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शक डका वधान१

कु
पं
च भू
संकार

हवनकेलये जो वे
द बनायी जाती है
, उसेशु एवं प व करने केलये तथा उसम
अ न था पत करने केलये उसका सं कार कया जाता है
, जो पाँ
च कारसेहोता है
,
इसेपं
च- भूसंकार कहते ह। इन पाँ
च संकार केनाम इस कार ह-१.प रसमूहन, २.
उपलेपन, ३.उ लेखन या रे
खाकरण, ४ .उ रण तथा (५)अ युण या सेचन।

१.प रसमूहन-
वे
द म कोई कृ म, क ट आ द न रह जाय अतः उसकेनवारणकेलये तीन कु

के ारा द णसे उ रक ओर वे द को साफ करे और उन कुश को ईशानकोणम
फक दे ( भदभ: प रसमुतान् कुशानै
शा यां
प र य य)
२. उपलेपन-
पु
राकालम इ ने वृनामक महान्असु रका वध कया था। उस वृासु
रकेमे
द (चब )
-सेयह पृ वी ा त हो गयी। अत: मे दयु भू मका सं कार उपले
पन कहलाता है

इसके लये गायके गोबर तथा जलसे वे द को लीपना चा हये ।
(गोमयोदके नोप ल य)

(३) उ लेखन या रे
खाकरण-

वा केमू
लसे वेद केम य भागम ादे
शमा (अंगठ
ू े
सेतजनी केबीचक री) ल बी
तीन रेखाएँप मसे पू
वक आर ख चे । रे
खा ख चनेका म द णसे ार भकर
उ रक ओर होना चा हये । यह या उ लेखन या रे
खाकरण कहलाती है
। ( ये
न,

वमूलन
ेकुशमूलनेवा ल य)

(४) उ रण-
उन ख ची गयी तीन रे
खा सेउ ले
खन- मसे अना मका तथा अं
गुके ारा थोड़ी-
थोड़ी म नकालकर बाय हाथम रखता जाय। बादम सब म दा हने हाथपर
रखकर ईशानकोणक ओर फक दे । यह या उ रण कहलाती है ।
(अना मका गुा यांमृ
दमु
दधृ
य)

चन२ -
(५) अ युण या से
तदन तर गं
गा आ द प व न दय केजलकेछ ट से वे
द को प व करना चा हये
। यह
या अ युण या से
चन कहलाती है
। (जले
ना यु
य)
वे
द केपंच-सं
कार करने
केअन तर कु शक डका वधान क धान या करनी
चा हयेजसम ाय: अ न- थापनसे आ त दान करनेतकक याएँआती आघार
और आ यभाग नामवाली चार है
। सामा य प से
उस या को भी यहाँदया जा
रहा है

सव थम सं का रत वे
द म अ नक थापना करनी चा हये । बड़े
य -यागा दम ाय:
अर ण-म थन ारा अ नका ाक कया जाता है। अ य ाय: कपू र आ दको
व लत कर अ न था पत क जाती है । स मधाएँ(य ीय का ) पलाश आ दक
होनी चा हये
। उन य ीय का म कोई क ड़े -मकोड़े व न ह , यह दे
ख लेना चा हये
अ यथा जीव हसा होगी । ये
का सू खे होनेचा हये
। अ न वालनकेलये गायके
गोबरके सूखेक डे का भी योग होता है

अ न- थापन
कसी कां य अथवा ता पा म या नयेम केपा (कसोरे ) म थत प व अ नको
वे
द केअ नकोणम रखे और इस अ नम से ादां श नकालकर नै
तृयकोण म डाल
दे
। तदन तर अ नपा को वा भमु ख करतेए वेद म था पत करे
। उस समय यह
म पढ़े -
ॐ अ नं तंपु
रो दधे
ह वाहमुप ु व।ेदे
वां
२ आ सादया दह ॥

जस पा म अ न लायी गयी हैउस पा , अ त केसाथ जल छड़क दे । अ नक


सु
र ा केलये कुछ इ धन डाल दे
। अ न को मु
ख से
फ़ूकना पड़े तो मु
ख और अ न
केबीच म बां
स नली तृ
ण या का का वधान अव य कर ले । ग ध अ त पु पा द
उपचार से सं त अ नपू जन कर ले

आचाय तथा ा का वरण-


य क र ा करने वालेा णक ा कहा जाता है
।यद य ा का वरण न

करना हो तो पचास कु श सेन मत कु श ा ’ का अ नकेउ र दशाम संक पपूवक
वरण करकेफर उ ह पू वक ओर से लाकर द ण दशाम उपक पत आसनपर
उ रा भमुख था पत करे । ा का थान अ न केद ण दशा म होता है। हवनके
लये पृ
थक्आचाय ह तो पहले उनका सं
क पपू वक वरण कर ले
और वरण साम ी
दान करे।

णीतापा थापन-
इसकेबाद आचाय ( होता) ाकेआदे
शसे
अ न (वे
द ) केउ रभाग मे ादे
शमान
री छोड़कर प या कुश केदो आसन रख४। कु शका अ भाग पूवक ओर हो,
चतु कोण णीतापा को बाय हाथम रखकर दा हने
हाथम थत कमपा थ जलसे

उसे भर देऔर कु
श सेढककर ाके
मुखका अवलोकन कर पहले प मवाले
पते

(कुश) केआसनपर रखकर, उठाकर फर पूववाले
आसनपर रख दे।

अ न ( वे
द ) के
चार ओर कु शप र तरण )७ -
श-आ छादन (कु

इ यासी कुश को ले।८ उनकेबीस-बीसकेचार भाग करे। इ ह चार भाग को अ नके


चार ओर फै लाया जाता है
। इसम यान देनक
े बात यह हैक कु शसे हाथ खाली नह
रहना चा हये
। ये क भाग फै लानेपर हाथम एक कुश बचा रहेगा। इस लयेथम
बारम इ क स कुश लये जातेह। वे
द केचार ओर कु
श बछाने का म इस कार है

-कुशका थम भाग (२०+१ = २१) लेकर पहले वे


द केअ नकोणसेार भकर
ईशानकोण तक उ ह उ रा बछाये। फर सरे भागको ासन से
अ नकोणतक
पूवा बछाये
। तदन तर तीसरेभागको नै
ऋ यकोण से वाय कोण तक उ रा
बछायेऔर चौथेभागको वाय कोणसे ईशानकोणतक पूवा बछाये। पु
न: दा हने
खाली हाथसे
वे
द केईशानकोण सेार भकर वामावत ईशानपय त द णा करे ।

