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यह हास्य नाटक एक ऐसे इं सान की कहानी है जो चलता साइककल पर है लेककन सपने प्राइवे ट हवाई जहाज के दे खता है ।

(घर की छत के ऊपर से हवाई जहाज के उड़ने की आवाज, अखबार पलटने की आवाज।)

गेंदा स िंह- अरे शकिं तला नती हो । जरा इधर आना ।

शकिं तला – क्या है? मैं सकचन में सिजी हँ । वहीिं े िता दीसजये ।

गेंदा स िंह- अरे दो समनट के सलये इधर तो आ जाओ । एक िड़ी िसिया खिर छपी है ।

शकिं तला – दे खखये अगर मैं वेरे वेरे अखिार पिने लगिंगी तो सशव शिंकर को स्कल जाने में दे र हो जायेगी और आप भी
आसि लिंच के मय ही पहिंचोगे ।

गेंदा स िंह- अरे जरा इधर तो आओ । अखिार में ऐ ी खिर छपी है सक अगर यह िात च हो जाये तो तत्हारा िचपन का पना
च हो जाये ।

शकिं तला – (कमरे में आती है) दे खखये मेरे िचपन के पनोिं की तो आप िात मत ही कीसजये । जि े ब्याह कर आयी हँ एक
भी पना आपने च नही सकया, इ सलये अि न तो पने दे खती हँ और न ही पराने पनोिं को याद करती हँ । हाँ एक पना
मैंने िहत सदन तक दे खा था सक मैं इिं टर पा हो जाऊिं । पर इ घर-गृहस्थी के चक्कर में मेरा वह पना भी टट गया । अि तो
मेरा यह पना मेरा िेटा सशव शिंकर ही परा करे गा । आप े तो कोई उम्मीद करना ही िेकार है।

गेंदा स िंह- अरे दे वी जी धीरे िोलो । क्योिं तम पड़ोस योिं को मेरा िायो-डे टा िताने पर तली हो ? िड़ी मखिल े तो तीन िार में
सक ी तरह इिं टर और पािं च ाल में िी.ए. पा की है । अि क्या तम्हारे सलये मैं सिर इिं टर की परीक्षा में िैठिं ।

शकिं तला – अि जल्दी े अपनी िात िोसलये क्योिं गडे मदे उखाड़ रहे हैं । दाल चिा कर आयी हँ । जल गयी तो सशव सिना खाये
ही चला जायेगा ।

गेंदा स िंह – दे खो अखिार में सलखा है सक लातसवया के वैज्ञासनक एक ट ीटर हवाई जहाज िना रहे हैं, जो हल्का और छोटा तो
है ही, उ की कीमत भी मात्र पािं च लाख रूपये है ।

शकिं तला – कल े ये पेपर मिंगाना ििंद । पहली अप्रेल सनकले दो महीने हो गये और ये लोग अप्रेल िल आज मना रहे हैं । मेरी
ब्जी जल रही है । दाल भी जल गई तो सशव सिना खाना खाये ही चला जायेगा । आप फ्र्री ििंड में िैठे हैं तो आप ही पसिये ।
द समनट िाद जि नल चला जायेगा ति िैठ कर खाली िाल्टी झािंसकयेगा । मैं चली । (िड़िड़ाते हये) मिंआ न जाने कै ा इनका
दफ्तर भी है, जो ग्यारह िजे के पहले खलता भी नहीिं । अभी वो ज्ञान चिंद भी आ जायेगा कचहरी जामने के सलये ।

गेंदा स िंह – हिंह द वीिं पा । जि भी हवाई जहाज छत के ऊपर े गजरता है तो आिं गन में खड़ी हो जाती है । िचपन का
पना है सक हवाई जहाज में िैठेंगी । अि जि हवाई जहाज इतना स्ता होने जा रहा है तो अखिार ििंद कर दो ।

(डोर िेल िजने की आवाज और शकिं तला की सकचन े आवाज)

शकिं तला – सनये, दरवाजा खोल दीसजये । ज्ञानजी आये होिंगें ।

(दरवाजा खलने की आवाज)


गेंदा स िंह- आओ भाई ज्ञान चिंद । सिसटया को स्कल छोड़ आये ।

ज्ञान चिंद- हाँ । छोड़ आया । और क्या खिर है अखिार में ?

