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वाक्ाांश के लिए एक शब्द

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1. जजसका जन्भ नह ॊ होता – अजन्भा
2. ऩुस्तकेआ की सभीऺा कयने वारा सभीऺक –आरोचक
3. जजसे गगना न जा सके – अगजणत
4. जो कुछ बी नह ॊ जानता हो –अऻ
5. जो फहुत थोडा जानता हो- अल्ऩऻ
6. जजसकी आशा न की गई हो – अप्रत्मागशत
7. जो इजन्िमेआ से ऩये हो - अगोचय
8. जो ववधान के ववऩय त हो – अवैधागनक
9. जो सॊववधान के प्रगतकूर हो - असॊवध
ै ागनक
10. जजससे ककसी प्रकाय की हागन न हो— गनयाऩद
11. जजसके अवमव न हो— गनयवमव
12. जॊगर की आग – दावाजनन
13. गोद गरमा हुआ ऩुत्र – दत्तक
14. वफना ऩरक झऩकाए हुए – गनगनिभेष
15. जजसभें कोई वववाद ह न हो – गनवविवाद
16. जो गनन्दा के मोनम हो – गनन्दनीम
17. भाॊस यकहत बोजन- गनयागभष
18. यावत्र भें ववचयण कयने वारा- गनशाचय
19. ककसी ववषम का ऩूणि ऻाता – ऩायॊ गत
20. ऩृथ्वी से सम्फजन्धत – ऩागथिव
21. ऩहनने रामक हो— ऩरयधेम
22. जो भाऩा जा सके— ऩरयभेम
23. ककसी प्रद्ल का तत्कार उत्तय दे सकने वारी भगत— प्रत्मुत्ऩन्नभगत
24. वह ध्वगन जो कह ीँ से टकयाकय आए— प्रगतध्वगन
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25. जो ककसी भत को सविप्रथभ चराता है — प्रवतिक
26. वह स्त्री जजसके हार ह भेँ गशशु उत्ऩन्न हुआ हो— प्रसूता
27. वह आकृ गत जो ककसी शीशे, जर आकद भेँ कदखाई दे — प्रगतवफम्फ
28. हास्म यस से परिपूर्ण नाकटका— प्रहसन
29. प्रभाण द्राया गसद्ध कयने मोनम— प्रभेम
30. सॊध्मा के फाद व यावत्र होने के ऩूवि का सभम— प्रदोषऩूवयि ात्र/
31. ऻान नेत्र से दे खने वारा अॊधा व्मवि— प्रऻाचऺु
32. सबा भेँ ववचायाथि प्रस्तुत फात— प्रस्ताव
33. जजसे बरे -फुये का ऻान न हो – अवववेकी
34. जजसके सभान कोई दस
ू या न हो - अकद्रतीम
35. जजसे वाणी व्मि न कय सके – अगनविचनीम
36. जैसा ऩहरे कबी न हुआ हो - अबूतऩूवि
37. जो व्मथि का व्मम कयता हो – अऩव्ममी
38. फहुत कभ खचि कयने वारा – गभतव्ममी
39. सयकाय गजट भें छऩी सूचना - अगधसूचना
40. जजसके ऩास कुछ बी न हो - अककॊचन
41. दोऩहय के फाद का सभम – अऩयाह्न
42. इॊ किमेअ की ऩहॉु च से फाहय— अतीजन्ि/इजन्िमातीत
43. सीभा का अनुगचत उल्रॊघन— अगतक्रभण
44. जजसकी गहयाई का ऩता न रग सके— अथाह
45. जो आज तक से सम्फन्ध यखता है — अद्यतन
46. आदे श जो गनजद्ळत अवगध तक रागू हो— अध्मादे श
47. जजस ऩय ककसी ने अगधकाय कय गरमा हो— अगधकृ त
48. .ककसी सम्प्रदाम का सभथिन कयने वारा— अनुमामी
49. ककसी प्रस्ताव का सभथिन कयने की कक्रमा— अनुभोदन
50. जजसका जन्भ गनम्न वणि भेँ हुआ हो— अॊत्मज

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51. ऩयम्ऩया से चरी आई कथा— अनुश्रगु त
52. जजसका कोई दस
ू या उऩाम न हो— अनन्मोऩाम
53. वह बाई जो अन्म भाता से उत्ऩन्न हुआ हो— अन्मोदय
54. धयती को धायण कयने वारा ऩवित— बूधय
55. औषगधमेअ का जानकाय— बेषज
56. प्रात्कार गामा जाने वारा याग— बैयवी
57. जजसके स्भयण भात्र से ह शत्रु का नाश हो/शत्रु का नाश कयने वारा—
शत्रुघ्न
58. जजसका कोई आकद औय अॊत न हो— शाद्वत
59. जजस शब्द के दो अथि हेअ— गशरद्श
60. अनुसॊधान के गरए कदमा जाने वारा अनुदान— शोधवृवत्त
61. छह–छह भाह भेँ होने वारा— षण्भागसक
62. सोरह वषि की अवस्था वारी स्त्री— षोडशी
63. जो सभाचाय बेजता है — सॊवाददाता
64. एक ह भाॉ से उत्ऩन्न बाई/फहन— सहोदय/सहोदया
65. सात सौ दोहेअ का सभूह— सतसई
66. जो गुण–दोषेअ का वववेचन कयता हो— सभारोचक
67. जो सभान आमु का हो— सभवमस्क
68. जो सबी को सभान दृवद्श से दे खता हो— सभदशी
69. साकहजत्मक गुण–दोषेअ की वववेचना कयने वारा— सभीऺक
70. वह स्त्री जजसका ऩगत जीववत हो— सधवा
71. जो सदा से चरा आ यहा हो— सनातन
72. सूमोदम के ऩहरे का सभम— बोय
73. पूरेअ का यस— भकयॊ द
74. दोऩहय का सभम— भध्माह्न
75. सदी भेँ होने वारी वषाि— भहावटभावम/