पा ासादन-
हवनकायम यो सभी व तु तथा पा यथा समू ल तीन कुश उ रा (प व
बनाने
वाली प य को काटने केलये ), सा दो कु शप (बीचवाली सीक नकालकर
प व क बनाने के लये ), ो णीपा (अभाव म दोना या म का कसोरा),
आ य थाली (घी रखने का पा ), च पा के पम म क दो पा (य द एक ही
पा म बनाना हो तो वह बड़ा रहना चा हये
), पाँ
च स माजन कु श, सात उपयमन कु
श,
तीन स मधाएँ( ादेशमा ल बी), ु वा , आ य (घृ त ), य ीय का (पलाश आ दक
लकड़ी), २५६ मु चावलसे भरेपूणपा आ दको प म से पूव तक उ रा अथवा
अ नके उ रक ओर पू वा रख ले है
,

प व क नमाण-
दो कु
श केप को बाय हाथम पू
वा रखकर इनकेऊपर उ रा तीन कु श को दाय
हाथसेादेशमा री छोड़कर मू
लक तरफ रख दे। तदन तर दो कु
श केमूलको
पकड़कर कु श य को बीचम लेतेए दो कु
शप को द ण म से लपे
ट ले
, फर
दाय हाथसेतीन कुश को मोड़कर बाय हाथसेपकड़ लेतथा दा हनेहाथसे
कुशप य पकड़कर जोर से ख च ले। जब दो प वाला कु श कट जाय तब उसके
अ भागवाला ादे शमा दा हनी ओरसे घु
माकर गाँठ दे
देता क दो प अलगअलग न
ह । इस तरह प व क बन गया। शे
ष सबको (दो प के कटेभाग तथा काटने
वाले
तीन

कुश को) उ र दशाम फक दे।

प व कके काय तथा ो णीपा का सं कार -


पू
व था पत ो णीको अपने सामने पू
वा रखे । णीताम रखे जलका आधा भाग
आचमनी आ द कसी पा ारा ो णीपा म तीन बार डाले । अब प व ी के
अ भागको बाय हाथक अना मका तथा अं गुसेऔर मूलभागको दा हने हाथक
अना मका तथा अंगुसे पकड़कर इसकेम यभागके ारा ो णीकेजलको तीन बार
उछाले (उ लवन)। प व क को ो णीपा म पू वा रख दे। ो णीपा को बाय
हाथम रख ले। पु
न: प व कके ारा णीताके जलसेो णीको ो त करे । तदन तर
इसी ो णीके जलसे आ य थाली ु वा आ द सभी साम य तथा पदाथ का ो ण
करेअथात् उनपर जलकेछ टे डाले(अथव ो य)। इसकेबाद उस ो णीपा को
णीतापा तथा अ नके म य थान (असंचरदे
श) म पूवा रख दे

घृ
तको पा ( आ य थाली )-म नकालना-
आ यपा से घीको कटोरे
म नकालकर उस पा को वे
द केद णभागम अ नपर रख
दे

च नमाण-
बड़े कसोरे
केबीचम जौका आटा गू थ
ंकर द वार-जै ।१० इसके
सा बना दे बाद एक भागम
ध तथा जौका आटा मलाकर रख दे । सरे भागम ध तथा दो बार धु लेए चावल११
मलाकर रख दे। तदन तर इस पा को अ न पर उ र घृ तपा से उ र भागम रख दे

खूब चलाकर पकाये । खू
ब गाढ़ा होना चा हये
। दोन भागकेच को चलाने
केलये
दो अलग-अलग लक ड़याँ होनी चा हये।

पय नकरण-
कु
श या कसी लकड़ीको अ नम जलाकर दा हने हाथसे पकड़कर पायस तथा घी के
ईशानभाग सेार भ कर ईशानभाग तक दा हनी ओरसे घु
माये। इस जलती लकड़ीको
अ नम छोड़ दे। फर खाली हाथको बाय ओर से ईशानभाग से घु
माना ार भ कर
ईशानभाग तक लेआये।
ुवा का स माजन-
जब घी आधा पघल जाय तब दाय हाथम ु वाको पू
वा तथा अधोमुख लेकर आग पर
तपाये। पु
न: ु वाको बाय हाथम पू
वा ऊ वमुख रखकर दाय हाथसेस माजन कुशके
अ भाग से ु वाकेअ भागका, कु शकेम यभागसे ुवाकेम यभागका और कु शके
मू
लभागसे ु वाकेमूलभाग का पश करे अथात् ुवाका स माजन करे । ु
वाका
ो ण करे । उसके बाद णीताके जलसेस माजन कुशको अ न म डाल दे


वाका पु
नः तपन-
अधोमु
ख ु वा को पु
नः अ न म तपा कर दा हनी ओर कसी पा , प े
या कु
श पर
पू
वा रख दे

घृ
त पा तथा च पा का थापन-
घी केपा को अ नसे उतारकर पायसकेप म भागसेहोतेए पू वक ओरसे
प र मा करकेअ न(वेद ) -केप मभागम उ रक ओर रख दे । तदन तर पायस
(च )-पा को भी अ नसे उतारकर वे
द उ र रखेए आ य थाली केप म से ले
जाकर उ र भागम रख दे

घृ
त का उ लवन -
घृ
तपा को सामने रख ले। ो णीम रखी ई प व ीको ले कर उसकेमू लभागको
दा हने
हाथकेअं गुअना मकासेऔर बाय हाथकेअं गुतथा अना मकासे प व ीके
अ भागको पकड़कर कटोरे केघृ
त को तीन बार ऊपर उछाले
घृ
त का अवलोकन करे
और य द घृतम कोई वजातीय व तुहो तो नकालकर फक दे । तदन तर ो णीके
जलको तीन बार उछाले
और प व ीको पु न: ो णीपा म रख दे। ुवा से
थोड़ा घी
पायसम डाल दे

तीन स मधा क आ त-
ाका पश करतेए बाय हाथम उपयमन (सात)- कु
श को ले
कर दयम बायाँहाथ
सटाकर तीन स मधा को घी म डु
बोकर मनसे जाप तदे वता का यान करतेए
१२
खड़ेहोकर मौन हो अ नम डाल दे। तदन तर बै
ठ जाय।

पयुण (जलधारा दे
ना)-
प व कस हत ो णीपा केजलको द ण हाथक अं ज लम ले कर अ न के
ईशानकोण से
ईशानकोण तक द ण म सेजलधारा गरा दे
। प व क को बाय
हाथम ले
कर फर दा हने खाली हाथको उलटेअथात्ईशानकोणसेउ र होतेए
ईशानकोणतक ले आये (इतरथावृ:) और प व कको दाय हाथ ले
कर णीताम
पू
वा रख दे
। तदन तर हवन करे

