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Gulzar in PDF by Mohsin Aftab Kelapuri PDF
Gulzar in PDF by Mohsin Aftab Kelapuri PDF
लज़ार
गु
लज़ार (गीतकार)
1
गु
लज़ार
गु
लज़ार
ज म नाम स पू
ण सह कालरा
जम अग त 18, 1936 (आयु
80 वष)
द ना, झे
लम जला, पं
जाब, टश भारत
वसाय नदशक,
गीतकार,
पटकथा ले
खक,
नमाता,
कव
कायकाल 1961 - वतमान
जीवनसाथी राखी गु
लज़ार
स तान मे
घना गु
लज़ार
पु
र कार और स मान
अकादमी पु
र कार
Best Original Song
2009 Slumdog Millionaire
2
गु
लज़ार
फ मफे
यर पु
र कार
Best Lyricist
1977 Do diwane is shahar mein... Gharaonda
1979 Aanewala pal jaane wala hai... Gol Maal
1980 Hazaar raahen... Thodi Si Bewafaai
1983 Tujhse naaraz nahin zindagi... Masoom
1988 Mera kuch saamaan... Ijaazat
1991 Yaara sili sili... Lekin...
1998 Chhaiyya Chhaiyya... Dil Se
2003 Saathiya... Saathiya
Best Dialogue
1971 Anand
1973 Namak Haraam
1996 Maachis
2003 Saathiya
Best Story
3
गु
लज़ार
1996 Maachis
Best Director
1976 Mausam
Best Feature Film (Critics)
1975 Aandhi
2002 Lifetime Achievement Award
रा ीय फ म पु
र कार
Best Director
1976 Mausam
Best Lyricist
1988 Mera kuch saaman... Ijaazat
1991 Yaara sili sili... Lekin...
Best Film for Wholesome Entertainment
1996 Maachis
Best Screenplay
1972 Koshish
4
गु
लज़ार
Best Documentary
1991 Ustad Amjad Ali Khan
1991 Pt Bhimsen Joshi
ग़लज़ार नाम से स स पू ण सह कालरा (ज म-१८ अग त
१९३६)[1] ह द फ म केएक स गीतकार ह। इसके
अ त र वे एक क व, पटकथा ले खक, फ़ म नदशक तथा
नाटककार ह। उनक रचनाए मुयतः ह द , उ तथा पं जाबी
म ह, पर तुज भाषा, खङ बोली, मारवाड़ी और ह रयाणवी
म भी इ होनेरचनाये क । गु
लजार को वष २००२ मे सहय
अकादमी पु र कार और वष २००४ मे भारत सरकार ारा
दया जानेवाला तीसरे सव च नाग रक स मान प भू षण से
भी स मा नत कया जा चु का है। वष २००९ मे डै
नी बॉयल
नद शत फ म ल डाग म लयने यर मेउनके ारा लखे गीत
जय हो केलये उ हेसव ेगीत का ऑ कर पु र कार
पु
र कार मल चु का है
। इसी गीत केलये उ हेैमी पु
र कार से
भी स मा नत कया जा चु का है
।
ार भक जीवन सं
पा दत कर
5
गु
लज़ार
रचना मक ले
खन सं
पा दत कर
गु
जराल ारा लखे
गए पु
तक क सू
ची-
6
गु
लज़ार
नदशन सं
पा दत कर
गु
लजार नेबतौर नदशक अपना सफर १९७१ म मे रे
अपने से
शु कया। १९७२ म आयी सं जीव कु मार और जया भा ङ
अ भनीत फ म को शश जो एक गू ं
गेबहरे द प त केजीवन
पर आधा रत कहानी थी, ने
आलोचक को भी है रान कर
दया। इसकेबाद गु
लजार नेसंजीव कु मार केसाथ आं धी
(१९७५), मौसम (1975), अं
गूर (१९८१) और नमक न
(१९८२) जैसी फ मेनद शत क । गु लजार ारा नद शत
चल च क सू ची-
7
गु
लज़ार
मे
रे
अपने
(1971)
प रचय (1972)
को शश (1972)
अचानक (1973)
खु
शबू
(1974)
आँ
धी (1975)
मौसम (1976)
कनारा (1977)
कताब (1978)
अं
गू
र (1980)
नमक न (1981)
मीरा
इजाजत (1986)
ले
कन (1990)
लबास (1993)
मा चस (1996)
8
गु
लज़ार
तू
तू(1999)
गीत ले
खन सं
पा दत कर
गु
लजार ारा लखे
गए गीत वालेफ म क सू
ची-
ओमकारा
रे
नकोट
पजर
दल से
आँ
धी
सरी सीता
इजाजत
पटकथा ले
खन सं
पा दत कर
आँ
धी (1975) - पटकथा, सं
वाद
मीरा (1979) - पटकथा, सं
वाद
पु
र कार और स मान सं
पा दत कर
9
गु
लज़ार
फ़ मफ़े
यर पुर कार सव ेगीतकार - १९७७, १९७९, १९८०,
१९८३, १९८८, १९८८, १९९१, १९९८, २००२, २००५
सा ह य अकादमी पु
र कार २००२ म
प भूषण - २००४ गु
लज़ार को भारत सरकार ारा सन
२००४ म कला ेम प भू षण से स मा नत कया गया था।
ये
महारा रा य सेह।
ऑ कर (सव ेमौ लक गीत का) - २००९ म अंे जी
चल च ' लमडॉग म लयने
यर' केगीत 'जय हो' केलए
ै
मी पु
र कार- २०१० म।
दादा साहब फा केस मान - २०१३[2][3]
स दभ सं
पा दत कर
↑ हजार चे
हर वाले
गु
लज़ार
↑ "Gulzar to get Dadasaheb Phalke award
लज़ार को मले
[गु गा दादा साहब फा केपु
र कार]" (अंेज़ी म).
इ डया टु डे
डॉट इन (इ डया टुडेसमूह). १२ अ ैल २०१४.
http://indiatoday.intoday.in/story/gulzar-to-
get-dadasaheb-phalke-award/1/355422.html.
10
गु
लज़ार
अ भगमन त थ: १२ अ ै
ल २०१४.
लज़ार को मला दादा साहब फा के
↑ "गु ". बीबीसी ह द . १२
अ ैल २०१४.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/04/1
40412_gulzar_phalke_award_vt.shtml. अ भगमन
त थ: १२ अ ैल २०१४.
बाहरी क ड़याँ
सं
पा दत कर
गु
लज़ार (क वता कोश)
इ ने
बतू
ता केजू
ते
नेक गु
लजार क फज़ीहत
इं
टरने
ट मू
वी डे
टाबे
स पर गु
लज़ार
====================================
ते
री आँ
ख ह या सजदे
म ह मासू
म नमाज़ी
पलक खु
लती ह तो यू
ं
गू
ँ
ज केउठती है
नज़र
11
गु
लज़ार
जै
से
मंदर से
जरस क चले
नमनाक सदा
और झु
कती ह तो बस जै
से
अज़ान ख़ म ई हो
============================
म अपने
होठ से
चु
न रहा ँ
तुहारी साँ
स क आयत को
============================
तु
हारे
हाथ को चू
मकर, छू
केअपनी आँ
ख से
आज मने
जो आयत पढ़ नह सका, उनकेल स महसू
स कर लए ह
============================
मने
रखी ई ह आँ
ख पर
ते
री ग़मगीन-सी उदास आख
जै
सेगरजे
म र खी ख़ामोशी
जै
से
रहल पे
र खी अ जील
12
गु
लज़ार
एक आं
सूगरा दो आँ
ख से
कोई आयत मले
नमाज़ी को
कोई हफ़-ए-कलाम-ए-पाक मले
============================
म उड़तेए पं
छय को डराता आ
कु
चलता आ घास क कल गयाँ
गराता आ गदन इन दर त क ,छु
पता आ
जनकेपीछे
से
नकला चला जा रहा था वह सू
रज
तआकु
ब म था उसकेम
गर तार करने
गया था उसे
जो ले
केमे
री उ का एक दन भागता जा रहा था
===========================
ज़दगी या है
जानने
केलये
13
गु
लज़ार
ज़दा रहना ब त ज री है
आज तक कोई भी रहा तो नही
आओ हम सब पहन ले
आइने
सारे
दे
खगे
अपना ही चे
हरा
सारे
हसीन लगगे
यहाँ
है
नही जो दखाई दे
ता है
आइने
पर छपा आ चे
हरा
तजु
मा आइने
का ठ क नही
हम को ग लब ने
ये
ह आ द थी
14
गु
लज़ार
तु
म सलामत रहो हज़ार बरस
ये
बरस तो फकत दनो मे
गया
लब ते
रे
मीर ने
भी दे
खेहै
पखु
ड़ी एक गु
लाब क सी है
बात सु
नते
तो ग लब रो जाते
ऐसेबखरे
हैरात दन जै
से
मो तयो वाला हार टू
ट गया
तु
मने
मु
झको परो केरखा था
=============================
ज़रा पै
ले
ट स भालो रं
गोबू
का
म कै
नवास आसमां
का खोलता ं
बनाओ फर से
सू
रत आदमी क !
15
गु
लज़ार
साथ म एक और रं
ग बोनस म.. ईद केचाँ
द पर होली का रं
ग!
जहां
नु
मा एक होटल है
नां
…
जहां
नु
मा केपीछे
एक ट .वी. टॉवर है
नां
…
चाँ
द को उसकेऊपर चढ़ते
दे
खा था कल!
होली का दन था
मु
ं
ह पर सारे
रं
ग लगे
थे
थोड़ी दे
र म ऊपर चढ़ के
टां
ग पे
टां
ग जमा केऐसे
बै
ठ गया था,
होली क खबर म लोग उसे
भी जै
से
अब ट .वी. पर दे
ख रहे
ह गे
!!
============================
उसेफर लौट कर जाना है
येमालू
म था उस व त भी
जब शाम क सु
ख-ओ-सु
नहरी रे
त पर वो दौड़ती आई थी
और लहरा केयू
ँ
आगोश म बखरी थी
16
गु
लज़ार
जै
से
पू
रा का पू
रा समं
दर ले
केउमड़ी है
उसे
जाना है
वो भी जानती तो थी
मगर हर रात फर भी हाथ रखकर चाँ
द पर खाते
रहे
कसम
ना म उत ँ
गा उस साँ
स केसा हल से
ना वो उतरे
गी मे
रे
आसमाँ
पर झू
लते
तार क प ग से
मगर जब कहते
कहते
दा ताँ
, फर व त ने
ल बी ज हाई ली
ना वो ठहरी, ना म ही रोक पाया था
ब त फू
ँ
का सु
लगते
चाँ
द को,
फर भी उसेइक इक कला घटतेए दे
खा
ब त ख चा समं
दर को मगर सा हल तलक हम ला नह पाए
सहर केव त, फर उतरेए सा हल पे
इक
डू
बा आ, खाली समं
दर था |
==============================
कद म वजनी इमारत म,
कु
छ ऐसे
रखा है
, जै
से
कागज पे
ब ा रख द,
दबा द, तारीख उड़ ना जाये
,
17
गु
लज़ार
मव कै
सेबयाँ
कँ,व और या है
?
कभी कभी व यू
ँ
भी लगता है
मु
झको
जै
से
, गु
लाम है
!
आफ़ताब का एक दहकता गोला उठा के
हर रोज पीठ पर वह, फलक पर चढ़ता है
च पा
च पा कदम जमाकर,
वह पू
रा कोहसार पार कर के
,
उतारता है
, उफु
क क दहलीज़ पर दहकता
आ सा प थर,
टका केपानी क पतली सु
तली पे
, लौट
जाता है
अगलेदन का उठाने
गोला ,
और उसकेजाते
ही
धीरे
धीरे
वह पू
रा गोला नगल केबाहर नकलती है
रात, अपनी पीली सी जीभ खोले
,
गु
लाम है
व ग दश का,
क जै
से
उसका गु
लाम म ँ
!!
18
गु
लज़ार
=============================
तु
हारी फु
कत म जो गु
जरता है
,
और फर भी नह गु
जरता,
मव कै
सेबयाँ
क ँ, व और या है
?
कव बां
गे
जरस नह जो बता रहा है
क दो बजे
ह,
कलाई पर जस अकाब को बां
ध कर
समझता ँ
व है
,
वह वहाँ
नह है
!
वह उड़ चु
का
जै
से
रं
ग उड़ता है
मे
रे
चे
हरे
का, हर तह यु
र पे
,
और दखता नह कसी को,
वह उड़ रहा हैक जै
से
इस बे
कराँ
समं
दर से
भाप उड़ती है
और दखती नह कह भी,
============================
19
गु
लज़ार
व क आँ
ख पे
प बां
ध के
.
चोर सपाही खे
ल रहे
थे
–
रात और दन और चाँ
द और म–
जाने
कैसे
इस ग दश म अटका पाँ
व,
र गरा जा कर म जै
से
,
रौश नय केध केसे
परछा जम पर गरती है
!
धे
या छोने
सेपहले
ही–
व ने
चोर कहा और आँ
खेखोल के
मु
झको पकड़ लया–
=============================
म उड़तेए पं
छय को डराता आ
कु
चलता आ घास क कल गयाँ
गराता आ गदन इन दर त क ,छु
पता आ
जनकेपीछे
से
नकला चला जा रहा था वह सू
रज
20
गु
लज़ार
तआकु
ब म था उसकेम
गर तार करने
गया था उसे
जो ले
केमे
री उ का एक दन भागता जा रहा था
============================
शहर म आदमी कोई भी नह क़ ल आ,
नाम थे
लोग केजो, क़ ल ये
.
सर नह काटा, कसी ने
भी, कह पर कोई–
लोग ने
टो पयाँ
काट थ क जनम सर थे
!
