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कु
पं
च भू
संकार
हवनकेलये जो वे
द बनायी जाती है
, उसेशु एवं प व करने केलये तथा उसम
अ न था पत करने केलये उसका सं कार कया जाता है
, जो पाँ
च कारसेहोता है
,
इसेपं
च- भूसंकार कहते ह। इन पाँ
च संकार केनाम इस कार ह-१.प रसमूहन, २.
उपलेपन, ३.उ लेखन या रे
खाकरण, ४ .उ रण तथा (५)अ युण या सेचन।
१.प रसमूहन-
वे
द म कोई कृ म, क ट आ द न रह जाय अतः उसकेनवारणकेलये तीन कु
श
के ारा द णसे उ रक ओर वे द को साफ करे और उन कुश को ईशानकोणम
फक दे ( भदभ: प रसमुतान् कुशानै
शा यां
प र य य)
२. उपलेपन-
पु
राकालम इ ने वृनामक महान्असु रका वध कया था। उस वृासु
रकेमे
द (चब )
-सेयह पृ वी ा त हो गयी। अत: मे दयु भू मका सं कार उपले
पन कहलाता है
।
इसके लये गायके गोबर तथा जलसे वे द को लीपना चा हये ।
(गोमयोदके नोप ल य)
(३) उ लेखन या रे
खाकरण-
ु
वा केमू
लसे वेद केम य भागम ादे
शमा (अंगठ
ू े
सेतजनी केबीचक री) ल बी
तीन रेखाएँप मसे पू
वक आर ख चे । रे
खा ख चनेका म द णसे ार भकर
उ रक ओर होना चा हये । यह या उ लेखन या रे
खाकरण कहलाती है
। ( ये
न,
ु
वमूलन
ेकुशमूलनेवा ल य)
(४) उ रण-
उन ख ची गयी तीन रे
खा सेउ ले
खन- मसे अना मका तथा अं
गुके ारा थोड़ी-
थोड़ी म नकालकर बाय हाथम रखता जाय। बादम सब म दा हने हाथपर
रखकर ईशानकोणक ओर फक दे । यह या उ रण कहलाती है ।
(अना मका गुा यांमृ
दमु
दधृ
य)
चन२ -
(५) अ युण या से
तदन तर गं
गा आ द प व न दय केजलकेछ ट से वे
द को प व करना चा हये
। यह
या अ युण या से
चन कहलाती है
। (जले
ना यु
य)
वे
द केपंच-सं
कार करने
केअन तर कु शक डका वधान क धान या करनी
चा हयेजसम ाय: अ न- थापनसे आ त दान करनेतकक याएँआती आघार
और आ यभाग नामवाली चार है
। सामा य प से
उस या को भी यहाँदया जा
रहा है
सव थम सं का रत वे
द म अ नक थापना करनी चा हये । बड़े
य -यागा दम ाय:
अर ण-म थन ारा अ नका ाक कया जाता है। अ य ाय: कपू र आ दको
व लत कर अ न था पत क जाती है । स मधाएँ(य ीय का ) पलाश आ दक
होनी चा हये
। उन य ीय का म कोई क ड़े -मकोड़े व न ह , यह दे
ख लेना चा हये
अ यथा जीव हसा होगी । ये
का सू खे होनेचा हये
। अ न वालनकेलये गायके
गोबरके सूखेक डे का भी योग होता है
।
अ न- थापन
कसी कां य अथवा ता पा म या नयेम केपा (कसोरे ) म थत प व अ नको
वे
द केअ नकोणम रखे और इस अ नम से ादां श नकालकर नै
तृयकोण म डाल
दे
। तदन तर अ नपा को वा भमु ख करतेए वेद म था पत करे
। उस समय यह
म पढ़े -
ॐ अ नं तंपु
रो दधे
ह वाहमुप ु व।ेदे
वां
२ आ सादया दह ॥
णीतापा थापन-
इसकेबाद आचाय ( होता) ाकेआदे
शसे
अ न (वे
द ) केउ रभाग मे ादे
शमान
री छोड़कर प या कुश केदो आसन रख४। कु शका अ भाग पूवक ओर हो,
