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मख
ु पृ ठ उप यास कहानी क वता यं य नाटक नबंध आलोचना वमश
हमारे रचनाकार हंद लेखक परु ानी वि ट वशेषांक खोज संपक व व व यालय सं हालय लॉग समय
लगातार सगरे ट पीता। अपनी सु वधा के लए जीने का दशन परू े हाव-भाव म। पु ष चार के प म : पतलन
ू के फौलाद का आकाश
शीष पर
का.स.ू वा. : (कुछ अंतमख
ु भाव से सगार क राख झाड़ता) फर एक बार, फर से वह शु आत...। जाएँ
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जैसे को शश से अपने को एक दा य व के लए तैयार करके सोफे से उठ पड़ता है ।
म नह ं जानता आप या समझ रहे ह म कौन हूँ और या आशा कर रहे ह म या कहने जा रहा हूँ। आप
शायद सोचते ह क म इस नाटक म कोई एक नि चत इकाई हूँ - अ भनेता, तत
ु कता, यव थापक या कुछ
और; परं तु म अपने संबंध म नि चत प से कुछ भी नह ं कह सकता - उसी तरह जैसे इस नाटक के संबंध म
नह ं कह सकता। य क यह नाटक भी अपने म मेर ह तरह अ नि चत है । अ नि चत होने का कारण यह है
क...परं तु कारण क बात करना बेकार है । कारण हर चीज का कुछ-न-कुछ होता है , हालाँ क यह आव यक नह ं
क जो कारण दया जाए, वा त वक कारण वह हो। और जब म अपने ह संबंध म नि चत नह ं हूँ, तो और
कसी चीज के कारण-अकारण के संबंध म नि चत कैसे हो सकता हूँ ?
म वा तव म कौन हूँ ? - यह एक ऐसा सवाल है िजसका सामना करना इधर आ कर मने छोड़ दया है जो
म इस मंच पर हूँ, वह यहाँ से बाहर नह ं हूँ और जो बाहर हूँ...ख़ैर, इसम आपक या दलच पी हो सकती है क
या हूँ ? शायद अपने बारे म इतना कह दे ना ह काफ है क सड़क के फुटपाथ पर चलते आप
म यहाँ से बाहर
अचानक िजस आदमी से टकरा जाते ह, वह आदमी म हूँ। आप सफ घरू कर मझ ु े दे ख लेते ह - इसके अलावा
ु से कोई मतलब नह ं रखते क म कहाँ रहता हूँ, या काम करता हूँ, कस- कससे मलता हूँ और कन- कन
मझ
प रि थ तय म जीता हूँ। आप मतलब नह ं रखते य क म भी आपसे मतलब नह ं रखता, और टकराने के ण
म आप मेरे लए वह होते ह जो म आपके लए होता हूँ। इस लए जहाँ इस समय म खड़ा हूँ, वहाँ मेर जगह
आप भी हो सकते थे। दो टकरानेवाले यि त होने के नाते आपम और मझु म, बहुत बड़ी समानता है । यह
समानता आपम और उसम, उसम और उस दस
ू रे म, उस दस
ू रे म और मझ
ु म...बहरहाल इस ग णत क पहे ल म
कुछ नह ं रखा है । बात इतनी है क वभािजत हो कर म कसी-न- कसी अंश म आपम से हर-एक यि त हूँ और
यह कारण है क नाटक के बाहर हो या अंदर, मेर कोई भी एक नि चत भू मका नह ं है ।
कमरे के एक ह से से दस
ू रे ह से म टहलने लगता है ।
मने कहा था, यह नाटक भी मेर ह तरह अ नि चत है । उसका कारण भी यह है क म इसम हूँ और मेरे
होने से ह सब कुछ इसम नधा रत या अ नधा रत है । एक वशेष प रवार, उसक वशेष प रि थ तयाँ ! प रवार
दस
ू रा होने से प रि थ तयाँ बदल जातीं, म वह रहता। इसी तरह सब कुछ नधा रत करता। इस प रवार क ी
के थान पर कोई दस
ू र ी कसी दस
ू र तरह से मझ
ु े झेलते - या वह ी मेर भू मका ले लेती और म उसक
भू मका ले कर उसे झेलता। नाटक अंत तक फर भी इतना ह अ नि चत बना रहता और यह नणय करना
इतना ह क ठन होता क इसम मु य भू मका कसक थी - मेर , उस ी क , प रि थ तय क , या तीन के
बीच से उठते कुछ सवाल क ।
पाजामे को मरे जानवर क तरह उठा कर दे खती है और कोने म फकने को हो कर फर एक झटके के साथ
उसे तहाने लगती है ।
शीष पर
दन-भर घर पर रह कर आदमी और कुछ नह ं, तो अपने कपड़े तो ठकाने पर रख ह सकता है । जाएँ
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पाजामे कबड म रखने से पहले डाइ नंग टे बल पर पड़े चाय के सामान को दे ख कर और खीज जाती है ,
पाजामे को कुरसी पर पटक दे ती है और या लयाँ वैगरह े म रखने लगती है ।
पु ष एक : आ ग द तर से ? लगता है , आज बस ज द मल गई।
पु ष एक : कह ं नह ं। यह ं बाहर था - माकट म।
ी : (दस
ू रे पाजामे को झाड़ कर फर से तहाती हुई) अब या दे दँ ू ! पहले खद
ु भी तो दे ख सकते थे।
पु ष एक : वह मझ
ु े दखी ह नह ं अब तक।
अहाते के दरवाजे से हो कर पीछे रसोईघर म चल जाती है । पु ष एक लंबी 'हूँ' के साथ कुरसी को झुलाने
लगता है । ी प ले से हाथ प छती रसोईघर से वापस आती है ।
ी : उसे कसी के यहाँ के खाना खाने आना है इधर। पाँच मनट के लए यहाँ भी आएगा।
: मझ
ु े यह आदत अ छ नह ं लगती तु हार । कतनी बार कह चक
ु हूँ।
ी : तम
ु यादा जानते हो ? काम तो म ह करती हूँ उसके मातहत।
पु ष एक : कस व त आएगा ?
ी : लोग को ई या है मझ
ु से, क दो बार मेरे यहाँ आ चक
ु ा है । आज तीसर बार आएगा।
शीष पर
कची , मैगजीन और त वीर समेट कर पढ़ने क मेज क दराज म रख दे ती है । कताब बैग म बंद करके जाएँ
उसे एक तरफ सीधा खड़ा कर दे ती है ।
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उस ए तर स ड़ र दत ह।
ी : तम
ु जो कहते हो, उसका सब मतलब समझ म आता है मेर ।
ी : तम
ु चप
ु रहते हो। और न कोई।
ी : ( य त) वह तो आज भी हो जाएगा तु ह।
: सन
ु ो।
पु ष एक : पर होगी भी ?
ी : तम
ु उसी के इंतजार म हो या ?
ी : (उस ओर से वर त) तु ह सचमच
ु कह ं जाना है या? कहाँ जाने क बात कर रहे थे तम
ु ?
ी : ओऽऽ जन
ु ेजा के यहाँ !...हो आओ।
ी : हाँऽऽ, दख आओ मँह
ु जा कर।
पु ष एक : तम
ु नाहक कोसती रहती हो उस आदमी को। उसने तो अपनी तरफ से हमेशा मेर मदद ह क
है !
शीष पर
ी : न करता मदद, तो उतना नक
ु सान तो न होता िजतना उसके मदद करने से हुआ है । जाएँ
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पु ष एक : (कुढ़ कर सोफे पर बैठता) तो नह ं जाता मै ! अपने अकेले के लए जाना है मझ
ु !े अब तक
तकद र ने साथ नह ं दया तो इसका यह मतलब तो नह ं क...
ी : यहाँ से उठ जाओ। मझ
ु े झाड़ लेने दो जरा।
: (बड़बड़ाती) पहल बार ेस म जो हुआ सो हुआ। दसू र बार फर या हो गया ? वह पैसा जन ु ेजा ने
लगाया, वह तमु ने गाया। एक ह फै टर लगी, एक ह जगह जमा-खच हुआ। फर भी तकद र ने उसका साथ दे
दया, तु हारा नह ं दया।
पु ष एक : (गु से से उठता है ) तम
ु तो ऐसी बात करती हो जैसे...
ी : खड़े य हो गए ?
पु ष एक : य , म खड़ा नह ं हो सकता ?
ी : (हलका व फा ले कर तर कारपण
ू वर म) हो तो सकते हो,पर घर के अंदर ह ।
ी : पता तो मझ
ु े तब भी चल ह रहा है । नह ं चल रहा ?
पु ष एक : तम
ु लड़ना चाहती हो ?
ी : तम
ु लड़ भी सकते हो इस व त, ता क उसी बहाने चले जाओ घर से।....वह आदमी आएगा, तो जाने
या सोचेगा क य हर बार इसके आदमी को कोई-न-कोई काम हो जाता है बाहर। शायद समझे क म ह
ू कर भेज दे ती हूँ।
जान-बझ
पु ष एक : वह मझ
ु से तय करके आता नह ं क म उसके लए मौजद
ू रहा क ँ घर पर।
ी : कह दँ ग
ू ी, आगे से तय करके आया करे तम
ु से। तम
ु इतने बजी आदमी जो हो। पता नह ं कब कस
बोड क मी टंग म जाना पड़ जाए।
ी : अब जन
ु ेजा आ गया है न लौट कर, तो रहा करना फर तीन-तीन दन घर से गायब।
पु ष एक : तम
ु मेरा मक
ु ाबला उससे करती हो ?
पु ष एक : और लड़क तु हार ? उसने अपनी िजंदगी वार करने क सीख कससे ल है ? (अपने जाने
भार पड़ता) मने तो कभी कसी के साथ घर से भागने क बात नह ं सोची थी।
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ी : मझ ु ाती हूँ यहाँ, मझ
ु े भी पता है , पानी हो गया होगा । म जब भी कसी को बल ु े पता होता है तम
ु
यह सब बात करोगे।
ी : वैसे हजार बार कहोगे लड़के क नौकर के लए कसी से बात य नह करती। और जब म मौका
नकलती हूँ उसके लए तो...
