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1/27/2021

मख
ु पृ ठ उप यास कहानी क वता यं य नाटक नबंध आलोचना वमश

बाल सा ह य सं मरण या ा व ृ तांत सनेमा व वध कोश सम -संचयन आ डयो/वी डयो अनव


ु ाद

हमारे रचनाकार हंद लेखक परु ानी वि ट वशेषांक खोज संपक व व व यालय सं हालय लॉग समय

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राकेश क रचनाएँ
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नाटक

आधे-अधरू े कहा नयाँ


अप र चत
मोहन राकेश आ ा
लेखक को जा नए उसक रोट
एक और िज़ दगी
का.स.ू वा. (काले सट
ू वाला आदमी) जो क पु ष एक, पु ष दो, पु ष तीन तथा पु ष चार क भू मकाओं म भी है । ज म
उ लगभग उनचास-पचास। चेहरे क श टता म एक यं य। पु ष एक के प म वेशा तर : पतलन
ू -कमीज। जानवर और जानवर
िजंदगी से अपनी लड़ाई हार चक
ु ने क छटपटाहट लए। पु ष दो के प म : पतलन
ू और बंद गले का कोट। जी नयस
अपने आपसे संतु ट, फर भी आशं कत। पु ष तीन के प म : पतलन
ू -ट शट। हाथ म सगरे ट का ड बा। परमा मा का कु ता

लगातार सगरे ट पीता। अपनी सु वधा के लए जीने का दशन परू े हाव-भाव म। पु ष चार के प म : पतलन
ू के फौलाद का आकाश

साथ परु ानी कोट का लंबा कोट। चेहरे पर बज


ु ग
ु ़ होने का खासा एहसास। काइयाँपन। म द
मलबे का मा लक
ी। उ चाल स को छूती। चेहरे पर यौवन क चमक और चाह फर भी शेष। लाउज और साड़ी साधारण मवाल
होते हुए भी सु चपण
ू । दस
ू र साड़ी वशेष अवसर क । मस पाल
सह
ु ा गन
बड़ी लड़क । उ बीस से ऊपर नह ं। भाव म प रि थ तय से संघष का अवसाद और उतावलापन। कभी-कभी
सीमाएँ
उ से बढ़ कर बड़ पन। साड़ी : माँ से साधारण। परू े यि त व म एक बखराव।
नाटक
अंडे के छलके
छोट लड़क । उ बारह और तेरह के बीच। भाव, वर, चाल-हर चीज म व ोह। ॉक चु त, पर एक मोजे
आधे-अधरू े
म सरू ाख।
आषाढ़ का एक दन
लड़का। उ इ क स के आसपास। पतलनू के अंदर दबी भड़क ल बु शट धल
ु -धल
ु कर घसी हुई। चेहरे से, सपाह क माँ
यहाँ तक क हँसी से भी, झलकती खास तरह क कड़वाहट। नबंध
कहानी वषयक नबंध
थान : म य- व तीय तर से ढह कर न न-म य- व तीय तर पर आया एक घर। रं गमंच वषयक
डायर
सब प म इ तेमाल होनेवाला वह कमरा िजसम उस घर के यतीत तर के कई एक टूटते अवशेष -
डायर
सोफा-सेट , डाइ नंग टे बल, कबड और े संग टे बल आ द - कसी-न- कसी तरह अपने लए जगह बनाए ह। जो
या ाव ृ त
कुछ भी है , वह अपनी अपे ाओं के अनस
ु ार न हो कर कमरे क सीमाओं के अनस
ु ार एक और ह अनप
ु ात से है ।
आ ख़र च ान तक
एक चीज का दस
ू र चीज से र ता ता का लक सु वधा क माँग के कारण लगभग टूट चक
ु ा है । फर भी लगता है अ य
क वह सु वधा कई तरह क असु वधाओं से समझौता करके क गई है - बि क कुछ असु वधाओं म ह सु वधा डॉ. काल कपोला से
खोजने क को शश क गई है । सामान म कह ं एक तपाई , कह ं दो-एक मोढ़े , कह ं फट -परु ानी कताब का एक बातचीत
शे फ और कह ं पढ़ने क एक मेज-कुरसी भी है । ग ,े परदे , मेजपोश और पलंगपोश अगर ह, तो इस तरह घसे, फाँसी का औ च य
फटे या सले हुए क समझ म नह ं आता क उनका न होना या होने से बेहतर नह ं था ? बाल सा ह य
गर गट का सपना
तीन दरवाजे तीन तरफ से कमरे म झाँकते ह। एक दरवाजा कमरे को पछले अहाते से जोड़ता है , एक
अंदर के कमरे से और एक बाहर क द ु नया से। बाहर का एक रा ता अहाते से हो कर भी है । रसोई म भी अहाते
से हो कर जाना होता है । परदा उठने पर सबसे पहले चाय पीने के बाद डाइ नंग टे बल पर छोड़ा गया अधटूटा ट -
सेट आलो कत होता है । फर फट कताब और टूट कु सय आ द म से एक-एक। कुछ सेकंड बाद काश सोफे के
उस भाग पर क त हो जाता है जहाँ बैठा काले सट
ू वाला आदमी सगार के कश खींच रहा है । उसके सामने रहते
काश उसी तरह सी मत रहता है , पर बीच-बीच म कभी यह कोना और कभी वह कोना साथ आलो कत हो
उठता है ।

शीष पर
का.स.ू वा. : (कुछ अंतमख
ु भाव से सगार क राख झाड़ता) फर एक बार, फर से वह शु आत...। जाएँ

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जैसे को शश से अपने को एक दा य व के लए तैयार करके सोफे से उठ पड़ता है ।

म नह ं जानता आप या समझ रहे ह म कौन हूँ और या आशा कर रहे ह म या कहने जा रहा हूँ। आप
शायद सोचते ह क म इस नाटक म कोई एक नि चत इकाई हूँ - अ भनेता, तत
ु कता, यव थापक या कुछ
और; परं तु म अपने संबंध म नि चत प से कुछ भी नह ं कह सकता - उसी तरह जैसे इस नाटक के संबंध म
नह ं कह सकता। य क यह नाटक भी अपने म मेर ह तरह अ नि चत है । अ नि चत होने का कारण यह है
क...परं तु कारण क बात करना बेकार है । कारण हर चीज का कुछ-न-कुछ होता है , हालाँ क यह आव यक नह ं
क जो कारण दया जाए, वा त वक कारण वह हो। और जब म अपने ह संबंध म नि चत नह ं हूँ, तो और
कसी चीज के कारण-अकारण के संबंध म नि चत कैसे हो सकता हूँ ?

सगार के कश खींचता पल-भर सोचता-सा खड़ा रहता है ।

म वा तव म कौन हूँ ? - यह एक ऐसा सवाल है िजसका सामना करना इधर आ कर मने छोड़ दया है जो
म इस मंच पर हूँ, वह यहाँ से बाहर नह ं हूँ और जो बाहर हूँ...ख़ैर, इसम आपक या दलच पी हो सकती है क
या हूँ ? शायद अपने बारे म इतना कह दे ना ह काफ है क सड़क के फुटपाथ पर चलते आप
म यहाँ से बाहर
अचानक िजस आदमी से टकरा जाते ह, वह आदमी म हूँ। आप सफ घरू कर मझ ु े दे ख लेते ह - इसके अलावा
ु से कोई मतलब नह ं रखते क म कहाँ रहता हूँ, या काम करता हूँ, कस- कससे मलता हूँ और कन- कन
मझ
प रि थ तय म जीता हूँ। आप मतलब नह ं रखते य क म भी आपसे मतलब नह ं रखता, और टकराने के ण
म आप मेरे लए वह होते ह जो म आपके लए होता हूँ। इस लए जहाँ इस समय म खड़ा हूँ, वहाँ मेर जगह
आप भी हो सकते थे। दो टकरानेवाले यि त होने के नाते आपम और मझु म, बहुत बड़ी समानता है । यह
समानता आपम और उसम, उसम और उस दस
ू रे म, उस दस
ू रे म और मझ
ु म...बहरहाल इस ग णत क पहे ल म
कुछ नह ं रखा है । बात इतनी है क वभािजत हो कर म कसी-न- कसी अंश म आपम से हर-एक यि त हूँ और
यह कारण है क नाटक के बाहर हो या अंदर, मेर कोई भी एक नि चत भू मका नह ं है ।

कमरे के एक ह से से दस
ू रे ह से म टहलने लगता है ।

मने कहा था, यह नाटक भी मेर ह तरह अ नि चत है । उसका कारण भी यह है क म इसम हूँ और मेरे
होने से ह सब कुछ इसम नधा रत या अ नधा रत है । एक वशेष प रवार, उसक वशेष प रि थ तयाँ ! प रवार
दस
ू रा होने से प रि थ तयाँ बदल जातीं, म वह रहता। इसी तरह सब कुछ नधा रत करता। इस प रवार क ी
के थान पर कोई दस
ू र ी कसी दस
ू र तरह से मझ
ु े झेलते - या वह ी मेर भू मका ले लेती और म उसक
भू मका ले कर उसे झेलता। नाटक अंत तक फर भी इतना ह अ नि चत बना रहता और यह नणय करना
इतना ह क ठन होता क इसम मु य भू मका कसक थी - मेर , उस ी क , प रि थ तय क , या तीन के
बीच से उठते कुछ सवाल क ।

फर दशक के सामने आ कर खड़ा हो जाता है । सगार मँह


ु म लए पल-भर ऊपर क तरफ दे खता रहता है ।
फर ' हँह ' के वर के साथ सगार मँह
ु से नकाल कर उसक राख झाड़ता है ।

पर हो सकता है , म एक अ नि चत नाटक म एक अ नि चत पा होने क सफाई-भर पेश कर रहा हूँ। हो


सकता है , यह नाटक एक नि चत प ले सकता हो - क ह ं पा को नकाल दे ने से, दो-एक पा और जोड़ दे ने
से, कुछ भू मकाएँ बदल दे ने से, या प रि थ तय म थोड़ा हे र-फेर कर दे ने से। हो सकता है , आप परू ा दे खने के
बाद, या उससे पहले ह , कुछ सझ
ु ाव दे सक इस संबंध म। इस अ नि चत पा से आपक भट इस बीच कई बार
होगी...।

हलके अ भवादन के प म सर हलाता है िजसके साथ ह उसक आकृ त धीरे -धीरे धध


ुँ ला कर अँधेरे म गम

हो जाती है । उसके बाद कमरे के अलग-अलग कोने एक-एक करके आलो कत होते ह और एक आलोक यव था
म मल जाते ह। कमरा खाल है । तपाई पर खल ु ा हुआ हाई कूल का बैग पड़ा है िजसम आधी का पयाँ और
कताब बाहर बखर ह। सोफे पर दो-एक परु ाने मैगजीन , एक कची और कुछ कट -अधकट त वीर रखी ह। एक
कुरसी क पीठ पर उतरा हुआ पाजामा झल
ू रहा है । ी कई-कुछ सँभाले बाहर से आती ह। कई-कुछ म कुछ घर
का है , कुछ द तर का , कुछ अपना। चेहरे पर दन-भर के काम क थकान है और इतनी चीज के साथ चल
कर आने क उलझन। आ कर सामान कुरसी पर रखती हुई वह परू े कमरे पर एक नजर डाल लेती है ।

ी: (थकान नकालनेवाले वर म) ओ हो हो हो ! (कुछ हताश भाव से) फर घर म कोई नह ं। (अंदर


के दरवाज़े क तरफ दे ख कर) क नी !...होगी ह नह ं, जवाब कहाँ से दे ? ( तपाई पर पड़े बैग को दे ख कर) यह
हाल है इसका! (बैग क एक कताब उठा कर) फर फाड़ लाई एक और कताब ! जरा शरम नह ं क रोज-रोज
कहाँ से पैसे आ सकते ह नयी कताब के लए ! (सोफे के पास आ कर) और अशोक बाबू यह कमाई करते रहे ह
दन-भर ! (त वीर उठा कर दे खती) ए लजाबेथ टे लर...आ ब
े न...शल मै लेन !

त वीर वापस रख कर बैठने लगती है क नजर झूलते पाजामे पर जा पड़ती है ।

(उस तरफ जाती) बड़े साहब वहाँ अपनी कारगुजार कर गए ह।

पाजामे को मरे जानवर क तरह उठा कर दे खती है और कोने म फकने को हो कर फर एक झटके के साथ
उसे तहाने लगती है ।

शीष पर
दन-भर घर पर रह कर आदमी और कुछ नह ं, तो अपने कपड़े तो ठकाने पर रख ह सकता है । जाएँ

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पाजामे कबड म रखने से पहले डाइ नंग टे बल पर पड़े चाय के सामान को दे ख कर और खीज जाती है ,
पाजामे को कुरसी पर पटक दे ती है और या लयाँ वैगरह े म रखने लगती है ।

इतना तक नह ं क चाय पी है , तो बरतन रसोईघर म छोड़ आएँ। म ह आ कर उठाऊँ, तो उठाऊँ...।

े उठा कर अहाते के दरवाजे क तरफ बढ़ती ह है क पु ष एक उधर से आ जाता है । ी ठठक कर सीधे


उसक आँख म दे खती है , पर वह उससे आँख बचाता पास से नकल कर थोड़ा आगे आ जाता है ।

पु ष एक : आ ग द तर से ? लगता है , आज बस ज द मल गई।

ी : ( े वापस मेज पर रखती) यह अ छा है क द तर से आओ, तो कोई घर पर दखे ह नह ं। कहाँ चले


गए थे तम
ु ?

पु ष एक : कह ं नह ं। यह ं बाहर था - माकट म।

ी : (उसका पाजामा हाथ म ले कर) पता नह ं यह या तर का है इस घर का ? रोज आने पर पचास


चीज यहाँ-वहाँ बखर मलती ह।

पु ष एक : (हाथ बढ़ा कर) लाओ, मझ


ु े दे दो।

ी : (दस
ू रे पाजामे को झाड़ कर फर से तहाती हुई) अब या दे दँ ू ! पहले खद
ु भी तो दे ख सकते थे।

गु से म कबड खोल कर पाजामे को जैसे उसम कैद कर दे ती है । पु ष एक फालत-ू सा इधर-उधर दे खता है ,


फर एक कुरसी क पीठ पर हाथ रख लेता है ।

(कबड के पास आ कर े उठाती) चाय कस- कसने पी थी?

पु ष एक : (अपराधी वर म) अकेले मने।

ी : तो अकेले के लए या ज र था क परू े क े ... क नी को दध


ू दे दया था ?

पु ष एक : वह मझ
ु े दखी ह नह ं अब तक।

ी : ( े ले कर चलती है ) दखे तब न जो घर पर रहे कोई।

अहाते के दरवाजे से हो कर पीछे रसोईघर म चल जाती है । पु ष एक लंबी 'हूँ' के साथ कुरसी को झुलाने
लगता है । ी प ले से हाथ प छती रसोईघर से वापस आती है ।

पु ष एक : म बस थोड़ी दे र के लए नकला था बाहर।

ी : (और चीज को समेटने म य त) मझ


ु े या पता कतनी दे र के लए नकले थे।...वह आज फर
आएगा अभी थोड़ी दे र म। तब तो घर पर रहोगे तम
ु ?

पु ष एक : (हाथ रोक कर) कौन आएगा ? संघा नया ?

ी : उसे कसी के यहाँ के खाना खाने आना है इधर। पाँच मनट के लए यहाँ भी आएगा।

पु ष एक फर उसी तरह 'हूँ' के साथ कुरसी को झुलाने लगता है ।

: मझ
ु े यह आदत अ छ नह ं लगती तु हार । कतनी बार कह चक
ु हूँ।

पु ष एक कुरसी से हाथ हटा लेता है ।

पु ष एक : तु ह ं ने कहा होगा आने के लए।

ी : कहना फज नह ं बनता मेरा ? आ खर बॉस है मेरा।

पु ष एक : बॉस का मतलब यह थोड़े ह है न क...?

ी : तम
ु यादा जानते हो ? काम तो म ह करती हूँ उसके मातहत।

पु ष एक फर से कुरसी को झुलाने को हो कर एकाएक हाथ हटा लेता है ।

पु ष एक : कस व त आएगा ?

ी : पता नह ं जब गुजरे गा इधर से।

पु ष एक : ( छले हुए वर म) यह अ छा है ...।

ी : लोग को ई या है मझ
ु से, क दो बार मेरे यहाँ आ चक
ु ा है । आज तीसर बार आएगा।

शीष पर
कची , मैगजीन और त वीर समेट कर पढ़ने क मेज क दराज म रख दे ती है । कताब बैग म बंद करके जाएँ
उसे एक तरफ सीधा खड़ा कर दे ती है ।
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उस ए तर स ड़ र दत ह।

पु ष एक : तो लोग को भी पता है वह आता है यहाँ ?

ी : (एक तीखी नजर डाल कर) य , बरु बात है ?

पु ष एक : मने कहा है बरु बात है ? म तो बि क कहता हूँ, अ छ बात है ।

ी : तम
ु जो कहते हो, उसका सब मतलब समझ म आता है मेर ।

पु ष एक : तो अ छा यह है क म कुछ न कह कर चप ु रहता हूँ, तो...।


ु रहा क ँ । अगर चप

ी : तम
ु चप
ु रहते हो। और न कोई।

अपनी चीज कुरसी से उठा कर उ ह यथा थान रखने लगती है ।

पु ष एक : पहले जब-जब आया है वह, मने कुछ कहा है तम


ु से ?

ी : अपनी शरम के मारे ! क दोन बार तम


ु घर पर नह ं रहे ।

पु ष एक : उसम या है ! आदमी को काम नह ं हो सकता बाहर ?

ी : ( य त) वह तो आज भी हो जाएगा तु ह।

पु ष एक : (ओछा पड़कर) जाना तो है आज भी मझ


ु .े ..पर तम
ु ज र समझो मेरा यहाँ रहना, तो...।

ी : मेरे लए कने क ज रत नह ं। (यह दे खती क कमरे म और कुछ तो करने को शेष नह ं) तु ह और


याल चा हए चाय क ? म बना रह हूँ अपने लए।

पु ष एक : बना रह हो तो बना लेना एक मेरे लए भी।

ी अहाते के दरवाजे क तरफ जाने लगती है ।

: सन
ु ो।

ी क कर उसक तरफ दे खती है ।

: उसका या हुआ...वह जो हड़ताल होनेवाल थी तु हारे द तर म ?

ी : जब होगी पता चल ह जाएगा तु ह।

पु ष एक : पर होगी भी ?

ी : तम
ु उसी के इंतजार म हो या ?

चल जाती है । पु ष एक सर हला कर इधर-उधर दे खता है क अब वह अपने को कैसे य त रख सकता


है । फर जैसे याद हो आने से शाम का अखबार जेब से नकाल कर खोल लेता है । हर सख
ु पढ़ने के साथ उसके
चेहरे का भाव और तरह का हो जाता है - उ साहपण
ू , यं यपण
ू , तनाव-भरा या प त। साथ मँह
ु से 'बहुत अ छे !
'मार दया, 'लो' और 'अब'? जैसे श द नकल पड़ते ह। ी रसोईघर से लौट कर आती है ।

पु ष एक : (अखबार हटा कर ी को दे खता) हड़ताल तो आजकल सभी जगह हो रह ह। इसम दे खो...।

ी : (उस ओर से वर त) तु ह सचमच
ु कह ं जाना है या? कहाँ जाने क बात कर रहे थे तम
ु ?

पु ष एक : सोच रहा था, जन


ु ेजा के यहाँ हो आता।

ी : ओऽऽ जन
ु ेजा के यहाँ !...हो आओ।

पु ष एक : फलहाल उसे दे ने के लए पैसा नह ं है , तो कम-से-कम मँह


ु तो उसे दखाते रहना चा हए।

ी : हाँऽऽ, दख आओ मँह
ु जा कर।

पु ष एक : वह छह मह ने बाहर रह कर आया है । हो सकता है , कोईनया कारोबार चलाने क सोच रहा हो


िजसम मेरे लए...

ी : तु हारे लए तो पता नह ं या- या करे गा वह िजंदगी म! पहले ह कुछ कम नह ं कया है ।

झाड़न ले कर कुर सय वगैरह को झड़ना शु कर दे ती है ।

: इतनी गद भर रहती है हर व त इस घर म ! पता नह ं कहाँ से चल आती है !

पु ष एक : तम
ु नाहक कोसती रहती हो उस आदमी को। उसने तो अपनी तरफ से हमेशा मेर मदद ह क
है !
शीष पर
ी : न करता मदद, तो उतना नक
ु सान तो न होता िजतना उसके मदद करने से हुआ है । जाएँ

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पु ष एक : (कुढ़ कर सोफे पर बैठता) तो नह ं जाता मै ! अपने अकेले के लए जाना है मझ
ु !े अब तक
तकद र ने साथ नह ं दया तो इसका यह मतलब तो नह ं क...

ी : यहाँ से उठ जाओ। मझ
ु े झाड़ लेने दो जरा।

पु ष एक उठ कर फर बैठने क ती ा म खड़ा रहता है ।

: उस कुरसी पर चले जाओ। वह साफ हो गई है ।

पु ष एक गाल दे ती नजर से उसे दे ख कर उस कुरसी पर जा बैठता है ।

: (बड़बड़ाती) पहल बार ेस म जो हुआ सो हुआ। दसू र बार फर या हो गया ? वह पैसा जन ु ेजा ने
लगाया, वह तमु ने गाया। एक ह फै टर लगी, एक ह जगह जमा-खच हुआ। फर भी तकद र ने उसका साथ दे
दया, तु हारा नह ं दया।

पु ष एक : (गु से से उठता है ) तम
ु तो ऐसी बात करती हो जैसे...

ी : खड़े य हो गए ?

पु ष एक : य , म खड़ा नह ं हो सकता ?

ी : (हलका व फा ले कर तर कारपण
ू वर म) हो तो सकते हो,पर घर के अंदर ह ।

पु ष एक : ( कसी तरह गु सा नगलता) मेर जगह तम


ु ह सेदार होती न फै टर क , तो तु ह पता चल
जाता क...

ी : पता तो मझ
ु े तब भी चल ह रहा है । नह ं चल रहा ?

पु ष एक : (बड़बड़ाता) उन दन पैसा लया था फै टर से ! जो कुछ लगाया था, यह सारा तो शु म ह


नकाल- नकाल कर खा लया और....

ी : कसने खा लया ? मने ?

पु ष एक : नह ं, मने ! पता है कतना खच था उन दन इस घर का, चार सौ पए मह ने का मकान था।


टै ि सय म आना-जाना होता था। क त पर ज खर दा गया था। लड़के-लड़क क का वट क फ स जाती थीं...

ी : शराब आती थी। दावत उड़ती थीं। उन सब पर पैसा तो खच होता ह था।

पु ष एक : तम
ु लड़ना चाहती हो ?

ी : तम
ु लड़ भी सकते हो इस व त, ता क उसी बहाने चले जाओ घर से।....वह आदमी आएगा, तो जाने
या सोचेगा क य हर बार इसके आदमी को कोई-न-कोई काम हो जाता है बाहर। शायद समझे क म ह
ू कर भेज दे ती हूँ।
जान-बझ

पु ष एक : वह मझ
ु से तय करके आता नह ं क म उसके लए मौजद
ू रहा क ँ घर पर।

ी : कह दँ ग
ू ी, आगे से तय करके आया करे तम
ु से। तम
ु इतने बजी आदमी जो हो। पता नह ं कब कस
बोड क मी टंग म जाना पड़ जाए।

पु ष एक : (कुछ धीमा पड़ कर , परािजत भाव से) तम


ु तो बस आमादा ह रहती हो हर व त।

ी : अब जन
ु ेजा आ गया है न लौट कर, तो रहा करना फर तीन-तीन दन घर से गायब।

पु ष एक : (परू शि त समेट कर सामना करता) तम


ु फर वह बात उठाना चाहती हो ? अगर रहा भी हूँ
कभी तीन दन घर से बाहर, तो आ खर कस वजह से ?