चतु कोण णीतापा को बाय हाथम रखकर दा हने
हाथम थत कमपा थ जलसे
५
उसे भर देऔर कु
श सेढककर ाके
मुखका अवलोकन कर पहले प मवाले
पते
६
(कुश) केआसनपर रखकर, उठाकर फर पूववाले
आसनपर रख दे।
अ न ( वे
द ) के
चार ओर कु शप र तरण )७ -
श-आ छादन (कु
पा ासादन-
हवनकायम यो सभी व तु तथा पा यथा समू ल तीन कुश उ रा (प व
बनाने
वाली प य को काटने केलये ), सा दो कु शप (बीचवाली सीक नकालकर
प व क बनाने के लये ), ो णीपा (अभाव म दोना या म का कसोरा),
आ य थाली (घी रखने का पा ), च पा के पम म क दो पा (य द एक ही
पा म बनाना हो तो वह बड़ा रहना चा हये
), पाँ
च स माजन कु श, सात उपयमन कु
श,
तीन स मधाएँ( ादेशमा ल बी), ु वा , आ य (घृ त ), य ीय का (पलाश आ दक
लकड़ी), २५६ मु चावलसे भरेपूणपा आ दको प म से पूव तक उ रा अथवा
अ नके उ रक ओर पू वा रख ले है
,
प व क नमाण-
दो कु
श केप को बाय हाथम पू
वा रखकर इनकेऊपर उ रा तीन कु श को दाय
हाथसेादेशमा री छोड़कर मू
लक तरफ रख दे। तदन तर दो कु
श केमूलको
पकड़कर कु श य को बीचम लेतेए दो कु
शप को द ण म से लपे
ट ले
, फर
दाय हाथसेतीन कुश को मोड़कर बाय हाथसेपकड़ लेतथा दा हनेहाथसे
कुशप य पकड़कर जोर से ख च ले। जब दो प वाला कु श कट जाय तब उसके
अ भागवाला ादे शमा दा हनी ओरसे घु
माकर गाँठ दे
देता क दो प अलगअलग न
ह । इस तरह प व क बन गया। शे
ष सबको (दो प के कटेभाग तथा काटने
वाले
तीन
९
कुश को) उ र दशाम फक दे।
घृ
तको पा ( आ य थाली )-म नकालना-
आ यपा से घीको कटोरे
म नकालकर उस पा को वे
द केद णभागम अ नपर रख
दे
।
च नमाण-
बड़े कसोरे
केबीचम जौका आटा गू थ
ंकर द वार-जै ।१० इसके
सा बना दे बाद एक भागम
ध तथा जौका आटा मलाकर रख दे । सरे भागम ध तथा दो बार धु लेए चावल११
मलाकर रख दे। तदन तर इस पा को अ न पर उ र घृ तपा से उ र भागम रख दे
।
खूब चलाकर पकाये । खू
ब गाढ़ा होना चा हये
। दोन भागकेच को चलाने
केलये
दो अलग-अलग लक ड़याँ होनी चा हये।
पय नकरण-
कु
श या कसी लकड़ीको अ नम जलाकर दा हने हाथसे पकड़कर पायस तथा घी के
ईशानभाग सेार भ कर ईशानभाग तक दा हनी ओरसे घु
माये। इस जलती लकड़ीको
अ नम छोड़ दे। फर खाली हाथको बाय ओर से ईशानभाग से घु
माना ार भ कर
ईशानभाग तक लेआये।
ुवा का स माजन-
जब घी आधा पघल जाय तब दाय हाथम ु वाको पू
वा तथा अधोमुख लेकर आग पर
तपाये। पु
न: ु वाको बाय हाथम पू
वा ऊ वमुख रखकर दाय हाथसेस माजन कुशके
अ भाग से ु वाकेअ भागका, कु शकेम यभागसे ुवाकेम यभागका और कु शके
मू
लभागसे ु वाकेमूलभाग का पश करे अथात् ुवाका स माजन करे । ु
वाका
ो ण करे । उसके बाद णीताके जलसेस माजन कुशको अ न म डाल दे
।
ु
वाका पु
नः तपन-
अधोमु
ख ु वा को पु
नः अ न म तपा कर दा हनी ओर कसी पा , प े
या कु
श पर