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76. जो जन्भ रेते ह गगय मा भय गमा हो— आजन्भऩात
77. वह कवव जो तत्कार कववता कय सके— आशुकवव
78. ऩववत्र आचयण वारा— आचायऩूत
79. ककन्ह ीँ घटनाओीँ का कारक्रभ से ककमा गमा वणिन— इगतवृत्त
80. उत्तय औय ऩूवि के फीच की कदशा— ईशानईशान्म/
81. ऩवित की गनचरी सभतर बूगभ— उऩत्मका
82. दस
ू ये के खाने से फची वस्तु— उजछछद्श
83. ककसी बी गनमभ का ऩारन नह ीँ कयने वारा— उछछृॊखर
84. वह ऩवित जहाॉ से सूमि औय चन्िभा उकदत होते भाने जाते हेः —उदमाचर
85. जजसके ऊऩय ककसी का उऩकाय हो— उऩकृ त
86. जो छाती के फर चरता हो )साॉऩ आकद(— उयग
87. जजसने अऩना ऋण ऩूया चुका कदमा हो— उऋण
88. जजसका ऊऩय कथन ककमा गमा हो— उऩमुि
ि
89. ववचायेअ का ऐसा प्रवाह जजससे कोई गनष्कषि न गनकरे— ऊहाऩोह
90. जजसने भृत्मु को जीत गरमा हो— भृत्मुॊजम
91. कभर की डॊ ड — भृणार
92. जो यचना ककसी व्मवि की अऩनी स्वमॊ की हो एवॊ नई हो— भौगरक
93. जुडवाॉ बाई मा फहन— मभरमभरा/
94. यॊ गभॊच का ऩयदा— मवगनका
95. जो मॊत्र से सॊफॊगधत हो— माॊवत्रक
96. जफ तक जीवन यहे — मावज्जीवनजीवनऩमीत/
97. घूभ–घूभकय जीवन वफताने वारा— मामावय
98. सभाज को नई कदशा दे कय नए मुग की शुरुआत कयने वारा— मुगप्रवतिक
99. कई जगह से गभराकय इकट्मा ककमा हुआ— एकीकृ त
100. साॊसारयक वस्तुओीँ को प्राद्ऱ कयने की इछछा— एषणा
101. वह जस्थगत जो अॊगतक गनणािमक हो, गनजद्ळत— एकाॊगतक

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102. दो व्मविमेअ के फीच ऩयस्ऩय होने वारी फातचीत— कथोऩकथन
103. फतिन फेचने वारा— कसेया
104. जजसे अऩने भत मा ववद्वास का अगधक आग्रह हो— कट्टय
105. ऐसा अन्न जो खाने मोनम न हो— कदन्न
106. सुख एवॊ द्ु ख भेँ एक सभान यहने वारा— भनस्वी
107. जजसकी आॉखेँ भगय जैसी हो— भकयाऺ
108. ककसी भत का अनुसयण कयने वारा— भतानुमामी
109. दो ऩऺेअ के फीच भेँ ऩडकय पैसरा कयाने वारा— भखत्रातामऻयऺक/
110. जो फहुत ऊॉची अकाॊऺाइछछा यखता हो/— भहत्वाकाॊऺी
111. जजसकी फुवद्ध कभजोय है — भन्दफुवद्धभगतभान्द्य/
112. जजसकी आत्भा भहान हो— भहात्भा
113. ककसी चीज के भभि का ऻाता— भभिऻ
114. भध्मयावत्र का सभम— भध्मयात्र
115. भन का असीभ द्ु ख— भनस्ताऩ
116. जहाॉ केवर ये त ह ये त हो— भरुस्थर
117. भाॉस आकद खाने वारा— भाॉसाहाय
118. भाह भेँ होने वारा— भागसक
119. भाता की हत्मा कयने वारा— भातृहॊता
120. कभ खाने वारा— गभताहाय
121. जजस स्त्री की आॉखेँ भछरी के सभान हेअ— भीनाऺी
122. थोडा जखरा हुआ पूर— भुकुर
123. ऩरक को वफना झऩकाए— अगनभेषगनगनिभष
े /
124. जो फुरामा न गमा हो— अनाहूत
125. जजसका गनवायण न हो सके - अगनवामि
126. दे हय ऩय यॊ गेआ से फनाई गई गचत्रकाय – अल्ऩना
127. आकद से अन्त तक- आघन्त

