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कोई यि त अपना घर बना पाएगा या नह ं, इसके लए न न

यो तषीय योग का यान रखा जाता है ।

कसी यि त क संपि त का व लेषण करने के लए कंु डल के चतुथ


भाव का अ ययन कया जाता है । चतुथ भाव अचल और चल संपि तय
का मु य भाव है । इसी भाव से संपि त क खर द और ब दोन को
दे खा जा सकता है । पाराशर होरा शा को वै दक यो तष क भागवत
गीता माना जाता है इस शा म ऐसे कई योग है जो घर खर दने के
वषय म बताते है । चौथा भाव संपि त, मन क शां त, माँ, गह
ृ जीवन,
व-सं ेषण, पैतक
ृ गण
ु , सामा य खश
ु ी और कुछ अ य वषय का भाव
है । इसके साथ ह यह मु य प से संपि त का भाव भी है ।

• य द चतुथ भाव का वामी ल न वामी के साथ हो और आय भाव हो


तो यि त के पास कई घर हो सकते ह।

• य द परा म भाव म बुध ि थत हो और चतुथ भाव का वामी भी


सुि थर हो तो यि त सुंदर घर का नमाण कराता है ।

• य द चतुथ भाव का वामी व-नवांश म हो या उ च रा श का हो तो


जातक को भू म, वाहन, गह
ृ आ द का वा म व ा त होता है ।

• जो ह चतथ
ु भाव म ि थत ह उन ह के पास भी संपि त दे ने क
शि त होती है ।

• य द चतथ
ु भाव का वामी म रा श म ि थत हो, नवांश या ल न
दोन कंु लय म हो तो घर के योग म यह शुभ योग है ।

• कोण भाव म नवमेश का होना और चतुथश का अपने म क रा श


म होना एक अ छा घर दे सकता है ।

• य द चतुथ भाव का वामी मंगल या श न या शु से यु त हो तो भी


जातक को अपना घर ा त हो सकता है ।

• घर खर दने के लए मंगल, शु , बह
ृ प त क दशा अव ध अनक
ु ूल
होती है ।

गह
ृ , भू म, संपि त के लए न न ह को दे खा जाता ह-

• मंगल - अचल संपि त का कारक ह मंगल है । इसका शभ


ु भाव
चतुथ भाव चतुथश पर होना एक अ छे घर का संकेत दे ता है ।

•शन-शन ह है जो भू म, पुराने घर यानी पुनखर द वाला घर दे ता


है । इसके अलावा श न गोचर म जब चतुथ भाव को स य करता है
तब घर के नमाण काय पण
ू होते है ।
• शु - शु का बल अव था म चतुथ / चतथ
ु श को भा वत करना
एक भ य घर होने का सूचक है ।

• 1, 2, 4, 11 घर ऐसे भाव ह जो जमीन या संपि त होने का संकेत दे ते


ह।

कु भ 2021 म शव शंकर को कर स न कराएं ा भषेक, सम त


क ट ह गे दरू

• ल न भाव, वह भाव है जो यि त के वयं क यो यता और शार रक


मता दशाता है । शार रक प से व थ होने के बाद ह कोई यि त
अपना घर या अपने जीवन क योजनाओं को पूरा कर सकता है ।

• दस
ू रा भाव - यह यि त के बक बैलस का भाव है । अगर कसी के
पास धन नह ं होगा तो आप घर नह ं खर द पाएंगे।

• चौथा घर - चौथा भाव संपि त, खुशी और वाहन का भाव होता है । इस


कार इस भाव क ि थ त को दे श या वदे श, कस थान पर संपि त
होगी यह जानने के लए दे खा जाता है ।

• यारहवां घर - यह लाभ और इ छाओं क पू त का मु य भाव है । यह


वह भाव है जो यह तय करता है क आपको खुद के घर क खुशी होगी
या नह ं। अपना घर कब ा त होगा इसके लए महादशा का वचार
कया जाता है । कसी यि त के पास मूलसंपि त होगी या नह ं यह
महादशा तय करती है ।

• चतुथश, वतीयेश, एकादशेश और नवमे फ़ क दशाएं यि त को घर


दे ने म स म होती है ।

• अपना घर कस आयु म मलेगा इसके लए न न प से ह का


अ ययन कया जाता ह। जब कोई ह बल , उ च थ, मूल कोण और
मजबूत ि थ त म होकर चतुथश, चतुथ भाव, आयेश, नवमेश और
वतीयेश को भा वत कर तो ऐसा ह घर दे ने क यो यता रखता है ।
जैसे-

• कम आयु म घर दान करने का काय चं ह करता है ।

• म यम आयु म घर दान करने के लए सय


ू और मंगल का अ ययन
कया जाता है ।

• सूय उ तरायन म और चं जीवन के ारि भक वष म घर दे ता है ।

• बुध 32 से 36 क आयु म घर दे सकता है ।

• बह
ृ प त, शु और राहु कम उ म संपि त दे सकते ह।
• श न संपि त 44 क आयु के बाद और केतु 52 साल बाद भी दे सकता
है ।

अ य योग

• घर हे तु भू म य करने के लए, कंु डल का चौथा भाव मजबत


ू होना
चा हए।

• जमीन या संपि त ा त करने के लए मंगल और चौथा भाव


मह वपूण कारक माना गया है । इस लए, कसी यि त क कंु डल म
मंगल क ि थ त मजबत
ू और शुभ होनी चा हए।