पु ष-एक : म नह ं शु मनाता ? जब-जब कसी नए आदमी का आना- जाना शु होता है यहाँ, म हमेशा
शु मानता हूँ। पहले जगमोहन आया करता था। फर मनोज आने लगा था...।
ी : ब नी आई है बाहर ।
ी : जा कर दे ख लोगे या चा हए उसे ?
बाहर नकल जाता है । ी पल-भर उधर दे खती रह कर अहाते के दरवाजे से रसोईघर म चल जाती है । बड़ी
लड़क बाहर से आती है । पु ष एक उसके पीछे -पीछे आ कर इस तरह कमरे म नजर दौड़ाता है जैसे ी के उस
कमरे म न होने से अपने को गलत जगह पर अकेला पा रहा हो।
ी : या हाल ह तेरे ?
बड़ी लड़क : ठ क ह ।
ी : चाय लेगी?
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बड़ी लड़क : कैसी हो रह ह ?
ी : पता नह ं कैसी हो रह ह !
पु ष एक : मझ
ु े तो यह उसी तरह आई लगती है ।
ी : चाय ले लो।
ी : या पता कह ं और से आ रह हो !
पु ष एक : तम
ु हमेशा बात को ढँ कने क को शश य करती हो ? एक बार इससे पछ
ू ती य नह ं खल
ु
कर ?
ी : या पछ
ू ूँ ?
पु ष एक : यह म बताऊँगा तु ह ?
ी चाय के घट
ूँ भरती एक कुरसी पर बैठ जाती है ।
ी : (तंग पड़ कर) तो खद
ु ह य नह ं पछ
ू लेते उससे जो पछ
ू ना चाहते हो ?
ू सकता हूँ ?
पु ष एक : म कैसे पछ
ी : य नह ं पछ
ू सकते ?
पु ष एक : मेरा पछ
ू ना इस लए गलत है क...
बड़े-बड़े घट
ूँ भर कर चाय क याल खाल कर दे ती है ।
ी : (उठती हुई) तो पता नह ं और या बबाद हुई होती। जो दो रोट आज मल जाती है मेर नौकर से,
वह भी नह ं मल पाती। लड़क भी घर म रह कर ह बढ़ ु ा जाती, पर यह न सोचा होता कसी ने क....
ज द -ज द अपनी याल खाल करके ी को दे दे ती है । बड़ी लड़क पहले से काफ सँभल हुई वापस
आती है ।
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बड़ी लड़क : या कह रह थीं।
ी लौट कर आ जाती है ।
पु ष एक : वह आ गई है , खद
ु ह बता दे गी तझ
ु े ।
ी : उ ह ं से य नह ं पछ
ू ती ?
ी : तेरे डैडी तम
ु से यह जानना चाहते ह क...
पु ष एक : (बीच म ह ) अगर तम
ु अपनी तरफ से नह ं जानना चाहतीं तो रहने दो।
ी : बात सफ इतनी है क िजस तरह से तू आजकल आती है वहाँ से, उससे इ ह कह ं लगता है क...
पु ष एक : तु ह जैसे नह ं लगता।
पु ष एक : तम
ु ने शु क है बात, तु ह ं परू ा कर डालो अब ।
बड़ी लड़क : ज र पछ
ू सकती हो ।
ी : तू खश
ु है वहाँ पर ?
ी : सचमच
ु खश
ु है ?
पु ष एक : ( बलकुल दस
ू र तरफ मँह
ु कए) यह तो कोई जवाब नह ं है ।
बड़ी लड़क : तो और या- या होता है ? आँख से दखाई दे ना बंद हो जाता है ? नाक-कान तरछे हो जाते
ह ? ह ठ झाड़ कर गर जाते ह ? मेरे चेहरे से ऐसा या नजर आता है आपको ?
शीष पर
सोफे पर जा कर अखबार खोल लेता है । पर पल-भर बाद यान हो आने से क वह उसने उलटा पकड़ रखा जाएँ
है , सीधा कर लेता है ।
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ह , स र लत ह।
बड़ी लड़क : पछ
ू ने म रखा भी या है , ममा ! िजंदगी कसी तरह कटती ह चलती है हर आदमी क ।
ी : (पु ष एक से) तम
ु चप
ु नह ं रह सकते थोड़ी दे र ?
ी बड़ी लड़क के कंधे पर हाथ रखे उसे पढ़ने क मेज के पास ले जाती है ।
ी : यहाँ बैठ ।
: सच-सच बता, तझ
ु े वहाँ कसी चीज क शकायत है ?
ी : तो ?
ी : तो ?
ी : जैसे ?
ी : (बात क गहराई तक जाने क तरह) हूँ !... तो या उसके च र म कुछ ऐसा है जो... ?
बड़ी लड़क : नह ं। उसके च र म ऐसा कुछ नह ं है । इस लहाज से बहुत साफ आदमी है वह।
ी : उसक आ थक ि थ त ठ क है ?
बड़ी लड़क : ठ क है ।
ी : सेहत ?
ी : (पु ष एक से) तम
ु बात समझने भी दोगे ? (बड़ी लड़क से) जब इनम से कसी बात क शकायत
नह ं है तझ
ु ,े तब या तो कोई बहुत खास वजह होनी चा हए, या... शीष पर
बड़ी लड़क : या ? जाएँ
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ी : या...या...म अभी नह ं कह सकती।
बड़ी लड़क : (उठती हुई) म शायद समझा भी नह ं सकती (अि थर भाव से कुछ कदम चलती) कसी दस
ू रे
को तो या, अपने को भी नह ं समझा सकती। (सहसा क कर) ममा, ऐसा भी होता है या क...
ी : क ?
बड़ी लड़क : क दो आदमी िजतना यादा साथ रह, एक हवा म साँस ल, उतना ह यादा अपने को एक-
दस
ू रे से अजनबी महसस
ू कर ?
ी : तम
ु दोन ऐसा महसस
ू करते हो ?
ी : तन
ू े जो बात कह है , वह अगर सच है , तो उसके पीछे या कोई-न-कोई ऐसी अड़चन नह ं है जो...
बड़ी लड़क : पर कौन-सी अड़चन ?...उसके हाथ से छलक गई चाय क याल , या उसके द तर से लौटने
म आधा घंटे क दे र -ये छोट -छोट बात अड़चन नह ं होतीं, मगर अड़चन बन जाती ह। एक गुबार-सा है जो हर
व त भरा रहता है और म इंतजार म रहती हूँ जैसे क कब कोई बहाना मले िजससे उसे बाहर नकाल लँ ।ू और
आ खर... ?
ी चप
ु चाप आगे सन
ु ने क ती ा करती है ।
: आ खर वह सीमा आ जाती है जहाँ पहुँच कर वह नढाल हो जाता है । जहाँ पहुँच कर वह नढाल हो जाता
है । ऐसे म वह एक बात कहता है ।
बड़ी लड़क : म पछ
ू ती हूँ या चीज,तो भी उसका एक ह जवाब होता है ।
ी : वह या ?
पु ष एक : ( फर उस तरफ मड़
ु कर) यह सब कहता है वह ? और या- या कहता है ?
ी : वह इस व त तम
ु से बात नह ं कर रह ।
पु ष एक : पर बात तो मेरे घर क हो रह है ।
ी : तु हारा घर ! हँह !
पु ष एक : तो मेरा घर नह ं है यह ? कह दो, नह ं है ।
ी : सचमच
ु तम
ु अपना घर समझते इसे तो...
ी : नह ं होने पाएँगे यारह साल... इसी तरह चलता रहा सब- कुछ तो।
शीष पर
पु ष एक : (एकटक उसे दे खता , काट के साथ) नह ं होने पाएँगे सचमच
ु ...? काफ अ छा आदमी है जाएँ
जगमोहन ! और फर द ल म उसका ांसफर भी हो गया है । मला था उस दन कनॉट लेस म। कह रहा था,
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ह और र द ल उस स र ह ह। ल उस द लस । ह रह ,
आएगा कसी दन मलने।
ी : खब
ू करो तार फ...और भी िजस-िजस क हो सके तम
ु से। (बड़ी लड़क से) मनोज आज जो तम
ु से
कहता है यह सब, पहले जब खद
ु यहाँ आता रहा है , रात- दन यह ं रहता रहा है , तब या उसे पता नह ं चला
क...
ी : पर य नह ं पछ
ू ती ?
बड़ी लड़क : य क मझ
ु े कह ं लगता है क...कैसे बताऊँ, या लगता है ? वह िजतने व वास के साथ यह
बात कहता है , उससे... मझ
ु े अपने से एक अजीब सी चढ़ होने लगती है । मन करता है आस-पास क हर चीज
को तोड़-फोड़ डालँ ।ू कुछ ऐसा कर डालँ ू िजससे....
ी : िजससे ?
बड़ी लड़क : िजससे उसके मन को कड़ी-से-कड़ी चोट पहुँचा सकँू । उसे मेरे लंबे बाल अ छे लगते ह। इस लए
सोचती हूँ, इ ह जा कर कटा आऊँ। वह मेरे नौकर करने के हक म नह ं है । इस लए चाहती हूँ कह ं भी, कोई भी
छोट -मोट नौकर कर लँ ।ू कुछ भी ऐसी बात िजससे एक बार तो वह अंदर से वह तल मला उठे । पर कर म
कुछ भी नह ं पाती और जब नह ं कर पाती, तो खीज कर...
ी : यहाँ चल आती है ?
बड़ी लड़क : नह ं।
ी : तो ?
बड़ी लड़क : कई-कई दन के लए अपने को उससे काट लेती हूँ। पर धीरे -धीरे हर चीज फर उसी ढर पर
लौट आती है । सब-कुछ उसी तरह होने लगता है जब तक क हम... जब तक क हम नए सरे से उसी खोह म
नह ं पहुँच जाते। म यहाँ आती हूँ... यहाँ आती हूँ तो सफ इस लए क...
