हप्रे ररावर! हृदय ममें यह समझ लश्रीहजए॥4॥
दगोहरा :
* बरार बरार पद लरागउहूँ हबनय करउहूँ दससश्रीस।
पररहरर मरान मगोह मद भजहह कगोसलराधश्रीस॥39 क॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दशशश्रीश! ममैं बरार-बरार आपकप्रे चररर लगतरा हह हूँ और हवनतश्री करतरा हह हूँ हक मरान, मगोह
और मद कगो त्यरागकर आप कगोसलपहत शश्री ररामजश्री करा भजन ककीहजए॥39 (क)॥
* मपुहन पपुलहस्त हनज हसष्य सन कहह पठई यह बरात।
तपुरत सगो ममैं पभपु सन कहश्री पराइ सपुअवसर तरात॥39 ख॥
भरावरारर्ण:-मपुहन पपुलस्त्यजश्री नप्रे अपनप्रे हशष्य कप्रे हरार यह बरात कहलरा भप्रेजश्री हहै। हप्रे तरात! सपुमंदर अवसर
पराकर ममैंनप्रे तपुरमंत हश्री वह बरात पभपु (आप) सप्रे कह दश्री॥39 (ख)॥
चरौपराई :
* मराल्यवमंत अहत सहचव सयरानरा। तरासपु बचन सपुहन अहत सपुख मरानरा॥
तरात अनपुज तव नश्रीहत हबभपूषन। सगो उर धरहह जगो कहत हबभश्रीषन॥1॥
भरावरारर्ण:-मराल्यवरानम नराम करा एक बहह त हश्री बपुहदमरान ममंत्रश्री ररा। उसनप्रे उन (हवभश्रीषर) कप्रे वचन
सपुनकर बहह त सपुख मरानरा (और कहरा-) हप्रे तरात! आपकप्रे छगोटप्रे भराई नश्रीहत हवभपूषर (नश्रीहत कगो
भपूषर रूप ममें धरारर करनप्रे वरालप्रे अररार्णतम नश्रीहतमरानम) हमैं। हवभश्रीषर जगो कपु छ कह रहप्रे हमैं उसप्रे हृदय ममें
धरारर कर लश्रीहजए॥1॥
* ररपपु उतकरष कहत सठ दगोऊ। दरपू र न करहह इहराहूँ हइ कगोऊ॥
मराल्यवमंत गह गयउ बहगोरश्री। कहइ हबभश्रीषनपु पपुहन कर जगोरश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(ररावन नप्रे कहरा-) यप्रे दगोनर मपूखर्ण शत्रपु ककी महहमरा बखरान रहप्रे हमैं। यहराहूँ कगोई हहै? इन्हमें दरपू
करगो न! तब मराल्यवरानम तगो घर लरौट गयरा और हवभश्रीषरजश्री हरार जगोडकर हफिर कहनप्रे लगप्रे -॥2॥
* सपुमहत कपु महत सब कमें उर रहहहीं। नरार पपुररान हनगम अस कहहहीं॥
जहराहूँ सपुमहत तहहूँ समंपहत नरानरा। जहराहूँ कपु महत तहहूँ हबपहत हनदरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! पपुररार और वप्रेद ऐसरा कहतप्रे हमैं हक सपुबपुहद (अच्छश्री बपुहद) और कपु बपुहद (खगोटश्री
बपुहद) सबकप्रे हृदय ममें रहतश्री हहै, जहराहूँ सपुबहपु द हहै, वहराहूँ नरानरा पकरार ककी समंपदराएहूँ (सपुख ककी हस्रहत)
रहतश्री हमैं और जहराहूँ कपु बपुहद हहै वहराहूँ परररराम ममें हवपहर (दद्धाःपु ख) रहतश्री हहै॥3॥
* तव उर कपु महत बसश्री हबपरश्रीतरा। हहत अनहहत मरानहह ररपपु पश्रीतरा॥
करालरराहत हनहसचर कपु ल कप्रे रश्री। तप्रेहह सश्रीतरा पर पश्रीहत घनप्रेरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-आपकप्रे हृदय ममें उलटश्री बपुहद आ बसश्री हहै। इसश्री सप्रे आप हहत कगो अहहत और शत्रपु कगो हमत्र
मरान रहप्रे हमैं। जगो रराक्षस कपु ल कप्रे हलए करालरराहत्र (कप्रे समरान) हमैं, उन सश्रीतरा पर आपककी बडश्री पश्रीहत
हहै॥4॥
दगोहरा :
* तरात चरन गहह मरागउहूँ रराखहह मगोर दल पु रार।
सश्रीतरा दप्रेहह रराम कहह हूँ अहहत न हगोइ तपुम्हराररा॥40॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! ममैं चरर पकडकर आपसप्रे भश्रीख मराहूँगतरा हह हूँ (हवनतश्री करतरा हह हूँ)। हक आप मप्रेररा
दल पु रार रहखए (मपुझ बरालक कप्रे आगह कगो स्नप्रेहपपूवर्णक स्वश्रीकरार ककीहजए) शश्री ररामजश्री कगो सश्रीतराजश्री दप्रे
दश्रीहजए, हजसममें आपकरा अहहत न हगो॥40॥
चरौपराई :
* बपुध पपुररान शपुहत समंमत बरानश्री। कहश्री हबभश्रीषन नश्रीहत बखरानश्री॥
सपुनत दसरानन उठरा ररसराई। खल तगोहहमं हनकट ममृत्य पु अब आई॥1॥
भरावरारर्ण:-हवभश्रीषर नप्रे पमंहडतर, पपुररारर और वप्रेदर दराररा सम्मत (अनपुमगोहदत) वरारश्री सप्रे नश्रीहत
बखरानकर कहश्री। पर उसप्रे सपुनतप्रे हश्री ररावर कगोहधत हगोकर उठरा और बगोलरा हक रप्रे द ष्टिपु ! अब ममृत्यपु तप्रेरप्रे
हनकट आ गई हहै!॥1॥
* हजअहस सदरा सठ मगोर हजआवरा। ररपपु कर पच्छ मपूढ तगोहह भरावरा॥
कहहस न खल अस कगो जग मराहहीं। भपुज बल जराहह हजतरा ममैं नराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे मपूखर्ण! तपू जश्रीतरा तगो हहै सदरा मप्रेररा हजलरायरा हहआ (अररार्णतम मप्रेरप्रे हश्री अन्न सप्रे पल रहरा हहै),
पर हप्रे मपूढ! पक्ष तपुझप्रे शत्रपु करा हश्री अच्छरा लगतरा हहै। अरप्रे दष्टिपु ! बतरा न, जगतम ममें ऐसरा करौन हहै हजसप्रे
ममैंनप्रे अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे न जश्रीतरा हगो?॥2॥
* मम पपुर बहस तपहसन्ह पर पश्रीतश्री। सठ हमलपु जराइ हतन्हहह कहह नश्रीतश्री॥
अस कहह ककीन्हप्रेहस चरन पहराररा। अनपुज गहप्रे पद बरारहहमं बराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-मप्रेरप्रे नगर ममें रहकर पप्रेम करतरा हहै तपहस्वयर पर। मपूखर्ण ! उन्हहीं सप्रे जरा हमल और उन्हहीं कगो
नश्रीहत बतरा। ऐसरा कहकर ररावर नप्रे उन्हमें लरात मरारश्री, परमंतपु छगोटप्रे भराई हवभश्रीषर नप्रे (मरारनप्रे पर भश्री)
बरार-बरार उसकप्रे चरर हश्री पकडप्रे॥3॥
* उमरा समंत कइ इहइ बडराई। ममंद करत जगो करइ भलराई॥
तपुम्ह हपतपु सररस भलप्रेहहमं मगोहह मराररा। ररामपु भजमें हहत नरार तपुम्हराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! समंत ककी यहश्री बडराई (महहमरा) हहै हक वप्रे बपुरराई करनप्रे पर
भश्री (बपुरराई करनप्रे वरालप्रे ककी) भलराई हश्री करतप्रे हमैं। (हवभश्रीषरजश्री नप्रे कहरा-) आप मप्रेरप्रे हपतरा कप्रे समरान
हमैं, मपुझप्रे मराररा सगो तगो अच्छरा हश्री हकयरा, परमंतपु हप्रे नरार! आपकरा भलरा शश्री ररामजश्री कगो भजनप्रे ममें हश्री
हहै॥4॥
* सहचव समंग लहै नभ पर गयऊ। सबहह सपुनराइ कहत अस भयऊ॥5॥
भरावरारर्ण:-(इतनरा कहकर) हवभश्रीषर अपनप्रे ममंहत्रयर कगो सरार लप्रेकर आकराश मरागर्ण ममें गए और
सबकगो सपुनराकर वप्रे ऐसरा कहनप्रे लगप्रे-॥5॥

हवभश्रीषर करा भगवरानम शश्री ररामजश्री ककी शरर कप्रे हलए पस्ररान और शरर पराहप्त

दगोहरा :
* ररामपु सत्यसमंकल्प पभपु सभरा करालबस तगोरर।
ममैं रघपुबश्रीर सरन अब जराउहूँ दप्रेहह जहन खगोरर॥41॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री सत्य समंकल्प एवमं (सवर्णसमरर्ण) पभपु हमैं और (हप्रे ररावर) तपुम्हरारश्री सभरा कराल
कप्रे वश हहै। अतद्धाः ममैं अब शश्री रघपुवश्रीर ककी शरर जरातरा हह,हूँ मपुझप्रे दगोष न दप्रेनरा॥41॥
चरौपराई :
* अस कहह चलरा हबभश्रीषनपु जबहहीं। आयपू हश्रीन भए सब तबहहीं॥
सराधपु अवग्यरा तपुरत भवरानश्री। कर कल्यरान अहखल कहै हरानश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर हवभश्रीषरजश्री ज्यर हश्री चलप्रे, त्यर हश्री सब रराक्षस आयहपु श्रीन हगो गए। (उनककी
ममृत्यपु हनहश्चत हगो गई)। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भवरानश्री! सराधपु करा अपमरान तपुरमंत हश्री समंपपूरर्ण
कल्यरार ककी हराहन (नराश) कर दप्रेतरा हहै॥1॥
* ररावन जबहहमं हबभश्रीषन त्यरागरा। भयउ हबभव हबनपु तबहहमं अभरागरा॥
चलप्रेउ हरहष रघपुनरायक पराहहीं। करत मनगोरर बहह मन मराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-ररावर नप्रे हजस क्षर हवभश्रीषर कगो त्यरागरा, उसश्री क्षर वह अभरागरा वहैभव (ऐश्वयर्ण) सप्रे हश्रीन
हगो गयरा। हवभश्रीषरजश्री हहषर्णत हगोकर मन ममें अनप्रेकर मनगोरर करतप्रे हह ए शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास चलप्रे॥
2॥
* दप्रेहखहउहूँ जराइ चरन जलजरातरा। अरन ममृदल पु सप्रेवक सपुखदरातरा॥
जप्रे पद परहस तरश्री ररषनरारश्री। दमंडक करानन परावनकरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे सगोचतप्रे जरातप्रे रप्रे-) ममैं जराकर भगवरानम कप्रे कगोमल और लराल वरर्ण कप्रे सपुमंदर चरर
कमलर कप्रे दशर्णन करूहूँगरा, जगो सप्रेवकर कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, हजन चररर करा स्पशर्ण पराकर ऋहष
पत्नश्री अहल्यरा तर गई मं और जगो दमंडकवन कगो पहवत्र करनप्रे वरालप्रे हमैं॥3॥
* जप्रे पद जनकसपुतराहूँ उर लराए। कपट कपु रमंग समंग धर धराए॥
हर उर सर सरगोज पद जप्रेई। अहगोभराग्य ममैं दप्रेहखहउहूँ तप्रेई॥4॥
भरावरारर्ण:-हजन चररर कगो जरानककीजश्री नप्रे हृदय ममें धरारर कर रखरा हहै, जगो कपटममृग कप्रे सरार पमृथ्वश्री
पर (उसप्रे पकडनप्रे कगो) दरौडप्रे रप्रे और जगो चररकमल सराक्षरातम हशवजश्री कप्रे हृदय रूपश्री सरगोवर ममें
हवरराजतप्रे हमैं, मप्रेररा अहगोभराग्य हहै हक उन्हहीं कगो आज ममैं दप्रेखपूहूँगरा॥4॥
दगोहरा :
* हजन्ह परायन्ह कप्रे परादक पु हन्ह भरतपु रहप्रे मन लराइ।
तप्रे पद आजपु हबलगोहकहउहूँ इन्ह नयनहन्ह अब जराइ॥42॥
भरावरारर्ण:-हजन चररर ककी परादक पु राओमं ममें भरतजश्री नप्रे अपनरा मन लगरा रखरा हहै, अहरा! आज ममैं उन्हहीं
चररर कगो अभश्री जराकर इन नप्रेत्रर सप्रे दप्रेखपूहूँगरा॥42॥
चरौपराई :
* ऐहह हबहध करत सपप्रेम हबचराररा। आयउ सपहद हसमंद पु एहहमं पराररा॥
कहपन्ह हबभश्रीषनपु आवत दप्रेखरा। जरानरा कगोउ ररपपु दतपू हबसप्रेषरा॥1॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार पप्रेमसहहत हवचरार करतप्रे हह ए वप्रे शश्रीघ्र हश्री समपुद कप्रे इस परार (हजधर शश्री
ररामचमंदजश्री ककी सप्रेनरा रश्री) आ गए। वरानरर नप्रे हवभश्रीषर कगो आतप्रे दप्रेखरा तगो उन्हरनप्रे जरानरा हक शत्रपु करा
कगोई खरास दतपू हहै॥1॥
* तराहह रराहख कपश्रीस पहहमं आए। समराचरार सब तराहह सपुनराए॥
कह सपुगश्रीव सपुनहह रघपुरराई। आवरा हमलन दसरानन भराई॥2॥
भरावरारर्ण:-उन्हमें (पहरप्रे पर) ठहरराकर वप्रे सपुगश्रीव कप्रे परास आए और उनकगो सब समराचरार कह सपुनराए।
सपुगश्रीव नप्रे (शश्री ररामजश्री कप्रे परास जराकर) कहरा- हप्रे रघपुनरारजश्री! सपुहनए, ररावर करा भराई (आप सप्रे)
हमलनप्रे आयरा हहै॥2॥
* कह पभपु सखरा बपूहझए कराहरा। कहइ कपश्रीस सपुनहह नरनराहरा॥
जराहन न जराइ हनसराचर मरायरा। करामरूप कप्रे हह करारन आयरा॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा- हप्रे हमत्र! तपुम क्यरा समझतप्रे हगो (तपुम्हरारश्री क्यरा रराय हहै)?
वरानररराज सपुगश्रीव नप्रे कहरा- हप्रे महरारराज! सपुहनए, रराक्षसर ककी मरायरा जरानश्री नहहीं जरातश्री। यह
इच्छरानपुसरार रूप बदलनप्रे वरालरा (छलश्री) न जरानप्रे हकस करारर आयरा हहै॥3॥
* भप्रेद हमरार लप्रेन सठ आवरा। रराहखअ बराहूँहध मगोहह अस भरावरा॥
सखरा नश्रीहत तपुम्ह नश्रीहक हबचरारश्री। मम पन सरनरागत भयहरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-(जरान पडतरा हहै) यह मपूखर्ण हमराररा भप्रेद लप्रेनप्रे आयरा हहै, इसहलए मपुझप्रे तगो यहश्री अच्छरा लगतरा
हहै हक इसप्रे बराधहूँ रखरा जराए। (शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे हमत्र! तपुमनप्रे नश्रीहत तगो अच्छश्री हवचरारश्री, परमंतपु
मप्रेररा पर तगो हहै शरररागत कप्रे भय कगो हर लप्रेनरा!॥4॥
* सपुहन पभपु बचन हरष हनपुमरानरा। सरनरागत बच्छल भगवरानरा॥5॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे वचन सपुनकर हनपुमरानमजश्री हहषर्णत हह ए (और मन हश्री मन कहनप्रे लगप्रे हक) भगवरानम
कहै सप्रे शरररागतवत्सल (शरर ममें आए हह ए पर हपतरा ककी भराहूँहत पप्रेम करनप्रे वरालप्रे) हमैं॥5॥
दगोहरा :
* सरनरागत कहह हूँ जप्रे तजहहमं हनज अनहहत अनपुमराहन।
तप्रे नर परावहूँर परापमय हतन्हहह हबलगोकत हराहन॥43॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री हफिर बगोलप्रे-) जगो मनपुष्य अपनप्रे अहहत करा अनपुमरान करकप्रे शरर ममें आए हह ए
करा त्यराग कर दप्रेतप्रे हमैं, वप्रे परामर (क्षपुद) हमैं, परापमय हमैं, उन्हमें दप्रेखनप्रे ममें भश्री हराहन हहै (पराप लगतरा
हहै)॥43॥
चरौपराई :
* कगोहट हबप बध लरागहहमं जराहह। आएहूँ सरन तजउहूँ नहहमं तराहह॥
सनमपुख हगोइ जश्रीव मगोहह जबहहीं। जन्म कगोहट अघ नरासहहमं तबहहीं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-हजसप्रे करगोडर ब्रराहरर ककी हत्यरा लगश्री हगो, शरर ममें आनप्रे पर ममैं उसप्रे भश्री नहहीं त्यरागतरा।
जश्रीव ज्यर हश्री मप्रेरप्रे सम्मपुख हगोतरा हहै, त्यर हश्री उसकप्रे करगोडर जन्मर कप्रे पराप नष्टि हगो जरातप्रे हमैं॥1॥
* परापवमंत कर सहज सपुभराऊ। भजनपु मगोर तप्रेहह भराव न कराऊ॥
जजौं पहै दष्टिपु हृदय सगोइ हगोई। मगोरमें सनमपुख आव हक सगोई॥2॥
भरावरारर्ण:-परापश्री करा यह सहज स्वभराव हगोतरा हहै हक मप्रेररा भजन उसप्रे कभश्री नहहीं सपुहरातरा। यहद वह
(ररावर करा भराई) हनश्चय हश्री दष्टिपु हृदय करा हगोतरा तगो क्यरा वह मप्रेरप्रे सम्मपुख आ सकतरा ररा?॥2॥
* हनमर्णल मन जन सगो मगोहह परावरा। मगोहह कपट छल हछद न भरावरा॥
भप्रेद लप्रेन पठवरा दससश्रीसरा। तबहह हूँ न कछपु भय हराहन कपश्रीसरा॥3॥
भरावरारर्ण:-जगो मनपुष्य हनमर्णल मन करा हगोतरा हहै, वहश्री मपुझप्रे परातरा हहै। मपुझप्रे कपट और छल-हछद नहहीं
सपुहरातप्रे। यहद उसप्रे ररावर नप्रे भप्रेद लप्रेनप्रे कगो भप्रेजरा हहै, तब भश्री हप्रे सपुगश्रीव! अपनप्रे कगो कपु छ भश्री भय यरा
हराहन नहहीं हहै॥3॥
* जग महह हूँ सखरा हनसराचर जप्रेतप्रे। लहछमनपु हनइ हनहमष महह हूँ तप्रेतप्रे॥
जजौं सभश्रीत आवरा सरनराई।मं रहखहउहूँ तराहह परान ककी नराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:-क्यरहक हप्रे सखप्रे! जगत ममें हजतनप्रे भश्री रराक्षस हमैं, लक्ष्मर क्षरभर ममें उन सबकगो मरार
सकतप्रे हमैं और यहद वह भयभश्रीत हगोकर मप्रेरश्री शरर आयरा हहै तगो ममैं तगो उसप्रे परारर ककी तरह रखपूहूँगरा॥
4॥
दगोहरा :
* उभय भराहूँहत तप्रेहह आनहह हहूँहस कह कमृ पराहनकप्रे त।
जय कमृ पराल कहह कहप चलप्रे अमंगद हनपू समप्रेत॥44॥
भरावरारर्ण:-कमृ परा कप्रे धराम शश्री ररामजश्री नप्रे हहूँसकर कहरा- दगोनर हश्री हस्रहतयर ममें उसप्रे लप्रे आओ। तब
अमंगद और हनपुमरानम सहहत सपुगश्रीवजश्री 'कपरालपु शश्री ररामजश्री ककी जय हगो' कहतप्रे हहए चलप्रे॥4॥
चरौपराई :
* सरादर तप्रेहह आगमें करर बरानर। चलप्रे जहराहूँ रघपुपहत करनराकर॥
दरपू रहह तप्रे दप्रेखप्रे दरौ ररातरा। नयनरानमंद दरान कप्रे दरातरा॥1॥
भरावरारर्ण:-हवभश्रीषरजश्री कगो आदर सहहत आगप्रे करकप्रे वरानर हफिर वहराहूँ चलप्रे, जहराहूँ करररा ककी खरान
शश्री रघपुनरारजश्री रप्रे। नप्रेत्रर कगो आनमंद करा दरान दप्रेनप्रे वरालप्रे (अत्यमंत सपुखद) दगोनर भराइयर कगो
हवभश्रीषरजश्री नप्रे दरपू हश्री सप्रे दप्रेखरा॥1॥
* बहह रर रराम छहबधराम हबलगोककी। रहप्रेउ ठटपु हक एकटक पल रगोककी॥
भपुज पलमंब कमंजरारन लगोचन। स्यरामल गरात पनत भय मगोचन॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर शगोभरा कप्रे धराम शश्री ररामजश्री कगो दप्रेखकर वप्रे पलक (मरारनरा) रगोककर हठठककर
(स्तब्ध हगोकर) एकटक दप्रेखतप्रे हश्री रह गए। भगवरानम ककी हवशराल भपुजराएहूँ हमैं लराल कमल कप्रे समरान
नप्रेत्र हमैं और शरररागत कप्रे भय करा नराश करनप्रे वरालरा सरावहूँ लरा शरश्रीर हहै॥2॥
* सघ कमंध आयत उर सगोहरा। आनन अहमत मदन मन मगोहरा॥
नयन नश्रीर पपुलहकत अहत गरातरा। मन धरर धश्रीर कहश्री ममृद पु बरातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हसमंह कप्रे सप्रे कमंधप्रे हमैं, हवशराल वक्षद्धाःस्रल (चरौडश्री छरातश्री) अत्यमंत शगोभरा दप्रे रहरा हहै। असमंख्य
करामदप्रेवर कप्रे मन कगो मगोहहत करनप्रे वरालरा मपुख हहै। भगवरानम कप्रे स्वरूप कगो दप्रेखकर हवभश्रीषरजश्री कप्रे
नप्रेत्रर ममें (पप्रेमराशपुओमं करा) जल भर आयरा और शरश्रीर अत्यमंत पपुलहकत हगो गयरा। हफिर मन ममें धश्रीरज
धरकर उन्हरनप्रे कगोमल वचन कहप्रे॥3॥
* नरार दसरानन कर ममैं ररातरा। हनहसचर बमंस जनम सपुरत्ररातरा॥
सहज परापहपय तरामस दप्रेहरा। जररा उलपूकहह तम पर नप्रेहरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! ममैं दशमपुख ररावर करा भराई हह हूँ। हप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे रक्षक! मप्रेररा जन्म रराक्षस कपु ल ममें
हह आ हहै। मप्रेररा तरामसश्री शरश्रीर हहै, स्वभराव सप्रे हश्री मपुझप्रे पराप हपय हमैं, जहैसप्रे उल्लह कगो अमंधकरार पर सहज
स्नप्रेह हगोतरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* शवन सपुजसपु सपुहन आयउहूँ पभपु भमंजन भव भश्रीर।
त्रराहह त्रराहह आरहत हरन सरन सपुखद रघपुबश्रीर॥45॥
भरावरारर्ण:-ममैं करानर सप्रे आपकरा सपुयश सपुनकर आयरा हह हूँ हक पभपु भव (जन्म-मरर) कप्रे भय करा नराश
करनप्रे वरालप्रे हमैं। हप्रे दहपु खयर कप्रे दद्धाःपु ख दरपू करनप्रे वरालप्रे और शरररागत कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे शश्री रघपुवश्रीर !
मप्रेरश्री रक्षरा ककीहजए, रक्षरा ककीहजए॥45॥
चरौपराई :
* अस कहह करत दमंडवत दप्रेखरा। तपुरत उठप्रे पभपु हरष हबसप्रेषरा॥
दश्रीन बचन सपुहन पभपु मन भरावरा। भपुज हबसराल गहह हृदयहूँ लगरावरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-पभपु नप्रे उन्हमें ऐसरा कहकर दमंडवतम करतप्रे दप्रेखरा तगो वप्रे अत्यमंत हहषर्णत हगोकर तपुरमंत उठप्रे।
हवभश्रीषरजश्री कप्रे दश्रीन वचन सपुननप्रे पर पभपु कप्रे मन कगो बहह त हश्री भराए। उन्हरनप्रे अपनश्री हवशराल भपुजराओमं
सप्रे पकडकर उनकगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥1॥
* अनपुज सहहत हमहल हढग बहैठरारश्री। बगोलप्रे बचन भगत भय हरारश्री॥
कहह लमंकप्रेस सहहत पररवराररा। कपु सल कपु ठराहर बरास तपुम्हराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-छगोटप्रे भराई लक्ष्मरजश्री सहहत गलप्रे हमलकर उनकगो अपनप्रे परास बहैठराकर शश्री ररामजश्री भक्तर कप्रे
भय कगो हरनप्रे वरालप्रे वचन बगोलप्रे- हप्रे लमंकप्रेश! पररवरार सहहत अपनश्री कपु शल कहगो। तपुम्हराररा हनवरास
बपुरश्री जगह पर हहै॥2॥
* खल ममंडलश्री बसहह हदनपु ररातश्री। सखरा धरम हनबहइ कप्रे हह भराहूँतश्री॥
ममैं जरानउहूँ तपुम्हरारर सब रश्रीतश्री। अहत नय हनपपुन न भराव अनश्रीतश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हदन-ररात दष्टिपु र ककी ममंडलश्री ममें बसतप्रे हगो। (ऐसश्री दशरा ममें) हप्रे सखप्रे! तपुम्हराररा धमर्ण हकस
पकरार हनभतरा हहै? ममैं तपुम्हरारश्री सब रश्रीहत (आचरार-व्यवहरार) जरानतरा हह हूँ। तपुम अत्यमंत नश्रीहतहनपपुर
हगो, तपुम्हमें अनश्रीहत नहहीं सपुहरातश्री॥3॥
* बर भल बरास नरक कर तरातरा। दष्टिपु समंग जहन दप्रेइ हबधरातरा॥
अब पद दप्रेहख कपु सल रघपुररायरा। जजौं तपुम्ह ककीहन्ह जराहन जन दरायरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! नरक ममें रहनरा वरनम अच्छरा हहै, परमंतपु हवधरातरा दष्टिपु करा समंग (कभश्री) न दप्रे।
(हवभश्रीषरजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे रघपुनरारजश्री! अब आपकप्रे चररर करा दशर्णन कर कपु शल सप्रे हह,हूँ जगो आपनप्रे
अपनरा सप्रेवक जरानकर मपुझ पर दयरा ककी हहै॥4॥
दगोहरा :
* तब लहग कपु सल न जश्रीव कहह हूँ सपनप्रेहहहूँ मन हबशराम।
जब लहग भजत न रराम कहह हूँ सगोक धराम तहज कराम॥46॥
भरावरारर्ण:-तब तक जश्रीव ककी कपु शल नहहीं और न स्वप्न ममें भश्री उसकप्रे मन कगो शरामंहत हहै, जब तक वह
शगोक कप्रे घर कराम (हवषय-करामनरा) कगो छगोडकर शश्री ररामजश्री कगो नहहीं भजतरा॥46॥
चरौपराई :
* तब लहग हृदयहूँ बसत खल नरानरा। लगोभ मगोह मच्छर मद मरानरा॥
जब लहग उर न बसत रघपुनराररा। धरमें चराप सरायक कहट भराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-लगोभ, मगोह, मत्सर (डराह), मद और मरान आहद अनप्रेकर दष्टिपु तभश्री तक हृदय ममें बसतप्रे
हमैं, जब तक हक धनपुष-बरार और कमर ममें तरकस धरारर हकए हह ए शश्री रघपुनरारजश्री हृदय ममें नहहीं
बसतप्रे॥1॥
* ममतरा तरन तमश्री अहूँहधआरश्री। रराग दप्रेष उलपूक सपुखकरारश्री॥
तब लहग बसहत जश्रीव मन मराहहीं। जब लहग पभपु पतराप रहब नराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ममतरा पपूरर्ण अहूँधप्रेरश्री ररात हहै, जगो रराग-दप्रेष रूपश्री उल्लहओमं कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री हहै। वह (ममतरा
रूपश्री रराहत्र) तभश्री तक जश्रीव कप्रे मन ममें बसतश्री हहै, जब तक पभपु (आप) करा पतराप रूपश्री सपूयर्ण उदय
नहहीं हगोतरा॥2॥
* अब ममैं कपु सल हमटप्रे भय भरारप्रे। दप्रेहख रराम पद कमल तपुम्हरारप्रे॥
तपुम्ह कमृ पराल जरा पर अनपुकपूलरा। तराहह न ब्यराप हत्रहबध भव सपूलरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे शश्री ररामजश्री! आपकप्रे चरररारहवन्द कप्रे दशर्णन कर अब ममैं कपु शल सप्रे हह,हूँ मप्रेरप्रे भरारश्री भय
हमट गए। हप्रे कमृ परालपु! आप हजस पर अनपुकपूल हगोतप्रे हमैं, उसप्रे तश्रीनर पकरार कप्रे भवशपूल
(आध्यराहत्मक, आहधदहैहवक और आहधभरौहतक तराप) नहहीं व्यरापतप्रे॥3॥
* ममैं हनहसचर अहत अधम सपुभराऊ। सपुभ आचरनपु ककीन्ह नहहमं कराऊ॥
जरासपु रूप मपुहन ध्यरान न आवरा। तप्रेहहमं पभपु हरहष हृदयहूँ मगोहह लरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-ममैं अत्यमंत नश्रीच स्वभराव करा रराक्षस हह हूँ। ममैंनप्रे कभश्री शपुभ आचरर नहहीं हकयरा। हजनकरा रूप
मपुहनयर कप्रे भश्री ध्यरान ममें नहहीं आतरा, उन पभपु नप्रे स्वयमं हहषर्णत हगोकर मपुझप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥ 4॥
दगोहरा :
* अहगोभराग्य मम अहमत अहत रराम कमृ परा सपुख पपुमंज।
दप्रेखप्रेउहूँ नयन हबरमंहच हसव सप्रेब्य जपुगल पद कमंज॥47॥
भरावरारर्ण:-हप्रे कमृ परा और सपुख कप्रे पपुमंज शश्री ररामजश्री! मप्रेररा अत्यमंत असश्रीम सरौभराग्य हहै, जगो ममैंनप्रे ब्रहरा
और हशवजश्री कप्रे दराररा सप्रेहवत यगपु ल चरर कमलर कगो अपनप्रे नप्रेत्रर सप्रे दप्रेखरा॥47॥
चरौपराई :
* सपुनहह सखरा हनज कहउहूँ सपुभराऊ। जरान भपुसपुमंहड समंभपु हगररजराऊ॥
जजौं नर हगोइ चरराचर दगोहश्री। आवहै सभय सरन तहक मगोहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे सखरा! सपुनगो, ममैं तपुम्हमें अपनरा स्वभराव कहतरा हह हूँ, हजसप्रे
कराकभपुशपुहण्ड, हशवजश्री और परावर्णतश्रीजश्री भश्री जरानतश्री हमैं। कगोई मनपुष्य (समंपपूरर्ण) जड-चप्रेतन जगतम करा
दगोहश्री हगो, यहद वह भश्री भयभश्रीत हगोकर मप्रेरश्री शरर तक कर आ जराए ,॥1॥
* तहज मद मगोह कपट छल नरानरा। करउहूँ सद्य तप्रेहह सराधपु समरानरा॥
जननश्री जनक बमंधपु सपुत दराररा। तनपु धनपु भवन सपुहृद पररवराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-और मद, मगोह तररा नरानरा पकरार कप्रे छल-कपट त्यराग दप्रे तगो ममैं उसप्रे बहह त शश्रीघ्र सराधपु कप्रे
समरान कर दप्रेतरा हह हूँ। मरातरा, हपतरा, भराई, पपुत्र, स्त्रश्री, शरश्रीर, धन, घर, हमत्र और पररवरार॥2॥
* सब कहै ममतरा तराग बटगोरश्री। मम पद मनहह बराधहूँ बरर डगोरश्री॥
समदरसश्री इच्छरा कछपु नराहहीं। हरष सगोक भय नहहमं मन मराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-इन सबकप्रे ममत्व रूपश्री तरागर कगो बटगोरकर और उन सबककी एक डगोरश्री बनराकर उसकप्रे
दराररा जगो अपनप्रे मन कगो मप्रेरप्रे चररर ममें बराहूँध दप्रेतरा हहै। (सरारप्रे सरामंसराररक समंबमंधर करा कमें द मपुझप्रे बनरा लप्रेतरा
हहै), जगो समदशर हहै, हजसप्रे कपु छ इच्छरा नहहीं हहै और हजसकप्रे मन ममें हषर्ण, शगोक और भय नहहीं हहै॥
3॥
* अस सजन मम उर बस कहै समें। लगोभश्री हृदयहूँ बसइ धनपु जहैसमें॥
तपुम्ह सराररखप्रे समंत हपय मगोरमें। धरउहूँ दप्रेह नहहमं आन हनहगोरमें॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा सजन मप्रेरप्रे हृदय ममें कहै सप्रे बसतरा हहै, जहैसप्रे लगोभश्री कप्रे हृदय ममें धन बसरा करतरा हहै। तपुम
सरश्रीखप्रे समंत हश्री मपुझप्रे हपय हमैं। ममैं और हकसश्री कप्रे हनहगोरप्रे सप्रे (कमृ तजतरावश) दप्रेह धरारर नहहीं करतरा॥
4॥
दगोहरा :
* सगपुन उपरासक परहहत हनरत नश्रीहत दृढ नप्रेम।
तप्रे नर परान समरान मम हजन्ह कमें हदज पद पप्रेम॥48॥
भरावरारर्ण:-जगो सगपुर (सराकरार) भगवरानम कप्रे उपरासक हमैं, दस पू रप्रे कप्रे हहत ममें लगप्रे रहतप्रे हमैं, नश्रीहत और
हनयमर ममें दृढ हमैं और हजन्हमें ब्रराहरर कप्रे चररर ममें पप्रेम हहै, वप्रे मनपुष्य मप्रेरप्रे परारर कप्रे समरान हमैं॥48॥
चरौपराई :
* सपुनपु लमंकप्रेस सकल गपुन तगोरमें। तरातमें तपुम्ह अहतसय हपय मगोरमें॥।
रराम बचन सपुहन बरानर जपूररा। सकल कहहहमं जय कमृ परा बरूररा॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे लमंकरापहत! सपुनगो, तपुम्हरारप्रे अमंदर उपयर्णक्त
पु सब गपुर हमैं। इससप्रे तपुम मपुझप्रे अत्यमंत हश्री हपय
हगो। शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सपुनकर सब वरानरर कप्रे समपूह कहनप्रे लगप्रे- कमृ परा कप्रे समपूह शश्री ररामजश्री ककी
जय हगो॥1॥
* सपुनत हबभश्रीषनपु पभपु कहै बरानश्री। नहहमं अघरात शवनराममृत जरानश्री॥
पद अमंबपुज गहह बरारहहमं बराररा। हृदयहूँ समरात न पप्रेमपु अपराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-पभपु ककी वरारश्री सपुनतप्रे हमैं और उसप्रे करानर कप्रे हलए अममृत जरानकर हवभश्रीषरजश्री अघरातप्रे नहहीं
हमैं। वप्रे बरार-बरार शश्री ररामजश्री कप्रे चरर कमलर कगो पकडतप्रे हमैं अपरार पप्रेम हहै, हृदय ममें समरातरा नहहीं हहै॥
2॥
* सपुनहह दप्रेव सचरराचर स्वरामश्री। पनतपराल उर अमंतरजरामश्री॥
उर कछपु परम बरासनरा रहश्री। पभपु पद पश्रीहत सररत सगो बहश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(हवभश्रीषरजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे दप्रेव! हप्रे चरराचर जगतम कप्रे स्वरामश्री! हप्रे शरररागत कप्रे रक्षक! हप्रे
सबकप्रे हृदय कप्रे भश्रीतर ककी जराननप्रे वरालप्रे! सपुहनए, मप्रेरप्रे हृदय ममें पहलप्रे कपु छ वरासनरा रश्री। वह पभपु कप्रे
चररर ककी पश्रीहत रूपश्री नदश्री ममें बह गई॥3॥
* अब कमृ पराल हनज भगहत परावनश्री। दप्रेहह सदरा हसव मन भरावनश्री॥
एवमस्तपु कहह पभपु रनधश्रीररा। मरागरा तपुरत हसमंधपु कर नश्रीररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अब तगो हप्रे कमृ परालपु! हशवजश्री कप्रे मन कगो सदहैव हपय लगनप्रे वरालश्री अपनश्री पहवत्र भहक्त मपुझप्रे
दश्रीहजए। 'एवमस्तपु' (ऐसरा हश्री हगो) कहकर ररधश्रीर पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे तपुरमंत हश्री समपुद करा जल
मराहूँगरा॥4॥
* जदहप सखरा तव इच्छरा नहहीं। मगोर दरसपु अमगोघ जग मराहहीं॥
अस कहह रराम हतलक तप्रेहह सराररा। सपुमन बमृहष्टि नभ भई अपराररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) हप्रे सखरा! यद्यहप तपुम्हरारश्री इच्छरा नहहीं हहै, पर जगतम ममें मप्रेररा दशर्णन अमगोघ हहै
(वह हनष्फिल नहहीं जरातरा)। ऐसरा कहकर शश्री ररामजश्री नप्रे उनकगो रराजहतलक कर हदयरा। आकराश सप्रे
पपुष्पर ककी अपरार वमृहष्टि हहई॥5॥
दगोहरा :
* ररावन कगोध अनल हनज स्वरास समश्रीर पचमंड।
जरत हबभश्रीषनपु रराखप्रेउ दश्रीन्हप्रेउ रराजपु अखमंड॥49 क॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री नप्रे ररावर ककी कगोध रूपश्री अहग्नि ममें, जगो अपनश्री (हवभश्रीषर ककी) श्वरास (वचन)
रूपश्री पवन सप्रे पचमंड हगो रहश्री रश्री, जलतप्रे हहए हवभश्रीषर कगो बचरा हलयरा और उसप्रे अखमंड रराज्य हदयरा॥
49 (क)॥
* जगो समंपहत हसव ररावनहह दश्रीहन्ह हदएहूँ दस मरार।
सगोइ समंपदरा हबभश्रीषनहह सकपु हच दश्रीहन्ह रघपुनरार॥49 ख॥
भरावरारर्ण:-हशवजश्री नप्रे जगो समंपहर ररावर कगो दसर हसरर ककी बहल दप्रेनप्रे पर दश्री रश्री , वहश्री समंपहर शश्री
रघपुनरारजश्री नप्रे हवभश्रीषर कगो बहह त सकपु चतप्रे हह ए दश्री॥49 (ख)॥
चरौपराई :
* अस पभपु छराहड भजहहमं जप्रे आनरा। तप्रे नर पसपु हबनपु पपूहूँछ हबषरानरा॥
हनज जन जराहन तराहह अपनरावरा। पभपु सपुभराव कहप कपु ल मन भरावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ऐसप्रे परम कमृ परालपु पभपु कगो छगोडकर जगो मनपुष्य दस पू रप्रे कगो भजतप्रे हमैं, वप्रे हबनरा सहींग-पपूहूँछ कप्रे
पशपु हमैं। अपनरा सप्रेवक जरानकर हवभश्रीषर कगो शश्री ररामजश्री नप्रे अपनरा हलयरा। पभपु करा स्वभराव वरानरकपु ल
कप्रे मन कगो (बहह त) भरायरा॥1॥
* पपुहन सबर्णग्य सबर्ण उर बरासश्री। सबर्णरूप सब रहहत उदरासश्री॥
बगोलप्रे बचन नश्रीहत पहतपरालक। करारन मनपुज दनपुज कपु ल घरालक॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर सब कपु छ जराननप्रे वरालप्रे, सबकप्रे हृदय ममें बसनप्रे वरालप्रे, सवर्णरूप (सब रूपर ममें पकट),
सबसप्रे रहहत, उदरासश्रीन, करारर सप्रे (भक्तर पर कमृ परा करनप्रे कप्रे हलए) मनपुष्य बनप्रे हह ए तररा रराक्षसर कप्रे
कपु ल करा नराश करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री नश्रीहत ककी रक्षरा करनप्रे वरालप्रे वचन बगोलप्रे -॥2॥

समपुद परार करनप्रे कप्रे हलए हवचरार, ररावरदतपू शपुक करा आनरा और लक्ष्मरजश्री कप्रे पत्र कगो लप्रेकर
लरौटनरा

* सपुनपु कपश्रीस लमंकरापहत बश्रीररा। कप्रे हह हबहध तररअ जलहध गमंभश्रीररा॥


समंकपुल मकर उरग झष जरातश्री। अहत अगराध दस्पु तर सब भराहूँहत॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे वश्रीर वरानररराज सपुगश्रीव और लमंकरापहत हवभश्रीषर! सपुनगो, इस गहरप्रे समपुद कगो हकस
पकरार परार हकयरा जराए? अनप्रेक जराहत कप्रे मगर, सरापहूँ और मछहलयर सप्रे भररा हहआ यह अत्यमंत
अरराह समपुद परार करनप्रे ममें सब पकरार सप्रे कहठन हहै॥3॥
* कह लमंकप्रेस सपुनहह रघपुनरायक। कगोहट हसमंधपु सगोषक तव सरायक॥
जद्यहप तदहप नश्रीहत अहस गराई। हबनय कररअ सरागर सन जराई॥4॥
भरावरारर्ण:-हवभश्रीषरजश्री नप्रे कहरा- हप्रे रघपुनरारजश्री! सपुहनए, यद्यहप आपकरा एक बरार हश्री करगोडर समपुदर
कगो सगोखनप्रे वरालरा हहै (सगोख सकतरा हहै), तरराहप नश्रीहत ऐसश्री कहश्री गई हहै (उहचत यह हगोगरा) हक
(पहलप्रे) जराकर समपुद सप्रे परारर्णनरा ककी जराए॥4॥
दगोहरा :
* पभपु तपुम्हरार कपु लगपुर जलहध कहहहह उपराय हबचरारर॥
हबनपु पयरास सरागर तररहह सकल भरालपु कहप धरारर॥50॥
भरावरारर्ण:-हप्रे पभपु! समपुद आपकप्रे कपु ल ममें बडप्रे (पपूवर्णज) हमैं, वप्रे हवचरारकर उपराय बतलरा दमेंगप्रे। तब रश्रीछ
और वरानरर ककी सरारश्री सप्रेनरा हबनरा हश्री पररशम कप्रे समपुद कप्रे परार उतर जराएगश्री॥50॥
चरौपराई :
* सखरा कहश्री तपुम्ह नश्रीहत उपराई। कररअ दहैव जजौं हगोइ सहराई।
ममंत्र न यह लहछमन मन भरावरा। रराम बचन सपुहन अहत दख पु परावरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे सखरा! तपुमनप्रे अच्छरा उपराय बतरायरा। यहश्री हकयरा जराए, यहद
दहैव सहरायक हर। यह सलराह लक्ष्मरजश्री कप्रे मन कगो अच्छश्री नहहीं लगश्री। शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सपुनकर
तगो उन्हरनप्रे बहह त हश्री दद्धाःपु ख परायरा॥1॥
* नरार दहैव कर कवन भरगोसरा। सगोहषअ हसमंधपु कररअ मन रगोसरा॥
करादर मन कहह हूँ एक अधराररा। दहैव दहैव आलसश्री पपुकराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-(लक्ष्मरजश्री नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! दहैव करा करौन भरगोसरा! मन ममें कगोध ककीहजए (लप्रे
आइए) और समपुद कगो सपुखरा डराहलए। यह दहैव तगो करायर कप्रे मन करा एक आधरार (तसल्लश्री दप्रेनप्रे करा
उपराय) हहै। आलसश्री लगोग हश्री दहैव-दहैव पपुकराररा करतप्रे हमैं॥2॥
* सपुनत हबहहस बगोलप्रे रघपुबश्रीररा। ऐसप्रेहहमं करब धरहह मन धश्रीररा॥
अस कहह पभपु अनपुजहह समपुझराई। हसमंधपु समश्रीप गए रघपुरराई॥3॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर शश्री रघपुवश्रीर हहूँसकर बगोलप्रे- ऐसप्रे हश्री करमेंगप्रे, मन ममें धश्रीरज रखगो। ऐसरा कहकर
छगोटप्रे भराई कगो समझराकर पभपु शश्री रघपुनरारजश्री समपुद कप्रे समश्रीप गए॥3॥
* परम पनराम ककीन्ह हसर नराई। बहैठप्रे पपुहन तट दभर्ण डसराई॥
जबहहमं हबभश्रीषन पभपु पहहमं आए। पराछमें ररावन दतपू पठराए॥4॥
भरावरारर्ण:-उन्हरनप्रे पहलप्रे हसर नवराकर परराम हकयरा। हफिर हकनरारप्रे पर कपु श हबछराकर बहैठ गए। इधर
ज्यर हश्री हवभश्रीषरजश्री पभपु कप्रे परास आए रप्रे, त्यर हश्री ररावर नप्रे उनकप्रे पश्रीछप्रे दतपू भप्रेजप्रे रप्रे॥51॥
दगोहरा :
* सकल चररत हतन्ह दप्रेखप्रे धरमें कपट कहप दप्रेह।
पभपु गपुन हृदयहूँ सरराहहहमं सरनरागत पर नप्रेह॥51॥
भरावरारर्ण:-कपट सप्रे वरानर करा शरश्रीर धरारर कर उन्हरनप्रे सब लश्रीलराएहूँ दप्रेखहीं। वप्रे अपनप्रे हृदय ममें पभपु कप्रे
गपुरर ककी और शरररागत पर उनकप्रे स्नप्रेह ककी सरराहनरा करनप्रे लगप्रे॥51॥
चरौपराई :
* पगट बखरानहहमं रराम सपुभराऊ। अहत सपप्रेम गरा हबसरर दरपु राऊ॥
ररपपु कप्रे दतपू कहपन्ह तब जरानप्रे। सकल बराहूँहध कपश्रीस पहहमं आनप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-हफिर वप्रे पकट रूप ममें भश्री अत्यमंत पप्रेम कप्रे सरार शश्री ररामजश्री कप्रे स्वभराव ककी बडराई करनप्रे लगप्रे
उन्हमें दरपु राव (कपट वप्रेश) भपूल गयरा। सब वरानरर नप्रे जरानरा हक यप्रे शत्रपु कप्रे दतपू हमैं और वप्रे उन सबकगो
बराहूँधकर सपुगश्रीव कप्रे परास लप्रे आए॥1॥
* कह सपुगश्रीव सपुनहह सब बरानर। अमंग भमंग करर पठवहह हनहसचर॥
सपुहन सपुगश्रीव बचन कहप धराए। बराहूँहध कटक चहह परास हफिरराए॥2॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव नप्रे कहरा- सब वरानरर! सपुनगो, रराक्षसर कप्रे अमंग-भमंग करकप्रे भप्रेज दगो। सपुगश्रीव कप्रे वचन
सपुनकर वरानर दरौडप्रे। दतपू र कगो बराहूँधकर उन्हरनप्रे सप्रेनरा कप्रे चरारर ओर घपुमरायरा॥2॥
* बहह पकरार मरारन कहप लरागप्रे। दश्रीन पपुकरारत तदहप न त्यरागप्रे॥
जगो हमरार हर नरासरा करानरा। तप्रेहह कगोसलराधश्रीस कहै आनरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वरानर उन्हमें बहह त तरह सप्रे मरारनप्रे लगप्रे। वप्रे दश्रीन हगोकर पपुकरारतप्रे रप्रे, हफिर भश्री वरानरर नप्रे उन्हमें
नहहीं छगोडरा। (तब दतपू र नप्रे पपुकरारकर कहरा-) जगो हमरारप्रे नराक-करान कराटप्रेगरा, उसप्रे कगोसलराधश्रीश शश्री
ररामजश्री ककी सरौगमंध हहै॥ 3॥
* सपुहन लहछमन सब हनकट बगोलराए। दयरा लराहग हहूँहस तपुरत छगोडराए॥
ररावन कर दश्रीजहह यह परातश्री। लहछमन बचन बराचपु कपु लघरातश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-यह सपुनकर लक्ष्मरजश्री नप्रे सबकगो हनकट बपुलरायरा। उन्हमें बडश्री दयरा लगश्री , इससप्रे हहूँसकर
उन्हरनप्रे रराक्षसर कगो तपुरमंत हश्री छपु डरा हदयरा। (और उनसप्रे कहरा-) ररावर कप्रे हरार ममें यह हचटश्री दप्रेनरा
(और कहनरा-) हप्रे कपु लघरातक! लक्ष्मर कप्रे शब्दर (समंदप्रेसप्रे) कगो बराहूँचगो॥4॥
दगोहरा :
* कहप्रेहह मपुखरागर मपूढ सन मम समंदप्रेसपु उदरार।
सश्रीतरा दप्रेइ हमलहह न त आवरा करालपु तपुम्हरार॥52॥
भरावरारर्ण:-हफिर उस मपूखर्ण सप्रे जबरानश्री यह मप्रेररा उदरार (कमृ परा सप्रे भररा हहआ) समंदप्रेश कहनरा हक सश्रीतराजश्री
कगो दप्रेकर उनसप्रे (शश्री ररामजश्री सप्रे) हमलगो, नहहीं तगो तपुम्हराररा कराल आ गयरा (समझगो)॥52॥
चरौपराई :
* तपुरत नराइ लहछमन पद मराररा। चलप्रे दतपू बरनत गपुन गराररा॥
कहत रराम जसपु लमंकराहूँ आए। ररावन चरन सश्रीस हतन्ह नराए॥1॥
भरावरारर्ण:-लक्ष्मरजश्री कप्रे चररर ममें मस्तक नवराकर, शश्री ररामजश्री कप्रे गपुरर ककी कररा वरर्णन करतप्रे हहए
दतपू तपुरमंत हश्री चल हदए। शश्री ररामजश्री करा यश कहतप्रे हहए वप्रे लमंकरा ममें आए और उन्हरनप्रे ररावर कप्रे चररर
ममें हसर नवराए॥1॥
* हबहहस दसरानन पपूहूँछश्री बरातरा। कहहस न सपुक आपहन कपु सलरातरा॥
पपुन कहह खबरर हबभश्रीषन कप्रे रश्री। जराहह ममृत्यपु आई अहत नप्रेरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-दशमपुख ररावर नप्रे हहूँसकर बरात पपूछश्री- अरप्रे शपुक! अपनश्री कपु शल क्यर नहहीं कहतरा? हफिर
उस हवभश्रीषर करा समराचरार सपुनरा, ममृत्यपु हजसकप्रे अत्यमंत हनकट आ गई हहै॥2॥
* करत रराज लमंकरा सठ त्यरागश्री। हगोइहह जव कर ककीट अभरागश्री॥
पपुहन कहह भरालपु ककीस कटकराई। कहठन कराल पप्रेररत चहल आई॥3॥
भरावरारर्ण:-मपूखर्ण नप्रे रराज्य करतप्रे हह ए लमंकरा कगो त्यराग हदयरा। अभरागरा अब जरौ करा ककीडरा (घपुन) बनप्रेगरा
(जरौ कप्रे सरार जहैसप्रे घपुन भश्री हपस जरातरा हहै, वहैसप्रे हश्री नर वरानरर कप्रे सरार वह भश्री मराररा जराएगरा), हफिर
भरालपु और वरानरर ककी सप्रेनरा करा हराल कह, जगो कहठन कराल ककी पप्रेरररा सप्रे यहराहूँ चलश्री आई हहै॥3॥
* हजन्ह कप्रे जश्रीवन कर रखवराररा। भयउ ममृदल पु हचत हसमंधपु हबचराररा॥
कहह तपहसन्ह कहै बरात बहगोरश्री। हजन्ह कप्रे हृदयहूँ त्ररास अहत मगोरश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-और हजनकप्रे जश्रीवन करा रक्षक कगोमल हचर वरालरा बप्रेचराररा समपुद बन गयरा हहै (अररार्णतम)
उनकप्रे और रराक्षसर कप्रे बश्रीच ममें यहद समपुद न हगोतरा तगो अब तक रराक्षस उन्हमें मरारकर खरा गए हगोतप्रे।
हफिर उन तपहस्वयर ककी बरात बतरा, हजनकप्रे हृदय ममें मप्रेररा बडरा डर हहै॥4॥

दतपू करा ररावर कगो समझरानरा और लक्ष्मरजश्री करा पत्र दप्रेनरा

दगोहरा :
* ककी भइ भमेंट हक हफिरर गए शवन सपुजसपु सपुहन मगोर।
कहहस न ररपपु दल तप्रेज बल बहह त चहकत हचत तगोर ॥53॥
भरावरारर्ण:-उनसप्रे तप्रेरश्री भमेंट हह ई यरा वप्रे करानर सप्रे मप्रेररा सपुयश सपुनकर हश्री लरौट गए? शत्रपु सप्रेनरा करा तप्रेज
और बल बतरातरा क्यर नहहीं? तप्रेररा हचर बहह त हश्री चहकत (भजौंचक्करा सरा) हगो रहरा हहै॥53॥
चरौपराई :
* नरार कमृ परा करर पपूहूँछहप्रे ह जहैसमें। मरानहह कहरा कगोध तहज तहैसमें॥
हमलरा जराइ जब अनपुज तपुम्हराररा। जरातहहमं रराम हतलक तप्रेहह सराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-(दतपू नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! आपनप्रे जहैसप्रे कमृ परा करकप्रे पपूछरा हहै, वहैसप्रे हश्री कगोध छगोडकर मप्रेररा
कहनरा मराहनए (मप्रेरश्री बरात पर हवश्वरास ककीहजए)। जब आपकरा छगोटरा भराई शश्री ररामजश्री सप्रे जराकर
हमलरा, तब उसकप्रे पहह हूँचतप्रे हश्री शश्री ररामजश्री नप्रे उसकगो रराजहतलक कर हदयरा॥ 1॥
दगोहरा :
* ररावन दतपू हमहह सपुहन करानरा। कहपन्ह बराहूँहध दश्रीन्हमें दख पु नरानरा॥
शवन नराहसकरा कराटमैं लरागप्रे। रराम सपर दश्रीन्हमें हम त्यरागप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हम ररावर कप्रे दतपू हमैं, यह करानर सप्रे सपुनकर वरानरर नप्रे हममें बराहूँधकर बहह त कष्टि हदए, यहराहूँ
तक हक वप्रे हमरारप्रे नराक-करान कराटनप्रे लगप्रे। शश्री ररामजश्री ककी शपर हदलरानप्रे पर कहहीं उन्हरनप्रे हमकगो
छगोडरा॥2॥
* पपूहहूँ छहह नरार रराम कटकराई। बदन कगोहट सत बरहन न जराई॥
नरानरा बरन भरालपु कहप धरारश्री। हबकटरानन हबसराल भयकरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपनप्रे शश्री ररामजश्री ककी सप्रेनरा पपूछश्री, सगो वह तगो सरौ करगोड मपुखर सप्रे भश्री वरर्णन नहहीं
ककी जरा सकतश्री। अनप्रेकर रमंगर कप्रे भरालपु और वरानरर ककी सप्रेनरा हहै, जगो भयमंकर मपुख वरालप्रे, हवशराल
शरश्रीर वरालप्रे और भयरानक हमैं॥3॥
* जप्रेहहमं पपुर दहप्रेउ हतप्रेउ सपुत तगोररा। सकल कहपन्ह महहूँ तप्रेहह बलपु रगोररा॥
अहमत नराम भट कहठन कररालरा। अहमत नराग बल हबपपुल हबसरालरा॥4॥
भरावरारर्ण:-हजसनप्रे नगर कगो जलरायरा और आपकप्रे पपुत्र अक्षय कपु मरार कगो मराररा, उसकरा बल तगो सब
वरानरर ममें रगोडरा हहै। असमंख्य नरामर वरालप्रे बडप्रे हश्री कठगोर और भयमंकर यगोदरा हमैं। उनममें असमंख्य हराहरयर
करा बल हहै और वप्रे बडप्रे हश्री हवशराल हमैं॥4॥
दगोहरा :
* हदहबद मयमंद नश्रील नल अमंगद गद हबकटराहस।
दहधमपुख कप्रे हरर हनसठ सठ जरामवमंत बलरराहस॥54॥
भरावरारर्ण:-हदहवद, मयमंद, नश्रील, नल, अमंगद, गद, हवकटरास्य, दहधमपुख, कप्रे सरश्री, हनशठ, शठ
और जराम्बवरानम यप्रे सभश्री बल ककी रराहश हमैं॥54॥
चरौपराई :
* ए कहप सब सपुगश्रीव समरानरा। इन्ह सम कगोहटन्ह गनइ कगो नरानरा॥
रराम कमृ पराहूँ अतपुहलत बल हतन्हहहीं। तमृन समरान त्रहैलगोकहह गनहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:-यप्रे सब वरानर बल ममें सपुगश्रीव कप्रे समरान हमैं और इनकप्रे जहैसप्रे (एक-दगो नहहीं) करगोडर हमैं, उन
बहह त सगो कगो हगन हश्री करौन सकतरा हहै। शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे उनममें अतपुलनश्रीय बल हहै। वप्रे तश्रीनर
लगोकर कगो तमृर कप्रे समरान (तपुच्छ) समझतप्रे हमैं॥1॥
* अस ममैं सपुनरा शवन दसकमंधर। पदमपु अठरारह जपूरप बमंदर॥
नरार कटक महहूँ सगो कहप नराहहीं। जगो न तपुम्हहह जश्रीतहै रन मराहहीं॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे दशगश्रीव! ममैंनप्रे करानर सप्रे ऐसरा सपुनरा हहै हक अठरारह पद तगो अकप्रे लप्रे वरानरर कप्रे सप्रेनरापहत हमैं।
हप्रे नरार! उस सप्रेनरा ममें ऐसरा कगोई वरानर नहहीं हहै, जगो आपकगो रर ममें न जश्रीत सकप्रे ॥2॥
* परम कगोध मश्रीजहहमं सब हराररा। आयसपु पहै न दप्रेहहमं रघपुनराररा॥
सगोषहहमं हसमंधपु सहहत झष ब्यरालरा। पपूरहहमं न त भरर कपु धर हबसरालरा॥3॥
भरावरारर्ण:-सब कप्रे सब अत्यमंत कगोध सप्रे हरार मश्रीजतप्रे हमैं। पर शश्री रघपुनरारजश्री उन्हमें आजरा नहहीं दप्रेतप्रे। हम
मछहलयर और सराहूँपर सहहत समपुद कगो सगोख लमेंगप्रे। नहहीं तगो बडप्रे -बडप्रे पवर्णतर सप्रे उसप्रे भरकर पपूर
(पराट) दमेंगप्रे॥3॥
* महदर्ण गदर्ण हमलवहहमं दससश्रीसरा। ऐसप्रेइ बचन कहहहमं सब ककीसरा॥
गजर्णहहमं तजर्णहहमं सहज असमंकरा। मरानहह हूँ गसन चहत हहहमं लमंकरा॥4॥
भरावरारर्ण:-और ररावर कगो मसलकर धपूल ममें हमलरा दमेंगप्रे। सब वरानर ऐसप्रे हश्री वचन कह रहप्रे हमैं। सब
सहज हश्री हनडर हमैं, इस पकरार गरजतप्रे और डपटतप्रे हमैं मरानगो लमंकरा कगो हनगल हश्री जरानरा चराहतप्रे हमैं॥
4॥
दगोहरा :
* सहज सपूर कहप भरालपु सब पपुहन हसर पर पभपु रराम।
ररावन कराल कगोहट कहह हूँ जश्रीहत सकहहमं समंगराम॥55॥
भरावरारर्ण:-सब वरानर-भरालपू सहज हश्री शपूरवश्रीर हमैं हफिर उनकप्रे हसर पर पभपु (सवर्देश्वर) शश्री ररामजश्री हमैं।
हप्रे ररावर! वप्रे समंगराम ममें करगोडर करालर कगो जश्रीत सकतप्रे हमैं॥55॥
चरौपराई :
* रराम तप्रेज बल बपुहध हबपपुलराई। सप्रेष सहस सत सकहहमं न गराई॥
सक सर एक सगोहष सत सरागर। तव ररातहह पपूछ हूँ प्रेउ नय नरागर॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे तप्रेज (सरामथ्यर्ण), बल और बपुहद ककी अहधकतरा कगो लराखर शप्रेष भश्री नहहीं
गरा सकतप्रे। वप्रे एक हश्री बरार सप्रे सहैकडर समपुदर कगो सगोख सकतप्रे हमैं, परमंतपु नश्रीहत हनपपुर शश्री ररामजश्री नप्रे
(नश्रीहत ककी रक्षरा कप्रे हलए) आपकप्रे भराई सप्रे उपराय पपूछरा॥1॥
* तरासपु बचन सपुहन सरागर पराहहीं। मरागत पमंर कमृ परा मन मराहहीं॥
सपुनत बचन हबहसरा दससश्रीसरा। जजौं अहस महत सहराय कमृ त ककीसरा॥2॥
भरावरारर्ण:-उनकप्रे (आपकप्रे भराई कप्रे ) वचन सपुनकर वप्रे (शश्री ररामजश्री) समपुद सप्रे रराह मराहूँग रहप्रे हमैं, उनकप्रे
मन ममें कमृ परा भश्री हहै (इसहलए वप्रे उसप्रे सगोखतप्रे नहहीं)। दतपू कप्रे यप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री ररावर खपूब हहूँसरा
(और बगोलरा-) जब ऐसश्री बपुहद हहै, तभश्री तगो वरानरर कगो सहरायक बनरायरा हहै!॥2॥
* सहज भश्रीर कर बचन दृढराई। सरागर सन ठरानश्री मचलराई॥
मपूढ ममृषरा करा करहस बडराई। ररपपु बल बपुहद रराह ममैं पराई॥3॥
भरावरारर्ण:-स्वराभराहवक हश्री डरपगोक हवभश्रीषर कप्रे वचन कगो पमरार करकप्रे उन्हरनप्रे समपुद सप्रे मचलनरा
(बरालहठ) ठरानरा हहै। अरप्रे मपूखर्ण! झपूठश्री बडराई क्यरा करतरा हहै? बस, ममैंनप्रे शत्रपु (रराम) कप्रे बल और
बपुहद ककी रराह परा लश्री॥3॥
* सहचव सभश्रीत हबभश्रीषन जराकमें। हबजय हबभपूहत कहराहूँ जग तराकमें॥
सपुहन खल बचन दतपू ररस बराढश्री। समय हबचरारर पहत्रकरा कराढश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-सपुहन खल बचन दतपू ररस बराढश्री। समय हबचरारर पहत्रकरा कराढश्री॥4॥
* ररामरानपुज दश्रीन्हहीं यह परातश्री। नरार बचराइ जपुडरावहह छरातश्री॥
हबहहस बराम कर लश्रीन्हहीं ररावन। सहचव बगोहल सठ लराग बचरावन॥5॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) शश्री ररामजश्री कप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर नप्रे यह पहत्रकरा दश्री हहै। हप्रे नरार! इसप्रे
बचवराकर छरातश्री ठमंडश्री ककीहजए। ररावर नप्रे हहूँसकर उसप्रे बराएहूँ हरार सप्रे हलयरा और ममंत्रश्री कगो बपुलवराकर वह
मपूखर्ण उसप्रे बहूँचरानप्रे लगरा॥5॥
दगोहरा :
* बरातन्ह मनहह ररझराइ सठ जहन घरालहस कपु ल खश्रीस।
रराम हबरगोध न उबरहस सरन हबष्नपु अज ईस॥56 क॥
भरावरारर्ण:-(पहत्रकरा ममें हलखरा ररा-) अरप्रे मपूखर्ण! कप्रे वल बरातर सप्रे हश्री मन कगो ररझराकर अपनप्रे कपु ल कगो
नष्टि-रष्टि न कर। शश्री ररामजश्री सप्रे हवरगोध करकप्रे तपू हवष्रपु, ब्रहरा और महप्रेश ककी शरर जरानप्रे पर भश्री नहहीं
बचप्रेगरा॥56 (क)॥
* ककी तहज मरान अनपुज इव पभपु पद पमंकज भमृमंग।
हगोहह हक रराम सररानल खल कपु ल सहहत पतमंग॥56 ख॥
भरावरारर्ण:-यरा तगो अहभमरान छगोडकर अपनप्रे छगोटप्रे भराई हवभश्रीषर ककी भराहूँहत पभपु कप्रे चरर कमलर करा
रमर बन जरा। अरवरा रप्रे दष्टिपु ! शश्री ररामजश्री कप्रे बरार रूपश्री अहग्नि ममें पररवरार सहहत पहतमंगरा हगो जरा
(दगोनर ममें सप्रे जगो अच्छरा लगप्रे सगो कर)॥56 (ख)॥
चरौपराई :
* सपुनत सभय मन मपुख मपुसपुकराई। कहत दसरानन सबहह सपुनराई॥
भपूहम पररा कर गहत अकरासरा। लघपु तरापस कर बराग हबलरासरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-पहत्रकरा सपुनतप्रे हश्री ररावर मन ममें भयभश्रीत हगो गयरा, परमंतपु मपुख सप्रे (ऊपर सप्रे) मपुस्कपु ररातरा
हह आ वह सबकगो सपुनराकर कहनप्रे लगरा- जहैसप्रे कगोई पमृथ्वश्री पर पडरा हह आ हरार सप्रे आकराश कगो पकडनप्रे
ककी चप्रेष्टिरा करतरा हगो, वहैसप्रे हश्री यह छगोटरा तपस्वश्री (लक्ष्मर) वराहग्वलरास करतरा हहै (डहींग हराक हूँ तरा हहै)॥
1॥
* कह सपुक नरार सत्य सब बरानश्री। समपुझहह छराहड पकमृ हत अहभमरानश्री॥
सपुनहह बचन मम पररहरर कगोधरा। नरार रराम सन तजहह हबरगोधरा॥2॥
भरावरारर्ण:-शपुक (दतपू ) नप्रे कहरा- हप्रे नरार! अहभमरानश्री स्वभराव कगो छगोडकर (इस पत्र ममें हलखश्री) सब
बरातर कगो सत्य समहझए। कगोध छगोडकर मप्रेररा वचन सपुहनए। हप्रे नरार ! शश्री ररामजश्री सप्रे वहैर त्यराग
दश्रीहजए॥2॥
* अहत कगोमल रघपुबश्रीर सपुभराऊ। जद्यहप अहखल लगोक कर रराऊ॥
हमलत कमृ परा तपुम्ह पर पभपु कररहश्री। उर अपरराध न एकउ धररहश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप शश्री रघपुवश्रीर समस्त लगोकर कप्रे स्वरामश्री हमैं, पर उनकरा स्वभराव अत्यमंत हश्री कगोमल हहै।
हमलतप्रे हश्री पभपु आप पर कमृ परा करमेंगप्रे और आपकरा एक भश्री अपरराध वप्रे हृदय ममें नहहीं रखमेंगप्रे॥3॥
* जनकसपुतरा रघपुनरारहह दश्रीजप्रे। एतनरा कहरा मगोर पभपु ककीजप्रे॥
जब तप्रेहहमं कहरा दप्रेन बहैदप्रेहश्री। चरन पहरार ककीन्ह सठ तप्रेहश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-जरानककीजश्री शश्री रघपुनरारजश्री कगो दप्रे दश्रीहजए। हप्रे पभपु! इतनरा कहनरा मप्रेररा ककीहजए। जब उस
(दतपू ) नप्रे जरानककीजश्री कगो दप्रेनप्रे कप्रे हलए कहरा, तब दष्टिपु ररावर नप्रे उसकगो लरात मरारश्री॥4॥
* नराइ चरन हसर चलरा सगो तहराहूँ। कमृ पराहसमंधपु रघपुनरायक जहराहूँ॥
करर पनरामपु हनज कररा सपुनराई। रराम कमृ पराहूँ आपहन गहत पराई॥5॥
भरावरारर्ण:-वह भश्री (हवभश्रीषर ककी भराहूँहत) चररर ममें हसर नवराकर वहहीं चलरा, जहराहूँ कमृ परासरागर शश्री
रघपुनरारजश्री रप्रे। परराम करकप्रे उसनप्रे अपनश्री कररा सपुनराई और शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे अपनश्री गहत
(मपुहन करा स्वरूप) पराई॥5॥
* ररहष अगहस्त ककीमं सराप भवरानश्री। रराछस भयउ रहरा मपुहन ग्यरानश्री॥
बमंहद रराम पद बरारहहमं बराररा। मपुहन हनज आशम कहह हूँ पगपु धराररा॥6॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भवरानश्री! वह जरानश्री मपुहन ररा, अगस्त्य ऋहष कप्रे शराप सप्रे रराक्षस
हगो गयरा ररा। बरार-बरार शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे वह मपुहन अपनप्रे आशम कगो चलरा गयरा॥
6॥