पू
वा रख दे
घृ
त पा तथा च पा का थापन-
घी केपा को अ नसे उतारकर पायसकेप म भागसेहोतेए पू वक ओरसे
प र मा करकेअ न(वेद ) -केप मभागम उ रक ओर रख दे । तदन तर पायस
(च )-पा को भी अ नसे उतारकर वे
द उ र रखेए आ य थाली केप म से ले
जाकर उ र भागम रख दे
।
घृ
त का उ लवन -
घृ
तपा को सामने रख ले। ो णीम रखी ई प व ीको ले कर उसकेमू लभागको
दा हने
हाथकेअं गुअना मकासेऔर बाय हाथकेअं गुतथा अना मकासे प व ीके
अ भागको पकड़कर कटोरे केघृ
त को तीन बार ऊपर उछाले
घृ
त का अवलोकन करे
और य द घृतम कोई वजातीय व तुहो तो नकालकर फक दे । तदन तर ो णीके
जलको तीन बार उछाले
और प व ीको पु न: ो णीपा म रख दे। ुवा से
थोड़ा घी
पायसम डाल दे
।
तीन स मधा क आ त-
ाका पश करतेए बाय हाथम उपयमन (सात)- कु
श को ले
कर दयम बायाँहाथ
सटाकर तीन स मधा को घी म डु
बोकर मनसे जाप तदे वता का यान करतेए
१२
खड़ेहोकर मौन हो अ नम डाल दे। तदन तर बै
ठ जाय।
पयुण (जलधारा दे
ना)-
प व कस हत ो णीपा केजलको द ण हाथक अं ज लम ले कर अ न के
ईशानकोण से
ईशानकोण तक द ण म सेजलधारा गरा दे
। प व क को बाय
हाथम ले
कर फर दा हने खाली हाथको उलटेअथात्ईशानकोणसेउ र होतेए
ईशानकोणतक ले आये (इतरथावृ:) और प व कको दाय हाथ ले
कर णीताम
पू
वा रख दे
। तदन तर हवन करे
।
हवन- व ध
अब ा कु
शका पश होता से
हटा ले
। तदन तर यागका सं
क प करे
याग
हाथम जल ले कर इस कार बोलकर जल छोड़ दे - 'अ मन्
होमकम ण या: या:
य माणदे वता ता य: ता य: इदंहवनीय ं
मया प र य ॐ त स थादैवतम तु,न
मम।'
अ नका यान, आवाहन तथा पू
जन-
हाथम पुप ले
कर न न म ारा अ नका’ यान आवाहन करे-
सवतः पा णपादंच सवतोऽ शरोमु ख: । व पो महान न: णीत: सवकमसु॥
अ न व लतं व दे
जातवेदंताशनम् । सुवणवणममलं स म ंसवतोमुखम्॥
तदन तर ग ध, अ त, पुप आ द उपचार से अ नका पूजन करेऔर वरा त दान
करे
तत : अ ने
स त ज ानां
पू
जये
त्
अथ पचवा ण ( ाय होम :)
ॐ व ोअ े व ण य व ान् दे
व य हे
डो भवया ससी ाः । य ज ो
व तमः शोशु
चानो व ा ेषांस मुमुय मत्वाहा ।
इदम नव णा याम्न मम ॥१।।
ॐ ये
तेशतं
व णंयेसह ंय याः पाशा वतता: महा तः: ।
ते
भनाऽअ स वतोत व णु
व े
मुच तु म तः वकाः: वाहा । इदं
व णाय स व े
व णवे
व े
योदे
वेयो म द्
यः वक य न मम ।।४।।
वरा त
व नहता भगवान्
गणप त तथा दे
वी अ बकाकेन म द गयी आ त ‘वरा त'
कहलाती है
।
वरा तके
म इस कार ह-
गणप तकेलये
ॐ गणानांवा गणप त वंहवामहे याणांवा यप त वं हवामहेनधीनांवा
न धप त वं
हवामहे
वसो मम। आहमजा न गभधमा वमजा स गभधम्-- वाहा।
अ बकाकेलये
ॐ अ बे
अ बकेऽ बा लकेन मा नय त क न।
सस य कः का पीलवा सनीम्
।-- वाहा ॥
अथ नव हाणां होम :
(ततो घृ
ता ा : स मधो जुयात् )8, 28 अथवा 108 संया म त द ह स मधा से