ी : तेरा अपना घर है ।
काफ लंबा व फा। कुछ दे र बड़ी लड़क के हाथ ी क बाँह पर के रहते ह। और दोन क आँख मल
रहती ह। धीरे -धीरे पु ष एक क गरदन उनक तरफ मड़
ु ती है । तभी ी आ ह ता से बड़ी लड़क के हाथ अपनी
बाँह से हटा दे ती है । उसक आँख पु ष एक से मलती ह और वह जैसे उससे कुछ कहने के लए कुछ कदम
उसक तरफ बढ़ाती है । बड़ी लड़क जैसे अब भी अपने सवाल का जवाब चाहती , अपनी जगह पर क उन दोन
को दे खती रहती है । पु ष एक ी को अपनी ओर आते दे ख आँख उधर से हटा लेता है और एक-दो पल
असमंजस म रहने के बाद अनजाने म ह अखबार को गोल करके दोन हाथो से उसक र सी बटने लगता है ।
ी आधे रा ते म ह कुछ कहने का वचार छोड़ कर अपने को सहे जती है । फर बड़ी लड़क के पास वापस जा
कर हलके से उसके कंधे को छूती है । बड़ी लड़क पल-भर आँख मँद
ू े रह कर अपने आवेग दबाने का य न करती
है , फर ी का हाथ कंधे से हटा कर एक कुरसी का सहारा लए उस पर बैठ जाती है । ी यह समझ न आने
से क अब उसे या करना चा हए, पल-भर द ु वधा म हाथ उलझाए रहती है । उसक आँख फर एक बार पु ष
एक से मल जाती ह। और वह जैसे आँख से ह उसका तर कार कर अपने को एक मोढ़े क ि थ त बदलने म
य त कर लेती है । पु ष एक अपनी जगह से उठ पड़ता है । अखबार क र सी अपने हाथ म दे ख कर अटपटा
महसस
ू करता है । और कुछ दे र अ नि चत खड़ा रहने के बाद फर से बैठ कर उस र सी के टुकड़े करने लगता
है । तभी छोट लड़क बाहर के दरवाजे से आती है और उन तीन को उस तरह दे ख कर अचानक ठठक जाती है ।
शीष पर
ी : या कह रह है तू ? जाएँ
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छोट लड़क : बताओ चलता है कुछ पता ? कूल से आई हूँ, तो तम
ु भी हो डैडी भी ह, ब न-द भी ह-
पर सबलोग ऐसे चप
ु ह जैसे...
म। और घर आने पर घंटा-घंटा दध
ू ह नह ं होता गरम।
ी : कहा है न तम
ु से, अभी गरम हुआ जाता है । (पु ष एक से) तम
ु उठ रहे हो या म जाऊँ ?
बड़ी लड़क : क नी !
छोट लड़क : तम
ु यहाँ थीं, तो या कुछ कहा करती थीं उसके बारे म? तु हारा भी तो बड़ा भाई है । चाहे
एक ह साल बड़ा है , है तो बड़ा ह ।
छोट लड़क : कल मझ
ु े र ल का ड बा ज र चा हए और मस बैनज ने सब लड़ कय से कहा है आज क
फाऊंडस-डे पी. ट . के लए तीन-तीन नए कट...
ी : कतने ?
शीष पर
ी : (जैसे अपने को उस करण से बचाने क को शश म) अ छा, दे ख... कूल से आ कर तू अपना बैग जाएँ
यहाँ खला छोड़ गई थी ! मने आ कर बंद कया है । पहले इसे अंदर रख कर आ।
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ह ल
ु छड़ ई आ र द ह। हल इस अदर र र आ।
छोट लड़क : तम
ु ने मेर बात सन
ु ी है ?
ी : सन
ु ल है ।
छोट लड़क : तो जवाब य नह ं दया कुछ? (कोने से बैग उठा कर झटके से अंदर को चलती) मै कर रह
हूँ ि लप और मोज क बात और कह रह ह बैग रख कर आ अंदर ।
बड़ी लड़क : हम कह पाते थे कभी इतनी बात ? आधी बात भी कह द इससे, तो रास इस तरह कस द
जाती थीं क बस !
पु ष एक दध
ू के गलास म चीनी हलाता अहाते के दरवाजे से आता है ।
गलास डाय नंग टे बल पर छोड़ कर बना कसी क तरफ दे खे वापस चला जाता है । ी कड़ी नजर से उसे
जाते दे खती है । बड़ी लड़क ी के पास जाती है ।
ी क आँख घम
ू कर बड़ी लड़क के चेहरे पर अि थर होती ह। कह कुछ नह ं पाती।
: या बात है , ममा !
ी : कुछ नह ं।
बड़ी लड़क : फर भी ?
वहाँ से हट कर कबड के पास चल जाती है और उसे खोल कर अंदर से कोई चीज ढूँढ़ने लगती है ।
: तम
ु तो आद हो रोज-रोज ऐसी बात सन
ु ने क । कब तक इ ह मन पर लाती रहोगी ?
ी : ( लाई लए वर म) अब मझ
ु से नह ं होता, ब नी। अब मझ
ु से नह ं सँभलता।
पु ष एक अहाते के दरवाजे से आता है -दो जले टो ट एक लेट म लए। ी के श द उसके कानो म पड़ते
ह , पर वह जानबझ
ू कर अपने चेहरे से कोई त या य त नह ं होने दे ता। लेट दध
ू के गलास के पास छोड़
कर कताब के शे फ क तरफ चला जाता है और उसके नचले ह से म रखी फाइल म से जैसे कोई खास
फाइल ढूँढ़ने लगता है । बड़ी लड़क बात करने से पहले पल भर को व फा ले कर उसे दे खती है ।
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: जब से बड़ी हुई हूँ तभी से दे ख रह हूँ। तम
ु सब-कुछ सह कर भी रात- दन अपने को इस घर के लए
हलाक करती रह हो और...
ी : पर हुआ या है उससे?
पु ष एक : जन
ु ेजा क फाइल ढूँढ़ रहा था। नह ं ढूँढ़ता।
जैसे-तैसे फाइल को उसक जगह म वापस ठूँसने लगता है । छोट लड़क पाँव पटकती अंदर से आती है ।
यं य के साथ हँसती है ।
छोट लड़क : पड़ा सो रहा था अब तक। मने जा कर जगा दया, तो लगा मेरे बाल खींचने।
लड़का : (अपने चेहरे को छूता) चकट रखने क सोच रहा हूँ। कैसी लगेगी मेरे चेहरे पर ?
डाय नंग टे बल से दध
ू का गलास ले कर गटगट दध
ू पी जाती है । पु ष एक इस बीच शे फ और फाइल से
उलझा रहता है । एक फाइल को कसी तरह अंदर समाता है तो कुछ और फाइल बाहर को गर आती है , उ ह
सँभालता है , तो पहले क फाइल पीछे गर जाती ह।
लड़का : पछ
ू ो ।
ी : इस लड़क क या उ है ?
छोट लड़क लड़के क तरफ जबान नकालती है । पु ष एक फाइल को कसी तरह समेट कर उठ पड़ता है ।
लड़का : तब तो सचमच
ु मझ
ु े गलती माननी चा हए।
ी : ज र माननी चा हए... ।
शीष पर
लड़का : क मने खामखाह इसके हाथ से वह कताब छ न ल । जाएँ
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पु ष एक : (अपनी तट थता बनाए रखने म असमथ , आगे आता) कौन- सी कताब ?
छोट लड़क : झठ
ू बोल रहा है । मने कोई कताब नह ं ल इसक ।
लड़का : (बश
ु ट के अंदर से कताब नकाल कर दखाता) यह कताब।
पु ष : (ऊँचे वर म) ठहरो (बार -बार से उन सबक ओर दे खता) पहले म यह जान सकता हूँ यहाँ कसी से
क मेर उ कतने साल क है ?
पु ष एक : हाँ, पछ
ू कर ह जानना है आज। कतने साल हो चक
ु े ह मझ
ु े िजंदगी का भार ढोते ? उनम से
कतने साल बीते ह मेरे प रवार क दे ख-रे ख करते ? और उस सबके बाद म आज पहुँचा कहाँ हूँ ? यहाँ क िजसे
दे खो वह मझ
ु से उलटे ढं ग से बात करता है ? िजसे दे खो, वह मझ
ु से बदतमीजी से पेश आता है ?
पु ष एक : हर-एक के पास एक-न-एक वजह होती है । इसने इस लए कहा था। उसने उस लए कहा था। म
जानना चाहता हूँ क मेर या यह है सयत है इस घर म क जो जब िजस वजह से जो भी कह दे म चप
ु चाप
सन
ु लया क ँ ? हर व त क द ु कार, हर व त क क च, बस यह कमाई है यहाँ मेर इतने साल क ...
ी : मझ
ु े सफ इतना पछ
ू लेने दे इनसे क रबड़- टप के माने या होते ह? एक अ धकार, एक तबा,
एक इ जत यह न ?
लड़का : ( फर उसी को शश म) सन
ु ो तो सह , ममा... !
सब लोग चप
ु रहते ह।
: नह ं बता सकता न ?
शीष पर
ी : मने एक छोट -सी बात पछ
ू है तम
ु से... जाएँ
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पु ष एक : ( सर हलाता) हाँ...छोट -सी बात ह तो है यह। अ धकार, तबा, इ जत - यह सब बाहर के
लोग से मल सकता है इस घर को। इस घर का आज तक कुछ बना है , या आगे बन सकता है , तो सफ बाहर
के लोग के भरोसे। मेरे भरोसे तो सब-कुछ बगड़ता आया है और आगे बगड़-ह - बगड़ सकता है । (लड़के क
तरफ इशारा करके) यह आज तक बेकार य घम
ू रहा है ? मेर वजह से। (बड़ी लड़क क तरफ इशारा करके)
यह बना बताए एक रात घर से य भाग गई थी ? मेर वजह से। ( ी के बलकुल सामने आ कर) और तम
ु
भी...तम
ु भी इतने साल से य चाहती रह हो क... ?
पु ष एक : अपनी िजंदगी चौपट करने का िज मेदार म हूँ। इन सबक िजंद गयाँ चौपट करने का िज मेदार
म हूँ। फर भी म इस घर से चपका हूँ य क अंदर से म आराम-तलब हूँ, घरघस ु रा हूँ, मेर ह डय म जंग
लगा है ।
ी : म नह ं जानती, तम
ु सचमच
ु ऐसा महसस
ू करते हो या.. ?
चला जाता है । कुछ दे र के लए सब लोग जड़-से हो रहते ह। फर छोट लड़क हाथ के टो ट को मँह
ु क
ओर ले जाती है ।
छोट लड़क : मझ
ु े या हो रहा है यहाँ ? यह टो ट है , कोयला है ?