गेंदा स िंह- अमािं यार ये डे ली धमाका अखिार रोज कोई न कोई धमाका करता रहता है । अि िताओ भला पािं च लाख रूपये में
कहीिं हवाई जहाज भी समल कता है । िैठे िैठे ख्याली पलाव पकाते हैं और हम लोगोिं को खखलाते हैं ।

ज्ञान चिंद- क्या कह रहे हो गेंदा स िंह । पािं च लाख में हवाई जहाज ? कौन िना रहा है ? कहाँ छपा है? सदखाइये हम भी तो दे खें ।

गेंदा स िंह- लो तम भी पि लो । ये ि े ऊपर छपा है । ‘अि पािं च लाख में समलेंगे हवाई जहाज‘ ।

( अखिार के पन्ने पलटने की आवाज)

ज्ञान चिंद- अमािं क्या खाक पििं । चश्मा तो घर पर ही भल के आ रहा हँ । तम ने खिर पिी होगी तम ही िता दो क्या सलखा है
अखिार में ।

गेंदा स िंह- तम भी यार, भाभी को तो सिना चश्मे के भी एक सकलोमीटर दर े पहचान लेते हो और अखिार पिने के सलये चश्मा
लगाते हो ।

ज्ञान चिंद- तम े सकतनी िार कहा है सक मेरी दखती रग पर पािं व मत रखा करो ।

गेंदा स िंह- दखती रग पर हाथ रखा जाता है ज्ञान चिंद, पैर नहीिं । थोड़ा महावरोिं पर तो रहम सकया करो । ज्ञान चिंद- वही यार,
एक ही िात है। चाहे पैर रखो या हाथ । ददद तो दखती रग को ही होना है न, सिर पैर रखना महावरे की परलेसटव सडग्री है ।
तो मैं कह रहा था सक सशकारी शेर के सशकार के सलये सज िकरी को चारे के सलये इस्तमाल करता है, उ िकरी को शेर की
गिंध दर े ही पता चल जाती है । मैं भी अपनी िीिी के ामने िकरी ही हँ । वो हर रोज मेरा सशकार करती है ।

गेंदा स िंह- चलो छोड़ो भी तम तो खामखाह अच्छी भली भाभी को िदनाम करते सिरते हो । सिर ताली एक हाथ े नहीिं िजती
है ।

ज्ञान चिंद- छोड़ो ये ि िातें तम तो वो हवाई जहाज की कहानी िताओ । इतना स्ता जहाज िना कौन रहा है ।

गेंदा स िंह- हाँ तो नो, लातसवया एक दे श है । वहाँ के वैज्ञासनक लोग लगे हैं एक स्ता, हल्का, सटकाऊ और छोटा ा हवाई
जहाज िनाने में । कीमत होगी मात्र नौ हजार डॉलर । यासन की पचा े गणा करने पर भारतीय रूपये में होगा ािे चार लाख
रूपये । पचा हजार तम टै क्स वगैरह जोड़ लो । इ तरह े पािं च लाख रूपये का इिं तजाम करना पड़े गा । ि ।

ज्ञान चिंद- हँ! िात तो तम ठीक कह रहे हो पर सवश्वा नही होता है गेंदा स िंह जी । इतना स्ता हवाई जहाज ?

गेंदा स िंह- िात तो तम्हारी भी ठीक है, पर ज्ञान चिंद आज सवज्ञान इतना तरक्की कर गया है सक आज ि कछ िंभव है । सिर
हमें थोड़े ही िनाना है जहाज । यह तो लातसवया वालोिं का स र ददद है । हमें तो ि पािं च लाख रूपये इकट्ठे करने हैं और इिं तजार
करना है सक कि यह जहाज िन कर तैयार होगा और कि भारत में सिकने के सलये आयेगा । यार जि े पिा है ब्र नहीिं होता

ज्ञान चिंद- गेंदा स िंह जी और भी तो कछ छपा होगा अखिार में जहाज के िारे में ।
गेंदा स िंह- हाँ हाँ क्योिं नहीिं । ये जहाज िने गा िाइिर और डयरालोसमसनयम े ।

ज्ञान चिंद- कौन े समलेसनयम े ?