अ न म होम दान करे । होमः हेतुघृ
ता ह स मधा का योग कर
ॐ आकृणे न रजसा व मानो नवे शय मृतंम य च । हर यये न स वता रथेनादेवो
या त भु वना न प यन वाहा : । इदं सूयाय वाहा : ॥(मं
दार)
ॐ इमं दे
वा ऽअसप न सु ब वं महते ाय महतेयैयाय महतेजानरा याये
य याय । इमममु य पुम मु यैपु म यैवश एव वोऽमी राजासोमोऽ माकं
णानां राजा वाहा । इदं च ाय हा : ॥(पलाश)
ॐ अ न मूा दव : ककुप त : पृ थ ाऽअयम् । अपा रेता स ज व त वाहा । इदं
भौमाय वाहा : ॥(ख दर या खै र)
ॐ उदबु य वा े तजागृ ह व म ापू त स सृजथेामयं च ।
अ म सध थे ऽअ युर मन्व दे वायजामान , सीदत वाहा ।इदं बु
धाय वाहा :
॥(अपामाग या लटजीरा)
ॐ बृ ह पते ऽअ तयदय अहाद् धुम भाती तु म जने षु। य दय छवसऽऋत जात
तद मासुवणं धे ह च म्वाहा । इदं बृ
ह पतयेवाहा : ॥(अ थ या पीपल)
ॐ अ ात् पर ु तो रसं णा पबत् ं पय : सोम जाप त : ऋते न स य म यं
वपान शुम धस ऽइ ये य मदं पयोऽमृतं
मधुवाहा । इदं शुाय वाहा : ॥(गूलर
या उ बर)
ॐ श ो दे वीर भ य आपो भव तु पीतये। शं योर भ व तु न : वाहा : । इदं
शनैराय : वाहा : ।(शमी)
ॐ कया न आभु व ती सदावृध : सखा । कया श च या वृ ता वाहा । इदंराहवे
वाहा : ।( वा)
ॐ के तुंकृव के तवेपे
शो म या अपे शसेसमुषद् भरजायथा : । केतवेवाहा: ॥(कुश)
अथ अ ध दै वाना होम :
ॐ यं बकाय नम : वाहा : । ॐ उमायै नम : वाहा : ।ॐ क दाय नम : वाहा : । ॐ
व णवे नम : वाहा : ।ॐ णेनम : वाहा : । ॐ इ ाय नम : वाहा : ।ॐ यमाय
नम : वाहा : । ॐ कालाय नम : वाहा :।ॐ च गु ताहंनम : वाहा : ।
अथ य धदे वतानां
होम :
१ . ॐ अ नयेवाहा : ।२ . ॐ अद् य : वाहा : ।३ . ॐ पृ
थ ैवाहा : ।४ . ॐ
व णवेवाहा : ।५ . ॐ इ ाय वाहा : ।६ . ॐ इ ा यैवाहा : ।७ . ॐ जापतये
वाहा : ।८ . ॐ सप य : वाहा : ।९ . ॐ णेवाहा : ।
अथ षड्वनायकेयो होम :
॥ पं
चलोक पाल दे वता होम : ॥
ॐ य ानंथमं पुर ताद् सी मत : सुचो वे न आव : सबुया उपमा अ य
व ा : सत यो न मसत वव : । ॐ णेनम : वाहा : ।
ॐ व णोरराटम स व णो : ेथो व णो : य़ूर स व णो वो ु स । वै णवम स
व णवे वा । ॐ व णवे नम : वाहा : ।
ॐ नम : शं भवाय च मयो भवाय च नम : शं कराय च मय कराय च नम : शवाय शव
तराय च । ॐ शवायनम : वाहा : ।
ॐ ी तेल मी प यावहोरा ेपा न ाण पम नौ ा म्।
इ ण षाणामु मऽइषाण , सवलोक मऽइषाण । ॐ महाल यै नम : वाहा : ।
ॐ पंच न : सर वती म प य त स ो तस: सर वती पं चधा दे शे भवत् स रत्।ॐ
सर वतै नम : वाहा : । इ त पं
चलोकपाल होम :
अथ षोडषमातृ का होम :
ॐ गणे शाय नम : वाहा : । ॐ गौरीम्नम : वाहा : ।ॐ प ायै नम : वाहा : । ॐ
शच नम : वाहा : ।ॐ मे धां
नम : वाहा : । ॐ सा व ी नम : वाहा : ।ॐ वजया नम :
वाहा : । ॐ जया नम : वाहा : ।ॐ देवसे ना नम : वाहा : । ॐ वधा नम : वाहा :
