वै दक यो तष म काहल योग क च लत प रभाषा के अनुसार य द कसी कंु डल$ म तीसरे घर का
&वामी 'ह तथा दसव घर का &वामी 'ह एक दस ू रे से के+, म ि&थत ह. अथा/त एक दस ू रे से 1, 4, 7 अथवा 10व घर म ि&थत ह. तथा कंु डल$ के पहले घर का &वामी अथा/त ल0नेश बल हो तो ऐसी कंु डल$ म काहल योग बनता है जो जातक को साहस, परा5म आ द जैसे गण ु दान करता है िजसके चलते ऐसे जातक पु लस बल, सेना बल तथा अ+य कार के सुर8ा बल. म सफल दे खे जाते ह;। कुछ वै दक यो तषी यह मानते ह; क य द कसी कंु डल$ म तीसरे घर का &वामी 'ह ब& ृ प त से के+, म ि&थत हो, तो भी कंु डल$ म काहल योग का नमा/ण होता है । क+तु वा&त?वकता म बहुत सी कंु ड लय. म इस कार का काहल योग बनने के पAचात भी इसके साथ जुड़े शुभ फल दे खने को नह$ं मलते बिCक कुछ कंु ड लय. म तो DबCकुल ?वपर$त फल भी दे खने को मलते ह; िजनके चलते इस योग क प रभाषा म भी संशोधन क आवAयकता है । अ+य सभी शुभ योग. क भां त ह$ काहल योग के नमा/ण के लए भी कंु डल$ म तीसरे घर के &वामी 'ह तथा दसव घर के &वामी 'ह दोन. का ह$ शभ ु होना अ त आवAयक है Fय. क इन दोन. 'ह. म से कसी एक के अथवा दोन. के ह$ अशुभ होने क ि&थ त म कंु डल$ म काहल योग न बनकर कसी कार का अशुभ योग बन जाएगा िजसके कारण जातक को ?व भ+न कार क सम&याओं का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लए कसी कंु डल$ म तीसरे घर के &वामी 'ह तथा दसव घर के &वामी 'ह के अशुभ होकर एक दस ू रे से के+, म ि&थत हो जाने पर कंु डल$ म शुभ काहल योग न बनकर अशभ ु योग बनेगा िजसके भाव म आने वाला जातक अपराधी भी बन सकता है। इस लए अमल योग क भां त ह$ कसी कंु डल$ म काहल योग के नमा/ण का नAचय करने से पव ू / भी इस योग को बनाने वाले 'ह. के कंु डल$ म &वभाव, बल तथा ि&थ त आ द का भल$ भां त नर$8ण कर लेना चा हए तथा तIपAचात ह$ कंु डल$ म काहल योग का नमा/ण तथा इसके शुभ फल नधा/ रत करने चा हएं।