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128. जजसका ऩरयहाय कयना सम्बव न हो – अऩरयहामि
129. जजस स्त्री के कोई सॊतान नह ीँ हुई हो— फाॉझ
130. खाने का इछछुक— फुफऺ
ु ु
131. ककसी बवनाकद के खॊकडत होने के फाद फचे बाग— बननावशेष
132. बम के कायण फेचन
ै — बमाकुर
133. बानम ऩय बयोसा यखने वारा— बानमवाद
134. दख
ु ान्त नाटक— त्रासद
135. वह स्थान जो दोनेअ बृकुकटओीँ के फीच होता है — वत्रकुट
136. सॊकुगचत ववचाय यखने वारा— दक़मानूस
137. दो फाय जन्भ रेने वारा णााण, {ऩऺी, दाॉत}— कद्रज
138. ऐसा द्ु ख जो रृदम को चीय डारे— रृदम ववदायक
139. जजस ऩय हॉ सी आती हो/जो हॉ सी का ऩात्र हो— हास्मास्ऩद
140. जो फात रृदम भेँ अछछी तयह फैम गई हो— रृदमॊगभ
141. ककसी ववचाय/गनणिम को कामिरूऩ दे ना- कामाांवमन
142. जजसका हाथ फहुत तेज़ चरता हो-जऺप्रहस्त
143. बूख से व्माकुर- ऺुधातुय
144. ककन्ह ॊ गनजद्ळत कामों के गरए फनामी गमी सगभगत -कामिसगभगत
145. जजसने द ऺा री हो— द जऺत
146. अनुगचत फात के गरए आग्रह— दयु ाग्रह
147. फुये बाव से की गई सॊगध— दयु गबसॊगध
148. वह कामि जजसको कयना ककमन हो— दष्ु कय
149. दो ववगबन्न बाषाएॉ जानने वारे व्मविमेअ को एक–दस
ू ये की फात सभझाने
वारा— दब
ु ावषमा
150. जो ग्रहण कयने मोनम न हो - अग्राह्य
151. जजसे प्राद्ऱ न ककमा जा सके - अप्राप्म
152. जजसका उऩचाय सम्बव न हो - असाध्म

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153. बगवान भें ववद्वास यखने वारा आजस्तक
154. बगवान भें ववद्वास न यखने वारा - नाजस्तक
155. आशा से अगधक- आशातीत
156. ऋवष की कह गई फात - आषि
157. ऩैय से भस्तक तक - आऩादभस्तक
158. अत्मॊत रगन एवॊ ऩरयश्रभ वारा - अध्मवसामी
159. आतॊक पैराने वारा - आॊतकवाद
160. दे श के फाहय से कोई वस्तु भॊगाना - आमात
161. जो तुयॊत कववता फना सके- आशुकवव
162. नीरे यॊ ग का पूर - इन्द वय
163. उत्तय -ऩूवि का कोण - ईशान
164. जजसके हाथ भें चक्र हो - चक्रऩाजण
165. जजसके भस्तक ऩय चन्िभा हो - चन्िभौगर
166. जो उत्तय न दे सके— गनरुत्तय
167. जजसको बम न हो— गनबिम
168. जो नीगत जानता हो— नीगतऻ
169. ऩयऩुरुष से प्रेभ कयने वारी स्त्री— ऩयकीमा
170. ऩगत द्राया छोड द गई ऩत्नी— ऩरयत्मका
171. दस
ू ये का भुॉह ताकने वारा— ऩयभुखाऩेऺी
172. ककसी ववषम का ऩूणि ऻाता— ऩायॊ गत
173. जजसभेँ से आय–ऩाय दे खा जा सकता हो— ऩायदशी
174. जो ऩयरोक से सॊफॊगधत हो— ऩायरौककक
175. भागि भेँ खाने के गरए बोजन— ऩाथेम
176. जजसका सॊफॊध ऩृथ्वी से हो— ऩागथिव
177. ऻात इगतहास के ऩूवि सभम का— प्रागैगतहागसक
178. स्थर का वह बाग जजसके तीन ओय ऩानी हो— प्रामद्र ऩ

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179. जजसको दे खकय अछछा रगे— वप्रमदशी
180. ऩीने की इछछा यखने वारा— वऩऩासु
181. फाय–फाय कह गई फात— ऩुनरुवि
182. जजसका ऩुन् जन्भ हुआ हो— ऩुनजिन्भ
183. ऩहरे ककमा गमा कथन— ऩूवोि
184. जो दस
ू येआ के दोष खोजे - गछिान्वेषी
185. जानने की इछछा- जजऻासा
186. जानने को इछछुक - जजऻासु
187. जीववत यहने की इछछा - जजजीववषा
188. इजन्िमेआ को जीतने वारा- जजतेजन्िम
189. यॊ गभॊच ऩय ऩदे के ऩीछे का स्थान— नेऩथ्म
190. आजीवन णाचमि का व्रत कयने वारा— नैवद्षक
191. जो नीगत के अनुकूर हो— नैगतक
192. जो न्मामशास्त्र की फात जानता हो— नैमागमक
193. घृत, दनु ध, दगध, शहद व शक्कय से फनने वारा ऩदाथि— ऩॊचाभृत
194. जजतने की आवश्मकता हो उतना— ऩमािद्ऱ
195. भह ने के दो ऩऺेअ भेँ से एक— ऩखवाडा
196. नाटक का ऩदाि गगयना— ऩटाऺेऩमवगनकाऩतन/
197. ऩगत को चुनने की इछछा वारी कन्मा— ऩगतम्वया
198. जो बोजन योगी के गरए उगचत है — ऩथ्म
199. केवर दध
ू ऩय गनबिय यहने वारा— ऩमोहाय
200. दस
ू येअ ऩय गनबिय यहने वारा— ऩयागश्रतऩयाश्रमी/
201. जीतने की इछछा वारा - जजगीषु
202. जहाॉ गसक्के ढारे जाते हेऄ - टकसार
203. जो त्मागने मोनम हो - त्माज्म
204. जजसे ऩाय कयना ककमन हो- दस्
ु तय