ी : वजह का पता तो तु ह पता होगा या तु हारे लड़के को। वह भी तीन-तीन दन दखाई नह ं दे ता घर


पर।

पु ष एक : तम
ु मेरा मक
ु ाबला उससे करती हो ?

ी : नह ं, उसका मक ु से करती हूँ। िजस तरह तम


ु ाबला तम ु ने वार क अपनी िजंदगी, उसी तरह वह भी...

पु ष एक : और लड़क तु हार ? उसने अपनी िजंदगी वार करने क सीख कससे ल है ? (अपने जाने
भार पड़ता) मने तो कभी कसी के साथ घर से भागने क बात नह ं सोची थी।

ी : (एकटक उसक आँख म दे खती) तम


ु कहना या चाहते हो?

पु ष एक : कहना या है ...जा कर चाय बना लो, पानी हो गया होगा।


शीष पर
सोफे पर पर बैठ कर फर अखबार खोल लेता है , पर यान पढ़ने म लगा नह पाता । जाएँ

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ी : मझ ु ाती हूँ यहाँ, मझ
ु े भी पता है , पानी हो गया होगा । म जब भी कसी को बल ु े पता होता है तम

यह सब बात करोगे।

पु ष एक : (जैसे अखबार म कुछ पढ़ता हुआ) हूँ-हूँ-हूँ-हूँ ।

ी : वैसे हजार बार कहोगे लड़के क नौकर के लए कसी से बात य नह करती। और जब म मौका
नकलती हूँ उसके लए तो...

पु ष-एक : हाँ, संघा नया तो लगवा ह दे गा ज र। इसी लए बेचारा आता है यहाँ चल कर ।

ी : शु नह ं मानते क इतना बड़ा आदमी, सफ एक बार कहने-भर से...

पु ष-एक : म नह ं शु मनाता ? जब-जब कसी नए आदमी का आना- जाना शु होता है यहाँ, म हमेशा
शु मानता हूँ। पहले जगमोहन आया करता था। फर मनोज आने लगा था...।

ी : (ि थर ि ट से उसे दे खती) और या- या बात रह गई है कहने को बाक ? वह भी कह डालो ज द


से।

पु ष एक : य ...जगमोहन का नाम मेर जबान पर आया नह ं क तु हारे हवास गम


ु होने शु हुए ?

ी : (गहर वत ृ णा के साथ) िजतने नाशु े आदमी तम


ु हो, उससे तो मन करता है क आज ह म...

कहती हुई अहाते के दरवाजे क तरफ मड़


ु ती ह है क बाहर से बड़ी लड़क क आवाज सन
ु ाई दे ती है ।

बड़ी लड़क : ममा !

ी क कर उस तरफ दे खती है । चेहरा कुछ फ का पड़ जाता है ।

ी : ब नी आई है बाहर ।

पु ष एक न चाहते मन से अखबार लपेट कर उठ खड़ा होता है ।

पु ष एक : फर उसी तरह आई होगी।

ी : जा कर दे ख लोगे या चा हए उसे ?

बड़ी लड़क क आवाज फर सन


ु ाई दे ती है ।

बड़ी लड़क : ममा, टूटे पचास पैसे दे ना जरा।

पु ष एक कसी अनचाह ि थ त का सामना करने क तरह बाहर के दरवाजे क तरफ बढ़ता है ।

ी : पचास पैसे है न तु हार जेब म ? होगे तो सह दध


ू के पैस से बचे हुए।

पु ष एक : मने सफ पाँच पैसे खच कए ह अपने पर... इस अखबार के।

बाहर नकल जाता है । ी पल-भर उधर दे खती रह कर अहाते के दरवाजे से रसोईघर म चल जाती है । बड़ी
लड़क बाहर से आती है । पु ष एक उसके पीछे -पीछे आ कर इस तरह कमरे म नजर दौड़ाता है जैसे ी के उस
कमरे म न होने से अपने को गलत जगह पर अकेला पा रहा हो।

पु ष एक : (अपने अटपनेपन को ढँ क पाने म असमथ , बड़ी लड़क से) बैठ त।ू

बड़ी लड़क : ममा कहाँ ह ?

पु ष एक : उधर होगी रसोई म।

बड़ी लड़क : (पक


ु ार कर) ममा !

ी दोन हाथ म चाय क या लयाँ लए अहाते के दरवाजे से आती है ।

ी : या हाल ह तेरे ?

बड़ी लड़क : ठ क ह ।

पु ष एक ी को हाथ के इशारे से बतलाने क को शश करता है क वह अपने साथ सामान कुछ भी नह ं


लाई।

ी : चाय लेगी?

बड़ी लड़क : अभी नह ं, पहले हाथ-मँह


ु धो लँ ू गुसलखाने म जा कर। सारा िज म इस तरह चप चपा रहा है
क बस....
शीष पर
ी : तेर आँख ऐसी य हो रह है ? जाएँ

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बड़ी लड़क : कैसी हो रह ह ?

ी : पता नह ं कैसी हो रह ह !

बड़ी लड़क : तु ह ऐसे ह लग रहा। म अभी आती हूँ हाथ-मँह


ु धो कर।

अहाते के दरवाजे से चल जाती है । पु ष एक अथपण


ू ि ट से ी को दे खता उसके पास जाता है ।

पु ष एक : मझ
ु े तो यह उसी तरह आई लगती है ।

ी चाय क याल उसक तरफ बढ़ा दे ती है ।

ी : चाय ले लो।

पु ष एक : (चाय ले कर) इस बार कुछ समान भी नह ं है साथ म।

ी : हो सकता है । थोड़ी दे र के लए आई हो।

पु ष एक : पस म केवल एक ह पया था। कूटर- र शा का परू ा


कराया भी नह ं ।

ी : या पता कह ं और से आ रह हो !

पु ष एक : तम
ु हमेशा बात को ढँ कने क को शश य करती हो ? एक बार इससे पछ
ू ती य नह ं खल

कर ?

ी : या पछ
ू ूँ ?

पु ष एक : यह म बताऊँगा तु ह ?

ी चाय के घट
ूँ भरती एक कुरसी पर बैठ जाती है ।

: (पल भर उ तर क ती ा करने के बाद) मेर उस आदमी के बारे म कभी अ छ राय नह ं थी। तु ह ं ने


हवा बाँध रखी थी क मनोज यह है , वह है - जाने या है ! तु हार शह से उसका घर म आना-जाना न होता,
तो या यह नौबत आती क लड़क उसके साथ जा कर बाद म इस तरह...?

ी : (तंग पड़ कर) तो खद
ु ह य नह ं पछ
ू लेते उससे जो पछ
ू ना चाहते हो ?

ू सकता हूँ ?
पु ष एक : म कैसे पछ

ी : य नह ं पछ
ू सकते ?

पु ष एक : मेरा पछ
ू ना इस लए गलत है क...

ी : तु हारा कुछ भी करना कसी-न- कसी वजह से गलत होता है । मझ


ु े पता नह ं है ?

बड़े-बड़े घट
ूँ भर कर चाय क याल खाल कर दे ती है ।

पु ष एक : तु ह सब पता है ! अगर सब कुछ मेरे कहने से होता इस घर म...

ी : (उठती हुई) तो पता नह ं और या बबाद हुई होती। जो दो रोट आज मल जाती है मेर नौकर से,
वह भी नह ं मल पाती। लड़क भी घर म रह कर ह बढ़ ु ा जाती, पर यह न सोचा होता कसी ने क....

पु ष एक : (अहाते के दरवाजे क तरफ संकेत करके) वह आ रह है ।

ज द -ज द अपनी याल खाल करके ी को दे दे ती है । बड़ी लड़क पहले से काफ सँभल हुई वापस
आती है ।

बड़ी लड़क : (आती हुई) ठं डे पानी के छ ंटे मँह


ु पर मारे , तो कुछ होश आया। आजकल के दन म तो
बस.... (उन दोन को ि थर ि ट से अपनी ओर दे खते पा कर) या बात है , ममा? आप लोग इस तरह य दे ख
रहे ह मझ
ु े ?

ी : म या लयाँ रख कर आ रह हूँ अंदर से।

अहाते के दरवाजे से चल जाती है । पु ष एक भी आँख हटा कर य त होने का बहाना खोजता है ।

बड़ी लड़क : या बात है , डैडी ?

पु ष एक : बात ?...बात कुछ भी नह ं।

बड़ी लड़क : (कमजोर पड़ती) है तो सह कुछ-न-कुछ बात।


शीष पर
पु ष एक : ऐसे ह तेर ममा कुछ कह रह थी... जाएँ

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बड़ी लड़क : या कह रह थीं।

पु ष एक : मतलब वह नह ं, म कह रहा था उससे...।

बड़ी लड़क : या कह रहे थे ?

पु ष एक : तेरे बारे म बात कर रहा था

बड़ी लड़क : या बात कर रहे थे ?

ी लौट कर आ जाती है ।

पु ष एक : वह आ गई है , खद
ु ह बता दे गी तझ
ु े ।

जैसे अपने को ि थ त से बाहर रखने के लए थोड़ा परे चला जाता है ।

बड़ी लड़क : ( ी से) डैडी मेरे म या बात कर रहे थे, ममा ?

ी : उ ह ं से य नह ं पछ
ू ती ?

बड़ी लड़क : वे कहते है क तम


ु बतलाओगी और तम
ु कहती हो उ ह ं से य नह ं पछ
ू ती !

ी : तेरे डैडी तम
ु से यह जानना चाहते ह क...

पु ष एक : (बीच म ह ) अगर तम
ु अपनी तरफ से नह ं जानना चाहतीं तो रहने दो।

बड़ी लड़क : पर बात ऐसी है या जानने क ?

ी : बात सफ इतनी है क िजस तरह से तू आजकल आती है वहाँ से, उससे इ ह कह ं लगता है क...

पु ष एक : तु ह जैसे नह ं लगता।

बड़ी लड़क : (जैसे कठघरे म खड़ी) या लगता है ?

ी : क कुछ है जो तू अपने मन म छपाए रखती है , हम नह ं बतलाती।

बड़ी लड़क : मेर कस बात से लगता है ऐसा ?

ी : (पु ष एक से) अब कहो न इसके सामने वह सब, जो मझ


ु से कह रहे थे ।

पु ष एक : तम
ु ने शु क है बात, तु ह ं परू ा कर डालो अब ।

ी : (बड़ी लड़क से) म तम ू सकती हूँ ?


ु से एक सीधा सवाल पछ

बड़ी लड़क : ज र पछ
ू सकती हो ।

ी : तू खश
ु है वहाँ पर ?

बड़ी लड़क : (बचते ु हूँ ।


वर म) हाँ, बहुत खश

ी : सचमच
ु खश
ु है ?

बड़ी लड़क : और या ऐसे ह कह रह हूँ ?

पु ष एक : ( बलकुल दस
ू र तरफ मँह
ु कए) यह तो कोई जवाब नह ं है ।

बड़ी लड़क : (तन


ु क कर) तो जवाब या तभी होता है अगर म कहती क म खश ु ी हूँ?
ु नह ं हूँ, बहुत दख

पु ष एक : आदमी जो जवाब दे , उसके चेहरे से भी तो झलकना चा हए।

बड़ी लड़क : मेरे चेहरे से या झलकता है ? क मझ


ु े तपे दक हो गया है ? म घल
ु -घल
ु कर मर जा रह हूँ
?

पु ष एक : एक तपे दक ह होता है बस आदमी को ?

बड़ी लड़क : तो और या- या होता है ? आँख से दखाई दे ना बंद हो जाता है ? नाक-कान तरछे हो जाते
ह ? ह ठ झाड़ कर गर जाते ह ? मेरे चेहरे से ऐसा या नजर आता है आपको ?

पु ष एक : (कुढ़कर लौटता) तेर माँ ने तझ


ु से पछ
ू ा है , तू उसी से बात कर। म इस मारे कभी पड़ता ह नह ं
इन चीज म।

शीष पर
सोफे पर जा कर अखबार खोल लेता है । पर पल-भर बाद यान हो आने से क वह उसने उलटा पकड़ रखा जाएँ
है , सीधा कर लेता है ।
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ह , स र लत ह।

ी : (बड़ी लड़क से) अ छा, छोड़ अब इस बात को। आगे से यह सवाल म नह ं पछ


ू ू ँ गी तझ
ु से।

बड़ी लड़क क आँख छलछला आती ह ।

बड़ी लड़क : पछ
ू ने म रखा भी या है , ममा ! िजंदगी कसी तरह कटती ह चलती है हर आदमी क ।

पु ष एक : (अखबार का प ना उलटता) यह हुआ कुछ जवाब !

ी : (पु ष एक से) तम
ु चप
ु नह ं रह सकते थोड़ी दे र ?

ु ह बैठा हूँ यहाँ। (अखबार म पढ़ता) नाले का बाँध परू ा करने के लए


पु ष एक : म या कह रहा हूँ ? चप
बारह साल के लड़के क ब ल (अखबार से बाहर) आप चाहे जो कह ले, मेरे मँह ु से एक ल ज भी न नकले।
( फर अखबार म से) उदयपरु म म ढा गाँव म बाँध के ठे केदार का अमानु षक कृ य। (अखबार से बाहर) हद होती
है हर चीज क ।

ी बड़ी लड़क के कंधे पर हाथ रखे उसे पढ़ने क मेज के पास ले जाती है ।

ी : यहाँ बैठ ।

बड़ी लड़क पलक झपकती वहाँ कुरसी पर बैठ जाती है ।

: सच-सच बता, तझ
ु े वहाँ कसी चीज क शकायत है ?

बड़ी लड़क : शकायत कसी चीज क नह ं...।

ी : तो ?

बड़ी लड़क : और हर चीज क है ।

ी : फर भी कोई खास बात ?

बड़ी लड़क : खास बात कोई भी नह ं...

ी : तो ?

बड़ी लड़क : और सभी बात खास ह ।

ी : जैसे ?

बड़ी लड़क : जैसे... सभी बात।

ी : तो मेरा मतलब है क... ?

ु े लगता था क मनोज को बहुत अ छ तरह जानती हूँ।


बड़ी लड़क : मेरा मतलब है ... क शाद से पहले मझ
पर अब आ कर...अब आ कर लगाने लगा है क वह जानना बलकुल जानना नह ं था।

ी : (बात क गहराई तक जाने क तरह) हूँ !... तो या उसके च र म कुछ ऐसा है जो... ?

बड़ी लड़क : नह ं। उसके च र म ऐसा कुछ नह ं है । इस लहाज से बहुत साफ आदमी है वह।

ी : तो फर या उसके वभाव म कोई ऐसी बात है िजससे...?

बड़ी लड़क : नह ं वभाव उसका हर आदमी जैसा है , बि क आम आदमी से यादा खश


ु दल कहना चा हए
उसे।

ी : (और भी गहराई म जा कर कारण खोजती) तो फर ?

बड़ी लड़क : यह तो म भी नह ं समझ पाती। पता नह ं कहाँ पर या है जो गलत है !

ी : उसक आ थक ि थ त ठ क है ?

बड़ी लड़क : ठ क है ।

ी : सेहत ?

बड़ी लड़क : बहुत अ छ है ।

पु ष एक : ( बना उधर दे खे) सब-कुछ अ छा-ह -अ छा है फर तो...। शकायत कस बात क है ?

ी : (पु ष एक से) तम
ु बात समझने भी दोगे ? (बड़ी लड़क से) जब इनम से कसी बात क शकायत
नह ं है तझ
ु ,े तब या तो कोई बहुत खास वजह होनी चा हए, या... शीष पर
बड़ी लड़क : या ? जाएँ

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ी : या...या...म अभी नह ं कह सकती।

बड़ी लड़क : वजह सफ वह हवा है जो हम दोन के बीच से गज


ु रती है ।

पु ष एक : (उस ओर दे ख कर) या कहा... हवा ?

बड़ी लड़क : हाँ, हवा।

पु ष एक : ( नराशा भाव से सर हला कर , मँह


ु फर दस
ू र तरफ करता) य ह वजह बताई है इसने...हवा!

ी : (बड़ी लड़क के चेहरे को आँख से टटोलती) म तेरा मतलब नह ं समझी ?

बड़ी लड़क : (उठती हुई) म शायद समझा भी नह ं सकती (अि थर भाव से कुछ कदम चलती) कसी दस
ू रे
को तो या, अपने को भी नह ं समझा सकती। (सहसा क कर) ममा, ऐसा भी होता है या क...

ी : क ?

बड़ी लड़क : क दो आदमी िजतना यादा साथ रह, एक हवा म साँस ल, उतना ह यादा अपने को एक-
दस
ू रे से अजनबी महसस
ू कर ?

ी : तम
ु दोन ऐसा महसस
ू करते हो ?

बड़ी लड़क : कम-से-कम अपने लए तो कह ह सकती हूँ।

ी : (पल-भर उसे दे खती रह कर) तू बैठ कर य नह ं बात करती ?

बड़ी लड़क : म ठ क हूँ इसी तरह।

ी : तन
ू े जो बात कह है , वह अगर सच है , तो उसके पीछे या कोई-न-कोई ऐसी अड़चन नह ं है जो...

बड़ी लड़क : पर कौन-सी अड़चन ?...उसके हाथ से छलक गई चाय क याल , या उसके द तर से लौटने
म आधा घंटे क दे र -ये छोट -छोट बात अड़चन नह ं होतीं, मगर अड़चन बन जाती ह। एक गुबार-सा है जो हर
व त भरा रहता है और म इंतजार म रहती हूँ जैसे क कब कोई बहाना मले िजससे उसे बाहर नकाल लँ ।ू और
आ खर... ?

ी चप
ु चाप आगे सन
ु ने क ती ा करती है ।

: आ खर वह सीमा आ जाती है जहाँ पहुँच कर वह नढाल हो जाता है । जहाँ पहुँच कर वह नढाल हो जाता
है । ऐसे म वह एक बात कहता है ।

बड़ी लड़क : क म इस घर से ह अपने अंदर कुछ ऐसी चीज ले कर गई हूँ जो कसी भी ि थ त म मझ


ु े
वाभा वक नह ं रहने दे तीं।

ी : (जैसे कसी ने उसे तमाचा मार दया हो) या चीज ?

बड़ी लड़क : म पछ
ू ती हूँ या चीज,तो भी उसका एक ह जवाब होता है ।

ी : वह या ?

बड़ी लड़क : क इसका पता मझ


ु े अपने अंदर से, या इस घर के अंदर से चल सकता है । वह कुछ नह ं बता
सकता।

पु ष एक : ( फर उस तरफ मड़
ु कर) यह सब कहता है वह ? और या- या कहता है ?

ी : वह इस व त तम
ु से बात नह ं कर रह ।

पु ष एक : पर बात तो मेरे घर क हो रह है ।

ी : तु हारा घर ! हँह !

पु ष एक : तो मेरा घर नह ं है यह ? कह दो, नह ं है ।

ी : सचमच
ु तम
ु अपना घर समझते इसे तो...

पु ष एक : कह दो, कह दो, जो कहना चाहती हो।

ु .े ..जो कहना चाहती हूँ।


ी : दस साल पहले कहना चा हए था मझ

पु ष एक : कह दो अब भी...इससे पहले क दस- यारह साल हो जाएँ।

ी : नह ं होने पाएँगे यारह साल... इसी तरह चलता रहा सब- कुछ तो।
शीष पर
पु ष एक : (एकटक उसे दे खता , काट के साथ) नह ं होने पाएँगे सचमच
ु ...? काफ अ छा आदमी है जाएँ
जगमोहन ! और फर द ल म उसका ांसफर भी हो गया है । मला था उस दन कनॉट लेस म। कह रहा था,
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ह और र द ल उस स र ह ह। ल उस द लस । ह रह ,
आएगा कसी दन मलने।

बड़ी लड़क : (धीरज खो कर) डैडी !

पु ष एक : ऐसी या बात कह है मने? तार फ ह क है उस आदमी क ।

ी : खब
ू करो तार फ...और भी िजस-िजस क हो सके तम
ु से। (बड़ी लड़क से) मनोज आज जो तम
ु से
कहता है यह सब, पहले जब खद
ु यहाँ आता रहा है , रात- दन यह ं रहता रहा है , तब या उसे पता नह ं चला
क...

बड़ी लड़क : यह म उससे नह ं पछ


ू ती।

ी : पर य नह ं पछ
ू ती ?

बड़ी लड़क : य क मझ
ु े कह ं लगता है क...कैसे बताऊँ, या लगता है ? वह िजतने व वास के साथ यह
बात कहता है , उससे... मझ
ु े अपने से एक अजीब सी चढ़ होने लगती है । मन करता है आस-पास क हर चीज
को तोड़-फोड़ डालँ ।ू कुछ ऐसा कर डालँ ू िजससे....

ी : िजससे ?

बड़ी लड़क : िजससे उसके मन को कड़ी-से-कड़ी चोट पहुँचा सकँू । उसे मेरे लंबे बाल अ छे लगते ह। इस लए
सोचती हूँ, इ ह जा कर कटा आऊँ। वह मेरे नौकर करने के हक म नह ं है । इस लए चाहती हूँ कह ं भी, कोई भी
छोट -मोट नौकर कर लँ ।ू कुछ भी ऐसी बात िजससे एक बार तो वह अंदर से वह तल मला उठे । पर कर म
कुछ भी नह ं पाती और जब नह ं कर पाती, तो खीज कर...

ी : यहाँ चल आती है ?

बड़ी लड़क पल-भर चप


ु रह कर सर हला दे ती है ।

बड़ी लड़क : नह ं।

ी : तो ?

बड़ी लड़क : कई-कई दन के लए अपने को उससे काट लेती हूँ। पर धीरे -धीरे हर चीज फर उसी ढर पर
लौट आती है । सब-कुछ उसी तरह होने लगता है जब तक क हम... जब तक क हम नए सरे से उसी खोह म
नह ं पहुँच जाते। म यहाँ आती हूँ... यहाँ आती हूँ तो सफ इस लए क...

ी : तेरा अपना घर है ।

बड़ी लड़क : मेरा अपना घर !...हाँ। और म आती हूँ क एक बार फर खोजने

क को शश कर दे खूँ क या चीज है वह इस घर म िजसे ले कर बार-बार मझ


ु े ह न कया जाता है ।
(लगभग टूटे वर म) तम
ु बता सकती हो ममा, क या चीज है वह? और कहाँ है वह ? इस घर के खड़ कय -
दरवाज म ? छत म? द वार म ? तम ु म ? डैडी म ? क नी म अशोक म ? कहाँ छपी है वह मनहूस चीज जो
वह कहता है मै इस घर से अपने अंदर ले कर गई हूँ ?

( ी क दोन बाँह हाथ म ले कर) बताओ ममा, या है ? कहाँ है वह इस घर म ?