हवन- व ध

सव थम जाप तदे वताकेन म आ त द जाती है । तदन तर इ , अ न तथा


सोमदे वताको आ त दे नक
ेा वधान है । इन चार आ तय म थम दो आ तयाँ
'आघार' नामवाली ह एवं तीसरी और चौथी आ त ‘आ यभाग' नामसे कही जाती है

ये चार आ तयाँ घी सेदे
नी चा हये
। इन आ तय को दान करते समय ा कु
शके
ारा हवनकना केदा हने हाथका पश कये रहे
, इस याको ' णा वार ध' कहते
ह।
दा हना घु
टना पृ
वीपर लगाकर ु वा म घी लेकर जाप तदेवता का यान कर
न न म का मन से
उ चारण कर व लत अ नम आ त दे ।

ॐ जापतयेवाहा, इदं जापतये न मम।


कहकर वे
द या कुडकेम यभागम आ त दे ।( ु वा सेबचे घी को ो णीपा म
छोड़े
।)
आगेक तीन आ तयाँ इस कार बोलकर दे
(२) ॐ इ ाय वाहा, इद म ाय न मम - कहकर वे द या कुडकेम यभागम
आ त दे।( ुवा म बचेघीको ो णीपा म छोड़े ।)
(३) ॐ अ नयेवाहा, इदम नये न मम - कहकर वे द या कुडकेउ रपूवाधभाग म
आ त दे।( ुवाम बचेघीको ो णीपा म छोड़े ।)
(४) ॐ सोमाय वाहा, इदंसोमाय न मम- कहकर वे द या कुडके द णपूवाधभाग
म आ त दे।( ुवाम बचेघीको ो णीपा म छोड़े ।)

अब ा कु
शका पश होता से
हटा ले
। तदन तर यागका सं
क प करे

याग
हाथम जल ले कर इस कार बोलकर जल छोड़ दे - 'अ मन्
होमकम ण या: या:
य माणदे वता ता य: ता य: इदंहवनीय ं
मया प र य ॐ त स थादैवतम तु,न
मम।'
अ नका यान, आवाहन तथा पू
जन-

हाथम पुप ले
कर न न म ारा अ नका’ यान आवाहन करे-
सवतः पा णपादंच सवतोऽ शरोमु ख: । व पो महान न: णीत: सवकमसु॥
अ न व लतं व दे
जातवेदंताशनम् । सुवणवणममलं स म ंसवतोमुखम्॥
तदन तर ग ध, अ त, पुप आ द उपचार से अ नका पूजन करेऔर वरा त दान
करे

तत : अ ने
स त ज ानां
पू
जये
त्

ॐ कनकायै नमः, ॐ र ायैनम :, ॐ कृणायै


नमः, ॐ उ ा र यै
नमः, ॐ उ रमु
खे सुभायैनमः ॐ ब पायै नमः, ॐ अ त र ायै
नमः ।

अथ पचवा ण ( ाय होम :)

इसकेबाद ुवा ारा घृ


त सेाय संक पाँ
च आ तयांदान कर । जसे
प च
वा णी कहते
ह।

ॐ व ोअ े व ण य व ान् दे
व य हे
डो भवया ससी ाः । य ज ो
व तमः शोशु
चानो व ा ेषांस मुमुय मत्वाहा ।
इदम नव णा याम्न मम ॥१।।

ॐ स व ोऽअ ने वमो भवोती नेद ोऽअ याऽउषसो ुौ । अवय व


नो व ण रराणो वी ह मृ
डीक सुहवो न ए ध वाहा । इदम नव णा याम्
न मम ।।२।।

ॐ अया ा ऽेयन भश तपा स व म वमयाऽअ स । अयानो । य


वहा ययानो धे
ह भे
षज ◌ँ
◌्
वाहा । इदम नये
न मम ॥३।।

ॐ ये
तेशतं
व णंयेसह ंय याः पाशा वतता: महा तः: ।
ते
भनाऽअ स वतोत व णु
व े
मुच तु म तः वकाः: वाहा । इदं
व णाय स व े
व णवे
व े
योदे
वेयो म द्
यः वक य न मम ।।४।।

ॐ उ मंव ण पाशम म दवाधमं वम य थाय । अथ वयमा द य ते


तवानागसोअ दतयेयाम वाहा । इदं
व णाया द यायाs दतये
न मम ।।५।।

अ ोदक पश इ त पंचवा णी अथवा ाय त होमः। पु


नः जल पश कर । अन तर
गणे
शा बका को वरा त दान करे

वरा त

व नहता भगवान्
गणप त तथा दे
वी अ बकाकेन म द गयी आ त ‘वरा त'
कहलाती है

वरा तके
म इस कार ह-

गणप तकेलये
ॐ गणानांवा गणप त वंहवामहे याणांवा यप त वं हवामहेनधीनांवा
न धप त वं
हवामहे
वसो मम। आहमजा न गभधमा वमजा स गभधम्-- वाहा।

अ बकाकेलये
ॐ अ बे
अ बकेऽ बा लकेन मा नय त क न।
सस य कः का पीलवा सनीम्
।-- वाहा ॥

इस कार ार भक कायके अन तर धान हवन करना चा हये


। आगेक आ तयाँघी
अथवा शाक य से
दोन सेद जा सकती ह । शाक यक आ त मृ गीमुा सेहणकर
उ ान हाथसे
द अथवा जाती है

अथ नव हाणां होम :
(ततो घृ
ता ा : स मधो जुयात् )8, 28 अथवा 108 संया म त द ह स मधा से
अ न म होम दान करे । होमः हेतुघृ
ता ह स मधा का योग कर
ॐ आकृणे न रजसा व मानो नवे शय मृतंम य च । हर यये न स वता रथेनादेवो
या त भु वना न प यन वाहा : । इदं सूयाय वाहा : ॥(मं
दार)
ॐ इमं दे
वा ऽअसप न सु ब वं महते ाय महतेयैयाय महतेजानरा याये
य याय । इमममु य पुम मु यैपु म यैवश एव वोऽमी राजासोमोऽ माकं
णानां राजा वाहा । इदं च ाय हा : ॥(पलाश)
ॐ अ न मूा दव : ककुप त : पृ थ ाऽअयम् । अपा रेता स ज व त वाहा । इदं
भौमाय वाहा : ॥(ख दर या खै र)
ॐ उदबु य वा े तजागृ ह व म ापू त स सृजथेामयं च ।
अ म सध थे ऽअ युर मन्व दे वायजामान , सीदत वाहा ।इदं बु
धाय वाहा :
॥(अपामाग या लटजीरा)
ॐ बृ ह पते ऽअ तयदय अहाद् धुम भाती तु म जने षु। य दय छवसऽऋत जात
तद मासुवणं धे ह च म्वाहा । इदं बृ
ह पतयेवाहा : ॥(अ थ या पीपल)
ॐ अ ात् पर ु तो रसं णा पबत् ं पय : सोम जाप त : ऋते न स य म यं
वपान शुम धस ऽइ ये य मदं पयोऽमृतं
मधुवाहा । इदं शुाय वाहा : ॥(गूलर
या उ बर)
ॐ श ो दे वीर भ य आपो भव तु पीतये। शं योर भ व तु न : वाहा : । इदं
शनैराय : वाहा : ।(शमी)
ॐ कया न आभु व ती सदावृध : सखा । कया श च या वृ ता वाहा । इदंराहवे
वाहा : ।( वा)
ॐ के तुंकृव के तवेपे
शो म या अपे शसेसमुषद् भरजायथा : । केतवेवाहा: ॥(कुश)