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205. गय फेअ के गरए दान के रूऩ भेँ कदमा जाने वारा अन्न–धन आकद— धभािदा
206. भछरी ऩकडकय आजीववका चराने वारा— धीवय
207. धुय को धायण कयने वारा अथाित ् आधायबूत कामोँ भेँ प्रवीण— धुयॊधय
208. अऩने स्थान ऩय अटर यहने वारा— ध्रुव
209. ध्मान कयने वारा— ध्माताध्मानी/
210. गाम को दहु ते सभम फछडे का गरा फाॉधने की यस्सी जो गाम के ऩैयेअ भेँ
फाॉधी जाती है — नवव
211. जजस स्त्री का वववाह अबी हुआ हो— नवोढ़ा
212. वह स्थान मा दक
ु ान जहाॉ हजाभत फनाई जाती है — नावऩतशारा
213. जजसे कोई इछछा न हो— गनस्ऩृह
214. यात भेँ ववचयण कयने वारा— गनशाचय
215. केवर शाक, पर एवॊ पूर खाने वारा मा जो भाॊस न खाता हो— गनयागभष
216. हाथ से गरखी गई ऩुस्तक— ऩाण्डु गरवऩ
217. ककसी ऩरयश्रभ के फदरे गभरने वारी यागश— ऩारयश्रगभक
218. जजसका स्वबाव ऩशुओीँ के सभान हो— ऩाशववक
219. भह ने के प्रत्मेक ऩऺ से सॊफॊगधत— ऩाजऺक
220. यावत्र का प्रथभ प्रहय- प्रदोष
221. जजसे तुयॊत उगचत उत्तय सूझ जाए - प्रत्मुत्ऩन्नभगत
222. भोऺ का इछछुक- भुभऺ
ु ु
223. भृत्मु का इछछुक - भुभूषुि
224. मुद्ध की इछछा यखने वारा- मुमत्ु सु
225. जो ववगध के अनुकूर है - वैध
226. जो फहुत फोरता हो - वाचार
227. शयण ऩाने का इछछुक - शयणाथी
228. सौ वषि का सभम - शताब्द
229. गशव का उऩासक - शैव

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230. दे वी का उऩासक - शाि
231. सभान रूऩ से मॊ डा औय गभि -सभशीतोष्ण
232. जो सदा से चरा आ यहा हो-- सनातन
233. सभान दृवद्श से दे खने वारा - सभदशी
234. जो ऺण बय भें नद्श हो जाए - ऺणबॊगयु
235. पूरेआ का गुछछा - स्तवक
236. सॊगीत जानने वारा -सॊगीतऻ
237. जजसने भुकदभा दामय ककमा है - वाद
238. जजसके ववरुद्ध भुकदभा दामय ककमा है - प्रगतवाद
239. भधुय फोरने वारा –भधुयबाषी
240. धयती औय आकाश के फीच का स्थान - अॊतरयऺ
241. हाथी के भहावत के हाथ का रोहे का हुक - अॊकुश
242. जो फुरामा न गमा हो -अनाहूत
243. सीभा का अनुगचत उल्रॊघन - अगतक्रभण
244. जजस नागमका का ऩगत ऩयदे श चरा गमा हो प्रोवषत- ऩगतका
245. जजसका ऩगत ऩयदे श से वाऩस आ गमा हो -आगत- ऩगतका
246. जजसका ऩगत ऩयदे श जाने वारा हो - प्रवत्स्मत्ऩगतका
247. दस
ू येअ का कहत चाहने वारा— कहतैषी
248. न टरने वारी घटना/अवश्मॊबावी घटना/बानमाधीन— होनहाय
249. मऻ भेँ आहुगत दे ने वारा— होभाजनन
250. ककसी वस्तु को प्राद्ऱ कयने की तीव्र इछछा— अबीप्सा
251. साॊसारयक वस्तुओीँ को प्राद्ऱ कयने की इछछा— एषणा
252. कामि कयने की इछछा— गचकीषाि
253. जानने की इछछा— जजऻासा
254. जीतने, दभन कयने की इछछा— जजगीषा
255. ककसी को जीत रेने की इछछा यखने वारा— जजगीषु

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256. ककसी को भायने की इछछा— जजघाॊसा
257. बोजन कयने की इछछा— जजघत्सा
258. ग्रहण कयने, ऩकडने की इछछा— जजघृऺा
259. जजॉदा यहने की इछछा— जजजीववषा
260. ऻान प्राद्ऱ कयने की इछछा— ऻानवऩऩासा
261. तैय कय ऩाय जाने की इछछा— गततीषाि
262. धन की इछछा यखने वारा— धनेछछु
263. पर की इछछा यखने वारा— परेछछु
264. खाने की इछछा— फुबऺ
ु ा
265. खाने का इछछुक— फुबऺ
ु ु
266. जजसे क्रम ककमा गमा हो- क्रीत
267. वह नागमका जो कृ ष्ण ऩऺ भें अऩने प्रेभी से गभरने जाती हो-कृ ष्णागबसारयका
268. कायागाय से सॊफॊध यखने वारा- कायागारयक
269. जजसका भन दस
ू य ओय हो –अन्मभनस्क
270. सॊध्मा औय यावत्र के फीच की वेरा -गोधुगर
271. भामा कयने वारा -भामावी
272. ककसी टू ट - पूट इभायत का अॊश- बननावशेष
273. दोऩहय से ऩहरे का सभम -ऩूवािह्न
274. कनक जैसी आबा वारा -कनकाम
275. रृदम को ववद णि कय दे ने वारा - रृदम ववदायक
276. हाथ से कामि कयने का कौशर - हस्तराघव
277. अऩने आऩ उत्ऩन्न होने वारा - स्त्रैण
278. जो रौटकय आमा है - प्रत्मागत
279. जो कामि ककमनता से हो सके - दष्ु कय
280. वह सूचना जो सयकाय की ओय से जाय हो— अगधसूचना
281. ववधागमका द्राया स्वीकृ त गनमभ— अगधगनमभ