काफ लंबा व फा। कुछ दे र बड़ी लड़क के हाथ ी क बाँह पर के रहते ह। और दोन क आँख मल
रहती ह। धीरे -धीरे पु ष एक क गरदन उनक तरफ मड़
ु ती है । तभी ी आ ह ता से बड़ी लड़क के हाथ अपनी
बाँह से हटा दे ती है । उसक आँख पु ष एक से मलती ह और वह जैसे उससे कुछ कहने के लए कुछ कदम
उसक तरफ बढ़ाती है । बड़ी लड़क जैसे अब भी अपने सवाल का जवाब चाहती , अपनी जगह पर क उन दोन
को दे खती रहती है । पु ष एक ी को अपनी ओर आते दे ख आँख उधर से हटा लेता है और एक-दो पल
असमंजस म रहने के बाद अनजाने म ह अखबार को गोल करके दोन हाथो से उसक र सी बटने लगता है ।
ी आधे रा ते म ह कुछ कहने का वचार छोड़ कर अपने को सहे जती है । फर बड़ी लड़क के पास वापस जा
कर हलके से उसके कंधे को छूती है । बड़ी लड़क पल-भर आँख मँद
ू े रह कर अपने आवेग दबाने का य न करती
है , फर ी का हाथ कंधे से हटा कर एक कुरसी का सहारा लए उस पर बैठ जाती है । ी यह समझ न आने
से क अब उसे या करना चा हए, पल-भर द ु वधा म हाथ उलझाए रहती है । उसक आँख फर एक बार पु ष
एक से मल जाती ह। और वह जैसे आँख से ह उसका तर कार कर अपने को एक मोढ़े क ि थ त बदलने म
य त कर लेती है । पु ष एक अपनी जगह से उठ पड़ता है । अखबार क र सी अपने हाथ म दे ख कर अटपटा
महसस
ू करता है । और कुछ दे र अ नि चत खड़ा रहने के बाद फर से बैठ कर उस र सी के टुकड़े करने लगता
है । तभी छोट लड़क बाहर के दरवाजे से आती है और उन तीन को उस तरह दे ख कर अचानक ठठक जाती है ।

छोट लड़क : कुछ पता ह नह ं चलता यहाँ तो।

तीन म से केवल एक ह ी उसक तरफ दे खती है ।

शीष पर
ी : या कह रह है तू ? जाएँ

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छोट लड़क : बताओ चलता है कुछ पता ? कूल से आई हूँ, तो तम
ु भी हो डैडी भी ह, ब न-द भी ह-
पर सबलोग ऐसे चप
ु ह जैसे...

ी : ( ी उसक तरफ आती है ) तू अपना बता क आते ह चल कहाँ गई थी ?

छोट लड़क : कह ं भी चल गई थी। घर पर था कोई िजसके पास बैठती यहाँ ? दध


ू गरम हुआ है मेरा ?

ी : अभी हुआ जाता है ।

छोट लड़क : अभी हुआ जाता है ! कूल म भख


ू लगे तो कोई पैसा नह ं होता पास

म। और घर आने पर घंटा-घंटा दध
ू ह नह ं होता गरम।

ी : कहा है न तम
ु से, अभी गरम हुआ जाता है । (पु ष एक से) तम
ु उठ रहे हो या म जाऊँ ?

पु ष एक अखबार के टुकड़े को दोन हाथ म समेटे उठ खड़ा होता है ।

पु ष एक : (कोई भी कड़वी चीज नगलने क तरह) जा रहा हूँ म ह ...।

अखबार के टुकड़े पर इस तरह नजर डाल लेता है जैसे क वह कोई मह वपण


ू द तावेज था िजसे टुकड़े-टुकड़े
कर दया है ।

ी : (छोट लड़क से) तू फर एक कताब फाड़ लाई है आज ?

पु ष एक चलते-चलते क जाता क इस मह वपण


ू करण का भी नपटारा भी दे ख ह ले।

छोट लड़क : अपने आप फट गई, तो म या क ँ ? आज सलाई क लास म फर वह हुआ मेरे साथ।


मस ने कहा....

ी : तू मस क बात बाद म करना। पहले यह बता क..

छोट लड़क : रोज कहती हो, बाद म करना। आज भी मझ


ु े र ल ला कर न द ं, तो म कूल नह ं जाऊँगी
कल से। मस ने सार लास के सामने मझ
ु से कहा क...

ी : तू और तेर मस ! रोग लगा रखा है जान को !

छोट लड़क : तो उठा लो न मझ


ु े कूल से। जैसे शोक मारा-मारा फरता है सारा दन, म भी फरती रहा
क ँ गी।

बड़ी लड़क इस बीच काफ अि थर महसस


ू करती छोट लड़क को दे खती है ।

बड़ी लड़क : (अपने को रोक पाने म असमथ) तझ


ु े तमीज से बात करना नह ं आता ? बड़ा भाई है तेरा।

छोट लड़क : य ... फरता नह ं मारा-मारा सारा दन ?

बड़ी लड़क : क नी !

छोट लड़क : तम
ु यहाँ थीं, तो या कुछ कहा करती थीं उसके बारे म? तु हारा भी तो बड़ा भाई है । चाहे
एक ह साल बड़ा है , है तो बड़ा ह ।

बड़ी लड़क : ( ी से) ममा, तम


ु ने इस लड़क क जबान बहुत खोल द है ।

पु ष एक : अगर यह बात म कह दँ ू ना इससे....।

ी : पहले जो-जो कहना है , वह कह लो तम


ु । उसके बाद दे ख लेना अगर...

पु ष एक : (अहाते के दरवाजे क तरफ चलता) कहना या है ? कहता ह नह ं कभी । म दध


ू गरम कर
रहा हूँ इसका ।

दरवाजे से नकल जाता है ।

छोट लड़क : कल मझ
ु े र ल का ड बा ज र चा हए और मस बैनज ने सब लड़ कय से कहा है आज क
फाऊंडस-डे पी. ट . के लए तीन-तीन नए कट...

ी : कतने ?

छोट लड़क : तीन-तीन। सब लड़ कय को बनाने ह। और तम


ु ने कहा था ि लप और मोजे इस ह ते ज र
आ जाएँगे, आ गए ह ? कतनी शरम आती है मझ
ु े फटे मोजे पहन कर कूल जाते!

पल-भर क औघड़ खामोशी।

शीष पर
ी : (जैसे अपने को उस करण से बचाने क को शश म) अ छा, दे ख... कूल से आ कर तू अपना बैग जाएँ
यहाँ खला छोड़ गई थी ! मने आ कर बंद कया है । पहले इसे अंदर रख कर आ।
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ह ल
ु छड़ ई आ र द ह। हल इस अदर र र आ।

छोट लड़क : तम
ु ने मेर बात सन
ु ी है ?

ी : सन
ु ल है ।

छोट लड़क : तो जवाब य नह ं दया कुछ? (कोने से बैग उठा कर झटके से अंदर को चलती) मै कर रह
हूँ ि लप और मोज क बात और कह रह ह बैग रख कर आ अंदर ।

चल जाती है । बड़ी लड़क कुरसी से उठ पड़ती है ।

बड़ी लड़क : हम कह पाते थे कभी इतनी बात ? आधी बात भी कह द इससे, तो रास इस तरह कस द
जाती थीं क बस !

ी पल-भर अपने म डूबी खड़ी रहती है ।

ी : (चे टा से अपने को सहे ज कर) या कहा तन


ू े ?

बड़ी लड़क : मने कहा क...(सहसा ी के भाव के त सचेत हो कर) तम


ु सोच रह थीं कुछ ?

ी : नह ं...सोच नह ं रह थी (इधर-उधर नजर डालती) दे ख रह थी क और कुछ समेटने को तो नह ं है ।


अभी कोई आनेवाला है बाहर से और....।

बड़ी लड़क : कौन आनेवाला है ?

पु ष एक दध
ू के गलास म चीनी हलाता अहाते के दरवाजे से आता है ।

पु ष एक : संघा नया। इसका बॉस। वह नया आना शु हुआ है आजकल।

गलास डाय नंग टे बल पर छोड़ कर बना कसी क तरफ दे खे वापस चला जाता है । ी कड़ी नजर से उसे
जाते दे खती है । बड़ी लड़क ी के पास जाती है ।

बड़ी लड़क : ममा !

ी क आँख घम
ू कर बड़ी लड़क के चेहरे पर अि थर होती ह। कह कुछ नह ं पाती।

: या बात है , ममा !

ी : कुछ नह ं।

बड़ी लड़क : फर भी ?

ी : कहा है ना, कुछ नह ं।

वहाँ से हट कर कबड के पास चल जाती है और उसे खोल कर अंदर से कोई चीज ढूँढ़ने लगती है ।

बड़ी लड़क : (उसके पीछे जा कर) ममा !

ी कोई उ तर न दे कर कबड म से एक मेजपोश नकाल लेती और कबड बंद कर दे ती है ।

: तम
ु तो आद हो रोज-रोज ऐसी बात सन
ु ने क । कब तक इ ह मन पर लाती रहोगी ?

ी उसका वा य परू ा होने तक क रहती है फर जाकर तपाई का मेजपोश बदलने लगती है ।

: (उसक तरफ आती) एक तु ह ं करनेवाल हो सब-कुछ इस घर म। अगर तु ह ं....

ी के बदलते भाव को दे ख कर बीच म ह क जाती है । ी परु ाने मेजपोश को हाथ म लए एक नजर


उसे दे खती है , फर उमड़ते आवेग को रोकने क को शश म चेहरा मेजपोश से ढँ क लेती है ।

: (काफ धीमे वर म) ममा !

ी आ ह ता से मोढ़े पर बैठती हुई मेजपोश चेहरे से हटाती है ।

ी : ( लाई लए वर म) अब मझ
ु से नह ं होता, ब नी। अब मझ
ु से नह ं सँभलता।

पु ष एक अहाते के दरवाजे से आता है -दो जले टो ट एक लेट म लए। ी के श द उसके कानो म पड़ते
ह , पर वह जानबझ
ू कर अपने चेहरे से कोई त या य त नह ं होने दे ता। लेट दध
ू के गलास के पास छोड़
कर कताब के शे फ क तरफ चला जाता है और उसके नचले ह से म रखी फाइल म से जैसे कोई खास
फाइल ढूँढ़ने लगता है । बड़ी लड़क बात करने से पहले पल भर को व फा ले कर उसे दे खती है ।

बड़ी लड़क : ( वशेष प से उसी को सन


ु ाती , ी से) जो तम
ु से नह ं सँभलता, वह और कससे सँभल
सकता है इस घर म... जान सकती हूँ ?
शीष पर
पु ष एक जैसे फाइल क धल
ू झाड़ने के लए उसे दो-एक जोर के हाथ लगा कर पीट दे ता है । जाएँ

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: जब से बड़ी हुई हूँ तभी से दे ख रह हूँ। तम
ु सब-कुछ सह कर भी रात- दन अपने को इस घर के लए
हलाक करती रह हो और...

पु ष एक अब एक और फाइल को उससे भी तेज और यादा बार पीट दे ता है

ी : पर हुआ या है उससे?

न सह पाने क नजर से पु ष एक क तरफ दे ख कर मोढ़े से उठ पड़ती है । पु ष एक दोन फाइल को


जोर-जोर आपस म से टकराता है ।

: (एकाएक पु ष एक क थप-थप से उतावल पड़ कर) तु ह सारे घर म यह धल


ू इसी व त फैलानी है या
?

पु ष एक : जन
ु ेजा क फाइल ढूँढ़ रहा था। नह ं ढूँढ़ता।

जैसे-तैसे फाइल को उसक जगह म वापस ठूँसने लगता है । छोट लड़क पाँव पटकती अंदर से आती है ।

छोट लड़क : दे ख लो ममा, यह मझ


ु े फर तंग कर रहा है ।

बड़ी लड़क : (लगभग डाँटती) तू च ला य रह है इतना ?

छोट लड़क : च ला रह हूँ य क शोक अंदर मझ


ु .े ..

बड़ी लड़क : शोक -शोक या होता है ? तू अशोक भापाजी नह ं कह सकती ?

छोट लड़क : अशोक भापाजी ?... वह ?

यं य के साथ हँसती है ।

ी : अशोक अंदर या कर रहा है इस व त ? म सोचती थी क वह...

छोट लड़क : पड़ा सो रहा था अब तक। मने जा कर जगा दया, तो लगा मेरे बाल खींचने।

लड़का अंदर से आता है । लगता है , दो-तीन दन से उसने शेव नह ं क ।

लड़का : कौन सो रहा था ? म ? बलकुल झूठ।

बड़ी लड़क : शेव करना छोड़ दया है या तन


ू े ?

लड़का : (अपने चेहरे को छूता) चकट रखने क सोच रहा हूँ। कैसी लगेगी मेरे चेहरे पर ?

छोट लड़क : (उतावल पकड़ कर) मेर बात सन


ु ी नह ं कसी ने। अंदर मेरे बाल खींच रहा था और बाहर
आ कर अपनी चकट बता रहा है ।

डाय नंग टे बल से दध
ू का गलास ले कर गटगट दध
ू पी जाती है । पु ष एक इस बीच शे फ और फाइल से
उलझा रहता है । एक फाइल को कसी तरह अंदर समाता है तो कुछ और फाइल बाहर को गर आती है , उ ह
सँभालता है , तो पहले क फाइल पीछे गर जाती ह।

ी : (लड़के के पास आती) तम


ु से एक बात पछ
ू ूँ ?

लड़का : पछ
ू ो ।

ी : इस लड़क क या उ है ?

लड़का : यह तो मै तम ू ना चाहता हूँ क बारह साल क उ


ु से पछ म यह लड़क ... ?

बड़ी लड़क : तेरह साल क उ म।

ी : तेरह साल क लड़क कतनी बड़ी होती है ?

ी : तेरह साल क लड़क तेरह साल बड़ी होती है और तेरह साल

बड़ी ह होनी चा हए उसे, जब क यह लड़क ....

ी : ब ची नह ं है अब जो तू इसके बाल खींचता रहे ।

छोट लड़क लड़के क तरफ जबान नकालती है । पु ष एक फाइल को कसी तरह समेट कर उठ पड़ता है ।

लड़का : तब तो सचमच
ु मझ
ु े गलती माननी चा हए।

ी : ज र माननी चा हए... ।

शीष पर
लड़का : क मने खामखाह इसके हाथ से वह कताब छ न ल । जाएँ

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पु ष एक : (अपनी तट थता बनाए रखने म असमथ , आगे आता) कौन- सी कताब ?

छोट लड़क : झठ
ू बोल रहा है । मने कोई कताब नह ं ल इसक ।

टो ट वाल लेट हाथ म लए मेज पर बैठ जाती है ।

पु ष एक : (लड़क के पास पहुँच कर) कौन-सी कताब ?

लड़का : (बश
ु ट के अंदर से कताब नकाल कर दखाता) यह कताब।

छोट लड़क : झूठ, बलकुल झूठ। मने दे खी भी नह ं यह कताब।

लड़का : (आँखे फाड़ कर उसे दे खता) नह ं दे खी ?

छोट लड़क : (कमजोर पड़ कर ढ ठपन के साथ) तू त कए के नीचे रख कर सोए, तो भी नह ं। मने जरा


नकाल कर दे ख दे ख-भर ल , तो...।

पु ष एक : (हाथ बढ़ा कर) म दे ख सकता हूँ ?

लड़का : ( कताब वापस बश


ु ट म रखता) नह ं...आपके दे खने क नह ं है । ( ी से) अब फर पछ
ू ो मझ
ु से क
इसक उ कतने साल है ?

बड़ी लड़क : य अशोक... यह वह कताब है न कैसानोवा... ?

पु ष : (ऊँचे वर म) ठहरो (बार -बार से उन सबक ओर दे खता) पहले म यह जान सकता हूँ यहाँ कसी से
क मेर उ कतने साल क है ?

कुछ पल का यवधान , िजसम सफ छोट लड़क क मँह


ु और टाँग चलती रहती ह ।

ी : ऐसी या बात कह द कसी ने क...

ू रहा हूँ क मेर उ


पु ष : (एक-एक श द पर जोर दे ता) म पछ कतने साल क है ? कतने साल है मेर
उ ?

ी : (उठ रह ि थ त के लए तैयार हो कर) यह तु ह पछ


ू कर जानना है या ?

पु ष एक : हाँ, पछ
ू कर ह जानना है आज। कतने साल हो चक
ु े ह मझ
ु े िजंदगी का भार ढोते ? उनम से
कतने साल बीते ह मेरे प रवार क दे ख-रे ख करते ? और उस सबके बाद म आज पहुँचा कहाँ हूँ ? यहाँ क िजसे
दे खो वह मझ
ु से उलटे ढं ग से बात करता है ? िजसे दे खो, वह मझ
ु से बदतमीजी से पेश आता है ?

लड़का : (अपनी सफाई दे ने क को शश म) मने तो सफ इस लए कहा था, डैडी, क...

पु ष एक : हर-एक के पास एक-न-एक वजह होती है । इसने इस लए कहा था। उसने उस लए कहा था। म
जानना चाहता हूँ क मेर या यह है सयत है इस घर म क जो जब िजस वजह से जो भी कह दे म चप
ु चाप
सन
ु लया क ँ ? हर व त क द ु कार, हर व त क क च, बस यह कमाई है यहाँ मेर इतने साल क ...

ी : ( वत ृ णा से उसे दे खती) यह सब कसे सन


ु ा रहे हो तम
ु ?

ु ा सकता हूँ ? कोई है जो सन


पु ष एक : कसे सन ु सकता है ? िज ह सन
ु ना चा हए, वे सब तो एक रबड़-
टप के सवा कुछ समझते ह नह ं मझ ु ।े सफ ज रत पड़ने पर इस टप का ठ पा लगा कर...

ी : यह बहुत बड़ी बात नह ं कह रहे तम


ु ?

लड़का : (उसे रोकने क को शश म) ममा...!

ी : मझ
ु े सफ इतना पछ
ू लेने दे इनसे क रबड़- टप के माने या होते ह? एक अ धकार, एक तबा,
एक इ जत यह न ?

लड़का : ( फर उसी को शश म) सन
ु ो तो सह , ममा... !

ी : ( बना कसी तरफ यान दए) यह सब कब-कब मला है इनसे कसी को भी इस घर म ? कस


माने म ये कहते है क....?

पु ष-एक : कसी माने म नह ं । म इस घर म एक रबड़- टप भी नह ं, सफ एक रबड़ का टुकड़ा हूँ--बार-


बार घसा जानेवाला रबड़ का टुकड़ा। इसके बाद या कोई मझ
ु े वजह बता सकता है , एक भी ऐसी वजह, क य
मझ
ु े रहना चा हए इस घर म?

सब लोग चप
ु रहते ह।

: नह ं बता सकता न ?
शीष पर
ी : मने एक छोट -सी बात पछ
ू है तम
ु से... जाएँ

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पु ष एक : ( सर हलाता) हाँ...छोट -सी बात ह तो है यह। अ धकार, तबा, इ जत - यह सब बाहर के
लोग से मल सकता है इस घर को। इस घर का आज तक कुछ बना है , या आगे बन सकता है , तो सफ बाहर
के लोग के भरोसे। मेरे भरोसे तो सब-कुछ बगड़ता आया है और आगे बगड़-ह - बगड़ सकता है । (लड़के क
तरफ इशारा करके) यह आज तक बेकार य घम
ू रहा है ? मेर वजह से। (बड़ी लड़क क तरफ इशारा करके)
यह बना बताए एक रात घर से य भाग गई थी ? मेर वजह से। ( ी के बलकुल सामने आ कर) और तम

भी...तम
ु भी इतने साल से य चाहती रह हो क... ?

ी : (बौखला कर , शेष तीन से) सन


ु रहे हो तम
ु लोग ?

पु ष एक : अपनी िजंदगी चौपट करने का िज मेदार म हूँ। इन सबक िजंद गयाँ चौपट करने का िज मेदार
म हूँ। फर भी म इस घर से चपका हूँ य क अंदर से म आराम-तलब हूँ, घरघस ु रा हूँ, मेर ह डय म जंग
लगा है ।

ी : म नह ं जानती, तम
ु सचमच
ु ऐसा महसस
ू करते हो या.. ?

पु ष : सचमचु महसस ु े पता है , म एक क ड़ा हूँ िजसने अंदर-ह -अंदर इस घर को खा लया


ू करता हूँ। मझ
है (बाहर के दरवाजे क तरफ चलता) पर अब पेट भर गया है मेरा। हमेशा के लए भर गया है (दरवाजे के पास
क कर) और बचा भी या है िजसे खाने के लए और रहता रहूँ यहाँ ?

चला जाता है । कुछ दे र के लए सब लोग जड़-से हो रहते ह। फर छोट लड़क हाथ के टो ट को मँह
ु क
ओर ले जाती है ।

बड़ी लड़क : तु हारा खयाल है , ममा...?

ी : लौट आएँगे रात तक। हर शु -शनीचर यह सब होता है यहाँ।

छोट लड़क : (जठ


ू े टो ट को लेट म वापस पटकती है ) थ:ू -थ:ू ।

बड़ी लड़क : (काफ गु से के साथ) तझ


ु े या हो रहा है वहाँ ?

छोट लड़क : मझ
ु े या हो रहा है यहाँ ? यह टो ट है , कोयला है ?

ी : (दाँत भींचे) तू इधर आएगी एक मनट ?

छोट लड़क : नह ं आऊँगी।

बड़ी लड़क : नह ं आएगी ?

छोट लड़क : नह ं आऊँगी। (सहसा उठ कर बाहर को चलती) अंदर जाओ, तो बाल खींचे जाते ह। बाहर
आओ, तो कट पट- कट पट- कट पट और खाने को कोयला - अब उधर आ कर इनके तमाचे और खाने ह।

चल जाती है ।

लड़का : (उसके पीछे जाने को हो कर) म दे खता हूँ इसे कम-से-कम लड़क को तो मझ
ु .े ..

दरवाजे के पास पहुँचता ह है क पीछे से ी आवाज दे कर उसे रोक लेती है ।

ी : सन
ु ।

लड़का : ( कसी तरह नकल जाने क को शश म) पहले म जा कर इसे...

ी : (काफ स त वर म) पहले तू आ कर यहाँ... बात सन


ु मेर ।

लड़का कसी ज र काम पर जाने से रोक लए जाने क मु ा म लौट कर ी के पास आ जाता है ।

लड़का : बताओ।

ी : कम-से-कम तझ
ु े इस व त कह ं नह ं जाना है । वह आज फर आनेवाला है थोड़ी दे र म और...

लड़का : ('मझ
ु े या, कोई आनेवाला है तो ?' क मु ा म) कौन आनेवाला है ?

बड़ी लड़क : ममा का बॉस... या नाम है उसका ?

लड़का : अ छा, वह... आदमी !

बड़ी लड़क : तू मला है उससे ?

लड़का : दो बार।

बड़ी लड़क : कहाँ ?


शीष पर
लड़का : इसी घर म। जाएँ

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ी : (बड़ी लड़क से) दोन बार के लए बल
ु ाया था मने उसे, आज भी इसी क खा तर?

लड़का : (कुछ तीखा पड़ कर) मेर खा तर ? मझ


ु े या लेना-दे ना है उससे ?

बड़ी लड़क : ममा उसके ज रए तेर नौकर के लए को शश कर रह ह गी न... ।

लड़का : मझ
ु े नह ं चा हए नौकर । कम-से-कम उस आदमी के ज रए हर गज नह ं।

बड़ी लड़क : य , उस आदमी को या है ?

लड़का : चक
ु ं दर है । वह आदमी है िजसे बैठने का शऊर है , न बात करने का।

ी : पाँच हजार तन वाह है उसक । परू ा द तर सँभलता है ।

लड़का : पाँच हजार तन वाह है , परू ा द तर सँभलता है , पर इतना होश नह ं है क अपनी पतलन
ू के
बटन...

ी : अशोक !

लड़का : तु हारा बॉस न होता, तो उस दन म कान से पकड़ कर घर से नकाल दया होता। सोफे पे टाँग
पसारे आप सोच कुछ रहे ह, जाँघ खज
ु लाते दे ख कसी तरफ रहे है और बात मझ
ु से कर रहे ह... (नकल उतारता)
'अ छा, यह बतलाइए क आपके राजनी तक वचार या ह?' राजनी तक वचार ह मेर खज
ु ल और उसक मरहम
!