छोट लड़क : नह ं आऊँगी। (सहसा उठ कर बाहर को चलती) अंदर जाओ, तो बाल खींचे जाते ह। बाहर
आओ, तो कट पट- कट पट- कट पट और खाने को कोयला - अब उधर आ कर इनके तमाचे और खाने ह।
चल जाती है ।
लड़का : (उसके पीछे जाने को हो कर) म दे खता हूँ इसे कम-से-कम लड़क को तो मझ
ु .े ..
ी : सन
ु ।
लड़का : बताओ।
ी : कम-से-कम तझ
ु े इस व त कह ं नह ं जाना है । वह आज फर आनेवाला है थोड़ी दे र म और...
लड़का : ('मझ
ु े या, कोई आनेवाला है तो ?' क मु ा म) कौन आनेवाला है ?
लड़का : दो बार।
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ी : (बड़ी लड़क से) दोन बार के लए बल
ु ाया था मने उसे, आज भी इसी क खा तर?
लड़का : मझ
ु े नह ं चा हए नौकर । कम-से-कम उस आदमी के ज रए हर गज नह ं।
लड़का : चक
ु ं दर है । वह आदमी है िजसे बैठने का शऊर है , न बात करने का।
लड़का : पाँच हजार तन वाह है , परू ा द तर सँभलता है , पर इतना होश नह ं है क अपनी पतलन
ू के
बटन...
ी : अशोक !
लड़का : तु हारा बॉस न होता, तो उस दन म कान से पकड़ कर घर से नकाल दया होता। सोफे पे टाँग
पसारे आप सोच कुछ रहे ह, जाँघ खज
ु लाते दे ख कसी तरफ रहे है और बात मझ
ु से कर रहे ह... (नकल उतारता)
'अ छा, यह बतलाइए क आपके राजनी तक वचार या ह?' राजनी तक वचार ह मेर खज
ु ल और उसक मरहम
!
ी : (अपना माथा सहला कर बड़ी लड़क से) ये लोग ह िजनके लए म जानमार करती हूँ रात- दन।
लड़का : पहले पाँच सेकंड आदमी क आँख म दे खता रहे गा फर ह ठ के दा हने कोनो से जरा-सा
मु कुराएगा। फर एक-एक ल ज को चबाता हुआ पछ ू े गा... (उसके वर म) 'आप या सोचते ह, आजकल यव ु ा
लोग म इतनी अराजकता य है ?' ढूँढ़-ढूँढ़ कर सरकार हंद के ल ज लाता है -यवु ा लोग म ! अराजकता !
ी : तो फर ?
लड़का : तो फर या ?
ी : तो फर या मरजी है तेर ?
लड़का : कस चीज को ले कर ?
ी : अपने-आपको।
लड़का : मझ
ु े या हुआ ?
ी : िजंदगी म तझ
ु े भी कुछ करना-धरना है या बाप ह क तरह...?
ी : पढ़ाई थी, तो तन
ू े परू नह ं क । एयर- ज म नौकर दलवाई थी, तो वहाँ से छह ह ते बाद छोड़
कर चला आया। अब म नए सरे से को शश करना चाहती हूँ तो...
लड़का : यह म नह ं कह सकता। सफ इतना कह सकता हूँ क िजस चीज म मेर अंदर से दलच पी नह ं
है ...।
ी : तू ठहर, मझ
ु े बात करने दे । (लड़के से) दलच पी तो तेर सफ तीन चीज म है - दन-भर ऊँघने म,
त वीरे काटने म और...घर क यह चीज वह चीज ले जा कर....
शीष पर
लड़का : म इसे... जाएँ
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बड़ी लड़क : (उसे बोलने न दे ने के लए) दे ख अशोक, ममा के यह सब कहने का मतलब सफ इतना है
क...
सोफे क तरफ बढ़ते हुए पु ष दो क आँख लड़के से मल जाती ह। लड़का चलते ढं ग से उसे हाथ जोड़ दे ता
है । पु ष दो फर उसी अ य त ढं ग से उ तर दे ता है ।
ी : अब कॉलेज म नह ं है ...
पु ष दो : हाँ-हाँ-हाँ...बताया था तम
ु ने। (बड़ी लड़क से) बैठो न। ( ी से) बैठो तम
ु भी।
ी सोफे के पास कुरसी पर बैठ जाती है । बड़ी लड़क कुछ द ु वधा म खड़ी रहती है ।
पु ष दो : ना, बलकुल नह ं।...अंतररा य संपक ह कंपनी के, सो सभी दे श के लोग मलने आते रहते ह।
जापान से तो परू ा
त न ध-मंडल ह आया हुआ था पछले दन ...। कुछ भी क हए, जापान ने सबक नाक म
नकेल कर रखी है आजकल। अभी उस दन म जापान क पछले वष क औ यो गक सां यक दे ख रहा था... ।
ी : तम
ु से कहा है , क अभी थोड़ी दे र। (पु ष दो से) आप कॉफ पसंद करते ह , तो...
शीष पर
ह-ह-ह-ह-हाँ-ह।...सा हि यक ग त व धय म च आरं भ से ह थी। सो... (बड़ी लड़क और लड़के से) बैठ जाओ तम
ु जाएँ
लोग।
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ल ।
लड़के को बैठने के लए क च कर अहाते के दरवाजे से चल जाती है । लड़का असंतु ट भाव से उसे दे खता है
, फर टहे लता हुआ पढ़ने क मेज के पास चला जाता है । बड़ी लड़क से आँख मलने पर हलके से मँह
ु बनाता है
और कुरसी का ख थोड़ा सोफे क तरफ करके बैठ जाता है ।
बड़ी लड़क : मझ
ु े ?...आपने ?
पु ष दो : कसी इंटर यू म ?
बड़ी लड़क : या ?
लड़का इस बीच मेज क दराज खोल कर त वीर नकाल लेता है और उ ह मेज पर फैलाने लगता है ।
लड़का : हमार आंट ह एक। गरदन काट कर दे खो - जीता लोलो िजदा नजर आती ह।
पु ष दो : हाँ !...कई लोग होते ह ऐसे। जीवन क व च ताओं क ओर यान दे ने लग, तो कई बार तो
लगता है क... (सहसा जेब टटोलता) भल
ू तो नह ं आया घर पर ?(जेब से च मा नकाल कर वापस रखता) नह ं।
तो म कह रहा था क... या कह रहा था ?
ी : कोई घटना सन
ु ा रहे थे कॉफ पीने के संबंध म।
ी : ल िजए थोड़ा-सा।
पु ष दो : (मँह
ु चलाता) कस वषय म ?
पु ष दो : बहुत वा द ट है ।
ी : याद है न आपको ?
पु ष दो घम
ू कर लड़के क तरफ दे खता है , तो लड़का एक बनावट मु कुराहट मु कुरा दे ता है ।
ी : मने बताया था। बी॰ एससी॰ कर रहा था... तीसरे साल म बीमार हो गया इस लए...
पु ष दो : अ छा-अ छा...हाँ...बताया था तम
ु ने क कुछ दन एयर इं डया म...
ी : एयर- ज म
शीष पर
पु ष दो : हाँ, एयर- ज म।...हूँ-हूँ...हूँ। जाएँ
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फर घम
ू कर लड़के क ओर क तरफ दे ख लेता है । लड़का फर उसी तरह मु कुरा दे ता है ।
ी : यह ं कोने पर एक दक
ु ान है ।
ी 'हाँ' के लए सर हला दे ती है ।
: कतनी बेतक
ु बात ह उसम !हमारे यहाँ डी॰ए॰ पहले ह इतना है क...
ी : कह रहे थे... ।
ी : थोड़ा और ल िजए।
पु ष दो : और नह ं अब।
: कौन-सा ?
शीष पर
ी और बड़ी लड़क साथ ह उठ खड़ी होती ह। जाएँ
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ी : म भी सोच रह थी आने के लए। बेबी से मलने।
पु ष दो : वह पछ
ू ती रहती है , आंट इतने दन से य नह ं आई ? बहुत यार करती है अपनी आं टय
से। माँ के न होने से बेचार ...।
ी : बहुत ह यार ब ची है । म पछ
ू लँ ग
ू ी कसी दन आपसे। इससे भी कह दँ ,ू आ कर मल ले आप से
एक बार।
ी : अशोक से।
पु ष दो : हाँ-हाँ... य नह ं। पर तम
ु तो आओगी ह । तु ह ं को बता दँ ग
ू ा।
ी : ये जा रहे ह, अशोक !
उठ कर पास आ जाता है ।
पु ष दो : (घड़ी दे खता) सोचा नह ं था, इतनी दे र कँू गा।(बाहर से दरवाजे क तरफ बढ़ता बड़ी लड़क से)
तम
ु नह ं करती नौकर ?
बड़ी लड़क : जी नह ं।
ी : डरती है ।
पु ष दो : डरती है ?
ी : अपने प त से।
पु ष दो : प त से ?
ी : हाँ...उसे पसंद नह ं है ।
पु ष दो : यह लड़क ?
पु ष दो : अ छा-अ छा...हाँ...।
पु ष दो : इसके लए ?
पु ष दो : हाँ-हाँ-हाँ-हाँ-हाँ...तम
ु आओगी ह घर पर। द तर क भी कुछ बात करनीं ह। वह जो यू नयन-
ऊनीयन का झगड़ा है ।
पु ष दो : (घड़ी दे ख कर) बहुत दे र हो गई। (लड़के से) अ छा, एक बात बताएँगे आप क ये जो हड़ताल हो
रह ह सब े म आजकल, इनके वषय म आप या सोचते ह ?
लड़का : ओह ! ओह ! ओह !
बड़ी लड़क : क ड़ा ?
शीष पर
पु ष दो : अपने दे श म तो...। जाएँ
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लड़का : पकड़ा गया।
पु ष दो : इस दे श म नै तक मू य के उ थान के लए...तम
ु ने भाषण सन
ु ा है ...वे जो आए हुए ह आजकल,
या नाम है उनका?
लड़का : नरोध मह ष ?
लड़का : हाहा !
लड़का : एि टं ग दे खा ?
लड़का : मेरा।
लड़का : य ?
लड़का : नह ं है ?