और ये
बहता आ सु
ख ल है
जो सड़क पर,
ज़बह होती ई आवाज क गदन सेगरा था
===============================
आग का पे
ट बड़ा है
!
आग को चा हए हर लहजा चबाने
केलये
खु
क करारे
प े
,
आग कर ले
ती हैतनक पे
गु
जारा ले
कन–
21
गु
लज़ार
उसको जं
गल क हवा रास ब त हैफर भी,
अब गरीब क कई ब तय पर दे
खा है
हमला करते
,
आग अब मं
दर -म जद क गजा खाती है
!
लोग केहाथ म अब आग नह –
आग केहाथ म कु
छ लोग ह अब
=================================
बु
रा लगा तो होगा ऐ खु
दा तु
झे
,
आ म जब,
ज हाई ले
रहा था म–
आ केइस अमल से
थक गया ँ
म !
म जब से
दे
ख सु
न रहा ँ
,
22
गु
लज़ार
तब से
याद है
मु
झे
,
खु
दा जला बु
झा रहा है
रात दन,
खु
दा केहाथ म है
सब बु
रा भला–
आ करो !
अजीब सा अमल है
ये
ये
एक फ़ज गुतगू
,
और एकतरफ़ा–एक ऐसे
श स से
,
ख़याल जसक श ल है
ख़याल ही सबू
त है
.
__________________________________
म द वार क इस जा नब ँ
.
इस जा नब तो धू
प भी है
ह रयाली भी !
ओस भी गरती है
प पर,
आ जाये
तो आलसी कोहरा,
शाख पे
बै
ठा घं
ट ऊँ
घता रहता है
.
बा रश ल बी तार पर नटनी क तरह थरकती,
23
गु
लज़ार
आँ
ख से
गु
म हो जाती है
,
जो मौसम आता है
,सारे
रस दे
ता है
!
ले
कन इस क ची द वार क सरी जा नब,
य ऐसा स नाटा है
कौन है
जो आवाज नह करता ले
कन–
द वार से
टे
क लगाए बै
ठा रहता है
.
__________________________________
पछली बार मला था जब म
एक भयानक जं
ग म कु
छ मश फ़ थे
तु
म
नए नए ह थयार क रौनक से
काफ़ खु
श लगते
थे
इससे
पहले
अ तु
ला म
भू
ख से
मरते
ब च क लाश द नाते
दे
खा था
और एक बार …एक और मु
क म जलजला दे
खा
कु
छ शहर केशहर गरा केसरी जा नब
लौट रहे
थे
24
गु
लज़ार
तु
म को फलक से
आते
भी दे
खा था मने
आस पास केस यार पर धू
ल उड़ाते
कू
द फलां
ग केसरी नया क ग दश
तोड़ ताड़ केगे
लेसीज केमहवर तु
म
जब भी जम पर आते
हो
भ चाल चलाते
और समं
दर खौलाते
हो
बड़े टक’ से
‘इरे लगते
हो
काएनात म कै
सेलोग क सोहबत म रहते
हो तु
म
_____________,____________________
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर बाज़ी दे
खी मने
–
काले
घर म सू
रज रख के
,
तु
मने
शायद सोचा था, मे
रे
सब मोहरेपट जायगे
,
मने
एक चराग जला कर,
अपना रा ता खोल लया
25
गु
लज़ार
तु
मने
एक समं
दर हाथ म ले
कर, मु
झ पर ढे
ल दया
मने
नू
ह क क ती उसकेऊपर रख द
काल चला तु
मने
, और मे
री जा नब दे
खा
मने
काल को तोड़ केल हा ल हा जीना सीख लया
मे
री खु
द को तु
मने
चं
द चम कार से
मारना चाहा
मे
रे
एक यादे
नेते
रा चाँ
द का मोहरा मार लया —
मौत क शह दे
कर तु
मने
समझा था अब तो मात ई
मनेज म का खोल उतर केस प दया –और
ह बचा ली
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर अब तु
म दे
खो बाजी
_______________________________,
बस च द करोड़ साल म
26
गु
लज़ार
सू
रज क आग बु
झे
गी जब
और राख उड़े
गी सू
रज से
जब कोई चाँ
द न डू
बे
गा
और कोई जम न उभरे
गी
तब ठं
ढा बु
झा इक कोयला सा
टु
कड़ा ये
जम का घू
मे
गा
भटका भटका
म म ख कस ी रोशनी म !
म सोचता ँ
उस व अगर
कागज़ पेलखी इक न म कह उड़ते
उड़ते
सू
रज म गरे
तो सू
रज फर से
जलने
लगे
!!
_________________________________
अपने
”स तू
री” सतारे
सेअगर बात क ं
तह-ब-तह छ ल केआफ़ाक़ क पत
27
गु
लज़ार
कै
सेप ं
चे
गी मे
री बात ये
अफ़लाक केउस पर भला ?
कम से
कम “नू
र क र तार”से
भी जाए अगर
एक सौ स दयाँ
तो ख़ामोश ख़ला से
गु
जरने
म लगगी
कोई मा ा है
मे
री बात म तो
न”केनुेसी रह जाएगी “ लै
“नू क होल”गु
जर के
या वो समझे
गा?
म समझाऊं
गा या ?
_________________,___,_____________
ब त बौना है
येसू
रज ….!
हमारी कहकशाँ
क इस नवाही सी ‘गै
लेसी’म
ब त बौना सा ये
सू
रज जो रौशन है
…
ये
मे
री कु
ल हद तक रौशनी प ँ
चा नह पाता
म माज़ और जु
पटर से
जब गु
जरता ँ
भँ
वर से
, लै
क होल के
मु
झेमलते
ह र ते
म
सयह गदाब चकराते
ही रहते
ह
28
गु
लज़ार
मसल केजु
तजु
केनं
गे
सहरा म वापस
फक दे
ते
ह
जम से
इस तरह बाँ
धा गया ँ
म
गले
सेै
वट का दायमी प ा नह खु
लता !
__________________________________
रात म जब भी मे
री आँ
ख खु
ले
नं
गे
पाँ
व ही नकल जाता ँ
कहकशाँ
छूकेनकलती है
जो इक पगडं
डी
अपनेपछवाड़े
के“स तु
री” सतारे
क तरफ़
धया तार पे
पाँ
व रखता
चलता रहता ँ
यही सोच केम
कोई स यारा अगर जागता मल जाए कह
इक पड़ोसी क तरह पास बु
ला ले
शायद
और कहे
आज क रात यह रह जाओ
तु
म जम पर हो अके
ले
29
गु
लज़ार
म यहाँ
त हा ँ
|
_________________________________
उसेफर लौट कर जाना है
येमालू
म था उस व त भी
जब शाम क सु
ख-ओ-सु
नहरी रे
त पर वो दौड़ती आई थी
और लहरा केयू
ँ
आगोश म बखरी थी
जै
से
पू
रा का पू
रा समं
दर ले
केउमड़ी है
उसे
जाना है
वो भी जानती तो थी
मगर हर रात फर भी हाथ रखकर चाँ
द पर खाते
रहे
कसम
ना म उत ँ
गा उस साँ
स केसा हल से
ना वो उतरे
गी मे
रे
आसमाँ
पर झू
लते
तार क प ग से
मगर जब कहते
कहते
दा ताँ
, फर व त ने
ल बी ज हाई ली
ना वो ठहरी, ना म ही रोक पाया था
ब त फू
ँ
का सु
लगते
चाँ
द को,
फर भी उसे
इक इक कला घटतेए दे
खा
ब त ख चा समं
दर को मगर सा हल तलक हम ला नह पाए
सहर केव त, फर उतरेए सा हल पे
इक
30
गु
लज़ार
डू
बा आ, खाली समं
दर था |
_______________________________
हम को मन क श दे
ना, मन वजय कर
सरो क जय से
पहले
, ख़ु
द को जय कर।
भे
द भाव अपनेदल से
साफ कर सक
दो त से
भू
ल हो तो माफ़ कर सके
झू
ठ से
बचे
रह, सच का दम भर
सरो क जय से
पहले
ख़ुद को जय कर
हमको मन क श दे
ना।
मुकल पड़े
तो हम पे
, इतना कम कर
साथ द तो धम का चल तो धम पर
ख़ु
द पर हौसला रह बद से
न डर
सर क जय से
पहले
ख़ुद को जय कर
हमको मन क श दे
ना, मन वजय कर।
31
गु
लज़ार
________________________________
मु
झे
खच म पू
रा एक दन, हर रोज़ मलता है
मगर हर रोज़ कोई छ न ले
ता है
,
झपट ले
ता है
, अं
ट से
कभी खीसे
सेगर पड़ता है
तो गरने
क
आहट भी नह होती,
खरेदन को भी खोटा समझ केभू
ल जाता ँ
म
गरे
बान से
पकड़ कर मां
गने
वाले
भी मलते
ह
री गु
"ते जरी ई पु
त का कजा है
, तु
झेक त चु
कानी है
"
ज़बरद ती कोई गरवी रख ले
ता है
, ये
कह कर
अभी 2-4 ल हे
खच करने
केलए रख ले
,
बकाया उ केखाते
म लख दे
ते
ह,
जब होगा, हसाब होगा
बड़ी हसरत है
पू
रा एक दन इक बार म
अपनेलए रख लू
ं
,
तु
हारे
साथ पू
रा एक दन
32
गु
लज़ार
बस खच
करने
क तम ना है
!!
__________________________________
रात चु
पचाप दबे
पाँ
व चली जाती है
रात ख़ामोश है
रोती नह हँ
सती भी नह
कां
च का नीला सा गु
बद है
, उड़ा जाता है
ख़ाली-ख़ाली कोई बजरा सा बहा जाता है
चाँ
द क करण म वो रोज़ सा रे
शम भी नह
चाँ
द क चकनी डली हैक घु
ली जाती है
और स नाट क इक धू
ल सी उड़ी जाती है
काश इक बार कभी न द से
उठकर तु
म भी
ह क रात म ये
दे
खो तो या होता है
________________________________
दे
खो, आ ह ता चलो, और भी आ ह ता ज़रा
दे
खना, सोच-सँ
भल कर ज़रा पाँ
व रखना,
ज़ोर से
बज न उठे
पै
र क आवाज़ कह .
33
गु
लज़ार
काँ
च के वाब ह बखरेए त हाई म,
वाब टू
टे
न कोई, जाग न जाये
दे
खो,
जाग जाये
गा कोई वाब तो मर जाएगा
_________________________________
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर बाज़ी दे
खी मने
काले
घर म सू
रज रख के
,
तु
मने
शायद सोचा था, मे
रे
सब मोहरेपट जायगे
,
मने
एक चराग़ जला कर,
अपना र ता खोल लया.
तु
मने
एक सम दर हाथ म ले
कर, मु
झ पर ठे
ल दया।
मने
नू
ह क क ती उसकेऊपर रख द ,
काल चला तु
मने
और मे
री जा नब दे
खा,
मने
काल को तोड़ क़ेल हा-ल हा जीना सीख लया.
मे
री ख़ु
द को तु
मने
च द चम कार से
मारना चाहा,
मे
रे
इक यादे
नेते
रा चाँ
द का मोहरा मार लया
मौत क शह दे
कर तु
मने
समझा अब तो मात ई,
34
गु
लज़ार
35
गु
लज़ार
36
गु
लज़ार
यह लौ बचा लो यह से
उठे
गी जु
तजूफर बगू
ला बनकर,
यह से
उठे
गा कोई करदार फर इसी रोशनी को ले
कर,
कह तो अं
जाम-ओ-जु
तजू
केसरेमलगे
,
अभी न पदा गराओ, ठहरो!
_________________________________
एक बौछार था वो श स,
बना बरसेकसी अ क सहमी सी नमी से
जो भगो दे
ता था...
एक बोछार ही था वो,
जो कभी धू
प क अफशां
भर के
र तक, सु
नतेए चे
हर पेछड़क दे
ता था
नीम तारीक से
हॉल म आं
ख चमक उठती थ
सर हलाता था कभी झू
म केटहनी क तरह,
लगता था झ का हवा का था कोई छे
ड़ गया है
गु
नगु
नाता था तो खु
लतेए बादल क तरह
37
गु
लज़ार
मु
कराहट म कई तरब क झनकार छु
पी थी
गली क़ा सम से
चली एक ग़ज़ल क झनकार था वो
एक आवाज़ क बौछार था वो!!
__________________________________
खाली कागज़ पेया तलाश करते
हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है
।
डाक से
आया है
तो कु
छ कहा होगा
"कोई वादा नह ... ले
कन
दे
ख कल व या तहरीर करता है
!"
सामने
रख केदे
खते
हो जब
सर पे
लहराता शाख का साया
38
गु
लज़ार
हाथ हलाता है
जानेय ?
कह रहा हो शायद वो...
प से
"धू उठकेर छाँ
व म बै
ठो!"
सामने
रौशनी केरख केदे
खो तो
सू
खेपानी क कु
छ लक र बहती ह
उसने
भी व केहवाले
से
उसम कोई इशारा रखा हो... या
उसने
शायद तु
हारा खत पाकर
सफ इतना कहा क, लाजवाब ँ
म!