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282. अवववाकहत भकहरा— अनूढ़ा
283. वह स्त्री जजसके ऩगत ने दस
ू य शाद कय री हो— अध्मूढ़ा
284. दस
ू ये की वववाकहत स्त्री— अन्मोढ़ा
285. भोऺ की इछछा यखने वारा— भुभऺ
ु ु
286. भयने की इछछा— भुभुषाि
287. भयणासन्न अवस्था वारा/भयने को इछछुक— भुभष
ू ूि
288. मुद्ध की इछछा यखने वारा— मुमत्ु सु
289. मुद्ध कयने की इछछा— मुमत्ु सा
290. सदा प्रसन्न यहने वारी मा करा-प्रेभी नामक-धीयरगरत
291. शविशारी, दमारु औय मोद्धा नामक- धीयोदात्त
292. गुरु के ऩास यहकय ऩढ़ने वारा— अन्तेवासी
293. ऩहाड के ऊऩय की सभतर जभीन— अगधत्मका
294. जजसके हस्ताऺय नीचे अॊककत हेः — अधोहस्ताऺयकत्ताि
295. जो दे खा न जा सके - अरक्ष्म
296. फाएॉ हाथ से तीय चरा सकने वारा- सव्मसाची
297. वह स्त्री जजसे सूमि ने बी न दे खा हो - असुमम्
ि ऩश्मा
298. मऻ भें आहुगत दे ने वारा - हौदा
299. जजसे नाऩना सम्बव न हो – असाध्म
300. जजसने ककसी दस
ू ये का स्थान अस्थाई रूऩ से ग्रहण ककमा हो - स्थानाऩन्न
301. कगनवद्शका औय भध्मभा के फीच की ऊॉगरी- अनागभका
302. जजसके ऩेट भें भाने यस्सी फाॊध द हो- दाभोदय
303. ऩीछे ऩीछे चरने वारा- अनुगाभी
304. थोडा नऩा तुरा बोजन कयने वारा: गभताहाय
305. गुरु के सभीऩ यहकय अध्ममन कयने वारा- अॊतेवासी
306. जजसके रृदम ऩय आघात हुआ हो- भभािहत
307. जो अऩने ऩद से हटामा गमा हो- ऩदछमुत

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308. जजसकी ऩूवि से कोई आशा ना हो- अप्रत्मागशत
309. ऩगत मुिा स्त्री- सधवा
310. झगडा रगाने वारा भनुष्म- नायद
311. हाथी हाॉकने का छोटा बारा— अॊकुश
312. कभय के नीचे ऩहने जाने वारा वस्त्र— अधोवस्त्र
313. जजसका बाषा द्राया वणिन असॊबव हो— अगनविचनीम
314. जो इॊ किमेअ द्राया न जाना जा सके— अगोचय
315. जो अऩने स्थान मा जस्थगत से अरग न ककमा जा सके— अछमुत
316. जजस ऩुस्तक भेँ आम अध्माम हेअ— अद्शाध्मामी
317. आवश्मकता से अगधक फयसात— अगतवृवद्श
318. फयसात वफल्कुर न होना— अनावृवद्श
319. फहुत कभ फयसात होना— अल्ऩवृवद्श
320. जो ढका हुआ न हो— अनावृत
321. जो दोहयामा न गमा हो— अनावति
322. ऩहरे गरखे गए ऩत्र का स्भयण— अनुस्भायक
323. ऩीछे –ऩीछे चरने वाराअनुसयण कयने वारा/— अनुगाभी
324. भहर का वह बाग जहाॉ यागनमाॉ गनवास कयती हेः — अॊत्ऩुययगनवास/
325. जजसका आदय न ककमा गमा हो— अनादृत
326. जजसका भन कह ीँ अन्मत्र रगा हो— अन्मभनस्क
327. जो धन को व्मथि ह खचि कयता हो— अऩव्ममी
328. आवश्मकता से अगधक धन का सॊचम न कयना— अऩरयग्रह
329. जो ककसी ऩय अगबमोग रगाए— अगबमोगी
330. जो बोजन योगी के गरए गनवषद्ध है — अऩथ्म
331. जजस वस्त्र को ऩहना न गमा हो— अप्रहत
332. न जोता गमा खेत— अप्रहत
333. जो वफन भाॉगे गभर जाए— अमागचत