बड़ी लड़क : सर पर या है यह ?
लड़का : य ?
ी : गाड़ी चल नह ं रह उनक ?
लड़का : या हुआ ?
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बाहर के दरवाजे से चला जाता है ।
बड़ी लड़क : (पैड उसक तरफ बढ़ाती) ऐसे ह ...पता नह ं या बना रहा था ! बैठे-बैठे इसे भी बस... ?
ी : लगता तो है कुछ-कुछ।
ी : इधर आ।
लड़का : तु ह या लगता है ?
ी : तू या बना रहा था ?
लड़का : एक आ दम बन-मानस
ु ।
ी : या ?
लड़का : बन-मानस
ु ।
ी : मझ
ु े तेर ये हरकत बलकुल पसंद नह ं ह। सन
ु रहा है तू ?
लड़का उ तर न दे कर पढ़ने क मेज क तरफ बढ़ जाता है और वहाँ से त वीर उठा कर दे खने लगता है ।
: सन
ु रहा है या नह ं ?
ु रहा हूँ।
लड़का : सन
ी : सन
ु रहा है , तो कुछ कहना नह ं है तझ
ु े ?
: नह ं कहना है ?
लड़का : नह ं बरदा त है , तो बल
ु ाती य हो ऐसे लोग को घर पर क िजनके आने से... ?
शीष पर
ी : हाँ-हाँ...बता, या होता है िजनके आने से ? जाएँ
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लड़का : रहने दो। म इसी लए चला जाना चाहता था पहले ह ।
लड़का : िजनके आने से हम िजतने छोटे ह, उससे और छोटे हो जाते ह अपनी नजर म।
ी : तू या समझता है , कस वजह से बल
ु ाया है ?
लड़का : उसक कसी 'बड़ी' चीज क वजह से। एक को क वह इंटेले चअ ु ल बहुत बड़ा है । दस ू रे को क
उसक तनखाह पाँच हजार है । तीसरे को क उसक त ती चीफ क म नर क है । जब भी बल
ु ाया है , आदमी को
नह ं-उसक तन वाह को, नाम को, तबे को बल
ु ाया है ।
लड़का : पता नह ं कस लए बल
ु ाती हो, पर बल
ु ाती सफ ऐसे ह लोग को हो। अ छा, तु ह ं बताओ,
कस लए बल
ु ाती हो ?
लड़का चप
ु रह कर मेज क दराज खोलने-बंद करने लगता है ।
: चप
ु य है अब ? बता न, अपने बड़ पन से िजंदगी काटने का या तर का सोच रखा है तन
ू े ?
ी : कुछ नई तैना है तझ
ु ।े बैथ दा तल
ु छ पल औल तछवील तात । ततनी तछवील ताती ऐं अब तत
लाजे मु ने ने ? अगर कुछ नह ं कहना था तझ
ु े तो पहले ह य नह ं अपनी जबान....?
बड़ी लड़क : (पास आ कर उसक बाँह थामती) क जाओ ममा, म बात क ँ गी इससे (लड़के से) दे ख
अशोक... ।
लड़का : पर य पछ
ू ना चाहती ह ? म इस व त कसी क कसी भी बात का जवाब नह ं दे ना चाहता।
लड़का : तू फर भी कह रह है बात !
शीष पर
लड़का : म कहना नह ं चाहता था, ले कन.. जाएँ
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1/27/2021
ी : तो कह य नह ं रहा है ?
लड़का : कहना पड़ रहा है य क...जब नह ं नभता इनसे यह सब, तो य नभाए जाती ह इसे ?
लड़का : म पछ
ू ता हूँ य करती ह ? कसके लए करती ह...?
ी : (अ य धक गंभीर) तझ
ु े पता है न, तन
ू े या बात कह है ?
लड़का बना कहे मैगजीन खोल कर उसम से एक त वीर काटने लगता है । लड़का उसी तरह चप
ु चाप त वीर
काटता रहता है ।
: पता है न ?
: तो ठ क है । आज से म सफ अपनी िजंदगी को दे खग
ू ँ ी - तम
ु लोग अपनी-अपनी िजंदगी को खद
ु दे ख
लेना।
: मेरे पास अब बहुत साल नह ं ह जीने को। पर िजतने ह, उ ह म इसी तरह और नभते हुए नह ं काटूँगी।
मेरे करने से जो कुछ हो सकता था इस घर का, हो चक ु ा आज तक। मेरे तरफ से यह अंत है उसका नि चत
अंत !
[अंतराल वक प]
दो अलग-अलग काश-व ृ त म लड़का और बड़ी लड़क । लड़का सोफे पर औंधा लेट कर टाँग हलाता सामने
'पेशस' के प ते फैलाए। बड़ी लड़क पढ़ने क मेज पर लेट म रखे लायस पर म खन लगाती। परू ा काश होने
पर कमरे म वह बखराव नजर आता है जो एक दन ठ क से दे ख-रे ख न होने से आ सकता है । यहाँ-वहाँ चाय
क खाल या लयाँ , उतरे हुए कपड़े और ऐसी ह अ त- य त चीज।
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1/27/2021
बड़ी लड़क : नह ं खल
ु ेगा तो लाया कस लए था ?
लड़का : तन
ू े कहा था जो-जो उधार मल सके, ले आ ब नए से। म उधार म एक फोन भी कर आया।
लड़का : जन
ु ेजा अंकल के यहाँ।
लड़का : नह ं।
बड़ी लड़क : तो ?
लड़का : जन
ु ेजा अंकल से हुई।
लड़का : नह ं।
बड़ी लड़क : मने कहा नह ं था क ममा के द तर से लौटने तक डैडी भी आ जाएँ शायद ? चीज सड वच
दोन को पसंद ह ।
लड़का : जन
ु ेजा अंकल को भी पसंद ह। वे आएँगे, उ ह खला दे ना।
लड़का : साड़ी तो बहुत ब ढ़या बाँध कर गई ह - जैसे कसी याह का यौता हो।
बड़ी लड़क : दे खा था तन
ू े ?
बड़ी लड़क : मने सोचा द तर से कह ं और जाएँगी वह। कहा, साढ़े पाँच तक आ जाएँगी - रोज क तरह।
लड़का : तन
ू े पछ
ू ा था ?
बड़ी लड़क : इस लए पछ
ू ा था क म भी उसी हसाब से अपना ो ाम...पर सच कुछ पता नह ं चला।
लड़का : कस चीज का ?
बड़ी लड़क : क मन म या सोच रह ह। कहा तो क साढ़े पाँच तक लौट आएँगी, पर चेहरे पर लगता था
जैसे...
लड़का : जैसे ?
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1/27/2021
बड़ी लड़क : अ छा कहता है इसे ?
बड़ी लड़क : या हो ?
बड़ी लड़क : मझ
ु े तेर बात से डर लगता है आजकल।
बड़ी लड़क : पता नह ं...सह भी नह ं लगतीं हालाँ क...। (ड बा और टन-कटर हाथ म ले कर) यह ड बा....
?
लड़का : इस टन-कटर से नह ं खल
ु ेगा। इसक नोक इतनी मर चक
ु है क...
बड़ी लड़क : तो या कर फर ?
लड़का : महसस
ू करना ह महसस
ू नह ं होता था। और कुछ-कुछ महसस
ू होना शु हुआ, तो पहला मौका
मलते ह घर से चल गई ।
लड़का : महसस
ू शायद पहले भी करता था, पर सोचना तभी से शु कया है ।
लड़का : तझ
ु से तो मने जाना है उसे, और तू कहती है , तू कैसे ?
बड़ी लड़क : तन
ू े मझ
ु से जाना है उसे - म नह ं समझी ?
शीष पर
लड़का : हाथ काँप य रहा है तेरा ? (ड बा लेता ) अभी खल
ु जाता है यह। तेज औजार चा हए... एक जाएँ
मनट नह ं लगेगा।
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ह ल ।
बाहर के दरवाजे से चला जाता है । बड़ी लड़क काम जार रखने क को शश करती है , पर हाथ नह ं चलते,
तो छोड़ दे ती है ।
बड़ी लड़क : (माथे पर हाथ फेरती , श थल वर म) कैसे कहता है यह? ...म सचमच
ु जानती हूँ या ?
सर को झटक लेती है -जैसे अंदर एक बवंडर उठ रहा हो। को शश से अपने को सहे ज कर उठ पड़ती है और
अंदर के दरवाजे के पास जा कर आवाज दे ती है ।
: क नी !
: कहाँ चल जाती है ? सब
ु ह कूल जाने से पहले रोना क जब तक चीज नह ं आएँगी, नह ं जाएगी। और
अब दन-भर पता नह ं, कब घर म है , कब बाहर है ।
लड़का : चल अंदर।
छोट लड़क अपने को बचा कर बाहर जाती भाग जाना चाहती है , पर वह उसे बाँह से पकड़ लेता है ।
छोट लड़क : दे ख लो ब नी द , यह मझ
ु .े ..
लड़का : इससे पछ
ू , या बात हुई है ।.... माई गॉड !
: बता न, या कर रह थी ?
छोट लड़क चप
ु चाप सब
ु कती रहती है ।
बड़ी लड़क : या ?
लड़का : इसी से पछ
ू ।
बड़ी लड़क : या ? ? ?
लड़का : पछ
ू ले इससे। अभी बता दे गी तझ
ु े सब...जो सरु े खा को बता रह थी बाहर।
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1/27/2021
लड़का : तू बता रह थी। अचानक मझ ु रहा हूँ तो...
ु पर नजर पड़ी क म पीछे खड़ा सन
बड़ी लड़क : चप
ु रह, अशोक !
छोट लड़क : इससे कभी कुछ नह ं कहता कोई। रोज कसी- कसी बात पर मझ
ु े पीट दे ता है ।
बड़ी लड़क : वह जो है इसक ...कभी मेर बथडे जट क चू ड़याँ दे आता है उसे, कभी-कभी मेरे ाइज का
फाउं टे न पेन। म अगर ममा से कह दे ती हूँ, अकेले म मेरा गला दबाने लगता है ।
लड़का : ( फर से उसे पकड़ने को हो कर) तू ठहर जा, आज म तेर जान नकाल कर रहूँगा।
छोट लड़क उससे बचने के लए इधर-उधर भागती है । लड़का उसका पीछा करता है ।
छोट लड़क : (जाती हुई) वणा उ योग सटरवाल लड़क ... वणा उ योग सटरवाल लड़क ! वणा उ योग
सटरवाल लड़क !!