__________________________________
न आने
क आहट न जाने
क टोह मलती है
39
गु
लज़ार
कब आते
हो कब जाते
हो
इमली का ये
पे
ड़ हवा म हलता है
तो
ट क द वार पे
परछाई का छ टा पड़ता है
और ज ब हो जाता है
,
जै
से
सू
खी मटट पर कोई पानी का कतरा फक गया हो
धीरे
धीरे
आँगन म फर धू
प ससकती रहती है
कब आते
हो, कब जाते
हो
बं
द कमरे
म कभी-कभी जब द ये
क लौ हल जाती है
तो
एक बड़ा सा साया मु
झको घू
ँ
ट घू
ँ
ट पीने
लगता है
आँ
ख मु
झसेर बै
ठकर मु
झको दे
खती रहती है
कब आते
हो कब जाते
हो
दन म कतनी- कतनी बार मु
झको - तु
म याद आते
हो
__________________________________
(1)
जब भी यह दल उदास होता है
जाने
कौन आस-पास होता है
40
गु
लज़ार
ह ठ चु
पचाप बोलते
ह जब
सां
स कु
छ ते
ज़-ते
ज़ चलती हो
आं
ख जब दे
रही ह आवाज़
ठं
डी आह म सां
स जलती हो
आँ
ख म तै
रती ह तसवीर
ते
रा चे
हरा ते
रा ख़याल लए
आईना दे
खता है
जब मु
झको
एक मासू
म सा सवाल लए
41
गु
लज़ार
जब भी यह दल उदास होता है
जाने
कौन आस-पास होता है
(2)
हाल-चाल ठ क-ठाक है
सब कु
छ ठ क-ठाक है
बी.ए. कया है
, एम.ए. कया
लगता है
वह भी वेकया
काम नह है
वरना यहाँ
आपक आ से
सब ठ क-ठाक है
आबो-हवा दे
श क ब त साफ़ है
क़ायदा है
, क़ानू
न है
, इं
साफ़ है
अ लाह- मयाँ
जाने
कोई जए या मरे
आदमी को खू
न-वू
न सब माफ़ है
42
गु
लज़ार
और या क ं
?
छोट -मोट चोरी, र तखोरी
दे
ती है
अपा गु
जारा यहाँ
आपक आ से
बाक़ ठ क-ठाक है
और या क ं
?
मौत का तमाशा, चला है
बे
तहाशा
जीने
क फु
रसत नह है
यहाँ
आपक आ से
बाक़ ठ क-ठाक है
हाल-चाल ठ क-ठाक है
43
गु
लज़ार
(3)
अ-आ, इ-ई, अ-आ, इ-ई
मा टर जी क आ गई च
च म सेनकली ब ली
ब ली खाए जदा-पान
काला च मा पीले
कान
कान म झु
मका, नाक म ब ी
हाथ म जलती अगरब ी
अगर हो ब ी कछु
आ छाप
आग म बै
ठा पानी ताप
ताप चढ़े
तो क बल तान
वी.आई.पी. अं
डर वयर-ब नयान
44
गु
लज़ार
मा टर जी क आ गई च
च म सेनकला म छर
म छर क दो लं
बी मू
ँ
छ
मू
ँ
छ पे
बाँ
धे
दो-दो प थर
प थर पे
इक आम का झाड़
पू
ं
छ पे
ले
केचले
पहाड़
पहाड़ पे
बै
ठा बू
ढ़ा जोगी
जोगी क इक जोगन होगी
-गठरी म लागा चोर
मु
सा फर दे
ख चाँ
द क ओर
पहाड़ पै
बै
ठा बू
ढ़ा जोगी
जोगी क एक जोगन होगी
जोगन कू
टे
क चा धान
वी.आई.पी. अं
डर वयर ब नयान
45
गु
लज़ार
46
गु
लज़ार
आधा आधा तु
झ बन म
आधी आधी सी तू
है
काली काली आँ
ख का
काला काला जा है
आज भी जु
नू
नी सी
जो एक आरज़ू
है
यू
ँ
ही तरसने
दे
यह आँ
ख बरसने
दे
ते
री आँ
ख दो आँ
ख
कभी शबनम कभी खु
शबू
है
काली काली आँ
ख का
काला काला जा है
आधा आधा तु
झ बन म
आधी आधी सी तू
है
47
गु
लज़ार
[काली काली आँ
ख काला काला जा ]
गहरे
समं
दर और दो जज़ीरे
डू
बेए ह कतने
ज़खीरे
ढू
ँ
ढने
दो अ क केमोती
सीपी से
खोलो
पलक से
झां
केतो झाँ
कने
दो
कतरा कतरा गनने
दो
कतरा कतरा चु
नने
दो
कतरा कतरा रखना है
ना
कतरा कतरा रखने
दो
ते
री आँ
ख का यह साया
अँ
धे
रे
म कोई जु
गनू
है
काली काली आँ
ख का
48
गु
लज़ार
काला काला जा है
आधा आधा तु
झ बन म
आधी आधी सी तू
है
जाने
कहाँ
पेबदलगे
दोन
उड़तेए यह शब केप रदे
पलक पे
बै
ठा ले
केउड़े
ह
दो बू
ँ
द दे
दो यासे
पड़े
ह
हाँ
दो बू
ँ
द
ल हा ल हा ल हे
दो
ल हा ल हा जीने
दो
कह भी दो ना आँ
ख से
ल हा ल हा पीने
दो
ते
री आँ
ख ह का सा
छलका सा एक आं
सू
है
49
गु
लज़ार
काली काली आँ
ख का
काला काला जा है
आधा आधा तु
झ बन म
आधी आधी सी तू
है
काली काली आँ
ख का
काला काला जा है
_________________________________
रोको मत टोको मत
सोचने
दो इ ह सोचने
दो
रोको मत टोको मत
होए टोको मत इ ह सोचने
दो
50
गु
लज़ार
अरे
अंडे
केअ दर ही कै
सेउड़गे
यार
नकालने
दो पाँ
व जु
राब ब त ह
कताब केबाहर कताब ब त ह
______________________________
एक दे
हाती सर पे
गु
ड क भे
ली बां
धे
,
ल बे
- चौडे
एक मै
दा से
गु
ज़र रहा था
गु
ड क खु
शबु
सु
नकेभन- भन करती
एक छतरी सर पे
मं
डलाती थी
धू
प चढ़ती और सू
रज क गम प ची तो
गु
ड क भे
ली बहने
लगी
मासू
म दे
हाती है
रा था
माथे
सेमीठे कतरेगरते
-मीठे थे
और वो जीभ से
चाट रहा था!
51
गु
लज़ार
मै
दे
हाती.........
मे
रे
सर पर ये
टै
गोर क क वता क भे
ली कसने
रख द !
__________________________________
बस एक चु
प सी लगी है
, नह उदास नह !
कह पे
सां
स क है
!
नह उदास नह , बस एक चु
प सी लगी है
!!
सहर भी ये
रात भी, दोपहर भी मली ले
कन!
हमीने
शाम चु
नी, हमीने
शाम चु
नी है
!
नह उदास नह , बस एक चु
प सी लगी है
!!
वो दासतां
जो, हमने
कही भी, हमनेलखी!
52
गु
लज़ार
आज वो खु
द से
सु
नी है
!
नह उदास नह , बस एक चु
प सी लगी है
!!
__________________________________
चौदहव रात केइस चाँ
द तले
सु
रमई रात म सा हल केक़रीब
धया जोड़े
म आ जाए जो तू
ईसा केहाथ सेगर जाए सलीब
बु का यान चटख जाए ,कसम से
तु
झ को बदा त न कर पाए खु
दा भी
धया जोड़े
म आ जाए जो तू
चौदहव रात केइस चाँ
द तले
!
__________________________________
सतारे
लटकेए ह ताग से
आ माँ
पर
चमकती चगा रयाँ
-सी चकरा रह आँ
ख क पु
त लय म
नज़र पेचपकेए ह कु
छ चकने
- चकने
सेरोशनी केध बे
53
गु
लज़ार
जो पलक मू
ँँ
तो चु
भने
लगती ह रोशनी क सफ़े
द करच
मु
झे
मे
रे
मखमली अँ
धे
र क गोद म डाल दो उठाकर
चटकती आँ
ख पे
घुप अँ
धे
र केफाए रख दो
यह रोशनी का उबलता लावा न अ धा कर दे
।
__________________________________
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर बाज़ी दे
खी मै
ने
,
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर बाज़ी दे
खी मै
ने
काले
घर म सू
रज चलके
, तु
मने
शायद सोचा था
मे
रे
सब मोहरेपट जायगे
.
मै
ने
एक चराग जलाकर रोशनी कर ली,
अपना र ता खोल लया
तु
मने
एक सम दर हाथ म ले
कर मु
झपे
ढे
ल दया,
मै
ने
नोह क क त उस केऊपर रख द
54
गु
लज़ार
काल चला तु
मने
और मे
री जा नब दे
खा,
काल चला तु
मने
और मे
री जा नब दे
खा
मै
ने
काल को तोड़कर,
ल हा ल हा जीना सीख लया
मे
री खु
द को मारना चाहा
तु
मने
च द चम कार से
मे
री खु
द को मारना चाहा तु
मने
च द चम कार से
और मे
रे
एक यादे
नेचलते
चलते
ते
रा चां
द का मोहरा मार लया
मौत क शह दे
कर तु
मने
समझा था अब
तो मात ई
मौत क शह दे
कर तु
मने
समझा था अब
तो मात ई
55
गु
लज़ार
मै
नेज म का खोल उतारकर स प
दया,
और ह बचा ली
पू
रे
का पू
रा आकाश घु
मा कर अब
तु
म दे
खो बाज़ी...
__________________________________
ज़दगी यू
ँई बसर त हा
क़ा फला साथ और सफ़र त हा
अपने
साये
सेच क जाते
ह
उ गु
ज़री है
इस क़दर त हा
रात भर बोलते
ह स नाटे
रात काटे
कोई कधर त हा
56
गु
लज़ार
दन गु
ज़रता नह है
लोग म
रात होती नह बसर त हा
हमने
दरवाज़े
तक तो दे
खा था
फर न जाने
गए कधर त हा
============================
ख़ु
मानी, अख़रोट ब त दन पास रहे
थे
दोन केजब अ स पड़ा करते
थेबहते
द रया म,
पे
ड़ क पोशाक छोड़के
,
नं
ग-धड़ं
ग दोन दन भर पानी म तै
रा करते
थे
कभी-कभी तो पार का छोर भी छू
आते
थे
ख़ु
मानी मोट थी और अख़रोट का क़द कु
छ ऊँ
चा था
भँ
वर कोई पीछे
पड़ जाए, तो प थर क आड़ से
होकर,
अख़रोट का हाथ पकड़ केवापस भाग आती थी।
57
गु
लज़ार
58
गु
लज़ार
बरगलाते
थेउसे
रोज़ प र दे
आकर
सब सु
नाते
थेव परवाज़ केक़ से
उसको
और दखाते
थेउसे
उड़ के
, क़लाबा ज़याँ
खा के
बद लयाँ
छूकेबताते
थे
, मज़े
ठं
डी हवा के
!
आं
धी का हाथ पकड़ कर शायद
उसने
कल उड़ने
क को शश क थी
धे
मु
ँ
ह बीच-सड़क आकेगरा है
!!
============================
मोड़ पे
दे
खा है
वो बू
ढ़ा-सा इक आम का पे
ड़ कभी?
मे
रा वा कफ़ है
ब त साल से
, म जानता ँ
जब म छोटा था तो इक आम चु
राने
केलए
परली द वार से
कंध पे
चढ़ा था उसके
जानेखती ई कस शाख से
मे
रा पाँ
व लगा
धाड़ से
फक दया था मु
झे
नीचे
उसने
59
गु
लज़ार
मने
खुनस म ब त फकेथे
प थर उस पर
मे
री शाद पे
मु
झे
याद है
शाख दे
कर
मे
री वे
द का हवन गरम कया था उसने
और जब हामला थी बीबा, तो दोपहर म हर दन
मे
री बीवी क तरफ़ कैरयाँ
फक थी उसी ने
व त केसाथ सभी फू
ल, सभी प े
गए
तब भी लजाता था जब मु
नेसे
कहती बीबा
उसी पे
'हाँ ड़ से
आया है
तू
, पे
ड़ का फल है
।'
अब भी लजाता ँ
, जब मोड़ से
गु
ज़रता ँ
खाँ
स कर कहता है
," यू
ँ
, सर केसभी बाल गए?"
सु
बह से
काट रहे
ह वो कमे
ट वाले
मोड़ तक जाने
क ह मत नह होती मु
झको!
60
गु
लज़ार
============================
कभी कभी लै
प पो ट केनीचे
कोई लड़का
दबा केपैसल को उं
ग लय म
मु
ड़े
-तु
ड़े
काग़ज़ को घु
टन पे
रख के
लखता आ नज़र आता है
कह तो..
ख़याल होता है
, गोक है
!
पजामे
उचकेये
लड़केजनकेघर म बजली नह लगी है
जो यू
नसपै
ट केपाक म बै
ठ कर पढ़ा करते
ह कताब
डकेस केऔर हाड केनॉवे
ल सेगर पड़े
ह...
या े
मच द क कहा नय का वक है
कोई, चपक गया है
समय पलटता नह वहां
से
कहानी आगे
बढ़ती नह है
... और कहानी क ई है
।
ये
ग मयाँकतनी फ क होती ह - बे
वाद ।
हथे
ली पे
ले
केदन क फ क
म फाँ
क ले
ता ं
...और नगलता ं
रात केठ डे
घू
ं
ट पीकर
61
गु
लज़ार
ये
सू
खा स ू
हलक से
नीचे
नह उतरता
ये
खुक़ दन एक ग मय का
जस भरी रात ग मय क
============================
कोई मे
ला लगा है
परबत पर
स ज़ाज़ार पर चढ़ रहे
ह लोग
टो लयाँ
कुछ क ढलान पर
दाग़ लगते
ह इक पकेफल पर
र सीवन उधे
ड़ती-चढ़ती,
एक पगडं
डी बढ़ रही है
स ज़े
पर !
62
गु
लज़ार
चू
ं
टयाँ
लग गई ह इस पहाड़ी को
जै
से
अम द सड़ रहा है
कोई !