समपुद पर शश्री ररामजश्री करा कगोध और समपुद ककी हवनतश्री , शश्री रराम गपुरगरान ककी महहमरा

दगोहरा :
* हबनय न मरानत जलहध जड गए तश्रीहन हदन बश्रीहत।
बगोलप्रे रराम सकगोप तब भय हबनपु हगोइ न पश्रीहत॥57॥
भरावरारर्ण:-इधर तश्रीन हदन बश्रीत गए, हकमंतपु जड समपुद हवनय नहहीं मरानतरा। तब शश्री ररामजश्री कगोध
सहहत बगोलप्रे- हबनरा भय कप्रे पश्रीहत नहहीं हगोतश्री!॥57॥
चरौपराई :
* लहछमन बरान सररासन आनपू। सगोषजौं बराररहध हबहसख कमृ सरानपु॥
सठ सन हबनय कपु हटल सन पश्रीहत। सहज कमृ पन सन सपुदमं र नश्रीहत॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे लक्ष्मर! धनपुष-बरार लराओ, ममैं अहग्निबरार सप्रे समपुद कगो सगोख डरालपूहूँ। मपूखर्ण सप्रे हवनय,
कपु हटल कप्रे सरार पश्रीहत, स्वराभराहवक हश्री कमंजपूस सप्रे सपुदमं र नश्रीहत (उदरारतरा करा उपदप्रेश),॥1॥
* ममतरा रत सन ग्यरान कहरानश्री। अहत लगोभश्री सन हबरहत बखरानश्री॥
कगोहधहह सम कराहमहह हररकररा। ऊसर बश्रीज बएहूँ फिल जररा॥2॥
भरावरारर्ण:-ममतरा ममें फिहूँसप्रे हहए मनपुष्य सप्रे जरान ककी कररा, अत्यमंत लगोभश्री सप्रे वहैरराग्य करा वरर्णन, कगोधश्री
सप्रे शम (शरामंहत) ककी बरात और करामश्री सप्रे भगवरानम ककी कररा, इनकरा वहैसरा हश्री फिल हगोतरा हहै जहैसरा
ऊसर ममें बश्रीज बगोनप्रे सप्रे हगोतरा हहै (अररार्णतम ऊसर ममें बश्रीज बगोनप्रे ककी भराहूँहत यह सब व्यरर्ण जरातरा हहै)॥
2॥
* अस कहह रघपुपहत चराप चढरावरा। यह मत लहछमन कप्रे मन भरावरा॥
समंधरानप्रेउ पभपु हबहसख कररालरा। उठश्री उदहध उर अमंतर ज्वरालरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे धनपुष चढरायरा। यह मत लक्ष्मरजश्री कप्रे मन कगो बहह त अच्छरा
लगरा। पभपु नप्रे भयरानक (अहग्नि) बरार समंधरान हकयरा, हजससप्रे समपुद कप्रे हृदय कप्रे अमंदर अहग्नि ककी
ज्वरालरा उठश्री॥3॥
* मकर उरग झष गन अकपु लरानप्रे। जरत जमंतपु जलहनहध जब जरानप्रे॥
कनक ररार भरर महन गन नरानरा। हबप रूप आयउ तहज मरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-मगर, सरापहूँ तररा मछहलयर कप्रे समपूह व्यराकपुल हगो गए। जब समपुद नप्रे जश्रीवर कगो जलतप्रे
जरानरा, तब सगोनप्रे कप्रे रराल ममें अनप्रेक महरयर (रत्नर) कगो भरकर अहभमरान छगोडकर वह ब्रराहर कप्रे
रूप ममें आयरा॥4॥
दगोहरा :
* कराटहप्रे हमं पइ कदरश्री फिरइ कगोहट जतन कगोउ सहींच।
हबनय न मरान खगप्रेस सपुनपु डराटप्रेहहमं पइ नव नश्रीच॥58॥
भरावरारर्ण:-(कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे गरडजश्री! सपुहनए, चराहप्रे कगोई करगोडर उपराय करकप्रे
सहींचप्रे, पर कप्रे लरा तगो कराटनप्रे पर हश्री फिलतरा हहै। नश्रीच हवनय सप्रे नहहीं मरानतरा, वह डराहूँटनप्रे पर हश्री
झपुकतरा हहै (ररास्तप्रे पर आतरा हहै)॥58॥
* सभय हसमंधपु गहह पद पभपु कप्रे रप्रे। छमहह नरार सब अवगपुन मप्रेरप्रे॥।
गगन समश्रीर अनल जल धरनश्री। इन्ह कइ नरार सहज जड करनश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-समपुद नप्रे भयभश्रीत हगोकर पभपु कप्रे चरर पकडकर कहरा- हप्रे नरार! मप्रेरप्रे सब अवगपुर (दगोष)
क्षमरा ककीहजए। हप्रे नरार! आकराश, वराय,पु अहग्नि, जल और पमृथ्वश्री- इन सबककी करनश्री स्वभराव सप्रे हश्री
जड हहै॥1॥
* तव पप्रेररत मरायराहूँ उपजराए। समृहष्टि हप्रेतपु सब गमंरहन गराए॥
पभपु आयसपु जप्रेहह कहहूँ जस अहई। सगो तप्रेहह भराहूँहत रहमें सपुख लहई॥2॥
भरावरारर्ण:-आपककी पप्रेरररा सप्रे मरायरा नप्रे इन्हमें समृहष्टि कप्रे हलए उत्पन्न हकयरा हहै, सब गमंरर नप्रे यहश्री गरायरा हहै।
हजसकप्रे हलए स्वरामश्री ककी जहैसश्री आजरा हहै, वह उसश्री पकरार सप्रे रहनप्रे ममें सपुख परातरा हहै॥2॥
* पभपु भल ककीन्ह मगोहह हसख दश्रीन्हहीं। मरजरादरा पपुहन तपुम्हरश्री ककीन्हहीं॥
ढगोल गवराहूँर सपूद पसपु नरारश्री। सकल तराडनरा कप्रे अहधकरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:-पभपु नप्रे अच्छरा हकयरा जगो मपुझप्रे हशक्षरा (दमंड) दश्री, हकमंतपु मयरार्णदरा (जश्रीवर करा स्वभराव) भश्री
आपककी हश्री बनराई हह ई हहै। ढगोल, गहूँवरार, शपूद, पशपु और स्त्रश्री- यप्रे सब हशक्षरा कप्रे अहधकरारश्री हमैं॥3॥
* पभपु पतराप ममैं जराब सपुखराई। उतररहह कटकपु न मगोरर बडराई॥
पभपु अग्यरा अपप्रेल शपुहत गराई। करजौं सगो बप्रेहग जगो तपुम्हहह सगोहराई॥4॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे पतराप सप्रे ममैं सपूख जराऊहूँगरा और सप्रेनरा परार उतर जराएगश्री , इसममें मप्रेरश्री बडराई नहहीं हहै
(मप्रेरश्री मयरार्णदरा नहहीं रहप्रेगश्री)। तरराहप पभपु ककी आजरा अपप्रेल हहै (अररार्णतम आपककी आजरा करा उल्लमंघन
नहहीं हगो सकतरा) ऐसरा वप्रेद गरातप्रे हमैं। अब आपकगो जगो अच्छरा लगप्रे, ममैं तपुरमंत वहश्री करूहूँ॥4॥
दगोहरा :
*सपुनत हबनश्रीत बचन अहत कह कमृ पराल मपुसपुकराइ।
जप्रेहह हबहध उतरहै कहप कटकपु तरात सगो कहहह उपराइ॥59॥
भरावरारर्ण:-समपुद कप्रे अत्यमंत हवनश्रीत वचन सपुनकर कमृ परालपु शश्री ररामजश्री नप्रे मपुस्कपु रराकर कहरा- हप्रे तरात!
हजस पकरार वरानरर ककी सप्रेनरा परार उतर जराए , वह उपराय बतराओ॥59॥
चरौपराई :
* नरार नश्रील नल कहप दरौ भराई। लररकराई मं ररहष आहसष पराई॥
हतन्ह कमें परस हकएहूँ हगरर भरारप्रे। तररहहहमं जलहध पतराप तपुम्हरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:-(समपुद नप्रे कहरा)) हप्रे नरार! नश्रील और नल दगो वरानर भराई हमैं। उन्हरनप्रे लडकपन ममें ऋहष
सप्रे आशश्रीवरादर्ण परायरा ररा। उनकप्रे स्पशर्ण कर लप्रेनप्रे सप्रे हश्री भरारश्री-भरारश्री पहराड भश्री आपकप्रे पतराप सप्रे समपुद
पर तहैर जराएहूँगप्रे॥1॥
* ममैं पपुहन उर धरर पभपु पभपुतराई। कररहउहूँ बल अनपुमरान सहराई॥
एहह हबहध नरार पयगोहध बहूँधराइअ। जप्रेहहमं यह सपुजसपु लगोक हतहह हूँ गराइअ॥2॥
भरावरारर्ण:-ममैं भश्री पभपु ककी पभपुतरा कगो हृदय ममें धरारर कर अपनप्रे बल कप्रे अनपुसरार (जहराहूँ तक मपुझसप्रे
बन पडप्रेगरा) सहरायतरा करूहूँगरा। हप्रे नरार! इस पकरार समपुद कगो बहूँधराइए, हजससप्रे तश्रीनर लगोकर ममें
आपकरा सपुदमं र यश गरायरा जराए॥2॥
* एहह सर मम उरर तट बरासश्री। हतहह नरार खल नर अघ ररासश्री॥
सपुहन कमृ पराल सरागर मन पश्रीररा। तपुरतहहमं हरश्री रराम रनधश्रीररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-इस बरार सप्रे मप्रेरप्रे उरर तट पर रहनप्रे वरालप्रे पराप कप्रे रराहश दष्टिपु मनपुष्यर करा वध ककीहजए।
कमृ परालपु और ररधश्रीर शश्री ररामजश्री नप्रे समपुद कप्रे मन ककी पश्रीडरा सपुनकर उसप्रे तपुरमंत हश्री हर हलयरा (अररार्णतम
बरार सप्रे उन दष्टिपु र करा वध कर हदयरा)॥3॥
* दप्रेहख रराम बल परौरष भरारश्री। हरहष पयगोहनहध भयउ सपुखरारश्री॥
सकल चररत कहह पभपुहह सपुनरावरा। चरन बमंहद परारगोहध हसधरावरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री करा भरारश्री बल और परौरष दप्रेखकर समपुद हहषर्णत हगोकर सपुखश्री हगो गयरा। उसनप्रे
उन दष्टिपु र करा सराररा चररत्र पभपु कगो कह सपुनरायरा। हफिर चररर ककी वमंदनरा करकप्रे समपुद चलरा गयरा॥4॥
छमंद :
* हनज भवन गवनप्रेउ हसमंधपु शश्रीरघपुपहतहह यह मत भरायऊ।
यह चररत कहल मल हर जररामहत दरास तपुलसश्री गरायऊ॥
सपुख भवन समंसय समन दवन हबषराद रघपुपहत गपुन गनरा।
तहज सकल आस भरगोस गरावहह सपुनहह समंतत सठ मनरा॥
भरावरारर्ण:-समपुद अपनप्रे घर चलरा गयरा, शश्री रघपुनरारजश्री कगो यह मत (उसककी सलराह) अच्छरा लगरा।
यह चररत्र कहलयगपु कप्रे परापर कगो हरनप्रे वरालरा हहै, इसप्रे तपुलसश्रीदरास नप्रे अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार गरायरा
हहै। शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे गपुर समपूह सपुख कप्रे धराम, समंदप्रेह करा नराश करनप्रे वरालप्रे और हवषराद करा दमन
करनप्रे वरालप्रे हमैं। अरप्रे मपूखर्ण मन! तपू समंसरार करा सब आशरा-भरगोसरा त्यरागकर हनरमंतर इन्हमें गरा और सपुन।
दगोहरा :
* सकल सपुममंगल दरायक रघपुनरायक गपुन गरान।
सरादर सपुनहहमं तप्रे तरहहमं भव हसमंधपु हबनरा जलजरान॥60॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री करा गपुरगरान समंपपूरर्ण सपुमंदर ममंगलर करा दप्रेनप्रे वरालरा हहै। जगो इसप्रे आदर सहहत
सपुनमेंगप्रे, वप्रे हबनरा हकसश्री जहराज (अन्य सराधन) कप्रे हश्री भवसरागर कगो तर जराएहूँगप्रे॥60॥

मरासपराररायर, चरौबश्रीसवराहूँ हवशराम


इहत शश्रीमदरामचररतमरानसप्रे सकलकहलकलपुषहवध्वमंसनप्रे पमंचमद्धाः सगोपरानद्धाः समराप्तद्धाः।
कहलयगपु कप्रे समस्त परापर करा नराश करनप्रे वरालप्रे शश्री ररामचररत मरानस करा यह पराहूँचवराहूँ सगोपरान समराप्त
हह आ।
(सपुदमं रकराण्ड समराप्त)
शश्रीररामचररतमरानस
लमंकराकराण्ड
षष सगोपरान- ममंगलराचरर
श्लगोक :
* रराममं करामराररसप्रेव्यमं भवभयहररमं करालमरप्रेभहसमंहमं
यगोगश्रीन्दमं जरानगम्यमं गपुरहनहधमहजतमं हनगपुर्णरमं हनहवर्णकरारमम।
मरायरातश्रीतमं सपुरप्रेशमं खलवधहनरतमं ब्रहवमृन्दहैकदप्रेवमं
वन्दप्रे कन्दरावदरातमं सरहसजनयनमं दप्रेवमपुवरशरूपमम॥1॥
भरावरारर्ण:- करामदप्रेव कप्रे शत्रपु हशवजश्री कप्रे सप्रेव्य, भव (जन्म-ममृत्य)पु कप्रे भय कगो हरनप्रे वरालप्रे, कराल
रूपश्री मतवरालप्रे हरारश्री कप्रे हलए हसमंह कप्रे समरान, यगोहगयर कप्रे स्वरामश्री (यगोगश्रीश्वर), जरान कप्रे दराररा जराननप्रे
यगोग्य, गपुरर ककी हनहध, अजप्रेय, हनगपुर्णर, हनहवर्णकरार, मरायरा सप्रे परप्रे, दप्रेवतराओमं कप्रे स्वरामश्री, दष्टिपु र कप्रे
वध ममें तत्पर, ब्रराहरवमृन्द कप्रे एकमरात्र दप्रेवतरा (रक्षक), जल वरालप्रे मप्रेघ कप्रे समरान सपुदमं र श्यराम,
कमल कप्रे सप्रे नप्रेत्र वरालप्रे, पमृथ्वश्रीपहत (रराजरा) कप्रे रूप ममें परमदप्रेव शश्री ररामजश्री ककी ममैं वमंदनरा करतरा हह॥हूँ
1॥
* शमंखप्रेन्दराभमतश्रीवसपुन्दरतनपुमं शरादर्णल पू चमरार्णम्बरमं
करालव्यरालकररालभपूषरधरमं गमंगराशशरामंकहपयमम।
कराशश्रीशमं कहलकल्मषरौघशमनमं कल्यरारकल्पदपुममं
नरौमश्रीडमं हगररजरापहतमं गपुरहनहधमं कन्दपर्णहमं शमंकरमम॥2॥
भरावरारर्ण:- शमंख और चमंदमरा ककी सश्री करामंहत कप्रे अत्यमंत सपुमंदर शरश्रीर वरालप्रे, व्यराघ्रचमर्ण कप्रे वस्त्र वरालप्रे,
कराल कप्रे समरान (अरवरा करालप्रे रमंग कप्रे ) भयरानक सपर्मों करा भपूषर धरारर करनप्रे वरालप्रे, गमंगरा और
चमंदमरा कप्रे पप्रेमश्री, कराशश्रीपहत, कहलयगपु कप्रे पराप समपूह करा नराश करनप्रे वरालप्रे, कल्यरार कप्रे कल्पवमृक्ष,
गपुरर कप्रे हनधरान और करामदप्रेव कगो भस्म करनप्रे वरालप्रे, परावर्णतश्री पहत वन्दनश्रीय शश्री शमंकरजश्री कगो ममैं
नमस्करार करतरा हह हूँ॥2॥
यगो ददराहत सतरामं शम्भपुद्धाः कहै वल्यमहप दल पु र्णभमम।
खलरानरामं दण्डकमृ द्यगोऽसरौ शमंकरद्धाः शमं तनगोतपु मप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- जगो सतम पपुरषर कगो अत्यमंत दल पु र्णभ कहै वल्यमपुहक्त तक दप्रे डरालतप्रे हमैं और जगो दष्टिपु र कगो दण्ड
दप्रेनप्रे वरालप्रे हमैं, वप्रे कल्यरारकरारश्री शश्री शम्भपु मप्रेरप्रे कल्यरार करा हवस्तरार करमें॥ 3॥
दगोहरा :
* लव हनमप्रेष परमरानपु जपुग बरष कलप सर चमंड।
भजहस न मन तप्रेहह रराम कगो करालपु जरासपु कगोदमंड॥
भरावरारर्ण:- लव, हनमप्रेष, परमरार,पु वषर्ण, यगपु और कल्प हजनकप्रे पचण्ड बरार हमैं और कराल हजनकरा
धनपुष हहै, हप्रे मन! तपू उन शश्री ररामजश्री कगो क्यर नहहीं भजतरा?

नल-नश्रील दराररा पपुल बराधहूँ नरा, शश्री ररामजश्री दराररा शश्री ररामप्रेश्वर ककी स्ररापनरा
सगोरठरा :
* हसमंधपु बचन सपुहन रराम सहचव बगोहल पभपु अस कहप्रेउ।
अब हबलमंबपु कप्रे हह कराम करहह सप्रेतपु उतरहै कटकपु ॥
भरावरारर्ण:- समपुद कप्रे वचन सपुनकर पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे ममंहत्रयर कगो बपुलराकर ऐसरा कहरा- अब हवलमंब
हकसहलए हगो रहरा हहै? सप्रेतपु (पपुल) तहैयरार करगो, हजसममें सप्रेनरा उतरप्रे।
* सपुनहह भरानपुकपुल कप्रे तपु जरामवमंत कर जगोरर कह।
नरार नराम तव सप्रेतपु नर चहढ भव सरागर तरहहमं॥
भरावरारर्ण:- जराम्बवरानम नप्रे हरार जगोडकर कहरा- हप्रे सपूयर्णकपुल कप्रे ध्वजरास्वरूप (ककीहतर्ण कगो बढरानप्रे वरालप्रे)
शश्री ररामजश्री! सपुहनए। हप्रे नरार! (सबसप्रे बडरा) सप्रेतपु तगो आपकरा नराम हश्री हहै, हजस पर चढकर
(हजसकरा आशय लप्रेकर) मनपुष्य समंसरार रूपश्री समपुद सप्रे परार हगो जरातप्रे हमैं।
चरौपराई :
* यह लघपु जलहध तरत कहत बराररा। अस सपुहन पपुहन कह पवनकपु मराररा॥
पभपु पतराप बडवरानल भरारश्री। सगोषप्रेउ परम पयगोहनहध बरारश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हफिर यह छगोटरा सरा समपुद परार करनप्रे ममें हकतनश्री दप्रेर लगप्रेगश्री ? ऐसरा सपुनकर हफिर
पवनकपु मरार शश्री हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- पभपु करा पतराप भरारश्री बडवरानल (समपुद ककी आग) कप्रे समरान हहै।
इसनप्रे पहलप्रे समपुद कप्रे जल कगो सगोख हलयरा ररा,॥1॥
* तव ररपपु नरारर रदन जल धराररा। भरप्रेउ बहगोरर भयउ तप्रेहहमं खराररा॥
सपुहन अहत उकपु हत पवनसपुत कप्रे रश्री। हरषप्रे कहप रघपुपहत तन हप्रेरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- परन्तपु आपकप्रे शत्रपुओमं ककी हस्त्रयर कप्रे आहूँसपुओमं ककी धराररा सप्रे यह हफिर भर गयरा और उसश्री
सप्रे खराररा भश्री हगो गयरा। हनपुमरानमजश्री ककी यह अत्यहपु क्त (अलमंकरारपपूरर्ण यहपु क्त) सपुनकर वरानर शश्री
रघपुनरारजश्री ककी ओर दप्रेखकर हहषर्णत हगो गए॥2॥
* जरामवमंत बगोलप्रे दगोउ भराई। नल नश्रीलहह सब कररा सपुनराई॥
रराम पतराप सपुहमरर मन मराहहीं। करहह सप्रेतपु पयरास कछपु नराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:- जराम्बवरानम नप्रे नल-नश्रील दगोनर भराइयर कगो बपुलराकर उन्हमें सरारश्री कररा कह सपुनराई (और
कहरा-) मन ममें शश्री ररामजश्री कप्रे पतराप कगो स्मरर करकप्रे सप्रेतपु तहैयरार करगो, (ररामपतराप सप्रे) कपु छ भश्री
पररशम नहहीं हगोगरा॥3॥
* बगोहल हलए कहप हनकर बहगोरश्री। सकल सपुनहह हबनतश्री कछपु मगोरश्री॥
रराम चरन पमंकज उर धरहह । करौतपुक एक भरालपु कहप करहह ॥4॥
भरावरारर्ण:- हफिर वरानरर कप्रे समपूह कगो बपुलरा हलयरा (और कहरा-) आप सब लगोग मप्रेरश्री कपु छ हवनतश्री
सपुहनए। अपनप्रे हृदय ममें शश्री ररामजश्री कप्रे चरर-कमलर कगो धरारर कर लश्रीहजए और सब भरालपू और
वरानर एक खप्रेल ककीहजए॥4॥
* धरावहह मकर्णट हबकट बरूररा। आनहह हबटप हगररन्ह कप्रे जपूररा॥
सपुहन कहप भरालपु चलप्रे करर हहहरा। जय रघपुबश्रीर पतराप समपूहरा॥5॥
भरावरारर्ण:- हवकट वरानरर कप्रे समपूह (आप) दरौड जराइए और वमृक्षर तररा पवर्णतर कप्रे समपूहर कगो उखराड
लराइए। यह सपुनकर वरानर और भरालपू हहह (हह हूँकरार) करकप्रे और शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे पतराप समपूह ककी
(अरवरा पतराप कप्रे पपुज मं शश्री ररामजश्री ककी) जय पपुकरारतप्रे हह ए चलप्रे॥5॥
दगोहरा :
* अहत उतमंग हगरर परादप लश्रीलहहमं लप्रेहहमं उठराइ।
आहन दप्रेहहमं नल नश्रीलहह रचहहमं तप्रे सप्रेतपु बनराइ॥1॥
भरावरारर्ण:- बहह त ऊहूँचप्रे-ऊहूँचप्रे पवर्णतर और वमृक्षर कगो खप्रेल ककी तरह हश्री (उखराडकर) उठरा लप्रेतप्रे हमैं और
लरा-लराकर नल-नश्रील कगो दप्रेतप्रे हमैं। वप्रे अच्छश्री तरह गढकर (सपुमंदर) सप्रेतपु बनरातप्रे हमैं॥1॥
चरौपराई :
* सहैल हबसराल आहन कहप दप्रेहहीं। कमंदक पु इव नल नश्रील तप्रे लप्रेहहीं॥
दप्रेहख सप्रेतपु अहत सपुमंदर रचनरा। हबहहस कमृ पराहनहध बगोलप्रे बचनरा॥1॥
भरावरारर्ण:- वरानर बडप्रे-बडप्रे पहराड लरा-लराकर दप्रेतप्रे हमैं और नल-नश्रील उन्हमें गमेंद ककी तरह लप्रे लप्रेतप्रे हमैं।
सप्रेतपु ककी अत्यमंत सपुदमं र रचनरा दप्रेखकर कमृ पराहसन्धपु शश्री ररामजश्री हहूँसकर वचन बगोलप्रे-॥1॥
* परम रम्य उरम यह धरनश्री। महहमरा अहमत जराइ नहहमं बरनश्री॥
कररहउहूँ इहराहूँ समंभपु ररापनरा। मगोरप्रे हृदयहूँ परम कलपनरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- यह (यहराहूँ ककी) भपूहम परम रमरश्रीय और उरम हहै। इसककी असश्रीम महहमरा वरर्णन नहहीं ककी
जरा सकतश्री। ममैं यहराहूँ हशवजश्री ककी स्ररापनरा करूहूँगरा। मप्रेरप्रे हृदय ममें यह महरानम समंकल्प हहै॥ 2॥
* सपुहन कपश्रीस बहह दतपू पठराए। मपुहनबर सकल बगोहल लहै आए॥
हलमंग रराहप हबहधवत करर पपूजरा। हसव समरान हपय मगोहह न द ज पू रा॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सपुनकर वरानररराज सपुगश्रीव नप्रे बहह त सप्रे दतपू भप्रेजप्रे, जगो सब शप्रेष मपुहनयर
कगो बपुलराकर लप्रे आए। हशवहलमंग ककी स्ररापनरा करकप्रे हवहधपपूवर्णक उसकरा पपूजन हकयरा (हफिर भगवरान
बगोलप्रे-) हशवजश्री कप्रे समरान मपुझकगो दस पू ररा कगोई हपय नहहीं हहै॥3॥
* हसव दगोहश्री मम भगत कहरावरा। सगो नर सपनप्रेहहहूँ मगोहह न परावरा॥
समंकर हबमपुख भगहत चह मगोरश्री। सगो नरारककी मपूढ महत रगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:- जगो हशव सप्रे दगोह रखतरा हहै और मप्रेररा भक्त कहलरातरा हहै, वह मनपुष्य स्वप्न ममें भश्री मपुझप्रे
नहहीं परातरा। शमंकरजश्री सप्रे हवमपुख हगोकर (हवरगोध करकप्रे ) जगो मप्रेरश्री भहक्त चराहतरा हहै, वह नरकगरामश्री,
मपूखर्ण और अल्पबपुहद हहै॥4॥
दगोहरा :
* समंकरहपय मम दगोहश्री हसव दगोहश्री मम दरास।
तप्रे नर करहहमं कलप भरर घगोर नरक महह हूँ बरास॥2॥
भरावरारर्ण:- हजनकगो शमंकरजश्री हपय हमैं, परन्तपु जगो मप्रेरप्रे दगोहश्री हमैं एवमं जगो हशवजश्री कप्रे दगोहश्री हमैं और मप्रेरप्रे
दरास (बननरा चराहतप्रे) हमैं, वप्रे मनपुष्य कल्पभर घगोर नरक ममें हनवरास करतप्रे हमैं॥2॥
चरौपराई :
* जप्रे ररामप्रेस्वर दरसनपु कररहहहमं। तप्रे तनपु तहज मम लगोक हसधररहहहमं॥
जगो गमंगराजलपु आहन चढराइहह। सगो सराजपुज्य मपुहक्त नर पराइहह॥1॥
भरावरारर्ण:- जगो मनपुष्य (मप्रेरप्रे स्रराहपत हकए हह ए इन) ररामप्रेश्वरजश्री करा दशर्णन करमेंगप्रे, वप्रे शरश्रीर छगोडकर
मप्रेरप्रे लगोक कगो जराएहूँगप्रे और जगो गमंगराजल लराकर इन पर चढरावप्रेगरा, वह मनपुष्य सरायज्पु य मपुहक्त परावप्रेगरा
(अररार्णतम मप्रेरप्रे सरार एक हगो जराएगरा)॥1॥
* हगोइ अकराम जगो छल तहज सप्रेइहह। भगहत मगोरर तप्रेहह समंकर दप्रेइहह॥
मम कमृ त सप्रेतपु जगो दरसनपु कररहश्री। सगो हबनपु शम भवसरागर तररहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:- जगो छल छगोडकर और हनष्कराम हगोकर शश्री ररामप्रेश्वरजश्री ककी सप्रेवरा करमेंगप्रे , उन्हमें शमंकरजश्री
मप्रेरश्री भहक्त दमेंगप्रे और जगो मप्रेरप्रे बनराए सप्रेतपु करा दशर्णन करप्रेगरा, वह हबनरा हश्री पररशम समंसरार रूपश्री समपुद सप्रे
तर जराएगरा॥2॥
* रराम बचन सब कप्रे हजय भराए। मपुहनबर हनज हनज आशम आए॥
हगररजरा रघपुपहत कहै यह रश्रीतश्री। समंतत करहहमं पनत पर पश्रीतश्री॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे वचन सबकप्रे मन कगो अच्छप्रे लगप्रे। तदनन्तर वप्रे शप्रेष मपुहन अपनप्रे-अपनप्रे
आशमर कगो लरौट आए। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे परावर्णतश्री! शश्री रघपुनरारजश्री ककी यह रश्रीहत हहै हक वप्रे
शरररागत पर सदरा पश्रीहत करतप्रे हमैं॥3॥
* बराहूँधरा सप्रेतपु नश्रील नल नरागर। रराम कमृ पराहूँ जसपु भयउ उजरागर॥
बपूडहहमं आनहह बगोरहहमं जप्रेई। भए उपल बगोहहत सम तप्रेई॥4॥
भरावरारर्ण:- चतपुर नल और नश्रील नप्रे सप्रेतपु बराहूँधरा। शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे उनकरा यह (उज्ज्वल) यश
सवर्णत्र फिहैल गयरा। जगो पत्रर आप डपू बतप्रे हमैं और दस पू रर कगो डपु बरा दप्रेतप्रे हमैं, वप्रे हश्री जहराज कप्रे समरान
(स्वयमं तहैरनप्रे वरालप्रे और दस पू रर कगो परार लप्रे जरानप्रे वरालप्रे) हगो गए॥4॥
* महहमरा यह न जलहध कइ बरनश्री। पराहन गपुन न कहपन्ह कइ करनश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:- यह न तगो समपुद ककी महहमरा वरर्णन ककी गई हहै, न पत्ररर करा गपुर हहै और न वरानरर ककी हश्री
कगोई कररामरात हहै॥5॥
दगोहरा :
* शश्री रघपुबश्रीर पतराप तप्रे हसमंधपु तरप्रे पराषरान।
तप्रे महतममंद जप्रे रराम तहज भजहहमं जराइ पभपु आन॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुवश्रीर कप्रे पतराप सप्रे पत्रर भश्री समपुद पर तहैर गए। ऐसप्रे शश्री ररामजश्री कगो छगोडकर जगो
हकसश्री दस पू रप्रे स्वरामश्री कगो जराकर भजतप्रे हमैं वप्रे (हनश्चय हश्री) ममंदबपुहद हमैं॥3॥
चरौपराई :
* बराहूँहध सप्रेतपु अहत सपुदृढ बनरावरा। दप्रेहख कमृ पराहनहध कप्रे मन भरावरा॥
चलश्री सप्रेन कछपु बरहन न जराई। गजर्णहहमं मकर्णट भट समपुदराई॥1॥
भरावरारर्ण:- नल-नश्रील नप्रे सप्रेतपु बराधहूँ कर उसप्रे बहह त मजबपूत बनरायरा। दप्रेखनप्रे पर वह कमृ पराहनधरान शश्री
ररामजश्री कप्रे मन कगो (बहह त हश्री) अच्छरा लगरा। सप्रेनरा चलश्री, हजसकरा कपु छ वरर्णन नहहीं हगो सकतरा।
यगोदरा वरानरर कप्रे समपुदराय गरज रहप्रे हमैं॥1॥
* सप्रेतपुबमंध हढग चहढ रघपुरराई। हचतव कमृ पराल हसमंधपु बहह तराई॥
दप्रेखन कहह हूँ पभपु करनरा कमंदरा। पगट भए सब जलचर बमृमंदरा॥2॥
भरावरारर्ण:- कमृ परालपु शश्री रघपुनरारजश्री सप्रेतपुबन्ध कप्रे तट पर चढकर समपुद करा हवस्तरार दप्रेखनप्रे लगप्रे।
कररराकन्द (करररा कप्रे मपूल) पभपु कप्रे दशर्णन कप्रे हलए सब जलचरर कप्रे समपूह पकट हगो गए (जल कप्रे
ऊपर हनकल आए)॥2॥
* मकर नक नरानरा झष ब्यरालरा। सत जगोजन तन परम हबसरालरा॥
अइसप्रेउ एक हतन्हहह जप्रे खराहहीं। एकन्ह कमें डर तप्रेहप डप्रेरराहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:-बहह त तरह कप्रे मगर, नराक (घहडयराल), मच्छ और सपर्ण रप्रे, हजनकप्रे सरौ-सरौ यगोजन कप्रे
बहह त बडप्रे हवशराल शरश्रीर रप्रे। कपु छ ऐसप्रे भश्री जन्तपु रप्रे, जगो उनकगो भश्री खरा जराएहूँ। हकसश्री-हकसश्री कप्रे डर
सप्रे तगो वप्रे भश्री डर रहप्रे रप्रे॥3॥
* पभपुहह हबलगोकहहमं टरहहमं न टरारप्रे। मन हरहषत सब भए सपुखरारप्रे॥
हतन्ह ककीमं ओट न दप्रेहखअ बरारश्री। मगन भए हरर रूप हनहरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे सब (वहैर-हवरगोध भपूलकर) पभपु कप्रे दशर्णन कर रहप्रे हमैं, हटरानप्रे सप्रे भश्री नहहीं हटतप्रे। सबकप्रे
मन हहषर्णत हमैं, सब सपुखश्री हगो गए। उनककी आड कप्रे करारर जल नहहीं हदखराई पडतरा। वप्रे सब भगवरानम
करा रूप दप्रेखकर (आनमंद और पप्रेम ममें) मग्नि हगो गए॥4॥
चलरा कटकपु पभपु आयसपु पराई। कगो कहह सक कहप दल हबपपुलराई॥5॥
भरावरारर्ण:- पभपु शश्री ररामचमंदजश्री ककी आजरा पराकर सप्रेनरा चलश्री। वरानर सप्रेनरा ककी हवपपुलतरा (अत्यहधक
समंख्यरा) कगो करौन कह सकतरा हहै?॥5॥
शश्री ररामजश्री करा सप्रेनरा सहहत समपुद परार उतरनरा, सपुबप्रेल पवर्णत पर हनवरास, ररावर ककी व्यराकपुलतरा
दगोहरा :
* सप्रेतपुबमंध भइ भश्रीर अहत कहप नभ पमंर उडराहहमं।
अपर जलचरहन्ह ऊपर चहढ चहढ परारहह जराहहमं॥4॥
भरावरारर्ण:- सप्रेतपुबन्ध पर बडश्री भश्रीड हगो गई, इससप्रे कपु छ वरानर आकराश मरागर्ण सप्रे उडनप्रे लगप्रे और दस पू रप्रे
(हकतनप्रे हश्री) जलचर जश्रीवर पर चढ-चढकर परार जरा रहप्रे हमैं॥4॥
चरौपराई :
* अस करौतपुक हबलगोहक दरौ भराई। हबहहूँहस चलप्रे कमृ पराल रघपुरराई॥
सप्रेन सहहत उतरप्रे रघपुबश्रीररा। कहह न जराइ कहप जपूरप भश्रीररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- कमृ परालपु रघपुनरारजश्री (तररा लक्ष्मरजश्री) दगोनर भराई ऐसरा करौतपुक दप्रेखकर हहूँसतप्रे हह ए चलप्रे।
शश्री रघपुवश्रीर सप्रेनरा सहहत समपुद कप्रे परार हगो गए। वरानरर और उनकप्रे सप्रेनरापहतयर ककी भश्रीड कहश्री नहहीं जरा
सकतश्री॥1॥
* हसमंधपु परार पभपु डप्रेररा ककीन्हरा। सकल कहपन्ह कहह हूँ आयसपु दश्रीन्हरा॥
खराहह जराइ फिल मपूल सपुहराए। सपुनत भरालपू कहप जहहूँ तहहूँ धराए॥2॥
भरावरारर्ण:- पभपु नप्रे समपुद कप्रे परार डप्रेररा डरालरा और सब वरानरर कगो आजरा दश्री हक तपुम जराकर सपुदमं र
फिल-मपूल खराओ। यह सपुनतप्रे हश्री रश्रीछ-वरानर जहराहूँ-तहराहूँ दरौड पडप्रे॥2॥
* सब तर फिरप्रे रराम हहत लरागश्री। ररतपु अर कपु ररतपु कराल गहत त्यरागश्री॥
खराहहमं मधपुर फिल हबटप हलरावहहमं। लमंकरा सन्मपुख हसखर चलरावहहमं॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे हहत (सप्रेवरा) कप्रे हलए सब वमृक्ष ऋतपु-कपु ऋतपु- समय ककी गहत कगो छगोडकर
फिल उठप्रे। वरानर-भरालपू मश्रीठप्रे फिल खरा रहप्रे हमैं, वमृक्षर कगो हहलरा रहप्रे हमैं और पवर्णतर कप्रे हशखरर कगो लमंकरा
ककी ओर फिमें क रहप्रे हमैं॥3॥
* जहहूँ कहह हूँ हफिरत हनसराचर परावहहमं। घप्रेरर सकल बहह नराच नचरावहहमं॥
दसनहन्ह कराहट नराहसकरा करानरा। कहह पभपु सपुजसपु दप्रेहहमं तब जरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- घपूमतप्रे-घपूमतप्रे जहराहूँ कहहीं हकसश्री रराक्षस कगो परा जरातप्रे हमैं तगो सब उसप्रे घप्रेरकर खपूब नराच
नचरातप्रे हमैं और दराहूँतर सप्रे उसकप्रे नराक-करान कराटकर, पभपु करा सपुयश कहकर (अरवरा कहलराकर)
तब उसप्रे जरानप्रे दप्रेतप्रे हमैं॥4॥
* हजन्ह कर नरासरा करान हनपरातरा। हतन्ह ररावनहह कहश्री सब बरातरा॥
सपुनत शवन बराररहध बमंधरानरा। दस मपुख बगोहल उठरा अकपु लरानरा॥5॥
भरावरारर्ण:- हजन रराक्षसर कप्रे नराक और करान कराट डरालप्रे गए, उन्हरनप्रे ररावर सप्रे सब समराचरार कहरा।
समपुद (पर सप्रेतपु) करा बराहूँधरा जरानरा करानर सप्रे सपुनतप्रे हश्री ररावर घबडराकर दसर मपुखर सप्रे बगोल उठरा-॥
5॥
ररावर कगो मन्दगोदरश्री करा समझरानरा, ररावर-पहस्त समंवराद
दगोहरा :
* बराहूँध्यगो बनहनहध नश्रीरहनहध जलहध हसमंधपु बरारश्रीस।
सत्य तगोयहनहध कमंपहत उदहध पयगोहध नदश्रीस॥5॥
भरावरारर्ण:- वनहनहध, नश्रीरहनहध, जलहध, हसमंधपु, वरारश्रीश, तगोयहनहध, कमंपहत, उदहध, पयगोहध,
नदश्रीश कगो क्यरा सचमपुच हश्री बराहूँध हलयरा?॥5॥
चरौपराई :
* हनज हबकलतरा हबचरारर बहगोरश्री॥ हबहहूँहस गयउ गमृह करर भय भगोरश्री॥
ममंदगोदरहीं सपुन्यगो पभपु आयगो। करौतपुकहहीं परारगोहध बहूँधरायगो॥1॥
भरावरारर्ण:- हफिर अपनश्री व्यराकपुलतरा कगो समझकर (ऊपर सप्रे) हहूँसतरा हह आ, भय कगो भपुलराकर,
ररावर महल कगो गयरा। (जब) ममंदगोदरश्री नप्रे सपुनरा हक पभपु शश्री ररामजश्री आ गए हमैं और उन्हरनप्रे खप्रेल ममें
हश्री समपुद कगो बहूँधवरा हलयरा हहै,॥1॥
* कर गहह पहतहह भवन हनज आनश्री। बगोलश्री परम मनगोहर बरानश्री॥
चरन नराइ हसर अमंचलपु रगोपरा। सपुनहह बचन हपय पररहरर कगोपरा॥2॥
भरावरारर्ण:- (तब) वह हरार पकडकर, पहत कगो अपनप्रे महल ममें लराकर परम मनगोहर वरारश्री बगोलश्री।
चररर ममें हसर नवराकर उसनप्रे अपनरा आहूँचल पसराररा और कहरा- हप्रे हपयतम! कगोध त्यराग कर मप्रेररा
वचन सपुहनए॥2॥
* नरार बयर ककीजप्रे तराहश्री सर। बपुहध बल सहकअ जश्रीहत जराहश्री सर॥
तपुम्हहह रघपुपहतहह अमंतर कहै सरा। खलपु खद्यगोत हदनकरहह जहैसरा॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! वहैर उसश्री कप्रे सरार करनरा चराहहए, हजससप्रे बपुहद और बल कप्रे दराररा जश्रीत सकमें ।
आप ममें और शश्री रघपुनरारजश्री ममें हनश्चय हश्री कहै सरा अमंतर हहै, जहैसरा जपुगनपू और सपूयर्ण ममें!॥3॥
* अहत बल मधपु कहै टभ जप्रेहहमं मरारप्रे। महराबश्रीर हदहतसपुत समंघरारप्रे॥
जप्रेहहमं बहल बराहूँहध सहस भपुज मराररा। सगोइ अवतरप्रेउ हरन महह भराररा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- हजन्हरनप्रे (हवष्रपु रूप सप्रे) अत्यन्त बलवरानम मधपु और कहै टभ (दहैत्य) मरारप्रे और (वरराह
और नमृहसमंह रूप सप्रे) महरानम शपूरवश्रीर हदहत कप्रे पपुत्रर (हहरण्यराक्ष और हहरण्यकहशपपु) करा समंहरार
हकयरा, हजन्हरनप्रे (वरामन रूप सप्रे) बहल कगो बराहूँधरा और (परशपुरराम रूप सप्रे) सहस्रबराहह कगो मराररा, वप्रे
हश्री (भगवरानम) पमृथ्वश्री करा भरार हरर करनप्रे कप्रे हलए (ररामरूप ममें) अवतश्रीरर्ण (पकट) हहए हमैं!॥4॥
* तरासपु हबरगोध न ककीहजअ नराररा। कराल करम हजव जराकमें हराररा॥5॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! उनकरा हवरगोध न ककीहजए, हजनकप्रे हरार ममें कराल, कमर्ण और जश्रीव सभश्री हमैं॥5॥
दगोहरा :
* ररामहह सजौंहप जरानककी नराइ कमल पद मरार।
सपुत कहह हूँ रराज समहपर्ण बन जराइ भहजअ रघपुनरार॥6॥
भरावरारर्ण:- (शश्री ररामजश्री) कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवराकर (उनककी शरर ममें जराकर) उनकगो
जरानककीजश्री सजौंप दश्रीहजए और आप पपुत्र कगो रराज्य दप्रेकर वन ममें जराकर शश्री रघपुनरारजश्री करा भजन
ककीहजए॥6॥
चरौपराई :
नरार दश्रीनदयराल रघपुरराई। बराघउ सनमपुख गएहूँ न खराई॥
चराहहअ करन सगो सब करर बश्रीतप्रे। तपुम्ह सपुर असपुर चरराचर जश्रीतप्रे॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! शश्री रघपुनरारजश्री तगो दश्रीनर पर दयरा करनप्रे वरालप्रे हमैं। सम्मपुख (शरर) जरानप्रे पर तगो
बराघ भश्री नहहीं खरातरा। आपकगो जगो कपु छ करनरा चराहहए ररा, वह सब आप कर चपुकप्रे। आपनप्रे दप्रेवतरा,
रराक्षस तररा चर-अचर सभश्री कगो जश्रीत हलयरा॥1॥
* समंत कहहहमं अहस नश्रीहत दसरानन। चरौरपमें न जराइहह नमृप करानन॥
तरासपु भजनपु ककीहजअ तहहूँ भतरार्ण। जगो कतरार्ण परालक समंहतरार्ण॥ 2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे दशमपुख! समंतजन ऐसश्री नश्रीहत कहतप्रे हमैं हक चरौरप्रेपन (बपुढरापप्रे) ममें रराजरा कगो वन ममें चलरा
जरानरा चराहहए। हप्रे स्वरामश्री! वहराहूँ (वन ममें) आप उनकरा भजन ककीहजए जगो समृहष्टि कप्रे रचनप्रे वरालप्रे,
परालनप्रे वरालप्रे और समंहरार करनप्रे वरालप्रे हमैं॥2॥
* सगोइ रघपुबश्रीर पनत अनपुररागश्री। भजहह नरार ममतरा सब त्यरागश्री॥
मपुहनबर जतनपु करहहमं जप्रेहह लरागश्री। भपूप रराजपु तहज हगोहहमं हबररागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! आप हवषयर ककी सरारश्री ममतरा छगोडकर उन्हहीं शरररागत पर पप्रेम करनप्रे वरालप्रे
भगवरानम करा भजन ककीहजए। हजनकप्रे हलए शप्रेष मपुहन सराधन करतप्रे हमैं और रराजरा रराज्य छगोडकर वहैररागश्री
हगो जरातप्रे हमैं-॥3॥
* सगोइ कगोसलराधश्रीस रघपुररायरा। आयउ करन तगोहह पर दरायरा॥
जजौं हपय मरानहह मगोर हसखरावन। सपुजसपु हगोइ हतहह हूँ पपुर अहत परावन॥4॥
भरावरारर्ण:- वहश्री कगोसलराधश्रीश शश्री रघपुनरारजश्री आप पर दयरा करनप्रे आए हमैं। हप्रे हपयतम! यहद आप
मप्रेरश्री सश्रीख मरान लमेंगप्रे, तगो आपकरा अत्यमंत पहवत्र और सपुमंदर यश तश्रीनर लगोकर ममें फिहै ल जराएगरा॥4॥
दगोहरा :
* अस कहह नयन नश्रीर भरर गहह पद कमंहपत गरात।
नरार भजहह रघपुनरारहह अचल हगोइ अहहवरात॥7॥
भरावरारर्ण:- ऐसरा कहकर, नप्रेत्रर ममें (करररा करा) जल भरकर और पहत कप्रे चरर पकडकर, कराहूँपतप्रे
हह ए शरश्रीर सप्रे ममंदगोदरश्री नप्रे कहरा- हप्रे नरार! शश्री रघपुनरारजश्री करा भजन ककीहजए, हजससप्रे मप्रेररा सपुहराग
अचल हगो जराए॥7॥
चरौपराई :
* तब ररावन मयसपुतरा उठराई। कहहै लराग खल हनज पभपुतराई॥
सपुनपु तमैं हपयरा बमृररा भय मरानरा। जग जगोधरा कगो मगोहह समरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- तब ररावर नप्रे ममंदगोदरश्री कगो उठरायरा और वह दष्टिपु उससप्रे अपनश्री पभपुतरा कहनप्रे लगरा- हप्रे
हपयप्रे! सपुन, तपूनप्रे व्यरर्ण हश्री भय मरान रखरा हहै। बतरा तगो जगतम ममें मप्रेरप्रे समरान यगोदरा हहै करौन ?॥1॥
* बरन कपु बप्रेर पवन जम करालरा। भपुज बल हजतप्रेउहूँ सकल हदगपरालरा॥
दप्रेव दनपुज नर सब बस मगोरमें। कवन हप्रेतपु उपजरा भय तगोरमें॥ 2॥
भरावरारर्ण:- वरर, कपु बप्रेर, पवन, यमरराज आहद सभश्री हदक्परालर कगो तररा कराल कगो भश्री ममैंनप्रे अपनश्री
भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे जश्रीत रखरा हहै। दप्रेवतरा, दरानव और मनपुष्य सभश्री मप्रेरप्रे वश ममें हमैं। हफिर तपुझकगो यह
भय हकस करारर उत्पन्न हगो गयरा?॥2॥
* नरानरा हबहध तप्रेहह कहप्रेहस बपुझराई। सभराहूँ बहगोरर बहैठ सगो जराई॥
ममंदगोदरहीं हृदयहूँ अस जरानरा। कराल बस्य उपजरा अहभमरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- ममंदगोदरश्री नप्रे उसप्रे बहह त तरह सप्रे समझराकर कहरा (हकन्तपु ररावर नप्रे उसककी एक भश्री बरात न
सपुनश्री) और वह हफिर सभरा ममें जराकर बहैठ गयरा। ममंदगोदरश्री नप्रे हृदय ममें ऐसरा जरान हलयरा हक कराल कप्रे
वश हगोनप्रे सप्रे पहत कगो अहभमरान हगो गयरा हहै॥ 3॥
* सभराहूँ आइ ममंहत्रन्ह तप्रेहहमं बपूझरा। करब कवन हबहध ररपपु समैं जपूझरा॥
कहहहमं सहचव सपुनपु हनहसचर नराहरा। बरार बरार पभपु पपूछहह कराहरा॥4॥
भरावरारर्ण:- सभरा ममें आकर उसनप्रे ममंहत्रयर सप्रे पपूछरा हक शत्रपु कप्रे सरार हकस पकरार सप्रे यद पु करनरा
हगोगरा? ममंत्रश्री कहनप्रे लगप्रे- हप्रे रराक्षसर कप्रे नरार! हप्रे पभपु! सपुहनए, आप बरार-बरार क्यरा पपूछतप्रे हमैं?॥4॥
* कहहह कवन भय कररअ हबचराररा। नर कहप भरालपु अहरार हमराररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- कहहए तगो (ऐसरा) करौन-सरा बडरा भय हहै, हजसकरा हवचरार हकयरा जराए? (भय ककी बरात
हश्री क्यरा हहै?) मनपुष्य और वरानर-भरालपू तगो हमरारप्रे भगोजन (ककी सरामगश्री) हमैं॥
दगोहरा :
* सब कप्रे बचन शवन सपुहन कह पहस्त कर जगोरर।
नश्रीहत हबरगोध न कररअ पभपु ममंहत्रन्ह महत अहत रगोरर॥8॥
भरावरारर्ण:- करानर सप्रे सबकप्रे वचन सपुनकर (ररावर करा पपुत्र) पहस्त हरार जगोडकर कहनप्रे लगरा- हप्रे
पभपु! नश्रीहत कप्रे हवरद कपु छ भश्री नहहीं करनरा चराहहए, महन्त्रयर ममें बहह त हश्री रगोडश्री बपुहद हहै॥8॥
* कहहहमं सहचव सठ ठकपु र सगोहरातश्री। नरार न पपूर आव एहह भराहूँतश्री॥
बराररहध नराहघ एक कहप आवरा। तरासपु चररत मन महह हूँ सबपु गरावरा॥॥1॥
भरावरारर्ण:- यप्रे सभश्री मपूखर्ण (खपुशरामदश्री) मन्त्र ठकपु रसपुहरातश्री (मपुहूँहदप्रेखश्री) कह रहप्रे हमैं। हप्रे नरार! इस
पकरार ककी बरातर सप्रे पपूररा नहहीं पडप्रेगरा। एक हश्री बमंदर समपुद लराहूँघकर आयरा ररा। उसकरा चररत्र सब लगोग
अब भश्री मन-हश्री-मन गरायरा करतप्रे हमैं (स्मरर हकयरा करतप्रे हमैं) ॥1॥
* छपु धरा न रहश्री तपुम्हहह तब कराहह। जरारत नगर कस न धरर खराहह॥
सपुनत नश्रीक आगमें दख पु परावरा। सहचवन अस मत पभपुहह सपुनरावरा॥॥2॥
भरावरारर्ण:- उस समय तपुम लगोगर ममें सप्रे हकसश्री कगो भपूख न रश्री? (बमंदर तगो तपुम्हराररा भगोजन हश्री हमैं,
हफिर) नगर जलरातप्रे समय उसप्रे पकडकर क्यर नहहीं खरा हलयरा? इन महन्त्रयर नप्रे स्वरामश्री (आप) कगो
ऐसश्री सम्महत सपुनरायश्री हहै जगो सपुननप्रे ममें अच्छश्री हहै पर हजससप्रे आगप्रे चलकर द द्धाःपु ख परानरा हगोगरा॥2॥
* जप्रेहहमं बरारश्रीस बहूँधरायउ हप्रेलरा। उतरप्रेउ सप्रेन समप्रेत सपुबप्रेलरा॥
सगो भनपु मनपुज खराब हम भराई। बचन कहहहमं सब गराल फिपु लराई॥3॥
भरावरारर्ण:- हजसनप्रे खप्रेल-हश्री-खप्रेल ममें समपुद बहूँधरा हलयरा और जगो सप्रेनरा सहहत सपुबप्रेल पवर्णत पर आ
उतररा हहै। हप्रे भराई! कहगो वह मनपुष्य हहै, हजसप्रे कहतप्रे हगो हक हम खरा लमेंगप्रे? सब गराल फिपु लरा-
फिपु लराकर (परागलर ककी तरह) वचन कह रहप्रे हमैं!॥3॥
* तरात बचन मम सपुनपु अहत आदर। जहन मन गपुनहह मगोहह करर करादर।
हपय बरानश्री जप्रे सपुनहहमं जप्रे कहहहीं। ऐसप्रे नर हनकराय जग अहहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे तरात! मप्रेरप्रे वचनर कगो बहह त आदर सप्रे (बडप्रे गरौर सप्रे) सपुहनए। मपुझप्रे मन ममें करायर न
समझ लश्रीहजएगरा। जगतम ममें ऐसप्रे मनपुष्य झपुडमं -कप्रे -झपुमंड (बहह त अहधक) हमैं, जगो प्यरारश्री (मपुहूँह पर मश्रीठश्री
लगनप्रे वरालश्री) बरात हश्री सपुनतप्रे और कहतप्रे हमैं॥4॥
* बचन परम हहत सपुनत कठगोरप्रे। सपुनहहमं जप्रे कहहहमं तप्रे नर पभपु रगोरप्रे॥
परम बसश्रीठ पठउ सपुनपु नश्रीतश्री। सश्रीतरा दप्रेइ करहह पपुहन पश्रीतश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- हप्रे पभगो! सपुननप्रे ममें कठगोर परन्तपु (परररराम ममें) परम हहतकरारश्री वचन जगो सपुनतप्रे और
कहतप्रेहमैं,वप्रे मनपुष्य बहह त हश्री रगोडप्रे हमैं। नश्रीहत सपुहनयप्रे, (उसकप्रे अनपुसरार) पहलप्रे दतपू भप्रेहजयप्रे, और
(हफिर) सश्रीतरा कगो दप्रेकर शश्रीररामजश्री सप्रे पश्रीहत (मप्रेल) कर लश्रीहजयप्रे॥5॥
दगोहरा :
* नरारर पराइ हफिरर जराहहमं जजौं तरौ न बढराइअ ररारर।
नराहहमं त सन्मपुख समर महह तरात कररअ हहठ मरारर॥9॥
भरावरारर्ण:- यहद वप्रे स्त्रश्री पराकर लरौट जराएहूँ, तब तगो (व्यरर्ण) झगडरा न बढराइयप्रे। नहहीं तगो (यहद न हफिरमें
तगो) हप्रे तरात! सम्मपुख यद पु भपूहम ममें उनसप्रे हठपपूवर्णक (डटकर) मरार-कराट ककीहजए॥9॥
* यह मत जजौं मरानहह पभपु मगोररा। उभय पकरार सपुजसपु जग तगोररा॥
सपुत सन कह दसकमंठ ररसराई। अहस महत सठ कप्रे हहमं तगोहह हसखराई॥1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे पभगो! यहद आप मप्रेरश्री यह सम्महत मरानमेंगप्रे, तगो जगतम ममें दगोनर हश्री पकरार सप्रे आपकरा
सपुयश हगोगरा। ररावर नप्रे गपुस्सप्रे ममें भरकर पपुत्र सप्रे कहरा- अरप्रे मपूखर्ण! तपुझप्रे ऐसश्री बपुहद हकसनप्रे हसखरायश्री?॥
1॥
* अबहहीं तप्रे उर समंसय हगोई। बप्रेनपुमपूल सपुत भयहह घमगोई॥
सपुहन हपतपु हगररा परष अहत घगोररा। चलरा भवन कहह बचन कठगोररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- अभश्री सप्रे हृदय ममें सन्दप्रेह (भय) हगो रहरा हहै? हप्रे पपुत्र! तपू तगो बराहूँस ककी जड ममें घमगोई हहआ
(तपू मप्रेरप्रे वमंश कप्रे अनपुकपूल यरा अनपुरूप नहहीं हहआ)। हपतरा ककी अत्यन्त घगोर और कठगोर वरारश्री सपुनकर
पहस्त यप्रे कडप्रे वचन कहतरा हहआ घर कगो चलरा गयरा॥2॥
* हहत मत तगोहह न लरागत कहै समें। कराल हबबस कहह हूँ भप्रेषज जहैसमें॥
समंध्यरा समय जराहन दससश्रीसरा। भवन चलप्रेउ हनरखत भपुज बश्रीसरा॥3॥
भरावरारर्ण:- हहत ककी सलराह आपकगो कहै सप्रे नहहीं लगतश्री (आप पर कहै सप्रे असर नहहीं करतश्री), जहैसप्रे
ममृत्यपु कप्रे वश हहए (रगोगश्री) कगो दवरा नहहीं लगतश्री। समंध्यरा करा समय जरानकर ररावर अपनश्री बश्रीसर
भपुजराओमं कगो दप्रेखतरा हहआ महल कगो चलरा॥3॥
* लमंकरा हसखर उपर आगराररा। अहत हबहचत्र तहहूँ हगोइ अखराररा॥
बहैठ जराइ तप्रेहहमं ममंहदर ररावन। लरागप्रे हकमंनर गपुन गन गरावन॥4॥
भरावरारर्ण:- लमंकरा ककी चगोटश्री पर एक अत्यन्त हवहचत्र महल ररा। वहराहूँ नराच-गरान करा अखराडरा जमतरा
ररा। ररावर उस महल ममें जराकर बहैठ गयरा। हकन्नर उसकप्रे गपुर समपूहर कगो गरानप्रे लगप्रे॥4॥
* बराजहहमं तराल पखराउज बश्रीनरा। नमृत्य करहहमं अपछररा पबश्रीनरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- तराल (करतराल), पखरावज (ममृदमंग) और बश्रीररा बज रहप्रे हमैं। नमृत्य ममें पवश्रीर अप्सरराएहूँ
नराच रहश्री हमैं॥5॥
दगोहरा :
* सपुनरासश्रीर सत सररस सगो समंतत करइ हबलरास।
परम पबल ररपपु सश्रीस पर तद्यहप सगोच न त्ररास॥10॥
भरावरारर्ण:- वह हनरन्तर सहैकडर इन्दर कप्रे समरान भगोग-हवलरास करतरा रहतरा हहै। यद्यहप (शश्रीररामजश्री-
सरश्रीखरा) अत्यन्त पबल शत्रपु हसर पर हहै, हफिर भश्री उसकगो न तगो हचन्तरा हहै और न डर हश्री हहै॥
10॥