अथ अ ध दै वाना होम :
ॐ यं बकाय नम : वाहा : । ॐ उमायै नम : वाहा : ।ॐ क दाय नम : वाहा : । ॐ
व णवे नम : वाहा : ।ॐ णेनम : वाहा : । ॐ इ ाय नम : वाहा : ।ॐ यमाय
नम : वाहा : । ॐ कालाय नम : वाहा :।ॐ च गु ताहंनम : वाहा : ।

अथ य धदे वतानां
होम :
१ . ॐ अ नयेवाहा : ।२ . ॐ अद् य : वाहा : ।३ . ॐ पृ
थ ैवाहा : ।४ . ॐ
व णवेवाहा : ।५ . ॐ इ ाय वाहा : ।६ . ॐ इ ा यैवाहा : ।७ . ॐ जापतये
वाहा : ।८ . ॐ सप य : वाहा : ।९ . ॐ णेवाहा : ।
अथ षड्वनायकेयो होम :

ॐ मोदाय नम : वाहा : । ॐ मोदाय नम : वाहा : ।ॐ सुमख


ुाय नम : वाहा : । ॐ
मु
खाय नम : वाहा : ।ॐ अ व नाय नम : वाहा : । ॐ व नह नम : वाहा : ।

अथ ादश वनायक होम


ॐ नमो गणे यो गणप त य वो नमो नमो ।वाते यो ातप त य वो नमो नमो ।
गृसे यो गृ सप त य वो नमो नमो । व पे यो व पै य वो नमो नम :
ॐगणपतये नम : वाहाः ।मागशीष - ॐ गणपतये नम : वाहा : ।पौषे
- ॐ वनायकाय
नम : वाहा : ।माघे - ॐ गजव ाय नम : वाहा : ।फा गु ने - ॐ भाल च ाय नम :
वाहा : ।चैे- ॐ उपेाय नम : वाहा : ।वै शाखे - ॐ व न वनाशाय नम : वाहा :
। येे - ॐ शव सु ताय नम : वाहा : ।आषाढे- ॐ ह रन दनाय नम : वाहा : । ावणे
- ॐ हे र बाय नम : वाहा : ।भा पदे - ॐ ल बोदराय नम : वाहा : ।आ ने -ॐ
कातवीयाय नम : वाहा : ।का तके - ॐ महावीयाय नम : वाहा : ।

॥ पं
चलोक पाल दे वता होम : ॥
ॐ य ानंथमं पुर ताद् सी मत : सुचो वे न आव : सबुया उपमा अ य
व ा : सत यो न मसत वव : । ॐ णेनम : वाहा : ।
ॐ व णोरराटम स व णो : ेथो व णो : य़ूर स व णो वो ु स । वै णवम स
व णवे वा । ॐ व णवे नम : वाहा : ।
ॐ नम : शं भवाय च मयो भवाय च नम : शं कराय च मय कराय च नम : शवाय शव
तराय च । ॐ शवायनम : वाहा : ।
ॐ ी तेल मी प यावहोरा ेपा न ाण पम नौ ा म्।
इ ण षाणामु मऽइषाण , सवलोक मऽइषाण । ॐ महाल यै नम : वाहा : ।
ॐ पंच न : सर वती म प य त स ो तस: सर वती पं चधा दे शे भवत् स रत्।ॐ
सर वतै नम : वाहा : । इ त पं
चलोकपाल होम :

अथ षोडषमातृ का होम :
ॐ गणे शाय नम : वाहा : । ॐ गौरीम्नम : वाहा : ।ॐ प ायै नम : वाहा : । ॐ
शच नम : वाहा : ।ॐ मे धां
नम : वाहा : । ॐ सा व ी नम : वाहा : ।ॐ वजया नम :
वाहा : । ॐ जया नम : वाहा : ।ॐ देवसे ना नम : वाहा : । ॐ वधा नम : वाहा :
।ॐ वाहा नम : वाहा : । ॐ मातर : नम : वाहा : ।ॐ लोकमातर : नम : वाहा ।ॐ
धृत नम : वाहा : । ॐ पु नम : वाहा: ।ॐ तु नम : वाहा : । ॐ आ मन कु ल
दे
वतानम : वाहा : ।

अथ स तघृ
त मातृ
का होम :

ी :-ॐ मनस : काममाकू


त वाच : स यमसीम ह पशू
ना पम य रसोयश : ी

यता म य वाहा । ॐ यैनम : वाहा : ।

ल मी :-ॐ ी तेल मी प यावहोरा ेपा न ा ण पम नौ ा म ।


इ ण षाणा मु
मऽइषाण सवलोक मऽइषाण : । ॐ ल यै
नम : वाहा : ।

धृत :-ॐ भ ंकण भ : ृ णयुाम देवा भ ं


प येमा भयज ा : । थरै
रं
गै
तुु
वा
स तनू भ शेम ह दे
व हतं
यदायु: ॥ ॐ धृयै
नम : वाहा : ।

मे
धा :-ॐ मे
धा नेव णोददातु
मेधाम न : जाप त । मे
धा म वायु मे
धा ाता
ददातुम वाहा ॥ ॐ मे
धाम्
नम : वाहा ।

वाहा :-ॐ ाणाय वाहा : ऽपानाय वाहा : ानाय वाहा , च ु सेवाहा: ो ाय


वाहा :, वाचेवाहा , मनसेवाहा : । ॐ वाहायै
नम : वाहा : ।

ा :-ॐ आयं
गौ : र मीद्
सद मातर पु
र : पतरं
च य व॥ॐ ायै
नम :
वाहा : ।

सर वतीः -ॐ पावकान : सर वतीवाजे


म वाजनीव त । य व ुधयावसु॥ ॐ
सर व यैनम : वाहा : ।

अथ पं
चलोकपाल होम :