============================
र सु
नसान-से
सा हल केक़रीब
एक जवाँ
पे
ड़ केपास
बू
ढ़ा-सा पाम का इक पे
ड़, खड़ा है
कब से
सै
कड़ साल क त हाई केबद
झु
क केकहता है
जवाँ
पे
ड़ से
... ’यार!
63
गु
लज़ार
त हाई है
! कु
छ बात करो !’
===========================
वो जो शायर था चु
प-सा रहता था
बहक -बहक -सी बात करता था
आँ
ख कान पे
रख केसु
नता था
गू
ँ
गी खामो शय क आवाज़!
व त केइस घने
रे
जंगल म
क चे
-प केसे
ल हे
चु
नता था
हाँ
वही, वो अजीब- सा शायर
64
गु
लज़ार
चाँ
द सेगर केमर गया है
वो
लोग कहते
ह ख़ु
दकु
शी क है
|
===========================
रात भर सद हवा चलती रही
रात भर हमने
अलाव तापा
मने
माजी से
कई खु
क सी शाख काट
तु
मने
भी गु
जरेये
ल ह केप े
तोड़े
मने
जेब सेनकाल सभी सू
ख न म
तु
मने
भी हाथ से
मु
रझायेये
खत खोल
अपनी इन आं
ख से
मने
कई मां
जेतोड़े
और हाथ से
कई बासी लक र फक
तु
मने
पलक पे
नामी सू
ख गयी थी, सो गरा द |
65
गु
लज़ार
शाम केसाये
बा ल त से
नापे
ह
चाँ
द नेकतनी दे
र लगा द आने
म
रात गु
ज़रते
शायद थोड़ा व लगे
ज़रा सी धू
प दे
उ ह मे
रे
पै
माने
म
66
गु
लज़ार
दल पर द तक दे
ने
येकौन आया है
कसक आहट सु
नता है
वीराने
मे।
==========================
मौत तू
एक क वता है
मु
झसे
एक क वता का वादा हैमले
गी मु
झको
डू
बती न ज़ म जब दद को न द आने
लगे
ज़द सा चे
हरा लये
जब चां
द उफक तक प ँ
चे
दन अभी पानी म हो, रात कनारे
केकरीब
ना अं
धे
रा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दन
ज म जब ख़ म हो और ह को जब साँ
स आऐ
मु
झसे
एक क वता का वादा हैमले
गी मु
झको
============================
चप चपेध से
नहलाते
ह, आं
गन म खड़ा कर केतु
ह
67
गु
लज़ार
शहद भी, ते
ल भी, ह द भी, ना जानेया या
घोल केसर पे
लु
ढ़काते
ह गला सयाँ
भर के
औरत गाती ह जब ती सु
र म मल कर
पाँ
व पर पाँ
व लगाए खड़े
रहते
हो
इक पथराई सी मु
कान लए
बु
त नह हो तो परे
शानी तो होती होगी
जब धु
आँदे
ता, लगातार पु
जारी
घी जलाता है
कई तरह केछ केदे
कर
इक जरा छ क ही दो तु
म
तो यक आए क सब दे
ख रहे
हो
===========================
वो ख़त केपु
रज़े
उड़ा रहा था
हवा का ख़ दखा रहा था
कु
छ और भी हो गया नु
मायाँ
68
गु
लज़ार
वो एक दन एक अजनबी को
मे
री कहानी सु
ना रहा था
वो उ कम कर रहा था मे
री
म साल अपने
बढ़ा रहा था
============================
कु
रान हाथ म ले
केनाबीना एक नमाज़ी
लब पे
रखता था
दोन आँ
ख से
चू
मता था
झु
काकेपे
शानी यू
ँ
अक़ दत से
छूरहा था
जो आयत पढ़ नह सका
69
गु
लज़ार
उन केल स महसू
स कर रहा हो
म है
राँ
-है
राँ
गु
ज़र गया था
म है
राँ
है
राँ
ठहर गया ँ
तु
हारे
हाथ को चू
म कर
छू
केअपनी आँ
ख से
आज म ने
जो आयत पढ़ नह सका
उन केल स महसू
स कर लये
ह
===========================
बस एक चु
प-सी लगी है
, नह उदास नह
कह पे
साँ
स क है
, नह उदास नह
70
गु
लज़ार
बस एक चु
प-सी लगी है
, नह उदास नह
कह पे
साँ
स क है
, नह उदास नह ।
============================
शाम से
आँख म नमी सी है
आज फर आप क कमी सी है
द न कर दो हम क साँ
स मले
न ज़ कु
छ दे
र से
थमी सी है
व त रहता नह कह थमकर
71
गु
लज़ार
इस क आदत भी आदमी सी है
=========================
साँ
स ले
ना भी कै
सी आदत है
जीये
जाना भी या रवायत है
कोई आहट नह बदन म कह
कोई साया नह है
आँख म
पाँ
व बे
हस ह, चलते
जाते
ह
इक सफ़र है
जो बहता रहता है
कतने
बरस से
, कतनी स दय से
जये
जाते
ह, जये
जाते
ह
आदत भी अजीब होती ह
72
गु
लज़ार
============================
क़दम उसी मोड़ पर जमे
ह
नज़र समे
टेए खड़ा ँ
जु
नू
ँ
येमजबू
र कर रहा है
पलट केदे
खू
ँ
ख़ु
द ये
कहती है
मोड़ मु
ड़ जा
अगरचे
एहसास कह रहा है
खु
ले
दरीचे
केपीछे
दो आँ
ख झाँ
कती ह
अभी मे
रे
इं
तज़ार म वो भी जागती है
कह तो उस केगोशा-ए- दल म दद होगा
उसे
येज़द हैक म पु
का ँ
मु
झे
तक़ाज़ा है
वो बु
ला ले
क़दम उसी मोड़ पर जमे
ह
नज़र समे
टेए खड़ा ँ
==========================
न म उलझी ई है
सीने
म
मसरे
अटकेए ह होठ पर
73
गु
लज़ार
उड़ते
- फरते
ह तत लय क तरह
ल ज़ काग़ज़ पे
बै
ठते
ही नह
कब से
बै
ठा आ ँ
म जानम
सादे
काग़ज़ पेलखकेनाम ते
रा
बस ते
रा नाम ही मु
क मल है
इससे
बे
हतर भी न म या होगी
============================
म अपने
घर म ही अजनबी हो गया ँ
आ कर
मु
झे
यहाँ
दे
खकर मे
री ह डर गई है
सहम केसब आरजएँ
कोन म जा छु
पी ह
लव बु
झा द हअपने
चे
हर क , हसरत ने
क शौक़ पहचनता ही नह
मु
राद दहलीज़ ही पे
सर रख केमर गई ह
म कस वतन क तलाश म यू
ँ
चला था घर से
74
गु
लज़ार
क अपने
घर म भी अजनबी हो गया ँ
आ कर
===========================
हाथ छू
टे
भी तो र ते
नह छोड़ा करते
व त क शाख़ से
ल ह नह तोड़ा करते
शहद जीने
का मला करता है
थोड़ा थोड़ा
जाने
वाल केलयेदल नह थोड़ा करते
लग केसा हल से
जो बहता है
उसे
बहने
दो
ऐसी द रया का कभी ख़ नह मोड़ा करते
============================
एक पु
राना मौसम लौटा याद भरी पु
रवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है
वो भी ह तनहाई भी
75
गु
लज़ार
याद क बौछार से
जब पलक भीगने
लगती ह
कतनी स धी लगती है
तब माज़ी क सवाई भी
दो दो श ल दखती ह इस बहकेसे
आईने
म
मे
रे
साथ चला आया है
आपका इक सौदाई भी
ख़ामोशी का हा सल भी इक ल बी सी ख़ामोशी है
उन क बात सु
नी भी हमने
अपनी बात सु
नाई भी
=========================
एक परवाज़ दखाई द है
ते
री आवाज़ सु
नाई द है
जस क आँ
ख म कट थी स दयाँ
उस ने
स दय क जु
दाई द है
76
गु
लज़ार
सफ़ एक सफ़ाह पलट कर उस ने
बीती बात क सफ़ाई द है
आग नेया या जलाया है
शब भर
कतनी ख़ु
श-रं
ग दखाई द है
==========================
दन कु
छ ऐसे
गु
ज़ारता है
कोई
जै
से
एहसान उतारता है
कोई
आईना दे
ख केतस ली ई
हम को इस घर म जानता है
कोई
पक गया है
शज़र पे
फल शायद
फर से
प थर उछालता है
कोई
77
गु
लज़ार
फर नज़र म ल केछ टे
ह
तु
म को शायद मु
ग़ालता है
कोई
दे
र से
गू
ँ
जत ह स नाटे
जै
से
हम को पु
कारता है
कोई
============================
चलो ना भटके
लफ़ं
गेकू
च म
लु
ची ग लय के
चौक दे
ख
सु
ना है
वो लोग
चू
स कर जन को व त ने
रा त म फका थ
सब यह आकेबस गये
ह
येछलकेह ज़ दगी के
78
गु
लज़ार
इन का अक नकालो
क ज़हर इन का
तु
हरेज म म
ज़हर पलते
ह
और जतने
वो मार दे
गा
चलो ना भटके
लफ़ं
गेकू
च म
============================
आँ
ख म जल रहा हैयू
ँ
बु
झता नह धु
आँ
उठता तो है
घटा-सा बरसता नह धु
आँ
चू
हेनह जलाये
या ब ती ही जल गई
कु
छ रोज़ हो गये
ह अब उठता नह धु
आँ
आँ
ख केप छने
सेलगा आँ
च का पता
यू
ँ
चे
हरा फे
र ले
ने
सेछु
पता नह धु
आँ
79
गु
लज़ार
आँ
ख से
आँसु केमरा सम पु
राने
ह
मे
हमाँ
येघर म आय तो चु
भता नह धु
आँ
==========================
आदतन तु
म ने
कर दये
वादे
आदतन हम ने
ऐतबार कया
ते
री राह म हर बार क कर
हम ने
अपना ही इ तज़ार कया
अब ना माँ
गगेज दगी या रब
ये
गु
नाह हम ने
एक बार कया
============================
आओ फर न म कह
फर कसी दद को सहलाकर सु
जा ले
आँख
फर कसी खती ई रग म छु
पा द न तर
80
गु
लज़ार
या कसी भू
ली ई राह पे
मु
ड़कर एक बार
नाम ले
कर कसी हमनाम को आवाज़ ही द ल
फर कोई न म कह
============================
आओ तु
मको उठा लू
ँ
कंध पर
तु
म उचककर शरीर होठ से
चू
म ले
ना
चू
म ले
ना ये
चाँ
द का माथा
आज क रात दे
खा ना तु
मने
कै
सेझु
क-झु
क केकोह नय केबल
चाँ
द इतना करीब आया है
============================
सां
स ले
ना भी कै
सी आदत है
जए जाना भी या रवायत है
कोई आहट नह बदन म कह
कोई साया नह है
आँख म
81
गु
लज़ार
पावँ
बेहस ह,चलते
जाते
ह
इक सफ़र है
जो बहता रहता है
कतने
बरस सेकतनी स दय से
जए जाते
ह, जए जाते
ह
82
गु
लज़ार
मौत का या है
, एक बार मारे
गी
...........................................................
उठतेए जातेए पं
छ ने
बस इतना ही दे
खा
दे
र तक हाथ हलाती रही वो शाख़ फ़ज़ा म
अल वदा कहने
को, या पास बु
लाने
केलए?
===========================
83
गु
लज़ार
सब पे
आती है
सब क बारी से
मौत मु
ं
सफ़ है
कम-ओ-बे
श नह
ज़ दगी सब पेयू
ँ
नह आती
.......................................................
कौन खाये
गा कसका ह सा है
दाने
-दाने
पेनाम लखा है
ठ सू
'से दचं
द मू
लचं
द आक़ा'
.........................................................
उफ़! ये
भीगा आ अख़बार
पे
पर वाले
को कल से
चज करो
च सौ गाँ
'पां व बह गए इस साल'
84
गु
लज़ार
============================
नीले
-नीले
सेशब केगु
बद म
तानपु
रा मला रहा है
कोई
एक श फाफ़ काँ
च का द रया
जब खनक जाता हैकनार से
दे
र तक गू
ँ
जता है
कानो म
85
गु
लज़ार
शहर क आवारा ग लय से
सहमी-सहमी पू
छ रही ह
हर क ती का सा हल होता है
तो-
मे
रा भी या सा हल होगा?