सपुबप्रेल पर शश्री ररामजश्री ककी झराक हूँ की और चमंदगोदय वरर्णन


चरौपराई :
* इहराहूँ सपुबप्रेल सहैल रघपुबश्रीररा। उतरप्रे सप्रेन सहहत अहत भश्रीररा॥
हसखर एक उतमंग अहत दप्रेखश्री। परम रम्य सम सपुर हबसप्रेषश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- यहराहूँ शश्री रघपुवश्रीर सपुबप्रेल पवर्णत पर सप्रेनरा ककी बडश्री भश्रीड (बडप्रे समपूह) कप्रे सरार उतरप्रे। पवर्णत
करा एक बहह त ऊहूँचरा, परम रमरश्रीय, समतल और हवशप्रेष रूप सप्रे उज्ज्वल हशखर दप्रेखकर-॥1॥
* तहहूँ तर हकसलय सपुमन सपुहराए। लहछमन रहच हनज हरार डसराए॥
तरा पर रहचर ममृदल पु ममृगछरालरा। तप्रेहहमं आसन आसश्रीन कमृ परालरा॥2॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ लक्ष्मरजश्री नप्रे वमृक्षर कप्रे कगोमल परप्रे और सपुदमं र फिपू ल अपनप्रे हरारर सप्रे सजराकर हबछरा
हदए। उस पर सपुदमं र और कगोमल ममृग छरालरा हबछरा दश्री। उसश्री आसन पर कमृ परालपु शश्री ररामजश्री
हवरराजमरान रप्रे॥2॥
* पभपु कमृ त सश्रीस कपश्रीस उछमंगरा। बराम दहहन हदहस चराप हनषमंगरा
दहपु ह हूँ कर कमल सपुधरारत बरानरा। कह लमंकप्रेस ममंत्र लहग करानरा॥3॥
भरावरारर्ण:- पभपु शश्री ररामजश्री वरानररराज सपुगश्रीव ककी गगोद ममें अपनरा हसर रखप्रे हमैं। उनककी बरायहीं ओर धनपुष
तररा दराहहनश्री ओर तरकस (रखरा) हहै। वप्रे अपनप्रे दगोनर करकमलर सप्रे बरार सपुधरार रहप्रे हमैं। हवभश्रीषरजश्री
करानर सप्रे लगकर सलराह कर रहप्रे हमैं॥3॥
* बडभरागश्री अमंगद हनपुमरानरा। चरन कमल चरापत हबहध नरानरा॥
पभपु पराछमें लहछमन बश्रीररासन। कहट हनषमंग कर बरान सररासन॥4॥
भरावरारर्ण:- परम भराग्यशरालश्री अमंगद और हनपुमरान अनप्रेकर पकरार सप्रे पभपु कप्रे चरर कमलर कगो दबरा रहप्रे
हमैं। लक्ष्मरजश्री कमर ममें तरकस कसप्रे और हरारर ममें धनपुष-बरार हलए वश्रीररासन सप्रे पभपु कप्रे पश्रीछप्रे
सपुशगोहभत हमैं॥4॥
दगोहरा :
* ऐहह हबहध कमृ परा रूप गपुन धराम ररामपु आसश्रीन।
धन्य तप्रे नर एहहमं ध्यरान जप्रे रहत सदरा लयलश्रीन॥11 क॥
भरावरारर्ण:- इस पकरार कमृ परा, रूप (सजौंदयर्ण) और गपुरर कप्रे धराम शश्री ररामजश्री हवरराजमरान हमैं। वप्रे मनपुष्य
धन्य हमैं, जगो सदरा इस ध्यरान ममें लरौ लगराए रहतप्रे हमैं॥11 (क)॥
* पपूरब हदसरा हबलगोहक पभपु दप्रेखरा उहदत मयमंक।
कहत सबहह दप्रेखहह सहसहह ममृगपहत सररस असमंक॥11 ख॥
भरावरारर्ण:- पपूवर्ण हदशरा ककी ओर दप्रेखकर पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे चमंदमरा कगो उदय हहआ दप्रेखरा। तब वप्रे सबसप्रे
कहनप्रे लगप्रे- चमंदमरा कगो तगो दप्रेखगो। कहै सरा हसमंह कप्रे समरान हनडर हहै!॥11 (ख)॥
चरौपराई :
* पपूरब हदहस हगररगपुहरा हनवरासश्री। परम पतराप तप्रेज बल ररासश्री॥
मर नराग तम कपुमं भ हबदरारश्री। सहस कप्रे सरश्री गगन बन चरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- पपूवर्ण हदशरा रूपश्री पवर्णत ककी गपुफिरा ममें रहनप्रे वरालरा, अत्यमंत पतराप, तप्रेज और बल ककी रराहश
यह चमंदमरा रूपश्री हसमंह अमंधकरार रूपश्री मतवरालप्रे हरारश्री कप्रे मस्तक कगो हवदश्रीरर्ण करकप्रे आकराश रूपश्री वन
ममें हनभर्णय हवचर रहरा हहै॥1॥
हबरपुरप्रे नभ मपुकपुतराहल तराररा। हनहस सपुदमं रश्री कप्रे र हसमंगराररा॥
कह पभपु सहस महह हूँ मप्रेचकतराई। कहहह कराह हनज हनज महत भराई॥2॥
भरावरारर्ण:- आकराश ममें हबखरप्रे हह ए तरारप्रे मगोहतयर कप्रे समरान हमैं, जगो रराहत्र रूपश्री सपुदमं र स्त्रश्री कप्रे शमृगमं रार हमैं।
पभपु नप्रे कहरा- भराइयगो! चमंदमरा ममें जगो करालरापन हहै, वह क्यरा हहै? अपनश्री-अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार
कहगो॥2॥
* कह सपुगश्रीव सपुनहह रघपुरराई। सहस महह हूँ पगट भपूहम कहै झराईहूँ ॥
मरारप्रेउ रराहह सहसहह कह कगोई। उर महहूँ परश्री स्यरामतरा सगोई॥3॥
भरावरारर्ण:- सपुगश्रीव नप्रे कहरा- हप्रे रघपुनरारजश्री! सपुहनए! चमंदमरा ममें पमृथ्वश्री ककी छरायरा हदखराई दप्रे रहश्री हहै।
हकसश्री नप्रे कहरा- चमंदमरा कगो रराहह नप्रे मराररा ररा। वहश्री (चगोट करा) करालरा दराग हृदय पर पडरा हहआ हहै॥
3॥
* कगोउ कह जब हबहध रहत मपुख ककीन्हरा। सरार भराग सहस कर हरर लश्रीन्हरा॥
हछद सगो पगट इमंद पु उर मराहहीं। तप्रेहह मग दप्रेहखअ नभ पररछराहहीं॥4॥
भरावरारर्ण:- कगोई कहतरा हहै- जब ब्रहरा नप्रे (करामदप्रेव ककी स्त्रश्री) रहत करा मपुख बनरायरा, तब उसनप्रे
चमंदमरा करा सरार भराग हनकराल हलयरा (हजससप्रे रहत करा मपुख तगो परम सपुदमं र बन गयरा, परन्तपु चमंदमरा
कप्रे हृदय ममें छप्रेद हगो गयरा)। वहश्री छप्रेद चमंदमरा कप्रे हृदय ममें वतर्णमरान हहै, हजसककी रराह सप्रे आकराश ककी
करालश्री छरायरा उसममें हदखराई पडतश्री हहै॥4॥
* पभपु कह गरल बमंधपु सहस कप्रे ररा। अहत हपय हनज उर दश्रीन्ह बसप्रेररा॥
हबष समंजपुत कर हनकर पसरारश्री। जरारत हबरहवमंत नर नरारश्री॥ 5॥
भरावरारर्ण:- पभपु शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा- हवष चमंदमरा करा बहह त प्यराररा भराई हहै, इसश्री सप्रे उसनप्रे हवष कगो
अपनप्रे हृदय ममें स्ररान दप्रे रखरा हहै। हवषयक्त पु अपनप्रे हकरर समपूह कगो फिहै लराकर वह हवयगोगश्री नर-नराररयर
कगो जलरातरा रहतरा हहै॥5॥
दगोहरा :
* कह हनपुममंत सपुनहह पभपु सहस तपुम्हरार हपय दरास।
तव मपूरहत हबधपु उर बसहत सगोइ स्यरामतरा अभरास॥12 क॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- हप्रे पभगो! सपुहनए, चमंदमरा आपकरा हपय दरास हहै। आपककी सपुमंदर श्यराम
मपूहतर्ण चमंदमरा कप्रे हृदय ममें बसतश्री हहै, वहश्री श्यरामतरा ककी झलक चमंदमरा ममें हहै॥12 (क)॥

नवराह्नपराररायर, सरातवराहूँ हवशराम

शश्री ररामजश्री कप्रे बरार सप्रे ररावर कप्रे मपुकपुट-छत्रराहद करा हगरनरा
* पवन तनय कप्रे बचन सपुहन हबहहूँसप्रे ररामपु सपुजरान।
दहच्छन हदहस अवलगोहक पभपु बगोलप्रे कमृ परा हनधरान॥12 ख॥
भरावरारर्ण:- पवनपपुत्र हनपुमरानमजश्री कप्रे वचन सपुनकर सपुजरान शश्री ररामजश्री हहूँसप्रे। हफिर दहक्षर ककी ओर
दप्रेखकर कमृ पराहनधरान पभपु बगोलप्रे-॥12 (ख)॥
चरौपराई :
* दप्रेखपु हवभश्रीषन दहच्छन आसरा। घन घममंड दराहमनश्री हबलरासरा॥
मधपुर मधपुर गरजइ घन घगोररा। हगोइ बमृहष्टि जहन उपल कठगोररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे हवभश्रीषर! दहक्षर हदशरा ककी ओर दप्रेखगो, बरादल कहै सरा घपुमड रहरा हहै और हबजलश्री
चमक रहश्री हहै। भयरानक बरादल मश्रीठप्रे-मश्रीठप्रे (हल्कप्रे -हल्कप्रे ) स्वर सप्रे गरज रहरा हहै। कहहीं कठगोर ओलर
ककी वषरार्ण न हगो!॥1॥
* कहत हवभश्रीषन सपुनहह कमृ परालरा। हगोइ न तहडत न बराररद मरालरा॥
लमंकरा हसखर उपर आगराररा। तहहूँ दसकमंधर दप्रेख अखराररा॥2॥
भरावरारर्ण:- हवभश्रीषर बगोलप्रे- हप्रे कमृ परालपु! सपुहनए, यह न तगो हबजलश्री हहै, न बरादलर ककी घटरा। लमंकरा
ककी चगोटश्री पर एक महल हहै। दशगश्रीव ररावर वहराहूँ (नराच-गरान करा) अखराडरा दप्रेख रहरा हहै॥2॥
* छत्र मप्रेघडमंबर हसर धरारश्री। सगोइ जनपु जलद घटरा अहत करारश्री॥
ममंदगोदरश्री शवन तराटमंकरा। सगोइ पभपु जनपु दराहमनश्री दममंकरा॥3॥
भरावरारर्ण:- ररावर नप्रे हसर पर मप्रेघडमंबर (बरादलर कप्रे डमंबर जहैसरा हवशराल और करालरा) छत्र धरारर कर
रखरा हहै। वहश्री मरानगो बरादलर ककी करालश्री घटरा हहै। ममंदगोदरश्री कप्रे करानर ममें जगो करर्णफिपूल हहल रहप्रे हमैं, हप्रे
पभगो! वहश्री मरानगो हबजलश्री चमक रहश्री हहै॥3॥
* बराजहहमं तराल ममृदमंग अनपूपरा। सगोइ रव मधपुर सपुनहह सपुरभपूपरा।
पभपु मपुसपुकरान समपुहझ अहभमरानरा। चराप चढराव बरान समंधरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे सम्रराट! सपुहनए, अनपुपम तराल ममृदमंग बज रहप्रे हमैं। वहश्री मधपुर (गजर्णन)
ध्वहन हहै। ररावर करा अहभमरान समझकर पभपु मपुस्कपु रराए। उन्हरनप्रे धनपुष चढराकर उस पर बरार करा
सन्धरान हकयरा॥4॥
दगोहरा :
* छत्र मपुकपुट तरामंटक तब हतप्रे एकहहीं बरान।
सब कमें दप्रेखत महह परप्रे मरमपु न कगोऊ जरान॥13 क॥
भरावरारर्ण:- और एक हश्री बरार सप्रे (ररावर कप्रे ) छत्र-मपुकपुट और (ममंदगोदरश्री कप्रे ) करर्णफिपूल कराट हगरराए।
सबकप्रे दप्रेखतप्रे-दप्रेखतप्रे वप्रे जमश्रीन पर आ पडप्रे, पर इसकरा भप्रेद (करारर) हकसश्री नप्रे नहहीं जरानरा॥13
(क)॥
* अस करौतपुक करर रराम सर पहबसप्रेउ आई हनषमंग।
ररावन सभरा ससमंक सब दप्रेहख महरा रसभमंग॥13 ख॥
भरावरारर्ण:- ऐसरा चमत्करार करकप्रे शश्री ररामजश्री करा बरार (वरापस) आकर (हफिर) तरकस ममें जरा
घपुसरा। यह महरानम रस भमंग (रमंग ममें भमंग) दप्रेखकर ररावर ककी सरारश्री सभरा भयभश्रीत हगो गई॥13
(ख)॥
चरौपराई :
कमंप न भपूहम न मरत हबसप्रेषरा। अस्त्र सस्त्र कछपु नयन न दप्रेखरा।
सगोचहहमं सब हनज हृदय मझरारश्री। असगपुन भयउ भयमंकर भरारश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- न भपूकम्प हहआ, न बहह त जगोर ककी हवरा (आहूँधश्री) चलश्री। न कगोई अस्त्र-शस्त्र हश्री नप्रेत्रर सप्रे
दप्रेखप्रे। (हफिर यप्रे छत्र, मपुकपुट और करर्णफिपूल जहैसप्रे कटकर हगर पडप्रे?) सभश्री अपनप्रे-अपनप्रे हृदय ममें
सगोच रहप्रे हमैं हक यह बडरा भयमंकर अपशकपु न हह आ!॥1॥
* दसमपुख दप्रेहख सभरा भय पराई। हबहहस बचन कह जपुगपुहत बनराई।
हसरउ हगरप्रे समंतत सपुभ जराहश्री। मपुकपुट परप्रे कस असगपुन तराहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- सभरा कगो भयतश्रीत दप्रेखकर ररावर नप्रे हहूँसकर यहपु क्त रचकर यप्रे वचन कहप्रे- हसरर करा हगरनरा
भश्री हजसकप्रे हलए हनरमंतर शपुभ हगोतरा रहरा हहै, उसकप्रे हलए मपुकपुट करा हगरनरा अपशकपु न कहै सरा?॥2॥

