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मॉरीशस में भारतीय संस्कृतत

हहिं द महासागर के तट पर स्थित बेहद खू बसू रत दे श मॉरीशस। पू री तरह भारतीय रिं ग में रिं गा। सु दूर
क्षे त्र के इस दे श में भारतीय सिं स्कृहत के फलने -फूलने का अनू ठा माध्यम आज भी बैठका है । 183
साल पहले औपहनवे हशक काल में भारत से यहािं पहिं चे मजदू रोिं में कुछ जागरूक लोगोिं ने अपने सु ख-
दु ख साझा करने का जो मिं च बनाया यही बैठका नाम से प्रचहलत हआ। इसी बैठका की वजह से
भारतीय सिं स्कृहत, परिं परा, सामाहजकता, धाहमि कता, सिं स्कृहत व राजनीहतक गहतहवहधयोिं के प्रहत
प्रवासी भारतीयोिं में अलख जगी।

मॉरीशस में ज्यादातर भारतीयोिं के घर के बाहर मिंहदर हदख जाता है । बावजू द इसके पाश्चात्य सभ्यता
के प्रभाव से कहीिं न कहीिं बैठका का प्रभाव कम हआ है । हालािं हक आयि समाज की ओर से तमाम
जगहोिं पर ऐसी बैठकाओिं का आयोजन अब भी हकया जाता है । इसके जररये यु वा पीढी को हहिं दी व
भारतीयता का पाठ पढाया जा सके।

मॉरीशस के साहहत्यकार व शोधकताि राजे श कुमार उदय कहते हैं , यु वा पीढी को अपनी जडोिं से जोडे
रखना बेहद जरूरी है । इसहलए कोहशश रहती है हक बै ठका का आयोजन जारी रहे । भारतीय सिं स्कृहत
के प्रहत समझ हवकहसत करने और चे तना जगाने का यह अनू ठा माध्यम रहा है , और है । आज मॉरीशस
में अप्रवासी भारतीयोिं जो प्रगहत है , उसका श्रे य भी बैठका को ही जाता है । छह वर्षों से मॉरीशस में
अिं तरराष्ट्रीय हहिं दी सम्मे लन का आयोजन करने वाले वररष्ठ पत्रकार व साहहत्यकार डॉ. हदवाकर भट्ट
कहते हैं , वै हदक सिं स्कृहत को पु स्ित-पल्लहवत करने के हलए आयोहजत होने वाले बैठ का को ले कर
आज भी सिं वेदनशील लोग हचिं हतत रहते हैं । यहािं के साहहत्यकार ऐसे आयोजनोिं को ले कर प्रयासरत हैं ।

बॉलीवु ड की जु बान है मॉरीशस


मॉरीशस की भार्षा भले ही हियोल हो, लेहकन उनकी जु बान पर बॉलीवु ड छाया रहता है । हफल्मकारोिं
के नाम हो या हफल्मोिं के डायलॉग अक्सर यहािं के प्रवासी भारतीयोिं के मुिं ह से सु ने जा सकते हैं । बॉलीवु ड
प्रवासी भारतीयोिं में हहिं दी के फलने -फूलने का सबसे बडा माध्यम है ।

तहं दी शब्द अन्य भाषाओं में भी हुए तमक्स


मॉरीशस में रहने वाले प्रवासी भारतीयोिं का पररधान भले ही वे स्टनि हो गया हो लेहकन धाहमिक व
सािं स्कृहतक आयोजनोिं में पु रुर्ष धोती कुताि महहलाएिं साडी ही पहनती हैं । मॉरीशस की अन्य भार्षाओिं में
भी धोती साडी शब्द ही प्रचहलत हो गया है । साहहत्यकार धमिवीर गिंगू ने बताया, दालपू री हो या लड् डू,
हबहार व पू वी उत्तर प्रदे श के तमाम ऐसे शब्द हैं जो अन्य भार्षाओिं के लोग भी खु लकर बोलने लगे हैं ।

तदवाकर भट्ट को मॉरीशस में तवश्व तहं दी गौरव सम्मान


अिं तरराष्ट्रीय हहिं दी सम्मे लन में हल्द्वानी के वररष्ठ पत्रकार डॉ. हदवाकर भट्ट को हवश्व हहिं दी गौरव सम्मान
से नवाजा गया। मॉरीशस के प्रधानमिंत्री प्रहविं द जगन्नाि ने यह सम्मान दु हनया में हहिं दी के व्यापक प्रचार-
प्रसार के हलए हदया।

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