ी : (अपना माथा सहला कर बड़ी लड़क से) ये लोग ह िजनके लए म जानमार करती हूँ रात- दन।

लड़का : पहले पाँच सेकंड आदमी क आँख म दे खता रहे गा फर ह ठ के दा हने कोनो से जरा-सा
मु कुराएगा। फर एक-एक ल ज को चबाता हुआ पछ ू े गा... (उसके वर म) 'आप या सोचते ह, आजकल यव ु ा
लोग म इतनी अराजकता य है ?' ढूँढ़-ढूँढ़ कर सरकार हंद के ल ज लाता है -यवु ा लोग म ! अराजकता !

ी : तो फर ?

लड़का : तो फर या ?

ी : तो फर या मरजी है तेर ?

लड़का : कस चीज को ले कर ?

ी : अपने-आपको।

लड़का : मझ
ु े या हुआ ?

ी : िजंदगी म तझ
ु े भी कुछ करना-धरना है या बाप ह क तरह...?

लड़का : ( फर तीखा पकड़ कर) हर बात म खामखाह उनका िज य बीच म लाती हो ?

ी : पढ़ाई थी, तो तन
ू े परू नह ं क । एयर- ज म नौकर दलवाई थी, तो वहाँ से छह ह ते बाद छोड़
कर चला आया। अब म नए सरे से को शश करना चाहती हूँ तो...

लड़का : पर य करना चाहती हो ? मने कहा है तम


ु से को शश करने के लए ?

बड़ी लड़क : तो तेरा मतलब है क त.ू ..िजंदगी-भर कुछ भी नह ं करना चाहता?

लड़का : ऐसा कहा है मने ?

बड़ी लड़क : तो नौकर के सवा ऐसा या है जो त.ू ...?

लड़का : यह म नह ं कह सकता। सफ इतना कह सकता हूँ क िजस चीज म मेर अंदर से दलच पी नह ं
है ...।

ी : दलच पी तो तेर ...।

बड़ी लड़क : ठहरो ममा... !

ी : तू ठहर, मझ
ु े बात करने दे । (लड़के से) दलच पी तो तेर सफ तीन चीज म है - दन-भर ऊँघने म,
त वीरे काटने म और...घर क यह चीज वह चीज ले जा कर....

लड़का : (कड़वी नजर से उसे दे खता) इसे घर कहती हो तम


ु ?

ी : तो तू इसे या समझ कर रहता है यहाँ ?

शीष पर
लड़का : म इसे... जाएँ

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बड़ी लड़क : (उसे बोलने न दे ने के लए) दे ख अशोक, ममा के यह सब कहने का मतलब सफ इतना है
क...

लड़का : म नह ं जानता मतलब ? तू चल गई है यहाँ से, म तो अभी यह ं रहता हूँ।

ी : (हताश भाव से) तो य नह ं तू भी फर... ?

बड़ी लड़क : ( झड़कने के वर म) कैसी बात कर रह हो, ममा !

ी : कैसी बात कर रह हूँ ? यहाँ पर सब लोग समझते या ह मझ


ु े ? एक मशीन, जो क सबके लए
आटा पीस कर रात को दन और दन को रात करती रहती है ? मगर कसी के मन म जरा- सा भी खयाल नह ं
है इस चीज के लए क कैसे म.. ।

इस बीच ह बाहर के दरवाजे पर पु ष दो क आकृ त दखाई दे ती है जो कवाड़ को हलके से खटखटा दे ता


है । ी च क कर उधर दे खती है और अपनी अधकह बात को बीच म ह चबा जाती है ।

:( वर को कसी तरह सँभालती) आप?.. आ गए ह आप ? ...आइए-आइए अंदर।

बड़ी लड़क : (दा य वपण


ू ढं ग से दरवाजे क तरफ बढ़ती) आइए।

पु ष दो अ य त मु ा म उनके अ भवादन का उ तर दे ता अंदर आ जाता है ।

ी : यह मेर बड़ी लड़क ब नी। अशोक तो आपसे मल ह चक


ु ा है ।

पु ष दो : अ छा-अ छा यह है वह लड़क । तम ु चचा कर रह थीं इसक । इसका ऑपरे शन हुआ था न


पछले साल...न-न-न न। वह तो मसेज माथरु क लड़क का ? नह ं शायद...पर हुआ था कसी क लड़क का।

ी : यहाँ आ जाइए सोफे पर !

सोफे क तरफ बढ़ते हुए पु ष दो क आँख लड़के से मल जाती ह। लड़का चलते ढं ग से उसे हाथ जोड़ दे ता
है । पु ष दो फर उसी अ य त ढं ग से उ तर दे ता है ।

पु ष दो : (बैठता हुआ) इतने लोग से मलना-जल


ु ना होता है क...(अपनी घड़ी दे ख कर) पाँच मनट ह
सात म। उनका अनरु ोध था, सात तक अव य पहुँच जाऊँ। कई लोग को बल ु ा रखा है उ ह ने - वशेष प से
मलने के लए (बड़ी लड़क को यान से दे खता, ी से) तम
ु ने बताया था कुछ इसके वषय म। कस कॉलेज म
है यह?

ी : अब कॉलेज म नह ं है ...

पु ष दो : हाँ-हाँ-हाँ...बताया था तम
ु ने। (बड़ी लड़क से) बैठो न। ( ी से) बैठो तम
ु भी।

ी सोफे के पास कुरसी पर बैठ जाती है । बड़ी लड़क कुछ द ु वधा म खड़ी रहती है ।

ी : बैठ जा, खड़ी य है ?

बड़ी लड़क : ये ज द चले जाएँगे, सोच रह थी चाय का पानी... ।

पु ष दो : नह ं-नह ं, चाये-वाय नह ं इस समय। वैसे भी बहुत कम पीता हूँ। एक लेख था कह ं रजड


डाइजे ट म था?... क अ धक चाय पीने से (जाँघ खज ु लाता) र डस डाइजे ट भी या चीज नकालते ह ! अपने
यहाँ तो बस ये कहा नयाँ वो कहा नयाँ, कोई अ छ प का मलती ह नह ं दे खने को। एक अमे रकन आया हुआ
था पछले दन । बता रहा था क...

लड़का जो इतनी दे र परे खड़ा रहता है , अब बढ़ कर उनके पास आ जाता ह।

लड़का : ( ी से) ऐसा है ममा, क...

ी : क अभी। (पु ष दो से) एक याल भी नह ं लगे ?

पु ष दो : ना, बलकुल नह ं।...अंतररा य संपक ह कंपनी के, सो सभी दे श के लोग मलने आते रहते ह।
जापान से तो परू ा
त न ध-मंडल ह आया हुआ था पछले दन ...। कुछ भी क हए, जापान ने सबक नाक म
नकेल कर रखी है आजकल। अभी उस दन म जापान क पछले वष क औ यो गक सां यक दे ख रहा था... ।

लड़का : म मा चाहूँगा य क...

ी : तम
ु से कहा है , क अभी थोड़ी दे र। (पु ष दो से) आप कॉफ पसंद करते ह , तो...

पु ष दो : न चाय, न कॉफ । एक घटना सन


ु ाऊँ आपको, कॉफ पीने के संबंध म। आज क बात नह ं, बहुत
साल पहले क है । तब क जब म व व व यालय क सा ह य-सभा का मं ी था। (मन म उस बात का रस लेता)

शीष पर
ह-ह-ह-ह-हाँ-ह।...सा हि यक ग त व धय म च आरं भ से ह थी। सो... (बड़ी लड़क और लड़के से) बैठ जाओ तम
ु जाएँ
लोग।
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ल ।

बड़ी लड़क बैठ जाती है ।

लड़का : बात यह है क...

ी : (उठती हुई) ! म थोड़ा नमक न ले कर आ रह हूँ।

लड़के को बैठने के लए क च कर अहाते के दरवाजे से चल जाती है । लड़का असंतु ट भाव से उसे दे खता है
, फर टहे लता हुआ पढ़ने क मेज के पास चला जाता है । बड़ी लड़क से आँख मलने पर हलके से मँह
ु बनाता है
और कुरसी का ख थोड़ा सोफे क तरफ करके बैठ जाता है ।

पु ष दो : (बड़ी लड़क से) तु ह पहले कह ं दे खा है ... नह ं दे खा ?

बड़ी लड़क : मझ
ु े ?...आपने ?

पु ष दो : कसी इंटर यू म ?

बड़ी लड़क : नह ं तो।

पु ष दो : फर भी लगता है दे खा है ।...कोई और होगी। बलकुल तु हारे जैसी थी। व च बात नह ं है यह ?

बड़ी लड़क : या ?

पु ष दो : क बहुत-से लोग एक-दस


ू रे जैसे होते ह। हमारे अंकल ह एक। पीठ से दे खो - मोरारजी भाई लगते
ह।

लड़का इस बीच मेज क दराज खोल कर त वीर नकाल लेता है और उ ह मेज पर फैलाने लगता है ।

लड़का : हमार आंट ह एक। गरदन काट कर दे खो - जीता लोलो िजदा नजर आती ह।

पु ष दो : हाँ !...कई लोग होते ह ऐसे। जीवन क व च ताओं क ओर यान दे ने लग, तो कई बार तो
लगता है क... (सहसा जेब टटोलता) भल
ू तो नह ं आया घर पर ?(जेब से च मा नकाल कर वापस रखता) नह ं।
तो म कह रहा था क... या कह रहा था ?

बड़ी लड़क : क जीवन क व च ताओं क ओर यान दे ने लग, तो...

लड़का : जापान क औ यो गक... या थी वह ? उसक बात नह ं कर रहे थे ?

ी इस बीच नमक न क लेट लए अहाते के दरवाजे से आ जाती है ।

ी : कोई घटना सन
ु ा रहे थे कॉफ पीने के संबंध म।

पु ष दो : हाँ...तो...तो...तो वह...वह जो...।

ी : ल िजए थोड़ा-सा।

पु ष दो : हाँ-हाँ... ज र (बड़ी लड़क से) लो तम


ु भी ( ी से) बैठ जाओ अब।

ी : (मोढ़े पर बैठती) उस वषय म सोचा आपने कुछ ?

पु ष दो : (मँह
ु चलाता) कस वषय म ?

ी : वह जो मने बात क थी आपसे... क कोई ठ क-सी जगह हो आपक नजर म, तो...

पु ष दो : बहुत वा द ट है ।

ी : याद है न आपको ?

पु ष दो : याद है । कुछ बात क थी तम


ु ने एक बार। अपनी कसी किजन के लए कहा था...नह ं वह तो
मसेज म हो ा ने कहा था। तम
ु ने कसके लए कहा था ?

ी : (लड़के क तरफ दे खती) इसके लए।

पु ष दो घम
ू कर लड़के क तरफ दे खता है , तो लड़का एक बनावट मु कुराहट मु कुरा दे ता है ।

पु ष दो : हूँ-हूँ... । या पास कया है इसने ? बी॰ कॉम॰ ?

ी : मने बताया था। बी॰ एससी॰ कर रहा था... तीसरे साल म बीमार हो गया इस लए...

पु ष दो : अ छा-अ छा...हाँ...बताया था तम
ु ने क कुछ दन एयर इं डया म...

ी : एयर- ज म
शीष पर
पु ष दो : हाँ, एयर- ज म।...हूँ-हूँ...हूँ। जाएँ

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फर घम
ू कर लड़के क ओर क तरफ दे ख लेता है । लड़का फर उसी तरह मु कुरा दे ता है ।

: इधर आ जाइए आप। वहाँ दरू य बैठे ह ?

लड़का : (अपनी नाक क तरफ इशारा करता) जी, मझ


ु े जरा…

पु ष दो : अ छा-अ छा दे श का जलवायु ह ऐसा है , या कया जाए? जलवायु क ि ट से जो दे श मझ


ु े
सबसे पसंद है , वह है इटल । पछले वष काफ या ा पर रहना पड़ा। परू ा यरू ोप घम
ू ा, पर जो बात मझ
ु े इटल म
मल , वह और कसी दे श म नह ं। इटल क सबसे बड़ी वशेषता पता है , या है ?...बहुत ह वा द ट है । कहाँ
से लाती हो ? (घड़ी दे ख कर) सात पाँच यह ं हो गए। तो...

ी : यह ं कोने पर एक दक
ु ान है ।

ु ान है । म ायः कहा करता हूँ क खाना और पहनना, इन दो ि टय से... वह


पु ष दो : अ छ दक
अमर कन भी यह बात कह रहा था क िजतनी व वधता इस दे श के खान-पान और पहनावे म है ...और वह
या, सभी वदे शी लोग इस बात को वीकार करते ह। या सी, या जमन ! म कहता हूँ, संसार म शीत यु
को कम करने म हमार कुछ वा त वक दे न है , तो यह क...तम
ु अपनी इस साड़ी को ह लो। कतनी साधारण
है , फर भी...यह हड़ताल -हड़ताल का च कर न चलता अपने यहाँ, तो हमारा व उ योग अब तक...अ छा,
तम
ु ने वह नो टस दे खा है जो यू नयन ने मैनेजमट को दया है ?

ी 'हाँ' के लए सर हला दे ती है ।

: कतनी बेतक
ु बात ह उसम !हमारे यहाँ डी॰ए॰ पहले ह इतना है क...

लड़का दराज से एक पैड नकाल कर दराज बंद करता है । पु ष दो फर घम


ू कर उस तरफ दे ख लेता है ।
लड़का फर मु कुरा दे ता है । पु ष दो के मँह
ु मोड़ने के साथ ह वह पैड पर प सल से लक र खींचने लगता है ।

: तो म कह रहा था क... या कह रहा था ?

ी : कह रहे थे... ।

बड़ी लड़क : कई बात कह रहे थे।

पु ष दो : पर बात शु कहाँ से क थी मने ?

लड़का : इटल क सबसे बड़ी वशेषता से।

पु ष : हाँ, पर उसके बाद... ?

लड़का : खान-पान और पहनावे क व वधता...अमर कन, जमन, सी... शीत-यु , हड़ताल...व -


उ योग...डी॰ए॰।

पु ष दो : बहुत अ छ मरण शि त है लड़के क । तो कहने का मतलब था क...

ी : थोड़ा और ल िजए।

पु ष दो : और नह ं अब।

ी : थोड़ा-सा...दे खए, जैसे भी हो, इसके लए आपको कुछ-न-कुछ ज र करना है ?

पु ष दो : ज र...। कसके लए या करना है ?

ी : (लड़के क तरफ दे ख कर) इसके लए कुछ-न-कुछ।

पु ष दो : हाँ-हाँ... ज र। वह तो है ह । (लड़के क तरफ मड़


ु कर) बी॰एससी॰ म कौन-सा डवीजन था
आपका ?

लड़का उँ गल से हाथ म सफर खींच दे ता है ।

: कौन-सा ?

लड़का : (तीन चार बार उँ गल घम


ु ा कर) ओ !

पु ष दो : (जैसे बात समझ कर) ओ !

ी : तीसरे साल म बीमार हो गया था, इस लए...

पु ष दो : अ छा-अ छा...हाँ।...ठ क ह...दे खग


ूँ ा म। (घड़ी दे ख कर) अब चलना चा हए। बहुत समय हो गया
है । (उठता हुआ) तम
ु घर पर आओ कसी दन। बहुत दन से नह ं आई।

शीष पर
ी और बड़ी लड़क साथ ह उठ खड़ी होती ह। जाएँ

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ी : म भी सोच रह थी आने के लए। बेबी से मलने।

पु ष दो : वह पछ
ू ती रहती है , आंट इतने दन से य नह ं आई ? बहुत यार करती है अपनी आं टय
से। माँ के न होने से बेचार ...।

ी : बहुत ह यार ब ची है । म पछ
ू लँ ग
ू ी कसी दन आपसे। इससे भी कह दँ ,ू आ कर मल ले आप से
एक बार।

पु ष दो : (बड़ी लड़क को दे खता) कससे ? इससे ?

ी : अशोक से।

पु ष दो : हाँ-हाँ... य नह ं। पर तम
ु तो आओगी ह । तु ह ं को बता दँ ग
ू ा।

ी : ये जा रहे ह, अशोक !

लड़का : (जैसे पहले पता न चला हो) जा रहे ह आप !

उठ कर पास आ जाता है ।

पु ष दो : (घड़ी दे खता) सोचा नह ं था, इतनी दे र कँू गा।(बाहर से दरवाजे क तरफ बढ़ता बड़ी लड़क से)
तम
ु नह ं करती नौकर ?

बड़ी लड़क : जी नह ं।

ी : चाहती है करना, पर...(बड़ी लड़क से) चाहती है न ?

बड़ी लड़क : हाँ...नह ं...ऐसा है क...।

ी : डरती है ।

पु ष दो : डरती है ?

ी : अपने प त से।

पु ष दो : प त से ?

ी : हाँ...उसे पसंद नह ं है ।

पु ष दो : यह लड़क ?

ी : नह ं, इसका नौकर करना।

पु ष दो : अ छा-अ छा...हाँ...।

ी : तो आपको यान रहे गा न इसके लए...?

पु ष दो : इसके लए ?

ी : मेरा मतलब है उसके लए...।

पु ष दो : हाँ-हाँ-हाँ-हाँ-हाँ...तम
ु आओगी ह घर पर। द तर क भी कुछ बात करनीं ह। वह जो यू नयन-
ऊनीयन का झगड़ा है ।

ी : म तो आऊँगी ह । यह भी अगर मल ले...?

पु ष दो : (घड़ी दे ख कर) बहुत दे र हो गई। (लड़के से) अ छा, एक बात बताएँगे आप क ये जो हड़ताल हो
रह ह सब े म आजकल, इनके वषय म आप या सोचते ह ?

लड़का ऐसे उचक जाता है जैसे कोई क ड़ा पतलन


ू के अंदर चला आया हो।

लड़का : ओह ! ओह ! ओह !

जैसे बाहर से क ड़ा पकड़ने क को शश करने लगता है ।

बड़ी लड़क : या हुआ ?

ी : (कुछ खीज के साथ) उ ह ने या पछ


ू ा है ?

लड़का : (बड़ी लड़क से) हुआ कुछ नह ं...क ड़ा है एक।

बड़ी लड़क : क ड़ा ?
शीष पर
पु ष दो : अपने दे श म तो...। जाएँ

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लड़का : पकड़ा गया।

पु ष दो : ...इतनी तरह का क ड़ा पाया जाता है क...

लड़का : मसल दया ।

पु ष दो : मसल दया ? शव- शव- शव ! यह हंसा क भावना...

ी : बहुत है इसम। कोई क ड़ा हाथ लग जाए सह ।

लड़का : और क ड़ा चाहे िजतनी हंसा करता रहे ?

पु ष दो : मू य का न है । म ायः कहा करता हूँ...बैठो तम


ु लोग।

ी : म सड़क तक चल रह हूँ साथ।

पु ष दो : इस दे श म नै तक मू य के उ थान के लए...तम
ु ने भाषण सन
ु ा है ...वे जो आए हुए ह आजकल,
या नाम है उनका?

लड़का : नरोध मह ष ?

पु ष दो : हाँ-हाँ-हाँ...यह नाम है न ? इतना अ छा भाषण दे ते ह...ज म-कंु डल भी बनाते ह... वैसे आप


भाषण? वाह-वाह-वाह !

अं तम श द के साथ दरवाजा लाँघ जाता है । ी भी साथ ह बाहर चल जाती है ।

लड़का : हाहा !

बड़ी लड़क : यह कस बात पर ?

लड़का : एि टं ग दे खा ?

बड़ी लड़क : कसका ?

लड़का : मेरा।

बड़ी लड़क : तो या त.ू ..?

लड़का : उ लू बना रहा था उसे।

बड़ी लड़क : पता नह ं, असल म कौन उ लू बना रहा था।

लड़का : य ?

ब ड़ी लड़क : उसे तो फर भी पाँच हजार तनखाह मल जाती है ।

लड़का : चेहरा दे खा है पाँच हजार तनखाहवाले का ?

पैड पर बनाया गया खाका ला कर उसे दखाता है ।

बड़ी लड़क : यह उसका चेहरा है ।

लड़का : नह ं है ?

बड़ी लड़क : सर पर या है यह ?

लड़का : सींग बनाए थे, काट दए। कहते ह...सींग नह ं होते।

बड़ी लड़क पैड उसके हाथ से ले कर दे खती है । ी लौट कर आती है ।

ी : तू एक मनट जाएगा बाहर।

लड़का : य ?

ी : गाड़ी चल नह ं रह उनक ?

लड़का : या हुआ ?

ी : बैटर डाउन हो गई है । ध का लगाना पड़ेगा।

लड़का : अभी से ? अभी तो नौकर क बात तक नह ं क उसने...।

ी : ज द चला जा। उ ह पहले ह दे र हो गई है ।


शीष पर
लड़का : अगर सचमच
ु दला द उसने नौकर , तब तो पता नह ं...। जाएँ

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बाहर के दरवाजे से चला जाता है ।

ी : कुछ समझ म नह ं आता, या होने को है इस लड़के का...यह तेरे हाथ म या है ?

बड़ी लड़क : मेरे हाथ म? यह तो वह है ...वह जो बना रहा था।

ी : या बना रहा था ?...दे खूँ !

बड़ी लड़क : (पैड उसक तरफ बढ़ाती) ऐसे ह ...पता नह ं या बना रहा था ! बैठे-बैठे इसे भी बस... ?

ी पल-भर खाके को ले कर दे खती रहती है ।

ी : यह चेहरा कुछ-कुछ वैसा नह ं है ?

बड़ी लड़क : कैसा ?

ी : तेरे डैडी जैसा ?

बड़ी लड़क : डैडी जैसा ? नह ं तो।

ी : लगता तो है कुछ-कुछ।

बड़ी लड़क : वह तो इस आदमी का चेहरा बना रहा था...यह जो अभी गया है ।

ी : ( यौर डाल कर) यह करतत


ू कर रहा था ?

लड़का लौट कर आ जाता है ।

लड़का : (जैसे हाथ से गद झाड़ता) या तो अपनी सरू त है और या गाड़ी क !

ी : इधर आ।

लड़का : (पास आता) गाड़ी का इंजन तो फर भी ध के से चल जाता है , पर जहाँ तक (माथे क तरफ


इशारा करके) इस इंजन का सवाल है ...

ी : (कुछ स त वर म) यह या बना रहा था तू ?

लड़का : तु ह या लगता है ?

ी : तू या बना रहा था ?

लड़का : एक आ दम बन-मानस
ु ।

ी : या ?

लड़का : बन-मानस
ु ।

ी : नाटक मत कर। ठ क से बता।

लड़का : दे ख नह ं रह यह लपलपाती जीभ, ये रसती गुफाओं जैसी आँख, ये...

ी : मझ
ु े तेर ये हरकत बलकुल पसंद नह ं ह। सन
ु रहा है तू ?

लड़का उ तर न दे कर पढ़ने क मेज क तरफ बढ़ जाता है और वहाँ से त वीर उठा कर दे खने लगता है ।

: सन
ु रहा है या नह ं ?

ु रहा हूँ।
लड़का : सन

ी : सन
ु रहा है , तो कुछ कहना नह ं है तझ
ु े ?

लड़का उसी तरह त वीर दे खता रहता है ।

: नह ं कहना है ?

लड़का : (त वीर वापस मेज पर रख दे ता) या कह सकता हूँ ?