मन्दगोदरश्री करा हफिर ररावर कगो समझरानरा और शश्री रराम ककी महहमरा कहनरा
* सयन करहह हनज हनज गमृह जराई।मं गवनप्रे भवन सकल हसर नराई॥
ममंदगोदरश्री सगोच उर बसप्रेऊ। जब तप्रे शवनपपूर महह खसप्रेऊ॥3॥
भरावरारर्ण:- अपनप्रे-अपनप्रे घर जराकर सगो रहगो (डरनप्रे ककी कगोई बरात नहहीं हहै) तब सब लगोग हसर
नवराकर घर गए। जब सप्रे करर्णफिपूल पमृथ्वश्री पर हगररा, तब सप्रे ममंदगोदरश्री कप्रे हृदय ममें सगोच बस गयरा॥3॥
* सजल नयन कह जपुग कर जगोरश्री। सपुनहह परानपहत हबनतश्री मगोरश्री॥
कमंत रराम हबरगोध पररहरहह । जराहन मनपुज जहन हठ लग धरहह ॥4॥
भरावरारर्ण:- नप्रेत्रर ममें जल भरकर, दगोनर हरार जगोडकर वह (ररावर सप्रे) कहनप्रे लगश्री- हप्रे परारनरार!
मप्रेरश्री हवनतश्री सपुहनए। हप्रे हपयतम! शश्री रराम सप्रे हवरगोध छगोड दश्रीहजए। उन्हमें मनपुष्य जरानकर मन ममें हठ
न पकडप्रे रहहए॥4॥
दगोहरा :
* हबस्वरूप रघपुबस मं महन करहह बचन हबस्वरासपु।
लगोक कल्पनरा बप्रेद कर अमंग अमंग पहत जरासपु॥14॥
भरावरारर्ण:- मप्रेरप्रे इन वचनर पर हवश्वरास ककीहजए हक यप्रे रघपुकपुल कप्रे हशरगोमहर शश्री ररामचमंदजश्री हवश्व
रूप हमैं- (यह सराररा हवश्व उन्हहीं करा रूप हहै)। वप्रेद हजनकप्रे अमंग-अमंग ममें लगोकर ककी कल्पनरा करतप्रे हमैं॥
14॥
चरौपराई :
* पद परातराल सश्रीस अज धरामरा। अपर लगोक अहूँग अहूँग हबशरामरा॥
भमृकपुहट हबलरास भयमंकर करालरा। नयन हदवराकर कच घन मरालरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- परातराल (हजन हवश्व रूप भगवरानम करा) चरर हहै, ब्रह लगोक हसर हहै, अन्य (बश्रीच कप्रे
सब) लगोकर करा हवशराम (हस्रहत) हजनकप्रे अन्य हभन्न-हभन्न अमंगर पर हहै। भयमंकर कराल हजनकरा
भमृकपुहट समंचरालन (भजौंहर करा चलनरा) हहै। सपूयर्ण नप्रेत्र हमैं, बरादलर करा समपूह बराल हहै॥1॥
* जरासपु घ्ररान अहस्वनश्रीकपुमराररा। हनहस अर हदवस हनमप्रेष अपराररा॥
शवन हदसरा दस बप्रेद बखरानश्री। मरारत स्वरास हनगम हनज बरानश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- अहश्वनश्री कपु मरार हजनककी नराहसकरा हमैं, ररात और हदन हजनकप्रे अपरार हनमप्रेष (पलक
मरारनरा और खगोलनरा) हमैं। दसर हदशराएहूँ करान हमैं, वप्रेद ऐसरा कहतप्रे हमैं। वरायपु श्वरास हहै और वप्रेद हजनककी
अपनश्री वरारश्री हहै॥2॥
* अधर लगोभ जम दसन कररालरा। मरायरा हरास बराहह हदगपरालरा॥
आनन अनल अमंबपुपहत जश्रीहरा। उतपहत परालन पलय समश्रीहरा॥3॥
भरावरारर्ण:- लगोभ हजनकरा अधर (हगोठ) हहै, यमरराज भयरानक दराहूँत हमैं। मरायरा हहूँसश्री हहै, हदक्पराल
भपुजराएहूँ हमैं। अहग्नि मपुख हहै, वरर जश्रीभ हहै। उत्पहर, परालन और पलय हजनककी चप्रेष्टिरा (हकयरा) हहै॥3॥
* रगोम रराहज अष्टिरादस भराररा। अहस्र सहैल सररतरा नस जराररा॥
उदर उदहध अधगगो जरातनरा। जगमय पभपु करा बहह कलपनरा॥4॥
भरावरारर्ण:- अठरारह पकरार ककी असमंख्य वनस्पहतयराहूँ हजनककी रगोमरावलश्री हमैं, पवर्णत अहस्रयराहूँ हमैं,
नहदयराहूँ नसर करा जराल हहै, समपुद पप्रेट हहै और नरक हजनककी नश्रीचप्रे ककी इमंहदयराहूँ हमैं। इस पकरार पभपु
हवश्वमय हमैं, अहधक कल्पनरा (ऊहरापगोह) क्यरा ककी जराए?॥4॥
दगोहरा :
अहमंकरार हसव बपुहद अज मन सहस हचर महरान।
मनपुज बरास सचरराचर रूप रराम भगवरान॥15 क॥
भरावरारर्ण:- हशव हजनकरा अहमंकरार हमैं, ब्रहरा बपुहद हमैं, चमंदमरा मन हमैं और महरान (हवष्रपु) हश्री हचर हमैं।
उन्हहीं चरराचर रूप भगवरान शश्री ररामजश्री नप्रे मनपुष्य रूप ममें हनवरास हकयरा हहै॥ 15 (क)॥
* अस हबचरारर सपुनपु परानपहत पभपु सन बयर हबहराइ।
पश्रीहत करहह रघपुबश्रीर पद मम अहहवरात न जराइ॥15 ख॥
भरावरारर्ण:- हप्रे परारपहत सपुहनए, ऐसरा हवचरार कर पभपु सप्रे वहैर छगोडकर शश्री रघपुवश्रीर कप्रे चररर ममें पप्रेम
ककीहजए, हजससप्रे मप्रेररा सपुहराग न जराए॥15 (ख)॥
चरौपराई :
* हबहहूँसरा नरारर बचन सपुहन करानरा। अहगो मगोह महहमरा बलवरानरा॥
नरारर सपुभराउ सत्य सब कहहहीं। अवगपुन आठ सदरा उर रहहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:- पत्नश्री कप्रे वचन करानर सप्रे सपुनकर ररावर खपूब हहूँसरा (और बगोलरा-) अहगो! मगोह (अजरान)
ककी महहमरा बडश्री बलवरानम हहै। स्त्रश्री करा स्वभराव सब सत्य हश्री कहतप्रे हमैं हक उसकप्रे हृदय ममें आठ
अवगपुर सदरा रहतप्रे हमैं-॥1॥
* सराहस अनमृत चपलतरा मरायरा। भय अहबबप्रेक असरौच अदरायरा॥
ररपपु कर रूप सकल तमैं गरावरा। अहत हबसराल भय मगोहह सपुनरावरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- सराहस, झपूठ, चमंचलतरा, मरायरा (छल), भय (डरपगोकपन) अहववप्रेक (मपूखर्णतरा),
अपहवत्रतरा और हनदर्णयतरा। तपूनप्रे शत्रपु करा समग (हवरराट) रूप गरायरा और मपुझप्रे उसकरा बडरा भरारश्री भय
सपुनरायरा॥2॥
* सगो सब हपयरा सहज बस मगोरमें। समपुहझ पररा अब पसराद तगोरमें॥
जराहनउहूँ हपयरा तगोरर चतपुरराई। एहह हबहध कहहह मगोरर पभपुतराई॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे हपयप्रे! वह सब (यह चरराचर हवश्व तगो) स्वभराव सप्रे हश्री मप्रेरप्रे वश ममें हहै। तप्रेरश्री कमृ परा सप्रे
मपुझप्रे यह अब समझ पडरा। हप्रे हपयप्रे! तप्रेरश्री चतपुरराई ममैं जरान गयरा। तपू इस पकरार (इसश्री बहरानप्रे) मप्रेरश्री
पभपुतरा करा बखरान कर रहश्री हहै॥3॥
* तव बतकहश्री गपूढ ममृगलगोचहन। समपुझत सपुखद सपुनत भय मगोचहन॥
ममंदगोदरर मन महह हूँ अस ठयऊ। हपयहह कराल बस महत रम भयउ॥4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे ममृगनयनश्री! तप्रेरश्री बरातमें बडश्री गपूढ (रहस्यभरश्री) हमैं, समझनप्रे पर सपुख दप्रेनप्रे वरालश्री और
सपुननप्रे सप्रे भय छपु डरानप्रे वरालश्री हमैं। ममंदगोदरश्री नप्रे मन ममें ऐसरा हनश्चय कर हलयरा हक पहत कगो करालवश
महतरम हगो गयरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* ऐहह हबहध करत हबनगोद बहह परात पगट दसकमंध।
सहज असमंक लमंकपहत सभराहूँ गयउ मद अमंध॥16 क॥
भरावरारर्ण:- इस पकरार (अजरानवश) बहह त सप्रे हवनगोद करतप्रे हहए ररावर कगो सबप्रेररा हगो गयरा। तब
स्वभराव सप्रे हश्री हनडर और घममंड ममें अमंधरा लमंकरापहत सभरा ममें गयरा॥ 16 (क)॥
सगोरठरा :
* फिपूलइ फिरइ न बप्रेत जदहप सपुधरा बरषहहमं जलद।
मपूरख हृदयहूँ न चप्रेत जजौं गपुर हमलहहमं हबरमंहच सम॥16 ख॥
भरावरारर्ण:- यद्यहप बरादल अममृत सरा जल बरसरातप्रे हमैं तगो भश्री बप्रेत फिपू लतरा-फिलतरा नहहीं। इसश्री पकरार
चराहप्रे ब्रहरा कप्रे समरान भश्री जरानश्री गपुर हमलमें, तगो भश्री मपूखर्ण कप्रे हृदय ममें चप्रेत (जरान) नहहीं हगोतरा॥16
(ख)॥
अमंगदजश्री करा लमंकरा जरानरा और ररावर ककी सभरा ममें अमंगद-ररावर समंवराद
चरौपराई :
* इहराहूँ परात जरागप्रे रघपुरराई। पपूछरा मत सब सहचव बगोलराई॥
कहहह बप्रेहग करा कररअ उपराई। जरामवमंत कह पद हसर नराई॥1॥
भरावरारर्ण:- यहराहूँ (सपुबप्रेल पवर्णत पर) परातद्धाःकराल शश्री रघपुनरारजश्री जरागप्रे और उन्हरनप्रे सब ममंहत्रयर कगो
बपुलराकर सलराह पपूछश्री हक शश्रीघ्र बतराइए, अब क्यरा उपराय करनरा चराहहए? जराम्बवरानम नप्रे शश्री ररामजश्री
कप्रे चररर ममें हसर नवराकर कहरा-॥1॥
* सपुनपु सबर्णग्य सकल उर बरासश्री। बपुहध बल तप्रेज धमर्ण गपुन ररासश्री॥
ममंत्र कहउहूँ हनज महत अनपुसराररा। दतपू पठराइअ बराहल कपु मराररा॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे सवर्णज (सब कपु छ जराननप्रे वरालप्रे)! हप्रे सबकप्रे हृदय ममें बसनप्रे वरालप्रे (अमंतयरार्णमश्री)! हप्रे
बपुहद, बल, तप्रेज, धमर्ण और गपुरर ककी रराहश! सपुहनए! ममैं अपनश्री बपुहद कप्रे अनपुसरार सलराह दप्रेतरा हह हूँ
हक बराहलकपु मरार अमंगद कगो दतपू बनराकर भप्रेजरा जराए!॥2॥
* नश्रीक ममंत्र सब कप्रे मन मरानरा। अमंगद सन कह कमृ पराहनधरानरा॥
बराहलतनय बपुहध बल गपुन धरामरा। लमंकरा जराहह तरात मम करामरा॥3॥
भरावरारर्ण:- यह अच्छश्री सलराह सबकप्रे मन ममें जहूँच गई। कमृ परा कप्रे हनधरान शश्री ररामजश्री नप्रे अमंगद सप्रे कहरा-
हप्रे बल, बपुहद और गपुरर कप्रे धराम बराहलपपुत्र! हप्रे तरात! तपुम मप्रेरप्रे कराम कप्रे हलए लमंकरा जराओ॥3॥
* बहह त बपुझराइ तपुम्हहह करा कहऊहूँ। परम चतपुर ममैं जरानत अहऊहूँ॥
कराजपु हमरार तरासपु हहत हगोई। ररपपु सन करप्रेहह बतकहश्री सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:- तपुमकगो बहह त समझराकर क्यरा कहह हूँ! ममैं जरानतरा हह हूँ, तपुम परम चतपुर हगो। शत्रपु सप्रे वहश्री
बरातचश्रीत करनरा, हजससप्रे हमराररा कराम हगो और उसकरा कल्यरार हगो॥4॥
सगोरठरा :
* पभपु अग्यरा धरर सश्रीस चरन बमंहद अमंगद उठप्रेउ।
सगोइ गपुन सरागर ईस रराम कमृ परा जरा कर करहह ॥17 क॥
भरावरारर्ण:-पभपु ककी आजरा हसर चढकर और उनकप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे अमंगदजश्री उठप्रे (और
बगोलप्रे-) हप्रे भगवरानम शश्री ररामजश्री! आप हजस पर कमृ परा करमें, वहश्री गपुरर करा समपुद हगो जरातरा हहै॥17
(क)॥
* स्वयमंहसद सब कराज नरार मगोहह आदर हदयउ।
अस हबचरारर जपुबरराज तन पपुलहकत हरहषत हहयउ॥17 ख॥
भरावरारर्ण:-स्वरामश्री सब करायर्ण अपनप्रे-आप हसद हमैं, यह तगो पभपु नप्रे मपुझ कगो आदर हदयरा हहै (जगो मपुझप्रे
अपनप्रे करायर्ण पर भप्रेज रहप्रे हमैं)। ऐसरा हवचरार कर यवपु रराज अमंगद करा हृदय हहषर्णत और शरश्रीर पपुलहकत
हगो गयरा॥17 (ख)॥
चरौपराई :
* बमंहद चरन उर धरर पभपुतराई। अमंगद चलप्रेउ सबहह हसर नराई॥
पभपु पतराप उर सहज असमंकरा। रन बराहूँकपुररा बराहलसपुत बमंकरा॥1॥
भरावरारर्ण:- चररर ककी वमंदनरा करकप्रे और भगवरानम ककी पभपुतरा हृदय ममें धरकर अमंगद सबकगो हसर
नवराकर चलप्रे। पभपु कप्रे पतराप कगो हृदय ममें धरारर हकए हह ए ररबराहूँकपुरप्रे वश्रीर बराहलपपुत्र स्वराभराहवक हश्री
हनभर्णय हमैं॥1॥
* पपुर पहैठत ररावन कर बप्रेटरा। खप्रेलत रहरा सगो हगोइ गहै भमेंटरा॥
बरातहहमं बरात करष बहढ आई। जपुगल अतपुल बल पपुहन तरनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-लमंकरा ममें पवप्रेश करतप्रे हश्री ररावर कप्रे पपुत्र सप्रे भमेंट हगो गई, जगो वहराहूँ खप्रेल रहरा ररा। बरातर हश्री
बरातर ममें दगोनर ममें झगडरा बढ गयरा (क्यरहक) दगोनर हश्री अतपुलनश्रीय बलवरानम रप्रे और हफिर दगोनर ककी
यवपु रावस्ररा रश्री॥2॥
* तप्रेहहमं अमंगद कहह हूँ लरात उठराई। गहह पद पटकप्रे उ भपूहम भवराहूँई॥
हनहसचर हनकर दप्रेहख भट भरारश्री। जहहूँ तहहूँ चलप्रे न सकहहमं पपुकरारश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:- उसनप्रे अमंगद पर लरात उठराई। अमंगद नप्रे (वहश्री) पहैर पकडकर उसप्रे घपुमराकर जमश्रीन पर दप्रे
पटकरा (मरार हगररायरा)। रराक्षस कप्रे समपूह भरारश्री यगोदरा दप्रेखकर जहराहूँ-तहराहूँ (भराग) चलप्रे, वप्रे डर कप्रे मरारप्रे
पपुकरार भश्री न मचरा सकप्रे ॥3॥
* एक एक सन मरमपु न कहहहीं। समपुहझ तरासपु बध चपुप करर रहहहीं॥
भयउ कगोलराहल नगर मझरारश्री। आवरा कहप लमंकरा जप्रेहहमं जरारश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-एक-दस पू रप्रे कगो ममर्ण (असलश्री बरात) नहहीं बतलरातप्रे, उस (ररावर कप्रे पपुत्र) करा वध
समझकर सब चपुप मरारकर रह जरातप्रे हमैं। (ररावर पपुत्र ककी ममृत्यपु जरानकर और रराक्षसर कगो भय कप्रे मरारप्रे
भरागतप्रे दप्रेखकर) नगरभर ममें कगोलराहल मच गयरा हक हजसनप्रे लमंकरा जलराई रश्री, वहश्री वरानर हफिर आ
गयरा हहै॥4॥
* अब धजौं कहरा कररहह करतराररा। अहत सभश्रीत सब करहहमं हबचराररा॥
हबनपु पपूछमें मगपु दप्रेहहमं हदखराई। जप्रेहह हबलगोक सगोइ जराइ सपुखराई॥5॥
भरावरारर्ण:- सब अत्यमंत भयभश्रीत हगोकर हवचरार करनप्रे लगप्रे हक हवधरातरा अब न जरानप्रे क्यरा करप्रेगरा। वप्रे
हबनरा पपूछप्रे हश्री अमंगद कगो (ररावर कप्रे दरबरार ककी) रराह बतरा दप्रेतप्रे हमैं। हजसप्रे हश्री वप्रे दप्रेखतप्रे हमैं, वहश्री डर कप्रे
मरारप्रे सपूख जरातरा हहै॥5॥
दगोहरा :
* गयउ सभरा दरबरार तब सपुहमरर रराम पद कमंज।
हसमंह ठवहन इत उत हचतव धश्रीर बश्रीर बल पपुमंज॥18॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमलर करा स्मरर करकप्रे अमंगद ररावर ककी सभरा कप्रे दरार पर गए और
वप्रे धश्रीर, वश्रीर और बल ककी रराहश अमंगद हसमंह ककी सश्री ऐमंड (शरान) सप्रे इधर-उधर दप्रेखनप्रे लगप्रे॥18॥
चरौपराई :
* तपुरत हनसराचर एक पठरावरा। समराचरार ररावनहह जनरावरा॥
सपुनत हबहहूँहस बगोलरा दससश्रीसरा। आनहह बगोहल कहराहूँ कर ककीसरा॥1॥
भरावरारर्ण:- तपुरमंत हश्री उन्हरनप्रे एक रराक्षस कगो भप्रेजरा और ररावर कगो अपनप्रे आनप्रे करा समराचरार सपूहचत
हकयरा। सपुनतप्रे हश्री ररावर हहूँसकर बगोलरा- बपुलरा लराओ, (दप्रेख)में कहराहूँ करा बमंदर हहै॥1॥
* आयसपु पराइ दतपू बहह धराए। कहपकपुमं जरहह बगोहल लहै आए॥
अमंगद दश्रीख दसरानन बहैसमें। सहहत परान कजलहगरर जहैसमें॥2॥
भरावरारर्ण:- आजरा पराकर बहह त सप्रे दतपू दरौडप्रे और वरानरर ममें हरारश्री कप्रे समरान अमंगद कगो बपुलरा लराए।
अमंगद नप्रे ररावर कगो ऐसप्रे बहैठप्रे हहए दप्रेखरा, जहैसप्रे कगोई परारयक्तपु (सजश्रीव) कराजल करा पहराड हगो!॥2॥
* भपुजरा हबटप हसर समृगमं समरानरा। रगोमरावलश्री लतरा जनपु नरानरा॥
मपुख नराहसकरा नयन अर करानरा। हगरर कमंदररा खगोह अनपुमरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:- भपुजराएहूँ वमृक्षर कप्रे और हसर पवर्णतर कप्रे हशखरर कप्रे समरान हमैं। रगोमरावलश्री मरानगो बहह त सश्री
लतराएहूँ हमैं। मपुहूँह, नराक, नप्रेत्र और करान पवर्णत ककी कन्दरराओमं और खगोहर कप्रे बरराबर हमैं॥3॥
* गयउ सभराहूँ मन नप्रेकपु न मपुररा। बराहलतनय अहतबल बराहूँकपुररा॥
उठप्रे सभरासद कहप कहह हूँ दप्रेखश्री। ररावन उर भरा कगोध हबसप्रेषश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- अत्यमंत बलवरानम बराहूँकप्रे वश्रीर बराहलपपुत्र अमंगद सभरा ममें गए, वप्रे मन ममें जररा भश्री नहहीं हझझकप्रे ।
अमंगद कगो दप्रेखतप्रे हश्री सब सभरासदम उठ खडप्रे हह ए। यह दप्रेखकर ररावर कप्रे हृदय ममें बडरा कगोध हहआ॥
4॥
दगोहरा :
* जररा मर गज जपूर महह हूँ पमंचरानन चहल जराइ।
रराम पतराप सपुहमरर मन बहैठ सभराहूँ हसर नराइ॥19॥
भरावरारर्ण:- जहैसप्रे मतवरालप्रे हराहरयर कप्रे झपुमंड ममें हसमंह (हनद्धाःशमंक हगोकर) चलरा जरातरा हहै, वहैसप्रे हश्री शश्री
ररामजश्री कप्रे पतराप करा हृदय ममें स्मरर करकप्रे वप्रे (हनभर्णय) सभरा ममें हसर नवराकर बहैठ गए॥19॥
चरौपराई :
* कह दसकमंठ कवन तमैं बमंदर। ममैं रघपुबश्रीर दतपू दसकमंधर॥
मम जनकहह तगोहह रहश्री हमतराई। तव हहत करारन आयउहूँ भराई॥1॥
भरावरारर्ण:- ररावर नप्रे कहरा- अरप्रे बमंदर! तपू करौन हहै? (अमंगद नप्रे कहरा-) हप्रे दशगश्रीव! ममैं शश्री रघपुवश्रीर
करा दतपू हह हूँ। मप्रेरप्रे हपतरा सप्रे और तपुमसप्रे हमत्रतरा रश्री, इसहलए हप्रे भराई! ममैं तपुम्हरारश्री भलराई कप्रे हलए हश्री
आयरा हह॥हूँ 1॥
* उरम कपु ल पपुलहस्त कर नरातश्री। हसव हबमंरहच पपूजहप्रे ह बहह भराहूँतश्री॥
बर परायहह ककीन्हप्रेहह सब कराजरा। जश्रीतप्रेहह लगोकपराल सब रराजरा॥2॥
भरावरारर्ण:- तपुम्हराररा उरम कपु ल हहै, पपुलस्त्य ऋहष कप्रे तपुम परौत्र हगो। हशवजश्री ककी और ब्रहराजश्री ककी
तपुमनप्रे बहह त पकरार सप्रे पपूजरा ककी हहै। उनसप्रे वर पराए हमैं और सब कराम हसद हकए हमैं। लगोकपरालर और
सब रराजराओमं कगो तपुमनप्रे जश्रीत हलयरा हहै॥2॥
* नमृप अहभमरान मगोह बस हकमंबरा। हरर आहनहह सश्रीतरा जगदमंबरा॥
अब सपुभ कहरा सपुनहह तपुम्ह मगोररा। सब अपरराध छहमहह पभपु तगोररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- रराजमद सप्रे यरा मगोहवश तपुम जगजननश्री सश्रीतराजश्री कगो हर लराए हगो। अब तपुम मप्रेरप्रे शपुभ वचन
(मप्रेरश्री हहतभरश्री सलराह) सपुनगो! (उसकप्रे अनपुसरार चलनप्रे सप्रे) पभपु शश्री ररामजश्री तपुम्हरारप्रे सब अपरराध
क्षमरा कर दमेंगप्रे॥3॥
* दसन गहहह तमृन कमंठ कपु ठरारश्री। पररजन सहहत समंग हनज नरारश्री॥
सरादर जनकसपुतरा करर आगमें। एहह हबहध चलहह सकल भय त्यरागमें॥4॥
भरावरारर्ण:-दराहूँतर ममें हतनकरा दबराओ, गलप्रे ममें कपु ल्हराडश्री डरालगो और कपु टपु हम्बयर सहहत अपनश्री हस्त्रयर कगो
सरार लप्रेकर, आदरपपूवर्णक जरानककीजश्री कगो आगप्रे करकप्रे , इस पकरार सब भय छगोडकर चलगो-॥4॥
दगोहरा :
* पनतपराल रघपुबमंसमहन त्रराहह त्रराहह अब मगोहह।
आरत हगररा सपुनत पभपु अभय करमेंगप्रे तगोहह॥20॥
भरावरारर्ण:- और 'हप्रे शरररागत कप्रे परालन करनप्रे वरालप्रे रघपुवमंश हशरगोमहर शश्री ररामजश्री! मप्रेरश्री रक्षरा
ककीहजए, रक्षरा ककीहजए।' (इस पकरार आतर्ण परारर्णनरा करगो।) आतर्ण पपुकरार सपुनतप्रे हश्री पभपु तपुमकगो हनभर्णय
कर दमेंगप्रे॥20॥
चरौपराई :
* रप्रे कहपपगोत बगोलपु समंभरारश्री। मपूढ न जरानप्रेहह मगोहह सपुररारश्री॥
कहह हनज नराम जनक कर भराई। कप्रे हह नरातमें मराहनऐ हमतराई॥1॥
भरावरारर्ण:- (ररावर नप्रे कहरा-) अरप्रे बमंदर कप्रे बचप्रे! सहूँभरालकर बगोल! मपूखर्ण! मपुझ दप्रेवतराओमं कप्रे शत्रपु
कगो तपूनप्रे जरानरा नहहीं? अरप्रे भराई! अपनरा और अपनप्रे बराप करा नराम तगो बतरा। हकस नरातप्रे सप्रे हमत्रतरा
मरानतरा हहै?॥1॥
* अमंगद नराम बराहल कर बप्रेटरा। तरासर कबहह हूँ भई हश्री भमेंटरा॥
अमंगद बचन सपुनत सकपु चरानरा। रहरा बराहल बरानर ममैं जरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-(अमंगद नप्रे कहरा-) मप्रेररा नराम अमंगद हहै, ममैं बराहल करा पपुत्र हह हूँ। उनसप्रे कभश्री तपुम्हरारश्री भमेंट हहई
रश्री? अमंगद करा वचन सपुनतप्रे हश्री ररावर कपु छ सकपु चरा गयरा (और बगोलरा-) हराहूँ, ममैं जरान गयरा (मपुझप्रे
यराद आ गयरा), बराहल नराम करा एक बमंदर ररा॥2॥
* अमंगद तहहीं बराहल कर बरालक। उपजप्रेहह बमंस अनल कपु ल घरालक॥
गभर्ण न गयहह ब्यरर्ण तपुम्ह जरायहह । हनज मपुख तरापस दतपू कहरायहह ॥3॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे अमंगद! तपू हश्री बराहल करा लडकरा हहै? अरप्रे कपु लनराशक! तपू तगो अपनप्रे कपु लरूपश्री बराहूँस
कप्रे हलए अहग्नि रूप हश्री पहैदरा हहआ! गभर्ण ममें हश्री क्यर न नष्टि हगो गयरा तपू? व्यरर्ण हश्री पहैदरा हहआ जगो अपनप्रे
हश्री मपुहूँह सप्रे तपहस्वयर करा दतपू कहलरायरा!॥3॥
* अब कहह कपु सल बराहल कहहूँ अहई। हबहहूँहस बचन तब अमंगद कहई॥
हदन दस गएहूँ बराहल पहहमं जराई। बपूझप्रेहह कपु सल सखरा उर लराई॥4॥
भरावरारर्ण:- अब बराहल ककी कपु शल तगो बतरा, वह (आजकल) कहराहूँ हहै? तब अमंगद नप्रे हहूँसकर कहरा-
दस (कपु छ) हदन बश्रीतनप्रे पर (स्वयमं हश्री) बराहल कप्रे परास जराकर, अपनप्रे हमत्र कगो हृदय सप्रे लगराकर,
उसश्री सप्रे कपु शल पपूछ लप्रेनरा॥4॥
* रराम हबरगोध कपु सल जहस हगोई। सगो सब तगोहह सपुनराइहह सगोई॥
सपुनपु सठ भप्रेद हगोइ मन तराकमें। शश्री रघपुबश्रीर हृदय नहहमं जराकमें॥5॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री सप्रे हवरगोध करनप्रे पर जहैसश्री कपु शल हगोतश्री हहै, वह सब तपुमकगो वप्रे सपुनरावमेंगप्रे। हप्रे
मपूखर्ण! सपुन, भप्रेद उसश्री कप्रे मन ममें पड सकतरा हहै, (भप्रेद नश्रीहत उसश्री पर अपनरा पभराव डराल सकतश्री
हहै) हजसकप्रे हृदय ममें शश्री रघपुवश्रीर न हर॥5॥
दगोहरा :
* हम कपु ल घरालक सत्य तपुम्ह कपु ल परालक दससश्रीस।
अमंधउ बहधर न अस कहहहमं नयन करान तव बश्रीस॥21॥
भरावरारर्ण:- सच हहै, ममैं तगो कपु ल करा नराश करनप्रे वरालरा हह हूँ और हप्रे ररावर! तपुम कपु ल कप्रे रक्षक हगो।
अमंधप्रे-बहरप्रे भश्री ऐसश्री बरात नहहीं कहतप्रे, तपुम्हरारप्रे तगो बश्रीस नप्रेत्र और बश्रीस करान हमैं!॥21॥
चरौपराई :
* हसव हबरमंहच सपुर मपुहन समपुदराई। चराहत जरासपु चरन सप्रेवकराई॥
तरासपु दतपू हगोइ हम कपु ल बगोररा। अइहसहह हूँ महत उर हबहर न तगोररा॥1॥
भरावरारर्ण:- हशव, ब्रहरा (आहद) दप्रेवतरा और मपुहनयर कप्रे समपुदराय हजनकप्रे चररर ककी सप्रेवरा (करनरा)
चराहतप्रे हमैं, उनकरा दतपू हगोकर ममैंनप्रे कपु ल कगो डपु बरा हदयरा? अरप्रे ऐसश्री बपुहद हगोनप्रे पर भश्री तपुम्हराररा हृदय
फिट नहहीं जरातरा?॥1॥
* सपुहन कठगोर बरानश्री कहप कप्रे रश्री। कहत दसरानन नयन तरप्रेरश्री॥
खल तव कहठन बचन सब सहऊहूँ। नश्रीहत धमर्ण ममैं जरानत अहऊहूँ॥2॥
भरावरारर्ण:- वरानर (अमंगद) ककी कठगोर वरारश्री सपुनकर ररावर आहूँख में तरप्रेरकर (हतरछश्री करकप्रे ) बगोलरा-
अरप्रे दष्टिपु ! ममैं तप्रेरप्रे सब कठगोर वचन इसश्रीहलए सह रहरा हह हूँ हक ममैं नश्रीहत और धमर्ण कगो जरानतरा हह हूँ (उन्हहीं
ककी रक्षरा कर रहरा हह हूँ)॥2॥
* कह कहप धमर्णसश्रीलतरा तगोरश्री। हमहह हूँ सपुनश्री कमृ त पर हत्रय चगोरश्री॥
दप्रेखश्री नयन दतपू रखवरारश्री। बपूहड न मरहह धमर्ण ब्रतधरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:- अमंगद नप्रे कहरा- तपुम्हरारश्री धमर्णशश्रीलतरा ममैंनप्रे भश्री सपुनश्री हहै। (वह यह हक) तपुमनप्रे परराई स्त्रश्री ककी
चगोरश्री ककी हहै! और दतपू ककी रक्षरा ककी बरात तगो अपनश्री आहूँखर सप्रे दप्रेख लश्री। ऐसप्रे धमर्ण कप्रे व्रत कगो धरारर
(परालन) करनप्रे वरालप्रे तपुम डपू बकर मर नहहीं जरातप्रे!॥3॥
* करान नराक हबनपु भहगहन हनहरारश्री। छमरा ककीहन्ह तपुम्ह धमर्ण हबचरारश्री॥
धमर्णसश्रीलतरा तव जग जरागश्री। परावरा दरसपु हमहह हूँ बडभरागश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-नराक-करान सप्रे रहहत बहहन कगो दप्रेखकर तपुमनप्रे धमर्ण हवचरारकर हश्री तगो क्षमरा कर हदयरा ररा!
तपुम्हरारश्री धमर्णशश्रीलतरा जगजराहहर हहै। ममैं भश्री बडरा भराग्यवरानम हह,हूँ जगो ममैंनप्रे तपुम्हराररा दशर्णन परायरा?॥4॥
दगोहरा :
* जहन जल्पहस जड जमंतपु कहप सठ हबलगोकपु मम बराहह।
लगोकपराल बल हबपपुल सहस गसन हप्रेतपु सब रराहह॥22 क॥
भरावरारर्ण:- (ररावर नप्रे कहरा-) अरप्रे जड जन्तपु वरानर! व्यरर्ण बक-बक न कर, अरप्रे मपूखर्ण! मप्रेरश्री
भपुजराएहूँ तगो दप्रेख। यप्रे सब लगोकपरालर कप्रे हवशराल बल रूपश्री चमंदमरा कगो गसनप्रे कप्रे हलए रराहह हमैं॥22
(क)॥
* पपुहन नभ सर मम कर हनकर कमलहन्ह पर करर बरास।
सगोभत भयउ मरराल इव समंभपु सहहत कहै लरास॥22 ख॥
भरावरारर्ण:- हफिर (तपूनप्रे सपुनरा हश्री हगोगरा हक) आकराश रूपश्री तरालराब ममें मप्रेरश्री भपुजराओमं रूपश्री कमलर पर
बसकर हशवजश्री सहहत कहै लरास हमंस कप्रे समरान शगोभरा कगो पराप्त हह आ ररा!॥22 (ख)॥
चरौपराई :
* तपुम्हरप्रे कटक मराझ सपुनपु अमंगद। मगो सन हभररहह कवन जगोधरा बद॥
तब पभपु नरारर हबरहहूँ बलहश्रीनरा। अनपुज तरासपु दख पु दखपु श्री मलश्रीनरा॥1॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे अमंगद! सपुन, तप्रेरश्री सप्रेनरा ममें बतरा, ऐसरा करौन यगोदरा हहै, जगो मपुझसप्रे हभड सकप्रे गरा। तप्रेररा
मराहलक तगो स्त्रश्री कप्रे हवयगोग ममें बलहश्रीन हगो रहरा हहै और उसकरा छगोटरा भराई उसश्री कप्रे दद्धाःपु ख सप्रे दद्धाःपु खश्री
और उदरास हहै॥1॥
* तपुम्ह सपुगश्रीव कपू लदपुम दगोऊ। अनपुज हमरार भश्रीर अहत सगोऊ॥
जरामवमंत ममंत्रश्री अहत बपूढरा। सगो हक हगोइ अब समररारूढरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- तपुम और सपुगश्रीव, दगोनर (नदश्री) तट कप्रे वमृक्ष हगो (रहरा) मप्रेररा छगोटरा भराई हवभश्रीषर, (सगो)
वह भश्री बडरा डरपगोक हहै। ममंत्रश्री जराम्बवरानम बहह त बपूढरा हहै। वह अब लडराई ममें क्यरा चढ (उद्यत हगो)
सकतरा हहै?॥2॥
* हसहल्प कमर्ण जरानहहमं नल नश्रीलरा। हहै कहप एक महरा बलसश्रीलरा॥
आवरा परम नगर जप्रेहहमं जराररा। सपुनत बचन कह बराहलकपु मराररा॥3॥
भरावरारर्ण:- नल-नश्रील तगो हशल्प-कमर्ण जरानतप्रे हमैं (वप्रे लडनरा क्यरा जरानमें?)। हराहूँ, एक वरानर जरूर
महरानम बलवरानम हहै, जगो पहलप्रे आयरा ररा और हजसनप्रे लमंकरा जलराई रश्री। यह वचन सपुनतप्रे हश्री बराहल पपुत्र
अमंगद नप्रे कहरा-॥3॥
* सत्य बचन कहह हनहसचर नराहरा। सराहूँचप्रेहहहूँ ककीस ककीन्ह पपुर दराहरा॥
ररावर नगर अल्प कहप दहई। सपुहन अस बचन सत्य कगो कहई॥4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे रराक्षसरराज! सचश्री बरात कहगो! क्यरा उस वरानर नप्रे सचमपुच तपुम्हराररा नगर जलरा हदयरा?
ररावर (जहैसप्रे जगहदजयश्री यगोदरा) करा नगर एक छगोटप्रे सप्रे वरानर नप्रे जलरा हदयरा। ऐसप्रे वचन सपुनकर
उन्हमें सत्य करौन कहप्रेगरा?॥4॥
* जगो अहत सपुभट सरराहप्रेहह ररावन। सगो सपुगश्रीव कप्रे र लघपु धरावन॥
चलइ बहह त सगो बश्रीर न हगोई। पठवरा खबरर लप्रेन हम सगोई॥5॥
भरावरारर्ण:- हप्रे ररावर! हजसकगो तपुमनप्रे बहह त बडरा यगोदरा कहकर सरराहरा हहै, वह तगो सपुगश्रीव करा एक
छगोटरा सरा दरौडकर चलनप्रे वरालरा हरकराररा हहै। वह बहह त चलतरा हहै, वश्रीर नहहीं हहै। उसकगो तगो हमनप्रे
(कप्रे वल) खबर लप्रेनप्रे कप्रे हलए भप्रेजरा ररा॥5॥
दगोहरा :
* सत्य नगर कहप जरारप्रेउ हबनपु पभपु आयसपु पराइ।
हफिरर न गयउ सपुगश्रीव पहहमं तप्रेहहमं भय रहरा लपुकराइ॥23 क॥
भरावरारर्ण:- क्यरा सचमपुच हश्री उस वरानर नप्रे पभपु ककी आजरा पराए हबनरा हश्री तपुम्हराररा नगर जलरा डरालरा?
मरालपूम हगोतरा हहै, इसश्री डर सप्रे वह लरौटकर सपुगश्रीव कप्रे परास नहहीं गयरा और कहहीं हछप रहरा!॥23
(क)॥
* सत्य कहहह दसकमंठ सब मगोहह न सपुहन कछपु कगोह।
कगोउ न हमरारमें कटक अस तगो सन लरत जगो सगोह॥23 ख॥
भरावरारर्ण:- हप्रे ररावर! तपुम सब सत्य हश्री कहतप्रे हगो, मपुझप्रे सपुनकर कपु छ भश्री कगोध नहहीं हहै। सचमपुच
हमरारश्री सप्रेनरा ममें कगोई भश्री ऐसरा नहहीं हहै, जगो तपुमसप्रे लडनप्रे ममें शगोभरा पराए॥23 (ख)॥
* पश्रीहत हबरगोध समरान सन कररअ नश्रीहत अहस आहह।
जजौं ममृगपहत बध मप्रेडपुकहन्ह भल हक कहइ कगोउ तराहह॥23 ग॥
भरावरारर्ण:- पश्रीहत और वहैर बरराबरश्री वरालप्रे सप्रे हश्री करनरा चराहहए, नश्रीहत ऐसश्री हश्री हहै। हसमंह यहद ममेंढकर
कगो मरारप्रे, तगो क्यरा उसप्रे कगोई भलरा कहप्रेगरा?॥23 (ग)॥
* जद्यहप लघपुतरा रराम कहह हूँ तगोहह बधमें बड दगोष।
तदहप कहठन दसकमंठ सपुनपु छत्र जराहत कर रगोष॥23 घ॥
भरावरारर्ण:-यद्यहप तपुम्हमें मरारनप्रे ममें शश्री ररामजश्री ककी लघपुतरा हहै और बडरा दगोष भश्री हहै तरराहप हप्रे ररावर!
सपुनगो, क्षहत्रय जराहत करा कगोध बडरा कहठन हगोतरा हहै॥23 (घ)॥
* बक उहक्त धनपु बचन सर हृदय दहप्रेउ ररपपु ककीस।
पहतउरर सडहसन्ह मनहह हूँ कराढत भट दससश्रीस॥23 ङ॥
भरावरारर्ण:-वकगोहक्त रूपश्री धनपुष सप्रे वचन रूपश्री बरार मरारकर अमंगद नप्रे शत्रपु करा हृदय जलरा हदयरा। वश्रीर
ररावर उन बरारर कगो मरानगो पत्यर पु र रूपश्री सहूँडहसयर सप्रे हनकराल रहरा हहै॥ 23 (ङ)॥
* हहूँहस बगोलप्रेउ दसमरौहल तब कहप कर बड गपुन एक।
जगो पहतपरालइ तरासपु हहत करइ उपराय अनप्रेक॥23 च॥
भरावरारर्ण:- तब ररावर हहूँसकर बगोलरा- बमंदर ममें यह एक बडरा गपुर हहै हक जगो उसप्रे परालतरा हहै, उसकरा
वह अनप्रेकर उपरायर सप्रे भलरा करनप्रे ककी चप्रेष्टिरा करतरा हहै॥23 (च)॥
चरौपराई :
* धन्य ककीस जगो हनज पभपु कराजरा। जहहूँ तहहूँ नराचइ पररहरर लराजरा॥
नराहच कपू हद करर लगोग ररझराई। पहत हहत करइ धमर्ण हनपपुनराई॥1॥
भरावरारर्ण:- बमंदर कगो धन्य हहै, जगो अपनप्रे मराहलक कप्रे हलए लराज छगोडकर जहराहूँ-तहराहूँ नराचतरा हहै।
नराच-कपू दकर, लगोगर कगो ररझराकर, मराहलक करा हहत करतरा हहै। यह उसकप्रे धमर्ण ककी हनपपुरतरा हहै॥
1॥
* अमंगद स्वराहमभक्त तव जरातश्री। पभपु गपुन कस न कहहस एहह भराहूँतश्री॥
ममैं गपुन गराहक परम सपुजरानरा। तव कटपु रटहन करउहूँ नहहमं करानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे अमंगद! तप्रेरश्री जराहत स्वराहमभक्त हहै (हफिर भलरा) तपू अपनप्रे मराहलक कप्रे गपुर इस पकरार
कहै सप्रे न बखरानप्रेगरा? ममैं गपुर गराहक (गपुरर करा आदर करनप्रे वरालरा) और परम सपुजरान (समझदरार)
हह हूँ, इसश्री सप्रे तप्रेरश्री जलश्री-कटश्री बक-बक पर करान (ध्यरान) नहहीं दप्रेतरा॥2॥
* कह कहप तव गपुन गराहकतराई। सत्य पवनसपुत मगोहह सपुनराई॥
बन हबधमंहस सपुत बहध पपुर जराररा। तदहप न तप्रेहहमं कछपु कमृ त अपकराररा॥3॥
भरावरारर्ण:- अमंगद नप्रे कहरा- तपुम्हरारश्री सचश्री गपुर गराहकतरा तगो मपुझप्रे हनपुमरानम नप्रे सपुनराई रश्री। उसनप्रे अशगोक
वन ममें हवध्वमंस (तहस-नहस) करकप्रे , तपुम्हरारप्रे पपुत्र कगो मरारकर नगर कगो जलरा हदयरा ररा। तगो भश्री
(तपुमनप्रे अपनश्री गपुर गराहकतरा कप्रे करारर यहश्री समझरा हक) उसनप्रे तपुम्हराररा कपु छ भश्री अपकरार नहहीं
हकयरा॥3॥
* सगोइ हबचरारर तव पकमृ हत सपुहराई। दसकमंधर ममैं ककीहन्ह हढठराई॥
दप्रेखप्रेउहूँ आइ जगो कछपु कहप भराषरा। तपुम्हरमें लराज न रगोष न मराखरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- तपुम्हराररा वहश्री सपुदमं र स्वभराव हवचरार कर, हप्रे दशगश्रीव! ममैंनप्रे कपु छ धमृष्टितरा ककी हहै। हनपुमरानम नप्रे
जगो कपु छ कहरा ररा, उसप्रे आकर ममैंनप्रे पत्यक्ष दप्रेख हलयरा हक तपुम्हमें न लजरा हहै, न कगोध हहै और न
हचढ हहै॥4॥
*जजौं अहस महत हपतपु खराए ककीसरा। कहह अस बचन हहूँसरा दससश्रीसरा॥
हपतहह खराइ खरातप्रेउहूँ पपुहन तगोहश्री। अबहहीं समपुहझ पररा कछपु मगोहश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- (ररावर बगोलरा-) अरप्रे वरानर! जब तप्रेरश्री ऐसश्री बपुहद हहै, तभश्री तगो तपू बराप कगो खरा गयरा।
ऐसरा वचन कहकर ररावर हहूँसरा। अमंगद नप्रे कहरा- हपतरा कगो खराकर हफिर तपुमकगो भश्री खरा डरालतरा,
परन्तपु अभश्री तपुरमंत कपु छ और हश्री बरात मप्रेरश्री समझ ममें आ गई!॥5॥
* बराहल हबमल जस भराजन जरानश्री। हतउहूँ न तगोहह अधम अहभमरानश्री॥
कहह ररावन ररावन जग कप्रे तप्रे। ममैं हनज शवन सपुनप्रे सपुनपु जप्रेतप्रे॥6॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे नश्रीच अहभमरानश्री! बराहल कप्रे हनमर्णल यश करा परात्र (करारर) जरानकर तपुम्हमें ममैं नहहीं
मरारतरा। ररावर! यह तगो बतरा हक जगतम ममें हकतनप्रे ररावर हमैं? ममैंनप्रे हजतनप्रे ररावर अपनप्रे करानर सप्रे सपुन
रखप्रे हमैं, उन्हमें सपुन-॥6॥
* बहलहह हजतन एक गयउ पतरालरा। रराखप्रेउ बराहूँहध हससपुन्ह हयसरालरा॥
खप्रेलहहमं बरालक मरारहहमं जराई। दयरा लराहग बहल दश्रीन्ह छगोडराई॥7॥
भरावरारर्ण:- एक ररावर तगो बहल कगो जश्रीतनप्रे परातराल ममें गयरा ररा, तब बचर नप्रे उसप्रे घपुडसराल ममें बराहूँध
रखरा। बरालक खप्रेलतप्रे रप्रे और जरा-जराकर उसप्रे मरारतप्रे रप्रे। बहल कगो दयरा लगश्री, तब उन्हरनप्रे उसप्रे छपु डरा
हदयरा॥7॥
* एक बहगोरर सहसभपुज दप्रेखरा। धराइ धररा हजहम जमंतपु हबसप्रेषरा॥
करौतपुक लराहग भवन लहै आवरा। सगो पपुलहस्त मपुहन जराइ छगोडरावरा॥ 8॥
भरावरारर्ण:- हफिर एक ररावर कगो सहस्रबराहह नप्रे दप्रेखरा, और उसनप्रे दरौडकर उसकगो एक हवशप्रेष पकरार
कप्रे (हवहचत्र) जन्तपु ककी तरह (समझकर) पकड हलयरा। तमराशप्रे कप्रे हलए वह उसप्रे घर लप्रे आयरा। तब
पपुलस्त्य मपुहन नप्रे जराकर उसप्रे छपु डरायरा॥8॥
दगोहरा :
* एक कहत मगोहह सकपु च अहत रहरा बराहल ककीमं कराहूँख।
इन्ह महह हूँ ररावन तमैं कवन सत्य बदहह तहज मराख॥24॥
भरावरारर्ण:- एक ररावर ककी बरात कहनप्रे ममें तगो मपुझप्रे बडरा समंकगोच हगो रहरा हहै- वह (बहह त हदनर तक)
बराहल ककी कराहूँख ममें रहरा ररा। इनममें सप्रे तपुम करौन सप्रे ररावर हगो? खश्रीझनरा छगोडकर सच-सच बतराओ॥
24॥
चरौपराई : :
* सपुनपु सठ सगोइ ररावन बलसश्रीलरा। हरहगरर जरान जरासपु भपुज लश्रीलरा॥
जरान उमरापहत जरासपु सपुरराई। पपूजप्रेउहूँ जप्रेहह हसर सपुमन चढराई॥1॥
भरावरारर्ण:-(ररावर नप्रे कहरा-) अरप्रे मपूखर्ण! सपुन, ममैं वहश्री बलवरानम ररावर हह,हूँ हजसककी भपुजराओमं ककी
लश्रीलरा (कररामरात) कहै लरास पवर्णत जरानतरा हहै। हजसककी शपूरतरा उमरापहत महरादप्रेवजश्री जरानतप्रे हमैं , हजन्हमें
अपनप्रे हसर रूपश्री पपुष्प चढरा-चढराकर ममैंनप्रे पपूजरा ररा॥1॥
* हसर सरगोज हनज करहन्ह उतरारश्री। पपूजप्रेउहूँ अहमत बरार हत्रपपुररारश्री॥
भपुज हबकम जरानहहमं हदगपरालरा। सठ अजहह हूँ हजन्ह कमें उर सरालरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हसर रूपश्री कमलर कगो अपनप्रे हरारर सप्रे उतरार-उतरारकर ममैंनप्रे अगहरत बरार हत्रपपुररारर
हशवजश्री ककी पपूजरा ककी हहै। अरप्रे मपूखर्ण! मप्रेरश्री भपुजराओमं करा परराकम हदक्पराल जरानतप्रे हमैं, हजनकप्रे हृदय ममें
वह आज भश्री चपुभ रहरा हहै॥2॥
* जरानहहमं हदग्गज उर कहठनराई। जब जब हभरउहूँ जराइ बररआई॥
हजन्ह कप्रे दसन करराल न फिपूटप्रे। उर लरागत मपूलक इव टपू टप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- हदग्गज (हदशराओमं कप्रे हरारश्री) मप्रेरश्री छरातश्री ककी कठगोरतरा कगो जरानतप्रे हमैं। हजनकप्रे भयरानक
दराहूँत, जब-जब जराकर ममैं उनसप्रे जबरदस्तश्री हभडरा, मप्रेरश्री छरातश्री ममें कभश्री नहहीं फिपू टप्रे (अपनरा हचह्न भश्री
नहहीं बनरा सकप्रे ), बहल्क मप्रेरश्री छरातश्री सप्रे लगतप्रे हश्री वप्रे मपूलश्री ककी तरह टपू ट गए॥3॥
* जरासपु चलत डगोलहत इहम धरनश्री। चढत मर गज हजहम लघपु तरनश्री॥
सगोइ ररावन जग हबहदत पतरापश्री। सपुनप्रेहह न शवन अलश्रीक पलरापश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:- हजसकप्रे चलतप्रे समय पमृथ्वश्री इस पकरार हहलतश्री हहै जहैसप्रे मतवरालप्रे हरारश्री कप्रे चढतप्रे समय
छगोटश्री नराव! ममैं वहश्री जगत पहसद पतरापश्री ररावर हह।हूँ अरप्रे झपूठश्री बकवरास करनप्रे वरालप्रे! क्यरा तपूनप्रे
मपुझकगो करानर सप्रे कभश्री सपुनरा?॥4॥
दगोहरा :
* तप्रेहह ररावन कहहूँ लघपु कहहस नर कर करहस बखरान।
रप्रे कहप बबर्णर खबर्ण खल अब जरानरा तव ग्यरान॥25॥
भरावरारर्ण:- उस (महरान पतरापश्री और जगत पहसद) ररावर कगो (मपुझप्रे) तपू छगोटरा कहतरा हहै और
मनपुष्य ककी बडराई करतरा हहै? अरप्रे दष्टिपु , असभ्य, तपुच्छ बमंदर! अब ममैंनप्रे तप्रेररा जरान जरान हलयरा॥
25॥
चरौपराई :
* सपुहन अमंगद सकगोप कह बरानश्री। बगोलपु समंभरारर अधम अहभमरानश्री॥
सहसबराहह भपुज गहन अपराररा। दहन अनल सम जरासपु कपु ठराररा॥1॥
भरावरारर्ण:- ररावर कप्रे यप्रे वचन सपुनकर अमंगद कगोध सहहत वचन बगोलप्रे- अरप्रे नश्रीच अहभमरानश्री!
सहूँभलकर (सगोच-समझकर) बगोल। हजनकरा फिरसरा सहस्रबराहह ककी भपुजराओमं रूपश्री अपरार वन कगो
जलरानप्रे कप्रे हलए अहग्नि कप्रे समरान ररा,॥1॥
* जरासपु परसपु सरागर खर धराररा। बपूडप्रे नमृप अगहनत बहह बराररा॥
तरासपु गबर्ण जप्रेहह दप्रेखत भरागरा। सगो नर क्यर दससश्रीस अभरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- हजनकप्रे फिरसरा रूपश्री समपुद ककी तश्रीव्र धराररा ममें अनहगनत रराजरा अनप्रेकर बरार डपू ब गए, उन
परशपुररामजश्री करा गवर्ण हजन्हमें दप्रेखतप्रे हश्री भराग गयरा, अरप्रे अभरागप्रे दशशश्रीश! वप्रे मनपुष्य क्यर कर हमैं?॥2॥
* रराम मनपुज कस रप्रे सठ बमंगरा। धन्वश्री करामपु नदश्री पपुहन गमंगरा॥
पसपु सपुरधप्रेनपु कल्पतर रूखरा। अन्न दरान अर रस पश्रीयपूषरा॥3॥
भरावरारर्ण:- क्यर रप्रे मपूखर्ण उदण्ड! शश्री ररामचमंदजश्री मनपुष्य हमैं? करामदप्रेव भश्री क्यरा धनपुधरार्णरश्री हहै? और
गमंगराजश्री क्यरा नदश्री हमैं? करामधप्रेनपु क्यरा पशपु हहै? और कल्पवमृक्ष क्यरा पप्रेड हहै? अन्न भश्री क्यरा दरान हहै?
और अममृत क्यरा रस हहै?॥3॥
* बहैनतप्रेय खग अहह सहसरानन। हचमंतरामहन पपुहन उपल दसरानन॥
सपुनपु महतममंद लगोक बहैकमंपु ठरा। लराभ हक रघपुपहत भगहत अकपुमं ठरा॥4॥
भरावरारर्ण:- गरडजश्री क्यरा पक्षश्री हमैं? शप्रेषजश्री क्यरा सपर्ण हमैं? अरप्रे ररावर! हचमंतरामहर भश्री क्यरा पत्रर
हहै? अरप्रे ओ मपूखर्ण! सपुन, वहैकपुण्ठ भश्री क्यरा लगोक हहै? और शश्री रघपुनरारजश्री ककी अखण्ड भहक्त क्यरा
(और लराभर जहैसरा हश्री) लराभ हहै?॥4॥
दगोहरा :
* सप्रेन सहहत तव मरान महर बन उजरारर पपुर जरारर।
कस रप्रे सठ हनपुमरान कहप गयउ जगो तव सपुत मरारर॥26॥
भरावरारर्ण:- सप्रेनरा समप्रेत तप्रेररा मरान मरकर, अशगोक वन कगो उजराडकर, नगर कगो जलराकर और तप्रेरप्रे
पपुत्र कगो मरारकर जगो लरौट गए (तपू उनकरा कपु छ भश्री न हबगराड सकरा), क्यर रप्रे दष्टिपु ! वप्रे हनपुमरानमजश्री
क्यरा वरानर हमैं?॥26॥
चरौपराई :
* सपुनपु ररावन पररहरर चतपुरराई। भजहस न कमृ पराहसमंधपु रघपुरराई॥
जजौं खल भएहस रराम कर दगोहश्री। ब्रह रद सक रराहख न तगोहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे ररावर! चतपुरराई (कपट) छगोडकर सपुन। कमृ परा कप्रे समपुद शश्री रघपुनरारजश्री करा तपू भजन
क्यर नहहीं करतरा? अरप्रे दष्टिपु ! यहद तपू शश्री ररामजश्री करा वहैरश्री हहआ तगो तपुझप्रे ब्रहरा और रद भश्री नहहीं बचरा
सकमें गप्रे।
* मपूढ बमृररा जहन मरारहस गरालरा। रराम बयर अस हगोइहह हरालरा॥
तव हसर हनकर कहपन्ह कप्रे आगमें। पररहहहमं धरहन रराम सर लरागमें॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे मपूढ! व्यरर्ण गराल न मरार (डहींग न हराक हूँ )। शश्री ररामजश्री सप्रे वहैर करनप्रे पर तप्रेररा ऐसरा हराल
हगोगरा हक तप्रेरप्रे हसर समपूह शश्री ररामजश्री कप्रे बरार लगतप्रे हश्री वरानरर कप्रे आगप्रे पमृथ्वश्री पर पडमेंगप्रे,॥2॥
* तप्रे तव हसर कमंदक पु सम नरानरा। खप्रेहलहहहमं भरालपु ककीस चरौगरानरा॥
जबहहमं समर कगोहपहह रघपुनरायक। छपु हटहहहमं अहत करराल बहह सरायक॥3॥
भरावरारर्ण:- और रश्रीछ-वरानर तप्रेरप्रे उन गमेंद कप्रे समरान अनप्रेकर हसरर सप्रे चरौगरान खप्रेलमेंगप्रे। जब शश्री
रघपुनरारजश्री यद पु ममें कगोप करमेंगप्रे और उनकप्रे अत्यमंत तश्रीक्ष्र बहह त सप्रे बरार छपूटमेंगप्रे,॥3॥
* तब हक चहलहह अस गराल तपुम्हराररा। अस हबचरारर भजपु रराम उदराररा॥
सपुनत बचन ररावन परजररा। जरत महरानल जनपु घमृत पररा॥4॥
भरावरारर्ण:- तब क्यरा तप्रेररा गराल चलप्रेगरा? ऐसरा हवचरार कर उदरार (कमृ परालपु) शश्री ररामजश्री कगो भज।
अमंगद कप्रे यप्रे वचन सपुनकर ररावर बहह त अहधक जल उठरा। मरानगो जलतश्री हह ई पचण्ड अहग्नि ममें घश्री पड
गयरा हगो॥4॥
दगोहरा :
* कपुमं भकरन अस बमंधपु मम सपुत पहसद सकरारर।
मगोर परराकम नहहमं सपुनप्रेहह हजतप्रेऊहूँ चरराचर झरारर॥27॥
भरावरारर्ण:- (वह बगोलरा- अरप्रे मपूखर्ण!) कपुमं भकरर्ण- ऐसरा मप्रेररा भराई हहै, इन्द करा शत्रपु सपुपहसद मप्रेघनराद
मप्रेररा पपुत्र हहै! और मप्रेररा परराकम तगो तपूनप्रे सपुनरा हश्री नहहीं हक ममैंनप्रे समंपपूरर्ण जड-चप्रेतन जगतम कगो जश्रीत
हलयरा हहै!॥27॥
चरौपराई :
* सठ सराखराममृग जगोरर सहराई। बराहूँधरा हसमंधपु इहइ पभपुतराई॥
नराघहहमं खग अनप्रेक बरारश्रीसरा। सपूर न हगोहहमं तप्रे सपुनपु सब ककीसरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- रप्रे दष्टिपु ! वरानरर ककी सहरायतरा जगोडकर रराम नप्रे समपुद बराधहूँ हलयरा, बस, यहश्री उसककी
पभपुतरा हहै। समपुद कगो तगो अनप्रेकर पक्षश्री भश्री लराहूँघ जरातप्रे हमैं। पर इसश्री सप्रे वप्रे सभश्री शपूरवश्रीर नहहीं हगो जरातप्रे।
अरप्रे मपूखर्ण बमंदर! सपुन-॥1॥
* मम भपुज सरागर बल जल पपूररा। जहहूँ बपूडप्रे बहह सपुर नर सपूररा॥
बश्रीस पयगोहध अगराध अपराररा। कगो अस बश्रीर जगो पराइहह पराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- मप्रेररा एक-एक भपुजरा रूपश्री समपुद बल रूपश्री जल सप्रे पपूरर्ण हहै, हजसममें बहह त सप्रे शपूरवश्रीर दप्रेवतरा
और मनपुष्य डपू ब चपूकप्रे हमैं। (बतरा,) करौन ऐसरा शपूरवश्रीर हहै, जगो मप्रेरप्रे इन अरराह और अपरार बश्रीस
समपुदर करा परार परा जराएगरा?॥2॥
* हदगपरालन्ह ममैं नश्रीर भररावरा। भपूप सपुजस खल मगोहह सपुनरावरा॥
जजौं पहै समर सपुभट तव नराररा। पपुहन पपुहन कहहस जरासपु गपुन गराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे दष्टिपु ! ममैंनप्रे हदक्परालर तक सप्रे जल भरवरायरा और तपू एक रराजरा करा मपुझप्रे सपुयश सपुनरातरा
हहै! यहद तप्रेररा मराहलक, हजसककी गपुरगराररा तपू बरार-बरार कह रहरा हहै, समंगराम ममें लडनप्रे वरालरा यगोदरा
हहै-॥3॥
* तरौ बसश्रीठ पठवत कप्रे हह कराजरा। ररपपु सन पश्रीहत करत नहहमं लराजरा॥
हरहगरर मरन हनरखपु मम बराहह। पपुहन सठ कहप हनज पभपुहह सरराहह॥4॥
भरावरारर्ण:- तगो (हफिर) वह दतपू हकसहलए भप्रेजतरा हहै? शत्रपु सप्रे पश्रीहत (सहन्ध) करतप्रे उसप्रे लराज नहहीं
आतश्री? (पहलप्रे) कहै लरास करा मरन करनप्रे वरालश्री मप्रेरश्री भपुजराओमं कगो दप्रेख। हफिर अरप्रे मपूखर्ण वरानर!
अपनप्रे मराहलक ककी सरराहनरा करनरा॥4॥
दगोहरा :
* सपूर कवन ररावन सररस स्वकर कराहट जप्रेहहमं सश्रीस।
हह नप्रे अनल अहत हरष बहह बरार सराहख गरौरश्रीस॥28॥
भरावरारर्ण:- ररावर कप्रे समरान शपूरवश्रीर करौन हहै? हजसनप्रे अपनप्रे हरारर सप्रे हसर कराट-कराटकर अत्यमंत
हषर्ण कप्रे सरार बहह त बरार उन्हमें अहग्नि ममें हगोम हदयरा! स्वयमं गरौरश्रीपहत हशवजश्री इस बरात कप्रे सराक्षश्री हमैं॥
28॥
चरौपराई :
* जरत हबलगोकप्रेउहूँ जबहह कपरालरा। हबहध कप्रे हलखप्रे अमंक हनज भरालरा॥
नर कमें कर आपन बध बराहूँचश्री। हसप्रेउहूँ जराहन हबहध हगररा असराहूँचश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- मस्तकर कप्रे जलतप्रे समय जब ममैंनप्रे अपनप्रे ललराटर पर हलखप्रे हह ए हवधरातरा कप्रे अक्षर दप्रेखप्रे,
तब मनपुष्य कप्रे हरार सप्रे अपनश्री ममृत्यपु हगोनरा बराहूँचकर, हवधरातरा ककी वरारश्री (लप्रेख कगो) असत्य जरानकर
ममैं हहूँसरा॥1॥
* सगोउ मन समपुहझ त्ररास नहहमं मगोरमें। हलखरा हबरमंहच जरठ महत भगोरमें॥
आन बश्रीर बल सठ मम आगमें। पपुहन पपुहन कहहस लराज पहत त्यरागमें॥ 2॥
भरावरारर्ण:- उस बरात कगो समझकर (स्मरर करकप्रे ) भश्री मप्रेरप्रे मन ममें डर नहहीं हहै। (क्यरहक ममैं
समझतरा हह हूँ हक) बपूढप्रे ब्रहरा नप्रे बपुहद रम सप्रे ऐसरा हलख हदयरा हहै। अरप्रे मपूखर्ण ! तपू लजरा और मयरार्णदरा
छगोडकर मप्रेरप्रे आगप्रे बरार-बरार दस पू रप्रे वश्रीर करा बल कहतरा हहै!॥2॥
* कह अमंगद सलज जग मराहहीं। ररावन तगोहह समरान कगोउ नराहहीं॥
लराजवमंत तव सहज सपुभराऊ। हनज मपुख हनज गपुन कहहस न कराऊ॥3॥
भरावरारर्ण:- अमंगद नप्रे कहरा- अरप्रे ररावर! तप्रेरप्रे समरान लजरावरानम जगतम ममें कगोई नहहीं हहै। लजराशश्रीलतरा
तगो तप्रेररा सहज स्वभराव हश्री हहै। तपू अपनप्रे मपुहूँह सप्रे अपनप्रे गपुर कभश्री नहहीं कहतरा॥ 3॥
* हसर अर सहैल कररा हचत रहश्री। तरातप्रे बरार बश्रीस तमैं कहहीं॥
सगो भपुजबल रराखप्रेहह उर घरालश्री। जश्रीतप्रेहह सहसबराहह बहल बरालश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- हसर कराटनप्रे और कहै लरास उठरानप्रे ककी कररा हचर ममें चढश्री हह ई रश्री, इससप्रे तपूनप्रे उसप्रे बश्रीसर
बरार कहरा। भपुजराओमं कप्रे उस बल कगो तपूनप्रे हृदय ममें हश्री टराल (हछपरा) रखरा हहै, हजससप्रे तपूनप्रे
सहस्रबराहह, बहल और बराहल कगो जश्रीतरा ररा॥4॥
* सपुनपु महतममंद दप्रेहह अब पपूररा। कराटमें सश्रीस हक हगोइअ सपूररा॥
इमंदजराहल कहह हूँ कहहअ न बश्रीररा। कराटइ हनज कर सकल सरश्रीररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे ममंद बपुहद! सपुन, अब बस कर। हसर कराटनप्रे सप्रे भश्री क्यरा कगोई शपूरवश्रीर हगो जरातरा हहै ?
इमंदजराल रचनप्रे वरालप्रे कगो वश्रीर नहहीं कहरा जरातरा, यद्यहप वह अपनप्रे हश्री हरारर अपनरा सराररा शरश्रीर कराट
डरालतरा हहै!॥5॥
दगोहरा :
* जरहहमं पतमंग मगोह बस भरार बहहहमं खर बमृदमं ।
तप्रे नहहमं सपूर कहरावहहमं समपुहझ दप्रेखपु महतममंद॥29॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे ममंद बपुहद! समझकर दप्रेख। पतमंगप्रे मगोहवश आग ममें जल मरतप्रे हमैं, गदहर कप्रे झपुमंड बगोझ
लरादकर चलतप्रे हमैं, पर इस करारर वप्रे शपूरवश्रीर नहहीं कहलरातप्रे॥29॥
चरौपराई :
* अब जहन बतबढराव खल करहश्री। सपुनपु मम बचन मरान पररहरहश्री॥
दसमपुख ममैं न बसश्रीठहीं आयउहूँ। अस हबचरारर रघपुबश्रीर पठरायउहूँ॥ 1॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे दष्टिपु ! अब बतबढराव मत कर, मप्रेररा वचन सपुन और अहभमरान त्यराग दप्रे! हप्रे दशमपुख!
ममैं दतपू ककी तरह (सहन्ध करनप्रे) नहहीं आयरा हह।हूँ शश्री रघपुवश्रीर नप्रे ऐसरा हवचरार कर मपुझप्रे भप्रेजरा हहै-॥1॥
* बरार बरार अस कहइ कमृ परालरा। नहहमं गजरारर जसपु बमंधप्रे समृकरालरा॥
मन महह हूँ समपुहझ बचन पभपु कप्रे रप्रे। सहप्रेउहूँ कठगोर बचन सठ तप्रेरप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:- कमृ परालपु शश्री ररामजश्री बरार-बरार ऐसरा कहतप्रे हमैं हक स्यरार कप्रे मरारनप्रे सप्रे हसमंह कगो यश नहहीं
हमलतरा। अरप्रे मपूखर्ण! पभपु कप्रे (उन) वचनर कगो मन ममें समझकर (यराद करकप्रे ) हश्री ममैंनप्रे तप्रेरप्रे कठगोर
वचन सहप्रे हमैं॥2॥
* नराहहमं त करर मपुख भमंजन तगोररा। लमैं जरातप्रेउहूँ सश्रीतहह बरजगोररा॥
जरानप्रेउहूँ तव बल अधम सपुररारश्री। सपूनमें हरर आहनहह परनरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:- नहहीं तगो तप्रेरप्रे मपुहूँह तगोडकर ममैं सश्रीतराजश्री कगो जबरदस्तश्री लप्रे जरातरा। अरप्रे अधम! दप्रेवतराओमं कप्रे
शत्रपु! तप्रेररा बल तगो ममैंनप्रे तभश्री जरान हलयरा, जब तपू सपूनप्रे ममें परराई स्त्रश्री कगो हर (चपुररा) लरायरा॥3॥
* तहै हनहसचर पहत गबर्ण बहह तरा। ममैं रघपुपहत सप्रेवक कर दतपू रा॥
जजौं न रराम अपमरानहहमं डरऊहूँ। तगोहह दप्रेखत अस करौतपुक करउहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:- तपू रराक्षसर करा रराजरा और बडरा अहभमरानश्री हहै, परन्तपु ममैं तगो शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे सप्रेवक
(सपुगश्रीव) करा दतपू (सप्रेवक करा भश्री सप्रेवक) हह हूँ। यहद ममैं शश्री ररामजश्री कप्रे अपमरान सप्रे न डरूहूँ तगो तप्रेरप्रे
दप्रेखतप्रे-दप्रेखतप्रे ऐसरा तमराशरा करूहूँ हक-॥4॥
दगोहरा :
* तगोहह पटहक महह सप्रेन हहत चरौपट करर तव गराउहूँ।
तव जपुबहतन्ह समप्रेत सठ जनकसपुतहह लहै जराउहूँ॥30॥
भरावरारर्ण:- तपुझप्रे जमश्रीन पर पटककर, तप्रेरश्री सप्रेनरा करा समंहरार कर और तप्रेरप्रे गराहूँव कगो चरौपट (नष्टि-रष्टि)
करकप्रे , अरप्रे मपूखर्ण! तप्रेरश्री यवपु तश्री हस्त्रयर सहहत जरानककीजश्री कगो लप्रे जराऊहूँ॥30॥
चरौपराई :
* जजौं अस करजौं तदहप न बडराई। मपुएहह बधमें नहहमं कछपु मनपुसराई॥
करौल करामबस कमृ हपन हबमपूढरा। अहत दररद अजसश्री अहत बपूढरा॥1॥
भरावरारर्ण:- यहद ऐसरा करूहूँ, तगो भश्री इसममें कगोई बडराई नहहीं हहै। मरप्रे हहए कगो मरारनप्रे ममें कपु छ भश्री पपुरषत्व
(बहरादरपु श्री) नहहीं हहै। वराममरागर, करामश्री, कमंजपूस, अत्यमंत मपूढ, अहत दररद, बदनराम, बहह त बपूढरा,॥
1॥
* सदरा रगोगबस समंतत कगोधश्री। हबष्नपु हबमपुख शपुहत समंत हबरगोधश्री॥
तनपु पगोषक हनमंदक अघ खरानश्री जश्रीवत सव सम चरौदह परानश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-हनत्य करा रगोगश्री, हनरमंतर कगोधयक्त पु रहनप्रे वरालरा, भगवरानम हवष्रपु सप्रे हवमपुख, वप्रेद और समंतर
करा हवरगोधश्री, अपनरा हश्री शरश्रीर पगोषर करनप्रे वरालरा, परराई हनमंदरा करनप्रे वरालरा और पराप ककी खरान
(महरानम परापश्री)- यप्रे चरौदह परारश्री जश्रीतप्रे हश्री मपुरदप्रे कप्रे समरान हमैं॥2॥
* अस हबचरारर खल बधउहूँ न तगोहश्री। अब जहन ररस उपजरावहस मगोहश्री॥
सपुहन सकगोप कह हनहसचर नराररा। अधर दसन दहस मश्रीजत हराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे दष्टिपु ! ऐसरा हवचरार कर ममैं तपुझप्रे नहहीं मरारतरा। अब तपू मपुझममें कगोध न पहैदरा कर (मपुझप्रे
गपुस्सरा न हदलरा)। अमंगद कप्रे वचन सपुनकर रराक्षस रराज ररावर दरातहूँ र सप्रे हगोठ कराटकर, कगोहधत हगोकर
हरार मलतरा हहआ बगोलरा-॥3॥
* रप्रे कहप अधम मरन अब चहसश्री। छगोटप्रे बदन बरात बहड कहसश्री॥
कटपु जल्पहस जड कहप बल जराकमें। बल पतराप बपुहध तप्रेज न तराकमें॥4॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे नश्रीच बमंदर! अब तपू मरनरा हश्री चराहतरा हहै! इसश्री सप्रे छगोटप्रे मपुहूँह बडश्री बरात कहतरा हहै। अरप्रे
मपूखर्ण बमंदर! तपू हजसकप्रे बल पर कडपुए वचन बक रहरा हहै, उसममें बल, पतराप, बपुहद अरवरा तप्रेज
कपु छ भश्री नहहीं हहै॥4॥
दगोहरा :
* अगपुन अमरान जराहन तप्रेहह दश्रीन्ह हपतरा बनबरास।
सगो दख पु अर जपुबतश्री हबरह पपुहन हनहस हदन मम त्ररास॥31 क॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे गपुरहश्रीन और मरानहश्रीन समझकर हश्री तगो हपतरा नप्रे वनवरास दप्रे हदयरा। उसप्रे एक तगो वह
(उसकरा) दद्धाःपु ख, उस पर यवपु तश्री स्त्रश्री करा हवरह और हफिर ररात-हदन मप्रेररा डर बनरा रहतरा हहै॥31
(क)॥
* हजन्ह कप्रे बल कर गबर्ण तगोहह अइसप्रे मनपुज अनप्रेक।
खराहहमं हनसराचर हदवस हनहस मपूढ समपुझपु तहज टप्रेक॥31 ख॥
भरावरारर्ण:-हजनकप्रे बल करा तपुझप्रे गवर्ण हहै, ऐसप्रे अनप्रेकर मनपुष्यर कगो तगो रराक्षस ररात-हदन खरायरा करतप्रे हमैं।
अरप्रे मपूढ! हजद छगोडकर समझ (हवचरार कर)॥ 31 (ख)॥
चरौपराई :
* जब तप्रेहहमं ककीहन्ह रराम कहै हनमंदरा। कगोधवमंत अहत भयउ कहपमंदरा॥
हरर हर हनमंदरा सपुनइ जगो करानरा। हगोइ पराप गगोघरात समरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-जब उसनप्रे शश्री ररामजश्री ककी हनमंदरा ककी, तब तगो कहपशप्रेष अमंगद अत्यमंत कगोहधत हह ए, क्यरहक
(शरास्त्र ऐसरा कहतप्रे हमैं हक) जगो अपनप्रे करानर सप्रे भगवरानम हवष्रपु और हशव ककी हनमंदरा सपुनतरा हहै, उसप्रे
गगो वध कप्रे समरान पराप हगोतरा हहै॥1॥
* कटकटरान कहपकपुमं जर भरारश्री। दहपु ह भपुजदमंड तमहक महह मरारश्री॥
डगोलत धरहन सभरासद खसप्रे। चलप्रे भराहज भय मरारत गसप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-वरानर शप्रेष अमंगद बहह त जगोर सप्रे कटकटराए (शब्द हकयरा) और उन्हरनप्रे तमककर (जगोर
सप्रे) अपनप्रे दगोनर भपुजदण्डर कगो पमृथ्वश्री पर दप्रे मराररा। पमृथ्वश्री हहलनप्रे लगश्री , (हजससप्रे बहैठप्रे हह ए) सभरासदम
हगर पडप्रे और भय रूपश्री पवन (भपूत) सप्रे गस्त हगोकर भराग चलप्रे॥2॥
* हगरत सहूँभरारर उठरा दसकमंधर। भपूतल परप्रे मपुकपुट अहत सपुदमं र॥
कछपु तप्रेहहमं लहै हनज हसरहन्ह सहूँवरारप्रे। कछपु अमंगद पभपु परास पबरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-ररावर हगरतप्रे-हगरतप्रे सहूँभलकर उठरा। उसकप्रे अत्यमंत सपुदमं र मपुकपुट पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे। कपु छ
तगो उसनप्रे उठराकर अपनप्रे हसरर पर सपुधराकर रख हलए और कपु छ अमंगद नप्रे उठराकर पभपु शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे परास फिमें क हदए॥3॥
* आवत मपुकपुट दप्रेहख कहप भरागप्रे। हदनहहीं लपूक परन हबहध लरागप्रे॥
ककी ररावन करर कगोप चलराए। कपु हलस चरारर आवत अहत धराए॥4॥
भरावरारर्ण:- मपुकपुटर कगो आतप्रे दप्रेखकर वरानर भरागप्रे। (सगोचनप्रे लगप्रे) हवधरातरा! क्यरा हदन ममें हश्री
उल्करापरात हगोनप्रे लगरा (तरारप्रे टपू टकर हगरनप्रे लगप्रे)? अरवरा क्यरा ररावर नप्रे कगोध करकप्रे चरार वज्र
चलराए हमैं, जगो बडप्रे धराए कप्रे सरार (वप्रेग सप्रे) आ रहप्रे हमैं?॥4॥
* कह पभपु हहूँहस जहन हृदयहूँ डप्रेरराहह। लपूक न असहन कप्रे तपु नहहमं रराहह॥
ए हकरश्रीट दसकमंधर कप्रे रप्रे। आवत बराहलतनय कप्रे पप्रेरप्रे॥5॥
भरावरारर्ण:- पभपु नप्रे (उनसप्रे) हहूँसकर कहरा- मन ममें डरगो नहहीं। यप्रे न उल्करा हमैं, न वज्र हमैं और न कप्रे तपु
यरा रराहह हश्री हमैं। अरप्रे भराई! यप्रे तगो ररावर कप्रे मपुकपुट हमैं, जगो बराहलपपुत्र अमंगद कप्रे फिमें कप्रे हह ए आ रहप्रे हमैं॥5॥
दगोहरा :
* तरहक पवनसपुत कर गहप्रे आहन धरप्रे पभपु परास।
करौतपुक दप्रेखहहमं भरालपु कहप हदनकर सररस पकरास॥32 क॥
भरावरारर्ण:-पवन पपुत्र शश्री हनपुमरानमजश्री नप्रे उछलकर उनकगो हरार सप्रे पकड हलयरा और लराकर पभपु कप्रे
परास रख हदयरा। रश्रीछ और वरानर तमराशरा दप्रेखनप्रे लगप्रे। उनकरा पकराश सपूयर्ण कप्रे समरान ररा॥32
(क)॥
* उहराहूँ सकगोहप दसरानन सब सन कहत ररसराइ।
धरहह कहपहह धरर मरारहह सपुहन अमंगद मपुसपुकराइ॥32 ख॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ (सभरा ममें) कगोधयक्त पु ररावर सबसप्रे कगोहधत हगोकर कहनप्रे लगरा हक- बमंदर कगो पकड
लगो और पकडकर मरार डरालगो। अमंगद यह सपुनकर मपुस्कपु ररानप्रे लगप्रे॥32 (ख)॥
चरौपराई :
* एहह बहध बप्रेहग सपुभट सब धरावहह । खराहह भरालपु कहप जहहूँ जहहूँ परावहह ॥
मकर्णटहश्रीन करहह महह जराई। हजअत धरहह तरापस दरौ भराई॥1॥
भरावरारर्ण:- (ररावर हफिर बगोलरा-) इसप्रे मरारकर सब यगोदरा तपुरमंत दरौडगो और जहराहूँ कहहीं रश्रीछ -वरानरर
कगो पराओ, वहहीं खरा डरालगो। पमृथ्वश्री कगो बमंदरर सप्रे रहहत कर दगो और जराकर दगोनर तपस्वश्री भराइयर
(रराम-लक्ष्मर) कगो जश्रीतप्रे जश्री पकड लगो॥1॥
* पपुहन सकगोप बगोलप्रेउ जपुबरराजरा। गराल बजरावत तगोहह न लराजरा॥
मर गर कराहट हनलज कपु लघरातश्री। बल हबलगोहक हबहरहत नहहमं छरातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-(ररावर कप्रे यप्रे कगोपभरप्रे वचन सपुनकर) तब यवपु रराज अमंगद कगोहधत हगोकर बगोलप्रे- तपुझप्रे गराल
बजरातप्रे लराज नहहीं आतश्री! अरप्रे हनलर्णज! अरप्रे कपु लनराशक! गलरा कराटकर (आत्महत्यरा करकप्रे ) मर
जरा! मप्रेररा बल दप्रेखकर भश्री क्यरा तप्रेरश्री छरातश्री नहहीं फिटतश्री!॥2॥
* रप्रे हत्रय चगोर कपु मरारग गरामश्री। खल मल रराहस ममंदमहत करामश्री॥
सन्यपरात जल्पहस दबपु रार्णदरा। भएहस करालबस खल मनपुजरादरा॥3॥
भरावरारर्ण:- अरप्रे स्त्रश्री कप्रे चगोर! अरप्रे कपु मरागर्ण पर चलनप्रे वरालप्रे! अरप्रे दष्टिपु , पराप ककी रराहश, मन्द बपुहद
और करामश्री! तपू सहन्नपरात ममें क्यरा दवपु र्णचन बक रहरा हहै? अरप्रे दष्टिपु रराक्षस! तपू कराल कप्रे वश हगो गयरा
हहै!॥3॥
* यराकगो फिलपु परावहहगगो आगमें। बरानर भरालपु चपप्रेटहन्ह लरागमें॥
ररामपु मनपुज बगोलत अहस बरानश्री। हगरहहमं न तव रसनरा अहभमरानश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:- इसकरा फिल तपू आगप्रे वरानर और भरालपुओमं कप्रे चपप्रेटप्रे लगनप्रे पर परावप्रेगरा। रराम मनपुष्य हमैं, ऐसरा
वचन बगोलतप्रे हश्री, अरप्रे अहभमरानश्री! तप्रेरश्री जश्रीभमें नहहीं हगर पडतहीं?॥4॥
* हगररहहहमं रसनरा समंसय नराहहीं। हसरहन्ह समप्रेत समर महह मराहहीं॥ 5॥
भरावरारर्ण:- इसममें समंदप्रेह नहहीं हहै हक तप्रेरश्री जश्रीभमें (अकप्रे लप्रे नहहीं वरन) हसरर कप्रे सरार ररभपूहम ममें हगरमेंगश्री॥
5॥
सगोरठरा :
* सगो नर क्यर दसकमंध बराहल बध्यगो जप्रेहहमं एक सर।
बश्रीसहह हूँ लगोचन अमंध हधग तव जन्म कपु जराहत जड॥33 क॥
भरावरारर्ण:- रप्रे दशकन्ध! हजसनप्रे एक हश्री बरार सप्रे बराहल कगो मरार डरालरा, वह मनपुष्य कहै सप्रे हहै? अरप्रे
कपु जराहत, अरप्रे जड! बश्रीस आहूँखमें हगोनप्रे पर भश्री तपू अमंधरा हहै। तप्रेरप्रे जन्म कगो हधक्करार हहै॥33 (क)॥
* तव सगोहनत ककीमं प्यरास तमृहषत रराम सरायक हनकर।
तजउहूँ तगोहह तप्रेहह त्ररास कटपु जल्पक हनहसचर अधम॥33 ख॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे बरार समपूह तप्रेरप्रे रक्त ककी प्यरास सप्रे प्यरासप्रे हमैं। (वप्रे प्यरासप्रे हश्री रह जराएहूँगप्रे)
इस डर सप्रे, अरप्रे कडवश्री बकवराद करनप्रे वरालप्रे नश्रीच रराक्षस! ममैं तपुझप्रे छगोडतरा हह हूँ॥33 (ख)॥
चरौपराई :
* ममैं तव दसन तगोररबप्रे लरायक। आयसपु मगोहह न दश्रीन्ह रघपुनरायक॥
अहस ररस हगोहत दसउ मपुख तगोरजौं। लमंकरा गहह समपुद महहूँ बगोरजौं॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ममैं तप्रेरप्रे दरातहूँ तगोडनप्रे ममें समरर्ण हह।हूँ पर क्यरा करूहूँ? शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे मपुझप्रे आजरा नहहीं दश्री।
ऐसरा कगोध आतरा हहै हक तप्रेरप्रे दसर मपुहूँह तगोड डरालपूहूँ और (तप्रेरश्री) लमंकरा कगो पकडकर समपुद ममें डपु बगो द॥हूँपू
1॥
* गपूलरर फिल समरान तव लमंकरा। बसहह मध्य तपुम्ह जमंतपु असमंकरा॥
ममैं बरानर फिल खरात न बराररा। आयसपु दश्रीन्ह न रराम उदराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-तप्रेरश्री लमंकरा गपूलर कप्रे फिल कप्रे समरान हहै। तपुम सब ककीडप्रे उसकप्रे भश्रीतर (अजरानवश) हनडर
हगोकर बस रहप्रे हगो। ममैं बमंदर हह,हूँ मपुझप्रे इस फिल कगो खरातप्रे क्यरा दप्रेर रश्री? पर उदरार (कमृ परालपु) शश्री
ररामचमंदजश्री नप्रे वहैसश्री आजरा नहहीं दश्री॥2॥
* जपुगपुहत सपुनत ररावन मपुसपुकराई। मपूढ हसहखहह कहहूँ बहह त झपुठराई॥
बराहल न कबहह हूँ गराल अस मराररा। हमहल तपहसन्ह तमैं भएहस लबराररा॥3॥
भरावरारर्ण:-अमंगद ककी यहपु क्त सपुनकर ररावर मपुस्कपु ररायरा (और बगोलरा-) अरप्रे मपूखर्ण! बहह त झपूठ बगोलनरा
तपूनप्रे कहराहूँ सप्रे सश्रीखरा? बराहल नप्रे तगो कभश्री ऐसरा गराल नहहीं मराररा। जरान पडतरा हहै तपू तपहस्वयर सप्रे
हमलकर लबरार हगो गयरा हहै॥3॥
*सराहूँचप्रेहहहूँ ममैं लबरार भपुज बश्रीहरा। जजौं न उपराररउहूँ तव दस जश्रीहरा॥
समपुहझ रराम पतराप कहप कगोपरा। सभरा मराझ पन करर पद रगोपरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-(अमंगद नप्रे कहरा-) अरप्रे बश्रीस भपुजरा वरालप्रे! यहद तप्रेरश्री दसर जश्रीभमें ममैंनप्रे नहहीं उखराड लहीं तगो
सचमपुच ममैं लबरार हश्री हह हूँ। शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे पतराप कगो समझकर (स्मरर करकप्रे ) अमंगद कगोहधत हगो
उठप्रे और उन्हरनप्रे ररावर ककी सभरा ममें पर करकप्रे (दृढतरा कप्रे सरार) पहैर रगोप हदयरा॥4॥
* जजौं मम चरन सकहस सठ टरारश्री। हफिरहहमं ररामपु सश्रीतरा ममैं हरारश्री॥
सपुनहह सपुभट सब कह दससश्रीसरा। पद गहह धरहन पछरारहह ककीसरा॥5॥
भरावरारर्ण:-(और कहरा-) अरप्रे मपूखर्ण! यहद तपू मप्रेररा चरर हटरा सकप्रे तगो शश्री ररामजश्री लरौट जराएहूँगप्रे, ममैं
सश्रीतराजश्री कगो हरार गयरा। ररावर नप्रे कहरा- हप्रे सब वश्रीरगो! सपुनगो, पहैर पकडकर बमंदर कगो पमृथ्वश्री पर
पछराड दगो॥5॥
* इमंदजश्रीत आहदक बलवरानरा। हरहष उठप्रे जहहूँ तहहूँ भट नरानरा॥
झपटहहमं करर बल हबपपुल उपराई। पद न टरइ बहैठहहमं हसर नराई॥6॥
भरावरारर्ण:-इमंदजश्रीत (मप्रेघनराद) आहद अनप्रेकर बलवरानम यगोदरा जहराहूँ-तहराहूँ सप्रे हहषर्णत हगोकर उठप्रे। वप्रे पपूरप्रे
बल सप्रे बहह त सप्रे उपराय करकप्रे झपटतप्रे हमैं। पर पहैर टलतरा नहहीं, तब हसर नश्रीचरा करकप्रे हफिर अपनप्रे-
अपनप्रे स्ररान पर जरा बहैठ जरातप्रे हमैं॥6॥
* पपुहन उहठ झपटहहमं सपुर आररातश्री। टरइ न ककीस चरन एहह भराहूँतश्री॥
पपुरष कपु जगोगश्री हजहम उरगरारश्री। मगोह हबटप नहहमं सकहहमं उपरारश्री॥ 7॥
भरावरारर्ण:-(कराकभपुशपुहण्डजश्री कहतप्रे हमैं-) वप्रे दप्रेवतराओमं कप्रे शत्रपु (रराक्षस) हफिर उठकर झपटतप्रे हमैं,
परन्तपु हप्रे सपर्मों कप्रे शत्रपु गरडजश्री! अमंगद करा चरर उनसप्रे वहैसप्रे हश्री नहहीं टलतरा जहैसप्रे कपु यगोगश्री (हवषयश्री)
पपुरष मगोह रूपश्री वमृक्ष कगो नहहीं उखराड सकतप्रे॥7॥
दगोहरा :
* कगोहटन्ह मप्रेघनराद सम सपुभट उठप्रे हरषराइ।
झपटहहमं टरहै न कहप चरन पपुहन बहैठहहमं हसर नराइ॥34 क॥
भरावरारर्ण:-करगोडर वश्रीर यगोदरा जगो बल ममें मप्रेघनराद कप्रे समरान रप्रे, हहषर्णत हगोकर उठप्रे, वप्रे बरार-बरार
झपटतप्रे हमैं, पर वरानर करा चरर नहहीं उठतरा, तब लजरा कप्रे मरारप्रे हसर नवराकर बहैठ जरातप्रे हमैं॥34
(क)॥
* भपूहम न छराहूँडत कहप चरन दप्रेखत ररपपु मद भराग।
कगोहट हबघ्न तप्रे समंत कर मन हजहम नश्रीहत न त्यराग॥34 ख॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे करगोडर हवघ्न आनप्रे पर भश्री समंत करा मन नश्रीहत कगो नहहीं छगोडतरा, वहैसप्रे हश्री वरानर
(अमंगद) करा चरर पमृथ्वश्री कगो नहहीं छगोडतरा। यह दप्रेखकर शत्रपु (ररावर) करा मद दरपू हगो गयरा!॥34
(ख)॥
चरौपराई :
* कहप बल दप्रेहख सकल हहयहूँ हरारप्रे। उठरा आपपु कहप कमें परचरारप्रे॥
गहत चरन कह बराहलकपु मराररा। मम पद गहमें न तगोर उबराररा॥1॥
भरावरारर्ण:-अमंगद करा बल दप्रेखकर सब हृदय ममें हरार गए। तब अमंगद कप्रे ललकरारनप्रे पर ररावर स्वयमं
उठरा। जब वह अमंगद करा चरर पकडनप्रे लगरा, तब बराहल कपु मरार अमंगद नप्रे कहरा- मप्रेररा चरर पकडनप्रे
सप्रे तप्रेररा बचराव नहहीं हगोगरा!॥1॥
*गहहस न रराम चरन सठ जराई॥ सपुनत हफिररा मन अहत सकपु चराई॥
भयउ तप्रेजहत शश्री सब गई। मध्य हदवस हजहम सहस सगोहई॥2॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे मपूखर्ण- तपू जराकर शश्री ररामजश्री कप्रे चरर क्यर नहहीं पकडतरा? यह सपुनकर वह मन ममें
बहह त हश्री सकपु चराकर लरौट गयरा। उसककी सरारश्री शश्री जरातश्री रहश्री। वह ऐसरा तप्रेजहश्रीन हगो गयरा जहैसप्रे मध्यराह्न
ममें चमंदमरा हदखराई दप्रेतरा हहै॥2॥
* हसमंघरासन बहैठप्रेउ हसर नराई। मरानहह हूँ समंपहत सकल गहूँवराई॥
जगदरातमरा परानपहत ररामरा। तरासपु हबमपुख हकहम लह हबशरामरा॥3॥
भरावरारर्ण:-वह हसर नश्रीचरा करकप्रे हसमंहरासन पर जरा बहैठरा। मरानगो सरारश्री सम्पहर गहूँवराकर बहैठरा हगो। शश्री
ररामचमंदजश्री जगतमभर कप्रे आत्मरा और परारर कप्रे स्वरामश्री हमैं। उनसप्रे हवमपुख रहनप्रे वरालरा शरामंहत कहै सप्रे परा
सकतरा हहै?॥3॥
* उमरा रराम ककी भमृकपुहट हबलरासरा। हगोइ हबस्व पपुहन परावइ नरासरा॥
तमृन तप्रे कपु हलस कपु हलस तमृन करई। तरासपु दतपू पन कहह हकहम टरई॥4॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! हजन शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे रपूहवलरास (भजौंह कप्रे इशरारप्रे) सप्रे
हवश्व उत्पन्न हगोतरा हहै और हफिर नराश कगो पराप्त हगोतरा हहै, जगो तमृर कगो वज्र और वज्र कगो तमृर बनरा
दप्रेतप्रे हमैं (अत्यमंत हनबर्णल कगो महरानम पबल और महरानम पबल कगो अत्यमंत हनबर्णल कर दप्रेतप्रे हमैं ), उनकप्रे
दतपू करा पर कहगो, कहै सप्रे टल सकतरा हहै?॥4॥
* पपुहन कहप कहश्री नश्रीहत हबहध नरानरा। मरान न तराहह करालपु हनअररानरा॥
ररपपु मद महर पभपु सपुजसपु सपुनरायगो। यह कहह चल्यगो बराहल नमृप जरायगो॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हफिर अमंगद नप्रे अनप्रेकर पकरार सप्रे नश्रीहत कहश्री। पर ररावर नहहीं मरानरा, क्यरहक उसकरा कराल
हनकट आ गयरा ररा। शत्रपु कप्रे गवर्ण कगो चपूर करकप्रे अमंगद नप्रे उसकगो पभपु शश्री ररामचमंदजश्री करा सपुयश
सपुनरायरा और हफिर वह रराजरा बराहल करा पपुत्र यह कहकर चल हदयरा-॥5॥
* हतजौं न खप्रेत खप्रेलराइ खप्रेलराई। तगोहह अबहहमं करा करजौं बडराई॥
परमहहमं तरासपु तनय कहप मराररा। सगो सपुहन ररावन भयउ द ख पु राररा॥6॥
भरावरारर्ण:-ररभपूहम ममें तपुझप्रे खप्रेलरा-खप्रेलराकर न मरारूहूँ तब तक अभश्री (पहलप्रे सप्रे) क्यरा बडराई करूहूँ।
अमंगद नप्रे पहलप्रे हश्री (सभरा ममें आनप्रे सप्रे पपूवर्ण हश्री) उसकप्रे पपुत्र कगो मरार डरालरा ररा। वह समंवराद सपुनकर
ररावर दद्धाःपु खश्री हगो गयरा॥6॥
* जरातपुधरान अमंगद पन दप्रेखश्री। भय ब्यराकपुल सब भए हबसप्रेषश्री॥7॥
भरावरारर्ण:-अमंगद करा पर (सफिल) दप्रेखकर सब रराक्षस भय सप्रे अत्यन्त हश्री व्यराकपुल हगो गए॥7॥
दगोहरा :
* ररपपु बल धरहष हरहष कहप बराहलतनय बल पपुमंज।
पपुलक सरश्रीर नयन जल गहप्रे रराम पद कमंज॥35 क॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु कप्रे बल करा मदर्णन कर, बल ककी रराहश बराहल पपुत्र अमंगदजश्री नप्रे हहषर्णत हगोकर आकर शश्री
ररामचमंदजश्री कप्रे चररकमल पकड हलए। उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हहै और नप्रेत्रर ममें (आनमंदराशओ पु मं करा)
जल भररा हहै॥35 (क)॥

ररावर कगो पपुनद्धाः मन्दगोदरश्री करा समझरानरा


* सराझ हूँ जराहन दसकमंधर भवन गयउ हबलखराइ।
ममंदगोदरहीं ररावनहहमं बहह रर कहरा समपुझराइ॥35 ख॥
भरावरारर्ण:- सन्ध्यरा हगो गई जरानकर दशगश्रीव हबलखतरा हहआ (उदरास हगोकर) महल ममें गयरा।
मन्दगोदरश्री नप्रे ररावर कगो समझराकर हफिर कहरा-॥35 (ख)॥
चरौपराई :
* कमंत समपुहझ मन तजहह कपु महतहश्री। सगोह न समर तपुम्हहह रघपुपहतहश्री॥
ररामरानपुज लघपु रप्रेख खचराई। सगोउ नहहमं नराघप्रेहह अहस मनपुसराई॥1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे करान्त! मन ममें समझकर (हवचरारकर) कपु बपुहद कगो छगोड दगो। आप सप्रे और शश्री
पु शगोभरा नहहीं दप्रेतरा। उनकप्रे छगोटप्रे भराई नप्रे एक जररा सश्री रप्रेखरा खहींच दश्री रश्री, उसप्रे भश्री
रघपुनरारजश्री सप्रे यद
आप नहहीं लराहूँघ सकप्रे , ऐसरा तगो आपकरा पपुरषत्व हहै॥1॥
* हपय तपुम्ह तराहह हजतब समंगरामरा। जराकप्रे दतपू कप्रे र यह करामरा॥
करौतपुक हसमंधपु नराहघ तव लमंकरा। आयउ कहप कप्रे हरश्री असमंकरा॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे हपयतम! आप उन्हमें समंगराम ममें जश्रीत पराएहूँगप्रे, हजनकप्रे दतपू करा ऐसरा कराम हहै? खप्रेल सप्रे
हश्री समपुद लराहूँघकर वह वरानरर ममें हसमंह (हनपुमरानम) आपककी लमंकरा ममें हनभर्णय चलरा आयरा!॥2॥
* रखवरारप्रे हहत हबहपन उजराररा। दप्रेखत तगोहह अच्छ तप्रेहहमं मराररा॥
जरारर सकल पपुर ककीन्हप्रेहस छराररा। कहराहूँ रहरा बल गबर्ण तपुम्हराररा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- रखवरालर कगो मरारकर उसनप्रे अशगोक वन उजराड डरालरा। आपकप्रे दप्रेखतप्रे-दप्रेखतप्रे उसनप्रे
अक्षयकपु मरार कगो मरार डरालरा और समंपपूरर्ण नगर कगो जलराकर रराख कर हदयरा। उस समय आपकप्रे बल
करा गवर्ण कहराहूँ चलरा गयरा ररा?॥3॥
* अब पहत ममृषरा गराल जहन मरारहह । मगोर कहरा कछपु हृदयहूँ हबचरारहह ॥
पहत रघपुपहतहह नमृपहत जहन मरानहह । अग जग नरार अतपुलबल जरानहह ॥4॥
भरावरारर्ण:- अब हप्रे स्वरामश्री! झपूठ (व्यरर्ण) गराल न मराररए (डहींग न हराहहूँ कए) मप्रेरप्रे कहनप्रे पर हृदय ममें
कपु छ हवचरार ककीहजए। हप्रे पहत! आप शश्री रघपुपहत कगो (हनररा) रराजरा मत समहझए, बहल्क अग-
जगनरार (चरराचर कप्रे स्वरामश्री) और अतपुलनश्रीय बलवरानम जराहनए॥4॥
* बरान पतराप जरान मरारश्रीचरा। तरासपु कहरा नहहमं मरानप्रेहह नश्रीचरा॥
जनक सभराहूँ अगहनत भपूपरालरा। रहप्रे तपुम्हउ बल अतपुल हबसरालरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे बरार करा पतराप तगो नश्रीच मरारश्रीच भश्री जरानतरा ररा, परन्तपु आपनप्रे उसकरा
कहनरा भश्री नहहीं मरानरा। जनक ककी सभरा ममें अगहरत रराजरागर रप्रे। वहराहूँ हवशराल और अतपुलनश्रीय बल
वरालप्रे आप भश्री रप्रे॥5॥
* भमंहज धनपुष जरानककी हबआहश्री। तब समंगराम हजतप्रेहह हकन तराहश्री॥
सपुरपहत सपुत जरानइ बल रगोररा। रराखरा हजअत आहूँहख गहह फिगोररा॥ 6॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ हशवजश्री करा धनपुष तगोडकर शश्री ररामजश्री नप्रे जरानककी कगो ब्यराहरा, तब आपनप्रे उनकगो
समंगराम ममें क्यर नहहीं जश्रीतरा? इमंदपपुत्र जयन्त उनकप्रे बल कगो कपु छ-कपु छ जरानतरा हहै। शश्री ररामजश्री नप्रे
पकडकर, कप्रे वल उसककी एक आहूँख हश्री फिगोड दश्री और उसप्रे जश्रीहवत हश्री छगोड हदयरा॥6॥
* सपूपनखरा कहै गहत तपुम्ह दप्रेखश्री। तदहप हृदयहूँ नहहमं लराज हबसप्रेषश्री॥ 7॥
भरावरारर्ण:- शपूपर्णरखरा ककी दशरा तगो आपनप्रे दप्रेख हश्री लश्री। तगो भश्री आपकप्रे हृदय ममें (उनसप्रे लडनप्रे ककी बरात
सगोचतप्रे) हवशप्रेष (कपु छ भश्री) लजरा नहहीं आतश्री!॥7॥
दगोहरा :
* बहध हबरराध खर दषपू नहह लश्रीलराहूँ हत्यगो कबमंध।
बराहल एक सर मरारमयगो तप्रेहह जरानहह दसकमंध॥36॥
भरावरारर्ण:- हजन्हरनप्रे हवरराध और खर-दषपू र कगो मरारकर लश्रीलरा सप्रे हश्री कबन्ध कगो भश्री मरार डरालरा और
हजन्हरनप्रे बराहल कगो एक हश्री बरार सप्रे मरार हदयरा, हप्रे दशकन्ध! आप उन्हमें (उनकप्रे महत्व कगो)
समहझए!॥36॥
चरौपराई :
* जप्रेहहमं जलनरार बहूँधरायउ हप्रेलरा। उतरप्रे पभपु दल सहहत सपुबप्रेलरा॥
करारनश्रीक हदनकर कपु ल कप्रे तपू। दतपू पठरायउ तव हहत हप्रेतपू॥1॥
भरावरारर्ण:-हजन्हरनप्रे खप्रेल सप्रे हश्री समपुद कगो बहूँधरा हलयरा और जगो पभपु सप्रेनरा सहहत सपुबप्रेल पवर्णत पर उतर
पडप्रे, उन सपूयर्णकपुल कप्रे ध्वजरास्वरूप (ककीहतर्ण कगो बढरानप्रे वरालप्रे) करररामय भगवरानम नप्रे आप हश्री कप्रे
हहत कप्रे हलए दतपू भप्रेजरा॥1॥
* सभरा मराझ जप्रेहहमं तव बल मररा। करर बरूर महह हूँ ममृगपहत जररा॥
अमंगद हनपुमत अनपुचर जराकप्रे। रन बराहूँकपुरप्रे बश्रीर अहत बराहूँकप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:- हजसनप्रे बश्रीच सभरा ममें आकर आपकप्रे बल कगो उसश्री पकरार मर डरालरा जहैसप्रे हराहरयर कप्रे
झपुमंड ममें आकर हसमंह (उसप्रे हछन्न-हभन्न कर डरालतरा हहै) रर ममें बराहूँकप्रे अत्यमंत हवकट वश्रीर अमंगद और
हनपुमरानम हजनकप्रे सप्रेवक हमैं,॥2॥
* तप्रेहह कहहूँ हपय पपुहन पपुहन नर कहहह । मपुधरा मरान ममतरा मद बहहह ॥
अहह कमंत कमृ त रराम हबरगोधरा। कराल हबबस मन उपज न बगोधरा॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे पहत! उन्हमें आप बरार-बरार मनपुष्य कहतप्रे हमैं। आप व्यरर्ण हश्री मरान, ममतरा और मद करा
बगोझ ढगो रहप्रे हमैं! हरा हपयतम! आपनप्रे शश्री ररामजश्री सप्रे हवरगोध कर हलयरा और कराल कप्रे हवशप्रेष वश
हगोनप्रे सप्रे आपकप्रे मन ममें अब भश्री जरान नहहीं उत्पन्न हगोतरा॥3॥
* कराल दमंड गहह कराहह न मराररा। हरइ धमर्ण बल बपुहद हबचराररा॥
हनकट कराल जप्रेहह आवत सराई।मं तप्रेहह रम हगोइ तपुम्हराररहह नराई॥मं 4॥
भरावरारर्ण:- कराल दण्ड (लराठश्री) लप्रेकर हकसश्री कगो नहहीं मरारतरा। वह धमर्ण, बल, बपुहद और हवचरार
कगो हर लप्रेतरा हहै। हप्रे स्वरामश्री! हजसकरा कराल (मरर समय) हनकट आ जरातरा हहै, उसप्रे आप हश्री ककी
तरह रम हगो जरातरा हहै॥4॥
दगोहरा :
* दइपु सपुत मरप्रे दहप्रेउ पपुर अजहह हूँ पपूर हपय दप्रेहह।
कमृ पराहसमंधपु रघपुनरार भहज नरार हबमल जसपु लप्रेहह॥37॥
भरावरारर्ण:- आपकप्रे दगो पपुत्र मरारप्रे गए और नगर जल गयरा। (जगो हहआ सगो हहआ) हप्रे हपयतम! अब भश्री
(इस भपूल ककी) पपूहतर्ण (समराहप्त) कर दश्रीहजए (शश्री ररामजश्री सप्रे वहैर त्यराग दश्रीहजए) और हप्रे नरार!
कमृ परा कप्रे समपुद शश्री रघपुनरारजश्री कगो भजकर हनमर्णल यश लश्रीहजए॥37॥
चरौपराई :
* नरारर बचन सपुहन हबहसख समरानरा। सभराहूँ गयउ उहठ हगोत हबहरानरा॥
बहैठ जराइ हसमंघरासन फिपूलश्री। अहत अहभमरान त्ररास सब भपूलश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- स्त्रश्री कप्रे बरार कप्रे समरान वचन सपुनकर वह सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री उठकर सभरा ममें चलरा गयरा और
सराररा भय भपुलराकर अत्यमंत अहभमरान ममें फिपू लकर हसमंहरासन पर जरा बहैठरा॥1॥