एक मासू
म-से
ब चे
ने
बे
मानी को मानी दे
कर
र केकागज़ पर कै
सा ज म कया है
============================
ठं
डी साँ
से
ना पालो सीने
म
ल बी सां
स म सां
प रहते
ह
ऐसे
ही एक सां
स ने
इक बार
डस लया था हसी लयोपेा को
मे
रे
होट पे
अपने
लब रखकर
फू
ँ
क दो सारी साँ
स को 'बीबा'
86
गु
लज़ार
मु
झको आदत है
ज़हर पीने
क
===========================
रात म दे
खो झील का चे
हरा
कस कदर पाक,पु
सु
कु
ं
,गमग
कोई साया नह है
पानी पर
कोई सलवट नह है
आँख म
नी द आ जाये
दद को जै
से
जै
से
म रयम उडाद बै
ठ हो
जै
से
चे
हरा हटाकेचे
हरे
का
सफ एहसास रख दया हो वहाँ
============================
याल ,सां
स नज़र,सोच खोलकर दे
दो
लब से
बोल उतारो,जु
बां
सेआवाज़
हथे
लय से
लक र उतारकर दे
दो
हाँ
, दे
दो अपनी 'खु
द ' भी क 'खु
द' नह हो तु
म
87
गु
लज़ार
उतार ह से
येज म का हस गहना
उठो आ से
तो 'आमीन' कहके ह दे
दो
============================
खाली ड बा है
फ़क़त, खोला आ चीरा आ
यू
ँ
ही द वार सेभड़ता आ, टकराता आ
बे
वजह सड़क पेबखरा आ, फै
लाया आ
ठोकर खाता आ खाली लु
ढ़कता ड बा
यू
ँ
भी होता है
कोई खाली-सा- बे
कार-सा दन
ऐसा बे
रं
ग-सा बे
मानी-सा बे
नाम-सा दन
खाली ड बा है
फ़क़त, खोला आ चीरा आ
यू
ँ
ही द वार सेभड़ता आ, टकराता आ
बे
वजह सड़क पेबखरा आ, फै
लाया आ
ठोकर खाता आ खाली लु
ढ़कता ड बा
यू
ँ
भी होता है
कोई खाली-सा- बे
कार-सा दन
88
गु
लज़ार
ऐसा बे
रं
ग-सा बे
मानी-सा बे
नाम-सा दन
============================
कं
धेझु
क जाते
हैजब बोझ से
इस ल बे
सफ़र के
हां
फ जाता ँ
म जब चढ़तेए ते
ज चढाने
सां
से
रह जाती है
जब सीने
म एक गु
छा हो कर
और लगता है
दम टू
ट जाये
गा यह पर
एक न ही सी न म मे
रे
सामने
आ कर
मु
झ से
कहती है
मे
रा हाथ पकड़ कर-मे
रे
शायर
ला , मे
रे
क ध पे
रख दे
,
म ते
रा बोझ उठा लू
ं
============================
दल म ऐसे
ठहर गए ह ग़म
जै
से
जंगल म शाम केसाये
89
गु
लज़ार
जाते
-जाते
सहम के क जाएँ
मु
डकेदे
खेउदास राह पर
कै
सेबु
झतेए उजाल म
र तक धू
ल ही धू
ल उडती है
============================
छोटे
थे
, माँ
उपले
थापा करती थी
हम उपल पर श ल गू
ँ
धा करते
थे
आँ
ख लगाकर - कान बनाकर
नाक सजाकर -
पगड़ी वाला, टोपी वाला
मे
रा उपला -
ते
रा उपला -
अपने
-अपने
जाने
-पहचाने
नाम से
उपले
थापा करते
थे
हँ
सता-खे
लता सू
रज रोज़ सवे
रे
आकर
90
गु
लज़ार
गोबर केउपल पे
खेला करता था
रात को आँ
गन म जब चू
हा जलता था
हम सारे
चूहा घे
र केबै
ठे
रहते
थे
कस उपले
क बारी आयी
कसका उपला राख आ
वो पं
डत था -
इक मु
ना था -
इक दशरथ था -
बरस बाद - म
मशान म बै
ठा सोच रहा ँ
आज क रात इस व केजलते
चूहे
म
इक दो त का उपला और गया !
============================
आज फर चाँ
द क पे
शानी से
उठता है
धु
आँ
आज फर महक ई रात म जलना होगा
आज फर सीने
म उलझी ई वज़नी साँ
स
91
गु
लज़ार
फट केबस टू
ट ही जाएँ
गी, बखर जाएँ
गी
आज फर जागते
गु
ज़रे
गी ते
रेवाब म रात
आज फर चाँ
द क पे
शानी से
उठता धु
आँ
============================
आदमी बु
लबु
ला है
पानी का
और पानी क बहती सतह पर टू
टता भी है
, डू
बता भी है
,
फर उभरता है
, फर से
बहता है
,
न समं
दर नगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है
,
व क मौज पर सदा बहता आदमी बु
लबु
ला है
पानी का।
===========================
चार तनकेउठा केजं
गल से
एक बाली अनाज क ले
कर
चं
द कतरेबलखते
अ क के
चं
द फां
केबु
झेए लब पर
मु भर अपने
क क मटट
मु भर आरजु का गारा
92
गु
लज़ार
एक तामीर क लए हसरत
ते
रा खानाबदोश बे
चारा
शहर म दर-ब-दर भटकता है
ते
रा कां
धा मले
तो टे
कू
ं
!
==========================
गोल फू
ला आ ग़ बारा थक कर
एक नु
क ली पहाड़ी यू
ँ
जाकेटका है
जै
से
ऊँगली पे
मदारी ने
उठा र खा हो गोला
फू
ँ
क से
ठे
लो तो पानी म उतर जाएगा
भक से
फट जाएगा फू
ला आ सू
रज का ग़ बारा
छन-से
बु
झ जाएगा इक और दहकता आ दन
============================
ब ता फ़क केलोची भागा रोशनआरा बाग़ क जा नब
च लाता : 'चल गुी चल'
प केजामु
न टपकगे
'
93
गु
लज़ार
आँ
गन क र सी से
माँ
नेकपड़े
खोले
और तंर पे
लाकेट न क चादर डाली
सारेदन केसू
खेपापड़
ल छ नेलपटा ई चादर
'बच गई र बा' कया कराया धु
ल जाना था'
ख़ैने
अपने
खेत क सू
खी म
झु
रय वाले
हाथ म ले
कर
भीगी-भीगी आँ
ख सेफर ऊपर दे
खा
झू
म केफर उ े
ह बादल
टू
ट केफर मह बरसे
गा
============================
अभी न पदा गराओ, ठहरो क दा ताँ
आगे
और भी है
94
गु
लज़ार
95
गु
लज़ार
अभी सु
लगते
ह ह केग़म
अभी धड़कत है
दद दल के
अभी तो एहसास जी रहा है
96
गु
लज़ार
गर तार करने
गया था उसे
जो ले
केमे
री उ का एक दन भागता जा रहा था
============================
रात भर सद हवा चलती रही
रात भर हमने
अलाव तापा
मने
माज़ी से
कई ख़ु
क सी शाख़ काट
तु
मने
भी गु
ज़रेए ल ह केप े
तोड़े
मने
जेब सेनकाल सभी सू
खी न म
तु
मने
भी हाथ से
मु
रझाए ए ख़त खोले
अपनी इन आँ
ख से
मने
कई मां
जेतोड़े
और हाथ से
कई बासी लक र फक
तु
मने
पलक पे
नमी सू
ख गई थी सो गरा द
रात भर जो मला उगते
बदन पर हमको
काट केडाल दया जलते
अलाव म उसे
रात भर फू
ं
क से
हर लौ को जगाये
रखा
97
गु
लज़ार
और दो ज म केधन को जलाये
रखा
रात भर बु
झतेए र ते
को तापा हमने
============================
वो जो शायर था चु
प सा रहता था
बहक -बहक सी बात करता था
आँ
ख कान पे
रख केसु
नता था
गू
ं
गी ख़ामो शय क आवाज़
जमा करता था चाँ
द केसाए
गीली-गीली सी नू
र क बू
ं
द
ओक़ म भर केखड़खड़ाता था
खे
- खे
सेरात केप े
व त केइस घने
रे
जंगल म
क चे
-प केसे
ल हे
चु
नता था
हाँ
वही वो अजीब सा शायर
रात को उठ केकोह नय केबल
चाँ
द क ठोडी चू
मा करता था
98
गु
लज़ार
चाँ
द सेगर केमर गया है
वो
लोग कहते
ह ख़ु
दकु
शी क है
===========================
दे
खो, आ ह ता चलो और भी आ ह ता ज़रा
दे
खना, सोच सँ
भल कर ज़रा पाँ
व रखना
ज़ोर से
बज न उठे
पै
र क आवाज़ कह
कां
च के वाब ह बखरेए त हाई म
वाब टू
टे
न कोई जाग न जाए दे
खो
99
गु
लज़ार
मु
झसे
इक न म का वादा है
,
मले
गी मु
झको
डू
बती न ज़ म,
जब दद को न द आने
लगे
ज़द सा चे
हरा लए चाँ
द,
उफ़क़ पर प ं
चे
दन अभी पानी म हो,
रात कनारे
केक़रीब
न अँ
धे
रा, न उजाला हो,
यह न रात, न दन
ज़ म जब ख़ म हो
और ह को जब सां
स आए
मु
झसे
इक न म का वादा हैमले
गी मु
झको
===========================
100
गु
लज़ार
शहतू
त क शाख़ पे
बै
ठा कोई
बु
नता है
रे
शम केतागे
ल हा-ल हा खोल रहा है
प ा-प ा बीन रहा है
एक-एक सां
स बजा कर सु
नता है
सौदाई
एक-एक सां
स को खोल केअपने
तन पर लपटाता जाता है
अपनी ही साँ
स का क़ै
द
रे
शम का यह शायर इक दन
अपने
ही ताग म घु
ट कर मर जाएगा
============================
न जानेया था, जो कहना था
आज मल केतु
झे
तु
झेमला था मगर, जानेया कहा मने
वो एक बात जो सोची थी तु
झसे
कह ँ
गा
तु
झेमला तो लगा, वो भी कह चु
का ँ
कभी
101
गु
लज़ार
जानेया, ना जानेया था
जो कहना था आज मल केतु
झे
कु
छ ऐसी बात जो तु
झसे
कही नह ह मगर
कु
छ ऐसा लगता है
तु
झसे
कभी कही ह गी
ते
रे
ख़याल से
ग़ा फ़ल नह ँ
ते
री क़सम
ते
रे
ख़याल म कु
छ भू
ल-भू
ल जाता ँ
जानेया, ना जानेया था जो कहना था
आज मल केतु
झे
जानेया...
===========================
इन बू
ढ़े
पहाड़ पर, कु
छ भी तो नह बदला
स दय सेगरी बफ़
और उनपे
बरसती ह
हर साल नई बफ़
इन बू
ढ़े
पहाड़ पर....
102
गु
लज़ार
घर लगते
हक़ से
ख़ामोश सफ़े
द म
कु
तबे
सेदर त के
ना आब था ना दान
अलग़ोज़ा क वाद म
भे
ड़ क ग जान
सं
वाद : कु
छ व त नह गु
ज़रा नानी ने
बताया था
सरस ज़ ढलान पर ब ती गड़ रय क
और भे
ड़ क रे
वड़ थे
गाना :
ऊँ
चेकोहसार के
गरतेए दामन म
जं
गल ह चनार के
सब लाल से
रहते
ह
जब धू
प चमकती है
103
गु
लज़ार
कु
छ और दहकते
ह
हर साल चनार म
इक आग केलगने
से
मरते
ह हज़ार म !
इन बू
ढ़े
पहाड़ पर...
सं
वाद : चु
पचाप अँ
धे
रे
म अ सर उस जं
गल म
इक भे
ड़या आता था
ले
जाता था रे
वड़ से
इक भे
ड़ उठा कर वो
और सु
बह को जं
गल म
बस खाल पड़ी मलती।
104
गु
लज़ार
सब तोड़ केगराता है
सं
गलाख़ च ान से
जा सर टकराता है
तारीख़ का कहना है
रहना च ान को
द रया को बहना है
अब क तु
ग़यानी म
कु
छ डू
ब गए गाँ
व
कु
छ बह गए पानी म
चढ़ती रही कु
बान
अलग़ोज़ा क वाद म
भे
ड़ क गई जान
सं
वाद : फर सारे
गड़ रय ने
उस भे
ड़ए को ढू
ँ
ढ़ा
और मार केलौट आए
105
गु
लज़ार
उस रात इक ज आ
अब सु
बह को जं
गल म
दो और मली खाल
गाना : नानी क अगर माने
तो भे
ड़या ज़ दा है
जाएँ
गी अभी जान
इन बू
ढ़े
पहाड़ पर कु
छ भी तो नह बदला...
===========================
कतनी स दय से
ढू
ँ
ढ़ती ह गी
तु
मको ये
चाँ
दनी क आवज़
पू
णमासी क रात जं
गल म
नीले
शीशम केपे
ड़ केनीचे
बै
ठकर तु
म कभी सु
नो जानम
भीगी-भीगी उदास आवाज़
नाम ले
कर पु
कारती है
तुह
106
गु
लज़ार
पू
णमासी क रात जं
गल म...
पू
णमासी क रात जं
गल म
चाँ
द जब झील म उतरता है
गु
नगु
नाती ई हवा जानम
प े
-प े
केकान म जाकर
नाम ले
लेकेपू
छती है
तुह
पू
णमासी क रात जं
गल म
तु
मको ये
चाँ
दनी आवाज़
कतनी स दय से
ढू
ँ
ढ़ती ह गी
===========================
यार कभी इकतरफ़ा होता है
; न होगा
दो ह केमलन क जु
ड़वां
पै
दाईश है
ये
यार अके
ला नह जी सकता
107
गु
लज़ार
जीता है
तो दो लोग म
मरता है
तो दो मरते
ह
द रया जै
से
चढ़ जाता है
ढल जाता है
चढ़ना ढलना यार म वो सब होता है
पानी क आदत है
उपर से
नीचे
क जा नब बहना
नीचे
सेफर भाग केसू
रत उपर उठना
बादल बन आकाश म बहना
कां
पने
लगता है
जब ते
ज़ हवाएँ
छे
ड़े
बू
ँ
द-बू
ँ
द बरस जाता है
.
108
गु
लज़ार
न कोई जं
ग क जीत है
ये
न येनर है
न ये
इनाम है
न रवाज कोई न रीत है
ये
ये
रहम नह ये
दान नह
न बीज नह कोई जो बे
च सक.
खु
शबू
हैमगर ये
खुशबू
क पहचान नह
दद, दलासे
, शक़, व ास, जु
नू
ं
,
और होशो हवास केइक अहसास केकोख से
पै
दा आ
इक र ता है
ये
109
गु
लज़ार
यह स ब ध है नयार का,
रमा का, पहचान का
पै
दा होता है
, बढ़ता है
ये
, बू
ढा होता नह
मटट म पले
इक दद क ठं
ढ धू
प तले
जड़ और तल क एक फसल
कटती है
मगर ये
फटती नह .