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334. जो सहनशीर न हो— असकहष्णु
335. जजसके ऩास कुछ न हो अथाित ् दरयि— अककॉचन
336. जो कबी भयता न हो— अभय
337. जो फाह्य सॊसाय के ऻान से अनगबऻ हो— अरोकऻ
338. जजसे राॉघा न जा सके— अरॊघनीम
339. जजसकी सफसे ऩहरे गणना की जामे— अग्रगण
340. जो फहुत गहया हो— अगाध
341. जजसको त्मागा न जा सके— अत्माज्म
342. जजसका गचॉतन न ककमा जा सके— अगचॉत्म
343. वास्तववक भूल्म से अगधक गरमा जाने वारा भूल्म— अगधभूल्म
344. अन्म से सॊफॊध न यखने वाराककसी एक भेँ ह आस्था यखने वारा/— अनन्म
345. जो वफना अन्तय के घकटत हो— अनन्तय
346. जजसका कोई घय न हो )गनकेत(— अगनकेत
347. भूरकथा भेँ आने वारा प्रसॊग, रघु कथा— अॊत्कथा
348. जजसका गनवायण न ककमा जा सकेजजसे कयना आवश्मक हो/— अगनवामि
349. जजसका ववयोध न हुआ हो मा न हो सके— अगनरुद्धअववयोधी/
जजसका ककसी भेँ रगाव मा प्रेभ हो— अनुयि
350. प्रायम्ब से रेकय अॊत तक— आद्योऩान्त
351. दस
ू ये के कहत भेँ अऩना जीवन त्माग दे ना— आत्भोत्सगि
352. जो फहुत क्रूय व्मवहाय कयता हो— आततामी
353. जजस ऩय हभरा ककमा गमा हो— आक्राॊत
354. जजसने हभरा ककमा हो— आक्राॊता
355. जजसे सूॉघा न जा सके— आघ्रेम
356. हाथी का फछचा— करब
357. जो फात ऩूवक
ि ार से रोगेअ भेँ सुनकय प्रचगरत हो— ककॉवदन्ती
358. अऩने काभ के फाये भेँ कुछ गनद्ळम न कयने वारा— ककॉकतिव्मववभूढ़

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359. वृऺ रता आकद से ढका स्थान— कुञ्ज
360. शृॊगारयक वासनाओीँ के प्रगत आकवषित— काभुक
361. जो द्ु ख मा बम से ऩीकडत हो— कातय
362. ककए गए उऩकाय को भानने वारा— कृ तऻ
363. ककए गए उऩकाय को न भानने वारा— कृ तघ्न
364. जो केन्ि से हटकय दयू जाता हो— केन्िाऩसाय
365. जो केन्ि की ओय उन्भुख हो— केन्िागबसाय केन्िागबभुख/
366. जो व्मवि अऩने हाथ भेँ तरवाय गरए यहता है — खड्गहस्त
367. ऩहरे से चरी आ यह ऩयम्ऩया का अनुऩारन कयने वारा— गतानुगगतक
368. जो फात गूढ़ हो )यहस्मऩूण(ि — गूढ़ोवि
369. जीवन का कद्रतीम आश्रभ— गृहस्थाश्रभ
370. गामेअ के खुयेअ से उड धूर— गोधूगर
371. कदन औय यावत्र के फीच का सभम— गोधूगर फेरा
372. शय य की हागन कयने वारा— घातक
373. जो घृणा का ऩात्र हो— घृजणत/घृणास्ऩद
374. जजसके गसय ऩय चॊिकरा हो )गशव(— चॊिचूड/चॊिशेखय
375. वह कृ गत जजसभेँ गद्य औय ऩद्य दोनेअ हेअ— चॊऩू
376. जजसके हाथ भेँ चक्र हो— चक्रऩाजण
377. रॊफे सभम तक जीने वारा— गचयॊ जीवी
378. जो गचयकार से चरा आमा है — गचयॊ तन
379. जो अत्मगधक बूखा हो— फुबजु ऺत
380. धन दे ने वारा- धनद
381. जो कान को कटु रगे- कणिकटु
382. कद्शेआ मा काॉटो से बया हुआ- कॊटकाकीणि
383. जो कद्श को सहन कय सके-कद्शसकहष्णु
384. फेरेआ आकद से गघया हुआ सुयम्म स्थान-कॊु ज

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385. जो कतिव्म से छमुत हो गमा है कतिव्मछमुत
386. जजसकी फुवद्ध कुश के उग्र )नोक( की तयह तेज़ हो- कुशाग्रफुवद्ध
387. जो फहुत सभम तक महय सके— गचयस्थामी
388. गचॉता )गचॉतन( कयने मोनम फात— गचॉतनीम/गचॉत्म
389. जजस ऩय गचह्न रगामा गमा हो— गचकह्नत
390. चाय ऩैयेअ वारा— चौऩामा/चतुष्ऩद
391. जो गुद्ऱ रूऩ से गनवास कय यहा हो— छद्मवासी
392. दस
ू येअ के केवर दोषेअ को खोजने वारा— गछिान्वेषी
393. एक स्थान से दस
ू ये स्थान ऩय चरने वारा— जॊगभ
394. ऩेट की अजनन— जमयाजनन
395. जजसने आत्भा को जीत गरमा हो— जजतात्भा
396. जेम )ऩगत का फडा बाई( का ऩुत्र— जेमोत
397. जो ऻान प्राद्ऱ कयने की इछछा यखता हो— ऻानवऩऩासु
398. फतिन फनाने वारा— ममे या
399. जो ककसी बी गुट भेँ न हो— तटस्थ/गनगुट
ि
400. हल्की नीीँ द— तन्िा
401. ऋवषमेअ के तऩ कयने की बूगभ— तऩोबूगभ
402. उसी सभम का— तत्कारीन
403. वह याजकीम धन जो ककसानेअ की सहामता हे तु कदमा जाता है — त़ाफी
404. जजसभेँ फाण यखे जाते हेः — तयकश/तूणीय
405. दै कहक, दै ववक औय बौगतक सुख— ताऩत्रम
406. तैय कय ऩाय जाने की इछछा— गततीषाि
407. ऻान भेँ प्रवेश का भागिदशिक— तीथीकय
408. वह व्मवि जो छुटकाया कदराता है /यऺा कयता है — त्राता
409. फुय ककस्भत वारा— फदककस्भत
410. फुये गभजाज वारा )आचयण(— फदगभजाज