अमंगद-रराम समंवराद, यद पु ककी तहैयरारश्री


* इहराहूँ रराम अमंगदहह बगोलरावरा। आइ चरन पमंकज हसर नरावरा॥
अहत आदर समश्रीप बहैठरारश्री। बगोलप्रे हबहहूँहस कमृ पराल खररारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- यहराहूँ (सपुबप्रेल पवर्णत पर) शश्री ररामजश्री नप्रे अमंगद कगो बपुलरायरा। उन्हरनप्रे आकर चररकमलर ममें
हसर नवरायरा। बडप्रे आदर सप्रे उन्हमें परास बहैठराकर खर कप्रे शत्रपु कमृ परालपु शश्री ररामजश्री हहूँसकर बगोलप्रे॥2॥
* बराहलतनय करौतपुक अहत मगोहश्री। तरात सत्य कहह हूँ पपूछउहूँ तगोहश्री॥
ररावनपु जरातपुधरान कपु ल टश्रीकरा। भपुज बल अतपुल जरासपु जग लश्रीकरा॥3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे बराहल कप्रे पपुत्र! मपुझप्रे बडरा करौतपूहल हहै। हप्रे तरात! इसश्री सप्रे ममैं तपुमसप्रे पपूछतरा हह हूँ, सत्य
कहनरा। जगो ररावर रराक्षसर कप्रे कपु ल करा हतलक हहै और हजसकप्रे अतपुलनश्रीय बराहहबल ककी जगतमभर ममें
धराक हहै,॥3॥
* तरासपु मपुकपुट तपुम्ह चरारर चलराए। कहहह तरात कवनश्री हबहध पराए॥
सपुनपु सबर्णग्य पनत सपुखकरारश्री। मपुकपुट न हगोहहमं भपूप न गपुन चरारश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-उसकप्रे चरार मपुकपुट तपुमनप्रे फिमें कप्रे । हप्रे तरात! बतराओ, तपुमनप्रे उनकगो हकस पकरार सप्रे परायरा!
(अमंगद नप्रे कहरा-) हप्रे सवर्णज! हप्रे शरररागत कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालप्रे! सपुहनए। वप्रे मपुकपुट नहहीं हमैं। वप्रे तगो रराजरा
कप्रे चरार गपुर हमैं॥4॥
* सराम दरान अर दमंड हबभप्रेदरा। नमृप उर बसहहमं नरार कह बप्रेदरा॥
नश्रीहत धमर्ण कप्रे चरन सपुहराए। अस हजयहूँ जराहन पहहमं आए॥5॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! वप्रेद कहतप्रे हमैं हक सराम, दरान, दण्ड और भप्रेद- यप्रे चरारर रराजरा कप्रे हृदय ममें
बसतप्रे हमैं। यप्रे नश्रीहत-धमर्ण कप्रे चरार सपुदमं र चरर हमैं, (हकन्तपु ररावर ममें धमर्ण करा अभराव हहै) ऐसरा जश्री ममें
जरानकर यप्रे नरार कप्रे परास आ गए हमैं॥5॥
दगोहरा :
* धमर्णहश्रीन पभपु पद हबमपुख कराल हबबस दससश्रीस।
तप्रेहह पररहरर गपुन आए सपुनहह कगोसलराधश्रीस॥38 क॥
भरावरारर्ण:- दशशश्रीश ररावर धमर्णहश्रीन, पभपु कप्रे पद सप्रे हवमपुख और कराल कप्रे वश ममें हहै, इसहलए हप्रे
कगोसलरराज! सपुहनए, वप्रे गपुर ररावर कगो छगोडकर आपकप्रे परास आ गए हमैं॥ 38 (क)॥
* परम चतपुरतरा शवन सपुहन हबहहूँसप्रे ररामपु उदरार।
समराचरार पपुहन सब कहप्रे गढ कप्रे बराहलकपु मरार॥38 ख॥
भरावरारर्ण:- अमंगद ककी परम चतपुरतरा (पपूरर्ण उहक्त) करानर सप्रे सपुनकर उदरार शश्री ररामचमंदजश्री हहूँसनप्रे लगप्रे।
हफिर बराहल पपुत्र नप्रे हकलप्रे कप्रे (लमंकरा कप्रे ) सब समराचरार कहप्रे॥38 (ख)॥
चरौपराई :
* ररपपु कप्रे समराचरार जब पराए। रराम सहचव सब हनकट बगोलराए॥
पु ररा। कप्रे हह हबहध लराहगअ करहह हबचराररा॥1॥
लमंकरा बराहूँकप्रे चरारर दआ
भरावरारर्ण:- जब शत्रपु कप्रे समराचरार पराप्त हगो गए, तब शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे सब ममंहत्रयर कगो परास बपुलरायरा
(और कहरा-) लमंकरा कप्रे चरार बडप्रे हवकट दरवराजप्रे हमैं। उन पर हकस तरह आकमर हकयरा जराए , इस
पर हवचरार करगो॥1॥
* तब कपश्रीस ररच्छप्रेस हबभश्रीषन। सपुमरर हृदयहूँ हदनकर कपु ल भपूषन॥
करर हबचरार हतन्ह ममंत्र दृढरावरा। चरारर अनश्री कहप कटकपु बनरावरा॥2॥
भरावरारर्ण:- तब वरानररराज सपुगश्रीव, ऋक्षपहत जराम्बवरानम और हवभश्रीषर नप्रे हृदय ममें सपूयर्ण कपु ल कप्रे भपूषर
शश्री रघपुनरारजश्री करा स्मरर हकयरा और हवचरार करकप्रे उन्हरनप्रे कतर्णव्य हनहश्चत हकयरा। वरानरर ककी सप्रेनरा
कप्रे चरार दल बनराए॥2॥
* जरराजगोग सप्रेनरापहत ककीन्हप्रे। जपूरप सकल बगोहल तब लश्रीन्हप्रे॥
पभपु पतराप कहह सब समपुझराए। सपुहन कहप हसमंघनराद करर धराए॥3॥
भरावरारर्ण:-और उनकप्रे हलए यररायगोग्य (जहैसप्रे चराहहए वहैसप्रे) सप्रेनरापहत हनयक्त पु हकए। हफिर सब
यपूरपहतयर कगो बपुलरा हलयरा और पभपु करा पतराप कहकर सबकगो समझरायरा, हजसप्रे सपुनकर वरानर,
हसमंह कप्रे समरान गजर्णनरा करकप्रे दरौडप्रे॥3॥
* हरहषत रराम चरन हसर नरावहहमं। गहह हगरर हसखर बश्रीर सब धरावहहमं॥
गजर्णहहमं तजर्णहहमं भरालपु कपश्रीसरा। जय रघपुबश्रीर कगोसलराधश्रीसरा॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे हहषर्णत हगोकर शश्री ररामजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवरातप्रे हमैं और पवर्णतर कप्रे हशखर लप्रे-लप्रेकर
सब वश्रीर दरौडतप्रे हमैं। 'कगोसलरराज शश्री रघपुवश्रीरजश्री ककी जय हगो' पपुकरारतप्रे हहए भरालपू और वरानर गरजतप्रे
और ललकरारतप्रे हमैं॥4॥
* जरानत परम दगपु र्ण अहत लमंकरा। पभपु पतराप कहप चलप्रे असमंकरा॥
घटराटगोप करर चहह हूँ हदहस घप्रेरश्री॥ मपुखहहमं हनसरार बजरावहहमं भप्रेरश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- लमंकरा कगो अत्यमंत शप्रेष (अजप्रेय) हकलरा जरानतप्रे हह ए भश्री वरानर पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे
पतराप सप्रे हनडर हगोकर चलप्रे। चरारर ओर सप्रे हघरश्री हह ई बरादलर ककी घटरा ककी तरह लमंकरा कगो चरारर
हदशराओमं सप्रे घप्रेरकर वप्रे मपुहूँह सप्रे डमंकप्रे और भप्रेरश्री बजरानप्रे लगप्रे॥5॥

यद पु रारम्भ
दगोहरा :
* जयहत रराम जय लहछमन जय कपश्रीस सपुगश्रीव।
गजर्णहहमं हसमंहनराद कहप भरालपु महरा बल सहींव॥39॥
भरावरारर्ण:- महरानम बल ककी सश्रीमरा वप्रे वरानर-भरालपू हसमंह कप्रे समरान ऊहूँचप्रे स्वर सप्रे 'शश्री ररामजश्री ककी जय',
'लक्ष्मरजश्री ककी जय', 'वरानररराज सपुगश्रीव ककी जय'- ऐसश्री गजर्णनरा करनप्रे लगप्रे॥39॥
चरौपराई :
* लमंकराहूँ भयउ कगोलराहल भरारश्री। सपुनरा दसरानन अहत अहहूँकरारश्री॥
दप्रेखहह बनरन्ह कप्रे रर हढठराई। हबहहूँहस हनसराचर सप्रेन बगोलराई॥1॥
भरावरारर्ण:- लमंकरा ममें बडरा भरारश्री कगोलराहल (कगोहरराम) मच गयरा। अत्यमंत अहमंकरारश्री ररावर नप्रे उसप्रे
सपुनकर कहरा- वरानरर ककी हढठराई तगो दप्रेखगो! यह कहतप्रे हह ए हहूँसकर उसनप्रे रराक्षसर ककी सप्रेनरा बपुलराई॥
1॥
* आए ककीस कराल कप्रे पप्रेरप्रे। छपु धरावमंत सब हनहसचर मप्रेरप्रे॥
बअस कहह अटहरास सठ ककीन्हरा। गमृह बहैठमें अहरार हबहध दश्रीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- बमंदर कराल ककी पप्रेरररा सप्रे चलप्रे आए हमैं। मप्रेरप्रे रराक्षस सभश्री भपूखप्रे हमैं। हवधरातरा नप्रे इन्हमें घर बहैठप्रे
भगोजन भप्रेज हदयरा। ऐसरा कहकर उस मपूखर्ण नप्रे अटहरास हकयरा (वह बडप्रे जगोर सप्रे ठहराकरा मरारकर
हहूँसरा)॥2॥
* सपुभट सकल चराररहह हूँ हदहस जराहह। धरर धरर भरालपु ककीस सब खराहह॥
उमरा ररावनहह अस अहभमरानरा। हजहम हटरटभ खग सपूत उतरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- (और बगोलरा-) हप्रे वश्रीरर! सब लगोग चरारर हदशराओमं ममें जराओ और रश्रीछ-वरानर सबकगो
पकड-पकडकर खराओ। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! ररावर कगो ऐसरा अहभमरान ररा जहैसरा
हटहटहहरश्री पक्षश्री पहैर ऊपर ककी ओर करकप्रे सगोतरा हहै (मरानगो आकराश कगो रराम लप्रेगरा)॥3॥
* चलप्रे हनसराचर आयसपु मरागश्री। गहह कर हभमंहडपराल बर सराहूँगश्री॥
तगोमर मपुदर परसपु पचमंडरा। सपूल कमृ परान पररघ हगररखमंडरा॥4॥
भरावरारर्ण:-आजरा मराहूँगकर और हरारर ममें उरम हभमंहदपराल, सराहूँगश्री (बरछश्री), तगोमर, मपुदर, पचण्ड
फिरसप्रे, शपूल, दगोधरारश्री तलवरार, पररघ और पहराडर कप्रे टपु कडप्रे लप्रेकर रराक्षस चलप्रे॥4॥
* हजहम अरनगोपल हनकर हनहरारश्री। धरावहहमं सठ खग मरामंस अहरारश्री॥
चरच भमंग दख पु हतन्हहह न सपूझरा। हतहम धराए मनपुजराद अबपूझरा॥5॥
भरावरारर्ण:-जहैसप्रे मपूखर्ण मरामंसराहरारश्री पक्षश्री लराल पत्ररर करा समपूह दप्रेखकर उस पर टपू ट पडतप्रे हमैं, (पत्ररर
पर लगनप्रे सप्रे) चरच टपू टनप्रे करा दद्धाःपु ख उन्हमें नहहीं सपूझतरा, वहैसप्रे हश्री यप्रे बप्रेसमझ रराक्षस दरौडप्रे॥5॥
दगोहरा :
* नरानरायधपु सर चराप धर जरातपुधरान बल बश्रीर।
कगोट कहूँ गपूरहन्ह चहढ गए कगोहट कगोहट रनधश्रीर॥40॥
भरावरारर्ण:- अनप्रेकर पकरार कप्रे अस्त्र-शस्त्र और धनपुष-बरार धरारर हकए करगोडर बलवरानम और ररधश्रीर
रराक्षस वश्रीर परकगोटप्रे कप्रे कहूँ गपूरर पर चढ गए॥40॥
चरौपराई :
* कगोट कहूँ गपूरहन्ह सगोहहहमं कहै सप्रे। मप्रेर कप्रे समृगमं हन जनपु घन बहैसप्रे॥
बराजहहमं ढगोल हनसरान जपुझराऊ। सपुहन धपुहन हगोइ भटहन्ह मन चराऊ॥1॥
भरावरारर्ण:-वप्रे परकगोटप्रे कप्रे कहूँ गपूरर पर कहै सप्रे शगोहभत हगो रहप्रे हमैं, मरानगो सपुमप्रेर कप्रे हशखरर पर बरादल बहैठप्रे
हर। जपुझराऊ ढगोल और डमंकप्रे आहद बज रहप्रे हमैं, (हजनककी) ध्वहन सपुनकर यगोदराओमं कप्रे मन ममें
(लडनप्रे करा) चराव हगोतरा हहै॥1॥
* बराजहहमं भप्रेरर नफिकीरर अपराररा। सपुहन करादर उर जराहहमं दरराररा॥
दप्रेहखन्ह जराइ कहपन्ह कप्रे ठटरा। अहत हबसराल तनपु भरालपु सपुभटरा॥2॥
भरावरारर्ण:- अगहरत नफिकीरश्री और भप्रेरश्री बज रहश्री हहै, (हजन्हमें) सपुनकर करायरर कप्रे हृदय ममें दररारमें पड
जरातश्री हमैं। उन्हरनप्रे जराकर अत्यन्त हवशराल शरश्रीर वरालप्रे महरानम यगोदरा वरानर और भरालपुओमं कप्रे ठट
(समपूह) दप्रेखप्रे॥2॥
* धरावहहमं गनहहमं न अवघट घराटरा। पबर्णत फिगोरर करहहमं गहह बराटरा॥
कटकटराहहमं कगोहटन्ह भट गजर्णहहमं। दसन ओठ कराटहहमं अहत तजर्णहहमं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-(दप्रेखरा हक) वप्रे रश्रीछ-वरानर दरौडतप्रे हमैं, औघट (ऊहूँचश्री-नश्रीचश्री, हवकट) घराहटयर कगो कपु छ
नहहीं हगनतप्रे। पकडकर पहराडर कगो फिगोडकर ररास्तरा बनरा लप्रेतप्रे हमैं। करगोडर यगोदरा कटकटरातप्रे और गजर्णतप्रे
हमैं। दराहूँतर सप्रे हगोठ कराटतप्रे और खपूब डपटतप्रे हमैं॥3॥
* उत ररावन इत रराम दगोहराई। जयहत जयहत जय परश्री लरराई॥
हनहसचर हसखर समपूह ढहरावहहमं। कपू हद धरहहमं कहप फिप्रे रर चलरावहहमं॥4॥
भरावरारर्ण:- उधर ररावर ककी और इधर शश्री ररामजश्री ककी दहपु राई बगोलश्री जरा रहश्री हहै। 'जय' 'जय' 'जय'
ककी ध्वहन हगोतप्रे हश्री लडराई हछड गई। रराक्षस पहराडर कप्रे ढप्रेर कप्रे ढप्रेर हशखरर कगो फिमें कतप्रे हमैं। वरानर
कपू दकर उन्हमें पकड लप्रेतप्रे हमैं और वरापस उन्हहीं ककी ओर चलरातप्रे हमैं॥ 4॥
छमंद :
* धरर कपु धर खमंड पचमंड मकर्णट भरालपु गढ पर डरारहहीं।
झपटहहमं चरन गहह पटहक महह भहज चलत बहह रर पचरारहहीं॥
अहत तरल तरन पतराप तरपहहमं तमहक गढ चहढ चहढ गए।
कहप भरालपु चहढ ममंहदरन्ह जहहूँ तहहूँ रराम जसपु गरावत भए॥
भरावरारर्ण:- पचण्ड वरानर और भरालपू पवर्णतर कप्रे टपु कडप्रे लप्रे-लप्रेकर हकलप्रे पर डरालतप्रे हमैं। वप्रे झपटतप्रे हमैं
और रराक्षसर कप्रे पहैर पकडकर उन्हमें पमृथ्वश्री पर पटककर भराग चलतप्रे हमैं और हफिर ललकरारतप्रे हमैं। बहह त
हश्री चमंचल और बडप्रे तप्रेजस्वश्री वरानर-भरालपू बडश्री फिपु तर सप्रे उछलकर हकलप्रे पर चढ-चढकर गए और
जहराहूँ-तहराहूँ महलर ममें घपुसकर शश्री ररामजश्री करा यश गरानप्रे लगप्रे।
दगोहरा :
* एकपु एकपु हनहसचर गहह पपुहन कहप चलप्रे परराइ।
ऊपर आपपु हप्रेठ भट हगरहहमं धरहन पर आइ॥41॥
भरावरारर्ण:- हफिर एक-एक रराक्षस कगो पकडकर वप्रे वरानर भराग चलप्रे। ऊपर आप और नश्रीचप्रे (रराक्षस)
यगोदरा- इस पकरार वप्रे (हकलप्रे सप्रे) धरतश्री पर आ हगरतप्रे हमैं॥41॥
चरौपराई :
* रराम पतराप पबल कहपजपूररा। मदर्णहहमं हनहसचर सपुभट बरूररा॥
चढप्रे दगपु र्ण पपुहन जहहूँ तहहूँ बरानर। जय रघपुबश्रीर पतराप हदवराकर॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री कप्रे पतराप सप्रे पबल वरानरर कप्रे झपुडमं रराक्षस यगोदराओमं कप्रे समपूह कप्रे समपूह मसल
रहप्रे हमैं। वरानर हफिर जहराहूँ-तहराहूँ हकलप्रे पर चढ गए और पतराप ममें सपूयर्ण कप्रे समरान शश्री रघपुवश्रीर ककी जय
बगोलनप्रे लगप्रे॥1॥
* चलप्रे हनसराचर हनकर परराई। पबल पवन हजहम घन समपुदराई॥
हराहराकरार भयउ पपुर भरारश्री। रगोवहहमं बरालक आतपुर नरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:- रराक्षसर कप्रे झपुमंड वहैसप्रे हश्री भराग चलप्रे जहैसप्रे जगोर ककी हवरा चलनप्रे पर बरादलर कप्रे समपूह हततर-
हबतर हगो जरातप्रे हमैं। लमंकरा नगरश्री ममें बडरा भरारश्री हराहराकरार मच गयरा। बरालक, हस्त्रयराहूँ और रगोगश्री
(असमरर्णतरा कप्रे करारर) रगोनप्रे लगप्रे॥2॥
* सब हमहल दप्रेहहमं ररावनहह गरारश्री। रराज करत एहहमं ममृत्य पु हहूँकरारश्री॥
हनज दल हबचल सपुनश्री तप्रेहहमं करानरा। फिप्रे रर सपुभट लमंकप्रेस ररसरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:- सब हमलकर ररावर कगो गराहलयराहूँ दप्रेनप्रे लगप्रे हक रराज्य करतप्रे हह ए इसनप्रे ममृत्यपु कगो बपुलरा
हलयरा। ररावर नप्रे जब अपनश्री सप्रेनरा करा हवचहलत हगोनरा करानर सप्रे सपुनरा, तब (भरागतप्रे हह ए) यगोदराओमं
कगो लरौटराकर वह कगोहधत हगोकर बगोलरा-॥3॥
* जगो रन हबमपुख सपुनरा ममैं करानरा। सगो ममैं हतब करराल कमृ परानरा॥
सबर्णसपु खराइ भगोग करर नरानरा। समर भपूहम भए बल्लभ परानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- ममैं हजसप्रे रर सप्रे पश्रीठ दप्रेकर भरागरा हहआ अपनप्रे करानर सपुनपूहूँगरा, उसप्रे स्वयमं भयरानक दगोधरारश्री
तलवरार सप्रे मरारूहूँगरा। मप्रेररा सब कपु छ खरायरा, भराहूँहत-भराहूँहत कप्रे भगोग हकए और अब ररभपूहम ममें परार
प्यरारप्रे हगो गए!॥4॥
* उग बचन सपुहन सकल डप्रेररानप्रे। चलप्रे कगोध करर सपुभट लजरानप्रे॥
सन्मपुख मरन बश्रीर कहै सगोभरा। तब हतन्ह तजरा परान कर लगोभरा॥5॥
भरावरारर्ण:- ररावर कप्रे उग (कठगोर) वचन सपुनकर सब वश्रीर डर गए और लहजत हगोकर कगोध करकप्रे
यद पु कप्रे हलए लरौट चलप्रे। रर ममें (शत्रपु कप्रे ) सम्मपुख (यद पु करतप्रे हहए) मरनप्रे ममें हश्री वश्रीर ककी शगोभरा हहै।
(यह सगोचकर) तब उन्हरनप्रे परारर करा लगोभ छगोड हदयरा॥5॥
दगोहरा :
* बहह आयधपु धर सपुभट सब हभरहहमं पचरारर पचरारर।
ब्यराकपुल हकए भरालपु कहप पररघ हत्रसपूलहन्ह मरारर॥42॥
भरावरारर्ण:-बहह त सप्रे अस्त्र-शस्त्र धरारर हकए, सब वश्रीर ललकरार-ललकरारकर हभडनप्रे लगप्रे। उन्हरनप्रे
पररघर और हत्रशपूलर सप्रे मरार-मरारकर सब रश्रीछ-वरानरर कगो व्यराकपुल कर हदयरा॥42॥
चरौपराई :
* भय आतपुर कहप भरागत लरागप्रे। जद्यहप उमरा जश्रीहतहहहमं आगप्रे॥
कगोउ कह कहहूँ अमंगद हनपुममंतरा। कहहूँ नल नश्रील दहपु बद बलवमंतरा॥1॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) वरानर भयरातपुर हगोकर (डर कप्रे मरारप्रे घबडराकर) भरागनप्रे लगप्रे, यद्यहप
हप्रे उमरा! आगप्रे चलकर (वप्रे हश्री) जश्रीतमेंगप्रे। कगोई कहतरा हहै- अमंगद-हनपुमरानम कहराहूँ हमैं? बलवरानम नल,
नश्रील और हदहवद कहराहूँ हमैं?॥1॥
*हनज दल हबकल सपुनरा हनपुमरानरा। पहच्छम दरार रहरा बलवरानरा॥
मप्रेघनराद तहहूँ करइ लरराई। टपू ट न दरार परम कहठनराई॥2॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री नप्रे जब अपनप्रे दल कगो हवकल (भयभश्रीत) हह आ सपुनरा, उस समय वप्रे बलवरानम
पहश्चम दरार पर रप्रे। वहराहूँ उनसप्रे मप्रेघनराद यद पु कर रहरा ररा। वह दरार टपू टतरा न ररा, बडश्री भरारश्री
कहठनराई हगो रहश्री रश्री॥2॥
* पवनतनय मन भरा अहत कगोधरा। गजर्देउ पबल कराल सम जगोधरा॥
कपू हद लमंक गढ ऊपर आवरा। गहह हगरर मप्रेघनराद कहह हूँ धरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:-तब पवनपपुत्र हनपुमरानमजश्री कप्रे मन ममें बडरा भरारश्री कगोध हहआ। वप्रे कराल कप्रे समरान यगोदरा बडप्रे
जगोर सप्रे गरजप्रे और कपू दकर लमंकरा कप्रे हकलप्रे पर आ गए और पहराड लप्रेकर मप्रेघनराद ककी ओर दरौडप्रे॥
3॥
* भमंजप्रेउ रर सराररश्री हनपरातरा। तराहह हृदय महह हूँ मरारप्रेहस लरातरा॥
दसपु रमें सपूत हबकल तप्रेहह जरानरा। स्यमंदन घराहल तपुरत गमृह आनरा॥4॥
भरावरारर्ण:- रर तगोड डरालरा, सराररश्री कगो मरार हगररायरा और मप्रेघनराद ककी छरातश्री ममें लरात मरारश्री। द स पू ररा
सराररश्री मप्रेघनराद कगो व्यराकपुल जरानकर, उसप्रे रर ममें डरालकर, तपुरमंत घर लप्रे आयरा॥4॥
दगोहरा :
* अमंगद सपुनरा पवनसपुत गढ पर गयउ अकप्रे ल।
रन बराहूँकपुररा बराहलसपुत तरहक चढप्रेउ कहप खप्रेल॥43॥
भरावरारर्ण:- इधर अमंगद नप्रे सपुनरा हक पवनपपुत्र हनपुमरानम हकलप्रे पर अकप्रे लप्रे हश्री गए हमैं, तगो रर ममें बराहूँकप्रे
बराहल पपुत्र वरानर कप्रे खप्रेल ककी तरह उछलकर हकलप्रे पर चढ गए॥43॥
चरौपराई :
* जपुद हबरद कपु द दरौ बमंदर। रराम पतराप सपुहमरर उर अमंतर॥
ररावन भवन चढप्रे दरौ धराई। करहहमं कगोसलराधश्रीस दगोहराई॥1॥
भरावरारर्ण:- यद पु ममें शत्रपुओमं कप्रे हवरद दगोनर वरानर कपु द हगो गए। हृदय ममें शश्री ररामजश्री कप्रे पतराप करा
स्मरर करकप्रे दगोनर दरौडकर ररावर कप्रे महल पर जरा चढप्रे और कगोसलरराज शश्री ररामजश्री ककी दहपु राई
बगोलनप्रे लगप्रे॥1॥
* कलस सहहत गहह भवनपु ढहरावरा। दप्रेहख हनसराचरपहत भय परावरा॥
नरारर बमृदमं कर पश्रीटहहमं छरातश्री। अब दइपु कहप आए उतपरातश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे कलश सहहत महल कगो पकडकर ढहरा हदयरा। यह दप्रेखकर रराक्षस रराज ररावर डर
गयरा। सब हस्त्रयराहूँ हरारर सप्रे छरातश्री पश्रीटनप्रे लगहीं (और कहनप्रे लगहीं-) अब ककी बरार दगो उत्परातश्री वरानर
(एक सरार) आ गए हमैं॥2॥
* कहपलश्रीलरा करर हतन्हहह डप्रेररावहहमं। ररामचमंद कर सपुजसपु सपुनरावहहमं॥
पपुहन कर गहह कमंचन कप्रे खमंभरा। कहप्रेहन्ह कररअ उतपरात अरमंभरा॥3॥
भरावरारर्ण:- वरानरलश्रीलरा करकप्रे (घपुडककी दप्रेकर) दगोनर उनकगो डररातप्रे हमैं और शश्री ररामचमंदजश्री करा सपुदमं र
यश सपुनरातप्रे हमैं। हफिर सगोनप्रे कप्रे खमंभर कगो हरारर सप्रे पकडकर उन्हरनप्रे (परस्पर) कहरा हक अब उत्परात
आरमंभ हकयरा जराए॥3॥
* गहजर्ण परप्रे ररपपु कटक मझरारश्री। लरागप्रे मदर्रै भपुज बल भरारश्री॥
कराहहहह लरात चपप्रेटहन्ह कप्रे हह । भजहह न ररामहह सगो फिल लप्रेहह॥4॥
भरावरारर्ण:-वप्रे गजर्णकर शत्रपु ककी सप्रेनरा कप्रे बश्रीच ममें कपू द पडप्रे और अपनप्रे भरारश्री भपुजबल सप्रे उसकरा मदर्णन
करनप्रे लगप्रे। हकसश्री ककी लरात सप्रे और हकसश्री ककी रप्पड सप्रे खबर लप्रेतप्रे हमैं (और कहतप्रे हमैं हक) तपुम शश्री
ररामजश्री कगो नहहीं भजतप्रे, उसकरा यह फिल लगो॥4॥
दगोहरा :
* एक एक सर मदर्णहहमं तगोरर चलरावहहमं मपुमंड।
ररावन आगमें परहहमं तप्रे जनपु फिपू टहहमं दहध कपुमं ड॥44॥
भरावरारर्ण:- एक कगो दस पू रप्रे सप्रे (रगडकर) मसल डरालतप्रे हमैं और हसरर कगो तगोडकर फिमें कतप्रे हमैं। वप्रे हसर
जराकर ररावर कप्रे सरामनप्रे हगरतप्रे हमैं और ऐसप्रे फिपू टतप्रे हमैं, मरानगो दहश्री कप्रे कपूमं डप्रे फिपूट रहप्रे हर॥4॥
चरौपराई :
* महरा महरा मपुहखआ जप्रे परावहहमं। तप्रे पद गहह पभपु परास चलरावहहमं॥
कहइ हबभश्रीषनपु हतन्ह कप्रे नरामरा। दप्रेहहमं रराम हतन्हहह हनज धरामरा॥1॥
भरावरारर्ण:- हजन बडप्रे-बडप्रे मपुहखयर (पधरान सप्रेनरापहतयर) कगो पकड परातप्रे हमैं, उनकप्रे पहैर पकडकर
उन्हमें पभपु कप्रे परास फिमें क दप्रेतप्रे हमैं। हवभश्रीषरजश्री उनकप्रे नराम बतलरातप्रे हमैं और शश्री ररामजश्री उन्हमें भश्री अपनरा
धराम (परम पद) दप्रे दप्रेतप्रे हमैं॥1॥
* खल मनपुजराद हदजराहमष भगोगश्री। परावहहमं गहत जगो जराचत जगोगश्री॥
उमरा रराम ममृदहपु चत करनराकर। बयर भराव सपुहमरत मगोहह हनहसचर॥2॥
भरावरारर्ण:- ब्रराहरर करा मरामंस खरानप्रे वरालप्रे वप्रे नरभगोजश्री दष्टिपु रराक्षस भश्री वह परम गहत परातप्रे हमैं, हजसककी
यगोगश्री भश्री यराचनरा हकयरा करतप्रे हमैं, (परन्तपु सहज ममें नहहीं परातप्रे)। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! शश्री
ररामजश्री बडप्रे हश्री कगोमल हृदय और करररा ककी खरान हमैं। (वप्रे सगोचतप्रे हमैं हक) रराक्षस मपुझप्रे वहैरभराव सप्रे हश्री
सहश्री, स्मरर तगो करतप्रे हश्री हमैं॥2॥
* दप्रेहहमं परम गहत सगो हजयहूँ जरानश्री। अस कमृ पराल कगो कहहह भवरानश्री॥
अस पभपु सपुहन न भजहहमं रम त्यरागश्री। नर महतममंद तप्रे परम अभरागश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:- ऐसरा हृदय ममें जरानकर वप्रे उन्हमें परमगहत (मगोक्ष) दप्रेतप्रे हमैं। हप्रे भवरानश्री! कहगो तगो ऐसप्रे कमृ परालपु
(और) करौन हमैं? पभपु करा ऐसरा स्वभराव सपुनकर भश्री जगो मनपुष्य रम त्यराग कर उनकरा भजन नहहीं
करतप्रे, वप्रे अत्यमंत ममंदबपुहद और परम भराग्यहश्रीन हमैं॥3॥
* अमंगद अर हनपुममंत पबप्रेसरा। ककीन्ह दगपु र्ण अस कह अवधप्रेसरा॥
लमंकराहूँ दरौ कहप सगोहहहमं कहै समें। मरहहमं हसमंधपु दइपु ममंदर जहैसमें॥4॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा हक अमंगद और हनपुमरान हकलप्रे ममें घपुस गए हमैं। दगोनर वरानर लमंकरा ममें
(हवध्वमंस करतप्रे) कहै सप्रे शगोभरा दप्रेतप्रे हमैं, जहैसप्रे दगो मन्दरराचल समपुद कगो मर रहप्रे हर॥4॥ दगोहरा :
दगोहरा :
* भपुज बल ररपपु दल दलमहल दप्रेहख हदवस कर अमंत।
कपू दप्रे जपुगल हबगत शम आए जहहूँ भगवमंत॥45॥
भरावरारर्ण:- भपुजराओमं कप्रे बल सप्रे शत्रपु ककी सप्रेनरा कगो कपु चलकर और मसलकर, हफिर हदन करा अमंत
हगोतरा दप्रेखकर हनपुमरानम और अमंगद दगोनर कपू द पडप्रे और शम रकरावट रहहत हगोकर वहराहूँ आ गए, जहराहूँ
भगवरानम शश्री ररामजश्री रप्रे॥45॥
चरौपराई :
* पभपु पद कमल सश्रीस हतन्ह नराए। दप्रेहख सपुभट रघपुपहत मन भराए॥
रराम कमृ परा करर जपुगल हनहरारप्रे। भए हबगतशम परम सपुखरारप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पभपु कप्रे चरर कमलर ममें हसर नवराए। उरम यगोदराओमं कगो दप्रेखकर शश्री रघपुनरारजश्री
मन ममें बहह त पसन्न हह ए। शश्री ररामजश्री नप्रे कमृ परा करकप्रे दगोनर कगो दप्रेखरा, हजससप्रे वप्रे शमरहहत और परम
सपुखश्री हगो गए॥1॥
* गए जराहन अमंगद हनपुमरानरा। हफिरप्रे भरालपु मकर्णट भट नरानरा॥
जरातपुधरान पदगोष बल पराई। धराए करर दससश्रीस दगोहराई॥2॥
भरावरारर्ण:- अमंगद और हनपुमरानम कगो गए जरानकर सभश्री भरालपू और वरानर वश्रीर लरौट पडप्रे। रराक्षसर नप्रे
पदगोष (सरायमं) कराल करा बल पराकर ररावर ककी दहपु राई दप्रेतप्रे हह ए वरानरर पर धरावरा हकयरा॥2॥
* हनहसचर अनश्री दप्रेहख कहप हफिरप्रे। जहहूँ तहहूँ कटकटराइ भट हभरप्रे॥
दरौ दल पबल पचरारर पचरारश्री। लरत सपुभट नहहमं मरानहहमं हरारश्री॥3॥
भरावरारर्ण:- रराक्षसर ककी सप्रेनरा आतश्री दप्रेखकर वरानर लरौट पडप्रे और वप्रे यगोदरा जहराहूँ -तहराहूँ कटकटराकर
हभड गए। दगोनर हश्री दल बडप्रे बलवरानम हमैं। यगोदरा ललकरार-ललकरारकर लम डतप्रे हमैं, कगोई हरार नहहीं
मरानतप्रे॥3॥
* महराबश्रीर हनहसचर सब करारप्रे। नरानरा बरन बलश्रीमपुख भरारप्रे॥
सबल जपुगल दल समबल जगोधरा। करौतपुक करत लरत करर कगोधरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-सभश्री रराक्षस महरानम वश्रीर और अत्यमंत करालप्रे हमैं और वरानर हवशरालकराय तररा अनप्रेकर रमंगर कप्रे
हमैं। दगोनर हश्री दल बलवरानम हमैं और समरान बल वरालप्रे यगोदरा हमैं। वप्रे कगोध करकप्रे लडतप्रे हमैं और खप्रेल
करतप्रे (वश्रीरतरा हदखलरातप्रे) हमैं॥4॥
* पराहबट सरद पयगोद घनप्रेरप्रे। लरत मनहह हूँ मरारत कप्रे पप्रेरप्रे॥
अहनप अकमंपन अर अहतकरायरा। हबचलत सप्रेन ककीहन्ह इन्ह मरायरा॥5॥
भरावरारर्ण:-(रराक्षस और वरानर यद पु करतप्रे हहए ऐसप्रे जरान पडतप्रे हमैं) मरानगो कमशद्धाः वषरार्ण और शरदम ऋतपु
ममें बहह त सप्रे बरादल पवन सप्रे पप्रेररत हगोकर लड रहप्रे हर। अकमंपन और अहतकराय इन सप्रेनरापहतयर नप्रे
अपनश्री सप्रेनरा कगो हवचहलत हगोतप्रे दप्रेखकर मरायरा ककी॥5॥
* भयउ हनहमष महहूँ अहत अहूँहधआररा। बमृहष्टि हगोइ रहधरगोपल छराररा॥6॥
भरावरारर्ण:- पलभर ममें अत्यमंत अमंधकरार हगो गयरा। खपून, पत्रर और रराख ककी वषरार्ण हगोनप्रे लगश्री॥6॥
दगोहरा :
* दप्रेहख हनहबड तम दसहह हूँ हदहस कहपदल भयउ खभरार।
एकहह एक न दप्रेखई जहहूँ तहहूँ करहहमं पपुकरार॥46॥
भरावरारर्ण:- दसर हदशराओमं ममें अत्यमंत घनरा अमंधकरार दप्रेखकर वरानरर ककी सप्रेनरा ममें खलबलश्री पड गई।
एक कगो एक (दस पू ररा) नहहीं दप्रेख सकतरा और सब जहराहूँ-तहराहूँ पपुकरार रहप्रे हमैं॥46॥
चरौपराई :
* सकल मरमपु रघपुनरायक जरानरा। हलए बगोहल अमंगद हनपुमरानरा॥
समराचरार सब कहह समपुझराए। सपुनत कगोहप कहपकपुमं जर धराए॥1॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुनरारजश्री सब रहस्य जरान गए। उन्हरनप्रे अमंगद और हनपुमरानम कगो बपुलरा हलयरा और
सब समराचरार कहकर समझरायरा। सपुनतप्रे हश्री वप्रे दगोनर कहपशप्रेष कगोध करकप्रे दरौडप्रे॥1॥
*पपुहन कमृ पराल हहूँहस चराप चढरावरा। परावक सरायक सपहद चलरावरा॥
भयउ पकरास कतहह हूँ तम नराहहीं। ग्यरान उदयहूँ हजहम समंसय जराहहीं॥2॥
भरावरारर्ण:-हफिर कमृ परालपु शश्री ररामजश्री नप्रे हहूँसकर धनपुष चलरायरा और तपुरमंत हश्री अहग्निबरार चलरायरा,
हजससप्रे पकराश हगो गयरा, कहहीं अहूँधप्रेररा नहहीं रह गयरा। जहैसप्रे जरान कप्रे उदय हगोनप्रे पर (सब पकरार कप्रे )
समंदहप्रे दरपू हगो जरातप्रे हमैं॥2॥
* भरालपु बलश्रीमपुख पराई पकरासरा। धराए हरष हबगत शम त्ररासरा॥
हनपूमरान अमंगद रन गराजप्रे। हराहूँक सपुनत रजनश्रीचर भराजप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-भरालपू और वरानर पकराश पराकर शम और भय सप्रे रहहत तररा पसन्न हगोकर दरौडप्रे। हनपुमरानम
और अमंगद रर ममें गरज उठप्रे। उनककी हराहूँक सपुनतप्रे हश्री रराक्षस भराग छपू टप्रे॥3॥
* भरागत भट पटकहहमं धरर धरनश्री। करहहमं भरालपु कहप अद्भ तपु करनश्री॥
गहह पद डरारहहमं सरागर मराहहीं। मकर उरग झष धरर धरर खराहहीं॥ 4॥
भरावरारर्ण:- भरागतप्रे हह ए रराक्षस यगोदराओमं कगो वरानर और भरालपू पकडकर पमृथ्वश्री पर दप्रे मरारतप्रे हमैं और
अद्भतपु (आश्चयर्णजनक) करनश्री करतप्रे हमैं (यद पु करौशल हदखलरातप्रे हमैं)। पहैर पकडकर उन्हमें समपुद ममें
डराल दप्रेतप्रे हमैं। वहराहूँ मगर, सरापहूँ और मच्छ उन्हमें पकड-पकडकर खरा डरालतप्रे हमैं॥4॥

मराल्यवरान करा ररावर कगो समझरानरा


दगोहरा :
* कछपु मरारप्रे कछपु घरायल कछपु गढ चढप्रे परराइ।
गजर्णहहमं भरालपु बलश्रीमपुख ररपपु दल बल हबचलराइ॥47॥
भरावरारर्ण:- कपु छ मरारप्रे गए, कपु छ घरायल हह ए, कपु छ भरागकर गढ पर चढ गए। अपनप्रे बल सप्रे शत्रपुदल
कगो हवचहलत करकप्रे रश्रीछ और वरानर (वश्रीर) गरज रहप्रे हमैं॥47॥
चरौपराई :
* हनसरा जराहन कहप चराररउ अनश्री। आए जहराहूँ कगोसलरा धनश्री॥
रराम कमृ परा करर हचतवरा सबहश्री। भए हबगतशम बरानर तबहश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- ररात हह ई जरानकर वरानरर ककी चरारर सप्रेनराएहूँ (टपु कहडयराहूँ) वहराहूँ आई,मं जहराहूँ कगोसलपहत शश्री
ररामजश्री रप्रे। शश्री ररामजश्री नप्रे ज्यर हश्री सबकगो कमृ परा करकप्रे दप्रेखरा त्यर हश्री यप्रे वरानर शमरहहत हगो गए॥1॥
* उहराहूँ दसरानन सहचव हहूँकरारप्रे। सब सन कहप्रेहस सपुभट जप्रे मरारप्रे॥
आधरा कटकपु कहपन्ह समंघराररा। कहहह बप्रेहग करा कररअ हबचराररा॥2॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ (लमंकरा ममें) ररावर नप्रे ममंहत्रयर कगो बपुलरायरा और जगो यगोदरा मरारप्रे गए रप्रे, उन सबकगो
सबसप्रे बतरायरा। (उसनप्रे कहरा-) वरानरर नप्रे आधश्री सप्रेनरा करा समंहरार कर हदयरा! अब शश्रीघ्र बतराओ,
क्यरा हवचरार (उपराय) करनरा चराहहए?॥2॥
* मराल्यवमंत अहत जरठ हनसराचर। ररावन मरातपु हपतरा ममंत्रश्री बर॥
बगोलरा बचन नश्रीहत अहत परावन। सपुनहह तरात कछपु मगोर हसखरावन॥3॥
भरावरारर्ण:- मराल्यवमंत (नराम करा एक) अत्यमंत बपूढरा रराक्षस ररा। वह ररावर ककी मरातरा करा हपतरा
(अररार्णतम उसकरा नरानरा) और शप्रेष ममंत्रश्री ररा। वह अत्यमंत पहवत्र नश्रीहत कप्रे वचन बगोलरा- हप्रे तरात! कपु छ
मप्रेरश्री सश्रीख भश्री सपुनगो-॥3॥
* जब तप्रे तपुम्ह सश्रीतरा हरर आनश्री। असगपुन हगोहहमं न जराहहमं बखरानश्री॥
बप्रेद पपुररान जरासपु जसपु गरायगो। रराम हबमपुख कराहहहूँ न सपुख परायगो॥4॥
भरावरारर्ण:-जब सप्रे तपुम सश्रीतरा कगो हर लराए हगो, तब सप्रे इतनप्रे अपशकपु न हगो रहप्रे हमैं हक जगो वरर्णन नहहीं
हकए जरा सकतप्रे। वप्रेद-पपुररारर नप्रे हजनकरा यश गरायरा हहै, उन शश्री रराम सप्रे हवमपुख हगोकर हकसश्री नप्रे सपुख
नहहीं परायरा॥4॥
दगोहरा :
* हहरन्यराच्छ ररातरा सहहत मधपु कहै टभ बलवरान।
जप्रेहहमं मरारप्रे सगोइ अवतरप्रेउ कमृ पराहसमंधपु भगवरान॥48 क॥
भरावरारर्ण:-भराई हहरण्यकहशपपु सहहत हहरण्यराक्ष कगो बलवरानम मधपु-कहै टभ कगो हजन्हरनप्रे मराररा ररा, वप्रे हश्री
कमृ परा कप्रे समपुद भगवरानम (ररामरूप सप्रे) अवतररत हह ए हमैं॥ 48 (क)॥

मरासपराररायर, पचश्रीसवराहूँ हवशराम

लक्ष्मर-मप्रेघनराद यदपु , लक्ष्मरजश्री कगो शहक्त लगनरा


*करालरूप खल बन दहन गपुनरागरार घनबगोध।
हसव हबरमंहच जप्रेहह सप्रेवहहमं तरासर कवन हबरगोध॥48 ख॥
भरावरारर्ण:- जगो करालस्वरूप हमैं, दष्टिपु र कप्रे समपूह रूपश्री वन कप्रे भस्म करनप्रे वरालप्रे (अहग्नि) हमैं, गपुरर कप्रे
धराम और जरानघन हमैं एवमं हशवजश्री और ब्रहराजश्री भश्री हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं , उनसप्रे वहैर कहै सरा?॥48
(ख)॥
चरौपराई :
* पररहरर बयर दप्रेहह बहैदहप्रे श्री। भजहह कमृ पराहनहध परम सनप्रेहश्री॥
तराकप्रे बचन बरान सम लरागप्रे। कररआ मपुहूँह करर जराहह अभरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- (अतद्धाः) वहैर छगोडकर उन्हमें जरानककीजश्री कगो दप्रे दगो और कमृ पराहनधरान परम स्नप्रेहश्री शश्री
ररामजश्री करा भजन करगो। ररावर कगो उसकप्रे वचन बरार कप्रे समरान लगप्रे। (वह बगोलरा-) अरप्रे अभरागप्रे!
मपुहूँह करालरा करकप्रे (यहराहूँ सप्रे) हनकल जरा॥1॥
* बपूढ भएहस न त मरतप्रेउहूँ तगोहश्री। अब जहन नयन दप्रेखरावहस मगोहश्री॥
तप्रेहहमं अपनप्रे मन अस अनपुमरानरा। बध्यगो चहत एहह कमृ पराहनधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपू बपूढरा हगो गयरा, नहहीं तगो तपुझप्रे मरार हश्री डरालतरा। अब मप्रेरश्री आहूँखर कगो अपनरा मपुहूँह न
हदखलरा। ररावर कप्रे यप्रे वचन सपुनकर उसनप्रे (मराल्यवरानम नप्रे) अपनप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक
इसप्रे कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री अब मरारनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥ 2॥
* सगो उहठ गयउ कहत दबपु रार्णदरा। तब सकगोप बगोलप्रेउ घननरादरा॥
करौतपुक परात दप्रेहखअहह मगोररा। कररहउहूँ बहह त कहजौं करा रगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह ररावर कगो दवपु र्णचन कहतरा हहआ उठकर चलरा गयरा। तब मप्रेघनराद कगोधपपूवर्णक बगोलरा-
सबप्रेरप्रे मप्रेरश्री कररामरात दप्रेखनरा। ममैं बहह त कपु छ करूहूँगरा, रगोडरा क्यरा कहह हूँ? (जगो कपु छ वरर्णन करूहूँगरा रगोडरा
हश्री हगोगरा)॥3॥
* सपुहन सपुत बचन भरगोसरा आवरा। पश्रीहत समप्रेत अमंक बहैठरावरा॥
करत हबचरार भयउ हभनपुसराररा। लरागप्रे कहप पपुहन चहह हूँ दआ पु ररा॥4॥
भरावरारर्ण:- पपुत्र कप्रे वचन सपुनकर ररावर कगो भरगोसरा आ गयरा। उसनप्रे पप्रेम कप्रे सरार उसप्रे गगोद ममें बहैठरा
हलयरा। हवचरार करतप्रे-करतप्रे हश्री सबप्रेररा हगो गयरा। वरानर हफिर चरारर दरवराजर पर जरा लगप्रे॥ 4॥
* कगोहप कहपन्ह दघपु टर्ण गढपु घप्रेररा। नगर कगोलराहलपु भयउ घनप्रेररा॥
हबहबधरायधपु धर हनहसचर धराए। गढ तप्रे पबर्णत हसखर ढहराए॥5॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे कगोध करकप्रे दगपु र्णम हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा। नगर ममें बहह त हश्री कगोलराहल (शगोर) मच
गयरा। रराक्षस बहह त तरह कप्रे अस्त्र-शस्त्र धरारर करकप्रे दरौडप्रे और उन्हरनप्रे हकलप्रे पर पहराडर कप्रे हशखर
ढहराए॥5॥
छमंद :
* ढराहप्रे महश्रीधर हसखर कगोहटन्ह हबहबध हबहध गगोलरा चलप्रे।
घहररात हजहम पहबपरात गजर्णत जनपु पलय कप्रे बरादलप्रे॥
मकर्णट हबकट भट जपुटत कटत न लटत तन जजर्णर भए।
गहह सहैल तप्रेहह गढ पर चलरावहह जहहूँ सगो तहहूँ हनहसचर हए॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पवर्णतर कप्रे करगोडर हशखर ढहराए, अनप्रेक पकरार सप्रे गगोलप्रे चलनप्रे लगप्रे। वप्रे गगोलप्रे ऐसरा
घहररातप्रे हमैं जहैसप्रे वज्रपरात हहआ हगो (हबजलश्री हगरश्री हगो) और यगोदरा ऐसप्रे गरजतप्रे हमैं, मरानगो पलयकराल
कप्रे बरादल हर। हवकट वरानर यगोदरा हभडतप्रे हमैं, कट जरातप्रे हमैं (घरायल हगो जरातप्रे हमैं), उनकप्रे शरश्रीर
जजर्णर (चलनश्री) हगो जरातप्रे हमैं, तब भश्री वप्रे लटतप्रे नहहीं (हहम्मत नहहीं हरारतप्रे)। वप्रे पहराड उठराकर उसप्रे
हकलप्रे पर फिमें कतप्रे हमैं। रराक्षस जहराहूँ कप्रे तहराहूँ (जगो जहराहूँ हगोतप्रे हमैं, वहहीं) मरारप्रे जरातप्रे हमैं।
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सपुहन शवन अस गढ पपुहन छमेंकरा आइ।
उतरमयगो बश्रीर दगपु र्ण तमें सन्मपुख चल्यगो बजराइ॥49॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद नप्रे करानर सप्रे ऐसरा सपुनरा हक वरानरर नप्रे आकर हफिर हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा हहै। तब वह
वश्रीर हकलप्रे सप्रे उतररा और डमंकरा बजराकर उनकप्रे सरामनप्रे चलरा॥49॥
चरौपराई :
* कहहूँ कगोसलराधश्रीस दरौ ररातरा। धन्वश्री सकल लगोत हबख्यरातरा॥
कहहूँ नल नश्रील दहपु बद सपुगश्रीवरा। अमंगद हनपूममंत बल सहींवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(मप्रेघनराद नप्रे पपुकरारकर कहरा-) समस्त लगोकर ममें पहसद धनपुधर्णर कगोसलराधश्रीश दगोनर भराई
कहराहूँ हमैं? नल, नश्रील, हदहवद, सपुगश्रीव और बल ककी सश्रीमरा अमंगद और हनपुमरानम कहराहूँ हमैं?॥1॥
* कहराहूँ हबभश्रीषनपु ररातरादगोहश्री। आजपु सबहह हहठ मरारउहूँ ओहश्री॥
अस कहह कहठन बरान समंधरानप्रे। अहतसय कगोध शवन लहग तरानप्रे॥ 2॥
भरावरा

लक्ष्मर-मप्रेघनराद यद पु , लक्ष्मरजश्री कगो शहक्त लगनरा


*करालरूप खल बन दहन गपुनरागरार घनबगोध।
हसव हबरमंहच जप्रेहह सप्रेवहहमं तरासर कवन हबरगोध॥48 ख॥
भरावरारर्ण:- जगो करालस्वरूप हमैं, दष्टिपु र कप्रे समपूह रूपश्री वन कप्रे भस्म करनप्रे वरालप्रे (अहग्नि) हमैं, गपुरर कप्रे
धराम और जरानघन हमैं एवमं हशवजश्री और ब्रहराजश्री भश्री हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं , उनसप्रे वहैर कहै सरा?॥48
(ख)॥
चरौपराई :
* पररहरर बयर दप्रेहह बहैदहप्रे श्री। भजहह कमृ पराहनहध परम सनप्रेहश्री॥
तराकप्रे बचन बरान सम लरागप्रे। कररआ मपुहूँह करर जराहह अभरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- (अतद्धाः) वहैर छगोडकर उन्हमें जरानककीजश्री कगो दप्रे दगो और कमृ पराहनधरान परम स्नप्रेहश्री शश्री
ररामजश्री करा भजन करगो। ररावर कगो उसकप्रे वचन बरार कप्रे समरान लगप्रे। (वह बगोलरा-) अरप्रे अभरागप्रे!
मपुहूँह करालरा करकप्रे (यहराहूँ सप्रे) हनकल जरा॥1॥
* बपूढ भएहस न त मरतप्रेउहूँ तगोहश्री। अब जहन नयन दप्रेखरावहस मगोहश्री॥
तप्रेहहमं अपनप्रे मन अस अनपुमरानरा। बध्यगो चहत एहह कमृ पराहनधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपू बपूढरा हगो गयरा, नहहीं तगो तपुझप्रे मरार हश्री डरालतरा। अब मप्रेरश्री आहूँखर कगो अपनरा मपुहूँह न
हदखलरा। ररावर कप्रे यप्रे वचन सपुनकर उसनप्रे (मराल्यवरानम नप्रे) अपनप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक
इसप्रे कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री अब मरारनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥ 2॥
* सगो उहठ गयउ कहत दबपु रार्णदरा। तब सकगोप बगोलप्रेउ घननरादरा॥
करौतपुक परात दप्रेहखअहह मगोररा। कररहउहूँ बहह त कहजौं करा रगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह ररावर कगो दवपु र्णचन कहतरा हहआ उठकर चलरा गयरा। तब मप्रेघनराद कगोधपपूवर्णक बगोलरा-
सबप्रेरप्रे मप्रेरश्री कररामरात दप्रेखनरा। ममैं बहह त कपु छ करूहूँगरा, रगोडरा क्यरा कहह हूँ? (जगो कपु छ वरर्णन करूहूँगरा रगोडरा
हश्री हगोगरा)॥3॥
* सपुहन सपुत बचन भरगोसरा आवरा। पश्रीहत समप्रेत अमंक बहैठरावरा॥
करत हबचरार भयउ हभनपुसराररा। लरागप्रे कहप पपुहन चहह हूँ दआ पु ररा॥4॥
भरावरारर्ण:- पपुत्र कप्रे वचन सपुनकर ररावर कगो भरगोसरा आ गयरा। उसनप्रे पप्रेम कप्रे सरार उसप्रे गगोद ममें बहैठरा
हलयरा। हवचरार करतप्रे-करतप्रे हश्री सबप्रेररा हगो गयरा। वरानर हफिर चरारर दरवराजर पर जरा लगप्रे॥ 4॥
* कगोहप कहपन्ह दघपु टर्ण गढपु घप्रेररा। नगर कगोलराहलपु भयउ घनप्रेररा॥
हबहबधरायधपु धर हनहसचर धराए। गढ तप्रे पबर्णत हसखर ढहराए॥5॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे कगोध करकप्रे दगपु र्णम हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा। नगर ममें बहह त हश्री कगोलराहल (शगोर) मच
गयरा। रराक्षस बहह त तरह कप्रे अस्त्र-शस्त्र धरारर करकप्रे दरौडप्रे और उन्हरनप्रे हकलप्रे पर पहराडर कप्रे हशखर
ढहराए॥5॥
छमंद :
* ढराहप्रे महश्रीधर हसखर कगोहटन्ह हबहबध हबहध गगोलरा चलप्रे।
घहररात हजहम पहबपरात गजर्णत जनपु पलय कप्रे बरादलप्रे॥
मकर्णट हबकट भट जपुटत कटत न लटत तन जजर्णर भए।
गहह सहैल तप्रेहह गढ पर चलरावहह जहहूँ सगो तहहूँ हनहसचर हए॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पवर्णतर कप्रे करगोडर हशखर ढहराए, अनप्रेक पकरार सप्रे गगोलप्रे चलनप्रे लगप्रे। वप्रे गगोलप्रे ऐसरा
घहररातप्रे हमैं जहैसप्रे वज्रपरात हहआ हगो (हबजलश्री हगरश्री हगो) और यगोदरा ऐसप्रे गरजतप्रे हमैं, मरानगो पलयकराल
कप्रे बरादल हर। हवकट वरानर यगोदरा हभडतप्रे हमैं, कट जरातप्रे हमैं (घरायल हगो जरातप्रे हमैं), उनकप्रे शरश्रीर
जजर्णर (चलनश्री) हगो जरातप्रे हमैं, तब भश्री वप्रे लटतप्रे नहहीं (हहम्मत नहहीं हरारतप्रे)। वप्रे पहराड उठराकर उसप्रे
हकलप्रे पर फिमें कतप्रे हमैं। रराक्षस जहराहूँ कप्रे तहराहूँ (जगो जहराहूँ हगोतप्रे हमैं, वहहीं) मरारप्रे जरातप्रे हमैं।
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सपुहन शवन अस गढ पपुहन छमेंकरा आइ।
उतरमयगो बश्रीर दगपु र्ण तमें सन्मपुख चल्यगो बजराइ॥49॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद नप्रे करानर सप्रे ऐसरा सपुनरा हक वरानरर नप्रे आकर हफिर हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा हहै। तब वह
वश्रीर हकलप्रे सप्रे उतररा और डमंकरा बजराकर उनकप्रे सरामनप्रे चलरा॥49॥
चरौपराई :
* कहहूँ कगोसलराधश्रीस दरौ ररातरा। धन्वश्री सकल लगोत हबख्यरातरा॥
कहहूँ नल नश्रील दहपु बद सपुगश्रीवरा। अमंगद हनपूममंत बल सहींवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(मप्रेघनराद नप्रे पपुकरारकर कहरा-) समस्त लगोकर ममें पहसद धनपुधर्णर कगोसलराधश्रीश दगोनर भराई
कहराहूँ हमैं? नल, नश्रील, हदहवद, सपुगश्रीव और बल ककी सश्रीमरा अमंगद और हनपुमरानम कहराहूँ हमैं?॥1॥
* कहराहूँ हबभश्रीषनपु ररातरादगोहश्री। आजपु सबहह हहठ मरारउहूँ ओहश्री॥
अस कहह कहठन बरान समंधरानप्रे। अहतसय कगोध शवन लहग तरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भराई सप्रे दगोह करनप्रे वरालरा हवभश्रीषर कहराहूँ हहै? आज ममैं सबकगो और उस दष्टिपु कगो तगो
हठपपूवर्णक (अवश्य हश्री) मरारूहूँगरा। ऐसरा कहकर उसनप्रे धनपुष पर कहठन बरारर करा सन्धरान हकयरा और
अत्यमंत कगोध करकप्रे उसप्रे करान तक खहींचरा॥2॥
* सर समपूह सगो छराडहै लरागरा। जनपु सपच्छ धरावहहमं बहह नरागरा॥
जहहूँ तहहूँ परत दप्रेहखअहहमं बरानर। सन्मपुख हगोइ न सकप्रे तप्रेहह अवसर॥3॥
भरावरारर्ण:- वह बरारर कप्रे समपूह छगोडनप्रे लगरा। मरानगो बहह त सप्रे पमंखवरालप्रे सराहूँप दरौडप्रे जरा रहप्रे हर। जहराहूँ-
तहराहूँ वरानर हगरतप्रे हदखराई पडनप्रे लगप्रे। उस समय कगोई भश्री उसकप्रे सरामनप्रे न हगो सकप्रे ॥3॥
* जहहूँ तहहूँ भराहग चलप्रे कहप रश्रीछरा। हबसरश्री सबहह जपुद कहै ईछरा॥
सगो कहप भरालपु न रन महहूँ दप्रेखरा। ककीन्हप्रेहस जप्रेहह न परान अवसप्रेषरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- रश्रीछ-वरानर जहराहूँ-तहराहूँ भराग चलप्रे। सबकगो यद पु ककी इच्छरा भपूल गई। ररभपूहम ममें ऐसरा एक
भश्री वरानर यरा भरालपू नहहीं हदखराई पडरा, हजसकगो उसनप्रे परारमरात्र अवशप्रेष न कर हदयरा हगो (अररार्णतम
हजसकप्रे कप्रे वल परारमरात्र हश्री न बचप्रे हर, बल, पपुरषरारर्ण सराररा जरातरा न रहरा हगो)॥4॥
दगोहरा :
* दस दस सर सब मरारप्रेहस परप्रे भपूहम कहप बश्रीर।
हसमंहनराद करर गजरार्ण मप्रेघनराद बल धश्रीर॥50॥
भरावरारर्ण:- हफिर उसनप्रे सबकगो दस-दस बरार मरारप्रे, वरानर वश्रीर पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे। बलवरानम और
धश्रीर मप्रेघनराद हसमंह कप्रे समरान नराद करकप्रे गरजनप्रे लगरा॥50॥
चरौपराई :
* दप्रेहख पवनसपुत कटक हबहरालरा। कगोधवमंत जनपु धरायउ करालरा॥
महरासहैल एक तपुरत उपराररा। अहत ररस मप्रेघनराद पर डराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- सरारश्री सप्रेनरा कगो बप्रेहराल (व्यराकपुल) दप्रेखकर पवनसपुत हनपुमरानम कगोध करकप्रे ऐसप्रे दरौडप्रे मरानगो
स्वयमं कराल दरौड आतरा हगो। उन्हरनप्रे तपुरमंत एक बडरा भरारश्री पहराड उखराड हलयरा और बडप्रे हश्री कगोध कप्रे
सरार उसप्रे मप्रेघनराद पर छगोडरा॥1॥
* आवत दप्रेहख गयउ नभ सगोई। रर सराररश्री तपुरग सब खगोई॥
बरार बरार पचरार हनपुमरानरा। हनकट न आव मरमपु सगो जरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- पहराडर कगो आतप्रे दप्रेखकर वह आकराश ममें उड गयरा। (उसकप्रे ) रर, सराररश्री और घगोडप्रे
सब नष्टि हगो गए (चपूर-चपूर हगो गए) हनपुमरानमजश्री उसप्रे बरार-बरार ललकरारतप्रे हमैं। पर वह हनकट नहहीं
आतरा, क्यरहक वह उनकप्रे बल करा ममर्ण जरानतरा ररा॥2॥
* रघपुपहत हनकट गयउ घननरादरा। नरानरा भराहूँहत करप्रेहस दबपु रार्णदरा॥
अस्त्र सस्त्र आयधपु सब डरारप्रे। करौतपुकहहीं पभपु कराहट हनवरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- (तब) मप्रेघनराद शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास गयरा और उसनप्रे (उनकप्रे पहत) अनप्रेकर पकरार
कप्रे दवपु र्णचनर करा पयगोग हकयरा। (हफिर) उसनप्रे उन पर अस्त्र-शस्त्र तररा और सब हहरयरार चलराए।
पभपु नप्रे खप्रेल ममें हश्री सबकगो कराटकर अलग कर हदयरा॥3॥
* दप्रेहख पतराप मपूढ हखहसआनरा। करहै लराग मरायरा हबहध नरानरा॥
हजहम कगोउ करहै गरड समैं खप्रेलरा। डरपरावहै गहह स्वल्प सपप्रेलरा॥4॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री करा पतराप (सरामथ्यर्ण) दप्रेखकर वह मपूखर्ण लहजत हगो गयरा और अनप्रेकर पकरार
ककी मरायरा करनप्रे लगरा। जहैसप्रे कगोई व्यहक्त छगोटरा सरा सराहूँप करा बचरा हरार ममें लप्रेकर गरड कगो डररावप्रे और
उससप्रे खप्रेल करप्रे॥4॥
दगोहरा :
* जरासपु पबल मरायरा बस हसव हबरमंहच बड छगोट।
तराहह हदखरावइ हनहसचर हनज मरायरा महत खगोट॥51॥
भरावरारर्ण:- हशवजश्री और ब्रहराजश्री तक बडप्रे-छगोटप्रे (सभश्री) हजनककी अत्यमंत बलवरानम मरायरा कप्रे वश ममें
हमैं, नश्रीच बपुहद हनशराचर उनकगो अपनश्री मरायरा हदखलरातरा हहै॥51॥
चरौपराई : :
* नभ चहढ बरष हबपपुल अमंगराररा। महह तप्रे पगट हगोहहमं जलधराररा॥
नरानरा भराहूँहत हपसराच हपसराचश्री। मरार कराटपु धपुहन बगोलहहमं नराचश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- आकराश ममें (ऊहूँचप्रे) चढकर वह बहह त सप्रे अमंगरारप्रे बरसरानप्रे लगरा। पमृथ्वश्री सप्रे जल ककी धरारराएहूँ
पकट हगोनप्रे लगहीं। अनप्रेक पकरार कप्रे हपशराच तररा हपशराहचहनयराहूँ नराच-नराचकर 'मरारगो, कराटगो' ककी
आवराज करनप्रे लगहीं॥1॥
* हबष्टिरा पपूय रहधर कच हराडरा। बरषइ कबहह हूँ उपल बहह छराडरा॥
बरहष धपूरर ककीन्हप्रेहस अहूँहधआररा। सपूझ न आपन हरार पसराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- वह कभश्री तगो हवष्टिरा, पश्रीब, खपून, बराल और हरडयराहूँ बरसरातरा ररा और कभश्री बहह त सप्रे
पत्रर फिमें क दप्रेतरा ररा। हफिर उसनप्रे धपूल बरसराकर ऐसरा अहूँधप्रेररा कर हदयरा हक अपनरा हश्री पसराररा हहआ
हरार नहहीं सपूझतरा ररा॥2॥
* कहप अकपु लरानप्रे मरायरा दप्रेख।में सब कर मरन बनरा ऐहह लप्रेख॥में
करौतपुक दप्रेहख रराम मपुसपुकरानप्रे। भए सभश्रीत सकल कहप जरानप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:- मरायरा दप्रेखकर वरानर अकपु लरा उठप्रे। वप्रे सगोचनप्रे लगप्रे हक इस हहसराब सप्रे (इसश्री तरह रहरा)
तगो सबकरा मरर आ बनरा। यह करौतपुक दप्रेखकर शश्री ररामजश्री मपुस्कपु रराए। उन्हरनप्रे जरान हलयरा हक सब
वरानर भयभश्रीत हगो गए हमैं॥3॥
* एक बरान कराटश्री सब मरायरा। हजहम हदनकर हर हतहमर हनकरायरा॥
कमृ परादृहष्टि कहप भरालपु हबलगोकप्रे। भए पबल रन रहहहमं न रगोकप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:- तब शश्री ररामजश्री नप्रे एक हश्री बरार सप्रे सरारश्री मरायरा कराट डरालश्री, जहैसप्रे सपूयर्ण अमंधकरार कप्रे समपूह
कगो हर लप्रेतरा हहै। तदनन्तर उन्हरनप्रे कमृ पराभरश्री दृहष्टि सप्रे वरानर-भरालपुओमं ककी ओर दप्रेखरा, (हजससप्रे) वप्रे
ऐसप्रे पबल हगो गए हक रर ममें रगोकनप्रे पर भश्री नहहीं रकतप्रे रप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* आयसपु मराहग रराम पहहमं अमंगदराहद कहप सरार।
लहछमन चलप्रे कपु द हगोइ बरान सररासन हरार॥52॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री सप्रे आजरा मराहूँगकर, अमंगद आहद वरानरर कप्रे सरार हरारर ममें धनपुष-बरार हलए हह ए
शश्री लक्ष्मरजश्री कपु द हगोकर चलप्रे॥।52॥
चरौपराई :
* छतज नयन उर बराहह हबसरालरा। हहमहगरर हनभ तनपु कछपु एक लरालरा॥
इहराहूँ दसरानन सपुभट पठराए। नरानरा अस्त्र सस्त्र गहह धराए॥1॥
भरावरारर्ण:- उनकप्रे लराल नप्रेत्र हमैं, चरौडश्री छरातश्री और हवशराल भपुजराएहूँ हमैं। हहमराचल पवर्णत कप्रे समरान
उज्ज्वल (गरौरवरर्ण) शरश्रीर कपु छ ललराई हलए हहए हहै। इधर ररावर नप्रे भश्री बडप्रे-बडप्रे यगोदरा भप्रेजप्रे, जगो
अनप्रेकर अस्त्र-शस्त्र लप्रेकर दरौडप्रे॥1॥
* भपूधर नख हबटपरायधपु धरारश्री। धराए कहप जय रराम पपुकरारश्री॥
हभरप्रे सकल जगोररहह सन जगोरश्री। इत उत जय इच्छरा नहहमं रगोरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- पवर्णत, नख और वमृक्ष रूपश्री हहरयरार धरारर हकए हह ए वरानर 'शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय'
पपुकरारकर दरौडप्रे। वरानर और रराक्षस सब जगोडश्री सप्रे जगोडश्री हभड गए। इधर और उधर दगोनर ओर जय
ककी इच्छरा कम न रश्री (अररार्णतम पबल रश्री)॥2॥
* मपुहठकन्ह लरातन्ह दरातन्ह कराटहहमं। कहप जयसश्रील मरारर पपुहन डराटहहमं॥
मरार मरार धर धर धर मरारू। सश्रीस तगोरर गहह भपुजरा उपरारू॥3॥
भरावरारर्ण:- वरानर उनकगो घपूहूँसर और लरातर सप्रे मरारतप्रे हमैं, दराहूँतर सप्रे कराटतप्रे हमैं। हवजयशश्रील वरानर उन्हमें
मरारकर हफिर डराहूँटतप्रे भश्री हमैं। 'मरारगो, मरारगो, पकडगो, पकडगो, पकडकर मरार दगो, हसर तगोड दगो और
भपुजराऐहूँ पकडकर उखराड लगो'॥3॥
* अहस रव पपूरर रहश्री नव खमंडरा। धरावहहमं जहहूँ तहहूँ रमंड पचमंडरा॥
दप्रेखहहमं करौतपुक नभ सपुर बमृमंदरा। कबहह हूँक हबसमय कबहह हूँ अनमंदरा॥4॥
भरावरारर्ण:-नवर खमंडर ममें ऐसश्री आवराज भर रहश्री हहै। पचण्ड रण्ड (धड) जहराहूँ-तहराहूँ दरौड रहप्रे हमैं।
आकराश ममें दप्रेवतरागर यह करौतपुक दप्रेख रहप्रे हमैं। उन्हमें कभश्री खप्रेद हगोतरा हहै और कभश्री आनमंद॥4॥
दगोहरा :
* रहधर गराड भरर भरर जम्यगो ऊपर धपूरर उडराइ।
जनपु अहूँगरार रराहसन्ह पर ममृतक धपूम रह्यगो छराइ॥53॥
भरावरारर्ण:- खपून गडर ममें भर-भरकर जम गयरा हहै और उस पर धपूल उडकर पड रहश्री हहै (वह दृश्य
ऐसरा हहै) मरानगो अमंगरारर कप्रे ढप्रेरर पर रराख छरा रहश्री हगो॥53॥
चरौपराई :
* घरायल बश्रीर हबरराजहहमं कहै सप्रे। कपु सपुमहत हकमंसपुक कप्रे तर जहैसप्रे॥
लहछमन मप्रेघनराद दरौ जगोधरा। हभरहहमं परसपर करर अहत कगोधरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- घरायल वश्रीर कहै सप्रे शगोहभत हमैं, जहैसप्रे फिपूलप्रे हह ए पलरास कप्रे पप्रेड। लक्ष्मर और मप्रेघनराद दगोनर
यगोदरा अत्यमंत कगोध करकप्रे एक-दस पू रप्रे सप्रे हभडतप्रे हमैं॥1॥
* एकहह एक सकइ नहहमं जश्रीतश्री। हनहसचर छल बल करइ अनश्रीतश्री॥
कगोधवमंत तब भयउ अनमंतरा। भमंजप्रेउ रर सराररश्री तपुरमंतरा॥2॥
भरावरारर्ण:- एक-दस पू रप्रे कगो (कगोई हकसश्री कगो) जश्रीत नहहीं सकतरा। रराक्षस छल-बल (मरायरा) और
अनश्रीहत (अधमर्ण) करतरा हहै, तब भगवरानम अनन्तजश्री (लक्ष्मरजश्री) कगोहधत हह ए और उन्हरनप्रे तपुरमंत
उसकप्रे रर कगो तगोड डरालरा और सराररश्री कगो टपु कडप्रे-टपु कडप्रे कर हदयरा!॥2॥
* नरानरा हबहध पहरार कर सप्रेषरा। रराच्छस भयउ परान अवसप्रेषरा॥
ररावन सपुत हनज मन अनपुमरानरा। समंकठ भयउ हररहह मम परानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- शप्रेषजश्री (लक्ष्मरजश्री) उस पर अनप्रेक पकरार सप्रे पहरार करनप्रे लगप्रे। रराक्षस कप्रे परारमरात्र शप्रेष
रह गए। ररावरपपुत्र मप्रेघनराद नप्रे मन ममें अनपुमरान हकयरा हक अब तगो परार समंकट आ बनरा, यप्रे मप्रेरप्रे परार
हर लमेंगप्रे॥3॥
* बश्रीरघराहतनश्री छराहडहस सराहूँगश्री। तप्रेजपपुमंज लहछमन उर लरागश्री॥
मपुरछरा भई सहक्त कप्रे लरागमें। तब चहल गयउ हनकट भय त्यरागमें॥4॥
भरावरारर्ण:-तब उसनप्रे वश्रीरघराहतनश्री शहक्त चलराई। वह तप्रेजपपूरर्ण शहक्त लक्ष्मरजश्री ककी छरातश्री ममें लगश्री।
शहक्त लगनप्रे सप्रे उन्हमें मपूछरार्ण आ गई। तब मप्रेघनराद भय छगोडकर उनकप्रे परास चलरा गयरा॥4॥
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सम कगोहट सत जगोधरा रहप्रे उठराइ।
जगदराधरार सप्रेष हकहम उठहै चलप्रे हखहसआइ॥54॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद कप्रे समरान सरौ करगोड (अगहरत) यगोदरा उन्हमें उठरा रहप्रे हमैं, परन्तपु जगतम कप्रे
आधरार शश्री शप्रेषजश्री (लक्ष्मरजश्री) उनसप्रे कहै सप्रे उठतप्रे? तब वप्रे लजराकर चलप्रे गए॥54॥
चरौपराई :
* सपुनपु हगररजरा कगोधरानल जरासपू। जरारइ भपुवन चराररदस आसपू॥
सक समंगराम जश्रीहत कगो तराहश्री। सप्रेवहहमं सपुर नर अग जग जराहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे हगररजप्रे! सपुनगो, (पलयकराल ममें) हजन (शप्रेषनराग) कप्रे कगोध ककी
अहग्नि चरौदहर भपुवनर कगो तपुरमंत हश्री जलरा डरालतश्री हहै और दप्रेवतरा, मनपुष्य तररा समस्त चरराचर (जश्रीव)
हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं, उनकगो समंगराम ममें करौन जश्रीत सकतरा हहै?॥1॥
* यह करौतपूहल जरानइ सगोई। जरा पर कमृ परा रराम कहै हगोई॥
समंध्यरा भय हफिरर दरौ बराहनश्री। लगप्रे सहूँभरारन हनज हनज अनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस लश्रीलरा कगो वहश्री जरान सकतरा हहै, हजस पर शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा हगो। समंध्यरा हगोनप्रे पर
दगोनर ओर ककी सप्रेनराएहूँ लरौट पडहीं, सप्रेनरापहत अपनश्री-अपनश्री सप्रेनराएहूँ समंभरालनप्रे लगप्रे॥2॥
* व्यरापक ब्रह अहजत भपुवनप्रेस्वर। लहछमन कहराहूँ बपूझ करनराकर॥
तब लहग लहै आयउ हनपुमरानरा। अनपुज दप्रेहख पभपु अहत दख पु मरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:- व्यरापक, ब्रह, अजप्रेय, समंपपूरर्ण ब्रहरामंड कप्रे ईश्वर और करररा ककी खरान शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे
पपूछरा- लक्ष्मर कहराहूँ हहै? तब तक हनपुमरानम उन्हमें लप्रे आए। छगोटप्रे भराई कगो (इस दशरा ममें) दप्रेखकर
पभपु नप्रे बहह त हश्री दद्धाःपु ख मरानरा॥3॥