• जब मंगल कंु डल म चौथे भाव के साथ संबध


ं बनाता है तो यि त
अपने जीवन म कभी न कभी जमीन या संपि त खर दने क ि थ त म
आता है ।

एक अ छा घर बनाने क इ छा हर यि त के जीवन क चाह होती है . यि त


कसी ना कसी तरह से जोड़-तोड़ कर के घर बनाने के लए यास करता ह
है . कुछ ऎसे यि त भी होते ह जो जीवन भर यास करते ह ले कन क ह ं
कारणो से अपना घर फर भी नह ं बना पाते ह. कुछ ऎसे भी होते ह िज ह
संपि त वरासत म मलती है और वह वयं कुछ भी नह ं करते ह. बहुत से
अपनी मेहनत से एक से अ धक संपि त बनाने म कामयाब हो जाते ह. ज म
कंु डल के ऎसे कौन से योग ह जो मकान अथवा भू म अिजत करने म सहायक
होते ह, उनके बारे म आज इस लेख के मा यम से जानने का यास करे ग.

 वयं क भू म अथवा मकान बनाने के लए चतथ


ु भाव का बल होना आव यक
होता है, तभी यि त घर बना पाता है .
 मंगल को भू म का और चतुथ भाव का कारक माना जाता है, इस लए अपना
मकान बनाने के लए मंगल क ि थ त कंु डल म शुभ तथा बल होनी चा हए.
 मंगल का संबंध जब ज म कंु डल म चतुथ भाव से बनता है तब यि त अपने
जीवन म कभी ना कभी खुद क ॉपट अव य बनाता है.
 मंगल य द अकेला चतुथ भाव म ि थत हो तब अपनी ॉपट होते हुए भी
यि त को उससे कलह ह ा त होते ह अथवा ॉपट को लेकर कोई ना कोई
ववाद बना रहता है .
 मंगल को भू म तो श न को नमाण माना गया है . इस लए जब भी
दशा/अ तदशा म मंगल व श न का संबंध चतथ
ु /चतथ
ु श से बनता है और कंु डल
म मकान बनने के योग मौजद
ू होते ह तब यि त अपना घर बनाता है .
 चतथ
ु भाव/चतथ
ु श पर शभ
ु ह का भाव घर का सख
ु दे ता है .
 चतुथ भाव/चतुथश पर पाप व अशुभ हो का भाव घर के सख
ु म कमी दे ता
है और यि त अपना घर नह बना पाता है .
 चतुथ भाव का संबंध एकादश से बनने पर यि त के एक से अ धक मकान हो
सकते ह. एकादशेश य द चतुथ म ि थत हो तो इस भाव क व ृ करता है
और एक से अ धक मकान होते ह.
 य द चतुथश, एकादश भाव म ि थत हो तब यि त क आजी वका का संबंध
भू म से बनता है .
 कंु डल म य द चतथ
ु का संबंध अ टम से बन रहा हो तब संपि त मलने म
अड़चने हो सकती ह.
 ज म कंु डल म य द बह
ृ प त का संबंध अ टम भाव से बन रहा हो तब पैतक

संपि त मलने के योग बनते ह.
 चतुथ, अ टम व एकादश का संबंध बनने पर यि त जीवन म अपनी संपि त
अव य बनाता है और हो सकता है क वह अपने म के सहयोग से मकान
बनाएं.
 चतुथ का संबंध बारहव से बन रहा हो तब यि त घर से दरू जाकर अपना
मकान बना सकता है या वदे श म अपना घर बना सकता है .
 जो योग ज म कंु डल म दखते ह वह योग बल अव था म नवांश म भी
मौजद
ू होने चा हए.
 भू म से संबं धत सभी योग चतथ
ु ाश कंु डल म भी मलने आव यक ह.
 चतथ
ु ाश कंु डल का ल न/ल नेश, चतथ
ु भाव/चतथ
ु श व मंगल क ि थ त का
आंकलन करना चा हए. य द यह सब बल ह तब यि त मकान बनाने म
सफल रहता है .
 मकान अथवा भू म से संबं धत सभी योगो का आंकलन ज म कंु डल , नवांश
कंु डल व चतुथाश कंु डल म भी दे खा जाता है . य द तीन म ह बल योग ह
तब बना कसी के कावट के घर बन जाता है . िजतने बल योग होग उतना
अ छा घर और योग िजतने कमजोर होते जाएंग,े घर बनाने म उतनी ह अ धक
परे शा नय का सामना करना पड़ सकता है .
 ज म कंु डल म य द चतुथ भाव पर अशभ
ु श न का भाव आ रहा हो तब
यि त घर के सख
ु से वं चत रह सकता है . उसका अपना घर होते भी उसम
नह रह पाएगा अथवा जीवन म एक थान पर टक कर नह रह पाएगा. बहुत
यादा घर बदल सकता है .
 चतुथ भाव का संबंध छठे भाव से बन रहा हो तब यि त को जमीन से
संबं धत कोट-केस आ द का सामना भी करना पड़ सकता है.
 वतमान समय म चतुथ भाव का संबंध छठे भाव से बनने पर यि त बक से
लोन लेकर या कसी अ य थान से लोन लेकर घर बनाता है .
 चतुथ भाव का संबंध य द दस
ू रे भाव से बन रहा हो तब यि त को अपनी
माता क ओर से भू म लाभ होता है .
 चतुथ का संबंध नवम से बन रहा हो तब यि त को अपने पता से भू म लाभ
हो सकता है .

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