लड़का उसके पीछे बाहर जाने ह लगता है क अचानक ी को अंदर आते दे ख कर ठठक जाता है । ी
अंदर आती है जैसे वहाँ क कसी चीज से उसे मतलब ह नह ं है । वातावरण के त उदासीनता के अ त र त
चेहरे पर संक प और असमंजस का मला-जल
ु ा भाव। उन लोग क ओर न दे ख कर वह हाथ का सामान परे क
एक कुरसी पर रखती है । लड़का अपने को एक भ ड़ी ि थ त म पाता है , इस चीज उस चीज को छू कर दे खने
लगता है । बड़ी लड़क लेट, लाइस और चीज का ड बा लए अहाते के दरवाजे क तरफ चल दे ती है ।
ी : मझ
ु े नह ं चा हए।
चल जाती है । ी कमरे के बखराव पर एक नजर डालती है , पर सवाय अपने साथ लाई चीज को
यथा थान रखने के और कसी चीज को हाथ नह ं लगती। बड़ी लड़क लौट कर आती है ।
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बड़ी लड़क : सबके लए बना रह हूँ एक-एक याल ।
लड़का : मेरे लए नह ं।
लड़का : मेरा मन नह ं है ।
ी : मझ
ु े चाय के लए बाहर जाना है ।
बड़ी लड़क : तो तम
ु घर पर नह ं रहोगी इस व त ?
ी : लेने आएगा वो य ?
बड़ी लड़क : अशोक ने फोन कया था। कह रहे थे, कुछ बात करनी है ।
ी : ले कन मझ
ु े कोई बात नह ं करनी है ।
ी : करने दे ना इंतजार ।
कबड से दो-तीन पस नकाल कर दे खाती है क उनम से कौन-सा साथ रखना चा हए। बड़ी लड़क एक नजर
लड़के को दे ख लेती है जो लगता है कसी तरह वहाँ से जाने के बहाना ढूँढ़ रहा है ।
ी : (उस पस को रख कर दस
ू रा नकालती) पता नह ं। बात करने म दे र भी हो सकती है ।
ी : य ?
ी : मझ
ु े उससे कुछ ज र बात करनी ह। उसे कई काम थे शाम को जो उसने मेर खा तर क सल कए
ह। बेकार आदमी नह ं है वह क जब चाहा बल
ु ा लया, जब चाहा कह दया जाओ अब ।
30/46
1/27/2021
बड़ी लड़क : तू भी ?...तू कहाँ जा रहा है ?
बड़ी लड़क : तो जन
ु ेजा अंकल के आने पर म.... ?
चला जाता है ।
: कम से कम प ती ले कर तो दे जाता।
बड़ी लड़क : यह सब छोड़ आऊँ अंदर। वहाँ भी कतना कुछ बखरा है । सोचती हूँ, जगमोहन अंकल के आने
से पहले...।
ी : मझ
ु े जरा-सी बात करनी ह।
बड़ी लड़क : तो ?
बड़ी लड़क : तो तम
ु ने परू तरह सोच लया है क...
चल जाती है ।
ी : कब तक और ?
गले क माला को उँ गल से लपेटते हुए झटके लगाने से माला टूट जाती है । परे शान हो कर माला को उतार
दे ती है और कबड से दस
ू र माला नकाल लेती है ।
: एक दन....दस
ू रा दन !
: एक साल...दस
ू रा साल !
: अब भी और सोचँ ू थोड़ा !
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: कब तक...? य ...?
: घर द तर...घर द तर !
म चेहरे पर लगते हुए यान आता है क वह इस व त नह ं लगानी थी। उसे एक और शीशी उठा लेती
है । उसम से लोशन ई पर ले कर सोचती है । कहाँ लगाए और कह ं का नह ं सझ
ू ता , तो उससे कलाइयाँ साफ
करने लगती है ।
: सोचो...सोचो।
कंघी से सफेद बाल को ढँ कने लगती है । यान आँख क झाँइय पर चला जाता है तो कंघी रख कर उ ह
सहलाने लगती है । तभी पु ष तीन बाहर के दरवाजे से आता है ... सगरे ट के कश खींच कर छ ले बनाता है । ी
उसे नह ं दे खती , तो वह राख झाड़ने के लए तपाई पर रखी ऐश- े क तरफ बढ़ जाती है । ी पाउडर क ड बी
खोल कर आँख के नीचे पाउडर लगती है । ड बीवाला हाथ काँप जाने से थोड़ा पाउडर बखर जाता है ।
उठा खड़ी होती है , एक बार अपने को अ छ तरह आईने म दे ख लेती है । पु ष तीन पहले सगरे ट से
दस
ू रा सगरे ट सल
ु गता है ।
: होने दो जो होता है ।
सोफे क तरफ मड़
ु ती ह है क पु ष तीन पर नजर पड़ने से ठठक जाती है , आँख म एक चमक भर
आती है ।
ी : इंतजार म ह थी म। तम
ु सीधे आ रहे हो द तर से ?
ी : समझो यानी क नह ं ।
पु ष तीन : (छ ले बनाता) तम
ु नह ं बदल ं बलकुल। उसी तरह डाँटती हो आज भी। पर बात-सी है कुकू
डयर, क द तर के कपड़ म सार शाम उलझन होती इसी लए सोचा क....
पु ष तीन : (सोफे पर बैठता है ) कह लो जो जी चाहे । बना वजह लगाम खींचे जाना मेरे लए भी नई चीज
नह ं है ।
शीष पर
ी अनमने ढं ग से सोफे पर बैठ जाती है । जाएँ
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: िजस तरह फोन कया तम
ु ने अचानक, उससे मझ
ु े कह ं लगा क...
ी : म सच कह रह हूँ। आज अगर तम
ु मझ
ु से कहो क.... ।
ी : ब नी है अंदर ।
पु ष तीन : यह ं है वह ? उसका तो सन
ु ा था क...
ी : हाँ ! पर आई हुई है कल से ।
ी : म बहुत....वो थी उस व त।
पु ष तीन : वह तो इस व त भी हो।
ी : तम
ु कतनी अ छ तरह समझते हो मझ
ु .े .. कतनी अ छ तरह ! इस व त मेर जो हालत है अंदर
से...।
वर भरा जाता है ।
पु ष तीन : ल ज !
ी : जोग !
पु ष तीन : बोलो !
ी : तम
ु जानते हो, म...एक तु ह ं हो िजस पर म...
ी : फर भी मँह
ु से नकल जाती है । दे खो ऐसा है क....नह ं। बाहर चल कर ह बात क ँ गी।
पु ष तीन : एक सझ
ु ाव है मेरा।
ी : बताओ।
ी : ना-ना यहाँ नह ं।
पु ष तीन : य ?
ी : जहाँ ठ क समझो तम
ु ।
शीष पर
ी : गंजा कैसा रहे गा ?....वहाँ वह कोनेवाल टे बल खाल मल जाए शायद। जाएँ
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पु ष तीन : पछ
ू ो नह ं। यह कहो - गंजा।
ी : अ छा, उस छोटे रे तराँ म चले जहाँ के कबाब तु ह बहुत पसंद ह? म तब के बाद कभी वहाँ नह ं
गई।
पु ष तीन : ( हच कचाट के साथ) वहाँ ? जाता नह ं वैसे म वहाँ अब। …पर तु हारा वह ं के लए मन हो तो
चल भी सकते ह।
पु ष तीन : हाँ-हाँ ?
ी : वैसे उन दन भी सन
ु ी होगी तम
ु ने ऐसी बात मेरे मँह
ु से...पर इस बार सचमच
ु कर लया है ।
पल-भर क खामोशी िजसम वह कुछ सोचता हुआ इधर-उधर दे खता है फर जैसे कसी कताब पर आँख
अटक जाने से उठ कर शे फ क तरफ चला जाता है ।
ी : उधर य चले गए ?
पु ष तीन : (शे फ से कताब नकलता) ऐसे ह ।...यह कताब दे खना चाहता था जरा।
ु रहा हूँ म।
पु ष तीन : सन
ी : ठ क सोच रहे हो तम
ु ।
ी : म तु ह बता नह ं सकती क मझ
ु े हमेशा कतना अफसोस रहा है इस बात का क मेर वजह से तु ह
भी...तु ह भी इतनी तकल फ उठानी पड़ी है िजंदगी म।
ी : मझ
ु े याद है तम
ु कहा करते थे, 'सोचने से कुछ होना हो, तब तो सोचे भी आदमी।'
ी : पर यह भी क कल और आज म फक होता है । होता है न
बड़ी लड़क : ममा, अंदर जो कपड़े इ तर के लए रखे ह... (पु ष तीन को दे ख कर) हलो अंकल !
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पु ष तीन : उन दन ाक पहना करती थी... ।
पु ष तीन : याद है , कैसे मेरे हाथ पर काटा था इसने एक बार ? बहुत ह शैतान थी ।
चल जाती है ।
पु ष तीन : पर मने तो सन
ु ा था क...अपनी मज से ह इसने...?
ी : (अपने पस म माल ढूँढ़ती) कहाँ गया ? ( माल मल जाने से पस बंद करती है ।) है यह इसम...तो
ू रह हूँ क उसी तरह कह जाऊँ इससे ता क...
कब तक लौट आऊँगी म ? इस लए पछ
पु ष तीन : तम
ु पर है यह। जैसा भी कह दो ।
ी : कह दे ती हूँ-शायद दे र हो जाए मझ
ु े । कोई आनेवाला है , उसे भी बता दे गी ।
ी : जन
ु ेजा। वह आदमी िजसक वजह से...तम
ु जानते ह हो सब । (अहाते क तरफ दे खती) ब नी!
(जवाब न मलने से) ब नी! ...कहाँ चल गई यह ?