लक्ष्मर-मप्रेघनराद यद पु , लक्ष्मरजश्री कगो शहक्त लगनरा


*करालरूप खल बन दहन गपुनरागरार घनबगोध।
हसव हबरमंहच जप्रेहह सप्रेवहहमं तरासर कवन हबरगोध॥48 ख॥
भरावरारर्ण:- जगो करालस्वरूप हमैं, दष्टिपु र कप्रे समपूह रूपश्री वन कप्रे भस्म करनप्रे वरालप्रे (अहग्नि) हमैं, गपुरर कप्रे
धराम और जरानघन हमैं एवमं हशवजश्री और ब्रहराजश्री भश्री हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं , उनसप्रे वहैर कहै सरा?॥48
(ख)॥
चरौपराई :
* पररहरर बयर दप्रेहह बहैदहप्रे श्री। भजहह कमृ पराहनहध परम सनप्रेहश्री॥
तराकप्रे बचन बरान सम लरागप्रे। कररआ मपुहूँह करर जराहह अभरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- (अतद्धाः) वहैर छगोडकर उन्हमें जरानककीजश्री कगो दप्रे दगो और कमृ पराहनधरान परम स्नप्रेहश्री शश्री
ररामजश्री करा भजन करगो। ररावर कगो उसकप्रे वचन बरार कप्रे समरान लगप्रे। (वह बगोलरा-) अरप्रे अभरागप्रे!
मपुहूँह करालरा करकप्रे (यहराहूँ सप्रे) हनकल जरा॥1॥
* बपूढ भएहस न त मरतप्रेउहूँ तगोहश्री। अब जहन नयन दप्रेखरावहस मगोहश्री॥
तप्रेहहमं अपनप्रे मन अस अनपुमरानरा। बध्यगो चहत एहह कमृ पराहनधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपू बपूढरा हगो गयरा, नहहीं तगो तपुझप्रे मरार हश्री डरालतरा। अब मप्रेरश्री आहूँखर कगो अपनरा मपुहूँह न
हदखलरा। ररावर कप्रे यप्रे वचन सपुनकर उसनप्रे (मराल्यवरानम नप्रे) अपनप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक
इसप्रे कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री अब मरारनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥ 2॥
* सगो उहठ गयउ कहत दबपु रार्णदरा। तब सकगोप बगोलप्रेउ घननरादरा॥
करौतपुक परात दप्रेहखअहह मगोररा। कररहउहूँ बहह त कहजौं करा रगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह ररावर कगो दवपु र्णचन कहतरा हहआ उठकर चलरा गयरा। तब मप्रेघनराद कगोधपपूवर्णक बगोलरा-
सबप्रेरप्रे मप्रेरश्री कररामरात दप्रेखनरा। ममैं बहह त कपु छ करूहूँगरा, रगोडरा क्यरा कहह हूँ? (जगो कपु छ वरर्णन करूहूँगरा रगोडरा
हश्री हगोगरा)॥3॥
* सपुहन सपुत बचन भरगोसरा आवरा। पश्रीहत समप्रेत अमंक बहैठरावरा॥
करत हबचरार भयउ हभनपुसराररा। लरागप्रे कहप पपुहन चहह हूँ दआ पु ररा॥4॥
भरावरारर्ण:- पपुत्र कप्रे वचन सपुनकर ररावर कगो भरगोसरा आ गयरा। उसनप्रे पप्रेम कप्रे सरार उसप्रे गगोद ममें बहैठरा
हलयरा। हवचरार करतप्रे-करतप्रे हश्री सबप्रेररा हगो गयरा। वरानर हफिर चरारर दरवराजर पर जरा लगप्रे॥ 4॥
* कगोहप कहपन्ह दघपु टर्ण गढपु घप्रेररा। नगर कगोलराहलपु भयउ घनप्रेररा॥
हबहबधरायधपु धर हनहसचर धराए। गढ तप्रे पबर्णत हसखर ढहराए॥5॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे कगोध करकप्रे दगपु र्णम हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा। नगर ममें बहह त हश्री कगोलराहल (शगोर) मच
गयरा। रराक्षस बहह त तरह कप्रे अस्त्र-शस्त्र धरारर करकप्रे दरौडप्रे और उन्हरनप्रे हकलप्रे पर पहराडर कप्रे हशखर
ढहराए॥5॥
छमंद :
* ढराहप्रे महश्रीधर हसखर कगोहटन्ह हबहबध हबहध गगोलरा चलप्रे।
घहररात हजहम पहबपरात गजर्णत जनपु पलय कप्रे बरादलप्रे॥
मकर्णट हबकट भट जपुटत कटत न लटत तन जजर्णर भए।
गहह सहैल तप्रेहह गढ पर चलरावहह जहहूँ सगो तहहूँ हनहसचर हए॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पवर्णतर कप्रे करगोडर हशखर ढहराए, अनप्रेक पकरार सप्रे गगोलप्रे चलनप्रे लगप्रे। वप्रे गगोलप्रे ऐसरा
घहररातप्रे हमैं जहैसप्रे वज्रपरात हहआ हगो (हबजलश्री हगरश्री हगो) और यगोदरा ऐसप्रे गरजतप्रे हमैं, मरानगो पलयकराल
कप्रे बरादल हर। हवकट वरानर यगोदरा हभडतप्रे हमैं, कट जरातप्रे हमैं (घरायल हगो जरातप्रे हमैं), उनकप्रे शरश्रीर
जजर्णर (चलनश्री) हगो जरातप्रे हमैं, तब भश्री वप्रे लटतप्रे नहहीं (हहम्मत नहहीं हरारतप्रे)। वप्रे पहराड उठराकर उसप्रे
हकलप्रे पर फिमें कतप्रे हमैं। रराक्षस जहराहूँ कप्रे तहराहूँ (जगो जहराहूँ हगोतप्रे हमैं, वहहीं) मरारप्रे जरातप्रे हमैं।
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सपुहन शवन अस गढ पपुहन छमेंकरा आइ।
उतरमयगो बश्रीर दगपु र्ण तमें सन्मपुख चल्यगो बजराइ॥49॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद नप्रे करानर सप्रे ऐसरा सपुनरा हक वरानरर नप्रे आकर हफिर हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा हहै। तब वह
वश्रीर हकलप्रे सप्रे उतररा और डमंकरा बजराकर उनकप्रे सरामनप्रे चलरा॥49॥
चरौपराई :
* कहहूँ कगोसलराधश्रीस दरौ ररातरा। धन्वश्री सकल लगोत हबख्यरातरा॥
कहहूँ नल नश्रील दहपु बद सपुगश्रीवरा। अमंगद हनपूममंत बल सहींवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(मप्रेघनराद नप्रे पपुकरारकर कहरा-) समस्त लगोकर ममें पहसद धनपुधर्णर कगोसलराधश्रीश दगोनर भराई
कहराहूँ हमैं? नल, नश्रील, हदहवद, सपुगश्रीव और बल ककी सश्रीमरा अमंगद और हनपुमरानम कहराहूँ हमैं?॥1॥
* कहराहूँ हबभश्रीषनपु ररातरादगोहश्री। आजपु सबहह हहठ मरारउहूँ ओहश्री॥
अस कहह कहठन बरान समंधरानप्रे। अहतसय कगोध शवन लहग तरानप्रे॥ 2॥
भरावरा

लक्ष्मर-मप्रेघनराद यद पु , लक्ष्मरजश्री कगो शहक्त लगनरा


*करालरूप खल बन दहन गपुनरागरार घनबगोध।
हसव हबरमंहच जप्रेहह सप्रेवहहमं तरासर कवन हबरगोध॥48 ख॥
भरावरारर्ण:- जगो करालस्वरूप हमैं, दष्टिपु र कप्रे समपूह रूपश्री वन कप्रे भस्म करनप्रे वरालप्रे (अहग्नि) हमैं, गपुरर कप्रे
धराम और जरानघन हमैं एवमं हशवजश्री और ब्रहराजश्री भश्री हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं , उनसप्रे वहैर कहै सरा?॥48
(ख)॥
चरौपराई :
* पररहरर बयर दप्रेहह बहैदहप्रे श्री। भजहह कमृ पराहनहध परम सनप्रेहश्री॥
तराकप्रे बचन बरान सम लरागप्रे। कररआ मपुहूँह करर जराहह अभरागप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- (अतद्धाः) वहैर छगोडकर उन्हमें जरानककीजश्री कगो दप्रे दगो और कमृ पराहनधरान परम स्नप्रेहश्री शश्री
ररामजश्री करा भजन करगो। ररावर कगो उसकप्रे वचन बरार कप्रे समरान लगप्रे। (वह बगोलरा-) अरप्रे अभरागप्रे!
मपुहूँह करालरा करकप्रे (यहराहूँ सप्रे) हनकल जरा॥1॥
* बपूढ भएहस न त मरतप्रेउहूँ तगोहश्री। अब जहन नयन दप्रेखरावहस मगोहश्री॥
तप्रेहहमं अपनप्रे मन अस अनपुमरानरा। बध्यगो चहत एहह कमृ पराहनधरानरा॥2॥
भरावरारर्ण:-तपू बपूढरा हगो गयरा, नहहीं तगो तपुझप्रे मरार हश्री डरालतरा। अब मप्रेरश्री आहूँखर कगो अपनरा मपुहूँह न
हदखलरा। ररावर कप्रे यप्रे वचन सपुनकर उसनप्रे (मराल्यवरानम नप्रे) अपनप्रे मन ममें ऐसरा अनपुमरान हकयरा हक
इसप्रे कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री अब मरारनरा हश्री चराहतप्रे हमैं॥ 2॥
* सगो उहठ गयउ कहत दबपु रार्णदरा। तब सकगोप बगोलप्रेउ घननरादरा॥
करौतपुक परात दप्रेहखअहह मगोररा। कररहउहूँ बहह त कहजौं करा रगोररा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह ररावर कगो दवपु र्णचन कहतरा हहआ उठकर चलरा गयरा। तब मप्रेघनराद कगोधपपूवर्णक बगोलरा-
सबप्रेरप्रे मप्रेरश्री कररामरात दप्रेखनरा। ममैं बहह त कपु छ करूहूँगरा, रगोडरा क्यरा कहह हूँ? (जगो कपु छ वरर्णन करूहूँगरा रगोडरा
हश्री हगोगरा)॥3॥
* सपुहन सपुत बचन भरगोसरा आवरा। पश्रीहत समप्रेत अमंक बहैठरावरा॥
करत हबचरार भयउ हभनपुसराररा। लरागप्रे कहप पपुहन चहह हूँ दआ पु ररा॥4॥
भरावरारर्ण:- पपुत्र कप्रे वचन सपुनकर ररावर कगो भरगोसरा आ गयरा। उसनप्रे पप्रेम कप्रे सरार उसप्रे गगोद ममें बहैठरा
हलयरा। हवचरार करतप्रे-करतप्रे हश्री सबप्रेररा हगो गयरा। वरानर हफिर चरारर दरवराजर पर जरा लगप्रे॥ 4॥
* कगोहप कहपन्ह दघपु टर्ण गढपु घप्रेररा। नगर कगोलराहलपु भयउ घनप्रेररा॥
हबहबधरायधपु धर हनहसचर धराए। गढ तप्रे पबर्णत हसखर ढहराए॥5॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे कगोध करकप्रे दगपु र्णम हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा। नगर ममें बहह त हश्री कगोलराहल (शगोर) मच
गयरा। रराक्षस बहह त तरह कप्रे अस्त्र-शस्त्र धरारर करकप्रे दरौडप्रे और उन्हरनप्रे हकलप्रे पर पहराडर कप्रे हशखर
ढहराए॥5॥
छमंद :
* ढराहप्रे महश्रीधर हसखर कगोहटन्ह हबहबध हबहध गगोलरा चलप्रे।
घहररात हजहम पहबपरात गजर्णत जनपु पलय कप्रे बरादलप्रे॥
मकर्णट हबकट भट जपुटत कटत न लटत तन जजर्णर भए।
गहह सहैल तप्रेहह गढ पर चलरावहह जहहूँ सगो तहहूँ हनहसचर हए॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पवर्णतर कप्रे करगोडर हशखर ढहराए, अनप्रेक पकरार सप्रे गगोलप्रे चलनप्रे लगप्रे। वप्रे गगोलप्रे ऐसरा
घहररातप्रे हमैं जहैसप्रे वज्रपरात हहआ हगो (हबजलश्री हगरश्री हगो) और यगोदरा ऐसप्रे गरजतप्रे हमैं, मरानगो पलयकराल
कप्रे बरादल हर। हवकट वरानर यगोदरा हभडतप्रे हमैं, कट जरातप्रे हमैं (घरायल हगो जरातप्रे हमैं), उनकप्रे शरश्रीर
जजर्णर (चलनश्री) हगो जरातप्रे हमैं, तब भश्री वप्रे लटतप्रे नहहीं (हहम्मत नहहीं हरारतप्रे)। वप्रे पहराड उठराकर उसप्रे
हकलप्रे पर फिमें कतप्रे हमैं। रराक्षस जहराहूँ कप्रे तहराहूँ (जगो जहराहूँ हगोतप्रे हमैं, वहहीं) मरारप्रे जरातप्रे हमैं।
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सपुहन शवन अस गढ पपुहन छमेंकरा आइ।
उतरमयगो बश्रीर दगपु र्ण तमें सन्मपुख चल्यगो बजराइ॥49॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद नप्रे करानर सप्रे ऐसरा सपुनरा हक वरानरर नप्रे आकर हफिर हकलप्रे कगो घप्रेर हलयरा हहै। तब वह
वश्रीर हकलप्रे सप्रे उतररा और डमंकरा बजराकर उनकप्रे सरामनप्रे चलरा॥49॥
चरौपराई :
* कहहूँ कगोसलराधश्रीस दरौ ररातरा। धन्वश्री सकल लगोत हबख्यरातरा॥
कहहूँ नल नश्रील दहपु बद सपुगश्रीवरा। अमंगद हनपूममंत बल सहींवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-(मप्रेघनराद नप्रे पपुकरारकर कहरा-) समस्त लगोकर ममें पहसद धनपुधर्णर कगोसलराधश्रीश दगोनर भराई
कहराहूँ हमैं? नल, नश्रील, हदहवद, सपुगश्रीव और बल ककी सश्रीमरा अमंगद और हनपुमरानम कहराहूँ हमैं?॥1॥
* कहराहूँ हबभश्रीषनपु ररातरादगोहश्री। आजपु सबहह हहठ मरारउहूँ ओहश्री॥
अस कहह कहठन बरान समंधरानप्रे। अहतसय कगोध शवन लहग तरानप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भराई सप्रे दगोह करनप्रे वरालरा हवभश्रीषर कहराहूँ हहै? आज ममैं सबकगो और उस दष्टिपु कगो तगो
हठपपूवर्णक (अवश्य हश्री) मरारूहूँगरा। ऐसरा कहकर उसनप्रे धनपुष पर कहठन बरारर करा सन्धरान हकयरा और
अत्यमंत कगोध करकप्रे उसप्रे करान तक खहींचरा॥2॥
* सर समपूह सगो छराडहै लरागरा। जनपु सपच्छ धरावहहमं बहह नरागरा॥
जहहूँ तहहूँ परत दप्रेहखअहहमं बरानर। सन्मपुख हगोइ न सकप्रे तप्रेहह अवसर॥3॥
भरावरारर्ण:- वह बरारर कप्रे समपूह छगोडनप्रे लगरा। मरानगो बहह त सप्रे पमंखवरालप्रे सराहूँप दरौडप्रे जरा रहप्रे हर। जहराहूँ-
तहराहूँ वरानर हगरतप्रे हदखराई पडनप्रे लगप्रे। उस समय कगोई भश्री उसकप्रे सरामनप्रे न हगो सकप्रे ॥3॥
* जहहूँ तहहूँ भराहग चलप्रे कहप रश्रीछरा। हबसरश्री सबहह जपुद कहै ईछरा॥
सगो कहप भरालपु न रन महहूँ दप्रेखरा। ककीन्हप्रेहस जप्रेहह न परान अवसप्रेषरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- रश्रीछ-वरानर जहराहूँ-तहराहूँ भराग चलप्रे। सबकगो यद पु ककी इच्छरा भपूल गई। ररभपूहम ममें ऐसरा एक
भश्री वरानर यरा भरालपू नहहीं हदखराई पडरा, हजसकगो उसनप्रे परारमरात्र अवशप्रेष न कर हदयरा हगो (अररार्णतम
हजसकप्रे कप्रे वल परारमरात्र हश्री न बचप्रे हर, बल, पपुरषरारर्ण सराररा जरातरा न रहरा हगो)॥4॥
दगोहरा :
* दस दस सर सब मरारप्रेहस परप्रे भपूहम कहप बश्रीर।
हसमंहनराद करर गजरार्ण मप्रेघनराद बल धश्रीर॥50॥
भरावरारर्ण:- हफिर उसनप्रे सबकगो दस-दस बरार मरारप्रे, वरानर वश्रीर पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे। बलवरानम और
धश्रीर मप्रेघनराद हसमंह कप्रे समरान नराद करकप्रे गरजनप्रे लगरा॥50॥
चरौपराई :
* दप्रेहख पवनसपुत कटक हबहरालरा। कगोधवमंत जनपु धरायउ करालरा॥
महरासहैल एक तपुरत उपराररा। अहत ररस मप्रेघनराद पर डराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- सरारश्री सप्रेनरा कगो बप्रेहराल (व्यराकपुल) दप्रेखकर पवनसपुत हनपुमरानम कगोध करकप्रे ऐसप्रे दरौडप्रे मरानगो
स्वयमं कराल दरौड आतरा हगो। उन्हरनप्रे तपुरमंत एक बडरा भरारश्री पहराड उखराड हलयरा और बडप्रे हश्री कगोध कप्रे
सरार उसप्रे मप्रेघनराद पर छगोडरा॥1॥
* आवत दप्रेहख गयउ नभ सगोई। रर सराररश्री तपुरग सब खगोई॥
बरार बरार पचरार हनपुमरानरा। हनकट न आव मरमपु सगो जरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- पहराडर कगो आतप्रे दप्रेखकर वह आकराश ममें उड गयरा। (उसकप्रे ) रर, सराररश्री और घगोडप्रे
सब नष्टि हगो गए (चपूर-चपूर हगो गए) हनपुमरानमजश्री उसप्रे बरार-बरार ललकरारतप्रे हमैं। पर वह हनकट नहहीं
आतरा, क्यरहक वह उनकप्रे बल करा ममर्ण जरानतरा ररा॥2॥
* रघपुपहत हनकट गयउ घननरादरा। नरानरा भराहूँहत करप्रेहस दबपु रार्णदरा॥
अस्त्र सस्त्र आयधपु सब डरारप्रे। करौतपुकहहीं पभपु कराहट हनवरारप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:- (तब) मप्रेघनराद शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास गयरा और उसनप्रे (उनकप्रे पहत) अनप्रेकर पकरार
कप्रे दवपु र्णचनर करा पयगोग हकयरा। (हफिर) उसनप्रे उन पर अस्त्र-शस्त्र तररा और सब हहरयरार चलराए।
पभपु नप्रे खप्रेल ममें हश्री सबकगो कराटकर अलग कर हदयरा॥3॥
* दप्रेहख पतराप मपूढ हखहसआनरा। करहै लराग मरायरा हबहध नरानरा॥
हजहम कगोउ करहै गरड समैं खप्रेलरा। डरपरावहै गहह स्वल्प सपप्रेलरा॥4॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री करा पतराप (सरामथ्यर्ण) दप्रेखकर वह मपूखर्ण लहजत हगो गयरा और अनप्रेकर पकरार
ककी मरायरा करनप्रे लगरा। जहैसप्रे कगोई व्यहक्त छगोटरा सरा सराहूँप करा बचरा हरार ममें लप्रेकर गरड कगो डररावप्रे और
उससप्रे खप्रेल करप्रे॥4॥
दगोहरा :
* जरासपु पबल मरायरा बस हसव हबरमंहच बड छगोट।
तराहह हदखरावइ हनहसचर हनज मरायरा महत खगोट॥51॥
भरावरारर्ण:- हशवजश्री और ब्रहराजश्री तक बडप्रे-छगोटप्रे (सभश्री) हजनककी अत्यमंत बलवरानम मरायरा कप्रे वश ममें
हमैं, नश्रीच बपुहद हनशराचर उनकगो अपनश्री मरायरा हदखलरातरा हहै॥51॥
चरौपराई : :
* नभ चहढ बरष हबपपुल अमंगराररा। महह तप्रे पगट हगोहहमं जलधराररा॥
नरानरा भराहूँहत हपसराच हपसराचश्री। मरार कराटपु धपुहन बगोलहहमं नराचश्री॥1॥
भरावरारर्ण:- आकराश ममें (ऊहूँचप्रे) चढकर वह बहह त सप्रे अमंगरारप्रे बरसरानप्रे लगरा। पमृथ्वश्री सप्रे जल ककी धरारराएहूँ
पकट हगोनप्रे लगहीं। अनप्रेक पकरार कप्रे हपशराच तररा हपशराहचहनयराहूँ नराच-नराचकर 'मरारगो, कराटगो' ककी
आवराज करनप्रे लगहीं॥1॥
* हबष्टिरा पपूय रहधर कच हराडरा। बरषइ कबहह हूँ उपल बहह छराडरा॥
बरहष धपूरर ककीन्हप्रेहस अहूँहधआररा। सपूझ न आपन हरार पसराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- वह कभश्री तगो हवष्टिरा, पश्रीब, खपून, बराल और हरडयराहूँ बरसरातरा ररा और कभश्री बहह त सप्रे
पत्रर फिमें क दप्रेतरा ररा। हफिर उसनप्रे धपूल बरसराकर ऐसरा अहूँधप्रेररा कर हदयरा हक अपनरा हश्री पसराररा हहआ
हरार नहहीं सपूझतरा ररा॥2॥
* कहप अकपु लरानप्रे मरायरा दप्रेख।में सब कर मरन बनरा ऐहह लप्रेख॥में
करौतपुक दप्रेहख रराम मपुसपुकरानप्रे। भए सभश्रीत सकल कहप जरानप्रे॥ 3॥
भरावरारर्ण:- मरायरा दप्रेखकर वरानर अकपु लरा उठप्रे। वप्रे सगोचनप्रे लगप्रे हक इस हहसराब सप्रे (इसश्री तरह रहरा)
तगो सबकरा मरर आ बनरा। यह करौतपुक दप्रेखकर शश्री ररामजश्री मपुस्कपु रराए। उन्हरनप्रे जरान हलयरा हक सब
वरानर भयभश्रीत हगो गए हमैं॥3॥
* एक बरान कराटश्री सब मरायरा। हजहम हदनकर हर हतहमर हनकरायरा॥
कमृ परादृहष्टि कहप भरालपु हबलगोकप्रे। भए पबल रन रहहहमं न रगोकप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:- तब शश्री ररामजश्री नप्रे एक हश्री बरार सप्रे सरारश्री मरायरा कराट डरालश्री, जहैसप्रे सपूयर्ण अमंधकरार कप्रे समपूह
कगो हर लप्रेतरा हहै। तदनन्तर उन्हरनप्रे कमृ पराभरश्री दृहष्टि सप्रे वरानर-भरालपुओमं ककी ओर दप्रेखरा, (हजससप्रे) वप्रे
ऐसप्रे पबल हगो गए हक रर ममें रगोकनप्रे पर भश्री नहहीं रकतप्रे रप्रे॥ 4॥
दगोहरा :
* आयसपु मराहग रराम पहहमं अमंगदराहद कहप सरार।
लहछमन चलप्रे कपु द हगोइ बरान सररासन हरार॥52॥
भरावरारर्ण:- शश्री ररामजश्री सप्रे आजरा मराहूँगकर, अमंगद आहद वरानरर कप्रे सरार हरारर ममें धनपुष-बरार हलए हह ए
शश्री लक्ष्मरजश्री कपु द हगोकर चलप्रे॥।52॥
चरौपराई :
* छतज नयन उर बराहह हबसरालरा। हहमहगरर हनभ तनपु कछपु एक लरालरा॥
इहराहूँ दसरानन सपुभट पठराए। नरानरा अस्त्र सस्त्र गहह धराए॥1॥
भरावरारर्ण:- उनकप्रे लराल नप्रेत्र हमैं, चरौडश्री छरातश्री और हवशराल भपुजराएहूँ हमैं। हहमराचल पवर्णत कप्रे समरान
उज्ज्वल (गरौरवरर्ण) शरश्रीर कपु छ ललराई हलए हहए हहै। इधर ररावर नप्रे भश्री बडप्रे-बडप्रे यगोदरा भप्रेजप्रे, जगो
अनप्रेकर अस्त्र-शस्त्र लप्रेकर दरौडप्रे॥1॥
* भपूधर नख हबटपरायधपु धरारश्री। धराए कहप जय रराम पपुकरारश्री॥
हभरप्रे सकल जगोररहह सन जगोरश्री। इत उत जय इच्छरा नहहमं रगोरश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- पवर्णत, नख और वमृक्ष रूपश्री हहरयरार धरारर हकए हह ए वरानर 'शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय'
पपुकरारकर दरौडप्रे। वरानर और रराक्षस सब जगोडश्री सप्रे जगोडश्री हभड गए। इधर और उधर दगोनर ओर जय
ककी इच्छरा कम न रश्री (अररार्णतम पबल रश्री)॥2॥
* मपुहठकन्ह लरातन्ह दरातन्ह कराटहहमं। कहप जयसश्रील मरारर पपुहन डराटहहमं॥
मरार मरार धर धर धर मरारू। सश्रीस तगोरर गहह भपुजरा उपरारू॥3॥
भरावरारर्ण:- वरानर उनकगो घपूहूँसर और लरातर सप्रे मरारतप्रे हमैं, दराहूँतर सप्रे कराटतप्रे हमैं। हवजयशश्रील वरानर उन्हमें
मरारकर हफिर डराहूँटतप्रे भश्री हमैं। 'मरारगो, मरारगो, पकडगो, पकडगो, पकडकर मरार दगो, हसर तगोड दगो और
भपुजराऐहूँ पकडकर उखराड लगो'॥3॥
* अहस रव पपूरर रहश्री नव खमंडरा। धरावहहमं जहहूँ तहहूँ रमंड पचमंडरा॥
दप्रेखहहमं करौतपुक नभ सपुर बमृमंदरा। कबहह हूँक हबसमय कबहह हूँ अनमंदरा॥4॥
भरावरारर्ण:-नवर खमंडर ममें ऐसश्री आवराज भर रहश्री हहै। पचण्ड रण्ड (धड) जहराहूँ-तहराहूँ दरौड रहप्रे हमैं।
आकराश ममें दप्रेवतरागर यह करौतपुक दप्रेख रहप्रे हमैं। उन्हमें कभश्री खप्रेद हगोतरा हहै और कभश्री आनमंद॥4॥
दगोहरा :
* रहधर गराड भरर भरर जम्यगो ऊपर धपूरर उडराइ।
जनपु अहूँगरार रराहसन्ह पर ममृतक धपूम रह्यगो छराइ॥53॥
भरावरारर्ण:- खपून गडर ममें भर-भरकर जम गयरा हहै और उस पर धपूल उडकर पड रहश्री हहै (वह दृश्य
ऐसरा हहै) मरानगो अमंगरारर कप्रे ढप्रेरर पर रराख छरा रहश्री हगो॥53॥
चरौपराई :
* घरायल बश्रीर हबरराजहहमं कहै सप्रे। कपु सपुमहत हकमंसपुक कप्रे तर जहैसप्रे॥
लहछमन मप्रेघनराद दरौ जगोधरा। हभरहहमं परसपर करर अहत कगोधरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- घरायल वश्रीर कहै सप्रे शगोहभत हमैं, जहैसप्रे फिपूलप्रे हह ए पलरास कप्रे पप्रेड। लक्ष्मर और मप्रेघनराद दगोनर
यगोदरा अत्यमंत कगोध करकप्रे एक-दस पू रप्रे सप्रे हभडतप्रे हमैं॥1॥
* एकहह एक सकइ नहहमं जश्रीतश्री। हनहसचर छल बल करइ अनश्रीतश्री॥
कगोधवमंत तब भयउ अनमंतरा। भमंजप्रेउ रर सराररश्री तपुरमंतरा॥2॥
भरावरारर्ण:- एक-दस पू रप्रे कगो (कगोई हकसश्री कगो) जश्रीत नहहीं सकतरा। रराक्षस छल-बल (मरायरा) और
अनश्रीहत (अधमर्ण) करतरा हहै, तब भगवरानम अनन्तजश्री (लक्ष्मरजश्री) कगोहधत हह ए और उन्हरनप्रे तपुरमंत
उसकप्रे रर कगो तगोड डरालरा और सराररश्री कगो टपु कडप्रे-टपु कडप्रे कर हदयरा!॥2॥
* नरानरा हबहध पहरार कर सप्रेषरा। रराच्छस भयउ परान अवसप्रेषरा॥
ररावन सपुत हनज मन अनपुमरानरा। समंकठ भयउ हररहह मम परानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- शप्रेषजश्री (लक्ष्मरजश्री) उस पर अनप्रेक पकरार सप्रे पहरार करनप्रे लगप्रे। रराक्षस कप्रे परारमरात्र शप्रेष
रह गए। ररावरपपुत्र मप्रेघनराद नप्रे मन ममें अनपुमरान हकयरा हक अब तगो परार समंकट आ बनरा, यप्रे मप्रेरप्रे परार
हर लमेंगप्रे॥3॥
* बश्रीरघराहतनश्री छराहडहस सराहूँगश्री। तप्रेजपपुमंज लहछमन उर लरागश्री॥
मपुरछरा भई सहक्त कप्रे लरागमें। तब चहल गयउ हनकट भय त्यरागमें॥4॥
भरावरारर्ण:-तब उसनप्रे वश्रीरघराहतनश्री शहक्त चलराई। वह तप्रेजपपूरर्ण शहक्त लक्ष्मरजश्री ककी छरातश्री ममें लगश्री।
शहक्त लगनप्रे सप्रे उन्हमें मपूछरार्ण आ गई। तब मप्रेघनराद भय छगोडकर उनकप्रे परास चलरा गयरा॥4॥
दगोहरा :
* मप्रेघनराद सम कगोहट सत जगोधरा रहप्रे उठराइ।
जगदराधरार सप्रेष हकहम उठहै चलप्रे हखहसआइ॥54॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद कप्रे समरान सरौ करगोड (अगहरत) यगोदरा उन्हमें उठरा रहप्रे हमैं, परन्तपु जगतम कप्रे
आधरार शश्री शप्रेषजश्री (लक्ष्मरजश्री) उनसप्रे कहै सप्रे उठतप्रे? तब वप्रे लजराकर चलप्रे गए॥54॥
चरौपराई :
* सपुनपु हगररजरा कगोधरानल जरासपू। जरारइ भपुवन चराररदस आसपू॥
सक समंगराम जश्रीहत कगो तराहश्री। सप्रेवहहमं सपुर नर अग जग जराहश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे हगररजप्रे! सपुनगो, (पलयकराल ममें) हजन (शप्रेषनराग) कप्रे कगोध ककी
अहग्नि चरौदहर भपुवनर कगो तपुरमंत हश्री जलरा डरालतश्री हहै और दप्रेवतरा, मनपुष्य तररा समस्त चरराचर (जश्रीव)
हजनककी सप्रेवरा करतप्रे हमैं, उनकगो समंगराम ममें करौन जश्रीत सकतरा हहै?॥1॥
* यह करौतपूहल जरानइ सगोई। जरा पर कमृ परा रराम कहै हगोई॥
समंध्यरा भय हफिरर दरौ बराहनश्री। लगप्रे सहूँभरारन हनज हनज अनश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-इस लश्रीलरा कगो वहश्री जरान सकतरा हहै, हजस पर शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा हगो। समंध्यरा हगोनप्रे पर
दगोनर ओर ककी सप्रेनराएहूँ लरौट पडहीं, सप्रेनरापहत अपनश्री-अपनश्री सप्रेनराएहूँ समंभरालनप्रे लगप्रे॥2॥
* व्यरापक ब्रह अहजत भपुवनप्रेस्वर। लहछमन कहराहूँ बपूझ करनराकर॥
तब लहग लहै आयउ हनपुमरानरा। अनपुज दप्रेहख पभपु अहत दख पु मरानरा॥3॥
भरावरारर्ण:- व्यरापक, ब्रह, अजप्रेय, समंपपूरर्ण ब्रहरामंड कप्रे ईश्वर और करररा ककी खरान शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे
पपूछरा- लक्ष्मर कहराहूँ हहै? तब तक हनपुमरानम उन्हमें लप्रे आए। छगोटप्रे भराई कगो (इस दशरा ममें) दप्रेखकर
पभपु नप्रे बहह त हश्री दद्धाःपु ख मरानरा॥3॥

हनपुमरानजश्री करा सपुषप्रेर वहैद्य कगो लरानरा एवमं समंजश्रीवनश्री कप्रे हलए जरानरा, करालनप्रेहम-ररावर समंवराद, मकरश्री
उदरार, करालनप्रेहम उदरार
* जरामवमंत कह बहैद सपुषप्रेनरा। लमंकराहूँ रहइ कगो पठई लप्रेनरा॥
धरर लघपु रूप गयउ हनपुममंतरा। आनप्रेउ भवन समप्रेत तपुरमंतरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- जराम्बवरानम नप्रे कहरा- लमंकरा ममें सपुषप्रेर वहैद्य रहतरा हहै, उसप्रे लरानप्रे कप्रे हलए हकसकगो भप्रेजरा
जराए? हनपुमरानमजश्री छगोटरा रूप धरकर गए और सपुषप्रेर कगो उसकप्रे घर समप्रेत तपुरमंत हश्री उठरा लराए॥4॥
दगोहरा :
* रराम पदरारहबमंद हसर नरायउ आइ सपुषप्रेन।
कहरा नराम हगरर औषधश्री जराहह पवनसपुत लप्रेन ॥55॥
भरावरारर्ण:- सपुषप्रेर नप्रे आकर शश्री ररामजश्री कप्रे चरररारहवन्दर ममें हसर नवरायरा। उसनप्रे पवर्णत और औषध
करा नराम बतरायरा, (और कहरा हक) हप्रे पवनपपुत्र! औषहध लप्रेनप्रे जराओ॥55॥
चरौपराई :
* रराम चरन सरहसज उर रराखश्री। चलरा पभमंजनसपुत बल भराषश्री॥
उहराहूँ दतपू एक मरमपु जनरावरा। ररावनपु करालनप्रेहम गमृह आवरा॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमलर कगो हृदय ममें रखकर पवनपपुत्र हनपुमरानमजश्री अपनरा बल बखरानकर
(अररार्णतम ममैं अभश्री हलए आतरा हह,हूँ ऐसरा कहकर) चलप्रे। उधर एक गपुप्तचर नप्रे ररावर कगो इस रहस्य ककी
खबर दश्री। तब ररावर करालनप्रेहम कप्रे घर आयरा॥1॥
* दसमपुख कहरा मरमपु तप्रेहहमं सपुनरा। पपुहन पपुहन करालनप्रेहम हसर धपुनरा॥
दप्रेखत तपुम्हहह नगर जप्रेहहमं जराररा। तरासपु पमंर कगो रगोकन पराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-ररावर नप्रे उसकगो सराररा ममर्ण (हराल) बतलरायरा। करालनप्रेहम नप्रे सपुनरा और बरार-बरार हसर पश्रीटरा
(खप्रेद पकट हकयरा)। (उसनप्रे कहरा-) तपुम्हरारप्रे दप्रेखतप्रे-दप्रेखतप्रे हजसनप्रे नगर जलरा डरालरा, उसकरा मरागर्ण
करौन रगोक सकतरा हहै?॥2॥
* भहज रघपुपहत कर हहत आपनरा। छराडहूँ हह नरार ममृषरा जल्पनरा॥
नश्रील कमंज तनपु सपुदमं र स्यरामरा। हृदयहूँ रराखपु लगोचनराहभररामरा॥3॥
भरावरारर्ण:- शश्री रघपुनरारजश्री करा भजन करकप्रे तपुम अपनरा कल्यरार करगो! हप्रे नरार! झपूठश्री बकवराद
छगोड दगो। नप्रेत्रर कगो आनमंद दप्रेनप्रे वरालप्रे नश्रीलकमल कप्रे समरान सपुदमं र श्यराम शरश्रीर कगो अपनप्रे हृदय ममें
रखगो॥3॥
* ममैं तमैं मगोर मपूढतरा त्यरागपू। महरा मगोह हनहस सपूतत जरागपू॥
कराल ब्यराल कर भच्छक जगोई। सपनप्रेहहहूँ समर हक जश्रीहतअ सगोई॥4॥
भरावरारर्ण:- ममैं-तपू (भप्रेद-भराव) और ममतरा रूपश्री मपूढतरा कगो त्यराग दगो। महरामगोह (अजरान) रूपश्री रराहत्र
ममें सगो रहप्रे हगो, सगो जराग उठगो, जगो कराल रूपश्री सपर्ण करा भश्री भक्षक हहै, कहहीं स्वप्न ममें भश्री वह रर ममें
जश्रीतरा जरा सकतरा हहै?॥4॥
दगोहरा :
* सपुहन दसकमंठ ररसरान अहत तप्रेहहमं मन ककीन्ह हबचरार।
रराम दतपू कर मरजौं बर यह खल रत मल भरार॥56॥
भरावरारर्ण:- उसककी यप्रे बरातमें सपुनकर ररावर बहह त हश्री कगोहधत हह आ। तब करालनप्रेहम नप्रे मन ममें हवचरार
हकयरा हक (इसकप्रे हरार सप्रे मरनप्रे ककी अपप्रेक्षरा) शश्री ररामजश्री कप्रे दतपू कप्रे हरार सप्रे हश्री मरूहूँ तगो अच्छरा हहै।
यह दष्टिपु तगो पराप समपूह ममें रत हहै॥56॥
चरौपराई :
* अस कहह चलरा रहचहस मग मरायरा। सर ममंहदर बर बराग बनरायरा॥
मरारतसपुत दप्रेखरा सपुभ आशम। मपुहनहह बपूहझ जल हपयजौं जराइ शम॥1॥
भरावरारर्ण:- वह मन हश्री मन ऐसरा कहकर चलरा और उसनप्रे मरागर्ण ममें मरायरा रचश्री। तरालराब , ममंहदर और
सपुमंदर बराग बनरायरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे सपुमंदर आशम दप्रेखकर सगोचरा हक मपुहन सप्रे पपूछकर जल पश्री लपूहूँ ,
हजससप्रे रकरावट दरपू हगो जराए॥1॥
* रराच्छस कपट बप्रेष तहहूँ सगोहरा। मरायरापहत दतपू हह चह मगोहरा॥
जराइ पवनसपुत नरायउ मराररा। लराग सगो कहहै रराम गपुन गराररा॥2॥
भरावरारर्ण:-रराक्षस वहराहूँ कपट (सप्रे मपुहन) करा वप्रेष बनराए हवरराजमरान ररा। वह मपूखर्ण अपनश्री मरायरा सप्रे
मरायरापहत कप्रे दतपू कगो मगोहहत करनरा चराहतरा ररा। मरारहत नप्रे उसकप्रे परास जराकर मस्तक नवरायरा। वह
शश्री ररामजश्री कप्रे गपुरर ककी कररा कहनप्रे लगरा॥2॥
* हगोत महरा रन ररावन ररामहहमं। हजहतहहहमं रराम न समंसय यरा महहमं॥
इहराहूँ भएहूँ ममैं दप्रेखउहूँ भराई। ग्यरान दृहष्टि बल मगोहह अहधकराई॥3॥
भरावरारर्ण:-(वह बगोलरा-) ररावर और रराम ममें महरानम यद पु हगो रहरा हहै। ररामजश्री जश्रीतमेंगप्रे, इसममें समंदप्रेह नहहीं
हहै। हप्रे भराई! ममैं यहराहूँ रहतरा हहआ हश्री सब दप्रेख रहरा हह।हूँ मपुझप्रे जरानदृहष्टि करा बहह त बडरा बल हहै॥3॥
* मरागरा जल तप्रेहहमं दश्रीन्ह कममंडल। कह कहप नहहमं अघराउहूँ रगोरमें जल॥
सर मजन करर आतपुर आवहह । हदच्छरा दप्रेउहूँ ग्यरान जप्रेहहमं परावहह ॥4॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री नप्रे उससप्रे जल मराहूँगरा, तगो उसनप्रे कमण्डलपु दप्रे हदयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- रगोडप्रे
जल सप्रे ममैं तमृप्त नहहीं हगोनप्रे करा। तब वह बगोलरा- तरालराब ममें स्नरान करकप्रे तपुरमंत लरौट आओ तगो ममैं तपुम्हप्रे
दश्रीक्षरा दहूँ,पू हजससप्रे तपुम जरान पराप्त करगो॥4॥
दगोहरा :
* सर पहैठत कहप पद गहरा मकरहीं तब अकपु लरान।
मरारश्री सगो धरर हदब्य तनपु चलश्री गगन चहढ जरान॥57॥
भरावरारर्ण:- तरालराब ममें पवप्रेश करतप्रे हश्री एक मगरश्री नप्रे अकपु लराकर उसश्री समय हनपुमरानमजश्री करा पहैर पकड
हलयरा। हनपुमरानमजश्री नप्रे उसप्रे मरार डरालरा। तब वह हदव्य दप्रेह धरारर करकप्रे हवमरान पर चढकर आकराश
कगो चलश्री॥57॥
चरौपराई :
* कहप तव दरस भइउहूँ हनष्परापरा। हमटरा तरात मपुहनबर कर सरापरा॥
मपुहन न हगोइ यह हनहसचर घगोररा। मरानहह सत्य बचन कहप मगोररा॥1॥
भरावरारर्ण:- (उसनप्रे कहरा-) हप्रे वरानर! ममैं तपुम्हरारप्रे दशर्णन सप्रे परापरहहत हगो गई। हप्रे तरात! शप्रेष मपुहन करा
शराप हमट गयरा। हप्रे कहप! यह मपुहन नहहीं हहै, घगोर हनशराचर हहै। मप्रेररा वचन सत्य मरानगो॥1॥
* अस कहह गई अपछररा जबहहीं। हनहसचर हनकट गयउ कहप तबहहीं॥
कह कहप मपुहन गपुरदहछनरा लप्रेहह। पराछमें हमहहमं ममंत्र तपुम्ह दप्रेहह॥2॥
भरावरारर्ण:- ऐसरा कहकर ज्यर हश्री वह अप्सररा गई, त्यर हश्री हनपुमरानमजश्री हनशराचर कप्रे परास गए।
हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा- हप्रे मपुहन! पहलप्रे गपुरदहक्षररा लप्रे लश्रीहजए। पश्रीछप्रे आप मपुझप्रे ममंत्र दश्रीहजएगरा॥2॥
* हसर लमंगपूर लपप्रेहट पछराररा। हनज तनपु पगटप्रेहस मरतश्री बराररा॥
रराम रराम कहह छराडप्रेहस परानरा। सपुहन मन हरहष चलप्रेउ हनपुमरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री नप्रे उसकप्रे हसर कगो पपूहूँछ ममें लपप्रेटकर उसप्रे पछराड हदयरा। मरतप्रे समय उसनप्रे
अपनरा (रराक्षसश्री) शरश्रीर पकट हकयरा। उसनप्रे रराम-रराम कहकर परार छगोडप्रे। यह (उसकप्रे मपुहूँह सप्रे रराम-
रराम करा उचरारर) सपुनकर हनपुमरानमजश्री मन ममें हहषर्णत हगोकर चलप्रे॥3॥
* दप्रेखरा सहैल न औषध चश्रीन्हरा। सहसरा कहप उपरारर हगरर लश्रीन्हरा॥
गहह हगरर हनहस नभ धरावक भयऊ। अवधपपुरश्री ऊपर कहप गयऊ॥4॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे पवर्णत कगो दप्रेखरा, पर औषध न पहचरान सकप्रे । तब हनपुमरानमजश्री नप्रे एकदम सप्रे पवर्णत
कगो हश्री उखराड हलयरा। पवर्णत लप्रेकर हनपुमरानमजश्री ररात हश्री ममें आकराश मरागर्ण सप्रे दरौड चलप्रे और
अयगोध्यरापपुरश्री कप्रे ऊपर पहह हूँच गए॥4॥
भरतजश्री कप्रे बरार सप्रे हनपुमरानम करा मपूहच्छर्णत हगोनरा, भरत-हनपुमरानम समंवराद
दगोहरा :
*दप्रेखरा भरत हबसराल अहत हनहसचर मन अनपुमराहन।
हबनपु फिर सरायक मरारप्रेउ चराप शवन लहग तराहन॥58॥
भरावरारर्ण:- भरतजश्री नप्रे आकराश ममें अत्यमंत हवशराल स्वरूप दप्रेखरा, तब मन ममें अनपुमरान हकयरा हक यह
कगोई रराक्षस हहै। उन्हरनप्रे करान तक धनपुष कगो खहींचकर हबनरा फिल करा एक बरार मराररा॥ 58॥
चरौपराई :
* परप्रेउ मपुरहछ महह लरागत सरायक। सपुहमरत रराम रराम रघपुनरायक॥
सपुहन हपय बचन भरत तब धराए। कहप समश्रीप अहत आतपुर आए॥1॥
भरावरारर्ण:- बरार लगतप्रे हश्री हनपुमरानमजश्री 'रराम, रराम, रघपुपहत' करा उचरारर करतप्रे हह ए मपूहच्छर्णत हगोकर
पमृथ्वश्री पर हगर पडप्रे। हपय वचन (ररामनराम) सपुनकर भरतजश्री उठकर दरौडप्रे और बडश्री उतरावलश्री सप्रे
हनपुमरानमजश्री कप्रे परास आए॥1॥
* हबकल हबलगोहक ककीस उर लरावरा। जरागत नहहमं बहह भराहूँहत जगरावरा॥
मपुख मलश्रीन मन भए दख पु रारश्री। कहत बचन भरर लगोचन बरारश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-हनपुमरानमजश्री कगो व्यराकपुल दप्रेखकर उन्हरनप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा। बहह त तरह सप्रे जगरायरा, पर
वप्रे जरागतप्रे न रप्रे! तब भरतजश्री करा मपुख उदरास हगो गयरा। वप्रे मन ममें बडप्रे द द्धाःपु खश्री हह ए और नप्रेत्रर ममें
(हवषराद कप्रे आहूँसपुओमं करा) जल भरकर यप्रे वचन बगोलप्रे-॥2॥
* जप्रेहहमं हबहध रराम हबमपुख मगोहह ककीन्हरा। तप्रेहहमं पपुहन यह दरारन दख पु दश्रीन्हरा॥
जजौं मगोरमें मन बच अर करायरा॥ पश्रीहत रराम पद कमल अमरायरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हजस हवधरातरा नप्रे मपुझप्रे शश्री रराम सप्रे हवमपुख हकयरा, उसश्री नप्रे हफिर यह भयरानक दद्धाःपु ख भश्री
हदयरा। यहद मन, वचन और शरश्रीर सप्रे शश्री ररामजश्री कप्रे चररकमलर ममें मप्रेररा हनष्कपट पप्रेम हगो,॥3॥
* तरौ कहप हगोउ हबगत शम सपूलरा। जजौं मगो पर रघपुपहत अनपुकपू लरा॥
सपुनत बचन उहठ बहैठ कपश्रीसरा। कहह जय जयहत कगोसलराधश्रीसरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- और यहद शश्री रघपुनरारजश्री मपुझ पर पसन्न हर तगो यह वरानर रकरावट और पश्रीडरा सप्रे रहहत
हगो जराए। यह वचन सपुनतप्रे हश्री कहपरराज हनपुमरानमजश्री 'कगोसलपहत शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय हगो, जय
हगो' कहतप्रे हह ए उठ बहैठप्रे॥4॥
सगोरठरा :
* लश्रीन्ह कहपहह उर लराइ पपुलहकत तनपु लगोचन सजल।
पश्रीहत न हृदय समराइ सपुहमरर रराम रघपुकपुल हतलक॥59॥
भरावरारर्ण:- भरतजश्री नप्रे वरानर (हनपुमरानमजश्री) कगो हृदय सप्रे लगरा हलयरा, उनकरा शरश्रीर पपुलहकत हगो
गयरा और नप्रेत्रर ममें (आनमंद तररा पप्रेम कप्रे आहूँसपुओमं करा) जल भर आयरा। रघपुकपुलहतलक शश्री
ररामचमंदजश्री करा स्मरर करकप्रे भरतजश्री कप्रे हृदय ममें पश्रीहत समरातश्री न रश्री॥59॥
चरौपराई :
* तरात कपु सल कहह सपुखहनधरान ककी। सहहत अनपुज अर मरातपु जरानककी॥
लकहप सब चररत समरास बखरानप्रे। भए दख पु श्री मन महह हूँ पहछतरानप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- (भरतजश्री बगोलप्रे-) हप्रे तरात! छगोटप्रे भराई लक्ष्मर तररा मरातरा जरानककी सहहत सपुखहनधरान
शश्री ररामजश्री ककी कपु शल कहगो। वरानर (हनपुमरानमजश्री) नप्रे समंक्षपप्रे ममें सब कररा कहश्री। सपुनकर भरतजश्री
दद्धाःपु खश्री हहए और मन ममें पछतरानप्रे लगप्रे॥1॥
* अहह दहैव ममैं कत जग जरायउहूँ। पभपु कप्रे एकहह कराज न आयउहूँ॥
जराहन कपु अवसर मन धरर धश्रीररा। पपुहन कहप सन बगोलप्रे बलबश्रीररा॥2॥
भरावरारर्ण:- हरा दहैव! ममैं जगतम ममें क्यर जन्मरा? पभपु कप्रे एक भश्री कराम न आयरा। हफिर कपु अवसर
(हवपरश्रीत समय) जरानकर मन ममें धश्रीरज धरकर बलवश्रीर भरतजश्री हनपुमरानमजश्री सप्रे बगोलप्रे -॥2॥
* तरात गहर हगोइहह तगोहह जरातरा। कराजपु नसराइहह हगोत पभरातरा॥
चढपु मम सरायक सहैल समप्रेतरा। पठवजौं तगोहह जहहूँ कमृ पराहनकप्रे तरा॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे तरात! तपुमकगो जरानप्रे ममें दप्रेर हगोगश्री और सबप्रेररा हगोतप्रे हश्री कराम हबगड जराएगरा। (अतद्धाः) तपुम
पवर्णत सहहत मप्रेरप्रे बरार पर चढ जराओ, ममैं तपुमकगो वहराहूँ भप्रेज दहूँपू जहराहूँ कमृ परा कप्रे धराम शश्री ररामजश्री हमैं॥3॥
* सपुहन कहप मन उपजरा अहभमरानरा। मगोरमें भरार चहलहह हकहम बरानरा॥
रराम पभराव हबचरारर बहगोरश्री। बमंहद चरन कह कहप कर जगोरश्री॥ 4॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री ककी यह बरात सपुनकर (एक बरार तगो) हनपुमरानमजश्री कप्रे मन ममें अहभमरान उत्पन्न हहआ
हक मप्रेरप्रे बगोझ सप्रे बरार कहै सप्रे चलप्रेगरा? (हकन्तपु) हफिर शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे पभराव करा हवचरार करकप्रे वप्रे
भरतजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे हरार जगोडकर बगोलप्रे-॥4॥
दगोहरा :
* तव पतराप उर रराहख पभपु जहैहउहूँ नरार तपुरमंत।
अस कहह आयसपु पराइ पद बमंहद चलप्रेउ हनपुममंत॥60 क॥
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! हप्रे पभगो! ममैं आपकरा पतराप हृदय ममें रखकर तपुरमंत चलरा जराऊहूँगरा। ऐसरा कहकर
आजरा पराकर और भरतजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे हनपुमरानमजश्री चलप्रे॥60 (क)॥
* भरत बराहह बल सश्रील गपुन पभपु पद पश्रीहत अपरार।
मन महह हूँ जरात सरराहत पपुहन पपुहन पवनकपु मरार॥60 ख॥
भरावरारर्ण:-भरतजश्री कप्रे बराहहबल, शश्रील (सपुदमं र स्वभराव), गपुर और पभपु कप्रे चररर ममें अपरार पप्रेम ककी
मन हश्री मन बरारमंबरार सरराहनरा करतप्रे हहए मरारहत शश्री हनपुमरानमजश्री चलप्रे जरा रहप्रे हमैं॥60 (ख)॥
शश्री ररामजश्री ककी पलरापलश्रीलरा, हनपुमरानमजश्री करा लरौटनरा, लक्ष्मरजश्री करा उठ बहैठनरा
चरौपराई :
* उहराहूँ रराम लहछमनहह हनहरारश्री। बगोलप्रे बचन मनपुज अनपुसरारश्री॥
अधर्ण रराहत गइ कहप नहहमं आयउ। रराम उठराइ अनपुज उर लरायउ॥1॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ लक्ष्मरजश्री कगो दप्रेखकर शश्री ररामजश्री सराधरारर मनपुष्यर कप्रे अनपुसरार (समरान) वचन
बगोलप्रे- आधश्री ररात बश्रीत चपुककी हहै, हनपुमरानम नहहीं आए। यह कहकर शश्री ररामजश्री नप्रे छगोटप्रे भराई
लक्ष्मरजश्री कगो उठराकर हृदय सप्रे लगरा हलयरा॥1॥
* सकहह न दहपु खत दप्रेहख मगोहह कराउ। बमंधपु सदरा तव ममृदल पु सपुभराऊ॥
मम हहत लराहग तजप्रेहह हपतपु मरातरा। सहप्रेहह हबहपन हहम आतप बरातरा॥2॥
भरावरारर्ण:- (और बगोलप्रे-) हप्रे भराई! तपुम मपुझप्रे कभश्री दद्धाःपु खश्री नहहीं दप्रेख सकतप्रे रप्रे। तपुम्हराररा स्वभराव सदरा
सप्रे हश्री कगोमल ररा। मप्रेरप्रे हहत कप्रे हलए तपुमनप्रे मरातरा-हपतरा कगो भश्री छगोड हदयरा और वन ममें जराडरा, गरमश्री
और हवरा सब सहन हकयरा॥2॥
*सगो अनपुरराग कहराहूँ अब भराई। उठहह न सपुहन मम बच हबकलराई॥
जजौं जनतप्रेउहूँ बन बमंधपु हबछगोहह। हपतरा बचन मनतप्रेउहूँ नहहमं ओहह ॥3॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! वह पप्रेम अब कहराहूँ हहै? मप्रेरप्रे व्यराकपुलतरापपूवर्णक वचन सपुनकर उठतप्रे क्यर नहहीं?
यहद ममैं जरानतरा हक वन ममें भराई करा हवछगोह हगोगरा तगो ममैं हपतरा करा वचन (हजसकरा मराननरा मप्रेरप्रे हलए
परम कतर्णव्य ररा) उसप्रे भश्री न मरानतरा॥3॥
* सपुत हबत नरारर भवन पररवराररा। हगोहहमं जराहहमं जग बरारहहमं बराररा॥
अस हबचरारर हजयहूँ जरागहह तरातरा। हमलइ न जगत सहगोदर ररातरा॥4॥
भरावरारर्ण:-पपुत्र, धन, स्त्रश्री, घर और पररवरार- यप्रे जगतम ममें बरार-बरार हगोतप्रे और जरातप्रे हमैं, परन्तपु
जगतम ममें सहगोदर भराई बरार-बरार नहहीं हमलतरा। हृदय ममें ऐसरा हवचरार कर हप्रे तरात! जरागगो॥4॥
* जररा पमंख हबनपु खग अहत दश्रीनरा। महन हबनपु फिहन कररबर कर हश्रीनरा॥
अस मम हजवन बमंधपु हबनपु तगोहश्री। जजौं जड दहैव हजआवहै मगोहश्री॥5॥
भरावरारर्ण:- जहैसप्रे पमंख हबनरा पक्षश्री, महर हबनरा सपर्ण और सपूहूँड हबनरा शप्रेष हरारश्री अत्यमंत दश्रीन हगो जरातप्रे
हमैं, हप्रे भराई! यहद कहहीं जड दहैव मपुझप्रे जश्रीहवत रखप्रे तगो तपुम्हरारप्रे हबनरा मप्रेररा जश्रीवन भश्री ऐसरा हश्री हगोगरा॥
5॥
* जहैहउहूँ अवध करौन मपुहह लराई। नरारर हप्रेतपु हपय भराई गहूँवराई॥
बर अपजस सहतप्रेउहूँ जग मराहहीं। नरारर हराहन हबसप्रेष छहत नराहहीं॥6॥
भरावरारर्ण:- स्त्रश्री कप्रे हलए प्यरारप्रे भराई कगो खगोकर, ममैं करौन सरा मपुहूँह लप्रेकर अवध जराऊहूँगरा? ममैं जगतम ममें
बदनरामश्री भलप्रे हश्री सह लप्रेतरा (हक रराम ममें कपु छ भश्री वश्रीरतरा नहहीं हहै जगो स्त्रश्री कगो खगो बहैठप्रे)। स्त्रश्री ककी हराहन
सप्रे (इस हराहन कगो दप्रेखतप्रे) कगोई हवशप्रेष क्षहत नहहीं रश्री॥6॥
* अब अपलगोकपु सगोकपु सपुत तगोररा। सहहहह हनठपु र कठगोर उर मगोररा॥
हनज जननश्री कप्रे एक कपु मराररा। तरात तरासपु तपुम्ह परान अधराररा॥7॥
भरावरारर्ण:- अब तगो हप्रे पपुत्र! मप्रेरप्रे हनषहर और कठगोर हृदय यह अपयश और तपुम्हराररा शगोक दगोनर हश्री
सहन करप्रेगरा। हप्रे तरात! तपुम अपनश्री मरातरा कप्रे एक हश्री पपुत्र और उसकप्रे परारराधरार हगो॥7॥
* सजौंपप्रेहस मगोहह तपुम्हहह गहह परानश्री। सब हबहध सपुखद परम हहत जरानश्री॥
उतर कराह दहैहउहूँ तप्रेहह जराई। उहठ हकन मगोहह हसखरावहह भराई॥8॥
भरावरारर्ण:- सब पकरार सप्रे सपुख दप्रेनप्रे वरालरा और परम हहतकरारश्री जरानकर उन्हरनप्रे तपुम्हमें हरार पकडकर
मपुझप्रे सजौंपरा ररा। ममैं अब जराकर उन्हमें क्यरा उरर दगहूँपू रा? हप्रे भराई! तपुम उठकर मपुझप्रे हसखरातप्रे
(समझरातप्रे) क्यर नहहीं?॥8॥
* बहह हबहध सगोचत सगोच हबमगोचन। स्रवत सहलल रराहजव दल लगोचन॥
उमरा एक अखमंड रघपुरराई। नर गहत भगत कमृ पराल दप्रेखराई॥9॥
भरावरारर्ण:-सगोच सप्रे छपु डरानप्रे वरालप्रे शश्री ररामजश्री बहह त पकरार सप्रे सगोच कर रहप्रे हमैं। उनकप्रे कमल ककी पमंखपुडश्री
कप्रे समरान नप्रेत्रर सप्रे (हवषराद कप्रे आहूँसओ पु मं करा) जल बह रहरा हहै। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! शश्री
रघपुनरारजश्री एक (अहदतश्रीय) और अखमंड (हवयगोगरहहत) हमैं। भक्तर पर कमृ परा करनप्रे वरालप्रे भगवरानम नप्रे
(लश्रीलरा करकप्रे ) मनपुष्य ककी दशरा हदखलराई हहै॥9॥
सगोरठरा :
* पभपु पलराप सपुहन करान हबकल भए बरानर हनकर।
आइ गयउ हनपुमरान हजहम करनरा महहूँ बश्रीर रस॥61॥
भरावरारर्ण:-पभपु कप्रे (लश्रीलरा कप्रे हलए हकए गए) पलराप कगो करानर सप्रे सपुनकर वरानरर कप्रे समपूह व्यराकपुल
हगो गए। (इतनप्रे ममें हश्री) हनपुमरानमजश्री आ गए, जहैसप्रे करररस (कप्रे पसमंग) ममें वश्रीर रस (करा पसमंग)
आ गयरा हगो॥61॥
चरौपराई :
* हरहष रराम भमेंटप्रेउ हनपुमरानरा। अहत कमृ तग्य पभपु परम सपुजरानरा॥
तपुरत बहैद तब ककीन्ह उपराई। उहठ बहैठप्रे लहछमन हरषराई॥1॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामजश्री हहषर्णत हगोकर हनपुमरानमजश्री सप्रे गलप्रे हमलप्रे। पभपु परम सपुजरान (चतपुर) और अत्यमंत
हश्री कमृ तज हमैं। तब वहैद्य (सपुषप्रेर) नप्रे तपुरमंत उपराय हकयरा, (हजससप्रे) लक्ष्मरजश्री हहषर्णत हगोकर उठ
बहैठप्रे॥1॥
* हृदयहूँ लराइ पभपु भमेंटप्रेउ ररातरा। हरषप्रे सकल भरालपु कहप ब्ररातरा॥
कहप पपुहन बहैद तहराहूँ पहह हूँचरावरा। जप्रेहह हबहध तबहहमं तराहह लइ आवरा॥2॥
भरावरारर्ण:-पभपु भराई कगो हृदय सप्रे लगराकर हमलप्रे। भरालपू और वरानरर कप्रे समपूह सब हहषर्णत हगो गए। हफिर
हनपुमरानमजश्री नप्रे वहैद्य कगो उसश्री पकरार वहराहूँ पहह हूँचरा हदयरा, हजस पकरार वप्रे उस बरार (पहलप्रे) उसप्रे लप्रे
आए रप्रे॥2॥