गेंदा स िंह- अमािं यार समलेसनयम े नहीिं डयरालोसमसनयम े । इ जहाज को उड़ने के सलये एक छोटी ी हवाई पट्टी की
जरूरत पड़े गी । ो इ के सलये अपनी छत े काम चल जायेगा । मकान मासलक माधो जी थोड़ा िड़िड़ायेगें पर उनको एकाध
िार जहाज में घमा सदया जायेगा तो वो भी खश हो जायेंगे । छत पर एक ि की मड़ई है । अपना पष्पक सवमान रात में वही
सवश्राम करे गा । इ जहाज में वै े तो दो इिं जन होिंगे पर वह उड़े गा एक े ही । ि टे क ऑि के मय दो इिं जनोिं की जरूरत
पड़े गी ।

ज्ञान चिंद- ये िसिया है । एक इिं जन े उड़े गा तो पेटरोल की िचत भी होगी और पै ोिं की भी । किंिख्त पेटरोल वै े भी आज कल
54 रूपये लीटर चल रहा है । इ ी िहाने हम लोग पेटरोल पिंप का मिंह भी दे ख लेंगे क्योिंसक अपनी म दडीज में तो स िद िर ात
िाद ही ऑयसलिंग ग्रीस िंग होती है ।

गेंदा स िंह- ज्ञान चिंद चप कर । मझे पहले जहाज की खिर तो परी ना लेने दे सिर अपना ज्ञान िािं चना । और ाइसकल को
म दडीज मत कहा कर । म दडीज वालोिं ने न सलया तो अपने स र के िाल नोिंच डालेंगे ।

ज्ञान चिंद- दे खखये गेंदा स िंह जी मेरे सलये तो वह टटही ाइसकल म दडीज े कम नहीिं है । आप जहाज के िारे में आगे िताइये ।

गेंदा स िंह- इ जहाज में रक्षा के भी िेहतरीन इिं तजाम होिंगे । सक ी भी दघदटना के मय इ की ीट आपको पैराशट के ाथ
िाहर िैंक दे गी ।

ज्ञान चिंद- जहाज का िीमा तो होगा ही इ सलये नक ान की भी सचिंता नहीिं होगी । क्या िात है ! आसथदक और शारीररक दोनोिं ही
नक ान े िचाव हो जायेगा ।

(हवाई जहाज की आवाज)

गेंदा स िंह- अरे क्क आज तो जल्दी तैयार हो जाती । (िड़िड़ाता है) ये औरतें भी तैयार होने में इतना मय लगाती हैं सक इतने
में सचसड़या खेत चग कर अिंडे भी दे दे गी । (तेज आवाज में) अरे तम्हारा मेकअप नीचे े सदखाई नहीिं दे गा । हम लोग शहर का
एक चक्कर लगा कर लौट आयेंगे ।

सशव शिंकर- पापा, पापा में तो तैयार हो गया ।

गेंदा स िंह- ओये राजािाि, ये स्कल का िस्ता क्योिं पीठ पर लादे हये है? तेरे स्कल में इत्ती जगह नहीिं की हमारा जहाज लैंड कर
के । आज तेरी छट्टी है । जा कर अपनी माता जी को ले कर आ ।

शकिं तला- गला िाड़ कर क्योिं सचल्लाते रहते हो । एक तो वै े ही कौन ा घमाने ले जाते हो । ाल में एकाध िार घमाने ले जाते
हैं तो क्या ढिं ग के कपड़े भी न पहनिं । और सनये जरा शीला के घर भी होते चसलयेगा, उ को पािं चवा िच्चा हआ है, उ का
हाल चाल लेते चलेंगे ।

गेंदा स िंह- क्क डासलिंग, ररश्तेदारोिं को जलाने के सलये सिर कभी चले चलेंगे । आज तो इ जहाज का िैसमली टर ायल सलया
जायेगा । शहर का एकाध चक्कर लगा कर घिंटे भर में लौट आयेंगे ।
शकिं तला- मैंने तो सपक्चर का भी प्लान िनाया था । प्लाजा में जय िंतोषी माँ लगी है । शक्रवार का सदन है दे ख लेते तो िड़ा पण्य
होता ।

गेंदा स िंह- क्क प्लाजा में कार पाकद करने की तो जगह है नहीिं । लोग गली में खड़ी कर दे ते हैं । अपना जिंिो जेट वहाँ कहाँ
खड़ा होगा । छत भी उ सपक्चर हॉल की टीन की िनी है सक वहीिं खड़ा कर दे ते । सपक्चर सिर सदखला दँ गा ।

शकिं तला- िहाना मत िनाइये । जहाज ले कर आसि चले जायेंगे और उ मई लेखा को हर सदन घर छोड़ते हये आयेंगे ।
ि जानती हिं मैं ।

गेंदा स िंह- अरे उ सिचारी लेखा ने तम्हारा क्या सिगाड़ा है । मड मत घराि करो मेरा, जल्दी े जहाज में िैठा जाओ । आज
पहली िार जहाज उड़ाने जा रहा हँ, िे्रश मड े जहाज उड़ाने दो मझे।