पु ष तीन : इंतजार कर लो ।
ी : (इस तरह कमरे को दे खती जैसे क कोई चीज वहाँ छूट जा रह हो) हाँ...आओ ।
पु ष तीन पहले नकल जाता है । ी फर से पस खोल कर उसम कोई चीज ढूँढ़ती पीछे - पीछे । कुछ ण
मंच खाल रहता है । फर बाहर से छोट लड़क के ससक कर रोने का वर सनु ाई दे ता है । वह रोती हुई अंदर आ
कर सोफे पर औंधे हो जाती है । फर उठ कर कमरे के खाल पन पर नजर डालती है और उसी तरह रोती- ससकती
अंदर के कमरे म चल जाती है । मंच फर दो-एक ण खाल रहता है । उसके बाद बड़ी लड़क चाय क े के
लए अहाते के दरवाजे से आती है ।
वहाँ से हट कर डाय नंग टे बल के पास आ जाती है और अपने लए चाय क याल बनाने लगती है । छोट
लड़क उसी तरह ससकती अंदर से आती है ।
छोट लड़क : जब नह ं हो-होना होता, तो सब लोग होते ह सर पर। और जब हो-होना होता है तो कोई भी
नह ं द- दखता कह ं।
छोट लड़क : अशोक को दे ख लया था सबने हम लोग को डाँटते। सरु े खा क ममी ने सरु खा को घ-घर म
ले जा कर पटा, तो उसने...उसने म-मेरा नाम लगा दया।
बड़ी लड़क : तझ
ु े सब जगह का पता है क कहाँ-कहाँ जाया जा सकता है बाहर ?
बड़ी लड़क : तझ
ु े बलकुल तमीज नह ं है या ?
छोट लड़क : नह ं है मझ
ु े तमीज।
बड़ी लड़क : दे ख, तू मझ
ु से ह मार खा बैठेगी आज।
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छोट लड़क : नह ं क ँ गी।...रोना बंद करे गी या नह ं ?
: (आती हुई) मने सोचा क कौन हो सकता है पीछे का दरवाजा खटखटाए। आपका पता था, आप आनेवाले
ह। पर आप तो हमेशा आगे के दरवाजे से ह आते ह, इस लए...।
पु ष चार : म उसी दरवाजे से आता, ले कन...(छोट लड़क को दे ख कर) इसे या हुआ है ? इस तरह य
बैठ है वहाँ ?
चल जाती है ।
: म थोड़ी दे र पहले गया था। बाहर सड़क पर यू इं डया क गाड़ी दे खी, तो कुछ दे र पीछे को घम
ू ने नकल
गया। तेरे डैडी ने बताया था, जगमोहन आजकल यह ं है - फर से ांसफर हो कर आ गया है ।...वह ऐसे ह आया
था मलने, या...?
पु ष चार : (चाय का समान दे ख कर) कसके लए बनाई बैठ थी इतनी चाय ? पी नह ं लगता कसी ने ?
पु ष चार : (जैसे बात को समझ कर) वे लोग चले गए ह गे।...सा व ी को पता था न, म आनेवाला हूँ ?
शीष पर
पु ष चार : यह भी बताया नह ं मझ
ु े अशोक ने...पर उसके लहजे से ह मझ
ु े लग गया था क...( फर जैसे जाएँ
कोई बात समझ म आ जाने से) अ छा, अ छा, अ छा ! काफ समझदार लड़का है ।
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ई त स झ आ स) अ छ , अ छ , अ छ स झद र लड़ ह ।
बड़ी लड़क : दध
ू ?
पु ष चार : नह ं।
पु ष चार : ओ, हाँ !
फर कुछ पल खामोशी।
बड़ी लड़क : सष
ु मा का या हाल है ?
पु ष चार : अभी नह ं।
फर कुछ पल खामोशी।
पु ष चार : सोच कर तो बहुत-सी बात आया था। सा व ी होती तो शायद कुछ बात करता भी पर अब लग
रहा है बेकार ह है सब।
पु ष चार : यह भी पछ
ू ने क बात है ?
पु ष चार : (उठता हुआ) कोई समझा सकता है उसे ? वह इस औरत को इतना चाहता है अंदर से क...
पु ष चार : तझ
ु े लगता है यह बात सह नह ं है ?
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बड़ी लड़क : बताते रहे ह ? फर भी आप कहते ह क... ?
पु ष चार : बलकुल मानता हूँ, इसी लए कहता हूँ क अपनी आज क हलात के लए िज मेदार महे नाथ
खद
ु है । अगर ऐसा न होता, तो आज सब ु ह से ह र रया कर मझ
ु से न कह रहा होता क जैसा भी हो म इससे
बात करके इसे समझाऊँ। मै इस व त यहाँ न आया होता, तो पता है या होता ?
पु ष चार : महे खद
ु यहाँ चला आया होता। बना परवाह कए क यहाँ आ कर इस लेड ेशर म उसका
या हाल होता और ऐसा पहल बार न होता, तझ
ु े पता ह है । मैने कतनी मिु कल से समझा-बझ
ु ा कर उसे रोका
है , म ह जानता हूँ। मेरे मन म थोड़ा-सा भरोसा बाक था क शायद अब भी कुछ हो सके... मेरे बात करने से ह
कुछ बात बन सके। पर आ कर बाहर यू इं डया क गाड़ी दे खी, तो मझ ु े लगा क नह , कुछ नह ं हो सकता।
कुछ नह हो सकता। बात करके मै सफ आपको...मेरा खयाल है चलना चा हए अब। जाते हुए मझ
ु े उसके लए
दवाई भी ले जानी है ।...अ छा।
बाहर के दरवाजे क तरफ चल दे ता है । बड़ी लड़क अपनी जगह पर जड़-सी खड़ी रहती है । फर-एक कदम
उसक तरफ बढ़ जाती है ।
पु ष चार : कौन-सी ?
बाहर से ी के वर सन
ु ाई दे ते ह।
पु ष चार : हाँ।
बाहर जाने के बजाय ह ठ चबाता डाइ नंग टे बल क तरफ बढ़ जाता है । ी छोट लड़क के साथ आती है ।
छोट लड़क उसे बाँह से बाहर खींच रह है ।
शीष पर
ी : (बाँह छुड़ाती) तू हटे गी या नह ं ? जाएँ
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छोट लड़क : नह ं हटूँगी। उस व त तो घर पर नह ं थी, और अब कहती हो... ।
ी : नह ं छोड़ेगी ? (गु से से बाँह छुड़ा कर उसे परे धकेलती) बड़ा जोम चढ़ने लगा है तझ
ु े !
छोट लड़क : तम
ु बात मत करो। म ी के ल दे क तरह हल नह ं जब मने...।
पल-भर क खामोशी िजसम सबक नजर ि थर हो रहती ह - छोट लड़क क ी पर और शेष सबक
छोट लड़क पर।
ी : आप मत प ड़ए बीच म।
पु ष चार : दे खो...।
: जा उस कमरे म। सन
ु ा नह ं ?
: नह ं जाएगी ?
छोट लड़क दाँत पीस कर बना कुछ कहे एकाएक झटके से अंदर के कमरे म चल जाती है । ी जा कर
पीछे से दरवाजे क कंु डी लगा दे ती है ।
: तझ
ु से समझँग
ू ी अभी थोड़ी दे र म।
पु ष चार : हाँ...पर इस व त तम
ु ठ क मड
ू म नह ं हो...।
बड़ी लड़क : तम
ु थक हुई हो। अ छा होगा जो भी बात करनी हो, बैठ कर आराम से कर लो।
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ी : छुटकारा ? म ? उ ह ? कतनी उ ट बात है !
ी : उ ह बाँध रखा है ? मने अपने साथ... ? सवा आपके कोई नह ं कह सकता यह बात।
पु ष चार : कभी बात ु ने उसे जाना, तब से दस साल पहले से म उसे जानता हूँ।
य करती हो ? जब तम
पु ष चार : जैसे ?
पु ष चार : नह ं। पहले तम
ु बात कर लो (बड़ी लड़क से) तू बेटे, जरा उधर चल जा थोड़ी दे र।
बड़ी लड़क चप
ु चाप जाने लगती है ।
ी : सन
ु लेने द िजए इसे भी, अगर मझ
ु े बात करनी है तो।
पु ष चार : ठ क है यह ं रह त,ू ब नी !
बड़ी लड़क आ ह ता से आँख झपका कर उन दोन से थोड़ी दरू डाय नंग टे बल क कुरसी पर जा बैठती है ।
कटता हुआ खद
ु सोफे पर बैठ जाता है । ी एक मोढ़ा ले लेती है ।
: कह डालो अब जो भी कहना है तु ह।
पु ष चार : पछ
ू ो कुछ नह ं। जो कहना है , कह डालो।
ी : यूँ तो जो कोई भी एक आदमी क तरह चलता- फरता, बात करता ह, वह आदमी ह होता है ...। पर
असल म आदमी होने के लए या ज र नह ं क उसम अपना एक मा ा, अपनी एक शि सयत हो ?
पु ष चार : मह को सामने रख कर यह तम
ु इस लए कह रह हो क...
ी : और उस भरोसे का नतीजा ?... क अपने-आप पर उसे कभी कसी चीज के लए भरोसा नह ं रहा।
िजंदगी म हर चीज क कसौट - जन
ु ेजा। जो जन
ु ेजा सोचता है , जो जन
ु ेजा चाहता है , जो जन
ु ेजा करता है , वह
उसे भी सोचना है , वह उसे भी चाहना है , वह उसे भी करना है । य क जन
ु ेजा तो खद
ु एक परू े आदमी का
आधा-चौथाई भी नह ं ह।
पु ष चार : तम
ु इस नजर से दे ख सकती हो इस चीज को; पर अस लयत इसक यह है क...
शीष पर
ु े उस अस लयत क बात करने द िजए िजसे म जानती हूँ।...एक आदमी है । घर
ी : (खड़ी होती) मझ जाएँ
बसाता है । य बसाता है ? एक ज रत पर करने के लए। कौन-सी ज रत ? अपने अंदर से कसी उसको...एक
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स त ह। सत ह ए रत रू र लए। स रत अ अदर स स उस ए
अधरू ापन कह द िजए उसे...उसको भर सकने क । इस तरह उसे अपने लए...अपने म परू ा होना होता है । क ह ं
दस
ू र के परू ा करते रहने म ह िजंदगी नह ं काटनी होती। पर आपके मह के लए िजंदगी का मतलब रहा
है ...जैसे सफ दस
ू र के खाल खाने भरने क ह चीज है वह। जो कुछ वे दस
ू रे उससे चाहते ह, उ मीद करत
ह...या िजस तरह वे सोचते ह उनक िजंदगी म उसका इ तेमाल हो सकता है ।
पु ष चार : मह नाथ बहुत ज दबाजी बरतता था इस मामले म, म जानता हूँ। मगर वजह इसक ...