ररावर करा कपु म्भकरर्ण कगो जगरानरा, कपु म्भकरर्ण करा ररावर कगो उपदप्रेश और हवभश्रीषर-कपु म्भकरर्ण समंवराद
चरौपराई :
* यह बमृररामंत दसरानन सपुनप्रेऊ। अहत हबषराद पपुहन पपुहन हसर धपुनप्रेऊ॥
ब्यराकपुल कपुमं भकरन पहहमं आवरा। हबहबध जतन करर तराहह जगरावरा॥3॥
भरावरारर्ण:- यह समराचरार जब ररावर नप्रे सपुनरा, तब उसनप्रे अत्यमंत हवषराद सप्रे बरार-बरार हसर पश्रीटरा। वह
व्यराकपुल हगोकर कपुमं भकरर्ण कप्रे परास गयरा और बहह त सप्रे उपराय करकप्रे उसनप्रे उसकगो जगरायरा॥3॥
* जरागरा हनहसचर दप्रेहखअ कहै सरा। मरानहह हूँ करालपु दप्रेह धरर बहैसरा॥
कपुमं भकरन बपूझरा कहह भराई। कराहप्रे तव मपुख रहप्रे सपुखराई॥4॥
भरावरारर्ण:- कपुमं भकरर्ण जगरा (उठ बहैठरा) वह कहै सरा हदखराई दप्रेतरा हहै मरानगो स्वयमं कराल हश्री शरश्रीर धरारर
करकप्रे बहैठरा हगो। कपुमं भकरर्ण नप्रे पपूछरा- हप्रे भराई! कहगो तगो, तपुम्हरारप्रे मपुख सपूख क्यर रहप्रे हमैं?॥4॥
* कररा कहश्री सब तप्रेहहमं अहभमरानश्री। जप्रेहह पकरार सश्रीतरा हरर आनश्री॥
तरात कहपन्ह सब हनहसचर मरारप्रे। महरा महरा जगोधरा समंघरारप्रे॥ 5॥
भरावरारर्ण:-उस अहभमरानश्री (ररावर) नप्रे उससप्रे हजस पकरार सप्रे वह सश्रीतरा कगो हर लरायरा ररा (तब सप्रे
अब तक ककी) सरारश्री कररा कहश्री। (हफिर कहरा-) हप्रे तरात! वरानरर नप्रे सब रराक्षस मरार डरालप्रे। बडप्रे-बडप्रे
यगोदराओमं करा भश्री समंहरार कर डरालरा॥5॥
* दमपु पुर्णख सपुरररपपु मनपुज अहरारश्री। भट अहतकराय अकमंपन भरारश्री॥
अपर महगोदर आहदक बश्रीररा। परप्रे समर महह सब रनधश्रीररा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-दमपु पुर्णख, दप्रेवशत्रपु (दप्रेवरान्तक), मनपुष्य भक्षक (नररान्तक), भरारश्री यगोदरा अहतकराय और
अकम्पन तररा महगोदर आहद दस पू रप्रे सभश्री ररधश्रीर वश्रीर ररभपूहम ममें मरारप्रे गए॥6॥
दगोहरा :
* सपुहन दसकमंधर बचन तब कपुमं भकरन हबलखरान।
जगदमंबरा हरर आहन अब सठ चराहत कल्यरान॥62॥
भरावरारर्ण:- तब ररावर कप्रे वचन सपुनकर कपुमं भकरर्ण हबलखकर (दद्धाःपु खश्री हगोकर) बगोलरा- अरप्रे मपूखर्ण!
जगजननश्री जरानककी कगो हर लराकर अब कल्यरार चराहतरा हहै?॥62॥
चरौपराई :
* भल न ककीन्ह तमैं हनहसचर नराहरा। अब मगोहह आइ जगराएहह कराहरा॥
अजहह हूँ तरात त्यराहग अहभमरानरा। भजहह रराम हगोइहह कल्यरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:- हप्रे रराक्षसरराज! तपूनप्रे अच्छरा नहहीं हकयरा। अब आकर मपुझप्रे क्यर जगरायरा? हप्रे तरात! अब
भश्री अहभमरान छगोडकर शश्री ररामजश्री कगो भजगो तगो कल्यरार हगोगरा॥ 1॥
* हमैं दससश्रीस मनपुज रघपुनरायक। जराकप्रे हनपूमरान सप्रे परायक॥
अहह बमंधपु तमैं ककीहन्ह खगोटराई। परमहहमं मगोहह न सपुनराएहह आई॥2॥
भरावरारर्ण:- हप्रे ररावर! हजनकप्रे हनपुमरानम सरश्रीखप्रे सप्रेवक हमैं, वप्रे शश्री रघपुनरारजश्री क्यरा मनपुष्य हमैं? हराय
भराई! तपूनप्रे बपुररा हकयरा, जगो पहलप्रे हश्री आकर मपुझप्रे यह हराल नहहीं सपुनरायरा॥2॥
* ककीन्हप्रेहह पभपु हबरगोध तप्रेहह दप्रेवक। हसव हबरमंहच सपुर जराकप्रे सप्रेवक॥
नरारद मपुहन मगोहह ग्यरान जगो कहरा। कहतप्रेउहूँ तगोहह समय हनरबराहरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे स्वरामश्री! तपुमनप्रे उस परम दप्रेवतरा करा हवरगोध हकयरा, हजसकप्रे हशव, ब्रहरा आहद दप्रेवतरा
सप्रेवक हमैं। नरारद मपुहन नप्रे मपुझप्रे जगो जरान कहरा ररा, वह ममैं तपुझसप्रे कहतरा, पर अब तगो समय जरातरा
रहरा॥3॥
* अब भरर अमंक भमेंटपु मगोहह भराई। लगोचन सपुफिल करजौं ममैं जराई॥
स्यराम गरात सरसश्रीरह लगोचन। दप्रेखजौं जराइ तराप त्रय मगोचन॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! अब तगो (अहन्तम बरार) अहूँकवरार भरकर मपुझसप्रे हमल लप्रे। ममैं जराकर अपनप्रे नप्रेत्र
सफिल करूहूँ। तश्रीनर तरापर कगो छपु डरानप्रे वरालप्रे श्यराम शरश्रीर, कमल नप्रेत्र शश्री ररामजश्री कप्रे जराकर दशर्णन
करूहूँ॥4॥
दगोहरा :
* रराम रूप गपुन सपुहमरत मगन भयउ छन एक।
ररावन मरागप्रेउ कगोहट घट मद अर महहष अनप्रेक॥63॥
भरावरारर्ण:-शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे रूप और गपुरर कगो स्मरर करकप्रे वह एक क्षर कप्रे हलए पप्रेम ममें मग्नि हगो
गयरा। हफिर ररावर सप्रे करगोडर घडप्रे महदररा और अनप्रेकर भमैंसप्रे महूँगवराए॥63॥
चरौपराई :
* महहषखराइ करर महदररा परानरा। गजरार्ण बज्रराघरात समरानरा॥
कपुमं भकरन दमपु र्णद रन रमंगरा। चलरा दगपु र्ण तहज सप्रेन न समंगरा॥1॥
भरावरारर्ण:-भमैंसप्रे खराकर और महदररा पश्रीकर वह वज्रघरात (हबजलश्री हगरनप्रे) कप्रे समरान गरजरा। मद सप्रे
चपूर रर कप्रे उत्सराह सप्रे पपूरर्ण कपुमं भकरर्ण हकलरा छगोडकर चलरा। सप्रेनरा भश्री सरार नहहीं लश्री॥ 1॥
* दप्रेहख हबभश्रीषनपु आगमें आयउ। परप्रेउ चरन हनज नराम सपुनरायउ॥
अनपुज उठराइ हृदयहूँ तप्रेहह लरायगो। रघपुपहत भक्त जराहन मन भरायगो॥ 2॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे दप्रेखकर हवभश्रीषर आगप्रे आए और उसकप्रे चररर पर हगरकर अपनरा नराम सपुनरायरा।
छगोटप्रे भराई कगो उठराकर उसनप्रे हृदय सप्रे लगरा हलयरा और शश्री रघपुनरारजश्री करा भक्त जरानकर वप्रे उसकप्रे
मन कगो हपय लगप्रे॥2॥
* तरात लरात ररावन मगोहह मराररा। कहत परम हहत ममंत्र हबचराररा॥
तप्रेहहमं गलराहन रघपुपहत पहहमं आयउहूँ। दप्रेहख दश्रीन पभपु कप्रे मन भरायउहूँ॥3॥
भरावरारर्ण:-(हवभश्रीषर नप्रे कहरा-) हप्रे तरात! परम हहतकर सलराह एवमं हवचरार करनप्रे पर ररावर नप्रे मपुझप्रे
लरात मरारश्री। उसश्री ग्लराहन कप्रे मरारप्रे ममैं शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास चलरा आयरा। दश्रीन दप्रेखकर पभपु कप्रे मन
कगो ममैं (बहह त) हपय लगरा॥3॥
* सपुनपु भयउ करालबस ररावन। सगो हक मरान अब परम हसखरावन॥
धन्य धन्य तमैं धन्य हवभश्रीषन। भयहह तरात हनहसचर कपु ल भपूषन॥4॥
भरावरारर्ण:-(कपुमं भकरर्ण नप्रे कहरा-) हप्रे पपुत्र! सपुन, ररावर तगो कराल कप्रे वश हगो गयरा हहै (उसकप्रे हसर पर
ममृत्यपु नराच रहश्री हहै)। वह क्यरा अब उरम हशक्षरा मरान सकतरा हहै? हप्रे हवभश्रीषर! तपू धन्य हहै, धन्य हहै।
हप्रे तरात! तपू रराक्षस कपु ल करा भपूषर हगो गयरा॥4॥
* बमंधपु बमंस तमैं ककीन्ह उजरागर। भजप्रेहह रराम सगोभरा सपुख सरागर॥5॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! तपूनप्रे अपनप्रे कपु ल कगो दहैदश्रीप्यमरान कर हदयरा, जगो शगोभरा और सपुख कप्रे समपुद शश्री
ररामजश्री कगो भजरा॥5॥
दगोहरा :
* बचन कमर्ण मन कपट तहज भजप्रेहह रराम रनधश्रीर।
जराहह न हनज पर सपूझ मगोहह भयउहूँ करालबस बश्रीर॥64॥
भरावरारर्ण:-मन, वचन और कमर्ण सप्रे कपट छगोडकर ररधश्रीर शश्री ररामजश्री करा भजन करनरा। हप्रे भराई ! ममैं
कराल (ममृत्य)पु कप्रे वश हगो गयरा हह,हूँ मपुझप्रे अपनरा-पररायरा नहहीं सपूझतरा, इसहलए अब तपुम जराओ॥
64॥

कपु म्भकरर्ण यद
पु और उसककी परमगहत
चरौपराई :
* बमंधपु बचन सपुहन चलरा हबभश्रीषन। आयउ जहहूँ त्रहैलगोक हबभपूषन॥
नरार भपूधरराकरार सरश्रीररा। कपुमं भकरन आवत रनधश्रीररा॥1॥॥
भरावरारर्ण:- भराई कप्रे वचन सपुनकर हवभश्रीषर लरौट गए और वहराहूँ आए, जहराहूँ हत्रलगोककी कप्रे भपूषर शश्री
ररामजश्री रप्रे। (हवभश्रीषर नप्रे कहरा-) हप्रे नरार! पवर्णत कप्रे समरान (हवशराल) दप्रेह वरालरा ररधश्रीर कपुमं भकरर्ण
आ रहरा हहै॥1॥
* एतनरा कहपन्ह सपुनरा जब करानरा। हकलहकलराइ धराए बलवरानरा॥
हलए उठराइ हबटप अर भपूधर। कटकटराइ डरारहहमं तरा ऊपर॥2॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे जब करानर सप्रे इतनरा सपुनरा, तब वप्रे बलवरानम हकलहकलराकर (हषर्णध्वहन करकप्रे )
दरौडप्रे। वमृक्ष और पवर्णत (उखराडकर) उठरा हलए और (कगोध सप्रे) दराहूँत कटकटराकर उन्हमें उसकप्रे
ऊपर डरालनप्रे लगप्रे॥2॥
* कगोहट कगोहट हगरर हसखर पहराररा। करहहमं भरालपु कहप एक एक बराररा॥
मपुरमयगो न मनपु तनपु टरमयगो न टरारमयगो। हजहम गज अकर्ण फिलहन कगो मरारमयगो॥3॥
भरावरारर्ण:- रश्रीछ-वरानर एक-एक बरार ममें हश्री करगोडर पहराडर कप्रे हशखरर सप्रे उस पर पहरार करतप्रे हमैं,
परन्तपु इससप्रे न तगो उसकरा मन हश्री मपुडरा (हवचहलत हहआ) और न शरश्रीर हश्री टरालप्रे टलरा, जहैसप्रे मदरार
कप्रे फिलर ककी मरार सप्रे हरारश्री पर कपु छ भश्री असर नहहीं हगोतरा!॥3॥
* तब मरारतसपुत मपुहठकरा हन्यगो। परयगो धरहन ब्यराकपुल हसर धपुन्यगो॥
पपुहन उहठ तप्रेहहमं मरारप्रेउ हनपुममंतरा। घपुहमर्णत भपूतल परप्रेउ तपुरमंतरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- तब हनपुमरानमजश्री नप्रे उसप्रे एक घपूहूँसरा मराररा, हजससप्रे वह व्यराकपुल हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर पडरा
और हसर पश्रीटनप्रे लगरा। हफिर उसनप्रे उठकर हनपुमरानमजश्री कगो मराररा। वप्रे चक्कर खराकर तपुरमंत हश्री पमृथ्वश्री पर
हगर पडप्रे॥4॥
* पपुहन नल नश्रीलहह अवहन पछरारप्रेहस। जहहूँ तहहूँ पटहक पटहक भट डरारप्रेहस॥
चलश्री बलश्रीमपुख सप्रेन परराई। अहत भय त्रहसत न कगोउ समपुहराई॥5॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे नल-नश्रील कगो पमृथ्वश्री पर पछराड हदयरा और दस पू रप्रे यगोदराओमं कगो भश्री जहराहूँ-तहराहूँ
पटककर डराल हदयरा। वरानर सप्रेनरा भराग चलश्री। सब अत्यमंत भयभश्रीत हगो गए, कगोई सरामनप्रे नहहीं
आतरा॥5॥
दगोहरा :
*अमंगदराहद कहप मपुरहछत करर समप्रेत सपुगश्रीव।
कराहूँख दराहब कहपरराज कहह हूँ चलरा अहमत बल सहींव॥65॥
भरावरारर्ण:-सपुगश्रीव समप्रेत अमंगदराहद वरानरर कगो मपूहछर्णत करकप्रे हफिर वह अपररहमत बल ककी सश्रीमरा
कपुमं भकरर्ण वरानररराज सपुगश्रीव कगो कराहूँख ममें दराबकर चलरा॥65॥
चरौपराई :
* उमरा करत रघपुपहत नरलश्रीलरा। खप्रेलत गरड हजहम अहहगन मश्रीलरा॥
भमृकपुहट भमंग जगो करालहह खराई। तराहह हक सगोहइ ऐहस लरराई॥1॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! शश्री रघपुनरारजश्री वहैसप्रे हश्री नरलश्रीलरा कर रहप्रे हमैं, जहैसप्रे गरड
सपर्मों कप्रे समपूह ममें हमलकर खप्रेलतरा हगो। जगो भजौंह कप्रे इशरारप्रे मरात्र सप्रे (हबनरा पररशम कप्रे ) कराल कगो भश्री
खरा जरातरा हहै, उसप्रे कहहीं ऐसश्री लडराई शगोभरा दप्रेतश्री हहै?॥1॥
* जग परावहन ककीरहत हबस्तररहहहमं। गराइ गराइ भवहनहध नर तररहहहमं॥
मपुरछरा गइ मरारतसपुत जरागरा। सपुगश्रीवहह तब खगोजन लरागरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-भगवरानम (इसकप्रे दराररा) जगतम कगो पहवत्र करनप्रे वरालश्री वह ककीहतर्ण फिहै लराएहूँगप्रे, हजसप्रे गरा-गराकर
मनपुष्य भवसरागर सप्रे तर जराएहूँगप्रे। मपूच्छरार्ण जरातश्री रहश्री, तब मरारहत हनपुमरानमजश्री जरागप्रे और हफिर वप्रे सपुगश्रीव
कगो खगोजनप्रे लगप्रे॥2॥
* सपुगश्रीवहह कहै मपुरछरा बश्रीतश्री। हनबपुहक गयउ तप्रेहह ममृतक पतश्रीतश्री॥
कराटप्रेहस दसन नराहसकरा करानरा। गरहज अकरास चलप्रेउ तप्रेहहमं जरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- सपुगश्रीव ककी भश्री मपूच्छरार्ण दरपू हहई, तब वप्रे (मपुदर्दे सप्रे हगोकर) हखसक गए (कराहूँख सप्रे नश्रीचप्रे हगर
पडप्रे)। कपु म्भकरर्ण नप्रे उनकगो ममृतक जरानरा। उन्हरनप्रे कपु म्भकरर्ण कप्रे नराक-करान दराहूँतर सप्रे कराट हलए और
हफिर गरज कर आकराश ककी ओर चलप्रे, तब कपु म्भकरर्ण नप्रे जरानरा॥3॥
* गहप्रेउ चरन गहह भपूहम पछराररा। अहत लराघवहूँ उहठ पपुहन तप्रेहह मराररा॥
पपुहन आयउ पभपु पहहमं बलवरानरा। जयहत जयहत जय कमृ पराहनधरानरा॥4॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे सपुगश्रीव करा पहैर पकडकर उनकगो पमृथ्वश्री पर पछराड हदयरा। हफिर सपुगश्रीव नप्रे बडश्री फिपु तर
सप्रे उठकर उसकगो मराररा और तब बलवरानम सपुगश्रीव पभपु कप्रे परास आए और बगोलप्रे- कमृ पराहनधरान पभपु
ककी जय हगो, जय हगो, जय हगो॥4॥
* नराक करान कराटप्रे हजयहूँ जरानश्री। हफिररा कगोध करर भइ मन ग्लरानश्री॥
सहज भश्रीम पपुहन हबनपु शपुहत नरासरा। दप्रेखत कहप दल उपजश्री त्ररासरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:- नराक-करान कराटप्रे गए, ऐसरा मन ममें जरानकर बडश्री ग्लराहन हहई और वह कगोध करकप्रे लरौटरा।
एक तगो वह स्वभराव (आकमृ हत) सप्रे हश्री भयमंकर ररा और हफिर हबनरा नराक-करान करा हगोनप्रे सप्रे और भश्री
भयरानक हगो गयरा। उसप्रे दप्रेखतप्रे हश्री वरानरर ककी सप्रेनरा ममें भय उत्पन्न हगो गयरा॥ 5॥
दगोहरा :
* जय जय जय रघपुबमंस महन धराए कहप दहै हहह।
एकहह बरार तरासपु पर छराडहप्रे न्ह हगरर तर जपूह॥66॥
भरावरारर्ण:-'रघपुवमंशमहर ककी जय हगो, जय हगो' ऐसरा पपुकरारकर वरानर हहह करकप्रे दरौडप्रे और सबनप्रे एक
हश्री सरार उस पर पहराड और वमृक्षर कप्रे समपूह छगोडप्रे॥66॥
चरौपराई :
* कपुमं भकरन रन रमंग हबरदरा। सन्मपुख चलरा कराल जनपु कपु दरा॥
कगोहट कगोहट कहप धरर धरर खराई। जनपु टश्रीडश्री हगरर गपुहराहूँ समराई॥1॥
भरावरारर्ण:-रर कप्रे उत्सराह ममें कपुमं भकरर्ण हवरद हगोकर (उनकप्रे ) सरामनप्रे ऐसरा चलरा मरानगो कगोहधत हगोकर
कराल हश्री आ रहरा हगो। वह करगोड-करगोड वरानरर कगो एक सरार पकडकर खरानप्रे लगरा! (वप्रे उसकप्रे मपुहूँह
ममें इस तरह घपुसनप्रे लगप्रे) मरानगो पवर्णत ककी गपुफिरा ममें हटरडयराहूँ समरा रहश्री हर॥1॥
* कगोहटन्ह गहह सरश्रीर सन मदरार्ण। कगोहटन्ह मश्रीहज हमलव महह गदरार्ण॥
मपुख नरासरा शवनहन्ह ककीमं बराटरा। हनसरर परराहहमं भरालपु कहप ठराटरा॥2॥
भरावरारर्ण:- करगोडर (वरानरर) कगो पकडकर उसनप्रे शरश्रीर सप्रे मसल डरालरा। करगोडर कगो हरारर सप्रे
मलकर पमृथ्वश्री ककी धपूल ममें हमलरा हदयरा। (पप्रेट ममें गए हह ए) भरालपू और वरानरर कप्रे ठट कप्रे ठट उसकप्रे
मपुख, नराक और करानर ककी रराह सप्रे हनकल-हनकलकर भराग रहप्रे हमैं॥2॥
* रन मद मर हनसराचर दपरार्ण। हबस्व गहसहह जनपु ऐहह हबहध अपरार्ण॥
मपुरप्रे सपुभट सब हफिरहहमं न फिप्रे रप्रे। सपूझ न नयन सपुनहहमं नहहमं टप्रेरप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-रर कप्रे मद ममें मर रराक्षस कपुमं भकरर्ण इस पकरार गहवर्णत हहआ, मरानगो हवधरातरा नप्रे उसकगो सराररा
हवश्व अपर्णर कर हदयरा हगो और उसप्रे वह गरास कर जराएगरा। सब यगोदरा भराग खडप्रे हह ए, वप्रे लरौटराए भश्री
नहहीं लरौटतप्रे। आहूँखर सप्रे उन्हमें सपूझ नहहीं पडतरा और पपुकरारनप्रे सप्रे सपुनतप्रे नहहीं!॥3॥
* कपुमं भकरन कहप फिरौज हबडरारश्री। सपुहन धराई रजनश्रीचर धरारश्री॥
दप्रेखश्री रराम हबकल कटकराई। ररपपु अनश्रीक नरानरा हबहध आई॥4॥
भरावरारर्ण:- कपुमं भकरर्ण नप्रे वरानर सप्रेनरा कगो हततर-हबतर कर हदयरा। यह सपुनकर रराक्षस सप्रेनरा भश्री दरौडश्री।
शश्री ररामचमंदजश्री नप्रे दप्रेखरा हक अपनश्री सप्रेनरा व्यराकपुल हहै और शत्रपु ककी नरानरा पकरार ककी सप्रेनरा आ गई हहै॥
4॥
दगोहरा :
* सपुनपु सपुगश्रीव हबभश्रीषन अनपुज सहूँभरारप्रेहह सहैन।
ममैं दप्रेखउहूँ खल बल दलहह बगोलप्रे रराहजवनहैन॥67॥
भरावरारर्ण:- तब कमलनयन शश्री ररामजश्री बगोलप्रे- हप्रे सपुगश्रीव! हप्रे हवभश्रीषर! और हप्रे लक्ष्मर! सपुनगो, तपुम
सप्रेनरा कगो समंभरालनरा। ममैं इस दष्टिपु कप्रे बल और सप्रेनरा कगो दप्रेखतरा हह हूँ॥67॥
चरौपराई :
* कर सरारमंग सराहज कहट भराररा। अरर दल दलन चलप्रे रघपुनराररा॥
परम ककीहन्ह पभपु धनपुष टमंकगोररा। ररपपु दल बहधर भयउ सपुहन सगोररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हरार ममें शरागर्धांधनपुष और कमर ममें तरकस सजराकर शश्री रघपुनरारजश्री शत्रपु सप्रेनरा कगो दलन
करनप्रे चलप्रे। पभपु नप्रे पहलप्रे तगो धनपुष करा टमंकरार हकयरा, हजसककी भयरानक आवराज सपुनतप्रे हश्री शत्रपु दल
बहररा हगो गयरा॥1॥
* सत्यसमंध छराडहूँ प्रे सर लच्छरा। करालसपर्ण जनपु चलप्रे सपच्छरा॥
जहहूँ तहहूँ चलप्रे हबपपुल नरारराचरा। लगप्रे कटन भट हबकट हपसराचरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- हफिर सत्यपहतज शश्री ररामजश्री नप्रे एक लराख बरार छगोडप्रे। वप्रे ऐसप्रे चलप्रे मरानगो पमंखवरालप्रे कराल
सपर्ण चलप्रे हर। जहराहूँ-तहराहूँ बहह त सप्रे बरार चलप्रे, हजनसप्रे भयमंकर रराक्षस यगोदरा कटनप्रे लगप्रे॥2॥
* कटहहमं चरन उर हसर भपुजदमंडरा। बहह तक बश्रीर हगोहहमं सत खमंडरा॥
घपुहमर्ण घपुहमर्ण घरायल महह परहहीं। उहठ समंभरारर सपुभट पपुहन लरहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:- उनकप्रे चरर, छरातश्री, हसर और भपुजदण्ड कट रहप्रे हमैं। बहह त सप्रे वश्रीरर कप्रे सरौ-सरौ टपु कडप्रे हगो
जरातप्रे हमैं। घरायल चक्कर खरा-खराकर पमृथ्वश्री पर पड रहप्रे हमैं। उरम यगोदरा हफिर समंभलकर उठतप्रे और
लडतप्रे हमैं॥3॥
* लरागत बरान जलद हजहम गराजहहमं। बहह तक दप्रेहख कहठन सर भराजहहमं॥
रमंड पचमंड मपुमंड हबनपु धरावहहमं। धर धर मरार मरार धपुहन गरावहहमं॥4॥
भरावरारर्ण:-बरार लगतप्रे हश्री वप्रे मप्रेघ ककी तरह गरजतप्रे हमैं। बहह त सप्रे तगो कहठन बरारर कगो दप्रेखकर हश्री भराग
जरातप्रे हमैं। हबनरा मपुण्ड (हसर) कप्रे पचण्ड रण्ड (धड) दरौड रहप्रे हमैं और 'पकडगो, पकडगो, मरारगो,
मरारगो' करा शब्द करतप्रे हहए गरा (हचल्लरा) रहप्रे हमैं॥4॥
दगोहरा :
* छन महह हूँ पभपु कप्रे सरायकहन्ह कराटप्रे हबकट हपसराच।
पपुहन रघपुबश्रीर हनषमंग महह हूँ पहबसप्रे सब नरारराच॥68॥
भरावरारर्ण:- पभपु कप्रे बरारर नप्रे क्षर मरात्र ममें भयरानक रराक्षसर कगो कराटकर रख हदयरा। हफिर वप्रे सब बरार
लरौटकर शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे तरकस ममें घपुस गए॥68॥
चरौपराई :
* कपुमं भकरन मन दश्रीख हबचरारश्री। हहत छन मराझ हनसराचर धरारश्री॥
भरा अहत कपु द महराबल बश्रीररा। हकयगो ममृगनरायक नराद गहूँभश्रीररा॥1॥
भरावरारर्ण:-कपुमं भकरर्ण नप्रे मन ममें हवचरार कर दप्रेखरा हक शश्री ररामजश्री नप्रे क्षर मरात्र ममें रराक्षसश्री सप्रेनरा करा समंहरार
कर डरालरा। तब वह महराबलश्री वश्रीर अत्यमंत कगोहधत हहआ और उसनप्रे गमंभश्रीर हसमंहनराद हकयरा॥1॥
* कगोहप महश्रीधर लप्रेइ उपरारश्री। डरारइ जहहूँ मकर्ण ट भट भरारश्री॥
आवत दप्रेहख सहैल पभपु भरारप्रे। सरहन्ह कराहट रज सम करर डरारप्रे॥ 2॥
भरावरारर्ण:-वह कगोध करकप्रे पवर्णत उखराड लप्रेतरा हहै और जहराहूँ भरारश्री-भरारश्री वरानर यगोदरा हगोतप्रे हमैं, वहराहूँ
डराल दप्रेतरा हहै। बडप्रे-बडप्रे पवर्णतर कगो आतप्रे दप्रेखकर पभपु नप्रे उनकगो बरारर सप्रे कराटकर धपूल कप्रे समरान
(चपूर-चपूर) कर डरालरा॥2॥
* पपुहन धनपु तराहन कगोहप रघपुनरायक। छराडहूँ प्रे अहत करराल बहह सरायक॥
तनपु महह हूँ पहबहस हनसरर सर जराहहीं। हजहम दराहमहन घन मराझ समराहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-हफिर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे कगोध करकप्रे धनपुष कगो तरानकर बहह त सप्रे अत्यमंत भयरानक बरार
छगोडप्रे। वप्रे बरार कपुमं भकरर्ण कप्रे शरश्रीर ममें घपुसकर (पश्रीछप्रे सप्रे इस पकरार) हनकल जरातप्रे हमैं (हक उनकरा पतरा
नहहीं चलतरा), जहैसप्रे हबजहलयराहूँ बरादल ममें समरा जरातश्री हमैं॥3॥
* सगोहनत स्रवत सगोह तन करारप्रे। जनपु कजल हगरर गप्रेर पनरारप्रे॥
हबकल हबलगोहक भरालपु कहप धराए। हबहहूँसरा जबहहमं हनकट कहप आए॥4॥
भरावरारर्ण:- उसकप्रे करालप्रे शरश्रीर सप्रे रहधर बहतरा हहआ ऐसप्रे शगोभरा दप्रेतरा हहै, मरानगो कराजल कप्रे पवर्णत सप्रे
गप्रेर कप्रे पनरालप्रे बह रहप्रे हर। उसप्रे व्यराकपुल दप्रेखकर रश्रीछ वरानर दरौडप्रे। वप्रे ज्यर हश्री हनकट आए, त्यर हश्री
वह हहूँसरा,॥4॥
दगोहरा :
* महरानराद करर गजरार्ण कगोहट कगोहट गहह ककीस।
महह पटकइ गजरराज इव सपर करइ दससश्रीस॥69॥
भरावरारर्ण:- और बडरा घगोर शब्द करकप्रे गरजरा तररा करगोड-करगोड वरानरर कगो पकडकर वह गजरराज
ककी तरह उन्हमें पमृथ्वश्री पर पटकनप्रे लगरा और ररावर ककी द हपु राई दप्रेनप्रे लगरा॥69॥
चरौपराई :
* भरागप्रे भरालपु बलश्रीमपुख जपूररा। बमृकपु हबलगोहक हजहम मप्रेष बरूररा॥
चलप्रे भराहग कहप भरालपु भवरानश्री। हबकल पपुकरारत आरत बरानश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यह दप्रेखकर रश्रीछ-वरानरर कप्रे झपुमंड ऐसप्रे भरागप्रे जहैसप्रे भप्रेहडयप्रे कगो दप्रेखकर भप्रेडर कप्रे झपुडमं !
(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे भवरानश्री! वरानर-भरालपू व्यराकपुल हगोकर आतर्णवरारश्री सप्रे पपुकरारतप्रे हहए भराग चलप्रे॥
1॥
* यह हनहसचर दक पु राल सम अहई। कहपकपु ल दप्रेस परन अब चहई॥
कमृ परा बराररधर रराम खररारश्री। पराहह पराहह पनतरारहत हरारश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-(वप्रे कहनप्रे लगप्रे-) यह रराक्षस दहपु भर्णक्ष कप्रे समरान हहै, जगो अब वरानर कपु ल रूपश्री दप्रेश ममें पडनरा
चराहतरा हहै। हप्रे कमृ परा रूपश्री जल कप्रे धरारर करनप्रे वरालप्रे मप्रेघ रूप शश्री रराम! हप्रे खर कप्रे शत्रपु! हप्रे शरररागत
कप्रे दद्धाःपु ख हरनप्रे वरालप्रे! रक्षरा ककीहजए, रक्षरा ककीहजए!॥2॥।
* सकरन बचन सपुनत भगवरानरा। चलप्रे सपुधरारर सररासन बरानरा॥
रराम सप्रेन हनज पराछमें घरालश्री। चलप्रे सकगोप महरा बलसरालश्री॥ 3॥
भरावरारर्ण:- करररा भरप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री भगवरानम धनपुष-बरार सपुधरारकर चलप्रे। महराबलशरालश्री शश्री
ररामजश्री नप्रे सप्रेनरा कगो अपनप्रे पश्रीछप्रे कर हलयरा और वप्रे (अकप्रे लप्रे) कगोधपपूवर्णक चलप्रे (आगप्रे बढप्रे)॥3॥
* खमैंहच धनपुष सर सत समंधरानप्रे। छपू टप्रे तश्रीर सरश्रीर समरानप्रे॥
लरागत सर धरावरा ररस भररा। कपु धर डगमगत डगोलहत धररा॥4॥
भरावरारर्ण:- उन्हरनप्रे धनपुष कगो खहींचकर सरौ बरार समंधरान हकए। बरार छपू टप्रे और उसकप्रे शरश्रीर ममें समरा
गए। बरारर कप्रे लगतप्रे हश्री वह कगोध ममें भरकर दरौडरा। उसकप्रे दरौडनप्रे सप्रे पवर्णत डगमगरानप्रे लगप्रे और पमृथ्वश्री
हहलनप्रे लगश्री॥4॥
* लश्रीन्ह एक तमेंहह सहैल उपराटश्री। रघपुकपुलहतलक भपुजरा सगोइ कराटश्री॥
धरावरा बराम बराहह हगरर धरारश्री। पभपु सगोउ भपुजरा कराहट महह परारश्री॥5॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे एक पवर्णत उखराड हलयरा। रघपुकपुल हतलक शश्री ररामजश्री नप्रे उसककी वह भपुजरा हश्री कराट
दश्री। तब वह बराएहूँ हरार ममें पवर्णत कगो लप्रेकर दरौडरा। पभपु नप्रे उसककी वह भपुजरा भश्री कराटकर पमृथ्वश्री पर
हगररा दश्री॥5॥
* कराटमें भपुजरा सगोह खल कहै सरा। पच्छहश्रीन ममंदर हगरर जहैसरा॥
उग हबलगोकहन पभपुहह हबलगोकरा। गसन चहत मरानहह हूँ त्रहैलगोकरा॥6॥
भरावरारर्ण:-भपुजराओमं कप्रे कट जरानप्रे पर वह दष्टिपु कहै सश्री शगोभरा परानप्रे लगरा, जहैसप्रे हबनरा पमंख करा ममंदरराचल
पहराड हगो। उसनप्रे उग दृहष्टि सप्रे पभपु कगो दप्रेखरा। मरानगो तश्रीनर लगोकर कगो हनगल जरानरा चराहतरा हगो॥ 6॥
दगोहरा :
* करर हचक्करार घगोर अहत धरावरा बदनपु पसरारर।
गगन हसद सपुर त्रराहसत हरा हरा हप्रेहत पपुकरारर॥70॥
भरावरारर्ण:- वह बडप्रे जगोर सप्रे हचग्घराड करकप्रे मपुहूँह फिहैलराकर दरौडरा। आकराश ममें हसद और दप्रेवतरा डरकर
हरा! हरा! हरा! इस पकरार पपुकरारनप्रे लगप्रे॥70॥
चरौपराई :
* सभय दप्रेव करनराहनहध जरान्यगो। शवन पजमंत सररासपुन तरान्यगो॥
हबहसख हनकर हनहसचर मपुख भरप्रेऊ। तदहप महराबल भपूहम न परप्रेऊ॥1॥
भरावरारर्ण:- कररराहनधरान भगवरानम नप्रे दप्रेवतराओमं कगो भयभश्रीत जरानरा। तब उन्हरनप्रे धनपुष कगो करान तक
तरानकर रराक्षस कप्रे मपुख कगो बरारर कप्रे समपूह सप्रे भर हदयरा। तगो भश्री वह महराबलश्री पमृथ्वश्री पर न हगररा॥
1॥
* सरहन्ह भररा मपुख सन्मपुख धरावरा। कराल त्रगोन सजश्रीव जनपु आवरा॥
तब पभपु कगोहप तश्रीब्र सर लश्रीन्हरा। धर तप्रे हभन्न तरासपु हसर ककीन्हरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपुख ममें बरार भरप्रे हहए वह (पभपु कप्रे ) सरामनप्रे दरौडरा। मरानगो कराल रूपश्री सजश्रीव तरकस हश्री आ
रहरा हगो। तब पभपु नप्रे कगोध करकप्रे तश्रीक्ष्र बरार हलयरा और उसकप्रे हसर कगो धड सप्रे अलग कर हदयरा॥
2॥
* सगो हसर परप्रेउ दसरानन आगमें। हबकल भयउ हजहम फिहन महन त्यरागमें॥
धरहन धसइ धर धराव पचमंडरा। तब पभपु कराहट ककीन्ह द इपु खमंडरा॥3॥
भरावरारर्ण:- वह हसर ररावर कप्रे आगप्रे जरा हगररा उसप्रे दप्रेखकर ररावर ऐसरा व्यराकपुल हहआ जहैसप्रे महर कप्रे
छपूट जरानप्रे पर सपर्ण। कपुमं भकरर्ण करा पचण्ड धड दरौडरा, हजससप्रे पमृथ्वश्री धहूँसश्री जरातश्री रश्री। तब पभपु नप्रे
कराटकर उसकप्रे दगो टपु कडप्रे कर हदए॥3॥
* परप्रे भपूहम हजहम नभ तमें भपूधर। हप्रेठ दराहब कहप भरालपु हनसराचर॥
तरासपु तप्रेज पभपु बदन समरानरा। सपुर मपुहन सबहहमं अचमंभव मरानरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-वरानर-भरालपू और हनशराचरर कगो अपनप्रे नश्रीचप्रे दबरातप्रे हह ए वप्रे दगोनर टपु कडप्रे पमृथ्वश्री पर ऐसप्रे पडप्रे
जहैसप्रे आकराश सप्रे दगो पहराड हगरप्रे हर। उसकरा तप्रेज पभपु शश्री ररामचमंदजश्री कप्रे मपुख ममें समरा गयरा। (यह
दप्रेखकर) दप्रेवतरा और मपुहन सभश्री नप्रे आश्चयर्ण मरानरा॥4॥
* सपुर ददमंपु भपु हीं बजरावहहमं हरषहहमं। अस्तपुहत करहहमं सपुमन बहह बरषहहमं॥
करर हबनतश्री सपुर सकल हसधराए। तप्रेहश्री समय दप्रेवररहष आए॥5॥
भरावरारर्ण:- दप्रेवतरा नगराडप्रे बजरातप्रे, हहषर्णत हगोतप्रे और स्तपुहत करतप्रे हह ए बहह त सप्रे फिपूल बरसरा रहप्रे हमैं।
हवनतश्री करकप्रे सब दप्रेवतरा चलप्रे गए। उसश्री समय दप्रेवहषर्ण नरारद आए॥5॥
* गगनगोपरर हरर गपुन गन गराए। रहचर बश्रीररस पभपु मन भराए॥
बप्रेहग हतहह खल कहह मपुहन गए। रराम समर महह सगोभत भए॥6॥
भरावरारर्ण:-आकराश कप्रे ऊपर सप्रे उन्हरनप्रे शश्री हरर कप्रे सपुदमं र वश्रीर रसयक्त पु गपुर समपूह करा गरान हकयरा,
जगो पभपु कप्रे मन कगो बहह त हश्री भरायरा। मपुहन यह कहकर चलप्रे गए हक अब दष्टिपु ररावर कगो शश्रीघ्र मराररए।
(उस समय) शश्री ररामचमंदजश्री ररभपूहम ममें आकर (अत्यमंत) सपुशगोहभत हह ए॥6॥
छमंद :
* समंगराम भपूहम हबरराज रघपुपहत अतपुल बल कगोसल धनश्री।
शम हबमंदपु मपुख रराजश्रीव लगोचन अरन तन सगोहनत कनश्री॥
भपुज जपुगल फिप्रे रत सर सररासन भरालपु कहप चहह हदहस बनप्रे।
कह दरास तपुलसश्री कहह न सक छहब सप्रेष जप्रेहह आनन घनप्रे॥
भरावरारर्ण:- अतपुलनश्रीय बल वरालप्रे कगोसलपहत शश्री रघपुनरारजश्री ररभपूहम ममें सपुशगोहभत हमैं। मपुख पर पसश्रीनप्रे
ककी बपूहूँदमें हमैं, कमल समरान नप्रेत्र कपु छ लराल हगो रहप्रे हमैं। शरश्रीर पर रक्त कप्रे कर हमैं, दगोनर हरारर सप्रे
धनपुष-बरार हफिररा रहप्रे हमैं। चरारर ओर रश्रीछ-वरानर सपुशगोहभत हमैं। तपुलसश्रीदरासजश्री कहतप्रे हमैं हक पभपु ककी
इस छहब करा वरर्णन शप्रेषजश्री भश्री नहहीं कर सकतप्रे, हजनकप्रे बहह त सप्रे (हजरार) मपुख हमैं।
दगोहरा :
* हनहसचर अधम मलराकर तराहह दश्रीन्ह हनज धराम।
हगररजरा तप्रे नर ममंदमहत जप्रे न भजहहमं शश्रीरराम॥71॥
भरावरारर्ण:-(हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे हगररजप्रे! कपुमं भकरर्ण, जगो नश्रीच रराक्षस और पराप ककी खरान ररा, उसप्रे
भश्री शश्री ररामजश्री नप्रे अपनरा परमधराम दप्रे हदयरा। अतद्धाः वप्रे मनपुष्य (हनश्चय हश्री) ममंदबपुहद हमैं, जगो उन शश्री
ररामजश्री कगो नहहीं भजतप्रे॥71॥
चरौपराई :
*हदन कप्रे अमंत हफिरहीं दरौ अनश्री। समर भई सपुभटन्ह शम घनश्री॥
रराम कमृ पराहूँ कहप दल बल बराढरा। हजहम तमृन पराइ लराग अहत डराढरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हदन करा अन्त हगोनप्रे पर दगोनर सप्रेनराएहूँ लरौट पडहीं। (आज कप्रे यद पु ममें) यगोदराओमं कगो बडश्री
रकरावट हह ई, परन्तपु शश्री ररामजश्री ककी कमृ परा सप्रे वरानर सप्रेनरा करा बल उसश्री पकरार बढ गयरा, जहैसप्रे घरास
पराकर अहग्नि बहह त बढ जरातश्री हहै॥1॥(घ)॥
* छश्रीजहहमं हनहसचर हदनपु अर ररातश्री। हनज मपुख कहमें सपुकमृत जप्रेहह भराहूँतश्री॥
बहह हबलराप दसकमंधर करई। बमंधपु सश्रीस पपुहन पपुहन उर धरई॥2॥
भरावरारर्ण:-उधर रराक्षस हदन-ररात इस पकरार घटतप्रे जरा रहप्रे हमैं, हजस पकरार अपनप्रे हश्री मपुख सप्रे कहनप्रे
पर पपुण्य घट जरातप्रे हमैं। ररावर बहह त हवलराप कर रहरा हहै। बरार-बरार भराई (कपुमं भकरर्ण) करा हसर कलप्रेजप्रे
सप्रे लगरातरा हहै॥2॥
* रगोवहहमं नरारर हृदय हहत परानश्री। तरासपु तप्रेज बल हबपपुल बखरानश्री॥
मप्रेघनराद तप्रेहह अवसर आयउ। कहह बहह कररा हपतरा समपुझरायउ॥3॥
भरावरारर्ण:-हस्त्रयराहूँ उसकप्रे बडप्रे भरारश्री तप्रेज और बल कगो बखरान करकप्रे हरारर सप्रे छरातश्री पश्रीट-पश्रीटकर रगो
रहश्री हमैं। उसश्री समय मप्रेघनराद आयरा और उसनप्रे बहह त सश्री करराएहूँ कहकर हपतरा कगो समझरायरा॥3॥
* दप्रेखप्रेहह कराहल मगोरर मनपुसराई। अबहहमं बहह त करा करजौं बडराई॥
इष्टिदप्रेव समैं बल रर परायउहूँ। सगो बल तरात न तगोहह दप्रेखरायउहूँ॥4॥
भरावरारर्ण:- (और कहरा-) कल मप्रेररा पपुरषरारर्ण दप्रेहखएगरा। अभश्री बहह त बडराई क्यरा करूहूँ? हप्रे तरात! ममैंनप्रे
अपनप्रे इष्टिदप्रेव सप्रे जगो बल और रर परायरा ररा, वह बल (और रर) अब तक आपकगो नहहीं
हदखलरायरा ररा॥4॥
* एहह हबहध जल्पत भयउ हबहरानरा। चहह हूँ दआ पु र लरागप्रे कहप नरानरा॥
इहत कहप भरालपु कराल सम बश्रीररा। उत रजनश्रीचर अहत रनधश्रीररा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-इस पकरार डहींग मरारतप्रे हहए सबप्रेररा हगो गयरा। लमंकरा कप्रे चरारर दरवराजर पर बहह त सप्रे वरानर आ
डटप्रे। इधर कराल कप्रे समरान वश्रीर वरानर-भरालपू हमैं और उधर अत्यमंत ररधश्रीर रराक्षस॥5॥
* लरहहमं सपुभट हनज हनज जय हप्रेतपू। बरहन न जराइ समर खगकप्रे तपू॥6॥
भरावरारर्ण:->दगोनर ओर कप्रे यगोदरा अपनश्री-अपनश्री जय कप्रे हलए लड रहप्रे हमैं। हप्रे गरड उनकप्रे यद पु करा
वरर्णन नहहीं हकयरा जरा सकतरा॥6॥

पु , ररामजश्री करा लश्रीलरा सप्रे नरागपराश ममें बहूँधनरा


मप्रेघनराद करा यद
दगोहरा :
* मप्रेघनराद मरायरामय रर चहढ गयउ अकरास।
गजर्देउ अटहरास करर भइ कहप कटकहह त्ररास॥72॥
भरावरारर्ण:-मप्रेघनराद उसश्री (पपूवर्दोक्त) मरायरामय रर पर चढकर आकराश ममें चलरा गयरा और अटहरास
करकप्रे गरजरा, हजससप्रे वरानरर ककी सप्रेनरा ममें भय छरा गयरा॥72॥
चरौपराई :
* सहक्त सपूल तरवरारर कमृ परानरा। अस्त्र सस्त्र कपु हलसरायधपु नरानरा॥
डरारइ परसपु पररघ पराषरानरा। लरागप्रेउ बमृहष्टि करहै बहह बरानरा॥1॥
भरावरारर्ण:- वह शहक्त, शपूल, तलवरार, कमृ परार आहद अस्त्र, शरास्त्र एवमं वज्र आहद बहह त सप्रे आयधपु
चलरानप्रे तररा फिरसप्रे, पररघ, पत्रर आहद डरालनप्रे और बहह त सप्रे बरारर ककी वमृहष्टि करनप्रे लगरा॥1॥
* दस हदहस रहप्रे बरान नभ छराई। मरानहह हूँ मघरा मप्रेघ झरर लराई॥
धर धर मरार सपुहनअ धपुहन करानरा। जगो मरारइ तप्रेहह कगोउ न जरानरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- आकराश ममें दसर हदशराओमं ममें बरार छरा गए, मरानगो मघरा नक्षत्र कप्रे बरादलर नप्रे झडश्री लगरा दश्री
हगो। 'पकडगो, पकडगो, मरारगो' यप्रे शब्द सपुनराई पडतप्रे हमैं। पर जगो मरार रहरा हहै, उसप्रे कगोई नहहीं जरान
परातरा॥2॥
* गहह हगरर तर अकरास कहप धरावहहमं। दप्रेखहहमं तप्रेहह न द हपु खत हफिरर आवहहमं॥
अवघट घराट बराट हगरर कमंदर। मरायरा बल ककीन्हप्रेहस सर पमंजर॥3॥
भरावरारर्ण:- पवर्णत और वमृक्षर कगो लप्रेकर वरानर आकराश ममें दरौडकर जरातप्रे हमैं। पर उसप्रे दप्रेख नहहीं परातप्रे ,
इससप्रे दद्धाःपु खश्री हगोकर लरौट आतप्रे हमैं। मप्रेघनराद नप्रे मरायरा कप्रे बल सप्रे अटपटश्री घराहटयर, ररास्तर और
पवर्णतर-कन्दरराओमं कगो बरारर कप्रे हपमंजरप्रे बनरा हदए (बरारर सप्रे छरा हदयरा)॥3॥
* जराहहमं कहराहूँ ब्यराकपुल भए बमंदर। सपुरपहत बमंहद परप्रे जनपु ममंदर॥
मरारतसपुत अमंगद नल नश्रीलरा। ककीन्हप्रेहस हबकल सकल बलसश्रीलरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-अब कहराहूँ जराएहूँ, यह सगोचकर (ररास्तरा न पराकर) वरानर व्यराकपुल हगो गए। मरानगो पवर्णत इमंद
ककी कहै द ममें पडप्रे हर। मप्रेघनराद नप्रे मरारहत हनपुमरानम, अमंगद, नल और नश्रील आहद सभश्री बलवरानर कगो
व्यराकपुल कर हदयरा॥4॥
* पपुहन लहछमन सपुगश्रीव हबभश्रीषन। सरहन्ह मरारर ककीन्हप्रेहस जजर्णर तन॥
पपुहन रघपुपहत समैं जपूझहै लरागरा। सर छराडहूँ इ हगोइ लरागहहमं नरागरा॥ 5॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे लक्ष्मरजश्री, सपुगश्रीव और हवभश्रीषर कगो बरारर सप्रे मरारकर उनकप्रे शरश्रीर कगो
छलनश्री कर हदयरा। हफिर वह शश्री रघपुनरारजश्री सप्रे लडनप्रे लगरा। वह जगो बरार छगोडतरा हहै , वप्रे सराहूँप हगोकर
लगतप्रे हमैं॥5॥
* ब्यराल परास बस भए खररारश्री। स्वबस अनमंत एक अहबकरारश्री॥
नट इव कपट चररत कर नरानरा। सदरा स्वतमंत्र एक भगवरानरा॥6॥
भरावरारर्ण:- जगो स्वतमंत्र, अनन्त, एक (अखमंड) और हनहवर्णकरार हमैं, वप्रे खर कप्रे शत्रपु शश्री ररामजश्री
(लश्रीलरा सप्रे) नरागपराश कप्रे वश ममें हगो गए (उससप्रे बहूँध गए) शश्री ररामचमंदजश्री सदरा स्वतमंत्र, एक,
(अहदतश्रीय) भगवरानम हमैं। वप्रे नट ककी तरह अनप्रेकर पकरार कप्रे हदखरावटश्री चररत्र करतप्रे हमैं॥6॥
* रन सगोभरा लहग पभपुहहमं बहूँधरायगो। नरागपरास दप्रेवन्ह भय परायगो॥7॥
भरावरारर्ण:-रर ककी शगोभरा कप्रे हलए पभपु नप्रे अपनप्रे कगो नरागपराश ममें बराहूँध हलयरा, हकन्तपु उससप्रे दप्रेवतराओमं
कगो बडरा भय हहआ॥7॥
दगोहरा :
* हगररजरा जरासपु नराम जहप मपुहन कराटहहमं भव परास।
सगो हक बमंध तर आवइ ब्यरापक हबस्व हनवरास॥73॥
भरावरारर्ण:- (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे हगररजप्रे! हजनकरा नराम जपकर मपुहन भव (जन्म-ममृत्य)पु ककी
फिराहूँसश्री कगो कराट डरालतप्रे हमैं, वप्रे सवर्णव्यरापक और हवश्व हनवरास (हवश्व कप्रे आधरार) पभपु कहहीं बमंधन
ममें आ सकतप्रे हमैं?॥73॥
चरौपराई :
* चररत रराम कप्रे सगपुन भवरानश्री। तहकर्ण न जराहहमं बपुहद बल बरानश्री॥
अस हबचरारर जप्रे तग्य हबररागश्री। ररामहह भजहहमं तकर्ण सब त्यरागश्री॥1॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भवरानश्री! शश्री ररामजश्री ककी इस सगपुर लश्रीलराओमं कप्रे हवषय ममें बपुहद और वरारश्री कप्रे बल सप्रे
तकर्ण (हनरर्णय) नहहीं हकयरा जरा सकतरा। ऐसरा हवचरार कर जगो तत्त्वजरानश्री और हवरक्त पपुरष हमैं , वप्रे सब
तकर्ण (शमंकरा) छगोडकर शश्री ररामजश्री करा भजन हश्री करतप्रे हमैं॥।1॥
* ब्यराकपुल कटकपु ककीन्ह घननरादरा। पपुहन भरा पगट कहइ दबपु रार्णदरा॥
जरामवमंत कह खल रहह ठराढरा। सपुहन करर तराहह कगोध अहत बराढरा॥2॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद नप्रे सप्रेनरा कगो व्यराकपुल कर हदयरा। हफिर वह पकट हगो गयरा और दवपु र्णचन कहनप्रे
लगरा। इस पर जराम्बवरानम नप्रे कहरा- अरप्रे दष्टिपु ! खडरा रह। यह सपुनकर उसप्रे बडरा कगोध बढरा॥2॥
* बपूढ जराहन सठ छराडहूँ प्रेउहूँ तगोहश्री। लरागप्रेहस अधम पचरारहै मगोहश्री॥
अस कहह तरल हत्रसपूल चलरायगो। जरामवमंत कर गहह सगोइ धरायगो॥ 3॥
भरावरारर्ण:-अरप्रे मपूखर्ण! ममैंनप्रे बपूढरा जरानकर तपुझकगो छगोड हदयरा ररा। अरप्रे अधम! अब तपू मपुझप्रे हश्री
ललकरारनप्रे लगरा हहै? ऐसरा कहकर उसनप्रे चमकतरा हहआ हत्रशपूल चलरायरा। जराम्बवरानम उसश्री हत्रशपूल कगो
हरार सप्रे पकडकर दरौडरा॥3॥
* मराररहस मप्रेघनराद कहै छरातश्री। पररा भपूहम घपुहमर्णत सपुरघरातश्री॥
पपुहन ररसरान गहह चरन हफिररायगो। महह पछरारर हनज बल दप्रेखररायगो॥ 4॥
भरावरारर्ण:-और उसप्रे मप्रेघनराद ककी छरातश्री पर दप्रे मराररा। वह दप्रेवतराओमं करा शत्रपु चक्कर खराकर पमृथ्वश्री पर
हगर पडरा। जराम्बवरानम नप्रे हफिर कगोध ममें भरकर पहैर पकडकर उसकगो घपुमरायरा और पमृथ्वश्री पर पटककर
उसप्रे अपनरा बल हदखलरायरा॥4॥
* बर पसराद सगो मरइ न मराररा। तब गहह पद लमंकरा पर डराररा॥
इहराहूँ दप्रेवररहष गरड पठरायगो। रराम समश्रीप सपहद सगो आयगो॥5॥
भरावरारर्ण:-(हकन्तपु) वरदरान कप्रे पतराप सप्रे वह मरारप्रे नहहीं मरतरा। तब जराम्बवरानम नप्रे उसकरा पहैर
पकडकर उसप्रे लमंकरा पर फिमें क हदयरा। इधर दप्रेवहषर्ण नरारदजश्री नप्रे गरड कगो भप्रेजरा। वप्रे तपुरमंत हश्री शश्री ररामजश्री
कप्रे परास आ पहह हूँचप्रे॥5॥
दगोहरा :
* खगपहत सब धरर खराए मरायरा नराग बरर।
मरायरा हबगत भए सब हरषप्रे बरानर जपूर॥74 क॥
भरावरारर्ण:-पक्षश्रीरराज गरडजश्री सब मरायरा-सपर्मों कप्रे समपूहर कगो पकडकर खरा गए। तब सब वरानरर कप्रे
झपुमंड मरायरा सप्रे रहहत हगोकर हहषर्णत हहए॥74 (क)॥
* गहह हगरर परादप उपल नख धराए ककीस ररसराइ।
चलप्रे तमश्रीचर हबकलतर गढ पर चढप्रे परराइ॥74 ख॥
भरावरारर्ण:- पवर्णत, वमृक्ष, पत्रर और नख धरारर हकए वरानर कगोहधत हगोकर दरौडप्रे। हनशराचर हवशप्रेष
व्यराकपुल हगोकर भराग चलप्रे और भरागकर हकलप्रे पर चढ गए॥74 (ख)॥

