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वैवा हक सख

ु के सू धार ह - शु , मंगल, एवं वह


ृ पत

वैवा हक जीवन म प त एक सू धार क भू मका नभाते है , जब ह का साथ हो तो ये वैवा हक


जीवन अ सर एवं सुख एवं स"प#नता के साथ प$रल&'त होकर सफल होता है , कोई कमी
महसूस नह*ं होती। जातक / जा तका के कु,डल* से दांप/य सुख का 0वचार शु3, मंगल, एवं
वह
ृ 6प त ग ्रह पर आधा$रत है , इन ह: का साथ;क एवं शुभ/व <भाव से वैवा हक जीवन सुखी
संप#न होता है । इन तीन: ह: के आधार को समझकर जातक / जा तका के वैवा हक जीवन
क स"प#नता के बारे म सभी कुछ जाना। आज यहाँ हम दा"प/य सुख क जीवन से जुडे कुछ
त@य बताने क को शश कर रहा हूँ।

शु3 ह का आधार ह* वैवा हक जीवन म <भावी भू मका नभाते हA :::::::: शु3 ह वैवा हक
जीवन के कारक ह हA, वैवा हक सुख क <ािCत के लये शु3 का कु,डल* म ि6थर एवं शुभ/व
<भाव अ/यंत आवDयक है , जब प त-प/नी दोन: क ह* कु,डल* म शु3 पूण; Fप से पाप <भाव
से मुGत हो तब ह* 0ववाह के बाद संब#ध: म सुख क संभावनाएं बनती है , इसके साथ-साथ
शु3 का पूण; बल* व शुभ होना भी जHर* होता है । कु,डल* म शु3 का Iकसी भी अशुभ ि6थ त
म होना प त अथवा प/नी म से Iकसी के जीवन साथी के अलावा अ#य संब#ध: क ओर
झुकाव होने क संभावनाएं बना दे ता है , लोग बाहर* <भाव म आ जाते हA, इस लये शु3 क शुभ
ि6थ त दा"प/य जीवन के सुख को <भा0वत करती है । कु,डल* म शु3 क शुभाशुभ ि6थ त के
आधार पर ह* दा"प/य जीवन म आने वाले सुख का आकलन Iकया जा सकता है , इस लये जब
शु3 बल* ह:, पाप <भाव से मुGत ह:, Iकसी उLच ह के साथ Iकसी शुभ भाव म बैठा ह: तो,
अथवा शुभ ह से N्Oट ह: तो दा"प/य सुख म कमी नह*ं होती है । उपरोGत ये योग जब
कु,डल* म नह*ं होते है . तब ि6थ त इसके 0वपर*त होती है , शु3 अगर 6वयं बल* है , 6व अथवा
उLच रा श म ि6थत है , के#Q या R कोण म ह: तब भी अLछा दा"प/य सुख वैवा हक जीवन
<दान करता है । इसके 0वपर*त जब R क भाव, नीच का अथवा श ु 'े म बैठा ह:, अ6त
अथवा Iकसी पापी ह से N्Oट अथवा पापी ह के साथ म बैठा ह: तब दा"प/य जीवन के लये
अशुभ योग बनता है . यहां तक क ऎसे योग के कारण प त-प/नी के अलगाव क ि6थ त भी
उ/प#न हो सकती है । इसके अलावा शु3, मंगल का स"ब#ध TयिGत क अ/यUधक FUच
वैवा हक स"ब#ध: म होने क स"भावनाएं बनाती है , यह योग इन संब#ध: म TयिGत के
हंसक <व ृ ् त अपनाने का नज$रया बना दे ता है । 0ववाह के समय कु,ड लय: क जांच करते
समय शु3 का भी गहराई से अVययन ह* करके ह* 0ववाह तय बताएं।