ॐ गणपतयेवाहा : ।ॐ गायैवाहा : ।ॐ वायवेवाहा : ।ॐ अ त र ाय वाहा :


।ॐ अ यांवाहा : ।

अथ वा तु
होम :

१ . ॐ श खनेवाहा : ।२ . ॐ पज याय वाहा : ।३ . ॐ जय ताय वाहा : ।४ . ॐ


कु लशायु
धाय वाहा : ।५ . ॐ सू
याय वाहा : ।६ . ॐ स याय वाहा : ।७ . ॐ भृ
शाय
वाहा : ।८ . ॐ आकाशाय वाहा : ।९ . ॐ वायवेवाहा : ।१० . ॐ पू णेवाहा :
।११ . ॐ वतथाय वाहा : ।१२ . ॐ गृ ह ताय वाहा : ।१३ . ॐ यमाय वाहा : ।१४ .
ॐ ग धवाय वाहा : ।१५ . ॐ भृ ं
गराजाय वाहा : ।१६ . ॐ मृ गाय वाहा : ।१७ . ॐ
पतृ य : वाहा : ।१८ . ॐ दौवा रकाय वाहा : ।१९ . ॐ सुीवाय वाहा : ।२० . ॐ
पु पदं
ताय वाहा : ।२१ . ॐ व णाय वाहा : ।२२ . ॐ असु राय वाहा : ।२३ . ॐ
शोषाय : वाहा : ।२४ . ॐ पापाय वाहा : ।२५ . ॐ रोगाय वाहा : ।२६ . ॐ अहये
वाहा : ।२७ . ॐ मुयाय वाहा : ।२८ . ॐ भ लाटाय वाहा : ।२९ . ॐ सोमाय
वाहा : ।३० . ॐ सपाय वाहा : ।३१ . ॐ अ द यैवाहा : ।३२ . ॐ द यैवाहा :
।३३ . ॐ अद् य : वाहा : ।३४ . ॐ स व ाय वाहा : ।३५ . ॐ जयाय वाहा : ।३६ .
ॐ ाय वाहा : ।३७ . ॐ अय णेवाहा : ।३८ . ॐ स व वाहा : ।३९ . ॐ
वव वतेवाहा : ।४० . ॐ वबु धा धपाय वाहा : ।४१ . ॐ म ाय वाहा : ।४२ . ॐ
रा यय मणेवाहा : ।४३ . ॐ पृ वीधराय वाहा : ।४४ . ॐ आपव साय वाहा : ।४५ .
ॐ णेवाहा : ।४६ . ॐ वरकयैवाहा : ।४७ . ॐ वदाय वाहा : ।४८ . ॐ
पूतनायैवाहा : ।४९ . ॐ पापरा यैवाहा : ।५० . ॐ पू व क दाय वाहा : ।५१ .
ॐ द णे अय णेवाहा : ।५२ . ॐ प मे जृ भकाय वाहा : ।५३ . ॐ उ रे
प ल प छाय वाहा : ।५४ . ॐ पू व इ ाय वाहा : ।५५ . ॐ आ ने यांअ नयेवाहा :
।५६ . ॐ द णे यमाय वाहा : ।५७ . ॐ नै ऋ य नै ऋतयेवाहा : ।५८ . ॐ प मे
व णाय वाहा : ।५९ . ॐ वाय े वायवेवाहा : ।६० . ॐ उ रे कुबे
राय वाहा : ।६१ .
ॐ ईशा यां ई राय वाहा : ।६२ . ॐ णेवाहा : ।६३ . ॐ अनं ताय वाहा : ।६४ .
ॐ वा तवेवाहा : ।वा तु पुषाय वाहा : ।
ॐ अघोरे योथ घोरे यो घोर घोर तरे य सव य : सव सव यो नम ते अ तु पे य
वाहा : । अघोराय वाहा : ॥॥ इ त वा तु म डल दे वतानांहोम :

॥अथ सवतो भ े षट्पं


चाशद् दे
वाना कृते
ह ोम :
१.ॐ णेवाहा : ।२ . ॐ सोमाय वाहा : ।३ . ॐ ईशानाय वाहा : ।४ . ॐ
इ ाय वाहा : ।५ . ॐ अ नयेवाहा : ।६ . ॐ यमाय वाहा : ।७ . ॐ नै ऋ याय
वाहा : ।८ . ॐ अ णाय वाहा : ।९ . ॐ वायवेवाहा : ।१० . ॐ अ वसु य : वाहा :
।११ . ॐ एकादश े य वाहा : ।१२ . ॐ ादशा द ये य : वाहा : ।१३ . ॐ
अ यांवाहा : ।१४ . ॐ व े देवे य वाहा : ।१५ . ॐ पतृय : वाहा : ।१६ . ॐ
भूतनागे य वाहा : ।१७ . ॐ य े य : वाहा : ।१८ . ॐ सप य : वाहा : ।१९ . ॐ
ग धव य : वाहा : ।२० . ॐ अ सरो य : वाहा : ।२१ . ॐ क दाय वाहा : ।२२ . ॐ
न द राय वाहा : ।२३ . ॐ शू लमहाकाला य़ांवाहा : ।२४ . ॐ जाप त य :
वाहा : ।२५ . ॐ गायैवाहा : ।२६ . ॐ व णवेवाहा : ।२७ . ॐ पतृ य : वाहा :
।२८ . ॐ मृ युरोगे
य : वाहा : ।२९ . ॐ गणपतयेवाहा : ।३० . ॐ अद् य वाहा :
।३१ . ॐ म द य : वाहा : ।३२ . ॐ पृ थ ैवाहा : ।३३ . ॐ स रद् य : वाहा :
।३४ . ॐ स तसागरे य : वाहा : ।३५ . ॐ मे
रवेवाहा : ।३६ . ॐ गदायैवाहा : ।३७
. ॐ शू लाय वाहा : ।३८ . ॐ व ाय वाहा : ।३९ . ॐ श येवाहा : ।४० . ॐ
द डाय वाहा : ।४१ . ॐ खड् गाय वाहा : ।४२ . ॐ पाशाय वाहा : ।४३ . ॐ
अं कु
शाय वाहा : ।४४ . ॐ गोतमाय वाहा : ।४५ . ॐ भार ाजाय वाहा : ।४६ . ॐ
व ा म ाय वाहा : ।४७ . ॐ क यपाय वाहा : ।४८ . ॐ जमद नयेवाहा : ।४९ .
ॐ व श ाय वाहा : ।५० . ॐ अ येवाहा : ।५१ . ॐ अ ध यैवाहा : ।५२ . ॐ
ऐ यैवाहा : ।५३ . ॐ कौमाय वाहा : ।५४ . ॐ ा यैवाहा : ।५५ . ॐ वार ै
वाहा : ।५६ . ॐ चामु डायैवाहा : ।५७ . ॐ वै णयैवाहा : ।५८ . ॐ माहेय
वाहा : ।५९ . ॐ वैना य यैवाहा : ।६० . ॐ इ ा द लोकपाले य : वाहा : ।॥ इ त
सवतोभ म डल दे वतानांहोम : ॥