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411. सूमोदम से ऩहरे दो घड तक का सभम— णाभुहूति
412. जीवन का प्रथभ आश्रभ— णाचमािश्रभ
413. फहुत ववषमेअ का जानकाय— फहुऻ
414. जजसने सुनकय अनेक ववषमेअ का ऻान प्राद्ऱ ककमा हो— फहुश्रत

415. सभुि भेँ रगने वारी आग— फडवानर
416. जो अनेक रूऩ धायण कयता हो— फहुरूवऩमा
417. फहुत से दे वताओीँ के अजस्तत्व भेँ ववद्वास कयने वारा भत— फहुदेववाद
418. कापी अगधक कीभत का— फहुभल्
ू म
419. अनेक बाषाओीँ को जानने वारा— फहुबाषाववद्
420. यात का बोजन— ब्मारूयावत्रबोज/
421. जो शीघ्रता से चरता हो— ित
ु गाभी
422. जजसे ककमनाई से जाना जा सके— दऻ
ु ेम
423. जजसको ऩकडने भेँ ककमनाई हो— दयु गबग्रहदग्र
ु ाह्य/
424. ऩगत के स्नेह से वॊगचत स्त्री— दब
ु ग
ि ा
425. जजसे ककमनता से साधागसद्ध ककमा जा सके/— दस्
ु साध्म
426. जो ककमनाई से सभझ भेँ आता है — दफ
ु ोध
427. जजसभेँ खयाफ आदतेँ हेअ— दव्ु मिसनी
428. जजसको भाऩना ककमन हो— दष्ु ऩरयभेम
429. जजसको जीतना फहुत ककमन हो— दज
ु ेम
430. जजसका दभन कयना ककमन हो— दद
ु ि भनीम
431. जो अनुग्रह से मुि हो )कृ ऩा(— अनुगह
ृ त
432. जजस ऩय आक्रभण न ककमा गमा हो— अनाक्राॊत
433. जजसका उत्तय न कदमा गमा हो— अनुत्तरयत
434. जो कबी न आमा हो )बववष्म(— अनागत
435. जो भाऩा न जा सके— अऩरयभेम
436. नीचे की ओय राना मा खीीँ चना— अऩकषि

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437. ककसी वस्तु को प्राद्ऱ कयने की तीव्र इछछा— अबीप्सा
438. जो साकहत्म करा आकद भेँ यस न रे— अयगसक
439. जो वध कयने मोनम न हो— अवध्म
440. जो कामि अवश्म होने वारा हो— अवश्मॊबावी
441. जजसको व्मवहाय भेँ न रामा गमा हो— अव्मवरृत
442. जो स्त्री सूमि बी नह ीँ दे ख ऩाती— असूमऩ
ि श्मा
443. न हो सकने वारा कामि आकद— अशक्म
444. जो शोक कयने मोनम नह ीँ हो— अशोक्म
445. जो भृत्मु के सभीऩ हो— आसन्नभृत्मु
446. वह स्त्री जजसका ऩगत ऩयदे श से रौटा हो— आगतऩगतका
447. जजसकी बुजाएॉ घुटनेअ तक रम्फी हेअ— आजानुफाहु
448. अऩनी प्रशॊसा स्वमॊ कयने वारा— आत्भद्ऴाघी
449. गसय से ऩाॉव तक— आऩादभस्तक
450. दोऩहय से ऩहरे का सभम— ऩूवािह्न
451. प्राचीन इगतहास का ऻाता— ऩुयातत्त्ववेत्ता
452. ऩीने मोनम ऩदाथि— ऩेम
453. वऩता एवॊ प्रवऩताओीँ से सॊफॊगधत— ऩैतक

454. जो सम्ऩवत्त वऩता से प्राद्ऱ हो— ऩैतक
ृ सम्ऩवत्त
455. केवर परेअ ऩय गनवािह कयने वारा— पराहाय
456. पर की इछछा यखने वारा— परेछछु.
457. द वायेअ ऩय फने हुए गचत्र— गबवत्तगचत्र
458. .जो ऩृथ्वी के बीतय का ऻान यखता हो— बूगबिवेता
459. धयती ऩय चरने वारा जन्तु— बूचय
460. जो ऩहरे था मा हुआ— बूतऩूवि
461. कदर खोरकय कहना— भुिकॊम
462. भुिा का अगधक चरनप्रसाय/— भुिास्पीगत