म और पानी और हवा कु
छ रौशनी
और तारीक को छोड़
जब बीज क आँ
ख म झां
कते
ह
तब पौधा गदन ऊँ
ची करके
मु
ं
ह नाक नज़र दखलाता है
.
पौधे
केप े
-प े
पर
कु
छ भी है
कुछ उ र भी
कस म क कोख़ से
हो तु
म
110
गु
लज़ार
कस मौसम ने
पाला पोसा
औ' सू
रज का छड़काव कया.
हम तु
म तो नह
पर पू
छना है
तु
म हमसे
हो या हम तु
मसे
यार अगर वो बीज है
तो
इक भी है
इक उ र भी.
==========================
111
गु
लज़ार
बो क याहने
का समय अब करीब आने
लगा है
ज म से
छू
ट रहा है
कुछ कु
छ
ह म डू
ब रहा है
कुछ कु
छ
कु
छ उदासी है
,सु
कू
ंभी
सु
बह का व है
पौ फटने
का,
या झु
टपु
टा शाम का है
मालू
म नह
यू
ँ
भी लगता हैक जो मोड़ भी अब आएगा
वो कसी और तरफ़ मु
ड़ केचली जाएगी,
उगतेए सू
रज क तरफ़
और म सीधा ही कु
छ र अके
ला जा कर
शाम केसरे
सू
रज म समा जाऊँ
गा !
________________________________
नाराज़ है
मु
झसे
बो क शायद
ज म का एक अं
ग चु
प चु
प सा है
सू
जेसे
लगते
हैपां
व
112
गु
लज़ार
सोच म एक भं
वर क आँ
ख है
घू
म घू
म कर दे
ख रही है
बो क ,सू
रज का टु
कड़ा है
मे
रे
खून म रात और दन घु
लता रहता है
वह या जाने
,जब वो ठे
मे
री रग म खू
न क ग दश म म पड़ने
लगती है
.
__________________________________
म उड़तेए पं
छय को डराता आ
कु
चलता आ घास क कल गयाँ
गराता आ गदन इन दर त क ,छु
पता आ
जनकेपीछे
से
नकला चला जा रहा था वह सू
रज
तआकु
ब म था उसकेम
गर तार करने
गया था उसे
जो ले
केमे
री उ का एक दन भागता जा रहा था
113
गु
लज़ार
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
व क आँ
ख पे
प बां
ध के
.
चोर सपाही खे
ल रहे
थे
--
रात और दन और चाँ
द और म--
जाने
कैसे
इस ग दश म अटका पाँ
व,
र गरा जा कर म जै
से
,
रौश नय केध केसे
परछा जम पर गरती है
!
धे
या छोने
सेपहले
ही--
व ने
चोर कहा और आँ
खेखोल के
मु
झको पकड़ लया--
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तु
हारी फु
कत म जो गु
जरता है
,
और फर भी नह गु
जरता,
मव कै
सेबयाँ
क ँ, व और या है
?
कव बां
गे
जरस नह जो बता रहा है
114
गु
लज़ार
क दो बजे
ह,
कलाई पर जस अकाब को बां
ध कर
समझता ँ
व है
,
वह वहाँ
नह है
!
वह उड़ चु
का
जै
से
रं
ग उड़ता है
मे
रे
चे
हरे
का, हर तह यु
र पे
,
और दखता नह कसी को,
वह उड़ रहा हैक जै
से
इस बे
कराँ
समं
दर से
भाप उड़ती है
और दखती नह कह भी,
कद म वजनी इमारत म,
कु
छ ऐसे
रखा है
, जै
से
कागज पे
ब ा रख द,
दबा द, तारीख उड़ ना जाये
,
मव कै
सेबयाँ
कँ,व और या है
?
कभी कभी व यू
ँ
भी लगता है
मु
झको
115
गु
लज़ार
से
जै, गु
लाम है
!
आफ़ताब का एक दहकता गोला उठा के
हर रोज पीठ पर वह, फलक पर चढ़ता है
च पा
च पा कदम जमाकर,
वह पू
रा कोहसार पार कर के
,
उतारता है
, उफु
क क दहलीज़ पर दहकता
आ सा प थर,
टका केपानी क पतली सु
तली पे
, लौट
जाता है
अगलेदन का उठाने
गोला ,
और उसकेजाते
ही
धीरे
धीरे
वह पू
रा गोला नगल केबाहर नकलती है
रात, अपनी पीली सी जीभ खोले
,
गु
लाम है
व ग दश का,
क जै
से
उसका गु
लाम म ँ
!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उफु
क फलां
ग केउमरा जू
म लोग का
116
गु
लज़ार
कोई मीनारे
सेउतरा, कोई मु
ं
डे
र से
कसी ने
सी ढयां
लपक , हटाई द वार--
कोई अजाँ
सेउठा है
, कोई जरस सु
न कर!
गु
सीली आँ
ख म फु
ं
कारते
हवालेलये
,
गली केमोड़ पे
आकर ए ह जमा सभी!
हर इक केहाथ म प थर ह कु
छ अक द के
खु
दा क जात को सं
गसार करने
आये
ह!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मौजजा कोई भी उस शब ना आ--
जतने
भी लोग थे
उस रोज इबादतगाह म,
सब केहोठ पर आ थी,
और आँ
ख म चरागाँ
था यक का
ये
खुदा का घर है
,
जलजले
तोड़ नह सकते
इसे
, आग जला सकती नह !
सै
कड़ मौजज क सब नेहकायात सु
नी थ
117
गु
लज़ार
सै
कड़ नाम से
उन सब ने
पु
कारा उसको ,
गै
ब से
कोई भी आवाज नह आई कसी क ,
ना खु
दा क -- ना पु
लस क !!
सब केसब भू
ने
गए आग म, और भ म ये
.
मौजजा कोई भी उस शब्
ना आ!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मौजजे
होते
ह,-- ये
बात सु
ना करते
थे
!
व आने
पेमगर--
आग से
फूल उगे
, और ना जम से
कोई द रया
फू
टा
ना समं
दर सेकसी मौज ने
फका आँ
चल,
ना फलक से
कोई क ती उतरी!
118
गु
लज़ार
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अपनी मज से
तो मजहब भी नह उसने
चु
ना था,
उसका मज़हब था जो माँ
बाप से
ही उसने
वरासत म लया था---
अपने
माँ
बाप चु
ने
कोई ये
मु
म कन ही कहाँ
है
मु
क म मज़ थी उसक न वतन उसक रजा से
वो तो कु
ल नौ ही बरस का था उसेय चु
नकर,
फकादाराना फसादात ने
कल क़ ल कया--!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आग का पे
ट बड़ा है
!
आग को चा हए हर लहजा चबाने
केलये
क करारे
खु प े
,
आग कर ले
ती हैतनक पे
गु
जारा ले
कन--
आ शयान को नगलती हैनवाल क तरह,
119
गु
लज़ार
आग को स ज हरी टह नयाँ
अ छ नह लगत ,
ढू
ं
ढती है
, क कह सू
खेयेज म मल!
उसको जं
गल क हवा रास ब त हैफर भी,
अब गरीब क कई ब तय पर दे
खा है
हमला करते
,
आग अब मं
दर -म जद क गजा खाती है
!
लोग केहाथ म अब आग नह --
आग केहाथ म कु
छ लोग ह अब
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
शहर म आदमी कोई भी नह क़ ल आ,
नाम थे
लोग केजो, क़ ल ये
.
सर नह काटा, कसी ने
भी, कह पर कोई--
लोग ने
टो पयाँ
काट थ क जनम सर थे
!
और ये
बहता आ सु
ख ल है
जो सड़क पर,
ज़बह होती ई आवाज क गदन सेगरा था
120
गु
लज़ार
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
रात जब मु
ं
बई क सड़क पर
अपने
पं
ज को पे
ट म ले
कर
काली ब ली क तरह सोती है
अपनी पलक नह गराती कभी,--
साँ
स क लं
बी लं
बी बौछार
उड़ती रहती ह खु
क सा हल पर!
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
अ फाज जो उगते
, मु
रझाते
, जलते
, बु
झते
ह मे
रहते रे
चार तरफ,
अ फाज़ जो मे
रेगद पतं
ग क सू
रत उड़ते
ह रात और दन
रहते
इन ल ज़ केकरदार ह, इनक श ल ह,
रं
ग प भी ह-- और उ भी!
कु
छ ल ज़ ब त बीमार ह, अब चल सकते
नह ,
121
गु
लज़ार
कु
छ ल ज़ तो ब तरे
मग पे
ह,
कु
छ ल ज़ ह जनको चोट लगती रहती ह,
म प याँ
करता रहता ँ
!
122
गु
लज़ार
मा न भी नह !
एक भीगा आ, का छ का, वह ल ज़ भी है
,
जब दद छु
ए तो आँ
ख म भर आता है
कहने
केलये
लब हलते
नह ,
आँ
ख से
अदा हो जाता है
!!
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
सु
ना हैम पानी का अज़ल से
एक र ता है
,
जड़ म म लगती ह,
जड़ म पानी रहता है
.
तु
हारी आँ
ख से
आँसू
का गरना था क दल
म दद भर आया,
ज़रा से
बीज से
क पल नकल आयी!!
जड़ेम म लगती ह,
123
गु
लज़ार
जड़ म पानी रहता है
!!
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
शीशम अब तक सहमा सा चु
पचाप खड़ा है
,
भीगा भीगा ठठु
रा ठठु
रा.
बू
ँ
द प ा प ा कर के
,
टप टप करती टू
टती ह तो ससक क आवाज
आती है
!
बा रश केजाने
केबाद भी,
दे
र तलक टपका रहता है
!
तु
मको छोड़े
दे
र ई है
--
आँ
सू
अब तक टू
ट रहे
ह
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता, बहता है
बुा द रया!
ये
124
गु
लज़ार
कोई पू
छे
तु
झको या ले
ना, या लोग कनार
पर करते
ह,
तू
मत सु
न, मत कान लगा उनक बात पर!
घाट पे
ल छ को गर झू
ठ कहा है
साले
माधव ने
,
तु
झको या ले
ना ल छ से
? जाये
,जा केडू
ब मरे
!
यही तो ःख है
द रया को!
ज मी थी तो "आँ
वल नाल" उसी केहाथ म स पी
थी झू
लन दाई ने
,
उसने
ही सागर प चाये
थेवह "लीडे
",
कल जब पे
ट नजर आये
गा, डू
ब मरे
गी
और वह लाश भी उसको ही गु
म करनी होगी!
लाश मली तो गाँ
व वाले
ल छ को बदनाम करगे
!!
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह, कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता, बहता है
बुा द रया!!
ये
125
गु
लज़ार
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह, कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता, बहता है
बुा द रया
ये
दन दोपहरे
, मने
इसको खराटे
ले
ते
दे
खा है
ऐसा चत बहता है
दोन पाँ
व पसारे
प थर फक , टां
ग से
खच, बगले
आकर च च मार
टस से
मस होता ही नह है
च क उठता है
जब बा रश क बू
ँ
द
आ कर चु
भती ह
धीरे
धीरे
हां
फने
लाग जाता है
उसकेपे
ट का पानी.
तल मल करता, रे
त पे
दोन बाह मारने
लगता है
बा रश पतली पतली बू
ं
द से
जब उसकेपे
ट म
गु
दगु
द करती है
!
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता रहता है
126
गु
लज़ार
बुा द रया!!
ये
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता, बहता है
बुा द रया!
ये
पे
ट का पानी धीरे
धीरे
सू
ख रहा है
,
बला बला रहता है
अब!
कू
द केगरता था येजस प थर से
पहले
,
वह प थर अब धीरे
सेलटका केइस को
अगले
प थर से
कहता है
,--
इस बुे
को हाथ पकड़ के
, पार करा दे
!!
मु
ँ
ह ही मु
ँ
ह कु
छ बु
ड्
बु
ड्
करता, बहता रहता
ये
है द रया!
छोट छोट वा हश ह कु
छ उसकेदल म--
रे
त पे
रगते
रगते
सारी उ कट है
,
127
गु
लज़ार
पु
ल पर चढ केबहने
क वा हश हैदल म!
128
गु
लज़ार
उस लड़क क सू
रत उसने
,
अ स उतारा था जब से
, तह म रख ली थी!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
खड़खड़ाता आ नकला है
उफ़क से
सू
रज,
जै
से
क चड़ म फँ
सा प हया धके
ला हो कसी ने
च बेट बे
सेकनार पे
नज़र आते
ह.
रोज़ सा गोल नह है
!
उधरे
-उधरे
सेउजाले
ह बदन पर
उर चे
हरे
पेखरोच केनशाँ
ह!!
####################
रात जब गहरी न द म थी कल
एक ताज़ा सफ़े
द कै
नवस पर,
आ तशी सु
ख रं
ग से
,
मने
रौशन कया था इक सू
रज!
129
गु
लज़ार
सु
बह तक जल चु
का था वह कै
नवस,
राख बखरी ई थी कमरे
म!!
####################
"जोरहट" म, एक दफ़ा
र उफ़क केहलकेहलकेकोहरे
म
मन ब आ' केचाय बागान केपीछे
'हे ,
चा द कु
छ ऐसे
रखा थ,-- --
जै
से
चीनी म क ,चमक ली 'कै
टल' राखी हो!!
##################
रात को फर बादल ने
आकर
गीले
गीले
पं
ज से
जब दरवाजे
पर द तक द ,
झट से
उठ केबै
ठ गया म ब तर म
अ सर नीचे
आकर रे
क ची ब ती म,
लोग पर गु
राता है
लोग बे
चारे
डा बर लीप केद वार पर--
130
गु
लज़ार
बं
द कर ले
ते
ह झरयाँ
ता क झाँ
क ना पाये
घर केअं
दर--
ले
कन, फर भी--
गु
राता, च घाता बादल--
अ सर ऐसे
लू
ट केले
जाता है
ब ती,
जसे
ठाकु
र का कोई गु
ं
डा,
बदम ती करता नकले
इस ब ती से
!!