शकिं तला- हिंह ।

सशव शिंकर- पापा मैं कहाँ िैठिं । यहाँ तो स िद दो ही ीट है ।

गेंदा स िंह- िेटा त मम्मी की गोद में िैठ जा । कल तेरे वास्ते एक छोटी ी ीट इ में लोहार े िैल्ड करवा दिं गा ।

(जहाज के घरघराने की आवाज)

शकिं तला- क्योिं जी ये स्टाटद क्योिं नहीिं हो रहा है ।

गेंदा स िंह- पता नहीिं क्या िात है । कोसशश तो कर रहा हँ ।

शकिं तला- किंपनी वालोिं को पहले एकाध िार चला कर सदखाना चासहये था । टर क पर लाद कर लाये और क्रेन े उठा कर छत
पर रख कर चले गये । दे खखये सकताि में कछ सदया होगा । कछ अिंजर पिंजर तो िने थे सकताि में ।

सशव शिंकर- पापा ररिं की के पापा का स्कटर जि स्टाद ट नहीिं होता तो वो उ को टे िे कर के स्टाद ट करते हैं।

गेंदा स िंह- अरे हाँ । चोक लेना तो भल ही गया था । लो अि स्टाद ट हो जायेगा ।

(जहाज के स्टाद ट होने की आवाज और उड़ने की आवाज)

शकिं तला- एजी सनये । आप िहत तेज जहाज उड़ाते हैं । मझे चक्कर आ रहा है । थोडा धीरे उड़ाईये ।

गेंदा स िंह- अरे ये ाइसकल नहीिं है, पािं च लाख का हवाई जहाज है । धीरे धीरे ाइसकल चलती है जहाज नहीिं । …..वो दे खो
तम्हारा मायका आ गया । हमारे िादर इन लॉ सनकर पहन कर छत पर िैठे लाल समचद खा रहे हैं । ऊपर े ही प्रणाम कर लो
अपने सपता जी को ।

सशव शिंकर- पापा मामाजी भी िैठे हैं दीवार के पीछे । नाना जी े छप कर नावेल पि रहे हैं ।

गेंदा स िंह- सकतनी िार मना सकया है ाले को की नॉवेल पिना छोड़ कर को द की सकताि पिा कर । पर लगता है ये चौथी िार
भी हाई स्कल पा नहीिं कर पायेगा ।

शकिं तला- आप को तो िहाना चासहये मेरे भाई को डाटने का ।


गेंदा स िंह- काम ही ऐ ा करता है तो क्या करें ।

शकिं तला- सनये, ररता दीदी के घर की तरि चसलये न । जीजा जी भी घर पर होिंगे ।

गेंदा स िंह- चलेंगे, चलेंगे । अगले इतवार िके यहाँ चलेंगे । आज इ का एवरे ज वगैरह तो नाप सलया जाये, सक पता चला िीच
रास्ते में पेटरोल खत्म हो गया तो कहीिं ड़क पर उतारना पड़ जायेगा।

शकिं तला- दे खते हैं आपको अगले इतवार तक याद रहता है सक नहीिं ।

गेंदा स िंह- अरे वो नीचे दे खो, ज्ञान चिंद अपनी दादाजी की ाइसकल पर ब्जी मिंडी े ब्जी खरीद कर आ रहा है । (सचल्ला
कर) ओ ज्ञान । ज्ञान चिंद ऊपर दे ख । ज्ञान… चिंद.. ।

शकिं तला- अरे चप भी रसहये । परा शहर दे ख रहा है आपको । ऐ े हलक िाड़ कर सचल्लायेंगे तो शहर भर की चीलें जहाज के
पा इक्कठी हो जायेंगी ।

गेंदा स िंह- लाह के सलये शसक्रया ।

सशव शिंकर- वो दे खखये पापा सकतनी पतिंगे उड़ रही हैं । एक पतिंग तोड़ कर दीसजये न ।

गेंदा स िंह- ना, ना । हाथ खखड़की े िाहर नहीिं सनकालते सशव । हाथ अिंदर करो । उड़ते जहाज में े हाथ पैर िाहर नहीिं
सनकालते । एक्सीडें ट हो जायेगा ।

सशव शिंकर- पापा एक ठो पतिंग लट लेने दो । ि एक ठो ।

गेंदा स िंह- नहीिं, नहीिं । हाथ अिंदर करो । नहीिं, नहीिं ।

(हवाई जहाज की आवाज)

