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ॐ ह्रीं श्रीं ग्रहाश्चन्दृ सूर्ाा गारक बुध वृहस्पति शुक्र शनैश्वर राहु केिु
सतहिााः खेटा: तिनपति पुरिोऽव तिष्ठन्तु मम
धन धान्य िर् तविर् सुख सौभाग्य
धृति करतिा काीं ति शान्तन्त िुति पुन्तटि बुन्ति लक्ष्मर
धमाा र्ा कामदा: स्यु: स्वाहा ।।

ॐ ह्रीं श्रीं ग्रहाश्चन्दृ सूर्ाा गारक बुध वृहस्पति शुक्र शनैश्वर राहु केिु
सतहिााः खेटा: तिनपति पुरिोऽव तिष्ठन्तु मम धन धान्य िर् तविर्
सुख सौभाग्य धृति करतिा काीं ति शान्तन्त िुति पुन्तटि बुन्ति लक्ष्मर धमाा र्ा
कामदा: स्यु: स्वाहा ।।

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