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॥ हिरपाषर्ददास�वर�चतं ज��दवसप�कम् ॥
( तोटकं वृ�म् )
श�ाथर्
भावाथर्
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गु�वै�व�व�कुले �सुराः �पतर� चराचरजीवगणाः ।
श�ाथर्
भावाथर्
श्रीगु�, सम� वै�वगण, सम� �व�गण, कुल के इ�देवता, सम� �पतृगण तथा
सम� चराचर जीव सदा �स� ह� । यह �भ ज��दवस सफल हो ।
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ब�ल-राम-�वभीषण-सा�वत-हनुमत्-कृप�व�-मृक�ु सुताः ।
श�ाथर्
ब�ल महाराज, पर�राम, �वभीषण, वेद�ास, हनुमान, कृपाचायर् नामक �व� तथा माक��ेय
ऋ�ष अपनी-अपनी आयु का छोटा अंश �दान कर� । यह �भ ज��दवस सफल हो ।
�ट�णी — वै�दक ��� म� सात मु� �चरं जी�वय� के नाम �दए गए ह� — ब�ल , �ास ,
हनुमान , �वभीषण , कृपाचायर् , पर�राम और अ��ामा । ज��दवस पर �चरजी�वय�
से दीघ�यु� क� �ाथर्ना करने का भाव इस प� म� है , �क�ु अ��ामा को श्रीकृ� न�
शाप �दया है अतः कृ� के �ारा शा�पत ��� का नाम इस प� म� नह� �लया गया है ।
अ��ामा के �ान पर मृक�ु पुत्र श्री माक��ेय ऋ�ष का नाम यह� �लया गया है ।
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श�ाथर्
श्रीकृ� के नाम� म� , श्रीकृ� के धाम� म� तथा श्रीकृ� स��ी सम� काय� म� सदा
��च हो । हमारा कभी पुनः इस संसार म� भौ�तक ज� न हो । यह �भ ज��दवस
सफल हो ।
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श�ाथर्
भावाथर्
-- ॐ त�त् --
( ५ जुलाई २०२१ )