ी : मत कह, नह ं कह सकता तो। पर म म नत-खश


ु ामत से लोग को घर पर बल
ु ाऊँ और तू आने पर
उनका मजाक उड़ाए, उनके काटून बनाए... ऐसी चीज अब मझ
ु े बलकुल बरदा त नह ं ह। सन
ु लया? बलकुल-
बलकुल बरदा त नह ं ह।

लड़का : नह ं बरदा त है , तो बल
ु ाती य हो ऐसे लोग को घर पर क िजनके आने से... ?
शीष पर
ी : हाँ-हाँ...बता, या होता है िजनके आने से ? जाएँ

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लड़का : रहने दो। म इसी लए चला जाना चाहता था पहले ह ।

ी : तू बात परू कर अपनी।

लड़का : िजनके आने से हम िजतने छोटे ह, उससे और छोटे हो जाते ह अपनी नजर म।

ी : (कुछ त ध हो कर) मतलब ?

लड़का : मतलब वह जो मैने कहा है । आज तक िजस कसी को बल


ु ाया है तम
ु ने, िजस वजह से बल
ु ाया है
?

ी : तू या समझता है , कस वजह से बल
ु ाया है ?

लड़का : उसक कसी 'बड़ी' चीज क वजह से। एक को क वह इंटेले चअ ु ल बहुत बड़ा है । दस ू रे को क
उसक तनखाह पाँच हजार है । तीसरे को क उसक त ती चीफ क म नर क है । जब भी बल
ु ाया है , आदमी को
नह ं-उसक तन वाह को, नाम को, तबे को बल
ु ाया है ।

ी : तू कहना या चाहता है इससे क ऐसे लोग के आने से इस घर के लोग छोटे हो जाते ह ?

लड़का : बहुत-बहुत छोटे हो जाते ह।

ु ाती हूँ क...


ी : और म उ ह इस लए बल

लड़का : पता नह ं कस लए बल
ु ाती हो, पर बल
ु ाती सफ ऐसे ह लोग को हो। अ छा, तु ह ं बताओ,
कस लए बल
ु ाती हो ?

ी : इस लए क कसी तरह इस घर का कुछ बन सके, क मेरे अकेल के ऊपर बहुत बोझ है इस घर


का। िजसे कोई और भी मेरे साथ दे नेवाला हो सके। अगर म कुछ खास लोग के साथ संबंध बना कर रखना
चाहती हूँ तो अपने लए नह ं, तम
ु लोग के लए। पर तम
ु लोग इससे छोटे होते हो, तो म छोड़ दँ ग
ू ी को शश। ह,
इतना कह कर क म अकेले दम इस घर क िज मेदा रयाँ नह ं उठाती रह सकती और एक आदमी है जो घर का
सारा पैसा डुबो कर साल से हाथ धरे बैठा है । दस
ू रा अपनी को शश से कुछ करना तो दरू , मेरे सर फोड़ने से भी
कसी ठकाने लगाना अपना अपमान समझता है । ऐसे म मझ
ु से भी नह ं नभ सकता। जब और कसी को यहाँ
दद नह ं कसी चीज का, तो अकेल म ह य अपने को चीथती रहूँ रात- दन ? म भी य न सख
ु हो कर बैठ
रहूँ अपनी जगह ? उससे तो तम
ु म से कोई छोटा नह ं होगा।

लड़का चप
ु रह कर मेज क दराज खोलने-बंद करने लगता है ।

: चप
ु य है अब ? बता न, अपने बड़ पन से िजंदगी काटने का या तर का सोच रखा है तन
ू े ?

लड़का : बात को रहने दो, ममा ! नह ं चाहता, मेरे मँह


ु से कुछ ऐसा नकल जाए िजससे तम
ु ...

ी : िजससे म या ? कह, जो भी कहना है तझ


ु ।े

लड़का : (कुरसी पर बैठता) कुछ नह ं कहना है मझ


ु ।े

उड़ते मन से एक मैगजीन और कची दराज से नकाल कर उसे जोर बंद कर दे ता है ।

ी : कुछ नई तैना है तझ
ु ।े बैथ दा तल
ु छ पल औल तछवील तात । ततनी तछवील ताती ऐं अब तत
लाजे मु ने ने ? अगर कुछ नह ं कहना था तझ
ु े तो पहले ह य नह ं अपनी जबान....?

बड़ी लड़क : (पास आ कर उसक बाँह थामती) क जाओ ममा, म बात क ँ गी इससे (लड़के से) दे ख
अशोक... ।

लड़का : तेरा इस व त बात करना ज र है या ?

बड़ी लड़क : म तझ ू ना चाहती हूँ क...?


ु से सफ इतना पछ

लड़का : पर य पछ
ू ना चाहती ह ? म इस व त कसी क कसी भी बात का जवाब नह ं दे ना चाहता।

बड़ी लड़क : (कुछ क कर) यह तू भी जानता है क ममा ने ह आज तक...

लड़का : तू फर भी कह रह है बात !

ी : य कर रह है बात तू इससे ? कोई ज र नह ं कसी से बात करने क । आज व त आ गया है


जब खद
ु ह मझ
ु े अपने लए कोई-न-कोई फैसला....

लड़का : ज र कर लेना चा हए।

बड़ी लड़क : अशोक!

शीष पर
लड़का : म कहना नह ं चाहता था, ले कन.. जाएँ

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ी : तो कह य नह ं रहा है ?

लड़का : कहना पड़ रहा है य क...जब नह ं नभता इनसे यह सब, तो य नभाए जाती ह इसे ?

ी : म नभाए जाती हूँ य क...

लड़का : कोई और नभानेवाला नह ं है । यह बात बहुत बार कह जा चक


ु है इस घर म।

बड़ी लड़क : तो तू सोचता है क म मा जो कुछ भी करती ह यहाँ...?

लड़का : म पछ
ू ता हूँ य करती ह ? कसके लए करती ह...?

बड़ी लड़क : मेरे लए करती थीं... ।

लड़का : तू घर छोड़ कर चल गई।

बड़ी लड़क : क नी के लए करती ह... ।

लड़का : वह दन-ब- दन पहले से बदतमीज होती जा रह है ।

बड़ी लड़क : डैडी के लए करती ह...।

लड़का : और म ह शायद इस घर म सबसे यादा नाकारा हूँ।...पर य हूँ?

बड़ी लड़क : यह...यह म कैसे बता सकती हूँ ?

लड़का : कम-से-कम अपनी बात तो बता ह सकती है । तू यह घर छोड़ कर य चल गई थी ?

बड़ी लड़क : (अ तभ हो कर) म चल गई थी...चल गई थी... य क...

लड़का : य क तू मनोज से ेम करती थी।...खद


ु तझ
ु े ह यह गु ी कमजोर नह ं लगती ?

बड़ी लड़क : ( ँ आसी पड़ कर) तो तू मझ


ु से... मझ
ु से भी कह रहा है क....?

श थल होती एक मोढ़े पर बैठ जाती है ।

लड़का : मने कहा था क मझ


ु से...मत कर बात।

ी आ ह ता से दो कदम चल कर लड़के के पास आ जाती है ।

ी : (अ य धक गंभीर) तझ
ु े पता है न, तन
ू े या बात कह है ?

लड़का बना कहे मैगजीन खोल कर उसम से एक त वीर काटने लगता है । लड़का उसी तरह चप
ु चाप त वीर
काटता रहता है ।

: पता है न ?

लड़का उसी तरह चप


ु चाप तसवीर काटता रहता है ।

: तो ठ क है । आज से म सफ अपनी िजंदगी को दे खग
ू ँ ी - तम
ु लोग अपनी-अपनी िजंदगी को खद
ु दे ख
लेना।

बड़ी लड़क एक हाथ से दस


ू रे हाथ के नाखन
ू को मसलने लगती है ।

: मेरे पास अब बहुत साल नह ं ह जीने को। पर िजतने ह, उ ह म इसी तरह और नभते हुए नह ं काटूँगी।
मेरे करने से जो कुछ हो सकता था इस घर का, हो चक ु ा आज तक। मेरे तरफ से यह अंत है उसका नि चत
अंत !

एक खँडहर क आ मा को य त करता हलका संगीत। लड़का अपनी कट त वीर पल-भर हाथ म ले कर


दे खता है , फर चक-चक उसे बड़े-बड़े टुकड़ म कतरने लगता है जो नीचे फश पर बखरते जाते ह। काश
आकृ तय पर धध
ुँ ला कर कमरे के अलग-अलग कोन म समटता वल न होने लगता है । मंच पर परू ा अँधेरा होने
के साथ संगीत क जाता है । पर कची क चक-चक फर भी कुछ ण सन
ु ाई दे ती रहती है ।

[अंतराल वक प]

दो अलग-अलग काश-व ृ त म लड़का और बड़ी लड़क । लड़का सोफे पर औंधा लेट कर टाँग हलाता सामने
'पेशस' के प ते फैलाए। बड़ी लड़क पढ़ने क मेज पर लेट म रखे लायस पर म खन लगाती। परू ा काश होने
पर कमरे म वह बखराव नजर आता है जो एक दन ठ क से दे ख-रे ख न होने से आ सकता है । यहाँ-वहाँ चाय
क खाल या लयाँ , उतरे हुए कपड़े और ऐसी ह अ त- य त चीज।

बड़ी लड़क : यह ड बा खोल दे गा तू ?


शीष पर
लड़का : (प त म य त) मझ
ु से नह ं खल
ु ेगा। जाएँ

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बड़ी लड़क : नह ं खल
ु ेगा तो लाया कस लए था ?

लड़का : तन
ू े कहा था जो-जो उधार मल सके, ले आ ब नए से। म उधार म एक फोन भी कर आया।

बड़ी लड़क : कहाँ ?

लड़का : जन
ु ेजा अंकल के यहाँ।

बड़ी लड़क : डैडी से बात हुई ?

लड़का : नह ं।

बड़ी लड़क : तो ?

लड़का : जन
ु ेजा अंकल से हुई।

बड़ी लड़क : कुछ कहा उ ह ने ?

लड़का : बात हुई, इसका यह मतलब नह ं क...

बड़ी लड़क : मतलब डैडी के घर आने के बारे म।

लड़का : कहा - नह ं आएँगे।

बड़ी लड़क : नह ं आएँगे ?

लड़का : नह ं।

बड़ी लड़क : तो पहले य नह ं बताया तन


ू े ? म ऐसे ह ये सड वच- ऐंड वच...?

लड़का : मने सोचा, चीज सड वच तझ


ु े खद
ु पसंद है , इस लए कह रह है ।

बड़ी लड़क : मने कहा नह ं था क ममा के द तर से लौटने तक डैडी भी आ जाएँ शायद ? चीज सड वच
दोन को पसंद ह ।

लड़का : जन
ु ेजा अंकल को भी पसंद ह। वे आएँगे, उ ह खला दे ना।

बड़ी लड़क : कहा है आएँगे ?

लड़का : ममा से बात करना चाहते ह। छह-साढ़े छह तक आएँ शायद।

बड़ी लड़क : ममा का मड


ू वैसे ह ऑफ है , ऊपर से वे आ कर बात करगे। तो...चेहरा दे खा था ममा का
सब
ु ह द तर जाते व त ?

लड़का : म पड़ा ह नह ं सामने।

बड़ी लड़क : रात से ह चप


ु थीं, सब
ु ह तो...। इतनी चप
ु पहले कभी नह ं दे खा।

लड़का : बात हुई थी तेर तेर कुछ ?

बड़ी लड़क : यह चाय-वाय के बारे म।

लड़का : साड़ी तो बहुत ब ढ़या बाँध कर गई ह - जैसे कसी याह का यौता हो।

बड़ी लड़क : दे खा था तन
ू े ?

लड़का : झलक पड़ी थी जब बाहर नकल रह थीं ।

बड़ी लड़क : मने सोचा द तर से कह ं और जाएँगी वह। कहा, साढ़े पाँच तक आ जाएँगी - रोज क तरह।

लड़का : तन
ू े पछ
ू ा था ?

बड़ी लड़क : इस लए पछ
ू ा था क म भी उसी हसाब से अपना ो ाम...पर सच कुछ पता नह ं चला।

लड़का : कस चीज का ?

बड़ी लड़क : क मन म या सोच रह ह। कहा तो क साढ़े पाँच तक लौट आएँगी, पर चेहरे पर लगता था
जैसे...

लड़का : जैसे ?

बड़ी लड़का : जैसे सचमच


ु मन म कोई फैसला कर लया हो और...
शीष पर
लड़का : अ छा नह ं है यह ? जाएँ

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बड़ी लड़क : अ छा कहता है इसे ?

लड़का : इस लए क हो सकता है , कुछ-न-कुछ हो इससे।

बड़ी लड़क : या हो ?

लड़का : कुछ भी। जो चीज बरस से एक जगह क है , वह क ह नह ं चा हए।

बड़ी लड़क : तो तू सचमच


ु चाहता है क...

ु चाहता हूँ क बात कसी भी एक नतीजे तक पहुँच


लड़का : (अपनी बाजी का अं तम प ता चलता) सचमच
जाए। तू नह ं चाहती ?

प ते समेटता उठ खड़ा होता है ।

बड़ी लड़क : मझ
ु े तेर बात से डर लगता है आजकल।

लड़का : (उसक तरफ आता) पर गलत तो नह ं लगतीं मेर बात?

बड़ी लड़क : पता नह ं...सह भी नह ं लगतीं हालाँ क...। (ड बा और टन-कटर हाथ म ले कर) यह ड बा....
?

लड़का : इस टन-कटर से नह ं खल
ु ेगा। इसक नोक इतनी मर चक
ु है क...

बड़ी लड़क : तो या कर फर ?

लड़का : कोई और चीज नह ं है ?

ू करती हूँ अब इस घर म क...


बड़ी लड़क : म कैसे बता सकती हूँ ? म तो इतनी बेगानी महसस

लड़का : पहले नह ं करती थी ?

बड़ी लड़क : पहले ? पहले तो....।

लड़का : महसस
ू करना ह महसस
ू नह ं होता था। और कुछ-कुछ महसस
ू होना शु हुआ, तो पहला मौका
मलते ह घर से चल गई ।

बड़ी लड़क : (तीखी पड़ कर ) तू फर कलवाल बात कह रहा है ?

लड़का : बरु ा य मानती है ? म खद ू करता हूँ यहाँ...और महसस


ु अपने को बेगाना महसस ू करना शु
कया है मने तेरे जाने के दन से ।

बड़ी लड़क : मेरे जाने के दन से ?

लड़का : महसस
ू शायद पहले भी करता था, पर सोचना तभी से शु कया है ।

बड़ी लड़क : और सोच कर जाना है क...

लड़का : एक खास चीज है इस घर के अंदर जो...

बड़ी लड़क : (अि थर हो कर) तू भी यह कहता है ?

लड़का : और कौन कहता है ?

बड़ी लड़क : कोई भी...पर कौन-सी चीज है वह ?

लड़का : (ि थर ि ट से उसे दे खता) तू नह ं जानती ?

बड़ी लड़क : (आँख बचाती) म ? म कैसे ?

लड़का : तझ
ु से तो मने जाना है उसे, और तू कहती है , तू कैसे ?

बड़ी लड़क : तन
ू े मझ
ु से जाना है उसे - म नह ं समझी ?

लड़का : ठ क है , ठ क है । उस चीज को जान कर भी न जानना ह बेहतर है शायद। पर दस


ू रे को धोखा दे
भी ले आदमी, अपने आपको कैसे दे ?

बड़ी लड़क इस तरह हो जाती है क उसका हाथ ठ क से लाइस पर म खन नह ं लगा पाता ।

बड़ी लड़क : तू तो बस हमेशा ह ..... दे ख, ऐसा है क.... म कह रह थी तझ


ु से क... भाई, यह ड बा खल
ु ा
कर ला पहले कह ं से। या अगर नह खल
ु ेगा, तो...

शीष पर
लड़का : हाथ काँप य रहा है तेरा ? (ड बा लेता ) अभी खल
ु जाता है यह। तेज औजार चा हए... एक जाएँ
मनट नह ं लगेगा।
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ह ल ।

बाहर के दरवाजे से चला जाता है । बड़ी लड़क काम जार रखने क को शश करती है , पर हाथ नह ं चलते,
तो छोड़ दे ती है ।

बड़ी लड़क : (माथे पर हाथ फेरती , श थल वर म) कैसे कहता है यह? ...म सचमच
ु जानती हूँ या ?

सर को झटक लेती है -जैसे अंदर एक बवंडर उठ रहा हो। को शश से अपने को सहे ज कर उठ पड़ती है और
अंदर के दरवाजे के पास जा कर आवाज दे ती है ।

: क नी !

जवाब नह ं मलाता , तो एक बार अंदर झाँक कर लौट आती है ।

: कहाँ चल जाती है ? सब
ु ह कूल जाने से पहले रोना क जब तक चीज नह ं आएँगी, नह ं जाएगी। और
अब दन-भर पता नह ं, कब घर म है , कब बाहर है ।

लड़का बाहर के दरवाजे से छोट लड़क को अंदर ढकेलता है ।

लड़का : चल अंदर।

छोट लड़क अपने को बचा कर बाहर जाती भाग जाना चाहती है , पर वह उसे बाँह से पकड़ लेता है ।

: कहा है , अंदर चल।

बड़ी लड़क : (ताव से) यह या हो रहा है ?

छोट लड़क : दे ख लो ब नी द , यह मझ
ु .े ..

झटके से हाथ छुड़ाने क को शश करती है , पर लड़का उसे स ती से खींच कर अंदर ले आता है ।

लड़का : इधर आना, पता चलता है तझ


ु .े ...

बड़ी लड़क पास आ कर छोट लड़क क बाँह छुड़ाती है ।

लड़का : छोड़ दे इसे। कया या है इसने जो... ?

लड़का : ( ड बा उसे दे ता) यह ड बा ले। खल


ु गया है (छोट लड़क पर तमाचा उठा कर) इसे तो म अभी...

बड़ी लड़क : (उसका हाथ रोकती) सर फर गया तेरा ?

लड़का : फर नह ं, फर जाएगा।....बाई जोव !

बड़ी लड़क : या बात है ?

लड़का : इससे पछ
ू , या बात हुई है ।.... माई गॉड !

बड़ी लड़क : या बात हुई है , क नी ? या कर रह थी तू ?

छोट लड़क जवाब न दे कर सब


ु कने लगती है ।

: बता न, या कर रह थी ?

छोट लड़क चप
ु चाप सब
ु कती रहती है ।

लड़का : कर नह ं, कह रह थी कसी से कुछ।

बड़ी लड़क : या ?

लड़का : इसी से पछ
ू ।

बड़ी लड़क : (छोट लड़क से) बोलती य नह ं ? जबान सल गई है तेर ?

लड़का : सल नह ं, थक गई है । बताने म क औरत और मद कस तरह से आपस म...

बड़ी लड़क : या ? ? ?

लड़का : पछ
ू ले इससे। अभी बता दे गी तझ
ु े सब...जो सरु े खा को बता रह थी बाहर।

छोट लड़क : (सब


ु कने के बीच) वह बता रह थी मझ
ु े क म उसे बता रह थी ?

लड़का : तू बता रह थी।


शीष पर
छोट लड़क : वह बता रह थी। जाएँ

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लड़का : तू बता रह थी। अचानक मझ ु रहा हूँ तो...
ु पर नजर पड़ी क म पीछे खड़ा सन

छोट लड़क : सरु े खा भागी थी क म भागी थी ?

लड़का : तू भागी थी।

छोट लड़क : सरु े खा भागी थी।

लड़का : तू भागी थी और मने पकड़ लया दौड़ कर, तो लगी च ला कर आस-पास को सन


ु ाने क यह ममा
से मेर शकायत करता है और ममा घर पर नह ं ह। इस लए म इसे पीट रहा हूँ ।

बड़ी लड़क : (छोट लड़क से) यह सच कहा रहा है ।

छोट लड़क : बात सरु े खा से क थी। वह बता रह थी क कैसे उसके म मी-डैडी...

बड़ी लड़क : (स त पड़ कर) और तझ


ु े शौक है जानने का क कैसे उसके म मी-डैडी आपस म...?

लड़का : आपस म नह ं। यह तो बात थी खास ।

बड़ी लड़क : चप
ु रह, अशोक !

छोट लड़क : इससे कभी कुछ नह ं कहता कोई। रोज कसी- कसी बात पर मझ
ु े पीट दे ता है ।

बड़ी लड़क : य पीट दे ता है ?

छोट लड़क : य क म सब चीज इसे नह ं ले जाने दे ती उसे दे ने।

बड़ी लड़क : कसे दे ने ?

बड़ी लड़क : वह जो है इसक ...कभी मेर बथडे जट क चू ड़याँ दे आता है उसे, कभी-कभी मेरे ाइज का
फाउं टे न पेन। म अगर ममा से कह दे ती हूँ, अकेले म मेरा गला दबाने लगता है ।

बड़ी लड़क : (लड़के से) कसक बात कर रह है यह ?

लड़का : ऐसे ह बक रह है । झूठ-मठ


ू ।

छोट लड़क : झूठ-मठ


ू ? मेर फाउं टे न पेन वणा के पास नह ं है ?

बड़ी लड़क : वणा कौन ?

छोट लड़क : वह उ योग सटरवाल , िजसके पीछे जू तयाँ चटकाता फरता है ।

लड़का : ( फर से उसे पकड़ने को हो कर) तू ठहर जा, आज म तेर जान नकाल कर रहूँगा।

छोट लड़क उससे बचने के लए इधर-उधर भागती है । लड़का उसका पीछा करता है ।

बड़ी लड़क : अशोक !

लड़का : आज म नह ं छोड़ने का इसे। इसक जबान िजस तरह से खल


ु गई है उससे...

छोट लड़क रा ता पा कर बाहर के दरवाजे से नकल जाती है ।

छोट लड़क : (जाती हुई) वणा उ योग सटरवाल लड़क ... वणा उ योग सटरवाल लड़क ! वणा उ योग
सटरवाल लड़क !!

लड़का उसके पीछे बाहर जाने ह लगता है क अचानक ी को अंदर आते दे ख कर ठठक जाता है । ी
अंदर आती है जैसे वहाँ क कसी चीज से उसे मतलब ह नह ं है । वातावरण के त उदासीनता के अ त र त
चेहरे पर संक प और असमंजस का मला-जल
ु ा भाव। उन लोग क ओर न दे ख कर वह हाथ का सामान परे क
एक कुरसी पर रखती है । लड़का अपने को एक भ ड़ी ि थ त म पाता है , इस चीज उस चीज को छू कर दे खने
लगता है । बड़ी लड़क लेट, लाइस और चीज का ड बा लए अहाते के दरवाजे क तरफ चल दे ती है ।

बड़ी लड़क : ( ी के पास से गुजरती) म चाय ले कर आती हूँ अभी।

ी : मझ
ु े नह ं चा हए।

बड़ी लड़क : एक याल ले लेना।

चल जाती है । ी कमरे के बखराव पर एक नजर डालती है , पर सवाय अपने साथ लाई चीज को
यथा थान रखने के और कसी चीज को हाथ नह ं लगती। बड़ी लड़क लौट कर आती है ।

: (प ती का खाल पैकेट दखाती) प ती ख म हो गई।


शीष पर
ी : म नह ं लँ ग
ू ी चाय। जाएँ

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बड़ी लड़क : सबके लए बना रह हूँ एक-एक याल ।

लड़का : मेरे लए नह ं।

बड़ी लड़क : य ? पानी रख रह हूँ, सफ प ती लानी है ...।

लड़का : अपने लए बनानी है , बना ले।

ूँ ी ? इतने चाव से चीज-सड वच बना रह हूँ?


बड़ी लड़क : म अकेले पयग

लड़का : मेरा मन नह ं है ।

ी : मझ
ु े चाय के लए बाहर जाना है ।

बड़ी लड़क : तो तम
ु घर पर नह ं रहोगी इस व त ?