ज्ञान चिंद- अरे स िंह ाहि क्या हो गया आपको । ये िैठे िैठे क्या नहीिं नहीिं करने लगे । जहाज खरीदने का सवचार त्याग सदया
क्या आपने ।

गेंदा स िंह- ( िंभल कर) हाँ , हाँ । क्या । कछ नहीिं । कछ नहीिं । क्या कह रहे थे ।

ज्ञान चिंद- मैं कह रहा था सक जहाज का िीमा तो होगा ही ।

गेंदा स िंह- हाँ, हाँ, क्योिं नहीिं होगा । ाईसकल थोड़े ही है जो िीमा वाले छोड़ दें गे । िीमा तो करवाना ही पड़े गा ।

ज्ञान चिंद- करवा लेंगे । िीमा भी करवा लेंगे । इतनी मिंहगी चीज जो है । चोरी चकारी का भी तो डर लगा रहता है ।

गेंदा स िंह- लेसकन इ जहाज को लेकर हवाई प्रशा न थोड़ा परे शान है ।

ज्ञान चिंद- वो सक सलए ।

गेंदा स िंह- वो इ सलये, जहाज स्ता हो जायेगा तो हर कोई मारूसत 800 छोड़ कर जहाज पर ही चलेगा । आ मान में टर ै सिक
जाम होगा, एक्सीडें ट होगा । ऊपर आ मान में टै् रसिक लाइटें और स ग्नल लगाने पड़ें गे । कोई आदमी टै् रसिक के सनयम तोड़
कर भागेगा तो टै् रसिक पसल वाला िलेट पर िैठ कर तो उ को चहेटेगा नहीिं । उ को भी तो एक हवाई जहाज चासहये सक
नहीिं, दौड़ा कर पकड़ने के सलये ।

ज्ञान चिंद- िरोिर िोलते हो गेंदा स िंह जी । खचद तो प्रशा न का भी िि जायेगा । उनकी वो जाने, मैंने तो अपने खचद का सह ाि
मन ही मन लगा सलया है ।

गेंदा स िंह- कै ा सह ाि मन ही मन में लगा सलया हजर ने ।

ज्ञान चिंद- दे खखये गेंदा स िंह जी अगर कोई ऐ ा जहाज िन कर माकेट में सिकने आता है तो मैंने उ को खरीदने का सनश्चय कर
सलया है । पािं च लाख होती क्या चीज है । आज कल तो छोटी मोटी कार पािं च लाख की आती है । और सिर रकार के सलये पािं च
लाख रूपये क्या मायने रखते हैं ।

गेंदा स िंह- क्या मतलि । आप रकार के पै ोिं े जहाज खरीदना चाहते हैं । वह कै े ?

ज्ञान चिंद- आप तो जानते ही हैं सक मेरी म दडीज, सज े आप ाइसकल कहते हैं, वह मेरे दादाजी के जामाने की है । एिं टीक पी
है । परातत्व वाले हाथ धो कर उ के पीछे पड़े हये हैं । उ ाइसकल का तो ऐसतहास क महत्व भी है ।

गेंदा स िंह- ऐसतहास क महत्व भी है । वह कै े ?

ज्ञान चिंद- अरे आप को नहीिं पता । परे मोहल्ले को पता है । न 1939 के चनाव में कािं ग्रे के कई िड़े ने ताओिं ने इ ी ाइसकल
पर चि कर कन्वेस िंग की थी । मेरे दादाजी भी कािं ग्रे के चवसन्नया मेंम्बर थे । इ तरह े हई न ऐसतहास क ाइसकल । मैं
रकार े दरख्वास्त करू
िं गा सक इ राष्ट्रीय िंपसत्त को अि मैं राष्ट्रीय िंग्रहालय को ौिंपना चाहता हँ और िदले में अगर वो
मझको कोई मल्य दे ना चाहती है तो मझको कतई इिं कार नहीिं होगा । मैं दान दहेज को गलत मानता हँ, इ सलये अपनी यह
ाइसकल राष्ट्रीय िंग्रहालय को दान नहीिं करू
िं गा । इ े रकार की भी िेइज्ज़ती होगी सक िताओ इत्ती िड़ी रकार हो करके
एक परानी किाड़ ाइसकल का मल्य भी नहीिं चका कती । ि केवल द लाख की ही तो िात है ।

गेंदा स िंह- द लाख रुपये ! इतने रूपयोिं का तम क्या करोगे । जहाज तो पािं च लाख में ही आ जायेगा।