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463. भयणासन्न अवस्थावाराशवि के अनुसाय/— भुभष
ू ु
464. भयने की इछछा— भुभूषाि
465. भोऺ की इछछा यखने वारा— भुभऺ
ु ु
466. हरयण के नेत्रेअ जैसी आॉखेअ वारी— भृगनमनी
467. अऩने मुग का ऻान यखने वारा— मुगिद्शा
468. मऻ–स्थान ऩय स्थावऩत ककमा जाने वारा खॊबा— मूऩ
469. यात को कुछ बी कदखाई नह ीँ दे ने वारा योग— यतेइधी
470. ककसानेअ से बूगभ कय रेने वारा सयकाय ववबाग— याजस्व ववबाग
471. याज्म द्राया आगधकारयक रूऩ से प्रकागशत होने वारा ऩत्र— याजऩत्र)गजट(
472. जजसके नीचे ये खाएॉ रगाई गई हेअ— ये खाॊककत
473. प्रेभ, आनन्द, बम आकद से येअगटे खडे होने की दशा— योभाॊच
474. प्रसन्नता से जजसके येअगटे खडे हो गए हेअ— योभाॊगचत
475. जो रकड काटकय जीवन वफताता हो— रकडहाया
476. जजसका वॊश रुद्ऱ हो गमा हो— रुद्ऱवॊश
477. रोबी स्वबाव वारा— रुब्धरोबी/
478. जजसे दे खकय येअगटे खडे हेअ जाएॉ— रोभहषिक
479. वॊश ऩयम्ऩया के अनुसाय— वॊशानुगत
480. जजसके हाथ भेँ वज्र हो— वज्रऩाजण
481. फहुत ह कमोय औय फडा आघात— वज्राघात
482. फचऩन औय मौवन के भध्म की उम्र— वमसॊगध
483. जजसका वणिन न ककमा जा सके— वणिनातीत
484. अगधक फोरने वारा— वाचार
485. सन्तान के प्रगत प्रेभ— वात्सल्म
486. भुकदभा दामय कयने वारा— वाद
487. बाषण दे ने भेँ चतुय— वानभी
488. जजसका वाणी ऩय ऩूणि अगधकाय हो— वाचस्ऩगत

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489. साभाजजक भानभमािदा के ववऩय त कामि कयने वारा— वाभाचाय
490. गृह–गनभािण सॊफॊधी ववऻान— वास्तुववऻान
491. फाहय के ताऩभान का असय योकने हे तु की जाने वारी व्मवस्था— वातानुकूरन
492. वह कन्मा जजसके वववाह कयने का वचन दे कदमा गमा हो— वानदता
493. जजसभेँ ववष गभरा हुआ हो— ववषाि
494. जजस ऩय ववद्वास ककमा जा सके— ववद्वस्त
495. जजस ववषम भेँ गनजद्ळत भत न हो— वववादास्ऩद
496. सौतेरी भाॉ— ववभाता
497. जजस ऩय अबी ववचाय चर यहा हो— ववचायाधीन
498. वह स्त्री जो ऩढ़ –गरखी व ऻानी हो— ववदष
ु ी
499. अऩना कहत–अकहत सोचने भेँ सभथि— वववेकी
500. अऩनी जगह से अरग ककमा हुआ— ववस्थावऩत
501. जजसके अॊदय कोई ववकाय आ गमा हो— ववकृ त
502. जो अऩने धभि के ववरुद्ध कामि कयने वारा हो— ववधभी
503. जो ववगध/कानून के अनुसाय सह हो— ववगधवत ्/वैध
504. जजसे व्माकयण का ऩूया ऻान हो— वैमाकयण
505. शयण की इछछा यखने वारा— शयणाथी
506. हाथ भेँ ऩकडकय चरामा जाने वारा हगथमाय जैसे तरवाय— शस्त्र
507. जो सौ फातेँ एक साथ माद यख सकता है — शतावधानी
508. अन्म रोगेअ के साथ गामा जाने वारा गीत— सहगान
509. उसी सभम भेँ होने वारा/यहने वारा— सभकारीन
510. जो दस
ू येअ की फात सहन कय सकता हो— सकहष्णु
511. छूत मा सॊसगि से पैरने वारा योग— सॊक्राभक
512. शतोँ के साथ काभ कयने का सभझौता— सॊववदा
513. सॊहाय कयने वारा/भायने वारा— सॊहायक
514. न फहुत मण्डा न फहुत गभि— सभशीतोष्ण

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515. जो सफ कुछ खाता हो— सविबऺी
516. सफ कुछ ऩाने वारा— सविरब्ध
517. जो सभस्त दे शेअ/स्थानेअ से सॊफॊगधत हो— साविबौगभक
518. सबी रोगेअ के गरए— साविजगनक
519. आकाय से मुि )भूगतिभान(— साकाय
520. जो सफ जगह ववद्यभान हो— सविव्माऩी
521. जजसकी ग्रीवा सुॊदय हो— सुग्रीव
522. जो सोमा हुआ हो— सुषद्ऱ

523. सधवा यहने की दशा मा अवस्था— सुहाग
524. ऩसीने से उत्ऩन्न जीव )जैसे जूॉ आकद(— स्वेदज
525. ककसी सॊस्था मा व्मवि के ऩचास वषि ऩूये कयने के उऩरक्ष्म भेँ होने वारा
उत्सव— स्वणि जमॊती
526. स्त्री के स्वबाव जैसा— स्त्रैण
527. गगतह न यहने वारा— स्थावय
528. जजसको गसद्ध कयने के गरए अन्म प्रभाणेअ की जरूयत न हो—
स्वमॊगसद्ध/स्वत्प्रभाण
529. अऩनी ह इछछानुसाय ऩगत का वयण कयने वारी— स्वमॊवया
530. जो स्वमॊ बोजन फनाकय खाता हो— स्वमॊऩाकी
531. जो अऩने ह अधीन हो— स्वाधीन
532. जो अऩना ह कहत सोचता हो— स्वाथी
533. हभरा कयने वारा— हभरावय
534. सेना का वह बाग जो सफसे आगे हो— हयावर
535. हवन से सॊफॊगधत साभग्री— हवव
536. ऐसा फमान जो शऩथ सकहत कदमा गमा हो— हरपनाभा/ शऩथऩत्र
537. दस
ू ये के काभ भेँ दखर दे ना— हस्तऺेऩ

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