मंगल ह का वैवा हक जीवन भू मका :::::::: मंगल ह को Rबना जांच Iकये 0ववाह के प' से
कु,ड लय: का फ लत बताना सट*क नह*ं होता, भावी वर-वधू / दं पि/त क कु,ड लय: का
0वDलेषण करते समय सबसे पहले कु,डल* म मंगल ह क ि6थ त को जाना जाता है । मंगल
Iकन भाव: म ि6थत है , कौन से ह: से NिOट संब#ध बना रहा है तथा Iकन ह: से यु त संब#ध
म है इन सभी बात: को बार*क से जांच करना जHर* होता है । मंगल ह के सहयोग से
मांग लक योग का नमा;ण होता है , वैवा हक जीवन म मांग लक योग को इतना अUधक
मह/वपूण; बना दया गया है Iक जो लोग Yयो तष शा6 म 0वDवास नह*ं करते है , अथवा
िज#ह 0ववाह से पूव; कु,ड लय: क जांच करना अनुकुल नह*ं लगता है वे भी यह जान लेना
चाहते है Iक वर-वधू क कु,ड लय: म मांग लक योग बन रहा है या नह*ं, नह*ं तो बाद म
पछताने सवा कुछ नह*ं बचता। 0ववाह के बाद सभी दा"प/य जीवन म सुख क कामना करते
है , जबIक मांग लक योग से इन इसम कमी होती है , उ/तर भारतीय SYSTEM के अनुसार
अनुसार जब मंगल कंु ,डल* के लZन, [0वतीय, चतुथ,; सCतम, अOटम व [वादश भाव म
ि6थत हो तो TयिGत मांग लक होता है , पर#तु मंगल का इन भाव: म ि6थत होने के अलावा भी
मंगल के कारण वैवा हक जीवन के सुख म कमी आने क अनेक संभावनाएं बनती है , इसको
जानना अ/यंत आवDयक है । अनेक बार ऎसा होता है Iक कु,डल* म मांग लक योग बनता है ,
पर#तु कु,डल* के अ#य योग: से इस योग क अशुभता म कमी हो रह* होती है , ऎसे म अपूण;
जानकार* के कारण वर-वधू अपने मन म मांग लक योग से <ाCत होने वाले अशुभ <भाव को
लेकर भयभीत होते रहते है , तथा बेवजह क बात: को लेकर अनेक <कार के \म भी बनाये
रखते है , जो सह* नह*ं है 0ववाह के बाद एक नये जीवन म <वेश करते समय मन म दा"प/य
जीवन को लेकर Iकसी भी <कार का \म नह*ं रखना चा हए।
वह
ृ 6प त ह के आधार ह* क वैवा हक जीवन म अ/यंत भू मका नभाते है :::::::: सुखी
दा"प/य जीवन के लये भावी द"प त क ज#मकंु डल* म वह
ृ 6प त ह पाप <भाव से मुGत हो
ये अ/यंत जHर* है । वह
ृ 6प त ह क शुभ/व N्िOट सCतम भाव पर ह: तो वैवा हक जीवन म
परे शा नय: व दGकत: के बाद भी Rबखराव / अलगाव क ि6थ त उ/प#न नह*ं होती। वह
ृ 6प त
दे व दा"प/य जीवन क बाधाओं को दरू करने के साथ-साथ संतान के कारक ह भी हA,
ज#मकंु डल* म वह
ृ 6प त दे व पी]डत ह: तो सव;<थम तो 0ववाह म 0वल"ब होता है तथा उसके
बाद संतान सुख <ािCत म भी परे शा नय: का सामना करना। सुखी दा"प/य जीवन के लये
संतान का समय पर होना अ/यंत आवDयक है 0ववाह के बाद सव;<थम संतान के बारे म ह*
वैवा हक जोड़ा 0वचार करता है । वह
ृ 6प त दे व पापी ह के <भाव से द0ू षत ह: तो संतान <ािCत
म भी बाधाएं आ जाती है , जब गुF पर पाप <भाव ह: तथा गुF पापी ह क रा श म भी ि6थत
ह: तो निDचत Fप से दा"प/य जीवन म अनेक <कार क सम6याय आती ह* है ।

आप सभी लोगो से कहना चाहूंगा क Iकसी भी होने वाले भावी दं पि/त वैवा हक जोड़ा को
0ववाह से पहले जHर से कंु डल* मलान या ह6तरे खा मलान कर मांग लक दोष को जान कर
समझकर कर। अगर मांग लक दोष हो तो आप उसका नवारण कराकर ह* 0ववाह करने का
सलाह द। 0ववाह बार बार नह*ं होता ये एक जीवन का गठजोर है एक बार हुवा तो सफल रह
ठ_क है पर अगर परे शानी, अलगाव, बात: का मतभेद हुवा तो इसे संभालना बहुत मुिDकल है
इस लए जHर से कंु डल* मलान कर ह* शाद* का 0वचार बनाएं।

Online सु0वधा
ह6तरे खा0वद, Yयो तष0वद एवं वा6तुशा6 0वशेष`

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