ज्ञान चिंद- जहाज तो पािं च लाख में तो आ जायेगा पर पेटरोल भी तो भरवाना पड़े गा । दो तीन ाल के पेटरोल का भी तो इिं तजाम
करना पड़े गा ।

गेंदा स िंह- वाह भाई ज्ञान चिंद तम्हारा तो इिं तजाम हो गया । पर मेरी ाइसकल को कौन खरीदे गा । वह तो अभी मात्र 32 ाल ही
परानी है । चनाव में तो नहीिं, हाँ एक िार दिं गे में ििं गई थी ो 15 सदन थाने में पड़ी रही । पली वालोिं ने 15 सदन इ पर खि
वारी ठोिंकी । वाप आने पर 200 रूपये ओवरहासलिंग में लगे ो अलग ।

ज्ञान चिंद- भाई गेंदा स िंह जी आज कल इतने एक्सीडें ट होते हैं उ की एक िड़ी वजह है सक लोग िाग पी पा कर गाड़ी चलाते हैं
। अि ऐ े ही जहाज भी उड़ाने लगे तो हो गया । अपना तो मरें गे ही, सज के स र पर कदें गे वो भी िेचारा गया काम े ।

गेंदा स िंह- हाँ ये तो है ही । … एक आइसडया आया है सदमाग में । सवज्ञान इत्ता तरक्की कर गया है तो एक मशीन ऐ ी िनाये जो
जहाज में हेंसडल के पा सिट हो के । वो मशीन पायलट की नाक िंघ कर यह पक्का करे सक डराईवर पी पा कर तो नहीिं
आया है । जहाज का कम्प्यटर घ ते ही चेतावनी दे -दे सक नशा पत्ती करने वाले, नशा उतरने के िाद ही जहाज पर चिें , नहीिं तो
मरे ।
ज्ञान चिंद- ये आइसडया ठीक रहेगा ।

( शकिं तला का कमरे में प्रवेश )

शकिं तला- यासत्रयोिं को सचत सकया जाता है सक हमारा जहाज भसटिं डा पहिंच चका हैं, कृपया अपनी अपनी िेल्ट िािं ध लीसजये ।
िाहर का तापमान 25 सडग्री ेल्सीय है और चाय का तापमान 98 सडग्री । लीसजये ज्ञान भइया गमद गमद चाय पीसजये । िहत
आ मान में उड़ चके अि धरती पर उतररये । (गेंदा स िंह े) सशव शिंकर कि का िस्ता लटका कर तैयार िैठा है । उ को आज
सिर स्कल के सलये दे री हो जायेगी । आपकी ाइसकल उ ने कपड़े े रगड़ कर चमका दी है । उ को ही हवाई जहाज मान
कर अि काम पर सनकसलये ।

गेंदा स िंह- अरे ! द िज गये । आज सिर दे री हो गई । ये अखिार वाले भी कहाँ कहाँ की उड़ा कर ले आते हैं और हम लोग भी
हिं की चाल चल दे ते हैं ।

ज्ञान चिंद- हाँ गेंदा स िंह जी ऐ ी खिरें तो हर सदन सनकला करती हैं सक पानी े चलेंगी कारें , हवा े चलेंगी गासड़यािं । पर जि
तक चलेंगी हम लोग दादा-नाना िन चके होिंगे ।

गेंदा स िंह- और हम लोग अभी े ही ख्याली पलाव पका कर खाये जा रहे हैं । चल भइये ज्ञान चिंद तेरे को भी तो ऑसि की दे र
हो रही होगी ।

ज्ञान चिंद- हाँ हाँ , चलता हँ । जरा चाय तो पी लँ । आपके जहाज के चक्कर में मैं तो अपनी म दडीज ही िेचने जा रहा था ।
उ का मकािला भला कोई हवाई जहाज क्या कर कता है । न पेटरोल की जरूरत और न लाइ ें की । …..वाह भाभी,
आपकी चाय का भी जवाि नहीिं । ऐ ी कड़क चाय तो दाजदसलिंग वालोिं को भी न ीि नहीिं होती होगी ।

( ाइसकल की घिंटी की आवाज)

सशव शिंकर- पापा जल्दी चसलये । आज सिर स्कल को दे री हो गई ।

गेंदा स िंह- ओये ठहर जा अपने िाप के पत्तर । मेरे क तैयार तो हो लेने दे ।

(उड़ते हये जहाज की आवाज )

माप्त……………

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