।ॐ वाहा नम : वाहा : । ॐ मातर : नम : वाहा : ।ॐ लोकमातर : नम : वाहा ।ॐ
धृत नम : वाहा : । ॐ पु नम : वाहा: ।ॐ तु नम : वाहा : । ॐ आ मन कु ल
दे
वतानम : वाहा : ।
अथ स तघृ
त मातृ
का होम :
मे
धा :-ॐ मे
धा नेव णोददातु
मेधाम न : जाप त । मे
धा म वायु मे
धा ाता
ददातुम वाहा ॥ ॐ मे
धाम्
नम : वाहा ।
ा :-ॐ आयं
गौ : र मीद्
सद मातर पु
र : पतरं
च य व॥ॐ ायै
नम :
वाहा : ।
अथ पं
चलोकपाल होम :
अथ वा तु
होम :
धान दे
वता होमः
अब धान दे वता हे
तु
शाक य और घृ
त से
यथो संया म आ त दान करे
व कृ
तआ त
ॐ व ो अ ने
इ त पं
चवा णीहोमवत्॥(पं
च वा णी होम पु
नः कर।)
ॐ जापतयेवाहा । इदंजापतये न मम॥
ह ब लदान
सं
क प
सू
या द नव हेय : सां
गेय : सप रवारे
य : सायु
धेय : सश केय : अ धदेवता
य धदे
वता गणप या द पं
चलोकपाल वा तो प त स हतेय : एतंसद पमाषभ
ब लसमपया म ॥
ाथना
भो भो : सू या द हा : सांगा : सप रवारा : सायूधा : सश का : अ धदे वता
य धदे
वता :- गणप या द पं चलोकपल - वा तो प त स हता : मम सकु टु
बय
सप रवार य आयु : कतार : ेमकतार : शां
त कतार : पुकतारो वरदा भवे
त्
। अने
न
ब लदाने
न सूया द हादय : ीय ताम् ।
द पाल ब लदान
अथ दश द पालाद नां
ब लदानम्
त था
पू
व इ ाय सां
गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतंसद पंद धमाष भ ब ल
समपया म । भो इ दशं र ब लभ अ य सकु टुब य : यजमान य :आयु
: कता
े
मकता शांतकता तुकता पुकता वरदो भव ॥१॥
आ नेयांअ नयेसां
गाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पंद ध माषभ
ब ल समपया म । भौ अ नेदशं र ब लभ यजमान य सकु टुब य आयु : क ा
ेमकता शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव ॥२॥
नै
ऋ या , नऋतये सां
गां
य सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतं
सद पंद धमाषभ
ब ल समपया म । भो नऋतेदशं र ब लभ अ य यजमान य सकु टुब य आयु:
कता ेमकता शांतकता तुकता पु वरदोभव ॥४॥
ईशान पू
वयोम ये णेसांगाय सप रवाराय सायु
धाय सश काय एतंसद पं
द माषभ ब ल समपया म भो न दशंर ब ल भ अ य यजमान य
सकुटु
ब य आयुकता े
मकता शां
तकता तुकता पुकता वरदो भव ॥९॥
अथ ेपाल ब ल
एक म का बडा द पक ( सराई ) ले
कर उसम चार मु
ह
ंक योत लगाव । द पक म
सरस काते
ल डाल . उसम स र , उडद , पापड , दही , गु
ड , सु
पारी आ दरखकर
द प व लत कर और ेपाल का आवाहन कर ।
ाथये
त्
-
पू
णा त
ु
वेसे ना रयल के
गोलेम घी भरकर रोली , मोली लगाकर उस पर एक सु
पारी रख दे
वे
। ना रयल के मु
ख को स मु
ख करके पूणा त दे व।
पहले" पू
णा यांमृ
डना नेवैानराय " इदं
ग , पुपं, धू
पंनै
वें आचमनीय से
पं
चोपचार पू
जन कर ।पीछे" एकोनपंचाशद्म द्
गणेयो नम : " सेना रयल पर
म द्
गण क पूजा कर । फर व नयोग करकेपू
णा त म से पू
णा त कर ।