धान दे
वता होमः
अब धान दे वता हे
तु
शाक य और घृ
त से
यथो संया म आ त दान करे

व कृ
तआ त

ॐ भूवाहा , इदमऽ नये , इदम नयेन मम् ।


ॐ भुव : वाहा , इदमवायवे, इदम नयेन मम्।
ॐ व : सूयाय इदं सू
याय न मम् ।
ततो ।

ॐ व ो अ ने
इ त पं
चवा णीहोमवत्॥(पं
च वा णी होम पु
नः कर।)
ॐ जापतयेवाहा । इदंजापतये न मम॥

ह ब लदान

सं
क प
सू
या द नव हेय : सां
गेय : सप रवारे
य : सायु
धेय : सश केय : अ धदेवता
य धदे
वता गणप या द पं
चलोकपाल वा तो प त स हतेय : एतंसद पमाषभ
ब लसमपया म ॥
ाथना
भो भो : सू या द हा : सांगा : सप रवारा : सायूधा : सश का : अ धदे वता
य धदे
वता :- गणप या द पं चलोकपल - वा तो प त स हता : मम सकु टु
बय
सप रवार य आयु : कतार : ेमकतार : शां
त कतार : पुकतारो वरदा भवे
त्
। अने

ब लदाने
न सूया द हादय : ीय ताम् ।

द पाल ब लदान

अथ दश द पालाद नां
ब लदानम्
त था

पू
व इ ाय सां
गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतंसद पंद धमाष भ ब ल
समपया म । भो इ दशं र ब लभ अ य सकु टुब य : यजमान य :आयु
: कता

मकता शांतकता तुकता पुकता वरदो भव ॥१॥

आ नेयांअ नयेसां
गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पंद ध माषभ
ब ल समपया म । भौ अ नेदशं र ब लभ यजमान य सकु टुब य आयु : क ा
ेमकता शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव ॥२॥

द णेयमाय सांगाय सप रवाराय सासु


धाय सश काय एतंसद पं
द धमाषभ ब ल
समपया म । भो यम दशंर ब लभ यजमान य सकु टुब य आयु : कता े
मकता
तुकता पुकता वरदो भव ॥३॥

नै
ऋ या , नऋतये सां
गां
य सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पंद धमाषभ
ब ल समपया म । भो नऋतेदशं र ब लभ अ य यजमान य सकु टुब य आयु:
कता ेमकता शांतकता तुकता पु वरदोभव ॥४॥

प मायांव णाय सां


गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पं
द धमाषभ
ब ल समपया म । भो व ण दशंर ब लभ अ य यजमान य सकु टुब य आयु:
कता ेमकता शांतकता तुकता वरदो भव ॥५॥

वाय ां, वायवे


सां
गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पंद धमाष भ
ब ल समपया म । भो वायो दशंर ब लभ अ य यजमान य सकु टुब य आयु :
क ा ेमकता शांतकता तुकता पुकता वरदो भव ॥६॥
उ र यांकु बे
राय सां गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतंसद पं
द धमाषभ ब ल समपया म । भो : कु बे
र दशंर ब ल भ अ य यजमान य
सकुटुब य आयु : कता ेमकता शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव ॥७॥

ऐशा या मीशानाय सां


गाय सप रवाराय सश काय एतंसद पंद धमाषभ ब ल
समपया म । भो ईशान दशंर ब ल भ अ य यजमान य सकु टुब य आयु
कता

मकता शांतकता तुकता पुकता वरदो भव ॥८॥

ईशान पू
वयोम ये णेसांगाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतंसद पं
द माषभ ब ल समपया म भो न दशंर ब ल भ अ य यजमान य
सकुटु
ब य आयुकता े
मकता शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव ॥९॥

नऋ त प मयोम ये , अंनताय सां


गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सं
द पं
द धमाष भ ब ल समपया म । भो अनं त दशं र ब ल भ अ य यजमान य
सकुटुब य आयु :क ा े मकता शांतकता तुकता वरदो भव ॥१०॥
॥ इ त दश द पाल ब ल : ॥

अथ ेपाल ब ल

एक म का बडा द पक ( सराई ) ले
कर उसम चार मु

ंक योत लगाव । द पक म
सरस काते
ल डाल . उसम स र , उडद , पापड , दही , गु
ड , सु
पारी आ दरखकर
द प व लत कर और ेपाल का आवाहन कर ।

ॐ ेपालाय शा कनी डा कनी भू


त े
त बेताल पशाच स हताय इमंब ल समपया म ।
भो ेपाल : दशो र ब ल भ मम यजमान य सकु टुब य सप रवार य आयु
: कता
शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव : ।

ॐ बटुकाय आप ारणाय कुकुबटु काय ॐ।


ॐ ेपालाय नम : । इ त पं
चोपचारै
: सं
पूय ।

ाथये
त्
-

ॐ नमो वैेपाल वं भूत े


त , गणै: सह ।
पू
जाब ल गृ
ह ाणे
मं
सौ यो भवतु सवदा ॥
पुान्
देह धनंदेह सवान्कामांदे
हम।
दे
ह म आयुरारो यंन व नं
कुसवदा न : ॥

अब इस द पक को उठाकर यजमान क तरफ आवृ त कर बना पीछे


मु
डेबाहर द पक
को चौराहे
पर रखाव । ा ण शांतपाठ कर। ा जी ार तक जल छोड द पक को
रखकर आने वाला नहाकर या हाथ पै
र धोकर आवे।

पू
णा त


वेसे ना रयल के
गोलेम घी भरकर रोली , मोली लगाकर उस पर एक सु
पारी रख दे
वे
। ना रयल के मु
ख को स मु
ख करके पूणा त दे व।

पहले" पू
णा यांमृ
डना नेवैानराय " इदं
ग , पुपं, धू
पंनै
वें आचमनीय से
पं
चोपचार पू
जन कर ।पीछे" एकोनपंचाशद्म द्
गणेयो नम : " सेना रयल पर
म द्
गण क पूजा कर । फर व नयोग करकेपू
णा त म से पू
णा त कर ।