हाँफती हुई चप
ु कर जाती है । बड़ी लड़क कुह नयाँ मेज पर रखे और मु य पर चहे रा टकाए पथराई आँख
से चप
ु चाप दोन को दे खती है ।
ी : यह आप मझ
ु े बता रहे ह ? िजसने बाईस साल साथ जी कर जाना है उस आदमी को ?
पु ष चार : िजया ज र है तम
ु ने उसके साथ...जाना भी है उसे कुछ हद तक...ले कन...
शीष पर
पु ष चार : मेरे घर हुई थी वह बात। तम
ु बात करने के लए खास आई थीं वहाँ, और मेरे कंधे पर सर जाएँ
रखे दे र तक रोती रह थीं। तब तमने कहा था क...
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1/27/2021
र दर त र त रह । त तु ह
पु ष चार : या हज है अगर यह यह ं रहे तो ? जब आधी बात उसके सामने हुई है , तो बाक़ आधी भी
इसके सामने ह हो जानी चा हए।
पु ष चार : ( ी से) तम
ु समझती हो क इसके सामने मझ
ु े नह ं करनी चा हए यह बात ?
पु ष चार : ब ची थीं या जो भी थीं, पर बात बलकुल इसी तरह करती थीं जैसे आज करती हो। उस दन
भी बलकुल इसी तरह तम
ु ने महे को मेरे सामने उधेड़ा था। कहा था क वह बहुत लज लजा और चप चपा-सा
आदमी है । पर उसे वैसा बनानेवाल म नाम तब दस ू र के थे। एक नाम था उसक माँ का और दस
ू रा उसके पता
का...।
पु ष चार : पर जन
ु ेजा का नाम तब नह ं था ऐसा लोग म। य नह ं था, कह दँ ू न यह भी ?
ी : दे खए...।
पु ष चार : तम
ु इ जत कह सकती हो उसे...पर वह इ जत कस लए करती थीं ? इस लए नह ं क एक
आदमी के तौर पर म महे से कुछ बेहतर था तु हार नजर म; बि क सफ इस लए क...
पु ष चार : पर हर दस
ू रे -चौथे साल अपने को उससे झटक लेने क को शश करती हुई। इधर-उधर नजर
दौड़ाती हुई कब कोई ज रया मल जाए िजससे तम ु अपने को उससे अलग कर सको। पहले कुछ दन जन ु ेजा एक
आदमी था तु हारे सामने। तमु ने कहा है तब त म
ु उसक इ जत करती थीं । पर आज उसके बारे म जो सोचती
हो, वह भी अभी बता चक
ु हो। जन
ु ेजा के बाद िजससे कुछ दन चकाच ध रह ं तम
ु , वह था शवजीत। एक बड़ी
ड ी, बड़े-बड़े श द और परू द ु नया घम
ू ने का अनभ
ु व। पर असल चीज वह क वह जो भी था और ह कुछ था-
मह नह ं था। पर ज द ह तम
ु ने पहचानना शु कया क वह नहायत दोगला क म का आदमी है । हमेशा दो
तरह क बात करता है । उसके बाद सामने आया जगमोहन। ऊँचे संबंध, जबान क मठास, टपटॉप रहने क
आदत और खच क द रया- दल । पर तीर क असल नोक फर भी उसी जगह पर- क उसम जो कुछ भी था,
जगमोहन का-सा नह ं था। पर शकायत तु ह उससे भी होने लगी थी क वह सब लोग पर एक सा पैसा य
उड़ता है ? दस
ू रे क स त-से-स त बात को एक खामोश मु कराहट के साथ य पी जाता है ? अ छा हुआ, वह
ांसफर हो कर चला गया यहाँ से, वरना.... ।
ी : यह खामखाह का तानाबाना य बन
ु रहे ह ? जो असल बात कहना चाहते ह, वह य नह ं कहते ?
पु ष चार : असल बात इतनी ह क मह क जगह इनम से कोई भी आदमी होता तु हार िजंदगी म, तो
साल-दो-साल बाद तम
ु यह महसस
ू करतीं क तम
ु ने गलत आदमी से शाद कर ल है । उसक िजंदगी म भी ऐसे
ह कोई मह , कोई जन
ु ेजा, कोई शवजीत या मनमोहन होता िजसक वजह से तम
ु यह सब सोचती, यह सब
महसस
ू करती। य क तु हारे लए जीने का मतलब रहा है - कतना-कुछ एक साथ हो कर, कतना-कुछ एक साथ
पा कर और कतना-कुछ एक साथ ओढ़ कर जीना। वह उतना-कुछ कभी तु ह कसी एक जगह न मल पाता।
शीष पर
इस लए िजस- कसी के साथ भी िजंदगी शु करती, तम
ु हमेशा इतनी ह खाल , इतनी ह बेचन
ै बनी रहती। वह जाएँ
आदमी भी इसी तरह त ह अपने आसपास सर पटकता और कपड़े फाड़ता नजर आता और तम...
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1/27/2021
आद इस तरह तु ह अ आस स सर त और ड़ ड़त र आत और तु
पु ष चार : वह भी दे खा है । दे खा है क िजस मु ी म तम
ु कतना-कुछ एक साथ भर लेना चाहती थीं,
उसम जो था वह भी धीरे -धीरे बाहर फसलता गया है क तु हारे मन म लगातार एक डर समाता गया िजसके
मारे कभी तम
ु घर का दामन थामती रह हो, कभी बाहर का और क वह डर एक दहशत म बदल गया। िजस
दन तु ह एक बहुत बड़ा झटका खाना पड़ा...अपनी आ खर को शश म।
ी : कस आ खर को शश म ?
पु ष चार : मनोज का बड़ा नाम था। उस नाम क डोर पकड़ कर ह कह ं पहुँच सकने क आ खर को शश
म। पर तम
ु एकदम बौरा ग जब तम
ु ने पाया क वह उतने नामवाला आदमी तु हार लड़क को साथ ले कर
रात -रात इस घर से...।
ी : आप समझते ह आपको मझ
ु से जो कुछ भी जानने का जो कुछ भी पछ
ू ने का हक हा सल है ?
ी : बस बस बस बस बस बस ! िजतना सन
ु ना चा हए था, उससे बहुत यादा सन
ु लया है आपसे मने।
बेहतर यह है क अब आप यहाँ से चले जाएँ य क...
पु ष चार : म जगमोहन के साथ हुई तु हार बातचीत का सह अंदाज लगा सकता हूँ, य क उसक जगह
म होता, तो म भी तमु से यह सब कहा होता। वह कल-परस फर फोन करने को कह कर घर के बाहर उतार
गया। तमु मन म एक घट ु न लए घर म दा खल हुई और आते ह तम ु ने ब ची को पीट दया। जाते हुए वह
सामने थी एक परू िजंदगी - पर लौटने तक का कुल हा सल?... उलझे हाथ का गज गजा पसीना और...।
ी : रहने दे अभी।
: अब खल
ु वा लेना मझ
ु से भी।
पु ष चार : तु हारा घर है । तम
ु बेहतर जानती हो कम-से-कम मान कर यह चलती हो। इसी लए बहुत-कुछ
चाहते हुए मझ
ु े अब कुछ भी संभव नजर नह ं आता। और इसी लए फर एक बार पछ ू ना चाहता हूँ, तम
ु से... या
सचमचु कसी तरह उस आदमी को तम ु छुटकारा नह ं दे सकतीं ?
ी : य - य - य -आप और-और बात करते जाना चाहते ह ? अभी आप जाइए और को शश करके उसे
हमेशा के लए अपने पास रख र खए। इस घर म आना और रहना सचमच
ु हत म नह ं है उसके। और मझ
ु े
भी...मझ
ु े भी अपने पास उस मोहरे क बलकुल- बलकुल ज रत नह ं है जो न खद
ु चलता है , न कसी और को
चलने दे ता है ।
पु ष चार : (पल-भर चप
ु चाप उसे दे खते रह कर हताश नणय के वर म) तो ठ क है वह नह ं आएगा। वह
कमजोर है , मगर इतना कमजोर नह ं है । तम
ु से जड़
ु ा हुआ है , मगर इतना जड़
ु ा हुआ नह ं है । उतना बेसहारा भी
नह ं है िजतना वह अपने को समझता है । वह ठ क से दे ख सके, तो एक परू द ु नया है उसके आसपास। म
को शश क ँ गा क वह आँख खोल कर दे ख सके।
ी : ज र-ज र। इस तरह उसका तो उपकार करे ग ह आप, मेरा भी इससे बड़ा उपकार िजदं गी म नह ं
कर सकगे।
पु ष चार : तो अब चल रहा हूँ म। तमु से िजतनी बात कर सकता था, कर चकु ा हूँ। और बात उसी से जा
कर क ँ गा। मझ
ु े पता है क कतना मिु कल होगा यह... फर भी यह बात म उसक े दमाग म बठा कर रहूँगा
इस बार क...
लड़का बाहर से आता है । चेहरा काफ उतरा हुआ है -जैसे कोई बड़ी-सी चीज कह ं हार कर आया हो।
पु ष चार के चेहरे पर यथा क रे खाएँ उभर आती ह और उसक आँख ी से मल कर झुक जाती ह। ी
एक कुरसी क पीठ थामे चप
ु खड़ी रहती है । शर र म ग त दखाई दे ती है , तो सफ साँस के आने-जाने क ।
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: क नी ! दरवाजा खोल ज द से ।
लड़का : (उससे आगे जाता) डैडी ह ह गे। उतर कर चले आए ह गे ऐसे ह । (दरवाजे से नकलता) आराम से
डैडी, आराम से ।
पु ष चार : (एक नजर ी पर डाल कर दरवाजे से नकलता) सँभल कर महे नाथ, सँभल कर....
मख
ु पृ ठ उप यास कहानी क वता यं य नाटक नबंध आलोचना वमश
संपक व व व यालय
शीष पर
जाएँ
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