ी : नह ं, जगमोहन आएगा लेने।

बड़ी लड़क : यहाँ आएँगे वो ?

ी : लेने आएगा वो य ?

बड़ी लड़क : वो भी आनेवाले ह अभी...जन


ु ेजा अंकल।

ी : उनका कैसे पता है , आनेवाले ह ?

बड़ी लड़क : अशोक ने फोन कया था। कह रहे थे, कुछ बात करनी है ।

ी : ले कन मझ
ु े कोई बात नह ं करनी है ।

बड़ी लड़क : फर भी जब वे आएँगे ह , तो...

ी : कह दे ना, म घर पर नह ं हूँ। पता नह ं, कब लौटूँगी ।

बड़ी लड़क : कह, इंतजार करते ह, तो ?

ी : करने दे ना इंतजार ।

कबड से दो-तीन पस नकाल कर दे खाती है क उनम से कौन-सा साथ रखना चा हए। बड़ी लड़क एक नजर
लड़के को दे ख लेती है जो लगता है कसी तरह वहाँ से जाने के बहाना ढूँढ़ रहा है ।

बड़ी लड़क : (एक पस को छू कर) यह अ छा है इनम।...कब तक सोचती हो लौट आओगी ?

ी : (उस पस को रख कर दस
ू रा नकालती) पता नह ं। बात करने म दे र भी हो सकती है ।

बड़ी लड़क : (उस पस के लए) यह और भी अ छा है ।....। अगर पछ


ू कहाँ गई ह, कसके साथ गई ह ?

ी : कहना बताया नह ं...या जगमोहन आया था लेने।

(एक नजर फर कमरे म डाल कर) कतना गंदा पड़ा है !

बड़ी लड़क : समेट रह हूँ। ( य त होती) बताना ठ क होगा उ ह ?

ी : य ?

बड़ी लड़क : ऐसे ह वे जा कर डैडी से बतलाएँगे खामखाह....।

ी : तो या होगा ? (कुछ चीज खद


ु उठा कर उसे दे ती) अंदर रख आ अभी।

बड़ी लड़क : होगा यह क....

ी : एक आदमी के साथ चाय पीने जा रह हूँ म, कह ं चोर करने तो नह ं।

बड़ी लड़क : तु ह तो पता ह है , डैडी जगमोहन अंकल को....

ी : पसंद भी करते ह तेरे डैडी कसी को ?

बड़ो लड़क : फर भी थोड़ा ज द आ सको तम


ु , तो....

ी : मझ
ु े उससे कुछ ज र बात करनी ह। उसे कई काम थे शाम को जो उसने मेर खा तर क सल कए
ह। बेकार आदमी नह ं है वह क जब चाहा बल
ु ा लया, जब चाहा कह दया जाओ अब ।

लड़का अि थर भाव से टहे लता दरवाजे के पास पहुँच जाता है ।


शीष पर
लड़का : म जरा जा रहा हूँ ब नी ! जाएँ

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बड़ी लड़क : तू भी ?...तू कहाँ जा रहा है ?

लड़का : यह ं तक जरा। आ जाऊँगा थोड़ी दे र म।

बड़ी लड़क : तो जन
ु ेजा अंकल के आने पर म.... ?

लड़का : आ जाऊँगा तब तक शायद ।

बड़ी लड़क : शायद ?

लड़का : नह ं...आ ह जाऊँगा।

चला जाता है ।

बड़ी लड़क : (पीछे से) सन


ु । (दरवाजे क तरफ बढ़ती) अशोक !

लड़का नह ं कता तो ह ठ सकोड़ ी क तरफ लौट आती है ।

: कम से कम प ती ले कर तो दे जाता।

ी : (जैसे कहने से पहले तैयार करके) तम


ु से एक बात करना चाहती थी।

बड़ी लड़क : यह सब छोड़ आऊँ अंदर। वहाँ भी कतना कुछ बखरा है । सोचती हूँ, जगमोहन अंकल के आने
से पहले...।

ी : मझ
ु े जरा-सी बात करनी ह।

बड़ी लड़क : बताओ ।

ी : अगल बार आने पर पर म यहाँ न मलँ ू शायद।

बड़ी लड़क : कैसी बात कर रह हो ?

ी : जगमोहन को आज मने इसी लए फोन कया था ।

बड़ी लड़क : तो ?

ी : तो अब जो भी हो। म जानती थी एक दन आना ह है ऐसा।

बड़ी लड़क : तो तम
ु ने परू तरह सोच लया है क...

ी : (हलके से आँख मँद


ू कर) बलकुल सोच लया है (आँख झपकाती) जा तू अब ।

बड़ी लड़क पल-भर चप


ु चाप उसे दे खती खड़ी रहती है । फर सोचते भाव से अंदर को चल दे ती है ।

बड़ी लड़क : (चलते-चलते) और सोच लेती थोडा...।

चल जाती है ।

ी : कब तक और ?

गले क माला को उँ गल से लपेटते हुए झटके लगाने से माला टूट जाती है । परे शान हो कर माला को उतार
दे ती है और कबड से दस
ू र माला नकाल लेती है ।

: साल पर साल....इसका यह हो जाए, उसका वह हो जाए।

मालाओं का ड बा रख कर कबड को बंद करना चाहती है , पर बीच क चीज के अ यवि थत हो जाने से


कबड ठ क से बंद नह ं होती।

: एक दन....दस
ू रा दन !

नह ं ह बंद होता , तो उसे परू ा खोल कर झटके से बंद करती है ।

: एक साल...दस
ू रा साल !

कबड के नीचे रखे जत


ू े च पल को पैर से टटोल कर एक च पल नकालने क को शश करती है ; पर दस
ू रा
पैर नह ं मलता, तो सबको ठोकर लगा कर पीछे हटा दे ती है ।

: अब भी और सोचँ ू थोड़ा !

े संग टे बल के सामने चल जाती है । कुछ पल असमंजस म रहती है क वहाँ य आई है । फर यान हो


आने से आईने म दे ख कर माला पहनने लगती है । पहन कर अपने को यान से दे खती है । गरदन उठा कर और
शीष पर
खाल को मसल कर चेहरे क झु रयाँ नकालने क को शश करती है । जाएँ

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: कब तक...? य ...?

फर समझ म नह ं आता क या करना है । े संग टे बल क कुछ चीज को ऐसे ह उठाती-रखती है । म


क शीशी हाथ म आ जाने पर पल-भर उसे दे खती रहती है । फर खोल लेती है ।

: घर द तर...घर द तर !

म चेहरे पर लगते हुए यान आता है क वह इस व त नह ं लगानी थी। उसे एक और शीशी उठा लेती
है । उसम से लोशन ई पर ले कर सोचती है । कहाँ लगाए और कह ं का नह ं सझ
ू ता , तो उससे कलाइयाँ साफ
करने लगती है ।

: सोचो...सोचो।

यान सर के बाल म अटक जाता है । अनमनेपन म लोशनवाल ई सर पर लगाने लगती है , पर बीच


म ह हाथ रोक कर उसे अलग रख दे ती है । उँ ग लय से टटोल कर दे खती है क कहाँ सफेद बाल यादा नजर
आ रहे ह। कंघी ढूँढ़ती है , पर वह मलती नह ं। उतावल म सभी खाने-दराज दे ख डालती है । आ खर कंघी वह ं
तौ लए के नीचे से मल जाती है ।

: चख-चख.... कट... कट...चख-चख... कट- कट। या सोचो?

कंघी से सफेद बाल को ढँ कने लगती है । यान आँख क झाँइय पर चला जाता है तो कंघी रख कर उ ह
सहलाने लगती है । तभी पु ष तीन बाहर के दरवाजे से आता है ... सगरे ट के कश खींच कर छ ले बनाता है । ी
उसे नह ं दे खती , तो वह राख झाड़ने के लए तपाई पर रखी ऐश- े क तरफ बढ़ जाती है । ी पाउडर क ड बी
खोल कर आँख के नीचे पाउडर लगती है । ड बीवाला हाथ काँप जाने से थोड़ा पाउडर बखर जाता है ।

: (उसाँस के साथ) कुछ मत सोचो।

उठा खड़ी होती है , एक बार अपने को अ छ तरह आईने म दे ख लेती है । पु ष तीन पहले सगरे ट से
दस
ू रा सगरे ट सल
ु गता है ।

: होने दो जो होता है ।

सोफे क तरफ मड़
ु ती ह है क पु ष तीन पर नजर पड़ने से ठठक जाती है , आँख म एक चमक भर
आती है ।

पु ष तीन : (काफ कोमल वर म) हलो, कुकू !

ी : अरे ! पता ह नह ं चला तु हारे आने का ।

पु ष तीन : मने दे खा, अपने से ह बात कर रह हो कुछ। इसी लए...।

ी : इंतजार म ह थी म। तम
ु सीधे आ रहे हो द तर से ?

पु ष तीन कश खींच कर छ ले बनाता है ।

पु ष तीन : सीधा ह समझो।

ी : समझो यानी क नह ं ।

पु ष तीन : नाउ-आउ।...दो मनट का बस, पोल टोर म। एक डजाइन दे ना था उनका। फर घर जा कर


नहाया और सीधे....।

ी : सीधा कहते हो इसे ?

पु ष तीन : (छ ले बनाता) तम
ु नह ं बदल ं बलकुल। उसी तरह डाँटती हो आज भी। पर बात-सी है कुकू
डयर, क द तर के कपड़ म सार शाम उलझन होती इसी लए सोचा क....

ी : ले कन मने कहा नह ं था, बलकुल सीधे आना ? बना एक भी मनट जाया कए ?

पु ष तीन : जाया कहाँ कया एक मनट भी ? पोल टोर म तो....

ी : रहने दो अब। तु हार बहानेबाजी नई चीज नह ं है मेरे लए।

पु ष तीन : (सोफे पर बैठता है ) कह लो जो जी चाहे । बना वजह लगाम खींचे जाना मेरे लए भी नई चीज
नह ं है ।

ी : बैठ रहे हो - चलना नह ं है ?

पु ष तीन : एक मनट चल ह रहे ह बस। बैठो।

शीष पर
ी अनमने ढं ग से सोफे पर बैठ जाती है । जाएँ

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: िजस तरह फोन कया तम
ु ने अचानक, उससे मझ
ु े कह ं लगा क...

ी क आँख उमड़ आती ह।

ी : (उसके हाथ पर हाथ रख कर ) जोग !

पु ष तीन : (हाथ सहलाता) या बात है , कुकू ?

ी : म वहाँ पहुँच गई हूँ जहाँ पहुँचने से डरती रह हूँ िजंदगी-भर। मझ


ु े आज लगता है क...

पु ष तीन : (हाथ पर हलक थप कयाँ दे ता) परे शान नह ं होते इस तरह।

ी : म सच कह रह हूँ। आज अगर तम
ु मझ
ु से कहो क.... ।

पु ष तीन : (अंदर क तरफ दे ख कर) घर पर कोई नह ं है ?

ी : ब नी है अंदर ।

हाथ हटा लेता है ।

पु ष तीन : यह ं है वह ? उसका तो सन
ु ा था क...

ी : हाँ ! पर आई हुई है कल से ।

पु ष तीन : तब का दे खा है उसे। कतने साल ह गए !

ी : अब आ रह होगी बाहर। दे खो, तम


ु से बहुत-बहुत बात करनी ह मझ
ु े आज।

ु ने के लए ह तो आया हूँ। फोन पर तु हार आवाज से ह मझ


पु ष तीन : म सन ु े लग गया था क...

ी : म बहुत....वो थी उस व त।

पु ष तीन : वह तो इस व त भी हो।

ी : तम
ु कतनी अ छ तरह समझते हो मझ
ु .े .. कतनी अ छ तरह ! इस व त मेर जो हालत है अंदर
से...।

वर भरा जाता है ।

पु ष तीन : ल ज !

ी : जोग !

पु ष तीन : बोलो !

ी : तम
ु जानते हो, म...एक तु ह ं हो िजस पर म...

पु ष तीन : कहती य हो ? कहने क बात है यह ?

ी : फर भी मँह
ु से नकल जाती है । दे खो ऐसा है क....नह ं। बाहर चल कर ह बात क ँ गी।

पु ष तीन : एक सझ
ु ाव है मेरा।

ी : बताओ।

पु ष तीन : बात यह ं कर लो जो करनी है उसके बाद....

ी : ना-ना यहाँ नह ं।

पु ष तीन : य ?

ी : यहाँ हो ह नह ं सकेगी बात मझ


ु से। हाँ, तम
ु कुछ वैसा समझते हो बाहर चलने म मेरे साथ, तो...

पु ष तीन : कैसी बात करती हो ?तम


ु जहाँ भी कहो, चलते ह। म तो इसी लए कह रहा था क...

ी : म जानती हूँ सब। तु हार बात गलत नह ं समझती म कभी।

पु ष तीन : तो बताओ, कहाँ चलोगी ?

ी : जहाँ ठ क समझो तम
ु ।

पु ष तीन : म ठ क समझँू ? हमेशा तु ह ं नह ं तय कया करती थी ?

शीष पर
ी : गंजा कैसा रहे गा ?....वहाँ वह कोनेवाल टे बल खाल मल जाए शायद। जाएँ

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पु ष तीन : पछ
ू ो नह ं। यह कहो - गंजा।

ी : या या स ? वहाँ इस व त यादा लोग नह ं होते।

पु ष तीन : मने कहा न...

ी : अ छा, उस छोटे रे तराँ म चले जहाँ के कबाब तु ह बहुत पसंद ह? म तब के बाद कभी वहाँ नह ं
गई।

पु ष तीन : ( हच कचाट के साथ) वहाँ ? जाता नह ं वैसे म वहाँ अब। …पर तु हारा वह ं के लए मन हो तो
चल भी सकते ह।

ी : दे खो एक बात तो बता ह दँ ू तु ह चलने से पहले।

पु ष तीन : (छ ले छोड़ता) या बात?

ी : मने...कल एक फैसला कर लया है मन म।

पु ष तीन : हाँ-हाँ ?

ी : वैसे उन दन भी सन
ु ी होगी तम
ु ने ऐसी बात मेरे मँह
ु से...पर इस बार सचमच
ु कर लया है ।

पु ष तीन : (जैसे बात को आ मसात करता) हूँ ।

पल-भर क खामोशी िजसम वह कुछ सोचता हुआ इधर-उधर दे खता है फर जैसे कसी कताब पर आँख
अटक जाने से उठ कर शे फ क तरफ चला जाता है ।

ी : उधर य चले गए ?

पु ष तीन : (शे फ से कताब नकलता) ऐसे ह ।...यह कताब दे खना चाहता था जरा।

ी : तु ह शायद व वास नह ं आया मेर बात पर ?

ु रहा हूँ म।
पु ष तीन : सन

ी : मेरे लए पहले भी असंभव था यहाँ यह सब सहना। तम


ु जानते ह हो। पर आ कर बलकुल- बलकुल
असंभव हो गया है ।

पु ष तीन : (प ने पलटता) तो मतलब है ....?

ी : ठ क सोच रहे हो तम
ु ।

पु ष तीन : ( कताब वापस रखता) हूँ !

ी उठ कर उसक तरफ आती है ।

ी : म तु ह बता नह ं सकती क मझ
ु े हमेशा कतना अफसोस रहा है इस बात का क मेर वजह से तु ह
भी...तु ह भी इतनी तकल फ उठानी पड़ी है िजंदगी म।

पु ष तीन : (अपनी गरदन सहलाता) दे खो...सच पछ


ू ो, तो म अब यादा सोचता ह नह ं इस बारे म।

टहलता हुआ उसके पास से आगे नकाल आता है ।

ी : मझ
ु े याद है तम
ु कहा करते थे, 'सोचने से कुछ होना हो, तब तो सोचे भी आदमी।'

पु ष तीन : हाँ...वह तो।

ी : पर यह भी क कल और आज म फक होता है । होता है न

पु ष तीन : हाँ...होता है । बहुत-बहुत।

ी : इसी लए कहना चाहती हूँ तम


ु से क....।

बड़ी लड़क अंदर से आती है ।

बड़ी लड़क : ममा, अंदर जो कपड़े इ तर के लए रखे ह... (पु ष तीन को दे ख कर) हलो अंकल !

पु ष तीन : हलो, हलो !...अरे वह ! यह तू ह है या ?

बड़ी लड़क : आपको या लगता है ?

पु ष तीन : इतनी-सी थी तू तो ! ( ी से) कतनी बड़ी नजर आने लगी अब


शीष पर
ी : हाँ...यह चेहरा नकल आया है ! जाएँ

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पु ष तीन : उन दन ाक पहना करती थी... ।

बड़ी लड़क : (सकुचाती) पता नह ं कन दन !

पु ष तीन : याद है , कैसे मेरे हाथ पर काटा था इसने एक बार ? बहुत ह शैतान थी ।

ी : ( सर हला कर) धर रह जाती है सार शैतानी आ खर ।

बड़ी लड़क : बै ठए आप । म अभी आती हूँ उधर से ।

अहाते के दरवाजे क तरफ चल दे ती है ।

पु ष तीन : भाग कहाँ रह है ?

बड़ी लड़क : आ रह हूँ बस ।

चल जाती है ।

पु ष तीन : कतनी गदराई हुई लड़क थी ! गाल इस तरह फुले-फुले थे...

ी : सब पचक जाते ह गाल-वाल !

पु ष तीन : पर मने तो सन
ु ा था क...अपनी मज से ह इसने...?

ी : हाँ, अपनी मज से ह । अपनी मज का ह तो फल है यह क...

पु ष तीन : बात ले कन काफ बड़ पन से करती है ?...

ी : यह उ और इतना बड़ पन ?... हाँ, तो चल अब फर ?

पु ष तीन : जैसा कहो ।

ी : (अपने पस म माल ढूँढ़ती) कहाँ गया ? ( माल मल जाने से पस बंद करती है ।) है यह इसम...तो
ू रह हूँ क उसी तरह कह जाऊँ इससे ता क...
कब तक लौट आऊँगी म ? इस लए पछ

पु ष तीन : तम
ु पर है यह। जैसा भी कह दो ।

ी : कह दे ती हूँ-शायद दे र हो जाए मझ
ु े । कोई आनेवाला है , उसे भी बता दे गी ।

पु ष तीन : कोई और आनेवाला है ?

ी : जन
ु ेजा। वह आदमी िजसक वजह से...तम
ु जानते ह हो सब । (अहाते क तरफ दे खती) ब नी!
(जवाब न मलने से) ब नी! ...कहाँ चल गई यह ?

अहाते के दरवाजे से जा कर उधर दे ख लेती है और कुछ उ तेिजत-सी हो कर लौट आती है ।

: पता नह ं कहाँ चल गई यह लड़क भी अब... !

पु ष तीन : इंतजार कर लो ।

ी : नह ं, वह आदमी आ गया तो, मिु कल हो जाएगी । मझ


ु े बहुत ज र बात करनी है तम
ु से। आज ह ।
अभी ।

पु ष तीन : (नया सगरे ट सल


ु गता) तो ठ क है । एट योर ड पोजल ।

ी : (इस तरह कमरे को दे खती जैसे क कोई चीज वहाँ छूट जा रह हो) हाँ...आओ ।

पु ष तीन : (चलते-चलते क कर ) ले कन...घर इस तरह अकेला छोड़ जाओगी ?

ी : नह ं, अभी आ जाएगा कोई-न-कोई ।

पु ष तीन : (छ ले छोड़ता ) तु हारे ऊपर है जैसा भी ठ क समझो ।

ी : ( फर एक नजर कमरे पर डाल कर) मेरे लए तो...आओ

पु ष तीन पहले नकल जाता है । ी फर से पस खोल कर उसम कोई चीज ढूँढ़ती पीछे - पीछे । कुछ ण
मंच खाल रहता है । फर बाहर से छोट लड़क के ससक कर रोने का वर सनु ाई दे ता है । वह रोती हुई अंदर आ
कर सोफे पर औंधे हो जाती है । फर उठ कर कमरे के खाल पन पर नजर डालती है और उसी तरह रोती- ससकती
अंदर के कमरे म चल जाती है । मंच फर दो-एक ण खाल रहता है । उसके बाद बड़ी लड़क चाय क े के
लए अहाते के दरवाजे से आती है ।

बड़ी लड़क : अरे ! चले भी गए ये लोग ?


शीष पर
े डाय नंग टे बल पर छोड़ कर बाहर के दरवाजे तक आती है , एक बार बाहर दे ख लेती है और कुछ ण जाएँ
अंतमख भाव से वह ं क रहती है । फर अपने क झटक कर वापस डाय नंग टे बल क तरफ चल दे ती है ।
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अत ु स ह रहत ह। र अ झ र स ड ल तर ल दत ह।

: कैसे पथरा जाता है सर कभी-कभी।

रा ते म े संग टे बल के बखराव को दे ख कर क जाती है और ज द से वहाँ क चीज को सहे ज दे ती है ।

: जरा यान न दे आदमी...जंगल हो जाता है सब।

वहाँ से हट कर डाय नंग टे बल के पास आ जाती है और अपने लए चाय क याल बनाने लगती है । छोट
लड़क उसी तरह ससकती अंदर से आती है ।

छोट लड़क : जब नह ं हो-होना होता, तो सब लोग होते ह सर पर। और जब हो-होना होता है तो कोई भी
नह ं द- दखता कह ं।

बड़ी लड़क चाय बनाना बीच म छोड़ कर उसक तरफ बढ़ आती है ।

बड़ी लड़क : क नी ! यह फर या हुआ तझ


ु े ? बाहर से कब आई तू ?

छोट लड़क : कब आई म ! यहाँ पर को- कोई भी य नह ं था ? त-ू तम


ु भी कहाँ थी थोड़ी दे र पहले ?

बड़ी लड़क : म चाय क प ती लाने चल गई थी ।... कसने, अशोक ने मारा है तझ


ु े ?

छोट लड़क : वह भी क-कहाँ था इस व त ? मेरे कान खंचने के लए तो पता नह ं क-कहाँ से चला


आएगा। पर ज-जब सरु े खा क ममी से बात करने क बात क थी, त- तो ?

बड़ी लड़क : सरु े खा क ममी ने कुछ कहा है तम


ु से ?

छोट लड़क : ममा कहाँ ह ? मझ


ु े उ ह स-साथ ले कर जाना है वहाँ।

बड़ी लड़क : कहाँ ? सरु े खा के घर ?

छोट लड़क : सरु े खा क ममी बल


ु ा रह ह उ ह। कहती ह, अभी ले-ले कर आ।

बड़ी लड़क : पर कस बात के लए ?

छोट लड़क : अशोक को दे ख लया था सबने हम लोग को डाँटते। सरु े खा क ममी ने सरु खा को घ-घर म
ले जा कर पटा, तो उसने...उसने म-मेरा नाम लगा दया।

बड़ी लड़क : या कहा ?

छोट लड़क : क म सखाती हूँ उसे वे सब ब-बात।

बड़ी लड़क : तो...सरु े खा क ममी ने मझ


ु े बल
ु ाया इस तरह डाँटा है जैसे...पहले बताओ, ममा कहाँ ह ? म
उ ह अभी स-साथ ले कर जाऊँगी। क-कहती ह, म उनक लड़क को बगाड़ रह हूँ। और भी ब-ु बरु बात हमारे
घर को ले कर।

बड़ी लड़क : ममा बाहर गई ह।

छोट लड़क : बाहर कहाँ ?

बड़ी लड़क : तझ
ु े सब जगह का पता है क कहाँ-कहाँ जाया जा सकता है बाहर ?