व नयोग
ॐ मूान म त म य भार ाज ऋ ष : वैानरोदे
वता ु
प्छ द : पू
णा त होमे
व नयोग : ।

ॐ मूानंदवो अर त पृ थ ा वैानरमृ त आ जातम म् । क व ठ सा ा यम त थ


जनानामास ा पा ं जनय त देव : ॥१॥
पूणाद व परापत सु पूणा पु
नरापत ॥ व नेव व णा वहाऽइषमू ज्शत तो ॥२॥
च जुह ो म मनसा घृ ते
न यथा दे वाऽइहा गम वी तहो ाऽऋतावृ ध : ॥ प ये
व यभू मनो जुह ो म व कमणेव ाहादा यं ह व : ॥३॥
स तते अ ने स मध : स त ज ा : स तऋषय : स त धाम या ण । स तहो ा : वा
यजं त स त यो नरापृ ण व घृते
न वाहा ॥४॥
शु यो त च यो त स य यो त यो त माँ शु ऋतपा ा य वाहा :
॥५॥ई ड् चा या ड च द ड् तस ड् च । मत सं मत सभरा : ॥६॥
ऋत स य , व ु , ध ण । धता च वधता च वधारय : ॥७॥
ऋत ज च स य ज च से न ज च सुषे
ण ।अ तम रे
अम गण : ॥८॥
ई ास ऽएता ास ऽउ षु ण : स ास : तस ास ऽएतन । मतास स मतासो
नोऽअ सभरसोम तो य े ऽअ मन् ॥९॥
वतवां घासी च सां तपन गृ हमे
धी च । डी च शाक चो जे षी ॥१०॥
उ , भीम वांत य धुन । सास ांा भ यु वा च व प : वाहा ॥११॥
पुन वा द या ा वसव : स मधतां पु
न ाणो, वसुनीथ य ै
: घृ
ते
न वं त वंव य व
स या : सं
तुयजमान य कामा : ॥१२॥ पू
णा त कुयात्॥

वसो ारा होम

इसी कार पूणा त करके घृत ( घी ) क धारा दे


व।
ॐ वसो : प व म स शतधारंवसो प व म स सह धारं । दे
व वा स वता पु
नातु
वसो :
पव णेशतधारे ण सुवा कामधु: वाहा ॥
ॐ स तते अ नेस मध : स त ज ा : स तऋषय : स तधाम - या ण स तहो ा :
स तधा व यज त स तयो न रापृण व घृ ते
न वाहा ॥


क्शे
षं
प ात् कलशेयजे
त्
। इम म ाय न मम्

अ नक द णा कर ।

फर ाथना कर ।

ाथना
ा हमाम्पु डरीका न जाने परमंपदम्।
काले व प च सवषुद ु सवासु चा यु
त ॥१॥
अकाल कलु षंच ं मम तेपादयो : थतम् ।
कामयेव णु पादौ तु
सवज म सु केवलम्॥२॥
ॐ ृां मेधां यश : ांव ां पु यं बलम्।
ते
ज आयु म मारो यंदेह म ह वाहन ॥
भोभो अ ने ! महाश े सवकम साधन ।
कमा तरे ऽ प स ा ते सा न यंकुसवदा ॥

भ मधारण
ललाट , गले
, बा , दय म लगानी चा हए ।

ॐ यायु
् षंजमद नेर त- ललाटे

ॐ क यप य यायु
् ष म त- ीवायाम ।
ॐय ेवष
ेुयायु
ष म त- बा मू
ले।
ॐ त ो अ तुयायु
ष म त- द।

ततोऽ यु
प थानम्
पु
नः वैानर या अ न का अ भवादन करे

य य मृ या च नामो या तपोय या दषु।


यू
नंस पूणतां या त सधो व दे तम यु
तम् ॥
कायेन वाचा म से यै वा बुया मना वानुसतृवभावात्

करो म य सकलं पर मै नारायणा ये
त समपया म ॥
मादात कु वतांकम यवे ता वरे
षुयत्।
मरणा देव त णो : स मू ण या द त ु : ॥

ॐ य पुषाय नम : ।

इसके
बाद आरती , पु
पा ली द णा , नम कार कर ।

संव ाशनम्

वह घी जसका ो णी म याग कया था उसको सू


घ।

पू
णपा दानम्

चार पू
णपा - एक घी का पा , सरा श कर का पा , तीसरा चावल का पा ,
चौथा तल का पा इन सब म द णा व य ोपवीत रखकर सं क प करकेएक पा
ाजी को , सरा आचाय महोदय को , तीसरा व चौथा अ य ा ण को द ।

थका- वमोक :
तया दभया णता पा जले न ननम े शरोमाजनम् ।
दभा से णतापा के जल सेशर माजन कर । पु
नः अब ाजी क गाँ
ठ खोल दे
व।

उ र पू
जन

अब यथो यथा स भव उपचार से


सब दे
वता का उ र पू
जन कर ।
(तत : सवषामुरपू
जनं
कु
याता ततो )

णीत पा का यु
जी करण ( णीता पा को पलटना)

यथा - " ॐ सु
म या न आप ओषधय : स तु
का पाठ करतेए दभ सेशरो माजन
करतेए णीता को।पलट या धा कर द।

" णता को धा करने


का मं- ॐ म या त मै
स तु
योऽ मान्ेयं
यंचवयं
म:॥

ईशा यांणीतायां म : ॥ ईशा यांणीतायांयुजीकरणम् ॥


प व ऽेनौ पेत्॥ अ नेऽ य यंतेन नयन पश : । यह म बोलकर ईशान कोण म
णतापा को धा कर द ।

और प व य को अ न म डाल द । अ न को तीन बार अ य दे


कर उस जल से
ने
पश कर ।

ब हहोम :

आ तरण
(तत् मे
ण ब ह था य आ ययुं
कृवा ह ते
नव
ैन न म ण
ेजुयात्
)

। जस कार वेद केचार ओर ब ह ( कु शाएं) बछाई थी उ ह उस म से उठाकर


घृ
त म भगोकर म ारा हाथ सेही होम दे
व।
ॐ दे
वा गातु
वदो गातु
ंव वा गतु मत । मनस पत इमं दे
वय वाहा वातेधा : वाहा ॥

द णा दान तथा आशीवाद :

अ तान् व ह ता तुन यं गृहण त : येनरा : ।


च वा र ते
षां
वध तेआयु क त यशो बलम् ॥
ीवच वमायु यमारो यं
गावधात् पवमानंमहीयते ।
धन धा यंपशुं
ब पुलाभं शतसं व सरेद घमायु ।
म ाथा : सफला स तु पू
णा : स तुमनोरथा : ।
श ण
ूां
बु नाशो तुम ाणां
मु
दय तव ॥