मप्रेघनराद यज हवध्वमंस, यद पु और मप्रेघनराद उदरार


चरौपराई :
* मप्रेघनराद कहै मपुरछरा जरागश्री। हपतहह हबलगोहक लराज अहत लरागश्री॥
तपुरत गयउ हगररबर कमंदररा। करजौं अजय मख अस मन धररा॥1॥
भरावरारर्ण:- मप्रेघनराद ककी मपूच्छरार्ण छपूटश्री, (तब) हपतरा कगो दप्रेखकर उसप्रे बडश्री शमर्ण लगश्री। ममैं अजय
(अजप्रेय हगोनप्रे कगो) यज करूहूँ, ऐसरा मन ममें हनश्चय करकप्रे वह तपुरमंत शप्रेष पवर्णत ककी गपुफिरा ममें चलरा
गयरा॥1॥
* इहराहूँ हबभश्रीषन ममंत्र हबचराररा। सपुनहह नरार बल अतपुल उदराररा॥
मप्रेघनराद मख करइ अपरावन। खल मरायरावश्री दप्रेव सतरावन॥2॥
भरावरारर्ण:- यहराहूँ हवभश्रीषर नप्रे सलराह हवचरारश्री (और शश्री ररामचमंदजश्री सप्रे कहरा-) हप्रे अतपुलनश्रीय बलवरानम
उदरार पभगो! दप्रेवतराओमं कगो सतरानप्रे वरालरा दष्टिपु , मरायरावश्री मप्रेघनराद अपहवत्र यज कर रहरा हहै॥2॥
* जजौं पभपु हसद हगोइ सगो पराइहह। नरार बप्रेहग पपुहन जश्रीहत न जराइहह॥
सपुहन रघपुपहत अहतसय सपुख मरानरा। बगोलप्रे अमंगदराहद कहप नरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हप्रे पभगो! यहद वह यज हसद हगो पराएगरा तगो हप्रे नरार! हफिर मप्रेघनराद जल्दश्री जश्रीतरा न जरा
सकप्रे गरा। यह सपुनकर शश्री रघपुनरारजश्री नप्रे बहह त सपुख मरानरा और अमंगदराहद बहह त सप्रे वरानरर कगो बपुलरायरा
(और कहरा-)॥3॥
* लहछमन समंग जराहह सब भराई। करहह हबधमंस जग्य कर जराई॥
तपुम्ह लहछमन मरारप्रेहह रन ओहश्री। दप्रेहख सभय सपुर दख पु अहत मगोहश्री॥4॥
भरावरारर्ण:- हप्रे भराइयर! सब लगोग लक्ष्मर कप्रे सरार जराओ और जराकर यज कगो हवध्वमंस करगो। हप्रे
लक्ष्मर! समंगराम ममें तपुम उसप्रे मरारनरा। दप्रेवतराओमं कगो भयभश्रीत दप्रेखकर मपुझप्रे बडरा द द्धाःपु ख हहै॥4॥
* मरारप्रेहह तप्रेहह बल बपुहद उपराई। जप्रेहहमं छश्रीजहै हनहसचर सपुनपु भराई॥
जरामवमंत सपुगश्रीव हबभश्रीषन। सप्रेन समप्रेत रहप्रेहह तश्रीहनउ जन॥5॥
भरावरारर्ण:-हप्रे भराई! सपुनगो, उसकगो ऐसप्रे बल और बपुहद कप्रे उपराय सप्रे मरारनरा, हजससप्रे हनशराचर करा
नराश हगो। हप्रे जराम्बवरान, सपुगश्रीव और हवभश्रीषर! तपुम तश्रीनर जन सप्रेनरा समप्रेत (इनकप्रे ) सरार रहनरा॥
5॥
* जब रघपुबश्रीर दश्रीहन्ह अनपुसरासन। कहट हनषमंग कहस सराहज सररासन॥
पभपु पतराप उर धरर रनधश्रीररा। बगोलप्रे घन इव हगररा गहूँभश्रीररा॥ 6॥
भरावरारर्ण:-(इस पकरार) जब शश्री रघपुवश्रीर नप्रे आजरा दश्री, तब कमर ममें तरकस कसकर और धनपुष
सजराकर (चढराकर) ररधश्रीर शश्री लक्ष्मरजश्री पभपु कप्रे पतराप कगो हृदय ममें धरारर करकप्रे मप्रेघ कप्रे समरान
गमंभश्रीर वरारश्री बगोलप्रे-॥6॥
* जजौं तप्रेहह आजपु बमंधप्रे हबनपु आवजौं। तरौ रघपुपहत सप्रेवक न कहरावजौं॥
जजौं सत समंकर करहहमं सहराई। तदहप हतउहूँ रघपुबश्रीर दगोहराई॥7॥
भरावरारर्ण:- यहद ममैं आज उसप्रे हबनरा मरारप्रे आऊहूँ, तगो शश्री रघपुनरारजश्री करा सप्रेवक न कहलराऊहूँ। यहद
सहैकडर शमंकर भश्री उसककी सहरायतरा करमें तगो भश्री शश्री रघपुवश्रीर ककी द हपु राई हहै, आज ममैं उसप्रे मरार हश्री
डरालपूहूँगरा॥7॥
दगोहरा :
* रघपुपहत चरन नराइ हसर चलप्रेउ तपुरमंत अनमंत।
अमंगद नश्रील मयमंद नल समंग सपुभट हनपुममंत॥75॥
भरावरारर्ण:-शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे चररर ममें हसर नवराकर शप्रेषरावतरार शश्री लक्ष्मरजश्री तपुरमंत चलप्रे। उनकप्रे सरार
अमंगद, नश्रील, मयमंद, नल और हनपुमरान आहद उरम यगोदरा रप्रे॥75॥
चरौपराई :
* जराइ कहपन्ह सगो दप्रेखरा बहैसरा। आहह हत दप्रेत रहधर अर भमैंसरा॥
ककीन्ह कहपन्ह सब जग्य हबधमंसरा। जब न उठइ तब करहहमं पसमंसरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- वरानरर नप्रे जराकर दप्रेखरा हक वह बहैठरा हह आ खपून और भमैंसप्रे ककी आहह हत दप्रे रहरा हहै। वरानरर नप्रे
सब यज हवध्वमंस कर हदयरा। हफिर भश्री वह नहहीं उठरा, तब वप्रे उसककी पशमंसरा करनप्रे लगप्रे॥1॥
* तदहप न उठइ धरप्रेहन्ह कच जराई। लरातहन्ह हहत हहत चलप्रे परराई॥
लहै हत्रसपूल धरावरा कहप भरागप्रे। आए जहहूँ ररामरानपुज आगप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:-इतनप्रे पर भश्री वह न उठरा, (तब) उन्हरनप्रे जराकर उसकप्रे बराल पकडप्रे और लरातर सप्रे मरार-
मरारकर वप्रे भराग चलप्रे। वह हत्रशपूल लप्रेकर दरौडरा, तब वरानर भरागप्रे और वहराहूँ आ गए, जहराहूँ आगप्रे
लक्ष्मरजश्री खडप्रे रप्रे॥2॥
* आवरा परम कगोध कर मराररा। गजर्ण घगोर रव बरारहहमं बराररा॥
कगोहप मरतसपुत अमंगद धराए। हहत हत्रसपूल उर धरहन हगरराए॥3॥
भरावरारर्ण:- वह अत्यमंत कगोध करा मराररा हहआ आयरा और बरार-बरार भयमंकर शब्द करकप्रे गरजनप्रे लगरा।
मरारहत (हनपुमरानम) और अमंगद कगोध करकप्रे दरौडप्रे। उसनप्रे छरातश्री ममें हत्रशपूल मरारकर दगोनर कगो धरतश्री पर
हगररा हदयरा॥3॥
* पभपु कहहूँ छराडहूँ प्रेहस सपूल पचमंडरा। सर हहत कमृ त अनमंत जपुग खमंडरा॥
उहठ बहगोरर मरारहत जपुबरराजरा। हतहहमं कगोहप तप्रेहह घराउ न बराजरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:-हफिर उसनप्रे पभपु शश्री लक्ष्मरजश्री पर हत्रशपूल छगोडरा। अनन्त (शश्री लक्ष्मरजश्री) नप्रे बरार
मरारकर उसकप्रे दगो टपु कडप्रे कर हदए। हनपुमरानमजश्री और यवपु रराज अमंगद हफिर उठकर कगोध करकप्रे उसप्रे
मरारनप्रे लगप्रे, उसप्रे चगोट न लगश्री॥4॥
* हफिरप्रे बश्रीर ररपपु मरइ न मराररा। तब धरावरा करर घगोर हचकराररा॥
आवत दप्रेहख कपु रद जनपु करालरा। लहछमन छराडप्रे हबहसख कररालरा॥5॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु (मप्रेघनराद) मरारप्रे नहहीं मरतरा, यह दप्रेखकर जब वश्रीर लरौटप्रे, तब वह घगोर हचग्घराड
करकप्रे दरौडरा। उसप्रे कपु द कराल ककी तरह आतरा दप्रेखकर लक्ष्मरजश्री नप्रे भयरानक बरार छगोडप्रे॥ 5॥
* दप्रेखप्रेहस आवत पहब सम बरानरा। तपुरत भयउ खल अमंतरधरानरा॥
हबहबध बप्रेष धरर करइ लरराई। कबहह हूँक पगट कबहह हूँ दरपु र जराई॥6॥
भरावरारर्ण:- वज्र कप्रे समरान बरारर कगो आतप्रे दप्रेखकर वह दष्टिपु तपुरमंत अमंतधरार्णन हगो गयरा और हफिर भराहूँहत-
भराहूँहत कप्रे रूप धरारर करकप्रे यद पु करनप्रे लगरा। वह कभश्री पकट हगोतरा ररा और कभश्री हछप जरातरा ररा॥
6॥
* दप्रेहख अजय ररपपु डरपप्रे ककीसरा। परम कपु द तब भयउ अहश्रीसरा॥
लहछमन मन अस ममंत्र दृढरावरा। ऐहह पराहपहह ममैं बहह त खप्रेलरावरा॥7॥
भरावरारर्ण:-शत्रपु कगो परराहजत न हगोतरा दप्रेखकर वरानर डरप्रे। तब सपर्णरराज शप्रेषजश्री (लक्ष्मरजश्री) बहह त
कगोहधत हह ए। लक्ष्मरजश्री नप्रे मन ममें यह हवचरार दृढ हकयरा हक इस परापश्री कगो ममैं बहह त खप्रेलरा चपुकरा (अब
और अहधक खप्रेलरानरा अच्छरा नहहीं, अब तगो इसप्रे समराप्त हश्री कर दप्रेनरा चराहहए।)॥7॥
* सपुहमरर कगोसलराधश्रीस पतरापरा। सर समंधरान ककीन्ह करर दरापरा॥
छराडरा बरान मराझ उर लरागरा। मरतश्री बरार कपटपु सब त्यरागरा॥8॥
भरावरारर्ण:- कगोसलपहत शश्री ररामजश्री कप्रे पतराप करा स्मरर करकप्रे लक्ष्मरजश्री नप्रे वश्रीरगोहचत दपर्ण करकप्रे
बरार करा समंधरान हकयरा। बरार छगोडतप्रे हश्री उसककी छरातश्री कप्रे बश्रीच ममें लगरा। मरतप्रे समय उसनप्रे सब कपट
त्यराग हदयरा॥8॥
दगोहरा :
* ररामरानपुज कहहूँ ररामपु कहहूँ अस कहह छराहूँडप्रेहस परान।
धन्य धन्य तव जननश्री कह अमंगद हनपुमरान॥76॥
भरावरारर्ण:- रराम कप्रे छगोटप्रे भराई लक्ष्मर कहराहूँ हमैं? रराम कहराहूँ हमैं? ऐसरा कहकर उसनप्रे परार छगोड हदए।
अमंगद और हनपुमरान कहनप्रे लगप्रे- तप्रेरश्री मरातरा धन्य हहै, धन्य हहै (जगो तपू लक्ष्मरजश्री कप्रे हरारर मररा और
मरतप्रे समय शश्री रराम-लक्ष्मर कगो स्मरर करकप्रे तपूनप्रे उनकप्रे नरामर करा उचरारर हकयरा।)॥76॥
चरौपराई :
* हबनपु पयरास हनपुमरान उठरायगो। लमंकरा दरार रराहख पपुहन आयगो॥
तरासपु मरन सपुहन सपुर गमंधबरार्ण। चहढ हबमरान आए नभ सबरार्ण॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री नप्रे उसकगो हबनरा हश्री पररशम कप्रे उठरा हलयरा और लमंकरा कप्रे दरवराजप्रे पर रखकर
वप्रे लरौट आए। उसकरा मरनरा सपुनकर दप्रेवतरा और गमंधवर्ण आहद सब हवमरानर पर चढकर आकराश ममें
आए॥1॥
* बरहष सपुमन ददमंपु भपु हीं बजरावहहमं। शश्रीरघपुनरार हबमल जसपु गरावहहमं॥
जय अनमंत जय जगदराधराररा। तपुम्ह पभपु सब दप्रेवहन्ह हनस्तराररा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- वप्रे फिपूल बरसराकर नगराडप्रे बजरातप्रे हमैं और शश्री रघपुनरारजश्री करा हनमर्णल यश गरातप्रे हमैं। हप्रे
अनन्त! आपककी जय हगो, हप्रे जगदराधरार! आपककी जय हगो। हप्रे पभगो! आपनप्रे सब दप्रेवतराओमं करा
(महरानम हवपहर सप्रे) उदरार हकयरा॥2॥
* अस्तपुहत करर सपुर हसद हसधराए। लहछमन कमृ पराहसमंधपु पहहमं आए॥
सपुत बध सपुनरा दसरानन जबहहीं। मपुरहछत भयउ परप्रेउ महह तबहहीं॥ 3॥
भरावरारर्ण:-दप्रेवतरा और हसद स्तपुहत करकप्रे चलप्रे गए, तब लक्ष्मरजश्री कमृ परा कप्रे समपुद शश्री ररामजश्री कप्रे
परास आए। ररावर नप्रे ज्यर हश्री पपुत्रवध करा समराचरार सपुनरा, त्यर हश्री वह मपूहच्छर्णत हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर
पडरा॥3॥
* ममंदगोदरश्री रदन कर भरारश्री। उर तराडन बहह भराहूँहत पपुकरारश्री॥
रनगर लगोग सब ब्यराकपुल सगोचरा। सकल कहहहमं दसकमंधर पगोचरा॥4॥
भरावरारर्ण:-ममंदगोदरश्री छरातश्री पश्रीट-पश्रीटकर और बहह त पकरार सप्रे पपुकरार-पपुकरारकर बडरा भरारश्री हवलराप
करनप्रे लगश्री। नगर कप्रे सब लगोग शगोक सप्रे व्यराकपुल हगो गए। सभश्री ररावर कगो नश्रीच कहनप्रे लगप्रे॥4॥
दगोहरा :
* तब दसकमंठ हबहबहध हबहध समपुझराई मं सब नरारर।
नस्वर रूप जगत सब दप्रेखहह हृदयहूँ हबचरारर॥77॥
भरावरारर्ण:- तब ररावर नप्रे सब हस्त्रयर कगो अनप्रेकर पकरार सप्रे समझरायरा हक समस्त जगतम करा यह
(दृश्य)रूप नराशवरानम हहै, हृदय ममें हवचरारकर दप्रेखगो॥77॥
चरौपराई :
* हतन्हहह ग्यरान उपदप्रेसरा ररावन। आपपुन ममंद कररा सपुभ परावन॥
पर उपदप्रेस कपु सल बहह तप्रेरप्रे। जप्रे आचरहहमं तप्रे नर न घनप्रेरप्रे॥1॥
भरावरारर्ण:- ररावर नप्रे उनकगो जरान करा उपदप्रेश हकयरा। वह स्वयमं तगो नश्रीच हहै , पर उसककी कररा (बरातमें)
शपुभ और पहवत्र हमैं। दस पू रर कगो उपदप्रेश दप्रेनप्रे ममें तगो बहह त लगोग हनपपुर हगोतप्रे हमैं। पर ऐसप्रे लगोग अहधक
नहहीं हमैं, जगो उपदप्रेश कप्रे अनपुसरार आचरर भश्री करतप्रे हमैं॥1॥
* हनसरा हसरराहन भयउ हभनपुसराररा। लगप्रे भरालपु कहप चराररहह हूँ दराररा॥
सपुभट बगोलराइ दसरानन बगोलरा। रन सन्मपुख जराकर मन डगोलरा॥ 2॥
भरावरारर्ण:- ररात बश्रीत गई, सबप्रेररा हह आ। रश्रीछ-वरानर (हफिर) चरारर दरवराजर पर जरा डटप्रे। यगोदराओमं कगो
बपुलराकर दशमपुख ररावर नप्रे कहरा- लडराई ममें शत्रपु कप्रे सम्मपुख मन डराहूँवराडगोल हगो,॥2॥
* सगो अबहहीं बर जराउ परराई। समंजपुग हबमपुख भएहूँ न भलराई॥
हनज भपुज बल ममैं बयर बढरावरा। दप्रेहउहूँ उतर जगो ररपपु चहढ आवरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- अच्छरा हहै वह अभश्री भराग जराए। यद पु ममें जराकर हवमपुख हगोनप्रे (भरागनप्रे) ममें भलराई नहहीं हहै।
ममैंनप्रे अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल पर बहैर बढरायरा हहै। जगो शत्रपु चढ आयरा हहै, उसकगो ममैं (अपनप्रे हश्री) उरर
दप्रे लपूहूँगरा॥3॥
* अस कहह मरत बप्रेग रर सराजरा। बराजप्रे सकल जपुझराऊ बराजरा॥
चलप्रे बश्रीर सब अतपुहलत बलश्री। जनपु कजल कहै आहूँधश्री चलश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर उसनप्रे पवन कप्रे समरान तप्रेज चलनप्रे वरालरा रर सजरायरा। सरारप्रे जपुझराऊ (लडराई
कप्रे ) बराजप्रे बजनप्रे लगप्रे। सब अतपुलनश्रीय बलवरानम वश्रीर ऐसप्रे चलप्रे मरानगो कराजल ककी आहूँधश्री चलश्री हगो॥ 4॥
दगोहरा :
*असगपुन अहमत हगोहहमं तप्रेहह करालरा। गनइ न भपुज बल गबर्ण हबसरालरा॥5॥
भरावरारर्ण:- उस समय असमंख्य अपशकपु न हगोनप्रे लगप्रे। पर अपनश्री भपुजराओमं कप्रे बल करा बडरा गवर्ण हगोनप्रे सप्रे
ररावर उन्हमें हगनतरा नहहीं हहै॥5॥
छमंद :
* अहत गबर्ण गनइ न सगपुन असगपुन स्रवहहमं आयधपु हरार तप्रे।
भट हगरत रर तप्रे बराहज गज हचक्करत भराजहहमं सरार तप्रे॥
गगोमराय गश्रीध करराल खर रव स्वरान बगोलहहमं अहत घनप्रे।
जनपु करालदतपू उलपूक बगोलहहमं बचन परम भयरावनप्रे॥
भरावरारर्ण:-अत्यमंत गवर्ण कप्रे करारर वह शकपु न-अपशकपु न करा हवचरार नहहीं करतरा। हहरयरार हरारर सप्रे हगर
रहप्रे हमैं। यगोदरा रर सप्रे हगर पडतप्रे हमैं। घगोडप्रे, हरारश्री सरार छगोडकर हचग्घराडतप्रे हहए भराग जरातप्रे हमैं। स्यरार,
गश्रीध, करौए और गदहप्रे शब्द कर रहप्रे हमैं। बहह त अहधक कपु रप्रे बगोल रहप्रे हमैं। उल्लह ऐसप्रे अत्यमंत भयरानक
शब्द कर रहप्रे हमैं, मरानगो कराल कप्रे दतपू हर। (ममृत्यपु करा समंदप्रेसरा सपुनरा रहप्रे हर)।
ररावर करा यद पु कप्रे हलए पस्ररान और शश्री ररामजश्री करा हवजयरर तररा वरानर-रराक्षसर करा यद पु
दगोहरा :
* तराहह हक समंपहत सगपुन सपुभ सपनप्रेहहहूँ मन हबशराम।
भपूत दगोह रत मगोहबस रराम हबमपुख रहत कराम॥78॥
भरावरारर्ण:- जगो जश्रीवर कप्रे दगोह ममें रत हहै, मगोह कप्रे बस हगो रहरा हहै, ररामहवमपुख हहै और करामरासक्त हहै,
उसकगो क्यरा कभश्री स्वप्न ममें भश्री सम्पहर, शपुभ शकपु न और हचर ककी शरामंहत हगो सकतश्री हहै?॥78॥
चरौपराई :
* चलप्रेउ हनसराचर कटकपु अपराररा। चतपुरमंहगनश्री अनश्री बहह धराररा॥
हबहबहध भराहूँहत बराहन रर जरानरा। हबपपुल बरन पतराक ध्वज नरानरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- रराक्षसर ककी अपरार सप्रेनरा चलश्री। चतपुरमंहगरश्री सप्रेनरा ककी बहह त सश्री U टपु कहमडयराहूँ हमैं। अनप्रेकर
पकरार कप्रे वराहन, रर और सवराररयराहूँ हमैं तररा बहह त सप्रे रमंगर ककी अनप्रेकर पतराकराएहूँ और ध्वजराएहूँ हमैं॥
1॥
* चलप्रे मर गज जपूर घनप्रेरप्रे। पराहबट जलद मरत जनपु पप्रेरप्रे॥
बरन बरन हबरदहैत हनकरायरा। समर सपूर जरानहहमं बहह मरायरा॥2॥
भरावरारर्ण:- मतवरालप्रे हराहरयर कप्रे बहह त सप्रे झपुडमं चलप्रे। मरानगो पवन सप्रे पप्रेररत हह ए वषरार्ण ऋतपु कप्रे बरादल हर।
रमंग-हबरमंगप्रे बरानरा धरारर करनप्रे वरालप्रे वश्रीरर कप्रे समपूह हमैं, जगो यद
पु ममें बडप्रे शपूरवश्रीर हमैं और बहह त पकरार
ककी मरायरा जरानतप्रे हमैं॥2॥
* अहत हबहचत्र बराहहनश्री हबरराजश्री। बश्रीर बसमंत सप्रेन जनपु सराजश्री॥
चलत कटक हदगहसमंधपुर डगहहीं। छपु हभत पयगोहध कपु धर डगमगहहीं॥3॥
भरावरारर्ण:- अत्यमंत हवहचत्र फिरौज शगोहभत हहै। मरानगो वश्रीर वसमंत नप्रे सप्रेनरा सजराई हगो। सप्रेनरा कप्रे चलनप्रे सप्रे
हदशराओमं कप्रे हरारश्री हडगनप्रे लगप्रे, समपुद क्षपुहभत हगो गए और पवर्णत डगमगरानप्रे लगप्रे॥3॥
* उठश्री रप्रेनपु रहब गयउ छपराई। मरत रहकत बसपुधरा अकपु लराई॥
पनव हनसरान घगोर रव बराजहहमं। पलय समय कप्रे घन जनपु गराजहहमं॥4॥
भरावरारर्ण:-इतनश्री धपूल उडश्री हक सपूयर्ण हछप गए। (हफिर सहसरा) पवन रक गयरा और पमृथ्वश्री अकपु लरा
उठश्री। ढगोल और नगराडप्रे भश्रीषर ध्वहन सप्रे बज रहप्रे हमैं, जहैसप्रे पलयकराल कप्रे बरादल गरज रहप्रे हर॥4॥
* भप्रेरर नफिकीरर बराज सहनराई। मरारू रराग सपुभट सपुखदराई॥
कप्रे हरर नराद बश्रीर सब करहहीं। हनज हनज बल परौरष उचरहहीं॥5॥
भरावरारर्ण:-भप्रेरश्री, नफिकीरश्री (तपुरहश्री) और शहनराई ममें यगोदराओमं कगो सपुख दप्रेनप्रे वरालरा मरारू रराग बज रहरा
हहै। सब वश्रीर हसमंहनराद करतप्रे हमैं और अपनप्रे-अपनप्रे बल परौरष करा बखरान कर रहप्रे हमैं॥5॥
* कहइ दसरानन सपुनहह सपुभटरा। मदर्णहह भरालपु कहपन्ह कप्रे ठटरा॥
हजौं मराररहउहूँ भपूप दरौ भराई। अस कहह सन्मपुख फिरौज रमेंगराई॥6॥
भरावरारर्ण:- ररावर नप्रे कहरा- हप्रे उरम यगोदराओमं! सपुनगो तपुम रश्रीछ-वरानरर कप्रे ठट कगो मसल डरालगो और
ममैं दगोनर रराजकपु मरार भराइयर कगो मरारूहूँगरा। ऐसरा कहकर उसनप्रे अपनश्री सप्रेनरा सरामनप्रे चलराई॥6॥
* यह सपुहध सकल कहपन्ह जब पराई। धराए करर रघपुबश्रीर दगोहराई॥7॥
भरावरारर्ण:-जब सब वरानरर नप्रे यह खबर पराई, तब वप्रे शश्री रराम ककी दहपु राई दप्रेतप्रे हहए दरौडप्रे॥7॥
छमंद :
* धराए हबसराल करराल मकर्णट भरालपु कराल समरान तप्रे।
मरानहह हूँ सपच्छ उडराहहमं भपूधर बमृमंद नरानरा बरान तप्रे॥
नख दसन सहैल महरादपुमरायधपु सबल समंक न मरानहहीं।
जय रराम ररावन मर गज ममृगरराज सपुजसपु बखरानहहीं॥
भरावरारर्ण:- वप्रे हवशराल और कराल कप्रे समरान करराल वरानर-भरालपू दरौडप्रे। मरानगो पमंख वरालप्रे पवर्णतर कप्रे
समपूह उड रहप्रे हर। वप्रे अनप्रेक वरर्मों कप्रे हमैं। नख, दराहूँत, पवर्णत और बडप्रे-बडप्रे वमृक्ष हश्री उनकप्रे हहरयरार हमैं।
वप्रे बडप्रे बलवरानम हमैं और हकसश्री करा भश्री डर नहहीं मरानतप्रे। ररावर रूपश्री मतवरालप्रे हरारश्री कप्रे हलए हसमंह रूप
शश्री ररामजश्री करा जय-जयकरार करकप्रे वप्रे उनकप्रे सपुमंदर यश करा बखरान करतप्रे हमैं।
दगोहरा :
* दहपु ह हदहस जय जयकरार करर हनज जगोरश्री जराहन।
हभरप्रे बश्रीर इत ररामहह उत ररावनहह बखराहन॥79॥
भरावरारर्ण:-दगोनर ओर कप्रे यगोदरा जय-जयकरार करकप्रे अपनश्री-अपनश्री जगोडश्री जरान (चपुन) कर इधर शश्री
रघपुनरारजश्री करा और उधर ररावर करा बखरान करकप्रे परस्पर हभड गए॥79॥
चरौपराई :
* ररावनपु ररश्री हबरर रघपुबश्रीररा। दप्रेहख हबभश्रीषन भयउ अधश्रीररा॥
अहधक पश्रीहत मन भरा समंदहप्रे रा। बमंहद चरन कह सहहत सनप्रेहरा॥1॥
भरावरारर्ण:- ररावर कगो रर पर और शश्री रघपुवश्रीर कगो हबनरा रर कप्रे दप्रेखकर हवभश्रीषर अधश्रीर हगो गए। पप्रेम
अहधक हगोनप्रे सप्रे उनकप्रे मन ममें सन्दप्रेह हगो गयरा (हक वप्रे हबनरा रर कप्रे ररावर कगो कहै सप्रे जश्रीत सकमें गप्रे)। शश्री
ररामजश्री कप्रे चररर ककी वमंदनरा करकप्रे वप्रे स्नप्रेह पपूवर्णक कहनप्रे लगप्रे॥1॥
* नरार न रर नहह तन पद त्ररानरा। कप्रे हह हबहध हजतब बश्रीर बलवरानरा॥
सपुनहह सखरा कह कमृ पराहनधरानरा। जप्रेहहमं जय हगोइ सगो स्यमंदन आनरा॥2॥
भरावरारर्ण:-हप्रे नरार! आपकप्रे न रर हहै, न तन ककी रक्षरा करनप्रे वरालरा कवच हहै और न जपूतप्रे हश्री हमैं। वह
बलवरानम वश्रीर ररावर हकस पकरार जश्रीतरा जराएगरा? कमृ पराहनधरान शश्री ररामजश्री नप्रे कहरा- हप्रे सखप्रे! सपुनगो,
हजससप्रे जय हगोतश्री हहै, वह रर दस पू ररा हश्री हहै॥2॥
* सरौरज धश्रीरज तप्रेहह रर चराकरा। सत्य सश्रील दृढ ध्वजरा पतराकरा॥
बल हबबप्रेक दम परहहत घगोरप्रे। छमरा कमृ परा समतरा रजपु जगोरप्रे॥3॥
भरावरारर्ण:-शरौयर्ण और धहैयर्ण उस रर कप्रे पहहए हमैं। सत्य और शश्रील (सदराचरार) उसककी मजबपूत ध्वजरा
और पतराकरा हमैं। बल, हववप्रेक, दम (इमंहदयर करा वश ममें हगोनरा) और परगोपकरार- यप्रे चरार उसकप्रे घगोडप्रे
हमैं, जगो क्षमरा, दयरा और समतरा रूपश्री डगोरश्री सप्रे रर ममें जगोडप्रे हह ए हमैं॥3॥
* ईस भजनपु सराररश्री सपुजरानरा। हबरहत चमर्ण समंतगोष कमृ परानरा॥
दरान परसपु बपुहध सहक्त पचमंडरा। बर हबग्यरान कहठन कगोदमंडरा॥ 4॥
भरावरारर्ण:- ईश्वर करा भजन हश्री (उस रर कगो चलरानप्रे वरालरा) चतपुर सराररश्री हहै। वहैरराग्य ढराल हहै और
समंतगोष तलवरार हहै। दरान फिरसरा हहै, बपुहद पचण्ड शहक्त हहै, शप्रेष हवजरान कहठन धनपुष हहै॥4॥
* अमल अचल मन त्रगोन समरानरा। सम जम हनयम हसलश्रीमपुख नरानरा॥
कवच अभप्रेद हबप गपुर पपूजरा। एहह सम हबजय उपराय न दज पू रा॥5॥
भरावरारर्ण:-हनमर्णल (परापरहहत) और अचल (हस्रर) मन तरकस कप्रे समरान हहै। शम (मन करा वश ममें
हगोनरा), (अहहमंसराहद) यम और (शरौचराहद) हनयम- यप्रे बहह त सप्रे बरार हमैं। ब्रराहरर और गपुर करा
पपूजन अभप्रेद्य कवच हहै। इसकप्रे समरान हवजय करा दस पू ररा उपराय नहहीं हहै॥5॥
* सखरा धमर्णमय अस रर जराकमें। जश्रीतन कहहूँ न कतहह हूँ ररपपु तराकमें॥6॥
भरावरारर्ण:- हप्रे सखप्रे! ऐसरा धमर्णमय रर हजसकप्रे हगो उसकप्रे हलए जश्रीतनप्रे कगो कहहीं शत्रपु हश्री नहहीं हहै॥6॥
दगोहरा :
* महरा अजय समंसरार ररपपु जश्रीहत सकइ सगो बश्रीर।
जराकमें अस रर हगोइ दृढ सपुनहह सखरा महतधश्रीर॥80 क॥
भरावरारर्ण:- हप्रे धश्रीरबपुहद वरालप्रे सखरा! सपुनगो, हजसकप्रे परास ऐसरा दृढ रर हगो, वह वश्रीर समंसरार (जन्म-
ममृत्य)पु रूपश्री महरानम दज पु र्णय शत्रपु कगो भश्री जश्रीत सकतरा हहै (ररावर ककी तगो बरात हश्री क्यरा हहै)॥80
(क)॥
* सपुहन पभपु बचन हबभश्रीषन हरहष गहप्रे पद कमंज।
एहह हमस मगोहह उपदप्रेसहप्रे ह रराम कमृ परा सपुख पपुमंज॥80 ख
भरावरारर्ण:- पभपु कप्रे वचन सपुनकर हवभश्रीषरजश्री नप्रे हहषर्णत हगोकर उनकप्रे चरर कमल पकड हलए (और
कहरा-) हप्रे कमृ परा और सपुख कप्रे समपूह शश्री ररामजश्री! आपनप्रे इसश्री बहरानप्रे मपुझप्रे (महरानम) उपदप्रेश हदयरा॥
80 (ख)॥
* उत पचरार दसकमंधर इत अमंगद हनपुमरान।
लरत हनसराचर भरालपु कहप करर हनज हनज पभपु आन॥80 ग॥
भरावरारर्ण:- उधर सप्रे ररावर ललकरार रहरा हहै और इधर सप्रे अमंगद और हनपुमरानम। रराक्षस और रश्रीछ -
वरानर अपनप्रे-अपनप्रे स्वरामश्री ककी दहपु राई दप्रेकर लड रहप्रे हमैं॥80 (ग)॥
चरौपराई :
* सपुर ब्रहराहद हसद मपुहन नरानरा। दप्रेखत रन नभ चढप्रे हबमरानरा॥
हमहह उमरा रहप्रे तप्रेहहमं समंगरा। दप्रेखत रराम चररत रन रमंगरा॥1॥
भरावरारर्ण:-ब्रहरा आहद दप्रेवतरा और अनप्रेकर हसद तररा मपुहन हवमरानर पर चढप्रे हह ए आकराश सप्रे यद पु दप्रेख
रहप्रे हमैं। (हशवजश्री कहतप्रे हमैं-) हप्रे उमरा! ममैं भश्री उस समराज ममें ररा और शश्री ररामजश्री कप्रे रर-रमंग
(ररगोत्सराह) ककी लश्रीलरा दप्रेख रहरा ररा॥1॥
* सपुभट समर रस दहपु ह हदहस मरातप्रे। कहप जयसश्रील रराम बल तरातप्रे॥
एक एक सन हभरहहमं पचरारहहमं। एकन्ह एक महदर्ण महह परारहहमं॥2॥
भरावरारर्ण:-दगोनर ओर कप्रे यगोदरा रर रस ममें मतवरालप्रे हगो रहप्रे हमैं। वरानरर कगो शश्री ररामजश्री करा बल हहै ,
इससप्रे वप्रे जयशश्रील हमैं (जश्रीत रहप्रे हमैं)। एक-दस पू रप्रे सप्रे हभडतप्रे और ललकरारतप्रे हमैं और एक-दसपू रप्रे कगो
मसल-मसलकर पमृथ्वश्री पर डराल दप्रेतप्रे हमैं॥2॥
* मरारहहमं कराटहहमं धरहहमं पछरारहहमं। सश्रीस तगोरर सश्रीसन्ह सन मरारहहमं॥
उदर हबदरारहहमं भपुजरा उपरारहहमं। गहह पद अवहन पटहक भट डरारहहमं॥ 3॥
भरावरारर्ण:- वप्रे मरारतप्रे, कराटतप्रे, पकडतप्रे और पछराड दप्रेतप्रे हमैं और हसर तगोडकर उन्हहीं हसरर सप्रे द स पू रर
कगो मरारतप्रे हमैं। पप्रेट फिराडतप्रे हमैं, भपुजराएहूँ उखराडतप्रे हमैं और यगोदराओमं कगो पहैर पकडकर पमृथ्वश्री पर पटक
दप्रेतप्रे हमैं॥3॥
* हनहसचर भट महह गराडहहमं भरालपू। ऊपर ढरारर दप्रेहहमं बहह बरालपू॥
बश्रीर बलश्रीमपुख जपुद हबरदप्रे। दप्रेहखअत हबपपुल कराल जनपु कपु दप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:- रराक्षस यगोदराओमं कगो भरालपू पमृथ्वश्री ममें गराड दप्रेतप्रे हमैं और ऊपर सप्रे बहह त सश्री बरालपू डराल दप्रेतप्रे
हमैं। यद पु ममें शत्रपुओमं सप्रे हवरद हह ए वश्रीर वरानर ऐसप्रे हदखराई पडतप्रे हमैं मरानगो बहह त सप्रे कगोहधत कराल हर॥
4॥
छमंद :
* कपु दप्रे कमृ तरामंत समरान कहप तन स्रवत सगोहनत रराजहहीं।
मदर्णहहमं हनसराचर कटक भट बलवमंत घन हजहम गराजहहीं॥
मरारहहमं चपप्रेटहन्ह डराहट दरातन्ह कराहट लरातन्ह मश्रीजहहीं।
हचक्करहहमं मकर्णट भरालपु छल बल करहहमं जप्रेहहमं खल छश्रीजहहीं॥1॥
भरावरारर्ण:- कगोहधत हह ए कराल कप्रे समरान वप्रे वरानर खपून बहतप्रे हहए शरश्रीरर सप्रे शगोहभत हगो रहप्रे हमैं। वप्रे
बलवरानम वश्रीर रराक्षसर ककी सप्रेनरा कप्रे यगोदराओमं कगो मसलतप्रे और मप्रेघ ककी तरह गरजतप्रे हमैं। डराहूँटकर
चपप्रेटर सप्रे मरारतप्रे, दराहूँतर सप्रे कराटकर लरातर सप्रे पश्रीस डरालतप्रे हमैं। वरानर-भरालपू हचग्घराडतप्रे और ऐसरा
छल-बल करतप्रे हमैं, हजससप्रे दष्टिपु रराक्षस नष्टि हगो जराएहूँ॥1॥
* धरर गराल फिरारहहमं उर हबदरारहहमं गल अहूँतरावरर मप्रेलहहीं।
पहरादपहत जनपु हबहबध तनपु धरर समर अमंगन खप्रेलहहीं॥
धर मरार कराटपु पछरार घगोर हगररा गगन महह भरर रहश्री।
जय रराम जगो तमृन तप्रे कपु हलस कर कपु हलस तप्रे कर तमृन सहश्री॥2॥
भरावरारर्ण:- वप्रे रराक्षसर कप्रे गराल पकडकर फिराड डरालतप्रे हमैं, छरातश्री चश्रीर डरालतप्रे हमैं और उनककी
अहूँतहडयराहूँ हनकरालकर गलप्रे ममें डराल लप्रेतप्रे हमैं। वप्रे वरानर ऐसप्रे हदख पडतप्रे हमैं मरानगो पहराद कप्रे स्वरामश्री शश्री
नमृहसमंह भगवरानम अनप्रेकर शरश्रीर धरारर करकप्रे यद पु कप्रे महैदरान ममें ककीडरा कर रहप्रे हर। पकडगो, मरारगो,
कराटगो, पछराडगो आहद घगोर शब्द आकराश और पमृथ्वश्री ममें भर (छरा) गए हमैं। शश्री ररामचमंदजश्री ककी जय
हगो, जगो सचमपुच तमृर सप्रे वज्र और वज्र सप्रे तमृर कर दप्रेतप्रे हमैं (हनबर्णल कगो सबल और सबल कगो हनबर्णल
कर दप्रेतप्रे हमैं)॥2॥
दगोहरा :
* हनज दल हबचलत दप्रेखप्रेहस बश्रीस भपुजराहूँ दस चराप।
रर चहढ चलप्रेउ दसरानन हफिरहह हफिरहह करर दराप॥81॥
भरावरारर्ण:-अपनश्री सप्रेनरा कगो हवचहलत हगोतप्रे हह ए दप्रेखरा, तब बश्रीस भपुजराओमं ममें दस धनपुष लप्रेकर ररावर
रर पर चढकर गवर्ण करकप्रे 'लरौटगो, लरौटगो' कहतरा हहआ चलरा॥81॥
चरौपराई :
* धरायउ परम कपु द दसकमंधर। सन्मपुख चलप्रे हहह दहै बमंदर॥
गहह कर परादप उपल पहराररा। डरारप्रेहन्ह तरा पर एकहहमं बराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-ररावर अत्यमंत कगोहधत हगोकर दरौडरा। वरानर हहक हूँ रार करतप्रे हह ए (लडनप्रे कप्रे हलए) उसकप्रे
सरामनप्रे चलप्रे। उन्हरनप्रे हरारर ममें वमृक्ष, पत्रर और पहराड लप्रेकर ररावर पर एक हश्री सरार डरालप्रे॥ 1॥
* लरागहहमं सहैल बज्र तन तरासपू। खमंड खमंड हगोइ फिपूटहहमं आसपू॥
चलरा न अचल रहरा रर रगोपश्री। रन दमपु र्णद ररावन अहत कगोपश्री॥2॥
भरावरारर्ण:-पवर्णत उसकप्रे वज्रतपुल्य शरश्रीर ममें लगतप्रे हश्री तपुरमंत टपु कडप्रे-टपु कडप्रे हगोकर फिपूट जरातप्रे हमैं। अत्यमंत
कगोधश्री ररगोन्मर ररावर रर रगोककर अचल खडरा रहरा, (अपनप्रे स्ररान सप्रे) जररा भश्री नहहीं हहलरा॥2॥
* इत उत झपहट दपहट कहप जगोधरा। मदर्रै लराग भयउ अहत कगोधरा॥
चलप्रे परराइ भरालपु कहप नरानरा। त्रराहह त्रराहह अमंगद हनपुमरानरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-उसप्रे बहह त हश्री कगोध हहआ। वह इधर-उधर झपटकर और डपटकर वरानर यगोदराओमं कगो
मसलनप्रे लगरा। अनप्रेकर वरानर-भरालपू 'हप्रे अमंगद! हप्रे हनपुमरानम! रक्षरा करगो, रक्षरा करगो' (पपुकरारतप्रे हहए)
भराग चलप्रे॥3॥
* पराहह पराहह रघपुबश्रीर गगोसराई।मं यह खल खराइ कराल ककी नराई॥मं
तप्रेहहमं दप्रेखप्रे कहप सकल पररानप्रे। दसहह हूँ चराप सरायक समंधरानप्रे॥4॥
भरावरारर्ण:-हप्रे रघपुवश्रीर! हप्रे गगोसराई!मं रक्षरा ककीहजए, रक्षरा ककीहजए। यह दष्टिपु कराल ककी भराहूँहत हममें खरा रहरा
हहै। उसनप्रे दप्रेखरा हक सब वरानर भराग छपू टप्रे, तब (ररावर नप्रे) दसर धनपुषर पर बरार समंधरान हकए॥4॥
छमंद :
* समंधराहन धनपु सर हनकर छराडप्रेहस उरग हजहम उहड लरागहहीं।
रहप्रे पपूरर सर धरनश्री गगन हदहस हबहदहस कहहूँ कहप भरागहहीं॥
भयगो अहत कगोलराहल हबकल कहप दल भरालपु बगोलहहमं आतपुरप्रे।
रघपुबश्रीर करनरा हसमंधपु आरत बमंधपु जन रच्छक हरप्रे॥
भरावरारर्ण:-उसनप्रे धनपुष पर सन्धरान करकप्रे बरारर कप्रे समपूह छगोडप्रे। वप्रे बरार सपर्ण ककी तरह उडकर जरा
लगतप्रे रप्रे। पमृथ्वश्री-आकराश और हदशरा-हवहदशरा सवर्णत्र बरार भर रहप्रे हमैं। वरानर भरागमें तगो कहराहूँ? अत्यमंत
कगोलराहल मच गयरा। वरानर-भरालओ पु मं ककी सप्रेनरा व्यराकपुल हगोकर आरर्ण पपुकरार करनप्रे लगश्री- हप्रे रघपुवश्रीर!
हप्रे करररासरागर! हप्रे पश्रीहडतर कप्रे बन्धपु! हप्रे सप्रेवकर ककी रक्षरा करकप्रे उनकप्रे दद्धाःपु ख हरनप्रे वरालप्रे हरर!

लक्ष्मर-ररावर यद पु
दगोहरा :
* हनज दल हबकल दप्रेहख कहट कहस हनषमंग धनपु हरार।
लहछमन चलप्रे कपु द हगोइ नराइ रराम पद मरार॥82॥
भरावरारर्ण:- अपनश्री सप्रेनरा कगो व्यराकपुल दप्रेखकर कमर ममें तरकस कसकर और हरार ममें धनपुष लप्रेकर शश्री
रघपुनरारजश्री कप्रे चररर पर मस्तक नवराकर लक्ष्मरजश्री कगोहधत हगोकर चलप्रे॥ 82॥
चरौपराई :
* रप्रे खल करा मरारहस कहप भरालपू। मगोहह हबलगोकपु तगोर ममैं करालपू॥
खगोजत रहप्रेउहूँ तगोहह सपुतघरातश्री। आजपु हनपराहत जपुडरावउहूँ छरातश्री॥ 1॥
भरावरारर्ण:- (लक्ष्मरजश्री नप्रे परास जराकर कहरा-) अरप्रे दष्टिपु ! वरानर भरालओ पु मं कगो क्यरा मरार रहरा हहै?
मपुझप्रे दप्रेख, ममैं तप्रेररा कराल हह।हूँ (ररावर नप्रे कहरा-) अरप्रे मप्रेरप्रे पपुत्र कप्रे घरातक! ममैं तपुझश्री कगो ढपू हूँढ रहरा ररा।
आज तपुझप्रे मरारकर (अपनश्री) छरातश्री ठमंडश्री करूहूँगरा॥1॥
* अस कहह छराडहप्रे स बरान पचमंडरा। लहछमन हकए सकल सत खमंडरा॥
कगोहटन्ह आयधपु ररावन डरारप्रे। हतल पवरान करर कराहट हनवरारप्रे॥2॥
भरावरारर्ण:- ऐसरा कहकर उसनप्रे पचण्ड बरार छगोडप्रे। लक्ष्मरजश्री नप्रे सबकप्रे सहैकडर टपु कडप्रे कर डरालप्रे।
ररावर नप्रे करगोडर अस्त्र-शस्त्र चलराए। लक्ष्मरजश्री नप्रे उनकगो हतल कप्रे बरराबर करकप्रे कराटकर हटरा
हदयरा॥2॥
* पपुहन हनज बरानन्ह ककीन्ह पहराररा। स्यमंदनपु भमंहज सराररश्री मराररा॥
सत सत सर मरारप्रे दस भरालरा। हगरर समृमंगन्ह जनपु पहबसहहमं ब्यरालरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:- हफिर अपनप्रे बरारर सप्रे (उस पर) पहरार हकयरा और (उसकप्रे ) रर कगो तगोडकर सराररश्री
कगो मरार डरालरा। (ररावर कप्रे ) दसर मस्तकर ममें सरौ-सरौ बरार मरारप्रे। वप्रे हसरर ममें ऐसप्रे पहैठ गए मरानगो पहराड
कप्रे हशखरर ममें सपर्ण पवप्रेश कर रहप्रे हर॥3॥
* पपुहन सपुत सर मराररा उर मराहहीं। परप्रेउ धरहन तल सपुहध कछपु नराहहीं॥
उठरा पबल पपुहन मपुरछरा जरागश्री। छराहडहस ब्रह दश्रीहन्ह जगो सराहूँगश्री॥4॥
भरावरारर्ण:-हफिर सरौ बरार उसककी छरातश्री ममें मरारप्रे। वह पमृथ्वश्री पर हगर पडरा, उसप्रे कपु छ भश्री हगोश न रहरा।
हफिर मपूच्छरार्ण छपूटनप्रे पर वह पबल ररावर उठरा और उसनप्रे वह शहक्त चलराई जगो ब्रहराजश्री नप्रे उसप्रे दश्री
रश्री॥4॥
छमंद :
* सगो ब्रह दर पचमंड सहक्त अनमंत उर लरागश्री सहश्री।
परमयगो बश्रीर हबकल उठराव दसमपुख अतपुल बल महहमरा रहश्री॥
ब्रहरामंड भवन हबरराज जराकमें एक हसर हजहम रज कनश्री।
तप्रेहह चह उठरावन मपूढ ररावन जरान नहहमं हत्रभपुअन धनश्री॥
भरावरारर्ण:-वह ब्रहरा ककी दश्री हह ई पचण्ड शहक्त लक्ष्मरजश्री ककी ठश्रीक छरातश्री ममें लगश्री। वश्रीर लक्ष्मरजश्री
व्यराकपुल हगोकर हगर पडप्रे। तब ररावर उन्हमें उठरानप्रे लगरा, पर उसकप्रे अतपुहलत बल ककी महहमरा यर हश्री
रह गई, (व्यरर्ण हगो गई, वह उन्हमें उठरा न सकरा)। हजनकप्रे एक हश्री हसर पर ब्रहरामंड रूपश्री भवन धपूल
कप्रे एक कर कप्रे समरान हवरराजतरा हहै, उन्हमें मपूखर्ण ररावर उठरानरा चराहतरा हहै! वह तश्रीनर भपुवनर कप्रे
स्वरामश्री लक्ष्मरजश्री कगो नहहीं जरानतरा।

षष सगोपरान- ररावर मपूच्छरार्ण, ररावर यज हवध्वमंस, रराम-ररावर यद पु


दगोहरा :
* दप्रेहख पवनसपुत धरायउ बगोलत बचन कठगोर।
आवत कहपहह हन्यगो तप्रेहहमं मपुहष्टि पहरार पघगोर॥83॥
भरावरारर्ण:- यह दप्रेखकर पवनपपुत्र हनपुमरानमजश्री कठगोर वचन बगोलतप्रे हह ए दरौडप्रे। हनपुमरानमजश्री कप्रे आतप्रे हश्री
ररावर नप्रे उन पर अत्यमंत भयमंकर घपूस हूँ प्रे करा पहरार हकयरा॥83॥
चरौपराई:
* जरानपु टप्रेहक कहप भपूहम न हगररा। उठरा सहूँभरारर बहह त ररस भररा॥
मपुहठकरा एक तराहह कहप मराररा। परप्रेउ सहैल जनपु बज्र पहराररा॥ 1॥
भरावरारर्ण:- हनपुमरानमजश्री घपुटनप्रे टप्रेककर रह गए, पमृथ्वश्री पर हगरप्रे नहहीं और हफिर कगोध सप्रे भरप्रे हहए
समंभलकर उठप्रे। हनपुमरानमजश्री नप्रे ररावर कगो एक घपूहूँसरा मराररा। वह ऐसरा हगर पडरा जहैसप्रे वज्र ककी मरार सप्रे
पवर्णत हगररा हगो॥1॥
* मपुरछरा गहै बहगोरर सगो जरागरा। कहप बल हबपपुल सरराहन लरागरा॥
हधग हधग मम परौरष हधग मगोहश्री। जजौं तमैं हजअत रहप्रेहस सपुरदगोहश्री॥ 2॥
भरावरारर्ण:-मपूच्छरार्ण भमंग हगोनप्रे पर हफिर वह जरागरा और हनपुमरानमजश्री कप्रे बडप्रे भरारश्री बल कगो सरराहनप्रे लगरा।
(हनपुमरानमजश्री नप्रे कहरा-) मप्रेरप्रे परौरष कगो हधक्करार हहै, हधक्करार हहै और मपुझप्रे भश्री हधक्करार हहै, जगो हप्रे
दप्रेवदगोहश्री! तपू अब भश्री जश्रीतरा रह गयरा॥2॥
* अस कहह लहछमन कहह हूँ कहप ल्यरायगो। दप्रेहख दसरानन हबसमय परायगो॥
कह रघपुबश्रीर समपुझपु हजयहूँ ररातरा। तपुम्ह कमृ तरामंत भच्छक सपुर त्ररातरा॥3॥
भरावरारर्ण:-ऐसरा कहकर और लक्ष्मरजश्री कगो उठराकर हनपुमरानमजश्री शश्री रघपुनरारजश्री कप्रे परास लप्रे आए। यह
दप्रेखकर ररावर कगो आश्चयर्ण हहआ। शश्री रघपुवश्रीर नप्रे (लक्ष्मरजश्री सप्रे) कहरा- हप्रे भराई! हृदय ममें समझगो,
तपुम कराल कप्रे भश्री भक्षक और दप्रेवतराओमं कप्रे रक्षक हगो॥3॥
* सपुनत बचन उहठ बहैठ कमृ परालरा। गई गगन सगो सकहत कररालरा॥
पपुहन कगोदमंड बरान गहह धराए। ररपपु सन्मपुख अहत आतपुर आए॥4॥
भरावरारर्ण:-यप्रे वचन सपुनतप्रे हश्री कमृ परालपु लक्ष्मरजश्री उठ बहैठप्रे। वह करराल शहक्त आकराश कगो चलश्री गई।
लक्ष्मरजश्री हफिर धनपुष-बरार लप्रेकर दरौडप्रे और बडश्री शश्रीघ्रतरा सप्रे शत्रपु कप्रे सरामनप्रे आ पहह हूँचप्रे॥4॥
छमंद :
* आतपुर बहगोरर हबभमंहज स्यमंदन सपूत हहत ब्यराकपुल हकयगो।
हगरमयगो धरहन दसकमंधर हबकलतर बरान सत बप्रेध्यगो हहयगो॥
सराररश्री दस पू र घराहल रर तप्रेहह तपुरत लमंकरा लहै गयगो।
रघपुबश्रीर बमंधपु पतराप पपुजमं बहगोरर पभपु चरनहन्ह नयगो॥
भरावरारर्ण:-हफिर उन्हरनप्रे बडश्री हश्री शश्रीघ्रतरा सप्रे ररावर कप्रे रर कगो चपूर-चपूर कर और सराररश्री कगो मरारकर
उसप्रे (ररावर कगो) व्यराकपुल कर हदयरा। सरौ बरारर सप्रे उसकरा हृदय बप्रेध हदयरा, हजससप्रे ररावर अत्यमंत
व्यराकपुल हगोकर पमृथ्वश्री पर हगर पडरा। तब दस पू ररा सराररश्री उसप्रे रर ममें डरालकर तपुरमंत हश्री लमंकरा कगो लप्रे
गयरा। पतराप कप्रे समपूह शश्री रघपुवश्रीर कप्रे भराई लक्ष्मरजश्री नप्रे हफिर आकर पभपु कप्रे चररर ममें परराम हकयरा।
दगोहरा:
* उहराहूँ दसरानन जराहग करर करहै लराग कछपु जग्य।
रराम हबरगोध हबजय चह सठ हठ बस अहत अग्य॥84॥
भरावरारर्ण:- वहराहूँ (लमंकरा ममें) ररावर मपूछरार्ण सप्रे जरागकर कपु छ यज करनप्रे लगरा। वह मपूखर्ण और अत्यमंत
अजरानश्री हठवश शश्री रघपुनरारजश्री सप्रे हवरगोध करकप्रे हवजय चराहतरा हहै॥84॥
चरौपराई :
* इहराहूँ हबभश्रीषन सब सपुहध पराई। सपहद जराइ रघपुपहतहह सपुनराई॥
नरार करइ ररावन एक जरागरा। हसद भएहूँ नहहमं मररहह अभरागरा॥ 1॥
भरावरारर्ण:-यहराहूँ हवभश्रीषरजश्री नप्रे सब खबर पराई और तपुरमंत जराकर शश्री रघपुनरारजश्री कगो कह सपुनराई हक
हप्रे नरार! ररावर एक यज कर रहरा हहै। उसकप्रे हसद हगोनप्रे पर वह अभरागरा सहज हश्री नहहीं मरप्रेगरा॥ 1॥
* पठवहह नरार बप्रेहग भट बमंदर। करहहमं हबधमंस आव दसकमंधर॥
परात हगोत पभपु सपुभट पठराए। हनपुमदराहद अमंगद सब धराए॥2।
भरावरारर्ण:- हप्रे नरार! तपुरमंत वरानर यगोदराओमं कगो भप्रेहजए, जगो यज करा हवध्वमंस करमें, हजससप्रे ररावर
यद पु ममें आवप्रे। परातद्धाःकराल हगोतप्रे हश्री पभपु नप्रे वश्रीर यगोदराओमं कगो भप्रेजरा। हनपुमरानम और अमंगद आहद सब
(पधरान वश्रीर) दरौडप्रे॥2॥
* करौतपुक कपू हद चढप्रे कहप लमंकरा। पहैठप्रे ररावन भवन असमंकरा॥
जग्य करत जबहहीं सगो दप्रेखरा। सकल कहपन्ह भरा कगोध हबसप्रेषरा॥ 3॥
भरावरारर्ण:-वरानर खप्रेल सप्रे हश्री कपू दकर लमंकरा पर जरा चढप्रे और हनभर्णय हगोकर ररावर कप्रे महल ममें जरा
घपुसप्रे। ज्यर हश्री उसकगो यज करतप्रे दप्रेखरा, त्यर हश्री सब वरानरर कगो बहह त कगोध हह आ॥3॥
* रन तप्रे हनलज भराहज गमृह आवरा। इहराहूँ आइ बक ध्यरान लगरावरा।
अस कहह अमंगद मराररा लरातरा। हचतव न सठ स्वरारर मन ररातरा॥4॥
भरावरारर्ण:- (उन्हरनप्रे कहरा-) अरप्रे ओ हनलर्णज! ररभपूहम सप्रे घर भराग आयरा और यहराहूँ आकर बगपुलप्रे
करा सरा ध्यरान लगराकर बहैठरा हहै? ऐसरा कहकर अमंगद नप्रे लरात मरारश्री। पर उसनप्रे इनककी ओर दप्रेखरा भश्री
नहहीं, उस दष्टिपु करा मन स्वरारर्ण ममें अनपुरक्त ररा॥4॥
छमंद :
* नहहमं हचतव जब करर कगोप कहप गहह दसन लरातन्ह मरारहहीं।
धरर कप्रे स नरारर हनकरारर बराहप्रेर तप्रेऽहतदश्रीन पपुकरारहहीं॥
तब उठप्रेउ कपु द कमृ तरामंत सम गहह चरन बरानर डरारई।
एहह बश्रीच कहपन्ह हबधमंस कमृ त मख दप्रेहख मन महह हूँ हरारई॥
भरावरारर्ण:-जब उसनप्रे नहहीं दप्रेखरा, तब वरानर कगोध करकप्रे उसप्रे दरातहूँ र सप्रे पकडकर (कराटनप्रे और)
लरातर सप्रे मरारनप्रे लगप्रे। हस्त्रयर कगो बराल पकडकर घर सप्रे बराहर घसश्रीट लराए , वप्रे अत्यमंत हश्री दश्रीन हगोकर
पपुकरारनप्रे लगहीं। तब ररावर कराल कप्रे समरान कगोहधत हगोकर उठरा और वरानरर कगो पहैर पकडकर पटकनप्रे
लगरा। इसश्री बश्रीच ममें वरानरर नप्रे यज हवध्वमंस कर डरालरा, यह दप्रेखकर वह मन ममें हरारनप्रे लगरा। (हनरराश
हगोनप्रे लगरा)।
दगोहरा :
* जग्य हबधमंहस कपु सल कहप आए रघपुपहत परास।
चलप्रेउ हनसराचर कपुम

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