छोट लड़क : (और बफरती) त-ु तम


ु भी मझ
ु ी को डाँट रह हो ? ममा नह ं ह तो तम
ु चलो मेरे साथ।

बड़ी लड़क : म नह ं चल सकती।

छोट लड़क : (ताव म) य नह ं चल सकती ?

बड़ी लड़क : नह ं चल सकती कह दया न।

छोट लड़क : (उसे परे धकेलती) मत चलो, नह ं चल सकती तो।

बड़ी लड़क : (गु से से) क नी !

छोट लड़क : बात मत करो मझ


ु से। क नी !

बड़ी लड़क : तझ
ु े बलकुल तमीज नह ं है या ?

छोट लड़क : नह ं है मझ
ु े तमीज।

बड़ी लड़क : दे ख, तू मझ
ु से ह मार खा बैठेगी आज।

छोट लड़क : मार लो न तम


ु ।...इनसे ह म-मार खा बैठूँगी आज। शीष पर
बड़ी लड़क : तू इस व त यह रोना बंद करे गी या नह ं। जाएँ

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छोट लड़क : नह ं क ँ गी।...रोना बंद करे गी या नह ं ?

बड़ी लड़क : तो ठ क है । रोती रह बैठ कर।

छोट लड़क : रो-रोती रह बैठ कर।

अहाते के पीछे से दरवाजे क कंु डी खटखटाने क आवाज सन


ु ाई दे ती है ।

बड़ी लड़क : (उधर दे ख कर) यह...यह इधर से कौन आया हो सकता है इस व त ?

ज द से अहाते के दरवाजे से चल जाती है । छोट लड़क व ोह के भाव से कुरसी पर जम जाती है । बड़ी


लड़क पु ष चार के साथ वापस आती है ।

: (आती हुई) मने सोचा क कौन हो सकता है पीछे का दरवाजा खटखटाए। आपका पता था, आप आनेवाले
ह। पर आप तो हमेशा आगे के दरवाजे से ह आते ह, इस लए...।

पु ष चार : म उसी दरवाजे से आता, ले कन...(छोट लड़क को दे ख कर) इसे या हुआ है ? इस तरह य
बैठ है वहाँ ?

बड़ी लड़क : (छोट लड़क से) जन


ु ेजा अंकल आए ह, इधर आ कर बात तो कर इनसे।

छोट लड़क मँह


ु फेर कर कुरसी क पीठ पर बैठ कर बाँह फैला लेती है ।

पु ष चार : (छोट लड़क के पास आता) अरे ! यह तो रो रह है । (उसके सर पर हाथ फेरता) य ? या


हुआ मु नया को ? कसने नाराज कर दया ? (पच
ु कारता) उठो बेटे, इस तरह अ छा नह ं लगता। अब आप बड़े
हो गए ह, इस लए....।

छोट लड़क : (सहसा उठ कर बाहर को चलती) हाँ...बड़े हो गए ह। पता नह ं कस व त छोटे हो जाते ह,


कस व त बड़े हो जाते ह ! (बाहर के दरवाजे के पास से) हम नह ं लौट कर आएँगे अब...जब तक ममा नह ं आ
जातीं ।

चल जाती है ।

पु ष चार : (लौट कर बड़ी लड़क के तरफ आता) सा व ी बाहर गई है ?

बड़ी लड़क सफ सर हला दे ती है ।

: म थोड़ी दे र पहले गया था। बाहर सड़क पर यू इं डया क गाड़ी दे खी, तो कुछ दे र पीछे को घम
ू ने नकल
गया। तेरे डैडी ने बताया था, जगमोहन आजकल यह ं है - फर से ांसफर हो कर आ गया है ।...वह ऐसे ह आया
था मलने, या...?

बड़ी लड़क : ममा को पता होगा। म नह ं जानती ।

पु ष चार : अशोक ने िज नह ं कया मझ


ु से। उसे भी पता नह ं होगा शायद।

बड़ी लड़क : अशोक मला है आपसे ?

ू ा, तो बोला क आप ह के यहाँ जा रहा हूँ डैडी का हालचाल


पु ष चार : बस टाप पर खड़ा था। मने पछ
पता करने। कहने लगा, आप भी च लए, बाद म साथ ह आएँगे पर मने सोचा क एक बार जब इतनी दरू आ ह
गया हूँ, तो सा व ी से मल कर ह जाऊँ । फर उसे भी िजस हाल म छोड़ आया हूँ, उसक वजह से... ।

बड़ी लड़क : कसक बात कर रहे ह....डैडी क ?

पु ष चार : हाँ, मह नाथ क ह । एक तो सार रात सोया नह ं वह। दस


ू रे ...।

बड़ी लड़क : तबीयत ठ क नह ं उनक ?

पु ष चार : तबीयत भी ठ क नह ं और वैसे भी...म तो समझता हूँ, मह नाथ खद


ु िज मेदार है अपनी यह
हालत करने के लए ।

बड़ी लड़क : (उस करण से बचना चाहती) चाय बनाऊँ आपके लए ?

पु ष चार : (चाय का समान दे ख कर) कसके लए बनाई बैठ थी इतनी चाय ? पी नह ं लगता कसी ने ?

बड़ी लड़क : (असमंजस म) यह मने बनाई थी य क... य क सोच रह थी क...

पु ष चार : (जैसे बात को समझ कर) वे लोग चले गए ह गे।...सा व ी को पता था न, म आनेवाला हूँ ?

बड़ी लड़क : (आ ह ता से) पता था।

शीष पर
पु ष चार : यह भी बताया नह ं मझ
ु े अशोक ने...पर उसके लहजे से ह मझ
ु े लग गया था क...( फर जैसे जाएँ
कोई बात समझ म आ जाने से) अ छा, अ छा, अ छा ! काफ समझदार लड़का है ।
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ई त स झ आ स) अ छ , अ छ , अ छ स झद र लड़ ह ।

बड़ी लड़क : (चीनीदानी हाथ म लए) चीनी कतनी ?

पु ष चार : चीनी बलकुल नह ं। मझ


ु े मना है चीनी। वह शायद इसी लए मझ
ु े वापस ले चलना चाहता था
क... क उसे मालम
ू होगा जगमोहन का।

बड़ी लड़क : दध
ू ?

पु ष चार : हमेशा िजतना।

बड़ी लड़क : कुछ नमक न लाऊँ अंदर से ?

पु ष चार : नह ं।

बड़ी लड़क : बैठ जाइए ।

पु ष चार : ओ, हाँ !

वह एक कुरसी खींच कर बैठ जाता है । बड़ी लड़क एक याल उसे दे कर दस


ू र याल खद
ु ले कर बैठ
जाती है । कुछ पल खामोशी।

बड़ी लड़क : कहाँ-कहाँ घम


ू आए इस बीच? सन
ु ा था कह ं बाहर गए थे ?

पु ष चार : ह, गया था बाहर। पर कसी नई जगह नह ं गया।

फर कुछ पल खामोशी।

बड़ी लड़क : सष
ु मा का या हाल है ?

पु ष चार : ठ क-ठाक है अपने घर म।

बड़ी लड़क : कोई ब चा-अ चा ?

पु ष चार : अभी नह ं।

फर कुछ पल खामोशी।

बड़ी लड़क : आप तो बलकुल चप


ु बैठे ह। कोई बात क िजए न !

पु ष चार : (उसाँस के साथ) या बात क ँ ?

बड़ी लड़क : कुछ भी ।

पु ष चार : सोच कर तो बहुत-सी बात आया था। सा व ी होती तो शायद कुछ बात करता भी पर अब लग
रहा है बेकार ह है सब।

फर कुछ पल खामोशी। दोन लगभग एक साथ अपनी-अपनी याल खाल करके रख दे ते ह।

बड़ी लड़क : एक बात पछ


ू ू ँ - डैडी को फर से वह दौरा तो नह ं पड़ा, लड ेशर का ?

पु ष चार : यह भी पछ
ू ने क बात है ?

बड़ी लड़क : आप उ ह समझाते य नह ं क....

पु ष चार : (उठता हुआ) कोई समझा सकता है उसे ? वह इस औरत को इतना चाहता है अंदर से क...

बड़ी लड़क : यह आप कैसे कह सकते ह ?

पु ष चार : तझ
ु े लगता है यह बात सह नह ं है ?

बड़ी लड़क : (उठती हुई) कैसे सह हो सकती है ? (अंतमख


ु भाव से)...आप नह ं जानते, हमने इन दोन के
बीच या- या गुजरते दे खा है इस घर म।

पु ष चार : दे खा जो कुछ भी हो....

बड़ी लड़क : इतने साधारण ढं ग से उड़ा दे ने क बात नह ं है , अंकल ! म यहाँ थी, तो मझ


ु े कई बार लगता
था क म एक घर म नह ं, च ड़याघर के एक पंजरे म रहती हूँ जहाँ...आप शायद सोच भी नह ं सकते क या-
या होता रहा है यहाँ। डैडी का चीखते हुए ममा के कपड़े तार-तार कर दे ना...उनके मँह
ु पर प ी बाँध कर उ ह
बंद कमरे म पीटना...खींचते हुए गुसलखाने म कमोड पर ले जा कर...( सहर कर) म तो बयान भी नह ं कर
सकती क कतने- कतने भयानक य दे खे ह इस घर म मने। कोई भी बाहर का आदमी उस सबको दे खता-
जानता, तो यह कहता क य नह ं बहुत पहले ह ये लोग...?
शीष पर
पु ष चार : तन
ू े नई बात नह ं बताई कोई। महे नाथ खद
ु मझ
ु े बताता रहा है यह सब। जाएँ

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बड़ी लड़क : बताते रहे ह ? फर भी आप कहते ह क... ?

पु ष चार : फर भी कहता हूँ क वह इसे बहुत यार करता है ।

बड़ी लड़क : कैसे कहते ह यह आप ? दो आदमी जो रात- दन एक-दस


ू रे क जान न चने म लगे रहते ह
...?

पु ष चार : म दोन क नह ं, एक क बात कह रहा हूँ ।

बड़ी लड़क : तो आप सचमच


ु मानते ह क...?

पु ष चार : बलकुल मानता हूँ, इसी लए कहता हूँ क अपनी आज क हलात के लए िज मेदार महे नाथ
खद
ु है । अगर ऐसा न होता, तो आज सब ु ह से ह र रया कर मझ
ु से न कह रहा होता क जैसा भी हो म इससे
बात करके इसे समझाऊँ। मै इस व त यहाँ न आया होता, तो पता है या होता ?

बड़ी लड़क : या होता ?

पु ष चार : महे खद
ु यहाँ चला आया होता। बना परवाह कए क यहाँ आ कर इस लेड ेशर म उसका
या हाल होता और ऐसा पहल बार न होता, तझ
ु े पता ह है । मैने कतनी मिु कल से समझा-बझ
ु ा कर उसे रोका
है , म ह जानता हूँ। मेरे मन म थोड़ा-सा भरोसा बाक था क शायद अब भी कुछ हो सके... मेरे बात करने से ह
कुछ बात बन सके। पर आ कर बाहर यू इं डया क गाड़ी दे खी, तो मझ ु े लगा क नह , कुछ नह ं हो सकता।
कुछ नह हो सकता। बात करके मै सफ आपको...मेरा खयाल है चलना चा हए अब। जाते हुए मझ
ु े उसके लए
दवाई भी ले जानी है ।...अ छा।

बाहर के दरवाजे क तरफ चल दे ता है । बड़ी लड़क अपनी जगह पर जड़-सी खड़ी रहती है । फर-एक कदम
उसक तरफ बढ़ जाती है ।

बड़ी लड़क : अंकल !

पु ष चार : ( क कर) कहो।

बड़ी लड़क : आप जा कर डैडी को यह बात बता दगे ?

पु ष चार : कौन-सी ?

बड़ी लड़क : यह ...जगमोहन अंकल के आने क ?

पु ष चार : य ...नह बतानी चा हए ?

बड़ी लड़क : ऐसा है क...

पु ष चार : (हलके से आँख मँद


ू कर खोलता) म न भी बताऊँ शायद पर कुछ फक नह ं पड़ने का
उससे।...बैठ त।ू

दरवाजे से बाहर जाने लगता है ।

बड़ी लड़क : अंकल ?

पु ष चार : (और फर क कर) हाँ, बेटे !

बड़ी लड़क : सचमच


ु कुछ नह हो सकता या ?

पु ष चार : एक दन के लए हो सकता है शायद। दो दन के लए हो सकता है । पर हमेशा के लए... कुछ


भी नह ं।

बड़ी लड़क : तो उस हालत से या यह ं बेहतर नह ं क... ?

बाहर से ी के वर सन
ु ाई दे ते ह।

ी : छोड़ दे मेरा हाथ। छोड़ भी ।

बड़ी लड़क : आ गई ह वे लौट कर।

पु ष चार : हाँ।

बाहर जाने के बजाय ह ठ चबाता डाइ नंग टे बल क तरफ बढ़ जाता है । ी छोट लड़क के साथ आती है ।
छोट लड़क उसे बाँह से बाहर खींच रह है ।

छोट लड़क : चलती य नह ं तम


ु मेरे साथ ? चलो न !

शीष पर
ी : (बाँह छुड़ाती) तू हटे गी या नह ं ? जाएँ

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छोट लड़क : नह ं हटूँगी। उस व त तो घर पर नह ं थी, और अब कहती हो... ।

ी : छोड़ मेर बाँह ।

छोट लड़क : नह ं छोड़ूँगी ।

ी : नह ं छोड़ेगी ? (गु से से बाँह छुड़ा कर उसे परे धकेलती) बड़ा जोम चढ़ने लगा है तझ
ु े !

छोट लड़क : हाँ, चढ़ने लगा है । जब-जब कोई बात कहता मझ


ु से, यहाँ कसी को फुरसत नह ं होती चल
कर उससे पछ
ू ने क ।

बड़ी लड़क : उ ह साँस तो लेने दे । वे अभी घर म दा खल नह ं हुई क तन


ू े...।

छोट लड़क : तम
ु बात मत करो। म ी के ल दे क तरह हल नह ं जब मने...।

ी : (उसे ाक से पकड़ कर) फर से कह जो कहा है तन


ू े !

छोट लड़क : (अपने को छुड़ाने के लए संघष करती) या कहा है मने ? पछ


ू ो इनसे जब मने आ कर इ ह
बताया था, तो...।

पल-भर क खामोशी िजसम सबक नजर ि थर हो रहती ह - छोट लड़क क ी पर और शेष सबक
छोट लड़क पर।

छोट लड़क : (अपने आवेश से बेबस) म ी के ल दे !...सब-के-सब म ी के ल दे !

पु ष चार : (उनक तरफ आता) छोड़ दो लड़क को, सा व ी ! उस पर इस व त पागलपन सवार है ,


इस लए...।

ी : आप मत प ड़ए बीच म।

पु ष चार : दे खो...।

ी : आपसे कहा है , आप मत प ड़ए बीच म। मझ


ु े अपने घर म कससे कस तरह बरतना चा हए, यह म
और से बेहतर जानती हूँ। (छोट लड़क के एक और चपत जड़ती) इस व त चप
ु चाप चल जा उस कमरे म। मँह

से एक ल ज भी और कहा, तो खैर नह ं तेर ।

छोट लड़क के केवल ह ठ हलते ह। श द उसके मँह


ु से कोई नह ं नकल पाता। वह घायल नजर से ी
को दे खती उसी तरह खड़ी रहती है ।

: जा उस कमरे म। सन
ु ा नह ं ?

छोट लड़क फर भी खड़ी रहती है ।

: नह ं जाएगी ?

छोट लड़क दाँत पीस कर बना कुछ कहे एकाएक झटके से अंदर के कमरे म चल जाती है । ी जा कर
पीछे से दरवाजे क कंु डी लगा दे ती है ।

: तझ
ु से समझँग
ू ी अभी थोड़ी दे र म।

बड़ी लड़क : बै ठए, अंकल !

पु ष चार : नह ं, म अभी जाऊँगा।

ी : (उसक तरफ आती) आपको कुछ बात करनी थी मझ


ु से...बताया था इसने।

पु ष चार : हाँ...पर इस व त तम
ु ठ क मड
ू म नह ं हो...।

ू म हूँ। बताइए आप।


ी : म बलकुल ठ क मड

बड़ी लड़क : अंकल कह रहे थे, डैडी क तबीयत फर ठ क नह ं है ।

ी : घर से जा कर तबीयत ठ क कब रहती है उनक ? हर बार का यह एक क सा नह ं है ?

बड़ी लड़क : तम
ु थक हुई हो। अ छा होगा जो भी बात करनी हो, बैठ कर आराम से कर लो।

ी : म बहुत आराम से हूँ (पु ष चार से) बताइए आप ।

पु ष चार : यादा बात अब नह ं करना चाहता। सफ एक ह बात कहना चाहता हूँ तम


ु से।

ी : (पल-भर ती ा करने के बाद) क हए।


शीष पर
पु ष चार : तम
ु कसी तरह छुटकारा नह ं दे सकती उस आदमी को ? जाएँ

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ी : छुटकारा ? म ? उ ह ? कतनी उ ट बात है !

पु ष चार : उलट बात नह ं है । तम


ु ने िजस तरह से बाँध रखा है उसे अपने साथ.... ।

ी : उ ह बाँध रखा है ? मने अपने साथ... ? सवा आपके कोई नह ं कह सकता यह बात।

पु ष चार : य क और कोई जानता भी तो नह ं उतना िजतना म जानता हूँ।

ी : आप हमेशा यह मानते आए है क आप बहुत यादा जानते ह। नह ं ?

पु ष चार : मह नाथ के बारे म, हाँ। और जान कर ह कहता हूँ क तम


ु ने इस तरह शकंजे म कस रखा है
उसे क वह अब अपने दो पैर पर चल सकने लायक भी नह ं रहा।

ी : अपने दो पैर पर ! अपने दो पैर कभी थे भी उसके पास ?

पु ष चार : कभी बात ु ने उसे जाना, तब से दस साल पहले से म उसे जानता हूँ।
य करती हो ? जब तम

ी : इसी लए शायद जब मने जाना, तब तक अपने दो पैर रहे नह ं थे उसके पास।

पु ष चार : म जानता हूँ सा व ी, क तम


ु मेरे बारे म या- या सोचती और कहती हो...।

ी : ज र जानते ह गे...ले कन फर भी कतना कुछ है जो सा व ी कभी कसी के सामने नह ं कहती।

पु ष चार : जैसे ?

ी : जैसे...पर बात तो आप करने आए ह।

पु ष चार : नह ं। पहले तम
ु बात कर लो (बड़ी लड़क से) तू बेटे, जरा उधर चल जा थोड़ी दे र।

बड़ी लड़क चप
ु चाप जाने लगती है ।

ी : सन
ु लेने द िजए इसे भी, अगर मझ
ु े बात करनी है तो।

पु ष चार : ठ क है यह ं रह त,ू ब नी !

बड़ी लड़क : पर म सोचती हूँ क...।

ी : म चाहती हूँ तू यहाँ रहे , तो कसी वजह से ह चाहती हूँ।

बड़ी लड़क आ ह ता से आँख झपका कर उन दोन से थोड़ी दरू डाय नंग टे बल क कुरसी पर जा बैठती है ।

पु ष चार : ( ी से) बैठ जाओ तम


ु भी।

कटता हुआ खद
ु सोफे पर बैठ जाता है । ी एक मोढ़ा ले लेती है ।

: कह डालो अब जो भी कहना है तु ह।

ी : कहने से पहले एक बात पछ


ू नी है आप से। आदमी कस हालत म सचमच
ु एक आदमी होता है ?

पु ष चार : पछ
ू ो कुछ नह ं। जो कहना है , कह डालो।

ी : यूँ तो जो कोई भी एक आदमी क तरह चलता- फरता, बात करता ह, वह आदमी ह होता है ...। पर
असल म आदमी होने के लए या ज र नह ं क उसम अपना एक मा ा, अपनी एक शि सयत हो ?

पु ष चार : मह को सामने रख कर यह तम
ु इस लए कह रह हो क...

ी : इस लए कह रह हूँ क जब से मने उसे जाना है , मने हमेशा हर चीज के लए कसी-न- कसी का


सहारा ढूँढ़ते पाया है । खास तौर से आपका। यह करना चा हए या नह ं - जन
ु ेजा से राय ले लँ ।ू कोई छोट -से-छोट
चीज खर दनी है , तो भी जन
ु ेजा क पसंद से। कोई बड़े-से-बड़ा खतरा उठाता है - तो भी जन
ु ेजा क सलाह से।
यहाँ तक क मझ
ु से याह करने का फैसला भी कैसे कया उसने ? जन
ु ेजा के हामी भरने से।

पु ष चार : म दो त हूँ उसका। उसे भरोसा रहा है मझ


ु पर।

ी : और उस भरोसे का नतीजा ?... क अपने-आप पर उसे कभी कसी चीज के लए भरोसा नह ं रहा।
िजंदगी म हर चीज क कसौट - जन
ु ेजा। जो जन
ु ेजा सोचता है , जो जन
ु ेजा चाहता है , जो जन
ु ेजा करता है , वह
उसे भी सोचना है , वह उसे भी चाहना है , वह उसे भी करना है । य क जन
ु ेजा तो खद
ु एक परू े आदमी का
आधा-चौथाई भी नह ं ह।

पु ष चार : तम
ु इस नजर से दे ख सकती हो इस चीज को; पर अस लयत इसक यह है क...

शीष पर
ु े उस अस लयत क बात करने द िजए िजसे म जानती हूँ।...एक आदमी है । घर
ी : (खड़ी होती) मझ जाएँ
बसाता है । य बसाता है ? एक ज रत पर करने के लए। कौन-सी ज रत ? अपने अंदर से कसी उसको...एक
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स त ह। सत ह ए रत रू र लए। स रत अ अदर स स उस ए
अधरू ापन कह द िजए उसे...उसको भर सकने क । इस तरह उसे अपने लए...अपने म परू ा होना होता है । क ह ं
दस
ू र के परू ा करते रहने म ह िजंदगी नह ं काटनी होती। पर आपके मह के लए िजंदगी का मतलब रहा
है ...जैसे सफ दस
ू र के खाल खाने भरने क ह चीज है वह। जो कुछ वे दस
ू रे उससे चाहते ह, उ मीद करत
ह...या िजस तरह वे सोचते ह उनक िजंदगी म उसका इ तेमाल हो सकता है ।

पु ष चार : इ तेमाल हो सकता है ?

ी : नह ं ? इस काम के लए और कोई नह ं जा सकता, मह चला जाएगा। इस बोझ को और कोई नह ं


ढो सकता, मह नाथ ढो लेगा। ेस खल
ु ा, तो भी। फै टर शु
हुई, तो भी। खाल खाने भरने क जगह पर
मह नाथ अपना ह सा पहले ह ले चक
ु ा है , पहले ह खा च क
ु ा है । और उसका ह सा ? (कमरे के एक-एक
सामान क तरफ इशारा करती) ये ये ये ये ये दस
ू रे -तीसरे -चौथे दरजे क घ टया चीज िजनसे वह सोचता था,
उसका घर बन रहा है ?

पु ष चार : मह नाथ बहुत ज दबाजी बरतता था इस मामले म, म जानता हूँ। मगर वजह इसक ...

ी : वजह इसक म थी-यह कहना चाहते ह न ? वह मझ


ु े खश
ु रखने के लए ह यह लोहा-लकड़ी ज द -
से-ज द घर म भर कर हर बार अपनी बरबाद क नींव खोद लेता था। पर असल म उसक बरबाद क नींव
या चीज खोद रह थी... या चीज और कौन आदमी...अपने दल म तो आप भी जानते ह गे।

पु ष चार : कहती रहो तम


ु । म बरु ा नह ं मान रहा। आ खर तम
ु मह क प नी हो और...