द णा दान सं
क प

प ात्
आचाया द ा ण को द णा दे
वे
एतदथ सं
क प पढ ।

पू व गु
ण वशे षण व श ेअमुक संव सरे ऽमु कमासेऽमु
क प ेऽमुक तथौ च
ऽमु कगो ो प ो ऽमु
कनामाहं
अमु
क शा त ..........कम ण सफलता ा यथ आचायाय
, कम क अ ये य ाप व ेय : सस मान द णां द णां
, भू
यस च स ददे॥

ा ण भोजन

इसके
प ात्ा ण को भोजन कराव । आशीवाद ा त कर ।

इसकेअन तर यजमान प नी यजमान केवाम भाग म बै


ठे
। धान कलश और
कलश केजल से दोन का आचाय गण म पाठ पू वक अ भषे
क कर । (प ात्
यजमान य प नी त य वां
मागे
उप वशे
त्
। धानकलश कलश जले
न तयोर भषे
कंकु
यात्
।)

अ भषे
क:म ा:

ॐ व त न इ ो वृ वा : व त न : पू
षा व वे
दा : । व त न ता ऽअ र ने

व त नो बृ
ह प तदधातु
: ॥१॥

ॐ पय : पृ
थ ां
पय ओषधीषु
पयो द तर े
पयोधा : । पय वती दश : स तु
म म ॥२॥

ॐ व णो रराटम स व णो : े
थो व णो : यू
र स व णो व
ुोऽ स वै
णव म स
व णवेवा ॥३॥

ॐ अ नदवता वातो दे वता सू


य देवता च मा देवता । वसवो दे
वता ादे
वता
ऽ द या दे
वता म तो दे
वता व ेदे
वा दे
वता बृ
ह प त दवतेो दे
वता ,व णो दे
वता
॥४॥

ॐ धौ शा तर त र शा त : पृ
थवी शा तराप : शा तरोषदय : शा त : वन प य
शा त व े
दे
वा : शा त शा त : सव शा त : शा तरे
व शा त : सा मा शा तरे

॥५॥

ॐ आपो ह ा मयोभु व ता न ऽऊज दधातन । महे रणाय च से । यो व : शवतमो


रस त य भाजयतेह न : । उशती रव मातर : । त मा अरंमामवो य य याय ज वथ
। आपो जनयथा च न : ॥

शा तर तु। पुर तु
। तुर तु ।वृ र तु
। अ व नम तु। आयु
मम तु। शवम तु

शव कमा तु। कमसमृर तु । धम समृर तु । वे
द समृर तु। शा समृर तु
। पुपौ समृर तु । धन धा य समृर तु ।

( अब जल का भूम पर याग कर )अ न नरसनम तु


य पापं
रोगं
अशु
भं
अक याणं
त प तहतम तु।

फर दोन ( द प ) केहाथ पर छ ट द - रा य ारे


गृ
हे
सु
ख शांतभवतु
, ीर तु
,
क याणम तु । ॐ शा त : शा त : शा त : ।

इसके
प ात्
दे
वता का वसजन कर त प ात्व जन यजमान को आशीवाद दे

वसजन

ग छ तु
च सु
र ेा : व थानेपरमेरा : ।
यजमान हताथाय पुनरागमनाय च ॥

पु
नः आशीवाद :

अ तान् व ह ता तुन यं गृहण त : येनरा : ।


च वा र ते
षांवध ते
आयु क त यशो बलम् ॥
ी वच व मायुय मारो यंगावधात् पवमानं महीयते ।
धन धा यं पशुं
ब पुलाभं शतसं व सरेद घमायु ।
म ाथा : सफला स तु पूणा : स तुमनोरथा : ।
श णूां
बु नाशो तुम ाणां मु
दय तव ॥
पाद ट पणी तथा सं
दभ
-----------------------------------------------------------------
१. कु शक डका वधानका मू ल इस कार है -
प रसमु होप ल यो ल यो धृ या युया नमु पसमाधाय द णतो ासनमा तीय ाणीय प र तीयाथवदासा
पव े कृ वा ो णी: सं कृ याथव ो य न या यम ध य पय न कुयात्॥ व ुंत य स मृया युय पुनः
त य नद यात् ॥ आ यमुा यो पू यावे य ो णी पू वव पयमना कु
शानादाय स मधोऽ याधाय पयु
य जुयात्
(पार करगृ सू१/१/२-४ )
२.उ ाने न तु ह ते न ो णं समु दा तम् । तर ावो णं ो ं
नीचे
ना युणंमृ
तम्
।।

३- प चाश शकु शको ा तदधन तु व र: ।


ऊ वके शो भवेद ा ल बकेश तु व र: ॥
द णावतको ा वामावत तु व र: । ( वधानपा रजात)
४. अ ने रत: णीतासन यम् ।
५. णीतापा : पुरत:कृ वा जले न पू य।
६. कु शै
रा छा थमासने नधाय णो मु
खमवलो य तीयासने नद यात्।
७. प र तरणकेबना वे द तथा अ नप नी वाहादे वी न न मानी जाती ह। इसी न नताको र करने केलये
कु श ारा प र तरण कया जाता है -
वे दका दभहीना तु वन ना ो यते बु
धैः।
प रधानं तत: कुया दभणै व वशेषत: (का रका
८. इतने कुश न मल तो ते रह कुश को हण चा हये उनकेतीन तीन केचार भाग करे । कुश केसवथा
अभाव म वा से भी या स प क जा सकती है ।
९. ाग यो ो प र उदग ा ण नधाय उप र ादे शमा मवशे ष य वा अधोभागे योमू लेन द णीकृ य
एक कृ य छे दये
त्अधोभागे यो ले न द णीकृ य एक कृ य छे दये
त्ता नुरत: पे
तI्
(कमका ड द प)
१० . य द दो च बनाने ह और च केलये दो पा ह तो अलग अलग बनाये । पतृ
कमगत वृ षो सगम दो
च पाक बनते ह। ( प चर तथा पायस-च )
११. सकृ त्प ये तुत डु ला: । पतृकायम एक बार धोना चा हये ।
१२ . माणके पम 'साम वधान ा ण के थम ख डके थम अ यायका वचन उ धृ त कया जा रहा है

वा इदम आसीत् ''त य तेजो रसोऽ य र यत् ' ‘स ा अभवत् ’ ‘स तु
ण मनसा यायत् ’ ‘त य य मन
आसीत् ''स जाप तरभवत' 'त मात्ाजाप यं मनसा जुत' 'मनो ह जाप त:'।

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