===========================
कल सु
बह जब बा रश ने
आकर खड़क पर
द तक द , थी
न द म था म --बाहर अभी अँ
धे
रा था!
ये
तो कोई व नह था, उठ कर उससेमलने
का!
मने
पदा ख च दया--
गीला गीला इक हवा का झ का उसने
131
गु
लज़ार
फू
ँ
का मे
रे
मु
ँ
ह पर, ले
कन--
मे
री 'से
स आफ यु
मर' भी कु
छ न द म थी--
मने
उठकर ज़ोर सेखड़क केपट
उस पर भे
ड़ दए--
और करवट ले
कर फर ब तर म डू
ब गया!
शयद बु
रा लगा था उसको--
गु
सेम खड़क केकाँ
च पे
ह थड़ मार केलौट गयी वह, दोबारा फर
आयी नह -- --
खड़क पर वह चटखा काँ
च अभी बाक है
!!
============================
कु
छ दन से
पड़ोसी के
घर म स नाटा है
,
ना रे
डयो चलता है
,
ना रात को आँ
गन म
132
गु
लज़ार
उड़तेए बतन ह.
उस घर का पला कुा--
खाने
केलयेदन भर,
आ जाता है
मे
रे
घर
फर रात उसी घर क
दहलीज पे
सर रखकर
सो जाया करता है
!
==========================
आँ
गन केअहाते
म
र सी पे
टं
गे
कपड़े
अफसाना सु
नाते
ह
एहवाल बताते
ह
कु
छ रोज़ ठाई के
,
माँ
बाप केघर रह कर
फर मे
रे
पड़ोसी क
133
गु
लज़ार
दो चार दन म फर,
पहले
सी फ़ज़ा होगी,
आकाश भरा होगा,
और रात को आँ
गन से
कु
छ "कामे
ट" गु
ज़रगे
!
कु
छ त त रयां
उतरग !
=========================
ये
आइना बोलने
लगा है
,
म जब गु
जरता ँ
सी ढ़य से
,
ये
बात करता है जाते
--आते म पू
छता है
गई वह फतु
"कहाँ ई ते
री------
ये
कोट ने
क-टाई तु
झपे
फबती नह , ये
ई लग रही है
मनसू --"
ये
मे
री सू
रत पे
नुाचीनी तो ऐसी करता है
134
गु
लज़ार
जै
से
म उसका अ स ँ
--
और वो जायजा ले
रहा है
मे
रा.
हारा माथा कु
"तु शादा होने
लगा है
लेकन,
तु
हारे
'आइ ो' सकु
ड़ रहे
ह--
तु
हरी आँ
ख का फासला कमता जा रहा है
--
तु
हारे
माथे
क बीच वाली शकन ब त गहरी
हो गई है
--"
कभी कभी बे
तक लु
फ से
बु
लाकर कहता है
!
"यार भोलू
------
तु
म अपने
द तर क मे
ज़ क दा हनी तरफ क
दराज म रख के
भू
ल आये
हो मु
कराहट,
जहाँ
पेपोशीदा एक फाइल रखी थी तु
मने
वो मु
कुराहट भी अपने
होठ पे
च पाँ
कर लो,"
135
गु
लज़ार
इस आईने
को पलट केद वार क तरफ भी
लगा चु
का ँ
--
ये
चु
प तो हो जाता है
मगर फर भी दे
खता है
--
ये
आइना दे
खता ब त है
!
ये
आइना बोलता ब त है
!!
============================
म जब भी गु
जरा ँ
इस आईने
से
,
इस आईने
नेकु
तर लया कोई ह सा मे
रा.
इस आईने
नेकभी मे
रा पू
रा अ स वापस
नह कया है
--
छु
पा लया मे
रा कोई पहलू
,
दखा दया कोई ज़ा वया ऐसा,
जससे
मु
झको,मे
रा कोई ऐब दख ना पाए.
म खु
द को दे
ता र ँ
तस ली
क मु
झ सा तो सरा नह है
!!
136
गु
लज़ार
==========================
एक पशे
मानी रहती है
उलझन और गरानी भी...
आओ फर से
लड़कर दख
शायद इससे
बे
हतर कोई
और सबब मल जाए हमको
फर से
अलग हो जाने
का !!
=========================
रात को अ सर होता है
,परवाने
आकर,
टे
बल लै
प केगद इक े
हो जाते
ह
सु
नते
ह,सर धु
नते
ह
सु
न केसब अश'आर गज़ल के
जब भी म द वान-ए-ग़ा लब
खोल केपढ़ने
बै
ठता ँ
सु
बह फर द वान केरौशन सफ़ह से
परवान क राख उठानी पड़ती है
.
137
गु
लज़ार
===========================
याद है
बा रश का दन पं
चम
जब पहाड़ी केनीचे
वाद म,
धु
ं
ध से
झाँ
क कर नकलती ई,
रे
ल क पट रयां
गु
जरती थ --!
धु
ं
ध म ऐसे
लग रहे
थेहम,
जै
से
दो पौधे
पास बै
ठे
ह ,.
हम ब त दे
र तक वहाँ
बै
ठे
,
उस मु
सा फर का ज करते
रहे
,
जसको आना था पछली शब, ले
कन
उसक आमद का व टलता रहा!
दे
र तक पट रय पे
बै
ठेये
े
न का इं
तज़ार करते
रहे
.
े
न आई, ना उसका व आ,
138
गु
लज़ार
और तु
म य ही दो कदम चलकर,
धु
ं
द पर पाँ
व रख केचल भी दए
म अके
ला ँ
धु
ं
ध म पं
चम!!
=========================
इक स नाटा भरा आ था,
एक गु
बारे
सेकमरे
म,
ते
रे
फोन क घं
ट केबजने
सेपहले
.
बासी सा माहौल ये
सारा
थोड़ी दे
र को धड़का था
साँ
स हली थी, न ज़ चली थी,
मायू
सी क झ ली आँ
ख से
उतरी कु
छ ल ह को--
फर ते
री आवाज़ को, आखरी बार "खु
दा हा फज़"
कह केजाते
दे
खा था!
इक स नाटा भरा आ है
,
ज म केइस गु
बारे
म,
139
गु
लज़ार
ते
री आखरी फोन केबाद--!!
=========================
आठ ही ब लयन उ जम क होगी शायद
ऐसा ही अं
दाज़ा है
कुछ 'साइं
स' का
चार अशा रया छः ब लयन साल क उ तो
बीत चु
क है
कतनी दे
र लगा द तु
म ने
आने
म
और अब मल कर
कस नया क नयादारी सोच रही हो
कस मज़हब और ज़ात और पात क फ़ लगी है
आओ चल अब---
तीन ही ' ब लयन' साल बचे
ह!
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
"वथ" जो सट हैम का
"वथ" जो तु
मको भला लगता है
"वथ" केसट क खु
बूथी थये
टर म,
140
गु
लज़ार
'एना'केरोल म जब दे
ख रहा था तु
मको,
'टॉय टॉय'क कहानी म हमारी भी कहानी के
सरे
जुड़ने
लगे
थे
--
सू
खी म पे
चटकती ई बा रश का वह मं
जर,
घास केस धे
,हरे
रं
ग,
ज म क म सेनकली यी खु
बूक वो याद--
मं
जर-ए-र स म सब दे
ख रहे
तु
म को,
और म पाँ
व केउस ज़ मी अं
गू
ठे
पेबं
धी प को,
141
गु
लज़ार
शॉट केे
म म जो आई ना थी
और वह छोटा अदाकार जो उस र स म
बे
वजह तु
ह छू
केगु
ज़रता था,
जसेझड़का था मने
!
मने
कुछ शाट तो कटवा भी दए थे
उस के
कोहरे
केसीन म,सचमु
च ही ठठु
रती यी
स य
महसू
हाँ
ला क याद था गम म बड़े
कोट से
उलझी थ ब त तु
म !
और मसनु
ई धु
एँ
नेजो कई आफत क थ ,
हँ
स केइतना भी कहा था तु
मने
!
"इतनी सी आग है
,
और उस पे
धु
एँ
को जो गु
मां
होता है
वो
कतना बड़ा है
"
बफ केसीन म उतनी ही हस थी कल रात,
142
गु
लज़ार
रात क रात,ब त कु
छ था जो तबद ल आ,
तु
मने
उस रात भी कु
छ गो लयाँ
कहा ले
ने
क
को शश क थी,
जस तरह फ म केआ खर म भी
"एना कै
रे
नना"
ख़ु
दकु
शी करती है
,इक रे
ल केनीचे
आ कर--!
143
गु
लज़ार
पसे
मं
जर म बलकती यी मौसीक ने
उस
र ते
का अ जाम सु
नाया,
जो कभी बाँ
धा था हमने
!
"वथ" केसट क खु
बूथी, थएटर म,
गयी रात ब त !
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
नज़ामे
-जहाँ
,पढ़ केदे
खो तो कु
छ इस तरह
चल रहा है
!
इराक़ और अमरीका क जं
ग छड़ने
केइमकान
फर बढ़ गए ह.
अ लफ़ लै
ला क दा ताँ
वाला वो शहरे
-बग़दाद
ब कु
ल तबाह हो चु
का है
.
ख़बर हैकसी श स ने
गं
जेसर पर भी अब
बाल उगने
क एक 'पे
ट'ईज़ाद क है
!
क पलदे
व ने
चार सौ वके
ट का अपना
144
गु
लज़ार
ये
पहली नव बर क खबर है
सारी,--
नज़ामे
जहाँ
इस तरह चल रहा है
!
मगर ये
ख़बर तो कह भी नह है
,
क तु
म मु
झसे
नाराज़ बै
ठ ई हो--
नज़ामे
-जहाँकस तरह चल रहा है
?
==========================
म कु
छ-कु
छ भू
लता जाता ँ
अब तु
झको,
ते
रा चे
हरा भी अब धु
ँ
धलाने
लगा है
अब तख यु
ल म,
145
गु
लज़ार
बदलने
लग गया है
अब यह सु
ब-हो-शाम का
ल, जसम,
मामू
तु
झसेमलने
का ही इक मामू
ल शा मल था!
ते
रे
खत आते
रहते
थेतो मु
झको याद रहते
थे
री आवाज़ केसु
ते र भी!
ते
री आवाज़ को कागज़ पे
रख के चाहा
,मने
था क ' पन' कर लू
ँ
,
वो जै
सेतत ल केपर लगा ले
ता है
कोई
अपनी अलबम म--!
ते
रा 'बे
'को दबा कर बात करना,
"वाव" पर होठ का छ ला गोल होकर घू
म
जाता था--!
ब त दन हो गए दे
खा नह ,ना खत मला कोई--
ब त दन हो गए स ची !!
ते
री आवाज़ क बौछार म भीगा नह ँ
म!
146
गु
लज़ार
==========================
ये
राह ब त आसान नह ,
जस राह पे
हाथ छु
ड़ा कर तु
म
यू
ँ
तन त हा चल नकली हो
इस खौफ़ से
शायद राह भटक जाओ ना कह
हर मोड़ पर मने
न म खड़ी कर रखी है
!
थक जाओ अगर--
और तु
मको ज़ रत पड़ जाए,
इक न म क ऊँ
गली थाम केवापस आ जाना!
==========================
अगर ऐसा भी हो सकता---
तु
हारी न द म,सब वाब अपने
मु
ं
त कल करके
,
तु
ह वो सब दखा सकता,जो म वाबो म
अ सर दे
खा करता ँ
--!
ये
हो सकता अगर मु
म कन--
147
गु
लज़ार
तु
ह मालू
म हो जाता--
तु
ह म ले
गया था सरहद केपार "द ना"१ म.
तु
ह वो घर दखया था,जहाँ
पै
दा आ था म,
जहाँ
छत पर लगा स रय का जं
गला धू
प सेदनभर
मे
रे
आंगन म सतरं
जी बनाता था, मटाता था--!
दखायी थी तु
ह वो खे
तयाँ
सरस क "द ना"
म क जसकेपीले
-पीले
फूल तु
मको
ख़ाब म क चेखलाए थे
.
वह इक रा ता था,"टह लय " का, जस पे
मील तक पड़ा करते
थेझू
ले
,स धे
सावन के
उसी क स धी खु
बूसे
,महक उठती ह आँ
खे
जब कभी उस वाब से
गु
ज़ं!
तु
ह'रोहतास'२ का 'चलता-कु
आँ' भी तो
दखाया था,
कले
म बं
द रहता था जो दन भर,रात को
व म आ जाता था,कहते
गाँ ह,
148
गु
लज़ार
तु
ह "काला"३ से वाल"४ तक ले
"कालू कर
उड़ा ँ
म
तु
ह "द रया-ए-झे
लम"पर अजब मं
जर दखाए थे
जहाँ
तरबू
ज़ पे
ले
टेये
तै
राक लड़केबहते
रहते
थे
--
जहाँ
तगड़े
सेइक सरदार क पगड़ी पकड़ कर म,
नहाता,डु
ब कयाँ
ले
ता,मगर जब गोता आ
जाता तो मे
री न द खु
ल जाती !!
मग़र येसफ़ वाब ही म मु
म कन है
वहाँ
जाने
म अब ा रयां
ह कु
छ सयासत क .
वतन अब भी वही है
,पर नह है
मुक अब मे
रा
वहाँ
जाना हो अब तो दो-दो सरकार के
द सय द तर से
श ल पर लगवा केमोहर वाब सा बत
पड़ते
करने है
.
लज़ार का पै
1.गु दाइशी क बा,जो क आज जला-
149
गु
लज़ार
झे
लम,पं
जाब,पा क तान म है सब ज़ला झे
. 2,3,4,ये लम के
मा फ मकामात ह.