ी : (आवेश म उसक तरफ मड़


ु ती) मत क हए मझ
ु े मह क प नी। मह भी एक आदमी है , िजसके
अपना घर-बार है , प नी है , यह बात मह को अपना कहनेवाल को शु से ह रास नह ं आई। मह ने याह
या कया, आप लोग क नजर म आपका ह कुछ आपसे छ न लया। मह अब पहले क तरह हँसता नह ं।
मह अब दो त म बैठ कर पहले क तरह खलता नह ं ! मह अब पहलेवाला मह रह ह नह ं गया ! और
मह ने जी-जान से को शश क , वह वह बना रहे कसी तरह। कोई यह न कह सके िजससे क वह पहलेवाला
मह रह ह नह ं गया। और इसके लए मह घर के अंदर रात- दन छटपटाता है । द वार से सर पटकता है ।
ब च को पीटता है । बीवी के घट
ु ने तोड़ता है । दो त को अपना फुरसत का व त काटने के लए उसक ज र है ।
मह के बगैर कोई पाट जमती नह ं ! मह के बगैर कसी पक नक का मजा नह ं आता था ! दो त के लए
जो फुरसत काटने का वसीला है , वह मह के लए उसका मु य काम है िजंदगी म। और उसका ह नह ं, उसके
घर के लोग का भी वह मु य काम होना चा हए। तम
ु फलाँ जगह चलने से इ कार कैसे कर सकती हो ? फलाँ
से तम
ु ठ क तरह से बात य नह ं करतीं ? तम
ु अपने को पढ़ - लखी कहती हो ?...तु ह तो लोग के बीच
उठने-बैठने क तमीज नह ं। एक औरत को इस तरह चलना चा हए, इस तरह बात करनी चा हए, इस तरह
मु कराना चा हए। य तम
ु लोग के बीच हमेशा मेर पोजीशन खराब करती हो? और वह महे जो दो त के
बीच द ब-ू सा बना हलके-हलके मु कराता है , घर आ कर एक दा रंदा बन जाता है । पता नह ं, कब कसे नोच
लेगा, कब कसे फाड़ खाएगा ! आज वह ताव म अपनी कमीज को आग लगा लेता है । कल वह सा व ी क छाती
पर बैठ कर उसका सर जमीन से रगड़ने लगता है । बोल, बोल, बोल, चलेगी उस तरह क नह ं जैसे म चाहता हूँ
? मानेगी वह सब क नह ं जो म कहता हूँ ? पर सा व ी फर भी नह चलती। वह सब नह ं मानती। वह नफरत
करती है इस सबसे - इस आदमी के ऐसा होने से। वह एक परू ा आदमी चाहती है अपने लए एक...परू ा...आदमी।
गला फाड़ कर वह यह बात कहती है । कभी इस आदमी को ह यह आदमी बना सकने क को शश करती है ।
कभी तड़प कर अपने को इससे अलग कर लेना चाहती है । पर अगर उसक को शश से थोड़ा फक पड़ने लगता है
इस आदमी म, तो दो त म इनका गम मनाया जाने लगता है । सा व ी महे क नाक म नकेल डाल कर उसे
अपने ढं ग से चला रह है । सा व ी बेचारे महे क र ढ़ तोड़ कर उसे कसी लायक नह ं रहने दे रह है ! जैसे
क आदमी न हो कर बना हाड़-मांस का टुकड़ा हो वह एक - बेचारा महे !

हाँफती हुई चप
ु कर जाती है । बड़ी लड़क कुह नयाँ मेज पर रखे और मु य पर चहे रा टकाए पथराई आँख
से चप
ु चाप दोन को दे खती है ।

पु ष चार : (उठता हुआ) बना हड़-मांस का पत


ु ला, या जो भी कह लो तम
ु उसे - पर मेर नजर म वह हर
आदमी जैसे एक आदमी है - सफ इतनी ह कमी है उसम।

ी : यह आप मझ
ु े बता रहे ह ? िजसने बाईस साल साथ जी कर जाना है उस आदमी को ?

पु ष चार : िजया ज र है तम
ु ने उसके साथ...जाना भी है उसे कुछ हद तक...ले कन...

ी : (हताशा से सर हलती है ) ओ फ़ोह! ओ फ़ोह! ओ फ़ोह !

पु ष चार : जो-जो बात तम


ु ने कह ह अभी, वे गलत नह ं ह अपने म। ले कन बाईस साल जी कर जानी
हुई बात वे नह ं ह। आज से बाईस साल पहले भी एक बार लगभग ऐसी ह बात म त हारे मँह
ु से सन ु ा हूँ -
ु चक
तु ह याद ह ?

ी : आप आज ह क बात नह ं कर सकते ? बाईस साल पहले पता नह ं कस िजंदगी क बात ह वह ?

शीष पर
पु ष चार : मेरे घर हुई थी वह बात। तम
ु बात करने के लए खास आई थीं वहाँ, और मेरे कंधे पर सर जाएँ
रखे दे र तक रोती रह थीं। तब तमने कहा था क...
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र दर त र त रह । त तु ह

ी : दे खए, उन दन क बात अगर छे ड़ना ह चाहते ह आप, तो म चाहूँगी क यह लड़क ...

पु ष चार : या हज है अगर यह यह ं रहे तो ? जब आधी बात उसके सामने हुई है , तो बाक़ आधी भी
इसके सामने ह हो जानी चा हए।

बड़ी लड़क : (उठने को हो कर) ले कन अंकल... !

पु ष चार : ( ी से) तम
ु समझती हो क इसके सामने मझ
ु े नह ं करनी चा हए यह बात ?

ी : म अपनी खयाल से नह ं कह रह थी।...ठ क है । आप क िजए बात।

कहती हुई एक कुरसी पर बैठ जाती है ।

: ( ी से) उस दन पहल बार मने तु ह उस तरह ढुलते दे खा था। तब तम


ु ने कहा था क...।

ी : म बलकुल ब ची थी तब तक, अभी और...।

पु ष चार : ब ची थीं या जो भी थीं, पर बात बलकुल इसी तरह करती थीं जैसे आज करती हो। उस दन
भी बलकुल इसी तरह तम
ु ने महे को मेरे सामने उधेड़ा था। कहा था क वह बहुत लज लजा और चप चपा-सा
आदमी है । पर उसे वैसा बनानेवाल म नाम तब दस ू र के थे। एक नाम था उसक माँ का और दस
ू रा उसके पता
का...।

ी : ठ क है । उन लोग क भी कुछ कम दे न नह ं रह उसे ऐसा बनाने म।

पु ष चार : पर जन
ु ेजा का नाम तब नह ं था ऐसा लोग म। य नह ं था, कह दँ ू न यह भी ?

ी : दे खए...।

पु ष चार : बहुत परु ानी बात है । कह दे ने म कोई हज नह ं है । मेरा नाम इस लए नह ं था क...

ी : म इ जत करती थी आपक ...बस, इतनी-सी बात थी।

पु ष चार : तम
ु इ जत कह सकती हो उसे...पर वह इ जत कस लए करती थीं ? इस लए नह ं क एक
आदमी के तौर पर म महे से कुछ बेहतर था तु हार नजर म; बि क सफ इस लए क...

ी : क आपके पास बहुत पैसा था? और आपका दबदबा था इन लोग के बीच?

पु ष चार : नह ं। सफ इस लए क म जैसा भी था जो भी था-महे नह ं था।

ी : (एकाएक उठती है ) तो आप कहना चाहते ह क...?

पु ष चार : उतावल य होती हो ? मझ


ु े बात कह लेने दो। मझ
ु से उस व त तम
ु या चाहती थीं, म ठ क-
ठ क नह ं जानता। ले कन तु हार बात से इतना ज र जा हर था क महे को तम
ु तब भी वह आदमी नह ं
समझती थीं िजसके साथ तम
ु िजंदगी काट सकतीं...।

ी : हालाँ क उसके बाद भी आज तक उसके साथ िजंदगी काटती आ रह हूँ...

पु ष चार : पर हर दस
ू रे -चौथे साल अपने को उससे झटक लेने क को शश करती हुई। इधर-उधर नजर
दौड़ाती हुई कब कोई ज रया मल जाए िजससे तम ु अपने को उससे अलग कर सको। पहले कुछ दन जन ु ेजा एक
आदमी था तु हारे सामने। तमु ने कहा है तब त म
ु उसक इ जत करती थीं । पर आज उसके बारे म जो सोचती
हो, वह भी अभी बता चक
ु हो। जन
ु ेजा के बाद िजससे कुछ दन चकाच ध रह ं तम
ु , वह था शवजीत। एक बड़ी
ड ी, बड़े-बड़े श द और परू द ु नया घम
ू ने का अनभ
ु व। पर असल चीज वह क वह जो भी था और ह कुछ था-
मह नह ं था। पर ज द ह तम
ु ने पहचानना शु कया क वह नहायत दोगला क म का आदमी है । हमेशा दो
तरह क बात करता है । उसके बाद सामने आया जगमोहन। ऊँचे संबंध, जबान क मठास, टपटॉप रहने क
आदत और खच क द रया- दल । पर तीर क असल नोक फर भी उसी जगह पर- क उसम जो कुछ भी था,
जगमोहन का-सा नह ं था। पर शकायत तु ह उससे भी होने लगी थी क वह सब लोग पर एक सा पैसा य
उड़ता है ? दस
ू रे क स त-से-स त बात को एक खामोश मु कराहट के साथ य पी जाता है ? अ छा हुआ, वह
ांसफर हो कर चला गया यहाँ से, वरना.... ।

ी : यह खामखाह का तानाबाना य बन
ु रहे ह ? जो असल बात कहना चाहते ह, वह य नह ं कहते ?

पु ष चार : असल बात इतनी ह क मह क जगह इनम से कोई भी आदमी होता तु हार िजंदगी म, तो
साल-दो-साल बाद तम
ु यह महसस
ू करतीं क तम
ु ने गलत आदमी से शाद कर ल है । उसक िजंदगी म भी ऐसे
ह कोई मह , कोई जन
ु ेजा, कोई शवजीत या मनमोहन होता िजसक वजह से तम
ु यह सब सोचती, यह सब
महसस
ू करती। य क तु हारे लए जीने का मतलब रहा है - कतना-कुछ एक साथ हो कर, कतना-कुछ एक साथ
पा कर और कतना-कुछ एक साथ ओढ़ कर जीना। वह उतना-कुछ कभी तु ह कसी एक जगह न मल पाता।

शीष पर
इस लए िजस- कसी के साथ भी िजंदगी शु करती, तम
ु हमेशा इतनी ह खाल , इतनी ह बेचन
ै बनी रहती। वह जाएँ
आदमी भी इसी तरह त ह अपने आसपास सर पटकता और कपड़े फाड़ता नजर आता और तम...
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आद इस तरह तु ह अ आस स सर त और ड़ ड़त र आत और तु

ी : (साड़ी का प लू दाँतो म लए सर हलाती हँसी और लाई के बीच के वर म) हहहहहहहह हःह-


हहहहह-हःहहः हःह हःह।

पु ष चार : (अचकचा कर) तम


ु हँस रह हो ?

ी : हाँ...पता नह ं...हँस ह रह हूँ शायद। आप कहते र हए ।

पु ष चार : आज मह एक कुढ़नेवाला आदमी है । पर एक व त था जब वह सचमच


ु हँसता था। अंदर से
हँसता था पर यह तभी था जब कोई सा बत करनेवाला नह ं था क कैसे हर लहाज से वह ह न और छोटा है -
इससे, उससे, मझ
ु से, तम
ु से, सभी से। जब कोई उससे यह कहनेवाला नह ं था क जो-जो वह नह ं है , वह -वह उसे
होना चा हए और जो वह है ... ।

ी : एक उसी उस को दे खा है आपने इस बीच - या उसके आस-पास भी कसी के साथ कुछ गुजरते दे खा


है ?

पु ष चार : वह भी दे खा है । दे खा है क िजस मु ी म तम
ु कतना-कुछ एक साथ भर लेना चाहती थीं,
उसम जो था वह भी धीरे -धीरे बाहर फसलता गया है क तु हारे मन म लगातार एक डर समाता गया िजसके
मारे कभी तम
ु घर का दामन थामती रह हो, कभी बाहर का और क वह डर एक दहशत म बदल गया। िजस
दन तु ह एक बहुत बड़ा झटका खाना पड़ा...अपनी आ खर को शश म।

ी : कस आ खर को शश म ?

पु ष चार : मनोज का बड़ा नाम था। उस नाम क डोर पकड़ कर ह कह ं पहुँच सकने क आ खर को शश
म। पर तम
ु एकदम बौरा ग जब तम
ु ने पाया क वह उतने नामवाला आदमी तु हार लड़क को साथ ले कर
रात -रात इस घर से...।

बड़ी लड़क : (सहसा उठती) यह आप या कह रहे ह, अंकल ?

पु ष चार : मजबरू हो कर कहना पड़ रहा है , ब नी ! तू शायद मनोज को अब भी उतना नह ं जानती


िजतना...!

बड़ी लड़क : (हाथ म चेहरा छपाए ढह कर बैठती) ओह !

पु ष चार : ...िजतना यह जानती है । इसी लए आज यह उसे बरदा त भी नह ं कर सकती। ( ी से) ठ क


नह ं है यह ? ब नी के मनोज के साथ चले जाने के बाद तम
ु ने एक अंधाधंध
ु को शश शु क - कभी महे को
ह और झकझोरने क , कभी अशोक को ह चाबक
ु लगाने क , और कभी उन दोन से धीरज खो कर कोई और ह
रा ता, कोई और ह चारा ढूँढ़ सकने क । ऐसे म पता चला जगमोहन यहाँ लौट आया है । आगे के रा ते बंद पा
कर तम
ु ने फर पीछे क तरफ दे खना चाहा। आज अभी बाहर गई थीं उसके साथ। या बात हुई ?

ी : आप समझते ह आपको मझ
ु से जो कुछ भी जानने का जो कुछ भी पछ
ू ने का हक हा सल है ?

पु ष चार : न सह ! पर म बना पछ ू े ह बता सकता हूँ क या बात हुई होगी। तम ु ने कहा, तम


ु बहुत-
बहुत दखु ी हो आज। उसने कहा, उसे बहुत-बहुत हमदद है तम ु से। तम
ु ने कहा, तम
ु जैसे भी हो अब इस घर से
छुटकारा पा लेना चाहती हो। उसने कहा, कतना अ छा होता अगर इस नतीजे पर तम ु कुछ साल पहले पहुँच
सक होतीं। तम ु ने कहा, जो तब नह ं हुआ, वह अब तो हो ह सकता है । उसने कहा, वह चाहता है हो सकता, पर
आज इसम बहुत-सी उलझन सामने ह - ब च क िजदं गी को ले कर, इसको-उसको ले कर। फर भी क इस
नौकर म उनका मन नह ं लग रहा, पता नह ं कब छोड़ दे , इसी लए अपने को ले कर भी उसका कुछ तय नह ं है
इस समय। तम
ु गुमशम
ु हो कर सन
ु ती रह ं और माल से आँख प छती रह ं। आ खर उसने कहा क तु ह दे र हो
रह है , अब लौट चलना चा हए। तम
ु चप
ु चाप उठ कर उसके साथ गाड़ी म आ बैठ ं। रा ते म उसके मँह
ु से यह
भी नकला शायद क तु ह अगर पए-पैसे क ज रत है इस व त तो वह...

ी : बस बस बस बस बस बस ! िजतना सन
ु ना चा हए था, उससे बहुत यादा सन
ु लया है आपसे मने।
बेहतर यह है क अब आप यहाँ से चले जाएँ य क...

पु ष चार : म जगमोहन के साथ हुई तु हार बातचीत का सह अंदाज लगा सकता हूँ, य क उसक जगह
म होता, तो म भी तमु से यह सब कहा होता। वह कल-परस फर फोन करने को कह कर घर के बाहर उतार
गया। तमु मन म एक घट ु न लए घर म दा खल हुई और आते ह तम ु ने ब ची को पीट दया। जाते हुए वह
सामने थी एक परू िजंदगी - पर लौटने तक का कुल हा सल?... उलझे हाथ का गज गजा पसीना और...।

ी : मने आपसे कहा है न, बस ! सब-के-सब...सब-के-सब! एक-से! बलकुल एक-से ह आप लोग ! अलग-


अलग मख
ु ोटे , पर चेहरा? चेहरा सबका एक ह !

पु ष चार : फर भी तु ह लगता रहा है क तम


ु चन
ु ाव कर सकती हो। ले कन दाँए से हट कर बाँए, सामने
से हट कर पीछे , इस कोने से हट कर उस कोने म... या सचमच
ु कह ं कोई चन
ु ाव नजर आया है तु ह ? बोलो,
आया है नजर कह ं ?
शीष पर
कुछ पल खामोशी िजसम बड़ी लडक चेहरे से हाथ हटा कर पलक झपकाती उन दोन को दे खती है । फर जाएँ
अंदर के दरवाजे पर ख -ख सनाई दे ती है ।
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अदर दर र सु ई दत ह।

छोट लड़क : (अंदर से) दरवाजा खोलो। दरवाजा खोलो?

बड़ी लड़क : ( ी) या करना है , ममा ? खोलना है दरवाजा ?

ी : रहने दे अभी।

पु ष चार : ले कन इस तरह बंद रखोगी, तो...

ी : मने पहले भी कहा था, मेरा घर है । म बेहतर जानती हूँ।

छोट लड़क : (दरवाजा खटखटाती) खोलो ! (हताश हो कर) मत खोलो !

अंदर से कंु डी लगाने क आवाज।

: अब खल
ु वा लेना मझ
ु से भी।

पु ष चार : तु हारा घर है । तम
ु बेहतर जानती हो कम-से-कम मान कर यह चलती हो। इसी लए बहुत-कुछ
चाहते हुए मझ
ु े अब कुछ भी संभव नजर नह ं आता। और इसी लए फर एक बार पछ ू ना चाहता हूँ, तम
ु से... या
सचमचु कसी तरह उस आदमी को तम ु छुटकारा नह ं दे सकतीं ?

ी : आप बार-बार कस लए कह रहे ह यह बात ?

पु ष चार : इस लए क आज वह अपने को बलकुल बेसहारा समझता है । उसके मन म यह व वास बठा


दया है तम
ु ने क सब कुछ होने पर भी उसके िजए िजदं गी म तु हारे सवा कोई चारा, कोई उपाय नह ं है । और
ऐसा या इसी लए नह कया तम
ु ने क िजदं गी म और कुछ हा सल न हो, तो कम-से-कम यह नामरु ाद मोहरा
तो हाथ म बना ह रहे ?

ी : य - य - य -आप और-और बात करते जाना चाहते ह ? अभी आप जाइए और को शश करके उसे
हमेशा के लए अपने पास रख र खए। इस घर म आना और रहना सचमच
ु हत म नह ं है उसके। और मझ
ु े
भी...मझ
ु े भी अपने पास उस मोहरे क बलकुल- बलकुल ज रत नह ं है जो न खद
ु चलता है , न कसी और को
चलने दे ता है ।

पु ष चार : (पल-भर चप
ु चाप उसे दे खते रह कर हताश नणय के वर म) तो ठ क है वह नह ं आएगा। वह
कमजोर है , मगर इतना कमजोर नह ं है । तम
ु से जड़
ु ा हुआ है , मगर इतना जड़
ु ा हुआ नह ं है । उतना बेसहारा भी
नह ं है िजतना वह अपने को समझता है । वह ठ क से दे ख सके, तो एक परू द ु नया है उसके आसपास। म
को शश क ँ गा क वह आँख खोल कर दे ख सके।

ी : ज र-ज र। इस तरह उसका तो उपकार करे ग ह आप, मेरा भी इससे बड़ा उपकार िजदं गी म नह ं
कर सकगे।

पु ष चार : तो अब चल रहा हूँ म। तमु से िजतनी बात कर सकता था, कर चकु ा हूँ। और बात उसी से जा
कर क ँ गा। मझ
ु े पता है क कतना मिु कल होगा यह... फर भी यह बात म उसक े दमाग म बठा कर रहूँगा
इस बार क...

लड़का बाहर से आता है । चेहरा काफ उतरा हुआ है -जैसे कोई बड़ी-सी चीज कह ं हार कर आया हो।

: या बात है , अशोक ? तू चला य आया वहाँ से ?

लड़का उससे बना आँख मलाए बड़ी लड़क क तरफ बढ़ जाता है ।

लड़का : उठ ब नी ! अंदर से छड़ी नकाल दे जरा।

बड़ी लड़क : (उठती हुई) छड़ी ! वह कस लए चा हए तझ


ु े ?

लड़का : डैडी को कूटर र शा से उतार लाना है उनक तबीयत काफ खराब है ।

बड़ी लड़क : डैडी लौट आए ह।

पु ष चार : तो...आ ह गया है वह आ खर ?

लड़का : (उसक ओर दे ख कर मरु झाए वर म) हाँ... आ ह गए ह।

पु ष चार के चेहरे पर यथा क रे खाएँ उभर आती ह और उसक आँख ी से मल कर झुक जाती ह। ी
एक कुरसी क पीठ थामे चप
ु खड़ी रहती है । शर र म ग त दखाई दे ती है , तो सफ साँस के आने-जाने क ।

: (बड़ी लड़क से) ज द से नकाल दे छड़ी, य क...

बड़ी लड़क : (अंदर से दरवाजे क तरफ बढ़ती ) अभी दे रह हूँ।


शीष पर
जाकर दरवाजा खटखटाती है । जाएँ

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: क नी ! दरवाजा खोल ज द से ।

छोट लड़क : ( अंदर से ) नह ं खल


ु ेगा दरवाजा।

बड़ी लड़क : तेर शामत तो नह ं आई है ? कह रह हूँ। खोल ज द से ।

छोट लड़क : आने दो शामत। दरवाजा नह ं खल


ु े गा ।

बड़ी लड़क : (जोर से खटखटाती) क नी !

सहसा हाथ क जाता है । बाहर से ऐसा श द सन


ु ाई दे ता है , जैसे पाँव फसल जाने से कसी ने दरवाजे का
सहारा ले कर अपने को बचाया हो।

पु ष चार : (बाहर से दरवाजे क तरफ बढ़ता) यह कौन फसला है योढ़ म ?

लड़का : (उससे आगे जाता) डैडी ह ह गे। उतर कर चले आए ह गे ऐसे ह । (दरवाजे से नकलता) आराम से
डैडी, आराम से ।

पु ष चार : (एक नजर ी पर डाल कर दरवाजे से नकलता) सँभल कर महे नाथ, सँभल कर....

काश खं डत हो कर ी और बड़ी लड़क तक सी मत रह जाता है । ी ि थर आँख से बाहर क तरफ


दे खती आ ह ता से कुरसी पर बैठ जाती है । बड़ी लड़क उसक तरफ एक बार दे खती है , फर बाहर क तरफ।
हलका मातमी संगीत उभरता है िजसके साथ उन दोन पर भी काश म म पड़ने लगता है । तभी, लगभग अँधेरे
म लड़के क बाँह थामे पु ष एक क धध
ुँ ल आकृ त अंदर आती दखाई दे ती है ।

लड़का : (जैसे बैठे गले से) दे ख कर डैडी, दे ख कर...

उन दोन के आगे बढ़ाने के साथ संगीत अ धक प ट और अँधेरा अ धक गहरा होता जाता है ।

मख
ु पृ ठ उप यास कहानी क वता यं य नाटक नबंध आलोचना वमश

बाल सा ह य व वध सम -संचयन अनव


ु ाद हमारे रचनाकार हंद लेखक परु ानी वि ट वशेषांक खोज

संपक व व व यालय

शीष पर
जाएँ

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