व नयोग
ॐ मूान म त म य भार ाज ऋ ष : वैानरोदे
वता ु
प्छ द : पू
णा त होमे
व नयोग : ।
ु
क्शे
षं
प ात् कलशेयजे
त्
। इम म ाय न मम्
।
अ नक द णा कर ।
फर ाथना कर ।
ाथना
ा हमाम्पु डरीका न जाने परमंपदम्।
काले व प च सवषुद ु सवासु चा यु
त ॥१॥
अकाल कलु षंच ं मम तेपादयो : थतम् ।
कामयेव णु पादौ तु
सवज म सु केवलम्॥२॥
ॐ ृां मेधां यश : ांव ां पु यं बलम्।
ते
ज आयु म मारो यंदेह म ह वाहन ॥
भोभो अ ने ! महाश े सवकम साधन ।
कमा तरे ऽ प स ा ते सा न यंकुसवदा ॥
भ मधारण
ललाट , गले
, बा , दय म लगानी चा हए ।
ॐ यायु
् षंजमद नेर त- ललाटे
।
ॐ क यप य यायु
् ष म त- ीवायाम ।
ॐय ेवष
ेुयायु
ष म त- बा मू
ले।
ॐ त ो अ तुयायु
ष म त- द।
ततोऽ यु
प थानम्
पु
नः वैानर या अ न का अ भवादन करे
।
ॐ य पुषाय नम : ।
इसके
बाद आरती , पु
पा ली द णा , नम कार कर ।
संव ाशनम्
पू
णपा दानम्
चार पू
णपा - एक घी का पा , सरा श कर का पा , तीसरा चावल का पा ,
चौथा तल का पा इन सब म द णा व य ोपवीत रखकर सं क प करकेएक पा
ाजी को , सरा आचाय महोदय को , तीसरा व चौथा अ य ा ण को द ।
थका- वमोक :
तया दभया णता पा जले न ननम े शरोमाजनम् ।
दभा से णतापा के जल सेशर माजन कर । पु
नः अब ाजी क गाँ
ठ खोल दे
व।
उ र पू
जन
णीत पा का यु
जी करण ( णीता पा को पलटना)
यथा - " ॐ सु
म या न आप ओषधय : स तु
का पाठ करतेए दभ सेशरो माजन
करतेए णीता को।पलट या धा कर द।
ब हहोम :
आ तरण
(तत् मे
ण ब ह था य आ ययुं
कृवा ह ते
नव
ैन न म ण
ेजुयात्
)
द णा दान सं
क प
प ात्
आचाया द ा ण को द णा दे
वे
एतदथ सं
क प पढ ।
पू व गु
ण वशे षण व श ेअमुक संव सरे ऽमु कमासेऽमु
क प ेऽमुक तथौ च
ऽमु कगो ो प ो ऽमु
कनामाहं
अमु
क शा त ..........कम ण सफलता ा यथ आचायाय
, कम क अ ये य ाप व ेय : सस मान द णां द णां
, भू
यस च स ददे॥
ा ण भोजन
इसके
प ात्ा ण को भोजन कराव । आशीवाद ा त कर ।
अ भषे
क:म ा:
ॐ व त न इ ो वृ वा : व त न : पू
षा व वे
दा : । व त न ता ऽअ र ने
म
व त नो बृ
ह प तदधातु
: ॥१॥
ॐ पय : पृ
थ ां
पय ओषधीषु
पयो द तर े
पयोधा : । पय वती दश : स तु
म म ॥२॥
ॐ व णो रराटम स व णो : े
थो व णो : यू
र स व णो व
ुोऽ स वै
णव म स
व णवेवा ॥३॥
ॐ धौ शा तर त र शा त : पृ
थवी शा तराप : शा तरोषदय : शा त : वन प य
शा त व े
दे
वा : शा त शा त : सव शा त : शा तरे
व शा त : सा मा शा तरे
ध
॥५॥
शा तर तु। पुर तु
। तुर तु ।वृ र तु
। अ व नम तु। आयु
मम तु। शवम तु
।
शव कमा तु। कमसमृर तु । धम समृर तु । वे
द समृर तु। शा समृर तु
। पुपौ समृर तु । धन धा य समृर तु ।
इसके
प ात्
दे
वता का वसजन कर त प ात्व जन यजमान को आशीवाद दे
व
।
वसजन
ग छ तु
च सु
र ेा : व थानेपरमेरा : ।
यजमान हताथाय पुनरागमनाय च ॥
पु
नः आशीवाद :