===========================
इक अदाकार ँ
म!
म अदाकार ँ
ना
जीनी पड़ती है
कई जद गयां
एक हयाती म मु
झे
!
मे
रा करदार बदल जाता है
, हर रोज ही से
ट पर
मे
रे
हालात बदल जाते
ह
मे
रा चे
हरा भी बदल जाता है
,
ज़र केमु
अफसाना-ओ-मं ता बक़
मे
र आदात बदल जाती ह.
और फर दाग़ नह छू
टते
पहनी ई पोशाक के
ख ता करदार का कु
छ चू
रा सा रह जाता है
तह म
कोई नु
क ला सा करदार गु
ज़रता है
रग से
तो खराश केनशाँ
दे
र तलक रहते
ह दल पर
150
गु
लज़ार
ज़ दगी से
येउठाए ए करदार
खयाली भी नह ह
क उतर जाएँ
वो पं
खेक हवा से
याही रह जाती है
सीने
म,
अद ब केलखे
जुमल क
सीम परदे
पेलखी
साँ
स ले
ती ई तहरीर नज़र आता ँ
म अदाकार ँ
लेकन
सफ अदाकार नह
व त क त वीर भी ँ
.
===========================
नु
चे
छ ले
गए कोहसार ने
को शश तो क
गरतेए इक पे
ड़ को रोक,
मगर कु
छ लोग कं
धेपर उठा कर उसको
पगडं
डी केर ते
लेगये
थे
--कारखान म!
फलक को दे
खता ही रह गया पथराइ आँ
ख से
!
151
गु
लज़ार
ब त नोची है
मे
री खाल इं
साँ
ने
,
ब त छ ल ह मे
रे
सर से
जंगल उसकेते
श ने
,
मे
रे
द रया ,
मे
रे
आबसार को ब त नं
गा कया है
,
इस हवस आलू
द--इं
साँ
ने
--!!
मे
रा सीना तो फट जाता है
लावे
से
,
मगर इं
सान का सीना नह फटता--
वह प थर है
-!!!
==========================
मे
री दहलीज़ पर बै
ठ यी जानो पे
सर रखे
ये
शब अफ़सोस करने
आई हैक मे
रे
घर पे
आज ही जो मर गया हैदन
वह दन हमजाद था उसका!
वह आई हैक मे
रे
घर म उसको द न कर के
,
152
गु
लज़ार
इक द या दहलीज़ पे
रख कर,
नशानी छोड़ देक म है
येक ,
इसम सरा आकर नह ले
टे
!
म शब को कै
सेबतलाऊँ
,
ब त सेदन मे
रे
आँगन म यू
ँ
आधे
अधू
रे
से
कफ़न ओढ़े
पड़े
ह कतने
साल से
,
ज ह म आज तक दफना नही पाया!!
============================
दो बजने
म आठ मनट थे
--
जब वह भारी बो रय जै
सी टां
ग सेब डं
ग
क छत पर प ँ
चा था
थोड़ी दे
र को छत केफश पर बै
ठ ग़या था
छत पर एक कबाड़ी घर था,
सू
खा सु
कड़ा त ले
वाला, सू
द नचोडू
जागीरे
,
153
गु
लज़ार
का जू
ता वो पहचानता था,
इस ब डं
ग म जसका जो सामान मरा, बे
कार
आ, वो ऊपर ला केफक गया!
उसकेपास तो कतना कु
छ था,--
कतना कु
छ जो टू
ट चु
का है
, टू
ट रहा है
--
शौहर और वतन क छोड़ी हमशीरा कल पा क तान
से
ब चे
ले
कर लौट आई है
!
सब केसब कु
छ खाली बोतल ड ब जै
से
लगते
ह,
च बे
, पचके
, बन ले
बल के
!
सु
बह भी दे
खा तो बू
ढ दाद सोयी ई थी,--
मरी नह थी!
जब दोपहर को, पानी पी कर, छत पर आया था
वो तब भी ,
मरी नह थी, सोयी ई थी!
जी चाहा उसको भी ला कर छत पे
फक दे
,
154
गु
लज़ार
जै
से
टू
टे
एक पलं
ग क पु
त पड़ी है
!
र कसी घ ड़याल ने
साढ़े
चार बजाये
,
दो बजने
म आठ मनट थे
, जब वो छत पर आया था!
सी ढयाँ
चढ़ते
चढ़ते
उसने
सोच लया था,
जब उस पार " ै
फक लाइट" बदले
गी
क जायगी सारी कार,
तब वो पानी क टं
क केउपर चढ के रापे
, "पै ट" पर
उतरे
गा, और --
चौदहव मं
जल से
कूदे
गा!
उसकेबाद अँ
धे
रे
का इक वक़फा होगा!
या वो गरतेगरते
आँख बं
द कर ले
गा?
या आँ
ख कु
छ और यादा फट जायगी?
या बस------ सब कु
छ बु
झ जाये
गा?
गरतेगरते
भी उसने
लोग का इक कोहराम सु
ना!
और ल केछ ट, उड़ कर पोपट क कान
155
गु
लज़ार
केऊपर तक भी जाते
दे
ख लये
थे
!
रात का एक बजा था जब वह सी ढय से
फर नीचे
उतरा,
और दे
खा फु
टपाथ पे
आ कर,
'चॉक' से
ख चा, लाश का न शा वह पड़ा था,
जसको उसने
छत केएक कबाड़ी घर से
फका था--!!
===========================
============================
बस एक ल हे
का झगड़ा था
दर-ओ-द वार पे
ऐसे
छनाकेसेगरी आवाज़
जै
से
काँ
च गरता है
हर एक शय म गई
उड़ती ई, चलती ई, करच
नज़र म, बात म, लहजे
म,
सोच और साँ
स केअ दर
156
गु
लज़ार
ल होना था इक र ते
का
सो वो हो गया उस दन
उसी आवाज़ केटु
कड़े
उठा केफश से
उस शब
कसी ने
काट ली न ज
न क आवाज़ तक कु
छ भी
क कोई जाग न जाए
बस एक ल हे
का झगड़ा था
===========================
मचल केजब भी आँ
ख से
छलक जाते
ह दो आँ
सू
सु
ना है
आबशार को बड़ी तकलीफ़ होती है
(१)
खु
दारा अब तो बु
झ जाने
दो इस जलती ई लौ को
चराग से
मज़ार को बड़ी तकलीफ़ होती है
(२)
क या वो बड़ी मासू
मयत से
पू
छ बै
ठे
है
या सचमु
च दल केमार को बड़ी तकलीफ़ होती है
(३)
157
गु
लज़ार
तु
हारा या तु
ह तो राह दे
दे
ते
ह काँ
टे
भी
मगर हम खां
कसार को बड़ी तकलीफ़ होती है
(४)
≠===========================
बो लये
सु
रीली बो लयाँ
ख मीठ आँ
ख क रसीली बो लयाँ
रात म घोले
चाँ
द क म ी
दन केग़म नमक न लगते
ह
नमक न आँ
ख क न शली बो लयाँ
गू
ं
ज रहे
ह डू
बते
साये
शाम क खु
शबू
हाथ ना आये
गू
ं
जती आँ
ख क न शली बो लयाँ
===========================
मे
रे
रौशनदार म बै
ठा एक कबू
तर
158
गु
लज़ार
जब अपनी मादा से
गु
टरगू
ँ
कहता है
लगता है
मे
रे
बारे
म, उसने
कोई बात कही।
शायद मे
रा यू
ँ
कमरे
म आना और मु
ख़ल होना
उनको नावा जब लगता है
।
उनका घर है
रौशनदान म
और म एक पड़ोसी ँ
उनकेसामने
एक वसी आकाश का आं
गन
हम दरवाज़े
भे
ड़ के
, इन दरब म ब द हो जाते
ह
उनकेपर ह, और परवाज़ ही खसलत है
आठव , दसव मं
ज़ल केछ ज पर वो
बे
ख़ौफ़ टहलते
रहते
ह
हम भारी-भरकम, एक क़दम आगे
र खा
और नीचेगर केफौत ए।
बोले
गु
टरगू
ँ
...
कतना वज़न ले
कर चलते
ह ये
इ सान
159
गु
लज़ार
कौन सी शै
हैइसकेपास जो इतराता है
ये
भी नह क दो गज़ क परवाज़ कर।
आँ
ख ब द करता ँ
तो माथे
केरौशनदान से
अ सर
मु
झको गु
टरगू
ँ
क आवाज़ आती ह !!
===========================
बा रश आने
सेपहले
बा रश से
बचने
क तै
यारी जारी है
सारी दरार ब द कर ली ह
और लीप केछत, अब छतरी भी मढ़वा ली है
खड़क जो खु
लती है
बाहर
उसकेऊपर भी एक छ जा ख च दया है
मे
न सड़क से
गली म होकर, दरवाज़े
तक आता रा ता
बजरी- म डाल केउसको कू
ट रहे
ह !
यह कह कु
छ गड़ह म
बा रश आती है
तो पानी भर जाता है
160
गु
लज़ार
जू
ते
पाँ
व, पाँ
एचे
सब सन जाते
ह
गले
न पड़ जाए सतरं
गी
भीग न जाएँ
बादल से
सावन से
बच कर जीते
ह
बा रश आने
सेपहले
बा रश से
बचने
क तै
यारी जारी है
!!
==========================
एक नद क बात सु
नी...
इक शायर से
पू
छ रही थी
रोज़ कनारे
दोन हाथ पकड़ कर मे
रे
सीधी राह चलाते
ह
रोज़ ही तो म
नाव भर कर, पीठ पे
ले
कर
कतने
लोग ह पार उतार कर आती ँ
।
161
गु
लज़ार
रोज़ मे
रे
सीने
पेलहर
नाबा लग़ ब च केजै
से
कु
छ-कु
छ लखी रहती ह।
या ऐसा हो सकता है
जब
कु
छ भी न हो
कु
छ भी नह ...
और म अपनी तह से
पीठ लगा केइक शब क र ँ
बस ठहरी र ँ
और कु
छ भी न हो !
जै
से
क वता कह ले
ने
केबाद पड़ी रह जाती है
,
म पड़ी र ँ
...!
============================
दर त रोज़ शाम का बु
रादा भर केशाख म
पहाड़ी जं
गल केबाहर फक आते
ह !
मगर वो शाम...
162
गु
लज़ार
फर से
लौट आती है
, रात केअ धे
रे
म
वो दन उठा केपीठ पर
जसे
म जं
गल म आ रय से
शाख काट केगरा केआया था !!
============================
अभी न पदा गराओ, ठहरो, क दा ताँ
आगे
और भी है
अभी न पदा गराओ, ठहरो!
अभी तो टू
ट है
क ची म , अभी तो बस ज म ही गरे
ह
अभी तो करदार ही बु
झे
ह।
अभी सु
लगते
ह ह केग़म, अभी धड़कते
ह दद दल के
अभी तो एहसास जी रहा है
।
163
गु
लज़ार
च द क़दम केनशाँ
, हाँ
, कभी मलते
ह कह
साथ चलते
ह जो कु
छ र फ़क़त च द क़दम
और फर टू
ट केगरते
ह यह कहतेए
अपनी तनहाई लये
आप चलो, त हा, अके
ले
साथ आए जो यहाँ
, कोई नह , कोई नह
कस क़दर सीधा, सहल साफ़ है
यह र ता
==========================
बफ़ पघले
गी जब पहाड़ से
164
गु
लज़ार
और वाद से
कोहरा समटे
गा
बीज अं
गड़ाई ले
केजागगे
अपनी अलसाई आँ
ख खोलगे
स ज़ा बह नकले
गा ढलान पर
गौर से
दे
खना बहार म
पछले
मौसम केभी नशाँ
ह गे
क पल क उदास आँ
ख म
आँ
सु क नमी बची होगी।
===========================
व त को आते
न जाते
न गु
जरते
दे
खा
न उतरतेए दे
खा कभी इलहाम क सू
रत
जमा होतेए एक जगह मगर दे
खा है
165
गु
लज़ार
आँ
ख का रं
ग तु
लु
होतेए दे
खा जस दन
मने
चू
मा था मगर व त को पहचाना न था
चं
द तु
तलातेए बोल म आहट सु
नी
ध का दां
त गरा था तो भी वहां
दे
खा
बो क बे
ट मे
री , चकनी-सी रे
शम क डली
लपट लपटाई ई रे
शम केताग म पड़ी थी
मु
झे
एहसास ही नह था क वहां
व त पड़ा है
पालना खोल केजब मने
उतारा था उसेब तर पर
लोरी केबोल से
एक बार छु
आ था उसको
बढ़ते
नाखू
न म हर बार तराशा भी था
चू
ड़याँ
चढ़ती-उतरती थ कलाई पे
मु
सलसल
और हाथ से
उतरती कभी चढ़ती थी कताब
मु
झको मालू
म नह था क वहां
व त लखा है
166
गु
लज़ार
व त को आते
न जाते
न गु
ज़रते
दे
खा
जमा होतेए दे
खा मगर उसको मने
इस बरस बो क अठारह बरस क होगी
===========================
र ते
बस र ते
होते
ह
कु
छ इक पल के
कु
छ दो पल के
कु
छ पर से
ह केहोते
ह
बरस केतले
चलते
-चलते
भारी-भरकम हो जाते
ह
कु
छ भारी-भरकम बफ़ के
-से
बरस केतले
गलते
-गलते
हलके
-फु
लकेहो जाते
ह
167
गु
लज़ार
नाम होते
ह र त के
कु
छ र ते
नाम केहोते
ह
र ता वह अगर मर जाये
भी
बस नाम से
जीना होता है
बस नाम से
जीना होता है
र ते
बस र ते
होते
ह
168